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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य

परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य

अनुक्रमणणका
क्र. सं. विषय सूची पृष्ठ सं.

1. राजस्थान कला-संस्कृतत 3-28

2. राजस्थान इततहास 29-38

3. राजस्थान भूगोल 39-49

4. राजस्थान राजव्यवस्था 50-59

5. राजस्थान समसामययकी 60-68

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान कला एवं संस्कृतत ● दूसरा साका – 1535 ई., आक्रमण - बहादुरशाह (र्ुजरात सुल्तान),
शासक – वर्क्रमाददत्य, जौहर – कमागर्ती, केसररया - रार्त बािससिह
➢ कौटिल्य के अनुसार दुगग की श्रेणणयााँ - 04
● तीसरा साका –1568, आक्रमण – अकबर, शासक - राणा उदयससिह,
1. औदुक दुर्ग 2. पर्गत दुर्ग 3. धान्र्न दुर्ग 4. र्न दुर्ग
केसररया - जयमल राठौड़ र् फत्ता शससोददया
➢ कौटिल्य के अनुसार राज्य के अंग - 07
➢ कु म्भिगढ़ दुगग (राजसमं द ) – शशल्पी- मं ड न, दुर्ग में झालीबार्
1. राजा 2.अमात्य (मंत्री) 3.जनपद 4.दुर्ग 5.कोष 6.सेना 7.ममत्र
(बार्ड़ी), कु म्भथर्ामी (वर्ष्णु ), नीलकण्ठ महादे र् मं ददर, वर्ष्णु
➢ शुक्र नीवत के अनुसार दुगों के प्रकार - 09
मं ददर, मामादे र् (महादे र् ) का कुं ड, झाली रानी का माशलया, उड़ना
(1) एरण दुगग - र्े दुर्ग, जजसके मार्ग में खाई, कााँटो र् पत्थरों से युक्त दुर्गम
राजकु मार (प थ्र्ीराज राठौड़) की छतरी (12 खम्भों की छतरी)
मार्ग हों। उदाहरण - जालोर दुर्ग
आदद स्थथत है ।
(2) औदुक दुगग - जल दुर्ग भी कहा जाता है। ऐसा दुर्ग जो वर्शाल जल राशश
➢ किारगढ़ (कु म्भिगढ़ दुगग, राजसमं द ) – इस दुर्ग में स्थथत लिु
से मिरा हुआ हो। उदाहरण - र्ार्रोन दुर्ग।
दुर्ग जो महाराणा कु म्भा का वनर्ास थथान है । कटारर्ढ़ की ऊाँ चाई
(3) पाररख दुगग - र्ह दुर्ग, जजसके चारों तरफ बहुत बड़ी खाई हो।
के बारे में अबु ल फजल ने शलखा है वक “यह इतनी बु ल न्दी पर बना
उदाहरण - जूनार्ढ़ दुर्ग (बीकानेर)।
हुआ है वक नीचे से ऊपर की ओर दे ख ने पर शसर से पर्ड़ी वर्र जाती
(4) पाररध दुगग - ऐसा दुर्ग जजसके चारों तरफ ईंट, पत्थर तथा ममट्टी से बनी
है । “
बड़ी-बड़ी दीर्ारों का वर्शाल परकोटा हो।
➢ मेहरानगढ़ दुगग (जोधपुर) – मामा-भान्जा या धन्ना भींर्ा की छतरी,
उदाहरण - मचत्तौड़ दुर्ग, जैसलमेर दुर्ग।
पुथतक प्रकाश पुथतकालय, चामुण्डा माता मंददर, नार्णेची माता का
(5) वगरर दुगग - वकसी उच्च वर्रर या पर्गत पर अर्स्थथत दुर्ग।
मंददर, मोती महल, फूल महल, रानीसर तालाब, पदमसर आदि स्थित
उदाहरण - मचत्तौड़ दुर्ग, मेहरानर्ढ़ दुर्ग (जोधपुर) आदद।
है।
(6) धान्िन दुगग - मरुभूमम (मरुथथल) में बना दुर्ग।
● मेहरानगढ़ वकिे में तोपें –
उदाहरण - जैसलमेर का दुर्ग।
(1) वकिवकिा तोप - राजा अजीत ससिह द्वारा अहमदाबाद में बनर्ाई
(7) िन दुगग - सिन बीहड़ र्नों में वनर्मित दुर्ग।
र्ई।
उदाहरण - शसर्ाणा दुर्ग।
(2) शम्भूबाण तोप - राजा अभय ससिह ने सर बुलन्दखााँ से छीनी।
(8) सैन्य दुगग - खंडों या ईंटों से समतल भूमम पर वनर्मित दुर्ग, जहााँ युद्ध
(3) गजनी खााँ तोप - 1607 ई. में र्जससिह ने जालोर वर्जय पर
की व्यूह रचना में चतुर सैवनक वनर्ास करते हो। इस श्रेणी में लर्भर्
हाशसल की।
सभी दुर्ग आते हैं। शुक्र नीवत के अनुसार सैन्य दुर्ग को सर्गश्रेष्ठ बताया
➢ सोनार वकिा (जैसलमेर) –
र्या है।
● इस दुर्ग के सम्बन्ध में अबुल फजल की उशक्त – ‘यह ऐसा दुर्ग है, जहााँ
(9) सहाय दुगग (लिवििंग फोिग ) - र्ह दुर्ग, जजसमें शूरर्ीर तथा सदा अनुकूल
पहुाँचने के शलए पत्थर की टााँर्ें चावहए।’
रहने र्ाले बांधर् लोर् रहते हो।
● राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शलवर्िर् फोटग । (पहला – मचत्तौड़ दुर्ग)
➢ राजस्थान के 6 दुगग यूनेस्को की िल््ग हेररिे ज साइि में शाममि–
● इस दुर्ग में हथतशलखखत ग्रंथों का सबसे बड़ा भंडार ‘जजनभद्र सूरी ग्रंथ
1.आमेर दुर्ग 2.र्ार्रोन दुर्ग 3.कुम्भलर्ढ़ दुर्ग
भं्ार’ अर्स्थथत है।
4.जैसलमेर दुर्ग 5. रणथम्भौर दुर्ग 6. मचत्तौड़र्ढ़ दुर्ग
● ‘ढाई साके’ के लिए प्रलसद्ध-
➢ मचत्तौड़गढ़ दुगग में अदबद्जी का मंददर, रानी पद्मिनी का महल, र्ोरा-
पहिा साका– आक्रमण - अलाउद्दीन खखलजी शासक - मूलराज
बादल महल, काशलका माता मंददर, सूरज कुण्ड, समजद्धश्वर मंददर,
दूसरा साका– आक्रमण - वफरोज तुर्लक शासक - रार् दूदा
जयमल-फत्ता (पता) छतररयााँ, तुलजा माता मंददर, कुम्भश्याम मंददर,
तीसरा अद्धग साका– आक्रमण - अमीर अली शासक - रार्
सतबीस दे र्री (जैन मंददर) शंर्ार चंर्री जैन मजन्दर, लाखोटा की बारी,
लूणकरण
कल्ला राठौड़ की छतरी, रैदास की छतरी, रार्त बािससिह का थमारक
➢ जूनागढ़ दुगग (बीकानेर) –
एर्ं नर्लखा भण्डार आदद स्थथत हैं।
● सूरज पोल के दोनों तरफ जयमल राठौड़ तथा फत्ता शससोददया की
➢ विजय स्तम्भ – 1437 ई. में कुम्भा ने ‘सारंर्पुर युद्ध’ में महमूद
र्जारूढ़ मूर्तियााँ थथावपत की र्ई थी।
खखलजी प्रथम को पराजजत करने के उपलक्ष्य में वर्जयथतम्भ का वनमागण
● 33 करोड़ दे िी-दे िताओं का मंटदर – इस मंददर में हेरंब र्णपवत (ससिह
1440 ई. से 1448 ई. में करर्ाया र्या था। र्ाथतुकार - जैता, नापा,
पर सर्ार र्णपवत) की प्रवतमा है।
पोमा एर्ं पूंजा।
● राजथथान में पहली बार शलफ्ट इसी दुर्ग में लर्ाई थी।
➢ कीर्तिं स्तंभ प्रशस्स्त की रचना - कवर् अवत्र तथा बाद में महेश भट्ट ने
➢ नागौर दुगग – 1570 ई. में अकबर अजमेर में ख्र्ाजा साहब की
पूरी की।
जजयारत करने के बाद नार्ौर आया तब यहााँ शु क्र तालाब खुद र्ाया
➢ जैन कीर्तिं स्तम्भ – 7 मंजजला, वनमागणकताग - बिेरर्ाला जैन जीजा,
था।
समर्पित - भर्र्ान आददनाथ
➢ लसिाणा दुगग (बाड़मेर) – जोधपुर शासकों की संकटकाल में
➢ मचत्तौड़गढ़ के तीन साके–
शरणथथली के रूप में प्रशसद्ध दुर्ग।
● पहिा साका – 1303 ई., आक्रमण- अलाउद्दीन खखलजी, तत्कालीन
➢ ‘शेर-ए-राजथथान’ नाम से वर्ख्यात जयनारायण व्यास को राज्य के
शासक- राणा रतनससिह, जौहर- पद्मिनी, केसररया- र्ोरा-बादल
शसर्ाणा दुर्ग में बंदी बनाकर रखा र्या।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ रणथम्भौर दुगग ➢ अचिगढ़ दुगग– वनमागण परमार शासकों द्वारा 9र्ीं सदी में
● अबुि फजि ने कहा – ‘अन्य सब दुर्ग नंर्े हैं जबवक यह दुर्ग बख्तरबंद ➢ सुिणगवगरी दुगग - सूकड़ी नदी के वकनारे। अलाउद्दीन खखलजी ने
है।’ कान्हड़दे र् के समय 1311-12 ई. में जालोर पर आक्रमण कर इस दुर्ग
● वत्रनेत्र र्णेश जी का मंददर, पीर सदरुद्दीन की दरर्ाह, सुपारी महल, का नाम ‘जलालाबाद’ रख ददया। इसमें संत मशलक शाह की दरर्ाह,
जौरां-भौरां (अन्न भंडार), जोर्ी महल, बादल महल, हम्मीर महल, तोपखाना मस्थजद (परमार शासक भोज द्वारा वनर्मित संथकत पाठशाला)
हम्मीर की कचहरी, नौलखा दरर्ाजा, रवनहाड़ तालाब, पद्मला तालाब, आदि स्थित है।
32 खम्भों की छतरी आदद स्थथत है। ➢ भैंसरोड़गढ़ दुगग - चम्बल और बामनी नददयों के संर्म, उपनाम -
● राजस्थान का पहिा प्रमाणणत साका – 1301, शासक - हम्मीर दे र् राजथथान का र्ैल्लोर, श्रेणी - जल दुर्ग, वनमागता - भैंसाशाह नामक
चौहान, आक्रमण - अलाउद्दीन खखलजी, जौहर – रंर्िे (पत्नी) दे र्ल व्यापारी तथा रोड़ा चारण द्वारा।
(पुत्री) जल जौहर ➢ चूरू का वकिा - 1739 ई. में ठाकुर कुशालससिह द्वारा ननर्मित। अपनी
➢ आमेर दुगग (जयपुर) – 1707 ई. में मुर्ल बादशाह मुअज्जम आजादी र् अस्थमता के शलए इस दुर्ग में ठाकुर शिवससिह ने र्ोले-बारूद
(बहादुरशाह) ने आमेर दुर्ग पर अमधकार कर उसका नाम ‘मोममनाबाद’ खत्म होने पर दुश्मनों पर चााँदी के र्ोले दार्े।
रखा। ➢ शेरगढ़ दुगग (धौिपुर)– वनमागण रार् मालदे र्। तोप – हुनहुंकार
➢ जगत लशरोमणण मंटदर – आमेर में इस मंददर का वनमागण महाराजा ➢ शेरगढ़ दुगग (बारााँ) – कोषर्द्धग न दुर्ग
मानससिह की पत्नी कनकार्ती द्वारा अपने ददर्ंर्त पुत्र जर्तससिह की ➢ खण््ार का वकिा – यह रणथम्भौर के चौहान र्ंशीय शासकों द्वारा
याद में करर्ाया र्या था। 8र्ीं – 9र्ीं सदी में वनर्मित दुर्ग है। यहााँ अष्टधातु वनर्मित ‘शारदा तोप’
➢ जयगढ़ दुगग (जयपुर) – इसमें सर्ाई जयससिह ने अपने छोटे भाई अपनी मारक क्षमता हेतु प्रशसद्ध है।
वर्जयससिह को कैद रखा तथा राजनीवतक बंददयों के शलए कैदखाने के ➢ वतमनगढ़ (विभुिनगढ़, करौली) – थथापत्य - खास महल, ननद-
रूप में काम आता है। भोजाई का कुआाँ, राजवर्री, दुर्ागध्यक्ष के महल
➢ जयबाण - 1720 ई. में सर्ाई जयससिह द्वारा वनर्मित एशशया की सबसे ➢ नीमराणा वकिा – उपनाम- पंचमहल
बड़ी तोप ➢ कोिा दुगग– माधोससिह द्वारा वनर्मित। स्थथत - चम्बल नदी के वकनारे,
➢ नाहरगढ़ दुगग (जयपुर) – उपनाम - सुदशगनर्ढ़, सुलक्षणर्ढ़। इस दुर्ग कोटा
में महाराजा माधोससिह प्रथम ने अपनी 9 पासर्ानों हेतु एक जैसे 9 महल ➢ कांकनिाड़ी का दुगग – इसमें मुर्ल बादशाह औरंर्जेब ने अपने
बनर्ाए। पराजजत भाई दाराशशकोह को इसी दुर्ग में कैद रखा था।
➢ गागरोन दुगग (झालावाड़) – सूफी संत ‘ममट् ठे साहब की दरर्ाह’, संत ➢ सज्जनगढ़ दुगग – ननमागण महाराणा सज्जनससिह, उपनाम - उदयपुर का
पीपा की छतरी मुकुटमद्मण।
➢ पथ्र्ीराज ने प्रशसद्ध ग्रंथ ‘िेलि वक्रसन रुकमणण री’ र्ार्रोन में रहकर ➢ आमेर का महि– आमेर की मार्ठा झील के पास की पहाड़ी पर स्थथत
शलखा। महल, जजसे कच्छर्ाहा नरेश मानससिह प्रथम द्वारा 1592 ई. में बनाया
➢ मैगजीन वकिा (अजमेर) – अकबर का दौलतखाना। इसी दुर्ग में र्या था।
1576 ई. के हल्दीिाटी युद्ध की अन्न्तम योजना बनाई र्ई थी। 10 ➢ शीशमहि– जयपुर। कवर् वबहारी ने शीशमहल को ‘दपगण धाम’ कहा।
जनर्री, 1616 को इंग्लैण्ड सम्राट जेम्स प्रथम के दूत टॉमस रो ने इसी ➢ लसिी पैिेस- ननमागण सर्ाई जयससिह-वद्वतीय िास्तुकार - याकूब
दुर्ग में बादशाह जहााँर्ीर से मुलाकात की थी। ➢ मुबारक महि जयपुर – ननमागण सर्ाई माधोससिह वद्वतीय द्वारा।
➢ तारागढ़ दुगग (अजमेर) – वबशप हैबर ने तारार्ढ़ दुर्ग को ‘राजस्थान ➢ हिामहि जयपुर – ननमागण 1799 में सर्ाई प्रतापससिह द्वारा। र्ाथतुकार
का जजब्राल्िर’ की संज्ञा दी। – लालचन्द उथता। हर्ा महल को र्षग 1968 में संरद्मक्षत थमारक िोवषत
➢ तारागढ़ दुगग (बूाँदी) – ननमागण रार् बरससिह द्वारा 1354 ई. में। रंर् महल वकया र्या।
(शत्रुशाल द्वारा वनर्मित)। मचत्रशाला इसका वनमागण उम्मेदससिह ने ➢ जिमहि – ननमागण सर्ाई जयससिह (वद्वतीय)।
करर्ाया इसे द्मभशत्त मचत्रों (बूाँदी मचत्रशैली) का थर्र्ग कहा जाता है। ➢ लससोटदया रानी का महि– वनमागण सर्ाई जयससिह (वद्वतीय)।
➢ भिनेर का वकिा (हनुमानगढ़) - उत्तरी सीमा का प्रहरी। तैमूर के ➢ सामोद महि – जयपुर में स्थथत इस महल का वनमागण राजा वबहारीदास
आक्रमण के समय यहााँ वहन्दू स्त्थत्रयों के साथ-साथ मुस्थलम मवहलाओं ने करर्ाया था।
द्वारा भी जौहर वकया र्या था। ➢ एक समान नौ महि– वनमागण नाहरर्ढ़ दुर्ग में सर्ाई माधोससिह प्रिम
➢ बािा वकिा – वनमागण अलिुराय। जल के मुख्य स्रोत - सलीम सार्र द्वारा
तालाब एर्ं सूरज कुण्ड। ➢ मोती ्ू ाँगरी महि- वनमागण सर्ाई माधोससिह द्वारा।
➢ िोहागढ़ दुगग – इस दुर्ग के चारों ओर र्हरी खाई है जजसमें मोती झील ➢ रामबाग पैिेस – महाराजा रामससिह द्वारा इसे शाही मेहमानों, अवतशथ
से सुजान र्ंर्ा नहर द्वारा पानी लाया र्या है। इस दुर्ग के प्रर्ेश द्वार पर राजाओं के ठहरने के शलए 1836 ई. में इसका वनमागण करर्ाया।
लर्ा हुआ अष्ट धातु दरर्ाजा है, जजसे महाराजा जर्ाहरससिह 1765 ई. ➢ सररस्का पैिेस– वनमागण अलर्र के महाराजा जयससिह द्वारा। जयससिह
में ददल्ली में मुर्लों से जीतने के बाद लाल वकले से लाए थे। ने इसका वनमागण ड्यूक ऑफ एमडनबर्ग की शशकार यात्रा के उपलक्ष्य में
➢ मां्िगढ़ दुगग - बनास, बेड़च, मेनाल नददयों के वत्रर्ेणी संर्म। करर्ाया था। अब इसे ‘होटल-सररथका पैलेस’ में पररर्र्तित वकया र्या।
➢ दौसा वकिा – आकृनत छाजले के समान।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ लसिीसेढ़ महि– ‘राजथथान का नन्द कानन’ वनमागण महाराजा ➢ सुखमहि – बूाँदी में जैतसार्र झील के वनकट स्थथत सुखमहल का
वर्नयससिह। र्तगमान में राजथथान पयगटन वर्कास वनर्म (RTDC) ने वनमागण राजा वर्ष्णुससिह ने करर्ाया।
होटल का रूप दे ददया है। ➢ रतनदौित दरीखाना – बूाँदी राजप्रासाद में स्थथत महल, जजसमें बूाँदी
➢ रूठी रानी का महि – अजमेर। यह रानी उमादे का महल है जो रार् नरेशों का राजवतलक होता था।
मालदे र् से रुठकर यहााँ रही। ➢ बादि वििास महि – जैसलमेर के महारार्लों के वनर्ास हेतु
➢ मानमहि – पुष्कर। वनमागण - आमेर के ममजाग राजा मानससिह शसलार्टों द्वारा 1844 ई. में बादल वर्लास महल का वनमागण वकया र्या
➢ खेतड़ी महि – झुंझुनूाँ ‘राजथथान का दूसरा हर्ामहल’ जजसे उन्होंने तत्कालीन महारार्ल र्ैरीशाल को भेंट कर ददया। बादल
➢ उम्मेद भिन– जोधपुर। यह महल छीतर पत्थर से वनर्मित होने के कारण वर्लास में बना पााँच मंजजला ‘ताजजया टॉर्र’ दशगनीय है।
‘छीतर पैिेस’ भी कहलाता है। इस भर्न में िमड़यों का एक संग्रहालय ➢ एकथम्म्बया महि – डू ाँर्रपुर के र्ैबसार्र झील के तट पर उदयवर्लास
भी है। राजप्रासाद में स्थथत।
➢ अजीत भिन – जोधपुर। दे श का पहला हैररटे ज होटल। ➢ पदममनी महि– मचत्तौड़र्ढ़ रार्ल रतनससिह द्वारा वनर्मित।
➢ बीजोिाई के महि– जोधपुर में कायलाना की पहामड़यों के मध्य ➢ िािगढ़ पैिेस (बीकानेर) – इस इमारत का वनमागण 1902 ई. में
महाराजा तख्तससिह द्वारा वनर्मित महल। महाराजा र्ंर्ाससिह द्वारा अपने वपता लालससिह की थमवत में करर्ाया
➢ एक थम्बा महि - मंडोर। यह महाराजा अजीत ससिह (1707 ई. – र्या।
1724 ई.) के शासनकाल में लाल र् बलुआ पत्थरों से वनर्मित तीन ➢ गुप्तकािीन मंटदर – चारचौमा शशर् मंददर (कोटा), शीतलेश्वर महादे र्
मंजजला महल है। (झालार्ाड़), कन्सुआ शशर् मंददर (कोटा)
➢ जनाना ि मदागना महि– जोधपुर में महाराजा सूरससिह द्वारा वनर्मित। ➢ गुजगर प्रवतहार या महामारु शैिी – 8र्ीं शताब्दी से मध्य भारत
➢ राईका बाग पैिेस – जोधपुर में महाराजा जसर्ंत ससिह प्रथम की रानी राजथथान में जो क्षेत्रीय शैली वर्कशसत हुई उसे र्ुजगर प्रवतहार या
हाड़ी जी ने 1663 ई. में राईका बार् पैलेस का वनमागण करर्ाया। महामारु शैली कहा र्या है।
महाराजा जसर्ंत ससिह वद्वतीय इस महल में बैठकर थर्ामी दयानन्द के ➢ गुजगर प्रवतहार कािीन मंटदर– अस्त्म्बका माता का मंददर, जर्त,
उपदे श सुना करते थे। (उदयपुर), हषगद माता का मंददर (आभानेरी, दौसा), कुंभश्याम मंददर
➢ राजमहि– वपछोला झील (उदयपुर) के तट पर वनमागण राणा उदयससिह (मचत्तौड़र्ढ़) सोमेश्वर मंददर (वकराडू , बाड़मेर), सूयग मंददर, हररहर र्
ने। प्रशसद्ध इवतहासकार फग्यूगसन ने इन्हें ‘राजथथान के वर्िडसर महलों’ महार्ीर मंददर (ओशसया, जोधपुर) हषगनाथ का मंददर (सीकर)
की संज्ञा दी। ➢ भूममज शैिी के मंटदर – सेर्ाड़ी का जैन मंददर (पाली) इस िैली का
➢ जगवनिास पैिेस– वपछोला झील के मध्य स्थथत। इसका वनमागण प्रिम मंदिर, महानालेश्वर मंददर (मेनाल, भीलर्ाड़ा), भण्डदे र्रा मंददर,
1746 ई. में महाराणा जर्तससिह वद्वतीय द्वारा करर्ाया र्या। (अटरू, बारााँ) उंडेश्वर मंददर (वबजौशलया, मचत्तौड़र्ढ़)
➢ जगमंटदर पैिेस – वपछोला झील के मध्य। महाराणा कणगससिह द्वारा इस ➢ एकलििंगजी या िकुिीश का मजन्दर- कैलाशपुरी (उदयपुर),
महल को बनाना प्रारम्भ वकया र्या था, इसे महाराणा जर्तससिह प्रथम वनमागणकताग - बप्पा रार्ल। र्तगमान थर्रूप – महाराणा रायमल
ने पूणग करर्ाया था। जहााँर्ीर के वर्रुद्ध वर्द्रोह करने के बाद शहजादा ➢ जगदीश मजन्दर (उदयपुर)– वनमागण महाराणा जर्तससिह प्रथम।
खुरगम (शाहजहााँ) ने इसी महल में शरण ली थी। माना जाता है वक इसी उपनाम – सपने में बना मंददर
महल की भव्यता को दे खकर ताजमहल का थमारक बनाने की प्रेरणा ➢ शीतिेश्वर महादे ि – झालरापाटन (झालार्ाड़)। यह राजथथान का
ममली। प्राचीनतम मंददर है जजस पर समयांवकत 689 ई. (वर्क्रम संर्त् 746)
➢ सज्जनगढ़ पैिेस– उदयपुर में फतेहसार्र सार्र के पीछे एक ऊाँची है।
बांसदरा पहाड़ी की चोटी पर स्थथत सज्जनर्ढ़ पैलेस का वनमागण ➢ वकरा्ू के मजन्दर– हाथमा र्ााँर्, वकराडू (बाड़मेर)। उपनाम -
महाराणा सज्जनससिह ने करर्ाया। उपनाम – उदयपुर का मुकुटमद्मण, 'राजथथान का खजुराहो’। र्ुजगर-प्रवतहार शैली का अन्न्तम एर्ं सबसे
मानसून पैलेस’ भव्य मजन्दर।
➢ खुश महि– उदयपुर में महाराणा सज्जनससिह द्वारा वनर्मित। जयसमन्द ➢ लशि मजन्दर या भण््दे िरा मजन्दर- भण्डदे र्रा (बारााँ), उपनाम -
झील के वकनारे महाराजा फतेहससिह द्वारा वनर्मित महल। मेर्ाड़ का खजुराहो, राजथथान का दूसरा खजुराहो।
➢ काष्ठ प्रासाद– झालार्ाड़। लकड़ी से वनर्मित यह महल रार् राजेन्द्रससिह ➢ श्रीनाथ जी मजन्दर– शसहाड़ र्ााँर्, राजसमंद। श्रीनाथ जी का मंददर
द्वारा र्षग 1936 में बनर्ाया र्या। पुवष्टमार्ीय र्ैष्णर्ों का प्रमुख तीथग थथल है।
➢ सुनहरी कोठी– टोंक की सुनहरी कोठी का वनमागण 1824 ई. में नर्ाब ➢ गोविन्द दे ि जी मजन्दर- जयपुर। इस मजन्दर की प्रवतमा सर्ाई जयससिह
अमीर खााँ द्वारा प्रारम्भ वकया र्या जो 1834 में टोंक नर्ाब र्जीरुद्दौला वद्वतीय र्ंदार्न से जयपुर लाए थे।
खााँ के समय पूणग हुआ। ➢ सहस्िबाहु का मजन्दर- नार्दा (उदयपुर)। यह मंददर वर्ष्णु को समर्पित
➢ राजमहि– दे र्ली (टोंक)। यह महल बनास, खारी एर्ं डाई के वत्रर्ेणी है।
संर्म पर स्थथत है। ➢ जगतलशरोमणण मजन्दर - आमेर (जयपुर)। वनमागण - महाराजा मानससिह
➢ अभेड़ा महि – कोटा के पास चम्बल नदी के वकनारे स्थथत ऐवतहाशसक प्रथम की पत्नी कनकार्ती ने अपने पुत्र जर्तससिह की याद में करर्ाया
महल अब राज्य सरकार पयगटक केन्द्र के रूप में वर्कशसत कर रही है। था।

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ ओलसया के मजन्दर– जोधपुर। यह मजन्दर र्ुजगर-प्रवतहार काल में र्ुजगर- ➢ अििर – नीलकण्ठ महादे र् मंददर, पाण्डु पोल हनुमान जी का मंददर,
महामारू शैली में बनाए र्ए हैं, इन मजन्दरों का तोरण द्वार भव्य है। भतगहरर मंददर
मजन्दरों में पंचायतन शैली का अनुसरण वकया र्या है। यहााँ वनम्नशलखखत ➢ झुंझुनूाँ – राणी सती का मंददर
चार मंददर पाए जाते हैं- ➢ सीकर – खाटू श्यामजी का मंददर, जीणमाता का मंददर
1. सस्च्चयाय माता मजन्दर ➢ दौसा – मेहंदीपुर बालाजी का मंददर, हषगद माता का मंददर
2. सूयग मजन्दर ➢ चूरू – सालासर हनुमान मंददर, वतरूपवत बालाजी का मंददर, र्ोर्ाजी
3. हररहर मजन्दर का मंददर, ददरेर्ा
4. भर्र्ान महार्ीर का मजन्दर ➢ जोधपुर – महामंददर, कुन्जवबहारी मंददर, रार्ण का मंददर, 33 करोड़
➢ कैिा दे िी मजन्दर- करौली। यहााँ का लांर्ुररया नत्य र् जोर्वनया र्ीत दे र्ी-दे र्ता की साल
प्रशसद्ध है। ➢ मचत्तौड़गढ़ – बाडोली का शशर् मंददर, मीराबाई का मंददर, कुम्भ श्याम
➢ सूयग मजन्दर- झालरापाटन (झालार्ाड़) मंददर, काशलका माता का मंददर, मातकुस्ण्डया का मंददर, सममद्धे श्वर
➢ ब्रह्माजी के प्रमुख मंटदर– महादे र् का मंददर
(i) पुष्कर (अजमेर) – पूरे वर्श्व का एकमात्र ब्रह्मा मंददर पुष्कर में स्थथत ➢ राजसमंद – द्वारकाधीश का मंददर, श्रीनाथ जी मंददर, चारभुजा नाथ
है। जहााँ ब्रह्माजी की वर्मधर्त रूप से पूजा होती है। मंददर
(ii) आसोतरा (बाड़मेर) ➢ बााँसिाड़ा – िोदटया अंबा मंददर, वत्रपुरा सुंदरी मंददर, तलर्ाड़ा, अथूगना
(iii) लछिंछ गााँि (बााँसिाड़ा) के जैन मंददर
➢ गणेश मंटदर – वत्रनेत्र र्णेश – रणथम्भौर दुर्ग, नत्य र्णेश – अलर्र, ➢ ्ू ाँगरपुर – दे र् सोमनाथ, संत मार्जी मंददर, साबला र्ााँर्, बेणेश्वर
बाजणा र्णेश – शसरोही, मोती डू ाँर्री र्णेश – जयपुर, हेरम्ब र्णेश– महादे र् मंददर, र्र्री बाई का मंददर
बीकानेर ➢ बाड़मेर – वकराडू के जैन मंददर, वर्रात्रा माता का मंददर,
➢ उषा मंटदर- बयाना (भरतपुर) नार्णेची माता का मंददर, मल्लीनाथ मंददर, वतलर्ाड़ा, हल्दे श्वर महादे र्
➢ विभीषण मंटदर- कैथून (कोटा) – यह भारत का एकमात्र वर्भीषण मंददर, सोमेश्वर मंददर
मंददर है। ➢ जैसिमेर – लोद्रर्ा पाश्वगनाथ मंददर, र्ज मंददर, तनोट माता का मंददर
➢ दे ििाड़ा के जैन मंटदर- माउंट आबू (शसरोही) – ➢ लसरोही – अचलेश्वर महादे र् मंददर, अबुगदा माता मंददर
● प्रथम मंददर 1031 ई. में र्ुजरात के चालुक्य राजा भीमदे र् के मंत्री ➢ चााँद बािड़ी/आभानेरी बािड़ी– दौसा। चााँद बार्ड़ी र्ुजगर-
वर्मलशाह ने बनर्ाया था। इस मंददर को वर्मलर्साही के नाम से भी प्रवतहारकालीन कला का एक बेजोड़ नमूना है।
जाना जाता है। ➢ रानीजी की बािड़ी– बूाँदी, उपनाम – बार्मड़यों का शसरमौर। वनमागण –
● दूसरा प्रमुख मंददर 22र्ें जैन तीथंकर नेममनाथ का है, जजसका वनमागण इस बार्ड़ी का वनमागण रार् राजा अवनरुद्ध ससिह की वर्धर्ा रानी
र्ाथतुपाल और तेजपाल द्वारा 1230 में करर्ाया र्या था। इस मंददर को नाथार्ती ने 18र्ीं सदी में करर्ाया था।
लूणर्सही के नाम से जाना जाता है। ➢ अनारकिी की बािड़ी- बूाँदी
➢ रणकपुर जैन मंटदर– पाली। समर्पित- ऋषभदे र् (आददनाथ)। वनमागण ➢ विमुखी बािड़ी– उदयपुर। वनमागण – महाराणा राजससिह की रानी
– धरणक शाह (राणा कुम्भा के वर्त्त मंत्री)। शशल्पी – दे पाक रामरसदे ने करर्ाया था।
➢ सोनी जी की नलसयााँ या िाि मंटदर- अजमेर। वनमागण – 1870 ➢ नौिखा बािड़ी – डू ाँर्रपुर। वनमागण – इसका वनमागण महारार्ल
मूलचन्द सोनी ने लाल पत्थरों से करर्ाया। आसकरण की रानी प्रीमलदे र्ी ने 1659 ई. में करर्ाया था।
➢ भा्ासर जैन मंटदर- बीकानेर। इस मंदिर की नींर्ों में नाररयल र् िी ➢ नीमराणा की बािड़ी– अलर्र। वनमागण – इस 9 मंजजला बार्ड़ी का
भरा र्या था। यह सुमवतनाथ को समर्पित (5र्ें तीथंकर)। इस मंददर को वनमागण राजा टोडरमल ने करर्ाया था।
‘वििोक दीपक प्रसाद’ मंददर भी कहते हैं। ➢ पन्ना मीणा की बािड़ी– आमेर (जयपुर)। वनमागण – इसका वनमागण
➢ सात सहेलियों का मंटदर- झालरापाटन (झालार्ाड़)। भर्र्ान वर्ष्णु 17र्ीं शताब्दी में ममजाग राजा जयससिह के काल में हुआ।
को समर्पित ➢ मेड़तणी जी की बािड़ी– झुंझुनूाँ
➢ अजमेर– र्राह मंददर (पुष्कर), रंर्नाथ जी का मंददर (पुष्कर) ख्र्ाजा ➢ चााँद बािड़ी– जोधपुर। वनमागण – महाराजा जोधा की रानी चााँद कुाँर्री
मुइनुद्दीन मचश्ती की दरर्ाह। ने करर्ाया था।
➢ नागौर– दमधमाता का मंददर, र्ोठ मांर्लोद ➢ बािा्ू का कुआाँ – बाड़मेर। वनमागण – रार्ल र्ुलाबससिह द्वारा वनर्मित
➢ भीििाड़ा– सर्ाई भोज मंददर (आसींद)’ हरणी महादे र् मंददर, शाहपुरा करर्ाया र्या था।
का रामद्वारा, वतलथर्ां महादे र् मंददर ➢ गड़सीसर सरोिर– जैसलमेर। वनमागण – इस सरोर्र का वनमागण रार्ल
➢ जयपुर– शीलादे र्ी का मंददर, वबड़ला मंददर, लक्ष्मीनारायण मंददर, र्ड़सी के शासनकाल में सन् 1340 में करर्ाया र्या।
र्लता जी मंददर, नकटी माता का मंददर ➢ घोसुं्ी की बािड़ी– मचत्तौड़र्ढ़। वनमागण – इसका वनमागण महाराणा
➢ सिाई माधोपुर– िुश्मेश्वर महादे र्, वत्रनेत्र र्णेश मंददर रायमल की रानी शृंर्ार दे र्ी द्वारा करर्ाया र्या।
➢ उदयपुर– ऋषभदे र् का मंददर, धुलेर्, एकसलिर्जी का मंददर ➢ तापी बार्ड़ी – जोधपुर
➢ तूरजी का झालरा – जोधपुर
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ आलूदा का बुबाद्मणयां कुण्ड – लालसौट (दौसा) ➢ जसिंतथड़ा – उपनाम - राजथथान का ताजमहल। महाराजा
➢ पन्नाशाह तालाब – झुंझुनू जसर्ंतससिह-वद्वतीय की थमवत में उनके पुत्र महाराजा सरदारससिह द्वारा
➢ पििों की हिेिी – जैसलमेर में इस हर्ेली का वनमागण सेठ र्ुमानचन्द 1906 ई. में सफेद संर्मरमर से वनर्मित भव्य थमारक।
पटर्ा द्वारा 18र्ीं सदी के उत्तराद्धग में करर्ाया र्या। ➢ गोराधाय की छतरी- जोधपुर। वनमागता - महाराजा अजीतससिह
➢ सालिमलसिंह की हिेिी – जैसलमेर में इस हर्ेली का वनमागण जैसलमेर ➢ मामा भान्जा की छतरी- जोधपुर
के प्रधानमंत्री साशलमससिह द्वारा 18र्ीं सदी में करर्ाया र्या था। ➢ प्रधानमंिी की छतरी- जोधपुर
➢ नथमि की हिेिी – जैसलमेर में इस हर्ेली का वनमागण महारार्ल ➢ ब्राह्मण दे िता की छतरी-पंचकुण्ड (मण्डोर, जोधपुर)
बैरीसाल के समय हुआ है। ➢ कीरतलसिंह सोढ़ा की छतरी-मेहरानर्ढ़ दुर्ग (जोधपुर)
➢ बच्छाितों की हिेिी – बीकानेर की सबसे पुरानी हर्ेली है। इस हर्ेली ➢ सेनापवत की छतरी - नार्ौरी र्ेट, जोधपुर
का वनमागण 1593 ई. में कणगससिह बच्छार्त ने लाल पत्थरों से करर्ाया ➢ िीर दुगागदास की छतरी – उज्जैन, मध्यप्रदे श
था। ➢ बड़ाबाग की छतररयााँ– जैसलमेर। जैसलमेर के भाटी राजपररर्ार की
➢ बीकानेर की अन्य हिेलियााँ – रामपुररया की हर्ेली, मोहता की हर्ेली, छतररयााँ हैं।
मूंदड़ा की हर्ेली ➢ दे िीकुण्् की छतररयााँ– बीकानेर। बीकानेर के राठौड़ राजपररर्ार की
➢ जोधपुर की हिेलियााँ – पाल हर्ेली, बड़े ममयााँ की हर्ेली, पोकरण की छतररयााँ है।
हर्ेली, राखी हर्ेली, पुष्य हर्ेली ➢ अमरलसिंह की छतरी (16 खम्भों की छतरी)- नार्ौर दुर्ग
➢ झुंझुनूाँ की हिेलियााँ – ➢ अप्पाजी लसिंमधया की छतरी– नार्ौर
● नर्लर्ढ़ को ‘हिेलियों का नगर’ अथर्ा ‘शेखािािी की स्िणग नगरी’ ➢ रैदास की छतरी- मचत्तौड़र्ढ़ दुर्ग
कहा जाता है। ➢ जयमि ि कल्िा राठौड़ की छतरी- मचत्तौड़र्ढ़ दुर्ग
● पौद्दारों की हर्ेली, नर्लर्ढ़ ➢ महासवतयााँ की छतररयााँ– आहड़, उदयपुर
● टीबड़े र्ालों की हर्ेली, नर्लर्ढ़ ➢ राणा सांगा की छतरी- माण्डलर्ढ़ (भीलर्ाड़ा)। वनमागता - अशोक
● नाथूराम पोद्दार की हर्ेली, वबसाऊ परमार द्वारा 8 खम्भों पर वनर्मित है।
● सेठ जयदयाल केमड़या की हर्ेली, वबसाऊ ➢ जगन्नाथ कच्छिाहा की छतरी (32 खम्भों की छतरी)- मांडलर्ढ़
● सीताराम ससिर्वतया की हर्ेली, वबसाऊ (भीलर्ाड़ा)
● सोने-चााँदी की हर्ेली महनसर ➢ राणा प्रताप की छतरी या 8 खम्भों की छतरी- बाण्डोली (उदयपुर)
● सेठ लालचन्द र्ोयनका की हर्ेली ्ू ं्िोद ➢ उड़ना पृथ्िीराज की छतरी (12 खम्भों की छतरी)- कुम्भलर्ढ़ दुर्ग,
● केसरदे र् कानोमड़या की हर्ेली मुकुन्दगढ़ राजसमंद
● बार्मड़यों की हर्ेली मचड़ािा ➢ नैड़ा की छतररयााँ या ममश्रजी की छतरी– सररथका, अलर्र
➢ सीकर की हिेलियााँ ➢ मूसी महारानी की छतरी (80 खम्भों की छतरी)- अलर्र। वनमागता
● पंसारी की हर्ेली श्रीमाधोपुर - महाराजा वर्नयससिह।
● ताराचन्द रुइयााँ की हर्ेली फतेहपुर ➢ जैिलसिंह की छतरी (32 खम्भों की छतरी)– सर्ाई माधोपुर। वनमागता
● चार चौक की हर्ेली लक्ष्मणर्ढ़ - हम्मीरदे र् चौहान
● चेतराम की हर्ेली लक्ष्मणर्ढ़ ➢ केसरबाग की छतररयााँ- बूाँदी। बूाँदी के हाड़ा राजपररर्ार की छतररयााँ
➢ चूरू की हिेलियााँ है।
● मंवत्रयों की हर्ेली टे ली ाम चैनल जॉइन कर ➢ 84 खम्भों की छतरी– दे र्पुरा, बूाँदी। वनमागता - रार् राजा अवनरुद्ध
● सुराणों की हर्ेली ससिह। धाबाई दे र्ा र्ुजगर की थमवत में र्षग 1683 ई. में वनर्मित तीन मंजजला
● रामवनर्ास र्ोयनका की हर्ेली छतरी 84 खम्भों पर दटकी हुई हैं।
● दानचंद चोपड़ा की हर्ेली - सुजानर्ढ़ (चूरू) ➢ क्षारबाग (छिवििास) – कोटा। कोटा के हाड़ा राजपररर्ार की
● मालजी का कमरा - मालचंद कोठारी द्वारा वनर्मित। छतररयााँ हैं।
➢ उदयपुर की हिेिी ➢ गैिोर की छतररयााँ – नाहरर्ढ़ दुर्ग, जयपुर। यह छतररयााँ जयपुर के
● बार्ौर की हर्ेली – उदयपुर में वपछोला झील के वनकट बार्ौर की हर्ेली कच्छर्ाहा शासकों की है।
का वनमागण ठाकुर अमरचंद बड़र्ा ने करर्ाया। ➢ रामगोपाि पोद्दार की छतरी – यह छतरी शेखार्ाटी क्षेत्र की सबसे
● इसी हर्ेली में वर्श्व की सबसे बड़ी पर्ड़ी रखी हुई है। बड़ी छतरी है।
➢ कोिा की हिेिी ➢ गोपािलसिंह की छतरी– करौली
● बड़े दे र्ता की हर्ेली ➢ पािीिािों की छतररयााँ– जैसलमेर
➢ जयपुर की हिेलियााँ ➢ बादशाह मेिा – ब्यार्र (अजमेर) में चैत्र कष्ण प्रवतपदा को
● पुरोवहत जी की हर्ेली ➢ फूि्ोि मेिा– रामद्वारा (शाहपुरा, भीलर्ाड़ा)। चैत्र कष्ण प्रवतपदा
● नाटाद्मणयों की हर्ेली से चैत्र कष्ण पंचमी तक - रामथनेही संप्रदाय से संबंमधत।
● रत्नाकर पुण्डरीक की हर्ेली ➢ शीतिा माता का मेिा – चाकसू (जयपुर)। चैत्र कष्ण अष्टमी को।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ ऋषभदे ि मेिा (केसररया नाथ जी का मेिा या कािा बािजी का ➢ भोजन थािी मेिा– कामां (भरतपुर)। भाद्रपद शुक्ल पंचमी।
मेिा) – धुलेर् (उदयपुर) में चैत्र कष्ण अष्टमी को। ➢ सिाई भोज मेिा– आसींद (भीलर्ाड़ा)। भाद्रपद शुक्ल अष्टमी।
➢ जौहर मेिा – मचत्तौड़र्ढ़ दुर्ग (मचत्तौड़र्ढ़) में चैत्र कष्ण एकादशी को। ➢ दे िझूिनी मेिा (चारभुजा मेिा)– चारभुजा (राजसमंद)। भाद्रपद
➢ घोटिया अम्बा मेिा– बााँसर्ाड़ा में चैत्र अमार्थया को। शुक्ल एकादशी (जलझूलनी एकादशी)
➢ कैिादे िी मेिा– कैलादे र्ी (करौली)। चैत्र शुक्ल एकम् से चैत्र कष्ण ➢ बाबू महाराज का मेिा– बाड़ी (धौलपुर) – भाद्रपद शुक्ल एकादशी।
दशमी (प्रमुख रूप से अष्टमी को), कैलादे र्ी मेले में भक्तों द्वारा ➢ म्ग्गी कल्याण जी का मेिा– मडग्र्ी मालपुर (टोंक)। मडग्र्ी (टोंक)
‘िांगुररया’ भशक्त र्ीत र्ाए जाते हैं। कथबे में श्रार्ण अमार्थया, भाद्रपद शुक्ल एकादशी र् र्ैशाख पूर्णिमा
➢ गुिाबी गणगौर मेिा– नाथद्वारा। चैत्र शुक्ल पंचमी को। नाथद्वारा, को यह मेला लर्ता है।
र्ल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है। ➢ खेजड़िी मेिा– खेजड़ली (जोधपुर) – 1730 ई. में मारर्ाड़ के
➢ श्री महािीरजी मेिा – करौली। चैत्र शुक्ल त्रयोदशी से र्ैशाख कष्ण महाराजा अभयससिह के काल में खेजड़ली हत्या काण्ड हुआ, जजसमें
वद्वतीया तक - जैन धमग का सबसे बड़ा मेला। यहााँ की ‘िठमार होिी’ 84 र्ााँर्ों के 363 लोर् शहीद हुए। भाद्रपद शुक्ल दशमी को वर्श्व का
प्रशसद्ध है। एकमात्र र्क्ष मेला भरता है।
➢ सािासर हनुमान मेिा – सालासर (सुजानर्ढ़, चूरू)। चैत्र पूर्णिमा ➢ चुंघी तीथग मेिा– चुंिी (जैसलमेर)। भाद्रपद शुक्ल चतुथी।
(हनुमान जयंती) ➢ भतृगहरर मेिा– सररथका (अलर्र)
➢ बीजासणी माता का मेिा - लालसोट (दौसा) - चैत्र पूर्णिमा। ➢ दशहरा मेिा– कोटा। आद्मश्वन शुक्ल दशमी। यह दे श का तीसरा सबसे
➢ गौतमेश्वर (भूररया बाबा) का मेिा – शसरोही जजले के पोसाशलया र्ााँर् बडा दशहरा मेला है।
में प्रवतर्षग चैत्र शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक यह मेला लर्ता है। यह ➢ मीरा महोत्सि– मचत्तौड़र्ढ़। आद्मश्वन पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा)
मीणा समाज का मेला है, जजसमें मीणा समाज अपने कुल दे र्ता ➢ अन्नकूि मेिा– नाथद्वारा (राजसमंद)। कार्तिक शुक्ल एकम्।
र्ौतमेश्वर की पूजा करते हैं। ➢ गरुड़ मेिा– बंशी पहाड़पुर (भरतपुर)। कार्तिक शुक्ल ततीया।
➢ राम-रािण मेिा - बड़ी सादड़ी (मचत्तौड़र्ढ़) - चैत्र शुक्ल दशमी ➢ पुष्कर मेिा– पुष्कर (अजमेर)। कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा।
➢ धींगागिर बेंतमार मेिा– जोधपुर। र्ैशाख कष्ण ततीया। ➢ कवपि धारा का मेिा– बारााँ। कार्तिक पूर्णिमा। यह मेला सहररया
➢ गौर मेिा– शसयार्ा (आबूरोड़, शसरोही)। र्ैशाख पूर्णिमा। जनजावत से संबंमधत है।
➢ नारायणी माता का मेिा – सररथका (अलर्र)। र्ैशाख शुक्ल एकादशी ➢ चंद्रभागा मेिा– झालरापाटन (झालार्ाड़)। कार्तिक पूर्णिमा।
को। ➢ साहिा लसख मेिा– साहर्ा (चूरू)। कार्तिक पूर्णिमा। यह राजथथान में
➢ बाणगंगा मेिा – वर्राटनर्र (जयपुर)। र्ैशाख पूर्णिमा को। शसख धमग का सबसे बड़ा मेला है।
➢ मातृकुण्ण््या मेिा – राश्मी (हरनाथपुरा, मचत्तौड़र्ढ़)। र्ैशाख ➢ कवपि मुवन का मेिा– कोलायत (बीकानेर)। कार्तिक पूर्णिमा
पूर्णिमा। ➢ मानगढ़ धाम पहाड़ी मेिा– मानर्ढ़ पहाड़ी (बााँसर्ाड़ा)। मार्गशीषग
➢ सीतामाता मेिा– सीतामाता (प्रतापर्ढ़)। ज्येष्ठ अमार्थया। पूर्णिमा। इसे आददर्ाशसयों का मेला कहा जाता है। इस मेले में सर्ागमधक
➢ सीताबाड़ी का मेिा – सीताबाड़ी, शाहबाद (बारााँ)। ज्येष्ठ अमार्थया। भील जावत के लोर् आते हैं।
बारााँ जजले की ‘सहररया जनजावत का कुंभ' कहा जाने र्ाला सीताबाड़ी ➢ नाकोड़ा जी का मेिा– नाकोड़ा तीथग (मेर्ानर्र, बाड़मेर)
मेला शाहबाद के वनकट सीताबाड़ी में भरता है। ➢ श्री चौथमाता का मेिा– चौथ का बरर्ाड़ा (सर्ाई माधोपुर)। माि
➢ कल्पिृक्ष मेिा– मांर्शलयार्ास (अजमेर)। हररयाली अमार्थया। कष्ण चतुथी।
➢ गुरुद्वारा बु्ढ़ा जोहड़ मेिा– श्रीर्ंर्ानर्र। श्रार्ण अमार्थया। ➢ पयगिन मरु मेिा– सम (जैसलमेर)। माि शुक्ल त्रयोदशी से माि
➢ िोटियों का मेिा – मण्डोर (जोधपुर)। श्रार्ण शुक्ल पंचमी। अमार्थया तक।
➢ परशुराम महादे ि मेिा – सादड़ी (पाली)। श्रार्ण शुक्ल सप्तमी। ➢ बेणेश्वर मेिा– सोम-माही-जाखम नददयों के संर्म, नर्ाटापरा
➢ िीरपुरी मेिा –मंडोर (जोधपुर)। श्रार्ण माह का अंवतम सोमर्ार। (डू ाँर्रपुर)। माि पूर्णिमा को यह मेला भरता है। इसे ‘आददर्ाशसयों के
➢ कजिी तीज – बूाँदी। भाद्रपद कष्ण ततीया। कुंभ’ के नाम से जाना जाता है। यहााँ पर वर्श्व के एकमात्र ‘खस्ण्डत
➢ जन्माष्टमी – नाथद्वारा (राजसमंद)। भाद्रपद कष्ण अष्टमी। शशर्सलिर्’ की पूजा होती है।
➢ गोगानिमी – र्ोर्ामेड़ी (हनुमानर्ढ़)। भाद्रपद कष्ण नर्मी। ➢ लशिरावि मेिा- शशर्ाड़ (सर्ाई माधोपुर)। फाल्र्ुन कष्ण त्रयोदशी।
➢ राणी सती का मेिा– झुंझुनूाँ। भाद्रपद अमार्थया। झुंझुनूाँ में रानी सती ➢ एकसलिर्नाथ जी का – कैलाशपुरी र्ााँर् (उदयपुर)
के प्रशसद्ध मंददर में प्रवतर्षग भाद्रपद मास में मेला भरता है। ➢ महाशशर्रावत्र पशु मेला – करौली
➢ रामदे िरा का मेिा– रामदे र्रा (रुणेचा) (पोकरण, जैसलमेर)। ➢ हल्दे श्वर महादे र् का मेला – पीपलूद (बाड़मेर)
भाद्रपद शुक्ल वद्वतीया से एकादशी तक साम्प्रदावयक सद्भार् का सबसे ➢ चनणी चेरी मेिा– दे शनोक (बीकानेर)। फाल्र्ुन शुक्ल सप्तमी।
बड़ा मेला। ➢ चन्द्रप्रभु का मेिा– वतजारा (अलर्र)। फाल्र्ुन शुक्ल सप्तमी। जैन
➢ गणेशजी का मेिा– रणथम्भौर (सर्ाई माधोपुर)। भाद्रपद शुक्ल धमग से संबंमधत।
चतुथी। ➢ ्ा्ा पम्पाराम का मेिा– पम्पाराम का डेरा, वर्जयनर्र
➢ हनुमानजी का मेिा– पांडुपोल (अलर्र)। भाद्रपद शुक्ल चतुथी र् (श्रीर्ंर्ानर्र)। फाल्र्ुन माह में आयोजजत।
पंचमी।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ मेहन्दीपुर बािाजी का मेिा– मेहन्दीपुर (दौसा)। यहााँ पर हनुमान जी ➢ कार्तिंक पशु मेिा– पुष्कर (अजमेर)। कार्तिक शुक्ल अष्टमी से
के बाल रूप की पूजा होती है। मार्गशीषग वद्वतीया तक मेला भरता है।
➢ खािू श्यामजी का मेिा – इनका मेला सीकर में फाल्र्ुन शुक्ल दशमी ➢ महालशिरावि पशु मेिा– करौली। फाल्र्ुन कष्ण त्रयोदशी से मेला
से द्वादशी तक आयोजजत होता है। प्रारंभ (माचग) होता है।
➢ वतिस्िा महादे ि मेिा– वतलथर्ा (माण्डलर्ढ़, भीलर्ाड़ा)। फाल्र्ुन ➢ गोगामेड़ी पशु मेिा– हनुमानर्ढ़। श्रार्ण पूर्णिमा से भाद्रपद पूर्णिमा
पूर्णिमा। तक।
➢ गौतमेश्वर/ भूररया बाबा का मेिा– अरणोद (प्रतापर्ढ़) ➢ रामदे ि पशु मेिा– मानासर, नार्ौर। माि शुक्ल एकम् से माि पूर्णिमा
➢ गधों का मेिा– सोरसन (बारााँ) तथा लुद्मणयार्ास (जयपुर) ➢ बदराना पशु मेिा– नर्लर्ढ़ (झुंझुनूाँ)। शेखार्ाटी का प्रशसद्ध पशु मेला है।

ै मा ीलटे
➢ ऊाँि मेिा/– बीकानेर। यह वर्श्व का एकमात्र ऊाँट मेला है। ➢ बजरंग पशु मेिा– भरतपुर। आद्मश्वन कष्ण वद्वतीया से अष्टमी तक मेला
➢ गंगा दशहरा मेिा– कामां (भरतपुर) भरता है।
➢ 12 भाइयों का मेिा– बाड़ी (धौलपुर) ➢ सेिमड़या पशु मेिा– रानीर्ाड़ा (जालोर)

रक नइॉज लनच
➢ िाल्या ि काल्या का मेिा - अजमेर। ➢ ख्िाजा मोईनुद्दीन मचश्ती (गरीब निाज) का उसग –अजमेर में ख्र्ाजा
➢ बािी मेिा– बाली (पाली)। 1 से 7 जनर्री मोईनुद्दीन मचश्ती की मत्यु की बरसी के रूप में रज्जब माह की 1 से 6
➢ सम्बोमध धाम मेिा– जोधपुर तारीख तक ख्र्ाजा साहब का उसग मनाया जाता है।
➢ भद्रकािी माता का मेिा– हनुमानर्ढ़ ➢ तारकीन का उसग- नार्ौर। नार्ौर में सूवफयों की मचश्ती शाखा के संत
➢ बहरोड़ पशु मेिा– बहरोड़ (अलर्र) काजी हम्मीदुद्दीन नार्ौरी की दरर्ाह है जहााँ पर अजमेर के बाद सबसे
➢ नीिापानी का मेिा– हाथोड़ (डू ाँर्रपुर) बड़ा उसग भरता है।
➢ छींछ माता का मेिा– बााँसर्ाड़ा। ➢ गलियाकोि का उसग- डू ाँर्रपुर। मुहरगम की 27र्ीं तारीख को उसग भरा
➢ िीरातारा/विरािा माता का मेिा– वर्रात्रा (बाड़मेर)। चैत्र, भाद्रपद र् जाता है। यह दाउदी बोहरा समाज की आथथा का सबसे बड़ा केन्द्र है।
माि शुक्ल चतुदगशी। ➢ नरहड़ की दरगाह का मेिा- झुंझुनूाँ। झुंझुनूाँ जजले के नरहड़ र्ााँर् में
➢ विपुरा सुंदरी मेिा– तलर्ाड़ा (बााँसर्ाड़ा)। नर्रात्रा (चैत्र र् आद्मश्वन) ‘हजरत हाजजब शक्कर बादशाह’ की दरर्ाह है जो शक्कर पीर बाबा
➢ करणी माता का मेिा– दे शनोक (बीकानेर)। नर्रात्रा (चैत्र र् आद्मश्वन) की दरर्ाह के नाम से प्रशसद्ध है। यहााँ कष्ण जन्माष्टमी के ददन वर्शाल
➢ जीणमाता का मेिा– रैर्ासा ग्राम (सीकर)। नर्रात्रा (चैत्र र् आद्मश्वन) मेला लर्ता है।
➢ दमधमवत माता का मेिा– र्ोठ मांर्लोद (नार्ौर)। शुक्ल अष्टमी (चैत्र ➢ मलिक शाह पीर का उसग – पीर दुल्हे शाह की दरर्ाह (पाली)। यह
र् आद्मश्वन) चैत्र कष्ण प्रवतपदा र् वद्वतीया को भरता है।
➢ इंद्रगढ़/बीजासन माता का मेिा– इंद्रर्ढ़ (बूाँदी)। चैत्र र् आद्मश्वन ➢ ऊाँट महोत्सर् - बीकानेर – जनर्री
नर्रात्रा तथा र्ैशाख पूर्णिमा। ➢ मरु महोत्सर् - जैसलमेर - जनर्री-फरर्री
➢ मारकण््ेश्वर मेिा– अंजारी र्ााँर् (शसरोही)। भाद्रपद शुक्ल एकादशी ➢ हाथी महोत्सर् - जयपुर - माचग।
एर्ं र्ैशाख पूर्णिमा। यह मेला र्राशसया समुदाय का प्रशसद्ध मेला है। ➢ मत्थय उत्सर् - अलर्र - शसतम्बर-अक्टू बर
➢ चंद्रप्रभु मेिा– वतजारा (अलर्र)। फाल्र्ुन शुक्ल सप्तमी र् श्रार्ण ➢ ग्रीष्म महोत्सर् (समर फेन्थटर्ल) - माउण्ट आबू एर्ं जयपुर - मई- जून
शुक्ल दशमी ➢ मारर्ाड़ महोत्सर् - जोधपुर - अक्टू बर
➢ सैपऊ महादे ि– सैपऊ (धौलपुर)। फाल्र्ुन र् श्रार्ण मास की चतुदगशी ➢ र्ार्ड़ मेला - डू ाँर्रपुर - नर्म्बर
➢ मनसा माता का मेिा– झुन्झुनूाँ। चैत्र कष्ण अष्टमी र् आद्मश्वन शुक्ल ➢ शरद महोत्सर् - माउण्ट आबू - ददसम्बर
अष्टमी ➢ डीर् महोत्सर् - डीर् (भरतपुर) - जन्माष्टमी
➢ मल्िीनाथ पशु मेिा– वतलर्ाड़ा (बाड़मेर)। यह मेला लूणी नदी के ➢ थार महोत्सर् - बाड़मेर - फरर्री
वकनारे भरता है। चैत्र कष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी (अप्रैल) ➢ मीरा महोत्सर् - मचत्तौड़र्ढ़ - अक्टू बर
तक मेला भरता है। ➢ र्णर्ौर मेला - जयपुर - माचग
➢ श्री बिदे ि पशु मेिा– मेड़ता (नार्ौर)। चैत्र शुक्ल एकम् से पूर्णिमा ➢ बैलून महोत्सर् - बाड़मेर - फरर्री
तक (अप्रैल) मेला भरता है। ➢ सरस मेला (हथतशशल्प)– जयपुर
➢ श्री तेजाजी पशु मेिा– परबतसर (नार्ौर)। श्रार्ण पूर्णिमा से भाद्रपद ➢ शक संर्त् का पहला महीना ‘चैत्र’ एर्ं अंवतम महीना ‘फाल्र्ुन’ होता है।
अमार्थया (अर्थत) तक मेला भरता है। ➢ भारतीय संवर्धान ने शक संर्त् को राष्ट्रीय पंचांर् के रूप में 22 माचग,
➢ श्री गोमतीसागर पशु मेिा– झालरापाटन (झालार्ाड़)। र्ैशाख शुक्ल 1957 को अपनाया था।
त्रयोदशी से ज्येष्ठ कष्ण पंचमी तक (मई) मेला भरता है। ➢ शक संर्त् का प्रारम्भ 78 ई. में कुषाण शासक कवनष्क के काल में हुआ
➢ चन्द्रभागा पशु मेिा– झालरापाटन (झालार्ाड़)। कार्तिक शुक्ल था। यह वग्रर्ेररयन कैलेण्डर से 78 र्षग पीछे रहता है।
एकादशी से मार्गशीषग कष्ण पंचमी तक (नर्म्बर) मेला भरता है। मेला ➢ वर्क्रम संर्त् का प्रारम्भ 57 ई. पू. (B. C.) में हुआ था।
चन्द्रभार्ा नदी के वकनारे भरता है। ➢ इस संर्त् के र्षग का प्रारम्भ ‘चैत्र शुक्ल एकम्’ से होता है एर्ं समान्प्त
➢ जसिंत पशु मेिा– भरतपुर। आद्मश्वन शुक्ल पंचमी से चतुदगशी तक ‘फाल्र्ुन अमार्थया’ को होती है।
मेला भरता है। ➢ यह र्षग वग्रर्ेररयन कैलेण्डर र्षग से 57 र्षग आर्े रहता है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ प्रत्येक वहन्दू माह में दो पक्ष होते हैं:- ➢ ऊब छठ - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी
1. कृष्ण पक्ष/बदी पक्ष – इस पक्ष में 15 ददन होते हैं। अमार्थया ➢ कृष्ण जन्माष्टमी - भाद्रपद कृष्ण अष्टमी। जन्माष्टमी का मेला –
अंवतम ददन। नाथद्वारा (राजसमंद)। इस ददन नरहड़ पीर का उसग – नरहड़ (झुंझुनूाँ)।
2. शुक्ि पक्ष/सुदी पक्ष – इस पक्ष में 15 ददन होते हैं। पूर्णिमा अंवतम ददन। ➢ गोगा निमी - भाद्रपद कृष्ण निमी। इस ददन लोकदे र्ता र्ोर्ाजी की
➢ पूर्णिंमा के टदन आने िािे पिग पूजा की जाती है। हनुमानर्ढ़ जजले में ‘र्ोर्ामेड़ी’ नामक थथान पर मेला
● चैत्र पूर्णिमा– हनुमान जयंती भरता है।
● र्ैशाख पूर्णिमा– पीपल पूर्णिमा एर्ं बुद्ध पूर्णिमा ➢ बछबारस - भाद्रपद कृष्ण द्वादशी। इस ददन र्ाय र् बछड़े का पूजन
● ज्येष्ठ पूर्णिमा– र्ट सावर्त्री व्रत वकया जाता है तथा मवहलाएाँ चाकू से कटी भोजन सामग्री का उपयोर्
● आषाढ़ पूर्णिमा– र्ुरु पूर्णिमा एर्ं कबीर जयंती नहीं करती।
● श्रार्ण पूर्णिमा– रक्षाबन्धन एर्ं नाररयल पूर्णिमा ➢ सवतयााँ अमािस्या - भाद्रपद अमार्थया।
● भाद्रपद पूर्णिमा– उमा महेश्वर व्रत एर्ं श्राद्ध पक्ष का आरम्भ ➢ बाबा री बीज -भाद्रपद शुक्ि वद्वतीया। इस ददन रामदे र् जी का मेला
● आद्मश्वन पूर्णिमा– शरद पूर्णिमा आरम्भ होता है।
● कार्तिक पूर्णिमा– वत्रपुरा पूर्णिमा एर्ं र्ुरुनानक जयंती ➢ हरतालिका तीज - भाद्रपद शुक्ि तृतीया
● फाल्र्ुन पूर्णिमा– होशलका पर्ग ➢ ‘चतड़ा या चतरा चौथ’ या गणेश चतुथी - भाद्रपद शुक्ि चतुथी।
➢ अमािस्या के टदन आने िािे पिग भर्र्ान र्णेश के जन्मददन के उत्सर् को र्णेश चतुथी के रूप में जाना
● श्रार्ण अमार्थया – हररयाली अमार्थया जाता है। र्णेश - चतुथी का उत्सर् 10 ददन के बाद ‘अनन्त चतुदगशी के
● भाद्रपद अमार्थया – सवतया अमार्थया ददन समाप्त’ होता है।
● आद्मश्वन अमार्थया – श्राद्ध पक्ष का समापन ➢ ऋवष पंचमी - भाद्रपद शुक्ि पंचमी। माहेश्वरी समाज में राखी इसी
● कार्तिक अमार्थया – दीपार्ली का पर्ग ददन मनाई जाती है।
● माि अमार्थया – मौनी अमार्थया ➢ राधाष्टमी - भाद्रपद शुक्ि अष्टमी। कष्ण जन्माष्टमी के 15 ददन बाद
➢ नाग पंचमी - श्रािण कृष्ण पंचमी। इस ददन जोधपुर में नार् पंचमी राधाजी के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस ददन अजमेर की
का मेला लर्ता है। वनम्बाकग पीठ ‘सलेमाबाद’ में मेला भरता है।
➢ वन्री निमी - श्रािण कृष्ण निमी। सााँपों के आक्रमण से बचने के ➢ तेजा दशमी - भाद्रपद शुक्ि दशमी। इस ददन मेला – खरनाल
शलए श्रार्ण कष्ण नर्मी को नेर्लों का पूजन वकया जाता है। (नार्ौर)। इस ददन वर्श्वकमाग जयंती भी मनाते हैं।
➢ काममका एकादशी - श्रािण कृष्ण एकादशी। इस व्रत में वर्ष्णु ➢ दे िझूिनी एकादशी - भाद्रपद शुक्ि एकादशी। ठाकुर जी को
भर्र्ान की पूजा की जाती है। काममका एकादशी को वर्ष्णु का सबसे बेर्ाण (वर्मान) में वर्राजमान कर र्ाजे-बाजे के साथ जलाशय पर ले
उत्तम व्रत माना जाता है। जाकर थनान करर्ाया जाता है।
➢ हररयािी अमािस्या– श्रािण अमािस्या। यह त्योहार सार्न में ➢ अनंत चतुदगशी - भाद्रपद शुक्ि चतुदगशी। इसे ‘अनंत व्रत’ भी कहते
प्रकवत में आई बहार की खुशी में मनाया जाता है। इस ददन हैं जजसका अनुष्ठान थत्री - पुरुष दोनों ही करते हैं।
मांर्शलयार्ास (अजमेर) में ‘कल्पर्क्ष का मेला’ भी भरता है। ➢ श्राद्धपक्ष - भाद्रपद पूर्णिंमा। भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आद्मश्वन
➢ श्रािणी तीज या छोिी तीज - श्रािण शुक्ि तृतीया। इस तीज के अमार्थया तक सनातन में वपतों या पूर्गजों की पूजा की जाती हैं।
उपनाम – श्रार्ण तीज, हररयाली तीज, शृंर्ाररक तीज। कहार्त - ➢ सााँझी - भाद्रपद पूर्णिंमा से आणश्वन अमािस्या। इस त्योहार में 15
‘तीज त्योहारा बार्ड़ी, ले डू बी र्णर्ौर’ अथागत् त्योहारों की शुरुआत ददन तक कुाँर्ारी कन्याएाँ भााँवत-भााँवत की सााँझी बनाती है र् पूजा करती
श्रार्ण माह में तीज से होते हुए तथा इसका अंत र्णर्ौर से होता है। हैं।
● ‘जयपुर की तीज की सर्ारी’ प्रशसद्ध है। ➢ शारदीय निराि - आद्मश्वन िुक्ल प्रनतपिा से आद्मश्वन शुक्ल नवमी
● बूूँिी की कजली तीज प्रशसद्ध है। ➢ दुगागष्टमी - आद्मश्वन शुक्ल अष्टमी
● ससिजारा – तीज से एक ददन पूर्ग ससिजारा का त्योहार मनाया जाता है। ➢ दशहरा या विजय दशमी - आणश्वन शुक्ि दशमी। दशहरे के ददन
ससिजारा का अथग – शृंर्ार की सामग्री। रार्ण, कुंभकणग र् मेिनाद के पुतले जलाए जाते हैं। राजथथान में कोटा
का दशहरा मशहूर है। इस ददन दशहरे पर शमी र्क्ष (खेजड़ी) की पूजा
➢ रक्षाबंधन - श्रािण पूर्णिंमा। इसे ‘नाररयल पूर्णिमा या सत्य पूर्णिमा’
की जाती है। लीलटांस पक्षी का दशगन शुभ माना जाता है।
भी कहा जाता है।
➢ शरद पूर्णिंमा - आणश्वन पूर्णिंमा। इसे ‘रास पूर्णिमा’ भी कहते हैं। इस
➢ सािन के सोमिार – यह व्रत, श्रार्ण मास के सभी सोमर्ार को
ददन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से पररपूणग होता है।
भर्र्ान शशर् को समर्पित होकर वकया जाता है।
➢ करिा चौथ - कार्तिंक कृष्ण चतुथी। वर्र्ावहत स्त्थत्रयों द्वारा कार्तिक
➢ कजिी तीज -भाद्रपद कृष्ण तृतीया। उपनाम – सातुड़ी तीज, बड़ी
माह के कष्ण पक्ष की चतुथी को अपने पवत की दीिग आयु के शलए यह
तीज, भादूडी तीज, बूढ़ी तीज, र्ौरी व्रत तीज। यह तीज बूाँदी की प्रशसद्ध
त्योहार मनाया जाता है।
है। कजली तीज का मेला – बूाँदी ।
➢ तुिसी एकादशी - कार्तिंक कृष्ण एकादशी। इस ददन तुलसी का व्रत
➢ हि षष्ठी - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी। इस ददन पुत्रर्ती मवहलाएाँ व्रत रखती
र् पूजन वकया जाता है।
है। इस ददन का प्रतीक मचह्न – हल की पूजा।

