Professional Documents
Culture Documents
MV ACT Hindi
MV ACT Hindi
भारत गणराज्य के सत्तरिें िर्ष में संसद् द्वारा धनम्नधिखित रूप में यह अधधधनयधमत हो
:—
1. (1) इस अधधधनयम का संखिप्त नाम मोटर यान (संशोधन) अधधधनयम, 2019 है । संखिप्त नाम
और प्रारं भ ।
(2) यह उस तारीि को प्रिृत्त होगा, जो केंद्रीय सरकार राजपत्र में अधधसूचना द्वारा धनयत
करे और इस अधधधनयम के विधभन्न उपबंधों के धिए विधभन्न तारीिें धनयत की जा सकेंगी
तथा इस अधधधनयम के प्रारं भ के प्रधत ऐसे ककसी उपबंध में ककए गए ककसी धनर्दे श को उस
उपबंध के प्रिृत्त होने के प्रधतधनर्दे श के रूप में समझा जाएगा ।
1988 का 59 2. मोटर यान अधधधनयम, 1988 (खजसे इसमें इसके पश्चात ् मूि अधधधनयम कहा गया धारा 2 का
संशोधन ।
है ) की धारा 2 में,—
(ii) िंड (4) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
(iii) िंड (9) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
(iv) िंड (12) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
(vi) िंड (24) में, “अशक्त यात्री गा़िी” शब्र्दों के स्थान पर, “रूपांतररत यान” शब्र्द
रिे जाएंगे ;
(vii) िंड (26) में, “अशक्त यात्री गा़िी” शब्र्दों के स्थान पर, “रूपांतररत यान”
शब्र्द रिे जाएंगे ;
(ix) िंड (42) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ्
:—
(x) िंड (49) में, “कटका हुआ है ” शब्र्दों के पश्चात ्, “या गधतमान होता है ” शब्र्द
अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ।
(iii) उपधारा (4) में, “ऐसी न्यूनतम शैखिक अहष ताएं, जो केंद्रीय सरकार द्वारा
विकहत की जाएं और” शब्र्दों का िोप ककया जाएगा ;
(iv) उपधारा (5) में, परं तुक में, “अकहष त नहीं होगा” शब्र्दों के पश्चात ्, “और ऐसे
आिेर्दक से धारा 12 के अधीन ककसी स्कूि या स्थापन से उपचारात्मक चािन प्रधशिण
पाठ्यक्रम पूरा करने की अपेिा होगी” शब्र्द अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ।
धारा 10 का 6. मूि अधधधनयम की धारा 10 में िंड (2) में, िंड (ग) में, “अशक्त यात्री गा़िी” शब्र्दों
संशोधन ।
के स्थान पर, “रूपांतररत यान” शब्र्द रिे जाएंगे ।
धारा 11 का 7. मूि अधधधनयम की धारा 11 में,—
संशोधन ।
(i) उपधारा (1) में, “उस अनुज्ञापन प्राधधकारी को आिेर्दन कर सकेगा, खजसकी
अधधकाररता ऐसे िेत्र पर है ” शब्र्दों के स्थान पर, “राज्य में ककसी अनुज्ञापन प्राधधकारी
को आिेर्दन कर सकेगा” शब्र्द रिे जाएंगे;
(ii) उपधारा (2) में धनम्नधिखित परं तुक अंतःस्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
“परं तु अनुज्ञापन प्राधधकारी, अनुज्ञधप्त जारी करने से पूिष ऐसी रीधत में, जो
4
“(ि) ककसी अन्य अनुज्ञखत की र्दशा में ऐसी शतों के अधीन रहते हुए, जो
केंद्रीय सरकार विकहत करे , यकर्द अनुज्ञखत अधभप्रात करने िािे व्यखक्त ने या तो
मूि रूप में या उसके निीकरण पर,—
(क) “तीस कर्दन” शब्र्दों के स्थान पर, “एक िर्ष” शब्र्द रिे जाएंगे ; और
(ि) र्दस
ू रे परं तुक में, “चािन अनुज्ञधप्त के प्रभािहीन होने से पााँच िर्ष से
अधधक के पश्चात ् आिेर्दन ककया गया है तो अनुज्ञापन प्राधधकारी चािन अनुज्ञखत
को निीकृ त करने से इं कार कर सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “चािन अनुज्ञधप्त के
प्रभािहीन होने से एक िर्ष के पश्चात ् आिेर्दन ककया गया है तो अनुज्ञापन
प्राधधकारी चािन अनुज्ञखत को निीकृ त करने से इं कार करे गा” शब्र्द रिे जाएंगे ।
(ि) परं तुक के स्थान पर धनम्नधिखित परं तुक रिा जाएगा, अथाषत ् :—
“परं तु चािन अनुज्ञखत को धारक को धनरहष ता की अिधध की समाखत
पर केिि तभी िौटाया जाएगा जब िह सफितापूिक
ष चािक पुनश्चयाष
पाठ्यक्रम को पूरा करता है ।”;
(iii) उपधारा (2) के पश्चात ् धनम्नधिखित धाराएं अंत:स्थावपत की जाएंगी,
अथाषत ् :—
“(2क) अनुज्ञखतधारक, खजसकी अनुज्ञखत को धनिंवबत कर कर्दया गया है
िह धारा 12 के अधीन अनुज्ञत और विधनयधमत स्कूि या स्थापन से या ककसी
अन्य अधभकरण से, जो केंद्रीय सरकार द्वारा अधधसूधचत ककया जाए, चािक
पुनश्चयाष प्रधशिण पाठ्यक्रम करे गा ।
(2ि) चािक पुनश्चयाष प्रधशिण पाठ्यक्रम की प्रकृ धत पाठ्य वििरण और
अिधध िह होगी, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विकहत की जाए ।”।
(iv) “उपधारा (3)” शब्र्द, कोष्ठक और अंक के पश्चात ्, “या उपधारा (1क)” शब्र्द,
कोष्ठक, अंक और अिर अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ।
नई धारा 25क 12. मूि अधधधनयम की धारा 25 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा अंत:स्थावपत की जाएगी,
का अंत:स्थापन
अथाषत ् :—
।
चािन “25क. (1) केंद्रीय सरकार चािन अनुज्ञखतयों का एक राष्रीय रखजस्टर ऐसे प्ररूप
अनुज्ञखतयों का
और रीधत में रिेगी जैसा विकहत ककया जाए ।
राष्रीय
रखजस्टर । (2) चािन अनुज्ञखतयों के सभी राज्य रखजस्टरों को चािन अनुज्ञखतयों के राष्रीय
रखजस्टर के अधीन केंद्रीय सरकार द्वारा अधधसूधचत की जाने िािी तारीि तक सखम्मधित
कर धिया जाएगा ।
(3) इस अधधधनयम के अधीन जारी या निीकृ त कोई चािन अनुज्ञखत तब तक
विधधमान्य नहीं होगी जब तक उसे चािन अनुज्ञखतयों के राष्रीय रखजस्टर के अधीन एक
विधशष्ट चािन अनुज्ञखत संख्या जारी नहीं कर र्दी गई हो ।
(4) इस अधधधनयम के अधीन सभी राज्य सरकारें और अनुज्ञखत प्राधधकारी सभी
सूचना, खजसके अंतगषत चािन अनुज्ञखतयों के राज्य रखजस्टर में अंतविषष्ट डाटा भी है ,
ऐसे प्ररूप और ऐसी रीधत में पारे वर्त करें गे जैसा केंद्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए
।
(5) राज्य सरकार राष्रीय रखजस्टर तक पहुंच करने के धिए हकर्दार होगी और
अपने अधभिेिों को ऐसी रीधत में अद्यतन करे गी जैसा राज्य सरकार द्वारा विकहत ककया
जाए ।”।
13. मूि अधधधनयम की धारा 26 के स्थान पर, धनम्नधिखित धारा रिी जाएगी, धारा 26 के
स्थान पर नई
अथाषत ् :—
धारा का
प्रधतस्थापन ।
“26. प्रत्येक राज्य सरकार ऐसे प्ररूप में, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए, राज्य चािन-
अनुज्ञखत
राज्य सरकार के अनुज्ञपधत प्राधधकाररयों द्वारा जारी और निीकृ त चािन-अनुज्ञपधतयों के
रखजस्टरों का
संबंध में राज्य चािन-अनुज्ञधप्त के नाम से ज्ञात रखजस्टर रिेगी, खजसमें धनम्नधिखित रिा जाना
7
“43. धारा 40 में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी ककसी मोटर यान का स्िामी अस्थायी
रखजस्रीकरण ।
रखजस्रीकताष प्राधधकारी या अन्य प्राधधकारी जैसा राज्य सरकार द्वारा विकहत ककया जाए,
को मोटर यान को अस्थायी रूप से रखजस्टर करने के धिए आिेर्दन कर सकेगा और
प्राधधकारी रखजस्रीकरण का अस्थायी प्रमाणपत्र और अस्थायी रखजस्रीकरण धचह्न ऐसे
धनयमों के अनुसार, जो केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए जाएं , जारी करे गा :
परं तु राज्य सरकार ऐसे ककसी मोटर यान को, जो अस्थाई रूप से राज्य के भीतर
चिता है , रखजस्टर कर सकेगी और ऐसी रीधत में, जो राज्य सरकार द्वारा विकहत की जाए,
9
“44. (1) उन धनबंधनों और शतों के अधीन रहते हुए, जो इस धनधमत्त केंद्रीय रखजस्रीकरण के
समय यान का
सरकार द्वारा विकहत की जाएं, ककसी प्राधधकृ त डीिर द्वारा विक्रय ककए गए मोटर यान से
प्रस्तुत ककया
पहिी बार रखजस्रीकरण के प्रयोजन के धिए रखजस्रीकरण प्राधधकारी के समि उसे प्रस्तुत जाना ।
करने की अपेिा नहीं होगी ।
(2) उन धनबंधनों और शतों के अधीन रहते हुए, जो राज्य सरकार द्वारा विकहत की
जाएं, कोई व्यखक्त, खजसके नाम से रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र जारी ककया गया है , से
रखजस्रीकरण प्राधधकारी के समि रखजस्रीकृ त या अंतररत िाहन को प्रस्तुत करने की
अपेिा नहीं होगी ।”
20. मूि अधधधनयम की धारा 49 में,— धारा 49 का
संशोधन ।
(i) उपधारा (1) में, “यकर्द नया पता ककसी अन्य रखजस्रीकताष प्राधधकारी की
अधधकाररता के भीतर है , तो उस अन्य रखजस्रीकताष प्राधधकारी को र्दे गा” शब्र्दों के स्थान
पर, “यकर्द नया पता ककसी अन्य राज्य में रखजस्रीकताष प्राधधकारी की अधधकाररता के
भीतर है , तो उस अन्य रखजस्रीकताष प्राधधकारी को र्दे गा” शब्र्द रिे जाएंगे ;
(iii) उपधारा (2) में, “एक सौ रुपए” शब्र्दों के स्थान पर, “पांच सौ रुपए” शब्र्द
रिे जाएंगे ।
धारा 52 का 21. मूि अधधधनयम की धारा 52 में,—
संशोधन ।
(i) उपधारा (1) में, र्दस
ू रे परं तुक के स्थान पर, धनम्नधिखित परं तुक रिा जाएगा,
अथाषत ् :—
“(1क) ककसी मोटर यान का विधनमाषता केंद्रीय सरकार द्वारा जारी धनर्दे श पर
10
केंद्रीय सरकार द्वारा विधनकर्दष ष्ट ऐसे मानकों और विधनर्दे शों के अनुसार सुरिा
उपस्करों या ककसी अन्य उपस्कर में पररितषन या पुन: संयोजन करे गा ।”
“(2) उपधारा (1) में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी कोई व्यखक्त,
रखजस्रीकरण प्राधधकारी के पश्चातिती अनुमोर्दन से उसके स्िाधमत्िाधीन ककसी यान
में पररितषन कर सकेगा या उसे ककसी रूपांतररत यान में बर्दिना काररत कर
सकेगा :
परं तु ऐसा पररितषन ऐसी शतों का अनुपािन करे गा, जो केंद्रीय सरकार द्वारा
विकहत की जाए ।”;
(iv) उपधारा (3) में, “या उपधारा (2) के अधीन ककसी ऐसे अनुमोर्दन के वबना
उसका इं जन बर्दिने के कारण ककया गया है ” शब्र्दों का िोप ककया जाएगा ।
धारा 55 का 22. मूि अधधधनयम की धारा 55 में उपधारा (5) के पश्चात ्, धनम्नधिखित उपधारा
संशोधन ।
अंत:स्थावपत की जाएगी, अथाषत ् :—
“(2) उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट ‘प्राधधकृ त परीिण केंद्र’ से कोई प्रसुविधा
अधभप्रेत है , खजसके अंतगषत राज्य सरकार द्वारा प्राधधकृ त स्िचाधित परीिण
प्रसुविधा है , जहां ऐसे केंद्रों की मान्यता, विधनयमन और धनयंत्रण के धिए बनाए गए
धनयमों के अनुसार उपयुक्तता परीिण संचाधित ककया जा सकेगा ।”;
(iii) उपधारा (4) में परं तुक के स्थान पर धनम्नधिखित परं तुक रिे जाएंगे,
अथाषत ् :—
“परं तु विकहत प्राधधकारी द्वारा ऐसा रद्दकरण तब तक नहीं ककया जाएगा जब
तक,—
11
आकार से ब़िे “62क. (1) कोई रखजस्रीकरण प्राधधकारी ककसी मोटर यान को रखजस्टर नहीं करे गी
यानों के
खजसने धारा 110 की उपधारा (1) के िंड (क) के अधीन बनाए गए ककसी धनयम का
रखजस्रीकरण और
उपयुक्तता
उल्िंघन ककया है ।
प्रमाणपत्र जारी (2) कोई विकहत प्राधधकारी या प्राधधकृ त परीिण केंद्र धारा 56 के अधीन ककसी
करने का
मोटर यान को उपयुक्तता प्रमाणपत्र जारी नहीं करे गा खजसने धारा 110 के अधीन बनाए
धनर्ेध ।
गए ककसी धनयम का उल्िंघन ककया है ।
मोटर यानों 62ि. (1) केंद्रीय सरकार मोटर यानों का राष्रीय रखजस्टर ऐसे प्ररूप और रीधत में
का राष्रीय
रिेगी जैसा उसके द्वारा विकहत ककया जाए :
रखजस्टर ।
परं तु मोटर यानों के सभी राज्य रखजस्टरों को राष्रीय मोटर यान रखजस्टर के अधीन
उस तारीि तक सखम्मधित कर धिया जाएगा, जो केंद्रीय सरकार द्वारा राजपत्र में,
अधधसूधचत की जाए ।
(2) इस अधधधनयम के अधीन जारी या निीकृ त रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र तब तक
12
राज्य मोटर यान “63. प्रत्येक राज्य सरकार, ऐसे प्ररूप में जो केन्द्रीय सरकार विकहत करे , राज्य
संबध
ं ी रखजस्टरों
मोटर यान रखजस्टर के रूप में ज्ञात एक रखजस्टर उस राज्य में के मोटर यानों के संबंध
का रिा जाना ।
में रिेगी, खजसमें धनम्नधिखित विधशवष्टयां अन्तविषष्ट होंगी—
(ii) िंड (ङ) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
(iii) िंड (च) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककए जाएंगे, अथाषत ् :—
(चि) िह धनबंधन और शतें, खजनके अधीन प्राधधकृ त डीिर द्वारा विक्रय ककए
गए ककसी मोटर यान की धारा 44 की उपधारा (1) के अधीन ककसी रखजस्रीकरण
प्राधधकारी के समि प्रस्तुत करने की अपेिा नहीं होगी ;”
(iv) िंड (ञ) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ्
:—
13
“(ञक) पते में पररितषन की इिैक्राधनकी रूप में संसूचना प्रस्तुत करने का
प्ररूप और रीधत, ऐसी संसूचना के साथ प्रस्तुत ककए जाने िािे र्दस्तािेज, खजसके
अंतगषत धारा 49 की उपधारा (1क) के अधीन अधधप्रमाणन का सबूत भी है ;”
(v) िंड (ठ) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककए जाएंगे, अथाषत ् :—
(vi) िंड (ढ) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककए जाएंगे, अथाषत ् :—
(ढग) मोटर यानों और उनके भागों का, खजनका धारा 59 की उपधारा (4) के
अधीन उपयोगी जीिन समात हो गया है , पुन:चक्रण ;”
(vii) िंड (ण) के पश्चात ् धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककए जाएंगे, अथाषत ् :—
राष्रीय पररिहन “66क. (1) केंद्रीय सरकार राज्य सरकारों और अन्य अधभकरणों की सहमधत से इस
नीधत ।
अधधधनयम के उद्दे श्यों से संगत राष्रीय नीधत धनम्नधिखित को ध्यान में रिते हुए तैयार
करे ग—
(i) यात्री और माि पररिहन के धिए योजना फ्रेमिकष तैयार करना, खजसके
भीतर पररिहन धनकाय प्रचािन करें गे ;
(ii) एकीकृ त मल्टी माडि पररिहन प्रणािी के पररर्दान के धिए स़िक
पररिहन के सभी रूपों के धिए मध्यम और र्दीघष अिधध योजना ढांचा स्थावपत
करना, पत्तनों, रे ि और विमानन से संबंधधत प्राधधकाररयों और अधभकरणों के साथ
स्थानीय और राज्य स्तर योजना, भूधम धृधत और विधनयामक प्राधधकाररयों के साथ
परामशष से पररिहन सुधार अिसंरचना विकास के िेत्रों की पहचान करना ;
(iii) परधमटों और स्कीमों को अनुर्दत्त करने के धिए ढांचा स्थावपत करना ;
(iv) स़िक द्वारा पररिहन के धिए सामररक नीधत स्थावपत करना और
पररिहन के अन्य साधनों के साथ एक संपकष के रूप में उसकी भूधमका ;
(v) पररिहन प्रणािी के धिए सामररक नीधतयों की पहचान करना और
पूविषकताओं को विधनकर्दष ष्ट करना, जो ितषमान तथा भािी चुनौधतयों पर ध्यान र्दे ती
हैं ;
(vi) मध्यम से र्दीघाषिधध सामररक धनर्दे श, पूविषकताओं और कारष िाईयों का
उपबंध करने ;
(vii) प्रधतस्पधाष, निपररितषन, सिमता में िृवद्ध, बेरोकटोक सचिता और माि
या पशु धन या यावत्रयों के पररिहन में बृहत्तर र्दिता और संसाधनों का धमतव्ययी
उपयोग ;
(viii) पररिहन िेत्र में प्राइिेट भागीर्दारी और पखब्िक-प्राइिेट भागीर्दारी को
बढाते हुए जनता के कहतों के सुरिोपाय और साम्या का संिधषन ;
(ix) पररिहन और भू-उपयोग योजना के धिए एक एकीकृ त अप्रोच का
प्रर्दशषन ;
(x) उन चुनौधतयों की पहचान करना, खजनको राष्रीय पररिहन नीधत र्दरू
करना चाहती है ; और
(xi) कोई अन्य विर्य पर ध्यान र्दे ना, जो केंद्रीय सरकार द्वारा सुसंगत समझा
जाए ।
66ि. कोई व्यखक्त, जो इस अधधधनयम के अधीन जारी परधमट धारण करता है — परधमट धारकों के
विरुद्ध स्कीमों के
(क) धारा 67 की उपधारा (3) या धारा 88क की उपधारा (1) के अधीन अधीन
बनाई गई स्कीम के अधीन अनुज्ञखत के धिए आिेर्दन करने से ऐसा परधमट धारण अनुज्ञखतयों के
धिए आिेर्दन
करने के कारण धनरकहष त नहीं होगा ; और
करने और धारण
15
(ि) इस अधधधनयम के अधीन बनाई गई ककसी स्कीम के अधीन अनुज्ञखत करने के विरुद्ध
कोई िजषन न
जारी करने पर ऐसे परधमट को रद्द करने की अपेिा नहीं होगी ।” ।
होना ।
समय-समय पर राजपत्र में अधधसूचना द्वारा राज्य पररिहन प्राधधकरण और प्रार्दे धशक
पररिहन प्राधधकरण र्दोनों को यावत्रयों की सुविधा, आधथषक रूप से प्रधतस्पधी ककरायों,
भी़िभा़ि को रोकने और स़िक सुरिा के धिए धनर्दे श जारी कर सकेगी ।”
(ii) उपधारा (2) में धनम्नधिखित परं तुक अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
“परं तु राज्य सरकार ऐसी शतों के अधीन रहते हुए, जो िह उधचत समझे और
उपधारा (1) के िंड (घ) में विधनकर्दष ष्ट उद्दे श्यों को हाधसि करने के धिए इस
अध्याय के अधीन सभी या ककन्हीं उपबंधों को धशधथि कर सकेगी ।”
“(3) इस अधधधनयम में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार
राजपत्र में अधधसूचना द्वारा इस अधधधनयम के अधीन जारी ककसी परधमट को
उपांतररत कर सकेगी या मािों और यावत्रयों के पररिहन के धिए स्कीमें बना सकेगी
और ऐसी स्कीमों के अधीन पररिहन के विकास और र्दिता के संिधषन के धिए
अनुज्ञखतयां जारी कर सकेगी—
(4) उपधारा (3) के अधीन विरधचत स्कीम प्रभाररत की जाने िािी फीसों,
आिेर्दन के प्ररूप और अनुज्ञखत अनुर्दत्त करने को, खजसके अंतगषत ऐसी अनुज्ञखत
का निीकरण, धनिंबन, रद्द करना या उपांतरण है , को विधनकर्दष ष्ट करे गी ।” ।
धारा 72 का 32. मूि अधधधनयम की धारा 72 में, उपधारा (2) में धनम्नधिखित परं तुक अंत:स्थावपत
संशोधन ।
ककया जाएगा, अथाषत ् :—
“परं तु प्रार्दे धशक पररिहन प्राधधकारी मंजिी गा़िी के परधमट से , जो ग्रामीण िेत्र में
प्रचािन कर रही है , ऐसी ककन्हीं शतों का अधधत्यजन कर सकेगा ।” ।
धारा 74 का 33. मूि अधधधनयम की धारा 74 में,—
संशोधन ।
(i) उपधारा (2) में धनम्नधिखित परं तुक अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
“परं तु प्रार्दे धशक पररिहन प्राधधकारी अंधतम स्थान संपकषता के कहत में ऐसे
ककस्म के ककन्हीं यानों, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विधनकर्दष ष्ट ककए जाएं, के संबंध में
ऐसी ककसी शतष का अधधत्यजन कर सकेगा ।”
(ii) उपधारा (3) में, िंड (ि) के परं तुक में उपिंड (vi) के पश्चात ्
धनम्नधिखित उपिंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ् :—
34. मूि अधधधनयम की धारा 88 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा अंत:स्थावपत की नई धारा 88क
का अंत:स्थापन
जाएगी, अथाषत ् :—
।
“88क. (1) इस अधधधनयम में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी केंद्रीय सरकार केंद्रीय सरकार
की राष्रीय,
राजपत्र में अधधसूचना द्वारा इस अधधधनयम के अधीन जारी ककसी परधमट को उपांतररत
मल्टी माडि
कर सकेगी या राष्रीय, मल्टीमाडि और माि या यावत्रयों के अंतराषज्य पररिहन के धिए और अंतराषज्य
स्कीमें बना सकेगी तथा धनम्नधिखित प्रयोजनों के धिए ऐसी स्कीम के अधीन यावत्रयों और
अनुज्ञखतयां जारी कर सकेगी या उपांतररत कर सकेगी, अथाषत ् :— मािों के
पररिहन के
(क) अंधतम स्थान को संपकष ; धिए स्कीमें
ओजखस्िता का िधषन ;
परं तु केंद्रीय सरकार इस उपधारा के अधीन कोई कारषिाई करने से पूिष राज्य
सरकारों से सहमधत िेगी ।
(2) उपधारा (1) में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी र्दो या अधधक राज्य मािों
या पररिहन के ऐसे राज्यों में प्रचािन के धिए स्कीमें बना सकेंगे :
परं तु केंद्रीय सरकार द्वारा उपधारा (1) के अधीन बनाई गई स्कीमों और र्दो या
अधधक राज्यों द्वारा इस उपधारा के अधीन बनाई गई स्कीम में प्रधतकूिता की र्दशा में
उपधारा (1) के अधीन बनाई गई स्कीमें अधभभािी होंगी ।”।
35. मूि अधधधनयम की धारा 92 में, “मंजिी गा़िी या ठे का गा़िी में, खजसकी बाबत इस धारा 92 का
संशोधन ।
अध्याय के अधीन परधमट कर्दया गया है ” शब्र्दों के स्थान पर “पररिहन यान, खजसकी बाबत इस
अध्याय के अधीन परधमट या अनुज्ञखत र्दी गई है ” शब्र्द रिे जाएंगे ।
धारा 94 का 37. मूि अधधधनयम की धारा 94 में र्दोनों स्थानों पर आने िािे, “इस अधधधनयम के
संशोधन ।
अधीन परधमट” शब्र्दों के पश्चात ् “या ककसी स्कीम के अधीन जारी अनुज्ञखत” शब्र्द
अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ।
धारा 96 का 38. मूि अधधधनयम की धारा 96 में उपधारा (2) में िंड (xxxii) के पश्चात ्
18
(ii) उपधारा (2) में “विधशष्ट पररखस्थधतयों में” शब्र्दों के पश्चात ् “और ऐसे धनयम
अन्िेर्ण की प्रकक्रया, ऐसा अन्िेर्ण संचाधित करने के धिए सशक्त अधधकारी ऐसे विर्यों
की सुनिाई के धिए प्रकक्रया तथा उनके तर्दधीन उर्दगृकहत की जाने िािी शाखस्तयां” शब्र्द
अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ;
“(2क) उपधारा (2) में धनकर्दष ष्ट अन्िेर्णों के संचािन के धिए उपधारा (2) के
अधीन सशक्त व्यखक्तयों को धसविि प्रकक्रया संकहता, 1908 के अधीन धनम्नधिखित 1908 का 5
(क) ककसी व्यखक्त को समन करना और हाखजर करना तथा शपथ पत्र पर
उसकी परीिा ;
40. मूि अधधधनयम की धारा 110 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धाराएं अंत:स्थावपत की नई धारा 110क
और धारा 110ि का
जाएंगी, अथाषत ् :— अंत:स्थापन ।
“110क. (1) केंद्रीय सरकार, आर्दे श द्वारा विधनमाषता को यह धनर्दे श र्दे सकेगी कक िह मोटर यानों का
िापस बुिाना ।
ककसी विधशष्ट ककस्म के मोटर यानों या उसके पररिधतषयों को तब िापस बुिाएगी, यर्द—
(क) उस विधशष्ट ककस्म के मोटर यान में ऐसा कोई र्दोर् है जो पयाषिरण
या ऐसे मोटर यान के चािक या उसमें बैठने िािे व्यखक्तयों या स़िक मागष का
उपयोग करने िािे अन्य व्यखक्तयों को िधत पहुंचा सकता है ; और
(ि) उस विधशष्ट ककस्म के मोटर यान में ऐसा कोई र्दोर् धनम्नधिखित द्वारा
केंद्रीय सरकार को ररपोटष ककया गया है ,--
(i) स्िाधमयों के ऐसे प्रधतशत द्वारा, खजसे केंद्रीय सरकार, राजपत्र में,
अधधसूचना द्वारा विधनकर्दष ष्ट करे ; या
(2) जहां उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट र्दोर् मोटर यान के ककसी संघटक में है , िहां
केंद्रीय सरकार, आर्दे श द्वारा विधनमाषता को, ऐसे सभी मोटर यानों को, ऐसे मोटर यानों की
ककस्म या पररिधतषयों पर ध्यान न र्दे ते हुए, खजनमें ऐसा संघटक िगा हुआ है , िापस
बुिाने का धनर्दे श र्दे सकेगी ।
