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उत्तर प्रदेश की कला, संगीत एवं नृत्य - Art, Music and Dance of Uttar Pradesh
उत्तर प्रदेश की कला, संगीत एवं नृत्य - Art, Music and Dance of Uttar Pradesh
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भारत GK
उत्तर प्रदेश की कला, संगीत एवं नृत्य | Art, Music and Dance of Uttar Pradesh
भूगोल G
भौतिक वि
➤ उत्तर प्रदेश प्राचीनकाल से ही कला और संस्कृ ति का महत्वपूर्ण कें द्र रहा है। उत्तर प्रदेश की सांस्कृ तिक परिधि के अंतर्गत अवध,
ब्रज, भोजपुरी, बुंदेलखंड आदि क्षेत्र आते हैं। राज्य सरकार ने राज्य की पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं कलात्मक गतिविधि के संरक्षण, टिप्स
प्रदर्शन, प्रणालीकरण आदि के लिए वर्ष 1957 में सांस्कृ तिक विभाग की स्थापना की थी।
➤ स्थापत्य कला, चित्रकला व संगीतकला राज्य की प्राचीन व महत्वपूर्ण कलाएं हैं।
एग्जाम टि
जॉब टिप्स
उत्तर प्रदेश की स्थापत्य कला
स्टडी टिप्स
मुगल शैली
➤ मुगल शैली की नींव हुमायूं ने रखी थी। मुगल शैली को आगरा शैली के नाम से जाना जाता है।
➤ हुमायूं ने फारस के चित्रकार मीर सैयद अली तथा ख्वाजा अब्दुस्समद को अपने दरबार में स्थान दिया। ख्वाजा अब्दपुरसमद द्वारा
बनाए गए चित्र 'मुलसन' चित्रावली में संकलित है।
➤ इस शैली के चित्रों में क्या
युद्ध, आप प्रतियोगी
पशु-पक्षियों, फू लपरीक्षाओं की तैयारी
-पत्तियों पौराणिक कर रहेव मुगल
गाथाओं है? राज दरबार क चित्र प्रमुख है।
➤ आइने-अकबरी में बसावन, बसवंत, महेश, लालमुकुं द, सावलदास सहित कु ल 16 चित्रकारों के नाम दिए हैं। इस समय के 1200
चित्रों का संकलन जम्जनाया में है। यह मीर सैयद अली के संरक्षण में पूर्ण हुआ था।
➤ जहांगीर के काल को मुगल चित्रकला का स्वर्णयुग कहा जाता है। जहांगीर ने आगरा में चित्रशाला का निर्माण कराया था।
. हाँ
बुंदेली शैली
➤ चित्रकला की यह शैली 16वीं शताब्दी केबाद अपने अस्तित्व में आई, जो राज दरबार से प्रभावित शैली है।
➤ इस शैली की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके चित्रों में खाली स्थान को भरने के लिए गहराई का अहसास कराया गया है।
राजपूती शैली
➤ इस शैली का विकास मुख्य रूप से कन्नौज तथा बुंदेलखंड के चंदेल राजाओं द्वारा हुआ।
➤ इस शैली में जनसामान्य के जीवन को दर्शक माना है। प्रेम कथाएं, लोक कथाएं, धार्मिक रीति-रिवाज के विषयों पर चित्रकारी की
गई है।
जैनी शैली
➤ यह शैली मथुरा में विकसित हुई थी। भारतीय चित्रकला के इतिहास में कागज पर की गई चित्रकारी सर्वप्रथम इसी शैली में की गई।
➤ प्राचीनकाल में ही उत्तर प्रदेश महान संगीतज्ञों की जन्मभूमि तथा कर्मभूमि रही है।
➤ भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र की रचना की थी,बजिसे संगीत का बाइबिल कहा जाता है।
➤ राज्य में संगीत कला के विकास का विवरण निम्न प्रकार है-
➤ सामवेद से राज्य में संगीत कला के विकास का प्राचीनतम प्रमाण प्राप्त होता है।
➤ बुद्ध के समकालीन कौशाम्बी नरेश वीणा के कु शल वादक थे।
➤ 6वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य कश्यप, मातंगम, दत्तिल शार्दुल, अभिनवगुप्त तथा हरिपाल जैसे सगीतज्ञों ने उत्तर प्रदेश में संगीत
कला के विकास में महत्वक्या
पूर्ण आप
योगदान दिया। परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है?