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ धनतेरस - कार्तिंक कृष्ण ियोदशी। इस ददन को भर्र्ान धन्र्ंतरी के ➢ होिी - फाल्गुन पूर्णिंमा। रंर्ों का त्योहार। इस ददन वहरण्यकश्यप की
जन्म ददर्स के रूप में भी मनाया जाता है। इस ददन नए बतगन खरीदना आज्ञा पर उसकी बहन होशलका अपने भतीजे प्रह्लाद को र्ोद में लेकर
शुभ माना जाता है। अन्ग्न में प्रवर्ष्ट हुई थी लेवकन प्रह्लाद बच र्या था तथा होशलका जल
➢ रूप चतुदगशी - कार्तिंक कृष्ण चतुदगशी। इसे छोटी दीपार्ली भी कहा र्ई थी। बाड़मेर की पत्थर मार होली में इल्लोजी की बरात भी वनकाली
जाता है। इस ददन का सम्बन्ध सुन्दरता और सौन्दयग से है इसशलए इसे जाती है।
‘रूप चतुदगशी’ कहा जाता है। ➢ धुिं्ी - चैि कृष्ण प्रवतप्रदा। होली के दूसरे ददन धुलंडी मनाई जाती
➢ दीपाििी - कार्तिंक अमािस्या। यह वहन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है।
है। वहिदू मान्यता है वक त्रेतायुर् में भर्र्ान श्रीराम चौदह र्षग के र्नर्ास ➢ राजस्थान की प्रलसद्ध होलियााँ
के पश्चात् लंका पर वर्जय प्राप्त करके अयोध्या आए थे जब अयोध्या ● लट् ठमार होली – महार्ीर जी, करौली
में िर - िर िी के दीपक जलाए र्ए थे। इस ददन आयग समाज संथथापक ● दे र्र –भाभी की होली – ब्यार्र, अजमेर
थर्ामी दयानन्द सरथर्ती एर्ं भर्र्ान महार्ीर का वनर्ागण ददर्स भी ● कोड़ामार होली – द्मभनाय, अजमेर
मनाया जाता है। ● पत्थर मार होली – बाड़मेर
➢ गोिधगन पूजा ि अन्नकूि महोत्सि - कार्तिंक शुक्ि प्रवतपदा। ● भर्ोररया होली – मेर्ाड़ क्षेत्र टे ली ाम चैनल जॉइन कर
दीपार्ली की अर्ली सुबह र्ोर्धगन पूजा होती है। राजथथान में नाथद्वारा ➢ न्हाण – आर्ां र् सांर्ोद, कोटा
का ‘अन्नकूट महोत्सर्’ प्रशसद्ध है। ➢ जमरा बीज - चैत्र कष्ण वद्वतीया ।
➢ भैयादूज - कार्तिंक शुक्ि वद्वतीया। यह पर्ग दीपार्ली के दो ददन बाद ➢ घुड़िा का त्योहार - चैत्र कष्ण अष्टमी
मनाया जाता है। यह भाई - बहन के प्यार का प्रतीक है। ➢ शीतिाष्टमी - चैि कृष्ण अष्टमी। होली के आठर्ें ददन अथागत् चैत्र
➢ गोपाष्टमी - कार्तिंक शुक्ि अष्टमी। इस ददन र्ाय र् बछड़ों की पूजा कष्ण अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है। इस ददन बाथयोड़ा भोजन
तथा र्ाय के दूध र् दूध के बने पदाथों का सेर्न नहीं वकया जाता है। (एक ददन पहले बनाया र्या भोजन) वकया जाता है। इस ददन शील की
➢ आाँििा निम या अक्षय निमी - कार्तिंक शुक्ि निमी। इसे ‘धात्री डू ाँर्री चाकसू, जयपुर, र्ल्लभनर्र (उदयपुर) र् कार्ा, जोधपुर में
नर्मी’ या ‘कूष्माण्ड नर्मी’ भी कहते हैं। शीतला माता का वर्शाल मेला भरता है।
➢ दे िउठनी ग्यारस - कार्तिंक शुक्ि एकादशी। उपनाम – ‘प्रबोमधनी या ➢ निसंित्सर - चैि शुक्ि प्रवतप्रदा। इस ददन नया वर्क्रम संर्त् का
अल्पवनद्रा या दे र्ोत्थान एकादशी’। इसे ‘तुलसी एकादशी’ भी कहा पहला ददन होता है। वहन्दुओं का नर्र्षग इसी ददन से प्रारम्भ होता है।
जाता है। नर्रात्र आरम्भ – इस ददन या नर्रात्रों में मााँ दुर्ाग के नर् रूपों की नौ
➢ दे ि दीपाििी - कार्तिंक पूर्णिंमा। इस ददन भर्र्ान शशर् द्वारा ददनों तक पूजा की जाती है
वत्रपुरासुर नामक राक्षस का र्ध वकए जाने के कारण इसे ‘वत्रपुरा ➢ अरुन्धवत व्रत - चैि शुक्ि प्रवतप्रदा। यह व्रत चैत्र शुक्ल की प्रवतपदा
पूर्णिमा’ भी कहते हैं। इस ददन पुष्कर (अजमेर) में मेला भरता है। से आरम्भ होता है और चैत्र शुक्ल ततीया को समाप्त होता है।
➢ मकर संक्रांवत – सामान्यत: यह त्योहार 14 जनर्री को मनाया जाता ➢ गणगौर - चैि शुक्ि तृतीया। र्णर्ौर में ‘र्ण’ महादे र् का र् ‘र्ौर’
है। पार्गती का प्रतीक है। र्णर्ौर का त्योहार राजथथानी त्योहारों में सबसे
➢ वति चौथ - माघ कृष्ण चतुथी। इसे ‘संकट चौथ, र्क्रतुण्डी चतुथी अमधक र्ीतों र्ाला त्योहार हैं। जैसलमेर में र्णर्ौर का त्योहार नहीं
तथा वतलकुटा चौथ’ भी कहते हैं। इस ददन सर्ाई माधोपुर में चौथ माता मनाया जाता केर्ल सर्ारी वनकाली जाती है। कनगल टॉड ने उदयपुर में
का भव्य मेला भरता है। मनाए जाने र्ाले र्णर्ौर पर्ग का बहुत रोचक र्णगन वकया है।
➢ षिवतिा एकादशी - माघ कृष्ण एकादशी। इस ददन 6 प्रकार के वतलों ● शाही गणगौर की सिारी – जयपुर
का प्रयोर् वकया जाता है जजसके कारण इसका नामकरण ‘षट् वतला ● केिि गिर या वबना ईसर की गणगौर – जैसलमेर
एकादशी’ पड़ा है। ● गुिाबी गणगौर – नाथद्वारा
➢ मौनी अमािस्या - माघ अमािस्या। माि थनान के शलए मौनी ➢ अशोकाष्टमी - चैि शुक्ि अष्टमी। इस ददन अशोक के र्क्ष का पूजन
अमार्थया बहुत ही प्रशसद्ध है। इस ददन मनुथमवत के लेखक आचायग मनु वकया जाता है।
का जन्म हुआ था। ➢ रामनिमी - चैि शुक्ि निमी। भर्र्ान श्रीराम के जन्मोत्सर् के रूप
➢ बसंत पंचमी - माघ शुक्ि पंचमी। यह ददन ऋतुराज बसंत के आर्मन में यह त्योहार मनाया जाता है।
का प्रथम ददर्स माना जाता है। इस ददन मााँ सरथर्ती की पूजा की ➢ हनुमान जयंती - चैत्र पूर्णिमा
जाती है। ➢ आखा तीज या अक्षय तृतीया - िैशाख शुक्ि तृतीया। अबूझ सार्ा।
➢ अचिा सप्तमी - माघ शुक्ि सप्तमी। भर्र्ान सूयग नारायण को इस ददन को बीकानेर थथापना ददर्स के रूप में मनाया जाता है।
प्रसन्न करने के शलए इस ददन सप्तमी का व्रत वकया जाता है। ➢ बुद्ध पूर्णिंमा या पीपि पूर्णिंमा - िैशाख पूर्णिंमा। इस ददन र्ौतम
➢ माघ पूर्णिंमा – इस ददन बेणेश्वर में वर्शाल मेला भरता है। बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्रान्प्त और वनर्ागण हुआ था।
➢ महालशिरावि - फाल्गुन कृष्ण ियोदशी। इस ददन भर्र्ान शशर् र् ➢ िि सावििी व्रत या बड़मािस - ज्येष्ठ अमािस्या। इसे ‘बड़
पार्गती का वर्र्ाह हुआ था। अमार्थया’ कहा जाता है।
➢ ढूाँ ढ - फाल्गुन शुक्ि एकादशी। इस ददन छोटे बच्चों के शलए नवनहाल ➢ गंगा दशहरा - ज्येष्ठ शुक्ि दशमी
से नानी के द्वारा जो ममठाई कपडेे़ खखलौने लाए जाते हैं उसे ढूाँ ढ कहते हैं।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ वनजगिा एकादशी - ज्येष्ठ शुक्ि एकादशी। सभी एकादशी में यह ➢ चेिीचण्् या झूिेिाि जयन्ती – ससिधी समाज द्वारा उनका
सर्ोत्तम हैं। इसका व्रत करने से अन्य सभी एकादशशयों का पुण्य फल जन्मददर्स ‘चेटीचण्ड’ के पर्ग के रूप में मनाया जाता है।
प्राप्त हो जाता है। ➢ असूचं् पिग – फाल्र्ुन शुक्ल चतुदगशी के ददन भर्र्ान झूलेलाल के
➢ योवगनी एकादशी - आषाढ़ कृष्ण एकादशी। अंतधागन होने पर यह पर्ग मनाया जाता है।
➢ दे िशयनी एकादशी - आषाढ़ शुक्ि एकादशी। इस ददन से चार ➢ िोहड़ी -13 जनिरी – लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रान्न्त की पूर्ग संध्या
महीनों तक िे वता शयन करते हैं। इसशलए इस ददन से चार महीने तक पर 13 जनर्री के ददन मनाया जाता है।
कोई भी मांर्शलक कायग वर्र्ाहादद सम्पन्न नहीं वकए जाते हैं। ➢ िैशाखी - 13 अप्रैि। शसखों के 10र्ें र्ुरु र्ोवर्न्द ससिह द्वारा इसी ददन
➢ गुरु पूर्णिंमा या व्यास पूर्णिंमा - आषाढ़ पूर्णिंमा। इस ददन र्ुरु-पूजन आनन्दपुर सावहब, रोपड़ (पंजाब) में ‘खालसा पंथ’ की थथापना (13
की वर्शेष महत्ता है। अप्रैल, 1699) की र्ई थी। इसशलए 13 अप्रैल को यह त्योहार मनाया
➢ जैननयों का सबसे पवर्त्र और महत्त्र्पूणग उत्सर् पयुष ग ण भाद्रपद में जाता है। शसखों के 10र्ें र्ुरु र्ोवर्न्द ससिह ने ‘र्ुरु ग्रन्थ सावहब’ को 13
मनाया जाता है। इस उत्सर् का अंवतम ददन संर्त्सर कहलाता है। अप्रैल, 1669 शसखों का धार्मिक ग्रन्थ िोवषत वकया ।
आद्मश्वन कष्ण प्रवतपदा को क्षमार्ाणी पर्ग के मौके पर सभी श्रार्क एक ➢ गुरुनानक जयन्ती - कार्तिंक पूर्णिंमा
जर्ह एकत्र होकर एक–दूसरे से क्षमा याचना करते हैं। ➢ गुरु गोविन्द लसिंह जयन्ती - पौष शुक्ि सप्तमी। र्ुरु र्ोवर्न्द ससिह
➢ मुसलमानों के उत्सर्ों में ईदुलजुहा, जजसे बकरा ईद भी कहते हैं, शसखों के 10र्ें र् अंवतम र्ुरु थे।
जजलवहज्ज की दसर्ीं तारीख को इब्राहम द्वारा अपने वप्रय पुत्र इथमाइल ➢ वक्रसमस - 25 ददसम्बर को ईसा मसीह का जन्मददन वक्रसमस के रूप
की कुबागनी की याद में मनाया जाता है। में मनाया जाता है।
➢ मुहरगम र्मी के मौके पर र्े दस ददन तक उपर्ास रखते हैं और अंवतम ➢ नििषग टदिस – ईथर्ी सन् की 1 जनर्री को नर्र्षग मनाया जाता है।
ददन मुहम्मद साहब के नाती हुसैन इमाम की कुबागनी के उपलक्ष्य में ➢ ईस्िर – ईसाइयों की मान्यता है वक इस ददन ईसा मसीह पुनजीवर्त हुए थे।
ताजजए वनकालते हैं। ➢ गु् फ्राइ्े – ईथटर के रवर्र्ार के पूर्ग र्ाले शुक्रर्ार को यह त्योहार
➢ शबेरात का त्योहार बड़ी खुशी का होता है। ऐसा माना जाता है वक उस मनाया जाता है। इस ददन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया र्या था।
ददन मानर्ों के कमों की जााँच होकर उनके कमों के अनुसार उनके भाग्य ➢ फड़ मचिण – रेजी अथर्ा खादी के कपड़े पर लोक दे र्ताओं की जीर्न
का वनधागरण वकया जाता है। र्ाथाएाँ, धार्मिक र् पौराद्मणक कथाएाँ र् ऐवतहाशसक र्ाथाओं के मचवत्रत
➢ मुहम्मद साहब के पवर्त्र जन्म एर्ं मरण की थमवत में बारार्फात का थर्रूप को ही ‘फड़’ कहा जाता है। फड़ मचत्रण का मुख्य केन्द्र -
त्योहार मुस्थलम समाज बड़ी श्रद्धा से मनाता है। शाहपुरा (भीलर्ाड़ा)। श्रीलाल जोशी ने ‘फड़’ मचत्रकला को राष्ट्रीय एर्ं
➢ रमजान की समान्प्त का ददन इदुल–वफतर कहलाता है, जजस ददन नई अन्तरागष्ट्रीय थतर पर पहचान ददलाई है। श्रीलाल जोशी को र्षग 2006 में
पोशाक में मुस्थलम समाज आपसी मेल–ममलाप करता ददखाई दे ता है। पद्मश्री से सम्मावनत वकया र्या है।
➢ ईसाई उत्सर्ों में पहली जनर्री, ईथटर र्ुड फ्राइडे, वक्रसमस–डे आदद ➢ पाबूजी की फड़- सबसे लोकवप्रय फड़। फड़ र्ाचक जावत- ‘नायक’
प्रमुख हैं जजन्हें लोर् वर्रजािरों एर्ं ईसाइयों के वनर्ास थथान में बड़े या ‘थोरी जावत’ के भोपे। र्ाद्य यंत्र- रार्णहत्था।
उल्लास से मनाते हैं। ➢ दे िनारायण जी की फड़- फड़ र्ाचक जावत- र्ुजगर जावत के भोपे।
➢ इसमें महार्ीर जयन्ती, नससिह जयन्ती, हनुमान जयन्ती, बुद्धजयन्ती र्ाद्य यंत्र- जंतर। िे वनारायणजी की फड़ राजथिान की फड़ों में
आदद मुख्य है। सवागधिक लोकनप्रय एवं सबसे बड़ी है। र्षग 1992 में भारतीय डाक
➢ ऋषभ जयन्ती – प्रवतर्षग चैत्र कष्ण नर्मी को ऋषभ जयन्ती पर्ग वर्भार् ने दे र्नारायण जी की फड़ पर तथा 2011 में दे र्नारायण जी
मनाया जाता है। इस ददन जैन समाज के प्रथम तीथंकर ऋषभदे र् पर डाक दटकट जारी वकया र्या।
(आददनाथ) का जन्म हुआ था। ➢ रामदे िजी की फड़- फड़ र्ाचक जावत- कामड़ जावत के भोपे। र्ाद्य
➢ महािीर जयन्ती - चैि शुक्ि ियोदशी। जैन धमग के 24र्ें तीथंकर भर्र्ान यंत्र :- रार्णहत्था।
महार्ीर का जन्मददन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को महार्ीर जयन्ती के रूप ➢ सााँझी – सााँझी श्राद्धपक्ष (भाद्रपद पूर्णिमा से आद्मश्वन अमार्थया) में
में मनाते हैं। श्री महार्ीर जी (करौली) में इस ददन वर्शाल मेला भरता है। बनाई जाती है। कुाँर्ारी लड़वकयााँ सााँझी को पार्गती मानकर अच्छे िर र्
➢ सुगंध दशमी पिग - भाद्रपद शुक्ि की दशमी। सुर्ंध दशमी के अलार्ा र्र के शलए कामना करती है। नाथद्वारा के श्रीनाथ के मंददर में ‘केले की
इसे ‘धूप-दशमी’ भी कहा जाता है। सााँझी’ (कदली पत्तों की सााँझी) बनाई जाती है जो सम्पूणग भारत में
➢ रोि तीज-भाद्रपद शुक्ि तृतीया। भाद्रपद शुक्ल ततीया को जैन प्रशसद्ध है। पहले ददन से दसर्ें ददन तक एक या दो प्रतीक ही प्रवतददन
मतानुयायी रोट तीज का पर्ग मनाते हैं जजसमें खीर र् रोटी ‘मोटी ममथसी बनाए जाते हैं, वकन्तु अंवतम पााँच ददन बहुत बड़े आकारों में सााँझी की
रोदटयााँ’ बनाई जाती है। रचना की जाती है, जजसे संझ्या कोट कहते हैं।
➢ पड़िा ढोक – यह ददर्म्बर जैन समाज का क्षमायाचना पर्ग है जो ➢ पाने – राजथथान में वर्द्मभन्न पर्ग त्योहारों एर्ं मांर्शलक अर्सरों पर
आद्मश्वन कष्ण प्रवतपदा (एकम्) को मनाया जाता है। कार्ज पर बने दे र्ी-दे र्ताओं के मचत्रों को प्रवतमष्ठत वकया जाता है, जजन्हें
➢ थदड़ी या बड़ी सातम - भाद्रपद कृष्ण सप्तमी। ‘पाने’ कहा जाता है। राजथथान में लक्ष्मीजी, र्णेशजी, राम-कष्ण,
➢ चािीहा महोत्सि – ससिध प्रांत के बादशाह मखशाह के जुल्मों से श्रर्ण कुमार, श्रीनाथजी रामदे र्जी, र्ोर्ाजी, दे र्नारायण जी, के पाने
परेशान होकर शसन्धी समाज के लोर्ों ने 40 ददन तक व्रत वकया तथा प्रमुख हैं। श्रीनाथ जी का पाना सबसे अमधक कलात्मक है, जजसमें 24
चालीसर्ें ददन झूलेलाल का अर्तार हुआ। शर्
ृं ारों का मचत्रण हैं।

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➢ मां्णा – वर्र्ाह पर र्णेशजी, लक्ष्मीजी के पैर, थर्ास्थतक आदद के ● गिरी दे िी - बीकानेर
साथ ही र्लीचा, मोर-मोरनी, र्मले, कशलयााँ, बन्दनर्ार बच्चे के जन्म ● मांगी बाई - उदयपुर
पर र्लीचा, फूल, थर्ास्थतक, रक्षाबंधन पर श्रर्णकुमार, र्णर्ौर पर
र्ुणों (एक ममठाई) का जोड़ िेर्र, लहररया तीज पर भी िेर्र, लहररया


जमीिा बानो - जोधपुर
बन्नो बेगम – जयपुर
टे ली ाम चैनल जॉइन कर
चौक, फूल, बर्ीचा आदद वर्शेष रूप से बनाए जाते हैं। यदद कोई ➢ मांगणणयार गामयकी – बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर में मांर्द्मणयार जावत
तीथगयात्रा कर सकुशल िर लौट आता है तो इस खुशी में ‘पुष्कर पेड़ी’ के लोर्ों द्वारा अपने यजमानों के यहााँ मांर्शलक अर्सरों पर र्ाई जाने
तथा ‘पथर्ारी’ मांडी जाती है। माण्डणों में वत्रकोण, चतुष्कोण, र्ाली लोक र्ायन शैली है। प्रशसद्ध कलाकार – पिश्री लाखा खााँ (ससिधी
षट् कोण, अष्टकोण, र्त्त आदद आकवतयााँ भी बनाई जाती हैं। सारंर्ी) साफर खााँ मांर्द्मणयार, र्फूर खााँ मांर्द्मणयार, सद्दीक खााँ
➢ चौकड़ी– होली के अर्सर पर बनाया र्या मांडणा, जजसमें चार कोण (खड़ताल र्ादक)
होते हैं। ➢ िंगा गामयकी – बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर एर्ं जैसलमेर जजले के
➢ मोर्ी – दद्मक्षणी-पूर्ी राजथथान में मीणा जनजावत की मवहलाओं द्वारा पद्मश्चमी क्षेत्रों में मांर्शलक अर्सरों एर्ं उत्सर्ों पर लंर्ा जावत के र्ायकों
िरों में बनाई जाने र्ाली मोर की आकवत का मांडणा। द्वारा र्ायी जाने र्ाली र्ायन शैली है। प्रमुख कलाकार - फूसे खााँ,
➢ पगल्या – मांडणे को पूजा-पाठ के अर्सर पर आराध्य दे र् के िर में महरदीन लंर्ा, करीम खााँ लंर्ा
पदागपण की अद्मभलाषा में उनके पदमचह्नों को प्रतीक रूप में तथा उनके ➢ तािबंदी गामयकी – ब्रजक्षेत्र के साधु पूर्ी राजथथान में आकर रहने
थर्ार्त हेतु िर के आाँर्न र् पूजा के थथान पर मचवत्रत वकया जाता है। लर्े तथा इन साधुओं द्वारा इस लोक र्ायन शैली का प्रचलन वकया र्या
राजथथान के मांडणों में इनका मचत्रण सर्ागमधक होता हैं। था।
➢ गोदना – वकसी तीखे औजार से शरीर की ऊपरी चमड़ी खोदकर उसमें ➢ कव्िाि – सूफी परम्परा के र्ायक। कव्र्ाली इनकी र्ायन शैली है,
काला रंर् भरने से चमड़ी में पक्का वनशान बन जाता है, जजसे र्ोदना जजसका आवर्ष्कार अमीर खुसरो ने वकया।
कहा जाता है। ➢ ढाढ़ी– पद्मश्चमी राजथथान की र्ायक – र्ादक जावत।
➢ मेहंदी– राजथथान में मेहंदी के शलए सोजत (पाली) प्रशसद्ध है। ➢ ममरासी – मुस्थलम र्ायक जावत जो लोककाव्य को पीढ़ी दर पीढ़ी
➢ पथिारी – र्ााँर्ों में पथरक्षक के रूप में पूजे जाने र्ाले थथल को जीवर्त रखती है।
पथर्ारी कहा जाता है। तीथग यात्रा पर जाते समय इसकी पूजा की जाती ➢ मांगणणयार– ये जावत जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर में वनर्ास करने र्ाली
है। र्ायक र्ादक जावत है। प्रमुख र्ाद्ययंत्र – कामायचा, खड़ताल।
➢ थापे – मवहलाओं द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में वर्द्मभन्न त्योहार र् उत्सर्ों पर ➢ भाि – भाट अपने यजमानों की र्ंशार्शलयााँ शलखते हैं और उनका
परम्परार्त रंर्ों द्वारा वकया र्या मचत्रण ‘थापा’ कहलाता है। बखान करते हैं।
➢ वपछिाई – श्रीनाथजी के थर्रूप के पीछे बड़े आकार के कपड़े के पदों ➢ ढोिी – मांर्शलक अर्सरों पर ढोल बजाने र्ाली जावत। इन्हें दमामी,
पर वकया र्या मचत्रण, ‘वपछिाई’ कहलाता है। यह नाथद्वारा मचत्रशैली नक्कारची, जार्ड़ आदद भी कहा जाता है।
की मौशलक दे न है। वपछर्ाई मचत्रण का प्रमुख वर्षय ‘श्रीकृष्ण-िीिा’ ➢ िंगा – पद्मश्चमी राजथथान में वनर्ास करने र्ाली र्ायक र् र्ादक जावत
है। लंर्ा मुस्थलम होते हुए भी वहन्दू त्योहार मनाते हैं र् जोर्माया को मानते
➢ बिे िड़े या थापड़ा – सूखे उपलों (र्ोबर) को सुरद्मक्षत रखने के शलए हैं। प्रमुख र्ाद्य - सारंर्ी
बनाई र्ई आकवतयााँ। ➢ भिाई– नाचने-र्ाने र्ाली इस जावत की उत्पशत्त केकड़ी (अजमेर) से
➢ िीि – ग्रामीण अंचलों में मवहलाओं द्वारा र्ह सज्जा एर्ं दै वनक उपयोर् नार्ाजी जाट से मानी जाती है। मेर्ाड़ क्षेत्र में रहने र्ाली इस जावत का
की चीजों को सुरद्मक्षत करने के शलए वनर्मित ममट् टी की महलनुमा मचवत्रत ‘भर्ाई’ नत्य नवश्व में प्रशसद्ध है।
कलाकवत। मेिर्ाल जावत की मवहलाएाँ इस कला में दक्ष होती हैं। ➢ रािि– मारर्ाड़ के सोजत-जैतारण क्षेत्र, बीकानेर तथा मेर्ाड़ के कुछ
➢ सोहररयााँ – भोजन सामग्री रखने के ममट् टी के बने कलात्मक पात्र। क्षेत्रों में पाई जाने र्ाली संर्ीत जीर्ी जावत जजसकी रम्मतें वर्ख्यात हैं।
➢ भराड़ी – भील जनजावत में लड़की के वर्र्ाह पर िर की दीर्ार पर रार्ल जावत चारणों को अपना यजमान मानती है।
बनाया जाने र्ाला लोक दे र्ी भराड़ी का मांर्शलक मचत्र। ➢ कामड़ – इस जावत के लोर् बाबा रामदे र्जी के परमभक्त है। कामड़
➢ हीड़ – ममट् टी का बना हुआ पात्र, जजसमें ग्रामीण अंचलों में दीपार्ली जावत की स्त्थत्रयााँ तेरहताली नत्य में प्रर्ीण होती हैं।
के ददन बच्चे तेल र् रूई के वबनौले जलाकर अपने पररजनों के यहााँ जाते ➢ भोपा– कथार्ाचक, जो फड़ का श्रोताओं के सम्मुख ओजपूणग रूप से
हैं और बड़ों का आशीर्ागद प्राप्त करते हैं। हमियों की चूमड़यााँ, आभूषण र्णगन करता है। दे र्रे का मुख्य भोपा पाटर्ी कहलाता है।
एर्ं अन्य सजार्टी सामान बनाने का कायग जयपुर में होता है। ➢ सरगड़ा - ढोि िादक जावत।
➢ माण्् गामयकी – 10र्ीं सदी में जैसलमेर क्षेत्र को माण्ड कहा जाता ➢ कानगूजरी– मारर्ाड़ की र्ायक जावत जो राधा-कष्ण के भशक्त र्ीतों
था तथा इस क्षेत्र में वर्कशसत र्ायन शैली को माण्ड र्ायन शैली कहा का र्ायन रार्णहत्था के साथ करती है।
र्या है। ➢ जोगी– नाथ पंथ के अनुयायी, जो र्ाने बजाने का काम करते हैं।
● अल्िाह जजिाह बाई- बीकानेर। र्षग 1982 में ‘पद्मश्री’ अलंकरण से ➢ करणा भीि–जैसलमेर का प्रशसद्ध नड़ र्ादक।
सम्मावनत। प्रमुख र्ीत – “केसररया बालम आर्ो नी पधारो म्हारे ➢ गिरी बाई– कष्ण भशक्त के कारण ‘र्ार्ड़ की मीरा’ की उपमा।
दे श……”। मरणोपरान्त राजथथान रत्न पुरथकार से र्षग 2012 में ➢ सद्दीक खााँ मांगणणयार– वर्श्व प्रशसद्ध मांर्द्मणयार र्ायक एर्ं खड़ताल
सम्मावनत। र्ादक थे।
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➢ सिाई प्रताप लसिंह– ये थर्यं भी 'ब्रजवनमध' उपनाम से काव्य रचना ➢ कुरजााँ – वर्रवहणी द्वारा कुरजााँ पक्षी के माध्यम से अपने वप्रयतम को
करते थे। उन्होंने संर्ीत का वर्शाल सम्मेलन कराकर संर्ीत के प्रशसद्ध संदेश भेजती हुई अपने वर्रह में र्ीत र्ाती है।
ग्रन्थ 'राधार्ोवर्न्द संर्ीत सार' की रचना करर्ाई, जजसके लेखन में ➢ पणणहारी – इस लोकर्ीत में थत्री के पवतव्रत धमग पर अटल रहना बताया
उनके राज कवर् दे र्र्षि ब्रजपाल भट्ट का महत्त्र्पूणग योर्दान रहा। उनके र्या है। पानी भरने र्ाली थत्री को पद्मणहारी कहते हैं।
दरबार में बाईस प्रशसद्ध संर्ीतज्ञों एर्ं वर्द्वानों की मंडली 'र्ंधर्ग बाईसी’ ➢ कांगलसयो – इस र्ीत में पवत द्वारा उपहार में ददया र्या कांर्शसयो
थी। दे र्र्षि द्वारकानाथ भट्ट, ब्रजपाल भट्ट, चााँद खााँ, र्णपत भारती पड़ोसन द्वारा ले जाने पर पत्नी द्वारा बताया जाता है।
आदद उनके प्रशसद्ध दरबारी संर्ीतज्ञ थे। ➢ वहचकी– अलर्र-मेर्ात का प्रशसद्ध र्ीत है। ऐसी धारणा है वक वकसी
➢ पं. रविशंकर – ये वर्श्व के शीषगथथ शसतारर्ादकों में से एक थे जजन्होंने के द्वारा याद वकए जाने पर वहचकी आती है।
भारतीय संर्ीत को वर्दे शों तक में लोकवप्रय बनाया है। ➢ मचरमी – इस लोकर्ीत में मचरमी के पौधे को संबोमधत कर नई-नर्ेली
➢ पं. विश्वमोहन भट्ट– जयपुर के वर्श्व प्रशसद्ध शसतारर्ादक थे र्धू द्वारा अपने भाई र् वपता की प्रतीक्षा के समय की मनोदशा को
➢ जयपुर घराना- प्रितगक मनरंर् (भूपत खााँ दशागती है।
➢ पटियािा घराना– प्रितगक फतेह अली (आशलया फत्तू) एर्ं अली ➢ काजलियो – एक शंर्ाररक र्ीत है, जो वर्शेषकर होली के अर्सर पर
बख्श चंर् पर र्ाया-बजाया जाता है।
➢ बीनकार घराना– जयपुर प्रितगक – रज्जब अली खााँ बीनकार ➢ झोरािा – जैसलमेर जजले में पवत के परदे स जाने पर उसके वर्योर् में

ै मा ीलटे
➢ अतरौिी घराना प्रर्तगक – साहब खााँ एर्ं अल्लाददया खााँ र्ाए जाने र्ाले र्ीत।
➢ अल्िाटदया घराना प्रितगक – अल्लाददया खााँ ➢ कामण - वर्र्ाह में र्र को जादू-टोने से बचाने हेतु र्ाए जाने र्ाले र्ीत।
➢ मेिाती घराना प्रितगक – उथताद िग्िे नजीर खााँ ➢ दुपट्टा– शादी के अर्सर पर दूल्हे की साशलयों द्वारा र्ाए जाने र्ाला
्ागर घराना प्रितगक – बहराम खााँ डार्र र्ीत।
रक नइॉज लनच

➢ जयपुर का सेवनया घराना प्रितगक – सूरत सेन ➢ जिा और जिाि– र्धू के िर से स्त्थत्रयााँ जब र्र की बरात का डेरा
➢ रंगीिा घराना प्रितगक – रमजान खााँ (ममयााँ रंर्ीले) दे खने जाती है, तब यह र्ीत र्ाया जाता है।
➢ आगरा घराना प्रितगक – हाजी सुजान खााँ ➢ बन्ना-बन्नी - वर्र्ाह के अर्सर पर र्ाए जाने र्ाले र्ीत।
➢ ग्िालियर घराना प्रितगक – अब्दुला खााँ एर्ं काददर बख्श खााँ ➢ पीठी– वर्र्ाह के अर्सर पर दोनों पक्ष के यहााँ र्र-र्धू को नहलाने से
➢ वकराना घराना प्रितगक – बन्दे अली खााँ पूर्ग पीठी या उबटन लर्ाते हैं, जजससे उनमें रूप वनखार आए, उस समय
➢ टदल्िी घराना प्रितगक - सदारंर् (वनयामत खााँ) पीठी र्ीत र्ाया जाता है।
➢ जयपुर का कत्थक घराना प्रितगक – भानूजी ➢ कुकड़िू– शादी के अर्सर पर जब दूल्हा तोरण पर पहुाँचता है तो
➢ लसिंधी सारंगी िादक- पिश्री लाखा खााँ मवहलाएाँ ये र्ीत र्ाती है।
➢ तबिा िादक– अल्लारक्खा खााँ, भर्ानी शंकर, उथताद जावकर हुसैन। ➢ पािणा– नए दामाद के ससुराल में आने पर स्त्थत्रयों द्वारा ‘पार्णा’ र्ीत
➢ सुरबहार िादक– अन्नपूणाग दे र्ी (पं. रवर्शंकर की पत्नी) र्ाए जाते हैं। ये र्ीत भोजन कराते समय र् उसके बाद र्ाए जाते हैं।
➢ लसतार िादक– भारत रत्न पं. रवर्शंकर ➢ बीरा गीत– बीरा नामक लोकर्ीत ढूाँ ढाड़ अंचल में भात सम्पन्न होने के
➢ बााँसुरी िादक– हररप्रसाद चौरशसया, थर्. श्री पन्ना लाल िोष समय र्ाया जाता है।
➢ सारंगी िादक –रामनारायण, उथताद सुल्तान खााँ। ➢ रातीजगा– वर्र्ाह, पुत्र जन्मोत्सर्, मुंडन आदद शुभ अर्सरों पर अथर्ा
➢ संतूर िादक– पं. शशर् कुमार शमाग। मनौती पूणग होने पर रात-भर जार् कर र्ाए जाने र्ाले वकसी दे र्ता के
➢ शहनाई िादक– भारत रत्न उथताद वबस्थमल्लाह खााँ । र्ीत ‘रातीजर्ा’ कहलाते हैं।
➢ गोरबन्द– रेवर्थतानी क्षेत्र में ऊाँट का शंर्ार करते समय र्ाया जाने र्ाला ➢ पीपिी– शेखार्ाटी तथा मारर्ाड़ के क्षेत्र में प्रचशलत है। यह र्ीत एक
र्ीत है। र्ोरबन्द ऊाँट के र्ले का आभूषण है। वर्रवहणी के प्रेमोद्गारों को अद्मभव्यक्त करता है, जजसमें पत्नी अपने
➢ मूमि – शंर्ाररक लोकर्ीत जजसमें लोद्रर्ा की राजकुमारी मूमल का परदे सी पवत को बुलाती है।
नखशशख र्णगन वकया र्या है। ➢ गणगौर गीत– र्णर्ौर पर स्त्थत्रयों द्वारा र्ाया जाने र्ाला प्रशसद्ध
➢ पपैयो – इस लोकर्ीत में प्रेममका अपने प्रेमी को बार् में आकर ममलने लोकर्ीत
को कहती है। दाम्पत्य प्रेम का पररचायक। ➢ सीठणे– इन्हें ‘र्ाली’ र्ीत भी कहते हैं। ये वर्र्ाह समारोहों में हाँसी-
➢ ढोिामारु– शसरोही का लोकवप्रय र्ीत है। इस लोकर्ीत में ढोला-मरर्ण दठठोली से भरे इन र्ाली र्ीतों से तनमन सरोबार हो उठता है।
की प्रेम- कथा का र्णगन वकया जाता है। ➢ हीं्ो या वहिं्ोल्या– श्रार्ण मास में राजथथानी मवहलाएाँ झूला झूलते
➢ सूिटियां– मेर्ाड़ क्षेत्र में र्ाया जाने र्ाला वर्रह र्ीत है। इस र्ीत में समय यह लाशलत्यपूणग र्ीत र्ाती हैं।
भील थत्री परदे स र्ए पवत को संदेश भेजती है। ➢ घुड़िा – मारर्ाड़ क्षेत्र में र्ाया जाने र्ाला लोकर्ीत है। यह शीतलाष्टमी
➢ घूमर– राजथथान के राज्य नत्य िूमर के साथ र्ाए जाने र्ाला र्ीत। यह से र्णर्ौर तक कन्याओं द्वारा र्ाया जाने र्ाला लोकर्ीत है।
र्णर्ौर के त्योहार एर्ं वर्शेष पर्ों-उत्सर्ों पर र्ाया जाता है। ➢ बीछू ड़ो– हाड़ौती क्षेत्र का एक लोकवप्रय र्ीत है। जजसमें एक पत्नी,
➢ ओल्यूाँ– बेटी की वर्दाई पर िर की स्त्थत्रयों के द्वारा र्ाया जाने र्ाला जजसे वबच्छू ने डस शलया है और मरने र्ाली है, अपने पवत को दूसरा
लोकर्ीत। वर्र्ाह करने का संदेश दे ती है।

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➢ कागा – इसमें वर्रवहणी नावयका कौए को संबोमधत करके अपने ➢ हािररया– जैसलमेर क्षेत्र में बच्चे के जन्म के अर्सर पर र्ाई जाने
वप्रयतम के आने का शुर्न मनाती है और कौए को प्रलोभन दे कर उड़ने र्ाली लोकर्ीत शृंखला जजसमें दाई, हारलोर्ोरा, धतूरी, खााँखलो र्
को कहती है। खटोडली आदद प्रमुख है।
➢ सुपणा– वर्रवहणी के थर्प्न से सम्बस्न्धत र्ीत। ➢ हिेिी संगीत– मंददरों में वर्कशसत संर्ीत धारा। नाथद्वारा, कांकरोली,
➢ पंछीड़ा– हाड़ौती र् ढूाँ ढाड़ क्षेत्र में मेलों के अर्सर पर अलर्ोजे, ढोलक जयपुर, कोटा, भरतपुर आदद के मंददरों में हर्ेली संर्ीत की परम्परा
र् मंजीरे के साथ र्ाया जाने र्ाला लोकर्ीत। आज भी जीवर्त है।
➢ तेजा गीत - खेती शुरू करते समय तेजाजी की भशक्त में वकसानों द्वारा ➢ घूमर नृत्य उद्गम – मारर्ाड़। उपनाम - राजथथान की आत्मा, रजर्ाड़ी
र्ाया जाता है। नत्य र् नत्यों का शसरमौर। यह नत्य मांर्शलक अर्सर र् त्योहारों पर
➢ जीरो– इस र्ीत में र्धू अपने पवत से जीरा नहीं बोने की वर्नती करती वकया जाता है। िूमर में 8 मात्रा की ‘कहरर्े’ की वर्शशष्ट चाल का प्रयोर्
है। वकया जाता है इसे ‘सर्ाई’ कहते हैं। लहंर्े के िेरे को िूम्म कहते हैं।
➢ इं्ोणी– इंडोणी शसर बोझा रखने हेतु सूत, मूंज, नाररयल की जट या मुख्य र्ाद्य-यंत्र - ढोल, नर्ाड़ा, शहनाई आदद होते हैं।
कपड़े की बनाई र्ई र्ोल चकरी है। इंडोणी पर स्त्थत्रयों द्वारा पानी भरने ➢ ढोि नृत्य– भीनमाल, जालोर का ढोल नत्य प्रशसद्ध है। यह पुरुषों द्वारा
जाते समय यह र्ीत र्ाया जाता है। ही वकया जाता है। इस नत्य को प्रकाश में लाने का श्रेय भूतपूर्ग मुख्यमंत्री
➢ िांगुररया– करौली क्षेत्र की कुल दे र्ी ‘कैला दे र्ी’ की आराधना में र्ाए श्री जयनारायण व्यास को है। इस नत्य में ढोल थाकना शैली में बजाया
जाने र्ाले र्ीत। करौली क्षेत्र में शीतला माता के पूजन के साथ ही जाता है जजसमें एक साथ चार-पााँच ढ़ोल बजाए जाते हैं।
लांर्ुररया पूजन होता है। ➢ घुड़िा नृत्य– यह मारर्ाड़ का प्रमुख लोक नत्य है जो शीतला अष्टमी
➢ रलसया - ब्रज, भरतपुर, धौलपुर आदद क्षेत्रों में र्ाए जाने र्ाले र्ीत। से लेकर र्णर्ौर त्योहार तक वकया जाता है। यह मवहलाओं एर्ं
➢ हरजस– राजथथानी मवहलाओं द्वारा र्ाए जाने र्ाले र्े सर्ुणभशक्त के कन्याओं द्वारा वकया जाता है। इसमें र्े अपने शसर पर छोटे -छोटे छे द
लोकर्ीत, जजनमें मुख्यत: राम और लक्ष्मण दोनों की लीलाओं का र्णगन र्ाली मटकी रखती हैं इस मटकी में दीपक जलाकर रखा जाता हैं।
होता है। राजथथान संर्ीत नाटक अकादमी के भूतपूर्ग मंत्री कोमल कोठारी ने
➢ जकमड़यां - यह पीर ओशलयां की प्रशंसा में र्ाया जाने र्ाला धार्मिक िुड़ला को राष्ट्रीय मंच प्रदान वकया, जजससे राजथथानी कला आमजन
र्ीत है। में लोकवप्रय बनी।
➢ िािणी– लार्णी का अथग ‘बुलाने’ से है। नायक के द्वारा नावयका को ➢ चरकुिा नृत्य– सर्ागमधक प्रचलन भरतपुर जजले में। यह नत्य भर्र्ान
बुलाने के अथग में लार्णी र्ाई जाती है। शंर्ाररक र् भशक्त संबंधी श्रीकष्ण की प्रेयसी राधा की थमवत में बैलर्ाड़ी के पवहए पर 108 दीपक
लार्द्मणयााँ प्रशसद्ध हैं। मोरध्र्ज, भरथरी आदद प्रमुख लार्द्मणयााँ हैं। जलाकर वकया जाता है।
➢ घोड़ी– लड़के के वर्र्ाह पर वनकासी पर र्ाए जाने र्ाले र्ीत। ➢ हुरंगा नृत्य– डीर् (भरतपुर) में होली के अर्सर पर वकया जाने र्ाला
➢ बीणजारा– यह एक प्रश्नोत्तर परक र्ीत है। इस र्ीत में पत्नी पवत को प्रशसद्ध नत्य है।
व्यापार हेतु प्रदे श जाने की प्रेरणा दे ती है। ➢ नाहर नृत्य– यह नत्य मांडलर्ढ़ (भीलर्ाड़ा) में होली के अर्सर पर
➢ िािर - यह पर्गतीय क्षेत्रों में आददर्ाशसयों के द्वारा र्ाया जाने र्ाला वकया जाता है। इस नत्य को प्रारंभ करने का श्रेय बादशाह शाहजहााँ को
र्ीत है। जाता है।
➢ कोयिड़ी– पररर्ार की स्त्थत्रयााँ र्धू को वर्दा करते समय वर्दाई र्ीत ➢ गींदड़ नृत्य– शेखार्ाटी में केर्ल पुरुषों द्वारा वकया जाने र्ाला नत्य।
कोयलड़ी र्ाती है। इस नत्य में पुरुष पात्र जो मवहला का थर्ांर् धरते हैं, उन्हें ‘र्णर्ौर’ कहते
➢ हरणी– यह र्ीत दीपार्ली के त्योहार पर 10-15 ददन पहले मेर्ाड़ क्षेत्र हैं।
में छोटे -छोटे बच्चों की टोशलयों द्वारा िर-िर जाकर र्ाया जाता है। इसे ➢ नेजा नृत्य– यह एक खेल नत्य है, जजसका प्रचलन डू ाँर्रपुर-खैरर्ाड़ा
लोर्ड़ी र्ीत भी कहते हैं। के आददर्ासी मीणों एर्ं भीलों में अमधक दे खने को ममलता है। यह नत्य
➢ दारूड़ी– यह र्ीत रजर्ाड़ों में शराब पीते समय र्ाया जाता है। होली के बाद तीसरे ददन आयोजजत होता है।
➢ आल्हा - यह र्ीत सहररया जनजावत के द्वारा र्षाग ऋतु में र्ाया जाता ➢ बम या बमरलसया नृत्य– अलर्र और भरतपुर (मेर्ात क्षेत्र) का
है। प्रशसद्ध। इस नत्य में बम के साथ रशसया र्ाने के कारण बमरशसया
➢ हमसीढ़ो– मेर्ाड़ क्षेत्र में श्रार्ण या फाल्र्ुन मास में भील थत्री-पुरुषों कहलाता है। यह नत्य पुरुषों द्वारा वकया जाता हैं। एक वर्शाल नर्ाड़े
द्वारा साथ में ममलकर र्ाया जाने र्ाला युर्ल र्ीत है। पटे ल्या, लालर, को ही ‘बम’ कहा जाता है। बम के साथ ढोल, मंजीरा, थाली, मचमटा
वबमछयो आदद आददर्ासी (मेवाड़) क्षेत्र में र्ाए जाने र्ाले लोकर्ीत हैं। र्ाद्यों की संर्त शलए नतगक वनकल पड़ते हैं।
➢ जच्चा – पुत्र जन्मोत्सर् पर र्ाया जाने र्ाला सामूवहक मंर्ल र्ीत। इसे ➢ भैरि नृत्य या मयूर नृत्य– होली के दो ददन बाद ब्यार्र में बीरबल मेला
‘जच्चा/होलर’ भी कहा जाता है। में बादशाह की सर्ारी वनकाली जाती है। इस सर्ारी में बीरबल द्वारा
➢ मोररया - वर्र्ाह की प्रतीक्षा में बाशलका द्वारा र्ाया जाने र्ाला र्ीत। मयूर नत्य या भैरर् नत्य वकया जाता है। जो इस मेले का मुख्य केंद्र होता
➢ िोटिया – स्त्थत्रयों द्वारा चैत्र मास में त्योहार के दौरान तालाबों और कुओं है।
से पानी से भरे लौटे और कलश लाए जाने के दौरान र्ाया जाता है। ➢ पेजण नृत्य– यह नत्य बााँसर्ाड़ा में दीपार्ली पर नारी का रूप धारण
‘चोक च्यानणी’ र्ीत र्णेश चतुथी महोत्सर् में र्ाए जाते हैं। वकए हुए पुरुषों द्वारा वकया जाता है।

