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प्रश्न बैंक

सत्र - 2022-23
कक्षा – 10वीं
ववषय – विन्दी

समग्र विक्षा अवियान (सेकेन्डरी एजुकेिन) लोक विक्षण संचालनालय,


म.प्र.िोपाल
कक्षा – 10वी
ववषय-विन्दी

अनुक्रमविका

स.क्र. इकाई क्रमाांक इकाई का नाम

1. 01 वक्षविज भाग-2 काव्य


खण्ड

2. 02 काव्य बोध

3. 03 वक्षविज भाग-2 गद्य खण्ड

4. 04 भाषा बोध

5. 05 कृविका भाग-2

6. 06 अपविि बोध

7. 07 पत्र - लेखन

8. 08 वनबन्ध - लेखन
इकाई - 1
वक्षविज भाग-2 काव्यखण्ड

क्र इकाई एवां ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवांविि
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई वक्षविज भाग -2, काव्य 17 06 04 01 --- --- 05
1 खांड
• पद्य साहित्य का
इहििास एवं काल
हवभाजन,
रीहिकाल,
आधुहनक काल
(प्रयोगवाद,
प्रगहिवाद, नई
कहविा )
• कहव पररचय
• भावार्थ : (संदभथ,
प्रसंग , भावार्थ,
काव्य सौन्दयथ)
• सौंदयथ बोध िर्ा
भाव एवं हवषय
वस्तु आधाररि प्रश्न

वस्तुवनष्ठ प्रश्न (01 अांक)


सिी ववकल्प चुनकर वलखखए-
1. हिन्दी के पद्य साहित्य का दस
ू रा काल िै -
(अ) रीतिकाल (ब) भक्तिकाल
(स) आहदकाल (द) आधतु िक काल
2. आधुतिक काल का आरम्भ िोिा िै-
(अ) संवि ् 1900 से (ब) संवि ् 1050 से
(स) संवि ् 1375 से (द) संवि ् 1800 से
3. छायावाद के आधार स्िम्भ कवव ििीं िै-
(अ) तिराला (ब) जयशंकर प्रसाद
(स) मिादे वी वमाा (द) सरू दास
4. प्रयोगवाद के कवव िैं-
(अ) अज्ञेय (ब) सुममत्रािंदि पन्ि
(स) मिादे वी वमाा (द) िुलसीदास
5. िई कवविा के कवव िैं-
(अ) तिराला (ब) सुममत्रािंदि पंि
(स) मिादे वी वमाा (द) रघुवीर सिाय
6. भक्तिकाल की समय सीमा िै -
(अ) संवि ् 1050 से संवि ् 1375 (ब) संवि ् 1375 से संवि ् 1700
(स) संवि ् 1700 से संवि ् 1900 (द) संवि ् 1900 से अब िक
7. प्रयोगवाद का आरं भ मािा जािा िै -
(अ) सि ् 1943 से (ब) सि ् 1911 से
(ग) सि ् 1963 से (द) सि ् 1936 से
8. िंद िंदि का प्रयोग ककया गया िैं-
(अ) उद्धव के मलए (ब) गोवपयों के मलए
(स) कृष्ण के मलए (द) सूरदास के मलए
9. गोवपयों को ज्ञाि व योग की बािें लगिी िै -
(अ) मधुर (ब) िीरस
(स) कड़वी ककड़ी सी (द) अक्नि के समाि
10. गोवपयों िे श्रीकृष्ण की िुलिा की िै-
(अ) िाररल की लकड़ी से (ब) िीम की लकड़ी से
(स) चंदि की लकड़ी से (द) िुलसी की लकड़ी से
11. 'व्याधध' शब्द का अर्ा िै -
(अ) आधार (ब) धचंिा
(स) रोग (द) ववरि
12. सूर के पद में भाषा िै-
(अ) ब्रज (ब) मैधर्ली
(स) खड़ी बोली (द) बघेली
13. 'मरजादा ि लिी' के माध्यम से मयाादा की बाि किी िै -
(अ) समाज की (ब) प्रेम संबंध की
(स) पररवार की (द) ग्राम घर की
14. सरू दास के गरु
ु र्े-
(अ) िरिररदास (ब) ववठ्ठलिार्
(स) िररदास (द) बल्लभाचाया
15. सूर के आराध्य िैं-
(अ) श्रीराम (ब) िािक
(स) श्रीकृष्ण (द) मशव
16. 'पुरइति पाि' का अर्ा िैं-
(अ) कमल का पत्ता (ब) कमल का फूल
(स) पूरी िरि (द) पुरवाई
17. सरू की रचिा ििीं िैं-
(अ) सरू सागर (ब) साहित्य लिरी
(स) सूरसारावली (द) वविय पत्रत्रका
18. परशुराम को व्यंनय भरे उत्तर हदए-
(अ) राम िे (ब) लक्ष्मण िे
(स) ववश्वाममत्र िे (द) जिक
19. मशव-धिष
ु के टूटिे पर क्रोधधि िो उठे -
(अ) ववश्वाममत्र (ब) लक्ष्मण
(स) परशुराम (द) रावण
20. रामचररिमािस की भाषा िै -
(अ) ब्रज (ब) बन्
ु दे ली
(स) अवधी (द) मालवी
21. राम-लक्ष्मण के गुरु का िाम र्ा-
(अ) परशुराम (ब) ववश्वाममत्र
(स) भग
ृ ु (द) िुलसीदास
22. सिस्त्रबािु का वध ककया र्ा-
(अ) राम िे (ब) परशुराम िे
(स) लक्ष्मण िे (द) ववश्वाममत्र िे
23. कवव अपिी आत्मकर्ा को बिा रिा िै -
(अ) भोली (ब) करुण
(स) सच्ची (द) सुन्दर
24. र्के पधर्क की पंर्ा में अंलकार िै -
(अ) उपमा (ब) अिप्र
ु ास
(स) यमक (द) रुपक
25. छायावाद के प्रतितिधध कवव िैं-
(अ) जयशंकर प्रसाद (ब) ऋिुराज
(स) सूरदास (द) धमावीर भारिी
26. प्रसाद जी को 'कामायिी' पर पाररिोवषक ममला-
(अ) ज्ञािपीठ (ब) हदिकर पाररिोवषक
(स) सरस्विी सम्माि (द) मंगला पाररिोवषक
27. जयशंकर प्रसाद का संग्रि ििीं िै -
(अ) आकाशदीप (ब) इंद्रजाल
(स) आंधी (द) साये में धप

28. उत्साि कवविा में बादल प्रिीक िै-
(अ) शांति का (ब) गति का
(स) क्रांति का (द) सुख का
29. कवव िे बादलों को ककसकी कल्पिा के समाि पाले िुए मािा िै -
(अ) बाल कल्पिा (ब) आसमाि की कल्पिा
(स) ववद्युि की कल्पिा (द) काले घुंघराले वालों की कल्पिा
30. कवव िे बादलों के मलए ववशेषण प्रयोग ककया िै -
(अ) अिन्ि (ब) लमलिा
(स) िवजीवि वाले (द) मिमोिक
31. कवव बादलों से बरसिे का आह्वाि कर रिा िै -
(अ) गोल-गोल घूमकर बरसिे को (ब) आकाश को घेरकर बरसिे को
(स) धीरे -धीरे बरसिे को (द) िीव्र वेग में बरसिे को
32. कवव िे िप्ृ ि धरा के माध्यम से संकेि ककया िै -
(अ) जिसामान्य की पीड़ा (ब) अत्यधधक गमी
(स) जलवायु पररविाि (द) वैक्श्वक िपि
33. यि दन्िुररि मुस्काि पाठ के लेखक िैं -
(अ) िवीि (ब) िागाजुि

(स) ऋिुराज (द) तिराला
34.

रिक्त स्थान में सही शब्द चन


ु कि लिखिए -

1. सूर की भक्ति. .. .. .. .. .. . भाव की िै। (साख्य भाव / दास भाव)


2. सरू दास. .. .. .. .. .. .र्े। (जन्मांध / गंग
ू े)
3. गोहपयााँ उद्धव को. .. .. .. .. मानिी िैं। (ििभागी / बड़भागी )
4. गोहपयों के हलए श्री कृष्ण िाररल की. .. .. .. की िरि िै। (लकड़ी / फूल)
5. िरर िैं. .. .. .. .. .पहि आए। (राजनीहि / कूटनीहि)
6. सूरदास का हनधन. .. .. ...में हुआ। (रुनकिा/ पारसौली)
7. गोहपयों ने मधुर संबोधन के. .. .. .. .. .. हलए हदया। (कृष्ण / उद्धव)

8. सूरदास जी मुख्यिः . .. .. .. .. .. . रस के कहव िै। (वात्सल्य रस / शांि रस)


9. योग संदेश लेकर. .. .. .. .. .. .मर्ुरा से बृजधाम आये िै। (अक्रूर / उद्धव)

10. छु अि टू ट रघुपहिहु न दोसू ------------------कर्न का िै। (हवश्वाहमत्र / लक्ष्मण )


11. परशुराम स्वभाव से. .. .. .. .. .. .. र्े। (क्रोधी / दयालु)

12. रघुकुल में दे विा ब्राह्मण, ईश्वर भक्त और. .. .. .. .का वध निीं हकया जािा र्ा। (गाय/ पहियों )
13. . .. .. .. .. .. .व्यक्तक्त अपनी प्रशंसा स्वयं िी करिे िैं। (हनडर / कायर)

14. परशुराम के गुरु. .. .. .. .. .. .. .र्े। (भगवान हशव / भगवान हवष्णु)


15. कहव के सरल स्वभाव के कारण. .. .. .. .. .. .. .ने धोखा हदया िै। (हमत्रों / ररश्तेदारों)।

16. आहलंगन में आिे-आिे. .. .. .. .. .. . जो भाग गया। (रूठकर / मुसक्या)


17. हनराला ने बादलों से. .. .. .. .. .. का आग्रि कर रिा िै । (बरसने / नाचने)

18. हनराला ने बादलों को .. .. .. .के समान सुन्दर बिाया िै। (केशों/आाँ खों)
19. उत्साि कहविा की भाषा. .. .. .. .. .. . िै। (संस्कृिहनष्ठ खड़ी बोली/ बघेली)

20. हनराला की अहधकांश रचनाएाँ . .. .. .. . छन्द में हमलिी िैं । (गीहिका /मुक्तक)
21. दु हवधािि सािस का शाक्तिक अर्थ. .. .. .. .. .िै। (सािस िोिे हुए दु हवधाग्रस्त रिना / हबना

दु हवधा के रिना)
22. िर चंहिका में हछपी एक राि. .. .. .. . िै। (कृष्णा / सुंदर)
सिी जोडी बनाकर वलखखए -
i (अ) (ब)
1. सूर के पद i. हनराला
2. उत्साि ii. सूरदास
3. हनराला iii. अट निीं रिी िै
4. राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद iv. जयशंकर प्रसाद
5. 'आत्मकथ्य' v. िुलसीदास

