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BY P.C. DWIVEDI AND A.K.

SINGH 2018
दण्ड प्रक्रिया संक्रिता 1973-
 दण्ड प्रक्रिया संक्रिता 1973, 01 अप्रैल 1974 से लागू िुई िै।
 इसका क्रिस्तार जम्मू कश्मीर के अक्रतररक्त सम्पूर्ण भारत पर िै।
 अध्याय 8,10 और 11 के उपबन्धों से क्रभन्न उपबन्ध नागालैंण्ड राज्य को एिं जनजाक्रत क्षेत्रों को लागू निी िोंगे।
 दण्ड प्रक्रिया संक्रिता प्रक्रियात्मक क्रिक्रध िै ।
धारा 2- पररभाषायें- इसमें संक्रिता में प्रयक्त
ु शब्दों का अर्ण स्पष्ट क्रकया गया िै।
धारा 2(क) जमानतीय अपराध -
 जो प्रर्म अनस
ु ूची में जमानतीय अपराध के रूप में क्रदखाया गया िो या
 जो उस समय लागू क्रकसी क्रिक्रध द्वारा जमानतीय बनाया गया िो और
 जो अजमानतीय अपराध से क्रभन्न अन्य कोई अपराध िो।
धारा 2(ख) - आरोप
 आरोप के अन्तगण त जब आरोप में एक से अक्रधक शीर्ण (Head) िो तो आरोप का कोई भी शीर्ण िै।
 आरोप अक्रभयक्त
ु को उसके द्वारा क्रकए गए अपराध की न्यायालय द्वारा जानकारी देना िै।
धारा 2(ठ) - असंज्ञेय अपराध
 ऐसा अपराध क्रजसमें पक्रु लस अक्रधकारी िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तारी निीं कर सकता िै ।
 ऐसे अपराध का अन्िेर्र् क्रबना मक्रजस्रेट के आदेश के निीं क्रकया जा सकता िै ।
धारा 2 (ण) - थाने का भारसाधक अक्रधकारी
 इसके अन्तगण त र्ाने के भारसाधक अक्रधकारी की अनपु क्रस्र्क्रत में
 उससे पंक्रक्त में ठीक नीचे का व्यक्रक्त
 कान्सटेक्रबल की पंक्रक्त से ऊपर का व्यक्रक्त र्ानाध्यक्ष िोगा ।
धारा 2(द) पुक्रिस ररपोर्ट -
 धारा 173(2) के अन्तगण त मक्रजस्रेट को भेजी जाने िाली ररपोटण
 पक्रु लस ररपोटण में आरोप पत्र ि अक्रन्तम आख्या दोनों सक्रम्मक्रलत िै।
धारा 2(ग) - संज्ञेय अपराध
 िि अपराध िै क्रजसमें पक्रु लस अक्रधकारी प्रर्म अनस
ु ूची के अनस
ु ार िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तार कर सकता िै या
 उस समय लागू क्रकसी क्रिक्रध के अनस
ु ार िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तार कर सकता िै।
धारा 2(घ) - पररवाद
 पररिाद मौक्रखक या क्रलक्रखत रूप में िो सकता िै।
 पररिाद मक्रजस्रेट के समक्ष क्रकया जाएगा

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 पररिाद अपराध के बारे में िोगा
 अपराधी ज्ञात या अज्ञात दोनो िो सकता िै।
 पक्रु लस ररपोटण पररिाद निीं िोगी।
 असंज्ञेय अपराध की प्रेक्रर्त पक्रु लस ररपोटण पररिाद समझी जाएगी।
धारा 2(छ) - जााँच
 जााँच मक्रजस्रेट द्वारा की जाएगी।
 जााँच क्रिचारर् से क्रभन्न िोगी।
धारा 2(ज) अन्वेषण
 अन्िेर्र् पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा क्रकया जाएगा।
 मक्रजस्रेट से क्रभन्न ऐसे व्यक्रक्त द्वारा क्रकया जाएगा क्रजसे मक्रजस्रेट प्राक्रधकृत करे।
 अन्िेर्र् का उद्देश्य साक्ष्य एकत्र करना िै।
धारा 2(झ) न्याक्रयक कायटवािी
 ऐसी कायण िािी क्रजसमें शपर् पर िैध रूप से साक्ष्य क्रलया जाता िै ।
 शपर् पर िैध रूप से साक्ष्य क्रलया जा सकता िै ।
धारा 2(र्) मिानगर क्षेत्र
 जो धारा 8 के अधीन मिानगर क्षेत्र घोक्रर्त क्रकया गया िै ।
 क्रजसकी जनसंख्या 10 लाख से अक्रधक िै ।
 क्रजसकी अक्रधसचू ना राज्य सरकार द्वारा जारी की गई िै ।
धारा 2(ध) - पक्रु िस थाना
 कोई चौकी या स्र्ान क्रजसे राज्य सरकार द्वारा पक्रु लस र्ाना घोक्रर्त क्रकया गया िै ।
धारा 2 (ब) समन मामिा
 जो िारण्ट मामला निीं िै ।
 जो दो िर्ण तक के कारािास या अर्ण दण्ड या दोनों से दंडनीय िै।
धारा 2(भ) - वारण्र् मामिा
 जो दो िर्ण से अक्रधक के कारािास से दण्डनीय िै।
धारा 2(ब (क)) - पीक्रडत
 ऐसा व्यक्रक्त क्रजसे अपराधी के कायण या लोप से क्षक्रत काररत िुई िो।
 पीक्रडत शब्द मे पीक्रडत का संरक्षक या क्रिक्रधक िाररस भी सम्मक्रलत िै।
धारा (6) - दण्ड न्यायाियों के वगट

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 सेशन न्यायालय
 प्रर्म िगण न्याक्रयक मक्रजस्रेट \ मिानगर क्षेत्र में मिानगर मक्रजस्रेट
 क्रद्वतीय िगण न्याक्रयक मक्रजस्रेट
 कायण पालक मक्रजस्रेट
 (क)क्रजला मक्रजस्रेट (ख) उपखण्ड मक्रजस्रेट (ग) क्रिशेर् कायण पालक मक्रजस्रेट
धारा(9) - सेशन न्यायािय
 राज्य सरकार प्रत्येक सेशन खण्ड के क्रलए एक सेशन न्यायालय स्र्ाक्रपत करेगी।
 प्रत्येक सेशन न्यायालय में एक न्यायाधीश सेशन न्यायाधीश िोगा।
 सेशन न्यायाधीश की क्रनयक्रु क्त उच्च न्यायालय द्वारा की जायेगी।
 उच्च न्यायालय अपर एिं सिायक सेशन न्यायाधीश की क्रनयक्त
ु कर सकता िै।
धारा(11)- न्याक्रयक मक्रजस्ट्रेर्ो के न्यायािय
 राज्य सरकार प्रत्येक क्रजले में न्याक्रयक मक्रजस्रेट के न्यायालयों की स्र्ापना करेगी।
 ऐसा उच्च न्यायालय के परामशण से अक्रधसूचना द्वारा करेगी।
 राज्य सरकार उच्च न्यायालय के परामशण से क्रिशेर् न्यायालय स्र्ाक्रपत कर सकती िै।
 एसे न्यायालय का पीठासीन अक्रधकारी उच्च न्यायालय द्वारा क्रनयक्त
ु क्रकय जाएगा।
 उच्च न्यायालय क्रसक्रिल न्यायालय के न्यायाधीश को प्रर्म िगण या क्रद्वतीय िगण मक्रजस्रेट की शक्रक्त प्रदान कर सकता िै।
धारा(12) - मख्ु य न्याक्रयक मक्रजस्ट्रेर् और अपर मख्ु य न्याक्रयक मक्रजस्ट्रेर् आक्रद-
 उच्च न्यायलय प्रत्येक क्रजले में एक मख्ु य न्याक्रयक मक्रजस्रेट क्रनयक्त
ु करेगा।
 उच्च न्याययलय प्रर्म श्रेर्ी मक्रजस्रेट को अपर मख्ु य न्याक्रयक मक्रजस्रेट क्रनयक्त
ु कर सकता िै।
 उच्च न्यायालय क्रकसी प्रर्म श्रेर्ी मक्रजस्रेट को उपखण्ड न्याक्रयक मक्रजस्रेट के रूप में पदारूढ़ कर सकता िै।
धारा(13) - क्रवशेष न्याक्रयक मक्रजस्ट्रेर्-
 क्रिशेर् न्याक्रयक मक्रजस्रेट की क्रनयक्त
ु उच्च न्यायालय द्वारा िोगी।
 के न्रीय सरकार या राज्य सरकार के अनरु ोध पर िोगी।
 क्रनयक्रु क्त एक बार में अक्रधकतम एक िर्ण के क्रलए िोगी।
धारा (20) - कायटपािक मक्रजस्ट्रेर्
 राज्य सरकार प्रत्येक क्रजले में क्रजतने िि उक्रचत समझे कायण पालक मक्रजस्रेट क्रनयक्रु क्त कर सकती िै।
 राज्य सरकार क्रकसी एक कायण पालक मक्रजस्रेट को क्रजला मक्रजस्रेट क्रनयक्त
ु करेगी।
 राज्य सरकार क्रकसी कायण पालक मक्रजस्रेट को अपर क्रजला मक्रजस्रेट क्रनयक्त
ु कर सकती िै।
 राज्य सरकार क्रकसी कायण पालक मक्रजस्रेट को उपखण्ड मक्रजस्रेट के रूप में क्रनयक्त
ु कर सकती िै।

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 मिानगर क्षेत्र में क्रकसी पक्रु लस आयक्त
ु को कायण पालक मक्रजस्रेट की सब या कुछ शक्रक्तयां दी जा सकती िैं।
धारा(21) - क्रवशेष कायटपािक मक्रजस्ट्रेर्
 राज्य सरकार क्रिक्रशष्ट क्षेत्र के क्रलए कायण पालक मक्रजस्रेट क्रनयक्त
ु कर सकती िै।
 राज्य सरकार क्रकसी क्रिक्रशष्ट कायों का पालन करने के क्रलए क्रिशेर् कायण पालक मक्रजस्रेट क्रनयक्त
ु कर सकती िै।
 एसे कायण पालक मक्रजस्रेट की क्रनयक्त
ु उतने समय के क्रलए िोगी क्रजतना राज्य सरकार उक्रचत समझे
धारा(24) - िोक अक्रभयोजक
 इस धारा में उच्च न्यायालयों एिं क्रजलों में लोक अक्रभयोजक एिं अपर लोक अक्रभयोजक की क्रनयक्रक्त ि अिण ता के बारे में प्रिधान
क्रकया गया िै।
 उच्च न्यायालय में लोक अक्रभयोजक अिं अपर लोक अक्रभयाजक की क्रनयक्रु क्त के न्रीय ि राज्य सरकार करेगी।
 ऐसी क्रनयक्रु क्त उच्च न्यायालय के परामशण के पश्चात िोगी।
 के न्रीय सरकार क्रजला या स्र्ानीय क्षेत्र के क्रलए लोक अक्रभयोजक क्रनयक्त
ु कर सकती िै।
 राज्य सरकार प्रत्येक क्रजले के क्रलए एक लोक अक्रभयोजक क्रनयक्त
ु करेगी
 राज्य सरकार प्रत्येक क्रजल के क्रलए एक से अक्रधक अपर लोक अक्रभयोजक क्रनयक्त
ु कर सकती िै।
 क्रजला मक्रजस्रेट सेशन न्यायाधीश के परामशण से ऐसे नामों का पैनल तैयार करेगा
 जिां अक्रभयोजन अक्रधकाररयों का क्रनयक्रमत काडर िै ििााँ उसी मे से क्रनयक्त
ु िोगी
 पात्रता के क्रलए कम से कम 7 िर्ण तक अक्रधिक्ता के रूप में कायण क्रकया िो
 क्रिशेर् लोक अक्रभयोजक की पात्रता कम से कम 10 िर्ण तक अक्रधिक्ता के रूप में कायण करने की िै।
धारा( 25) - सिायक िोक अक्रभयोजक
 राज्य सरकार मक्रजस्रेटों के न्यायालय में सिायक लोक अक्रभयोजक क्रनयक्त
ु करेगी।
 के न्रीय सरकार मक्रजस्रेटों के न्यायालय में सिायक लोक अक्रभयोजक क्रनयक्त
ु कर सकती िै।
 अनपु लब्धता की क्रस्र्क्रत में क्रजला मक्रजस्रेट क्रकसी व्यक्रक्त को क्रकसी मामले का भारसाधक सिायक लोक अक्रभयोजक क्रनयक्त

कर सकती िै।
 कोई पक्रु लस अक्रधकारी इसके क्रलए पात्र निीं िोगा
 जो क्रनरीक्षक की पंक्रक्त से नीचे का िै
 जब अक्रभयोजन चल रिा िो और उसने अन्िेर्र् में भाग क्रलया िो।
धारा (25 क) - अक्रभयोजन क्रनदेशािय
 राज्य सरकार अक्रभयोजन क्रनदेशालय की स्र्ापना कर सकती िै।
 इसमें एक अक्रभयोजन क्रनदेशक तर्ा अक्रभयोजन उपक्रनदेशक क्रनयक्त
ु िोंगे
 क्रनयक्रु क्त उच्च न्यायालय के मख्ु य न्यायमूक्रतण की सिमक्रत से िोगी।
 ऐसा व्यक्रक्त कम से कम 10 िर्ण तक अक्रधिक्ता के रूप में कायण क्रकया िो।

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 अक्रभयोजन क्रनदेशक राज्य में गिृ क्रिभाग के प्रशासकीय क्रनयंत्रर् में कायण करेगा।
 प्रत्येक अक्रभयोजन उपक्रनदेशक अक्रभयोजन क्रनदेशक के अधीनस्र् िोगा।
 इस धारा के प्रािधान राज्य के मिाक्रधिक्ता पर लागू निीं िोगे
 उच्च न्यायालय का अक्रभयोजक अक्रभयोजन क्रनदेशक के अधीनस्र् िोगा।
 क्रजले का अक्रभयोजक अक्रभयोजन उपक्रनदेशक के अधीनस्र् िोगा।
धारा 26 - न्यायािय क्रजनके द्वारा अपराध क्रवचारणीय िै-
 भारतीय दण्ड संक्रिता के अधीन क्रकसी अपराध का क्रिचारर्
 उच्च न्यायालय द्वारा क्रकया जा सकता िै या
 सेशन न्यायालय द्वारा क्रकया जा सकता िै या
 क्रकसी अन्य ऐसे न्यायालय द्वारा जैसा प्रर्म अनसु ूची में िक्रर्णत िै।
 क्रकसी अन्य क्रिक्रध के अधीन अपराध का क्रिचारर्-
 जब उस क्रिक्रध मे इस िेतु कोई न्यायालय उल्लेक्रखत िै तब उसके द्वारा
 अन्यर्ा उच्च नयायालय द्वारा
 प्रर्म अनस
ु ूची के भाग 2 मे उल्लेक्रखत न्यायालय द्वारा
धारा 28 - दण्डादेश, जो उच्च न्यायािय और सेशन न्यायािय दे सकें गे -
 उच्च नयायालय ऐसा कोई दण्डादेश दे सकता िै जो कानून द्वारा प्राक्रधकृत िै।
 सेशन न्यायाधीश ि अपर सेशन न्यायाधीश क्रिक्रध द्वारा प्राक्रधकृत कोई दण्डादेश दे सकता िै क्रकन्तु मत्ृ यु दण्डादेश की पक्रु ष्ट
उच्च न्यायालय द्वारा आिश्यक िै।
 सिायक सेशन नयायाधीश 10 िर्ण से अक्रधक के कारािास के अक्रतररक्त क्रिक्रध द्वारा प्राक्रधकृत कोई दण्डादेश दे सकता िै।
धारा 29- दण्डादेश जो मक्रज0 दे सकें गे-
 मख्ु य न्याक्रयक मक्रज0 मत्ृ य,ु आजीिन कारािास या 7 िर्ण से अक्रधक के कारािास के अक्रतररक्त क्रिक्रध द्वारा प्राक्रधकृत कोई
दण्डादेश दे सकता िै।
 प्रर्म िगण मक्रज0 3 िर्ण तक का कारािास या 10000 तक का जमु ाण ना या दोनो
 क्रद्वतीय िगण मक्रज0 1 िर्ण तक का कारािास या 5000 तक का जमु ाण ना या दोनॉ
 सी.एम.एम. को सी.जे.एम. , एम.एम. को जे.एम. की शक्रक्त िोगी।
धारा 30 - जुमाटना देने मे व्यक्रतिम िोने पर कारावास का दण्डादेश
 उतनी से अक्रधक न िोनी चाक्रिए क्रजतनी मक्रज0 धारा 29 के अंतगण त देने के क्रलए सशक्त िै।
 जिााँ कारािास मख्ु य दण्डादेश का भाग िो िि उस कारािास की अिक्रध के एक चौर्ाई तक
 जमु ाण ने के बदले में क्रदया गया कारािास धारा 29 दी गई कारािास की अिक्रध के अक्रतररक्त िोगा।
धारा 36 - वररष्ठ पुक्रिस अक्रधकाररयों की शक्रियााँ

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 पक्रु लस र्ाने के भारसाधक अक्रधकारी से रैंक मे िररष्ठ पक्रु लस अक्रधकारी
 क्रजस स्र्ानीय क्षेत्र में उनकी क्रनयक्रु क्त िै उनमें सिण त्र
 उन शक्रक्तयों का प्रयोग कर सकता िै क्रजनका र्ानाध्यक्ष र्ाने की सीमा के अन्दर कर सकता िै।
धारा 37 - जनता कब मक्रजस्ट्रेर् और पुक्रिस की सिायता करेगी
 प्रत्येक व्यक्रक्त क्रनम्न मामलो मे सिायता करने के क्रलए बाध्य िै
 क्रकसी व्यक्रक्त को , क्रजसे मक्रज0 या पक्रु लस अक्रधकारी क्रगरफ्तार करने के क्रलए अक्रधकृत िै, उसे पकड़ने या भागने से रोकने मे
अर्िा
 शांक्रत भंग को रोकने या उसका दमन करने मे अर्िा
 क्रकसी रेल, निर,तार या सािण जक्रनक सम्पक्रत को क्षक्रत पिुचाँ ाने के प्रयत्न को रोकने के क्रलए
 ऐसी सिायता करने मे जानबूझकर उपेक्षा करना भा.द.सं. की धारा 187 का अपराध िोगा।
धारा 38 -पुक्रिस अक्रधकारी से क्रभन्न ऐसे व्यक्रि को सिायता जो वारण्र् का क्रनष्पादन कर रिा िै-
 कोई व्यक्रक्त क्रकसी ऐसे व्यक्रक्त की सिायता कर सकता िै जो िारण्ट का क्रनष्पादन कर रिा िै।
 िारण्ट का क्रनष्पादन करने िाला पक्रु लस अक्रधकारी निी िै।
 सिायता करना बाध्यकारी निी िै यि उस व्यक्रक्त की इच्छा पर क्रनभण र िै।
धारा 39 - कुछ अपराधो की सचू ना का जनता द्वारा क्रदया जाना
 इस धारा के अन्तगण त प्रत्येक व्यक्रक्त का यि कतण ब्य िै क्रक भा.द.सं. के कुछ अपराधो के बारे मे जब उसे कोई जानकारी प्राप्त िो
इसकी सूचना क्रनकटतम पक्रु लस अक्रधकारी या मक्रजस्रेट को दे।
 ऐसी सूचना देने में चूक या उपेक्षा भा.द.सं. की धारा 176 का अपराध िोगा।
धारा 40 - ग्राम के मामिो के सम्बन्ध मे क्रनयोक्रजत अक्रधकाररयो के कक्रतपय ररपोर्ट करने का कतटव्य
 क्रकसी ग्राम के मामलो के सम्बन्ध मे क्रनयोक्रजत प्रत्येक अक्रधकारी
 ग्राम मे क्रनिास करने िाला प्रत्येक व्यक्रक्त
 जो ग्राम प्रशासन के सम्बन्ध में क्रकसी कृत्य का पालन करने के क्रलए क्रनयक्त
ु क्रकया गया िै।
 भा.द.सं. में िक्रर्णत कक्रतपय अपराधो के सम्बन्ध में
 सूचना जो उसके पास िै क्रनकटतम मक्रज0 या क्रनकटतम पक्रु लस अक्रधकारी को देगा।
 ऐसी सूचना देने में चूक करना भा.द.सं. की धारा 176 का अपराध िोगा।
 ग्राम के अन्तगण त ग्राम भूक्रमयााँ भी सक्रम्मक्रलत िै।
धारा 41 - पुक्रिस वारण्र् के क्रबना कब क्रगरफ्तार कर सके गी
 कोई पक्रु लस अक्रधकारी मक्रज0 के आदेश के क्रबना और िारण्ट के क्रबना क्रकसी ऐसे व्यक्रक्त को क्रगरफ्तार कर सकता िै।
 जो पक्रु लस अक्रधकारी की उपक्रस्र्क्रत में कोई संज्ञेय अपराध काररत करता िै ।
 जो सात िर्ण तक के कारािास से दण्डनीय अपराध काररत करता िै

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 यक्रद क्रनम्न शतों का समाधान िो जाता िै, अर्ाण त्
 पररिाद सूचना या संदिे के आधार पर क्रिश्वास करने का कारर् िै क्रक ऐसे व्यक्रक्त ने उक्त अपराध क्रकया िै।
 पक्रु लस अक्रधकारी को यि समाधान िो जाय क्रक ऐसी क्रगरफ्तारी-
 कोई अग्रेतर अपराध करने से ऐसे व्यक्रक्त को रोकने के क्रलए या
 अपराध का उक्रचत अन्िेर्र् करने के क्रलए या
 साक्ष्य को समाप्त करने या छे ड़छाड़ करने से रोकने के क्रलए
 साक्षी को प्रभाक्रित करने से रोकने के क्रलए
 न्यायालय में उपक्रस्र्क्रत सक्रु नक्रश्चत कराने के क्रलए
 पक्रु लस अक्रधकारी क्रगरफ्तारी करने ि न करने दोनों के कारर् लेखबद्ध करेगा ।
 (खक) जब सात िर्ण से अक्रधक के कारािास से दण्डनीय संज्ञेय अपराध करने का क्रिश्वसनीय कारर् िो
 जो अपराधी उद्घोक्रर्त क्रकया जा चक
ु ा िै
 क्रजसके कब्जे में चरु ाई गई सम्पक्रि िै
 जो पक्रु लस अक्रधकारी को कतण व्य पालन में बाधा पिुचाँ ाता िै या अक्रभरक्षा से भागा िै या भागने का प्रयत्न करता िै।
 क्रजस पर संघ के सशस्त्र बलों में से क्रकसी से अक्रभत्याजक िोने का सन्देि िै ।
धारा 41(क) - पुक्रिस अक्रधकारी के समक्ष उपक्रस्ट्थत िोने का क्रनदेश
 जब धारा 41(1) के अधीन क्रकसी व्यक्रक्त की क्रगरफ्तारी आिश्यक निीं िै, पक्रु लस अक्रधकारी नोक्रटस जारी करेगा ।
 ऐसा व्यक्रक्त नोक्रटस का अनपु ालन करेगा।
 नोक्रटस का अनपु ालन करने िाले को लेखबद्ध कारर्ों के क्रसिाय क्रगरफ्तार निीं क्रकया जायेगा ।
 नोक्रटस का अनपु ालन न करने िाले व्यक्रक्त को न्यायालय के आदेश से क्रगरफ्तार क्रकया जायेगा ।
धारा 41(ख) - क्रगरफ्तारी की प्रक्रकया तथा पुक्रिस अक्रधकारी के कतटव्य
 प्रत्येक पक्रु लस अक्रधकारी क्रगरफ्तारी के दौरान
 अपने नाम का सिी दृश्यमान तर्ा स्पष्ट पिचान धारर् करेगा।
 क्रगरफ्तारी का ज्ञापन तैयार करेगा।
 क्रगरफ्तारी की सूचना क्रदए जाने के अक्रधकार से अिगत करायेगा ।
धारा 41(ग) - जनपदों में क्रनयंत्रण कक्ष
राज्य सरकार -
 प्रत्येक जनपद में तर्ा
 राज्य स्तर पर एक पक्रु लस क्रनयंत्रर् कक्ष स्र्ाक्रपत करेगी।
 धारा 41(घ) क्रगरफ्तार क्रकये गये व्यक्रक्त को पूछ
ाँ तााँछ के दौरान अपनी पसन्द के क्रकसी भी अक्रधिक्ता से क्रमलने का अक्रधकार िै

