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संज्ञा की परिभाषा

किसी भी व्यक्ति, वस्िु, जाति, भाव या स्थान िे नाम िो संज्ञा िहिे हैं।
जैसे – मनुष्य (जाति), अमेरििा, भािि (स्थान), बचपन, ममठास (भाव), कििाब, टे बल(वस्िु)
आदि।

निम्िलिखित उदाहिणों से हम संज्ञा को अच्छे से समझ सकते हैं -

उदाहिण 1 –
सुिेश भाषण प्रतियोगििा में प्रथम आया था। इसमलए वह िौड़िा
हुआ स्कूि से घि पहुुँचा, इस बाि िो आपने माता-पपता िो बिािे हुए वह बहुि िुश लि
िहा था। यह बाि सुन िि सुिेश िे माता-पपता बहुि आिंददत हुए औि उन्होंने उसे िले
लिा मलया।

इि पंक्ततयों में –
सुिेश, मािा-पपिा (व्यक्ति)
स्िूल, घि (स्थान)
खुश, आनंदिि (भाव)
आदि संज्ञा प्रयत
ु ि हुई है।

उदाहिण 2 –
भाित एि लोििांत्रिि िे श है। ििें द्र मोदी भािि िे प्रधानमंिी हैं। हॉकी भाित िा
िाष्रीय खेल है। गंगा भाित िी एि पपवि निी है । कुिाि मुसिमिों िा पपवि ग्रन्थ है।
त्योहािों से हि घि में खुशी आिी है। आज दीपक बहुि िुश है। दीपक हि सुबह एक
गगिास दध
ू औि चाि अंडे खािा है।

इन वातयों में गचक्ननि शब्ि किसी न किसी ििह से संज्ञा से सम्बंगधि हैं -
भािि - िे श िा नाम
निें द्र मोिी - व्यक्ति िा नाम
हॉिी - खेल िा नाम
िंिा - निी िा नाम
िुिान - ग्रन्थ िा नाम
मुसलमनों - पवशेष समुिाय िा नाम
ग्रन्थ - किसी कििाब िी पवशेष श्रेणी िा नाम
खुशी - एि प्रिाि िा भाव
गिलास - वस्िु िा नाम
िध
ू , अंडे - खाद्य पिाथथ िा नाम

संज्ञा के भेद औि उदाहिण


संज्ञा िे मुख्यिः तीि भेि होिे हैं -
जातिवाचि संज्ञा, व्यक्तिवाचि संज्ञा औि भाववाचि संज्ञा
1- व्यक्तिवाचि संज्ञा
2- जातिवाचि संज्ञा
3- भाववाचि संज्ञा
अब हम संज्ञा के भेदों को पिस्ताि से उदाहिण सदहत जािेंगे –

1- व्यक्ततिाचक संज्ञा
क्जस शब्ि से किसी पवशेष व्यक्ति, पवशेष स्थान औि पवशेष वस्िु िे नाम िा बोध
होिा है, वह शब्ि व्यक्तिवाचि संज्ञा िहलािा है।

जैसे -
व्यक्तत - भिि मसंह, महात्मा िाुँधी, सगचन िेंिल
ु िि, मिि टे िेसा इत्यादि।
स्थाि - दिल्ली, िोवा, मुंबई, जयपुि, मशमला इत्यादि।
इमाित का िाम - िाजमहल, लालकिला, हवा महल इत्यादि।

व्यक्ततिाचक संज्ञा के उदाहिण -


िाम स्िूल जािा है।
ताजमहि साि अजूबों में से एि है।
जिाहि िाि िेहरू भािि िे प्रथम प्रधानमंिी थे।
लशमिा एि पयथटन स्थल है।

इन पंक्तियों में िाम, िाजमहल, मशमला औि जवाहि लाल नेहरू व्यक्तिवाचि संज्ञा
शब्ि हैं तयोंकि ये शब्ि पवशेष व्यक्ति, स्थान व वस्िु िे बोधि हैं।

2- जानतिाचक संज्ञा
क्जस किसी एि शब्ि से किसी सम्पूणथ जाति िा बोध हो वह शब्ि जातिवाचि संज्ञा
शब्ि िहलािा है।
जैसे -
िस्तु - िाि, मोबाइल, टीवी, पुस्िि इत्यादि।
स्थाि - पहाड़, िालाब, िाुँव, शहि इत्यादि।
प्राणी - पुरुष, स्िी, िाय, शेि इत्यादि।

जानतिाचक संज्ञा शब्द के उदाहिण -


गाय एि बहुि ही उपयोिी पशु है।
आज िी स्री पुरुष िे साथ िंधे-से-िंधा ममला िि चल िही है।
पहाड़ हमें हि क्स्थति में अपनी जिह पि क्स्थि व अटल िहने िी प्रेिणा िे िे हैं।

इन पंक्तियों में िाय, स्िी, परु


ु ष औि पहाड़ जातिवाचि संज्ञा शब्ि हैं। तयोंकि ये एि
शब्ि होिे हुए भी अपनी सम्पूणथ जाति िा बोध ििवा िहे हैं।

3- भाि िाचक संज्ञा


जो शब्ि किसी व्यक्ति, वस्िु या स्थान िे िण
ु , िमथ, िशा, अवस्था, भाव आदि िा
बोध ििाएुँ वह शब्ि भाववाचि संज्ञा शब्ि िहलािे हैं।

जैसे -
भाि - खुशी, क्रोध, िःु ख इत्यादि।
दशा - भूख, प्यास, ििीबी इत्यादि।
अिस्था - बुढापा, जवानी, बचपन इत्यादि।
गुण - ममठास, सुंिििा, िोमलिा, िठोििा इत्यादि।

भाि िाचक संज्ञा के उदाहिण -


िाम िे पवयोि में सीिा अत्यंि दुःु िी थी।
िाजमहल िी सुंदिता िा वणथन ििना बहुि ही िदठन है।
आम िे पि जाने पि वह लमठास से भि जािा है।

इन पंक्तियों में िःु खी, सुंिििा औि ममठास शब्ि भाववाचि संज्ञा शब्ि िे उिाहिण हैं।
तयोंकि ये शब्ि भावनाओं औि िुण िे बोधि शब्ि हैं।

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