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➢ मोवहिी नृत्य– यह नत्य धाररयावाद, प्रतापर्ढ़ क्षेत्र का प्रशसद्ध ➢ िािर नृत्य – थत्री-पुरुषों द्वारा वकए जाने र्ाला र्ालर शसरोही क्षेत्र के
र्ैर्ावहक नत्य है। र्राशसयों का प्रशसद्ध नत्य है। इस धीमी र्वत के नत्य में वकसी र्ाद्य का
➢ खारी नृत्य– मेर्ात (अलर्र) में दुल्हन की वर्दाई पर उनकी सहेशलयों प्रयोर् नहीं होता है। यह नत्य अद्धग र्त्त में वकया जाता है। दो अद्धग र्त्तों
द्वारा अपने हाथों की चूमड़यााँ बजाते हुए वकया जाने र्ाला नत्य है। में पुरुष बाहर र् मवहलाएाँ अन्दर रहती है। नत्य को प्रारम्भ एक पुरुष
➢ चंग नृत्य– शेखार्ाटी क्षेत्र में होली के अर्सर पर केर्ल पुरुषों द्वारा हाथ में छाता या तलर्ार लेकर करता है।
वकया जाने र्ाला नत्य है। जजसमें प्रत्येक पुरुष के पास चंर् होता है तथा ➢ िूर नृत्य– इस नृत्य में लूर र्ौत्र की मवहलाओं द्वारा मुख्यत: मेले र्
र्े चंर् बजाते हुए र्त्ताकार नत्य करते हैं। इस नत्य में धमाल तथा होली वर्र्ाह के अर्सर पर वकया जाने र्ाला नत्य हैं।
के र्ीत र्ाए जाते हैं। ➢ कूद नृत्य– यह र्राशसया जनजावत का एक युर्ल नत्य (थत्री-पुरुष) है।
➢ ढप नृत्य– यह नत्य बसंत पंचमी के अर्सर पर शेखार्ाटी क्षेत्र में वकया ➢ मांदि नृत्य– यह र्राशसया मवहलाओं द्वारा वकया जाता हैं।
जाता है। यह नत्य ढप र् मंजीरें बजाते हुए वकया जाता है। ➢ जिारा नृत्य– र्राशसया थत्री-पुरुषों द्वारा होली दहन से पूर्ग वकया जाने
➢ ्ांम्या नृत्य– यह मारर्ाड़ क्षेत्र का प्रशसद्ध लोक नत्य है। र्ाला सामूवहक नत्य हैं।
➢ वबिंदौरी नृत्य– यह झालार्ाड़ क्षेत्र का र्ैर शैली का प्रशसद्ध नत्य है। यह ➢ मोररया नृत्य– र्राशसया पुरुषों द्वारा वर्र्ाह के अर्सर पर वकया जाने
होली या वर्र्ाहोत्सर् पर पुरुषों द्वारा वकया जाता है। र्ाला नत्य है।
➢ ्ांग नृत्य– यह नाथद्वारा क्षेत्र, राजसमंद में होली के अर्सर पर पुरुषों ➢ होिी नृत्य– होली के अर्सर पर मवहलाओं द्वारा र्ीत र्ाते हुए र्ोले में
द्वारा वकया जाने र्ाला नत्य है। वकया जाने र्ाला नत्य है।
➢ चरी नृत्य– वकशनर्ढ़ (अजमेर) क्षेत्र में र्ुजगर मवहलाओं द्वारा वकया ➢ मािलिया नृत्य– यह नर्रात्र में नौ ददनों तक पुरुष द्वारा वकया जाने
जाने र्ाला प्रशसद्ध नत्य। इस नत्य की वर्श्व प्रशसद्ध नत्यांर्ना फलकूबाई र्ाला नत्य है।
है। ➢ झे िा नृ त्य– यह बारााँ के शाहबाद की सहररया जनजावत का न त्य
➢ गैर नृत्य– मेर्ाड़ और बाड़मेर क्षेत्र में होली के अवसर पर पुरुष लकड़ी है ।
की छमड़यााँ लेकर र्ोल िेरे में नत्य करते हैं। यही नत्य ‘र्ैर नत्य’ के नाम ➢ लशकारी नृत्य– यह सहररया जनजावत का नत्य है। यह जनजावत बारााँ
से प्रशसद्ध है। यह पुरुषों द्वारा वकया जाता है। जजले की वकशनर्ंज र् शाहबाद तहसीलों में वनर्ास करती है।
➢ आंवगया गैर या आंगी-बांगी– लाखेटा र्ााँर् (बाड़मेर)। ➢ भिाई नृ त्य– यह न त्य भर्ाई जावत में प्रचशलत होने के कारण इसका
➢ तििार गैर (एक हाथ में तििार एक हाथ में म्यान) – मेनार (मेणार) नाम ‘भर्ाई’ पड़ा। भर्ाई न त्य के प्रर्तग क ‘बािाजी (नार्ोजी)’ है
र्ााँर् (उदयपुर) की तलर्ारों की र्ैर प्रशसद्ध है। परन्तु इस नत्य को वर्शशष्ट पहचान भारतीय लोक-कला मण्डल
➢ रणबाजा नृत्य– यह एक युद्ध नत्य है, जजसका प्रचलन मेर्ात क्षेत्र की (उदयपु र ) के सं थथापक दे र्ीलाल सामर ने दयाराम भील के माध्यम
मेर् जावत में दे खने को ममलता है। से ददलाई। प्रमुख भर्ाई कलाकार– रूपससि ह शे खार्त, दयाराम र्
➢ रतिाई नृत्य– यह नत्य मेर्ात क्षेत्र की मवहलाओं द्वारा वकया जाता है। तारा शमाग
➢ कािबेलिया नृत्य– र्ुलाबो इस नत्य की प्रमुख नत्यार्ंना है, जजसने ➢ तेरहतािी नृत्य कामड़ पंथ की मवहलाओं द्वारा वकया जाता है इसमें
कालबेशलया नत्य पूरे वर्श्व में प्रशसद्ध वकया। यूनेथको द्वारा र्षग 2010 मवहलाएाँ 13 मंजीरे बााँधकर बैठकर यह नत्य करती हैं। इस नत्य में
में इस नत्य को वर्श्व धरोहर में शाममल वकया र्या। कामड़ पंथ के पुरुष मंजीरा, तानपुरा तथा चौतारा र्ाद्ययंत्र बजाते हैं।
➢ शंकररया नृत्य– यह प्रेम कहानी पर आधाररत एक युर्ल नत्य है। इस नत्य के प्रमुख कलाकार है – मांर्ीबाई र् लक्ष्मणदास
➢ पणणहारी नृत्य– यह मवहला प्रधान नत्य है जो राजथथानी लोकर्ीत ➢ चकरी नृत्य – यह व्यार्सावयक नत्य है जो छबड़ा एर्ं वकशनर्ंज
‘पद्मणहारी’ पर वकया जाता हैं। (बारााँ) में कंजर जावत की मवहलाओं द्वारा वकया जाता है।
➢ इण््ोणी नृत्य– यह कालबेशलयों का प्रशसद्ध युर्ल नत्य है। ➢ कच्छी घोड़ी नृत्य – शेखार्ाटी क्षेत्र में वकया जाने र्ाला प्रशसद्ध
➢ बागमड़या नृत्य– यह नत्य कालबेशलया स्त्थत्रयों द्वारा वकया जाता है। व्यार्सावयक नत्य। प्रशसद्ध कलाकार - जोधपुर का छर्रलाल र्हलोत
➢ गिरी या राई नृत्य– उदयपुर संभार् (मेर्ाड़ क्षेत्र) में भील पुरुषों द्वारा तथा वनर्ाई (टोंक) के र्ोवर्न्द पारीक। मुख्य र्ाद्ययंत्र – झााँझ
वकया जाने र्ाला धार्मिक नत्य है। इसका आयोजन रक्षाबंधन के अर्ले ➢ अम्ग्न नृत्य– दहकते अंर्ारों पर महकते फूलों की तरह जसनाथी
ददन से भाद्रपद प्रवतपदा से आद्मश्वन शुक्ल एकादशी (40 ददन) तक नत्य सम्प्रदाय के लोर्ों द्वारा वकया जाने र्ाला प्रमुख नत्य। इस नत्य का
नादटका के रूप में मंमचत वकया जाता है। इस लोक नत्य में शशर् और उद्भर् थथल कतररयासर (बीकानेर) माना जाता हैं। आद्मश्वन, माि र् चैत्र
भथमासुर की पौराद्मणक कथा का आयोजन होता है। मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को जसनाथी शसद्धों का अन्ग्न नत्य
➢ युद्ध नृत्य– इस नत्य में मेर्ाड़ क्षेत्र के भील पुरुषों द्वारा हाथों में हशथयार आयोजजत होता है।
लेकर नत्य वकया जाता है। ➢ ईिा-ईिी नृत्य– ईलोजी (ईला) राजा वहरण्यकश्यप के बहनोई थे।
➢ हाथीमना नृत्य– इस नत्य का आयोजन वर्र्ाह के अर्सर पर केर्ल ईलोजी की सर्ारी बाड़मेर में वनकलती है।
पुरुषों द्वारा वकया जाता है। ➢ गोगा नृत्य– लोकदे र्ता र्ोर्ाजी की आराधना में वकया जाने र्ाला
➢ वद्वचक्री नृत्य– वर्र्ाह के अर्सर पर भील पुरुषों र् मवहलाओं द्वारा दो नत्य। यह नत्य मुख्य रूप से र्ोर्ा नर्मी (भाद्रपद कष्ण नर्मी) पर
र्त्त बनाकर वकया जाने र्ाला नत्य है। जहााँ र्ोर्ाजी के मेले भरते हैं, र्हााँ वकया जाता है।
➢ घूमरा नृत्य– मेर्ाड़ क्षेत्र (बााँसर्ाड़ा) क्षेत्र की भील मवहलाओं द्वारा ➢ थािी नृत्य– यह नत्य पाबूजी के भक्तों द्वारा फड़ बााँचते समय वकया
वकया जाता है। जाता है।
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➢ ख्याि– ख्याल लोकनाट्य की र्ह वर्धा है, जजसमें वकसी ऐवतहाशसक, ➢ नौिं की– भरतपुर, धौलपुर, अलर्र, र्ंर्ापुर, करौली र् सर्ाईमाधोपुर।
धार्मिक या पौराद्मणक आख्यान को पद्यबद्ध रचनाओं के रूप में अलर्– प्रर्तगक – भूरीलाल (डीर् वनर्ासी)
अलर् पात्रों द्वारा र्ाकर प्रथतुत वकया जाता है। राजथथान के लोकनाट्यों ➢ गिरी– र्र्री एक धार्मिक लोकनाट्य है, जो शशर् भथमासुर की कथा
में ख्याल सबसे लोकवप्रय नाट्य वर्धा हैं। इस लोकनाट्य में सूत्रधार को पर आधाररत है। र्र्री का संचालन एर्ं वनयंत्रण संर्ीत द्वारा होता है।
‘हिकारा’ कहते हैं। उपनाम :- लोक नाट्यों का मेरू नाट्य, लोक नाट्यों की आत्मा। मुख्य
➢ तुराग किंगी ख्याि– प्रितगक – मुस्थलम पीर शाह अली (शशक्त पात्र– बुदढ़या। सूत्रधार – कुटकुमड़यां। इस लोकनाट्य की प्रथतुवत के
उपासक) तथा वहन्दू संत तुक्कनर्ीर (शशर् उपासक)। प्रशसद्ध समय नत्य वकया जाता है जजसे ‘र्र्री की िाई’ कहते हैं।र्ळार्न-
कलाकार – चेतराम, ओंकारससिह, हमीद बेर् और ताराचन्द। प्रचलन बळार्न की रथम से र्र्री की वर्दाई होती है।
क्षेत्र - वनम्बाहेड़ा, िोसूण्डी (मचत्तौड़र्ढ़) नीमच (मध्य प्रदे श) ➢ स्िांग- भीलर्ाड़ा। नाहरों का थर्ांर् का आयोजन माण्डल, भीलर्ाड़ा
➢ अिी बख्शी ख्याि– मुण्डार्र, अलर्र से कोटपुतली र् जयपुर। में वकया जाता है। थर्ांर् र्ााँर्ों में अमधक प्रचशलत है। बहरूवपया या
प्रर्तगक - राजा अलीबक्श (रसखान) भाण्ड - थर्ांर् रचने र्ाले कलाकार। प्रमुख कलाकार - परशुराम भाण्ड
➢ कुचामनी ख्याि - नार्ौर र् वनकटर्ती क्षेत्र। प्रर्तगक – लच्छीराम। (केलर्ा), जानकीलाल (मंकी मैन)
प्रशसद्ध कलाकार – उर्मराज। र्ाद्ययंत्र - ढोल, शहनाई, सारंर्ी। इसका ➢ चारबैत- टोंक। प्रारंभ – नर्ाब फैजुल्ला खााँ के समय। प्रर्तगक - करीम
रूप ऑपेरा जैसा है। खााँ वनहंर्। प्रमुख र्ाद्ययंत्र – डफ
➢ हेिा ख्याि– लालसोट (दौसा), करौली, सर्ाई माधोपुर। प्रर्तगक - ➢ रासिीिा – फुलेरा, जयपुर असलपुर, हरदोणा, र्ुण्डा आदद। प्रमुख
शायर हेला र्ाद्ययंत्र – नोबत। वर्शेषता - इस ख्याल की प्रमुख वर्शेषता वर्षय - भर्र्ान श्रीकष्ण के बाल्यकाल और वकशोरार्थथा की लीलाओं
‘हेला दे ना’ (लम्बी टे र में आर्ाज दे ना) है। का प्रथतुतीकरण। राजथथान में प्रर्तगक - शशर्लाल कुमार्त
➢ शेखािािी ख्याि– शेखार्टी क्षेत्र के मचड़ार्ा, खण्डेला, सीकर। ➢ रामिीिा– मेिाड़, जयपुर, अलर्र, भरतपुर,करौली आदद। रामलीला
प्रर्तगक – नानूराम। प्रशसद्ध कलाकार– दुशलया राणा (नानूराम के के प्रथतुतीकरण में भरतपुर, पाटू दा तथा वबसाऊ की अपनी अलर्
शशष्य)। नानूराम द्वारा रमचत हीर-रााँझा, ढोला-मरर्ण, हररशचन्द्र, पहचान है। प्रर्तगक – तुलसीदास। प्रमुख वर्षय - भर्र्ान श्रीराम की
अल्हादे र्, भतगहरर, जयदे र् कलाली आदद लोकवप्रय ख्याल है। जीर्न र्ाथा
➢ जयपुरी ख्याि- जयपुर एर्ं वनकटर्ती क्षेत्र। प्रर्तगक – भूपत खां / ➢ सनकाटदकों की िीिाएाँ – शरद पूर्णिमा के अर्सर पर िोसूण्डा एर्ं
मनरंर्। इस ख्याल की वर्शेषता हैं की थत्री पात्रों की भूममका का वनर्गहन बथसी में सनकाददक लीलाओं का आयोजन वकया जाता है।
स्त्थत्रयााँ ही करती है। ➢ गौरिीिा – र्ोर का आयोजन र्राशसयों द्वारा र्ैशाख शुक्ल चतुदगशी
➢ कन्हैया ख्याि– करौली, सर्ाई माधोपुर, धौलपुर, भरतपुर र् दौसा। को ‘भख्योर की र्णर्ोर’ के नाम से वकया जाता है।
इसमें मुख्य कहानी को ‘कहन’ कहा जाता है तथा ख्याल का मुख्य पात्र ➢ गभागधान– र्भागधान के पूर्ग उमचत काल और आर्श्यक धार्मिक
‘मेमड़या’ होता है। वक्रयाएाँ की जाती हैं। यह वहन्दू धमग में प्रथम संथकार है।
➢ भेंि के दं गि – धौलपुर ➢ पुंसिन– र्भग में स्थथत शशशु को पुत्र का रूप दे ने के शलए दे र्ताओं की
➢ ढप्पिी ख्याि– अलर्र, भरतपुर थतुवत कर पुत्र प्रान्प्त की याचना करना पुंसर्न संथकार कहलाता है।
➢ रम्मत- जैसलमेर, फलोदी र् बीकानेर। मुख्य र्ाद्य - नर्ाड़ा, ढोलक, ➢ सीमन्तोन्नयन– र्भगर्ती थत्री को अमंर्लकारी शशक्तयों से बचाने के
तबला, झााँझ, मचमटा, तंदूरा र् हारमोवनयम आदद। प्रमुख वर्षय – शलए वकया र्या संथकार। याज्ञर्ल्क्य थमवत के अनुसार यह संथकार
चौमासा, लार्णी, र्णपवत र्ंदना, रामदे र्जी के भजन आदद। तेज कवर् र्भगधारण के छठें से आठर्ें मास के मध्य तक वकया जा सकता है।
जैसलमेरी ने रम्मत का अखाड़ा ‘श्रीकष्ण कम्पनी’ के नाम से प्रारम्भ ➢ जातकमग– ये संथकार शशशु के जन्म के बाद वकया जाता है।
वकया था। 1943 में तेजकवर् ने ‘थर्तंत्र बार्नी' की रचना कर इसे ➢ नामकरण– शशशु का नाम रखने के शलए जन्म के 10र्ें या 12र्ें ददन
महात्मा र्ााँधी को भेट वकया। रम्मत की मूल ऊजाग ‘टे ररये’ होते हैं। प्रमुख वकया जाने र्ाला संथकार।
रम्मत कलाकार - श्री मनीराम व्यास, फार्ू महाराज, सुआ महाराज, ➢ वनष्क्रमण– वनष्क्रमण संथकार बालक के जन्म के 12र्ें ददन से 4 महीने
तेज कवर्, थर्. श्री रामर्ोपाल मेहता, सांई सेर्र्, र्ंर्ादास सेर्र्, तक कभी भी बालक को सूयग अथर्ा चन्द्र दशगन करर्ाने के शलए वकया
सूरज,काना, जीतमल एर्ं र्ोडाजी आदद। जाता है।
➢ तमाशा – जयपुर का प्रशसद्ध लोक नाट्य। जयपुर महाराजा प्रतापससिह ➢ अन्नप्राशन – जन्म के छठें मास में बालक को पहली बार अन्न का
ने तमाशा के प्रमुख कलाकार बंशीधर भट् ट को अपने र्ुणीजनखाने में आहार दे ने की वक्रया। इसे दे शाटन या अन्नप्राशन संथकार भी कहा जाता
प्रश्रय दे कर इस नाट्य वर्धा को प्रोत्सावहत वकया। कलाकार – है।
र्ोपीकष्ण भट्ट, फूलजी भट्ट, र्ासुदेर् भट्ट। यह खुले मंच पर प्रथतुत ➢ चूड़ाकमग – शशशु के पहले या तीसरे र्षग में शसर के बाल पहली बार
वकया जाता है जजसे ‘अखाड़ा’ कहते हैं। मुण्डर्ाने पर वकया जाने र्ाला संथकार।
➢ भिाई – राजथथान में र्ुजरात के सीमार्ती क्षेत्र में भर्ाई जावत द्वारा ➢ कणगिेध – शशशु के तीसरे एर्ं पााँचर्ें र्षग में वकया जाने र्ाला संथकार,
नत्य नादटका प्रशसद्ध हैं जजसे ‘भर्ाई’ कहते हैं। प्रर्तगक - बािोजी। शांता जजसमें शशशु के कान बींधे जाते हैं।
र्ााँधी द्वारा शलखखत नाटक ‘जथमा ओडन’ ने भारत और भारत के बाहर ➢ विद्यारम्भ – 5 र्षग की आयु में जब बच्चे की वर्द्या प्रारंभ करनी होती
भी भर्ाई नाट्य का प्रदशगन वकया है। है तब दे र्ताओं की थतुवत कर र्ुरु के समीप बैठकर अक्षर ज्ञान करर्ाने
हेतु वकया जाने र्ाला संथकार।
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➢ उपनयन – इस संथकार द्वारा बालक को शशक्षा के शलए र्ुरु के पास ले ➢ सािौ– वर्र्ाह का शुभ मुहूतग।
जाया जाता था। ➢ पीिी मचट्ठी– सर्ाई के पश्चात् वर्र्ाह वतशथ तय करर्ाकर कन्या पक्ष
➢ िेदारम्भ – र्ेदों के पठन-पाठन का अमधकार लेने हेतु वकया र्या की ओर से र्ैर्ावहक कायगक्रम एक कार्ज में शलखकर एक नाररयल के
संथकार। साथ र्र के वपता के पास द्मभजर्ाया जाता है। इसे लग्न पवत्रका या सार्ा
➢ केशान्त या गोदान – सामान्यतः 16 र्षग की आयु में वकया जाने र्ाला भी कहते हैं।
संथकार, जजसमें ब्रह्मचारी की दाढ़ी एर्ं मूाँछ को पहली बार काटा जाता ➢ गणपवत पूजन– वर्र्ाह से कुछ ददन पूर्ग र्र एर्ं र्धू दोनों ही पक्ष र्ाले
है। अपने िरों में र्णेशजी की थथापना करते हैं, तावक वर्र्ाह संबंधी सम्पूणग
➢ समाितगन या दीक्षान्त संस्कार – शशक्षा समान्प्त पर वकया जाने र्ाला कायग मंर्लपूणग तरीके से सम्पन्न हो सके।
संथकार, जजसमें वर्द्याथी अपने आचायग को र्ुरुदद्मक्षणा दे कर उसका ➢ कुंकुम पविका– वर्र्ाह कायगक्रम हेतु यह दोनों पक्षों द्वारा छपर्ाई जाती
आशीर्ागद ग्रहण करता था तथा थनान करके िर लौटता था। थनान के है। राजथथान में इसकी प्रथम प्रवत रणथम्भौर स्थथत वत्रनेत्र र्णेशजी
कारण ही ब्रह्मचारी को ‘थनातक‘कहा जाता था। अथर्ा अन्य वकसी र्णेश मजन्दर में भेजने का ररर्ाज है।
➢ वििाह संस्कार – र्हथथाश्रम में प्रर्ेश के अर्सर पर वकया जाने र्ाला ➢ इकताई– इसमें र्र-र्धू की शादी के जोड़े का दजी नाप लेता है।
संथकार। ➢ रीत– वर्र्ाह वनद्मश्चत होने पर लड़के र्ालों की तरफ से लड़की को भेजे
➢ अंत्येवष्ट – यह मत्यु पर वकया जाने र्ाला दाह संथकार। मानर् जीर्न जाने र्ाले उपहार।
का अंवतम संथकार। ➢ मुगधणा– वर्र्ाह में भोजन पकाने के शलए काम में ली र्ई लकमड़यााँ।
➢ आठिााँ पूजन – र्भगर्ती थत्री के र्भग को जब सात मास पूणग हो जाते ➢ कांकन्ोरा बााँधना– वर्र्ाह के पूर्ग र्र र् र्धू के हाथ में बााँधा र्या
हैं तो आठर्ें मास में आठर्ााँ पूजन महोत्सर् मनाया जाता है। लाल मोली का धार्ा कांकनडोरा बााँधना कहा जाता है। इस डोरे में
➢ आख्या – बच्चे के जन्म के आठर्ें ददन बहनें आख्या करती हैं तथा मोरफली, लाख र् लोहे के छल्ले वपरोए जाते हैं। एक कांकन डोरा र्र
सखखया (मांर्शलक मचह्न) भेंट करती हैं। के दावहने हाथ पर बााँधा जाता है, और दूसरा डोरा र्धू को भेजा जाता
➢ दसोिण – जोधपुर राजिराने में पुत्र जन्म के बाद 10र्ें ददन अशौच है।
शुजद्ध के अर्सर पर वकया जाने र्ाला समारोह। ➢ परणेत– वर्र्ाह से संबंमधत र्ीत।
➢ जामणा – पुत्र जन्म पर नाई बालक के पर्ल्ये (सफेद र्थत्र पर हल्दी ➢ बत्तीसी नूतना या भात नूतना – इसमें र्र तथा र्धू की माता अपने
से अंवकत पद मचह्न) लेकर उसके नवनहाल जाता है। तब उसके नाना या पीहर र्ालों को वनमंत्रण दे ने र् पूणग सहयोर् की कामना प्राप्त करने
मामा उपहार थर्रूप र्थत्राभूषण, ममठाई लेकर आते हैं, जजसे ‘जामणा‘ जाती है।
कहा जाता है। ➢ मायरा या भात– लड़की के वर्र्ाह के समय नवनहाल पक्ष द्वारा अपनी
➢ न्हािण या न्हाण – प्रसूता का प्रथम थनान र् उस ददन का संथकार। आर्थिक क्षमता के अनुसार धन दे ना।
➢ सतिाड़ौ –प्रसर् के सातर्ें ददन का प्रसूता द्वारा वकया र्या थनान। ➢ बनौिा या बंदौिा – बनौला से तात्पयग आमंवत्रत करना है। इस प्रथा
➢ पनघि पूजन – बच्चे के जन्म के कुछ ददनों उपरान्त ‘कुआाँ पूजन’ की के अन्तर्गत पररर्ार के सभी लोर् बनौला दे ने र्ाले के यहााँ खाना खाते
रथम मनाई जाती है। इस प्रथा को ‘कुआाँ पूजन’ या ‘जलर्ा पूजन‘ भी हैं। बनौला पररर्ार के ररश्तेदार या ममत्र दे ते हैं।
कहते हैं। ➢ वनकासी या वबन्दोरी – वर्र्ाह से एक ददन पूर्ग र्र या र्धू को िोड़ी
➢ ढूाँ ढ– बच्चे के जन्म के बाद प्रथम होली पर नवनहाल पक्ष की ओर से पर वबठाकर र्ाजे-बाजे के साथ र्ााँर् या कथबे में िुमाया जाता है। इसे
उपहार, कपड़े, ममठाई र् फूल भेजे जाते हैं। वनकासी या वबन्दौरी कहते हैं।
➢ गोद िेना– इस रथम का उद्दे श्य र्ंश चलाना होता है। वकसी दम्पती के ➢ बानौ– वर्र्ाह की रथम प्रारम्भ करने का प्रथम ददन।
संतान नहीं होने पर र्ह अपने ररश्तेदारों अथर्ा अपने वकसी संबंधी की ➢ सांकड़ी की रात– वर्र्ाह से संबंमधत रथम। इसमें बरात वर्दा होने से
संतान को र्ोद ले कर अपनी ही संतान की तरह उसका पालन पोषण एक ददन पहले रात को ‘मेल की र्ोठ’ होती है।
करते एर्ं अमधकार प्रदान करते हैं। ➢ रोड़ी पूजन– इसमें रावतजोर्ा के दूसरे ददन बरात रर्ाना होने के पूर्ग
➢ सम्बन्ध तय करना– सामान्यत: संबंध माता-वपता द्वारा तय वकए जाते स्त्थत्रयााँ र्र को िर के बाहर कूड़े-कचरे की रोड़ी या थेपड़ी पूजने के शलए
हैं तथा संबंधी, ममत्र, पुरोवहत अथर्ा नाई मध्यथथ का कायग करते हैं। ले जाती हैं।
➢ सगाई– वकसी लड़की वर्र्ाह हेतु लड़का वनद्मश्चत करना। इस ररर्ाज के ➢ जानोिण– र्र पक्ष की ओर से ददया जाने र्ाला भोज।
अनुसार लड़के के िर नाररयल र् रुपया आदद भेजते हैं। र्ार्ड़ क्षेत्र में ➢ ि्ार– कायथथ जावत में वर्र्ाह के छठे ददन र्धू पक्ष की ओर से र्र
इसे ‘सपर्ण’ अथर्ा ‘टे र्शलया’ कहते हैं। राजपूतों में र्र के वपता द्वारा पक्ष को ददया जाने र्ाला भोज।
अफीम अथर्ा केसर िोलकर उपस्थथत सभी लोर्ों की मनुहार की जाती ➢ बरात– वनधागररत वतशथ को र्र पक्ष के ममत्र, ररश्तेदार एर्ं पररमचत लेकर
है, इसे ‘सर्ाई का अमल या दथतूर’ कहा जाता है। र्धू पक्ष के िर के शलए प्रथथान करते हैं। जहााँ बरात को डेरे (वनद्मश्चत
➢ िीका– इस अर्सर पर र्धू पक्ष र्ाले र्र को चौकी पर वबठा कर उसका थथल) पर ठहराया जाता है।
वतलक (टीका) कर अपने सामथ्यागनुसार उसे भेंट प्रदान करते हैं। ➢ ढु काि– र्र जब िोड़ी पर बैठकर र्धू के िर पहुाँचता है तो र्ह ढु कार्
➢ मचकणी कौथिी– सर्ाई के बाद र्र को मुख्य रूप से र्णेश चतुथी कहलाता है।
पर तथा र्धू को छोटी तीज, बड़ी तीज र् र्णर्ौर पर उपहार भेजे जाते ➢ कुंिारी जान का भात– बरात का थर्ार्त करने के पश्चात् बरात को
हैं। करर्ाया जाने र्ाला भोजन।
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➢ िूं टिया– बरात रर्ाना होने के बाद र्र पक्ष के यहााँ स्त्थत्रयों द्वारा वर्र्ाह ➢ विदाई – इसमें र्र और र्धू के र्थत्रों के छोर परथपर बााँधे जाते हैं और
का थर्ांर् रचना र् हाँसी-दठठोली करना टूं दटया कहलाता है। इस रथम का दोनों की अंर्ुशलयों में चार्ल के दाने रखे जाते हैं। र्धू के पररर्ार की
प्रारंभ श्रीकष्ण-रुक्मणी के वर्र्ाह से माना जाता है। स्त्थत्रयााँ र्धू को वर्दा करने के शलए वर्दाई र्ीत र्ाती हैं जजसे ‘कोयलड़ी‘
➢ मां्ा झांकना– दामाद का पहली बार ससुराल आना। र्ीत कहते हैं।
➢ सामेिा या मधुपकग या ठु मािा – जब बरात र्धू के यहााँ पहुाँचती है तो ➢ पैसरो – वर्र्ाह के बाद दूल्हे के िर के आाँर्न में सात थाशलयों की कतार
र्र पक्ष से नाई और ब्राह्मण बरात के आने की सूचना र्धू पक्ष को दे ता को दूल्हे द्वारा तलर्ार से ईधर-उधर सरकाना और दुल्हन द्वारा जेठानी
है। बदले में उसे उमचत पाररतोवषक ददया जाता है। तत्पश्चात् र्धू पक्ष के साथ ममलकर संग्रह करने की रथम।
र्ाले बरात की अर्र्ानी (थर्ार्त) करते हैं जजसे सामेला या ठु मार् या ➢ हथबौिणो – नर् आर्ंतुक र्धू का प्रथम पररचय।
मधुपकग कहते हैं। ➢ जुआ-जुई – वर्र्ाह के दूसरे ददन खाने के पश्चात् दोपहर को एक बतगन
➢ बरी पड़िा– र्र पक्ष र्धू के शलए पोशाक और आभूषणों को लेकर में जल और दूध भरकर र्र-र्धू के सामने रखकर उसमें पैसा/अाँर्ूठी
आता है, उसे बरी कहते हैं। डाल दी जाती है। र्र या र्धू में से जजसके हाथ में अाँर्ूठी आ जाती है
➢ तोरण मारना– वर्र्ाह के अर्सर पर दूल्हे द्वारा दुल्हन के िर के मुख्य र्ही वर्जयी माना जाता है।
द्वार पर लटके तोरण पर छड़ी लर्ाना तोरण मारना कहलाता है। ➢ बढ़ार – यह वर्र्ाह के दूसरे ददन र्र पक्ष द्वारा अपने ररश्तेदारों र्
➢ जेिड़ौ– तोरण पर सास द्वारा दूल्हे को आाँचल से बााँधने की रथम। ममत्रर्णों को ददया जाने र्ाला भोज है जजसे आजकल आशीर्ागद
➢ झािा-ममिा की आरती तोरण द्वार पर सास अथर्ा बुआ सास द्वारा समारोह तथा अंग्रेजी में ररसेप्शन (Reception) कहते हैं।
की जाने र्ाली वर्शेष प्रकार की मांर्शलक आरती। ➢ बरोिी – वर्र्ाह के बाद र्धू के थर्ार्त में वकया जाने र्ाला भोज।
➢ वबनोिा – दूल्हा – दुल्हन की जूवतयााँ। ➢ हीरािणी – वर्र्ाह के समय नर्र्धू को ददया जाने र्ाला कलेर्ा।
➢ कन्यािि – वर्र्ाह के ददन र्धू के माता-वपता र् भाई-बहनों द्वारा वकया ➢ नवनहारी – राजथथान में वपता द्वारा बेटी को वर्र्ाह के बाद प्रथम बार
जाने र्ाला उपर्ास, कन्यार्ल कहलाता है। वर्दा करर्ाकर लाने की परम्परा ‘नवनहारी’ कहलाती है।
➢ िधू के तेि चढ़ाना – बरात आने के बाद र्धू के अन्न्तम बार पीठी की ➢ ररयाण – पद्मश्चमी राजथथान में वर्र्ाह के दूसरे ददन अफीम द्वारा
जाती है और तेल चढ़ाया जाता है। तेल चढ़ाने के बाद वर्र्ाह होना मेहमानों की मान-मनर्ार करना ‘ररयाण‘कहलाता है।
जरूरी है। ➢ सोिा सोिी – शादी के बाद र्र-र्धू नीम की छमड़यों से र्ोल-र्ोल
➢ फेरे – फेरों को सप्तपदी भी कहते हैं। यह वर्र्ाह की सबसे महत्त्र्पूणग िूमकर ‘सोटा सोटी का खेल’ खेलते हैं।
रथम होती है। इस रथम के अनुसार र्र अपनी र्धू का हाथ अपने हाथ ➢ छात – वर्र्ाह में नाई द्वारा वकए जाने र्ाले दथतूर वर्शेष पर ददया जाने
में लेकर (हथलेर्ा जोड़ना) अन्ग्न के चारों ओर िूमकर सात फेरे लेता र्ाला नेर्।
है। ➢ बािाचूनड़ी – मामा द्वारा र्धू की माता के शलए लाई र्ई ओढ़नी।
➢ कन्यादान – इस रथम के अनुसार र्धू के माता-वपता र्धू का हाथ र्र ➢ कंिरजोड़ – मामा द्वारा र्धू (भाणजी) के शलए लाई र्ई ओढ़नी।
के हाथ में दे ते हैं। ➢ बयाणौ या वबहांणा – वर्र्ाह के समय प्रात:काल में र्ाए जाने र्ाले
➢ बासी मुजरा (पेसकारा)– वर्र्ाह के दूसरे ददन जहााँ बरात ठहराई र्ीत।
जाती है र्हााँ से र्र पुनः र्धू के यहााँ नाश्ता करने आता है, इस अर्सर ➢ खोि या छोि – वर्र्ाह के बाद दुल्हन की झोली भरने की रथम।
पर मांर्शलक र्ीत र्ाए जाते हैं। ➢ जात दे ना – वर्र्ाह के दूसरे ददन र्र र् र्धू र्ााँर् में अपने दे र्ी-दे र्ताओं
➢ जेिनिार– र्धू के िर पर बारात को चार जेर्नर्ार (भोज) करर्ाने का के थथान पर प्रसाद चढ़ाकर धोक दे ते हैं, इसे जात दे ना कहते हैं।
ररर्ाज है। ➢ बैकुण्ठी – मत व्यशक्त के शरीर को बााँस अथर्ा लकड़ी की शैय्या पर
➢ सीख (भेंि)– राजथथान में वर्र्ाह के बाद र्र-र्धू एर्ं बरावतयों को श्मशान िाट ले जाया जाता है उसे ‘अथी’ या ‘बैकुण्ठी’ कहा जाता है।
सीख दे कर वर्दा वकया जाता है। ➢ बखेर अथिा उछाि – र्द्ध (वर्शेषत:) व्यशक्त की मत्यु होने पर
➢ ऊझणौ (ओझण)– र्धू पक्ष द्वारा र्र पक्ष को ददए जाने र्ाले राशश एर्ं श्मशान ले जाते समय राह में पैसे वबखेरना।
उपहार। ➢ दं ्ोत – बैकुंठी के आर्े मत व्यशक्त अथर्ा मवहला के बच्चे, पोते आदद
➢ मांमािा– वर्र्ाह में कन्या की सास के शलए भेजी जाने र्ाली भेंट जजसमें दं डर्त प्रणाम करते हुए चलते हैं।
नर्द, ममठाई एर्ं सोने/चााँदी की एक कटोरी भेजी जाती है। ➢ वपिं्दान – शर् को श्मशान ले जाते समय प्रथम चौराहे पर वपिडदान
➢ पहरािणी– बरात वर्दा करते समय प्रत्येक बराती तथा र्र-र्धू को वकया जाता है। आटे से बना वपिड, र्ाय को खखलाया जाता है। अथी को
यथा शशक्त धन ददया जाता है। इसे पहरार्णी की रथम, समठणी या चार व्यशक्त काँधा दे ते हैं जजसे काँधा दे ना कहते हैं।
रंर्बरी कहते हैं। पहले सभी बरावतयों को पर्ड़ी पहनाई जाती थी। ➢ आधेिा – िर और श्मशान तक की यात्रा के बीच में चौराहे पर बैकुण्ठी
इसशलए इसे ‘पहरार्णी’ कहा जाता था। की ददशा पररर्तगन की जाती है। यह वक्रया आधेटा कहलाता है।
➢ मुकिािा या गौना – वर्र्ावहत अर्यथक कन्या को र्यथक होने पर उसे ➢ िांपा –अन्त्येवष्ट की वक्रया हेतु अन्ग्न की आहूवत सबसे बड़ा बेटा अथर्ा
अपने ससुराल भेजना ‘मुकलार्ा‘ करना या ‘र्ौना‘ कहलाता है। वनकट के भाई द्वारा की जाती है जजसे िौपा या िांपा कहते हैं।
र्तगमान में पररपक्र् अर्थथा में वर्र्ाह होने के कारण र्ौना वर्र्ाह के ➢ अंत्येवष्ट – श्मशान में शर् को लकड़ी से बनाई र्ई मचता पर रख ददया
साथ ही कर ददया जाता है। जाता है। मतक का पुत्र तीन पररक्रमा करने के बाद मचता को मुखान्ग्न
दे ता है। कपाल फटने के बाद मतक का पुत्र एक बााँस पर कटा नाररयल
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बााँधकर उसमें िी भरकर मतक की कपाल पर उड़ेल दे ता है। इस रथम ➢ रामानन्दी सम्प्रदाय– रामानन्द। प्रमुख पीठ - र्लताजी (जयपुर)।
को ‘कपाल वक्रया’ कहते हैं। रामानन्द के 12 शशष्य - अनन्त, सुखानंद, सुरसुरानंद, नरहरयानंद,
➢ सांतरिाड़ा – सांतरर्ाड़ा रथम के तहत मत्यु के पश्चात् 12 ददन तक भार्ानंद, कबीर (जुलाहा), पीपा (राजपूत), धन्ना (जाट), रैदास
वकसी थथान पर ‘तापड़’ वबछा कर बैठा जाता है। (चमगकार), सेना (नाई), सुरसुरी, पिार्ती र् आदद।
➢ भदर – वकसी की मत्यु हो जाने की स्थथवत में शोक थर्रूप अपने बाल, ➢ वनम्बाकग सम्प्रदाय– आचायग वनम्बाकग (12 र्ीं सदी में)। रमचत भाष्य -
दाढ़ी, मूाँछ इत्यादद कटर्ा लेना ‘भदर’ कहलाता है। र्ेदान्त पाररजात। प्रर्र्तित दशगन - द्वै ताद्वै त या भेदाभेद। प्रमुख पीठ -
➢ फूि एकि करना – मत्यु के तीसरे ददन मतक के पररजन श्मशान िाट सलेमाबाद (अजमेर)।
जाकर मचता की राख में से मतक की अस्थथयााँ चुन कर एक ममट्टी के ➢ िल्िभ (पुवष्टमागग) सम्प्रदाय– प्रर्तगक - र्ल्लभाचायग (16र्ीं सदी
कलश में इकट्ठा करते हैं, जजन्हें लाल र्थत्र में रखते हैं। इसे ‘फूल चुर्ना’ में)। प्रमुख पीठ - नाथद्वारा (बनास नदी के तट पर बसा)। रमचत भाष्य
कहते हैं। - अणु भाष्य। प्रर्र्तित दशगन – शुद्धाद्वै तर्ाद। अष्टछाप कवर् मण्डली के
➢ तीये की बैठक – मत्यु के तीसरे ददन शाम को तीये की बैठक होती है, संत –
जो लोर् शर् यात्रा में नहीं जा पाते हैं, र्ो तीये की बैठक में भार् लेकर 1.कुम्बनदास 2.सूरदास 3.परमानंददास 4. कष्णदास
संर्ेदना व्यक्त करते हैं। 5.नंददास 6.चतुभुगजदास 7.र्ोवर्िदथर्ामी 8.छीतथर्ामी
➢ मौसर – राजथथान में मत्यु भोज की प्रथा है। इसे ‘मौसर’, ‘औसर’ या ➢ कापालिक सम्प्रदाय– इस सम्प्रदाय में भैरर् को शशर् का अर्तार
‘नुक्ता’ कहते हैं। मतक के वनकटतम संबंधी अपने संबंमधयों र् ब्राह्मणों मानकर पूजा की जाती है।
को भोजन करर्ाते हैं। यह क्रम 12 ददन तक जारी रहता है। ➢ पाशुपत सम्प्रदाय– इस मत में लकुलीश को शशर् का 28 र्ााँ एर्ं अंवतम
➢ जीते जी मत्यु भोज करर्ाना ‘जोसर’ कहलाता है। अर्तार माना जाता है।
➢ आददर्ाशसयों का मत्यु भोज कांददया कहलाता है। ➢ लििंगायत सम्प्रदाय– कनागटक
➢ मूकांण – मतक के पीछे उसके संबंमधयों के पास संर्ेदना प्रकट करने ➢ काश्मीरक सम्प्रदाय– कश्मीर
जाना। ➢ नाथ सम्प्रदाय– प्रितगक – नाथ मुवन। राजथथान में नाथ पंथ की
➢ ्ांगड़ी रात तीथागदद से लौटकर करर्ाया जाने र्ाला रावत्र जार्रण। शाखाएाँ :-
➢ दोिणणयां मतक के 12र्ें ददन िर की शुजद्ध हेतु जल से भरे जाने र्ाले (1) बैराग पंथ– राताडू ंर्ा (पुष्कर)। प्रथम प्रचारक - भतगहरर
मटके। (2) माननाथी पंथ मुख्य केन्द्र – महामंददर
➢ पगड़ी – मौसर के ददन ही मत व्यशक्त के बड़े पुत्र को उसके ➢ संत जाम्भोजी– पीपासर र्ााँर् (नार्ौर)। वर्श्नोई संप्रदाय - 1485 ईथर्ी
उत्तरामधकारी के रूप में पर्ड़ी बााँधी जाती है। को कार्तिक कष्ण अष्टमी के ददन समराथल (बीकानेर) में वर्श्नोई
➢ रंग बदिना – वकसी के वपता की मत्यु होने पर उसके पररर्ार के सभी सम्प्रदाय की थथापना की थी। समामध- 1536 ई. में जम्भोजी ने मुकाम
पुरुष सदथय सफेद साफे बााँधते हैं और 12र्ें ददन उत्तरामधकारी के र्ााँर् में मार्गशीषग कष्ण नर्मी समामध ली। मुकाम (नोखा तहसील,
ससुराल से र्ुलाबी रंर् के साफे लाए जाते हैं जो पूरे कुटु म्ब में वर्तररत बीकानेर) में प्रवतर्षग आद्मश्वन एर्ं फाल्र्ुन अमार्थया को मेला आयोजजत
वकए जाते हैं। होता है। साथरी - वर्श्नोई सम्प्रदाय का उपदे श थथल 'साथरी' कहलाता
➢ महीने का घड़ा – व्यशक्त की मत्यु के एक माह पश्चात् उसके पररर्ार है।
द्वारा वकया जाने र्ाला यज्ञ र् दान। ➢ जसनाथजी– कतररयासर र्ााँर् (बीकानेर)। 1504 ई. में जसनाथजी ने
➢ छमाही – व्यशक्त की मत्यु के छह माह पश्चात् उसके पररर्ार द्वारा वकया जसनाथी सम्प्रदाय की कतररयासर (बीकानेर) में थथापना की। इस
जाने र्ाला यज्ञ र् दान। सम्प्रदाय में कुल 36 वनयम होते हैं। 1506 ई. में जसनाथजी ने आद्मश्वन
➢ बारह माह का घड़ा – व्यशक्त की मत्यु के एक र्षग पश्चात् उसके पररर्ार शुक्ल सप्तमी को कतररयासर बीकानेर में समामध ली, इस ददन प्रवतर्षग
द्वारा वकया जाने र्ाला यज्ञ र् दान। यहााँ पर मेला भरता है। अन्ग्न नत्य - जसनाथी सम्प्रदाय के अनुयायी
➢ श्राद्ध – भाद्रपद पूर्णिमा से आद्मश्वन अमार्थया तक सोलह ददनों का धधकते हुए अंर्ारों पर नत्य करते हैं तथा अन्ग्न नत्य करते समय ‘फतै-
श्राद्ध पक्ष होता है। श्राद्ध, उसी वतशथ को वकया जाता है जजस वतशथ को फतै’ का जयिोष करते हैं। ददल्ली के बादशाह शसकन्दर लोदी ने
व्यशक्त की मत्यु हुई थी। जसनाथजी के चमत्कारों से प्रभावर्त होकर कतररयासर (बीकानेर) में
➢ सगुण संप्रदाय – इसमें ईश्वर को सर्गथर् मानकर ईश्वर के मूतग रूप की 500 बीिा जमीन भेंट की थी।
पूजा – आराधना की जाती है। ➢ संत दादूदयाि– जन्म थथान - अहमदाबाद (र्ुजरात)। दादूदयालजी
➢ वनगुगण संप्रदाय – इस मत के समथगक ईश्वर को वनराकार एर्ं वनर्ुगण ने सांभर में दादू पंथ/वनपख सम्प्रदाय/ब्रह्म सम्प्रदाय की थथापना की
परमसत्ता मानकर उसकी भशक्त करते हैं। थी। दादूदयालजी 19 र्षग की आयु में राजथथान आए तथा 1568 ई. में
➢ िैष्णि– भर्र्ान वर्ष्णु र् उनके दस अर्तारों को प्रधान दे र् मानकर सांभर में इन्होंने प्रथम उपदे श ददया था। ‘अलख दरीबा’- दादू पंथ में
उसकी आराधना करने र्ाले र्ैष्णर् कहलाए। सत्संर् थथल को ‘अलख दरीबा’ कहते हैं। 1585 ई. में दादूदयालजी ने
➢ रामानुज सम्प्रदाय– प्रितगक – रामानुजाचायग। रमचत भाष्य- ‘श्री आमेर के राजा भर्र्ंतदास के साथ फतेहपुर सीकरी (उत्तरप्रदे श) में
भाष्य’। प्रर्र्तित दशगन - ‘वर्शशष्टाद्वै तर्ाद’। रामानुज सम्प्रदाय की उत्तर मुर्ल सम्राट अकबर से मुलाकात की थी। 1602 ई. में दादूदयालजी
भारत में प्रमुख पीठें - ‘उत्तर तोतादद्र’ (अयोध्या मठ) एर्ं र्लताजी नरैना या नारायणा (फुलेरा) आ र्ए थे। यहीं पर 1603 ई. में ज्येष्ठ कष्ण
(जयपुर) अष्टमी को उनका वनधन हुआ। दादूदयालजी के प्रमुख ग्रंथ -
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(1) दादू री र्ाणी (2) दादू रा दूहा ➢ ख्िाजा मुइनुद्दीन मचश्ती– अजमेर। मुहम्मद र्ौरी ने ख्र्ाजा मुइनुद्दीन
➢ संत रज्जब जी - जजन्दर्ी भर दूल्हे के र्ेश में रहे थे। प्रधान पीठ- मचश्ती को ‘सुल्तान-उल-वहन्द’ की उपामध दी। अजमेर में ख्र्ाजा साहब
सांर्ानेर (जयपुर)। प्रमुख रचनाएाँ- (1) रज्जब र्ाणी र् सर्ंर्ी। की दरर्ाह है जहााँ प्रवतर्षग रज्जब माह की 1 से 6 रज्जब तक उसग का
➢ सुन्दरदासजी – इनको ‘दूसरा शंकराचायग’ कहा जाता है। इनके द्वारा वर्शाल मेला भरता है। यह वहन्दू-मुस्थलम साम्प्रदावयक सद्भार् का
42 ग्रंथों की रचना की र्ई थी, जजनमें प्रमुख हैं- सर्ोत्तम थथल है।
(1) सुन्दर वर्लास (2) ज्ञान समुन्दर (3) ज्ञान सर्ेया (4) सुन्दर सार ➢ शेख हमीदुद्दीन नागौरी– नार्ौर। उपामध – ‘सुल्तान-उल-तारीवकन’
➢ चरणदासी सम्प्रदाय – चरणदासजी। एकमात्र संप्रदाय जजसकी (संन्याशसयों के सुल्तान)। यह उपामध ख्र्ाजा मुइनुददीन
् मचश्ती द्वारा दी
प्रधानपीठ राजथथान से बाहर थथावपत है। प्रधान पीठ - नई ददल्ली। र्ई।
मेला- बसंत पंचमी (समामध पर, नई ददल्ली)। ➢ नरहड़ के पीर– – हजरत शक्कर बाबा (मचड़ार्ा, झुंझुनूाँ)। उसग -
➢ संत मािजी – प्रधानपीठ- साबला र्ााँर् (डू ाँर्रपुर)। थथापना - जन्माष्टमी (भाद्रपद कष्ण अष्टमी)
वनष्कलंक सम्प्रदाय। मार्जी को भर्र्ान वर्ष्णु का दसर्ां ‘कस्ल्क ➢ पीर फखरुद्दीन– र्शलयाकोट (डू ाँर्रपुर)
अर्तार’ माना जाता है। ➢ संत मीठे शाह की दरगाह – र्ार्रोन दुर्ग
➢ रामस्नेही संप्रदाय – संत रामचरणजी। प्रधान पीठ- शाहपुरा ➢ मलिक शाह पीर की दरगाह – जालोर
(भीलर्ाड़ा)। अणभै र्ाणी (अणभगर्ाणी) - इस ग्रंथ में संत रामचरणजी ➢ चोटििा पीर दुिेशाह की दरगाह – पाली
के उपदे श संकशलत है। ➢ खुदाबक्श बाबा की दरगाह – सादड़ी,पाली
➢ िािदासी सम्प्रदाय– संत लालदासजी। प्रधानपीठ – नर्ला ➢ अमीर अिी शाह पीर की दरगाह – दूदू ,जयपुर
(भरतपुर)। मेला – आद्मश्वन शुक्ल एकादशी एर्ं माि पूर्णिमा ➢ पंच पीर–1. र्ोर्ाजी 2.पाबूजी 3.हड़बूजी 4.रामदे र्जी 5.मेहाजी
➢ हररदास वनरंजनी– उपनाम – ‘कलयुर् का र्ाल्मीवक’। प्रधान पीठ – मांर्शलया
र्ाढ़ा (डीडर्ाना, नार्ौर)। मेला – फाल्र्ुन शुक्ल एकम् से फाल्र्ुन ➢ गोगाजी चौहान– जन्म - ददरेर्ा र्ााँर् (चूरू)। सर्ारी - नीली िोड़ी।
शुक्ल द्वादशी तक। प्रमुख ग्रंथ– मंत्र राजप्रकाश और हररपुरुष की युद्ध करते समय र्ोर्ाजी का शसर ददरेर्ा (चूरू) में वर्रा इसशलए इसे
र्ाणी। थथापना - वनरंजनी या वनराला सम्प्रदाय शीषगमेड़ी (शीषमेड़ी) कहते हैं तथा धड़ नोहर (हनुमानर्ढ़) में वर्रा
➢ संत पीपा– संत पीपा की छतरी – र्ार्रोन दुर्ग। संत पीपा की र्ुफा – इसशलए इसे धड़मेड़ी या धुरमेड़ी या र्ोर्ामेड़ी भी कहते हैं। मेला -
टोडा र्ााँर् (टोंक)। संत पीपा का मंददर – समदड़ी र्ााँर् (बाड़मेर) प्रवतर्षग र्ोर्ानर्मी (भाद्रपद कष्ण नर्मी) को र्ोर्ाजी की याद में
➢ श्रद्धानाथजी– लक्ष्मणर्ढ़, सीकर र्ोर्ामेड़ी, हनुमानर्ढ़ में भव्य मेला भरता है। र्ोर्ाजी की ओल्डी –
➢ परनामी संप्रदाय– प्राणनाथ द्वारा थथावपत इस संप्रदाय के अनुयायी सांचौर, जालोर। कवर् मेह ने ‘र्ोर्ाजी का रसार्ला’ की रचना की।
वनर्ुगण वर्चारधारा का पालन करते हैं। प्रधान पीठ – पन्ना, मध्य प्रदे श। ➢ पाबूजी राठौड़– कोलूमण्ड र्ााँर्, फलोदी (जोधपुर)। अर्तार - लक्ष्मण
इस सम्प्रदाय के उपदे शों का संग्रह ‘कुजलम थर्रूप’ नामक ग्रंथ में का। उपनाम - ऊाँटों के दे र्ता, र्ौरक्षक दे र्ता, प्लेर् रोर् वनर्ारक दे र्ता
ममलता है। एर्ं सराग रोर् का वनर्ारक दे र्ता। पाबू प्रकाश - पाबूजी की जीर्नी है
➢ संत धन्नाजी– जन्म थथान- धुर्न र्ााँर् (टोंक)। इन्होंने राजथथान में जजसके रचवयता आशशया मोडजी थे। मारर्ाड़ में सर्गप्रथम ऊाँट लाने का
धार्मिक आंदोलन की शुरुआत की थी। श्रेय पाबूजी को जाता है।
➢ निि दास जी– नर्ल संप्रदाय। जन्म थथान – हरसोलार् (नार्ौर)। ➢ रामदे िजी– जन्म थथान - उंडूकाश्मीर या उंडूकासमेर र्ााँर् (शशर्-
मुख्य मंददर - जोधपुर तहसील, बाड़मेर)। समामध - रुणेचा (जैसलमेर) में रामसरोर्र की पाल
➢ स्िामी िाि वगरी- अलखखया सम्प्रदाय। मुख्य केन्द्र- बीकानेर पर 1458 ई. में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को ली। मेला - प्रवतर्षग भाद्रपद
➢ सन्त दास जी– र्ुदड़ सम्प्रदाय। मुख्य केन्द्र – दााँतडा (भीलर्ाड़ा) शुक्ल वद्वतीया को रामदे र्रा (जैसलमेर) में बाबा रामदे र्जी का भव्य
➢ मीराबाई– राजथथान की राधा। रचनाएाँ – पदार्ली, नरसी मेहता की मेला भरता है। जम्मा – रामदे र्जी के नाम पर भाद्रपद वद्वतीया र्
हुंडी, रुस्क्मणी मंर्ल, सत्यभामाजी नू रुसणो, रार् र्ोवर्िद, मीरा री एकादशी को रावत्र जार्रण ददलाया जाता है। उसे जम्मा कहते हैं।
र्रीबी, र्ीत र्ोवर्िद की टीका। काममड़या पंथ - राजथथान में काममड़या पंथ के प्रमुख केन्द्र पादरला
➢ गिरी बाई– र्ार्ड़ की मीरा। डू ाँर्रपुर के महारार्ल शशर्ससिह ने र्र्री र्ााँर् (पाली), पोकरण (जैसलमेर) र् डीडर्ाना (नार्ौर) आदद हैं।
बाई के प्रवत श्रद्धाथर्रूप बालमुकुन्द मजन्दर का वनमागण करर्ाया था। तेरहताली नत्य – रामदे र्जी के मेले में काममड़या जावत की मवहलाओं
➢ संत रानाबाई– – राजथथान की दूसरी मीरा। जन्म थथान – हरनार्ा द्वारा वकया जाता है।
(नार्ौर) में। राना बाई ने 1570 ई. में फाल्र्ुन शुक्ल त्रयोदशी के ददन ➢ हड़बूजी– भुंडेल, नार्ौर। प्रमुख पूजा थथल - बैंर्टी र्ााँर्। रार् जोधा
हरनार्ा में जीवर्त समामध ली थी। मेला– उनके समामध थथल पर ने इन्हें बेंर्टी र्ााँर् (फलौदी) भेंट वकया। इसी र्ााँर् में हड़भूजी का मंददर
प्रवतर्षग शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को एक वर्शाल मेला लर्ता है। भाद्रपद है जहााँ हड़भूजी की र्ाड़ी सुरद्मक्षत रखी हुई है, जजसकी पूजा की जाती
शुक्ल त्रयोदशी को रानाबाई को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। है।
➢ आचायग णभक्षु स्िामी– थर्ामीजी ने आषाढ़ पूर्णिमा को तेरापंथ धमग ➢ मेहाजी– प्रमुख पूजा थथल - बावपणी र्ााँर् (ओशसयां, जोधपुर) में। मेला
संि की थथापना केलर्ा में की थी। - कष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद कष्ण अष्टमी) को मेला भरता है। मण्डोर
➢ आचायग श्री तुिसी– लाडनू (नार्ौर)। र्षग 1949 में चूरू जजले के शासक रार् चूंडा के समकालीन थे।
सरदारशहर से ‘अणुव्रत आन्दोलन’ प्रारम्भ वकया।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ तेजाजी–खड़नाल या खरनाल (नार्ौर)। सर्ारी -लीलण िोड़ी। मेला - ➢ मेिाड़ की प्रचलित पगमड़यााँ– अमरशाही पर्ड़ी, अरसी शाही पर्ड़ी,
प्रवतर्षग तेजादशमी (भाद्रपद शुक्ल दशमी) को परबतसर (नार्ौर) में भव्य उदयशाही पर्ड़ी, थर्रूपशाही पर्ड़ी, भीमशाही पर्ड़ी
पशु मेला भरता है। प्रमुख पूजा थथल - सेंदररया, भार्तां, सुरसरा ➢ मारिाड़ की प्रचलित पगमड़यााँ (साफा) – जसर्न्तशाही साफा,
(अजमेर), परबतसर, खरनाल (नार्ौर) बासी दुर्ारी (बूाँदी) में। भारतीय सरदारशाही साफा, उम्मेदशाही साफा, र्जशाही साफा
डाक वर्भार् द्वारा र्षग 2011 में तेजाजी पर डाक दटकट जारी वकया र्या। ➢ िहररया पगड़ी - तीज के त्योहार पर पहनी जाने र्ाली पर्ड़ी।
➢ दे िनारायणजी– आसींद, भीलर्ाड़ा। मेला – भाद्रपद शुक्ल सप्तमी। ➢ मंदीि पगड़ी - दशहरे के अर्सर पर पहनी जाने र्ाली पर्ड़ी।
फड़ - र्ुजगर जावत के भोपे जंतर र्ाद्य यंत्र के साथ बााँचते हैं। र्षग 1992 ➢ मोठ्ेे़ की पगड़ी - वर्र्ाह/उत्सर् के अर्सर पर पहनी जाने र्ाली
में भारतीय डाक वर्भार् ने दे र्नारायण जी की फड़ पर सर्गप्रथम 5 रु. पर्ड़ी।
का डाक दटकट जारी वकया र्या। प्रमुख मंददर - ➢ मोिी पििे दार पगड़ी – बनजारे लोर् मोटी पट्टे दार पर्ड़ी पहनते हैं।
(1) सर्ाईभोज का मंददर, आसीन्द, भीलर्ाड़ा ➢ आंिे िािी पगड़ी – सुनार आंटे र्ाली पर्ड़ी पहनते हैं।
(2) दे र्धाम मंददर – जोधपुररया, टोंक ➢ बसन्त ऋतु – र्ुलाबी पर्ड़ी
(3) दे र्डू ाँर्री मंददर – मचत्तौड़र्ढ़ ➢ ग्रीष्म ऋतु – फूल र्ुलाबी र् बहरीया पर्ड़ी
➢ िीर कल्िाजी राठौड़– सन् 1567 – 68 में अकबर द्वारा मचत्तौड़ ➢ िषाग ऋतु – मलय वर्री पर्ड़ी
आक्रमण के दौरान कल्लाजी ने युद्ध में िायल जयमल को अपने कंधे ➢ शरद ऋतु – र्ुल-ए-अनार पर्ड़ी
पर वबठा शलया और दो तलर्ारें जयमल के हाथों में तथा दो तलर्ारें थर्यं ➢ हेमन्त ऋतु – मोशलया पर्ड़ी
लेकर युद्ध करने लर्े इसी र्ीरता के कारण उनकी ख्यावत चार हाथ ➢ लशलशर ऋतु – केसररया पर्ड़ी
(चतुभुगज दे र्ता), दो शसर र्ाले दे र्ता के रूप में हुई। मचत्तौड़र्ढ़ वकले ➢ होिी के अिसर पर – फूल-पत्ती की छपाई र्ाली पर्ड़ी
के भैरर्पोल के पास कल्लाजी की छतरी बनी हुई है। ➢ छाबदार – मेर्ाड़ के महाराणाओं की पर्ड़ी बााँधने र्ाले व्यशक्त को
➢ मल्िीनाथजी– प्रमुख मंददर – वतलर्ाड़ा, बाड़मेर। इनका मंददर लूणी छाबदार कहा जाता है।
नदी के तट पर बना हुआ है। मेला - प्रवतर्षग इनकी याद में चैत्र कष्ण ➢ जोधपुरी साफा – इसका प्रचलन जसर्न्तससिह-I के काल में हुआ।
एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक वतलर्ाड़ा (बाड़मेर) में मल्लीनाथ ➢ राठौड़ी पेंच – राजथथान में राजपूतों द्वारा सर्ागमधक पसंद की जाने
पशु मेला आयोजजत होता है। जोधपुर के पद्मश्चमी परर्ने का नामकरण र्ाली पर्ड़ी।
इन्हीं के नाम पर ‘मालानी’ वकया र्या था। ➢ जामा – यह र्थत्र र्दग न से लेकर िुटनों तक पहना जाता है।
➢ बाबा तल्िीनाथ– र्ाथतवर्क नाम - र्ांर्दे र् राठौड़। प्रमुख पूजा थथल ➢ पछे िड़ा – पुरुषों के द्वारा सदी में ओढ़ा जाने र्ाला चद्दरनुमा र्थत्र।
- पााँचोटा र्ााँर्, जालोर ➢ ्ौछी – यह जामा र्थत्र की तरह पहना जाता है, सर्ागमधक मेर्ाड़ में
➢ इिोजी– इलोजी की पूजा मारर्ाड़ में होली के अर्सर पर की जाती है प्रचशलत है।
तथा इनकी मूर्ति आदमकद नग्न अर्थथा में होती है। बाड़मेर की पत्थर ➢ अंगोछा – पुरुषों के कन्धे पर रखा जाने र्ाला र्थत्र।
मार होली में ईलोजी की बारात भी वनकाली जाती है। ➢ पायजामा – कमर से लेकर पैरों के टखने तक पहना जाने र्ाला र्थत्र।
➢ दे ि बाबा – प्रमुख मंददर - नर्ला जहाज र्ााँर् (भरतपुर)। मेला - भाद्रपद ➢ आतमसुख – यह सर्दियों में पहना जाने र्ाला र्थत्र।
शुक्ल पंचमी र् चैत्र शुक्ल पंचमी को मेला भरता है। ➢ घूघी – ऊनी र्थत्र जो सदी से बचार् हेतु उपयोर् में शलया जाता है।
➢ िीर फत्ताजी– जन्म – साथूाँ र्ााँर् (जालोर)। मेला - प्रवतर्षग भाद्रपद ➢ अंगरखा या अंगरखी या बुगतरी – यह शरीर के ऊपरी भार् पर पहना
शुक्ल नर्मी को मेला भरता है। जाने र्ाला र्थत्र है।
➢ बाबा झूंझारजी– मुख्य मंददर – थयालोदड़ा र्ााँर्, सीकर। मेला - ➢ अचकन – यह अंर्रखी का वर्कशसत रूप है।
रामनर्मी ➢ चुगा या चौगा – यह अंर्रखी के ऊपर पहना जाने र्ाला र्थत्र।
➢ िीर वबग्गाजी– जन्म - रीडी र्ााँर् (बीकानेर) ➢ कमरबन्द या पिका – यह चौर्ा को कमर से बााँधने र्ाला र्थत्र जजसमें
➢ ्ू ाँगजी-जिाहरजी– प्रमुख मंददर – बाठोठ–पाटोदा, सीकर कटार या तलर्ार रखी जाती थी।
➢ भूररया बाबा (बाबा गौतमेश्वर)– मीणा जावत के लोर् भूररया बाबा की ➢ धोती – यह सफेद रंर् का र्थत्र है जो पुरुष कमर पर पहनते हैं।
झूठी कसम नहीं खाते। इनका मंददर र्ौड़र्ाड़ शसरोही के पर्गतों में स्थथत हैं। ➢ वबरजस या वब्रचेस – चूड़ीदार पायजामे के थथान पर प्रयोर् वकया जाने
➢ पनराजजी– जन्म - नर्ा र्ााँर् (जैसलमेर) इनकी थमवत में पनराजसर र्ाला र्थत्र।
र्ााँर् (जैसलमेर) में र्षग में दो बार मेला भरता है। ➢ नान्दणा – आददर्ासी मवहलाओं का सबसे प्राचीन र्थत्र। यह आसमानी
➢ भोममयाजी– र्ााँर्-र्ााँर् में भूमम रक्षक दे र्ता के रूप में प्रशसद्ध। रंर् की साड़ी होती है।
➢ मामादे ि– बरसात के िे वता। मामिे व राजथिान के ऐसे लोकिे वता हैं, ➢ जामसाई साड़ी – वर्र्ाह के अर्सर पर दुल्हन द्वारा पहना जाने र्ाला
जजनकी धमटटी-पत्िर की मूर्तियाूँ नहीं बनती बल्की लकड़ी का एक र्थत्र, जजसमें लाल जमीन पर फूल पशत्तयों युक्त बेल होती है।
नवशिष्ट व कलात्मक तोरण होता है, जो र्ाूँव के बाहर मुख्य सड़क पर ➢ िूगड़ा या अंगोछा साड़ी – वर्र्ावहत स्त्थत्रयों का पहनार्ा जजसमें सफेद
प्रनतधित नकया जाता है। आधार पर लाल बूटे छपे हुए होते हैं।
➢ पाग – पार्, उस पर्ड़ी को कहते हैं जो लम्बाई में सर्ागमधक होती है। ➢ किकी – अवर्र्ावहत बाशलकाओं की ओढ़नी। इसमें अलंकरण को
➢ पेचा – जरीदार पर्ड़ी को पेचा कहा जाता है, पेचा में केर्ल एक ही रंर् पार्ली एर्ं ओढ़नी को पार्ली भााँत की ओढ़नी कहते हैं।
होता है यदद बहुरंर् हो तो उसे मदील कहा जाता है। ➢ ताराभााँत की ओढ़नी – आददर्ासी मवहलाओं का सबसे वप्रय र्थत्र।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ ज्िार भााँत की ओढ़नी – सफेद छोटी-छोटी वबन्दी र्ाले आधार और ➢ नाक के आभूषण– भाँर्रकड़ी, नथ वबजली लूंर्, नथ, बारी, कााँटा,
लाल-काले रंर् की बेल-बूदटयााँ होती हैं। भोर्ली, बुलाक, चोप, कोकौ, खीर्ण, नकफूल, नकेसर, र्ेण, र्ेसरर,
➢ चूनड़ – भीलों की चूनड़ प्रशसद्ध है। यह एक प्रकार की ओढ़नी है। लौंर् आदद।
➢ केरी भााँत की ओढ़नी – इसकी वकनारी केरी तथा आधार में ज्र्ार भााँत ● नथ- सोने के तार का बना मोटा छल्ला जजसे नाक में पहना जाता है।
जैसी वबजन्दयााँ होती हैं। आददर्ासी मवहलाओं में प्रचशलत। ● भाँिरा- यह नथ के समान ही एक आभूषण है जजसे अमधकांशत: वर्श्नोई
➢ िहर भााँत की ओढ़नी – ज्र्ार भााँत जैसी वबजन्दयों से लहररया बना जावत की मवहलाओं द्वारा पहना जाता है।
होता है। ● बेसरी- इस आभूषण में नाचता हुआ मोर मचह्न अंवकत होता है।
➢ कछाबू – आददर्ासी मवहलाओं द्वारा कमर से िुटनों तक पहनने र्ाला ➢ दााँत के आभूषण– रखन, चूाँप, धााँस, मेख
र्थत्र। ● रखन – दााँतों में सोने के पत्तर की खोल बनाकर चढ़ाई जाती है जजसे
➢ दामर्ी – यह मारर्ाड़ क्षेत्र में मवहलाओं द्वारा पहनी जाने र्ाली लाल रखन कहते हैं।
रंर् की ओढ़नी। ● चूाँप - दााँतों के बीच में सोने की कील जड़र्ाना चूाँप कहलाता है।
➢ पेसिाज – शरीर के ऊपरी भार् से लेकर नीचे तक ढकने र्ाला पररपूणग ● मेख – थत्री-पुरुष के दााँत में जड़ी सोने की चूाँप।
र्थत्र। ➢ गिे के आभूषण – कण्ठ में धारण वकए जाने र्ाले आभूषण हैं- थमण्यो,
➢ वतिका – मुस्थलम मवहलाओं द्वारा चूड़ीदार पायजामे पर पहना जाने थेड्यो, आड़, मूाँठया, झालरा, ठु थसी र्ले और र्क्ष पर धारण वकए जाने
र्ाला र्थत्र। र्ाले आभूषणों में तुलसी, बजट् टी, हााँसली, वतमद्मणयााँ, पोत, चन्द्रहार,
➢ लसर के आभूषण– कंठमाला, हमेल, हााँकर, मांदल्या,, हंसहार, सरी, कण्ठी आदद प्रमुख हैं।
● चूड़ामण– शीशफूल नामक आभूषण। ● बाड़िो- यह र्ले में पहनने र्ाला आभूषण है।
● िीका, टिकड़ा – स्त्थत्रयों के शसर का आभूषण। ● बजट्टी- कपड़े की छोटी पट् टी पर सोने के खोखले दानों को वपरोकर
● िी्ीभळकौ–स्त्थत्रयों के भाल का एक आभूषण वर्शेष। बनाया आभूषण बजट् टी कहलाता है।
● फूिगूधर – शीश पर र्ूाँथा जाने र्ाला एक रजत का आभूषण। वर्शेष। ● चंद्रहार- शहरी मवहलाओं में सर्ागमधक लोकवप्रय हार है।
● बोर, बोरिा- मवहलाओं द्वारा र्ोल आकार का शसर पर पहना जाने ● झािरौ – सोने या चााँदी की लमड़यों से बना हार जजसमें िूाँिररयााँ लर्ी
र्ाला आभूषण। होती हैं, ‘झालरा’ कहलाता है।
● माििी – स्त्थत्रयों के शसर की मााँर् का आभूषण। ● हाँसिी- र्ााँर्ों में छोटे बालकों को उनकी हाँसली खखसकने से बचाए जाने
● सोहिी, लसिवतिक – ललाट का आभूषण के शलए धातु के मोटे तार को जोड़कर र्ोलाकार आभूषण हाँसली
● शीशफूि- शसर पर पीछे की तरफ सोने की बारीक सांकल जैसा पहना पहनाया जाता है।
जाने र्ाला आभूषण। ● हार- र्ोलाकार कई रत्नों से जमड़त सोने का बना आभूषण जजसे
● मेमंद- यह आभूषण मवहलाओं द्वारा शसर पर धारण वकया जाता हैं। मवहलाएाँ र्ले में पहनती हैं, हार कहलाता है।
● रखड़ी- सुहार् की प्रतीक बोरला के समान ही शसर का एक आभूषण ● कंठी- सोने की लड़ से बनी बारीक सााँकल जजसमें कोई लॉकेट लर्ा
है। होता है, ‘कंठी या चैन’ कहलाता है।
● गोफण- स्त्थत्रयों के बालों की र्ेणी में र्ूाँथा जाने र्ाला आभूषण र्ोफण ● मंगिसूि- र्तगमान में सुहार् के प्रतीक के तौर पर काले मोवतयों की
कहलाता है। माला से बना हारनुमा आभूषण ‘मंर्लसूत्र’ कहलाता है।
● सैिड़ौ– स्त्थत्रयों की र्ेणी में र्ुंथा जाने र्ाला आभूषण। ● मादलिया- ताबीज की तरह या छोटे ढोलक के आकार का बना छोटा
● िीका- रखड़ी अथर्ा बोरला के आर्े पहना जाने र्ाला एक फूल की आभूषण जजसे काले डोरे में पहना जाता है, मादशलया कहलाता है।
आकवत का आभूषण टीका या वतलक कहलाता है। ● वतमणणया/थमण्यो- सोने का बना आभूषण जो मवहलाओं द्वारा र्ले
● वबन्दी/िीकी- सुहावर्न स्त्थत्रयााँ ललाट पर लर्ाती हैं। में पहना जाता है।
● सेिड़ौ– स्त्थत्रयों की र्ेणी में र्ूाँथा जाने र्ाला आभूषण। ● बंगड़ी – एक प्रकार का र्ले का आभूषण
● सोहिी – ललाट पर धारण करने का स्त्थत्रयों का एक आभूषण। ● पचमाणणयौ - मेर्ात क्षेत्र में र्ले का आभूषण
● स्त्थत्रयों द्वारा शसर पर बााँधे जाने र्ाले र्हने को बोर, बोरला, शीशफूल, ● नक्कस – मेर्ात क्षेत्र में कंठ का आभूषण
रखड़ी और दटकड़ा कहा जाता है। ● थाळौ – दे र्मूर्ति युक्त र्ले का आभूषण
➢ कान के आभूषण– ● तांतणणयौ – र्ले का एक आभूषण
● एरंर्पत्तो– स्त्थत्रयों के कान का आभूषण। ➢ बाजू (भूजा) के आभूषण– बाजूसोसण, बाजूबन्द, बाहुसंर्ार,
● ओगवनयााँ- कानों के ऊपरी वहथसे पर पान के पत्ते की आकवत के समान वबजायठ, डोडी, डंटकड़ौ, टडौ, खााँच, कातररयौ, अड़कणी, अणत
सोने र् चााँदी का आभूषण। ● वबजायठ – बााँह पर धारण करने र्ाला आभूषण
● खींििी – स्त्थत्रयों के कान का आभूषण। ● ्ो्ी – भुजा पर धारण करने का कड़ा, आभूषण
● कानों में पहने जाने र्ाले अन्य आभूषणों में कणगफूल, पीपलपन्ना, फूल ● खााँच – बााँह पर धारण करने र्ाला स्त्थत्रयों का आभूषण
झूमका, अंर्ोट्या, झेला, लटकन, टोटी आदद और हाथों में कड़ा, ➢ अंगुिी के आभूषण– दामणा, हथपान
कंकण, मोकड़ी (लाख से वनर्मित चूड़ी), कातरया (काूँच की चूड़ी), ➢ हाथ के आभूषण– लाखीणी, ठ् डडा, र्जरा, नोर्री, पछे ली, र्ोखरु,
नोर्री,चांट, र्जरा, र्ोखरू,चूड़ी प्रमुख है। हथफूल, खंजरी, आरशस, छै लकड़ौ, दामणा, हथपान, बल्लया, आदद।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
● बींिी- हाथ की अाँर्ुशलयों में पहने जाने र्ाले र्ोलाकार, छल्लों को ‘बींठी ➢ किंगी- साफे पर लर्ाया जाता है।
या बींटी या अाँर्ूठी या मूाँदड़ी’ कहा जाता है। तीन आाँटों र्ाली मोटी ➢ बिेिड़ा – यह पुरुषों के र्ले में पहना जाने र्ाला आभूषण।
अाँर्ुठी ‘झोटा’ कहलाती है। ➢ सेहरा- शादी के समय र्र द्वारा पहना जाने र्ाला साफा/पर्ड़ी।
● आरलस- स्त्थत्रयों के हाथ का आभूषण। ➢ मुरवकयााँ- पुरुषों द्वारा कान में पहना जाने र्ाला र्ोलाकार आभूषण।
● आाँििा - स्त्थत्रयों के पैर र् हाथों में धारण करने र्ाला सोने या चााँदी का ➢ चौकी- र्ले में पहना जाने र्ाला आभूषण, जजस पर दे र्ताओं का मचत्र
आभूषण। बना हुआ होता है।
● चूड़- चााँदी अथर्ा सोने का आभूषण जो कलाई में पहना जाता है। ➢ रखन – िाूँतों में सोने के पत्तर की खोल बनाकर चढ़ाई जाती है जजसे
● गजरा- मोवतयों से बना आभूषण जो कलाई में पहना जाता है। रखन कहते हैं।
● बाजूबंध या उतरणो- हाथ की बाजू (भुजा) में बााँधा जाने र्ाला सोने ➢ चूंप – नकसी थरी द्वारा िाूँतों के बीच में सोने की कील जड़वाना चूंप
के बेल्ट जैसा आभूषण ‘बाजूबंध/उतरणी’ कहलाता है। कहलाता है।
● नोगरी- मोवतयों की लमड़यों के समूह से बना आभूषण। ➢ मादीकड़कम – पुरुषों के कान का आभूषण
● तांती- तांती जो वक र्ले, कलाई अथर्ा बाजू पर बााँधी जाती है, यह ➢ माठी – पुरुषों की कलाई पर पहनने के कड़े
दे र्ी-दे र्ताओं से सम्बस्न्धत आभूषण है। ➢ िो्र – पुरुष के पााँर्ों का थर्णगभूषण
● िाखीणी – दुल्हन के पहनने की लाख की चूड़ी ➢ नजररया- लाल कपड़े में सोने का टु कड़ा, मूाँर् तथा लाल चन्दन बााँधकर
● बंगड़ीदार – र्ह चूड़ी जजस पर सोने या चााँदी के पत्तर का बन्द लर्ा तैयार वकया र्या आभूषण नजररया कहलाता हैं। यह आभूषण बच्चे को
हो। बुरी नजर से बचाने के शलए पहनाया जाता है।
● छै िकड़ौ – हाथ का एक आभूषण। ➢ झााँझररया या पैंजणी - बच्चों के पैरों में पहनाई जाने र्ाली पतली
➢ कमर के आभूषण– सटकौ, मेखला, तर्ड़ी, र्सन, करधनी, कन्दोरा, सााँकली, जजनमें िूाँिररयााँ लर्ी होती हैं, झााँझररया कहलाती है।
सटका, कणकती, जंजीर, चौथ आदद। ➢ कड़ो या कं्ू ल्या- बच्चों के हाथ र् पैर में पहनाए जाने र्ाले आभूषण
● तगड़ी- सोने अथर्ा चााँदी से बना कमर में पहना जाने र्ाला आभूषण। कड़ो या कंडू ल्या कहलाते हैं।
● चौथ- चााँदी से बना आभूषण जो जंजीर के समान होता है, इसे पुरुष ➢ कुड़क- छोटे बच्चों के कान छे द कर सोने-चााँदी के तार पहनाए जाते
एर्ं मवहलाएाँ दोनों धारण करते हैं। हैं, उन्हें कुड़क, लूाँर्, र्ुड़दा, मुरकी या बाली कहते हैं।
➢ पैर के आभूषण– नेर्र, पीजंणी, पायल, पादसकशळका, दोलीवकयो, ➢ बैराठ सभ्यता, जयपुर से अनेक प्राचीन मचत्रों की प्रान्प्त हुई है। अत:
तेिड़, तांवत, झााँझर, ससिजनी, कंकणी, पायल, पायजेब, (रमझोल), इसे ‘प्राचीन युग की मचिशािा’ कहा र्या है।
नेर्री, नूपरु , पैंजवनया, टणका, िुाँिरू, आाँर्ला, कड़ा, लंर्र, झांझर, ➢ दस िैकालिका सूि चूणी एर्ं औध वनयुगलि िृलत्त राजथथान में 1060
तोड़ा-छोड़ा, अंर्ूथळौ, अणोटपोल, कड़लौ, झंकारतन, टणकौ, टोडरौ, ई. में जैसलमेर भंडार से सर्ागमधक प्राचीन ग्रंथ ममलें।
तोड़ौ, तोड़ासाट, मवकयौ, मसूररयौ, रोळ, लछौ, हीरानामी, बीमछयााँ, ➢ राजस्थानी मचिकिा का विकास – र्ुजगर शैली → जैन शैली →
फोलरी, र्ोर, पर्पान, र्ोळया, र्ूठलौ, नखशलयौ, छल्ला आदद। र्ुजराती शैली → अपभ्रंश शैली → राजथथानी शैली
● फोिरी- तारों से फूलों की आकवत बनाकर पहनी जाने र्ाली अाँर्ूठी ➢ 17र्ीं सदी का युर् राजथथानी मचत्रकला का थर्र्णिम काल माना जाता
‘फोलरी’ कहलाती है। है।
● झााँझर – पायलनुमा आभूषण जजससे रुनझुन की आर्ाज आती है। ➢ W.H. ब्राउन ने राजथिान की धचरकला को ‘राजपूत कला’ कहा।
● गोल्या- चााँदी की चौड़ी तथा सादी अंर्ुदठयााँ पैरों की अाँर्ुशलयों में पहनी ➢ एन.सी. मेहता ने राजथिान की धचरकला को ‘वहन्दू मचत्रकला’ कहा।
जाती है, ‘र्ोल्या’ कहलाती है। ➢ रायकष्णदास/ कनगल जेम्स टॉड ने राजथिान की धचरकला को
● मवकयौ – स्त्थत्रयों के पैरों का आभूषण ‘राजथथानी मचत्रकला’ कहा।
● नेिरी- पायल की तरह का आाँर्लों के साथ ही पहना जाने र्ाला ➢ मान पुथतक प्रकाश संग्रहालय – जोधपुर
आभूषण ‘नेर्री’ कहलाता है। ➢ पोथीखाना - जयपुर
● पायि- पायल को ही ‘रमझोल/पायजेब/शकुन्तला’ आदद नामों से ➢ सरथर्ती भण्डार - उदयपुर
जाना जाता है। ➢ जैन ग्रंथ सूरी भण्डार - जैसलमेर
● पगपान- पर्पान, हथफूल के समान पैर के अाँर्ूठे र् अंर्ुशलयों के छल्लों ➢ जयपुर में मचिकिा से संबंमधत संस्थाएाँ– राजथथान लशलत कला
को चैन से जोड़कर पायल की तरह पैर के ऊपर हुक से जोड़कर पााँर् अकादमी, कलार्त, पैर्, आयाम, जर्ाहर कला केन्द्र, वक्रएदटर् आर्टिथट
में वर्र्ाह के अर्सर पर पहना जाता है। ग्रुप
● िणका- चााँदी से बना र्ोलाकार आभूषण जजसको पैरों में पहनने पर ➢ जोधपुर– धोरा, मचतेरा
िणक-िणक की आर्ाज आती है। ➢ टोंक– मयूर
● िछौ – चााँदी के तारों का पााँर् का आभूषण। ➢ उदयपुर– टखमण-28, प्रोग्रेशसर् आर्टिथट ग्रुप
● रोळ – स्त्थत्रयों के पैरों का िुाँिरूदार आभूषण। ➢ राजथथानी मचत्रकला का सर्गप्रथम र्ैज्ञावनक वर्भाजन र्षग 1916 में
● नखलियौ – स्त्थत्रयों के पााँर् की अाँर्ुशलयों का आभूषण। आनंदकुमार थर्ामी ने अपनी पुथतक ‘राजपूत पेंटििंग’ में वकया था।
● दोळीवकयौ – पैर की अंर्ुली का एक आभूषण। ➢ मेर्ाड़ राजथथानी मचत्रकला का सबसे प्राचीन एर्ं मूल केन्द्र हैं।
● िणको – स्त्थत्रयों के पााँर् का चााँदी का आभूषण। ➢ मेर्ाड़ मचत्रशैली का आरंभ 15र्ीं शताब्दी में महाराणा कुम्भा के
➢ चूड़- र्ोल कड़े के रूप में हाथों में पहना जाने र्ाला आभूषण। शासनकाल में हुआ।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ श्रािक प्रवतक्रमण सूि चूणी – यह मेर्ाड़ मचत्रशैली का सबसे प्राचीन ➢ उणणयारा मचिशैिी- उद्मणयारा, जयपुर राज्य का एक दठकाना था, जो
मचवत्रत ग्रंथ है। यह ग्रंथ मेर्ाड़ महाराणा तेजससिह के समय 1260-61 र्तगमान में टोंक जजले में है। मचत्रकार – धीमा, मीरबक्श,
ई. के मध्य कमलचन्द्र नामक मचत्रकार के द्वारा आहड़ (उदयपुर) में ताड़ काशी,भीम,रामलखन आदद।
(पत्रों) पर मचवत्रत वकया र्या था। ➢ शेखािािी मचिशैिी– यह शैली द्मभशत्त मचत्रण के शलए प्रशसद्ध है।
➢ सुपासनाह चररयम (सुपाश्वगनाथ चररिम) – यह मेर्ाड़ मचत्रशैली का ➢ बूाँदी मचिशैिी– शुरुआत - रार् सुजगन। थर्णगकाल – उम्मेदससिह
दूसरा प्राचीन ग्रंथ है। यह ग्रंथ मेर्ाड़ महाराणा मोकल के शासनकाल में ➢ कोिा मचिशैिी- शशकार शैली। इस शैली के मचत्रों में प्रमुखत: शशकार
दे र्कुल पाठक, दे लर्ाड़ा (शसरोही) में मचत्रकार हीरानंद द्वारा सन् 1423 दृश्यों का मचत्रण वकया र्या जजसमें रावनयों र् नाररयों को पुरुषों के साथ
ई. मचवत्रत वकया था। शशकार करते हुए ददखाया र्या। प्रमुख मचत्रकार– डालू, लच्छीराम,
➢ मेवाड़ शैली का स्िणगकाि - महाराणा जर्तससिह प्रथम (1628- रामजीराम, र्ोवर्न्दराम, रिुनाथ, नूर मोहम्मद
1652 ई.) ➢ ब्लल्यू पॉिरी– चीनी ममट्टी के बतगनों पर नीले रंर् की मचत्रकारी। राजथथान
➢ मचतेरों की ओिरी या तस्िीरााँ रो कारखानों - महाराणा जर्तससिह में ब्ल्यू पॉटरी वनमागण की शुरुआत जयपुर में सर्ाई रामससिह-वद्वतीय
प्रथम के समय थथावपत (1835-1880 ई.) के काल में हुई। यह कला मूल रूप से चीन और
➢ नाथद्वारा मचिशैिी – प्रारंभ - मेर्ाड़ महाराणा राजससिह (1652-80 फारस की है, जो मुर्लकाल में भारत आई। सन् 1974 में जयपुर के
ई.)। सर्ागमधक प्रभार् – र्ल्लभ सम्प्रदाय कपाल ससिह शेखार्त को ब्लू पॉटरी के शलए सम्मावनत वकया र्या।
➢ वपछिाइयााँ – श्रीनाथजी के थर्रूप के पीछे , बडेे़ आकार के कपडेे़ के ➢ ब्लिैक पॉिरी – कोटा। चीनी ममट्टी के बतगनों पर काले रंर् की मचत्रकारी।
पदे पर बनाए र्ए मचत्र। ब्लैक पॉटरी का कायग कप, प्लेट, र्मलेदान, कूड़ेदान आदद पर वकया
➢ नाथद्वारा मचिकिा की मवहिा मचिकार– ‘कमला एर्ं ईलायची’ जाता है।
➢ दे िगढ़ मचिशैिी– प्रारम्भ - रार्ल द्वाररकादास चूंडार्त। इस मचत्रशैली ➢ कागजी पॉिरी – अलवर। कार्ज से वनर्मित बतगनों पर मचत्रकारी।
को प्रकाश में लाने का श्रेय डॉ.श्रीधर अंधारे को जाता है। प्रमुख ➢ सुनहरी पॉिरी– बीकानेर।
मचत्रकार - बर्ला, काँर्ला, हरचंद, नंर्ा, चोखा, बैजनाथ ➢ थेिा किा – प्रतापर्ढ़। थेर्ा कला, कााँच पर सोने का सूक्ष्म मचत्रांकन
➢ चािण्् मचिशैिी – प्रारंभ - महाराणा प्रताप (1585 ई.)। थर्णगकाल है। थेर्ा कला के प्रमुख कलाकार – जर्दीश सोनी, महेश सोनी,
- महाराणा अमरससिह प्रथम (1597-1620 ई.)। 1592 ई. में महाराणा रामप्रसाद सोनी, बेनीराम सोनी, रामवर्लास सोनी।
प्रताप के समय वनसारुदीन ने ‘ढोलामारू’ का मचत्र बनाया था, जो ➢ मीनाकारी– जयपुर में मीनाकारी की कला, कच्छर्ाहा शासक ममजाग
र्तगमान में ददल्ली संग्रहालय में सुरद्मक्षत है। राजा मानससिह प्रथम (1589-1614 ई.) द्वारा लाहौर से लाई र्ई।
➢ अमरससिह के काल में 1605 ई. में वनसारुदीन ने 'रार्माला' नामक ग्रंथ जयपुर के साथ-साथ नाथद्वारा, बीकानेर में भी मीनाकारी का काम होता
का मचत्रण वकया था। है। इस कला के शलए कुदरत ससिह को र्षग 1988 में ‘पिश्री’ से
➢ मारिाड़ या जोधपुर मचिशैिी– आरम्भ - रार् मालदे र् के काल में सम्मावनत वकया र्या।
हुआ। थर्णगकाल – महाराजा जसर्न्तससिह प्रथम। मारर्ाड़ या जोधपुर ➢ मीनाकारी की सबसे बड़ी मण्डी जैम्स एण्ड ज्र्ैलरी पाकग, सीतापुरा
शैली की वर्शेषताएाँ – बादाम के समान नेत्र, आम का र्क्ष (जयपुर) है।
➢ बीकानेर मचिशैिी– थर्णग काल - महाराजा अनूपससिह। प्रमुख ➢ उस्ता किा – बीकानेर में ऊाँट की खाल पर थर्णग मीनाकारी और
कलाकार– अलीरजा, रामलाल, रुक्नुद्दीन, वहसामुद्दीन उथता (पि श्री मुनव्र्ती का कायग उथता कला के नाम से जाना जाता है। इस कला के
से सम्मावनत)। शलए वहसामुद्दीन उथता को र्षग 1986 में पि श्री से सम्मावनत वकया
➢ उस्ता किा – ऊाँट के खाल तथा कूम्पों पर सोने की नक्काशी। र्या।
➢ मथैरणा किा – प्रमुख मचत्रकार– मुन्नालाल, मुकुंद, चंदुलाल ➢ मथैरणा किा– मथैरणा कला वकसी भी धार्मिक अथर्ा पौराद्मणक
➢ वकशनगढ़ मचिशैिी– प्रकाश में लाने का श्रेय - डॉ.फैय्याज अली र् थथल पर धार्मिक अथर्ा पौराद्मणक ग्रंथों का द्मभशत्त मचत्रण ‘मथैरणा
एररक मडक्सन। नारी सौन्दयग का मचत्रण प्रमुख वर्शेषता। कला’ कहलाती है। मथैरणा कला के प्रमुख उथताद- रामलाल,
➢ बणी-ठणी– एररक मडक्सन ने इस मचत्र को ‘भारत की मोनाशलसा’ मुन्नालाल र् हसन हैं।
कहा। मई, 1973 को 20 पैसे का डाक दटवकट जारी वकया। ➢ दाबू वप्रिंि – प्रमुख केंद्र - आकोला र्ााँर्, मचत्तौड़र्ढ़।
➢ जैसिमेर शैिी या मां् शैिी– मूमल का मचत्रण जैसलमेर शैली का ➢ मोम का दाबू – सर्ाई माधोपुर
मुख्य वर्षय था। ➢ ममट्टी का दाबू – बालोतरा (बाड़मेर)
➢ अजमेर मचिशैिी– जूवनयााँ के चााँद द्वारा मचवत्रत राजा पाबूजी का ➢ गेहाँ के बींधर् का दाबू – सांर्ानेर (जयपुर)
1698 ई. का व्यशक्त मचत्र इस मचत्रशैली का सुन्दर उदाहरण है। ➢ आजम वप्रिंि–आकोला, मचत्तौड़र्ढ़
➢ आमेर मचिशैिी – थर्णगकाल – ममजागराजा जयससिह-प्रथम के काल में ➢ जाजम वप्रिंि– मचत्तौड़र्ढ़
सर्ागमधक मचत्र मचवत्रत हुए। ➢ बगरू वप्रिंि– जयपुर। बर्रू वप्रिट, कपड़े पर बेल-बुाँटों की छपाई हेतु
➢ जयपुर मचिशैिी – प्रारम्भ – सर्ाई जयससिह-वद्वतीय के समय। सर्ाई प्रशसद्ध है। इसके प्रमुख कलाकार रामवकशोर छीपा है जजन्हें र्षग 2009
प्रतापससिह का शासन काल जयपुर मचत्रशैली का थर्णगकाल रहा। में पि श्री से सम्मावनत वकया र्या।
➢ अििर मचिशैिी– ‘नफीरी र्ादन’ का मचत्र इस शैली का सुन्दर ➢ सांगानेरी वप्रिंि– इस वप्रिट में काला और लाल रंर्ों का अमधक प्रयोर्
उदाहरण है। महाराजा मंर्लससिह के शासनकाल में मूलचंद तथा वकया जाता है। मुन्नालाल र्ोयल ने सांर्ानेरी वप्रिट को दे श-वर्दे श में भी
उदयराम ने वर्शेषत: हाथीदााँत के फलकों पर सूक्ष्म मचत्रण वकया। लोकवप्रय बनाया।
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➢ अजरक वप्रिंि– बाड़मेर। लाल और नीले रंर्ों में होती है और इसके ➢ तोरण:- वर्र्ाह के अर्सर पर र्धू के िर के मुख्य प्रर्ेश द्वार पर
अलंकरण ज्याममतीय होते हैं और काफी कुछ तुकी शैली से ममलते- लटकाई जाने र्ाली लकड़ी की कलाकवत जजसके शीषग पर मोर या तोता
जुलते होते हैं। बना होता है।
➢ मिीर वप्रिंि– बाड़मेर। काले र् कत्थई रंर् का अमधक प्रयोर् होता है। ➢ छापे:- कपड़े पर हाथ से छपाई करने में प्रयुक्त लकड़ी के छापे खेरादी
➢ कोिा ्ोररया या मसूररया साड़ी– कैथून, कोटा र् मांर्रोल, बारााँ जावत के लोर् बनाते हैं।
➢ बंधेज– यह कला बााँधों और रंर्ों (Tie & Die) के नाम से प्रशसद्ध है। ➢ बाजोि:- लकड़ी की चौकी जजसे भोजन या पूजा के समय प्रयुक्त करते
बंधेज कायग, जयपुर का प्रशसद्ध है। हैं।
➢ पोमचा– पोमचा का संबंध पदम (कमल) से है। अत: कमल के फूल ➢ बादिा– बादले, पानी भरने के बतगन जो जजिक से बने होते हैं और इन
र्ाली ओढ़नी पोमचा कहलाती है। पर कपड़े या चमड़े की परत चढ़ाई जाती है। बादले, जोधपुर के प्रशसद्ध
➢ गुिाबी पोमचा – बेटी के जन्म पर दे ने का ररर्ाज है। हैं।
➢ पीिा पोमचा – बेटे के जन्म पर दे ने का ररर्ाज है। ➢ िाख का काम– लाख का कायग करने र्ाले व्यशक्त को ‘मद्मणहार’ कहा
➢ िहररया– जयपुर। जाता है। लाख से बनी चूमड़यााँ ‘मोकड़ी/भोफड़ी’ कहलाती है। जयपुर
➢ चूनड़ी– जोधपुर की चूनड़ी प्रशसद्ध है। बारीक बंधेज की चूनड़ी वनर्ासी ‘अयाज अहमद’ का लाख का कायग लोकवप्रय हैं।
शेखार्ाटी की प्रशसद्ध है। ➢ कुट्टी/पेपरमेशी का काम– कुट्टी के काम के शलए जयपुर प्रशसद्ध है।
➢ मियवगरर– भूरे रंर् के इस रंर् को कई ममश्रणों से तैयार वकया जाता सर्ाई रामससिह वद्वतीय (1835 – 1880 ई.) के शासनकाल से जयपुर
था। इस रंर् में रंर्ा हुआ र्थत्र र्षों तक सुर्ंमधत रहता था। में कुट्टी का कायग हो रहा है।
➢ गिीचे– जयपुर। सूत और ऊन के ताने-बाने लर्ाकर लकड़ी के लूम ➢ मृण्य लशल्प या िे राकोिा– ममट् टी से मूर्तियााँ, वर्द्मभन्न सजार्टी र्
पर र्लीचे की बुनाई की जाती है। उपयोर्ी र्थतुएाँ तैयार कर पकाना, टे राकोटा कहलाता है। मोलेला,
➢ दररयााँ- सालार्ास र्ााँर् (जोधपुर), टांकला र्ााँर् (नार्ौर), लर्ाण र्ााँर् राजसमंद के कुम्हार अपने टे राकोटा कायग के शलए दे श-वर्दे श में जाने
(दौसा) जाते हैं।
➢ रंगरेज– र्थत्रों की रंर्ाई-छपाई करने र्ाला मुस्थलम कारीर्र। ➢ जड़ाई– सोने अथर्ा चााँदी के आभूषणों में नर्/नर्ीना को जमाने की
➢ छीपा या छींपा– कपड़ों पर छपाई र् रंर्ाई का कायग करने र्ाले को वक्रया। जड़ाऊ र्हनों के शलए जयपुर, जोधपुर, बीकानेर एर्ं उदयपुर
‘छींपा’ कहा जाता है। प्रशसद्ध है।
➢ नीिगर– र्ैददक काल में भी र्थत्रों को रंर्ना जानते थे, नील के रंर् से ➢ भारतीय आधुवनक भाषाओं की जननी अपभ्रंश मानी जाती है तथा
र्थत्र रंर्कर छपाई का काम करने र्ाले कारीर्र नीलिर के नाम से राजथथानी भाषा को अपभ्रंश की पहली संतान कहा जाता है।
प्रशसद्ध थे। ➢ राजथथानी भाषा की उत्पशत्त शौरसेनी प्राकत के र्ुजगरी अपभ्रंश से हुई।
➢ मुकेश– सूती या रेशम कपड़े पर बादले से छोटी-छोटी वबिदकी की कढ़ाई ➢ 8र्ीं शताब्दी में उद्योतन सूरी द्वारा रमचत ग्रंथ कुर्लयमाला में र्र्णित 18
‘मुकेश’ कहलाती है। दे शी भाषाओं में ‘मरुिाणी’ को मरुदे श की भाषा के रूप में उल्लेख
➢ जरदोजी– सुनहरे धार्ो से जो कढ़ाई का कायग वकया जाता है उसे वकया र्या।
‘जरदोजी’ कहते हैं। ➢ अबुल फजल द्वारा रमचत ग्रंथ आइन-ए-अकबरी तथा कवर् कुशललाभ
➢ कशीदाकारी– कशीदाकारी कायग, बाड़मेर-जैसलमेर जजलों की द्वारा रमचत ग्रंथ वपिर्ल शशरोमद्मण में ‘मारिाड़ी’ शब्द का प्रयोर् वकया
मवहलाओं द्वारा वकया जाता है। इसके शलए बाड़मेर जजले की ‘रूमा र्या है।
दे र्ी’ को अनेक पुरथकार प्राप्त हुए हैं। ➢ र्षग 1912 में जॉजग अब्राहम वग्रयसगन ने अपने प्रशसद्ध ग्रंथ ‘लििंग्ग्िम्स्िक
➢ पेचिकग– कपड़ों को तरह-तरह से काटकर, कपड़ों पर शसल ददया जाता सिे ऑफ इंम्या’ में सर्गप्रथम राजथथान की भाषा के शलए राजथथानी
है, जजसे पेचर्कग कहा जाता है। नाम का प्रयोर् वकया र्या।
➢ गोिा– सोने और चााँदी के परतदार तारों से र्थत्रों पर जो कढ़ाई का काम ➢ डॉ. एल.पी. टै थसीटोरी ने अपनी पवत्रका ‘इंम्यन ऐन्िीक्िेरी’ में
वकया जाता है उसे र्ोटा कहते हैं। र्ोटे का काम जयपुर र् बावतक का राजथथानी की उत्पशत्त एर्ं वर्कास पर प्रकाश डाला।
काम खण्ड़ेला में होता है। ➢ 21 फरर्री को ‘राजस्थानी भाषा’ ददर्स तथा 14 शसतम्बर को
➢ कठपुतिी– कठपुतली वनमागण के केन्द्र - उदयपुर, मचत्तौड़र्ढ़ र् ‘वहन्दी टदिस’ मनाया जाता है।
कठपुतली नर्र (जयपुर)। कठपुतशलयााँ अरडू की लकड़ी की बनाई ➢ मारिाड़ी बोिी– जोधपुर के आसपास के क्षेत्र में। 8र्ीं शताब्दी में
जाती हैं। इस कला के वर्कास के शलए सन् 1968 में थर्. श्रीदे र्ीलाल उद्योतन सूरी द्वारा रमचत ग्रंथ कुर्लयमाला में मारर्ाड़ी को मरुिाणी
सामर को पिश्री से सम्मावनत वकया र्या है। कहा र्या। पद्मश्चमी राजथथान की प्रमुख बोली जो क्षेत्रफल की दृवष्ट से
➢ कािड़ – मजन्दरनुमा काष्ठ कलाकवत, जजसमें कई कपाट (द्वार) होते हैं। राजथथानी बोशलयों में प्रथम थथान रखती है। मारर्ाड़ी भाषा का
कार्ड़ वनमागण के शलए मचत्तौड़र्ढ़ का बथसी र्ााँर् प्रशसद्ध है। मांर्ीलाल सावहस्त्त्यक रूप डडिर्ल कहलाता हैं। प्राचीन जैन सावहत्य और मीराबाई
ममथत्री कार्ड़ मचत्रण के शलए प्रशसद्ध है। के पद इसी भाषा में रमचत हैं।
➢ बेिाण– यह लकड़ी का छोटा-सा मंददर होता है जजसे ममवनएचर र्ुड ➢ मेिाड़ी बोिी– मेर्ाड़ क्षेत्र में उदयपुर, राजसमंद, भीलर्ाड़ा,
टे म्पल कहा जाता है। मचत्तौड़र्ढ़ जजलों में बोली जाती है। कुम्भाकालीन रमचत कीर्तिथतम्भ
➢ चौपड़े – वर्र्ाह एर्ं मांर्शलक अर्सरों पर कुंकुम, अक्षत, चार्ल आदद प्रशस्थत में मेर्ाड़ी भाषा का प्रयोर् वकया र्या है।
रखने हेतु प्रयुक्त लकड़ी का पात्र।
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➢ िागड़ी डू ाँर्रपुर तथा बााँसर्ाड़ा में बोली जाने र्ाली बोली है। जॉजग ➢ समराइच्चकहा – जैन आचायग हररभद्र सूरर द्वारा शलखे (987 ई.) इस
अब्राहम वग्रयसगन ने इसे ‘भीिी बोिी’ कहा है। ग्रंथ से राजथथान के जन-जीर्न के वर्वर्ध पक्षों की जानकारी ममलती
➢ खैराड़ी– यह बोली ढूाँ ढाड़ी, मेर्ाड़ी और हाड़ौती का ममश्रण है। प्रमुख है।
क्षेत्र – शाहपुरा (भीलर्ाड़ा), बूाँदी ➢ अजजतोदय – भट् ट जर्जीर्न की यह कवत मारर्ाड़ के शासक
➢ शेखािािी– सीकर, चूरू र् झुंझुनूाँ क्षेत्र में बोली जाती है। अजीतससिह के शासन (1707-1724 ई.) पर प्रकाश डालती है।
➢ गौ्िाड़ी– लूणी नदी के बालोतरा के बाद अपर्ाह तंत्र को र्ौड़र्ाड़ ➢ अमरसार – पं. जीर्धर का यह काव्य महाराणा प्रताप और अमरससिह
प्रदे श कहते हैं। इस क्षेत्र में बोली जाने र्ाली बोली र्ौड़र्ाडी है। नरपवत के शासनकाल एर्ं तत्कालीन जनजीर्न का सुन्दर मचत्रण करता है।
नाल्ह द्वारा ‘बीसलदे र् रासो’ नामक ग्रंथ इसी भाषा में रमचत है। ➢ एकलििंग महात्म्य – कान्ह व्यास रमचत यह ग्रंथ मेर्ाड़ महाराणाओं की
➢ दे िड़ािािी– यह शसरोही के दे र्ड़ा शासकों की बोली है। र्ंशार्ली के शलए उपयोर्ी है। कुछ वर्द्वान कुम्भा को इस ग्रंथ का
➢ थिी बोिी– बीकानेर के आस-पास बोली जाती है। रचवयता मानते हैं।
➢ ढूाँ ढाड़ी बोिी– जयपुर, आमेर, दौसा, टोंक, वकशनर्ढ़ आदद इसके ➢ अमीरनामा – मुंशी भुसार्नलाल कत यह ग्रंथ टोंक के नर्ाब अमीर खााँ
प्रमुख क्षेत्र है। ढूाँ ढाड़ी बोली का सबसे प्राचीनतम प्रमाण 18 र्ीं सदी वपण्डारी के जीर्न से सम्बस्न्धत है।
के ग्रन्थ 'आठ दे स गूजरी' नामक ग्रन्थ में ममलता है। संत दादू एर्ं ➢ कमगचन्द्र िंशोत्कीतगनकंकाव्यम – जयसोम का यह काव्य बीकानेर के
उनके शशष्यों की रचनाएाँ इसी भाषा में रची र्ई है। शासकों के र्ैभर् एर्ं वर्द्यानुरार् की जानकारी दे ता है।
➢ हाड़ौती– कोटा, बूाँदी, बारााँ, झालार्ाड़ क्षेत्र में बोली जाती है। एम. ➢ कान्हड़दे प्रबन्ध – कवर् पिनाभ का यह काव्य जालोर के चौहान
केलांर् ने र्षग 1875 में अपनी पुथतक ‘वहन्दी ग्रामर’ में हाड़ौती शब्द शासक कान्हड़दे र् एर्ं अलाउद्दीन खखलजी के मध्य हुए युद्ध (1311
सर्गप्रथम भाषा के रूप में प्रयोर् वकया र्या। जॉजग अब्राहम वग्रयसगन ने ई.) पर प्रकाश डालता है।
हाड़ौती को बोली के रूप में मान्यता दी। ➢ कुिियमािा – जैन आचायग उद्योतन सूरर कत इस रचना से प्रवतहार
➢ मेिाती बोिी– अलर्र, भरतपुर, धौलपुर, करौली के पूर्ी क्षेत्र में बोली शासक र्त्सराज के शासन प्रबन्ध की जानकारी ममलती है।
जाती है। संत लालदासजी, संत चरणदासजी, सहजोबाई, (‘सहज ➢ क्यामखााँ रासो – कवर् जान (वनयामत खााँ) का यह ग्रंथ चौहानों को
प्रकाश’, ‘सोलह वतशथ’,) दयाबाई (‘दयाबोध’, ‘वर्नयमाशलका’) र् र्त्सर्ौत्रीय बताता है।
डू ाँर्रससिह आदद की रचनाएाँ इसी भाषा में रची र्ई है। ➢ खुमाण रासो – दौलत वर्जय का यह ग्रंथ हल्दीिाटी के युद्ध के समय
➢ माििी बोिी– कोटा, झालार्ाड़, र् प्रतापर्ढ़ के क्षेत्र में बोली जाती प्रताप - शशक्तससिह ममलन र् महाराणा अमरससिह के शासनकाल (1597-
है। मालर्ी की उपबोशलयााँ – वनमाड़ी बोली र् रांर्ड़ी 1620 ई.) के दौरान मेर्ाड़-मुर्ल सम्बन्धों पर प्रकाश डालता है।
➢ अहीरिािी या राठी बोिी– अहीर जावत द्वारा बोली जाने र्ाली बोली ➢ छिपवत रासो- कवर् काशी छं र्ाणी का यह ग्रंथ बीकानेर का इवतहास
हैं। इसको राठी, हीरर्ाल या हीरर्ाटी बोली भी कहते हैं। अलर्र के है। 1642 ई. में बीकानेर के शासक कणगससिह और नार्ौर के अमरससिह
मुंडार्र तथा बहरोड़ तहसील र् जयपुर की कोटपुतली तहसील क्षेत्र में के मध्य जाखद्मणयााँ र्ााँर् की सीमा को लेकर हुए युद्ध जो ‘मतीरे की
बोली जाती है। राड़’ नाम से वर्ख्यात है, का भी इनमें र्णगन हैं।
➢ अचिदास खींची री िचवनका - शशर्दास र्ाडण वर्रमचत ➢ प्रताप रासो– जाचक जीर्ण का यह ग्रंथ अलर्र राज्य की थथापना
राजथथानी भाषा के इस चम्पू काव्य में, र्ार्रोन के शासक अचलदास (1770 ई.) करने र्ाले रार् राजा प्रतापससिह के जीर्न का वर्र्रण
और मालर्ा के सुल्तान होशंर्शाह र्ौरी के मध्य हुए युद्ध (1423 ई.) उपलब्ध करर्ाता है।
का र्णगन है। ➢ बीसिदे ि रासो – नरपवत नाल्ह की यह रचना अजमेर के शासक
➢ मारिाड़ रा परगना री विगत– मुहणौत नैणसी की इस रचना की तुलना वर्ग्रहराज चतुथग (र्ीसलदे र्) के शासनकाल (1158-1163 ई.) की
आइन-ए-अकबरी से की जाती है। इसमें जोधपुर राज्य के छ: परर्नों जानकारी उपलबध करर्ाती है।
का इवतहास एर्ं प्रशासवनक प्रबंध का र्णगन है। ➢ सगत रासो– वर्रधर आशसया का यह ग्रंथ मेर्ाड़ के इवतहास के शलए
➢ मुण्ण््यार री ख्यात– मुस्ण्डयार र्ााँर् के चारणों द्वारा रमचत इस ख्यात उपयोर्ी है। यह हल्दीिाटी के युद्ध एर्ं शशक्त ससिह के र्ंशजों पर भी
से मारर्ाड़ मुर्ल सम्बन्धों की जानकारी ममलती है। प्रकाश डालता है।
➢ नैणसी की ख्यात – मुहणौत नैणसी ने (1610-1670 ई.) इस ग्रंथ में ➢ पृथ्िीराज रासो – चन्दबरदाई कत पथ्र्ीराज रासो को वहन्दी का पहला
मारर्ाड़ राज्य के साथ-साथ मालर्ा, बुन्दे लखण्ड, मेर्ाड़, आमेर, महाकाव्य माना जाता है। इस ग्रंथ में राजपूतों की उत्पशत्त आबू के
बीकानेर, वकशनर्ढ़ आदद राज्यों के इवतहास का वर्र्ेचन वकया है। अन्ग्नकुण्ड से बताई र्ई है। पथ्र्ीराज चौहान के शासनकाल एर्ं तराइन
➢ दयािदास की ख्यात – यह ख्यात बीकानेर के इवतहास पर प्रकाश के युद्धों (1191-1192 ई.) की जानकारी दे ने में पथ्र्ीराज रासो का
डालती है। महत्ता योर्दान है।
➢ िेलि वकसन-रूकमणण री – अकबर के दरबारी और बीकानेर के कुाँर्र ➢ पृथ्िीराज विजय – जयानक द्वारा रमचत, चौहानों के इवतहास एर्ं
पथ्र्ीराज राठौड़ (पीथल) की ये रचना सोलहर्ीं शताब्दी के धार्मिक एर्ं अजमेर के वर्कास पर प्रकाश डालता है।
सामाजजक जीर्न पर प्रकाश डालती है। ➢ हम्मीर रासो- जोधराज वर्रमचत इस ग्रंथ में रणथम्भौर के चौहान
➢ बााँकीदास की बातां– मारर्ाड़ राज्य के दरबारी कवर् बााँकीदास ने शासक हम्मीर एर्ं अलाउद्दीन खखलजी के मध्य हुए युद्ध (1301 ई.) का
डडिर्ल भाषा में छोटी-छोटी 2000 बातें शलखी, जजससे चौहान, हाड़ा, र्णगन ममलता है।
र्हलोत एर्ं राठौड़ आदद र्ंशों का इवतहास पता चलता है। ➢ हम्मीर महाकाव्य - नयनचन्द्र सूरी द्वारा रमचत, अलाउद्दीन खलजी की
रणथम्भौर वर्जय पर प्रकाश डालता है।
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➢ हम्मीर हठ– चन्द्रशेखर का यह ग्रंथ रणथम्भौर के शासक हम्मीर ➢ िीर सतसई - इस ग्रंथ की रचना 1857 के थर्तंत्रता संग्राम के समय
(1282-1301 ई.) के व्यशक्तत्र् एर्ं कवतत्र् पर प्रकाश डालता है। की र्ई।
➢ हम्मीरायण– भाण्डउ व्यास रमचत यह ग्रंथ रणथम्भौर के शासक हम्मीर ➢ कन्हैयािाि सेटठया– जन्म स्थान - सुजानर्ढ़ (चूरू)
के बारे में जानकारी दे ता है। ➢ पीथि-पाथि - कन्हैयालाल सेदठया ने पथ्र्ीराज राठौड़ (पीथल) और
➢ पद्माित– मशलक मोहम्मद जायसी की यह कवत वहन्दी का महत्त्र्पूणग महाराणा प्रताप (पाथल) के मध्य हुए संर्ाद पर ‘पीथि-पाथि’
काव्य ग्रंथ है। इससे अलाउद्दीन खखलजी के मचत्तौड़ आक्रमण (1303 नामक कवर्ता शलखी।
ई.) पर प्रकाश पड़ता है। ➢ वियजदान दे था– वर्जयदान दे था, कोमल कोठारी के साथ ‘रूपायन
➢ प्रबन्ध मचन्तामणण – आचायग मेरुतुंर् की यह कवत पथ्र्ीराज चौहान संथथान’ के सह-संथथापक थे। नर्म्बर, 2013 में उनका वनधन हो
के शासन प्रबंध की जानकारी दे ती है। र्या।
➢ बुजद्ध वििास – शाह बख्तराम द्वारा रमचत यह ग्रंथ जयपुर की थथापना ➢ बातााँ री फुििारी – इस रचना के शलए दे थाजी को राजथथानी सावहत्य
(1727 ई.) एर्ं जयपुर नर्र वनमागण योजनाओं की आाँखों दे खी अकादमी पुरथकार ददया र्या है।
जानकारी दे ता है। ➢ कवि दुरसा आढ़ा– अकबर के दरबारी कवर् थे वकन्तु बाद में अकबर
➢ पाबूप्रकाश – मोडा आशशया रमचत यह ग्रंथ पाबूजी के जीर्नर्त्त पर का दरबार छोड़कर शसरोही के शासक सुरताण दे र्ड़ा के दरबार में चले
प्रकाश डालता है। र्ए।
➢ सूरजप्रकाश– करणीदान का यह डडिर्ल काव्य राठौड़ों की तेरह ➢ कवि बांकीदास- यह आशशया शाखा के चारण थे और जोधपुर के
शाखाओं का उल्लेख करता है। यह राठौड़ों की र्ंशार्ली कुश (राम के महाराजा मानससिह के चहेते एर्ं काव्य र्ुरु थे। बांकीदास राजथथान के
छोटे पुत्र) से शुरू करता है। यह सुमेल (1544 ई.) र् धरमत के युद्ध प्रथम कवर् थे, जजन्होंने सर्गप्रथम अंग्रेजों के वर्रुद्ध चेतार्नी के र्ीत
(1658 ई.) एर्ं मुर्ल दरबार में सैय्यद बन्धुओं के प्रभार् का भी उल्लेख शलखे।
करता है। ➢ मेघराज मुकुि– सैनाणी – इसमें सलूम्बर के चूंडार्त सरदार रतनससिह
➢ राज प्रकाश– वकशोरदास रमचत इस ग्रंथ में मेर्ाड़ राजर्ंश की उत्पशत्त द्वारा मेर्ाड़ शासक राजससिह के सैवनक अद्मभयान में जाते समय अपनी
राम के ज्येष्ठ पुत्र लर् से बताई र्ई है। लेखक हल्दीिाटी युद्ध में राणा नई-नर्ेली दुल्हन हाड़ी रानी सहल कंर्र से वनशानी मााँर्ने पर, उसने
प्रताप की वर्जय बताता है तथा मेर्ाड़-मुर्ल संमध (1615 ई.) में अपना शसर काटकर दे ददया था, इस बात का र्णगन है।
अमरससिह की उदासीनता और कणगससिह की सवक्रयता का उल्लेख करता ➢ पंम्त झाबरमल्ि शमाग– पत्रकाररता के भीष्म वपतामह कहते हैं।
है। ➢ चन्द्र लसिंह ‘वबरकािी’ रचनाएाँ - बादळी और लू
➢ राजरत्नाकर – सदाशशर् रमचत यह ग्रंथ महाराणा राजससिह (1652- ➢ ‘बादळी’ - यह रचना आधुवनक राजथथानी भाषा की प्रथम काव्याकवत
1680 ई.) के शासनकाल की जानकारी का महत्त्र्पूणग स्रोत है। है।
➢ राजिल्िभ– महाराणा कुम्भा के दरबारी शशल्पी मण्डन वर्रमचत यह ➢ मणण मधुकर- कवर्ताएाँ - सोजती र्ेट, आशलजा आज्यो िरााँ और
ग्रंथ पन्द्रहर्ीं शताब्दी की र्ाथतुकला, नर्र द्वार, दुर्ग, राजप्रासाद, मंददर, पर्फैरो
बाजार आदद की वनमागण पद्धवत का वर्र्रण दे ता है। ➢ श्रीिाि नथमि जोशी – रचनाएाँ - आभै पटकी - थर्तन्त्रता काल
➢ राजविनोद– सदाशशर् भट् ट का यह ग्रंथ बीकानेर नरेश रार् का प्रथम उपन्यास है।
कल्याणमल (1542-1574 ई.) के शासनकाल की जानकारी दे ता ➢ पृथ्िीराज राठौड़– यह बीकानेर शासक रार् कल्याणमल के पुत्र तथा
है। महाराजा रायससिह के भाई थे। कन्हैयालाल सेदठया ने पथ्र्ीराज राठौड़
➢ राजरूपक– कवर् रतन चारण ने यह ग्रंथ जोधपुर नरेश अभयससिह और महाराणा प्रताप के मध्य हुए संर्ाद पर ‘पीथि-पाथि’ नामक
(1724-1749 ई.) के आदे श से शलखा। कवर्ताएाँ शलखी, जजसमें ‘पाथल’ महाराणा प्रताप तथा ‘पीथल’ के नाम
➢ राि जैतसी रो छन्द– बीठू सूजा का यह ग्रंथ बीकानेर के शासकों- से पथ्र्ीराज राठौड़ को संबोमधत वकया।
बीका, लूणकरण और जैतसी (1526-1541 ई.) के शासनकाल की ➢ महाकवि वबहारी – यह जयपुर के शासक ममजाग राजा जयससिह के
जानकारी दे ता है। दरबारी कवर् थे। उन्होंने र्ार्र में सार्र भरने र्ाली ‘वबहारी सतसई’
➢ िंश भास्कर - बूाँदी के राजकवर् सूयगमल्ल मीसण का चम्पू शैली (र्द्य- की रचना की।
पद्य ममद्मश्रत) का डडिर्ल भाषा में शलखा र्या यह महाकाव्य बूाँदी के ➢ सिाई प्रतापलसिंह (जयपुर)– ये ‘ब्रजवनमध’ नाम से कवर्ताएाँ शलखते
इवतहास के साथ ही राजथथान एर्ं भारत के इवतहास का वर्र्ेचन भी थे तथा इनकी कवर्ताएाँ ‘ब्रजवनमध ग्रन्थाििी’ में संर्हीत है।
करता है। यह राजथथान में मराठों की र्वतवर्मधयों और कष्णाकुमारी के ➢ महाराजा सािंतलसिंह (नागरीदास) (वकशनगढ़)– इन्होंने ‘नागर
वर्षपान (1810 ई.) का भी उल्लेख करता है। समुच्चय’ के नाम से कवर्ताएाँ शलखी।
➢ िीर विनोद– श्यामलदास वर्रमचत पााँच जजल्दों का यह ग्रंथ र्थतुत: ➢ महाराि बुद्धलसिंह (बूाँदी)– इन्होंने कष्ण भशक्त पर ‘नेहतरंग’ नामक
मेर्ाड़ का इवतहास है। इसमें मेर्ाड़ राजर्ंश की उत्पशत्त राम के पुत्र कुश ग्रन्थ की रचना की।
से बताई र्ई है। ➢ महाराजा अनूपलसिंह (बीकानेर)– अनूप वर्र्ेक, अनूप रत्नार्ली, काम
➢ कवि सूयगमल्ि मीसण– र्ह बूाँदी के शासक महारार् रामससिह-वद्वतीय प्रबोध, अनूपोदय आदद इनकी प्रमुख रचनाएूँ हैं।
के दरबारी कवर् थे। ➢ महाराजा जसिन्तलसिंह प्रथम (जोधपुर) – इन्होंने रीवत और अलंकार
➢ िंश भास्कर - र्द्य शैली में शलखखत इस ग्रंथ में बूाँदी राज्य का इवतहास से युक्त ‘भाषा भूषण’ नामक ग्रन्थ की रचना की।
र्र्णित है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान इततहास ➢ अबुल फजल ने र्ुनहलों को ईरान के बादशाह नौशेखााँ आददल का र्ंशज
बताया है।
➢ कालीबंगा सभ्यता हनुमानर्ढ़ जजले में िग्िर निी के बाएाँ तट पर स्थित
➢ र्ुनहल वंि की थथापना लर्भर् 566 ई. में ‘गुवहि या गुहेदत्त’ ने की।
है।
➢ सी. र्ी. र्ैद्य ने बप्पा रावल को ‘चाल्सग मािे ि’ कहा है ।
➢ कालीबंर्ा का उत्खनन र्षग 1952 में अमलानंद िोष तिा 1961-
➢ बप्पा रार्ल ने 734 ई. में मानमोरी को पराजजत कर मचत्तौड़ पर
1969 के मध्य बी. बी. लाल, बी.के. थापर, एम.डी. खरे, के.एम. द्वारा।
अमधकार वकया। ‘नागदा’ को अपनी राजधानी बनाई।
➢ कालीबंर्ा से जुते हुए खेतों के अर्शेष तिा सात अन्ग्नर्ेददकाएाँ प्राप्त
➢ अल्लट ने आहड़ को राजधानी बनाया। राष्ट्रकूटों को पराजजत कर
हुईं हैं।
हूण राजकुमारी हररया दे र्ी से वर्र्ाह वकया था।
➢ आहड़ को आघािपुर व ताम्रिती नगरी के नाम से जाना जाता है।
➢ शशक्त कुमार के समय मालर्ा के परमार शासक मुंज ने आक्रमण वकया
➢ आहड़ में उत्खनन अक्षयकीर्ति व्यास, आर. सी. अग्रर्ाल, एच. डी.
और आहड़ को नष्ट कर ददया।
सांकशलया द्वारा नकया र्या। यहाूँ उत्खनन से बस्थतयों के 8 थतर ममले
➢ जैत्रससिह ने परमारों को पराजजत कर मचत्तौड़र्ढ़ पर अमधकार वकया तथा
➢ र्णेश्वर सभ्यता सीकर जजले में काूँतली नदी के वकनारे स्थथत है।
मचत्तौड़र्ढ़ को अपनी राजधानी बनाया। इसकी उपामधयााँ ‘रण रशसक’
➢ र्णेश्वर को ‘ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी’ व ‘ताम्र संचयी
व ‘मेर्ाड़ की नर् शशक्त का संचारक’ िी।
संस्कृवत’ के उपनाम से जाना जाता है।
➢ अलाउद्दीन खखलजी के धचत्तौड़ आक्रमण के समय रतनससिह ने केसररया
➢ र्णेश्वर में उत्खनन रतनचंद्र अग्रर्ाल तिा वर्जय कुमार द्वारा नकया
तिा रानी पद्मिनी ने 1600 मवहलाओं के साथ जौहर वकया।
र्या।
➢ अलाउद्दीन ने मचत्तौड़ का नाम बदलकर ‘ग्खज्राबाद’ कर ददया।
➢ बालािल में उत्खनन डॉ. र्ी. एन. ममश्र द्वारा नकया र्या।
➢ राणा हम्मीर ने 1326 ई. में मचत्तौड़ पर अमधकार कर र्ुवहल र्ंश की
➢ बालािल से 4000 र्षग पुराना कंकाल ममला है जजसको भारत में कुष्ठ
पुन: थथापना की। इसकी उपामध ‘वर्षमिाटी पंचानन’ िी।
रोर् का सबसे पुराना प्रमाण माना जाता है।
➢ महाराणा लाखा के ज्येष्ठ पुत्र कुूँर्र चूंडा को ‘मेिाड़ का भीष्म
➢ बैराठ में र्षग 1936-37 में दयाराम साहनी तिा र्षग 1962-63 में
वपतामह’ कहा जाता है।
नीलरत्न बनजी व कैलाशनाथ दीद्मक्षत द्वारा उत्खनन नकया र्या।
➢ महाराणा कुम्भा की उपामधयााँ अद्मभनर् भरताचायग व वहिदू सुरताण िी।
➢ बैराठ में बीजक की पहाड़ी, भीमजी की डू ाँर्री, महादे र्जी की डू ाँर्री से
➢ कुम्भा ने संर्ीत राज, संर्ीत मीमांसा, संर्ीत रत्नाकर, र्ीत र्ोवर्िद की
उत्खनन कायग वकया र्या। इसे ‘प्राचीन युग की मचिशािा’ भी कहा
टीका नामक ग्रंिों की रचना की।
र्या है।
➢ कुंभा ने सारंर्पुर के युद्ध में महमूद खखलजी प्रथम को पराजजत वकया
➢ र्ुजगर-प्रवतहार र्ंश का आददपुरुष - हररश्चन्द्र
तथा इस उपलक्ष्य में मचत्तौड़र्ढ़ दुर्ग में विजय स्तंभ का वनमागण
➢ िदटयाला शशलालेख में मण्डोर के प्रवतहार र्ंश की प्रारस्म्भक स्थथवत र्
करर्ाया।
र्ंशार्ली ममलती है।
➢ कुम्भा के पुत्र उदा ने 1468 ई. में कुम्भा की हत्या की।
➢ नरभट्ट की उपामध ‘वपल्लापल्ली’ िी।
➢ महाराणा रायमल के पुर पथ्र्ीराज को ‘उड़ना राजकुमार’ के नाम से
➢ बाउक ने मण्डोर शशलालेख उत्कीणग करर्ाया था।
भी जाना जाता है।
➢ कक्कुक के समय िदटयाला के दो शशलालेख उत्कीणग वकए र्ए थे। इसने
➢ सांर्ा ने 1517 ई. में खातोली के युद्ध में इब्रावहम लोदी को पराजजत
रोवहिसकूप र् मण्डोर में वर्जय थतम्भ का वनमागण करर्ाया था।
वकया था। इसे वहन्दूपत व सैवनक भग्नार्शेष की संज्ञा िी र्ई।
➢ ईन्दा प्रवतहार ने चूंडा राठौड़ को मण्डोर दहेज में दे ददया।
➢ 17 माचग, 1527 को खानर्ा के युद्ध में बाबर ने सांर्ा को पराजजत
➢ नार्भट्ट-प्रथम का दरबार ‘नागाििोक का दरबार’ कहलाता था।
वकया।
इसकी उपामधयााँ नारायण का अर्तार, इन्द्र के दं भ का नाशक व
➢ महाराणा वर्क्रमाददत्य के समय 1535 ई. में मचत्तौड़ का पतन हुआ तिा
नारायण िी।
मचत्तौड़र्ढ़ का ‘दूसरा साका’ हुआ।
➢ र्त्सराज की उपामध रणहस्स्तन िी। वत्रकोणात्मक संिषग की शुरुआत
➢ बनर्ीर ने वर्क्रमाददत्य की हत्या कर मचत्तौड़ पर अमधकार कर शलया।
र्त्सराज ने की थी।
➢ महाराणा उदयससिह ने 1543 ई. में शेरशाह सूरी को मचत्तौड़ दुर्ग की
➢ नार्भट् ट वद्वतीय ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाई।
चावबयााँ सौंपकर उसका प्रभुत्र् थर्ीकार कर शलया।
➢ ममवहरभोज को सुलेमान ने ‘मुसलमानों का सबसे बड़ा शत्रु’ कहा था।
➢ उियससिह के समय 1567–68 ई. में अकबर ने मचत्तौड़ पर आक्रमण
इसकी उपामधयाूँ आददर्राह, प्रभास व आददर्राह िी।
नकया। इस समय मचत्तौड़ का तीसरा साका हुआ।
➢ महेंद्रपाल प्रथम की उपामधयााँ वनभगय नरेंद्र, रिुकुल वतलक व रिुकुल
➢ महाराणा प्रताप को कीका, मेर्ाड़ केसरी व वहन्दुआ सूरज के नाम से
चूड़ामद्मण िी।
जाना जाता है।
➢ मवहपाल प्रथम के समय 915 ई. में अरब यात्री अलमसूदी ने भारत की
➢ 18 जून, 1576 को राणा प्रताप व अकबर की सेना के मध्य हल्दीिाटी
यात्रा की थी। इसकी उपामधयााँ रिुकुलमुक्तामद्मण, रिुर्ंश-मुकुटमद्मण
का युद्ध हुआ। इस युद्ध में मुर्ल सेना का नेतत्र् ममजाग मानससिह ने
िी।
नकया।
➢ राज्यपाल के समय 1018 ई. में महमूद र्जनर्ी ने कन्नौज पर आक्रमण
➢ राणा प्रताप के िायल होने पर झािा बीदा ने राजमचह्न धारण वकया।
वकया।
हल्दीिाटी युद्ध को कनगल टॉड ने मेर्ाड़ की थमोपॉली कहा।
➢ यशपाल र्ुजगर-प्रवतहारों का अंवतम शासक िा।

