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अनक्र

ु मणिका
1. कक्षा का अवलोकन ( 15 दिन ) 3. प्रैक्टिकल से सांबांधित क्षेत्र की
2. स्कूल का बनु नयािी ढाांचा गनतववधियाां
• प्रधान बैठक • केस स्टडी
• पुस्तकालय अवलोकन • प्लेटो
• स्वामी वववेकानंद
• कंप्यूटर लैब
• औपचाररक छात्र का अवलोकन
• ववज्ञान प्रयोगशाला
• अनौपचाररक छात्र का अवलोकन
• खेल का मैदान
• कक्षा का अवलोकन
• जल की व्यवस्था
• साहित्ययक चोरी ररपोटट
• शौचालय
• समय सारणी
कक्षा का अवलोकन

(15 दिन)
दिन – 1 मांगलवार
(महाशिवरात्रत्र)
दिन-2 बि
ु वार
पररचय
हदन – बुधवार
हदनांक -2 माचट 2022
कक्षा का सेक्शन- VII A
समय- 10:30 -11:10 AM
शशक्षक्षका – सन
ु ीता
ववषय – हिंदी
उप ववषय- संज्ञा
प्रततभागी- शशक्षक्षका व शशक्षाथी
प्रनतत्रबब
ां
• शिक्षि ववधि
1. उदािरण देकर छात्रों से उत्तर जानना।
2. हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ रिी।
3. शब्दों का चुनाव में उच्चारण सरल व स्पष्ट रिा।
4. नम्रता पव
ू टक शसखाया गया।
कक्षा का वातावरि
1. शांततपण
ू ट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
3. अनश
ु ासन पण
ू ट वातावरण।
4. श्यामपट्ट का प्रयोग उदािरण देने के शलए।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनुशासन पूणट सीखने की इच्छा से भरपूर।
2. कक्षा में ववद्याथी अर्धक संख्या में उपत्स्थत थे।
3. कक्षा में ववद्यार्थटयों की आवश्यकता अनुसार कक्षा को चाटट की
सिायता से सजाया गया था।
दिन - 3 वीरवार
पररचय
हदन – वीरवार
हदनांक -3 माचट 2022
कक्षा व सेक्शन- VII B
समय –9:30 -10:10
शशक्षक्षका-पूजा
ववषय – अंग्रेजी
उप ववषय-क्रिया
प्रततभागी-शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. संश्लेषण आयमक ववर्ध।
2. पिले क्रिया बता कर क्रिर उनका वाक्यों में प्रयोग बताया गया।
3. बच्चों से भी श्यामपट्ट पर पूछा गया।
4. अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ रिी।
5. शब्दों का उच्चारण सरल व स्पष्ट रिा।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपण
ू ट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षाथी का आचरण पूणट व्यविार।
3. अनश
ु ासन पण
ू ट वातावरण।
4. श्यामपट्ट का प्रयोग उदािरण देने के शलए।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनुशासन पूवट सीखने की इच्छा से भरपूर।
2. कक्षा में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत पण
ू ट संख्या रिी।
3. कक्षा में ववद्यार्थटयों की आवश्यकता अनस
ु ार चाटट की सिायता से कक्षा
को सजाया गया।
दिन – 4 िक्र
ु वार
पररचय
हदन-शि
ु वार
कक्षा का सेक्शन –VII B
समय-8:50-9:30AM
शशक्षक्षका –कववता
ववषय –सामात्जक ववज्ञान
उप ववषय –पयाटवरण
प्रततभागी-शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. बच्चों को र्चत्र वि मान र्चत्र हदखाकर पढाया गया।
2. बच्चों से भी श्यामपट्ट पर पूछा गया।
3. शब्दों का उच्चारण सरल रिा।
4. कोमल वाणी का प्रयोग।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपण
ू ट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पूणट व्यविार।
3. अनुशासन पूणट वातावरण।
4. श्यामपट्ट का प्रयोग उदािरण देने के शलए।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनुशासन पूणट सीखने की इच्छा से भरपूर थे।
2. कक्षा में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत अर्धक संख्या में थी।
3. कक्षा में ववद्यार्थटयों को समझाने के शलए चाटट और अन्य उपकरणों का
प्रयोग क्रकया गया था।
दिन - 5 िननवार
पररचय
हदन – शतनवार
कक्षा का सेक्शन- VII A
समय-11:10-11:50
शशक्षक्षका- कुसम

ववषय - ववज्ञान
उपववषय- जीव ववज्ञान
प्रततभागी –शशक्षक और शशक्षाथी
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. प्रयोगशाला में कक्षा दी गई।
2. चाटट हदखा कर बच्चों को समझाया गया।
3. ववज्ञान का संपण
ू ट ज्ञान था।
4. शब्दों का उच्चारण स्पष्ट था।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपूणट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
3. अनुशासन पूणट वातावरण।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनश
ु ासन पण
ू ट सीखने की इच्छा में थे।
2. प्रयोगशाला में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत अर्धक संख्या में रिी।
3. प्रयोगशाला में ववद्यार्थटयों की आवश्यकता अनस
ु ार ववज्ञान से संबंर्धत
चाटट भी लगाए िुए थे।
दिन – 6 रवववार
दिन – 7 सोमवार
पररचय
हदन – सोमवार
कक्षा का सेक्शन- VI A
समय- 8:50-9:30AM
शशक्षक्षका – शशवानी
ववषय- गणणत
उप ववषय –समीकरण
प्रततभागी –शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. शोध ववर्ध
2. श्यामपट्ट वि वस्तु का प्रयोग कर शशक्षाथी को शसखाने का कायट क्रकया
गया।
3. गणणत में मिारत िाशसल की।
4. कोमल वाणी का प्रयोग।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपण
ू ट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
3. अनुशासन पूणट वातावरण।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनश
ु ासन पण
ू ट सीखने की इच्छा में थे।
2. प्रयोगशाला में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत अर्धक संख्या में रिी।
3. प्रयोगशाला में ववद्यार्थटयों की आवश्यकता और सीखने की इच्छा के
शलए चाटट का प्रयोग क्रकया गया था।
दिन 8 मांगलवार
पररचय
हदन – मंगलवार
कक्षा का सेक्शन –XI B
समय – 9:30-10:30
शशक्षक्षका- मधु
ववषय – गिृ ववज्ञान
उपववषय – बाल्यावस्था
प्रततभागी – शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब

