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कुछ संज्ञाए ं और क्रियाए ं

पत्त – पात्र हत्थ – हाथ भत्त - _____


रथ – रथ नगर – नगर, शहर विहार – विहार
उपासक – उपासक िाविज – व्यापारी

गच्छवि - ______ गण्हावि – ग्रहि करिा ह,ै लेिा है


कीळवि – खल े िा है भासवि – बोलिा ह,ै बाि करिा है
तक्रतया
बुद्धेन (एकिचन) – बुद्ध से, द्वारा बुद्धेक्रि / बुद्धेक्रि (बहुिचन) – बुद्धों से, द्वारा
➢ िाक्य में करि दशाा ने के वलए िविया विभवि का ्रययोग
वजस िस्िु का ्रययोग करके कोई विया / काम वकया गया हो – उस िस्िु के
वलए िविया विभवि का ्रययोग

➢ पत्त
ु ो हत्थने पत्तं गण्हावि ।
➢ िाविजो रथने नगरं गच्छवि ।
➢ पत्त
ु ो हत्थेवह / हत्थेवभ पत्तं गण्हावि ।
तक्रतया

➢ ‘के साथ’ दशााने के वलए भी िविया विभवि का ्रययोग होिा है ।


इन िाक्यों में िविया के रूप के साथ ‘सह’ या ‘सवद्धं’ ये शब्द आिे हैं ।

➢ उपासको पुत्तेन सवद्धं विहारं गच्छवि ।


➢ पत्त
ु ा वमत्तवे ह सवद्धं कीळवति ।
➢ िाविजो कस्सकेन सवद्धं भासवि ।
कुछ सज्ञ
ं ाए ं और क्रियाए ं

सािक – श्रािक, वशष्य, अनयु ायी अस्स - घोड़ा


भत्त - _______

दस
े ेवि - ______ दवे ि / ददावि – दिे ा है
आहरवि – लािा है पचवि – पकािा है
चतुत्थी
बद्ध
ु स्स, बुद्धाय (एकिचन) – बुद्ध को, के वलए
बुद्धानं (बहुिचन) – बुद्धों को, के वलए
➢ लाभाथी, ्रयाप्त किाा, लेने िाला दशााने के वलए चिुत्थी विभवि का ्रययोग

➢ उपासको याचकस्स भत्तं दवे ि / ददावि ।


➢ बुद्धो सािकानं धम्मं दस
े ेवि ।
➢ िाविजा भूपालाय अस्से आहरवति ।
➢ कस्सको वमत्तानं भत्तं पचवि ।
्रयत्यक्ष कमा – जो वदया जािा है – दवु िया
अ्रयत्यक्ष कमा – वजसे वदया जािा है - चिुत्थी

➢ उपासको याचकस्स भत्तं ददावि ।


➢ बद्ध
ु ो सािकानं धम्मं दस
े वे ि ।
चरथ, वभक्खिे, चाररकं,
बहुजनवहिाय बहुजनसख ु ाय लोकानक ु म्पाय
अत्थाय वहिाय सख
ु ाय देिमनस्ु सानं
कुछ संज्ञाए ं और क्रियाए ं
समि - ________ साटक – िस्त्र, कपड़े
िाविज - _______ भूपाल - _______
पुररस – पुरुष, आदमी गाम - गांि

याचवि - ________ आहरवि - _______


वनक्खमवि – वनकलिा है चरवि – चलिा है
लभवि – ्रयाप्त करिा है
पञ्चमी
बद्ध
ु ा, बद्ध ु स्मा, बद्ध ु म्िा (एकिचन) – बद्ध
ु से
बुद्धेक्रि, बुद्धेक्रि (बहुिचन) – बुद्धों से
➢ अलगाि, हिे ु, कारि दशााने के वलए पञ्चमी विभवि का ्रययोग
➢ समिो विहारस्मा वनक्खमवि ।
➢ िाविजा नगरा साटके आहरवति ।
➢ भूपालो बद्ध
ु म्हा धम्मं याचवि ।
➢ उपासका समिेवह धम्मं लभवति ।
पञ्चमी – दक्रु तया
से – को (from – to)

➢ पुररसो गामा नगरं गच्छवि ।


➢ समिा विहारम्हा गामं चरवति ।
➢ पािाविपािा िेरमिी वसक्खापदं समावदयावम ।
➢ अवदतनादाना िरे मिी वसक्खापदं समावदयावम ।
➢ कामेसु वमच्छाचारा* िेरमिी वसक्खापदं समावदयावम ।
➢ मुसािादा िेरमिी वसक्खापदं समावदयावम ।
➢ सुरामेरयमज्जपमादट्ठाना िेरमिी वसक्खापदं समावदयावम ।

* अब्रह्मचररया ....
अविज्जापच्चया सङ्खारा,
सङ्खारपच्चया विञ्ञािं,
विञ्ञािपच्चया नामरूपं,
नामरूपपच्चया सळायिनं ....

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