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झेन की देन sol
झेन की देन sol
Page No 122:
Question 1:
Answer:
शु द्ध सोने में थोडा-सा तााँ बा गमलाकर गिन्नी बनता है । ऐसा करने से सोना चमकता है ।
Question 2:
Answer:
जो लोि आदशश बनते हैं और व्यवहार के समय उन्ीों आदश शोों को तोड मरोड कर अवसर का लाभ उठाते हैं , उन्ें प्रेक्टिकल आइगियागलस्ट कहते हैं ।
Question 3:
Answer:
शु द्ध आदशश का अथश है गजसमें लाभ हागन सोचने की िुजाों इश नहीों होती है ।
Question 4:
Answer:
जापानी लोि उन्नगत की होड में सबसे आिे हैं । इसगलए ले खक ने जापागनयोों के गदमाि में ‘स्पीि’ का इों जन लिने की बात कही है ।
Question 5:
जापानी में चाय पीने की गवगि को क्ा कहते हैं ?
Answer:
जापानी में चाय पीने की गवगि, गजसे टी सेरेमनी कहा िया है , चा-नो-यू कहते हैं ।
Question 6:
जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , उस स्थान की क्ा गवशे षता है ?
Answer:
जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , वहााँ की सजावट पारम्पररक होती है । वहााँ अत्यन्त शाों गत और िरीमा के साथ चाय गपलाई जाती है । शाों गत उस स्थान की मु ख्य गवशे षता है ।
Question 1:
Answer:
शु द्ध सोने में गकसी प्रकार की गमलावट नहीों की जा सकती। तााँ बा गमलाने से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शु द्धता समाप्त हो जाती है । इसी प्रकार व्यवहाररकता में शु द्ध आदशश
समाप्त हो जाते हैं । सही भाि में व्यवहाररकता को गमलाया जाता है तो ठीक रहता है ।
Question 2:
Answer:
चाजीन द्वारा अगतगथयोों का उठकर स्वाित करना, आराम से अाँिीठी सुलिाना, चायदानी रखना, चाय के बतशन लाना, तौगलए से पोछ कर चाय िालना आगद सभी गियाएाँ
िररमापूर्श, अच्छे व सहज ढों ि से कीों।
Question 3:
गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−
Answer:
भाि-दौड की ग़िदों िी से दू र भू त-भगवष्य की गचोंता छोडकर शाों गतमय वातावरर् में कुछ समय गबताना इस जिह का उद्दे श्य होता है । इसगलए इसमें केवल तीन आदगमयोों को
प्रवेश गदया जाता था।
Question 4:
Answer:
चाय पीने के बाद ले खक ने महसूस गकया गक उसका गदमाि सुन्न होता जा रहा है , उसकी सोचने की शक्टि िीरे -िीरे मों द हो रही है । इससे सन्नाटे की आवाज भी सुनाई दे ने लिी।
उसे लिा गक भू त-भगवष्य दोनोों का गचोंतन न करके वतशमान में जी रहा हो। उसे बहुत सुख गमलने लिा।
Question 1:
िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी; उदाहरर् सगहत इस बात की पुगि कीगजए?
