You are on page 1of 144

जीवन उ यन के

इलेवन कमांडमट् स
आजीवन लीडर रह

संतोष नायर
काशक
जयको प ल शग हाऊस
ए–2 जश चबस, 7–ए सर फरोजशाह मेहता रोड
फोट, मु बई – 400 001
jaicopub@jaicobooks.com
www.jaicobooks.com

© संतोष नायर

ELEVEN COMMANDMENTS OF LIFE MAXIMIZATION


जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स
ISBN 978-81-8495-492-0

अनुवादक: कामायनी महोदय

पहला जयको सं करण: 2013


तीसरी जयको आवृ ी: 2015

बना काशक क ल खत अनुम त के इस पु तक का कोई भी भाग, कसी भी कार से इ तेमाल नह कया जा


सकता, न कॉपी कया जा सकता है, न रका डग और न ही क यूटर या कसी अ य मा यम से टोर कया जा
सकता है।
लेखक प रचय

संतोष नायर, माट े नग एंड क स ट सी स वसेस ा. ल., भारत क सव े उ म पांतरण क प नय म से


एक के चेयरमैन एवं मु य श क (मे टर) ह। वे एक अ णी श क, ेरणादायी व ा एवं कोच ह व से स,
नेतृ व व उ मता उनके य वषय ह। उनके ा यान क वशेषता है उनका जीवन पांत रत करने वाला दशन
एवं उसके जीवंत उदाहरण जसे वे अपनी ऊजा से प रपूण व ओज वी शैली म तुत करते ह, और इसी कारण वे
आज के सवा धक लोक य श क है जनसे हर तर का ोता कुछ सीखना चाहता है।
संतोष के बल श ण काय म व ओज वी ा यान ने कई भारतीय एवं ब रा ीय क प नय के कौशल एवं
उ पादकता संवधन म योगदान दया है, इन क प नय म कई व क उ कृ कंप नयां आती है, जैसे क
वोडाफोन, ए शयन पट् स, ा टर एंड गै बल, एच डी एफ सी, कोकाकोला, एयरटे ल, लो ला ट, आय ट ड यू
इं डया, सोडे सो पास, म ह ा एंड म ह ा, सट गोबेन लास, फ ल स, आयन ए सचज, गोदरेज, एल आय सी,
टाटा मोटस, मोतीलाल ओसवाल स यो रट ज़ ल मटे ड, यू हॉलड ै टर, ंडई मोटस, आ द।
बीस लाख से अ धक य के जीवन एवं 1500 से अ धक उ मय के काय को पांत रत व उ य नत करने
के बाद उ ह ने अपना जीवन छोटे एवं म यम आकार के उ म को उ कृ बनाने हेतु सम पत कर दया है। आज वे
एक उ मता श क के प म छोटे एवं म यम उ म को एक बड़े भ व य क संक पना तैयार करने व उसे
साकार करने म सहायता करते ह। आज व भ वषय पर उनके सैकड़ो ओ डयो व वी डयो उपल ध है, जनका
उ े य है, त दन कम से कम एक को ेरणा दे ना।
पु तक क शंसा

इस पु तक क सबसे बड़ी खूबी है क आप इसे एक बैठक म ही आद से अंत तक पढ़ सकते ह... यह वाकई ेरक
है!
– राधाकृ णन प लै
लेखक–कॉरपोरेट चाण य,
नदे शक–चाण य इं ट ट् यूट ऑफ प लक लीडरशीप,
मु बई व व ालय

इस पु तक म स म लत संतोष के गत जीवन क कहा नयाँ, जनम उनके संघष, असफलता , ढ़ता एवं
उपल धय का वणन ह, इस पु तक को अ य से फ–हे प व नेतृ व पर लखी गयी पु तक से अलग बनाती है।
अव य पढ़!
– अ य गाँवकर,
रा ीय मुख – ीपेड ए वीजीशंस,
कॉरपोरेट ॉड ट माक टग
आइ डया से यूलर

संतोष के लये उ साह एवं अगले तर क प रक पना ही उनका जुनून है, और वह इस पु तक म प झलकता है।
यह पु तक “रचना मक–बेचैनी” एवं “सकारा मक असंतोष” का संचार करती है, ता क आप एक उ ोगी क
ेरणा पा सक।”
– बी. ओ. मेहता
सीनीयर े जडट,
पी डलाइट इंड ज़ ल मटे ड

अ यंत भावकारी बल एवं स मोहक! आपक च बनी रहती है, तथा आप गहरे वचार म डू ब कर खोजने पर
मजबूर हो जाते ह क आप कौन ह और आप कहाँ जाना चाहते ह। कथा प म लखी गई यह पु तक एवं इसके
येक अ याय के साथ अ यास काय का होना पाठक के लये पु तक म तुत अवधरणा का जीवन म योग
सरल बना दे ता है, यही पु तक क व श ता भी है।
– राजे सूद
नदे शक एवं मुख – यू इ न शए ट स
मै स लाइफ इं योरस क पनी ल मटे ड

यह पु तक वा तव म मनोहारी है। सभी उभरते उ मय को इसे “अव य पढ़ना” चा हये।


– महेश शेट्ट
सीएमडी,
एमट एजुकेयर ल मटे ड
(महेश ट् यूटोरीय स को सफल बनाने वाले)

संतोष के सीधे दय से नकले, ऊजापूण व भावना से ओत ोत संदेश, सभी ोता को े रत कर बाँध लेते ह
और उ ह वे यारह कमांडमट् स दे ते ह जो क एक उ कृ जीवन जीने के दशन को उन तक प च
ँ ाते ह।
– वॉरेन पै क
सीनीयर वाइस े जडट एवं ुपहेड ऑफ ल नग
एडलवाइज कै पटल
भूतपूव सी नयर वाइस े जडट–
े नग एंड डेवलपमट एचएसबीसी बक