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धारा 42 - नाम और क्रनवास बताने से इन्कार करने पर क्रगरफ्तारी
 जब कोई व्यक्रक्त पक्रु लस अक्रधकारी की उपक्रस्र्क्रत में असंज्ञेय अपराध करता िै।
 क्रजस पर पक्रु लस अक्रधकारी की उपक्रस्र्क्रत में असंज्ञेय अपराध करने का अक्रभयोग िै।
 जो पूछ
ाँ े जाने पर अपना नाम और क्रनिास बताने से इन्कार करता िै।
 या जो अपना नाम और क्रनिास क्रमथ्या बताता िै तो-
 उसका नाम और क्रनिास अक्रभक्रनक्रश्चत करने के क्रलए क्रगरफ्तार क्रकया जा सकता िै।
 नाम क्रनिास अक्रभक्रनक्रश्चत करने के बाद बन्ध पत्र पर छोड़ा जायेगा।
 क्रगरफ्तारी के 24 घंटे के अन्दर नाम क्रनिास अक्रभक्रनक्रश्चत न िोने या बन्ध पत्र क्रनष्पादन में असफलता पर मक्रजस्रेट के पास
भेजा जाएगा।
धारा 43- प्राइवेर् व्यक्रि द्वारा क्रगरफ्तारी और ऐसी क्रगरफ्तारी पर प्रक्रिया
 कोई प्राइिेट व्यक्रक्त क्रकसी ऐसे व्यक्रक्त को िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तार कर सकता िै
 जो उसकी उपक्रस्र्क्रत में संज्ञेय औऱ अजमानतीय अपराध करे
 जो उद्घोक्रर्त अपराधी िो
धारा 44 - मक्रजस्ट्रेर् द्वारा क्रगरफ्तारी
 जब कायण पालक या न्यायाक्रयक मक्रजस्रेट की उपक्रस्र्क्रत में उसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता में
 कोई अपराध काररत क्रकया जाता िै (संज्ञये या असंज्ञये )
 मक्रजस्रेट स्ियं क्रगरफ्तार कर सकता िै या क्रगरफ्तारी िेतु आदेश दे सकता िै
 कोई मक्रजस्रेट जब क्रकसी व्यक्रक्त की क्रगरफ्तारी िेतु िारण्ट जारी कर सकता िै तब िि स्ियं उसे क्रगरफ्तार कर सकता िै या
क्रगरफ्तार करने का आदेश दे सकता िै।
धारा 45 - सशस्त्र बिों के सदस्ट्यों का क्रगरफ्तारी से संरक्षण
 इस धारा के अनस
ु ार ऐसे व्यक्रक्तयों को िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तार निी क्रकया जा सकता िै जो-
 जो संघ के सशस्त्र बलों के सदस्य िों
 जो अपने पदीय कतण व्यों का क्रनिण िन कर रिें िैं
 क्रजनकी क्रगरफ्तारी के क्रलए के न्रीय सरकार की सिमक्रत निीं प्राप्त की गई िै
 राज्य सरकार अक्रधसूचना द्वारा ऐसा संरक्षर् अपने बल के सदस्यों को दे सकती िै
धारा 46 - क्रगरफ्तारी कै से की जाएगी
 क्रगरफ्तार क्रकए जाने िाले व्यक्रक्त के शरीर को छूकर या परररूद्ध कर
 प्रक्रतरोध की क्रस्र्क्रत में आिश्यक सब साधन का उपयोग क्रकया जा सकता िै
 क्रकसी ऐसे व्यक्रक्त क्रजस पर मत्ृ यु या आजीिन कारािास से दण्डनीय अपराध का अक्रभयोग निीं िै उसकी मत्ृ यु काररत निीं की
जा सकती ।

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धारा 47 उस स्ट्थान की तिाशी क्रजसमें ऐसा व्यक्रि प्रक्रवष्ट िुआ िै क्रजसकी क्रगरफ्तारी की जानी िै –
 ऐसे व्यक्रक्त को क्रगरफ्तार करने की प्रक्रिया जो क्रकसी स्र्ान में प्रक्रिष्ट िुआ िै
 ऐसे स्र्ान का भारसाधक मााँग करने पर ऐसे स्र्ान में प्रिेश करने देगा
 ऐसे स्र्ान का भारसाधक तलाशी लेने के क्रलए सब उक्रचत सक्रु िधाएाँ देगा ।
 स्िामी द्वारा मना करने पर आिश्यक बल का प्रयोग क्रकया जा सकता िै
 पक्रु लस अक्रधकारी गिृ या स्र्ान का द्वार या क्रखड़की तोड़कर भी प्रिेश कर सकता िै
 अन्दर प्रिेश के पश्चात क्रनरुक्रद्ध की क्रस्र्क्रत में क्रखड़की तोड़कर बािर आ सकता िै ।
धारा 48 अन्य अक्रधकाररताओं में अपराक्रधयों का पीछा करना
 यि धारा क्रगरफ्तारी के क्रलए भारत के क्रकसी भी स्र्ान में अक्रभयक्त
ु का पीछा कर क्रगरफ्तार करने की शक्रक्त प्रदान करती िैं।
धारा 49 - अनावश्यक अवरोध न करना
 क्रगरफ्तार व्यक्रक्त को उतना अिरुद्ध क्रकया जाएगा क्रजतना उसे भागने से रोकने के क्रलए आिश्यक िै ।
 अनािश्यक बल प्रयोग, अनािश्यक अिरोध भा0द0सं0 की धारा 220 का अपराध िोगा।
धारा 50 - क्रगरफ्तार क्रकये गए व्यक्रि को क्रगरफ्तारी के आधार और जमानत के अक्रधकार की इक्रििा दी जाना
 यि धारा क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रक्त को दो मित्िपूर्ण संरक्षर् प्रदान करती िै ।
 यि एक संिैधाक्रनक व्यिस्र्ा िै क्रजसका उल्लेख संक्रिधान के अन0ु -22 में िै
 क्रगरफ्तार व्यक्रक्त को क्रगरफ्तारी के कारर्ों से अिगत कराया जाएगा
 जमानतीय अपराध में जमानत के अक्रधकार से अिगत कराया जाएगा ।
धारा 51 - क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रि की तिाशी
 इस धारा के अन्तगण त तलाशी के िल क्रगरफ्तारी के बाद ली जाएगी
 तलाशी में पिनने के आिश्यक िस्त्रों को छोड़कर सभी िस्तएु ं अक्रभगिृ ीत की जाएगी
 क्रगरफ्तार व्यक्रक्त को एक रसीद क्रजसमें पक्रु लस द्वारा कब्जे में ली िस्तएु ं दक्रशणत िोगी
 क्रकसी स्त्री की तलाशी क्रशष्टता का ध्यान रखते िुए अन्य स्त्री द्वारा ली जाएगी ।
धारा 52 - आिामक आयुधों का अक्रभग्रिण करने की शक्रि
 क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रक्त के शरीर पर पाये जाने िाले आिामक आयधु कब्जे में क्रलए जाएंगे ।
 ऐसा आयधु न्यायालय या अक्रधकारी को पररदि क्रकया जाएगा
धारा 53 पुक्रिस अक्रधकारी की प्राथटना पर क्रचक्रकत्सा व्यवसायी द्वारा अक्रभयुि की परीक्षा
 इस धारा में साक्ष्य प्रकट करने की दृक्रष्ट से शारीररक परीक्षा का प्रािधान क्रकया गया िै।
 ऐसी परीक्षा उपक्रनरीक्षक या उससे ऊपर के रैंक के पक्रु लस अक्रधकारी की प्रार्ण ना पर िोगी ।
 ऐसी शारीररक परीक्षा रक्रजस्रीकृत क्रचक्रकत्सा व्यिसायी द्वारा की जाएगी ।

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 क्रकसी स्त्री की शारीररक परीक्षा मक्रिला रक्रजस्रीकृत क्रचक्रकत्सा व्यिसायी द्वारा या उसके पयण िेक्षर् में की जाएगी ।
 ऐसी शारीररक परीक्षा िेतु आिश्यक बल का प्रयोग क्रकया जा सकता िै।
धारा 53 A - बिात्संग के अपराधी व्यक्रि की क्रचक्रकत्सा व्यवसायी द्वारा परीक्षा
 ऐसी परीक्षा सरकार द्वारा या स्र्ानीय प्राक्रधकारी द्वारा चलाए जा रिे अस्पताल में क्रनयोक्रजत रक्रजस्रीकृत क्रचक्रकत्सा व्यिसायी
द्वारा की जाएगी ।
 16 क्रक.मी. की पररक्रध में ऐसे क्रचक्रकत्सक की अनपु क्रस्र्क्रत में अन्य रक्रजस्रीकृत क्रचक्रकत्सा व्यिसायी द्वारा परीक्षा की जाएगी ।
 ऐसी परीक्षा िेतु आिश्यक बल का प्रयोग क्रकया जा सकता िै ।
धारा 54 - क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रक्त की क्रचक्रकत्साक्रधकारी द्वारा परीक्षा
 क्रगरफ्तारी के तरु न्त पश्चात क्रगरफ्तार व्यक्रक्त की शारीररक परीक्षा कराई जाएगी ।
 ऐसी शारीररक परीक्षा सरकारी सेिारत क्रचक्रकत्साक्रधकारी द्वारा की जाएगी ।
 ऐसे क्रचक्रकत्सक के उपलब्ध न िोने पर क्रकसी पंजीकृत क्रचक्रकत्सक द्वारा की जाएगी ।
 क्रकसी मक्रिला की शारीररक परीक्षा के िल मक्रिला क्रचक्रकत्साक्रधकारी द्वारा की जाएगी
 परीक्षर् ररपोटण की एक प्रक्रत क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रक्त या उसके द्वारा नाक्रमत व्यक्रक्त को दी जाएगी ।
 परीक्षर् ररपोटण में क्षक्रत या क्रिंसा के क्रचन्ि एिं अनमु ाक्रनत समय का उल्लेख िोगा ।
धारा 54(क) - क्रगरफ्तार व्यक्रि की क्रशनाख्त
 र्ानाध्यक्ष के क्रनिेदन पर अक्रधकाररता रखने िाला न्यायालय क्रशनाख्त का आदेश दे सके गा ।
 जब क्रशनाख्त करने िाला मानक्रसक शारीररक रूप से क्रनयोग्य िो तो क्रशनाख्त की प्रक्रिया न्याक्रयक मक्रजस्रेट के पयण िेक्षर् में
िोगी ।
 ऐसी क्रशनाख्त प्रक्रिया की िीक्रडयो क्रफल्म तैयार की जाएगी ।
धारा 55 - जब पुक्रिस अक्रधकारी वारण्र् के क्रबना क्रगरफ्तार करने के क्रिए अपने अधीनस्ट्थ को प्रक्रतक्रनयुि करता िै तब
प्रक्रिया –
 अन्िेर्र् के दौरान कोई पक्रु लस अक्रधकारी अपने अधीनस्र् को क्रगरफ्तारी का आदेश देगा ।
 ऐसा आदेश क्रलक्रखत िोगा ।
 आदेश में अक्रभयक्त
ु का नाम पता ि अपराध का क्रििरर् िोगा ।
 क्रगरफ्तारी के पूिण क्रगरफ्तार क्रकए जाने िाले व्यक्रक्त को आदेश का सार सूक्रचत क्रकया जाएगा
 क्रगरफ्तार क्रकए जाने िाले व्यक्रक्त की अपेक्षा पर आदेश क्रदखाना िोगा ।
 यि धारा , धारा 41 में दी गई पक्रु लस की क्रगरफ्तारी की शक्रक्त पर प्रभाि निीं डालेगी ।
धारा 55 (क) - क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रि की स्ट्वास्ट्थ तथा सरु क्षा
 अक्रभयक्त
ु के स्िास्र् ि सरु क्षा का दाक्रयत्ि अक्रभरक्षा में रखने िाले व्यक्रक्त पर िोगा ।
धारा 56 - क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रि का मक्रजस्ट्रेर् या पक्रु िस थाने के भारसाधक अक्रधकारी के समक्ष िे जाया जाना

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 िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तार व्यक्रक्त को क्रबना क्रकसी अनािश्यक क्रिलम्ब के
 अक्रधकाररता रखने िाले मक्रजस्रेट के समक्ष ले जाया जाएगा या
 पक्रु लस र्ाने के भारसाधक अक्रधकारी के समक्ष ले जाया जाएगा
धारा 57- क्रगरफ्तार क्रकए व्यक्रि का 24 घण्र्े से अक्रधक क्रनरुद्ध न क्रकया जाना
 यि एक संिैधाक्रनक व्यिस्र्ा िै क्रजसका उल्लेख अन0ु 22 में क्रकया गया िै
 क्रगरफ्तार व्यक्रक्त को 24 घण्टे के अन्दर मक्रजस्रेट के समक्ष प्रस्ततु करना िोगा
 इसमें क्रगरफ्तारी के स्र्ान से न्यायालय तक की यात्रा का समय सक्रम्मक्रलत निीं िोगा
धारा 58 - पक्रु िस का क्रगरफ्ताररयों की ररपोर्ट करना
 र्ानाध्यक्ष अपने-अपने र्ाने की सीमा के अन्दर क्रबना िारण्ट क्रगरफ्तार क्रकए गए व्यक्रक्तयों की सूचना क्रजला मक्रजस्रेट या उसके
क्रनदेश पर उपखण्ड मक्रजस्रेट को देगा।
धारा 59 - पकडे गए व्यक्रि का उन्मोचन
 िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तार क्रकए गए क्रकसी व्यक्रक्त को क्रनम्नक्रलक्रखत के अधीन उन्मोक्रचत क्रकया जा सके गा
 स्िंय के बन्धपत्र पर या
 जमानत पर या
 मक्रजस्रेट के क्रिशेर् आदेश पर (धारा 167 के अन्तगण त )
धारा 60 - क्रनकि भागने पर पीछा करने और पकड िेने की शक्रि
 यि धारा उस व्यक्रक्त को क्रजसकी अक्रभरक्षा से कोई व्यक्रक्त भागता िै या छुड़ा क्रलया जाता िै , उसे दो अक्रधकार प्रदान करती िै –
 िि ऐसे व्यक्रक्त का भारत के क्रकसी भी स्र्ान में पीछा कर सके गा एिं
 उसे िारण्ट के क्रबना पनु ः क्रगरफ्तार कर सकता िै।
 ऐसी क्रगरफ्तारी पर धारा 47 के उपबन्ध लागू िोंगे ।
धारा – 61 समन का प्रारुप
 समन क्रलक्रखत िोना चाक्रिए
 समन दो प्रक्रतयो में िोना चाक्रिए
 समन िस्ताक्षररत िोना चाक्रिए (न्यायालय द्वारा)
 समन पर न्यायालय की मरु ा अंक्रकत की जानी चाक्रिये
 समन पर क्रतक्रर् समय एिं स्र्ान का उल्लेख िोना चाक्रिये
 समन पर अपराध का उल्लेख क्रकया जाना चाक्रिये
धारा – 62 समन की तामीि कै से की जाये
1. समन की तामील कौन करेगा
 समन की तामील क्रकसी पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा की जायेगी या

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 समन जारी करने िाले न्यायालय के क्रकसी अक्रधकारी द्वारा या
 अन्य क्रकसी लोक सेिक द्वारा की जा सकती िै।
2. समन की तामील कै से की जायेगी
 जिााँ तक सम्भि िो समन क्रकये गये व्यक्रक्त को समन की मूल प्रक्रत देकर
 समन प्राप्त करने िाला दूसरे प्रक्रत पर प्राक्रप्त के िस्ताक्षर करेगा।
धारा – 63 क्रनगक्रमत क्रनकायों या सोसाइक्रर्यों पर समन की तामीि – क्रकसी क्रनगक्रमत क्रनकाय या सक्रमक्रत पर समन की
तामील
1.क्रनगम के सक्रचि 2.स्र्ानीय प्रबन्धक या
3.अन्य प्रधान अक्रधकारी पर की जा सके गी या 4.भारत में क्रनगम के मख्ु य अक्रधकारी के पते पर रक्रजस्टडण डाक द्वारा की जा
सके गी
धारा – 64 जब समन क्रकये गये व्यक्रि न क्रमि सके तब तामीि
 पररिार के उसके सार् रिने िाले बयस्क परू
ु र् सदस्य पर
 पररिार के सदस्य में सेिक सक्रम्मक्रलत निी िै।
 इसे समन की क्रकस्म दोयम तामील भी किते िै।
 ऐसी तामीली तब की जाये जब समन क्रकया गया व्यक्रक्त पूर्ण प्रयास के बाद न क्रमल सके ।
धारा – 65 जब पूवट प्रकार से तामीि न की जा सके तब प्रक्रिया
 जब उपरोक्त तीनों रीक्रतयों से समन की तामील न िो सके तब समन की एक प्रक्रत उस व्यक्रक्त के क्रनिास स्र्ान के आसानी से
क्रदखाई पड़ने िाले स्र्ान पर लगाकर की जा सके गी। इस तामीली को प्रक्रतस्र्ाक्रपत तामील(Substituted Service) भी किते
िै।
धारा – 66 सरकारी सेवक पर तामीि
 समन की दो प्रक्रतयााँ उस कायाण लय के प्रधान को भेजी जाएगी।
 कायाण लय अध्यक्ष उस व्यक्रक्त पर धारा 62 में क्रदए गए तरीके से तामीली कराएगा
 यि तामीली व्यक्रक्तगत रूप से िोनी चाक्रिए।
 कायाण लय अध्यक्ष अपनी ररपोटण के सार् एक प्रक्रत िापस न्यायालय को भेजेगा।
धारा – 67 स्ट्थानीय सीमाओं से बािर समन की तामीि
 समन दो प्रक्रतयों में उस मक्रजस्रेट को भेजा जायेगा क्रजसके क्षेत्राक्रधकार में िि व्यक्रक्त क्रनिास करता िै।
 क्षेत्राक्रधकार रखने िाला मक्रजस्रेट ऐसे समन की सम्यक तामील कराएगा।
धारा – 68 तामीि का सबूत जब तामीि करने वािा अक्रधकारी उपक्रस्ट्थत न िो-
जब समन की तामील क्षेत्राक्रधकार के बािर की गई िो तब-
 शपर् पत्र द्वारा(तामील अक्रधकारी के )
 समन की दूसरी प्रक्रत पर पष्ठृ ांकन और िस्ताक्षर तामीला का साक्ष्य िोगा।

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क्रगरफ्तारी का वारण्र्
धारा – 70 क्रगरफ्तारी के वारण्र् का प्रारूप और अवक्रध-
 क्रगरफ्तारी का िारण्ट क्रलक्रखत िोना चाक्रिये।
 िारण्ट पर न्यायालय के पीठासीन अक्रधकारी का िस्ताक्षर िोना चाक्रिये।
 िारण्ट पर न्यायालय की मरु ा लगी िोनी चाक्रिये।
 िारण्ट पर अक्रभकक्रर्त अपराध का उल्लेख िोना चाक्रिये।
 िारण्ट पर क्रनष्पादन करने िाले अक्रधकारी का क्रििरर् िोना चाक्रिये।
 िारण्ट तब तक प्रितण न में रिेगा जब तक िि क्रनष्पाक्रदन निी िो जाता।
 िारण्ट तब तक प्रितण न में रिेगा जब तक िि न्यायालय द्वारा रद्द निीं कर क्रदया जाता।

धारा – 71 प्रक्रतभूक्रत क्रिए जाने का क्रनदेश देने की शक्रि


 प्रक्रतभूक्रत लेने का क्रनदेश जमानतीय िारण्ट में क्रदया जाता िै।
 जमानतीय िारण्ट में व्यक्रक्त बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत कर मक्त
ु िो सकता िै।
 जमानतीय िारण्ट में प्रक्रतभू की राक्रश का उल्लेख िोगा ।
 इसमें उस समय का उल्लेख िोगा जब उसे न्यायालय के समक्ष िाक्रजर िोना िो।
धारा – 72 वारण्र् क्रकसको क्रनक्रदटष्ट िोंगे-
 क्रगरफ्तारी का िारण्ट एक या एक से अक्रधक पक्रु लस अक्रधकारी को क्रनक्रदणष्ट िोगा।
 अजेन्ट मामलों में जब पक्रु लस अक्रधकारी उपलबन्ध न िो तो िारण्ट क्रकसी व्यक्रक्त को क्रनक्रदणष्ट क्रकया जा सकता िै।
 एक से अक्रधक को क्रनक्रदणष्ट िारण्ट का क्रनष्पादन उन सबके द्वारा या क्रकसी एक द्वारा क्रकया जा सकता िै।
धारा – 73 वारण्र् क्रकसी भी व्यक्रि को क्रनक्रदटष्ट िो सके गें- इस धारा के तित सी0जे0एम0 या प्रर्म श्रेर्ी मक्रजस्रेट
क्रनम्नक्रस्र्क्रतयों में पक्रु लस अक्रधकारी के अक्रतररक्त क्रकसी व्यक्रक्त को िारण्ट क्रनष्पादन िेतु क्रनक्रदष्ट कर सकता िै-
 क्रनकल भागे िुये क्रसद्धदोर् अपराधी की क्रगरफ्तारी के क्रलये
 क्रकसी उदघोक्रर्त अपराधी की क्रगरफ्तारी के क्रलये
 ऐसा व्यक्रक्त जो अजमानतीय अपराध का अक्रभयक्त
ु ।
 ऐसे िारण्ट का क्रनष्पादन उसके भारसाधन के अधीन क्रकसी भूक्रम में प्रिेश पर िोगा।
धारा – 74 पुक्रिस अक्रधकारी को क्रनक्रदटष्ट वारण्र् -
 िारण्ट क्रकसी पक्रु लस अक्रधकारी को क्रनक्रदणष्ट िोगा
 ऐसे िारण्ट का क्रनष्पादन दस
ू रा पक्रु लस अक्रधकारी कर सकता िै।
 ऐसे िारण्ट पर दस
ू रे पक्रु लस अक्रधकारी का नाम पष्ठृ ांक्रकत करना िोगा।

