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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16

Page No 122:

Question 1:

शु द्ध सोना और गिन्नी का सोना अलि क्ोों होता है ?

Answer:

शु द्ध सोने में थोडा-सा तााँ बा गमलाकर गिन्नी बनता है । ऐसा करने से सोना चमकता है ।

Question 2:

प्रेक्टिकल आइगियागलस्ट गकसे कहते हैं ?

Answer:

जो लोि आदशश बनते हैं और व्यवहार के समय उन्ीों आदश शोों को तोड मरोड कर अवसर का लाभ उठाते हैं , उन्ें प्रेक्टिकल आइगियागलस्ट कहते हैं ।

Question 3:

पाठ के सोंदभश में शु द्ध आदशश क्ा है ?

Answer:

शु द्ध आदशश का अथश है गजसमें लाभ हागन सोचने की िुजाों इश नहीों होती है ।

Question 4:

ले खक ने जापागनयोों के गदमाि में ‘स्पीि’ का इों जन लिने की बात क्ोों कही है ?

Answer:

जापानी लोि उन्नगत की होड में सबसे आिे हैं । इसगलए ले खक ने जापागनयोों के गदमाि में ‘स्पीि’ का इों जन लिने की बात कही है ।

Question 5:
जापानी में चाय पीने की गवगि को क्ा कहते हैं ?

Answer:

जापानी में चाय पीने की गवगि, गजसे टी सेरेमनी कहा िया है , चा-नो-यू कहते हैं ।

Question 6:

जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , उस स्थान की क्ा गवशे षता है ?

Answer:

जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , वहााँ की सजावट पारम्पररक होती है । वहााँ अत्यन्त शाों गत और िरीमा के साथ चाय गपलाई जाती है । शाों गत उस स्थान की मु ख्य गवशे षता है ।

Question 1:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

शु द्ध आदशश की तुलना सोने से और व्यावहाररकता की तुलना तााँ बे से क्ोों की िई है ?

Answer:

शु द्ध सोने में गकसी प्रकार की गमलावट नहीों की जा सकती। तााँ बा गमलाने से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शु द्धता समाप्त हो जाती है । इसी प्रकार व्यवहाररकता में शु द्ध आदशश
समाप्त हो जाते हैं । सही भाि में व्यवहाररकता को गमलाया जाता है तो ठीक रहता है ।

Question 2:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

चाजीन ने कौन-सी गियाएाँ िररमापूर्श ढों ि से पूरी कीों?

Answer:

चाजीन द्वारा अगतगथयोों का उठकर स्वाित करना, आराम से अाँिीठी सुलिाना, चायदानी रखना, चाय के बतशन लाना, तौगलए से पोछ कर चाय िालना आगद सभी गियाएाँ
िररमापूर्श, अच्छे व सहज ढों ि से कीों।

Question 3:
गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

‘टी-सेरेमनी’ में गकतने आदगमयोों को प्रवेश गदया जाता था और क्ोों?

Answer:

भाि-दौड की ग़िदों िी से दू र भू त-भगवष्य की गचोंता छोडकर शाों गतमय वातावरर् में कुछ समय गबताना इस जिह का उद्दे श्य होता है । इसगलए इसमें केवल तीन आदगमयोों को
प्रवेश गदया जाता था।

Question 4:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

चाय पीने के बाद ले खक ने स्वयों में क्ा पररवतशन महसूस गकया?

Answer:

चाय पीने के बाद ले खक ने महसूस गकया गक उसका गदमाि सुन्न होता जा रहा है , उसकी सोचने की शक्टि िीरे -िीरे मों द हो रही है । इससे सन्नाटे की आवाज भी सुनाई दे ने लिी।
उसे लिा गक भू त-भगवष्य दोनोों का गचोंतन न करके वतशमान में जी रहा हो। उसे बहुत सुख गमलने लिा।

Question 1:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी; उदाहरर् सगहत इस बात की पुगि कीगजए?