ii (अ) (ब)
1. "हवनयपहत्रका i. मंगलेश डबराल
2. कामायनी ii. िुलसीदास
3. साहित्य लिरी iii. जयशंकर प्रसाद
4. युगधारा iv. सूरदास
5. पिाड़ पर लालटे न v. नागाजुथन
iii (अ) (ब)
1. िुम्हारी यि i. गरज में
2. र्के पहर्क की ii. दं िुररि मुसकान
3. मुख्य गायक की iii. पंर्ा की
4. मन की मन िी iv. सट निीं रिी िै
5. आभा फागुन की िन v. मााँ झ रिी
iv (अ) (ब)
1. सूरदास का जन्म एवं मृत्यु i. सन् 1889, सन् 1937
2. िुलसीदास का जन्म एवं मृत्यु ii. सन् 1478, सन् 1583
3. जयशंकर प्रसाद का जन्म एवं मृत्यु iii. सन् 1532, सन् 1623
4. हनराला का जन्म एवं मृत्यु iv. सन् 1918, सन् 1994
5. नागाजुथन का जन्म एवं मृत्यु v. सन् 1948
6. मंगलेश डबराल का जन्म vi. सन् 1899, सन् 1961
एक वाक्य में उत्तर वलखखए
1. सूरदास भक्तक्तकाल की हकस शाखा के कहव िैं ?
2. गोहपयों के अनुसार राजा का धमथ क्या िै ?
3. सूर-सारावली के कहव का क्या नाम िै ?
4. हिहिज भाग 2 में संग्रहिि सूर के 4 पद किााँ से हलए गए िैं ?
5. गोहपयों ने भ्रमण के बिाने हकस पर व्यंग्य बाण छोड़े िैं ।
6. राम लक्ष्मण परशुराम संवाद रामचररिमानस के हकस कांड से हलया गया िैं ?
7. गोस्वामी िुलसीदास की मृत्यु किााँ हुई ?
8. सीिा स्वयंवर में राम-लक्ष्मण हकसके सार् आए र्े ?
9. बालकु बोहल बधी निीं िोिी में कौन सा अलंकार िै ?
10. ऊाँगली हदखाने से कौन मुरझा जािा िै ?
11. कहव प्रसाद जी अपने हकस स्वभाव को दोष निीं दे ना चाििे ?
12. मुरझाकर हगर रिी पहियााँ हकसका प्रिीक िैं ?
13. आत्मकथ्य कहविा में हकस पि की अहभव्यक्तक्त हुई ?
14. प्रेयसी के कपोलों की लाहलमा की िुलना हकससे की गई िै ?
15. प्रसाद जी के आहलंगन में आिे-आिे क्या भाग गया ?
16. बादल के हृदय में कौन छु पा िै ?
17. हवश्व के सकल जन कैसे िो रिे िैं ?
18. घेर-घेर घोर गगन में कौन सा अलंकार िै ?
19. बादल हकस हदशा से आिे िैं ?
20. िृप्त धरा का सां केहिक अर्थ क्या िै ?
सत्य-असत्य वलखखए-
1. गोहपयााँ कृष्ण द्वारा चुराए गए अपने मन को वापस मााँग रिी िैं।
2. अच्छे लोग परहिि के हलए दौड़े चले आिे िैं ।
3. उद्धव का संदेश गोहपयों को गुड़ की िरि मीठा लगा।
4. योग संदेश सुनकर गोहपयों की हवरि अहि बि रिी िै।
5. राजा का धमथ िै हक प्रजा को न सिाए ।
6. हशव धनुष राम ने िोड़ा।
7. कुछ िहत्रय राजाओं को िराकर परशुराम राम लक्ष्मण को िराने के सपने दे ख रिे र्े।
8. वीर व्यक्तक्त अपनी प्रशंसा स्वयं करिे िैं।
9. हशव धनुष को खंहडि दे खकर परशुराम क्रोहधि िो उठे ।
10. परशुराम के फरसे को दे खकर लक्ष्मण भयभीि िो गए।
11. जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी में हुआ।
12. 'आत्मकथ्य कहविा पिली बार 1932 में िंस पत्रिका के आत्मकर्ा हवशेषांक में प्रकाहशि हुई
र्ी।
13. जयशंकर प्रसाद मौन रिकर औरों की कर्ा सुनने के इच्छु क र्े।
14. कहव जयशंकर प्रसाद अपने जीवन के हनजी अनुभवों को सबसे बांटना चाििे िैं।
15. कहव प्रसाद ने अपने मन को भाँवरे का रूप हदया िै।
16. 'अट निीं रिी' कहविा फागुन की मादकिा को प्रकट करिी िै।
17. छायावादी कहवयों में हनराला ने सबसे पिले मुक्तक छन्द का प्रयोग हकया।
18. हनराला पूंजीवाद के समर्थक िर्ा पोषक र्े।
19. हनराला को आधुहनक कहव भी किा जािा िै।
20. हनराला प्रगहिवादी कहव िैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न (02अांक)

1. पदय साहित्य से आप क्या समझिे िैं ?हलक्तखए।


2. भक्तक्तकाल की दो हवशेषिाएाँ हलक्तखए।
3. छायावाद की दो हवशेषिाएाँ हलक्तखए।
4. भक्तक्तकाल के दो कहवयों के नाम एवं प्रत्येक की एक-एक रचना का नाम हलक्तखए।
5. छायावाद के दो कहवयों के नाम एवं प्रत्येक की एक-एक रचना का नाम हलक्तखए।
6. गोहपयों द्वारा उद्धव को भाग्यवान किने में क्या व्यंग्य हनहिि िै ?
7. सूरदास की काव्यगि हवशेषिाएाँ हलक्तखए।
8. सूरदास के साहित्य का भावपि हलखिे हुए 2 रचनाओं के नाम हलक्तखए।
9. मिाकहव सूरदास का साहित्य में स्र्ान हनधाथररि कीहजए।
10. गोस्वामी िुलसीदास की दो रचनाओं के नाम एवं काव्यगि हवशेषिाएाँ हलक्तखए।
11. गोस्वामी िुलसीदास के काव्य का भावपि एवं हिन्दी साहित्य में उनका स्र्ान हलक्तखए।
12. जयशंकर प्रसाद की काव्यगि हवशेषिाएाँ हलक्तखए।
13. जयशंकर प्रसाद के काव्य का भावपि स्पष्ट कीहजए।
14. आधुहनक हिन्दी साहित्य में जयशंकर प्रसाद का क्या स्र्ान िै ?
15. हनराला के काव्य का भावपि एवं कलापि हलक्तखए।
16. हनराला की दो रचनाएाँ एवं हिन्दी साहित्य में उनका स्र्ान स्पष्ट कीहजए।
17. उद्धव के व्यविार की िुलना हकस-हकस से की गई िै ?
18. गोहपयों ने हकन-हकन उदािरणों के माध्यम से उद्धव को उलािने हदए िै ?
19. , उद्धव द्वारा हदए गए योग के संदेश ने गोहपयों की हवरिाहि में घी का काम कैसे हकया ?
20. 'मरजादा न लिी के माध्यम से कौन सी मयाथदा न रिने की बाि की जा रिी िै ?
21. कृष्ण के प्रहि अपने अनन्य प्रेम को गोहपयों ने हकस प्रकार अहभव्यक्त हकया िै ?
22. गोहपयों के अनुसार राजा का धमथ क्या िोना चाहिए ?
23. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टू ट जाने के हलए कौन-कौन से िकथ हदए ?
24. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या हवशेषिाएाँ बिाई ?
25. अवधी भाषा आज हकन-हकन िेत्रों में बोली जािी िै ?
26. कहव जयशंकर प्रसाद आत्मकर्ा हलखने से क्यों बचना चाििे र्े ?
27. आत्मकर्ा सुनाने के संदभथ में अभी समय भी निीं कहव ऐसा क्यों कििा िै ?
28. स्मृहि को 'पार्ेय' बनाने से कहव प्रसाद जी का क्या आशय िै ?
29. हनराला बादल से फुिार, ररमहझम या बरसने के स्र्ान पर गरजने के
30. कहविा का शीषथक उत्साि क्यों रखा गया िै ?"
31. उत्साि 'कहविा में बादल हकन-हकन अर्ों की ओर संकेि करिा िै ?
32. कहव की आाँ ख फागुन की सुंदरिा से क्यों निीं िट रिी िै
33. फागुन में ऐसा क्या िोिा िै जो बाकी ऋिुओं से हभन्न िोिा िै ?
34. बच्चे की दं िुररि मुस्कान का कहव नागाजुथन के मन पर क्या प्रभाव पड़िा िै ?
35. बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्तक्त की मुस्कान में क्या अंिर िै ?
36. कहव नागाजुथन के अनुसार फसल क्या िै ?
37. फसल को िार्ों के स्पशथ की गररमा और महिमा किकर कहव क्या व्यक्त करना चाििा िै ?
38. कहव ने फसल को िजार िजार खेिों की हमट्टी का गुणधमथ क्यों किा िै ?

भावार्थ:-
वनम्नवलखखि पद्याांशोां का सांदभथ-प्रसांग सविि भावार्थ वलखखए- (03 अांक)

1. ऊधौ, िुम िौं अहि बड़भागी।


अपरस रिि सनेि िगा िैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइहन पाि रिि जल भीिर, िा रस दे ि न दागी।
ज्ौं जल मााँि िेल की गागरर, बूाँद न िाकौं लागी।
प्रीहि नदी मैं पााँऊ न बोरयौ, दृहष्ट न रूप परागी।
सूरदास अबला िम भोरी, गुर चोंटी ज्ौं पागी।।

2. िमारे िरर िाररल की लकरी।


मन क्रम बचन नंद नंदन उर, यि दृि करर पकरी।
जागि सोवि स्वप्न हदवस हनहस, कान्ह कान्ह जकरी।
सुनि जोग लागि िै ऐसों, ज्ौं कुरुई ककरी।
सु िौ ब्यािी िमको लै आए. दे खी सुनी न करी।
यि िो सूर हिनहिं लै सौपों हजनके मन चकरी।

3. नार् संभुधनु भंजहनिारा, िोइहि केउ एक दास िुम्हारा ।।


आहयसु काि कहिअ हकन मोिी, सुहन ररसाई बोले मुहन कोिी ।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई, अररकरनी करर कररअ लराई ।।
सुनहु राम जोहि हसवधनु िोरा, सिसबाहु सम से ररपु मोरा ।।

4. मधुप गुन-गुना कर कि जािा कौन किानी यि अपनी,


मुरझाकर हगररिी पहियों दे खो हकिनी आज घनी।
इस गंभीर अनंि-नीहलमा में असंख्य जीवन-इहििास,
यि लो, करिे िी रििे िैं अपना व्यंग्य-मलहन उपिास।

5. बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
लहलि लहलि, काले घुाँघराले,
बाल कल्पना के से पाहल,
वज हछपा, नूिन कहविा,
हफर भर दो-
बादल, गरजो!
6. बादल, गरजो!

त्रिकल त्रिकल, उन्मन थे उन्मन


त्रिश्व के त्रनदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात त्रदशा से अनंत के घन !
तप्त धरा, जल से त्रिर
शीतल कर दो -
बादल, गरजो!

7. िुम्हारी यि दं िुररि मुसकान


धन्य िुम, मााँ भी िुम्हारी धन्य !
हचर प्रवासी मैं इिर.मैं अन्य!
इस अहिहर् से हप्रय िुम्हारा क्या रिा संपकथ
उाँ गहलयााँ मााँ की करािी िैं मधुपकथ

8 . एक के निीं,
दो के नहिं ,
ढे र सारी नहदयों के पानी का जादू :
एक के निीं,
दो के नहिं
लाख-लाख कोहट-कोहट िार्ों के स्पशथ की गररमा:
एक की निीं,
दो के निीं,
िज़ार-िज़ार खेिों की हमट्टी का गुण धमथ:

9. अट निीं रिीं िै ,
आभा फागुन की िन
सट निीं रिीं िै |

10 . कहीं सााँस लेते हो,


घर-घर भर दे ते हो
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर दे ते हो
आाँ ख हटाता हाँ तो
हट नहीं रही है |

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इकाई – 2

काव्य – बोध

क्र इकाई एवम् ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवांविि
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई काव्य बोध 10 06 02 --- --- --- 02
2 1. काव्य की पररभाषा
एवं भेद (प्रबन्ध
काव्य के भेद)
2. रस: अंग एवं प्रकार
उदािरण सहिि
3. छन्द : दोिा एवं
चौपाई
4. अलंकार :
मानवीकरण
,पुनरुक्तक्त प्रकाश,
अहिशयोक्तक्त,
अन्योक्तक्त अलंकार

वस्तुवनष्ठ प्रश्न (01 अांक)


सिी ववकल्प चुनकर वलखखए –
1. 'रसात्मकं वाक्यं काव्यं' पररभाषा हकस आचायथ की िै ?
अ. आचायथ जगन्नार् ब. आचायथ मम्‍ट
स. आचायथ हवश्वनार् द. आचायथ रामचन्द्र शुक्ल
2. काव्य के भेद िोिे िैं –
अ. एक ब. दो स. िीन द. चार
3. हकस काव्य के छन्द एक कर्ा के धागे में माला की िरि गुर्े िोिे िै ?
अ. मुक्तक काव्य ब. प्रबंध काव्य स. श्रव्‍य काव्य द. दृश्यकाव्य
4. ‘आलंम्बन’‍और उद्दीपन का संबंध िै -
अ. स्र्ायी भाव से ब. संचारी भाव से स. हवभाव से द. अनुभाव से
5. संचारी भावों की संख्या िै-
अ. 32 ब. 33 स. 34 द. 35
6. जुगुप्सा हकस रस का स्र्ायी भाव िै -
अ. अद् भुि ब. वीभत्स स. रौि द. भयानक
7. लय, िुक, यहि, गहि, मात्रा एवं चरण से युक्त रचना को कििे िैं -
अ. रस ब. छन्द स. अलंकार द. इसमें से कोई निीं
8. हकस वहणथक छन्द के प्रत्येक चरण में 31 वणथ िोिे िैं ?
अ. दोिा ब. चौपाई स. कहवि द. सवैया
9. काव्य की शोभा बिाने वाले कारक को कििे िैं -
अ.रस ब. छन्द स. अलंकार द. उपयुथक्त में से कोई निीं