• शिक्षि ववधि
1. छात्रों को सामान्य शसद्धांत बताकर उसकी जांच के शलए उदािरण हदए
गए।
2. शब्दों का चुनाव और चरण सरल व स्पष्ट रिा।
3. नम्रता से शसखाया गया।
• कक्षा का वातावरि
1. अनश
ु ासन पण
ू ट वातावरण।
2. शांततपूणट व स्वस्थ वातावरण।
3. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनुशासन पूणट सीखने की इच्छा में थे।
2. प्रयोगशाला में ववद्याथी अर्धक संख्या में उपत्स्थत थे।
3. प्रयोगशाला में ववद्यार्थटयों की आवश्यकता अनस
ु ार चाटट की सिायता से
ववद्यार्थटयों को शसखाया जाएगा।
दिन - 9 बि
ु वार
पररचय
हदन –बुधवार
कक्षा व सेक्शन- VII B
समय -10:30-11:10AM
शशक्षक्षका – बलजीत
ववषय – हिंदी
उप ववषय – क्रिया
प्रततभागी- शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. आगमन आयमक ववर्ध।
2. उदािरण देकर छात्रों से उत्तर जानना।
3. हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ रिी।
4. शब्दों का चुनाव वा उच्चारण सरल व स्पष्ट था।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपूणट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
3. अनश
ु ासन पण
ू ट वातावरण।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनुशासन पूणट सीखने के इच्छुक थे।
2. कक्षा में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत अर्धक मात्रा में रिी।
3. कक्षा में ववद्यार्थटयों की आवश्यकता अनस
ु ार चाटट का प्रयोग क्रकया गया
था।
दिन -10 वीरवार
पररचय
हदन- शतनवार
कक्षा का सेक्शन - XII B
समय - 11:10-11:50
शशक्षक्षका- पन
ू म
ववषय – सामात्जक ववज्ञान
उप ववषय – िड़प्पा सभ्यता
प्रततभागी - शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. कथन ववर्ध
2. अनम
ु ान करा कर अप्रययक्ष वस्तु को भी समझाने का प्रयोग क्रकया गया।
3. नम्रता पूवटक शसखाया गया।
4. इततिास का पण
ू टता ज्ञान अत्जटत था।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपूणट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
3. अनुशासन पूणट वातावरण।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनश
ु ासन पण
ू ट सीखने की इच्छा से भरपरू ।
2. कक्षा में ववद्यार्थटयों की आवश्यकता अनुसार चाटट का प्रयोग क्रकया गया।
3. कक्षा में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत अर्धक संख्या में थी।
दिन -11 िक्र
ु वार
पररचय
हदन – शि
ु वार
कक्षा व सेक्शन- X B
समय – 11:50-12:30
शशक्षक्षका - अंजना
ववषय – गणणत
उप ववषय – हिग्नोमेिी
प्रततभागी - शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. शोध ववर्ध
2. श्यामपट्ट का प्रयोग शशक्षार्थटयों को िामटल
ू ा समझाने िेतु क्रकया गया।
3. गणणत में मिारत िाशसल की।
4. नम्र व कोमल वाणी का प्रयोग
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपण
ू ट व स्वस्थ वातावरण।
2. अनुशासन पूणट वातावरण।
3. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
दिन -12 िस
ू रा िननवार
दिन – 13 रवववार
दिन -14 सोमवार
पररचय
हदन – सोमवार
कक्षा व सेक्शन- VII A
समय 9:30 - 10:10 AM
शशक्षक्षका – कववता
ववषय – सामात्जक ववज्ञान
प्रततभागी - शशक्षाथी व शशक्षक
प्रनतत्रबांब
• शिक्षि ववधि
1. प्रश्नोत्तर ववर्ध
2. छात्रों से प्रश्न का उत्तर जानने का प्रयास क्रकया।
3. नम्र व कोमल वाणी का प्रयोग।
4. बच्चों के मनोबल को बढाने का प्रयास।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपूणट व स्वस्थ वातावरण।
2. अनश
ु ासन पण
ू ट वातावरण।
3. शशक्षक व शशक्षकों के बीच शमत्रता पूणट व्यविार।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनुशासन पूणट सीखने के इच्छुक थे।
2. कक्षा में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत अर्धक संख्या में थी।
3. कक्षा में ववद्यार्थटयों को सीखने के शलए चाटट का प्रयोग क्रकया गया।
दिन – 15 मांगलवार
पररचय
हदन – मंगलवार
कक्षा व सेक्शन – VII B
समय 10:30 से 11:10 AM
शशक्षक्षका – पज
ू ा
ववषय - अंग्रेजी
उप ववषय – क्रिया
प्रततभागी - शशक्षाथी व शशक्षक्षका
प्रनतत्रबांब