Answer:

िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी। उनका ने तृत्व ही था, जो गवगभन्न िमों और सोंप्रदायोों में बााँ टा भारत एक हो िया और लोि आ़िादी पाने के गलए तत्पर हो िए। उन्ोोंने जब
भी ने तृत्व गकया, वे सफल रहे । उनके ने तृत्व के तले सभी िमों के लोिोों ने अपना भरपूर सहयोि गदया। ऐसे अने क उदाहरर् हमारे सामने गवद्यमान हैं , जब उन्ोोंने अपने सफल
ने तृत्व का उदाहरर् गदया है । दाों िी माचश ऐसा ही एक आों दोलन है । इसकी सफलता को भु लाया नहीों जा सकता है । भारत छोडो आन्दोलन, सत्याग्रह तथा असहयोि आन्दोलन
उनके अद् भु त ने तृत्व को दशाश ते हैं । अपनी इसी क्षमता के बल पर उन्ोोंने अगहों सा के मािश पर चलकर पूर्श स्वराज की स्थापना की।

Question 2:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−


आपके गवचार से कौन-से ऐसे मू ल्य हैं जो शाश्वत हैं ? वतशमान समय में इन मू ल्योों की प्राों सगिकता स्पि कीगजए।

Answer:

ईमानदारी, सत्य, अगहों सा, परोपकार, परगहत, कावरता, सगहष्णु ता आगद ऐसे शाश्वत मू ल्य हैं गजनकी प्राों सगिकता आज भी है । इनकी आज भी उतनी ही ़िरूरत है गजतनी पहले
थी। आज के समाज को सत्य अगहों सा की अत्यन्त आवश्यक है । इन्ीों मू ल्योों पर सोंसार नै गतक आचरर् करता है । यगद हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मािश पर
चलें तो समाज को गवघटन से बचाया जा सकता है ।

Question 3:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

अपने जीवन की गकसी ऐसी घटना का उल्ले ख कीगजए जब−

(1) शु द्ध आदशश से आपको हागन-लाभ हुआ हो।

(2) शु द्ध आदशश में व्यावहाररकता का पुट दे ने से लाभ हुआ हो।

Answer:

शु द्ध आदशश अपनाने से हम पर लोिोों का गवश्वास बढ़ता है , हम सम्मान पा सकते हैं ।

(1) छात्र स्वयों अपनी घटना गदए िए तरीके से गलख सकते हैं −

मे रे जीवन में एक बार ऐसी घटना हुई थी, गजसने मु झे बहुत दु खी गकया था। मैं ने मास्टर जी से ऐसे लडके की गशकायत कर दी थी, जो स्कूल में चोररयााँ गकया करता था। मास्टर जी
तो प्रसन्न हुए परन्तु लडके ने छु ट्टी के बाद अपने सागथयोों के साथ गमलकर मे री हगियााँ तोड दी। मु झे प्लास्टर तो बोंिा ही, घरवालोों के जो पैसे खचश हुए अलि, साथ ही एक महीने
छु ट्टी ले कर घर पर रहना पडा। मु झे शु द्ध आदशश अपनाने की बडी कीमत चुकानी पडी।

(2) व्यवहार में व्यवहाररकता लाना ़िरूरी है । एक महीने बाद जब स्कूल पहुाँ चा, तो गपछला काम पाने के गलए स्कूल के सबसे अच्छे छात्र को खु श करने के गलए उसकी तारीफ़
की, उसको सराहा और कक्षा कायश माों िा तो उसने तुरोंत मदद कर दी।

Question 4:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

‘शु द्ध सोने में ताबे की गमलावट या तााँ बें में सोना’, िााँ िीजी के आदशश और व्यवहार के सोंदभश में यह बात गकस तरह झलकती है ? स्पि कीगजए।
Answer:

िााँ िीजी व्यवहाररकता की कीमत जानते थे । इसीगलए वे अपना गवलक्षर् आदशश चला सके। ले गकन अपने आदशों को व्यावहाररकता के स्वर पर उतरने नहीों दे ते थे । वे सोने में
ताों बा नहीों बक्टि तााँ बे में सोना गमलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे । इसगलए उनके आदशश कालजयी हुए।

Question 5:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानु सार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल िालने की एक बानिी दे खी। इस पाठ के अोंश ‘गिन्नी का सोना’ का सोंदभश में स्पि
कीगजए गक ‘आदशश वागदता’ और ‘व्यवहाररकता’ इनमें से जीवन में गकसका महत्व है ?

Answer:

‘गिरगिट’ कहानी में स्वाथी इों स्पेिर पल-पल बदलता है । वह अवसर के अनु सार अपना व्यवहार बदल ले ता है । ‘गिन्नी का सोना’ कहानी में इस बात पर बल गदया िया है गक
आदशश शु द्ध सोने के समान हैं । इसमें व्यवागहरकता का तााँ बा गमलाकर उपयोिी बनाया जा सकता है । केवल व्यवहारवादी लोि िुर्वान लोिोों को भी पीछे छोडकर आिे बढ़
जाते हैं । यगद समाज का हर व्यक्टि आदशों को छोडकर आिे बढ़ें तो समाज गवनाश की ओर जा सकता है । समाज की उन्नगत सही मायने में वहीों मानी जा सकती है जहााँ
नै गतकता का गवकास, जीवन के मू ल्योों का गवकास हो।

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Question 6:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के क्ा-क्ा कारर् बताए? आप इन कारर्ोों से कहााँ तक सहमत हैं ?