10. ‘दोिा’‍छन्द के हद्विीय और चिुर्थ चरण में मात्राएाँ िोिी िैं -


अ. 13-13 ब. 11 -11 स 12-12 द. 16-11
ररक्त स्र्ान में सिी शब्द चुनकर वलखखए –

• नायक के जीवन की हकसी एक घटना अर्वा हृदयस्पशी अंश का पूणथिा के सार् अंकन
.................... काव्य में हकया जािा िै। (मिाकाव्य / खण्ड काव्य)
• अहभनय ित्व की प्रधानिा .................... काव्य में िोिी िै । (दृश्यकाव्य / श्रृव्यकाव्य)
• काव्य में रस का अर्थ .................... स्वीकार हकया गया िै। (आनंद / अलंकार)
• नायक - नाहयका के संयोग या हवयोग का वणथन .................... रस में िोिा िै। (िास / श्रृंगार)
• कहविा के रचना हवधान को .................... कििे िै। (छन्द / रस)
• चौपाई के प्रत्येक चरण में .................... मात्राएाँ िोिी िै। (16-16 /24-24)
• छन्द .................... प्रकार के िोिे िैं। (आठ / दो)
• जिााँ लोक की मयाथदा को पार करके हकसी वस्तु का अत्यंि बिा चिाकर वणथन हकया जािा िै
विााँ .................... अलंकार िोिा िै। (अन्योक्तक्त / अहिशयोक्तक्त)
• वीर रस का स्र्ाई भाव .................... िै। (उत्साि / क्रोध)
• ‘‘बार-बार मोहि लाहग बोलाबा’’‍पक्तक्त में अलंकार िै। (पुनरूक्तक्तप्रकाश / उपमा)

सिी जोडी बनाकर वलखखए –

i अ ब
1. कामायनी - क. छन्द
2. दोिा - ख. खण्ड काव्य
3. सुदामाचररत्र - ग. मिाकाव्य
4. नाटक - घ. हनवेद
5. शांि रस - ड. दृश्यकाव्य

ii अ ब
1. कात्य की आत्मा - क. माहत्रक छन्द
2. छन्द के प्रकार - ख. रस
3. चौपाई - ग. दो
4. िीन वणो का मेल - घ. श्रृंगार परक
5. हबिारी सिसई - ड. गण

iii. अ ब
1. अलंकार - क. अन्योक्तक्त
2. जिााँ अप्रस्तुि कर्न से - ख. मानवीकरण
प्रस्तुि का बोध िो
3. प्रकृहि में मानवीय - ग. आभूषण
हक्रयाओं का आरोपण
4. लोक मयाथदा की सीमा - घ. पुररूक्तक्त प्रकाश
लााँघ कर वणथन
5. जिााँ एक िी शि दो - ड. अहिश्योक्तक्त
बार आए और उसका
अर्थ भी न बदले
एक वाक्य में उत्तर वलखखए –

1. हकस काव्य में पूवाथपर संबंध निीं िोिा िै ?


2. रामचररिमानस का प्रमुख छन्द कौन सा िै ?
3. मुख्य रूप से स्र्ाई भावों की संख्या हकिनी िै ?
4. ‘बिरस लालच लाल की’‍पक्तक्त में कौन सा अलंकार िै ?
5. अद्धथ -सम माहत्रक छन्द क्या िै ?
6. ‘पड़ी अचानक नदी अपार, घोड़ा कैसे उिरे पार
राणा ने सोचा इस पार, िब िक चेिक र्ा उस पार
इन पक्तक्तयों में कौन सा अलंकार िै ?
7. ‘गणों’‍की कुल संख्या हलक्तखए।
8. 16-16 मात्राओं का चरण हकस छन्द में िोिा िै ?
9. ‘साकेि’‍एवं ‘पंचवटी’‍रचनाओं के रचनाकार का नाम हलक्तखए।
10 . मात्राओं की संख्या पर आधाररि छन्द क्या किलािे िैं ?
11 . हजन कारणों से स्र्ायी-भाव िीव्र िोिे िै उन्हें क्या कििे िैं ?

सत्य / असत्य कर्न वलखखए –

1. रामचररिमानस मिाकाव्य िै।


2. दृश्य-काव्य में अहभनय ित्व प्रधान िोिा िै।
3. माहत्रक छन्द में मात्राओं की हगनिी हनहिि रििी िै।
4. वाहणथक छन्द में गण का बहुि मित्व िै।
5. रस के साि अंग िै।
6. जिॉ अलौहकक आियथ का भाव उत्पन्न िो विॉ वीभत्स रस िोिा िै।
7. कबीर-िुलसी वृंद रिीम आहद कहवयों के भक्तक्त और नीहि परक दोिे पाठ्य पुस्तक के अंिगथि
आिे िैं।
8. अन्योक्तक्त अलंकार में लोकसीमा को पार करके बिा चिाकर वणथन िोिा िै।
9. ‘बन-ठन के आये, काले-काले मेघ में पुनरूक्तक्त प्रकाश अलंकार का उदािरण िै ।

अवि लघुउत्तरीय/ लघुउत्तरीय प्रश्न (02 अांक)

1. काव्य की पररभाषा हलक्तखए।


2. मिाकाव्य हकसे कििे िैं ?
3. दो खण्डकाव्यों के नाम हलक्तखए।
4. रस के अंगों के नाम हलक्तखए।
5. ‘छन्द’‍के हकिने भेद िैं ?
6. ‘हवभाव’‍हकसे कििे िैं ? यि हकिने प्रकार के िोिे िैं ?
7. ‘चौपाई’‍छन्द का उदािरण हलक्तखए।
8. अहिश्योक्तक्त अलंकार की पररभाषा हलक्तखए।
9. अलंकार हकसे कििे िैं ?
10. हिन्दी के दो प्रहसद्ध मिाकाव्यों के नाम हलक्तखए।
11. वीर रस और रौि रस के स्र्ायी भाव हलक्तखए।
12. ‘वात्सल्य’‍रस की पररभाषा हलक्तखए।
13. प्रबंध काव्य के भेद हलक्तखए।
14. ‘ठु मक-चलि राम चन्द्र’,‍पक्तक्त में कौनसा अलंकार िै ?
15. मिाकाव्य एवं खण्ड काव्य में अंिर हलक्तखए।
16. अन्योक्ति अलंकार की पररभाषा उदािरण सहिि मलखखए ।
17. दसवां रस ककसे मािा गया िै ? उदािरण सहिि मलखखए।
18. ‘यमािाराजभािसलगा’ यि सूत्र ककसके मलए और तयों प्रयुति िोिा िै?
19. ‘मािवीकरण’ अलंकार की पररभाषा उदािरण सहिि मलखखए।
20. ववभाव और अिुभाव में अंिर मलखखए।
21. िीि मिाकाव्यों के िाम रचिाकार सहिि मलखखए।
22. चौपाई छन्द के लक्षण उदािरण सहिि मलखखए।
23. ‘स्र्ायी भाव’ ककसे कििे िैं और यि किााँ ववद्यमाि रििे िैं?
24. काव्य के प्रमुख भेद मलखखए।
25. काव्य ककसे कििे िैं? काव्य के प्रमुख भेदों को समझाइए।
26. ‘मिाकाव्य’ के प्रमुख लक्षण मलखखए एवं एक मिाकाव्य का िाम रचिाकार सहिि मलखखए।
27. ‘खण्डकाव्य’ को खण्डकाव्य तयों कििे िै ? पररभावषि करिे िुए खण्डकाव्य के उदािरण
मलखखए।
28. प्रबंध काव्य और मुतिक काव्य में अंिर मलखखए।
29. ‘रस’ ककस कििे िैं? आचाया जगन्िार् के अिुसार रस की पररभाषा मलखखए।
30. रस के प्रमख
ु अंगों का वणाि उदािरण दे कर कीक्जए।
31. पुिरूक्ति प्रकाश अलंकार की पररभाषा उदािरण सहिि मलखखए।
32. अलंकार की पररभाषा एवं भेद मलखखए।
33. आख्यानक गीतियााँ ककसे कििे िैं ? उदािरण सहिि मलखखए।
34. छन्द की पररभाषा मलखखए |
इकाई - 3
वक्षविज भाग-2 गद्य खण्ड

क्र इकाई एवां ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवांविि
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई वक्षविज भाग 2, गद्य खण्ड
3 • गदय की प्रमुख एवं
गौण हवधाएाँ 17 06 04 01 --- --- 05
• लेखक पररचय
• व्याख्या (सन्दभथ,
प्रसंग, व्याख्या,
हवशेष)
• हवषयवस्तु एवं
हवचार बोध पर
आधाररि प्रश्न

वस्तुवनष्ठ प्रश्न (01 अांक)


सिी ववकल्प चुनकर वलखखए -

1‍“नेिा जी का चश्मा”‍पाठ की हवधा िै -


(अ) एकां की (ब) हनबन्ध
(स) व्यंग्य (द) किानी

2‍‘स्वयं प्रकाश’‍जी का जन्म हुआ र्ा -


(अ) मध्यप्रदे श में (ब) राजस्र्ान में
(स) गुजराि में (द) उिरप्रदे श में

3 स्वयं प्रकाश जी ने पहत्रका का संपादन हकया -


(अ) सरस्विी का (ब) वसुधा का
(स) कादक्तम्बनी का (द) जनवाणी का

4‍‘कैप्टन’‍नाम र्ा -
(अ) पान वाले का (ब) सैहनक का
(स) िालदार सािब का (द) चश्मे वाले का
5‍‘नेिा जी का चश्मा’‍किानी का मूलभाव िै -
(अ) हशिा का हवकास (ब) समाजसुधार
(स) प्रेम सम्बन्ध (द) दे श भक्तक्त की भावना

6 कस्बे के चौरािे पर प्रहिमा लगी र्ी -


(अ) मिात्मा गां धी की (ब) भीमराव अम्बेडकर की
(स) सरदार पटे ल की (द) सुभाषचन्द्र बोस की

7 नेिा जी की मूहिथ लगवाई गई र्ी -


(अ) वन हवभाग द्वारा (ब) नगरपाहलका द्वारा
(स) नगरहनगम द्वारा (द) हशिा हवभाग द्वारा

8‍‘कलम का जादू गर’‍किा जािा िै -


(अ) स्वंय प्रकाश जी को (ब) सवेश्वर दयाल सक्सेना जी को
(स) मन्नू भंडारी को (द) रामवृि बेनीपुरी जी को

9‍‘बालगोहवन भगि’‍पाठ की हवधा िै -


(अ) जीवनी (ब) आत्मकर्ा
(स) रे खाहचत्र (द) संस्मरण

10 बालगोहबन भगि र्े -


(अ) साधु (ब) गृिस्र्
(स) सािब (द) पुजारी

11 बालगोहबन भगि जी पद गािे र्े -


(अ) कबीर के (ब) सूरदास के
(स) मीरा के (द) िुलसीदास के

12 बालगोहबन भगि पाठ प्रिार करिा िै -


(अ) कुरीहियों पर (ब) दिे ज लोहभयों पर
(स) हशिा पर (द) राजनीहि पर

13 बालगोहवन भगि गािे समय बजािे र्े -


(अ) ढोलक (ब) िबला
(स) मंजीरा (द) खंजड़ी

14 सच्चे साधु की पिचान िोिी िै -

(अ) पिनावे से (ब) भाषा से


(स) ईश्वर भक्तक्त से (द) उसके हवचारों से

15‍‘झूठा सच’‍उपन्यास के लेखक िै -


(अ) यशपाल (ब) मन्नू भंडारी
(स) रामबृि बेनीपुरी (द) स्वयं प्रकाश
16‍‘लखनवी अंदाज़’‍पाठ की हवधा िै -
(अ) किानी (ब) हनबन्ध
(स) व्यंग्य (द) रे खाहचत्र

17 नवाबों के शौक के हलए प्रहसद्ध िै -


(अ) हदल्ली (ब) लखनऊ
(स) िै दराबाद (द) भोपाल

18 मध्यप्रदे श के मंदसौर हजले में जन्म हुआ र्ा -


(अ) स्वयंप्रकाश का (ब) सवेश्वर दयाल सक्सेना का
(स) यशपाल का (द) मन्नू भण्डारी का

19‍‍‘आपका बंटी’‍उपन्यास हलखा िै -


(अ) मन्नू भंडारी ने (ब) रामवृि बेनीपरी ने
(स) यिीन्द्र हमश्र ने (द) मिावीर प्रसाद हद्ववेदी ने

20‍‘आत्मकर्ा’‍हवधा में हलखा गया पाठ िै -


(अ) नौबिखाने में इबादि (ब) लखनवी अंदाज
(स) बालगोहबन भगि (द) एक किानी यि भी

21 मन्नू भंडारी के हकस व्यविार से िंग आकर हप्रंहसपल ने उनके हपिा को बुलाया?
(अ) अहशष्ट (ब) हवनम्र
(स) दु ष्ट (द) आं दोलनकारी

22 जैनेन्द्र का कौन सा उपन्यास मन्नू भण्डारी को पसंद र्ा?


