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ऑपरशन खुकरी

संयु रा क िह से क प म
भारतीय सेना क सबसे सफल िमशन क स ी कहानी
मेजर जनरल राजपाल पुिनया
दािमनी पुिनया
मेर दादाजी
ी िच ना रामजी पुिनया को समिपत।
म जो कछ भी , आपक वजह से ही ।
िसपाही क पीछ क सेना, मेरी प नी अनीता को समिपत। उनक ित मेरी हािदक
कत ता, य िक उनक िबना इस पु तक को िलखना संभव नह हो पाता। वह पहला
य होने क िलए ध यवाद, िज ह ने मुझ पर एक लेखक क प म िव ास िकया।
मुझे यह िसखाने क िलए आभार िक मुझे अपने िदल क बात कसे सुननी चािहए! स
1989 क बाद से वे मेरी ताकत, मेरी मूल और इस सबसे बढ़कर मेरी सबसे बड़ी
शंसक रही ह।
—मेजर जनरल राजपाल पुिनया
अनु म

इस पु तक क बार म स मितयाँ
तावना
पु तक प रचय
मेरी बात
आभार
1. होइिह सोइ जो राम रिच राखा
2. बीच हवा म बीफ को लेकर हगामा
3. लुंगी
4. मु य माग पर मोितय क माला
5. कनेमा क मैदान से दा क जिटल जंगल तक
6. अिभवादन : िगनी क सीमा पर
7. बंधक बनना
8. िमनी खुकरी : घर वापसी का रा ता
9. जनरल इ सा सेसे क साथ बैठक
10. पहले हमले से पूव का अंितम प
11. डी-ड : ऑपरशन खुकरी
संदभ-सूची
इस पु तक क बार म स मितयाँ

‘ऑपरशन खुकरी’ वष 2000 क दौरान प म अ का क िसएरा िलओन म संयु रा


शांित थापना अिभयान म से एक बेहतरीन अिभयान का एक आकषक और िदलच प
वृ ांत ह। यह भारतीय सेना क 233 अिधका रय और सै यकिमय क कहानी ह, जो तीन
महीने तक िबना िकसी पुनभरण या िफर पुनः आपूित क ‘ रवो यूशनरी यूनाइटड ट’
(आर.यू.एफ.) क िव ोिहय क घेरबंदी म रह। आर.यू.एफ. क माँग थी िक संयु रा
क सभी शांित सैिनक, िजनम एक ि िटश और एक सी अिधकारी भी शािमल थे,
आ मसमपण कर द; लेिकन कला न क सुर ा क िज मेदारी सँभाले भारतीय सैिनक ने
फौलादी इराद और अद य शौय क भावना का दशन करते ए अपने हिथयार डालने से
इनकार कर िदया। सै य अिभयान क अित र महािनदेशक क प म ‘ऑपरशन खुकरी’ क
संचालन क िज मेदारी मने सँभाल रखी थी और यह सुिन त कर रहा था िक मेजर पुिनया
और उनक सैिनक को हरसंभव सहायता दान क जाए, िजसम हमारी वायु सेना क लड़ाक
हिलकॉ टर और लंबी दूरी तक मार करनेवाली तोप शािमल थ , तािक उ ह आ मसमपण
करने क बजाय लड़ते ए सुरि त वापस लाया जा सक।
म इस िदलच प पु तक से अपनी नजर नह हटा सका। म इस पु तक को हमार सैिनक
और देशवािसय क साथ-साथ संयु रा क सभी शांित सैिनक को समिपत करता ,
य िक यह पु तक बेहद अथपूण तरीक से एक ऐसे ऑपरशन का वणन करती ह, जो संयु
रा शांित थापना क इितहास क सबसे उ क उदाहरण म से एक ह, जहाँ भारतीय सेना
क जवान ने आ मसमपण क थान पर मौत को, दो समय क भोजन क थान पर
आ मस मान को और आजादी क मुकाबले ित ा को चुना।
—जनरल जे.जे. िसंह (सेवािनवृ ), अ णाचल देश क पूव रा यपाल और पूव थलसेना मुख
जब म सेना मुख क प म अपनी सेवाएँ दे रहा था, उस समय भारतीय शांित सेना क
दल ारा ‘ऑपरशन खुकरी’ को अंजाम िदया गया था। यह िसएरा िलओन क घने जंगल म
एक भारतीय शांित सैिनक क य गत अनुभव पर आधा रत एक ेरक कहानी ह। यह
थानीय लोग क िदल व िदमाग को जीतने म उनक भागीदारी क िवषय म तथा शांित क
िलए बातचीत करने और िफर तब एक ऐसी जंग म नेतृ व करने क बार म ह, जब उनक
233 सैिनक क िशिवर को सश िव ोिहय ने दो महीने से भी अिधक समय क िलए चार
ओर से घेर िलया था। टकराव का सामना होने पर उनक सै य मानिसकता और कत य क
ित समपण भावना उनक नैितक अंतरा मा क आवाज पर भारी पड़ी।”
—जनरल वी.पी. मिलक, पी.वी.एस.एम., ए.वी.एस.एम., ए.डी.सी., पूव सेना य
यह मेर िलए सौभा य और य गत गौरव क बात ह िक मुझे अपने देश क सै य नायक
पर कछ श द िलखने का अवसर िमला ह, िज ह ने न कवल भारत क सं भुता क र ा क
िलए, ब क वष 2000 म अपने देश क सीमा से पर प म अ का क िसएरा िलओन
थत कला न म भी अपनी वीरतापूण सेवाएँ दान क । म सश बल क सद य और
उनक प रवार क ित गहरी कत ता य करती , िज ह ने मेजर राजपाल पुिनया (अब
मेजर जनरल) क नेतृ व म ए ‘ऑपरशन खुकरी’ क दौरान संयु रा क सेवा करते ए
साहस का दशन िकया और बिलदान िदया। म उन 233 सैिनक म से एक मेजर जनरल
पुिनया को ‘ऑपरशन खुकरी’ क बहादुरी क कहानी को पु तक का प दान करने क
िलए िकए गए अथक प र म क िलए बधाई देती । यह पु तक हमार उन अमर सैिनक को
एक भावपूण ांजिल ह, िज ह ने ितरगे को ऊचा रखने क िलए अपने ाण क आ ित दे
दी। यह िन त प से आनेवाली पीिढ़य , सश बल और उन सभी लोग क िलए ेरणा
का ोत सािबत होगी, जो हवलदार क ण कमार, सेना पदक (मरणोपरांत) जैसे हमार
बहादुर सैिनक क वीरता से भर ए काय क बार म जानने म िच रखते ह। म इस पु तक
को तैयार करने क म म मेजर जनरल पुिनया ारा िकए गए यास क सराहना करती
और भिव य क उनक यास म सफलता क कामना करती ।
— ौपदी मुम,ू झारखंड क पूव रा यपाल

‘ऑ ी’ ि ि ओ ै ि
‘ऑपरशन खुकरी’ िसएरा िलओन क महा यु क मैदान पर एक वा तिवक यु नायक
क परी ण और िवजय का एक मह वपूण, िविश एवं िश ा द िववरण ह।
—फागू चौहान, िबहार क रा यपाल
‘ऑपरशन खुकरी’ एक ऐसी अमू य पु तक ह, िजसे येक भारतीय को ज र पढ़ना
चािहए। यह िन त प से अपने पाठक को अंत तक बाँधे रखेगी। शानदार तुित।
‘ऑपरशन खुकरी’ हमारी शानदार जीत को िचि त करती ह और हमार सश बल क ित
हमार स मान को बढ़ाती ह।
—जगदीप धनखड़, प म बंगाल क रा यपाल
सबसे घातक िव ोही ताकत से लड़ना इतना आसान नह ह और िवशेषकर उनक अपनी
जमीन पर उनका सामना करना सौ गुना अिधक किठन हो जाता ह। लेिकन हमार 233 वीर
सैिनक ने अपनी आजादी क िलए लड़ाई लड़ी। यह पु तक ओिलव ीन म हमार सैिनक
क वीरता और गौरव का तीक ह।
—रणदीप ा, अिभनेता और घुड़सवार
म मई 2000 क संकट क दौरान कला न म एक सै य पयवे क क प म तैनात था और
आर.यू.एफ. िव ोिहय ारा मेजर पुिनया क साथ मुझे भी बंधक बना िलया गया था। म
संकट से िनपटने म मेजर पुिनया क बहादुरी भर और भावी नेतृ व का गवाह था। कला न
म मेजर पुिनया क यास क प रणाम व प भारत-नेपाल संबंध क िलए एक शानदार माग
तैयार आ। उनक अथक यास क कारण ही सभी शांित र क और सै य पयवे क स मान
और ग रमा क साथ अपने-अपने देश को लौटने म सफल रह।
—मेजर जनरल सुरश कमार काक , सु वाल जन सेवा ी, गोरखा दि णबा , नेपाल सेना
शांित अिभयान पर गए ए भारतीय सैिनक क िलए पहले तो थानीय िव ोही नाग रक क
कद म रहना और िफर िबना पया भोजन एवं न द क महीन तक बंधक बने रहने क बाद
अ का क जंगल म सश िव ोिहय क बीच से अपने िशिवर से सही-सलामत वापस
लौटना बेहद दुलभ ह। ऐसा करने क िलए एक साहसी योजना, ढ़ता, पेशेवराना अंदाज और
पूण प से शांतिच बहादुरी क आव यकता थी। मेजर (अब मेजर जनरल) राजपाल
पुिनया और 14 मेकनाइ ड इ फ ी एवं एक गोरखा यूिनट (5/8 जी.आर.) क अिधका रय
और सैिनक क उनक ढ़ िन यी टोली ने िब कल ऐसा ही कर िदखाया और एक ऐसी
धरोहर का िनमाण िकया, िजसे िनकट भिव य म शायद ही कभी दोबारा करक िदखाया जा
सक। मेजर राजपाल पुिनया और उनक वीर सैिनक क टोली को सलाम। प म अ का
क यु त, लेिकन हीर से समृ िसएरा िलओन म भारी दबाव एवं ितकल प र थितय क
बावजूद उनका नेतृ व बेहद उ ेखनीय था। उ ह ने अंत तक शांित का यास िकया और
िकसी भी क मत पर समझौता नह िकया, य िक उनक और उनक लोग क िवक प म
आ मसमपण था ही नह । इसक प रणाम व प, वे आिखरकार अपने लोग को एक नाटक य
घटना म म चार तरफ से भारी सश िव ोिहय से िघर ए िशिवर से बाहर िनकालने म
सफल रह और अपने मु यालय तक प चे। मेजर पुिनया ने ऐसा करने से पहले भारत क
ग रमा एवं ितरगे क स मान क र ा को अपना ाथिमक उ े य बनाते ए बेहद द
राजनीितक-राजनियक कौशल (जो आमतौर पर एक सैिनक क िवशेषता नह होता ह) का
योग िकया। यह एक ऐसी कहानी ह, िजसे हर भारतीय—िवशेषकर सेना क अिधका रय —
को पढ़ना और इससे सीखना चािहए। यह नेतृ व और परा म क कहानी ह, िजसे दािमनी
पुिनया ने शानदार ढग से तुत िकया ह।
—मा फ रजा, र ा िव ेषक और सलाहकार संपादक,
टाइ स नेटवक
तावना

प म अ का थत एक छोटा सा ि िटश उपिनवेश िसएरा िलओन चुर मा ा म


ाकितक संसाधन से प रपूण एक सुर य रा ह; लेिकन वहाँ क िनवािसय को कित ारा
द इस खजाने का आनंद लेने क आजादी नह ह। िसएरा िलओन वष क गृह यु , सै य
त तापलट से बुरी तरह से त था और यह एक ऐसे िव ोही आंदोलन का िशकार आ,
िजसक इरादे संिद ध और तरीक प प से अनैितक थे। अंतहीन दहशत और ासदी क
चपेट म आए िसएरा िलओन म करीब 50,000 लोग को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, 10
लाख से भी अिधक लोग िव थािपत ए और नौ वष से भी अिधक समय तक यह देश
अशांत रहा।
मुझे वष 2000 म एक नए-नवेले प कार क प म िसएरा िलओन जाने और दा म
भारतीय शांित सैिनक क साथ बातचीत करने का अवसर िमला। यु त रा िसएरा
िलओन म दा वास क दौरान मुझे उन 233 भारतीय शांित सैिनक क बार म पता चला,
िज ह ‘ रवो यूशनरी यूनाइटड ट’ (आर.यू.एफ.) क गढ़ कला न म घेर िलया गया था।
उन 233 सैिनक ने मेजर राजपाल पुिनया क नेतृ व म बुिनयादी ज रत क सामि य क
िबना दो महीने तक आर.यू.एफ. क कद का सामना िकया। जब म दा म था, उसी दौरान
मने ‘टाइगर’ उफ मेजर राजपाल पुिनया क कहािनयाँ सुन , िज ह ने अपनी जान जोिखम म
होने क बावजूद िव ोही बल क सामने हिथयार डालने से इनकार कर िदया था।
म िदन-रात, लगातार बाक क सभी देश क शांित सैिनक को िबना हिथयार और िबना
उनक वरदी क खटारा क म लाइबे रया ले जाते ए देख रहा था। लेिकन भारतीय ने
आ मसमपण नह िकया। भारतीय सैिनक बहादुर थे।
शायद मेर भा य म िलखा था िक मुझे मेजर (अब मेजर जनरल) राजपाल पुिनया से
मुलाकात करने का सौभा य ा आ। इस ‘ऑपरशन खुकरी’ क सफल समापन क बाद
दा म आयोिजत एक अंतरमहा ीपीय बैठक थी। ‘ऑपरशन खुकरी’ भारतीय सेना क
जवान क धैय, ढ़ संक प और वीरता का एक तीक था। 14 मेकनाइ ड इ फ ी और 5/8
गोरखा राइफ स क 233 सैिनक ने आर.यू.एफ. ारा उनक सामने पेश क गई चुनौितय का
डटकर सामना िकया था। और जब शांित का िवक प ही समा हो गया, तब भारतीय
सैिनक ने कसे अपनी वरदी क ग रमा और हमार देश क स मान क िलए लड़ाई लड़ी। यह
पु तक उस सैिनक क वा तिवकता ह, िजसका म ब त स मान करता । म िवदेशी धरती
पर भारतीय सेना क सबसे सफल अिभयान म से एक का िह सा बनकर गौरवा वत महसूस
कर रहा । म वष 2018 म कई वष क बाद मेजर जनरल राजपाल पुिनया (यु सेवा
मेडल) से गणतं िदवस पर उनक अ य ता म आयोिजत संवाददाता स मेलन म िमला। पूर
संवाददाता स मेलन क दौरान मुझे ऐसा लगा, जैसे समय ठहर गया हो और जैसे यह कल
क ही बात हो िक म लू बेरट म इस बहादुर युवा अिधकारी का सा ा कार कर रहा था, जो
दुिनया क सबसे घातक िव ोही बल क चंगुल से लौटा था—और उस िदन वे, संवाददाता
स मेलन क अ य ता करते ए, मेर साथ मंच क दूसरी ओर बैठ थे।
मेजर जनरल राजपाल पुिनया क िलए यह तावना िलखते ए मुझे ब त खुशी हो रही ह।
यह अपने आप म बेहद दुभा यपूण ह िक हम भारतीय अब तक संयु रा क िह से क
प म िवदेशी धरती पर भारतीय सेना क इस वीरतापूण कारनामे से पूरी तरह अनजान थे। यह
पु तक िन त प से हमार देश क युवा को े रत करगी और दुिनया को एक ऐसे
सैिनक क कहानी से -ब- करवाएगी, जो 233 िदल क धड़कन क िलए िज मेदार था
और िजसे यह सुिन त भी करना था िक देश का एक भी वीर सपूत ताबूत म न लौट। भीतर
तक िसहरन पैदा करनेवाली यह कहानी िन त प से आपको अंितम श द तक बाँधे
रखेगी।
सर, आपक इस या ा का िह सा बनना मेर िलए स मान क बात ह।
जय िहद!
—गौरव सी. सावंत
व र कायकारी संपादक, ‘इिडया टड’
पु तक प रचय

मने 24 माच, 2020 को िब कल अंितम समय पर पटना जाने क उड़ान पकड़ी। िद ी


धीर-धीर जानलेवा कोरोना वायरस महामारी क चपेट म आ रही थी और धानमं ी ने पूर
भारत म पूण लॉकडाउन का आदेश दे िदया था। मेर िपता पटना से 15 िकलोमीटर दूर
दानापुर छावनी म तैनात थे, जो एक ऐसी जगह थी, िजसक बार म अिधकांश लोग ने कभी
सुना तक नह था। लेिकन इस या ा क बार म िसफ यही बात मुझे उ सािहत करने क िलए
काफ थी िक हमारा आवास पिव गंगा नदी क तट पर थत था। यह मानते ए िक मुझे
एक स ाह म वहाँ से वापस लौटना ह, मने अपने सामान को बाँधा और सफर क अपने
साथी, तीन महीने क बीगल, नॉडी (पालतू क ा) क िलए िपंजरा लेने बाजार क ओर चल
दी। इस कार, हम अपने चेहर को मा क से ढककर चमकती ई आँख से झाँकते ए,
अपने एक छोटी सी ॉली और नॉडी क िलए एक छोट से थैले क साथ रोमांचकारी या ा
शु कर दी।
हम सूरज क प म म डब जाने क कछ घंट बाद दानापुर प चे और अँधेरा िघर आने क
कारण आसपास क े क बार म कछ अिधक नह जान पाए। और अगली सुबह कछ ऐसी
थी, िजसका बखान श द म नह िकया जा सकता, य िक हम एक छोट से कगूर पर बैठ
ए गंगा को िनहार रह थे और ठडी हवा क झ क हमार बाल को छते ए महसूस हो रह थे।
उस एक ण क बाद वह छोटा सा कगूरा हमारा रोज का थान बन गया। नॉडी को नदी म
इधर से उधर तैरनेवाली नाव को पुकारने म आनंद आने लगा। एक स ाह महीने म बदल
गया और एक महीना दो म; और नॉडी व म अभी भी दानापुर म ही थे। गरमी क िदन क
घटने और कगूर पर बैठने क हमार समय क कम होने क साथ मने देश भर क या ा क
अंतहीन याद और मृित-िच से भर हमार टोर म का गहराई से िनरी ण करने का
फसला िकया। सेना म रह येक य का घर ढर सारी पुरानी याद क धूल से ढक काले
रग क ब स से भरा होता ह, जो एक क ऊपर एक करक रखे होते ह। हम जैसे-जैसे
कहािनय , मृित-िच और याद क ढर क साथ एक गंत य से दूसर क ओर जाते ह, उन
पर अंिकत याह सं याएँ बढ़ती रहती ह।
याद क उस खजाने क िनरी ण क दौरान मेर हाथ भूर रग क चमड़ क एक डायरी
लगी, जो पुरानी होने क चलते चटक और सूख चुक थी। उसक ऊपरी दाएँ कोने पर वष
‘2001’ उकरा गया था। उसम से ने थलीन क गोिलय क भीनी-भीनी महक आ रही थी
(कछ ऐसी, जो लगभग हर सैिनक क ब से से आती ह)। उसक प े पूरी तरह से मुड़-तुड़
चुक थे और डायरी क बची ई मूल िसलाई उ ह बमु कल ही सँभाल पा रही थी। चमड़ क
बने ए उस खोल क भीतरी िह से पर पड़ी ई हलक सी अ प िलखावट से प आ
िक वह मेजर राजपाल पुिनया (मेर िपता) क ह। उसक प म लि त याही म कला न
क कहानी िलखी ई थी। ‘ऑपरशन खुकरी’ क मनोरम लघुकथा ने मुझे पूरी तरह से
मं मु ध कर िदया था। वह डायरी गव, हसी, दुःख क ण क साथ और सबसे बढ़कर
स मान—ऑिलव ीन और भारतीय सेना क ित स मान—क साथ मेरी आँख क सामने
एक चलिच क तरह तैर रही थी।
मेजर राजपाल पुिनया ने वष 2000 म प म अ का क िसएरा िलओन म संयु रा
शांित थापना क िह से क प म भारतीय सेना क सबसे सफल अिभयान म से एक
‘ऑपरशन खुकरी’ का नेतृ व िकया था। यह उन 233 भारतीय सैिनक क भीतर तक िहला
देनेवाली कहानी ह, िज ह तीन महीने तक िबना भोजन क घेरबंदी म रखा गया था। उ ह ने
अपने घर पर भी िकसी से बात तक नह क थी। उ ह अपने प रवार क बार म कोई
जानकारी नह थी, लेिकन िफर भी उनम भरपूर जोश था। उन तनहा सैिनक पर अिन तता
क बादल छाए ए थे; लेिकन मातृभूिम क ित उनका गौरव बरकरार था।
अ य देश क मुकाबले हम भारतीय आज भी उन रणबाँकर क ऋणी ह, सौ करोड़ से
अिधक आबादीवाले देश म आज भी अिधकांश लोग इस घटना से अनिभ बने ए ह।
दुिनया को कला न क कहानी क बार म पता होना चािहए और इसी वजह से इस पु तक
का िवचार मूत प ले पाने म सफल रहा।
यह पु तक वा तव म मेजर पुिनया क याद को दोबारा जोड़ती ह और भारत म ऑिलव
ीन वरदी पहननेवाले येक सैिनक क साहस एवं वीरता को उजागर करने का एक यास

ह। यह पु तक सै य वरदी क जादू को सामने लाती ह, जहाँ देशभ क भावना को सैिनक
क साहस और देश क ित अपार ेम क धागे क साथ िसला जाता ह। एक बेटी क प म
यह पु तक िन त प से मेर िलए ब त िवशेष ह; लेिकन भारत क येक नाग रक क
िलए ऐसा होना चािहए, य िक यह भारतीय सेना ारा संयु रा क नीली टोपी (Blue
Beret) म अंजाम िदए गए सबसे सफल अिभयान म से एक था। वा तव म, यह बेहद
दुभा यपूण ह िक लोग को कारिगल यु क एक साल बाद ए उस ऑपरशन क बार म
पता ही नह ह; एक ऐसा ऑपरशन, िजसम सैिनक ने आ मसमपण क थान पर मृ यु को,
दो समय क भोजन क थान पर स मान को और वतं ता क थान पर ित ा को चुना।
भारतीय सैिनक ने िवदेशी धरती पर मानिसक व शारी रक दोन मोरच पर एक अ ात श ु
क िखलाफ लड़ाई लड़ी, िकसी यु े या पहािड़य क यु क िलए नह , ब क इसिलए,
तािक भारत क लाख चोिटय पर गव से ितरगा लहरा सक।
यह पु तक हवलदार1 क ण कमार, सेना मेडल (मरणोपरांत) को समिपत ह, जो इस
ऑपरशन म अपनी जान गँवानेवाले एकमा वीर यो ा थे। हवलदार क ण कमार क प रवार
का हम पर जो ऋण ह, वह कभी चुकाया नह जा सकता। भारत का अ त व हवलदार
क ण कमार और शहीद होनेवाले कई अ य सािथय क चलते ह, िज ह ने ितरगे क स मान
को कम नह होने िदया।
यह उन सभी सैिनक को समिपत ह, िज ह ने देश क स मान क र ा क िलए अपने ाण
क आ ित दी तथा भारत क हर शहर, क बे और गाँव म आनेवाले ितरगे म िलपट ताबूत
को। उन प रवार क िलए, िज ह ने अपने ि यजन को खो िदया, तािक हमार अपने हमार
करीब रह सक। भारत वा तव म वीर का रा ह।
जय िहद!
—दािमनी पुिनया
मेरी बात

म अपने दय क गहराइय से इस बात को वीकार करना चाहता िक इस पु तक को


कािशत करने क पीछ का उ े य कला न म 233 भारतीय शांित सैिनक ारा तीन महीन
तक िदन-रात मौत का सामना करने क भयानक अनुभव को साझा करने क साथ-साथ
उनक ढ़ता और वीरता को दुिनया क सामने तुत करना ह।
चूँिक कला न क कहानी मेर िदल क बेहद करीब ह, इसिलए म भावना का िनयं ण
अपने हाथ म लेने दूँगा और घटना को उनक घटने क म क अनुसार सामने आने दूँगा।
अगर म ‘मई 2000’ क संकट क दौरान घिटत ए घटना म क काल म को श द म नह
उकरता तो म कला न क येक सैिनक क ित कपनी कमांडर क प म अपने कत य म
िवफल हो जाता। ‘ रवो यूशनरी यूनाइटड ट’ (आर.यू.एफ.) ने संयु रा क हजार
शांित सैिनक को बंधक बना िलया था; लेिकन कला न म मौजूद भारतीय शांित सैिनक ने
अद य साहस और शौय का दशन करते ए िव ोिहय क सामने हिथयार डालने क बजाय
मौत का सामना करने का फसला िकया। हमार िलए हमारा स मान ही सव प र था।
उस िमशन क दौरान भा य क ित मेरा िव ास कई गुना अिधक बढ़ गया और आज भी
जब म पीछ मुड़कर देखता तो म कला न तक का रा ता िदखाने क िलए ई र क ित
अपना आभार कट करता । म हर उस सैिनक को ध यवाद देता , जो उस संकट क दौर
म मेरी ेरणा क प म मेर साथ मौजूद रह। मेर पास श द नह ह, लेिकन म कला न थत
िव ोही आर.यू.एफ. ि गेड क ि गेड कमांडर कनल मािटन और कला न क पापा िगएमा
को ध यवाद देना चाहता , िजनक मुझ पर िकए गए िव ास क िबना म अपने सैिनक
भाइय क ित अपने कत य को पूरा नह कर सकता था। मने जो िकया, उसे करते ए मुझे
आज क तारीख तक इस भावना मक बोझ को ढोने क एक बेहद भारी क मत चुकानी पड़ी
ह और म शायद उस संपा क ित—अपनी जान गँवानेवाले िनद ष नाग रक —क लाल
ध ब को खुद पर से नह हटा सकता, जो हमने अपने सैिनक , जो मेरी िज मेदारी थे, क
जान बचाने क िलए लड़ते ए लगे।
म आपक साथ जो साझा करने जा रहा , वह एक लंबी, भावना मक और ह य को
कपकपा देनेवाली कहानी ह और म फसला लेने क िज मेदारी अपने पाठक पर छोड़ता ।
म आपको िव ास िदलाता िक आप पाठक का जो भी फसला होगा, म उसे
िवन तापूवक वीकार क गा।
—मेजर जनरल राजपाल पुिनया, वाई.एस.एम.
आभार

मेजर नायर को ध यवाद ेिषत नह करना मेरा अपने कत य-पथ से िडगना होगा, य िक
वही कला न म थत दोन कपिनय क क थे। ऐसा िसफ उनक कारण ही संभव हो सका
िक हम सबसे चुनौतीपूण समय का सामना करने क बावजूद एक टीम क प म एकजुट बने
रह। सामा य प र थितय म दो कपनी कमांडर क बीच िवचार का टकराव होना तय ह।
िफर भी, सबसे ितकल थितय क बावजूद हम एक-दूसर को समझकर सम वय क साथ
काम करने म सफल रह।
म अपने अिधका रय —सुदेश, शांत, सुनील और िनितन को भी ध यवाद देना चाहता ,
िज ह ने न कवल मेर हर फसले का समथन िकया, ब क वे मेरी ेरणा क ोत भी बने रह,
िजनक सहयोग क िबना म वह नह कर पाता, जो मने कर िदखाया।
अंत म, वे सूबेदार फतेह थे, जो मेरी ेरणा क सबसे मह वपूण ोत थे, िजनम सभी को
एक टीम क प म एक साथ बाँधकर रखने क मता थी। भगवा उनक आ मा को शांित
दे। उनम मौजूद सैिनक सेवािनवृि क िवचार को वीकार नह कर सका और इसिलए वे
भारत लौटने क बाद वरदी को अलिवदा कहने क एक िदन पहले ही वगवासी हो गए।
तक को पीछ छोड़ते ए हवलदार क ण कमार ने उसी िदन अपने भिव य क भिव यवाणी
कर दी थी, िजस िदन हम भारत से चले थे। उ ह हमेशा उनक अद य शौय, बहादुरी और
िवदेशी धरती पर िव ोिहय से लड़ते ए अपने ाण क आ ित देने क िलए याद िकया
जाएगा। उनक वीरतापूण बिलदान और अद य साहस क िलए उ ह भारत क रा पित ारा
मरणोपरांत सबसे ित त ‘सेना मेडल’ से स मािनत िकया गया।
अगर म अपने फोस कमांडर जनरल जेटली को ‘ऑपरशन खुकरी’ क योजना बनाने क
िलए ध यवाद नह देता , िजनक िबना हम भारतीय सेना क एक सैिनक क स मान और
गौरव को बहाल नह कर सकते थे, तो म अपने कत य म असफल हो जाऊगा।
कनल मािटन और पापा िगएमा क ित मेरी हािदक कत ता क िबना कला न का अ याय
अधूरा ही रहगा। मुझ पर आँख मूँदकर िकया गया उनका िव ास उन सभी घटना क पीछ
क श था, जो हमार कला न म पहला कदम रखने क बाद घिटत । िकसी अनजान
देश क य पर भरोसा करना बेहद किठन होता ह; लेिकन उ ह ने मुझे इतनी गमजोशी और
ेह क साथ वीकार िकया िक आज तक म उनका पूरी तरह से ऋणी । ऐसे अ ुत
इनसान होने क िलए म हमेशा उनका आभारी र गा।
मेर सुकमार पु अजुन, मेरी ताकत बनने और मेरी अनुप थित म िज मेदा रय को िनभाने
क िलए ध यवाद। तुमने हमेशा मुझे अपना नायक माना; लेिकन मेर िलए तुम मेर िवजेता हो,
िजसने मेरी अनुप थित म अपनी माँ का साथ िदया और बहन को सँभाला। तुम मेर टार हो!
मेर जीवन क कोई भी उपल ध मेरी प नी क उ ेख क िबना पूरी नह हो सकती। मेरी
अधािगनी, जो मेर इस िमशन पर जाने क इकलौती वजह थ —एक ऐसा िमशन, िजसने मेर
जीवन को पूरी तरह से बदल िदया; एक िमशन, िजसने मुझे िसखाया िक एक सैिनक होने का
या मतलब ह; एक िमशन, िजसने मुझे िवदेशी धरती पर ितरगे क स मान को बनाए रखने
का स मान िदया। म श द म इसका बखान नह कर सकता िक मेरी प नी मेर िलए िकतना
मायने रखती ह। िजस तरह से उ ह ने िन वाथ भाव से मेर जीवन म योगदान िदया ह, वह
अि तीय ह। 30 वष से साथ रहने क बाद भी उनका उ साह मुझे चिकत करता ह। मेरी
ि यतमा, ध यवाद!
—मेजर जनरल राजपाल पुिनया, वाई.एस.एम.
1.
होइिह सोइ जो राम रिच राखा

िसतंबर 1999
म अभी हाल ही म उ र देश क झाँसी िजले म बेतवा नदी क तट पर बसे एक छोट से
शहर बबीना प चा था। इससे पूव म ज मू व क मीर म िनयं ण रखा (एल.ओ.सी.) से सट
ऊचाईवाले इलाक तंगधार म तैनात था, जहाँ पर कम ती तावाले संघष ब तायत म होते रहते
थे। म सभी ऑपरशन को िनयंि त करनेवाला ि गेड मेजर था और मेर काम म एल.ओ.सी.
क उस पार होनेवाली भारी गोलीबारी, जो अकसर और बेहद ती होती थी, का िनयं ण
करना भी शािमल था। हमारी ि गेड पािक तान म एक जेटी जैसी थी और हम लोग को
‘चटनी ि गेड’ कहकर बुलाया जाता था, य िक पािक तानी बंकर को ऐसा लगता था िक वे
जब चाह, तब हमारी चटनी बना सकते ह।
हम शमशाबारी पवत- ंखला क उस पार तैनात थे, जो आमतौर पर एल.ओ.सी. क िलए
आधार रखा मानी जाती थी। चूँिक आसपास क सभी चोिटय पर पािक तािनय का क जा
था और वे आसानी से हम देख सकते थे, इसिलए हमारा िठकाना बेहद जोिखम भरा था।
संयोग से, िसफ हमारी ही ि गेड इकलौती ऐसी ि गेड थी, जो शमशाबारी पवत- ंखला क
उस पार तैनात थी और ऐसा तीत होता था, जैसे मौत हर समय हमार िसर पर मँडरा रही हो।
कारिगल यु जब अपने पूर जोर पर था, उस समय म वहाँ पर तैनात था और हमार े म
कारिगल ऑपरशन क जवाबी िति या क पूरी आशंका थी। मुझे याद ह िक मने उस े
म पूव क तीन बटािलयन क थान पर अित र सै य सहायता क प म छह बटािलयन
को तैनात िकया था। इसक अलावा, मुझे ब त अ छ से याद ह िक रचमार2 बटािलयन क
सहायक मुझसे वहाँ पर और सैिनक को न भेजने क गुहार लगा रह थे, य िक बंकर म
खड़ होने तक क जगह नह बची थी।
मोट तौर पर कहा जाए तो वे तीन साल ऊचाईवाले े म बीते, जहाँ
आतंकवािदय का मुकाबला करना और िनयं ण रखा पर होनेवाली गोलीबारी
पर िनयं ण रखना शािमल था, िजसक चलते एक िमनट क न द लेना भी दूर क
सपने जैसा हो गया था और आिखर म, कारिगल ऑपरशन तो पराका ा ही था।
मोट तौर पर कहा जाए तो वे तीन साल ऊचाईवाले े म बीते, जहाँ आतंकवािदय का
मुकाबला करना और िनयं ण रखा पर होनेवाली गोलीबारी पर िनयं ण रखना शािमल था,
िजसक चलते एक िमनट क न द लेना भी दूर क सपने जैसा हो गया था और आिखर म,
कारिगल ऑपरशन तो पराका ा ही था। इन सब घटना ने बीते तीन वष क समय को
एक शानदार अनुभव म बदल िदया था, िजसने अंततः अपने आसपास क दुिनया को लेकर
मेर कोण को पूरी तरह से बदल िदया और वे याद ताउ क िलए मेरी जीवन-या ा म
अंिकत हो ग ।
जैसे य को जीवन म हर चीज क क मत चुकानी पड़ती ह, वैसे ही इन तीन वष ने मेर
य गत जीवन पर भारी असर डाला। मेर हाथ कत य से बँधे ए थे। मने िमलनेवाले सभी
आदेश का पालन करने क शपथ ली थी, य िक रा सव प र होता ह—हमेशा और हर
बार। वह दूसरी तरफ, मुझे अपने प रवार से दूर रहना था, िजसक अपनी वेदना और पीड़ा
थी। इसिलए उदासी क कछ अंतहीन रात और िदन क बाद हम इस बात क उ मीद कर रह
थे िक हम आिखरकार एक प रवार क प म बबीना म रहने का अवसर िमलेगा, जहाँ पर
मेरी बटािलयन 14 मेकनाइ ड इ फ ी (16 ज मू व क मीर राइफ स) थत थी।
म हमेशा से ‘होइिह सोइ जो राम रिच राखा’ वाली कहावत म ढ़ िव ास रखता आया
। जीवन म आपक सामने न जाने िकतनी सरल योजनाएँ आ सकती ह; लेिकन आिखरकार,
हमार िनयं ण से बाहर क ताकत ही हमार भिव य क राह को िनधा रत करती ह। ई र
या चाहते ह, इसका इशारा बबीना म मेर काम क पहले ही िदन सामने आ गया, जब सेना
मु यालय से एक संकत आया िक प म अ का क िसएरा िलओन म संयु रा शांित
िमशन म ितिनयु क िलए मुझे चुना गया ह। सामा य प र थितय म यह आनंद और
े ौ ो ि ी ै ऐ े े
ज न मनाने का मौका होता, य िक सभी सै यकम ऐसे अवसर क तलाश म रहते ह,
य िक इसम अंतररा ीय तर पर अपनी कािबलीयत िदखाने का मौका िमलता ह और साथ
ही डॉलर म वेतन ा करने का अवसर भी होता ह। िकतु इसक बावजूद इस संकत को
पढ़ते ही मेरा िदल डब गया, य िक म इस खबर को सुनते ही अपने प रवार ारा क
जानेवाली िति या क बार म सोच रहा था। सच क तो िपछली शाम को ही मने अपनी
चार साल क बेटी को उसक माँ से कहते सुना था, “आशा ह िक पापा अब हम अकला
नह छोड़गे।” अपनी बेटी क छोटी िज ासु आँख क क पना करते ए मेरा गला सूख
गया, जो यह पूछ रही थी िक या अब हम सब एक साथ रहगे? पापा उसक ज मिदन और
कल क काय म म शािमल ह गे या नह ? और उसक िदल क येक धड़कन एक
सकारा मक उ र क आशा िलये बैठी थी।
इस तमाम ं से बेखबर मेर सािथय ने घर जाने से पहले अिधका रय क मेस म
एक िगलास बीयर पीने क िलए जोर डाला और म यह सोचते ए सहमत हो गया
िक ठडी बीयर मेर आ मिव ास को बढ़ाएगी! अिधका रय क मेस म मने अपने
साथी अिधका रय से कहा िक आज क बीयर मेरी तरफ से; लेिकन मने फसला
िकया ह िक म इस िमशन पर नह जाऊगा।
इस तमाम ं से बेखबर मेर सािथय ने घर जाने से पहले अिधका रय क मेस म एक
िगलास बीयर पीने क िलए जोर डाला और म यह सोचते ए सहमत हो गया िक ठडी बीयर
मेर आ मिव ास को बढ़ाएगी! अिधका रय क मेस म मने अपने साथी अिधका रय से कहा
िक आज क बीयर मेरी तरफ से; लेिकन मने फसला िकया ह िक म इस िमशन पर नह
जाऊगा। मेर इस िमशन पर जाने से इनकार करते ही उनम से िकसी को उस काम क िलए
नािमत कर िदया जाएगा, य िक हमारी मेकनाइ ड इ फ ी कपनी3 को हमारी अपनी ही
बटािलयन क िकसी अिधकारी ारा िनदिशत िकया जाना था। यह बटािलयन क िलए गव का
ण था और इसिलए इस खबर पर ज न मनाना पूरी तरह से लािजमी भी था।
घर वापस लौटते समय म इस बात पर िवचार कर रहा था िक या मुझे अपने प रवार को
इस खबर क बार म बता देना चािहए? आिखरकार, मने उ ह इस बार म कछ नह बताया
और ऐसा िसफ इसिलए, य िक म इस िवषय पर बात करने क िह मत नह जुटा पा रहा
था; हालाँिक, मुझे यह जानकर बेहद आ य आ िक यह खबर पहले ही मेरी प नी तक
प च चुक थी। मने अपनी प नी को समझाया िक मने इस ितिनयु को ठकराने का
िनणय ले िलया ह और इस िनणय को लेकर दोबारा सोच-िवचार करने का सवाल ही नह
उठता। इतना सुनते ही मेरी प नी, जो हमेशा मेरी मागदशक रही ह, ने मुझे जीवन म भा य क
साथ आगे बढ़ने क मेर िस ांत क याद िदलाई। सेना क एक अिधकारी क बेटी और प नी
होने क नाते वे अपने पित को संगठना मक आदेश से कतराते ए नह देखना चाहती थ ।
उ ह ने मुझसे कहा िक संगठन ने जहाँ भी मुझे तैनात िकया ह, मुझे वहाँ जाने क अपने ‘वरदी
क धम’4 का पालन करना चािहए और पूरी लगन तथा ईमानदारी क साथ अपना काम पूरा
करना चािहए, जैसे म हमेशा से करता आया ।
मेर पास उनक बात को काटने क िलए कोई उपयु तक या श द नह था; और
सच क तो मेरा ऐसा करने का इरादा भी नह था, य िक वे गव से दमक रही
थ और मुझे इस िमशन क िलए े रत करने को बस, इतना ही काफ था। मुझे
वह शपथ याद आ गई, जो येक सैिनक वरदी धारण करते समय लेता ह िक
प र थितयाँ चाह जैसी भी ह , वह अपनी अंितम साँस तक अपनी मातृभूिम क
र ा करगा।
मेर पास उनक बात को काटने क िलए कोई उपयु तक या श द नह था; और सच
क तो मेरा ऐसा करने का इरादा भी नह था, य िक वे गव से दमक रही थ और मुझे इस
िमशन क िलए े रत करने को बस, इतना ही काफ था। मुझे वह शपथ याद आ गई, जो
येक सैिनक वरदी धारण करते समय लेता ह िक प र थितयाँ चाह जैसी भी ह , वह अपनी
अंितम साँस तक अपनी मातृभूिम क र ा करगा। मने उ ह गले लगा िलया, जैसे म उनसे
यह आ ासन माँग रहा िक हमारी आ माएँ जीवन भर क िलए जुड़ी रहगी और इस दूरी
से िसफ हमार िदल म एक-दूसर क ित और अिधक लगाव ही पैदा होगा। संयोग से,
बबीना म हम आवंिटत ए नए घर म वह हमारी पहली शाम थी और मुझे अगले ही िदन
जाना था।
बीते नौ वष से शांित िसएरा िलओन से दूर ही थी। शहर और क बे पूरी तरह से
असुर ा क भावना से िघर ए थे, य िक किथत तौर पर परािजत हो चुक
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िव ोही सेना बदला लेने क िलए कमजोर नाग रक को अपना िनशाना बना रही
थी। कई वष क उथल-पुथल क बाद ‘लोमे शांित समझौता’ िसएरा िलओन क
लोग क िलए एक अंधी सुरग म रोशनी क िकरण लेकर आया।
मुझे िद ी प चकर िमशन क िलए अपनी नई बटािलयन, 5/8 गोरखा राइफ स को रपोट
करना था और हम संयु प से प म अ का क यु त देश िसएरा िलओन म एक
नया िमशन थािपत करना था। दुिनया भर क िविभ देश क थित पर एक सरसरी नजर
डालते ही यह बात पूरी तरह से प हो जाती थी िक िसएरा िलओन दुिनया क सबसे गरीब
देश म से एक था, जो वष से गृह यु और सै य त तापलट क िवभीिषका से त था।
इसक अलावा, यह देश काफ लंबे समय से ‘ रवो यूशनरी यूनाइटड ट’ (आर.यू.एफ.)
नामक एक िव ोही आंदोलन क चंगुल म भी फसा आ था, िजनक इरादे बेहद संिद ध थे
और िजनका कोण बेहद बबर था। िसएरा िलयोन कभी न ख म होनेवाली तबाही क
चंगुल म था और वहाँ पर 50,000 से अिधक लोग अपनी जान से हाथ धो चुक थे, लाख
लोग िव थािपत हो गए थे और मिहला , ब एवं अ य नाग रक को तोड़-फोड़,
आगजनी, अंग-भंग एवं सामूिहक ह या जैसे बीभ स अपराध का भु भोगी बनना पड़ा
था। बीते नौ वष से शांित िसएरा िलओन से दूर ही थी। शहर और क बे पूरी तरह से
असुर ा क भावना से िघर ए थे, य िक किथत तौर पर परािजत हो चुक िव ोही सेना
बदला लेने क िलए कमजोर नाग रक को अपना िनशाना बना रही थी। कई वष क उथल-
पुथल क बाद ‘लोमे शांित समझौता’ िसएरा िलओन क लोग क िलए एक अंधी सुरग म
रोशनी क िकरण लेकर आया। आर.यू.एफ. ारा जुलाई 1999 म एक समझौते पर ह ता र
िकए गए, िजसम प था िक आर.यू.एफ. संयु रा क एक तट थ बल क सामने
आ मसमपण क िलए तैयार था। इसिलए भारतीय सेना को िवदेशी धरती पर शांित थािपत
करने म सहायता करने क िलए िसएरा िलओन म एक िमशन थािपत करने का गौरवपूण
िवशेष अिधकार िदया गया था।
इतने बड़ पैमाने और वृह आकार क िकसी भी िमशन से पहले ारिभक चरण म
प र थितय क आधार पर जबरद त तैयारी क जाती ह। संयु रा क एक अंतररा ीय
िमशन क िलए संगठन क वभाव क ित अनुकलन और उसक गहन जानकारी को
आ मसा िकया जाना आव यक था। इसिलए िद ी म पहले दो महीने तो आ मसा करने
और तैयारी करने म ही बीत गए और हम म से येक को आस काय क िवषय म आगाह
िकया गया। शारी रक व थता, िश ण और साथ ही िसएरा िलओन क िवषय म तमाम
संभािवत जानकारी एकि त करने क गंभीर िदनचया शु ई।
कनल सतीश हमार कमांिडग ऑिफसर थे, जो बेहद स न य थे; लेिकन वे
ब त कम बोलनेवाल म से एक थे और उनका हमेशा भावहीन रहनेवाला चेहरा
िकसी को भी तनाव म डालने क िलए पया था। जबिक उनक सेकड-इन-
कमांड ले टनट कनल अिमत शमा उनक िब कल िवपरीत थे, इसक बावजूद वे
अपने चेहर पर कई कार क भाव को लाकर दबाव डाल सकते थे, जो उ ह
ई र ारा द एक वरदान था।
कनल सतीश हमार कमांिडग ऑिफसर थे, जो बेहद स न य थे; लेिकन वे ब त
कम बोलनेवाल म से एक थे और उनका हमेशा भावहीन रहनेवाला चेहरा िकसी को भी
तनाव म डालने क िलए पया था। जबिक उनक सेकड-इन-कमांड ले टनट कनल
अिमत शमा उनक िब कल िवपरीत थे, इसक बावजूद वे अपने चेहर पर कई कार क भाव
को लाकर दबाव डाल सकते थे, जो उ ह ई र ारा द एक वरदान था। भारतीय सेना क
गोरखा रजीमट ब त अिधक ओ.जी.5 मानी जाती ह, जबिक उनसे पूरी तरह से िभ माहौल
वाली मेकनाइ ड इ फ ी से आने क चलते हम उनक साथ तालमेल बैठाना बेहद मु कल
सािबत आ और िद ी म हमारा अनुकलन का काफ समय तो मंथन म ही बीत गया। हम
िमशन क िलए गोरखा रजीमट क साथ तालमेल थािपत करना था; य िक िद ी और
बबीना म बैठ दो अलग-अलग कमांिडग ऑिफसर क आदेश क साथ सामंज य थािपत
करना पड़ता था।
भारतीय सेना एक अजेय संगठन ह और इसक सैिनक को िबना समय गँवाए हर कार
क प र थितय क अनुकल होने क िलए िशि त िकया जाता ह। यह मेरा सौभा य था
िक कपनी म मेर सबसे व र सूबेदार6 मानव जाित क िलए एक उपहार सरीखे थे; य िक
वे सकारा मकता क जीवंत ितमूित थे और ‘नह ’ श द तो उनक श दकोश म था ही
नह । यहाँ तक िक मेरी कपनी क युवा अिधकारी क टन सुदेश, क टन शांत और क टन
सुनील पूरी तरह से समझदार बहादुर अिधकारी थे और कपनी म िसफ 14 मेकनाइ ड
ी ैि ी ि े ि ी ी
इ फ ी क सैिनक ही शािमल थे; इसक बावजूद उ ह िद ी छावनी क सदर बाजार इलाक
क ठीक पीछ टट म डरा डालने क बावजूद िकसी भी कार क अशांित का सामना नह
करना पड़ा।
अपनी तैया रय क एक िह से क प म हम िसएरा िलओन क बार म अिधक-से-अिधक
जानकारी एकि त करनी थी, य िक िवदेशी धरती पर पैर रखने से पहले ही वहाँ क उतार-
चढ़ाव को समझना वहाँ क तैनाती क दौरान काफ मददगार सािबत होता। उस जानकारी को
आ मसा करने क पूरी ि या हम सबक आँख को खोलने वाली थी, य िक हमने िसएरा
िलओन क बार म िजतना कछ जाना और सीखा, उसक बाद हम खुद को इस बात क िलए
ध य समझने लगे िक हमारा ज म भारत म आ ह।
दुिनया क सबसे धनी देश म शुमार होने क बावजूद, वहाँ पर सव म ेणी क
हीर चुरता म उपल ध थे, िसएरा िलओन म िबजली और पेयजल जैसी बुिनयादी
सुिवधा तक का अभाव था, यहाँ तक िक रा ीय राजधानी टाउन म भी।
देश म एक दशक से भी अिधक समय से जारी गृह यु क कारण इसक लगभग
30 ितशत आबादी िवकलांग हो चुक थी।
दुिनया क सबसे धनी देश म शुमार होने क बावजूद, वहाँ पर सव म ेणी क हीर चुरता
म उपल ध थे, िसएरा िलओन म िबजली और पेयजल जैसी बुिनयादी सुिवधा तक का
अभाव था, यहाँ तक िक रा ीय राजधानी टाउन म भी। देश म एक दशक से भी अिधक
समय से जारी गृह यु क कारण इसक लगभग 30 ितशत आबादी िवकलांग हो चुक थी।
आर.यू.एफ. ारा लोग पर न जाने िकतने अ याचार िकए जा रह थे।
िसएरा िलओन और भारत क बीच एक समानता यह थी िक िसएरा िलओन भी भारत क
तरह ि िटश उपिनवेश का एक िह सा रह चुका था। यह अ ैल 1961 क अंत तक ि िटश
शासन क अधीन रहा और ि िटश क वहाँ से जाने क समय थानीय मु ा-िलओन, अमे रक
डॉलर क बराबर था। लेिकन स 1999 म जब हम वहाँ गए, तब 1 डॉलर 3,000 िलओन
क बराबर हो चुका था।
भौगोिलक कोण म िसएरा िलओन प म अ का म थत एक छोटा सा देश ह,
िजसक उ र म अटलांिटक महासागर व िगनी और दि ण म लाइबे रया थत ह। इसक
राजधानी का नाम ‘ टाउन’ पड़ने क पीछ क कहानी यह ह िक अठारहव शता दी क
दौरान समृ देश ने अपने दास को इस शहर म मु कर िदया था। इससे बड़ी िवडबना
और या हो सकती थी िक िकसी जमाने म यहाँ रहनेवाले लोग अपनी वतं ता और दासता
क चंगुल से मु होने क िलए जाने जाते थे! वे अब अपनी ज मजात घबराहट क गुलाम थे,
य िक टाउन क अलावा पूरा देश जल रहा था।
स 1961 म वतं ता िमलने क बाद एक क बाद एक स ा सँभालनेवाली
सरकार ाचार पर लगाम लगाने म पूरी तरह से असफल रह और 1980 क
दशक क म य तक ाचार अपने चरम पर था। उसी समय िसएरा िलओन सेना
म एक कॉप रल फोड सयबाना सनकोह ने अपने लोग को ाचार-मु रा
दान करने क इरादे से ‘ रवो यूशनरी यूनाइटड ट’ क थापना क ।
स 1961 म वतं ता िमलने क बाद एक क बाद एक स ा सँभालनेवाली सरकार
ाचार पर लगाम लगाने म पूरी तरह से असफल रह और 1980 क दशक क म य तक
ाचार अपने चरम पर था। उसी समय िसएरा िलओन सेना म एक कॉप रल फोड सयबाना
सनकोह ने अपने लोग को ाचार-मु रा दान करने क इरादे से ‘ रवो यूशनरी
यूनाइटड ट’ क थापना क । इस उ क मह वाकां ा क चलते िसएरा िलओन क लोग
ने उनक ांितकारी िवचार का वागत िकया और फोड सनकोह को इस नेक पहल क िलए
स मािनत िकया गया। उ ह इस बात का लेशमा भी अंदाजा नह था िक ाचार क अँधेर
से िघर उनक देश म एक नया सवेरा लाने का सपना लेकर तैयार िकया जा रहा संगठन
आनेवाले समय म िसएरा िलओन क इितहास म सबसे र -रिजत यु का कारण बन
जाएगा।
इस बात से इनकार नह िकया जा सकता ह िक अपने शैशवकाल म आर.यू.एफ. ने लोग
क भलाई क िलए शानदार तरीक से काम िकया, इसिलए यह बेहद कम समय म काफ
अिधक मजबूत हो गया। लेिकन जैसे िक एक पुरानी कहावत ह—‘स ा क तासीर
करने क होती ह’, और िनरकश स ा िन त प से कर देती ह। पड़ोसी देश
लाइबे रया क रा पित चा स टलर ारा दान क गई सहायता क मदद से फोड सनकोह ने
िसएरा िलओन क लोकतांि क प से चुनी गई सरकार को उखाड़ फका।
ी ो े ि ि ओ े
अकथनीय ाचार क बोझ से दबा िसएरा िलओन गृह यु क मुहाने पर प च गया,
िजसम ब त सार िहत-धारक क अलावा अराजकता और अ यव था ने पूर देश क
कामकाज को अपने क जे म ले िलया और पूव क एक शांिति य रा को पूरी तरह से
तबाह कर िदया। इसी समय प म अ क देश ने िसएरा िलओन म सामा य थित बहाल
करने क िलए ई.सी.ओ.एम.ओ.जी. (िद इकोनॉिमक क युिनटी ऑफ वे ट अ कन ट स
मॉिनट रग ुप) नामक एक समूह का गठन िकया। यहाँ तक िक यह समूह भी आर.यू.एफ.
को िनयंि त करने म िवफल रहा और ’90 क दशक क उ राध म फोड सनकोह एवं उनक
संगठन ारा ई.सी.ओ.एम.ओ.जी. को बेरहमी से परािजत िकया गया।
इसक बाद से ही हीर से समृ े सिहत पूर देश को आर.यू.एफ. ही िनयंि त
कर रहा ह और रा पित डॉ. अहमद तेजन क बाह क अ य तावाली िसएरा
िलओन क सरकार का िनयं ण िसफ टाउन पर ही ह। आर.यू.एफ. ारा हीर
क त करी रोजमरा का काम बन गया।
इसक बाद से ही हीर से समृ े सिहत पूर देश को आर.यू.एफ. ही िनयंि त कर रहा ह
और रा पित डॉ. अहमद तेजन क बाह क अ य तावाली िसएरा िलओन क सरकार का
िनयं ण िसफ टाउन पर ही ह। आर.यू.एफ. ारा हीर क त करी रोजमरा का काम बन
गया। अदला-बदली क प म सबसे अ छ हिथयार और नशीले पदाथ आर.यू.एफ. क
हाथ म आने लगे, य िक दुिनया क सबसे समृ देश भी हीर क त करी क इस क यात
काम म शािमल थे। थित इस हद तक िबगड़ गई िक दुिनया को इस ओर यान देना पड़ा।
नतीजतन, संयु रा क ह त ेप क बाद आर.यू.एफ. सिहत सभी िहत-धारक ने जुलाई
1999 म ‘लोमे शांित समझौते’ पर ह ता र िकए। समझौते क िनयम क अनुसार,
आर.यू.एफ. संयु रा क तट थ बल क सम हिथयार डालने क िलए सहमत आ,
िजसक बाद िसएरा िलओन म एक वतं और िन प चुनाव होना था। हम इस समझौते क
एक िह से क प म अपने वेश क ती ा कर रह थे। हमारी ाथिमकता थी वहाँ पर
तैनात होना और उसक बाद आर.यू.एफ. िव ोिहय क िनर ीकरण, सै य-िवघटन एवं
पुनवास काय म (डी.डी.आर.) को शु करना। डी.डी.आर. ि या मु य प से
िव ोिहय को िविभ यवसाय म िशि त करक समाज म िफर से शािमल करने क िलए
थी, िजसे वे िनर ीकरण क बाद अपना सकते थे। ऐसा करते ए डी.डी.आर. कोण का
उ े य देश म वतं और िन प चुनाव क िलए मंच तैयार करना था।
हमने जैसे-जैसे िसएरा िलओन क बार म पया जानकारी एकि त कर ली, जो
िनरतर चलनेवाली एक कवायद थी—िद ी म हमारा समय हर उस सैिनक क
िचिक सा जाँच म भी बीतता था, जो हमार दल का िह सा थे। िकसी भी िवदेशी
िनयु म तैनाती से पहले येक सैिनक को एक बेहद कड़ी िचिक सा जाँच से
गुजरना आव यक होता ह।
हमने जैसे-जैसे िसएरा िलओन क बार म पया जानकारी एकि त कर ली, जो िनरतर
चलनेवाली एक कवायद थी—िद ी म हमारा समय हर उस सैिनक क िचिक सा जाँच म
भी बीतता था, जो हमार दल का िह सा थे। िकसी भी िवदेशी िनयु म तैनाती से पहले
येक सैिनक को एक बेहद कड़ी िचिक सा जाँच से गुजरना आव यक होता ह। िसएरा
िलओन म या जानलेवा बीमा रय क आलोक म संयु रा ारा जारी िचिक सा परामश
क प रणाम व प इस जाँच ि या को और अिधक स त कर िदया गया। स 1999 म वह
येक िचिक सा जाँच, जो देश म होनी संभव थी, हमार ऊपर लागू क गई। िचिक सीय प
से अनुपयु सैिनक को उनक यूिनट म वापस भेज िदया गया, जहाँ से उनक बदले दूसर
सैिनक क िनयु क गई। चूँिक समय बेहद ब मू य था, इसिलए हमने उनक संबंिधत
बटािलयन से अनुरोध िकया िक वे रजव सैिनक का एक िनकाय तैयार कर और उ ह पहले
ही िद ी म तैनात कर द, तािक आवा-जाही क समय को बचाया जा सक। िचिक सा जाँच
ितिदन ही होती थ , िजनम कछ नमूने िदए जाते थे और कछ क प रणाम ा होते थे।
चयन म आसानी क िलए हमार िशिवर म सैिनक क दो ेिणयाँ थ । पहला समूह उन
सैिनक का था, िज ह िमशन क बार म पूरी जानकारी थी और दूसर म वे सैिनक शािमल थे,
जो ‘िमशन क िलए आरि त’ समूह का िह सा थे। सैिनक इस नए कायभार को सँभालने क
ती ा कई कारण से कर रह थे—कछ तो अपने देश से बेहद दूर हवाई या ा क रोमांच क
िलए, जबिक कछ क िलए यह िमशन उनक िव ीय थित म सुधार करने का एक सुनहरा
मौका था, य िक इस िमशन म उ ह अ छा वेतन ा होने वाला था।
आमतौर पर शाम का समय सबसे अिधक तनाव देनेवाला आ करता था,
य िक सभी सैिनक ब त बेस ी से कपनी हवलदार मेजर क आने का इतजार
े े े ईि ि ँ ो ो े
करते थे। वे उस समय तक ा ई िचिक सा जाँच क रपोट को लेकर कप म
आते थे। म उन नकारा मक ऊजा का बखान नह कर सकता, जो कपनी
हवलदार मेजर क घोषणा का इतजार करते समय हमारी शाम को घेर रहती थ ।
आमतौर पर शाम का समय सबसे अिधक तनाव देनेवाला आ करता था, य िक सभी
सैिनक ब त बेस ी से कपनी हवलदार मेजर7 क आने का इतजार करते थे। वे उस समय
तक ा ई िचिक सा जाँच क रपोट को लेकर कप म आते थे। म उन नकारा मक
ऊजा का बखान नह कर सकता, जो कपनी हवलदार मेजर क घोषणा का इतजार करते
समय हमारी शाम को घेर रहती थ । िशिवर म यह नजारा अब आम हो गया था, जहाँ कछ
िदल टटते थे और अित र जोश से भरपूर कछ नए चेहर सफर का िह सा बनते थे। मने
अपने कछ सािथय को उनक रपोट लेकर मंिदर क ओर जाते ए देखा तो वह दूसरी ओर,
कछ ऐसे भी थे, िज ह ने अपना सामान बाँधा और वापसी क या ा क िलए रलवे वारट क
माँग क ।
मेर िलए िदन- ितिदन इस ि या का सा ी बनना बेहद पीड़ादायक था। इसक अलावा,
मेर िलए सबसे बड़ी चुनौती होती थी—िचिक सीय प से अनुपयु येक सैिनक क बदले
‘आरि त ेणी’ से एक नए सैिनक का चयन करना। इस काम को आसान बनाने और
पूवा ह क िकसी भी संभावना को समा करने क िलए मने अपनी कपनी म ‘ रजव
नॉिमनेशन’ क िलए परची डालकर चयन करने क ि या का सहारा लेने का िनणय िलया।
आिखरकार, ई र क कपा से िचिक सा चयन ि या संप आ और िमशन क िलए
िनयु होनेवाले सैिनक क अंितम सूची हमार हाथ म थी। इसने िश ण क गंभीरता एवं
मह व को और बढ़ाया तथा िमशन क िलए अ य तैया रय को भी तेज कर िदया गया।
अब तक िद ी म अनुकलन क दो महीने का समय पूरा हो चुका था और हम वष 1999
क बारहव महीने म कदम रख चुक थे, िजसम तैनाती ारभ होनी थी। बीते दो महीन क
दौरान एक तरफ जहाँ म िमशन क तैया रय म य त था, वह दूसरी तरफ मेरी प नी और
ब े नए थान म खुद को ढालने का यास कर रह थे और म इस बात को लेकर ब त
परशान रहता था िक म यव थत होने म उनक कोई मदद नह कर सका। लेिकन जैसा िक
एक पुरानी कहावत ह, ‘समय कभी एक सा नह होता ह।’ इसिलए हम अपनी बात पर ढ़
रहना पड़ा और दू रय क ऊची लहर को गुजर जाने देना पड़ा। मुझे इस बात का अहसास
आ िक तैनाती हो जाने क बाद म एक साल क िलए दूर चला जाऊगा। इसिलए, मने
अपनी प नी से बात क और उ ह कछ िदन क िलए िद ी आने को कहा। हालाँिक, ब
क परी ाएँ जारी थ , लेिकन इसक बावजूद िटकट बुक करवा िदए गए। म उ ह लेने नई
िद ी रलवे टशन जा रहा था और काफ लंबे समय बाद उनसे िमलने क िलए वा तव म
बेहद उ सािहत था। िजस ण मने अपनी प नी व ब को गले लगाया, वह िद ी क
कायकाल का मेरा सबसे िविश ण था। ब े उस सफद िज सी म सवारी करने को लेकर
बेहद रोमांिचत थे, िजस पर काले रग से ‘संयु रा ’ िलखा आ था और साथ ही वे
अपने िपता को नीले रग क टोपी (Blue Beret) म देखकर भी बेहद उ सािहत थे। मने
िद ी छावनी क अपने िशिवर क बगल म थत टॉरस हॉ टल म उनक ठहरने क
यव था करवा दी थी।
अपने प रवार क शहर म होने क बावजूद मने लोड मा टर क प म अपनी
िदनचया को जारी रखा। लोड मा टर क प म मेर काम म भारत से िसएरा
िलओन तक सैिनक और टोर क पूरी आवा-जाही शािमल थी और चूँिक यह
एक नया िमशन था, इसिलए टोर क ब त बड़ी आव यकता था।
अपने प रवार क शहर म होने क बावजूद मने लोड मा टर क प म अपनी िदनचया को
जारी रखा। लोड मा टर क प म मेर काम म भारत से िसएरा िलओन तक सैिनक और
टोर क पूरी आवा-जाही शािमल थी और चूँिक यह एक नया िमशन था, इसिलए टोर क
ब त बड़ी आव यकता थी। जब हमार कमांिडग ऑिफसर कनल सतीश को यह बात पता
चली िक मेरा प रवार शहर म ही ह तो उ ह ने तुरत मुझे अपने कायालय म बुलाया, और तभी
े े े ं ि ि े
अचानक एक अ ात डर ने मुझे अपने चंगुल म जकड़ िलया। म इस अ यािशत बुलावे क
पीछ क कारण को समझ नह पा रहा था।
म ढर सार साहस क साथ आशा वत होकर कमांिडग ऑिफसर क क म दािखल आ।
एक संि िवराम क बाद उ ह ने मुझसे पूछा िक या म अपने प रवार को िद ी म कह
बाहर लेकर गया? िजसका जवाब मने तुरत िदया, “नह सर।” यह सुनते ही उ ह ने जोर से
ठहाका लगाया तथा बताया िक म अगले िदन लोिडग क िलए हवाई अ नह जा रहा ।
उ ह ने मुझे आदेश िदया िक म अपने प रवार को िद ी क दशनीय थल क सैर क िलए
ले जाऊ और मुझे एक िदन क छ ी लेने को कहा। उ ह ने मुझे यह भी बताया िक हम कछ
िदन क बाद बाहर जाने क उड़ान लगे और मुझे इन अगले कछ िदन को अपने प रवार क
साथ िबताकर यादगार बनाने का मौका नह छोड़ना चािहए।
म बेहद उ साह क साथ टॉरस हॉ टल लौटा और अपने प रवार को बताया िक
मेर पास अगले चौबीस घंट का समय पूरी तरह से खाली ह, िजसका येक ण
म उनक साथ िबताना चाहता । उस शाम पूरा प रवार बेहद खुश था। रात क
समय हम िजस अितिथ क म ठहर ए थे, उसम काफ धमा-चौकड़ी का
माहौल था; य िक ब े अगले िदन का काय म तैयार करने म य त थे।
म बेहद उ साह क साथ टॉरस हॉ टल लौटा और अपने प रवार को बताया िक मेर पास
अगले चौबीस घंट का समय पूरी तरह से खाली ह, िजसका येक ण म उनक साथ
िबताना चाहता । उस शाम पूरा प रवार बेहद खुश था। रात क समय हम िजस अितिथ क
म ठहर ए थे, उसम काफ धमा-चौकड़ी का माहौल था; य िक ब े अगले िदन का
काय म तैयार करने म य त थे। घूमने जानेवाले थान क उनक सूची म इिडया गेट,
अ पू घर, कतुब मीनार शािमल थे और उनक िलए सबसे रोमांचक जगह थी मैकडॉन स,
य िक उन िदन मैकडॉन स देश क िसफ चुिनंदा शहर म ही खुले ए थे।
अकसर होता यह था िक सुबह क समय मेरी प नी को ब को जगाना पड़ता था।
चम कार कभी ख म नह हो सकते—और उस िदन म यह देखकर आ यचिकत रह गया
िक ब े सुबह अपने आप ही जाग गए और वे पूर िदन को लेकर जबरद त ऊजा क साथ
उ सािहत िदखाई दे रह थे। राजपथ पर ाइव, रा पित भवन और िफर इिडया गेट क या ा
क साथ िदन क शानदार शु आत ई। हमारी िक मत अ छी थी िक वह िदसंबर का महीना
था और मौसम घूमने क िलए पूरी तरह से अनुकल था।
उस दौर क िद ी आज क दौर क िद ी से कह अिधक खूबसूरत थी, िजसम
इमारत से अिधक पेड़ मौजूद थे, हािनकारक दूषक क उ सजन से अिधक
व छ हवा मौजूद थी, वाहन कम थे और लोग यादा थे तथा लोग क बीच धैय
क भावना थी और वे िस ांत को माननेवाले थे।
उस दौर क िद ी आज क दौर क िद ी से कह अिधक खूबसूरत थी, िजसम इमारत
से अिधक पेड़ मौजूद थे, हािनकारक दूषक क उ सजन से अिधक व छ हवा मौजूद थी,
वाहन कम थे और लोग यादा थे तथा लोग क बीच धैय क भावना थी और वे िस ांत को
माननेवाले थे। वह वा तव म एक संतु से भरा आ िदन था। लेिकन मेर ब क िलए
मु य आकषण था मैकडॉन स म उनक ह पी मील क साथ उपहार ा करना। अंततः
उस शाम जब हम वापस टॉरस हॉ टल लौट तो वहाँ पर रहनेवाले बाक क लोग मेर ब
क कदम क म ती और मेरी प नी क चेहर पर फली ई चमकदार मुसकान से आ रह खुशी
क झ क को पहचान सकते थे।
इतने लंबे समय बाद अपने प रवार क साथ िबताए गए एक सुकन भर िदन क बाद म नई
िद ी क पालम हवाई अ क हवाई प ी पर सुबह क लोिडग ि या को िनयंि त
करने क काम म जुट गया। दो वतं बटािलयन क बीच सम वय थािपत करना बेहद
मसा य काम था; लेिकन मेरी िक मत अ छी थी िक 5/8 गोरखा राइफ स म कपनी
कमांडर मेजर नायर मेर एक अ छ िम थे और वे मेर िलए इस िविवध समूह क क बन
गए। िश ण क िदन म रा ीय र ा अकादमी म उ ह ‘जनरल’ नायर कहकर बुलाया जाता
था, य िक िजन महानुभाव कडट को दो बार िनवािसत कर िदया जाता था, उ ह अकादमी
क दूसर कडट ारा ित ा क तीक क प म ‘जनरल’ कहा जाता था। नायर वैसे तो
मुझसे छह महीने व र थे, लेिकन बाद म वे मेर जूिनयर क प म पास आउट ए। मेजर
नायर क िज मेदारी यह सुिन त करना था िक बटािलयन समूह को वे सभी उपकरण
उपल ध करवाए जाएँ, िजनक वे हकदार ह, िजनम िविभ ठकदार ारा आपूित क जा रही

ि ी ि ि े ि े े ं ि ी
िक स भी शािमल थ , िज ह वे पता नह िकतने समय से संयु रा का िह सा बनी
बटािलयन को आपूित कर रह थे।
म यहाँ आपक साथ यह बात साझा करना चाहता िक उनम से कोई भी वरदी
और िकट मेरी 6 फ ट 4 इच क काया म िफट नह आई। आिखरकार, मेजर
नायर को मेर िलए य गत िकट क एक आपूितकता से संपक साधना पड़ा।
मुझे उस युवा लड़क ीत बावा से ई वह मुलाकात आज भी याद ह, िजसने मुझे
आ ासन िदया िक वह य गत प से मेरी माप क िकट तैयार करगा।
म यहाँ आपक साथ यह बात साझा करना चाहता िक उनम से कोई भी वरदी और िकट
मेरी 6 फ ट 4 इच क काया म िफट नह आई। आिखरकार, मेजर नायर को मेर िलए
य गत िकट क एक आपूितकता से संपक साधना पड़ा। मुझे उस युवा लड़क ीत बावा
से ई वह मुलाकात आज भी याद ह, िजसने मुझे आ ासन िदया िक वह य गत प से
मेरी माप क िकट तैयार करगा। इसक बाद ीत िवशेष जूत व वरदी क यव था करता
और म इस बात से खुश था िक आिखर मेर माप क िकट िमल ही गई। ीत अकसर मुझसे
कहता, “सर, आप तो बस, हमार झंड को ऊचा रखने का काम करो और अपनी माप व
िकट क िचंता मत िकया करो, य िक वह अब मेरी िज मेदारी ह।” म उस युवा क साथ
एक भावना मक संबंध म जुड़ गया और इसक वजह थी उसक ेरणादायक भावना। यहाँ
तक िक आज भी मुझे ीत का वह यादगार कथन याद ह, “सर, हमार रा ीय वज को
ऊचा रखना।”
सैिनक से उ मीद क जाती ह िक वे संयु रा क िकसी भी िमशन क िलए िवदेश जाते
समय अपना गौरव और अपना रा ीय वज अपनी छाती पर धारण कर। हमारी ऑिलव ीन
वरदी म टगे ए ितरगे क वे टकड़ हमार दय को मातृभूिम क ित िन ा से सराबोर रखते
ह। यह देशभ क जोश क तरह था, जो भारतीय रा गान ‘जन-गण-मन’ क हर ताल
क साथ हमारी नस म बह रहा था और हमार िसर गव से ऊचे थे, य िक हम अपने गौरव,
भारत, का ितिनिध व कर रह थे।
भारतीय सेना क सबसे बड़ा ताकत उसका ‘अनुशासन’ ह; गव और भु व क भावना,
िजसम पीढ़ी-दर-पीढ़ी उसी रजीमट या बटािलयन म शािमल होना स मान क बात होती ह,
िजसम कभी आपक िपता और पूवज ने सेवा क थी। इसक अलावा, रजीमट एक िव तृत
प रवार क तरह ह, जहाँ िकसी भी बटािलयन क बुजुग अपनी कमांड छोड़ने क बाद भी
उससे जुड़ रहते ह। इस िमलाप क िह से क प म कनल दयानंद दिहया (सेवािनवृ )
ीमती दिहया क साथ 14 मेकनाइ ड इ फ ी क किमय को संबोिधत करने और े रत करने
क िलए िद ी आए, जो संयु रा शांित थापना क िह से क प म एक चुनौतीपूण
काय क िलए आगे बढ़ रही थी। स 1984 म जब मुझे कमीशन िदया गया था, तब कनल
दिहया हमारी बटािलयन क कमांिडग ऑिफसर थे। येक अिधकारी क िवकास पर पहले
कमांिडग ऑिफसर का मह वपूण भाव पड़ता ह। उनक या ा क दौरान ही एक व रत
सैिनक स मेलन8 आयोिजत िकया गया था। कनल दिहया ने सभी रक को हमारी बटािलयन
क महा इितहास क बार म याद िदलाया और सभी को बटािलयन क ताज म चार चाँद
लगाने क िलए अपना सव े दशन करने को कहा।
सैिनक स मेलन क बाद एक अनौपचा रक चाय का आयोजन िकया गया, िजसक
बाद हम अिधका रय क िलए बने अ थायी मेस म दोपहर क भोजन क िलए
ीमती दिहया क साथ शािमल ए, जहाँ आमने-सामने क बातचीत क दौरान
कनल दिहया ने मेरी कपनी म कायरत दूसरी पीढ़ी क अिधकारी क टन शांत क
दशन क बार म जानकारी ली, जो कनल दिहया क बेट थे।
सैिनक स मेलन क बाद एक अनौपचा रक चाय का आयोजन िकया गया, िजसक बाद हम
अिधका रय क िलए बने अ थायी मेस म दोपहर क भोजन क िलए ीमती दिहया क साथ
शािमल ए, जहाँ आमने-सामने क बातचीत क दौरान कनल दिहया ने मेरी कपनी म
कायरत दूसरी पीढ़ी क अिधकारी क टन शांत क दशन क बार म जानकारी ली, जो कनल
दिहया क बेट थे। मने उ ह क टन शांत क दशन को लेकर आ त िकया और साथ ही
उ ह बताया िक उनका बेटा एक उ े रत अिधकारी और शारी रक प से बेहद मजबूत ह,
जो िपछले कछ िदन से ितिदन पाँच लीटर दूध पी रहा ह!
मेर श द िक ‘म क टन शांत क ऊजा को सही िदशा म लगाऊगा और यह भी िक वे
नाम रोशन करक ही वापस लौटगे’ ने कनल दिहया को राहत दान क । इसक अलावा, जाने
से पूव कनल दिहया ने क टन शांत क िलए आए कछ वैवािहक ताव पर भी मेर साथ
ि े े े “ ोई ी ंि ि े े
चचा क , िजस पर मने मुसकराते ए उनसे कहा, “सर, कोई भी अंितम िनणय लेने म जरा
भी ज दबाजी न कर, य िक हम िसफ दो ही िदन म यहाँ से जाने वाले ह। आपक पास
उनक िलए उपयु जीवनसाथी तलाशने क िलए पूर एक वष का समय होगा।”
िद ी का दौर अंततः अपनी समा क ओर था और हमारी वा तिवक या ा
अब ारभ होने वाली थी। िद ी भावना का एक िम ण थी। एक तरफ तो
मुझे अपने प रवार को अलिवदा कहना था, वह दूसरी तरफ हम िवदेश म संयु
रा शांित थापना िमशन पर अ यिधक सम वय एवं स ाव क साथ आगे
बढ़ना था।
िद ी का दौर अंततः अपनी समा क ओर था और हमारी वा तिवक या ा अब ारभ
होने वाली थी। िद ी भावना का एक िम ण थी। एक तरफ तो मुझे अपने प रवार को
अलिवदा कहना था, वह दूसरी तरफ हम िवदेश म संयु रा शांित थापना िमशन पर
अ यिधक सम वय एवं स ाव क साथ आगे बढ़ना था। यह एक िवडबना ही ह िक एक
शांितदूत का िदमाग अपने ि यजन को पीछ छोड़ने क िवचार मा से बवंडर क तरह दौड़
सकता ह।
िद ी म हमारी अंितम राि को पूर दल क िलए एक बड़ा खाना9 का आयोजन िकया
गया। पूर िशिवर म बुलंद हौसल से लबरज सैिनक क चमकते ए चेहर िदखाई दे रह थे।
सैिनक को एक ऐसे देश क या ा करनी थी, िजसक बार म उ ह ने इससे पहले कछ भी
सुना तक नह था और जो ऐसा े था, िजसक बार म िकसी को कछ जानकारी नह थी।
रात म सभी क अपने-अपने तंबु म वापस लौटने क साथ उ साह क हवा बह रही थी।