Answer:

ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के कारर् बताएाँ हैं गक मनुष्य चलता नहीों दौडता है , बोलता नहीों बकता है , एक महीने का काम एक गदन में करना चाहता है , गदमाि ह़िार िुना
अगिक िगत से दौडता है । अत: तनाव बढ़ जाता है । मानगसक रोिोों का प्रमु ख कारर् प्रगतस्पिाश के कारर् गदमाि का अगनयोंगत्रत िगत से कायश करना है ।

Question 7:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−


ले खक के अनु सार सत्य केवल वतशमान है , उसी में जीना चागहए। ले खक ने ऐसा क्ोों कहा होिा? स्पि कीगजए।

Answer:

ले खक के अनु सार सत्य वतशमान है । उसी में जीना चागहए। हम अक्सर या तो िुजरे हुए गदनोों की बातोों में उलझे रहते हैं या भगवष्य के सपने दे खते हैं । इस तरह भू त या भगवष्य
काल में जीते हैं । असल में दोनोों काल गमथ्या हैं । वतशमान ही सत्य है उसी में जीना चागहए।

Question 1:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

समाज के पास अिर शाश्वत मु ल्योों जै सा कुछ है तो वह आदश शवादी लोिोों का ही गदया हुआ है ।

Answer:

आदशश वादी लोि समाज को आदशश रूप में रखने वाली राह बताते हैं । व्यवहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । उसमें आदशश वाद कहीों नहीों होता है ।

Question 2:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

जब व्यवहाररकता का बखान होने लिता है तब ‘प्रेक्टिकल आइगियागलस्टोों’ के जीवन से आदशश िीरे -िीरे पीछे हटने लिते हैं और उनकी व्यवहाररक सूझ-बूझ ही आिे आने
लिती है ?

Answer:

व्यावहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । वह केवल हागन-लाभ तथा अवसरवागदता का ही दू सरा नाम है ।

Question 3:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ िई है । यहााँ कोई चलता नहीों बक्टि दौडता है । कोई बोलता नहीों, बकता है । हम जब अकेले पडते हैं तब अपने आपसे लिातार बडबडाते रहते हैं ।

Answer:
जीवन की भाि-दौड, व्यस्तता तथा आिे गनकलने की होड ने लोिोों का चैन छीन गलया है । हर व्यक्टि अपने जीवन में अगिक पाने की होड में भाि रहा है । इससे तनाव व गनराशा
बढ़ रही है ।

Question 4:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

सभी गियाएाँ इतनी िररमापूर्श ढों ि से कीों गक उसकी हर भों गिमा से लिता था मानो जयजयवोंती के सुर िूाँज रहे होों।

Answer:

चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम गकया। झुककर प्रर्ाम करना, बरतन पौोंछना, चाय िालना सभी िीरज और सुोंदरता से गकए मानो कोई कलाकार बडे ही सुर में िीत
िा रहा हो।

Question 1:

नीचे गदए िए शब्ोों का वाक्ोों में प्रयोि गकगजए −

व्यावहाररकता, आदशश , सूझबूझ, गवलक्षर्, शाश्वत

Answer:

(क) व्यावहाररकता − दादाजी की व्यावहाररकता सीखने योग्य है ।

(ख) आदशश − आज के युि में िााँ िी जै से आदशश वागदता की ़िरूरत है ।

(ि) सूझबूझ − उसकी सूझबूझ ने आज मे री जान बचाई।

(घ) गवलक्षर् − महे श की अपने गवषय में गवलक्षर् प्रगतभा है ।

(ङ) शाश्वत − सत्य, अगहों सा मानव जीवन के शाश्वत गनयम हैं ।

Question 2:

‘लाभ-हागन का गवग्रह इस प्रकार होिा − लाभ और हागन


यहााँ द्वों द्व समास है गजसमें दोनोों पद प्रिान होते हैं । दोनोों पदोों के बीच योजक शब् का लोप करने के गलए योजक गचह्न लिाया जाता है । नीचे गदए िए द्वों द्व समास का गवग्रह कीगजए

(क) माता-गपता = ……………….

