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यप
ू ीएससी भारतीय मंदिर शैली

नोट्स की वास्तक
ु ला
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भारतीय मंदिर शैली की वास्तक


ु ला (Temple Style Architecture of India in Hindi) विविध और विशाल
है । भारत की एक समद्
ृ ध साांस्कृततक विरासत है जो ससंधु घाटी सभ्यता की है । परू े इततहास में , िास्तक
ु ला
ने स्िदे शी साांस्कृततक परां पराओां और सामाजजक आिश्यकताओां, आर्थिक समद्
ृ र्ध और धार्मिक अभ्यास का
आयोजन ककया है । पररणामस्िरूप िास्तुकला के अध्ययन से भारत की साांस्कृततक विविधता का पता
चलता है । भारतीय कला का अर्धकाांश भाग धमि से प्रभावित है । हम इस लेख में हम भारतीय मंदिर शैली
की वास्तुकला (Temple Style Architecture of India) के बारे में जानेंगे, जो यूपीएससी परीक्षाओं के र्लए
प्राचीन इततहास विषय के अन्तगित एक महत्िपूणि टॉवपक है ।

द ि
ं ू मंदिर शैली वास्तुकला | Hindu temple style architecture

हहांद ू मांहदर के मूल घटक तनम्नर्लखखत हैं:

 गभभग ृ (Garbhagriha) : गभिगह


ृ का अथि सांस्कृत में "गभि-घर" है । यह एक गफ
ु ा जैसा कक्ष है जजसमें
मांहदर का प्रमखु र्चह्न होता है । यह केिल एक प्रिेश द्िार िाला एक छोटा कक्ष हुआ करता था। यह
बाद के यग ु ों में एक बडे कक्ष के रूप में विकर्सत हुआ।
 मंडप (Mandap) : मांहदर का मख्
ु य प्रिेश द्िार। यह एक पोहटि को या उपासकों से भरा एक कोलोनेड हॉल
हो सकता है ।
 सशखर/ववमान (Shikhar/Vimana) : र्शखर या विमान को 5िीां शताब्दी ईस्िी से दजि ककया गया है । यह
ऊपर पहाड जैसा र्शखर है । इसे उत्तर भारत में र्शखर के नाम से जाना जाता है और इसका आकार
घम
ु ािदार होता है । इसे दक्षक्षण में विमान के नाम से जाना जाता है और यह एक वपरार्मडनम
ु ा मीनार
जैसा हदखता है ।
 अमलका (Amalaka) : मांहदर के र्शखर पर हदखाई दे ने िाली पत्थर जैसी डडस्क सांरचना होते हैं। यह
ज्यादातर उत्तरी भारत के मांहदरों में पाए जाते हैं।
 कलश (Kalash): कलश मांहदर का उच्चतम बबांद ु है । उत्तर भारतीय मांहदर शैली की िास्तक
ु ला सबसे आम
है ।
 अंतराला (Antarala) : गभिगह
ृ और मांडप के बीच में एक िेजस्टबल
ु है जजसे अांतराला कहा जाता है ।
 जगती (Jagati) : एक ऊांचा मांच जहाां भक्त बैठ कर पज
ू ा कर सकते हैं, जो उत्तर भारतीय मांहदरों में
लोकवप्रय है ।
 वा न (Vahana) : यह प्रमख
ु दे िता का िाहन है जजसे अक्षीय रूप से मानक स्तांभ या ध्िज के साथ रखा
जाता है ।

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भारतीय मंदिर शैली की वास्तक


ु ला | Temple Style Architecture of India

 गप्ु त काल ने भारतीय मंदिर शैली की वास्तक


ु ला (Temple Style Architecture of India) में एक नए
यग
ु की शरु
ु आत की। र्शल्पशास्र के रूप में जाना जाने िाला स्थापत्य लेखन प्रारां र्भक मध्य यग
ु में
र्लखा गया था।
 इन तीन महत्िपण
ू ि मांहदर शैली की िास्तक
ु ला का उल्लेख नीचे ककया गया है :

 नागर वास्तक
ु ला शैली (Nagara Architectural Style)

 द्रववड़ वास्तक
ु ला शैली (Dravidian Architectural Style)

 बेसर िास्तक
ु ला शैली (Besar Architectural Style)

उत्तर भारतीय नागर मंदिर शैली वास्तुकला

नागर शैली हहमालय और विांध्य के बीच के क्षेर से जुडी हुई है और यह भौगोर्लक रूप से भारत के उत्तरी
क्षेरों में विकर्सत हुई है ।