2.
बीच हवा म बीफ को लेकर हगामा

28 िदसंबर, 1999
आिखरकार, वह सबसे मह वपूण ण आ ही गया, जब हम थान करना था और
सूबेदार फतेह ने पूरी कपनी को इक ा िकया। मने अपने लड़क को संबोिधत करते ए
उनक सुखद या ा क कामना क और एक सहज वेशन क मह व पर काश डाला,
य िक मेरा मानना ह िक एक अ छी शु आत का मतलब होता ह—आधा सफर पूरा होना।
इसक अलावा, मने येक सैिनक से पूरी ईमानदारी और आचरण क मानक थािपत करने
का संक प भी िलया, य िक इसक बाद हम सभी अपने देश क राजदूत थे। यह सुिन त
करना हमारा नैितक दािय व था िक भारत क ित ा को कोई नुकसान न प चे और भारतीय
सेना क छिव िकसी भी कार से खराब न हो।
सूबेदार फतेह उसी कपनी म िसपाही होने क साथ-साथ अपने सभी सािथय क िलए एक
िछपे ए संर क भी थे। उ ह ने अपने तर पर यह सुिन त िकया था िक येक सैिनक
कम-से-कम चौबीस घंट क िलए वावलंबी रह और सबक िलए श करपार10 व पूड़ी-
स जी11 बनाए। या ा क जानेवाली दूरी क परवाह िकए िबना यह िकसी भी अिभयान क
िलए अपनाई जानेवाली एक मानक ि या ह। मेर लड़क से बात करना समा करते ही
हवलदार क ण कमार मेर पास आए। वे भावना मक प से पूरी तरह से उ ेिजत थे। उनक
नस देश- ेम क भावना से तनी ई थ और उनक भावनाएँ शु डोगरी12 भाषा म उनक
ारा बोले गए श द से जािहर हो रही थ । अ ुपूण आँख से उ ह ने बताया िक वे इस बात
से डर ए ह िक वे शायद वापस आने म सफल नह ह गे। उ ह ने तीक क तौर पर हमारी
मातृभूिम क िम ी को अपने हाथ से छआ, िजसने उ ह वह सैिनक बनाया था, जो वे आज
थे। वह बटािलयन म काफ लंबे समय तक मेर वाहन चालक रह थे और म उनक बार म
यह बात जानता था िक वे भीतर से बेहद भावना मक सोचवाले य ह। मने उ ह गले
लगाया और उनक िवचार को बेकार क एक आशंका क प म खा रज कर िदया तथा
उनसे कहा िक वे अपनी ऊजा को पूर आशावाद क साथ िसफ िमशन पर कि त कर।
वाहन का कािफला हमार िशिवर से अंतररा ीय हवाई अ तक जाने क िलए कतारब
खड़ा था, य िक उस समय तक हम नई िद ी क इिदरा गांधी अंतररा ीय हवाई अ क
नविनिमत टिमनल 3 क उपयोग क सुिवधा नह िमली थी। िशिवर म िबताए गए अंितम कछ
ण हम सबक िलए बेहद भावना मक थे और हमार यु घोष ‘भारत माता क जय’ ने हमार
ऊपर से बह रही हवा को उ ेजना एवं गव से भर िदया। िसपाही िवनोद, जो एक सैिनक और
पुजारी क दोहरी ूटी िनभा रहा था, ारा औपचा रक ाथना करवाई गई, िजसक बाद
हमारा कािफला नीली टोिपय क भीड़ क साथ आगे बढ़ने लगा। म अपने प रवार को लेने
क िलए कािफले से अलग हो गया, जो मुझे हवाई अ पर छोड़ने क बाद उसी िदन
रलगाड़ी से वापस जाने वाले थे। हमार टॉरस हॉ टल को छोड़ने से पहले मेरी प नी ने
आरती13 उतारी।
म यह देखकर फ त था िक टॉरस हॉ टल क सार असैिनक कमचारी हम
िवदा करने क िलए कतार म खड़ थे। हमार वहाँ रहने क समय को देखते ए वे
हमार िलए एक िव ता रत प रवार क तरह बन गए थे। असैिनक कमचा रय क
भारी ीमान रौतेला ने मुझे शुभकामनाएँ द और मुझसे वादा िलया िक वापस
लौटने क बाद म दोबारा उनक साथ ही कगा।
म यह देखकर फ त था िक टॉरस हॉ टल क सार असैिनक कमचारी हम िवदा करने
क िलए कतार म खड़ थे। हमार वहाँ रहने क समय को देखते ए वे हमार िलए एक
िव ता रत प रवार क तरह बन गए थे। असैिनक कमचा रय क भारी ीमान रौतेला ने मुझे
शुभकामनाएँ द और मुझसे वादा िलया िक वापस लौटने क बाद म दोबारा उनक साथ ही
कगा। हवाई अ क रा ते म म अपनी जीवनसाथी क आँख को देख सकता था। उ ह ने
े ँ औ ौ ंि े ी ं ो ी
अपने आँसु पर काबू कर रखा था और उनक मौन शांित मेरी अंतरा मा को भीतर तक
िहला देने क िलए काफ थी। अपने जीवन क सबसे ि य य को अलिवदा कहते ए म
अपनी ह य तक म कपकपी महसूस कर रहा था। उनक झुक ई आँख ब त कछ कह
रही थ , जैसे उ ह अपने िनणय पर बेहद गंभीर खेद हो रहा हो। हालाँिक, मुझे पता था िक वे
एक बेहद मजबूत मिहला ह और तीन वष क लंबी दूरी ने उ ह और भी अिधक मजबूत बना
िदया था। उस समय मेर पास श द नह थे, इसिलए मने एक गहरी साँस ली और हवाई
अ तक क बची ई या ा क िलए उनका हाथ कसकर पकड़ िलया।
मेर ब े भी िब कल चुपचाप बैठ थे, जैसे वे प रय क दुिनया म खोए ए ह !
शायद वे उस संघष को याद कर रह थे, िजसका सामना िपछले तीन वष म
उनक माँ को करना पड़ा था। हवाई अ पर प चने पर म वहाँ पर मौजूद लोग
क उ साह को देख सकता था। वे नीली टोिपय म अपनी छाती पर ितरगा लगाए
अपने देश क वरदीधारी सैिनक को देखकर खुशी से खड़ थे।
मेर ब े भी िब कल चुपचाप बैठ थे, जैसे वे प रय क दुिनया म खोए ए ह ! शायद वे
उस संघष को याद कर रह थे, िजसका सामना िपछले तीन वष म उनक माँ को करना पड़ा
था। हवाई अ पर प चने पर म वहाँ पर मौजूद लोग क उ साह को देख सकता था। वे
नीली टोिपय म अपनी छाती पर ितरगा लगाए अपने देश क वरदीधारी सैिनक को देखकर
खुशी से खड़ थे। आिखरकार, अपनी प नी और ब को अलिवदा कहने का समय आ ही
गया। खामोशी से एक-दूसर को घूरा और तभी मेरा यान अपने बेट पर गया, जो कह रहा
था, “पापा, आप मेर हीरो हो।” म अपनी भावना पर काबू नह रख पाया। मने नम आँख
से अपने बेट व बेटी को गले लगा िलया और मेरी प नी भी हमार उस झुंड म शािमल हो ग ।
म अपनी प नी को मेरी आँख से आँसू प छते ए महसूस कर सकता था—एक वरदीधारी
सैिनक क आँख क आँसू! आिखरकार, वे एक सैिनक क बेटी और प नी थ !
अपने सीने म मची हलचल क बीच मने अपना सामान उठाया और थान ार क ओर
बढ़ गया। इस बात का अहसास करते ए िक म तय समय से थोड़ा पीछ चल रहा था, मने
क टन सुनील क तलाश म अपनी नजर दौड़ा , जो सुर ा जाँच क थान पर मेरा इतजार
कर रह थे, जबिक बाक क कपनी इिम ेशन से पार हो चुक थी। सुनील ने मुझे ज दी से
इिम ेशन क ि या से अवगत करवाया और साथ ही मुझे यह भी बताया िक एयर
उ बेिक तान क चाटड लाइट, जो हम िसएरा िलओन ले जाने वाली थी, लड हो चुक ह।
बोिडग का काम काफ आसानी से हो गया और लाइट अटडट क घोषणा का िहदी म
अनुवाद करने क आव यकता को महसूस करते ए मने क टन सुनील को आव यक कदम
उठाने क िनदश िदए। उ ोषणा क समा हो जाने क बाद क टन शांत ने यह कहते ए
क टन सुनील का मजाक बनाया िक उ ह िवमान प रचा रका बना िदया गया ह। दुिनया म
शायद ही िकसी उड़ान का माहौल इतने जोशो-खरोश से भरा आ होता होगा, जैसा िक
उ बेिक तान क उस उड़ान का उस समय पर था। िवमान हवा म उड़ने क िलए जैसे-जैसे
रनवे पर आगे बढ़ रहा था, पूर िवमान म ‘भारत माता क जय’ का उ ोष गूँज रहा था।
अपनी करसी को िव ाम करनेवाली अव था म लाते ही अगले एक वष तक
अपनी प नी और ब को न देख पाने क िवचार ने मुझे अपने आगोश म ले
िलया। मने अपनी आँख बंद कर ल , अपना चेहरा माल से ढक िलया और
अपने ब क िलए बेहद दुःखी महसूस करने लगा, जो िपछले तीन वष म
अचानक से प रप हो गए थे।
अपनी करसी को िव ाम करनेवाली अव था म लाते ही अगले एक वष तक अपनी प नी
और ब को न देख पाने क िवचार ने मुझे अपने आगोश म ले िलया। मने अपनी आँख बंद
कर ल , अपना चेहरा माल से ढक िलया और अपने ब क िलए बेहद दुःखी महसूस
करने लगा, जो िपछले तीन वष म अचानक से प रप हो गए थे। अब उनसे एक और वष
क िलए दूर होने क िवचार क चलते मुझे इस बात को लेकर अपराध-बोध महसूस होने लगा
िक म उनका बचपन उनक साथ नह िबता पाया और अब, जब उ ह मेरी सबसे अिधक
ज रत ह, तब भी म उनक साथ नह । मेर बेट ने घर क मुिखया क िज मेदारी अपने कध
पर उठा ली और मुझसे वादा िकया िक वह अपनी माँ और बहन क देखभाल िब कल वैसे
ही करगा, जैसे म करता आया था। मुझे िसफ एक ही बात क िचंता थी—िक देश क ित
मेरा कत य िकसी भी कार से मेर ब क अ हड़ बचपन को न छीन ले! एक तरफ, जहाँ
दूसर ब क िपता उ ह तैराक या कोई अ य खेल िसखा रह ह गे और इधर म , जो दूर
देश म अपने देश का ितिनिध व कर रहा और इस बीच मेरी प नी अपने चेहर पर िबना
कोई िशकन लाए दोहरी भूिमका िनभा रही ह।
इन िवचार से िघर ए और अपराध-बोध से त मुझे पता ही नह चला िक
िवमान ने कब उड़ान भरी। क टन सुनील ने मुझे एक झटका देते ए उस तं ा से
बाहर िनकाला और एक बेहद बुरी खबर देते ए बताया िक उड़ान प रचारक
ारा हमार सैिनक को गोमांस परोसा गया ह।
इन िवचार से िघर ए और अपराध-बोध से त मुझे पता ही नह चला िक िवमान ने
कब उड़ान भरी। क टन सुनील ने मुझे एक झटका देते ए उस तं ा से बाहर िनकाला और
एक बेहद बुरी खबर देते ए बताया िक उड़ान प रचारक ारा हमार सैिनक को गोमांस
परोसा गया ह। मने तुरत ही सुनील से पूछा िक या वे उसे खा चुक ह, िजसका जवाब
उ ह ने ‘हाँ’ क प म िदया और मने उनसे कहा िक यह बात िकसी भी थित म िकसी और
तक नह प चनी चािहए। मने तुरत पायलट से संपक िकया और उ ह यह बात समझाई िक
कसे भारत क एक बड़ी आबादी ारा गाय को बेहद पूजनीय माना जाता ह और उनक पूजा
क जाती ह। लेिकन सम या बनी रही, य िक उस समय शाकाहारी भोजन ब त कम मा ा
म उपल ध था। मने क टन सुनील को िनदश िदया िक वे सूबेदार फतेह से कह िक वे हमार
सैिनक को अगले भोजन क दौरान पूड़ी-स जी खाने क िलए कह और सुनील को एक बार
िफर चेताया िक इस घटना को िकसी क भी साथ साझा न कर।
वह लगभग सोलह घंट लंबी उड़ान थी, िजसे धन भरने क िलए अिधक समय तक कने
क चलते उ मीद से भी अिधक समय लग गया। हम धन भरने क िलए सूडान क राजधानी
खातूम म कना था। दुभा य से, हमारा िवमान आधी रात क बाद वहाँ उतरा, जहाँ मौजूद
हवाई अ क कमचा रय ने हमारा वागत यह कहते ए िकया िक िवमान म धन सुबह
क पहली िकरण क बाद ही भरा जा सकता ह और चूँिक हमारा एक सै य िवमान था,
इसिलए हम म से िकसी को भी िवमान से उतरने क अनुमित नह थी। िवमान धन भरनेवाले
टशन क बगल म खड़ा था और हम अपनी िखड़क से धन िड पसर का नोजल प
देख सकते थे। मुझे इस बात का पूरा यक न ह िक हमारा िवमान धन भरनेवाले टशन पर
अिधकतम घंट िबताने का िव रकॉड बना सकता था। मुझे आज तक याद ह िक सुबह क
समय जो य धन भरने क िलए आया था, उसने बस, इतना कहा, “हम रात म काम
नह करते।” उसक इस बात ने मुझे अहसास करवा िदया िक हमार िलए इस वातावरण
(काम करने क अ क तरीक) क अनुसार खुद को ढालना बेहद आव यक ह।
आिखरकार, िवमान क खातूम से उड़ान भरने क बाद हम इस उ ोषणा को सुनकर
उ साह से भर गए िक हम लुंगी (एक तटीय शहर) म उतरने वाले थे। िसएरा िलओन म
एकमा अंतररा ीय हवाई अ ा लुंगी म थत था, जो उ री ांत का एक तटीय शहर था।
हमारी अि म टकड़ी भारी साजो-सामान क साथ पहले ही लुंगी प च चुक थी और हमार
ठहरने क िलए तंबु क बनी एक पूरी कॉलोनी पहले से ही तैयार थी। िवमान क हवाई
प ी पर उतरने क साथ ही हम शानदार अधचं ाकार समु क िकनार को प देख सकते
थे और हमार तंबु क पीछ जहाँ तक नजर जाती थी, वहाँ तक साफ-सुथरा गहरा-नीला
समु िदखाई देता था। वा तव म एक व न थान! जैसे ही यह बात हमार जेहन म आई िक
यह शानदार नजारा अगले कछ िदन क िलए हमारी कपनी का िठकाना होने वाला ह, असीम
आनंद क एक गहरी भावना ने हम जकड़ िलया।
मुझे यह देखकर ब त खुशी ई िक हमारी अि म टकड़ी क कम हम लेने क
िलए िवमान तक प च गए थे, य िक हवाई अ पर कोई सुर ाकम नह थे।
मुझे बताया गया िक संयु रा क चाटड िवमान क अलावा िकसी भी अ य
िवमान को उतरने क अनुमित नह थी।
मुझे यह देखकर ब त खुशी ई िक हमारी अि म टकड़ी क कम हम लेने क िलए िवमान
तक प च गए थे, य िक हवाई अ पर कोई सुर ाकम नह थे। मुझे बताया गया िक
संयु रा क चाटड िवमान क अलावा िकसी भी अ य िवमान को उतरने क अनुमित नह
थी। यह देखने म एक सै य हवाई अ जैसा लग रहा था। हमार किमय ने काग हो ड
ए रया से सामान उतार िदया और उसे हमार वाहन पर लाद िदया, जो िवमान क ठीक बगल
म खड़ थे। मने एक बार िफर इस बात क पु क िक या िसएरा िलओन म यही एकमा
हवाई अ ा ह और मुझे बताया गया िक वा तव म ऐसा ही था।
इस कार क एक थान क प रक पना करना बेहद मु कल था। अब मेरी सबसे बड़ी
िचंता यह थी िक हमार पासपोट पर मुहर कौन लगाएगा, य िक उसक िबना हम अवैध
आ वासी ही माना जाता। अि म टकड़ी क साथ आए एक जूिनयर कमीशंड अिधकारी नायब
सूबेदार दीवान ने मुझे सूिचत िकया िक वह अगले िदन इिम ेशन कायालय से सभी पासपोट
पर मुहर लगवा लाएगा, य िक उस िदन वह कायालय बंद था। म इस बात क िलए
ि े ी े
सवश मान का शु गुजार था िक हमारा पायलट अपने काम म पूरी तरह से द था,
य िक रनवे पर उसे ट सी-वे क ओर रा ता िदखाने क िलए कोई माशल तक मौजूद नह
था। खैर, म उस यव था और मौजूदा थित को समझ गया, िजसने उस शांत रा को
अशांित क बादल म घेर िलया था, जो िवडबना से बीते एक दशक से एक खूनी गृह यु से
जूझ रहा था। मने आगमन क बाद रपोट तैयार करने का आदेश िदया और मेर सेकड-इन-
कमांड क टन सुदेश राजोरा ने तुरत सबको पं म खड़ा कर िदया।
मुझे ‘सबकछ ठीक ह’ क रपोट िदए जाने से पहले एक व रत जाँच क गई। मने एक
शानदार उड़ान क िलए पायलट एवं उनक टीम को ध यवाद िदया और हम अपने िशिवर क
ओर बढ़ गए, जो रनवे क काफ करीब थत था। ह ई र! या शानदार नजारा था—शीशे
क तरह व छ नीला पानी, चकाच ध सूरज क नीचे हीर क तरह चमकती सफद रत और
हवाई अ एवं समु क बीच एक अलग करनेवाली क प (Funnel) क भूिमका िनभाती
टट क साथ लगी अिधका रय क मेस। वह नजारा हम सैिनक क जीवन क िलए एक
उपयु उपमा क तरह था, जो आकाश क श और समु क शांित का एक आदश
िम ण था।
मने कमांिडग ऑिफसर क पास जाकर उ ह आगमन रपोट देने का फसला िकया।
वे अपने टट क कायालय म ही उप थत थे, जो अिधका रय क मेस क िनकट
था। कनल सतीश ने स ता य करते ए मेरा वागत िकया और उस थान
को लेकर मेरी पहली िति या क बार म पूछा, िजसका जवाब मने एक न
पूछते ए िदया, “सर, हम यहाँ पर िकतने समय तक ठहरने वाले ह?”
मने कमांिडग ऑिफसर क पास जाकर उ ह आगमन रपोट देने का फसला िकया। वे
अपने टट क कायालय म ही उप थत थे, जो अिधका रय क मेस क िनकट था। कनल
सतीश ने स ता य करते ए मेरा वागत िकया और उस थान को लेकर मेरी पहली
िति या क बार म पूछा, िजसका जवाब मने एक न पूछते ए िदया, “सर, हम यहाँ पर
िकतने समय तक ठहरने वाले ह?” उ ह ने मुझे बताया िक अभी कछ भी तय नह ह। इसक
बाद हमारी भिव य क गितिविधय को बल क मु यालय ारा मंजूरी दान क जाएगी और
हमार िलए सौभा य क बात ह िक फोस कमांडर मेजर जनरल वी.क. जेटली भी एक
भारतीय ही थे। उ ह ने इस बात का संकत दे िदया िक लुंगी म हम कम-से-कम एक महीने
तो ठहरना ही था, और ारिभक तौर पर वहाँ क वातावरण क अनुकल होने क बाद िश ण
ारभ करने को कहा।
मने अपने टट म जाने से पहले कपनी क थान को देखने का फसला िकया। वह
लगभग एक िकलोमीटर दूर था और उस समु -तट से ब त अिधक दूर नह था,
जहाँ हम ठहर ए थे। सैिनक अपना सामान िश ट कर रह थे।
मने अपने टट म जाने से पहले कपनी क थान को देखने का फसला िकया। वह लगभग
एक िकलोमीटर दूर था और उस समु -तट से ब त अिधक दूर नह था, जहाँ हम ठहर ए
थे। सैिनक अपना सामान िश ट कर रह थे। सूबेदार फतेह ने हमारी मौजूदगी क थान क
पास मौजूद थानीय लड़िकय क एक समूह क ओर इशारा िकया और संकत िकया िक वे
हमारी कपनी क सुर ा यव था से ब त अिधक खुश नह थे। मने उनक िचंता को समझा
और हमार िशिवर क चार ओर लोह क काँटदार तार क तारबंदी करने क िलए कहा।
मने ज द-से-ज द लंगर (रसोईघर) को चालू करने और हमार ठहरने क थान क चार
कोन पर एक उिचत संतरी पो ट क िनमाण क साथ दो संतरी तैनात करने क िलए कहा।
वहाँ से जाते समय मने सूबेदार फतेह से सभी को िसएरा िलओन म फले ए स क बार म
जाग क करने को कहा, जैसािक एक हािलया सव ण म बताया गया था। सैिनक को इसक
बार म पया जानकारी दी गई, तािक एक बड़ समूह क र ा क जा सक। इसक अलावा,
मेरा यह मानना था िक चूँिक ए स ने इस देश को अपनी चपेट म ले रखा था और यह
िविभ मा यम से तेजी से फल रहा था, हमार सैिनक थानीय नेता क साथ उनक
िनरतर बातचीत क ज रए इस जानकारी को एक वृह समाज तक प चा सकते थे।
कपनी क यव था क गहन जाँच क बाद म अपनी टट म वापस चला गया। मेरा पूरा
जीवन लोह क उस ितकोने ढाँचे म थर हो गया था, िजसम मेर िसरहाने रखी मेज पर ‘मेरा
सुखी घर’ खुदा आ था। मने सोचा िक अब भगवा ही जानते ह िक पता नह िकतने समय
ि ं ी े औ े ै ौ ै
तक क िलए यह तंबू ही मेरा घर ह और अब मुझे यह पर घर जैसा माहौल तैयार करना
होगा, जहाँ पर क ट क थान पर ितरपाल होगा, टाइल क थान पर रत और लोग नह
ह गे, ब क उनक तसवीर ह गी। मेर ब क चार ओर फल जानेवाली हसी का थान
समु क उदास आवाज ने ले िलया था। यह अहसास िक म घर से कई हजार मील दूर था,
मुझे अपने घेर म ले रहा था और ढर सारी याद म िघरकर पता नह कब म न द क आगोश
म चला गया।

3.
लुंगी

लुगं ी िसएरा िलओन क उ री ांत क पोट लोको िजले म थत एक ांतीय शहर ह। यह


िजला राजधानी पोट लोको से लगभग 40 मील उ र म थत ह। उन िदन लुंगी क आबादी
लगभग 4,000 थी। यह थान लुंगी अंतररा ीय हवाई अ क िलए सबसे अिधक जाना
जाता था। समु लुंगी को िसएरा िलओन क राजधानी टाउन से अलग करता ह।
फरी दो शहर क बीच सेवा प रवहन का सबसे सुिवधाजनक साधन लगी। लुंगी म कछ
बेहतरीन होटल और र तराँ भी थे। हालाँिक, उन िदन शायद ही पयटक का कोई आवागमन
था। इसक बावजूद लुंगी क समृ सां कितक िवरासत का ितिनिध व करनेवाले ऐितहािसक
मारक मौजूद थे, जो गृह यु क प रणाम व प ए जबरद त अ याचार क मूक गवाह भी
थे।
इस शहर का ाचीन नाम मदीना था एवं अिधकांश िनवासी इसलाम धम को माननेवाले थे।
िसएरा िलओन क बार म एक उ ेखनीय बात यह भी थी िक वहाँ पर धम आ था का िवषय
था और सां दाियक तनाव क चलते दंगे होने क एक भी घटना सामने नह आई थी—कछ
ऐसा, जो भारत क िलए अपनाने को एक मह वपूण त य सािबत हो सकता था।
इस सुर य तटीय शहर म प े जैसे समु एवं चमकदार सुनहरी रत का एक शानदार
िम ण था और अंतररा ीय हवाई अ ा भी टाउन से समु क मुहाने क पार था। आपको
सड़क माग से एक लंबा रा ता तय करना होता था, इसिलए आवागमन का सबसे तेज और
सुरि त तरीका नौका या नाव थी। हालाँिक, आज एक पुल लुंगी और टाउन को जोड़ता
ह, िजससे आवागमन पहले क तुलना म अिधक सुगम और तेज हो गया ह।
तीखे नैन-न शवाले और म यम शरीरवाले थानीय िनवासी मु य प से मछआर थे, जो
अपने िशकार क आपूित टाउन म करते थे। चूँिक िसएरा िलओन स 1961 तक एक
ि िटश उपिनवेश था, इसिलए मूल आबादी क बातचीत क भाषा अं ेजी थी। लुंगी सरकार
क िनयं णवाला िह सा था और वहाँ पर आर.यू.एफ. क िव ोिहय का अिधक खतरा नह
था। इसक बावजूद थानीय िनवािसय क पास आर.यू.एफ. क बार म और साथ-साथ एक
वष पूव टाउन व लुंगी पर ए सबसे खूनी हमले क िवषय म साझा करने क िलए ब त
सारी कहािनयाँ थ , िजसम टाउन म हजार लोग क जान चली गई थ । (लुंगी बेहद
भा यशाली था, य िक आर.यू.एफ. क हमले का क िबंदु टाउन था, य िक वे राजधानी
पर क जा करने का इरादा रखते थे।)
ारिभक तौर पर लुंगी क अ य त होने क बाद मने समु -तट पर अपनी कपनी
का सुबह का शारी रक िफटनेस िश ण काय म शु िकया, िजसे देखने क
िलए थानीय लोग दशक क तरह जमा हो जाते थे। थानीय लोग दो ताना और
मददगार थे, लेिकन वे नीली टोपीवाल से हरदम िव ीय सहायता और भोजन
माँगते िदखाई देते थे।
ारिभक तौर पर लुंगी क अ य त होने क बाद मने समु -तट पर अपनी कपनी का सुबह
का शारी रक िफटनेस िश ण काय म शु िकया, िजसे देखने क िलए थानीय लोग
दशक क तरह जमा हो जाते थे। थानीय लोग दो ताना और मददगार थे, लेिकन वे नीली
टोपीवाल से हरदम िव ीय सहायता और भोजन माँगते िदखाई देते थे। कल िमलाकर, लुंगी
मुझे कदरत का कमाल लगा, जहाँ पर ाकितक स दय ब तायत म मौजूद थी और वहाँ क
नजार आँख को सुकन देनेवाले थे।
हम यहाँ ‘लोमे शांित समझौते’ क िह से क प म थे, िजसक िलए आर.यू.एफ. क
सं थापक और नेता फोड सनकोह ने ह ता र िकए थे। इसक बावजूद इसक दो याह प
थे। सबसे पहले तो आर.यू.एफ. को अपने हिथयार डालने क िलए पया समय नह िदया
गया था और दूसरा, समझौते क मुतािबक हिथयार डालने क ि या को ‘ वै छक’ करार
िदया गया था। इन दोन ही िबंदु क आलोक म संयु रा बल क त काल तैनाती,
हालाँिक वह देश म आ चुक थी, अनजाने म देरी से ई थी। म इस बात का अनुमान लगा
ि ं ी े े ो ं ो े
सकता था िक लुंगी म हमार वास का समय अपे ा से थोड़ा लंबा होने वाला था।
प रणाम व प, हमार कमांिडग ऑिफसर ने सभी कपनी कमांडर को िन निलिखत काय क
तैयारी पर यान कि त करने का िनदश िदया—आर.यू.एफ. क बार म खुिफया जानकारी
जुटाना और िश ण।
तदनुसार मने गहन िश ण, शारी रक िफटनेस और आगे क काय क िलए सम तैयारी
पर यान कि त करने क उ े य से चार स ाह का एक काय म तैयार िकया। बटािलयन
हवाई अ क बगल क एक े म डरा डाले ए थी, जबिक कपनी उससे लगभग एक
िकलोमीटर दूर थी, जो मुझे अपनी कपनी क िलए िश ण को आयोिजत करने म पूरी छट
देने क िलए पया थी।
म हमेशा से ही शारी रक िफटनेस का शंसक रहा —और एक सैिनक क
िश ण क िलए यह एक सव ाथिमकता थी। लुंगी म हमारी िदनचया सुबह
क 5 बजे शु हो जाती थी, िजसम सबसे पहले एक घंट का जोरदार सहनशील
यायाम और समु -तट पर दौड़ का एक स होता था तथा उसक बाद समु म
डबक ; तब तक सूबेदार फतेह क देखरख म हमारा ना ता परोस िदया जाता
था।
म हमेशा से ही शारी रक िफटनेस का शंसक रहा —और एक सैिनक क िश ण क
िलए यह एक सव ाथिमकता थी। लुंगी म हमारी िदनचया सुबह क 5 बजे शु हो जाती
थी, िजसम सबसे पहले एक घंट का जोरदार सहनशील यायाम और समु -तट पर दौड़ का
एक स होता था तथा उसक बाद समु म डबक ; तब तक सूबेदार फतेह क देखरख म
हमारा ना ता परोस िदया जाता था। मुझे इस बात पर संदेह ह िक संयु रा शांित थापना
क तहत हम िमलनेवाले राशन क गुणव ा और िविवधता को देखते ए कोई ल जरी होटल
हमार ना ते क बराबरी कर सकता था। ना ते क बाद लगभग आधे घंट का एक छोटा सा
िवराम होता था, िजसक बाद कपनी म सभी क िलए हिथयार िश ण, फ ड ा ट,
साम रक या यान, ट माच और अिनवाय ग त का काय म होता था। हमार थकाऊ िदन
का समापन समु म तैरने क साथ होता था और तैराक करते ए हम टकटक लगाकर पानी
म डबते ए सूरज क अ स को देखा करते थे।
हमारी कपनी म कल तीन लाटन थे और सैिनक क िच को बनाए रखने तथा ित पधा
क भावना को बढ़ाने क िलए मने इटर- लाटन ित पध का आयोजन करना ारभ िकया।
हम कभी-कभी समु -तट पर ‘कपनी बड़ा खाना’ भी लगा िलया करते थे। हमारी कपनी क
गितिविधय क बार म जानने क बाद कनल सतीश ने सैिनक का मनोबल बढ़ाने क िलए
वॉलीबॉल म हमार साथ शािमल होने का फसला िकया। शाम को आयोिजत होनेवाले
वॉलीबॉल क मैच बेहद लोकि य हो गए और चूँिक फटबॉल क अलावा वॉलीबॉल िसएरा
िलओन म एक ब त अिधक पसंद िकया जानेवाला खेल था, इसिलए दशक क सं या बढ़
गई और जीतनेवाली संभािवत टीम पर स ा भी लगाया जाने लगा। हमने सुिन त िकया िक
मैच क बाद कोई भी थानीय िनवासी भारतीय चाय का सेवन िकए िबना वहाँ से न जाए।
समय क साथ थानीय िनवासी हमार शंसक बन गए और हम आर.यू.एफ. क
तैनाती, श और रणनीित क बार म ब त सारी मह वपूण खुिफया
जानका रयाँ ा होने लग । कठोर िश ण और शारी रक िफटनेस पर गहन
यान देने क बावजूद हमार सैिनक ने दैिनक ि याकलाप का भरपूर आनंद
िलया, िजसने हमार िश ण काय म म सभी रक ारा क जानेवाली वै छक
भागीदारी को बढ़ाया।
समय क साथ थानीय िनवासी हमार शंसक बन गए और हम आर.यू.एफ. क तैनाती,
श और रणनीित क बार म ब त सारी मह वपूण खुिफया जानका रयाँ ा होने लग ।
कठोर िश ण और शारी रक िफटनेस पर गहन यान देने क बावजूद हमार सैिनक ने
दैिनक ि याकलाप का भरपूर आनंद िलया, िजसने हमार िश ण काय म म सभी रक
ारा क जानेवाली वै छक भागीदारी को बढ़ाया। मुझे हमार कमांिडग ऑिफसर ारा हमार
िश ण मॉडल क सराहना करना ब त अ छ से याद ह। उ ह ने अ य कपनी कमांडर को
भी उसी मॉडल को दोहराने क िलए कहा।
करीब दो स ाह तक इस िदनचया का पालन करने क बाद एक शाम जब म कपनी क
अपने िनयिमत राउड पर गया तो मुझे सूबेदार फतेह पूरी तरह से परशान नजर आए। उ ह ने
मेरी अटकल को पु करते ए बताया िक हमारी कपनी क दो-तीन लड़क अ याशी करने
ि े ि ो औ े ईि
म शािमल थे। म इस वृि को यह पर समा करना चाहता था और मेर पास कई िवक प
मौजूद थे, िजनम से एक था—उन लड़क को वापस भारत भेजना। लेिकन म इस अवैध व
अनैितक गितिविध क प रणाम व प अपनी बटािलयन क ित ा और स मान पर
पड़नेवाले दु भाव को लेकर अिधक िचंितत था। इसिलए मेर पास दो अलग-अलग िवक प
थे—या तो मु यालय को इस मामले क रपोट क या िफर इस मामले को अपने ही तर
पर इस कार से सँभालूँ िक उसक बाद इस वृि पर यह पर लगाम लग जाए।
इस मु े पर सूबेदार फतेह से मेरी काफ लंबी और साथक बातचीत ई, िज ह ने मुझसे
अनुरोध िकया िक मुझे इस मामले का सं ान अपने तर पर लेना चािहए और उन लड़क को
इस कार से दंिडत करना चािहए िक दूसर क िलए उदाहरण बन जाए और भिव य म कोई
सपने म भी इस कार क अनैितक क य म शािमल होने तक क बार म सोच न पाए। अब
उन लड़क क िलए सजा मुकरर करने से पहले सबसे पहले उनसे उनक गलती को कबूल
करवाना था। सौभा य से, सूबेदार फतेह ने कछ ऐसे लड़क क नाम मुझे बताए, जो इस
घटना क गवाह थे। मने उन लड़क को बुलाया और जैसी िक उ मीद थी, उ ह ने कपनी म
िकसी भी कार क गलत काम क होने से प इनकार कर िदया। इसक बाद मने उनक
हाथ म भारत वापस जाने क मूवमट ऑडर थमा िदए, जो मने पहले से ही तैयार करवा रखे
थे। उन आदेश को देखते ही वे रोने लगे और तभी सूबेदार फतेह उन सभी को ख चकर
िकनार ले गए और उ ह अ छ से समझाया।

उ मीद क मुतािबक, पाँच िमनट का समय भी नह बीता था िक वे सभी लौटकर


मेर कायालय म वापस आए और न िसफ अपना अपराध कबूला, ब क कड़ी-
से-कड़ी सजा देने का भी अनुरोध िकया। मूल उ े य का पता लगाने क मेर
इरादे ने उ ह कपनी क सामने खड़ होकर यह वीकार करने क िलए े रत िकया
िक वे दोषी थे, िजसक बाद म उ ह सै य कानून क तहत मैदानी सजा क ि या
को आगे बढ़ाने वाला था।

उ मीद क मुतािबक, पाँच िमनट का समय भी नह बीता था िक वे सभी लौटकर मेर


कायालय म वापस आए और न िसफ अपना अपराध कबूला, ब क कड़ी-से-कड़ी सजा
देने का भी अनुरोध िकया। मूल उ े य का पता लगाने क मेर इरादे ने उ ह कपनी क
सामने खड़ होकर यह वीकार करने क िलए े रत िकया िक वे दोषी थे, िजसक बाद म
उ ह सै य कानून क तहत मैदानी सजा क ि या को आगे बढ़ाने वाला था। एक
सकारा मक बात यह ई िक इस घटना क प रणाम व प पूरी कपनी को यह पता चल
गया िक उनका कपनी कमांडर इतना सजग ह िक वह पीठ पीछ होनेवाली गु घटना
क बार म भी पता लगा लेता ह। इस मामले को ख म करने क िलए मने इस बात क
घोषणा क िक इस कार क नीच हरकत म शािमल पाए जानेवाले अगले य को
िबना कोई मौका िदए वापस भारत भेज िदया जाएगा और भारत म बटािलयन क मु यालय
म कदम रखते ही उसक िखलाफ कानूनी काररवाई ारभ कर दी जाएगी। लेिकन यह
कहना बेहद आव यक ह िक एक तरफ जहाँ भारतीय दल इस कार क नीच हरकत क
िखलाफ कड़ कदम उठा रहा था, अ य देश क शांित सैिनक क साथ ऐसा नह था।
मने एक बार लुंगी हवाई अ पर थानीय लड़िकय और छोट ब से िघर
एक िवमान को देखा। पूछताछ करने पर मुझे पता चला िक िवमान
ई.सी.ओ.एम.ओ.जी. क नाइजी रयाई सैिनक को वहाँ से वापस ले जा रहा था, जो
संयु रा बल क आने से पहले आर.यू.एफ. से लड़ रह थे। ये नाइजी रयाई
सैिनक िपछले तीन-चार वष से वहाँ मौजूद थे।
मने एक बार लुंगी हवाई अ पर थानीय लड़िकय और छोट ब से िघर एक िवमान
को देखा। पूछताछ करने पर मुझे पता चला िक िवमान ई.सी.ओ.एम.ओ.जी. क नाइजी रयाई
सैिनक को वहाँ से वापस ले जा रहा था, जो संयु रा बल क आने से पहले आर.यू.एफ.
से लड़ रह थे। ये नाइजी रयाई सैिनक िपछले तीन-चार वष से वहाँ मौजूद थे। उनक जाने
का समय हो गया था और उनक िवमान क आसपास मौजूद लड़िकयाँ उनक ‘अवैध
प नयाँ’ थ , जो उ ह िवदा करने क िलए वहाँ आई थ ।
इसक अलावा, म अ छी तरह से इस बात को जानता था िक हमार सामने आनेवाली
चुनौितय और काय क िलए भारतीय दल क किमय क बीच िनबाध अनुकलन क
आव यकता होगी। हम सभी भारतीय सेना से संबंध रखते थे। हम अपने कध पर भारत को
धारण िकए ए थे। हमार िदल म ितरगे क ित स मान भरा आ था और हमार मन म
शहीद ए उन साथी फौिजय क याद तैर रही थ , िज ह ने हमारी मातृभूिम क ग रमा क
ि ि ि ऐ े ैि े ि े ंि ि
िलए अपना बिलदान िदया था। हम एक ऐसे सैिनक थे, िजसने भारत क संिवधान क ित
िन ा क शपथ ली थी और एकता एवं भाईचार क अपने बुिनयादी मू य को बनाए रखने
का यास िकया। इसिलए हमार सैिनक आगे नह बढ़ रह थे, य िक यह एक ऐसा मामला
था, िजससे सौहा पूण ढग से िनपटा जाना था, य िक हमार सामने एक आस काय क
साथ छोट रजीमटल मु को िकसी भी तरह से िवदेशी भूिम पर हमार रा क ित ा को
कम करने क अनुमित नह दी जा सकती।
बटािलयन को दो थान —दा और कला न म तैनात करने का आदेश आ गया। कला न
म तैनाती सबसे चुनौतीपूण काय था, य िक एक तो वह आर.यू.एफ. का मु यालय था और
दूसरा वह लाइबे रया क साथ सीमा पर िसएरा िलओन क सबसे प मी छोर पर थत थी।
इससे पूव कला न क याई तैनाती का िह सा था। आिखरकार, उ ह ने इनकार कर िदया और
फोस कमांडर जनरल जेटली क अथक यास क बावजूद इसे लागू नह िकया जा सका,
य िक क याइय ने तैनाती क िखलाफ िलिखत म आदेश दे िदया था। इसक अलावा, ऐसे
देश भी थे, जो िसएरा िलओन को अपने प रचालन बेस क प म बनाए रखना चाहते थे—वे
िसफ हीर से समृ े म तैनात होना पसंद करते थे।
बल मु यालय क सामने तैनाती से जुड़ गंभीर मु े थे, िजनसे वह जूझ रहा था;
य िक एक तरफ तो लामबंदी का े िदन-ब-िदन बदल रहा था और दूसरी
तरफ मु यालय को उन अवैध गितिविधय क संभावना पर भी रोक लगानी
थी, िजनक शांित- थापना क आड़ म होने क संभावना थी।
ऐसे म, बल मु यालय क सामने तैनाती से जुड़ गंभीर मु े थे, िजनसे वह जूझ रहा था;
य िक एक तरफ तो लामबंदी का े िदन-ब-िदन बदल रहा था और दूसरी तरफ
मु यालय को उन अवैध गितिविधय क संभावना पर भी रोक लगानी थी, िजनक शांित-
थापना क आड़ म होने क संभावना थी। भारतीय दल क एक करण क मु े पर वापस
लौटते ह और कला न को हमारी तैनातीवाला े होने क आदेश जारी कर िदए गए। बाक
क सभी देश ारा मना कर िदए जाने क बाद हमारी लामबंदी क ि या ज द-से-ज द
शु होनी थी। म इस मामले म बेहद सौभा यशाली था िक मेरी कपनी क अलावा कला न म
तैनात होनेवाली दूसरी कपनी मेजर नायर क कपनी थी और मेजर नायर एवं मेर बीच संबंध
इतने अ छ थे, िजसक कारण हमार ऑपरशन क े म िमलनसा रता सुिन त हो सक ।
मुझे लगता ह िक कनल सतीश ने कला न े क मह व क सराहना करने क साथ ही
मेजर नायर और मेर शानदार संबंध क भी शंसा क थी। इसिलए सैिनक का एक करण
िचंता का एक मुख िवषय होने क बावजूद कला न म तैनाती से जुड़ा कोई मु ा नह था।
आज जब म पीछ मुड़कर देखता तो म नेता या कमांडर क बीच पा संबंध क
मह व को लेकर अिधक आ त होता , जो उनक यूिनट और उनक सैिनक क बीच
होता ह।
5/8 गोरखा राइफ स का रिडयो संचार नेटवक एक ब त बड़ी उपल ध था,
य िक संदेश तुरत ही सा रत हो जाते थे। मुझे यह बेहद उपयोगी लगा और
इसिलए मने कपनी क सभी पदािधका रय क िलए एक अलग चैनल पर उपल ध
होना अिनवाय कर िदया। मने कशल संचार सुिन त िकया, य िक इसक
मा यम से आगे क आदेश का सार और सुधार कछ ही समय म िकया जा
सकता था।
5/8 गोरखा राइफ स का रिडयो संचार नेटवक एक ब त बड़ी उपल ध था, य िक
संदेश तुरत ही सा रत हो जाते थे। मुझे यह बेहद उपयोगी लगा और इसिलए मने कपनी क
सभी पदािधका रय क िलए एक अलग चैनल पर उपल ध होना अिनवाय कर िदया। मने
कशल संचार सुिन त िकया, य िक इसक मा यम से आगे क आदेश का सार और
सुधार कछ ही समय म िकया जा सकता था। इसिलए चैनल क जैिपंग या सिफग करक म
बटािलयन से कपनी चैनल म आ-जा सकता था और मने यह भी नोट िकया िक एक बार
भारत वापस आने क बाद इस ि या को वहाँ भी अपनाया जाना चािहए।
िजस दौरान बटािलयन क अलग-अलग कपिनयाँ अपनी तैनाती क आवंिटत े म जाने
क तैयारी कर रही थ , एक शाम 5/8 गोरखा राइफ स क एडजुटट14 मेजर अिनल रमन ने
घोषणा क िक हमार देश का गणतं िदवस िनकट आ रहा ह। हमार फोस कमांडर जनरल
जेटली इस िदन को टाउन म बड़ पैमाने पर आयोिजत करना चाहते थे और बटािलयन क
सभी अिधका रय को इस समारोह म भाग लेना था। अचानक शाम क हवा और अिधक
सुहानी हो गई और टाउन क या ा करने क इरादे ने हमार चेहर पर मुसकराहट को और
ि ि ी ि ो औ ी ी
अिधक बढ़ा िदया। यह काय म तीन िदन बाद होना था और समय क कमी क कारण सभी
ने तैया रयाँ करनी ारभ कर द । आव यक यव था का पता लगाने क िलए कनल
सतीश क अ य ता म एक कॉ स भी बुलाई गई थी।
सेना मु यालय सभी शासिनक यव था क िलए 5/8 गोरखा राइफ स पर िनभर था,
य िक यह एक िवदेशी भूिम पर आयोिजत हो रहा हमारा रा ीय काय म था। मुझे टाउन
म बड़ी सं या म रहनेवाले बड़ भारतीय वािसय क बार म जानकर सुखद आ य आ,
िज ह गणतं िदवस क काय म क िलए आमंि त िकया गया था। एक खुिफया अिधकारी
मेजर रमेश यादव जन-संपक अिधकारी (पी.आर.ओ.) क प म 5/8 गोरखा राइफ स का
िह सा थे। उ ह टाउन म रहनेवाले भारतीय मूल क सभी लोग क उप थित सुिन त
करने का काम स पा गया था।
समय क कमी क म ेनजर मेजर यादव और म अगले ही िदन टाउन प चे
और भारतीय मूल क अिधक-से-अिधक लोग से संपक करने और उनसे इस
काय म म भाग लेने का अनुरोध िकया, िजसम िसएरा िलओन क रा पित क
अलावा कई अ य ग यमा य लोग को भी भाग लेना था। \
समय क कमी क म ेनजर मेजर यादव और म अगले ही िदन टाउन प चे और
भारतीय मूल क अिधक-से-अिधक लोग से संपक करने और उनसे इस काय म म भाग
लेने का अनुरोध िकया, िजसम िसएरा िलओन क रा पित क अलावा कई अ य ग यमा य
लोग को भी भाग लेना था। यह टाउन क मेरी पहली या ा थी, हालाँिक मेजर यादव
इससे पूव भी कई बार वहाँ जा चुक थे। वहाँ पर एक यू.एन.-चाटड फरी मौजूद थी, जो
हमारी सफद िज सी को समु क उस पार ले गई और हम वहाँ से टाउन क सड़क क
सफर पर आगे बढ़। संयु रा क िमशन म आपको कोई ाइवर नह िमलता ह। हर
िकसी से अपना वाहन खुद ही चलाने क उ मीद क जाती ह। िसएरा िलओन म सभी वाहन
बाएँ हाथ क टीय रगवाले थे और ऐसे म दाएँ हाथ क िनयं णवाली हमारी िज सी िकसी
अजूबे क तरह िदखाई दे रही थी।
पी.आर.ओ. होने क चलते मेजर यादव क टाउन म पहले से ही संपक बने ए थे, जो
भारतीय मूल क लोग से संपक थािपत करने क हमार यास म काफ काम आए, िज ह
देखकर ऐसा तीत होता था िक उ ह ने एक सुदूर देश म अपने िलए एक िविश थान
बनाया ह। मेर अनुरोध करने पर मेजर यादव अगले िदन एक थानीय समाचार-प म
आगामी काय म क बार म एक िव ापन कािशत करने हतु सहमत हो गए। हालाँिक, वह
एक किठन एवं प र म से भरा आ िदन था, लेिकन पूरी तरह से संतोषजनक था, य िक
हमने कोई कसर नह छोड़ी थी।
इस वजह से हम लुंगी वापस जाने क िलए फरी पकड़ने से पहले एक बीयर क हकदार तो
थे। टाउन क थानीय र टोरट म कोबरा से लेकर हटर तक कई कार क बीयर उपल ध
थ और 200 िम.ली. क क मत 3,000 िलओन तक हो सकती थी। यह भारत म 10,000
पए म एक बोतल बीयर लेने जैसा था। लेिकन क मत क परवाह िकए िबना हमने अपनी
बीयर का आनंद िलया और लुंगी वापसी का रा ता पकड़ा।
गणतं िदवस समारोह एक बड़ी सफलता सािबत होना था। इस काय म क
सफलता का भार मु य प से िजस बात पर िटका था, वह थी— वासी
भारतीय क मौजूदगी; एक ऐसी सम या, िजसे हम पहले ही ब त अ छ तरीक
से िनबटा चुक थे। जैसािक अनुमान था, यह एक शानदार शाम थी, जो आधी
रात क बाद भी जारी रही और रा पित क जाने क बाद मौज-म ती कई गुना बढ़
गई।
गणतं िदवस समारोह एक बड़ी सफलता सािबत होना था। इस काय म क सफलता का
भार मु य प से िजस बात पर िटका था, वह थी— वासी भारतीय क मौजूदगी; एक ऐसी
सम या, िजसे हम पहले ही ब त अ छ तरीक से िनबटा चुक थे। जैसािक अनुमान था, यह
एक शानदार शाम थी, जो आधी रात क बाद भी जारी रही और रा पित क जाने क बाद
मौज-म ती कई गुना बढ़ गई। सब जोश म थे। हमार आगमन क बाद से िसएरा िलओन म
यह अपनी तरह का पहला आयोजन था और सभी ने गणतं िदवस समारोह को सफल बनाने
क िलए पूरी लगन से काम िकया था।
फोस कमांडर अंत तक मौजूद रह और पूर समय उनका काफ सहयोग रहा। हम लुंगी म
अपने टट म वापस लौटने क िलए फरी का सहारा लेना पड़ा, य िक टाउन म ठहरने से
हमारा बंधन फल जाता। कछ भी हो, एक शानदार पाट क बाद रात क समय फरी क
ी ो े ि ी े ि ि ि ि ी
सवारी को लेकर िकसी ने आपि नह जािहर क —यह एक शानदार िदन का िब कल सही
अंत था। िपछली रात का ज न हम उन काय क िलए तैयार करने क िलए ब त ज री था,
जो हम करने थे।
उन िदन म िजस एक चीज क ब त अिधक कमी महसूस कर रहा था, वह थी िक म
अपनी प नी से बात नह कर पा रहा था, य िक वहाँ पर टलीफोन क कने टिवटी क कमी
थी। उस दौरान वहाँ पर िकसी क घर म टलीफोन होना न िसफ बेहद गव क बात होती थी,
ब क यह एक बड़ी िवलािसता भी मानी जाती थी, िजसे हर कोई वहन नह कर सकता था।
इसक अलावा, टलीफोन कने शन ा करना भी इतना आसान काम नह था। ती ा
अविध काफ लंबी होती थी और हम सेना क लोग अपने काम क कित क चलते ऐसा
नह कर सकते थे, िजसम लगातार पो टग होती रहती थी। इसिलए, भारत छोड़ने से पहले
अपने प रवार क िलए एक टलीफोन क यव था करना मेर िलए सबसे बड़ी
ाथिमकतावाला काम था। मने बबीना म अपनी बटािलयन से सबसे िव सनीय िस नल
गैर-कमीशंड अिधकारी (एन.सी.ओ.) को झाँसी म टलीफोन ए सचज से आउट-ऑफ-टन
कने शन ा करने का िज मा स पा था। मने बबीना छोड़ने से पहले िवदेशी ितिनयु से
संबंिधत अपने सभी आव यक कागजात अपने िस नल एन.सी.ओ. हवलदार फक र िसंह को
स प िदए थे।
मेरी प नी ने जब अपने प क ज रए मुझे यह सूिचत िकया िक घर म टलीफोन
लग गया ह, तो यह खबर मेर मन को बेहद सुकन दान करनेवाली थी। मने
अपनी सुबह क ाथना क तुरत बाद लुंगी हवाई अ पर उपल ध आई.एस.डी.
सुिवधा से नंबर डायल करने का फसला िकया।
मेरी प नी ने जब अपने प क ज रए मुझे यह सूिचत िकया िक घर म टलीफोन लग गया
ह, तो यह खबर मेर मन को बेहद सुकन दान करनेवाली थी। मने अपनी सुबह क ाथना
क तुरत बाद लुंगी हवाई अ पर उपल ध आई.एस.डी. सुिवधा से नंबर डायल करने का
फसला िकया। हवाई अ पर टलीफोन बूथ क सामने खड़ होकर उन बेहद क मती नंबर
को डायल करने क दौरान और उस अंतरमहा ीपीय दूरी से उ र क ती ा करते ए म पूरी
तरह से घबराया आ था। मने जब टलीफोन क घंटी सुनी तो मुझे ऐसा लगा, जैसे म मंिदर
क घंिटयाँ सुन रहा , जहाँ पर म बेस ी से अपनी ाथना क वीकार होने क ती ा कर
रहा और मेरी ाथना, मेरी आ मा, मेरी प नी ने ही फोन उठाया। उसक मधुर आवाज म
‘हलो’ सुनते ही मुझे एक बार िफर उससे ेम हो गया। वह एक ऐसा ण था, जब मेर िलए
समय क-सा गया था।
म इतना उ सािहत था िक मने समय क अंतर का अहसास भी नह िकया था। वह भारत म
अधराि का समय था, लेिकन इसक बावजूद वह एक खुशनुमा सुबह म एक छोट से ब े
क तरह पूरी तरह से ऊजा से लबरज थी। उसक बाद अपने प रवार को रोजाना फोन करना
मेरी िदनचया का िह सा बन गया। चूँिक आई.एस.डी. सुिवधा कवल लुंगी म ही उपल ध थी,
इसिलए जब तक हम वहाँ पर थे, म इसका पूरा लाभ उठाना चाहता था।

मने यह भी सुिन त िकया िक म लगभग हर दूसर िदन अपने घर पर एक प


िलखकर भेजता र । भारतीय सेना क 1 स ल बेस पो टल ऑिफस
(सी.बी.पी.ओ.) क ती सेवा क िलए ध यवाद, िजनक बदौलत प का
आवागमन ती गित से जारी रहा।

मने यह भी सुिन त िकया िक म लगभग हर दूसर िदन अपने घर पर एक प िलखकर


भेजता र । भारतीय सेना क 1 स ल बेस पो टल ऑिफस (सी.बी.पी.ओ.) क ती सेवा
क िलए ध यवाद, िजनक बदौलत प का आवागमन ती गित से जारी रहा। नई िद ी
थत 1 सी.बी.पी.ओ. को िवशेष प से सभी दूसर देश म सै य प ाचार क िलए िनिद
िकया गया ह। प ा करने क खुशी क कोई बराबरी नह ह। दुभा य से, मौजूदा पीढ़ी
पता नह य , इस खूबसूरत अनुभव से पूरी तरह से अनजान ह, िजसक कोई बराबरी नह
ह! म अब भी उस लमह को याद करता िक कसे एक िलफाफ को देखकर ही खुशी क
लहर दौड़ जाती थी और उस िलफाफ को मोड़कर जेब म रखने से अ छा अनुभव और भला
या हो सकता ह!
उस दौरान दोपहर क समय मुझे जब कभी भी घर से आया कोई प िमल जाता तो दोपहर
का भोजन अपने आप ही वािद लगने लगता, चाह खाने म कछ भी बना हो। भोजन क
बाद म अपने िब तर पर लेटकर उस प को खोलता, जो अ यंत स ता का ोत होता
े ि ि ऐ े े
था। यह अपने आप म िकतना आकषक अनुभव ह िक ऐसे समय म जब आप अपने प रवार
से दूर होते ह, छोटी-छोटी चीज उ साह का कारण बन सकती ह और आपक जीवन को
ब प-दशक रग से रग सकती ह। वे आपक जीवन म अ य िकसी भी उ ेखनीय जीत से
अिधक मायने रखती ह। एक ऐसे युग म, जब हम एस.एम.एस. और ीट क ज रए अपने
िवचार को प देते ए उ ह एक सेकड क एक-चौथाई िह से म दूसर तक प चा सकने
म स म ह, इस बात से इनकार नह िकया जा सकता ह िक ह तिलिखत प से जुड़
गरमाहट भर अहसास का थान कोई और नह ले सकता।
इस बीच तैनाती े म हमारी आगे क आवा-जाही क संबंध म अनौपचा रक इनपु स
कम हो रह थे। लुंगी म रहना बेहद संतोषजनक था और इस जगह को अलिवदा कहने का
िवचार असहनीय होता जा रहा था। इसक अलावा, लुंगी का हमार िदल म एक िवशेष थान
भी बन गया था, य िक हम घर वापस ले जानेवाली सड़क इसी शहर से होकर गुजरती थी,
िजसम इस देश का एकमा हवाई अ ा थत था। हम इस बात का पता भी नह चला िक
िपछले कछ स ाह ठडी हवा क एक झ क क तरह कछ ही समय म कसे बीत गए!
हमार बटािलयन मु यालय ने हम आवा-जाही क िलए चेतावनी आदेश िदया था।
कनल सतीश चाहते थे िक पूरी बटािलयन समूह दा म चली जाए और उसक
बाद दो कपिनयाँ कला न क िलए आगे बढ़। वतमान म हम प मी े म
तैनात िकया गया था और चरम पूव िबंदु दा , जो एक घाट क तरह था,
िजसक उ र म िगनी और दि ण म लाइबे रया था, तक प चने क िलए पूर देश
क चौड़ाई को पार करना आव यक था।
हमार बटािलयन मु यालय ने हम आवा-जाही क िलए चेतावनी आदेश िदया था। कनल
सतीश चाहते थे िक पूरी बटािलयन समूह दा म चली जाए और उसक बाद दो कपिनयाँ
कला न क िलए आगे बढ़। वतमान म हम प मी े म तैनात िकया गया था और चरम
पूव िबंदु दा , जो एक घाट क तरह था, िजसक उ र म िगनी और दि ण म लाइबे रया
था, तक प चने क िलए पूर देश क चौड़ाई को पार करना आव यक था।
िसएरा िलओन को चार शासिनक ांत म िवभािजत िकया गया था—प मी े —मु य
प से टाउन क आसपास, जहाँ हम उस समय थे—और तीन अ य े , िज ह उ री,
पूव एवं दि णी ांत कहा जाता था। उस समय येक ांत म कई िजले थे, िज ह पापा
िगएमा नामक एक सव प र मुख क नेतृ व म िविभ सरदार ारा शािसत िकया जाता
था। इसक बाद सरदार को वग म और िफर िपरािमड क िनचले भाग म गाँव म िवभािजत
िकया गया था।
पूव ांत क राजधानी, जहाँ हम जा रह थे, कनेमा थी। इस े म तीन िजले शािमल थे,
िजनक नाम कनेमा, कोनो और कला न थे। हमार िलए भूभाग भी बदलने वाला था—तटीय
े से जिटल जंगल वाली पहाड़ी क प म। य िप यह 3,000 फ ट से अिधक क ऊचाई
पर थत था, लेिकन हमार िलए परशानी का सबब ऊचाई नह , ब क घने जंगल थे।
सड़क का नेटवक जरा भी िवकिसत नह था। वहाँ तक प चने का एकमा सुगम तरीका
टाउन को बो क मा यम से कनेमा से जोड़नेवाली सड़क क ज रए था और इसक बाद
कनेमा से आगे का सफर दोबारा एक बेहद खराब सड़क क मा यम से था। पूव ांत
ाकितक संसाधन म समृ था, िजसम हीर भी शािमल थे और थानीय मड लोग
थानांत रत किष करते थे।
लुंगी और दा क बीच क कल दूरी लगभग 350 िक.मी. थी और इस बात को यान म
रखते ए िक कनेमा तक क अिधकांश या ा क िलए सड़क को क ट से बनाया गया था,
हमने एक िदन म दा तक क दूरी को पूरा करने क योजना तैयार क ।
योजना क अनुसार, अि म दल को ले टनट कनल अिमत शमा क नेतृ व म एक िदन
पहले जाना था और मुझे मु य िनकाय को सड़क माग से लेकर जाना था, िजसक िलए
वाहन क सं या को देखते ए उिचत मा ा म ीिफग और सम वय शु िकया गया था।
अंत म, यह िनणय िलया गया िक मु य िनकाय दो खंड म चलेगा—पहला, मेर अधीन और
दूसरा, मेजर नायर क अधीन। चूँिक गृह यु क बाद िसएरा िलओन म आवा-जाही
करनेवाला यह पहला कािफला था, इसिलए हम नह चाहते थे िक आर.यू.एफ. कडर क
बीच अनाव यक हलचल हो। हम एक स ाह क िलए आ म-िनयंि त रहने क िलए भी
कहा गया था। आ म-िनयं ण क संबंध म भारतीय सेना क यह कवायद एक परीि और
िस पहल ह। घटना क सामने आने क साथ आप महसूस करगे िक आ म-िनयंि त होना
अिनवाय था, भले ही यह िसफ एक िदन क या ा ही य न हो! अगले कदम क सारी
ै ँ ी ो औ े े ि ेी ी ि
तैया रयाँ पूरी हो चुक थ और म इस बात से बेहद खुश था िक मेरी कपनी क अिधका रय
क अलावा पी.आर.ओ. मेजर यादव भी कािफले का िह सा थे।

4.
मु य माग पर मोितय क माला

आिखरकार, लुंगी से हमार आगे बढ़ने का ‘डी-ड’ 1 फरवरी, 2000, अब िसफ एक शाम ही दूर
था। मु य िनकाय ारा दो कािफल म चलना तय आ, तािक उन पर िनयं ण रखना आसान हो
सक, साथ ही माल ढोनेवाले भारी वाहन क सं या दोगुनी थी और इसक चलते मुझे इस बात का
अहसास हो गया था िक यह एक बड़ा कािफला होने वाला था। मने पहले िदन क रात तक सभी
वाहन क लोिडग क काम को पूरा करने और 1 फरवरी को सुबह क पहली िकरण फटते ही वाहन
को रवाना होना शु करने क िलए एक स त आदेश पा रत िकया।

हमने टाउन-बो-कनेमा राजमाग लेने का फसला िकया, य िक इस माग पर आवा-जाही रहती


थी और इसक अनुसार, माग चाट तैयार करक येक वाहन को जारी िकए गए। इस मह वपूण िदन
क पूव सं या पर चलने क म म वाहन को कतारब खड़ा करने क बाद शाम को सभी वाहन
कमांडर का एक स मेलन आयोिजत िकया गया।
कागज क शीट पर सी रयल नंबर िलखे गए थे और उ ह येक वाहन पर िचपका िदया गया था।
क टन सुदेश को अंितम वाहन क पीछ चलने क िलए िनिद िकया गया था और रकवरी वाहन
उनक नेतृ व म चलना था; जबिक क टन सुशील को पहले वाहन म मौजूद रहना था और उ ह इस
बात क स त िहदायत दी गई थी िक वे गित को िनयं ण म रख और 50 िकलोमीटर ित घंट क
गित को बनाए रख। सभी ारिभक तैया रयाँ पूरी हो चुक थ । म येक वाहन क अंितम चरण क
जाँच क िलए गया और न द क आगोश म जाने से पहले उनक ाइवर एवं कमांडर से मुलाकात
क।
हम सुबह क पहली िकरण क साथ िनकलना था और—ह ई र! हम िवदाई देने क िलए इक ा
ए थानीय लोग क एक समूह को देखना यादगार ण था। मुझे श द नह िमल रह ह। थानीय
लोग क गमजोशी, उनक ारा हमार िलए बजाई गई थानीय लोकगीत क धुन अनंत काल तक
हमार िदल म बसी रहगी। हमने कत ता से ओत- ोत होकर लुंगी एवं वहाँ क िनवािसय को
अलिवदा कहा और अपनी या ा ारभ क । सभी वाहन एक साथ आगे बढ़ रह थे। मेरी िज सी क
पीछ भागते जोश से भर छोट ब क नजार ने मुझे आ यचिकत कर िदया िक कसे इस कार क
एक संि वास ने थानीय समुदाय क साथ एक गहर संबंध को ज म िदया था। अपने मन म इन
भाव क साथ मने थानीय लोग क तरफ हाथ िहलाकर उनका अिभवादन िकया, जो हमार लुंगी को
पार करने तक सड़क क िकनार पर िदखाई दे रह थे।
संयु रा क लगभग पचास सफद रग क वाहन का एक िवशाल कािफला, िजसम दो
भारी मालवाहक वाहन भी शािमल थे, उस समृ सुर य राजमाग पर ऐसा लग रहा था,
जैसे ओस म भीगे ए मोती जा रह ह । इस बेड़ को एक दशक से भी अिधक समय तक
चले एक खूनी गृह यु से ािसत देश क पूरी चौड़ाई को पार करना था।
संयु रा क लगभग पचास सफद रग क वाहन का एक िवशाल कािफला, िजसम दो भारी
मालवाहक वाहन भी शािमल थे, उस समृ सुर य राजमाग पर ऐसा लग रहा था, जैसे ओस म भीगे
ए मोती जा रह ह । इस बेड़ को एक दशक से भी अिधक समय तक चले एक खूनी गृह यु से
ािसत देश क पूरी चौड़ाई को पार करना था। मने महसूस िकया िक लुंगी पार करने क बाद भी
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थानीय लोग क जय-जयकार जारी थी। हम ाकितक संसाधन से समृ देश िसएरा िलओन क
िनराि त नाग रक क िलए आशा क एक िकरण लेकर जा रह थे।
करीब दो घंट क सफर क बाद हम ना ता करने क िलए क। मने िकसी आबादीवाले े से
बचने क िलए सड़क क िकनार एक खाली े म िव ाम क िलए कने का फसला िकया। वहाँ का
नजारा बेहद मनोरम था और िबना बादल का खुला एवं नीला आसमान िकसी हीर क तरह चमक
रहा था। म यह देखकर बेहद आ यचिकत आ िक हमार वहाँ पर कते ही आसपास क खेत म
काम कर रह थानीय लोग हमार कािफले क चार ओर इक ा हो गए। ‘संयु रा का वागत ह’
क उनक नार को म प प से समझ सकता था, िजसने हम नए जोश से लबरज कर िदया। ज दी
से ना ता करने क बाद मने यह सुिन त िकया िक हम आगे बढ़ने से पहले येक थानीय नाग रक
को श करपार िवत रत िकए जाएँ।
आगे बढ़ने क साथ म भू य म एक िब कल अलग प रवतन को प देख सकता था। हम तटीय
े से एक िवशाल और पूरी तरह से समतल े म वेश कर चुक थे, जहाँ पर छोटा सा जंगल
और पेड़ तथा धान क खेती क िलए साफ िकए गए खेत साफ िदखाई दे रह थे। इस पूरी या ा क
दौरान रिडयो सेट एक बड़ी संपि थे, य िक थम वाहन म या ा कर रह क टन सुनील आनेवाले
अवरोध , जैसे—पुिलया, बाधा और िनिमत े क बार म सभी को सूिचत करने म स म थे।

म इस बात से बेहद खुश था िक बेहतरीन सड़क होने क बावजूद थम वाहन म बैठा


युवा 50 िकलोमीटर ित घंटा क र तार से आगे नह जा रहा था और इसिलए हम सभी
एक कािफले क प म एक साथ आगे बढ़ रह थे। इसक अलावा, म इस बात से भी
संतु था िक क टन सुदेश ने िकसी वाहन क खराब होने क कोई सूचना नह दी थी।

म इस बात से बेहद खुश था िक बेहतरीन सड़क होने क बावजूद थम वाहन म बैठा युवा 50
िकलोमीटर ित घंटा क र तार से आगे नह जा रहा था और इसिलए हम सभी एक कािफले क प
म एक साथ आगे बढ़ रह थे। इसक अलावा, म इस बात से भी संतु था िक क टन सुदेश ने िकसी
वाहन क खराब होने क कोई सूचना नह दी थी। यह हमार िलए ब त सौभा य क बात थी िक हम
एक नए िमशन म तैनात थे, इसिलए हमार पास िब कल नए वाहन थे।
चीज योजना क अनुसार ही आगे बढ़ रही थ । हालाँिक, मेरी छठी इि य मुझे िकसी अि य घटना क
घिटत होने क चेतावनी दे रही थी, इसिलए मने कािफले क ‘कठोर अनुशासन’ का पालन करना
सुिन त िकया। पी.आर.ओ. मेजर यादव, जो ना ते क बाद मेर ही वाहन म आ गए थे, भी इस बात
से पूरी तरह सहमत थे िक आर.यू.एफ. हम इतनी आसानी से अपने क थल तक नह जाने देगा। म
गाड़ी चला रहा था और मेजर यादव आगे क सीट पर मेर साथ बैठ थे। म उस थित क संभािवत
िति या क बार म सोच रहा था िक अगर आर.यू.एफ. ने हमार कािफले को रोका तो हम या
करना ह? हम दोन इस बात पर सहमत थे िक आर.यू.एफ. क साथ िकसी भी टकराव म पड़ना ब त
ज दबाजी होगी, य िक यह िमशन क शु आत थी और जमीन पर तैनाती क अपने ल य को पूरा
करना हमारी ाथिमकता होनी चािहए।
म दोपहर क भोजन क िलए कने हतु एक उपयु थान क तलाश म था। अंत म, हमने कनेमा
से पहले कने का फसला िकया, य िक कनेमा तक जाने क म म दोपहर क भोजन क िलए ब त
देर हो जाती। कनेमा क बाद ही हमारी या ा का सबसे किठन िह सा ारभ होता था, य िक एक तो
वहाँ क सड़क पूरी तरह से ख ताहाल थ और साथ ही हमार कदम आर.यू.एफ. क क ीय थल म
पड़ रह थे।
दोपहर क भोजन क िलए कने क दौरान का घटना म भी िब कल वैसा ही था, जैसा
ना ते क दौरान आ था— थानीय िनवासी हम चार ओर से घेर ए थे। इस बार एक
छोट से ितिनिधमंडल ने मुझसे िमलने क िजद क और सूबेदार फतेह उ ह ले आए।
दोपहर क भोजन क िलए कने क दौरान का घटना म भी िब कल वैसा ही था, जैसा ना ते क
दौरान आ था— थानीय िनवासी हम चार ओर से घेर ए थे। इस बार एक छोट से ितिनिधमंडल
ने मुझसे िमलने क िजद क और सूबेदार फतेह उ ह ले आए। उ ह ने आर.यू.एफ. ारा िकए
जानेवाले अ याचार क बार म बताया, जो उस ितिनिधमंडल क साथ िवकलांग क सं या को
देखते ए प िदखाई दे रहा था। म ब क कट ए हाथ देखकर दंग रह गया। आर.यू.एफ. ारा
लोग पर िकए गए अ याचार क कहािनय को सुनना बेचैन करनेवाला था। हालाँिक, वे संयु रा
क बल को देखकर खुश थे और समूह क एक व र सद य मुझे माला पहनाकर स मािनत करना
चाहते थे। एकाएक उनक ारा िदए गए इस स मान ने े क लोग क िलए थरता व सामा यता
लाने क मेर िन य को और अिधक मजबूत कर िदया। एक बार िफर हमने उनम से येक को
भोजन िवत रत िकया। वे उ सािहत थे और आर.यू.एफ. क िखलाफ नार लगा रह थे।
दोपहर क भोजन क बाद हमारा कािफला पूव ांत क राजधानी और िसएरा िलओन क दूसर
सबसे बड़ शहर कनेमा प चा। पहली नजर म देखते ही कोई भी कह सकता था िक यह थान देश क
यापार का क था, जहाँ पर चार ओर दुकान और बाजार बने ए थे। कनेमा म एक बड़ी सं या म
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पुतगाली आबादी मौजूद थी। हमार कािफले का उ साहपूण वागत िकया गया लोग सड़क क दोन
ओर खड़ थे। हम कनेमा म दुकान क बाहर कई साइनबोड पर ‘डायमंड मचट’ (हीरा यापारी)
िलखा आ देख सकते थे, जो देश म सबसे अिधक हीर क खदान वाले े कोनो िजले का िह सा
था। यह शहर समृि एवं गरीबी का िम ण था और इसक अमीर व गरीब लोग क बीच एक िवशाल
आिथक खाई थी।
हमार कािफले ने पूर शहर का च कर लगाया। थानीय लोग जय-जयकार कर रह थे
और ढोल-नगाड़ पीट रह थे। ‘वेलकम, वेलकम’ क जोरदार जयकार कान को बेहद
लुभा रह थे। हमने भी हाथ लहराकर भीड़ क अिभवादन का जवाब िदया। चूँिक शहर से
गुजरते समय हमारा कािफला काफ धीमी गित से आगे बढ़ रहा था, इसिलए थानीय
िनवासी आगे आकर हमसे हाथ िमलाकर जा रह थे।
हमार कािफले ने पूर शहर का च कर लगाया। थानीय लोग जय-जयकार कर रह थे और ढोल-
नगाड़ पीट रह थे। ‘वेलकम, वेलकम’ क जोरदार जयकार कान को बेहद लुभा रह थे। हमने भी हाथ
लहराकर भीड़ क अिभवादन का जवाब िदया। चूँिक शहर से गुजरते समय हमारा कािफला काफ
धीमी गित से आगे बढ़ रहा था, इसिलए थानीय िनवासी आगे आकर हमसे हाथ िमलाकर जा रह थे।
हमने कनेमा म न कने का फसला िकया, य िक हम शहर से गुजरने क दौरान पहले ही आधा
घंटा लगा चुक थे। आिखरकार, हम दा जानेवाली सड़क पर प च ही गए। कनेमा से आगे क
सड़क क थित इस बात का संकत देने क िलए काफ थी िक हम ज द ही आर.यू.एफ. क क ीय
थल म दािखल होने वाले ह। भू य आकषक मैदान से बदलकर ऊबड़-खाबड़ और उजाड़ पहाड़
म त दील हो गया। सँकरी, बजरी क टटी ई सड़क क दोन िकनार पर बसा घना जंगल। हमने इस
बात का अनुमान लगाया िक हम दा प चने से पहले लगभग दो से तीन घंट तक जंगली रा ते पर
या ा करनी होगी और सौभा य से, सूया त होने म भी लगभग इतना ही समय बचा था। म रात होने से
पहले दा प चना चाहता था।
लेिकन तभी हमारा कािफला अचानक क गया और क टन सुनील ने मुझे आगे िकसी कार क
अवरोध क बार म सूिचत िकया। म तुरत गाड़ी से उतरा और आगे प चा तो देखा िक सड़क को तार
लगे ए दो खंभ को डालकर अव िकया गया ह और देखने म डरावना-सा िदखनेवाला एक
सैिनक हाथ म बंदूक िलये खड़ा ह। मने िसपाही से पूछा िक वह कौन था और वहाँ या कर रहा था?
मुझे आज क तारीख तक भी उस सैिनक ारा बोले गए श द याद ह, ‘माय नेम इज ला ट ऑडर,
एंड द ला ट ऑडर फॉर मी इज यू नो, गो।’ (मेरा नाम अंितम आदेश ह और मेर िलए अंितम आदेश
ह आप नह , वापस जाओ)।
मने क टन सुनील से कहा िक वे अवरोध को हटा द और आगे बढ़ना जारी रख। इस बात को सुनते
ही उस िसपाही ने कछ आवाज िनकाल , जैसे वे कोई कट संकत ह । लगभग तुरत ही हम घने जंगल
म आसपास क पेड़ से ब त सारी हलचल सुन सकते थे। अचानक आर.यू.एफ. सैिनक क एक
टकड़ी िदखाई दी। उनक कमांडर ने क टन सुनील से कहा िक वे आगे नह जा सकते।
अब तक मेजर यादव भी सबसे आगेवाले वाहन तक प च चुक थे। उ ह ने तुरत ही थित
को भाँप िलया और मुझे कोने म ले जाकर हमार उस वा ालाप क बार म याद िदलवाया,
िजसम हम अपनी तैनाती पूरी होने तक आर.यू.एफ. क साथ कसी भी झड़प से बचने क
बात कर रह थे।
अब तक मेजर यादव भी सबसे आगेवाले वाहन तक प च चुक थे। उ ह ने तुरत ही थित को भाँप
िलया और मुझे कोने म ले जाकर हमार उस वा ालाप क बार म याद िदलवाया, िजसम हम अपनी
तैनाती पूरी होने तक आर.यू.एफ. क साथ कसी भी झड़प से बचने क बात कर रह थे। म उनक
िति या देखना चाहता था, इसिलए मने क टन सुनील से पहले वाहन को आगे बढ़ाने क िलए कहा,
लेिकन आर.यू.एफ. क जवान अकड़कर गाड़ी क आगे खड़ हो गए। उनका कमांडर अपनी इस बात
पर अड़ गया था िक उसे हमार आवागमन को लेकर कोई िनदश नह ा आ ह, इसिलए हम आगे
नह जा सकते।
मने अपने रिडयो ऑपरटर से कहा िक वह मेरी बात कमांिडग ऑिफसर से करवाए। ण भर म ही
मेरी बात कनल सतीश से हो रही थी, िज ह ने थित को लेकर मेर आकलन और मौक पर मौजूद
िवक प क बार म पूछा। सेना म ‘मौक पर मौजूद य ’ क आकलन को हमेशा स मान िदया जाता
ह। मने बताया िक हमार पास तीन िवक प ह—पहला, लड़कर अपना रा ता साफ कर; दूसरा, जंगल
म ककर रात िबताएँ, य िक अँधेरा बस िघरने ही वाला था और तीसरा, राि िव ाम क िलए वापस
कनेमा जाएँ तथा अगले िदन दोबारा आगे बढ़ने का यास कर। थित का पूण आकलन करने क
बाद मने तीसर िवक प क िसफा रश क । कनल सतीश ने तब तक त काल कोई िनणय नह िलया,
जब तक िक उनक बात फोस कमांडर से नह हो गई, जो ारभ म तो पहले िवक प को अपनाए
जाने क प म थे। मुझे ऐसा लगता ह िक कनल सतीश अंततः उ ह तीसर िवक प क िलए समझाने
म सफल रह और वहाँ पर हम उस घने जंगल क बीच म एक िवशाल कािफले को वापस मोड़ने क
बड़ी चुनौती का सामना कर रह थे।

