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एक ऐसा रिश्ता जिसका कोई नाम नह .

ीं

..जिव्या ऑजिस से घि लौटकि ताला खोलकि घि में घुस तो िात है पि आगे क्या किना है उसे कुछ समझ नह ीं
आ िहा है काि थक हुई है कुछ काम से तो कुछ उिास से। बैग पटककि कुछ सोचते हुए अपने रूम के एक
कोने में जटक कि बैठ िात है । ि वाि पि लगे िोटोि को गौि से िे खकि आीं खोीं से आीं सू बहाने लगत है। जिव्या
आीं सुओीं को िोकने क कोजिि कि िह ीं थ ीं पि आीं सुओीं को भ पता था जक जिव्या आि मह नोीं बाि ह तो िुससत में
घि में अकेल है इसजलए जितना बह िाएगे उतना ह उसका मन हल्का हो िाएगा क्योजक जिव्या क जिन्दग में िो
ह तो लोग है जिनके सामने वो िो ले त है अपन हि बात िे यि कि ले त है बाक लोगोीं ने तो उसे हीं सते हुए ह िे खा
है । उन िो लोगोीं में एक जिव्या के पापा जिनके जलए जिव्या बेट नह ीं बल्कल्क एक बेटा है औि िू सिा जगि ि। जगि ि
के साथ उसका क्या रिश्ता था ये वो भ नह ीं िानत ।..आि भ वो जगि ि के जलए औि जगि ि के सामने ह िो िह
है । ये बात अलग है जक सामने जगि ि नह ीं उसक तस्व ि है । बात उन जिनोीं क है िब जिव्या काले ि क पढ़ाई
खत्मकि नोएडा में िॉब क तलाि में आई थ । तब वो नोएडा में नई-नई आई थ । नोएडा से परिजचत भ नह ीं थ
इस जलए चाचा-चाच के घि िहने लग । चाचा के घि में जिव्या क िगह बन चुक थ पि जिव्या को लगता जक कह ीं
उसक विह से चाचा ि पि एक्सटर ा बडस न तो नह ीं पड़ िहा। िल्द ह टर े जनीं ग खत्म होते ह उसे एक छोट स िाब
भ जमल गय । उसने अलग िहने के जलए कहा पि चाचा ि को मीं िूि नह ीं जक जिव्या अलग िहें । उनके पास जिव्या
को अलग न िहने िे ने के हिाि बहाने थे , जिसमें प्रमु ख थ उनक केयि।..जिव्या को डे ल अपडाउन किने में
प्राब्लम होत थ पि क्या किें । तभ जिव्या का छोटा भाई जवभू जिसने 12व क पि क्षा ि थ । जवभू का मन पढ़ाई में
जबल्कुल नह ीं लगता था। वह िाब किना चाहता था जिस क विह से जिव्या के पास आ गया। जिव्या ने जवभू क
िॉब अपने ऑजिस के पास ह लगवा ि ।..अब जिव्या को अलग िहने का ऑपिन जमल गया। उसने अपन
ऑजिस के आस-पास ह िो त न कमिे िे खे थे उनमें से ह एक को िाइनल किने वाल थ तभ उसके िोस्त
जवमल का िोन आया। उसने रूम जिल्कटींग का सािा मै टि जवमल को बताया। तो जवमल ने जिव्या से कहा, ‘‘तुम
रूको, िहाीं तुमने कमिे िे खें है वह ीं पास में मे िे एक भईया िहते हैं । मैं उन से बात किके बताता हीं । तब जिट
किना।’’ जिव्या ने जवमल के मुींह से कई बाि जवमल के मु हबोले भाई जगि ि के बािे में सुन िखा था। एक िो बाि
उसने जवमल के साथ जगि ि के िोटोि भ िे खें थे। जिव्या इससे पहले जगि ि से जमल चुक थ पि उसने जगि ि से
बात नह ीं क थ । जिव्या ने जवमल को बोला ठ क है िब जगि ि रिप्लाई किें तब मैं हाीं कि िू ीं ग । कई जिन हो गये
जवमल का या जगि ि का कोई रिप्लाई नह ीं आया तो जिव्या ने झुींझला कि जवमल को िोन जकया जक क्या हुआ?