(अ) सुनीिा (ब) परख
(स) त्याग-पत्र (द) भाभी
23 उस्ताद हबक्तस्मल्ला खााँ के हलए प्रहसद्ध र्े –

(अ) हसिार वादन के हलए (ब) शिनाई वादन के हलए


(स) िबला वादन के हलए (द) बां सुरी वादन के हलए

24 हबक्तस्मल्ला खााँ का दू सरा नाम र्ा -


(अ) अमीरूद्दीन (ब) अलीवख्श
(स) हमट्ठन (द) हुसैन खााँ

25 भदं ि आनंद कौसल्यायन हवशेष प्रभाहवि र्े -


(अ) नेिरू जी से (ब) गां धी जी से
(स) अम्बेडकर जी से (द) सरदार पटे ल से
26 गद्य की हवधा निीं िै -
(अ) मिाकाव्य (ब) किानी
(स) नाटक (द) एकां की

27 उपन्यास सम्राट िैं -


(अ) जयशंकर प्रसाद (ब) प्रेमचन्द
(स) यशपाल (द) मन्नू भण्डारी

28‍‍‘यहद गद्य कहवयों की कसौटी िै िो हनबन्ध गद्य की कसौटी िै ’‍यि कर्न िै -


(अ) मन्नू भंडारी का (ब) प्रेमचन्द्र का
(स) नंद दु लारे बाजपेयी का (द) आचायथ रामचन्द्र शुक्ल का

ररक्त स्र्ान में सिी शब्द चुनकर वलखखए -


1 लय, िाल, छन्द से आहद से मुक्त रचना..............किलािी िै । (पद्य / गद्य)
2 एक अंक वाली रचना..............किलािी िै । (एकां की / किानी)
3 .. .. .. .. में लेखक अपने िी जीवन-वृि को प्रस्तुि करिा िै (जीवनी/आत्मकर्ा)
4 प्रेमचन्द..............िैं । (कहव / कर्ाकार)
5 जीवनी..............की हलखी जािी िै । (स्वयं /मिापुरूष)
6 प्रहिमा बनाने वाले का नाम..............र्ा । (श्यामलाल / मोिीलाल)
7 प्रहिमा पर सरकंडे का चश्मा..............ने लगाया र्ा ।(दु कानदार ने /बच्चों ने)
8 प्रहिमा का चश्मा..............बदल दे िा र्ा । (पानवाला /कैप्टन)
9 नेिाजी की मूहिथ..............कपड़ों में र्ी । (खादी / फौजी)
10 ‘हदल्ली चलो’‍का नारा..............ने हदया र्ा । (नेिा जी/ कैप्टन)
11 आषाि की ररमहझम िै । समूचा गााँ व..............में उिर पड़ा । (नहदयों/खेिों)
12 बालगोहबन भगि की मौि उन्हीं के..............हुई । (अनुरूप /हवपरीि)
13 बालगोहबन भगि पाठ..............हवधा का िै । (रे खाहचत्र / संस्मरण)
14 बालगोहबन भगि की सब चीज..............की र्ी । (स्वयं/सािब)
15 कबीर के पद उनके कंठ से हनकलकर..............िो उठिे । (हनजीव/सजीव)
16 िेरी गठरी में लागा..............मुसाहफर जाग जरा । (जोर /चोर)
17 नबाब सािब ने खीरे की..............फाकों को बािर फेंक हदया । (सब/दो)
18 नवाब सािब ने संगहि के हलए..............निीं हदखाया । (सम्मान/उत्साि)
19 िम..............से नवाब सािब की ओर दे ख रिे र्े । (कनक्तखयों/क्तखड़हकयों)
20 मन्नू भंडारी का जन्म मध्यप्रदे श के..............गााँ व में हुआ । (रामपुरा / भानपुरा)
21 मन्नू भंडारी की बड़ी बिन का नाम..............र्ा । (सुशीला/हवनीिा)
22 शीला अग्रवाल..............की प्राध्याहपका र्ी । (हिन्दी/संस्कृि)
23 हपिाजी के चेिरे का संिोष धीरे -धीरे ..............में बदलिा जा रिा र्ा । (गुस्से/गवथ)
24 हवक्तस्मल्ला खााँ का जन्म हबिार के..............गााँ व में हुआ र्ा । (नौनिां राजगीर/डु मरां व)
25 पंचगंगा घाट..............में क्तस्र्ि िै । (काशी/प्रयाग)
26 हबक्तस्मल्ला खााँ ............मंहदर में प्रहिहदन शिनाई बजािे र्े।(हवश्वनार्/बालाजी)
27 काशी शास्त्ों में..............के नाम से प्रहिहष्ठि िै । (आनंदकानन/वाराणसी)
28 गुरूत्वाकषथण का अहवष्कार..............ने हकया र्ा । (राबटथ हुक/न्युटन)
29 अपनी योग्यिा प्रवृहि या प्रेरणा से अहवष्कार करने वाला..............मानव िोिा िै । (सभ्य/संस्कृि)
30 मानव संस्कृहि एक..............वस्तु िै । (हवभाज् /अहवभाज्)

सिी जोडी बनाकर वलखखए -


i अ ब
1. कैप्टन चश्मे वाला i. मिाभोज
2. बालगोहबन भगि ii. काशी
3. मोिीलाल iii. प्रहिमा पर चश्मा
4. बालम खीरा iv. कबीर पंर्
5. मन्नू भंडारी v. डर ाइं ग मास्टर
6. आनंद कानन vi. लखनऊ
ii अ ब
1. लखनबी अंदाज i. स्वयं प्रकाश
2. एक किानी यि भी ii. रामवृि बेनीपुरी
3. नौबिखाने में इबादि iii. यशपाल
4. संस्कृहि iv. मन्नू भंडारी
5. बालगोहबन भगि v. यिीन्द्र हमश्र
6. नेिाजी का चश्मा vi. भदं ि आनंद कौसल्यायन
iii अ ब
• सूरज कब हनकलेगा • यशपाल
• माटी की मूरिें • यिीन्द्र हमश्र
• दादा कामरे ड • भदं ि आनंद कौसल्यायन
• एक प्लेट सैलाब • स्वयं प्रकाश
• यदा-कदा • रामवृि बेनीपुरी
• रे ल का हटकट • मन्नू भंडारी

एक वाक्य में उत्तर वलखखए -


1 ररपोिाथ ज हकस भाषा का शि िै ?
2 हिन्दी गद्य की सवाथ हधक लोकहप्रय हवधा कौन-सी िै ?
3 आधुहनक हिन्दी गद्य का हवकास हकस युग से प्रारं भ हुआ?
4 जीवनी हकसकी हलखी जािी िै?
5 उपन्यास सम्राट हकन्हें किा जािा िै ?
6 एकां की में हकिने अंक िोिे िैं ?
7 प्रहिमा पर सरकंडे का चश्मा हकसने लगाया र्ा?
8 कम्पनी के काम के हसलहसले में कस्बे से कौन गुजरिा र्ा?
9 नेिाजी की मूहिथ हकससे बनी र्ी?
10 हदल्ली चलों नारा हकसने हदया र्ा?
11 बालगोहबन भगि हसर पर क्या पिनिे र्े?
12 ‘कलम का जादू गर’‍हकसे किा जािा िै ?
13 बालगोहबन भगि कबीर को क्या मानिे र्े?
14 भादों के महिने में कैसा मौसम िोिा िै ?
15 कबीर के गीिों को कौन गािा र्ा?
16 बालगोहबन भगि की प्रभाहियााँ हकस माि से शुरू िोिी र्ी?
17 भारि हवभाजन की त्रासदी का माहमथक दस्तावेज कौन सा उपन्यास िै ?
18 नेशनल कॉलेज में यशपाल जी का हकससे पररचय हुआ र्ा?
19 खीरे हकसके पास र्े?
20 लखनऊ का कौन-सा खीरा प्रहसद्ध िैं ?
21 नबाब सािब ने खीरे की फां कों का क्या हकया?
22 मन्नू भंडारी का हववाि हकससे हुआ?
23 मन्नू भंडारी के हपिा रसोई को क्या कििे र्े?
24 अजमेर आने से पिले मन्नू भंडारी के हपिाजी किााँ रििे र्े?
25 शिािी की सबसे बड़ी उपलक्ति क्या र्ी?
26 शास्त्ों में काशी हकस नाम से प्रहिहष्ठि िैं ?
27 हबक्तस्मल्ला खााँ को हकस सवथश्रेष्ठ सम्मान से सम्माहनि हकया गया?
28 काशी हकसकी पाठशाला िै ?
29 हबक्तस्मल्ला खााँ की मााँ का नाम क्या र्ा?
30 िरनामदास हकसके बचपन का नाम र्ा?
31 संस्कृहि पाठ हकस हवधा का िै ?
32 सभ्यिा हकसका पररणाम िै ?
33 आग के आहवष्कार के पीछे क्या प्रेरणा रिी िोगी?
34 मानव संस्कृहि हकस प्रकार की वस्तु िै ?

सत्य /असत्य वलखखए-


1 नाटक गद्य की हवधा निीं िै ।
2 उपन्यास में कई कर्ाओं का समावेश िोिा िै ।
3 नाटक में एक अंक िोिा िै ।
4 यहद गद्य कहवयों की कसौटी िै िो हनबन्ध गद्य की कसौटी िै ।
5 एक अंक वाली रचना किानी किलािी िै ।
6 कैप्टन चश्मे वाला आजाद हिन्द फौज का हसपािी र्ा ।
7 नेिाजी की मूहिथ संगमरमर की र्ी ।
8 नेिाजी की मूहिथ दो फुट ऊाँची र्ी ।
9 मूहिथ नगरपाहलका ने लगवाई र्ी ।
10 मूहिथकार मोिीलाल अध्यापक र्े ।
11 बालगोहबन भगि कबीर को सािब मानिे र्े ।
12 यादों की अधरहियों में भगि गीि निीं गािे र्े ।
13 बालगोहबन भगि िर वषथ गंगा निाने जािे र्े ।
14 बालगोहबन भगि के दो बेटे र्े ।
15 बालगोहबन भगि साधु र्े ।
16 नवाब सािब ने संगहि के हलए उत्साि हदखाया ।
17 नवाब सािब खीरे खाकर सो गए ।
18 नवाब सािब के पास चार खीरे र्े ।
19 लखनऊ का बालमखीरा प्रहसद्ध िै ।
20 लखनऊ को नवाबो का शिर किा जािा िै ।
21 मन्नू भंडारी 6 भाई-बहिनों में सबसे बड़ी िैं ।
22 शीला अग्रवाल संस्कृि की प्राध्याहपका र्ीं ।
23 मन्नू भंडारी की अपने हपिा से वैचाररक टकरािट र्ी ।
24 मन्नू भंडारी मूलिः एक किानीकार िैं ।
25 अमीरूद्दीन और हवक्तस्मल्ला खा एक िी व्यक्तक्त के नाम िैं ।
26 शिनाई स्वर-वाद्य यंत्र िै ।
27 काशी संस्कृहि की पाठशाला िै ।
28 काशी में मरण भी मंगल माना गया िै ।
29 हबक्तस्मल्ला खााँ की श्रद्धा काशी हवश्वनार् जी के प्रहि अपार र्ी ।
30 सभ्यिा संस्कृहि का पररणाम िै ।
31 मानव संस्कृहि एक अहवभाज् वस्तु िै ।
32 एक संस्कृि व्यक्तक्त हकसी नयी चीज की खोज करिा िै ।
33 सभ्यिा और संस्कृहि एक िी बस्तु िै ।

लघुउत्तरीय प्रश्न (02अांक)