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हालाँिक, यह काम इतना आसान नह था, लेिकन हम रात िघर आने क काफ देर बाद सकशल
कनेमा प चने म सफल रह। मने रात क िलए एक खुले थान पर िशिवर लगाने का फसला िकया।
बेहद सीिमत सं या म तंबू डाले गए, य िक सूबेदार फतेह क वरीयता इस बात पर थी िक अिधकतर
सैिनक को वाहन म ही सोना चािहए। मेजर यादव ने यह कहते ए मेरी टाँग-िखंचाई क िक ऐसा
लगता ह िक म कनेमा क सुंदरता पर मोिहत हो गया और इसिलए मने िबना समय गँवाए कनेमा
वापस जानेवाले तीसर िवक प को चुनने क िसफा रश क । म मुसकराया और कहा िक अब मुझे
मेजर यादव क िसफा रश क पीछ का कारण पता चल गया ह!
अगले िदन क अखबार म यह खबर मुख सुख बनी ई थी िक आर.यू.एफ. ने संयु
रा शांित सेना क एक टकड़ी को अपने गढ़ कला न म वेश करने क अनुमित नह
दान क थी। सुिखय म इस बात पर जोर िदया गया था िक आर.यू.एफ. ने ‘लोमे शांित
समझौते’ का उ ंघन िकया था और वह सम शांित ि या म बाधाएँ डाल रहा था।
अगले िदन क अखबार म यह खबर मुख सुख बनी ई थी िक आर.यू.एफ. ने संयु रा शांित
सेना क एक टकड़ी को अपने गढ़ कला न म वेश करने क अनुमित नह दान क थी। सुिखय म
इस बात पर जोर िदया गया था िक आर.यू.एफ. ने ‘लोमे शांित समझौते’ का उ ंघन िकया था और
वह सम शांित ि या म बाधाएँ डाल रहा था। एक अखबार तो ऐसा भी था, िजसने शांित सैिनक क
धैय और संयम क शंसा भी क थी िक उ ह ने जबरन दा म वेश करने का यास नह िकया।
कल िमलाकर, अखबार म जो कछ भी छपा था, हम उससे पूरी तरह से संतु थे। बटािलयन
मु यालय ने हम इस बात क संकत िदए थे िक मुझे कपनी को कनेमा म एक अ थायी िशिवर म ही
यव थत करना चािहए, य िक कोई भी अगला कदम सेना मु यालय से आदेश ा होने क बाद
उठाया जा सकता ह और ऐसा होने म कछ समय लग सकता ह।
म आगे बढ़ने को लेकर ज दबाजी न िदखाने क रणनीित को अ छ से समझ रहा था,
य िक अब आर.यू.एफ. र ा मक था। इसक आगे मुझे इस बात का अहसास आ िक
वतमान प र य म एक स ाह क िलए आ म-िनयंि त होने क हमारी ारिभक योजना
हमार िलए जीवन-र क का काम करगी।
म आगे बढ़ने को लेकर ज दबाजी न िदखाने क रणनीित को अ छ से समझ रहा था, य िक अब
आर.यू.एफ. र ा मक था। इसक आगे मुझे इस बात का अहसास आ िक वतमान प र य म एक
स ाह क िलए आ म-िनयंि त होने क हमारी ारिभक योजना हमार िलए जीवन-र क का काम
करगी।
मने अपने िशिवर क िलए एक उपयु थान क तलाश करने का फसला िकया। यह मेरा सौभा य
था िक कनेमा क मेयर हमसे मुलाकात करने आए और उ ह ने खुद आगे आकर हमार िलए एक
कल क इमारत क पेशकश क , िजसक बड़ खुले मैदान म आसानी से िशिवर लगाया जा सकता
था, य िक उन िदन कल क छि याँ चल रही थ । हमारी ता कािलक ाथिमकता खुद क िलए
उिचत िशिवर क यव था करना और लंगर को थािपत करना था, तािक सबक िलए भोजन क
उपल धता सुिन त क जा सक। कछ ही ण म काम चालू हो गया था।
मने शहर का दौरा करने और मेयर क मा यम से पूव ांत क शासना य को य गत प से
ध यवाद देने का फसला िकया। मेयर से मुलाकात क दौरान मुझे बताया गया िक िसएरा िलओन क
रा पित अहमद तेजन क बाह शहर म ही ह। मेयर ने सुझाव िदया िक वे उस शाम रा पित क साथ
मेरी बैठक क यव था कर दगे, िजस पर म सहमत हो गया और तदनुसार बैठक तय हो गई। चूँिक
मेयर क पास मुझ तक सीधे संदेश प चाने क कोई यव था नह थी, इसिलए उ ह ने संयु रा क
सै य पयवे क क टीम क मा यम से संदेश िभजवाया, जो कनेमा म थत थे। संयु रा क
पयवे क दल ने टाउन थत संयु रा सेना मु यालय क मा यम से संदेश को मुझ तक
प चाया। इसका प रणाम यह आ िक बटािलयन मु यालय ने रा पित क साथ मेरी मुलाकात क
एजड क बार म पूछताछ ारभ कर दी। यह खबर काफ घूम-िफरकर रिडयो चैनल क ज रए मुझ
तक तब प ची, जब एक परशान हाल रिडयो ऑपरटर भागता आ यह संदेश लेकर मेर पास आया
िक ‘सी.ओ. साब’ मुझसे त काल बात करना चाहते ह। मने पहली बार कनल सतीश को नाराजगी भर
लहजे म बात करते ए सुना, वह भी इसिलए, य िक म बटािलयन मु यालय को सूिचत िकए िबना
रा पित से िमलने का इरादा बनाया था।
मने तुरत ही पूरी उलझन को भाँप िलया। लेिकन अपने लाख प ीकरण क बावजूद म
कनल सतीश को समझाने म असफल रहा और वे उसक काफ समय बाद तक भी मुझसे
नाराज रह। ोटोकॉल क मुतािबक, एक बार बैठक क तय हो जाने क बाद मेरा वहाँ
जाना आव यक था।
मने तुरत ही पूरी उलझन को भाँप िलया। लेिकन अपने लाख प ीकरण क बावजूद म कनल
सतीश को समझाने म असफल रहा और वे उसक काफ समय बाद तक भी मुझसे नाराज रह।
ोटोकॉल क मुतािबक, एक बार बैठक क तय हो जाने क बाद मेरा वहाँ जाना आव यक था।
इसिलए म उस सामा य िश ाचार भट क िलए गया, जहाँ रा पित ने हमार संयिमत कदम क
सराहना क और उ ह ने मुझे इस मामले को आर.यू.एफ. पदािधका रय क सम उठाने का
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आ ासन िदया। उ ह ने ऐसा कोई रा ता िनकालने का भी वादा िकया, तािक संयु रा शांित
सैिनक िसएरा िलओन क रा ीय सीमा क भीतर सभी े तक प च सक, िजसम आर.यू.एफ.
का गढ़ भी शािमल था।
मुझे यह जानकर स ता ई िक रा पित कला न िजले क मूल िनवासी थे। वह दा और
कला न क बीच क एक शहर पडबु से आते थे। उ ह ने मुझे शुभकामनाएँ द और मने उ ह उनक
य त काय म म से समय िनकालने क िलए उनका हािदक आभार कट िकया। यह वा तव म एक
यादगार मुलाकात थी; एक ऐसा अनुभव, िजसे म जीवन भर सँजोकर रखूँगा, य िक यह िकसी
रा ा य क साथ मेरी पहली बातचीत थी। हालाँिक, मुझे इसक क मत अपने कमांिडग ऑिफसर क
नाराजगी क प म चुकानी पड़ी थी, िजसका मुझे आज तक खेद ह।
रा पित क साथ इस मुलाकात क बाद मेर पास ब त से आगंतुक िमलने क िलए आए, िजनम
कनेमा क कई व र सरकारी अिधकारी और वहाँ क िविभ राजनीितक दल क नेता भी शािमल थे।
मने कनेमा म अपने आरामदायक वास क दौरान स ावना क एक संकत क प म शीष ग यमा य
य य को आमंि त करने क बार म सोचा और तभी मेर म त क म उ ह भारतीय राि भोज क
िलए आमंि त करने का िवचार आया।
हमने राि भोज से पहले उ ह भारतीय िवशेषता क तौर पर ओ ड मॉ क रम पेश करने को लेकर
िवचार िकया। राि भोज क प म उ ह एक िविश भारतीय करी, बटर िचकन, स जयाँ, तंदूरी रोटी
परोसी ग और मीठ क प म खीर भी थी। म उस शाम अपने मेहमान क चेहर पर आई खुशी क
भावना का वणन नह कर सकता और मेरी हालत भी िब कल उनक जैसी ही थी, य िक मने
अनौपचा रक बातचीत क मा यम से आर.यू.एफ. क बार म मह वपूण जानकारी िनकालने क अपने
ल य को हािसल कर िलया था। मने आर.यू.एफ. क गु र ा रणनीित क बार म सीखा और साथ ही
यह भी जाना िक उ ह ने कसे आतंक को संघष क एक उपकरण क प म इ तेमाल िकया। इसक
अलावा, मने उनक तैनाती क े और िसएरा िलओन म उनक ारा इ तेमाल िकए गए हिथयार क
बार म सीखा। मेरा मानना ह िक पृ भूिम का काम एक िवजयी उपल ध क िलए जमीन तैयार करता
ह।
कनेमा क व र ग यमा य य य क साथ हमारी बातचीत क अलावा मेजर यादव
और म थानीय न ज को महसूस करने क िलए लगातार शहर म आते-जाते रहते थे। इन
पार प रक संबंध क दौरान ही हमारी मुलाकात एक थानीय हीरा यापारी से ई, िजसने
हम समझाया िक कसे िसएरा िलओन क लोग क दुःख का मूल कारण हीर थे।
कनेमा क व र ग यमा य य य क साथ हमारी बातचीत क अलावा मेजर यादव और म
थानीय न ज को महसूस करने क िलए लगातार शहर म आते-जाते रहते थे। इन पार प रक संबंध
क दौरान ही हमारी मुलाकात एक थानीय हीरा यापारी से ई, िजसने हम समझाया िक कसे िसएरा
िलओन क लोग क दुःख का मूल कारण हीर थे। हम यह भी पता चला िक आर.यू.एफ., िजसे
ाचार से लड़ने क नेक मकसद से बनाया गया था, को लाइबे रया ारा हीर क त करी क लालच
म फसाया गया था। दुिनया भर क सबसे िवकिसत और समृ देश को लाइबे रया क मा यम से हीर
क आपूित क जाती थी। आर.यू.एफ. को इसक बदले म क े हीर क त करी से जुड़ रा से
सबसे उ त हिथयार क साथ-साथ नशीले पदाथ भी िमलने लगे।
उस हीरा यापारी ने हम हीर म नाइजी रया क िच क बार म भी िव तार से बताया और साथ ही
यह भी बताया िक कसे ई.सी.ओ.एम.ओ.जी., मु य प से नाइजी रया क नेतृ व म तैयार िकया गया
एक बल, ने हीर से समृ े को जबरन िनयंि त करने का यास िकया था। लेिकन उ ह अंततः
आर.यू.एफ. क हाथ मुँह क खानी पड़ी, य िक िसएरा िलओन क सभी खदान आर.यू.एफ. क
िनयं ण म थ । उ ह इस बात का पूरा िव ास था िक ‘लोमे शांित समझौते’ क बावजूद आर.यू.एफ.
िकसी को भी हीर क े तक प च नह बनाने देगा, यहाँ तक िक संयु रा क सेना को भी
नह । िसएरा िलओन क सरकार ने िपछले एक दशक म खान को िनयंि त करने क पूरी कोिशश
क , लेिकन उसे ऐसा कर पाने म कोई सफलता नह िमली थी।
िसएरा िलओन म एक दशक से अिधक समय तक लड़ गए सबसे खूनी गृह यु का मूल
कारण हीरा ही था, जहाँ हजार लोग ने अपनी जान गँवाई थ और इतनी ही सं या म
जीिवत बचे लोग िवकलांग हो चुक थे। म यह जानकर दंग रह गया था िक कसे अ का
क हीर क चमक ने उस लाल रग को हलका कर िदया था, िजसने उस देश को बबरता
क रग से रग िदया था।
िसएरा िलओन म एक दशक से अिधक समय तक लड़ गए सबसे खूनी गृह यु का मूल कारण
हीरा ही था, जहाँ हजार लोग ने अपनी जान गँवाई थ और इतनी ही सं या म जीिवत बचे लोग
िवकलांग हो चुक थे। म यह जानकर दंग रह गया था िक कसे अ का क हीर क चमक ने उस
लाल रग को हलका कर िदया था, िजसने उस देश को बबरता क रग से रग िदया था। इसक बाद
उ ह ने बबरता भरी कछ कहािनयाँ सुना , िज ह सुनकर मेर र गट खड़ हो गए। लेिकन सबकछ पूरी
तरह से त या मक था—उ ह ने हमार सामने वही सब बात दोहराई थ , जो हम कनेमा क रा ते म
िमले एक ितिनिधमंडल ने बताई थ ।
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कनेमा म अपने समय का और अिधक उपयोग करने क िलए मने कला न और आर.यू.एफ. क
बार म अिधक-से-अिधक जानकारी इक ा करने क इरादे से कनेमा म संयु रा सै य पयवे क
क कायालय का दौरा करने का फसला िकया। मुझे यहाँ पर यह प कर देना चािहए िक संयु
रा क सै य पयवे क क ाथिमक भूिमका अपने े म होनेवाली घटना और गितिविधय क
बार म संयु रा मु यालय को रपोट करना ह। संयु रा क पयवे क क पास हिथयार नह
होते ह और वे संघष क िलए भी तैयार नह होते ह। सै य दल क मैदान म उतरने से पहले पयवे क
िमशन को देश म तैनात िकया जाता ह। यहाँ तक िक संयु रा क कनेमा पयवे क समूह को भी
अब लगभग बारह महीने का समय हो चुका था, इसिलए म उनक िवशेष ता और काय े क ान
का उपयोग करना चाहता था।
वहाँ प चने पर पयवे क िमशन क मुख एक कनल ने मेरा वागत िकया और ारिभक
प रचय क बाद उ ह ने मुझे अपने कायालय तथा रहनेवाले े का मण करवाया।
संयु रा क सभी पयवे क िमशन व-िनिहत होते ह, य िक उनक पास खाना
पकाने या अ य आव यकता क पूित क िलए कोई शासिनक सहायता नह होती ह
और इन िमशन क अिधकांश अिधका रय को अपना खाना तक खुद पकाना पड़ता ह।
वहाँ प चने पर पयवे क िमशन क मुख एक कनल ने मेरा वागत िकया और ारिभक प रचय
क बाद उ ह ने मुझे अपने कायालय तथा रहनेवाले े का मण करवाया। संयु रा क सभी
पयवे क िमशन व-िनिहत होते ह, य िक उनक पास खाना पकाने या अ य आव यकता क
पूित क िलए कोई शासिनक सहायता नह होती ह और इन िमशन क अिधकांश अिधका रय को
अपना खाना तक खुद पकाना पड़ता ह। इसक अलावा, उ ह सै य सहायता भी नह ा होती ह,
तािक थानीय लोग िबना िकसी िहचक क उन तक आसानी से प च सक। येक पयवे क िमशन
टीम िविभ देश और िविवध पृ भूिमवाले आठ-दस अिधका रय का एक समूह होता ह, जो
टनओवर होने से पहले पूर एक वष क िलए एक एकजुट समूह क प म काम करते ह। मेर सहपाठी
रह एक साथी मेजर आर.पी. किलता भी कनेमा पयवे क दल का िह सा थे और म अपने घर से
मील दूर अपने साथी अिधकारी से िमलकर बेहद रोमांिचत था।
इसक बाद मुझे िव तार से कला न शहर क बार म बताया गया, जहाँ मुझे पता चला िक पूर
कला न िजले क िज मेदारी कनल मािटन क कमांड म आर.यू.एफ. क पहली ि गेड क िज मे थी।
मुझे बताया गया िक कनल मािटन 30 साल का एक युवा लड़का था और वह लाइबे रया का
रहनेवाला था। आर.यू.एफ. ि गेड को आगे िविभ कपिनय क तहत िविश े म िवभािजत
िकया गया था और आर.यू.एफ. कपनी कमांडर अपने संबंिधत े क िज मेदारी क िलए जवाबदेह
थे।
इसक अलावा, िसएरा िलओन क सेना क उन े म कोई मौजूदगी नह होने क चलते
िगनी और लाइबे रया क साथ सीमा बंधन का काम आर.यू.एफ. ारा िनयंि त िकया
जाता था। आर.यू.एफ. ने कला न म वयं को ा ए जबरद त समथन का पूरा लाभ
उठाया और इसी वजह से वह उनका गढ़ बन गया।
इसक अलावा, िसएरा िलओन क सेना क उन े म कोई मौजूदगी नह होने क चलते िगनी और
लाइबे रया क साथ सीमा बंधन का काम आर.यू.एफ. ारा िनयंि त िकया जाता था। आर.यू.एफ. ने
कला न म वयं को ा ए जबरद त समथन का पूरा लाभ उठाया और इसी वजह से वह उनका
गढ़ बन गया। कला न से लाइबे रया तक आसान प च क चलते यह िव ोिहय क िलए बेहद
अनुकल े था, य िक लाइबे रया से उनक अवैध आपूित लाइन रा य या सेना क ह त ेप क िबना
आसानी से जारी रह सकती थी। लाइबे रया क त कालीन रा पित चा स टलर और आर.यू.एफ. क
सं थापक फोड सनकोह ने सैिनक क प म एक साथ काम िकया था और उन दोन क बीच बेहद
घिन संबंध थे।
कल िमलाकर, पयवे क क कायालय क मेरी या ा बेहद उपयोगी सािबत ई। मने दान क
गई मह वपूण जानका रय को नोट कर िलया। उसक बाद दोपहर क भोजन क दौरान म उनक
उ क पाक कौशल का सा ी बना। मेजर किलता ने मुझे यह भी बताया िक उस िवशेष िदन
उनका काम बरतन को साफ करना था—उ ह ने अपने िशिवर म इस कार काम का बँटवारा
िकया आ था। दोपहर क शानदार भोजन क साथ वह िदन काफ संतोषजनक था। मने सभी
सद य को उनक आित य क िलए ध यवाद िदया और अपने िशिवर क िलए रवाना हो गया।
वापस िशिवर प चने पर मुझे अंततः हमार बटािलयन मु यालय से अगले िदन दा जाने का
ब तीि त संदेश ा आ। कनेमा म िबताए गए िपछले चार िदन हमार िलए वरदान क तरह थे,
य िक म बेहद ब मू य खुिफया जानकारी इक ा करने म सफल रहा था, जो आगे क काम म मेर
िलए ब त मददगार सािबत होने वाली थी।
मने तुरत ही आगे बढ़ने क िनदश िदए और अपने सैिनक क मुसकराते ए चेहर को
देखा, जो िपछले चार िदन से आगे क काररवाई क बार म सोच रह थे। एक बार िफर
िशिवर को बाँधने का समय आ गया था और सबसे पहले गैर-ज री सामान को लादा
गया और िशिवर क बचे ए सामान को राि भोज क बाद लादा गया।
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मने तुरत ही आगे बढ़ने क िनदश िदए और अपने सैिनक क मुसकराते ए चेहर को देखा, जो
िपछले चार िदन से आगे क काररवाई क बार म सोच रह थे। एक बार िफर िशिवर को बाँधने का
समय आ गया था और सबसे पहले गैर-ज री सामान को लादा गया और िशिवर क बचे ए सामान
को राि भोज क बाद लादा गया। परपरा क अनुसार, या ा ारभ करने से पहले अगले िदन क िलए
ना ता और दोपहर का भोजन तैयार करक पैक िकया गया। म आपको यह बता देना चाहता िक
िकसी भी या ा से एक राि पहले लंगर शायद ही सोता हो, य िक रात क खाने क तैया रय क बाद
वह अगले िदन क िलए ना ता और दोपहर का भोजन तैयार करने क काम म जुट जाता ह।
कनेमा म हमारी अंितम शाम को मेजर यादव और मने मेयर से िमलने का फसला िकया। हमार
लाख मना करने क बावजूद हम उनक िजद क आगे मजबूर होकर रात क खाने क िलए कना
पड़ा। मेयर ि टोफर लोको लगभग 45 वष क उ क थे और उनक तीन प नयाँ थ । वे ईसाई धम
को मानते थे। उ ह ने हम अपना जीवन-वृ ांत सुनाना ारभ िकया। उ ह ने हम बताया िक उनका
ज म टाउन क एक गरीब मछआर क प रवार म आ था और उ ह ने बताया िक कसे हीर क िलए
उनक लालसा उ ह कनेमा ले आई—एक ऐसी जगह, िजसने उनक जीवन को बनाने म मह वपूण
भूिमका िनभाई।
कनेमा म सरकारी बल और आर.यू.एफ. क बीच संघष ारभ होने पर वे िसिवल िडफस फोस म
शािमल हो गए। सरकार ारा कनेमा क सुर ा क िलए िसिवल िडफस फोस का गठन िकया गया था
और उ ह ने उ ेख िकया िक कसे उनका बल आर.यू.एफ. को दो साल से अिधक समय तक रोक
रखने म सफल रहा। आिखरकार, आर.यू.एफ., जो अपने आप म एक पूरी सेना थी, ने उ ह यु क
अपने े म आ मसमपण को मजबूर कर िदया। नतीजतन, उ ह आर.यू.एफ. ारा बंधक बना िलया
गया और बाद म रा पित अहमद तेजन क बाह क शांित पहल क िह से क प म उ ह रहा कर
िदया गया, िजनक बात को आर.यू.एफ. िशिवर म भी माना जाता था। इस घटना ने ि टोफर को
अहमद तेजन क बाह क करीब ला िदया। आगे जाकर जब डॉ. क बाह रा पित बने तो उ ह ने
ि टोफर को कनेमा क मेयर क प म नािमत िकया।
यह जानने क बाद मेयर ि टोफर क ित हमारा स मान कई गुना और बढ़ गया िक
उ ह ने आर.यू.एफ. िव ोिहय क िखलाफ सबसे घातक गृह यु लड़ा था। उस शाम हमने
मेयर क य व का एक ब त ही भावना मक प देखा। लेिकन समय क कमी क
कारण हम उनसे ज द ही िवदाई लेनी पड़ी।
यह जानने क बाद मेयर ि टोफर क ित हमारा स मान कई गुना और बढ़ गया िक उ ह ने
आर.यू.एफ. िव ोिहय क िखलाफ सबसे घातक गृह यु लड़ा था। उस शाम हमने मेयर क य व
का एक ब त ही भावना मक प देखा। लेिकन समय क कमी क कारण हम उनसे ज द ही िवदाई
लेनी पड़ी। आर.यू.एफ. से लड़नेवाले एक बहादुर सैिनक क मुझे अंितम सलाह यह थी िक
आर.यू.एफ. उस येक सैिनक का स मान करता ह, जो िवपरीत प र थितय म भी अपने कत य पर
डटा रहता ह।
हमार वापस िशिवर म प चने तक काफ देर हो चुक थी; लेिकन सूबेदार फतेह से ‘चलने क िलए
तैयार’ रपोट िमलने पर मुझे राहत िमली। कपनी क मनोबल क बार म पूछने पर सूबेदार फतेह ने
जवाब िदया, “हाई ह, साब।” (इ स हाई, सर)

5.
कनेमा क मैदान से दा क जिटल जंगल तक

भोर क पहली िकरण क साथ पारप रक ाथना क गई और ‘भारत माता क जय’ क


उ ोष, जो आगे बढ़ने से पहले पूरी क जानेवाली एक परपरा थी, क गई और हम या ा
क ओर आगे बढ़ चले। सैिनक क आँख ढ़ता से भरी ई थ और पिहए मजबूती क साथ
आगे बढ़ने लगे थे। इस बार मने अपने वाहन को सबसे आगे रखा था और पूरी ढ़ता क
साथ इस बात पर अिडग था िक आगे चाह जो कछ भी प र थितयाँ ह , कािफला अब पीछ
नह हटगा।
मुझे अ छ से याद ह िक आर.यू.एफ. का िसपाही अभी भी वहाँ मौजूद था और रा ते पर
र सी वैसे ही डली ई थी—और यह आर.यू.एफ. क िजद थी। लेिकन इस बार यह ‘ला ट
ऑडर’ नह था, ब क एक अप रिचत चेहरा था, िजसने हमार कािफले को आता देख
अवरोधक को हटा िलया था और बेहद अ यािशत प से हम सलाम भी ठोका था। संयु
रा कमांडर को सैिनक क सलामी मौजूदा जमीनी थित म बदलाव का माण थी।
हालाँिक, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रह थे, जंगल घना होता जा रहा था और जंगल म
पगडिडय का बुरा हाल था, लेिकन इसक बावजूद हम आगे बढ़ते रह। कनेमा म हमार
कने क दौरान जो कछ घिटत आ था, उसे लेकर म गहरी सोच म डबा आ था, जो
वा तव म ई र का वरदान ही था। भा य म अ यिधक िव ास करनेवाला य होने क
चलते मने इसे अपने िह से क िक मत मानकर ऊपरवाले को ध यवाद िदया।
कनेमा से दा क या ा म लगभग तीन घंट लगे और मने ना ते क िलए बीच म ही कने
का फसला िकया। मने कने क थान पर कपनी को एक स त हाबर ि ल का िनदश िदया,
जहाँ पर सैिनक दु मन क काररवाई का मुकाबला करने क िलए एक साम रक थित म
होते ह। ऐसे म, ना ते का पड़ाव िब कल अनोखा था, जो घने जंगल क िब कल बीचोबीच
था, जहाँ पर सभी कोन क रखवाली करनेवाले संतरी तैनात थे। ना ते क बाद कािफला िफर
से आगे बढ़ गया और हम दा प चकर ही कना था।
जब से हम पता चला िक हमारी बटािलयन का मु यालय दा म होगा, इस नाम
ने हम रोमांिचत कर िदया, य िक िहदी म इस श द का शा दक अथ ह ‘देशी
शराब’। हम सभी दोन तरह क ‘दा ’ का बेस ी से इतजार कर रह थे। नाम क
बावजूद दा एक बेहद ही उबाऊ शहर था, िजसम 1,000 से कम लोग रहते थे।
जब से हम पता चला िक हमारी बटािलयन का मु यालय दा म होगा, इस नाम ने हम
रोमांिचत कर िदया, य िक िहदी म इस श द का शा दक अथ ह ‘देशी शराब’। हम सभी
दोन तरह क ‘दा ’ का बेस ी से इतजार कर रह थे। नाम क बावजूद दा एक बेहद ही
उबाऊ शहर था, िजसम 1,000 से कम लोग रहते थे। शहर क अिधकांश लोग मड जातीय
समूह से थे। शहर क पूव म अब बंद हो चुक रलवे लाइन का एक टिमनल था, जो टाउन
से शु होती थी।
हमार वहाँ प चने क तुरत बाद हम जो एकमा सकारा मक बात पता चली, वह यह थी
िक दा िसएरा िलओन क सबसे यापक सै य छावनी म से एक था। ि िटश औपिनवेिशक
शासन क दौरान यह पूव ांत क सबसे अि म छावनी था, जहाँ एक पूरी बटािलयन तैनात
क जाती थी। तो पहली बात, जो हमारी समझ म आई, वह यह थी िक तंबू क कोई
आव यकता नह थी, य िक सभी क िलए पया थान उपल ध था, िजनम दुकान भी
शािमल थ । अं ेज कला न सिहत लाइबे रया क सीमा तक क े पर ग त लगाकर
िनयं ण करते थे।
इसक अलावा, बैरक आकार म बेहद बड़ थे और उनका िनमाण बेहद उ गुणव ावाला
था। मोआ नदी क तट पर थत होने क कारण दा क बैरक को ‘मोआ बैरक’ भी कहा
जाता था। लाइबे रया से शु होकर मोआ दा को कला न से जोड़ती ह और िगनी क साथ
सीमा क साथ उिचत दूरी तक बहती ह। यह एक बारहमासी बहनेवाली नदी ह, जो
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अटलांिटक महासागर म जाकर समा होती ह और अतीत म शायद अंतदशीय जलमाग का
एक साधन रही होगी।
ांतीय राजधानी कनेमा क िनकट होने क चलते दा का अपना मह व था। पुराने जमाने म
यह सभी सरकारी एजिसय क िलए पूव क ओर अंितम गंत य आ करता था। यह कहना
सही होगा िक आर.यू.एफ. का वा तिवक े दा से आगे शु होता था। ‘लोमे शांित
समझौते’ क बावजूद दा अिधकार- े क आगे िकसी भी सरकारी सं थान क उप थित
िब कल शू य थी।
अब हम इस बात को अ छ से समझ सकते थे िक क याई लोग ने कला न म
तैनात होने से इनकार य िकया था! हालाँिक, हम एक बार दा म डी.डी.आर.
िशिवर क थािपत हो जाने क बाद ही कला न क ओर बढ़ने वाले थे। इसक
अलावा, कला न म आ मसमपण करनेवाले आर.यू.एफ. सैिनक को दा म
डी.डी.आर. िशिवर क ओर िनदिशत िकया जाना था और इसिलए डी.डी.आर.
कला न सेना क भी एक ाथिमक आव यकता थी।
इसक बावजूद दा म कई एन.जी.ओ. थे, जो ि याशील थे और हमारा काम दा म एक
‘िनर ीकरण, िवघिटत करना और पुनरक करण’ (डी.डी.आर.) िशिवर थािपत करना था।
यह 5/8 गोरखा राइफ स का मौिलक काय था और हम दा क सुर ा और एक
डी.डी.आर. िशिवर थािपत करने क िलए दो कपिनयाँ दी गई थ , िजनम से मेरी कपनी मेजर
नायर क कपनी क साथ कला न क ओर आगे बढ़ने वाली थी। बची ई दो कपिनय को
दा म तैनात िकया जाना था, इसिलए इस बात को समझना बेहद आव यक था िक असल
चुनौती दा क आगे—कला न क ओर— ारभ होती थी, जहाँ आर.यू.एफ. का ‘जंगल
राज’ अभी भी चलता था, य िक उस े म कोई सरकारी एजसी मौजूद नह थी। अब हम
इस बात को अ छ से समझ सकते थे िक क याई लोग ने कला न म तैनात होने से इनकार
य िकया था! हालाँिक, हम एक बार दा म डी.डी.आर. िशिवर क थािपत हो जाने क
बाद ही कला न क ओर बढ़ने वाले थे। इसक अलावा, कला न म आ मसमपण करनेवाले
आर.यू.एफ. सैिनक को दा म डी.डी.आर. िशिवर क ओर िनदिशत िकया जाना था और
इसिलए डी.डी.आर. कला न सेना क भी एक ाथिमक आव यकता थी।
डी.डी.आर. क यह िशिवर बेहद आव यक थे, य िक आ मसमपण करनेवाले
आर.यू.एफ. क सभी िव ोिहय को इन िशिवर म तब तक रखा जाना था, जब तक िक
उनक पुनरक करण और पुनवास क ि या पूरी नह हो जाती। इन िव ोिहय क पुनवास म
यावसाियक िश ण भी शािमल था, तािक उ ह हिथयार डालने क बाद क इन बढ़ईगीरी व
िचनाई जैसे पेशे क िलए उपयु बनाया जा सक। इस कार क िश ण क िलए समय क
आव यकता थी और उ ह कशल भी बनाया जाना बेहद आव यक था, य िक िव ोही जीवन
को अलिवदा कहने क बाद यही उनक आजीिवका का साधन होने वाला था। आर.यू.एफ.
क येक सैिनक को आ मसमपण करने क बदले पैसा िदया जाता था। कह -कह तो यह
रािश 300 डॉलर तक होती थी, िजसे 150-150 अमे रक डॉलर क दो िक त म िदया जाता
था। 150 अमे रक डॉलर क पहली िक त आ मसमपण क तुरत बाद दी जाती थी और शेष
रािश पुनवास िश ण क पूरा होने क बाद दी जानी थी। 300 अमे रक डॉलर एक ब त
बड़ी रकम होती थी, य िक यह 10 लाख िलओन क बराबर होती थी, जो िव ोिहय को
लुभाने क िलए काफ थी। ऐसे म, कोई भी िव ोही हिथयार डालकर रातोरात लखपित बन
सकता था। यह आर.यू.एफ. क सबसे बड़ी िचंता थी, य िक इससे जुड़ा आ धन इतना
अिधक था िक उनक िलए अपने कडर को रोक रखना बेहद चुनौतीपूण होता जा रहा था।
इसक अलावा, सरकार कम-से-कम समय म िनर ीकरण क ि या शु करने
क िलए संयु रा बल से डी.डी.आर. िशिवर थािपत करने का आ ह कर
रही थी। डी.डी.आर. कप थािपत करना बेहद मु कल काम था।
इसक अलावा, सरकार कम-से-कम समय म िनर ीकरण क ि या शु करने क िलए
संयु रा बल से डी.डी.आर. िशिवर थािपत करने का आ ह कर रही थी। डी.डी.आर.
कप थािपत करना बेहद मु कल काम था। कई सरकारी एजिसय और गैर-सरकारी
संगठन को शासिनक ि या म शािमल होना पड़ा, य िक आ मसमपण करनेवाले
िव ोिहय क ठहरने और भोजन दोन क यव था िशिवर म ही क जानी थी और साथ ही
चयिनत यवसाय म उनक िश ण क भी। इसिलए हमार कमांिडग ऑिफसर कनल सतीश
क आगमन क बाद डी.डी.आर. कप क थापना से संबंिधत मामल को लेकर पहला
स मेलन आयोिजत िकया गया था।
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हम यह सुिन त करना था िक जंगल से आनेवाले आर.यू.एफ. क िव ोही आसानी से
हम तक प च सक। इसिलए िशिवर क थापना हमार आसपास नह क जा सकती थी और
उसे दा क पूव छोर क ओर थािपत िकया जाना था। य िक जंगल, यानी िक
आर.यू.एफ. का े , वह से ारभ होता था। इसी वजह क चलते एक े को िनधा रत
िकया गया और िशिवर क थापना का काम यु - तर पर ारभ िकया गया।
यहाँ मुझे यह ज र उ िखत करना चािहए िक संयु रा हवाई माग से िजस
तेजी से संसाधन जुटाता ह, वह वा तव म सराहनीय ह। हिलकॉ टर न कवल उन
खड़ िकए जानेवाले िशिवर क िलए िनमाण-साम ी लाए, ब क हमारी पैदल
सेना क लड़ाक वाहन , बी.एम.पी. को भी अंडर- लंग मोड म ले जाया गया। उस
जमीन पर, जो कछ िदन पहले पूरी तरह से उजाड़ िदखाई दे रही थी, पलक
झपकते ही डी.डी.आर. का िशिवर लगा िदखाई दे रहा था।
यहाँ मुझे यह ज र उ िखत करना चािहए िक संयु रा हवाई माग से िजस तेजी से
संसाधन जुटाता ह, वह वा तव म सराहनीय ह। हिलकॉ टर न कवल उन खड़ िकए जानेवाले
िशिवर क िलए िनमाण-साम ी लाए, ब क हमारी पैदल सेना क लड़ाक वाहन ,
बी.एम.पी.15 को भी अंडर- लंग मोड म ले जाया गया। उस जमीन पर, जो कछ िदन पहले
पूरी तरह से उजाड़ िदखाई दे रही थी, पलक झपकते ही डी.डी.आर. का िशिवर लगा िदखाई
दे रहा था। इसक अलावा, हमने िशिवर क कमी को पूरा करने और मजबूती दान करने क
िलए अपने टट वहाँ लगाए और एक पखवाड़ म ही डी.डी.आर. कप थािपत हो गया। साथ
ही, हम इस िशिवर क बंधन क पहलू पर भी काम कर रह थे, िवशेष प से
द तावेजीकरण और अ य शासिनक आव यकता से संबंिधत।
दा डी.डी.आर. कप और मोआ बैरक क बीच एक बाड़ क तरह था, य िक हम शहर
क प मी मोरचे पर थे और इसिलए दा क िवपरीत छोर पर बने ए डी.डी.आर. कप का
बंधन संभव नह था। इसी वजह से करीब एक लाटन क बराबर सैिनक को उसक
िनयिमत बंधन क िलए डी.डी.आर. िशिवर म ही रहने िदया गया।
आ मसमपण करनेवाले िव ोिहय का वा य बंधन िचंता का एक और िवषय था,
िजसक िलए िव वा य संगठन क िचिक सक को डी.डी.आर. ित ान म शािमल
िकया गया था। इसक अलावा, दा म तैनात िविभ गैर-सरकारी संगठन क ितिनिध
िशिवर क शासन का बंधन करने क काम म हाथ बँटा रह थे, िजसम िव ोिहय क िलए
भोजन और बाद म पुनवास क िलए उनका िश ण शािमल था।
एक बार सभी यव थाएँ पूरी हो जाने क बाद संयु रा क महासिचव
(एस.आर.एस.जी.) क िवशेष ितिनिध, जो पूर िमशन क मुख थे, ने
डी.डी.आर. िशिवर का दौरा िकया। फोस कमांडर एक तरफ जहाँ संयु रा
क सै य टकड़ी क देखभाल करते थे, वह जमीन पर काम करनेवाली अ य
एजिसयाँ, िजनम ड यू.एच.ओ. और थानीय गैर-सरकारी संगठन शािमल थे,
सीधे एस.आर.एस.जी. क े ािधकार म आते ह।
एक बार सभी यव थाएँ पूरी हो जाने क बाद संयु रा क महासिचव
(एस.आर.एस.जी.) क िवशेष ितिनिध, जो पूर िमशन क मुख थे, ने डी.डी.आर. िशिवर
का दौरा िकया। फोस कमांडर एक तरफ जहाँ संयु रा क सै य टकड़ी क देखभाल
करते थे, वह जमीन पर काम करनेवाली अ य एजिसयाँ, िजनम ड यू.एच.ओ. और
थानीय गैर-सरकारी संगठन शािमल थे, सीधे एस.आर.एस.जी. क े ािधकार म आते ह।
एस.आर.एस.जी. डी.डी.आर. िशिवर क संपूण यव था से स था और उससे भी कह
अिधक, प रयोजना क गित से।
िसएरा िलओन क िविभ िह स म अ य डी.डी.आर. िशिवर भी थािपत िकए जा रह थे;
हालाँिक, िसफ दा वाला डी.डी.आर. िशिवर ऐसा था, जो ि याशील होनेवाली थित म
था। इसक अलावा, पहला िशिवर बािकय क मुकाबले कह अिधक मह वपूण था, य िक
यह आर.यू.एफ. क गढ़ क सबसे करीब था और िसफ इसी वजह क चलते
एस.आर.एस.जी. ने य गत प से प रयोजना क गित का दौरा करने और उसक
िनगरानी करने का फसला िकया। एस.आर.एस.जी. ने मुझसे हाथ िमलाते ए पूछा, “ या
आप वही अिधकारी ह, जो कनेमा म रा पित से िमले थे?” मने तुरत उ र िदया, “हाँ, सर,
वह एक िश ाचार भट थी।” एस.आर.एस.जी. ने मुसकराते ए कहा िक वे िशिवर क
यव था से बेहद स ह। उ ह ने तुरत िशिवर को हरी झंडी दे दी, य िक शासिनक ढाँचा
मौजूद था। हालाँिक, हमार सैिनक, जो डी.डी.आर. कप म रहनेवाले बंधन का एक अिभ
ं े ि ोि ि े ो े ी
अंग थे, आर.यू.एफ. िव ोिहय ारा आ मसमपण िकए जाने को लेकर ब त आशावादी नह
लग रह थे। उनम से कछ ने तो मुझसे कहा, “साब, संयु रा ने इस सफद हाथी क
िनमाण म इतना अिधक पैसा लगाया ह; हालाँिक, इस बात क संभावना नह ह िक
आर.यू.एफ. अपने आप आ मसमपण करने क िलए आएगा।” मने मुसकराते ए मजािकया
लहजे म कहा, “अगर आर.यू.एफ. क सैिनक िबना िकसी मेहनताने क िवकलांग होने क
िलए तैयार ह और यहाँ तो उ ह 10 लाख कमाने क िलए िसफ कछ ही िकलोमीटर चलकर
आना ह।”
हमार िलए धैय धारण करक रहना बेहद मह वपूण था, य िक हम उनक आने
का इतजार करना था। लेिकन मने अपने सैिनक को रात म भी सतक रहने क
चेतावनी दी। अब इतजार इस बात का था िक आर.यू.एफ. क सैिनक जंगल से
बाहर आएँ और डी.डी.आर. क कप म अपने हिथयार डाल द।
हमार िलए धैय धारण करक रहना बेहद मह वपूण था, य िक हम उनक आने का इतजार
करना था। लेिकन मने अपने सैिनक को रात म भी सतक रहने क चेतावनी दी। अब इतजार
इस बात का था िक आर.यू.एफ. क सैिनक जंगल से बाहर आएँ और डी.डी.आर. क कप म
अपने हिथयार डाल द। ि ंट मीिडया और रिडयो, जो आर.यू.एफ. कडर क बीच संचार का
एक लोकि य साधन था, सिहत चार क सभी साधन का उपयोग इस बात क घोषणा करने
क िलए िकया गया िक दा का डी.डी.आर. िशिवर चालू था।
ती ा क वे ण पूरी तरह से असहनीय थे; लेिकन हमने उस ती ा अविध का उपयोग
िशिवर म दान क जानेवाली सेवा क और अिधक सुधार क काम म िकया। हर बीतते
िदन क साथ अित र संशोधन, जैसे डी.डी.आर. िशिवर को चार ओर से कटीले तार से
घेर देने, जैसे काम िकए जा रह थे। एक और परशानी वाला े था—आर.यू.एफ. क
िव ोिहय को िकया जानेवाला भुगतान, िजसक िलए सेना मु यालय को िनयिमत रमाइडर
भेजे जा रह थे। आिखरकार, एक सरकारी अिधकारी उप थत आ, लेिकन कवल
आव यक द तावेजीकरण क ि या को पूरा करने क िलए, िजसक आधार पर सरकार को
ज द ही धन को जारी करना था।
हालाँिक, धन का भुगतान संयु रा ारा िकया जाना था, लेिकन जमीनी तर पर इस
काम को िसएरा िलओन क सरकार को ही अंजाम देना था। हम इस बात क आशंका सताए
जा रही थी िक अगर िव ोिहय को आ मसमपण क तुरत बाद धन का भुगतान नह िकया
जाता ह तो वे हगामा खड़ा कर सकते ह। लेिकन िशिवर को घेर ई नौकरशाही क बाधा
क बावजूद हम िव ोिहय को भुगतान म देरी क प रणाम व प होनेवाली िकसी भी अशांित
से िनपटने क िलए पूरी तरह से आ त थे।
हमने काफ लंबे समय तक इतजार िकया। आिखरकार, एक शांत और उदास
रात एक संतरी को झािड़य म िकसी हलचल का अंदेशा आ और उसने ि या
का पालन करते ए चेतावनी दी। वह यह देखकर हरान रह गया िक अपने
हिथयार को ऊपर उठाए ए आठ सैिनक का एक समूह घनी झािड़य से
िनकलकर बाहर आया और वे ‘सरडर, सरडर’ िच ा रह थे।
हमने काफ लंबे समय तक इतजार िकया। आिखरकार, एक शांत और उदास रात एक
संतरी को झािड़य म िकसी हलचल का अंदेशा आ और उसने ि या का पालन करते ए
चेतावनी दी। वह यह देखकर हरान रह गया िक अपने हिथयार को ऊपर उठाए ए आठ
सैिनक का एक समूह घनी झािड़य से िनकलकर बाहर आया और वे ‘सरडर, सरडर’
िच ा रह थे। संतरी ने उ ह अपने हिथयार जमीन पर रखने का आदेश िदया और िबना
समय गँवाए लाटन कमांडर ले टनट अंकर बंगा को रिडयो सेट पर बुलाया।
यह वह ण था, िजसका पूरी लाटन बेहद बेस ी से इतजार कर रही थी। जब िव ोिहय
को अपने हिथयार को पीछ छोड़कर िशिवर क अंदर जाने क िलए कहा गया तो सभी सैिनक
तुरत पूरी तरह से होिशयार थे। सौभा य से, आर.यू.एफ. िव ोही और भारतीय सैिनक दोन ही
बातचीत क िलए समान प से अं ेजी म बात कर रह थे। येक प अधूर वा य को बेहद
धीमी गित से बोल रहा था।
आर.यू.एफ. क सैिनक थक ए एवं भूखे लग रह थे और उ ह ने जो पहली चीज माँगी,
वह थी ‘चॉप-चॉप’, जो आर.यू.एफ. कडर क बीच खाने क िलए कहने म इ तेमाल िकया
जाता था। इसिलए उ ह सबसे पहले भोजन उपल ध करवाया गया। इसक बाद उनक पूण
िचिक सा जाँच क गई और उनक हाथ पर एक मुहर छापी गई, िजसम उनक समपण क
तारीख को इिगत िकया गया था। इसक बाद कागजी काररवाई ारभ ई। इससे डी.डी.आर.
ौ ैि ो ं ी ि ई औ ी
कप क मौजूद लाटन क सैिनक को उपल ध एवं खुशी क अनुभूित ई और अपनी
अगली या ा क दौरान म उनक चेहर पर इस उपल ध क खुशी को आसानी से देख सकता
था।
िनर ीकरण का काम ारभ हो चुका था और हम सब बेहद खुश थे, य िक
िव ोिहय क िवसै यीकरण क इस पूरी ि या म भारतीय दल अ णी सािबत
आ था। हालाँिक, इसने आ मसमपण करनेवाले िव ोिहय को बंिधत करने क
एक बड़ी चुनौती पेश क , िजसक इतना अिधक गंभीर होने क उ मीद हमने नह
क थी।
िनर ीकरण का काम ारभ हो चुका था और हम सब बेहद खुश थे, य िक िव ोिहय क
िवसै यीकरण क इस पूरी ि या म भारतीय दल अ णी सािबत आ था। हालाँिक, इसने
आ मसमपण करनेवाले िव ोिहय को बंिधत करने क एक बड़ी चुनौती पेश क , िजसक
इतना अिधक गंभीर होने क उ मीद हमने नह क थी। वे िव ोही एक दशक से अिधक
समय से जंगल म रहकर लड़ रह थे। नतीजतन, उनक आ मसमपण क तुरत बाद गंभीर
मनोवै ािनक मु े सामने आने लगे। उनक िहसक वृि से थित और िबगड़ गई थी, िजसे
आसानी से समझा जा सकता था, य िक उ ह िशिवर म वेश करने क तुरत बाद पैसा नह
िमला था।
उ ह बैरक म ही ठहराया गया था। छोटी-छोटी बात पर होनेवाले उनक झगड़ से िनबटना
एक चुनौतीपूण काम था। यहाँ तक िक उनक व छता भी हम सभी क िलए िचंता का एक
बड़ा िवषय बना था। वे एक अस य जीवन-शैली जीने क अ य त थे, िजससे कई जानलेवा
बीमा रय क फलने का खतरा था और हमार सैिनक भी उन बीमा रय क चपेट म आ सकते
थे। वे बैरक म रहनेवाली इस नई जीवन-शैली का भी िवरोध करते थे, िजसक
प रणाम व प वे िबना िकसी कारण क हमार सैिनक से भी उलझ जाते थे।
मुझे ब त अ छ से याद ह िक ले टनट अंकर बंगा ने मुझसे कहा था िक उनसे एक
िदनचया का पालन करवाना सबसे मह वपूण चुनौती थी, य िक जंगल म अपना जीवन
िबताने क चलते उनक जीवन-शैली वा तव म अनुशािसत नह थी। िशिवर म आ मसमपण
करने क िलए आनेवाले िव ोिहय क सं या म धीर-धीर इजाफा होने लगा; लेिकन उसक
गित हमारी उ मीद से कह अिधक धीमी थी। आर.यू.एफ. क कछ सैिनक ऐसे भी थे, जो
हर रात को डी.डी.आर. क िशिवर म एक ही बहाना लेकर आते थे िक वे आर.यू.एफ. से
पूरी तरह से असंतु ह, य िक उ ह ने जैसा सोचा था, वह उससे िब कल उलट ह।
आर.यू.एफ. क भीतर िव ोिहय क हताशा ालामुखी क तरह फटने क कगार पर थी।
आ मसमपण करनेवाले सभी िव ोही चाहते थे िक उ ह हिथयार डालते ही रािश भुगतान कर
िदया जाए; लेिकन िसएरा िलओन क सरकार ऐसा कर पाने म नाकामयाब हो रही थी,
िजसक प रणाम व प िव ोिहय का पारा चढ़ता जा रहा था।
कोई भी इस नतीजे पर प च सकता था िक डी.डी.आर. िशिवर क किदय को
बंिधत करना एक िनरतर चुनौती थी और येक िदन िविभ मु से भरी ई
नई चुनौितय को लेकर आता था। मने अपनी बटािलयन क सबसे कम उ क
अिधकारी ले टनट अंकर बंगा ारा िकए जा रह अिव सनीय काम क
सराहना क , िजसे सेवा म आए ए अभी मु कल से छह महीने भी नह ए थे।
कल िमलाकर, कोई भी इस नतीजे पर प च सकता था िक डी.डी.आर. िशिवर क किदय
को बंिधत करना एक िनरतर चुनौती थी और येक िदन िविभ मु से भरी ई नई
चुनौितय को लेकर आता था। मने अपनी बटािलयन क सबसे कम उ क अिधकारी
ले टनट अंकर बंगा ारा िकए जा रह अिव सनीय काम क सराहना क , िजसे सेवा म
आए ए अभी मु कल से छह महीने भी नह ए थे। जमीनी तर पर िकए गए अपने काम
क प रणाम व प वह अपने सेवाकाल से कह अिधक प रप हो गए थे।
डी.डी.आर. कप म मौजूद आर.यू.एफ. का येक िसपाही आर.यू.एफ. क सद य क प
म भयानक अनुभव का सामना कर चुका था, िजन घटना क बार म सुनते ही हमारी ह
तक काँप जाती थी। बाक क सभी चेहर म एक चेहरा, जो सबसे अलग था, वह था मूंबा
नाम क एक लड़क का, िजसक उ मु कल से पं ह वष क रही होगी। आर.यू.एफ. ने
लगभग पाँच साल पहले उसे पडबु थत उसक घर से जबरद ती उठा िलया था और
‘यूिनफॉम ेजटशन’ ि ल क िह से क प म उसे दस साल क छोटी सी उ म एक
आदमी को गोली मारने क िलए मजबूर िकया गया था। आर.यू.एफ. क सैिनक ारा उसक
साथ बार-बार ककम िकया गया और उसे िशिवर म नौकर क तरह काम करने क िलए
ि े ीि े ि ो ी े
मजबूर िकया गया। उस ब े क पास जीिवत रहने क िलए उस बबरता को सीखने क
अलावा और कोई चारा नह था। मुझे बताया गया था िक आर.यू.एफ. क पास िसफ कला न
ि गेड म ही सैकड़ बाल सैिनक ह। क पना क िजए िक आर.यू.एफ. कडर म िकतने ब े
अपने बचपन से वंिचत कर िदए गए थे!
हमार डी.डी.आर. कप म आर.यू.एफ. का एक कॉप रल था, िजसका नाम सेसे मोबा था।
उसे कछ मामूली शासिनक गड़बिड़य क चलते आर.यू.एफ. क रोष का सामना करना
पड़ा था, िजसक प रणाम व प उसक कपनी कमांडर ारा उसे ‘आधी बाजू’ क सजा दी
गई थी। मुझे अब मामूली-सी चूक पर आर.यू.एफ. क ‘लंबी बाजू’ और ‘आधी बाजू’ क
सजा देने क अजीब, लेिकन संिद ध णाली क बार म पता चला (िकसी भी बड़ी िवफलता
क िलए मृ युदंड था, जो उनक सभी िशिवर म सावभौिमक तौर पर लागू होनेवाली सजा
थी)। ‘आधी बाजू’ क सजा का मतलब था—बाएँ हाथ को आधा काटना और ‘लंबी बाजू’
का मतलब था—कलाई को काटना।
एक संगठन क प म आर.यू.एफ. क कमान चतुर लोग क हाथ म थी, िज ह ने
इस कार क रता को भड़काते ए अपने सैिनक क ताकत से समझौता नह
िकया। इसिलए ‘आधी बाजू’ और ‘लंबी बाजू’ क सजा कवल बा भुजा पर दी
जाती थी, य िक आर.यू.एफ. सैिनक को गोलीबारी करने और अपने े क
र ा क िलए अपने दाएँ हाथ क आव यकता होती थी।
एक संगठन क प म आर.यू.एफ. क कमान चतुर लोग क हाथ म थी, िज ह ने इस
कार क रता को भड़काते ए अपने सैिनक क ताकत से समझौता नह िकया। इसिलए
‘आधी बाजू’ और ‘लंबी बाजू’ क सजा कवल बा भुजा पर दी जाती थी, य िक
आर.यू.एफ. सैिनक को गोलीबारी करने और अपने े क र ा क िलए अपने दाएँ हाथ
क आव यकता होती थी। इस कार क रता को पूण प से समझना बेहद मु कल था;
लेिकन एक बार कला न प चने पर मुझे आर.यू.एफ. क ऐसे कई सैिनक िदखाई िदए,
िजनक बाएँ हाथ कट ए थे। आर.यू.एफ. ारा लोग पर क गई बबरता क असं य
र रिजत कहािनयाँ थ , जो हम पता थ और इनसे हम ब करवाया था उन सैिनक ने,
िज ह ने दा क डी.डी.आर. कप म अपने हिथयार डालकर समपण िकया था।
िनर ीकरण क ि या क आरभ होने क जानकारी िमलते ही आर.यू.एफ. बैकफट पर
आ गया था और उसक कडर ारा भारतीय दल पर िव ोिहय को जबरन हिथयार डालने क
िलए मजबूर करने क झूठी कहािनयाँ फलाई जाने लग । ‘लोमे शांित समझौते’ क अनुसार,
िनर ीकरण एक वै छक ि या थी और अब तक दा थत डी.डी.आर. िशिवर म
आ मसमपण करनेवाले या शरण लेनेवाले सभी सैिनक ने वे छा से यह कदम उठाया था।
आर.यू.एफ. क इस झूठ चार क काट करने क िलए हमने आ मसमपण करनेवाले
आर.यू.एफ. िव ोिहय क बयान क ऑिडयो रकॉिडग करना ारभ कर िदया, िजसक बाद
उ ह रा ीय रिडयो पर सा रत िकया जाता था। इसका नतीजा यह िनकला िक लोग क
भावनाएँ हमार साथ जुड़ ग । लोग इस बात को समझ गए थे िक जबरन िनर ीकरण म
संयु रा क शांित सैिनक का कोई िनिहत वाथ नह था।
दुिनया भर म सभी शांित अिभयान म एक शांित र क क तट थता उस
अिभयान क रीढ़ होती ह और संयु रा शांित थापना क इस बुिनयादी
िस ांत से समझौता करने का कोई सवाल ही नह उठता। िजस िदन भी संयु
रा क िकसी भी िमशन म दुिनया क िकसी भी कोने म तट थता से समझौता
िकया जाएगा, म िन त प से कह सकता िक वह उस िमशन क अंत क
शु आत होगी।
दुिनया भर म सभी शांित अिभयान म एक शांित र क क तट थता उस अिभयान क रीढ़
होती ह और संयु रा शांित थापना क इस बुिनयादी िस ांत से समझौता करने का कोई
सवाल ही नह उठता। िजस िदन भी संयु रा क िकसी भी िमशन म दुिनया क िकसी भी
कोने म तट थता से समझौता िकया जाएगा, म िन त प से कह सकता िक वह उस
िमशन क अंत क शु आत होगी।
कई वष बाद, वष 2014 म जब म टो यो (जापान) म सीिनयर िमशन लीडस कोस म
भाग ले रहा था, तब हर क मत पर एक िमशन क तट थता क र ा करने क इस िवचार को
जोर से और प प से दोहराया गया। हमार िश क ने हम सलाह दी िक संयु रा
शांित िमशन म तैनात होने पर ‘तट थ िदखना’ उतना ही मह वपूण ह, िजतना िक ‘तट थ

ो ’ ि ी ो औ
होना’, य िक थानीय समुदाय हमार काय का गवाह होगा और हमार काम म तट थता
वैसे ही िदखाई देनी चािहए, िजतनी मजबूती से हमारी लोकनीित िदखाई देती ह।
डी.डी.आर. िशिवर क थापना क दौरान हम अपने अगले काय क तैयारी म भी य त थे
—काफ हद तक एक ासंिगक काय, जो हर तरह से परी ण और सम या से भरा था।
काय िव ेषण का सुझाव था िक कला न म ारिभक तैनाती अिनवाय थी। उसक बाद हम
कला न म थत आर.यू.एफ. क क र कडर क िनर ीकरण क शु आत करनी थी।
कला न शहर दा से 60 िकलोमीटर पूव म था। इसम मु य प से मुसिलम
आबादी रहती थी और यह देश क सबसे गरीब िजल म से एक था। यह मु य
प से ेणीब पहािड़य से भरा था; लेिकन असल परशानी यह थी िक वहाँ पर
िसफ एक ही रा ता था, जो दा एवं कला न से आधे रा ते पर था और वह भी
बेहद घने जंगल से िघरा आ था।
कला न शहर दा से 60 िकलोमीटर पूव म था। इसम मु य प से मुसिलम आबादी
रहती थी और यह देश क सबसे गरीब िजल म से एक था। यह मु य प से ेणीब
पहािड़य से भरा था; लेिकन असल परशानी यह थी िक वहाँ पर िसफ एक ही रा ता था, जो
दा एवं कला न से आधे रा ते पर था और वह भी बेहद घने जंगल से िघरा आ था।
कला न िजले को चौदह सरदार क बीच िवभािजत िकया गया था और येक सरदार का
नेतृ व एक ‘पापा िगएमा’ क हाथ म था, िजसक िनदश उसक नेतृ व म रहनेवाले येक
य ारा माने जाते थे।
डी.डी.आर. कप म आ मसमपण करनेवाले आर.यू.एफ. सैिनक क साथ हमारी बातचीत
क दौरान मुझे पता चला िक आर.यू.एफ. क संरचना म दो िवंग शािमल ह—‘राजनीितक
िवंग’ और ‘सै य िवंग’। राजनीितक िवंग का नेतृ व आर.यू.एफ. क सं थापक फोड सनकोह
ने िकया था और सै य िवंग ि गेिडयर जनरल इ सा सेसे क कमान म थी। राजनीितक िवंग
क पास िसएरा िलओन म शांित क बहाली क बाद भिव य म चुनाव लड़ने का बड़ा खाका
पूरी तरह से तैयार था। कला न क िविभ सरदार क सभी मुिखया या कह तो पापा िगएमा
आर.यू.एफ. क राजनीितक िवंग क दायर म आते थे। यहाँ तक िक सै य मुख भी
राजनीितक िवंग क मुख क ित जवाबदेह थे, िजसका मतलब यह आ िक फोड सनकोह
आर.यू.एफ. बल क सव नेता थे।
सभी सरदार क पापा िगएमा भी बेहद श शाली थे। वे अपनी सरदारी क सारी आबादी
पर िनयं ण रखते थे और उनक अिधकार- े म थानीय मामल म उनका फसला ही
अंितम होता था। फ ड कमांडर क अधीन ि गे स थ और येक ि गेड को ऑपरशन का
एक िविश े स पा गया था, िजसम से पहली आर.यू.एफ. ि गेड कला न िजले पर
िनयं ण रखती थी।
लुंगी म मेर कदम रखने क साथ ही ई र क लीला चल रही थी। कनेमा और
उसक बाद दा क अपने संि वास क दौरान मुझे पया जानकारी ा हो
गई थी, िजसक बल पर मने खुद को अगले काम क िलए अ छ से तैयार कर
िलया था।
लुंगी म मेर कदम रखने क साथ ही ई र क लीला चल रही थी। कनेमा और उसक बाद
दा क अपने संि वास क दौरान मुझे पया जानकारी ा हो गई थी, िजसक बल
पर मने खुद को अगले काम क िलए अ छ से तैयार कर िलया था। िजस समय म
आ मसमपण कर चुक सैिनक से ा जानकारी का िव ेषण करने म य त था, उसी
समय मने 5/8 गोरखा राइफ स क एडजुटट मेजर अिनल रमन, जो हमेशा बेहद शांत रहते
थे, क एक उ म िच ाहट सुनी। उ ह ने मुझे ज द-से-ज द कमांिडग ऑिफसर क
कायालय म प चने क िलए कहा। वहाँ प चकर मने देखा िक मेजर नायर पहले से ही बैठ
ह। कनल सतीश ने मुझे बधाई दी, य िक सेना मु यालय से हमार कला न जाने क आदेश
ा हो गए थे। इस िवषय म उ ह ने सुझाव िदया िक हम एक साथ चलते ह। मने उनसे
तुरत ही पूछा, “हमार बी.एम.पी. का या होगा?” कमांिडग ऑिफसर ने मुझसे कहा िक
ारभ म हम िबना बी.एम.पी. क ही तैनात होना पड़गा और एक बार हवाई सेवा क
यव था होने क बाद वे कपनी तक प चा दी जाएँगी। म िबना समय गँवाए तुरत अपनी
कपनी म प चा और उस खुशखबरी को सबक साथ साझा िकया—एक ऐसी खबर, िजसका
सभी बेहद बेस ी से इतजार कर रह थे। उ ह ने तुरत अंितम तैयारी शु कर दी, य िक हम
िसफ दो िदन म आगे बढ़ना था।

ि ं ेऔ ंि
उस मह वपूण िदन क पूव सं या पर जब म ट चाट का अ ययन करने और शांितपूवक
आर.यू.एफ. क िनयं णवाले े से आगे बढ़ने तथा िनर ीकरण क अपने अंितम ल य को
हािसल करने क योजना तैयार कर रहा था, तभी मेरी प नी क श द मेर म त क म क धे। वे
हमेशा मुझसे यह बात कहती थ िक जीवन म सबसे बड़ी उपल ध िदल को जीतना ह,
य िक यह रा य को जीतने क बराबर ह। मने तभी यह फसला कर िलया था िक यह िवचार
कला न म मेर आगे क काय का आधार बनने जा रहा ह।
इस बात को यान म रखते ए मने अपने बटािलयन मु यालय म उपल ध एकमा
सैटलाइट फोन से कॉल करक अपने इस कदम क बार म बताने का फसला िकया। लेिकन
उनक मौन िति या ने मुझे पूरी तरह से मायूस कर िदया। म उनक चु पी म एक गूँजती ई
िचंता और अपनी सुर ा क िलए ाथना को महसूस कर सकता था। मेर अिधक पूछने पर
उ ह ने बताया िक उनक ‘छठी इि य’ उ ह अंदेशा दे रही ह िक आनेवाला समय बेहद
किठन हो सकता ह, िजसे सुनते ही मने उ ह िदलासा दी और यह कहते ए उनका मनोबल
बढ़ाया िक मौजूदा प र थितय म अपनी ि यतमा तक प चने का मेरा इकलौता रा ता
कला न से ही गुजरता ह, इसिलए ऐसा करना एक कदम आगे बढ़ना था। मने अपने आप
को इस बात का आ ासन िदया िक समय ब त ज दी ही बीत जाता ह और म ज द ही
अपनी प नी क साथ होऊगा। मने खुद को आगे क काम पर यान कि त करने क िलए
तैयार िकया। उस समय इस बात का तिनक भी अहसास नह था िक उनक ‘छठी इि य’
िब कल सही संकत दे रही थी और यह ‘जीवन क सबसे मह वपूण अनुभव’ से गुजरने से
पहले क मेरी अंितम कॉल होगी।

लुंगी अंतररा ीय हवाई अ से अपनी प नी को पहला फोन कॉल करते मेजर पुिनया
लुंगी क थानीय लोग क साथ मेजर राजपाल पुिनया

भोजन क िलए लुंगी और कनेपा क बीच पड़ाव


मेजर राजपाल पुिनया, िसएरा िलयोन क रा पित अहमद तेजन क बाह क साथ बातचीत करते ए

कनेमा म संयु रा पयवे क समूह का दौरा


दा म जमीनी हालात और आर.यू.एफ. ारा िकए अ याचार का जायजा लेते ए कनल सतीश और मेजर राजपाल पुिनया

संयु रा महासिचव क िवशेष ितिनिध (एस.आर.एस.जी.) डी.डी.आर. िशिवर का दौरा करते


मैकनाइ ड इ फ ी बी.एम.पी. को अंडर- लंग मोड म एयरिल ट करता संयु रा का हलीकॉ टर
आर.यू.एफ. क सं थापक, फोड सायबाना संकोह क साथ मेजर पुिनया। पहली बार भारतीय दल ने संकोह को देखा था बा
ओर हर लबादे म ह िसयाए िलयॉन क त कालीन रा पित, अहमद तेजन क बाह

मेजर पुिनया और कला न क थानीय लोग क बीच मधुर संबंध थे, ब े िवशेष प से उ ह पसंद करते थे य िक वह
अ सर उ ह िमठाइयाँ और कडी िदया करते थे
कला न क टाउन ायर इलाक म वॉलीबॉल का खेल जारी थानीय लोग भी दशक क प म मौजूद रहते थे।
मेजर पुिनया िवरोिधय क कोट म गद को मैश करते ए

गीमा म बंधक बनाने गए मेजर पुिनया को मु िकए जाने पर कला न म शांित उ ास; टर (एकदम दािहने), पापा गीमा
(दाएँ से दूसर) और मेजर पुिनया (बाएँ से दूसर)
करीब क शहर और गाँवो म िवतरण क िलए अित र राशन का सं ह

संकट से पहले कला न म कमान अिधकारी का दौरा (बाएँ से दाएँ, बैठ ए)—ले. िनितन चौहान, क टन थापा, क टन
सुदेश राजोरा, मेजर राजपाल पुिनया, कनल सतीश, मेजर नायर, मेजर रमेश नायर, मेजर मुरली, क टन शांत दिहया और
क टन सुनील, JCOs पीछ खड़ ह
15 जुलाई, 2000 को पडबु प चने पर स कला न फोस

ऑपरशन क दौरान घात लगाए आर.यू.एफ. क इलाक को पार करता,


लाल ऑ साइड म रगा भारतीय सेना का क
ऑपरशन खुकरी क सफलता क बाद पूजा क गई;
मेजर राजपाल पुिनया और सुबेदार फतेह

ऑपरशन खुकरी क दौरान बरामद आर.यू.एफ. क हिथयार


भारत क रा पित ारा मेजर पुिनया को यु सेवा मेडल दान िकया गया
ऑपरशन खुकरी क दौरान, िवपरीत प र थितय म वीरता और अद य साहस का प रचय देने क िलए, वष 2002 म मेजर
राजपाल पुिनया को ित त यु सेवा मेडल दान िकया गया
हवलदार क ण कमार, सेना मेडल (मरणोपरांत) को समिपत, िसएरा िलयाेन क डा म िनिमत यु मारक
ऑपरशन खुकरी क सफलता क बाद, फोस कमांडर मेजर जनरल वी क जेटली क ओर से मेजर राजपाल पुिनया को
भेजा गया शंसा प
6.
अिभवादन : िगनी क सीमा पर

5 माच, 2000
आिखरकार वह समय आ ही गया, जब हम कला न क ओर अपने कदम आगे बढ़ाने थे;
एक ऐसा िदन, िजसका हम सभी तब से बड़ी बेस ी से इतजार कर रह थे, जब हमने पहली
बार लुंगी म कदम रखा था। ती ा और उ साह क भावना इतनी अिधक ती थी िक मुझे
नह लगता िक पूरी कपनी म कोई भी पूरी रात सो पाया था। अंितम बै रयर, िजसे थानीय
लोग ारा ‘बुश बै रयर’ कहा जाता था, हमार डी.डी.आर. कप से िसफ 100 मीटर आगे
था। इस बै रयर क आगे खतरा ब त अिधक बढ़ जाता था, य िक वहाँ से आर.यू.एफ. का
े ारभ हो जाता था। लगभग एक महीने तक वहाँ ठहरने क बावजूद हम म से कोई भी
उस बै रयर क पार नह गया था।
हमार जाने क पूव सं या पर मने अपना वाहन िलया, उसम अपने साथी िसपाही कार
को बैठाया और मोआ बैरक, जहाँ हम ठहर ए थे, से सफर शु िकया। हम दा शहर से
होते ए शहर क पूव े म प चे, जहाँ हमार कप क संतरी ने मेरा अिभवादन िकया।
आमतौर पर, संयु रा क सभी वाहन िशिवर म प चने पर क जाते थे, य िक इससे
आगे का े आर.यू.एफ.-िनयंि त े था, िजसम िबना आदेश क वेश करना घातक
सािबत हो सकता था। लेिकन वह रात पूरी तरह से अलग थी। शहर म पूरी तरह से शांित छाई
ई थी और िसफ हमारी कार क आवाज दूर तक सुनी जा सकती थी। म कप से आगे
िनकल गया—बुश बै रयर से लगभग 200 मीटर आगे और अंततः आर.यू.एफ. क े का
अनुभव करने क िलए क गया। इतनी सी देर म मेरा साथी बेहद परशान हो गया था, य िक
उसे पता नह था िक मेरा इरादा या ह?
सूबेदार फतेह को इस बात क सूचना दी गई िक मने बुश बै रयर को पार कर
िलया ह और वह िबना समय गँवाए मेर पीछ आ प चा। यह मेरा सौभा य था िक
मेर िसपाही आँख मूँदकर मुझ पर भरोसा करते थे, इसिलए उनम से िकसी ने भी
मेर फसले पर सवाल नह उठाया।
सूबेदार फतेह को इस बात क सूचना दी गई िक मने बुश बै रयर को पार कर िलया ह
और वह िबना समय गँवाए मेर पीछ आ प चा। यह मेरा सौभा य था िक मेर िसपाही आँख
मूँदकर मुझ पर भरोसा करते थे, इसिलए उनम से िकसी ने भी मेर फसले पर सवाल नह
उठाया। वापस आने पर मने सूबेदार फतेह को सूिचत िकया िक मोआ बैरक से कािफले क
जाने से पहले सुबह क ाथना उस थान पर होगी, जहाँ हम उस रात खड़ थे।
िव ोिहय क बबरता क कहािनय ने मेर सैिनक क मनोबल को काफ हद तक
झकझोरकर रख िदया था और ऐसा करना उनक हौसले एवं आ था को बढ़ाने का एक
िब कल सही तरीका था। इसक अलावा, रा ता बेहद लंबा था और हम इस बात का अंदेशा
था िक हम रा ते म कछ मानवीय बाधा का सामना करना पड़ सकता ह, िजनसे िसफ
ऊचे मनोबल क सहार ही िनबटा जा सकता ह। वह ाथना धरती क िलए एक याचना क
तरह थी—िपछले एक दशक से इसे झेल रह दद से छटकारा पाने क िलए। यह थायी शांित
क शु आत और देश म िहसा क अंत क तीक क प म भी काम करती। कम-से-कम
हमारा तो यही इरादा था। सुबह हमारा कािफला बुश बै रयर क आगे खड़ा था।
मेर िनदशानुसार ाथना क गई और म सबक चेहर पर आ मिव ास को देख सकता था।
आमतौर पर गंभीर रहनेवाले सूबेदार फतेह भी मुसकरा रह थे, य िक वे इस पूरी कवायद क
पीछ क मकसद को अ छ से समझ रह थे। जंगल क पेड़ ाथना क मं 16 क साथ िहल रह
थे, मानो वे हमारी या ा का माग श त कर रह ह ! हमने ‘भारत माता क जय’ का नारा
लगाया और कािफला आगे बढ़ने लगा। म यह देखकर काफ स था िक ‘भारत माता क
जय’ क नार काफ आगे प चने तक भी जारी रह।

ि ो ी े ै े
लगभग 10 िकलोमीटर क या ा क बाद कइवा म आर.यू.एफ. क पहले बै रयर से हमारा
सामना आ। मेरी मुलाकात आर.यू.एफ. क कपनी कमांडर मेजर टॉम सडी से ई, जो
आर.यू.एफ. क े म हमारा वागत करते ए धारा- वाह अं ेजी म बात कर रहा था।
मेजर टॉम सडी ईसाई धम को माननेवाला था और उसे आर.यू.एफ. कडर ारा एक उदार
कमांडर माना जाता था। मेजर सडी ारा हमार िलए एक वागत समारोह को आयोिजत
करक अपने समूह क उदार चेहर को थािपत करने क मंशा को म अ छ से भाँप गया था।
मने कपनी कमांडर का शुि या अदा िकया और हमारा कािफला आगे बढ़ गया।
माग पर आगे बढ़ने क साथ मने महसूस िकया िक जंगल और अिधक घना होता
जा रहा था, िजसक वजह से िदन क उजाले म भी हमारी यता सीिमत होती जा
रही थी। आज जब म पीछ मुड़कर देखता तो मुझे लगता ह िक वह उदास
जंगल हमार सामने आनेवाले गंभीर समय का एक तीक था, जो उथल-पुथल
और चुनौितय से भरा समय था।
माग पर आगे बढ़ने क साथ मने महसूस िकया िक जंगल और अिधक घना होता जा रहा
था, िजसक वजह से िदन क उजाले म भी हमारी यता सीिमत होती जा रही थी। आज जब
म पीछ मुड़कर देखता तो मुझे लगता ह िक वह उदास जंगल हमार सामने आनेवाले गंभीर
समय का एक तीक था, जो उथल-पुथल और चुनौितय से भरा समय था। उस समय
हमारा यान सूया त से पहले कला न प चने पर था; य िक िदन क उजाले म भी उस
सँकर व क े रा ते पर चलना बेहद किठन काम था।
इसक बाद आर.यू.एफ. क िजस अगले बै रयर का हम सामना करना पड़ा, वह िसएरा
िलओन क त कालीन रा पित क पैतृक गाँव पडबु म था, जहाँ हम ना ते क िलए क थे।
पडबु अपे ाकत एक बड़ा गाँव था, िजसम लगभग 100 झ पिड़याँ थ । यह कला न क
मुख म से एक था। थानीय लोग हमारा वागत करने क िलए एक ए; लेिकन िजस
बात ने मेरा यान अपनी ओर ख चा, वह थी गाँव म ‘लंबी बाजु ’ और ‘आधी बाजु ’
क अ छी-खासी सं या म मौजूदगी। यहाँ तक िक गाँव क पापा िगएमा भी हमारा
अिभवादन करने क िलए वहाँ मौजूद थे। जमीनी थित को बेहतर ढग से समझने क िलए
मने पडबु म आर.यू.एफ. क उप थित क बार म जानने क िलए कछ जाँच-पड़ताल करने
क कोिशश क । पापा िगएमा को मेरा पूछताछ करना पसंद नह आया और उनक जवाबी
िति या ने मुझे आर.यू.एफ. क पीछ क थानीय ताकत का अहसास कराया।
एक गाँव क प म पडबु एक िभखारी क िघसे-िपट िटन क एक याले क तरह
था; गंभीर गरीबी म डबा आ एक थान, जहाँ क लोग संसाधन क कमी और
अपया िचिक सा सुिवधा क कारण भुखमरी तथा लेग से मर रह थे।
एक गाँव क प म पडबु एक िभखारी क िघसे-िपट िटन क एक याले क तरह था;
गंभीर गरीबी म डबा आ एक थान, जहाँ क लोग संसाधन क कमी और अपया
िचिक सा सुिवधा क कारण भुखमरी तथा लेग से मर रह थे। मने थानीय लोग को
बताया िक शहर क चार ओर जंगल काफ घने थे, लेिकन रा ते म व य जीव का कोई
नामोिनशान नह था। उनका त काल उ र ‘चॉप-चॉप’ था—दो श द, जो यह इिगत करने क
िलए पया थे िक वे जीव उनका िनवाला बन चुक थे और जंगल म उनक मौजूदगी
समा हो चुक थी। एक अ छा पहलू यह था िक म थानीय लोग क आँख म आशा क
एक िकरण देख सकता था। उनक िलए हमार आगमन का संबंध ‘िवकास’ से जुड़ा था।
पापा िगएमा और उनक लोग का शुि या अदा करने क बाद कािफला कला न क ओर
बढ़ा। िसएरा िलओन क ऊबड़-खाबड़ सड़क पर आगे बढ़ते समय मेर म त क म
हवलदार क ण कमार और अ य लड़क क बार म िवचार आ रह थे, िज ह हम मेरी मरजी
क िव दा म ही छोड़ना पड़ा था, य िक हमारी ाथिमक हिथयार णाली और पैदल
सेना क लड़ाक वाहन (बी.एम.पी.) को दा म ही छोड़ना पड़ा था, जो एक बार हमार
कला न म यव थत हो जाने क बाद हमार पास आने थे। मेर दा छोड़ते समय आँसु
से भरी उनक आँख कला न तक क पूर सफर क दौरान मेर जेहन म क धती रह , य िक
म अपने सैिनक क प रवार क ित िज मेदारी का भार महसूस कर रहा था। मने ई र से
ाथना क िक वे मुझे इतनी श दान कर िक म अपना ल य पूरा हो जाने क बाद उ ह
उनक प रवार से दोबारा िमलने म मदद कर सक।
उनक प रवार क बार म सोचने क दौरान ही मुझे अपनी प नी क साथ ई आिखरी
बातचीत क भी याद आ गई और अगले कछ महीन तक उनक आवाज न सुन पाने क
टीस ने मेरा िदल तोड़ िदया। मने अपने बटए से उनक तसवीर िनकाली, िजसे मने यार से
े औ े े े े ोि
लपेट रखा था और अपने साथ लेकर आया था। म काफ देर तक उनक चेहर को िनहारता
रहा; उनक भूरी आँख मेरी आ मा को तार-तार कर ग और उ ह ने मुझे अपने स मोहन
पाश म ऐसे बाँध िलया, जैसे कोई स मोिहत करनेवाला भी नह बाँध सकता। उसक ओर
देखते ए मने अपने िसपािहय क सम आनेवाले िकसी भी खतर का सामना करने और
सुरि त प से अपनी कपनी को घर वापस प चाने क ताकत जुटाई। उस ण म यह
महसूस कर सकता था िक मेरी प नी ने मेरा हाथ पकड़ रखा ह और वह अपनी सारी
सकारा मकता मुझम समािहत कर रही ह। इसक बाद मुझे कछ दूरी पर एक िनिमत े
िदखाई िदया, िजसम क ट क ब त सार घर बने ए थे और मने यह अंदाजा लगाया िक
हम अपने गंत य, कला न, तक प चने वाले ह।
कला न को पहली नजर म देखते ही यह आसानी से समझ म आ जाता था िक
वह एक ऐसा शहर ह, जो उस देश क सबसे बबर यु का सा ी बना ह। वह
एक ऐसा शहर था, जो कभी िसएरा िलओन क ताज का सबसे क मती गहना था;
य िक उसक चार ओर क मती हीर क खदान ब तायत म मौजूद थ ।
कला न को पहली नजर म देखते ही यह आसानी से समझ म आ जाता था िक वह एक
ऐसा शहर ह, जो उस देश क सबसे बबर यु का सा ी बना ह। वह एक ऐसा शहर था,
जो कभी िसएरा िलओन क ताज का सबसे क मती गहना था; य िक उसक चार ओर
क मती हीर क खदान ब तायत म मौजूद थ । लेिकन वे हीर खून से सने हिथयार म
बदल गए और बबरता एवं उप व क तीक बन गए, िजसक प रणाम व प असं य
िनद ष लोग क ह याएँ । कला न म पहला कदम रखते ही एक अजीब सी दुगध ने
हमारा वागत िकया, िजसने पूर शहर को एक कबल क तरह अपनी चपेट म ले रखा था।
चार ओर तबाही का मंजर प देखा जा सकता था और गोिलय क छद , ग एवं
दरार क चलते ढही ई इमारत को देखा जा सकता था। छोट ब े सड़क क एक तरफ
खड़ होकर ‘पुमई’ िच ा रह थे, िजसक बार म हम बाद म पता चला िक वह ‘ ेत
आदिमय ’ को कहा जाता था और यह िवशेष संबोधन आिखर तक हमार साथ जुड़ा रहा।
आप सोच सकते ह िक वे वा तिवक गोर य को या कहकर पुकारते!
शहर म लगभग 100 मीटर भीतर जाने पर हम कला न ायर पर प चे; ऐितहािसक
आकार क क ट क इमारत का बना आ एक चौराहा, जो उनका टाउन हॉल था।
कला न म करीब 200 से 300 घर थे और खँडहर बन चुका यह शहर उस दा तान को सुना
रहा था िक कभी यापार का एक फलता-फलता क रहा यह थान अब त करी का क
बन गया। कला न चौक क एक तरफ एक िवशाल खुला मैदान था, जहाँ हम लोग का झुंड
देख सकते थे। मने यह जानने क िलए कािफले को रोका िक कह वे हमार िलए, उनक िलए
शांित क अ दूत का औपचा रक वागत करने क िलए तो एक नह ए ह! सभी लोग
अपने चमकदार पारप रक प रधान म थे; पु ष अपने लंबे व झूलते ए लबादे म और य
ने िसर पर ऐसी नाटक य टोिपयाँ पहनी ई थ िक सारा माहौल उ सवमय लग रहा था। इस
सार तमाशे क बीच एक स न हमार िलए आगे बढ़। वह हर लबादे म एक अ छ कपड़
पहने ए, भावशाली स न से तीत हो रह थे, िजनक उ 40-45 वष क आसपास क
रही होगी। एक लंबी और भारी वजन क मिहला ने उनका प रचय करवाते ए बताया िक वे
कला न क पापा िगएमा ह। मने उनका अिभवादन िकया और बदले म उ ह ने शालीनता क
साथ हमारा वागत िकया।
उ ह ने शहर क एक छोर पर बनी ई एक इमारत क ओर इशारा करते ए
बताया िक उसे हमार ठहरने क िलए िनधा रत िकया गया ह। मुझे बताया गया िक
वह एक प र य सरकारी अ पताल क इमारत ह, जो उस थान से करीब 500
मीटर पूव म ह, जहाँ हम खड़ थे।
उ ह ने शहर क एक छोर पर बनी ई एक इमारत क ओर इशारा करते ए बताया िक
उसे हमार ठहरने क िलए िनधा रत िकया गया ह। मुझे बताया गया िक वह एक प र य
सरकारी अ पताल क इमारत ह, जो उस थान से करीब 500 मीटर पूव म ह, जहाँ हम खड़
थे। हम अपने भोजन को लेकर कोई िचंता नह थी, य िक हम अपने साथ इतना खाना
बाँधकर चले थे, जो रात क भोजन क िलए पया था। लेिकन थानीय लोग ने मुझे पीने क
पानी क गंभीर सम या क बार म जानकारी दी, य िक अिधकांश थानीय जल संसाधन
दूिषत थे। मने अपने सैिनक क ित उनक िचंता क िलए उनका शुि या अदा िकया और
तुरत ज द-से-ज द एक जल- ोत क थापना सुिन त करने क िलए घोषणा क , जो
मेर सैिनक क साथ-साथ थानीय िनवािसय क आव यकता क भी पूित कर। म बेहद
भा यशाली था िक म लोग को ऐसा भरोसा दे पाने म स म था और एक जल- ोत को
ि े ि ी ो े ी े ि
थािपत करने क िलए आव यक सभी साजो-सामान से पूरी तरह से सुस त था, य िक
िकसी भी थित म िशिवर थािपत करने क िलए पानी एक मह वपूण आव यकता थी।
म यह देखकर आ यचिकत रह गया िक मेर ऐसा वादा करते ही थानीय लोग
ने जमकर जय-जयकार क । उनक ती शंसा इस बात क ओर संकत कर रही
थी िक वे पानी और िबजली जैसी जीवन क बुिनयादी ज रत क िबना िकतना
नारक य जीवन जी रह थे!
म यह देखकर आ यचिकत रह गया िक मेर ऐसा वादा करते ही थानीय लोग ने जमकर
जय-जयकार क । उनक ती शंसा इस बात क ओर संकत कर रही थी िक वे पानी और
िबजली जैसी जीवन क बुिनयादी ज रत क िबना िकतना नारक य जीवन जी रह थे! मुझे
ऐसा महसूस आ, जैसे मने सही िदशा म एक ब त बड़ी उपल ध हािसल कर ली हो और
थानीय लोग क रवैए को लेकर मेर मन म आ रही तमाम आशंकाएँ दूर हो ग । मने उ ह
जीवन क सबसे अनमोल व तु पीने क पानी को उपल ध करवाने का िज मा अपने ऊपर ले
िलया। गमजोशी भर उस वागत क िलए पापा िगएमा और थानीय लोग का ध यवाद करने
क बाद हम अ पताल क उस इमारत क ओर बढ़ गए।
वह एक अपे ाकत नई दो मंिजला इमारत थी। हालाँिक, िपछले 3-4 वष से उपयोग म न
आने क चलते उसक काफ मर मत िकए जाने क आव यकता थी, जो सूबेदार फतेह क
देखरख म पहले ही ारभ िकया जा चुका था। मने िबना समय गँवाए सभी अिधका रय को
बुलाया और सभी को जमीनी काय शु करने क िलए समिपत िज मेदा रयाँ स प , िजसम
सुरि त पेयजल उपल ध करवाना हमारी ाथिमकता थी। मने उस इमारत क सुर ा क जाँच
करना ारभ िकया। शहर से थोड़ा दूर होने क चलते वह जगह िब कल वग सरीखी थी;
लेिकन इसक बावजूद उसक चार तरफ तार क बाड़ ख चे जाने क आव यकता थी। इसक
अलावा, मेर सैिनक क सुर ा क से उिचत संतरी पो ट का िनमाण भी िकया जाना
था।
क ट से िनिमत होने क कारण उस इमारत क ऊची जमीन क मुकाबले अपनी किमयाँ
थ , जो िक कला न शहर क दूसर छोर पर थत जमीन का एक ऊचा भूभाग था, जो तैनाती
क िलए साम रक प से अिधक उपयु था। हालाँिक, ाथिमक प से हमार वहाँ िटकने
क मामले म शासिनक से उस थान का अपना मह व था। इसिलए हमने िनणय िलया
िक हम अपना पहला िशिवर इस अ पताल क इमारत म ही थािपत करगे और आनेवाले
समय म उसे ऊची जमीन पर थानांत रत कर लगे। सूबेदार फतेह ने यह सुिन त िकया िक
मशीन गन से लैस दो संतरी सुर ा का िज मा सँभाल और साथ ही इमारत क 50 मीटर क
दायर म तारबंदी का काम पूरा हो जाए। इस काम को यु - तर पर पूरा िकया गया और
सूया त से पहले तमाम सुर ा इतजाम पूर कर िलये गए।
सै य इजीिनयर क एक टकड़ी, िजसे कला न म एक जल िबंदु क संभा यता
क जाँच करने का काम स पा गया था, एक सकारा मक खबर क साथ लौटी िक
ऊची जमीन क पास थत पुराने जल िबंदु क पुन ार क अ छी संभावना ह
और वे अगले िदन से अपने इस काम पर जुट जाएँगे।
सै य इजीिनयर क एक टकड़ी, िजसे कला न म एक जल िबंदु क संभा यता क जाँच
करने का काम स पा गया था, एक सकारा मक खबर क साथ लौटी िक ऊची जमीन क पास
थत पुराने जल िबंदु क पुन ार क अ छी संभावना ह और वे अगले िदन से अपने इस
काम पर जुट जाएँगे। हालाँिक, हमारा जेनरटर शु करते ही बंद हो गया और उसक एक
िवशेष पुरजे को बदलना आव यक था। मने क टन सुनील से कहा िक वे 5/8 गोरखा
राइफ स क एडजुटट से संपक कर, तािक दा से आनेवाले हमार ताजा राशन क वाहन क
साथ ही जेनरटर का वह पुरजा ज द-से-ज द भेजा जा सक, य िक हमारी आपूित दा
थत हमार बेस से ही होनी थी।
कल िमलाकर, पानी क आपूित को लेकर तो अ छी खबर िमली थी, लेिकन िबजली क
आपूित से जुड़ी खबर जरा भी अ छी नह थी और उसका सबसे बड़ा कारण यह था िक वह
एक अँधेरी व खामोश रात थी और म छर क िभनिभनाहट ही कछ ऐसी थी िक वह हमारा
मनोरजन कर रही थी। हमने यह बात महसूस क िक कला न म सबसे बड़ी परशानी म छर
और जंगली म खयाँ थ । वे सूया त होने क बाद अपने काम पर िनकलते थे और इतने
िज ी थे िक उनसे छटकारा पाने क हमार अंतहीन यास क बावजूद वे हमार आसपास ही
िभनिभनाते रहते थे। ऐसे म, हमार पास मौजूद म छरदानी सबसे बड़ा वरदान सािबत ई,
िजसक चलते हम चैन क न द लेने म कामयाब रह। कला न दुिनया म या सबसे
ी े ि ी ो ि े
भयानक बीमा रय से िसत था। वष बाद तक भी इबोला वायरस क कारण दुिनया म सबसे
यादा मौत कला न म ही होती थ ।
िब तर पर लेटने से पहले िक या सुर ा यव था अपने थान पर चौकस ह या
नह , और संत रय को िनदश िदया िक वे अपनी हवी ूटी टॉच को चालू
हालत म रख, तािक उ ह दूर तक का नजारा देखने म आसानी रह। उस रात मेर
िवचार मेरी न द पर पूरी तरह से हावी रह और म यह सोचता रहा िक आनेवाले
समय क िलए कला न ने हमार िलए या िछपाकर रखा ह?
िब तर पर लेटने से पहले िक या सुर ा यव था अपने थान पर चौकस ह या नह , और
संत रय को िनदश िदया िक वे अपनी हवी ूटी टॉच को चालू हालत म रख, तािक उ ह
दूर तक का नजारा देखने म आसानी रह। उस रात मेर िवचार मेरी न द पर पूरी तरह से हावी
रह और म यह सोचता रहा िक आनेवाले समय क िलए कला न ने हमार िलए या िछपाकर
रखा ह? तभी दोपहर म थानीय लोग ारा तािलयाँ बजाने और जयकार लगाने का य मेर
िदमाग म टट ए रकॉड क तरह िफर से बजने लगा। इसने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर
िदया िक हम तु छ लगनेवाले मु े—वे चीज, िज ह हम बेहद हलक म लेते ह तथा वे चीज,
जो हमार िलए आव यकता ह, लेिकन इन लोग क िलए िवलािसता ह—इन थानीय लोग
क बीच जबरद त खुशी पैदा कर सकती ह। इन लोग ने एक दशक से भी अिधक समय से
गृह यु क िवभीिषका क अलावा और कछ नह झेला था। वहाँ पर ऐसे ब े मौजूद थे, जो
उस किठन दौर म पैदा ए थे और उ ह ने जीवन क सामा य तरीक क प म लड़ने क
अलावा कछ भी नह देखा था। उ ह ने इस धरती पर पैदा होने क चलते बबरता और
अ याचार को ही जीवन का अिभ अंग मान िलया था, िजसने उनक आनंदमय व लापरवाह
बचपन को पूरी तरह से न कर िदया था। म यह सोच रहा था िक हमार ब े िकतने
सौभा यशाली ह िक वे एक ऐसे देश म पैदा ए ह, जहाँ वे ेम एवं अपनेपन क सा ी बनते
ह और इसक अलावा, जहाँ उ ह िसफ ब ा बने रहने क आजादी िमली ई ह।
उसी समय मने तय कर िलया िक म आर.यू.एफ. क िनर ीकरण क िलए िनकलने से
पहले थानीय लोग क िदल व िदमाग को जीतने क िलए आ ामक रणनीित तैयार क गा।
म इस थान को लेकर पूरी तरह से आ त था, य िक म यह बात समझ रहा था िक
कला न म आर.यू.एफ. क जीवन रखा काफ हद तक थानीय समथन पर आि त थी।
इसिलए आर.यू.एफ. क रता पर लगाम लगाने क िलए हम सबसे पहले इस समथन
णाली पर रोक लगानी थी। अपने मन म इन िवचार क साथ म न द क आगोश म समा
गया।
अगली सुबह म अपने जागने क सामा य समय से थोड़ी देर से जागा और कछ
अिधक समय पर िब तर पर ही लेटा रहा। मने अपने ऑपरशन क पहले चरण
‘ थानीय िनवािसय क िदल को जीतना’ को पूरा करने क िलए अंितम रणनीित
तैयार करने और अपनी काय-योजना को अमली जामा पहनाने का यास िकया।
अगली सुबह म अपने जागने क सामा य समय से थोड़ी देर से जागा और कछ अिधक
समय पर िब तर पर ही लेटा रहा। मने अपने ऑपरशन क पहले चरण ‘ थानीय िनवािसय
क िदल को जीतना’ को पूरा करने क िलए अंितम रणनीित तैयार करने और अपनी काय-
योजना को अमली जामा पहनाने का यास िकया। म इस बात को ब त अ छ से जानता था
िक आर.यू.एफ. को कला न म थानीय आबादी क समथन क आव यकता थी, इसिलए
मने पहले उस समथन आधार को लि त करने का िनणय िलया। मने एक बार कह पढ़ा था
िक ‘आप अकले यु तो लड़ सकते ह, लेिकन उसे जीतने क िलए आपको एक सेना क
आव यकता होती ह।’ इसिलए समथक क उस सेना पर भावना मक कटनीित से अंकश
लगाना सबसे मह वपूण था।
म ज दी से तैयार हो गया। मने सभी अिधका रय को कप लगाने का िनदश िदया और
पापा िगएमा से िमलने क िलए शहर क ओर चल िदया। संपक साधने क िलए वे सबसे
उिचत य थे, य िक वे कला न क लोग को पीने यो य पानी उपल ध करवाने पर मेर
यान आकिषत करने से बेहद खुश थे। मने उनसे यान िदए जानेवाले अ य े क बार म
पूछा और उ ह आ ासन िदया िक हम थानीय लोग क हरसंभव सहायता करगे। उ ह ने
िचिक सा सहायता माँगी, िजसक िलए सौभा य से मने पहले से ही अपने मन म एक योजना
बना रखी थी। मने पापा िगएमा से वादा िकया िक हमार डॉ टर, मेजर मुरली, ितिदन शहर
म सभी रोिगय को देखने क िलए दो घंट का समय दगे। मेरी यह बात सुनते ही पापा िगएमा
अपनी करसी से उछल पड़ और पूरी गंभीरता से मुझे ध यवाद िदया।
म लुंगी म बेहद सफल रह अपने ‘वॉलीबॉल मॉडल’ को कला न टाउन ायर
म दोहराना चाहता था और पापा िगएमा से इस िवषय म चचा क । मुझे यह
देखकर आ य आ िक वे वॉलीबॉल क खेल को ब त पसंद करते थे और
अपनी युवाव था म एक शानदार िखलाड़ी रह थे। तो कल िमलाकर, सबकछ
िब कल ठीक िदशा म आगे बढ़ रहा था।
म लुंगी म बेहद सफल रह अपने ‘वॉलीबॉल मॉडल’ को कला न टाउन ायर म
दोहराना चाहता था और पापा िगएमा से इस िवषय म चचा क । मुझे यह देखकर आ य
आ िक वे वॉलीबॉल क खेल को ब त पसंद करते थे और अपनी युवाव था म एक
शानदार िखलाड़ी रह थे। तो कल िमलाकर, सबकछ िब कल ठीक िदशा म आगे बढ़ रहा
था। इसक बाद पापा िगएमा ने मुझे कला न शहर का दौरा करवाया और मुझसे इस बात को
लेकर चचा क िक कसे कभी एक संप यापा रक क आज पूरी तरह से बरबाद हो चुका
था। मौक क नजाकत को भाँपते ए मने वकालत क िक शांित और सामा य थित सभी
क िहत म होगी और म पापा िगएमा क मुँह से भी वही सुर सुनकर हरान रह गया। यह
वा तव म एक यो य य गत समीकरण क शु आत थी। शहर क या ा क दौरान थानीय
लोग क साथ कई मौक पर ई चचा क ज रए मने महसूस िकया िक उनम से अिधकांश
थायी शांित क प धर थे; लेिकन उनम से कोई भी आर.यू.एफ. क धुन पर नाचने को तैयार
नह था।
पापा िगएमा ने सभी को गव से बताया िक पीने क पानी क सम या को हल करने क बाद
म शहर म रोिगय क देखभाल क िलए सेना क डॉ टर को भेजने जा रहा था, िजससे मुझे
लोग क िदल को जीतने क अपने मकसद को हािसल करने म मदद िमली। हमने िचिक सा
िशिवर थािपत करने क िलए टाउन ायर को चुना। हमने ऊची जगह क बगल म जल
िबंदु का भी दौरा िकया, जहाँ हमार इजीिनयर पहले से ही अपने काम म जुट ए थे। यह
देखकर हमार इराद पर पापा िगएमा का िव ास और अिधक मजबूत हो गया।
म पापा िगएमा को आगे क सीट पर बैठाकर खुद गाड़ी चला रहा था और मेरा ाइवर
पीछ बैठा था। पापा िगएमा मुझे उस मोटी मिहला क घर ले गए। मुझे यह जानकर ब त
अ छा लगा था िक उस मिहला का नाम ‘िस टर’ था। वे एक गमजोशी से भरी और
िमलनसार मिहला थ , िजनक चेहर पर हर समय मुसकान तैरती रहती थी; ऐसी मुसकान,
िजसने उनक सभी दुःख को िछपाकर रखा आ था। म यह जानकर भीतर तक िहल गया
िक वे गृह यु म अपने पित एवं तीन ब को गँवा चुक ह और अब इस दुिनया म ऐसा
कोई नह ह, िजसे वे अपना कह सक। मने उनसे कहा िक अब उसे कभी खुद को अकला
महसूस नह करना चािहए, य िक अब से वे मेरी बहन ह गी। उनक आँख म आँसू आ गए
और उ ह ने मुझे गले से लगा िलया।

