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10th Revision Test - 3
10th Revision Test - 3
अिानि काि से सानित्य अपिे इसी धमव का पूर्व निर्ाि करता चिा आ रिा िै। र्ि समाज के नर्धिन्न रूपों का
धचत्रर् कर एक ओर तो िमारे सामिे समाज का यर्थार्थव धचत्र प्रस्तुत करता िै और दूसरी ओर अपिी प्रिर मेधा
और स्वस्र्थ कल्पिा द्वारा समाज के नर्धिन्न पििुओिं का नर्र्ेचि करता हुआ यि िी बताता िै नक मािर् समाज
की सुि-समृद्धध, सुरक्षा और नर्कास के लिए कौि-सा मागव उपािेय िै? एक आिोचक के शब्दों में कनर् र्ास्तर्
में समाज की व्यर्स्र्था, र्ातार्रर्, धमव-कमव, रीधत-िीधत तर्था सामाजजक जशष्टाचार या िोक व्यर्िार से िी अपिे
काव्य के उपकरर् चुिता िै और उिका प्रधतपािि अपिे आिशों के अिुरूप करता िै।"
सानित्यकार उसी समाज का प्रधतनिधधत्व करता िै, जजसमें र्ि जन्म िेता िै। र्ि अपिी समस्याओिं का सुिझार्,
अपिे आिशव की स्र्थापिा अपिे समाज के आिशों के अिुरूप िी करता िै। जजस सामाजजक र्ातार्रर् में उसका
जन्म िोता िै, उसी में उसका शारीररक, बौद्धधक और मािजसक नर्कास िी िोता िै। अतः यि कििा सर्वर्था
असिंिर् और अनर्र्ेकपूर्व िै नक सानित्यकार समाज से पूर्वतः निरपेक्ष या तटस्र्थ रि कर सानित्य सृजि करता िै।
र्ाल्मीनक, तुिसी, सूर, िारतेंदु, प्रेमचिंि आनि का सानित्य इस बात का सर्ाधधक सशक्त प्रमार् िै नक
सानित्यकार समाज से घनिष्ठ रूप से सिंबिंध रिता हुआ िी सानित्य सृजि करता िै। समाज की अर्िेििा करिे
(क) समाज की र्ास्तनर्कता का द्योतक िै। (ि) समाज में िोक व्यर्िार का समर्थवक िै।
(ग) व्यनक्त की समस्याओिं का नििाि करता िै। (घ) सानित्य को निशा प्रिाि करता िै।
(क) समाज एर्िं सानित्य का पारस्पररक सिंबिंध (ि) समाज एर्िं सानित्य की अर्िेििा
(ग) सानित्यकार की सृजि शनक्त (घ) सामाजजक जशष्टाचार एर्िं िोक व्यर्िार
(क) सामाजजक अर्ज्ञा (ि) सामाजजक समस्या7 (ग) सामाजजक सद्िार् (घ) सामाजजक समरसता
(क) िार् साम्यता (ि) प्रत्यक्ष प्रमार् (ग) सिािुिूधत (घ) जशष्टाचार