नागर मंदिर शैली की वास्तक


ु ला की ववशेषताएं | Features of Nagar Mandir style of architecture

 योजना और उन्नयन नागर शैली के दो प्रमख


ु पहलू हैं। मांहदर पररसर जनता के र्लए खल
ु ा है ।
 मांहदरों में चार कक्ष गभिगह
ृ , जगमोहन, नाट्यमांहदर और भोगमांहदर शार्मल हैं।
 यह पररसर दो इमारतों से बना है जजसमें मख्
ु य मांहदर है , जो लांबा है और उससे सटा एक छोटा मांडप है ।
 सशखर (Shikhara) : गभिगहृ (आांतररक गभिगह
ृ ) को एक घम
ु ािदार आकार के र्शखर के साथ ताज
पहनाया जाता है । र्शखर की आकृतत इन दो सांरचनाओां के बीच सबसे अर्धक ध्यान दे ने योग्य अांतर है ।
मख्
ु य मांहदर के र्लए एक घांटी के आकार की सांरचना बनाई गई है ।
 मंडप (Mandapa) : अधिमड
ां प, मांडप और महामांडप मांडप (मख्
ु य हॉल) के तीन रूप हैं।
 मांहदर के शीषि पर एक आमलका एक पत्थर की डडस्क जैसी सांरचना है ।
 कलश, जो र्शकारा का सबसे ऊांचा र्शखर है और साथ ही परू े मांहदर में अमलका का ताज है ।
 गभिगह
ृ और मांडप के बीच एक अनतरला भी है ।
 मांहदर की दीिारों और खांभों पर नदी दे िी-दे िताओां की मतू तियाां और र्मथुना की मतू तियाां हैं।
 हालााँकक, पहले नागर शैली में कोई स्तांभ नहीां थे।
 अनम
ु ान के चार अलग-अलग प्रकार हैं:

1.
1. 'त्रिरथ' हर तरफ एक प्रक्षेपण है ।
2. 'पंचरथ' दो अनम
ु ानों में से एक है ।

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3. 'सप्तथभ' तीन अनम


ु ानों में से एक है ।
4. 'नवरथ' में चार भविष्यिाखणयाां हैं।

सशखर के आधार पर नागर मंदिर शैली का वगीकरण

रे खा-प्रसाि या लैदटना | Rekha-Prasad or Latina

 यह र्शखर की सबसे बतु नयादी और सामान्य ककस्म है ।


 नीांि चौकोर है और दीिारें शीषि पर एक बबांद ु की ओर अांदर की ओर मड
ु ी हुई हैं।
 गभिगह ृ ज्यादातर लैहटना ककस्मों में पाया जाता है ।
 बाद में लैहटना सांरचनाएां अर्धक जहटल हो गईं और मांहदर ने एक टािर की तरह हदखने के बजाय कई
छोटे टािरों का समथिन करना शरू
ु कर हदया जो केंद्र में सबसे बडे और हमेशा गभिगह
ृ के ऊपर बढ़ते
पहाडों की तरह एक साथ पैक ककए गए थे।
 ओडडशा के श्री जगन्नाथ मंदिर का तनमािण रे खा-प्रसाद र्शकारा शैली में और मध्य प्रिे श (MP) के मरखेड़ा
में सय
ू भ मंदिर का तनमािण ककया गया है ।

वल्लभी | Vallabhi

 इस शैली के मांहदर आकार में आयताकार होते हैं और इनमें बैरल-िॉल्टे ड छतें होती हैं।
 िैगन िॉल्टे ड इमारतों/सांरचनाओां का नाम िॉल्टे ड चें बर सीर्लांग से र्मलता है ।ग्वासलयर स्स्थत तेली का
मंदिर
 9िीां शताब्दी में इस शैली में बनाया गया था।

फामसन | Phamsana

 कई स्लैब िाली छतें जो इमारत के मध्य बबांद ु के ऊपर एक बबांद ु पर एक वपरार्मड बैठक की तरह एक
सीधी ढलान पर एक क्रर्मक ढलान में ऊपर की ओर चढ़ती हैं, छोटी लेककन व्यापक सांरचनाएां हैं।
 कोणाकि मांहदर के जगमोहन के तनमािण के र्लए फामसन पद्धतत का उपयोग ककया जाता है ।