इस पु तक म कई सू है जो बताते ह क एक “ ग तशील – मानस” कैसा हो। एक साथक जीवन जीने का व


आजीवन उ त पाने का नु खा यहां उपल ध है, और इसे संतोष ने भी अपनाया है। वे सभी, जो “ ासं गक बनना
चाहते ह” और “ ासं गक बने रहना चाहते ह” – वे अव य पढ़।
– अ नल झा
सी नयर बजनेस एसो शएट
लाइफ इं योरस काप रेशन ऑफ इं डया
(भारत के अ णी वकास अ धकारी)

इस पु तक के मा यम से संतोष ने अपना उ साह अपने पाठक तक प ँचा दया है। यह पु तक आपको काय करने
को े रत करेगी, आपके व म अ व सनीय प रवतन लायेगी, आपक छु पी ई रचना मक ऊजा को वतं
करेगी और उ कृ ता के उ कष क ओर आपका मागदशन भी करेगी।
– भरत पारेख
भारत के नं. 1 जीवन बीमा एजट,
18 बार एमडीआरट के लये चुने गये ( मलीयन डॉलर राउ ड टे बल)
12 बार सीओट के लये चुने गये (कोट ऑफ टे बल)
8 बार ट ओट के लये चुने गये (टॉप ऑफ द टे बल)

संतोष नायर क उ मता क वृ और उनक लोग को े रत करने क अलौ कक यो यता, व उनक मता के
उ यन को बढ़ावा दे ने का उनका गुण उनके शु आती वष म ही दखने लगा था। यह मेरे लये एक गत
स ता का वषय है क कुछ लोग को ेरणा दे ने वाले एक उभरते ए ेरणादायी से बढ़कर, आज वे एक
अ णी ेरणादायी हो गये है और कइय को लाभा वत कर रहे ह। मुझे व ास है क यह पु तक जो उनके
जीवन दशन का नचोड़ भी है, पाठक के लये प रवतन का उ ेरक स होगी।
– स थया डीसूजा
मैने जग डायरे टर
सथ सस मैनेजमट क सलटट ा. ल.,
भूतपूव हेड एच आर एंड ल नग –कोका कोला इं डया
भूतपूव ुप डायरे टर, एच आर– पाक डे वस वानर ले बाट

“जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स” पु तक हर उस के लये है जो बहाव के व तैरना सीखना चाहता


है, एक उ कृ जीवन जी कर इ तहास रचना चाहता है, न क वयं इ तहास पढ़ या वयं ही इ तहास बन जाये।
– राजेश ए नेलो अथैडे
सीएमडी
सट एंजेलोज ोफेशनल एजुकेशन

एक क ठन वषय जसे अ यंत ेरक प से तुत कया गया, यह पु तक उनके लये है जो यथा थ त से संतु
नह है, और य द इसके नहताथ को दे ख तो यह पु तक सभी के लये है!
– ववेक एस. पटवधन
ए जी यू टव कोच एंड ओडी क स टट
भूतपूव वाइस े जडट, एच आर ए शयन पट् स

इस पु तक म संतोष नायर का सारत व समाया आ है– एक जुनूनी अ यापक, जो सीखता है, सव म काय व
तकनीक का योग करता है और उस पर वचार कर व दोहरा कर और बेहतर बनाता है। यह पु तक पढ़ने म
अ यंत सरल व से फ हे प क पु तक म जुड़ने वाली एक बेहतरीन पु तक है।
– उमा दे वगु तापु
काप रेट डायरे टर – एच आर
इं डया एम.ई.ए. एस.ई ए शया, इ लनॉय टू लव स
(आय ट ड यू, इं डया ल.)

जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स, एक उ ेजनापूण, ेरक, काय मुखी व उ कृ पु तक है, जो इतने बल व


भावपूण प से लखी गयी है क को जीवन उ यन के लये े रत करती ही है।
– एल. राजपाल रेड्डी
भूतपूव एम.डी., वी.आय.पी. अंडरगामटस एवं
डायरे टर लवेबल लगीरी

इस पु तक म उ रत मं को जानना आपको अपने मन क गहराइय को टटोलने म सहायता करता है और आप


अपनी अनजान मता को वतं कर जीवन म अ णी बन जाते ह।
– सैमसन स वेरा
इ टरनेशनल अ ा मैराथनधावक
मैराथन एवं फटनेस श क

“जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स म जो ान दया गया है, वह पूणत: वहा रक और इतना गहन है क
अ धकांश लोग जीवनभर अ यास करने के बाद भी उसे पूरी तरह नह सीख पाते। संतोष नायर ने जीवन के उ यन
के लये एक शानदार पथ द शत कया है........ यह पढ़ने यो य है, और अ धक मह वपूण तो यह है, क यह करने
यो य है।
– ए. ड यू जॉज
मैने जग डाइरे टर,
ट .पी.सी.एल. इं डया, भूतपूव बजनेसहैड हीरो मांइडमाइन
(हीरो ुप)

य द सं ेप म कह तो यह पु तक आपको जीवन क सफलता का फामूला दे ती है, जसे य द आ मसात कर लया


जाये तो “सव ापक साधरणता” से आप न त ही “साथक व श ” हो जायगे,
– नयन कामथ
एसो शएट वाइस े जडट से स, वोडाफोन

संतोष नायर जैसे–सवा धक चतुर व सफल से समैन एवं श क, के जीवन के वा त वक अनुभव, जो इस पु तक


म दये गये है, भारत के कई मह वाकां ी युवा को अव य ही ेरणा दे ग
– अपोरेश आचाय
डायेरे टर ऑफ े नग, एम.आय.एल.ट े नग फाउंडेशन (भारत)
भूतपूव श क डेल कारनेगी असो सएटस, यूएसए
यह पु तक एक ग तशील मनु य म एक कार क बैचेनी एवं आवेग क भावना क रचना करती है। यह वा तव म
पांत रत करने वाली रचना है..........व आपके भीतर न य ही एक बेहतर इंसान को ज म दे गी।”
– आर. के. शेट्ट
चेयरमन–2013 एम.डी.आर.ट ए सपी रएस टा क फोस
(टॉप ऑफ द टे बल (यू.एस.ए))