उधि ऐरिया सह न होने के कािण जगि ि ने मना कि जिया औि अपने घि का ऑपिन जिया। जिव्या को अि ब
लगा उसने बात आय गई कि ि । पि जवभू के साथ होने क विह से उसे िल्द अलग जिट होना था। इसजलए
िाइनल घि वालोीं को बात कि समझाया औि जिव्या जगि ि के साथ िहने आ गय ।..जगि ि अपने काम के
जसलजसले से हि िोि घि नह ीं आ पाता था पि जिव्या क तजबयत खिाब होने क विह से िात को घि आने लगा।
जिव्या औि जगि ि सोने से पहले पॉजलजटक्स औि कई किे न्ट इश्यू ि पि चचास किते थे सुबह में जिव्या औि जवभू
ऑजिस चले िाते थे तब जगि ि सोकि उठता था, िात में जगि ि 11 बिे के बाि आता था। वैसे िायि सो भ िात
पि ड एनए िात 11:30 से 12:30 पि आता था। इसजलए वह जगि ि के आने का इन्तिाि भ कित थ । ध िे -ध िे
वक्त गुििता गया। जिव्या औि जगि ि एक िू सिे के बािे में बहुत कुछ िानने भ लगे थे । पि जिव्या को जगि ि का
पास्ट िानने क जिज्ञासा थ । आल्कखि वो जिन भ आ ह गया- जगि ि अपने एक जटर प के बािे में बता िहा था जक
जिव्या ने पूींछ ह जलया जक िुरूआत कहाीं से हुई औि क्या हुआ? बस जिव्या का पूींछना जगि ि िै से सब कुछ
बताना ह चाहता हो। काि समय तक जगि ि बताए िा िहा था औि जिव्या सुन िह ीं थ । सुनते -2 जिव्या क
आीं खोीं में आीं सू आ गये। िब उसने जगि ि का चेहिा िे खा तो जगि ि क आीं खें भि थ ीं वो छु पाने क कोजिि कि
िहा था पि कि नह ीं पाया।..जिव्या पान क बोतल पकड़ा .... अपने कमिे में चल गय । उस िात जिव्या ने 2:30
तक जगि ि को िोते सुना था। जिव्या को खु ि पि बहुत गुस्सा भ आया जक उसने क्योीं पूछा। पि उस के बाि जिव्या
क लाईि में सब कुछ बिल गया था उसे यक न नह ीं हो िहा था जक क्या सच में कोई लड़का इतना लॉयल हो
सकता है । उसे तो लड़को पि भिोसा ह नह ीं था। उस घटना के बाि जिव्या जगि ि क पहले से कह ीं ज्यािा इज्जत
किने लग थ औि जगि ि पि अपन डायि से ज्यािा भिोसा किने लग थ । जिव्या ने डायि जलखना छोड़ जिया
था क्योींजक अब उसने अपन डायि जगि ि को बना जलया था।..िो मह ने यूह ीं गुिि गए। जगि ि का बथस डे आने
वाला था जिव्या कुछ सोचत उससे पहले ह जिव्या को पता चला जक िायि बथस डे वाले जिन जगि ि घि ह नह ीं
आएगा। पि कहते है न जक जिल से चाहोीं तो कुछ भ मु जिजकल नह ,ीं बथस डे से एक जिन पहले जगि ि क तजबयत
खिाब हो गय औि जिव्या क भ छु टट थ । जिव्या जगि ि को इस हालत में नह ीं िे ख पा िह थ वो जगि ि के
आसपास ह थ औि सच तो यह था जक वह उस जिन जगि ि के कि ब पहुीं च गय थ । िोकत भ कैसे जितना
जिखने में सुन्दि उस से कह ीं ज्यािा गुणो क खान है जगि ि। हे ल्कपींग, केयरिीं ग, टर स्टे वल, लेवोरियस, हि मै टि को
ध्यान से सुनने वाला, रिस्पेक्ट िे ने वाला, जडस िन को थोपने वाला नह ीं बल्कल्क सामने वाले को भ अहजमयत िे ने
वाला िो है । जिव्या औि जगि ि िोनोीं में कुछ मै च किता जसिस इतना जक िोनोीं मे हनत औि अपना काम स्वींम किने