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 िारण्ट क्रनष्पादन िेतु क्रनक्रदणष्ट पक्रु लस अक्रधकारी िारण्ट पर नाम का पष्ठृ ाकन करेगा।
धारा – 75 वारण्र् के सार की सचू ना – िारण्ट का क्रनष्पादन करने िाला पक्रु लस अक्रधकारी या अन्य व्यक्रक्त क्रगरफ्तार क्रकये
जाने िाले व्यक्रक्त को -
 िारण्ट के सार से अिगत करायेगा।
 अपेक्षा करने पर उसे िारण्ट क्रदखायेगा।
धारा –76 क्रगरफ्तार क्रकये गये व्यक्रि का न्यायािय के समक्ष अक्रविम्ब िाया जाना
 धारा 57 के अनस
ु ार 24 घण्टे के अन्दर मक्रजस्रेट के समक्ष पेश करना िोगा।
 ऐसा धारा 71 के प्रक्रतभूक्रत सम्बन्धी उपबन्धों के अधीन क्रकया जायेगा।
धारा –77 वारण्र् किााँ क्रनष्पाक्रदत क्रकया जा सकता िै-
 िारण्ट का क्रनष्पादन भारत में क्रकसी भी स्र्ान में क्रकया जा सके गा।
 क्रिदेशी िारण्ट का क्रनष्पादन प्रत्यपण र् (Extradition) क्रिक्रध के अनस
ु ार िोगा।
धारा –78 अक्रधकाररता के बािर क्रनष्पादन के क्रिये भेजा गया वारण्र्
 न्यायालय की अक्रधकाररता के िािर भारत के अन्दर क्रकसी स्र्ान से िै।
 ऐसा िारण्ट क्रनष्पादन के क्रलए डाक द्वारा या अन्यर्ा भेजा जायेगा।
 िारण्ट ऐसे कायण पालक मक्रजस्रेट या पक्रु लस अधीक्षक या पक्रु लस आयक्त
ु को भेजा जाएगा क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता में
क्रनष्पादन िोना िै।
 ऐसा अक्रधकारी िारण्ट की प्राक्रप्त पर अपना नाम पष्ठृ ांक्रकत करेगा।
 ऐसे िारण्ट का क्रनष्पादन पूिण उपबक्रन्धत प्रकार से क्रकया जाएगा।
धारा – 79 अक्रधकाररता के बािर क्रनष्पादन के क्रिये पक्रु िस अक्रधकारी को क्रनक्रदष्ट वारण्र्-
 जब िारण्ट का क्रनष्पादन जारी करने िाले न्यायालय की अक्रधकाररता से िािर िोना िो
 तब पक्रु लस अक्रधकारी उस िारण्ट को पष्ठृ ांकन के क्रलये क्रनम्न के पास ले जाएगा-
(1) उस कायण पालक मक्रजस्रेट क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता में क्रनष्पादन िोना िै।
(2) उस र्ानाध्यक्ष या उससे उच्च रैंक के पक्रु लस अक्रधकारी के पास क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता में िारण्ट का क्रनष्पादन
िोना िै।
 ऐसा मक्रजस्रेट या पक्रु लस अक्रधकारी उस पर अपना नाम पष्ठृ ांक्रकत करेगा।
 ऐसा पष्ठृ ांकन उस िारण्ट के क्रनष्पादन का पयाण प्त प्राक्रधकार िोगा।
 ऐसे िारण्ट के क्रनष्पादन में स्र्ानीय पक्रु लस की सिायता ली जा सकती िै।
 आपिाक्रदक क्रस्र्क्रत में ऐसे िारण्ट का क्रनष्पादन क्रबना पष्ठृ ांकन के भी क्रकया जा सके गा।
धारा – 80 क्रजस व्यक्रि के क्रवरूद्ध वारण्र् जारी क्रकया गया था, उसके क्रगरफ्तार िोने पर प्रक्रिया- जब िारण्ट का क्रनष्पादन
क्रजले से बािर क्रकया जाये तब के क्रसिाय-
 जब िारण्ट जारी करने िाला न्यायालय क्रगरफ्तारी स्र्ल से 30 क्रक0मी0 के अन्दर िो

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 क्रजस कायण पालक मक्रजस्रेट पक्रु लस अधीक्षक या पक्रु लस आयक्त
ु की स्र्ानीय सीमा में क्रगरफ्तारी िुई िो उससे क्रनकटतम या
 धारा 71 के अन्तगण त प्रक्रतभूक्रत ले ली गई िो ।
 एसे मक्रजस्रेट या क्रजला अधीक्षक या आयक्त
ु के समक्ष ले जाया जायेगा।

धारा – 81 उस मक्रजस्ट्रेर् द्वारा प्रक्रिया क्रजसके समक्ष ऐसे क्रगरफ्तार क्रकया गया व्यक्रि िाया जाए- इस धारा में क्रगरफ्तार
क्रकए गए व्यक्रक्त को मक्रजस्रेट के समक्ष लाए जाने पर अपनायी जाने िाली प्रक्रिया का उल्लेख क्रकया गया िै-
 यक्रद अपराध जमानतीय िै और िि व्यक्रक्त जमानत देने को तैयार िै या
 यक्रद िारण्ट पर धारा 71 के अधीन क्रनदेश पष्ठृ ांक्रकत िै और िि प्रक्रतभूक्रत देने को तैयार िै तो मक्रजस्रट,अधीक्षक या आयक्त

प्रक्रतभूक्रत लेकर िारण्ट जारी करने िाले न्यायालय को भेजेगा।
 अजमानतीय अपराध में क्रगरफ्तारी िाले क्रजले के सी0जे0एम0 ि सत्र न्यायालय द्वारा जमानत दी जा सकती िै।
 धारा 71 के तित पक्रु लस अक्रधकारी भी प्रक्रतभूक्रत ले सकता िै।

धारा – 82 फरार व्यक्रि के क्रिये उदषोषणा- इस धारा में ऐसे व्यक्रक्त के क्रिरूद्ध उदघोर्र्ा के सम्बन्ध में प्रािधान क्रकया गया
िै जो क्रगरफ्तारी के िारण्ट से िचने के क्रलये फरार िो गया िै या अपने को क्रछपा रिा िै-
 उदघोर्र्ा प्रकाशन की क्रतक्रर् से अक्रभयक्त
ु की िाक्रजरी का समय कम से कम 30 क्रदन पश्चात का िोगा।
 उदर्ोर्र्ा क्रनम्नक्रलक्रखत रूप से प्रकाक्रशत की जायेगी-
(1) उस नगर या ग्राम के सिज दृश्य स्र्ान में सािण जक्रनक रूप से पढ़ी जाएगी।
(2) उस गिृ या क्रनिास स्र्ान के या नगर या ग्राम के सिज दृश्य भाग पर लगायी जायेगी।
(3) उस न्याय सदन के क्रकसी सिज दृश्य भाग पर लगायी जाएगी।
 यक्रद न्यायालय क्रनदेश दे तो उदघोर्र्ा की एक प्रक्रत स्र्ानीय समाचार पत्र में प्रकाक्रशत की जायेगी।
उदघोर्र्ा के उिर में गैर िाक्रजरी धारा 174(क) भा0द0क्रि0 का अपराध िोगा।
उदघोषणा के प्रवतटन की अवक्रधिः- जयेन्र क्रवष्णु ठाकुर बनाम मिाराष्र राज्य एस0सी0सी02009 पेज 104 में यि
अिधाररत क्रकया गया िै क्रक इस धारा में जारी उदघोर्र्ा तब तक प्रभािी रिती िै जब तक क्रक अपराधकताण को क्रगरफ्तार निीं
कर क्रलया जाता।
धारा – 83 फरार व्यक्रि की सम्पक्रि की कुकी –
 इस धारा में फरार िुए व्यक्रक्त की सम्पक्रि की कुकी के िारे में प्रािधान क्रकया गया िै।
 इस धारा में उद्दघोक्रर्त व्यक्रक्त की चल या अचल दोनो सम्पक्रि कुकण की जा सकती िै।
 सामान्यतया न्यायालय उद्दघोर्र्ा के पश्चात कुकी का आदेश जारी करेगा।
 आपिाक्रदक पररक्रस्र्क्रत में न्यायालय उद्दघोर्र्ा के सार् कुकी का आदेश भी कर सकता िै ऐसा तब िोगा जि –
1. उद्दघोक्रर्त व्यक्रक्त अपनी समस्त सम्पक्रि या उसका कोई भाग व्ययन करने िाला िो ,
2. न्यायालय की स्र्ानीय अक्रधकाररता से सम्पक्रि िटाने िाला िो।
धारा – 84 कुकी के वारे में दावे और आपक्रियााँ–
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 इस धारा के अन्तगण त कुकण की गई सम्पक्रि के िारे में दािे एिं आपक्रियो पर अपनायी जाने िाली प्रक्रिया का उल्लेख िै
 दािा या आपक्रि कुकी की तारीख से 06 माि के अन्दर क्रकया जा सकता िै।
 दािा या आपक्रि उद्दघोक्रर्त व्यक्रक्त से क्रभन्न कोई व्यक्रक्त कर सकता िै
 दािा इस आधार पर क्रकया जाय़ेगा क्रक दािेदार का कुकण सम्पक्रि में क्रित र्ा
 दािेदार का ऐसा क्रित धारा 83 के तित कुकण निी क्रकया जा सकता र्ा
 जााँच के पश्चात ऐसा दािा पूर्णतः या भागतः मंजूर या नामंजूर क्रकया जा सकता िै।
धारा – 85 कुकट सम्पक्रि को क्रनमटि ु ,क्रविय और वापस करना - इस धारा में कुकण सम्पक्रि को छोड़ने,बेचने, एिं िापस करने
के बारे में प्रािधान क्रकया गया िै।
 कुकण सम्पक्रि िापस की जाएगी यक्रद उदघोक्रर्त व्यक्रक्त उदघोर्र्ा में क्रनक्रदणष्ट समय के अन्दर िाक्रजर िो जाता िै।
 क्रिक्रनक्रदणष्ट समय के अन्दर िाक्रजर न िोने पर कुकण सम्पक्रि का क्रििय िोगा।
 क्रििय धारा 84 के अधीन क्रकसी दािे के क्रनपटारे के पश्चात िोगा।
 न्यायालय क्षयशील सम्पक्रि का क्रििय कभी भी करने का आदेश देगा।
 स्िामी के क्रित में क्रििय कभी भी क्रकया जा सकता िै।
 कुकी की तारीख से 02 िर्ण के अन्दर िाक्रजर िोने पर कुकण सम्पक्रि िापस की जा सकती िै।
 यक्रद उदघोक्रर्त व्यक्रक्त जानबूझकर फरार निीं िुआ र्ा या उसे उदघोर्र्ा की सूचना निी क्रमली र्ी।
 इस धारा में पाररत आदेश से व्यक्रर्त व्यक्रक्त उच्च न्यायालय में अपील कर सकता िै।

धारा – 87 समन के स्ट्थान पर या उसके अक्रतररि वारण्र् का जारी क्रकया जाना न्यायालय तब कारर् दक्रशणत करते िुये
िारण्ट जारी करेगा जब-
 िि व्यक्रक्त फरार िो गया िो।
 यि क्रिश्वास िो क्रक िि समन का पालन निीं करेगा।
 समन की सम्यक तामील के पश्चात क्रनयत क्रतक्रर् पर व्यक्रक्त उपक्रस्र्त न िो।
धारा – 88 िाक्रजरी के क्रिये बन्धपत्र िेने की शक्रि-
 इस धारा के अन्तगण त बन्धपत्र न्यायालय द्वारा क्रलया जायेगा।
 ऐसा बन्धपत्र उस न्यायालय या अन्य न्यायालय में उपक्रस्र्क्रत के सम्बन्ध में िोगा।
 बन्धपत्र प्रक्रतभओ
ु ाँ सक्रित या रक्रित दोनों िो सकता िै।
धारा – 89 िाक्रजरी का बन्धपत्र भंग करने पर क्रगरफ्तारी-
 यि धारा उपक्रस्र्त िोने के क्रलए बन्धपत्र का भंग करने िाले व्यक्रक्त की क्रगरफ्तारी का प्रािधान करती िै।
 यि व्यिस्र्ा अक्रभयक्त
ु एंि साक्षी दोनों पर लागू िोती िै।
 बन्धपत्र के भंग पर क्रबना जमानतीय िारण्ट जारी क्रकया जा सकता िै।

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अध्याय – 07
चीजे पेश करने के क्रिये क्रववश करने िेतु आदेक्रशकाएाँ
धारा – 91 दस्ट्तावेज या अन्य चीज पेश करने के क्रिये समन - इस धारा में क्रकसी मामले के अन्िेर्र् , जांच, क्रिचारर् या
अन्य कायण िािी में र्ानाध्यक्ष अर्िा न्यायालय द्वारा क्रकसी दस्तािेज या चीज को प्रस्ततु करने िेतु आदेश या समन जारी करने
का प्रािधान क्रदया गया िै।
 आदेश या समन क्रकसी दस्तािेज या चीज को पेश करने िेतु जारी िोगा।
 अन्िेर्र् के दौरान र्ाने का भारसाधक अक्रधकारी आदेश देगा।
 जांच, क्रिचारर् या अन्य कायण िािी के मध्य न्यायालय समन जारी करेगा।
 आदेश या समन उस व्यक्रक्त को िोगा क्रजसके कब्जे ि शक्रक्त में दस्तािेज आक्रद िै।
 ऐसे आदेश या समन का अनपु ालन न करना धारा 175 भा0द0क्रि0 का अपराध िोगा।
 इस धारा के प्रािधान धारा 123,124 साक्ष्य अक्रध0 पर प्रभाि निीं डालेगें।
 इस धारा के प्रािधान डाक तार प्राक्रधकारी की अक्रभरक्षा में क्रकसी दस्तािेज पर लागू निीं िोगें।
एम पी शमाण बनाम सतीश चन्र ए आई आर 1954 पेज 300 के िाद में मा0 उच्चतम न्यायालय ने यि अिधाररत क्रकया क्रक इस
धारा के अन्तगण त अक्रभयोजन के साियतार्ण क्रकसी दस्तािेज को प्रस्ततु करने के क्रलए अक्रभयक्त ु के क्रिरुद्ध समन निी जारी
क्रकया जा सकता िै। गज ु रात राज्य बनाम श्यामलाल ए आई आर 1965 पेज 1251 में उच्चतम न्यायालय ने इस धारा में प्रयक्त ु
व्यक्रक्त शव्द क्रजसके कब्जे या शक्रक्त में कोई दस्तािेज या चीज िै के अर्ाण न्ियन में किा क्रक इसमें अक्रभयक्त
ु व्यक्रक्त सक्रम्मक्रलत
निी िै।
 इस धारा में प्रयक्त
ु शब्द “व्यक्रक्त” शव्द में अक्रभयक्त
ु व्यक्रक्त को सक्रम्मक्रलत करना संक्रिधान के क्रिरुद्ध संक्रिधान के अन0ु 20 (3)
का उल्लंघन िोगा।
 इस धारा के अन्तगण त अक्रभयक्त
ु व्यक्रक्त को कोई दस्तािेज या चीज पेश करने िेतु िाध्य निी क्रकया जा सकता िै।
धारा – 93 तिाशी वारण्र् कब जारी क्रकया जा सकता िै - इस धारा के अन्तगण त क्रकसी दस्तािेज या िस्तु को प्रस्ततु करने
के क्रलए तलाशी िारण्ट जारी करने का प्रािधान क्रदया गया िै
 तलाशी िारण्ट कोई न्यायालय जारी करेगा।
 तलाशी िारण्ट तब जारी िोगा जब धारा 91 ि धारा 92 के अनपु ालन में दस्तािेज या चीज प्रस्ततु निी िोती िै।
 न्यायालय तलाशी िारण्ट जारी करने का कारर् अक्रभक्रलक्रखत करेगा।
 तलाशी िारण्ट में जैसा क्रनक्रदष्ट िोगा उसके अनस
ु ार तलाशी ली जायेगी।
 डाकतार अक्रधकारी की अक्रभरक्षा में क्रकसी पत्र आक्रद के क्रलए क्रजला मक्रजस्रेट या सी जे एम तलाशी िारण्ट जारी करेगा।
धारा – 94 उस स्ट्थान की तिाशी क्रजसमें चरु ाई िुई सम्पक्रि, कूर् रक्रचत दस्ट्तावेज या आपक्रिजनक वस्ट्तु िोने का सन्देि
िै -
 इस धारा के अनस
ु ार तलाशी िारण्ट डीएम, एसडीएम, या प्रर्म िगण मक्रजस्रेट द्वारा जारी क्रकया जा सकता िै।
 तलाशी के क्रलए कान्सटेक्रिल से उपर पंक्रक्त का पक्रु लस अक्रधकारी अक्रधकृत िै।

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 तलाशी िारण्ट चरु ाई िुई सम्पक्रि, कूटरक्रचत, दस्तािेज या आपक्रिजनक िस्तओ
ु के क्रलए जारी िोगा।
 उस स्र्ान की तलाशी जिााँ ऐसी िस्तु जमा िै, या िेची जाती िै या उत्पाक्रदत िोती िै।
 ऐसे स्र्ान की तलाशी िारण्ट में क्रनक्रदणष्ट रीक्रत से की जाएगी।
 ऐसी तलाशी में पायी गई िस्तएु अक्रभग्रक्रित की जाएगी।
 आपक्रिजनक िस्तओ
ु के उत्पादन मे प्रयक्त
ु उपकरर् ि सामग्री कब्जे में ली जायेगी।
 ऐसे स्र्ान में पाए गए अपराध से सशक्त व्यक्रक्त को अक्रभरक्षा में क्रलया जायेगा।
धारा – 95 कुछ प्रकाशनों के समपहृत िोने की घोषणा करने और उनके क्रिये तिाशी वारण्र् जारी करने की शक्रि- इस
धारा में कक्रतपय समाचार पत्रों दस्तािेजों एिं पस्ु तकों के समपहृत एिं उसकी तलाशी के क्रलये िारण्ट जारी क्रकये जाने का
प्रािधान िै क्रकया गया िै।
 प्रकाशनो को समपह्रत करने की शक्रक्त राज्य सरकार को प्राप्त िै।
 राज्य सरकार ऐसा अक्रधसूचना जारी कर सकती िै।
 ऐसे प्रकाशनो को समपह्रत क्रकया जायेगा क्रजसमें ऐसी बात प्रकाक्रशत की गई िै क्रजसका प्रकाशन भा0 दं0 सं0 की धारा 124 क,
153ख, 292, 293, 295क के अन्तगण त दण्डनीय अपराध िै।
 कोई मक्रजस्रेट ऐसे प्रकाशनो की जब्ती िेतु तलाशी िारण्ट जारी कर सकता िै।
 ऐसा तलाशी िारण्ट उपक्रनरीक्षक रैंक के पक्रु लस अक्रधकारी को क्रनक्रदणष्ट िोगा।
बारगरु रामचन्रय्पा बनाम कनाण टक राज्य एस सीसी 2007 पेज 11 मे यि अिधाररत क्रकया गया क्रक यक्रद समपह्रर् लोकक्रित में
क्रकया गया िै तो क्रनःसन्देि एसे व्यक्रक्तगत क्रित पर िरीयता दी जायेगी।
धारा – 97 सदोष परररूद्ध व्यक्रियों के क्रिये तिाशी- इस धारा का उद्देश्य सदोर् परररोध व्यक्रक्तयों की तलाशी के क्रलये
मक्रजस्रेट को िारण्ट जारी करने के क्रलये सशक्त बनाना िै।
 इस धारा के अधीन क्रजला मक्रजस्रेट, उपक्रजला मक्रजस्रेट या प्रर्म िगण मक्रजस्रेट द्वारा तलाशी िारण्ट जारी क्रकया जा सकता िै।
 ऐसा तलाशी िारण्ट परररूद्द व्यक्रक्त के क्रलये जारी िोगा।
 तलाशी में परररूद्ध व्यक्रक्त के क्रमलने पर उसे मक्रजस्रेट के समक्ष प्रस्ततु क्रकया जायेगा।
धारा – 98 अपह्रत क्रस्त्रयों को वापस करने के क्रिये क्रववश करने की शक्रि - इस धारा में प्रदि शक्रक्त का प्रयोग क्रजला
मक्रजस्रेट या प्रर्म िगण मक्रजस्रेट द्वारा क्रकया जायेगा।
 मक्रजस्रेट अपनी शक्रक्त का प्रयोग सशपर् पररिाद प्रस्ततु िोने पर करेगा।
 जब क्रकसी स्त्री को क्रिक्रध क्रिरूद्ध उद्देश्य से क्रनरूद्ध रखा गया िो
 जब क्रकसी 18 िर्ण से कम की िाक्रलका को संरक्षक की इच्छा के क्रिना क्रनरूद्ध क्रकया गया िो
 मक्रजस्रेट स्त्री को स्ितंन्त्र करने या िाक्रलका को संरक्षक को िापस करने का आदेश देगा।
धारा – 100 बन्द स्ट्थान के भारसाधक व्यक्रि तिाशी िेने देंगे इस धारा में बन्द स्र्ान की तलाशई एिं उसकी प्रक्रकया के
सम्बन्ध में प्रािधान क्रकया गया िै।
 बन्द स्र्ान का भारसाधक व्यक्रक्त मांग करने पर तलाशी लेने देगा।
 ऐसे स्र्ान पर प्रिेश की अनमु क्रत न क्रमलने पर धारा 47(2) के अनस
ु ार कायण िािी करेगा।
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 बन्द स्र्ान या उसके आस पास पाये गये सक्रदग्ध व्यक्रक्त की तलाशी ली जायेगी।
 बन्द स्र्ान की तलाशी साक्रक्षयों की उपक्रस्र्क्रत में ली जायेगी।
 क्रबना उक्रचत कारर् के तलाशी का साक्षी बनने से मना करने पर भा0द0सं0 की धारा 187 का अपराध िोगा।
 तलाशी में कब्जे में ली गई सब चीजें की सूची तैयार की जायेगी।
 ऐसी सूची पर स्ितंन्त्र साक्रक्षयों के िस्ताक्षर िोंग।े
 ऐसी सूची की एक प्रक्रत बन्द स्र्ान के भारसाधक व्यक्रक्त को दी जायेगी।
तेजबिादरु बनाम उ0प्र0 राज्य एस0सी0सी0 1970 पेज 01 में यि अिधाररत क्रकया गया िै क्रक यक्रद तलाशी साक्रक्षयों की
मौजूदगी में निीं ली जाती िै तो िि अबैध निीं मानी जायेगी पर ऐसी तलाशी सक्रदग्ध मानी जाती िै।
स्ट्र्ेर् आफ पंजाब बनाम बिबीर क्रसिं ए0आई0आर0 1994 एस0सी0सी0 पेज 1872 मे उच्चतम न्यायालय ने यि मत
व्यक्त क्रकया क्रक इस धारा के अधीन क्रकसी पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा तलाशी सामान्यतया क्रकसी अपराध के अन्िेर्र् के दौरान या
अपराध का सन्देि िोने पर सामान्य अनि ु म में ली जाती िै। लेक्रकन जिााँ पक्रु लस अक्रधकारी को एन0डी0पी0सी0 एक्ट से
सम्बक्रन्धत माल क्रमलने की सम्भािना िो ििााँ पक्रु लस अक्रधकारी एन0डी0पी0सी0 एक्ट के अधीन तलाशी लेगा।
धारा 102– कुछ सम्पक्रि को अक्रभग्रिीत करने की पक्रु िस अक्रधकारी की शक्रि - यि धारा क्रकसी पक्रु लस अक्रधकारी को ऐसी
सम्पक्रि को अक्रभग्रिीत करने की शक्रक्त प्रदान करती िै-
 क्रजसके िारे में सन्देि िो क्रक िि चरु ाई िुयी िै या
 जो ऐसी पररक्रस्र्क्रत मे पायी जाये ,क्रजससे क्रकसी अपराध के क्रकये जाने का सन्देि िो
 अधीनस्र् पक्रु लस अक्रधकारी अक्रभग्रिर् की ररपोटण र्ानाध्यक्ष को देगा
 अक्रभग्रिर् की ररपोटण अक्रधकारीता रखने िाले मक्रजस्रेट को दी जायेगी
मिाराष्र राज्य बनाम तापस डी क्रनयोगी एस.सी.सी, 1999 पेज 685
मे उच्चतम न्यायालय ने यि अिधाररत क्रकया क्रक बैंक खाता धारा 102 मे पररभाक्रर्त सम्पक्रि शब्द के अन्तगण त आता िै
,अन्िेर्र् करने िाला पक्रु लस अक्रधकारी बैंक खाते को अक्रभग्रिीत कर सकता िै
धारा 105-आदेक्रशकाओ के बारे मे व्यक्रतकारी व्यवस्ट्था
इस धारा का उद्देश्य समन,िारन्ट ,तलाशी िारन्ट आक्रद के बारे मे उन राज्य क्षेत्रो के बीच पारस्पररक व्यिस्र्ा करना िै
 क्रजन राज्य क्षेत्रो पर द0प्र0सं0 का क्रिस्तार िै ।
 भारत के उन राज्य क्षेत्रो पर जिां संक्रिता का क्रिस्तार निी िै जैसे जम्मू और कश्मीर ,नागालैण्ड
 न्यायालय आदेक्रशका दो प्रक्रतयो मे जारी करेगा
 आदेक्रशका तामील या क्रनष्पादन िेतु अक्रधकाररता रखने िाले मक्रजस्रेट को भेजेगा
 न्यायालय आदेक्रशका डाक द्वारा या अन्यर्ा भेजेगा
 भारत कै बािर आदेक्रशका सक्रिंदाकारी राज्य को िी भेजी जायेगी
 सक्रिंदाकरी राज्य का न्यायालय उसकी तामील या क्रनष्पादन करायेगा
अध्याय – 8पररशाक्रन्त कायम रखने के क्रिये और सदाचार के क्रिये प्रक्रतभूक्रत
धारा 106 - दोषक्रसक्रद्ध पर पररशाक्रन्त कायम रखने के क्रिये प्रक्रतभूक्रत
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 प्रक्रतभूक्रत सेशन न्यायालय या प्रर्म िगण मक्रजस्रेट का न्यायालय लेगा
 प्रक्रतभूक्रत कक्रतपय अपराधो मे दोर्क्रसक्रद्ध पर ली जायेगी
 प्रक्रतभूक्रत दोर्क्रसक्रद्ध पर पररशाक्रन्त कायम रखने के िेतु ली जायेगी
 पररशाक्रन्त तीन िर्ण से अनक्रधक अिक्रध के क्रलये ली जायेगी
 इस धारा मे बन्धपत्र प्रक्रतभूक्रत सक्रित या रक्रित क्रलया जायेगा
 अपील मे दोर्क्रसद्ध अपास्त िोने पर क्रनष्पाक्रदत बन्धपत्र शून्य िो जायेगा
 इस धारा मे प्रक्रतभूक्रत देने का आदेश अपीलीय न्यायालय भी अपील मे कर सकता िै
धारा 107-अन्य दशाओ मे पररशाक्रन्त कायम रखने के क्रिये प्रक्रतभूक्रत
 इस धारा के अधीन प्रक्रतभूक्रत कायण पालक मक्रजस्रेट लेगा
 प्रक्रतभूक्रत ऐसे व्यक्रक्त से ली जायेगी जो पररशाक्रन्त भंग करेगा या
 जो लोक प्रशाक्रन्त को क्रिलब्ु ध करेगा
 इस धारा मे प्रक्रतभूक्रत पररशाक्रन्त कायम रखने के क्रलये ली जायेगी
 प्रक्रतभूक्रत एक िर्ण से अनक्रधक अिक्रध के क्रलये ली जायेगी
 इस धारा मे बन्धपत्र प्रक्रतभू सक्रित या रक्रित क्रनष्पाक्रदत करने का आदेश िोगा
 कायण पालक मक्रजस्रेट की अक्रधकाररता मे व्यक्रक्त या स्र्ान िोना चाक्रिये ।
धारा 108 -राजरोिात्मक बातो को फैिाने वािे व्यक्रियो से सदाचार के क्रिये प्रक्रतभूक्रत
इस धारा के अन्तगण त बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत करने की अपेक्षी कायण पालक मक्रजस्रेट करेगा
 बन्धपत्र एक िर्ण तक की अिक्रध के क्रलये िोगा
 बन्धपत्र सदाचार के क्रलये क्रलया जायेगा
 ऐसा बन्धपत्र प्रक्रतभू सक्रित या रक्रित दोनो िो सके गा
 बन्धपत्र इस धारा मे िक्रर्णत बाते साशय फै लाने ,फै लाने का प्रयत्न या फै लाने का दष्ु प्रेरर् करने पर लेने का आदेश मक्रजस्रेट
करेगा ।
धारा 109 -सक्रदग्ं ध व्यक्रियो से सदाचार के क्रिये प्रक्रतभूक्रत इस धारा मे कायण पालक मक्रजस्रेट ऐसे व्यक्रक्तयो को बन्धपत्र
क्रनष्पाक्रदत करने का आदेश दे सके गा जो
 जो उसकी अक्रधकाररता मे अपना उपक्रस्र्क्रत क्रछपाने की प्रयास कर रिे िै
 क्रजसके बारे मे आशंका िै क्रक िि सज्ञेंय अपराध करने िाला िै
 ऐसे व्यक्रक्त से बन्धपत्र सदाचार बनाये रखने के क्रलया जायेगा
 इस धारा मे बन्धपत्र एक िर्ण से अनक्रधक अिक्रध के क्रलया जा सके गा
 एस अिक्रध मे बन्धपत्र प्रक्रतभू सक्रित या रक्रित लेने का आदेश क्रदया जा सके गा