यह पु तक आर भ से लेकर अंत तक व यात लोग व उनके वयं के जीवन से लये गये उदाहरण ारा पाठक क
च बनाए रखती है। दाश नक कृ त क अ य पु तक क तुलना म इस पु तक ने मुझे एक ण के लये भी नह
उबाया। येक कमांडमट इस तरह व णत कया गया है क पाठक के सामने इसका प च उप थत हो जाता
है, क य द उसने इस पु तक म दये गये नयम का पालन कया तो उसका जीवन कैसा होगा। पु तक म दये गये
र थान, जहाँ पाठक पु तक का कोई भी भाग पढ़ते ए, मन म आने वाले वचार तुरंत लख सकता है, इस
पु तक का सबसे अ छा भाग है। इस कारण थोड़े समय बाद, पु तक व पाठक के बीच संवाद आर भ हो जाता है,
और पु तक आपका गत मनोवै ा नक हो जाती है।
– मनन मेहता
बैचलर इन बज़नेस एड म न े शन के व ाथ
लेखक क शंसा म

लोग को इतना स म बनाना क वे अपने आने वाले कल को वयं ारा नयं त अनुभव कर सक, एक गम काय
है और केवल वही लोग इस चुनौतीपूण काय को करने का बीड़ा उठा सकते है जो वयं इस पथ पर चले है। यह तो
आर भ से ही सु प था, क संतोष को इस बात का पूरा व ास है क केवल वे वयं ही, अपने भा य नमाता है।
हर चुनौती को अवसर म बदलने का उनका ाकृ तक गुण, अपने आस–पास के येक संसाधन का उ यन, व
अपे ा से परे जा कर अनअपे त को पा लेने क उनक यो यता ने इस बात म कोई संशय नह छोड़ा था क वे
एक वजेता ही है।

हमेशा से ही एक स भावना– वचारक रहने वाले, और कभी भी उ र म ना न सुनने वाले संतोष, अपनी नाव
मंझधार म झझोड़ने से कभी भयभीत नह ए, और उ ह ने वा तव म यह कया भी जब उ ह ने जीवन उ यन का
पथ चुना और महान सफलता अ जत क । उ ह ने वयं अपना जीवन पांत रत कर अ य के लये उदाहरण तुत
कया। अपने जीवन के व भ व व तृत अनुभव के आधार पर उ ह ने मता के उ यन, जीवन क गुणव ा
को अ धक समृ करने व उसे अ धक उ पादक एवं संपूण बनाने के माग का मान च तैयार कया। और अपने इस
उ म को लोग को भा वत करने व असंभव क पना को बेच लेने के अपने ई र द गुण से जोड़ कर उ ह ने
कई युवा के जीवन को भा वत कया व अपने पद च हो पर चलने को े रत कया।

इस मन को छू लेने वाली पु तक म संतोष का जीवन उ यन का दशन समाया आ है और यह लोग को उनके तर


उ त करने, उ हे सीमा म जकड़ दे ने वाले व ास को चुनौती दे ने और पांत रत करने वाले प रवतन को,
अपनाने को े रत करती है। य द लोग इस पु तक को पढ़कर ईमानदारी से इन कमांडमट् स का योग अपने जीवन
म कर, तो न त ही उनके भ व य व उनके आस–पास क नया क रंगत बदल जायेगी, और य द ऐसा आ तो,
संतोष नायर का आजीवन नेता बने रहने का व साकार हो जायेगा।
– सुरेश एल. गोकलाने
ए जी यू टव वाइस चेयरमैन, यूरेका फो स ल.
यथा वचन तथा काज! संतोष नायर वह है ज ह ने यह च रताथ कर लाख लोग को अपने अनुसरण के
लये े रत कया है।
स ाईस वष क आयु म, संसार क सबसे बड़ी क प नय म से एक का सी.ई.ओ. होने व आय. आय. एम
(अहमदाबाद) व इं ज नय रग क ड याँ ा त कर लेने के बाद म वयं को नया का शंहशाह समझने लगा था,
और तब मेरी मुलाकात संतोष नायर से ई। म समझने लगा क अभी मुझे और कतना सीखना है– वसाय के बारे
म, लोग के बारे म, बंधन, नेतृ व, जीवन और वयं के बारे म भी।
जस समय म 10,000 लोग के दल का नेतृ व कर रहा था, उ ह ने मुझे फर से े रत कया। उ ह ने मुझे मंझधार
म अपनी नाव झझोड़ने क ेरणा द और इस या म मेरे भीतर के उ मी ने ज म लया। समय के साथ संतोष
मेरे ेरणा पुंज बन गये और मुझे सफलता के लये े रत करते रहे।
इस पु तक म दये गये इलेवन कमांडमट् स, संतोष नायर के लये, वाकई वेद–वा य से कम नह है। उ ह ने अपना
जीवन इ ह के आधार पर जीया है। मने भी इन कमांडमट् स को आ म सात करने का य न कया है, और फल
व प मुझे सु प उ मु उजा और अ व सनीय प रणाम मले है।
य द कोई पु तक है, जसे आप सफ पढ़े ही नह , अ पतु जीवन म भी उतारे........................तो वो यही है।
– र व स सेना
सी.ई.ओ,
एम.आई.एस.बी, बो कोनी कूल ऑफ बज़नेस
एमडी, वंडरशेफ होम अ पलायंसेस
भूतपूव मैने जग डायरे टर–सोडे सो

