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राजस्थान के स्मारक (प्रमुख स्तंभ)

विजय स्तंभ (विक्ट्री टािर) (चितौड़गढ़)


🏆अन्य नाम- मर्ू तियों का अजायबघर/ भारतीय मर्ू तिकला का विश्िकोश/विक्ट्री स्तंभ/ विष्णु ध्िज/विष्णु स्तंभ(प्रथम
मंजिल पर विष्णु मंदिर होने के कारण) आदि।
🏆जथथत- चित्तौड़गढ़ दग
ु ि में एक थतंभ (टािर) के रूप में । (भगिान विष्णु को समवपित)
🏆र्नमािण (1440 - 48)- महाराणा कंु भा द्िारा (RSSB)
🏆ननमािण का कारण- महाराणा कंु भा द्िारा मालिा (शासक महमूि खिलिी प्रथम) और गुजरात की संयुक्त सेनाओं
पर वििय के उपलक्ष में। (सारं गपुर का युद्ध 1437)
🏆(122 फीट ऊंचा (37.19 मीटर), 9 मंजजला,(RSSB) 157 सीढढ़या, डमरू के आकार का)
🏆िाथतक
ु ार- जेता ि उसके पत्र
ु नापा, पंज
ु ा (मंडन के मागििशिन में )
🏆पुनर्निमािण-1852 में बििली गगरने से क्षनतग्रथत होने पर महाराणा स्िरूपससंह द्िारा।
🏆इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्िकोश (डॉ.गटि ज द्िारा) तथा दहंि ू िे िी-िे िताओं का अिायिघर कहा िाता है ।
🏆गोपीनाथ शमाि ने इसे ढहंद ू दे िी-दे िताओं से सिाया हुआ व्यिजस्थत संग्रहालय कहा है ।
🏆गौरीशंकर हीरािंद ओझा ने पौराणणक दे िताओं के अमल् ू य कोष की संज्ञा िी है ।
🏆मुख्य द्िार पर भगिान विष्णु की प्रनतमा होने के कारण वििय थतंभ को विष्णु ध्िज (डॉ.उपें द्र नाथ द्िारा) भी
कहा िाता है।
🏆यह 9 मंजिला है। तीसरी मंजजल पर 9 बार अल्लाह ललिा (अरबी भाषा में ) हुआ है ।
🏆थतंभ की पांििी मंजजल पर िास्तुकारों के नाम िुिे हैं।
🏆जिसमें जेता तथा उसके तीन पुत्रों नापा, पुंजा,पोमा के नाम पांचिी मंजिल पर िुिे हुए हैं। (RSSB)
🏆इसकी आठिीं मंजिल पर भी कुछ ललिा हुआ नहीं है ।
🏆इस थतंभ की निी मंजजल पर कीर्ति स्तंभ प्रशजस्त ललिी है । इसके लेखक अत्री और महे श भट्ट थे।
🏆इन िोनों को अभी-कभी के नाम से भी िानते हैं।
🏆वििय थतंभ की ऊपरी मंजिल पर गचत्तौड़गढ़ के शासकों और उनके कामों के िारे में िानकारी िी गई है
🏆वििय थतंभ की सिसे ऊंची मंजिल पर रानी पद्मािती की एक छवि शालमल है ।
अन्य तथ्य
🏆यह कुतुब मीनार से भी बेहतरीन इमारत है - कनिल जेम्स टॉड।
🏆भारतीय राष्रीय आंिोलन के िौरान वििय थतंभ ने क्ांर्तकाररयों के सलए प्रेरणा स्त्रोत का कायि ककया। (क्ांनतकारी
वििय थतंभ के नीचे शपथ लेते थे।)
🏆अगथत 1949 को ₹1 का डाक ढटकट िारी ककया गया। (रािथथान की प्रथम इमारत)
🏆यह राजस्थान पुसलस और राजस्थान माध्यसमक सशक्षा बोडि के प्रतीक चिन्ह में शालमल है ।
ईसरलाट (सरगासल
ू ी) (जयपरु )
🏆ईसरलाट’ उर्फि ‘सरगासूली’ का ननमािण िषि 1749 में महाराजा ईश्िरी ससंह ने ियपुर के गह
ृ युद्धों(राज महल युद्ध) में
विरोधी सात दश्ु मनों (मराठे भी शासमल) पर अपनी तीन विियों के िाि करिाया था।
🏆यह सात मंजजला अष्टकोणीय मीनार बिपोललया िािार में दििाई िे ती है , लेककन इसका प्रिेश द्िार आर्तश बाजार
में से है । ियपरु के आर्तश माकेट जस्थत है । सात मंजजला जयपरु शहर की सबसे ऊंिी मीनार।
🏆अपने समय की इस अिूिा इमारत का ननमािण राजसशल्पी गणेश खोिान ने ककया था।
🏆अपनी उं चाई से थिगि तक पहुंचने का आभास िे ने के कारण इस इमारत को सरगासूली भी कहा गया।