नागर मंदिर शैली वास्तुकला की उप-शैली


उड़ीसा शैली | Odisha School चंिेल शैली | Chandel School सोलंकी शैली | Solanki School
 ओडडशा के मांहदरों के विपरीत इन  इनकी तल
ु ना चांदेल स्कूल
 र्शकारा (दे उल) जो शीषि
मांहदरों को र्शकारा के साथ एक से की जा सकती है ,
पर अांदर की ओर मड
ु ने से
इकाई के रूप में डडजाइन ककया लेककन इनकी छतें असली
पहले तेजी से चढ़ता है ,
गया है जो नीचे से ऊपर की ओर गब
ुां द की तरह तराशी गई
सबसे विर्शष्ट विशेषता है ।
िक्र है । हैं।

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 प्रमख
ु प्रकार िगािकार है  पोहटि कोस और हॉल केंद्र टािर  सक्ष्
ू म और नाजक

जजसके ऊपरी भाग में गोल और टािरों से उठने िाले छोटे सजािटी रूपाांकन प्राचीन
चोहटयााँ हैं। र्शकारों से ढके हुए हैं जो मांहदरों का एक अनठ
ू ा
 इन मांहदरों के बाहरी भाग उत्तरोत्तर मख्
ु य टािर तक चढ़ते पहलू हैं।
को खूबसरू ती से उकेरा हैं।  केंद्रीय मांहदर को छोडकर
गया है जबकक अांदरूनी दीिारों के भीतरी और
भाग आमतौर पर सादे हैं। बाहरी दोनों ककनारों पर
 अर्धकाांश ओडडशा मांहदरों नक्काशी दे खी जा सकती
में उत्तर में नागर मांहदरों के है ।
विपरीत चारदीिारी है ।

भारत के ववसभन्न क्षेिों में प्रससद्ध नागर मंदिर

मध्य भारत | Central India

 मध्य प्रदे श में गप्ु त काल के कुछ शरु


ु आती जीवित नागर मांहदर शैली िास्तक
ु ला सांरचनात्मक मांहदर हैं।
 इन मांहदरों में से प्रत्येक में चार स्तांभ हैं जो एक छोटे से मांडप का समथिन करते हैं, जो कक एक समान
रूप से छोटे स्थान के सामने एक मल
ू चौकोर पोचि जैसा हदखता है जो गभिगह
ृ के रूप में कायि करता है ।
 िे वगढ़ (उत्तर प्रिे श के लसलतपरु स्जले में) छठी शताब्दी ईस्िी पि
ू ि के गप्ु त काल िशावतार मंदिर इसका
उत्कृष्ट उदाहरण है । दशाितार मांहदर भगवान ववष्णु को समवपित है ।
 मख्
ु य मांहदर पांचायतन मांहदर शैली की िास्तक
ु ला में चार कोनों पर चार छोटे सहायक मांहदरों के साथ एक
आयताकार कुरसी पर बनाया गया है , जो इसे कुल पाांच मांहदरों की सांख्या बनाता है इसर्लए इसका नाम
पंचायतन है ।
 यह अिर्ध लांबे और घम
ु ािदार र्शखर द्िारा भी समर्थित है । यह घम
ु ािदार लैहटना या रे खा-प्रसाद प्रकार
का र्शखर आगे इांर्गत करता है कक यह पारां पररक नागर मांहदर िास्तक
ु ला का एक प्रारां र्भक उदाहरण है ।
 चंिेल शासक धंग ने खजरु ा ो में लक्ष्मण मंदिर का तनमािण ककया, जो 954 में ववष्णु को समवपित था। यह
एक नागर मांहदर है जो सीढ़ी के उपयोग के साथ एक उच्च मांच पर जस्थत है ।
 कोनों में चार छोटे मांहदर हैं और र्शखर के रूप में जाने जाने िाले सभी टािर एक घम
ु ािदार वपरार्मड
आकार में ऊांचे और ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जो मांहदर के ऊध्िािधर जोर को बढ़ाते हैं और एक क्षैततज
फ्लट
ु े ड डडस्क में पररणत होते हैं जजसे एक कलश या फूलदान के साथ आमलक के रूप में जाना जाता
है ।
 इस काल के सभी नागर मांहदरों में आमलक और कलश के प्रमख
ु घटक हैं।
 खजुरा ो में कंिररया म ािे व मंदिर मध्य भारत के नागर मांहदर िास्तक
ु ला का र्शखर है ।
 खजुराहो के मांहदर अपनी समद्
ृ ध कामक
ु मतू तियों के र्लए भी उल्लेखनीय हैं। मानिीय अनभ
ु ि में कामक

अर्भव्यजक्त को आध्याजत्मक प्रयास के समान महत्ि हदया जाता है और इसे एक व्यापक ब्रह्माांडीय
सांपण
ू ि का हहस्सा माना जाता है ।
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पस्चचम भारत | West India