प्रतियोगी
➤ मध्यकाल में संगीत का विकास दो प्रकार, भक्ति परम्परा तथा राजाश्रय से हुआ।
➤ संगीतबद्ध भजन गायन के द्वारा मंदिर में अर्चना की पद्वति वल्लभाचार्य ने विकसित की।
➤ विट्ठलनाथ ने आठ कवियों को मिलाकर अष्टछाप की स्थापना की। ये कवि नंददास, सूरदास, कुं भनदास, चतुर्भुदास, परमानंद दास,
छत स्वामी, गोविंद स्वामी एवं कृ ष्णदास थे।
. हाँ
➤ सूरदासी मल्हार के प्रणेता सूरदास थे। संगीतशास्त्र के महान आचार्य स्वामी हरिदास का जन्म अलीगढ़ जिले के हरिदासुर नामक
गांव में हुआ था जो संगीत सम्राट तानसेन, गोपाल, गमदास, दिवाकर पंडित तथा बंजू बावरा के गुरु धुपद-धमार की प्रसिद्ध गायिका
ताज बेगम थी। ये ब्रज में कृ ष्ण भक्तिधारा गायिका के रूप में प्रसिद्ध हैं।
अमीर खुसरो मध्यकालीन संगीत परम्परा के प्रमुख संगीतज्ञ थे। इन्होंने सितार एवं तबले का आविष्कार किया। खुसरो ने ईरानी संगीत
तथा ध्रुपद गायन शैली के मिश्रण में ख्याल गायन शैली विकसित की।
➤ ख्याल गायन शैली से भारतीय संगीत को वगों हिंदुस्तानी संगीत पद्वति तथा कर्नाटक संगीत पद्धति में विभाजित हुआ।
➤ 15वीं शताब्दी में जौनपुर के शासक सुल्तान हुसैन शर्की ने बड़ा ख्याल गायन शैली का आविष्कार किया तथा टप्पा शैली का
प्रचलन किया।
➤ 19वीं शताब्दी में अवध के नवाब वाजिद अली शाह के राजदरबार में संगीत कला की विकास हुआ।
➤ वाजिद अली शाह ने अख्खर पिया नामक बंदिश तैयार की। ये स्वयं रहस नृत्य में कृ ष्ण की भूमिका में प्रस्तुति देते थे।
➤ बिंदादीन महाराज अवध के संगीतज्ञ थे। उन्होंने कथक में ऊमरी गायन का समावेश किया तथा सनद पिया नामक बंदिश तैयार की
खयाल गायकी को शास्त्रीय स्वरूप नियामत खां 'सदानंद' ने 18वीं शताब्दी में दिया।
➤ उस्ताद फै याल खां को आधुनिक शास्त्रीय गायन का पिता माना जाता है। इन्हे आफताब-ए-मोसिकी (संगीत का सूर्य) कहा जाता
है।
➤ टप्पा गायकी शैली मियां शेरी ने प्रचलित की थी। ये लखनऊ के प्रसिद्ध गायक है।
आगरा घराना
➤ आगरा घराना मुगलकालीन में संगीत का सबसे बड़ा कें द्र था।
➤ इसमें ख्याल, ध्रुपद-धमार गायन की परम्परा थी।
➤ इस घराने के गायकों में पंडित विश्वंभर दीन, फै याज खां, अता हुसैन खां, भास्कर, बुवा बाखले, एसएस रातंजनकर, दिलीप चंद्र बेदी,
स्वामी वल्लभदास, गोविंद राव टेम्बे व मदपुरै रामास्वामी, शफी अहमद, कल्लन खां, सीआर व्यास, के जी गिंदे भी शामिल हैं।
➤ इस घराने की दूसरी शाखा में ठुमरी गायन की प्रधानता है। इसे कव्वाल बच्चा घराना भी कहते हैं।
➤ कव्वाल बच्चों का एक अलग घराना है। इसके प्रमुख प्रतिनिधियों में सादिक अली खां, मुहम्मद खां, फजले अली खां, करम अली
खां आदि शामिल हैं।
किराना घराना
➤ ख्याल गायिकी में इस घराने का प्रसिद्धि और लोकप्रियता में प्रमुख स्थान है।
➤ प्रसिद्ध बीनकार एवं ध्रुपद गायक उस्ताद बंदे अली खां से इस घराने की शुरुआत मानी जाती है, परंतु इसे घराने का दर्जा शामली