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धारा 110 -अभ्याक्रसक अपराक्रधयो से सदाचार के क्रिये प्रक्रतभूक्रत -इस धारा मे अभ्यस्त अपराक्रधयो से बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत
करने की अपेक्षा कायण पालक मक्रजस्रेट करेगा ।
 ऐसा बन्धपत्र तीन िर्ण से अनक्रधक अिक्रध के क्रलये िोगा
 इस धारा मे बन्धपत्र प्रक्रतभू सक्रित क्रलये जाने का आदेश िोगा
 इस धारा के अधीन क्रलया जाने िाला बन्धपत्र सदाचार के क्रलये िोगा
 इस धारा का उद्देश्य जनता को अभ्यस्त अपराक्रधयो से सरक्षर्ं प्रदान करना िै ।
धारा 111-आदेश का क्रदया जाना-इस धारा मे धारा 107,108,109 या 110 मे क्रदये जाने िाले आदेश के प्रारुप एिं प्रक्रिया
का उल्लेख क्रकया गया िै इसमें-
 मक्रजस्रेट को प्राप्त सूचना का सार
 बन्धपत्र की रकम एिं बन्धपत्र की अिक्रध
 बन्धपत्र प्रक्रतभू सक्रित िोने पर प्रक्रतभूओ की संख्या का उल्लेख िोगा।
धारा 112- न्यायािय मे उपक्रस्ट्थत व्यक्रि के बारे मे प्रक्रिया
 धारा 111 का आदेश उसे पढकर सनु ाया जायेगा
 यक्रद उपक्रस्र्त व्यक्रक्त मांग करता िै तो उसे उसका सार समझाया जायेगा ।
धारा 113- ऐसे व्यक्रि के बारे मे समन या वारन्र् जो उपक्रस्ट्थत निी िै
 मक्रजस्रेट ऐसे व्यक्रक्त के नाम न्यायालय मे उपक्रस्र्क्रत िेतु समन जारी करेगा
 यक्रद ऐसा व्यक्रक्त अक्रभरक्षा मे िै तो िारन्ट जारी करेगा
धारा 114 -समन या वारन्र् के साथ आदेश की प्रक्रत िोगी
 समन या िारन्ट के सार् धारा 111 के आदेश की प्रक्रत भेजी जायेगी
धारा 115-वैयक्रिक िाक्रजरी से अक्रभमक्रु ि देने की शक्रि
 मक्रजस्रेट पयाण प्त कारर् िोने पर िैयक्रक्तक िाक्रजरी से छूट प्रदान कर सकता िै
 ऐसे व्यक्रक्त की उपक्रस्र्क्रत द्वारा अक्रधिक्ता मानी जायेगी
धारा 116-इक्रििा की सच्चाई के बारे मे जांच
 इस धारा मे मक्रजस्रेट क्रमली सूचना की सत्यता के बारे मे जांच करता िै
 जांच यर्ासम्भि उस तरीके से की जायेगी जो समन मामलो के क्रिचारर् और साक्ष्य अक्रकंत क्रकये जाने के सम्बन्ध मे दी गयी िै
 मक्रजस्रेट जांच के दौरान धारा 111 मे आदेक्रशत व्यक्रक्त से बन्धपत्र ले सकता िै
 इस धारा के अधीन जांच 06 माि के अन्दर पूर्ण की जायेगी
 मक्रजस्रेट क्रिशेर् कारर्ो के आधार पर जांच 06 माि के आगे भी जारी रख सकता िै
 06 माि से अक्रधक जांच जारी रखने के आदेश को व्यक्रर्त व्यक्रक्त सत्र न्यायालय मे प्रश्नगत कर सकता िै
 इस धारा मे मक्रजस्रेट अन्तःकालीन बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत करने का क्रनदेश देता िै

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धारा 117- प्रक्रतभूक्रत देने का आदेश
 कायण पालक मक्रजस्रेट जांच के पश्चात बन्धपधत्र क्रनष्पाक्रदत करने का अक्रन्तम आदेश देगा
 धारा 117 मे आदेश धारा 111 के आदेश के अधीन िोगा
 बन्धपत्र की रकम मामले की पररक्रस्र्क्रतयो को ध्यान मे रखते िुये क्रनयत की जायेगी
 अियस्क का बन्धपत्र उसके प्रक्रतभूओ द्वारा क्रनष्पाक्रदत क्रकया जायेगा
धारा 118-उस व्यक्रि का उन्मोचन क्रजसके क्रवरुद्ध इक्रििा दी गयी िै
जिां जांच से यि साक्रबत निी िोता क्रक बन्धपत्र लेना आिश्यक िै ििां
 मक्रजस्रेट जांच के प्रयोजन से अक्रभरक्षा मे क्रनरुद्ध व्यक्रक्त को ररिा करने का आदेश देगा
 यक्रद ऐसा व्यक्रक्त अक्रभरक्षा मे निी िै तो उसे उसके दाक्रयत्ि से उन्मोक्रचत कर क्रदया जायेगा
धारा 119 -क्रजस अवक्रध के क्रिये प्रक्रतभूक्रत अपेक्रक्षत की गयी िै उसकी आरम्भ
 धारा 106 या धारा 117 के अधीन क्रदये आदेश की अिक्रध आदेश की तारीख से प्रारम्भ िोगी या
 जब मक्रजस्रेट पयाण प्त कारर् से आदेश के बाद की तारीख क्रनयत करता िै तब उस तारीख से
 जब ऐसा व्यक्रक्त दण्डादेश भगु त रिा िै तब दण्डादेश की समाक्रप्त पर प्रारम्भ िोगी

धारा 120- बन्धपत्र की अन्तवटस्ट्तुये


 बन्धपत्र ऐसे व्यक्रक्त को पररशांक्रन्त कायम रखने या सदाचारी बने रिने के क्रलये आबद्ध करेगा।
 बन्धपत्र देने के पश्चात कारािास से दण्डनीय अपराध करना या प्रयत्न करना या दष्ु प्रेर् करना बन्धपत्र का भंग माना जायेगा
धारा 121 -प्रक्रतभओ
ू के अस्ट्वीकार करने की शक्रि
 मक्रजस्रेट क्रकसी पेश क्रकये गये प्रक्रतभू को स्िीकार करने से इन्कार कर सकते िै
 पिले स्िीकार क्रकये गये प्रक्रतभू को अस्िीकार कर सकते िै
 ऐसा मक्रजस्रेट जांच के पश्चात करेगा
 जांच से पिले मक्रजस्रेट प्रक्रतभू ि आदेक्रशत व्यक्रक्त को सूचना देगा
 मक्रजस्रेट प्रक्रतभू को स्िीकार करने से इन्कार या अस्िीकार का कारर् दक्रशणत करेगा
धारा 122-प्रक्रतभूक्रत देने मे व्यक्रतिम िोने पर कारावास - इस धारा मे प्रक्रतभूक्रत देने मे चूक िोने पर की जाने िाली कायण िािी
का उल्लेख क्रकया गया िै
 प्रक्रतभूक्रत देने मे असफलता पर व्यक्रक्त को कारागार ने भेज क्रदया जायेगा
 यक्रद पिले से कारागार मे िै तो अपेक्रक्षत अिक्रध तक कारागार मे रखा जायेगा
 या उस अिक्रध तक कारागार मे रखा जायेगा जब तक िि प्रक्रतभूक्रत न दे दे
 धारा 107 या 108 के अधीन प्रक्रतभूक्रत देने मे असफलता के कारर् क्रदया जाने िाला कारािास सादा िोगा
 धारा 109 ि धारा 110 के अधीन प्रक्रतभूक्रत देने मे असफलता के कारर् क्रदया जाने िाला कारािास सादा या कक्रठन िोगा

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अध्याय -10 िोक व्यवस्ट्था एवं प्रशाक्रन्त बनाये रखना
धारा 129 - क्रसक्रवि बि के प्रयोग द्वारा जमाव को क्रततर क्रबतर करना
 इस धारा मे कायण ििी िेतु जमाि का क्रिक्रध क्रिरुद्द िोना आिश्यक िै
 ऐसे जमाि से लोक शाक्रन्त क्रिक्षब्ु ध िोने की सम्भािना िो
 जमाि को क्रततर क्रबतर करने का आदेश कायण पालक मक्रजस्रेट देगा या
 र्ाने का भारसाधक अक्रधकारी देगा
 भारसाधक अक्रधकारी की अनपु क्रस्र्क्रत मे उप क्रनरीक्षक रैंक का पक्रु लस अक्रधकारी देगा।
 जमाि को क्रबखेरने के क्रलये प्रर्मतः आदेश क्रदया जाएगा
 ऐसे आदेश से जमाि के क्रततर क्रबतर न िोने पर बल का प्रयोग क्रकया जायेगा
धारा 130-जमाव को क्रततर क्रबतर करने के क्रिये सशस्त्र बि का प्रयोग
 सशस्त्र बल का प्रयोग तब क्रकया जायेगा जब क्रसक्रिल बल के प्रयोग से जमाि क्रततर क्रबतर निी िोता
 इस धारा के अन्तगण त आदेश उस समय उपक्रस्र्त उच्चतम श्रेर्ी का कायण पालक मक्रजस्रेट देगा
 कायण पालक मक्रजस्रेट आदेश सशस्त्र बल की टुकडी का क्रनदेशन करने िाले अक्रधकारी को देगा
 सशस्त्र बल का अक्रधकारी ऐसे आदेश का पालन ऐसी रीक्रत से करेगा जैसा िि उक्रचत समझे
धारा 131 -जमाव को क्रततर क्रबतर करने की सशसत्र बि के कुछ अक्रधकाररयो की शक्रि
 इस धारा मे कायण िािी िेतु लोक सरु क्षा को स्पष्ट खतरा ितण मान मे िोना चाक्रिये
 मौके पर कोई कायण पालक मक्रजस्रेट उपक्रस्र्त न िो और न िी उससे सम्पकण स्र्ाक्रपत िो सके
 तब सशस्त्र बल का कोई आयक्त
ु या राजपक्रत्रत अक्रधकारी जमाि को क्रततर क्रबतर करने का आदेश देगा
 कायण पालक मक्रजस्रेट से सम्पकण स्र्ाक्रपत िो जाने पर उसके आदेश का पालन करेगा
धारा 132 -पूवटवती धाराओ के अधीन क्रकये गये कायो के क्रिये अक्रभयोजन से संरक्षण
 इस धारा मे बल के अक्रधकारी ि सदस्यो को सरक्षर्ं प्रदान क्रकया गया िै
 इस धारा का सरक्षर्ं तभी प्राप्त िोगा जब कायण िािी सदभािना पूर्ण िो
 सशस्त्र बल की अिस्र्ा मे अक्रभयोजन के न्रीय सरकार की अनमु क्रत से सक्रस्र्ंत िोगा
 अन्य अिस्र्ाओ मे अक्रभयोजन राज्य सरकार की अनमु क्रत से संक्रस्र्त िोगा
धारा 133 -न्यूसन्े स िर्ाने के क्रिये सशतट आदेश
 इस धारा मे लोक अपदूर्र् िटाने िाले का सशतण आदेश क्रदया जाता िै
 आदेश पक्रु लस अक्रधकारी की ररपोटण या अन्य स्त्रोतो से सूचना प्राप्त िोने पर क्रदया जाएगा
 इस धारा का आदेश कायण पालक मक्रजस्रेट द्वारा क्रदया जाता िै
 आदेश न्यूसन्े स या बाधा पैदा करने िाले व्यक्रक्तयो को क्रदया जाएगा

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 आदेक्रशत व्यक्रक्त बाधा को दूर करेगा या उस पर आपक्रि करेगा
 इस धारा के अधीन जारी आदेश को क्रकसी क्रसक्रिल न्यायालय मे प्रश्नगत निी क्रकया जा सकता िै ।
धारा 144 -न्यूसन्े स या आशंक्रकत खतरे के अजेंर् मामिे मे आदेश जारी करने की शक्रि
 यि धारा न्यूसेन्स या आशंक्रकत खतरे के अजेंट मामलो मे तत्काल आत्यक्रन्तक आदेश जारी करने की शक्रक्त प्रदान करती िै
 इस धारा मे आदेश क्रजला मक्रजस्रेट ,उपखण्ड मक्रज0 या इस क्रनक्रमि सशक्त अन्य कायण पालक मक्रज0 द्वारा जारी क्रकया जाएगा
 आपात की दशाओ मे आदेश एक पक्षीय रुप मे पाररत क्रकया जा सकता िै
 आदेश क्रकसी व्यक्रक्त क्रिशेर् या क्रकसी क्रिशेर् क्षेत्र मे क्रनिास करने िाले व्यक्रक्तयो को या सामान्य जनता को क्रदया जा सकता िै
 इस धारा के अधीन क्रदया गया आदेश दो माि तक प्रभािी रिेगा
 राज्य सरकार अक्रधसूचना के द्वारा आदेश को 06 माि तक बढा सकती िै
 कायण पालक मक्रज0 ि राज्य सरकार अपने आदेश को क्रिखक्रण्डत ि पररिक्रतणत कर सकती िै
आचायट जगदीश्वरानन्द अवधूत बनाम पुक्रिस कक्रमश्नर किकिा एस.सी.सी.1983 पेज 522 के प्रकरर् मे उच्चतम
न्यायालय द्वारा यि अक्रभक्रनक्रर्णत क्रकया गया क्रक धारा 144 आपात का सामना करने के क्रलये आशक्रयत िै यि धारा एक अस्र्ायी
प्रकृक्रत िाली क्रस्र्क्रत का अनक्रु चन्तन करती िै ।अतः इस धारा के अधीन जारी क्रकये गये आदेश की अिक्रध स्र्ायी या
अद्धण स्र्ायी लक्षर्ो िाली निी िो सकती िै
धारा 145 -जिां भूक्रम या जि से सम्बद्ध क्रववादो से पररशाक्रन्त भंग िोना सम्भाव्य िै विां प्रक्रिया
 इस धारा का उद्देश्य भूक्रम समबन्धी क्रििादो से उत्पन्न शाक्रन्त भंग के खतरे का क्रनिारर् करना
 इस धारा मे कायण िािी कायण पालक मक्रज0 के द्वारा की जायेगी
 कायण िािी पक्रु लस अक्रधकारी की ररपोटण या अन्य स्त्रोत से क्रमली सूचना पर िोगी
 कायण िािी िेतु भूक्रम या जल से सम्बक्रन्धत कोई क्रििाद अिश्य िोना चाक्रिये
 ऐसे क्रििाद के करार् शाक्रन्त भंग िोने की संभािना िोनी चाक्रिये
धारा 146- क्रववाद की क्रवषय वस्ट्तु को कुकट करने की और ररसीवर क्रनयुि् करने की शक्रि
क्रनम्न पररक्रस्र्क्रतयो मे मक्रज0 क्रििाद की क्रिर्य िस्तु को कुकण कर ररसीिर क्रनयक्त
ु कर सकता िै
 जब मक्रजस्रेट धारा 145 के अधीन आदेश के पश्चात मामले को आपाक्रतक समझता िै
 जब मक्रज0 यि समाधान निी कर पाता क्रक क्रििाद की क्रिर्य िस्तु पर क्रकसका कब्जा िै
 मक्रज0 क्रििादग्रस्त सम्पक्रि की देखभाल िेतु प्रापक क्रनयक्त
ु कर सकता िै
 क्रििाद ग्रस्त सम्पक्रि के कब्जे के बारे मे क्रसक्रिल न्यायालय का क्रनष्कर्ण अक्रन्तम िोगा
अध्याय -11 पुक्रिस का क्रनवारक कायट
धारा 149 -पुक्रिस का सज्ञेंय अपराधो का क्रनवारण करना
इस धारा मे प्रत्येक पक्रु लस अक्रधकारी से यि अपेक्षा की जाती िै क्रक िि
 अपनी पूरी क्षमता एिं योग्यता से सज्ञेय अपराधो का क्रनिारर् करे

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 सज्ञेंय अपराधो की रोकर्ाम के क्रलये उसमे िस्तक्षेप करे
धारा 150-सज्ञेंय अपराधो के क्रकये जाने की पररकल्पना की इक्रििा
 इस धारा मे प्रत्येक पक्रु लस अक्रधकारी पर सूचना देने का कतण व्य आरोक्रपत क्रकया गया िै
क्रकसी पक्रु लस अक्रधकरी को जब सज्ञेंय अपराध के करने की पररकल्पना की सूचना प्राप्त िोती िै तो
 ऐसी सूचना उस पक्रु लस अक्रधकारी को देगा क्रजसके िि अधीनस्र् िै
 या अन्य ऐसे अक्रधकरी को देगा क्रजसका कतण व्य अपराध का क्रनिारर् करना िै
 या क्रजसका कतण व्य ऐसे अपराध का सज्ञांन करना िै ।
धारा 151 -सज्ञेंय अपराधो का क्रकया जाना रोकने के क्रिये क्रगरफ्तारी
 यि धारा पक्रु लस को सज्ञेंय अपराधो के क्रनिारर् िेतु त्िररत कायण िािी करने की शक्रक्त प्रदान करती िै
 जब पक्रु लस अक्रधकारी को क्रकसी सज्ञेंय अपराधो की पररकल्पना का पता चलता िै
 जब सज्ञेंय अपराध का क्रकया जाना अन्यर्ा निी रोका जा सकता िै
 तब पक्रु लस अक्रधकारी िारन्ट के क्रबना ऐसे व्यक्रक्त को क्रगरफ्तार कर सकता िै
 ऐसे क्रगरफ्तार क्रकये गये व्यक्रक्त को संक्रिधान के अन0ु 22 का सरक्षंर् प्राप्त िोगा
 ऐसे क्रगरफ्तार क्रकये गये व्यक्रक्त को 24 घन्टे से अक्रधक पक्रु लस अक्रभरक्षा मे निी रखा जायेगा

अध्याय – 12
पुक्रिस को इक्रििा और उसकी अन्वेषण की शक्रियााँ

धारा 154 – संज्ञेय मामिो में इक्रििा


 यक्रद सूचना मौक्रखक िै तो उसे SHO द्वारा या उसके क्रनदेशाधीन क्रलखी जाएगी ।
 यक्रद सूचना क्रलक्रखत िै तो भी क्रलखी जाएगी ।
 सूचना देने िाले को पढकर सनु ायी जाएगी ।
 क्रलक्रखत/ मौक्रखक सूचना पर जो लेखिद्ध क्रकया गया िै पर सूचनाकताण के िस्ताक्षर क्रलए जाएंगे ।
 धारा 154 के अनस ु ार इक्रिला का सार राज्य सरकार द्वारा क्रनधाण ररत इस क्रनक्रमि ऐसी पक्रु स्तका में क्रलखी जाएगी उसका सार
(G.D.) में तरु न्त दजण क्रकया जाएगा ।
 पक्रु लस रेगल
ु ेशन के पैरा 99 - ज्यों िी ररपोटण (F.I.R.) पक्रु स्तका में क्रलखी जाएगी उसका सार (G.D.) में तरु न्त दजण क्रकया
जाएगा ।
 अक्रभक्रलक्रखत इक्रिला की प्रक्रतक्रलक्रप इक्रिला देने िाले को तत्काल क्रनःशल्ु क दी जाएगी ।
 र्ाने का भारसाधक अक्रधकारी द्वारा इक्रिला को क्रलखने से इन्कार करने की दशा में व्यक्रर्त व्यक्रक्त सूचना का सार क्रलक्रखत रुप
में डाक द्वारा संबक्रन्धत पक्रु लस अधीक्षक को भेज सकता िै ।