(3) ऐसा कोई विधनमाषता, खजसके यानों को उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन
िापस बुिाया जाता है ,—
(ि) र्दोर्पूणष मोटर यान को समान या बेहतर विधनर्दे शों िािे ककसी ऐसे अन्य
मोटर यान से प्रधतस्थावपत करे गा, जो इस अधधधनयम के अधीन विधनकर्दष ष्ट मानकों
का अनुपािन करता है या उसकी मरम्मत करे गा ; और
(ग) ऐसे जुमाषने और अन्य शोध्यों का संर्दाय करे गा, जो उपधारा (6) के
अनुसार हों ।
(4) जहां विधनमाषता द्वारा विधनधमषत ककसी मोटर यान में कोई र्दोर् उसकी सूचना
में आता है तो िह ऐसे र्दोर् की जानकारी केंद्रीय सरकार को र्दे गा और यानों को िापस
बुिाए जाने की प्रकक्रयाएं आरं भ करे गा और ऐसी र्दशा में विधनमाषता उपधारा (3) के
अधीन जुमाषने का संर्दाय करने का र्दायी नहीं होगा ।
(5) केंद्रीय सरकार, इस धारा के अधीन ककसी अधधकारी को अन्िेर्ण करने के धिए
प्राधधकृ त कर सकेगी, खजसके पास धनम्नधिखित विर्यों के संबंध में धसविि प्रकक्रया
1908 का 5 संकहता, 1908 के अधीन ककसी िार्द का विचारण करने िािे ककसी धसविि न्यायािय की
सभी शखक्तयां होंगी, अथाषत ् :—
(क) ककसी व्यखक्त को समन करने और हाखजर कराने तथा शपथ पर उसकी
परीिा करने ;
(6) केंद्रीय सरकार, ककसी ऐसे र्दोर् के धिए, जो केंद्रीय सरकार की राय में पयाषिरण
या ऐसे मोटर यान के चािक या उसमें बैठने िािे व्यखक्तयों या स़िक मागष का उपयोग
करने िािे अन्य व्यखक्तयों को िधत पहुंचा सकता है , मोटर यानों की ककसी विधशष्ट
ककस्म या उसके पररिधतषयों को िापस बुिाने का विधनयमन करने के धिए धनयम बना
सकेगी ।
ककस्म-अनुमोर्दन 110ि. (1) ककसी भी मोटर यान का, खजसके अंतगषत कोई रे िर या अधष रे िर या
प्रमाणपत्र और
माड्युिर या हाइड्रोधिक रे िर या साइड कार भी है , तब तक भारत में विक्रय या पररर्दान
परीिण
अधभकरण ।
या ककसी सािषजधनक स्थान में उपयोग नहीं ककया जाएगा, जब तक कक उपधारा (2) में
ऐसे यान के संबंध में धनकर्दष ष्ट ककस्म-अनुमोर्दन प्रमाणपत्र जारी न कर कर्दया गया हो :
परं तु केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधधसूचना द्वारा, ककसी मोटर यान द्वारा िींचे जाने
20
(ि) खजनका उपयोग मोटर यानों या मोटर यान संघटकों के ककसी विधनमाषता
या ककसी अनुसंधान और विकास केंद्र द्वारा ककया जाता है या खजनकी परीिा ककसी
परीिण और विधधमान्यकरण अधभकरण द्वारा या ककसी डाटा संग्रहण के धिए ककन्हीं
कारिाना पररसरों के भीतर ककसी गैर-सािषजधनक स्थान पर ककया जाता है ; या
(2) ऐसे मोटर यानों का, खजसके अंतगषत कोई रे िर या अधष रे िर या माड्युिर या
हाइड्रोधिक रे िर या साइड कार भी है , विधनमाषता या आयातकताष ककस्म-अनुमोर्दन
प्रमाणपत्र अधभप्रात करने के धिए ककसी परीिण अधभकरण को विधनधमषत या आयाधतत
ककए जाने िािे यान की प्रोटोककस्म परीिण के धिए प्रस्तुत करे गा ।
(5) जहां ककस्म-अनुमोर्दन प्रमाणपत्र धारण करने िािे ककसी मोटर यान को धारा
110क के अधीन िापस बुिाया जाता है , िहां ऐसा परीिण अधभकरण, खजसने ऐसे मोटर
यान को प्रमाणपत्र मंजूर ककया था, उसके प्रत्यायन और रखजस्रीकरण को रद्द ककए जाने
के धिए र्दायी होगा ।”।
41. मूि अधधधनयम की धारा 114 की उपधारा (1) में, “यकर्द राज्य सरकार द्वारा इस धारा 114 का
संशोधन ।
धनधमत्त प्राधधकृ त मोटर यान विभाग के ककसी अधधकारी के पास” शब्र्दों के स्थान पर, “यकर्द
राज्य सरकार द्वारा इस धनधमत्त प्राधधकृ त मोटर यान विभाग के ककसी अधधकारी या ककसी
अन्य व्यखक्त के पास” शब्र्द रिे जाएंगे ।
“(1क) उपधारा (1) में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी, भारतीय राष्रीय
1988 का 68 राजमागष प्राधधकरण अधधधनयम, 1988 के अधीन गकठत भारतीय राष्रीय राजमागष
प्राधधकरण या केंद्रीय सरकार द्वारा प्राधधकृ त कोई अन्य अधभकरण, पहिी अनुसूची
में उपबंधधत ककए गए अनुसार मोटर यान यातायात विधनयमन के प्रयोजन के धिए
राष्रीय राजमागों पर यातायात धचह्नों को िगिा या स्थावपत या हटिा सकेगा या
ऐसा करने की अनुमधत र्दे सकेगा और ऐसे ककसी धचह्न या विज्ञापन को हटाए जाने
21
का आर्दे श र्दे सकेगी, जो उसकी राय में इस प्रकार िगाया गया है , जो ककसी
यातायात धचह्न को कर्दिाई र्दे ने से रोकता है या ककसी यातायात धचह्न के समान
कर्दिाई र्दे ता है , खजससे कक चािक के भ्रधमत होने या उसकी सािधानी हटने या
ध्यान भंग होने की संभािना है :
(ii) उपधारा (3) में, “उपधारा (1)” शब्र्द, कोष्ठकों और अंक के पश्चात ्, “या
उपधारा (1क)” शब्र्द, कोष्ठक, अंक और अिर अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ।
43. मूि अधधधनयम की धारा 117 में, धनम्नधिखित परं तुक अंत:स्थावपत ककए जाएंगे, धारा 117 का
संशोधन ।
अथाषत ् :—
“परं तु राज्य सरकार या प्राधधकृ त प्राधधकरण ऐसे स्थिों का अिधारण करते समय
स़िक मागष का उपयोग करने िािे व्यखक्तयों की सुरिा और यातायात के धनबाषध संचिन
को पूविषकता प्रर्दान करे गा :
सुरिात्मक धसर “129. ऐसा प्रत्येक व्यखक्त, खजसकी आयु चार िर्ष से अधधक है और जो ककसी िगष
के पहनािे का
या वििरण की मोटर साइककि का चािन या उसकी सिारी कर रहा है या उस पर िे
पहना जाना ।
जाया जा रहा है और जब िह सािषजधनक स्थान पर हो, ऐसे मानकों के अनुरूप
सुरिात्मक धसर के पहनािे को पहनेगा, जैसा केंद्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए :
परं तु इस धारा के उपबंध ऐसे ककसी व्यखक्त को िागू नहीं होंगे, जो कक धसि है
और जब िह सािषजधनक स्थान पर मोटर साइककि का चािन या उस पर सिारी कर रहा
हो, तो पग़िी धारण कर रहा है :
परं तु यह और कक केंद्रीय सरकार धनयमों द्वारा मोटर साइककि का चािन या उस
पर सिारी करने िािे चार िर्ष से कम आयु की बािकों की सुरिा के धिए उपायों का
उपबंध कर सकेगी ।
स्पष्टीकरण—”सुरिात्मक धसर के पहनािे” से ऐसा कोई हे िमेट अधभप्रेत है ,—
(क) खजससे उसके आकार, सामग्री और संरचना के कारण युखक्तयुक्त रूप से
यह आशा की जा सकती है कक िह ककसी र्दघ
ु ट
ष ना की र्दशा में ककसी मोटर साइककि
का चािन या उस पर सिारी करने िािे व्यखक्त को शारीररक िधत से ककसी हर्द
तक सुरिा प्रर्दान करे गा ; और
22
(ि) खजसे उसको पहनने िािे व्यखक्त के धसर पर सुरखित रूप से, धसर के
पहनािे में िगे हुए स्रै प या अन्य बंधकों के द्वारा कस कर बांधा जाता है ।”।
नई धारा 45. मूि अधधधनयम की धारा 134 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा अंत:स्थावपत की
134क का
जाएगी, अथाषत ् :—
अंत:स्थापन ।
नेक व्यवक्त की “134क. (1) कोई नेक व्यवक्त उस समय ककसी मोटर यान को संधित करने िािे
संरिा ।
ककसी र्दघ
ु ट
ष ना के पीक़ित व्यखक्त को ककसी िधत या उसकी मृत्यु के धिए ककसी धसविि
या र्दांकडक कारष िाई के धिए र्दायी नहीं होगा, जहां ऐसी िधत या मृत्यु नेक व्यवक्त की
आपातकाि धचककत्सीय या गैर धचककत्सीय र्दे िरे ि या सहायता करते समय कोई कारष िाई
करने या कारिाई करने में असफि रहने संबंधी अनािधानता के पररणामस्िरूप हुई है :
(2) केंद्रीय सरकार, धनयमों द्वारा, नेक व्यवक्त से पूछताछ या उसकी परीिा करने,
नेक व्यवक्त से संबंधधत धनजी जानकारी के प्रकटन और ऐसे अन्य संबंधधत विर्यों हे तु
प्रकक्रया के धिए उपबंध कर सकेगी ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के प्रयोजनों के धिए, “नेक व्यवक्त” से ऐसा कोई व्यखक्त
अधभप्रेत है , जो सद्भािपूिक
ष , स्िैखछक रूप से और वबना ककसी पररतोर् या अनुतोर् की
आशा के र्दघ
ु ट
ष ना स्थि पर ककसी पीक़ित व्यखक्त को आपातकाि धचककत्सीय या गैर
धचककत्सीय र्दे िरे ि या सहायता उपिब्ध कराता है या ऐसे पीक़ित व्यखक्त को अस्पताि
तक पहुंचाता है ।”।
धारा 135 का 46. मूि अधधधनयम की धारा 135 में,—
संशोधन ।
(i) उपधारा (1) में,—
(क) िंड (ग) में, “और” शब्र्द का िोप ककया जाएगा ;
(ि) िंड (घ) में, “ प्रिेत्र” शब्र्द के स्थान पर, “ प्रिेत्र ; और” शब्र्द रिे
जाएंगे ; और
(i i ) िंड (घ) के पश्चात ्, धनम्नधिखित िंड अंत:स्थावपत ककया जाएगा, अथाषत ्
:—
“ (ङ) जनता की सुरिा और सुविधा के कहतों में कोई अन्य सुविधाएं ।” ;
(iii) उपधारा (2) के पश्चात ्, धनम्नधिखित उपधारा अंत:स्थावपत की जाएगी,
अथाषत ् :—
“(3) केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधधसूचना द्वारा स़िक र्दघ
ु ट
ष नाओं के कारणों
और विश्िेर्ण के संबंध में गहन अध्ययन करने के धिए एक या अधधक स्कीमें
बना सकेगी ।”।
47. मूि अधधधनयम की धारा 136 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा अंत:स्थावपत की नई धारा
136क का
जाएगी, अथाषत ् :—
अंत:स्थापन ।
“136क. (1) राज्य सरकार राष्रीय राजमागों, राज्य राजमागों, राज्य के भीतर ऐसी स़िक सुरिा की
इिैक्राधनक
स़िकों या ऐसे ककसी शहरी नगर में, खजसकी जनसंख्या ऐसी सीमाओं तक है , जो केंद्रीय
मानीटरी और
सरकार द्वारा विकहत की जाए, स़िकों पर उपधारा (2) के अधीन उपबंधधत रीधत में स़िक प्रितषन ।
सुरिा की इिैक्राधनक मानीटरी और प्रितषन सुधनखश्चत करे गी ।
23
अध्याय 11 के 51. मूि अधधधनयम के अध्याय 11 के स्थान पर, धनम्नधिखित अध्याय रिा जाएगा,
स्थान पर नए
अथाषत ् :—
अध्याय का
प्रधतस्थापन ।
“अध्याय 11
नहीं समझा जाएगा कक उसने इस उपधारा के उल्िं घन में कोई कायष ककया है , जब तक
कक िह यह न जानता हो या उसके पास यह विश्िास करने का कारण न हो कक ऐसी
कोई पाधिसी प्रिृत्त है ।
(2) उपधारा (1) के उपबंध केन्द्रीय सरकार या ककसी राज्य सरकार के स्िाधमत्ि
िािे ककसी यान और ऐसे ककसी यान को िागू नहीं होंगे, खजनका उपयोग ककसी
िाखणखज्यक उद्यम से असंबद्ध प्रयोजनों के धिए ककया जा रहा है ।
(क) केन्द्रीय सरकार या ककसी राज्य सरकार, यकर्द यान का उपयोग ककसी
िाखणखज्यक उद्यम से संबद्ध प्रयोजनों के धिए ककया जा रहा है ;
पंरतु ऐसा कोई आर्दे श ककसी ऐसे प्राधधकरण के संबंध में तब तक नही ककया
जाएगा जब तक कक ककसी धनधध की स्थापना न कर र्दी गई हो और उसे उस प्राधधकरण
द्वारा उस रीधत में, जो समुधचत सरकार द्वारा विकहत की जाए, बनाए रिा न जा रहा हो
।
(i) केन्द्रीय सरकार या ककसी राज्य सरकार के स्िाधमत्ि िािे ककसी धनगम
या कंपनी के संबंध में केन्द्रीय सरकार या िह राज्य सरकार अधभप्रेत है ;
(iii) ककसी अन्य राज्य पररिहन उपक्रम या ककसी अन्य स्थानीय प्राधधकरण
के संबंध में ऐसी सरकार अधभप्रेत है , जो उस उपक्रम या प्राधधकरण पर धनयंत्रण
रिती है ।
नीधतयों की 147. (1) इस अध्याय की अपेिाओं का अनुपािन करने के धिए कोई बीमा पाधिसी
अपेिा और
ऐसी पाधिसी होनी चाकहए,—
र्दाधयत्ि की
सीमाएं । (क) जो ककसी ऐसे व्यखक्त द्वारा जारी की गई है , जो कोई प्राधधकृ त बीमाकताष
है ; और
(i) ककसी ऐसे र्दाधयत्ि के, जो उसके द्वारा ककसी मोटर यान में सिारी करने
िािे ककसी व्यखक्त की, खजसके अंतगषत मािों का स्िामी या उसका प्राधधकृ त
प्रधतधनधध भी है , मृत्यु या शारीररक िधत के संबंध में या सािषजधनक स्थान पर
मोटर यान के उपयोग से काररत या उससे उद्भत
ू होने िािे ककसी पर-पिकार की
26
(ii) ककसी पररिहन यान के ककसी यात्री, ककसी माि यान के धन:शुल्क यात्री
को छो़िकर, की मृत्यु या शारीररक िधत के, जो सािषजधनक स्थान पर मोटर यान
के उपयोग से काररत या उससे उद्भत
ू हुई है ।
के भीतर प्रचाधित होता है और व्यधतकारी र्दे श में यानों के उपयोग के संबंध में प्रिृत्त पाधिसी की
विधधमान्यता ।
बीमा की पाधिसी उस र्दे श में प्रिृत्त बीमा विधध की अपेिाओं के अनुपािन में है , तब धारा
147 में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी िेककन ककन्हीं धनयमों, जो धारा 164ि के
अधीन बनाए जा सकते हैं के अध्यधीन रहते हुए ऐसी बीमा की पाधिसी सिषत्र मागष या
िेत्र खजसके संबंध में ठहराि ककया गया है , यकर्द बीमा की पाधिसी इस अध्याय की
अपेिाओं के अनुपािन में हो, पर प्रभािी होगी ।
149. (1) बीमा कंपनी, या तो र्दािाकताष या र्दघ
ु ट
ष ना सूचना संबंधी ररपोटष के माध्यम बीमा कंपनी
द्वारा धनपटारा
से या अन्यथा र्दघ
ु ट
ष ना की सूचना प्रात होने पर ऐसी र्दघ
ु ट
ष ना के संबंध में र्दािों के
और इसके धिए
धनपटारे के धिए एक अधधकारी पर्दाधभकहत करे गी । प्रकक्रया ।
(2) प्रधतकर के र्दािों के धनपटारे की प्रकक्रया के धिए बीमा कंपनी द्वारा पर्दाधभकहत
अधधकारी तीस कर्दन के भीतर, ऐसे ब्यौरे र्दे ते हुए और ऐसी प्रकक्रयाओं, जैसा विकहत ककया
जाए का अनुसरण करने के पश्चात ् र्दािा अधधकरण के समि धनपटारा करने के धिए
र्दािाकताष को एक प्रस्ताि कर सकेगा ।
(3) यकर्द र्दािाकताष खजसको उपधारा (2) के अधीन प्रस्ताि ककया गया है ,—
(क) ऐसा प्रस्ताि स्िीकार करता है , तो,—
(i) र्दािा अधधकरण ऐसे धनपटारे का एक अधभिेि तैयार करे गा, और
ऐसा र्दािा सहमधत द्वारा धनपटाया गया समझा जाएगा, और
(ii) बीमा कंपनी द्वारा समझौते का ऐसा अधभिेि प्रात होने की तारीि से
अधधकतम तीस कर्दनों की अिधध के भीतर संर्दाय ककया जाएगा ।
(ि) ऐसा प्रस्ताि नामंजूर करता है , तो ऐसे र्दािे का गुणािगुण पर
न्यायधनणषयन करने के धिए र्दािा अधधकरण द्वारा सुनिाई की तारीि धनयत की
जाएगी ।
पर-पिकार 150. (1) धारा 147 की उपधारा (3) के अधीन ऐसे व्यखक्त खजसके द्वारा पाधिसी
जोखिमों की
प्रभािी की गई है के पि में बीमा प्रमाणपत्र जारी करने के पश्चात ् ऐसे र्दाधयत्ि (जो
बाबत बीमाकृत
व्यखक्तयों के
पाधिसी के धनबंधनों द्वारा समाविष्ट र्दाधयत्ि के होते हुए) जो धारा 147 की उपधारा (1)
विरुद्ध धनणषयों के िंड (ि) के अधीन या धारा 164 के उपबंधों के अधीन पाधिसी द्वारा समाविष्ट ककया
और पंचाटों को जाना अपेखित है , की बाबत धनणषय या पंचाट, पाधिसी द्वारा बीमाकृ त व्यखक्त के विरुद्ध
तुष्ट करने के
अधभप्रात ककया जाता है , तब इस बात के होते हुए भी कक बीमाकताष पाधिसी को
बीमाकताष के
कतषव्य ।
पररिखजषत या रद्द करने अथिा पररिधतषत या रद्द ककए जा सकने का हकर्दार हो सकेगा,
बीमाकताष इस धारा के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए पंचाट के अधीन फायर्दे के हकर्दार
व्यखक्त को इसके अधीन र्दे य बीमाकृ त राधश से अनधधक राधश का तो र्दाधयत्ि की बाबत,
िागतों के संबंध में र्दे य रकम के साथ और ऐसी राधश पर धनणषयों पर ब्याज से संबंधधत
ककसी अधधधनयधमधतयों के आधार पर र्दे य ब्याज के साथ ककसी राधश का इस प्रकार मानो
िह व्यखक्त धनणीतऋणी था, संर्दाय करे गा ।
(2) ऐसे धनणषय या पंचाट की बाबत उपधारा (1) के अधीन बीमाकताष द्वारा कोई
राधश तब तक र्दे य नहीं होगी, जब तक उन कायषिाकहयों, खजनमें धनणषय या पंचाट कर्दया
गया है , में कायषिाकहयां प्रारं भ होने से पहिे बीमाकताष न्यायािय या, यथाखस्थधत, र्दािा
अधभकरण द्वारा ऐसे धनणषय या पंचाट के संबंध में कायषिाकहयां िाने और जब तक ककसी
28
अपीि के िंवबत रहने के र्दौरान उसके धनष्पार्दन को आस्थधगत ककया जाता है , सूधचत
ककया गया था; और बीमाकताष खजसको ऐसी कायषिाकहयां िाने की सूचना इस प्रकार र्दी गई
है , उसका पिकार बनाए जाने और धनम्नधिखित आधारों पर कारष िाई में प्रधतरिा का
हकर्दार होगा अथाषत ् :—
(क) यकर्द पाधिसी की ककसी विधनकर्दष ष्ट शतष का उल्िंघन हुआ हो, जो
धनम्नधिखित शतों में से एक हो, अथाषत ् :—
(iii) युद्ध, गृह युद्ध, बल्िे या धसविि अशांधत की पररखस्थधतयों द्वारा िधत
काररत होने या उनके कारण िधत काररत होने के धिए र्दाधयत्ि अपिखजषत
करने िािी कोई शतष ;
(3) जहां कोई ऐसा धनणषय, जो उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट है , व्यधतकारी र्दे श के
न्यायािय से प्रात ककया जाता है और विर्दे शी धनणषय की र्दशा में, धसविि प्रकक्रया संकहता
1908 का 5 1908 की धारा 13 के उपबंधों के कारण उसमें ककए गए न्यायधनणषयन के आधार पर
1938 का 4 ककसी मामिे में धनश्चायक है , बीमाकताष (जो बीमा अधधधनयम, 1938 के अधीन
29
परं तु ककसी ऐसे धनणषय या पंचाट की बाबत बीमाकताष कोई राधश र्दे ने के धिए र्दायी
नहीं होगा जब तक कायषिाकहयां खजनसे धनणषय या पंचाट कर्दया जाता है , प्रारं भ होने से
पहिे बीमाकताष को संबद्ध न्यायािय खजसमें कायषिाकहयां प्रारं भ की गई है , के माध्यम से
सूचना नहीं प्रात होती और बीमाकताष खजसे ऐसी सूचना र्दी गई है व्यधतकारी राज्य की
तत्स्थानी विधध के अधीन कायषिाकहयों में पिकार बनाए जाने और उपधारा (2) में
विधनकर्दष ष्ट समान आधारों पर कारष िाई में प्रधतरिा करने के धिए पिकार बनाए जाने का
हकर्दार नहीं होगा ।
(4) जहां धारा 147 की उपधारा (3) के अधीन बीमा प्रमाणपत्र ऐसे व्यखक्त खजसके
द्वारा पाधिसी प्रभािी की गई है , को जारी ककया जाता है , बीमाकृ त व्यखक्तयों के बीमा को
धनबंधधत करने के धिए तात्पधयषत पाधिसी के अधधकांश भाग का, जो उपधारा (2) में है , से
धभन्न अन्य शतों द्वारा धनकर्दष ष्ट ऐसे र्दाधयत्िों के संबंध में जो धारा 147 की उपधारा (1) के
िंड (ि) के अधीन पाधिसी द्वारा समाविष्ट ककए जाने अपेखित है , का कोई प्रभाि नहीं
होगा ।
(5) कोई बीमाकताष, खजसे उपधारा (2) या उपधारा (3) में धनकर्दष ष्ट सूचना र्दी गई है ,
ककसी व्यखक्त, जो उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट ककसी ऐसे धनणषय या पंचाट या, यथाखस्थधत,
उपधारा (2) या व्यधतकारी र्दे श की तत्स्थानी विधध में उपबंधधत रीधत से अन्यथा उपधारा
(3) में धनकर्दष ष्ट ऐसे धनणषय के अधीन फायर्दे का हकर्दार है के प्रधत अपने र्दाधयत्ि के
पररिजषन का हकर्दार नहीं होगा ।
(6) यकर्द र्दािा र्दाखिि करने की तारीि पर, र्दािाकताष को, बीमा कंपनी खजसके साथ
यान बीमाकृ त ककया गया है , की जानकारी नहीं है , तो यान के स्िामी का यह कतषव्य होगा
कक अधधकरण या न्यायािय को यह सूचना र्दे कक क्या र्दघ
ु ट
ष ना की तारीि को यान
बीमाकृ त था या नहीं और यकर्द हां, तो उस बीमा कंपनी का नाम खजसके साथ िह
बीमाकृ त है ।
(क) “पंचाट” से र्दािा अधधकरण द्वारा धारा 168 के अधीन ककया गया पंचाट
अधभप्रेत है ;
होगा यकर्द, िह, यथाखस्थधत, उपधारा (1) के अधीन पेश ककए जाने के धिए अपेखित या
तारीि, र्दघ
ु ट
ष ना के घकटत होने से सात कर्दनों के भीतर यथाखस्थधत, पुधिस अधधकारी खजसके
द्वारा उसका पेश ककया जाना अपेखित है , द्वारा उसको विधनकर्दष ष्ट ककए गए पुधिस थाने में
या जैसा भी मामिा हो, र्दघ
ु ट
ष ना के स्थान पर पुधिस अधधकारी से या उस पुधिस थाने के
प्रभारी अधधकारी को जहां उसने र्दघ
ु ट
ष ना की ररपोटष की है , प्रमाणपत्र पेश करता है :
परं तु ऐसे विस्तार के साथ और ऐसे उपांतरण के साथ जैसा विकहत ककया जाए, इस
उपधारा के उपबंध ककसी पररिहन यान के चािक को िागू नहीं होंगे ।
(4) मोटरयान का स्िामी, राज्य सरकार द्वारा इस धनधमत्त सशक्त ककये गए पुधिस
अधधकारी द्वारा या उसकी ओर से अपेखित सूचना यह अिधाररत करने के प्रयोजन के
धिए कक क्या यान धारा 146 के उल्िंघन में चिाया या नहीं चिाया जा रहा था और
ककसी अन्य अिसर पर जब चािक से इस िंड के अधीन बीमा प्रमाणपत्र पेश ककए जाने
की अपेिा की जाए, र्दे गा ।
(5) इस धारा में “बीमा के प्रमाणपत्र को पेश करना” अधभव्यखक्त से बीमा के
सुसंगत प्रमाणपत्र या ऐसे अन्य साक्ष्य, जो इस बात को सावबत करने के धिए विकहत
ककया जाए कक यान धारा 146 के उल्िंघन में नहीं चिाया जा रहा था, को परीिा के
धिए पेश ककया जाना अधभप्रेत है ।
र्दघ
ु ट
ष ना के संबध
ं 159. पुधिस अधधकारी, अन्िेर्ण पूरा करने के र्दौरान र्दािे के धनपटारे को सुकर
में सूचना का
बनाने के धिए ऐसे प्ररूप और रीधत में तथा तीन मास के भीतर और ऐसी विधशखष्टयों से
कर्दया जाना ।
युक्त र्दघ
ु ट
ष ना सूचना ररपोटष तैयार करे गा और उसे र्दािा अधधकरण और ऐसे अन्य
अधभकरण जो विकहत ककया जा सकेगा, को प्रस्तुत करे गा ।
र्दघ
ु ट
ष ना में 160. रखजस्रीकरण प्राधधकारी या पुधिस थाने का भारसाधक अधधकारी, यकर्द ककसी
संधित यान की
ऐसे व्यखक्त द्वारा, जो यह अधभकधथत करता है कक िह मोटर कार के उपयोग से उर्दभूत
विधशखष्टयां
प्रस्तुत करने का
र्दघ
ु ट
ष ना की बाबत प्रधतकर का र्दािा करने का हकर्दार है , ऐसा अपेखित ककया जाए या
कतषव्य । बीमाकताष द्वारा खजसके विरुद्ध ककसी मोटरयान की बाबत र्दािा ककया गया है , ऐसा अपेखित
ककया जाए तो, यथाखस्थधत, उस व्यखक्त या उस बीमाकताष को, जैसा भी मामिा हो, विकहत
फीस के संर्दाय पर, उक्त प्राधधकारी या उक्त पुधिस अधधकारी को यान के पहचान धचन्हों
या अन्य विधशष्टयों और उस व्यखक्त, जो यान का उपयोग र्दघ
ु ट
ष ना के समय कर रहा था
या उसके द्वारा िधतग्रस्त हुआ था का नाम और पता और संपवत्त, यकर्द कोई हो, खजसका
नुकसान हुआ है , की सूचना ऐसे प्ररूप में और ऐसे समय के भीतर जो केंद्रीय सरकार द्वारा
विकहत ककया जाए, र्दे गा ।
161. (1) तत्समय प्रिृत्त ककसी अन्य विधध या विधध का बि रिने िािी ककसी कहट एंड रन
मोटरयान
धिित में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, इस अधधधनयम और
र्दघ
ु टषना में
उपधारा (3) के उपबंधों के अधीन बनाई गई ककसी स्कीम के उपबंधों के अनुसार कहट एंड प्रधतकर के
रन मोटर यान र्दघ
ु ट
ष ना के पररणामस्िरूप व्यवक्तयों की मृत्यु, या उनको घोर उपहधत की विशेर् उपबंध ।
बाबत, प्रधतकर के संर्दाय के धिए उपबंध करे गी ।
की बाबत, र्दो िाि रुपए की धनयत राधश या कोई उचतर राधश जैसा केंद्रीय सरकार
द्वारा विकहत ककया जाए ;
(ि) कहट एंड रन र्दघ
ु ट
ष ना के पररणामस्िरूप ककसी व्यखक्त को घोर उपहधत
