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रा शैि क बंधन एवं िश ण सं थान

(सीमे ट), याग A


S
S
I
STATE INSTITUTE OF EDUCATIONAL G
MANAGEMENT & TRAINING
N
(SIEMAT)

िड लोमा इन एजुकेशनल मैनेजमट कोस


M
िवषय :-छा ों की सतत और ापक E
मू ांकन व था

िवषय सम यक :- डॉ. रमा गु ा


N

SUBMITTED BY: T
AJAY KUMAR ANURAGI
(TRANIE, DEM SIEMAT, PRAYAGRAJ)
2021
-शैि क मू यांकन या है? सतत और ापक मू यांकन का अथ प करते ए
इसके गुण व दोश बताइए

उ र - मू यांकन - मू यांकन िश ा के े म चलने वाली एक सतत या है जो पूव िनधा रत


उ े य क ाि क सीमा को ात करके उसके स ब ध म उिचत या अनुिचत का िनणय लेने म
सहायता दान करती है।

’’छा के वहार म िव ालय ारा लाए गए प रवतन के िवशय म माण के संकलन और उसक
ा या करने क या ही मू यांकन है।’’ - िलन व ह ा

’’मू यांकन क प रभाषा एक वि थत प म क जा सकती है जो इस बात को िनि त करती है


क िव ाथ कस सीमा तक उ े य ा करने म समथ रहा।’’ - एम0 एन0 ड डेकर

NCERT ने मू यांकन को प करते ए कहा है क “यह एक सतत व वि थत या है जो


देखती है क -

 िनधा रत शैि क उ े य क ाि कस सीमा तक हो रही है।


 क ा म दए गए अिधगम अनुभव कतने भावशाली रहे।
 िश ा के उ े य कतने अ छे ढंग से पूण हो रहे ह।

मापन क तरह मू यांकन भी ि य अथवा व तु के कसी भी गुण के स दभ म कया जा


सकता है। पर तु िश ा के े म मू यांकन से अिभ ाय छा क शैि क उपलि ध से है। मू यांकन
या म कसी काय म के ारा ा उ े य अथवा उपलि धय क वांछनीयता को ात कया
जाता है। अथात् मू यांकन वह या है जो यह बताती है क वांिछत उ े य को कस सीमा तक
ा कया जा चुका है। मू यांकन के अ तगत छा के वहार के गुणा मक व मा ा मक वणन के
साथ-साथ वहार क वांछनीयता से स बि धत मू य िनधारण भी िनिहत रहता है। वा तव म
कोई भी अ यापक अपने िश ण काय के उपरा त यह जानना चाहता है क या उसने वे उ े य
ा कर िलए ह िजसके िलए उसने अ यापन काय कया था। इसी कार छा यह जानना चाहते
ह क या उ ह ने वह ान ा कर िलया है िजसे ा करने के िलए वे अ ययन काय कर रहे ह
तथा धानाचाय यह जानना चाहता है क या उसके िव ालय के छा के ारा वांिछत िश ण
उ े यो क ाि क जा रही है।

मू यांकन क यह नवीन संक पना इस मूलभूत मा यता पर आधा रत है क िश ा सं था का काय,


छा को सीखने म सहायता दान करना है। सीखने के दौरान छा के वहार म िजन प रवतन
को लाने के हम इ छु क होते ह उ ह िश ा के उ े य अथवा अनुदश
े न उ े य के नाम से जाना जाता
है तथा इन िश ण उ े य क ाि के िलए िव ालय म िविभ अिधगम या का आयोजन
कया जाता है। ये अिधगम याएँ िनधा रत उ े य क ाि म कस सीमा तक सफल रही ह यह
मू यांकन या का काय है। इससे प है क मू यांकन या म िश ण उ े य क ाि क
वांछनीयता को देखा जाता है। इस कार मू यांकन या के तीन मुख अंग होते ह-

1. िश ण उ े य

2. अिधगम याएँ

3. वहार प रवतन।

मू यांकन के ये तीन अंग पर पर एक दूसरे से स बि धत तथा एक दूसरे पर िनभर होते ह। िश ण


उ े य क ाि के िलए िव ालय म अिधगम याएँ आयोिजत क जाती ह िजनसे छा के
वहार म प रवतन होते ह। छा के वहार म आये इन प रवतन क तुलना वांिछत प रवतन
(िश ा उ े य ) से करके मू यांकन कया जाता है। मू यांकन या के इन तीनो अंग को एक
ि भुज के प मे तुत कया जा सकता है-