• शिक्षि ववधि
1. संश्लेषण आयमक ववर्ध
2. पिले क्रिया बता कर क्रिर उनका वाक्य में प्रयोग करना बताया।
3. बच्चों से भी श्यामपट्ट पर पछ
ू ा गया।
4. अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ रिी।
5. शब्दों का उच्चारण सरल व स्पष्ट रिा।
• कक्षा का वातावरि
1. शांततपण
ू ट व स्वस्थ वातावरण।
2. शशक्षक्षका व शशक्षार्थटयों का आचरण पण
ू ट व्यविार।
3. अनुशासन पूणट वातावरण।
ननष्कर्ष
1. ववद्याथी अनश
ु ासन पण
ू ट सीखने की इच्छा से भरपरू ।
2. कक्षा में ववद्यार्थटयों की उपत्स्थतत पण
ू ट संख्या रिी।
3. कक्षा में ववद्यार्थटयों को सीखने की आवश्यकता िेतु चाटट का प्रयोग क्रकया
गया।
स्कूल का बनु नयािी ढाांचा
1. प्रिान बैठक
2. पस्
ु तकालय अवलोकन
3. कांप्यूिर लैब
4. ववज्ञान प्रयोगिाला
5. खेल का मैिान
6. जल की व्यवस्था
7. िौचालय
स्कूल का बनु नयािी ढाांचा
स्कूल की स्थापना – 1993
भवनों की संख्या - 4
आकार- वगट में 1और आयत कार में 1
भवन का रंग- सिेद और नीला
कक्षाओं की संख्या – 60 कक्षाएं
सवु वधाएं – िनीचर, पंखे ,ब्लैकबोडट ,शौचालय, खेल का मैदान, साइंस लैब, कंप्यट
ू र
लैब, लाइब्रेरी, प्रोजेक्टर आहद।
ववश्लेषण : क्लासरूम स्पेस अच्छा िै।, सभी सवु वधाएं स्कूल में उपलब्ध िै, शौचालय,
लैब्स, खेल का मैदान आहद अच्छी तरीके से बनाया गया िै।
प्रिान बैठक
प्रधानाध्यापक का नाम – श्रीमती लक्ष्मी सक्सेना
जन्मततर्थ – 4 जुलाई 1990
शलंग – महिला
योग्यता - B.A. ,B.ED
अनुभव – 2 वषट
शिक्षकों से उम्मीिें :
समय की पाबंद, आयमववश्वास
छात्रों से उम्मीिें:
मन की उपत्स्थतत िोना, अच्छा श्रोता, सक्रिय
पुस्तकालय अवलोकन
लाइब्रेररयन का नाम : श्रीमती आशु
योग्यता : एमए( अंग्रेजी)
पुस्तकों की संख्या- 5000 लगभग
पस्
ु तकों के प्रकार- धाशमटक , उपन्यास, न्यायपाशलका, शब्दकोश, संदभट पस्
ु तके, पत्रत्रकाएं
अन्य वस्तुएं – कॉशमक्स, समाचार पत्र शसस्टम जारी पुस्तकों के ररकॉडट को बनाए रखने
की व्यवस्था।
छात्रों के बैठने की क्षमता – 45 छात्र।
जारी करने की अवर्ध – 7 हदन और कोई देरी निीं।
पस्
ु तकालय के बारे में
1. पस्
ु तकालय में उर्चत वेंटीलेशन शसस्टम िै।
2. पुस्तकालय में अच्छी तरि से उर्चत त्रबजली की आपूततट िैं।

ववश्लेर्ि :
1. ववषय संबंधी पुस्तकें और अन्य लेखक पुस्तके पुस्तकालय में उपलब्ध
िोनी चाहिए।
2. ररकॉर्डटस को कंप्यूटर शसस्टम में बनाए रखा जाना चाहिए।
3. सामान्य ज्ञान के पस्
ु तक के पस्
ु तकालय में उपलब्ध िोनी चाहिए।
4. लाइब्रेरी में बैठने की व्यवस्था अर्धक िोनी चाहिए।
कांप्यि
ू र लैब
सप
ु रवाइजर - सोतनया शमस
योग्यता- 1 वषट का कंप्यट
ू र डडप्लोमा
अनुभव - डेढ वषट
कंप्यूटर की संख्या – 20 कंप्यूटर
छात्रों की संख्या एक समय पर – 20 से 30 छात्रों की संख्या
सवु वधाएं – बैठने की व्यवस्था, ववंडो 7 सॉफ्टवेयर, उर्चत त्रबजली आहद
ववश्लेर्ि:
• कंप्यट
ू र लैब में बैठने की व्यवस्था संतोषजनक िै।
• कंप्यट
ू र लैब में उपलब्ध उर्चत त्रबजली।
ववज्ञान प्रयोगिाला
शशक्षक का नाम – श्रीमती वप्रयंका
योग्यता – बीएससी (बायोलॉजी) ,B.ED
अनभ
ु व : 3 वषट
एक बार में प्रदशटन करने वाले छात्रों की संख्या : 25
उपकरण – सभी ववज्ञान उपकरण, सूक्ष्मदशी, शारीररक, बैटरी, योर्गक, डडत्जटल
मीटर, बोल्ट मीटर, शमरर प्लांट आहद
सरु क्षा उपाय – प्राथशमक र्चक्रकयसा बॉक्स उपलब्ध िै, तीन गेट आपात काल के शलए
उपलब्ध िै,
ववज्ञान प्रयोगिाला के बारे में

1. सभी नमन
ू े अच्छी तरि से मौजद
ू िैं और अच्छी तरि से रखे गए िैं।
2. निीं साइंस लैब उर्चत वेंटीलेशन शसस्टम के साथ अच्छी तरि से बनाए
रखे िैं।
3. कंकाल लैब में भी उपलब्ध िै।
4. गैस शसलेंडर की उपलब्धता, टे स्ट ट्यब
ू , क्रिल्टर पेपर, शसंक, पानी टै ब,
बनटल आहद।
खेल का मैिान
शशक्षक का नाम – श्रीमती सत्ृ ष्ट
गततववर्धयां खेल – वॉलीबॉल, कबर्डडी, शॉट पट
ु , आहद
अभ्यास – लंबी कूद, पश
ु अप आहद।
सुझाव :
1. शशक्षक को छात्रों को योग शसखाना चाहिए।
2. स्कूल को बच्चों के शलए णखलौने की व्यवस्था करनी चाहिए।
जल की व्यवस्था
जल की व्यवस्था ठीक िै
बच्चों के शलए अलग तथा
स्टाि के शलए अलग
व्यवस्था की गई िै साथ िी
रे क्रिजरे टर की भी व्यवस्था
िै ।
िौचालय

