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प्रशासनिक अधिकरन
प्रशासनिक अधिकरन
अधिकरण या ट्रिब्यूनल एक अर्द्ध -न्यायिक संस्था (Quasi-Judicial Institution) है जिसे प्रशासनिक या कर-संबंधी
विवादों को हल करने के लिये स्थापित किया जाता है। यह विवादों के अधिनिर्णयन, संघर्षरत पक्षों के बीच अधिकारों के
निर्धारण, प्रशासनिक निर्णयन, किसी विद्यमान प्रशासनिक निर्णय की समीक्षा जैसे विभिन्न कार्यों का निष्पादन करती
है।
'ट्रिब्यूनल' (Tribunal) शब्द 'ट्रिब्यून' (Tribunes) शब्द से व्युत्पन्न हुआ है जो रोमन राजशाही और गणराज्य के
अंतर्गत एक अधिकारी था जो कु लीन मजिस्ट्रेटों की मनमानी कार्रवाई से नागरिकों की सुरक्षा करता था।
सामान्य रूप से ट्रिब्यूनल का आशय ऐसे व्यक्ति या संस्था से है जिसके पास दावों व विवादों पर निर्णयन, अधिनिर्णयन या
निर्धारण का प्राधिकार होता है, भले इसके नामकरण में ट्रिब्यूनल शब्द शामिल हो या नहीं।
संवैधानिक प्रावधान
अधिकरण संबंधी प्रावधान मूल संविधान में नहीं थे; इन्हें भारतीय संविधान में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा
शामिल किया गया।
अनुच्छेद 323A प्रशासनिक अधिकरणों से संबंधित है।
अनुच्छेद 323B अन्य मामलों के लिये अधिकरणों से संबंधित है।
अनुच्छेद 323B के तहत संसद और राज्य विधानमंडल निम्नलिखित विषयों से संबंधित विवादों के अधिनिर्णयन के लिये
अधिकरणों की स्थापना कर सकते हैं:
कराधान
विदेशी मुद्रा, आयात व निर्यात
औद्योगिक एवं श्रम विवाद
भूमि सुधार
नगर संपत्ति की अधिकतम सीमा
संसद और राज्य विधानमंडलों के लिये निर्वाचन
खाद्य सामग्री
किराया और किराएदारी अधिकार
अनुच्छेद 323A और 323B निम्नलिखित तीन पहलुओं में एक-दूसरे से भिन्न हैं:
323A के वल लोक सेवाओं से संबंधित विषयों में अधिकरणों की स्थापना का उपबंध करता है, जबकि अनुच्छेद
323B कु छ अन्य विषयों के संबंध में अधिकरणों की स्थापना का उपबंध करता है।
अनुच्छेद 323A के अंतर्गत के वल संसद द्वारा अधिकरणों की स्थापना की जा सकती है जबकि अनुच्छेद 323B
के अंतर्गत शामिल अधिकरण संसद और राज्य विधानमंडलों, दोनों द्वारा उनकी विधायी क्षमता के दायरे में शामिल
विषयों के संबंध में स्थापित किये जा सकते हैं।
अनुच्छेद 323A के अंतर्गत कें द्र के लिये और प्रत्येक राज्य के लिये या दो या दो अधिक राज्यों के के वल एक
अधिकरण की स्थापना की जा सकती है। यहाँ अधिकरणों के पदानुक्रम (Hierarchy) की कोई स्थिति नहीं
बनती, जबकि अनुच्छेद 323B के अंतर्गत अधिकरणों के एक पदानुक्रम का सृजन किया जा सकता है।
अनुच्छेद 262: राज्य/क्षेत्रीय सरकारों के बीच अंतर-राज्य नदियों के जल संबंधी विवादों के संबंध में अधिनिर्णयन के लिये
भारतीय संविधान के कें द्र सरकार की एक भूमिका तय कर रखी है।
इसके क्षेत्राधिकार में कें द्र सरकार या कें द्र शासित प्रदेश या भारत सरकार के अंतर्गत किसी स्थानीय या अन्य सरकार या
कें द्र के स्वामित्व व नियंत्रण वाले निगमों के कार्मिकों के सेवा संबंधी मामले आते है।
CAT की स्थापना 1 नवंबर, 1985 को की गई।
इसकी 17 नियमित पीठें (Benches) हैं, जिनमें से 15 उच्च न्यायालयों की मुख्य पीठों से और शेष
दो जयपुर और लखनऊ से संचालित होती हैं।
ये पीठें उच्च न्यायालयों की अन्य सीटों पर भी सर्किट बैठक (Circuit Sittings) का आयोजन करती हैं।
अधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
सदस्यों को न्यायिक और प्रशासनिक दोनों क्षेत्रों से चुना जाता है ताकि दोनों क्षेत्रों की विशेषज्ञताओं का लाभ मिल सके ।
प्रशासनिक अधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील संबद्ध उच्च न्यायालय की खंडपीठ या डिविज़न बेंच के
समक्ष की जा सकती है।
अनुच्छेद 323B राज्य विधानमंडलों को किसी कर के उद्ग्रहण, निर्धारण, संग्रहण एवं प्रवर्तन तथा अनुच्छेद 31A के
दायरे में शामिल भूमि सुधारों से संबंधित विषयों में अधिकरण स्थापित करने का अधिकार देता है।
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 252 में यह प्रावधान किया गया है कि कें द्र सरकार अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का
प्रयोग करने और कृ त्यों का निर्वहन करने के लिये उतने न्यायिक सदस्यों और लेखा सदस्यों से, जितना वह ठीक समझे,
एक अपीलीय अधिकरण का गठन करेगी।