Answer:
िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी। उनका ने तृत्व ही था, जो गवगभन्न िमों और सोंप्रदायोों में बााँ टा भारत एक हो िया और लोि आ़िादी पाने के गलए तत्पर हो िए। उन्ोोंने जब
भी ने तृत्व गकया, वे सफल रहे । उनके ने तृत्व के तले सभी िमों के लोिोों ने अपना भरपूर सहयोि गदया। ऐसे अने क उदाहरर् हमारे सामने गवद्यमान हैं , जब उन्ोोंने अपने सफल
ने तृत्व का उदाहरर् गदया है । दाों िी माचश ऐसा ही एक आों दोलन है । इसकी सफलता को भु लाया नहीों जा सकता है । भारत छोडो आन्दोलन, सत्याग्रह तथा असहयोि आन्दोलन
उनके अद् भु त ने तृत्व को दशाश ते हैं । अपनी इसी क्षमता के बल पर उन्ोोंने अगहों सा के मािश पर चलकर पूर्श स्वराज की स्थापना की।
Question 2:
Answer:
ईमानदारी, सत्य, अगहों सा, परोपकार, परगहत, कावरता, सगहष्णु ता आगद ऐसे शाश्वत मू ल्य हैं गजनकी प्राों सगिकता आज भी है । इनकी आज भी उतनी ही ़िरूरत है गजतनी पहले
थी। आज के समाज को सत्य अगहों सा की अत्यन्त आवश्यक है । इन्ीों मू ल्योों पर सोंसार नै गतक आचरर् करता है । यगद हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मािश पर
चलें तो समाज को गवघटन से बचाया जा सकता है ।
Question 3:
Answer:
(1) छात्र स्वयों अपनी घटना गदए िए तरीके से गलख सकते हैं −
मे रे जीवन में एक बार ऐसी घटना हुई थी, गजसने मु झे बहुत दु खी गकया था। मैं ने मास्टर जी से ऐसे लडके की गशकायत कर दी थी, जो स्कूल में चोररयााँ गकया करता था। मास्टर जी
तो प्रसन्न हुए परन्तु लडके ने छु ट्टी के बाद अपने सागथयोों के साथ गमलकर मे री हगियााँ तोड दी। मु झे प्लास्टर तो बोंिा ही, घरवालोों के जो पैसे खचश हुए अलि, साथ ही एक महीने
छु ट्टी ले कर घर पर रहना पडा। मु झे शु द्ध आदशश अपनाने की बडी कीमत चुकानी पडी।
(2) व्यवहार में व्यवहाररकता लाना ़िरूरी है । एक महीने बाद जब स्कूल पहुाँ चा, तो गपछला काम पाने के गलए स्कूल के सबसे अच्छे छात्र को खु श करने के गलए उसकी तारीफ़
की, उसको सराहा और कक्षा कायश माों िा तो उसने तुरोंत मदद कर दी।
Question 4:
‘शु द्ध सोने में ताबे की गमलावट या तााँ बें में सोना’, िााँ िीजी के आदशश और व्यवहार के सोंदभश में यह बात गकस तरह झलकती है ? स्पि कीगजए।
Answer:
िााँ िीजी व्यवहाररकता की कीमत जानते थे । इसीगलए वे अपना गवलक्षर् आदशश चला सके। ले गकन अपने आदशों को व्यावहाररकता के स्वर पर उतरने नहीों दे ते थे । वे सोने में
ताों बा नहीों बक्टि तााँ बे में सोना गमलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे । इसगलए उनके आदशश कालजयी हुए।
Question 5:
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानु सार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल िालने की एक बानिी दे खी। इस पाठ के अोंश ‘गिन्नी का सोना’ का सोंदभश में स्पि
कीगजए गक ‘आदशश वागदता’ और ‘व्यवहाररकता’ इनमें से जीवन में गकसका महत्व है ?
Answer:
‘गिरगिट’ कहानी में स्वाथी इों स्पेिर पल-पल बदलता है । वह अवसर के अनु सार अपना व्यवहार बदल ले ता है । ‘गिन्नी का सोना’ कहानी में इस बात पर बल गदया िया है गक
आदशश शु द्ध सोने के समान हैं । इसमें व्यवागहरकता का तााँ बा गमलाकर उपयोिी बनाया जा सकता है । केवल व्यवहारवादी लोि िुर्वान लोिोों को भी पीछे छोडकर आिे बढ़
जाते हैं । यगद समाज का हर व्यक्टि आदशों को छोडकर आिे बढ़ें तो समाज गवनाश की ओर जा सकता है । समाज की उन्नगत सही मायने में वहीों मानी जा सकती है जहााँ
नै गतकता का गवकास, जीवन के मू ल्योों का गवकास हो।
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Question 6:
ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के क्ा-क्ा कारर् बताए? आप इन कारर्ोों से कहााँ तक सहमत हैं ?