ववद्यालय में शौचालय की अच्छी


व्यवस्था िै । यि महिला और पुरुष
के शलए अलग-अलग शौचालय की
व्यवस्था िै । साथ िी स्टाि व
बच्चों के शलए भी अलग-अलग
शौचालय की व्यवस्था िै ।
एक ककिोर पर केस स्िडी
केस स्िडी (व्यक्टतगत अध्ययन )
अथष एवां पररभार्ा :- केस स्टडी से तायपयट िै क्रकसी भी वस्तु, त्स्थतत का
भलीभांतत बारीकी से जांच पड़ताल करना व जानना। इसका बतु नयादी आधार
ववद्याथी की त्जज्ञासु प्रववृ त्त को माना जाता िै। दस
ू रे शब्दों में मनष्ु य का
सम्पूणट ज्ञान उसकी त्जज्ञासु प्रववृ त्त का पररणाम िै और केस स्टडी क्रकसी
ज्ञान, अनुभव को पाने का साधन िै। इस ववर्ध में ववद्याथी की स्वयं
समाधान ढूंढने में सक्रिय भूशमका रिती िै , जबक्रक अध्यापक की भूशमका
ववद्यार्थटयों को समस्या से भलीभांतत पररर्चत कराना िै।
व्यत्क्तगत अध्ययन (केस स्टडी) ववषय ववशेष (जैसे बालक समि ू या घटना) के
गणु दोष एवं असामान्यताओं का ववश्लेषण िै।व्यत्क्तगत अध्ययन अपने में एक
पिेली (समस्या) िोती िै त्जसे िल क्रकया जा सकता िै। इस पिेली में ब िुत सी
सच ू नायें समाहित रिती िै। इन सच
ू नाओं का ववशलेषण कर िल तनकाला जा
सकता िै। केस स्टडी की ववषय वस्तु व्यत्क्त, स्थान या सयय घटना पर
आधाररत िोती िै। यि क्रकसी एक इकाई का सम्पूणट ववश्लेषण िोता िै।
यांग के अनस ु ार ‘‘ केस स्टडी क्रकसी इकाई के जीवन का गवेषणा तथा ववश्लेषण
की पद्धतत िै चािें वि एक व्यत्क्त, पररवार, संस्था िस्पताल, सांस्कृततक समि ू
या सम्पण ू ट समद ु ाय िो।’’अथाटत केस स्टडी, गणु ायमक ववश्लेषण का एक रूप िै
त्जसमें क्रकसी व्यत्क्त, पररत्स्थतत या संस्था का बिुत सावधानी तथा पण ू टता के
साथ अवलोकन क्रकया जाता िै।
1. प्रशशक्षु शशक्षक का नाम - ररंकी
2. नामांकन िमांक (ENROLLMENT NO.) - 01527302121
3. अध्ययन केंद्र का नाम व पता – राजा रवव वमाट सवोदय कन्या
ववद्यालय , नंद नगरी , हदल्ली-110093
4. कॉलेज का नाम व पता – संत गोपीचंद एजक
ु े शन एंड वेलिेयर
सोसाइटी, अहिरा- बागपत ,हदल्ली एनसीआर(250609)
छात्र का वववरि
1. छात्र का नाम : तनशा
2. जन्मततर्थ : 30/06/2004
3. परु
ु ष /महिला : महिला
4. अशभभावक/ संरक्षक: वपता : परववंदर , माता : संध्या
5. कक्षा त्जसमें छात्र अध्ययनरत िै : 8TH
6. माता-वपता /अशभभावक की माशसक आय :10000
7. वपता/ अशभभावक का कायटक्षेत्र और शैक्षक्षक योग्यता : 10TH , इलेक्िीशशयन
8. माता का कायटक्षेत्र और योग्यताएं : 12TH , ग्रिणी
9. संख्या : 3 , भाई -0, बिन :3
ककिोरों की आवश्यकता एवां आकाांक्षा
क्रकशोरावस्था की अवर्ध 13 से 18 वषट मानी जाती िै ।क्रकशोरावस्था प्रयये क व्यत्क्त के जीवन का
मियवपण ू ट काल िै , जो बाल्यावस्था के अंत में प्रारं भ िोता िै और प्रौढावस्था के आरं भ में समाप्त
िोता िै ।इस अवस्था में क्रकशोर में बिुत तीव्र गतत से शारीररक मानशसक, संवेगायमक और
सामात्जक पररवतटन िोते िैं , त्जनका प्रभाव उसकी आवश्यकता और आकांक्षाओं पर पड़ता िै ।
क्रकशोरावस्था में क्रकशोरों की आवश्यकता एवं आकांक्षा तनम्नशलणखत िै -
1. शरीर को पष्ु ट करने की आवश्यकता
2. शारीररक सौष्ठव की आकांक्षा
3. आयमतनभटर िोने की आवश्यकता
4. तनयंत्रण मक्
ु त िोने की आकांक्षा
5. क्रकसी को आदशट बनाने की आकांक्षा
6. मनोवैज्ञातनक आवश्यकता
7. सामात्जक आवश्यकता
ककिोरावस्था की समस्याएां
क्रकशोरावस्था जीवन का सबसे कहठन काल िै इस काल में क्रकशोरों के जीवन में
अनेक मानशसक , शारीररक और संवग े ायमक पररवतटन आते िैं। स्टै नले िॉल ने शलखा
िै “क्रकशोरावस्था बड़े संघषट, तनाव तथा ववरोध की अवस्था िै।”
क्रकशोरावस्था में क्रकशोरों के समक्ष तनम्नशलणखत समस्याएं आती िैं।
1. संवग
े ायमक अत्स्थरता
2. काम संबंधी समस्याएं
3. क्रकशोर अपराध की प्रववृ त्त का ववकास
4. अनश
ु ासनिीनता की प्रववृ त्त
5. अिंकार की समस्या
िािषननक ववचारक
1.प्लेिो
2.स्वामी वववेकानांि
प्लेिो
जीवन पररचय
प्लेटो का शैक्षक्षक दशटन शशक्षा में आदशटवाद का दृष्टांत िै ।अन्य प्राचीन यन ू ानी दाशटतनकों की
अपेक्षा प्लेटो ने शैक्षक्षक क्षेत्र को अर्धक प्रभाववत क्रकया िै । प्लेटो का जन्म 427 ईसा पूवट
एथें स में िुआ था। एथें स में इनका पररवार समद् ृ ध और प्रभावशाली पररवार के रूप में
प्रततत्ष्ठत था। बाल्यावस्था में इन्िें अध्ययन िे तु सक ु रात के पास भेजा गया था। प्लेटो ने