की बाबत, पचास हजार रुपए की धनयत राधश या कोई उचतर राधश, जैसा केंद्रीय
सरकार द्वारा विकहत ककया जाए ।
(3) केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधधसूचना द्वारा, एक स्कीम, ऐसी रीधत विधनकर्दष ष्ट
करते हुए खजसमें केन्द्रीय सरकार या साधारण बीमा पररर्द् द्वारा स्कीम प्रशाधसत की
जाएगी, प्ररूप , रीधत और समय खजसमें प्रधतकर के धिए आिेर्दन ककए जा सकेंगे, अधधकारी
या प्राधधकारी खजसको ऐसे आिेर्दन ककए जा सकते हैं ऐसे अधधकाररयों या प्राधधकाररयों
द्वारा ऐसे आिेर्दनों पर विचार करने और आर्दे श पाररत करने के धिए अनुसरण की जाने
िािी प्रकक्रया और स्कीम के प्रशासन और इस धारा के अधीन प्रधतकर के संर्दाय से
संबंधधत या अनुर्ंधगक अन्य मामिे में, बना सकेगी ।
(क) ऐसी ककसी स्कीम के अधीन ककसी र्दािाकताष को अंतररम अनुतोर् के रूप
में ऐसी राधश का संर्दाय, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विकहत की जाए ;
(ि) उसके ककसी उपबंध का उल्िंघन करना ऐसी अिधध के कारािास से जो
र्दो िर्ष तक का हो सकेगा या जुमाषने से जो पचीस हजार रुपए से कम नहीं होगा
ककन्तु पांच िाि रुपए तक का हो सकेगा या र्दोनों से र्दं डनीय होगा ;
(ग) ऐसी स्कीम द्वारा ककसी अधधकारी या प्राधधकारी को प्रर्दत्त या अधधरोवपत
शखक्तयां, कृ त्य या कतषव्य, केंद्रीय सरकार के पूिष धिखित अनुमोर्दन से, ऐसे
अधधकारी या प्राधधकारी से अन्य अधधकारी या प्राधधकारी को प्रत्यायोखजत ककए जा
सकेंगे ।
1972 का 57 162. (1) साधारण बीमा कंपनी (राष्ट्रीयकरण) अधधधनयम, 1972 या तत्समय प्रिृत्त स्िखणषम काि के
धिए स्कीम ।
ककसी अन्य विधध या विधध का बि रिने िािी ककसी धिित में ककसी बात के होते हुए
भी भारत में तत्समय कारबार कर रही साधारण बीमा कंपधनयां इसे अधधधनयम के
उपबंधों के अनुसार और इस अधधधनयम के अधीन बनाई गई स्कीम के अनुसार स़िक
र्दघ
ु ट
ष ना पीक़ितों के, खजसके अंतगषत स्िखणषम काि के र्दौरान हुई र्दघ
ु ट
ष नाओं के पीक़ित भी
हैं , उपचार के धिए उपबंध करें गी ।
(2) इस अधधधनयम के ककसी उपबंध के अधीन धारा 161 या तत्समय प्रिृत्त ककसी
अन्य विधध से धभन्न मोटर यान के उपयोग के कारण हुई ककसी व्यखक्त की मृत्यु या
शारीररक िधत को अन्तिषधित करने िािी र्दघ
ु ट
ष ना के संबंध में प्रधतकर अधधधनणीत करने
से पूिष र्दािा अधधकरण, न्यायािय या अन्य ऐसा प्रधतकर अधधधनणीत करने िािा
प्राधधकारी इस बारे में कक क्या ऐसी मृत्यु या शारीररक िधत की बाबत प्रधतकर का संर्दाय
धारा 161 के अधीन पहिे ही कर कर्दया गया है या प्रधतकर के संर्दाय के धिए आिेर्दन उस
धारा के अधीन िंवबत है और ऐसा अधधकरण, न्यायािय या अन्य प्राधधकारी—
(क) यकर्द प्रधतकर धारा 161 के अधीन पहिे संर्दत्त ही कर कर्दया गया है ,
उसके द्वारा अधधधनणीत प्रधतकर का संर्दाय करने के धिए र्दायी व्यखक्त को यह
धनर्दे श र्दे गा कक िह बीमाकताष को उसके उतने भाग का प्रधतर्दाय करे खजतना उपधारा
(1) के उपबंधों के अनुसार िापस ककया जाना अपेखित है ;
(ि) यकर्द प्रधतकर के संर्दाय के धिए आिेर्दन धारा 161 के अधीन िंवबत है
तो िह बीमाकताष को उसके द्वारा अधधधनणीत प्रधतकर के बारे में विधशवष्टयां अग्रेवर्त
करे गा ;
स्पष्टीकरण—इस उपधारा के प्रयोजन के धिए धारा 161 के अधीन प्रधतकर के धिए
आिेर्दन तब िंवबत समझा जाएगा,—
(i) यकर्द ऐसा आिेर्दन नामंजरू कर कर्दया गया है तो आिेर्दन की नामंजूरी की
तारीि तक ; और
(ii) ककसी अन्य मामिे में आिेर्दन के अनुसरण में प्रधतकर के संर्दाय की
तारीि तक ।
मृत्यु या घोर 164. (1) इस अधधधनयम या तत्समय प्रिृत ककसी अन्य विधध में या विधध का बि
उपहधत के मामिे
रिने िािी धिित में ककसी बात के होते हुए, मोटर यान का स्िामी या प्राधधकृ त
में प्रधतकर का
संर्दाय ।
बीमाकताष मोटर यान के उपयोग के कारण उर्दभूत र्दघ
ु ट
ष ना के कारण मृत्यु या घोर उपहधत
की र्दशा में, यथाखस्थधत, विधधक िाररसों या पीक़ित को, मृत्यु की र्दशा में पांच िाि रुपए
या घोर उपहधत की र्दशा में र्दो िाि पचास हजार रुपए की रकम का संर्दाय करने का
र्दायी होगा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन प्रधतकर के धिए ककसी र्दािे में, र्दािाकताष से यह
अधभिाक या धसद्ध करने की अपेिा नहीं की जाएगी कक मृत्यु या स्थायी धनःशक्तता
खजसकी बाबत र्दािा ककया गया है यान के स्थायी या संबद्ध यान के या ककसी अन्य
व्यवक्त के ककसी सर्दोर् कायष या उपेिा या व्यधतक्रम के कारण हुई थी ।
(3) जहां मोटरयान के उपयोग के कारण हुई र्दघ
ु टष ना के कारण मृत्यु या स्थायी
धनःशक्तता की बाबत तत्समय प्रिृत ककसी अन्य विधध के अधीन प्रधतकर का संर्दाय ककया
गया है , िहां प्रधतकर की ऐसी रकम इस धारा के अधीन संर्देय प्रधतकर की रकम से घटा
र्दी जाएगी ।
164क. (1) केंद्रीय सरकार, इस अध्याय के अधीन प्रधतकर हे तु प्राथषना करने िािे र्दािाकताषओं के
धिए अंतररम
र्दािाकताषओं को अंतररम अनुतोर् का उपबंध करने के धिए स्कीमें बना सकेगी ।
अनुतोर् हे तु
(2) उपधारा (1) के अधीन बनाई गई कोई स्कीम, उस र्दशा में, जहां ककसी मोटर स्कीम ।
यान के उपयोग से या अन्य स्रोतों से, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विकहत ककए जाएं, र्दािा
37
उद्भत
ू होता है , िहां ऐसे मोटर यान के स्िामी से ऐसी स्कीम के अधीन संवितररत धनधधयों
की िसूिी की प्रकक्रया के धिए भी उपबंध होगा ।
164ि. (1) केन्द्रीय सरकार द्वारा मोटरयान र्दघ
ु टष ना नामक धनधध का गठन ककया मोटरयान
र्दघ
ु टषना धनधध ।
जाएगा, खजसमें धनम्नधिखित जमा ककया जाएगा—
(घ) आय का कोई अन्य स्रोत, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए ।
(2) भारत के राज्यिेत्र में सभी स़िक उपयोक्ताओं को अधनिायष बीमा किर प्रर्दान
करने के प्रयोजन के धिए धनधध गकठत की जाएगी ।
(क) केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 162 के अधीन विरधचत स्कीम के अनुसार
स़िक र्दघ
ु ट
ष नाओं में घायि व्यवक्तयों का उपचार ;
(ि) धारा 161 के अधीन विरधचत स्कीमों के अनुसार ऐसी स़िक र्दघ
ु ट
ष नाओं,
खजनमें यान टक्कर मारकर भाग गया है , में मृतक व्यवक्त के प्रधतधनधधयों को
प्रधतकर ;
(ग) धारा 161 के अधीन विरधचत स्कीमों के अनुसार ऐसी स़िक र्दघ
ु ट
ष नाओं,
खजनमें यान टक्कर मारकर भाग गया है , में ऐसे व्यवक्त को प्रधतकर, खजसे घोर
उपहधत काररत हुई है ;
(घ) ऐसे व्यवक्तयों को प्रधतकर, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककए जाएं ।
(4) अधधकतम र्दाधयत्ि रकम, खजसे प्रत्येक मामिे में संर्दत्त ककया जा सकता है ,
िह होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत की जाए ।
(5) उपधारा (3) के िं़ि (क) में विधनकर्दष ष्ट सभी मामिों में , जब ऐसे व्यवक्तयों का
र्दािा संर्देय हो जाता है , जहां ककसी व्यवक्त को रकम का संर्दाय इस धनधध में से ककया
गया है िहां िही रकम बीमा कंपनी से ऐसे व्यवक्त द्वारा प्राप्त र्दािे से कटौती योग्य होगी ।
(6) धनधध का प्रबंध ऐसे प्राधधकारी या अधभकरण द्वारा ककया जाएगा जो केन्द्रीय
सरकार धनम्नधिखित को ध्यान में रिते हुए विधनकर्दष ष्ट करे —
(क) अधभकरण के बीमा कारबार की जानकारी ;
(ि) धनधधयों का प्रबंध करने की अधभकरण की िमता ;
(ग) कोई अन्य मापर्दं ़ि जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए ।
(7) केंद्रीय सरकार, समुधचत िेिा और अन्य सुसंगत अधभिेि रिेगी और केंद्रीय
सरकार, भारत के धनयंत्रक-महािेिापरीिक के परामशष से विकहत ककए जाने िािे प्ररूप में
धनधध के िेिाओं की एक िावर्षक वििरणी तैयार करे गी ।
38
(ii) धारा 157 की उपधारा (2) के अधीन बीमा प्रमाणपत्र में अंतरण के
तथ्य के संबंध में पररितषन करने के धिए प्ररूप ;
(ि) बीमा प्रमाणपत्रों के धिए आिेर्दन करना तथा उन्हें जारी करना ;
(ज) केिि अस्थायी रूप से रूकने िािे व्यवक्तयों द्वारा भारत में िाए गए
यानों को व्यधतकारी र्दे श में रखजस्रीकृ त यानों के धिए और विकहत उपातंरणों सकहत
इन उपबंधों को िागू करके भारत में ककसी मागष पर या ककसी िेत्र में प्रचाधित
करने के धिए इस अध्याय के उपबंधों को अंगीकार करना ;
(झ) िे अपेिाएं, खजनके संबध
ं में ककसी बीमा प्रमाणपत्र से धारा 145 के िंड
(ि) में यथा धनकर्दष ष्ट ककए गए अनुसार अनुपािन करने की अपेिा की जाती है ;
(ञ) धारा 146 की उपधारा (3) के अधीन स्थावपत धनधध का प्रशासन ;
(ट) धारा 147 की उपधारा (2) के अधीन न्यूनतम प्रीधमयम और बीमाकताष
का अधधकतम र्दाधयत्ि ;
(ठ) िे शतें, खजनके अधीन रहते हुए कोई बीमा पाधिसी जारी की जाएगी और
धारा 147 की उपधारा (3) में यथा धनकर्दष ष्ट उससे संबंधधत अन्य विर्य ;
(ड) धारा 149 की उपधारा (2) के अधीन समझौते के ब्यौरे , ऐसे समझौते की
समय-सीमा और उसकी प्रकक्रया ;
(ढ) धारा 158 की उपधारा (3) के परं तुक के अधीन छूटों और उपांतरणों का
विस्तार ;
(ण) धारा 158 की उपधारा (5) के अधीन अन्य साक्ष्य ;
(त) ऐसा अन्य अधभकरण, खजसको धारा 159 में यथाधनकर्दष ष्ट र्दघ
ु ट
ष ना सूचना
संबंधी ररपोटष प्रस्तुत की जा सकेगी ;
(थ) धारा 160 के अधीन सूचना प्रस्तुत करने के धिए समय-सीमा और
फीस ;
(र्द) धारा 161 की उपधारा (2) के िंड (क) के अधीन मृत्यु के संबंध में
प्रधतकर की उचतर रकम ;
(ध) धारा 161 की उपधारा (4) के िंड (क) में यथा धनकर्दष ष्ट अंतररम अनुतोर्
के रूप में संर्दत्त की जाने िािी राधश ;
(न) धारा 164 की उपधारा (1) के अधीन प्रधतकर के संर्दाय के धिए प्रकक्रया ;
(प) ऐसे अन्य स्रोत, खजनसे धारा 164क की उपधारा (2) में यथा धनकर्दष ष्ट
स्कीम के धिए धनधधयां िसूि की जा सकेंगी ;
(फ) ककसी अन्य स्रोत से कोई आय, खजसे धारा 164ि की उपधारा (1) के
अधीन मोटर यान र्दघ
ु ट
ष ना धनधध में जमा ककया जाएगा ;
(ब) िे व्यखक्त, खजनको धारा 164ि की उपधारा (3) के िंड (घ) के अधीन
प्रधतकर का संर्दाय ककया जा सकेगा ;
40
(ि) कोई अन्य विर्य, जो विकहत ककया जाना है या विकहत ककया जाए या
खजसके संबंध में धनयमों द्वारा उपबंध बनाए जाने हैं ।”।
धारा 165 का 52. मूि अधधधनयम की धारा 165 के स्पष्टीकरण में “धारा 140 और धारा 163क”
संशोधन ।
शब्र्दों, अंकों और अिरों के स्थान पर, “धारा 164” शब्र्द और अंक रिे जाएंगे ।
(iv) उपधारा (4) में “धारा 158 की उपधारा (6)” शब्र्दों, कोष्ठकों और अंकों के
स्थान पर, “धारा 159” शब्र्द और अंक रिे जाएंगे ।
“(5) इस अधधधनयम या तत्समय प्रिृत्त ककसी अन्य विधध में ककसी बात के
होते हुए भी, ककसी र्दघ
ु ट
ष ना में िधत के धिए प्रधतकर का र्दािा करने िािे व्यखक्त
का अधधकार, खजस व्यखक्त को िधत पहुंची है , उसकी मृत्यु होने पर उसके विधधक
प्रधतधनधधयों के धिए, इस बात को ध्यान में न रिते हुए कक मृत्यु का कारण िधत
िािे अन्तसंबंध से संबंधधत है या नहीं या इसका उसके साथ कोई अन्तसंबंध था या
नहीं, विद्यमान होगा ।” ।
54. मूि अधधधनयम की धारा 168 की उपधारा (1) में,— धारा 168 का
संशोधन ।
(i) “धारा 162” शब्र्द और अंकों के स्थान पर, “धारा 163” शब्र्द और अंक रिे
41
जाएंगे ;
55. मूि अधधधनयम की धारा 169 की उपधारा (3) के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा धारा 169 का
संशोधन ।
अंत:स्थावपत की जाएगी, अथाषत ् :—
56. मूि अधधधनयम की धारा 170 में “धारा 149” शब्र्द और अंकों के स्थान पर, “धारा धारा 170 का
संशोधन ।
150” शब्र्द और अंक रिे जाएंगे ।
57. मूि अधधधनयम की धारा 173 की उपधारा (2) में, “र्दस हजार ” शब्र्दों के स्थान धारा 173 का
संशोधन ।
पर, “एक िाि” शब्र्द रिे जाएंगे ।
58. मूि अधधधनयम की धारा 177 में, “एक सौ रुपए” और “तीन सौ रुपए” शब्र्दों के धारा 177 का
संशोधन ।
स्थान पर, क्रमश: “पांच सौ रुपए” और “एक हजार पांच सौ रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ।
59. मूि अधधधनयम की धारा 177 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा अंत:स्थावपत की जाएगी, धारा 177क का
संशोधन ।
अथाषत ् :—
“177क. जो कोई धारा 118 के अधीन बनाए गए विधनयमों का उल्िंघन करता है , धारा 118 के
अधीन विधनयमों
िह ऐसे जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए से कम का नहीं होगा ककंतु एक हजार रुपए तक
के उल्िंघन के
का हो सकेगा, र्दं डनीय होगा ।”। धिए शाखस्त ।
60. मूि अधधधनयम की धारा 178 की उपधारा (3) में “र्दो सौ रुपए” शब्र्दों के स्थान धारा 178 का
संशोधन ।
पर, “पांच सौ रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ।
(ii) उपधारा (2) में “पांच सौ रुपए” शब्र्दों के स्थान पर, “र्दो हजार रुपए” शब्र्द रिे
जाएंगे ।
धारा 180 का 62. मूि अधधधनयम की धारा 180 में “एक हजार रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के
संशोधन ।
स्थान पर, “पांच हजार रुपए” शब्र्द: रिे जाएंगे ।
धारा 181 का 63. मूि अधधधनयम की धारा 181 में “जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के
संशोधन ।
स्थान पर, “पांच हजार रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ।
(ii) उपधारा (2) में “एक सौ रुपए” शब्र्दों के स्थान पर, “र्दस हजार रुपए” शब्र्द रिे
42
जाएंगे ।
नई धारा 182क 65. मूि अधधधनयम की धारा 182क के स्थान पर, धनम्नधिखित धाराएं रिी जाएंगी,
का प्रधतस्थापन ।
अथाषत ् :—
मोटर यानों और “182क(1) जो कोई मोटर यानों का विधनमाषता, आयातकताष या ब्यौहारी होने के
उनके संघटकों के
कारण, मोटर यान का विक्रय करता है या पररर्दान करता है या उसका पररितषन करता है
संधनमाषण,
रिरिाि, विक्रय
या विक्रय करने या पररर्दान करने या पररितषन करने की प्रस्थापना करता है जो अध्याय
और पररितषन सात या उसके अधीन बनाए गए धनयमों और विधनयमों के उपबंधों का उल्िं घन में है ,
से संबधं धत ऐसी अिधध के कारािास से जो एक िर्ष तक की हो सके गा या र्दोनो से या ऐसे जुमाषने से
अपराधों के धिए
जो ऐसे प्रत्येक मोटर यान के धिए एक िाि रुपए तक का हो सकेगा या र्दोनो से
र्दं ड ।
र्दं डनीय होगा :
परं तु कोई व्यखक्त इस धारा के अधीन धसद्धर्दोर् नहीं ठहराया जाएगा यकर्द िह यह
सावबत कर र्दे ता है कक ऐसे मोटर यान के विक्रय या पररर्दान या पररितषन के समय उसने
उस रीधत, खजसमें ऐसा मोटर यान अध्याय 7 या उसके अधीन बनाए गए धनयमों और
विधनयमों के उपबंधों के उल्िंघन में था, के अन्य पिकारों को प्रकट ककया था ।
(2) जो कोई, मोटर यान का विधनमाषता होते हुए, अध्याय 7 या उसके अधीन बनाए
गए धनयमों और विधनयमों का अनुपािन करने में असफि रहता है तो ऐसी अिधध के
कारािास से जो एक िर्ष तक की हो सकेगी या ऐसे जुमाषने से जो एक अरब रुपए तक
का हो सकेगा या र्दोनों से र्दं डनीय होगा ।
(3) जो कोई, ककसी मोटर यान के ककसी संघटक का विक्रय करता है या विक्रय
करने की प्रस्थापना करता है या उसके विक्रय को अनुज्ञात करता है , खजसे केन्द्रीय
सरकार द्वारा नाजुक सुरिा संघटक के रूप में अधधसूधचत ककया है और जो अध्याय 7 या
उसके अधीन बनाए गए धनयमों और विधनयमों का अनुपािन नहीं करता है ऐसी अिधध
के कारािास से जो एक िर्ष तक की हो सकेगी या ऐसे जुमाषने से जो ऐसे प्रत्येक संघटक
के धिए एक िाि रुपए का हो सकेगा या र्दोनों से र्दं डनीय होगा ।
(4) जो कोई मोटर यान का स्िामी होते हुए, मोटर यान, ककसी मोटर यान, खजसके
अंतगषत, ककसी ऐसी रीधत में, मोटर यान के पुजों का पश्च कफकटं ग करने के माध्यम भी
है , का पररितषन करता है जो इस अधधधनयम या उसके अधीन बनाए गए अधधधनयमों या
धनयमों और विधनयमों के अधीन अनुज्ञात नहीं है , ऐसी अिधध के कारािास से, जो छह
मास तक की हो सकेगी या ऐसे प्रत्येक पररितषन के धिए पांच रुपए तक के जुमाषने या
र्दोनों से र्दं डनीय होगा ।
182ि. जो कोई धारा 62क के उपबंधों का उल्िंघन करता है ऐसे जुमाषने से, जो धारा 62क के
उल्िंघन के
पांच हजार रुपए से कम का नहीं होगा ककंतु र्दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, से
धिए र्दं ड ।
र्दं डनीय होगा ।”।
(च) ककसी ऐसी रीधत में गा़िी चिाना, जो उससे बहुत कम है खजसकी ककसी
सिम और सािधान चािक से अपेिा की जाएगी और जहां ककसी सिम और
सािधान चािक को यह स्पष्ट होगा कक उस रीधत में गा़िी चिाना ितरनाक होगा,
से ऐसी रीधत में चिाना, जो पखब्िक के धिए ितरनाक हैं , अधभप्रेत होगा ।”।
धारा 185 का 68. मूि अधधधनयम की धारा 185 में,—
संशोधन ।
(i) िंड (क) में, “श्िास विश्िेर्क” शब्र्दों के पश्चात ्, “या ककसी अन्य परीिण
खजसके अंतगषत प्रयोगशािा परीिण भी है , में”, शब्र्द अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ;
(ii) “जो र्दो हजार रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “र्दस हजार
रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ;
(iii) “यकर्द पूिष िैसे ही अपराध के ककए जाने के तीन िर्ष के भीतर ककया गया है ”
शब्र्दों का िोप ककया जाएगा ।
(iv) “जुमाषने से, जो तीन हजार रुपए तक हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “पन्द्रह
हजार रुपए के जुमाषने से” शब्र्द रिे जाएंगे ;
धारा 186 का 69. मूि अधधधनयम की धारा 186 में, “र्दो सौ रुपए” और “पांच सौ रुपए” शब्र्दों के
संशोधन ।
स्थान पर, “एक हजार रुपए” और “र्दो हजार रुपए” शब्र्द क्रमश: रिे जाएंगे ।
(ii) “तीन मास” शब्र्दों के स्थान पर, “छह मास” शब्र्द रिे जाएंगे ;
(iii) “जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “पांच हजार
रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे;
(iv) “छह मास” शब्र्दों के स्थान पर, “एक िर्ष” शब्र्द रिे जाएंगे ; और
(v) “जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “र्दस हजार
रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ।
(ii) “जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “पांच हजार रुपए”
45
(iii) “र्दोनों से” शब्र्दों के पश्चात ्, “और पश्चातिती अपराध के धिए ऐसी अिधध के
कारािास से जो एक िर्ष तक का हो सकेगा या ऐसे जुमाषने से , जो र्दस हजार रुपए तक
का हो सकेगा, या र्दोनों से र्दं डनीय होगा ।
(क) “जो र्दो सौ पचास रुपए तक हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “पंद्रह सौ
रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ;
(ग) “र्दोनों से” शब्र्दों के पश्चात ्, “और पश्चातिती अपराध के धिए ऐसी
अिधध के कारािास से, जो छह मास तक की हो सकेगी या शारीररक िधत या
संपवत्त के नुकसान के धिए र्दस हजार रुपए के जुमाषने से र्दं डनीय होगा” शब्र्द
अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ;
(क) “एक हजार रुपए तक के जुमाषने से” शब्र्दों के स्थान पर, “ऐसे
कारािास, खजसकी अिधध तीन मास तक की हो सकेगी या ऐसे जुमाषने से जो र्दस
हजार रुपए तक का हो सकेगा या र्दोनों से और िह तीन मास की अिधध के धिए
अनुज्ञखत धारण करने के धिए धनरकहष त हो जाएगा” शब्र्द रिे जाएंगे ;
(ि) “र्दो हजार रुपए तक के जुमाषने से” शब्र्दों के स्थान पर, “ऐसे कारािास
खजसकी अिधध छह मास तक की हो सकेगी या ऐसे जुमाषने से जो र्दस हजार रुपए
तक का हो सकेगा या र्दोनों से” शब्र्द रिे जाएंगे ; और
(क) “जो तीन हजार रुपए तक हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “जो र्दस
हजार रुपए और िह तीन मास की अिधध के धिए अनुज्ञखत धारण करने के धिए
धनरकहष त होगा” और
(ि) “जो पांच हजार रुपए तक हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “बीस हजार
रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ।
धारा 191 का 73. मूि अधधधनयम की धारा 191 का िोप ककया जाएगा ।
िोप ।
धारा 192 का 74. मूि अधधधनयम की धारा 192 में धनम्नधिखित स्पष्टीकरण अंत:स्थावपत ककया
संशोधन ।
जाएगा, अथाषत ् :—
संशोधन । (i ) “प्रथम अपराध के धिए ऐसे जुमाषने से” शब्र्दों के पश्चात ्, “ऐसे कारािास से
खजसकी अिधध छह मास तक की हो सकेगी और” शब्र्द अंत:स्थावपत ककए जाएंगे;
(i i ) “जो पांच हजार रुपए तक हो सकेगा ककंतु र्दो हजार रुपए से कम का नहीं
होगा” शब्र्दों के स्थान पर, “र्दस हजार रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ;
(i i i ) “तीन मास” शब्र्दों के स्थान पर, “छह मास” शब्र्द रिे जाएंगे ;
(i v) “जो र्दस हजार रुपए तक हो सकेगा ककंतु पांच हजार रुपए से कम का नहीं
होगा” शब्र्दों के स्थान पर, “र्दस हजार रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ;
नई धारा 192ि 76. मूि अधधधनयम की धारा 192क के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा अंत:स्थावपत की
का अंत:स्थापन ।
जाएगी, अथाषत ् :—
रखजस्रीकरण से “ 192ि. (1) जो कोई, मोटर यान का स्िामी होते हुए, धारा 41 की उपधारा (1) के
संबधं धत
अधीन ऐसे मोटर यान के रखजस्रीकरण के धिए आिेर्दन करने में असफि रहता है , तो
अपराध ।
िह मोटर यान के िावर्षक स़िक कर का पांच गुना या आजीिन कर का एक धतहाई
जुमाषने से, जो भी अधधक हो, र्दं डनीय होगा ।
(3) जो कोई, मोटर यान का स्िामी होते हुए, ऐसे र्दस्तािेजों के आधार पर ऐसे
यान के धिए रखजस्रीकरण का प्रमाणपत्र अधभप्रात करता है जो तथ्यों के प्रधतरूपण द्वारा
ककसी ताखत्िक विधशखष्ट में धमथ्या थे या धमथ्या था या उस पर उत्कीणष इं जन संख्या या
चेधसस संख्या रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र में प्रविष्ट ऐसी संख्या से धभन्न हैं जो ऐसी अिधध
