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िबहारी (सािहत्यकार)

हदी सािहत्य के री￸त काल के किवय म िबहारी का नाम महत्वपूणर् 3 1 व यर् िवषय
है।
िबहारी क किवता का मुख्य िवषय श्रृग
ं ार है। उन्ह ने श्रृग
ं ार के
संयोग और िवयोग दोन ही पक्ष का वणर् न िकया है। संयोग पक्ष म
िबहारी ने हावभाव और अनुभव का बड़ा ही सू म ￸चत्रण िकया
1 जीवन प रचय ह। उसम बड़ी मा मकता है। संयोग का एक उदाहरण दे खए -
बतरस लालच लाल क मुरली धरी लुकाय।
महाकिव िबहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग ग्वा लयर म हुआ। सोह करे, भ हनु हंसे दैन कहे, निट जाय।।
वे जा￸त के माथुर चौबे थे। उनके िपता का नाम केशवराय था।
िबहारी का िवयोग, वणर् न बड़ा अ￸तशयोिक्त पूणर् है। यही कारण
उनका बचपन बुद ं ेल खंड म कटा और युवावस्था ससुराल मथुरा
है िक उसम स्वाभािवकता नह है, िवरह म व्याकुल ना￸यका क
म व्यतीत हुई, जैसे क िनम्न दोहे से प्रकट है -
दबु र् लता का ￸चत्रण करते हुए उसे घड़ी के पडु लम जैसा बना िदया
जनम ग्वा लयर जािनये खंड बुदं ेले बाल। गया है -
त नाई आई सुघर मथुरा ब■स ससुराल।। इ￸त आवत चली जात उत, चली, छसातक हाथ।
जयपुर-नरेश िमजार् राजा जय↓सह अपनी नयी रानी के प्रेम म इतने चढी हडोरे सी रहे, लगी उसासनु साथ।।
डू बे रहते थे िक वे महल से बाहर भी नह िनकलते थे और राज- सूफ किवय क अहात्मक पद्ध￸त का भी िबहारी पर पयार्प्त प्रभाव
काज क ओर कोई ध्यान नह देते थे। मंत्री आिद लोग इससे बड़े पड़ा है। िवयोग क आग से ना￸यका का शरीर इतना गमर् है िक
￵च￸तत थे, कतु राजा से कुछ कहने को शिक्त िकसी म न थी। उस पर डाला गया गुलाब जल बीच म ही सूख जाता है -
िबहारी ने यह कायर् अपने ऊपर लया। उन्ह ने िनम्न ल खत दोहा
िकसी प्रकार राजा के पास पहुच ं ाया - औंधाई सीसी सुल ख, िबरह िवथा िवलसात।

न ह पराग न ह मधुर मधु, न ह िवकास यिह काल। बीच ह सू ख गुलाब गो, छीट छुयो न गात।।

अली कली ही सा बध्य , आगे कौन हवाल।।


इस दोहे ने राजा पर मंत्र जैसा कायर् िकया। वे रानी के प्रेम-पाश 3 2 भिक्त-भावना
से मुक्त होकर पुनः अपना राज-काज संभालने लगे। वे िबहारी क
काव्य कुशलता से इतने प्रभािवत हुए िक उन्ह ने िबहारी से और ं ारी किव ह। उनक भिक्त-भावना राधा-कृष्ण के
िबहारी मूलतः श्रृग
भी दोहे रचने के लए कहा और प्र￸त दोहे पर एक अशफ़ देने का प्र￸त है और वह जहां तहां ही प्रकट हुई है। सतसई के आरंभ म
वचन िदया। िबहारी जयपुर नरेश के दरबार म रहकर काव्य-रचना मंगला-चरण का यह दोहा राधा के प्र￸त उनके भिक्त-भाव का ही
करने लगे, वहां उन्ह पयार्प्त धन और यश िमला। 1664 म उनक प रचायक है -
मृत्यु हो गई।
मेरी भव बाधा हरो, राधा नाग र सोय।
जा तन क झाई परे, स्याम ह रत द￸ु त होय।
िबहारी ने नी￸त और ज्ञान के भी दोहे लखे ह, कतु उनक संख्या
2 कृ￸तयाँ बहुत थोड़ी है। धन-संग्रह के संबध
ं म एक दोहा दे खए -
म￸त न नी￸त गलीत यह, जो धन ध रये ज़ोर।
िबहारी क एकमात्र रचना सतसई है। यह मुक्तक काव्य है। इसम खाये खच जो बचे तो ज़ो रये करोर।।
719 दोहे संक लत ह। िबहारी सतसई श्रृग
ं ार रस क अत्यंत प्र■सद्ध
और अनूठी कृ￸त है। इसका एक-एक दोहा हदी सािहत्य का एक-
एक अनमोल रत्न माना जाता है। 3 3 प्रकृ￸त-￸चत्रण

प्रकृ￸त-￸चत्रण म िबहारी िकसी से पीछे नह रहे ह। षट ॠतुओं का


उन्ह ने बड़ा ही सुंदर वणर् न िकया है। ग्रीष्म ॠतु का ￸चत्र दे खए -
3 काव्यगत िवशेषताएं कहलाने एकत बसत अिह मयूर मृग बाघ। जगत तपोतन से िकयो,
द रघ दाघ िनदाघ।।

