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उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्रों की उनकी व्यावसायिक रूचि से सं बंधित रचनात्मकता का अध्ययन

प्रस्तावना- शिक्षा का प्राथमिक लक्ष्य बच्चों के सर्वां गीण विकास को बढ़ावा दे ना है । सर्वां गीण विकास का
अर्थ मु ख्य रूप से शारीरिक बौद्धिक नै तिक व्यवसायिक और सामाजिक विकास है । इसे शिक्षा के माध्यम से ही
प्राप्त किया जा सकता है । यह बच्चों को सामाजिक प्राणी बनाने में सां स्कृतिक रूप से विकसित सामाजिक
प्राणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन भर चलता रहता है । यह
ध्यान रखना चाहिए कि आजीवन सीखने की चु नौतियों को तभी सफलतापूर्वक समझा जा सकता है जब लोग
स्वयं इसमें लगे हो और इसे हासिल करने के लिए अपनी पहल करें । रचनात्मक छात्र वास्तव में दुनिया के लिए
सं पत्ति है , विभिन्न क्षे तर् ों में विकास और उन्नति बच्चों पर निर्भर करती है । इसमें कोई शक नहीं की एक अच्छी
शिक्षा में जीवन को बदलने की क्षमता होती है । एक शिक्षित व्यक्ति के साथ रहने और उसके साथ एक बु दधि ् मान
बहस करने से समझ का विस्तार होता है , और मन में एक सूक्ष्म रचनात्मकता और आनं द की उत्पत्ति होती है ।
शिक्षा वास्तव में कला के साथ-साथ विज्ञान धारा से सं बंधित विभिन्न विषयों को सीखने के लिए साइन अप करने
की एक प्रक्रिया है । पाठ्यक् रमों ने मनोवै ज्ञानिक शक्ति के साथ साथ छात्र की उम्र पर भरोसा करने की
पे शकश की प्रौढ़ शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा भी शिक्षा प्रणाली के व्यापक अं तर का एक हिस्सा है ।
चु नौतियों का सामना करने के लिए कल शिक्षा सबसे शक्तिशाली साधन होने जा रही है । महत्वपूर्ण होने के लिए
इसे ना केवल मानसिक विकास और व्यक्ति के शारीरिक विकास पर ध्यान दे ना चाहिए बल्कि समाज के भीतर
यु वाओं की आवश्यकताओं और आकां क्षा राशि को भी ध्यान में रखना चाहिए। व्यवसायिक शिक्षा आर्थिक
विकास और तकनीकी विकास को बढ़ावा दे ने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण कारक है । हमारे शिक्षण सं स्थानों का
उद्दे श्य छात्रों में रचनात्मकता का सु धार करना है । प्रतिस्पर्धा के यु ग में किसी भी राष्ट् र को रचनात्मकता के
लाभ को अनदे खा नहीं करना चाहिए। ऐसे राष्ट् र जो व्यक्तियों में रचनात्मक परिपे क्ष को पहचानने , प्रेरित करने
और सु धारने का सबसे अच्छा तरीका सिखाते हैं , वह स्वयं को अन्य राष्ट् रों की तु लना में एक अत्यं त उपयोगी
स्थिति में दे ख सकते हैं । जो वास्तव में प्रतिभाशाली मस्तिष्क को खोजने और विकसित करने में असफल है ।
रचनात्मकता समाज में सु धार के लिए एक मौलिक साधन है । हमारे दे श में रचनात्मकता की चाहत वास्तव में
उभरे हुए चरण में है ।

रचनात्मकता- रचनात्मकता एक विशे ष ढं ग से चिं तन करने का तरीका होता है , जिसे रचनात्मक चिं तन कहा जाता
है । रचनात्मकता का सामान्य अर्थ प्राय: मौलिकता से लगाया जाता है । परं तु वै ज्ञानिक अर्थ में रचनात्मकता
का अर्थ इतना सीमित नहीं है ।

"रचनात्मकता व्यक्ति की उस क्षमता को कहा जाता है जिससे वह कुछ ऐसी नई चीजों,रचनाओं या विचारों को
पै दा करता है , जो नया होता है , एवं जो पहले से उसे ज्ञात नहीं होता या एक काल्पनिक क्रिया या चिं तन
सं श्ले षण हो सकता है , इसमें गत अनु भति
ू यों से उत्पन्न सूचनाओं का एक नया पै टर्न और सम्मिश्रण सम्मिलित
हो सकता है , यह निश्चित रूप से उद्दे श्य पूर्ण या लक्ष्य निर्देशित होता है , ना कि निराधार स्वप्नचित्र होता है ,
यह वै ज्ञानिक कलात्मक या साहित्यिक रचना के रूप में भी हो सकता है ।"

है मोविज तथा है मोविज के अनु सार-

" नव परिवर्तन लाने अविष्कार करने तथा तत्वों को इस ढं ग से रखने की क्षमता जै से पहले कभी रखे नहीं गए हो,
ताकि उनका महत्व या सुं दरता बढ़ जाए, को ही रचनात्मकता की सं ज्ञा दी जाती है ।"
रचनात्मकता केवल कुछ नया बनाने के बारे में नहीं है । यह हमें सफल होने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण
कौशल विकसित करने के लिए भी आधार दे ता है । उदाहरण के लिए रचनात्मक अभ्यासो में सं लग्न से हमारे
समस्या समाधान कौशल को एक पु राने कार्य को पूरा करने की एक नई विधि खोजने या पूरी तरह से नया बनाने में
मदद मिलती है ।