के कारािास से, जो छह मास से कम की नहीं होगी ककंतु जो एक िर्ष तक की हो सकेगी
और मोटर यान के िावर्षक स़िक कर का र्दस गुना रकम या आजीिन कर के र्दो धतहाई
रकम के बराबर जुमाषने से, जो भी अधधक हो, र्दं डनीय होगा ।
(4) जो कोई, ऐसा व्यौहारी होते हुए, ऐसे र्दस्तािेजों के आधार पर ऐसे यान के
धिए रखजस्रीकरण का प्रमाणपत्र जो तथ्यों के प्रधतरूपण द्वारा ककसी ताखत्िक विधशखष्ट में
धमथ्या थे या धमथ्या था या उस पर उत्कीणष इं जन संख्या या चेधसस संख्या रखजस्रीकरण
प्रमाण पत्र में प्रविष्ट ऐसी संख्या से धभन्न है तो िह ऐसी अिधध के कारािास से, जो छह
मास से कम की नहीं होगी ककंतु जो एक िर्ष तक की हो सकेगी और जो मोटर यान के
िावर्षक स़िक कर के र्दस गुना रकम या आजीिन कर के र्दो-धतहाई रकम के बराबर, जो
भी अधधक हो, जुमाषने से र्दं डनीय होगा ।” ।
(ि) धारा 193 को उसकी उपधारा (1) के रूप में पुनसंख्यांककत ककया जाएगा
औ—
धनकिा हुआ है :
परं तु यह और कक इस उपधारा की कोई बात उस समय िागू नहीं होगी जब
ऐसे मोटर यान को विधशष्ट भार के िहन को अनुज्ञात करते हुए राज्य सरकार या
केन्द्र सरकार द्वारा इस धनधमत्त सिम प्राधधकारी द्वारा छूट र्दे र्दी गई है ।
(i i i ) उपधारा (2) में “ जो तीन हजार रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान
पर, “ चािीस हजार रुपए” शब्र्द रिे जाएंगे ।
नई धारा 194क, 79. मूि अधधधनयम की धारा 194 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धाराएं अंत:स्थावपत की
194ि, 194ग,
जाएंगी, अथाषत ् :—
194घ, 194ड.,
194च का
अंत:स्थापन ।
अधधक यावत्रयों “194क. जो कोई, ककसी ऐसे पररिहन यान को उस समय चिाता है या पररिहन
का िहन ।
यान को चििाता है या चििाए जाने के धिए अनुज्ञात करता है जब ऐसे पररिहन यान
की रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र में या ऐसे पररिहन यान को िागू अनुज्ञखत शतों प्राधधकृ त
यावत्रयों से अधधक यावत्रयों का िहन ककया जाता है तो िह र्दो सौ रुपए प्रधत अधधक
व्यखक्त के जुमाषने से र्दं डनीय होगा :
परं तु ऐसे मोटर यान को चिने के धिए तब तक अनुज्ञात नहीं ककया जाएगा जब
तक कक अधधक यावत्रयों को नहीं उतार कर्दया जाता है और ऐसे यावत्रयों के धिए िैकखल्पक
पररिहन की व्यिस्था नहीं कर र्दी जाती है ।”
सुरिा बेल्टों का 194ि. (1) जो कोई, सुरिा बेल्ट के पहने वबना मोटर यान चिाता है या ऐसे
उपयोग और
यावत्रयों को िे जाता है खजन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी है एक हजार रुपए के जुमाषने से
बािकों का
बैठना ।
र्दं डनीय होगा:
परं तु राज्य सरकार, ऐसे पररिहन यानों को, जो ि़िे हुए यावत्रयों को िहन करते हैं
या पररिहन यानों के अन्य विधनकर्दष ष्ट िगों को राजपत्र में अधधसूचना द्वारा इस उपधारा के
िागू होने से अपिखजषत कर सकेगी ।
(2) जो कोई, ककसी ऐसे मोटर यान को चिाता है या चििाता है या चििाने के
धिए अनुज्ञात करता है , खजसमें कोई ऐसा बािक है खजसने चौर्दह िर्ष की आयु प्रात नहीं
की है और जो सुरिा बेल्ट या ककसी बाि अिरोध प्रणािी द्वारा सुरखित नहीं है , एक
हजार रुपए के जुमाषने से र्दं डनीय होगा ।
194ग. जो कोई, धारा 128 के और उसके अधीन बनाए गए धनयमों और विधनयमों मोटर साइककि
ड्राइिरों और
के उल्िंघन में कोई मोटर साइककि चिाता है या मोटर साइककि को चििाता है चिाने
वपछिी सिाररयों
के धिए अनुज्ञात करता है तो िह एक हजार रुपए के जुमाषने से र्दं डनीय होगा और तीन के धिए सुरिा
मास की अिधध के धिए अनुज्ञखत धारण करने के धिए धनरकहष त होगा । उपायों के
उल्िंघन के धिए
शाखस्त ।
194घ. जो कोई धारा 129 के या उसके अधीन बनाए गए धनयमों या विधनयमों के धसर के सुरिा
पहनािे को न
उल्िंघन में मोटर साइककि चिाता है या मोटर साइककि चििाता है या चििाना
पहनने के धिए
अनुज्ञात करता है तो िह एक हजार रुपए के जुमाषने से र्दं डनीय होगा और तीन मास की शाखस्त ।
अिधध के धिए अनुज्ञखत धारण करने के धिए धनरकहष त होगा ।
49
194ङ. जो कोई, ककसी मोटर यान को चिाते समय अखग्नशमन सेिा यान के या आपातकािीन
यानों को
एम्बूिेंस या अन्य आपातकािीन यान, जो राज्य सरकार द्वारा विधनकर्दष ष्ट ककया जाए, के
आबाध रूप से
आ जाने पर स़िक की एक ओर िे जाने में असफि रहता है , ऐसे कारािास, खजसकी गुजरने र्दे ने में
अिधध छह मास तक की हो सकेगी या र्दस हजार रुपए के जुमाषने से या र्दोनों से र्दं डनीय असफिता ।
होगा ।
194च. जो कोई,— हानष और
ध्िधनमंर्द िेत्र ।
(क) मोटर यान चिाते समय—
(ii) हानष के प्रयोग का प्रधतर्ेध करने िािे यातायात धचन्ह िािे िेत्र में
हानष बजाना, या
(ि) ऐसा मोटर यान चिाना जो ऐसे कट आउट का प्रयोग करता है खजसके
द्वारा धन:शेर् गैसों को अिमंर्दक से धभन्न ककसी माध्यम से छो़िा जाता है एक
हजार रुपए के जुमाषने से र्दं डनीय होगा और र्दस
ू रे या पश्चातिती अपराध के धिए र्दो
हजार रुपए के जुमाषने से र्दं डनीय होगा ।
80. मूि अधधधनयम की धारा 195 का िोप ककया जाएगा । धारा 195 का
िोप ।
(ii) “एक हजार रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के स्थान पर, “र्दो हजार रुपए”
शब्र्द रिे जाएंगे ।
(iii) “र्दोनों” शब्र्द के पश्चात ्, “और पश्चातिती अपराध के धिए ऐसे कारािास
खजसकी अिधध तीन मास तक की हो सकेगी या चार हजार रुपए के जुमाषने से या र्दोनों
से र्दं डनीय होगा” शब्र्द अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ।
धारा 197 का 82. मूि अधधधनयम की धारा 197 में,—
संशोधन ।
(i) उपधारा (1) में “जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा” शब्र्दों के
स्थान पर, “पांच हजार रुपए के जुमाषने से” शब्र्द रिे जाएंगे ।
स़िक कडजाइन, “198क. (1) स़िक के कडजाइन या संधनमाषण या रि-रिाि के सुरिा मानकों के
संधनमाषण और
धिए उत्तरर्दायी कोई अधभकहत प्राधधकारी, संविर्दाकार, परामशी या ग्राही स़िक कडजाइन,
रि-रिाि के
50
मानकों का संधनमाषण और रि-रिाि के ऐसे मानकों का अनुपािन करे गा, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा
अनुपािन करने
समय-समय पर विकहत ककए जाएं ।
में असफि
रहना । (2) जहां उपधारा (1) के अधीन उत्तरर्दायी ककसी अधभकहत प्राधधकारी, संविर्दाकार,
परामशी या ग्राही द्वारा स़िक कडजाइन, संधनमाषण और रि-रिाि के मानकों का अनुपािन
करने में असफि रहने के पररणामस्िरूप ककसी व्यवक्त की मृत्यु या धनःशक्तता होती है
िहां ऐसा प्राधधकारी या संविर्दाकार या ग्राही ऐसे जुमाषने से र्दं डनीय होगा, जो एक िाि
रुपए तक का हो सकेगा और उसका संर्दाय धारा 164ि के अधीन गकठत धनधध में ककया
जाएगा ।
(च) क्या स़िक धचह्नों के माध्यम से स़िक की खस्थधत के संबंध में पयाषप्त
चेतािनी सूचनाएं प्रर्दधशषत की गई थी ; और
(छ) ऐसे अन्य विर्य, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककए जाएं ।
85. मूि अधधधनयम की धारा 199 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धाराएं अंत:स्थावपत की नई धारा
199क और धारा
जाएगी, अथाषत ् :—
199ि का
अंत:स्थापन ।
“ 199क. (1) जहां कोई अपराध इस अधधधनयम के अधीन ककसी ककशोर द्वारा ककया ककशोर द्वारा
अपराध ।
गया है ऐसे ककशोर संरिक या मोटर यान का स्िामी उल्िंघन का र्दोर्ी समझा जाएगा
और उसके विरुद्ध कारष िाई का र्दायी होगा तथा तर्दन
ु ुसार र्दं कडत ककया जाएगा :
51
(2) उपधारा (1) के अधीन शाखस्त के अधतररक्त ऐसा संरिक या स्िामी ऐसे
कारािास से खजसकी अिधध तीन िर्ष तक की हो सकेगी और जुमाषने से जो पचीस हजार
रुपए तक का हो सकेगा, र्दं डनीय होगा ।
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) के उपबंध ऐसे संरिक या स्िामी को िागू नहीं
होंगे यकर्द अपराध करने िािा ककशोर को धारा 8 के अधीन धशिाथी अनुज्ञखत या चािन
अनुज्ञखत प्रर्दान की गई थी और ऐसा मोटर यान प्रचाधित कर रहा था खजसे ऐसा ककशोर
चिाने के धिए अनुज्ञत ककया गया था ।
(4) जहां इस धारा के अधीन कोई अपराध ककसी ककशोर द्वारा ककया गया है िहां
अपराध ककए जाने में प्रयुक्त मोटर यान बारह मास की अिधध के धिए रद्द ककया जाएगा
।
(5) जहां इस अधधधनयम के अधीन कोई अपराध ककसी ककशोर द्वारा ककया गया है
िहां धारा 4 या धारा 7 के होते हुए भी, ऐसा ककशोर धारा 9 के अधीन चािन अनुज्ञखत
या धारा 8के अधीन धशिाथी अनुज्ञखत प्रर्दान ककए जाने के धिए पात्र तब तक नहीं होगा
जब तक कक ऐसे ककशोर ने पचीस िर्ष की आयु पूरी न की िी हो ।
(6) जहां इस अपराध के अधीन कोई अपराध ककसी ककशोर द्वारा ककया गया है िहां
ऐसा ककशोर इस अधधधनयम में यथा उपबंधधत ऐसे जुमाषनों से र्दं डनीय होगा जबकक कोई
2000 का 56 अधभरिक अधभरिा, र्दं डार्दे श ककशोर न्याय अधधधनयम, 2000 के उपबंधों के अधीन
उपांतररत ककया जा सकेगा ।
जुमाषनों का 199ि. इस अधधधनयम में यथा उपबंधधत जुमाषनों को मोटरयान (संशोधन)
पुनरीिण ।
अधधधनयम, 2017 के प्रारं भ की तारीि से प्रत्येक िर्ष के 1 अप्रैि को िावर्षक आधार पर
विद्यमान जुमाषनों के मूल्य से र्दस प्रधतशत से अनधधक की ऐसी रकम तक बढाया जाएगा,
जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधधसूधचत की जाए ।” ।
धारा 200 का 86. मूि अधधधनयम की धारा 200 में,—
संशोधन ।
(i ) उपधनयम (1) में,--
(क) “ धारा 177, धारा 178, धारा 179, धारा 180, धारा 181, धारा 182, धारा
183 की उपधारा (1) या उपधारा (2), हस्तधाररत संसूचना युखक्तयों के उपयोग के
विस्तार तक ही धारा 184, धारा 186, धारा 189, धारा 190 की उपधारा (2), धारा
191, धारा 192, धारा 194, धारा 196 या धारा 198 के अधीन र्दं डनीय” शब्र्दों,
कोष्ठकों और अंकों के स्थान पर, “धारा 177, धारा 178, धारा 179, धारा 180,
धारा 181, धारा 182, धारा 182क की उपधारा (1) या उपधारा (3) या उपधारा (4),
52
धारा 182ि, धारा 183 की उपधारा (1) या उपधारा (2), धारा 184, धारा 186,
धारा 189, धारा 190 की उपधारा (2), धारा 192, धारा 192क, धारा 194, धारा
194क, 194ि, धारा 194ग, धारा 194घ, धारा 194ड., धारा 194च, धारा 196, धारा
198” शब्र्द, कोष्ठक, अंक और अिर अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ।
88. मूि अधधधनयम की धारा 206 में उपधारा (3) के पश्चात ्, धनम्नधिखित उपधारा धारा 206 का
संशोधन ।
अंत:स्थावपत की जाएगी, अथाषत ् :—
“ (4) राज्य सरकार द्वारा इस धनधमत्त प्राधधकृ त कोई पुधिस अधधकारी या अन्य
व्यखक्त, यकर्द उसके पास यह विश्िास करने का कारण है कक मोटर यान के चािक ने
धारा 183, धारा 184, धारा 185, धारा 189, धारा 190, धारा 194ग और धारा 194घ,
धारा 194ड. में से ककसी धारा के अधीन कोई अपराध ककया है तो ऐसे चािक द्वारा धाररत
चािन अनुज्ञखत को जब्त करे गा और उसे धारा 19 के अधीन धनहष रत संबंधी कारष िाकहयों
के धिए अनुज्ञापन प्राधधकारी का अग्रेवर्त करे गा :
परन्तु अनुज्ञखत को जब्त करने िािा व्यखक्त उसके धिए अस्थायी अधभस्िीकृ धत
अनुज्ञखत अभ्यपषण करने िािे व्यखक्त को र्दे गा ककंतु ऐसी अधभस्िीकृ धत धारक को तब
तक चािन करने के धिए प्राधधकृ त नहीं करे गी जब तक कक अनुज्ञखत उसको न िौटा र्दी
गई हो ।” ।
89. मूि अधधधनयम की धारा 210 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धाराएं अंत:स्थावपत की नई धारा 210क,
धारा 210ि,
जाएंगी, अथाषत ् :—
धारा 210ग और
धारा 210घ का
अंत:स्थापन ।
“ 210क. केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार द्वारा बनाई गई शतों के अधीन रहते हुए शाखस्तयों में
िृवद्ध करने की
राजपत्र में अधधसूचना द्वारा इस अधधधनयम के अधीन प्रत्ये क जुमाषने को िागू ककए जाने
राज्य सरकार
िािे, एक से अन्यून और र्दस से अनधधक गुणक को विधनकर्दष ष्ट करे गा, जो ऐसे राज्य में की शखक्त।
प्रिृत्त होगा और विधभन्न गुणक ऐसे मोटर यानों के विधभन्न िगों को िागू ककया जाएगा
जो इस धारा के प्रयोजन के धिए राज्य सरकार द्वारा िगीकृ त ककए जाएं ।” ।
केन्द्रीय सरकार 210ग. केन्द्रीय सरकार धनम्नधिखित के धिए धनयम बना सकेगी—
की धनयम बनाने
की शवक्त । (क) राष्ट्रीय राजमागों के कडजाइन, संधनमाषण और अनुरिण के मानकों ;
(ि) ऐसे अन्य कारकों, खजन पर न्यायािय द्वारा धारा 198क की उपधारा (3)
के अधीन विचार ककया जाए;
(ग) ऐसे ककसी अन्य विर्य, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया गया है
या ककया जाए ।
राज्य सरकार की 210घ. राज्य सरकार राष्ट्रीय राजमागों से धभन्न स़िकों के कडजाइन, संधनमाषण और
धनयम बनाने की
अनुरिण के मानकों के धिए और ऐसे ककसी अन्य विर्य, जो राज्य सरकार द्वारा विकहत
शवक्त ।
ककया गया है या ककया जाए, के धिए धनयम बना सकेगी ।” ।
नई धारा 211क का 90. मूि अधधधनयम की धारा 211 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धारा अंत:स्थावपत की
अंत:स्थापन ।
जाएगी, अथाषत ् :—
54
तब ऐसे परं तुक में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए, ऐसी अपेिा को तब पूरा ककया गया
समझा जाएगा जब यथाखस्थधत ऐसा फाइि ककया जाना, जारी ककया जाना, अनुर्दत्त करना,
प्राखत या संर्दाय ऐसे इिैक्राधनक प्ररूप, जो, यथाखस्थधत, केन्द्रीय सरकार या राज्य
सरकार द्वारा विकहत ककया जाए, के माध्यम से ककया जाता है ।
(क) ऐसी रीधत या रूप विधान, खजसमें ऐसी इिैक्राधनक प्ररूप या र्दस्तािेज
फाइि ककए जाएंगे, सृखजत ककए जाएंगे या जारी ककए जाएंगे ; और
(ि) िंड (क) के अधीन ककसी इिैक्राधनक र्दस्तािेज के फाइि करने, सृखजत
करने या जारी करने के धिए ककसी फीस या प्रभारों के संर्दाय की रीधत या पद्धधत
।” ।
धारा 212 का 91. मूि अधधधनयम की धारा 212 में,—
संशोधन ।
(i ) उपधारा (4) में,—
(क) “धारा 112 की उपधारा (1) के परं तुक” शब्र्दों, कोष्ठकों और अंकों के
पश्चात ्, “धारा 118” शब्र्द और अंक अंत:स्थावपत ककए जाएंगे ;
(ि) “धारा 163क की उपधारा (4)” शब्र्दों, कोष्ठकों और अंकों के स्थान पर,
“धारा 177क” शब्र्द, अंक और अिर रिे जाएंगे ;
92. मूि अधधधनयम की धारा 215 के पश्चात ्, धनम्नधिखित धाराएं अंत:स्थावपत की नई धारा 215क,
धारा 215ि,
जाएंगी, अथाषत ् :—
धारा 215ग और
धारा 215घ का
अंत:स्थापन ।
215क. इस अधधधनयम में अंतविषष्ट ककसी बात के होते हुए भी,— केन्द्रीय सरकार
और राज्य
(क) केन्द्रीय सरकार को ऐसी ककसी शखक्त या कृ त्यों को प्रत्यायोखजत करने सरकार द्वारा
की शखक्त होगी जो ककसी िोक सेिक या िोक प्राधधकारी को प्रर्दत्त ककए गए हैं शखक्तयों के
215ि. (1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधधसूचना द्वारा एक राष्ट्रीय स़िक सुरिा राष्ट्रीय स़िक
सुरिा बोडष ।
बोडष का गठन करे गी, जो एक अध्यि, राज्य सरकारों से उतनी संख्या में प्रधतधनधधयों
और ऐसे अन्य सर्दस्यों से धमिकर बनेगा, खजन्हें िह आिश्यक समझे और उसका गठन
ऐसे धनबंधनों और शतों पर ककया जाएगा, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत की जाएं ।
(2) राष्ट्रीय बोडष , स़िक सुरिा और यातायात प्रबंध से संबंधधत सभी पहिुओं पर,
यथाखस्थधत केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार को सिाह र्दे गा, खजसके अंतगषत
धनम्नधिखित है , ककंतु यह उन तक ही सीधमत नहीं होगी,—
(क) मोटर यानों और सुरिा उपस्कर के कडजाइन, िजन, संधनमाष ण, विधनमाषण
प्रकक्रया, प्रचािन और अनुरिण के मानक;
(ि) मोटर यानों का रखजस्रीकरण और अनुज्ञापन;
(ग) स़िक सुरिा, स़िक अिसंरचना और यातायात के धनयंत्रण के धिए
मानकों की विरचना;
(घ) स़िक पररिहन पाररखस्थतकी प्रणािी के सुरखित और संधारणीय उपयोग
को सुकर बनाना;
(ङ) नई यान प्रौद्योधगकी का संिधषन;
(च) असुरखित स़िक उपयोक्ताओं की सुरिा ;
(छ) चािकों और अन्य स़िक उपयोक्ताओं को धशखित करने और संिेर्दनशीि
बनाने के धिए कायषक्रम ; और
(ज) ऐसे अन्य कृ त्य, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर विकहत ककए
जाएं ।
56
केन्द्रीय सरकार 215ग. (1) केन्द्रीय सरकार को इस अध्याय के उपबंधों को कायाषखन्ित करने के
की धनयम बनाने
प्रयोजनों के धिए धनयम बना सकेगी ।
की शखक्त ।
(2) पूिग
ष ामी शखक्त की व्यापकता पर प्रधतकूि प्रभाि डािे वबना ऐसे धनयमों में
धनम्नधिखित के धिए उपबंध हो सकेगा—
(क) धारा 211क में यथा धनकर्दष ष्ट र्दस्तािेजों को फाइि करने, अनुज्ञखत,
अनुज्ञा, मंजूरी, अनुमोर्दन, पृष्ठांकन और धन की प्राखत का संर्दाय के धिए
इिेक्रोधनक प्ररूपों और साधनों का उपयोग ;
(ि) न्यूनतम अहष ताएं खजन्हें मोटर यान विभाग के अधधकारी या उनका कोई
िगष धारा 213 की उपधारा (4) में यथा धनकर्दष ष्ट उस रूप में धनयुखक्त के धिए
रिने की अपेिा करें गे ; और
(ग) धारा 215ि की उपधारा (1) के अधीन राष्ट्रीय स़िक सुरिा बोडष के
अध्यि और सर्दस्यों की धनयुवक्त के धनबंधन और शतें ;
(घ) धारा 215ि की उपधारा (2) के अधीन राष्ट्रीय स़िक सुरिा बोडष के अन्य
कृ त्य ;
(ङ) कोई ऐसा अन्य विर्य, जो विकहत ककया जाना है या विकहत ककया जाए
खजसके संबंध में केन्द्रीय सरकार द्वारा धनयमों द्वारा उपबंध ककया जाना है ।
राज्य सरकार की 215घ. (1) राज्य सरकार धारा 215ि में, विधनकर्दष ष्ट विर्यों से धभन्न, इस अध्याय
धनयम बनाने की
में उपबंधों को कक्रयाखन्ित करने के प्रयोजनों के धिए धनयम बना सकेगी ।
शखक्त ।
(2) पूिग
ष ामी शखक्त की व्यापकता पर प्रधतकूि प्रभाि डािे वबना, ऐसे धनयमों में
धनम्नधिखित के धिए उपबंध हो सकेगा—
(क) धारा 211क में यथा धनकर्दष ष्ट र्दस्तािेजों को फाइि करने, अनुज्ञखत,
अनुज्ञा, मंजूरी, अनुमोर्दन, पृष्ठांकन और धन की प्राखत का संर्दाय के धिए
इिेक्रोधनक प्ररूपों और साधनों का उपयोग ;
(ग) ऐसी अन्य शखक्तयां जो धारा 213 की उपधारा (5) में िंड (च) में यथा
विधनकर्दष ष्ट मोटर यान विभाग के अधधकाररयों द्वारा प्रयोग की जा सकेंगी ।
(घ) कोई ऐसा अन्य विर्य, जो विकहत ककया जाना है , खजसके संबंध में राज्य
सरकार द्वारा धनयम बनाया जाना है ।” ।
2. अधधधनयम को स़िक पररिहन, यात्री और ढु िाई संचिन तथा मोटर यान प्रबंधन
में होने िािे प्रौद्योधगकीय उन्नयन को अंगीकार करने के धिए अनेक बार संशोधधत ककया
गया था । तेजी से बढते हुए मोटरीकरण के साथ, भारत स़िक यातायात िधतयों और
अपमृत्यु के बढते हुए भार का सामना कर रहा है । कुटु ं ब, जो अपने जीविका अखजषत करने
िािे व्यखक्त को िोता है , को काररत भािनात्मक और सामाखजक संघात को मापा नहीं जा
सकता है । भारत ब्राजीधिया घोर्णा का हस्तािरकताष है और िह िर्ष 2020 तक स़िक
र्दघ
ु ट
ष नाओं से अपमृत्यु को पचास प्रधतशत तक कम करने के धिए प्रधतबद्ध है । स़िक
पररिहन िेत्र, र्दे श की अथषव्यिस्था में भी मुख्य भूधमका का धनिाषह करता है ।
3. स़िक र्दघ
ु ट
ष नाओं में िृवद्ध, चािन अनुज्ञखतयों को जारी करने में वििंब, रै कफक
धनयमों और विधनयमों, आकर्द की अिहे िना के कारणों को प्रोद्धररत करते हुए मंत्रािय में
विधभन्न पणधाररयों से धशकायतों और सुझािों के रूप में अनेक अभ्यािेर्दन और धसफाररशें
प्रात हुई हैं । इसधिए, स़िक सुरिा और पररिहन प्रणािी में सुधार करने के धिए मोटर
यान अधधधनयम, 1988 में तुरंत कधतपय संशोधन करने की आिश्यकता है ताकक पररिहन
िेत्र में सुरिा और र्दिता के मुद्दों का समाधान ककया जा सके ।
(ि) र्दघ
ु ट
ष ना पीक़ितों और उनके कुटु ं बों को तुरंत सहायता उपिब्ध कराने के
धिए सरि उपबंधों के साथ बीमा के विद्यमान उपबंधों को प्रधतस्थावपत करने के
धिए ;
57
58
िंड 1—"मोटर यान (संशोधन) अधधधनयम, 2019" के रूप में विधेयक के संखित नाम
का उपबंध करता है और ऐसी तारीि, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विधभन्न राज्यों के धिए
अधधसूधचत की जाए और विधभन्न तारीिें, जो विधेयक के विधभन्न उपबंधों के धिए धनयत की
जाएं, से विधेयक के उपबंधों के प्रारं भ का उपबंध करने के धिए है ।
िंड 2—अधधधनयम में प्रयुक्त कधतपय पर्दों, जैसे 'मध्यिती यात्री मोटर यान', 'मोटरकार'
और 'भार', की पररभार्ाओं से संबंधधत मोटर यान अधधधनयम, 1988 (अधधधनयम) की धारा 2
का संशोधन करने के धिए और धारा 2 में कुछ नई पररभार्ाएं, 'रूपांतररत यान', 'समूहक',
'समुर्दाय सेिा', 'चािक पुनश्चयाष प्रधशिण पाठ्यक्रम', 'स्िखणषम घंटा', 'स्कीम' और 'परीिण
अधभकरण' अंत:स्थावपत करने के धिए है ।
िंड 6—अधधधनयम की धारा 10 का संशोधन करने के धिए है खजससे 'अशक्त यात्री गा़िी'
पर्द के स्थान पर, 'रूपांतररत यान' पर्द रिा जाएगा ।
59
60
िंड 12—अधधधनयम में एक नई धारा 25क अंत:स्थावपत करने के धिए है खजससे चािन
अनुज्ञखतयों का राष्रीय रखजस्टर की स्थापना की जा सके खजसमें संपूणष भारत में जारी की गई
सभी चािन अनुज्ञखतयों संबंधी आंक़िे अंतविषष्ट हों और पारर्दशी तथा र्दि रीधत में अनुज्ञखतयों
का प्रर्दान ककया जाना सुकर बनाया जा सके । िंड केंद्रीय सरकार के चािन अनुज्ञखतयों का
राज्य रखजस्टर में अंतविषष्ट सभी सूचनाओं का पारे वर्त करने के धिए और केंद्रीय सरकार द्वारा
विकहत की जाने िािी रीधत में राष्रीय रखजस्टर को अद्यतन करने के धिए राज्य सरकारों को
समथष बनाने के धिए भी है । िंड सभी राज्य रखजस्टरों को केंद्रीय अधधसूधचत की जाने िािी
तारीि तक राष्रीय रखजस्टर में सखम्मधित करने के धिए भी है ।
मोटर यानों और उनकी अिधध के अंत में मोटर यान पुजों के पुन:चक्रण के धिए धनयम बनाने
हे तु समथष बनाया जा सके ।
िंड 25—अधधधनयम में नए उपबंध, अथाषत ् धारा 62क और धारा 62ि अंत:स्थावपत