Answer:
ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के कारर् बताएाँ हैं गक मनुष्य चलता नहीों दौडता है , बोलता नहीों बकता है , एक महीने का काम एक गदन में करना चाहता है , गदमाि ह़िार िुना
अगिक िगत से दौडता है । अत: तनाव बढ़ जाता है । मानगसक रोिोों का प्रमु ख कारर् प्रगतस्पिाश के कारर् गदमाि का अगनयोंगत्रत िगत से कायश करना है ।
Question 7:
Answer:
ले खक के अनु सार सत्य वतशमान है । उसी में जीना चागहए। हम अक्सर या तो िुजरे हुए गदनोों की बातोों में उलझे रहते हैं या भगवष्य के सपने दे खते हैं । इस तरह भू त या भगवष्य
काल में जीते हैं । असल में दोनोों काल गमथ्या हैं । वतशमान ही सत्य है उसी में जीना चागहए।
Question 1:
समाज के पास अिर शाश्वत मु ल्योों जै सा कुछ है तो वह आदश शवादी लोिोों का ही गदया हुआ है ।
Answer:
आदशश वादी लोि समाज को आदशश रूप में रखने वाली राह बताते हैं । व्यवहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । उसमें आदशश वाद कहीों नहीों होता है ।
Question 2:
जब व्यवहाररकता का बखान होने लिता है तब ‘प्रेक्टिकल आइगियागलस्टोों’ के जीवन से आदशश िीरे -िीरे पीछे हटने लिते हैं और उनकी व्यवहाररक सूझ-बूझ ही आिे आने
लिती है ?
Answer:
व्यावहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । वह केवल हागन-लाभ तथा अवसरवागदता का ही दू सरा नाम है ।
Question 3:
हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ िई है । यहााँ कोई चलता नहीों बक्टि दौडता है । कोई बोलता नहीों, बकता है । हम जब अकेले पडते हैं तब अपने आपसे लिातार बडबडाते रहते हैं ।
Answer:
जीवन की भाि-दौड, व्यस्तता तथा आिे गनकलने की होड ने लोिोों का चैन छीन गलया है । हर व्यक्टि अपने जीवन में अगिक पाने की होड में भाि रहा है । इससे तनाव व गनराशा
बढ़ रही है ।
Question 4:
सभी गियाएाँ इतनी िररमापूर्श ढों ि से कीों गक उसकी हर भों गिमा से लिता था मानो जयजयवोंती के सुर िूाँज रहे होों।
Answer:
चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम गकया। झुककर प्रर्ाम करना, बरतन पौोंछना, चाय िालना सभी िीरज और सुोंदरता से गकए मानो कोई कलाकार बडे ही सुर में िीत
िा रहा हो।
Question 1:
Answer:
Question 2:
Answer:
Question 3:
Answer:
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Question 4:
नीचे गदए िए वाक्ोों में रे खाों गकत अोंश पर ध्यान दीगजए और शब् के अथश को समगझए −
ऊपर गदए िए वाक्ोों में ‘सोना’ का क्ा अथश है ? पहले वाक् में ‘सोना’ का अथश है िातु ‘स्वर्श’। दु सरे वाक् में ‘सोना’ का अथश है ‘सोना’ नामक गिया। अलि-अलि सोंदभों में ये
शब् अलि अथश दे ते हैं अथवा एक शब् के कई अथश होते हैं । ऐसे शब् अने काथी शब् कहलाते हैं । नीचे गदए िए शब्ोों के गभन्न-गभन्न अथश स्पि करने के गलए उनका वाक्ोों में
प्रयोि कीगजए −
Answer:
(क) उत्तर – मैं ने सभी प्रश्नोों के उत्तर गलख गलए हैं ।तुम्हें उत्तर गदशा में जाना है ।
(ख) कर – हमने सभी कर चुका गदए हैं ।मोंत्री जी ने अपने कर कमलोों से दीप प्रज्ज्वगलत गकया।
(ि) अोंक – राम के परीक्षा में अच्छे अोंक आए हैं ।बच्चा अपनी मााँ की अोंक में बैठा है ।
(घ) नि – हीरा एक कीमती नि है ।गहमालय एक बडा नि है ।
Question 5:
2. उस पर चायदानी रखी।
Answer:
(ि) बिल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और तौगलए से बरतन साफ़ गकए।
Question 6:
Answer:
(ख) बाहर बेढब सा एक गमट्टी का बरतन था गजसमें पानी भरा हुआ था।
(ि) जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालोों में भरकर हमारे सामने रख दी।
Page No 122:
Question 1:
Answer:
शु द्ध सोने में थोडा-सा तााँ बा गमलाकर गिन्नी बनता है । ऐसा करने से सोना चमकता है ।
Question 2:
Answer:
जो लोि आदशश बनते हैं और व्यवहार के समय उन्ीों आदश शोों को तोड मरोड कर अवसर का लाभ उठाते हैं , उन्ें प्रेक्टिकल आइगियागलस्ट कहते हैं ।
Question 3:
Answer:
शु द्ध आदशश का अथश है गजसमें लाभ हागन सोचने की िुजाों इश नहीों होती है ।
Question 4:
Answer:
जापानी लोि उन्नगत की होड में सबसे आिे हैं । इसगलए ले खक ने जापागनयोों के गदमाि में ‘स्पीि’ का इों जन लिने की बात कही है ।
Question 5:
Answer:
जापानी में चाय पीने की गवगि, गजसे टी सेरेमनी कहा िया है , चा-नो-यू कहते हैं ।
Question 6:
जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , उस स्थान की क्ा गवशे षता है ?