सच क , तो मने इस बात क क पना भी नह क थी िक लोग क िदल व


िदमाग को जीतने क काम म इतनी तेजी से आगे बढ़ने म कामयाब र गा।
हालाँिक, मने महसूस िकया िक वहाँ क हर य म सादगी िनिहत थी। उ ह
जीतकर अपना बनाने म अिधक समय नह लगा, य िक छोट-छोट यास ही
उनक िदल को ण भर म ेम से भर देते थे और िदल व िदमाग एक थे।
सच क , तो मने इस बात क क पना भी नह क थी िक लोग क िदल व िदमाग को
जीतने क काम म इतनी तेजी से आगे बढ़ने म कामयाब र गा। हालाँिक, मने महसूस िकया
िक वहाँ क हर य म सादगी िनिहत थी। उ ह जीतकर अपना बनाने म अिधक समय नह
लगा, य िक छोट-छोट यास ही उनक िदल को ण भर म ेम से भर देते थे और िदल व
िदमाग एक थे। इसिलए, अगर हम उनका िदल जीतने म सफल रहते ह तो हम बेहद आसानी
से उनका िदमाग भी जीत सकते ह और इसिलए, जहाँ तक कला न व मड क लोग क बात
ह तो भारतीय सेना म इ तेमाल िकया जानेवाला वा यांश ‘िदल व िदमाग को जीतने क िलए’
िसफ ‘िदल जीतने’ तक ही िसमट गया था।
अगर मुझे लोग का िदल जीतना ह तो मुझे भी िदल से ही सोचना होगा। इसिलए मने
अपनी सुबह क काय-योजना को ‘ थानीय लोग क िदल जीतने’ से ‘िदल से िदल तक’ या
‘एच से एच’ म बदल िदया। हालाँिक यह कला न म मेरा दूसरा ही िदन था, लेिकन म इतने
समय म ही ब त कछ सीख चुका था। मने पापा िगएमा को अलिवदा कहा, िज ह ने अपने
दोन हाथ को आगे कर मुझसे हाथ िमलाया और ऐसा करते ए उनक चेहर पर एक बड़ी
सी मुसकान फल गई थी और वे मुझे कला न म ‘भगवा का भेजा आ दूत’ कह रह थे।
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शहर क बेहद संतोषजनक दौर क बाद म वापस आया और बाक का िदन अपने िशिवर म
िनयिमत शासिनक मु को सुलझाने म िबताने का फसला िकया।
अगले िदन, सुबह होते ही मुझे सूिचत िकया गया िक एक मिहला मुझसे िमलने आई ह। म
तुरत ही बाहर आया और देखा िक वे िस टर संतरी पो ट क िब कल पास खड़ी ह। उ ह ने
मुझे बताया िक उ ह पापा िगएमा ने भेजा ह और कहलवाया ह िक अगर संभव हो तो म तुरत
टाउन हॉल पर प च जाऊ, िजसका जवाब मने ‘हाँ’ म िदया। मेरा िदमाग दौड़ना शु हो
गया और वह इस मुलाकात क पीछ क मंशा को समझने का यास कर रहा था; य िक
िस टर को भी पापा िगएमा क िनमं ण क उ े य क बार म कछ पता नह था।
म तुरत तैयार आ और क टन सुनील से कहा िक वे भी मेर साथ इस बैठक क
िलए चल। टाउन हॉल प चने पर मने देखा िक पापा िगएमा कछ अ छ कपड़
पहने ए लोग क साथ बैठ िकसी गंभीर िवचार-िवमश म त ीन थे। पापा
िगएमा ने कहा िक वे कला न म मेर आगमन पर उ सािहत थे और चाहते थे िक
म आर.यू.एफ. ि गेड क कमांडर कनल मािटन और आर.यू.एफ. कपनी क
कमांडर मेजर कपोई से िमलूँ, िजनक कध पर कला न शहर क िज मेदारी थी।
म तुरत तैयार आ और क टन सुनील से कहा िक वे भी मेर साथ इस बैठक क िलए
चल। टाउन हॉल प चने पर मने देखा िक पापा िगएमा कछ अ छ कपड़ पहने ए लोग क
साथ बैठ िकसी गंभीर िवचार-िवमश म त ीन थे। पापा िगएमा ने कहा िक वे कला न म
मेर आगमन पर उ सािहत थे और चाहते थे िक म आर.यू.एफ. ि गेड क कमांडर कनल
मािटन और आर.यू.एफ. कपनी क कमांडर मेजर कपोई से िमलूँ, िजनक कध पर कला न
शहर क िज मेदारी थी।
मेरी समझ म नह आया िक मुझे या करना चािहए; लेिकन मने तुरत ही खुद को सँभाला
और उनसे हाथ िमलाया। कनल मािटन ने कहा िक पापा िगएमा ने आपक ब त शंसा क
ह और िसफ उनक अनुरोध पर ही वे मुझसे िमलने यहाँ आए ह। म अभी भी खुद को
सँभालने का यास कर रहा था, य िक यह सब ब त ज दबाजी म आ था और मने उनक
इस शानदार संकत क िलए कनल मािटन का शुि या अदा िकया। कनल मािटन म यम कद
क और छोट बाल वाले एक युवा य थे, जो काफ अ छी अं ेजी बोलते थे। मने तुरत
खुद को आगाह िकया िक मुझे बाक िकसी भी िवषय पर बातचीत करनी ह, लेिकन
िनर ीकरण क बार म नह ; य िक िकसी भी अि य िवषय पर बात करने से पहले
य गत संबंध िवकिसत करना मह वपूण था।
हमने अगले आधे घंट म कला न क ओर जानेवाली सड़क क थित, लुंगी म हमार
वास क बार म, भारत क बार म इसक ही िवषय पर बात क , लेिकन मु य एजड का
िज तक नह िकया। मुझे पता चला िक कनल मािटन लाइबे रया क रहनेवाले थे और युवा
होने क बावजूद उ ह जंगल म लड़ने का जबरद त अनुभव था। कनल मािटन क साथ
अ छ कपड़ पहने ए एक खास स न मौजूद थे, जो ब त ही चतुर और बुि मान िदखाई
देते थे। मुझे बाद म पता चला िक उनका नाम जोनाथन था। जोनाथन कला न म
आर.यू.एफ. क मुख रणनीितकार थे, य िक आर.यू.एफ. म येक ि गेड कमांडर क
साथ एक बुि जीवी को िनयु करने क यव था थी। वे देखने म उ िशि त तीत होते
थे और मुझे बाद म पता चला िक उ ह ने लाइबे रया क एक कॉलेज से मा टर िड ी हािसल
क ह। कनल मािटन क साथ ई यह मुलाकात बेहद उ साहपूण व गमजोशी भरी थी और
उ ह ने जाने से पहले कला न शहर क लोग क िलए पीने का पानी तथा िचिक सा सुिवधा
दान करने क मेरी पहल क िलए मेरा ध यवाद िकया।
कनल मािटन क जाने क बाद मने बैठक आयोिजत करने क िलए पापा िगएमा को
ध यवाद िदया। उ ह ने मुझे बताया िक आर.यू.एफ. क लोग रोजमरा क काम क िलए शहर
का दौरा कर रह थे और उ ह लगा िक यह उिचत होगा िक वे मुझसे िमल। बटािलयन
कमांडर क बार म पूछताछ करने पर पापा िगएमा ने मुझे बताया िक आर.यू.एफ. क
संरचना म कई कपिनय को सीधे ि गेड कमांडर क अधीन रखा गया था और वहाँ पर
बटािलयन कमांडर जैसा कोई पद था ही नह । मुझे यह एक बेहद शानदार यव था लगी—
गु र ा यु म ब त कम परत वाली छोटी सं थाएँ बेहतर बंिधत णाली बन जाती ह।
पापा िगएमा मेर अनुरोध पर हमार िशिवर म आने को सहमत ए, जहाँ प चकर वे उसे
देखकर बेहद भािवत ए िक हमने इतने कम समय म कसे अ पताल क इमारत का
कायाक प कर िदया था। हमने चाय क दौरान िविभ मु पर चचा क । मने े म ग त
शु करने क इ छा य क ; लेिकन यह नह समझ पा रहा था िक शु कसे िकया
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जाए? तभी पापा िगएमा ने मुझे सलाह दी िक मुझे उनक ारा उपल ध कराए गए थानीय
गाइड क मदद लेनी चािहए। हमने उस िदन दोपहर का भोजन एक साथ िकया और वे
भारतीय आित य क साथ-साथ भोजन से भी बेहद खुश थे; हालाँिक, हमारी मुलाकात से
पहले उ ह नह पता था िक ‘भारत’ नाम का एक रा अ त व म भी ह। उनक जाने का
समय होने पर मने उनसे कहा िक हमने उस शाम से टाउन ायर म वॉलीबॉल खेलना
शु करने का फसला िकया ह और इस बात को सुनकर वे बेहद स ए।
कला न क िलए अपनी काय-योजना को तैयार करने क बाद अब समय था िक
हम कला न क चार ओर थत दूर-दराजवाले गाँव म अपनी प च बनाएँ। इस
कवायद क िह से क प म हमने जावेई सरदार क एक गाँव गेले न का चयन
िकया, जो लाइबे रया क सीमा से लगा अंितम गाँव था।
कला न क िलए अपनी काय-योजना को तैयार करने क बाद अब समय था िक हम
कला न क चार ओर थत दूर-दराजवाले गाँव म अपनी प च बनाएँ। इस कवायद क
िह से क प म हमने जावेई सरदार क एक गाँव गेले न का चयन िकया, जो लाइबे रया क
सीमा से लगा अंितम गाँव था। मड भाषा म ‘गेले न’ नाम का अथ ह—‘जहाँ गाँव का अंत
होता ह’। यह नाम पूरी तरह से उिचत भी था, य िक गेले न क आगे और कोई गाँव नह
था।
हम सुबह ज दी िनकल िलये, य िक गेले न क ओर जानेवाली सड़क ब त ऊबड़-
खाबड़ थी, जैसे हम एक ाचीन युग म ले जा रही हो। पहली नजर म गेले न काफ
िपछड़ा आ लग रहा था; यहाँ तक िक गाँव क वेश ार पर लगाया गया कनवास, िजस
पर फ क याही से ‘गेले न’ िलखा आ था, उस पर पड़नेवाली धूप क िकरण फट ए
कपड़ क छद से आर-पार हो रही थ —ये िवनाश क संकत थे। ऐसा लग रहा था, मानो
वहाँ क िनवासी अभी भी पाषाण युग म जी रह ह , िजनक पास बुिनयादी सुिवधाएँ शायद
ही मौजूद ह । भूखे ब े हमारी ओर आशा भरी नजर से देख रह थे और उ ह उ मीद थी
िक उ ह हमसे भूख िमटाने क िलए अ का एक दाना और यास बुझाने क िलए पानी क
एक बूँद िमलेगी।
गेले न म जीवन- याशा 40 वष से अिधक नह थी। कपोषण और महामारी ने लोग को
कई बार अपनी चपेट म िलया था, िजससे गंभीर नुकसान आ; य िक अिधकांश लोग क
पास आय या िचिक सा सुिवधा का कोई ोत नह था। उ ह अपने देश को तबाह करनेवाले
गृह यु से कोई मतलब नह था, य िक उनक पास अपने गाँव म लड़ जानेवाले रोजमरा क
यु क तुलना म उस यु म जीिवत रहने क अिधक संभावना थी; बुिनयादी चीज क िलए
यु , स मानजनक जीवन क िलए यु , हीर या गहन क िलए नह , ब क िसफ एक और
िदन जीिवत रहने तथा एक और सूय दय देखने क िलए होनेवाला यु !
पूरा नजारा इतना िवचिलत करनेवाला था िक मेजर नायर एवं मने एक-दूसर क
ओर देखा और अगले िदन मानवीय सहायता क साथ गाँव लौटने का फसला
िकया, जो संयु रा क शांित सैिनक क प म नह , ब क साथी इनसान क
प म हमारा कत य था। अपने िशिवर म लौटने क बाद हम दोन ने अपनी-
अपनी कपिनय से बात क और जो कछ हमने देखा था, उसे अपने सैिनक को
बताया।
पूरा नजारा इतना िवचिलत करनेवाला था िक मेजर नायर एवं मने एक-दूसर क ओर देखा
और अगले िदन मानवीय सहायता क साथ गाँव लौटने का फसला िकया, जो संयु रा क
शांित सैिनक क प म नह , ब क साथी इनसान क प म हमारा कत य था। अपने
िशिवर म लौटने क बाद हम दोन ने अपनी-अपनी कपिनय से बात क और जो कछ हमने
देखा था, उसे अपने सैिनक को बताया। हमने मानवीय सहायता पर िवचार-िवमश िकया, जो
हमार काय े म नह था और गैर-सरकारी संगठन एवं अ य एजिसय ारा िकया जाना था,
िज ह कला न म सामा य थित बहाल होने क बाद ही तैनात िकया जा सकता था। दुभा य
से, गेले न क कछ लोग इसक सा ी नह हो पाएँगे, य िक उनक िलए ब त देर हो चुक
होगी।
मने लुंगी म हमार उतरने क बाद से हमार पास इक ा ए बचे सूखे राशन, जो हमार
पास उपल ध था, को िनबटाने को लेकर कपनी क राय माँगी। सच क तो संयु रा क
िकसी सै य दल को होनेवाली राशन आपूित हमेशा उससे अिधक होती ह, िजतने का वे
उपभोग कर सकते ह; य िक वे खराब मौसमवाले िदन क भी योजना बनाते ह। सौभा य
से, हम अभी तक ऐसे संकट का सामना नह करना पड़ा था, िजसक वजह से हमार पास
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भंडार जमा होता रहा। म चाहता था िक लड़क मेर िवचार पर अपनी राय रख, य िक
आिखरकार वह उनक िह से का राशन था। मुझे ब त गव आ, जब मेरी कपनी क हर
सैिनक ने उठकर कहा िक यह सवश मान ई र क सबसे बड़ी सेवा होगी और हमार
बचे ए राशन को उपयोग करने का इससे बेहतर तरीका और कोई हो ही नह सकता था।
आिखरकार, हमने फसला िकया िक मेजर नायर और म डॉ टर एवं पया भोजन क
आपूित क साथ अगले िदन दोबारा गेले न जाएँगे।
इस बात क पूरी संभावना थी िक गाँववाल को इस बात क जरा भी उ मीद नह
थी िक हम अपना वादा पूरा करगे; लेिकन जब हमने उनसे कहा था िक हम
दोबारा आएँगे, तो हमारा मतलब था िक हम ऐसा ज र करगे। ामीण ने जैसे
ही राशन से भर क को अपनी ओर आगे बढ़ते देखा तो मने उनक चेहर पर जो
भाव देखे, म उनका बखान नह कर सकता; ऐसा लग रहा था, जैसे उस क को
देखते ही उ ह एक नया जीवन िमल गया हो।
इस बात क पूरी संभावना थी िक गाँववाल को इस बात क जरा भी उ मीद नह थी िक
हम अपना वादा पूरा करगे; लेिकन जब हमने उनसे कहा था िक हम दोबारा आएँगे, तो
हमारा मतलब था िक हम ऐसा ज र करगे। ामीण ने जैसे ही राशन से भर क को अपनी
ओर आगे बढ़ते देखा तो मने उनक चेहर पर जो भाव देखे, म उनका बखान नह कर
सकता; ऐसा लग रहा था, जैसे उस क को देखते ही उ ह एक नया जीवन िमल गया हो।
वह क उनक िलए एक ऐसी दुिनया म ऑ सीजन क िसलडर क समान था, जहाँ साँस लेने
क िलए हवा भी न हो। उनम से कछ तो ऐसे थे, जो िसफ इसी क वजह से अगले कछ िदन
देखने क िलए जीिवत रहगे। और इस िवचार ने हम संतु क भावना दान क ।
क गाँव क बीचोबीच क गया। इससे पहले िक थानीय लोग क पर चढ़ते,
हमने उन सभी को सुचा प से राशन िवत रत करने क िलए एक पं म
बैठाया और इसक बाद दवा से सुस त हमार डॉ टर ारा उनक पूण
िचिक सा जाँच क गई।
क गाँव क बीचोबीच क गया। इससे पहले िक थानीय लोग क पर चढ़ते, हमने उन
सभी को सुचा प से राशन िवत रत करने क िलए एक पं म बैठाया और इसक बाद
दवा से सुस त हमार डॉ टर ारा उनक पूण िचिक सा जाँच क गई। कला न म हमार
पाँव रखने क बाद से यह अब तक का सबसे अिधक संतु दान करनेवाला िदन था और
हम मानवीय सहायता गितिविधय को दूर-दूर तक फलाते ए उ ह और अिधक सु ढ़ करना
चाहते थे।
अपने िशिवर म वापस लौटने क बाद मने अपने रिडयो सेट क मा यम से दा म थत
िविभ गैर-सरकारी संगठन से संपक िकया और उनसे अनुरोध िकया िक वे कला न को
दी जानेवाली राशन व दवा क आपूित क गित को बढ़ाएँ। इसक बाद हमने हर सीमावत
गाँव म आपूित िवत रत करने क िलए ‘गेले न मॉडल’ को दोहराया। यहाँ पर मुझे एक बार
िफर यह दोहराना होगा िक मानवीय सहायता संयु रा क सै य दल का काय े नह ह।
यह काम ब त बाद म होता ह, जब वहाँ तैनात सेना ारा िकसी संकट त े म शांित
बहाल कर दी जाती ह। उसक बाद, एक शांत वातावरण म गैर-सरकारी संगठन और अ य
एजिसयाँ मानवीय सहायता दान करने क िलए आगे आती ह।
जमीनी तर पर असल मु ा यह ह िक ‘पाँच िसतारा आवास’, िजसे एन.जी.ओ. ितिनिध
अपनी नौकरी का ‘अ यंत मह वपूण’ िह सा मानते ह, को तबाही से िघर दूर-दराज क
इलाक म उपल ध नह करवाया जा सकता, िवशेषकर ऐसे े म, िज ह वा तव म
परोपकारी समथन क आव यकता होती ह। पता नह य , आम लोग क ज रत और
त काल आपूित दान करनेवाली एजिसय क ज रत क बीच एक िवसंगित मौजूद ह?
हमने, सै य दल ने, उन लोग क बीच क इस खाई को पाट िदया था, िजनक पास पहले से
ही तमाम सुख-सुिवधाएँ मौजूद ह और दूसर वे, िजनक िलए एक व का भोजन ही
सबकछ ह। इसका नतीजा यह आ िक िजले क सबसे दूर-दराज क े म रहनेवाले
लोग तक भी मानवीय सहायता प चनी ारभ हो गई। गेले न म शु क गई इस ांित क
प रणाम व प जो वा तिवक स ावना शु ई, उसका बयान नह िकया जा सकता।
गेले न क ांित क बाद थानीय लोग नीली टोपीवाल को पूजनीय मानने लगे। मानवीय
सहायता क खबर कला न िजले क हर नु कड़ और कोने तक प च गई। यहाँ तक िक
हमार आपूित और दवा क िवतरण क बाद वापस आने पर पापा िगएमा भी य गत प
से संयु रा क दल क शंसा करने क िलए पधार थे।
कल िमलाकर, मने महसूस िकया िक हम िपछले एक महीने से जो कछ कर रह
थे, लोग का िदल जीतने का उससे बेहतर और कोई तरीका नह हो सकता था
और हम उस समय क तुलना म बेहतर थित म नह हो सकते थे, जहाँ हम तीस
िदन पहले कला न म अपना पहला कदम रखते समय थे।
कई बार ई र खुद आपको रा ता िदखाते ह। सच क तो कला न प चने से पहले तक
यह सब मेरी योजना का िह सा नह था, िजसक नजार ने मुझे इन भूखे-नंगे लोग क मदद
करने क िलए े रत िकया। कल िमलाकर, मने महसूस िकया िक हम िपछले एक महीने से
जो कछ कर रह थे, लोग का िदल जीतने का उससे बेहतर और कोई तरीका नह हो सकता
था और हम उस समय क तुलना म बेहतर थित म नह हो सकते थे, जहाँ हम तीस िदन
पहले कला न म अपना पहला कदम रखते समय थे। चीज एक यव थत तरीक से आगे
बढ़ रही थ और सुर ा क शीष इतजाम पूरी तरह से ठीक थे तथा िवतरण का काम पूर जोर
पर जारी था।
एक सुहानी शाम मुझे सूचना दी गई िक आर.यू.एफ. का एक सैिनक मुझे तलाशते ए
हमारी संतरी चौक पर आया ह। मुझे मेजर क साथ एक अनौपचा रक वा ालाप क दौरान
यह संदेश िमला और हम दोन तुरत ही बाहर िनकले। हमने देखा िक सैिनक का एक समूह
हमारी चौक से 100 मीटर क दूरी पर खड़ा था। हम आगे बढ़कर उनक पास गए। हमार
म त क हमार कदम से तेज दौड़ रह थे और तभी मुझे इस बात का अहसास आ िक
कनल मािटन खुद मुझसे िमलने यहाँ आए थे। ह भगवा ! वे आर.यू.एफ. िव ोही समूह क
एक मह वपूण य थे और उ ह सा ा अपने दरवाजे पर खड़ा देखना इस बात का
संकत था िक हम वा तव म सही िदशा म आगे बढ़ रह ह।
कनल मािटन ने हम मानवीय सहायता दान करने क उ क काय क िलए बधाई
दी, िजसम हमारी कपनी शािमल थी। इसक बावजूद मुझे अ छ से पता था िक
कनल मािटन िसफ इसी काम क िलए यहाँ तक नह आए ह। इसिलए मने उनसे
अपनी कपनी क थान पर आने का अनुरोध िकया।
कनल मािटन ने हम मानवीय सहायता दान करने क उ क काय क िलए बधाई दी,
िजसम हमारी कपनी शािमल थी। इसक बावजूद मुझे अ छ से पता था िक कनल मािटन
िसफ इसी काम क िलए यहाँ तक नह आए ह। इसिलए मने उनसे अपनी कपनी क थान
पर आने का अनुरोध िकया। वे शु म कछ िहचिकचाए, लेिकन मेर आ ह करने पर वे
भीतर आने को सहमत हो गए। वे उस शाम थोड़ असहज लग रह थे। मने अनुमान लगाया
िक शायद उनक और चीज ठीक नह चल रही ह। इसिलए एक मै ीपूण संकत क प म
मने उनक संगठन क थित म बार म उनसे पूछा। इस पर कनल मािटन ने िगनी सेना क
अपने देश क े म घुसपैठ क खबर साझा क और चूँिक यह घटना कला न िजले म ई
थी, इसिलए इसक िज मेदारी उनक थी।
मने कनल मािटन से पूछा िक या यह खबर ामािणक ह? उ ह ने मुझे बताया िक इसक
सूचना आर.यू.एफ. क एक िव सनीय सू ारा दी गई थी, लेिकन उनक तर पर अभी
इसक पु क जानी बाक थी। इसक बाद मने उनसे उनक अगले कदम क बार म पूछा
और उ ह ने बताया िक वे अगले िदन जा रह ह तथा घुसपैठ क पु करने क बाद वे अपने
फ ड कमांडर जनरल इ सा सेसे को मामले क रपोट करगे। मने थित क गंभीरता को
महसूस िकया और इस मौक को कनल मािटन का िदल जीतने क िलए एक उिचत अवसर
माना; य िक इससे मुझे आर.यू.एफ. समूह म गहराई तक प चने का मौका िमल सकता था।
तभी अचानक मेर म त क म कछ आया और वह कनल मािटन क अ यंत नीरस चेहर पर
एक व रत मुसकराहट ले आया। मने उनसे कहा िक य न हम साथ िमलकर े म
संयु प से एक टोही अिभयान चलाएँ? कनल मािटन क या ा क पीछ भी शायद यही
मु य मकसद था। उ ह ने िसफ घुसपैठ क खबर देने क िलए इतनी दूरी नह तय क होगी।
आज, जब म पीछ मुड़कर देखता तो मुझे यह याद नह आता िक मने अपने मु यालय
से कोई मंजूरी िलये िबना यह ितब ता कसे पूरी क ? कभी-कभी आपका अवचेतन या
अंत ान आपका मागदशन करता ह और आपको काश िदखाता ह। यह वह पल था,
िजसका म इतजार कर रहा था। कनल मािटन ने मुझे ब त ध यवाद िदया। मने उनसे कहा
िक उ ह उस शाम वह कना चािहए और हमार साथ राि भोज का आनंद लेना चािहए।
ारिभक अिन छा क बाद कनल मािटन सहमत ए और मेजर नायर ने सुझाव िदया िक सभी
को रात क खाने से पहले ओ ड मॉ क पीनी चािहए।
मुझे एक तनावपूण शाम क बाद कनल मािटन को दोबारा उ साह म देखकर
बेहद खुशी ई। समय बीतने क साथ हवा म खुशी फली ई थी। कनल मािटन
को यह बात जानकर बेहद आ य आ िक सभी भारतीय सैिनक अगले एक
वष तक क िलए अपनी-अपनी प नय से दूर रहने वाले थे। मने उनसे पूछा िक
उनका अब तक का जीवन कसा रहा ह?
मुझे एक तनावपूण शाम क बाद कनल मािटन को दोबारा उ साह म देखकर बेहद खुशी
ई। समय बीतने क साथ हवा म खुशी फली ई थी। कनल मािटन को यह बात जानकर
बेहद आ य आ िक सभी भारतीय सैिनक अगले एक वष तक क िलए अपनी-अपनी
प नय से दूर रहने वाले थे। मने उनसे पूछा िक उनका अब तक का जीवन कसा रहा ह?
इसक बाद उ ह ने अपने जीवन क कहानी सुनाई। हम सब यह जानकर आ य म पड़ गए
िक उ ह ने अपने जीवन म िकतनी दद भरी प र थितय का सामना िकया था!
उ ह ने 6 वष क उ म अपने िपता को खो िदया था। उनका लालन-पालन लाइबे रया
क राजधानी मोनरोिवया क एक अनाथालय म आ था और उनक माता ने िकसी अ य
य से शादी करने क िलए उ ह अकला छोड़ िदया था। अनाथालय का जीवन ब त
अ छा नह था; ब क साथ जानवर से भी बदतर यवहार िकया जाता था। और
इसिलए, यातना से बचने क िलए वे 10 साल क उ म वहाँ से भाग गए। इसक बाद
अगले 3-4 साल बेहद किठन थे। उ ह एक समय का भोजन करते समय अगले भोजन क
िलए योजना तैयार करनी पड़ती थी। वे सड़क पर ही रहते थे और उ ह ने घरलू नौकर से
लेकर कारखाने क मजदूर तक का काम िकया। लेिकन उनक िक मत म कछ और ही
िलखा था। आिखरकार, वे चा स टलर क संपक म आए, जो उस समय सरकार को
उखाड़ फकने और अराजकता फलाने क िलए लाइबे रया म सैिनक क भरती कर रहा
था।
लाइबे रया म िव ोह स 1989 म शु आ और अगले 6 वष तक कनल
मािटन लगातार जंगल म लड़ रह थे, गु र ा यु क कला म महारत हािसल
कर रह थे। नतीजतन, उ ह कपनी कमांडर क पद पर पदो त िकया गया। स
1995 म लाइबे रया म एक शांित समझौते पर ह ता र िकए गए। लेिकन उनका
िनजी जीवन पूरी तरह से अ त- य त हो गया।
लाइबे रया म िव ोह स 1989 म शु आ और अगले 6 वष तक कनल मािटन
लगातार जंगल म लड़ रह थे, गु र ा यु क कला म महारत हािसल कर रह थे।
नतीजतन, उ ह कपनी कमांडर क पद पर पदो त िकया गया। स 1995 म लाइबे रया म
एक शांित समझौते पर ह ता र िकए गए। लेिकन उनका िनजी जीवन पूरी तरह से अ त-
य त हो गया। उनक प नी ने एक दूसर सैिनक क िलए उ ह छोड़ िदया। इसिलए उ ह ने
वे छा से अपना बेस िसएरा िलओन म थानांत रत कर िलया, जहाँ कपनी कमांडर क प
म तीन साल क लड़ाई क बाद उ ह ि गेड कमांडर क पद पर पदो त िकया गया। चा स
टलर क लाइबे रया का रा पित बन जाने क बाद उनक िसफा रश पर उ ह लाइबे रया क
सीमा से लगे िजले कला न क देखभाल करने क िज मेदारी दी गई थी।
आसमान क ओर देखते ए कनल मािटन ने कहा, “म य से नफरत करता ।”
उ ह ने जो जीवन िजया था, उसे देखते ए कोई भी उनक भावना को अ छ से समझ
सकता था; वह यार, जो उ ह ने अपनी माँ और प नी दोन से चाहा था; वह यार, जो हवा म
गायब हो गया था। उ ह ने मजािकया लहजे म कहा, “आप भारतीय सैिनक बेहद भा यशाली
ह, जो अगले एक साल तक मिहला से दूर रहगे, य िक मिहलाएँ फायदे से यादा
नुकसान करती ह।”
म कनल मािटन को कला न क ि गेड कमांडर क प म िनयु करने क पीछ क वजह
को समझ सकता था, य िक कोनो िजले से लाइबे रया जानेवाला माग—हीर क खदान का
क —कला न से होकर गुजरता था।
उस शाम पर वापस आएँ तो वह एक शानदार लमहा था। कनल मािटन औैर मेर बीच एक
गहरा य गत संबंध िवकिसत हो गया था और म एक कभी न ख म होनेवाली िम ता को
आकार लेते ए महसूस कर सकता था। आिखरकार, राि भोज क बाद कनल मािटन ने
अगले िदन हमारी िगनी क सीमा पर होनेवाली ग त क दौरान िमलने का वादा करते ए
हमसे िवदा ली।
सुबह क ग त, िजसक िलए म और मेजर नायर दोन ही जाने वाले थे, को हमार
मु यालय को हमार िसटरप म ‘िनयिमत ग त’ क प म संदिभत िकया गया था; य िक हम
ि ी ी े ि ी ी ी औ
िगनी क सीमा पर जाने क अनुमित नह थी। हमारा इरादा जमीनी ज रत और उ
अिधका रय ारा लगाए गए आिधका रक ितबंध क बीच संतुलन साधने का था। इसिलए
हमने बीच का रा ता लेने का फसला िकया और इसक योजना ‘िनयिमत ग त’ क प म
क । कनल मािटन सुबह 6 बजे हमारी कपनी क बेस पर प चे और हम िदन क िलए पया
शासिनक आपूित क साथ दो वाहन म चल िदए।
हम गािड़य से लोरलू गाँव तक जाना था, जो लगभग 10 िकलोमीटर दूर थत
था और उस े क थानीय कपनी कमांडर को हमारी अगवानी करनी थी।
इसक बाद हम घने जंगल क बीच 5 िकलोमीटर का पैदल सफर तय करक
करड गाँव प चना था, जहाँ किथत घुसपैठ क सूचना िमली थी। म सबसे आगे
चलनेवाले वाहन को चला रहा था।
हम गािड़य से लोरलू गाँव तक जाना था, जो लगभग 10 िकलोमीटर दूर थत था और
उस े क थानीय कपनी कमांडर को हमारी अगवानी करनी थी। इसक बाद हम घने
जंगल क बीच 5 िकलोमीटर का पैदल सफर तय करक करड गाँव प चना था, जहाँ किथत
घुसपैठ क सूचना िमली थी। म सबसे आगे चलनेवाले वाहन को चला रहा था। कनल
मािटन मेर साथ आगे क सीट पर बैठ थे और उन घुमावदार सड़क पर मुझे रा ता बता रह
थे। रा ते म ही हमने इस बात पर चचा क िक कसे मोआ नदी िगनी और िसएरा िलओन क
बीच एक ाकितक सीमांकन थी, िजससे सीमा संबंधी िकसी भी अिन तता क संभावना
ीण हो गई थी। कनल मािटन ने मेरा यान इस बात क ओर िदलाया िक कई मोड़ पर
मोआ नदी छोटी-छोटी जलधारा म िवभािजत हो गई थी और उसने अपना रा ता भी बदल
िलया था। हालाँिक, उ ह ने सीमा पर लगाए गए खंभ का कोई उ ेख नह िकया, िज ह
येक िकलोमीटर पर थािपत िकया गया था और िकसी भी िववािदत े म सीमा क इन
खंभ से सीमा क वा तिवक थित को जानने म ब त मदद िमलती ह।
हम िसएरा िलओन क िविवध थलाकितय पर चचा करते ए लगभग एक घंट
म लोरलू गाँव प चे, जहाँ योजना क अनुसार कपनी कमांडर ने हमारी अगवानी
क और वे नीली टोपीवाले कई सैिनक को देखकर बेहद स ए। हमने
झािड़य से शु आत क , जो बेहद घनी थ ।
हम िसएरा िलओन क िविवध थलाकितय पर चचा करते ए लगभग एक घंट म लोरलू
गाँव प चे, जहाँ योजना क अनुसार कपनी कमांडर ने हमारी अगवानी क और वे नीली
टोपीवाले कई सैिनक को देखकर बेहद स ए। हमने झािड़य से शु आत क , जो बेहद
घनी थ । हम कल िमलाकर 20 क सं या म थे और अगर िगनी क सेना िकसी थित म
हम पर हमला बोल देती तो यह एक बेहद मामूली सं या थी। ऐसे म, म यह सोचने पर
मजबूर हो गया िक अगर हम पर हमला हो जाता ह तो हम मु यालय क सामने अपनी थित
को कसे प कर पाएँगे, य िक उनक िलए तो हम शहर क नजदीक ‘िनयिमत ग त’ पर
िनकले ए ह? और हम यहाँ पर मौजूद थे िव ोही कमांडर क साथ, अंतररा ीय सीमा क
नजदीक। हम ठीक उस थान पर थे, जहाँ हम नह होना चािहए था।
करड गाँव क ओर चलते ए मने कनल मािटन क साथ आगे क काय-योजना पर चचा
करनी शु क । मने उ ह इस बात क िलए मनाया िक संयु रा क सैिनक क एक ब त
छोट ग ती दल को करड से पहले िगनी सीमा पर प चना चािहए। हमने आर.यू.एफ. क एक
सैिनक—सुकरात—को अपने साथ दुभािषए क प म ले जाने का फसला िकया, तािक हम
सीमा पर तैनात िगनी क सैिनक क साथ संवाद करने म मदद िमल सक। थित क गंभीरता
को समझते ए कनल मािटन अिन छा से इसक िलए सहमत ए। उ ह ने करड म कने का
फसला िकया, िजससे मुझे इस बात का अहसास आ िक इस आदमी ने इतने कम समय म
मुझ पर िकतना अिधक िव ास िकया ह।
करड को शायद ही एक गाँव माना जा सकता था। हम ना ते क िलए क थे। वहाँ पर
लगभग दो या तीन झ पिड़याँ थ , जो सभी क देखभाल करने क िलए पया मा ा म थ ।
हमारा दुभािषया, सुकरात, अं ेजी समझ सकता था और थोड़ी-ब त च, िगनी क
आिधका रक भाषा, भी बोल सकता था। पहले-पहल सुकरात िगनी क सैिनक ारा क गई
घुसपैठ को लेकर काफ उ ेिजत लग रहा था; लेिकन मने उसे शांत िकया और उसे िसफ
एक दुभािषए का काम करने क िलए कहा।
ना ते क बाद मेजर नायर और म हमारी कपनी क चार अनुर क एवं सुकरात क
साथ िगनी क पो ट क िलए रवाना ए। हम जैसे-जैसे नजदीक प चे, हम उनक
ौ ि ई े े ी ै े ी ि े ी
चौक िदखाई देने लगी। जैसे ही हम उसक प रिध से 500 मीटर क दायर म
प चे, हमने अपनी नीली टोिपयाँ हवा म लहरा द ।
ना ते क बाद मेजर नायर और म हमारी कपनी क चार अनुर क एवं सुकरात क साथ
िगनी क पो ट क िलए रवाना ए। हम जैसे-जैसे नजदीक प चे, हम उनक चौक िदखाई
देने लगी। जैसे ही हम उसक प रिध से 500 मीटर क दायर म प चे, हमने अपनी नीली
टोिपयाँ हवा म लहरा द । हमार िदल पट रय पर दौड़नेवाली रलगाड़ी क तरह धड़क रह थे,
य िक िबना िकसी पूव सूचना क िकसी अंतररा ीय सीमा म जाने का यह हमारा पहला
अनुभव था। हम ाथना कर रह थे और उ मीद कर रह थे िक हमार सामनेवाले बंकर से
गोली न चले। अपने इरादे प करने क िलए हमने ‘यू.एन., यू.एन.’ िच ाना शु कर
िदया; लेिकन हमारी कोिशश का कोई नतीजा नह िनकला।
जैसे ही हम बंकर क समीप प चे, हम िसफ उनक बंदूक क नाल हमारी ओर होती ई
िदखाई दी। उनक एकटक नजर दूरबीन क लस से िसफ हम ही देख रही थ । िसफ एक
श द ‘फायर’ िसएरा िलओन क अनंत उ णकिटबंधीय जंगल क गहराई म शांित थापना
क हमारी या ा को समा कर देता। मने सोचा िक अगर उ ह ने हम गोली मार दी तो या
िगनी क सेना क ारा हम घुसपैिठया कहा जाएगा? ‘ को!’ मने अपने आप से कहा। मेर
पास अपने म त क म दौड़ रह शोर क िलए समय नह था। मुझे िकसी भी क मत पर अपने
लोग को इस दलदल से बाहर िनकालना था।
मेर अकादमी क िदन म मेर उ ताद ने एक िदन मुझसे कहा था, “हो सकता ह िक यह
सारा रगड़ा और पढ़ाई आपको इस समय यथ लगे। इसक बावजूद पता नह जीवन क िकस
मोड़ पर अकादमी क यह सीख आपक जान बचानेवाली सािबत हो।” उस समय मुझे उनक
ये श द पूरी तरह से बेमतलब लगे थे, लेिकन उस िदन िगनी सीमा पर मुझे अहसास आ िक
वे िकतने स े थे! म अपनी मातृ सं था रा ीय र ा अकादमी, खड़कवासला, पुणे को कसे
भूल सकता , जहाँ मने च भाषा का अ ययन िकया था! उस िदन मेरी सारी ांसीसी
िवशेष ता मेर िदमाग म िफर से उभरने लगी। मने ऊचे वर म ‘बोनजोर’17 िच ाना शु
िकया और मुझे देखकर मेजर नायर तथा साथ ही अ य सैिनक ने भी ‘बोनजोर’ िच ाना
शु कर िदया।
मुझे लगता ह िक ‘बोनजोर’ बोलना हमार काम आया, य िक हमसे 100 मीटर
दूर खड़ िगनी क सैिनक ने ‘बोनजोर’ क साथ जवाब िदया, िजसे सुनकर हमने
राहत क साँस ली। िगनी क सैिनक का जवाब हमार िलए एक आशीवाद क
तरह था, िजसने तुरत ही हम तनाव-मु कर िदया था। िगनी का िसपाही
मुसकराया और च म कछ ऐसा कहा, जो मेरी समझ से पर था।
मुझे लगता ह िक ‘बोनजोर’ बोलना हमार काम आया, य िक हमसे 100 मीटर दूर खड़
िगनी क सैिनक ने ‘बोनजोर’ क साथ जवाब िदया, िजसे सुनकर हमने राहत क साँस ली।
िगनी क सैिनक का जवाब हमार िलए एक आशीवाद क तरह था, िजसने तुरत ही हम
तनाव-मु कर िदया था। िगनी का िसपाही मुसकराया और च म कछ ऐसा कहा, जो मेरी
समझ से पर था। मुझे लगता ह िक वे हमारा मजाक उड़ा रह थे, य िक हम एक साथ
‘बोनजोर’ िच ाते ए पागल क एक झुंड क तरह लग रह थे, जैसे यह देशभ क
भावना को जगाने क िलए िकसी कार का यु घोष हो!
बहरहाल, हम सब िजंदा थे! और तभी मने अपने दुभािषए से कहा, िजसका अब तक कोई
काम नह था िक वह िगनी क सैिनक को बताए िक हम संयु रा शांित सेना क एक
ग ती दल का िह सा ह, जो िनयिमत टोही अिभयान पर िनकले ह। मने नीली टोपी को हवा म
लहराते ए ही अपना और मेजर नायर का प रचय िदया, िजस पर वह िसपाही मुसकराया
और कहा, “आपका वागत ह।”
पो ट कमांडर एक युवा अिधकारी था, िजसने हम सलामी दी, हम एक िगलास पानी क
िलए पूछा और हमार वहाँ आने क मकसद क बार म पूछताछ क । मने उ ह सूिचत िकया
िक म कला न म संयु रा शांित थापना िमशन का कपनी कमांडर था और मौक पर
सीमा तंभ को स यािपत करने क िलए िगनी पो ट तक आया था। पो ट कमांडर एक
सकारा मक य था और उसने हम जमीन पर सीमा तंभ िदखाने से पहले मोआ नदी क
साथ सीमा क इितहास क बार म बताना शु कर िदया। इतने म हमार दुभािषए सुकरात ने
िकसी मु े पर पो ट कमांडर क साथ बहस शु कर दी। उसक आ ामक शारी रक भाव-
भंिगमा को देखते ए मुझे उसे चुप रखने क िलए सचमुच उसका हाथ दबाना पड़ा।
ी े े ो ं ी ं े ो औ
हम जानकारी देने क बाद पो ट कमांडर हम सीमा तंभ पर ले गया, जो अ ु ण और
अछता िदखाई दे रहा था, िजसम िगनी पो ट तंभ क साथ संरिखत थी। असल म, आ यह
था िक उस वष उस े म मोआ नदी ने अपना माग बदल िदया था। नतीजतन, सीमा चौक
मोआ से काफ आगे िदखाई दे रही थी। हालाँिक, यह सीमा तंभ क ही अनु प थी।
अपने आप को संतु करने क बाद हमने युवा पो ट कमांडर को ध यवाद िदया और
उपल ध क भावना क साथ वापस जाने लगे। मुझे आज भी वह बात याद ह, जो मने उस
समय मेजर नायर से कही थी, “भा य बहादुर का साथ देता ह।” हम भा यशाली थे िक
हमने अपने िदमाग का उपयोग करक िगनी क सैिनक क साथ च म अिभवादन का
आदान- दान िकया, अ यथा हम मार गए होते।
करड वापस प चने पर मने कनल मािटन को पूरी घटना कह सुनाई। म एक बार िफर
उनक चेहर पर आई बड़ी सी मुसकराहट को देख सकता था। यह हमार संबंध का मील का
प थर था। इसक बाद मेर और कनल मािटन क बीच दो ताना संबंध बन गए। मुझे कनल
मािटन को िकया गया अपना वह वादा अ छ से याद ह िक िकसी भी खतर क थित म म
अपनी ूटीवाले थान कला न क अखंडता क र ा क िलए हिथयार उठाऊगा और
आर.यू.एफ. क साथ ल ँगा। मुझे याद ह िक उस िदन कनल मािटन ने मुझे गले लगाया था
—एक ऐसा आिलंगन, जो गमजोशी से भरा, ेहपूण और एक सैिनक क दूसर सैिनक क
ित स मान का तीक था।

7.
बंधक बनना

िगनी क सीमा तक एक ग ती दल का नेतृ व करने और मौत का य सामना करने क


बाद कनल मािटन एवं मेर बीच आपसी स मान और दो ती एक नई ऊचाई पर थी। उस िदन
क बाद हम एक-दूसर से अकसर िमलने लगे और हमने िबना िकसी िहचक क अपने मु
पर खुलकर चचा क । हमने कोिशश क िक हम हर कछ िदन म आपस म मुलाकात करते
रह और येक मुलाकात हम और अिधक नजदीक ले आई। कनल मािटन ने यह सुिन त
िकया िक हमार राशन कािफले िबना िकसी अनुिचत ह त ेप क दा से कला न क रा ते
पर चल और ऐसे कािफले क बारबारता भी कोई मु ा नह था।
भारत से आनेवाले प इन कािफल क मनोबल को बढ़ानेवाला सबसे बड़ा ोत आ
करते थे। वे प हमारी जीवन-रखा थे, हमार प रवार क साथ हमारी एकमा कड़ी। मुझे
अपनी प नी और ब से ज मिदन क बधाई पाकर ब त खुशी ई। मेरी न ही परी ारा भेजे
गए ज मिदन क काड, िजसे उसने मोम क रग से अपने छोट-छोट हाथ से बनाया था, को
देखकर मेरी आँख आँसु से भीग ग । मुझे ऐसा लगा, जैसे मुझे उ ह देखे ए, पकड़ ए
और महसूस कर ए सिदयाँ बीत गई ह ! मने उन पल को याद िकया, जब मेरा बेटा अपने
होमवक क साथ मेर पास दौड़ता आ आया था या मेरी बेटी मुझसे अपनी बाब क बाल म
कघी करने म मदद करने का अनुरोध करती थी। म अपनी प नी क गोद म िसर रखकर
अपने िदन भर क तनाव को भुलाने को याद कर रहा था। कला न म हर िदन अ यािशत
घटना म से भरा होने क बावजूद मुझे थर महसूस आ; लेिकन मुझे पता था िक वह मुझे
िकसी भी चौराह पर खड़ी ई नह िमलेगी। वह अकलापन मुझे भीतर से खाए जा रहा था।
मेरी आँख क सामने धीर-धीर उदासी का परदा छाता जा रहा था। कई बार तो म यह सोचता
था िक काश, मेर पंख होते, तािक म उड़कर उस तक प च जाता और उसक साथ शाम क
चाय का आनंद लेता, उसका हाथ अपने हाथ म थामता, हवा म अपने ेम क धुन को बजते
ए महसूस करता और अपने अगले िदन क काम को पूरा करने क िलए उड़कर वापस आ
जाता! लेिकन अफसोस, ऐसा होना संभव नह था। इसिलए, वे प ही मेर पंख थे और हर
बार जब भी वे मुझे िमलते तो ऐसा तीत होता, जैसे म घर पर ही ।

कनल मािटन क साथ मेरी अगली मुलाकात म मने उ ह अपनी बेटी ारा मेर िलए
बनाए गए ज मिदन क काड को भी िदखाया। कनल मािटन यह जानकर बेहद
खुश ए िक मेरा ज मिदन िनकट आ रहा ह। मने उनसे वचन िलया िक वे 16
अ ैल को यहाँ मौजूद रहगे।
कनल मािटन क साथ मेरी अगली मुलाकात म मने उ ह अपनी बेटी ारा मेर िलए बनाए
गए ज मिदन क काड को भी िदखाया। कनल मािटन यह जानकर बेहद खुश ए िक मेरा
ज मिदन िनकट आ रहा ह। मने उनसे वचन िलया िक वे 16 अ ैल को यहाँ मौजूद रहगे।
इसक अलावा, उ ह यह सुनकर खुशी ई िक टाउन ायर म शाम क समय वॉलीबॉल का
काय म खासा लोकि य हो रहा था, िजसम सभी भाग ले रह थे। अंततः थानीय लोग और
आर.यू.एफ. क सैिनक क अलावा कला न म तैनात संयु रा पयवे क समूह क
अिधकारी भी हमार साथ खेलने लगे।
पापा िगएमा, जो खुद वॉलीबॉल क एक बड़ शंसक थे, दशक क प म हमार शाम क
सभी मैच क िलए मौजूद रहते और म िजस टीम का ितिनिध व कर रहा होता था, वे उसका
उ साहवधन करते। उ ह ने िवशेष प से नेट पर गेम ले क मेरी तकनीक क सराहना क ।
मेर हाव-भाव से ऐसा लगता था, जैसे म मैश क तैयारी कर रहा ; लेिकन म अंततः
ित ं ी को िमत कर गद को धीर से नीचे िगरा देता था। यहाँ तक िक कनल मािटन भी
कभी-कभार हमार शाम क इस काय म क शोभा बढ़ाने वहाँ आ जाते थे।
शाम का पूरी तरह से कायाक प हो जाता था। पूर शहर क हवा म उ सव का माहौल
जैसा हो जाता था। सबसे अ छा समय मैच क बाद का समय होता था, जब हर कोई एक
बड़ प रवार क तरह भारतीय चाय व ना ते का आनंद लेता था। कछ खुशनुमा शाम चाय से
ेि ी औ ी ी ो े े े े
आगे िनकल जाती थ और हम सभी थानीय धुन पर नाच रह होते थे। मुझे यह देखकर
आ य होता था िक िस टर ऐसे मौक पर सबसे यादा सि य रहती थ ।
हम कछ ही समय म कला न क लोग क साथ सौहा पूण संबंध थािपत करने म
सफल रह थे। मने तय कर िलया िक अब वह समय आ ही गया ह, जब अि य
मु े, यानी ब तीि त िनर ीकरण क मु े, पर बात छड़ी जाए; य िक
कनल मािटन क साथ मेरी अगली मुलाकात क घड़ी नजदीक आ रही थी।
हम कछ ही समय म कला न क लोग क साथ सौहा पूण संबंध थािपत करने म सफल
रह थे। मने तय कर िलया िक अब वह समय आ ही गया ह, जब अि य मु े, यानी
ब तीि त िनर ीकरण क मु े, पर बात छड़ी जाए; य िक कनल मािटन क साथ मेरी
अगली मुलाकात क घड़ी नजदीक आ रही थी। उनक साथ अपनी अगली मुलाकात क
दौरान मने कनल मािटन से कला न म आर.यू.एफ. सैिनक क िनर ीकरण को लेकर उनक
िवचार क बार म पूछा। उ ह ने अिन छापूवक कहा, “आर.यू.एफ. क दायर म िबना शीष
नेतृ व क आदेश क एक प ा भी नह िहलता ह।” मने अनुमान लगाया िक वे फ ड
कमांडर क बात कर रह थे। उ ह ने इस बात का भी उ ेख िकया िक िसएरा िलओन क
कछ िह स म संयु रा शांित सैिनक ारा िकया गया जबरन िनर ीकरण उ ह जरा भी
पसंद नह आया था, य िक यह ‘लोमे शांित समझौते’ क भावना क अनु प नह था।
हालाँिक, उ ह ने हलक-फलक अंदाज म यह भी जोड़ा िक “अगर म कभी हिथयार डालता
—हालाँिक, मुझे लगता ह िक ऐसा होने क संभावना नह ह—लेिकन अगर ऐसा होता ह तो
म अपना िनजी हिथयार आपको स पूँगा, और िकसी को नह ।”
इस मौक पर उ ह ने मेजर नायर क बार म पूछा, य िक वे िपछले कछ िदन से िदखाई
नह दे रह थे। मने उ ह बताया िक मु यालय क आदेशानुसार वे ऊचे मैदान पर थानांत रत
होने क काम म य त थे और म भी कछ ही समय म इसम य त हो जाऊगा। कनल मािटन
हरान थे, य िक वे अ पताल जैसे आरामदायक थान को छोड़कर ऊचे मैदान म जाने क
पीछ क तक को नह समझ पा रह थे, िजस पर मने जवाब िदया, “यह शीष से आया आदेश
ह।”
आर.यू.एफ. क कपनी कमांडर मेजर कपोई, िजनक िज मे कला न शहर क सुर ा क
िज मेदारी थी, पता नह य कनल मािटन और मेर बीच पनप रह सौहादपूण संबंध क साथ
सहज नह थे। कपोई एक घमंडी य था, िजसक नैन-न श कनल मािटन से कह तीखे
थे; लेिकन वह उनक तरह िम व नह था। वह बेहद ित पध था और अपना सबसे
बेहतरीन दशन करने क बावजूद हर शाम खेले जानेवाले वॉलीबॉल मैच म मेरी टीम को
हराने म कभी कामयाब नह आ और यह कछ ऐसा था, िजसने उसक आ मस मान को ठस
प चाई थी।
कपोई थानीय था और वह कनल मािटन क ित भीतरी श ुता का भाव रखता
था, य िक वे मूलतः लाइबे रया से संबंध रखते थे। कनल मािटन एक बुि मान
य थे और वे उस तर तक प चने म कामयाब रह थे, जहाँ तक मेजर कपोई
नह प च पाया था। इसक बावजूद, चूँिक कनल मािटन क पास लाइबे रया क
त कालीन रा पित का पूण समथन था, इसिलए कपोई उनका कछ िबगाड़ भी
नह सकता था।
कपोई थानीय था और वह कनल मािटन क ित भीतरी श ुता का भाव रखता था, य िक
वे मूलतः लाइबे रया से संबंध रखते थे। कनल मािटन एक बुि मान य थे और वे उस
तर तक प चने म कामयाब रह थे, जहाँ तक मेजर कपोई नह प च पाया था। इसक
बावजूद, चूँिक कनल मािटन क पास लाइबे रया क त कालीन रा पित का पूण समथन था,
इसिलए कपोई उनका कछ िबगाड़ भी नह सकता था।
थानीय लोग और पापा िगएमा क साथ मेर सम वय को देखते ए, जो मेर समथन म
च ान क तरह खड़ थे, मेजर कपोई िसफ ई या क आग म जलने क अलावा मेरा भी कछ
नह िबगाड़ सकता था। कई बार मजाक-मजाक म म उससे कह देता था, “कपोई, तु हार
बॉस मेर दो त ह और पापा िगएमा मेर बड़ भाई। इसिलए मेर साथ पंगा मत लेना, वरना मेरा
प रवार िव ोह कर देगा।” कपोई कला न म हमारी कपनी ारा दान क गई मानवीय
सहायता और थानीय लोग ारा तुत क गई वफादारी से अ छी तरह वािकफ था, जो
वा तव म नीली टोपी क पूजा करते थे। इसिलए हमार सामने वा तव म िचंता करनेवाली
कोई बात नह थी, य िक हम एक ऐसी मजबूत न व पर खड़ थे, िजसे हमार वहाँ कदम

े ै ि े े
रखने क बाद ट-दर- ट तैयार िकया गया था। ऊपरवाले क कपा से इसक बाद कला न
म चीज सुगमता से आगे बढ़ने लग ।
एक तरफ जहाँ संयु रा शांित सेना, आर.यू.एफ. और थानीय लोग क बीच बढ़ी
आ मीयता क प रणाम व प कला न क थित िबना लहरवाले एक समु क तरह
िब कल शांत बनी ई थी—देश क अ य िह स क थित इतनी अिधक उ साहजनक नह
थी। मकनी जैसी जगह पर आर.यू.एफ. और संयु रा क सैिनक क बीच झड़प क
दैिनक खबर बेचैनी क भावना को फला रही थ । हमने आगे जाकर खतरनाक सािबत हो
सकनेवाली िकसी भी कार क ांित क भावना को पहले ही सौहादपूण तरीक से दबा िदया
था। हालाँिक, अनुमान यह लगाया गया था िक कला न क आर.यू.एफ. का गढ़ होने क
चलते इस े म आर.यू.एफ. एवं संयु रा क सेना क बीच संघष होगा और संयु
रा क सैिनक क िलए बाक क पूर देश म काम बेहद आसान होगा। हालाँिक, वतमान
प र य अनुमान क िब कल िवपरीत था। हमने एक तरफ जहाँ वहाँ पर पहला कदम रखने
क बाद से ही हिथयार डाल देने क बात पर जरा भी जोर नह िदया और यह सोचा िक पहले
थानीय लोग का िदल जीतना कह अिधक मह वपूण ह, देश क अ य िह स म शांित
सैिनक ने पहले ही िदन से िनर ीकरण पर जोर देना शु कर िदया, िजसका नतीजा
आर.यू.एफ. क साथ झड़प क प म सामने आया।

‘लोमे शांित समझौते’ क अनुसार, िनर ीकरण वै छक प से होना था और


शांित-र क आर.यू.एफ. क सैिनक पर इसे जबरद ती थोपकर अपनी तट थता
से समझौता कर रह थे। मेरा ऐसा मानना था िक पहले थानीय जनता का िदल
जीतकर हम एक भूिमका तैयार कर और उसक बाद थानीय लोग ारा
आर.यू.एफ. पर दबाव डालना सबसे अ छा तरीका रहता।