करने के धिए है । धारा 62क आकार से ब़िे यानों के रखजस्रीकरण और ऐसे यानों के
उपयुक्तता प्रमाणपत्र जारी करने को प्रधतवर्द्ध करने के धिए है । धारा 62ि मोटर यानों का
राष्रीय रखजस्टर स्थावपत करने के धिए है खजसमें संपूणष भारत में रखजस्रीकृ त सभी मोटर यानों
के आंक़िे रिे जाएंगे । िंड यह भी उपबंध करता है कक कोई रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र तब तक
जारी या निीकृ त नहीं ककया जाएगा जब तक उसे राष्रीय रखजस्टर के अधीन एक विधशष्ट
रखजस्रीकरण संख्या जारी न कर र्दी गई हो । यह राज्य सरकारों को, मोटर यानों के राज्य
रखजस्टर में अंतविषष्ट सभी सूचना और डाटा को राष्रीय रखजस्टर में पारे वर्त करने और राष्रीय
रखजस्टर को ऐसे धनयमों के अनुसार, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए, अद्यतन करने
के धिए समथष बनाने के धिए भी है ।
िंड 30—अधधधनयम में नए उपबंध, अथाषत ् धारा 66क और धारा 66ि अंत:स्थावपत
करने के धिए है । धारा 66क केंद्रीय सरकार को राष्रीय पररिहन नीधत को विकधसत करने और
कायाषखन्ित करने को सशक्त बनाने के धिए है । धारा 66ि यह उपबंध करने के धिए है कक
परधमट धारक अधधधनयम के अध्याय 5 के उपबंधों के अधीन ककए गए माि और यावत्रयों के
पररिहन के धिए स्कीम के अधीन अनुज्ञखत के धिए आिेर्दन करने से न तो धनरकहष त होंगे और
न ही ऐसे परधमट धारक से ऐसी अनुज्ञखत जारी ककए जाने पर परधमट िौटाने की अपेिा की
जाएगी ।
िंड 33—अंधतम स्थान संपकष समाधानों का संिधषन करने के धिए कंटै क्ट कैररज के धिए
ककसी परधमट की शतष का अधधत्यजन करने के धिए प्रार्दे धशक पररिहन प्राधधकारी को सशक्त
करने हे तु अधधधनयम की धारा 74 का संशोधन करने के धिए है । िंड परधमटों के जारी करने
में अधधमानों के माध्यम से स्िाििंबन योग्य समूहों के सशक्तीकरण को सुकर बनाने के धिए
भी है ।
िंड 34—अधधधनयम में एक नई धारा 88क अंत:स्थावपत करने के धिए है खजससे केंद्रीय
सरकार को परधमटों को उपांतररत करने और माि या यावत्रयों के अंतराषज्य पररिहन के धिए
स्कीमें बनाने हे तु सशक्त ककया जा सके ।
िंड 36—पररिहन समूहक को कानूनी मान्यता प्रर्दान करने के धिए अधधधनयम की धारा
93 का संशोधन करने के धिए है ।
िंड 40—अधधधनयम में नए उपबंधों अथाषत ् धारा 110क और धारा 110ि के अंत:स्थापन
के धिए है , जो केंद्रीय सरकार को ऐसे यानों को िापस बुिाने के धिए सशक्त करती है , जो
मानकों को पूरा नहीं करते हैं और साथ ही िह इस धनधमत्त धनयम बनाने के धिए भी सशक्त
करती है । धारा 110ि ककस्म--अनुमोर्दन प्रमाणपत्र जारी ककए जाने और मोटर यानों के
परीिण के धिए परीिण अधभकरणों को स्थावपत अनुिवृ द्ध, रखजस्रीकरण और विधनयमन करने
के धिए तथा केंद्रीय सरकार द्वारा इस धनधमत्त धनयम बनाए जाने के धिए उपबंध करने के
64
धिए है ।
िंड 41—अधधधनयम की धारा 114 का संशोधन करने के धिए है खजससे राज्य सरकारों
को इस धारा के उपबंधों को प्रितषन अधभकरण के रूप में ककसी व्यवक्त को पर्दाधभकहत करने के
धिए समथष बनाया जा सके ।
िंड 42—अधधधनयम की धारा 116 का संशोधन करने के धिए है खजससे भारतीय राष्रीय
राजमागष प्राधधकरण को राजमागष के धिए संधनमाषण यातायात संकेतों को या कें द्रीय सरकार द्वारा
प्राधधकृ त ककसी अन्य अधभकरण को समथष बनाने के उद्दे श्य और इस प्रयोजन के धिए भारतीय
राष्ट्रीय राजमागष प्राधधकरण या राज्य सरकार के प्राधधकरणों से सहायता प्राप्त करने के धिए
केंद्रीय सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त ककसी अन्य प्राधधकरण को समथष बनाया जा सके ।
िंड 45—नेक व्यवक्तयों की संरिा के धिए अधधधनयम में नई धारा 134क अंत:स्थावपत
करने के धिए है ।
िंड 46—अधधधनयम की धारा 135 का संशोधन करने के धिए है खजससे राज्य सरकारों
को ऐसी ककन्हीं सुविधाओं के धिए, खजन्हें िे जनता के कहत में उधचत समझती हैं , स्कीमें बनाने
के धिए सशक्त करती है । यह केंद्रीय सरकार को भी स़िक र्दघ
ु ट
ष नाओं के कारणों का गहन
अध्ययन और विश्िेर्ण के धिए स्कीमें बनाने हे तु सशक्त करती हैं ।
िंड 47—अधधधनयम में नई धारा 136क अंत:स्थावपत करने के धिए है खजससे स़िक
सुरिा की इिैक्राधनक मानीटरी और प्रितषन को अनुज्ञात ककया जा सके ।
िंड 49—अधधधनयम की धारा 138 का संशोधन करने के धिए है खजससे राज्यों को पैर्दि
चिने िािे व्यखक्तयों और गैर-मोटरीकृ त यानो का विधनयधमत करने के धिए सशक्त करने के
उद्दे श्य से और चूंकक राष्ट्रीय राजमागष की र्दशा में भारतीय राष्ट्रीय राजमागष प्राधधकरण के परामशष
से विरधचत ककया जा सके ।
िंड 55—अधधधनयम की धारा 169 का संशोधन करने के धिए है खजससे र्दािा अधधकरणों
को, उसके द्वारा पाररत ककसी कडक्री के धनष्पार्दन के संबध
ं में ककसी धसविि न्यायािय की
शखक्तयां प्रर्दान की जा सकें ।
िंड 57—अधधधनयम की धारा 173 का संशोधन करने के धिए है खजससे र्दािा अधधकरण
के विधनश्चय के विरुद्ध उच न्यायािय द्वारा सुनी जाने िािी ककसी अपीि के धिए अपेखित
वििाकर्दत रकम में िृवद्ध की जा सके ।
िंड 59—अधधधनयम में नई धारा 177क को अंत:स्थावपत करने के धिए है खजससे स़िक
विधनयमों और अधधधनयम की धारा 118 के अधीन बनाए गए अन्य विधनयमों के उपबंधों के
उल्िंघन के धिए शाखस्तयों हे तु उपबंध ककया जा सके ।
िंड 60—अधधधनयम की धारा 178 की उपधारा (3) के िंड (ि) का संशोधन करने के
धिए है जो वबना पास या कटकट आकर्द के यात्रा करने हे तु शाखस्तयों में िृवद्ध के संबंध में है ,
खजसे इसमें इस प्रकार की आखस्त को र्दो हजार रुपए से बढाकर पांच हजार रुपए की जा
सके ।
िंड 61—अधधधनयम की धारा 179 का संशोधन करने के धिए है खजससे आर्दे शों की
अिज्ञा, उसमें बाधा डािने आकर्द के धिए शाखस्तयों में िृवद्ध की जा सके ।
धारा 3 और 4 के उल्िंघन में यानों का चािन करने के धिए शाखस्त में िृवद्ध करता है ।
िंड 65—अधधधनयम की धारा 182क का संशोधन करने के धिए है खजससे मोटर यान के
विधनमाषताओं, आयातकताषओं, व्यौहाररयों और स्िाधमयों द्वारा अधधधनयम के अध्याय 7 के उपबंधों
के उल्िंघन के धिए शाखस्तयों में िृवद्ध की जा सके । यह िंड अधधधनयम में एक नई धारा
182ि को अंत:स्थावपत करने का प्रस्ताि करता है खजससे ब़िे आकार िािे यानों के
रखजस्रीकरण और उन्हें उपयुक्तता प्रमाणपत्र जारी करने के धिए धारा 62क के उल्िंघन के
धिए शाखस्त का पता िगाया जा सके ।
िंड 66—अधधधनयम की धारा 183 का संशोधन करने के धिए है खजससे अत्यधधक गधत
से यान चिाने के धिए शाखस्तयों में िृवद्ध की जा सके और मोटर यानों के धभन्न--धभन्न िगों
के धिए धभन्न--धभन्न शाखस्तयों का उपबंध ककया जा सके ।
िंड 69—अधधधनयम की धारा 186 का संशोधन करने के धिए है खजससे उस समय यान
का चािन करने के धिए शाखस्तयों में िृवद्ध की जा सके, जब मानधसक या शारीररक रूप से
चािन करने के धिए उपयुक्त न हों ।
िंड 71—अधधधनयम की धारा 189 का संशोधन करने के धिए है खजससे यानों की र्दौ़ि
िगाने और गधत की परीिा के धिए शाखस्तयों में िृवद्ध की जा सके ।
यथाखस्थधत, ककसी स्िामी या व्यौहारी पर, रखजस्रीकरण के धिए आिेर्दन करने में असफि रहने
और तथ्यों या र्दस्तािेजों के धमथ्या व्यपर्दे शन के धिए शाखस्त अधधरोवपत करने का उपबंध
करती है ।
िंड 78—अधधधनयम की धारा 194 का संशोधन करने के धिए है ताकक अनुज्ञेय भार से
अधधक के यानों को चिाने के धिए शाखस्तयों को बढाया जा सके । यह ये भी उपबंध करने के
धिए है कक ककसी मोटर यान को अधधक भार को हटाए जाने से पूिष चिाने के धिए अनुज्ञात
नहीं ककया जाएगा ।
िंड 79—अधधधनयम में नई धारा 194क, धारा 194ि, धारा 194ग, धारा 194घ, धारा
194ङ और धारा 194च अंत:स्थावपत करने के धिए है । धारा 194क रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र में
प्राधधकृ त यावत्रयों से अधधक के िहन के धिए शाखस्त अधधरोवपत करती है । धारा 194ि सुरिा
बेल्ट को न पहनने िािे व्यखक्तयों पर और बािकों को सुरखित रीधत में न बढाने पर शाखस्त
अधधरोवपत करती है । धारा 194ग ककसी मोटर साइककि पर चािक सकहत र्दो से अधधक
व्यखक्तयों के िहन पर शाखस्त अधधरोवपत करती है । िंड 194घ मोटर साइककि चिाते समय
या उसकी सिारी करते समय धसर का सुरिा पहनािा नहीं पहनने िािे व्यखक्तयों पर शाखस्त
अधधरोवपत करती है । धारा 194ङ ककसी आपात खस्थधत यान को रास्ता प्रर्दान करने के धिए
स़िक के एक तरफ होने में असफिता के धिए शाखस्त अधधरोवपत करती है । धारा 194च ककसी
मोटर यान को चिाते समय अनािश्यक रूप से या सन्नाटा िेत्रों में हानष बजाने के धिए शाखस्त
अधधरोवपत करती है ।
िंड 80—ककसी अपराधी द्वारा जुमाषना अधधरोवपत करने में वििेकाधधकार का उन्मू िन
करने के धिए अधधधनयम की धारा 195 का िोप करने के धिए है ।
िंड 81—ककसी ऐसे मोटर यान को, खजसका बीमा नहीं है , चिाने के धिए शाखस्तयों को
बढाने के धिए अधधधनयम की धारा 196 का संशोधन करने के धिए है ।
िंड 82—वबना प्राधधकार के ककसी मोटर यान को िेने के धिए शाखस्तयों को बढाने के
धिए अधधधनयम की धारा 197 का संशोधन करने के धिए है ।
िंड 83—ककसी मोटर यान के साथ अप्राधधकृ त छे ़िछा़ि करने के धिए शाखस्तयों को बढाने
के धिए अधधधनयम की धारा 198 का संशोधन करने के धिए है ।
िंड 85—नया उपबंध अथाषत ् धारा 199क और धारा 199ि के अंत:स्थापन के धिए है
खजससे कक ककसी ककशोर या ककशोर के र्दाधयत्ि द्वारा की गई सुपुर्दषगी को इस अधधधनयम के
अधीन काररत ककसी अपराध के धिए, यथाखस्थधत, यान के अधभरिक या स्िामी के र्दाधयत्ि के
धिए उपबंध ककया जा सके । धारा 199ि जुमाषने के पुनविषिोकन का उपबंध करने के धिए
अंत:स्थावपत की गई है ।
68
िंड 87—यातायात के धनबाषध प्रिाह में बाधा काररत करने के धिए शाखस्तयों को बढाने के
धिए अधधधनयम की धारा 201 का संशोधन करने के धिए है ।
िंड 89—अधधधनयम में नई धारा 210क, धारा 210ि, धारा 210ग और धारा 210घ
अंत:स्थावपत करने के धिए है । धारा 210क राज्य सरकारों को विधभन्न जुमाषनों को विधभन्न
बहुगुणक िागू करने के धिए सशक्त करती है और ऐसे बहुगुणक मोटर यानों के विधभन्न िगों
के धिए विधभन्न हो सकेंगे । धारा 210ि अधधधनयम में अन्यथा उपबंधधत जुमाषने के र्दग
ु ने को
अधधरोवपत करने के धिए है जहां कोई अपराध ऐसे व्यखक्त द्वारा ककया जाता है , खजसे
अधधधनयम को प्रिृत्त करना सौंपा गया है । धारा 210ग केंद्रीय सरकार की धनयम बनाने की
शखक्त का उपबंध करती है । धारा 210घ राज्य सरकार की धनयम बनाने की शखक्त का उपबंध
करती है ।
िंड 92—अधधधनयम में नई धारा 215क, धारा 215ि, धारा 215ग और धारा 215घ
अंत:स्थावपत करने के धिए है । धारा 215क केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों को ककसी
शखक्त या कृ त्य को ककसी व्यखक्त या समूह को प्रत्यायोखजत करने और ऐसे व्यखक्त या समूह
को अधधधनयम के अधीन प्रर्दत्त ककसी शखक्त, कृ त्यों या कतषव्यों का धनिषहन करने के धिए
समथष बनाती है । धारा 215ि इस अध्याय के अधीन केंद्रीय सरकार को अनुर्दत्त धनयम बनाने
की शखक्तयों को प्रगखणत करती है । धारा 215ग, अध्याय 14 के अधीन केंद्रीय सरकार को
अनुर्दत्त धनयम बनाने की शखक्तयों को प्रगखणत करती है । धारा 215घ, अध्याय 14 के अधीन
राज्य सरकार को अनुर्दत्त धनयम बनाने की शखक्तयों को प्रगखणत करती है ।
4. विधेयक में भारत की संधचत धनधध से आिती या अनािती प्रकृ धत का कोई अन्य
व्यय अंतिषधित नहीं है ।
69
प्रत्यायोखजत विधान के बारे में ज्ञापन
70
71
(1) इस अधधधनयम के ककसी उपबंध के संबंध में “िेत्र” से ऐसा िेत्र अधभप्रेत है
खजसे राज्य सरकार, उस उपबंध की अपेिाओं को ध्यान में रिते हुए, राजपत्र में
अधधसूचना द्वारा, विधनकर्दष ष्ट करे ;
* * * * *
(18) “अशक्त यात्री गा़िी” से ऐसा मोटर यान अधभप्रेत है जो ककसी शारीररक
िराबी या धनःशक्तता पीक़ित ककसी व्यखक्त के उपयोग के धिए विशेर् रूप से
पररकखल्पत तथा धनधमषत है , केिि अनुकूधित नही है , और खजसका उपयोग ऐसे
व्यखक्त द्वारा या उसके धिए ही ककया जाता है ;
* * * * *
(24) “मध्यम यात्री मोटर यान” से ऐसा कोई िोक सेिा यान या प्राइिेट सेिा
यान या धशिा संस्था बस अधभप्रेत है जो मोटर साइककि, अशक्त यात्री गा़िी, हल्का
मोटर यान या भारी यात्री मोटर यान से धभन्न है ;
* * * * *
(26) “मोटर कार” से पररिहन यान, बस, रोङ-रोिर, रै क्टर, मोटर साइककि या
अशक्त यात्री गा़िी से धभन्न कोई मोटर यान अधभप्रेत है ;
(49) “भार” से यान के पकहयों द्वारा उस भू-ति पर, खजस पर िह यान कटका
हुआ है उस समय संचाररत ककया जाने िािा कुि भार अधभप्रेत है ।
* * * * *
8. (1) कोई व्यखक्त, जो धारा 4 के अधीन मोटर यान चिाने के धिए धनरकहष त नहीं है धशिाथी अनुज्ञखत
का कर्दया जाना ।
और जो उस समय चािन अनुज्ञखत धारण करने या अधभप्रात करने के धिए धनर््कहत
नहीं है , धारा 7 के उपबंधों के अधीन रहते हुए धशिाथी अनुज्ञखत कर्दए जाने के धिए उस
अनुज्ञापन प्राधधकारी को आिेर्दन कर सकेगा खजसकी अधधकाररता ऐसे िेत्र पर है —
(ii) खजसमें धारा 12 में धनकर्दष ष्ट िह विद्यािय या स्थापन खस्थत है जहां िह
मोटर यान चिाना सीिना चाहता है ।
(2) उपधारा (1) के अधीन प्रत्येक आिेर्दन ऐसे प्ररूप में होगा और उसके साथ ऐसे
र्दस्तािेज होंगे तथा ऐसी फीस होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत की जाए ।
(3) उपधारा (1) के अधीन प्रत्येक आिेर्दन के साथ धचककत्सा प्रमाणपत्र ऐसे प्ररूप में
संिग्न होगा, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए और उस पर ऐसे रखजस्रीकृ त
धचककत्सा व्यिसायी द्वारा हस्तािर ककए जाएंग,े खजसे राज्य सरकार या राज्य सरकार द्वारा
72
73
इस धनधमत्त प्राधधकृ त कोई व्यखक्त, राजपत्र में अधधसूचना द्वारा, इस प्रयोजन के धिए
धनयुक्त करे :
परन्तु ककसी पररिहन यान से धभन्न ककसी यान को चिाने की अनुज्ञखत के धिए
ऐसा धचककत्सा-प्रमाणपत्र अपेखित नहीं है ।
(4) यकर्द आिेर्दन से या उपधारा (3) में धनकर्दष ष्ट धचककत्सा-प्रमाणपत्र से यह प्रतीत
होता है कक आिेर्दक ककसी ऐसे रोग या ऐसी धनःशक्तता से ग्रस्त है खजससे उसके द्वारा उस
िगष के मोटर यान का चिाया जाना खजसे चिाने के धिए िह उस धशिाथी चािन अनुज्ञखत
द्वारा, खजसके धिए आिेर्दन ककया गया है , प्राधधकृ त हो जाएगा, जनता या यावत्रयों के धिए
ितरनाक हो सकता है तो अनुज्ञापन प्राधधकारी धशिाथी चािन अनुज्ञखत र्दे ने से इं कार कर
र्दे गा :
परन्तु यकर्द अनुज्ञापन प्राधधकारी का समाधान हो जाता है कक आिेर्दक अशक्त यात्री
गा़िी चिाने के धिए ठीक हाित में है तो आिेर्दक को अशक्त यात्री गा़िी चिाने तक
सीधमत धशिाथी अनुज्ञखत र्दी जा सकेगी ।
(5) ककसी भी आिेर्दक को कोई धशिाथी अनुज्ञखत तक तक नहीं र्दी जाएगी जब तक
िह अनुज्ञापन प्राधधकारी के समाधानप्रर्द रूप में ऐसे परीिण में उत्तीणष नहीं हो जाता, जो
केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया जाए ।
* * * * *
चािन-अनुज्ञखत 9. (1) कोई व्यखक्त, जो उस समय चािन-अनुज्ञखत धारण करने या अधभप्रात करने
का कर्दया जाना ।
के धिए धनरकहष त नहीं है , उसको चािन-अनुज्ञखत कर्दए जाने के धिए उस अनुज्ञापन
प्राधधकारी को आिेर्दन कर सकेगा खजसकी अधधकाररता ऐसे िेत्र पर है —
* * * * *
(3) यकर्द आिेर्दक ऐसे परीिण में उत्तीणष हो जाता है , जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत
ककया जाए तो उसे चािन अनुज्ञखत र्दी जाएगी :
परन्तु ऐसा परीिण िहां आिश्यक नहीं होगा जहां आिेर्दक यह र्दधशषत करने के धिए
सबूत प्रस्तुत कर र्दे ता है कक—
(क) (i) आिेर्दक के पास ऐसे िगष के यान को चिाने के धिए पहिे भी
अनुज्ञखत थी और उस अनुज्ञखत की समाखत की तारीि तथा ऐसे आिेर्दन की तारीि
के बीच की अिधध पांच िर्ष से अधधक नहीं है , या
(ii) आिेर्दक के पास ऐसे िगष के यान को चिाने के धिए धारा 18 के अधीन र्दी
गई चािन-अनुज्ञखत है या पहिे भी थी, या
(iii) आिेर्दक के पास भारत के बाहर ककसी र्दे श के सिम प्राधधकारी द्वारा ऐसे
िगष के यान को चिाने के धिए इस शतष के अधीन र्दी गई चािन-अनुज्ञखत है कक
आिेर्दक धारा 8 की उपधारा (3) के उपबंधों का पािन करता है ,
(ि) आिेर्दक ऐसी ककसी धनःशक्तता से ग्रस्त नहीं है खजससे उसके द्वारा यान
का चिाया जाना चनता के धिए ितरनाक हो सकता है ; और अनुज्ञापन प्राधधकारी
उस प्रयोजन के धिए आिेर्दक से उसी प्ररूप और उसी रीधत से, जो धारा 8 की उपधारा
(3) में धनकर्दष ष्ट है , एक धचककत्सा-प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की अपेिा कर सकेगा :
74
परन्तु यह और कक जहां आिेर्दन मोटर यान को (जो पररिहन यान नहीं है ) चिाने के
धिए चािन अनुज्ञखत के धिए है िहां अनुज्ञापन प्राधधकारी आिेर्दक को इस उपधारा के
अधीन विकहत यान को चिाने के धिए सिमता परीिण से छूट र्दे सकेगा, यकर्द आिेर्दक के
पास राज्य सरकार द्वारा इस धनधमत्त मान्यताप्रात ककसी संस्था द्वारा कर्दया गया चािन
प्रमाणपत्र है ।
(4) जहां आिेर्दन ककसी पररिहन यान को चिाने की अनुज्ञखत के धिए है , िहां ककसी
आिेर्दक को तब तक प्राधधकृ त नहीं ककया जाएगा जब तक कक उसके पास ऐसी न्यूनतम
शैखिक अहष ताएं, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत की जाए, और धारा 12 में धनकर्दष ष्ट ककसी
विद्यािय या स्थापन द्वारा कर्दया गया कोई चािन-प्रमाणपत्र न हो ।
(5) जहां आिेर्दक परीिण उत्तीणष नहीं करता है िहां उस सात कर्दन की अिधध के
पश्चात ् परीिण पुनः र्दे ने की अनुज्ञा र्दी जा सकेगी :
परन्तु जहां आिेर्दक तीन बार परीिण र्दे ने के पश्चात ् भी उस उत्तीणष नहीं करता है तो
िह ऐसे अंधतम परीिण की तारीि से साठ कर्दन की अिधध की समाखत के पूिष ऐसा
परीिण पुनः र्दे ने के धिए अकहष त नहीं होगा ।
* * * * *
10. (1) * * * * चािन-अनुज्ञखत
का प्ररूप और
(2) यथाखस्थधत, धशिाथी अनुज्ञखत या चािन-अनुज्ञखत में यह भी अधभव्यक्त ककया अंतिषस्तु ।
गया होगा कक धारक धनम्नधिखित िगों में से एक या अधधक िगष का मोटर यान चिाने का
हकर्दार है , अथाषत ् :—
* * * * *
(ग) अशक्त यात्री गा़िी ;
* * * * *
11. (1) ककसी िगष या िणषन के मोटर यानों को चिाने की चािन-अनुज्ञखत धारण चािन-अनुज्ञखत
में पररिधषन ।
करने िािा कोई व्यखक्त, जो ककसी अन्य िगष या िणषन के मोटर यानों को चिाने के धिए
चािन-अनुज्ञखत को धारण या अधभप्रात करने के धिए तत्समय धनरकहष त नहीं है , उस
अनुज्ञखत में ऐसे अन्य िगष या िणषन के मोटर यानों को जो़ि र्दे ने के धिए उस अनुज्ञापन
प्राधधकारी को खजसकी उस िेत्र पर अधधकाररता है खजसमें िह धनिास करता है या अपना
कारबार चिाता है , ऐसे प्ररूप में और ऐसे र्दस्तािेजों सकहत तथा ऐसी फीस के साथ, जो
केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत की जाए, आिेर्दन कर सकेगा ।
* * * * *
14. (1) * * * * मोटर यानों का
चिाने की
(2) इस अधधधनयम के अधीन र्दी गई निीकृ त चािन-अनुज्ञखत,— अनुज्ञखतयों का
(क) पररिहन यान को चिाने की अनुज्ञखत की र्दशा में, तीन िर्ष की अिधध चािू रहना ।
तक प्रभािी रहे गी :
परन्तु ितरनाक या पररसंकटमय प्रकृ धत के माि को िे जाने िािे पररिहन यान
को चिाने की अनुज्ञखत की र्दशा में, िह एक िर्ष की अिधध के धिए प्रभािी रहे गी
और उसका निीकरण इस शतष के अधीन होगा कक चािक विकहत पाठ्य वििरण का
75
परन्तु ऐसी र्दशा में, खजसमें कक चािन-अनुज्ञखत के निीकरण के धिए आिेर्दन उसकी
समाखत की तारीि से तीस कर्दन के पश्चात ् ककया गया है , चािन-अनुज्ञखत उसके निीकरण
की तारीि से निीकृ त की जाएगी :
* * * * *
परं तु उपधारा (3) में धनकर्दष ष्ट फीस, इस उपधारा के अधीन चािन-अनुज्ञखत के
निीकरण के धिए ककए गए आिेर्दन की बाबत अनुज्ञापन प्राधधकारी द्वारा तभी स्िीकार की
जा सकेगी जब उसका यह समाधान हो जाता है कक आिेर्दक उपधारा (3) में विधनकर्दष ष्ट
समय के भीतर उधचत और पयाषत कारण से आिेर्दन नहीं कर पाया था :
* * * * *
19. (1) * * * * अनुज्ञापन
प्राधधकारी की,
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन कोई आर्दे श ककया जाता है िहां चािन-अनुज्ञखत का चािन-अनुज्ञखत
धारक, यकर्द चािन-अनुज्ञखत का पहिे ही अभ्यपषण नहीं कर कर्दया गया है तो अपनी धारण करने से
चािन-अनुज्ञखत उस अनुज्ञापन प्राधधकारी को तुरन्त अभ्यवपषत कर र्दे गा खजसने िह आर्दे श धनरकहष त करने या
उसे प्रधतसंहृत
कर्दया है तथा अनुज्ञापन प्राधधकारी—
करने की शखक्त ।
* * * * *
परन्तु जहां चािन-अनुज्ञखत ककसी व्यखक्त को एक से अधधक िगष या िणषन के मोटर
यान चिाने के धिए प्राधधकृ त करती है और उपधारा (1) के अधीन कर्दया गया आर्दे श उसे
ककसी विधनकर्दष ष्ट िगष या िणषन के मोटर यान चिाने से धनरहष करता है िहां अनुज्ञापन
प्राधधकारी चािन-अनुज्ञखत पर धनरहष ता पृष्ठांककत करे गा और उसे धारक को िौटा र्दे गा ।
* * * * *
26. (1) प्रत्येक राज्य सरकार ऐसे प्ररूप में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककया राज्य चािान-
अनुज्ञखत
जाए, राज्य सरकार के अकुिायन प्राधधकाररयों द्वारा र्दी गई और निीकृ त चािन-अनुज्ञखतयों
रखजस्टरों को रिा
की बाबत एक रखजस्टर रिेगी जो राज्य चािन-अनुज्ञखत रखजस्टर के रूप में ज्ञात होगा जाना ।
और उसमें धनम्नधिखित विधशखष्टयां अन्तविषष्ट होंगी, अथाषत ् :—
(क) चािन-अनुज्ञखतयों के धारकों के नाम और पते ;
(ि) अनुज्ञखत संख्यांक ;
(ग) अनुज्ञखतयों के कर्दए जाने या निीकरण की तारीि ।