(ख) पाप-पुण्य = ……………….

(ि) सुख-दु ख = ……………….

(घ) रात-गदन = ……………….

(ङ) अन्न-जल = ……………….

(च) घर-बाहर = ……………….

(छ) दे श-गवदे श = ……………….

Answer:

(क) माता-गपता = माता और गपता

(ख) पाप-पुण्य = पाप और पुण्य

(ि) सुख-दु ख = सुख और दु ख

(घ) रात-गदन = रात और गदन


(ङ) अन्न-जल = अन्न और जल

(च) घर-बाहर = घर और बाहर

(छ) दे श-गवदे श = दे श और गवदे श

Question 3:

नीचे गदए िए गवशे षर् शब्ोों से भाववाचक सोंज्ञा बनाइए −

(क) सफल = ……………..

(ख) गवलक्षर् = ……………..

(ि) व्यावहाररक = ……………..

(घ) सजि = ……………..

(ङ) आदश शवादी = ……………..

(च) शु द्ध = ……………..

Answer:

(क) सफल = सफलता

(ख) गवलक्षर् = गवलक्षर्ता


(ि) व्यावहाररक = व्यावहाररकता

(घ) सजि = सजिता

(ङ) आदश शवादी = आदश शवागदता

(च) शु द्ध = शु द्धता

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Question 4:

नीचे गदए िए वाक्ोों में रे खाों गकत अोंश पर ध्यान दीगजए और शब् के अथश को समगझए −

शु द्ध सोना अलि है ।

बहुत रात हो िई अब हमें सोना चागहए।

ऊपर गदए िए वाक्ोों में ‘सोना’ का क्ा अथश है ? पहले वाक् में ‘सोना’ का अथश है िातु ‘स्वर्श’। दु सरे वाक् में ‘सोना’ का अथश है ‘सोना’ नामक गिया। अलि-अलि सोंदभों में ये
शब् अलि अथश दे ते हैं अथवा एक शब् के कई अथश होते हैं । ऐसे शब् अने काथी शब् कहलाते हैं । नीचे गदए िए शब्ोों के गभन्न-गभन्न अथश स्पि करने के गलए उनका वाक्ोों में
प्रयोि कीगजए −

उत्तर, कर, अोंक, नि

Answer:

(क) उत्तर – मैं ने सभी प्रश्नोों के उत्तर गलख गलए हैं ।तुम्हें उत्तर गदशा में जाना है ।

(ख) कर – हमने सभी कर चुका गदए हैं ।मोंत्री जी ने अपने कर कमलोों से दीप प्रज्ज्वगलत गकया।

(ि) अोंक – राम के परीक्षा में अच्छे अोंक आए हैं ।बच्चा अपनी मााँ की अोंक में बैठा है ।
(घ) नि – हीरा एक कीमती नि है ।गहमालय एक बडा नि है ।

Question 5:

नीचे गदए िए वाक्ोों को सोंयुि वाक् में बदलकर गलक्टखए −

(क) 1. अाँिीठी सुलिायी।

2. उस पर चायदानी रखी।

(ख) 1. चाय तैयार हुई।

2. उसने वह प्यालोों में भरी।

(ि) 1. बिल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।

2. तौगलये से बरतन साफ़ गकए।

Answer:

(क) अाँिीठी सुलिायी और उसपर चायदानी रखी।

(ख) चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालोों में भरी।

(ि) बिल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और तौगलए से बरतन साफ़ गकए।

Question 6:

नीचे गदए िए वाक्ोों से गमश्र वाक् बनाइए −

(क) 1. चाय पीने की यह एक गवगि है ।

2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं ।

(ख) 1. बाहर बेढब-सा एक गमट्टी का बरतन था।

2. उसमें पानी भरा हुआ था।


(ि) 1. चाय तैयार हुई।

2. उसने वह प्यालोों में भरी।

3. गफर वे प्याले हमारे सामने रख गदए।

Answer:

(क) यह चाय पीने की एक गवगि है गजसे जापानी चा-नो-यू कहते हैं ।

(ख) बाहर बेढब सा एक गमट्टी का बरतन था गजसमें पानी भरा हुआ था।

(ि) जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालोों में भरकर हमारे सामने रख दी।

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Question 1:

शु द्ध सोना और गिन्नी का सोना अलि क्ोों होता है ?