‘लोमे शांित समझौते’ क अनुसार, िनर ीकरण वै छक प से होना था और शांित-


र क आर.यू.एफ. क सैिनक पर इसे जबरद ती थोपकर अपनी तट थता से समझौता कर
रह थे। मेरा ऐसा मानना था िक पहले थानीय जनता का िदल जीतकर हम एक भूिमका
तैयार कर और उसक बाद थानीय लोग ारा आर.यू.एफ. पर दबाव डालना सबसे अ छा
तरीका रहता। बहरहाल, कला न क अलावा उन े म इस काम को करना जरा भी
मु कल नह था, जहाँ लोग पहले से ही आर.यू.एफ. क िखलाफ थे। इस रणनीित को
कला न म लागू करना बेहद मु कल था, य िक यह थान आर.यू.एफ. का गढ़ था।
हालाँिक, हम ऐसा करने म सफल रह और थानीय लोग क बीच एक जबरद त भावना थी
िक आर.यू.एफ. को ‘लोमे शांित समझौते’ का स मान करने क िलए आगे आना चािहए।
‘लोमे शांित समझौते’ क मु य वा तुकार िसएरा िलओन क रा पित क बाह थे
और वे भी कला न से ही थे। इसिलए हमने थानीय लोग पर यह मनोवै ािनक
काड खेलना शु िकया। धीर-धीर ऐसा तीत आ िक कला न म िनर ीकरण
क ि या ज द ही एक वा तिवकता बन जाएगी और यहाँ तक िक पापा िगएमा
ने भी मेर साथ बातचीत म ऐसा होने क उ मीद य क थी।
‘लोमे शांित समझौते’ क मु य वा तुकार िसएरा िलओन क रा पित क बाह थे और वे भी
कला न से ही थे। इसिलए हमने थानीय लोग पर यह मनोवै ािनक काड खेलना शु
िकया। धीर-धीर ऐसा तीत आ िक कला न म िनर ीकरण क ि या ज द ही एक
वा तिवकता बन जाएगी और यहाँ तक िक पापा िगएमा ने भी मेर साथ बातचीत म ऐसा होने
क उ मीद य क थी। अब तक हम अपने मानवीय कोण क चलते थानीय लोग
और आर.यू.एफ. क साथ अ छा िम -भाव बना चुक थे। हम कला न म पाँव रखे ए
करीब छह स ाह बीत चुक थे। हम पहले चरण क दौरान आशातीत सफलता ा कर
चुक थे और जरा भी ज दबाजी नह करना चाहते थे, य िक एक भी गलत कदम हमारी
अब तक क सारी मेहनत पर पानी फर सकता था। िसएरा िलओन म हर कोई कला न म
शांित सैिनक क सफलता क कहानी क बार म बात कर रहा था और यह अ य शांित
सैिनक क िलए एक उदाहरण बनता जा रहा था।
कला न म सफल तैनाती क शु आती छह ह त क इस ारिभक उपल ध क बाद
थानीय लोग और आर.यू.एफ. क िदल को जीतने क साथ-साथ शांित व स ाव बनाए
रखते ए अब उ मु यालय ारा िनर ीकरण क ि या शु करने क िलए भी दबाव
बनाया जा रहा था। पापा िगएमा और कनल मािटन क साथ मेर अ छ संबंध क िक से
मु यालय क गिलयार म घूम रह थे। पूरा पूव ांत भी इसक बार म जानता था। कछ
समाचार-प म शांित सैिनक ारा कला न म जमीनी थित से अनुकरणीय तरीक से
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िनपटने से संबंिधत लेख भी कािशत ए। पूव ांत क एक अखबार क खबर का शीषक
था—‘आर.यू.एफ. क गढ़ कला न म : आर.यू.एफ. क कमांडर और संयु रा क
कमांडर क बीच बढ़ता सौहाद’।
मने िनर ीकरण क मु े पर कनल मािटन क साथ चचा क , जो मुसकराए और मुझे
आ त िकया िक यह कवल समय क बात ह और ऐसा ब त ज द ही होगा। उ ह ने यह
खबर भी साझा क िक चूँिक डी.डी.आर. िशिवर म आ मसमपण करनेवाले िव ोिहय को
डॉलर का भुगतान शु हो गया था, इसिलए उनक कछ सैिनक हिथयार डालने और नए
िसर से अपना जीवन शु करने क इ छक थे। यह एक सकारा मक संकत था और ऐसा
तीत हो रहा था, जैसे िनर ीकरण अब िनकट ही था। हमने कई मु पर पूरी तरह से खुले
मन से िवचार-िवमश िकया और कनल मािटन ने मुझे बताया िक उनक फ ड कमांडर
जनरल इ सा सेसे कला न क मौजूदा थित से ब त खुश थे। जनरल इ सा ने कला न म
स ाव बनाए रखने और मानवीय सहायता दान करने क मेरी पहल क िवशेष प से
सराहना क थी। मने कनल मािटन से कहा, “आपक फ ड कमांडर जब कभी भी कला न
क ओर आने का फसला करते ह तो म उनक साथ एक िश ाचार भट ज र करना
चा गा।”
मुझे याद ह िक कनल मािटन ने हमार फोस कमांडर जनरल जेटली क
आलोचना क थी, य िक उनका मानना था िक मकनी और मैगबुराका क े
म क याई शांित सैिनक ारा आर.यू.एफ. सैिनक का िनर ीकरण फोस कमांडर
क आदेश पर िकया जा रहा था। कनल मािटन क साथ यह मुलाकात लगभग
एक स ाह क अंतराल क बाद ई थी और अ ैल का महीना ख म होने को था।
मुझे याद ह िक कनल मािटन ने हमार फोस कमांडर जनरल जेटली क आलोचना क थी,
य िक उनका मानना था िक मकनी और मैगबुराका क े म क याई शांित सैिनक ारा
आर.यू.एफ. सैिनक का िनर ीकरण फोस कमांडर क आदेश पर िकया जा रहा था। कनल
मािटन क साथ यह मुलाकात लगभग एक स ाह क अंतराल क बाद ई थी और अ ैल का
महीना ख म होने को था। मुझे नह पता था िक दो त क प म यह हमारी आिखरी
मुलाकात होगी और अगली बार हम पूरी तरह से अलग प र थितय म िमलगे। उस शाम
कनल मािटन काफ देर तक वहाँ मौजूद रह और हमने कई िवषय पर िवचार का आदान-
दान िकया, िजनम भिव य को लेकर तैयार क जा रही उनक योजनाएँ भी शािमल थ ।
उ ह ने बचपन से ही जंगल म लड़ने क अपने अनुभव क बार म बताया और यह
भी बताया िक अंततः अब वे एक शांितपूण जीवन जीना चाहते ह, शायद
अमे रका म। वे अभी भी इस बात को लेकर आ त नह थे िक उ ह िववाह
करना चािहए या नह ? वे हमेशा क तरह अपनी बात पर अिडग थे और बोले,
“मुझे य से नफरत ह।”
उ ह ने बचपन से ही जंगल म लड़ने क अपने अनुभव क बार म बताया और यह भी
बताया िक अंततः अब वे एक शांितपूण जीवन जीना चाहते ह, शायद अमे रका म। वे अभी
भी इस बात को लेकर आ त नह थे िक उ ह िववाह करना चािहए या नह ? वे हमेशा क
तरह अपनी बात पर अिडग थे और बोले, “मुझे य से नफरत ह।” उ ह ने मुझसे एक
प रक पत सवाल पूछा, “मेजर पुिनया, िकसी िदन अगर आपको अपने फज और दो ती क
बीच िकसी एक का चयन करना हो तो आप िकसे चुनगे?” म समझ गया िक उनका इशारा
हमारी दो ती क ओर ह। मने उ ह बताया िक भारत म हमारा लालन-पालन इस कार से
िकया जाता ह िक हम यह मानते ह िक अगर फज और प रवार म से िकसी एक को चुनना
हो तो हम फज को ही चुनगे—और इसी वजह से म कला न म मौजूद था। मने उ ह
ितब ता से भर अपने िपछले चार वष क बार म बताया और बताया िक कसे मने अपने
पा रवा रक जीवन का बिलदान िदया था।
मने िब कल वही सवाल कनल मािटन से पूछा, जो हमेशा क तरह पहले तो मुसकराए
और िफर आर.यू.एफ. म िनदश का पालन करने क कड़ ोटोकॉल क बार म बात क ।
िनदश का पालन न करने क सजा बेहद कठोर थी, िजसम मृ युदंड तक भी शािमल था। मने
उनसे पूछा, “कनल, आधी और लंबी बाजू क सजा िकतनी जायज ह?” वे मुसकराए और
पूछा, “ या आपक यहाँ मैदान म आदेश क अवहलना करने पर फ ड पिनशमट और यहाँ
तक िक मौत क सजा का ावधान नह ह?” उ ह ने आगे कहा िक वे िसएरा िलओन म
िपछले दस वष से यु लड़ रह थे और ऐसे कई मौक आए, जब फ ड पिनशमट ही
एकमा िवक प था। म उनक ान से भािवत था—दुिनया भर क अिधकांश सेना म
फ ड पिनशमट क प म मौत क सजा अब भी मौजूद थी। जाते समय कनल मािटन बेहद
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भावुक थे और कला न म आने क बाद से मने जो कछ भी िकया, उ ह ने उसक िलए मुझे
दय से ध यवाद िदया। उ ह ने मुझे गले लगाया और मेर अ छ भा य एवं उ ित क कामना
क।
2 मई, 2000 को मेरी न द कनल मािटन क एक संदेश क साथ खुली, िजसम
उ ह ने िस टर क ज रए मुझ तक यह सूचना िभजवाई थी िक आर.यू.एफ. 9 बजे
टाउन हॉल म िनर ीकरण क शु आत क तौर-तरीक पर चचा करना चाहता
ह। मने तुरत मेजर नायर से बात क , जो ऊचे मैदान पर मौजूद थे और उ ह ने भी
संदेश िमलने क पु क ।
2 मई, 2000 को मेरी न द कनल मािटन क एक संदेश क साथ खुली, िजसम उ ह ने
िस टर क ज रए मुझ तक यह सूचना िभजवाई थी िक आर.यू.एफ. 9 बजे टाउन हॉल म
िनर ीकरण क शु आत क तौर-तरीक पर चचा करना चाहता ह। मने तुरत मेजर नायर से
बात क , जो ऊचे मैदान पर मौजूद थे और उ ह ने भी संदेश िमलने क पु क । मौजूदा
प र थितय म यह िन त प से एक बेहद अ छी खबर थी, य िक हमार ऊपर अब
कला न म िनर ीकरण को शु करने का दबाव पड़ रहा था। िदमाग म क धते कई न
क साथ म तैयार आ और टाउन हॉल क ओर चल िदया। मने चलते समय क टन सुनील
से अपने साथ चलने को कहा। म हमेशा शहर म जाने से पहले आमतौर पर अपनी कपनी म
थािपत माँ दुगा क मंिदर म आशीवाद ज र लेता था। लेिकन चूँिक उस िदन म ब त
ज दबाजी म था, इसिलए म ऐसा करने से चूक गया।
टाउन हॉल प चने पर मेजर कपोई ने हमारी अगवानी क और बताया िक कनल मािटन
अभी रा ते म ह। इसी बीच मेजर नायर भी आ चुक थे और मेजर कपोई ने हमसे टाउन हॉल
म बैठने का अनुरोध िकया। हम अभी वहाँ पर िबछ ए मखमली सोफ पर ठीक से बैठ भी
नह पाए थे िक हम अचानक बो ट क आवाज सुनाई दी; टाउन हॉल क दोन बड़ दरवाज
को झटक से बंद कर िदया गया था। हम मेजर कपोई क साथ करीब 10-12 अप रिचत
चेहर को देखकर च क गए। उ ह ने अपनी पीठ क पीछ टाँगी ई िविभ आकार क
बंदूक को बाहर िनकाल िलया और उ ह तेजी से हमारी ओर तान िदया।
मेजर कपोई क चेहर पर उपल ध का भाव चमक रहा था, मानो वह एक ऐसा पुिलसवाला
हो, िजसने िकसी फरार अपराधी को पकड़ िलया हो। टाउन हॉल क गुंबद क आकार क
स मेलन क म एक गहन स ाटा पसरा था। इसक बाद मेजर कपोई ने अ यािशत तरीक
से मुझ पर जोर-जोर से आरोप लगाना शु कर िदया, िजसका यापक भाव पड़ा। एक पल
म हिथयारबंद लोग क एक समूह ने हम चार ओर से घेर िलया था, जो हम पर िच ा रह
थे। म उस अ यािशत मौक पर िसफ इतना ही समझ पाया िक मेजर कपोई हम पर अपने
िनद ष सािथय क ह या का आरोप लगा रहा था और उसने िवशेष प से इस बात का भी
उ ेख िकया िक हमार सै य कमांडर जनरल जेटली ने मकनी और मैगबुराका म
आर.यू.एफ. क िनद ष सद य को मार िगराने क िलए एक हिलकॉ टर गनिशप भेजी थी।
यह सुनते ही म तुरत यह समझ गया िक जो हम िदखाई दे रहा ह, माजरा उससे
कह आगे तक का ह और इसिलए मने मेजर कपोई को शांत करने का यास
िकया, लेिकन असफल रहा। हमार कध पर िलखे ‘भारत’ क ओर इशारा करते
ए वह और भड़क गया। कपोई क साथ मौजूद एक दूसर सैिनक ने मुझ पर
बंदूक तान दी और िच ाया िक उनक माँग ‘खून क बदले खून’ क ह।
यह सुनते ही म तुरत यह समझ गया िक जो हम िदखाई दे रहा ह, माजरा उससे कह आगे
तक का ह और इसिलए मने मेजर कपोई को शांत करने का यास िकया, लेिकन असफल
रहा। हमार कध पर िलखे ‘भारत’ क ओर इशारा करते ए वह और भड़क गया। कपोई क
साथ मौजूद एक दूसर सैिनक ने मुझ पर बंदूक तान दी और िच ाया िक उनक माँग ‘खून
क बदले खून’ क ह। म उसक छोटी आँख म ितशोध क भावना और उसक लाल होते
चेहर पर गु से क िनशान को प देख सकता था। तभी अचानक लोह क दरवाजे क तेज
आवाज आई और आर.यू.एफ. क कई सैिनक दौड़ते ए भीतर प च गए, जैसे कयामत का
समय आ गया हो और वे अपनी बंदूक को छत क ओर लहराते ए ‘बदला’ िच ा रह
थे। कछ ही समय म हम एक मेले म चालबाज क तरह थे और वे उ दशक हम घेर रह
थे। िफर सूरज क िकरण क बीच से एक िवकत छाया टाउन हॉल म वेश कर गई।
ऊपर क ओर देखते ही मेरा सारा तनाव गायब हो गया, य िक सामने एक जाना-पहचाना
चेहरा खड़ा था। वह य उस समय िब कल ही अलग िदखाई दे रहा था। वे िस टर थ
और उनक कमर पर एक लॉ र बँधा आ था। वे हमारी ओर बढ़ रही थ । आगे बढ़ते ए
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उनक येक कदम ने हमार खून को जमा िदया। मने उस ण खुद से कहा, ‘मेजर, आप
उस समय आग से खेल रह थे, जब आपने यह जाने िबना िस टर को ‘अपनी बहन’ बनाया
था िक वे आर.यू.एफ. क बहन ह!’ मने अपना यान िस टर क चेहर से हटाकर मेजर
कपोई क िचड़िचड़ चेहर पर कि त िकया, िज ह ने हम अपने हिथयार स पने का आदेश
िदया। मने तेजी से उ र िदया िक चूँिक हम शांितदूत थे, इसिलए हमार पास हिथयार नह थे।
मने कहा िक हमार हिथयार िशिवर म रखे ए ह।
इसक बाद कपोई ने अपने सैिनक को हमारी तलाशी लेने को कहा और तभी
उ ह ने क टन सुनील से एक पॉकट रिडयो सेट बरामद िकया, िजसने मुझे हरान
कर िदया। म बोला, “क टन सुनील, रिडयो उ ह स प दो।” मने कपोई से कहा
िक वह मेरी बात सुने, लेिकन वह अचानक िफर से िच ाने लगा और थित क
गंभीरता को भाँपते ए म चुप ही रहा।
इसक बाद कपोई ने अपने सैिनक को हमारी तलाशी लेने को कहा और तभी उ ह ने
क टन सुनील से एक पॉकट रिडयो सेट बरामद िकया, िजसने मुझे हरान कर िदया। म बोला,
“क टन सुनील, रिडयो उ ह स प दो।” मने कपोई से कहा िक वह मेरी बात सुने, लेिकन वह
अचानक िफर से िच ाने लगा और थित क गंभीरता को भाँपते ए म चुप ही रहा। इसक
बाद मने कपोई से रमांड का कारण पूछा। उसने िपछले िदन घिटत ई पूरी घटना सुनाई।
मकनी म डी.डी.आर. कप ारा जबरन िकए जा रह िनर ीकरण का शांितपूवक िवरोध कर
रह आर.यू.एफ. क सैिनक पर क याई शांित सैिनक ारा गोलीबारी क गई थी। लगभग
उसी समय मैगबुराका म एक ए आर.यू.एफ. क सैिनक पर संयु रा क एक
हिलकॉ टर गनिशप ने भी गोिलयाँ बरसाई थ ।
आर.यू.एफ. ने उस दुभा यपूण घटना म अपने 20 सैिनक को खो िदया था और इसक
यु र म उ ह ने िसएरा िलओन क आसपास क सभी े को घेर िलया था, जहाँ शांित
सैिनक मौजूद थे और िसफ राजधानी टाउन इसका अपवाद थी। मने कनल मािटन क बार
म पूछताछ क और मुझे बताया गया िक हम आदेश क अनुसार उनक पास ले जाया जाएगा।
मने नवाचक से िस टर क ओर देखा, य िक वे फश पर लगी टाइल को घूर रही
थ , मानो िकसी गिणतीय पहली को मानिसक प से हल करने क कोिशश कर रही ह । वे
मुझसे आँख िमला पा रही थ । उ ह ने कवल इतना कहा िक उनक पास अपने पित क मृ यु
क बाद आर.यू.एफ. म शािमल होने क अलावा कोई िवक प नह था। म इस बात से पूरी
तरह से अनजान था िक वे एक आर.यू.एफ. िव ोही थ । म वा तव म इसका कारण नह
जानता। या िस टर ने जान-बूझकर इस बात को मुझसे छपाया था? या िफर, बात यह थी
िक उनक मासूम चेहर ने मुझे उसक संब ता क बार म कभी आभास ही नह होने िदया
था?
म इस अ यािशत घटना म को समझने का यास कर ही रहा था िक तभी मेजर
कपोई और उनक लोग हम टाउन हॉल से बाहर ले आए, जहाँ सैिनक ने हम
सबको घेर िलया। चूँिक म बंधक था, इसिलए मेजर कपोई ने मुझे अपने वाहन
क िपछली सीट पर बैठने को कहा। म अपने ाइवर ओम काश क भाव-
भंिगमा का वणन नह कर सकता, जो मुझे मेर अपने ही वाहन म िपछली सीट पर
बैठते देखकर आ यचिकत था।
म इस अ यािशत घटना म को समझने का यास कर ही रहा था िक तभी मेजर कपोई
और उनक लोग हम टाउन हॉल से बाहर ले आए, जहाँ सैिनक ने हम सबको घेर िलया।
चूँिक म बंधक था, इसिलए मेजर कपोई ने मुझे अपने वाहन क िपछली सीट पर बैठने को
कहा। म अपने ाइवर ओम काश क भाव-भंिगमा का वणन नह कर सकता, जो मुझे मेर
अपने ही वाहन म िपछली सीट पर बैठते देखकर आ यचिकत था। तभी अचानक
आर.यू.एफ. क एक िसपाही ने उसे चालक क सीट पर धकल िदया। मुझे आर.यू.एफ. क
सश सैिनक क बीच अटकाया गया था। बाक क सैिनक वाहन क बाहर इस कार से
लटक गए थे, िजससे अंदर साँस लेना भी मु कल हो गया था।
वाहन जंगल क रा ते पर बढ़ने लगा। आगे क सीट पर बैठा मेजर कपोई अपने रिडयो सेट
पर िनरतर अपनी भाषा म संवाद कर रहा था। वह एक झटका देनेवाली या ा थी, य िक हम
िजस वाहन म सफर कर रह थे, हमार िसर टटी-फटी सड़क क कारण उसक छत से टकरा
रह थे। वाहन क िकनार पर लटक सैिनक लगातार िच ा रह थे और म यह सोच रहा था
िक अब आगे या होगा? म िवशेष प से अपनी कपनी को लेकर बेहद िचंितत था और मने
मेजर कपोई से अपने लोग क थित क बार म जानने का यास िकया। उसने जवाब िदया,
“ ी ंि ैि ि ी े ो औ ि ी ी ैि
“हम सभी शांित सैिनक क िनर ीकरण क आदेश ा हो गए ह और िकसी भी सैिनक
को कोई नुकसान नह होगा।”
मने तुरत कपोई से कहा, “आप चाह िकतनी भी कोिशश कर ल, भारतीय हिथयार नह
डालगे। मेरी कपनी का हर सैिनक समपण क बजाय मौत को चुनेगा।”
वह हसा और मुझसे कहा िक “ को और देखो!”
लगभग आधे घंट तक जंगल म या ा करने क बाद मुझे एक कार क ब ती
जैसी िदखाई दी, जो देखने म आर.यू.एफ. क िशिवर क तरह लग रही थी। म
वाहन से उतर गया और इस बीच आर.यू.एफ. क दो सैिनक मुझ पर अपनी बंदूक
ताने रह। मेजर नायर का वाहन भी प च गया और वे भी उसी अव था म थे।
लगभग आधे घंट तक जंगल म या ा करने क बाद मुझे एक कार क ब ती जैसी िदखाई
दी, जो देखने म आर.यू.एफ. क िशिवर क तरह लग रही थी। म वाहन से उतर गया और
इस बीच आर.यू.एफ. क दो सैिनक मुझ पर अपनी बंदूक ताने रह। मेजर नायर का वाहन भी
प च गया और वे भी उसी अव था म थे। मने आर.यू.एफ. क बुि जीवी जोनाथन को देखा,
जो मेजर नायर और मेर वागत क िलए आगे आए। मने उ ह देखकर कहा, “आर.यू.एफ.
आग से खेल रहा ह, िजसक प रणाम बेहद खतरनाक ह गे। जोनाथन, मने तो सोचा था िक
आप इससे कह अिधक होिशयार हो। म यह देखकर चिकत िक आर.यू.एफ. कसे
आ मिवनाश क राह पर ह!”
उ ह ने समझाया िक ये फ ड कमांडर क आदेश थे; लेिकन हम यह आ ासन भी िदया
िक वे ोटोकॉल का पालन करगे। िफर उ ह ने बंदूक से लैस सैिनक से थानीय भाषा म
कछ कहा। इसक प रणाम व प वे कछ कदम पीछ हट गए और अपने हिथयार डाल िदए।
जोनाथन क आने क बाद मेजर कपोई का यवहार भी थोड़ा बदल गया था। जोनाथन ने
समझाया िक कमांडर को उनक कपिनय से अलग करना आर.यू.एफ. रणनीित का िह सा
था और उ ह ा िनदश क अनुसार, उनका अगला कदम सभी शांित सैिनक को िनर
करना होगा। मने जोनाथन से कनल मािटन क बार म पूछा और उ ह ने मुझे बताया िक
वतमान म कनल मािटन मैदान म ह और वापस आने पर वे मुझसे िमलगे। जोनाथन ने हम
यह भी बताया िक जो कछ हो रहा था, वह िपछले िदन क उस दुभा यपूण घटना क
िति या थी, िजसम संयु रा क शांित सैिनक ारा आर.यू.एफ. क कई सैिनक क
जान ली गई थ ।
म सोच रहा था िक हमार अपने मु यालय ारा हम इस घटना क सूचना य नह दी
गई? अगर हम इस बार म पता होता तो हम शायद आर.यू.एफ. क जाल म नह फसते। एक
घंट क बाद िविभ देश क 11 अ य सै य पयवे क को वाहन ारा कला न से
आर.यू.एफ. िशिवर म लाया गया। अब जोनाथन क मुख िचंता सभी को भोजन उपल ध
करवाने क थी। उ ह ने अपनी िचंता य क िक आर.यू.एफ. हमार वाद का भोजन नह
उपल ध करवा पाएगा, इसिलए वे हमार एक वाहन को हमार िशिवर म सभी क िलए भोजन
लेने क िलए भेजने जा रह थे।
सै य पयवे क बेहद डर ए थे; आर.यू.एफ. ने उनम से अिधकतर क साथ
हाथापाई क थी। इ लड क मेजर एं यू ह रसन तो अपनी सुध-बुध ही खो बैठ
थे। चूँिक िसएरा िलओन एक पूव ि िटश उपिनवेश था और उ ह ने अनुमान
लगाया िक अगर आर.यू.एफ. ने एक-एक करक हम ख म करना शु कर िदया
तो हताहत होनेवाले पहले य वे ही ह गे।
सै य पयवे क बेहद डर ए थे; आर.यू.एफ. ने उनम से अिधकतर क साथ हाथापाई क
थी। इ लड क मेजर एं यू ह रसन तो अपनी सुध-बुध ही खो बैठ थे। चूँिक िसएरा िलओन
एक पूव ि िटश उपिनवेश था और उ ह ने अनुमान लगाया िक अगर आर.यू.एफ. ने एक-
एक करक हम ख म करना शु कर िदया तो हताहत होनेवाले पहले य वे ही ह गे।
आर.यू.एफ. ने जो सबसे पहला काम िकया, वह था—हम सभी को एक डाक म म ले
जाकर शारी रक प से सबक तलाशी लेना। पयवे क क पास िजतना भी पैसा था, वह
छीन िलया गया और तलाशी क इस ि या क दौरान उनक साथ हाथापाई भी क गई।
इसक बाद हम सभी को ‘बैरक’ म रहने क िलए कहा गया, िजसम न छत थी और न ही
दीवार। वह मु यतः बैरक क नाम पर मोट फश का एक े था। मने अपने ाइवर से कहा
िक वह जब रात का खाना लेने जाए तो आते समय सबक िलए दरी ज र लेता आए, य िक
दोपहर क भोजन का समय बीत चुका था। उन तथाकिथत बैरक क चार कोन पर चार
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सश आर.यू.एफ. सैिनक तैनात थे, जबिक बाक क अपने रहने क रहायशी े म चले
गए थे।
मेजर नायर और म यह सोच रह थे िक हमारी कपिनय पर या बीत रही होगी? लेिकन
इस सबक बीच एक अ छी बात यह ई िक हमार िशिवर म खाना लेने क िलए गया वाहन
जब आिखरकार लौटकर आया तो वह हमार िशिवर क सार घटना म क जानकारी अपने
साथ लेकर आया। कल िमलाकर, म एक संकट म अपनी कमांड से अलग होने क कारण
दुःखी महसूस कर रहा था, जो िक एक सैिनक क िलए सबसे बुरी बात हो सकती ह। मेर
लड़क, मेर सैिनक मेरी िज मेदारी थे। लेिकन म यहाँ पर िबना िकसी अपराध क एक बंधक
क प म फस गया था और मुझे बमु कल इस बात क जानकारी थी िक मेर सैिनक
कला न म या कर रह थे? म बस, उनक सुर ा क िलए ाथना करता रहा।
मेरा ाइवर (ओम काश) चार सैिनक क साथ गया और िशिवर से हमार िलए
रात का खाना ले आया। इसक अलावा, वह अपने साथ यह रपोट भी लाया िक
हमारी कपनी को बड़ी सं या म आर.यू.एफ. क सैिनक ने चार ओर से घेर रखा
ह। वे सुबह से ही कपनी को हिथयार डालने को कह रह थे और उ ह ने धमक दी
थी िक ऐसा नह होने पर वे कपनी पर हमला कर दगे।
मेरा ाइवर (ओम काश) चार सैिनक क साथ गया और िशिवर से हमार िलए रात का
खाना ले आया। इसक अलावा, वह अपने साथ यह रपोट भी लाया िक हमारी कपनी को
बड़ी सं या म आर.यू.एफ. क सैिनक ने चार ओर से घेर रखा ह। वे सुबह से ही कपनी को
हिथयार डालने को कह रह थे और उ ह ने धमक दी थी िक ऐसा नह होने पर वे कपनी पर
हमला कर दगे। बेगुनाह सैिनक क लाश क ढर को देखना जरा भी सुहाना नह होता। इसक
अलावा, उ ह ने कपनी को समपण करने क िलए आतंिकत करने क उ े य से क टन
सुनील को मानव ढाल क प म इ तेमाल िकया और उ ह गोली मार देने क धमक दी।
मुझे बताया गया िक क टन सुनील ने अद य साहस व वीरता का दशन िकया और
िच ाकर अपने सैिनक से कहा, “कोई भी हिथयार नह डालेगा, चाह ये मुझे गोली ही य
न मार द! हमार ितरगे क इ त कम नह होनी चािहए िकसी भी हाल म।” म अपने इस
युवा अिधकारी पर बेहद गव महसूस कर रहा था और सोच रहा था िक सुबह क टाउन हॉल
क घटना क बाद वह कहाँ गायब हो गया था!
मेर ाइवर ने इसक आगे मुझे बताया िक कला न क अलावा अ य सभी े म तैनात
संयु रा क लगभग सभी शांित सैिनक ने आर.यू.एफ. क सामने आ मसमपण कर
िदया था और उसक साथ आए सैिनक यह सोच रह थे िक भारतीय शांित सैिनक कला न
क आर.यू.एफ. क गढ़ म होने क बावजूद हिथयार य नह डाल रह थे? मेर ाइवर ने
मुझे यह भी बताया िक आर.यू.एफ. ने संयु रा क एक हिलकॉ टर पर भी क जा कर
िलया था, जो िनयिमत उड़ान पर था।
मुझे इस बात क आशंका थी िक अब हमार िशिवर पर आ मसमपण करने क िलए और
अिधक दबाव बनाया जाएगा, य िक आर.यू.एफ. क िलए अब यह ित ा का मामला बन
चुका था। इसिलए मने ज दी से एक कागज क टकड़ पर स त िनदश िलखे—‘चाह जो भी
हो जाए, समपण नह करना ह। इमारत को खाली कर दो और सुरि त थान क प म
खंदक म िछप जाओ।’ म इस बात को लेकर िवशेष प से िचंितत था िक मेरी कपनी एक
अ पताल क इमारत म क ई थी, िजसे आर.यू.एफ. आग लगाकर धराशायी कर सकता
था और ऐसा होने पर कई लोग हताहत हो सकते थे। मने वह नोट अपने ाइवर को िदया
और उसे िनदश िदया िक वह उसे क टन सुदेश क सुपुद कर, जो मेरी अनुप थित म कपनी
कमांडर क िज मेदारी सँभाल रह थे।
उस रात हम जमीन पर अपनी द रयाँ िबछाकर लेट आसमान म िटमिटमाते ए
तार को िगन रह थे और आर.यू.एफ. क सैिनक हमार िसर पर चढ़ खड़ थे। मुझे
नह लगता िक उस रात िकसी को न द आई होगी। चाँद पर नजर िटकाए ए म
यह सोच रहा था िक जीवन भी िकतना अ यािशत ह!
उस रात हम जमीन पर अपनी द रयाँ िबछाकर लेट आसमान म िटमिटमाते ए तार को
िगन रह थे और आर.यू.एफ. क सैिनक हमार िसर पर चढ़ खड़ थे। मुझे नह लगता िक उस
रात िकसी को न द आई होगी। चाँद पर नजर िटकाए ए म यह सोच रहा था िक जीवन भी
िकतना अ यािशत ह! एक िदन पहले तो हमने आर.यू.एफ. क कमांडर कनल मािटन क
साथ बैठकर राि भोज का आनंद िलया और वह उसक अगले िदन हम बंधक बनाकर
पकड़ िलया गया और हमार जीवन को दाँव पर लगा िदया गया! उस समय िबना छतवाली
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झ पड़ी मेरी िचंता का सबब नह थी; दरी क नीचे से मेरी पीठ म चुभनेवाली स त भूिम ने
मुझे जरा भी परशान नह िकया; चाँदनी से भरी रात को देखने क मेर म म कभी-कभार
यवधान डालते नाराज चेहर मेर िलए िचंता का िवषय नह थे—म िसफ अपने सािथय क
बार म सोच रहा था, िजनक प रवार उ मीद भरी िनगाह क साथ भारत म उनका इतजार कर
रह थे। मुझे उनम से येक को सुरि त घर ले जाना था, लेिकन पूर स मान क साथ।
अपनी प नी और ब क चेहर क नजर क सामने आते ही मेर िदल ने जैसे
धड़कना ही बंद कर िदया। मेरी प नी मेर िबना अपना बाक का बचा आ जीवन
कसे िबताएगी? मेर ब का जीवन उनक िपता क िबना िकतना अलग हो
जाएगा!
अपनी प नी और ब क चेहर क नजर क सामने आते ही मेर िदल ने जैसे धड़कना ही
बंद कर िदया। मेरी प नी मेर िबना अपना बाक का बचा आ जीवन कसे िबताएगी? मेर
ब का जीवन उनक िपता क िबना िकतना अलग हो जाएगा! या होगा, अगर म उ ह देखे
िबना यह पर िम ी म िमल गया, िबना अपने बेट क मुँह से यह सुने िक बड़ा होकर वह
एक िदन मेर जैसा बनेगा? अपनी प नी से यह सुने िबना िक वह मुझसे ब त ेम करती ह?
और मेरी बेटी—म उसका नायक था और वह मेरी राजकमारी। हमारी प रय क कहानी आगे
कसे बढ़गी?
चार ओर नजर दौड़ाने पर मने देखा िक बाक क सभी बंधक क चेहर पर भी
अिन तता छाई ई थी और वे सभी गहन सोच म डबे ए थे। माहौल िचंता से भरा आ
था और हमने अपने सामने मौजूद िवक प पर चचा करने का फसला िकया, य िक िनराश
होना अपने घर वापस प चने म मदद नह करने वाला था। सभी सै य पयवे क को इस
बात का पूरा िव ास था िक अगले िदन मेर कनल मािटन से िमल लेने क बाद चीज काबू म
आ जाएँगी, य िक वे सभी हमार आपसी संबंध से वािकफ थे। मुझे नेपाल क मेजर सुरश
काक िवशेष प से याद ह, य िक वे िहदी बोल सकते थे और उ ह ने मुझसे अनुरोध िकया
िक म उ ह वहाँ से रहा करवाने म मदद क , य िक वे उ र चाप से पीिड़त थे और
दवा क िबना उनका मर जाना िन त था। दो अ य अिधकारी िहदी बोल सकते थे—एक
थे मेजर गबरी, भारत क एक सै य पयवे क और दूसर थे पािक तानी मेजर रफ क। म इस
बार म िवचार कर रहा था िक अगले िदन कनल मािटन क सामने मुझे अपनी बात को कसे
रखना ह!
अगली सुबह सबसे बड़ी चुनौती थी िन य कम से िनवृ होना। आर.यू.एफ. ने सबक
िलए खुले म एक च कमोड बनाया था, जो कछ ही देर म ओवर लो होने लगा। इसिलए
मने जंगल म जाने का फसला िकया; लेिकन मेर तथाकिथत अंगर क ने वहाँ भी मेरा पीछा
नह छोड़ा और आर.यू.एफ. क दो सैिनक मुझ पर नजर रखे ए थे। आप सोच सकते ह िक
अगर दो बंदूकधारी आप पर िनशाना साधे खड़ ह तो आप कसे फा रग हो सकते ह!
जोनाथन अगली सुबह साबुन क साथ आए, िजसे एक रात पहले ही िवशेष तौर पर
लाइबे रया से मँगवाया गया था और उ ह ने हमार सामने आई परशािनय क िलए मा माँगी।
मने उनसे कनल मािटन से अपनी मुलाकात क बार म तहक कात क । उ ह ने मुझे इसे
आयोिजत करने का आ ासन िदया, लेिकन साथ ही यह भी जोड़ा िक कनल मािटन भारतीय
शांित सैिनक ारा आ मसमपण क िनदश का पालन नह करने से खुश नह थे। उ ह ने मुझे
यह भी बताया िक अ य सभी शांित सैिनक ने पहले ही आ मसमपण कर िदया ह और उ ह
आज रहा कर िदया जाएगा। जोनाथन ने आगे उ ेख िकया िक आर.यू.एफ. िदन म कवल
एक बार ही भोजन करता ह और इसिलए हमारा वाहन हमार िशिवर म कवल एक बार ही
जा सकगा।
उ ह ने सभी को चेतावनी दी िक अगर िकसी ने भागने क कोिशश क तो
आर.यू.एफ. सैिनक को गोली चलाने का िनदश िदया गया था। इसक बाद उ ह ने
सै य पयवे क को आ त िकया िक िपछले िदन तलाशी क दौरान उनसे छीना
गया सामान और पैसा उिचत समय पर उ ह वापस कर िदया जाएगा।
उ ह ने सभी को चेतावनी दी िक अगर िकसी ने भागने क कोिशश क तो आर.यू.एफ.
सैिनक को गोली चलाने का िनदश िदया गया था। इसक बाद उ ह ने सै य पयवे क को
आ त िकया िक िपछले िदन तलाशी क दौरान उनसे छीना गया सामान और पैसा उिचत
समय पर उ ह वापस कर िदया जाएगा। आिखरकार, जोनाथन वहाँ से चले गए और हम पूर
िदन म कई बार संयु रा क भारी वाहन को देख सकते थे, िजनम सैिनक िसफ
अंतःव म ठसे ए थे, िज ह लाइबे रया क ओर ले जाया जा रहा था। ूटी पर तैनात
आर.यू.एफ. सैिनक से पूछताछ करने पर उ ह ने बताया िक वे आ मसमपण कर चुक
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संयु रा क शांित सैिनक थे, िज ह रहा करने क िलए लाइबे रया ले जाया जा रहा था।
आर.यू.एफ. ने न कवल उनक हिथयार, ब क उनक वरदी भी छीन ली थी, जो हम
भारतीय को िकसी भी थित म वीकार नह था। हमारी वरदी पर भारतीय ‘ितरगा’ लगा होने
और उस पर ‘भारत’ िलखा आ होने क पीछ एक खास वजह थी। हम 1 अरब से भी
अिधक लोग वाले एक देश का ितिनिध व करते थे और िसफ एक आ मसमपण से 100
करोड़ से अिधक लोग का िसर शम से झुक जाता। भारतीय सेना म एक िगर ए सैिनक क
अंितम साँस भी ितरगे क ओर चलती ह, तािक वह ग रमा और स मान क साथ लहराता रह।
इसिलए, समपण करने का तो सवाल ही नह था।
शाम को जोनाथन मुझे कनल मािटन से िमलने क िलए बुलाने आए और म तुरत
उनक साथ चल िदया। हम दूसर छोर तक प चने क िलए आर.यू.एफ. कप से
लगभग 200 मीटर तक गुजर। वहाँ पर एक अ छी सी झ पड़ी बनाई गई थी,
िजसक शीष पर आर.यू.एफ. का एक झंडा लहरा रहा था और झ पड़ी आलीशान
थी।
शाम को जोनाथन मुझे कनल मािटन से िमलने क िलए बुलाने आए और म तुरत उनक
साथ चल िदया। हम दूसर छोर तक प चने क िलए आर.यू.एफ. कप से लगभग 200 मीटर
तक गुजर। वहाँ पर एक अ छी सी झ पड़ी बनाई गई थी, िजसक शीष पर आर.यू.एफ. का
एक झंडा लहरा रहा था और झ पड़ी आलीशान थी। जोनाथन ने मुझे लकड़ी क बच पर
िबठाया और िफर कनल मािटन को बुलाने क िलए अंदर चले गए।
कनल मािटन क देखते ही मने मड क भाषा म ‘काई गोआ मा’ कहकर उनका अिभवादन
िकया, िजसक यु र म उ ह ने ‘शुभ सं या’ कहा। उ ह ने मेर हाल-चाल क बार म पूछा
और बोले, “आशा ह, हमार लड़क आपक ठीक से देखभाल कर रह ह!” म उनसे बीते दो
िदन म घिटत ई घटना क बार म िशकायत नह करना चाहता था और इसक बजाय मने
उनसे पूछा, “अब आगे या, कनल मािटन?” मुझे पता था िक अगर म िशकायत क गा तो
उनका िसफ एक ही जवाब होगा िक ये सब शीष से आए आदेश ह। म यह भी समझ चुका
था िक जो कछ हो रहा ह, वह मकनी और मैगबुराका क घटना का नतीजा ह।
वे हमेशा क तरह मुसकराए और बोले, “मेर दो त, मने कभी सपने म भी नह सोचा था
िक हम कभी ऐसी थित म मुलाकात करनी पड़गी, जैसी थित आज ह।…मेरी भावनाएँ
और िवचार आज भी िब कल वही ह, जो पहले थे, एक दो त वाले। लेिकन म िपछले दस
वष से एक ऐसे सै य बल का िह सा , जो िसएरा िलओन को ताकत से आजाद
करवाने क लड़ाई लड़ रहा ह। मेर संगठन को संयु रा से ब त उ मीद थ । हालाँिक,
मकनी और मैगबुराका म जो आ, उससे इस बात का प संकत िमलता ह िक संयु
रा भी उसी अधम बल क हाथ म खेल रहा ह, िजससे हम लड़ रह थे।”
मने यह कहते ए उनक बात काटी, “कनल मािटन, आप कला न म हमार ारा जमीनी
तर पर िकए गए काम क सा ी ह। मकनी और मैगबुराका म जो आ, उसक िलए या
आप हम जवाबदेह ठहराएँगे?” मने उस मानवतावादी कोण को और आगे बढ़ाया, िजस
पर म यक न करता था और उ ह िगनी क सीमा पर क गई ग त क बार म याद िदलवाया,
िजसे मने अपने जोिखम पर िबना अपने मु यालय क जानकारी क िसफ आर.यू.एफ. क
िलए ही अंजाम िदया था। कनल मािटन कला न म हमार ारा िकए गए काम क प म थे
और उ ह ने हमारी मौजूदा बैठक का सारा ेय शांित सैिनक ारा िकए गए उ क काय
को िदया। यह महसूस करते ए िक हमारी चचा सकारा मक प रणाम दान करनेवाली िदशा
म आगे नह बढ़ रही ह, मने अपने मूल न को दोहराया, “आगे या?”
कनल मािटन बोले, “मेजर, म आपक कपनी क िपछले दो िदन क काय से
खुश नह ।” उ ह ने बताया िक कसे िसफ दो भारतीय कपिनय को छोड़कर पूर
देश म अ य देश क शांित सैिनक ने आर.यू.एफ. क सामने आ मसमपण कर
िदया था। वे हमार लड़क को शांितपूण आ मसमपण करने क िलए सहमत होने
क बजाय खाइय को खोदते और बंकर का िनमाण करते ए देखकर
आ यचिकत थे।
कनल मािटन बोले, “मेजर, म आपक कपनी क िपछले दो िदन क काय से खुश नह
।” उ ह ने बताया िक कसे िसफ दो भारतीय कपिनय को छोड़कर पूर देश म अ य देश क
शांित सैिनक ने आर.यू.एफ. क सामने आ मसमपण कर िदया था। वे हमार लड़क को

ंि े ि ो े ो ो ेऔ ं
शांितपूण आ मसमपण करने क िलए सहमत होने क बजाय खाइय को खोदते और बंकर
का िनमाण करते ए देखकर आ यचिकत थे।
मने कनल मािटन को समझाया, “बड, हम भारतीय अपनी बंदूक क भगवा क तरह
पूजा करते ह और हम हिथयार डालने क बजाय अपने जीवन का बिलदान देना पसंद
करगे।”
वे मुझे बीच म ही टोकते ए बोले, “लेिकन आप यहाँ शांित थापना क ूटी पर ह।
ऐसे म, आप अपने देश म जो करते ह, उससे इसक तुलना कसे कर सकते ह?”
मने प करने का यास िकया, “मेरा मानना ह िक एक सैिनक अपने कत य क जगह
क बावजूद एक सैिनक ही होता ह। हम चाह िकसी भी धम का पालन करते ह , सुर ा करना
हमारा धम ह और हमार हिथयार ही हमार भगवा ह। हमारा अपने भगवा को नीचा िदखाने
का सवाल ही पैदा नह होता ह।” मने उनसे अपने सैिनक क तुलना अ य शांित सैिनक से
नह करने का अनुरोध िकया, य िक हमारी एक िनयिमत सेना थी, जो अपने रा क सुर ा
क िलए िज मेदार थी और दुिनया क अिधकांश अ य देश ऐसे सैिनक भेजते ह, जो िवशेष
प से कवल शांित अिभयान क िलए ही चुने जाते थे और सुस त थे।
मने जो कछ भी कहा था, उसक बावजूद उ ह ने एक चेतावनी क साथ िन कष
िनकाला, “अपने आप को नतीज का सामना करने क िलए तैयार रखो, मेजर,
य िक आप आर.यू.एफ. को चुनौती दे रह ह, जो दुिनया का सबसे र सै य बल
ह और वह भी हमार अपने मैदान पर!”
मने जो कछ भी कहा था, उसक बावजूद उ ह ने एक चेतावनी क साथ िन कष िनकाला,
“अपने आप को नतीज का सामना करने क िलए तैयार रखो, मेजर, य िक आप
आर.यू.एफ. को चुनौती दे रह ह, जो दुिनया का सबसे र सै य बल ह और वह भी हमार
अपने मैदान पर!”
उनक असहमित क शैली को भाँपते ए म तुरत ही इस बात को समझ गया िक
आर.यू.एफ. क गढ़ कला न म संयु रा क शांित सैिनक क हिथयार डलवाने म िवफल
होने पर कनल मािटन पर उनक फ ड कमांडर ारा िकतना दबाव डाला गया होगा। मने
कनल मािटन पर पड़नेवाले इस दबाव से सामने आनेवाले एक संभािवत अवसर को भी भाँपा
और वह था—अपनी कपनी क थान पर जाने क बहाने कला न म पापा िगएमा से िमलने
का मौका। इसिलए मने तुरत कनल मािटन को एक ताव िदया िक म अपने लड़क से
सुलह क संभावना तलाशने और आर.यू.एफ. एवं भारतीय शांित सैिनक क बीच गितरोध को
सुलझाने क कोिशश क गा। कनल मािटन ने उस भरोसे क साथ, जो उ ह ने िपछले दो
महीने म िकया था, अब तक हमारी बातचीत सुन रह जोनाथन को िनदश िदया िक वह मुझे
अगले िदन मेरी कपनी से िमलने क िलए जाने दे।
मेर कला न जाने क खबर संयु रा क येक ितिनिध क िलए खुशी का मा यम था,
जो िगएमा म आर.यू.एफ. क बंधक बने ए थे। उ साह से भर मेजर नायर और संयु रा
क अ य पयवे क ने मुझे कनल मािटन क साथ ई अपनी बैठक क बार म िव तार से
बताने क िलए कहा और बाद म मुझे कला न प चने पर अपने भिव य क काय क बार म
सलाह दी। इस दौरान मेरा मन पापा िगएमा पर ही अटका रहा। थानीय लोग और
आर.यू.एफ. उनका िजतना स मान करते थे, उसक चलते अब िसफ वही आशा क एक
िकरण थे। जोनाथन ने मेजर कपोई को कला न तक क मेरी या ा क संबंध म आव यक
िनदश िदए और मने सवश मान ई र से ाथना क िक कपोई सुबह मेर साथ न आए।
कछ ही देर म हमार ाइवर ओम काश राि भोज लेकर आ गए, जो अपने साथ यह खबर
भी लाए थे िक हमारी कपनी क चार ओर आर.यू.एफ. क घेराबंदी को और अिधक मजबूत
कर िदया गया ह।
कपनी का बेहद गंभीरता से ऐसा मानना था िक आर.यू.एफ. हमारी कपनी को
हिथयार डालने क िलए मजबूर करने को अ पताल पर हमला कर सकता ह।
लेिकन मुझे इस बात का पूरा यक न था िक कम-से-कम आज क रात तो ऐसा
कोई हमला नह िकया जाएगा; य िक कनल मािटन मुझ पर िजतना यक न
करते थे, उसे देखते ए वे िन त प से कपनी क मेरी या ा क प रणाम क
ती ा ज र करते।
कपनी का बेहद गंभीरता से ऐसा मानना था िक आर.यू.एफ. हमारी कपनी को हिथयार
डालने क िलए मजबूर करने को अ पताल पर हमला कर सकता ह। लेिकन मुझे इस बात
ि े ोऐ ोई ि
का पूरा यक न था िक कम-से-कम आज क रात तो ऐसा कोई हमला नह िकया जाएगा;
य िक कनल मािटन मुझ पर िजतना यक न करते थे, उसे देखते ए वे िन त प से
कपनी क मेरी या ा क प रणाम क ती ा ज र करते।
मेजर नायर और मने अपने लंगर से आए वािद राि भोज का आनंद िलया। हालाँिक,
खाना खाते ए हम यह सोच रह थे िक सै य पयवे क क िलए भारतीय मसालेदार खाने को
खाना िकतना मु कल काम रहा होगा। मने अपनी िज ासा को शांत करते ए ि िटश
अिधकारी मेजर एं यू ह रसन से भोजन क बार म पूछा। पर उ ह ने जो जवाब िदया, उसे
सुनकर म आ यचिकत रह गया। वे बोले, “दो त, लंदन म मुझे भारतीय करी का आनंद
लेने क िलए कम-से-कम 20 पाउड का भुगतान करना पड़ता, िजसका आनंद म यहाँ
बैठकर उठा रहा ।”
राि भोज क बाद मने अपनी दरी को िबछाते ए वा तव म तार को िगनना शु
िदया, य िक न द आने का तो सवाल ही नह उठता था। तभी मुझे अपनी प नी
क वे अंितम श द याद आ गए, जो दा से मेर ारा क गई अंितम टलीफोन
कॉल क दौरान उ ह ने कह थे।
राि भोज क बाद मने अपनी दरी को िबछाते ए वा तव म तार को िगनना शु िदया,
य िक न द आने का तो सवाल ही नह उठता था। तभी मुझे अपनी प नी क वे अंितम श द
याद आ गए, जो दा से मेर ारा क गई अंितम टलीफोन कॉल क दौरान उ ह ने कह थे।
उ ह आनेवाले किठन िदन का अंदाजा हो गया था और म यह सोचकर हरान था िक उनक
छठी इि य का अनुमान िकतना सटीक था! अब म यह सोच रहा था िक अगर मेर बंधक
बनाए जाने क खबर भारत तक प च गई होगी तो उन पर या बीत रही होगी? मने ई र से
ाथना क िक यह खबर िकसी को पता नह लगनी चािहए, िवशेषकर मेर प रवार को।
मेर जेहन म एक और सवाल जो घुमड़ रहा था, वह पापा िगएमा से मुलाकात से जुड़ा था,
य िक मौजूदा प र थितय म िसफ वही मेर िलए आशा क इकलौती िकरण थे। म इन
खयाल म इतना डब गया था िक मुझे समय का भान भी नह रहा। ज द ही म आर.यू.एफ.
क िशिवर म सुबह क िनयिमत गितिविधय को िकए जाने क आवाज सुन सकता था। मेर
िवचार अचानक ही रात क अँधेर से सूरज क िकरण तक प च गए थे और म अपनी नस
म दौड़ते ए आशावाद क साथ दरी से उठ खड़ा आ।
उस सुबह दैिनक िन य कम से िनबटनेवाला म सबसे पहला य था, जबिक बाक क
सभी सै य पयवे क अभी गहरी न द म ही सो रह थे। मने अपनी वरदी पहनी और भारतीय
ितरगे को अपनी छाती पर लगाते ए मुझे ीत क याद आई, िज ह ने िद ी म हमार सैिनक
क िलए य गत यू.एन. िकट क यव था क थी। उनक बोले ए श द मेर कान म गूँजते
रह िक मुझे भारतीय वज को ऊचा रखना होगा और मुझे पता था िक वह िदन एक परी ा
ह। इसक बाद मुझे कनाटक क बेलगाम म िकए गए अपने कमांडो कोस का िस उ रण
याद आया—
‘मजबूत इराद वाले लोग िवपरीत प र थितय म हार नह मानते। वे चुनौितय को वीकार
करते ह और किठन प र म से उनको परा त भी करते ह।’
इसने मुझे इतनी ेरणा दान क िक म अपने भीतर ऊजा क एक लहर महसूस कर
सकता था। ूटी पर तैनात आर.यू.एफ. क िसपाही ने मेर साथ मजाक िकया, “मेजर, मुझे
आशा ह िक आप वापस ज र आएँगे। ऐसा नह होता तो आपसे िमलकर ब त अ छा
लगा।”
मने उससे पूछा िक मेर ए कॉट क प म कौन ह? और मुझे पता चला िक ‘कमांडर’
(जो उसका नाम भी था) मेरा ए कॉट कमांडर था। यह एक शानदार िदन क बेहतरीन
शु आत थी, य िक कपोई मेर साथ नह जा रहा था। कमांडर, जो वा तव म एक से शन
कमांडर था, वा तव म एक जोशीला य था। वे आर.यू.एफ. क चार सैिनक क साथ
प चे और ठठ आर.यू.एफ. वाली शैली म मुझसे हाथ िमलाया। हम कला न क या ा शु
करने क िलए िज सी म सवार ए।
रा ते म मने कमांडर से कपोई क बार म पूछा और मुझे पता चला िक उसे िपछली
रात ही िकसी िवशेष अिभयान पर भेजा गया ह। मने मन-ही-मन ई र को
ध यवाद िदया, य िक कपोई िन त प से राह का रोड़ा सािबत होता। इसक
बाद कमांडर ने मुझसे पूछा, “मेजर, आप ऊचे मैदान पर जाना पसंद करगे या
िफर अ पताल?”
रा ते म मने कमांडर से कपोई क बार म पूछा और मुझे पता चला िक उसे िपछली रात ही
िकसी िवशेष अिभयान पर भेजा गया ह। मने मन-ही-मन ई र को ध यवाद िदया, य िक
कपोई िन त प से राह का रोड़ा सािबत होता। इसक बाद कमांडर ने मुझसे पूछा, “मेजर,
आप ऊचे मैदान पर जाना पसंद करगे या िफर अ पताल?”
मने अ पताल जाने क बात कही।
आधे घंट म हम कला न प च गए, जो पूरी तरह से सुनसान लग रहा था और हमार
ाइवर ओम काश हम सीधे हमारी कपनी तक ले गए। हमारी कपनी क बाहर बनी
आर.यू.एफ. क चौक ने हम रोका और मुझे वहाँ पर िस टर िदखाई द , िज ह ने मुझे
देखकर राहत क साँस ली। मने एक बार िफर भगवा का शुि या अदा िकया, य िक अब
मेर पास िस टर क ज रए पापा िगएमा से िमलने क बेहतर संभावनाएँ थ , िज ह ने मेर
वा य क बार म पूछताछ क । मने उनसे अनुरोध िकया िक या म अपनी कपनी से िमलने
क बाद पापा िगएमा से मुलाकात कर सकता ? उ ह ने मुझे आ ासन िदया िक वे अपनी
ओर से पूरा यास करगी।
कमांडर ने मुझे आगाह िकया िक मुझे वापस ज र आना ह, य िक मुझे
आर.यू.एफ. क चौक से अकले पैदल चलकर ही आगे तक जाना था। मने
अपनी कपनी क ओर आगे बढ़ना शु कर िदया, जो वहाँ से करीब 200 मीटर
आगे थी। मेरा हर कदम उ सुकता से भरा आ था—म यह सुिन त करना
चाहता था िक मेर सभी लड़क सकशल ह ।
कमांडर ने मुझे आगाह िकया िक मुझे वापस ज र आना ह, य िक मुझे आर.यू.एफ. क
चौक से अकले पैदल चलकर ही आगे तक जाना था। मने अपनी कपनी क ओर आगे
बढ़ना शु कर िदया, जो वहाँ से करीब 200 मीटर आगे थी। मेरा हर कदम उ सुकता से
भरा आ था। म यह सुिन त करना चाहता था िक मेर सभी लड़क सकशल ह । वे मुझे
थोड़ी दूरी से देख सकते थे और मुझे ‘भारत माता क जय’ से भरी एक जोरदार जय-जयकार
सुनाई दी।
कछ ही पल म सभी ने एक साथ आकर मुझे गले से लगा िलया और सूबेदार फतेह ने
शारी रक प से मेर हाथ क जाँच क , तािक वे आर.यू.एफ. क िकसी यातना क िनशान
देख सक। म उस उ साह का वणन नह कर सकता, जो मुझे अपने सािथय से िमलकर
आ। मने िसपाही िवनोद को बोलते ए सुना, “साब, आप आ गए ह, अब हम कोई िफ
नह ह।” तभी मने उ ह बताया िक मुझे वापस जाना होगा; और लड़क ने एक साथ कहा
िक वे मुझे नह जाने दगे।
मने उ ह पूरी थित समझाई और कछ ज री सुर ा िनदश िदए। कपनी को मेरा अंितम
आदेश था, “चाह जो भी हो जाए, हम आ मसमपण नह करना ह।” मने लड़क ारा तैयार
िकए गए बंकर व खंदक क जाँच करने क काम म 20 और िमनट का समय यतीत
िकया। मने अपने सुझाव उनक साथ साझा िकए और उनसे कहा िक िकसी भी संभािवत
हवाई हमले से िनबटने क िलए बंकर क ऊपरी सुर ा म सुधार िकया जाए। मने लड़क से
यह भी कहा िक वे बंकर क आगे कछ बाधाएँ ज र खड़ी कर, तािक आर.यू.एफ. क आगे
बढ़ने पर उ ह रोका जा सक।
आिखर म, अपने सभी लड़क को शुभकामनाएँ देने क बाद म आर.यू.एफ. क चौक पर
लौट आया, जहाँ िस टर इस खबर क साथ मेरा इतजार कर रही थ िक पापा िगएमा अपने
घर पर ही मौजूद ह। वे मेर साथ पापा िगएमा क घर तक ग । वे बेहद गमजोशी क साथ
मुझसे िमले और मुझसे मेर वा य क बार म पूछा। उ ह ने कहा िक आर.यू.एफ. मेर साथ
जो कछ भी कर रहा ह, उ ह उसक िलए खेद ह। और तभी मने खुद को इस बात क िलए
तैयार कर िलया, िवपरीत मानिसकता ही अब इकलौता रा ता ह।
भाई, मुझे आपको यह सूिचत करते ए बड़ा खेद हो रहा ह िक मेर लड़क को
मु यालय से गोलीबारी शु करने का आदेश ा आ ह। इसक अलावा, वे
अपने कपनी कमांडर को गेइमा म बंधक बनाए जाने से और भी अिधक ु ध ह।
मने पापा िगएमा से कहा, “भाई, मुझे आपको यह सूिचत करते ए बड़ा खेद हो रहा ह िक
मेर लड़क को मु यालय से गोलीबारी शु करने का आदेश ा आ ह। इसक अलावा,
वे अपने कपनी कमांडर को गेइमा म बंधक बनाए जाने से और भी अिधक ु ध ह।” मने
पापा िगएमा को यह भी बताया िक हमारी कपनी भारी-भरकम मोटार और रॉकट लॉ र से
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लैस ह। मने उनसे कहा िक य गत प से म कला न म यु और र पात नह चाहता;
लेिकन म इसे रोकने क िलए कछ भी नह कर सकता , य िक म गेइमा वापस लौट रहा

पापा िगएमा तुरत बोले, “आप गेइमा नह जाओगे और म अपने शहर म कोई यु नह
होने दूँगा। यहाँ क लोग िपछले एक दशक म पहले ही काफ कछ भुगत चुक ह। आपको
यह रहकर इसे रोकना चािहए।”
म बोला, “पापा िगएमा, म आर.यू.एफ. क आदेश से बँधा आ और मुझे सूरज ढलने
से पहले हर हाल म उनक मु यालय वापस प चना ही होगा।”
पापा िगएमा ने पूछा, “ या आपको पता ह िक आर.यू.एफ. को िकसने खड़ा िकया? हमने
आर.यू.एफ. को बनाया ह।” उ ह ने कमांडर को िनदश िदया िक वे कनल मािटन तक एक
संदेश भेज, िजसम कहा गया था—‘मेजर पुिनया वापस नह लौट रह ह और वे कला न म
रहगे।’

8.
िमनी खुकरी : घर वापसी का रा ता

चीज योजना क अनुसार ही आगे बढ़ रही थ और वे इससे अिधक बेहतर नह हो सकती


थ । पापा िगएमा क घर से वापसी क दौरान िस टर ने मुझे बताया िक पापा िगएमा
आर.यू.एफ. क हम बंधक क प म िगर तार करने क काररवाई से खुश नह ह। इसक
अलावा, हमार ारा िपछले दो महीन म दान क गई मानवीय सहायता क प रणाम व प,
यहाँ तक िक आसपास क गाँव क थानीय लोग, जो उनक सरदारी का िह सा थे, हमारी
रहाई क िलए पापा िगएमा पर दबाव डाल रह थे। पापा िगएमा ारा िलये गए इस व रत
िनणय क पीछ क कारण क बार म सोचते ए मुझे एक झटक म सारा मामला समझ म आ
गया। मुझे खुशी थी िक म आर.यू.एफ. क न ज को उसी िदन महसूस करने म सफल हो
गया था, जब मने पहली बार उनक गढ़ म कदम रखा था। अब यह बात पूरी तरह से प
थी िक उनक जीवन-रखा, थानीय समथन, उनसे दूर होता जा रहा था।
आर.यू.एफ. मु यालय म बंधक बनाए गए अिधका रय क रहाई क िलए पापा िगएमा
और आर.यू.एफ. पर दबाव डालनेवाले थानीय लोग क बार म िस टर से ा यह
जानकारी बेहद उ साहजनक थी। म तुरत ही महसूस कर सकता था िक मेर सामने संयु
रा पयवे क और मेजर नायर क रहाई का एक मौका था। मने अ पताल प चने से
पहले उनक साथ कछ ण क िलए टाउन हॉल जाने का अनुरोध िकया। टाउन हॉल म
वेश करने पर मने िस टर का आभार कट िकया और उनसे अनुरोध िकया िक वे माल
क कपड़ क बनी ई एक प ी को मेरी कलाई पर बाँध द। मने उ ह बहन ारा अपने
भाइय क कलाइय पर राखी बाँधने क भारतीय परपरा क बार म बताया; राखी का मतलब
था िक भाई अपनी बहन क हमेशा र ा करने का वचन दे रहा ह। मने जब उनका हाथ
पकड़ा तो वे रो रही थ और मने उ ह आ ासन िदया िक उस ण क बाद उनक सुर ा
मेरी िज मेदारी ह।
म तुरत ही इ लड व स जैसे श शाली देश से जुड़ सै य पयवे क क रहाई क
मह वपूण मु े पर आ गया। मने िस टर को बताया िक अगर उ ह रहा नह िकया गया तो
सभी क िलए इसक प रणाम बेहद भयावह हो सकते ह। मने उ ह यह भी समझाया िक कसे
आर.यू.एफ. इस बात को नह समझ रहा ह िक वे एक िफसलन भर रा ते पर ह और इन
सभी श शाली रा ारा क जानेवाली कोई भी जवाबी काररवाई कला न क िलए
कयामत का िदन हो सकती ह। उ ह ने तुरत मेरी बात को समझा और मुझे आ ासन िदया
िक वे पापा िगएमा क साथ इस मु े पर चचा करगी। इसक बाद वे मुझे आर.यू.एफ.
बै रकड तक ले ग और पापा िगएमा ारा िदए गए िनदश से थानीय आर.यू.एफ. पो ट
कमांडर को अवगत करवाया।
और ऐसा होने क बाद म अपनी कपनी क ओर वापस लौट रहा था। मेरी कपनी
को अपनी आँख व कान पर भरोसा नह आ, जब मने उ ह बताया िक इस बार
म अ छी खबर क साथ आया । वहाँ पर उ सव क लहर थी और कपनी खुशी
से भर गई थी। इस पूर उ ास क बीच मने क टन शांत को मुझे यह कहते ए
सुना, “सर, अब आप बाहर नह जाएँगे।”
और ऐसा होने क बाद म अपनी कपनी क ओर वापस लौट रहा था। मेरी कपनी को
अपनी आँख व कान पर भरोसा नह आ, जब मने उ ह बताया िक इस बार म अ छी
खबर क साथ आया । वहाँ पर उ सव क लहर थी और कपनी खुशी से भर गई थी। इस
पूर उ ास क बीच मने क टन शांत को मुझे यह कहते ए सुना, “सर, अब आप बाहर
नह जाएँगे।” उ सव क शांत हो जाने क बाद मने बाहर क थित से लड़क को अवगत
करवाया और कहा िक संयु रा क सै य पयवे क और मेजर नायर क रहाई सुिन त
करने क िलए कपनी से बाहर जाना समय क आव यकता ह। क टन शांत ने ज रत पड़ने
पर वे छा से बाहर जाने क मंशा जािहर क । इसक अलावा, उ ह ने इस बात पर जोर िदया
िक मेर िलए िफलहाल कपनी का कायभार सँभालना अिधक आव यक ह। म उस समय
चचा को और अिधक लंबा नह ख चना चाहता था, य िक ऐसा होने पर मेरी सकशल
वापसी का उ साह फ का पड़ जाता। इसिलए मने उनक माँग को मानने का फसला िकया,
ि ँ ओ ी ईऔ े ो
िजसक बाद वहाँ पर चार ओर खुशी क लहर फल गई और लड़क मुझे गोद म उठाकर
मेरी कमांड पो ट तक ले गए।
शाम क टड-ट क दौरान मने येक बंकर क जाँच क और उसक रज तथा
गोलीबारी क सीमा को परखा। सभी किमय को दूर करने क बाद धुँधलका
िघरते ही मने महसूस िकया िक िबजली क सभी ब ब हमार िशिवर क क क
ओर कि त थे, िजससे दु मन को हम िनशाना बनाने म बेहद आसानी हो जाती।
शाम क टड-ट क दौरान मने येक बंकर क जाँच क और उसक रज तथा गोलीबारी
क सीमा को परखा। सभी किमय को दूर करने क बाद धुँधलका िघरते ही मने महसूस िकया
िक िबजली क सभी ब ब हमार िशिवर क क क ओर कि त थे, िजससे दु मन को हम
िनशाना बनाने म बेहद आसानी हो जाती। इसक बाद मने सभी लाइट को बाहर क ओर
थानांत रत करवा िदया और उनका मुँह भी बाहर क ओर घुमवा िदया, तािक हम दु मन को
बेहतर ढग से देख सक। क टन शांत तुरत बोले, “सर, यही अनुभव का अंतर ह और हम
यहाँ पर आपक ज रत ह।”
िदनचया क प म कपनी पूरी रात सावधान रही, तािक दु मन क िकसी भी नापाक मनसूबे
का मुँहतोड़ जवाब िदया जा सक। येक बंकर क आगे तैयार िकए गए अवरोध को इस
कार से बनाया गया था िक दु मन—यानी कोई भी ऐसा य , जो हमार लोग और साम ी
को नुकसान प चाने क कोिशश कर—उसे हमार बंकर क ओर आने म आसानी न हो।
मौजूदा ितकल प र थितय क बावजूद हमार लड़क को पूरी तरह से े रत देखकर मुझे
खुशी ई।
सुबह तक मने िनणय ले िलया था िक म सै य पयवे क क रहाई क िलए पापा िगएमा
से संपक क गा। अगर म आगे नह बढ़ा होता तो हो सकता ह िक पापा िगएमा िपछले िदन
उनक साथ ई बातचीत को मेरी रहाई क िलए खेली गई एक चाल समझ सकते थे। म उस
भरोसे क साथ िखलवाड़ नह कर सकता था, जो पापा िगएमा ने मुझ पर य िकया था
और मौजूदा प र थितय क माँग थी िक म पापा िगएमा क साथ संवाद बनाए रखूँ। इसिलए
मेरी अिधकांश कपनी क राय इसक िखलाफ होने क बावजूद मने क टन सुदेश को आदेश
िदया िक मेर वहाँ से बाहर जाने क बाद वे कपनी क बागडोर सँभाल।
माँ दुगा का आशीवाद लेने क बाद म अपने िमशन पर आगे बढ़ा। आर.यू.एफ. चौक पर
िस टर ने मेरा वागत िकया। िस टर मुझे सीधे पापा िगएमा क पास ले ग , जो मुझे देखकर
खुश ए। वे बोले, “आपक ारा इतने जोिखम भर कारनाम को करने क बाद आज आपको
अपने सामने ऐसे खड़ देखकर आपक ित एक सैिनक क प म मेर स मान ने सारी हद
तोड़ दी ह। म आपक अपनी कपनी से वापस इस शहर म आने को लेकर सशंिकत था।”
मने पापा िगएमा को इस बात का वचन िदया िक म ितिदन शहर म आऊगा और
अपनी कपनी क साथ-साथ कला न शहर क येक िनवासी क देखभाल क
दोहरी िज मेदारी का िनवहण क गा। मने उ ह आ ासन िदया िक शांित बनी
रहगी और चाह जो कछ भी हो जाए, यु तो िब कल भी नह होगा।
मने पापा िगएमा को इस बात का वचन िदया िक म ितिदन शहर म आऊगा और अपनी
कपनी क साथ-साथ कला न शहर क येक िनवासी क देखभाल क दोहरी िज मेदारी का
िनवहण क गा। मने उ ह आ ासन िदया िक शांित बनी रहगी और चाह जो कछ भी हो
जाए, यु तो िब कल भी नह होगा। इसक बाद मने उ ह सै य पयवे क क बंधक बने
रहने क िनिहताथ क बार म बताया। वे तो िसफ पयवे क थे और उनक पास कोई हिथयार
भी मौजूद नह थे। हालाँिक, अगर वै क तर पर इस बात का सार हो जाता तो दुिनया
क राय आर.यू.एफ. क िखलाफ हो जाती। इसक अलावा, ये पयवे क इ लड एवं स
आिद श शाली देश से थे। आर.यू.एफ. को इन देश से कठोर जवाबी काररवाई का
सामना करना पड़ सकता था। इसिलए मने आगे जोड़ा िक कला न म शांित बनाए रखने क
िलए उ ह रहा कर िदया जाना चािहए।
पापा िगएमा ने मुझे आ ासन िदया िक वे उनक रहाई क िलए अपनी ओर से सव म
यास करगे और इसक यु र म मने उ ह दय से ध यवाद िदया। मने पापा िगएमा से
कहा िक म कला न म यु -िवराम क िलए वा तव म बेहद िचंितत था, य िक वहाँ का
येक नाग रक मेर िलए एक प रवार जैसा था। मने कहा िक म अपनी जान क क मत पर
भी शांित क िलए यास करता र गा। मेरी ये बात सुनकर पापा िगएमा भावुक हो गए। उ ह ने
मुझे यु क उन घाव क बार म बताया, िजनका सामना उ ह ने िपछले दस वष म य गत
प से िकया था, िजसम अपने दोन बेट को खोना भी शािमल था। इसक अलावा, कला न
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क येक घर को ए नुकसान, जहाँ टट-फट घर क िखड़िकय से दुःख क गूँज सुनाई
देती थी, क बार म भी बताया। पापा िगएमा क मुँह से इस बात को सुनते ही म अवा रह
गया और अपने आँसु को बहने से नह रोक सका। मुझे इस आदमी क ताकत पर
आ य आ, िजसने इतने िदन से मेर साथ उस बात को कभी साझा नह िकया था।
अगले िदन हम खबर िमली िक सभी सै य पयवे क और मेजर नायर को रहा कर िदया
गया ह। शहर वापस आने पर मुझे इस बात क जानकारी ई। यह मेर िदन क सबसे
शानदार शु आत थी, य िक मेर साथी आर.यू.एफ. क चंगुल से मु थे और म उनक
थित समझ सकता था, य िक म खुद भी इसी तरह क घृिणत प र थितय म रहा था।
आर.यू.एफ. पदानु म क म य कछ गलत संचार क चलते सै य पयवे क, िज ह कला न
शहर म अपने आवास पर वापस जाना था, मेजर नायर क साथ ऊची भूिम म प च गए।
सै य पयवे क कला न म अपने वास क शेष बचे समय तक भारतीय सेना क टकड़ी क
साथ वह पर रह।
इस शानदार समाचार को सुनते ही मने वहाँ जाने का फसला िकया और मने पैदल
चलकर ही ऊची भूिम तक जाने का फसला िकया, य िक तब तक पापा िगएमा
क चलते मुझे कला न क पूरी प रिध क सभी थान पर आने-जाने क छट
िमल चुक थी।
इस शानदार समाचार को सुनते ही मने वहाँ जाने का फसला िकया और मने पैदल चलकर
ही ऊची भूिम तक जाने का फसला िकया, य िक तब तक पापा िगएमा क चलते मुझे
कला न क पूरी प रिध क सभी थान पर आने-जाने क छट िमल चुक थी। य िप म अब
तक अिधकांश आर.यू.एफ. सैिनक से अप रिचत था, लेिकन मेर आर.यू.एफ. क घेर से
चलकर ऊची भूिम तक जाने क दौरान उ ह ने मुझे पहचान िलया, जहाँ म मेजर नायर से
िमला। उ ह ने पूरी ईमानदारी से मुझे ध यवाद िदया और येक य क सफल रहाई क
िलए मेरी सराहना क ।
म सभी सै य पयवे क से िमला, िज ह ने मेर काय क ब त सराहना क । उनक टाँग
ख चते ए मने कहा, “वैसे स नो, आर.यू.एफ. चाहता ह िक आप शहर म रह, न िक ऊचे
मैदान म।” उनक चेहर पर आए भाव को देखना बेहद मजेदार था और उन सबक पीले पड़
चुक चेहर से एक साथ ‘न’ क आवाज आई।
मेजर नायर और मने भिव य क रणनीित पर चचा क । हमने इस बात पर सहमित य
क िक पापा िगएमा क साथ संवाद बनाए रखना और शहर म थानीय लोग क संपक म
रहना बेहद आव यक ह। इसिलए यह िनणय िलया गया िक एक तरफ जहाँ मेजर नायर उ
मैदानी इलाक म बने रहगे और हमार मु यालय क साथ संचार बनाए रखगे, उसी दौरान मुझे
बाहर क न ज महसूस करने क िलए िनयिमत प से बाहर आते-जाते रहना होगा। अब तक
म कनल मािटन क बुलावे क उ मीद कर रहा था और जैसािक अपेि त था, मेर उ मैदान
से बाहर िनकलते ही कमांडर से मेरी मुलाकात ई, िज ह ने मुझे सूिचत िकया िक कनल
मािटन शहर म मौजूद ह और वे मुझसे िमलना चाहते ह।
कई कार क आशंका से िघरा आ म कनल मािटन से िमलने क िलए टाउन
हॉल प चा। वे ब त परशान थे और िपछले बह र घंट क घटना म को लेकर
मुझसे बेहद ु ध थे। मने कनल मािटन को समझाया िक आर.यू.एफ. और
संयु रा क सैिनक क बीच लड़ाई क िबना भारतीय शांित सैिनक क
आ मसमपण क कोई संभावना नह थी।
कई कार क आशंका से िघरा आ म कनल मािटन से िमलने क िलए टाउन हॉल
प चा। वे ब त परशान थे और िपछले बह र घंट क घटना म को लेकर मुझसे बेहद ु ध
थे। मने कनल मािटन को समझाया िक आर.यू.एफ. और संयु रा क सैिनक क बीच
लड़ाई क िबना भारतीय शांित सैिनक क आ मसमपण क कोई संभावना नह थी। बाक
उनक मरजी थी। मने एक बार िफर यह भी बताया िक कसे एक भारतीय सैिनक अपने
हिथयार को अपने भगवा क प म पूजता ह। मने उ ह समझाया िक म बीते ए कल म भी
उनका दो त था और गितरोध क सौहादपूण समाधान का पता लगाने क कोिशश करते ए
भी म उनका दो त बना र गा। कनल मािटन सै य पयवे क क उ मैदान म जाने से ब त
परशान थे और उ ह ने मुझसे कहा िक म उ ह शहर क बाहर तैनात क । म यह बात ब त
अ छी तरह से जानता था िक वे िकसी भी थित म बाहर नह आएँगे; िफर भी, मने उनसे
कहा िक म अपनी तरफ से पूरी कोिशश क गा।

ि े ेि े े ि े
इसक बाद पापा िगएमा ने मुझे िबना शत अपना पूरा समथन देने का वचन िदया। उ ह ने
इस बात का भी उ ेख िकया िक उ ह ने कनल मािटन को यह प कर िदया था िक अगर
आर.यू.एफ. ने भारतीय शांित सैिनक को कोई नुकसान प चाया तो थानीय लोग अपना
समथन वापस ले लगे। मने पापा िगएमा को दय से ध यवाद िदया और उनसे कहा िक
कला न म शांित कायम रहगी, चाह कछ भी हो जाए।
उसक बाद मने अगले िदन िमलने क वादे क साथ अ पताल क इमारत पर वापस
जाने क िलए पापा िगएमा से अनुमित ली। अ पताल क इमारत पर वापस जाते
समय मुझे पता था िक मुझे पापा िगएमा क उ मीद पर खरा उतरना होगा और
िबना र पात क गितरोध का समाधान खोजना होगा।
उसक बाद मने अगले िदन िमलने क वादे क साथ अ पताल क इमारत पर वापस जाने
क िलए पापा िगएमा से अनुमित ली। अ पताल क इमारत पर वापस जाते समय मुझे पता था
िक मुझे पापा िगएमा क उ मीद पर खरा उतरना होगा और िबना र पात क गितरोध का
समाधान खोजना होगा। पापा िगएमा क िनरतर यास क कारण ही म रहा होने म सफल
रहा था। इसिलए, मेरा जीवन उनका ऋणी था और िसफ उनक ही वजह से म पूरी तरह से
िनडर होकर अपने कप से बाहर कह भी आ-जा सकने म स म था।
ऐसे सभी मौक पर म वाहन से चलने क बजाय पैदल ही चलना पसंद करता था, य िक
म अपने ाइवर क जीवन को जोिखम म नह डालना चाहता था। मुझे नह पता था िक
बंधक बनाए जाने क बाद से मुझे या हो गया था; लेिकन मुझे ऐसा लगता था िक मेर
जीवन का उ े य कला न म शांित और सामा यता बहाल करना ह। मुझे यह बात भी
अ छ से पता थी िक ऐसा िसफ तभी संभव ह, जब म कनल मािटन क साथ अिधकारपूण
थित म बात क , न िक कमजोर थित म। यह तभी हो सकता था, जब हमार सुर ा तं
अ छी तरह से तैयार ह और हम आर.यू.एफ. ारा उठाए जानेवाले िकसी भी अ यािशत
कदम का सामना करने क िलए पूरी तरह से तैयार ह ।
इसी क साथ मुझे शहर म जाकर थानीय लोग क साथ बातचीत करते ए िबना यु क
शांित क मौक क बार म भी पता लगाना था। म एक साथ दो नाव क सवारी कर रहा था
—एक तरफ तो म एक सैिनक एवं एक कपनी का कमांडर था और दूसरी तरफ कला न म
शांित का एक दूत। ऐसा लग रहा था, जैसे म यह भूल गया िक म कौन ! लेिकन
ईमानदारी से क तो म इस बात को सोचकर बेहद अचंिभत था िक मने िकसी भी भूिमका से
कोई समझौता िकए िबना खुद को इन दोन ही भूिमका क िलए िकतनी सहजता से तैयार
कर िलया था। मने ई र से ाथना क िक मुझे अपने दोन दािय व क ित अपने कत य
का िनवहण करने क श दान कर। अपने िवचार म डबे ए मुझे पता ही नह चला िक
म कब िशिवर म प च गया।
अपनी कपनी म प चने पर मुझे सूिचत िकया गया िक मेर कमांिडग ऑिफसर
कनल सतीश मुझसे बात करना चाहते ह। म तुरत ही रिडयो म क ओर
लपका। कनल ने शु म सै य पयवे क सिहत सभी शांित सैिनक क रहाई
सुिन त करने क िलए मेरी सराहना क ।
अपनी कपनी म प चने पर मुझे सूिचत िकया गया िक मेर कमांिडग ऑिफसर कनल
सतीश मुझसे बात करना चाहते ह। म तुरत ही रिडयो म क ओर लपका। कनल ने शु म
सै य पयवे क सिहत सभी शांित सैिनक क रहाई सुिन त करने क िलए मेरी सराहना
क । इसक बाद उ ह ने मुझे एक दुभा यपूण घटना क बार म बताया—हमार सेकड-इन-
कमांड ले टनट कनल अिमत शमा और उनक ग ती दल को आर.यू.एफ. ने दा से
लगभग 10 िकलोमीटर दूर कइवा म बंधक बना िलया था। उ ह ने बताया िक ले टनट
कनल अिमत शमा कला न संकट का समाधान करने क िलए वहाँ जाने को िनकले थे और
उ ह उनक दल क साथ रा ते म बंधक बना िलया गया। उ ह ने मुझे मौजूदा थित का
सौहादपूण समाधान खोजने क िलए उ तम तर पर िववेकपूण कटनीित का भी आ ासन
िदया, य िक यह मु ा भारतीय संस म उठाया गया था। धानमं ी अटल िबहारी वाजपेयी
ने लाइबे रया क अपने समक चा स टलर से बात क थी और उ ह कहा था िक वे
कला न म भारतीय शांित सैिनक क रहाई क िलए आर.यू.एफ. को िनदिशत कर।
भारतीय ितिनिधय ारा इस मु े को व रत समाधान क िलए संयु रा मु यालय म
उठाया जा रहा था। कनल सतीश ने एक बार िफर मुझे हमारी कपनी क े से बाहर नह
िनकलने का िनदश िदया, य िक कला न म सभी को रहा कर िदया गया था। मने अनुरोध