(घ) अनुज्ञखतयों की समाखत की तारीि ;
(ङ) यानों के िगष और प्रकार जो चिाए जाने के धिए प्राधधकृ त ककए गए हैं ;
और
(च) ऐसी अन्य विधशखष्टयां, जो केन्द्रीय सरकार विकहत करे ।
(2) प्रत्येक राज्य सरकार, राज्य चािन-अनुज्ञखत रखजस्टर की मुकद्रत प्रधत या ऐसे
अन्य प्ररूप में प्रधत, खजसकी केन्द्रीय सरकार अपेिा करे ] केन्द्रीय सरकार को प्रर्दत्त करे गी
और ऐसे रखजस्टर में समय-समय पर ककए गए सभी पररितषनों और अन्य संशोधनों के बारे
में अवििंब केंद्रीय सरकार को सूधचत करे गी ।
(3) राज्य चािन-अनुज्ञखत रखजस्टर ऐसी रीधत में रिा जाएगा जो राज्य सरकार द्वारा
77
विकहत की जाए ।
* * * * *
केन्द्रीय सरकार की 27. केन्द्रीय सरकार, धनम्नधिखित की बाबत धनयम बना सकेगी—
धनयम बनाने की
* * * * *
शखक्त ।
(त) धारा 26 की उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट सभी या ककन्हीं विर्यों का उपबंध
करना ;
(11) यकर्द स्िामी, यथाखस्थधत, उपधारा (1) या उपधारा (8) के अधीन आिेर्दन विकहत
78
परन्तु धारा 177 के अधीन कारष िाई स्िामी के विरुद्ध तब की जाएगी जब स्िामी उक्त
रकम का संर्दाय करने में असफि रहा हो ।
(12) जहां स्िामी ने उपधारा (11) के अधीन रकम का संर्दाय कर कर्दया हो, िहां धारा
177 के अधीन कोई कारष िाई उसके विरुद्ध नहीं की जाएगी ।
(13) उपधारा (11) के प्रयोजनों के धिए, राज्य सरकार उपधारा (1) या उपधारा (6)
के अधीन आिेर्दन करने में स्िामी की ओर से हुए वििंब की अिधध को ध्यान में रिते हुए
धभन्न-धभन्न रकमें विकहत कर सकेगी ।
* * * * *
43. (1) धारा 40 में ककसी बात के होते हुए भी, ककसी मोटर यान का स्िामी विकहत अस्थायी
रखजस्रीकरण ।
रीधत से यान को अस्थायी रूप में रखजस्टर कराने के धिए और विकहत रीधत से अस्थायी
रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र और अस्थायी रखजस्रीकरण धचह्न कर्दए जाने के धिए ककसी
रखजस्रीकताष प्राधधकारी अथिा अन्य विकहत प्राधधकारी को आिेर्दन कर सकेगा ।
परन्तु जहां इस प्रकार रखजस्रीकृ त कोई मोटर यान चेधसस है खजसमें कोई बाडी नहीं
िगाई गई है और खजसमें बाडी िगाने के धिए या स्िामी के धनयंत्रण के बाहर अकखल्पत
पररखस्थधतयों में उसे कमषशािा में एक मास की उक्त अिधध से आगे रिा जाता है िहां ऐसी
फीस, यकर्द कोई हो, जो विकहत की जाए र्दे ने पर उस अिधध को इतनी अधतररक्त अिधध या
अिधधयों तक बढाया जा सकेगा जो, यथाखस्थधत, रखजस्रीकताष प्राधधकारी या अन्य विकहत
प्राधधकारी अनुज्ञात करे ।
(3) उस र्दशा में खजसमें मोटर यान अिक्रय करार, पट्टे या आडमान के अधीन धाररत
है रखजस्रीकताष प्राधधकारी या अन्य विकहत प्राधधकारी ऐसे यान के रखजस्रीकरण का अस्थायी
प्रमाणपत्र र्दे गा खजसमें उस व्यखक्त का, खजसके साथ स्िामी ने ऐसा करार ककया है , पूरा नाम
और पता सुपाठ्य और प्रमुि रूप में कर्दया जाएगा ।
44. रखजस्रीकताष प्राधधकारी ककसी मोटर यान को रखजस्टर करने के संबंध में या रखजस्रीकरण के
समय यान का
पररिहन यान से धभन्न मोटर यान की बाबत रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र के निीकरण के संबंध
पेश ककया जाना ।
में कोई कारष िाई करने से पूिष उस व्यखक्त से खजसने, यथाखस्थधत, उस यान के रखजस्रीकरण
के धिए या रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र के निीकरण के धिए आिेर्दन ककया है , यह अपेिा
करे गा कक िह उस यान को या तो स्ियं उसके समि अथिा ऐसे प्राधधकारी के समि पेश
करे खजसे राज्य सरकार, आर्दे श द्वारा, धनयुक्त करे खजससे रखजस्रीकताष प्राधधकारी अपना यह
समाधान कर सके कक आिेर्दन में र्दी हुई विधशखष्टयां सही हैं और िह यान इस अधधधनयम
और उसके अधीन बनाए गए धनयमों की अपेिाओं की पूधतष करता है ।
* * * * *
79
धनिास स्थान या 49. (1) यकर्द ककसी मोटर यान का स्िामी उस स्थान पर, खजसका पता यान के
कारबार के स्थान
रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र में अधभधिखित है , धनिास करना छो़ि र्दे ता है या अपने कारबार का
का पररितषन ।
स्थान बंर्द कर र्दे ता है तो िह अपने पते के ऐसे ककसी पररितषन के तीस कर्दन के अंर्दर अपने
पते की सूचना ऐसे प्ररूप में और ऐसे र्दस्तािेजों सकहत जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विकहत ककए
जाएं उस रखजस्रीकताष प्राधधकारी को खजसने रखजस्रीकरण प्रमाणप्रत्र कर्दया था या यकर्द नया
पता ककसी अन्य रखजस्रीकताष प्राधधकारी की अधधकाररता के भीतर है तो उस अन्य
रखजस्रीकताष प्राधधकारी को र्दे गा तथा उसके साथ ही रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र को भी,
यथाखस्थधत, रखजस्रीकताष प्राधधकारी या अन्य रखजस्रीकताष प्राधधकारी को भेज र्दे गा खजससे
नया पता उसमें प्रविष्ट ककया जा सके ।
(2) यकर्द मोटर यान का स्िामी संबंद्ध रखजस्रीकताष प्राधधकारी को अपने नए पते की
सूचना उपधारा (1) में विधनकर्दष ष्ट अिधध के भीतर र्दे ने में असफि रहते है तो रखजस्रीकताष
प्राधधकारी, मामिे की पररखस्थधतयों को ध्यान में रिते हुए स्िामी से उस कारष िाई के बर्दिे
में, जो धारा 177 के अधीन उसके विरुद्ध की जाए, एक सौ रुपए से अनधधक उतनी रकम
का, जो उपधारा (4) के अधीन विकहत की जाए, संर्दाय करने की अपेिा कर सकेगा :
परन्तु धारा 177 के अधीन स्िामी के विरुद्ध कारष िाई तभी की जाएगी जब िह उक्त
रकम का संर्दाय करने में असफि रहता है ।
* * * * *
मोटर यान में 52. (1) मोटर यान का कोई स्िामी, यान में इस प्रकार का पररितषन नहीं करे गा
पररितषन ।
खजससे रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र में अंतविषष्ट विधशखष्टयां उन विधशखष्टयों से धभन्न हों, जो
विधनमाषता द्वारा मूि रूप से विधनकर्दष ष्ट की गई हों :
परन्तु जहां मोटर यान का स्िामी, धभन्न प्रकार के ईंधन या ऊजाष के स्त्रोत से,
खजसके अंतगषत बैटरी, संपीक़ित प्राकृ धतक गैस, सौर शखक्त, द्रिीकृ त पेरोधियम गैस या कोई
अन्य ईंधन या ऊजाष का कोई स्रोत भी है , प्रचािन को सुकर बनाने के धिए मोटर यान के
इं जन या उसके ककसी भाग में उपान्तरण, संपररितषन ककट िगाकर करता है िहां ऐसा
उपान्तरण ऐसी शतों के अधीन ककया जाएगा, जो विकहत की जाएं :
परन्तु यह और कक केन्द्रीय सरकार ऐसे संपररितषन ककटों के धिए विधनर्दे श,
अनुमोर्दनाथष शतें, पश्चरूपांतरण या अन्य संबंधधत विर्य विकहत कर सकेगी :
परन्तु यह भी कक केन्द्रीय सरकार ककसी विधनकर्दष ष्ट प्रयोजन के धिए ऊपर विधनकर्दष ष्ट
रीधत से धभन्न रीधत में यानों में पररितषन के धिए छूट प्रर्दान कर सकेगी ।
(2) उपधारा (1) में ककसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार, राजपत्र में अधधसूचना
द्वारा ऐसे व्यखक्त को, जो कम-से-कम र्दस पररिहन यानों का स्िामी है , ऐसी शतों के अधीन
रहते हुए, जो अधधसूचना में विधनकर्दष ष्ट की जाएं, अपने स्िाधमत्िाधीन ककसी यान में ऐसा
पररितषन करने की अनुज्ञा र्दे सकेगी खजससे कक िह रखजस्रीकताष प्राधधकारी के अनुमोर्दन के
वबना उसके इं जन को उसी मेक और उसी प्रकार के इं जन से बर्दि सके ।
(3) जहां ककसी मोटर यान में कोई पररितषन रखजस्रीकताष प्राधधकारी के अनुमोर्दन के
वबना या उपधारा (2) के अधीन ककसी ऐसे अनुमोर्दन के वबना उसका इं जन बर्दिने के
कारण ककया गया है िहां यान का स्िामी ऐसा पररितषन ककए जाने के चौर्दह कर्दन के भीतर
पररितषन की ररपोटष उस रखजस्रीकताष प्राधधकारी को करे गा खजसकी अधधकाररता के भीतर िह
80
परं तु िंड (ii) या िंड (iii) में धनकर्दष ष्ट विर्यों की बाबत ऐसी कोई अधधसूचना तब
तक नहीं धनकािी जाएगी जब तक प्रस्थावपत धनर्दे शों का प्रारूप राजपत्र में िह तारीि
विधनकर्दष ष्ट करते हुए प्रकाधशत नहीं कर कर्दया जाता जो ऐसे प्रकाशन के कम से कम एक
मास पश्चात ् की ऐसी तारीि होगी खजसको या खजसके पश्चात ् उस प्रारूप पर विचार ककया
जाएगा और जब तक ककसी आिेप या सुझाि पर, जो प्रात हो, उन व्यखक्तयों के, खजनके
कहत प्रभावित होते हैं , प्रधतधनधधयों को सुनिाई का अिसर र्दे ने के पश्चात ् राज्य पररिहन
प्राधधकरण के परामशष से विचार नहीं कर धिया जाता ।
* * * * *
92. मंखजिी-गा़िी या ठे का गा़िी में, खजसकी बाबत इस अध्याय के अधीन परधमट र्दाधयत्ि का
धनबंधन करने
कर्दया गया है , यात्री िहन करने की कोई संविर्दा िहां तक शून्य होगी जहां तक िह ककसी
िािी संविर्दाओं
व्यखक्त के ऐसे र्दाधयत्ि के नकारने या धनबंधधत करने के धिए तात्पधयषत है जो उस यात्री के का शून्यकरण ।
यान में िहन ककए जाने, चढने या उससे उतरने के समय उसकी मृत्यु या शारीररक िधत के
संबंध में उस व्यखक्त के विरुद्ध कर्दए गए ककसी र्दािे की बाबत है या ककसी ऐसे र्दाधयत्ि के
प्रितषन की बाबत कोई शतें अधधरोवपत करने के धिए तात्पधयषत है ।
93. कोई भी व्यखक्त— अधभकताष या
प्रचारक द्वारा
अनुज्ञखत
अधभप्रात करना ।
* * * * *
94. ककसी भी धसविि न्यायािय को इस अधधधनयम के अधीन परधमट कर्दए जाने से धसविि न्यायाियों
को अधधकाररता
संबंधधत ककसी प्रश्न के ग्रहण करने की अधधकाररता नहीं होगी, और इस अधधधनयम के
का िजषन ।
अधीन परधमट कर्दए जाने के संबंध में सम्यक् रूप से गकठत प्राधधकरणों द्वारा की गई या की
जाने िािी ककसी कारष िाई की बाबत कोई व्यार्दे श ककसी धसविि न्यायािय द्वारा ग्रहण नहीं
ककया जाएगा ।
* * * * *
110. (1) केन्द्रीय सरकार मोटर यानों और रे िरों के धनमाषण, उपस्कर और अनुरिण का केन्द्रीय सरकार
की धनयम बनाने
विधनयमन करने के धिए धनम्नधिखित सभी बातों या उनमें से ककसी की बाबत धनयम बना
की शखक्त ।
सकेगी, अथाषत ् :––
* * * * *
(ट) यान में अन्त:धनधमषत सुरिा युखक्तयों के रूप में प्रयुक्त संघटकों के मानक ;
* * * * *
(2) उपधारा (1) के अधीन उसमें िखणषत बातों को शाधसत करने िािे धनयम बनाए जा
सकेंगे खजनके अन्तगषत ऐसी बातों का अनुपािन सुधनखश्चत कराने की रीधत और ऐसी बातों
की बाबत या तो साधारणतया मोटर यानों या रे िरों की बाबत या ककसी विधशष्ट िगष या
विधशष्ट पररखस्थधतयों में मोटर यानों या रे िरों की बाबत मोटर यानों के अनुरिण भी हैं ।
* * * * *
यान तुििाने की 114. (1) यकर्द राज्य सरकार द्वारा इस धनधमत्त प्राधधकृ त मोटर यान विभाग के ककसी
शखक्त ।
83
* * * * *
यातायात धचह्न
116. (1) (क) * * * *
िगिाने की
शखक्त ।
(3) उपधारा (1) में जैसा उपबंधधत है उसके धसिाय, इस अधधधनयम के प्रारं भ के
पश्चात ् कोई भी यातायात धचह्न ककसी स़िक पर या उसके धनकट न तो रिा जाएगा और न
िागाया जाएगा ; ककन्तु उन सभी यातायात धचह्नों की बाबत जो इस अधधधनयम के प्रारं भ
से पूिष ककसी सिम प्राधधकारी द्वारा रििाए या िगिाए गए थे, इस अधधधनयम के प्रयोजन
के धिए यह समझा जाएगा कक िे उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन रिे या िगाए गए
यातायात धचह्न हैं ।
* * * * *
सुरिात्मक टोप 129. ककसी िगष या िणषन की मोटर साइककि को (साइड कार से अन्यत्र) चिाने िािा
का पहनना ।
या उस पर सिारी करने िािा प्रत्येक व्यखक्त, जब ककसी सािषजधनक स्थान पर हो, ऐसे
िणषन का सुरिात्मक टोप पहनेगा जो भारतीय मानक ब्यूरो के मानको के अनुरूप हो :
परं तु यकर्द कोई ऐसा व्यखक्त, जो धसक्ि है , ककसी सािषजधनक स्थान पर, मोटर
साइककि चिाते या उस पर सिारी करते समय पग़िी पहने हुए है तो इस धारा के उपबन्ध
उसे िागू नहीं होंगे :
परं तु यह और कक राज्य सरकार, ऐसे अपिार्दों के धिए, जो िह ठीक समझे, ऐसे
धनयमों द्वारा, उपबंध कर सकेगी ।
स्पष्टीकरण––“सुरिात्मक टोप” से हे िमेट अधभप्रेत है ,––
(क) खजसके बारे में उसकी आकृ धत, सामग्री और बनािट के आधार पर उधचत
रूप से यह आशा की जा सकती है कक िह ककसी मोटर साइककि के चिाने िािे या
उस पर सिारी करने िािे व्यखक्त की, ककसी र्दघ
ु ट
ष ना की र्दशा में, िधत से ककसी सीमा
तक सुरिा करे गा ; और
(ि) जो पहनने िािे के धसर में, टोप में िगे हुए फीतों या अन्य बंधनों से
सुरखित रूप से बंधा होगा ।
* * * * *
135. (1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधधसूचना द्वारा, धनम्नधिखित के धिए उपबंध करने र्दघ
ु ट
ष ना के मामिों
84
* * * * *
अध्याय 10
(3) उपधारा (1) के अधीन प्रधतकर के धिए ककसी र्दािे में र्दािेर्दार से यह अपेिा नहीं
की जाएगी कक िह अधभिाक् र्दे और यह धसद्ध करे कक िह मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता
खजसके बारे में प्रधतकर का र्दािा ककया है संबंधधत यान या यानों के स्िामी या स्िाधमयों के
या ककसी अन्य व्यखक्त के ककसी र्दोर्पूणष कायष, उपेिा या व्यधतक्रम के कारण हुई थी ।
(4) उपधारा (1) के अधीन प्रधतकर के धिए र्दािा, यथाखस्थधत, ऐसे व्यखक्त के खजसकी
मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के बारे में र्दािा ककया गया है , ककसी र्दोर्पूणष कायष, उपेिा या
व्यधतक्रम के कारण विफि नहीं होगा और ऐसी मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के बारे में
िसूिीय प्रधतकर की मात्रा ऐसी मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के उत्तरर्दाधयत्ि में ऐसे व्यखक्त
के अंश के आधार पर कम नहीं की जाएगी ।
(5) ककसी व्यखक्त की मृत्यु या शारीररक िधत के संबंध में उपधारा (2) में ककसी बात
के होते हुए भी, खजसके धिए यान का स्िामी अनुतोर् के रूप में प्रधतकर र्दे ने का र्दायी है ,
िह तत्समय प्रिृत्त ककसी अन्य विधध के अधीन प्रधतकर का संर्दाय करने का भी र्दायी
होगा :
परन्तु ककसी अन्य विधध के अधीन कर्दए जाने िािे प्रधतकर की ऐसी रकम को इस
धारा या धारा 163क के अधीन संर्देय प्रधतकर की रकम में से घटा कर्दया जाएगा ।
141. (1) ककसी व्यखक्त की मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के बारे में धारा 140 के अधीन मृत्यु या स्थायी
धन:शक्तता के
प्रधतकर का र्दािा करने का अधधकार इस अधधधनयम के ककसी अन्य उपबंध के अधीन या
धिए प्रधतकर का
तत्समय प्रिृत्त ककसी अन्य विधध के उपबंध के अधीन उसके बारे में प्रधतकर का र्दािा करने र्दािा करने के
के धिए धारा 163क में धनकर्दष ष्ट स्कीम के अधीन र्दािा करने के अधधकार के धसिाय ककसी अन्य अधधकार के
अन्य अधधकार (ऐसे अन्य अधधकार को, इस धारा में इसके पश्चात ् त्रुकट के धसद्धांत पर बारे में उपबंध ।
(2) ककसी व्यखक्त की मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के बारे में धारा 140 के अधीन
प्रधतकर के धिए कोई र्दािा यथासंभि शीघ्रता से धनपटाया जाएगा और जहां ऐसी मृत्यु या
स्थायी धन:शक्तता के बारे में ककसी प्रधतकर का र्दािा धारा 140 के अधीन और त्रुकट के
धसद्धान्त पर ककसी अधधकार के अनुसरण में भी ककया गया है िहां धारा 140 के अधीन
प्रधतकर के धिए र्दािा उपरोक्त रूप में पहिे धनपटाया जाएगा ।
(3) उपधारा (1) में ककसी बात के होते हुए भी, जहां ककसी व्यखक्त की मृत्यु या स्थायी
धन:शक्तता के बारे में धारा 140 के अधीन प्रधतकर का संर्दाय करने के धिए र्दायी व्यखक्त
त्रुकट के धसद्धान्त पर अधधकार के अनुसरण में प्रधतकर का संर्दाय करने के धिए भी र्दायी है ,
िहां इस प्रकार र्दायी व्यखक्त प्रथम िखणषत प्रधतकर का संर्दाय करे गा और,––
(क) जहां प्रथम िखणषत प्रधतकर की रकम कद्वतीय िखणषत प्रधतकर की रकम से
कम है िहां िह (प्रथम िखणषत प्रधतकर के अधतररक्त) कद्वतीय िखणषत प्रधतकर का केिि
उतना संर्दाय करने के धिए र्दायी होगा जो उस रकम के बराबर है जो प्रथम िखणषत
प्रधतकर से अधधक हो ;
(ि) जहां प्रथम िखणषत प्रधतकर की रकम कद्वतीय िखणषत प्रधतकर की रकम के
बराबर या उससे अधधक है िहां िह कद्वतीय िखणषत प्रधतकर का संर्दाय करने के धिए
र्दायी नहीं होगा ।
स्थायी 142. इस अध्याय के प्रयोजनों के धिए ककसी व्यखक्त की स्थायी धन:शक्तता धारा 140
धन:शक्तता ।
की उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट प्रकृ धत की र्दघ
ु ट
ष ना से हुई तब मानी जाएगी, जब ऐसे व्यखक्त को
र्दघ
ु ट
ष ना के कारण ऐसी िधत या िधतयां हुई हैं खजससे :––
(क) ककसी भी नेत्र की दृखष्ट का या ककसी भी कान की श्रिण शखक्त का स्थायी
विछे र्द या ककसी अंग या जो़ि का विछे र्द हुआ है ; या
(ि) ककसी अंग या जो़ि की शखक्त का विनाश या उसमें स्थायी कमी आई है , या
(ग) धसर या चेहरे का स्थयी विद्रप
ू ण हुआ है ।
1923 के 143. इस अध्याय के उपबंध धारा 140 की उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट प्रकृ धत की ककसी
अधधधनमय 8 के
र्दघ
ु ट
ष ना के पररणामस्िरूप हुई, कमषकार प्रधतकर अधधधनयम, 1923 (1923 का 8) के अधीन
अधधन कधतपय
र्दािों को इस
ककसी व्यखक्त की मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के बारे में प्रधतकर के धिए ककसी र्दािे के
अध्याय का िागू संबंध में भी िागू होंगे और इस प्रयोजन के धिए उक्त उपबंध आिश्यक उपांतरणों के साथ
होना । उस अधधधनयम के भाग माने जाएंगे ।
अध्यारोही प्रभाि ।
144. इस अध्याय के उपबंध इस अधधधनयम के या तत्समय प्रिृत्त ककसी अन्य विधध
के ककसी अन्य उपबंध में ककसी बात के होते हुए भी प्रभािी होंगे ।
* * * * *
अध्याय 11
कारबार करने के धिए प्राधधकृ त ककसी सरकारी बीमा धनधध के अधीन भारत में
86
है जो,––
(क) यान चिाने में धनयोखजत है , या
(ि) सािषजधनक सेिा यान की र्दशा में, उस यान के कंडक्टर के रूप में,
अथिा उस यान पर कटकटों की जांच करने में धनयोखजत है , या
88
(ग) माि िहन की र्दशा में, उस यान में िहन ककया जा रहा है , या
(ii) ककसी संविर्दात्मक र्दाधयत्ि को पूरा करने के धिए अपेखित नहीं होगी ।
स्पष्टीकरण––शंकाओं को र्दरू करने के धिए, यह घोवर्त ककया जाता है कक ककसी
व्यखक्त की मृत्यु या शारीररक िधत अथिा पर-व्यखक्त की ककसी संपवत्त के नुकसान को इस
बात के होते हुए भी कक खजस व्यखक्त की मृत्यु हुई है या खजसे िधत पहुंची है या खजस
संपवत्त को नुकसान पहुंचा है िह र्दघ
ु ट
ष ना के समय सािषजधनक स्थान में नहीं था या थी, उस
र्दशा में सािषजधनक स्थान में यान के उपयोग से हुआ समझा जाएगा जबकक िह कायष या
िोप, खजसके पररणामस्िरूप र्दघ
ु ट
ष ना हुई, सािषजधनक स्थान में हुआ था ।
(2) उपधारा (1) के परं तुक के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट बीमा पाधिसी
के अन्तगषत ककसी र्दघ
ु ट
ष ना की बाबत उपगत कोई र्दाधयत्ि धनम्नधिखित सीमाओं तक होगा,
अथाषत ् :––
(क) िंड (ि) में यथाउपबंधधत के धसिाय, उपगत र्दाधयत्ि की रकम ;
(ि) पर-व्यखक्त की ककसी संपवत्त को हुए नुकसान की बाबत, छह हजार रुपए
की सीमा :
परं तु इस अधधधनयम के प्रारं भ के ठीक पहिे सीधमत र्दाधयत्ि िािी बीमा पाधिसी जो
प्रिृत्त है , ऐसे प्रारं भ के पश्चात ् चार मास की अिधध के धिए अथिा ऐसी पाधिसी की
समाखत की तारीि तक, इनमें से जो भी पूित
ष र हो, प्रभािी बनी रहे गी ।
(3) इस अध्याय के प्रयोजनों के धिए पाधिसी तब तक प्रभािी नहीं होगी, जब तक
बीमाकताष द्वारा उस व्यखक्त के पि में, खजसने पाधिसी कराई है बीमा-प्रमाणपत्र विकहत प्ररूप
में और ककन्हीं शतष की, खजन पर िह पाधिसी र्दी गई है , तथा ककन्हीं, अन्यविकहत बातों की,
विकहत विधशखष्टयों सकहत नहीं र्दे कर्दया जाता ; और धभन्न-धभन्न मामिों के धिए धभन्न-
धभन्न प्ररूप, विधशखष्टयां और बातें विकहत की जा सकेंगी ।
(4) जहां इस अध्याय या इसके अधीन बनाए गए धनयमों के उपबंधों के अधीन
बीमाकताष द्वारा कर्दए गए किर नोट के पश्चात ् बीमा पाधिसी विकहत समय के अंर्दर नहीं भेज
र्दी जाती िहां बीमाकताष किर नोट की विधधमान्यता की अिधध की समाखत के सात कर्दन के
अंर्दर यह बात उस रखजस्रीकताष प्राधधकारी को, खजसके अधभिेि में किर नोट से संबंधधत
यान रखजस्रीकृ त है अथिा ऐसे अन्य प्राधधकारी को, जो राज्य सरकार विकहत करे ;
अधधसूधचत करे गा ।
(5) तत्समय प्रिृत्त ककसी विधध में ककसी बात के होते हुए भी, कोई बीमाकताष जो इस
धारा के अधीन बीमा पाधिसी र्दे ता है , उस व्यखक्त की या उन िगों के व्यखक्तयों की जो
पाधिसी में विधनकर्दष ष्ट हैं , ककसी ऐसे र्दाधयत्ि की बाबत िधतपूधतष करने के धिए खजम्मेर्दार
होगा खजसकी उस व्यखक्त या उन िगों के व्यखक्तयों के मामिे में पूधतष के धिए िह पाधिसी
तात्पधयषत है ।
148. जहां भारत और ककसी व्यधतकारी र्दे श के बीच हुए ठहराि के अनुसरण में ऐसा व्यधतकारी र्दे शों में
र्दी गई बीमा
कोई मोटर यान, जो व्यधतकारी र्दे श में रखजस्रीकृ त है ; ऐसे ककसी मागष पर या ककसी िेत्र
पाधिधसयों की
के भीतर चिता है ; जो र्दोनो र्दे शों में प़िता है , और यान का उपयोग ककए जाने के संबध
ं विधधमान्यता ।
में व्यधतकारी र्दे श में ऐसी बीमा पाधिसी प्रिृत्त हैं , जो उस र्दे श में प्रिृत्त बीमा विधध की
अपेिाओं का अनुपािन करती है िहां धारा 147 में ककसी बात के होते हुए भी, ककंतु ऐसे
89
ककन्हीं धनयमों के अधीन रहते हुए, जो धारा 164 के अधीन बनाए जाएं ऐसी बीमा पाधिसी
उस पूरे मागष या िेत्र में, खजसकी बाबत िह ठहराि ककया गया है , ऐसे प्रभािी होगी मानो
िह बीमा पाधिसी इस अध्याय की अपेिाओं का अनुपािन करती हो ।
पर-व्यखक्त 149. (1) यकर्द ककसी व्यखक्त के पि में, खजसने पाधिसी कराई है , धारा 147 की उपधारा
जोखिमों की बाबत
(3) के अधीन बीमा-प्रमाण-पत्र र्दे कर्दए जाने के पश्चात ्, धारा 147 की उपधारा (1) के िंड (ि)
बीमाकृ त व्यखक्तयों
के विरुद्ध हुए
के अधीन या धारा 163क के उपबंधों के अधीन पाधिसी द्वारा पूरा करने के धिए अपेखित