जिले के कै राना नामक स्थान में जन्मे उस्ताद अब्दुल करीम खां और उस्ताद अब्दुल वहीद खां ने दिलाया।
➤ किराना घराने की गंगूबाई हंगल को वर्ष 2002 में पद्म पुरस्कार मिला था।
➤ इस घराने के अन्य प्रमुख संगीतकार बालकृ ष्ण बुवा, स्वामी गन्धर्व, भीमसेन जोशी, बाबूमान, काले खां, सुरेश, गन्ने खां, रोशन आरा
बेगम, बहरे बुवा, हीराभाई बड़ोदकर, प्रभा अन्ने आदि प्रमुख हैं। अतरौली घराना
अलीगढ़ जिले में स्थित अतरौली कस्बा अनेक संगीतज्ञ परिवारों के लिए प्रसिद्ध रहा है।
➤ इस घराने के संगीतज्ञ ध्रुपद के साथ ही ख्याल गायन में भी प्रसिद्ध थे।
➤ इस घराने के संस्थापक जूनागढ़ रियासत से सम्बद्ध दो भाई काले खां और चांद खां माने जाते हैं।
➤ दुल्लू खां और छज्जू खां इस घराने के आरंभिक संगीतज्ञों में से थे, जो ध्रुपद-धमार गायन के लिए प्रसिद्ध थे।
इस घराने के प्रमुख गायक किशोरी अमोनकर, रत्नाबाई पई, पदमावती, भोंपू बाई, मल्लिकाअर्जुन मंसूर, शालिग्राम गोखले, गुलाम गैस
खां, चिम्न खां, धापत खांक्या आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है?
, हरयू खां, दौलत खां, अल्लादिया खां, के सबाई के रकर आदि हैं।
रामपुर घराना
➤ सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ आचार्य बृहस्पति के अनुसार इस घराने के संस्थापक नियामत खां थे।
➤ सितार वादक पंडित रविशंकर रामपुर घराने से सम्बंधित हैं। . हाँ
➤ रामपुर घराने के प्रमुख संगीतकारों में उस्तद वजीर खां, उस्ताद नजीर खां, उस्ताद बहादपुर हुसैन खां, उस्ताद अमीर खां, उस्ताद
इनायत हुसैन खां आदि प्रमुख है।
बनारस घराना
➤ काशी (वाराणसी) में राजा काशीराज ने कई प्रसिद्ध संगीतज्ञों को आश्रय दिया। इन्होंने ही बनारस घराना विकसित किया।
➤ ठुमरी गायिकी 'गिरिजा देवी' का सम्बंध बनारस घराने से है।
➤ इस घराने के अधिकांश गायक व गायिकाएं चारों पट की गायिकी, यानि खयाल के साथ ही मरी-टप्पा, कजरी-चवैती, भजन-गजल
और ध्रुपद-धमार के गायन में पारंगत रहे हैं। परंतु इस घराने में ठुमरी अंग की गायिकी को अधिक प्रसिद्धि मिली।
➤ इस घराने के प्रमुख संगीतकारों में ठाकु र दयाल मिश्र, पंडित दिलराम मिश्र, शिव सहाय मिश्र, रामसेवक मिश्र, ज्वाला प्रसाद मिश्र
एवं अमरनाथ पशुनाथ मिश्र शिवदास प्रयाग जी, गिरिजा देवी, बख्तावर मिश्र आदि प्रमुख हैं।
सहारनपुर घराना
➤ सूफी संत खलीफा मोहम्मद जमा से इस घराने का आरंभ माना जाता है।
➤ निर्मोल शाह को ध्रुपद की चारों वानियों-ख्याल, अंग व वीणा वादन में प्रयोणता प्राप्त थी।
➤ इस घराने के संगीतकारों में रहीमुद्दीन खा, नसीर मोइनुद्दीन डागर, नसीर अमीनुद्दीन डागर, नसीर जहीरूद्दीन डागर, नसीर
फै याजुददीन डागर, बंदे अली खां, बहराम खां, जाकिरूद्दीन खां, नसीरुद्दीन खां आदि प्रमुख हैं।
फतेहपुर-सीकरी घराना