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 पक्रु लस अधीक्षक प्राप्त सूचना के संज्ञेय अपराध की दशा में स्ियं अन्िेर्र् करेगा या अपने अधीनस्र् क्रकसी पक्रु लस अक्रधकारी
को अन्िेर्र् क्रकए जाने का क्रनदेश दे सके गा । उपरोक्त अक्रधकारी को इस अपराध के संबन्ध में र्ाने के भारसाधक अक्रधकारी की
सभी शक्रक्तयां िोगी।
 धारा 154(1) के परन्तक ु के अनस ु ार यक्रद इक्रिला ऐसी मक्रिला द्वारा दी जाती िै क्रजसके क्रिरुद्ध भा.द.क्रि. की धारा 326क/
326ख/ 354/ 354क/ 354ख/ 354ग/ 354घ/ 376/ 376क/ 376ख/ 376ग/ 376घ/ 376ड/ या धारा 509 का अपराध
काररत क्रकया गया िै या प्रयत्न क्रकया गया िै तो ऐसी इक्रिला क्रकसी मक्रिला पक्रु लस अक्रधकारी या क्रकसी मक्रिला अक्रधकारी द्वारा
क्रलखी जाएगी
 परन्तु यि भी क्रक -- यक्रद िि व्यक्रक्त क्रजसके क्रिरुद्ध भा.द.क्रि. की धारा 354/ 354क/ 354ख/ 354ग/ 354घ/ 376/ 376क/
376ख/ 376ग/ 376घ/ 376ड/ या धारा 509 के अधीन क्रकसी अपराध क्रकए जाने का अक्रभकर्न या प्रयत्न का अक्रभकर्न िै
अस्र्ायी या स्र्ायी रुप से मानक्रसक या शारीररक रुप से क्रनयोग्य िै तो ऐसी इक्रिला पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा ररपोटण कताण के
क्रनिास पर या उसके पसन्दीदा स्र्ान पर क्रद्धभाक्रर्या (INTERPRETER) या क्रिशेर् प्रबोधक (SPL. EDUCATOR) को
उपक्रस्र्क्रत में अक्रभक्रलक्रखत क्रकया जाएगा।
 ऐसी इक्रिला को अक्रभक्रलक्रखत करने की िीक्रडयो क्रफल्म तैयार की जाएगी।

धारा 155 -असंज्ञेय मामिों में इक्रििा और ऐसे मामिों का अन्वेषण


 र्ाने की सीमाओ के अन्दर असंज्ञये अपराध क्रकए जाने की इक्रिला पर भारसाधक अक्रधकारी इक्रिला का सार G.D. में दजण
करेगा या कराएगा।
 अन्िेर्र् मक्रजस्रेट की अनमु क्रत से क्रकया जाएगा ।
प0ु रे0 के पैरा 102 के अनस
ु ार असंज्ञेय अपराध की सूचना NCR प्रारुप 347 में दजण की जाएगी
यि 02 प्रक्रतयो में तैयार की जाएगी प्रर्म - पक्रु स्तका में रिेगी क्रद्धतीय - सूचनाकताण को दी जाएगी
 पक्रु लस अक्रधकारी अन्िेर्र् का आदेश क्रमलने पर िारण्ट के क्रबना क्रगरफ्तारी के क्रसिाय अन्िेर्र् के अनि
ु म में िो सारी शक्रक्तयों
का प्रयोग कर सके गा जैसा भारसाधक अक्रधकारी संज्ञेय मामले में कर सकता िै ।
 यक्रद मामले का संबंध दो या दो से अक्रधक अपराधों से िै क्रजनमें कम से कम एक अपराध संज्ञेय िै तो पूरा मामला संज्ञेय
अपराध िोगा।
धारा 156 – संज्ञेय मामिों का अन्वेषण करने की पुक्रिस अक्रधकारी की शक्रि –
 पक्रु लस र्ाने का भारसाधक अक्रधकारी मक्रजस्रेट के आदेश के क्रबना ऐसे क्रकसी संज्ञये मामले का अन्िेर्र् कर सके गा क्रजसकी
जांच या परीक्षर् करने की शक्रक्त उस र्ाने की सीमाओं के अन्दर स्र्ानीय क्षेत्र पर अक्रधकाररता रखने िाले न्यायालय इस
संक्रिता के अध्याय 13 के उपबन्धों के अन्तगण त रखता िै
 क्रकसी ऐसे मामले में पक्रु लस अक्रधकारी की क्रकसी कायण िािी को क्रकसी भी स्तर (STAGE) पर प्रश्नगत निी क्रकया जाएगा क्रक यि
मामला ऐसा र्ा क्रजसमें िि इस धारा के अधीन अन्िेर्र् करने के क्रलए सशक्त निी र्ा ।
 इस संक्रिता की धारा 190 के अन्तगण त सशक्त क्रकया गया कोई मक्रजस्रेट ऐसे अन्िेर्र् का आदेश कर सकता िै । (156 (3))
धारा 157 - अन्वेषण के क्रिए प्रक्रिया –
 जब भी SO/SHO को क्रकसी अपराध की सूचना दी जाए अर्िा उसे यि प्रतीत िो क्रक ऐसा कोई अपराध क्रकया गया िै क्रजसका
अन्िेर्र् करने के क्रलए िि धारा 156 के अन्तगण त सशक्त िै तो िि –

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1- उस अपराध का प्रक्रतिेदन (REPORT) तत्काल उस मक्रजस्रेट के पास भेजेगा जो ऐसे अपराध का पक्रु लस प्रक्रतिेदन
(POLICE REPORT) पर संज्ञान करने के क्रलए सशक्त िो, और
2– ऐसे मामलों के तथ्यों एिं पररक्रस्र्क्रतयों का अन्िेर्र् करने के क्रलए और यक्रद आिश्यक िो तो अपराधी का पता लगाने
और उसकी क्रगरफ्तारी का उपाय करने के क्रलए उस स्र्ान पर स्ियं जाएगा या अपने अधीनस्र् को क्रनयक्त ु करेगा ।
परन्तु –
इस उपधारा के परन्तक ु में उपबक्रन्धत व्यिस्र्ा के अनस
ु ार पक्रु लस अक्रधकारी अन्िेर्र् न तो करेगा और न अन्िेर्र् करने के
क्रलए क्रकसी स्र्ान पर जाएगा, यदि
(i) ऐसी सूचना क्रकसी व्यक्रक्त के क्रिरुद्ध नाम देकर की गयी िो और उसकी राय में अपराध गंभीर प्रकृक्रि का निी िै अर्िा
(ii) उसे यि प्रतीत िो क्रक अन्िेर्र् प्रारम्भ करने के क्रलए पयाटप्त आधार निी िै।
जब पक्रु लस अक्रधकारी उक्त परन्तक
ु के क्रकसी भी आधार पर अन्िेर्र् निी करता िै तो उपधारा (2) के अन्तगण त ऐसे कारर्ों
का उल्लेख (क्रलक्रपिद्ध ) करेगा और उससे उस व्यक्रक्त को अिगत कराएगा क्रजसने ऐसे अपराध की उसे सूचना दी िै ।
धारा 158 - ररपोर्ट कै से दी जाएगी –
 इस धारा की उपधारा (1) के अनस ु ार मक्रजस्रेट को धारा 157 के अन्तगण त भेजी जाने िाली प्रत्येक ररपोटण पक्रु लस के ऐसे बररष्ठ
अक्रधकारी (C.O.) के माध्यम से दी जाएगी क्रजसे राज्य सरकार साधारर् या क्रिशेर् आदेश द्वारा इस बाित क्रनयक्त ु करे।
 उपधारा (2) के अनस
ु ार ऐसा िररष्ठ अक्रधकारी (C.O.) पक्रु लस र्ाने के भारसाधक अक्रधकारी को ऐसै क्रनदेश दे सके गा जैसा िि
ठीक समझे और उस ररपोटण पर उन क्रनदेशों को अक्रभक्रलक्रखत करने के पश्चात उसे अक्रिलम्ि मक्रजस्रेट के पास भेज देगा।
धारा 159- अन्वेषण या प्रारक्रम्भक जांच करने की शक्रि-
धारा 157 के अन्तगण त जब पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा मक्रजस्रेट को क्रकसी अपराध की ररपोटण भेजी जाती िै तो
ऐसी ररपोटण प्राप्त िोने पर मक्रजस्रेट –
 ऐसे अपराध का अन्िेर्र् करने का आदेश दे सके गा अर्िा
 उसकी प्रारक्रम्भक जांच करने के क्रलए या उसकों अन्यर्ा क्रनपटाने के क्रलए तरु न्त कायण िािी कर सके गा ऐसी कायण िािी
मक्रजस्रेट स्ियं कर सकता िै अर्िा अपने अधीनस्र् क्रकसी मक्रजस्रेट को प्रक्रतक्रनयक्त
ु करें।
धारा 160 – साक्रक्षयों की िाक्रजरी की अपेक्षा करने की पक्रु िस अक्रधकारी की शक्रि –
 पक्रु लस अक्रधकारी अपने र्ाने की या पास के र्ाने की सीमाओ के अऩ्दर क्रस्र्त क्रकसी व्यक्रक्त को साक्ष्य देने के क्रलए अपने
समक्ष उपक्रस्र्त िोने का क्रलक्रखत आदेश दे सके गा जो मामले के तथ्यों एिं पररक्रस्र्क्रतयों की जानकारी रखता िो।
 ऐसा क्रलक्रखत आदेश प्राप्त िोने पर िि व्यक्रक्त साक्ष्य़ के क्रलए उपक्रस्र्त िोगा।
 लेक्रकन कोई परुु र् जो 15 िर्ण से कम आयु का िै या 65 िर्ण से अक्रधक आयु का िै या कोई मक्रिला से या शरीररक या मानक्रसक
रुप से क्रनयोग्य क्रकसी व्यक्रक्त को उनके क्रनिास स्र्ान से क्रभन्न स्र्ान पर बल
ु ाया निीं जा सके गा ।
धारा 161 - पुक्रिस द्वारा साक्रक्षयों की परीक्षा
 साक्रक्षयों से पूछताछ
 पक्रु लस अक्रधकाररयों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का सिी सिी उिर देने के क्रलए साक्षी बाध्य िै क्रसिाय ऐसी बातों का उिर देने के क्रलए
बाध्य निीं िोगा जो उसे अपराक्रधक आरोप दण्ड या जब्ती के मामले में फं साता िो
 पूछताछ के दौरान क्रदए गए सभी कर्नों को पक्रु लस अक्रधकारी उपधारा (3) के अनस ु ार क्रलक्रपबद्ध कर सके गा यक्रद क्रलक्रपबद्ध
करता िै तो ऐसे व्यक्रक्तयों का कर्न पर्ृ क –पर्ृ क एिं सिी क्रलक्रपबद्ध करना िोगा।

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धारा 162 – पुक्रिस से क्रकए गए कथनों का िस्ट्ताक्षाररत न क्रकया जाना । कथनों का साक्ष्य में उपयोग-
 अन्िेर्र् के दौरान क्रकसी व्यक्रक्त द्वारा कोई कर्न क्रकया जाता िै और यक्रद उसे क्रलक्रपबद्ध क्रकया जाता िै तो उस पर उस व्यक्रक्त
के िस्ताक्षर निी क्रकए जाएगे ।
अपराध क्रिचारर् में कर्नों का मित्ि िै-
 ऐसे कर्नों का उपयोग अक्रभयोजन पक्ष तभी कर सकता िै जबक्रक न्यायालय द्वारा उसे ऐसा करने की अनमु क्रत दे दी जाती िै ।
 न्यायालय की अनमु क्रत के क्रबना अक्रभयोजन पक्ष उसका उपयोग निीं कर सकता
 ऐसे कर्नों को मख्ु य परीक्षा में साक्षी द्वारा साक्रबत क्रकए जाने की दशा में अक्रभयक्त
ु भा0 सा0 अक्रध0 की धारा 145 के अन्तगण त
खण्डन करने के आशय से कर सके गा ।
सामान्यतः ऐसे कर्नों का उपयोग क्रनम्नक्रलक्रखत उद्देश्यों के क्रलए क्रकया जाता िै –
(i)-प्रक्रत परीक्षा (CROSS EXAMINATION) में आने िाले क्रकसी क्रिर्य की पनु ः परीक्षा ( RE-EXAMINATION) में
व्याख्या के क्रलए ।
(ii)- न्यायालय की अनमु क्रत से भा0 सा0 अक्रध0 की धारा 145 द्वारा उपिक्रन्धत रीक्रत से साक्षी को प्रक्रतकूलोक्त (
CONTRADICTORY) घोक्रर्त करने के क्रलए ।
(iii)- यक्रद ऐसे कर्न करने िाले व्यक्रक्त की मत्ृ यु िो जाती िै या िि न्यायालय में उपलब्ध निी िो पाता िै तो ऐसे कर्नों का
भा0 सा0 अक्रध0 की धारा 32 के अन्तगण त मत्ृ यक ु ालीन घोर्र्ा के रुप में उपयोग क्रकया जा सकता िै ।
स्ट्पष्टीकरण– अन्िेर्र् के दौरान अक्रभक्रलक्रखत क्रकसी कर्न में तथ्य या पररक्रस्र्क्रत का लोप (OMISSION) से खण्डन िो
सकता िै यक्रद मामले के संदभण को ध्यान में रखते िुए ऐसा लोप मित्िपूर्ण या संगत िै ।
 कोई लोप क्रिक्रशष्ट संदभण में खण्डन िै या निीं यि तथ्य का प्रश्न िोगा न क्रक क्रिक्रध क्रिर्यक ।
धारा 163 – कोई उत्प्रेरणा न क्रदया जाना
 कोई पक्रु लस अक्रधकारी या प्राक्रधकार िाला अन्य व्यक्रक्त भा0सा0अक्रध0 की धारा 24 में िक्रर्णत उत्प्रेरर्ा , धमकी , या िचन न
तो देगा और न क्रदलिाएगा ।
 पक्रु लस अक्रधकारी या अन्य व्यक्रक्त इस अध्याय के अधीन क्रकसी अन्िेर्र् के दौरान क्रकसी व्यक्रक्त को कोई कर्न करने से, जो
िि अपनी स्ितन्त्र इच्छा से करना चािे क्रकसी चेतािनी द्वारा या अन्यर्ा क्रनिाररत न करेगा । परन्तु इस धारा की कोई बात
धारा 164(4) के उपबन्धों पर प्रभाि न डालेगा।
धारा 164- संस्ट्वीकृक्रतयों और कथनों का अक्रभक्रिक्रखत करना –
 कोई मिानगर मक्रजस्रेट या न्याक्रयक मक्रजस्रेट चािे उसे मामले की अक्रधकाररता िो या न िो अन्िेर्र् के दौरान या तत्पश्चात
जांच या क्रिचारर् के पूिण अक्रभयक्त
ु द्वारा क्रकए गए संस्िीकृक्रत के कर्न को क्रलक्रपबद्ध कर सके गा ।
 संस्िीकृक्रत अक्रभक्रलक्रखत करने का अक्रधकार सभी न्याक्रयक मक्रजस्रेट को क्रदया गया िै ।
 उपधारा (2) में संस्िीकृक्रत को अक्रभक्रलक्रखत क्रकए जाने के पूिण मक्रजस्रेट के कतण व्यों का उल्लेख िै । संस्िीकृक्रत के कर्न को
अक्रभक्रलक्रखत करने के पूिण मक्रजस्रेट –
(i) – अक्रभयक्त
ु को यि समझाएगा क्रक िि संस्िीकृक्रत करने के क्रलए िाध्यकारी निी िैं ।
(ii)- यक्रद िि संस्िीकृक्रत करता िै तो उसके क्रिरुद्ध साक्ष्य में उपयोग क्रकया जा सके गा ।
(iii)- िि संस्िीकृक्रत तब तक निीं क्रलखेगा जब तक उसे क्रिश्वास न िो जाए क्रक िि स्िेच्छा से की गयी िै ।

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 मक्रजस्रेट से की गयी क्रकसी संस्िीकृक्रत या कर्न का अक्रभलेखन क्रकसी अपराध के अक्रभयक्त
ु की अक्रधिक्ता की उपक्रस्र्क्रत में
आक्रडयो-िीक्रडयों इलेक्राक्रनक साधनों द्वारा भी क्रकया जा सके गा ।
 उपधारा (3) के अनस ु ार यक्रद मक्रजस्रेट के समक्ष उपक्रस्र्त िोने िाला व्यक्रक्त संस्िीकृक्रत से इन्कार करता िै तो मक्रजस्रेट ऐसे
व्यक्रक्त को पक्रु लस अक्रभरक्षा में क्रनरोध प्राक्रधकृत निीं करेगा।
 उपधारा (4) के अनस ु ार मक्रजस्रेट इस प्रकार की संस्िीकृक्रत को संक्रिता की धारा 281 में उपबक्रन्धत क्रकसी अक्रभयक्त
ु व्यक्रक्त
की परीक्षा को अक्रभक्रलक्रखत करने की रीक्रत के अनसु ार क्रलखेगा । ऐसी संस्िीकृक्रत पर उसे करने िाले व्यक्रक्त के िस्ताक्षर क्रकए
जाएगे और मक्रजस्टेट संस्िीकृक्रत के ऐसे अक्रभलेख पर क्रनम्न आशय का एक ज्ञापन अंक्रकत करेगा –
मैने (संस्िीकताण ) को यि समझा क्रदया िै क्रक िि संस्िीकृक्रत करने के क्रलए िाध्य निी िै और यक्रद िि ऐसा करता िै
तो कोई संस्िीकृक्रत , जो िि करेगा , उसके क्रिरुद्ध साक्ष्य िोगा उपयोग में लायी जा सके गी और मझ ु े क्रिश्वास िै क्रक यि
संस्िीकृक्रत स्िेच्छा से की गयी िै । यि मेरी उपक्रस्र्क्रत में और मेरी श्रिर्गोचरता में की गयी िै और क्रजस व्यक्रक्त ने यि
संस्िीकृक्रत की िै उसे यि पढकर सनु ा दी गयी िै और उसने उसका सिी िोना स्िीकार क्रकया िै और उसके द्वारा क्रकए गए
कर्न का पूरा और सिी ितृ ान्त इसमें अन्तक्रिणष्ट िै ।
िस्ताक्षर
मक्रजस्रेट
 उपधारा (5) के अनस ु ार संस्िीकृक्रत से क्रभन्न कोई कर्न मक्रजस्रेट द्वारा क्रलखा जाएगा तर्ा कर्न क्रलखने से पूिण मक्रजस्रेट ऐसै
व्यक्रक्त को शपथ क्रदलाएगा ।
 भा0द0सं0 की धारा 354/ 354क/ 354ख/ 354ग/ 354घ/ 376(1)/ 376(2)/ 376क/ 376ख/ 376ग/ 376घ/ 376ड/ या
धारा 509 के अधीन दण्डनीय मामलों में न्याक्रयक मक्रजस्रेट उस व्यक्रक्त को क्रजसके क्रिरुद्ध उपधारा (5) में क्रिक्रित रीक्रत से ऐसा
अपराध क्रकया गया िै कर्न जैसे िी पक्रु लस के संज्ञान में लाया जाता िै क्रलखेगा - परन्तु
यक्रद कर्न करने िाला व्यक्रक्त “ स्र्ायी या अस्र्ायी रुप से मानक्रसक या शारीररक रुप से क्रनयोग्य ” िै तो क्रद्धभाक्रर्ये या
प्रबोधक की मदद से व्यक्रक्त द्वारा क्रकए गए कर्न की िीक्रडयों क्रफल्म तैयार की जाएगी । उपरोक्त अस्र्ायी या स्र्ायी रुप से
मानक्रसक या शारीररक रुप से क्रनयोग्य व्यक्रक्त द्वारा क्रकए गए कर्न का इस्तेमाल क्रिचारर् के समय मख्ु य परीक्षा के रुप मे क्रकया
जाएगा क्रजस पर िी क्रिपक्षी क्रजरि कर सके गा ।
 संस्िीकृक्रत या कर्न क्रलखने िाला मक्रजस्रेट अक्रभक्रलक्रखत उपरोक्त को उस मक्रजस्टेट के पास भेजेगा क्रजसके द्वारा क्रिचारर्
क्रकया जाना िै
धारा 164 क- बिात्संग के क्रशकार िुए व्यक्रि की शारीररक परीक्षा-
 पंजीकृत क्रचक्रकत्सा व्यिसायी द्वारा पीक्रडत मक्रिला की सिमक्रत से या उसके िास्ते सिमक्रत दे सकने िाले व्यक्रक्त की सिमक्रत से
डाक्टरी परीक्षर् िो।
 FIR पंजीकृत िोने के समय से 24 घण्टे के अन्दर पीक्रडता को डाक्टर के पास पक्रु लस द्वारा भेजा जाएगा ।
 डाक्टर अक्रिलम्ि “परीक्षा” कर ररपोटण को क्रििेचक के पास भेजेगा ररपोटण में क्रनम्न ब्यौरा िोगा –
 मक्रिला का ि जो व्यक्रक्त उसे डाक्टर के पास ले गया नाम ि पता
 आयु
 डी.एन.ए. िेतु शरीर से ली गयी सामग्री का िर्ण न
 चोटें
 मक्रिला की साधारर् मानक्रसक दशा

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 अन्य ताक्रत्िक क्रिक्रशक्रष्टयां
 सिमक्रत क्रदए जाने के सम्िन्ध में
 परीक्षर् प्रारम्भ तर्ा समाक्रप्त के सम्िन्ध में
 क्रििेचक मेक्रडकल ररपोटण को धारा 173 के तित मक्रजस्रेट को भेजी जाने िाली ररपोटण में के स डायरी (C D) का भाग बनाएगा

 सिमक्रत के क्रबना क्रकया गया परीक्षर् क्रिक्रधमान्य निी िै।
धारा 165- पुक्रिस अक्रधकारी द्वारा तिाशी
 र्ानाध्यक्ष अर्िा क्रििेचक अन्िेर्र् के प्रयोजन से र्ानो की सामओं के अन्दर क्रकसी स्र्ान की तलाशी क्रकसी चीज की
बरामदगी िेतु कर सके गा
 स्ियं तलाशी लेने में असमर्ण ता की दशा में पक्रु लस अक्रधकारी अपने अधीनस्र् को क्रलक्रखत में तलाशी आदेश दे सके गा तर्ा
यर्ासम्भि उस चीज या स्र्ान का उल्लेख आदेश में करेगा ।
 यर्ासम्भि “ तिाशी वारण्र् सम्वन्धी उपबन्ध ” तर्ा “धारा 100 के तित तिाशी“ के उपबन्धो को ध्यान में रखकर
उपरोक्त पक्रु लस अक्रधकारी तलाशी लेगा ।
 तैयार क्रकए गए फदण की प्रक्रतयां तत्काल क्रनकटतम मक्रजस्रेट को भेज दी जाएगी
 फदण की प्रक्रत उसको भी दी जाएगी क्रजसकी तलाशी ली गयी िै ।
 आिेदन करने पर मक्रजस्रेट एक प्रक्रत क्रनःशल्ु क उस व्यक्रक्त को देगा क्रजसकी स्र्ान की तलाशी ली गयी िै
धारा 166 – पुक्रिस थाने का भारसाधक अक्रधकारी कब क्रकसी अन्य अक्रधकारी से तिाशी वारण्र् जारी करने की अपेक्षा
कर सकता िै –
 जब कभी पक्रु लस र्ाने के भारसाधक अक्रधकारी अर्िा क्रििेचक को प्रतीत िो क्रक उसके पक्रु लस र्ाने से क्रभन्न क्रकसी र्ाने की
सीमाओं के अन्दर क्रकसी भी क्रजले के क्रकसी स्र्ान की तलाशी ली जाने िै तो िि उस र्ाने के भारसाधक अक्रधकारी द्वारा
तलाशी क्रलिा सके गा ।
 तलाशी िारण्ट जारी करने की अपेक्षा जारी करने की शक्रक्तयां उपक्रनरीक्षक पद से नीचे के अक्रधकारी को उपलब्ध निी िै ।
 कक्रतपय क्रिशेर् पररक्रस्र्क्रतयों में अपेक्षा करने िाला पक्रु लस अक्रधकारी स्ियं तलाशी ले सके गा ये पररक्रस्र्क्रतयां क्रनम्न िो सके गी –
समयाभाि
धारा 166 क – भारत के बािर क्रकसी देश या स्ट्थान में अन्वेषण के क्रिए सक्षम अक्रधकारी को अनरु ोध पत्र –
अन्िेर्र् अक्रधकारी या उससे पक्रक्तं मे िररष्ठ पक्रु लस अक्रधकारी क्रकसी अन्िेर्र्ाधीन मामले में यि पाता िै क्रक मामले से
सम्िक्रन्धत साक्ष्य क्रिदेश में क्रमल सकता िै तो इस िाित िि न्यायालय में आिेदन देगा क्रजस पर दाक्रण्डक न्यायालय के न्र
सरकार के माध्यम से उस क्रिदेश के न्यायालय को अनरु ोध पत्र भेजकर अन्िेर्र् करा सके गा ।
धारा 166 ख-भारत के बािर के क्रकसी देश या स्ट्थान से भारत में अन्वेषण के क्रिए क्रकसी न्यायािय या प्राक्रधकारी को
अनरु ोध पत्र
 भारत के िािर के क्रकसी देश या स्र्ान से भारत में अऩ्िेर्र् के क्रलए क्रकसी न्यायालय या प्राक्रधकारी से अनरु ोध क्रकये जाने के
िारे में प्रािधान करती िै।
धारा 167 -जब चौबीस घण्र्े के अन्दर अन्वेषण पूरा न क्रकया जा सके तब प्रक्रकया –