ि ि ेऐ ेि ि ेि े ो े ि ी ी
िकया िक मुझे ऐसे िनणय क िलए अपने िववेक का उपयोग करने क अनुमित दी जानी
चािहए, य िक म मौक पर मौजूद य था।
अपने कमांिडग ऑिफसर क साथ लंबी बातचीत क बाद मने अपने कपनी क सभी
अिधका रय को अपनी चहारदीवारी क बाहर क वतमान थित क बार म जानकारी देने
और अ य प रचालन एवं त काल शासिनक मु क सम वय क िलए बुलाया। मने उनसे
कहा िक यह लड़ाई लंबी चलने वाली ह। हम अपने सैिनक को े रत रखना था। मेरी सबसे
बड़ी िचंता अपने राशन क भंडार को बढ़ाना था, िजसे कछ समय क िलए बनाए रखना
आव यक था। कटनीितक तर पर गितरोध को हल करने क सव म यास क जारी रहने
क बावजूद उ तम और जमीनी दोन तर पर हम िकसी भी आक मक घटना क िलए
तैयार रहने क आव यकता ह। मने क टन शांत को िनदश िदया िक हमारी कपनी क 20
बेहतरीन लड़क को एक ‘घातक लाटन’ बनाने क िलए चुन, तािक अगर आर.यू.एफ.
ारा कोई हमला िकया जाता ह तो हम आव यकता पड़ने पर जवाबी काररवाई करने क
थित म ह । लाटन को कमांडो काय सिहत िवशेष अिभयान सँभालने क िलए तैयार िकया
जाना चािहए और अगले िदन से उनक नेतृ व म िश ण शु हो जाना चािहए।
कपनी पूरी रात सावधान वाली थित म रही और सैिनक ने िदन क समय
पा रय म आराम िकया। आिखर म, मने सूबेदार फतेह को यह पता लगाकर
बताने का िनदश िदया िक हम अपने मौजूदा राशन क भंडार क साथ िकतने
समय तक िटक रह सकते ह?
कपनी पूरी रात सावधान वाली थित म रही और सैिनक ने िदन क समय पा रय म
आराम िकया। आिखर म, मने सूबेदार फतेह को यह पता लगाकर बताने का िनदश िदया िक
हम अपने मौजूदा राशन क भंडार क साथ िकतने समय तक िटक रह सकते ह? सबसे
अिधक परशान करनेवाली खबर क टन सुदेश ारा साझा क गई, िज ह ने दा म हमार
ऑपरशन ऑिफसर से बात क थी। क टन सुदेश को यह बात पता चली थी िक मौजूदा
संकट और आर.यू.एफ. ारा टाउन पर हमला करने क अंदेशे क चलते सै य मु यालय
घर लौटने क िलए कामकाज समेट रहा था। म मुसकराया और अपने अिधका रय से कहा
िक हमार पास अब कवल दो िवक प ह—या तो हम अपने गव और स मान को लुटाकर
वापस जाएँ या िफर अंितम य और अंितम दौर तक लड़!
उस वा ा क ख म होते ही मेर मन म यह खयाल क धा िक चूँिक बंधक का मु ा
भारतीय संस म भी उठाया गया था, मेरी प नी को भी अब तक इन दुभा यपूण घटना क
बार म पता चल चुका होगा। िसफ इस िवचार ने ही मुझे अशुभ अनुभूित दी, य िक हमार
पास अपने घर से संपक करने का कोई तरीका नह था। हालाँिक, कपनी कमांडर क प म
मेर कत य और िज मेदारी मुझे ज द ही ऐसी थित म ले आए, िजसे म पसंद करता था।
रात म सावधान रहते ए म एक बंकर से दूसर बंकर म गया, य िक हमारी कपनी क
येक लड़क से िमलने का मौका था। अगर म यहाँ पर यह बात साझा नह क िक येक
सैिनक पूरी तरह से े रत लग रहा था और उ ह ने मुझसे कहा िक वे अपने हिथयार डालने
क बजाय अपनी जान देना पसंद करगे, तो म अपने कत य क साथ धोखा क गा। इ ह
वजह क चलते भारतीय सेना बाक सबसे कह े ह।
जमीनी तर पर गितरोध का माहौल बना रहा और म रात म कपनी कमांडर क
प म अपने कत य का िनवहण करता रहा। हम उ सतकता क थित म थे
और हमार हिथयार गोला-बा द से लैस थे। हमार सैिनक ने पूरी रात िकसी भी
परशानी क संकत पर पैनी िनगाह रखी।
जमीनी तर पर गितरोध का माहौल बना रहा और म रात म कपनी कमांडर क प म
अपने कत य का िनवहण करता रहा। हम उ सतकता क थित म थे और हमार हिथयार
गोला-बा द से लैस थे। हमार सैिनक ने पूरी रात िकसी भी परशानी क संकत पर पैनी
िनगाह रखी। हमार े म कोई भी पूरी रात नह सोया। िदन होने पर म शहर क ओर गया,
तािक वहाँ क घटना म क बार म पता चल सक। थानीय लोग क बीच भय का माहौल
बना आ था। उ ह इस बात पर और अिधक यक न होता जा रहा था िक अब यु अप रहाय
ह; हालाँिक, मुझे इस बात क पूरी आशा थी िक उ तर पर जारी कटनीित इस गितरोध का
कोई-न-कोई हल ज र िनकालेगी।
इसिलए, इन प र थितय म हमार सामने सबसे अ छा िवक प था िक हम अिडग रह
और हाल ही म बढ़ाए गए अपने राशन क सीिमत टॉक क बावजूद िकसी भी कमजोरी का
कोई प संकत न दिशत कर। मुझे यह देखकर ब त आ य आ िक सभी क िलए
ो ी
एक समय का भोजन उपल ध था, इसक बावजूद हमार कछ लड़क कछ भी नह खा रह
थे। तनाव य य को इस कार भािवत कर सकता ह। एक सुहानी सुबह हमारी कपनी
क िचिक सक मेजर मुरली हमार सैिनक म से एक क जान बचाने क िलए आव यक
सजरी क जानकारी लेकर मेर पास आए। िसपाही जयजीत ने िपछले दस िदन से मल- याग
नह िकया था। उसका पेट गु बार क तरह फल गया था और यह आँत म मरोड़ का मामला
होने का अंदेशा था। तुरत सजरी ही इसका एकमा इलाज था। मेजर मुरली ने मुझे बताया
िक ऐसा शायद अ यिधक तनाव क प रणाम व प आ ह और िसपाही जयजीत को तुरत
वायु माग से वहाँ से िनकालने क आव यकता थी, अ यथा उसक जान भी जा सकती थी।
उसे दा ले जाया जाना था, जहाँ एक फ ड हॉ पटल थािपत िकया गया था और एक
िवशेष सजन भी उपल ध थे। म दुिवधा म पड़ गया था, य िक हमारी पूरी कपनी
आर.यू.एफ. क घेर म थी, िजसम से बाहर िनकलने क कोई संभावना नह थी। इसिलए मने
इस मु े पर पापा िगएमा क साथ चचा करने का फसला िकया।
बाहर िनकलने से पहले मने अपने अिधका रय को तनाव से िनपटने क यापक
मु े पर चचा करने क िलए बुलाया। हम सभी ने सवस मित से िदन क दौरान
एक िनधा रत िदनचया का पालन करने क ित सहमित य क , िजसम
िश ण, शारी रक गितिविध और शाम को वॉलीबॉल का एक दो ताना
मुकाबला शािमल था, तािक हमार लोग को य त रखा जा सक।
बाहर िनकलने से पहले मने अपने अिधका रय को तनाव से िनपटने क यापक मु े पर
चचा करने क िलए बुलाया। हम सभी ने सवस मित से िदन क दौरान एक िनधा रत िदनचया
का पालन करने क ित सहमित य क , िजसम िश ण, शारी रक गितिविध और शाम
को वॉलीबॉल का एक दो ताना मुकाबला शािमल था, तािक हमार लोग को य त रखा जा
सक। मने इसक िलए कायकारी आदेश पा रत िकए और िदन क दौरान आराम क अनुमित
देने क पूव क कोण को िदन भर क िनयिमत गितिविध म बदल िदया गया।
पापा िगएमा ने मेर िसपाही क िलए जबरद त िचंता िदखाई। हालाँिक, उ ह ने वायु माग से
बाहर िनकलने को सुिवधाजनक बनाने म अपनी असमथता य क , य िक यह सेना का
काय े था और कवल कनल मािटन ही इस पर फसला ले सकते थे। िबना िकसी और
झमेले क मने त काल कनल मािटन क साथ एक लैग मीिटग बुलाई। यह संदेश
आर.यू.एफ. क संचार िवंग क भारी क मा यम से भेजा गया था। कनल मािटन ने तुरत मेर
संदेश का जवाब िदया, य िक वे शायद इस बात क संभावना को देख रह थे िक वे हम
हमार हिथयार डालने पर मजबूर कर सकते ह।
उस शाम हम लगभग एक पखवाड़ बाद टाउन हॉल म िमले। वे बेहद थक ए लग रह थे
और मुझे उनसे ही पता चला िक देश क अ य भाग क मौजूदा थित क एक बार िफर से
पूण गृह यु का प ले लेने क थित बनती िदखाई दे रही ह। इस बार वे थोड़ िवन
तीत ए और उ ह ने मुझसे एक सवाल पूछा, “मेजर, आप वतमान थित म िबना राशन
और खा आपूित क िकतने समय तक िटक रहगे?” म उनक रणनीित म आए बदलाव को
महसूस कर सकता था। पहले वे हम तुरत ही हमार हिथयार डालने क िलए मजबूर करना
चाहते थे, यहाँ तक िक जबरद ती भी और अब वे ‘वेट एंड वॉच’ क रणनीित अपना रह थे।
मुझे लगा िक यह िब कल सही मौका ह और मने उनसे मानवीय आधार पर हवाई
रा ते से बाहर जाने क अनुमित देकर अपने सैिनक क जान बचाने म मदद करने
का अनुरोध िकया। उनक साथ मौजूद मेजर कपोई ने तुरत ही मेर अनुरोध को
ठकरा िदया और बोला, “कोई हिलकॉ टर गनिशप नह ।”
मुझे लगा िक यह िब कल सही मौका ह और मने उनसे मानवीय आधार पर हवाई रा ते से
बाहर जाने क अनुमित देकर अपने सैिनक क जान बचाने म मदद करने का अनुरोध िकया।
उनक साथ मौजूद मेजर कपोई ने तुरत ही मेर अनुरोध को ठकरा िदया और बोला, “कोई
हिलकॉ टर गनिशप नह ।” उसने मुझे चेतावनी दी िक अगर हिलकॉ टर उनक े म घुसा
तो वे उसे मार िगराएँगे। म कपोई क िति या को समझ सकता था। गृह यु क दौरान
हिलकॉ टर पर लगी मशीन गन से आर.यू.एफ. क कई सैिनक क जान ली जा चुक थ ।
मने एक बार िफर कनल मािटन से अपील क और अपने सैिनक को दा ले जाने क
ता कािलकता क बार म बताया, जहाँ उसका इलाज करने क िलए एक सजन उपल ध थे।
कनल मािटन चुप हो गए और एक िमनट क बाद बोले। उ ह ने मुझे एक वाहन उपल ध
कराने क िलए कहा, तािक हताहत को सड़क माग से ले जाया जा सक। इस बार चुप रहने
क बारी मेरी थी; लेिकन मेर सैिनक क जान एक मशीन क क मत से भी यादा क मती थी,
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इसिलए म एक वाहन उपल ध करवाने क िलए सहमत हो गया। लेिकन मने इस बात पर
जोर िदया िक उसे आर.यू.एफ. ारा खुद चलाया जाएगा, य िक म उस वाहन क साथ
भेजकर िकसी अ य सैिनक क जीवन को जोिखम म नह डालना चाहता था। आर.यू.एफ.,
जो अपने आप म िब कल अनोखे थे, ने कभी भी मेर वाहन को वापस नह िकया; हालाँिक,
हमने 15 जुलाई, 2000 को ‘ऑपरशन खुकरी’ क दौरान उसे बरामद िकया।
मने मानवीय भाव क िलए कनल मािटन को ध यवाद िदया और कला न म शांित
सुिन त करने क िलए इस तरह क और लैग मीिटग आयोिजत करने का
अनुरोध िकया। मने एक बार िफर उ ह शांितदूत क स ी भावना क साथ
कला न म शांित क िलए अपनी ितब ता का आ ासन िदया।
मने मानवीय भाव क िलए कनल मािटन को ध यवाद िदया और कला न म शांित
सुिन त करने क िलए इस तरह क और लैग मीिटग आयोिजत करने का अनुरोध िकया।
मने एक बार िफर उ ह शांितदूत क स ी भावना क साथ कला न म शांित क िलए अपनी
ितब ता का आ ासन िदया। इसक अलावा, म इस बात पर िवशेष प से स था िक
उ ह ने आर.यू.एफ. क सामने हमार ारा हिथयार डालने का मु ा नह उठाया था।
हर गुजरते िदन क साथ राजनीितक समाधान को लेकर मेरी आशा कम होती जा रही थी
और हमार सव म यास क बावजूद मौक पर तनाव का तर लगातार बढ़ता ही जा रहा
था। अ पताल क इमारत म हमार पास िसफ दस और िदन क लायक राशन साम ी बची
थी। हालाँिक, ऊची भूिम पर थित थोड़ी बेहतर थी, य िक वहाँ उपल ध भोजन हमारी
आव यकता से अिधक था और इसक एक वजह यह भी थी िक ारिभक योजना क
तहत दोन कपिनय को अंततः ऊचे मैदान पर ही प चना था।
म लगातार रात को सावधान रहने और िदन म शहर क अंदर जाने क िदनचया का पालन
कर रहा था और इसक साथ ही कभी-कभार कनल मािटन क साथ लैग मीिटग म भी
िह सा लेता था, िजनक मुसकान अभी तक बरकरार थी; य िक उ ह ऐसा लगने लगा था
िक हमारा हिथयार डालना अब बस, कछ ही समय क बात ह। हमने अपनी तरफ से पूरी
कोिशश क थी, लेिकन उ मु यालय से आनेवाले संदेश अब अ थर थे। हम सूचना दी
गई थी िक ‘अगर मौक पर मौजूद कमांडर को लगता ह िक हिथयार डालकर वह अपने
सैिनक क जान बचा सकता ह तो वह खुद फसला ले सकता ह।’ गहर िनिहताथवाले चुिनंदा
श द!
म समझ गया था िक उ तरीय कटनीित िवफल हो गई ह और इसिलए अब जमीन पर
क गई काररवाई ही हमार भिव य का िनधारण करगी। हालाँिक, मेर अंदर का िसपाही हार
मानने को तैयार नह था, चाह बा रश हो या धूप। िजस िदन हमने अपनी पू य वरदी पहनी थी
और अपना सव व भारत माता पर योछावर करने क कसम ली थी, उसी िदन साढ़ चार
अ र वाला अपमानजनक श द ‘समपण’ हमारी सीमा से पर हो गया था। हमार िलए मृ यु
एक डरानेवाला नतीजा नह थी; लेिकन समपण क बार म सोचना तक भयानक था, य िक
ऐसा करने से हम जीिवत रहते ए भी भीतर से मर जाते ह। म ब त खुशिक मत था िक मेर
आदिमय का भी ऐसा ही सोचना था।
म उसी समय रिडयो सेट पर मेजर नायर को सुन सकता था, जो यह बता रह थे
िक सै य पयवे क उनक िलए असुिवधा का सबब बनते जा रह थे—वे बाहर
िनकलने क अनुमित देने क िलए जोर दे रह थे। मने सै य पयवे क से िमलने क
िलए अगले िदन य गत प से ऊचे मैदान का दौरा करने का फसला िकया।
म उसी समय रिडयो सेट पर मेजर नायर को सुन सकता था, जो यह बता रह थे िक सै य
पयवे क उनक िलए असुिवधा का सबब बनते जा रह थे—वे बाहर िनकलने क अनुमित
देने क िलए जोर दे रह थे। मने सै य पयवे क से िमलने क िलए अगले िदन य गत प
से ऊचे मैदान का दौरा करने का फसला िकया।
शहर से गुजरने क दौरान मुझे थानीय लोग क चेहर पर खौफ क बादल िघर ए िदखाई
िदए और वे अपने घर क सुर ा को और अिधक चाक-चौबंद करने क िलए बाहरी दीवार
क नजदीक जमीन को खोद रह थे। उ मैदान पर प चते ही मेजर नायर ने मुझे सै य
पयवे क क अ थर रवैए क बार म बताया, जो पहले तो वहाँ से बाहर जाने को लेकर
ब त डर ए थे, लेिकन अब वे वहाँ से बाहर िनकलकर आर.यू.एफ. क मा यम से रहा
होना चाहते थे, य िक उनक पास कोई हिथयार मौजूद नह था। उ ह ने मुझे बताया िक
इ लड क मेजर एं यू ह रसन और सी अिधकारी ने एक रात भागने क कोिशश क थी
और ूटी पर तैनात हमार संतरी ने उ ह पकड़ िलया था।
े ी ै े ि े े ि ं ी
मने सभी सै य पयवे क क साथ सामूिहक प से बात क । मने उ ह थित क गंभीरता
और आर.यू.एफ. ारा संयु रा शांित सैिनक क जबरद ती िनर ीकरण क बाद िसएरा
िलओन म गृह यु शु होने क बल संभावना क बार म बताया। इसक बाद मने उ ह यह
बात समझाने क कोिशश क िक उनका वहाँ से बाहर िनकलना सुरि त नह ह। लेिकन
उ ह ने बाहर जाने क अनुमित देने पर जोर िदया, य िक उनक पास कोई हिथयार नह थे
और इसिलए भारतीय शांित सैिनक एवं आर.यू.एफ. क बीच गितरोध, जो चाहते थे िक शांित
सैिनक अपने हिथयार डाल द, उन पर लागू नह होता था। मने उ ह एक बार िफर प कर
िदया िक जब तक वे शहर म रह रह थे, तब तक वे अपनी सुर ा क ित खुद िज मेदार थे,
लेिकन अब, जब वे उ मैदान म वेश कर चुक ह तो उनक जीवन क र ा करना हमारी
िज मेदारी ह।
मने मेजर नायर से अनुरोध िकया िक वे सुर ा उपाय क प म पहरा लगाना
सुिन त कर और उ ह सूिचत िकया िक वे कह नह जा रह ह। मेजर एं यू
ह रसन ने मुझे धमकाने क कोिशश क । उ ह ने मुझे चेतावनी दी िक जब भी
उ ह रहा िकया जाएगा, वे इस मु े को संयु रा मु यालय क सम
उठाएँगे।
मने मेजर नायर से अनुरोध िकया िक वे सुर ा उपाय क प म पहरा लगाना सुिन त
कर और उ ह सूिचत िकया िक वे कह नह जा रह ह। मेजर एं यू ह रसन ने मुझे धमकाने
क कोिशश क । उ ह ने मुझे चेतावनी दी िक जब भी उ ह रहा िकया जाएगा, वे इस मु े
को संयु रा मु यालय क सम उठाएँगे।
अपने थान क िलए िनकलने से पहले मने मेजर नायर को गोपनीय प से समझाया िक
अगर सै य पयवे क को वहाँ से जाने िदया गया तो दुिनया हमार बार म पूरी तरह से भूल
जाएगी और उ ह ने इसे िब कल सही कोण से समझा। मने मेजर नायर को यह भी
बताया िक म उनक साथ ऊचे मैदान म शािमल होने क अवसर क तलाश म था, य िक म
शासिनक प से एक स ाह से अिधक समय तक अ पताल वाली इमारत म नह रह
सकता था। इसक अलावा, अ पताल इतना अिधक सुरि त भी नह था, िजतना िक ऊचा
मैदान था और साथ ही अगर दोन कपिनयाँ जमीन पर अपनी ताकत को एक कत करने म
सफल रहती ह तो उनका भाव कई गुना बढ़ जाएगा।
म हर बार जब कभी भी कपनी से शहर जाने क िलए िनकलता था तो ूटी पर तैनात
हमारा संतरी इस कार से मेरा अिभवादन करता था, जैसे वह मेरी सुरि त वापसी क ाथना
कर रहा हो। इसी कार, मेर हर बार कपनी वापस लौटने पर संतरी क आँख को देखकर
ऐसा तीत होता था, जैसे मेर सुरि त वापस लौट आने पर वह ई र का ध यवाद देने को
उसक ाथना कर रहा हो। वे मेर चेहर क मनोभाव को पढ़ने का यास करते, तािक वे
शहर से आनेवाले िकसी शुभ समाचार क संकत क बार म पता लगा सक, िज ह म इस
गितरोध क समाधान क तौर पर शहर से अपने साथ ला सकता था। इसक अलावा, अब मने
कपनी से बाहर जाते समय और वापस लौटने पर िबना भूले माँ दुगा का आशीवाद लेने को
भी अपनी िदनचया का एक िह सा बना िलया था।
थित िदन-ब-िदन तनावपूण होती जा रही थी और गितरोध क त काल समाधान
क कोई संकत नह िदखाई दे रह थे। एक महीना बीत चुका था। मने अ पताल क
थान से ऊचे मैदान पर जाने क यवहायता क बार म सोचा और एक सव क
योजना तैयार क ।
थित िदन-ब-िदन तनावपूण होती जा रही थी और गितरोध क त काल समाधान क कोई
संकत नह िदखाई दे रह थे। एक महीना बीत चुका था। मने अ पताल क थान से ऊचे
मैदान पर जाने क यवहायता क बार म सोचा और एक सव क योजना तैयार क ।
पापा िगएमा ने जब मुझे लाइबे रया म उभर रह संकट क बार म बताया तो मुझे आशा क
एक िकरण िदखाई दी। ऐसा होने क पूरी संभावना थी िक कनल मािटन इस मु े को हल
करने क िलए आर.यू.एफ. क कछ सैिनक को कला न से लाइबे रया क तरफ भेज। इस
जानकारी क िमलने क बाद मने अपनी लाटन से कहा िक वे हमारी कपनी क आसपास
आर.यू.एफ. क तैनाती म होनेवाले िकसी भी बदलाव पर पैनी नजर बनाए रख।
एक और ऐसी िवशेष घटना घिटत ई, िजसने पापा िगएमा से ा जानकारी क पु
क । कछ थानीय ब े झािड़य क दि णी िह से से बाहर िनकलकर जंगल से िवशेष प
से हमार िलए तोड़ गए पपीत को लेकर िकसी कार से हमारी चौक तक सफलतापूवक
प चने म कामयाब हो गए। हम उनक इस हरकत से बेहद भािवत थे, य िक यह थानीय
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लोग क बीच हमार ारा अिजत िकए गए स ाव का जीवंत नमूना था। यह भी एक बड़ी
िवडबना थी िक एक तरफ तो कला न क लोग भूख से अपनी जान गँवा रह थे, वह दूसरी
तरफ ये पपीते—िज ह वे लोग थानीय भाषा म ‘पो-पो’ कहते थे—वहाँ क जंगल म
ब तायत म उगते थे। थानीय लोग पो-पो को भोजन क ोत क प म नह देखते थे;
लेिकन चूँिक हमार कछ सैिनक को वे बेहद पसंद थे, इसिलए वे हमार िलए कछ तोड़ लाते
थे।
मने अगले िदन रात म जंगल क दि णी िह से क ओर आर.यू.एफ. सैिनक क मौजूदगी
क पु करने क िलए क टन शांत क कमांड म एक ग ती दल भेजा। हमार लड़क
जंगल से होते ए लगभग एक िकलोमीटर दूर ऊचे मैदान तक आसानी से प च गए। वे लौट
और वहाँ पर आर.यू.एफ. क उप थित नह होने क सकारा मक खबर को साझा िकया।
यही वह मौका था, िजसका म इतजार कर रहा था। हमार इलाक से बाहर जानेवाले सभी
रा त पर आर.यू.एफ. क चौिकयाँ बनी ई थ , लेिकन झाड़ी क दि णी छोर पर कोई पहरा
नह था।
हमार अिधकांश भारी वाहन संकट से पहले ही ऊचे मैदान म खड़ िकए जा चुक
थे और हमार पास कवल दो हलक वाहन मौजूद थे, िजनम से एक हमने िसपाही
जयजीत को सुरि त िनकालने क दौरान आर.यू.एफ. को स प िदया था। अब
हमार पास िसफ एक ही वाहन बचा आ था, िजसका उपयोग म करता था।
हमार अिधकांश भारी वाहन संकट से पहले ही ऊचे मैदान म खड़ िकए जा चुक थे और
हमार पास कवल दो हलक वाहन मौजूद थे, िजनम से एक हमने िसपाही जयजीत को
सुरि त िनकालने क दौरान आर.यू.एफ. को स प िदया था। अब हमार पास िसफ एक ही
वाहन बचा आ था, िजसका उपयोग म करता था। मने फसला िकया िक म अगले िदन
शहर और ऊचे मैदान म जाने क दौरान इसी वाहन का उपयोग क गा। अगले िदन, मने
अपना वाहन ऊचे मैदान पर खड़ा िकया और पैदल ही अपनी कपनी प च गया। इसक बाद
हमने एक रणनीित तैयार क िक हम दो रात म घने जंगल से धीर-धीर आगे बढ़ने क िविध
(ि कल िविध) को अपनाकर अपने आव यक सामान को हाथ से उठाकर आगे बढ़गे। म
एक बड़ा जोिखम उठा रहा था; लेिकन मौजूदा प र थितय म िकसी अ य िवक प क चुनने
पर गंभीर सम याएँ खड़ी हो सकती थ । हम या तो भूख से मरने को चुन सकते थे या िफर
लड़कर सकशल बच सकते थे।
हमारी काय-योजना क अनुसार, घातक लाटन और मोटराइ ड लाटन को पहली रात म
सबसे पहले छलाँग लगानी थी और वह भी ि कल िविध से और एक बार म एक से शन
(10 सैिनक) से अिधक नह हो सकते थे। इसक अलावा, दो से शन क बीच दस िमनट
का अंतराल भी होना आव यक था। हमार लड़क हवा क तरह आगे बढ़। वे ऐसे भूत क
तरह थे, िज ह ने मशान क तरह एक िब कल शांत घने जंगल को पार िकया।
सवश मान ई र क कपा से हमने जैसा सोचा था, सबकछ िब कल वैसा ही
आ। अगली सुबह अपनी िदनचया क प म म शहर गया और इस बात क
पु करना चाहता था िक आर.यू.एफ. को हमार ारा िपछली रात क गई
काररवाई का लेशमा भी अंदाजा ह या नह ?
सवश मान ई र क कपा से हमने जैसा सोचा था, सबकछ िब कल वैसा ही आ।
अगली सुबह अपनी िदनचया क प म म शहर गया और इस बात क पु करना चाहता
था िक आर.यू.एफ. को हमार ारा िपछली रात क गई काररवाई का लेशमा भी अंदाजा ह
या नह ? अगली ही रात, हमने एक बार िफर ि कल िविध से आगे बढ़ना शु िकया;
लेिकन अचानक आई बरसात ने सारा खेल िबगाड़ िदया, य िक हम ब त तेज बा रश म
फस गए। हवा इतनी तेज थी िक सीधा खड़ा होना भी मु कल हो रहा था। यहाँ तक िक
जंगल भी आसमान म चमकती तेज िबजली क चपेट म आ गया था, िजससे एक शानदार
नजारा बन गया था और घने जंगल म छायाएँ और शानदार िदख रही थ । हम आधे रा ते
तक ही प चे थे िक अपनी संतरी ूटी से लौट रह आर.यू.एफ. क एक सैिनक क नजर
हम पर पड़ गई और उसने तुरत गोिलयाँ चला द । आर.यू.एफ. क सैिनक का िकसी भी
कार से हताहत होना िन त प से एक पूण यु क शु होने का कारण बन सकता था
और हम ऐसा कतई नह चाहते थे। इसिलए हम पेड़ क तन क पीछ िछप गए। आर.यू.एफ.
का सैिनक अपनी अंितम गोली क ख म होने तक फाय रग करता रहा, िजससे िनकली ई
गोिलयाँ पेड़ क उस घने जंगल म चमक रही थ । इसक बाद वह अपने सािथय को बुलाने
क िलए दौड़ा और हम अपने गंत य तक प चने क िलए बस, इतना ही मौका चािहए था।
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हमार आगे बढ़ते ही जैसे हमार िलए वग क ार खुल गए और तेज आँधी ने पेड़ क
उस आवरण को उड़ा िदया और अब हमार आगे बढ़ने क िलए रा ता तैयार था। आसमान
म गड़गड़ाहट हो रही थी, जैसे तोप से गोलीबारी क जा रही हो। बा रश और तेज होती जा
रही थी और उसक बूँद जमीन पर बंदूक क गोिलय क तरह िगर रही थ । मोटी-मोटी
बूँद हमार शरीर से टकरा रही थ । इसक बाद, रात क अँधेर म हमारी अंितम लाटन क
आगे बढ़ने क दौरान आर.यू.एफ. क अ य सैिनक हमारी तरफ प चने लगे थे और उ ह ने
जोरदार ढग से हमारा पीछा िकया।
सौभा य से, आर.यू.एफ. जब तक अपना थान ले पाई, तब तक हमार लड़क
ऊचे मैदान पर प च चुक थे। भोर क पहली िकरण क साथ आर.यू.एफ. क कई
सैिनक और मेजर कपोई ऊचे मैदान पर प च चुक थे। वे हमार संत रय पर
िच ाए और मुझे बाहर बुलाया। हालाँिक, मुझे लगा िक उनक गु से को शांत हो
जाने देना बेहतर रहगा।
सौभा य से, आर.यू.एफ. जब तक अपना थान ले पाई, तब तक हमार लड़क ऊचे मैदान
पर प च चुक थे। भोर क पहली िकरण क साथ आर.यू.एफ. क कई सैिनक और मेजर
कपोई ऊचे मैदान पर प च चुक थे। वे हमार संत रय पर िच ाए और मुझे बाहर बुलाया।
हालाँिक, मुझे लगा िक उनक गु से को शांत हो जाने देना बेहतर रहगा।
ऊचे मैदान पर प चने क बाद मने इस सकारा मक घटना म को अपने कमांिडग
ऑिफसर क साथ साझा िकया, जो एक बार िफर इस बात पर नाराज थे िक उ ह पहले से
इसक जानकारी य नह दी गई? मने जवाब िदया, “सर, सभी गुलद ते आपक ह और
प थर मेर नाम ह।” वा तव म, यह मेरी कपनी ारा उठाया गया एक बेहद सफल
सुिनयोिजत कदम था, िजसे िबना एक भी गोली चलाए सफलतापूवक अंजाम िदया गया था।
इस सुिनयोिजत कदम ने ‘ऑपरशन खुकरी’ क िन पादन का रा ता तैयार िकया और म
हमेशा अपनी कपनी क इस चाल को ‘िमनी खुकरी’ क प म संदिभत करता ।
‘ऑपरशन िमनी खुकरी’ क सफलतापूवक पूरा होने क पीछ का सबसे बड़ा कारण यह था
िक आर.यू.एफ. क सैिनक िपछले एक महीने क दौरान पूरी तरह से िन ंत थे। उ ह ने खुद
को यह समझा िलया था िक भारतीय सैिनक िनकट भिव य म िकसी भी थित म न तो अपने
हिथयार डालगे और न ही वे वहाँ से कह जाएँगे। इस सफल ऑपरशन क एक और मुख
वजह यह थी िक मौक पर आर.यू.एफ. क मौजूदगी बेहद कम थी और उसक कछ सैिनक
को लाइबे रया क ओर भेज िदया गया था।
‘िमनी खुकरी’ क प रणाम व प आर.यू.एफ. ने ऊचे मैदान म अपने सैिनक क
उप थित बढ़ा दी थी और ितिदन सैिनक क सं या म इजाफा होता जा रहा
था। इसक बावजूद हम दो कपिनय क साथ ऊचे मैदान म बेहतर थित म थे
और हमने उस े क 200×200 मीटर क े को और अिधक मजबूती से अपने
क जे म रखने क िलए खुद को पुनगिठत िकया।
‘िमनी खुकरी’ क प रणाम व प आर.यू.एफ. ने ऊचे मैदान म अपने सैिनक क
उप थित बढ़ा दी थी और ितिदन सैिनक क सं या म इजाफा होता जा रहा था। इसक
बावजूद हम दो कपिनय क साथ ऊचे मैदान म बेहतर थित म थे और हमने उस े क
200×200 मीटर क े को और अिधक मजबूती से अपने क जे म रखने क िलए खुद को
पुनगिठत िकया।
हमने अिधक सं या म सैिनक को समायोिजत करने क िलए नए बंकर का िनमाण िकया।
बंकर क िलए जगह बनाने क िलए पेड़ को काटा गया। लकड़ी क ल का इ तेमाल
बंकर क िलए छत क प म िकया जाता था, िज ह छत पर िम ी क दो फ ट मोटी परत
ारा और अिधक मजबूती दान क गई थी। ऐसा मु य प से ऊपरी सुर ा दान करने क
िलए िकया गया था, य िक आर.यू.एफ. क पास उ ेपक हिथयार को फायर करने क
मोटार मता थी। ऊचे मैदान को छह लाटन ारा कवर िकया गया था और 30
सैिनक वाली येक लाटन 100 मीटर क भू-भाग पर तैनात थी; इसिलए े क सापे
सैिनक क तैनाती िकसी भी मानक से ब त अिधक थी।
इसक अलावा, हमने दूसरी लाटन को मजबूती दान करने क िलए येक लाटन (30
सैिनक ) से एक से शन (10 सैिनक ) को थानांत रत करक पुन यव थापन क
आक मक योजना का भी पूवा यास िकया। इस सु ढ़ीकरण को समायोिजत करने क
िलए येक लाटन ने अित र बंकर का भी िनमाण िकया था। हमार पास 18 रॉकट
लॉ र थे, िज ह बारी-बारी से येक लाटन क साथ तैनात िकया गया था। आर.यू.एफ.
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ारा िजस भी िदशा से हमला िकया जाता, उसक आधार पर रॉकट लॉ र को उसी थित
का सामना करने क िलए तैनात िकया जा सकता था।
हालाँिक, हमार इ फ ी लड़ाक वाहन (बी.एम.पी.) अभी तक हम तक नह प चे थे,
हमार पास दो बी.आर.डी.एम.18, पिहए पर चलनेवाले लड़ाक वाहन उपल ध थे, िज ह भारी
गोलीबारी क मतावाले हिथयार से लैस िकया गया था। हमने येक लाटन क िलए रा ता
िनिमत िकया, तािक बी.आर.डी.एम. को आर.यू.एफ. क हमले क िदशा क आधार पर आगे
भेजा जा सक। इसिलए कल िमलाकर, हम अब आर.यू.एफ. ारा िकसी दुःसाहिसक कदम
को उठाए जाने पर उसका सामना करने क िलए पूरी तरह से तैयार थे। इसक अलावा,
बंधन क से भी हम अ पताल क मुकाबले बेहतर थित म थे। लेिकन िदन म िसफ
एक समय क भोजन पर ही िनभर रहना अभी भी एक अिनवायता था। हमारी सुर ा क
तैया रय को देखकर, िजसम बेहद मजबूत बंकर और उन बंकर क आगे बाधा क प म
लकड़ी क बड़-बड़ ल को डाला गया था, आर.यू.एफ. ने हमार इराद का अनुमान
लगाना शु कर िदया था।
आर.यू.एफ. क यु करने क तरीक म मौक पर िटका रहना कभी भी एक
िवक प नह था, य िक उ ह ने िसफ गु र ा यु म महारत ा क थी, जो
पूरी तरह से ‘हमला करो और भाग लो’ वाली नीित पर आधा रत ह। एक छोटी
सी टोली अचानक बड़ी ताकत क साथ बड़ी टकड़ी पर हमला करती ह और
हमला करने क बाद जंगल म गायब हो जाती ह।
आर.यू.एफ. क यु करने क तरीक म मौक पर िटका रहना कभी भी एक िवक प नह
था, य िक उ ह ने िसफ गु र ा यु म महारत ा क थी, जो पूरी तरह से ‘हमला करो
और भाग लो’ वाली नीित पर आधा रत ह। एक छोटी सी टोली अचानक बड़ी ताकत क साथ
बड़ी टकड़ी पर हमला करती ह और हमला करने क बाद जंगल म गायब हो जाती ह।
इसिलए उनक नाक क नीचे जो कछ घिटत हो रहा था, वह उनक िलए िब कल नया था।
मेजर नायर सिहत मेर सभी अिधका रय ारा मुझे बाहर न जाने क सलाह दी गई थी,
य िक हम ऊचे मैदान म खुद को थािपत कर चुक थे, जो उस पूर े म रणनीितक तौर
पर सबसे लाभदायी िवशेषता थी। इसक अलावा, मेरा बाहर िनकलना इसिलए भी पूरी तरह से
असुरि त था, य िक आर.यू.एफ. क गढ़ म मेर ारा ‘िमनी खुकरी’ को सफलतापूवक
िन पािदत िकए जाने को पसंद नह िकया गया था। मने सबक सलाह का स मान िकया और
बाहर िनकलना िब कल बंद कर िदया तथा अपनी सारी ऊजा अपनी र ा मक मु ा म सुधार
करने पर कि त कर दी। हम अब अपने बंकर म सम सुधार को देख सकते थे—आगे
बढ़ते दु मन को भावी गोलीबारी करते ए रोकने क िलए हमार बंकर क आगे तैयार क
गई फायर लस। लेिकन जैसािक कहा जाता ह—सुर ा क तैया रयाँ कभी पूरी नह होती ह—
हमने अपनी िकलेबंदी और अपनी र ा क िलए आगे क बाधा को सुधारने क अपने
यास को जारी रखा।
हम अ छ से मजबूत हो रह थे और दोन कपिनयाँ उ साह से भरपूर थ । लेिकन जो
िनराशाजनक था, वह हमार आगे क अिन तता थी, िजसम भिव य क काररवाई को लेकर
कोई प ता नह थी।
सै य पयवे क को ऊचे मैदान क क म बनाए गए रण-िशिवर म रखा गया
था। वे लगातार हमार िलए परशानी पैदा करते रह। हालाँिक, जब से एक संतरी
को तैनात िकया गया था, उनक िलए संदेश प था। सै य पयवे क क
अनुशासनहीनता क बावजूद उ ह अपने पास रखना समय क आव यकता थी।
उनक उप थित हमार िलए एक प रसंपि जैसी थी, य िक उनम से कछ इ लड
व स जैसे िवकिसत देश से संबंध रखते थे।
सै य पयवे क को ऊचे मैदान क क म बनाए गए रण-िशिवर म रखा गया था। वे
लगातार हमार िलए परशानी पैदा करते रह। हालाँिक, जब से एक संतरी को तैनात िकया गया
था, उनक िलए संदेश प था। सै य पयवे क क अनुशासनहीनता क बावजूद उ ह अपने
पास रखना समय क आव यकता थी। उनक उप थित हमार िलए एक प रसंपि जैसी थी,
य िक उनम से कछ इ लड व स जैसे िवकिसत देश से संबंध रखते थे। मुझे पता था िक
िसफ यह बात िक वे यहाँ पर मौजूद ह, कम-से-कम दुिनया का यान तो हमारी ओर
ख चेगा।

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हमने अपनी प रिध क भीतर वॉलीबॉल क दो मैदान भी बनाए और यूिनट टीन, िजसम
शाम क खेल भी शािमल थे, को ऊचे मैदान क दायर म 200 × 200 मीटर क े म
अंजाम िदया जाता था। हमार भिव य क अ प होने क बावजूद मेजर नायर और म पहले
क तुलना म काफ बेहतर थित म थे। िनयिमत िदनचया का पालन करते ए जवान क
मनोबल को बनाकर रखा गया। हालाँिक, हमने यह सुिन त िकया िक हमार सैिनक पूरी
तरह से े रत थे, लेिकन भीतर से हम इस बात को लेकर संशय म थे िक भिव य ने हमार
िलए या सँजो रखा ह?
दा प चने पर िसपाही जयजीत क तुरत सजरी क गई, िजसक
प रणाम व प उनक जान बच गई। एकमा परशानी, िजसका उ ह
सामना करना पड़ा था, वह यह थी िक उ ह अंितम 500 मीटर का सफर
पैदल तय करना पड़ा था।

9.
जनरल इ सा सेसे क साथ बैठक

‘िमनी खुकरी’ को सफलतापूवक अंजाम िदए ए लगभग एक स ाह बीत चुका था और


तभी एक सुबह मेरी कपनी क अि म चौक ने मुझे सूिचत िकया िक आर.यू.एफ. क दो
जवान क साथ एक मिहला मुझसे िमलने आई ह।
म तुरत चौक पर प चा और िस टर को हमार बंकर से 50 मीटर आगे खड़ पाया। म
उनक या ा का उ े य जानने क िलए दो सश संत रय क साथ उनक पास गया। उ ह ने
मुझे कनल मािटन का एक संदेश िदया िक फ ड कमांडर शहर म थे और चूँिक मने फ ड
कमांडर क साथ एक बैठक का अनुरोध िकया था, इसिलए म आज उनसे िमल सकता । म
दुिवधा म था। चूँिक यह मुलाकात ‘िमनी खुकरी’ क ठीक बाद होने को थी, इसिलए इसने
मेर मन म संदेह पैदा कर िदया। हालाँिक, म सीधे तौर पर ‘न’ कहना नह चाहता था,
इसिलए मने िस टर से कहा िक मुझे इस मु े पर अपने मु यालय से बात करनी होगी। मने
िस टर से उनका हाल-चाल पूछा और शहर म मौजूदा थित क बार म पता िकया। उ ह ने
कहा िक सबकछ सामा य ह।
मने तुरत रिडयो सेट पर अपने कमांिडग ऑिफसर से संपक िकया और उ ह पूर घटना म
क जानकारी दी। उनक त काल िति या थी एक बड़ी सी ‘नह ’। हालाँिक, उ ह ने कहा
िक वे इस मु े पर फोस कमांडर क साथ चचा करगे। इस बीच मेर सभी अिधका रय को
‘िस टर’ क संदेश क बार म पता चला और उ ह ने मुझसे बाहर न िनकलने का अनुरोध
िकया, य िक यह प प से आर.यू.एफ. का एक जाल था। मने उ ह आ ासन िदया
िक म िकसी भी हाल म बैठक क िलए नह जा रहा । लेिकन जैसािक कहते ह, ई र क
काम करने क तरीक बड़ अनोखे ह।
म यह बात नह समझ पा रहा था िक हमार कमांिडग ऑिफसर, जो शु म मेर बाहर जाने
क िखलाफ थे, ने फोस कमांडर क साथ इस मामले पर चचा करने क बाद वापस मुझसे
संपक साधा और कहा िक मुझे आर.यू.एफ. फ ड कमांडर क साथ बैठक क िलए अव य
जाना चािहए। उ ह ने यह भी जानकारी साझा क िक फोस मु यालय क पास उपल ध
खुिफया जानकारी क अनुसार, फ ड कमांडर जनरल इ सा सेसे उस िदन कला न शहर म
ही मौजूद थे। हमार फोस कमांडर जनरल जेटली इस संकट क शु आत क बाद से ही
आर.यू.एफ. क फ ड कमांडर क साथ बैठक क कोिशश कर रह थे; लेिकन आर.यू.एफ.
क फ ड कमांडर उनक अनुरोध को अनदेखा कर रह थे।
फोस मु यालय ने सुझाव िदया िक अगर वे मुझसे िमलने क िलए तैयार ह तो मुझे
बैठक क िलए अव य जाना चािहए। कनल सतीश ने मुझे ले टनट कनल अिमत
शमा और कइवा म आर.यू.एफ. ारा बंधक बनाए गए ग ती दल क रहाई का
मु ा उठाने का भी िनदश िदया।
फोस मु यालय ने सुझाव िदया िक अगर वे मुझसे िमलने क िलए तैयार ह तो मुझे बैठक
क िलए अव य जाना चािहए। कनल सतीश ने मुझे ले टनट कनल अिमत शमा और कइवा
म आर.यू.एफ. ारा बंधक बनाए गए ग ती दल क रहाई का मु ा उठाने का भी िनदश
िदया। म चुप था, य िक मेरी छठी इि य मुझे ऊचे मैदान क सुर ा से बाहर न िनकलने क
संकत दे रही थी। मने तुरत मेजर नायर क साथ पूर मु े पर चचा क और उ ह ने बेहद
प श द म मुझसे कहा िक अगर वे मेरी जगह होते तो वे इस थित म बाहर िनकलने क
बार म सोचते भी नह ।
इससे पहले िक म अपना मन बनाकर कछ तय कर पाता, हमार कमांिडग ऑिफसर ने एक
बार िफर मुझसे संपक साधा। उ ह ने मुझे अकले बाहर न जाने का िनदश देते ए कहा िक म
अपने साथ िकसी अ य अिधकारी को भी लेकर जाऊ। म पूरी तरह से हरान था। मेरा िदमाग
िब कल खाली हो गया था। म अपनी कपनी क अ थायी मंिदर म प चने क बाद ही खुद
को सँभाल सका। मने माँ दुगा का आशीवाद माँगा और उनसे सही राह िदखाने क ाथना
क । िसपाही िवनोद हमेशा क तरह मंिदर म ही मौजूद थे और उ ह ने मुझे आ ासन िदया
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िक मने अब तक जो कछ भी िकया ह, वह माँ दुगा क िनदश क ही अनुसार ह। उनक
आशीवाद से म अपने फसले म गलत नह हो सकता था। मने कला न म शांित क यापक
िहत, िजसका वादा मने पापा िगएमा और कला न शहर क येक थानीय िनवासी से िकया
था, क िलए उस बैठक म जाने क िलए आंत रक श और साहस को महसूस िकया। मेरी
सोच म आए इस बदलाव से मेर अिधकारी चिकत रह गए और उ ह ने एक बार िफर मुझे
उस बैठक म न जाने क िलए मनाने क कोिशश क ।
मेर फसले क बार म जानने क बाद सूबेदार फतेह ज दी से मेर पास आए और पहली बार
मेरा हाथ पकड़ते ए कहा, “साब, म जानता िक म हद पार कर रहा , पर म आपको
जाने नह दूँगा।”
उस जिटल प र थित म मने फतेह साहब क सामने एक सवाल उठाया, “5/8 गोरखा
राइफ स क उन 21 लड़क का या, िज ह आर.यू.एफ. ारा ले टनट कनल अिमत शमा
क साथ बंधक बनाया गया ह? उ ह ने या अपराध िकया ह? िजस समय िव ोही हमार
सािथय को तािड़त कर रह ह , उस समय हम शांत कसे बैठ सकते ह?” मने पूरी प ता
क साथ अपने अिधका रय से कहा िक म बैठक क िलए आगे बढ़ रहा और उनसे पूछा
िक या उनम से कोई वे छा से मेर साथ जाने को तैयार ह? य िक हमार कमांिडग
ऑिफसर ने इस बात पर जोर डाला था िक म एक और अिधकारी को अपने साथ लेकर
जाऊ।
क टन शांत और क टन सुनील ने तुरत अपने हाथ खड़ कर िदए। मुझे क टन
शांत को मना करना पड़ा, य िक वह घातक कमांडर थे। उ ह ‘न’ कहना पड़ा
और मने क टन सुनील को साथ ले जाने क हामी भरी, य िक उ ह ने शहर म
कछ िदन िबताए थे और वे आर.यू.एफ. क कई सैिनक को पहचानते भी थे।
क टन शांत और क टन सुनील ने तुरत अपने हाथ खड़ कर िदए। मुझे क टन शांत को
मना करना पड़ा, य िक वह घातक कमांडर थे। उ ह ‘न’ कहना पड़ा और मने क टन
सुनील को साथ ले जाने क हामी भरी, य िक उ ह ने शहर म कछ िदन िबताए थे और वे
आर.यू.एफ. क कई सैिनक को पहचानते भी थे। मने अपनी कपनी का भार क टन सुदेश
को स प िदया और उ ह मेजर नायर से मागदशन लेने क सलाह दी।
म अब तक कई बार अपनी कपनी क सुर ावाली जगह से भीतर-बाहर आता-जाता रहा
था। हालाँिक, इस बार यह पूरी तरह से अलग था। एक दोधारी भावना थी। म एक बार
दोबारा बंधक बना िलये जाने को लेकर सशंिकत था; लेिकन मुझे इस बात का भी अहसास
था िक मेर पास चल रह इस गितरोध का समाधान खोजने का अवसर था, य िक म
आर.यू.एफ. क सव सै य कमांडर से िमलने वाला था। मने िशिवर म सभी को अलिवदा
कहा; एक ऐसी िवदाई, जो अंितम िवदाई तीत हो रही थी। मने अपने आसपास मौजूद सभी
चेहर को देखा और सोचा िक मेर वापस आने क संभावना बेहद कम ह। जैसे ही मेर सैिनक
मुझे शुभकामनाएँ देने क िलए एक ए तो हमारी कपनी पर उदासी क बादल छा गए।
क टन सुनील और म अपनी अि म चौक से आगे बढ़ और पीछ मुड़कर नह
देखा, य िक ऐसा करने से हमारा ढ़ िव ास कमजोर पड़ता। इसक बजाय,
हम सीधे आर.यू.एफ. क पहली चौक म चले गए, जहाँ मौजूद सैिनक को मने
फ ड कमांडर क साथ हमारी मुलाकात क बार म सूिचत िकया।
क टन सुनील और म अपनी अि म चौक से आगे बढ़ और पीछ मुड़कर नह देखा,
य िक ऐसा करने से हमारा ढ़ िव ास कमजोर पड़ता। इसक बजाय, हम सीधे
आर.यू.एफ. क पहली चौक म चले गए, जहाँ मौजूद सैिनक को मने फ ड कमांडर क
साथ हमारी मुलाकात क बार म सूिचत िकया। आगे बढ़ने क अनुमित िमलने तक हम
चेकपो ट पर रोककर रखा गया।
कभी गुलजार रहनेवाले शहर से गुजरने क दौरान आर.यू.एफ. क दो जवान हमार साथ
मौजूद रह। म अपने म त क को उन मु पर कि त करने का यास कर रहा था, िज ह
मुझे फ ड कमांडर क सम उठाना था। म इस बात क भी उ मीद कर रहा था िक पापा
िगएमा भी इस बैठक म मौजूद रहगे। हम टाउन ायर पर प चे; लेिकन टाउन हॉल क
ओर मुड़ने क बजाय हम सीधे चलते रह, जो एक प रिचत प रपाटी नह थी। इसक बाद मने
आर.यू.एफ. क िसपाही से पूछा, “हम कहाँ जा रह ह?” उसने जवाब म लगभग 200 मीटर
आगे थत एक घर क ओर इशारा िकया।

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एक बार िफर हम चुप ही रह और अपने कदम को िगनते रह। मने देखा िक घर क अंदर
लगभग 40-50 लोग बैठ ह और हमार वहाँ प चने क बावजूद वे अपने थान पर ही बने
रह। म फ ड कमांडर का अिभवादन करना चाहता था; लेिकन चूँिक म कभी उनसे िमला
नह था, इसिलए उ ह पहचान पाना मु कल था। कनल मािटन क बगल म अ छ से कपड़
पहने एक य को देखकर मने ‘काई गोवा मा’ कहकर अिभवादन िकया, िजसक यु र
म उ ह ने एक युवा स न क ओर इशारा िकया, जो देखने म मुझसे भी युवा लग रहा था।
वह युवा लड़ाक पतलून, सफद रग क टी-शट और धूप का च मा पहने ए था। मने एक
बार िफर ‘काई गोवा मा’ कहकर अिभवादन िकया। उसक ओर से कोई िति या नह आई
और ऐसा तीत आ िक कान को बहरा कर देनेवाली खामोशी िजतनी थी, उससे कह
अिधक इस समय तक मौजूद थी।
“बताओ मेजर, आप मुझसे िमलना चाहते थे।” सफद टी-शट वाला य आिखरकार
बोला।
ई र का शु ह! स ाटा आिखरकार टट गया था। म एक ऐसे थान पर था,
जहाँ असं य कौतूहली िनगाह मुझ पर ही िटक ई थ । एक बार िफर मुझे िसफ
पि य क चहचहाने क आवाज ही सुनाई दे रही थ , य िक मेर म त क म
पहल करने लायक कछ भी नह आ रहा था।
ई र का शु ह! स ाटा आिखरकार टट गया था। म एक ऐसे थान पर था, जहाँ
असं य कौतूहली िनगाह मुझ पर ही िटक ई थ । एक बार िफर मुझे िसफ पि य क
चहचहाने क आवाज ही सुनाई दे रही थ , य िक मेर म त क म पहल करने लायक कछ
भी नह आ रहा था। मेरा िदमाग एक खाली कारतूस बन चुका था और म अपने थान पर
एक प थर क तरह जम गया। लेिकन भगवा क कपा से मने अपने आप को सँभाला और
कहा, “िन त प से, सर। आपसे िमलना बेहद स मान क बात ह। यिद संभव हो तो म
आपक साथ आमने-सामने क बातचीत क िलए अनुरोध क गा।”
एक बार िफर चु पी, चु पी और चु पी। लेिकन उस शांित म भी म उनक भावपूण बातचीत
को अ छ से समझ सकता था और तभी अंततः फ ड कमांडर अपने थान से खड़ ए
और बोले, “ठीक ह!”
म पूरी तरह से हरान था। उनका मतलब या था? उ ह ने मुझे जाने को कहा या िफर
इतजार करने को? मड लोग क िलए ‘ठीक ह’ का वा तिवक मतलब या था? शु ह िक
जोनाथन ने मुझे फ ड कमांडर और कनल मािटन क साथ घर म जाने का संकत िदया। म
उनक पीछ चला गया और क टन सुनील बाहर ही क रह।
अंदर का नजारा पूरी तरह से अलग था। सभी िन ंत लग रह थे और तभी जोनाथन ने
मुझे समझाया िक फ ड कमांडर को सावजिनक प से एक ोटोकॉल का पालन करना
पड़ता ह, िजससे उनका मतलब था िक सावजिनक प से कठोर िदखना अिनवाय ह।
“मेजर, मने आज पहली बार तु ह इतना डरा आ देखा ह।” कनल मािटन बोले और हस
िदए। इसक जवाब म म अपने चेहर पर अपनी िचर-प रिचत मुसकान ले आया।
म भी अब िन ंत था और फ ड कमांडर क अनुमित िमलने क बाद मने उ ह
कला न म मानवीय सहायता से लेकर िगनी सीमा पर क गई साझा ग त तक
स ावना क तौर पर िकए गए सभी काय क बार म बताया।
म भी अब िन ंत था और फ ड कमांडर क अनुमित िमलने क बाद मने उ ह कला न
म मानवीय सहायता से लेकर िगनी सीमा पर क गई साझा ग त तक स ावना क तौर पर
िकए गए सभी काय क बार म बताया। फ ड कमांडर ने हमार काम क सराहना क और
बताया िक उ ह ने यू.एन. फोस कमांडर जनरल जेटली से िमलने तक क ताव को भी
ठकरा िदया था और िसफ हमारी मानवीय गितिविधय क कारण ही वे मुझसे िमलने क िलए
सहमत ए थे। इसक बाद मने शांित क ित अपनी ितब ता क बार म बात क और
फ ड कमांडर को वचन िदया िक जब तक म कमान म था, तब तक कला न म कोई
लड़ाई नह होने वाली थी।
फ ड कमांडर ने मुझसे पूछा िक आिखर हम भी अ य शांित सैिनक क तरह वापस य
नह जा रह थे? मने उ ह बताया िक अगर हम अपने हिथयार क साथ और एक सैिनक क
स मान क साथ जाने िदया जाता ह तो हम आज ही वापस चले जाएँगे। उ ह ने कहा िक
आर.यू.एफ. म कोई दोहरा मापदंड नह हो सकता। इसक अलावा, अगर उ ह ने भारतीय
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शांित सैिनक को कोई िवशेष दजा िदया तो इसका ेय संयु रा क फोस कमांडर जनरल
जेटली को जाएगा, जो भारतीय सेना क एक अिधकारी थे। उ ह ने कहा िक जमीन पर जो
कछ भी आ, वह मकनी और मैगबुराका क घटना क प रणाम व प आ, िजसक
िज मेदार पूरी तरह से जनरल जेटली थे।
इस मोरचे पर कोई गित न होते देख मने उनसे ले टनट कनल अिमत शमा और कइवा
म बंधक बनाए गए 21 िनद ष भारतीय सैिनक क रहाई का अनुरोध िकया। वह इसक
िलए राजी हो गए और उ ह ज द ही रहा कर देने का वादा िकया। इसक बाद उ ह ने
मुझसे पूछा, “आप इस तरह कब तक रहने वाले हो?”
“हम ई र म िव ास ह और िन त प से वे हम रा ता िदखाएँगे। इसक
अलावा, अगर आव यकता पड़ी तो हम कायर क प म अपने वतन लौटने क
बजाय िवदेशी धरती पर अपनी अंितम साँस लेना पसंद करगे।”
मने जवाब िदया, “हम ई र म िव ास ह और िन त प से वे हम रा ता िदखाएँगे।
इसक अलावा, अगर आव यकता पड़ी तो हम कायर क प म अपने वतन लौटने क
बजाय िवदेशी धरती पर अपनी अंितम साँस लेना पसंद करगे।” मने फ ड कमांडर को
उनक क मती समय क िलए ध यवाद िदया, उ ह कला न म हर क मत पर िफर से पूण
शांित और स ाव का आ ासन िदया। वापस जाने से पहले मने उ ह सै यूट मारा।
वापस जाते समय मेर कदम तेज थे और म यह सुिन त करने क िलए अपनी आँख क
कोने से पीछ मुड़कर देखने क कोिशश कर रहा था िक कह कोई मेरा पीछा तो नह कर
रहा ह। मने माँ दुगा को उनक आशीवाद क िलए ध यवाद िदया, िजसक िबना हम वहाँ से
वापस नह जा सकते थे। फ ड कमांडर से ई मेरी इस बैठक का सबसे सकारा मक
िन कष यह था िक अ पताल से ऊचे मैदान तक का हमारा गु थानांतरण पता नह य
आर.यू.एफ. क िलए अब पूरी तरह से अ ासंिगक हो चुका था; य िक इस मु े को न तो
कनल मािटन ने उठाया था और न ही फ ड कमांडर ने। मने इसक िलए अपने ह को
ध यवाद िदया।
ऊचे मैदान पर वापस प चने पर क टन सुनील और मेरा जोश तथा मुसकान क साथ
वागत िकया गया। म वापस आकर पहले से कह अिधक खुश था, य िक ‘िमनी खुकरी’
एक ऐसा ऑपरशन था, िजसे इितहास म सुनहर अ र म िलखा जाएगा और यह हमारा
सौभा य था िक आर.यू.एफ. क िलए यह मु ा पूरी तरह से अ ासंिगक हो चुका था। अब
इस गितरोध का एक शांितपूण समाधान खोजने का मेरा संक प और अिधक ती हो गया।
ऐसा करने क िलए हमारा जमीन पर बेहद मजबूत होना आव यक था। इसिलए एक बार
िफर, म अपनी सम र ा मक थित म सुधार करने क काम म जुट गया।
शाम क समय सूबेदार फतेह मेर पास आए और दोन कपिनय 19 म घूम रही एक खबर
मेर साथ साझा क । उ ह ने कहा िक कछ सैिनक इस बात पर जोर दे रह ह िक चूँिक हम
एक िवदेशी भूिम म शांित थापना क काम पर थे, इसिलए ऐसे म यह माँग करना पूरी तरह
से उिचत था िक हम वापस अपने देश उसी तरह लौट जाएँ, जैसे अ य सभी देश क शांित
सैिनक ने िकया था। वे मूल प से हिथयार डालने और आर.यू.एफ. क साथ जारी उस
गितरोध से बाहर िनकलने क वकालत कर रह थे। यह उनक गलती नह थी। हम अपने
प रवार से बात िकए ए या घर से कोई प िमले ए पूर 45 िदन बीत चुक थे, इसिलए
मने इसे एक सामा य िति या माना। साथ ही यह भी प नह था िक गितरोध कब तक
जारी रहगा? इस सबक ऊपर, इस बात को लेकर अिन तता थी िक हम म से येक
िकतने समय तक जीिवत रह सकता ह? हमारा मन इतना अिधक सशंिकत था िक हम
िव ास क साथ यह नह कह सकते थे िक हम अगले िदन का सूय दय देख भी पाएँगे या
नह !
लेिकन फतेह साब ने मुझे बताया िक अिधकांश सैिनक पूरी तरह से े रत और
आ त थे िक इन प र थितय म कपनी कमांडर जो कछ भी कर रह थे, वह
सभी क िहत म था। िसफ चुिनंदा लड़क ही इस बात को फला रह थे िक हम
अपने हिथयार डाल देने चािहए।
लेिकन फतेह साब ने मुझे बताया िक अिधकांश सैिनक पूरी तरह से े रत और आ त थे
िक इन प र थितय म कपनी कमांडर जो कछ भी कर रह थे, वह सभी क िहत म था। िसफ
चुिनंदा लड़क ही इस बात को फला रह थे िक हम अपने हिथयार डाल देने चािहए। मने
फतेह साहब से िमले फ डबैक को कमतर आँका। हालाँिक, यह बात मेर िदमाग म रही,
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य िक इससे पहले िक वे हमार सैिनक क आ मबल को िडगाना शु कर, म उन
नकारा मक िवचार पर काबू करना चाहता था।
और अगले िदन ऐसा आ िक क टन सुदेश ने मुझे सूचना दी िक िस नल ऑपरटर ने मेर
उस आदेश क अवहलना क ह, िजसम मने उसे उसक लाटन क तैनाती क थान से
फॉरवड पो ट पर आगे बढ़ने को कहा था। मने तुरत ऑपरटर से संपक साधा, िजसने जवाब
िदया, “साब, मुझे मेर अपने कपनी कमांडर से ऑडर चािहए, जो दा म ह।” उसने जो
कछ कहा था, उस पर त काल िति या क प म म अपनी सीट से उछला, उसक बे ट
खोली (भारतीय सेना म सजा क एक ि या) और मेर िनदश क अवहलना करने क िलए
उसे िगर तार करने का आदेश िदया।
दरअसल, आ यह था िक फॉरवड पो ट म िस नल ऑपरटर मौजूद नह होने क कारण
ऊचे मैदान पर सबसे आगे क पो ट से कपनी मु यालय तक संचार क सम या थी। िस नल
ऑपरटर िस नल कपनी का िह सा थे, िजसका कपनी कमांडर दा म था। हालाँिक, उस
समय वे मेरी आ ा क अधीन थे। असली मु ा यह था िक वह आगे नह बढ़ना चाहता था,
य िक यु िछड़ जाने क थित म फॉरवड बंकर सबसे पहले आर.यू.एफ. क हमले क
जद म आ गया होता।
म इस बात से पूरी तरह से अवगत था िक इन प र थितय म सबकछ संभव था,
िजसम अंितम उपाय क प म हमार लड़ने का िवक प भी शािमल था और एक
िदन पहले ही फतेह साब से ा आ फ डबैक मेरी िचंता का एक मह वपूण
सबब था।
म इस अवसर का उपयोग सभी को एक कड़ा संदेश देने क िलए करना चाहता था—एक
यु े म आदेश क अवहलना क िलए कोई गुंजाइश नह ह। म इस बात से पूरी तरह से
अवगत था िक इन प र थितय म सबकछ संभव था, िजसम अंितम उपाय क प म हमार
लड़ने का िवक प भी शािमल था और एक िदन पहले ही फतेह साब से ा आ फ डबैक
मेरी िचंता का एक मह वपूण सबब था।
मने सै य कानून क पूववत ावधान क अनुसार तुरत िस नल ऑपरटर को मैदानी दंड पर
रखा, िजसम यु े म वैध आदेश क अवहलना करने पर य को फाय रग द ते ारा
गोली भी मारी जा सकती थी। िस नल ऑपरटर क बाँह एक बीम (चौकोर लकड़ी का एक
लंबा व मजबूत टकड़ा) से बँधी थ और म उसे अपने जीवन क िलए भीख माँगते ए देख
सकता था। हालाँिक, मने अपने िदमाग म एक योजना का खाका ख च िलया था और उसी
क अनुसार पूरी कपनी को ‘म टर फॉल-इन’ का आदेश िकया। फाय रग द ता पूरी तरह से
तैयार था और गोली चलाने क िलए िसफ मेरी अनुमित िमलने का इतजार था।
यही वह ण था, जब मने अपनी कपनी को संबोिधत करते ए उसे बताया िक अमुक
य ने मेर आदेश क अवहलना क ह और सै य कानून क अनुसार म उसे फ ड सजा
दे रहा था। इस सजा क तहत दोषी य को फाय रग द ते ारा गोली भी मारी जा सकती
ह। मने इस पर अपनी कपनी क राय माँगी। पूरी कपनी ने एक वर म मुझसे उस य
को एक और मौका देने का अनुरोध िकया। मने अपनी कपनी से इस बात का वादा िलया
िक इसक बाद से मेर श द उनक िलए अंितम आदेश ह गे और कोई भी मेर िकसी भी िनणय
पर सवाल नह उठाएगा। सभी ने एक वर म ‘हाँ’ क साथ जवाब िदया और म अंततः
फतेह साब को शंसा क भाव क साथ मुझको देखते ए देख सकता था। आिखरकार, पूरी
कपनी वापस पटरी पर लौट आई और वे भारत क िलए एक स मानजनक रा ता तलाशने क
म म पूर जोश क साथ जुट गए। म बेहद खुश था, मेरी योजना फलीभूत ई थी।
सारा सामा य काम ऊचे मैदान पर ही हो रहा था और हम अपने िशिवर क प रिध
क बाहर क घटना म से पूरी तरह से अनजान थे, जो इस बात का संकत था िक
गितरोध अभी भी जारी था। मुझे पापा िगएमा से िमले ए भी एक लंबा अरसा हो
चुका था, य िक म करीब एक स ाह पूव फ ड कमांडर क साथ ई मुलाकात
क बाद से शहर क ओर नह गया था।
सारा सामा य काम ऊचे मैदान पर ही हो रहा था और हम अपने िशिवर क प रिध क बाहर
क घटना म से पूरी तरह से अनजान थे, जो इस बात का संकत था िक गितरोध अभी भी
जारी था। मुझे पापा िगएमा से िमले ए भी एक लंबा अरसा हो चुका था, य िक म करीब
एक स ाह पूव फ ड कमांडर क साथ ई मुलाकात क बाद से शहर क ओर नह गया
था। लेिकन उस िदन पता नह मेर मन म या खयाल आया िक मने ताजा घटना म क बार
म पता लगाने और पापा िगएमा क साथ एक िश ाचार भट करने क िलए बाहर जाने का
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फसला िकया। मेर इस िनणय से िन त प से हमार कछ अिधका रय क मन म िचंता क
भावनाएँ पैदा ; लेिकन चूँिक ऐसा करना हम म से येक क िलए बेहद मह वपूण था,
इसिलए मने ऐसा िकया। मने अपने आदिमय से पूछा िक आर.यू.एफ. मेर साथ सबसे बुरा
या कर सकता ह? मने कहा िक हो सकता ह, वे मुझे बंधक बना ल, जो िक मेर साथ 2
मई, 2000 को पहले भी हो चुका था।
मने उ ह बताया िक उ तरीय कटनीित का भी कोई प रणाम नह िनकला ह। हम बीते
दो महीने से उस संकट का सामना कर रह थे और इसका समाधान िसफ मेर बाहर िनकलने
से ही हो सकता था। एक बार तो वे सब मेरी बात से सहमत हो गए; और म पापा िगएमा क
घर क ओर बढ़ रहा था।
वह एक सामा य िदन था। नाक पर तैनात आर.यू.एफ. क सैिनक ने मुझे सै यूट
िकया और मने जवाब म कहा, “काई गोवा मा।” यह पापा िगएमा क घर तक क
एक लंबी पैदल या ा तीत हो रही थी और अ य िदन क िब कल उलट, मुझे
रा ते म बात करने क िलए कोई भी य नह िमला।
वह एक सामा य िदन था। नाक पर तैनात आर.यू.एफ. क सैिनक ने मुझे सै यूट िकया
और मने जवाब म कहा, “काई गोवा मा।” यह पापा िगएमा क घर तक क एक लंबी पैदल
या ा तीत हो रही थी और अ य िदन क िब कल उलट, मुझे रा ते म बात करने क िलए
कोई भी य नह िमला। पापा िगएमा का िनवास, जो आमतौर पर लोग से गुलजार रहता
था, ाचीन कालीन खँडहर क तरह सुनसान पड़ा था। अंदर प चने पर मने देखा िक वे
सामने क आँगन म लकड़ी क एक न काशीदार करसी पर बैठ थे और जैसे ही म उनक
पास प चा, उनक ेही मुसकान ने उनक बड़ी-बड़ी आँख को बंद कर िदया। उ ह ने मुझे
कपोक क पेड़ क छाया क नीचे िस अ क इबोस चाय पेश क और फ ड कमांडर
क साथ ई सफल बैठक क िलए मुझे बधाई दी।
चाय क दौरान ही मने पापा िगएमा से अपने ख म होते राशन क बार म बात क , जो मेरी
िचंता का एक बड़ा कारण था। इसक बावजूद उ ह इस बात का िव ास न क बराबर था
िक इस पूर गितरोध का कोई शांितपूण समाधान िनकलेगा। हम इस बात पर सहमत ए िक
ज दी ही कोई समाधान िनकाला जाना चािहए, य िक आर.यू.एफ. ने इस पूर मु े पर बेहद
कड़ा ख अपनाया था। पापा िगएमा ने मुझे बताया िक उ ह ने फ ड कमांडर क साथ मेरी
बैठक से पहले सभी ाम धान को फ ड कमांडर को कला न म संयु रा शांित
सैिनक ारा दान क गई मानवीय सहायता क बार म जानकारी देने क िलए बुलाया था।
पापा िगएमा का मकसद मु य प से मामले को शांितपूण तरीक से सुलझाना था। हालाँिक,
अ य देश क शांित सैिनक क ही तरह भारतीय शांित सैिनक ारा हिथयार डाले जाने को
सुिन त करने क िलए आर.यू.एफ. ारा उठाए गए स त ख ने उनक इन यास को
िवफल कर िदया था।
पापा िगएमा ने मुझे यह भी बताया िक ले टनट कनल अिमत शमा गंभीर प से बीमार
थे, िजसक बार म उ ह उस गाँव क मुिखया ने बताया था, जहाँ भारतीय सैिनक को बंधक
बनाकर रखा गया था। म इस बात से काफ िचंितत था और मने उनसे अनुरोध िकया िक वे
िकसी भी तरह से ले टनट कनल अिमत शमा से मेरी मुलाकात क संभावना को तलाश।
उ ह ने मुझसे कहा िक कवल कनल मािटन ही इसे संभव बना सकते ह। मने पापा िगएमा को
एक बार िफर शांित क ित अपनी ितब ता का आ ासन िदया और कहा िक म उनक
यास क सराहना करता ।
पापा िगएमा क घर से बाहर आने क बाद म सबसे पहले िस टर क पास प चा,
जो मुझसे ब त ेह और गमजोशी क साथ िमल । िस टर ने मुझे यह बताया िक
आर.यू.एफ. क योजना मुझे उसी िदन िगर तार करने क थी, िजस िदन म फ ड
कमांडर से िमलने गया था; और आर.यू.एफ. म हर कोई यही सोच रहा था िक
आिखर ऐसा या आ, जो फ ड कमांडर ने मुझसे िमलने क बाद अपना इरादा
बदल िदया?
पापा िगएमा क घर से बाहर आने क बाद म सबसे पहले िस टर क पास प चा, जो मुझसे
ब त ेह और गमजोशी क साथ िमल । िस टर ने मुझे यह बताया िक आर.यू.एफ. क
योजना मुझे उसी िदन िगर तार करने क थी, िजस िदन म फ ड कमांडर से िमलने गया था;
और आर.यू.एफ. म हर कोई यही सोच रहा था िक आिखर ऐसा या आ, जो फ ड
कमांडर ने मुझसे िमलने क बाद अपना इरादा बदल िदया? उ ह ने मुझे भा यशाली होने क
िलए बधाई दी और मेरी वतं ता का ेय उन हजार थानीय लोग क आशीवाद को िदया,
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िजनक हमने अपने आगमन क बाद से देखभाल क थी। इसक अलावा, उ ह ने मुझसे इस
बात को और िकसी क भी साथ साझा न करने का अनुरोध िकया। मने उनक वा य क
बार म पूछा और उनसे पूछा िक या कनल मािटन को एक लैग मीिटग का अनुरोध भेजा
जा सकता ह? उ ह ने मुझे सलाह दी िक अिधक उपयु होगा िक म ऊचे मैदान पर वापस
जाने क दौरान इस संदेश को रिडयो क म दे दूँ।
आर.यू.एफ. म हर कपनी क पास एक रिडयो म होता था और इस ि ड िस टम क
मा यम से कोई भी संदेश देश क िकसी भी कोने म प चाया जा सकता था। वे उ त रज क
साथ तकनीक प से सबसे बु रिडयो सेट का उपयोग करक संचार करते थे।
आव यकता पड़ने पर कपनी क रिडयो म से सीधे लाटन को संदेश भेजे जा सकते थे। वे
हमेशा अपनी थानीय भाषा म ही संवाद करते थे, तािक लाइन क टप िकए जाने क थित
म उनक योजना क बार म िकसी को पता न चले। कपनी वापस जाते समय मने कला न क
रिडयो म म कनल मािटन क िलए एक संदेश छोड़ा।
इस बीच िनकट भिव य म िकसी भी आक मक हमले का सामना करने क िलए,
अपने लड़क को बेहतर ढग से तैयार करने क िलए सु ढ़ीकरण को एक लाटन
से दूसरी कपनी म शारी रक प से थानांत रत करक, िविभ आक मकता
का अ यास करक और एक कपनी से दूसरी कपनी म राि सावधानी क हमारी
िदनचया को और अिधक बेहतर िकया गया।
इस बीच िनकट भिव य म िकसी भी आक मक हमले का सामना करने क िलए, अपने
लड़क को बेहतर ढग से तैयार करने क िलए सु ढ़ीकरण को एक लाटन से दूसरी कपनी
म शारी रक प से थानांत रत करक, िविभ आक मकता का अ यास करक और
एक कपनी से दूसरी कपनी म राि सावधानी क हमारी िदनचया को और अिधक बेहतर
िकया गया। रात म क गई शारी रक गितिविधय ने हम सभी को य त रखा और हमार
सामने थत आर.यू.एफ. पो ट से हमेशा रात भर रह यमयी सी आवाज आती रहत ।
हमार सभी सािथय पर अिन तता क थकान और दबाव िदखना शु हो गया था।
सावधानी को और अिधक साथक बनाने क िलए मेजर नायर एवं मने रिडयो सेट पर थित-
िति या परी ण िकए, िजनम दु मन क हमल क का पिनक थितय क िलए िविभ
लाटन को जवाबी हमला करने क िलए कहा गया। म रात क समय हर बंकर क सावधानी
को जाँचने क िलए अलग-अलग समय पर जाता था। सभी लड़क हर बार ‘जय िहद’
बोलकर मेरा अिभवादन करते थे। उ साह और ऊजा का तर शानदार था। भारतीय सैिनक
क साहस और ढ़ संक प क वा तव म कोई बराबरी नह ह। बीते लगभग दो महीन से
कई रात तक सो न पाने क बावजूद और इस बात का अंदाजा न होने िक हम अभी यहाँ पर
िकतनी और रात िबतानी ह, लड़क आर.यू.एफ. क िकसी भी संभािवत हमले का सामना
करने क िलए च ान क तरह मजबूती क साथ खड़ थे।
यहाँ मुझे भारतीय सेना क ‘िडफस पफलेट’ क थम पृ पर अंिकत िस
उ रण को भी साझा करना चािहए। यह कहता ह िक ‘र ा यु का सबसे
किठन ऑपरशन ह’, एक ऐसा बयान, िजसे मने यंग ऑिफसस कोस को करते
समय हमेशा चुनौती दी थी।
यहाँ मुझे भारतीय सेना क ‘िडफस पफलेट’ क थम पृ पर अंिकत िस उ रण को
भी साझा करना चािहए। यह कहता ह िक ‘र ा यु का सबसे किठन ऑपरशन ह’, एक
ऐसा बयान, िजसे मने यंग ऑिफसस कोस को करते समय हमेशा चुनौती दी थी। उस समय
मेरा मानना था िक र ा नह , ब क हमला करना यु का सबसे किठन ऑपरशन था।
लेिकन अब, कोई भी समझ सकता था िक उन पफलेट म िलखी बात िकतनी सही थी!
हमलावर क पास अवसर होता ह, जबिक बचाव करनेवाला िसफ इतजार ही कर सकता ह
—एक ऐसी ती ा, जो बेहद िनराशाजनक भी हो सकती ह। हमार मामले म, यह तो िसफ
शु आत थी; लेिकन म हर रात सावधानीवाले आदेश क प रणाम व प थकान क ल ण
प देख सकता था और िसफ भारतीय सेना का उ मनोबल ही हम इससे पार लगा रहा
था। बीते दो महीने क अन दी रात क अलावा िचंता का ाथिमक कारण थी फली ई
अिन तता, जो हर सैिनक को परशान कर रही थी।
अगले िदन, सूरज क पहली िकरण क साथ, मुझे हमार सामने थत आर.यू.एफ. क
चौक से एक संदेश ा आ िक कनल मािटन शहर म थे और वे मुझसे िमलना चाहते थे।
म िबना िकसी िहचिकचाहट क तुरत तैयार हो गया और गंभीर प से बीमार ले टनट कनल

ि ो े े े ि े ी
अिमत शमा को देखने क एकमा एजड क साथ बाहर आ गया। मुझे कनल मािटन से उसी
घर म िमलना था, जहाँ म कछ िदन पहले फ ड कमांडर से िमला था।
कनल मािटन ने मुझे देखते ही आधी मुसकान दी और बोले, “मेजर, आप अपने देश वापस
य नह चले जाते?”
“म आपक देश से यार करता , मािटन!” मने उनक ओर मुसकराते ए कहा, “आप
मेर दो त हो और म अपने दो त को छोड़कर जाना नह चाहता।”
“लेिकन मेजर, आपक खाने क भंडार का या? या आपको नह लगता िक अब आपक
आ मसमपण करने का समय आ गया ह? जीवन से अिधक मह वपूण या ह?” मािटन ने
अपने माथे पर सलवट लाते ए कहा।
मने चमकती ई आँख से कहा, “मािटन, हम भारतीय सेना क सैिनक ह और हम
अपने गौरव एवं स मान पर जीिवत रहते ह, भोजन पर नह । और जहाँ तक यह
बात ह िक अिधक मह वपूण या ह? एक कायरतापूण जीवन क मुकाबले
हमारी ग रमा।”
मने चमकती ई आँख से कहा, “मािटन, हम भारतीय सेना क सैिनक ह और हम अपने
गौरव एवं स मान पर जीिवत रहते ह, भोजन पर नह । और जहाँ तक यह बात ह िक अिधक
मह वपूण या ह? एक कायरतापूण जीवन क मुकाबले हमारी ग रमा।”
मािटन हमेशा भारतीय सैिनक क वभाव से अचंिभत होते थे और उनक मन म हमार
सैिनक क िलए अपार स मान था। मने उनसे ले टनट कनल अिमत शमा क नेतृ ववाले
हमार ग ती दल से िमलने क अनुमित देने का अनुरोध िकया; एक ऐसा अनुरोध, िजसने उ ह
काफ हद तक आ य म डाल िदया। उ ह ने मुझे आ ासन िदया िक वे सुरि त ह और
उ ह ज द ही रहा कर िदया जाएगा। इसक बावजूद म अपनी िजद पर अड़ा रहा। अंततः
मािटन मान गए, य िक म उनक ही े म जा रहा था। उ ह ने मुझे एक गाइड दान िकया।
मने उसी िदन जाने और अपने साथ डॉ टर मेजर मुरली को भी ले जाने का फसला िकया।
म तुरत अपने िशिवर म लौटा, अपने वाहन म कछ राशन रखा और अपने गाइड क साथ
बाहर िनकल गया। हम घने जंगल से होते ए उस गाँव तक प चने म लगभग एक घंट का
समय लगा, जहाँ हमार ग ती दल को बंधक बनाकर रखा गया था। म पहली बार इस गाँव
का दौरा कर रहा था और यह कइवा तो नह था, जैसािक हम पहले बताया गया था। वह घने
जंगल क बीच बसा आ एक ऐसा गाँव था, िजसम एक भी ामीण मौजूद नह था, िजसम
आर.यू.एफ. िव ोिहय क ेषपूण आँख से िघरी कई जजर झ पिड़याँ बनी ई थ । म भारी
सुर ा से िघरी एक झ पड़ी क बाहर खड़ा था, िजसम हमार सेकड-इन-कमांड को रखा गया
था। आर.यू.एफ. क गाइड ने पहरदार को कनल मािटन ारा िदए गए िनदश क बार म
जानकारी दी, िजसक बाद मुझे भीतर जाने क अनुमित दान क गई।
वह जीण दरवाजा खुलते ही एक भयानक य मेर सामने था। भूर रग क लकड़ी क
जजर दीवार, िजन पर कई कार क दाग पड़ ए थे और जो लकड़ी पर पड़ती हलक
रोशनी म चमक रह थे। टटी ई िखड़िकय पर मकिड़य क अनिगनत जाले बने ए देखे जा
सकते थे। मुझे वहाँ पर लकड़ी क एक टट ए त ते पर लेट ए ले टनट कनल अिमत
शमा िदखाई िदए, िजनक आँख म मुझे देखते ही आँसू आ गए; लेिकन उनक शारी रक
थित ऐसी नह थी िक वे उठकर सीधे बैठ सकते। उ ह ब त तेज बुखार था और वे बोलने
क थित म भी नह थे।
उस समय तो म िसफ इतना ही समझ पाया िक वे तब तक ठीक थे, जब तक वे
कइवा म आर.यू.एफ. क मेजर टॉम सडी क िहरासत म थे। हालाँिक, बीते एक
स ाह क दौरान उ ह रखे जाने क मौजूदा थान पर आर.यू.एफ. क सैिनक ारा
उनक साथ बेहद बेरहमी क साथ यवहार िकया गया था।
उस समय तो म िसफ इतना ही समझ पाया िक वे तब तक ठीक थे, जब तक वे कइवा म
आर.यू.एफ. क मेजर टॉम सडी क िहरासत म थे। हालाँिक, बीते एक स ाह क दौरान उ ह
रखे जाने क मौजूदा थान पर आर.यू.एफ. क सैिनक ारा उनक साथ बेहद बेरहमी क साथ
यवहार िकया गया था। ले टनट कनल अिमत शमा ने मुझे सूिचत िकया िक आर.यू.एफ.
क सैिनक कनल मािटन क साथ मेर सौहादपूण संबंध क चचा करते रहते थे और इसिलए
उ ह ने मुझसे अपनी रहाई क िलए अनुरोध िकया। मने उनसे कहा िक वे एक-दो िदन म

ो ँ े े ी े ी ँ औ ँ
मु हो जाएँगे। इसक बाद मेजर मुरली ने उनक पूरी जाँच क और आव यक दवाएँ मुहया
करा , य िक वे वायरल बुखार से पीिड़त थे।
उनसे िवदा लेने क बाद हम बाहर आ गए और अपने गाइड से हम बंधक बनाए गए अ य
भारतीय सैिनक क पास ले चलने का अनुरोध िकया। हम बगल क एक झ पड़ी म ले जाया
गया, जहाँ ले टनट पडसे, जो 5/8 गोरखा राइफ स क सबसे कम उ क अिधकारी थे, को
21 भारतीय सैिनक क साथ रखा गया था। िवपरीत प र थितय से िनपटने क बावजूद
गोरखा लड़क उ साह से भरपूर लग रह थे। लेिकन पडसे ने हम बताया िक आर.यू.एफ. क
जवान ने उनक साथ मारपीट क थी और उनक सभी हिथयार एवं सामान भी छीन िलये थे।
मने अपने डॉ टर से हमार सभी सैिनक का िचिक सक य परी ण करने को कहा और पाया
िक वे सब पूरी तरह से व थ ह। मने पडसे एवं लड़क को उनक रहाई का आ ासन
िदया और उ ह अपना मनोबल बनाए रखने क िलए कहा।
इसक बाद, मने उनक मनोबल को बनाए रखने क िलए सभी लड़क को अपने चार ओर
इक ा िकया और अपने चेहर पर गव क भाव क साथ जोर से िच ाया, “जय िहद!”
वीरता क भाव से भरी ई आँख क साथ सभी लड़क जोर से िच ाए, “जय िहद! जय
िहद!”
“जोश कसा ह, मेर लड़को?” म िच ाया। “ऊचा ह, साब! ऊचा ह, साब!” उस
उ साही गजना ने िन त प से एक बार तो पहर पर खड़ आर.यू.एफ. क िव ोिहय को
डरा ही िदया होगा।
वापसी क दौरान म यह सोच रहा था िक कसे असल म सेकड-इन-कमांड ने
आर.यू.एफ. क क जे से हम छड़ाने क िलए अपना सफर शु िकया था और
आज म उ ह तलाश रहा था और उ ह छड़ाने का यास कर रहा था! वा तव म,
ई र क करनी का कोई जवाब नह ।
वापसी क दौरान म यह सोच रहा था िक कसे असल म सेकड-इन-कमांड ने
आर.यू.एफ. क क जे से हम छड़ाने क िलए अपना सफर शु िकया था और आज म उ ह
तलाश रहा था और उ ह छड़ाने का यास कर रहा था! वा तव म, ई र क करनी का कोई
जवाब नह ।
अपने िशिवर म वापस लौटने पर म बेहद ु ध था, िवशेषकर आर.यू.एफ. ारा हमार
सेकड-इन-कमांड और उनक दल क साथ उ ह ने िजस कार का यवहार िकया था,
उससे। उनक साथ मारपीट क गई थी और आर.यू.एफ. ने उनक हिथयार व सामान भी छीन
िलये थे। उ ह एक यु , जो अभी तक शु भी नह आ था, क यु बंिदय क तरह रखा
गया था। उस या ा क बाद से मेर म त क म कई कार क िवचार घुमड़ रह थे, िजनम
मौजूदा गितरोध को समा करने का पापा िगएमा का ेत झंडवाले समझौते का गैर-
आशावादी िवक प भी शािमल था। इसक अलावा, कोढ़ म खाज क प म बरसात का
मौसम भी नजदीक आ रहा था—हमार रा ते म एक और अड़चन। िसएरा िलओन म हर
साल जुलाई से िसतंबर क बीच भारी बा रश होती ह। यह एक ऐसा समय होता ह, िजसम
सड़क बह जाती ह, ाचीन हरी गिलयाँ क चड़ म त दील हो जाती ह और पूरा देश थम-सा
जाता ह।
इसक अलावा, हमार िलए थितय को और अिधक बदतर बनाते ए हमार राशन का
भंडार िदन- ितिदन घटता ही जा रहा था। हम अिधक-से-अिधक अगले 10 से 15 िदन तक
ही िटक रह सकते थे। अपने मन म इ ह िवचार क साथ म सीधा ऊचे मैदान म थत अपने
िस नल ए सचज म प चा। यह तय िकए िबना िक मुझे या बोलना ह, मने अपने फोस
कमांडर जनरल जेटली से संपक करने को कहा।
तभी मुझे रिडयो पर अचानक जनरल जेटली क आवाज सुनाई दी। उनक आवाज क तेज
वर ने मुझे आभास दे िदया िक इससे पहले तक उ ह इस बार म पता ही नह था िक उ ह
कला न म तैनात हमार साथ संचार क यवहायता क बार म पता ही नह था। मेर साथ
बातचीत क दौरान ही उ ह ने मु यालय म तैनात कमचा रय को इस बात क िलए आड़ हाथ
िलया िक उ ह अब तक कला न क साथ रिडयो कने टिवटी क बार म य नह सूिचत
िकया गया? उसक बाद उ ह ने हमारा हाल-चाल पूछा और संयु रा मु यालय एवं
भारत सरकार क साथ हमारी स मानजनक रहाई क िलए अपने यास क बार म बताया।
म पूरी तरह से हत भ था। कला न म होने क चलते म ले टनट कनल अिमत
शमा और उनक ग ती दल को बंधक बनाए जाने से नह रोक सका। मने जनरल
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जेटली को बताया िक 2 मई को शु ए इस संकट को लगभग दो महीने बीत
चुक ह। अगर कटनीित से कोई लाभ होता तो अब तक नतीजा िमल गया होता।
म पूरी तरह से हत भ था। कला न म होने क चलते म ले टनट कनल अिमत शमा और
उनक ग ती दल को बंधक बनाए जाने से नह रोक सका। मने जनरल जेटली को बताया िक
2 मई को शु ए इस संकट को लगभग दो महीने बीत चुक ह। अगर कटनीित से कोई
लाभ होता तो अब तक नतीजा िमल गया होता।
इसक अलावा, मने ब त ढ़ता क साथ उ ह बताया िक यह अब हमारी रहाई का मु ा
नह था, य िक अगर हम चाहते तो हम पहले ही िदन रहा हो सकते थे; लेिकन हमने ऐसा
नह चुना। अब बात हमार गौरव, हमारी इ त क बहाली क थी। मने उनसे ‘सै य िवक प’
पर िवचार करने का अनुरोध िकया। मने जो कछ भी कहा, वे उससे ब त भािवत ए और
मुझसे हमारी शारी रक थित क बार म पूछा, िजस पर मने जवाब िदया, “लड़ने क िलए पूरी
तरह से तैयार, सर!”
उ ह ने कहा िक यह बेहद शंसनीय ह िक कसे चुनौतीपूण समय से पीिड़त होने क
बावजूद हम अभी भी िवपरीत प र थितय म नह टट ह। इसक बजाय हम लड़कर अपने
स मान क र ा करने को तैयार थे। मने उ ह बताया िक हम कभी भी पीिड़त नह थे। हम
ऐसे यो ा थे, िज ह ने न झुकने का फसला िकया था। सैिनक, िज ह ने दबाव म न िबखरने
का फसला िकया था, िज ह ने बुजिदली िदखाने क थान पर मौत को चुना था, िज ह ने
अपने सगे-संबंिधय पर देश को चुना था और जो हमेशा देश क स मान क र ा क िलए
तैयार थे और आगे भी रहगे।
उ ह ने अब मुझे प िकया िक उ ह कला न क थित को लेकर गलत जानकारी दान
क गई थी िक वे इस संकट को हल करने क िलए सै य िवक प अपनाने क थित म नह
थे, य िक हम दो महीन से बंधक बने ए थे।
कल िमलाकर, वे मेरी रिडयो कॉल से बेहद खुश ए। उ ह ने मुझे इस मौजूदा
संकट का एक सै य समाधान तैयार करने का आ ासन िदया। उ ह ने मुझसे कहा
िक इसक बाद वे िब कल सटीक जमीनी हक कत ा करने क िलए मुझे हर
िदन फोन करगे। रिडयो कॉल लगभग आधा घंटा लंबी रही होगी और उसक
ख म होने पर मने एक गहरी साँस ली।
कल िमलाकर, वे मेरी रिडयो कॉल से बेहद खुश ए। उ ह ने मुझे इस मौजूदा संकट का
एक सै य समाधान तैयार करने का आ ासन िदया। उ ह ने मुझसे कहा िक इसक बाद वे
िब कल सटीक जमीनी हक कत ा करने क िलए मुझे हर िदन फोन करगे। रिडयो कॉल
लगभग आधा घंटा लंबी रही होगी और उसक ख म होने पर मने एक गहरी साँस ली।
अगर म आज क तारीख म उस समय क घटना म पर नजर डालूँ तो यह रिडयो कॉल
‘ऑपरशन खुकरी’ क ारभ क प म इितहास म अपना सही थान पाने क हकदार ह।
हमारा सै य मु यालय ‘खुकरी’ श द क साथ सामने आया, जो गोरखा का पयाय था और
जो सं या बल म कला न म मौजूद कल सैिनक क आधे थे। ऐितहािसक प से ‘खुकरी’
एक मजबूत च र को दरशाता ह; यह शौय एवं वीरता का तीक था और इसिलए इसने
कला न क येक भारतीय सैिनक को िब कल उपयु प से दरशाया।
म खुद भी इस बात को लेकर अचंभे म था िक मेर जैसा शांित क बात करनेवाला य
भी रातोरात बदल गया और सै य िवक प क बार म बात करने लगा था। म िस नल म से
बाहर िनकला और फोस कमांडर क साथ ई बातचीत का िववरण साझा करने क िलए सीधे
मेजर नायर क पास गया। मेजर नायर ने मुझसे कहा िक हो सकता ह, कनल सतीश को फोस
कमांडर क साथ मेरा सीधा संवाद करना पसंद न आए। इसक बाद मने उन लड़क क ओर
इशारा िकया, जो अपने बंकर को यव थत करने म य त थे और कहा, “वे लड़क हमारी
िज मेदारी ह और हम उनक गौरव एवं स मान क र ा क िलए हम जमीन-आसमान एक
करने को तैयार रहना चािहए।” वे मेरी बात से पूरी तरह से सहमत थे और हमने आर.यू.एफ.
क शैली म हाथ िमलाया। इसक बाद उ ह ने ‘काई गोवा मा’ कहते ए मेरा अिभवादन
िकया, जो आगे जाकर हमारा एक-दूसर का अिभवादन करने का तरीका ही बन गया। हमने
ऊचे मैदान से संभािवत ेक-आउट (भाग िनकलने) क िलए तुरत गंभीर तैयारी शु करने
का फसला िकया।
जहाँ तक मुझे याद ह, फोस कमांडर क साथ रिडयो क ज रए मेरा अंितम संवाद जून क
अंत म आ था और तब तक 2 मई, 2000 को शु ए उस संकट को लगभग दो महीने
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पूर हो चुक थे। इसक प रणाम व प ‘ऑपरशन खुकरी’ 15 जुलाई को एक वा तिवकता
बन गया।
मने मेजर नायर से अनुरोध िकया िक वे शाम को दोन कपिनय क अिधका रय
क साथ एक संयु िवचार-िवमश क स को आयोिजत कर, तािक ऊचे मैदान
से सफल ेक-आउट क िलए उपल ध िवक प पर चचा क जा सक।
मने मेजर नायर से अनुरोध िकया िक वे शाम को दोन कपिनय क अिधका रय क साथ
एक संयु िवचार-िवमश क स को आयोिजत कर, तािक ऊचे मैदान से सफल ेक-
आउट क िलए उपल ध िवक प पर चचा क जा सक। इसक बाद मने अपनी कपनी क
सभी अिधका रय और जूिनयर कमीशंड अिधका रय को अपनी िवचार- ि या म ए इस
बदलाव क बार म बताने क िलए बुलाया, जो पहले तो इस संकट क संभािवत शांितपूण
समाधान को लेकर आ त थे, लेिकन अब सै य िवक प को लेकर भी खुश थे। म
मुसकराया और क टन शांत को बधाई दी, जो सै य िवक प क क र समथक थे।
“क टन शांत, आप जीत गए, म हार गया।”
इसक बाद मने उ ह घातक िश ण को और अिधक तेज करने क िलए कहा, य िक
अिव सनीय प से िफट लाटन ारा अगुआई िकए जाने से हमारी सफलता क संभावना
काफ बढ़ जाती थी। फतेह साब ने अनुरोध िकया िक अब मुझे शहर क ओर आना-जाना
िब कल बंद कर देना चािहए। एक ऐसा अनुरोध, िजसे मने िबना एक ण गँवाए नकार
िदया, य िक म नह चाहता था िक आर.यू.एफ. को िकसी भी कार क ऑपरशन को लेकर
ितनक भर का भी सुराग िमले। इसिलए मने हमारी कपनी क िनयिमत गितिविध म कोई
बदलाव नह िकए जाने का आदेश िदया।