Answer:

शु द्ध सोने में थोडा-सा तााँ बा गमलाकर गिन्नी बनता है । ऐसा करने से सोना चमकता है ।

Question 2:

प्रेक्टिकल आइगियागलस्ट गकसे कहते हैं ?

Answer:

जो लोि आदशश बनते हैं और व्यवहार के समय उन्ीों आदश शोों को तोड मरोड कर अवसर का लाभ उठाते हैं , उन्ें प्रेक्टिकल आइगियागलस्ट कहते हैं ।

Question 3:

पाठ के सोंदभश में शु द्ध आदशश क्ा है ?

Answer:
शु द्ध आदशश का अथश है गजसमें लाभ हागन सोचने की िुजाों इश नहीों होती है ।

Question 4:

ले खक ने जापागनयोों के गदमाि में ‘स्पीि’ का इों जन लिने की बात क्ोों कही है ?

Answer:

जापानी लोि उन्नगत की होड में सबसे आिे हैं । इसगलए ले खक ने जापागनयोों के गदमाि में ‘स्पीि’ का इों जन लिने की बात कही है ।

Question 5:

जापानी में चाय पीने की गवगि को क्ा कहते हैं ?

Answer:

जापानी में चाय पीने की गवगि, गजसे टी सेरेमनी कहा िया है , चा-नो-यू कहते हैं ।

Question 6:

जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , उस स्थान की क्ा गवशे षता है ?

Answer:

जापान में जहााँ चाय गपलाई जाती है , वहााँ की सजावट पारम्पररक होती है । वहााँ अत्यन्त शाों गत और िरीमा के साथ चाय गपलाई जाती है । शाों गत उस स्थान की मु ख्य गवशे षता है ।

Question 1:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

शु द्ध आदशश की तुलना सोने से और व्यावहाररकता की तुलना तााँ बे से क्ोों की िई है ?

Answer:

शु द्ध सोने में गकसी प्रकार की गमलावट नहीों की जा सकती। तााँ बा गमलाने से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शु द्धता समाप्त हो जाती है । इसी प्रकार व्यवहाररकता में शु द्ध आदशश
समाप्त हो जाते हैं । सही भाि में व्यवहाररकता को गमलाया जाता है तो ठीक रहता है ।

Question 2:
गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

चाजीन ने कौन-सी गियाएाँ िररमापूर्श ढों ि से पूरी कीों?

Answer:

चाजीन द्वारा अगतगथयोों का उठकर स्वाित करना, आराम से अाँिीठी सुलिाना, चायदानी रखना, चाय के बर् तन लाना, तौगलए से पोछ कर चाय िालना आगद सभी गियाएाँ
िररमापूर्श, अच्छे व सहज ढों ि से कीों।

Question 3:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

‘टी-सेरेमनी’ में गकतने आदगमयोों को प्रवेश गदया जाता था और क्ोों?

Answer:

भाि-दौड की ग़िदों िी से दू र भू त-भगवष्य की गचोंता छोडकर शाों गतमय वातावरर् में कुछ समय गबताना इस जिह का उद्दे श्य होता है । इसगलए इसमें केवल तीन आदगमयोों को
प्रवेश गदया जाता था।

Question 4:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्ोों में ) गलक्टखए−

चाय पीने के बाद ले खक ने स्वयों में क्ा पररवतशन महसूस गकया?

Answer:

चाय पीने के बाद ले खक ने महसूस गकया गक उसका गदमाि सुन्न होता जा रहा है , उसकी सोचने की शक्टि िीरे -िीरे मों द हो रही है । इससे सन्नाटे की आवाज भी सुनाई दे ने लिी।
उसे लिा गक भू त-भगवष्य दोनोों का गचोंतन न करके वतशमान में जी रहा हो। उसे बहुत सुख गमलने लिा।

Question 1:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी; उदाहरर् सगहत इस बात की पुगि कीगजए?
Answer:

िााँ िीजी में ने तृत्व की अद् भु त क्षमता थी। उनका ने तृत्व ही था, जो गवगभन्न िमों और सोंप्रदायोों में बााँ टा भारत एक हो िया और लोि आ़िादी पाने के गलए तत्पर हो िए। उन्ोोंने जब
भी ने तृत्व गकया, वे सफल रहे । उनके ने तृत्व के तले सभी िमों के लोिोों ने अपना भरपूर सहयोि गदया। ऐसे अने क उदाहरर् हमारे सामने गवद्यमान हैं , जब उन्ोोंने अपने सफल
ने तृत्व का उदाहरर् गदया है । दाों िी माचश ऐसा ही एक आों दोलन है । इसकी सफलता को भु लाया नहीों जा सकता है । भारत छोडो आन्दोलन, सत्याग्रह तथा असहयोि आन्दोलन
उनके अद् भु त ने तृत्व को दशाश ते हैं । अपनी इसी क्षमता के बल पर उन्ोोंने अगहों सा के मािश पर चलकर पूर्श स्वराज की स्थापना की।

