You are on page 1of 8

मािलका की भिव वािणयां , किलयु ग का अंत एवं क अवतार

महान आ ा क नेतृ कता एवं नामयोगी अवतार ी चैत महा भु के समकालीन, वै व धम के पां च िस सं त ए, िज
सामूिहक प से ‘पंचसखा’ कहा जाता है । िशशु अनंत दास, अ ु तानंद दास, जग ाथ दास, बलराम दास और यशवं त दास-
म कालीन ओिडशा म वे पां च महान सं त थे, िज ोंने ओिड़या आ ा कता और सािह दोनों को गहराई से भािवत िकया।
पंचसखा सं दाय का ादु भाव उस व आ, जब चै त महा भु बं गाल म भ की म ािकनी वािहत कर रहे थे। ी
चैत के ओिडशा आगमन के पूव ही पंचसखाओं ने राधा और कृ के िलए भ का उपदे श दे कर भ किव जयदे व के
‘गीतगोिव ’ ारा थािपत परं परा को आगे बढ़ाया था।

ये सभी पां च सं त चै त महा भु के िश बने। ी चै त ने अपने इन पां च िश ों को ‘पंचसखा’ की सं ा दी, कहा िक


‘पंचसखा’ उनकी पां च आ ा की तरह ह और ये िकसी भी मायने म भगवान िव ु के कुछ अवतारों से कम नही ं ह।

सन् 1450-1570 के बीच रहे पंचसखाओं ने ाचीन िह दू ं थों को सरल भाषा म ग म प रवितत िकया और आ ा क
िवचारों को कुछ इस तरह िकया िक सामा मनु भी उ समझकर उनसे लाभा त हो सके। उनके ारा पोथी,
मािलका, टीका और गीता आिद के तहत वग कृत कई िलखे गये िज ोंने समाज के िनचले तबके को जात-पात से ऊपर
उठकर भगव से जु ड़ने का अवसर तो दान िकया ही, साथ ही ओिडशा के सािह क-आ ा क िवकास म अपना
अतुलनीय योगदान भी िकया।

पंचसखाओं का इितहास यु गों पुराना है । हर यु ग के अंत म भगवान के अंश से ज होकर पंचसखा धरती पर आते ह और
भगवान के धम-सं थापना काय म अपना ब मू योगदान दे कर पुनः भगवान के गोलोक धाम लौट जाते ह। स यु ग म जहां
पंचसखाओं ने कृपाजल, नारद, माक े य, गागव और यं भू मनु का प िलया, वही ं े तायुग म वे नल, नील, हनुमान,
जामवंत और सु षेण के प म धरती पर आये । ापरयु ग के अंत म जब भगवान ीकृ धराधाम छोड़ रहे थे, उस व
नीलकंठे र महाराज कट ए और भगवान कृ को बताया िक भगवान कृ के साथी सुदामा, दाम, सु बल, सु बा और
ीव किलयु ग म िफर से अवतार लेकर मशः अ ुतानं द, बलराम, जग ाथ, यशवं त और िशशु अनंत के नाम से जाने
जाएं गे । ये पां च सं त ापरयु ग म भगवान ीकृ के सबसे घिन िम थे, जो उनकी से वा करने के िलए किलयु ग म िफर से
आये थे।

वैसे तो किलयु ग म आये पंचसखाओं ने कई ं थों की रचना की, पर ु उनम ‘भिव मािलका’ के नाम से वग कृत ं थ सबसे
मु ख ह। िविदत हो िक भिव मािलका कोई एक ं थ नही,ं अिपतु ं थों की माला है, िजनम कुल िमलाकर 1,85,000 ह।
आज से लगभग 600 साल पहले कागज और कलम न होने की वजह से अिधकां श मािलका ताड़ के प ों पर ओिड़या
िलिप म िलखे गये थे । जै से े तायु ग म भगवान राम के अवतार के पहले ही महिष वा ीिक ने रामायण की रचना कर दी और
ापर म ीकृ के अवतार के पहले ही महिष ास ने ीम ागवत महापुराण रच डाला, ठीक उसी तरह इस किलयु ग म
भगवान जग ाथ िनराकार ने अपने क अवतार लेने के पहले ही पंचसखाओं को िनदश दे कर ‘भिव मािलका’ समू ह
िलखवा डाला था।

भगवान िव ु के दसव एवं आ खरी अवतार, ‘क अवतार’ के आने के पहले पंचसखाओं ने भगवान के चारों यु गों के भ ों
को एक कर उनके उ ार, उ अधम के माग से धम के माग पर लाने और क अवतार से उनके िमलन हेतु भिव
मािलका ों की रचना की। भ ों की सु चे तना जगाने के िलए पंचसखाओं ने ‘भिव मािलका’ म किलयु ग से संगमयु ग
और सं गमयु ग से आगे आने वाले स यु ग तक होने वाली सभी घटनाओं की िव ारपूवक िववे चना की।

सनातन धम के अनेक शा ों और पुराणों के अनुसार किलयु ग की आयु 4,32,000 वष की है । पुराणों म अ तम


