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अपठित गद्यांश
अपठित गद्यांश
Class - 8
"साहित्य समाज का दर्पण है ।"
अपठित गद्यांश
इनके अतिरिक्त विद्वज्जनों के अपने निजी पस् ु तकालय भी होते थे मद्र ु णकला के आविष्कार से पर्व ू पस्
ु तकों
का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पस् ु तकालय में जितनी
संपत्ति लगती है , उतनी उन दिनों कभी-कभी एक पस् ु तक की तै
य ारी में लग जाया करती थी। भारत के
पस्
ु तकालय संसार भर में अपना सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल से मग ु ल सम्राटों के समय तक यही स्थिति
रही। चीन, फ्रांस, प्रभति
ू सद
ु रू स्थित दे शों से झड
ंु के झडंु विद्यानरु ागी लंबी यात्राएँ करके भारत आया करते थे।
प्र-१ पस्
ु तकालयों का स्थान किन दो कारण से महत्वपर्ण
ू है ?
उ-१
प्र-२ पस्
ु तकालय किसका साक्षी है ? पस्
ु तकों का संग्रह कब और किन स्थानों पर शरू
ु हुआ था ?
उ-२
प्र-३ पस्
ु तकों के संग्रह के संदर्भ से प्राचीन काल की तल
ु ना में आधनि
ु क काल में क्या सरलता आ गयी है ?
उ-३