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Negotiable Instrument Act
Negotiable Instrument Act
in 1
STUDY NOTE- 4
OTHER LAWS
NEGOTIABLE INSTRUMENT ACT-1981
विनिमय-साध्य विलेख अधिनियम
उदे श्य ऐंवम कारण:- इस अधिनियम को निगमित ( incorporate ) करने का मुख्य उद्देश्य, विनिमय साध्य के
आहर्ता (DRAWER) के कोष में पर्याप्त धनराशि उचित समय पर न होने के कारण जुर्माना आरोपित करना है , ऐंवम
विनमय पत्रो के प्रचलन मे वद्धि
ृ करना है ।
उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि विनिमय-साध्य विलेख का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति से हस्तानांतरण किया जा
सकता है , प्राप्त करने वाले को सुद्ध स्वामित्व प्राप्त होगा।
यदि वह निम्न तीन बाते पूरी कर दे ।
1. उसने उचित मूल्य दिया है ।
2. सद्विश्वास मे खरीदा है ,
3. उसे बेचने वाले (drawer) के दषि
ू त स्वामित्व ( improper ownership) का ज्ञान नहीं है ।
1. लिखित
2. लिखने वाले के हस्ताक्षर
3. हस्तनान्तरण
4. स्वामित्व का परिवर्तन ( transfer of ownership)
5. सुद्ध अधिकार (good title)
6. वैधानिक स्वामित्व
7. सर्त रहित आदे श
8. मुद्रा मे भुगतान
9. दे य होना
10. प्रयोग
1. धनादे श या चेक (cheque):- “चेक एक प्रकार का विनिमय-पत्र है , जो किसी विशिष्ट बैंकर पर लिखा जाता
है तथा मांग पर ही दे य होता है । “
2. विनिमय-विपत्र (BILL OF EXCHANGE):- “ विनिमय बिल एक लिखित आदे श होता है , जिस पर लेखक
के लिखित हस्ताक्षर होते है , तथा जिसमे निश्चित व्यक्ति को यह आदे श होता है कि वह अमुक ( निश्चित)
व्यक्ति को अथवा उसके आदे शानुशर अथवा विलेख वाहक को एक निश्चित धनराशि का भुगतान करे ।“
3. प्रतिज्ञा-पत्र (PROMISSORY NOTE):- “ प्रतिज्ञा पत्र एक लिखित विलेख है ( जिसमे बैंक नोट अथवा
करन्सी नोट सामील नहीं है ) जिसमे सर्तहीन प्रतिज्ञा-पत्र लिखने वाला हस्ताक्षर करता है और किसी निश्चित
व्यक्ति अथवा उनके आदे शानुशार अथवा विलेक्स क वाहक को एक निश्चित राशि चुकाने का वचन दिया
जाता है ।“
4. हुण्डी (HUNDI):- हुण्डी विनिमय पत्र का एक भारतीय रूप है । यह भारतीय भाषा मे लिखी जाती है व इसमे
निश्चित राशि क भुगतान का आदे श होता है ।
इस परिभाषा के अनश
ु ार धारक क लिए निम्न दो बाते आवश्यक है ।
1. लेखपत्र को अपने पास रखने का अधिकारी होना चाहिये।
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यथाविधि धारक (HOLDER IN DUE COURSE)- यथाविधि धारक से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है , जिसने विलेख
(instrument) को भुगतान तिथि क पूर्व उचित प्रतिफल के बदले इस विश्वास पर प्राप्त किया हो की दे ने वाले के
अधिकार मे कोई दोष नहीं था।
MOHAN
RAM
(HOLDER IN
(transferor)
DUE COURSE)
SHYAM
(holder)
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व्याख्या
1. उक्त परिस्थितियो मे श्याम ने कोई विलेख राम से प्राप्त किया है , अतः श्याम एक विलेख का धारक है ।
2. श्याम वह विलेख किसी वैधानिक प्रतिफल (consideration) के बदले मोहन को हस्तानतरित (transfer) कर
दे ता है ।
3. अतः मोहन एक यथाविधिधारक कहलाएगा। तथा सामान्य परिस्थितियो मे अपने प्रतिफल की राशि का
भुगतान वह राम से प्राप्त करने का अधिकारी है ।
4. किन्ही कारणो से अगर राम और श्याम के मध्य हुये लेन-दे न के जारी विलेख के भुगतान के लिए अब अगर
राम बाध्य नहीं है , तो ऐसी परिस्थितियो मे राम विलेख के राशि का भग
ु तान मोहन को करने के लिए बाध्य
नहीं होगा।
5. उक्त परिस्थितियो मे अगर मोहन ने अगर वह विलेख पूर्ण वैधानिक तरीके से श्याम से प्राप्त किया है व
श्याम उस विलेख का सद्ध
ु स्वामी नहीं था, फिर भी मोहन श्याम से विलेख के विरुद्ध राशि प्राप्त करने के
अधिकारी है ।
नोट- उक्त व्याख्या मात्र विध्यार्थियों को समझने के लिए की गयी है , इसका प्रयोग उदाहरण के तौर पर न करे ।