ीम ागवत महापुराण भी इस िवषय पर यही कहता है। पर मािलका ं थों म पंचसखाओं के मत इससे िभ ह। पंचसखाओं ने
अपने अलग-अलग मािलका ं थों म बार-बार इस बात का उ ेख िकया है िक हालां िक किलयु ग की स ूण आयु 4,32,000
वष की ही है , मनु कृत अने क पापकम की वजह से इसकी आयु घट कर िसफ 5,000 वष की रह जाएगी। महापु ष
अ ुतानं द दास अपने मािलका 'भ चे तावनी' म िलखते ह-

चा र ल जे बि िश सह ,
किलयुग र अटइ आयुष।
पाप भारा रे आयु किटिजब,
पांच सह किल भोग होइब।।

ओिड़या भाषा म िलखी इन पं यों का अथ यह है िक किलयु ग की आयु 4,32,000 वष की थी, लेिकन पाप के भार से
इसकी आयु का य हो जाने से इसका भोग मा 5,000 वष का ही होगा।

महापु ष अ ुतानं द दास ने अपने एक अ 'उ व भ दाियनी' म उ वजी और ीकृ के बीच िकये गये िव ृत
वातालाप का उ ेख िकया है । इस सं वाद म भगवान ीकृ ने किलयु ग म कुल 35 कार के पापकम का िज िकया है और
यह भी बताया है िक िकस पापकम से किलयु ग की िकतनी आयु ीण होगी। उ वजी को भगवान ीकृ ने आगे बताया िक
किलयु ग के पां च हजार साल भोग होने के बाद वे अपने जग ाथ धाम का प र ाग कर धरती पर मानव प म आयगे और
संसार से अधम और पाप का िवनाश कर स , धम और ाय की पुन ित ा करगे ।

भिव मािलका के अनुसार भ ों को चेतावनी दे ने हे तु किलयु ग के अंत म ओिडशा के पुरी थत जग ाथ मंिदर से कई सारे
संकेत िमलगे जो माण के तौर पर किलयु ग के अं त और भगवान क के धरावतरण की पुि करगे ।

भिव मािलका बताती है िक िजस समय भगवान जग ाथ िनराकार प छोड़ मानव शरीर धारण करगे , उस व जग ाथ
मं िदर म ि मूित के र िसं हासन के ऊपर लगे र चा दु आ म आग लग जाएगी। यह घटना साल 2004-05 म घिटत हो चु की।

दू सरा मह पूण सं केत मंिदर के ऊपर अशुभसू चक पि यों के बै ठने को लेकर है । ात है िक जग ाथपुरी मंिदर के ऊपर
िकसी भी प ी को उड़ते नही ं दे खा जाता है और इस बात का िव ेषण करने म वै ािनक और शोधकता भी िवफल रहे ह िक
आ खरकार ऐसा ों होता है, पर भिव मािलका के अनुसार किलयुग के अंत म जग ाथ मंिदर के ऊपर ‘पिततपावन बाना’
( जा) पर कई बार अशुभसू चक प ी (यानी िग , चील या बाज) बै ठगे । िवगत सालों म सन् 2005 के बाद कई बार ऐसा हो भी
चुका है । हाल म 11 अग 2018, 26 िदसं बर 2018 और 23 जुलाई 2020 को ऐसा आ जब अशुभसूचक प ी को
पिततपावन बाना के ऊपर बै ठा दे खा गया था। 07 िदसं बर 2021 को तो असं अशुभसू चक पि यों के समू ह को जग ाथ
मं िदर के ऊपर च र लगाते दे खा गया। ऐसी ही घटना 17 अग 2022 को एक बार िफर दे खने को िमली। िसलिसला यही ं
नही ं थमा, साल 2023 के मई और जून के महीनों म पुरीवािसयों ने िफर इस अि य घटना का दीदार िकया जब प ी मंिदर के
ऊपर लगे ज पर बै ठे िदखे ।

नीलच के ऊपर लगे पिततपावन बाना का हवा म उड़ जाना भिव मािलका म विणत एक अ सं केत है । अ ंत भीषण
च वाती तू फान ‘फानी’ के पुरी समु ी तट से टकराने के एक िदन पहले 02 मई 2019 को ते ज हवाओं के कारण पिततपावन
बाना उड़कर समु म जा िगरा। ठीक यही घटना च वात ‘अ फान’ के ओिडशा तट से टकराने के दो िदन पहले िदनां क 18
मई 2020 को एक बार िफर घिटत ई।

जग ाथपुरी मं िदर के ऊपर ज म आग लग जाना भी किलयु ग-अंत के सं केतों म एक है । ात हो िक हर एकादशी ितिथ की


भां ित 19 माच 2020 पापमोचनी एकादशी के िदन भी मंिदर के ऊपर अ धातु से बने नीलच के पास दीप जलाया गया था।
उ मौके पर पिततपावन बाना िकसी तरह दीप के संपक म आ गया और दे खते ही दे खते पूरा बाना आग की लपटों म समा
गया।