विां 10 वषट तक तनरं तर शशक्षा प्राप्त की। 399 ई सा पूवट जब सुकरात को शमले मयृ युदंड ने
प्लेटो को बिुत प्रभाववत क्रकया। उसने एथें स छोड़ हदया और लगातार 10 वषट से भी अर्धक
समय एशशया माइनर से लेकर दक्षक्षणी इटली के दे शों में घम ू ता रिा। इस समय दौरान उसने
ववशभन्न स्थानों के ववद्यालयों का अध्ययन क्रकया।40 वषट की आयु में वि अपने देश वापस
लौट आया और 386 ई. पव ू ट में उसने यिां एक ववद्यापीठ/ अकादमी शरू ु की। वि संपण ू ट
जीवन इस अकादमी में पढाता रिा। यि अकादमी स्त्री -पुरुष सभी के शलए थी। इस अकादमी
में दशटन, गणणत एवं ज्ञान की शशक्षा दी जाती थी।यिी रिते िुए उसने कई पुस्तकें शलखी,
लगभग 80 वषट की आयु में 347 ई. पव ू ट में उसका तनधन िो गया ।
प्लेिो की रचनाएां
प्लेटो ने अनेक पस्
ु तकें शलखी। उनमें से कुछ पस्
ु तकें तनम्नशलणखत िै ,जो शशक्षा से
संबंर्धत िै।
• द ररपत्ब्लक ( THE REPUBLIC)
• लाअज़़ ( LAWS)
• प्रोटगोरस ( PROTAGOROS)
• सेम्पोत्जयम (SYMPOSIUM)
• हटमानेस/ टाईमेनस( TIMANES)
प्लेटो ने लगभग 36 ऐसी पस् ु तकों की रचना की िै, त्जसमें प्रश्नोत्तर प्रणाली का उपयोग
क्रकया गया िै। राजनीतत ,शशक्षा -शास्त्र एवं सामात्जक ववज्ञान में इन पुस्तकों का
अययर्धक मियवपण ू ट स्थान िै प्लेटो यन
ू ानी ववद्वत्ता मिान उदािरण िै।
प्लेिो - जीवन ििषन की वविेर्ताएां/ लक्षि
क्रकसी भी दाशटतनक के मनुष्य ,ज्ञान ,वास्तववकता एवं मूल्यों के संबंध में जो मूल
ववचार िोते िैं, उसे दशटन किते िैं।
1. मनष्ु य सांबांिी प्लेिो के ववचार- प्लेटो ने मनष्ु य को ब्रहमांड का चरम किा िै ।इसमें
आयमा और शरीर दोनों तयवों का समन्वय माना िै। उनके अनुसार मनुष्य तभी
संपूणट एवं नैततक जीवन जी सकता िै ,यहद उसकी आयमा एवं शरीर का संपूणट
ववकशसत िो तथा दोनों में से संबंध िो ।उसने शरीर को नश्वर किते िुए वास्तववक
माना िै और आयमा को वास्तववक किां िै।
2. ज्ञान सांबांिी प्लेिो के ववचार – प्लेटो अनसु ार सच्चा ज्ञान प्राकृततक िोता िै तथा
जन्म के समय मनुष्य के पास िोता िै। ज्ञान ,आयमा का एक भाग िै।प्लेटो का
ववचारथा क्रक बच्चे के जन्म के समय उसके मन में ज्ञान त्स्थर िोता िै और जीवन
के अर्ग्रम पड़ा वो पर पिुंचकर जागत ृ एवं प्रिुत्ल्लत िोता िै।
3. वास्तववकता यथाथष के बारे में प्लेिो के ववचार – इन्िें परा- भौततक ववचार भी
किा जाता िै।प्लेटो का ववश्वास था क्रक ईश्वर िी सवोच्च तथा मिान सयय िै।
उसका मानना था क्रक आयमा का संसार िी वास्तववक िै, तथा पदाथटक जगत
असयय िै। प्लेटो ने दो प्रकार के संसार का उल्लेख क्रकया िै- ववचारों का संसार,
जो वास्तववक िै तथा ऐंहद्रक संसार (पदथटक जगत ) एक परछाई और शमथ्या िै।
4. मल्
ू य सांबांिी प्लेिो के ववचार- प्लेटो अनस
ु ार,वास्तववक ज्ञान से िी मल्
ू यों की
उयपवत्त िोती िै तथा यि बच्चे मैं पिले से िी मौजद ू िोता िै। उसका ववश्वास
तनरपेक्ष मूल्यों में था। जो सयय ,सुंदरता एवं भलाई िै।
प्लेिो का िैक्षक्षक ििषन
• प्लेटो से पूवट यूनान में दो प्रकार की शशक्षा -प्रणाशलयां प्रचशलत थी- एथेंस की शशक्षा
प्रणाली तथा स्पाटों की शशक्षा प्रणाली। एथेंसकी शशक्षा प्रणाली राज्य तनयंत्रण से
मक्ु त एवं व्यत्क्तगत प्रयासों पर तनभटर थी। सपारटा की शशक्षा प्रणाली एथतनक
की शशक्षा प्रणाली से पण ू टता शभन्न थी।
• प्लेटो ने इन दोनों प्रणाशलयों के गुण- अवगुणों का सूक्ष्म अध्ययन क्रकया तथा
उनकी ववशेषताओं को ग्रिण करके एक नवीन शशक्षा प्रणाली दी। एक तरि एथेंस
की शशक्षा प्रणाली की व्यापकता एवं सभ्य नागररक पैदा करने की क्षमता को
प्रशंसा करता था,विीं दस ू री तरि से शैक्षक्षक व्यवस्था को व्यत्क्तगत यतनो पर
छोड़ देने का सख्त ववरोधी था। सपाटो की तरि िी वे शशक्षा पर राज्य तनयंत्रण का
इच्छुक था।
प्लेिो के शिक्षा ििषन के शसदिाांत
• राज्य तनयंत्रण अधीन शशक्षा
• योग्यता अनस
ु ार शशक्षा
• स्त्री और परु
ु षों में समानता
• सदाचार िेतु शशक्षा
• शशक्षा प्रक्रिया
• शशक्षा के स्तर
• अतनवायट प्रशशक्षण
• केवल नागररकों के शलए शशक्षा
प्लेिो अनस
ु ार शिक्षा के उदिे श्य
• राज्य एकता की स्थापना
• नागररक क्षमता का ववकास
• तकटशील भशू मका का ववकास
• रचनायमक शत्क्त का ववकास
• सौंदयट आयमक बोध का ववकास
• नागररकों को सभ्य एवं मानवीय बनाना
• संवद
े नशील व्यत्क्त का तनमाटण
प्लेिो और पाठ्यक्रम