 गज
ु रात और राजस्थान में नागर मांहदर हैं।
 मोढे रा में सय
ू भ मंदिर जो 1026 में सोलंकी राजवंश के राजा भीमिे व प्रथम द्िारा बनाया गया था और
ग्यारहिीां शताब्दी की शरु
ु आत से इस क्षेर में नागर मांहदर शैली िास्तक
ु ला का एक उदाहरण है ।
 इस मांहदर में गज
ु रात की लकडी की नक्काशी की सांस्कृतत का प्रभाि दे खा जा सकता है ।

पव
ू ी भारत | East India

 पि
ू ी भारत के मांहदर उत्तर-पि
ू ,ि बांगाल और ओडडशा में पाए जा सकते हैं।
 सातिीां शताब्दी तक टे राकोटा बांगाल में प्राथर्मक तनमािण सामग्री के साथ-साथ बौद्ध और हहांद ू दे िताओां
को र्चबरत करने िाली पट्हटकाओां को ढालने का प्राथर्मक माध्यम प्रतीत होता है।
 तेजपरु के पास दापििततया से छठी शताब्दी की एक प्राचीन गढ़ी हुई चौखट और साथ ही असम में
ततनसकु कया के पास रां गगोरा टी एस्टे ट से कुछ मतू तियाां इस क्षेर में गप्ु त शैली के आयात की पजु ष्ट करती
हैं।
 जब ताई लोग ऊपरी बमाि से चले गए, तो उनकी शैली बांगाल की प्रचर्लत पाल शैली के साथ विलीन हो
गई, जजसके पररणामस्िरूप ग्िाांगझू और उसके आसपास अहोम शैली का जन्म हुआ।
 कई बौद्ध मठ स्थल पालों को सांरक्षक के रूप में सम्मातनत करते हैं और उस क्षेर के मांहदरों को स्िदे शी
िांगा शैली को प्रततबबांबबत करने के र्लए जाना जाता है ।
 उदाहरण के र्लए, बिभ वान स्जले के बराकर में नौिीां शताब्दी का ससद्धेचवर म ािे व मंदिर एक प्रारां र्भक पाल
शैली का मांहदर है जजसमें एक विशाल आमलका से तघरा एक विशाल घम
ु ािदार र्शखर है ।
 यह उसी काल के ओडडशा के मांहदरों से र्मलता जल
ु ता है ।
 यह मांहदर भारत में नागर मांहदर शैली की िास्तक
ु ला का भी एक उदाहरण है ।
 ओडडशा के मांहदर नागर आदे श की एक अलग उप-शैली से सांबर्ां धत हैं।
 सामान्य तौर पर, र्शखर को ओडडशा में दे उल के रूप में भी जाना जाता है , जब तक कक यह र्शखर की
ओर तेजी से अांदर की ओर नहीां मड
ु जाता।
 बांगाल की खाडी के तट पर लगभग 1240 के आसपास पत्थर से बने सय
ू ि मांहदर के शानदार खांडहर बांगाल
की खाडी के तट पर कोणाकि में पाए जा सकते हैं। इसका र्शखर 70 मीटर की ऊांचाई के साथ एक
विशाल सांरचना थी।
 इस क्षेर के कुछ प्रर्सद्ध नागर मंदिर मक्
ु तेचवर मंदिर, राजरानी मंदिर, सलंगराज मंदिर आहद हैं।

प ाड़ी मंदिर | The Hill Temples

 कुमाऊां, गढ़िाल, हहमाचल प्रदे श और कश्मीर की पहाडडयों में एक अलग तरह की इमारत खडी हो गई है ।
महत्िपण
ू ि गांधार स्थलों से कश्मीर की तनकटता पायी जाती है ।
 यह सारनाथ, मथरु ा और यहाां तक कक गज
ु रात और बांगाल जैसे स्थानों से लाई गई गप्ु त और गप्ु तोत्तर
परां पराओां के साथ र्मर्ित होने लगी।

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 पररणामस्िरूप बौद्ध और हहांद ू परां पराएां आपस में र्मल गईं और ऊांचे इलाकों में फैल गईं। ढलान िाली
छतों के साथ लकडी के ढाांचे भी ऊांचे इलाकों में एक परां परा थी।
 पररणामस्िरूप आप दे खेंगे कक मख्
ु य गभिगह
ृ और र्शखर रे खा-प्रसाद या लैहटना शैली में बनाए गए हैं,
जबकक मांडप परु ाने प्रकार की लकडी की इमारत में बनाया गया है । मांहदर कभी-कभी र्शिालय का आकार
ले सकता है ।
 अल्मोडा में जागेश्िर और वपथौरागढ़ के पास चांपाित कुमाऊां में दो मांहदर हैं जो इस क्षेर में नागर
िास्तक
ु ला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