मं िदर से बार-बार प रों का िगरना भी सबसे मह पूण संकेतों म एक है । सन् 2005 के बाद से यह घटना भी कई बार घट
चुकी है । 01 नवं बर 2011 को जग ाथ मं िदर के पि मी ार की दिधनौती (गुं बद) के पास से लगभग 1 टन का प र नीचे िगरा।
सन् 2015 म भी 02 फरवरी 2015 को जग ाथ मं िदर के पि मी भाग म िबमला मं िदर के पास बने जल ीड़ा मं डप से 30-40
िकलो वजन का एक प र जमीन पर िगरा। अभी हाल की बात कर तो 03 अग 2022 को बारहवी ं शता ी म िनिमत इस
मंिदर के गभगृ ह की छत से लगभग 1.5 िकलो वजन का ा र का टु कड़ा नीचे िगरा। 23 अ ू बर 2022 को मजाना मंडप
और चचा घर के पास मंिदर के दि ण-पूव कोने से एक प र िगरा और इसके एक स ाह के अंदर ही 28 अ ू बर 2022 को
नटमं डप और जगमोहन के सं यु थल के पास सखी की ितमा के ऊपर की तीसरी परत से 2-3 िकलो का प र नीचे िगरा।

03 मई 2019 को पुरी तट से टकराने वाले च वाती तू फान ‘फानी’ ने जग ाथ मं िदर के ऊपर नीलच को व (टे ढ़ा) कर और
मं िदर प रसर म लगे युगों पु राने िवशाल क वट (वटवृ ) को बबाद कर 600 साल पहले िलखे गये ं थों म विणत किलयु ग-अंत
के एक अ मह पूण सं केत को मािणत िकया।

भिव मािलका म विणत और भी कई सं केत हाल के िदनों म जग ाथ मं िदर से सच होते ए दे खे गये ह। मं िदर प रसर म िभ -
िभ वजहों से बार-बार र पात होना उनम से एक है । कुल िमलाकर िजतने भी सं केत मािलका ंथों म विणत ह, सारे के सारे
िपछले 15 सालों म दे खे जा चु के ह।

िसफ इतना ही नही,ं मािलका साफ तौर पर यह भी कहती है िक किलयु ग के आ खरी कालखंड म जहां 'नर ' नाम के
भारत के राजा ( धानमं ी) होंगे, वही ं ी िबजयानं द (बीजू पटनायक) के सु पु ी नवीन पटनायक पर ओिडशा रा का दािय
होगा।

महापु ष अ ुतानं द दास अपने मािलका 'गु ान' म किलयु ग-अंत और भगवान क के अवतार का एक अ संकेत
दे ते ए िलखते ह-

िद िसंह अंके बाबू सरब दे खबु ,


छािड़ चका गलु बोली िन य जािणबु,
नर बालु त परे आ े जनिमबु ।

उपरो ओिड़या पं यों म महापु ष अ ुतानं द दास कहते ह िक ी िद िसं ह के शासनकाल म ही धम-सं थापना का काम
होगा। उसी समय भगवान अपना जग ाथ धाम छोड़ मानव शरीर धारण कर एक बालक के पमज लगे ।

पंचसखाओं म अ तम और पुरी के किपले रपु र म मां राधारानी के अंश से राधा मी के िदन ज लेने वाले महापु ष जग ाथ
दास ने अपने मािलका म किलयु ग-अंत का सं केत दे ते ए िलखा-

पु षो म दे ब राजा ठा ,
उ िवंश राजा हे बे सेठा ,
उ िवंश राजा परे राजा नां िह आउ,
अकुली होइबे कुलकु बो ।

उपरो ओिड़या पं यों म महापु ष जग ाथ दास ने 600 वष पहले ही िलख िदया िक थम राजा ी पु षो म दे व सिहत
कुल 19 राजा अलग-अलग समय म जग ाथ े , पुरी के राजा बनगे । महापु ष ने आगे िलखा िक उ ीसव राजा के बाद कोई
राजा नही ं रहे गा और साथ ही यह भी भिव वाणी कर डाली िक उ ीसव राजा के कोई पु नही ं होगा।

बता द िक राजा इ द् यु की परं परा के अनुसार अलग-अलग समय म जग ाथपुरी के अलग-अलग राजा रहे ह। पहले राजा
ी पु षो म दे व से शु कर वतमान म ी िद िसं ह दे व (चतुथ) पुरी के उ ीसव राजा के प म दािय का िनवाहन कर रहे
ह। 1953 म ज े ी िद िसं ह दे व अपने िपता की मौत के बाद 17 साल की उ म ही 1970 म पुरी के राजा बने। वे पु हीन
ह, उनकी केवल चार पुि यां ही ह। महापु षों के अनुसार ी िद िसं ह दे व (चतुथ) के शासनकाल म ही भगवान क का
ज और धम-सं थापना का काय होगा।
ये सारे के सारे वे सं केत ह िज पंचसखाओं ने भ ों को यह करने के िलए िलखा था िक किलयु ग का अंत हो चुका और
अधम का िवनाश कर धम की थापना करने हे तु 64 कलाओं से यु भगवान िव ु अपने दसव और अंितम अवतार म इस
पृ ी पर आ चु के।