(आज के सफल उ मी र व को कई क प नयाँ व ांड था पत करने का ेय जाता है, जनम शा मल है–सोडे सो,
लो रया ज स कॉफ ज, फन सट , एवं येलो च ल रे ां जनम भारत म 75,000 से अ धक लोग काम करते है।)

स ह वष तक एक वसाय को था पत करने व चलाने के बाद म मानता ँ क जीवन का खेल खेलने क


अंत मुझे जस व व ालय से मली उसका नाम है–“ध क का व व ालय”।

मने अपने क रयर के ब त आर भ मे ही यह सीख लया था क मुखतम अपनी पुरानी ग तय को ही


दोहराते रहते है। उनसे समझदार सीखत ह, और आगे बढ़ जाते ह। सबसे समझदार न केवल अपने जीवन के
अनुभव से अंत पाते ह अ पतु अ य समझदार लोग , जैसे संतोष नायर, ारा र चत परेखा और तकनीक
को भी अपना लेते है।

इस जीवन या ा म संतोष मेरे सहया ी भी है और मेरे मानस का एक भाग भी। इस पु तक म सफलता के वषय म
उ ह ने जो भी अमू य अंत: याँ इतनी उदारता से लोग के साथ बांट है, वे मेरे वयं के अवलोकन का त ब ब
है। संतोष ने जस दशन, आचारशा ा, आचार वहार एवं नी तय को उ चा रत कया है, वे अभी से स है प पर
का शत अ य कसी भी सा ह य म नह मलती। मै ऐसे कई धुरंधर वसा यय को जानता ँ जो अपनी
अंत ेरणा से उ ह न कष पर प ँचे है और लाभा वत ए है जनका वणन संतोष नायर ने कया है।

जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स एक क तमान था पत करने वाली पु तक है और ऐसे ारा लखी


गयी है जसे जीवन का सामना गरेबान से पकड़ कर करने व चुनौ तय को जीने का जुनून है। म हर उस उ मी,
माक टग का काय करने वाले एवं वसायी को यह पु तक पढ़ने क सलाह ं गा जो अपने जीवन व
वसाय को सफल बनाना चाहते है।
– संजीव गु ता
मैने जग डायरे टर, लोबल एडवरटाइज़स,

संतोष नायर एक उ च–यो यता वाले ोफेशनल है, तथा उ ह ने जीवन क हर भू मका का न पादन सव कृ प
से कया है। उनके साथ काम करना एक मनोरंजक अनुभव है य क उनका उ साह आपको े रत करता है वे
अथाह प र मी है और येक व तु के व तृत योग के त वृ रहते है।

उनका जीवन व काय के त “हो सकता है” का सकारा मक ख म व सहक मय को समान प से


भा वत करता है। वे केवल काय के स पादन एवं न पादन म ही व ास नह रखते, अ पतु अपने सहक मय को
सखाने व उ त बनाने को भी मह व दे ते है।

मेरी सम त शुभकामनाय उनके साथ है।


– ए. ड यू. जॉज
मैने जग डायरे टर
ट .पी.सी. एल, इं डया
भूतपूव बज़नेस मुख, हीरो मांइडमाइन
(हीरो ुप)
अनु म णका

आभारो
समपण
ा कथन
तावना
चेतावनी
साथक जीवन.....एक प रचय
कमांडमट 1 : अपने अवसान क त थ क घोषणा
कमांडमट 2 : स भावना के वचारक बन
कमांडमट 3 : जीवन नैया को बीच मंझधार म ले जा कर झझोड़
कमांडमट 4 : वाय बन : आज ही अपना सं वधान घो षत कर
कमांडमट 5 : घो षत कर: मेरे चार ओर का येक संसाधन उ य नत होगा
कमांडमट 6 : अपने वचार , श द व या को घो षत कर
कमांडमट 7 : घो षत कर क आप आजीवन लीडर रहगे
कमांडमट 8 : भावनाएँ सोखने वाले वकषण को अल वदा कह
कमांडमट 9 : एकाक होने के लये तैयार रह
कमांडमट 10 : घो षत कर आप चरजीवी ह
कमांडमट 11 : ऐसा जीवन जीय, जसक अनुकृ त क ठन हो
उपसंहार
संदभ
आभारो

पु तक लखना, सदा ही मेरी कायसूची का भाग रहा है, क तु म नह जानता था क यह इतनी ज द हो जायेगा।
वह 10 फरवरी 2011 का दन था, इस दन मने जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स पर मु बई के एक सभागार
म करीब 2500 लोग के सम ा यान दया था। यह पर जयको प लकेशंस के मु य संपादक ी रायसम
शमा– ज ह अब मै ेम से शमा जी बुलाता ,ँ ने इस पु तक को लखने का बीज बोया।

शमा जी क पहल के बना यह पु तक संभव नह हो पाती, उ ही के जोर दे ने पर मने यह पु तक लखी, और एक


अय है न ही परी पू णमा जो पूरी गाढ़ता से मुझे उ सा हत करती रही। ये वही है ज ह ने अथक प र म व
मुझे नरतर याद दला कर यह सु न त कया क म अपना काय समयसीमा म पूरा कर सकूं। जब तक म इस ह
पर ँ एक लेखक के प म मेरे ज म व ा भाव का ेय जयको प लकेशंस के अथक यास को ही जायेगा।
समपण

यह पु तक मेरे पता ी के. एस. नायर को सम पत है, जनसे मने मजबूत होना सीखा।

मेरी माता ीमती इं दरा एस. नायर को मुझे नीचे न गरने दे ने के उनके जुनून व हठ के लये।

मेरी बहन सुधा नायर एवं सीमा मेनन को जनके मुझम व ास ने मेरा वयं म व ास मजबूत कया।

मेरी प नी सधु को, जनका अ तीय व नः वाथ ेम मेरी वा त वक मता को उजागर करने म सहायक
आ।