वाले ।..12 बिे जिव्या औि जवभू ने जगि ि को बथस डे जवि जकया उसके बाि जिव्या, जवभू औि जगि ि त नोीं एक ह
बेड पि सो गए। जिव्या ब च में थ , एक साइड उसका भाई तो िू सि साइड जगि ि िोजक जबमाि था। कई बाि
जिव्या को न ि ीं नह ीं आत तो जगि ि अपन उीं गजलयोीं से जिव्या का सि सहलाता औि जिव्या सो िात थ । आि
िोनोीं को ह न ि ीं नह ीं आ िह थ जगि ि को िु काम, बुखाि औि जसि ििस था औि िु काम क विह से नाक बन्द थ
वह ीं जिव्या जगि ि क विह से नह ीं सो पा िह ीं थ । जिव्या ने कुछ सोचकि जगि ि को सुलाने के जलए उसका जसि
सहलाने लग पहले तो जगि ि ने मना जकया ले जकन बाि में जिव्या ने कहा तो जगि ि टाल नह ीं पाया। पि जगि ि क
एक ितस थ । चलो तुम भ सोओीं इसके बाि जिव्या ने जगि ि क बाीं ह पि अपना जसि िखकि औि जगि ि क तिि
मुीं ह कि के ले ट गय , एक हाथ जगि ि क गिस न के न चे से नैक के बालोीं को सहला िहा तो िू सिा हाथ उसके माथे
के बालोीं को सहला िहा था। अचानक िोनोीं क साीं सोीं क गजत बढ़ गय ..... िोनोीं क साीं सें एक साथ आ िा िह ीं थ ,
िोनोीं के िि ि गिम तबे क तिह तप िहें थे .... साीं सोीं क गजत थमने का नाम नह ीं ले िह ीं िोनो के गिम-गिम गाल
एक िू सिे के गालोीं से छू िहें थे तभ जगि ि के काीं पते होठ ध िे -ध िे जिव्या के होठोीं पि आ गए ... जिव्या के होठ
भ अींगािोीं क तिह िल िहें थे। जिव्या जगि ि क बाीं होीं में जसमट गय .... जगि ि क िोनोीं बाीं होीं ने जिव्या को िकड़
िखा था जिव्या ने भ छूटने क कोजिि नह ीं क । ले जकन िै से ह जगि ि के मुीं ह से सुन कुछ बातें याि आई तो वह
घबिा कि कमिे से बाहि जनकल गय । उस वक्त जगि ि को लगा जक उसने बहुत गलत कि जिया है । वह भ जिव्या
के प छे -प छे बाहि आया उसने जिव्या को स ने से लगाते हुए पूछा क्या हुआ जिव्या? जिव्या क आीं खोीं से आीं सू बह
िहें थे वह एक छोट बच्च क तिह जगि ि के गले लग कहने लग जक मैं अपने िोस्त को खोना नह ीं चाहत औि
उत्ति में जगि ि ने जिव्या को टाइट से हग किते हुए कहा, ‘‘ औि मैं मे ि आध घिवाल को खोना नह ीं चाहता।’’
जिव्या ने ििमाते हुए जगि ि के स ने से मुीं ह जछपा जलया।..अगल सुबह जिव्या के जलए ठे ि सािे सपनोीं क जकिणोीं
के साथ आई थ । जिव्या ऑजिस पहुीं च तो उसे याि आया जक चश्मा घि िह गया था। उसने जगि ि को बताया तो
जगि ि व्हाइट िटस , ब्लू ि न्स औि आीं खोीं पि ब्राउन चश्मा पहने , जिव्या का चश्मा हाथ में पकडे ़जिव्या क
ऑजिस के सामने खड़ा था। जिव्या आ़जिस से जनकल कि बाहि आई। जगि ि को िे खते ह उस एक पल में न
िाने जकतने सपने बुन जलए थे ।..अभ जगि ि को गए कोई त न घींटे ह हुए थे जक जिव्या के मोबाइल पि जगि ि क
का़ल आत है ..... जिव्या ने नम्बि िे खकि बड़ स स्माइल किते हुए का़ल जपक क , िू सि तिि से जगि ि ने
कहा, ‘‘जिव्या अगि फ्र हो तो साइड िाकि कॉल किोीं कुछ िरूि बात किन है ’’ औि िोन कट गया। जिव्या क