Question 2:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

आपके गवचार से कौन-से ऐसे मू ल्य हैं जो शाश्वत हैं ? वतशमान समय में इन मू ल्योों की प्राों सगिकता स्पि कीगजए।

Answer:

ईमानदारी, सत्य, अगहों सा, परोपकार, परगहत, कावरता, सगहष्णु ता आगद ऐसे शाश्वत मू ल्य हैं गजनकी प्राों सगिकता आज भी है । इनकी आज भी उतनी ही ़िरूरत है गजतनी पहले
थी। आज के समाज को सत्य अगहों सा की अत्यन्त आवश्यक है । इन्ीों मू ल्योों पर सोंसार नै गतक आचरर् करता है । यगद हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मािश पर
चलें तो समाज को गवघटन से बचाया जा सकता है ।

Question 3:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

अपने जीवन की गकसी ऐसी घटना का उल्ले ख कीगजए जब−

(1) शु द्ध आदशश से आपको हागन-लाभ हुआ हो।

(2) शु द्ध आदशश में व्यावहाररकता का पुट दे ने से लाभ हुआ हो।

Answer:

शु द्ध आदशश अपनाने से हम पर लोिोों का गवश्वास बढ़ता है , हम सम्मान पा सकते हैं ।

(1) छात्र स्वयों अपनी घटना गदए िए तरीके से गलख सकते हैं −
मे रे जीवन में एक बार ऐसी घटना हुई थी, गजसने मु झे बहुत दु खी गकया था। मैं ने मास्टर जी से ऐसे लडके की गशकायत कर दी थी, जो स्कूल में चोररयााँ गकया करता था। मास्टर जी
तो प्रसन्न हुए परन्तु लडके ने छु ट्टी के बाद अपने सागथयोों के साथ गमलकर मे री हगियााँ तोड दी। मु झे प्लास्टर तो बोंिा ही, घरवालोों के जो पैसे खचश हुए अलि, साथ ही एक महीने
छु ट्टी ले कर घर पर रहना पडा। मु झे शु द्ध आदशश अपनाने की बडी कीमत चुकानी पडी।

(2) व्यवहार में व्यवहाररकता लाना ़िरूरी है । एक महीने बाद जब स्कूल पहुाँ चा, तो गपछला काम पाने के गलए स्कूल के सबसे अच्छे छात्र को खु श करने के गलए उसकी तारीफ़
की, उसको सराहा और कक्षा कायश माों िा तो उसने तुरोंत मदद कर दी।

Question 4:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

‘शु द्ध सोने में ताबे की गमलावट या तााँ बें में सोना’, िााँ िीजी के आदशश और व्यवहार के सोंदभश में यह बात गकस तरह झलकती है ? स्पि कीगजए।

Answer:

िााँ िीजी व्यवहाररकता की कीमत जानते थे । इसीगलए वे अपना गवलक्षर् आदशश चला सके। ले गकन अपने आदशों को व्यावहाररकता के स्वर पर उतरने नहीों दे ते थे । वे सोने में
ताों बा नहीों बक्टि तााँ बे में सोना गमलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे । इसगलए उनके आदशश कालजयी हुए।

Question 5:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानु सार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल िालने की एक बानिी दे खी। इस पाठ के अोंश ‘गिन्नी का सोना’ का सोंदभश में स्पि
कीगजए गक ‘आदशश वागदता’ और ‘व्यवहाररकता’ इनमें से जीवन में गकसका महत्व है ?

Answer:

‘गिरगिट’ कहानी में स्वाथी इों स्पेिर पल-पल बदलता है । वह अवसर के अनु सार अपना व्यवहार बदल ले ता है । ‘गिन्नी का सोना’ कहानी में इस बात पर बल गदया िया है गक
आदशश शु द्ध सोने के समान हैं । इसमें व्यवागहरकता का तााँ बा गमलाकर उपयोिी बनाया जा सकता है । केवल व्यवहारवादी लोि िुर्वान लोिोों को भी पीछे छोडकर आिे बढ़
जाते हैं । यगद समाज का हर व्यक्टि आदशों को छोडकर आिे बढ़ें तो समाज गवनाश की ओर जा सकता है । समाज की उन्नगत सही मायने में वहीों मानी जा सकती है जहााँ
नै गतकता का गवकास, जीवन के मू ल्योों का गवकास हो।

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Question 6:
गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के क्ा-क्ा कारर् बताए? आप इन कारर्ोों से कहााँ तक सहमत हैं ?

