Professional Documents
Culture Documents
5 - Dr. Ahmed Sir - Laghu Katha Lekhan
5 - Dr. Ahmed Sir - Laghu Katha Lekhan
अनच्
ु छे द-6,
औपचारिक पत्र-5,
सच
ू ना-5,
ववज्ञापन-5,
5.
ONLINE CLASS
3.
अभ्यास-पत्र आत्मीकिण
(Assimilation)
(Work Sheet)
4.
पन
ु िाववृ ि
(Recaptulization)
• िघु कथा सत्य, पौिाखणक, िालमषक • कहानी कल्पना, ववचािोिे जक, मुतत
• िघु कथा लशिाप्रद होती हैं। • कहानी मनोिं जनप्रद होती हैं ।
• िघु कथा 120 शब्दों तक सीलमत • कहानी में शब्दों की सं ख्या सीलमत
सलमतत के सदस्य थे, पि काम कुछ किते नहीं गडबड पैदा किते थे औि कोिी वाहवाही
वे सलमतत की बैठक में नहीं आवें ऐसा कुछ िोग किना चाहते थे, पि वे तो बबना बि
ु ाए
पहंु चने वािे थे। किि यहां तो उनको तनमंत्रण भेजा ही जाता, तयोंकक वे सदस्य थे।
एक व्यक्तत बोिा, 'एक तिकीब है । सांप मिे न िाठी टूटे । सलमतत की बैठक की सूचना'
नीचे यह लिख हदया जाए कक बैठक में बाढ़-पीड़डतों के लिए िन-संग्रह भी ककया जाएगा।
वे इतने उच्चकोहट के कंजूस हैं कक जहां चंदे वगैिह की आशंका होती है , वे नहीं पहुंचते।'
समय वह मािथा मम्मी से लिपटकि बच्चे की तिह िोया। उन्होंने उसके माथे पि ममत्व के स ैकडों चंब
ु न टााँक हदए। ‘गॉड ब्िे स यू माय चाइल्ड....’ डॉ0 कोठािी से
उसने कहा भी था, ‘‘डॉ0 साहब! आज अगि इस अस्पताि से म ैं क्जंदा िौट िहा हूाँ तो आपकी दवाइयों औि इंजेतशनों के बि पि नहीं , मािथा मम्मी के प्याि के
बि पि।’’
उस िोज वे उसे गे ट तक छोडने आई थीं औि जब तक उसकी गाडी अस्पताि के गे ट से बाहि नहीं हो गई, वे अपिक खडी ववदाई में हाथ हहिाती िही थीं....
वही मािथा मम्मी....आज जब अिसे बाद वह उनसे वाडष में लमिने पहुाँचा तो उन्हें दे खकि खश
ु ी से पगिा उठा। वे एक मिीज के पिंग से सटी उसकी किाई थामे
िडकनों का अंदाजा िगा िही थी। उन्होंने मिीज की किाई हौिे से बबस्ति पि हटकाई कक उसने उन्हें अचानक पीछे से बाजओ
ु ं में उठा लिया।
वह सकपका उठा। उन्हें िशष पि खडा किते हुए उसने अचिज से मािथा मम्मी को दे खा। ‘‘म ैं आपका बेटा अशोक, मम्मी? पहचाना नहीं आपने म झ
ु े....!’’
गया। मिीज के पपड़डयाये होंठ पीडा से बबिबबिाते बुनबुदा िहे थे, ‘‘मााँ....ओ....मााँ....हा....आ....’’
‘‘माय चाइल्ड, आॅय अंम ववद यू। हैव पे शन्स...हैव पे शन्स...’’ उसकी मािथा मम्मी अत्यन्त स्नेहहि स्वि में उस मिीज का सीना सहिा िही थी....’’