धड़कने बड़ गय जक ऐस क्या िरूि बात किन है सोचते हुए मोबाइल उठा तुिन्त केजबन से बाहि जनकलकि
जगि ि को िोन लगाया पि िू सि तिि जगि ि क आवाि काि भि हुई थ िायि पहल बाि जिव्या ने जकस
को खु ि के जलए इतना कन्सनस होते हुए महसूस जकया। जगि ि ने िो बोला उसे सुनते ह जिव्या क हालात पागलोीं
िै स हो गय आीं खोीं से आीं सू िैसे सबकुछ एक पल में ह जछन गया हो। जिव्या ने खु ि को सींभालते हुए जगि ि से
पूछा, आपने लीं च जकया? जगि ि ने बड़े ध िे से कहा, नह ीं अभ घि िा िहा हीं आि तुम्हािे हाथ का बना खाना खाने
का मन कि िहा है , तुमने िो बनाया है वह ीं खाऊींगा।..बेिान स जिव्या केजबन में आ कि बैठ गय । साथ वालोीं ने
लीं च के जलए बोला पि जिव्या के गले से एक जनबाला नह ीं उतिा। बाि-बाि आीं खे भि आत पि जिव्या जकस तिह से
खु ि को सींभालकि कींप्युटि के सामने बैठ िह ीं पि ज्यािा िे ि नह ीं सींभाल पाई औि ऑजिस से बहाना माि घि आ
गय । घि में जगि ि पहले से मौिू ि था जिव्या का मन कि िहा था जक वह जगि ि को पकड़ िोले ताजक उसका मन
हल्का हो िाए। पि वह जगि ि से आीं सू जछपाते हुए कमिे में आकि बैग पटक कि कपड़े चेन्ि कि तजकये को स ने
से लगा एक कोने में बैठ गय । जगि ि बाहि बैठा ट व िे ख िहा था। िब िे ि हो गय जिव्या बाहि नह ीं आय तो
जगि ि कमिें में आया। जिव्या को ऐसे बैठा िे ख जगि ि ने अपने चेहिे के भावोीं को जछपाते हुए झूठ स्माईल कि
जिव्या का कींधा पकड़ कि जहलाते हुए पूछा क्या हुआ? जिव्या जगि ि को िे खत िह ीं पि कुछ बोल नह ।ीं ..जिव्या
िात में जिस बात को याि कि घबिाई थ वह ीं जिव्या औि जगि ि के ब च में अभ ि वाि बन गय थ । ि वाि कोई
औि नह ीं जिव्या का िोस्त जवमल ह था। जवमल जिव्या के ि िा ि का भाई था वह जिव्या को पसींि किता था उसने
जिव्या को बोला भ था पि जिव्या ने यह कह कि टाल जिया था जक हम अच्छे िोस्त है बाक सब छोड़ करियि पि
ध्यान िो आगे िो मे ि िैजमल चाहे ग वह होगा। जिव्या िब जगि ि के यहाीं िहने आ गय तब उसे पता चला जक
जवमल उसे िोस्त मानता ह नह ीं है वह उसे अपन गलस फ्रेड बताता है सबको। इसके अलावा उसने जिव्या का टर स्ट
तोड़ा था। यह सब िानने के बाि तो जिव्या को जवमल से जचढ़ होने लग थ ।..जिव्या अनजगनत सवालोीं में जघि न
िाने क्या-क्या सोचे िा िह ीं थ उसे खु ि से ज्यािा जगि ि क इमे ि क पिवाह थ । िो लोग जिव्या को जवमल क
गलस फ्रेन्ड समझते है उन्हें िब जिव्या औि जगि ि के बािें में पता चले गा तो वे क्या सोचेंगे। जगि ि ने तजकया उठाया
औि जिव्या के पैिो पि जटका कि ले ट गया। जिव्या िोजक अभ तक बुत बन बैठ थ जगि ि को िे ख िोने लग , उसे
समझ नह ीं आ िहा था जक वह ििस से िो िह ीं है या जगि ि को खोने के डि से। जगि ि ने जिव्या को चुप किाया।
जिव्या को काि टाईम से बैकवोन में पैन था सो जगि ि ने ििस वाला तेल उठाकि माजलि किते हुए कहा, ‘‘जिव्या !