प्लेटो ने अपने पाठ्यिम को तीन भागों में ववभात्जत क्रकया िै ।


• शारीररक तनमाटण
• ववद्या संस्कार
• संगीत शशक्षा
प्लेिो तथा शिक्षि ववधियाां

• खेल एवं गततववर्ध/ क्रिया ववर्ध


• मनोरंजन आधाररत ववर्ध
• ववद्याथी केंहद्रत ववर्ध
• प्रश्नोत्तर ववर्ध
• सिसंबंध ववर्ध
• अनक
ु रण ववर्ध
स्वामी वववेकानांि
जीवन पररचय
स्वामी वववेकानंद (जन्म 12 जनवरी 1863- मयृ यु 4 जल ु ाई 1902)वेदांत के ववख्यात और
प्रभावशाली आध्यात्यमक गरु ु थे। उनका वास्तववक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।उन्िोंने
अमेररका त्स्थत शशकागो में सन 1893 में आयोत्जत ववश्व धमट मिासभा में भारत की
ओर से सनातन धमट का प्रतततनर्धयव क्रकया था।भारत का आध्यात्यमकता से पररपण ू ट
वेदांत दशटन अमेररका और यूरोप के िरे दे श में स्वामी वववेकानंद की वक्ता के कारण िी
पिुंचा।उन्िोंने रामकृष्ण शमशन की स्थापना की थी, जो आज भी अपना काम कर रिा िै।
श्री रामकृष्ण परमिंस के सय ु ोग्य शशष्य थे। उन्िें 2 शमनट का समय हदया गया था क्रकंतु
उन्िें प्रमुख रूप से उनके भाषण का आरंभ “मेरे अमेररकी बिनों और भाइयों” के साथ
करने के शलए जाना जाता िै। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका हदल जीत
शलया था।
स्वामी वववेकानांि का िैक्षक्षक ििषन
• स्वामी वववेकानंद ने किा िै क्रक त्जस शशक्षा से िम अपना जीवन तनमाटण कर सकें, मनष्ु य
बन सके, चररत्र गठन कर सके और ववचारों का सामान्य से कर सकें विी वास्तव में शशक्षा
किलाने योग्य िै। मानव तनमाटण को शशक्षा का मल ू उद्देश्य मानने वाले स्वामी
वववेकानंद का शैक्षक्षक दशटन परंपरागत और आधुतनक शशक्षा प्रणाली का अद्भुत समन्वय
िै। स्वामी वववेकानंद का शैक्षक्षक दशटन आज भी अययंत प्रसांर्गक िै।
• वववेकानंद जी के अनस ु ार शशक्षा समाज के तनधटन तम व्यत्क्त को भी प्राप्त िोनी
चाहिए।वववेकानंद ने आम जनता के जीवन के पररत्स्थततयों सध ु ारने के शलए शशक्षा का
समथटन क्रकया। उनके अनस ु ार आम जनता को प्राप्त िोने वाली इस सावटभौशमक शशक्षा का
उद्देश्य व्यत्क्तगत प्रगतत के साथ सामात्जक ववकास को सुतनत्श्चत करना िै।
स्वामी वववेकानांि के शिक्षा ििषन के आिारभूत शसदिाांत