Answer:
जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , वहााँ की सजावट पारम्पररक होती है । वहााँ अत्यन्त शाों गत और िरीमा के साथ चाय गपलाई जाती है । शाों गत उस स्थान की मु ख्य गवशे षता है ।
Question 1:
Answer:
शु द्ध सोने में गकसी प्रकार की गमलावट नहीों की जा सकती। तााँ बा गमलाने से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शु द्धता समाप्त हो जाती है । इसी प्रकार व्यवहाररकता में शु द्ध आदशश
समाप्त हो जाते हैं । सही भाि में व्यवहाररकता को गमलाया जाता है तो ठीक रहता है ।
Question 2:
गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−
Answer:
चाजीन द्वारा अगतगथयोों का उठकर स्वाित करना, आराम से अाँिीठी सुलिाना, चायदानी रखना, चाय के बर् तन लाना, तौगलए से पोछ कर चाय िालना आगद सभी गियाएाँ
िररमापूर्श, अच्छे व सहज ढों ि से कीों।
Question 3:
Answer:
भाि-दौड की ग़िदों िी से दू र भू त-भगवष्य की गचोंता छोडकर शाों गतमय वातावरर् में कुछ समय गबताना इस जिह का उद्दे श्य होता है । इसगलए इसमें केवल तीन आदगमयोों को
प्रवेश गदया जाता था।
Question 4:
Answer:
चाय पीने के बाद ले खक ने महसूस गकया गक उसका गदमाि सुन्न होता जा रहा है , उसकी सोचने की शक्टि िीरे -िीरे मों द हो रही है । इससे सन्नाटे की आवाज भी सुनाई दे ने लिी।
उसे लिा गक भू त-भगवष्य दोनोों का गचोंतन न करके वतशमान में जी रहा हो। उसे बहुत सुख गमलने लिा।
Question 1:
िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी; उदाहरर् सगहत इस बात की पुगि कीगजए?
Answer:
िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी। उनका ने तृत्व ही था, जो गवगभन्न िमों और सोंप्रदायोों में बााँ टा भारत एक हो िया और लोि आ़िादी पाने के गलए तत्पर हो िए। उन्ोोंने जब
भी ने तृत्व गकया, वे सफल रहे । उनके ने तृत्व के तले सभी िमों के लोिोों ने अपना भरपूर सहयोि गदया। ऐसे अने क उदाहरर् हमारे सामने गवद्यमान हैं , जब उन्ोोंने अपने सफल
ने तृत्व का उदाहरर् गदया है । दाों िी माचश ऐसा ही एक आों दोलन है । इसकी सफलता को भु लाया नहीों जा सकता है । भारत छोडो आन्दोलन, सत्याग्रह तथा असहयोि आन्दोलन
उनके अद् भु त ने तृत्व को दशाश ते हैं । अपनी इसी क्षमता के बल पर उन्ोोंने अगहों सा के मािश पर चलकर पूर्श स्वराज की स्थापना की।
Question 2:
आपके गवचार से कौन-से ऐसे मू ल्य हैं जो शाश्वत हैं ? वतशमान समय में इन मू ल्योों की प्राों सगिकता स्पि कीगजए।
Answer:
ईमानदारी, सत्य, अगहों सा, परोपकार, परगहत, कावरता, सगहष्णु ता आगद ऐसे शाश्वत मू ल्य हैं गजनकी प्राों सगिकता आज भी है । इनकी आज भी उतनी ही ़िरूरत है गजतनी पहले