Answer:

ले खक के गमत्र ने मानगसक रोि के कारर् बताएाँ हैं गक मनुष्य चलता नहीों दौडता है , बोलता नहीों बकता है , एक महीने का काम एक गदन में करना चाहता है , गदमाि ह़िार िुना
अगिक िगत से दौडता है । अत: तनाव बढ़ जाता है । मानगसक रोिोों का प्रमु ख कारर् प्रगतस्पिाश के कारर् गदमाि का अगनयोंगत्रत िगत से कायश करना है ।

Question 7:

गनम्नगलक्टखत प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्ोों में ) गलक्टखए−

ले खक के अनु सार सत्य केवल वतशमान है , उसी में जीना चागहए। ले खक ने ऐसा क्ोों कहा होिा? स्पि कीगजए।

Answer:

ले खक के अनु सार सत्य वतशमान है । उसी में जीना चागहए। हम अक्सर या तो िुजरे हुए गदनोों की बातोों में उलझे रहते हैं या भगवष्य के सपने दे खते हैं । इस तरह भू त या भगवष्य
काल में जीते हैं । असल में दोनोों काल गमथ्या हैं । वतशमान ही सत्य है उसी में जीना चागहए।

Question 1:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

समाज के पास अिर शाश्वत मु ल्योों जै सा कुछ है तो वह आदश शवादी लोिोों का ही गदया हुआ है ।

Answer:

आदशश वादी लोि समाज को आदशश रूप में रखने वाली राह बताते हैं । व्यवहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । उसमें आदशश वाद कहीों नहीों होता है ।

Question 2:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

जब व्यवहाररकता का बखान होने लिता है तब ‘प्रेक्टिकल आइगियागलस्टोों’ के जीवन से आदशश िीरे -िीरे पीछे हटने लिते हैं और उनकी व्यवहाररक सूझ-बूझ ही आिे आने
लिती है ?
Answer:

व्यावहाररक आदशश वाद वास्तव में व्यवहाररकता ही है । वह केवल हागन-लाभ तथा अवसरवागदता का ही दू सरा नाम है ।

Question 3:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ िई है । यहााँ कोई चलता नहीों बक्टि दौडता है । कोई बोलता नहीों, बकता है । हम जब अकेले पडते हैं तब अपने आपसे लिातार बडबडाते रहते हैं ।

Answer:

जीवन की भाि-दौड, व्यस्तता तथा आिे गनकलने की होड ने लोिोों का चैन छीन गलया है । हर व्यक्टि अपने जीवन में अगिक पाने की होड में भाि रहा है । इससे तनाव व गनराशा
बढ़ रही है ।

Question 4:

गनम्नगलक्टखत के आशय स्पि कीगजए −

सभी गियाएाँ इतनी िररमापूर्श ढों ि से कीों गक उसकी हर भों गिमा से लिता था मानो जयजयवोंती के सुर िूाँज रहे होों।

Answer:

चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम गकया। झुककर प्रर्ाम करना, बरतन पौोंछना, चाय िालना सभी िीरज और सुोंदरता से गकए मानो कोई कलाकार बडे ही सुर में िीत
िा रहा हो।

Question 1:

नीचे गदए िए शब्ोों का वाक्ोों में प्रयोि गकगजए −

व्यावहाररकता, आदशश , सूझबूझ, गवलक्षर्, शाश्वत

Answer:

(क) व्यावहाररकता − दादाजी की व्यावहाररकता सीखने योग्य है ।

(ख) आदशश − आज के युि में िााँ िी जै से आदशश वागदता की ़िरूरत है ।


(ि) सूझबूझ − उसकी सूझबूझ ने आज मे री जान बचाई।

(घ) गवलक्षर् − महे श की अपने गवषय में गवलक्षर् प्रगतभा है ।

(ङ) शाश्वत − सत्य, अगहों सा मानव जीवन के शाश्वत गनयम हैं ।

Question 2:

‘लाभ-हागन का गवग्रह इस प्रकार होिा − लाभ और हागन

यहााँ द्वों द्व समास है गजसमें दोनोों पद प्रिान होते हैं । दोनोों पदोों के बीच योजक शब् का लोप करने के गलए योजक गचह्न लिाया जाता है । नीचे गदए िए द्वों द्व समास का गवग्रह कीगजए

(क) माता-गपता = ……………….