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 जब कोई क्रगरफ्तार क्रकया गया व्यक्रक्त अक्रभरक्षा में क्रनरुद्ध िै और क्रििेचक को प्रतीत िो क्रक 24 घण्टे में अन्िेर्र् पूरा निीं क्रकया
जा सकता तो पक्रु लस अक्रधकारी मामले से सम्िक्रन्धत तथ्यों के कर्न सक्रित अक्रभयक्त ु को क्रनकटतम न्याक्रयक मक्रजस्रेट को
भेजेगा ।
 न्याक्रयक मक्रजस्रेट के समाधान िो जाने पर िि क्रनरोध की कालािक्रध को िढा सके गा लेक्रकन अिक्रध 01 िार में 15 क्रदनों से
अक्रधक की निी िोगी ।
 लेक्रकन यक्रद ऐसा मक्रजस्रेट जो क्रिचारर् की अक्रधकाररता निी रखता तो िि अक्रभयक्त
ु को ऐसे मक्रजस्रेट के समक्ष भेजने का
आदेश दे सके गा जो क्रिचारर् की अक्रधकाररता रखता िो
 यक्रद अक्रभयक्त
ु न्याक्रयक अक्रभरक्षा में िै और उस पर ऐसे अपराध का आरोप िै जो 10 िर्ण या उससे अक्रधक की अिक्रध के
कारािास से दण्डनीय िै तो उसमें 90 क्रदन की अिक्रध में आरोप पत्र पेश न क्रकए जाने पर उसे जमानत पर छोडा जा सके गा
 अन्य अपराध क्रजनमें दण्ड की अक्रधकतम मात्रा 10 िर्ण तक की िै में आरोप पत्र 60 क्रदनों की अिक्रध में न्यायालय में आ जाने
चाक्रिए अन्यर्ा अक्रभयक्त
ु द्वारा जमानत पत्र क्रदए जाने पर मक्रजस्रेट उसे जमानत पर छोड देगा
 न्याक्रयक मक्रजस्रेट की अनपु क्रस्र्क्रत में कायण पालक मक्रजस्रेट भी अक्रभयक्त
ु का प्रर्म ररमाण्ड जैसा िि ठीक समझे दे सके गा जो
अक्रधकतम 07 क्रदिस का िो सके गा
 पक्रु लस अक्रभरक्षा ररमाण्ड प्रर्म ररमाण्ड क्रदए जाने के क्रदनांक से 15 क्रदन की अिक्रध के अन्दर िी क्रदया जा सके गा
 समन मामलों में अन्िेर्र् 06 माि की अिक्रध में पूरा िो जाना चाक्रिए । यक्रद अक्रभयक्त
ु के क्रगरफ्तार क्रकये जाने की तारीख से
अन्िेर्र् 06 माि में पूरा निी िोता िै तो मक्रजस्रेट द्वारा अन्िेर्र् रोके जाने का आदेश क्रदया जा सके गा।
धारा 168 - अधीनस्ट्थ पक्रु िस अक्रधकारी द्वारा अन्वेषण की ररपोर्ट
 जब कोई अधीनस्र् पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा अन्िेर्र् क्रकया जाता िै तब िि अन्िेर्र् के पररर्ाम की ररपोटण र्ाने के भारसाधक
अक्रधकारी को देगा ।
धारा 169- जब साक्ष्य अपयाटप्त िो तब अक्रभयुि का छोडा जाना
 जब र्ाने के पक्रु लस अक्रधकारी (भारसाधक ) को यि प्रतीत िो क्रक पयाण प्त साक्ष्य या सन्देि का उक्रचत आधार निी िै । क्रजसके
कारर् अक्रभयक्त ु को मक्रजस्रेट के पास भेजा न्यायोक्रचत िो तो िि अक्रधकारी उस व्यक्रक्त के अक्रभरक्षा में िोने की दशा में
प्रक्रतभूओ ं सक्रित या रक्रित बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत क्रकए जाने पर छोड देगा क्रक जब भी अपेक्षा की जाए ऐसे मक्रजस्रेट के समक्ष
उपक्रस्र्त िोगा जो अपराध के संज्ञान की अक्रधकाररता रखता िो।
धारा 170- जब साक्ष्य पयाटप्त िै तब मामिों का मक्रजस्ट्रेर् के पास भेज क्रदया जाना
 पयाण प्त साक्ष्य अर्िा सन्देि के उक्रचत आधार पाए जाने पर उस अक्रभयक्त ु को बन्धपत्र पर छोडे जाने के बजाए उस मक्रजस्रेट के
पास भेजे जाने के बारे में प्रािधान क्रकया गया िै जो पक्रु लस ररपोटण पर अपराध का संज्ञान करने के क्रलए सशक्त िै ।
 अन्िेर्र् अक्रधकारी मक्रजस्रेट के पास ऐसा कोई आयधु या अन्य िस्तु भी जो पेश करना आिश्यक िो , भी भेजेगा ।
 अन्िेर्क पररिादी या साक्रक्षयों से मक्रजस्रेट के समक्ष िाक्रजर िोने के क्रलए बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत करने की अपेक्षा कर सकता िै ।
धारा 171 – पररवादी और साक्रक्षयों से पुक्रिस अक्रधकारी के साथ जाने की अपेक्षा न क्रकया जाना और उनका अवरुद्ध न
क्रकया जाना
जब कोई पररिादी अर्िा साक्षी न्यायालय में जा रिा िो तब -
(i) उससे पक्रु लस अक्रधकारी के सार् जाने की अपेक्षा न की जाएगी ।
(ii) उसे अनािश्यक अिरोध या असक्रु िधा के अधीन न क्रकया जाएगा और

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(iii) न उसे अपनी उपक्रस्र्क्रत के क्रलए उसके अपने बन्धपत्र से क्रभन्न कोई प्रक्रतभूक्रत देने की अपेक्षा की जाएगी
धारा 172 -अन्वेषण में कायटवाक्रियों की डायरी
 अपराध एिं उनके अन्िेर्र् में की गयी कायण िाक्रियों को डायरी में अक्रभक्रलक्रखत क्रकये जाने के बारे में प्रािधाक्रनत िै ।
 के स डायरी का न्यायालय द्वारा साक्ष्य के रुप में उपयोग निी क्रकया जा सकता क्रकन्तु न्यायालय द्वारा जांच या क्रिचारर् में
अपनी सिायता के क्रलए उपयोग क्रकया जा सकता िै ।
 के स डायरी में क्रनम्न बातों का उल्लेख रिता िै –
(i)- अपराध की सूचना क्रमलने का समय
(ii)- अन्िेर्र् का आरम्भ एिं समाक्रप्त का समय
(iii)- िि स्र्ान जिााँ अन्िेर्र् के दौरान जाया गया
(iv)- अन्िेर्र् द्वारा अक्रभक्रनक्रश्चत पररक्रस्र्क्रतयां
 साक्रक्षयों के कर्न के स डायरी में क्रलखे जाएगे तर्ा जो पक्रु स्तका के रुप मे सम्यक रुपेर् पष्ठृ संख्यांक्रकत िोगा
 के स डायरी का प्रयोग अक्रभयक्त
ु द्वारा निी क्रकया जा सकता िै ।
धारा 173 – अन्वेषण के समाप्त िो जाने पर पक्रु िस अक्रधकारी की ररपोर्ट –
अन्िेर्र् पूरा िो जाने पर र्ाने का भारसाधक अक्रधकारी पक्रु लस ररपोटण पर उस अपराध का संज्ञान करने के क्रलए सशक्त
मक्रजस्रेट को क्रिक्रित प्रारुप में भेजेगा क्रजसमें क्रनम्न बाते कक्रर्त िोगी-
(i) पक्षकारों के नाम
(ii) इक्रिला का स्िरुप
(iii) मामले की पररक्रस्र्क्रतयों से पररक्रचत व्यक्रक्तयों के नाम
(iv) यक्रद अपराध क्रकया गया प्रतीत िोता िै तो क्रकसके द्वारा
(v) क्या अक्रभयक्त
ु क्रगरफ्तार कर क्रलया गया िै
(vi) क्या िि अपने बन्धपत्र पर छोड क्रदया गया िै और छोडा गया िै तो प्रक्रतभू सक्रित या रक्रित
(vii) क्या िि द0प्र0सं0 की धारा 170 के अधीन अक्रभरक्षा में भेजा जा चक
ु ा िै ररपोटण के सार् भेजी जाने िाली अन्य सामग्री
(i) िे सभी दस्तािेज क्रजन पर क्रनभण र करने का अक्रभयोजन का क्रिचार िै ।
(ii) उन सब व्यक्रक्तयों के धारा 161 के अन्तगण त अक्रभक्रलक्रखत कर्न
 यक्रद पक्रु लस अक्रधकारी को प्रतीत िो क्रक क्रकसी कर्न का कोई भाग कायण िािी की क्रिर्यिस्तु से सस
ु ंगत निीं िै या न्यायक्रित में
प्रकट क्रकया जाना आिश्यक निीं िै तो िि पक्रु लस अक्रधकारी ऐसे भाग को दक्रशणत करते िुए अक्रभयक्त ु को दी जाने िाली
प्रक्रतक्रलक्रप से क्रनकाल क्रदए जाने के क्रलए मक्रजस्रेट से क्रनिेदन करेगा ।
 अक्रभयक्त
ु ों को दस्तािेजों की प्रक्रतयां
पक्रु लस अक्रधकारी दस्तािेजों की प्रक्रतयां अक्रभयक्त
ु ों को दे सके गा जैसा क्रक क्रिचारर् के समय प्रस्ततु क्रकए जाने िाले साक्रक्षयों के
कर्न एिं ऐसे दस्तािेजों की प्रक्रतयां क्रजन पर क्रनभण र करने का अक्रभयोजन का क्रिचार िो ।
 धारा 173(2) के अन्तगण त मक्रजस्रेट को पक्रु लस ररपोटण भजे दी जाने के पश्चात अगर अन्िेर्क को बाद में कोई मौक्रखक अर्िा
दस्तािेजी साक्ष्य क्रमलता िै तो िि अक्रतररक्त ररपोटण या ररपोटण क्रिक्रित प्रारुप में मक्रजस्रेट के पास भेजेगा ।

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धारा 174-आत्मित्या आक्रद पर पुक्रिस का जांच करना और ररपोर्ट देना –
 जब भी र्ाने के क्रकसी भारसाधक अक्रधकारी को यि सूचना क्रमले क्रक
(i) क्रकसी व्यक्रक्त ने आत्मित्या कर ली िै या
(ii) कोई व्यक्रक्त क्रकसी अन्य व्यक्रक्त द्वारा या जीि जन्तु द्वारा या दघु ण टना द्वारा मारा गया िै या
(iii) कोई व्यक्रक्त ऐसी पररक्रस्र्क्रतयों में मरा िै जिां सन्देि िो क्रक क्रकसी अन्य व्यक्रक्त ने कोई अपराध क्रकया िै तो िि पक्रु लस
अक्रधकारी –
i. मत्ृ यु समीक्षा करने के क्रलए सशक्त क्रनकटतम कायण पालक मक्रजस्रेट को उसकी अक्रिलम्ब सूचना देगा ।
(ii) ऐसे स्र्ान पर जाएगा जिां मतृ व्यक्रक्त का शरीर िो और ििां दो या अक्रधक प्रक्रतक्रष्ठत व्यक्रक्तय ं की उपक्रस्र्क्रत में अन्िेर्र्
करेगा
(iii) ऐसे अन्िेर्र् पर मत्ृ यु के दृश्यमान कारर्ों की एक ररपोटण तैयार करेगा
 ऐसे ररपोटण को पंचनामा भी किा जाता िै
 जिां मत्ृ यु के कारर्ों के बारे में सन्देि िो और पक्रु लस अक्रधकारी को यि समीचीन जान पडे क्रक मतृ शरीर की क्रचक्रकत्सक द्वारा
परीक्षा क्रकया जाना आिश्यक िै ििां ऐसे मतृ शरीर की परीक्षा िेतु क्रनकटतम क्रसक्रिल सजण न अर्िा अिण ता प्राप्त क्रचक्रकत्सक के
पास भेजेगा
धारा 175 – व्यक्रियों को समन करने की शक्रि
 पक्रु लस अक्रधकारी को दो या अक्रधक व्यक्रक्तयों को अन्िेर्र् के प्रयोजन से क्रलक्रखत आदेश द्वारा आिूत कर सकता िै
 ऐसा व्यक्रक्त अन्िेर्क द्वारा पूछे गए प्रश्न का सिी सिी उिर देने के क्रलए आबद्ध िै क्रसिाय ऐसे प्रश्नों का क्रजससे क्रक उसे क्रकसी
दण्ड शाक्रस्त या जब्ती के मामलों में फं सने की आंशका िो ।
धारा 176- मत्ृ यु के कारण की मक्रजस्ट्रेर् द्वारा जांच -
 जब क्रकसी मामले में क्रकसी मक्रिला द्वारा उसके क्रििाि की तारीख से सात िर्ों के भीतर आत्मित्या अन्तिण क्रलत िो या क्रकसी
मक्रिला की उसके क्रििाि के 7 िर्ण के भीतर ऐसी पररक्रस्र्क्रतयों में मत्ृ यु से सम्िक्रन्धत िै जिां सन्देि िो क्रक ऐसी स्त्री के सम्िन्ध
में कोई अपराध िुआ िै । तब मत्ृ यु के कारर् की जांच पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा क्रकए जाने िाले अन्िेर्र् के बजाय या उसके
अक्रतररक्त िि क्रनकटतम मक्रजस्रेट करेगा जो मत्ृ यु समीक्षा करने के क्रलए सशक्त िै (D.M / S.D.M या D.M. या राज्य द्वारा
प्राक्रधकृत कोई अन्य कायण पालक मक्रजस्रेट )
 जिां (i) कोई व्यक्रक्त मर जाता िै या गायब िो जाता िै अर्िा
(ii) क्रकसी मक्रिला के सार् बलात्संग क्रकया गया अक्रभकक्रर्त िै
तो ऐसी दशा में ऐसा व्यक्रक्त या स्त्री पक्रु लस अक्रभरक्षा या न्यायालय द्वारा प्राक्रधकृत क्रकसी अन्य अक्रभरक्षा में िै तो पक्रु लस
अक्रधकारी द्वारा की गयी जांच या क्रकए गए अन्िेर्र् के अक्रतररक्त ऐसा न्याक्रयक मक्रजस्रेट या मिानगर मक्रजस्रेट द्वारा क्रजसकी
स्र्ानीय अक्रधकाररता में अपराध क्रकया गया िै द्वारा जााँच की जाएगी।
 जिां क्रकसी मतृ व्यक्रक्त को पिले िी गाड क्रदया गया िै और मक्रजस्रेट को यि प्रतीत िोता िै क्रक मत्ृ यु का कारर् पता लगाने के
क्रलए मतृ शरीर की परीक्षा की जाये ति िि खदु िाकर मतृ शरीर को क्रनकलिा सके गा और उसकी परीक्षा करिा सके गा ।
धारा – 177 जााँच और क्रवचारण का मामूिी स्ट्थान
 यि धारा जााँच और क्रिचारर् के सम्बन्ध में सामान्य क्रसद्धान्त का प्रक्रतपादन करती िै।
 जााँच और क्रिचारर् उस न्यायालय द्वारा क्रकया जायेगा क्रजसकी अक्रधकाररता में अपराध िुआ िो।

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धारा – 178 जााँच और क्रवचारण का स्ट्थान
 जिााँ यि अक्रनक्रश्चत िै क्रक अपराध कई न्यायालय के स्र्ानीय क्षेत्र में से क्रकसमें िुआ िै
 जिााँ अपराध आाँक्रशक रूप से एक न्यायालय ि आंक्रशक रूप से दूसरे न्यायालय के अक्रधकार क्षेत्र में िुआ िै
 जिााँ अपराध क्रनरन्तर चालू रिने िाला िै तर्ा एक से अक्रधक स्र्ानीय क्षेत्र में चालू रिता िै ।
 जिााँ अपराध क्रिक्रभन्न स्र्ानीय क्षेत्र में क्रकये गये कायों से क्रमलकर बनता िै ििां अपराध की जााँच और क्रिचारर् ऐसे क्रकसी
न्यायालय द्वारा क्रकया जा सके गा क्रजसकी अक्रधकाररता में अपराध या उसका कोई भाग िुआ िै ।
धारा 179- अपराध विााँ क्रवचारणीय िोगा जिााँ कायट क्रकया गया या जिााँ पररणाम क्रनकिा िो
 जााँच और क्रिचारर् उस न्यायालय द्वारा क्रकया जायेगा जिााँ कायण क्रकया गया िो, या
 जााँच और क्रिचारर् उस न्यायालय द्वारा क्रकया जायेगा जिााँ पररर्ाम क्रनकला िो
धारा 180- जिााँ कायट अन्य अपराध से सम्बक्रन्धत िोने के कारण अपराध िै विााँ क्रवचारण का स्ट्थान
 जिााँ कोई कायण स्िंय में अपराध िै या अपराध िोता
 जिााँ अन्य कायण अपराध िै ििााँ जााँच और क्रिचारर्
 उस न्यायालय द्वारा क्रजसकी अक्रधकाररता में दोंनों में से कोई कायण क्रकया गया िो
उदािरर्-अपिरर् करना तर्ा बलात्संग का अपराध करना,दष्ु प्रेरर् करना तर्ा दष्ु प्रेररत कायण करना
धारा 181- कुछ अपराधों की दशा में क्रवचारण का स्ट्थान
यि धारा पााँच उपधारा में क्रिभक्त िै-
 ठगी एिं डकै ती सम्बन्धी अपराधों की जााँच एिं क्रिचारर्
 व्यपिरर् एिं अपिरर् सम्बन्धी अपराधों की जााँच और क्रिचारर्
 चोरी, उद्दापन एिं लूट सम्बन्धी अपराधों की जााँच और क्रिचारर्
 आपराक्रधक दक्रु िणक्रनयोग एिं न्यासभंग सम्बन्धी अपराधों की जााँच और क्रिचारर्
 चरु ाई गई सम्पक्रि सम्बन्धी अपराधों की जााँच और क्रिचारर्
 उपरोक्त अपराधो की जााँच और क्रिचारर् क्रभन्न क्रभन्न न्यायालय द्वारा क्रकया जायेगा।
धारा 182- पत्रों आक्रद द्वारा क्रकये गये अपराध
ऐसे अपराधों की जााँच और क्रिचारर् उस न्यायालय द्वारा क्रकया जाएगा-
 क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता के अन्तगण त ऐसे पत्र भेजे गये िैं या
 क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता के अन्तगण त ऐसे पत्र प्राप्त िुए िैं
क्रद्वक्रििाि के अपराध की जााँच और क्रिचारर् ऐसे न्यायालय द्वारा क्रकया जाएगा
 क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता के अन्तगण त अपराध क्रकया गया िै या
 क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता के अन्तगण त पक्रत या पत्नी के सार् अक्रन्तम बार क्रनिास क्रकया िो या
 क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता के अन्तगण त प्रर्म क्रििाि की पत्नी अपराध के पश्चात् स्र्ायी रूप से क्रनिास करती िै

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धारा 183- यात्रा या जियात्रा में क्रकया गया अपराध
यात्रा या जलयात्रा के दौरान काररत अपराध की जााँच और क्रिचारर् उस न्यायालय द्वारा क्रकया जाएगा-
 क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता में अक्रभयक्त
ु या
 क्रजसकी स्र्ानीय अक्रधकाररता में िि व्यक्रक्त क्रजसके क्रिरूद्ध अपराध िुआ
 या िि िस्तु क्रजसके बारे में अपराध क्रकया गया यात्रा के दौरान की गई या गायब िुई िै
 इस धारा की प्रायोज्यता िेतु यात्रा का क्रनरन्तर रिना आिश्यक िै।
धारा 190- मक्रजस्ट्रेर्ों द्वारा अपराधों का संज्ञान
 कोई प्रर्म श्रेर्ी मक्रजस्रेट क्रनम्न दशाओं में अपराधों का संज्ञान कर सके गा-
 अपराध गक्रठत करने िाले तथ्यों का पररिाद प्राप्त िोने पर
 अपराध काररत करने िाले तथ्यों की पक्रु लस ररपोटण प्राप्त िोने पर
 क्रकसी व्यक्रक्त द्वारा अपराध की सूचना प्राप्त िोने पर या स्िंय की जानकारी पर
 मख्ु य न्याक्रयक मक्रजस्रेट क्रकसी क्रद्वतीय िगण मक्रजस्रेट को संज्ञान करने के क्रलए सशक्त कर सकता िै

धारा 195- िोक न्याय के क्रवरूद्ध अपराधों के क्रिए और साक्ष्य में क्रदये गये दस्ट्तावेजों से सम्बक्रन्धत अपराधों के क्रिए
िोकसेवकों के क्रवक्रधपूणट प्राक्रधकार के अवमान के क्रिए अक्रभयोजन-
 इस धारा में कुछ अपराधों के संज्ञान के बारे में प्रािधान क्रकया गया िै।
 ऐसे अपराधों का संज्ञान लोकसेिकों अर्िा न्यायालय के द्वारा पररिाद िोने पर िी िोगा अन्यर्ा निीं
 भा0द0सं0 की धारा 172से 188 तक में िक्रर्णत अपराध
 भा0द0सं0 की धारा 193 से 196 तक धारा 199,200,205 से 211 तक एिं 228 में िक्रर्णत अपराध
 भा0द0सं0 की धारा 463,471,475 एिं 476 में िक्रर्णत अपराध
धारा 196- राज्य के क्रवरूद्ध अपराधों के क्रिए और ऐसे अपराध करने के क्रिए आपराक्रधक षडयन्त्र के क्रिए अक्रभयोजन
 क्रनम्न अपराधों का संज्ञान न्यायालय के न्रीय सरकार या राज्य सरकार की पूिण मंजूरी के क्रबना निीं करेगा-
 भा0द0सं0 के अध्याय 6 के अन्तगण त काररत क्रकसी अपराध का
 भा0द0सं0 की धारा 153क,295क,505(1) के अन्तगण त काररत क्रकसी अपराध का
 ऐसा अपराध काररत करने के आपराक्रधक र्डयन्त्र का
 क्रनम्न अपराध का संज्ञान न्यायालय के न्रीय सरकार , या राज्य सरकार या क्रजला मक्रजस्रेट की पूिण मंजूरी से करेगा-
 भा0द0सं0 की धारा 153ख या धारा 505(2)ि (3) के अन्तगण त दण्डनीय अपराध का
 ऐसा अपराध करने के आपराक्रधक र्डयन्त्र का
धारा 197- न्यायाधीशों और िोकसेवकों का अक्रभयोजन
 इस धारा के अन्तगण त न्यायाधीशों और लोकसेिकों को अक्रभयोजन के क्रिरूद्ध सरु क्षा प्रदान की गई िै ।