िक्षक्षण भारतीय द्रववड़ मंदिर शैली वास्तुकला

 द्रविड मांहदर िास्तक


ु ला दक्षक्षण भारत से मांहदर िास्तक
ु ला का एक रूप है ।
 पल्लिों ने पहली बार चौथी शताब्दी ईस्िी में म ें द्रवमभन प्रथम (571-630 ईस्वी) के साथ अपने पहले राजा
के रूप में शासन ककया था।
 द्रविड िास्तक
ु ला की स्थापना पल्लवों ने की थी।

द्रववड़ मंदिर शैली वास्तक


ु ला की ववशेषताएं

 मांहदरों के चारों ओर एक र्मर्ित दीिार है ।


 यह कृष्णा और कािेरी नहदयों के बीच पाया जा सकता है ।
 द्रविड शैली में मांहदर के चारों ओर एक सहायक हॉल है ।
 गोपरु म या प्रिेश द्िार सामने की दीिार के केंद्र में जस्थत है ।
 गभिगहृ डडजाइन में िगािकार है और विमान द्िारा एक वपरार्मडनम ु ा मीनार से ढका हुआ है ।
 र्शखर दक्षक्षण भारत में एक अष्टकोणीय गब
ुां द उत्तर भारत में कलश के बराबर है ।
 मांहदर की चारदीिारी के भीतर ताजे पानी के साथ एक मांहदर का तालाब है ।
 गभिगह
ृ और विमान को एक मांडप द्िारा एक स्तांर्भत दीिार से अलग ककया जाता है ।
 द्िारपालों की छवियों को स्तांभों और विमान कहातनयों (द्िारपालों) में तराशा गया है ।
 गोपरमों की ऊांचाई समय के साथ बढ़ती रही और ववजयनगर काल तक िे विमानों की ऊांचाई को लगभग
पार कर चक
ु े थे।

पल्लव | Pallavas

 प्राचीन दक्षक्षण भारतीय राजिांशों में से एक पल्लव थे।


 उन्होंने उपमहाद्िीप के कई क्षेरों में अपने साम्राज्य का विस्तार ककया, कई बार ओडडशा की सीमाओां तक
पहुांच गए और दक्षक्षण-पि
ू ि एर्शया के साथ घतनष्ठ सांबध
ां बनाए रखा।
 िे दक्कन की व्यापक बौद्ध विरासत से प्रेररत थे।
 कांचीपरु म में कैलाशनाथ मंदिर नरससं वमभन द्ववतीय (पल्लव राजा) द्िारा बनाया गया था।

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 यह व्यापक रूप से माना जाता है कक उनकी प्रारां र्भक सांरचनाएां शैल-कृत थीां जबकक उनकी बाद की
सांरचनाएां सांरचनात्मक थीां।
 म ाबलीपरु म में शोर मंदिर नरससं वमभन द्ववतीय (700 से 728 सीई) के शासनकाल के दौरान बनाया गया
था।
 तंजावरु का सशव मंदिर जजसे ब्र िे चवर मंदिर भी कहा जाता है , सभी मांहदरों में सबसे बडा और सबसे ऊांचा
है । इसे राजराजा चोल ने परू ा ककया था।
 इसमें एक जहटल मतू तिकला कायिक्रम के साथ दो विशाल गोपरु म (प्रिेश द्िार टािर) शार्मल हैं जजन्हें
मांहदर के सांबध
ां में डडजाइन ककया गया था।