िश ण उ े य

मू ां कन
ि या

अिधगम याये वहार प रवतन

मू यांकन क यह संक पना के वल पा व तु के ान तक ही सीिमत नही है वरन् िव ालय के


पा म से स बि धत सम त उ े य क एक िवशाल तथा ापक ख
ृं ला का मू यांकन करते ह।
सतत एवं ापक मू यांकन
(Continuous and Comprehensive Evaluation)
सतत् एवं ापक मू यांकन के पहले हम अपनी िश ा के उ े य पर गंभीरता से िवचार करना
होगा। हमारी िश ा के उ े य या ह ? या इन उ े य के अनु प हमारी क ा-िश ण अिधगम
या हो रही है। जब भी हम िश ा के उ े यो क बात करते ह तो एक सावभौिमक उ े य हमारे
सामने होता है, ब का सवागीण िवकास करना। सवागीण िवकास यािन ब े का मानिसक,

शारी रक, सामािजक, नैितक एवं संवेगा मक िवकास।

इन उ े य के आधार य द पर हम अपने आस-पास के िव ालय का अवलोकन कर, तो हम पता


चलता है क ऊपर िजस िवकास क बात हम कर रहे ह वे ही नदारद है। क ा म सीखने-िसखाने के
नाम पर जो याकलाप कराये जाते ह, िजनका संबंध मानिसक िवकास से होता है वह भी पूरी
तरह रटने पर आधा रत ह एवं कताब के इद-िगद ही ह। यािन हमारे िश ा के उ े य परी ा पास
करने के उ े य म बदल जाते ह और इस पूरी णाली म न िसफ ब ,े िश क और बालक बि क
पूरा समुदाय शािमल होता है। परी ा म िजतने अ छे अंक ब ा ा करता है वह उतना ही
होिशयार माना जाता है, भले ही ब ा कतना भी वहार कु शल, अ छा कलाकार, अ छा िखलाड़ी

य न हो, इन बात पर कह कोई यान नह दया जाता आर न ही इसका कह कोई थान होता

है। अतः ब े के पास एक अ छी िड ी तो होती है, पर तु ावहा रक ान लगभग नग य होता है।


प रणाम- व प ऐसी िश ा के मा यम से हम एक अ छा इंसान बनाने के बजाय तकनीक आधा रत
मानव बना रहे ह।

रा ीय िश ा नीित 1986 म इस बात का उ लेख कया गया है क मू यांकन एक ापक एवं

सतत् या है। मू यांकन का मतलब ब को उसक सफलता या असफलता का माण-प देना


ही नह , बि क उसक यो यता को बढ़ावा व सही दशा देना है। इसके िलए आव यक है क ब
का सतत् आकलन कया जाए िजससे यह पता चल सके क ब े के िवकास क गित ठीक है या नह ,

य द सही नह है तो उसे कस कार के बा मदद क आव यकता है ?

रा ीय पा चया-2005 म भी भयभीत कर देने वाली इस मू यांकन या को लेकर गंभीर


चंताएँ करते ए हल सुझाये गए ह।

िश ा के अिधकार अिधिनयम-2009 म भी परी ा के भय और तनाव को दूर करने के िलए क ा

5व और 8व क बोड परी ा क अिनवायता को समा कर सतत् एवं ापक मू यांकन को


अिनवाय कया गया है।

“The Zone of Proximal Development has been defined as the distance between

the actual development level as determined by independent problem solving

and level of potential development as determined through problem solving

under adult guidance, or in collaboration with more capable peers.” (Lev

Vygotsky)

