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पाठ 1 माता का ऄँचल

प्रश्न 4.भोलानाथ और ईसके साथथयों के खेल और खेलने की सामग्री अपके खेल और खेलने की सामग्री से
ककस प्रकार थभन्न है?
ईत्तर-
भोलानाथ और ईसके साथथयों के खेल और खेलने की सामग्री से हमारे खेल और खेल सामथग्रयों में कल्पना
से ऄथधक ऄंतर अ गया है। भोलानाथ के समय में पररवार से लेकर दूर पडोस तक अत्मीय संबंध थे, थजससे
खेलने की स्वच्छंदता थी। बाहरी घटनाओं-ऄपहरण अकद का भय नहीं था। खेल की सामथग्रयाँ बच्चों द्वारा
स्वयं थनर्ममत थीं। घर की ऄनुपयोगी वस्तु ही ईनके खेल की सामग्री बन जाती थी, थजससे ककसी प्रकार ही
हाथन की संभावना नहीं थी। धूल- थमट्टी से खेलने में पूणण अनंद की ऄनुभूथत होती थी। न कोइ रोक, न कोइ
डर, न ककसी का थनदेशन । जो था वह सब सामूथहक बुथध की ईपज थी।

अज भोलानाथ के समय से सवणथा थभन्न खेल और खेल सामग्री और उपर से बडों का थनदेशन और सुरक्षा
हर समय थसर पर हावी रहता है। अज खेल सामग्री स्वथनर्ममत न होकर बाजार से खरीदी हुइ होती है।
खेलने की समय-सीमा भी तय कर दी जाती है। ऄतः स्वच्छं दता नहीं होती है। धूल-थमट्टी से बच्चों का
पररचय ही नहीं होता है।

प्रश्न 10. बच्चे माता-थपता के प्रथत ऄपने प्रेम को कै से ऄथभव्यक्त करते हैं?
ईत्तर-

थशशु की थजद में भी प्रेम का प्रकटीकरण है।

थशशु और माता-थपता के साथनध्य में यह स्पष्ट करना करठन होता है कक माता-थपता का स्नेह थशशु के प्रथत है
या थशशु का माता-थपता के प्रथत दोनों एक ही प्रेम के सम्पूरक होते हैं।

थशशु की मुस्कराहट, थशशु को ईनकी गोद में जाने की ललक ईनके साथ थवथवध | क्रीडाएँ करके ऄपने प्रेम के
प्रकटीकरण करते हैं।

माता-थपता की गोद में जाने के थलए मचलना ईसका प्रेम ही होता है। आस प्रकार माता-थपता के प्रथत थशशु
के प्रेम को शब्दों में व्यक्त करना करठन होता है।

प्रश्न 11.आस पाठ में बच्चों की जो दुथनया रची गइ है वह अपके बचपन की दुथनया से ककस तरह थभन्न है?
ईत्तर-
हमारा बचपन आस पाठ में वर्मणत बचपन से पूरी तरह थभन्न है। हमें ऄपने थपता का ऐसा लाड नहीं थमला।
मेरे थपता प्रायः ऄपने काम में व्यस्त रहते हैं। प्रायः वे रात को थककर ऑकिस से अते हैं। वे अते ही खा-
पीकर सो जाते हैं। वे मुझसे प्यार-भरी कु छ बातें जरूर करते हैं। मेरे थलए थमठाइ, चाकलेट, थखलौने भी ले
अते हैं। कभी-कभी स्कू टर पर थबठाकर घुमा भी अते हैं, ककतु मेरे खेलों में आस तरह रुथच नहीं लेते। वे हमें
नंग-धडंग तो रहने ही नहीं देते। ईन्हें मानो मुझे कपडे से ढकने और सजाने का बेहद शौक है। मुझे बचपन में
ए-एप्पल, सी-कै ट रटाइ गइ। हर ककसी को नमस्ते करनी थसखाइ गइ। दो ढाइ साल की ईम्र में मुझे स्कू ल
भेजने का प्रबंध ककया गया। तीन साल के बाद मेरे जीवन से मस्ती गायब हो गइ। मुझे मेरी मैडम, स्कू ल-ड्रेस
और स्कू ल के काम की चचता सताने लगी। तब से लेकर अज तक मैं 90% ऄंक लेने के चक्कर में ऄपनी मस्ती
को ऄपने ही पाँवों के नीचे रौंदता चला अ रहा हँ। मुझे हो-हुल्लड करने का तो कभी मौका ही नहीं थमला।
शायद मेरा बचपन बुढापे में अए? या शायद मैं ऄपने बच्चों या पोतों के साथ खेल कर सकें

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