िक्कन वास्तक
ु ला | Deccan Architecture

 कनािटक जैसे स्थानों में उत्तर और दक्षक्षण भारतीय दोनों मांहदरों से प्रभावित विर्भन्न प्रकार की मांहदर
स्थापत्य शैली को अपनाया गया।
 750 CE तक राष्रकूटों ने प्रारां र्भक पस्चचमी चालक्
ु यों से दक्कन पर तनयांरण कर र्लया था।
 एलोरा का कैलाशनाथ मंदिर शैल स्थापत्य तनमािण के भारत के सहस्राब्दी परु ाने इततहास का शीषि है ।
 चांकू क मंदिर सशव को समवपभत है , इसर्लए इसमें एक नांदी मांहदर एक गोपरु म जैसा प्रिेश द्िार है , जो मठों
को घेरता है । माध्यर्मक मांहदर, सीहढ़यााँ और तीस मीटर तक ऊाँचा एक भव्य टॉिर या विमान है ।
 यह सब महत्िपण
ू ि जीवित चट्टान से काटा गया है ।
 कैलाशनाथ मांहदर के तनमािण के र्लए अखांड पहाडी के एक हहस्से की धीरे -धीरे खद
ु ाई की गई।
 प्रारां र्भक चालक्
ु य गततविर्ध में रॉक-कट गफ
ु ाएां शार्मल हैं, जबकक बाद में चालक्
ु य गततविर्ध सांरचना
मांहदरों पर केंहद्रत है ।
 सबसे परु ानी सबसे अर्धक सांभािना है कक ऐ ोल के पास रावण फड़ी गफ
ु ा है, जो अपनी अनठ
ू ी मतू तिकला
शैली के र्लए उल्लेखनीय है।
 नटराज की मर्ू तभ, जो र्शि के बायीां ओर तीन और उनके दायीां ओर सप्तमातक
ृ ाओां के बडे-से-बडे आकार
के र्चरों से तघरी हुई है , साइट पर सबसे महत्िपण ू ि में से एक है ।
 ववरुपाक्ष मंदिर, ववक्रमादित्य द्ववतीय (733-44) के शासनकाल के दौरान उनकी प्रमख
ु रानी लोका महादे िी
द्िारा तनर्मित पट्टाडकल में चालक्
ु य मांहदरों में सबसे विस्तत
ृ है ।
 भगवान सशव को समवपभत पापनाथ मंदिर इस स्थान का एक और उल्लेखनीय मांहदर है ।
 ए ोल, कनाभटक में लाड खान मंदिर पहाडडयों की लकडी की छत िाले मांहदरों से प्रेररत प्रतीत होता है ,
र्सिाय इसके कक यह पत्थर से बना है ।
 ोयसला राजा ने 1150 के आसपास कनािटक के हलेबबड में गहरे रां ग के पत्थर से ोयसलेचवर मंदिर
(होयसला के भगिान) का तनमािण ककया।
 नटराज के रूप में र्शि को समवपित हलेबबड मांहदर, सांगीत और नत्ृ य को बढ़ािा दे ने के र्लए मांडप के
र्लए एक विशाल हॉल के साथ एक जुडिाां सांरचना है ।
 ववजयनगर यानी 'जीत का श र' की स्थापना 1336 में हुई थी और इसने इटार्लयांस, फ्रेंच और बब्रहटश
सहहत कई अांतरराष्रीय आगांतक
ु ों को आकवषित ककया।
 मीनाक्षी- मदरु ै में सि
ंु रे चवर मंदिर नायक शासकों द्िारा बनाया गया था।
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बौद्ध वास्तक
ु ला | Buddhist Architecture

 बोधगया सबसे महत्िपण


ू ि बौद्ध तीथि स्थान है । जबकक बोर्ध िक्ष
ृ अत्यांत महत्िपण
ू ि है ।
 बोधगया में म ाबोधध मंदिर समय की र्चनाई का एक महत्िपण
ू ि अनस्
ु मारक है ।
 दािा ककया जाता है कक राजा अशोक ने यहाां पहला मांहदर बनाया था, जजसे बोर्ध िक्ष
ृ के आधार पर रखा
गया है । अशोक के कुछ सशलालेखों में इसका उल्लेख भी र्मलता है ।
 मांहदर का स्िरुप न तो द्रविड है और न ही नागर।
 यह नागर मांहदर जजतना ही सांकरा है लेककन द्रविड मांहदर की तरह सीधा ऊपर की ओर बढ़ता है ।
 नालंिा का मठ ववचवववद्यालय एक महा विहार है जो विर्भन्न आकारों के मठों का सांग्रह है ।
 5वीं शताब्िी में कुमारगप्ु त प्रथम ने एक मठ की नीांि रखी जजसे बाद के राजाओां ने जारी रखा।
 प्लास्टर, पत्थर और काांसे में नालांदा की मतू तिकला कला सारनाथ की बौद्ध गप्ु त कला पर एक मजबत

तनभिरता के कारण विकर्सत हुई।
 मांजुिी कुमारा, कमल पर बैठे अिलोककतेश्िर जैसे स्थायी बद्
ु ध बोर्धसत्ि और नालांदा मतू तियों में हदखाए
गए बौद्ध दे िताओां में नागा-नागाजन
ुि शार्मल हैं।
 कुछ प्रमख
ु बौद्ध मठ जो बाद में ओडडशा में स्थावपत ककए गए, िे लर्लतर्गरर, िज्रर्गरी और रत्नार्गरी
हैं।
 चोल काल तक नागपट्दटनम का बांदरगाह शहर भी एक प्रमख
ु बौद्ध केंद्र था।