• केवल पुस्तकों का अध्ययन िी शशक्षा निीं िोती िै।


• शशक्षा ऐसी िो त्जससे व्यत्क्त का शारीररक, मानशसक और आत्यमक ववकास
िो सके।
• शशक्षा ऐसी िो त्जससे चररत्र का गठन िो, मन का बल बढे , बद्
ु र्ध का ववकास
िो तथा व्यत्क्त आयमतनभटर बने।
• बालक तथा बाशलकाओं दोनों को समान शशक्षा दी जानी चाहिए।
• पाठ्यिम में उन सभी ववषयों का स्थान देना चाहिए जो बालक के भौततक
तथा आध्यात्यमक ववकास में सिायक िो।
स्वामी वववेकानांि के अनस
ु ार शिक्षा के उदिे श्य
स्वामी वववेकानंद के अनुसार शशक्षा के तनम्नशलणखत उद्देश्य िै:-
• पण
ू टता की ओर अग्रसर िोने तथा उसे प्राप्त करने का उद्देश्य।
• छात्र के व्यत्क्तयव के सवाांगीण ववकास का उद्देश्य।
• नैततक ववकास का उद्देश्य।
• राष्िीय एकता की भावना के ववकास का उद्देश्य।
• ववववधता में एकता की भावना के ववकास का भावना के ववकास का
उद्देश्य।
• श्रद्धा की भावना उयपन्न करने का उद्देश्य।
स्वामी वववेकानांि के अनस
ु ार पाठ्यक्रम
• शशक्षा के उद्देश्यों की पतू तट में पाठ्यिम की अिम भशू मका िोती िै।यहद आध्यात्यमक
ववकास जीवन का लक्ष्य िै और इसे प्राप्त करने में शशक्षा को मियवपण ू ट योगदान िै
तो तनत्श्चत रूप से इस प्रकार की शशक्षा देने को धमट ग्रंथों, पुराण, उपतनषद, दशटन
आहद ग्रंथों को पाठ्यिम में स्थान देने की आवश्यकता स्वामी वववेकानंद अनभ ु व
करते िैं।साथ िी स्वामी वववेकानंद का यि भी किना िै क्रक केवल आध्यात्यमक िी
निीं भौततक ववकास भी िोना चाहिए।
• वववेकानंद का पाठ्यिम के संबंध में ववचार था क्रक छात्रों को पाठ्यिम के माध्यम से
अतीत के प्रतत आदर, वतटमान की चनु ौततयां एवं संघषट के शलए सक्षम तथा भावी
जीवन को सुखद और सुंदर बनाने में समथट बनाना चाहिए। पाठ्यिम सैद्धांततक िी
निीं, व्यवररक भी िोना चाहिए।
औपचाररक छात्र का
अवलोकन
बच्चे का पररचय
• छात्र का नाम – तनशा
• जन्मततर्थ- 30/06/2007
• परु
ु ष या महिला- महिला
• वपता का नाम- परववंदर
• माता का नाम – संध्या
• कक्षा त्जस में अध्ययनरत िै-9 वी
ववदयालय में ववदयाथी की भशू मका

• ववद्यालय में आयोत्जत क्रकए गए समारोि में यि भी अपना


योगदान दे ती िै ।
• ववद्यालय में सभी अध्यापकों का सम्मान करती िै ।
• ववद्यालय में समय पर जाती िै
• ववद्यालय में सभी अनुशासन का पालन करती िै
• ववद्यालय में आयोत्जत अन्य गततववर्धयों में बढ-चढकर भाग
लेती िै ।
कक्षा में ववदयाथी की भशू मका

• कक्षा में सभी ववद्यार्थटयों की मदद करती िै ।


• कायट को समय पर पूरा करती िै ।
• अध्यापक द्वारा हदए गए कायट को उनके अनुसार िी करती िै ।
• कक्षा में सभी से शमत्रता पूणट व्यविार िै ।
कक्षा में अध्यापक के साथ ववदयाथी का व्यवहार

• अध्यापक द्वारा क्रकए गए कायट को समय पर पूरा करती िै ।


• अध्यापक के द्वारा हदए गए प्रश्नों का उत्तर दे ती िै ।
• अध्यापक की सभी बातों को मानती िै ।
• अध्यापक द्वारा हदए गए ज्ञान को एक आदशट ववद्याथी की तरि
समझती िै
कक्षा के ववदयाधथषयों के साथ ववदयाथी का व्यवहार

• कक्षा में सभी की सिायता करती िै ।


• सभी के साथ शमत्रता पूणट व्यविार।
• कक्षा में सभी ववद्यार्थटयों को पढाई को लेकर अच्छी अच्छी बातें
समझ आती िै ।
• कक्षा में सभी बच्चों के साथ सामहू िक गततववर्धयों में भाग लेती
िै ।
अनौपचाररक छात्र का
अवलोकन
बच्चे का पररचय
• छात्र का नाम – सररता
• जन्मततर्थ- 28/06/2010
• पुरुष या महिला- महिला
• वपता का नाम- प्रताप गप्ु ता
• माता का नाम – पुष्पा गुप्ता
• कक्षा त्जस में अध्ययनरत िै – 6 वी
ववदयालय के बाहर छात्र का अवलोकन