(ख) पाप-पुण्य = ……………….

(ि) सुख-दु ख = ……………….

(घ) रात-गदन = ……………….

(ङ) अन्न-जल = ……………….

(च) घर-बाहर = ……………….

(छ) दे श-गवदे श = ……………….

Answer:

(क) माता-गपता = माता और गपता


(ख) पाप-पुण्य = पाप और पुण्य

(ि) सुख-दु ख = सुख और दु ख

(घ) रात-गदन = रात और गदन

(ङ) अन्न-जल = अन्न और जल

(च) घर-बाहर = घर और बाहर

(छ) दे श-गवदे श = दे श और गवदे श

Question 3:

नीचे गदए िए गवशे षर् शब्ोों से भाववाचक सोंज्ञा बनाइए −

(क) सफल = ……………..

(ख) गवलक्षर् = ……………..

(ि) व्यावहाररक = ……………..

(घ) सजि = ……………..

(ङ) आदश शवादी = ……………..

(च) शु द्ध = ……………..


Answer:

(क) सफल = सफलता

(ख) गवलक्षर् = गवलक्षर्ता

(ि) व्यावहाररक = व्यावहाररकता

(घ) सजि = सजिता

(ङ) आदश शवादी = आदश शवागदता

(च) शु द्ध = शु द्धता

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Question 4:

नीचे गदए िए वाक्ोों में रे खाों गकत अोंश पर ध्यान दीगजए और शब् के अथश को समगझए −

शु द्ध सोना अलि है ।

बहुत रात हो िई अब हमें सोना चागहए।

ऊपर गदए िए वाक्ोों में ‘सोना’ का क्ा अथश है ? पहले वाक् में ‘सोना’ का अथश है िातु ‘स्वर्श’। दु सरे वाक् में ‘सोना’ का अथश है ‘सोना’ नामक गिया। अलि-अलि सोंदभों में ये
शब् अलि अथश दे ते हैं अथवा एक शब् के कई अथश होते हैं । ऐसे शब् अने काथी शब् कहलाते हैं । नीचे गदए िए शब्ोों के गभन्न-गभन्न अथश स्पि करने के गलए उनका वाक्ोों में
प्रयोि कीगजए −

उत्तर, कर, अोंक, नि

Answer:
(क) उत्तर – मैं ने सभी प्रश्नोों के उत्तर गलख गलए हैं ।तुम्हें उत्तर गदशा में जाना है ।

(ख) कर – हमने सभी कर चुका गदए हैं ।मोंत्री जी ने अपने कर कमलोों से दीप प्रज्ज्वगलत गकया।

(ि) अोंक – राम के परीक्षा में अच्छे अोंक आए हैं ।बच्चा अपनी मााँ की अोंक में बैठा है ।

(घ) नि – हीरा एक कीमती नि है ।गहमालय एक बडा नि है ।

Question 5:

नीचे गदए िए वाक्ोों को सोंयुि वाक् में बदलकर गलक्टखए −

(क) 1. अाँिीठी सुलिायी।

2. उस पर चायदानी रखी।

(ख) 1. चाय तैयार हुई।

2. उसने वह प्यालोों में भरी।

(ि) 1. बिल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।

2. तौगलये से बरतन साफ़ गकए।

Answer:

(क) अाँिीठी सुलिायी और उसपर चायदानी रखी।

(ख) चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालोों में भरी।

(ि) बिल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और तौगलए से बरतन साफ़ गकए।

Question 6:
नीचे गदए िए वाक्ोों से गमश्र वाक् बनाइए −

(क) 1. चाय पीने की यह एक गवगि है ।

2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं ।

(ख) 1. बाहर बेढब-सा एक गमट्टी का बरतन था।

2. उसमें पानी भरा हुआ था।

(ि) 1. चाय तैयार हुई।

2. उसने वह प्यालोों में भरी।

3. गफर वे प्याले हमारे सामने रख गदए।

Answer:

(क) यह चाय पीने की एक गवगि है गजसे जापानी चा-नो-यू कहते हैं ।

(ख) बाहर बेढब सा एक गमट्टी का बरतन था गजसमें पानी भरा हुआ था।

(ि) जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालोों में भरकर हमारे सामने रख दी।

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