जैन वास्तक
ु ला | Jain Architecture

 जैन, हहांदओ
ु ां की तरह विपल
ु मांहदर तनमािता थे और उनके पविर तीथि और तीथि स्थल पहाडडयों को
छोडकर परू े भारत में पाए जा सकते हैं।
 बबहार सबसे परु ाने जैन तीथि स्थलों का घर है । दक्कन में एलोरा और ऐहोल में कुछ सबसे महत्िपण
ू ि
जैन स्थल हैं।
 दे िगढ़, खजरु ाहो, चांदेरी और ग्िार्लयर मध्य भारत में जैन मांहदरों के कुछ बेहतरीन उदाहरण हैं।
 कनािटक में ििणबेलगोला में प्रर्सद्ध गोमतेश्िर प्रततमा सहहत जैन अभयारण्यों का एक लांबा इततहास
रहा है ।
 भगवान बा ु बली की ग्रेनाइट की मतू ति दतु नया की सबसे ऊांची अखांड मक्
ु त खडी इमारत है । इसकी लांबाई
अठार मीटर (57 फीट) है ।
 ववमल शा माउं ट आबू पर जैन मंदिरों के वास्तक
ु ार थे।
 मांहदर अपने जहटल छत पैटनि और नाजुक ब्रैकेट रूपाांकनों के र्लए जाना जाता है जो गब
ुां ददार छत के
साथ चलते हैं।

वेसर मंदिर शैली वास्तुकला | Vesara Temple Style Architecture

 िेसर दक्षक्षण भारतीय और उत्तर भारतीय मांहदर िास्तक


ु ला का एक सांयोजन है जजसमें दक्षक्षण भारतीय
योजना और उत्तर भारतीय विशेषताओां के साथ एक आकृतत है ।
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 माना जाता है कक यह सांलयन शैली धारिाड क्षेर के ऐततहार्सक िास्तक ु ला शैली में विकर्सत हुई है ।
 िेसर शैली कभी-कभी कृष्णा नदी और विांध्य के बीच के क्षेर से सांबर्ां धत होती है जो प्रारां र्भक मध्ययग
ु ीन
काल के दौरान उभरी थी।

वेसर मंदिर शैली वास्तुकला की ववशेषताएं

 मध्य भारत और दक्कन के कई मांहदरों ने क्षेरीय सांशोधनों के साथ िेसर शैली का उपयोग ककया है ।
 यह मांहदर िास्तक
ु ला की नागर और द्रविड शैर्लयों दोनों की एक सांलयन शैली है
 मांहदरों का तनमािण लेककन बाद में कल्याणी और ोयसल के चालक्
ु यों को िेसर शैली के उदाहरण माना
जाता है ।
 मांहदर की मीनारों की ऊांचाई कम हो गई, भले ही स्तरों की सांख्या बरकरार रखी गई हो। यह व्यजक्तगत
स्तरों की ऊांचाई कम करके प्राप्त ककया जाता है ।
 बौद्ध चैत्यों के अधिित्त
ृ ाकार स्तांभन भी इसी शैली में नकल ककए गए हैं।
 इस शैली में सांरचनाओां को बारीक रूप से तैयार ककया गया है , आकृततयों को बहुत अर्धक सजाया गया है
और अच्छी तरह से पॉर्लश ककया गया है ।
 इस प्रिवृ त्त की शरु
ु आत बादामी के चालक्
ु यों (500-753AD) द्िारा की गई थी, जजन्होंने इस शैली में मांहदरों
का तनमािण ककया था, जो अतनिायि रूप से नागर और द्रविड शैर्लयों का र्मिण था।

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नागर और द्रववड़ शैली का वेसर की शैली पर प्रभाव

 मांहदर की योजना, सहायक तीथि पांचायतन शैली नागर स्कूल के समान है ।


 गभिगह
ृ को मांतपा से जोडने की योजना उडीसा के मांहदरों से र्मलती जल
ु ती है ।
 कनािटक क्षेर के अर्धकाांश मांहदर स्तांभ उत्तरी भारत में सेखरी और भर्ू मजा प्रकार के स्तांभों के समान हैं।
 कार्शिेश्िर मांहदर
 स्टे प्ड डायमांड प्लान जो कक चालक्
ु य मांहदरों में दे खी गई डडजाइन व्यिस्था की एक योजना है , उत्तरी क्षेर
से है ।
 कल्याणी के अर्धकाांश मांहदरों में चरणबद्ध हीरे या तारकीय योजना को पेश करते हुए नागर अर्भव्यजक्त
को र्चबरत ककया गया है ।
 चालक्
ु य शासन के पहले भाग में चालक्
ु य मांहदरों के विमान में द्रविड प्रभाि मख्
ु य रूप से हदखाई दे ता है
 चालक्
ु य मांहदरों में लघु सजािटी मीनारें और दीिारों का अलांकरण नागर और द्रविड शैली दोनों का
सांयोजन दशािता है ।