मेरी तीन सुंदर बे टय दे वका, माल वका तथा रा धका को ज ह ने कभी मुझसे समय का आ ह नह कया,
जब म अ य धक त था।

मेरे अ धका रय और उनके अ धका रय को–अ नल कुमार गु ता, अ नल अ बो, लीलू ब ा, राजेश म हो ा,
वनोद वामी, स थया डीसूजा, सुरेश गोकलाने, अ खल मरफ तया, ए. के. सु हम यम, पी. के. रॉय, ए. बी.
सुरेश, मनीष कौल, अशोक कुमार,

अ ण नलवड़े, जॉन से वाराज, जे. पी. सह एवं ए. ड यू. जॉज, जनके ान ने मुझे वह बनाया जो म आज
ँ।

मेरे सभी मौजूदा व भूतपूव, सहक मय , अधीन य व smmart के कमचा रय को जनके न वाथ समपण ने
मेरे जीवन के संपूण उ यन म सहायता क ।

मेरे सभी ाहको एवं नयाभर म फैले शुभ च तक को जनके सीमाहीन समथन व ेम ने मुझे एक महान
से समैन, से स मैनेजर, नेता, श क, कोच व उ मी बनाया।

उन सभी महान वचारक एवं दाश नक को, जनके जीवन , वहार , पु तक , ओ डय , वी डय एवं संपूण
अ त व ने मुझे, उ ह एक मापदं ड न मानकर एक ऐसे मील के प थर के प म दे खने को े रत कया, जहाँ
से मेरी या ा का आर भ अपे त ह।

और अंत म मेरी ए जी यू टव अ स टट नौशीन मचट को म जनक यो यता व सहयोगशीलता को आंकने


क थ त म कभी नह रहा। उनके बना यह पु तक बन ही नह सकती थी। ध यवाद नौशीन, आपके
नः वाथ समपण के लये, जससे मेरे सव म काय का स पादन हो पाया। ध यवाद, मेरे साथ यह पु तक
लखने के लये.....................ध यवाद मेरे वचार को श द दे ने के लये।
ा कथन

आज के इस ग तशील एवं तगामी संसार म मानव जीवन को उजावान व उ सा हत रखना और अ धक चुनौ तपूण
होता जा रहा है। कसी भी के लये क ठन शारी रक एवं मान सक अपे ा के बीच एक संतोष द जीवन
जीने का अथ है, अपनी यो यता व मता के साथ संपूण जीवन का उ यन। जीवन के उ यन का यह गुण
अचानक, अनजाने म या त या व प नह मलता। उ यन वे छा व संपूण चेतनता के साथ कया गया एक
यास है।
म संतोष को एक दशक से जानता ँ और सदा ही उनके उ साह, ऊजा व संघषपूण जीवन से डटकर मुकाबला
करने क उनक वृ त का शंसक रहा ँ। संतोष क ती ता, भावशीलता व उ साह म नरंतर वृ ही ई है। मेरी
सं था म ह ा एंड म ह ा के साथ उनक या ा 1998 म आर भ ई और तभी से मने उ हे अपने समूह क व भ
क प नय म कायरत कई सहक मय को े रत करते दे खा है।
जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स पु तक जीवन के त उनके उ साह व जोश का एक सरल व सुबोधपूण वणन
है। इस पु तक म संतोष ने जीवन के हर प को चुनौती द है और द शत कया है क उ ह ने वंय से उ कृ ता
कैसे चाही, क ठनाईय क अवहेलना कैसे क , समाज के मा य नयम को कैसे तोड़ा, और कैसे पारंप रक वचार
को तोड़ कर सदा एक ड यू. आय. पी. (वक इन ो ेस–कायशील ) बने रहे। वे यह भी बताते है क कस
कार कोई भी इन सरल इलेवन कमांडमट् स को अपनाकर अपने जीवन को उ य नत कर, एक अ तीय
जीवन जी सकता है, और इनका योग वयं के लये ही नही, अ पतु अपने आस–पास के लोग के जीवन
को भी पांत रत करने के लये करता है। कसी भी के जीवन उ यन का अथ है उसक वा त वक
मता को बंधनमु करना, अपने नकटवत संसार को े तम बनाना और इस बात का यान रखना क
आपक उप थ त एक वधक के भाव क रचना करे। अपनी मता के उ यन के लये यह अ नवाय है क
आप व–सं वधान से े रत हो, आ म व ासी हो, वाय ह और बाहरी श य ारा संचा लत न ह । उपल ध
संसाधन म से येक का उपयोग करते ए, अ य लोग क ऊजा व चम का रक भावशीलता को अंगीकार करते
ए; उनका अ ययन करते ए उनसे कुछ सीखते ए; जीवन क अनअपे त थ तय के बावजूद, अपने येय व
मह वाकां ा पर यान क त रखते ए; आपको चार ओर से घेरे ए व भावना मक प से ीण करने वाले
वकषण पर से, य नपूवक यान हटाते ए ही आप सवा धक प रणाम दे पायगे और अपनी पूरी मता को
च रताथ कर पायेग।
संतोष चीज़ को अलग तरीके से करने, यथा थ त को चुनौती दे ने व आव यकता न होने पर भी नये योग करने के
मह व पर भी ज़ोर दे ते ह। अपने वसाय या क रयर के उ कष पर जब सब कुछ ठ क चल रहा हो, जीवन थर
हो, और उ पादन अपने चरम पर हो, तब नये योग करना, नव वचार लाना और चल रहे काय म हलचल खड़ी
करना एक ब त चुनौतीपूण कदम होता है। यह व ास क भ व य, भूत का ही व तार है, बड़ी स भावना को
सी मत कर दे ता है।
अत: जीवन उ यन के लये म नरंतर उ त (राइज) होने व अ य को उ त करने क ती इ छा होना
अ नवाय है। एक बार ये वचार व श द य द हमारे काय म प रव तत हो जाय, तो हमारे लए स भावना के
अंतहीन ार खुल जाते ह। म ह ा समूह ने उ त (राइज़) होने के इस दशन को अपना कर ऐसे समाधान वक सत
कये जनसे ग तशीलता को श मली, ामीण े म स प ता बढ़ और लोग के जीवन जीने के तरीक म
सुधार आया। उ त होने (राइज़) के इस दशन का सार संतोष के दशन क त व न है और आप इसका उ लेख
इस पु तक म कई बार पायगे।
यह पु तक मानवीयता के त उपयु ांज ल है और हर उस के लये पढ़ने यो य है जो जीवन उ य नत
करना चाहता है।
डॉ. पवन गोयनका,
े जडट
ऑटोमो टव एंड फाम इ वपमट से टस
म ह ा एंड म ह ा ल मटे ड
तावना