भिव मािलका म क अवतार के बारे म भी िव ार से जानने को िमलता है। पूव काल म महिष वे द ास ने ीम ागवत
महापुराण म भगवान क का ज थान ‘सं भल ाम’ बताया था। बाद म महाभारत के वनपव म महिष ास ने ही इसे थोड़ा
संशोिधत कर भगवान क के ज थान का नाम 'स ू त सं भल ाम' बताया। उनके अनु सार भगवान क ‘ थािपत िकये
ए’ संभल ाम म ज लाभ करगे - यानी एक ऐसा संभल ाम िजसे य -उपासना करने हे तु ा णों की ब ी के पम
थािपत िकया गया होगा। उ ोंने िलखा िक इसी सं भल ाम के रहनेवाले एवं भगवान िव ु के यशगान करने वाले एक े
ा ण के घर भगवान क का ज होगा।

भिव मािलका ं थों म पंचसखाओं ने ओिडशा के जाजपुर िजले म वैतरणी नदी के तट के िनकट मां िबरजा मंिदर की पूव िदशा
म थत ा णों की ब ी को भगवान क का ज थान बताया है । दरअसल, जाजपुर का नाम ओिडशा के दसवी ं सदी के
सोमवं शी राजा जजाित (ययाित) केसरी के नाम पर रखा गया था। राजा जजाित ने ही इस नगर की थापना की और अिभनव
जजाितनगर को अपनी राजधानी बनाया। बाद म इसके ही नाम को बदल कर पहले जाजन और िफर जाजपु र कर िदया गया।
राजा जजाित केसरी ने दशा मेध य कराने हे तु लगभग 10,000 ा णों को उ र दे श के क ौज से लाकर ओिडशा के
जाजपुर म बसाया था। वै तरणी नदी के तट पर दशा मेध घाट इसी पिव घटना की याद िदलाता है । बहरहाल, जाजपुर थत
िबरजा मंिदर की पूव िदशा म बसे ा णों की इसी ब ी को महाभारत के वनपव म महिष ास ने ‘स ू त सं भल ाम’ कहकर
इं िगत िकया था।

जाजपुर का उ े ख भारत की ाचीन पौरािणक कथाओं और ं थों म भी िमलता है, जहां इसे िबरजा और वै तरणी तीथ थल का
नाम िदया गया है । किपल सं िहता, ा पुराण, वायु पुराण, पुराण, तं िचंतामिण और चै त च रतामृत म भी जाजपुर को
अितपिव तीथ थल बताया गया है । महाभारत के वनपव से हम जानकारी िमलती है िक अपने तीथाटन के दौरान पां डवों ने
लोमश ऋिष के साथ इसी िबरजा थल पर वै तरणी नदी म पिव डु बकी लगायी थी।

आिदकाल म यं ाजी ने यहां कुंड पर य िकया था िजसके प ात य वेदी से माता पावती िनकल कर आयी ं और
उ ोंने ाजी को िनदश िदया िक वे उ ‘िबरजा’ के प म िति त कर। पुराण के उ लका के मुतािबक यह
थान तीथयाि यों के रजोगु ण को साफ कर उ िवशु कर दे ता है और इसिलए इसे िवरजा या िबरजा े भी कहा जाता है ।
तं चूड़ामिण के अनु सार दे वी सती की नािभ इसी जगह पर िगरी थी और इस कारण जाजपुर थत ाचीन ‘मां िबरजा मंिदर’
एक अितमह पूण श पीठ भी है ।

गयासुर की नािभ भी यही ं िगरने के चलते इसे नािभगया तीथ थान भी कहा जाता है । यह जगह िपंडदान और तपण के िलए जानी
जाती है जो इसे िबहार के िव िव ात गया के समक ला खड़ा करता है।

जाजपुर को अ र 'एक करोड़ से एक कम' िशविलं ग वाला े भी बताया जाता है । कहा जाता है िक िबरजा े म कही ं भी
खुदाई करने पर एक िशविलं ग ज र िमल जाता है । शहर म थत अनेक िशव मंिदर और िबरजा मंिदर म िशविलं ग की एक
ृंखला इस बात की पुि करती ह िक जाजपु र िशव भ ों के िलए भी एक अितमह पूण गं त है । जजर इमारतों को अगर
छोड़ भी द तो आकलन के अनुसार िबरजा े म लगभग 200 ाचीन िशव मंिदर ह।

पंचसखाओं ने काफी ता से िविभ मािलका ं थों म भगवान क के ज थान का िज िकया है। भगवान की वाणी को
उद् धृ त करते ए महापु ष अ ु तानं द दास अपने मािलका ' क सं िहता' म िलखते ह-

