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8/6/23, 8:20 AM बिहार के भूमिहार ब्राह्मणों के पौरोहित्य का विराट इतिहास - Bhumantra

बिहार के भूमिहार ब्राह्मणों के पौरोहित्य का विराट इतिहास


15वी शताब्दी से लेकर 1960-70 के दशक तक यहां के मुख्य पुरोहित पंडित रामदेव तिवारी, पंडित मुनेश्वर
तिवारी एवम पंडित खेदा पांडेय भूमिहार ब्राह्मण कु ल से संबंधित थे।
By BhuMantra - May 10, 2019

Dev Sun Temple

bhumihar history in hindi – मगधनामा (magadhnama)शोधपरक पुस्तक है जो उत्तर प्रदेश कै डर के प्रशासनिक अधिकारी
कु मार निर्मलेन्दु द्वारा लिखा गया है। इस पुस्तक में देव् सूर्य मंदिर (surya mandir) और छठ पूजा परं परा का विस्तृत वर्णन किया
गया है। जिसमे देव सूर्य मंदिर के प्रधान पुरोहित औरं गाबाद जिले के ऐरकी गावँ के एकसरिया भूमिहार ब्राह्मणों की सविस्तार चर्चा की
गई है। सरकारी साक्ष्यों के आधार पर सुप्रसिद्ध लेखक ने यह बताया है कि 15वी शताब्दी से लेकर 1960-70 के दशक तक यहां के

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मुख्य पुरोहित पंडित रामदेव तिवारी, पंडित मुनेश्वर तिवारी एवम पंडित खेदा पांडेय भूमिहार ब्राह्मण (bhumihar brahaman) कु ल
से संबंधित थे।

पुस्तक में यह भी जानकारी दी गई है कि टेकारी के महाराजा द्वारा विशेष निवेदन के बाद भूमिहार ब्राह्मणों
ने सकलदीपि ब्राह्मणों को पूजा पाठ सम्बंधित कार्य में सहयोग के लिए अपने साथ संलग्न 19वी शताब्दी के
प्रथम दशक में किया था। ज्ञात हो कि 19वी शताब्दी तक मगध के समस्त सूर्य मंदिरों के पुजारी भूमिहार
ब्राह्मण ही थे। यह तथ्य ए बी शरण एवम गया पांडेय ने “Sun Worship In India-A Study Of
Dev Sun Shrine” नामक पुस्तक में पृष्ठ संख्या 169 से 171 में किया है। स्थापत्य के सुप्रसिद्ध
विद्वान अजय खरे ने “Temples of Eastern India” नामक शोध पुस्तक में देव मंदिर से संबंधित
साभार: डा आनंद वर्धन तथ्यों का प्रकाशन किया है।

बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के फ़ाइलों में बंद पड़ा है बिहार के भूमिहार ब्रह्मणो के पौरोहित्य का विराट
इत्तिहास। उल्लेखनीय होगा कि मगध में सरयूपारीण, कान्यकु ब्ज एवम मैथिल ब्राह्मणों का आगमन ज्यादातर 17वी अठारवीं शताब्दी में
हुआ एवम जमींदार भूमिहार ब्राह्मणों से इन्होंने पौरोहित्य की मांग की। भूमिहार ब्राह्मण जो तब मुख्यतः सरवरिया एवम मगध ब्राह्मण कहे
जाते थे ने उदारता पूर्वक न के वल अपने राज्यो में इन्हें भूमि दान देकर स्थापित किया बल्कि जीविकोपार्जन हेतु इन्हें लौकिक पूजा का
अधिकार भी प्रदान किया। (साभार: डा आनंद वर्धन )
यह भी पढ़े – सन्यासी विद्रोह के महानायक थे भूमिहार ब्राह्मण

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