मे ि माीं औि स्मृजत के बाि तुम त सि लड़क हो जिसके िि ि पि जगि ि माजलि कि िहा है । तुम अपने आपको
लक समझोीं।’’ जगि ि ने .....उसका मू ढ़ ठ क किने के जलए उसक ताि ि भ क । जगि ि ने जिव्या के बाल सह
किते हुए भिोसा जिलाया जक िब तक वो जिव्या के साथ है कुछ गलत नह ीं होने िे गा। िरूित पड़ तो लड़ भ
लूीं गा तुम्हािें जलए। काजतल स्माइल किते हुए कहा, ‘‘वैसे भ मैं एक ह खाने से कभ बोि नह ीं होता जिि चाहें वो
ब ब हो या िोट हो।’’ बस वो जिन था जक जिव्या जगि ि को अपना सब कुछ मान बैठ थ । िुरू से जिम्मेिाि व
समझिाि जिव्या पि प्याि का िीं ग ऐसा चढ़ा जक हि वक्त बचपना, ििािते, गलजतयाीं किने से भ नह ीं डित क्योींजक
अब कोई है उसके पास िो उसे सींभाल ले गा, केयि किने वाला। जगि ि भ उसका पूिा ध्यान िखता। जिव्या के
कपड़े , बालोीं से ले कि मे जडजसन औि खाने तक िहाीं उसे लगता बोलता औि िो सह न होता उसे किे क्ट
किता।..आठ जिन में ह जिव्या जगि ि के इतने पास थ िै से वह वर्षों से िानत हो जगि ि को, इस लाइि को वर्षों
से ि िह हो। जिव्या जगि ि पि एक पत्न िै सा हक िताने लग । वह चाहत थ जक सुबह क चाय से ले कि लीं च,
जडनि, सब बनाए जगि ि के जलए, कपड़े धुले, प्रेस किे जगि ि के समान को सींभाल कि िखे औि िब वह माीं गे तो
उसे एक -एक सामान उसके हाथ में िे । जगि ि को अपने काम खु ि किने क आित थ जिि भ जिव्या छोट -
छोट कोजिि कित कई बाि तो जगि ि उसे डाीं ट भ िे ता जक तुम अपना ध्यान िखा किो। मे िे काम मत जकया
किो। जिव्या को यू जगि ि का डाीं टना अच्छा लगता था क्योींजक जगि ि क डाीं ट में जिव्या के जलए प्याि औि केयि
होत थ । जगि ि को जिव्या ने अपन जिनचयास में िाजमल कि जलया था। वह जगि ि से जिन में िोन कि लीं च जकया
या नह ीं पूछ ना ले त तब तक लीं च भ किने का मन नह ीं किता था जक पता नह ीं कुछ खाया होगा या नह ीं? इस तिह
जिव्या सपनोीं क िु जनया ि िह थ सब कुछ वैसा िै सा वह कभ सोचा कित थ । पि कहते है न जक वक्त आगे
कौन ि त पाया है । जिव्या क जिन्दग में भ एक मोढ़ ने िस्तक िे ि ।..जिव्या ि वाल पि घि िाने क तैयारियाीं
कि िह ीं थ । ऐसा पहल वाि था िब उसे घि िाने क उतन खु ि नह ीं थ जितन जक हमे िा हुआ कित थ ।
जिव्या सोच िह ीं थ जक काि वो ि वाल िल्द आ िाए िब जगि ि औि उसक िैजमल िोनोीं उसके साथ हो तो
जकतना मिा आयेगा। जिव्या को कपड़े उठाते समय अलमाि में एक एलबम अक्सि िख जिखा कित थ । पिन्तु
जिव्या ने कभ उसे खोलकि िे खने क कोजिि नह ीं क । अब तो जगि ि क हि च ि जिव्या क है औि जिव्या क
हि च ि जगि ि क । तो हक है इसे िे खने का यह ीं सोचकि एलबम उठाने से खु ि को िोक न पाई। जिसमें जगि ि
के अत त क कुछ पिछाीं इयाीं थ । उस एलबम में जगि ि क एक्सगलस फ्रेन्ड स्मृजत के िोटोि थे। जिसक िाि
कह ीं अलग हो चुक थ ।..िात में कपड़े पैक किते समय जिव्या ने जगि ि से कहा, ‘‘स्मृजत ि जकतन सुन्दि है ना!’’