मु जात िव ु जशा घरे , म मं डल ओिड़शा रे ।

अथात, म िव ु का यशगान करने वाले एक भ के घर म ज लूंगा। इस न र सं सार म, ओिडशा की भूिम पर।


महापु ष अ ुतानं द दास अपने ‘ सार त पटल’ म एक बार िफर भगवान की वाणी िलिपब करते ह-

आ े नरदे ह कलं की होइबु उ ल दे श रे जाईं,


सेठारे मिहमा काश क रबु मु िनगण म े रही।

अथात, उ ल (ओिडशा का ाचीन नाम) म जाकर म एक मानव शरीर धारण क ं गा और क अवतार लूंगा। वहां म ऋिष-
मु िनयों के बीच रहकर अपनी मिहमा कट क ं गा।

अपने एक अ मािलका ‘त बोिधनी’ म महापु ष अ ुतानं द दास िलखते ह-

जाजन रे भु ज हे बे,
ज हे बे ा ण घरे ।

अथात, भु जाजन (वतमान जाजपुर) म एक ा ण के घर ज लगे ।

भिव मािलका ं थों के गहन अ यन से यह हो जाता है िक ओिडशा का जाजपु र ही वह अितपिव थान है जहां भगवान
िव ु के दसव और अंितम अवतार का ज आ है ।

600 साल पहले िलखी भिव मािलका म पंचसखाओं ने भगवान क के ज थान को अलग-अलग ं थों म अलग-अलग
नाम िदया है । कही ं उसे जाजन बताया है, तो कही ं उसका उ े ख जाजपुर के प म िकया है । कही ं पर उसे ही नािभगया े
कहकर स ोिधत िकया, तो कही ं मां िबरजा े । कई जगह स वतीपु र भी िलखा गया है िजससे पं चसखाओं का आशय मां
िबरजा िस श पीठ ही है । कई जगहों पर सं बल ाम िलखा गया है, तो कही ं-कही ं ह रहर े के नाम का भी िज िमलता
है । उ ेखनीय है िक िबरजा मंिदर से कुछ दू री पर थत एक ही मंिदर म भगवान िव ु और भगवान िशव के पूिजत होने से
इस े को ह रहर े भी कहा जाता है ।

भु के ज थान को छोड़ जाजपुर अ मायनों म भी एक मह पूण थान है । मािलका के अनुसार आगे चलकर जाजपुर म
'सुधमा सभा' बै ठेगी। वै से तो 'सु धमा सभा' दे वराज इं की सभा को कहते ह जो ग म बै ठती है , पर इस बार यह भगवान
क और माता वै ो दे वी की अ ता म ओिडशा के िबरजा े यानी जाजपुर म बै ठेगी। दे व, भगवान शं कर, सव दे वी-
दे वताओं के अलावा इस सभा म भगवान के कुछ ि य भ भी शािमल होंगे। िसफ इतना ही नही,ं जाजपु र की मह ा इस बात
से भी िस होती है िक भिव मािलका के अनुसार जाजपु र भिव म िव की राजधानी भी बनेगा।

बहरहाल, भगवान के बारे म आगे बताते ए मािलका कहती है िक वे सं ासी की भां ित न रहकर एक साधारण मनु की तरह
ही जीवन िजयगे । भु अपने ि य भ ों को िनमा सेवन करायगे और खेल-कौतु क म िदन िबतायगे । ज के प ात कुछ वष
तक वे जाजपु र म रहगे , िफर अपना घर छोड़कर ‘खंडिग र’ नामक िस थल पर जाकर तप ा करगे और भ ों के सं ग
लीलाएं करगे । ओिडशा के गं जाम और गजपित िजले म थत महे िग र पवत पर िनवास कर रहे भगवान परशुराम उ अ -
श की िव ा दान करगे । अगर ज की बात कर तो भगवान क 12 महीनों तक अपने मां के गभ म रहगे और उनका
ज म राि के व होगा। भगवान के पैरों पर अ ादश िच मौजूद होंगे और व थल पर ीव का िच भी िवराजमान
होगा, य िप भिव मािलका के अनु सार इन िच ों को भगवान के अितपिव भ ही दे ख सकगे । भगवान क शैशवाव था
म िशशु लीला, बा ाव था म बा लीला और िकशोराव था म िकशोर लीला करगे । िकशोराव था म ही वे अपने भ ों को साथ
लेकर धम-सं थापना का काम पू रा करगे । इसके पहले वे 'सु धमा महा-महा सं घ' का गठन करगे और िफर 16 मंडलों की
थापना कर 8,000 भ ों को उनसे जोड़गे ।