1 आत्मकर्ा और जीवनी में दो अंिर हलक्तखए ।
2 किानी और उपन्यास में दो अंिर हलक्तखए ।
3 नाटक और एकां की में दो अंिर हलक्तखए ।
4 रे खाहचत्र और संस्मरण में दो अंिर हलक्तखए ।
5 गद्य हकसे कििे िैं ?
6 हिन्दी साहित्य में गद्य के हवकास का काल हवभाजन हलक्तखए ।
7 हनबन्ध हकसे कििे िैं ?
8 हिन्दी साहित्य के दो हनबन्धकारों के नाम और उनकी रचनाएाँ हलक्तखए ।
9 हिन्दी में उपन्यास सम्राट हकसे कििे िैं ? उनके दो उपन्यासों के नाम हलक्तखए ।
10 हिन्दी गद्य की प्रमुख हवधाओं के नाम हलक्तखए ।
11 हिन्दी के प्रमुख दो रे खाहचत्र लेखकों एवं उनकी एक-एक रचना के नाम हलक्तखए।
12 ररपोिाथ ज हकसे कििे िैं ?
13 रामवृि बेनीपुरी एवं यशपाल की दो-दो रचनाओं के नाम हलक्तखए ।
14 सवेश्वर दयाल सक्सेना की भाषा-शैली एवं दो रचनाओं के नाम हलक्तखए ।
15 मन्नू भंडारी की भाषा-शैली एवं दो रचनाओं के नाम हलक्तखए ।
17 स्वयंप्रकाश, यिीन्द्र हमश्र एवं भदन्त आनंद कौसल्यायन की दो-दो रचनाओं के नाम हलक्तखए
18 सेनानी न िोिे हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कििे र्े?
19 कैप्टन बार-बार मूहिथ पर चश्मा क्यों लगा दे िा र्ा?
20 मूहिथ पर लगा सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगािा िै ?
21 पानवाले का एक रे खाहचत्र प्रस्तुि कीहजए ।
22 भगि की पुत्रवधु उन्हें अकेला क्यों निीं छोड़ना चाििी र्ी?
23 बालगोहबन भगि के व्यक्तक्तत्व और उनकी वेशभूषा का अपने शिों में हचत्र प्रस्तुि कीहजए ।
24 भगि ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएाँ हकस िरि व्यक्त की?हलक्तखए।
25 मोि और प्रेम में अन्तर िोिा िै । बालगोहबन भगि के जीवन की हकस घटना के आधार पर इस
कर्न का सच हसद्ध करे गें?
26 लेखक को नवाब सािब के हकन िाव-भावों से मिसूस हुआ हक वे उनसे बािचीि करने के हलए िहनक
भी उत्सुक निीं िै ?
27 नबाब सािब ने खीरा सूाँघकर िी क्तखड़की से बािर फेंक हदया । उन्होंने ऐसा क्यों हकया िोगा?
28 ‘लखनवी अंदाज’‍किानी को आप और क्या नाम दे सकिे िैं ? हलक्तखए ।
29 इस आत्मकर्ा में लेक्तखका के हपिा ने रसोई को ‘भहटयारखाना’‍किकर क्यों संबोहधि हकया िै ?
30 वि कौन सी घटना र्ी हजसके बारे में सुनने पर लेक्तखका को न अपनी आाँ खों पर हवश्वास िो पाया और न
अपने कानों पर?
31 मन्नू भंडारी के हपिा का स्वभाव शक्की क्यों िो गया र्ा?
32 सन् 1947 में मन्नू भंडारी को कौन सी सवाथ हधक मित्वपूणथ खुशी प्राप्त हुई?
33 शिनाई की दु हनया में डु मरााँ व को क्यों याद हकया जािा िै ?
34 हबक्तस्मल्ला खााँ को शिनाई की मंगल ध्वहन का नायक क्यों किा गया िै ?
35 सुहषर बाद्यों से क्या अहभप्राय िै ?
36 शिनाई को ‘सुहषर-वाद्यों’‍में शाि की उपाहध क्यों दी गई िै ?
37 ‘फटा सुर न बख्शें! लुंहगया का क्या िै आज फटी िै िो कल सी जाएगी।कर्न का आशय स्पष्ट कीहजए
38 काशी में िो रिे कौन से पररविथन हबक्तस्मल्ला खााँ को व्यहर्ि करिे र्े?
39 हबक्तस्मल्ला खााँ हमली-जुली संस्कृहि के प्रिीक र्े । पाठ में आए प्रसंगों के आधार पर स्पष्ट कीहजए ।
40 उस्ताद हबक्तस्मल्ला खााँ की काशी हवश्वनार् जी के प्रहि अपार श्रद्धा र्ी, स्पष्ट कीहजए ।
41 लेखक की दृहष्ट में सभ्यिा और संस्कृहि की सिी समझ अब िक क्यों निीं बन पाई िै ?
42 वास्तहवक अर्ो में संस्कृि व्यक्तक्त हकसे किा जा सकिा िै ?
43 संस्कृि मानव और सभ्य मानव में क्या अंिर िोिा िै ? हलक्तखए ।

गद्याांश की सांदशथ ,प्रसांग सविि व्याख्या वलखखए-

(1) बार-बार सोचिे, क्या िोगा उस कौम का जो अपने दे श की खाहिर घर-गृिस्र्ी-जवानी-हजंदगी सब कुछ
िोम दे ने वालों पर भी िाँ सिी िै और अपने हलए हबकने के मौके ढू ाँ ढिी िै । दु ः खी िो गए।

(2) वि गृिस्र् र्े, लेहकन उनकी सब चीज ‘सािब’‍की र्ीं । जो कुछ खेि में पैदा िोिा, हसर पर लादकर पिले
उसे सािब के दरबार में ले जािे जो उनके घर से चार कोस दू र र्ा - एक कबीरपंर्ी मठ से मिलब! वि
दरबार में भेंट रूप रख हदया जाकर प्रसाद रूप में जो उन्हें हमलिा, उसे घर लािे और उसी से गुजर
चलािे ।

(3) भादों की वि अंधेरी अधरहिया । अभी र्ोड़ी िी दे र पिले मूसलाधार वषाथ खत्म हुई िै । बादलों की गरज,
हबजली की िड़प् में आपने कुछ निीं सुना िो, हकन्तु अब हझल्ली की झंकार या दादु रों की टरथ -टरथ
बालगोहबन भगि के संगीि को अपने कोलािल में डु बों निीं सकिी ।

(4) यि हपिृ गार्ा मैं इसहलए निीं गा रिी हक मुझे उनका गौरव-गान करना िै , बक्ति मैं िो यि दे खना चाििी
हाँ हक उनके व्यक्तक्तत्व की कौन सी खूबी और खाहमयााँ मेरे व्यक्तक्तत्व के िाने-बाने में गुाँर्ी हुई िैं या हक
अनजाने-अनचािे हकए उनके व्यविार ने मेरे भीिर हकन ग्रक्तियो को जन्म दे हदया।

(5) केवल बािरी हभन्निा के आधार पर अपनी परम्परा और पीहियों को नकारने वालों को क्या सचमुच इस
बाि का हबिुल एिसास निीं िोिा हक उनका आसन्न अिीि हकस कदर उनके भीिर जड़ जमाए बैठा
रििा िै । समय का प्रवाि भले िी िमें दू सरी हदशाओं में बिाकर ले जाएक्तस्र्हियों का दबाव भले िी
िमारा रूप बदल दे , िमें पूरी िरि उससे मुक्त िो निीं िी कर सकिा।
(6 ) काशी आज भी संगीि के स्वर पर जगिी और उसी के र्ापों पर सोिी िै । काशी में मरण भी मंगल माना
जािा िै । काशी आनंदकानन िै । सबसे बड़ी बाि यि िै हक काशी के पास उस्ताद हबक्तस्मल्ला खााँ जैसा
लय और सुर की िमीज हसखाने वाला नायाब िीरा रिा िै जो िमेशा से दो कौमो को एक िोने व आपस
में भाईचारे के सार् रिने की प्रेरणा दे िा रिा िै ।

(7) एक संस्कृि व्यक्तक्त हकसी नयी चीज की खोज करिा िै , हकन्तु उसकी संिान को वि अपने पूवथज से
अनायास िी प्राप्त िो जािी िै । हजस व्यक्तक्त की बुक्तद्ध ने अर्वा उसके हववके ने हकसी भी नए िथ्य का
दशथन हकया, वि व्यक्तक्त िी वास्तहवक संस्कृि व्यक्तक्त िै और उसकी संिान हजसे अपने पूवथज से वि वस्तु
अनायास िी प्राप्त िो गई िै , वि अपने पूवथज की भााँ हि सभ्य भले िी बन जाए, संस्कृि निीं किला सकिा

इकाई - 4
भाषा बोध

क्र इकाई एवां ववषय वस्तु इकाई पर वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
आवांविि प्रश्न प्रश्न
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई भाषा बोध
4 • संहध एवं
समास(भेद एवं 08 06 01 ___ ___ ___ 01
उदािरण), वाच्य,
हक्रया के भेद एवं
हक्रया हवशेषण
• मुिावरे एवं
लोकोक्तक्तयााँ ,
अनेकार्ी शि,
वाक्यांश के हलए
एक शि
• वाक्य के भेद(अर्थ
के आधार पर)
• शि शक्तक्त एवं
शि गुण का
सामान्य पररचय

वस्तुवनष्ठ प्रश्न- (01 अंक)


सिी ववकल्प चुनकर वलखखए -
1. दो शिों के मेल को कििे िैं -
अ. संहध ब. समास स. उपसगथ द. प्रत्यय
2. संहध के भेद िोिे िैं -
अ. 2 ब. 3 स. 4 द. 5
3. दो शिों का अपने हवभक्तक्त हचन्हों को छोड़कर आपस हमलना किलािा िै -
अ. संहध ब. समास स. वाक्य रूपान्तरण द. इसमें से कोई निीं
4. हजन मूल शिों से हमलकर समास बना िै , उसमें से पिले पद को कििे िैं -
अ. पूवथपद ब. उिर पद स. पूवाथपर द. उिरपूवथ
5. ‘वाच्य’‍के भेद िैं -
अ. दो ब. िीन स. चार द. छः
6. जो शि हक्रया की हवशेषिा प्रकट करिे िै , उन्हें कििे िैं -
अ. रीहि हवशेषण ब. जाहि हवशेषण
स. हक्रया हवशेषण द. इसमें से कोई निीं
7. ‘सुनार गिने बनािा िै ’‍इसमें वाच्य िै -
अ. कमथ वाच्य ब. किृथवाच्य स. भाववच्य द. उपयुथक्त सभी
8. हकसी कायथ का करने या िोने वा बोध कराने वाले शि किलािे िैं -
अ. संज्ञा ब . हवशेषण स. काल द. हक्रया
9. आग बबूला िोना का अर्थ िै -
अ. मुिाएाँ बनाना ब. क्रोध करना स. िेवर बदलना द. रं ग बदलना
10. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद िैं -
अ. चार ब. छ‘ स. आठ द. दस
11. हनम्नहलक्तखि में से कौन शि-शक्तक्त का भेद निीं िै -
अ. अहभधा ब. व्यंजना स. लिणा द. रस

ररक्त स्र्ान में उवचि शब्द चुनकर वलखखए -


1. जब हक्रया का रूप कमथ के अनुसार बदलिा िै .................... वाच्य िोिा िै। (कमथवाच्य/किृथ वाच्य)
2. वाच्य प्रयोग में सबसे अहधक .................... ध्यान रखना पड़िा िै। (हवशेषण/ हक्रया)
3. समुच्चय बोधक शिों को .................... किा जािा िै। (योजक/हवयोजक)
4. ‘हवद्यालय’‍में .................... संहध िै। (स्वर/व्यंजन)
5. हवलिण अर्थ का बोध कराने वाले वाक्य .................... किलािे िै। (मुिावरा/लोकोक्तक्त)
6. उड़िी हचहड़या पिचानना .................... िै। (लोकोक्तक्त/मुिावरा)
7. ‘हवद्यार्ी किा में पि रिे िैं ’। वाक्य में .................... हक्रया िै। (सकमथक / अकमथक)
8. समास के भेद .................... िैं। (8/6)
9. ‘चौरािा’‍में .................... समास िै। (द्वं द/हदगु )
10. शि-शक्तक्त के .................... प्रकार िै । (3/6)

सिी जोवडयााँ बनाकर वलखखए -


i अ ब
1. हजस समास में दोनों पद प्रधान िो - क. ित्पुरूष
2. रसोई घर में समास िै - ख. हद्वगु
3. ‘हत्रभुवन’‍में समास िै - - ग. द्वन्द
4. ‘एक मात्र सिारा’‍के हलए मुिावरा िै - घ. परास्त करना
5. दांि खट्टे करना - ड. अंधे की लाठी

ii अ ब
1. शिों का सार्थक समूि - क. प्रश्नवाचक
2. दो या दो अहधक शिों का समूि - ख. दावानल
3. लोकोक्तक्त को कििे िैं - ग. समास
4. क्या राम चला गया? वाक्य क्या िै? - घ. लोगों द्वारा किा गया कर्न
5. जंगल में लगने वाली आग - ड. वाक्य
एक वाक्य में उत्तर वलखखए -
1. वाच्य क्या िै ?
2. ऐसी बाि जो लोगों द्वारा बोली जािी िै और जुबान पर चि जािी िै।क्या किलािी िै ?
3. ‘हबजली गुल िो गयी’‍यि वाक्य वाच्य का कौन- सा प्रकार िै ?
4. समुि मंर्न करना का अर्थ हलक्तखए।
5. हवरोध करना के हलए सिी मुिावरा हलक्तखए।
6. शि की प्रर्म शक्तक्त को क्या किााँ जािा िै ?
7. हजसका कोई शत्रु न िो।उसे क्या किा जािा िै ?
8. ‘टे िी खीर’‍मुिावरे का अर्थ क्या िै ?
9. ‘प्रहिहदन’‍में कौन सी समास िै?
10. समुच्च्च्यबोधक शि का अहभप्राय हलक्तखए।