मने अपने लड़क को समझाया िक यु म कसे सीधी लड़ाई टकराव को


आमंि त करती ह, जबिक अचानक िकया गया एक हमला आपक जीत को
सुिन त करता ह। इसक आलोक म, वा तिवक ऑपरशन म यह ‘अचानक’ ही
हमारी ताकत को कई गुना बढ़ानेवाला त व था, िजसक साथ िकसी भी तर पर
समझौता नह िकया जा सकता था।

मने अपने लड़क को समझाया िक यु म कसे सीधी लड़ाई टकराव को आमंि त करती
ह, जबिक अचानक िकया गया एक हमला आपक जीत को सुिन त करता ह। इसक
आलोक म, वा तिवक ऑपरशन म यह ‘अचानक’ ही हमारी ताकत को कई गुना बढ़ानेवाला
त व था, िजसक साथ िकसी भी तर पर समझौता नह िकया जा सकता था। इसक अलावा,
इस ऑपरशन को लेकर हमने जो भी चचा क थी, मने उसक गोपनीयता क मह व पर भी
जोर डाला। इसक बाद आगामी सै य अिभयान क िलए एक सावधानीपूवक िनयोिजत और
यव थत तैयारी का आगाज आ।
उसी शाम हमारा िवचार-िवमश का पहला स आयोिजत आ, िजसम ऊचे मैदान से भाग
िनकलने क संभािवत िवक प पर चचा क गई। मने क टन सुदेश से इस चचा का संचालन
करने को कहा और िफर ारिभक दौर शु आ, िजसम सभी अिधका रय ने अपने-अपने
िवचार सामने रखे। हम आम सहमित बनाते ए मु य प से तीन िवक प पर प चे, जो
हमार सामने मौजूद थे। इन िवक प क चयन म कला न क भौगोिलक थित ने बेहद
मह वपूण भूिमका िनभाई। पहला िवक प यह था िक हम वहाँ से भागकर िगनी क सीमा क
ओर बढ़, जो अगर हम पैदल चलकर आगे बढ़ और िसएरा िलओन क प रिध को पार कर
जाएँ तो िसफ 2 िकलोमीटर दूर था और अगर हम िगनी क क डोउ क ओर जानेवाले रा ते
पर आगे बढ़ तो लगभग 6 िकलोमीटर दूर था।
दूसरा िवक प वहाँ से िनकलकर लाइबे रया क ओर जाना था, जो उस थित म करीब
15 िकलोमीटर था। अगर हम पैदल आगे बढ़ और अंतररा ीय सीमा को पार कर और अगर
हम यूड क रा ते पर गाड़ी से जाएँ तो करीब 20 िकलोमीटर। तीसरा िवक प पडबु क रा ते
दा क ओर जानेवाली सड़क से जाना था, िजसक दूरी लगभग 70 िक.मी. क थी।
सभी ने एक वर से इस बात पर सहमित य क िक इन तीन ही िवक प को उपयु
वरीयता म म ही रखा जाए। िगनीवाले िवक प का सबसे बड़ा लाभ यह था िक एक तो
वह सबसे िनकट था और इसक अलावा, वहाँ क सरकार ने भी आर.यू.एफ. क िखलाफ
कड़ा ख अपनाया आ था। इन सभी तीन िवक प म एक समानता यह थी िक हम पहले
ही चरण म आर.यू.एफ. क घेर को तोड़ना था, िजसक िलए कला न शहर पर ब त भारी
ो ी ीि े ी ि ी ी ं े ै े
गोलीबारी िकए जाने क आव यकता थी, य िक इन तीन ही संभावना म ऊचे मैदान से
पैदल िनकलने क िलए एकमा िवक प कला न शहर से होकर गुजरना था। यह कछ ऐसा
था, िजसने मुझे िचंता म डाल िदया था; लेिकन मने अपनी भावना को अपने अिधका रय
क साथ साझा नह िकया।
मने एक बात सामने रखी िक चाह िजस भी योजना को अंितम प िदया जाए,
हमार पूरी तरह से लैस वाहन हमार साथ ही आगे बढ़गे। इसका िनिहताथ यह था
िक हम रा ते पर ही चलना होगा। इन तीन िवक प म एक और बात िब कल
समान थी िक क टन शांत क घातक लाटन आगे रहकर नेतृ व करगी और
बाक लाटन उनक पीछ बढ़गी।
मने एक बात सामने रखी िक चाह िजस भी योजना को अंितम प िदया जाए, हमार पूरी
तरह से लैस वाहन हमार साथ ही आगे बढ़गे। इसका िनिहताथ यह था िक हम रा ते पर ही
चलना होगा। इन तीन िवक प म एक और बात िब कल समान थी िक क टन शांत क
घातक लाटन आगे रहकर नेतृ व करगी और बाक लाटन उनक पीछ बढ़गी।
मने बी.आर.डी.एम. म से एक—ब त भारी गोलाबारी और सुर ा कवच क साथ लड़ाक
वाहन—को आगे बढ़ने क िलए घातक लाटन क साथ एक कत िकया था और दूसरा
बी.आर.डी.एम. रयरगाड क साथ। मुझे कला न शहर म रिडयो म का सटीक थान पता
था। म चाहता था िक घातक लाटन क एक टकड़ी एक िवशेष अिभयान क प म हमार
आगे बढ़ने से ठीक पहले इसे उड़ा दे, तािक आर.यू.एफ. क संचार ि ड को िन भावी िकया
जा सक।
हमार िवचार-िवमश क दौरान कई ासंिगक मु े सामने आए और मने क टन सुनील से
सभी िबंदु को िलिखत प म दज करने क िलए कहा, य िक हमार पास योजना को और
अिधक बेहतर करने क िलए पया समय उपल ध था। मेजर नायर ने एक मह वपूण बात
सामने रखी िक हमार पास मोटार क भारी कमी ह, जो आगे बढ़नेवाली टकड़ी को गोलीबारी
क सहायता दान करने क िलए बेहद आव यक ह; और तोपखाने क कमी ने इस बात को
और गंभीर बना िदया। मने मेजर नायर क बात क सराहना क और उन प र थितय म
रॉकट लॉ र ही एकमा िवक प था, िजस पर हम वापस आ सकते थे। इसिलए हमने
पया गोला-बा द क साथ तीन रॉकट लॉ र को घातक लाटन क साथ एक कत िकया,
िजसे घातक लाटन क आगे चलते ए ‘फायर-एंड-मूव’ ारा आगे बढ़ना था, जो िक
घातक क आगे ‘मोबाइल फायर बेस’ क तरह काम करता।
एक और परशानीवाला े था हमार हताहत क िनकासी का और हमने इस
मु े पर िकसी और िदन गंभीर िवचार-िवमश करने का िनणय िलया। म
रयरगाड क िज मेदारी क बार म और अिधक सोचना चाहता था, य िक
घातक को मोरचे पर सबसे आगे रहना था।

एक और परशानीवाला े था हमार हताहत क िनकासी का और हमने इस मु े पर


िकसी और िदन गंभीर िवचार-िवमश करने का िनणय िलया। म रयरगाड क िज मेदारी क
बार म और अिधक सोचना चाहता था, य िक घातक को मोरचे पर सबसे आगे रहना था।
मने भिव यवाणी क थी िक हमार वहाँ से सफलतापूवक िनकल भागने क बाद आर.यू.एफ.,
जो गो र ा रणनीित का पालन करते ह, पीछ से हमला ज र करगे। इसिलए रयरगाड
काररवाई क िलए एक समिपत िज मेदारी तय करना भी उतना ही अिधक मह वपूण था।
म िवचार-िवमश क पहले स क नतीज से काफ हद तक संतु था। हमारी सबसे
मह वपूण उपल ध यह थी िक हमने पासा फक िदया था और जहाँ तक सै य िवक प क
तैयारी का संबंध ह, हमने सभी रक म एक नए जोश और ताकत का संचार कर िदया था।
मने एक बार िफर सभी को पहले क तरह ही िदनचया जारी रखने का िनदश िदया और शहर
क कई च कर लगाए। कई मौक पर जब म ऊचे मैदान से बाहर िनकला तो मने यह
सुिन त िकया िक क टन सुदेश कपनी क भार और आगे क काररवाई को अ छी तरह
से समझ ल।
अगले िदन एक अ छी खबर ने हमारा वागत िकया। ले टनट कनल अिमत शमा और
उनक दल को लाइबे रया म उनक हिथयार और सामान क िबना रहा कर िदया गया। मेजर
नायर और मुझे बंधक बनाए जाने क एक िदन बाद 3 मई, 2000 को ले टनट कनल अिमत
शमा क नेतृ व म एक छोट से ग ती दल को भेजने का कनल सतीश का िनणय सबसे
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दुभा यपूण और तकहीन था। उनक िगर तारी क चलते ‘ऑपरशन खुकरी’ को अंजाम देने म
देरी ई, य िक हमारी ओर से क गई कोई भी आ ामक काररवाई इन 21 सैिनक क जान
ले सकती थी। म आज तक इस भूल क पीछ क तक को नह समझ पाया ।
कल िमलाकर, मेर िलए इतना ही काफ था िक उ ह सकशल रहा कर िदया
गया था, य िक शांित सैिनक को अपने अंतःव म और टट-फट वाहन म
मवेिशय क तरह भर ए देखने का नजारा अभी भी मेर िदल को कचोटता रहता
था। म एक बंधक क प म इस सबका सा ी बन चुका था। आर.यू.एफ. मेर
देशवािसय क साथ इतनी रता भरा यवहार कसे कर सकता था?
कल िमलाकर, मेर िलए इतना ही काफ था िक उ ह सकशल रहा कर िदया गया था,
य िक शांित सैिनक को अपने अंतःव म और टट-फट वाहन म मवेिशय क तरह भर
ए देखने का नजारा अभी भी मेर िदल को कचोटता रहता था। म एक बंधक क प म इस
सबका सा ी बन चुका था। आर.यू.एफ. मेर देशवािसय क साथ इतनी रता भरा यवहार
कसे कर सकता था? वह दूसरी ओर, म फाक भर माहौल म भी एक शांितपूण समाधान
तलाशने का यास कर रहा था, तािक आर.यू.एफ. क देशवािसय को कोई नुकसान न
प चे। इस कार क िवचार आज तक मेर िदमाग म क धते ह।
हर गुजरते िदन क साथ ऊचे मैदान पर थित और अिधक चुनौतीपूण एवं तनावपूण होती
जा रही ह। सै य िवक प क बार म हमार शु आती िवचार-िवमश क बावजूद आगे क रा ते
को लेकर कोई प ता नह थी। िपछले दो महीन से कोई सोया नह था और ब त सीिमत
राशन क कारण हम िपछले इतने िदन से िदन म कवल एक बार ही खाना खा रह थे और
वह भी कवल चावल व दाल। भारत म या हो रहा ह, इस बार म हम जानकारी नह थी; 2
मई क बाद से िकसी ने भी अपने प रवार से बात नह क थी और न ही िकसी को कोई प
िमला था। उ मीद क कोई िकरण िदखाई नह दे रही थी।
सै य पयवे क क चलते हम पूरी सावधानी से थे, य िक उ ह ने हमार िलए एक बड़ी
परशानी का सबब बनना जारी रखा और हमार सैिनक क साथ उलझते रह, जो उनक पहर
क ूटी म लगे थे। म लगातार जनरल जेटली क संपक म था। हालाँिक, भिव य क
काररवाई क बार म कोई प ता नह थी। अ छी बात िसफ यह थी िक उ ह अब मौक से
सटीक जानकारी ा हो रही थी और म ितिदन िकसी सकारा मक िवकास क उ मीद क
साथ उनक रिडयो कॉल का इतजार करता था। म शहर क अपने दौर क दैिनक काम क
साथ जारी रहा और एक िदन पापा िगएमा से इस उ मीद क साथ मुलाकात करने का फसला
िकया िक शायद उनसे ही कोई अ छी खबर िमल जाए!
कपनी से गुजरते ए मेरी मुलाकात िसपाही िवनोद से ई, िज ह ने मुझे सूिचत
िकया िक हमार चार ओर घेराबंदी म लगे आर.यू.एफ. क सैिनक हमार सैिनक
को हतो सािहत करनेवाले संदेश दे रह ह और उ ह आ मसमपण करने और ‘घर
जाने’ क िलए उकसा रह ह।
कपनी से गुजरते ए मेरी मुलाकात िसपाही िवनोद से ई, िज ह ने मुझे सूिचत िकया िक
हमार चार ओर घेराबंदी म लगे आर.यू.एफ. क सैिनक हमार सैिनक को हतो सािहत
करनेवाले संदेश दे रह ह और उ ह आ मसमपण करने और ‘घर जाने’ क िलए उकसा रह
ह। हमार पंिडतजी (पुजारी) िसपाही िवनोद ने लड़क से कहा िक हमार कपनी कमांडर तीन
उपल ध िवक प म से जो भी िवक प चुनगे, वही ठीक होगा। मने सपने तक म कभी यह
नह सोचा था िक िवचार-िवमश क स म हमने जो भी चचा क थी, वह िबजली क तरह
कपनी क हर सैिनक क पास प च गई थी।
मने वतमान प र थितय म सव म संभव िवक प पर िसपाही िवनोद क िवचार पूछ।
उ ह ने कपनी क मंिदर म शाम को होनेवाली ाथना क बाद जवाब क साथ वापस आने
का वादा िकया; य िक वे ऐसा करने क बाद ही उस रा ते को साझा कर पाएँगे, िजसे
भगवा ने हमार िलए चुना होगा। मने उ ह िनदश िदया िक वह िन त प से मेर पास
वापस आ जाएँ और कहा िक म उनक िति या का इतजार क गा। म मु य प से
सै य मु यालय म होनेवाली रणनीितक योजना और तैया रय से पूरी तरह से अनजान
था, य िक संचार क िलए असुरि त होने क चलते प रचालन संबंधी मु को रिडयो सेट
पर संबोिधत नह िकया जा सकता।
हम रिडयो पर जो भी चचा करते थे, वह िहदी भाषा म होती थी और बेहद
गोपनीय जानकारी पर कभी चचा नह क जाती थी; य िक आर.यू.एफ. ने समय
ि ो ं े ो ेऔ े े
क साथ रिडयो संदेश को जाम करने और इटरसे ट करने क कला म महारत
हािसल कर ली थी।
हम रिडयो पर जो भी चचा करते थे, वह िहदी भाषा म होती थी और बेहद गोपनीय
जानकारी पर कभी चचा नह क जाती थी; य िक आर.यू.एफ. ने समय क साथ रिडयो
संदेश को जाम करने और इटरसे ट करने क कला म महारत हािसल कर ली थी। उ तम
तर पर तैयार क जा रही योजना क बार म कोई जानकारी नह होने क कारण मुझे फोस
कमांडर क साथ अपने दैिनक संचार क प रणाम व प एक बात का िव ास था—िक एक
सै य िवक प िन त प से िदमाग म था और यह िसफ समय क बात थी। लेिकन कवल
भगवा ही जानता था िक हमार ारा उसे अंजाम देने म िकतना समय लगने वाला था!
इ ह िवचार म डबे ए मने अपने अि म बंकर को पार िकया और आर.यू.एफ. क
चौक क ओर बढ़ गया। मने ूटी पर तैनात आर.यू.एफ. क िसपाही से कहा, “पापा
िगएमा से िमलने जा रहा ।” शहर प चने पर मुझे पता चला िक कनल मािटन उसी घर म
मौजूद थे, जहाँ म फ ड कमांडर से िमला था।
मने कनल मािटन से िमलने का फसला िकया और जब म उनक घर पर प चा तो मने
देखा िक वे 5-6 लोग से मुलाकात म य त थे, िजनसे म पूरी तरह से अप रिचत था। कनल
मािटन ने अपना हाथ ऊपर उठाया और मुझे इतजार करने का इशारा िकया। म उनसे कछ
मीटर क दूरी पर खड़ा रहा। वे अपनी भाषा म बात कर रह थे, इसिलए मुझे कछ भी समझ
नह आया। हालाँिक, म यह समझ सकता था िक कनल मािटन काफ उ ेिजत थे, य िक
उनक आवाज िनयिमत िदन क तुलना म अिधक तेज थी।
उनक साथ मुलाकात क बाद उ ह ने हाथ िहलाकर मुझे आने का इशारा िकया। मने
ले टनट कनल अिमत शमा और अ य सैिनक क रहाई क िलए उ ह ध यवाद िदया।
“मेजर, आप सब भी अपने देश वापस य नह चले जाते?” कनल मािटन ने हाथ
जोड़कर कहा, “म आपको पहले से आगाह कर रहा , कला न म अगले तीन महीन म
भारी बा रश होगी।”
“ई र जो भी फसला करगा, हम उसे वीकार करगे।” मने आसमान क ओर देखते ए
कहा।
मने िबना िकसी िहचक क उ ह ले टनट कनल अिमत शमा और उनक दल क साथ
आर.यू.एफ. क सैिनक ारा क गई बदसलूक क बार म बताया, िजसक मने आर.यू.एफ.
से उ मीद भी नह क थी। उ ह ने बताया िक भारतीय सैिनक ने वहाँ से भागने का यास
िकया था और वे पकड़ गए थे, िजसक बाद आर.यू.एफ. क सैिनक ने उनक साथ
बदसलूक क थी। उ ह ने मुझे आगे बताया िक हमार सैिनक बेहद भा यशाली थे िक
आर.यू.एफ. ने उनक कानून म चिलत सजा को लागू नह िकया था, वरना इस कार क
क य क िलए िन त प से ‘आधी या पूरी बाजू’ क सजा यूनतम सजा थी। चूँिक उ ह
कह और जाना था, इसिलए उ ह ने अलिवदा कहा और म पापा िगएमा से िमले िबना ही
ऊचे मैदान पर वापस लौट आया। कनल मािटन क साथ मुलाकात क बाद मेर पास िसफ
उ मीद क वही एक िकरण बची थी।
फ ड कमांडर जनरल इ सा सेसे क साथ मेजर पुिनया क बैठक 7 जून,
2000 को ई थी। पूर संकट म फ ड कमांडर क साथ संयु रा क
िकसी अिधकारी क होनेवाली यह एकमा बैठक थी। इस बैठक का िज
संयु रा क उस रपोट म भी ह, जो संकट क बाद तैयार क गई थी।
इसक अलावा, इस बैठक क प रणाम व प मेजर पुिनया आर.यू.एफ. ारा
बंदी बनाए गए ले टनट कनल अिमत शमा और 21 भारतीय सैिनक को
लाइबे रया क रा ते रहा कराने म कामयाब रह, िजसका फ ड कमांडर ने
उ ह वचन िदया था।

10.
पहले हमले से पूव का अंितम प

अगले िदन हमार िनयिमत संवाद क दौरान फोस कमांडर जनरल जेटली ने मुझे हमारी
बातचीत क दौरान िहदी क सबसे श द का योग करने को कहा, य िक वे मुझे
कछ बेहद संवेदनशील जानकारी देने वाले थे। इसक बाद हमार बीच जो बातचीत ई, वह
बेहद परशान करनेवाली थी। मने एक पल क िलए तो मना करने क सोची। हालाँिक, जनरल
जेटली ने ‘ऑपरशनल लान’ बताने से पहले अंितम फसला मुझ पर छोड़ िदया और मुझे इस
पर िवचार करने क िलए कहा।
वे मु य प से कला न म मौजूद टीम क वहाँ से भाग िनकलने और 35 िकलोमीटर दूर
थत पडबु तक प चने क थित क यवहायता क बार म पूछ रह थे। यह मु य प से
हमार ारा िवमश क गई योजना का ‘तीसरा िवक प’ था, िजसक बार म हम सबका मानना
था िक ऐसा करना आ मघाती कदम होगा। उ ह ने मुझे अगले िदन भोर तक पु करने क
िलए कहा, तािक आगे क योजना को अंितम प िदया जा सक।
मुझम इतनी िह मत नह थी िक म इस खबर को अपने अिधका रय क साथ साझा कर
सक, य िक मुझे अ छ से पता था िक वे सभी प प से इनकार कर दगे। इसक
बावजूद मने इस बार म िजतना अिधक सोचा, मेर भीतर क सैिनक ने इस योजना का समथन
िकया; य िक यह हमार गौरव और स मान को बहाल करने का सबसे अ छा िवक प था,
खासकर ले टनट कनल अिमत शमा और उनक टीम को जो सहना पड़ा था, उसक बाद।
बाक क दो िवक प िगनी या िफर लाइबे रया भाग जाने क थे; लेिकन इस िवशेष िवक प
का सीधा सा मतलब था िक हम आर.यू.एफ. क गढ़ से लड़कर अपना आगे का रा ता
बनाना होगा। एकमा मु ा इस माग पर आर.यू.एफ. क मजबूत तैनाती क कारण हताहत
क होनेवाली संभािवत सं या थी। मने इस ासंिगक जानकारी को मेजर नायर क साथ साझा
िकया, जो इस बात को सुनते ही च क गए और िबना आँख िमलाए कहा, “वे पागल ह
या?”
मने सभी अिधका रय को बुलाया, य िक जनरल जेटली को अपना अंितम
जवाब देने से पहले मुझे योजना पर चचा करना उिचत लगा। मने जैसे ही उ ह
योजना क बार म बताया, मुझे उनक भीतर अिव ास और नाराजगी क भावना
महसूस ई। उ ह ने मुझे अपने कदम वापस ख चने क सलाह दी।
मने सभी अिधका रय को बुलाया, य िक जनरल जेटली को अपना अंितम जवाब देने से
पहले मुझे योजना पर चचा करना उिचत लगा। मने जैसे ही उ ह योजना क बार म बताया,
मुझे उनक भीतर अिव ास और नाराजगी क भावना महसूस ई। उ ह ने मुझे अपने कदम
वापस ख चने क सलाह दी। क टन सुदेश ने अनुमान लगाया िक अगर हम इस िवक प को
वीकार करते ह तो हताहत क सं या कम-से-कम 30 ितशत हो सकती ह। मने अपने
अिधका रय से अनुरोध िकया िक इस समय हमार सैिनक क साथ इस बातचीत क बार म
कछ भी साझा न कर और उ ह आ ासन िदया िक म इस मु े पर अंितम िनणय लेने से
पहले उनक िवचार को यान म रखूँगा। अगले िदन म जनरल जेटली क कॉल क इतजार म
रिडयो म क च कर काटता रहा।
उनक साथ संपक थािपत होने पर मने िगनी या लाइबे रया भाग िनकलने क बाक क दो
िवक प क बार म बताया। उ ह ने मुझे बताया िक ये अपने दम पर िकए जानेवाले िवक प
हो सकते ह और दा से उनक दूरी क कारण सहायता क तर पर बल मु यालय से
अिधक कछ नह िकया जा सकता ह। उ ह ने आगे कहा, मेर भीतर क सैिनक को संबोिधत
करते ए, िक वे आर.यू.एफ. को सबक िसखाना चाहते थे। मने उनसे पु करने क िलए
मुझे अित र चौबीस घंट देने को कहा। उ ह ने एक बार िफर इस बात को दोहराया िक
अंितम िनणय कला न म तैनात सैिनक को ही लेना ह।
यह एक बेहद किठन फसला था; लेिकन म भी भारतीय शांित सैिनक क उनक ारा िकए
गए अपमान क बदले भीतर से आर.यू.एफ. को कड़ा सबक िसखाना चाहता था। मेजर नायर
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और मुझे बंधक बनाए जाने से लेकर हमार साथी सैिनक क हिथयार छीनने और अब हमारी
कपनी को भोजन एवं बुिनयादी चीज क िबना बंधक बनाकर आर.यू.एफ. ने िपछले दो
महीन म सारी हद पार कर दी थ । ददनाक अनुभव ने मुझे सकारा मक जवाब देने क िलए
े रत िकया। हमार उस िवक प क साथ आगे बढ़ने क थित म एकमा बाधा थी
होनेवाली मौत क अनुमािनत सं या। म कछ भी तय नह कर पाया और अगली सुबह
िनणय लेने का फसला िकया।
अगली सुबह मुझे िसपाही िवनोद अपने चेहर पर एक बड़ी सी मुसकराहट क
साथ मेरी कमांड पो ट क बाहर खड़ िदखाई िदए। वे हमेशा पारप रक ‘जय िहद’
क थान पर ‘राम-राम, साब’ क साथ मेरा अिभवादन करते थे। मुझे अब भी
ब त अ छ से याद ह िक उस िदन उ ह ने जोर से ‘जय िहद, साब’ कहकर मेरा
अिभवादन िकया।
अगली सुबह मुझे िसपाही िवनोद अपने चेहर पर एक बड़ी सी मुसकराहट क साथ मेरी
कमांड पो ट क बाहर खड़ िदखाई िदए। वे हमेशा पारप रक ‘जय िहद’ क थान पर ‘राम-
राम, साब’ क साथ मेरा अिभवादन करते थे। मुझे अब भी ब त अ छ से याद ह िक उस
िदन उ ह ने जोर से ‘जय िहद, साब’ कहकर मेरा अिभवादन िकया। उ ह ने तुरत मुझे बताया
िक माँ दुगा ने दा क हमार सफल ऑपरशन क िलए आशीवाद दान िकया ह। मने
सामा य प र थितय म उनक बात का भरोसा नह िकया होता, लेिकन उस समय िकया,
य िक मुझे बीते दो िदन से अपनी छठी इि य से ऐसे संकत िमल रह थे। मुझे भीतर से इस
बात का आभास हो रहा था िक हम म से कोई भी हताहत नह होगा।
हालाँिक, म अभी भी जनरल जेटली को अपना अंितम फसला सुनाने से पहले अपनी
कपनी से बात करना चाहता था। एक व रत सैिनक स मेलन का आयोजन िकया गया, जहाँ
मने अपनी कपनी को मौजूदा थित क बार म बताया। मने उनसे कहा िक कवल दो
िवक प उपल ध थे—या तो डरपोक क तरह भाग जाओ या स े सैिनक क तरह लड़कर
आगे बढ़ो। मने आगे कहा िक हमारा राशन कवल एक और स ाह तक चलेगा और
इसिलए, भूख से मरने क तुलना म लड़ते ए मरना अिधक उपयु होगा। िकसी भी तरह से
ऊचे मैदान से बाहर िनकलना हमारी सबसे बड़ी ज रत थी।
मने उनसे कहा िक डरनेवाली कोई बात नह ह, य िक हर गोली पर उस य का नाम
िलखा होता ह, िजसे वह लगनी होती ह और कोई भी अपने मरने क समय व थान को ई र
क िलखे से बदल नह सकता। आिखर म, मने उनसे पूछा िक या वे आर.यू.एफ. को उनक
गढ़ म ही हराकर सबक िसखाने क और बीते दो महीने म उ ह ने हमारा जो अपमान िकया
ह, उसका बदला लेने क समथन म मेर साथ ह? पूरी कपनी ने एक वर म ‘हाँ’ कहा और
म तेजी से िस नल म क ओर बढ़ गया।
अब तक हमार पास ‘ऑपरशन खुकरी’ क साम रक योजना को लेकर प ता
थी। रणनीित क अनुसार, हम ऑपरशन क िदन भोर क पहली िकरण क साथ
कला न से बाहर िनकलना था और पडबु क ओर बढ़ना था। पडबु म हम उस
बल क साथ संबंध थािपत करना था, िजसे दा से एक साथ आगे बढ़ना था।
अब तक हमार पास ‘ऑपरशन खुकरी’ क साम रक योजना को लेकर प ता थी।
रणनीित क अनुसार, हम ऑपरशन क िदन भोर क पहली िकरण क साथ कला न से बाहर
िनकलना था और पडबु क ओर बढ़ना था। पडबु म हम उस बल क साथ संबंध थािपत
करना था, िजसे दा से एक साथ आगे बढ़ना था। िलंक-अप को ज द-से-ज द थािपत
िकया जाना था; लेिकन डी-ड पर सूरज डबने से पहले। इसक बाद हम पडबु म एक नाइट
हाबर म जाना था।
डी-1 ड (16 जुलाई, 2000) क भोर को पडबु म एक एयरहड थािपत िकया जाना था,
िजसक मा यम से हम हवा क रा ते से िनकाला जाना था; जबिक जमीनी बल को वापस
दा क ओर उसी तरह से चलना था, जो ऑपरशन को ारभ करने क दौरान होती ह। डी-
ड पर पहली रोशनी से पहले दो ि िटश िचनूक हिलकॉ टर को ि िटश रॉयल आम क मेजर
एं यू ह रसन को पहचानना और उठाना था। हमार फोस कमांडर को यह सुिन त करना
था िक जब वे मेजर एं यू ह रसन को उठा रह ह , तभी अ य सभी सै य पयवे क को भी
उसी हिलकॉ टर क ज रए कला न से बाहर िनकाल िदया जाए। सै य पयवे क क िलए यह
थोड़ी अ छी खबर थी; हालाँिक, िमशन क िववरण को गोपनीय रखने क िलए मने उसे
अंितम संभािवत ण तक गु रखा था।

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इस ऑपरशन म हमार िलए सबसे मह वपूण चुनौती थी—कला न शहर से सफलतापूवक
बाहर िनकलना और ऐसा करने क िलए शहर पर भारी गोलीबारी क जानी बेहद आव यक
थी। ऐसा करने से शहर क िनवासी बड़ी सं या म हताहत हो सकते थे; लेिकन ऐसा करने क
अलावा हमार पास कोई और िवक प नह था, य िक हमार वाहन िसफ रा ते पर ही चल
सकते थे और जो एकमा रा ता मौजूद था, वह शहर से होकर गुजरता था। यह वह िह सा
था, िजसने मुझे योजना क बार म जानने क बाद से लगातार परशान िकया आ था।
दूसरी चुनौती, िजसे म अंितम ण तक क िलए नह टालना चाहता था, वह थी
हलीपैड क िलए मैदान खाली करना, तािक िचनूक हिलकॉ टर को आसानी से
उतारा जा सक। हालाँिक, हमने वॉलीबॉल क दो मैदान तैयार करने क िलए कछ
पेड़ को पहले ही काटा था, िचनूक उतरने क िलए आव यक सटीक आयाम को
साफ करने क िलए कछ और पेड़ को काटना पड़ा।
दूसरी चुनौती, िजसे म अंितम ण तक क िलए नह टालना चाहता था, वह थी हलीपैड क
िलए मैदान खाली करना, तािक िचनूक हिलकॉ टर को आसानी से उतारा जा सक। हालाँिक,
हमने वॉलीबॉल क दो मैदान तैयार करने क िलए कछ पेड़ को पहले ही काटा था, िचनूक
उतरने क िलए आव यक सटीक आयाम को साफ करने क िलए कछ और पेड़ को काटना
पड़ा। मने े क आसपास क ह रयाली को साफ करने क िलए कायकारी आदेश पा रत
िकए। जैसािक मुझे अंदेशा था, हमार ारा काम शु करते ही—िजसम बड़ी सं या म पेड़
को िगराना शािमल था—हमार सामने थत आर.यू.एफ. क चौक से बड़ी आपि आई।
मुझे बाहर जाकर आर.यू.एफ. क थानीय कमांडर क साथ िववाद को िनबटाना पड़ा और
उ ह यह िव ास िदलवाया िक पेड़ को हडबाल क मैदान क िलए िगराया जा रहा ह। इस
बात को सुनते ही आर.यू.एफ. क सैिनक मुसकराए और मुझसे पूछा, “मेजर, आप अपने
देश वापस नह जा रह ह?” ऐसे सवाल पर हर बार मेरा जवाब होता था, “भाई, मुझे
आपक देश से ेम ह और म नह जा रहा ।” मुझे लगा िक मुझे िगराए गए पेड़ का
सदुपयोग करना चािहए और इसिलए मने अपनी कपनी से अपने बंकर क आगे क अवरोध
को और अिधक मजबूत करने को कहा।
हमने सै य पयवे क क सुरि त िनकासी से जुड़ी खबर को पूरी तरह से गोपनीय रखा
था; लेिकन पता नह कसे ि िटश अिधकारी को इस बात का पता चल गया और उसने मुझसे
मुलाकात का अनुरोध िकया। म उस इलाक म गया, जहाँ वे रहते थे।
“मेजर, या ि िटश िचनूक क उतरने क िलए हलीपैड तैयार करने क िलए पेड़ को काटा
जा रहा ह?” मेजर एं यू ह रसन ने पूछा।
मने उलटा उनसे ही सवाल िकया, “मेजर एं यू, आपसे ऐसा िकसने कहा?”
उनक ओर से कोई जवाब नह आया।
मने उ ह िसफ इतना बताया िक कोई भी योजना अभी पूरी तरह से ठोस नह थी और हम
िकसी भी आक मक थित क िलए तैयारी कर रह थे। हालाँिक, हमने िजस िदन से पेड़ को
काटना शु िकया, सै य पयवे क क यवहार म एक उ ेखनीय सुधार देखा जा सकता
था, य िक वे सशरीर अपने-अपने घर तक प चने को लेकर कह अिधक आशावादी थे।
जब आप आर.यू.एफ. क गढ़ म बंधक बने ए ह तो ऐसा ब धा ही होता ह।
हमार िशिवर क िदनचया पहले जैसी ही बनी रही, लेिकन आगामी काय क िलए
योजना और तैयारी क अित र काय क साथ। हमार िशिवर म तनाव क सम
तर म कोई िगरावट नह आई; ब क मेर तथाकिथत आ मघाती िवक प क साथ
आगे बढ़ने क साथ तनाव का तर और अिधक बढ़ गया था।
हमार िशिवर क िदनचया पहले जैसी ही बनी रही, लेिकन आगामी काय क िलए योजना
और तैयारी क अित र काय क साथ। हमार िशिवर म तनाव क सम तर म कोई िगरावट
नह आई; ब क मेर तथाकिथत आ मघाती िवक प क साथ आगे बढ़ने क साथ तनाव का
तर और अिधक बढ़ गया था। हमारी कपनी क पुजारी और मुझे छोड़कर िकसी को भी इस
बात का यक न नह था िक हम हताहत नह ह गे। वा तव म, हमारी कपनी म इस बात क
चचा होने लगी िक हमारा मु यालय 30 ितशत तक हताहत क सं या को वीकार करने
क िलए तैयार ह। यह एक ऐसी चुनौती थी, िजसे मुझे संबोिधत करना था; य िक अगर
इसका इलाज नह िकया जाता तो यह तैयारी क काम पर और कपनी क मनोबल पर भी
मह वपूण भाव डाल सकता था। म इस अफवाह को ाथिमकता से दूर करना चाहता था
और सभी को एक मजबूत संदेश देने क िलए आदश अवसर क ती ा कर रहा था।
े े ी ि ो े ी ी “ ेि ी ो
मने अपने सभी अिधका रय को चेतावनी दी, “इसक बाद, अगर म आप म से िकसी को
भी योजना पर संदेह करते ए सुनता तो म उस अिधकारी को ‘ऑपरशन खुकरी’ का
िह सा बनने क बजाय आर.यू.एफ. क सामने आ मसमपण करने क िलए ध का देने म
संकोच नह क गा। हम जब कोई योजना तैयार कर रह होते ह, तब चचा क तर पर
िवचार-िवमश होता ह। हालाँिक, एक बार एक योजना तैयार हो जाने क बाद हम योजना पर
सवाल उठाने क बजाय सफल िन पादन सुिन त करने क िलए मैदान म उतरते ह।”
िकसी यु क योजना तैयार करते समय आपको उस योजना को काया वत करते
समय उ प हो सकनेवाली िविभ आक मकता को संबोिधत करने क
आव यकता होती ह, न िक उस योजना को पूरी तरह से खा रज करने और उसे
आपदा क वजह सािबत करने का यास िकया जाता ह।
िकसी यु क योजना तैयार करते समय आपको उस योजना को काया वत करते समय
उ प हो सकनेवाली िविभ आक मकता को संबोिधत करने क आव यकता होती ह,
न िक उस योजना को पूरी तरह से खा रज करने और उसे आपदा क वजह सािबत करने का
यास िकया जाता ह। जब अिधकारी ही योजना पर सवाल उठाते ह तो जवान पर इसका
बेहद ितकल भाव पड़ता ह, िजससे उनका मनोबल िगरने लगता ह। इसक बाद येक
सैिनक क िलए यह एक पूरी तरह से प संकत था।
उस बैठक क बाद म हर िकसी को यह यक न िदलवाने और िदल से मनवाने म सफल
रहा था िक हम अपने स मान क िलए लड़ना ह। िजस अिधकारी को मने स मेलन म नसीहत
दी थी, वह अपनी बात समझाने क िलए मेरी कमांड पो ट पर मुझसे िमलने आया। उसने मुझे
बताया िक वह हमार लड़क क सुर ा क बात कर रहा था, न िक अपनी जान बचाने क ।
मने उनक भावना क सराहना क और साथ ही इस बात पर जोर िदया िक येक सैिनक
का जीवन मुझे अपने जीवन से अिधक ि य ह। म पहले ही खुले मंच से यह बात कह चुका
था िक कला न से येक सैिनक को िजंदा वापस लेकर जाना मेरी िज मेदारी ह और मने
अपनी बात पूरी भी क । म थोड़ा और भावुक हो गया और आगे बोला, “ऑिफसर, आप तो
अभी कवार ह, लेिकन मेरी प नी और दो छोट ब े मेर वापस घर आने का इतजार कर रह
ह। दबाव तो मुझे महसूस करना चािहए, य िक मेरा एक गलत कदम मेर ब क
म तमौला बचपन को छीन सकता ह और उसे अंधकारमय एवं ददनाक बना सकता ह।
अगर मेर अपने ही अिधका रय को यक न नह ह और वे मुझसे सहमित नह रखते तो म
कल सैिनक को गोिलय का सामना करने क िलए कसे मनाऊगा?”
आज जब म इस घटना को याद करता तो मुझे तीत होता ह िक यह बेहद मह वपूण
था, वरना हम सव म संभव योजना पर अनंत काल तक चचा करते रहते और उसक
बावजूद िकसी प िनणय पर नह प चते।
म इस बात से पूरी तरह से सहमत था िक हमारी कपनी क आशंकाएँ िनमूल नह थ ।
‘ऑपरशन खुकरी’ क दौरान िन पािदत क गई वा तिवक योजना सुर ा क से सबसे
अ छी नह थी; लेिकन मौजूदा प र य म यही सव म संभव योजना थी और आर.यू.एफ.
को सबक िसखाने का सबसे भावी तरीका था, जो भारतीय सेना ारा उनक अपने गढ़
कला न म धूल चटाने से पहले तक दुिनया क िकसी भी सै य बल से हारी नह थी। बाद म
यही िसएरा िलओन क यु त देश म गंभीरता से एक भावी व दीघकािलक शांित तलाशने
क िलए आर.यू.एफ. क चचा क मेज पर लौटने का मुख कारण और सू धार बना। िसएरा
िलओन अगर आज एक शांितपूण देश ह और सही िदशा म आगे बढ़ रहा ह तो म पूर
िव ास तथा ईमानदारी से कह सकता िक भारतीय क इसम एक बेहद मह वपूण भूिमका
रही ह और उ ह ने वहाँ पर शांित सुिन त करने क िलए एक बड़ी क मत चुकाई।
म यह सब िसफ यह बताने क िलए िलख रहा िक अगर हमने िगनी या
लाइबे रया क तरफ भाग िनकलने क बाक क दो िवक प को अपनाया होता
तो हम लड़ाई तो अव य जीत गए होते, लेिकन यु म हमारी हार िन त थी।
कभी-कभी ई र खुद राह िदखाते ह।
म यह सब िसफ यह बताने क िलए िलख रहा िक अगर हमने िगनी या लाइबे रया क
तरफ भाग िनकलने क बाक क दो िवक प को अपनाया होता तो हम लड़ाई तो अव य
जीत गए होते, लेिकन यु म हमारी हार िन त थी। कभी-कभी ई र खुद राह िदखाते ह।
और इस कार, हमने वापस लड़ने का फसला िकया; आर.यू.एफ. िव ोिहय क क जेवाले
घने जंगली इलाक , जहाँ हम पर दो बार हमला िकया गया और आर.यू.एफ. ारा लगातार
हमारा पीछा िकया गया, से दा तक क 70 िकलोमीटर क या ा क ।
ं े े ि ं ि े ि ोि े े
अंत म, हम दा से आगे बढ़। िलंक-अप बल क िह से क प म िव ोिहय से लड़ते
ए हवलदार क ण कमार ने शहादत ा क । वे अपनी अंितम साँस तक एक वीर यो ा
क तरह लड़ते रह। उ ह ने अपना िसर ऊचा रखा। कभी-कभी मुझे आ य होता ह िक
िनयित कसे अपना रग िदखाती ह—हवलदार क ण कमार मेरी कपनी क एकमा ऐसे सैिनक
थे, जो दा क सुरि त आ य म रहते थे; जबिक कला न म हम सभी का जीवन दाँव पर
लगा आ था। लेिकन आिखरकार, वे ही हम सबको छोड़कर चले गए! आज तक म उस
पल को भुला नह पाया , जब वे नई िद ी म मेर पास यह कहने क िलए आए थे, “साब,
मुझे नह लगता, म अपने देश िजंदा लौट क आऊगा।”
कला न म हमारी काय-योजना क एक िह से क प म हमने आर.यू.एफ. क
रिडयो म को पूरी तरह से व त करने क िलए हमार वहाँ से भाग िनकलने से
ठीक पहले घातक क एक टकड़ी को अलग करक वहाँ रवाना िकया, तािक वे
आर.यू.एफ. क पूर संचार नेटवक को ही िन भावी बना द।
कला न म हमारी काय-योजना क एक िह से क प म हमने आर.यू.एफ. क रिडयो म
को पूरी तरह से व त करने क िलए हमार वहाँ से भाग िनकलने से ठीक पहले घातक क
एक टकड़ी को अलग करक वहाँ रवाना िकया, तािक वे आर.यू.एफ. क पूर संचार नेटवक
को ही िन भावी बना द। कला न शहर म मेरी िनरतर आवा-जाही क दौरान मुझे इस बात
का पता चल चुका था िक आर.यू.एफ. अपने सभी भारी हिथयार , अपने उन सभी सैिनक क
य गत हिथयार , जो ूटी पर नह ह और अपने गोला-बा द क पूर भंडार को शहर क
ही एक घर म रखती ह। मुझे ऐसा लगा िक अगर हम उस घर को ढढ़ने म सफल रहते ह
और िकसी भी तरह से उसे िन भावी कर देते ह तो ऐसा करना हमार कला न से भाग
िनकलने को सफल बनाने म बेहद मददगार सािबत हो सकता ह।
हमार ऑपरशन क सम सफलता क िलए यह आव यक था िक हम कला न से शी
और तेजी से बाहर िनकल। इसिलए, म एक बार िफर से शहर प च गया। हालाँिक, मुझे इस
बात का लेशमा भी अंदाजा नह था िक म उस घर का पता कसे लगाऊगा, जहाँ
आर.यू.एफ. अपने हिथयार रखता था। लेिकन कई बार जब आप िबना िकसी ठोस योजना
को यान म रखे िकसी काय पर आगे बढ़ते ह तो भगवा आपको रा ता िदखाते ह। शहर
प चने पर मने िस टर क साथ अपना भा य आजमाने का फसला िकया, य िक म काफ
लंबे समय से उनसे िमला भी नह था। म यह देखने क िलए उनक घर गया िक वे वहाँ
मौजूद ह या नह ?
सौभा य से, वे घर पर ही थ । मने उनसे हाथ िमलाया और ‘काई गोवा मा’ क साथ उनका
अिभवादन िकया। मने कहा, “िस टर, आप तो मुझसे िमलने तक नह आ ! या आपको
मेरी िचंता नह ह?”
िस टर अपने चेहर पर जबरद तीवाली मुसकान लाते ए बोल , “मेजर, मुझे
िकसी ज री काम से शहर से बाहर भेजा गया था। आप मेर थानीय कमांडर
मेजर कपोई को तो जानते ही ह, वे काम क ित िकतने गंभीर ह।” उ ह ने मुझे
बैठने को कहा। म कपोई क साथ ई कछ ित पध मुलाकात को याद करते ए
हस िदया।
िस टर अपने चेहर पर जबरद तीवाली मुसकान लाते ए बोल , “मेजर, मुझे िकसी ज री
काम से शहर से बाहर भेजा गया था। आप मेर थानीय कमांडर मेजर कपोई को तो जानते
ही ह, वे काम क ित िकतने गंभीर ह।” उ ह ने मुझे बैठने को कहा। म कपोई क साथ ई
कछ ित पध मुलाकात को याद करते ए हस िदया।
“तो िस टर, या आप आिधका रक काम क िलए जाते समय भी अपने हिथयार साथ
रखती हो?”
“हाँ! हाँ!” िस टर ने लगभग तुरत ही जवाब िदया।
“अर वाह! या यह वही रॉकट लॉ र ह, जो उस िदन टाउन हॉल म आपक पीठ पर
बँधा आ था?” म मुसकराया।
वे ितरछी मुसकान मुसकरा द । “नह , मेर पास िप तौल ह। उन भारी हिथयार को बा कट
म रखा जाता ह।”
तभी ण भर म मेरा िदमाग ‘बा कट’ श द पर ही अटक गया। मुझे लगा िक इस बार म
अिधक जानकारी ा करने का यह सबसे अ छा मौका ह।
“ ि ”
“बा कट, िस टर, वह या ह?”
वे बोल , “मेजर, हमार सभी भारी हिथयार एक घर म रखे जाते ह, िजसे हम ‘बा कट’
कहते ह।”
मुझे ‘बा कट’ क सटीक थान क बार म पता करना था, तािक उ ह िन भावी िकया जा
सक। अगर म अिधक पूछताछ करनी जारी रखता तो उ ह मेर इराद पर शक हो सकता था।
लेिकन म यह जोिखम उठाने को तैयार था, य िक मुझे और मौका िमलने क उ मीद नह
थी। “तो िस टर, आपक बा कट कहाँ पर ह?” मने भाव-शू य चेहरा बनाते ए पूछा।
और म यह देखकर आ यचिकत रह गया िक िस टर ने तुरत सफद रग क एक क ट
क इमारत क ओर इशारा िकया, जो उनक घर से लगभग 200 मीटर दूर फस क झ पिड़य
क पं क बीच िनिमत थी।
मने िबना एक ण गँवाए तुरत ही िवषय बदल िदया, “आप कसी ह, िस टर?”
“म िब कल ठीक , ध यवाद मेजर।” उ ह ने जवाब िदया, “मेजर, मुझे आशा ह
िक आप कला न म होनेवाली भारी बा रश क बार म ज र जानते ह गे।” िस टर
ने मेरी ओर देखा, “मेरा आपको सुझाव ह िक आप मॉनसून क ारभ होने से
पहले ही कोई अंितम िनणय ले ल।”
“म िब कल ठीक , ध यवाद मेजर।” उ ह ने जवाब िदया, “मेजर, मुझे आशा ह िक
आप कला न म होनेवाली भारी बा रश क बार म ज र जानते ह गे।” िस टर ने मेरी ओर
देखा, “मेरा आपको सुझाव ह िक आप मॉनसून क ारभ होने से पहले ही कोई अंितम िनणय
ले ल।”
म अपनी सीट से उठ खड़ा आ। “हमारी िचंता करने क िलए ध यवाद, िस टर!” मने
उनसे कहा िक उ ह एक बार भारत ज र आना होगा। वे भारत क या ा क िलए पूरी तरह
से तैयार और सकारा मक थ । उ ह ने मुझे बताया िक उ ह ने अपने जीवन म कभी भारत क
बार म सुना तक नह ह; लेिकन मुझसे िमलने क बाद उ ह इस बात का पूरा यक न ह िक
वह िन त प से एक शानदार देश होगा, य िक वहाँ पर मेर जैसे लोग रहते ह। इसक
अलावा, उ ह ने मेर साथ यह बात भी साझा क िक उनक जीवन का कोई उ े य नह था;
लेिकन वे कला न छोड़ना चाहती थ , य िक यह शहर उ ह हमेशा उनक पित व ब क
याद िदलवाता था, िज ह वे गृह यु म खो चुक थ । मने यार से गले लगाकर उ ह सां वना
दान क और उनसे कहा िक वे िचंता न कर, य िक उनका खयाल रखने को उनका भाई
मौजूद ह। ऐसा कहते ए म खुद को भीतर से थोड़ा शिमदा भी महसूस कर रहा था, य िक
मुझे पता था िक कछ ही िदन म उनका यही भाई इस शहर पर रॉकट और मशीन गन से
भारी गोलीबारी करने वाला ह। मुझे ऐसा लगा िक मुझे िस टर से कह देना चािहए िक म
उनक ेम और ेह क लायक नह । म भारी मन से वापस ऊचे मैदान क ओर चल
िदया।
आर.यू.एफ. क हिथयार और गोला-बा द क ढर क बार म सटीक जानकारी
ा कर लेना हमार िलए उ ेखनीय उपल ध था। इसक बाद, हम िसफ उसे
ख म करने क िलए एक ठोस योजना तैयार करना बाक रह गया था; य िक मेरा
मानना था िक उसे िब कल उिचत समय पर न करना ठीक रहगा।
आर.यू.एफ. क हिथयार और गोला-बा द क ढर क बार म सटीक जानकारी ा कर
लेना हमार िलए उ ेखनीय उपल ध था। इसक बाद, हम िसफ उसे ख म करने क िलए
एक ठोस योजना तैयार करना बाक रह गया था; य िक मेरा मानना था िक उसे िब कल
उिचत समय पर न करना ठीक रहगा। मने उसक न िकए जाने क योजना पर मेजर
नायर क साथ चचा करना उिचत समझा। मने यह सकारा मक उपल ध उनक साथ साझा
क , िजसे सुनते ही मेजर नायर वा तव म अपनी करसी से उछल पड़ और उसक बार म
पूछने लगे। उ ह ने मुझे बताया िक यह बेहद मह वपूण जानकारी ह और हम उसे पूरी तरह से
न करने क िलए पूरी तरह से अचूक योजना को तैयार करना होगा। इसिलए हम एक ऐसे
सुिवधाजनक थान पर प चे, जहाँ से मने उ ह ल य को इशार से िदखाया और बा कट को
‘ ाटर गाड’ क प म इिगत िकया—एक श द, िजसका इ तेमाल भारतीय सेना म उस
इमारत क िलए िकया जाता ह, जहाँ हिथयार रखे जाते ह। इस मामले म यह ‘ ाटर गाड’ से
कह अिधक था, य िक उनका गोला-बा द भी उसी इमारत म रखा गया था।

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मेजर नायर क यह योजना बेहद शानदार थी िक आर.यू.एफ. क ाटर गाड को उस
समय िनशाना बनाया जाना चािहए, जब उसक सैिनक अपने हिथयार उठाने क िलए उस ओर
दौड़। यह एक शानदार योजना थी, य िक ऐसा होने पर आर.यू.एफ. सैिनक क बड़ी सं या
म हताहत होने क अलावा उनक बंदूक और गोला-बा द भी न हो जाएगा। हमने उन
तरीक क बार म योजना बनाना शु कर िदया, िजनका इ तेमाल करक हम आर.यू.एफ. को
उनक हिथयार उठाने क िलए उनक ‘ ाटर गाड’ क ओर जाने को मजबूर कर सकते थे।
“ऑिफसस! मेजर एं यू ह रसन का हिलकॉ टर!” मने एक साँस म घोषणा क । मेजर
नायर ने सहमित य क , य िक आर.यू.एफ. े म ि िटश िचनूक का आगमन एक
भावी ि गर क प म काम करता। ‘ ाटर गाड’ ऊचे मैदान क अि म कोने पर हमार
रॉकट लॉ र क साथ-साथ मशीन गन क फाय रग रज म था।
हमने इस बात का फसला िकया िक हम आर.यू.एफ. क ाटर गाड को चिकत
कर देने क िलए एक िवशेष टीम न भेजकर ऊचे मैदान से ही उन पर हमला
करगे। इसक अित र , म इस काम को घातक को नह स पना चाहता था,
य िक उनक िज मे पहले से ही कई अ य काम थे।
हमने इस बात का फसला िकया िक हम आर.यू.एफ. क ाटर गाड को चिकत कर देने
क िलए एक िवशेष टीम न भेजकर ऊचे मैदान से ही उन पर हमला करगे। इसक अित र ,
म इस काम को घातक को नह स पना चाहता था, य िक उनक िज मे पहले से ही कई
अ य काम थे। हम इस बात पर सहमत ए िक इस काम को ऊचे मैदान क अि म कोने पर
तैनात एक फायरबेस को िदया जाना चािहए। बेस को आदेश िमलते ही गोलीबारी शु करनी
थी और ाटर गाड को पूरी तरह से व त कर देना था। ऐसा करने क साथ ही उ ह
आर.यू.एफ. क सैिनक को भी िनशाना बनाना था, जो िचनूक क पहली झलक िमलते ही
ाटर गाड से अपने हिथयार उठाने क िलए आगे बढ़ने वाले थे।
ाटर गाड को व त करने क योजना तैयार हो चुक थी और म इस िमशन को सबसे
कािबल हाथ म स पना चाहता था। इसिलए मने अपनी कपनी क सूबेदार कवल को बुलाया,
जो बा कटबॉल क एक अ ुत िखलाड़ी थे और मेर साथ कई मुकाबल म खेल चुक थे।
मुझे इस बात पर पूरा िव ास था िक सूबेदार कवल को स पा गया कोई भी काय समापन
रपोट िजतना ही अ छा होता था। इसिलए उनक आते ही मने उ ह पूर काम और उसक
मह व क बार म बताया। उ ह ने पया गोला-बा द क साथ दो रॉकट लॉ स एवं दो
मशीन गन क माँग क और साथ ही रॉकट लॉ स क इ युिमनेशन राउड क भी, तािक
रात क समय सटीक िनशाने क िलए पया रोशनी क उपल धता सुिन त हो। सूबेदार
कवल को हिथयार उपल ध करवा िदए गए। इसक बाद मने उनसे कहा िक वे चौबीस घंट
एक दूरबीन क सहार अपने ल य पर नजर बनाए रख, तािक ाटर गाड क येक
गितिविध पर नजर बनाए रखी जा सक। सूबेदार कवल ने अगले दो िदन म अपनी योजना
को और अिधक सुधारा तथा सटीक िनशाना सुिन त करने क िलए फायरबेस थान को
थोड़ा हटाया।
ऑपरशन क िदन िचनूक क प चते ही आर.यू.एफ. क सैिनक उ मीद क मुतािबक ाटर
गाड क पास प चे और सूबेदार कवल ने ल य पर आर.यू.एफ. क अिधक-से-अिधक
सैिनक क इक ा होने का इतजार िकया। उ ह ने सबसे अ छा मौका देखकर इतनी भारी
और सटीक गोलाबारी क िक आर.यू.एफ. क सबसे अिधक सद य अपने ही ाटर गाड म
हताहत ए और उनक सभी भारी हिथयार भी िन भावी कर िदए गए।
योजना क अनुसार, गोरखा को दा से सेना क घातक इ फ ी लड़ाक वाहन,
बी.एम.पी. पर सवार होना था। दूसरी ओर, बी.एम.पी. क िवशेष मेकनाइ ड
इ फ ी क सैिनक को कला न से पैदल ही िनकलना था। म जो समझाना चाहता
, वह िक मत क अजीब तरीक और लचीलेपन का मह व ह, जो हम हमार
िश ण क दौरान िसखाया जाता ह, जो सभी काय क िलए सबसे मह वपूण
मागदशक िस ांत ह।
योजना क अनुसार, गोरखा को दा से सेना क घातक इ फ ी लड़ाक वाहन,
बी.एम.पी. पर सवार होना था। दूसरी ओर, बी.एम.पी. क िवशेष मेकनाइ ड इ फ ी क
सैिनक को कला न से पैदल ही िनकलना था। म जो समझाना चाहता , वह िक मत क
अजीब तरीक और लचीलेपन का मह व ह, जो हम हमार िश ण क दौरान िसखाया जाता ह,
जो सभी काय क िलए सबसे मह वपूण मागदशक िस ांत ह। गोरखा पैदल सेना क उ क
िसपाही ह, िज ह जमीन पर ऑपरशन करने क िलए िशि त िकया जाता ह और मेरी कपनी
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मेकनाइ ड इ फ ी थी, िजसे बी.एम.पी. पर लड़ने क िलए िशि त िकया गया था। लेिकन
अब पासा पूरी तरह से पलट चुका था।
बी.एम.पी. िमसाइल , उ मतावाली तोप और मशीन गन से लैस एक अ यंत मारक
मतावाला बेहद श शाली सी उपकरण ह। इसक अंदर बैठ सैिनक क सुर ा क िलए
शानदार सुर ा कवच ह। येक बी.एम.पी. पर दस सैिनक वाला एक से शन तैनात होता ह।
यह 65 िकलोमीटर ित घंट क अिधकतम र तार से आगे बढ़ सकता ह और अपने 14 टन
भारी वजन क बावजूद पानी म भी तैर सकता ह।
मने इस बार म गोरखा बटािलयन से ता ुक रखनेवाले मेजर नायर क साथ एक
दो ताना मजाक िकया िक कसे गोरखा वा तव म बी.एम.पी. क सवारी का
आनंद उठाने जा रह ह, जबिक बी.एम.पी. क वा तिवक सवार पैदल ही कला न
से अपना रा ता बनाने वाले थे।
मने इस बार म गोरखा बटािलयन से ता ुक रखनेवाले मेजर नायर क साथ एक दो ताना
मजाक िकया िक कसे गोरखा वा तव म बी.एम.पी. क सवारी का आनंद उठाने जा रह ह,
जबिक बी.एम.पी. क वा तिवक सवार पैदल ही कला न से अपना रा ता बनाने वाले थे। मने
वा तव म अपने बी.एम.पी. को ब त िमस िकया—अगर वे कला न म हम िमल गए होते तो
आर.यू.एफ. क घेराबंदी को तोड़ना हमार िलए बेहद आसान काम हो गया होता। खैर,
बाधा से िघर होने क बावजूद हम बाहर िनकलने क िजस योजना को िवकिसत कर रह
थे, वह उन प र थितय क आलोक म ब त बेहतरीन थी। हम बी.आर.डी.एम., एक अ य
लड़ाक वाहन एवं घातक को आगे रखना था और रॉकट लॉ र क मोबाइल फायरबेस क
साथ गोलीबारी क सहायता दान करनी थी। कला न से लड़ते ए सफलतापूवक बाहर
िनकलना हमार ऑपरशन का सबसे मह वपूण चरण था।
सफलता सुिन त करने क िलए फोस मु यालय ने कला न म मौजूद सेना को लड़ाक
हिलकॉ टर क हवाई सहायता दान क थी, िज ह दा से उड़ान भरनी थी। एक बार िफर,
भगवा मु कल समय म अपने तरीक से हमारी परी ा ले रह थे और ऑपरशन क िदन
इससे पहले िक ि िटश िचनूक हिलकॉ टर योजना क अनुसार उड़ान भर पाते, मौसम खराब
हो गया। नतीजतन, मुझे कने को कहा गया। मुझे याद ह िक मने रिडयो सेट पर ऑपरशन
ऑिफसर को फोस कमांडर से जोड़ने क िलए कहा था। जनरल जेटली ने मुझे मौसम साफ
होने तक कने क सलाह दी।
इसक िवपरीत, म त काल ऑपरशन को अंजाम देने क प म था, य िक वह हत भ
करनेवाला मौका तो पहले ही िचनूक क उड़ान भरने क साथ ख म हो चुका था और जरा भी
अिधक देरी होने पर आर.यू.एफ. को हमार चार ओर क घेराबंदी को और अिधक मजबूत
करने का मौका िमल जाता। जनरल जेटली ने त काल बाहर िनकल भागने क मेर अनुरोध को
हरी झंडी दान कर दी, लेिकन इस उिचत चेतावनी क साथ िक अगर िबना हिलकॉ टर क
मदद क लड़ते ए हमार भाग िनकलने क दौरान हमारी ओर से हताहत क सं या अिधक
होती ह तो इसक पूरी िज मेदारी मुझ पर होगी, य िक मौक पर म ही मौजूद था। मेरा जवाब
था, “िब कल, सर! यह मेरी ूटी ह और म कला न म फसे ए येक जवान को हर
क मत पर सकशल वापस लाऊगा।” और मने जोर से यु घोष िकया, “भारत माता क
जय!”
ऑपरशन को 15 जुलाई, 2000 क पहली िकरण क साथ अंजाम िदया जाना
था। हालाँिक, अपने िमशन को अंजाम देने म अभी दो िदन बाक थे, लेिकन म
अभी भी एक शांितपूण समाधान क छोटी सी आशा िलये ए था और मने
आिखरी बार कनल मािटन से बात करने क इ छा य क ।
ऑपरशन को 15 जुलाई, 2000 क पहली िकरण क साथ अंजाम िदया जाना था।
हालाँिक, अपने िमशन को अंजाम देने म अभी दो िदन बाक थे, लेिकन म अभी भी एक
शांितपूण समाधान क छोटी सी आशा िलये ए था और मने आिखरी बार कनल मािटन से
बात करने क इ छा य क । म बेहद स िच मु ा म था, य िक कनल मािटन हर
बार बैठक क मेर अनुरोध का स मान करते थे। एक स मानजनक समाधान तलाशने क मेर
अंितम यास होने क अलावा कह भीतर म 15 जुलाई, 2000 को यु क मैदान म उनका
सामना करने से पहले कनल मािटन को ध यवाद भी ेिषत करना चाहता था। लैग मीिटग
क मेर अनुरोध को तुरत िति या िमली और हमार ऊचे मैदान क ठीक सामने थत
आर.यू.एफ. क चौक ने मुझे इसक सूचना दी।

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कनल मािटन से िमलने जाने क रा ते म आर.यू.एफ. क पो ट कमांडर ने मुझसे कहा िक
कनल मािटन पापा िगएमा क घर पर िमलगे। म इस उ मीद क साथ पापा िगएमा क घर
प चा िक कनल मािटन कछ ही समय म वहाँ प च जाएँगे। हालाँिक, एक घंटा बीत गया
और कनल मािटन का कछ अता-पता नह था और मने इस समय का सदुपयोग पापा िगएमा
को इस बात क िलए तैयार करने म िकया िक वे कनल मािटन क सामने इस पूर गितरोध का
एक सौहादपूण समाधान िनकालने म मदद कर। इसक अलावा, म लगातार ई र से ाथना
करता रहा िक वे िबना िकसी अनाव यक र पात क मुझे इस किठन परी ा से बाहर
िनकलने का स मानजनक रा ता िदखाएँ।
हालाँिक, वहाँ से िनकल भागने क सभी तैया रयाँ पूरी हो चुक थ , इसक बावजूद म
गितरोध क समाधान क प म एक बीच का रा ता अपनाने क िलए तैयार था, तािक थानीय
लोग को कोई नुकसान न प चे। म खुद को इस बात क िलए मानिसक तौर पर तैयार कर
चुका था िक अगर कनल मािटन िकसी बीच क रा ते को अपनाने को तैयार हो जाते ह तो म
ऊचे मैदान से िसफ अपने हिथयार क साथ वापस लौट जाऊगा और तंबु सिहत बाक का
सारा सामान वह छोड़ दूँगा। िपछले तीन महीन ने मुझे ब त बुरी तरह से भािवत िकया था
और मने शांित बनाए रखने क िलए जमीन-आसमान एक कर िदया था। म पापा िगएमा और
कला न क सभी िनवािसय को िदए गए अपने सभी आ ासन क ित पूरी तरह से ितब
था। इसिलए मने सवश मान ई र से ाथना क िक ऐसा रा ता िदखाएँ, तािक कनल
मािटन एक ऐसा िनणय ले सक, जो सभी क िहत म हो।
आिखरकार, शाम क समय कनल मािटन वहाँ आए और उ ह ने आते ही सबसे
पहले मेर वा य और ऊचे मैदान पर मौजूद सैिनक क हाल-चाल क बार म
पूछा। मने भी उनक वा य का हाल जाना और उनक लंबी उ क कामना क ।
मने कनल मािटन से अनुरोध िकया िक कला न म आर.यू.एफ. और शांित
सैिनक क बीच चल रह गितरोध का एक सौहादपूण समाधान खोजने क िलए
हमार सामूिहक यास को िदशा द।
आिखरकार, शाम क समय कनल मािटन वहाँ आए और उ ह ने आते ही सबसे पहले मेर
वा य और ऊचे मैदान पर मौजूद सैिनक क हाल-चाल क बार म पूछा। मने भी उनक
वा य का हाल जाना और उनक लंबी उ क कामना क । मने कनल मािटन से अनुरोध
िकया िक कला न म आर.यू.एफ. और शांित सैिनक क बीच चल रह गितरोध का एक
सौहादपूण समाधान खोजने क िलए हमार सामूिहक यास को िदशा द। कनल मािटन ने
कछ गहरी साँस ली और बताया िक कसे उ ह ने आर.यू.एफ. क िनणय लेनेवाले सबसे
वर ािधकरण फ ड कमांडर क साथ मेर िलए एक बैठक आयोिजत करक अंितम
कदम उठाया था। उ ह ने आगे यह भी बताया िक उ ह इस बैठक को आयोिजत करवाने क
िलए अपनी हद से बाहर जाना पड़ा, य िक म उनका िम था; वरना फ ड कमांडर कभी
िकसी से नह िमलते। उ ह ने मुझे बताया िक उनक पास इस मु े पर फ ड कमांडर ारा
िलये गए िनणय को बदलने का अिधकार नह ह।
उ ह ने अक मा ही बातचीत का िवषय बदल िदया और मुझे बताया िक वे सीधे
लाइबे रया से आ रह ह और यह भी बताया िक जैसे ही उ ह बैठक क िलए मेर
ारा अनुरोध िकए जाने क बार म पता चला, वे मेर िलए कॉच क एक बोतल
साथ ले आए।
उ ह ने अक मा ही बातचीत का िवषय बदल िदया और मुझे बताया िक वे सीधे
लाइबे रया से आ रह ह और यह भी बताया िक जैसे ही उ ह बैठक क िलए मेर ारा
अनुरोध िकए जाने क बार म पता चला, वे मेर िलए कॉच क एक बोतल साथ ले आए।
मने इस शानदार उपहार क िलए दय से उनका आभार य िकया और उनक सामने
ताव रखा िक अगर उनक पास समय हो तो म उस बोतल को अपने साथ ले जाने क
बजाय उनक साथ ि क लेना पसंद क गा। वे राजी हो गए, लेिकन इस शत पर िक वे एक
घंट बाद चले जाएँगे। पापा िगएमा ने तुरत िगलास क यव था क और जहाँ तक मुझे याद
ह िक ऐसा शायद पहली बार हो रहा था, जब म और पापा िगएमा एक साथ बैठकर पी रह
थे। हमने सामा य मु पर चचा क । लेिकन मुझे ऐसा तीत आ, जैसे िक कनल मािटन
क साथ अपने अ ुत जुड़ाव क बार म बात करते ए म थोड़ा भावुक हो रहा था। मने तो
यहाँ तक कह िदया था िक म अपनी दो ती क बंधन को हमेशा सँजोकर रखूँगा।
कछ ही देर म पापा िगएमा ने कनल मािटन क सामने िववादा पद मु ा उठाया। शु म
अपनी थानीय भाषा म और बाद म अं ेजी म उनसे भारतीय शांित सैिनक क उ क काय
एवं योगदान क िलए उ ह हिथयार क साथ जाने देने का आ ह िकया। कनल मािटन ने
ि ोई ि े ि ी ी
पापा िगएमा क बात का कोई जवाब नह िदया। इसक बजाय उ ह ने अपना ि क पीना जारी
रखा और साथ ही मुझे बताते रह िक कसे लाइबे रया क थित रा पित चा स टलर क
िनयं ण से बाहर होती जा रही ह।
उ ह ने इस बार म भी बताया िक वे पहली बार कला न जैसी थित का सामना कर रह
थे, िजसम उ ह ने आर.यू.एफ. क घेर म बंधक बनाए ए लोग को अपने घर जाने क
अनुमित दान कर दी थी; हालाँिक, िबना हिथयार क और इसक बावजूद बंधक ने जाने से
इनकार कर िदया था। हालाँिक, उ ह ने मेरी तारीफ क और कहा िक वे भारतीय सैिनक ारा
दिशत बहादुरी और पेशेवर अंदाज से भािवत ह। मने कहा िक मौजूदा प र थितय म मेर
पास अपने थान पर बने रहने क अलावा और कोई िवक प नह ह। मने उस अपमान क
बार म बताया, िजसका सामना उस कपनी कमांडर को करना पड़ता ह, िजसक कपनी
संकट काल म हिथयार डाल देती ह। ऐसे प र य म मेर जवान क पास यह कहते ए
अपना स मान बचाने का एक अवसर होगा िक उनक कपनी कमांडर ने उ ह हिथयार डालने
का आदेश िदया था। लेिकन म या क ? मेरा एक िनणय मेर देश क िलए बदनामी ला
सकता था—एक देश, िजसने अपनी वतं ता क िलए शानदार लड़ाई लड़ी थी।
ऐसा तीत हो रहा था िक वे मेर कोण से सहमत हो रह ह। मने जो कहा,
उसे सुनकर वे अपने थान से उठ खड़ ए और मुझसे हाथ िमलाया। उ ह ने एक
बार िफर मेरी तारीफ क और बताया िक फ ड कमांडर क साथ मेरी मुलाकात
क बाद से उनक मन म भी मेर ित अपार स मान था।
ऐसा तीत हो रहा था िक वे मेर कोण से सहमत हो रह ह। मने जो कहा, उसे सुनकर
वे अपने थान से उठ खड़ ए और मुझसे हाथ िमलाया। उ ह ने एक बार िफर मेरी तारीफ
क और बताया िक फ ड कमांडर क साथ मेरी मुलाकात क बाद से उनक मन म भी मेर
ित अपार स मान था। इसक बाद उ ह ने जाने क इजाजत माँगी और म िबना कोई ण
गँवाए बोला, “कनल मािटन, आप मुझे ब त याद आओगे।” इसक बाद मने भावना म
आकर उ ह गले लगा िलया।
कनल मािटन क साथ यह मेरी अंितम मुलाकात थी। आज क तारीख म म इस बात से पूरी
तरह से अनजान िक वे जीिवत ह या उनक मृ यु हो चुक ह, लेिकन म उनक य व
क िलए पूरी ईमानदारी से उनका स मान करता ।
‘ऑपरशन खुकरी’ को 15 जुलाई क पहली िकरण क साथ अंजाम िदया जाना था और
13 जुलाई को कनल मािटन क साथ ई मेरी मुलाकात से यह बात पूरी तरह से प हो गई
थी िक आर.यू.एफ. को उस घटना म का लेश मा भी अंदाजा नह था, जो अगले कछ
िदन म घिटत होने वाला था। या कोई सपने म भी ऐसा सोच सकता था िक हमला करक
भाग िनकलनेवाली सेना का कमांडर अपने ऑपरशन—एक ऐसा ऑपरशन, जो वस बक
क ही तरह गोपनीय था—क शु होने से बमु कल बह र घंट पहले दु मन क िशिवर म
उनक कमांडर क साथ ि क का आनंद लेगा! आर.यू.एफ. को इस कार क एक बड़
ऑपरशन का अंदाजा तक नह था, िजसक भूिमका उनक गढ़ म ही िलखी जानी थी। हमार
ऑपरशन म आ यचिकत करनेवाली बात इतनी अिधक मह वपूण थी िक हमने अपनी
िनयिमत गितिविधय को िब कल आिखरी समय तक भी जारी रखा।
हमार वाहन म सामान लादने का काम भी कला न क अँधेर आकाश क नीचे
ारभ आ, जहाँ बादल क पीछ छपा आ चाँद भी 14 जुलाई को हमार भाग
िनकलने क ऑपरशन से कछ घंट पहले होनेवाले गु काम क गवाही देनेवाली
थित म नह था।
हमार वाहन म सामान लादने का काम भी कला न क अँधेर आकाश क नीचे ारभ आ,
जहाँ बादल क पीछ छपा आ चाँद भी 14 जुलाई को हमार भाग िनकलने क ऑपरशन से
कछ घंट पहले होनेवाले गु काम क गवाही देनेवाली थित म नह था। 14 जुलाई को
मेरा शहर म जाना भी उतना ही मह वपूण था, तािक यह बात सुिन त क जा सक िक
आर.यू.एफ. को हमार इराद क बार म कोई जानकारी नह ह।
म 14 जुलाई को िब कल वैसे ही शहर गया, जैसे अ य िदन म जाता था और पापा िगएमा
एवं अ य थानीय लोग से मुलाकात क । इस अंितम भट क दौरान मुझे ऐसा लगा, जैसे मेरी
अंतरा मा मेरी साँस को रोक रही हो। मेरा िदल मुझ पर लगातार इस बात क िलए जोर दे रहा
था िक म उ ह इस बात का छोटा सा संकत दे दूँ िक अगले िदन वहाँ क िनद ष नाग रक क
साथ या होने वाला था, तािक वे हमार लॉ र ारा शहर पर होनेवाली भारी गोलीबारी से
पहले ही शहर छोड़कर सुरि त थान पर चले जाएँ। इस पूर गितरोध म उनक कोई भूिमका
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नह थी, लेिकन उ ह ने हमारी स मानजनक रहाई क िलए यास िकया था। और हम इसक
बदले उ ह या दे रह थे?
लेिकन भारतीय सेना क उन 233 जवान क बार म या, िज ह ने बह र से भी अिधक
िदन तक नारक य जीवन िजया था? एक छोटा सा संकत भी 233 जान पर भारी पड़ सकता
था, इसिलए मने अपनी अंतरा मा क आवाज को दबा िदया। मुझे आज भी याद ह िक पापा
िगएमा ने यह कहा था िक म और िदन क मुकाबले अिधक गंभीर िदखाई दे रहा । काश,
म इस योजना को कम-से-कम पापा िगएमा क साथ तो साझा कर पाता, तािक म उस
य को तो बचा सक, जो हमारी सुर ा सुिन त करने क िलए एक च ान क तरह
खड़ा था! यह कत य और अंतरा मा क बीच का संघष था और कई बार मुझे वरदी म होने
पर पछतावा होता ह, जो आपको अपने कत य क ित इतना कठोर बना देती ह िक आपक
अंतरा मा को पीछ हटना पड़ता ह।

यह सब अब इितहास हो चुका ह, लेिकन म अब भी कई बार खुद से सवाल


करता और सोचता िक मुझे अपनी अंतरा मा क आवाज सुननी चािहए थी
और पापा िगएमा को अपरो प से चेता देना चािहए था। बहरहाल, उस िदन
मने पापा िगएमा को उस सबक िलए य गत तौर पर ध यवाद िदया, जो उ ह ने
मेर व मेर जवान क िलए िकया और उनसे अगले िदन िमलने का वादा िकया।

