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सम्बलपुर

महानदी के तट पर स्थित सम्बलपुर का अद्भुत आध्यात्मिक इततहास रहा है। इस क्षेत्र की अत्मिष्ठात्री देवी समलेश्वरी
हैं।

त्रेतायुग

● यहााँ की अत्मिष्ठात्री समलेश्वरी देवी पहले लं का की देवी थीं जो त्रेता युग में रावण की लं का नगरी की रक्षा कर रही
थीं।

● सम्बलपुर की नगरी को त्मसंत्मित करने वाली महानदी की उत्पति ऋष्य शं ग के कमण्डलु के जल से हुई थी।

● यह क्षेत्र त्रेतायुग में दत्मक्षण कोसल का अंग रही थी, त्मजसपर श्रीराम के पुत्र कु श ने शासन तकया था।

द्वापरयुग

● महाभारत में महानदी की प्रशं सा करते हुए त्मलखा गया है तक इसमें स्नान करने से अक्षयलोक की प्राति होती है।

● अजुुन ने भी महानदी में स्नान तकया था, ऐसा उल्लेख तमलता है।

कत्मलयुग

● यह िान कत्मलंग राज्य का अंग थी। यहााँ आक्रमण करने के पश्चात् ही सम्राट् अशोक का हृदय पररवतुन हुआ
और उन्ोंने बौद्ध िमु स्वीकार कर त्मलया।

● सम्बलपुर का हुमा मं तदर तवश्व का एकमात्र झुका हुआ मं तदर है। ऐसा कहा जाता है तक यहााँ त्मशव की पूजा एक
दूिवाले द्वारा शुरू की गई थी, जो प्रतततदन महानदी को पार करके तट पर एक िान पर जाता था जहााँ अंततनुतहत
िट्टान बाहर आ जाती थी। यहां उन्ोंने अपना दूि का डोला िढाया, त्मजसे िट्टान ने तुरंत पी त्मलया। उसी िान पर
इस मं तदर का तनमाुण हुआ।

इस प्रकार सम्बलपुर का एक समृद्ध आध्यात्मिक इततहास रहा है।

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