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 अक्रभयोजन िेतु पूिण मंजूरी तभी आिश्यक िै जब अपराध लोकसेिक द्वारा पदीय कतण व्य के क्रनिण िन में क्रकया गया िो
 इस धारा का संरक्षर् उन्िी लोकसेिकों को प्राप्त िै क्रजन्िे सरकार की पूिण मंजूरी के क्रबना पद से निीं िटाया जा सकता िो ।
 संघ के कायण कलाप के सम्बन्ध में क्रनयोक्रजत के क्रलए के न्रीय सरकार की पूिण मंजूरी से
 राज्य के कायण कलाप के सम्बन्ध में क्रनयोक्रजत के क्रलए राज्य सरकार की पूिण मंजूरी से
 संघ के सशस्त्र बल के सदस्य के सम्बन्ध में के न्रीय सरकार की पूिण मंजूरी से
 राज्य बल के सदस्यों के सम्बन्ध में राज्य सरकार की पूिण मंजूरी से
धारा 198- क्रववाि के क्रवरूद्ध अपराधों के क्रिए अक्रभयोजन
 इस धारा में क्रििाि सम्बन्धी अपराधों के संज्ञान के बारे में प्रािधान क्रकया गया िै । भा0द0सं0 के अध्याय 20 के अधीन
दण्डनीय अपराध का संज्ञान न्यायालय अपराध से व्यक्रर्त व्यक्रक्त के पररिाद पर िी करेगा अन्यर्ा निीं ।
 अपिादः-कब व्यक्रर्त व्यक्रक्त के अक्रतररक्त अन्य व्यक्रक्त पररिाद प्रस्ततु कर सकते िैं-
 जिााँ व्यक्रर्त व्यक्रक्त 18 िर्ण से कम , जड़ या पागल िै
 जिााँ व्यक्रर्त व्यक्रक्त रोग या अंगशैक्रर्ल्य के कारर् पररिाद प्रस्ततु करने में असमर्ण िै
 जिााँ पररिाद करने िाली पदाण नशीन मक्रिला िै
 जिााँ पररिाद प्रस्ततु करने िाला व्यक्रक्त संघ के सशस्त्र बल की सेिा में िै
 जिााँ क्रद्वक्रििाि के अपराध से व्यक्रर्त व्यक्रक्त पत्नी िै
धारा 198क- भा0द0सं0 की धारा 498(क) के अधीन अपराधों का अक्रभयोजन संज्ञान
 पक्रु लस ररपोटण पर
 व्यक्रर्त व्यक्रक्त के पररिाद पर
 व्यक्रर्त व्यक्रक्त के रक्त या क्रििाि से सम्बक्रन्धत व्यक्रक्त के पररिाद पर न्यायालय संज्ञान करेगा ।
धारा 199- मानिाक्रन के क्रिए अक्रभयोजन
 इस धारा में मानिाक्रन सम्बन्धी अपराधों के संज्ञान के बारे में प्रािधान क्रकया गया िै
 कोई न्यायालय भा0द0सं0 के अध्याय 21 के अधीन दण्डनीय अपराधों का संज्ञान अपराध से व्यक्रर्त व्यक्रक्त के पररिाद पर िी
करेगा अन्यर्ा निीं
 अपिादः-कब व्यक्रर्त व्यक्रक्त के अक्रतररक्त अन्य व्यक्रक्त पररिाद प्रस्ततु कर सकते िैं-
 जिााँ व्यक्रर्त व्यक्रक्त 18 िर्ण से कम , जड़ या पागल िै
 जिााँ व्यक्रर्त व्यक्रक्त रोग या अंगशैक्रर्ल्य के कारर् पररिाद प्रस्ततु करने में असमर्ण िै
 जिााँ पररिाद करने िाली पदाण नशीन मक्रिला िै
 राष्रपक्रत, उपराष्रपक्रत आक्रद के मामले में लोकअक्रभयोजक पररिाद प्रस्ततु करेगा
धारा 200- पररवादी की परीक्षा -
जब मक्रजस्रेट के समक्ष कोई पररिाद आता िै तो िि -

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 पररिादी एिं साक्रक्षयों की शपर् पर परीक्षा करेगा
 ऐसी परीक्षा का सारांश लेखिद्ध क्रकया जाएगा
 कर्न पर पररिादी साक्षी के अक्रतररक्त मक्रजस्रेट उस पर िस्ताक्षर करेगा।
अपिाद – कब मक्रजस्रेट पररिादी ि साक्षी की परीक्षा िेतु िाध्य निी िै
 जब पररिाद क्रलक्रखत रुप में लोक सेिक द्वारा क्रकया गया िै
 ऐसा अपने पदीय कतण व्य के क्रनिण िन में क्रकया गया िै या
 पररिाद न्यायालय द्वारा क्रकया गया िै
धारा – 202 – आदेक्रशका के जारी क्रकए जाने को मल्ु तवी करना
 इस धारा का उदेदश्् य पररिाद की सत्यता का पता लगाना िै
 मक्रजस्रेट आदेशका जारी करना स्र्क्रगत कर स्ियं मामले की जांच कर सकता िै या
 अन्िेर्र् के क्रलये पक्रु लस अक्रधकारी या अन्य व्यक्रक्त को क्रनदेक्रशत कर सकता िै
 जांच में यक्रद मक्रजस्रेट सिी समझता िै तो साक्रक्षयों का शपर् पर साक्ष्य ले सकता िै
धारा 204 – आदेक्रशका का जारी क्रकया जाना
जब अपराध का संज्ञान करने िाले मक्रजस्रेट की राय में कायण िािी करने के क्रलए पयाण प्त आधार िो तो िि-
 समन मामले में अक्रभयक्त
ु की उपक्रस्र्क्रत के क्रलए समन जारी करेगा।
 िारण्ट मामले मे िारण्ट या यक्रद उक्रचत प्रतीत िोता िो तो समन जारी करेगा ।
 मामले मे तब तक कोई समन या िारण्ट जारी निी क्रकया जाएगा जब तक अक्रभयोजन के साक्रक्षयों की सूची फाइल निी कर दी
जाती िै।
 क्रलक्रखत पररिाद पर समन या िारण्ट के सार् पररिाद की एक प्रक्रतक्रलक्रप िोगी।
 यक्रद कोई फीस क्रनयत िै तो फीस क्रनयत समय में जमा करने के बाद िी आदेक्रशका जारी की जाएगी।
 इस धारा की कोई बात धारा 87 के उपबन्धों पर प्रभाि निी डालेगी।
धारा 209 – जब अपराध अनन्यतिः सेशन न्यायािय द्वारा क्रवचारणीय िै तब मामिा उसे सपु दु ट करना
 अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा क्रिचारर्ीय मामले में जब अक्रभयक्त
ु मक्रजस्रेट के समक्ष आता िै िि -मामले को सेशन
न्यायालय के सपु दु ण कर देगा
 जमानत सम्िन्धी उपबन्धों के अधीन अक्रभयक्त
ु को अक्रभरक्षा में प्रक्रतप्रेक्रर्त करेगा।
 मामले से सम्बक्रन्धत अक्रभलेख उस न्यायालय को भेजेगा ।
 मामले के सेशन न्यायालय को सपु दु ण क्रकए जाने की सूचना लोक अक्रभयोजक को देगा ।
 मामले के सेशन न्यायालय को सपु दु ण क्रकये जाने की सूचना लोक अक्रभयोजक को देगा।
धारा 211 - आरोप की अन्तवटस्ट्तु
 आरोप में उस अपराध का कर्न िोगा क्रजसका अक्रभयक्त
ु पर आरोप िै

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 यक्रद कानून में उसे कोई भी क्रिक्रनक्रदणष्ट नाम क्रदया गया िै तो उसी नाम से उस अपराध का िर्ण न क्रकया जाए
 यक्रद कानून द्वारा कोई नाम निीं क्रदया गया िै तो उस अपराध की पररभार्ा दी जाए
 कानून ि कानून की िि धारा आरोप में उक्रल्लक्रखत की जाए
 यि तथ्य की आरोप लगा क्रदया गया िै यि माना जाएगा क्रक आरोक्रपत अपराध बनता िै
 आरोप न्यायालय की भार्ा में क्रलखा जाएगा
 आरोप में पूिण दोर्क्रसक्रद्ध का क्रििरर् यक्रद आिश्यक िो तो उक्रल्लक्रखत क्रकया जाए
धारा 219 – एक िी वषट में क्रकए गए एक िी क्रकस्ट्म के तीन अपराधों का आरोप एक साथ िगाया जा सके गा
इस धारा की प्रयोज्यता के क्रलए क्रनम्नक्रलक्रखत तीन िातो का िोना आिश्यक िै
 अपराध एक िी प्रकार के िो
 ऐसी अपराध तीन से अक्रधक न िो
 ऐसे अपराध एक िी िर्ण के अन्दर क्रकए गए िो
तो तीन अपराध का एक सार् आरोप क्रिरक्रचत िोगा तर्ा उनका एक सार् क्रिचारर् िोगा
धारा 265 – सौदा अक्रभवाक् (प्िी बारगेक्रनगं ) -
सौदा अक्रभवाक क्या िै-
 अक्रभयक्त
ु स्िेच्छा से न्यायालय में अपना अपराध स्िीकार कर लेता िै
 अक्रभयक्त
ु क्रशकायतकताण को प्रक्रतकर का भगु तान करने का समझौता कर लेता िै
 तब अक्रभयक्त
ु को बिुत कम सजा या प्रोिेशन पर मक्त
ु कर क्रदया जाता िै।
क्रकन अपराधों में सौदा अक्रभवाक् िागू िोगा
 ऐसे अपराध क्रजसमें सात िर्ण तक के कारािास का प्रािधान िै ।
 जो अपराध मक्रिला या 14 िर्ण के कम उम्र के बच्चे के क्रिरुद्ध न िो
 ऐसे अपराध देश की सामाक्रजक आक्रर्णक दशा को प्रभाक्रित न करता िो ।
 उस अपराध में अक्रभयक्त
ु की पूिण दोर्क्रसक्रद्ध न िो ।
सि
ु ि समझौते के आधार पर मामिे का क्रनपर्ारा-
 अक्रभयक्त
ु एिं अक्रभयोजन या पररिादी द्वारा तय क्रकए गए समाधान पर न्यायालय क्रनम्न तरीके से मामले का क्रनपटारा करेगा।
 न्यायालय समझौते के अनस
ु ार पीक्रडत को प्रक्रतकर देने का आदेश कर सकता िै
 अक्रभयक्त
ु को भतण सना के िाद पररिीक्षा पर छोड सकता िै
 अक्रभयक्त
ु को प्रर्म अपराधी मानकर पररिीक्षा पर छोड सकता िै ।
 न्यूनतम दण्ड के आधे दण्ड से अक्रभयक्त
ु को दक्रण्डत कर सकता िै
 जिां न्यूनतम दण्ड निी िै ििां उपबक्रन्धत दण्ड के ¼ भाग के दण्ड से दक्रण्डत कर सकता िै

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 ऐसे मामले में न्यायालय का क्रनर्ण य अक्रन्तम िोगा मामले मे कोई अपील निी िोगी ।
 कायण िािी में क्रकए गए अक्रभयक्त
ु के कर्न का उपयोग अन्य प्रयोजन िेतु निी िोगा।
अध्याय-22 कारागारों में क्रनरूद्ध व्यक्रक्तयों की िाक्रजरी
धारा 267 - बक्रन्दयों को िाक्रजर कराने की अपेक्षा करने की शक्रि -
इस धारा में कारागार में क्रनरुद्ध व्यक्रक्तयों को न्यायालय में उपक्रस्र्त िोने के क्रलए मक्रजस्रेट के आदेश देने की शक्रक्त का उल्लेख
िै
 इस धारा के अन्तगण त आदेश मक्रजस्रेट द्वारा क्रदया जाएगा।
 ऐसा आदेश कारागार के भारसाधक अक्रधकारी के नाम क्रदया जाएगा ।
 आदेश जांच क्रिचारर् या अन्य कायण िािी के दौरान क्रदया जाएगा।
 ऐसा आदेश कारागार में क्रनरुद्ध व्यक्रक्त को आरोप का उिर देने के क्रलए िोगा । कारागार में क्रनरुद्ध व्यक्रक्त की साक्षी के रुप में
परीक्षा क्रकए जाने के क्रलए िोगा ।
 आदेश अन्य कायण िािी के प्रयोजन के क्रलए िोगा।
 ऐसा आदेश क्रद्वतीय श्रेर्ी मक्रजस्रेट का िोने पर सी.जे.एम द्वारा प्रक्रतिस्ताक्षररत िोगा।
धारा 268 – धारा 267 के प्रवतटन से कक्रतपय व्यक्रियों को अपवक्रतटत करने की राज्य सरकार की शाक्रि
इस धारा में राज्य सरकार क्रकसी व्यक्रक्त को उस कारागार से न िटाने का आदेश कर सकती िै
 ऐसा आदेश अपराध की प्रकृक्रत के कारर् िो सकता िै।
 ऐसे व्यक्रक्त को कारागार से िटाने पर लोक व्यिस्र्ा में क्रिघ्न की संभािना के कारर् िो सकता िै
 ऐसा आदेश लोकक्रित में िो सकता िै।
धारा 269 – कारागार से भारसाधक अक्रधकारी का कक्रतपय आकक्रस्ट्मकताओं में आदेश को कायाटक्रन्वत न करना
ये आकक्रस्ट्मकतायें क्रनम्नक्रिक्रखत िो सकती िै
 बीमारी या अंग शैक्रर्ल्य के कारर् कारागार से िटाए जाने के अयोग्य िोना।
 जब ऐसे व्यक्रक्त पर धारा 268 के अधीन राज्य सरकार का कोई आदेश लागू िै।
 क्रिचारर् के क्रलए सपु दु ण गी के अधीन िोना।
 क्रिचारर् लक्रम्ित रिने तक के क्रलए प्रक्रतप्रेक्रर्त िोना
 अपेक्रक्षत समय का न िोना
धारा 270- बन्दी का न्यायािय में अक्रभरक्षा में िाया जाना
कारागार में क्रनरुद्ध व्यक्रक्त को न्यायालय में उपक्रस्र्त िोने के क्रलए क्रभजिाने तर्ा ििां तब तक अक्रभरक्षा में रखने का प्रािधान
क्रकया गया िै जब तक
 उसकी परीक्षा न कर ली जाए
 न्यायालय उसे पनु ः कारागार में ले जाने का आदेश जब तक न दे ।
अध्याय 23 -जांचो ि क्रिचारर् में साक्ष्य
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धारा 299 - अक्रभयुि की अनपु क्रस्ट्थक्रत में साक्ष्य का अक्रभिेख
यि धारा इस सामान्य क्रनयम का अपिाद प्रस्ततु करती िै क्रक “साक्ष्य अक्रभयक्त
ु की उपक्रस्र्क्रत में क्रलया जाना चाक्रिए ”
इस धारा का उल्लेख मूल्यिान साक्ष्य को प्राप्त एिं सरु क्रक्षत करना िै
साक्ष्य तब अक्रभयक्त
ु की अनपु क्रस्र्क्रत में क्रलखा जाएगा जब
(i) यि क्रसद्ध कर क्रदया जाता िै क्रक अक्रभयक्त
ु व्यक्रक्त फरार िो गया िै
(ii) उसकी क्रनकट भक्रिष्य में क्रगरफ्तारी की संभािना निी िै
ऐसा साक्ष्य अक्रभयक्त
ु के क्रगरफ्तार िोने पर उसके क्रिरुद्ध साक्ष्य में तब क्रदया जा सकता िै जब –
(i) साक्षी मर गया िो
(ii) साक्षी क्रमल न सकता िो
(iii) साक्षी साक्ष्य देने में असमर्ण िो गया िो ।
(iv) साक्षी की उपक्रस्र्क्रत इतने क्रिलम्ि या असक्रु िधा के क्रिना निी कराई जा सकती क्रजतने मामले की पररक्रस्र्क्रतयों में आिश्य
िो।
उपधारा – 2 – न्यायिय द्वारा जााँच के दौरान साक्ष्य का अक्रभिेखन
(i) जब मत्ृ यु या अजीिन कारािास से दण्डनीय अपराध क्रकया गया िो
(ii) ऐसा अपराध अज्ञात व्यक्रक्तयों द्वारा क्रकया गया िो
(iii) उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय जांच का आदेश देगा
(iv) ऐसी जांच प्रर्म श्रेर्ी मक्रजस्रेट द्वारा की जाएगी
(v) जांच के दौरान साक्षी का साक्ष्य अक्रभक्रलक्रखत क्रकया जाएगा
(vi) ऐसा साक्ष्य िाद में अक्रभयक्त
ु िने व्यक्रक्त के क्रिरुद्ध तब प्रयक्त
ु िोगा
(vii) यक्रद साक्षी मर गया िै , साक्ष्य देने में असमर्ण िै , या भारत की सीमाओं के परे िै ।
अध्याय 24-जांचो ि क्रिचारर् के बारे में सामान्य प्रािधान
धारा 306 – सि अपराधी को क्षमादान
यि धारा सि अपराधी को क्षमा क्रनक्रिदान क्रकए जाने के बारे में प्रािधान करती िै
क्षमा का क्रनक्रिदान करने के क्रलए क्रनम्न मक्रजस्रेट सक्षम िै -
(i) अन्िेर्र्, जांच, या क्रिचारर् के प्रिम में मख्ु य न्याक्रयक मक्रजस्रेट
(ii) जांच या क्रिचारर् के प्रिम में प्रर्म श्रेर्ी का मक्रजस्रेट
यि धारा गम्भीर प्रकृक्रत के अपराधों पर लागू िोती िै
ऐसे अपराध क्रजसमें 7 िर्ण तक के कारािास या कठोर दण्ड का प्रािधान िै
इस धारा में क्षमा का क्रनक्रिदान सशतण क्रकया जाता िै ।
धारा 309- कायटवािी को मल्ु तवी या स्ट्थक्रगत करने की शक्रि –
इस धारा में क्रकसी जांच या क्रिचारर् को स्र्क्रगत करने तर्ा अक्रभयक्त
ु को ररमाण्ड क्रकए जाने का प्रािधान क्रकया गया िै –
 समान्यतः प्रत्येक जांच और क्रिचारर् की कायण िािी त्िररत की जाएगी

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 साक्षी की परीक्षा प्रारम्भ िोने पर क्रदन प्रक्रतक्रदन की जाएगी
 मक्रजस्रेट कारर् अक्रभक्रलक्रखत कर जांच या क्रिचारर् को स्र्क्रगत कर सकता िै
 ऐसी क्रस्र्क्रत में मक्रजस्रेट अक्रभयक्त
ु को अक्रभरक्षा में प्रक्रतप्रेक्रर्त करेगा
 इस धारा में मक्रजस्रेट अक्रभयक्त
ु को एक िार में 15 क्रदन से अक्रधक अक्रभरक्षा में प्रक्रतप्रेक्रर्त निी करेगा
धारा 345-अवमान के कुछ मामिों में प्रक्रिया – जब कोई व्यक्रक्त क्रसक्रिल,दण्ड या राजस्ि न्यायालय की दृक्रष्टगोचरता या
उपक्रस्र्क्रत में कोई अपराध करता िै जो भा0द0क्रि0 की धारा 175,178,179,180 या 228 में िक्रर्णत िै तब न्यायालय-
 अक्रभ0 को अक्रभरक्षा में क्रनरूद्द करा सके गा।
 न्यायालय के उठने के पूिण क्रकसी समय अपराध का संज्ञान कर सके गा, एंि
 एंि अपराधी को यि कारर् दक्रशणत करने का क्रक उसे इस धारा के अधीन क्यों न दक्रण्डत क्रकया जाये।
 यक्रु क्तयक्त
ु अिसर देने के पश्चात उसे 200/- रू0 तक के जमु ाण ने या जमु ाण ने के भगु तान में चूक क्रकया जाने पर एक माि का
कारािास जो सादा िोगा दक्रण्डत कर सके गा।
धारा की प्रायोज्यता के क्रलये 02 तथ्य आिश्यक िै-
क- अिमान सम्बन्धी काररत कोई अपराध ऐसा िो जो भा0द0क्रि0 की धारा 175/178/179/180/228 में आता िै।
एंि
ख- ऐसा अपराध क्रसक्रिल,दण्ड या राजस्ि न्यायालय की दृक्रष्टगोचरता अर्िा उपक्रस्र्क्रत में क्रकया गया िो। न्यायालय
प्रत्येक मामलें में तथ्य क्रजनसे अपराध बनता िै, अपराधी द्वारा क्रकये गये कर्न सक्रित तर्ा क्रनष्कर्ण और दण्डादेश भी
अक्रभक्रलक्रखत करेगा।
धारा 350 -समन के पािन में साक्षी के िाक्रजर न िोने पर उसे दक्रण्डत करने के क्रिये सक्रक्षप्त प्रक्रिया–
 ऐसे व्यक्रक्त को क्रजसे साक्षी के रूप में न्यायालय में उपक्रस्र्त िोने के क्रलये समन क्रकया गया िो िि उपक्रस्र्त िोने से इन्कार करें
अर्िा उपेक्षा करे उसे दक्रण्डत करने के िारे में प्रािधान क्रकया गया िै।
 ऐसे व्यक्रक्त को इस बात का कारर् दक्रशणत करने का क्रक उसे क्यों न दक्रण्डत क्रकया जाये
 क्रक उसे यक्रु क्तयक्त
ु अिसर देने के पश्चात न्यायालय का ऐसे व्यक्रक्त का सक्रक्षप्त क्रिचारर् कर सके गा एि उसे 100/- रू0 तक के
जमु ाण ने से दक्रण्डत क्रकया जा सके गा।
धारा 360- सदाचरण की परवीक्षा पर या भत्सटना के पश्चात छोड देने का आदेश– यि धारा अपराक्रधयों को परिीक्षा
(PROBATION OF GOOD CONDUCT) या भत्सण ना (ADMONITION) पर छोडें जाने के बारे में प्रािधान करती िै-
 जब कोई व्यक्रक्त जो 21 िर्ण से अक्रधक आयु का िै 07 िर्ण तक के कारािास से दण्डनीय अपराध के क्रलये दोर्क्रसद्ध क्रकया जाता
िै अर्िा