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वेसर मंदिर शैली में र्नसमभत मंदिरों के उिा रण

 चालक्
ु य वंश के राजाओां द्िारा तनर्मित कनािटक के ऐ ोल में लाड खान मंदिर।
 चालक्
ु य राजा ववक्रमादित्य द्ववतीय की रानी लोक-म ािे वी द्िारा तनर्मित पट्टाडक्कल में विरुपाक्ष मांहदर।
 एलोरा में राष्रकूट शासकों द्िारा तनर्मित कैलाशनाथ मंदिर।
 ोयसल राजा ववष्णव
ु धभन द्िारा हलेबबड में तनर्मित ोयसलेचवर मंदिर।

यूपीएससी मेन्स वपछले वषभ के प्रचन

1. चोल िास्तक
ु ला मांहदर िास्तक ु ला के विकास में एक उच्च िॉटरमाकि का प्रतततनर्धत्ि करती है । चचाि करें ।
(UPSC 2013)
2. रॉक-कट आककिटे क्चर प्रारां र्भक भारतीय कला और इततहास के हमारे ज्ञान के सबसे महत्िपण ू ि स्रोतों में से
एक का प्रतततनर्धत्ि करता है । चचाि करें । (UPSC 2020)

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भारतीय मंदिर शैली की वास्तक


ु ला - FAQs

[faq_accordion]

[mks_accordion_item title="भारतीय मांहदर िास्तुकला की विर्भन्न शैर्लयाां क्या हैं?" number=1]मांहदर


तनमािण की तीन महत्िपण
ू ि शैर्लयाां नागर, द्रविड और िेसर हैं। गुप्त काल ने मांहदर िास्तुकला में एक नए
युग की शुरुआत की। र्शल्पशास्र के रूप में जाना जाने िाला स्थापत्य लेखन प्रारां र्भक मध्य युग में
र्लखा गया था। [/mks_accordion_item]

[mks_accordion_item title="भारतीय मांहदर िास्तुकला में अांततनिहहत िास्तु र्सद्धाांत क्या हैं?" number=
2] र्शल्पा शास्र और िास्तु शास्र भारत में मांहदरों के स्थापत्य र्सद्धाांतों को पररभावषत करते हैं। हहांद ू
जीिन शैली को र्चबरत करने के र्लए, सांस्कृतत ने मांहदर तनमािताओां को कलात्मक स्ितांरता का प्रदशिन
करने के र्लए प्रेररत ककया है , और िास्तुकारों ने हहांद ू जीिन शैली को र्चबरत करने के र्लए मांहदर के
डडजाइन में अन्य सटीक ज्यार्मतत और गखणतीय अिधारणाओां का उपयोग ककया है ।[/mks_accordion_item]

[mks_accordion_item title="द्रविड मांहदर शैली की िास्तुकला क्या है ?" number= 3] द्रविड िास्तुकला, जजसे
दक्षक्षण भारतीय मांहदर शैली के रूप में भी जाना जाता है , एक हहांद ू मांहदर स्थापत्य मह
ु ािरा है जो भारतीय
उपमहाद्िीप के दक्षक्षणी भाग में उत्पन्न हुआ था।
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[/mks_accordion_item]

[mks_accordion_item title="मांहदर शैली में िास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण क्या है ?"number= 4] मध्य
प्रदे श में , कांदररया महादे ि मांहदर नागर मांहदर िास्तुकला का एक विर्शष्ट उदाहरण है । 1986 में , इसे यन
ू ेस्को
की विश्ि विरासत सच
ू ी में जोडा गया था।

[/mks_accordion_item]

[mks_accordion_item title= "मांहदर िास्तुकला की िेसर शैली की मुख्य महत्िपूणि विशेषता क्या है ?"
number= 5] िेसर मांहदर शैली िास्तुकला की मुख्य महत्िपूणि विशेषता मांहदर िास्तुकला का एक सांकर
प्रकार है जो द्रविड और नागर शैली दोनों के तत्िों को जोडती है ।

[/mks_accordion_item][/faq_accordion]

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