मने अब तक व भ वषय पर सैकड़ो काय म कये ह क तु जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स अ ववा दत


प से सव े है– यह मुझे सवा धक य भी है य क इसम मेरे पूरे जीवन का नचोड़ समा हत है, और मेरे
जीवन क सबसे ब ढ़या, मूलभूत एवं जीवन पांत रत करने वाली श ाएं एवं अनुभव जनका संकलन मने
पछले 29 वष के दौरान एक से समैन, से स मैनेजर, से सलीडर, एक श क, सलाहकार, श क,
परामशदाता, साम य– वधक, और फर मश: उ त होते ए भारत के जाने माने व स मा नत से स,
आ म व ास, मोट वेशन गु , एक उ मता श क व वयं एक उ मी होते ए कया है। यह पु तक इस अमू य
काय म क पांडु लपी है।

म आशा करता ँ क इस पु तक क वषय–व तु आपके जीवन उ यन म उतनी ही सहायक होगी, जतनी मेरे ई।
चेतावनी

यह पु तक केवल उनके लये है जो जीना, सीखना, ेम करना व अपने पीछे एक वसीयत छोड़ना चाहते ह।

यह पु तक साधारण मनु य व कमजोर दलवाल के लये नह है, अ पतु उनके लये है जो सामा य ह क तु
असामा य होने क ह मत रखते ह और इस असामा यता क क मत चुकाने को भी तैयार ह।
साथक जीवन.....एक प रचय

उ य नत व साथक होना ही जीवन है अ यथा आपका जीवन


एक नरथक या ा से अ धक कुछ नह ।

म जीवन म दो कार के लोग से मला ँ.... पहले वे जो इस नया म आये और चले गये, ले कन उनके अपने
प रवाऱ, नजी म और सहक मय के अ त र कसी अ य को उनके अ त व का भान तक न आ। ये वे लोग
ह, जनके इस पृ वी पर आने और चले जाने से संसार म कोई बदलाव नह आया। ऐसा एक साधारण मनु य
होता है, चाहे वह एक पु हो या पु ी, एक प त हो या प न अथवा माता या पता। वह एक आम कामकाजी
होता ह, जसके वचार, जीवन व जीवन जीने का तरीका भी साधारण ही होते ह। वे वयं को एक आम आदमी के
प म ही दे खते ह और उनका वतमान और भ व य भी आम मनु य का ही होता है। इस साधारण वृ के साथ
एक सी मत सुख–वृत म तीत होते उनके जीवन से उनके नजी साथी व नकट का वातावरण भी भा वत नह
होते। य द जग जगलर के श द म क ,ँ तो म इन मनु य को ‘सव ापक–साधारणता’ का नाम ं गा। ऐसे लोग
साधारण मनु य क ापक भीड़ का ह सा बने रहते ह और इसी प म अपना पूरा जीवन बता दे ते ह।
सरी ेणी म आने वाले लोग थम ेणी वाले इन य से एकदम वपरीत होते ह। ये वे लोग ह ज ह ने
भीड़ से ऊपर उठकर अपने जीवन म महान काम कये है और नया पर अ मट छाप छोड़ी है। अपने उ ोग ,
समाज या मानवता को उनका योगदान अतुलनीय है। फर चाहे वह ए आर रहमान ह या बाबा आ टे ( ज ह ने कु
रो गय के लये आ य थल बनाया) मा टन लूथर कग, ट व जॉ स (ए पल कंपनी) ने सन म डला या अ य।
इन य को इनके साथक जीवन, ब लदान , भोगे गए ःख व आघात , साह सक फैसल , कदम–कदम पर
मलने वाली चुनौ तय व अंतहीन वरोध का सामना करने, तथा अपने ज बे, संघष, जोश और म त के त
जुनून व नकारा मक प र थ तय म न टू टने के लये जाना जाता है। इस प रचय के अभाव म ने सन म डेला के
जीवन को समझना क ठन होगा ज ह ने अपने जीवन के 26 वष रंगभेद क नी त का वरोध करते ए जेल म
बता दए। छ बीस वष क सजा कसी भी क अपने म त के लए संघष तो या जीने क इ छा भी
समा त करने के लए काफ है। ये सभी उस सरी ेणी म आने वाले लोग ह ज ह हम ‘ व श साथक’ का नाम दे
सकते ह। ये वे लोग ह जो ल बे समय से नरंतर, एक आदश नायक का असाधारण जीवन जी रहे ह, उनके वचार,
श द, काय व याएँ एक साधारण के लये उदाहरण है और वह उनका अनुसरण करता है। उनक
उप थ त एक उ सव का कारण बन जाती है और अनुप थ त ऐसा शू य बन जाती है जसक पूत कोई अ य
संपूण जीवन म भी नह कर सकता। इस ेणी म आने वाले लोग के जीवन से उनके आसपास रहने वाले व
उनसे जुड़े लोग का जीवन भी भा वत होता है और यह भाव उनक मृ युपयत भी बना रहता है। ये ऐसे जीवन
होते है जो ब त के अ त व का कारण बन जाते ह; उनका जीवन वयं उनसे कह बड़ा व महान होता है, यह ऐसा
जीवन है जसे दोहराया नह जा सकता। इस संसार म लाख करोड़ लोग ज म लेते है, अपना जीवन तीत करते
है, और चले जाते है। ब त कम लोग ऐसे होते है जो जीवन जी कर इस संसार से वदा लेते है।
ब त कम लोग साथक– वशेष क ेणी म आते ह (5 तशत) अ यथा अ धकांश जन–जीवन उसी
सव ापक–साधारणता का ही भाग होता है। अत: यहां से हम सव ापक–साधारणता को आम मनु य व साथक–
वशेष को साथक–जीवन के नाम से संबो धत करगे।
बचपन म हम सभी अ मताभ ब चन, नील आम ांग, बल गेट्स (माइ ोसॉ ट), बनना चाहते थे, या सरे
श द म कह तो हम साथक– वशेष लोग के समूह का ह सा होना चाहते थे। ले कन जैस–े जैसे हम बड़े ए, दै नक
जीवन क बढ़ती क ठनाइय व बढ़ती उलझन ने हम अपने जीवन के येय को पाने का मौका नह दया। और हम
सव ापक–साधारणता का ह सा हो गये।
तो फर हम कैसे इस ेणी से उपर उठ कर वयं को इस साथक– वशेष के समूह का ह सा बनाय? वह या
है जो इस 5 तशत जनसं या को भीड़ से अलग कर के एक व श ता दान करता है?
मने एक साथक– व श होने का नणय 4 ऑ टोबर 1985 को लया। यह वह दन था जब मने एक से समैन
के प म यूरेका फोबस् म काम करना आर भ कया। तभी से म अपने जीवन को एक साथक–जीवन बनाने क
या म ँ। पछले 29 वष क इस या म मने एक चीज़ अनुभव क है।
नणय लेने वा े.....
वे लोग जो एक साथक– व श होने का नणय ले लेते ह.... जाने अनजाने म साथक उ य नत जीवन जीने क
कला का अ यास आरंभ कर दे ते ह।