भिव मािलका म पंचसखाओं ने भगवान क के िववाह के िवषय म भी ता से िलखा है । मािलका के अनुसार भगवान
क का िववाह माता वै ो दे वी से होगा। िविदत हो िक अपने रामावतार म माता वै ो दे वी ारा िववाह के ाव पर
भगवान ने उ वचन िदया था िक जब वे किलयु ग-अंत म क अवतार म इस पृ ी पर आयगे तब उनसे िववाह करगे । साथ
ही, उ ोंने माता को तब तक कटरा थत ि कुटा पवत पर तप म लीन रहने का िनदश भी िदया था। मािलका के अनुसार
भगवान क का माता वै ो दे वी के साथ यह िववाह ओिडशा के खं डिग र म संप होगा और इस उ व म दे व और
भगवान शं कर समे त कुछ चुिनंदा भ भी शािमल होंगे।

भिव मािलका के अनुसार वतमान म मानवजाित अ ंत किठन समय से गु जर रही है । किलयु ग म धम के चार पैरों म िसफ
एक पैर ही बचा था जो किलयु ग-अं त के साथ ही पूरी तरह न हो चु का है । अ िधक पाप और घोर अधम म िल आज के
ादातर मनु शायद इस बात से अनजान होंगे िक आने वाले कुछ वष म ही मानवजाित के सामने चं ओर महासं कट के
बादल िघरने वाले ह। ऐसे दु र समय म अपने अ को बचाना ही उनके िलए सबसे बड़ी चुनौती होगा। ात हो िक सन्
2020 से भगवान क की िवनाश लीला आरं भ हो चुकी है, जो सन् 2027 तक अपने अंितम पड़ाव तक प ं च जाएगी।
मािलका के अनुसार शिनदे व के मीन रािश म वे श करने के बाद सन् 2025 से िवनाश का वह तां डव शु होगा िजससे बच
पाना मानवजाित के िलए अ ंत किठन होगा।

चूंिक मानव स ता ने सभी पंचत ों (जल, वायु , अि , पृ ी और आकाश त ) को दू िषत कर िदया है, इसिलए आने वाले
समय म पूरी मानवजाित यु और पंचभू त का लय दे खेगी और कृित के आगे खुद को बे बस पायेगी। सं त अ ुतानंद दास ने
मािलका म िलखा है , पाताले वासुिक टे िकब मुं ड, ितिन थर जे कंपीब ा - यानी छोटे -छोटे भूकंप लगातार आयगे और
िफर ‘ितिन थर’ अथात तीन बार बड़े भू कंप आयगे । जो सबसे बड़ा जलजला होगा वह र र े ल पर 16 से 17 के बीच की
ती ता का होगा। इसके कारण बड़ी से बड़ी इमारत भी जमी ंदोज हो जाएं गी और दु िनया म भारी तबाही दे खने को िमले गी।
बबादी के उस मंजर की क ना भी अभी मानवजाित के िलए कदािचत बे हद मु ल होगी। िद ी से नेपाल, पािक ान, चीन,
हां गकां ग, बलूिच ान, अफगािन ान, इं डोने िशया और थाईलड तक एक ही िदन म लगभग 100 करोड़ लोग मारे जाएं गे । साथ
ही, िव की वतमान भौगोिलक थित म भी आमू लचूल प रवतन दे खने को िमलेगा। ब त सारे पहाड़-पवत प रवितत होकर
निदयां बन जाएं गे और कई निदयां जो पूरी तरह सू ख चुकी ह, िफर से अपने पुराने प म आ जाएं गी। मािलका के अनुसार
इस भू कंप के बाद पृ ी की क ा म ब त बड़ा बदलाव आये गा, उ री ु व और दि णी ु व की जगह आपस म बदल जाएं गी
और सू यदे व पि म िदशा म उिदत होकर पू व म अ होंगे।

मािलका के अनुसार िव यु भी किलयु ग के अंत म आने वाले लय म अपना अहम योगदान िनभाये गा। पंचसखाओं के
मु तािबक ापरयु ग म महाभारत का यु 18 िदनों तक चलने वाला था ले िकन तब एक बे ला का यु शेष रह गया था जो भगवान
ीकृ के ारा किलयु ग के अंत म होना िनि त आ था। मािलका बताती है िक महाभारत काल के सभी मु यो ाओं का
अभी इस पृ ी पर ज भी हो चु का है । इनम वे पां च बालवीर भी शािमल ह िजनकी उस समय यु करने की इ ा िविभ
वजहों से पूरी नही ं हो पायी थी। वे पां चों अथात, अिभम ु, बबरीक, ब ु वाहन, एकल और घटो च भगवान क के साथ
िमलकर िव यु म अपना मह पूण योगदान दगे । साथ ही पंचपां डव तथा भी , ोण, कण, दु य धन, श ,अ ामा और
भू र वा आिद भी धम की तरफ से अधम के िव जोरदार लड़ाई लड़गे । मािलका के अनुसार पािक ान समे त 13 मु म
रा और चीन भारत पर हमला करगे और कुछ ही समय म यह े ीय यु अ दे शों की सहभािगता से एक भयानक िव यु
म प रणत हो जाएगा। तीसरे िव यु म परमाणु हिथयारों का जमकर उपयोग होगा, हालां िक भगवान क परमाणु बम को
भारत पर िगरने से रोक कर भारत के श ु ओं के मं सूबों पर पानी फेर दगे । मािलका के अनुसार स, जापान, जमनी और ां स
इस यु म भारत का साथ दगे । य िप भारत के कुछ मह पूण शहरों पर दु नों ारा भीषण िमसाइल हमले होंगे, भगवान
क इस यु म अंततः भारत को िवजयी बनाकर 'अखंड भारत' का साकार करगे । मािलका प से कहती है िक
महाभारत का शेष यु ओिडशा की धरती पर लड़ा जाएगा, कुल 13 महीने चले गा और इसका अंत भगवान क ारा 14
लाख िवदे शी सैिनकों के सं हार से होगा। मािलका के अनुसार यह घटना साल 2025-26 म होगी।