जगि ि बोला, ‘‘थ हैं नह ।ीं ’’ जिव्या ने जिकायत किते हुए कहा, ‘‘ऐसे क्योीं बोल िहें हो माना जक वो आि आपके
साथ नह ीं हैं पि सुन्दि तो आि भ उतन ह हैं।’’ िोनोीं स्मृजत के बािें में बात कि ह िहें थे जक उधि स्मृजत क
लाइि में तूिान आ गया। स्मृजत क लाइि में आयें तूिान क घींट जगि ि के िोन पि बि । पता चला जक उसके
औि उसके पजत के ब च झगड़ा हो गया है । जगि ि को पिे िान िे ख जिव्या िु ख हो गय पि कुछ बोल नह ीं
चुपचान काम कित िह ।ीं जगि ि ने जिव्या के चेहिे के उड़ते िीं गो को पढ़ जलया औि अपन चेयि से उठते हुए पूछा
तुम्हें क्या हुआ? जिव्या ने जबना उसक तिि िे खे उत्ति जिया, ‘‘आप जबि थे तो मैं चुपचाप अपना काम कि िह ीं
हीं ।’’ जगि ि ने .........ना िाओीं सईयाीं छु ड़ा के बजहीं या कसम तुम्हाि मैं िो पड़ूींग ......... गाना गाते हुए जिव्या को
हाथ पकड़कि उठाया। जिव्या भ मुस्कािात हुई हाथ छु ड़ाकि िल्द -िल्द पैजकींग खत्म किने लग ।..जिव्या को
जगि ि से बहुत साि बाते किन थ क्योींजक अगल सुबह जिव्या को घि िाना था। लेजकन जगि ि को पिे िान
छोड़कि जिव्या घि िाना नह ीं चाहत थ पि िाना पड़े गा। उस िात भ जिव्या जगि ि के साथ थ औि जगि ि ने
अपने औि जिव्या के रिश्ते को ले कि बात भ क । जगि ि ने जिव्या से एक सवाल पूछा, ‘‘ जिव्या अगि तुम से मे ि
िाि हो गई औि स्मृजत भ वापस आ गय तो तुम क्या किोग ? सवाल पूछने के बाि जगि ि ने साइड से थू कते हुए
बोला जक भगवान न किें कभ ऐसा हो हमािे रिश्ते में । जिि भ तुम बताओ? जिव्या ने मुस्किाते हुए कहा, ‘‘मैं
आपके काम करू
ीं ग , खाना बनाऊींग औि आप ि के साथ टाईम स्पेन्ड किना।’’ जगि ि बोला, ‘‘खाना तो मैं
बनबाऊींगा तुम्हािे साथ।’’ जिव्या ने मुस्किाते हुए जगि ि क आीं खोीं में आीं खोीं में डालकि कहा, ‘‘ तब आपके पास
खाना बनबाने का टाईम भ होगा क्या? जगि ि ने मिाजकया अींिाि में कहा, ‘‘तब तो हमें िोनोीं टाईम प्रोट नै क्स
डालकि िू ध प ना पड़े गा।’’ जिि िोनोीं हीं सते हुए कब सो गए पता ह नह ीं चला।..अगल सुबह स्मृजत औि उसक
माीं को ले कि जगि ि घि आ गया। स्मृजत बहुत पिे िान थ जिव्या ने चाय बनाई। सबने चाय प । जिव्या ने नाश्ता
बनाकि िख जिया उसके बाि जिव्या औि जवभू घि के जलए जनकल गए। िास्ते भि जिव्या स्मृजत औि जगि ि के बािे
में सोचत िह । जिव्या घि पहुीं च गय । उसने पहल बाि जकस लड़के बािे में माीं के सामने इतन बातें क औि
मिाक भ जकए पि कहते हैं न जक माीं सब समझ िात है । जिव्या घि में थ पि इस बाि उसका ध्यान बाि-बाि
जगि ि के पास पहुीं च िाता था। जिन में िो-त न बाि जगि ि से बात कित , खाने - प ने का पूछत पि उसे अि ब
सा डि था जक क्या होगा? जिव्या ने सोचा में आिाम से एक सप्ताह क छु टट काट के िात हीं जिससे जगि ि को
जडस िन लेने में आसान हो िाएग । पिन्तु जगि ि ने स्मृजत क विह से जिव्या को िल्द लौट आने को कहा तो
जिव्या वापस आ गय । स्मृजत अपन िाि टू टने के कािण काि पिे िान थ । जिव्या स्मृजत के सामने पूिे टाईम
बचपने कित , हीं साने के जलए पागलपन कित , खाना ल्कखलात , जिमाग से बाते जनकालने के जलए सािे टाइम बोलत
िहत , उसे अकेला नह ीं छोड़त । क्योींजक उसने पहले जिन ह जगि ि को प्राजमि जकया था जक अगि स्मृजत आपक
लाइि में वापस आत है तो मैं पूि मिि करू ीं ग । जिव्या के भ िो बड़ ि ि है पि वो त न सालाीं ़े से अपन बहनोीं