धनणषयों और र्दाधयत्ि के संबंध में (जो र्दाधयत्ि पाधिसी के धनबंधनों के अंतगषत है ) ऐसे ककसी व्यखक्त के
अधधधनणषयों की विरुद्ध धनणषय या अधधधनणषय अधभप्रात कर धिया जाता है खजसका पाधिसी द्वारा बीमा ककया
तुखष्ट करने का
हुआ है तो इस बात के होते हुए भी कक बीमाकताष पाधिसी को शून्य करने या रद्द करने का
बीमाकताषओं का
कतषव्य ।
हकर्दार है अथिा उसने पाधिसी शुन्य या रद्द कर र्दी है , बीमा-कताष इस धारा के उपबंधों के
अधीन रहते हुए कडक्री का फायर्दा उठाने के हकर्दार व्यखक्त को, उस र्दाधयत्ि के संबंध में
उसके अधीन र्दे य राधश, जो बीमाकृ त राधश में अधधक न होगी, िचों की बाबत र्दे य ककसी
रकम तथा धनणषयों पर ब्याज संबंधी ककसी अधधधनयधमधत के आधार पर उस राधश पर ब्याज
की बाबत र्दे य ककसी धनराधश सकहत इस प्रकार र्दे गा मानो िह धनणीतऋणी हो ।
(2) उपधारा (1) के अधीन ककसी बीमाकताष द्वारा कोई राधश, ककसी धनणषय या
अधधधनणषय के संबंध में तभी र्दे य होगी जब उन कायषिाकहयों के प्रारं भ के पूिष खजनमें धनणषय
या अधधधनणषय कर्दया गया है , बीमाकृ ती को उन कायषिाकहयों के िाए जाने की अथिा ककसी
धनणषय या अधधधनणषय के संबंध में जब तक उसका धनष्पार्दन अपीि के िंवबत रहने पर रोक
कर्दया गया है सूचना, यथाखस्थधत, न्यायािय या र्दािा अधधकरण के माध्यम से धमि चुकी थी
अन्यथा नहीं, और कोई बीमाकताष खजसे ऐसी ककन्हीं कायषिाकहयों के िाए जाने की सूचना
इस प्रकार र्दी गई हैं , उसका पिकार बनाए जाने और धनम्नधिखित आधारों में से ककसी
आधार पर प्रधतिार्द करने का हकर्दार होगा, अथाषत ् :––
(क) पाधिसी की ककसी विधनकर्दष ष्ट शतष का भंग ककया गया है , जो धनम्नधिखित
शतों में से एक हैं , अथाषत ् :––
(i) ऐसी शतष, जो यान का धनम्नधिखित र्दशाओं में उपयोग ककया जाना
अपिखजषत करती है , अथाषत ् :––
(क) भा़िे या पाररश्रधमक के धिए, जब िह यान बीमा संविर्दा की
तारीि को ऐसा यान है जो भा़िे या पाररश्रधमक पर चिाने के परधमट के
अंतगषत नहीं है , या
(ि) आयोखजत र्दौ़ि और गधत परीिा के धिए, या
(ग) खजस परधमट के अधीन यान का उपयोग ककया जाता है उसके
द्वारा अनुज्ञात न ककए गए प्रयोजन के धिए, जब िह यान पररिहन यान
है , या
(घ) साइड कार संिग्न ककए वबना, जब यान मोटर साइककि है , या
(ii) ऐसी शतष जो नाधमत व्यखक्त या व्यखक्तयों द्वारा या ऐसे ककसी व्यखक्त
द्वारा जो सम्यक् रूप से अनुज्ञत नहीं है या ऐसे ककसी व्यवक्त द्वारा, खजसे चािन
अनुज्ञधप्त धारण या अधभप्रात करने से धनरकहष त कर कर्दया गया है , धनरहष ता की
अिधध के र्दौरान, यान का चिाया जाना अपिखजषत करती है ; या
90
(4) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन अंतरण पर, बीमाकताष का पर-व्यखक्त के प्रधत
िैसा ही र्दायीत्ि होगा जैसा उसका बीमाकृ त व्यखक्त के प्रधत होता, ककंतु––
(क) यकर्द बीमाकताष या बीमाकृ त व्यखक्त के प्रधत र्दाधयत्ि पर-व्यखक्त के प्रधत
बीमाकताष व्यखक्त के र्दाधयत्ि से अधधक है तो इस अध्याय की कोई बात ऐसे आधधक्य
के बारे में बीमाकताष के विरुद्ध बीमाकृ त व्यखक्त के अधधकारों पर प्रभाि न डािेगी,
और
(ि) यकर्द बीमाकताष का बीमाकृ त व्यखक्त के प्रधत र्दाधयत्ि पर-व्यखक्त के प्रधत
बीमाकृ त व्यखक्त के र्दाधयत्ि से कम है तो इस अध्याय की कोई बात अधतशेर् के बारे
में बीमाकृ त व्यखक्त के विरुद्ध पर-व्यखक्त के अधधकारों पर प्रभाि न डािेगी ।
151. (1) कोई भी व्यखक्त, खजसके विरुद्ध धारा 147 की उपधारा (1) के िंड (ि) में बीमा के बारे में
जानकारी र्दे ने का
धनकर्दष ष्ट ककसी र्दाधयत्ि की बाबत कोई र्दािा ककया जाता है , र्दािा करने िािे व्यखक्त के द्वारा
कतषव्य ।
या उसकी ओर से मांग की जाने पर यह बताने से इं कार नहीं करे गा कक उस र्दाधयत्ि की
बाबत ककसी ऐसी पाधिसी द्वारा, जो इस अध्याय के उपबंधों के अधीन र्दी गई हैं , उसका
बीमा ककया हुआ है या नहीं अथिा यकर्द बीमाकताष ने पाधिसी शून्य या रद्द न कर र्दी होती
तो िह ऐसे बीमाकृ त रहता या नहीं और िह उस र्दशा में , खजसमें िह ऐसे बीमाकृ त है या
होता, उस पाधिसी से संबंधधत ऐसी विधशखष्टयां र्दे ने से इं कार नहीं करे गा जो उसकी बाबत
कर्दए गए बीमा प्रमाणपत्र में विधनकर्दष ष्ट थीं ।
(3) यकर्द उपधारा (2) के अनुसरण में या अन्यथा ककसी व्यखक्त को र्दी गई जानकारी से
उसके पास यह अनुमान िगा िेने का उधचत आधार है कक इस अध्याय के अधीन उस
93
(4) इस धारा द्वारा अधधरोवपत जानकारी र्दे ने के कतषव्य के अंतगषत यह कतषव्य भी होगा
कक जो बीमा संविर्दाएं, प्रीधमयम रसीर्दें और अन्य सुसंगत र्दस्तािेजें उस व्यखक्त के कब्जे या
शखक्त में हैं , खजस पर ऐसा कतषव्य अधधरोवपत ककया गया है , उनका धनरीिण ककया जाने
कर्दया जाए और उनकी प्रधतयां िी जाने र्दी जाएं ।
बीमाकताषओं और 152. (1) ककसी ऐसे र्दािे के बारे में, जो धारा 147 की उपधारा (1) के िंड (ि) में
बीमाकृ त व्यखक्तयों
धनकर्दष ष्ट प्रकार के ककसी र्दाधयत्ि की बाबत पर-व्यखक्त द्वारा ककया जा सकता है , ककसी
के बीच समझौते ।
बीमाकताष द्वारा ककया गया कोई समझौता तभी विधधमान्य होगा जब ऐसा पर-व्यखक्त उस
समझौते का पिकार है , अन्यथा नही ।
(2) जहां िह व्यखक्त, खजसका बीमा इस अध्याय के प्रयोजनों के धिए र्दी गई पाधिसी
के अधीन ककया गया है , कर्दिाधिया हो गया है अथिा जहां उस र्दशा में, खजसमें ऐसा व्यखक्त
कंपनी है , उस कंपनी के पररसमापन के धिए आर्दे श र्दे कर्दया गया है अथिा उसके स्िे छया
पररसमान के धिए संकल्प पाररत कर कर्दया गया है िहां, यथाखस्थधत, पर-व्यखक्त के प्रधत
र्दाधयत्ि उपगत हो जाने के पश्चात ् अथिा कर्दिािे या पररसमापन के प्रारं भ के पश्चात ् न तो
बीमाकताष और बीमाकृ त व्यखक्त के बीच ककया गया कोई करार और न पूिोक्त प्रारं भ के
पश्चात ् बीमाकृ त व्यखक्त द्वारा कोई अधधत्यजन, समनुर्देशन या अन्य व्ययन, अथिा
बीमाकृ त व्यखक्त को की गई कोई अर्दायगी, उन अधधकारों को विफि करने के धिए प्रभािी
होगी जो पर-व्यखक्त को इस अध्याय के अधीन अंतररत है ब्िकक िे अधधकार िैसे ही रहें गे
मानो ऐसा कोई करार, अधधत्यजन, समुनर्दे शन या व्ययन या अर्दायगी नहीं की गई है ।
धारा 150, धारा 153. (1) धारा 150, धारा 151 और धारा 152 के प्रयोजनों के धिए ककसी बीमा पाधिसी
151 और धारा 152
के अधीन बीमाकृ त व्यखक्त के संबंध में “पर-व्यखक्त के प्रधत र्दाधयत्ि” के प्रधत धनर्दे श के
के बारे में
व्यािृवत्त ।
अंतगषत ककसी अन्य बीमा पाधिसी के अधीन बीमाकताष की है धसयत में उस व्यखक्त के
र्दाधयत्ि के प्रधत धनर्दे श न होगा ।
(2) धारा 150, धारा 151 और धारा 152 के उपिंड िहां िागू न होंगे जहां कंपनी का
स्िेछया पररसमापन उसके पुनगषठन के धिए अथिा र्दस
ू री कंपनी से उसके समामेिन के
प्रयोजन के धिए ही ककया जाता है ।
बीमाकृ त व्यखक्तयों 154. जहां उस व्यखक्त को, खजसने पाधिसी कराई है , बीमा-प्रमाणपत्र जारी कर कर्दया
के कर्दिािे से
गया है िहां खजस व्यखक्त का उस पाधिसी द्वारा बीमा ककया गया है उसके संबंध में धारा
बीमाकृ त व्यखक्त
के र्दाधयत्ि या पर-
150 की उपधारा (1) या उपधारा (2) में िखणषत प्रकार की ककसी घटना के होने से उस व्यखक्त
व्यखक्तयों के र्दािों के इस प्रकार के ककसी र्दाधयत्ि पर, जो धारा 147 की उपधारा (1) के िंड (ि) में धनकर्दष ष्ट
पर प्रभाि न प्रकृ धत का है , इस अध्याय में ककसी बात के होते हुए भी, कोई प्रभाि नहीं प़िे गा ; ककंतु इस
प़िना ।
धारा की कोई बात बीमाकताष के विरुद्ध ऐसे ककन्हीं अधधकारों पर प्रभाि नहीं डािेगी जो उस
व्यखक्त को, खजसके प्रधत िह र्दाधयत्ि उपगत ककया गया था, धारा 150, धारा 151 और धारा
152 के उपबंधों के अधीन प्रर्दान ककए गए हैं ।
1925 का 39 155. भारतीय उत्तराधधकार अधधधनयम, 1925 की धारा 306 में ककसी बात के होते हुए कुछ िार्द-हे तुकों
पर मृत्यु का
भी, उस व्यखक्त की मृत्यु, खजसके पि में बीमा-प्रमाणपत्र कर्दया गया है , उस र्दशा में खजसमें
94
िह ऐसी घटना होने के पश्चात ् होती है खजससे इस अध्याय के उपबंधों के अधीन र्दािा पैर्दा प्रभाि ।
हो गया है , ऐसे ककसी िार्द-हे तुक के जारी रहने को िखजषत न करे गी जो उसकी संपर्दा या
बीमाकताष के विरुद्ध उक्त घटना से पैर्दा होता है ।
156. जब बीमाकताष ने ऐसी बीमा संविर्दा के बारे में, जो बीमाकताष और बीमाकृ त बीमा-प्रमाणपत्र
का प्रभाि ।
व्यखक्त के बीच है , बीमा-प्रमाणपत्र जारी कर कर्दया है तब––
(क) यकर्द और जब तक प्रमाणपत्र में िखणषत पाधिसी, बीमाकताष द्वारा बीमाकृ त
को नहीं र्दी गई है तो और तब तक बीमाकताष की बाबत, जहां तक बीमाकताष और
बीमाकृ त से धभन्न ककसी अन्य व्यखक्त के बीच की बात है , यह समझा जाएगा कक
उसने बीमाकृ त व्यखक्त को बीमा पाधिसी र्दे र्दी है जो सभी प्रकार से ऐसे -प्रमाणपत्र में
कर्दए हुए िणषन और विधशखष्टयों के अनुरूप है ; और
(ि) यकर्द बीमाकताष ने प्रमाणपत्र में िखणषत पाधिसी बीमाकृ त को र्दे र्दी है ककंतु
पाधिसी के िास्तविक धनबंधन पाधिसी की उन विधशखष्टयों से, जो प्रमाणपत्र में
उखल्िखित हैं , उन व्यखक्तयों के धिए कम अनुकूि हैं जो पाधिसी के अधीन या आधार
पर बीमाकताष के विरुद्ध र्दािा या तो प्रत्यि रूप से या बीमाकृ त व्यवक्त के माध्यम से
करते हैं , जो जहां तक बीमाकताष बीमाकृ त से धभन्न ककसी अन्य व्यक्ख्धत के बीच की
बात है , पाधिसी की बाबत यह समझा जाएगा कक िह सभी प्रकार से उन विधशखष्टयों
के अनुरूप है , जो उक्त प्रमाणपत्र में उखल्िखित हैं ।
157. (1) जहां कोई व्यखक्त, खजसके पि में उस अध्याय के उपबंधों के अनुसार बीमा बीमा प्रमाणपत्र
का अंतरण ।
प्रमाणपत्र कर्दया गया है , उस मोटर यान का स्िाधमत्ि, खजसकी बाबत ऐसा बीमा धिया गया
था, उससे संबंधधत बीमा पाधिसी सकहत, ककसी अन्य व्यखक्त को अंतररत करता है िहां बीमा
प्रमाणपत्र और प्रमाणपत्र में िखणषत पाधिसी उस व्यखक्त के पि में, खजसे मोटर यान अंतररत
ककया गया है , उसके अंतरण की तारीि से प्रभािशीि रूप से अंतररत समझी जाएगी ।
स्पष्टीकरण––शंकाओं को र्दरू करने के धिए यह घोवर्त ककया जाता है कक ऐसे समझे
गए अंतरण में उक्त बीमा प्रमाणपत्र और बीमा पाधिसी के अधधकारों और र्दाधयत्िों का
अंतरण सखम्म्ित होगा ।
(2) अंतररती, विकहत प्ररूप में, अंतरण की तारीि से चौर्दह कर्दन के भीतर, बीमा
प्रमाणपत्र और प्रमाणपत्र में िखणषत पाधिसी में, उसके पि में अंतरण के तथ्य की बाबत
आिश्यक पररितषन करने के धिए बीमाकताष को आिेर्दन करे गा और बीमाकताष प्रमाणपत्र में
तथा बीमा की पाधिसी में बीमा के अंतरण की बाबत आिश्यक पररितषन करे गा ।
158. (1) ककसी सािषजधनक स्थान में मोटर यान चिाने िािा कोई भी व्यखक्त िर्दी कधतपय र्दशाओं
में कुछ
पहने हुए ककसी पुधिस अधधकारी द्वारा, खजसे राज्य सरकार ने इस धनधमत्त प्राधधकृ त ककया है ,
प्रमाणपत्रों,
अपेिा ककए जाने पर धनम्नधिखित र्दस्तािेज पेश करे गा जो उस यान के उपयोग से संबंधधत अनुज्ञखत और
हैं , अथाषत ् :–– परधमट का पेश
ककया जाना ।
(क) बीमा प्रमाणपत्र ;
(ि) रखजस्रीकरण प्रमाणपत्र ;
(ग) चािन अनुज्ञखत ; और
(घ) पररिहन यान की र्दशा में, धारा 56 में धनकर्दष ष्ट, ठीक हाित में होने का
प्रमाणपत्र और परधमट ।
95
(2) जहां मोटर यान के ककसी सािषजधनक स्थान में होने के कारण ऐसी र्दघ
ु ट
ष ना होती है
खजसके पररणामस्िरूप ककसी अन्य व्यखक्त की मृत्यु या उसे शारीररक िधत होती है िहां ,
यकर्द यान का ड्राइिर उपधारा (1) में धनकर्दष ष्ट प्रमाणपत्रों, चािन अनुज्ञखत और परधमट को
उस समय पुधिस अधधकारी को पेश नहीं करता है तो िह उक्त प्रमाणपत्रों, अनुज्ञखत और
परधमट को उस पुधिस थाने में पेश करे गा जहां िह धारा 134 द्वारा अपेखित ररपोटष करता है
।
(3) ककसी व्यखक्त को बीमा प्रमाणपत्र पेश करने में असफिता के ही कारण उपधारा
(1) या उपधारा (2) के अधीन उस र्दशा में र्दोर्धसद्ध नहीं ककया जाएगा जब, यथाखस्थधत, उस
तारीि से, खजसको उसका पेश ककया जाना उपधारा (1) के अधीन अपेखित ककया गया था
अथिा, र्दघ
ु ट
ष ना होने की तारीि से, सात कर्दन के अंर्दर िह ऐसे प्रमाणपत्र को उस पुधिस
थाने में पेश कर र्दे ता है खजसे उसने उस पुधिस अधधकारी को खजसने उसे पेश ककए जाने की
मांग की थी, या यथास्थधत, र्दघ
ु ट
ष ना स्थि के पुधिस अधधकारी को अथिा उस पुधिस थाने
के भारसाधक पुधिस अधधकारी को, खजसमें उसने र्दघ
ु ट
ष ना की ररपोटष धििाई है , विधनकर्दष ष्ट
ककया हो :
परन्तु इस उपधारा के उपबंध ककसी पररिहन यान के ड्राइिर को उसी विस्तार तक
और ऐसे उपांतरणों के साथ िागू होंगे जो विकहत ककए जाएं , अन्यथा नहीं ।
(4) मोटर यान का स्िामी ऐसी जानकारी र्दे गा खजसे र्दे ने की अपेिा उससे राज्य सरकार
द्वारा इस धनधमत्त सशक्त पुधिस अधधकारी द्वारा या उसकी ओर से यह अिधाररत करने के
प्रयोजन से की जाए कक क्या िह यान धारा 146 का उल्िंघन करके और ऐसे ककसी अिसर
पर चिाया जा रहा था या नहीं जब ड्राइिर से इस धारा के अधीन यह अपेिा की गए थी
कक िह अपना बीमा प्रमाणपत्र पेश करे ।
(5) इस धारा में, “अपना बीमा-प्रमाणपत्र पेश करे ” पर्द से सुसंगत बीमा प्रमाणपत्र पेश
करना या इस बाबत ऐसे अन्य साक्ष्य, जैसा विकहत ककया जाए, पेश करना अधभप्रेत है कक
िह यान धारा 146 का उल्िंघन करके नहीं चिाया जा रहा था ।
(6) जैसे ही ककसी ऐसी र्दघ
ु ट
ष ना की बाबत खजसमें ककसी व्यखक्त की मृत्यु या शारीररक
िधत अंतग्रषस्त है , कोई इवत्तिा पुधिस अधधकारी द्वारा अधभधिखित की जाती है या कोई
ररपोटष इस धारा के अधीन पुधिस अधधकारी द्वारा पूरी की जाती है , िैसे ही पुधिस थाने का
भारसाधक अधधकारी, उसकी एक प्रधत, यथाखस्थधत, इवत्तिा अधभधिखित करने की तारीि से
तीन कर्दन के भीतर या ऐसी ररपोटष पूरी होने पर, अधधकाररता, रिने िािे र्दािा अधधकरण
को और उसकी एक प्रधत संबंधधत बीमाकताष को भेजेगा और जहां एक प्रधत स्िामी को
उपिब्ध कराई जाती है , िहां िह भी ऐसी ररपोटष की प्राखत के तीस कर्दन के भीतर उसे र्दािा
अधधकरण और बीमाकताष को भेजेगा ।
यान का उपयोग 159. राज्य सरकार मोटर यान के स्िामी से यह अपेिा करने िािे धनयम बना सकेगी
करने के प्राधधकार
कक जब िह सािषजधनक स्थान पर यान का उपयोग करने का प्राधधकार के धिए कर र्दे कर या
के धिए आिेर्दन
करने पर बीमा
अन्यथा, आिेर्दन करे तब िह इस आशय का ऐसा साक्ष्य, जो उन धनयमों द्वारा विकहत ककया
पमाणपत्र पेश जाए, पेश करे कक या तो––
ककया जाना ।
(क) उस तारीि को जब यान का उपयोग करने का प्राधधकार प्रिृत्त होता है ,
आिेर्दक द्वारा या उसके आर्दे शों पर या उसकी अनुज्ञा से अन्य व्यखक्तयों द्वारा उस
यान का उपयोग ककए जाने के संबंध में आिश्यक सीमा पाधिसी प्रिृत्त होगी, या
96
(ि) िह यान ऐसा यान है खजसे धारा 146 िागू नहीं होती है ।
160. रखजस्रकताष प्राधधकारी या पुधिस थाने का भारसाधक अधधकारी ऐसे व्यखक्त द्वारा र्दघ
ु ट
ष नाग्रस्त यानों
की विधशखष्टयां
अपेिा ककए जाने पर जो यह अधभकथन करता है कक िह मोटर यान के उपयोग के कारण
र्दे ने का कतषव्य ।
हुई र्दघ
ु ट
ष ना की बाबत प्रधतकर का र्दािा करने का हकर्दार है , या ऐसे सीमाकताष द्वारा अपेिा
ककए जाने पर खजसके खििाफ ककसी मोटर यान की बाबत र्दािा ककया गया है , यथाखस्थधत,
उस व्यखक्त को या उस बीमाकताष को उसके द्वारा विकहत फीस कर्दए जाने पर, ऐसे प्ररूप में
और उतने समय के भीतर जो केन्द्रीय सरकार विकहत करे , ऐसा कोई जानकारी र्दे गा जो
उक्त प्राधधकारी या उक्त पुधिस अधधकारी के पास यान के पहचान धचह्नों और अन्य
विधशखष्टयों के संबंध में और उस व्यखक्त के नाम और पते के संबंध में हो जो र्दघ
ु ट
ष ना के
समय यान का उपयोग कर रहा था या खजसे उस यान से िधत हुई थी और संपवत्त का, यकर्द
कोई है , नुकसान हुआ था ।
161. (1) इस धारा, धारा 162 और धारा 163 के प्रयोजनों के धिए,–– टक्कर मार कर
भागने के संबध
ं
1860 का 45 (क) “घोर उपहधत” का िही अथष होगा जो भारतीय र्दं ड संकहता में उसका हैं ;
में मोटर र्दघ
ु ट
ष ना
(ि) “टक्कर मार कर भागने संबंधी मोटर र्दघ
ु ट
ष ना” से ऐसे मोटर यान या मोटर के मामिे में
164. (1) केंद्रीय सरकार इस अध्याय के, धारा 159 में विधनकर्दष ष्ट विर्यों से धभन्न, केन्द्रीय सरकार
की धनयम बनाने
उपबंधों की कायाषखन्ित करने के प्रयोजन के धिए धनयम बना सकेगी ।
की शवक्त ।
(2) पूिग
ष ामी शखक्त की व्यापकता पर प्रधतकूि प्रभाि डािे वबना, ऐसे धनयमों में
धनम्नधिखित उपबंध ककया जा सकेगा, अथाषत ् :––
(क) इस अध्याय के प्रयोजनों के धिए काम में िाए जाने िािे प्ररूप ;
(ि) बीमा-प्रमाणपत्रों के धिए आिेर्दन करना और उनका कर्दया जाना ;
(ग) िोए, नष्ट हुए या कटे फटे , बीमा-प्रमाणपत्रों के बर्दिे में उनकी र्दस
ू री
प्रधतयों का कर्दया जाना ;
(घ) बीमा-प्रमाणपत्रों की अधभरिा, उन्हें पेश करना, रद्द करना और अभ्यवपषत
करना ;
(ङ) इस अध्याय के अधीन र्दी गई बीमा पाधिधसयों के बीमाकताषओं द्वारा रिे
जाने िािे अधभिेि ;
(च) इस अध्याय के उपबंधों से छूट प्रात व्यखक्तयों या यानों की प्रमाणपत्रों
द्वारा या अन्यथा पहचान ;
(छ) बीमाकताषओं द्वारा बीमा पाधिधसयों विर्यक जानकारी का कर्दया जाना ;
99
र्दािा अधधकरण
र्दािा अधधकरण । 165. (1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधधसूचना द्वारा, एक या अधधक र्दघ
ु ट
ष ना र्दािा
अधधकरण (खजन्हें इस अध्याय में इसके पश्चात ् र्दािा अधधकरण कहा गया है ) ऐसे िेत्र के
धिए, जो अधधसूचना में विधनकर्दष ष्ट ककया जाए, उन र्दघ
ु ट
ष नाओं की बाबत प्रधतकर के र्दािों के
न्यायधनणषयन के प्रयोजन के धिए गकठत कर सकेगी खजनमें मोटर यानों के उपयोग से
व्यखक्तयों की मृत्यु या उन्हें शारीररक िधत हुई है या पर-व्यखक्त की ककसी संपवत्त को
नुकसान हुआ है या र्दोनों बातें हुई हैं ।
स्पष्टीकरण––शंकाओं के धनराकरण के धिए यह घोवर्त ककया जाता है कक “उन
र्दघ
ु ट
ष नाओं की बाबत प्रधतकर के र्दािों के न्यायधनणषयन के प्रयोजन के प्रयोजन के धिए
गकठत कर सकेगी खजनमें मोटर यानों के उपयोग से व्यखक्तयों की मृत्यु या उन्हें शारीररक
िधत हुठष है ” पर्द के अंतगषत धारा 140 और धारा 163क के अधीन प्रधतकर के धिए र्दािे भी
हैं ।
* * * * *
प्रधतकर के धिए 166. (1) * * * *
आिेर्दन ।
(2) उपधारा (1) के अधीन प्रत्येक आिेर्दन, र्दािाकताष के विकल्प पर, उस र्दािा
अधधकरण को खजसकी उस िेत्र पर अधधकाररता थी खजसमें र्दघ
ु ट
ष ना हुई है , अथिा उस र्दािा
अधधकरण को खजसकी अधधकाररता की स्थानीय सीमाओं के भीतर र्दािाकताष धनिास करता है
या कारबार करता है अथिा खजसकी अधधकाररता की स्थानीय सीमाओं के भीतर प्रधतिार्दी
धनिास करता है , ककया जाएगा और िह ऐसे प्रारूप में होगा और उसमें ऐसी विधशखष्टयां
होंगी जो विकहत की जाएं :
परं तु जहां धारा 140 के अधीन प्रधतकर के धिए कोई र्दािा ऐसे आिेर्दन में नहीं ककया
जाता है िहां उस आिेर्दन में आिेर्दक के हस्तािर के ठीक पूिष उस आशय का एक पृथक्
कथन होगा ।
* * * * *
(4) र्दािा अधधकरण, धारा 158 की उपधारा (6) के अधीन उसको भेजी गई र्दघ
ु ट
ष नाओं
की ककसी ररपोटष को इस अधधधनयम के अधीन प्रधतकर के धिए आिेर्दन के रूप में मानेगा ।
* * * * *
र्दािा अधधकरणों 168. (1) धारा 166 के अधीन ककए गए प्रधतकर के धिए आिेर्दन की प्राखत पर, र्दािा
का अधधधनणषय ।
अधधकरण बीमाकताष को आिेर्दन की सूचना र्दे ने और पिकारों को सुनिाई का अिसर र्दे ने के
पश्चात ् (खजसके अंतगषत बीमाकताष भी है ), यथाखस्थधत, र्दािे की या र्दािों में से प्रत्येक की
100
जांच करे गा तथा, धारा 162 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, अधधधनणषय र्दे गा खजसमें प्रधतकर
की उतनी रकम अिधाररत होगी, खजतनी उसे न्यायसंगत प्रतीत होती है तथा िह व्यखक्त या
िे व्यखक्त विधनकर्दष ष्ट होंगे खजन्हें प्रधतकर कर्दया जाएगा, और अधधधनणषय र्दे ते समय र्दािा
अधधकरण िह रकम विधनकर्दष ष्ट करे गा जो, यथाखस्थधत, बीमाकताष द्वारा या उस यान के जो
र्दघ
ु ट
ष ना में अंतग्रस्त था, स्िामी या ड्राइिर द्वारा, अथिा उन सब या उनमें से ककसी के द्वारा
र्दी जाएगी :
परं तु जहां ऐसे आिेर्दन में ककसी व्यखक्त की मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के बारे में
धारा 140 के अधीन प्रधतकर के धिए कोई र्दािा ककया गया है , िहां ऐसा र्दािा और ऐसी
मृत्यु या स्थायी धन:शक्तता के बारे में प्रधतकर के धिए कोई अन्य र्दािा (चाहे िह ऐसे
आिेर्दन में या अन्यथा ककया गया है ) अध्याय 10 के उपबंधों के अनुसार धनपटाया जाएगा ।
* * * * *
170. जहां जांच के अनुक्रम में र्दािा अधधकरण का यह समाधान हो जाता है कक–– कधतपय मामिों
में बीमाकताष को
(क) र्दािा करने िािे व्यखक्त तथा उस व्यखक्त के बीच, खजसके विरुद्ध र्दािा पिकार बनाया
ककया गया है , र्दरु धभसंधध है ; या जाना ।
(ि) िह व्यखक्त, खजसके विरुद्ध र्दािा ककया गया है , उस र्दािे का विरोध करने में
असफि रहा है ,
िहां िह उन कारणों से, जो िेिबद्ध ककए जाएंगे, यह धनर्दे श र्दे सकेगा कक िह बीमाकताष,
खजस पर ऐसे र्दािे की बाबत र्दाधयत्ि है , उस कायषिाही का पिकार बनाया जाए और ऐसे
पिकार बनाए गए बीमाकताष को तब धारा 149 की उपधारा (2) के उपबंधों पर प्रधतकूि
प्रभाि डािे वबना यह अधधकार होगा कक िह उस र्दािे का विरोध उन सब या ककन्हीं आधारों
पर करे , जो उस व्यखक्त को प्रात है , खजसके विरुद्ध र्दािा ककया गया है ।