पंचसखाओं ने आज से 600 साल पहले यह भी िलख िदया था िक ओिडशा रा म ‘हीराकुद’ नाम का एक बड़ा बां ध बनेगा जो
किलयु ग-अंत म भारत के श ु ओं ारा न कर िदया जाएगा और िजसके टू टने से ओिडशा के 6 िजले जलम हो जाएं गे । इस
भिव वाणी के पहले भाग की सटीकता इस बात से िस होती है िक सन् 1948 म ओिडशा म हीराकुद नाम के एक बां ध के
िनमाण-काय की शु आत ई जो सन् 1953 म पूरी हो गयी। इस बां ध का सन् 1957 के जनवरी के महीने म त ालीन
धानमं ी पंिडत जवाहरलाल नेह के ारा औपचा रक प से उद् घाटन िकया गया। 26 िकमी की कुल ल ाई के साथ
ओिडशा के सं बलपुर िजले म महानदी के ऊपर बना यह हीराकुद बां ध आज दु िनया का सबसे लंबा मानव िनिमत बां ध है। साल
2024-25 म दु िनया उ भिव वाणी का दू सरा भाग भी सच होता दे खेगी जब भारत-चीन यु के समय चाइनीज िमसाइल
हमले से यह बां ध टू ट जाएगा और ओिडशा के 6 िजले जलम हो जाएं गे !

अि लय, पवन लय और जल लय से होने वाला अ िधक िवनाश भी मािलका की भिव वािणयों म शािमल है । मैदानी
इलाकों पर ब त सारे उ ािपंड िगरगे िजनसे असं इमारत जल कर राख हो जाएं गी। ऐसा लगे गा, मानो इ दे व अि वषा
कर रहे हों। उनचास पवन के मा म से भी सं सारवासी कृित का कोप झे लगे । िव के तटीय े ों म जल लय से अभूतपूव
िवनाश दे खने को िमलेगा। बवं डर, समु ी च वात, निदयों के उफनने से भीषण बाढ़ और समु म धू मकेतु एवं ु ह िगरने से
उठने वाली िवशालकाय लहर अधम के पथ पर चल रहे मनु ों को संभलने तक का मौका नही ं दगी। उ र ु वीय बफ के
बे तहाशा िपघलने से समु का जल र अ िधक बढ़ जाएगा। मािलका के अनुसार इसका सबसे ादा असर अटलां िटक
महासागर पर पड़े गा और िजसकी वजह से सं यु रा अमे रका और इं ड सिहत कई श शाली दे श 75% तक जलम हो
जाएं गे ।

मािलका के अनुसार अंत समय म िव म कई सारी भयानक महामा रयां भी आयगी। 64 योिगिनयां अपने सं ग कुल 64 तरह की
बीमा रयां लायगी। मािलका कहती है िक आगे आने वाली महामा रयां इतनी खतरनाक होंगी िक खाते -पीते , चलते -िफरते ही
ब त सारे लोग मृ ु को ा हो जाएं गे । न तो िचिक कों के पास उन बीमा रयों का कोई िनदान होगा और न ही िकसी कार
की औषिधयां उनपर काम करगी।

पंचसखाओं के अनुसार जग ाथ मं िदर की 22 सीिढ़यों पर समु का पानी आ जाएगा और उन सीिढ़यों पर मछिलयां खेलने
लगगी। इसके पहले ही भ ों के साथ भगवान जग ाथ, उनके बड़े भाई बलभ और बहन सुभ ा जाजपुर थत छितया वट
मं िदर के िलए िवदा हो जाएं गे । वहां 7 िदनों तक ठहरने और पूजा पाने के प ात भगवान िफर से पुरी थत जग ाथ मंिदर म
वेश करगे ।

मािलका के अनुसार िव यु के बीच एक ऐसा भी व आयेगा जब 7 िदन और 7 रात तक न तो सूय का उदय होगा और न ही
च मा का, फल प पूरी पृ ी अ कार के आगोश म डूब जाएगी। ठीक उसी समय पूरा िव अभू तपूव जल लय की बल
िवभीिषका भी झे ल रहा होगा। चारों तरफ हाहाकार मचा होगा। जहां एक तरफ जंगली जानवरों की कृित बदल जाने से वे
रहायशी इलाकों म घुसकर आतं क मचा रहे होंगे, वही ं दू सरी तरफ चंडी, चामुंडा, डािकनी और िपशािचनी जैसी दै वीय श यां
घरों म घु सकर दु ों का सं हार कर रही होंगी। 7 िदन और 7 रात के इस अ कार म न तो िबजली रहे गी और न ही कोई िवद् यु त
उपकरण या वै ािनक यं ही काम म आयगे । तब भगवान क अपनी िवनाश लीला का िव ार कर े ों का सं हार कर
रहे होंगे।