जीवन का उ यन / साथक जीवन या है?


जीवन एक ई र द भट है। हम सभी को आज से 20, 30, 40, 50, या 60 वष पूव यह भट ा त ई है।
अ धकांश लोग अपने पूरे जीवन म, अपनी मता का केवल 5 तशत ही उपयोग म ला पाते ह। उनक वा त वक
मता, यो यता, ती इ छा , श व जीवन के वा त वक उ े य का 95 तशत अनछु आ ही रह जाता है।
उनके अनहद् नाद को व न व सुर मलने से पहले ही उनका जीवन समा त हो जाता है। जीवन पी इस भट का
सही उपयोग, जीवन को उसक चरम सीमा तक उ य नत करना ही है और यही या नारायण मू त, सरदार
व लभ भाई पटे ल, इला भ , (सेवा– से फ ए लॉईड वमे स असो सएशन क रीढ़), आ मर खान, पीटर कर,
जॉन डी. रॉकफैलर, बजा मन क लन, व टन च चल, थॉमस जैफरसन, जॉज वॉ श टन, वॉ ट ड नी, ए बट
आइ ट न, जॉन एफ. कैनेडी, हैलन क लर, हेनरी फोड (फोड मोटस), सैम वॉ टन (वॉल माट), रे ॉक (मैक
डॉन डस्) व इ ही तरह के कई अ य, ऐसे लोग ह ज ह ने अपनी यो यता क चर सीमा को खोजा और
अपने जीवन को साथक बनाया। ये सभी लोग आयु व समय क सभी सीमा से परे ह और यही इ ह साथक–
वश य के समूह का ह सा बनाता है।
एक साथक–जीवन को आगे बढ़ाने वाले वचार व इन वचार को ग त दे ने वाला दशन और अ धक प होता
जायेगा, य – य हम साथक–जीवन क प रभाषा क ओर बढ़गे।
पछले 29 वष म 200 से अ धक ब रा ीय कंप नय को दये श ण के अपने ापक व व वध अनुभव
के नचोड़ से मने यह प रभाषा तैयार क है। इस श ण ने 12.5 लाख य को जीवन म बदलाव लाने म
सहायता क है, इसके अ त र हज़ार माइ ो– म न व म यम उ मी इस श ण के फल व प पछले 12 वष
से सफलतापूवक अपना काम–काज चला रहे ह।
यह प रभाषा अ यंत क ठन व बल तो है ही, साथ ही इसम जीवन का सार भी ग भत है। साथक–जीवन के
चम कार को अनुभव करने के लये आव यक है क आप इस प रभाषा को अपने मानस म उतार ल। म तो यह
सलाह ं गा क य द आप इस प रभाषा को एक गोदने के प म अपने शरीर पर धारण नह कर सकते तो अपने
घर म ऐसी जगह द क यह प रभाषा आपके जीवन का अ व मरणीय भाग हो जाय – चाह तो आप इसे अपने
बाथ म म, अपने ब तर के पास, ज पर, टे ली वज़न के नकट या अपने अ ययन क म लटका ल।
तो यह है वह अमू य प रभाषा,

साथक–जीवन एक ल बी एकाक या है जसम आपके मौजूदा व का नरंतर हनन होता है, आप


संभावना से परे हट कर सोचते ह तथा भाव को य करने वाले वधान से री बना कर, मौजूदा
संसाधन को अकेले ही उ य नत करके अपनी जीवन नैया को मंझधार म ले जाते ह, ता क आपका
जीवन वाय , जीवंत, मजबूत इराद , श द व या से प रपूण एक अ णी नायक का अ तीय
जीवन हो और इस कार का साथक–जीवन आप अं तम सांस तक जी सक।