सत्य / असत्य वलखखए -


1. हक्रया के विथमान काल में काम िोने का पिा चलिा िै ।
2. किृथवाच्य-भाव प्रधान िोिा िै।
3. कमथ-वाच्य में हक्रया िमेशा अकमथक रििी िै ।
4. ‘लोक+उक्तक्त’‍से हमलकर लोकोक्तक्त शि बना िै।
5. ‘उससे खाना निीं खाया जािा’‍में भाववाच्य िै।
6. अहि-परीिा दे ना का अर्थ कहठन पररक्तस्र्हि में पड़ना िै।
7. मुिावरों और लोकोक्तक्तयों लिणा शि शक्तक्त के जररये अर्थ ग्रिण हकया जािा िै ।
8. वषाथ न िोिी िो फसल सूख जािी, हवहधवाचक वाक्य िै।
9. मुिावरे और लोकोक्तक्त एक िी िै।
10. ‘उपकार मानने वाला कृिज्ञ किलािा िै।

लघुउत्तरीय प्रश्न – (02 अांक)


1. सक्तन्ध हकसे कििे िै ? सक्तन्ध के भेद हलक्तखए।
2. समास को पररभाहषि करिे हुए समास के भेद हलक्तखए।
3. ‘वाच्य’‍की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
4. ‘हक्रया’‍हकसे कििे िैं? हलक्तखए।
5. ‘हक्रया’‍के भेद हलक्तखए।
6. समुच्चय बोधक शिों का प्रयोग किााँ करिे िैं ?
7. ‘नील कण्ठ’‍और ‘आदान-प्रदान’‍को समास हवग्रि करके हलक्तखए।
8. ‘सीिा-पत्र हलखिी िै ’। वाक्य को प्रश्न-वाचक वाक्य में पररवहिथि कीहजए।
9. शि शक्तक्त हकसे कििे िैं?
10. शि गुण के भेद हलक्तखए।
11. ‘वाक्य’‍हकसे कििे िैं? हलक्तखए।
12. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद हलक्तखए।
13. ‘श्री गणेश करना’‍मुिावरे का अर्थ हलक्तखए।
14. ‘सज्जन’‍एवं ‘मनोरर् ‘की सक्तन्ध हवच्छे द कर सक्तन्ध का नाम हलक्तखए।
15. माधुयथ गुण की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
16. सक्तन्ध एवं समास में अंिर हलक्तखए।
17. ‘बसों मेरे नैनन में नंदलाल
मोहिनी मूरि सााँवरर सूरि, नैना बने हबसाल
इन पंक्तक्तयों में कौन-सा शि गुण िै ? हलक्तखए।
18 अहभधा शि-शक्तक्त की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
19 ‘लो, सूयथ डूब गया’‍उक्त वाक्य शि-शक्तक्त को पिचान कर पररभाषा हलक्तखए।
20 ‘फूला न समाना’‍एवं ‘लोिा लेना’‍मुिावरों के अर्थसहिि वाक्य बनाकर हलक्तखए।
21 हक्रया हकसे कििे िैं? इसके भेद हलक्तखए।
22 समुच्चय बोधक शिों की उपयोहगिा समझाइए।
23 ‘मैं आज हवद्यालय जाऊाँगा’‍को हनषेधवाचक वाक्य में पररवहिथि कर हलक्तखए।
24 ‘रास्ता हदखाने वाले’‍को क्या कििे िैं ?
25. ‘बुंदेले िर बोलों के मुख, िमने सुनी किानी र्ी’‍में कौन सी शि शक्तक्त िै ? कारण सहिि हलक्तखए।
26 मुिावरे और लोकोक्तक्त में दो अंिर हलक्तखए।
27 प्रसाद गुण की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए।
28 ‘लिणा’‍शि शक्तक्त की पररभाषा उदािरण सहिि हलक्तखए ।
29 हनम्नहलक्तखि वाक्यों को हनदे शानुसार पररवहिथि कर हलक्तखए -
1. मैं कल भोपाल जाऊाँगी। (प्रश्नवाचक)
2. यि आपका हवद्यालय िै। (हनषेधवाचक)
3. राम घर जािा िै। (आज्ञा वाचक)
30 हनम्नहलक्तखि शि समूि के हलए एक शि हलक्तखए -
1. जिााँ लोग परस्पर हमलें।
2. जो सभी को स्वीकार िो।
3. हजसका आकार न िो।
31 हनम्नहलक्तखि मुिावरों के अर्थ सहिि वाक्य बनाकर हलक्तखए -
1. आाँ ख का िारा िोना
2. आग में घी डालना
3. गागर में सागर भरना
4. िूिी बोलना
32 हनम्नहलक्तखि शिों की सक्तन्ध हवच्छे द करके सक्तन्ध का नाम हलक्तखए -
1. सूयोदय 2. हनरिर
3. यद्यहप 4. हदग्गज
33 हनम्नहलक्तखि को हवग्रि कर समास का नाम हलक्तखए -
1. यर्ाशक्तक्त 2. गगनचुम्बी
3. पंचपत्र 4. जलज
34 हक्रया हवशेषण हकसे कििे िैं? हक्रया हवशेषण के प्रमुख भेद हलक्तखए।
35. अर्थ आधार पर वाक्य के भेद हलक्तखए।
इकाई - 5
कृविका भाग – 2

क्र इकाई एवां ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवांविि
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई कृहिका भाग – 2
5 पूरक पाठ्य पुस्तक से --- --- ---
हवहवध पाठों पर आधाररि 08 06 01 01
प्रश्न

वस्तुवनष्ठ प्रश्न (01 अांक)


सिी ववकल्प चुनकर वलखखए-

1. मााँ ने भोलानार् के घाव पर लगाया-


(अ) मरिम (ब) दवाई
(स) हपसी हुई िल्दी ( द) िुलसी का रस

2. भोलानार् का असल में नाम र्ा-


(अ) िारकेश्वरनार् (ब)अमरनार्
(स) केदारनार् (द) बिीनार्

3.’मइयााँ चावल अमहनया कर रिी र्ी’‍अमहनया का अर्थ िै -


(अ) फटकना (ब) साफ करना
(स) चुनना (द) धोना

4. बरखा बंद िोिे िी बाग में बहुि से नजर आए-


(अ)चूिे (ब) बंदर
(स) हचरई (द) हबच्छू
5. सांप हनकलने पर डरकर भागे भोलानार् आकर हछपे-
(अ) घर के कमरे में (ब) बैठक के कोने में
(स) हपिाजी की गोद में ( द) मइयााँ केअाँचल में
6. ’‍साना साना िार् जोहड़’‍रचना िै-
(अ)कमलेश्वर की (ब) हशव प्रसाद हमश्र की
(स) मधु कां कररया की ( द) हशवपूजन सिाय की

7. एक किार में लगी सफेद सफेद बौद्ध पिाकाएं प्रिीक िैं -


(अ) शांहि और अहिंसा की (ब) सुंदरिा की
(स) आत्मा की शांहि की (द) नए कायथ की शुरुआि की

8.‍’‍साना साना िार् जोहड़’ गद्य की हवधा िै -


(अ) संस्मरण (ब) यात्रा वृिां ि
(स) डायरी लेखन (द) ररपोिाथज

9 . पिाड़ी कुिे भोंकिे िैं -


(अ) काली राि में (ब) चांदनी राि में
(स) आधी राि में (द) हदन में

10. ‘फेरी भेटूला’ का अर्थ िै -


(अ) हफर जाएं गे (ब) हफर आएं गे
(स) हफर चलेंगे (द) हफर हमलेंगे
11. मधु कांकररया की सिेली िै -
(अ) महण (ब) हजिेन
(स) हप्रयंवदा (द) सुभिा
12. खेदुम िै -
(अ) फूलों का बगीचा (ब) रोडोडें डरो के फूल
(स) दे वी दे विाओं का हनवास (द) झरना
13. हिरोहशमा कहविा हकस काव्य संग्रि से ली गई िै ?
(अ) अरर ओ करुणा प्रभामय (ब) नदी के द्वीप
(स) इं िधनु रोंदे हुए ( द) अरे यायावर रिे गा याद
14 लेखक अपनी अभ्यांिर हववशिा को पिचान पािा िै -
(अ) प्रयोग करके (ब) हलखकर
(स) सुनकर (द )पिकर

15. हिरोहशमा नामक कहविा अज्ञेय ने हलखी-


(अ) भारि में (ब) रे ल गाड़ी में बैठे बैठे
(स) जापान में (द) िवाई जिाज में
16. प्रत्यि अनुभव की अपेिा गिरी िोिी िै -
(अ) बुक्तद्ध ( ब) स्वभाव
(स) अनुभूहि (द) हववशिा

ररक्त स्र्ान में सिी शब्द चुनकर वलखखए -


1. आम की फसल में कभी-कभी खूब—---------- आिी िै। (आाँ धी / वषाथ )
2. कभी-कभी िमसे…………………‍कुश्ती भी लड़िे िैं ।( बाबूजी/ हपिाजी)
3. भोलानार् और उनके सार्ी—------------ के हबल के पानी उलीचने लगे।( चूिों/ सांपों)
4. जिााँ लड़कों का संग ििााँ बाजे…………|(‍मृदंग/ िंग)
5. लड़के और बंदर पराई ………‍निीं समझिे|( प्रीि/ पीर)
6. गंिोक से………..‍हकलोमीटर की दू री पर यूमर्ांग र्ा |(139/149)
7. लेपचा और …….‍हसक्तक्कम की स्र्ानीय जाहियााँ िैं |( भूहटया/ सिररया)
8.. हसलीगुड़ी से िी िमारे सार् र्ी यि……….‍नदी |( हिस्ता/ कोसी)
9. हजिेन उत्साहिि िोकर किने लगा,‍“……….‍हिंदुस्तान का क्तस्वजरलैंड िै | (कटाओ/ कश्मीर)
10. मंहजल से किीं ज्ादा…………‍िोिा िै मंहजल िक का सफर| (रोमांचक/आकषथक)
11. चाय के बागानों में कई ……….‍बोकू पिले चाय की पहियााँ िोड़ रिी र्ी| ( युवहियां / युवक)
12. हिरोहशमा—------------------- में िै | (जापान/अमेररका)
13. अज्ञेय……………‍के हवद्यार्ी रिे िैं। (हवज्ञान /कला)
14. सब अखबारों ने खबरें छापीं हक जॉजथ पंचम के ….. नाक लगाई गई िै।( हजंदा/ पत्थर की)
15. अज्ञेय का जन्म—------------------- में हुआ।( उिर प्रदे श /मध्य प्रदे श)
16. अज्ञेय की प्रारं हभक हशिा ……………….में हुई। (पंजाब /जम्मू कश्मीर)
17. गंिोक का मिलब ………..िै | (पठार/ पिाड़)
18. हशवपूजन सिाय मुख्यिः ………‍के लेखक िैं | ( गद्य/ पद्य)

सिी जोडी बनाकर वलखखए-


(i) अ ब
1. माता का अाँचल क अज्ञेय
2 . मैं क्ों त्रलखता हाँ ? ख माता का अाँ चल
3 . त्रनबन्ध ग त्रशिपूजन सहाय
4 . साना-साना हाथ जोड़ी घ मैं क्ों त्रलखता हाँ ?
5 . उपन्यास का अंश ड़ यािा िृत्ां त

(ii) अ ब
1.हशवपूजन सिाय का जन्म क सच्चीदानंद हीरानंद िात्सयायन
2 . दे हाती दु त्रनया ख सन् 1893
3 . सलाम आखखरी ग त्रशिपूजन सहाय
4 . अज्ञेय घ मधु कांकररया
5 . अज्ञेय का जन्म ड़ सन् 1911
(iii) अ ब
1. त्रशिपूजन रचनािली क काव्य संग्रह
2 . पत्ाखोर ख ‘रूद्र’
3 . त्रशिप्रसाद त्रमश्र ग त्रनबन्ध
4 . त्रिशंकु घ उपन्यास
5 . भग्नदू त ड़ चार खण्ड
(iv) अ ब
1. परीक्षा पच्चीसी क छोटा शात्रमयाना
2 . चैरिेत्रत - चैरिेत्रत ख आम का उगता हुआ पौधा
3 . रफ़्ता-रफ़्ता ग धीरे – धीरे
4 . अमोले घ चलते रहो -चलते रहो
5 . चाँदोआ ड़ गीत एिं व्यंग्य गीत संग्रह