➤ मुगल बादशाह जहांगीर के काल में दो भाइयों जनू खां और जोरावर खां से इस घराने की शुरुआत मानी जाती है।
➤ इस घराने के गायक ध्रुपद और ख्याल गाया करते थे।
➤ इस घराने के प्रमुख संगीताकरों में दूल्हे खां, घसीट खां, छोटे खां, गुलाम रसूल खां, मदार बख्श, सैयद खां आदि शामिल हैं।
लखनऊ घराना
➤ अवध की राजधानी लखनऊ में विकसित हुआ। यह ख्याल तथा ध्रुपद गायन के लिए प्रसिद्ध है।
➤ नवाब वाजिद अली शाह संगीत व कला प्रेमी थे। उनके शासनकाल को अवध की कला की दृष्टि से स्वर्ग युग कह सकते हैं। इनके
दरबार में ठुमरी एवं भाव का प्रमुख प्रचलन था।
➤ लखनऊ ख्याल गायकी का पितामह मुर्शिद अली खां को माना जाता है।
➤ लखनऊ घराने से बेगम अख्तर गजल व गुलाम नबी शोरी टप्पा शैली से सम्बंधित हैं।
➤ प्रसिद्ध पखावज वादक कोउद सिंह, पंडित अयोध्या प्रसाद, पंडित सखाराम हैं।
➤ सादिक अली खां इस घराने के प्रसिद्ध वीणा वादक हैं तथा अली खां इस घराने के सारंगी वादक हैं।
इलाहाबाद घराना
➤ इलाहाबाद की प्रयाग संगीत समिति देश के प्रमुख संगीत संस्थानों में हैं।
➤ जानकीबाई ऊ छप्पन छपुरी, के सरबाई, कृ ष्णा देवी, मुनीर खातून बेगम आदि प्रसिद्ध गायिकाएं है।
➤ यहां सरोद वादन में करामत उल्ला खां, सारंगी वादन के लिए यूफफ खां और प्रो. लाल जी तथा बांसुरी वादन के लिए रघुनाथ सेठ
व हरिप्रसाद चौरसिया प्रसिद्ध हैं।
रासलीला
➤ रासलीला कृ ष्ण जन्माष्टमी के उत्सव पर श्री कृ ष्ण तथा गोपियों के मध्य लीलाओं का मंचन है। रामलीला ब्रजभाषा तथा ब्रज शैली
में की जाती है।
नौटंकी
➤ नौटंकी उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक प्रचलित लोकनाट्य है।
➤ राज्य में नौटंकी की दो शैलियां कानपुरी शैली व हाथरसी शैली प्रचलित हैं।
➤ दोनों शैलियों में प्रस्तुतीकरण संवाद तथा गायन के साथ किया जाता है।
➤ कानपुरी नौटंकी शैली मनोरंजन प्रधान तथा हाथरसी शेली वीर रस तथा भक्ति प्रधान है।
➤ नौटंकी के प्रमुख कलाकार-मधु अग्रवाल (निदेशक, कानपुर शैली), विनोद रस्तोगी (निदेशक) उर्मिला कु मार, चुन्नीलाल, डॉ. कु ष्ण
मोहन सक्सेना, कमलेश लता, राधा-रानी कु ष्णाबाई आदि हैं।
राहुला लोकनाट्य
➤ यह बुंदेलखंड का लोकनाट्य है। इसमें शिक्षाप्रद कहानियों का मंचन किया जाता है।
कठपुतली लोकनाट्य
➤ उत्तर प्रदेश राज्य में कठपुतली के ग्लब्स एवं रॉड पपेट का प्रहार प्रचलित है।
गुलाबो-'सिताबों पहला ग्लब्स पपेट है, जो कि नवाब वाजिद अली शाह के जीवन पर आधारित है।
➤ उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 2250 मेलों का आयोजन किया जाता है।
➤ राज्य में सर्वाधिक 86 मेले मथुरा में फिर कानपुर (80), हमीरपुर (79), झांसी (78), आगरा (72) तथा फतेहपुर (70) मेले लगते
हैं।
➤ सबसे कम मेले पीलीभीत में लगते हैं।
चलचित्र (फिल्म)
➤ भारत के फिल्म उद्योग (हिंदी) में दर्शकों एवं कलाकारों दोनों ही दृष्टि से उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। बॉलीवुड के हिंद फिल्मों