अध्ययन की आवश्यकता- शिक्षा जीवन भर चलने वाली एक प्रक्रिया है । शिक्षा का उद्दे श्य लोगों की आर्थिक
स्थिति में निरं तर विकास एवं उनके जीवन स्तर में विकास कर समाज में सु ख शां ति स्थापित करना है । जीवन में
शिक्षा के द्वारा सु ख शां ति की स्थापना के लिए इसे रोजगारोन्मु खी बनाना अनिवार्य है । व्यवसायिक शिक्षा एवं
रुचि आधु निक यु ग की नई मां ग है । व्यवसायिक शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे NCF-2005 में भी
सम्मिलित किया गया है । वर्तमान में उसे शिक्षा को गु णवत्तापूर्ण शिक्षा का स्थान दिया जाता है जो विद्यार्थियों
को जीविकोपार्जन करने योग्य बनाएं व्यवसायिक शिक्षा की आवश्यकता को दे खते हुए अब तक अने क शोध
कार्य किए गए हैं जिनमें -

कश्यप सु मन ( 2014 ) महिला महाविद्यालय में अध्ययनरत स्नातक छात्रों के व्यवसाय चयन सं बंधी दृष्टिकोण
का अध्ययन, किया गया है

शालिनी ( 2015-17 ) उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति जागरूकता का
अध्ययन,

साक्षी ( 2016-2018) औधोगिक प्रशिक्षण सं स्थान के विद्यार्थियों में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति अभिव्यक्ति
का अध्ययन,

वाराणसी शहर में व्यवसायिक शिक्षा पर कार्य तो किए गए हैं परं तु विद्यार्थियों में व्यावसायिक रुचि सं बंधित
कार्य ना के बराबर किया गया है , जबकि यदि इस पर कार्य किया जाए तो इससे हम विद्यार्थियों को उनकी रूचि के
अनु सार व्यवसायिक शिक्षा दे सकेंगे । जिससे एक हद तक बे रोजगारी की समस्या का भी समाधान हो सकेगा।

समस्या कथन:- उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों की व्यवसायिक रुचि से सं बंधित रचनात्मकता का
अध्ययन।

सं क्रियात्मक परिभाषा:-

रचनात्मकता:- रचनात्मकता व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह उन वस्तु ओं या विचारों का उत्पादन


करता है जो अनिवार्य रूप से नए हो और जिन्हें वह पहले से ना जानता हो। जो व्यक्ति इस प्रकार का नवीन
कार्य करते हैं उन्हें रचनात्मक कहा जाता है और जिस प्रतिभा के आधार पर वह नई कृति नवीन रचना या नवीन
अविष्कार करते हैं उसे रचनात्मकता कहा जाता है ।

व्यावसायिक रुचि:- व्यावसायिक रुचि को वरीयता पसं द या नापसं द के अपने स्वयं के पै टर्न के रूप में परिभाषित
किया जाता है । किसी भी व्यक्ति की वे रुचियां जो किसी व्यवसाय उत्पादक कार्य अथवा धनोपार्जन के स्रोत से
सं बंधित होती हैं , उन्हें व्यवसायिक रुचियां कहते हैं ।

शोध प्रश्न:-

1) उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में रचनात्मकता का स्तर क्या है ?

2) उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में उनकी व्यवसाय कृषि से सं बंधित रचनात्मकता का स्तर क्या है ?

अध्ययन का उद्दे श्य:-


1) उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में व्यावसायिक रुचि के प्रति रचनात्मकता का अध्ययन करना

2) उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में व्यावसायिक रुचि के प्रति रचनात्मकता का अध्ययन-
निम्नलिखित स्तरों के आधार पर-

1) लैं गिक आधार छात्र/छात्राएं

2) निवास स्थान के आधार पर ग्रामीण/ शहरी

अध्ययन की परिकल्पना:- प्रस्तु त लघु शोध के लिए निम्नलिखित शून्य परिकल्पनाओं का निर्माण किया गया है ।

H01 उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में व्यावसायिक रुचि से सं बंधित रचनात्मकता में अं तर सार्थक
नहीं है ।

H02 उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र एवं छात्राओं की व्यवसाय रुचि में सार्थक अं तर नहीं है ।

H03 उच्च माध्यमिक विद्यालय के ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के व्यवसायिक रुचि में सार्थक अं तर नहीं है ।

न्यायदर्श:- प्रस्तु त लघु शोध की प्रकृति को दे खते हुए साधारण यादृच्छिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा।

जनसं ख्या:- प्रस्तु त शोध अध्ययन के लिए वाराणसी शहर के उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को लिया
जाएगा।

उपकरण:- शोधकर्ति के द्वारा व्यावसायिक रुचि के रचनात्मकता से सं बंधित प्रश्नावली निर्मित की जाएगी।

अध्ययन की परिसीमन:-

1) इस लघु शोध में केवल वाराणसी शहर के उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को ही लिया जाएगा।
2) इस लघु शोध में वाराणसी जिले के ग्रामीण एवं शहरी क्षे तर् के उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को
ही लिया जाएगा।

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