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मेरे विध्यालय की आनन्द यात्रा

नाम - अनुरूध्द अवस्थी पद - प्राथमिक शिक्षक

पदस्थ संस्था - शासकीय प्राथमिक शाला सेठान विकासखंड - साईंखेडा जिला - नरसिंह्पुर (म. प्र)

विधालय में बच्चों की पढाई की स्थिति – शाला के 85% बच्चे हिंदी पढना जानते है । कक्षा 2 के बच्चे 12

तक पहाडा( दनि
ू या) कक्षा 4 के बच्चे 20 तक कक्षा 5 के बच्चे 25 तक दनि
ू या याद करके सुनाते है ।शाला के
बच्चों को अंग्रेजी मे फलो के सब्जियो के नाम जंगली एवं पालतू जानवरो के नाम दिनो महिनो के नाम अंग्रेजी मे
याद करके सुनाते है । अंग्रेजी के वाक्य पढना एवं लिखना जानते है । इस प्रकार शालाके बच्चो की स्थिति काफी
संतोषजनक है ।

बच्चो की नियमितता के लिये किये गये प्रयास – इसके लिये सबसे पहले विधालय परिसर को चारो ओर से सुंदर

हरा भरा आकर्षक बनाया ।चारो ओर की वाउं ड्रीबाल पर रै लगाडी, हिंदी एवं अंग्रेजी में फलो सब्जियो के नामो की
एवं जानवरो की सुंदर पैंटिग
ं की है चारो ओर बक्ष
ृ ारोपण किया है सभी बक्ष
ृ ो के नाम हिंदी एवं अंग्रेजी में कार्ड सीट
पर लिखे हुये है जिसे बच्चे बडे आनंद के साथ खेल खेल मे सीखते है । बाल केविनेट का गठन किया है सभी
बच्चो को अपने अपने प्रभार दिये है । शालापरिसर सुंदर आकर्षक होने से बच्चे भी स्कूल के प्रति आकर्षित हुये है
प्रतिदिन नियमित रूप से आते है अपने अपने प्रभार के अनुसार स्वमं ही आनंदित होकर सह्योग करते है ।

बच्चो को खश ु ी सीखने के लिये किये गये प्रयास – इसके लिये बच्चो की सहायता से एक चल चित्र(टीवी)
ु ी खश

बनाया है कक्षा की दीवालो पर विभिन्न प्रकार की आकर्षक पैंटिग की है दो दो, तीन तीन, चार चार अक्षरो के जोड
की चकरी बनाई गई है बच्चो के लिये एक साउं ड सिस्ट्म खरीदा है जिसमें बच्चे प्रतिदिन ड्युटी अनुसार बदल बदल

कर प्रार्थना, प्रेरणागीत,मध्यप्रदे शगान गाते है ओर बढ चढ कर भाग लेते है इसके अतिरिक्त शाला परिसर में एक
सुंदर किचिन गार्डन भी है जिसमे विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ लगी रहती है जिनका उप्योग मध्यान्ह भोजन के
साथ साथ एक गतिविधि के आधार पर खेल खेल में सब्जियों के नाम हिंदी एवं अंग्रेजी में सीखते है बच्चो के
द्वारा दिये की तराजू बनाई गई है जिससे बच्चे बडे ही खश
ु ी खश
ु ी से सीखते है ओर प्रतिदिन स्कूल आते है ‌

विध्यालय को आनन्द घर में रूपांतरित – हा हमारा विध्यालय आनंद घर में रूपांतरित हो गया है इससे हमें बहुत
फायदा हुआ है बच्चे प्रतिदिन नियमित स्कूल आने लगे है । बच्चों के स्तर मे भी काफी सध
ु ार हुआ है

समुदाय का भी सह्योग हमे प्राप्त होता है लोग किचिन गार्डन मे भी सह्योग करते है स्कूल में होने बाले
सांस्क्रतिक कार्यक्रम खेल प्रतियोगिता मे बढ चढ कर सह्योग करते है

अंत में , मैं यही कहना चाहूँगा की शिक्षक यदि पूर्ण लगन ईमानदारी निष्ठा ओर मनोयोग, हमारा विधालय, हमारा
दे वालय की तर्ज पर से कार्य करे गा। तो हर विध्यालय आनंद घर होगा ।
धन्यवाद अनुरुध्द अवस्थी (as3985 ) शास. प्राथ. शा. सेठान

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