(v) अ ब
1. मतिाला क पीठ के बल लेटना
2 . त्रशिप्रसाद त्रमश्र ‘रूद्र’ ख कोलकाता में जन्म
3 . तारसप्तक ग अज्ञेय
4 . मधु कांकररया घ काशी
5 . उतान ड़ प्रत्रतत्रित पत्रिका
एक वाक्य में उत्तर वलखखए-
1. हिंदी का स्मरणहशल्प में हलखा गया पिला उपन्यास कौन सा माना जािा िै ?
2. बरखा के बंद िोिे िी बाग में क्या -क्या नजर आए?
3. हवपदा के समय भोलानार् हकसकी शरण में जािा िै ?
4. भोलानार् का असल नाम क्या र्ा?
5. भोलानार् अपने हपिाजी को क्या किकर बुलािे र्े?
6. भोलानार् और उनके सार्ी टू टी चूिेदानी से क्या बनािे र्े?
7. हनम्नहलक्तखि शिों का अर्थ हलक्तखए-
अ. आबरवााँ ब. अमहनया
8. सामने िी रकम रकम के रं ग-हबरं गे इिने सारे फूल हदखाई पड़े हक लगा फूलों के बाग में
आ गई हाँ। रे खााँहकि शि का अर्थ हलक्तखए|
9. ‘डोको’‍क्या िै?
10. अज्ञेय ने मानव हनहमथि सूरज हकसे किा िै ?
11. लेखक ने अपने आप को हिरोहशमा के हवस्फोट का भोक्ता कब मिसूस हकया?
12. पत्थर की दे वी िक अपने भक्तों द्वारा दी गई भेंट को निीं ठु करािी
यि कर्न हकसका िै?
सत्य / असत्य वलखखए -
1. िारकेश्वरनार् िी भोलानार् र्े|
2. भोलानार् को मइयााँ के गोद से हनकलकर बाबूजी की गोद में शांहि हमली|
3. गणेश जी के चूिे की रिा के हलए हशव का नंदी हनकल आया|
4. िमारे हपिाजी िड़के उठ कर हनपट निा कर पूजा करने बैठ जािे र्े|
5. कभी-कभी बाबूजी िमसे कुश्ती भी लड़के र्े|
6. िम कन्है या बनकर बाबूजी की गोद में िंसिे-िंसिे बािर आिे र्े|
7. चार लड़के बैल बनकर मोट खींचने लग जािे र्े |
8. गंगटोक मेिनिकश बादशािों का शिर िै |
9. जब हकसी बुक्तद्धस्ट की मृत्यु िोिी िै िो रं गीन पिाकाएाँ लगा दी जािी िैं |
10. सेवेन हसस्टसथ वाटरफॉल असम में िै |
11. चाय के िरे भरे बागानों में कई युवहियां बोकू पिले चाय की पहियााँ िोड़ रिी र्ी|
मंगलेश डबराल मंगलेश डबराल मंगलेश डबराल मंगलेश डबराल मंगलेश डबराल
लघु उत्तरीय प्रश्न (02 अांक)
1. बाल मनोभावों की अहभव्यक्तक्त करिे-करिे लेखक ने ित्कालीन समाज के पाररवाररक पररवेश
का हचत्रण भी हकया िै |”मािा का अाँचल ’‍पाठ के आधार पर इस कर्न की हववेचना कीहजए|
2. भोलानार् अपने साहर्यों को दे खकर हससकना क्यों भूल जािा िै ?
3. बच्चे मािा- हपिा के प्रहि अपने प्रेम को कैसे अहभव्यक्त करिे िैं ?
4. मािा का अाँचल शीषथक की उपयुक्तिा बिाइ|
5. भोलानार् का अपने हपिा से अहधक जुड़ाव र्ा हफर भी हवपदा के समय मााँ की शरण लेिा िै | इसकी
क्या वजि िो सकिी िै?
6. गंिोक को मेिनिकश बादशािों का शिर क्यों किा गया ?
7. कभी श्वेि िो कभी रं गीन पिाकाओं का लगाना हकन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेि करिा
िै?
8. लॉन्ग स्टॉक में घूमिे हुए चक्र को दे खकर लेक्तखका को पूरे भारि की आत्मा एक िी क्यों हदखाई
दी?
9. प्रकृहि के अनंि और हवराट स्वरूप को दे खकर लेक्तखका को कैसी अनुभूहि िोिी िै ? हलक्तखए|
10. ‘‍ कटाओ पर हकसी भी दु कान का ना िोना उसके हलए वरदान िै |’‍ इस कर्न के पि में अपना
िकथ हलक्तखए|
11. प्रकृहि ने जल संचय की व्यवस्र्ा हकस प्रकार की िै ? साना साना िार् जोहड़ पाठ के आधार पर
हलक्तखए|
12. लेखक के अनुसार प्रत्यि अनुभव की अपेिा अनुभूहि उनके लेखन में किीं अहधक मदद करिी िै।
इसका कारण हलक्तखए?
13. मैं क्यों हलखिा हाँ ?पाठ के आधार पर बिाइए हक लेखक को कौन सी बािें हलखने के हलए प्रेररि
करिी िैं?
14. कुछ रचनाकारों के हलए आत्मानुभूहि के सार्-सार् बािरी दबाव भी मित्वपूणथ िोिा िै | यि बािरी
दबाव कौन-कौन से िो सकिे िैं ?
15. हिरोहशमा पर हलखी कहविा लेखक के अंिः और बािरी दोनों दबाव का पररणाम िै |कैसे? पाठ के
आधार पर हलक्तखए|
16. अनुभव और अनुभूहि में क्या अंिर िै?
17. ‘मािृत्व और श्रम साधना सार् सार्’‍पाठ के आधार पर पिाड़ी महिलाओं की क्तस्र्हि को स्पष्ट कीहजए|
इकाई - 6
अपविि-बोध

क्र इकाई एवां ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवांविि
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई अपहठि बोध -
6 अपहठि काव्यांश / 04 ___ __ __ 01 __ 01
गद्यांश

अपविि गद्याांश
1. मानव का अकारण िी मानव के प्रहि अनुदार िो उठना न केवल मानविा के हलए लज्जाजनक िै
,अनुहचि भी िै। वस्तुिः यर्ार्थ मनुष्य विी िै जो मानविा का आदर करना जानिा िै , कर
सकिा िै केवल इसहलए हक कोई मनुष्य बुक्तद्धिीन िै अर्वा दररि। वि घृणा का िो दू र रिा
उपेिा का भी पात्र निीं िोना चाहिए । मानव िो इसहलए सम्मान के योग्य िै हक मानव िै ,भगवान
की सवथश्रेष्ठ रचना िै।
प्रश्न-
(i) उपयुथक्त गद्यां श का शीषथक हलक्तखए।
(ii) यर्ार्थ मनुष्य हकसे कििे िैं ?
(iii) उपयुथक्त गद्यां श का सारांश हलक्तखए।
2. आप िमेशा अच्छी हजंदगी जीिे जा रिे िैं । आप िमेशा बहिया कपड़े बहिया जूिे व मोबाईल
जैसे हदखावों पर बहुि खचथ करिे िैं। आप अपने शरीर पर हकिना खचथ करिे िैं ? इसका
मूल्यांकन जरूरी िै। यि शरीर अनमोल िै। अगर शरीर स्वस्र् निीं िोगा िो आप ये सारे
सामान हकस पर टांगेंगे? अि: स्वयं का स्वस्र् रिना सबसे जरूरी िै एवं स्वस्र् रिने में िमारे
खान-पान का सबसे मित्त्वपूणथ योगदान िै।
प्रश्न-
(i) उपयुथक्त गद्यां श का उहचि शीषथक हलक्तखए।
(ii) अनमोल क्या िै ?
(III) शुद्ध असली शिों के हवलोम शि हलक्तखए।
3. आदशथ व्यक्तक्त कमथशीलिा में िी अपने जीवन की सफलिा समझिा िै जीवन का प्रत्येक िण वि
चामथ में लगािा िै। हवश्राम और हवनोद के हलए उसके पास हनहिि समय रििा िै। शेष समय जन
सेवा में व्यिीि िोिा िै। िार् पर िार् रख कर बैठने को वि मृत्यु के समान समझिा िै। काम
करने की उसमें लगन िोिी िै ,उत्साि िोिा िै। हवपहियों में भी वि अपने चररत्र का पररचय दे िा
िै। धैयथ की कुदाली से वि बड़े बड़े संकट पवथिों को ढिा दे िा िै उसकी कायथकुशलिा दे खकर
लोग दां िों िले ऊाँगली दबािे िैं। संिोष उसका धन िै। वि पररक्तस्र्हियों का दास निीं िै।
\पररक्तस्र्हियााँ उसकी दासी िैं।
प्रश्न-
(i) उपयुथक्त गद्यां श का उहचि शीषथक हलक्तखए।
(ii) उपयुथक्त गद्यांश में वहणथि व्यक्तक्त के गुणों का वणथन अपने शिों में कीहजए ।
(iii) उपयुथक्त गद्यां श का सारांश हलक्तखए।
4 दे श प्रेम में आत्म हवस्तार का भाव हनहिि िै। हजस भाव के अंिगथि व्यक्तक्त पररवार और समाज
की पररहध से भी आगे अपने दे श के प्रहि अपना लगाव अनुभव करने लगिा िै , उस भाव को दे श
प्रेम के अंिगथि पररगहणि हकया जािा िै। दे श प्रेम में दे श की रिा और दे श के हवकास को मित्व
हदए जाने के सार् दे श के प्रहि पूज् भाव का संचार भी सहन्नहिि िोिा िै। जब िक व्यक्तक्त दे श
को अपना आराध्य निीं बनािा, िब िक दे श के प्रहि समपथण का भाव भी उसमें जाग्रि निीं
िोिा।
प्रश्न -
(i) उपयुथक्त गद्यांश का उहचि शीषथक हलक्तखए।
(ii) दे श के प्रहि समपथण का भाव कब जाग्रि िोिा िै ?
(iii) उपयुथक्त गद्यां श का सारांश हलक्तखए।
5. राष्टरीय भावना में शौयथभाव का अपना हवहशष्ट स्र्ान िै। राष्टर गौरव का बखान और उसकी रिा
का प्रबल भाव हजस कहविा में व्यक्त िोिा िै , उस वीर भाव को शौयथ के अन्तगथि हगना जािा िै।
शौयथ का भाव आत्मगौरव से पररपूणथ िोिा िै। हिन्दी कहविा के सुदीघथ इहििास में इस भाव की
प्रहिष्ठा प्राय: सभी युगों में िोिी रिी िै। आहदकाल से आधुहनक युग िक हकसी न हकसी रूप में
शौयथ और दे शप्रेम का भाव जाग्रि रिा िै ।
प्रश्न-
(i) उपयुथक्त गदयांश का उहचि शीषथक हलक्तखए।
(ii) शौयथ भाव क्या िै?
(iii) उपयुथक्त गद्यां श का सारांश हलक्तखए।
6. िमारी जीवन शैली में कम्यूटर और इं टरनेट का दखल इस कदर बििा जा रिा िै हक संभव िै
हक आने वाले समय में इं सान कम्यूटर और कम्यूटर इं सान बन जाएगा। कम्यूटर हवशेषज्ञ और
लेखक कहव ‘रे कुजथवील’‍ने भहवष्यवाणी की िै हक सन 2029 िक कम्यूटर और इं सान में िमीज
कर पाना मुक्तिल िो जाएगा और सदी के अंि िक िो वे सवथर्ा एक रूप िो जाएाँ गे।
प्रश्न-
(i) उपयुथक्त गद्यां श का शीषथक हलक्तखए।
(ii) इं सान के कंयूटर बन जाने से समाज को क्या खिरे िैं ?
(iii) उपयुथक्त गद्यां श का सारांश हलक्तखए।

7. लोक साहित्य में लोकगीिों का हवशेष स्‍र्ान िै ये गीि व्‍यक्तक्त हवशेष के न िोकर समूि के िोिे
िैं। इनका रचहयिा अज्ञाि िोिा िै और ये प्राय: मौक्तखक रूप में एक पीिी से दू सरी पीिी या एक
स्र्ान से दू सरे स्‍र्ान में स्र्ानान्तररि िोिे रििे िैं। लोकगीि, लोकजीवन का दपथण िोिे िैं। हजनमें
लोक संस्कृहि के समस्त पिों का वणथन िोिा िै। लोकगीि धमथ, सामाहजक रीहि-ररवाज, दशथन,
ज्ोहिष , वैद्यक, सदाचार, उपदे श, लोक व्यविार ,मनोरं जन िर्ा जीवन के समस्त पिों का
संहचि कोष िोिे िैं।
(i) उपयुथक्त गद्यां श का शीषथक हलक्तखए।
(ii) लोकगीिों की कोई दो हवशेषिाएाँ हलक्तखए।

अपविि पद्याांश
• मााँ िुम्हारा ऋण बहुि िै मैं अहकंचन,
हकन्तु इिना कर रिा हफर भी हनवेदन,
र्ाल में लाऊाँ सजाकर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वि समपथण,
ज्ञान अहपथि प्राण अहपथि,
रक्त का कण-कण समहपथि,
चाििा हाँ दे श की धरिी िुझे कुछ और भी दू ाँ ।।
प्रश्न -
(i) उपयुथक्त काव्यां श का शीषथक हलक्तखए।
(ii) कहव भारि मााँ को क्या अहपथि करना चाििा िै ?
(iii) दे श की धरिी का िम पर क्या ऋण िैं ?