http://www.simplypsychology.org/zone-f-ProximalDevelopment.html

नई रा ीय िश ा नीित 2020 के अनुसार -िव ा थय के िवकास के िलए आकलन – िव ाथ का


रपोट काड एक सम , 360-िड ी, बह-आयामी काड होगा ,िजसम येक िव ाथ के कये गए

िव ेशण का िव तृत िववरण होगा। इसम व-मू यांकन, सहपाठी मू यांकन, ोजे ट काय और

खोज आधा रत अ ययन, ज, रोल ले, समूह काय, पोटफोिलयो आ द िश क मू यांकन सिहत

शािमल होगा।
360-िड ी, ब -आयामी काड

पुरानी परी ा प ित के थान पर सतत् एवं ापक मू यांकन, गितिविध आधा रत


मू यांकन लाने के पीछे िन िलिखत कारण ह-

1. 21व सदी को ान क सदी कहा गया है। अतः नवाचारी सम या िनवारण क मता

इ या द जीवन कौशल का ब म िवकास कया जा सके ।

2. रटने-रटाने के थान पर सृजन, चंतन, िनणय, तक तथा िव ेशण क मता इ या द का िवकास


कया जा सके ।

3. ONE SIZE FITS ALL अथात् एक ही पैमाना सब के िलए लागू होता है के थान पर ब तरीय
े डंग से ब के िलए िविभ कार के िन मत कए जा सकगे।
4. परी ा के भय व मानिसक तनाव को ख म कया जा सके ।

5. माण-प म के वल सफल होने के थान पर क ा हेतु िनधा रत द ता को पूरा करने संबध


ं ी
उ लेख कया जा सके ।

सतत् एवं ापक मू यांकन का आशय (CCE Means)


सतत् एवं ापक मू यांकन ब के वृि और िवकास के सम त े का सतत् एवं िनयिमत

आकलन है। िजसके ारा िविभ िविधय एवं उपकरण के मा यम से ब का आकलन कया जाता
है।

सतत् एवं ापक मू यांकन म तीन श द ह- सतत्, ापक एवं मू यांकन।

1. सतत् (Continuous)-
सतत् के साथ आकलन श द जुड़ा है। सतत् आकलन एवं क ा िश ण या दोन साथ-साथ चलने
वाली या है। इसे हम पृथक-पृथक प म नह देख सकते। यह िश ण अिधगम या का
समे कत भाग है। इसम ब े का आकलन सतत् एवं िनयिमत प से कया जाता है ,जो पूरे वष
औपचा रक एवं अनौपचा रक प से चलता रहता है। इसम न िसफ िवषय आधा रत बि क
सहशैि क याकलाप का भी सतत् आकलन कया जाता है, िजससे ब के वहार म वांिछत

प रवतन के साथ-साथ यह भी ात होता है क ब े ने या सीखा एवं कहाँ उसके साथ काय करने

क आव यकता है। सतत् आकलन, िश क अपने अ यापन के समय अवलोकन या अ य उपकरण


क सहायता से कर सकता है िजससे ा फ डबैक का उपयोग वह अपनी िश ण िविध को सुधारने
हेतु करता है। िनयिमत आकलन एक समय िवषेश के अंतराल के बाद कया जाता है िजसम िश क
िविभ तकनीक एवं उपकरण का उपयोग कर फ डबैक ा करते ह। यह फ डबैक िश क के
अलावा पालक एवं ब के िलए भी होता है।
2. ापक (Comprehensive)-

ापकता से आशय ब े के सम त शारी रक, मानिसक, सामािजक, नैितक एवं संवेगा मक

िवकास से है जो एक अ छे नाग रक के िलए आव यक होता है। इन गुण का िवकास धीमी गित से

होता है तथा वांिछत प रवतन लाने के िलए पया समय क आव यकता होती है। ापक आकलन,

अवलोकन, चचा, सा ा कार आ द के मा यम से कया जा सकता है।

3.मू यांकन (Evaluation)-


मू यांकन, क ा अिधगम या के साथ-साथ ब के सीखने क गित, अवधारणा, ान, अिभवृि ,

कौशल, वहार, अनुभव, आ द को जानने के िलए योजनाब प से सा य का संकलन, िव लेशण,


ा या एवं सुझाव देने क या है। सा य का यह संकलन क ा िश ण अिधगम या के
समय िश क ारा उपयोग म लाए गए उपकरण के मा यम से कया जाता है। मू यांकन- या
िजतनी बेहतर होगी, िवकास क गित भी उतनी ही बेहतर होगी यां क मू यांकन के आधार पर
आव यक सुधार कर उपलि ध तर को बढ़ाया जा सकता है।