• ववद्यालय के बािर दोस्तों के साथ शमत्रता पण


ू ट व्यविार।
• खेलकूद को लेकर म ैं बिुत उयसक
ु िै ।
• ववद्यालय के बािर में समाज के प्रतत जागरूक िै ।
• ववद्यालय के बािर छत का व्यविार एक शरारती बच्चे की तरि
िै ।
छात्र का अध्यापकों के प्रनत व्यवहार
• अध्यापक के प्रतत आदशट पूणट व्यविार िै ।
• अध्यापक की उपत्स्थतत अनुपत्स्थतत में भी छात्र अध्यापक को
अपना प्रेरणास्रोत मानती िै ।
• ववद्यालय के बािर छात्र का अध्यापक के साथ ववनम्र व्यविार िै ।
िोस्तों के साथ छात्र का व्यवहार
• छात्र का दोस्तों के प्रतत व्यविार अच्छा िै ।
• सभी की मदद करती िै ।
• दोस्तों को खेल िो या शशक्षा सभी के प्रतत उयसाहित करती िै ।
शिक्षा को लेकर छात्र की सोच
• शशक्षा केवल ववद्यालय तक िी सीशमत निीं िै ववद्यालय के बािर
भी शशक्षा का मियव िै ।
• शशक्षा को जीवन का अिम अंग समझती िै ।
• अपने शशक्षकों को अर्धक समय दे ती िै
• अपने ववद्यालय का काम समय पर परू ा करती िैं।
• शशक्षा केवल क्रकताबों तक िी सीशमत निीं िै दस
ू रों से अत्जटत क्रकया
िुआ ज्ञान भी शशक्षा िै ।
ननष्कर्ष
अतः यि किा जा सकता िै क्रक ववद्याथी का औपचाररक तथा
अनौपचाररक रूप से अवलोकन करने से उसके गण ु और दोषों का
पता चलता िै त्जसके द्वारा िम ववद्याथी के ववकास और उसके
ववकास से संबंर्धत जरूरी तनदे शों को दे कर सकारायमक हदशा में
उसके ववकास को और बढा सकें।
कक्षा का अवलोकन

( शिक्षक के सांिभष में )


कक्षा का अवलोकन
पररचय

कक्षा – 8TH
खंड – B
समय अवर्ध-
शशक्षक का नाम- गीता रानी
ववषय – भूगोल
प्रततभागी –शशक्षक और छात्र
पढाने का तरीका- चचाट ववर्ध
कक्षा वातावरि – अनश
ु ाशसत वातावरण। स्वस्थ बातचीत। दोनों शशक्षक
और छात्र आपस में बातचीत कर रिे थे। शशक्षक का व्यविार थोड़ा सख्त था
परन्तु वि छात्रों को अच्छे से समझा रिी थी। संचार कौशल का तनमाटण चचाट
के माध्यम से क्रकया गया।छात्रों और शशक्षकों के बीच शमत्रता पूणट ववनम्र
संबंध था । छात्रों की कक्षा में रुर्च थी। र्चत्रों को दशाटने के शलए और
समस्याओं के समाधान के शलए ब्लैक बोडट का उपयोग क्रकया। छात्र कक्षा में
सिी ढं ग से बैठे थे। चाटट पेपर और नक्शे द्वारा शशक्षक छात्रों को पढा रिी थी
सादहक्ययक चोरी ररपोिष
समय सारिी
समय सारणी को समय ववभाग चि, समय चि ,समय ताशलका का आहद नामों से भी
जाना जाता िै।समय सारणी एक ऐसा माध्यम िै त्जसके आधार पर कोई संगठन अपने
उद्देश्य को प्राप्त करता िै। यि एक योजना िै त्जसके आधार पर शशक्षक और शशक्षाथी
ववववध ववषयों का अध्ययन करते िैं, अध्यापन करते िैं और ववववध प्रववृ त्तयों में भाग
लेते िैं। इसी के आधार पर ववद्यालय का समय ववभाजन, शशक्षकों पर कायटभार, पाठ्य
कशमटयों और पाठ्य सिगामी प्रववृ त्तयों पर जो समय हदया जाता िै, उसका अनुमान
लगाया जाता िै और कायट पद्धतत का पता लगाया जाता िै।इसके साथ िी ववद्यालय
के भौततक संसाधन ,भवन ,उपकरण ,खेल के मैदान आहद का अर्धक से अर्धक प्रयोग
क्रकया जा सकता िै।
समय सारिी ननमाषि के शसदिाांत
समय सारणी तनमाटण एक जहटल कायट िै। समय ववभाग चि तनमाटणकताट के
शलए ववद्यालय के संसाधन, शशक्षकों की क्षमता एवं स्थानीय पररत्स्थततयों
का ज्ञान आवश्यक िै।समय सारणी तनमाटण करते समय तनम्नशलणखत
शसद्धांतों पर ध्यान देना आवश्यक िै-
1. ववद्यालय स्तर एवं प्रकार
2. ववषय की मित्ता एवं उपलब्ध समय अवर्ध
3. बालक की व्यत्क्तक आवश्यकताओं और थकान का ध्यान
4. बालक के सवाांगीण (सभी पक्षों के) ववकास पर बल देना
5. लचीलापन
समय सारिी के प्रकार
समय सारणी का तनमाटण ववशभन्न उद्देश्य की पतू तट को ध्यान में रखकर
क्रकया जाता िै।यि ववद्यालय में िोने वाली गततववर्धयों पर भी तनभटर करता
िै।समय सारणी को मख् ु यतः तनम्नशलणखत भागों में ववभात्जत क्रकया जा
सकता िै-
1. कक्षा ववशेष एवं उसके वगों के शलए समय सारणी
2. शशक्षक िेतु समय सारणी
3. ररक्त कलांश समायोजन समय सारणी
4. पाठ्य सिगामी क्रियाओं की समय सारणी
5. खेल कूद संबंधी समय सारणी
श्रेष्ठ समय सारिी की वविेर्ताएां
समय सारणी की ववशेषताओं को तनम्नशलणखत रुप से स्पष्ट कर सकते िैं –
1. समय सारणी के द्वारा ववद्यालय समय बाध्य ता ,समय की पाबंदी जैसे
गुणों का ववकास िोता िै।
2. समय सारणी में शशक्षण के साथ-साथ अवकाश भी िोता िै और मनोरंजन
के शलए उपयक्
ु त क्रियाएं भी सत्म्मशलत रिती ि।ैं
3. समय सारणी के आधार पर योजना बनाकर कायट करना ,सियोग पव ू टक
कायट करना, समय की पाबंदी के आधार पर कायट करना आहद से जीवन
मल्
ू यों को प्रोयसािन शमलता िै।
समय सारिी
िन्यवाि

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