* * * * *
(2) र्दािा अधधकरण के अधधधनणषय के विरुद्ध कोई अपीि उस र्दशा में न होगी खजसमें
अपीि में वििार्दाग्रस्त रकम र्दस हजार रुपए से कम है ।
* * * * *
अध्याय 13
और कंडक्टर द्वारा (3) यकर्द ठे का गा़िी का परधमट धारक या ड्राइिर इस अधधधनयम या इसके अधीन
कतषि््य की
बनाए गए धनयमों के उपबंधों के उल्िंघन में ठे का गा़िी के चिाने या यावत्रयों को िे जाने
अिहे िना के धिए
तथा ठे का गा़िी
से इं कार करे गा तो िह,––
आकर्द के चिाने के (क) र्दो पकहए या तीन पकहए िािे मोटर यानों की र्दशा में, जुमाषन से, जो पचास
धिए शाखस्त
रुपए तक का हो सकेगा, र्दण्डनीय होगा ; और
आकर्द ।
(ि) ककसी अन्य र्दशा में, जुमाषने से, जो र्दो सौ रुपए तक का हो सकेगा,
र्दण्डनीय होगा ।
आर्दे शों की अिज्ञा, 179. (1) जो कोई जानबूझकर ऐसे ककसी धनर्दे श की अिज्ञा करे गा जो िैसा धनर्दे श र्दे ने
बाधा डािना और
के धिए इस अधधधनयम के अधीन सशक्त ककसी व्यखक्त या प्राधधकारी द्वारा विधधपूिक
ष कर्दया
जानकारी र्दे ने से
इं कार करना ।
गया है या ऐसे ककन्हीं कृ त्यों का धनिषहन करने में ककसी व्यखक्त या प्राधधकारी को बाधा
पहुंचाएगा जो व्यखक्त या प्राधधकारी उसका धनिषहन करने के धिए इस अधधधनयम के अधीन
अपेखित या सशक्त है , िह उस र्दशा में जब उस अपराध के धिए कोई अन्य शाखस्त
उपबखन्धत नहीं है , जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, र्दण्डनीय होगा ।
(2) जो कोई इस अधधधनयम द्वारा या के अधीन कोई जानकारी र्दे ने के धिए अपेखित
होते हुए ऐसी जानकारी को जानबूझकर रोकेगा या ऐसी जानकारी र्दे गा खजसका धमथ्या होना
िह जानता है या खजसके सही होने का उसे विश्िास नहीं है , िह उस र्दशा में जब उस
अपराध के धिए कोई अन्य शाखस्त उपबखन्धत नहीं है , कारािास से, खजसकी अिधध एक
मास तक की हो सकेगी, या जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों
से, र्दण्डनीय होगा ।
अप्राधधकृत 180. जो कोई ककसी मोटर यान का स्िामी या भारसाधक व्यखक्त होते हुए ऐसे अन्य
व्यखक्तयों को यान
ककसी व्यखक्त से, जो धारा 3 या धारा 4 के उपबन्धों की पूधतष नहीं करता है , यान चििाएगा
चिाने की अनुज्ञा
र्दे ना ।
या चिाने र्दे गा, िह कारािास से, खजसकी अिधध तीन मास तक की हो सकेगी, या जुमाषने
से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा ।
धारा 3 या धारा 4 181. जो कोई धारा 3 या धारा 4 के उल्िंघन में ककसी मोटर यान को चिाएगा, िह
के उल्िंघन में
कारािास से, खजसकी अिधध तीन मास तक की हो सकेगी, या जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए
यानों को चिाना ।
तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा ।
अनुज्ञखत संबध
ं ी 182. (1) जो कोई चािन-अनुज्ञखत धारण करने या अधभप्रात करने के धिए इस
अपराध ।
अधधधनयम के अधीन धनरकहष त होते हुए सािषजधनक स्थान या ककसी अन्य स्थान में मोटर
यान चिाएगा या चािन-अनुज्ञखत के धिए आिेर्दन करे गा या उसे अधभप्रात करे गा अथिा
पृष्ठांकन रकहत चािन-अनुज्ञखत कर्दए जाने का हकर्दार न होते हुए अपने द्वारा पहिे धाररत
चािन-अनुज्ञखत पर ककए गए पृष्ठांकनों को प्रकट ककए वबना चािन-अनुज्ञखत के धिए
आिेर्दन करे गा या उसे अधभप्रात करे गा, िह कारािास से, खजसकी अिधध तीन मास तक की
हो सकेगी, या जुमाषने से, जो पांच सो रुपए तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय
होगा, और उसके द्वारा ऐसे अधभप्रात की गई कोई चािन-अनुज्ञखत प्रभािहीन होगी ।
(2) जो कोई कंडक्टर अनुज्ञखत धारण करने या अधभप्रात करने के धिए इस
अधधधनयम के अधीन धनरकहष त होते हुए ककसी मंखजिी गा़िी के कंडक्टर के रूप में
सािषजधनक स्थान में कायष करे गा अथिा कंडक्टर अनुज्ञखत के धिए आिेर्दन करे गा या उसे
अधभप्रात करे गा, अथिा पृष्ठांकन रकहत कंडक्टर अनुज्ञखत कर्दए जाने का हकर्दार न होते
102
हुए अपने द्वारा पहिे धाररत कंडक्टर अनुज्ञखत पर ककए गए पृष्ठांकनों को प्रकट ककए वबना
कंडक्टर अनुज्ञखत के धिए आिेर्दन करे गा या उसे अधभप्रात करे गा, िह कारािास से,
खजसकी अिधध एक मास तक की हो सकेगी, या जुमाषने से, जो एक सौ रुपए तक का हो
सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा, तथा उसके द्वारा ऐसे अधभप्रात की गई कोई
कंडक्टर अनुज्ञखत प्रभािहीन होगी ।
182क. कोई व्यखक्त जो धारा 109 की उपधारा (3) के उपबंधों का उल्िंघन करे गा, यान के
सखन्नमाषण और
प्रथम अपराध के धिए एक हजार रुपए के जुमाषने से और ककन्हीं पश्चात्िती अपराधों के
अनुरिण से
धिए पांच हजार रुपए के जुमाषने से र्दं डनीय होगा । संबधं धत अपराधों
के धिए र्दं ड ।
183. (1) जो कोई धारा 112 में धनकर्दष ष्ट गधत-सीमा का उल्िंघन करके मोटर यान अत्यधधक गधत
आकर्द से चिाना ।
चिाएगा िह जुमाषने से, जो चार सौ रुपए तक का हो सकेगा, या इस उपधारा के अधीन
अपराध के धिए पहिे ही र्दोर्धसद्ध हो चुकने पर इस उपधारा के अधीन अपराध के धिए
पुन: र्दोर्धसद्ध होने की र्दशा में जुमाषने से, जो एक हजार रुपए तक का हा सकेगा, र्दण्डनीय
होगा ।
(2) जो कोई ऐसे व्यखक्त से, जो मोटर यान चिाने के धिए उसके द्वारा धनयोखजत या
उसके धनंयत्रणाधीन है , धारा 112 में धनकर्दष ष्ट गधत-सीमा का उल्िंघन करते हुए उसे
चििाएगा, िह जुमाषने से, जो तीन सौ रुपए तक का हो सकेगा या इस उपधारा के अधीन
अपराध के धिए पहिे ही र्दोर्धसद्ध हो चुकने पर इस उपधारा के अधीन अपराध के धिए
पुन: र्दोर्धसद्ध होने की र्दशा में, जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, र्दण्डनीय
होगा ।
(4) ऐसी समय सारणी का प्रकाशन खजसके अधीन उसे ककसी धनर्दे श का कर्दया जाना
खजसके अनुसार कोई यात्रा या यात्रा का भाग विधनकर्दष ष्ट समय के अन्र्दर पूरा कर धिया
जाना है , उस र्दशा में, खजसमें न्यायािय की यह राय है कक मामिे की पररखस्थधतयों में यह
साक्ष्य नहीं है कक िह यात्रा या यात्रा का भाग धारा 122 में धनकर्दष ष्ट गधत-सीमा का उल्िंघन
ककए वबना विधनकर्दष ष्ट समय के अन्र्दर पूरा कर धिया धिया जाए, इस बात का प्रथमदृष्ट्या
साक्ष्य होगा कक खजस व्यक्तख् ने िह समय सारणी प्रकाधशत की है या िह धनर्दे श कर्दया है
उसने उपधारा (2) के अधीन र्दण्डनीय अपराध ककया है ।
184. जो कोई मोटर यान को ऐसी गधत से ऐसे तरीके से चिाएगा जो मामिे की उन ितरनाक तरीके
से मोटर यान
सब पररखस्थधतयों को, खजनके अन्तगषत उस स्थान का स्िरूप, हाित और उपयोग भी है ,
चिाना ।
जहां िह यान चिाया जा रहा है तथा उस स्थान में यातायात के पररणाम को जो िास्ति में
उस समय है या खजसके होने की युखक्तयुक्त रूप से प्रत्याशा की जा सकती है , ध्यान में
रिते हुए साधारण जनता के धिए ितरनाक है , िह प्रथम अपराध पर कारािास से, खजसकी
अिधध छह मास तक की हो सकेगी, या जुमाषने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा
और कद्वतीय या पश्चात्िती अपराध के धिए उस र्दशा में, खजसमें कक िह िैसे ही पूिि
ष ती
103
अपराध के ककए जाने के तीन िर्ष के अन्र्दर ककया गया है , कारािास से, खजसकी अिधध र्दो
िर्ष तक की हो सकेगी, या जुमाषने से, जो र्दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों
से, र्दण्डनीय होगा ।
ककसी मत्त व्यखक्त 185. मोटर यान को चिाते समय या चिाने का प्रयत्न करते समय––
द्वारा या मार्दक
द्रव्यों के असर में (क) खजस ककसी के रक्त में ककसी श्िास विश्िेर्क द्वारा परीिण ककए जाने पर
होते हुए ककसी रक्त के प्रधत 100 धमिी धिटर में 30 धमिी ग्राम से अधधक ऐल्कोहाि पाया जाता है ,
व्यखक्त द्वारा मोटर
या]
यान चिाया जाना
। (ि) जो कोई मार्दक द्रव्य के असर में इस सीमा तक है कक िह मोटर यान पर
समुधचत धनयंत्रण रिने में असमथष है ,
* * * * *
र्दौ़ि और गधत का 189. जो कोई राज्य सरकार की धिखित सहमधत के वबना ककसी सािषजधनक स्थान में
मुकाबिा ।
मोटर यान की ककसी भी प्रकार की र्दौ़ि या गधत का मुकाबिा करने र्दे गा या उसमें भाग
िेगा, िह कारािास से, खजसकी अिधध एक मास तक की हो सकेगी, या जुमाषने से, जो पांच
सौ रुपए तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा ।
190. (1) जो कोई व्यखक्त ककसी सािषजधनक स्थान में ऐसे मोटर यान या रे िर को, असुरखित र्दशा
िािे यान का
उस समय चिाएगा या चििाएगा या चिाने र्दे गा जब उस यान या रे िर में ऐसी कोई
104
िराबी है खजसकी उस व्यखक्त को जानकारी है या खजसका पता उसे मामूिी सािधानी बरतने उपयोग ककया
जाना ।
पर चि सकता था और िराबी ऐसी है कक उससे यान का चिाया जाना ऐसे स्थान का
उपयोग करने िािे व्यखक्तयों और यानों के धिए ितरे का कारण हो सकता है , िह जुमाषने
से, जो र्दो सौ पचास रुपए तक का हो सकेगा अथिा उस र्दशा में खजसमें कक ऐसी िराबी के
कारण र्दघ
ु ट
ष ना हो जाती है खजससे शारीररक िधत या सम्पवत्त को नुकसान पहुंचता है ,
कारािास से, खजसकी अिधध तीन मास तक की हो सकेगी, या जुमाषने से, जो एक हजार
रुपए तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा ।
(2) जो कोई व्यखक्त ककसी सािषजधनक स्थान में मोटर यान ऐसे चिाएगा या
चििाएगा या चिाने र्दे गा खजससे स़िक सुरिा, शोर धनयंत्रण और िायु प्रर्दर्
ू ण के संबंध में
विकहत मानकों का उल्िंघन होता है तो िह प्रथम अपराध के धिए एक हजार रुपए तक
जुमाषने से, तथा ककसी कद्वतीय या पश्चात्िती अपराध के धिए र्दो हजार रुपए तक जुमाषने से,
र्दं डनीय होगा ।
(3) जो कोई व्यखक्त ककसी सािषजधनक स्थान में कोई मोटर यान ऐसे चिाएगा या
चििाएगा या चिाने र्दे गा खजससे ऐसे माि के िहन से संबंधधत जो मानि जीिन के धिए
ितरनाक या पररसंकटमय प्रकृ धत का है , इस अधधधनयम के या इसके अधीन बनाए गए
धनयमों के उपबंधों का उल्िंघन होता है तो िह प्रथम अपराध के धिए जुमाषने से, जो तीन
हजार रुपए तक का हो सकेगा, या कारािास से, खजसकी अिधध एक िर्ष तक की हो सकेगी,
अथिा र्दोनों से, और ककसी कद्वतीय या पश्चात्िती अपराध के धिए, जुमाषने से जो पांच हजार
रुपए तक का हो सकेगा या कारािास से, खजसकी अिधध तीन िर्ष तक की हो सकेगी, अथिा
र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा ।
191. जो कोई मोटर यानों का आयातकताष या व्यापारी होते हुए मोटर यान या रे िर का यान का ऐसी
हाित में विक्रय
ऐसी हाित में विक्रय या पररर्दान करे गा अथिा विक्रय या पररर्दान की प्रस्थापना करे गा
या यान का ऐसी
खजससे सािषजधनक स्थान में उसके उपयोग से अध्याय 7 का या उसके अधीन बनाए गए हाित में
ककसी धनयम का उल्िंघन होगा अथिा मोटर यान या रे िर को ऐसे पररिधतषत करे गा कक पररितनषन खजससे
उसकी ऐसी हाित हो जाए खजससे सािषजधनक स्थान में उसके उपयोग से अध्याय 7 का या इस अधधधनयम
का उल्िंघन हो ।
उसके अधीन बनाए गए ककसी धनयम का उल्िंघन होगा, िह जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए
तक का हो सकेगा, र्दण्डनीय होगा :
परन्तु कोई भी व्यखक्त इस धारा के अधीन उस र्दशा में र्दोर्धसद्ध न ककया जाएगा
खजसमें िह सावबत कर र्दे ता है कक उसके पास यह विश्िास करने का उधचत कारण था कक
िह यान सािषजधनक स्थान में तब तक उपयोग में न िाया जाएगा जब तक कक िह ऐसी
हाित में नहीं कर कर्दया जाता खजसमें उसका ऐसा उपयोग विधधपूणत
ष या ककया जा सकता
है ।
* * * * *
192क. (1) जो कोई धारा 66 की उपधारा (1) के उपबन्धों के उल्िंघन में अथिा परधमट के वबना
यान का
ऐसे परधमट की उस मागष संबध
ं ी खजस पर या उस िेत्र संबध
ं ी खजसमें या उस प्रयोजन संबंधी
उपयोग ।
खजसके धिए उस यान का उपयोग ककया जा सकेगा, ककसी शतष के उल्िं घन में यान को
चिाएगा, अथिा मोटर यान का उपयोग कराएगा या ककए जाने र्दे गा, िह प्रथम अपराध के
धिए जुमाषने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, ककन्तु र्दो हजार रुपए से कम का
105
नहीं होगा, तथा ककसी पश्चात्िती अपराध के धिए कारािास से, खजसकी अिधध एक िर्ष तक
की हो सकेगी, ककन्तु तीन मास से कम की नहीं होंगी, या जुमाषने से, जो र्दस हजार रुपए
तक का हो सकेगा, ककन्तु पांच हजार रुपए से कम का नहीं होगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय
होगा :
परन्तु न्यायािय ऐसे कारणों से, जो िेिबद्ध ककए जाएंगे, कोई िघुतर र्दण्ड
अधधरोवपत कर सकेगा ।
* * * * *
वबना समुधचत 193. जो कोई धारा 93 के अथिा उसके अधीन बनाए गए ककन्हीं धनयमों के उपबन्धों
प्राधधकार िािे
का उल्िंघन करके अधभकताष या प्रचारक के रूप में काम करे गा िह प्रथम अपराध के धिए
अधभकताषओं और
प्रचारकों के धिए
जुमाषने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा तथा कद्वतीय या पश्चात्िती अपराध के
र्दण्ड । धिए कारािास से, जो छह मास तक का हो सकेगा, या जुमाषने से, जो र्दो हजार रुपए तक
का हो सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा ।
अनुज्ञेय भार से 194. (1) जो कोई धारा 113 या धारा 114 या धारा 115 के उपबन्धों के उल्िंघन में
अधधक भार िािे
ककसी मोटर यान को चिाएगा अथिा मोटर यान का उपयोग कराएगा या ककए जाने र्दे गा,
यान को चिाना ।
िह र्दो हजार रुपए के न्यूनतम जुमाषने से, और िर्दान सीमा से अधधक भार को उतरिाने के
धिए प्रभारों का संर्दाय करने के र्दाधयत्ि सकहत ऐसे अधधक भार के धिए एक हजार रुपए
प्रधत टन के कहसाब से अधतररक्त रकम से, र्दण्डनीय होगा ।
(2) यान का कोई ड्राइिर जो रुकने से और धारा 114 के अधीन इस धनधमत्त प्राधधकृ त
अधधकारी द्वारा ऐसा करने के धनर्दे श कर्दए जाने के पश्चात ् यान का भार कराने से इं कार
करता है अथिा भार कराने से पूि माि को हटाता है या हटिाता है , िह जुमाषने से, जो तीन
हजार रुपए तक का हो सकेगा, र्दं डनीय होगा ।
कधतपय 195. (1) जो कोई इस अधधधनयम या इसके अधीन बनाए गए धनयमों के अधीन ककसी
पररखस्थधतयों में
अपराध के धिए र्दोर्धसद्ध ककए जाने पर िैसा ही अपराध, पूिि
ष ती अपराध के ककए जाने के
न्यूनतम जुमाषने
का अधधरोपण ।
तीन िर्ष के भीतर र्दस
ू री बार या उसके पश्चातिती
् बार करे गा तो कोई न्यायािय ऐसे
अपराध के धिए अधधरोपणीय जुमाषने की अधधकतम रकम के एक चौथाई से कम जुमाषना
केिि उन कारणों से, जो उसके द्वारा िेिबद्ध ककए जाएंगे, अधधरोवपत करे गा, अन्यथा नहीं ।
(2) उपधारा (1) की ककसी बात का यह अथष नहीं िगाया जाएगा कक िह ऐसा कारािास
अधधधनणीत करने की न्यायािय की शखक्त को धनबषखन्धत करती है खजसे िह मामिे की
पररखस्थधतयों में आिश्यक समझता है और जो उस अपराध की बाबत इस अधधधनयम में
विधनकर्दष ष्ट अधधकतम सीमा से अधधक नहीं है ।
बीमा न ककए गए 196. जो कोई धारा 146 के उपबन्धों का उल्िंघन करके कोई मोटर यान चिाएगा या
यान को चिाना ।
चििाएगा, या चिाने र्दे गा िह कारािास से, जो तीन मास तक का हो सकेगा या जुमाषने से,
जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथिा र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा ।
प्राधधकार के वबना 197. (1) जो कोई ककसी मोटर यान को या तो उसके स्िामी की सहमधत प्रात ककए
यान िे जाना ।
वबना या अन्य विधधपूणष प्राधधकार के वबना िे जाएगा और चिाएगा, िह कारािास से, जो
तीन मास तक का हो सकेगा या जुमाषने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, अथिा
र्दोनों से, र्दण्डनीय होगा :
परन्तु कोई भी व्यखक्त इस धारा के अधीन उस र्दशा में र्दोर्धसद्ध न ककया जाएगा जब
106
* * * * *
200. (1) धारा 177, धारा 178, धारा 179, धारा 180, धारा 181, धारा 182, धारा 183 कधतपय अपराधों
का शमन ।
की उपधारा (1) या उपधारा (2), धारा 184, धारा 186, धारा189, धारा 190 की उपधारा (2), धारा
191, धारा 192, धारा 194, धारा 196, धारा 198 के अधीन र्दण्डनीय ककसी अपराध का, चाहे
िह इस अधधधनयम के प्रारम्भ के पूिष ककया गया हो या पश्चात ् ककया गया हो, ऐसे
अधधकाररयों या प्राधधकाररयों द्वारा और ऐसी राधश के धिए जो राज्य सरकार, राजपत्र में
अधधसूचना द्वारा, इस धनधमत्त विधनकर्दष ष्ट करे , शमन या तो अधभयोजन संखस्थत ककए जाने के
पूिष या पश्चात ् ककया जा सकेगा ।
(2) जहां ककसी अपराध का शमन उपधारा (1) के अधीन ककया गया है िहां अपराधी
को, यकर्द िह अधभरिा में हो, धनमुक्
ष त कर कर्दया जाएगा और ऐसे अपराध के बारे में उसके
विरुद्ध आगे कायषिाही नहीं की जाएगी ।
201. (1) जो कोई ककसी धनयोग्य यान को ककसी सािषजधनक स्थान पर ऐसी रीधत से यातायात के मुक्त
प्रिाह में अिरोध
रिेगा खजससे कक यातायात के मुक्त प्रिाह अिरुद्ध होता है तो िह, जब तक यान उस
डािने के धिए
खस्थधत में रहता है , प्रधत घंटा पांच सौ रुपए तक की शाखस्त के धिए र्दायी होगा : शाखस्त ।
परन्तु र्दघ
ु ट
ष नाग्रस्त यान केिि उस समय से शाखस्त का र्दायी होगा खजस समय विधध
के अधीन धनरीिण की औपचाररकताएं पूरी हो जाती हैं :
परन्तु यह और कक जहां यान ककसी सरकारी अधभकरण द्वारा हटाया जाता है िहां
अनुकर्षण प्रभार यान के स्िामी या ऐसे यान के भारसाधक व्यखक्त से िसूि ककए जाएंगे ।
* * * * *
धनयमों और 212. (1) * * * *
अधधसूचनाओं का
प्रकाशन, प्रारं भ
(4) इस अधधधनयम के अधीन केंद्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्ये क धनयम, धारा 75
और रिा जाना । की उपधारा (1) और धारा 163 की उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाई गई
107
प्रत्येक स्कीम और धारा 41 की उपधारा (4) ; धारा 58 की उपधारा (1), धारा 59 की उपधारा
(1) ; धारा 112 की उपधारा (1) के परन्तुक धारा 163क की उपधारा (4)] और धारा 213 की
उपधारा (4) के अधीन केंद्रीय सरकार द्वारा धनकािी गई प्रत्ये क अधधसूचना बनाए जाने या
धनकािी जाने के पश्चात ् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सर्दन के समि, जब िह सत्र में हो,
कुि तीस कर्दन की अिधध के धिए रिी जाएगी । यह अिधध एक सत्र में अथिा र्दो या
अधधक आनुक्रधमक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यकर्द उस सत्र के या पूिोक्त आनुक्रधमक सत्रों
के ठीक बार्द के सत्र के अिसान के पूिष र्दोनों सर्दन उस धनयम, स्कीम, या अधधसूचना में
कोई पररितषन करने के धिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात ् िह ऐसे पररिधतषत रूप में ही
प्रभािी होगा या होगी । यकर्द उक्त अिसान के पूिष र्दोनों सर्दन सहमत हो जाएं कक िह
धनयम नहीं बनाया जाना चाकहए या िह स्कीम नहीं बनाई जानी चाकहए या िह अधधसूचना
नहीं धनकािी जानी चाकहए तो तत्पश्चात ् िह धनष्प्रभाि हो जाएगा या हो जाएगी । ककन्तु
धनयम, स्कीम या अधधसूचना के ऐसे पररिधतषत या धनष्प्रभाि होने से उसके अधीन पहिे की
गई ककसी बात की विधधमान्यता पर प्रधतकूि प्रभाि नहीं प़िे गा ।
* * * * *
र्दस
ू री अनुसूची
(धारा 163क र्दे खिए)
िधत के मामिों संबध
ं ी पर व्यवक्त घातक र्दघ
ु ट
ष ना की अनुसच
ू ी
1. घातक र्दघ
ु ट
ष ना
िावर्षक आय रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0
3000 4200 5400 6600 7800 9000 10200 11400 12000 18000 24000 36000 40000
आहत व्यवक्त की आयु गुणक हजार रुपयों में
मृत्यु की र्दशा में प्रधतकर
रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0 रु0
15 िर्ष तक 15 60 84 108 132 156 180 204 228 240 360 480 720 800
15 िर्ष से अअधधक ककन्तु 20 16 57 79.8 102 125.4 148.2 171 193.8 216.6 228 342 456 684 760
िर्ष से अनधधक
20 िर्ष से अअधधक ककन्तु 25 17 54 75.6 972 118.8 140.4 162 183.6 205.2 216 324 432 648 720
िर्ष से अनधधक
25 िर्ष से अअधधक ककन्तु 30 18 51 71.4 91.8 112.2 132.6 153 173.4 193.8 204 306 408 612 680
िर्ष से अनधधक
30 िर्ष से अअधधक ककन्तु 35 17 50 67.2 86.4 105.6 124.8 144 163.2 192.4 192 288 384 576 640
िर्ष से अनधधक
35 िर्ष से अअधधक ककन्तु 40 16 50 63 81 99 117 135 153 171 180 270 360 540 600
िर्ष से अनधधक
40 िर्ष से अअधधक ककन्तु 45 15 50 58.8 75.6 92.4 109.2 126 142.8 159.6 168 252 336 504 560
िर्ष से अनधधक
45 िर्ष से अअधधक ककन्तु 50 13 50 50.4 64.8 79.2 93.6 108 122.4 136.8 144 216 286 432 480
िर्ष से अनधधक
50 िर्ष से अअधधक ककन्तु 55 11 50 50 54 66 78 90 102 114 120 180 240 360 400
िर्ष से अनधधक
55 िर्ष से अअधधक ककन्तु 60 8 50 50 50 52.8 62.8 72 81.6 91.2 96 114 192 286 320
िर्ष से अनधधक
60 िर्ष से अअधधक ककन्तु 65 5 50 50 50 50 50 54 61.2 68.4 72 108 144 216 240
िर्ष से अनधधक
65 िर्ष से अधधक 5 50 50 50 50 50 50 51 57 60 90 120 180 200
अधधक से अधधक
(i ) पी़िा और यातना
108
109
अधधक से अधधक
5. ऐसी र्दघ
ु ट
ष नाओं में धनःशक्ता जो घातक नहीं है :
ऐसी धुघट
ष ना से, जो घातक नहीं है , आहत व्यवक्त को होने
िािी धनःशक्ता की र्दशा में धनम्नधिखित प्रधतकर संर्देय होगा :
(क) स्थायी पूणष धनःशक्तता की र्दशा में संर्देय रकम, आय की िावर्षक हाधन को प्रधतकर के
अिधारण की तारीि पर उस आयु को िागू गुणक द्वारा गुणा करके पररकधित की जाएगी ।
(ि) स्थायी आंधशक धनःशक्तता की र्दशा में प्रधतकर की ऐसा प्रधतशत, जो उपरोक्त मर्द
(क) के अधीन विधनकर्दष ष्ट स्थायी पूणष धनःशक्तता की र्दशा में संर्देय होता ।
िे िधतयां, खजनके बारे में यह समझा जाता है कक उनके पररणामस्िरूप स्थायी पूणष
धनःशक्तता/स्थायी आंधशक धनःशक्तता हुई है और उपाजषन सामथ्यष की हाधन का प्रधतशत कमषकार
प्रधतकर अधधधनयम, 1923 की अनुसूची 1 के अनुसार होगा ।