के साथ ज्यािा जमलिु ल नह ीं पात । स्मृजत को िे खकि उसे ऐसा लगता िै से उसक बड़ बहन उसके साथ हो।
स्मृजत का ध्यान िखना वह अपन जिम्मेिाि समझत । इस सब के ब च में जगि ि के व्यवहाि में कोई बिलाव नह ीं
आया।..कभ -2 तो स्मृजत औि जगि ि को वापस से एक किने क सोचत । उसने स्मृजत से इस मै टि पि बात भ
क । पि स्मृजत से बात किने के बाि उसे सब समझ आया। जक स्मृजत वापस नह ीं आयेग तो उसने जिि उस मै टि
पि सोचना ह छोड़ जकस्मत पि छोड़ जिया। इस िौिान कई बाि जगि ि के व्यवहाि में आये बिलाव को जिव्या
नोजटस कित जिि सोचत नह ीं ये तो मेिे मन का वहम है औि जिि अपने बचपने में मस्त।..इस ब च स्मृजत औि
जगि ि के एक िोस्त क िाि का काडस आया। स्मृजत ने साथ चलने को कहा तब तो जिव्या ने टाल जिया औि
जगि ि को बताया जक वह क्योीं िाना नह ीं चाहत । िब स्मृजत ने कुछ पससनल बातें समझाकि चलने के जलए कहा तो
वह मना न कि पाईीं। वह िाि में िाने को िाि हो गय । जिव्या ने सोचा चलो इस बहाने जगि ि का डाीं स औि
मस्त भ िे खने को जमल िाएग ।..जिव्या का िाि में िाने का िब जवमल को पता चला तो बकवास किने लगा
औि उसने जगि ि के बािें में भ कुछ-कुछ उल्टा-स धा बोला इतना ह नह ीं उसने कहा मे िे पास जगि ि के कुछ
प्रूि है सुनोग तो अक्ल जठकाने आ िायेग । तो जिव्या को बिास श्त नह ीं हुआ। जिव्या ने सोचा जक अभ िाकि
जवमल को जमलकि साि च िे क्ल यि किके आत हीं । जक तुम जसिस िोस्त थे औि आगे तुम चाहोींगे तो िहोींगे पि
मै टि एकिम उल्टा हो गया। जिव्या घि से जबना बताए जनकल गय उसे लगा जक 10 -15 जमनट में वापस आ
िाऊींग पि बाहि जनकलकि पता चला जक यह सोच समझ चाल थ । उस जिन से जगि ि का जवहे व जिव्या के जलए
चेन्ि होता गया। वह नािाि भ था, उसका नािाि होना सह भ था। च िे िै से - तैसे ना़मसल हुई।..जिव्या, स्मृजत
औि जगि ि त नोीं िाि में गये। स्मृजत सुन्दि तो है औि उसको सिने सींविने ़े का िौक भ है। जिव्या िस्ट स्मृजत
क उल्ट ज्यािा सुन्दि भ नह ीं औि नाह ीं मे कअप का िौक। ले जकन उसने कभ अपन लाइि में सुन्दिता को
महत्व नह ीं जिया उसका दृजिकोण है जक इीं सान गुणोीं से सुन्दि बनता िक्ल से नह ।ीं जगि ि में वो सािे गुण हैं ।
पहल बाि उस िाि में जिव्या ने हमे िा से हटकि लहीं गा पहना, बड़े -बड़े इयिरिग्स, खु ले बाल जकए। उसे यह सब
काि अनकम्िटे बल लग िहा था, पैि काीं प िहें थे , काि घबिाई हुई थ । बोले तो सबके सामने िाने क जहम्मत
नह ीं थ । स्मृजत औि बाक सब नाश्ता किने िाने लगे तो उसने बहाना मािा जक ‘ि आप चलो मैं आत हीं । 10
जमनट बाि बाहि जनकलकि ऊपि से ह सबको िे खने लग । जिव्या मन ह मन सोच िह ीं थ जक मैं कहाीं आ कि
िींस गय । तभ जिव्या क निि जगि ि पि पड़ । िो उसे ह ढू ढ़ते हुए आ िहा था। जिव्या जगि ि के पास पहीं ़ुच
तो जगि ि ने उसे सबके साथ िाकि नाश्ता किने को बोला। सुबह से जगि ि का जबहे व थोड़ा चेन्ि था इसजलए वो
काि अकेला महसूस कि िह थ । पि जगि ि के अलावा जकसे बताऊींग यह सोचकि उसने डिते-डिते जगि ि
को बोला, ‘‘पता नह ीं क्योीं मैं इस डरेस में अनकम्िटे बल ि ल कि िह ीं हीं औि नवसस भ ।’’ जगि ि िानता था जिव्या
के बािें में तो उसे समझते िे ि नह ीं लग । उसने जिव्या क कमि में हाथ डालकि अपन तिि ख च
ीं ा िू सिें हाथ से