 जब कोई व्यक्रक्त जो 21 िर्ण से कम आयु का िै या कोई मक्रिला जो ऐसे अपराध के क्रलये जो मत्ृ यु या आजीिन कारािास से
दण्डनीय निीं िै दोर्क्रसद्ध की जाती िै
 उपरोक्त प्रत्येक मामलें में अपराधी के क्रिरूद्ध पूिण दोर्क्रसक्रद्ध साक्रबत निीं की गयी िै। तब न्यायालय अपराधी की आयु शील या
पूिणित को तर्ा अपराक्रधक पररक्रस्र्क्रतयों को ध्यान में रखते िुये तरु न्त कोई दण्डादेश देने के बजाय अपराधी को सदाचरर् की
परिीक्षा पर छोड़ देने का आदेश दे सकता िै। यि 03 िर्ण तक ऐसी अिक्रध के दौरान-
क- न्यायालय द्वारा बल
ु ाये जाने पर उपक्रस्र्त िोगा।
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ख- दण्डादेश पायेगा एिं
ग- अक्रभयन्तर काल में पररशाक्रन्त कायम रखेगा और सदाचार बनाये रखेगा। अपराधी बन्धपत्र प्रक्रतभूओ सक्रित या रक्रित
क्रनष्पाक्रदत करने पर छोड़ क्रदया जायेगा।
 इस धारा के अधीन आदेश अपील न्यायालय द्वारा या उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा भी क्रदया जा सके गा जब िि
अपनी पनु रीक्षर् शक्रक्तयों का प्रयोग कर रिा िै।
जब कोई व्यक्रक्त चोरी, क्रकसी भिन में चोरी, बेईमानी से दक्रु िणक्रनयोग,छल या भा0द0क्रि0 के अधीन 02 िर्ण तक के
कारािास से दण्डनीय क्रकसी अपराध के क्रलये या जमु ाण ने से क्रकसी अपराध के क्रलये दोर्क्रसद्ध क्रकया जाता िै तो उसके क्रिरूद्ध
कोई पूिण दोर्क्रसद्ध साक्रबत निी िै। तब न्यायालय अपराधी के शील,आय,ु पूिणितृ आपराक्रधक पररक्रस्र्क्रतयों को ध्यान में रखकर
भतण सना पर छोड़ सकता िै। अपील एिं पनु रीक्षर् के दौरान उपधारा (5) के अन्तगण त उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय
आदेश को अपास्त कर सके गा और अपराधी को क्रिक्रध अनस ु ार दण्डादेश दे सके गा।
 सदाचरर् की परीक्षा पर छोड़ा गया व्यक्रक्त यक्रद मचु लके की शतों का पालन करने में असमर्ण या असफल रिे तो उसे क्रगरफ्तार
करने के क्रलये दोर्क्रसद्ध करने िाला न्यायालय अक्रधपत्र जारी कर सके गा।
 इस धारा की कोई बात अपराधी परिीक्षा अक्रधक्रनयम 1958 या बालक अक्रध0 1960 या क्रकशोर अपराक्रधयों के उपचार प्रक्रशक्षर्
या सधु ार सम्बन्धी तत्समय प्रिि
ृ क्रकसी अन्य क्रिक्रध के उपबन्धों पर प्रभाि निीं डालेगी।
धारा 377 -राज्य सरकार द्वारा दण्डादेश के क्रवरूद्ध अपीि
 इस धारा की उप धारा (2) में उबक्रन्धत के क्रसिाय राज्य सरकार उच्च न्यायालय से क्रभन्न क्रकसी न्यायालय द्वारा क्रकये गये
क्रिचारर् में दोर्क्रसक्रद्ध के क्रकसी मामलें में लोक अक्रभयोजक को दण्डादेश की अपयाण प्तता के आधार पर सजा के क्रिरूद्ध अपील
उपक्रस्र्त करने का क्रनदेश दे सकती िै।
क- सेशन न्यायालय को, यक्रद सजा मक्रजस्रेट द्वारा दी गयी िै और
ख- उच्च न्यायालय को, यक्रद सजा क्रकसी अन्य न्यायालय द्वारा दी गयी िै।
 इस धारा की उपधारा (8) के अनस ु ार दोर्क्रसक्रद्ध क्रकसी ऐसे मामलें में की गयी िै क्रजसका अन्िेर्र् क्रिशेर् पक्रु लस स्र्ापन या
क्रकसी कै न्रीय अक्रधक्रनयम के अधीन अन्य अक्रभकरर् द्वारा क्रकया गया तो के न्रीय सरकार लोक अक्रभयोजक को दण्ड की
अपयाण प्तता के आधार पर अपील संयोक्रजत करने का क्रनदेश दे सकती िै।
 सेशन न्यायालय में यक्रद दण्डादेश मक्रजस्रेट न्यायालय द्वारा पाररत िुआ िो
 उच्च न्यायालय में यक्रद दण्डादेश क्रकसी अन्य न्यायालय द्वारा क्रदया गया िो।
 यक्रद पररिादी लोक सेिक िै तो दोर्मक्रु क्त के आदेश से 06 माि की समाक्रप्त के पश्चात या तर्ा अन्य दशा में 60 क्रदनों की समाक्रप्त
के पश्चात अपील उच्च न्यायालय द्वारा गिृ र् निीं की जायेगी।
धारा 436 -क्रकन मामिों में जमानत िी जायेगी
 जब कोई व्यक्रक्त जमानतीय अपराध के अन्तगण त आने िाले क्रनम्न एिं सामान्य प्रकृक्रत का कोई अपराध काररत करता िै तो उसे
न्यायालय के समक्ष प्रस्ततु क्रकया जाता िै। तो न्यायालय उसे जमानत पर अर्िा प्रक्रतभूओ ाँ रक्रित बन्धपत्र पर छोड़े जाने का
आदेश दे सकता िै।
 पक्रु लस र्ाने का भारसाधक अक्रधकारी भी जमानतीय अपराध की दशा में अपनी अक्रभरक्षा में क्रलये गये अक्रभयक्त
ु को जमानत पर
छोड़ सकता िै।
 यक्रद पक्रु लस अक्रधकारी या न्यायालय ठीक समक्षता िै क्रक ऐसा व्यक्रक्त क्रनधण न िै और प्रक्रतभूक्रत भरने में असमर्ण िै तो ऐसे
व्यक्रक्तयों से जमानत के बजाय अपने समक्ष िाक्रजर िोने के क्रलये प्रक्रतभूक्रत रक्रित बन्धप्त्त्र क्रनष्पाक्रदत करने पर छोड़ देगा।

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धारा 436ए- अक्रधकतम अवक्रध क्रजसके क्रिये क्रवचाराधीन कै दी क्रनरूद्ध क्रकया जा सकता िै-
 यक्रद कोई व्यक्रक्त अन्िेर्र् जांच या क्रिचारर् के दौरान मत्ृ यु दण्ड िाले मामलों को छौड़कर अन्य अपराध की दशा में अपराध के
अक्रधकतम अिक्रध के आधे समय से अक्रधक अक्रभरक्षा में रि जाता िै तो उसको न्यायालय प्रक्रतभूओ ं सक्रित या रक्रित बन्धपत्र
क्रनष्पाक्रदत क्रकये जाने पर छोड़ देगा।
 परन्तु न्यायालय लोक अक्रभयोजक की सनु िायी के पश्चात ऐसे व्यक्रक्त को आधे से अक्रधक दीघण तर अिक्रध के क्रनरोध को जारी
रखने का आदेश दे सकती िै अर्िा व्यक्रक्तगत बन्धपत्र के बजाय पर प्रक्रतभओ
ु ं सक्रित या रक्रित जमानत पर छोड़ सकती िै।
 परन्तु क्रकसी भी दशा में ऐसा व्यक्रक्त उपबक्रन्धत कारािास की अक्रधकतम अिक्रध से अक्रधक के क्रलए क्रकसी भी दशा में क्रनरूद्ध निीं
रखा जायेगा।
धारा 437 -अजमानतीय अपराध की दशा में कब जमानत िी जा सके गी- जब अजमानतीय अपराध करने िाला कोई
व्यक्रक्त भारसाधक अक्रधकारी द्वारा क्रिना िारण्ट क्रगरफ्तार क्रकया जाता िै अर्िा क्रनरूद्ध क्रकया जाता िै तो उसे उच्च न्यायालय
या सेशन न्यायालय से क्रभन्न क्रकसी न्यायालय में पेश क्रकया जाता िै तो न्यायालय उसे जमानत पर छोडे जाने का आदेश दे
सके गी।
 यक्रद अक्रभयक्त
ु व्यक्रक्त द्वारा काररत कोई अपराध मत्ृ यु या आजीिन कारािास से दण्डनीय िै तो ऐसा अपराध करने िाला
अक्रभयक्त
ु भी जमानत पर छोडा जा सके गा यक्रद िि-
1. 16 िर्ण से कम आयु का िै।
2. स्त्री िै अर्िा
3. रोगी या क्रशक्रर्लांग िै।
 अन्िेर्र् , जांच या क्रिचारर् के क्रकसी प्रिम पर यक्रद ऐसे अक्रधकारी या न्यायालय को प्रतीत िोता िै क्रक अक्रभयक्त ु व्यक्रक्त द्वारा
अजमानतीय अपराध क्रकये जाने के सम्बन्ध में पयाण प्त आधार निीं िै क्रकन्तु उसके दोर्ी िोने के बारें मे और जांच करने के क्रलये
पयाण प्त आधार िै तो ऐसे अक्रधकारी या न्यायालय द्वारा अपने समक्ष िाक्रजर िोने के क्रलये प्रक्रतभूक्रत रक्रित बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत करने
पर छोड़ क्रदया जायेगा।
 जब कोई व्यक्रक्त क्रजस पर 07 िर्ण तक के या अक्रधक दण्डनीय अपराध या भा0द0क्रि0 के अध्याय 6/16/17 के अधीन अपराध
करने/दष्ु प्रेरर् करने/र्ड़यन्त्र करने का अक्रभयोग िै जमानत पर छोडे जाने पर न्यायालय क्रनम्न शते लागू करेगा।
1.बांण्ड की शतों के अनस
ु ार िाक्रजर िोगा।
2.आगे कोई कक्रर्त अपराध निीं करेगा।
3.क्रकसी को कोई धमकी लालच निीं देगा और न िी साक्रक्षयों को ितोत्साक्रित करेगा अर्िा साक्ष्य से न िी छे ड़छाड़
करेगा।
4.अन्य कोई शतण जो न्यायालय आिश्यक समझे।
 जमानत पाये व्यक्रक्तयों को न्यायालय जमानत की शतों के उल्लंघन पर दी गयी जमानत को क्रनरस्त कर सकती िै और
क्रगरफ्तार करिा सकती िै।
 मक्रजस्रटे द्वारा क्रिचारर्ीय मामलों में अजमानतीय अपराध के अक्रभयक्त
ु व्यक्रक्त का क्रिचारर् साक्ष्य के क्रलये क्रनयत प्रर्म तारीख
से 60 क्रदिस की अिक्रध के भीतर पूरा निी िोता िै तो जमानत पर छोड़ क्रदया जायेगा।
 क्रिचारर् की समाक्रप्त पर तर्ा क्रनर्ण य क्रदये जाने से पिले यक्रद न्यायालय को क्रिश्वास िोता िै क्रक अक्रभयक्त ु ऐसे क्रकसी अपराध का
दोर्ी निीं िै तो िि क्रनर्ण य सनु ने के क्रलये अपने समक्ष िाक्रजर िोने के क्रलये प्रक्रतभूओ ं रक्रित बन्धपत्र क्रनस्पाक्रदत करने पर छोड
सके गा।

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धारा 438- क्रगरफ्तारी की आशंका वािे व्यक्रि की जमानत मजरूं करने के क्रिये क्रनदेश
 जब क्रकसी व्यक्रक्त को क्रिश्वास का कारर् िै क्रक उसे क्रकसी अजमानतीय अपराध मे क्रगरफ्तार क्रकया जा सकता िै तो िि उच्च
न्यायालय या सत्र न्यायालय मे आिेदन कर सकता िै क्रक उसे क्रगरफ्तारी की क्रस्र्क्रत मे छोड क्रदया जाये तो उपरोक्त न्यायालय
अक्रभयोग की गम्भीरता /आिेदक की न्याय से भागने की सम्भािना आक्रद उपबक्रन्धत अिस्र्ाओ मे उसके आिेदन को तत्काल
अस्िीकार कर सकती िै अर्िा अक्रग्रम जमानत मंजूर करने के क्रलये अन्तररम आदेश दे सकती िै
 अन्तररम आदेश क्रदये जाने की क्रस्र्क्रत मे सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय आदेश की प्रक्रत पक्रु लस अधीक्षक तर्ा लोक
अक्रभयोजक को अक्रन्तम सनु िाई िेतु भेजेगा जो कम से कम सात क्रदन तक से कम की निी िोगी
 यक्रद ऐसे व्यक्रकत को क्रगरफ्तार क्रकया जाता िै और जमानत देने के क्रलये तैयार िै तो भारसाधक अक्रधकारी द्वारा उसे छोड क्रदया
जायेगा।
धारा 439 -जमानत के बारे मे उच्च न्यायािय या सेशन न्यायािय की शक्रियां
 उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय ऐसे क्रकसी व्यक्रक्त क्रजस पर क्रकसी अपराध का अक्रभयोग िै और जो अक्रभरक्षा मे िै ,जमानत
पर छोडे जाने का क्रनदेश दे सके गा
 जब कोई व्यक्रक्त क्रजस पर ऐसे कारािाल क्रजसकी अिक्रध सात साल तक या अक्रधक की िै दण्डनीय कोई अपराध अर्िा
भा0द0क्रि0 के अध्याय 06/16/17 के अधीन अपराध करने र्डयन्त्र करने /दर्ु प्रेरर् या प्रयत्न करने का अक्रभयोग िै तो
न्यायालय ऐसी कोई शतण क्रजसे धारा 437 की उपधारा 3 के प्रयोजन के क्रलये आिश्यक समझे लगा सकता िै
 उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय जमानत पाये व्यक्रक्तयो को जमानत की शतो के उल्लघन मे दी गयी जमानत को क्रनरस्त
कर क्रगरफ्तारी का आदेश कर सकती िै
धारा 440-बन्धपत्र की रकम और उसे घर्ाना
 बन्धपत्र की रकम का क्रनधाण ऱर् मामले की पररक्रस्र्क्रतयो को ध्यान मे रखकर क्रकया जायेगा एिं ऐसी रकम अत्यक्रधक निी िोगी
 जिां जमानत की अपेक्षा क्रकसी मक्रजस्रेट या पक्रु लस अक्रधकारी द्वारा की गयी िै और रकम अत्यक्रधक िै ििां उच्च न्यायालया
या सेशन न्यायालय उसमे कमी करने का आदेश दे सके गा
धारा 441 -अक्रभयि ु और प्रक्रतभूओ का बन्धपत्र
जब क्रकसी अक्रभयक्त
ु को जमानत अर्िा बन्धपत्र पर छोडा जाना िो तो उसे छोडे जाने के पूिण उससे इस आशय का प्रक्रतभूओ
सक्रित एक बन्धपत्र क्रनष्पाक्रदत क्रकये जाने के बारे में प्रािधान क्रकया गया िै
 िि बन्धपत्र मे िक्रर्णत समय और स्र्ान पर उपक्रस्र्त िोगा या िोता रिेगा
 िि अपने पर लगाये गये आरोप का उिर देने के क्रलये आबद्ध िोगा
इस प्रकार इस धारा मे उपबक्रन्धत प्रािधान से स्पष्ट िै क्रक – “ जमानत पर छोडे जाने िाले व्यक्रक्त द्वारा बन्धपत्र पर
क्रनष्पादन क्रकया जाना चाक्रिये एिं ऐसा बन्धपत्र न्यायालय द्वारा क्रनदेक्रशत एक या अक्रधक प्रक्रतभूओ से यक्त
ु िोने चाक्रिये ।“
धारा 441 क –प्रक्रतभओ
ू द्वारा घोषणा-
 ऐसा िर व्यक्रक्त जो जमानत पर अक्रभयक्त ु व्यक्रक्त के छोडे जाने के क्रलए उसका प्रक्रतभू िोता िै तो न्यायालय के समक्ष ऐसे
व्यक्रक्तयो के िारे में घोर्र्ा करेगा क्रजनके क्रलए उसने प्रक्रतभूक्रत दी िै क्रजसके अन्तगण त अक्रभयक्त
ु भी िै। और उसमें सभी सस ु ंगत
क्रिक्रशक्रष्टयााँ दी जायेगी।
धारा 456 -स्ट्थावर सम्पक्रि का कब्जा िौर्ाने की शक्रि
 यि प्रािधान ऐसे व्यक्रक्तयो के क्रितो की रक्षा करती िै जो क्रकसी अन्य व्यक्रक्त द्वारा बल प्रयोग से अपनी क्रकसी अचल सम्पक्रि से
बेकब्जा कर क्रदया गया िै
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 प्रािधान के अनसु ार जिां न्यायालय द्वारा क्रकसी व्यक्रक्त को आपराक्रधक बल प्रयोग या अपराक्रधक अक्रभत्रास से यक्त
ु क्रकसी
अपराध के क्रलये दोर्क्रसद्ध क्रकया गया िो और न्यायालय को यि प्रतीत िो क्रक ऐसे बल प्रदशण न या अक्रभत्रास से क्रकसी व्यक्रक्त को
उसकी क्रकसी अचल सम्पक्रि से बेकब्जा कर क्रदया गया िै ििा न्यायालय ऐसी सम्पक्रि का कब्जा पनु ः उस व्यक्रक्त को सपु दु ण
करने का आदेश दे सके गा क्रजसको की ऐसे कब्जे से िक्रचंत क्रकया गया िै ।
 न्यायालय का यि क्षेत्राक्रधकार अधण - क्रसक्रिल प्रकृक्रत का िै जो लोक नीक्रत ि सामान्य सक्रु िधा के आधार पर प्रयोग मे लाया
जाता िै
 न्यायालय अपने क्षेत्राक्रधकार का प्रयोग दोर्क्रसक्रद्ध के समय अर्िा दोर्क्रसक्रद्ध के आदेश के एक माि के भीतर कभी भी कर
सकता िै
 लेक्रकन 30 क्रदन की पररसीमा अपीलीय अर्िा पनु रीक्षर् न्यायालय पर लागू निी िोती िै और अपीलीय अर्िा पनु रीक्षर्
न्यायालय अपने न्याक्रयक स्िक्रििेकानस
ु ार क्रकसी भी यक्रु क्तयक्त
ु समय मे कब्जे के प्रत्यािण तन का आदेश दे सके गा
धारा 457 -सम्पक्रि के अक्रभग्रिण पर पक्रु िस द्वारा प्रक्रिया - जब कोई पक्रु लस अक्रधकारी ऐसी कोई सम्पक्रि जब्त करता िै
और मक्रज0 के समक्ष उसकी ररपोटण प्रस्ततु करता िै तो मक्रज0 –
1. उस सम्पक्रि के व्ययन का आदेश दे सके गा या
2. उसे उस व्यक्रक्त को पररदि करने का आदेश दे सके गा जो उस पर कब्जा प्राप्त करने का दािा रखता िै या
3. यक्रद ऐसे व्यक्रक्त को अक्रभक्रनक्रश्चत निी क्रकया जा सकता िो तो उसकी अक्रभरक्षा का एिं उसे उसके समक्ष प्रस्ततु क्रकये जाने का
आदेश दे सके गा।
 क्रफर उपधारा 2 के अनस
ु ार िि
क- उस सम्पक्रि को प्राप्त करने के क्रलये अक्रधकृत व्यक्रक्त को, यक्रद िि ज्ञात िै, क्रकन्िी शतो पर पररदि क्रकया जाने का आदेश
दे सके गा औऱ
ख- यक्रद ऐसा व्यक्रक्त अज्ञात िै तो ऐसी सम्पक्रि को क्रनरुद्ध करने तर्ा उसके सम्बन्ध मे िक रखने िाले व्यक्रक्त को छः माि
के अन्दर अपना दािा प्रस्ततु क्रकये जाने के आशय की उद्दघोर्र् कर सके गा
इस प्रकार उपधारा 2 के अन्तगण त न्यायालय द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया का उल्लेख क्रकया गया िै जिां जब्त की गयी सम्पक्रि
का स्िामी अज्ञात िै ।
धारा 458 -जिााँ 06 माि के भीतरकोई दावेदर िाक्रजर न िो विााँ प्रक्रिया- जब कोई व्यक्रक्त धारा 457(2) के अन्तगण त की
गयी उदघोर्र्ा के के छःमाि के भीतर जब्त की गयी सम्पक्रि के बारें में अपना दाबा प्रस्ततु निीं करता िै और न िी िि व्यक्रक्त
क्रजसके कब्जे में ऐसी सम्पक्रि पायी गयी िै उसका बैध रूप से अक्रजणत करना क्रसद्ध कर पाता िै। ििााँ मक्रजस्रेट ऐसी सम्पक्रि के
बारे में आदेश दे सके गा क्रक
1. िि राज्य सरकार के व्ययनाधीन िोगी
2. राज्य सरकार उसका क्रििय कर सके गी एंि
3. क्रििय के आगमो के सम्बन्ध में ऐसी कायण िािी की जा सके गी जो िि क्रिक्रित करे।
ऐसा आदेश तभी क्रदया जा सके गा जबक्रक -
1. ऐसी सम्पक्रि के बारे में क्रकसी के भी द्वारा में कोई दािा प्रस्ततु निी क्रकया गया िै अर्िा
2. कोई व्यक्रक्त अपने द्वारा प्रस्ततु दािे को क्रसद्ध करने में असफल रिता िै।
धारा 459 -क्रवनश्वर सम्पक्रि को बेचने की शक्रि- इस प्रािधान के अन्तगण त मक्रजस्रेट को क्रकसी ऐसी सम्पक्रि को क्रििय करने
के क्रलये क्रनदेश देने की शक्रक्त प्रदान की गयी िै

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 क्रजसका स्िामी अज्ञात अर्िा अनपु क्रस्र्त िै अर्िा
 जो शीघ्र िी नष्ट िोने की प्रकृक्रत की िै।
 जो पााँच सौ रूपये से कम मूल्य की िै।
धारा 468 -पररसीमा काि की समाक्रप्त के बाद सज्ञांन का वजटन-
 इस प्रािधान के अन्तगण त अपराधों का सज्ञांन करने के क्रलये एक पररसीमाकाल अिक्रध क्रनधाण ररत की गयी िै कोई भी न्यायालय
ऐसी पररसीमाकाल अिक्रध की समाक्रप्त के पश्चात क्रकसी अपराध का सज्ञांन निीं कर सके गा।
पररसीमा काल अिक्रध का क्रनधाण रर् तीन भागों में क्रिभाक्रजत कर क्रकया गया िै-
1.ऐसे अपराधो के क्रलये जो के िल जमु ाण ने से दण्डनीय िै। पररसीमा काल अिक्रध 06 माि िोगी।
2.ऐसे अपराधों के क्रलये जो 01 िर्ण से अनक्रधक की कालािक्रध के क्रलये कारािास से दण्डनीय िै पररसीमा कालािक्रध 01 िर्ण
िोगी।
3.ऐसे अपराधों के क्रलये जो 01 िर्ण से अक्रधक क्रकन्तु 03 िर्ण से अनक्रधक कालािक्रध के क्रलये कारािास से दण्डनीय िै ।
पररसीमा कालािक्रध 03 िर्ण िोगी।
धारा 473- कुछ दशाओं में पररसीमा काि का क्रवस्ट्तारण
 जिां न्यायालय को यि समाधान िो जाता िै क्रक क्रिलम्ब का कोई यक्त
ु यक्त
ु कारर् रिा िै
अर्िा न्याय के क्रित में ऐसा क्रकया जाना आिश्यक िै ििां न्यायालय पररसीमा कालािक्रध के समाप्त िो जाने के पश्चात भी
क्रकसी अपराध का सज्ञान कर सके गा
धारा 482 –उच्च न्यायािय की अन्तक्रनटक्रित शक्रियो की व्यावृक्रि –
प्रािधान के अन्तगण त उच्च न्यायालय की अन्तक्रनणिीत शक्रक्तयो का बचाि क्रकया गया िै इसके अनस
ु ार इस संक्रिता की कोई बात
उसकी ऐसी अन्तक्रनणिीत शक्रक्तयो को प्रभाक्रित निी करेगी क्रजनका प्रयोग –
 संक्रिता के अधीन क्रकसी आदेश को प्रभािी करने के क्रलये
 क्रकसी न्यायालय की आदेक्रशका के दरुु पयोग को रोकने के क्रलये
 अर्िा न्याय के उद्देश्य को प्राप्त करने के क्रलये क्रकया जाना आिश्यक िै
 लेक्रकन ऐसी शक्रक्तयो का प्रयोग के िल ऐसे मामलो मे क्रकया जायेगा क्रजसके क्रलये इस संक्रिता मे किी भी क्रिक्रशष्ट प्रािधान
निी क्रकया गया िै
 प्रथम अनसु ूची मे (1) “प्रर्म िगण मक्रजस्रेट “और ”कोई भी मक्रजस्रेट “पदो के अन्तगण त मिानगर मक्रज0 भी िै क्रकन्तु
कायण पालक मक्रज0 निी िै
 अनस
ु ूची 1 के भाग 1 मे भा0द0क्रि0 के अधीन दण्डनीय अपराधो का िगीकरर् क्रकया गया िै
 तर्ा
 अनूसचु ी 1 के भाग 2 मे अन्य क्रिक्रधयो के सम्बन्ध मे अपराधो का िगीकरर् क्रकया गया िै
 अनस
ु ूची 2 मे
 संक्रिता की धारा 476 के अनि ु म मे प्रारुपो का उल्लेख क्रकया गया िै । प्रारुप ऐसे पररिण तन सक्रित जैसे मामले की
पररक्रस्र्क्रतयो मे अपेक्रक्षत िो ,उसमे िक्रर्णत सम्बद्द प्रयोजनो के क्रलये उपयोग मे लाये जा सकते िै ।

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