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ 1585 ई. में लूणा चार्स्ण्डया को पराजजत कर प्रताप ने चार्ण्ड पर ➢ वर्ग्रहराज चतुथग को बीसलदे र् चौहान के नाम से भी जाना जाता िा।
अमधकार वकया तथा इसे अपनी नई राजधानी बनाया। इनके काल को ‘चौहानों का स्िणगयुग’ माना जाता है।
➢ 5 फरर्री, 1615 में मेर्ाड़ के अमरससिह प्रथम र् मुर्ल शासक जहााँर्ीर ➢ वर्ग्रहराज चतुथग ने संथकत भाषा में ‘हररकेली’ नामक नाटक की रचना
के बीच प्रथम मुगि-मेिाड़ संमध हुई। की।
➢ महाराणा राजससिह को औरंर्जेब ने 6000 का मनसब दिया। इसकी ➢ 1191 ई. में तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद र्ौरी व 1192 ई. में तराइन
उपामध ‘वर्जय कटकातु’ िी। के वद्वतीय युद्ध में पथ्र्ीराज चौहान तृतीय पराजजत हुआ था।
➢ राजससिह ने राजसमन्द झील का वनमागण करर्ाया तिा राजनर्र नामक ➢ पथ्र्ीराज चौहान ततीय की उपामधयााँ ‘रायवपथौरा’ व ‘दलपुंर्ल’ िी।
नया नर्र बसाया। ➢ रणिम्भौर के चौहान वंि का संथथापक पथ्र्ीराज ततीय का पुत्र
➢ राजससिह ने मारर्ाड़ के अजीतससिह र् दुर्ागदास की सहायता की तथा गोविन्दराज िा।
उन्हें ‘केलर्ा की जार्ीर’ प्रदान की। ➢ हम्मीर दे र् चौहान ने मेर्ाड़ के शासक समरससिह को पराजजत वकया था।
➢ महाराणा अमरससिह वद्वतीय ने दे बारी समझौते के तहत अपनी पुत्री ➢ 1301 में रणिम्भौर पर अलाउद्दीन खखलजी के आक्रमण के समय
इन्द्रकुूँर्री का वर्र्ाह सर्ाई जयससिह से करर्ाया। हम्मीर दे र् युद्ध लड़ता हुआ र्ीरर्वत को प्राप्त हुआ व रानी रंर्दे र्ी ने
➢ महाराणा जर्तससिह वद्वतीय ने 17 जुलाई, 1734 को हुरड़ा सम्मेलन की जौहर वकया। यह राजथथान का प्रथम साका िा।
अध्यक्षता की। ➢ नाडोल के चौहान वंि का संथथापक िक्ष्मण िा।
➢ महाराणा भीमससिह ने 1818 ई. में मराठों के भय से अंग्रेजों से संमध कर ➢ 1181 में कीर्तिंपाि (कीतू) ने जालोर में चौहान र्ंश की थथापना की।
ली थी। ➢ 1228 में ददल्ली सुल्तान इल्तुतममश के जालोर आक्रमण को उदयससिह
➢ भीमससिह की पुत्री कष्णा कुमारी से वर्र्ाह के शलए 1807 ई. में वर्िर्ोली ने असफल कर ददया।
का युद्ध हुआ। कष्णा कुमारी को जहर दे ददया। ➢ अलाउद्दीन खखलजी ने शसर्ाना दुर्ग को जीतकर इसका नाम खैराबाद
➢ महाराणा थर्रूपससिह ने थर्रूपशाही शसक्के चलाए तिा वर्जय थतम्भ कर दिया।
का जीणोद्धार करर्ाया। इसने 1861 ई. में सती प्रथा पर रोक लर्ाई। ➢ 1311 ई. में अलाउद्दीन खखलजी ने जालोर पर आक्रमण नकया।
➢ राणा सज्जनससिह को 1881 ई. में लॉडग ररपन ने महाराणा को कान्हड़दे र् र् इनके पुत्र र्ीरमदे र् युद्ध में र्ीरर्वत को प्राप्त हुए तथा
जी.सी.एस.आई. का खखताब ददया। मवहलाओं ने जौहर वकया। अलाउद्दीन ने जालोर दुर्ग का नाम
➢ सामंतससिह ने र्ार्ड़ क्षेत्र में 1178 में र्ुवहल र्ंश की नींर् रखी। र्दपटक जिािाबाद रखा।
(बड़ौदा) को अपनी राजधानी बनाया था। ➢ िुम्बा दे िड़ा ने चंद्रार्ती र् आबू पर 1311 ई. में परमारों को हराकर
➢ र्ीरससिह ने डू ाँर्ररया भील को पराजजत कर डू ाँर्रपुर की थथापना की एर्ं शसरोही में चौहान र्ंश की थथापना की।
इसे अपनी राजधानी बनाया। ➢ 1425 ई. में सहसमल दे र्ड़ा ने र्तगमान शसरोही नर्र की थथापना की।
➢ उदयससिह ने राणा सांर्ा के सहयोर्ी के रूप में खानर्ा के युद्ध में लड़ते ➢ अखेराज दे र्ड़ा ने खानर्ा के युद्ध में महाराणा सांर्ा की ओर से भार्
हुए र्ीरर्वत को प्राप्त हुए। शलया िा। इसे ‘उड़ना अखेराज’ भी कहा जाता था।
➢ महारावल आसकरण ने अकबर की अधीनता थर्ीकार की। ➢ 1575 ई. में सुरताण दे र्ड़ा ने अकबर की अधीनता थर्ीकार की।
➢ महारार्ल पुंजराज (पूंजा) को शाहजहााँ ने ‘माही मशवतर्’ का खखताब ➢ 1823 ई. में शशर्ससिह ने अंग्रेजों के साथ ईथट इस्ण्डया कंपनी से संमध
ददया। कर ली थी।
➢ महारावल लक्ष्मणससिह डू ाँर्रपुर के र्ुवहल र्ंश का अन्न्तम शासक तिा ➢ दे िा हाड़ा ने 1241 ई. में मीणाओं से बूाँदी को छीनकर बूाँदी राज्य की
भारतीय संवर्धान सभा का सदथय िा। थथापना की।
➢ जर्माल ने लर्भर् 1530 ई. में बााँसर्ाड़ा में र्ुवहल र्ंश की नींर् रखी। ➢ रार् सुजगन हाड़ा ने 1569 ई. में रणथम्भौर दुर्ग में अकबर की अधीनता
➢ प्रतापर्ढ़ में र्ुवहल र्ंश का प्रारम्भ महाराणा मोकल के वद्वतीय पुत्र थर्ीकार की। अकबर ने रार्राजा की उपामध र् 5 हजार का मनसब
क्षेमससिह से प्रारम्भ हुआ। ददया।
➢ महारार्ल उदयससिह ने अपनी राजधानी प्रतापर्ढ़ को बनाया था। ➢ रतनससिह हाड़ा को जहााँर्ीर ने ‘रामराजा’ व ‘सरबुलंदराय’ की उपामधयााँ
➢ दशरथ शमाग ने वबजौशलया शशलालेख के आिार पर चौहानों को दी।
र्त्सर्ौत्रीय ब्राह्मण माना है। ➢ बुद्धससिह ने ‘नेहतरंर्’ नामक ग्रंथ की रचना की।
➢ 551 ई. में वासुदेव ने चौहान राज्य की थथापना की। इसकी राजिानी ➢ मुर्ल बादशाह फरुग खशसयर ने बूाँदी का राज्य कोटा नरेश भीमससिह को
अवहच्छत्रपुर िी। इसने सांभर झील का वनमागण करर्ाया। दे ददया और बूाँदी का नाम बदलकर ‘फरुग खाबाद’ कर ददया।
➢ ‘पथ्र्ीराज वर्जय’ ग्रंथ के अनुसार र्ोवर्न्द-ततीय की उपामध र्ैरीिट् ट ➢ उम्मेदससिह की उपामध ‘श्रीजी’ िी।
(शत्रुसंहारक) थी। ➢ 1818 ई. में बूाँदी शासक वर्ष्णुससिह ने मराठों से सुरक्षा हेतु ईथट इंमडया
➢ अजयराज ने 1113 ई. में अजयमेरु (अजमेर) नर्र की थथापना की। कंपनी से संमध कर ली।
इन्होंने ‘अजयवप्रय द्रम्म’ नाम से चााँदी र् तााँबे के शसक्के चलाए थे। ➢ माधोससिह को शाहजहााँ ने ‘रफ्तार’ नाम का एक िोड़ा उपहार में ददया।
➢ अणोराज को आनाजी उपनाम से भी जाना जाता िा। इसने अजमेर में ➢ मुकुन्दससिह मुर्ल उत्तरामधकारी युद्ध में शाममल हुआ और शाही सेना की
आनासार्र झील व पुष्कर में र्राह मंददर का वनमागण करर्ाया। तरफ से लड़ते हुए र्ीरर्वत को प्राप्त हुए।
➢ अणोराज की हत्या 1155 ई. में इनके पुत्र जगदे ि ने की थी।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ रामससिह हाड़ा प्रथम 1707 ई. में जजाऊ के युद्ध में आजम की ओर से ➢ महाराजा जसर्ंतससिह प्रथम को शाहजहााँ ने ‘महाराजा’ की उपामध तिा
लड़ते हुए र्ीरर्वत को प्राप्त हुए। इसका उपनाम ‘भड़भूज्या’ िा। 4000 का मनसब प्रदान वकया था। इसने भाषा-भूषण, प्रबोध चन्द्रोदय
➢ भीमससिह को फरुग खशसयर ने पााँच हजार की मनसबदारी प्रदान की। नामक ग्रंिों की रचना की।
➢ महारार् शत्रुसाल प्रथम ने 1761 ई. में जयपुर के महाराजा सर्ाई ➢ जसर्ंतससिह की मत्यु पर औरंर्जेब ने कहा वक “आज कुफ्र का दरर्ाजा
माधोससिह प्रथम को भटर्ाड़ा के युद्ध में पराजजत वकया। टू ट र्या।”
➢ महारार् उम्मेदससिह ने 1817 ई. को अंग्रेजों से सस्न्ध की। ➢ महाराजा अजीतससिह ने अपनी पुत्री इन्द्रकुाँर्री का वर्र्ाह मुर्ल
➢ महारार् रामससिह वद्वतीय को 1857 की क्रांवत में जयदयाल र् मेहराब बादशाह फरुग खशसयर से वकया। इसने भाषा र्ुण सार्र एर्ं दुर्ाग पाठ
खााँ के नेतत्र् में जनता ने इसको कोटा के वकले में नजरबंद कर ददया नामक ग्रंथों की रचना की थी।
था। ➢ महाराजा वर्जयससिह ने वर्जयशाही नाम से चााँदी के शसक्के चलर्ाए।
➢ अंग्रेजों ने 1838 ई. में कोटा से अलर् कर झालार्ाड़ राज्य की थथापना श्यामलदास ने वर्जयससिह को जहााँर्ीर का नमूना कहा था।
की। अंग्रेजों ने झाला मदनससिह को शासक वनयुक्त वकया व ‘राजराणा’ ➢ महाराजा मानससिह ने 6 जनर्री, 1818 को ईथट इंमडया कंपनी के
की उपामध प्रदान की। साथ संमध कर ली।
➢ झाला मदन ससिह ने 1838 ई. में अंग्रेजों से संमध की थी। ➢ 1879 ई. में जसर्ंतससिह वद्वतीय ने अंग्रेजों से नमक समझौता वकया।
➢ राि सीहा मारर्ाड़ के राठौड़ राजर्ंश का संथथापक िा। सीहा 1273 ➢ राि बीका बीकानेर के राठौड़ र्ंश का संथथापक िा।
ई. में लाखा झंर्र के युद्ध में शहीद हुआ। ➢ रार् लूणकरण को ‘रार् जैतसी रो छन्द’ ग्रंि में ‘कलियुग का कणग‘
➢ रार् आसथान/अथथान ने खेड़ (बाड़मेर) को राजधानी बनाया। कहा र्या।
➢ रार् धूहड़ ने चक्रेश्वरी दे र्ी की मूर्ति कनागटक से लाकर नार्ाणा र्ााँर् ➢ रार् जैतसी र् मारर्ाड़ शासक मालदे र् के बीच 1541 ई. में
(बाड़मेर) में थथावपत करर्ाई जो नार्णेची माता कहलाई। यह राठौड़ ‘पाहेबा/साहेबा’ का युद्ध हुआ िा।
राजर्ंश की कुलदे र्ी हैं। ➢ राि कल्याणमि ने वर्रर-सुमेल के युद्ध में शेरशाह सूरी की सहायता
➢ ईंदा प्रनतहार ने अपनी पुत्री का वर्र्ाह रार् चूंडा के साथ करर्ाया तथा की थी। इसने नार्ौर दरबार में अकबर की अधीनता थर्ीकार की।
मण्डोर दुर्ग दहेज में दे ददया। यह 1423 ई. में पूंर्ल के भादटयों के द्वारा ➢ महाराजा रायससिह, अकबर र् जहााँर्ीर का समकालीन िा। इसे मुंिी
धोखे से मारा र्या। िे वी प्रसाि ने ‘राजपूताने का कणग‘ कहा है।
➢ ख्यातों के अनुसार रार् कान्हा ने करणी माता की र्ायों की हत्या करर्ाई ➢ अकबर ने रायससिह को जोधपुर का प्रिासक वनयुक्त वकया था। 1605
थी। इसशलए करणी माता ने कान्हा का र्ध कर ददया था। ई. में जहााँर्ीर ने रायससिह को 5000 का मनसब ददया।
➢ कुंभा ने रणमल की प्रेममका भारमली की मदद से 1438 ई. में रणमल ➢ रायससिह ने ‘रायससिह महोत्सर्, र्ैधक र्ंशार्ली, बालबोमधनी एर्ं
की हत्या करर्ा दी। ज्योवतष रत्नमाला की टीका शलखी।
➢ रार् जोधा ने 1453 ई. में मारर्ाड़ पर अमधकार कर शलया। ➢ महाराजा कणगससिह ने सावहत्य कल्पद्रुम नामक ग्रंि की रचना की।
➢ राव जोिा ने 12 मई, 1459 को जोधपुर की थथापना की एर्ं उसे अपनी शुकसप्तवत ग्रंथ में इसे ‘जांर्लधर बादशाह’ कहा र्या है।
राजधानी बनाया। ➢ 1644 ई. में ‘मतीरे री राड़‘ नामक युद्ध कणगससिह र् नार्ौर के अमरससिह
➢ रार् सूजा के समय बीका ने जोधपुर पर आक्रमण कर ददया था। राठौड़ के बीच हुआ।
➢ रार् र्ांर्ा ने खानर्ा के युद्ध में अपने पुत्र मालदे र् के नेतत्र् में सेना ➢ महाराजा अनूपससिह को औरंर्जेब ने ‘महाराजा‘ एर्ं ‘माही मरावतब‘
भेजकर राणा सांर्ा की मदद की। की उपामध से सम्मावनत वकया। अनूपससिह ने अनूपवर्र्ेक, कामप्रबोध,
➢ रार् मालदे र् को मारर्ाड़ के राठौड़ र्ंश का प्रथम वपतहंता माना जाता अनूपोदय आदि ग्रंिों की रचना की।
है। इसकी रानी उमादे रूठीरानी के नाम से जानी जाती है। ➢ महाराजा जोरार्रससिह ने 1734 ई. में हुरड़ा सम्मेलन में बीकानेर का
➢ 5 जनर्री, 1544 को वगरर-सुमेि का युद्ध मारवाड़ तथा शेरशाह सूरी प्रवतवनमधत्र् वकया।
के बीच हुआ। युद्ध में जैता र् कूंपा मारे र्ए। शेरशाह सूरी की वर्जय ➢ महाराजा र्जससिह को मुर्ल बादशाह ने 7,000 का मनसब एर्ं श्री
हुई। राजेश्वर महाराजामधराज महाराजा शशरोमद्मण श्री र्जससिह का खखताब
➢ रार् चन्द्रसेन भी नार्ौर दरबार में उपस्थथत हुआ लेवकन अकबर की मंशा ददया।
भांप र्ह दरबार से चला र्या। इसे मारिाड़ का भूिा-वबसरा नायक, ➢ महाराजा सूरतससिह ने 1818 ई. में ईथट इंमडया कंपनी से संमध की।
महाराणा प्रताप का पथप्रदशगक माना जाता है। ➢ महाराजा सरदारससिह ने 1857 की क्रांवत में अंग्रेजों के सहयोर् के शलए
➢ मोटा राजा उदयससिह मारर्ाड़े़ का पहला शासक था जजसने मुर्लों से सेना को बाडलू (पंजाब) भेजा।
र्ैर्ावहक संबंध थथावपत करते हुए अधीनता थर्ीकार कर ली थी। ➢ महाराजा र्ंर्ाससिह ने 1900 ई. में चीन के ‘बक्सर वर्द्रोह’ में अंग्रेजों की
➢ सर्ाई सूरससिह को अकबर ने सिाई की उपामध प्रदान की। मदद की। अत: अंग्रेजों ने उनको ‘केसर-ए-वहिद’ की उपामध दी एर्ं ’चीन
➢ जहााँर्ीर ने सूरससिह को 5000 जात एर्ं 3000 सर्ार का मनसब ददया युद्ध मेडल’ प्रदान वकया।
था। ➢ दुल्हेराय ने दौसा के मीणा र् बड़र्ुजगरों को पराजजत कर 1137 ई. में
➢ महाराजा र्जससिह को जहााँर्ीर ने 3000 जात र् 2000 सर्ार के ढूाँ ढाड़ में कच्छर्ाहा राजर्ंश की नींर् रखी। इसने दौसा को अपनी
मनसब एर्ं ‘राजा’ की उपामध से सम्मावनत वकया। जहााँर्ीर ने इसे प्रारस्म्भक तिा जमिारामगढ़ को अपनी दूसरी राजधानी बनाया।
1621 ई. में दिथम्भन की उपामध दी थी।
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➢ कोवकि दे ि ने 1207 ई. में आमेर के मीणाओं को पराजजत कर आमेर ➢ प्रतापससिह के दरबार में बाईस वर्द्वान रहते थे, जजन्हें ‘प्रताप बाईसी
को अपनी राजधानी बनाया। /र्ंधर्ग बाईसी’ कहा जाता था।
➢ राजदे र् ने 1237 ई. में आमेर में कदमी महलों का वनमागण करर्ाया था, ➢ सर्ाई जर्तससिह वद्वतीय ने 5 अप्रैल, 1818 को ईथट इंमडया कम्पनी से
जहााँ कच्छर्ाहा शासकों का राजवतलक होता था। संमध की। इसे जयपुर का बदनाम शासक उपनाम से जाना जाता िा।
➢ पथ्र्ीराज कच्छर्ाहा ने अपने राज्य को 12 भार्ों में बााँटा इसशलए आमेर ➢ सर्ाई रामससिह वद्वतीय को अंग्रेजों ने ‘शसतार-ए-वहन्द’ की उपामध दी।
को बारहकोिड़ी भी कहा जाता है। यह खानर्ा के युद्ध में राणा सांर्ा ➢ सवाई रामससिह ने एडर्डग पंचम के जयपुर आर्मन पर 1868 ई. में
की तरफ से लड़ते हुए र्ीरर्वत को प्राप्त हुए। जयपुर को र्ुलाबी रंर् से रंर्र्ाया। इसने झाड़शाही शसक्के चलाए।
➢ भारमि ने अकबर की अधीनता थर्ीकार की तत्पश्चात् सांभर में अपनी ➢ आबू के परमारों का कुलपुरुष धूमराज िा। इनकी राजधानी चन्द्रार्ती
पुत्री हरकूबाई का वर्र्ाह अकबर के साथ करर्ा ददया। ऐसा करने वाला िी।
यह राजथथान का पहला शासक िा। ➢ परमारों की र्ंशार्ली का प्रारम्भ उत्पलराज से होता है।
➢ अकबर ने भारमल को 5000 का मनसब तथा ‘राजा’ र् ‘अमीर-उल- ➢ परमार शासक वर्क्रमदे र् ने ‘महामण्डलेश्वर’ की उपामध धारण की।
उमरा’ की उपामध दी। ➢ धारार्षग ने मुहम्मद र्ौरी के वर्रुद्ध र्ुजरात की सेना का नेतत्र् वकया।
➢ भर्र्ंतदास को अकबर के द्वारा 5000 का मनसब एर्ं अमीर-उल- ➢ परमार शासक प्रतापससिह ने मेर्ाड़ शासक जैत्रकणग को पराजजत कर
उमरा की पदर्ी प्रदान की र्ई। चन्द्रार्ती पर अमधकार कर शलया था।
➢ भर्वंतिास ने 1585 ई. में अपनी पुत्री मानबाई का वर्र्ाह ➢ मालवा के परमार िासक मुंज ने केरल, चोल, हैयर्ंशीय, मेर्ाड़
सलीम/जहााँर्ीर के साथ वकया। (शशक्तकुमार), मालर्ा आदद राज्यों पर वर्जय प्राप्त की थी। इसकी
➢ मानससिह प्रथम, अकबर र् जहााँर्ीर के समकालीन िा। उपामधयााँ र्ाक्पवतराज, उत्पलराज, अमोिर्षग, पथ्र्ीर्ल्लभ,
➢ अकबर ने मानससिह को ‘फजगन्द’ की उपामध तिा 7000 का मनसब श्रीर्ल्लभ, कवर्र्ष िी।
प्रदान वकया। ➢ परमार िासक भोज की उपामध कवर्राज िी। इसने राजमर्ांक,
➢ ममजाग राजा जयससिह प्रथम, जहााँर्ीर, शाहजहााँ और औरंर्जेब के वर्द्वज्जनमण्डल, समरांर्ण सूत्रधार, शृंर्ारमंजरी कथा, राजमतगण्ड
समकालीन िा। आदद ग्रंिों की रचना की।
➢ 1637 ई. में जयससिह को शाहजहााँ ने 'ममजाग राजा' की उपामध से ➢ वार्ड़ के परमारों की राजधानी उत्थूणक/अथूगणा िी।
अलंकत वकया। ➢ वर्जयराज परमार के 1108 ई. और 1109 ई. के शशलालेखों से
➢ औरंर्जेब ने 1659 ई. में जयससिह का मनसब बढ़ाकर 7000 कर ददया जानकारी ममलती है वक र्ह र्ार्ड़ के परमारों का अन्न्तम शासक था।
था। ➢ वार्ड़ के परमार र्ंश में धवनक, कंकदे र्, सत्यराज, चामुण्डाराज,
➢ 1665 में शशर्ाजी र् ममजागराजा जयससिह के मध्य पुरन्दर की संमध हुई। वर्जयराज आदद शासक हुए।
➢ औरंर्जेब ने सर्ाई जयससिह वद्वतीय का नाम जयससिह रखते हुए इसे ➢ जैसलमेर के भाटी राजर्ंश का आटदपुरुष भट् टी िा। इसके पुत्र भूपत
सिाई का खखताब ददया। ने 285 ई. में ‘भटनेर दुर्ग’ का वनमागण करर्ाया।
➢ 17 जुलाई, 1734 को हुरड़ा सम्मेलन सर्ाई जयससिह द्वारा आयोजजत ➢ दे र्राज ने लोद्रर्ा को अपनी राजधानी बनाया।
वकया र्या। ➢ रार् जैसल ने जैसलमेर नर्र बसाया तथा 1155 को जैसलमेर दुर्ग की
➢ सवाई जयससिह ने 1727 ई. में जयपुर की थथापना कर अपनी राजधानी नींर् रखी। इसे अपनी राजिानी बनाया।
बनाई। इसने ददल्ली, जयपुर, मथुरा, उज्जैन, बनारस में पााँच ➢ रार्ल मूलराज प्रथम के समय 1312-13 ई. में अलाउद्दीन खखलजी का
र्ैधशालाओं का वनमागण करर्ाया। आक्रमण हुआ। राजपूतों ने केसररया धारण वकया तथा र्ीरांर्नाओं ने
➢ सवाई जयससिह ने 1725 ई. में नक्षत्रों की शुद्ध सारणी बनर्ाई तथा जौहर वकया।
उसका नाम ‘जीज मोहम्मदशाही’ रखा। इसने ज्योवतष ग्रंथ ‘जयलसिंह ➢ वफरोजशाह तुर्लक के आक्रमण के समय जैसलमेर का वद्वतीय साका
काररका’ की भी रचना की। हुआ। इस समय जैसलमेर का िासक रावल दूदा िा।
➢ 1747 ई. में राजमहल का युद्ध माधोससिह र् सर्ाई ईश्वरीससिह के मध्य ➢ कांधार का शासक अमीर अली खााँ लूणकरण के यहााँ शरणार्त था।
हुआ। राजमहल युद्ध की वर्जय के उपलक्ष्य में ‘ईसरलाट/सरर्ासूली’ उसने धोखे से आक्रमण कर ददया। इस युद्ध में लूणकरण के नेतत्र् में
का वनमागण करर्ाया। र्ीरों ने केसररया वकया लेवकन र्ीरांर्नाओं को जौहर का समय नहीं
➢ ईश्वरीससिह राजपूताने का एकमात्र शासक था जजसने मराठों के दबार् से ममल पाया। अत: यह अद्धग साका कहलाया।
आत्महत्या (1750 ई.) की थी। ➢ रार्ल हरराय प्रथम भाटी शासक था जजसने मुर्लों के साथ र्ैर्ावहक
➢ सर्ाई माधोससिह प्रथम ने मराठों की धन की मााँर् से दु:खी होकर 1751 संबंध थथावपत वकए।
ई. में मराठों का कत्ले-आम करर्ा ददया। इसने 1763 ई. में ➢ रार्ल भीम ने अपनी पुत्री का वर्र्ाह सलीम/जहााँर्ीर से वकया। जहााँर्ीर
सर्ाईमाधोपुर शहर बसाया। ने इसे ‘मशलका-ए-जहााँ’ उपनाम से संबोमधत वकया।
➢ सर्ाई प्रतापससिह ने 1787 में तुंर्ा के युद्ध में मराठा महादजी ससिमधया ➢ महारार्ल कल्याण को दे रासर स्थथत एक थतम्भ लेख में महारार्ल की
को पराजजत वकया। उपामध से सुशोद्मभत वकया।
➢ प्रतापससिह ब्रजवनमध नाम से कनवताएूँ शलखते िे। इन्होंने ‘राधा र्ोवर्न्द ➢ महारार्ल सबलससिह ने 1659 ई. में तााँबे की डोमडया मुद्रा प्रारम्भ की।
संर्ीत सार’ नामक ग्रन्थ शलखा।
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➢ महारार्ल मूलराज वद्वतीय ने 12 ददसम्बर, 1818 को ईथट इंमडया ➢ महकमा-ए-बकायात का कायग परर्नों के अमधकाररयों को राजथर् की
कंपनी के साथ संमध की। दरें, बकाया र्सूली तथा दीर्ान-ए-हजूरी में भेजी जाने र्ाली राशश के
➢ महारार्ल रणजीतससिह ने 1857 क्रांवत के दौरान खुले तौर पर अंग्रेजों बारे में ददशा-वनदे श जारी करना होता था।
का सहयोर् वकया। ➢ बक्शी मुख्य रूप से सैन्य वर्भार् का अध्यक्ष होता था जो सेना के र्ेतन,
➢ र्ोकुल के नेतत्र् में जाटों ने औरंर्जेब के वर्रुद्ध वर्द्रोह कर ददया। इसे रसद, सैवनकों की भती, प्रशशक्षण आदद को दे खता था। यह सैवनकों का
बंदी बनाकर आर्रा ले जाकर उस पर इथलाम थर्ीकार करने का दबार् र्ेतन भी वनद्मश्चत करता था।
बनाया र्या लेवकन मना करने पर इसे काटकर फेंक ददया र्या। ➢ खान सामां राजपररर्ार के सर्ागमधक वनकटथथ प्रभार्शाली अमधकारी
➢ राजाराम ने माचग, 1688 में आर्रा में स्थथत अकबर की कब्र को खोदकर होता था। ये दीर्ान के अधीन होता था।
हमियों को जला ददया एर्ं र्हााँ रखा सारा सामान लूट शलया। ➢ कोतर्ाल का प्रमुख कायग नर्र में शांवत व्यर्थथा बनाए रखना, चोरी-
➢ 1688-89 ई. में मुर्ल सेना ने राजाराम को उसके क्षेत्र में मार वर्राया डकैती का पता लर्ाना, र्थतुओं के मूल्य वनधागररत करना, नाप-तौल पर
तथा औरंर्जेब ने इसके कटे शसर के साथ बड़ा उत्सर् मनाया। वनयंत्रण रखना, मार्ों की दे खभाल करना, रावत्र र्श्त का प्रबंध करना
➢ चूड़ामन को जाट साम्राज्य का संथथापक माना जाता है। इसने थून के था।
वकले का वनमागण करर्ाया र् थून को अपनी राजधानी बनाया। ➢ खजांची का कायग राज्य में रुपये जमा करने तथा खचग करने से संबंमधत
➢ जाट िासक बदनससिह को सर्ाई जयससिह वद्वतीय ने डीर् की जार्ीर व जानकारी रखना होता था।
‘ब्रजराज’ की उपामध दी। ➢ ड्योढ़ीदार का कायग महल की सुरक्षा एर्ं वनरीक्षण करना होता था।
➢ महाराजा सूरजमल ने भरतपुर में एक नए दुर्ग का वनमागण करर्ाकर इसे ➢ मुत्सद्दी का कायग राजथथान की ररयासतों में प्रशासन का संचालन करना
अपनी राजधानी बनाया। था।
➢ सूरजमल को जाि जावत का प्िेिो अथर्ा जािों का अफिातून कहा ➢ दरोर्ा-ए-सायर का कायग दान र्सूली करना था।
जाता है। ➢ र्ाक्या-नर्ीस सूचना भेजने के वर्भार् से संबंमधत।
➢ सूरजमल ने 12 जून, 1761 को आर्रा वकले पर अमधकार कर शलया। ➢ दरोर्ा-ए-डाक चौकी - डाक प्रबंध के शलए।
➢ रणजीतससिह ने 29 शसतंबर, 1803 को ईथट इंमडया कंपनी के साथ संमध ➢ आममि का मुख्य कायग परर्ने में भू-राजथर् की दरें लार्ू करना तथा
कर ली। भू-राजथर् र्सूल करना था। इस कायग में कानूनर्ो, पटे ल, पटर्ारी तथा
➢ जसर्ंतससिह ने 1879 ई. में अंग्रेजों के साथ ‘नमक समझौता’ वकया। चौधरी आदद आममल की सहायता करते थे।
➢ बलर्न्तससिह के समय अंग्रेजों ने प्रथम बार भरतपुर के वकले (लोहार्ढ़) ➢ हावकम परर्ने में शासकीय तथा न्याय संबंधी कायों का सर्ोच्च
पर अमधकार कर शलया। अमधकारी होता था।
➢ विजयपाि करौली के यादर् शाखा का संथथापक िा। ➢ फौजदार पुशलस तथा सेना का अध्यक्ष होता था।
➢ वतमनपाल ने वतमनर्ढ़ दुर्ग बनर्ाकर उसे अपनी राजधानी बनाई। ➢ बड़े परर्नों में ओहदे दार नामक अमधकारी भी होता था जो शासन कायग
➢ धमगपाल ने ‘धौलर्ढ़’ दुर्ग बनर्ाया, जजसे अब धौिपुर का दुगग कहते में हावकम की सहायता करता था।
हैं। ➢ खुवफया नर्ीस परर्ने की ररपोटग दीर्ान के पास भेजता था।
➢ अजुगनपाल ने 1348 ई. में ‘कल्याणपुर’ कथबा बसाया, जजसे र्तगमान में ➢ पोतदार परर्ने की आय तथा व्यय का वहसाब रखता था।
‘करौली’ के नाम से जाना जाता है। ➢ र्ााँर् या र्ााँर् के समूह का मुखखया ग्राममक कहलाता था।
➢ 15 नर्म्बर, 1817 को हरर्क्षपाल ने ईथट इंमडया कंपनी के साथ संमध ➢ पटर्ारी भूमम संबंधी ररकॉडग रखने र् राजथर् इकट् ठा करने के शलए।
कर अंग्रेजों की अधीनता थर्ीकार कर ली। ➢ कनर्ारी – खेत के रक्षक
➢ 1857 की क्रांवत में अंग्रेजों की सहायता करने के कारण अंग्रेजों ने ➢ दफेदार – राज्य का लेखा-जोखा रखने र्ाला
मदनपाल को ‘ग्रांड कमाण्डर ऑफ द ऑडगर ऑफ थटार ऑफ इस्ण्डया’ ➢ तलर्ाटी – उपज तौलने र्ाला
की उपामध दी। ➢ सैवनक संगठन :-
➢ टोंक राजथथान की एकमात्र मुस्थलम ररयासत िी। i. पैदि सैवनक – पैदल सेना में तीर कमान, तलर्ार, कटार आदद का
➢ 17 नर्म्बर, 1817 को अमीर खााँ वपिं्ारी अंग्रेजों से संमध के तहत प्रयोर् करने र्ाले सैवनक अहशमा सैवनक तिा अथथायी सैवनक जो
टोंक का नर्ाब बना। मालर्ुजारी र्सूल करने के शलए भती वकए जाते थे, उन्हें सेहबन्दी
➢ 1857 की क्रांवत में र्जीरूद्दौला ने अंग्रेजों का साथ ददया। इसका सैवनक कहा जाता था।
उपनाम ‘ईसाई राजा’ िा। ii. सिार – ऐसे िुड़सर्ार सैवनक जजन्हें िोड़े, अथत्र-शथत्र आदद राज्य
➢ प्रधान – यह शासन, सैन्य तथा न्याय से संबंमधत कायों में राजा की की ओर से ददए जाते थे उन्हें ‘बारर्ीर' कहा जाता था तिा जजन सैवनकों
सहायता करता था। को िोड़े, अथत्र-शथत्र आदद की व्यर्थथा थर्यं को करनी होती थी उन्हें
➢ जयपुर ररयासत में प्रधान को मुसावहब, कोटा र् बूाँदी में दीर्ान, मेर्ाड़ ‘शसलेदार' कहा जाता था।
र् मारर्ाड़ में प्रधान, बीकानेर में मुखत्यार, सलूम्बर में भांजर्ड़ कहा ➢ कनगल टॉड ने राजथथान की सामंती प्रणाली की तुलना मध्ययुर्ीन
जाता था। यूरोपीय पद्धवत से की है।
➢ दीिान मुख्य रूप से राजथर् से संबंमधत वर्भार् का अध्यक्ष होता था। ➢ सामंत को परर्ने में शांवत-व्यर्थथा बनाए रखना, कर र्सूलना, न्याय
इसका मुख्य कायग कर संग्रह तथा धन से संबंमधत होता था। करना आदद प्रशासवनक अमधकार प्राप्त थे।
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➢ उत्तरामधकारी शुल्क – सामंत की मत्यु होने के बाद नए उत्तरामधकारी ➢ लाटा :- जब फसल तैयार हो जाती थी तथा खेत में इसे साफ कर शलया
की र्द्दीशशनी के समय नए उत्तरामधकारी से यह शुल्क शलया जाता था। जाता था तब राज्य का वहथसा सुवनद्मश्चत वकया जाता था।
➢ हलबराड़ – कवष कर, न्यौत बराड़ – वर्र्ाह का कर, र्नीम बराड़ - युद्ध ➢ कूंता :- खेत में खड़ी फसल या उपज के ढे र से अनुमान लर्ाकर राज्य
के अर्सर पर शलया जाने र्ाला कर। का वहथसा वनधागररत वकया जाता था।
➢ रेख – जजस मापदं ड के आधार पर सामंतों या जार्ीरदारों से राजकीय ➢ बीिोड़ी :- प्रवत बीिा भूमम की उर्गरा एर्ं पैदार्ार के आधार पर लर्ान
शुल्क र्सूल वकया जाता था। वनद्मश्चत करना।
➢ मेर्ाड़ में सामंतों की तीन श्रेद्मणयााँ थी जजन्हें ‘उमरार्' कहा जाता था। ➢ जब्ती :- प्रवत बीिा की दर से नकदी फसलों के शलए लर्ान वनद्मश्चत
इनको क्रमि: सोलह, बत्तीस, र्ोल कहा जाता था। करना।
➢ मारर्ाड़ में प्रथम श्रेणी में सभी सरदार राठौड़ सरदार थे जजन्हें ‘शसरायत' ➢ मुकाता :- राज्य द्वारा प्रत्येक खेत की फसल के शलए एकमुश्त लर्ान
कहा जाता था। वनधागररत करना।
➢ जयपुर के सामंतों को बारह कोटड़ी में र्र्ीकत वकया र्या था। प्रथम ➢ डोरी :- डोरी से नापे र्ए बीिे का वहथसा वनधागररत कर मालर्ुजारी र्सूल
कोटड़ी में राजर्ंश के वनकट संबंधी शाममल थे जजन्हें राजार्त कहा करना।
जाता था। ➢ िूिरी :- खेत की पैदार्ार की मात्रा वनद्मश्चत कर राजथर् र्सूल करना।
➢ कोटा में सामंतों का र्र्ीकरण दो श्रेद्मणयों में वकया र्या था- दे श के ➢ हल प्रणाली :- इस प्रणाली के तहत एक हल से जोती र्ई भूमम पर कर
सामंत तथा दरबार के सामंत। वनधागररत वकया जाता था।
➢ बीकानेर में सामंतों की तीन श्रेद्मणयााँ थी – प्रथम श्रेणी में रार् बीका के ➢ भींत की भाछ :- इस प्रणाली का उपयोर् बीकानेर ररयासत में वकया
पररर्ार से संबंमधत सामंत, दूसरी श्रेणी में अन्य रक्त संबंधी सामंत तथा जाता था।
ततीय श्रेणी में अन्य सरदार थे। ➢ इजारा भूमम :- इस भूमम पर कर र्सूल करने के शलए ‘ठे का’ या
➢ जैसलमेर – यहााँ पर सामंतों की दो श्रेद्मणयााँ थी – प्रथम श्रेणी डार्ी तथा ‘आंकबंदी’ प्रथा चलती थी।
दूसरी श्रेणी जीर्णी। ➢ मुश्तरका :- ऐसी भूमम जजसकी आय राज्य तथा सामंत में वर्भाजजत
➢ भरतपुर के सामंत सोलह कोटड़ी के ठाकुर कहलाते थे। होती थी।
➢ मेर्ाड़ में सामंत के उपस्थथत होने पर महाराणा द्वारा खड़े होकर उसका ➢ ग्राशसये :- र्े सामंत जो सैवनक सेर्ा के बदले में शासक द्वारा दी र्ई भूमम
थर्ार्त वकया जाता था जजसे ‘ताजीम' कहते थे। की उपज का उपयोर् करते थे।
➢ शसरोपार् से तात्पयग वर्शेष र्थत्र या आभूषण दे ने से था। ➢ भौममये :- ऐसे राजपूत जजन्होंने राज्य की रक्षा या राजकीय सेर्ाओं के
➢ हाथ का कुरब – सामंत द्वारा महाराजा का िुटना छू ने पर महाराजा द्वारा शलए अपना बशलदान ददया था।
सामंत के कंधे पर हाथ लर्ाकर अपने हाथ को छाती तक लाते थे। ➢ तनखा भूमम :- यह जार्ीर उन सामंतों को दी जाती थी जो वनद्मश्चत
➢ खालसा – यह भूमम सीधे राज्य के अधीन होती थी। सैवनकों के साथ सैवनक सेर्ा करने का अनुबंध करते थे।
➢ भोम– इस भूमम पर लर्ान नहीं दे ना पड़ता था। ➢ इनाम भूमम :- यह भूमम राज्य सेर्ा के बदले में दी जाती थी तथा यह
➢ जार्ीर – यह भूमम सैवनक सेर्ाओं या अन्य राजकीय सेर्ाओं के बदले लर्ान से मुक्त भूमम होती थी।
में सामंतों या अमधकाररयों को दी जाती थी। ➢ अलूफाती भूमम :- राजपररर्ार की मवहलाओं को उनके जीर्न काल में
➢ सासन – यह भूमम पुण्य के शलए दी जाती थी। खचग के शलए दी जाती थी।
➢ बीड़ भूमम - वकसी नदी के समीप का भूमम क्षेत्र। ➢ पसावतया :- यह भूमम राज्य को सेर्ाएाँ प्रदान करने र्ाले व्यशक्त को दी
➢ डीमडू - कुएाँ के पास की भूमम। जाती थी।
➢ र्ोरमो – र्ााँर् के पास र्ाली भूमम। ➢ डोली :- यह सामंतों द्वारा पुण्याथग दी जाने र्ाली भूमम थी। यह भूमम कर
➢ माल भूमम – काली उपजाऊ भूमम। से मुक्त होती थी।
➢ पीर्ल भूमम – कुओं तथा तालाबों द्वारा ससिमचत। ➢ डू मबा :- इसके अन्तर्गत र्ााँर् प्रदान कर लोर्ों को बसाया जाता था।
➢ बारानी भूमम – जजस भूमम पर ससिचाई सुवर्धा उपलब्ध नहीं हो। ➢ दीर्ान :- दीर्ान का राजथर् संबंधी कायग राज्य की आय में र्जद्ध करना
➢ चाही भूमम - कुओं, नहरों, नददयों तथा तालाबों से ससिमचत भूमम। तथा वर्द्मभन्न खचों की पूर्ति करना था।
➢ तलाई भूमम – तालाब के पेटे की भूमम जहााँ वबना ससिचाई फसल पैदा हो। ➢ आममल :- इसका मुख्य कायग परर्ने में राजथर् की र्सूली करना था।
➢ हकत-बकत – जोती जाने र्ाली भूमम । अमीन, कानूनर्ो, पटर्ारी आदद राजथर् र्सूली में आममल की सहायता
➢ र्लत हॉस - पानी से भरी भूमम। करते थे।
➢ चरणोत भूमम - यह भूमम र्ााँर् के सभी पशुओं के शलए सार्गजवनक रूप ➢ हावकम :- यह शांवत व्यर्थथा तथा न्याय के साथ-साथ भू-राजथर् संबंधी
से चरने के शलए छोड़ी जाती थी। कायग भी करता था।
➢ बंजर भूमम - ऐसी भूमम जजस पर कभी खेती नहीं की जाती थी। ➢ साहणे :- यह अमधकारी भू-राजथर् में राज्य का भार् वनद्मश्चत करता
➢ खेत बाँटाई – इसमें फसल तैयार होते ही खेत बााँट शलया जाता था। था।
➢ लंक बाँटाई – फसल काटने के बाद बाँटर्ारा होता था। ➢ तफेदार :- यह र्ााँर् में राज्य द्वारा र्सूल वकए जाने र्ाले राजथर् का
➢ रास बाँटाई - अनाज तैयार होने के बाद बाँटर्ारा होता था। वहसाब रखता था।
➢ सायर दरोर्ा :- यह अमधकारी परर्ने में चुंर्ीकर र्सूल करता था।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ सायर :- जयपुर ररयासत में आयात-वनयागत, सीमा शुल्क तथा चुंर्ीकर ➢ अिोड़ी – चमड़े का कायग करने र्ाले से शलया जाने र्ाला कर।
को सामूवहक रूप से सायर कहा जाता था। ➢ फरोसी – लड़के या लड़की के वर्क्रय मूल्य का चौथाई भार्।
➢ छटूं द :- मेर्ाड़ में जार्ीरदार अपनी आय का 1/6 भार् शासक को दे ता ➢ िरेची – वकसी थत्री को वर्मधर्त् वर्र्ाह के वबना रखने पर।
था जजसे छटूं द कहा जाता था। ➢ त्योहारी – प्रमुख त्योहार होली-दीपार्ली पर शलया जाने र्ाला कर।
➢ अड़सट्टा :- यह जयपुर ररयासत का भूमम संबंधी ररकॉडग है। ➢ राजथथान में क्रांवत का आरम्भ – 28 मई, 1857 को नसीराबाद छार्नी
➢ दथतूर- भू-राजथर् के कमगचाररयों द्वारा वकसानों से कर के अलार्ा जो ➢ क्रांवत के समय राजपूताना :- ए.जी.जी. - जॉजग पैदिक लॉरेन्स
अर्ैध राशश र्सूल की जाती थी उसे दथतूर कहा जाता था। ➢ वर्द्मभन्न राज्यों में वनयुक्त पॉशलदटकल एजेन्ट -
➢ न्यौता-लार् – सामंतों द्वारा अपने पुत्र-पुवत्रयों के वर्र्ाह के अर्सर पर ररयासत पॉलिटिकि एजेंि
शलया जाने र्ाला कर। कोटा मेजर बटग न
➢ चूँर्रीलार् – सामंतों द्वारा वकसानों की पुत्री के वर्र्ाह के अर्सर पर जोधपुर मैक मोसन
शलया जाने र्ाला कर। भरतपुर मॉरीसन
➢ खखचड़ी लार् – जार्ीरदार द्वारा अपनी जार्ीर का दौरा करने के समय जयपुर ईडन
वकसानों से शलया जाने र्ाला कर। उदयपुर शॉर्सग
➢ बाईजी लार् – जार्ीरदार के लड़की पैदा होने पर वकसानों से शलया जाने शसरोही जे. डी. हॉल
र्ाला कर। ➢ राजथथान में 6 अंग्रेज छािवनयााँ थी –
➢ शसर्ोंटी – पशुओं के वर्क्रय के समय शलया जाने र्ाला कर। क्र.सं. छािनी मुख्यािय रेजीमेंि
➢ जाजम लार् – भूमम के वर्क्रय पर शलया जाने र्ाला कर। 1. खेरर्ाड़ा उदयपुर भील रेजीमेंट
➢ कुूँर्रजी का िोड़ा – कुूँर्र के बड़े होने पर उन्हें िोड़े की सर्ारी शसखाई 2. नीमच कोटा कोटा बटाशलयन
जाती थी इसशलए िोड़ा खरीदने के शलए प्रत्येक िर से यह कर शलया 3. एररनपुरा पाली जोधपुर लीजजयन
जाता था। 4. ब्यार्र अजमेर मेर रेजीमेंट
➢ चूड़ालार् – ठकुराइन द्वारा नया चूड़ा पहनने पर शलया जाने र्ाला कर। 5. नसीराबाद अजमेर 15र्ीं और 30र्ीं बंर्ाल
➢ लेर्ी – शासक द्वारा वकसानों से की जाने र्ाली अनाज र्सूली। नेदटर् इन्फैन्िी
➢ हलमा – हल जोतने र्ालों से ली जाने र्ाली बेर्ार। 6. दे र्ली टोंक कोटा कजन्टन्जेंट
➢ मलर्ा – सामंत द्वारा नौकरों आदद पर खचग करने हेतु र्सूल वकया जाने ➢ खेरिाड़ा र् ब्लयािर छार्वनयों ने वर्द्रोह में भार् नहीं शलया।
र्ाला कर। ➢ क्रांवत के समय चार प्रमुख एजेंलसयााँ कायगरत थी-
➢ कुूँर्रजी का कलेर्ा – सामंतों के पुत्रों के जेब खचग हेतु कर। क्र. सं. नाम केन्द्र अंग्रेज अमधकारी
➢ अखराई – राजकोष में जमा होने र्ाली राशश पर दी जाने र्ाली रसीद 1. मेर्ाड़ राजपूताना उदयपुर मेजर शॉर्सग
हेतु कर। थटे ट एजेंसी
➢ कमठा लार् – दुर्ग के वनमागण या मरम्मत हेतु शलया जाने र्ाला कर। 2. राजपूताना थटे ट कोटा मेजर बटग न
➢ डाण – सामान के एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर लर्ने र्ाला एजेंसी
कर। 3. पद्मश्चम राजपूताना जोधपुर मैक मोसन
➢ बंदोली री लार् – जार्ीरदार के िर पर वर्र्ाह होने पर र्ााँर् र्ालों से थटे ट एजेंसी
शलया जाने र्ाला कर। 4. जयपुर जयपुर कनगल ईडन
➢ लांचौ – खचग की पूर्ति हेतु शलया जाने र्ाला कर। राजपूताना थटे ट
➢ नूता – जार्ीरदार के यहााँ वर्र्ाह या शोक के समय शलया जाने र्ाला एजेंसी
कर। ➢ नसीराबाद में विद्रोह :- वर्द्रोह - 28 मई, 1857 को 15 िीं बंगाि
➢ कारज खचग – जार्ीरदार के वकसी संबंधी की मत्यु पर खचग हेतु शलया नेटिि इन्फैंट्री के सैवनकों द्वारा। मेजर थपोदटसर्ुड और कनगल न्यूबरी
जाने र्ाला कर। की हत्या कर दी।
➢ कार्ली या नाता – वर्धर्ा के पुनर्र्िर्ाह के समय शलया जाने र्ाला कर। ➢ नीमच का विद्रोह:- वर्द्रोह - 3 जून, 1857 को। नीमच छार्नी मेजर
➢ कर व्यिस्था :- ऐसी भूमम जजस पर अलर्-अलर् र्षों में अलर्-अलर् शॉर्सग के वनयंत्रण में थी। कैप्टन शॉर्सग ने कोटा, बूाँदी और मेर्ाड़ की
वकसान खेती करते थे, इस प्रकार की भूमम से राज्य ‘भार्’ के रूप में सेना की सहायता से 6 जून को नीमच छार्नी पर पुन: अमधकार कर
कर लेता था। यह ‘उद्रं र्’ से ज्यादा होता था। शलया।
➢ जब राज्य कर का वहथसा मुद्रा के रूप में कषकों से र्सूल करता था तो ➢ भरतपुर में विद्रोह:- वर्द्रोह शुरुआत - 31 मई, 1857। पॉशलदटकल
उसे ‘वहरण्यक’ कहा जाता था। एजेन्ट - मेजर मॉरीसन। शासक - जसर्ंतससिह
➢ अलर्-अलर् व्यर्सायों पर फरौही नामक कर शलया जाता था। वर्द्मभन्न ➢ धौिपुर में विद्रोह:- शासक – भर्र्ंतससिह। रार् रामचन्द्र र् हीरालाल
त्योहारों पर अलर्-अलर् कर दे ने होते थे इन सब करों को ‘सायरा के नेतत्र् में 1000 क्रांवतकाररयों ने राज्य की तोपें लेकर आर्रा पर
जजहात कर’ कहा जाता था। आक्रमण कर ददया।
➢ धमगशाथत्र के वर्रुद्ध शलए जाने र्ाले कर आबर्ाब कहलाते थे।
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➢ माउण्ि आबू में विद्रोह :- वर्द्रोह - 21 अर्थत, 1857 को जोधपुर टोंक र्जीरुद्दौला
लीजजयन द्वारा। एररनपु रा से आई हुई से ना भी वर्द्रोवहयों से ममल बूाँदी रामससिह
र्ई। अलर्र वर्नयससिह
➢ आऊिा का विद्रोह :- नेतत्र् - ठाकुर कुशालससिह। जैसलमेर रणजीतससिह
➢ वबथौड़ा का युद्ध - 8 शसतम्बर, 1857 को राजकीय सेना र् वर्द्रोही झालार्ाड़ पथ्र्ीससिह
सैवनकों के मध्य हुआ जजसमें क्रांवतकारी वर्जयी हुए। प्रतापर्ढ़ दलपतससिह
➢ चेिािास का युद्ध - 18 शसतम्बर को अंग्रेजी सेना र् क्रांवतकाररयों में बााँसर्ाड़ा लक्ष्मणससिह
हुआ जजसमें वर्द्रोही सैवनक जीत र्ए। डू ाँर्रपुर उदयससिह
➢ राजथथानी सावहत्य में चेलार्ास के युद्ध को ‘गोरे-कािों का युद्ध’ कहा
जाता है। ➢ अमरचंद बांटठया- जन्म - 1797, बीकानेर। मूलत: बीकानेर वनर्ासी।
➢ सुर्ाली माता को ‘क्रांवतकाररयों की दे िी’ कहा जाता है जजनके 10 ये ग्र्ाशलयर में व्यापार करते थे। इन्हें ‘ग्र्ाशलयर का नर्र सेठ’ और
शसर र् 54 हाथ हैं। ‘कोषाध्यक्ष’ का सम्मान प्राप्त हुआ। क्रांवत के समय बांदठया ने रानी
➢ कोिा का जनविद्रोह :- पॉशलदटकल एजेन्ट - मेजर बटग न। शासक - लक्ष्मी बाई र् तात्या टोपे की आर्थिक सहायता की थी। अत: इनको
महारार् रामससिह-वद्वतीय। शुरुआत - 15 अक्टू बर, 1857। नेतत्र् - ग्र्ाशलयर में 22 जून, 1858 को फााँसी दे दी र्ई। 1857 की क्रांवत का
राजथथान का प्रथम शहीद। उपनाम – 1. 1857 की क्रांवत का
कोटा राज्य के भूतपूर्ग र्कील लाला जयदयाल और सेना में ररसालदार
भामाशाह। 2. राजथथान का मंर्ल पांडे।
मेहराब खााँ। इन दोनों ने एक पररपत्र जारी वकया जजसमें सैवनकों के आटे
➢ ्ू ाँगजी – जिाहरजी (काका-भतीजा) – डू ाँर्जी र् जर्ाहरजी बठोठ
में हमियों को पीसकर ममलाने तथा चबी र्ाले कारतूसों के प्रयोर् से
पाटोदा (सीकर) के ठाकुर थे। रामर्ढ़ के सेठों को लूटकर धन र्रीबों में
सैवनकों का धमग भ्रष्ट करने की बात की र्ई।
बााँट ददया।
➢ कोटा ही एकमात्र ऐसा थथान था जहााँ क्रांवतकाररयों को जनता का
➢ राित जोधलसिंह (कोठाररया) – मेर्ाड़ के कोठाररया दठकाने के
सहयोर् ममला।
दठकानेदार। आऊर्ा के ठाकुर कुशालससिह को अंग्रेजों के वर्रुद्ध
➢ बीकानेर में विद्रोह :- शासक - सरदारससिह। यह राजथथान का एकमात्र
सहायता र् शरण दी।
शासक था जजसने क्रांवतकाररयों के दमन हेतु थर्यं अद्मभयान का नेतत्र्
➢ राित केसरीलसिंह (सिूम्बर) – मेर्ाड़ राज्य के सलूम्बर दठकाने के
वकया और सेना लेकर राज्य से बाहर र्या। यह वर्द्रोवहयों के दमन हेतु
दठकानेदार। वर्द्रोह में क्रांवतकाररयों को शथत्र, रसद र् सैवनक सहायता
सेना लेकर पंजाब के हाूँसी, शसरसा र् वहसार र्या।
दी। कई वर्द्रोवहयों को अपने यहााँ शरण दी।
➢ वतथ्यानुसार विद्रोह का क्रम
➢ मीणा आंदोिन (1924-1952) – र्षग 1924 में वक्रममनल िाइब्स
क्रांवत की वतलथ स्थान एक्ट (आपरामधक जावत अमधवनयम) र् जरायम पेशा कानून, 1930
28 मई, 1857 नसीराबाद में वर्द्रोह कानून के वर्रोध में आंदोलन हुआ। जरायम पेशा कानून के तहत 12
31 मई,1857 भरतपुर राज्य में वर्द्रोह र्षग से ऊपर के सभी मीणा थत्री-पुरुषों को रोजाना थाने पर उपस्थथवत
3 जून, 1857 नीमच में वर्द्रोह दे ने के शलए पाबंद वकया र्या। मीणा समाज ने इसका तीव्र वर्रोध वकया
11 जुलाई,1857 अलर्र राज्य में वर्द्रोह तथा ‘मीणा जावत सुधार कमेटी‘ एर्ं 1933 में ‘मीणा क्षवत्रय महासभा‘
21 अर्थत,1857 एररनपुरा के सैवनकों का वर्द्रोह का र्ठन वकया। जयपुर क्षेत्र के जैन संत मर्नसार्र की अध्यक्षता में
23 अर्थत,1857 जोधपुरा लीजजयन में वर्द्रोह अप्रैल, 1944 में मीणाओं का एक र्हद् अमधर्ेशन नीम का थाना,
8 शसतम्बर, 1857 वबठौड़ा / वबथौड़ा का युद्ध सीकर में हुआ, जहााँ पं. बंशीधर शमाग की अध्यक्षता में राज्य मीणा सुधार
18 शसतम्बर, 1857 चेलार्ास का युद्ध सममवत का र्ठन वकया र्या।-
15 अक्टू बर, 1857 कोटा में वर्द्रोह ➢ भीि आंदोिन (1818-1860)
➢ मेिाड़ भीि कोर – र्र्नगर जनरल की सलाहकार पररषद् की सलाह
➢ ररयासत और क्ांतत के समय शासक :- पर र्ठन। थथापना – 1841। मुख्यालय – खेरर्ाड़ा (उदयपुर)। प्रथम
ररयासत क्रांवत के समय शासक कमांडेंट- कैप्टन वर्शलयम हंटर। कायग – भीलों पर वनयंत्रण थथावपत
कोटा रामससिह करना।
जोधपुर तख्तससिह ➢ भगत आन्दोिन – नेतत्र्कताग - र्ुरु र्ोवर्िद वर्री।
भरतपुर जसर्ंतससिह ➢ सम्पसभा – थथापना – 1883, शसरोही। प्रथम र्ार्षिक अमधर्ेशन – र्षग
उदयपुर थर्रूपससिह 1903। ‘सम्प’ का शाखब्दक अथग – भाईचारा या बंधुता। उद्दे श्य – भीलों
र् र्राशसयों में एकता थथावपत करना था। 1910 में सम्प सभा के माध्यम
जयपुर रामससिह वद्वतीय
से र्ोवर्िद वर्री जी ने 33 सूत्री मााँर्पत्र सरकार के सामने रखा जजसे
शसरोही शशर्ससिह
र्ुरुजी का पत्र कहते हैं।
धौलपुर भर्र्ंतससिह
➢ भगत पंथ – थथापना – र्षग 1911, बेड़सा। र्ोवर्िद वर्री ने भील बाहुल्य
बीकानेर सरदारससिह
र्ााँर्ों में ‘धूवनयााँ’ थथावपत की। धूवनयों की सुरक्षा हेतु कोतर्ालों की
करौली मदनपाल
वनयुशक्त की।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ मानगढ़ हत्याकां् – 17 नर्म्बर, 1913। थथान - अम्बादरा र्ााँर्, प्रथम शहीद)। समझौता, 1923 - रार् अनूपससिह र् राजथथान सेर्ा संि
मानर्ढ़ पहाड़ी (बााँसर्ाड़ा)। उपनाम - भारत का दूसरा जशलयााँर्ाला के मध्य। उपनाम – बोल्शेवर्क समझौता
बार् हत्याकांड। मानर्ढ़ पहाड़ी पर हर र्षग आद्मश्वन शुक्ल पूर्णिमा को ➢ अििर वकसान आंदोिन – (िषग 1921-25) :- कारण - जंर्ली
मेला भरता है। सूअरों को मारने पर पाबंदी। र्षग 1922 में अलर्र शासक जयससिह ने
➢ एकी/भोमि/मातृकुंम्या आन्दोिन – नेतत्र्कताग - मोतीलाल सूअरों को मारने की इजाजत दी और आंदोलन समाप्त हो र्या।
तेजार्त। आंदोलन का प्रारंभ - र्षग 1921 (र्ैशाख पूर्णिमा)। आंदोलन पुन: प्रारम्भ - र्षग 1923-1924। कारण – महाराज जयससिह
थथान – मातकुस्ण्डया, राश्मी तहसील (मचत्तौड़र्ढ़)। कारण - लार्- द्वारा लर्ान दरें बढ़ाना।
बार्ों र् बेर्ार के वर्रुद्ध। उद्दे श्य- भीलों र् वकसानों में पूणग एकता ➢ नीमूचणा हत्याकाण्् – 14 मई, 1925। थथान – नीमूचणा र्ााँर्
थथावपत करना था। (अलर्र)।
➢ मेिाड़ की पुकार - 21 सूत्री मााँर्पत्र के माध्यम से भीलों पर होने र्ाले ➢ छज्जूससिह - ‘राजस्थान का जनरि ्ायर’-
अत्याचारों का र्णगन। 21 में से 18 मााँर्ें मानी र्ई, शेष 3 मााँर्ें (बेर्ार, ➢ महात्मा र्ााँधी ने ‘यंग इंम्या’ में इस हत्याकाण्ड को जशलयााँर्ाला बार्
र्न सम्पदा पर अमधकार र् सूअर) नहीं मानी र्ई। हत्याकाण्ड से भी र्ीभत्स बताया और दोहरी ्ायरशाही की संज्ञा दी।
➢ नीमड़ा कां् (1921) – सम्मेलन कर रहे भीलों पर मेजर सूटन के ➢ मेि वकसान आंदोिन :– नेतत्र्कताग - मेर् नेता चौधरी यासीन खान,
नेतत्र् में मेर्ाड़ भील कोर के सैवनकों ने अंधाधुंध फायररिर् की। मोहम्मद हादी। कारण – लर्ान के वर्रुद्ध , उदूग शशक्षा को बढ़ार्ा दे ने
➢ लसरोही राज्य में ‘एकी आंदोिन’ – नेतत्र् – मोतीलाल तेजार्त। हेतु, इथलामी थकूलों की संख्या में र्जद्ध हेतु।
1922, तेजार्त का शसरोही राज्य में प्रर्ेश। तेजार्त ने अपने आप को ➢ बूाँदी (बरड़) वकसान आंदोिन:- प्रारम्भ – अप्रैल, 1922। बरड़ क्षेत्र
‘र्ााँधीजी का शशष्य’ िोवषत वकया। र्ााँधी जी की ओर से ‘मद्मणलाल के वकसानों ने बूाँदी राज्य के वर्रुद्ध वकया। बूाँदी वकसान आंदोलन के दो
कोठारी’ शसरोही पहुाँचा। चरण - प्रथम 1922- 1925 तथा वद्वतीय चरण 1926- 1927।
➢ रोवहड़ा कां्/लसरोही के भीिों की दूसरी दु:खद घिना – 5-6 मई, नेतत्र्कताग - पं. नयनूराम शमाग र् दे र्ीलाल र्ुजगर। प्रमुख केंद्र - र्रदड़ा,
1922 मेर्ाड़ भीलकोर र् राज्यकीय सेना ने बालोशलया र् भूला र्ााँर्ों बड़िरूध, बरड़ र् डाबी।
को िेरकर र्ोलीबारी की र् दोनों र्ााँर्ों में आर् लर्ा दी। जजसमें 150 ➢ ्ाबी हत्याकाण्् - 2 अप्रैल, 1923। र्ोलीबारी - पुशलस अधीक्षक
वकसान िायल एर्ं 50 वकसान शहीद हुए। इकराम हुसैन। शहीद - नानक जी भील र् दे र्ीलाल र्ुजगर।
➢ मेिाड़ जाि वकसान आंदोिन :- महाराणा फतेहससिह के शासनकाल ➢ बीकानेर वकसान आंदोिन (गंग नहर क्षेि) का वकसान आंदोिन-
में 22 जून, 1880 को मचत्तौड़ के राश्मी परर्ना में मातकुस्ण्डया में कारण - पानी की मात्रा, ससिचाई कर, जमीनों की वकश्तें चुकाने एर्ं चढ़ी
आंदोलन हुआ। कारण – जाट वकसानों ने नई भू-राजथर् व्यर्थथा के रकम पर ब्याज।
वर्रुद्ध प्रदशगन वकया। ➢ दुधिाखारा (चूरू) वकसान आंदोिन :- 1944 ई. में जार्ीरदार
➢ वबजौलिया वकसान आंदोिन (1897-1941) :- वबजौशलया का ठाकुर सूरजमल ससिह ने पुराने बकाया की र्सूली के नाम पर वकसानों
प्राचीन नाम - वर्जयार्ल्ली/वर्िध्यार्ल्ली। ऊपरमाल - वबजौशलया र् को उनकी जोत से बेदखल कर ददया। नेतत्र्कताग - मिाराम र्ैद्य, रिुर्र
भैंसरोड़र्ढ़ का मध्य भार्। भारत का सर्ागमधक अर्मध (44 र्षग) तक दयाल तथा हनुमान ससिह आयग। मवहलाओं का नेतत्र् - खेतूबाई
चलने र्ाला तथा पूणगत: अवहिसक वकसान आंदोलन। मेर्ाड़ महाराणा – ➢ कांगड़ा काण्् :- 1946। र्तगमान में चूरू जजले में स्थथत है।
फतेहससिह ➢ बीरबि टदिस – 17 जुलाई, 1946 को मनाया।
➢ तबजौललया तकसान आन्दोिन के प्रमुख चरण – ➢ मारिाड़ वकसान आंदोिन :– मारर्ाड़ ररयासत का खालसा 13% र्
● प्रथम चरण (1894-1915) :- नेतत्र् – थथानीय लोर्ों द्वारा जार्ीरी 87% क्षेत्र था। कारण - वतहरा शोषण, बीिोड़ी कर, मादा
● वद्वतीय चरण- (1916-1923) :- नेतत्र्कताग – वर्जयससिह पशथक पशुओं का वनष्कासन, माप-तौल र् 126 प्रकार की लार्-बार्।
● तृतीय चरण (1923-1941) :- नेतत्र्कताग – माद्मणक्यलाल र्माग ➢ मं्ोर वकसान आंदोिन - 1930-1931। कारण - बीिोड़ी कर के
➢ वबजौलिया आंदोिन से संबंमधत आयोग वर्रुद्ध
● वबन्दुिाि भििाचायग आयोग - अप्रैल, 1919 ➢ चन्दािि घिना – 28 -29 माचग, 1942। 6 वकसान शहीद हुए।
● वद्वतीय जााँच आयोग - फरर्री, 1920 चन्िार्ल िटना हररजन समाचार-पत्र में प्रकाशशत हुई। महात्मा र्ााँधी
● हॉिैण्् सममवत – 11 फरर्री, 1922 को वकसानों र् दठकाने के मध्य ने जााँच हेतु प्रकाश आयोग र्दठत वकया।
समझौता। ➢ ्ाबड़ा काण््, ्ी्िाना – नार्ौर में मारर्ाड़ वकसान सभा र्
➢ ट्रें च समझौता - जनर्री, 1927 में भूमम बंदोबथत अमधकारी िें च मेर्ाड़ मारर्ाड़ लोक पररषद् द्वारा संयुक्त बैठक। वकसान सम्मेलन - 13 माचग,
आए। 1947। मारर्ाड़ लोक पररषद् द्वारा डाबड़ा में आयोजजत सम्मेलन में
➢ बेगूं वकसान आंदोिन (मचत्तौड़गढ़) :- कारण – अनार्श्यक र् दठकाने द्वारा र्ोलीबारी में 12 व्यशक्त मारे र्ए। मथुरादास माथुर िायल
अत्यमधक कर, लार्-बार्, बैठ- बेर्ार र् सामन्ती जुल्म। शुरुआत - र्षग हुए। डाबड़ा काण्ड के शहीद - चुन्नीलाल शमाग र् रूिाराम चौधरी
1921। थथान – भैरूकुण्ड, मेनाल (मचत्तौड़र्ढ़)। नेतत्र्कताग - (वकसान आंदोलन के अंवतम शहीद)।
रामनारायण चौधरी। मवहलाओं का नेतत्र् - अंजना चौधरी (रामनारायण ➢ शेखािािी वकसान आंदोिन :– र्षग - 1922-1935। नेतत्र् -
चौधरी की पत्नी) हरलालससिह, रामनारायण चौधरी, हररनारायण ब्रह्मचारी, ताड़केश्वर
➢ गोविन्दपुरा काण्् - 13 जुलाई, 1923। र्ोलीबारी - िें च के आदे श शमाग र् ठाकुर दे शराज (भरतपुर)।
पर। शहीद - रूपाजी धाकड़ र् कपाजी धाकड़ (वकसान आंदोलन के
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ किराथि मवहिा सम्मेिन - 25 अप्रैल, 1934। कारण - शसहोट ➢ राजस्थान का एकीकरर् – 7 चरण।
ठाकुर मानससिह द्वारा 'सोवतया का बास' र्ााँर् में वकसान मवहलाओं के ● अर्मध – 8 र्षग 7 महीने 14 ददन
साथ दुव्यगर्हार। अध्यक्षता - श्रीमती वकशोरी दे र्ी (हरलालससिह की ● एकीकरण के समय – 19 ररयासतें, 3 दठकाने र् 1 केन्द्रशाशसत प्रदे श
पत्नी) । मुख्य र्क्ता - उत्तमादे र्ी (भरतपुर ठाकुर दे शराज की पत्नी)
● प्राचीनतम ररयासत – मेिाड़/उदयपुर
➢ जयलसिंहपुरा वकसान हत्याकाण्् :- 21 जून, 1934 को ठाकुर ईश्वरी
● नर्ीनतम ररयासत – झािािाड़
ससिह ने जयपुर के जयससिहपुरा र्ााँर् में वकसानों पर र्ोशलयााँ चलर्ाई।
➢ कुंदन हत्याकाण्् :- 25 अप्रैि, 1935। धापी दे र्ी के कहने पर ● सर्ागमधक जनसंख्या – जयपुर ररयासत
वकसानों ने कर दे ने से मना कर ददया। सीकर दठकाने के अमधकारी र्ैब ● सर्ागमधक क्षेत्रफल – मारिाड़/जोधपुर ररयासत
द्वारा र्ोलीबारी। वब्रदटश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में भी कुन्दन ● न्यूनतम जनसंख्या – शाहपुरा ररयासत
हत्याकाण्ड पर चचाग हुई। ● न्यूनतम क्षेत्रफल – शाहपुरा ररयासत
➢ सीकर टदिस - 26 मई, 1935 ● वर्लय पत्र पर हथताक्षर करने र्ाली प्रथम ररयासत – बीकानेर
➢ प्रजामण्डल आंदोलन की स्थापना एवं संस्थापक :-
● वर्लय पत्र पर हथताक्षर करने र्ाली अंवतम ररयासत – धौिपुर
क्र.सं. प्रजामण््ि स्थापना अध्यक्ष/संस्थापक
● एकीकरण पर सर्गप्रथम हथताक्षर करने र्ाले शासक – अििर
1. जयपुर 1931 कपूगरचन्द पाटनी
महाराजा तेजलसिंह
1936-37 जमनालाल बजाज, हीरालाल
➢ संघ बनाने का प्रयास करने िािे शासक –
(पुनर्गठन) शाथत्री
● राजपूताना संि – सर्ाई मानससिह वद्वतीय
2. बूाँदी 1931 कांवतलाल चौथानी
● र्ार्ड़ संि – लक्ष्मणससिह
3. मारर्ाड़ 1934 भूँर्रलाल सरागफ
/जोधपुर ● मेर्ाड़ संि – भूपालससिह
4. हाड़ौती 1934 नयनूराम शमाग ● हाड़ौती संि – कोटा शासक भीमससिह
5. धौलपुर 1936 कष्णदत्त पालीर्ाल, ज्र्ालाप्रसाद ● जाट झण्डा खतरे में – मानससिह
जजज्ञासु ➢ प्रथम थर्तंत्रता ददर्स (15 अर्थत, 1947) भरतपुर में नहीं मनाया र्या।
6. बीकानेर 1936 मिाराम र्ैद्य, रिुर्रदयाल र्ोयल ➢
7. मेर्ाड़ 24 अप्रैल, 1938 माद्मणक्यलाल र्माग, बलर्ंतससिह चरण चरण का वििय ररयासतें/टठकाना
मेहता नाम
8. अलर्र 1938 पं. हररनारायण शमाग, कुंजवबहारी प्रथम मत्थय संि 18 माचग, अलर्र, भरतपुर, धौलपुर,
लाल मोदी 1948 करौली र् नीमराणा
9. भरतपुर 1938, रेर्ाड़ी र्ोपीलाल यादर् वद्वतीय पूर्ी 25 कोटा, बूाँदी, झालार्ाड़,
10. शाहपुरा 1938 रमेशचंद्र ओझा राजथथान माचग,1948 वकशनर्ढ़, बााँसर्ाड़ा,
11. करौली 1938 वत्रलोकचंद माथुर र् मचरंजीलाल /राजथथान टोंक, डू ाँर्रपुर, शाहपुरा,
शमाग संि प्रतापर्ढ़ र् कुशलर्ढ़
12. शसरोही 1934, बंबई र्जद्धशंकर वत्रर्ेदी ततीय संयुक्त 18 अप्रैल, पूर्ी राजथथान + उदयपुर
1939, शसरोही र्ोकुलभाई भट् ट राजथथान 1948
13. वकशनर्ढ़ 1939 कांवतलाल चौथानी चतुथग र्हत् 30 माचग, संयुक्त राजथथान + जयपुर,
14. कोटा 1939 पंमडत नयनूराम शमाग, पं. अद्मभन्न राजथथान 1949 जोधपुर, जैसलमेर,
हरर
बीकानेर र् लार्ा
15. कुशलर्ढ़ 1942 भाँर्रलाल वनर्म
पंचम संयुक्त र्हत् 15 मई, र्हत् राजथथान + मत्थय
16. बााँसर्ाड़ा 1943 भूपेन्द्रनाथ वत्रर्ेदी
राजथथान 1949 संि
17. डू ाँर्रपुर अर्थत, 1944 भोर्ीलाल पाण्ड्या, हररदे र् जोशी
षष्ठ राजथथान 26 शसरोही (आबू र् दे लर्ाड़ा
18. प्रतापर्ढ़ 1945 चुन्नीलाल, अमतलाल
जनर्री, को छोड़कर)
19. जैसलमेर 15 ददसम्बर, मीठालाल व्यास
1950
1945
थथान – जोधपुर सप्तम् राजथथान 1 नर्म्बर, अजमेर - मेरर्ाड़ा,
20. झालार्ाड़ 25 नर्म्बर, मााँर्ीलाल भव्य 1956 माउंटआबू, दे लर्ाड़ा र्
1946 सुनेल टप्पा