का सबसे बड़ा बाजार उत्तर प्रदेश ही है।
➤ फिल्म उद्योग के अनेकों जाने माने कलाकार यथा - नौशाद, मजरूह सुल्तानपुरी, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, कै फी आजमी,
शकील बदायूंनी, नीरज अन्जान, इन्दीवर, मासूम रजा, अमिताभ बच्चन, नरगिस दत्त, बीना राय, राज बब्बर आदि उत्तर प्रदेश के ही
निवासी रहे।
➤ भारत की पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' (1931) के निर्देशक वी.पी. मिश्र थे, जो कि देवरिया के रहने वाले थे।
➤ प्रदेश के लोक भाषाओं, यथा-ब्रज, भोजपुरी, बुंदेली आदि में से भोजपुरी में सर्वाधिक फिल्मों का निर्माण किया जाता है।
➤ रचनात्मक एवं उद्देश्यपूर्ण फिल्मों को निर्माण को ध्यान में रखकर 10 सितंबर, 1975 'उत्तर प्रदेश चलचित्र निगम' की स्थापना की
है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रदेश के सांस्कृ तिक, पर्यटन, कृ षि, साहित्यिक, औद्योगिक, ग्राम विकास तथा अन्य विकास
संबंधी विषयों पर वृत्त चित्र एवं समाचार चित्र निर्मित किये जाते हैं।
➤ अब तक 100 से अधिक समाचार चित्र व 165 से अधिक वृत्त चित्र तैयार किये जा चुके हैं। लखनऊ मेरा लखनऊ, महात्मा गांधी
और उत्तर प्रदेश, चोर-चोर, नैमिषारण्य, ब्रज होली, ग्राम्या, बुंदेलखंड विकास की चमक हर आंख में आदि प्रमुख वृत्तचित्र हैं। नोएडा
छोटी फिल्म सिटी मानी जाती है।
➤ राज्य में फिल्म के विकास हेतु फिल्म विकास परिषद का गठन किया गया है। फिल्म को उद्योग का दर्जा देते हुए (1999 में प्रथम
फिल्म) 2015 में संशोधित फिल्म नीति की घोषणा की गई, इसके उद्देश्य एवं चुनौतियां इस प्रकार हैं-
➤ राज्य में फिल्मों के विकास व निर्माण तथा फिल्म उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए फिल्म विकास लिपि की स्थापना की गई है।
➤ फिल्म नीति के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु 'उत्तर प्रदेश फिल्म बंधु' का गठन किया गया है।
➤ प्रदेश में निर्मित होने वाली फिल्मों के निर्माण हेतु वित्तीय सहायता की संस्तुति करने का दायित्व फिल्म बंधु का है।
उम्मीद है 'उत्तर प्रदेश की कला, संगीत एवं नृत्य से संबंधित जानकारी' लेख पसंद आया होगा। इस लेख से उत्तर प्रदेश GK, उत्तर
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sangeet इत्यादि की तैयारी हो जाएगी। इस लेख को अपने दोस्तों से जरूर शेयर करें। यदि आपके पास कोई प्रश्न है नीचे कमेंट
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Juhi
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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम "जूही सिंह" है और आपका "EXAMS TIPS HINDI" वेबसाइट में स्वागत है। इस वेबसाइट में सभी विषयों से
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