कम श ों म कहा जाए तो महज 2-3 वष म एक अभू तपूव एवं अक नीय महािवनाश स ूण मानवजाित को अपनी िगर
म लेने जा रहा है । तब किलयु ग के तं काम करने बं द कर दगे । आज के सारे सं थान चाहे वे िव ालय हों, िव िव ालय हों,
अ िश ण सं थान हों, अ ताल हों, उप म हों, कारखाने हों, बक हों या कोई भी अ सं थान हों- सारे के सारे ख हो
जाएं गे । यहां तक िक सं चार के सारे साधन भी िन य हो जाएं गे ।

आने वाले इस महािवनाश से बचने के उपाय भी पंचसखाओं ने भिव मािलका म बताये ह। इसके िलए मनु ों को मन, वचन
और कम से पूरी तरह सा क होना पड़े गा। मां साहार का स ूण ाग कर सा क आहार अपनाना होगा और अपने जीवन म
स , शा , दया, मा एवं मै ी के मू ों को आ सात करना होगा। अधम का पथ छोड़कर धम के माग पर चलना शु
करना होगा। ितिदन ि सं ा करना और ीम ागवत महापुराण का िनयिमत पाठ भी मनु ों को आने वाले महािवनाश म
सुरि त रख स यु ग का दशन कराने म सहायक बने गा। उ े खनीय है िक भिव मािलका म पहले ही यह िलखा जा चुका है
िक भगवान क की िवनाश लीला के बाद भारत म 33 करोड़ और भारत के बाहर 31 करोड़ लोग बचगे जो स यु ग के
सा ी बनगे ।
आने वाले स यु ग म भारत की शासन व था की बात कर तो ापरयु ग के पु वं शी राजा तीप के े पु और राजा शां तनु
के बड़े भाई चं वं शी दे वािप एवं राजा इ ाकु के वं शज म , मशः ह ना िसं हासन (वतमान िद ी) और अयो ा के राजा
बनाये जाएं गे । ये दोनों 5,000 सालों से भारत के उ र म ‘क ाम’ नामक गां व म तप ालीन ह। अपने सभी भाइयों म सबसे
बड़े दे वािप ापरयु ग म कु रोग से पीिड़त होने के कारण राजा नही ं बन पाये थे और तप ा के िलए वन को थान कर गये थे ।
5,000 वष की तप ा पूण होने के प ात ये दोनों भगवान क के ारा बु लाये जाएं गे और राजग ी के हकदार बनगे ।

गणतं व था को समा कर भगवान क खुद पूरे िव के राजा बनगे व वै ि क शासन का िवके ीकरण कर एक लाख
भ ों को िव के छोटे -छोटे दे शों का राजा बनायगे । जाजपुर की पिव भूिम से िव को शािसत कर सनातन धम का काश
करगे , रामरा की पुन ित ा करगे और 1,009 वष तक भ ों को अनंत सुख दे कर अपने धाम को लौट जाएं गे ।

िम ो, हम भिव मािलका और पं चसखाओं की चे ताविनयों को बेहद गं भीरता से लेना चािहए और इ िबलकुल भी नजरअंदाज
नही ं करना चािहए। पंचसखाओं के मा म से यह िनराकार प म दी गयी यं भगवान िव ु की वाणी है । पंचसखाओं म
अ तम महापु ष अ ुतानं द दास ने मािलका म िलखा है -

सीता ठाकुरानी असती होइबे , पवते फुिटब कईं।


अ ु त बचन ितले न टिलब, पाषाण र गार एही।।

अथात, किलयु ग के अं त म कई लोग माता सीता पर अपिव ता का आरोप लगायगे, पवत के िशखर पर कमल के फूल खलने
की घटना भी सामने आये गी, लेिकन अ ुतानं द दास की वाणी रं चमा भी नही ं टलेगी, ोंिक वह प र की लकीर है ।

-Gaurav
16.06.2023

(अगर आप शाकाहारी ह, िकसी भी िक के नशे के आदी नही ं ह, भगवान क का दशन करना चाहते ह, आगे आने वाले
लयकाल म सु रि त रहना चाहते ह और भगवान क के िदशािनदशों का पालन कर उनकी छ छाया म आगामी स यु ग
के सा ी बनना चाहते ह तो अिधक जानकारी के िलए https://www.youtube.com/@Kalki_Avatara/videos पर पधार एवं
पंिडत काशीनाथ िम से जु ड़। याद रख, शु से अंत तक पूरी ि या िनःशु है ।)

You might also like