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान भूगोल ➢ उत्तर प्रदे श के साथ राजथथान के दो जजले सीमा बनाते हैं- (भरतपुर
सर्ागमधक, धौलपुर न्यूनतम)।
➢ राजपूताना:- इस शब्द का उल्लेख सर्गप्रथम जॉजग थॉमस ने 19र्ीं सदी
➢ मध्य प्रदे श के साथ राजथथान के 10 जजले धौलपुर, करौली, सर्ाई
के प्रारम्भ (1800 ई.) में वकया था।
माधोपुर, कोटा, बारााँ, झालार्ाड़, मचत्तौड़र्ढ़, भीलर्ाड़ा, प्रतापर्ढ़ र्
➢ राजस्थान, रजिाड़ा, रायथान:- कनगल जेम्स टॉड ने अपनी पुथतक
बााँसर्ाड़ा बनाते हैं।
‘एनल्स एण्् एंिीक्वविीज ऑफ राजस्थान’ का प्रकाशन 1829 ई.
➢ र्ुजरात के साथ राजथथान के छह जजले – बााँसर्ाड़ा, डू ाँर्रपुर, उदयपुर,
में करर्ाया। इस पुथतक में इस भू-भार् के शलए उन्होंने राजथथान र्
शसरोही, जालोर र् बाड़मेर जजले सीमा बनाते हैं।
रजर्ाड़ा शब्द का उल्लेख वकया था।
➢ राजस्थान के चार ऐसे जजिे हैं जो दो-दो राज्यों के साथ सीमा
➢ राजथथान कुल क्षेत्रफल 3,42,239 र्र्ग वकलोमीटर है (1,32,139 र्र्ग
बनाते हैं-
मील) जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41% या 1/10िााँ भार् है।
1. हनुमानर्ढ़ – पंजाब र् हररयाणा।
➢ राजस्थान में क्षेिफि की दृवष्ट से जजिों का क्रम–
2. भरतपुर – हररयाणा र् उत्तर प्रदे श।
क्षेिफि की दृवष्ट से बड़े जजिे क्षेिफि की दृवष्ट से छोिे जजिे
3. धौलपुर – उत्तर प्रदे श र् मध्य प्रदे श।
1. जैसलमेर (38,401 र्र्ग वकमी.) 1. धौलपुर (3,034 र्र्ग वकमी.)
4. बााँसर्ाड़ा – मध्य प्रदे श र् र्ुजरात।
2. बीकानेर (30,247 र्र्ग वकमी.) 2.दौसा (3,432 र्र्ग वकमी.)
➢ राजस्थान के 2 जजिे अन्तरागज्यीय ि अन्तरागष्ट्रीय दोनों सीमा पर
3. बाड़मेर (28,387 र्र्ग वकमी.) 3. डू ाँर्रपुर (3,770 र्र्ग वकमी.)
ण्स्थत हैं–
4.जोधपुर (22,850 र्र्ग वकमी.) 4. राजसमंद (3,860 र्र्ग वकमी.)
1. श्रीर्ंर्ानर्र – पावकथतान र् पंजाब।
➢ राजथथान का अक्षांशीय वर्थतार 23°3’ उत्तरी अक्षांश से 30°12’ 2. बाड़मेर – पावकथतान र् र्ुजरात।
उत्तरी अक्षांश तक है। ➢ राजथथान के दो जजले बीकानेर र् जैसलमेर केर्ल अन्तरागष्ट्रीय सीमा
➢ राजथथान का दे शान्तरीय वर्थतार 69°30’ पूिी दे शांतर से 78°17’ बनाते हैं।
पूिी दे शांतर तक है। ➢ राजथथान के अन्त:र्ती जजले (आठ)– पाली, नार्ौर, अजमेर, जोधपुर,
➢ राजथथान का उत्तरतम वबन्दु कोणा र्ााँर् (श्रीर्ंर्ानर्र) र् दद्मक्षणतम टोंक, दौसा, राजसमंद, बूाँदी हैं।
वबन्दु बोरकुण्ड (बााँसर्ाड़ा) है। ➢ पाली जजला राजथथान में सर्ागमधक आठ जजलों र् नार्ौर सात जजलों के
➢ राजथथान का पूर्ी वबन्दु शसलाना र्ााँर् (धौलपुर) र् पद्मश्चमी वबन्दु कटरा साथ सीमा बनाता है।
र्ााँर् (जैसलमेर) है। ➢ र्तगमान में राजथथान के 33 जजले हैं।
➢ राजथथान के उत्तर से दद्मक्षण की लम्बाई 826 वकलोमीटर है। ➢ सबसे नर्ीन जजला प्रतापर्ढ़ है। इसके वनमागण के शलए परमेशचन्द्र
➢ राजथथान की पूर्ग से पद्मश्चम की चौड़ाई 869 वकलोमीटर है। कमेिी का र्ठन वकया र्या था।
➢ ककग रेखा राजथथान के डू ाँर्रपुर जजले के मचकली र्ााँर् (शसमलर्ाड़ा ➢ प्रतापर्ढ़ के वनमागण के शलए तीन जजलों का वर्खण्डन – धाररयार्ाद
तहसील) को छू ते हुए बााँसर्ाड़ा के मध्य से (कुशलर्ढ़ से होकर) र्ुजरती (उदयपुर), प्रतापर्ढ़, छोटी सादड़ी, अरनोद (मचत्तौड़र्ढ़) र् पीपल खूाँट
है अथागत् यह राजथथान के दो जजलों से होकर र्ुजरती है। (बााँसर्ाड़ा) से हुआ।
➢ ककग रेखा की राजथथान में कुल लम्बाई 26 वकलोमीटर है। ➢ एकीकरण के समय सबसे अन्त में सस्त्म्मशलत होने र्ाला जजला अजमेर
➢ राजथथान में सूयग की सीधी वकरणें बााँसर्ाड़ा में पड़ती है। था, जजसे 26 र्ें जजले के रूप में मान्यता ममली।
➢ राजथथान में सूयग की सर्ागमधक वतरछी वकरणें श्रीर्ंर्ानर्र में पड़ती हैं। ➢ 27 र्ााँ जजला धौलपुर 15 अप्रैल, 1982 को बना।
➢ जैसलमेर तथा धौलपुर में सूयोदय का अन्तर लर्भर् 36 ममनट का होता ➢ 10 अप्रैल, 1991 को तीन जजलों का र्ठन वकया र्या– बारााँ (कोटा
है। जजले से), दौसा (जयपुर जजले से), राजसमंद (उदयपुर जजले से)।
➢ राजथथान की अन्तरागष्ट्रीय सीमा पावकथतान के साथ लर्ती है। इस सीमा ➢ 31 र्ााँ जजला हनुमानर्ढ़ 12 जुलाई, 1994 को बना।
का नाम ‘रेडस्क्लफ रेखा’ है। ➢ 32 र्ााँ जजला करौली 19 जुलाई, 1997 को बना।
➢ राजस्थान के 4 जजिे अन्तरागष्ट्रीय रेखा पर ण्स्थत हैं जो वक ➢ 33 र्ााँ जजला प्रतापर्ढ़ 26 जनर्री, 2008 को बना।
वनम्नलिग्खत हैं- ➢ सन् 1964 में डॉ. हररमोहन सक्सेना ने र् प्रो. वतर्ारी ने “राजथथान का
1. श्रीर्ंर्ानर्र 210 वकलो मीटर प्रादे शशक भूर्ोल” नामक पुथतक में उच्चार्च एर्ं भौर्ोशलक संरचना के
2. बीकानेर 168 वकलो मीटर (न्यूनतम) आधार पर राजथथान को चार भौवतक प्रदे शों में वर्भाजजत वकया -
3. जैसलमेर 464 वकलो मीटर (सर्ागमधक) 1. पद्मश्चमी मरुथथलीय प्रदे श (थार का मरुथथल)
4. बाड़मेर 228 वकलो मीटर 2. अरार्ली पर्गतीय प्रदे श
➢ श्रीर्ंर्ानर्र र् हनुमानर्ढ़ पंजाब राज्य की सीमा पर स्थथत राजथथान के 3. पूर्ी मैदानी प्रदे श
दो जजले हैं। 4. दद्मक्षण पूर्ी पठारी प्रदे श (हाड़ौती का पठार)
➢ हररयाणा राज्य राजथथान के साथ 1,262 वकलोमीटर की सीमा बनाता ➢ थार का मरुथथल भारत के उत्तर - पद्मश्चमी राज्यों (हररयाणा- पंजाब -
है। र्ुजरात - राजथथान) में वर्थतत है।
राजथथान के 7 जजले हररयाणा के साथ सीमा बनाते हैं- (हनुमानर्ढ़, ➢ राजथथान में थार के मरुथथल का वर्थतार राजथथान के कुल क्षेत्रफल का
चूरू, झुंझुनूाँ , सीकर, जयपुर, अलर्र, भरतपुर) हररयाणा के साथ 61.11 % है।
हनुमानर्ढ़ सिागमधक तथा जयपुर न्यूनतम सीमा बनाते हैं।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ पद्मश्चमी मरुथथलीय प्रदे श का वर्थतार बारह जजलों में है– बाड़मेर, ➢ गौ्िाड़ प्रदे श (िूणी बेलसन)- लूणी बेशसन का वर्थतार दद्मक्षणी
जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानर्ढ़, श्रीर्ंर्ानर्र जजले पूणग जोधपुर-पाली-जालोर-पद्मश्चमी शसरोही में हैं।
मरुथथल तथा जालोर, पाली, नार्ौर, चूरू, झुंझुन,ूाँ सीकर जजले अद्धग ➢ राजथथान में अरार्ली का लर्भर् 80% भार् स्थथत है।
मरुथथलीय हैं। ➢ राजथथान में अरार्ली शसरोही से खेतड़ी तक शृंखलाबंद्ध है, परन्तु बाद
➢ थार का मरुथथल क्षेत्रफल की दृवष्ट से राजथथान का सबसे बड़ा र्
में छोटी-छोटी पहामड़यों के रूप में ददल्ली तक वर्थतार है।
न्यूनतम जनिनत्र् र्ाला भौवतक प्रदे श है।
➢ राजथथान में अरार्ली की कुल लम्बाई 550 वकमी. है।
➢ थार के मरुथथल में टर्शियरी कालीन अर्सादी चट् टानों की प्रधानता है।
➢ अरार्ली पर्गतीय प्रदे श राजथथान के कुल भौर्ोशलक क्षेत्रफल का 9%
➢ थार के मरुथथल में रेतीली बलुई मदा का वर्थतार है। मदा के र्ैज्ञावनक
भार् है।
र्र्ीकरण के अनुसार एन्टीसोल तथा एररडीसोल मदा पाई जाती है।
➢ राजथथान में अरार्ली का वर्थतार दद्मक्षण-पद्मश्चम से उत्तर-पूर्ग ददशा में
➢ राजस्थान में मरुस्थि के प्रकार–
है।
1. हम्मादा- चट्टानी/पथरीला मरुथथल – पोकरण (जैसलमेर), फलोदी
➢ अरार्ली का वर्थतार राज्य के 9 जजलों – शसरोही, उदयपुर, राजसमंद,
(जोधपुर), बालोतरा (बाड़मेर)।
अजमेर, जयपुर, दौसा, अलर्र, सीकर र् झुंझुनूाँ में है।
2. रैग- यह एक ममद्मश्रत मरुथथल है जो हम्मादा के चारों ओर पाया जाता
➢ अरार्ली पर्गतीय प्रदे श में लाल मदा (पर्गतीय मदा, इन्सेप्टीसोल) का
है। यह जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर में आते हैं।
वर्थतार है।
3. इगग- इसे सम्पूणग मरुथथल र् महान मरुथथल कहा जाता है। इसमें
➢ अरार्ली पर्गतमाला को राजथथान में आददर्ाशसयों की आश्रय थथली
जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, नार्ौर, चूरू, सीकर, झुंझुनूाँ क्षेत्र आते हैं।
कहा जाता है।
➢ चााँदन निकूप (थार का िड़ा)– जैसिमेर
➢ उत्तरी अराििी- उत्तरी अरार्ली प्रशासवनक दृवष्ट से पााँच जजलों -
➢ आकि गााँि जीिाश्म पाकग– जैसलमेर में राष्ट्रीय मरु उद्यान में आकल
जयपुर, अलर्र, दौसा, सीकर र् झुंझुनूाँ में है। उत्तरी अरार्ली का वर्थतार
र्ााँर् में स्थथत जीर्ाश्म पाकग जहााँ पर जुरैशसक कालीन प्राकवतक
सांभर से उत्तर-पूर्ग में है। उत्तरी अरार्ली की प्रमुख चोदटयााँ वनम्नशलखखत
र्नथपवत के अर्शेष ममले हैं।
है -
➢ कुिधरा ग्राम- कुलधरा ग्राम में राजथथान के पहले कैक्टस र्ाडगन की
(i) रिुनाथर्ढ़ (सीकर) – 1,055 मीटर
थथापना की र्ई है।
(ii) खोह (जयपुर) - 920 मीटर
➢ अनुदैध्यग/पिनानुिती/रेखीय/सीप बािुका स्तूप– पर्न की ददशा
(iii) भैराच (अलर्र) - 792 मीटर
के समांतर। यह सर्ागमधक जैसलमेर के दद्मक्षण-पद्मश्चमी भार्, रामर्ढ़ के
(iv) बरर्ाड़ा (जयपुर) - 786 मीटर
दद्मक्षण-पद्मश्चम, जोधपुर र् बाड़मेर में पाए जाते हैं।
(v) बाबाई (झुंझुनूाँ ) – 780 मीटर
➢ अनुप्रस्थ बािुका स्तूप- पर्न की ददशा के लम्बर्त् या समकोण। यह
(vi) वबलाली (अलर्र) - 775 मीटर
रार्तसर (हनुमानर्ढ़), सूरतर्ढ़ (श्रीर्ंर्ानर्र), बीकानेर, चूरू र् झुंझुनूाँ
(vii) बैराठ (जयपुर) - 704 मीटर
जजले में पाए जाते हैं।
(viii) सररथका (अलर्र) – 677 मीटर
➢ बरखान/बरच्छान/ अद्धग चन्द्राकार बािुका स्तूप- यह भालेरी
(ix) भानर्ढ़ (अलर्र) - 649 मीटर
(चूरू), ओशसया (जोधपुर), सीकर, बाड़मेर, जैसलमेर, सूरतर्ढ़,
➢ मध्य अराििी- मध्य अरार्ली का वर्थतार अजमेर-जयपुर जजले में
लूणकरणसर, करणीमाता क्षेत्र में पाए जाते हैं।
वर्थतत है। मध्य अरार्ली की प्रमुख चोदटयााँ वनम्नशलखखत है -
➢ तारा बािुका स्तूप- र्े बालुका थतूप जो तारे के समान। यह मोहनर्ढ़,
(i) र्ोरमजी - अजमेर - 934 मीटर
पोकरण (जैसलमेर), सूरतर्ढ़ (श्रीर्ंर्ानर्र) क्षेत्र में पाए जाते हैं।
(ii) मेररयाजी (टॉडर्ढ़)-अजमेर - 933 मीटर
➢ पैराबोलिक बािुका स्तूप- आकवत परर्लयाकार (अद्धग चंद्राकार)। यह
(iii) तारार्ढ़ - अजमेर - 873 मीटर
बालुका थतूप सम्पूणग मरुथथल में पाए जाते हैं। ये बालुका थतूप सर्ागमधक
(iv) नार्पहाड़ - अजमेर - 795 मीटर
बीकानेर जजले में बनते हैं।
➢ दणक्षणी अराििी- दद्मक्षण अरार्ली का वर्थतार राजसमंद, शसरोही र्
➢ सब्र कावफज- छोटी झामड़यों के सहारे बनने र्ाले बालुका थतूपों को
उदयपुर जजलों में है। दद्मक्षण अरार्ली की प्रमुख चोदटयााँ वनम्नशलखखत
सब्र कावफज कहा जाता है। यह सम्पूणग मरुथथल में पाए जाते हैं।
हैं–
➢ नेििकग बािुका स्तूप- हनुमानर्ढ़ से हररयाणा के मध्य एक शृंखला में (i) र्ुरुशशखर - शसरोही – 1,722 (1727) मीटर
पाए जाने र्ाले बालुका थतूप नेटर्कग बालुका थतूप कहलाते हैं। (ii) सेर - शसरोही – 1,597 मीटर
➢ अिरोधी बािुका स्तूप- पुष्कर, बुढ़ा पुष्कर, वबचून पहाड़ जोबनेर एर्ं (iii) दे लर्ाड़ा - शसरोही – 1,442 मीटर
सीकर की पहामड़यााँ इस प्रकार के टीलों को जन्म दे ती हैं। (iv) जरर्ा - उदयपुर – 1,431 मीटर (उदयपुर/राजसमंद का सर्ोच्च
➢ घग्घर प्रदे श- श्रीर्ंर्ानर्र- हनुमानर्ढ़ में िग्िर नदी द्वारा वनर्मित मैदानी शशखर)
प्रदे श। (v) अचलर्ढ़ - शसरोही – 1,380 मीटर
➢ शेखािािी प्रदे श (अंन्त:स्थिीय प्रिाह का मैदानी) – चूरू, झुंझुनूाँ, (vi) कुम्भलर्ढ़ - राजसमंद – 1,224 मीटर
सीकर तथा नार्ौर का उत्तरी क्षेत्र है। (vii) ऋवषकेश - शसरोही – 1,017 मीटर
➢ नागौरी उच्च भूमम- नार्ौर में 300 से 500 मीटर ऊाँची अरार्ली से (viii) कमलनाथ - उदयपुर – 1,001 मीटर
पथक् उच्च भूमम क्षेत्र है। (ix) सज्जनर्ढ़ - उदयपुर - 938 मीटर