यह सब अब इितहास हो चुका ह, लेिकन म अब भी कई बार खुद से सवाल करता और


सोचता िक मुझे अपनी अंतरा मा क आवाज सुननी चािहए थी और पापा िगएमा को
अपरो प से चेता देना चािहए था। बहरहाल, उस िदन मने पापा िगएमा को उस सबक
िलए य गत तौर पर ध यवाद िदया, जो उ ह ने मेर व मेर जवान क िलए िकया और
उनसे अगले िदन िमलने का वादा िकया। उस य ने अपने दूर तक क सपन म यह नह
समझा होगा िक ‘अगले िदन’ से मेरा ता पय या था? ऊचे मैदान पर वापस लौटते समय
मने थानीय लोग को अपनी झ पिड़य क छत को पॉिलिथन क चादर से ढकते ए देखा,
जो आनेवाली बा रश क िलए तैयारी कर रह थे। मेरा िदल यह सोचकर टट गया िक इनम से
कछ लोग कल क बाद एक और सूय दय देखने क िलए जीिवत नह रहगे, इसिलए बा रश
का कोई सवाल ही नह था।
मुझे खुद को सँभालना और ऊचे मैदान पर प चना था, जहाँ म आनेवाले काय पर यान
कि त करने से पहले काफ समय तक थानीय िनद ष लोग क दुदशा क बार म ही सोचता
रहा। अँधेरा होने पर सामान का लदान शु आ और मने गोला-बा द एवं यु क साम ी
क लदान को ाथिमकता दी। िसपाही िवनोद मेर पास यह पूछने आए िक माँ दुगा को िकस
वाहन पर थािपत िकया जाना था, य िक मंिदर क िलए कोई अलग वाहन नह था। मने
उ ह िनदश िदया िक हम लदान का काम पूरा हो जाने क बाद अपने मंिदर म यथोिचत
आरती करगे और उसक बाद मंिदर को बंद कर दगे। वाहन सीिमत थे और सामान ब त
अिधक; इसिलए यु म काम न आनेवाले तंबू, िसंट स क पानी क टक और फो डग
पलंग जैसी व तु को वह छोड़ना हमारी मजबूरी थी। मेर अिधका रय ने दो िसपािहय को
इस बार म समझा िदया था िक वे भाग िनकलने का काय म शु होते ही गैर-ज री
सामान को आग लगा द—एक ऐसी बात, िजसक बार म मुझे दा प चने क बाद पता
चला।
इस बीच बेहद संवेदनशील मु ा भी सामने आया— य गत हिथयार क
सं या सैिनक क सं या से कम थी। इसिलए हम म से कछ को िबना बंदूक क
आगे बढ़ना था। मने क टन सुनील क ओर देखा और कहा, “अगर म राइफल
अपने हाथ म लूँगा तो मेर जवान या करगे?”
इस बीच बेहद संवेदनशील मु ा भी सामने आया— य गत हिथयार क सं या
सैिनक क सं या से कम थी। इसिलए हम म से कछ को िबना बंदूक क आगे बढ़ना था।
मने क टन सुनील क ओर देखा और कहा, “अगर म राइफल अपने हाथ म लूँगा तो मेर
जवान या करगे?” क टन सुनील ने मुझसे पूछा िक म या लेकर जाऊगा, तो मने अपने
काले छाते क ओर इशारा िकया, जो शहर क येक च कर म मेरा साथी होता था;
हालाँिक, वह यु क िलए एक पसंदीदा हिथयार का िवक प नह था। मने तय िकया था
िक अगले िदन म अपना छाता लगाऊगा और शहर का एक च कर लगाकर आऊगा। उस
बंद छाते क ऊचाई ने मेरी लंबाई को और अिधक बढ़ा िदया था, जो मुझे भीड़ म िब कल
अलग िदखाता; लेिकन इसने मेर सािथय क मन म आए सभी संदेह को भी दूर कर िदया,
जो मेरा असल इरादा था। क टन सुनील ने बाद म मुझे बताया िक ऑपरशन क दौरान मुझे
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अपने हाथ म एक बड़ काले खुले छाते क साथ चलते ए देखकर मेरी कपनी क जवान
जोश से भर गए थे और उनम डर का कह नामोिनशान तक नह था।
सै य पयवे क को हमार ऑपरशनल लान का थोड़ा-ब त अंदाजा था। हालाँिक, उ ह
उसे अंजाम िदए जाने क समय का कोई अंदाजा नह था। मने 14 जुलाई को अँधेरा िघर आने
क बाद उ ह बुलाया। वे सभी ब त ज दी से वहाँ चले आए, जो सामा य िदन क िब कल
िवपरीत था, जब वे बुलाए जाने पर भी आने म काफ लंबा समय लेते थे। इस कदम का
िववरण उनक साथ साझा करने से पहले मने पूछा िक या उ ह इस बात क जानकारी ह िक
उनक आसपास या हो रहा ह? उ ह ने बताया िक उ ह पता था िक एक ऑपरशन क
तैयारी चल रही ह, लेिकन उ ह इसक बार म अिधक जानकारी नह थी। मने सोचा िक वे
िजस समाचार क तलाश म ह, उसे साझा करने से पहले उ ह संबोिधत िकया जाए।
मने उनसे कहा िक वे भारतीय शांित सेना क कला न म पहला कदम रखने क
बाद से यहाँ क येक घटना क सा ी ह। हमने एक ितब शांितदूत क स ी
भावना क साथ कला न म शांित और स ाव बनाए रखने क िलए हरसंभव
कोिशश क थी। हमार सामने कोई और िवक प न होने क कारण हम कला न से
लड़कर भाग िनकलने और दा थत अपने बटािलयन मु यालय क ओर बढ़ने
का फसला करना पड़ा।
मने उनसे कहा िक वे भारतीय शांित सेना क कला न म पहला कदम रखने क बाद से
यहाँ क येक घटना क सा ी ह। हमने एक ितब शांितदूत क स ी भावना क साथ
कला न म शांित और स ाव बनाए रखने क िलए हरसंभव कोिशश क थी। हमार सामने
कोई और िवक प न होने क कारण हम कला न से लड़कर भाग िनकलने और दा थत
अपने बटािलयन मु यालय क ओर बढ़ने का फसला करना पड़ा। बीते तीन महीन क
घटना को देखते ए हमार पास सै य पयवे क को ऊचे मैदान क सुर ा म रखने क
अलावा कोई िवक प नह था।
मने उ ह उन प र थितय क बार म याद िदलाया, िजनम वे ऊचे मैदान पर प चे थे और
कसे हमने गेइमा थत आर.यू.एफ. क मु यालय म बंधक क प म कछ रात िबताई थ ।
इससे पहले िक उनम से कोई भी मुझे शांित क तलाश म कछ और िदन इतजार करने क
िलए कहता, मने उ ह बताया िक मेर पास उ ह अगले िदन िखलाने क िलए राशन भी नह ह।
जब म उ ह संबोिधत कर रहा था तो म देख सकता था िक उनम से येक क आँख म
बड़ा सवाल था िक इस सम ऑपरशन म उनक या भूिमका रहगी? मेर पास जारी रहने क
िलए और अिधक समय नह था, य िक हम अगले 4 से 6 घंट म कई काम पूर करने थे
और हमार पास समय क बेहद कमी थी। इसिलए म सीधे मु े पर आ गया। मने उनम से
येक को अगले िदन 4.30 बजे तक हलीपैड पर अपने बैग क साथ उप थत होने क िलए
कहा और कहा िक एक हिलकॉ टर 5 बजे प च जाएगा, जो उ ह लेकर पहले तो दा और
िफर वहाँ से टाउन क िलए उड़ान भरगा।
शांित का तीक : मेजर पुिनया का िस काला छाता जो अभी भी ‘ऑपरशन
खुकरी’ क मृित- व प 14 मेकनाइ ड इ फ ी क बटािलयन ऑफ सस मैस म
संरि त ह
जब म अपने भारतीय सै य पयवे क क पास प चा तो उ ह ने मुझसे लड़कर दा जाने
क मेरी योजना पर पुनिवचार करने को कहा। मने उनसे िसफ इतना ही कहा िक अगर
उ ह ने वायु माग से िनकलने क बजाय भारतीय सैिनक क साथ आगे बढ़ने क पेशकश क
होती तो म यादा खुश होता। अंितम श द क प म, मने उनसे कहा िक उ ह मेजर एं यू
ह रसन को ध यवाद देना चािहए, य िक िचनूक मु य प से उ ह ही लेने आ रह थे और
अ य सभी सै य पयवे क उड़ान म उनक मेहमान थे। पािक तानी सै य अिधकारी ने मुझे
गले से लगा िलया और कहा िक “मेरी जान आपक कजदार ह।” उ ह ने आगे कहा िक वे
हमेशा भारतीय सेना क पेशेवर अंदाज क िलए उसका स मान करगे।

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तैयारी पूरी करने और येक छोटी-से-छोटी चीज क सम वय क बाद हमारा मंिदर
समारोह आयोिजत आ, जो 14 जुलाई क आधी रात क ब त देर बाद आ। सै य
पयवे क को िचनूक क आने क बार म िव तार से बताने क बाद हमार पास उन पि य क
उड़कर आने म कछ समय बाक था। मने अपने सभी जवान को संबोिधत करने का फसला
िकया और उ ह इस बात क ित चेताया िक उनम कोई भी न तो जरा भी आवाज करगा और
न ही यु घोष िकया जाएगा, तािक आर.यू.एफ. को हमारी गितिविध का तिनक भी अंदाजा न
हो सक। सबसे पहले चीज यह तलाशना बचा था िक कह कोई ढीला िसरा तो नह बचा ह!
इसक बाद, मने पूर िव ास क साथ उन सबको इस बात का भरोसा िदलवाया िक उनम से
येक भारत म कदम ज र रखेगा। मने बीते लगभग तीन महीन क दौरान उनक ारा दान
िकए गए समथन क िलए उनका ध यवाद िकया। म उनक मनोबल को ऊचा देखकर काफ
स था। मने अिधक समय लेना उिचत नह समझा और अंत म, मने उनम से येक से
हाथ िमलाया तथा जवान से बची ई रात क िलए अपने बंकर म वापस लौटने क िलए
कहा।
अपने बंकर म जब म मोमब ी क िटमिटमाती रोशनी क नीचे एक करसी पर बैठा था,
तभी मने अपनी प नी को एक प िलखने का फसला िकया। मुझे यक न था िक मेर सभी
जवान सकशल भारत प चगे और अगर ऐसा करने क िलए मुझे अपने जीवन का बिलदान
भी देना पड़ तो म इसक िलए तैयार था। भारतीय सेना म हमार यु क मैदान म वेश करने
से पहले अपने ि यजन को प िलखने क परपरा ह। अगर हम शहीद हो जाते ह तो वे प
हमार घर को पो ट कर िदए जाते ह। 232 आ मा को भारत प चाने क अपने ढ़
िव ास से ओत ोत म कला न क येक सैिनक क िलए अपने ाण क आ ित देने क
िलए तैयार था। मोमब ी क लौ ने कागज क खाली शीट पर मेरी कलम को िनदिशत
िकया।
उसक बाद मने सम वय क मु पर चचा करने क िलए मेजर नायर से मुलाकात क ।
हम दोन भावुक हो गए। मने उनक टाँग ख चते ए कहा िक मुझे शायद 20 साल बाद
उनक बेट क िववाह म शािमल होने का मौका िमले। सौभा य से, म िदसंबर 2019 म
ित वनंतपुरम म उनक बेट क िववाह म शािमल आ और हम दोन ने कला न क अपने
िदन को िफर से िजया।

11.
डी-ड : ऑपरशन खुकरी

15 जुलाई, 2000
सुबह क पहली िकरण से ठीक पहले, िब कल घना अँधेरा होने क बावजूद, िचनूक
हिलकॉ टर योजना क मुतािबक उतरा। हमार सैिनक िचनूक को रा ता िदखाने क इरादे से
अपनी भारी-भरकम टॉच को जला रह थे। आज जब म पीछ मुड़कर देखता तो मुझे
अहसास होता ह िक रात म उड़ने क मता से लैसवाले हिलकॉ टर को टॉच क रोशनी
िदखाना िकतना अनाव यक था! दूसरा िचनूक उस हिलकॉ टर को सुर ा दान करने क
िलए मँडराता रहा, जो उस े म उतरा था, िजसे हमने अपने वॉलीबॉल कोट क नजदीक
साफ िकया था। िसफ कछ ही िमनट का समय लगा और दोन प ी खुशी से भर सै य
पयवे क को लेकर वापस दा क सुरि त िठकाने क ओर उड़ गए।
दोन िचनूक क िनगाह से ओझल होते ही सूबेदार कवल ने योजना क मुतािबक
आर.यू.एफ. क ‘बा कट’ को िनशाना बनाया और िव ोिहय क इमारत म घुसने का इतजार
करने लगे। अब तक िव ोही अपने े म हिलकॉ टर क मौजूदगी को भाँपकर पूरी तरह से
तैयार हो चुक थे। एक िवशाल समूह ने जैसे ही अपने हिथयार उठाने क िलए बा कट म
वेश िकया, हमार रॉकट लॉ र क एक ही गोले ने उनक झ पड़ी को कागज क टकड़ क
तरह हवा म उड़ा िदया, और यह ‘ऑपरशन खुकरी’ का पहला झटका था।
इसक बाद, ऊचे मैदान से लगातार रॉकट लॉ र और मशीन गन क तेज आवाज िनरतर
आती रह , िज ह ने पूर कला न शहर को धुएँ और आग क बादल से ढक िदया। रॉकट
लॉ र से होनेवाले येक फायर क बाद मेर ह ठ पर इस बात क ाथना होती िक उस
गोले ने पापा िगएमा क घर को अपनी चपेट म न िलया हो, िजनसे मने उस िदन िमलने का
वादा िकया था। मने इस बात क भी आशा बनाए रखी िक िस टर भी हमारी पहली गोली
चलते ही घनी झािड़य म भागकर िछप गई ह गी; अपने जवान क सुर ा क िलए अपनी ही
बहन को मारने क िवचार ने मुझे झकझोर िदया। अपने मन म आ रही आ म-घृणा क लहर
क बीच मुझे ठीक अपनी नाक क नीचे एक बड़ा िव फोट सुनाई िदया; घातक ने
आर.यू.एफ. क रिडयो म और चौक को उड़ा िदया था।
हमार लॉ र िबना क लगातार फाय रग कर रह थे िक इसी बीच हलक
बूँदाबाँदी शु हो गई, जैसे वह हमार पाप को धोने क िलए आई हो। मने ऊपर
क ओर देखा और ई र का ध यवाद िकया तथा उनसे कला न को तबाह
करनेवाली तेजी से बढ़ती आग पर काबू पाने का अनुरोध िकया।
हमार लॉ र िबना क लगातार फाय रग कर रह थे िक इसी बीच हलक बूँदाबाँदी शु
हो गई, जैसे वह हमार पाप को धोने क िलए आई हो। मने ऊपर क ओर देखा और ई र
का ध यवाद िकया तथा उनसे कला न को तबाह करनेवाली तेजी से बढ़ती आग पर काबू
पाने का अनुरोध िकया। मुझे मजबूती से िटक रहना था और अपने फोस कमांडर को रिडयो
सेट पर इस बात क िलए मनाना पड़ा िक वे खराब मौसम क बावजूद हमार भाग िनकलने
क योजना को शु होने द, य िक खराब मौसम हम हवाई मदद देने क िलए आनेवाले
हिलकॉ टर क उड़ने म परशानी पैदा कर रहा था। ‘अकबर’ क नाम से मश र भारतीय
लड़ाक हिलकॉ टर MI-35 कला न म हमला करनेवाली सेना को फायर सपोट देने वाले थे।
लेिकन हमारी िक मत हमार साथ नह थी, य िक उन हिलकॉ टर म ि िटश िचनूक क तरह
हर मौसम म उड़ान भरने क मता नह थी।
फोस कमांडर मान गए, लेिकन कला न म मौजूद सैिनक म से िकसी क भी हताहत होने
क पूरी िज मेदारी मेर कध पर डालकर; य िक उनक मुतािबक, िबना लड़ाक हिलकॉ टर
ं ो े ी ी
क मदद क हमार हताहत क सं या म इजाफा होने क उ मीद थी। म इस बात क
वकालत करते ए पूरी िज मेदारी अपने िसर पर लेने क िलए राजी हो गया, य िक इतनी देर
हो जाने क बाद कला न से भाग िनकलना ही एकमा उपल ध िवक प था और अब चूँिक
अक मा वाला त व तो समा हो ही चुका था और ऐसे म आर.यू.एफ. क सैिनक को
हमार चार ओर घेराबंदी कर उसे और मजबूत करने का मौका िमल जाता। इसक अलावा,
म इस बात को लेकर भी ब त हरान था िक हम कला न और उसक िनवािसय पर जो
अ याचार कर रह थे, िकसी ने भी मुझे उसक िलए िज मेदार नह ठहराया।
आर.यू.एफ. ने अब तक कला न शहर से ऊचे मैदान क ओर गोलीबारी करनी
शु कर दी थी। िवपरीत िदशा से आ रही गोिलय क बौछार क बीच ऊचे
मैदान से सबसे पहले बाहर िनकलने क िलए सभी को बेहद साहस क
आव यकता थी, िजसम घातक भी शािमल थे।
आर.यू.एफ. ने अब तक कला न शहर से ऊचे मैदान क ओर गोलीबारी करनी शु कर
दी थी। िवपरीत िदशा से आ रही गोिलय क बौछार क बीच ऊचे मैदान से सबसे पहले
बाहर िनकलने क िलए सभी को बेहद साहस क आव यकता थी, िजसम घातक भी शािमल
थे। म इस बात से अ छी तरह वािकफ था। िकसी भी ऑपरशन म ‘पहले कदम’ क िलए
वतः फत ऊजा क आव यकता होती ह और उसक बाद जो होता ह, वह यांि क होता ह।
पता नह भगवा ने मुझम कहाँ से इतना साहस दे िदया! मने जोर से अपनी बटािलयन का
यु नाद ‘भारत माता क जय’ लगाया और अपने हाथ म खुला आ छाता लेकर कला न
शहर क ओर वैसे ही चलना शु कर िदया, जैसे म िपछले कई िदन से रोजाना जा रहा था।
हालाँिक, आज मुझे सलामी देने क िलए उनक चौक पर आर.यू.एफ. का कोई सैिनक
ूटी पर नह था; मुझे रोकने क िलए गोिलयाँ चल रही थ ।
कला न शहर म घर क ऊपर मूसलाधार बा रश का मुकाबला करने क िलए लगाई गई
पॉिलिथन क छत हमार लॉ र क आग म दम तोड़ ग । बजरीवाली सड़क, जो कभी
ब क फलती ई हसी से जीवंत हो जाती थी, अब रत क परत से ढक ई थी। यह
वा तव म पूरी तरह से एक अलग िदन था। मौसम अपने आप ही बदल गया था—तेज धूप
क जगह काले बादल छा गए, िबजली िगरने लगी और बा रश शु हो गई। मेर िसर पर
काला छाता फला आ था। इसका रग िब कल उिचत तरीक से इस बात को दरशाता ह िक
एक य क प म यह मेर िलए एक काला िदन था, लेिकन अंततः एक सैिनक क प
म यह मेर िलए एक गौरवशाली िदन बन गया।
मेर छाते म लगी लोह क आठ तीिलयाँ उस िदन कला न म मेर म त क म आ रह आठ
िवचार को ितिबंिबत करती थ , िजनक मृितयाँ आज तक मेर जेहन म ताजा ह। पहला
और िन त प से मु य तो इस बात का अफसोस था िक मने पापा िगएमा को अँधेर म
रखने क िलए उनसे माफ नह माँगी, य िक आिखरकार यह मेर सैिनक क जीवन का
सवाल था। दूसरा एक ऐसे भाई का था, जो अपनी बहन, एक ऐसी मिहला, िजसे मने उ मीद
दी और एक ऐसी मिहला, िजसका इस पूरी दुिनया म कोई नह था, को बचा नह पाया।
तीसरा अफसोस इस बात का था िक मने उन लोग क जान ले ल , जो हमार और
आर.यू.एफ. क बीच दीवार क तरह खड़ थे। दुःख का मेरा चौथा कारण था िक हमारी
गोिलयाँ उन घर को ने तनाबूद कर रही थ , िज ह ेम और देखभाल से बनाने म कई वष
लग गए थे। मेरी पीड़ा का पाँचवाँ कारण यह था िक वैसे तो हम ‘शांित र क’ थे, लेिकन
हम यहाँ पर अपने देश से इतनी दूर एक पूण यु म उलझे ए थे। यह सुनने म एक बड़ी
िवडबना तीत हो सकती ह। वह एक ऐसी जगह थी, जहाँ हमने थायी शांित लाने क आशा
क साथ कदम रखा था, लेिकन प र थितय क माँग शायद कछ और ही थी। मेर आंत रक
पसोपेश का छठा कारण यह था िक मेर 233 सैिनक क जान खतर म फसी ई थी और
मुझे यह सुिन त करना था िक उनम से येक सुरि त और व थ थित म भारतीय धरती
पर कदम रखे। पीड़ा का सातवाँ कारण मेर चार ओर िबखर शव क ढर म प रिचत चेहर
को खोजने क िलए शहर क ओर भागना था। मेरा आठवाँ िवचार एक इ छा थी—अपनी
प नी से बात कर पाने का मौका िमलने क , शायद अंितम बार। अगर म उनक आवाज सुने
िबना ही दम तोड़ दूँ तो या होगा?
लेिकन इन आठ अलग-अलग तीिलय को जो एक साथ बाँध रहा था, वह था
टढ़ा व मुड़ा आ हडल, िजसे मेर हाथ ने पकड़ रखा था—एक पकड़, जो हमार
भारतीय सैिनक क ढ़ संक प और साहस क बार म बताती ह। म तेज गित क
साथ शहर क ओर बढ़ा।

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लेिकन इन आठ अलग-अलग तीिलय को जो एक साथ बाँध रहा था, वह था टढ़ा व मुड़ा
आ हडल, िजसे मेर हाथ ने पकड़ रखा था—एक पकड़, जो हमार भारतीय सैिनक क ढ़
संक प और साहस क बार म बताती ह। म तेज गित क साथ शहर क ओर बढ़ा। सामने से
आ रही गोिलय क बौछार भी मेर कदम को भािवत करने म सफल नह ई, जो सामा य
से कह अिधक तेजी से आगे बढ़ रह थे, य िक म शहर को प चे नुकसान क सीमा का
जायजा लेना चाहता था।
क टन शांत ने एक-दो बार तो मुझे कने क िलए कहा, लेिकन मेरी ओर से कोई
िति या न िमलने पर उ ह ने मेरा पीछा करना शु कर िदया। मेर सतत गितमान कदम मुझे
शहर क ओर लेकर गए और इस बीच गोिलयाँ मेर छाते को चूमती ई जा रही थ , िज ह ने
घातक को घुड़सवार सेना क तरह आगे बढ़ने क िलए े रत िकया, िजसने टाउन ायर
पर त काल क जा करने का मंच तैयार िकया, जो दा क ओर आगे बढ़ने से पहले हमारा
पहला और सबसे मह वपूण काम था। हमार वाहन िजस एकमा रा ते पर आगे बढ़ सकते
थे, वह कला न टाउन ायर से होकर गुजरता था और इसिलए हम अपने कािफले पर
िकसी भी संभािवत हमले से बचने क िलए माग को अपने िनयं ण म लेना पड़ा।
मुझे ब त अ छ से याद ह िक टाउन ायर पर खड़ होकर घातक सतनाम ने
जबरद ती अपनी बुलेट ूफ जैकट मुझे दी थी और मने अपनी पूरी ताकत क
साथ उसे वहाँ से ध का दे िदया था। आिखरकार, उस जैकट ने उसक टकड़ होने
से बचा िलया था।
मुझे ब त अ छ से याद ह िक टाउन ायर पर खड़ होकर घातक सतनाम ने जबरद ती
अपनी बुलेट ूफ जैकट मुझे दी थी और मने अपनी पूरी ताकत क साथ उसे वहाँ से ध का
दे िदया था। आिखरकार, उस जैकट ने उसक टकड़ होने से बचा िलया था। असल म, बुलेट
ूफ जैकट क सं या काफ कम थी और मने घातक क िलए उसे पहनना अिनवाय कर
िदया था।
म कला न शहर क उजड़ी ई थित देखकर ह का-ब का रह गया। ढह ए घर क
मलबे क नीचे शव क िगनती करना मु कल था। म पापा िगएमा एवं िस टर जैसे जाने-
पहचाने चेहर को पहचानने क कोिशश कर रहा था और साथ ही यह ाथना भी कर रहा था
िक ऊबड़-खाबड़ सड़क पर बेजान पड़ िम ी से सने चेहर म से कोई भी उनक जैसा न
िदखाई देता हो। म वा तव म मलबे क ढर को हटा रहा था, तािक यह सुिन त कर सक
िक कह उनक नीचे जीवन क कोई ल ण मौजूद तो नह ! धूल क गुबार और छत पर
लगाई गई जली ई पॉिलिथन से िलपट शव टाउन ायर और उससे आगे क ओर
जानेवाले रा ते पर फले ए थे। उस ण मने आसमान क ओर देखा और सवश मान
ई र पर खुद को इस थित म प चाने और मुझे इस सबको देखने का दोषी ठहराया। म
भीतर से टट चुका था और हम सबक वतं ता क िलए सै य िवक प को चुनने क िलए
खुद को िज मेदार ठहरा रहा था। मने कभी सपने म भी नह सोचा था िक मुझे वतं ता क
इतनी बड़ी क मत चुकानी पड़गी! शहर म घूमने और वहाँ क िनवािसय से िमलने क मेरी
िदनचया मेरी आँख क सामने घूमने लगी। म क पना करने लगा िक पापा िगएमा शहर क
सँकरी गिलय म अपने साधु जैसे चोगे म घूम रह ह।
म गहर अफसोस और पछतावे क भावना से िघरा टाउन ायर पर खड़ा था,
जबिक हम प म क ओर से गोलीबारी जारी रखे ए थे, जो हमार आगे बढ़ने
क िदशा थी। मुझे गोलीबारी क सटीक िनशाने का पता था—मेजर कपोई का
अ थायी िनवास, जो शहर क क क ओर लगभग 200 मीटर क दूरी पर था।
म गहर अफसोस और पछतावे क भावना से िघरा टाउन ायर पर खड़ा था, जबिक
हम प म क ओर से गोलीबारी जारी रखे ए थे, जो हमार आगे बढ़ने क िदशा थी। मुझे
गोलीबारी क सटीक िनशाने का पता था—मेजर कपोई का अ थायी िनवास, जो शहर क
क क ओर लगभग 200 मीटर क दूरी पर था। मने सतनाम को इशार से इमारत क बार म
बताया और अपने रॉकट लॉ र से उसे िनशाना बनाने को कहा। उसने तुरत लॉ र लोड
िकया और वह फायर करने ही वाला था, लेिकन ि गर दबाने क दौरान पता नह कसे उसे
ऐसा तीत आ, जैसे म उसक ठीक पीछ खड़ा । म यह सुिन त करने क यास म
इतना अिधक खो गया था िक ल य िब कल ठीक तरीक से िनशाने पर हो िक मने इस बात
पर यान ही नह िदया िक म अपने ही लॉ र क गोलीबारी क जद क िब कल िवपरीत
खड़ा था। लॉ र को अपने कधे पर रखे-रखे ही सतनाम ने िच ाकर मुझे अलग हट जाने
को कहा, य िक एक बार दागे जाने क बाद रॉकट अपने लॉ र क पीछ क 15 मीटर क
े को पूरी तरह से भ म कर देता ह। मुझे लगा िक यह पापा िगएमा क पहल पर ई र
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का चम कार ह। उ ह ने सतनाम को ि गर न दबाने को िनदिशत िकया, य िक लगभग 100
ितशत मामल म यु क घने कहर क दौरान रॉकट दागनेवाला य हमेशा पीछ क
बजाय आगे क ओर ल य पर अिधक कि त होता ह। म िचथड़-िचथड़ होने से बच गया
और हम अंत म सामने क सँकरी गली से आग को बेअसर करने म कामयाब रह। इसक
बाद मने क टन शांत को ‘फायर एंड मूव’ (गोली चलाते ए आगे बढ़ने) को कहा,
िजसका मतलब था िक वे अगला हर कदम आगे बढ़ाने से पहले भारी गोलीबारी कर।
कपोई क जले ए आवास क सामने से गुजरते ए मुझे आंिशक प से ित त
ई हमारी वह िज सी िदखाई दी, जो मने िसपाही जयजीत को सुरि त िनकालने
क बदले म दी थी। मने तुरत ही रिडयो पर क टन सुदेश से कहा िक वे जाते ए
उसे भी ले ल।
कपोई क जले ए आवास क सामने से गुजरते ए मुझे आंिशक प से ित त ई
हमारी वह िज सी िदखाई दी, जो मने िसपाही जयजीत को सुरि त िनकालने क बदले म दी
थी। मने तुरत ही रिडयो पर क टन सुदेश से कहा िक वे जाते ए उसे भी ले ल। कपोई का
िनवास कला न शहर क बीच म था और अब हम पडबु क रा ते पर थे। म भले ही कला न
क सीमा से बाहर िनकल आया था, िकतु उसक भयानक थित का नजारा मेरी आँख क
सामने तैर रहा था और म उसक िलए खुद को दोषी मान रहा था।
मने एक बार िफर अपने मन म सोचा— या यह सबसे अ छा िवक प था या म अपने
फसले म और अिधक समी ा मक हो सकता था? या मने कला न क िनवािसय क साथ
याय िकया, जो हमारी सुर ा सुिन त करने क िलए च ान क तरह खड़ थे? या
कला न क कहानी का इससे बेहतर अंत हो सकता था? थानीय लोग भिव य म िकसी पर
कसे भरोसा कर पाएँगे? ये तमाम सवाल मेर जेहन म घूम रह थे और म अपने कधे पर एक
मह वपूण उपल ध का तमगा िलये कला न शहर से बाहर िनकल रहा था; य िक कला न
शहर पर क जा ही वह आधार था, िजस पर ऑपरशन का संतुलन िटका था। मौसम भी साफ
होने लगा था। सूरज क चमकती रोशनी खड़ी पहाड़ी पर बने बेस कप पर हमारी पहली
चढ़ाई का तीक ह िक ‘ऑपरशन खुकरी’ वा तव म था।
हमने शहर से िनकलकर आगे बढ़ते ए मु कल से एक िकलोमीटर क दूरी तय क होगी
िक तभी मुझे साफ नीले आकाश म नारगी रग क धुएँ का गुबार िदखाई िदया। वह धुआँ 2
पैरा (िवशेष बल) क पैरा कमांडो क साथ िलंक-अप क िलए हमारा संकत था, िज ह एक
हिलकॉ टर ारा हवा म उतारा गया था। य िप मने िविभ िश ण सं थान म कई
पा म म ‘िलंक-अप’ क बार म पढ़ा था, लेिकन मुझे 2 पैरा क मेजर ह रदर सूद को
गले लगाने से पूव तक इसक भाव और ऊजा का अहसास नह आ था। वह झ पी एक
नए जीवन का संकत थी।
मने मेजर ह रदर को इसक बाद आगे बढ़ने का व रत िनदश िदया और मुख
बी.आर.डी.एम. लड़ाक वाहन को िवशेष बल क तहत इक ा िकया। अब मुझे क टन
शांत को िनदिशत करने क वा तिवक चुनौती का सामना करना था, जो उस समय अपने
घातक बल क साथ कािफले का नेतृ व कर रह थे, िज ह अब क बाद से आगे बढ़ रह
हमार कािफले क पीछ से सुर ा करनी थी। उ मीद क मुतािबक, क टन शांत ने इस कार
से असंतोष कट िकया, जो आ ा क उ ंघन करने क रखा को पार कर गया। वह मुझे
अपनी बात पर िडगा रह थे। मने क टन शांत को अपने ऑपरशनल आदेश का पालन करने
और काय क पूण होने क बाद ही मुझसे बात करने को कहा।
क टन शांत क पूर तक का सार यह था िक वे बीते दो महीने क दौरान
यातना क दौर से गुजर ह और सबसे किठन िश ण ा िकया ह; और
अब, जब वा तव म कछ कर िदखाने का समय आया ह तो उ ह पीछ से सुर ा
करने का काम िदया जा रहा ह।
क टन शांत क पूर तक का सार यह था िक वे बीते दो महीने क दौरान यातना क दौर
से गुजर ह और सबसे किठन िश ण ा िकया ह; और अब, जब वा तव म कछ कर
िदखाने का समय आया ह तो उ ह पीछ से सुर ा करने का काम िदया जा रहा ह। मुझे पता
था िक क टन शांत का य व ऐसा िब कल भी नह ह। हालाँिक, बीते तीन महीन क
दौरान लगातार आर.यू.एफ. क संपक म रहने क चलते मुझे पहले से ही अंदाजा था िक वे
ऐसी किठन प र थितय म िकस कार क रणनीित को अपना सकते ह। इसिलए मने उ ह
िसफ आदेश िदया, िजसम बहस क िलए कोई थान नह था और उ ह ऑपरशन क ख म हो
जाने क बाद मुझसे बात करने को कहा।
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पैरा कमांडो क साथ हमारा िलंक-अप हमार कमांिडग ऑिफसर कनल सतीश क अधीन
मु य िलंक-अप फोस क िलए दा से आगे बढ़ने का संकत था। कला न और दा से
आनेवाले दो कॉलम को आिखरकार पडबु म िमलना था, जो दोन थान क बीच म पड़ता
था। दा वाली कॉलम बेहद भा यशाली थी, य िक हमार उलट, वह अपने अ य वाहन क
ज थे क साथ लड़ाक वाहन (बी.एम.पी.) पर सवार थी, जबिक हमार पास सीिमत सं या
म वाहन उपल ध थे और वे भी गोला-बा द से लदे ए थे। इसिलए, हम कम घने जंगल म
पैदल ही आगे बढ़ रह थे। हमार वाहन दोन ओर गगनचुंबी इमारत क तरह फले घने पेड़
क बीच खुदी ई सँकरी राह पर आगे बढ़ रह थे, जबिक हम अपने वाहन क दोन ओर चल
रह थे।
िनयित क अपनी योजना होती ह और यह बात ऑपरशन क बाद मुझे तब समझ
म आई िक मेरी कपनी क हवलदार क ण कमार को तोपखाने क गोला-बा द से
लदे भारी वाहन को चलाने क िलए साथ ले जाने का फसला िब कल अंितम
समय म िलया गया था और बाद म आर.यू.एफ. ने आिखरकार घात लगाकर उसी
वाहन को अपना िनशाना बनाया था।
िनयित क अपनी योजना होती ह और यह बात ऑपरशन क बाद मुझे तब समझ म आई
िक मेरी कपनी क हवलदार क ण कमार को तोपखाने क गोला-बा द से लदे भारी वाहन
को चलाने क िलए साथ ले जाने का फसला िब कल अंितम समय म िलया गया था और
बाद म आर.यू.एफ. ने आिखरकार घात लगाकर उसी वाहन को अपना िनशाना बनाया था।
यह एक पूव िनधा रत दुभा यपूण घटना जैसा तीत होता ह। आर.यू.एफ. क िव ोिहय ने
अपने रॉकट को क ण कमार क वाहन क ओर दागा। वह रॉकट सह-चालक क तरफ से
पार होता आ क ण कमार को जाकर लगा। वे अपने पेट म रॉकट लगने क बाद भी लड़ते
रह। उनक शरीर क िनचले भाग से लगातार खून बह रहा था, लेिकन उनक भीतर का सैिनक
िबना क जारी रहा। उ ह ने अपने वाहन को उस घात लगाकर िकए गए हमलेवाले थान से
हटा िलया और उसे करीब 100 मीटर आगे जाकर रोका, जहाँ आर.यू.एफ. क मौजूदगी
नह थी। अगर क ण कमार ने उस अनुकरणीय साहस का दशन नह िकया होता तो गोला-
बा द से लदा वह वाहन वह पर उड़ जाता और उसक भाव से दा से आनेवाला पूरा
कॉलम जंगल क गलत िसर क तरफ मुड़ गया होता, िजसक प रणाम व प हम अपने देश
म पता नह िकतने ताबूत वापस लाने पड़ते। लेिकन उनक इस बहादुरी ने उन सबक जान
बचा ली। वे वीर िसपाही, हवलदार क ण कमार, वरदी म शहीद हो गए—वा तव म एक
वीरतापूण काय!
यह बात आज क तारीख तक एक बड़ा रह य बनी ई ह िक उ ह ने िसएरा िलओन
प चने से काफ पहले ही अपने अंत क भिव यवाणी कसे कर दी थी! यह भी एक रह य
ही ह िक कसे कला न से हमार सैिनक, िजनक कल सं या 233 थी, आर.यू.एफ. क
घेराबंदी से एक क भी िबना हताहत ए कसे लड़ते ए िनकल जाने म सफल रह? हम म
से कछ को िसफ मामूली चोट प ची थ । ऐसा िसफ हमार हमले क अक मा वाले इरादे क
चलते संभव हो पाया था, य िक आर.यू.एफ. को ि िटश िचनूक क आने से पहले हमार
इराद का अनुमान तक नह था। इसक आगे ऐसा िब कल सही समय पर कला न म थत
आर.यू.एफ. क श ागार और रिडयो टशन को िनशाना बनाने क चलते संभव हो पाया,
िजसने िचनूक क वहाँ प चने क बाद आर.यू.एफ. क जवाबी हमला करने क मता को
सीिमत कर िदया।
कला न से बच िनकलने क पहले चरण को सफलतापूवक हािसल कर लेने क
बाद अब पडबु तक उसी गित को बनाए रखना बेहद आव यक था, जहाँ मुझे
अंततः कनल सतीश क कॉलम क साथ िमलना था। हमारा अगला त काल गंत य
था गेइ न, जहाँ 18 ेनेिडयस क एक कपनी को हमार कॉलम का साथ देने क
िलए हिलकॉ टर ारा हवा म उतारा गया था।
कला न से बच िनकलने क पहले चरण को सफलतापूवक हािसल कर लेने क बाद अब
पडबु तक उसी गित को बनाए रखना बेहद आव यक था, जहाँ मुझे अंततः कनल सतीश क
कॉलम क साथ िमलना था। हमारा अगला त काल गंत य था गेइ न, जहाँ 18 ेनेिडयस क
एक कपनी को हमार कॉलम का साथ देने क िलए हिलकॉ टर ारा हवा म उतारा गया था।
कला न से गेइ न क दूरी 12 िकलोमीटर क थी और पैरा कमांडो से िमलने क बाद हमने
गेइ न क अपनी या ा जारी रखी, िजसम पैरा कमांडो उस 1 िकलोमीटर लंबे कािफले का
नेतृ व कर रह थे।

ऐ े ं े े ो ो े े ेि
हम ऐसे जंगल से गुजर रह थे, जो हम तो अभे लग रह थे, लेिकन आर.यू.एफ. क
िव ोिहय क िलए यु ा यास क धुँधले साधन थे। घने आवरण और ऊबड़-खाबड़ जमीन क
चलते हमार सामने उस घने जंगल म अंधाधुंध गोलीबारी करना सबसे अ छा िवक प था।
हमार सबसे आगे थत कॉलम पर जंगल म कई थान पर जबरद त गोलीबारी क गई,
िजसे हमने जवाबी गोलीबारी करक िन भावी बना िदया। क टन शांत ने िपछले े क
कमान सँभाल रखी थी और वे रिडयो सेट क मा यम से िनरतर मेर संपक म थे। तब तक
आर.यू.एफ. भी हमार ारिभक हमले और भाग िनकलने क सदमे से उबरकर खुद को
सँभाल चुका था और उ ह ने पीछ से हमार कॉलम का पीछा करना शु कर िदया था। मने
क टन शांत को िनदश िदया था िक हम पीछ क छोर पर फायर कर और आगे बढ़, तािक
यह सुिन त हो सक िक हम पीछा कर रह आर.यू.एफ. सैिनक से संपक तोड़ द।
कॉलम का आगेवाला िसरा रा ते म आनेवाली छोटी-मोटी बाधा को आसानी
से दूर करते ए आगे बढ़ रहा था और सामने से बी.आर.डी.एम. से िनकलनेवाली
गोिलयाँ हमारी ताकत को गई गुना बढ़ा रही थ ।
िचंता क सबसे बड़ी बात यह थी िक हम अपना पीछा कर रह आर.यू.एफ. क सैिनक से
पीछा नह छड़ा पा रह थे। उनक गोिलयाँ तेज आवाज क साथ हमार चार ओर घूम रही
थ । कॉलम का आगेवाला िसरा रा ते म आनेवाली छोटी-मोटी बाधा को आसानी से दूर
करते ए आगे बढ़ रहा था और सामने से बी.आर.डी.एम. से िनकलनेवाली गोिलयाँ हमारी
ताकत को गई गुना बढ़ा रही थ । हालाँिक, कॉलम क िपछले िह से क पास एक
बी.आर.डी.एम. था, लेिकन वह अपनी तेजी का पूरा लाभ नह उठा पा रहा था, य िक
घातक को आगे बढ़ने से पहले ककर पीछा कर रह आर.यू.एफ. क िव ोिहय पर िनशाना
साधना पड़ता और िफर उसक पुनरावृि करनी पड़ती। इसक प रणाम व प सैिनक क
साथ-साथ पीछ चल रह बी.आर.डी.एम. को भी कछ कदम क बाद कना पड़ता। म पैरा
कमांडो क साथ आगे बढ़ रहा था और हम गेइ न से कछ ही दूरी पर थे िक तभी मुझे यह
शुभ समाचार िमला िक हमार लड़ाक हिलकॉ टर उड़ चुक ह। वह करीब 9.30 बजे का
समय था। उसक बाद से अि म कॉलम क िब कल ऊपर मँडरा रह हिलकॉ टर ने हम
काफ समथन िदया और हमार कॉलम क बेहतर गितशीलता सुिन त क ।
15 जुलाई को लगभग 10.30 बजे हम गेइ न प चे, जहाँ हमार फोस कमांडर जनरल
जेटली पहले से ही हमारा वागत करने क िलए 18 ेनेिडयस कपनी क साथ मौजूद थे।
उनक मौजूदगी जवान को ेरणा देनेवाली थी और यह हम सबक िलए एक सुखद आ य
था। उस िदन से पहले मने उनक रक वाले िकसी भी अिधकारी को िबना अपनी जान क
परवाह िकए य गत प से यु े म कदम रखते ए नह देखा था। हमार मनोबल को
बढ़ाने क अलावा वे मुझे ाउड जीरो से व रत संचालन िनदश भी देने म स म थे। आगे
बढ़ने से पहले जनरल ने मुझे सूिचत िकया िक उ ह ने हमार कछ सैिनक को गेइ न से
हली-िल ट करने क यव था क ह। पडबु क िलए आगे बढ़ने का काय म गेइ न म
करीब आधी लाटन को छोड़ने क बाद ही संभव हो पाया, िज ह हिलकॉ टर ारा ले जाया
जाना था और मुझे बताया गया िक वे हवा म उड़ रह ह।
मेरी कपनी म चार अिधकारी थे, िजनम से ले टनट िनितन चौहान नेतृ व कर
रही बी.आर.डी.एम. म शानदार काम कर रह थे। क टन शांत बेहद आव यक
थे, य िक उ ह ने कािफले क पीछ क सुर ा सँभाल रखी थी।
मेरी कपनी म चार अिधकारी थे, िजनम से ले टनट िनितन चौहान नेतृ व कर रही
बी.आर.डी.एम. म शानदार काम कर रह थे। क टन शांत बेहद आव यक थे, य िक
उ ह ने कािफले क पीछ क सुर ा सँभाल रखी थी। क टन सुदेश कपनी को सँभाल रह थे,
जबिक आगे बढ़नेवाले पूर कॉलम का िनयं ण पूरी तरह से मेर हाथ म था। ऐसे म, मेर पास
क टन सुनील और उनक लाटन को गेइ न म ही कने का िनदश देने क अलावा और कोई
िवक प नह था। रिडयो सेट पर क टन सुनील क आवाज ने हजार श द को य िकया
और मुझे उनक नाराजगी का आभास आ, िजसे इन श द म य िकया जा सकता था
—‘म य ?’
कॉलम ने आगे बढ़ना शु कर िदया, लेिकन क टन सुनील और उनक लाटन को गेइ न
म िजसका सामना करना पड़ा, वह ‘ ेट ए कप’ से कम नह था। उ ह वा तव म उड़ते ए
हिलकॉ टर पर चढ़ना पड़ा, िजनक पंख पूरी र तार से घूम रह थे, य िक आर.यू.एफ. क
गोिलयाँ उनक परछा का पीछा भी नह छोड़ रही थ । असल म, हमार गेइ न से िनकलते
ही पीछा कर रह आर.यू.एफ. क िव ोिहय ने उन पर गोिलयाँ चलाना शु कर िदया और
उ ह ने हिलकॉ टर क आने तक जवाबी गोलीबारी करक िव ोिहय को रोक रखा। क टन
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सुनील और उनक लाटन आसमान क ओर नजर गड़ाए ए थे, तािक उ ह उड़ते ए
पंिछय का कोई संकत िमल सक। उनक ह ठ पर ाथनाएँ थ —ऐसी ाथनाएँ, जो िब कल
ऐन मौक पर वीकार । क टन सुनील और उनक सैिनक जमीन से कछ फ ट ऊपर उड़ते
ए हिलकॉ टर म चढ़ गए। यह दा क ओर जानेवाले हिलकॉ टर क एक उड़ान थी, जो
क टन सुनील क लाटन क िलए एक बड़ी राहत थी, य िक अब उ ह सीधे दा थत
बटािलयन मु यालय म ही उतरना था।
पडबु क ओर बढ़नेवाले परा मी कॉलम ने आगे बढ़ना जारी रखा। उसक वाहन रा ते पर
चल रह थे और उसक दोन ओर चल रह छलावरण म ढक ए सश सैिनक क समूह
जंगल म िनरतर गोलीबारी करते ए आगे बढ़ रह थे। गेइ न म मने 18 ेनेिडयस क कपनी
कमांडर मेजर बाया को क टन शांत से रयरगाड लेने का काम स पा था, य िक वे लड़ाई
म तभी शािमल ए थे।
हमने अपने सभी वाहन क रग को सफद से लाल ऑ साइड म बदल िदया था,
तािक यह सुिन त िकया जा सक िक वे ठीक से छलावरण कर रह ह। मुझे
पता ह िक लाल ऑ साइड सै य छलावरण का रग नह ह, लेिकन उस समय वही
हमार पास उपल ध एकमा रग था।
हमने अपने सभी वाहन क रग को सफद से लाल ऑ साइड म बदल िदया था, तािक यह
सुिन त िकया जा सक िक वे ठीक से छलावरण कर रह ह। मुझे पता ह िक लाल
ऑ साइड सै य छलावरण का रग नह ह, लेिकन उस समय वही हमार पास उपल ध
एकमा रग था। इसक िवपरीत, बाया और उनक जवान ने अपने हलमेट को सफद रग से
रग िदया था—एक ऐसा रग, जो न तो भारतीय सेना का था और न ही संयु रा क वरदी
संिहता का। वे पेड़ क समु म तैरते ए ोबॉल जैसे लग रह थे—आर.यू.एफ. क सैिनक
क िलए आसान ल य 18 ेनेिडयस जंगी पलटन (यु बटािलयन) थे। वे हाल ही म
कारिगल से लौट थे, जहाँ उ ह ने कई परा म िदखाए थे; लेिकन हताहत क मामले म उ ह
भारी क मत चुकानी पड़ी थी। इसिलए हम सफद रग क हलमेट क पीछ क मंशा को तुरत
समझ सकते थे। वे शांित और यु -िवराम क संकत थे।
उ ह इस पूरी कवायद क िनरथकता का अंदाजा तक नह था, य िक सफद रग ने उ ह
एक सु प ल य बना िदया था। इसक अलावा, मौजूदा प र थितय म आर.यू.एफ. से
‘सफद’ क िलए जरा भी दया क उ मीद नह थी। कछ ही ण म क टन शांत ने मुझे
सूिचत िकया िक सफद हलमेट अब पीछ क िह से म नह िदखाई दे रह ह और इसिलए वे
एक बार दोबारा पीछा करनेवाले आर.यू.एफ. को सँभालने क अपने काम म जुट गए। म
क टन शांत को िसफ ‘ब त अ छ’ ही कह सकता था। मने रिडयो पर मेजर बाया से
उनक कपनी क भाग िनकलने क कारण क बार म पूछा। जवाब म मेजर बाया ने एक
शानदार मजाक िकया। उ ह ने कहा िक उनक जवान बािकय से तेजी से आगे बढ़ रह ह,
य िक वे शारी रक प से अिधक मजबूत ह। समय क माँग थी िक पीछ क ओर मजबूती
से मोरचा सँभाला जाए और पीछा करनेवाली आर.यू.एफ. को रोका जाए, जबिक मेजर बाया
और उनक जवान ट माच जैसा कछ करने म य त थे।
क टन शांत और उनक जवान लगातार अपनी फायर-एंड-मूव क तकनीक को
अपनाते ए आर.यू.एफ. को पीछ धकलते रह; एक ऐसा काम, िजसे उ ह ने
क टन शांत सिहत कछ क छर लगने क चलते मामूली प से घायल हो जाने क
बावजूद शानदार तरीक से पूरा िकया।
क टन शांत और उनक जवान लगातार अपनी फायर-एंड-मूव क तकनीक को अपनाते
ए आर.यू.एफ. को पीछ धकलते रह; एक ऐसा काम, िजसे उ ह ने क टन शांत सिहत
कछ क छर लगने क चलते मामूली प से घायल हो जाने क बावजूद शानदार तरीक से पूरा
िकया। आगे चल रह पैरा कमांडो क गित िकसी भी धीमी गित से चलनेवाले वाहन को
आसानी से मात दे सकती थी। वे आगे क ओर गोिलयाँ चलाने क अलावा दाएँ-बाएँ भी
लगातार गोलीबारी कर रह थे।
क टन सुदेश ने मुझे बताया िक हमार एक वाहन म तकनीक खराबी आ गई ह। नतीजतन,
पैरा कमांडो क पीछ चल रही मेरी कपनी को अचानक कना पड़ा। मुझे यह अ छ से पता
था िक हम हर हाल म सूरज डबने से पहले पडबु प चना ही ह, य िक अँधेरा िघर आने क
बाद जंगल म कना आर.यू.एफ. क िलए अ यंत लाभदायी रहता और हमार िलए अ यंत
िवनाशकारी। आर.यू.एफ. ने वष क दौरान गो र ा यु क कला म महारत हािसल क थी
और वे जंगल क च पे-च पे से भलीभाँित प रिचत थे। मने क टन सुदेश से पूछा िक उस
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वाहन म जंगी वाहन जैसा कोई टोर ह या? िजसका जवाब उ ह ने ‘नह ’ म िदया। उ ह ने
मुझे बताया िक िसफ तंबू और य गत सामान उस वाहन का िह सा थे और तभी मने उ ह
कहा िक तुरत ही उस वाहन को धकलकर िकनार िकया जाए और उसे जलाने क िलए उस
पर रॉकट लॉ र क दो फायर कर।
िकसी भी वा तिवक ऑपरशन म येक िमनट बेहद मह वपूण होता ह और येक ण
आक मकताएँ पैदा होती रहती ह, िजनसे िबना समय गँवाए िनबटना होता ह। अपने सैिनक
क जीवन को खोने क मुकाबले छोट नुकसान को सह लेना हमेशा बेहतर होता ह। जब हम
आगे बढ़ने क गित और ताल को बनाए रखने का हरसंभव यास कर रह थे, आर.यू.एफ.
हम आगे बढ़ने से रोकने क सभी यास कर रहा था और वे चाहते थे िक िकसी भी तरह से
हमार कॉलम को रात िबताने क िलए जंगल म कने को मजबूर कर द। करीब 3 बजे का
समय हो रहा था और हम अभी भी पडबु से करीब 5 से 6 िकलोमीटर दूर थे।
इसक तुरत बाद आगे चल रही बी.आर.डी.एम. अचानक तेज आवाज क साथ
क गई। मेरी कपनी क ले टनट िनितन चौहान ने मुझे सूिचत िकया िक हमार
सामने क रा ते को खोद िदया गया ह और उस बड़ी सी खाई को पार करने का
कोई रा ता नह ह।
इसक तुरत बाद आगे चल रही बी.आर.डी.एम. अचानक तेज आवाज क साथ क गई।
मेरी कपनी क ले टनट िनितन चौहान ने मुझे सूिचत िकया िक हमार सामने क रा ते को
खोद िदया गया ह और उस बड़ी सी खाई को पार करने का कोई रा ता नह ह। िनितन अपनी
बात को अभी पूरा भी नह कर पाए थे िक घने और ऊचे मैदान से हमार कािफले पर गोिलय
क भीषण बौछार शु हो गई। म तुरत ही समझ गया िक यह आर.यू.एफ. का घात लगाकर
िकया गया हमला ह, िजसम वे सड़क को खोद देते ह और भारी गोलीबारी से दु मन को
धराशायी कर देते ह। मने सभी सैिनक से अपनी पोजीशन सँभालने को कहा और हमने भी
उस बड़ से मैदान क ओर जवाबी गोलीबारी शु कर दी। बी.आर.डी.एम. क ठीक पीछ
चल रह पैरा कमांडो हरकत म आए और फायर एंड मूव रणनीित से ऊचे मैदान म घुसने
लगे। यह एक पहाड़ी क चोटी क ओर बढ़नेवाले कमांडो ारा िकया जानेवाला मानक
काउटर-एंबुश ि ल था।
यहाँ तक िक हमार ऊपर उड़ रह लड़ाक हिलकॉ टर का पायलट भी पूरी तरह सतक था।
वह तुरत ही गोता लगाकर हमला करनेवाली थित म आ गया और उस तरफ से ऊचे मैदान
को अपना िनशाना बनाया, जहाँ से आर.यू.एफ. क सैिनक हमार कॉलम पर लगातार
गोलीबारी कर रह थे। आर.यू.एफ. हमेशा से मनोवै ािनक प से हिलकॉ टर गनिशप से
डरता था और इस हमले क बाद उ ह घने जंगल म भागने क िलए मजबूर होना पड़ा। हम
बेहद भा यशाली थे िक आर.यू.एफ. ारा बेहद चतुराई क साथ योजनाब घात लगाकर
िकए गए इस हमले म कोई भी हताहत नह आ। हालाँिक, हमार सामने सबसे मह वपूण
चुनौती आर.यू.एफ. ारा माग पर खोदी गई बारह फ ट चौड़ी खाई थी और दोन तरफ घना
जंगल होने क कारण हम उसक उपे ा भी नह कर सकते थे। हमार पैदल सैिनक तो
आसानी से पार हो सकते थे, लेिकन हमारी सबसे बड़ी चुनौती थे वाहन। हर गुजरते पल क
साथ थित गंभीर होती जा रही थी, य िक क टन शांत लगातार आर.यू.एफ. ारा पीछ से
भारी गोलीबारी क सूचना दे रह थे और अँधेरा भी अब यादा दूर नह था। मने ऐसे ही ऊपर
क ओर देखा और समाधान मुझे आसमान म उड़ता आ िदखाई िदया।
मने अपनी कपनी क इजीिनयर िवशेष सूबेदार लिखंदर को खाई क ओर बढ़ने
और खाई को पाटने क िलए आव यक इजीिनय रग उपकरण को ज दी से तैयार
करने क िलए कहा। रिडयो सेट पर मुझे ‘सेव अवर सोल’ (एस.ओ.एस.) कॉल
क साथ फोस कमांडर क साथ संपक का मौका िमला, िज ह ने बदले म मुझे
हिलकॉ टर ारा उपकरण को िगराए जाने का आ ासन िदया।
मने अपनी कपनी क इजीिनयर िवशेष सूबेदार लिखंदर को खाई क ओर बढ़ने और खाई
को पाटने क िलए आव यक इजीिनय रग उपकरण को ज दी से तैयार करने क िलए कहा।
रिडयो सेट पर मुझे ‘सेव अवर सोल’ (एस.ओ.एस.) कॉल क साथ फोस कमांडर क साथ
संपक का मौका िमला, िज ह ने बदले म मुझे हिलकॉ टर ारा उपकरण को िगराए जाने का
आ ासन िदया। मने िसपािहय को अपनी पोजीशन लेने क िलए कहा और आर.यू.एफ.
सैिनक क गोलीबारी का सामना करने क िलए क टन शांत क पाट को पैरा कमांडो क
एक टीम क साथ मजबूत िकया।
इजीिनय रग क उपकरण से लैस हिलकॉ टर पल भर म ही हमार पास प च गया। उस
समय हमार सैिनक को अपनी ऑिलव ीन म जंगली वातावरण म आर.यू.एफ. पर चढ़ाई
करते ए देखना एक शानदार नजारा था। एक तरफ तो लड़ाक हिलकॉ टर िव ोिहय पर
गोलीबारी कर रह थे और उसी दौरान मैदान से करीब 20 मीटर क दूरी पर उड़ रह MI-17
हिलकॉ टर ने पुल तैयार करने क िलए लकड़ी क ल को िगराना शु कर िदया। म
वा तिवक प से पहली बार इजीिनय रग क सामान को हवा से िगरते ए देख रहा था और
म इसक िलए अपने पायलट का शुि या अदा करना चा गा, िज ह ने इस काम को पूरी
सटीकता क साथ पूरा िकया।
म तुरत-फरत म एक अ थायी पुल का िनमाण करने क िलए सूबेदार लिखंदर और उनक
जवान क सराहना करना चाहता । इस जानलेवा हमले से बचने क पूर अिभयान म करीब
एक घंट का समय लगा। क टन शांत और उनक जवान ने दो लड़ाक हिलकॉ टर , MI-
35 (अकबर) क सहायता से िपछले िह से म िजस सटीकता क साथ आर.यू.एफ. को
रोककर रखा था, वह कािबल-ए-तारीफ था। दा से आगे बढ़ कॉलम ने आर.यू.एफ. क
िति या को मोड़ िदया था और इसक प रणाम व प इससे पहले िक वे हमारी चाल को
रोक पाते, हम वापस पटरी पर आ गए और अब हमार पडबु प चने म िसफ अंितम चरण ही
बचा था। बहती गंगा म हाथ धो लेने चािहए और क टन सुदेश ने िब कल ऐसा ही िकया।
जब कॉलम घात लगाकर िकए गए हमले को नाकाम करने म जुटी ई थी, उ ह ने उस दौरान
खराब ए वाहन क मर मत कर दी। म पूरी तरह से उनक सराहना करता । थित क
गंभीरता क बावजूद उनका ढ़ संक प और तकनीक कौशल काम आया।
मुझे रिडयो सेट पर सूिचत िकया गया िक दा से चली कॉलम पडबु प च गई ह और
हमार साथ जुड़ने क िलए पडबु क आगे एक िलंक-अप फोस भेजने से पहले शहर को पार
करने क ि या म थी। इस खबर ने हमार जोश पर सकारा मक भाव डाला और तुरत
हमारी गित कई गुना तेज हो गई। क टन शांत ने मुझे रिडयो पर सूिचत िकया िक गोलीबारी
म उनका एक जवान घायल हो गया ह। मने तुरत अपने डॉ टर मेजर मुरली को उसका
इलाज करने को कहा। ई र क कपा से जवान अब ठीक था। म अपनी अब तक क गित
से खुश था और पडबु तथा हमार बीच अब कवल कछ िकलोमीटर क दूरी ही बची थी।
इस पूर समय म ऑपरशन क दौरान कला न क िवचार मेर िदमाग से काफर हो चुक थे।
क टन शांत और उनक जवान ारा दिशत क गई वीरता गव क बात थी और म उ ह
पीछ क े क िज मेदारी स पने क अपने िनणय से संतु था। आर.यू.एफ. क गढ़ से
लड़कर सफलतापूवक िनकलने क अलावा हम 30 िकलोमीटर से कछ अिधक पैदल चल
चुक थे, लेिकन कोई भी थका आ नह लग रहा था। तीन महीने से अिधक क अ नपरी ा
क बाद वतं ता क आशावादी मुसकान क चड़ से सने हमार चेहर पर देखी जा सकती थी।
वहाँ कछ ही दूरी पर हमने ऑिलव ीन पहने अपने सैिनक को ितरगा लहराते ए देखा। लू
बेर स (नीली टोिपयाँ) गव से चमक उठ । यापक मुसकान से िघर प रिचत चेहर ने हमारा
वागत िकया। अपनी ठ ी पर बँधी प ी क साथ क टन दीपू िसरोही पडबु म वेश
करनेवाले पहले य थे और उनका गमजोशी भरा आिलंगन मेर िलए आ त करनेवाला
था— वतं ता क गरमाहट को जतानेवाला आिलंगन!
कला न वाले दल क िलए पडबु एक अंितम ल य जैसा था, जबिक हम सभी को
अगले िदन एयरिल ट िकया जाना था। हम रात म कने क उ े य से पडबु क
एक बंदरगाह म गए। हम कछ थान पर आर.यू.एफ. क गोलीबारी का सामना
करना पड़ा। हालाँिक, हम जमीन पर अपनी ताकत का बेहद मह वपूण लाभ
ा आ, िजसे लड़ाक वाहन ारा क गई ती गोलीबारी का सहयोग ा
आ।
कला न वाले दल क िलए पडबु एक अंितम ल य जैसा था, जबिक हम सभी को अगले
िदन एयरिल ट िकया जाना था। हम रात म कने क उ े य से पडबु क एक बंदरगाह म
गए। हम कछ थान पर आर.यू.एफ. क गोलीबारी का सामना करना पड़ा। हालाँिक, हम
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जमीन पर अपनी ताकत का बेहद मह वपूण लाभ ा आ, िजसे लड़ाक वाहन ारा क
गई ती गोलीबारी का सहयोग ा आ। सेना क लड़ाक वाहन को प रिध म तैनात िकया
गया था और नरम त व को उनक पीछ रखा गया था। म क टन शांत को छोड़कर अपनी
कपनी म लगभग सभी से िमल चुका था। वे मामूली इलाज क िलए मेिडकल म म गए थे।
म उनसे िमलने और उनक ारा िकए गए सबसे उ ेखनीय काम क िलए य गत प से
िमलकर उ ह बधाई देने का इतजार कर रहा था।
पडबु म हर सैिनक से मुलाकात करते समय उनक आँख म आई नमी हर य को
सुरि त वापस लाने क मेरी ितब ता का अिभनंदन थी। आज, 20 साल बाद भी म उस
उपल ध क भावना को नह भूल पाया , जो मने पडबु म अपने हर सैिनक से िमलते समय
अनुभव क थी। मुझे एक ऐसे अिभभावक क तरह महसूस आ, िजसने अपने ब े को मौत
क चंगुल से बचाया ह। मने अपने सैिनक क सुर ा सुिन त करने और हमार गौरव तथा
स मान को बहाल करने क िलए ई र को ध यवाद िदया। यह एक ऐितहािसक ण था,
य िक भारतीय सेना आर.यू.एफ. को हरानेवाली दुिनया क पहली सेना बन गई थी और वह
भी उनक अपने ही गढ़ कला न म। वा तव म, इस हार ने आर.यू.एफ. को बातचीत क मेज
पर वापस लाने का माग श त िकया और इस बार िसएरा िलओन म लंबे समय तक बहाल
होनेवाली शांित क िलए।
आज क तारीख म अगर िसएरा िलओन क जनता एक गितशील देश क शांत
हवा म साँस ले रही ह तो ऐसा भारतीय सेना क जवान ारा संभव बनाया गया
था, िज ह ने इस शांित को थािपत करने म अहम भूिमका िनभाई थी। एक सैिनक
क प म मुझे इसक ब त भारी क मत चुकानी पड़ी।
आज क तारीख म अगर िसएरा िलओन क जनता एक गितशील देश क शांत हवा म
साँस ले रही ह तो ऐसा भारतीय सेना क जवान ारा संभव बनाया गया था, िज ह ने इस
शांित को थािपत करने म अहम भूिमका िनभाई थी। एक सैिनक क प म मुझे इसक ब त
भारी क मत चुकानी पड़ी। इसक अलावा, इस सब म िनयित ने भी एक ब त मह वपूण
भूिमका िनभाई। मुझे अपनी इ छा क िव इस िमशन को अंजाम देना पड़ा। हम कला न म
तैनात िकया जाना था, जहाँ ारभ म क याई जाने वाले थे। इसक अलावा, हम ‘ऑपरशन
खुकरी’ को अंजाम देना पड़ा, वह भी कला न संकट क शांितपूण समाधान खोजने क मेर
यास क बावजूद। मेरा िदल कला न क लोग क बार म सोचकर डब जाता ह। पापा
िगएमा, कनल मािटन और मेरी यारी िस टर क याद मुझे आज भी सालती ह। मेरा जीवन
उसक बाद से पहले जैसा नह रहा ह।
एक सैिनक क क मकश को कोई नह समझ सकता—एक सैिनक, िजसे कत य और
भावना क दोधारी तलवार क बीच से गुजरना पड़ता ह; एक ऐसा सैिनक, िजसे कला न
म शांित थािपत करने क अपनी ितब ता और 233 जीिवत य य को सकशल अपने
देश वापस ले जाने क कसम क बीच चुनना था; एक सैिनक, िजसे मानवता और स मान क
अलग-अलग रा त म से िकसी एक को चुनना था। आिखर म, कोई भी उस भावना मक
बोझ को नह समझ सकता, िजसे म बीते दो दशक से ढो रहा । म 15 जुलाई, 2000 क
बाद एक सामा य जीवन नह जी पाया और साल-दर-साल जब मेरी बटािलयन िवजयी
‘खुकरी िदवस’ मनाती ह तो मेरी आँख आँसु क सैलाब म डब जाती ह। म अपनी
भावना को ढोल-नगाड़ क शोर एवं अपने सािथय क जय-जयकार क नीचे दबा देता
और मेर चेहर पर एक सतही मुसकान आती रहती ह। कला न क मलबे क ढर म बदल
जाने और सपन क घर क मलबे क नीचे दबे ए मानव शव का य हर साल मेरी आँख
क सामने जीवंत हो उठता ह; और म इस नजार को 15 जुलाई, 2000 क बाद से देखता आ
रहा । यह एक ऐसी तारीख ह, िजसक खुशी मनाई जाती ह, भारतीय सेना क सैिनक क
जीत का ज न मनाया जाता ह और यह एक ऐसी तारीख ह, जो मुझे खुद से और मेर काम
से घृणा करने पर मजबूर कर देती ह।
म इस सपने क साथ जी रहा िक म एक िदन कला न ज र जाऊगा— य गत प से
उस पीढ़ी क ब से िमलने क िलए, जो ‘ऑपरशन खुकरी’ क संपा क ित क प म
मार गए थे। काश, म एक सैिनक कम होता और एक भाई, एक दो त, एक िव ासपा या
िफर एक इनसान ही होता! काश, मने आर.यू.एफ. क हिथयार डालने क माँग क मुकाबले
इतने िनद ष लोग क जान को अहिमयत दी होती! मेरी अंतरा मा मेर कत य और मेर
िववेक क बीच फस गई थी; ितरगे क ित मेरी िन ा और कला न क थानीय लोग क
ित वफादारी क बीच। भारतीय सेना क कपनी कमांडर और थानीय लोग क िलए शांित
यो ा क बीच र साकशी म भारतीय सेना का िसपाही िवजयी आ।
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कोई भी सैिनक जब भारतीय सेना म शािमल होता ह तो वह हमेशा और ित ण देश को
सबसे पहले रखने क शपथ लेता ह। एक शपथ, जो सैिनक को अपने लोग क िलए लड़ने
हतु ितब करती ह, अपनी जान क क मत पर भी। वह शपथ ही एकमा श ह, जो हम
ि गर ख चने क श दान करती ह, जो कभी-कभी पछतावे क िवपरीत बल से जाम हो
जाती ह। म अपने खयाल म इतना खो गया था िक मुझे अचानक मोमब ी क लौ क
रोशनी म अपनी हथेिलय पर कछ असामा य-सा िदखाई िदया। मेरी हथेिलयाँ खून क लाल
रग से सनी ई थ । हालाँिक, वह र भारत क जीत का ज न मना रह भारतीय सेना क
जवान क वीरता का तीक था, िफर भी, कछ ठीक नह था। मेर िलए वह दुःख से भरी ई
लाल नदी थी—र , जो उ सव का नह , ब क शोक का तीक था।
या ये दाग कभी धुल पाएँगे? यह एक ऐसा सवाल था, जो वष तक मुझे सालता रहा।
पापा िगएमा, िस टर और मेर िम कनल मािटन क याद मुझे रात-दर-रात कचोटती रह ।
जब म पडबु म था तो िसएरा िलओन क पूर सफर को अपनी याद म िजया। अपने
बटािलयन मु यालय दा प चने पर मुझे ऐसा तीत आ, जैसे म पीछ कछ छोड़ आया ।
मने अपने मन को शांत करने क िलए अपने सैिनक तक क िगनती क , लेिकन कोई फायदा
नह आ। कला न म शांित कायम रखने का मेरा वादा अधूरा रह गया था। मुझे ऐसा लगा
िक मुझे अपने भीतर क इनसान को यागना पड़गा और अपने सैिनक , जो अमू य थे, क
िलए यु म एक सैिनक बनना पड़गा। मुझे उ ह उनक िम , उनक प रवार क पास वापस
ले जाना था, जो भारत म उ मीद भरी नजर क साथ उनक वापस आने का इतजार कर रह
थे।
उन किठन िदन क दौरान मने अपने सािथय क साथ जो बंधन थािपत िकया,
वह िकसी च ान क तरह मजबूत था और इसिलए तीन साल बाद, वष 2003
म जब मुझे कनल क रक क िलए मंजूरी िमल गई तो मने दो साल क लंबे समय
तक इतजार करने का फसला िकया—कछ ऐसा, जो भारतीय सेना म कम ही
सुनने को िमलता ह।
उन किठन िदन क दौरान मने अपने सािथय क साथ जो बंधन थािपत िकया, वह िकसी
च ान क तरह मजबूत था और इसिलए तीन साल बाद, वष 2003 म जब मुझे कनल क
रक क िलए मंजूरी िमल गई तो मने दो साल क लंबे समय तक इतजार करने का फसला
िकया—कछ ऐसा, जो भारतीय सेना म कम ही सुनने को िमलता ह। मने ऐसा िसफ इसिलए
िकया, तािक म अपनी बटािलयन, मेर अपने सािथय , क कमान सँभाले रह सक, जो हमार
कला न क साझा इितहास का कज था—म उनसे अलग नह होना चाहता था। भीतर कह से
मुझे पता था िक म अपने िव ता रत प रवार, अपनी बटािलयन क साथ जो बंधन साझा करता
, उसक कोई बराबरी नह ह। यहाँ तक िक मेरी अपनी बटािलयन को कमांड करते ए या
िफर बाद म अ णाचल देश म चीन क सामने वा तिवक िनयं ण रखा (एल.ए.सी.) पर
एक ि गेड क कमान सँभालते ए यह दाग मेरी याद म बना रहा। हालाँिक, वह समय क
साथ फ का पड़ गया था, लेिकन मुझे पता था िक वह वहाँ मौजूद था।
काफ समय बाद, वष 2017 म जब िसरसा म मेरी तैनाती थी, तब यह दाग काफ हद
तक साफ हो गया। िहसार म तैनात मेरी िडवीजन को संत गुरमीत राम रहीम क िगर तारी क
बाद उनक डर को खाली करवाने का काम स पा गया। िहसार िडवीजन क जनरल ऑिफसर
कमांिडग (जी.ओ.सी.) क प म म डर को खाली करवाने क अदालती आदेश क
काया वयन क िलए पूर ऑपरशन को सँभाल रहा था। मुझे ब त अ छ से याद ह िक डर को
चार ओर से घेर लेने क बाद हम एक चौराह पर खड़ थे और हमार पास दो िवक प थे—
या तो डर को खाली कराने क िलए शारी रक बल- योग कर या िफर डर म मौजूद िनद ष
नाग रक को शांितपूवक आ मसमपण करने का एक मौका द। सौभा य से, िसरसा म सेना
का नेतृ व करनेवाले य को 75 िदन तक एक घेरबंदी क अंदर फसे रहने का अनुभव था
और वह िब कल उसी तरह सोच पा रहा था, जैसा िसरसा म घेर क अंदर मौजूद हर य
सोच रहा था। मुझे इस बात का संतोष ह िक मने िसरसा म जारी ऑपरशन क िलए स
1984 म वण मंिदर को खाली करवाने क िलए चलाए गए ‘ऑपरशन लू टार’ क िलए
थािपत िकए गए उदाहरण का पालन नह िकया। मेरा मानना ह िक ‘ लू टार’ क दौरान
और उसक बाद जो कछ आ, िजसम भारत को अपने एक धानमं ी को भी खोना पड़ा,
वह कछ ऐसा था, िजससे आसानी से बचा जा सकता था।
इसिलए, मने िबना एक भी गोली चलाए इसे खाली करवाने का िज मा अपने ऊपर ले
िलया। और ऐसा आ भी। म कला न का सदा आभारी , य िक वहाँ क अपने अनुभव
क कारण ही हम िसरसा म सैकड़ लोग क जान बचा सक। उसी ण मेर सीने से एक
बोझ उतर गया और मुझे बेहद हलका महसूस आ। मेरा मानना ह िक कला न क लोग क
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मासूिमयत और उनक मौत क स ाई ने मेर िदल पर एक थायी छाप छोड़ी। आिखरकार,
म वष क उस परशानी से बाहर िनकल सका, िजसने मुझे भीतर से जकड़ िलया था।
डर क लोग अपने जीवन क िलए एक कार से कला न क लोग क ऋणी ह, जो
आर.यू.एफ. क िजद और भारतीय सेना क सैिनक क स मान क लड़ाई म िनद ष िशकार
बने। कला न वीरता, गव और अफसोस क कहानी ह—इतना गहरा अफसोस िक उसने मुझे
17 वष तक ठीक से सोने तक नह िदया। यह एक ऐसी कहानी ह, जो हमेशा मेर साथ
रहगी। कला न क धरती पर प चने क बाद ही मुझे सैिनक होने का वा तिवक अथ समझ
म आया। कसे कई बार जीवन आपक सामने ऐसी थितयाँ खड़ी कर देता ह और आप ऐसी
मु कल प र थितय म फस जाते ह, िजनम आपको अपने देश क स मान को बचाए रखने
क िलए उन लोग से यु करना पड़ता ह, िजनसे आप ेम करते ह। मुझे सेना को अपनी
सेवाएँ दान करते ए करीब 40 वष हो चुक ह, िफर भी कला न का कायकाल बेहद
किठन होने क बावजूद हमेशा ही मेर मुकट का सबसे क मती हीरा बना रहगा, य िक इसने
एक य क प म मुझे पूरी तरह से बदल िदया। मेर मन पर इसका गहरा असर आ
और म अपनी अंितम साँस तक इसे याद रखूँगा।
मने जो कछ भी िलखा ह, उसे िलखकर मेर िदल को सुकन िमला ह और मेर हाथ पर
लगे खूनी ध बे अगर पूरी तरह से गायब नह ए ह तो वे काफ हद तक साफ ज र हो गए
ह। अब, जब म एक ऐसे सैिनक का ितिनिध व करते ए कठघर म खड़ा , िजसने अपने
कत य का पालन िकया और िनणय देने का अिधकार अपने पाठक पर छोड़ रहा , तो म
आपको इस बात का पूरा यक न िदलवाता िक म आपक फसले को िवन तापूवक वीकार
क गा, चाह वह जो भी हो!
दु मन क गोिलय क बीच अद य साहस और शौय का दशन करनेवाले
हवलदार क ण कमार को भारत क रा पित ारा मरणोपरांत ित त
‘सेना मेडल’ (वीरता) से स मािनत िकया गया।
‘ऑपरशन खुकरी’ क िह से क प म मेजर पुिनया को वष 2002 म भारत
क रा पित ारा ित त ‘यु सेवा मेडल’ (वाई.एस.एम.) से स मािनत
िकया गया था।
इसक अलावा, राज थान सरकार ने भी उ ह इिदरा गांधी नहर पर जमीन
का एक टकड़ा िदया, िजसे उनक प नी ने ‘कला न फाम’ क प म
िवकिसत िकया ह। उनक राय म, उस िम ी का एक-एक कण
आनेवाली पीिढ़य को हमार सैिनक क बहादुरी क दा तान सुनाएगा।

मेजर जनरल राजपाल पुिनया राज थान क िच ौड़गढ़ थत सैिनक कल
क पूव छा मेजर जनरल राजपाल पुिनया (यु सेवा मेडल) का चयन मा
सोलह वष क आयु म ही रा ीय र ा अकादमी, खड़कवासला क िलए हो
गया था। वे 9 जून, 1984 को भारतीय सेना म कमीशंड होकर और 14
मेकनाइ ड इ फ ी (16 ज मू व क मीर राइफ स) म शािमल ए। जनरल
पुिनया संयु रा शांित िमशन क िह से क प म एक कपनी क कमान
सँभालने क दौरान िसएरा िलओन म ‘ऑपरशन खुकरी’ क कता-धता थे।
उ ह ने वा तिवक िनयं ण रखा पर भारतीय सेना क सबसे पुरानी ि गेड क
कमान सँभाली। उ ह ने थाईलड म नेशनल िडफस कॉलेज कोस और जापान म
संयु रा क सीिनयर िमशन लीडस कोस म भाग िलया। उ ह ित त
आमड िडवीजन क कमान सँभालने का स मान ा ह। उ ह ने अपने नेतृ व
म 2016 क जाट आंदोलन को बेहद सफलतापूवक िनयंि त िकया और िसरसा
थत राम रहीम क डर को खाली करवाया। उ ह ने 35 वष से अिधक समय
तक भारतीय सेना को अपनी सेवाएँ दान क ह और यह सफर अब भी जारी
ह। वे एक कशल व ा ह और अपने क रयर क ारभ से ही अपने सै य
अनुभव को िलिखत प दे रह ह। उनक कई लेख और शोधप कािशत हो
चुक ह। यह उनक पहली पु तक ह।
***

दािमनी पुिनया एक बहादुर सैिनक क वािभमानी बेटी और एक बंगाल सैपर


अिधकारी क प नी ह। वे आम प लक कल, धौला कआँ, िद ी और लेडी
ीराम कॉलेज, िद ी िव िव ालय क छा ा रही ह। वे राजपथ पर
आयोिजत होनेवाली गणतं िदवस परड क आिधका रक कमटटर ह। लेखन म
उनक िवशेष अिभ िच ह। एक लेिखका क प म यह उनका थम यास ह।

❑❑❑
संदभ-सूची
Notes

[←1]
भारतीय सेना म एक गैर-कमीशंड अिधकारी, जो एक साजट क समक होता ह।
[←2]
रचमार उस े का नाम था, जहाँ बटािलयन थत थी और इसिलए यह नाम पड़ा।
[←3]
कपनी बटािलयन का एक उपसेट ह, िजसम येक कपनी क अधीन तीन लाटन होती ह। येक लाटन म 40
सैिनक होते ह।
[←4]
वरदी क ित कत य।
[←5]
ऑिलव ीन : भारतीय सेना म उन लोग क िलए योग िकया जानेवाला श द, जो िनयम और ोटोकॉल का पूरी
तरह से पालन करते ह।
[←6]
भारतीय सेना म जूिनयर कमीशंड अिधकारी क िलए एक रक।
[←7]
साजट मेजर।
[←8]
सैिनक को सामूिहक प से संबोिधत करने क था।
[←9]
कपनी किमय का एक सामािजक समारोह।
[←10]
भारतीय िमठाई।
[←11]
तली ई रोटी और स जयाँ।
[←12]
उ र-प मी भारत क िविभ भाग म बोली जानेवाली एक इडो-आयन भाषा।
[←13]
िहदू धािमक अनु ान, िजसक दौरान माथे पर िसंदूर लगाया जाता ह।
[←14]
एडजुटट कमांिडग ऑिफसर का मुख टाफ ऑिफसर होता ह, जो उनक आदेश को बटािलयन तक प चाता ह
और सभी िनदश का िन पादन सुिन त करता ह।
[←15]
बी.एम.पी. (बॉयवाया मािशना पेखोटी) : पैदल सेना क साथ लड़नेवाला एक सोिवयत वाहन।
[←16]
एक श द या वा यांश, िजसे अकसर एक मजबूत आ था को य करने क िलए दोहराया जाता ह।
[←17]
‘हलो’ क िलए च श द।
[←18]
बी.आर.डी.एम. का अथ ह—‘बॉयवया र ेिदवट नया डोजोनया मािशना’। यह एक लड़ाक टोही ग ती वाहन ह।
[←19]
यहाँ मुझे यह बात प करनी होगी िक संयु रा म एक कपनी सभी हिथयार और सेवा क सैिनक का
िम ण ह।

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