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भाषा विज्ञान का परिचय -

मानव अपने भावों को व्यक्त करने के लिए


जिस सार्थक मौखिक साधन को अपनाता है ,
वह भाषा है । अपने भावों को सक्ष्
ू म और स्पष्ट
रूप में व्यक्त करने का साधन भाषा ही है ।
मनन, चिन्तन और विचार का साधन भी भाषा
ही है । भाषा ही वह एक जीवन ज्योति है , जो
एक व्यक्ति का दस
ू रे व्यक्ति से सम्बन्ध
स्थापित करती है ।विश्व के प्रत्येक दे श में कोई
न कोई भाषा बोली जाती है और वही उनके
विचार-विनिमय का माध्यम है । यह भाषा
वस्तत
ु : मानव-शरीर में दै वी अंश है , जो इस
सष्टि
ृ में केवल मनष्ु य मात्र को ही प्राप्त है ।
वैदिक ऋषियों ने भी भाषा की महिमा को
स्वीकारा है तथा ऋग्वेदीय वाग ् सक्
ू त के ८ मंत्रों
में इस विषय की ओर ध्यान आकृष्ट किया है
कि वाक् -तत्त्व या भाषा ही वह दिव्य ज्योति है
जो मानव को ऋषि, दे वता या विद्वान ् बनाती
है । इससे स्पष्ट है कि व्यावहारिक दृष्टि से
भाषा की कितनी उपयोगिता है किंतु भाषा की
महत्ता स्वीकार करते ही भाषा विषयक अनेक
जिज्ञासाएँ प्रारम्भ हो जाती हैं जैसे -

भाषा क्या है ?
भाषा की उत्पत्ति कैसे हुई?
भाषा कैसे बनती है ?
भाषा का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है ?
भाषा के सक्ष्मतम अवयव क्या हैं?
उनकी उच्चारणविधि क्या है ?
विश्व की भाषाओं का परस्पर क्या सम्बन्ध है ?
इत्यादि इत्यादि।

इन जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए


सहस्त्र शताब्दियों से प्रयत्न चालू रहे हैं जिनका
आज ' भाषा विज्ञान ' की श्रेणी के अंतर्गत
अध्ययन किया जाता है । पाश्चात्य दे शों और
भारत में भी यह एक पथ
ृ क अनस
ु ंधान योग्य
रूप ले चुका है जिस कारण भाषा विज्ञान के
स्वरूप में उत्तरोत्तर वद्धि
ृ हुई है इसलिए भाषा
विज्ञान का स्वरूप अति व्यापक हो चक
ु ा है ।
यहां भाषा विज्ञान के स्वरूप सक्ष्
ू म विवेचन
प्रस्तत
ु किया जा रहा है - ..

भाषा विज्ञान : परिभाषा एवं नामकरण -


विज्ञान का अर्थ है 'विशिष्ट ज्ञान'। जिसमें
विकल्प को स्थान नहीं होता तथा जिसका
निर्णय शाश्वत और स्थायी होता है उसे विज्ञान
कहा जाता है । विज्ञान के अंतर्गत शाश्वत,
अपरिवर्तन शील और रसबोध से रहित ज्ञान
आता है । इस कारण भाषा विज्ञान को विज्ञान
की कोटि में गिना जाता है ।

भाषा विज्ञान का सम्बन्ध भाषा की ध्वनियों के


विवेचन, विश्लेषण रचना आदि से है अतः इसे
विज्ञान की कोटि में रखा गया है - 'भाषायाः
विज्ञानम ्-भाषा- विज्ञानम ्।

भाषा के वैज्ञानिक और विवेचनात्मक अध्ययन


को भाषा-विज्ञान कहा जाएगा। संक्षेप में भाषा-
विज्ञान का लक्षण किया जा सकता है कि
‘भाषा-विज्ञान वह विज्ञान है , जिसमें भाषा का
सर्वांगीण विवेचनात्मक अध्ययन प्रस्तत
ु किया
जाता है -
भाषाया यत्तु विज्ञानं, सर्वाङ्गं व्याकृतात्मकम ्

विज्ञानदृष्टिमल
ू ं तद्, भाषाविज्ञानमच्
ु यते ॥

इसके अतिरिक्त अनेक विद्वानों ने भाषा-


विज्ञान की अनेक परिभाषाएँ दी हैं, जिसमें
उन्होंने भाषा के विभिन्न का संकलन किया है
जैसे -

1. भाषा विज्ञान उस विज्ञान को कहते हैं जिसमें


सामान्य रूप से मानवीय भाषा का, किसी भाषा
विशे ष की रचना और इतिहास का और अंततः
भाषाओं प्रादे शिक भाषाओं अथवा बोलियों के
वर्गों की पारस्परिक समानताओं और
विशे षताओं का तुलनात्मक अध्ययन किया
जाता है । - ( डॉ मंगलदे व शास्त्री )

2. भाषा विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें भाषा


विशिष्ट कई और सामान्य का समकालिक,
ऐतिहासिक, तुलनात्मक और प्रयोगिक दृष्टि
से अध्ययन और तदवि ् षयक सिद्धांतों का
निर्धारण किया जाता है । ( डॉ भोलानाथ
तिवारी )

3. भाषा विज्ञान का सीधा अर्थ है - भाषा का


विज्ञान और विज्ञान का अर्थ है विशिष्ट ज्ञान।
इस प्रकार भाषा का विशिष्ट ज्ञान भाषा
विज्ञान कहलाये गा। ( डॉ दे वेंदर् नाथ शर्मा )

4. भाषा-विज्ञान को अर्थात् भाषा के विज्ञान को


भाषिकी कहते हैं । भाषिकी में भाषा का
वै ज्ञानिक विवेचन किया जाता है । ( डॉक्टर
् वे दी )
दे वीशंकर दवि
5. भाषा के वै ज्ञानिक अध्ययन को भाषा-विज्ञान
कहा जा सकता है । ( John Lyons )

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