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
(x) सायरा - उदयपुर - 900 मीटर 2. समुद्र से दूरी
➢ अराििी के प्रमुख पठार- 3. भूमध्य रेखा से दूरी
(i) उमड़या का पठार- शसरोही में स्थथत राजथथान का सबसे ऊाँचा पठार 4. थथान की समुद्र तल या धरातल से ऊाँचाई
(1,360 मीटर ऊाँचाई)। 5. अरार्ली पर्गतमाला की स्थथवत
(ii) आबू का पठार– शसरोही 6. भौर्ोशलक स्थथवत (प्रकवत)
(iii) भोराि का पठार- र्ोर्ुन्दा (उदयपुर) से कुम्भलर्ढ़ (राजसमंद) के मध्य ➢ राजस्थान में ऋतुए-ाँ
(iv) मेसा का पठार– मचत्तौड़र्ढ़ में बेड़च तथा र्म्भीरी नददयों द्वारा 1. ग्रीष्म ऋतु (माचग से मध्य जून) – ग्रीष्म ऋतु में सर्ागमधक र्मग जजला
अपरददत पठार चूरू एर्ं थथान फलोदी (जोधपुर)। राजथथान में सर्ागमधक आाँमधयााँ मई-
(vi) िसामड़या का पठार- जयसमंद झील के पूर्ग में स्थथत वर्च्छे ददत एर्ं जून के महीने में चलती है।
अपरददत पठारी क्षेत्र (राजथथान का सबसे कटा-फटा पठार है।) 2. िषाग ऋतु (मध्य जून से लसतम्बर)
(vii) दे शहरो का पठार- उदयपुर में जरर्ा तथा रार्ा की पहामड़यों के मध्य (i) अरब सागरीय मानसून शाखा- अरब सार्रीय मानसूनी शाखा
स्थथत र्षगभर हरा-भरा रहने र्ाला पठारी क्षेत्र। राजथथान में सर्गप्रथम बााँसर्ाड़ा जजले में प्रर्ेश करती है। बााँसर्ाड़ा को
(viii) भोमि का पठार- उदयपुर - डू ाँर्रपुर - बााँसर्ाड़ा के मध्य स्थथत पठारी राजथथान का मानसून प्रर्ेश द्वार कहा जाता है।
क्षेत्र जहााँ भोमट जनजावत वनर्ास करती है। (ii) बंगाि की खाड़ी मानसून शाखा- राज्य में बंर्ाल की खाड़ी से आने
➢ अराििी के प्रमुख पिगत एिं पहामड़यााँ- र्ाली मानसूनी पर्नों को ‘पुरर्इया’ कहते हैं। बंर्ाल की खाड़ी शाखा
(i) वगरिा- उदयपुर के आस-पास पाई जाने र्ाली अद्धग चंद्राकार या राजथथान के झालार्ाड़ जजले से प्रर्ेश करती है तथा राजथथान के
तश्तरीनुमा पहामड़या अमधकांश जजलों में लर्भर् 90% मानसूनी र्षाग करती है।
(ii) मेिि- डू ाँर्रपुर, बााँसर्ाड़ा के मध्य स्थथत पहामड़यााँ ➢ राजथथान का सबसे ठण्डा माह जनर्री है।
(iii) मगरा- उदयपुर के उत्तर पद्मश्चम में स्थथत अर्शशष्ट पहामड़यााँ ➢ सबसे ठण्डा जजला चूरू र् थथान माउण्ट आबू है।
➢ बीहड़- चम्बल नदी द्वारा अर्नशलका अपरदन से वनर्मित उत्खात ➢ दूसरा सबसे ठण्डा थथान डबोक (उदयपुर) है।
थथलाकवत जजसमें िने जंर्ल पाए जाते हैं बीहड़ कहलाता है। ➢ राज्य में मानसून पूर्ग की र्षाग को ‘दोंर्ड़ा’ कहते हैं।
➢ रोही का मैदान - जयपुर से भरतपुर के मध्य बाणर्ंर्ा तथा यमुना ➢ कोपेन ने जििायु का िगीकरण तापमान, िषाग और िनस्पवत के
नददयों के मध्य स्थथत मैदानी प्रदे श आधार पर वकया है–
➢ मािपुरा - करौिी मैदान - मालपुरा (टोंक) से करौली के मध्य बनास 1. Aw (उष्ण कटिबन्धीय आद्रग जििायु प्रदे श) - सर्ाना तुल्य। इस
तथा बाणर्ंर्ा नददयों के मध्य स्थथत दोआब प्रदे श जलर्ायु प्रदे श के अंतर्गत डू ाँर्रपुर, बााँसर्ाड़ा, प्रतापर्ढ़, झालार्ाड़ र्
➢ खैराड़ प्रदे श - जहाजपुर (भीलर्ाड़ा) से टोंक के मध्य बनास नदी द्वारा दद्मक्षणी मचत्तौड़र्ढ़, कोटा, बारााँ आते हैं।
वनर्मित मैदान। 2. BShw (अद्धग शुष्क जििायु प्रदे श) – थटे पी। इस प्रदे श के अन्तर्गत,
➢ पी्मॉन्ि का मैदान - दे र्र्ढ़ (राजसमंद) से भीलर्ाड़ा के मध्य बनास जालोर, बाड़मेर, शसरोही, पाली, नार्ौर, जोधपुर, चूरू, सीकर र् झुंझुनूाँ
नदी द्वारा वनर्मित अर्शशष्ट पहाड़ी युक्त मैदान। आते हैं।
➢ छप्पन का मैदान - प्रतापर्ढ़ से बााँसर्ाड़ा के मध्य माही नदी के वकनारे 3. BWhw या उष्ण कटिबंधीय शुष्क जििायु प्रदे श- जीरोफाइट् स।
स्थथत छप्पन र्ााँर्ों या नदी नालों का समूह। यहााँ र्षाग बहुत कम होने के कारण र्ाष्पीकरण अमधक होता है। इस
➢ कांठि का मैदान - प्रतापर्ढ़ में स्थथत माही नदी का तटर्ती मैदान। प्रदे श में मरुथथलीय जलर्ायु पाई जाती है। इस जलर्ायु प्रदे श के
➢ िागड़ प्रदे श – डू ाँर्रपुर र् बााँसर्ाड़ा के मध्य स्थथत माही नदी द्वारा अन्तर्गत जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानर्ढ़, श्रीर्ंर्ानर्र तथा जोधपुर र्
वनर्मित वर्खंमडत पहाड़ी क्षेत्र। चूरू का कुछ भार् आता है।
➢ बूाँदी की पिगत श्रेणणयााँ – यह दोहरी पर्गतमाला है, जो उत्तर-पूर्ग से 4. Cwg या उपआद्रग जििायु प्रदे श- इस जलर्ायु प्रदे श में अलर्र,
दद्मक्षण-पद्मश्चम की ओर फैली हुई है, इसकी कुल लम्बाई 96 वकमी. है। भरतपुर, धौलपुर, दौसा, करौली, टोंक, बूाँदी, भीलर्ाड़ा, राजसमंद,
इस क्षेत्र का सर्ोच्च शशखर सतूर (353 मीटर) है। अजमेर, जयपुर र् मचत्तौड़र्ढ़, कोटा, बारााँ का उत्तरी भार् आते हैं।
➢ मुकुन्दरा की पिगत श्रेणणयााँ – इनका वर्थतार हाड़ौती के मध्य उत्तर- ➢ थॉनगिेि के विश्व जििायु प्रदे शों पर आधाररत-
पद्मश्चम से दद्मक्षण-पूर्ग में लर्भर् 120 वकमी. में है। इस क्षेत्र की पर्गत 1. EA'd (शुष्क कटिबंधीय जििायु प्रदे श)– राजथथान के मरुथथल में
श्रेद्मणयों की समुद्र तल से औसत ऊाँचाई 335 से 503 मीटर है। मुकुन्दरा स्थथत जैसलमेर, उत्तरी बाड़मेर, दद्मक्षणी-पद्मश्चम बीकानेर र् पद्मश्चमी
की पहामड़यों की सर्ोच्च चोटी चाूँदबाड़ी (517 मीटर) है। जोधपुर का क्षेत्र आता है।
➢ शाहबाद का उच्च क्षेि – बारााँ के पूर्ी क्षेत्र में मध्य प्रदे श से लर्ा हुआ, 2. DB'w (अद्धग शुष्क ममणश्रत जििायु प्रदे श) – यहााँ काँटीली झामड़यााँ
जो समुद्र तल से 300 मीटर ऊाँचाई पर है। और अद्धग -मरुथथलीय र्नथपवत पाई जाती है। राजथथान के श्रीर्ंर्ानर्र,
➢ झािािाड़ का पठार – मुकुन्दरा की श्रेद्मणयों के दद्मक्षण में 300 से 450 हनुमानर्ढ़, उत्तरी भार् चूरू र् झुंझुनूाँ का एर्ं उत्तरी-पूर्ी बीकानेर के
मीटर की ऊाँचाई र्ाला पठारी क्षेत्र है। अमधकांश भार् इस प्रदे श में आते हैं।
➢ ्ग-गंगधर उच्च प्रदे श – यह क्षेत्र हाड़ौती के पठार के दद्मक्षण-पद्मश्चम 3. DA'w (उष्ण कटिबंधीय आद्रग शुष्क जििायु प्रदे श) – राजथथान
में वर्थतत है। का अमधकांश भार् अथागत् बाड़मेर र् जोधपुर का अमधकांश भार्,
➢ जििायु को प्रभावित करने िािे कारक- बीकानेर, चूरू एर्ं झुंझुनूाँ का दद्मक्षणी भार्, शसरोही, जालोर, पाली,
1. अक्षांशीय स्थथवत अजमेर, उत्तरी मचत्तौड़र्ढ़, बूाँदी, सर्ाई माधोपुर, टोंक, भीलर्ाड़ा,
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भरतपुर, जयपुर, अलर्र, कोटा र् बारााँ का उत्तरी भार् र्ाले जजले इस करती है। इसका अपर्ाह क्षेत्र दद्मक्षण राजथथान में बााँसर्ाड़ा, डू ाँर्रपुर,
जलर्ायु प्रदे श के अन्तर्गत आते हैं। प्रतापर्ढ़ और उदयपुर जजलों में हैं। यह नदी खंभात की खाड़ी
4. CA'w (उप आद्रग जििायु प्रदे श) – इस प्रकार का प्रदे श (र्ुजरात) में जाकर ममलती है।
अमधकांशतया दद्मक्षणी-पूर्ी उदयपुर, बााँसर्ाड़ा, डू ाँर्रपुर, झालार्ाड़ ➢
1
माही नदी ककग रेखा (23 %उत्तरी अक्षांश) को दो बार काटती है।
2
तथा कोटा र् बारााँ का अमधकांश भार् आदद जजलों में पाया जाता है। ➢ बेणेश्वर, डू ाँर्रपुर में माही नदी सोम र् जाखम के साथ ममलकर वत्रर्ेणी
➢ अपिाह तंि – राजथथान की नददयों को तीन समूहों में सामान्यत: बााँटा संर्म बनाती है जहााँ प्रत्येक र्षग की माि पूर्णिमा को बेणेश्वर मेला भरता
जाता है– है जजसे आददर्ाशसयों का कुंभ कहा जाता है।
1. बंर्ाल की खाड़ी में वर्रने र्ाली नददयााँ (17 प्रवतशत) ➢ माही नदी की सहायक नटदयााँ– सोम, जाखम, चाप, अनास, मोरेन र्
2. अरब सार्र में वर्रने र्ाली नददयााँ (23 प्रवतशत) इरू नददयााँ हैं।
3. अन्त: प्रर्ावहत नददयााँ (60 प्रवतशत) ➢ माही नदी तंि से संबंमधत पररयोजनाएाँ –
➢ राजस्थान में नदी बेलसन क्षेिफि– लूणी, बनास,चम्बल, माही. 1. माही बजाज सागर पररयोजना – बोरखेड़ा (बााँसर्ाड़ा)
➢ राजस्थान में सिागमधक सतही जि िािी नटदयााँ– चम्बल, बनास, 2. कागदी वपकअप बााँध – बााँसर्ाडाे़
माही, लूणी 3. भीखाभाई सागिाड़ा पररयोजना – डू ूँर्रपूर
➢ सिागमधक अपिाह क्षेि िािी नटदयााँ– चम्बल, लूणी, बनास, माही 4. कड़ाना बााँध – र्ुजरात
➢ सिागमधक जिग्रहण क्षेि िािी नटदयााँ– बनास, लूणी, चम्बल, माही ➢ पणिमी बनास नदी– पद्मश्चमी बनास नदी, जजसका उद्गम नया सनर्ाड़
➢ बंगाि खाड़ी अपिाह तंि– बंर्ाल खाड़ी अपर्ाह तंत्र की नददयााँ : (शसरोही) के वनकट अरार्ली की पहामड़यों से होता है। शसरोही में
चम्बल, बनास, कालीससिध, पार्गती, परर्न, बेड़च, र्ंभीरी, कोठारी र् प्रर्ावहत होते हुए पद्मश्चमी बनास र्ुजरात के बनास कांठा जजले में प्रर्ेश
खारी प्रमुख नददयााँ हैं। करती है और कच्छ की खाडीे़ (र्ुजरात) में वर्लुप्त हो जाती है। सहायक
➢ चम्बि नदी– चम्बल नदी की कुल लम्बाई (965 वकमी./1051 नदी सूकली (सीपू) है।
वकमी./) राजथथान में इसकी लम्बाई (135 वकमी.) उद्गम – वर्िध्यचल ➢ साबरमती नदी- कुल लम्बाई 320 वकलोमीटर, (राजथथान में 44
पर्गत श्रेणी की जानापार् की पहाड़ी मध्य प्रदे श से होता है। वकलोमीटर)। साबरमती नदी का उद्गम पदराड़ा की पहामड़यााँ (उदयपुर)
➢ चम्बि की सहायक नटदयााँ– बनास, कालीससिध, पार्गती, से होता है और समान्प्त खंभात की खाड़ी (र्ुजरात) में होती है।
बापनी/ब्राह्मणी, मेज, र्ंभीरी प्रमुख नददयााँ हैं। ➢ साबरमती नदी की सहायक नटदयााँ– मानसी, र्ाकल, सेई, हथमती,
➢ बनास नदी–लम्बाई 480/512 वकमी। उद्गम – खमनौर की पहामड़यााँ मेश्वा, याजम तथा र्ैतरक साबरमती की सहायक नददयााँ हैं।
राजसमंद से होता है। यह नदी भीलर्ाड़ा से बीर्ोद के पास बेड़च को ➢ मानसी-िाकि पररयोजना– राजथथान सरकार र् वहन्दुथतान जजिक
सस्त्म्मशलत करते हुए रामेश्वर िाट के पास (सर्ाई माधोपुर) में चम्बल में शलममटे ड की एक संयुक्त पररयोजना जजसमें क्रमश: 70:30 की
ममल जाती है। राजथथान में यह नदी तीन वत्रर्ेणी संर्म बनाती है– साझेदारी है। राजथथान की सबसे लम्बी जल सुरंर् है।
• बनास – बेड़च – मेनाल (बीर्ोद, भीलर्ाड़ा) ➢ सेई पररयोजना– सेई नदी पर उदयपुर। यह राजथथान की पहली जल
• बनास – डाई – खारी (बीसलपुर, टोंक) सुरंर् है। जर्ाई बााँध में पानी की आर्क बनाए रखने हेतु वकया र्या है।
• बनास – चम्बल – सीप (रामेश्वर िाट, सर्ाई माधोपुर) ➢ घग्घर नदी –शशर्ाशलक नदी/इण्डो ब्रह्म नदी। दटब्बी, (हनुमानर्ढ़) से
➢ बनास की सहायक नटदयााँ– बेड़च, खारी, मेनाल, कोठारी, मानसी, यह नदी राजथथान में प्रर्ेश करती है। अपर्ाह क्षेत्र- राजथथान में
बाण्डी, धुध ं र् मोरेल हैं। हनुमानर्ढ़ और श्रीर्ंर्ानर्र। िग्िर नदी राजथथान की आंतररक प्रर्ाह
➢ बाणगंगा नदी- अजुगन की र्ंर्ा/रूस्ण्डत नदी/ताला नदी। बाणर्ंर्ा नदी की सबसे लम्बी नदी है।
का उद्गम बैराठ की पहामड़यों (जयपुर) से होता है। बाणर्ंर्ा नदी का ➢ कााँतिी नदी- उद्गम- खण्डेला की पहामड़यों (सीकर)। सीकर, झुंझुनूाँ
अपर्ाह क्षेत्र जयपुर, दौसा र् भरतपुर है। भरतपुर से यह नदी आर्रा के में बहती हुई चूरू जजले में प्रर्ेश कर रेतीली भूमम में वर्लुप्त हो जाती
फतेहाबाद के वनकट यमुना में ममल जाती है। है।
➢ िूणी नदी- कुल लम्बाई 495 वकलोमीटर, राजथथान लम्बाई 320 ➢ काकनेय नदी- मसूरदी नदी/काकनी। उद्गम -कोटड़ी की पहामड़यों
वकलोमीटर। लूणी नदी का उद्गम नार् पहाड़, पुष्कर (अजमेर)। (जैसलमेर)। आंतररक प्रर्ाह की सबसे छोटी नदी है। काकनेय नदी
र्ोवर्न्दर्ढ़ (पुष्कर) से आने र्ाली सरथर्ती नदी में ममलने के बाद इसे जैसलमेर में मीठे पानी की बुझ झील का वनमागण करती है।
लूणी कहते हैं। ➢ साबी नदी- उद्गम-सेर्र की पहामड़यों (जयपुर)। अपर्ाह क्षेत्र- जयपुर,
➢ िूणी की सहायक नटदयााँ- लीलड़ी, मीठड़ी, बाण्डी, सूकडीे़, जर्ाई, अलर्र। साबी नदी के वकनारे प्राचीन सभ्यता जोधपुरा (जयपुर) प्राप्त
सार्ी र् जोजड़ी हुई।
➢ िूणी नदी पर ण्स्थत बााँध – ➢ रूपारेि नदी- रूपनारायण नदी/र्राह नदी/लसार्री नदी। उद्गम -
(i) जसिंतसागर बााँध (वपमचयाक बााँध)– जोधपुर उदयनाथ की पहामड़यों, थानार्ाजी (अलर्र)। अपर्ाह क्षेत्र-अलर्र से
(ii) जिाई पररयोजना- जर्ाई नदी, सुमेरपुर (पाली)। भरतपुर। भरतपुर में मोती झील बााँध ,जो भरतपुर की जीर्न रेखा
(iii) हेमािास बााँध- बाण्डी नदी, हेमार्ास (पाली) कहलाता है। भरतपुर में नोह सभ्यता (लौहयुर्ीन) के अर्शेष
(iv) बांकिी बााँध-सूकड़ी नदी- बांकली (जालोर में)।
➢ माही नदी – नदी का उद्गम मध्य प्रदे श की वर्िध्याचल पर्गत श्रेणी की
मेहंद झील से होता है। राजथथान में खादू ग्राम (बााँसर्ाड़ा) से प्रर्ेश
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➢ रूपनगढ़ नदी- सलेमाबाद (अजमेर) से वनकल कर जयपुर जजले में (ix) कायिाना झीि (जोधपुर) – इसका वनमागण काल 1872 ई. में हुआ
सांभर झील में वर्रती है। सलेमाबाद (अजमेर) में वनम्बाकग सम्प्रदाय की था। वनमागण जोधपुर के महाराजा सर प्रताप ससिह ने अकाल राहत कायग
प्रमुख पीठ स्थथत है। के दौरान
➢ मेन्था नदी- मदा/मेढ़ा/मथाई नदी, मेन्था नदी के अन्य नाम हैं। उद्गम (x) लसिीसेढ़ झीि/नंदन कानन (अििर) – शसलीसेढ़ झील का वनमागण
-मनोहरपुरा की पहामड़यों (जयपुर)। अपर्ाह क्षेत्र-जयपुर अलर्र के महाराजा वर्नय ससिह ने करर्ाया था। यह झील र्ोल्डन
➢ राजस्थान में मीठे पानी की प्राकृवतक झीि- िायर्ंल (ददल्ली, आर्रा, जयपुर) पर स्थथत है।
(i) पुष्कर झीि (अजमेर) – राजथथान की सबसे बड़ी प्राकवतक झील है। (xi) जैत सागर –बूाँदी
पुष्कर झील के पास ब्रह्माजी का मंददर, सावर्त्री जी का मजन्दर, रमा (xii) राम सागर – धौलपुर
बैकुंठे श्वर मंददर, भतगहरर की र्ुफा और कण्र् मुवन का आश्रम है। (xiii) तािाब शाही – धौलपुर
(ii) नक्की झीि (माउण्ि आबू - लसरोही) – राजथथान की सबसे ऊाँची र् (xiv) तेज सागर – प्रतापर्ढ़
सबसे र्हरी झील, जो ज्र्ालामुखी वक्रया से वनर्मित क्रेटर झील का (xv) मूि सागर – जैसलमेर
उदाहरण है। राजथथान का एकमात्र वहल थटे शन माउण्ट आबू है। (xvi) अमर सागर - जैसलमेर
(iii) कोिायत झीि (बीकानेर) – कवपलमुवन की तपोथथली। मरुथथल का (xvii) गजरूप सागर – जैसलमेर
सुन्दर मरु उद्यान कहते हैं। (xviii) गढ़सीसर – जैसलमेर
(iv) गजनेर झीि (बीकानेर) – राजथथान की एकमात्र झील जो दपगण के (xix) पन्नाशाह तािाब – झुंझुनूाँ
समान प्रतीत होती है। ➢ राजस्थान की खारे पानी की झीिें – उत्तर-पद्मश्चम राजथथान में
(v) तििाड़ा झीि – हनुमानर्ढ़ मुख्यत: खारे पानी की झीलें पाई जाती है, जो वक ‘िे लथस सागर’ का
(vi) तािछापर झीि - चूरू अर्शेष है।
(vii) नििखा झीि - बूाँदी (1) सांभर झीि-जयपुर। सांभर झील का वनमागण शाकम्भरी के चौहान
(viii) दुगारी/कनक सागर - बूाँदी शासक ‘र्ासुदेर् चौहान’ ने 551 ई. में करर्ाया था। (वबजौशलया
(ix) गैब सागर - डू ाँर्रपुर शशलालेख से ज्ञात)। सांभर झील रामसर साइट (र्षग 1990) की सूची
(x) मानसरोिर - झालार्ाड़ में भी शाममल है। सांभर झील तीन जजलों में जयपुर, नार्ौर एर्ं अजमेर
(xi) कोम्िा – झालार्ाड़ में फैली हुई है। सांभर झील भारत में सबसे बड़ी आंतररक नमक
(xii) पीथमपुरी – सीकर उत्पादक झील है।
➢ राजस्थान की मीठे पानी की कृविम झीिें– (2) ्ी्िाना (नागौर) इस झील के नमक में सोमडयम सल्फेट ज्यादा पाया
(i) जयसमंद झीि/ढे बर झीि (उदयपुर)– र्ोमती नदी पर स्थथत। जाता है अत: इस झील का नमक खाने योग्य नहीं होता है। 1964 में
राजथथान की सबसे बड़ी मीठे पानी की कवत्रम झील है। इसका वनमागण राजथथान थटे ट केममकल्स र्क्सग की थथापना की र्ई।
मेर्ाड़ महाराणा जयससिह ने (1685-1691 ई.) करर्ाया था। जयसमंद (3) पचपदरा झीि (बाड़मेर)– पचपदरा झील में खारर्ाल जावत के लोर्
झील से ससिचाई हेतु श्यामपुर तथा भाट नामक दो नहरें वनकाली र्ई हैं। मोरड़ी झाड़ी की सहायता से नमक उत्पादन करते हैं। इस झील का
(ii) राजसमंद झीि (राजसमंद)– राजसमंद झील का वनमागण महाराणा नमक सर्ागमधक खाने योग्य होता है क्योंवक इसमें NaCl 98% होता है
राजससिह ने 1662 ई.में कांकरोली (नाथद्वारा) में र्ोमती, ताल तथा और 2% आयोडीन पाया जाता है।
केलर्ा नददयों के पानी को रोककर करर्ाया। दे श की प्रथम झील (4) कािोद झीि (जैसिमेर) – प्राचीन काल की सर्गश्रेष्ठ नमक उत्पादक
जजसका वनमागण अकाल राहत के शलए वकया र्या है। झील है।
(iii) वपछोिा झीि (उदयपुर)- वपछोला झील का वनमागण राणा लाखा के (5) िूणकरणसर झीि (बीकानेर) – उत्तरी राजथथान की एकमात्र खारे
समय वपच्छू बंजारा द्वारा वपछोला र्ााँर् (उदयपुर) में करर्ाया र्या। पानी की झील है।
वपछोला झील में शससारमा र् बुझड़ा नदी का जल आता है। (6) ्ेगाना झीि – नार्ौर
(iv) फतेह सागर झीि, उदयपुर- वनमागण महाराणा जयससिह। महाराणा (7) कुचामन झीि – नार्ौर
फतेहससिह द्वारा र्षग 1678 में वर्कशसत वकया र्या था। नींर् अंग्रेज (8) रेिासा झीि – सीकर
अमधकारी ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा रखी र्ई इसशलए फतेह सार्र पर (9) काछोर झीि – सीकर
बने बााँध का नाम कनॉट बााँध रखा है। फतेहसार्र झील को वपछोला (10) फिोदी झीि – जोधपुर
झील से थर्रूप सार्र नहर जोड़ती है। ➢ भारत का गवतशीि भू-जि संसाधन मूल्यांकन (2022) के
(v) उदय सागर झीि (उदयपुर) – इसका वनमागण महाराणा उदयससिह ने अनुसार राजथथान में कुल 302 ब्लॉक है, जजनमें से 38 ब्लॉक सुरद्मक्षत,
1559 ई. में करर्ाया था। यह बेड़च नदी पर बनाया र्या बााँध है। 20 ब्लॉक अद्धग संकटग्रथत, 22 ब्लॉक संकटग्रथत, 219 ब्लॉक
(vi) आनासागर झीि (अजमेर)- आनासार्र झील का वनमागण अजमेर के अत्यमधक दोवहत और 03 ब्लॉक लर्णीय हैं।
चौहान शासक अणोराज द्वारा (1137 ई.) तुकी सेना के रक्त से रंर्ी ➢ राजस्थान में मृदा का िगीकरण – र्ैज्ञावनक र्र्ीकरण के आधार पर
धरती को साफ करने हेतु करर्ाया र्या। पााँच प्रकार की मदा पाई जाती है-
(vii) फॉय सागर झीि (अजमेर) – यह बाण्डी नदी पर स्थथत है। (1) एरर्ीसोल्स (शुष्क मृदा) – यह मदा शुष्क जलर्ायु क्षेत्र अथागत्
(viii) बािसमंद झीि (जोधपुर)– वनमागण र्ुजगर प्रवतहार शासक बालक रार् मरुथथलीय क्षेत्र में पाई जाती है।
(बाऊक) ने करर्ाया था।
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(2) एन्िीसोल्स (रेतीिी-बिुई मृदा/ पीिी-भूरी ममट्टी) – राजथथान में • राजस्थान में न्यूनतम झाड़ी िन िािे जजिे–
सर्ागमधक वर्थतार एन्टीसोल्स मदा का है। 1. हनुमानर्ढ़ 2. श्रीर्ंर्ानर्र 3. चूरू
(3) इन्सेप्िीसोल्स (िाि ममट्टी) – यह मदा अद्धग शुष्क/आद्रग जलर्ायु • राजस्थान में सिागमधक िन िृजद्ध िािे जजिे–
प्रदे श, अरार्ली पर्गतीय प्रदे श में पाई जाती है। 1. अजमेर 2. पाली 3. बीकानेर
(4) एल्फीसोल्स (जिोढ़ मृदा)-पूर्ी राजथथान। एल्फीसोल मदा में • राजस्थान में सिागमधक िन क्षेि में कमी िािे क्षेि–
नाइिोजन स्थथरीकरण तीव्र होता है। 1. जालोर 2. करौली 3. शसरोही
(5) ििीसोल्स (कािी ममट्टी)-हाड़ोती का पठार। इस मदा में अत्यमधक ➢ 23 अप्रैल, 1951 को राजथथान राज्य र्न्य जीर्-पक्षी संरक्षण
क्ले उपस्थथत होती है। अमधवनयम, 1951 लार्ू वकया र्या।
➢ राजस्थान के कृवष विभाग द्वारा मृदा का िगीकरण- ➢ राजथथान राज्य र्न्य जीर्-पक्षी संरक्षण अमधवनयम, 1951 के तहत
1. साई रोजेक्स – श्रीर्ंर्ानर्र र्षग 1955 में राज्य में र्न्य जीर् बोडग का र्ठन वकया र्या ।
2.रेिेररना – श्रीर्ंर्ानर्र ➢ राजथथान में टाइर्र प्रोजेक्ट र्षग 1973 में प्रारम्भ वकया र्या।
3. मरुस्थिी मृदा – जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, सीकर, ➢ राजथथान की पहली लैपडग सर्ारी झालाना (जयपुर) में है, आमार्ढ़
नार्ौर, चूरू, झुंझुनूाँ, श्रीर्ंर्ानर्र (जयपुर) में भी लैपडग सर्ारी है।
4. जजप्सीफेरस – बीकानेर ➢ रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान - सर्ाई माधोपुर। यह राजथथान का पहला
5. धूसर-भूरी जिोढ़ मृदा – नार्ौर, पाली, शसरोही, जालोर, अजमेर राष्ट्रीय उद्यान है।
6. गैर चूना युि भूरी मृदा – नार्ौर, सीकर, झुंझुन,ूाँ जयपुर, अजमेर, ➢ केििादे ि घना पक्षी विहार राष्ट्रीय उद्यान– भरतपुर। रामसर साइट
अलर्र का दजाग र्षग 1981 । यूनेथको की प्राकवतक वर्श्व धरोहर में सूचीबद्ध
7. निीन जिोढ़ मृदा – जयपुर, सर्ाई माधोपुर, भरतपुर, अलर्र र्षग 1985
8. पीिी-भूरी मृदा – भीलर्ाड़ा, उदयपुर, मचत्तौड़र्ढ़, टोंक, जयपुर, ➢ मुकुन्दरा वहल्स राष्ट्रीय उद्यान– कोटा-मचत्तौड़र्ढ़
सर्ाई माधोपुर ➢ राष्ट्रीय मरु उद्यान- जैसलमेर-बाड़मेर। यह र्ोडार्ण की आश्रय थथली
9. निीन भूरी मृदा – अजमेर एर्ं भीलर्ाड़ा है।
10. पिगतीय मृदा – कोटा एर्ं उदयपुर ➢ माउण्ि आबू अभयारण्य- शसरोही। यह जंर्ली मुर्ों के शलए प्रशसद्ध
11. िाि-िोमी मृदा – बााँसर्ाड़ा एर्ं डू ाँर्रपुर हैं।
12. कािी गहरी मध्यम मृदा – भीलर्ाड़ा, मचत्तौड़र्ढ़, झालार्ाड़, ➢ तािछापर अभयारण्य- चूरू। यह कष्ण मर् के शलए प्रशसद्ध है।
कोटा, बूाँदी, भरतपुर ➢ सीतामाता अभयारण्य- मचत्तौड़र्ढ़-उदयपुर-प्रतापर्ढ़। यह
13. केल्सी ब्राउन मरुस्थिी मृदा – जैसलमेर एर्ं बीकानेर अभयारण्य चीतल की मातभूमम र् उड़न वर्लहरी के शलए प्रशसद्ध है।
14. मरुस्थि एिं बािुका-स्तूप – बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, ➢ चम्बि अभयारण्य- कोटा, बूूँिी, सवाई मािोपुर, करौली एवं िौलपुर।
बीकानेर ये अभयारण्य िमड़याल तथा मर्रमच्छ के शलए प्रशसद्ध है।
➢ राजस्थान में भौगोलिक दृवष्ट से तीन प्रकार के प्रमुख िन पाए ➢ जिाहर सागर अभयारण्य- कोटा-मचत्तौड़र्ढ़-बूाँदी।
जाते हैं– ➢ कुम्भिगढ़ अभयारण्य- राजसमंद-पाली-उदयपुर। यह जंर्ली
1. उष्ण कटिबंधीय कंिीिे िन – ये र्न राजथथान के शुष्क एर्ं भेमड़यों र् उनकी प्रजनन थथली के शलए प्रशसद्ध हैं।
अद्धग शुष्क भार्ों में पाए जाते हैं। ➢ रामगढ़ विषधारी अभयारण्य- बूाँदी। इसे र्षग 1982 में र्न्य जीर्
2. उष्ण कटिबंधीय शुष्क पतझड़ िन – इन र्नों को ‘मानसूनी र्न’ भी अभयारण्य के रूप में अमधसूमचत वकया र्या जो भारत का 52र्ााँ टाइर्र
कहते हैं। ये र्न मुख्यत: बााँसर्ाड़ा, डू ाँर्रपुर, उदयपुर, मचत्तौड़र्ढ़, बारााँ, ररज़र्ग है।
झालार्ाड़, अजमेर, कोटा, जयपुर, सर्ाई माधोपुर, करौली, बूाँदी एर्ं ➢ फुििारी की नाि अभयारण्य- जयसमंद अभयारण्य- सज्जनगढ़
टोंक जजलों में पाए जाते हैं। अभयारण्य- उदयपुर
3. अद्धग शुष्क कटिबंधीय सदाबहार िन –इन्हें सदाबहार र्न कहते हैं। ➢ राििी िॉ्गढ़ अभयारण्य- अजमेर- पाली- राजसमंद
ये आबू पर्गतीय क्षेत्र में ही पाए जाते हैं। ➢ जमुिा-रामगढ़ अभयारण्य- नाहरगढ़ अभयारण्य- जयपुर
➢ 17िीं भारतीय िन ररपोिग -2021 ➢ सररस्का अभयारण्य- सररस्का-(A)- अलर्र
• राजस्थान में सिागमधक िन विस्तार िािे जजिे– ➢ शेरगढ़ अभयारण्य- बारााँ
1. उदयपुर 2. अलर्र 3. प्रतापर्ढ़ ➢ बंध बरेठा अभयारण्य (भरतपुर)
• राजस्थान में न्यूनतम िन विस्तार िािे जजिे– ➢ बस्सी अभयारण्य (मचत्तौड़र्ढ़) – यहााँ पर बाि, बिेरा, सांभर और
1. चूरू 2. हनुमानर्ढ़ 3. जोधपुर चीतल जीर्ों की प्रजावतयााँ दे खने को ममलती हैं।
• राजस्थान में सिागमधक िन प्रवतशत िािे जजिे– ➢ सिाई मानलसिंह अभयारण्य (सर्ाई माधोपुर)
1. उदयपुर 2. प्रतापर्ढ़ 3. शसरोही ➢ भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य- (मचत्तौड़र्ढ़) – यहााँ चूशलया जल-प्रपात तथा
• राजस्थान में न्यूनतम िन प्रवतशत िािे जजिे– मानदे सरा का पठार स्थथत है।
1. जोधपुर 2. चूरू 3. जैसलमेर ➢ रामसागर अभयारण्य- िन विहार अभयारण्य- केसरबाग
• राजस्थान में सिागमधक झाड़ी िन िािे जजिे– अभयारण्य-(धौलपुर)
1. पाली 2. करौली 3. जयपुर ➢ कैिादे िी अभयारण्य- (करौली-सर्ाई माधोपुर)
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ राजस्थान में संरणक्षत क्षेि- प्रततशत (%) ग्रामीर् जनसंख्या प्रततशत (%) शहरी जनसंख्या
1. बीसलपुर (टोंक) सवागधिक – डू ूँर्रपुर (93.06%) सवागधिक – कोटा (60.03%)
2. जोहड़बीड़ –र्ाडेर्ाला (बीकानेर) न्यूनतम – कोटा (39.69%) न्यूनतम – डू ूँर्रपुर (06.4%)
3. सुंधा माता (जालोर-शसरोही) जनघनत्व (200) जनसंख्या वृद्धि दर (21.3%)
4. र्ुढ़ा वर्श्नोइयााँ (जोधपुर) सवागधिक – जयपुर (595), भरतपुर सवागधिक – बाड़मेर (32.5%),
5. बीड़ (झुंझुनूाँ ) (503), िौसा (476), अलवर जैसलमेर, जोिपुर, बाूँसवाड़ा
6. शाकम्भरी (सीकर-झुंझुनूाँ ) (438) न्यूनतम – श्रीर्ंर्ानर्र (10.0%),
7. रोटू (नार्ौर) न्यूनतम – जैसलमेर (17), बीकानेर झुंझुनूूँ, पाली, बूूँिी
8. र्ोर्ेलार् (नार्ौर) (78), बाड़मेर (92), चूरू (147)
9. उम्मेदर्ंज पक्षी वर्हार (कोटा) ललिंगानुपात (928) लशशु ललिंगानुपात (888)
10. जर्ाई बााँध लैपडग I&II (पाली) सवागधिक – डू ूँर्रपुर, राजसमंि, सवागधिक – बाूँसवाड़ा, प्रतापर्ढ़,
11.बांशसयाल-खेतड़ी,बांशसयाल खेतड़ी-बार्ौर, मनसा माता(झुंझुनूाँ ) पाली, प्रतापर्ढ़ भीलवाड़ा, उियपुर
12. शाहबाद, शाहबाद तलहटी (बारााँ) न्यूनतम – िौलपुर, जैसलमेर, न्यूनतम – झुंझुन,ूूँ सीकर, करौली,
13. रणखार कन्जर्ेशन ररर्जग (जालोर) करौली, भरतपुर श्रीर्ंर्ानर्र
14. बीड़ िास फुशलयाखुदग कन्जर्ेशन ररर्जग (भीलर्ाड़ा) लशशु जनसंख्या साक्षरता (66.1%)
➢ राजस्थान के मृगिन- सवागधिक – जयपुर, जोिपुर सवागधिक – कोटा, जयपुर, झुंझुनूूँ,
1. अशोक वर्हार, संजय उद्यान (जयपुर) न्यूनतम – जैसलमेर, प्रतापर्ढ़ सीकर
2. मामचया सफारी (जोधपुर) न्यूनतम – जालोर, शसरोही,
3. अमतादे र्ी वर्श्नोई (खेजड़ली-जोधपुर) प्रतापर्ढ़, बाूँसवाड़ा
4. पंचकुण्ड (पुष्कर-अजमेर) पुरुष साक्षरता (79.2%) मतहला साक्षरता (52.1%)
5. मचत्तौड़र्ढ़ मर्र्न (मचत्तौड़र्ढ़) सवागधिक – झुंझुनूूँ, कोटा, जयपुर सवागधिक – कोटा (65.9%) जयपुर,
6. सज्जनर्ढ़ (उदयपुर) न्यूनतम – प्रतापर्ढ, बाूँसवाड़ा, झुंझुनूूँ
➢ राजस्थान में जैविक उद्यान- शसरोही न्यूनतम – जालोर (38.5%),
● नाहरर्ढ़ (जयपुर) – (उद्घाटन- जनू, 2016) जैसलमेर, शसरोही
● सज्जनर्ढ़ (उदयपुर) – (उद्घाटन - अप्रैल, 2015) अनुसूयचत जातत अनुसूयचत जनजातत
● मामचया सफारी (जोधपुर) (उद्घाटन – जनर्री, 2016) सर्ागमधक अनुसूमचत जावत र्ाले सर्ागमधक अनुसूमचत जनजावत र्ाले
● अभेड़ा (कोटा) – (उद्घाटन - ददसम्बर, 2021) जजले जनसंख्या (% में)– जजले जनसंख्या (% में) –
● मरुधरा (बीकानेर) – मरुथथलीय र्नथपवत। श्रीर्ंर्ानर्र, हनुमानर्ढ़, करौली बााँसर्ाड़ा, डू ाँर्रपुर, प्रतापर्ढ़
➢ खरीफ फसिें / स्यािु – राज्य में ये फसलें जून-जुलाई में बोई जाती न्यूनतम – डू ाँर्रपुर, बााँसर्ाड़ा, न्यूनतम – बीकानेर, नार्ौर, चूरू
हैं तथा शसतम्बर, अक्टू बर में काटी जाती हैं। मुख्य खरीफ फसलें - ज्र्ार, उदयपुर
बाजरा, चार्ल, मक्का, मूाँर्, उड़द, अरहर, मोठ, मूाँर्फली, अरण्डी, ललिंगानुपात जनसंख्या
वतल, सोयाबीन, कपास, र्न्ना, ग्र्ार आदद। अनुसूधचत जानत – 923 अनुसूधचत जानत – 17.08%
➢ रबी फसिें / उनािु – ये फसलें अक्टू बर-नर्म्बर में बो कर माचग-अप्रैल अनुसूधचत जनजानत – 948 अनुसूधचत जनजानत – 13.5%
में काट ली जाती हैं। मुख्य रबी फसलें - र्ेहूाँ, जौ, चना, मटर, सरसों,
अलसी, तारामीरा, सूरजमुखी, धवनया, जीरा, मैथी आदद हैं। ➢ राजथथान में वर्द्युत वर्कास हेतु साथगक प्रयास 1 जुलाई, 1957 को
➢ जायद फसिें - इन फसलों को माचग–अप्रैल से मध्य जून तक उर्ाया राजथथान राज्य वर्द्युत मण्डल की थथापना के साथ प्रारम्भ वकया।
जाता है। ➢ राजथथान में माचग, 2021 तक ऊजाग की अमधष्ठावपत क्षमता 21,979
➢ राजस्थान की जनसंख्या एक नजर में – मेर्ार्ॉट थी। अमधष्ठावपत क्षमता में र्षग 2021-22 में ददसम्बर, 2021
पुरुष जनसंख्या मतहला जनसंख्या तक 1342.50 मेर्ार्ॉट की र्जद्ध हुई। इस प्रकार ददसम्बर, 2021 तक
3.55 करोड़ (51.86%) 3.29 करोड़ (48.14%) अमधष्ठावपत क्षमता बढ़कर 23,321.40 मेर्ार्ॉट हो र्ई है।
सवागधिक – जयपुर, अलवर सवागधिक – जयपुर, जोिपुर ➢ थमगि पॉिर प्रोजेक्िस
न्यूनतम –जैसलमेर, प्रतापर्ढ़ न्यूनतम – जैसलमेर, प्रतापर्ढ़ 1. कोटा सुपर थमगल पॉर्र (KTPS), कोटा
ग्रामीर् जनसंख्या – शहरी जनसंख्या 2. सूरतर्ढ़ सुपर थमगल पॉर्र (श्रीर्ंर्ानर्र)- (राजथथान का प्रथम सुपर
(75.10%) (24.9%) थमगल पॉर्र प्लांट)
सवागधिक – जयपुर, अलवर, नार्ौर, सवागधिक – जयपुर, जोिपुर, कोटा, 3. छबड़ा सुपर थमगल पॉर्र (बारााँ)- र्तगमान में सर्ागमधक वर्द्युत उत्पादन
उियपुर अजमेर होता है।
न्यूनतम – जैसलमेर, कोटा, न्यूनतम – प्रतापर्ढ़, डू ूँर्रपुर, 4. वर्रल थमगल पॉर्र (बाड़मेर)- पहला र्ैसीकरण शलग्नाइट तकनीकी
प्रतापर्ढ़, शसरोही जैसलमेर, बाूँसवाड़ा आधाररत