थी। आज के समाज को सत्य अगहों सा की अत्यन्त आवश्यक है । इन्ीों मू ल्योों पर सोंसार नै गतक आचरर् करता है । यगद हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मािश पर
चलें तो समाज को गवघटन से बचाया जा सकता है ।
Question 3:
Answer:
(1) छात्र स्वयों अपनी घटना गदए िए तरीके से गलख सकते हैं −
मे रे जीवन में एक बार ऐसी घटना हुई थी, गजसने मु झे बहुत दु खी गकया था। मैं ने मास्टर जी से ऐसे लडके की गशकायत कर दी थी, जो स्कूल में चोररयााँ गकया करता था। मास्टर जी
तो प्रसन्न हुए परन्तु लडके ने छु ट्टी के बाद अपने सागथयोों के साथ गमलकर मे री हगियााँ तोड दी। मु झे प्लास्टर तो बोंिा ही, घरवालोों के जो पैसे खचश हुए अलि, साथ ही एक महीने
छु ट्टी ले कर घर पर रहना पडा। मु झे शु द्ध आदशश अपनाने की बडी कीमत चुकानी पडी।
(2) व्यवहार में व्यवहाररकता लाना ़िरूरी है । एक महीने बाद जब स्कूल पहुाँ चा, तो गपछला काम पाने के गलए स्कूल के सबसे अच्छे छात्र को खु श करने के गलए उसकी तारीफ़
की, उसको सराहा और कक्षा कायश माों िा तो उसने तुरोंत मदद कर दी।
Question 4:
‘शु द्ध सोने में ताबे की गमलावट या तााँ बें में सोना’, िााँ िीजी के आदशश और व्यवहार के सोंदभश में यह बात गकस तरह झलकती है ? स्पि कीगजए।
Answer:
िााँ िीजी व्यवहाररकता की कीमत जानते थे । इसीगलए वे अपना गवलक्षर् आदशश चला सके। ले गकन अपने आदशों को व्यावहाररकता के स्वर पर उतरने नहीों दे ते थे । वे सोने में
ताों बा नहीों बक्टि तााँ बे में सोना गमलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे । इसगलए उनके आदशश कालजयी हुए।
Question 5:
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानु सार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल िालने की एक बानिी दे खी। इस पाठ के अोंश ‘गिन्नी का सोना’ का सोंदभश में स्पि
कीगजए गक ‘आदशश वागदता’ और ‘व्यवहाररकता’ इनमें से जीवन में गकसका महत्व है ?
Answer:
‘गिरगिट’ कहानी में स्वाथी इों स्पेिर पल-पल बदलता है । वह अवसर के अनु सार अपना व्यवहार बदल ले ता है । ‘गिन्नी का सोना’ कहानी में इस बात पर बल गदया िया है गक
आदशश शु द्ध सोने के समान हैं । इसमें व्यवागहरकता का तााँ बा गमलाकर उपयोिी बनाया जा सकता है । केवल व्यवहारवादी लोि िुर्वान लोिोों को भी पीछे छोडकर आिे बढ़
जाते हैं । यगद समाज का हर व्यक्टि आदशों को छोडकर आिे बढ़ें तो समाज गवनाश की ओर जा सकता है । समाज की उन्नगत सही मायने में वहीों मानी जा सकती है जहााँ
नै गतकता का गवकास, जीवन के मू ल्योों का गवकास हो।
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Question 6:
गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−
ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के क्ा-क्ा कारर् बताए? आप इन कारर्ोों से कहााँ तक सहमत हैं ?