सतत एवं ापक मू यांकन के लाभ-


1. यह ब को रचना मक प सेउनके दशन के बारे म जानकारी देता है िजसे वह आने वाले
समय म अपने यास से बेहतर बना सकतेह।
2. यह िश क व अ यापक का भी मागदशन करता है िजससे वह अपनी क ा के याकलाप
को ब क यो यता तथा आव यकता के अनसुार ढाल सकते ह और आव यकता पड़ने पर
िवशेश सहायता चु नंदा ब को दे सकतेह।
3. यह िश क को इस कार क वायतता देता है क वे आकलन संबध
ं ी अपनी प रयोजना
वयं बना सक ।
4. यह ब पर परी ा संबध
ं ी बोझ एवं चंता का िनदान करता है।
5. अिधक मा य (More valid) : यह बाहरी परी ाय के मुकाबले अिधक वैध है य क इसम
हर महीने पा म िव ेशण के सभी िवशय को शािमल कया गया ह |
6. िनयिमत और समयब (Regular punctual) : छा अिधक िनयिमत और समयब हो
जायगे| वे सभी स बंिधत मामल क पूरी संतुि के िलए अपने ह
े काय और क ा काय
करने क कोिशश करगे |
7. अनुशासन (discipline) : अनुशासन क सम या कम हो जाएगी|
8. अिधक िव सनीय (More reliable): यह बाहरी परी ा क तुलना म अिधक िव सनीय
है य क इसम पा म के सभी िवशय को शािमल कया गया ह |
9. ेरक मू य (Motivational value) : यह िव ा थय को िनयिमत प से और अ छी तरह
से काम करने िलए ेरणा देता है | वे वष के मा यम से काम करते है और समय बबाद नह
करते है |
सं ेप म सतत एवं सम मू यांकन ब क संपण गित के िलए कया जाने
वाला एक नंरतर यास है, िजसका अथ के वल ‘अंक या देना ’ ेड‘ नह ह, अिपतु सं प
े म ब े के
बारे म एक सम जानकारी देना है तथा समयसमय पर उनके - सीखने के तर म आने वाले
प रवतन क जानकारी देना। इस सभी के साथ यह भी बताना है क वे अपनी अिधगम या
को आगे बढ़ाएँ।

सतत् और ापक मू यांकन के दोष :


1. समय लगता है (time consuming) : सतत् और ापक मू यांकन समय लेने वाली ह |
2. िश क को बहरी काम का बोझ (heavy work load of teachers) : अ पाविध मू यांकन म
िश क के काम का बोझ बढ़ जाता है इसके आलावा, यह िश क के भाग म िश ण, द ता और
कु शलता क मांग करता ह |
3. बाहरी परी ा के िबना अपूण (incomplete without external examination) : बा परी ा
क अनुपि थित म, मू यांकन के येक योजना म वष के अंत म एक सावजािनक परी ा ब त
आव यक ह |
4. सं या और ती ता म वृि (increase in number and intensity) : र तखोरी जैसी बुरी
चीज सं या और ती ता म बढ़ सकती ह |
5. काम के िशकारी (shirkers of works) : अ यापन के पेशे म काम करने वाल को जीवन क कु छ
मज़बूरी के कारण काम नह कर सकते ह और उनके हाथ से मानदंड नीचे जा सकते ह |

सुझाव एवं िन कष :
सतत एवं ापक मू यांकन िव ा थय के आकलन का एक अ छा तरीका है ले कन इसका या वन
अ छे से नह हो पा रहा ह और इसके िलए सरकार को स त कदम उठाने क आव यकता है,तथा
िनरं तर िनगरानी बनाए रखने क ज रत है | लेिलन सतत एवं ापक मू यांकन का मु य उ े य
यह है क जो छा शेि क व था म भावी प से भाग लेने म असमथ है, उनके ऊपर दवाव कम
करना | हाँला क , णाली को वा तिवक िश ा क अलावा प रयोजनाय और गितिविधय पर
अिधक यान देने के िलए भी आलोचना क गयी ह | आलोचक का यह भी कहना है क छा के
मानिसक तर म कोई सुधार नह आया है, बि क परी ाय म कमी आई ह | छा का गितिविधय
म भाग लेना आव यक बना दया गया है,भले ही पा म को पूरा नह कया गया हो | अत:
सीसीई के काया वन के साथ – साथ िव ालय को उनके िश ण समय और सीसीई काम के समय
आवं टत करने के िलए एक उिचत काय म दान कया जाना चािहए | सतत एवं ापक मू यांकन
के लाभ ा करने के िलए स त िनरी ण कया जाना चािहए |

स दभ :
1.ncert.nic.in/pdf/announcement/CCE-hindi.pdf

2. ाथिमक िश क ,शैि क संवाद क पि का

3.सतत एवं ापक मू यांकन (ncert)

4.बी.टी.सी. तृतीय सेमे टर ,रा य िश ा सं थान. यागराज

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