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ गैस आधाररत पॉिर प्रोजेक्ि ➢ दे श में चााँदी, केल्साइट और जजप्सम का लर्भर् पूरा उत्पादन
1. रामर्ढ़ र्ैस पॉर्र (जैसलमेर) राजथथान में होता है।
2. धौलपुर र्ैस कम्बाइंड (GAIL द्वारा आपूर्ति) ➢ राजथथान दे श में बॉल क्ले, फॉथफोराइट, ओकर (र्ेरू), थटे टाइट,
➢ तापीय विद्युत- शलग्नाइट, खवनज तेल/पेिोशलयम एर्ं प्राकवतक र्ैस फेल्सपार एर्ं फायर क्ले का प्रमुख उत्पादक राज्य है।
➢ आण्ण्िक/परमाणु ऊजाग- ➢ धाग्त्िक खवनज– धान्त्र्क खवनज लौह और अलौह दोनों प्रकार के
1. राजस्थान परमाणु वबजिीघर (RPS)- राितभािा। इसकी पहली होते हैं; जैसे- लोहा, मैंर्नीज, सीसा-जथता, चााँदी, तााँबा, सोना,
इकाई का संचालन 16 ददसम्बर, 1973 को वकया र्या। र्तगमान में बॉक्साइट, टं र्थटन, बेररशलयम आदद।
इसकी 6 इकाइयों से वर्द्युत उत्पादन हो रहा है तथा 7र्ीं और 8र्ीं इकाई ➢ िौह अयस्क- मुख्यत: लौह-अयथक चार प्रकार के होते हैं–
वनमागणाधीन है। (i) मैग्नेिाइि (ii) हेमेिाइि
2. बााँसिाड़ा न्यूण्क्ियर पॉिर-(बााँसर्ाड़ा) (iii) लिमोनाइि (iv) लस्ेराइि
➢ सौर ऊजाग उत्पादन में दे श में प्रथम थथान पर राजथथान है। ➢ राजस्थान में िौह अयस्क उत्पादक क्षेि – राज्य में लौह अयथक
➢ राज्य सरकार द्वारा वनर्ेशकों के अनुकूल राजथथान सौर ऊजाग नीवत, उत्पादक क्षेत्र मोरीजा बानोला(जयपुर) नीमला राइसेला (दौसा),
2019 जारी की र्ई है। डाबला – संथाना (झुंझुनूाँ), नाथरा की पाल, थुर हुण्डेर (उदयपुर) र्
➢ राज्य में सौर ऊजाग के क्षेत्र में संचाशलत पररयोजनाएाँ- मथावनया (जोधपुर), पुरबनेड़ा (भीलर्ाड़ा) है।
फार्ी (जयपुर), बालेसर (जोधपुर) र् रार्तभाटा (मचत्तौड़र्ढ़) है। ➢ मैंगनीज- राजथथान में मैंर्नीज प्रान्प्त के प्रमुख थथान- राज्य में
➢ राज्य का पहला सोलर पाकग भड़ला (जोधपुर) में थथावपत वकया र्या। मैंर्नीज उत्पादन क्षेत्र लीलर्ाना, तलर्ाड़ा वतम्मोररया, कालाखूाँटा,
➢ सौर ऊजाग पररयोजनाएाँ – कौसाला, िादटयााँ (बााँसर्ाड़ा), नर्ेमड़या (राजसमंद) र् छोटीसार, बड़ी
1. खींर्सर सोलर एनजी प्लांट - नार्ौर सार, रामोसन, थर्रूपपुरा (उदपयुर) है।
2. र्ौरीर सोलर फोटो र्ोस्त्ल्टक – झुंझुनूाँ ➢ तााँबा (ताम्र धातु)– राजथथान में तााँबा उत्पादक क्षेत्र खेतड़ी, ससििाना
3. मोकला सोलर एनजी प्रोजेक्ट – जैसलमेर (झुंझुनूाँ), खो-दरीबा (अलर्र), बीदासर (चूरू), पुर बनेड़ा (भीलर्ाड़ा),
4. धूवनया सोलर एनजी प्लांट – जोधपुर मीरा का नांर्ल क्षेत्र, बन्ने र्ालों की ढाणी, नाथा की नांर्ल (सीकर),
5. आर्ोररया सोलर पॉर्र प्रोजेक्ट - बाड़मेर सलूम्बर (उदयपुर), भीम, रेलमर्रा (राजसमंद), जयपुर है।
➢ राज्य में माचग, 2000 में पर्न ऊजाग वर्द्युत उत्पादन नीवत की िोषणा ➢ सीसा-जस्ता- इसका उपयोर् अम्ल, बैटरी, सुरक्षा उपकरण, बतगन,
की र्ई। सौंदयग प्रसाधन, रंर् उद्योर्
➢ पहली पर्न ऊजाग पररयोजना -अमर सार्र (जैसलमेर) ➢ राजस्थान में सीसा – जस्ता की वनम्नलिग्खत खानें या प्राम्प्त
➢ दे र्र्ढ़ पर्न ऊजाग पररयोजना मचत्तौड़र्ढ़ (र्तगमान प्रतापर्ढ़) स्थि है- राज्य में सीसा-जथता प्रान्प्त थथल रामपुरा – आर्ुचा
➢ बीथड़ी पर्न ऊजाग पररयोजना (बीथड़ी) जोधपुर (भीलर्ाड़ा), राजपुरा – दरीबा (राजसमंद), दे बारी, जार्र खान -
➢ राजस्थान के प्रमुख बायोमास संयंि उदयपुर (सीसा – जथता के साथ चााँदी भी) चौथ का बरर्ाड़ा (सर्ाई
(i) पदमपुरा बायोमास संयंत्र – श्री र्ंर्ानर्र (राजथथान का पहला) माधोपुर), र्ुढ़ा वकशोरीदास क्षेत्र अलर्र, ससिदेसर खुदगखान-रेलमर्रा
(ii) खेड़ली बायोमास संयंत्र – अलर्र (राजसमंद) है।
(iii) दे र्ली बायोमास संयंत्र – टोंक ➢ चााँदी- राजथथान के उदयपुर जजले के जार्र में तथा भीलर्ाड़ा के
(iv) बालोतरा बायोमास संयंत्र – बाड़मेर (शहरी कचरा आधाररत) रामपुरा आर्ुचा में सीसा-जथता के साथ चााँदी भी वनकाली जाती है।
(v) अजमेर बायोमास संयंत्र – अजमेर (वर्लायती बबूल आधाररत) ➢ सोना (स्िणग भण््ार)– राज्य में थर्णग प्रान्प्त थथल – आनंदपुर
(vi) रंर्पुर बायोमास संयंत्र – कोटा (शहरी कचरा आधाररत) भूवकया, जर्तपुरा भूवकया, वतमरान माता (बााँसर्ाड़ा), खेड़ा – राजपुरा
➢ राजस्थान की ऊजाग नीवतयााँ- – (उदयपुर), पादरा की पाल (डू ाँर्रपुर) है।
● राजथथान सौर ऊजाग नीवत, 2011 ➢ िं गस्िन– राज्य में टं र्थटन उत्पादन क्षेत्र – डेर्ाना (नार्ौर), नाना कराब
● राजथथान सौर ऊजाग नीवत, 2014 (पाली), र्ाल्दा, आबू, रेर्दर (शसरोही) है।
● नई पर्न ऊजाग नीवत, 2012 ➢ एल्युममवनयम (बॉक्साइि)- बारााँ के माजोला, सहरोल र् शाहबाद
● राज्य में अक्षय ऊजाग के स्रोतों के वर्कास हेतु जारी नीवतयााँ- तहसील में पाए र्ए हैं।
● पर्न ऊजाग प्रोत्साहन नीवत (2000 र् 2003)- ➢ यूरेवनयम- राजथथान में उत्पादक क्षेत्र – ऊमरा क्षेत्र (उदयपुर),
● र्ैर-परम्परार्त ऊजाग स्रोतों से वर्द्युत उत्पादन को बढ़ार्ा दे ने की नीवत खण्डेला-रोवहला क्षेत्र (सीकर), भूणास-जहाजपुरा क्षेत्र (भीलर्ाड़ा),
(2004) डू ाँर्रपुर एर्ं बााँसर्ाड़ा है।
● नई बायोमास नीवत-26 फरर्री, 2010 ➢ थोररयम- प्रमुख उत्पादक क्षेत्र – भद्रार्न (पाली), जैसलमेर, बाड़मेर
● नई सौर ऊजाग नीवत-18 ददसम्बर, 2019 है।
● नई पर्न और हाईवब्रड ऊजाग नीवत-18 ददसम्बर, 2019 ➢ बेररलियम- राज्य में प्रमुख उत्पादक क्षेत्र – र्ुजरर्ाड़ा (जयपुर), बांदर
➢ राज्य में 82 प्रकार के खवनजों के भण्डार हैं। उनमें से र्तगमान में 57 ससिदरी (अजमेर), शशकारबाड़ी, शसले का र्र्ाड़ा, चम्पार्ुढ़ा (उदयपुर),
प्रकार के खवनजों का उत्पादन हो रहा है। शशर्राती र् वतलोली (टोंक), सार्र्ाड़-पादे री (डू ाँर्रपुर) है।
➢ राजथथान सीसा-जथता, सेलेनाइट और र्ॉलेथटोनाइट का एकमात्र ➢ लिलथयम- राजथथान में राजर्ढ़ क्षेत्र (अजमेर) से वनकाला जाता है।
उत्पादक राज्य है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ तामड़ा/वफरोजा/रिमणण/गानेि- राजथथान का एकामधकार। ➢ प्राकृवतक गैस- र्षग 1999 में प्राकवतक र्ैस की खोज जैसलमेर के
राजथथान में उत्पादन राजमहल, कुशालपुर, कल्याण खान ,जनकपुरा िोटारू में की र्ई जहााँ हीशलयम र्ैस के भण्डार ममले हैं।
(टोंक), खरखारी, सरर्ाड़ क्षेत्र (अजमेर) से होता है। ➢ राजस्थान में प्राकृवतक गैस के उत्पादक क्षेि–
➢ पन्ना- कालार्ुमान क्षेत्र (राजसमंद) से बुबानी/मुहामी राजर्ढ़ (अजमेर) 1. िोटारू
➢ हीरा- र्तगमान में केशरपुरा (प्रतापर्ढ़) में हीरे के भण्डार हैं। 2. नहर दटब्बा
➢ अकीक/गोमेद/सुिेमानी पत्थर- राजथथान में भण्डार – कोटा, 3. रामर्ढ़
झालार्ाड़, बारााँ, बूाँदी, मचत्तौड़र्ढ़ आदद जजलों में हैं। 4. तनोट जैसलमेर
➢ जजप्सम- राजथथान में प्रमुख उत्पादक क्षेत्र- र्ोठ-मांर्लोद, धाकोररया, 5. डांडेर्ाला
भदर्ासी (नार्ौर), जामसर, शसयासर, हरकासर, लूणकरणसर (बीकानेर), 6. साधुर्ाला
उतरलाई, पीर की ढाणी, कुरल, श्यौकर (बाड़मेर), खूटानी (पाली) है। 7. बार्ेर्ाला (बीकानेर)
➢ रॉक-फॉस्फेि- राजथथान में रॉक-फॉथफेट के उत्पादक क्षेत्र –झामर ➢ अभ्रक- राजथथान में अभ्रक उत्पादन क्षेत्र- दााँता भूणास, टूाँ का, बनेड़ी,
कोटड़ा, डाकन- कोटड़ा, मटू न, डोल्कीपात, कानपुर, कारबेररया, नात की नेरी (भीलर्ाड़ा), रोवहला – खण्डेला क्षेत्र (सीकर), चम्पार्ुढ़ा
डाकन-कोटड़ा, सीसारमा, नीमच माता, बड़ार्ााँर् (उदयपुर), सलोपेट (उदयपुर), नाथद्वारा (राजसमंद) है।
(बााँसर्ाड़ा), वबरमावनया, फतेहर्ढ़ (जैसलमेर), अडू का-अदर्ानी ➢ एस्बेस्िॉस- राजथथान में प्रमुख उत्पादक क्षेत्र- नारेली, अजुगनपुरा,
(जयपुर), करपुरा (सीकर) है। कनर्ाली (अजमेर), सेन्दड़ा (पाली), ऋषभदे र्, खेरर्ाड़ा, सलूम्बर,
➢ पाइराइि- राजथथान में सलादीपुरा (सीकर) से वनकाला जाता है। जांजर की पाल (उदयपुर), तीखी-र्ुढ़ा (राजसमंद), नलर्ा, िंटीिला,
➢ पोिाश- राजथथान में बीकानेर, श्रीर्ंर्ानर्र, हनुमानर्ढ़, चूरू, नार्ौर िोिरा, दे र्ल (डू ाँर्रपुर) है।
जजलों में पोटाश के भण्डार पाए जाते हैं। ➢ संगमरमर-
➢ ऐंथ्रासाइि कोयिा - यह रूपांतररत चट्टानों में पाया जाता है। ● सफेद संर्मरमर – मकराना (नार्ौर)
➢ वबिु ममनस कोयिा - यह र्ोंडर्ाना लैण्ड की अर्सादी चट् टानों में ● काला संर्मरमर – भैंसलाना (जयपुर)
पाया जाता है। ● हरा संर्मरमर – ऋषभदे र् (उदयपुर)
➢ लिग्नाइि कोयिा - राजथथान में शलग्नाइट प्रकार का कोयला पाया ● पीला संर्मरमर – जैसलमेर
जाता है। ● र्ुलाबी संर्मरमर – बाबरमल (उदयपुर) शसरोही
➢ पीि कोयिा - इस कोयले की लकड़ी को जलाकर बनाया जाता है। ● लाल संर्मरमर – धौलपुर
➢ कोयिा लिग्नाइि- राजथथान में शलग्नाइट के भण्डार – ● बादामी संर्मरमर – जोधपुर
पलाना,बरससिर्सर, हाड़ला, केसर-दे सर, र्ुढ़ा, बीठनोक (बीकानेर), ● सतरंर्ी/इंद्रधनुषी संर्मरमर – खांदरा (पाली)
कपूरड़ी, जालीपा, वर्रल, जोर्ेश्वर तला (बाड़मेर), मेड़ता, मातासुख, ➢ ग्रेनाइि– जालोर को ग्रेनाइट शसटी
काथनाऊ इग्यार, इन्दार्ड़ (नार्ौर) में है। ● काला ग्रेनाइट – कालाडेरा (जयपुर)
➢ पेट्रोलियम पदाथग- 29 अर्थत, 2009 को केयनग एनजी द्वारा बाड़मेर ● पीला ग्रेनाइट – पीथला र्ााँर् (जैसलमेर)
में मंर्ला नामक प्रथम तेल के कुएाँ की थथापना की र्ई। ● र्ुलाबी ग्रेनाइट – जालोर
➢ राजस्थान में तेि के कुएाँ- ● मरकरी/लाल ग्रेनाइट – शसर्ाणा (बाड़मेर)
1. मंर्ला ➢ िॉिेस्िोनाइि- इस खवनज में राजथथान का एकामधकार है। राजथथान
2. ऐश्वयाग र्ॉलेथटोनाइट- खखल्ला बैटका (शसरोही) खेड़ा सायरा (उदयपुर) र् पाली
3. सरथर्ती से वनकाला जाता है।
4. रार्ेश्वरी ➢ बेन्िोनाइि- हाथी की ढाणी, वर्रल, अकाली (बाड़मेर), बीकानेर,
5. भाग्यम सर्ाई माधोपुर से वनकाला जाता है।
बाड़मेर
6. शशक्त ➢ फायर क्िे- बीकानेर, भीलर्ाड़ा, मचत्तौड़र्ढ़
7. कामेश्वरी ➢ बेराइिस- राजथथान में बेराइट् स के सबसे बड़े भण्डार उदयपुर तथा
8. वर्जया अलर्र में हैं। अलर्र-भानखेड़ा (बेराइट् स का भण्डार)
9. र्न्दना ➢ चूना पत्थर-िाइम स्िोन- बााँसर्ाड़ा में सीमेन्ट ग्रेड र् हाइग्रेड
➢ राजस्थान में पेट्रोलियम उत्पादक क्षेि- राजथथान में पेिोशलयम लाइमथटोन पाया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र चार पेिोलीफेरस बेशसन के अन्तर्गत लर्भर् 1,50,000 ➢ फेल्सपार- राजथथान में फेल्सपार के प्रान्प्त थथल-
र्र्ग वकमी. (14 जजलों) में वर्थतत है। 1. अजमेर – मकरेडा, बांदर, ससिदरी, ब्यार्र, जर्ाजा, मसूदा, पीसांर्न,
1. बाड़मेर-सांचौर बेशसन - (बाड़मेर एर्ं जालोर जजले) लोहार्गल
2. जैसलमेर बेशसन - (जैसलमेर जजला) 2. भीलर्ाड़ा – जहाजपुर
3. बीकानेर-नार्ौर बेशसन - (बीकानेर, नार्ौर, श्रीर्ंर्ानर्र, हनुमानर्ढ़, 3. पाली – चानोददया
चूरू) ➢ फ्िोसगपार/फ्िोराइि- फ्लोसगपार का सर्ागमधक उत्पादन माण्डो की पाल
4. वर्िध्यन बेशसन – (कोटा, बारााँ, बूाँदी, झालार्ाड़ जजले तथा भीलर्ाड़ा (डू ाँर्रपुर) में होता है। फ्लोसगपार उदयपुर के काला मर्रा र् झालरा क्षेत्र
तथा मचत्तौड़र्ढ़ जजले का कुछ भार्) तथा अजमेर के मुंडोती, वतलोरा र् ररछमाशलया क्षेत्र में भी पाया जाता है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ ्ोिोमाइि- डोलोमाइट के प्रान्प्त थथल-वर्ट्ठलदे र्, वत्रपुरा सुन्दरी 4. र्ोड़र्ाड़ सर्किट = माउण्ट आबू – रणकपुर
(बााँसर्ाड़ा), धररयार्द, ईसर्ाल (उदयपुर) नाथद्वारा, हल्दीिाटी, तलाई 5. ढूाँ ढाड़ सर्किट = जयपुर – दौसा – टोंक
(राजसमंद) है। 6. बज-मेर्ात सर्किट = अलर्र – सररथका – भरतपुर – सर्ाई माधोपुर
➢ पाइराइिस- राजथथान में पाइराइट् स केर्ल सीकर के सलादीपुरा में 7.मेरर्ाड़- मारर्ाड़ सर्किट = अजमेर – पुष्कर
पाया जाता है। 8. हाड़ौती सर्किट = बूाँदी – कोटा – झालार्ाड़
➢ िमीक्यूिाइि- राजथथान में र्मीक्यूलाइट का उत्पादन अजमेर होता 9. शेखार्ाटी सर्किट = सीकर – मण्डार्ा - झुंझुनूाँ
है। ➢ रोप-िे-
➢ मैग्नेसाइि- राजथथान में अजमेर के सरूपा, छाजा, र्ाफा क्षेत्र तथा 1. सुंधा माता मंददर रोपर्े (ददसम्बर, 2006) – जालोर – 800 मीटर लम्बा
डू ाँर्रपुर र् पाली में इसका उत्पादन होता है। 2. मंशापूणग करणी माता मंददर रोपर्े (जून, 2008) – उदयपुर – जून,
➢ क्िािग ज- राजथथान में क्र्ाट्ग ज का उत्पादन अजमेर र् भीलर्ाड़ा में 2008 – 387 मीटर लम्बा
होता है। 3. सावर्त्री माता मंददर रोपर्े (मई, 2016) – पुष्कर (अजमेर) – 3 मई,
➢ लसलिका सैं्/कााँच बािुका- राजथथान में सर्ागमधक शसशलका का 2016 – 700 मीटर लम्बा
उत्पादन जयपुर में होता है तथा राज्य में उत्पाददत शसशलका का उपयोर् 4. सामोद रोपर्े (मई, 2019) – जयपुर
धौलपुर की कााँच फैक्िी में वकया जाता है। 5. कनक – र्ंदार्न रोपर्े – जयपुर (वनमागणधीन)
➢ लसलिका सैं् प्राम्प्त स्थि – 6. माउण्ट आबू रोपर्े – शसरोही (न्यावयक वर्र्ाद के कारण लस्त्म्बत)
1. जयपुर 2. बारााँ-अटरू र् छबड़ा 7. लसद्धनाथ मंटदर से मामचया सफारी पाकग रोप-र्े – जोधपुर
3. बाड़मेर-शशर् तहसील 4. बूाँदी-बारोददया (वनमागणाधीन)
➢ घीया पत्थर/soap stone- राजथथान में राजसमंद, उदयपुर, दौसा, ➢ यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सम्म्मलित स्थि –
अजमेर, डू ाँर्रपुर, बााँसर्ाड़ा, करौली जजलों में िीया पत्थर होता है। 1. जन्तर मंतर 2010
➢ र्तगमान राज्य सरकार द्वारा 29 जनर्री, 2019 को “पधारो म्हारे दे श 2. कालबेशलया नत्य (2010)
”लोर्ो के साथ “राजथथान- भारत का अतुल्य राज्य”(Incredible 3. केर्लािना पक्षी वर्हार (1985)
State of India) अंवकत वकया र्या है। 4. जयपुर शहर (परकोटा) जुलाई 2019
➢ प्रवतर्षग 27 शसतम्बर को अन्तरागष्ट्रीय पयगटन ददर्स के रूप में मनाया 5. छ: दुर्ग (2013) – आमेर,मचत्तौर्ढ़,कुम्भलर्ढ़,र्ार्रोन,जैसलमेर,
जाता है। रणथम्भौर
➢ प्रवतर्षग 25 जनर्री को राष्ट्रीय पयगटन ददर्स के रूप में मनाया जाता है। ➢ शाही रेिगाड़ी:-
➢ प्रवतर्षग 18 अपैल को वर्श्व हैररटे ज ददर्स मनाया जाता है। 1. पैिेस ऑन व्हील्स/ हैररिे ज पैिेस ऑन व्हील्स:- इसकी शुरुआत
➢ प्रवतर्षग 18 मई को वर्श्व म्यूजजयम ददर्स मनाया जाता है। 26 जनर्री, 1982 को हुई। ये 7 ददन र् 8 रात में एक फेरा पूरा करती
➢ सन् 1989 में युनूस खान सममवत की शसफाररश पर पयगटन को उद्योर् है।
का दजाग ददया र्या। र्ही सन् 2004-05 में पयगटन उद्योर् को जन उद्योर् 2. वििे ज ऑन व्हील्स:- इसकी शु रु आत 29 नर्म्बर, 2004 को
की श्रेणी में सस्त्म्मशलत वकया र्या। हुई।
➢ र्षग 1955 में पयगटन वनदे शालय की थथापना की र्ई। 3. हैररिे ज ऑन व्हील्स:- इसकी शुरुआत र्षग 2006 में हुई।
➢ र्षग 1956 में पयगटन वर्भार् की थथापना की र्ई। 4. रॉयि राजस्थान ऑन व्हील्स:- इसकी शुरुआत जनर्री, 2009 में
➢ र्षग 1978 को RTDC (राजथथान पयगटन वर्कास वनर्म) का र्ठन की र्ई।
वकया र्या। 5. फेयरी क्िीन:- इसकी शुरुआत र्षग 2003 में की र्ई। ये शेखार्ाटी के
➢ पयगिन पररपथ (Tourist Circuits) द्मभशत्त मचत्रण र् हर्ेली दे खने हेतु चलाई र्ई।
1. मरू सर्किट – जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर, नार्ौर 6. द ग्रेि अराििी ट्रे न:- अजमेर से माउण्ट आबू तक चलती है।
2. अलर्र सर्किट – अलर्र, डीर्, भरतपुर, धौलपुर ➢ महत्त्िपूणग व्यलि के जीिवनयों की पैनोरमा सीरीज
3. जयपुर सर्किट – जयपुर, टोंक, सर्ाई माधोपुर, रणथम्भौर, अजमेर क्र.सं. संग्रहािय ि पैनोरमा स्थान
4. मेर्ाड़ सर्किट – उदयपुर, मचत्तौड़र्ढ़, रणकपुर, नाथद्वारा, 1. र्ोर्ाजी का पैनोरमा र्ोर्ामेड़ी (हनुमानर्ढ़)
कुम्भलर्ढ़ 2. जम्भेश्वर जी का पैनोरमा पीपासर (नार्ौर)
5. हाड़ौती सर्किट – कोटा, बूाँदी, झालार्ाड़, बारााँ 3. करणी माता का पैनोरमा बीकानेर
6. माउण्ट आबू सर्किट – पाली, शसरोही, माउण्ट आबू, जालोर 4. लोकदे र्ता बाबा रामदे र् जी जैसलमेर
7. शेखार्ाटी सर्किट – सीकर, झुंझुनूाँ, चूरू 5. संत पीपा झालार्ाड़
➢ राज्य में पयगिकों की सुविधा के लिए ‘पयगिन सर्किंिों’ को मचलित 6. राजा भतगहरर अलर्र
वकया गया है– 7. हाड़ी रानी सलूम्बर (उदयपुर)
1. मेर्ाड़ सर्किट = उदयपुर - मचत्तौड़र्ढ – नाथद्वारा 8. महाराणा सांर्ा खानर्ा (भरतपुर)
2. मरूथथल सर्किट = जोधपुर – जैसलमेर - बीकानेर 9. अमर ससिह राठौड़ नार्ौर
3. र्ार्ड़ सर्किट = डू ाँर्रपुर – बााँसर्ाड़ा 10. काली बाई मांडर्ा (डू ाँर्रपुर)
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ पयगिन विभाग द्वारा अयोजजत महोत्सि:- 5. राजस्थान कृवष विपणन बो्ग – 1974 (जयपुर)
क्र.सं. उत्सि स्थान 6. RIDCOR (रो् इन्फ्रास्ट्रक्चर ्ििपमेंि कॉरपोरेशन ऑफ
1. ऊाँट महोत्सर् बीकानेर राजस्थान) -थथापना र्षग 2004
2. थार महोत्सर् बाड़मेर 7. राजस्थान स्िे ि हाईिे अथॉररिी – 2 जून, 2015
3. मरु महोत्सर् जैसलमेर ➢ राजथथान में रेलर्े की शुरुआत अप्रैल, 1874 में बांदीकुई (दौसा) से
4. मारर्ाड़ महोत्सर् जोधपुर आर्रा फोटग के मध्य की र्ई।
5. मेर्ाड़ महोत्सर् उदयपुर ➢ राजथथान में कुल रेल मार्ग की लंबाई माचग, 2020 तक 5998 वकमी.थी,
6. पतंर् महोत्सर् जयपुर र् जैसलमेर जो वक माचग 2021 के अंत तक 6019 वकमी. हो र्ई है।
7. कांठल महोत्सर् प्रतापर्ढ़ ➢ राज्य में रेलमार्ग 68,103 वकमी. लंबाई के भारतीय रेलमार्ग का 8.83
➢ पररिहन के प्रकार:- % है।
1. थथल पररर्हन 2. जल पररर्ह 3. र्ायु पररर्हन ➢ उत्तरी-पणिमी रेििे जोन – इसका मुख्यालय जयपुर में स्थथत है। इसके
➢ राज्य में र्षग 1949 में सड़कों की कुल लम्बाई 13,553 वकमी. थी। अंतर्गत 4 रेलर्े मण्डल आते हैं – जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और अजमेर।
➢ राज्य में र्षग 1949 में सड़क िनत्र् 3.96 वकमी. (प्रवत 100 र्र्ग वकमी.) ➢ पणिमी-मध्य रेििे जोन – इसका मुख्यालय जबलपुर में स्थथत है।
था। इसके अंतर्गत 1 रेलर्े मण्डल आता है – कोटा
➢ र्तगमान राजथथान में सड़क िनत्र् 79.76 वकलोमीटर (प्रवत 100 र्र्ग ➢ राजथथान में कुल 5 रेलर्े मण्डल हैं, लेवकन रेलमार्ों का संचालन 9
वकलोमीटर)। मण्डलों द्वारा वकया जाता है।
➢ र्तगमान राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क िनत्र् 161.71 वकलोमीटर (प्रवत 100 ➢ रेलर्े प्रशशक्षण केंद्र उदयपुर में स्थथत है।
र्र्ग वकलोमीटर)। ➢ रेलर्े परीक्षण केंद्र पचपदरा (बाड़मेर) में स्थथत है।
➢ र्तगमान राजथथान में सड़कों की कुल लम्बाई 2,72,959.28 ➢ रेलर्े िे क केंद्र नार्ा (नार्ौर) में स्थथत है।
वकलोमीटर (आर्थिक समीक्षा 2021-22) है। ➢ रेलर्े मॉडल कक्ष उदयपुर में स्थथत है।
➢ एक्सप्रेस-िे :- संचालन- केंद्र सरकार। Mile Stone (मील का ➢ राजथथान में प्रथम रेल बस सेर्ा की मेड़ता रोड से मेड़ता शसटी (नार्ौर)
पत्थर) का प्रतीक मचह्न- पीला की शुरुआत 20 अक्टू बर, 1994 को की र्ई।
➢ राष्ट्रीय राजमागग :- संचालन- केंद्र सरकार। Mile Stone (मील का ➢ जयपुर मेट्रो :- इसके वनमागण कायग का शशलान्यास फरर्री, 2011 को
पत्थर) का प्रतीक मचह्न- पीला होता है हुआ। जयपुर मेिो संचालन का उद्घाटन 3 जून, 2015 को वकया र्या।
➢ राज्य राजमागग :- संचालन- राज्य सरकार। Mile Stone (मील का जयपुर मेिो का प्रथम संचालन मानसरोर्र से चााँदपोल तक वकया र्या।
पत्थर) का प्रतीक मचह्न- हरा ➢ 1 अर्थत, 1953 को र्ायु पररर्हन का राष्ट्रीयकरण वकया र्या।
➢ मुख्य जजिा सड़कें :- संचालन- जजला पररषद्। तहसील र् जजले को ➢ राजथथान में र्ायु पररर्हन की शुरुआत र्षग, 1929 में की र्ई।
राष्ट्रीय राजमार्ों से जोड़ती हैं। Mile Stone (मील का पत्थर) का ➢ महाराजा उम्मेद ससिह द्वारा जोधपुर में फ्लाईंर् क्लब की थथापना र्षग
प्रतीक मचह्न- काला 1929 में की र्ई थी।
➢ ग्रामीण सड़कें :- संचालन- ग्राम पंचायत। Mile Stone (मील का ➢ 24 अर्थत, 2007 सार्गजवनक क्षेत्र की वर्मान कंपवनयााँ एयर इंमडया र्
पत्थर) का प्रतीक मचह्न- लाल भारतीय वर्मान वनर्म का वर्लय – नेशनल एवर्एशन कंपनी ऑफ
➢ राज्य में सर्गप्रथम सरकारी बस सेर्ा का संचालन टोंक (1952) में वकया इंमडया शलममटे ड (NACIL) – कंपनी का ब्रांड नाम एयर इंमडया ही है।
र्या। ➢ नागररक हिाई अड्डे :
➢ राज्य में लोक पररर्हन बस सेर्ा का संचालन 13 नर्ंबर, 2015 से शुरू 1. सांगानेर अंतरागष्ट्रीय हिाई अड्डा : जयपुर। इस अंतरागष्ट्रीय हर्ाई अिे
हुआ। की अमधसूचना फरर्री, 2006 में जारी की र्ई। इस हर्ाई अिे से प्रथम
➢ राज्य में ग्रामीण रोडर्ेज बस सेर्ा की शुरुआत 14 ददसंबर, 2012 अंतरागष्ट्रीय उड़ान र्षग, 2002 में जयपुर से दुबई के बीच भरी र्ई।
(उदयपुर-आर्रा) को की र्ई। 2. महाराणा प्रताप हिाई अड्डा :- उदयपुर
➢ RSRTC (राजथथान राज्य पथ पररर्हन वनर्म) की थथापना 1 अक्टू बर, 3. जोधपुर हिाई अड्डा :- जोधपुर
1964 को की र्ई। इसका मुख्यालय जयपुर में स्थथत है। 4. कोिा हिाई अड्डा :- कोटा
➢ स्िर्णिंम चतुभुगज योजना :- (ददल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकत्ता)। 5. वकशनगढ़ हिाई अड्डा :- अजमेर
इस योजना के अंतर्गत राजथथान के अलर्र, जयपुर, अजमेर, 6. जैसिमेर हिाई अड्डा :- जैसलमेर
भीलर्ाड़ा, मचत्तौड़र्ढ़, उदयपुर और डू ाँर्रपुर जजले शाममल हैं। 7. बीकानेर हिाई अड्डा :- बीकानेर
राजथथान में इस योजना की कुल लंबाई 722 वकमी. है। ➢ सैन्य हिाई अड्डे :- राजथथान में कुल 6 सैन्य हर्ाई अिे हैं, जो वनम्न हैं –
➢ राजस्थान में कायग करने िािे संगठन : 1. सूरतगढ़ सैन्य हिाई अड्डा – यह सूरतर्ढ़ (श्रीर्ंर्ानर्र)
1. राष्ट्रीय राजमागग प्रामधकरण (NHAI) (1988) 2. नाि हिाई अड्डा –बीकानेर
2. सीमा सड़क सगंठन – (BRO) – 1960 3. जैसिमेर हिाई अड्डा –जैसलमेर
3. राजस्थान राज्य पथ पररिहन वनगम – अक्टू बर, 1964 4. उतरिाई हिाई अड्डा –बाड़मेर
4. राजस्थान राज्य सड़क विकास ि वनमागण वनगम लिममिे ् - जयपुर 5. जोधपुर हिाई अड्डा –जोधपुर
(1979) 6. फिोदी हिाई अड्डा –फलोदी (जोधपुर)
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान राजव्यिस्था ➢ राज्य थतर पर राज्यपाल की शशक्तयााँ और कायग प्राय: र्ही है जो केंद्र
थतर पर राष्ट्रपवत के हैं। दोनों में अंतर यह है वक राष्ट्रपवत के पास सैन्य,
➢ भारत अथागत् इंमडया, कुल 28 राज्यों तथा 8 केंद्र शाशसत प्रदे शों का संि है।
आपात संबंधी र् राजनवयक शशक्तयााँ भी हैं, जबवक राज्यपाल के पास
➢ संि की शासन व्यर्थथा के बारे में प्रार्धान संवर्धान के भार्-5,
नहीं है।
अनुच्छे द-52 से 151 के अंतर्गत उस्ल्लखखत है।
➢ राज्य के समथत प्रशासकीय कायग राज्यपाल के नाम से ही सम्पाददत
➢ राज्यों की शासन व्यर्थथा संबंधी प्रार्धान भार्-6, अनुच्छे द-152-237
वकए जाते हैं। (अनुच्छे द-166)
के अंतर्गत उस्ल्लखखत है।
➢ अनुच्छे द-167 के अनुसार राज्यपाल राज्य के प्रशासन संबंधी और
➢ राज्यपाल राज्य का प्रथम नार्ररक तथा राज्य कायगपाशलका का
वर्धान वर्षयक कोई भी जानकारी मुख्यमंत्री से मााँर् सकता है तथा
संर्ैधावनक प्रमुख होता है।
वकसी मंत्री द्वारा शलए र्ए वकसी वनणगय को वर्चार के शलए मंवत्रपररषद्
➢ राज्यपाल के बारे में प्रार्धान अनुच्छे द-153 से 162 में उस्ल्लखखत है।
के समक्ष रखर्ा सकता है।
➢ अनुच्छे द-153 में प्रार्धान है वक प्रत्येक राज्य के शलए एक राज्यपाल
➢ अनुच्छे द-165 के अनुसार राज्य के महामधर्क्ता की वनयुशक्त राज्यपाल
होर्ा, परंतु एक ही व्यशक्त को दो या अमधक राज्यों का राज्यपाल वनयुक्त
करता है।
वकया जा सकता है।
➢ अनुच्छे द-316 के अनुसार राज्य लोक सेर्ा आयोर् के अध्यक्ष एर्ं
➢ 7र्ें संवर्धान संशोधन अमधवनयम, 1956 द्वारा प्रार्धान वकया र्या वक
सदथयों की वनयुशक्त करता है, लेवकन उन्हें शसफग राष्ट्रपवत हटा सकता है
एक ही व्यशक्त को दो या अमधक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकता
न वक राज्यपाल।
है।
➢ अनु च्छे द-243 I के अनुस ार राज्यपाल राज्य वर्त्त आयोर् के अध्यक्ष
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-155 के तहत राष्ट्रपवत द्वारा राज्यपाल की वनयुशक्त
को वनयु क्त करता है और उसकी सेर्ा शतें और कायाग र् मध तय करता
की जाती है।
है ।
➢ भारत में राज्यपाल की वनयुशक्त का प्रार्धान कनाडा से ग्रहण वकया र्या
➢ अनु च्छे द-243 K के अनु स ार राज्यपाल राज्य वनर्ाग चन आयुक्त को
है।
वनयु क्त करता है और उसकी से र्ा शतें और कायाग र् मध तय करता है,
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-157 में राज्यपाल की वनयुशक्त के शलए दो
ले वकन राज्य वनर्ाग च न आयु क्त को वर्शे ष मामलों या पररस्थथवतयों में
योग्यताएाँ वनधागररत की र्ई है-
उसी तरह हटाया जा सकता है ; जैसे - उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
1. र्ह भारत का नार्ररक हो।
को।
2. र्ह 35 र्षग की आयु पूरी कर चुका हो।
➢ राज्य में संर्ैधावनक तंत्र के वर्फल हो जाने पर राज्यपाल अनुच्छे द-356
➢ अनुच्छे द-158 के अनुसार राज्यपाल संसद के वकसी सदन का अथर्ा
के तहत राष्ट्रपवत शासन की शसफाररश करता है और राष्ट्रपवत शासन के
वकसी राज्य के वर्धानमंडल के वकसी भी सदन का सदथय नहीं हो
लार्ू हो जाने पर केंद्र सरकार के प्रवतवनमध के रूप में राज्य का शासन
सकता है और यदद र्ह वकसी सदन का सदथय है तो राज्यपाल के पद
चलाता है।
पर वनयुशक्त की वतशथ से उस सदन में उसका थथान ररक्त समझा जाता है
➢ राज्यपाल राज्य के वर्श्ववर्द्यालयों का कुलामधपवत होता है। राज्यपाल
तथा र्ह कोई लाभ का पद धारण नहीं कर सकता है।
राज्य में कुलामधपवत होने के कारण केंद्रीय वर्श्ववर्द्यालयों को छोड़कर
➢ राज्यपाल की वनयुशक्त को लेकर सरकाररया आयोर् (1983) द्वारा
राज्य के वर्श्ववर्द्यालयों के कुलपवतयों की वनयुशक्त करता है तथा उन्हें
ररपोटग प्रथतुत की शसफाररश की र्ई िी।
हटा भी सकता है।
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-156 में राज्यपाल के कायगकाल का प्रार्धान है
➢ अनुच्छे द-174 के अनुसार राज्यपाल राज्य वर्धानसभा के सत्र को
तथा यह राष्ट्रपवत के प्रसाद पयगन्त पद धारण करता है।
आहूत या सत्रार्सान और वर्िदटत कर सकता है।
➢ राज्यपाल राष्ट्रपवत को संबोमधत त्यार्पत्र द्वारा अपना पद छोड़ सकता
➢ अनुच्छे द-175 के अनुसार राज्यपाल वकसी सदन या वर्धानमंडल के
है।
सदनों को वर्चाराधीन वर्धेयकों या अन्य वकसी मसले पर संदेश भेज
➢ 'बी.पी. ससििल बनाम भारत संि, 2010' नामक मामले में 5 न्यायाधीशों
सकता है।
की संवर्धान पीठ ने सर्गसम्मवत से वनधागररत वकया वक राज्यपाल को
➢ अनुच्छे द-176 के अनुसार वर्धानमंडल के प्रत्येक चुनार् के पश्चात् पहले
मनमाने आधार पर नहीं हटाया जा सकता।
और प्रवतर्षग के पहले सत्र को संबोमधत करता है।
➢ राज्यपाल का र्ेतन, भत्ते और अन्य पररलस्ब्धयों का वनधागरण संसद
➢ अनुच्छे द-200 के अनुसार राज्य वर्धानमंडल द्वारा पाररत वर्धेयक को
वर्मध द्वारा करती है।
राष्ट्रपवत द्वारा पुन: वर्चार के शलए राज्यपाल द्वारा आरद्मक्षत रखने की
➢ राज्यपाल के र्ेतन एर्ं भत्ते 'राज्य की संमचत वनमध' से ददए जाते हैं।
शशक्त। धन संबंधी वर्धेयक को छोड़कर शेष वर्धेयकों पर राज्यपाल
➢ राज्यपाल को र्तगमान में 3 लाख 50 हजार रुपये प्रवतमाह र्ेतन ममलता
अपनी थर्ीकवत दे ने के शलए बाध्य नहीं है।
है।
➢ अनुच्छे द-171(3) के अनुसार जजन राज्यों में वर्धान पररषद् है र्हााँ
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-159 के अनुसार अपना पद ग्रहण करने के पूर्ग
उसकी कुल सदथय संख्या के 1/6 सदथय राज्यपाल द्वारा मनोनीत वकए
राज्यपाल उस राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उसकी
जाते हैं। राज्यपाल ऐसे व्यशक्तयों को राज्य वर्धान पररषद् का सदथय
अनुपस्थथवत में सबसे र्ररष्ठ न्यायाधीश के समक्ष शपथ या प्रवतज्ञान
मनोनीत करता है जो सावहत्य, कला, वर्ज्ञान, सामाजजक सेर्ा या
करेर्ा और उस पर अपने हथताक्षर करेर्ा।
सहकारी आंदोलन के क्षेत्र में वर्शेष ज्ञान या अनुभर् रखते हैं।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ अनुच्छे द-333 के अनुसार यदद राज्यपाल को इस बात का समाधान हो ➢ र्ुरुमुख वनहालससिह ने मोहनलाल सुखामड़या को 2 बार (1957,
जाता है वक राज्य वर्धानसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का पयागप्त 1962) शपथ ददलाई थी।
प्रवतवनमधत्र् नहीं है तो र्ह इस समुदाय के एक व्यशक्त को वर्धानसभा ➢ राज्य की पहली मवहला राज्यपाल - श्रीमती प्रवतभा दे र्ी ससिह पादटल।
का सदथय मनोनीत कर सकता था लेवकन 104र्ें संवर्धान संशोधन (2004-07)
द्वारा 25 जनर्री, 2020 से आंग्ल-भारतीयों के मनोनयन की पद्धवत को ➢ मारग्रेट अल्र्ा, प्रवतभा पादटल र् प्रभारार् के बाद राज्य की तीसरी
समाप्त कर ददया र्या है। मवहला राज्यपाल बनी।
➢ अनुच्छे द-213 के अंतर्गत राज्यपाल को अध्यादे श जारी करने की शशक्त ➢ सबसे कम कायगकाल- सरदार दरबारा ससिह (23 ददन)
दी र्ई है। राज्यपाल इस शशक्त का प्रयोर् उस समय करता है जबवक ➢ पद पर रहते हुए मृत्यु:-
उस राज्य की वर्धानसभा तथा यदद उस राज्य में वर्धान पररषद् भी हो 1. दरबारा ससिह (1998)
तो, वर्धानमंडल के दोनों सदन सत्र में नहीं होते हैं और राज्यपाल को 2. वनमगल चन्द जैन (2003)
यह वर्श्वास हो जाता है वक ऐसी पररस्थथवतयााँ वर्द्यमान है वक जजनके 3. एस. के. ससिह (2009)
कारण शीघ्र कायगर्ाही आर्श्यक है। राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादे श का 4. श्रीमती प्रभा रार् (2010)
र्ही बल और प्रभार् होता है जो राज्य वर्धानमंडल द्वारा वनर्मित वर्मध ➢ र्तगमान राज्यपाल कलराज ममश्र 41र्ें राज्यपाल हैं जजन्होंने 9 शसतम्बर,
का होता है। 2019 को पद ग्रहण वकया।
➢ वर्धानमंडल के पुन: समर्ेत होने के 6 सप्ताह की समान्प्त पर या इसके ➢ राजस्थान में प्रथम राष्ट्रपवत शासन के समय राज्यपाि-
पूर्ग ही वर्धानमंडल द्वारा उसे अथर्ीकार करने र्ाला प्रथतार् पाररत करने डॉ. सम्पूणागनंद ससिह तिा सरदार हुकुम ससिह (13 माचग, 1967) से (26
पर अध्यादे श समाप्त हो जाता है। वकितु यदद वर्धानमंडल अध्यादे श को अप्रैल, 1967) तक रहे।
थर्ीकार करने का प्रथतार् 6 सप्ताह की समान्प्त के पूर्ग पाररत करता है ➢ राजस्थान में तितीय राष्ट्रपवत शासन के समय राज्यपाि-
तो र्ह अमधवनयम बन जाता है। र्ेदपाल त्यार्ी तिा रिुकुल वतलक (29 अप्रैल, 1977) से (22 जून,
➢ राज्यपाल की अनुमवत (पूर्ग सहमवत) से ही धन वर्धेयक वर्धानसभा में 1977) तक रहे।
पेश वकया जाता है। ➢ राजस्थान में तृतीय राष्ट्रपवत शासन के समय राज्यपाि-
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-161 के तहत राज्यपाल को उन वर्षयों से रिुकुल वतलक (16 फरर्री, 1980) से (6 जून, 1980) तक रहे।
संबंमधत वकसी वर्मध के वर्रुद्ध जजन पर राज्य की कायगपाशलका शशक्त ➢ राजस्थान में चतुथण राष्ट्रपवत शासन के समय राज्यपाि-
का वर्थतार है, वकए र्ए वकसी अपराध के शलए दोषशसद्ध वकए र्ए वकसी एम. चेन्नारेड्डी तिा बशलराम भर्त (15 ददसंबर, 1992) से (4
व्यशक्त के दण्ड को क्षमा करने, उसका प्रवर्लम्बन करने, वर्राम या ददसंबर, 1993) तक रहे।
पररहार करने की अथर्ा दण्डादे श के वनलंबन, या लिुकरण की शशक्त ➢ अनुच्छे द-164 के तहत मुख्यमंत्री की वनयुशक्त राज्यपाल करेर्ा तथा
है। अन्य मंवत्रयों की वनयुशक्त राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेर्ा तथा
➢ अनुच्छे द-233 के अनुसार राज्यपाल राज्य उच्च न्यायालय के साथ मंत्री, राज्यपाल के प्रसादपयंत अपना पद धारण करेंर्े।
परामशग कर जजला न्यायाधीशों की वनयुशक्त, थथानांतरण ओर प्रोन्नवत ➢ ऐसा व्यशक्त जो राज्य वर्धानमण्डल का सदथय नहीं हो तो भी 6 माह के
करता है। शलए मुख्यमंत्री वनयुक्त वकया जा सकता है। इसी दौरान उसे
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-163 (1) के तहत राज्यपाल को थर्-वर्र्ेकीय वर्धानमण्डल के शलए वनर्ागमचत होना होर्ा नहीं तो उसका मुख्यमंत्री
शशक्तयााँ प्रदान की र्ई हैं। पद समाप्त हो जाएर्ा।
➢ राज्यपाल, वर्शे ष पररस्थथवतयों में वर्धानसभा भं र् करने के सं बं ध ➢ राज्य कायगपाशलका का र्ाथतवर्क प्रधान मुख्यमंत्री होता है।
में मु ख्यमं त्री के परामशग को मानने से इं कार कर सकता है या उसके ➢ अनुच्छे द-164(2) के अनुसार मंवत्रपररषद् वर्धानसभा के प्रवत
परामशग के वबना ही थर्वर्र्े क से वर्धानसभा को भं र् कर सकता सामूवहक रूप से उत्तरदायी होती है तथा मुख्यमंत्री के वबना मंवत्रपररषद्
है । का अस्थतत्र् नहीं होता है। इसशलए व्यार्हाररक तौर पर राज्यपाल को
➢ 30 माचग, 1949 से 31 अक्टू बर, 1956 तक राज्य में राजप्रमुख का उस व्यशक्त को मुख्यमंत्री वनयुक्त करना पड़ता है जजसे वर्धानसभा में
पद था। इस पद पर जयपुर के महाराजा सर्ाई मानससिह वद्वतीय बहुमत प्राप्त हो।
वनयुक्त थे। सर्ाई मानससिह वद्वतीय राजथथान के पहले र् एकमात्र ➢ मुख्यमंत्री का त्यार्-पत्र समथत मंवत्रपररषद् का त्यार्-पत्र माना जाता
राजप्रमुख थे। है।
➢ राजथथान में 1 नर्म्बर, 1956 को राज्य के पुनर्गठन के बाद राजप्रमुख ➢ मुख्यमंत्री के र्ेतन एर्ं भत्तों का वनधागरण राज्य वर्धानमंडल द्वारा वकया
का पद समाप्त करके राज्यपाल का पद सजजत वकया र्या। जाता है।
➢ राज्य के प्रथम राज्यपाल सरदार र्ुरुमुख वनहालससिह की वनयुशक्त 25 ➢ र्तगमान में मुख्यमंत्री को 75,000 रुपये र्ेतन के रूप में ममलता है।
अक्टू बर, 1956 को की र्ई जजन्होंने अपना पदभार 1 नर्ंबर, 1956 ➢ राज्यपाल एर्ं मंवत्रपररषद् के बीच संर्ाद की प्रमुख कड़ी मुख्यमंत्री होता
से ग्रहण वकया। है। अनुच्छे द-167 के तहत प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का यह कतगव्य
➢ र्ुरुमुख वनहालससिह का कायगकाल सबसे लम्बा है। (5 र्षग 5 माह 15 होर्ा वक र्ह राज्य के कायों के प्रशासन संबंधी मंवत्रपररषद् के सभी
ददन)। वर्वनश्चय और वर्धान वर्षयक प्रथथापनाएाँ राज्यपाल को संसूमचत करे।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
राज्य के कायों के प्रशासन संबंधी और वर्धान वर्षयक प्रथथापनाओं ➢ पााँचर्ीं वर्धानसभा की अर्मध 5 र्षग से अमधक (आपातकाल के
संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांर्े, र्ह दे , तथा वकसी वर्षय को जजस कारण) बढ़ाई र्ई। यह एकमात्र वर्धानसभा थी जजसकी अर्मध 5 र्षग
पर वकसी मंत्री ने वनश्चय कर ददया है, वकन्तु मंवत्रपररषद् ने वर्चार नहीं से अमधक थी।
वकया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा वकए जाने पर पररषद् के समक्ष वर्चार ➢ हररदे र् जोशी एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री है जो वर्धानसभा के अध्यक्ष भी
के शलए रखे। र्ह महामधर्क्ता, राज्य लोक सेर्ा आयोर् के अध्यक्ष एर्ं रह चुके है।
सदथयों, राज्य वनर्ागचन आयुक्त आदद की वनयुशक्त के संबंध में राज्यपाल ➢ बरकतुल्लाह खााँ एकमात्र मुख्यमंत्री है जजनका वनधन पद पर रहते हुए
को सलाह दे ता है। हुआ है।
➢ अनुच्छे द-174 के अनुसार मुख्यमंरी राज्यपाल को वर्धानसभा का सत्र ➢ हररदे र् जोशी, भैरोंससिह शेखार्त तथा र्सुंधरा राजे तीन ऐसे मुख्यमंत्री
बुलाने एर्ं उसे थथवर्त करने के संबंध में सलाह दे ता है। थे जो राजथथान वर्धानसभा में वर्पक्ष के नेता भी रह चुके हैं।
➢ मुख्यमंत्री 'मुख्यमंत्री सलाहकार पररषद्' का अध्यक्ष होता है एर्ं राज्य ➢ 91 र्ें संवर्धान संशोधन (2003) के तहत राज्यों में मुख्यमंत्री सवहत
की समथत सेर्ाओं का राजनीवतक प्रमुख होता है। मंवत्रयों की अमधकतम संख्या वर्धानसभा की कुल संख्या के 15% से
➢ र्तगमान में अशोक र्हलोत राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कायगभार अमधक नहीं होर्ी लेवकन न्यूनतम संख्या मुख्यमंत्री समेत 12 से कम
संभालने (17 ददसम्बर, 2018) र्ाले 25 र्ें मुख्यमंत्री हैं एर्ं व्यशक्त के नहीं होनी चावहए।
रूप में 13 र्ें हैं। ➢ सभी मंत्री व्यशक्तर्त रूप से राज्यपाल के प्रवत उत्तरदायी होते हैं।
➢ राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री- हीरालाल शाथत्री (7 अप्रैल, 1949) िे। ➢ मंवत्रपररषद् सामूवहक रूप से राज्य वर्धानसभा के प्रवत उत्तरदायी होती
➢ सी.एस. र्ेंकटाचारी ICS अमधकारी थे जजन्हें केन्द्र सरकार ने मुख्यमंत्री है।
वनयुक्त वकया। ➢ मंत्री अपना त्यार्-पत्र राज्यपाल को दे ते हैं।
➢ राज्य के तीन मनोनीत मुख्यमंिी:- ➢ अनुच्छे द-177 में यह उस्ल्लखखत है वक मंत्री चाहे वकसी भी सदन का
(i) श्री हीरालाल शाथत्री सदथय हो र्ह दोनों सदनों की बैठकों में भार् ले सकता है, लेवकन मत
(ii) सी. एस. र्ेंकटाचारी उसी सदन में दे र्ा जजस सदन का र्ह सदथय है।
(iii) जयनारायण व्यास ➢ मंवत्रपररषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं- कैवबनेट मंत्री, राज्य मंत्री,
➢ राजथथान के प्रथम वनर्ागमचत मुख्यमंत्री:- टीकाराम पालीर्ाल (3 माचग, उपमंत्री।
1952) कैवबनेि मंिी - यह मंवत्रपररषद् का छोटा-सा भार् होता है। यह सभी
➢ जयनारायण व्यास मनोनीत एर्ं वनर्ागमचत होने र्ाले एकमात्र मुख्यमंत्री अपने-अपने वर्भार्ों के मुखखया होते हैं। इनके पास राज्य के महत्त्र्पूणग
रहे। वर्भार्; र्ह, वर्त्त, कवष, उद्योर् आदद होते हैं।
➢ मोहनलाल सुखामड़या (उदयपुर) सर्ागमधक लम्बी अर्मध एर्ं सर्ागमधक राज्यमंिी - राज्य मंवत्रयों को या तो थर्तंत्र प्रभार ददया जाता है या उन्हें
चार बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। राजथथान के सबसे युर्ा मुख्यमंत्री यही कैवबनेट मंवत्रयों के साथ संबद्ध वकया जा सकता है।
है। उपमंिी - इन्हें थर्तंत्र प्रभार नहीं ददया जाता है।
1. 13 नर्म्बर, 1954 – 11 अप्रैल, 1957 ➢ राजथथान में पहली बार 1967 में मोहनलाल सुखामड़या के समय
2. 11 अप्रैल, 1957 – 11 माचग, 1962 संसदीय समचर्ों को वनयुक्त वकया र्या।
3. 12 माचग, 1962 – 13 माचग, 1967 ➢ मंवत्रपररषद् का सबसे महत्त्र्पूणग कायग है - शासन के शलए नीवतयों का
4. 26 अप्रैल, 1967 – 9 जुलाई, 1971 वनधागरण करना। प्रत्येक वर्भार् का मंत्री अपने वर्भार् के समचर् और
➢ राज्य के पहले र् एकमात्र अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री:- बरकतुल्लाह खााँ िे लोक सेर्कों की सहायता से नीवतयों का प्रारूप तैयार करता है।
जजनका संबंि जोधपुर से िा। ➢ राज्य की मंवत्रपररषद् राज्य सूची से संबंमधत वर्षयों पर कानूनों का
➢ राज्य के प्रथम र्ैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री:- भैरोंससिह शेखार्त वनमागण करती है।
➢ राज्य के अनुसूमचत जावत से बने प्रथम मुख्यमंत्री:- जर्न्नाथ पहामड़या ➢ राज्य सरकार का बजट मंवत्रपररषद् के द्वारा बनर्ाया जाता है।
जजनका संबंि भरतपुर से िा। ➢ संवर्धान के भार्-6 के अनुच्छे द-165 में महामधर्क्ता के पद की
➢ राज्य के सबसे कम अर्मध के शलए मुख्यमंत्री:- हीरालाल दे र्पुरा का व्यर्थथा की र्ई है। यह एकमात्र अनुच्छे द है जजसमें इस पद की चचाग है।
कायगकाल 16 ददन तक रहा। ➢ महामधर्क्ता राज्य का सर्ोच्च कानूनी अमधकारी होता है। महामधर्क्ता
➢ हररदे र् जोशी तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने लेवकन कभी 5 र्षग का की वनयुशक्त राज्यपाल द्वारा की जाती है। जजस प्रकार केन्द्र में
कायगकाल पूणग नहीं वकया। महान्यायर्ादी भूममका वनभाता है उसी प्रकार राज्य में महामधर्क्ता की
(i) 1973-77 (ii) 1985-88 (iii) 1989-90 भूममका होती है। इस तरह र्ह भारत के महान्यायर्ादी का अनुपूरक
➢ राज्य की प्रथम मवहला मुख्यमंत्री:- श्रीमती र्सुंधरा राजे (2003) होता है।
➢ राजथथान में अभी तक 4 व्यशक्तयों ने तीन या तीन से अमधक बार ➢ महामधर्क्ता को अपने कायग संबंधी कतगव्यों के तहत उसे राज्य के वकसी
मुख्यमंत्री का पद संभाला है– न्यायालय के समक्ष सुनर्ाई का अमधकार है।
(i) मोहनलाल सुखामड़या – (4 बार) (ii) हररदे र् जोशी – (3 बार) ➢ अनुच्छे द-177 के तहत् महामधर्क्ता वर्धानमंडल के वकसी भी सदन में
(iii) भैरोंससिह शेखार्त – (3 बार) (iv) अशोक र्हलोत – (3 बार) भार् ले सकता है एर्ं उन्हें संबोमधत कर सकता है।
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➢ अनुच्छे द-194 महामधर्क्ता को र्े सभी वर्शेषामधकार ममलते हैं जो ➢ राष्ट्रीय आपातकाल के समय में संसद द्वारा वर्धानसभा का कायगकाल
वर्धानमंडल के वकसी सदथय को ममलते हैं। एक समय में एक र्षग के शलए बढ़ाया जा सकता है, हालांवक यह वर्थतार
➢ महामधर्क्ता वर्धानसभा या संबंमधत सममवत अथर्ा उस सभा में, जहााँ आपातकाल खत्म होने के बाद छह महीनों से अमधक का नहीं हो सकता है।
के शलए र्ह अमधकत है, में बोलने र् भार् लेने का अमधकार है लेवकन ➢ 42र्ें संवर्धान संशोधन अमधवनयम, 1976 के द्वारा वर्धानसभा का
मतामधकार का अधिकार नहीं है। कायगकाल बढ़ाकर 5 से 6 र्षग वकया र्या लेवकन 44र्ें संवर्धान
➢ ए.जी. कायागलय की मुख्य पीठ जोधपुर में है तथा इसकी ब्रांच जयपुर संशोधन, 1978 के द्वारा वर्धानसभा का कायगकाल पुन: 6 से 5 र्षग
में है। कर ददया र्या।
➢ र्तगमान एडर्ोकेट जनरल ऑफ राजथथान:- महेन्द्र ससिह ससििर्ी। ➢ अनुच्छे द-173 के अनुसार विधानसभा सदस्यों के लिए अहगताएाँ/
➢ राजस्थान के प्रथम ए्िोकेि जनरि - श्री जी.सी. कासलीवाल योग्यताएाँ का प्राविान है।
(1957) ➢ अनुच्छे द-191 के अनुसार विधानसभा सदस्यों के लिए वनरहगताएाँ
➢ अनुच्छे द-168 के अनुसार प्रत्येक राज्य के शलए एक वर्धानमण्डल का प्राविान है।
होर्ा जो राज्यपाल और एक या दो सदनों से ममलकर बनेर्ा। ➢ अनुच्छे द-188 के अनुसार वर्धानमंडल के सभी सदथयों को राज्यपाल
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-169 के अनुसार संसद वर्मध द्वारा वर्धान अथर्ा उनके द्वारा अमधकत वकए र्ए व्यशक्त द्वारा शपथ ददलाई जाती है।
पररषद् का र्ठन या उन्मूलन कर सकती है। इसके शलए संबंमधत राज्य ➢ अनुच्छे द-187 में यह उस्ल्लखखत है वक प्रत्येक राज्य वर्धानमंडल के
की वर्धानसभा ने इस आशय का संकल्प वर्धानसभा की कुल सदथय शलए एक समचर्ालय होर्ा।
संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थथत और मतदान करने र्ाले सदथयों ➢ दोहरी सदस्यता- संवर्धान के अनुच्छे द-190(1) के अनुसार कोई
की संख्या के कम से कम 2/3 बहुमत द्वारा पाररत कर ददया है। व्यशक्त राज्य के वर्धानमंडल के दोनों सदनों का सदथय नहीं होर्ा। यदद
संसद के दोनों सदनों द्वारा अपने सामान्य बहुमत से थर्ीकवत दे ने पर कोई व्यशक्त दोनों सदनों के शलए वनर्ागमचत होता है तो राज्य वर्धानमंडल
संबंमधत राज्य में वर्धानपररषद् का र्ठन एर्ं उन्मूलन होता है। द्वारा वनर्मित वर्मध के उपबंधों के तहत एक सदन से उसकी सीट ररक्त
वर्धानपररषद् के र्ठन र् उत्सादन पर अनुच्छे द-368 की प्रवक्रया हो जाएर्ी।
लार्ू नहीं होती है। ➢ अनुच्छे द-174 में राज्य वर्धावयका के सत्र, सत्रार्सान एर् उनका भंर्
➢ अनुच्छे द-171 के अनुसार इसमें अमधकतम संख्या संबंमधत राज्य की होने का उल्लेख है। राज्य वर्धानसभा के प्रत्येक सदन को राज्यपाल
वर्धानसभा की एक-वतहाई और न्यूनतम 40 वनद्मश्चत है। समय-समय पर बैठक का बुलार्ा भेजता है।
➢ ितगमान में छह राज्यों में विधानपररषद हैं- दोनों सत्रों के बीच 6 माह से अमधक का अंतराल नहीं होना चावहए।
1. आंध्रप्रदे श 2. तेलर्ांना 3. उत्तर प्रदे श राज्य वर्धानमंडल को एक र्षग में कम से कम दो बार ममलना चावहए।
4. वबहार 5. महाराष्ट्र 6. कनागटक एक सत्र में वर्धानमंडल की कई बैठकें हो सकती है।
➢ र्षग 2021 में राजथथान राज्य मंवत्रपररषद् के द्वारा वर्धानपररषद् के ➢ अनुच्छे द-189 के अनुसार कोरम/गणपूर्तिं
र्ठन हेतु एक प्रथतार् को थर्ीकवत प्रदान की र्ई। इससे पूर्ग अप्रैल, वकसी भी कायग को करने के शलए सदन में उपस्थथत सदथयों की न्यूनतम
2012 में राजथथान वर्धानसभा द्वारा वर्धानपररषद् के र्ठन हेतु एक संख्या को कोरम कहते हैं।
प्रथतार् पाररत वकया र्या। जजसमें वर्धानपररषद् की सदथय संख्या 66 यह सदन में कुल सदथयों का दसर्ााँ वहथसा (पीठासीन अमधकारी सवहत)
वनधागररत की र्ई थी। या 10 (जो भी अमधक हो) होते हैं।
➢ 104र्ें संवर्धान संशोधन अमधवनयम, 2020 के तहत आंग्ल-भारतीयों यदद कोरम पूरा नहीं हो तो पीठासीन अमधकारी सदन को थथवर्त करता
का लोकसभा र् वर्धानसभा में मनोनयन वनष्प्रभार्ी हो र्या है। है।
➢ अब तक चार बार पररसीमन आयोर् र्दठत वकया र्या। ➢ अनुच्छे द-177 के अनुसार मंवियों एिं महामधििा के अमधकार
प्रथम- 1952, वद्वतीय- 1962, ततीय- 1972, चतुथग-2002 प्रत्येक मंत्री एर्ं महामधर्क्ता को यह अमधकार है वक र्ह सदन की
चतुथग पररसीमन आयोर् के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के सेर्ावनर्त्त कायगर्ाही में भार् ले, बोले तथा सदन से संबंमधत सममवत जजसके र्ह
न्यायाधीश कुलदीप ससिह को बनाया र्या। सदथय के रूप में नाममत है, भार् ले सकता है लेवकन र्ोट नहीं दे सकता
पररसीमन आयोर् का र्ठन संसद द्वारा वकया जाता है। है।
➢ अनुच्छे द-332 के अनुसार अनुसूमचत जावत/जनजावत के लिए ➢ अनुच्छे द-198 के अनुसार धन-विधेयक के संबंध में धन-वर्धेयक
स्थानों के आरक्षण का प्राविान नकया र्या है।र्तगमान में राजथथान में वर्धानपररषद् में पेश नहीं वकया जा सकता है। धन-वर्धेयक राज्यपाल
अनुसूमचत जावत हेतु 34 एर्ं अनुसूमचत जनजावत हेतु 25 सीटें आरद्मक्षत की पूर्ग थर्ीकवत से ही वर्धानसभा में प्रथतुत वकया जाता है। धन-
की र्ई। वर्धेयक को सरकारी वर्धेयक कहा जाता है क्योंवक यह केर्ल मंत्री
➢ अनुच्छे द-333 के अनुसार आंग्ि-भारतीय समुदाय के लिए स्थानों द्वारा ही प्रथतुत वकया जाता है। वर्धानसभा में पाररत होने के बाद धन
के आरक्षण का प्राविान नकया र्या है। वर्धेयक को वर्धानपररषद् को वर्चाराथग हेतु भेजा जाता है।
➢ अनुच्छे द-172 (1) के अनुसार विधानसभा का कायगकाि चुनार् के वर्धानपररषद् न तो इसे अथर्ीकार कर सकती है, न ही इसमें संशोधन
बाद पहली बैठक से लेकर इसका सामान्य कायगकाल 5 र्षग का होता कर सकती है। वर्धानपररषद् केर्ल शसफाररश कर सकती है और 14
है। इसके पश्चात् वर्धानसभा थर्त: ही वर्िदटत हो जाती है। ददनों में वर्धेयक को लौटाना भी होता है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ धन वर्धे य क को वर्धानपररषद् अमधकतम 14 ददन तक रोक सकती ➢ राजथथान में अब तक 5 बार वर्श्वास प्रथतार् लाया र्या तथा पहली बार
है । 1990 में भैरोंससिह शेखार्त द्वारा लाया र्या था
➢ राज्यपाल धन-वर्धेयक को राज्य वर्धानमंडल के पास पुनर्र्िचार के 1990 में दो बार, 1993, 2009 जबवक अंवतम बार 2020 में अशोक
शलए नहीं भेज सकता। सामान्यत: राज्यपाल थर्ीकवत दे दे ता है क्योंवक र्हलोत द्वारा लाया र्या।
इसे राज्यपाल की पूर्ग सहमवत से ही लाया जाता है। ➢ पहली मवहला वर्धानसभा अध्यक्ष- श्रीमती सुममत्रा ससिह (कांग्रेस 12र्ीं
➢ अनुच्छे द-194 के अनुसार राज्य विधानमं्ि के विशेषामधकार वर्धानसभा 2003-2008)
का प्रावधान है। ➢ प्रथम र्ैर-कांग्रेसी वर्धानसभा अध्यक्ष- लक्ष्मणससिह (जनता पाटी)
➢ अनुच्छे द-210 के अनुसार राज्य वर्धानमंडल की भाषा वहिदी एर्ं ➢ रामवनर्ास ममधाग (कांग्रेस) दो बार (दूसरी र् तीसरी वर्धानसभा)
अंग्रेजी होर्ी। सदन के अध्यक्ष द्वारा अनुमवत ददए जाने पर मातभाषा में वर्धानसभा अध्यक्ष रहे।
वर्चार अद्मभव्यक्त वकए जा सकते हैं। ➢ पूनमचंद वर्श्नोई सर्ागमधक बार प्रोटे म थपीकर रह चुके हैं।
➢ अनुच्छे द-211 के अनुसार राज्य वर्धानमंडल न्यायपाशलका पर कोई ➢ हररदे र् जोशी 1952 से लेकर मत्युपयगन्त वर्धानसभा के सदथय रहे।
दटका-दटप्पणी नहीं करेर्ा। (प्रथम दस वर्धानसभा)
➢ अनुच्छे द-212 के अनुसार न्यायपाशलका राज्य वर्धानमंडल में होने र्ाले ➢ राजथथान वर्धानसभा की 4 वर्त्तीय सममवतयााँ है। प्रत्येक सममवत में 15
वकसी भी व्यर्हार पर कोई दटप्पणी नहीं करेर्ी। सदथय होते हैं। सममवतयों के अध्यक्ष वर्धानसभा के अध्यक्ष के द्वारा
➢ राजस्थान की विधानसभा की सममवतयााँ- वनयुक्त वकए जाते हैं। सममवतयााँ अपना प्रवतर्ेदन वर्धानसभा को प्रथतुत
राजथथान में चार वर्त्तीय सममवतयााँ हैं- करती है।
(i) लोक लेखा सममवत (ii) लोक उद्यम सममवत ➢ राजथथान का नाथद्वारा वर्धानसभा क्षेत्र एक से अमधक जजले में फैला
(iii) अनुमान सममवत ‘क’ (iv) अनुमान सममवत ‘ख’ हुआ है।
➢ विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ➢ राजसमंद लोकसभा वनर्ागचन क्षेत्र एकमात्र ऐसा लोकसभा वनर्ागचन क्षेत्र
अनुच्छे द-178 के तहत प्रत्येक राज्य की वर्धानसभा अपने दो सदथयों जजसका वर्थतार चार जजलों – राजसंमद, पाली, अजमेर र् नार्ौर में है।
को अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेर्ी। अध्यक्ष एर्ं उपाध्यक्ष का पद ➢ श्री नरोत्तम लाल जोशी (झुंझुनाँू से वनर्ागमचत) को प्रथम वर्धानसभा का
वर्धानसभा के कायगकाल तक होता है। अध्यक्ष बनाया र्या तथा श्री लाल ससिह शक्तार्त को उपाध्यक्ष चुना
➢ अनुच्छे द-179 के अनुसार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद ररि होना र्या।
उल्लेखखत है। ➢ महारार्ल संग्रामससिह राजथथान के प्रथम प्रोटे म थपीकर थे।
➢ अनुच्छे द-180 के अनुसार अध्यक्ष के पद के कतगव्यों का पािन ➢ 1 नर्म्बर, 1952 को जयनारायण व्यास को मुख्यमंत्री एर्ं टीकाराम
करने या अध्यक्ष के रूप में कायग करने की उपाध्यक्ष या अन्य पालीर्ाल को उपमुख्यमंत्री बनाया र्या।
व्यलि की शलि का उल्लेख है। ➢ राजथथान वर्धानसभा की पहली मवहला वर्धायक श्रीमती यशोदा दे र्ी
➢ अनुच्छे द-181 के अनुसार जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के पद से हिाने जो 1953 में बााँसर्ाड़ा से उपचुनार् में वनर्ागमचत हुई थी।
का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होने का ➢ प्रथम वर्धानसभा काल में 17 क्षेत्रों में उपचुनार् हुए जो आज तक
उल्लेख है। सर्ागमधक उपचुनार् होने का ररकॉडग है।
➢ अनुच्छे द-186 के अनुसार अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापवत और ➢ 13 नर्म्बर, 1954 को मोहनलाल सुखामड़या को मुख्यमंत्री बनाया
उपसभापवत के िेतन और भत्ते का उल्लेख है। र्या।
➢ राजस्थान विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष - नरोत्तम लाल जोशी ➢ प्रथम वर्धानसभा में वर्पक्ष के नेता कुाँर्र जसर्ंतससिह को बनाया र्या
(फरवरी, 1952 से 1957) िे। था।
➢ सुममत्रा ससिह प्रथम एर्ं एकमात्र मवहला जो राजथथान वर्धानसभा की ➢ सुखामड़या के मंवत्रमण्डल में कमला बेनीर्ाल को उपमंत्री बनाया र्या
अध्यक्षा रहीं। जो पहली मवहला मंत्री बनी। (26 र्षग की आयु में)
➢ तारा भण्डारी एकमात्र र् प्रथम मवहला है जो वर्धानसभा में उपाध्यक्षा ➢ 1 नर्म्बर, 1956 को केन्द्रशाशसत प्रदे श अजमेर का भी राजथथान में
रहीं। वर्लय कर ददया र्या। अजमेर की 30 सदथयीय वर्धानसभा राजथथान
➢ पूनमचन्द वर्श्नोई राजथथान वर्धानसभा के अध्यक्ष (1980-85) की 160 सदथयीय वर्धानसभा में वर्शलत कर दी र्ई जजससे इसकी
उपाध्यक्ष (1967-71) एर्ं प्रोटे म थपीकर (1967, 1985, 1990) रह सदथय संख्या 190 हो र्ई।
चुके है। ➢ 1957 में राजथथान वर्धानसभा की सीटों का पुन: वनधागरण वकया र्या
➢ भैरोंससिह शेखार्त एकमात्र प्रोटे म थपीकर थे जो बाद में मुख्यमंत्री बने। तथा कुल 176 वर्धानसभा क्षेत्र बनाए र्ए। इसके बाद 1967 में 184
➢ राज्य में अब तक 13 बार अवर्श्वास प्रथतार् लाया जा चुका है जो एक तथा 1977 में 200 वर्धानसभा क्षेत्र थथावपत वकए र्ए जो र्तगमान तक है।
बार भी पाररत नहीं हुआ। पहली बार 1952 में टीकाराम पालीर्ाल के ➢ 2026 तक राजथथान वर्धानसभा की सदथय संख्या 200 ही रहेर्ी।
खखलाफ जबवक अंवतम बार 1986 में हररदे र् जोशी के खखलाफ लाया ➢ पन्द्रहिीं विधानसभा (2018) राजथथान में 200 वर्धानसभा सीटों में
र्या था। मोहनलाल सुखामड़या के वर्रुद्ध 6 बार अवर्श्वास प्रथतार् लाया से 141 सामान्य के शलए, 34 सीटें अनुसूमचत जावत के शलए तथा 25
र्या था। सीटें अनुसूमचत जनजावत के शलए आरद्मक्षत थी।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ 17 ददसम्बर, 2018 को तत्कालीन राज्यपाल कल्याणससिह ने अशोक ➢ भारतीय सं वर्धान के भार्-6 के अनु च्छे द 214 से ले क र 232
र्हलोत को अल्बटग हॉल (जयपुर) में राज्य के मुख्यमंत्री की शपथ तक राज्यों के उच्च न्यायालय के सं र् ठन एर्ं प्रामधकार सं बं धी
ददलाई तथा साथ ही राज्यपाल ने समचन पायलट को राज्य के प्रार्धानों का र्णग न वकया र्या है । अनु च्छे द 214 के तहत प्रत्ये क
उपमुख्यमंत्री की शपथ ददलाई। राज्य में एक उच्च न्यायालय होर्ा ले वकन अनु च्छे द 231 के
➢ सवणश्रेष्ठ तवधायक सम्मान- अन्तर्ग त सं स द को दो या दो से अमधक राज्यों के शलए एक ही
2021 – श्री बाबुलाल मीणा और मंजु मेघवाल उच्च न्यायालय की व्यर्थथा की शशक्त प्राप्त है । (7 र्ें सं वर्धान
2020 – श्री संयम लोढ़ा सं ि ोिन 1956 के तहत)
2019 – श्री ज्ञानचन्ि पारख ➢ पहले भारत में 21 उच्च न्यायालय थे। माचग 2013 में मेिालय, मद्मणपुर
2018 – श्री अभभषेक मटोररया एर्ं वत्रपुरा में नए उच्च न्यायालय थथावपत वकए र्ए हैं।
➢ प्रथम आम चुनार् में (1952) लोकसभा के शलए राजथथान में 20 सीटें ➢ र्तगमान में 25 उच्च न्यायालय हैं। 25र्ााँ उच्च न्यायालय आंध्रप्रदे श राज्य
वनधागररत की र्ई थी। उस समय अजमेर राज्य का पथक् अस्थतत्र् था का जो 1 जनर्री, 2019 अमरार्ती में थथावपत हुआ है।
जहााँ दो सीटें वनद्मश्चत की र्ई। इस प्रकार दोनों राज्यों में ममलाकर कुल ➢ केन्द्रशाशसत प्रदे शों में ददल्ली ऐसा संि क्षेत्र है जजसका अपना उच्च
22 सीटें थी। न्यायालय (1966 से) है।
➢ चौथी लोकसभा के चुनार् में सदथय संख्या 22 से बढ़ाकर 23 कर दी ➢ जम्मू - कश्मीर पु न र्ग ठ न अमधवनयम, 2019 के तहत जम्मू - कश्मीर
र्ई। राज्यों को दो के न्द्रशाशसत प्रदे शों (जम्मू - कश्मीर र् लद्दाख) में
➢ छठी लोकसभा के चुनार् में सदथय संख्या 23 से बढ़ाकर 25 कर दी वर्भाजजत कर ददया र्या। इससे पू र्ग जम्मू कश्मीर राज्य में भी उच्च
र्ई। र्तगमान में यही संख्या है। न्यायालय था ले वकन इस एक्ट के लार्ू होने के बाद जम्मू - कश्मीर
➢ 16र्ीं लोकसभा (2014-2019) में राज्य के सभी 25 सीटों पर राज्य का उच्च न्यायालय जम्मू - कश्मीर के न्द्रशाशसत प्रदे श में
भारतीय जनता पाटी ने जीत हाशसल की। यथास्थथत रहे र्ा।
➢ लोकसभा में राजथथान से SC की 4 सीटों और ST की 3 सीटे आरद्मक्षत ➢ अनु च्छे द-216 में उच्च न्यायालय के र्ठन का उल्ले ख वकया र्या
है। है जजसमें एक मु ख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश होंर्े ।
➢ राजथथान से डॉ. बलराम जाखड़ (1980-1989) एर्ं ओम वबड़ला सं वर्धान में न्यायाधीशों की सं ख्या वनद्मश्च त नहीं है । राष्ट्रपवत समय-
(जून 2019-र्तगमान) दो व्यशक्त लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। समय पर आर्श्यकतानु सार न्यायाधीशों की सं ख्या वनधाग ररत करते
➢ 17 िीं िोकसभा (मई 2019-ितगमान) 24 सीटें भाजपा 1 सीट हैं ।
(नार्ौर) पर भाजपा समर्पित राष्ट्रीय लोकतांवत्रक पाटी के र्ठबंधन के ➢ अनुच्छे द-217 के अनुसार न्यायाधीशों की वनयुलि राष्ट्रपवत द्वारा
हनुमान बेनीर्ाल वर्जयी हुए। 3 मवहलाएं रंजीता कौली (भरतपुर), की जाती है।
जसकौर मीणा (दौसा) एर्ं दीया कुमारी (राजसंमद) 17र्ीं लोकसभा में ➢ कॉलेजजयम की अनुशंसा पर अन्य न्यायाधीशों की वनयुशक्त राष्ट्रपवत द्वारा
राज्य से चुनी र्ई। की जाती है। संबंमधत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उच्च
➢ राजथथान में र्तगमान में 10 राज्य सभा सीटें है। न्यायालय के 2 र्ररष्ठतम न्यायाधीश इस संदभग में पहल करते हैं। 99 र्ें
➢ 28 अर्थत, 2003 को डॉ. नारायणससिह माणकलार् राजथथान से संवर्धान संशोधन अमधवनयम, 2014 तथा राष्ट्रीय न्यावयक वनयुशक्त
राज्यसभा के शलए मनोनीत होने र्ाले प्रथम राजथथानी है। आयोर् अमधवनयम 2014 द्वारा उच्चतम न्यायालय एर्ं उच्च न्यायालय
➢ राजथथान से सर्ागमधक बार वनर्ागमचत राज्यसभा सदथय श्री रामवनर्ास के न्यायाधीशों की वनयुशक्त के शलए कॉलेजजयम प्रणाली की जर्ह राष्ट्रीय
ममधाग थे (4 बार) जबवक मवहलाओं में श्रीमती शारदा भार्गर् 3 बार चुनी न्यावयक वनयुशक्त आयोर् (NJAC) का र्ठन वकया र्या लेवकन उच्चतम
र्ई। न्यायालय ने इस संशोधन एर्ं अमधवनयम को असंर्ैधावनक िोवषत कर
➢ वतगमान में राजथिान से राज्यसभा में 6 सिथय कांग्रेस पाटी के जबनक ददया। र्तगमान में कॉलेजजयम व्यर्थथा के तहत ही न्यायाधीशों की
4 सिथय भारतीय जनता पाटी के है। वनयुशक्त होती है।
➢ राजथथान से राज्यसभा में प्रथम मवहला सांसद श्रीमती शारदा भार्गर् ➢ अनुच्छे द-217 (2) के अनुसार न्यायाधीशों की योग्यताएाँ
1952 में बनी थी। उल्लेखखत है।
➢ राज्य से प्रथम मवहला लोकसभा सदथय महारानी र्ायत्री दे र्ी (जयपुर) ➢ अनुच्छे द-219 के अनुसार शपथ अथिा प्रवतज्ञान का प्रावधान है।
चुनी र्ई थी। सभी न्यायाधीशों को शपथ राज्यपाल अथर्ा राज्यपाल द्वारा अमधकत
➢ श्री नाथुराम ममधाग (कांग्रेस) राजथथान से सर्ागमधक बार लोकसभा वकए र्ए व्यशक्त द्वारा ददलाई जाती है।
सदथय बने। ➢ अनुच्छे द-221 में िेतन एिं भत्तों का प्रावधान है।
➢ श्रीमती र्सुंधरा राजे राजथथान से सर्ागमधक (5 बार) चुनी र्ई मवहला उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के र्ेतन एर्ं भत्ते राज्य की संमचत वनमध
लोकसभा सदथय है। से ममलते हैं परन्तु पेंशन भारत की संमचत वनमध से ममलती है।
➢ भारत में उच्च न्यायालय संथथा का सर्गप्रथम र्ठन 1862 में कलकत्ता, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का र्ेतन 2,50,000/- तथा अन्य
बंबई और मद्रास उच्च न्यायालयों के रूप में हुआ। 1866 में चौथे उच्च न्यायाधीशों का र्ेतन 2,25,000/- हैं। पद पर रहते हुए उनके र्ेतन-
न्यायालय की थथापना इलाहाबाद (प्रयार्राज) में हुई। भत्तों में अलाभकारी पररर्तगन नहीं वकया जा सकता है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ अनुच्छे द-217 के अनुसार न्यायाधीशों को हिाना का प्रावधान है। ➢ संवर्धान के अनुच्छे द-214 के तहत राजथथान उच्च न्यायालय का
संवर्धान में न्यायाधीशों को हटाने के शलए ‘Remoral’ शब्द काम में उद्घाटन जयपुर के महाराजा सर्ाई मानससिह वद्वतीय द्वारा 29 अर्थत,
शलया र्या है जजसका अथग है “पद से हटाना” जबवक राष्ट्रपवत के शलए 1949 को जयपुर में वकया र्या।
‘Impeachment’ शब्द काम में शलया र्या है जजसका अथग है ➢ प्रथम मुख्य न्यायाधीश कमलकान्त र्माग एर्ं 11 अन्य न्यायाधीशों को
“महाद्मभयोर्”। पी.डी. दीनाकरन (कनागटक), सौममत्र सेन (कोलकाता), महाराजा मानससिह ने शपथ ददलर्ाई।
एस. के सेंर्ले (जबलपुर) तथा जे.बी. पारदीर्ाला (र्ुजरात) उच्च ➢ संवर्धान लार्ू होने के बाद प्रथम मुख्य न्यायाधीश श्री कैलाशनाथ र्ांचू
न्यायालय के 4 ऐसे न्यायाधीश हैं जजन्हें हटाने हेतु राज्यसभा में प्रथतार् थे। न्यायाधीश श्री कैलाशनाथ र्ांचू मुख्य न्यायाधीश के पद पर
लाया र्या था। दीनाकरन ने अपने पद से इथतीफा दे ददया। सेंर्ले के सर्ागमधक लम्बी अर्मध तक पदासीन रहे। (1951-1958)
वर्रुद्ध र्दठत सममवत ने आरोपों को खाररज कर ददया। पारदीर्ाला के ➢ पी. सत्यनारायण रार् सममवत (सदथय – पी. सत्यनारायण रार्, र्ी.
वर्रुद्ध लाया र्या प्रथतार् लस्त्म्बत है। जबवक सौममत्र सेन एकमात्र ऐसे वर्श्वनाथन, बी. के. र्ुप्ता) की शसफाररश पर राजथथान उच्च न्यायालय
न्यायाधीश हैं जजनके वर्रुद्ध राज्यसभा में प्रथतार् पाररत वकया र्या है, की जयपुर की ब्रांच 1958 में समाप्त कर दी र्ई। सन् 1977 में पुन:
लेवकन लोकसभा में चचाग होने से पहले ही उन्होंने अपना इथतीफा दे जयपुर ब्रााँच की थथापना की र्ई।
ददया। ➢ राजथथान उच्च न्यायालय में र्तगमान में मुख्य न्यायाधीश सवहत 50
➢ अनुच्छे द-222 के अनुसार न्यायाधीशों का स्थानांतरण उल्लेखखत न्यायाधीश के पद थर्ीकत हैं।
है। ➢ 1882 में लॉडग ररपन द्वारा थथानीय थर्शासन की संथथाओ के वर्त्तीय
➢ अनुच्छे द-223 के अनुसार कायगकारी मुख्य न्यायाधीश की सशशक्तकरण के शलए एक प्रथतार् रखा र्या था। इस प्रथतार् को थथानीय
तनयुलि का प्रावधान है। थर्शासन का मेग्नाकाटाग कहा जाता है।
➢ अनुच्छे द-224 के अनुसार अवतररि और कायगकारी न्यायाधीश ➢ लॉडग ररपन को भारत में थथानीय थर्शासन का जनक कहा जाता है।
का प्रावधान तकया गया है। ➢ र्ााँधीजी की ग्राम थर्राज की अर्धारणा थथानीय थर्शासन से संबंमधत
➢ अनुच्छे द-224 (A) के अनुसार सेिावनिृत्त न्यायाधीश की तनयुलि है। इस अर्धारणा का उल्लेख अपनी पुथतक “My Picture of the
का प्रावधान है। free India” में वकया। र्ााँधी जी के अनुसार यदद भारत को
➢ संवर्धान में अनुच्छे द-202 के तहत व्यर्थथा की र्ई है वक न्यायाधीशों आत्मवनभगर राष्ट्र बनाना है तो र्ााँर् को आत्मवनभगर बनाना होर्ा।
के र्ेतन एर्ं भत्ते राज्य की संमचत वनमध पर भाररत होंर्े। ➢ भारतीय संवर्धान के अनुच्छे द-40 में राज्यों द्वारा ग्राम पंचायतों के र्ठन
➢ अनुच्छे द-221 के तहत न्यायाधीशों की वनयुशक्त के पश्चात संसद उनके वकए जाने का उल्लेख है।
र्ेतन र् भत्तों में अलाभकारी पररर्तगन नहीं कर सकती। ➢ के.एम. मुंशी के सुझार् पर थर्तंत्र भारत में ग्रामीण जनता के जीर्न
➢ अनुच्छे द-226 के अनुसार प्रत्येक उच्च न्यायालय अपनी अमधकाररता थतर में र्जद्ध के शलए 1952 में “सामुदावयक वर्कास कायगक्रम” एर्ं
र्ाले समूचे राज्य क्षेत्र में मूल अमधकारों को लार्ू कराने के शलए या वकसी 1953 में “राष्ट्रीय सवर्थतार सेर्ा कायगक्रम” फोडग फाउण्डेशन की मदद
अन्य प्रयोजन के शलए वकसी व्यशक्त या प्रामधकारी को ऐसे वनदे श, आदे श से लार्ू वकया र्या।
या ररट; जैसे - बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादे श, प्रवतषेध, अमधकार-पच्छा, ➢ योजना आयोर् द्वारा सामुदावयक वर्कास कायगक्रम के बेहतर वक्रयान्र्यन
उत्प्रेषण, ई-जंक्शन ररट या उनमें से वकसी को जारी कर सकेर्ा। के शलए बलर्ंत राय मेहता सममवत का र्ठन 1957 में वकया र्या जजसने
ई-जंक्शन नामक यामचका केर्ल उच्च न्यायालय में ही दायर की जाती 1958 में शसफाररश की थी। बलर्ंतराय मेहता ने अपने प्रवतर्ेदन में
है। यह यामचका अंतररम राहत उपलब्ध करर्ाती है। प्रशासवनक हथतक्षेप के कारण इन दोनों कायगक्रमों को असफल बताया।
➢ संवर्धान के अनुच्छे द-215 के अनुसार प्रत्येक उच्च न्यायालय उन्होंने भारत में लोकतांवत्रक वर्केन्द्रीकरण लार्ू करने की अनुशंसा की
अद्मभलेख न्यायालय होर्ा और उसका अपने अर्मानना के शलए दण्ड थी। लोकतांवत्रक वर्केन्द्रीकरण शब्द बलर्न्त राय मेहता ने ददया था
दे ने की शशक्त सवहत ऐसे न्यायालय की सभी शशक्तयााँ होर्ी। उच्च इसशलए इनकों लोकतांवत्रक वर्केन्द्रीकरण का जनक कहा जाता है।
न्यायालय को अपने अधीनथथ न्यायालयों के संरक्षण एर्ं वनदे शन की ➢ राजथथान दे श का पहला राज्य था जहााँ पंचायती राज की थथापना 2
शशक्त है। इसे अर्मानना पर दं ड की शशक्त भी है। सन् 2017 में अक्टू बर, 1959 को राजथथान के नार्ौर जजले के बर्दरी र्ााँर् में
कलकत्ता उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश सी.एस. कणगन को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जर्ाहरलाल नेहरू द्वारा की र्ई। आंध्रप्रदे श
अर्मानना के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा 6 माह की सजा दी र्ई पहला राज्य है जहााँ 11 अक्टू बर, 1959 को पहली बार पंचायत राज
थी। संथथाओं के चुनार् हुए।
➢ संवर्धान का अनुच्छे द-227 उच्च न्यायालय को अन्य अधीनथथ ➢ एल.एम. शसिंर्ी सममवत की शसफाररश पर जुलाई 1989 में राजीर् र्ााँधी
न्यायालयों के अधीक्षण की शशक्त दे ता है। सरकार ने 64 र्ााँ संवर्धान संशोधन वर्धेयक लोकसभा में पेश वकया
➢ अनुच्छे द-228 के अंतर्गत उच्च न्यायालय संर्ैधावनक महत्त्र् के प्रश्नों तथा पाररत करर्ाया लेवकन राज्यसभा में पाररत होने से पहले ही
को अधीनथथ न्यायालय से अपने पास माँर्र्ा सकता है। लोकसभा भंर् हो र्ई।
➢ अनुच्छे द-229 के तहत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अपने ➢ अंतत: यह वर्धेयक 73र्ें संवर्धान संशोधन अमधवनयम 1992 के रूप
अमधकाररयों र् कमगचाररयों की वनयुशक्त करते हैं। उनके सन्दभग में सेर्ा में पाररत हुआ और 24 अप्रैल, 1993 को अमधवनयममत और प्रभार्ी हो
शतों का वनधागरण करना भी उच्च न्यायालय का ही कायग है। र्या।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ 24 अप्रैल – पंचायती राज ददर्स ➢ अनुसूमचत क्षेिों में पंचायती राज का विस्तार अमधवनयम, 1996
➢ राजथथान में 23 अप्रैल, 1994 को पंचायतीराज को लार्ू वकया र्या। 1995 में पंचायती राज का अनुसूमचत क्षेत्रों में भी वर्थतार कर ददया
➢ 73 र्ें संवर्धान संशोधन के द्वारा संवर्धान में भार्-9 अनुच्छे द-243 से र्या। ददलीप ससिह भूररया की अध्यक्षता में एक सममवत (1996) ने यह
243 (O) (कुल 16 अनुच्छे द) तथा 11र्ीं अनुसूची जोड़ी र्ई। तीन अनुशंसा की, वक पंचायतों का वर्थतार अनुसूमचत क्षेत्रों में भी होना
थतरीय पंचायती राज की थथापना (ग्राम थतर, खण्ड थतर एर्ं जजला थतर) चावहए। इन पंचायतों में ज्यादातर अनुसूमचत जनजावत के शलए ही
की र्ई। लेवकन 73 र्ें संवर्धान संशोधन के द्वारा यह प्रार्धान भी वकया आरद्मक्षत होने चावहए। यह कानून उन थथानों हेतु वनर्मित वकया र्या है,
र्या है वक जजन राज्यों की आबादी 20 लाख से कम है र्हााँ दो थतर के जहााँ पंचायती राज अमधवनयम 1993 लार्ू नहीं होता है। यह कानून 24
पंचायती राज की थथापना की जाएर्ी। ददसम्बर, 1996 में लार्ू हुआ। यह मुख्यत: पााँचर्ी अनुसूची र्ाले क्षेत्रों
➢ अनुच्छे द-243 को 9र्ें भार् के रूप में जोड़ा र्या तथा इसे पंचायती के शलए है।
राज नाम से उस्ल्लखखत वकया र्या। ➢ र्तगमान में दस राज्यों में पााँचर्ी अनुसूची के क्षेत्र आते हैं- आंध्रप्रदे श,
➢ अनुच्छे द-243(A) के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र के शलए एक ग्राम तेलंर्ाना, छत्तीसर्ढ़, र्ुजरात, वहमाचल प्रदे श, झारखंड, मध्य प्रदे श,
सभा होर्ी जजसके सदथय उस पंचायत की पररमध में आने र्ाले र्ााँर् या महाराष्ट्र, ओमडशा और राजथथान।
र्ााँर्ों से संबंमधत मतदाता सूची में सूचीबद्ध व्यशक्त होंर्े। ➢ “पथ्थलर्ढ़ी” – पेशा एक्ट 1996 के प्रार्धानों को उमचत तरीके से
सरपंच इसकी अध्यक्षता करता है तथा 1 र्षग में इसकी 2 बैठक लार्ू नहीं करने पर अनुसूमचत क्षेत्रों में पेसा एक्ट 1996 के प्रार्धानों
अवनर्ायग है। को उकेर कर पत्थर र्ाढ़ना पथ्थलर्ढ़ी कहलाता है। यह आंदोलन
अनुच्छे द-243 (A) के अनुसार ग्रामसभा का कोरम 1/10 होता है। झारखंड से प्रारम्भ हुआ।
➢ पंचायतों की सबसे छोटी इकाई ग्राम सभा होती है। ➢ राजस्थान पंचायती राज अमधवनयम 1994
➢ अनुच्छे द-243 (C) के अनुसार प्रत्येक राज्य में ग्राम, मध्यर्ती पंचायतों 1928 में बीकाने र पहली दे शी ररयासत बनी जहााँ ग्राम पं चायत
का र्ठन वकया जाएर्ा। अमधवनयम बनाया र्या। राजथथान पं चायतराज वर्भार् की थथापना
➢ अनुच्छे द-243 (D) के तहत पंचायतों के चुनार् में मवहलाओं र् 1949 में हुई थी। 1953 में “राजथथान ग्राम पं चायत अमधवनयम
अनुसूमचत जावत र् अनुसूमचत जनजावत को आरक्षण प्रदान वकया र्या। 1953” बनाया र्या था। 1959 में राजथथान में पं चायती राज
➢ 73 र्ें संवर्धान संशोधन के द्वारा मवहलाओं को 1/3 आरक्षण प्रदान सं थथाओं का उद्घाटन हुआ। मोहनलाल सु खामड़या उस समय
वकया र्या है। अनुसूमचत जावत/अनुसूमचत जनजावत को आरक्षण उनके राजथथान के मु ख्यमं त्री थे । पहली बार इनके चु नार् 1960 में हुए
जनसंख्या के अनुपात में प्रदान वकया जाएर्ा। थे ।
➢ पंचायतों का कायगकाि [अनुच्छे द-243 E] पंचायतीराज संथथाओं ➢ 1973 में वर्रधारी लाल व्यास सममवत का र्ठन वकया र्या था इस
का कायगकाल प्रथम बैठक के वनयत तारीख से 5 र्षग तक का होर्ा। सममवत ने पंचायत संथथाओं को वर्त्तीय मजबूती हेतु सुझार् ददए थे।
यदद पंचायतों का वर्िटन वनधागररत समय के पहले हो तो पंचायतों के ➢ 1984 में जयपुर में ‘इजन्दरा र्ााँधी ग्रामीण वर्कास र् पंचायती राज
वर्िटन के 6 माह के भीतर चुनार् होने चावहए तथा चुनार् िेष रहे समय संथथान’ की थथापना की र्ई थी। यह पंचायती राज संथथाओं के जन
के शलए होर्ा। यदद पंचायतों का कायगकाल 6 महीने से कम बचा हो तो प्रवतवनमधयों और अमधकाररयों को प्रशशक्षण दे ने र्ाला राजथथान का
चुनार् सम्पूणग 5 र्षों के शलए होंर्े। सर्ोच्च संथथान है।
➢ अनुच्छे द-243 (F) के अनुसार इन संथथाओं के उम्मीदर्ारों के शलए ➢ 1988 में हरलाल ससिह खराग की अध्यक्षता में एक सममवत का र्ठन वकया
न्यूनतम आयु 21 र्षग है। र्या था। इसी सममवत की अनुशंसा पर जजला ग्रामीण वर्कास प्रामधकरण
➢ अनुच्छे द-243 (G) के तहत इन संथथाओं के शलए 29 कायग है। इन 29 का वर्लय जजला पररषद् में वकया र्या था।
कायों का उल्लेख 11र्ीं अनुसूची में है। इनमें से वकतने कायग पंचायती ➢ 2011 में र्ुलाबचन्द कटाररया की अध्यक्षता में एक सममवत र्दठत की
राज संथथाओं को दे ना है इसका वनधागरण राज्य वर्धानमंडल करता है। र्ई। जजसमें 11 र्ीं अनुसूची में उस्ल्लखखत सभी 29 कायग पंचायती राज
➢ अनुच्छे द-243 (H) के अनुसार पंचायतों द्वारा ‘कर’ अमधरोवपत करने संथथाओं को दे ने की अनुशंसा की थी।
की शशक्तयााँ और उनकी वनमधयों के बारे में प्रार्धान वकया र्या है। ➢ राजथथान पंचायती राज अमधवनयम 1994, 23 अप्रैल, 1994 को लार्ू
➢ अनुच्छे द-243 (I) के अनुसार पंचायती राज संथथाओं की वर्त्तीय कर ददया है जजसे राजथथान पंचायती राज अमधवनयम 1994 कहा र्या
स्थथवत सुदृढ़ करने तथा पयागप्त मात्रा में वर्त्तीय संसाधन उपलब्ध कराने है।
हेतु सुझार् दे ने के शलए प्रत्येक राज्य के राज्यपाल द्वारा 5 साल में राज्य ➢ वकसी र्ााँर् की 3000 जनसंख्या पर ग्राम पंचायत का र्ठन होता है
वर्त्त आयोर् का र्ठन वकया जाएर्ा जो अपनी ररपोटग राज्यपाल को तिा इस जनसंख्या पर 9 र्ाडग होते हैं। 1 हजार जनसंख्या पर 2
दे र्ा। इसके अध्यक्ष एर्ं सदथयों की संख्या का उल्लेख संवर्धान में नहीं है। अवतररक्त र्ाडग होते हैं। र्ाडग का अध्यक्ष र्ाडग पंच कहलाता है। सभी
➢ राज्य वनिागचन आयोग [अनुच्छे द-243 (K)] र्ाडग पंच ममलकर अपने में से एक व्यशक्त को उपसरपंच चुनते है जबवक
प्रत्येक राज्य में पंचायती राज संथथाओं के चुनार् वनष्पक्ष र् समय पर ग्राम पंचायत के सभी मतदाता प्रत्यक्ष रूप से सरपंच का चुनार् करते
करर्ाने हेतु पथक् से राज्य चुनार् आयोर् की थथापना की जाएर्ी हैं।
जजसका प्रमुख ‘राज्य वनर्ागचन आयुक्त’ होर्ा। राज्य वनर्ागचन आयुक्त ➢ उपसरपंच के चुनार् में सरपंच भी र्ोट दे ता है और उसके एक मत का
की वनयुशक्त राज्यपाल द्वारा की जाएर्ी। मूल्य दो होता है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ ग्राम पंचायत की र्णपूर्ति (कोरम) 1/3 होती है। सरपंच एर्ं उपसरपंच सममवत का र्ठन वकया जाएर्ा। अनुच्छे द-243 (ZD) के तहत इसकी
के वर्रुद्ध अवर्श्वास प्रथतार् लाकर इन्हें हटाया जा सकता है। पहले 2 संरचना का वनधागरण राज्य वर्धानमंडल द्वारा वकया जाएर्ा। संवर्धान
र्षग तक अवर्श्वास प्रथतार् नहीं लाया जा सकता है। अवर्श्वास प्रथतार् में जजला योजना सममवत की सदथय संख्या का उल्लेख नहीं है।
लाने हेतु 1/3 र्ाडग पंचों का समथगन आर्श्यक है। प्रथतार् को पाररत ➢ राजथथान पंचायत राज अमधवनयम 1994 के अनुसार प्रत्येक जजला
करने के शलए 3/4 र्ाडग पंचों का समथगन जरूरी है। प्रथतार् असफल हो योजना सममवत में 25 सदथय होंर्े। अनुच्छे द-243 (ZD) के अनुसार
जाने पर एक र्षग तक नहीं लाया जा सकता है। प्रत्येक जजला योजना सममवत के 4/5 सदथय वनर्ागमचत होंर्े। इनका
➢ र्ाडगपंच, उपसरपंच तथा सरपंच तीनों अपना इथतीफा खण्ड वर्कास वनर्ागचन जजला थतर की पंचायत (जजला पररषद्) तथा उस जजले की
अमधकारी (BDO) को दे ते है। नर्रपाशलका के सदथयों द्वारा वकया जाएर्ा। अनुच्छे द-243 (ZD) के
➢ जनर्री 2022 तक राजथथान में पंचायती राज संथथाओं के चुनार् 11 अनुसार प्रत्येक जजला योजना सममवत में 4/5 सदथय वनर्ागमचत होने के
बार हो चुके है। कारण राजथथान के प्रत्येक जजला योजना सममवत में 20 सदथय
➢ ग्राम पंचायत में जजतने पंचों की संख्या वनधागररत होती है, ग्राम पंचायत वनर्ागमचत होते हैं। शेष 5 सदथय मनोननत नकए जाते हैं।
क्षेत्र को उतने ही भार्ों में बााँटा जाता है तथा प्रत्येक भार् को र्ाडग कहा ➢ अनुच्छे द-243(ZE) के अनुसार महानर्र क्षेत्र में सम्पूणग महानर्र क्षेत्र
जाता है। के शलए वर्कास योजना प्रारूप तैयार करने के शलए एक महानर्र
➢ प्रत्येक र्ाडग के पंजीकत र्यथक मतदाताओं का समूह र्ाडग सभा योजना सममवत का र्ठन वकया जाएर्ा।
कहलाती है। ➢ 1959 में राजथथान नर्रपाशलका अमधवनयम 1959 बनाया र्या था। 1
➢ र्ाडग सभा का अध्यक्ष र्ाडग पंच होता है तथा र्ाडग पंच की अनुपस्थथवत जून 1993 को 74र्ां संवर्धान संशोधन 1992 लार्ू हुआ जजसके द्वारा
में उपस्थथत सदथयों द्वारा बहुमत से वनर्ागमचत सदथय र्ाडग सभा की थथानीय शासन की संथथाओं को संर्ैधावनक दजाग ददया र्या।
अध्यक्षता करता है। ➢ राज्य सरकार का थर्ायत्त शासन वर्भार्, समथत शहरी थर्शासन
➢ 74 र्ें संवर्धान संशोधन अमधवनयम के तहत संवर्धान में भार् 9A जोड़ा संथथाओं के वनयंत्रण, वनदे शन एर्ं समन्र्य का कायग करता है।
र्या। भार् 9A में अनुच्छे द-243P से 243ZG तक नर्रीय थर्शासन ➢ 74र्ां संवर्धान संशोधन लार्ू होने के बार्जूद भी 1959 का कानून
का उल्लेख है। इस संशोधन के तहत 12र्ीं अनुसूची जोड़ी र्ई जजसमें राजथथान में लार्ू रहा। सन् 2009 में 1959 के कानून को समाप्त कर
18 वर्षय उस्ल्लखखत है। 74र्ााँ संवर्धान संशोधन 1 जून, 1993 को राजथथान नर्रपाशलका अमधवनयम 2009 बनाया र्या।
लार्ू हुआ। ➢ 5 लाख से अमधक जनसंख्या र्ाले नर्र, थथानीय थर्शासन संथथाओं में
➢ अनुच्छे द-243 (Q) में यह उस्ल्लखखत है वक बड़े शहरों में नर्र वनर्म, नर्र वनर्म कहलाते हैं। इसमें पाषगद, महापौर, उपमहापौर, मनोनीत
छोटे शहरों में नर्र पररषद् तथा छोटे कथबों या संक्रमणशील क्षेत्रों में पाषगद एर्ं नर्र वनर्म के आयुक्त शाममल होते हैं। अध्यक्ष महापौर/मेयर
नर्र पंचायतों की थथापना की जाएर्ी। कहलाता है।
➢ नर्र वनर्म, नर्र पररषद् एर्ं नर्र पंचायतों को सामूवहक रूप से ➢ राज्य में र्तगमान में 10 नर्र वनर्म है-
नर्रपाशलका कहते हैं। (i) जयपुर हैररटे ज (vi) कोटा दद्मक्षण
➢ प्रत्येक नर्रीय थथानीय वनकाय का कायगकाल 5 र्षग होर्ा। इन संथथाओं (ii) जयपुर नर्र वनर्म (vii) अजमेर
की पहली बैठक से 5 र्षग अर्मध प्रारम्भ होती है। वकसी वनकाय के (iii) जोधपुर उत्तर (viii) बीकानेर
वर्िटन की स्थथवत में वर्िटन की वतशथ से 6 माह में चुनार् कराने (iv) जोधपुर दद्मक्षण (ix) भरतपुर
आर्श्यक है लेवकन केर्ल 6 माह की अर्मध शेष है तो चुनार् सामान्य (v) कोटा उत्तर (x) उदयपुर
चुनार् के साथ होंर्े। अक्टू बर 2019 जयपुर, जोधपुर तथा कोटा नर्र वनर्म को दो-दो भार्ों
➢ अनुच्छे द-243 (W) के अन्तर्गत इन संथथाओं के शलए 18 कायग में बााँट ददया।
वनधागररत वकए र्ए है। इन 18 कायों में से वकतने कायग नर्रपाशलका को ➢ एक लाख से अमधक तथा 5 लाख तक की आबादी र्ाले शहरों में
दे ने है। यह राज्यवर्धान मंडल पर वनभगर है। थथानीय थर्शासन संथथा नर्र पररषद् कहलाती है। इसमें सभापवत,
➢ 11र्ीं अनुसूची में 29 कायग उस्ल्लखखत है इनमें से 23 कायग राजथथान उपसभापवत, मनोनीत पाषगद, आयुक्त एर्ं उपायुक्त शाममल होते हैं।
में पंचायती राज संथथान को ददए जा चुके हैं। नर्र पररषदों में एक वनर्ागमचत ‘पररषद्’ होती है जो जनता के द्वारा
➢ अनुच्छे द-243 (ZA) के अन्तर्गत राज्य वनर्ागचन आयोर् र्यथक मतामधकार के आधार पर चुनी जाती है।
नर्रपाशलकाओं के चुनार् करर्ाने तथा मतदाता सूमचयों को तैयार करने ➢ संक्रमणकालीन क्षेत्रों के शलए 74र्ें संवर्धान संशोधन में “नर्र पंचायत”
का कायग करता है। अनुच्छे द-243 (X) के तहत नर्रपाशलकाओं को के र्ठन का प्रार्धान वकया र्या था वकन्तु राजथथान राज्य में प्रदे श में
भी कर लर्ाने का अमधकार है। सबसे छोटे कथबों अथर्ा संक्रमणकालीन क्षेत्रों में नर्र पंचायत र्दठत न
➢ अनुच्छे द-243 (Y) के अधीन र्दठत वर्त्त आयोर् नर्रपाशलकाओं की कर नर्रपाशलका बोडग, श्रेणी वद्वतीय, ततीय और चतुथग र्दठत वकए है।
वर्त्तीय स्थथवत का भी पुनर्र्िलोकन करेर्ा। इसमें पाषगद, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मनोनीत पाषगद तथा अमधशाषी अमधकारी
➢ प्रत्येक राज्य में जजला थतर पर जजले में पंचायतों और नर्रपाशलकाओं शाममल होते हैं। नर्र पररषद् की भांवत ही नर्रपाशलका बोडग में भी जनता
द्वारा तैयार की र्ई योजनाओं के समेकन करने और संपूणग जजले के शलए द्वारा प्रत्यक्ष रूप से वनर्ागमचत एक पररषद् बोडग होती है जो वनर्ागचन के
एक वर्कास योजना प्रारूप तैयार करने के शलए एक जजला योजना बाद अपने में से ही एक सदथय का अध्यक्ष के रूप में चुनार् करती है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ नर्रपाशलका बोडग ऐसे क्षेत्रों में थथावपत वकए जाएंर्े जजनमें जनसंख्या 4. समचर्ालय प्रवक्रया सममवत 1971
1 लाख से कम हो। 5. प्रशासन सुधार सममवत 1992-95 (भनोत सममवत)
इन्हें संख्या के आधार पर तीन श्रेद्मणयों में बााँटा र्या है- 6. राजथथान प्रशासवनक सुधार आयोर् 1999-2001 (शशर्चरण
(i) नर्रपाशलका बोडग वद्वतीय श्रेणी – 50 हजार से 1 लाख माथुर आयोर्)
(ii) नर्रपाशलका बोडग ततीय श्रेणी – 25 हजार से 50 हजार ➢ भारत में सर्गप्रथम सन् 1829 में जजला कलेक्टर के कायों पर पयगर्ेक्षण
(iii) नर्रपाशलका बोडग चतुथग श्रेणी – 25 हजार से कम जनसंख्या। हेतु संभार्ीय आयुक्त पद सजजत वकया र्या था। 1949 में नर्र्दठत
➢ नगरपालिका संशोधन अमधवनयम, 2009 राजथथान में कुल 25 जजले बनाए र्ए जजन्हें 5 संभार्ों– जयपुर,
तीनों थतर के मुख्य का चुनार् प्रत्यक्ष तरीके से कराया जाएर्ा। जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर र् कोटा में वर्भाजजत वकया र्या।
हटाने के शलए Right to Recall का प्रयोर् वकया जाता है। ➢ अप्रैल, 1962 में सुखामड़या सरकार ने संभार्ीय व्यर्थथा को समाप्त
Right to Recall का पहली बार प्रयोर् 12 ददसम्बर, 2012 को कर ददया। 26 जनर्री, 1987 को हररदे र् जोशी सरकार ने राज्य को 6
अशोक जैन मांर्रोल (बारााँ) के वर्रुद्ध वकया र्या। संभार्ों (जयपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर) में बााँटकर
➢ नगरपालिका संशोधन अमधवनयम, 2021 संभार्ीय व्यर्थथा पुन: कायम की।
राज्य सरकार द्वारा नर्र ननर्म में 12 सिथयों को मनोयन। ➢ सन् 1772 में अंग्रेजी शासन काल में र्र्नगर जनरल र्ारेन हेंन्थटं ग्स
राज्य सरकार द्वारा नर्र पररषि में 06 सिथयों को मनोयन। द्वारा ‘कलेक्टर’ का पद सजजत करने के साथ ही आधुवनक जजला
राज्य सरकार द्वारा नर्र पाशलका में 08 सिथयों को मनोयन। प्रशासन का एक नया अध्याय प्रारं भ हुआ। थर्तंत्रता के बाद जजला
दिव्ांर् संतान को कुल संतानों की र्णना में नहीं नर्ना जाएर्ा। को भारतीय प्रशासवनक व्यर्थथा की एक महत्त्र्पूणग इकाई के रूप में
➢ जजस प्रकार मंवत्रमंडल का प्रधान मुख्यमंत्री होता है उसी प्रकार शासन अपनाया र्या।
समचर्ालय का मुखखया मुख्य समचर् होता है जो सामान्यत: भारतीय ➢ भारत के संवर्धान में भी जजला शब्द का प्रयोर् वकया र्या है। संवर्धान
प्रशासवनक सेर्ा का र्ररष्ठतम अमधकारी एर्ं मुख्यमंत्री का वर्श्वासपात्र में जजला शब्द का अनुच्छे द-233 में जजला न्यायाधीशों की वनयुशक्त के
होता है। मुख्य समचर् राज्य समचर्ालय का कायगकारी प्रमुख होता है। प्रसंर् में प्रयोर् वकया र्या है। पंचायती राज के शलए जजला पररषद् का
➢ मुख्य समचर् राज्य मंवत्रपररषद् का समचर् होता है। जो मंवत्रमंडल का प्रयोर् अनुच्छे द-243 में वकया र्या है।
सदथय न होते हुए भी उसकी बैठकों में भार् लेता है, उसकी कायगसूची ➢ भारत में राज्यों के जजलों को उपखण्डों में वर्भाजजत वकया र्या है।
तैयार करता है। जजले में एक से अमधक उपखण्ड होते हैं और कई जजलों में तो 5 से 6
➢ राजथथान का वनमागण होने पर 13 अप्रैल, 1949 को राज्य के प्रथम तक उपखण्ड होते हैं। उपखण्ड अमधकारी को उपजजला कलेक्टर भी
मुख्य समचर् श्री के. राधाकष्णन बने। कहा जाता है। यह उपखण्ड अमधकारी जजला कलेक्टर और
➢ श्री भर्त ससिह मेहता का कायगकाल (1958-64) मुख्य समचर्ों में तहसीलदारों के मध्य एक प्रशासवनक कड़ी का कायग करता है।
सर्ागमधक रहा। ➢ प्रशासवनक सुवर्धा की दृवष्ट से प्रत्येक जजले को उपखण्डों में और
➢ श्री वर्वपन वबहारी लाल माथुर सर्ागमधक मुख्यमंवत्रयों के काल में मुख्य उपखण्ड को तहसीलों में वर्भाजजत वकया र्या है। तहसील राजथर्
समचर् रहे। प्रशासन की एक मुख्य इकाई होती है। तहसील अरबी भाषा का शब्द है
➢ राजथथान की प्रथम मवहला मुख्य समचर् श्रीमती कुशल ससिह थी। जजसका अथग होता है सरकारी मालर्ुजारी र्सूल करने र्ाली प्रशासवनक
➢ अमधकांश राज्यों में सामान्य प्रशासन, वर्भार् कार्मिक वर्भार्, योजना इकाई।
वर्भार् और प्रशासवनक सुधार वर्भार् सीधे तौर पर मुख्य समचर् के ➢ राजथथान में अलर्र में सन् 1791 में तहसील शब्द का प्रयोर् राजथर्
प्रभार में होते हैं। प्रशासन में दे खने को ममलता है। तहसील का प्रमुख अमधकारी
➢ राज्य थतर पर मुख्यमंत्री एर्ं उसकी मवत्रपररषद् के सदथयों को तहसीलदार होता है। राजथथान में तहसीलदार राज्य अधीनथथ सेर्ा का
आर्श्यक प्रशासवनक सहायता एर्ं परामशग उपलब्ध कराने के शलए जो अमधकारी होते हुए भी राजपवत्रत अमधकारी होता है।
प्रशासन वनकाय कायगशील है, उसे 'राज्य समचर्ालय' के नाम से जाना ➢ प्रत्येक तहसील वर्द्मभन्न पटर्ार क्षेत्रों में वर्भाजजत होती है।
जाता है। ➢ प्रत्येक पटर्ार क्षेत्र का प्रमुख अमधकारी पटर्ारी होता है। पटर्ारी का
➢ समचर्ालय राज्य सरकार का हृदय केंद्र है। कायागलय उसके कायग क्षेत्र के प्रमुख र्ााँर् में होता है और र्ह उसी र्ााँर्
➢ राजथथान में शासन समचर्ालय की थथापना र्षग 1949 में हुई। में वनर्ास करता है।
राजथथान में सर्ग प्र थम समचर्ालय कायों की शु रु आत जयपु र में ➢ राजथथान में थर्तंत्रता पूर्ग राजथर् एकत्र करने का उत्तरदावयत्र्
हुई। लम्बरदार का होता था लेवकन 1963 में इस लम्बरदार पद को समाप्त
➢ राजस्थान में समचिािय प्रशासवनक सुधार:- करके पटर्ारी का पद सजजत वकया र्या। पटर्ारी का चयन राजथर्
1. राजथथान प्रशासवनक सुधार सममवत 1963 (श्री हररशचंद्र माथुर मण्डल के द्वारा वकया जाता है। पटर्ारी को वर्द्मभन्न प्रशशक्षण केन्द्रों में
सममवत) प्रशशक्षण ददया जाता है।
2. प्रशासवनक सुधार आयोर् (1966-70) ➢ राजथथान में पटर्ारी प्रशशक्षण केन्द्र भरतपुर, टोंक, भीलर्ाड़ा और श्री
3. राजथथान समचर्ालय पुनर्गठन सममवत 1969 (मोहन मुखजी र्ंर्ानर्र जजलों में स्थथत है। जजनमें पटर्ाररयों को प्रशशक्षण ददया जाता
सममवत) है।
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान करेंि अफेयसग ➢ राष्ट्रीय स्तर पर केरि में हुए ‘राउत फुिबॉि कप’ का ग्खताब
वकसने जीता है?
➢ इन्िेस्ि राजस्थान सममि-2022 में अ्ाणी ग्रुप ने राज्य में कहााँ
राजथथान यूनाइटे ड FC
अंतरागष्ट्रीय स्तर का वक्रकेि स्िे म्यम बनाने का ऐिान वकया है?
➢ िै क्स इण्ण््या ऑनिाइन द्वारा राज्य सरकार को वकन श्रेणणयों में
उदयपुर
‘नेशनि िै क्सेशन अिॉ्ग-2022’ प्रदान वकया गया है?
➢ राज्य में विश्व की सबसे बड़ी लशि प्रवतमा का वनमागण कहााँ वकया
Most Reformist State (सुधारर्ादी राज्य) व SGST/VAT
गया है?
Caटै र्ory
राजसमंद
➢ बाि टदिस पर पहिी बार बच्चों के लिए दे श का पहिा म्जजिि
➢ दे श का पहिा ‘कॉमन इन्फ्यूिेंि ट्रीिमेंि प्िांि’ (CETP) कहााँ
म्यूजजयम 14 निम्बर को कहााँ खोिा गया?
विकलसत वकया गया है?
राजथथान वर्धानसभा, जयपुर
पाली
➢ हाि ही में राष्ट्रपवत द्रौपदी मुमूग ने वकसे ‘राष्ट्रीय फ्िोरेंस नाइटििंगेि
➢ राजस्थान के वकस उस्ता किाकार को राष्ट्रपवत पुरस्कार से
सम्मान-2021’ से निाज़ा है?
सम्मावनत वकया गया?
पुनीता ए. शमाग व इंदू लक्ष्मी सााँखला
शौकत उथता
➢ मुख्यमंिी द्वारा अनुमोटदत ‘उष्ट्र संरक्षण योजना’ के तहत ऊाँि का
➢ हाि ही में 36िें राष्ट्रीय खेिों में वकन ग्खिायड़यों ने गोल्् मे्ि
बच्चा होने पर दो वकश्तों में वकतनी रालश दी जाएगी?
जीता है?
10 हजार
कवर्ता शसहार् व वर्र्ान कपूर
➢ राजस्थान से पहिी मवहिा ग्खिाड़ी कौन है, जो स्पोिग स कोिे से
➢ 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूममका वनभाने िािे िैं क T-
भारतीय सेना में शाममि हुई हैं?
55 को राजस्थान में कहााँ पर स्थावपत वकया गया है?
अरुं धवत चौधरी
झुंझुनूाँ
➢ हाि ही में केंद्रीय खेि मंिािय ने राजस्थान पुलिस के वकस
➢ राज्य सरकार द्वारा फ्िैि प्रोजेक्ि के लिए इिेण्क्ट्रक िाहन चार्जिंग
अमधकारी को ‘अजुगन पुरस्कार-2022’ दे ने की घोषणा की है?
सुविधा वकस कमेिी की लसफाररश पर अवनिायग की गई है ?
साक्षी कुमारी व ओमप्रकाश ममठारर्ाल
एम्पोटग कमेटी
➢ राजस्थान संगीत नािक अकादमी ने िषग 2022-23 के लिए
➢ खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2021-22 में राजस्थान का कौन-सा स्थान
अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की है। इनमें सिोच्च फैिोलशप
है?
सम्मान वकसे प्रदान वकया जाएगा?
10र्ााँ
ईला अरुण
➢ राज्य सरकार ने महाराणा प्रताप से संबंमधत वकस ऐवतहालसक
➢ मेयो कॉिेज गल्सग स्कूि की वकस छािा को भारत में एक टदन के
स्थि के विकास हेतु प्रशासवनक ि वित्तीय स्िीकृवत प्रदान की है?
लिए कना्ा की उच्चायुि वनयुि वकया गया?
मायरा की र्ुफा, र्ोर्ुन्दा
कायरा खन्ना
➢ पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) िागू करने िािा राजस्थान कौन-सा
➢ राज्य में पयगिन विभाग द्वारा ‘द इंम्यन ररस्पॉस्न्सबि िू ररज्म स्िे ि
राज्य है?
अिॉ्ग-2022’ की शुरुआत की गई है, यह पुरस्कार वकतनी
पहला
श्रेणणयों में टदया जाएगा?
➢ ICC द्वारा वक्रकेि डेििपमेंि मैनेजर के रूप में राजस्थान के वकस
8
व्यलि को वनयुि वकया गया है?
➢ राजस्थान के वकस एयरपोिग को ‘अपेक्स इंम्या ग्रीन िीफ
अद्मभषेक शेखार्त
अिॉ्ग-2022’ से सम्मावनत वकया गया है?
➢ राजस्थान सरकार का बजि 2023-24 वकसे समर्पिंत वकया
जयपुर एयरपोटग
जाएगा?
➢ हाि ही में मुख्यमंिी ने वकसानों को बंजर भूमम पर सौर संयंि
युर्ाओं एर्ं वर्द्यार्थियों को
स्थावपत करने हेतु वकस योजना को मंजूरी प्रदान की है?
➢ राज्य के वकस कंजिेशन क्षेि में जनिरी, 2023 से िेप्ग सफारी
सौर कवष आजीवर्का योजना
प्रारम्भ की जाएगी?
➢ सुप्रीम कोिग कॉिेजजयम ने राजस्थान हाईकोिग का अगिा मुख्य
बांशसयाल और मनसा माता
न्यायाधीश वकसे बनाने की लसफाररश की है?
➢ दे श की सबसे बड़ी िॉिर िनि राज्य में वकस पररयोजना पर बनाई
पंकज ममत्तल
जा रही है?
➢ िषग 2022 के लिए के. के. वबड़िा फाउं्ेशन का 32िााँ वबहारी
परर्न र्हद् पररयोजना
पुरस्कार वकसे टदया जाएगा?
➢ भारत वनिागचन आयोग ने टदव्यांगजनों को वनिागचन प्रवक्रया से
डॉ. माधर् हाड़ा
जोड़े़ने के लिए कौन-सा एप िॉन्च वकया है?
PWD एप 2.0
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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ विश्व पयगिन टदिस पर केंद्रीय पयगिन मंिािय ने राजस्थान के वकस ➢ भारत मािा पररयोजना के तहत दे श की पहिी 8 िेन िनि वकस
स्मारक को स्िच्छता एिं बेहतर प्रबंधन के लिए पुरस्कृत वकया है ? मागग पर बनाई जा रही है?
हर्ामहल, जयपुर कोटा दराग मार्ग
➢ हाि ही में राज्यपाि ने वकस नए विभाग को मंजूरी प्रदान की है ? ➢ हाि ही में लशक्षा मंिी द्वारा संस्कृत कॉिेज लशक्षा के लिए कौन-
शांवत एर्ं अवहिसा वर्भार् सा एप िॉन्च वकया गया है?
➢ राज्य स्तरीय समारोह में दे श की वकतनी शण्ससयतों को ‘गााँधी र्ीर्ागणी एप
सद्भािना पुरस्कार’ से सम्मावनत वकया गया है? ➢ हाि ही में वकस संस्थान ने ऊाँिनी के दूध से चॉकिेि बनाने का
5 ट्रे ्माकग हालसि वकया है?
➢ राष्ट्रपवत द्रौपदी मुमूग द्वारा राजस्थान के वकस गााँि को ‘राष्ट्रीय राष्ट्रीय ऊष्ट अनुसंधान केंद्र, बीकानेर
स्िच्छता अिॉ्ग-2022’ से सम्मावनत वकया गया है? ➢ विश्व विख्यात ‘आगा खान संगीत अिॉ्ग’ राजस्थान के वकस
िोक किाकार को टदया जाएगा?
खेरूणा र्ााँर्, बूाँदी
आशसन खान
➢ राजस्थान का पहिा संत संग्रहािय कहााँ शुरू वकया गया है ?
➢ नोबेि शांवत पुरस्कार से सम्मावनत कैिाश सत्याथी के नेतृत्ि में
समोर बार्, उदयपुर
बाि वििाह के ग्खिाफ सबसे बड़े जागरूकता अणभयान का
➢ हाि ही में रक्षा मंिी राजनाथ लसिंह ने जोधपुर में वकस स्िदे शी
शुभारंभ राजस्थान के वकस गााँि से वकया गया है?
हेिीकॉप्िर में उड़ान भरी है?
नर्रंर्पुरा र्ााँर् (जयपुर)
LCH ‘प्रचंड’
➢ दे श की पहिी मवहिा ‘िे्ी िाजगन’ कौन हैं, जो अब राजस्थान में
➢ खेिो इंम्या यूथ गेम्स की अंक तालिका में राजस्थान का कौन-
पयागिरण संरक्षण (इं्स्ट्रीज) के लिए काम करेगी?
सा स्थान रहा?
जमुना टु डू
10र्ााँ ➢ िल््ग म्सेवबलििी-्े पर राष्ट्रपवत द्रौपदी मुमूग वकसे सम्मावनत
➢ हाि ही में वकस ऊजाग कंपनी ने राज्य में दुवनया का सबसे बड़ा करेंगी?
पिन-सौर ऊजाग संयंि शुरू वकया है? र्ैभर् भंडारी
अडाणी ग्रीन एनजी शलममटे ड ➢ हाि ही में वकस जजिे द्वारा ‘ऑपरेशन चक्रव्यूह’ अणभयान चिाया
➢ हाि ही में वकस तकनीकी संस्थान में ‘किा एिं म्जजिि इमशगन गया है?
उत्कृष्टता केंद्र’ का उद्घािन वकया गया है? बीकानेर
भारतीय प्रौद्योवर्की संथथान, जोधपुर ➢ उत्तराखं् में आयोजजत 48िीं जूवनयर बॉयज नेशनि कबड्डी
➢ राजस्थान हस्तलशल्प नीवत-2022 के तहत हस्तलशल्प म्जाइन चैंवपयनलशप में राजस्थान िीम ने कौन-सा पदक जीता है?
बैंक कहााँ स्थावपत वकया जाएगा? थर्णग पदक (र्ोल्ड)
जयपुर ➢ भारत सरकार द्वारा राजस्थान के वकस विद्यािय को ‘राष्ट्रीय
➢ राजस्थान के वकस जजिे में ‘बालिका चेतना जागृवत अणभयान’ स्िच्छ विद्यािय पुरस्कार-2021-22’ टदया गया है?
शुरू वकया गया है? थर्ामी वर्र्ेकानंद मॉडल थकूल, दे र्ली टोंक व राजकीय बाशलका उच्च
जालोर माध्यममक वर्द्यालय र्ंर्ापुर, भीलर्ाड़ा
➢ चर्चिंत िोक किा महोत्सि ‘13िें जोधपुर ररफ’ का आयोजन कब ➢ हाि ही में मुख्यमंिी ने वकस जावत हेतु अिग से बो्ग के गठन
वकया गया है? प्रस्ताि को मंजूरी प्रदान की है?
6 से 10 अक्टू बर, 2022 तक र्ामड़या लोहार
➢ िल््ग हॉकी ‘गोिकीपर ऑफ द ईयर 2021-22’ वकसे चुना गया ➢ भारतीय थिसेना ि िायुसेना का संयुि युद्धाभ्यास ‘फायर पॉिर’
है? कहााँ वकया गया है?
पी. आर. श्रीजेश व सवर्ता पूवनया महाजन फायररिर् रेंज, बीकानेर
➢ इंिेक की भू-विरासत सूची में राजस्थान की वकन चट्टानों को ➢ यूनेस्को और पयगिन विभाग द्वारा ‘रेवगस्तान संगीत महोत्सि’ का
आयोजन कहााँ वकया गया है?
शाममि वकया गया है?
बरना और जनरा, जैसलमेर
ममश्रौली बेसास्त्ल्टक चट्टानें, झालार्ाड़
➢ हाि ही में ‘प्रधानमंिी ग्रामीण आिास योजना’ के तहत कौन-सा
➢ राज्य में ‘मेम्-िू ररज्म िेिनेस सेंिर’ का लशिान्यास कहााँ वकया
जजिा राजस्थान में प्रथम स्थान पर रहा है?
गया है?
झुंझुनूाँ
नाथद्वारा-राजसमंद
➢ हाि ही में िन-विभाग ने राज्य के वकस स्थान को िेििैं् बनाने
➢ िोकायन संस्थान और राजस्थान पुलिस द्वारा ‘राजस्थान कबीर
के रूप में मचलित वकया है?
यािा’ के छठे संस्करण का आयोजन कहााँ वकया गया है ?
लूणकरणसर सॉल्ट लेक, बीकानेर व ददयातरा तालाब, बीकानेर
उदयपुर