जिव्या क चुन्न सह किके बालोीं को सह किते हुए कहा, ‘‘डाजलिं ग आि तो तुम माल लग िह ीं हो।’’ जिि उसे
जकस कि स जढ़योीं तक छोड़ते हुए कहा, ‘‘ अगि कुछ प्राब्लम हो तो मैं इस पास वाले रूम में हीं ।’’ अब जिव्या के
चेहिे पि वो डि नह ीं था। िाि में पूिे टाईम जिव्या क नििे चोि जछपे जगि ि पि ह थ पि जगि ि क नििें कह ीं
औि ह थ । जिव्या सोच िह ीं थ जक वो जकस भ ले वल पि जगि ि के बिाबि नह ीं है पि जगि ि उसे न चा जिखाने
क विाय हि िगह जसखाता है। आने वाले समय में थोड़ मे हनत किन पड़े ग ताजक जगि ि के किम से किम
जमला के चल सकूीं। जगि ि को कभ भ अपने सकसल में इन्टर ोडयूि किाने में िमस ना आये बल्कल्क प्राउड हो पि उसे
क्या पता था जक ये जसिस ख्याल पुलाव हैं रियल में िै सा वो सोचत है वैसा कुछ नह ीं है ।..वापस लौटते समय जिव्या
से िाने अनिाने कुछ गलजतयाीं हो गय या यूीं कहो जक जिव्या कुछ ज्यािा सपनोीं क िु जनया में चल गय । अगले
सुबह जिव्या ने सोचा जक चलो जगि ि को ध्यान िखने के जलए थैं क्स औि गलजतयोीं के जलए सा़ि बोल िे त हीं। िै से
ह उसने हमेिा क तिह जगि ि को चाय के जलए िगाया तो वो चैंक गई, उसने कभ सोचा भ नह ीं था जक जगि ि
उसे ऐसे बोले गा जक वो उससे इि टे ट हो िाता है , उसे िे खकि खु न्नस आत है , वह अगि नोएडा में है तो जसिस
स्मृजत क विह से। स्मृजत के िाते ह वह नोएडा छोड़कि चला िाएगा। जिसक लाईि में कल तक जिव्या थडस
प्रायोरिट थ आि वो कह ीं िू ि-िू ि तक नह ीं है । जगि ि के जलए ये सब कुछ ना़मसल था पि जिव्या के जलए नह ीं।
जिव्या को पहल बाि जकस से प्याि हुआ था जिसे उसने अपने सािे हक सौींप जिए थें । बिले में कभ कुछ नह ीं
माीं गा, कभ कुछ नह ीं पूछा। क्योींजक उसे हमेिा लगता था जक जगि ि िो भ किे गा वो अच्छा ह किे गा अपने आप
से ज्यािा भिोसा जगि ि पि िो है । जगि ि के वो िब्द उसके कानोीं में अभ गूींि िहें है आि उसे अहसास हो िहा
है जक िायि जगि ि वो नह ीं िहा जिसे जिव्या प्याि कित है ये तो वो जगि ि है िो स्मृजत को प्याि किता है।..जिव्या
मध्यमवगीय परिवाि से थ इसजलए उसक सोच में था जक जिससे प्याि किो उस से िाि किोीं या जिि जिससे
िाि किो उस से प्याि। अब िाि हो या ना हो पि वो प्याि तो कि चुक है । उस के बाि िो मह ने जगि ि जिव्या
के साथ िहा औि जिि स्मृजत के साथ चला गया। तब से ले कि अब तक अगि कुछ नह ीं बिला तो वो जगि ि क
जिव्या के प्रजत बेरूख औि जिव्या का जगि ि को प्याि किना। उस जिन से ले कि आि तक उसको अपने जगि ि
का इन्तिाि है िो उसे हि बात बताता था औि सुनता था। जिसके साथ वो अपने सुख-िु ख बाीं ट सकत । जिसको
कोई भ गलत किने के बाि बता िे ने मात्र से जिव्या हि गुनाह से आिाि हो िात ।..जिव्या िोते हुए सोचने लग
िात है जक जितना वक्त मै ने उसके साथ जबताया लगभग उतना समय ह उसे िू ि गए हो गया पि हि पल मे िे मन
में उसका ख्याल है , उसक जिकि है , उसका इन्तिाि है क्या उसे कभ मे ि याि नह ीं आई? एक बाि पलट कि
िोन नह ीं जकया उसने जक तुम कैस हो? ......... क्या इतने जिनोीं में उसके जिल में मे ि इतन भ िगह नह ीं बन जक
वो कभ मुढ़कि पूछ ले ता जक तुम जिन्दा लाि क्योीं बन गई हो?.... ये कैसा रिश्ता था जिसका कोई नाम नह .ीं ......
जसिस औि जसिस आीं सूओीं से िुड़ा.....।

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