• गगन-गगन िेरा यश फिरा,


पवन-पवन िेरा बल गिरा,
हिहि-जल-नभ पर डाल हिं डोले,
चरण-चरण संचरण सुनिरा,
ओ ऋहषयों के वेश,
यारे भारि दे श।
प्रश्न -
i उपयुथक्त काव्यांश का शीषथक हलक्तखए।
ii आप अपने दे श को यार क्यों करिे िैं ?
iii उक्‍ि काव्यांश का भावार्थ हलक्तखए।

• जी पिले कुछ हदन शमथ लगी मुझको,


पर पीछे -पीछे अक्‍ल जगी मुझको,
जी लोगों ने िो बेंच हदये ईमान,
जी आप न िो सुनकर ज्‍यादा िैरान,
मैं सोच-समझकर आक्तखर,
अपने गीि बेंचिा हाँ ,
जी िााँ हुजूर में गीि बेंचिा हाँ’’
प्रश्न -
i उपयुथक्त काव्यांश का शीषथक हलक्तखए।
ii कहव को गीि बेचने में शमथ क्यों निीं आिी?
iii उपयुथक्त गद्यांश का सारां श हलक्तखए।
• बहिन आज फूली समािी न मन में ,
िहडि आज फूली समािी न घन में,
घटा िै न झूली समािी गगन में,
लिा आज फूली समािी न बन में’’
प्रश्न -
i उपयुथक्त पंक्तक्तयााँ हकस ऋिु की ओर संकेि करिी िैं ?
ii बिन के खुश िोने का क्या कारण िै ?
iii उपयुथक्त गद्यां श का भावार्थ हलक्तखए।
• रॉपीं से उठी हुई आाँ खों ने मुझे,
िण भर टटोला,
और हफर,
जैसे बहियािे स्‍वर में,
वि िाँसिे हुए बोला,
बाबू सच कहाँ – मेरी हनगाि में,
न कोई छोटा िै,
न कोई बड़ा िै,
मेरे हलए िर आदमी एक जोड़ी जूिा िै।
जो मेरे सामने,
मरम्मि के हलए खड़ा िै।
प्रश्न -
i मोची िर आदमी को हकस रूप में दे खिा िै ?
ii िर आदमी की मरम्‍मि से मोची का क्या अहभप्राय िै ?
iii उपयुथक्त गद्यांश का आशय स्पष्ट कीहजए।

• वीरों का कैसा िो बसंि ?


आ रिी हिमालय से पुकार
िै उदहध गरजिा बार-बार
प्राची, पहिम, भू, नभ उपार,
सब पूछ रिे िैं हदग-हदगंि,
वीरों का कैसा िो बसंि ?
प्रश्न -
(i) उपयुथक्त काव्यांश का शीषथक हलक्तखए।
(ii) चीरों का बसंि कैसा िोना चाहिए?
(iii) उपयुथक्त काव्यांश का भावार्थ हलक्तखए।

• मैंने छु टपन से हछपकर पैसे बोए र्े सोचा र्ा,


पैसों के यारे पेड़ उगेंगे,
रूपयों की कलदार मधुर फसले खनकेंगी,
और फूल-फलकर, मैं मोटा सेठ बनूाँगा ।।
पर बंजर धरिी में एक न अंकुर फूटा
हमटटी ने न एक भी पैसा उगला।
सपने जाने किााँ हमटे सब धूल िो गए।
मैं ििाश िो, बांट जोि रिा हदनों िक
बाल कल्पना के अपलक
पॉवड़े हबछाकर मैं अयोध र्ा.
मैंने गलि बीज बोये र्े, ममिा को रोपा र्ा,
िृष्णा को सींचा र्ा।
प्रश्न-
i काव्यांश का उहचि शीषथक हलक्तखए।
ii कहव ने पैसों के पेड़ से क्या कल्पना की िैं ?
iii उपयुथक्त काव्यांश का भावार्थ हलक्तखए।
इकाई - 7
पत्र-लेखन

क्र इकाई एवां ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवांविि
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई पत्र लेखन -
7 औपचाररक पत्र/ 04 __ __ __ 01 __ 01
अनौपचाररक पत्र

1- आप किा दसवीं- ‘अ’‍के छात्र िैं , आपकी किा में छात्रों के मान से मेज-कुसी की कमी िै ।
अपने प्राचायथ को इस समस्या से अवगि कराने िेिु एक आवेदन-पत्र हलक्तखए।
2- अपने हवद्यालय में हनयहमि खेल प्रहशिक की व्यवस्र्ा करने िेिु अपने प्राचायथ को एक
आवेदन-पत्र हलक्तखए।
3- आप अपनी किा के नायक िैं ,आप अपनी किा के समस्त छात्रों के सार् अपने गांव/शिर
की सड़कों के हकनारे वृिारोपण करना चाििे िैं इस संबंध में अनुमहि प्राप्त करने िेिु अपने
प्राचायथ को पत्र हलक्तखए।
4- अपने हवद्यालय में अंिहवथद्यालयीन हक्रकेट प्रहियोहगिा का आयोजन कराने िे िु अपने
हवद्यालय के प्राचायथ को आवेदन- पत्र हलक्तखए।
5 आपको हपछले वषथ की छात्रवृहि प्राप्त निीं हुई िैं ,इस बाि की जानकारी दे ने िेिु अपने
प्राचायथ को एक आवेदन- पत्र हलक्तखए।
6- वाहषथक परीिा की िैयारी की जानकारी दे िे हुए अपनी मािाजी को एक पत्र हलक्तखए।
7- अपने वृद्ध दादा-दादी के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के हलए अपने हपिाजी को एक पत्र
हलक्तखए।
8- आपका पड़ोसी दे र राि िक ध्वहन-हवस्तारक यंत्रों का प्रयोग करिा िै , हजससे आपके
अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न िोिा िै। इस बाि की हशकायि करने िेिु अपने शिर के र्ाना-
प्रभारी को पत्र हलक्तखए।
9- आपके गांव में हकसी कन्या का हववाि 18 वषथ की आयु के पूवथ िो रिा िै। इसकी सूचना दे ने
के हलए अपने र्ाना प्रभारी को एक पत्र हलक्तखए।
10- आप वाडथ क्रमांक 3 आनंद नगर रिली के हनवासी िैं । अपने वाडथ में नाहलयों के हनमाथण िे िु
अपने वाडथ के पाषथद मिोदय को एक पत्र हलक्तखए।
11- अपने बैंक खािा नं. को अपने आधार नंबर से संलि (हलंक) करने िे िु बैंक प्रबंधक को एक
पत्र हलक्तखए।
12- राज् की हक्रकेट टीम में चयन िोने पर अपने हमत्र को एक बधाई पत्र हलक्तखए।
13- िाईस्कूल परीिा में अनुिीणथ िोने पर हनराश अपने हमत्र को सांत्वना दे िे हुए एक पत्र हलक्तखए।
14- मोबाइल गेम के दु ष्प्रभाव को समझािे हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र हलक्तखए।
15- हवद्यालय के प्राचायथ को शाला शुि से मुक्तक्त िेिु आवेदन- पत्र हलक्तखए ।
16- हवद्यालय के प्राचायथ को स्र्ानांिरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने िेिु आवेदन पत्र हलक्तखए।
17- सहचव माध्यहमक हशिा मंडल भोपाल को किा 10वीं की अंकसूची की हद्विीय प्रहि मंगवाने
िेिु आवेदन-पत्र हलक्तखए ।
18- वाहषथक परीिा की िैयारी के संबंध में अपने हपिाजी को एक पत्र हलक्तखए।
19- परीिा में प्रर्म स्र्ान प्राप्त करने पर अपने हमत्र को एक बधाई-पत्र हलक्तखए।
20- हवद्यालय के बुक-बैंक से पुस्तकें प्राप्त करने िेिु अपने हवद्यालय के प्राचायथ को एक
आवेदन- पत्र हलक्तखए।
21- बड़े भाई के हववाि में आमंहत्रि करने िेिु हमत्र को आमंत्रण- पत्र हलक्तखए।

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इकाई - 8
वनबन्ध-लेखन

क्र इकाई एवां ववषय वस्तु इकाई वस्तुवनष्ठ अांकवार प्रश्नोां की सांख्या कुल
पर प्रश्न प्रश्न
आवांविि
अांक
1 अांक 2 3 4 5
अांक अांक अांक अांक
इकाई • अनुच्छेद लेखन
8 /संवाद लेखन 07 ---- ----- 01 01 ---- 02
/हवज्ञापन लेखन
• हनबन्ध लेखन
(रूपरे खा सहिि)

अनुच्छेद लेखन
हनम्नहलक्तखि हवषयों पर अनुच्छेद हलक्तखए–
• मेरे जीवन का लक्ष्य
• कोरोना काल में लॉकडाउन का दृश्य
• िमारा राष्टरीय ध्वज
• योग भगाए रोग
• भारिीय संहवधान में वहणथि िमारे मूल किथव्य
• यहद मैं प्राचायथ िोिा
• मेरा भारि मिान
• दू र के ढोल सुिावने िोिे िैं
• हवद्यालय में मेरा पिला हदन
• बाल मजदू री
• अनेकिा में एकिा
• पुस्तकें: िमारी प्रर्म हमत्र
• मोबाइल गेम से िोने वाली िाहनयााँ
• ऑनलाइन हशिा
• भारिीय संस्कृहि पर अमेररकी संस्कृहि का प्रभाव
• िमारा सौर मंडल
• उपभोक्तावादी संस्कृहि
• व्यावसाहयक हशिा की आवश्यकिा
• जब मैं हशिक बन जाऊाँगा
सांवाद लेखन/ववज्ञापन लेखन/सूचना लेखन
• दो हमत्रों के बीच परीिा की िैयारी पर संवाद हलक्तखए।
• श्री राम के द्वारा धनुष िोड़े जाने पर परशुराम क्रोहधि िोिे िैं ,लक्ष्मण भी उनसे बािचीि
करिे िैं। परशुराम व लक्ष्मण के बीच हुई बािचीि या संवाद को अपने शिों में हलक्तखए।
• सूरदास के पद में गोहपयों व उद्धव के मध्य हुई बािचीि या संवाद को अपने शिों में
हलक्तखए।
• नानी के घर से लौटने के पिाि अपनी मािा के सार् संवाद हलक्तखए।
• हवज्ञापन लेखन से क्या आशय िै ?
• सूचना लेखन क्या िै ? हलक्तखए।
• अपने हकसी पसंदीदा हवषय पर हवज्ञापन बनाइए।

वनबन्ध लेखन
वनम्नवलखखि ववषयोां पर वनबन्ध वलखखए–
• दै हनक जीवन पर माँिगाई का असर
• पिला सुख-हनरोगी काया
• हशिा के िेत्र में इं टरनेट की उपयोहगिा
• शराबबंदी की आवश्यकिा एवं लाभ
• राष्टरीय हशिा नीहि 2020
• युद्ध और हवज्ञान
• प्रर्म स्विंत्रिा संग्राम
• शिर में हुए चुनाव का एक दृश्य
• आिंकवाद : कारण एवं समाधान
• महिला सशक्तक्तकरण के उपाय
• स्वच्छ भारि अहभयान
• ग्रामीण जीवन
• हवद्यार्ी जीवन में खेलों का मित्त्व
• प्रदू षण हनयंत्रण में िमारी व्यक्तक्तगि भूहमका
• भारि में जैव हवहवधिा
• भारिीय सेना: दे श का गौरव
• वैहश्वक गमाथिट (ग्लोबल वाहमिंग) के खिरे
• हसनेमा का समाज पर प्रभाव
• हशहिि बेरोजगारी: कारण एवं समाधान
• मेरी स्मरणीय यात्रा
• मेरे बचपन के हदन
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