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ निाचारों और कायाकल्प के लिए हाउलसिंग श्रेणी में वकसे ‘स्कॉच ➢ वब्रिे न में संपन्न हुई ‘िन यंग िल््ग सममि-2022’ में भाग िेने िािी
गोल्् अिॉ्ग-2022’ के लिए चयवनत वकया गया है? राजस्थान से एकमाि सदस्य कौन है?
राजथथान आर्ासन मण्डल (RHB) तसनीम मेहज़बीन
➢ हाि ही में राजस्थान की वकस शण्ख्सयत को राष्ट्रीय साहस ➢ मुख्यमंिी ने 8िीं, 10िीं और 12िीं के वकतने होनहार बच्चों को
पुरस्कार से सम्मावनत वकया गया है? िै बिेि ि फ्री इंिरनेि दे ने की घोषणा की है?
डॉ. कवत भारती 93 हजार
➢ केंद्रीय सूचना एिं प्रसारण मंिािय द्वारा आयोजजत NFDC ➢ हाि ही चचाग में रही ‘मुख्यमंिी िघु उद्योग प्रोत्साहन योजना’ की
बाजार में वकस राजस्थानी ्ॉक्यूमेंट्री को टदखाया गया है ? शुरुआत कब हुई?
धींर्ा र्र्र इस योजना की शुरुआत 17 ददसंबर, 2019 को की र्ई थी।
➢ राजस्थान के वकस जजिे में ‘ढोिा-मारू िू ररज्म कॉम्प्िेक्स’ के ➢ रिां्ा में आयोजजत अंतरागष्ट्रीय संगठन ‘इंिर पार्ििंयामेंट्री यूवनयन’
वनमागण को मंजूरी ममिी है? के अमधिेशन में भारत का प्रवतवनमधत्ि वकसके द्वारा वकया गया
जैसलमेर है?
➢ राज्य बजि-2022-23 में घोवषत वकस पयगिन नीवत को िागू करने दीया कुमारी
का वनणगय लिया गया है? ➢ अंगदान की थीम पर बनी वकस वफल्म को राज्य सरकार द्वारा
राजथथान ग्रामीण पयगटन नीवत-2022 राजस्थान में िै क्स-फ्री घोवषत वकया गया है?
➢ ‘िीबी मुि राजस्थान अणभयान’ में सिगश्रेष्ठ प्रदशगन करने िािे ऐ जज़िदर्ी
जजिों में कौन-सा जजिा प्रथम स्थान पर रहा है? ➢ राजस्थान में ट्रांसजें्सग की इच्छा पर लििंग पररितगन सजगरी हेतु
सीकर वकस विभाग द्वारा ‘उत्थान कोष’ बनाया गया है?
➢ मुख्यमंिी ने कहााँ पर ‘नागररक प्रलशक्षण संस्थान’ के वनमागण कायग सामाजजक न्याय एर्ं अमधकाररता वर्भार्
के लिए एक करोड़ रुपये की मंजूरी प्रदान की है ? ➢ 25 लसतम्बर, 2022 से राजस्थान के वकस बॉ्गर पर बीटििंग ररट्रीि
जमर्ारामर्ढ़, जयपुर सेरेमनी शुरू की गई?
➢ राजीि गााँधी ग्रामीण ओिम्म्पक खेिों के समापन समारोह में खाजूर्ाला, बीकानेर
कबड्डी का सिगश्रेष्ठ मवहिा एिं पुरुष ग्खिाड़ी का ग्खताब वकसे ➢ राज्य में दो टदिसीय ‘राष्ट्रीय रक्षा MSME कॉन्क्िेि’ का आयोजन
टदया गया है? कहााँ वकया गया?
सुश्री वप्रयंका एर्ं श्री सोनू कोटा
➢ राजस्थान विश्वविद्यािय की वकस प्रोफेसर को राष्ट्रीय स्तर का ➢ विश्व का पहिा ‘संस्कार केन्द्र’ राजस्थान के वकस जजिे में खोिा
‘बेस्ि िीमेन केमेस्ट्री िीचर अिॉ्ग -2022’ से सम्मावनत वकया गया जाएगा?
है? झुंझुनूाँ
डॉ. अल्का शमाग ➢ राजस्थान के सूचना प्रौद्योवगकी एिं संचार विभाग द्वारा ‘ड्रोन
➢ मुख्यमंिी ने ‘चंबि िृहद पेयजि पररयोजना’ के तहत वकन जजिों एक्सपो-2022’ का आयोजन कहााँ वकया गया है ?
में सिे एिं ्ीपीआर कायों के लिए 7.20 करोड़ रुपये की स्िीकृवत जयपुर
दी है? ➢ निीन आाँकड़ों के अनुसार दे श में ‘अमृत सरोिर योजना' को िागू
भरतपुर एर्ं धौलपुर करने में राजस्थान का कौन-सा स्थान है?
➢ बीकानेर में ‘एक पौधा सुपोवषत बेिी के नाम’ अणभयान के तहत चौथा
60 हजार बेटियों को कौन-से पौधे वितररत वकए गए हैं? ➢ पुणे में सम्पन्न ‘12िीं भारतीय छाि संसद’ में राजस्थान की वकस
सहजन शण्ससयत को विशेष सम्मान से निाज़ा गया है ?
➢ ्ायरेक्िरेि ऑफ इकोनॉममक्स एं् स्िे टिम्स्िक्स, राजस्थान की डॉ. सी. पी. जोशी
तरफ से वकए गए सिे के अनुसार सतत विकास िक्ष्य में कौन-सा ➢ ‘एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्् योजना’ में राजस्थान को
जजिा प्रथम स्थान पर रहा है? राइजजिंग स्िे ि के रूप में कौन-सा स्थान ममिा है?
कोटा दूसरा
➢ हाि ही में 5िीं साउथ एलशयन जजयोसाइंस कॉन्फ्रेंस जजयो इंम्या- ➢ राजस्थान सरकार द्वारा ‘िररष्ठ नागररक तीथगयािा योजना’ में
2022 का आयोजन कहााँ वकया गया? संशोधन करते हुए उम्र 65 िषग से बढ़ाकर वकतनी की गई है?
जयपुर 70 र्षग
➢ राजस्थान की वकतनी सीिों पर राज्यसभा सां स द चु नाि हुए ➢ हाि ही में मुख्यमंिी द्वारा जोधपुर में वकतनी नई ‘इंटदरा रसोई’ का
हैं ? शुभारंभ वकया गया है?
4 512

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ पेररस बुक फेयर में राजस्थान के वकस व्यलि की पुस्तक का ➢ केंद्रीय िन एिं पयागिरण मंिािय द्वारा राजस्थान के वकस पक्षी के
विमोचन वकया गया है? संरक्षण हेतु अणभयान चिाया जाएगा?
रहीस भारती र्ोडार्ण
➢ राजस्थान पुलिस का नया पुलिस महावनदे शक (DGP) वकसे ➢ राजस्थान के वकस विश्वविद्यािय द्वारा तीन टदिसीय राष्ट्रीय
बनाया जाएगा? तकनीकी महोत्सि ‘थार-2023’ का आयोजन वकया जाएगा?
उमेश ममश्रा राजथथान तकनीकी वर्श्ववर्द्यालय, कोटा
➢ पणिमी राजस्थान में वकस कुएाँ से भू-गभीय ऊष्मा वबजिी बनाई ➢ राजस्थान सरकार ने 9िीं से 12िीं के विद्यार्थिंयों को कॅररयर
जाएगी? संबंधी मागगदशगन दे ने हेतु दे श का पहिा कौन-सा पोिग ि शुरू वकया
रार्ेश्वरी है?
➢ राज्य सरकार ने वनजी विद्याियों में पढ़ने िािी बालिकाओं के राजीर् र्ााँधी कॅररयर पोटग ल
लिए फीस भरने हेतु कौन-सी योजना िागू की है? ➢ राज्यपाि किराज ममश्र ने ‘पीस पैिेस ओम शांवत मेम्िे शन
इंददरा शशक्त बाशलका फीस पुनभगरण योजना सेंिर’ का उद्घािन कहााँ वकया है?
➢ राज्य के विणभन्न विभागों में कायगरत संविदाकर्मिंयों को स्थायी मुरलीपुरा, जयपुर
करने के लिए कौन-सा वनयम िागू वकया गया है ? ➢ राज्य सरकार द्वारा ‘कम्युवनिी पुलिलसिंग’ के विचार को अपनाते
राजथथान कॉन्िे क्चुअल हायररिर् टू शसवर्ल पोथट रूल्स, 2022 हुए ‘पुलिस ममि योजना’ कब शुरू की गई?
➢ राज्य बजि 2022-23 में घोवषत ‘इंटदरा गााँधी शहरी रोजगार जून, 2019
गारंिी योजना’ कब िागू की गई है? ➢ राजस्थान के वकन जजिों में पोिाश के भं्ार ममिे हैं?
9 शसतम्बर सतीपुरा, हनुमानर्ढ़ व लाखासर, बीकानेर
➢ प्रधानमंिी कुसुम योजना की दृवष्ट से राजस्थान का दे श में कौन-
➢ रक्षामंिी राजनाथ लसिंह द्वारा पन्नाधाय की प्रवतमा का अनािरण
सा स्थान है?
कहााँ वकया गया है?
पहला
र्ोर्धगन सार्र, उदयपुर
➢ 9 टदसम्बर, 2022 को राज्यसभा में प्रस्तुत ‘समान नागररक संवहता
➢ राजस्थान के उपभोिाओं के लिए वकस संस्थान के माध्यम से
विधेयक-2022’ राज्य के वकस सांसद द्वारा पेश वकया गया है?
राज्य सहकारी उपभोिा भण््ार के उत्पाद ई-कॉमसग प्िेिफॉमग
वकरोड़ीलाल मीणा
पर भी उपिब्लध होंगे?
➢ ‘नोबेि शांवत पुरस्कार चैिेंज-2022’ प्रवतयोवगता में राजस्थान से
CONFED
वकसका चयन वकया गया है?
➢ राजस्थान में ‘नारी चौपाि’ की शुरुआत कहााँ से की गई?
अशीरा वर्श्वास
राजर्ढ़, अलर्र
➢ राज्य के वकस संस्थान सवहत दे श के तीन प्रमुख संस्थानों ने
➢ राजस्थान में वकस जजिा प्रशासन द्वारा 28 स्मािग िाइब्रेरी बनाई
अल्जाइमर रोग का पता िगाने का नया तरीका विकलसत वकया
जाएगी?
है?
बीकानेर
IIT, जोधपुर
➢ हाि ही में वकस दे श के संसदीय दि के सदस्यों ने राजस्थान
➢ वित्त िषग 2019-20 के बजि में घोवषत राजस्थान इिेण्क्ट्रक िाहन
विधानसभा अध्यक्ष ्ॉ. सी.पी. जोशी से मुिाकात की है ?
पॉलिसी की शुरुआत कब से की गई है?
जमगनी
1 शसतम्बर, 2022
➢ राजस्थान में िोहे ि तााँबे के भं्ार कहााँ ममिे हैं?
➢ 41िीं एलशयन ट्रे क साइण्क्िंग चैम्म्पयनलशप में राजस्थान की वकस
चााँदर्ढ़, भीलर्ाड़ा मवहिा ग्खिाड़ी ने कांस्य पदक जीता है?
➢ राजभाषा वहन्दी के लिए प्रकालशत ‘राजभाषा कायागन्ियन मोवनका जाट
टदग्दर्शिंका’ पुस्तक के िेखक कौन हैं? ➢ ‘राजस्थान एक्सपोिग प्रमोशन काउंलसि’ का अध्यक्ष वकसे बनाया
प्रो. एन. पी. पाढ़ी गया है?
➢ िल््ग वफिनेस फे्रेशन ऑफ इंम्या (WFF) द्वारा आयोजजत राजीर् अरोड़ा
10िीं ममस्िर एं् ममस इंम्या नेशनि चैंवपयनलशप में वकसने ➢ लशक्षक टदिस के अिसर पर लशक्षा मंिी ्ॉ. बी.्ी. कल्िा ने वकस
ममस्िर इंम्या का ग्खताब अपने नाम वकया है ? ममशन का शुभारंभ वकया है?
भूपेंद्र प्रताप ससिह ममशन बुवनयाद कायगक्रम
➢ 58िें सीमा सुरक्षा बि टदिस के अिसर पर वकसे राष्ट्रपवत के ➢ राजस्थान की वकस मवहिा ग्खिाड़ी ने वक्रकेि के सभी फॉमेि से
विलशष्ट सेिा पदक से सम्मावनत वकया गया है ? संन्यास िेने की घोषणा की है?
धमेन्द्र पारीक ममताली राज

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ मुख्यमंिी ने सड़क दुघगिना पीमड़तों की जीिन रक्षा के लिए वकस ➢ हाि ही में ‘राष्ट्रीय सेिा योजना पुरस्कार’ से वकस अमधकारी को
योजना की शुरुआत की है? निाजा गया है?
मुख्यमंत्री मचरंजीर्ी जीर्न रक्षा योजना डॉ. सरोज मीणा
➢ राज्य में ई-कचरे के सही वनपिान करने हेतु वकस विभाग द्वारा ➢ भारत-चीन सीमा पर मदद पहुाँचाने िािे िायुसेना के ‘मचनूक
मोबाइि एप्िीकेशन िॉन्च की गई है? हेिीकॉप्िर’ की कमान वकसे सौंपी गई है?
राज्य प्रदूषण वनयंत्रण बोडग थर्ावत राठौड़
➢ HCM रीपा में वकस पुस्तक पर हाि ही में चचाग की गई है? ➢ जयपुर में 24 लसतम्बर को आयोजजत ‘राजस्थान वफल्म फेम्स्ििि-
कममटमेंट एण्ड वक्रएदटवर्टी 2022’ में िाइफिाइम अचीिमेंि अिॉ्ग वकसे प्रदान वकया गया?
➢ सिे को जारी वकया गया है? संजय ममश्रा
मूलभूत शशक्षण सर्ेक्षण (FLS) ➢ राज्य ि दे श के हस्तलशल्प दस्तकारों द्वारा वनर्मिंत उत्पादों हेतु
➢ हाि ही में वकस मचवकत्सा संस्थान ने स्तन कैंसर के वनदान हेतु नई पहिी बार ‘लशल्पांगन क्राफ्ि बाजार’ का आयोजन वकस संस्था
तकनीक को विकलसत वकया है? द्वारा वकया गया?
IIT, जोधपुर RUDA
➢ जैसिमेर में तनोि मंटदर कॉम्पिेक्स पररयोजना का लशिान्यास ➢ 6 राज्यों की मवहिा विधायकों के प्रलशक्षण हेतु ‘जें्र रेस्पॉस्न्सि
वकसके द्वारा वकया गया है? गिनेंस कायगशािा’ का आयोजन कहााँ वकया गया है?
अममत शाह उदयपुर
➢ राजस्थान में ‘ई-ममि’ सेिा को हर घर पहुाँचाने के लिए बजि में ➢ माचग, 2023 में राजलसको द्वारा पहिे अंतरागष्ट्रीय मेिे का आयोजन
घोवषत वकस योजना की शुरुआत हुई है? कहााँ वकया जाएगा?
मुख्यमंत्री हमारी जजम्मेदारी योजना जोधपुर
➢ राष्ट्रीय स्तर पर सम्पन्न प्रवतयोवगता ‘स्िच्छ विद्यािय पुरस्कार, ➢ 2 अक्िू बर को राज्य सरकार द्वारा वकस स्तर पर मचरंजीिी सभाओं
2021-22’ से राज्य के वकतने विद्याियों को सम्मावनत वकया गया का आयोजन वकया जाएगा?
है? ग्राम पंचायत/ नर्रीय र्ाडग थतर पर
26 ➢ राजस्थान में पहिा उत्तर भारत का ’उत्कषग पंचकमग मचवकत्सा
➢ राजस्थान के वकस शहर को सोिर लसिी बनाने के लिए प्रोजेक्ि केन्द्र’ कहााँ स्थावपत वकया जाएगा?
ऊजाग स्िीकृत वकया गया है? शसलोर र्ााँर्, बूाँदी
पुष्कर, अजमेर ➢ राजस्थान की पहिी ग्राम पंचायत कौन-सी है, जहााँ वबजिी की
➢ बर्मिंघम में चि रहे कॉमनिेल्थ गेम्स में राजस्थान पुलिस की वकस सम्पूणग िाइनें अं्रग्राउं् (भूममगत) वबछाई गई हैं?
सब-इंस्पेक्िर ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता है? मांडल, भीलर्ाड़ा
पूजा शसहार् ➢ ‘यूरोवपयन सोसाइिी ऑफ ह्यूमन ररप्रो्क्शन एण्् एंवब्रयोिॉजी
➢ लशक्षा के लिए ‘प्रकाश’ अणभयान वकस जजिे में चिाया जा रहा है? संस्थान’ ने िषग 2022 में विश्व के 5 युिा राजदूतों का चयन वकया
नार्ौर है, इनमें राजस्थान के वकस व्यलि को शाममि वकया गया है ?
➢ वकसानों को जागरूक करने के लिए वकस जजिा प्रशासन द्वारा डॉ. प्रतीक मकर्ाना
‘मािी पररयोजना’ संचालित की जा रही है? ➢ दुबई सरकार की ओर से राज्य की वकस ग्खिाड़ी को आयरन
बीकानेर अिॉ्ग ममिा है?
➢ कुपोषण और एनीममया से मुलि के लिए बाड़मेर जजिे में कौन-सा पूजा वर्श्नोई
अणभयान चिाया जा रहा है? ➢ हाि ही में राजस्थान की पहिी स्काई ्ाइिर कौन बनी हैं ?
ममशन सुरक्षा चक्र सरोज र्ढ़र्ाल
➢ सामाजजक न्याय एिं अमधकाररता विभाग द्वारा मुख्यमंिी टदव्यांग ➢ राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा हैंवगिंग वब्रज कहााँ बनाया जा रहा
स्कूिी योजना की शुरुआत कब की गई थी? है?
र्षग 2021 डू ाँर्रपुर से बााँसर्ाड़ा
➢ राज्य में RTE के तहत अब राज्य में छािाएाँ कौन-सी कक्षा तक ➢ जी-20 लशखर सम्मेिन का पहिा सि इस बार राजस्थान में कहााँ
वन:शुल्क पढ़े गी? आयोजजत होगा?
12र्ीं उदयपुर
➢ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की सिाहकार सममवत का सदस्य वकसे ➢ कोिा शहर में पशुपािकों के लिए बीते टदनों शुरू की गई कौन-सी
बनाया गया? योजना दे शभर में चचाग में है?
जजतेन्द्र कुमार सोनी दे र्नारायण एकीकत आर्ासीय योजना

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ राजस्थान में तैनात सेना के वकस जिान ने कॉमनिेल्थ गेम्स में ➢ मुख्यमंिी ने ‘राजस्थान लसविि सेिा अपीि अमधकरण’ की स्थाई
गोल्् मे्ि जीता है? पीठ कहााँ स्थावपत करने की मंज़ूरी दी हैं?
जेरेमी लालररनुंर्ा जोधपुर
➢ प्रधानमंिी ने राज्य में कहााँ 735 मेगािॉि के सोिर पाकग का ➢ राजस्थान में ‘स्मािग इंम्या हैकाथॉन-2022’ का आयोजन कहााँ
लशिान्यास वकया है? वकया गया है?
नोख, जैसलमेर जयपुर
➢ राजस्थान के वकस िाइगर ररज़िग में साउथ अफ्रीका का ‘चीता ➢ राज्य सरकार द्वारा वकस स्थान पर 5 करोड़ रुपये की िागत से
प्रोजेक्ि’ चिाया जाएगा? महाराणा प्रताप पैनोरमा का वनमागण वकया जाएगा?
मुकुंदरा वहल्स टाइर्र ररज़र्ग चार्ंड, उदयपुर
➢ एलशया का सबसे बड़ा ‘यूरेवनयम फ्यूि कॉम्पिेक्स’ राजस्थान में ➢ म्जजिि माध्यम से योजनाओं की ‘सर्ििंस म्िीिरी’ में
कहााँ बनाया जा रहा है? राजस्थान का दे श में कौन-सा स्थान है?
रार्तभाटा, मचत्तौड़र्ढ़ पहला
➢ राजस्थान की स्कूिों में नए सि के साथ व्यलित्ि विकास हेतु ➢ यूनेस्को की अमूतग सांस्कृवतक विरासत सूची में शाममि करने के
कौन-सी योजना शुरू की जाएगी? लिए वकस नृत्य को नाममत वकया गया है?
एपीजे अब्दुल कलाम व्यशक्तर् वर्कास योजना र्रबा
➢ दे श की पहिी साइण्क्िस्ि कौन है, जजन्होंने ररकॉ्ग ‘िंदन- ➢ राजस्थान का सबसे बड़ा लसिी पाकग कहााँ तैयार वकया गया है ?
एम्नबगग-िंदन-2022’ में 1500 वकिोमीिर की दूरी 124 घंिे में मानसरोर्र, जयपुर
तय की है? ➢ उद्यमी भारत कायगक्रम के तहत MSME के क्षेि में राजस्थान को
रेणु ससिधी 35 में से वकतने पुरस्कार प्राप्त हुए हैं?
➢ राज्य सरकार द्वारा विणभन्न अकादममयों के अध्यक्षों की चार
वनयुलियााँ की गई हैं। राजस्थान संगीत नािक अकादमी का ➢ भारत का पहिा 3्ी वप्रिंिर राजस्थान के वकस संस्थान द्वारा
अध्यक्ष वकसे बनाया गया? विकलसत वकया गया है?
वबनाका मालू IIT, जोधपुर
➢ मुख्यमंिी द्वारा ‘मवहिा समानता टदिस’ पर वकस पहि का
➢ राजस्थान के वकस स्थान को िेििैं् घोवषत वकया जाएगा?
शुभारंभ वकया गया?
मेनार, उदयपुर
मवहला वनमध
➢ राजस्थान की वकस मवहिा ग्खिाड़ी का चयन भारतीय िॉिीबॉि
➢ ‘प्रधानमंिी आदशग ग्राम योजना’ के तहत गााँिों को आदशग बनाने
िीम में हुआ है?
के मामिे में दे श में राजस्थान कौन-से नंबर पर हैं?
र्ुंजन वबश्नोई
तीसरे
➢ ‘द वबग बुि’ नाम से प्रलसद्ध वकस शण्ससयत का वनधन हो गया
➢ राजस्थान की वकस शण्ससयत ने न्यूयॉकग (अमेररका) में सबसे
है?
ज्यादा वतरंगा फहराने का ररकॉ्ग बनाया है?
राकेश झुनझुनर्ाला
रुमा दे र्ी
➢ केंद्रीय रेिमंिी अणश्वनी िैष्णि ने राजस्थान के वकस रेििे स्िे शन
➢ राज्य वततिी घोवषत करने िािा राजस्थान दे श का कौन-सा राज्य
को िल््ग क्िास रेििे स्िे शन बनाने की घोषणा की है?
होगा?
मचत्तौड़र्ढ़
आठर्ााँ
➢ हाि ही में ‘ममस राजस्थान–2022’ का ग्खताब वकसने जीता है?
➢ राजस्थान म्जजफेस्ि-2022 में दे श के वकस पहिे कृवष ड्रोन का
तरूशी रॉय
प्रदशगन वकया गया है?
➢ राजस्थान के युिाओं में सूचना प्रौद्योवगकी िैस उद्यमशीिता को
वर्सरॉन
बढ़ािा दे ने हेतु सरकार ने ‘राजस्थान म्जीफेस्ि-2022’ का
➢ राजस्थान के वकस वकसान को ‘िृक्ष मानि राष्ट्रीय अिॉ्ग-2022’
आयोजन कब वकया?
टदया गया है?
19-20 अर्थत, 2022
सुरेन्द्र अर्ाना
➢ राजस्थान राज्य खाद्य आयोग का अध्यक्ष वकसे वनयुि वकया गया
➢ हाि ही में राजस्थान की नई ऊजाग नीवत तैयार करने हेतु गटठत
कमेिी के अध्यक्ष कौन बने हैं? है?
भाथकर ए. सार्ंत र्ाजजब अली
➢ वहिंदुस्तान पेट्रोलियम वनगम लिममिे ् [HPCL] ने राजस्थान में ➢ दे श में ए्िांस तकनीक युि पहिा वफवनलशिंग स्कूि कहााँ शुरू
अपनी पहिी बायोगैस पररयोजना कहााँ शुरू की है? वकया गया है?
सांचौर, जालोर जयपुर

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ राजस्थान में पेयजि वितरण एिं मीिररिंग लसस्िम को बेहतर बनाने ➢ राजस्थान में ‘िि-कुश िाटिकाओं’ का वनमागण कायग कब से
हेतु वकस दे श की सहायता िी जाएगी? प्रारम्भ वकया गया?
डेनमाकग 1 जुलाई, 2022
➢ मथुरा में बन रही भगिान कृष्ण की 108 फीि ऊाँची प्रवतमा के ➢ ‘पीएम मेगा इंिीग्रेिे् िे क्सिाइि रीजन एं् अपारेि पाकग’
मूर्तिंकार कौन है? राजस्थान में कहााँ स्थावपत वकया जाएगा?
वर्ष्णु प्रकाश शमाग जोधपुर
➢ राज्य जनजावत क्षेिीय विकास विभाग द्वारा वकस क्षेि को ‘इको ➢ एक्सपिग प्रमोशन काउंलसि फॉर हैं्ीक्राफ्िस की ओर से जोधपुर
िू ररज्म’ बनाने की घोषणा की गई है? के वकतने वनयागतकों को ‘हाईएस्ि एक्सपोिग अिॉ्ग’ से सम्मावनत
समाई माता वकया गया है?
➢ उत्तर-पणिम रेििे जोन का पहिा ‘रेि कोच रेस्िोरेंि’ कहााँ शुरू 5
वकया गया? ➢ आजादी अमृत महोत्सि के तहत सिागमधक कायगक्रम आयोजजत
बाड़मेर रेलर्े थटे शन कर पोिग ि पर अपिो् करने की श्रेणी में कौन-सा राज्य सबसे
➢ रेि मंिािय द्वारा बनाई जाने िािी ‘तरंगा वहि-अंबाजी-आबू आगे हैं?
रो्’ नई रेि िाइन राज्य के वकस जजिे से होकर गुजरेगी? राजथथान
शसरोही ➢ राजस्थान सरकार द्वारा बच्चों को म्जजिि माध्यम से लशक्षा
➢ राजस्थान विधानसभा में बने म्जजिि संग्रहािय का िोकापगण प्रदान करने के लिए राज्य के सभी जजिों में कौन-सा कायगक्रम
वकसके द्वारा वकया गया? चिाया जाएगा?
एन. बी. रमन्ना ममशन बुवनयाद कायगक्रम
➢ राज्य के वकस तकनीकी संस्थान ने िीलथयम बैिररयों के विकल्प ➢ राजस्थान सरकार द्वारा राज्य की सभी ग्राम पंचायतों के भिनों
की खोज की है? को वकस रूप में विकलसत वकया जाएगा?
IIT, जोधपुर पंचायत ममनी समचर्ालय
➢ ट्रे िि एं् िेजर मैग्जीन-2022 सिे के अनुसार राजस्थान के वकन ➢ राजस्थान में राष्ट्रीय हिाई खेि नीवत के अनुसार हॉि एयर बैिूवनिंग
दो शहरों को दुवनया के िॉप-10 की सूची में स्थान ममिा है? के लिए हिाई क्िस्िर कहााँ विकलसत वकया जाएगा?
जयपुर-उदयपुर पुष्कर, अजमेर
➢ CSE ररपोिग के अनुसार सेहत, लशक्षा ि जीिनशैिी के तहत गरीब ➢ राजस्थान के मवहिा अमधकाररता विभाग द्वारा छाि-छािाओं के
राज्यों की श्रेणी में राजस्थान का कौन-सा स्थान है? सिाांगीण विकास के लिए वकसका आयोजन वकया गया है ?
छठा थपंदन-2022
➢ आध्यास्त्मक क्षेि पयागिरण संस्थान की ओर से 33िााँ ‘िृक्ष बंधु ➢ शूटििंग बॉि खेि के लिए एलशया कप का आयोजन राजस्थान में
पुरस्कार’ वकस संस्थान को टदया गया है? कहााँ वकया जाएगा?
आफरी, जोधपुर सर्ाई मानससिह थटे मडयम, जयपुर
➢ राजस्थान के वकस गााँि के विद्यािय ने भारत सरकार के ‘स्िच्छ ➢ राज्य सरकार ने ‘अल्ट्रामेगा ररन्यूएबि एनजी पाकग’ के लिए
विद्यािय पुरस्कार योजना’ श्रेणी का राज्य में पहिा स्थान प्राप्त वनम्नलिग्खत में से वकस कंपनी के साथ समझौता वकया है?
वकया है? कोल इस्ण्डया शलममटे ड व ऑयल इस्ण्डया शलममटे ड
छोटू र्ााँर्, बाड़मेर ➢ राज्य के आग्खरी सफेद बाघ की मृत्यु वकस जैविक उद्यान में हुई
➢ राजस्थान वफल्म िू ररज्म प्रमोशन पॉलिसी-2022 का शुभारंभ कब है?
वकया गया? नाहरर्ढ़ जैवर्क उद्यान, जयपुर
22 जुलाई, 2022 ➢ राजस्थान के वकस विश्वविद्यािय ने वफनिै क में म्ग्री एिं म्प्िोमा
➢ नीवत आयोग की ओर से जारी इनोिेशन इं्ेक्स में राज्यों की श्रेणी कोसग शुरू वकए हैं?
में राजस्थान को कौन-सा स्थान ममिा है? जयनारायण व्यास वर्श्ववर्द्यालय, जोधपुर
12र्ााँ ➢ राजस्थान में ‘स्िच्छ विद्यािय–स्िस्थ विद्यािय’ कायगक्रम वकस
➢ राजस्थान के पहिे िचुगअि कोिग का उद्घािन वकसके द्वारा वकया जजिे में शुरू वकया गया है?
गया है? पाली
संभाजी शशर्ाजी सशिदे ➢ राज्य में मवहिाओं हेतु ‘पुकार’ निाचार अणभयान वकस जजिे में
➢ राजस्थान के पहिे रीजनि कैंसर इंस्िीट्यूि का वनमागण कहााँ चिाया जा रहा है?
वकया जा रहा है? बीकानेर
जोधपुर

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अमधवनयम (NFSA) हेतु जारी राज्य रैंवकिंग ➢ 4 निम्बर, 2022 से राजस्थान पयगिन विभाग की ओर से तीन
सूचकांक के पहिे संस्करण में राजस्थान को कौन-सा स्थान टदिसीय ‘िागड़ महोत्सि’ कहााँ आयोजजत वकया गया था?
ममिा है? डू ाँर्रपुर
15र्ााँ ➢ हाि ही में लशक्षा मंिािय द्वारा जारी भारत की स्कूिी लशक्षा पर
➢ उत्तरी क्षेिीय पररषद की 30िीं बैठक का आयोजन राज्य में कहााँ ‘एकीकृत जजिा लशक्षा सूचना प्रणािी प्िस (UDISE+) ररपोिग
हुआ है? 2021-22’ के अनुसार राजस्थान का िेिि-2 रेटििंग में कौन-सा
जयपुर स्थान है?
➢ प्रधानमंिी नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के वकस जजिे को ‘एस्स्परेशनि पााँचर्ााँ
म्स्ट्स्ट्रक्ि’ की श्रेणी में दूसरा स्थान पाने के लिए सम्मावनत वकया ➢ राज्य सरकार द्वारा ‘फ्री स्मािग फोन योजना’ की शुरुआत कब से
है? की गई है?
करौली 12 नर्म्बर, 2022
➢ निीन संसद भिन पर स्थावपत अशोक स्तम्भ के मूर्तिंकार कौन ➢ 02 अक्िू बर, 2022 से राजस्थान में कौन-सा अणभयान चिाया
हैं? गया है?
लक्ष्मण व्यास मैं भी हूाँ बाल सरपंच
➢ दुवनया की नंबर–1 पहििान का ग्खताब राज्य की वकस मवहिा ➢ राज्य के सरकारी स्कूिों में श्रीमती इंटदरा गााँधी की जयंती पर
ग्खिाड़ी को टदया गया है? वकस खेि की शुरुआत की गई?
सररता मोर शतरंज
➢ राज्य की वकस Gi िै ग िस्तु का IPO िॉन्च वकया गया है? ➢ विश्व में अपनी तरह का अनूठा ‘ऑक्सीज़ोन लसिी पाकग’ कहााँ
बीकानेरी भुजजया बनाया गया?
➢ ‘धू िी िं द ना कायग क्र म’ राज्य के वकस प्रलसद्ध स्थि से सं बं मधत कोटा
है ? ➢ धूिखेड़ा जीवपया में िोहे के नए भं्ार ममिे हैं, यह राजस्थान के
मानर्ढ़ धाम, बााँसर्ाड़ा वकस जजिे में है?
➢ भारतीय िायु सेना और फ्रांसीसी िायुसेना तथा अंतररक्ष बि भीलर्ाड़ा
(FASF) का संयुि िायुसेना अभ्यास ‘गरुड़’ के सातिें संस्करण ➢ हाि ही में राजस्थान में राष्ट्रीय महत्त्ि का स्मारक वकसे घोवषत
का आयोजन कहााँ हुआ है? करने के लिए केन्द्र सरकार को पि लिखा गया है?
जोधपुर र्ायु सेना थटे शन मानर्ढ़ की पहाड़ी
➢ राजस्थान सरकार की आई-स्िािग योजना का संचािन वकस ➢ 18िीं राष्ट्रीय स्काउि गाइ् जंबूरी का आयोजन कहााँ वकया
विभाग द्वारा वकया जा रहा है? जाएगा?
सूचना एर्ं प्रौद्योवर्की वर्भार् रोहट, पाली
➢ उपराष्ट्रपवत जगदीप धनखड़ ने वकसे दे श के पहिे ‘्ॉ. राजेन्द्र ➢ संरक्षण के लिए चर्चिंत आटदबद्री और कनकांचि पिगत वकस जजिे
प्रसाद अिॉ्ग’ से सम्मावनत वकया है? में ण्स्थत है?
प्रो. रमेश अरोड़ा भरतपुर
➢ हाि ही में जारी आाँकड़ों के अनुसार राजस्थान का लशशु ➢ राजस्थान में प्रदे श का पहिा और दे श का तीसरा ‘मवहिा वित्तीय
लििंगानुपात 888 से बढ़कर वकतना हो गया है? संस्थान’ स्थावपत करने के लिए स्िीवनमध तेिंगाना ने वकस संस्था
947 के साथ MoU वकया है?
➢ राजस्थान पयगिन विभाग एिं यूनेस्को के संयुि तत्त्िािधान में राजीवर्का
कािबेलिया संगीत और नृत्य उत्सि कायगक्रम का आयोजन कब ➢ हाि ही में मुख्यमंिी ने खेि एिं ग्खिामड़यों के उन्नयन की टदशा
वकया गया? में वकस संशोधन को मंजूरी प्रदान की है ?
5 र् 6 नर्म्बर, 2022 राजथथान आउट ऑफ टनग अपॉइंटमेंट टू थपोट्ग स मैडल वर्नसग रूल्स,
➢ राजस्थान में सबसे ऊाँचा राष्ट्रीय ध्िज (213 फीि) कहााँ िगाया 2017
गया है? ➢ राजस्थान का पहिा ‘सैं्-आिग पाकग’ कहााँ बनेगा?
शसटी पाकग, जयपुर पुष्कर, अजमेर
➢ राजस्थान के वकस कुिपवत को गुजरात में आयोजजत एक ➢ फू् सेफ्िी एं् स्िै ण्््ग अथॉररिी ऑफ इंम्या (FSSAI) द्वारा
समारोह में ‘श्रेष्ठ लशक्षक-2022’ के अिॉ्ग से सम्मावनत वकया गया राज्य के वकस रेििे स्िे शन को ‘Eat Right’ स्िे शन का दजाग टदया
है? गया है?
प्रो. संजीर् शमाग जयपुर रेलर्े थटे शन

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तृतीय श्रेणी अध्यापक (मुख्य परीक्षा) परीक्षोपयोगी 2100 महत्त्वपूर्ण तथ्य
➢ राजस्थान में मवहिा समानता टदिस कब मनाया जाएगा? ➢ भूममहीन कृवष श्रममकों को ‘कौशि विकास और क्षमता वनमागण’
26 अर्थत, 2022 का प्रलशक्षण दे ने हेतु राज्य सरकार ने कृवष बजि, 2022-23 में
➢ उपराष्ट्रपवत जगदीप धनखड़ द्वारा भारत का पहिा म्जाइनर घोवषत कौन-से ममशन की शुरुआत की है?
इनोिेशन नेशनि अिॉ्ग वकसे टदया गया? राजथथान कवष श्रममक सम्बल ममशन
धमेन्द्र भल्ला ➢ केरि में आयोजजत 65िीं नेशनि शूटििंग चैंवपयनलशप में राजस्थान
➢ हाि ही में घोवषत राष्ट्रीय संगीत नािक अकादमी पुरस्कार-2022 की वकस ग्खिाड़ी ने 2 पदक जीते हैं?
में राजस्थान के वकतने किाकारों को सम्मावनत वकया जाएगा? मोवनका जाखड़
5 ➢ मुख्यमंिी ने राज्य की वकस तहसीि को सूखा या अभािग्रस्त
➢ ऑस्ट्रे लिया-भारत का कौन-सा पहिा युद्धाभ्यास महाजन घोवषत वकया है?
फायररिंग रेंज में प्रारंभ हुआ है? पाली तहसील
ऑथिा वहन्द–22 ➢ नई टदल्िी में आयोजजत 65िीं राष्ट्रीय शूटििंग चैम्म्पयनलशप
➢ हाि ही में भारत के रजजस्ट्रार जनरि (RGI) द्वारा जारी ‘MMR प्रवतयोवगता में राजस्थान के वकन ग्खिामड़यों ने गोल्् मे्ि जीता
बुिेटिन’ के अनुसार राजस्थान ने दे श में सिागमधक वकतने अंकों है?
की वगरािि दजग की है? वर्र्ान कपूर, ददव्यांश पाँर्ार
28 ➢ टदव्यांगजन सशिीकरण हेतु िषग 2022 में उत्कृष्ट कायग करने के
➢ 30 निम्बर, 2022 को राज्य स्तरीय ‘ट्रांसजेण््र उत्सि’ का लिए राष्ट्रपवत द्वारा सिगश्रेष्ठ जजिे का पुरस्कार वकसे प्रदान वकया
शुभारंभ कहााँ वकया गया है? गया है?
अलर्र अलर्र, DM-डॉ. जजतेन्द्र कुमार सोनी
➢ राजस्थान पयगिन विभाग द्वारा ‘कुम्भिगढ़ महोत्सि’ का
➢ राजस्थान में ई-फाइलििंग िागू करने िािा पहिा जजिा कौन-सा
आयोजन कब वकया जा रहा है?
है?
1 से 3 ददसम्बर, 2022
जयपुर
➢ गोिा में आयोजजत ‘53िें भारतीय अंतरागष्ट्रीय वफल्म महोत्सि’ के
➢ 1 निम्बर, 2022 को मुख्यमंिी ने पयगिन की दृवष्ट से महत्त्िपूणग
‘NFDC वफल्म बाजार’ में राजस्थान की वकस शॉिग वफल्म का
वकस शहर में ‘सात अजूबे’ का उद्घािन वकया है?
प्रदशगन वकया गया है?
अजमेर
र्ॉसशिर् मशीन
➢ राजस्थान की पहिी नगर वनकाय (नगर पररषद) कौन-सी है जहााँ
➢ राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रवतयोवगता अं्र–14 में राज्य के वकस ग्खिाड़ी
विधानसभा की तजग पर ऑनिाइन सिाि-जिाब करने की
ने दो स्िणग एिं एक रजत पदक जीता है?
शुरुआत हुई है?
अथर्ग शमाग
सीकर नर्र पररषद्
➢ राज्य की वकस छािा का चयन रोिन विश्वविद्यािय, न्यू जसी
➢ हाि ही में राजस्थान पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित
(अमेररका) में स्कॉिरलशप कोिे से हुआ है?
योजनाओं के अििोकन के लिए वकस राज्य का 28 सदस्यीय
ररयांशी बर्मड़या
प्रवतवनमध दि आया था?
➢ FICCI ने राजस्थान के वकस ग्खिाड़ी को ‘पैरा स्पोिग स पसगन
केरल
ऑफ द ईयर-2022’ पुरस्कार से निाज़ा है?
➢ दे श का पहिा हाईवब्र् पिन और सौर ऊजाग संयंि कहााँ शुरू
अर्वन लेखरा
वकया जा रहा है?
➢ IIT, जोधपुर द्वारा वकस संस्था के साथ ममिकर ‘उद्योग-
अकादममक उत्कृष्टता केंद्र’ स्थावपत वकया जाएगा? जैसलमेर
DRDO ➢ IIT, जोधपु र ने वकस विश्वविद्यािय के साथ ममिकर माताओं
➢ जयपुर की जीिन रेखा के नाम से प्रलसद्ध ‘द्रव्यिती नदी और लशशु ओं के स्िास्थ्य हे तु एक नया प्रोग्राम विकलसत वकया
पररयोजना’ के लिए मैंिेनेंस और सफाई के लिए वकसके साथ है ?
MoU हुआ है? Western Michigan University, USA
TATA Group ➢ iStart राजस्थान ने राज्य उद्यममयों को सशि बनाने के लिए
➢ राजस्थान का पहिा स्िचालित रोप-िे कहााँ बनाया जा रहा है? वकस कायगक्रम को िॉन्च वकया है?
खोले के हनुमानजी का मजन्दर, जयपुर QRrate प्रोग्राम
➢ पणिमी सीमा पर पहिी बार थि सेना, िायु सेना और BSF ने ➢ राज्य सरकार ने ‘राजस्थान पयगिन इकाई नीवत-2015’ की
वकस संकल्प के तहत संयुि अभ्यास वकया है ? कायगशीि अिमध को कब तक बढ़ाया है?
संयुक्त राष्ट्र 31 मई, 2024

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