सुशील (व्याख्याता)
Selected (2nd grade teacher 2018 & 2 time 3rd grade teacher)
जैन कीर्ति स्तंभ (टॉिर ऑफ फेम/ प्रससद्धता का स्तंभ/ आढदनाथ स्मारक) चित्तौड़गढ़
🏆प्रथम जैन तीथंकर आढदनाथ को समवपित है । यह वििय थतंभ से भी पुराना है ।
🏆यह थमारक सात मंजजला और 75 फीट है ।
🏆र्नमािण- 12 िीं शताब्िी में ढदगंबर संप्रदाय के िघेरिाल महािन के पुि जीजाक द्िारा करिाया गया।
धमि स्तूप (लाल घण्टाघर) (िूरू)
🏆ननमािण -थितंिता सेनानी स्िामी गोपाल दास ने 1925 में रामनिमी के दिन करिाया।
🏆चूरू शहर में इंद्रमणण पाकि के पास जथथत इस धमि थतूप को लाल घंटाघर के नाम से भी िाना िाता है ।
🏆धमि थतूप के अंिर भगिान कृष्ण, बुद्ध, महािीर, गुरुनानक, जगदं बा और शंकरािायि की मूनति लगी है ।
🏆िे श के थितंिता संग्राम से संिंगधत घटनाएं भी थतूप से िुड़ी हैं।
विजय स्तंभ, तनोट (जैसलमेर)
🏆तनोट दे िी मंढदर के सामने भारत पाककस्तान के 1965 के युद्ध में भारत विजय का प्रतीक विजय स्तंभ थथावपत
ककया गया है। (RSSB) तनोट िे िी मंदिर में सेना तथा सीमा सुरक्षा िल के ििान पूिा करते हैं।
🏆िैसलमेर के सेना के ििानों की िे िी के रूप में भी विख्यात इन िे िी को थार की िैष्णो दे िी भी कहा िाता है ।
धौलपरु का शाही घंटाघर (र्नहाल टािर)
🏆सन 1880 में तत्कालीन धौलपुर नरे श महाराजा र्नहाल ससंह ने इस इमारत की नींि रिी थी।
🏆जिसे 1910 तत्कालीन महाराज रामससंह ने पूरा कराया।
🏆सात धातओ ु ं से िना यह भारत का सबसे बड़ा घंटाघर है । इसकी घड़ी का ननमािण इंग्लैंड में हुआ था।
🏆घड़ी में लगे घंटे का ििन लगभग 600 ककलोग्राम है ।
🏆घंटे की ध्िनन इतनी तेि है कक इसकी आिाि 9 ककलोमीटर िरू तक सुनी िा सकती है ।
🏆सात मंजजल की इस इमारत में टॉप पर एक छतरी लगी है ।
🏆इस छतरी में घंटा लगा हुआ है । इसकी ऊंचाई करीि 150 फीट है ।
🏆धौलपुर की घड़ी संसार की सबसे बड़ी एिं सिािचधक ऊंिाई पर जथथत घड़ी है ।
🏆ननहाल टािर दहंि-ू मुजथलम शैली का उत्कृष्ट नमूना है ।
िैली टािर घंटाघर (कोटा)
🏆र्नमािण-महाराि उम्मेद ससंह द्वितीय के समय। इसे कोटा की प्रथम एिं आधुर्नक इमारत िताया िाता है ।
🏆कोटा ररयासत में िैली पोसलढटकल एजेंट ननयुक्त थे। िैली ने ही इसका ननमािण अपनी िे िरे ि में कराया था।
🏆उसी के नाम पर इसे िैली टािर कहा िाता है।
जब
ु ली क्ट्लॉक टॉिर, अजमेर
🏆अजमेर रे लिे स्टे शन के ठीक सामने संगमरमर ननलमित है। क्लॉक टॉिर 1888 में महारानी विटोररया की स्िणि
जयंती पर ननलमित है ।
रामगढ़ टािर, जैसलमेर
🏆िैसलमेर जिले के रामगढ़ नामक थथान पर राजस्थान का सबसे ऊँिा टी. िी. टािर स्थावपत ककया गया है ।
🏆इसकी ऊंिाई 300 मीटर है। रामगढ़ टािर दे श का तीसरा सबसे ऊँिा टी.िी. टािर है ।
अधर खम्भ, नागौर
🏆अधर िम्भ, नागौर जिले के गोठ मांगलोद गाँि में दचधमती माता मंढदर में जथथत है
🏆यह चोथी शताब्िी में गुप्त युग का माना िाता है।
🏆अधर खम्भ जमीन से कुछ ऊपर उठा हुआ है इसललए इसे अधर िम्भ कहा िाता है ।

सुशील (व्याख्याता)
Selected (2nd grade teacher 2018 & 2 time 3rd grade teacher)
भीमलाट, बयाना (भरतपुर)
🏆भीमलाट भरतपुर के बयाना दग
ु ि में लाल पत्थरों से ननलमित एक ऊँचा टािर है । इस विजय स्तंभ कहा िाता है
🏆भीमलाट का ननमािण िाट शासक “महाराजा विष्णि
ु धिन” ने 528 ई में हुंण शासक लमदहरकुला को हराने पर
उपलक्ष में िनाया था।
समुंद्रगुप्त का विजय स्तम्भ – बयाना दग
ु ि ( भरतपुर)
🏆समद्र
ु गप्ु त द्िारा इस दग
ु ि में "विजय स्तम्भ"का र्नमािण करिाया जो राजस्थान का प्रथम विजय स्तम्भ है ।
अन्य स्मारक
🏆लोधी मीनार - बयाना दग
ु ि (भरतपुर)
🏆िेली टािर - कोटा
🏆धमि स्तप
ू - िरू

🏆परमार कालीन कीर्ति स्तम्भ - जालोर
🏆गमता गाजी- जोधपुर
🏆गल
ु ाब कलंदर - जोधपरु
🏆भिड़
ू ला (प्रतापगढ़) में िीरों का स्मारक स्तंभ बना हुआ है । (RSSB)
🏆अशोक स्तंभ - जयपुर में
🏆सफदरजंग- अलिर
🏆नेहर खाँ की मीनार- कोटा
🏆गुलर कालूकादान मीनार - जोधपुर
🏆अथुन
ि ा का दीप स्तंभ- बांसिाड़ा
🏆गड़रा का शहीदी स्मारक- बाड़मेर (1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद रे ल कमििाररयों का स्मारक)

सुशील (व्याख्याता)
Selected (2nd grade teacher 2018 & 2 time 3rd grade teacher)

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