Answer:
ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के कारर् बताएाँ हैं गक मनुष्य चलता नहीों दौडता है , बोलता नहीों बकता है , एक महीने का काम एक गदन में करना चाहता है , गदमाि ह़िार िुना
अगिक िगत से दौडता है । अत: तनाव बढ़ जाता है । मानगसक रोिोों का प्रमु ख कारर् प्रगतस्पिाश के कारर् गदमाि का अगनयोंगत्रत िगत से कायश करना है ।
Question 7:
ले खक के अनु सार सत्य केवल वतशमान है , उसी में जीना चागहए। ले खक ने ऐसा क्ोों कहा होिा? स्पि कीगजए।
Answer:
ले खक के अनु सार सत्य वतशमान है । उसी में जीना चागहए। हम अक्सर या तो िुजरे हुए गदनोों की बातोों में उलझे रहते हैं या भगवष्य के सपने दे खते हैं । इस तरह भू त या भगवष्य
काल में जीते हैं । असल में दोनोों काल गमथ्या हैं । वतशमान ही सत्य है उसी में जीना चागहए।
Question 1:
समाज के पास अिर शाश्वत मु ल्योों जै सा कुछ है तो वह आदश शवादी लोिोों का ही गदया हुआ है ।
Answer:
आदशश वादी लोि समाज को आदशश रूप में रखने वाली राह बताते हैं । व्यवहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । उसमें आदशश वाद कहीों नहीों होता है ।
Question 2:
जब व्यवहाररकता का बखान होने लिता है तब ‘प्रेक्टिकल आइगियागलस्टोों’ के जीवन से आदशश िीरे -िीरे पीछे हटने लिते हैं और उनकी व्यवहाररक सूझ-बूझ ही आिे आने
लिती है ?
Answer:
व्यावहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । वह केवल हागन-लाभ तथा अवसरवागदता का ही दू सरा नाम है ।
Question 3:
हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ िई है । यहााँ कोई चलता नहीों बक्टि दौडता है । कोई बोलता नहीों, बकता है । हम जब अकेले पडते हैं तब अपने आपसे लिातार बडबडाते रहते हैं ।
Answer:
जीवन की भाि-दौड, व्यस्तता तथा आिे गनकलने की होड ने लोिोों का चैन छीन गलया है । हर व्यक्टि अपने जीवन में अगिक पाने की होड में भाि रहा है । इससे तनाव व गनराशा
बढ़ रही है ।
Question 4:
सभी गियाएाँ इतनी िररमापूर्श ढों ि से कीों गक उसकी हर भों गिमा से लिता था मानो जयजयवोंती के सुर िूाँज रहे होों।
Answer:
चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम गकया। झुककर प्रर्ाम करना, बरतन पौोंछना, चाय िालना सभी िीरज और सुोंदरता से गकए मानो कोई कलाकार बडे ही सुर में िीत
िा रहा हो।
Question 1:
Answer:
Question 2:
यहााँ द्वों द्व समास है गजसमें दोनोों पद प्रिान होते हैं । दोनोों पदोों के बीच योजक शब् का लोप करने के गलए योजक गचह्न लिाया जाता है । नीचे गदए िए द्वों द्व समास का गवग्रह कीगजए
−
Answer:
Question 3:
Page No 124:
Question 4:
नीचे गदए िए वाक्ोों में रे खाों गकत अोंश पर ध्यान दीगजए और शब् के अथश को समगझए −
ऊपर गदए िए वाक्ोों में ‘सोना’ का क्ा अथश है ? पहले वाक् में ‘सोना’ का अथश है िातु ‘स्वर्श’। दु सरे वाक् में ‘सोना’ का अथश है ‘सोना’ नामक गिया। अलि-अलि सोंदभों में ये
शब् अलि अथश दे ते हैं अथवा एक शब् के कई अथश होते हैं । ऐसे शब् अने काथी शब् कहलाते हैं । नीचे गदए िए शब्ोों के गभन्न-गभन्न अथश स्पि करने के गलए उनका वाक्ोों में
प्रयोि कीगजए −
Answer:
(क) उत्तर – मैं ने सभी प्रश्नोों के उत्तर गलख गलए हैं ।तुम्हें उत्तर गदशा में जाना है ।
(ख) कर – हमने सभी कर चुका गदए हैं ।मोंत्री जी ने अपने कर कमलोों से दीप प्रज्ज्वगलत गकया।
(ि) अोंक – राम के परीक्षा में अच्छे अोंक आए हैं ।बच्चा अपनी मााँ की अोंक में बैठा है ।
Question 5:
2. उस पर चायदानी रखी।
Answer:
(ि) बिल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और तौगलए से बरतन साफ़ गकए।
Question 6:
नीचे गदए िए वाक्ोों से गमश्र वाक् बनाइए −
Answer:
(ख) बाहर बेढब सा एक गमट्टी का बरतन था गजसमें पानी भरा हुआ था।
(ि) जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालोों में भरकर हमारे सामने रख दी।