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2 11 बाहरी क￸डयाँ

िबह र गाव वालो िक अर■सक्त का उपहास कत हुए कह्ते है कर अलंकार


फुलेल को आचमन िमथो कहत सरिह रे गन्ध म￸तहीन इत्र िदखवत
कािह
अलंकार क कारीगरी िदखाने म िबहारी बड़े पटु ह। उनके प्रत्येक
दोहे म कोई न कोई अलंकार अवश्य आ गया है। िकसी-िकसी दोहे
3 4 बहुज्ञता म तो एक साथ कई-कई अलंकार को स्थान िमला है। अ￸तश-
योिक्त, अन्योिक्त और सांग पक िबहारी के िवशेष िप्रय अलंकार
ह अन्योिक्त अलंकार का एक उदाहरण दे खए -
िबहारी को ज्यो￸तष, वैद्यक, ग￱णत, िवज्ञान आिद िविवध िवषय
का बड़ा ज्ञान था। अतः उन्ह ने अपने दोह म उसका खूब उपयोग स्वारथ सुकृत न श्रम वृथा देखु िवहंग िवचा र।
िकया है। ग￱णत संबधं ी तथ्य से प रपूणर् यह दोहा दे खए - बाज पराये पािन पर तू पच्छीनु न मा र।।
कहत सवै वेद िदये आं गु दस गुनो होतु। एवम्
￸तय ललार बदी िदय अिगनतु बढत उदोतु।। मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरी सोई!
जा तन क झाई पारे, श्यामु-ह रत-द￸ु त होई!

4 भाषा
सािहत्य म स्थान
िबहारी क भाषा सािह त्यक ब्रजभाषा है। इसम सूर क चलती
ब्रज भाषा का िवक■सत प िमलता है। पूव हदी, बुद ं ेलखंडी,
िकसी किव का यश उसके द्वारा र￸चत ग्रंथ के प रमाण पर नह ,
उदर् ,ू फ़ारसै आिद के शब्द भी उसम आए ह, कतु वे लटकते नह गुण पर िनभर् र होता है। िबहारी के साथ भी यही बात है। अकेले
ह। िबहारी का शब्द चयन बड़ा सुंदर और साथर् क है। शब्द का सतसई ग्रंथ ने उन्ह हदी सािहत्य म अमर कर िदया। श्रृग ं ार रस
प्रयोग भाव के अनुकूल ही हुआ है और उनम एक भी शब्द भारती के ग्रंथ म िबहारी सतसई के समान ख्या￸त िकसी को नह िमली।
का प्रतीत नह होता। िबहारी ने अपनी भाषा म कह -कह मुहावर इस ग्रंथ क अनेक टीकाएं हुई ं और अनेक किवय ने इसके दोह
का भी सुंदर प्रयोग िकया है। जैसे - को आधार बना कर किवत्त, छप्पय, सवैया आिद छं द क रचना
मूड चढाऐऊ रहै फरयौ पीिठ कच-भा । क । िबहारी सतसई आज भी र■सक जन का काव्य-हार बनी हुई
है।
रहै िगर प र, रा खबौ तऊ िहय पर हा ।।
कल्पना क समाहार शिक्त और भाषा क समास शिक्त के कारण
सतसई के दोहे गागर म सागर भरे जाने क उिक्त च रताथर् करते
ह। उनके िवषय म ठीक ही कहा गया है -
शैली
सतसैया के दोहरे ज्य नावक के तीर।

िवषय के अनुसार िबहारी क शैली तीन प्रकार क है - देखन म छोटे लग, घाव कर गंभीर।।
अपने काव्य गुण के कारण ही िबहारी महाकाव्य क रचना न करने
• 1 - माधुयर् पूणर् व्यंजना प्रधानशैली - श्रृग
ं ार के दोह म।
पर भी महाकिवय क श्रेणी म िगने जाते ह। उनके संबध ं म स्वग य
• 2 - प्रसादगुण से युक्त सरस शैली - भिक्त तथा नी￸त के दोह राधाक ृ ष्णदास जी क यह सं प त्त बड़ी साथर् क है - यिद सूर सूर
म। ह, तु ल सी शशी और उडगन क े शवदास ह तो िबहारी उस पीयूष
वष मेघ के समान ह ■जसके उदय होते ही सबका प्रकाश आछन्न
• 3 - चमत्कार पूणर् शैली - दशर् न, ज्यो￸तष, ग￱णत आिद िव- हो जाता है।
षयक दोह म।

1 यह भी देख
रस
• हदी सािहत्य
यद्यिप िबहारी के काव्य म शांत, हास्य, क ण आिद रस के भी
उदाहरण िमल जाते ह, कतु मुख्य रस श्रृग ं ार ही है। • री￸त काल

• केशव

छं द • भूषण

िबहारी ने केवल दो ही छं द अपनाए ह। दोहा और सोरठा। दोहा


छं द क प्रधानता है। िबहारी के दोहे समास-शैली के उत्कृष्ट नमूने 11 बाहरी क￸डयाँ
ह। दोहे जैसे छोटे छं द म कई-कई भाव भर देना िबहारी जैसे किव
का ही काम था। • िबहारी पर ल मी गुप्त जी का लखा लेख
3

• िबहारी क रचनाएँ किवता कोश म


4 12 पाठ और ￸चत्र के ोत, योगदानकतार् और लाइसस

12 पाठ और ￸चत्र के ोत, योगदानकतार् और लाइसस

12 1 पाठ
• िबहारी (सािहत्यकार) ोत: https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%
E0%A5%80_(%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%
95%E0%A4%BE%E0%A4%B0)?oldid=2554226 योगदानकतार्: Mitul0520, Nahar7772, पू￰णमा वमर् न, Matra, िकशोर, Pratishtha, Dr.jagdish,
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12 2 ￸चत्र

12 3 सामग्री लाइसस
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