चता न कर..... व ऐसा न सोच क आपक ावसा यक बु व मता दांव पर लगी है – य द आपको यह
प रभाषा एक बार पढ़ने से समझ म न आये। जैसा मने पहले भी कहा, यह एक क ठन व बल प रभाषा है, जो क
पहली बार पढ़ने पर न त ही आपको कह अ धक पेचीदा लगेगी। क तु कुछ बार पढ़ने के बाद आप इस
प रभाषा म उन महान लोग क झलक पा सकगे, जनक चचा मने पहले क है।
1995 म अपने साथक–जीवन क या ा ार भ करते ए जब मने इन महान तभा के जीवन पर
डाली तो पाया क इन य क रचना ही कुछ अलग है। इस न ल के लोग के या–कलाप म कुछ ऐसा था
जससे मने जाना क:
उनक तं रचना व श थी,
ये नद शत थे।
और आज, जब मने यह पु तक लखना आर भ कया तो मने जाना क,
ये सभी आंत रक प से नद शत थे।
मने इन नदश को कमांडमट् स या ‘आ ा ’ का नाम दया है जो साथक–जीवन क इस राह पर आपका
पथ– दशन करगी।
जरा कये.... या मने अभी–अभी ‘कमांडमट् स’ श द का योग कया? ले कन या कमांडमट् स भु ारा
था पत नयम नह ह? य द हां, तो फर ये नयम साथक–जीवन म कैसे सहायता करते ह?
वा तव म ‘कमांडमट् स’ श द उन लोग को तुरंत कुछ याद दला दे ता है जो जानते ह क ‘टे न कमांडमट् स’
भु ारा सीधे मोज़ेस को दये गये थे तथा इ ह ने इ य को बताया क उ ह इस पृ वी पर कस कार अपना
जीवन जीना चा हये। ले कन या ‘कमांडमट् स’ मा एक धम ारा अनुमो दत जीने का तरीका है? या हम इसे धम
के दायरे के बाहर से भी समझ सकते है?
कमांडमट् स या है?
आ सफोड श दकोश के अनुसार, कमांडमट् स का अथ है,

भु का वधान
एक आदे श
एक अनुदेश
नदे श
आ ा

....... जो क वहार या काय को ऐसे उ चत आचरण क ओर नदे शत करता है, जसका धा मक


होना आव यक नह है।

बीते दन म मने यारह अनुदेश का संकलन कया है, जो मने वयं को कई वष पहले दये थे। इ ह अनुदेश ,
आ ा , आदे श व नदे श के कारण, पछले 29 वष क मेरी मानव–या ा ब त ही व थत व नरंतर उ थान
क ओर बढ़ाने वाली रही है। इसका मह वपूण कारण रहा है क मने अपने भीतर के परमा मा को, मुझे इस या ा
के दौरान नद शत करने दया और मने संतोष नायर के वचार , श द व काय को नद शत कया।
मने उसे एक आदे श दया, कुछ काय करने के अनुदेश दये, एक वशेष तरीके से जीवन जीने क आ ा द ,
और उससे एक तमान क मांग क । जी हां, उसे आंत रक प से अनुदे शत कया और ये अनुदेश मने दये।
म नह जानता क आपने कभी वयं को कोई कमांडमट् स दया है; मुझे यह भी नह मालूम क आप भ व य म
वयं को कोई कमांडमट दे ने वाले ह; क तु य द आप ऐसा कुछ करने का नणय लेते ह तो आज ही कर; वयं को
जीने का, ेम का, सीखने का और अपने पीछे एक संपदा छोड़ने का कमांडमट दे ने का सव म दन आज ही है;
बशत आप एक साथक– वशेष होना चाहते ह और साथक–जीवन का खेल खेलने के लये तैयार ह।
जैसे–जैसे यह पु तक आगे बढ़ रही है, म आपके सामने ‘साथक–जीवन के इलेवन कमांडमट् स’ तुत करने
वाला ँ। आप यह इलेवन कमांडमट् स वयं को दे कर अपनी साथक–जीवन क या ा का शुभारंभ कर सकते ह।
यह रह योद्घाटन आपके लये जीवन का अथ व जीवन के त आपका कोण न य ही बदल दे गा और य द
आपने इसे गंभीरता से लया और पूरे मन से इसका पालन कया तो आप जीवन क नई उंचाइय को छू लगे।
इन कमांडमट् स क ओर बढ़ते ए, म आपको चेता ं क यह या ा ब त क दायक, मसा य, चुनौ तय से
प रपूण और जीवन से कह बड़ी है। मेरा आपसे एकमा अनुरोध है क जैसे–जैसे म इन कमांडमट् स, अपने नजी
अनुभव , सफलता और ास दय पर से पदा हटाऊं आप मेरे साथ बने रह।
म , यहां म आपको यह भी बता ं क यह कोई सामा य पु तक नह है। यह उन सैकड़ पु तक से हट कर
है, जो आपने अभी तक पढ़ ह। यहां हम साथक–जीवन क चचा कर रहे ह; अथात, ऐसा जीवन जसे जीने के
लये आपको अ यथा 40 जीवन जीने ह ग। यह ऐसी पु तक नह है जसे आप समय बताने के लये या ा म पढ़
ल, या अपनी आराम कुस म बैठे ए इसके पृ पलट ल या कोई ेरणा पाने हेतु आप इसका कुछ ह सा भोजन से
पहले पढ़ ल। इस पु तक क वषय–व तु इन सभी से कह अ धक गंभीर है।
इस पु तक को आप एक बैठक म पढ़कर इसम समा हत 29 वष के ान को समझ लेने व आ मसात कर लेने
का यास एक मूखतापूण काय होगा। य द आप इस पु तक का वा त वक भाव दे खना चाहते ह और इसके सार
को अपने मानस म उतारना चाहते ह तो यह आव यक है क आप इसक वषय–व तु को पूण प से आ मसात
कर और इसका एक ही तरीका है क आप इस पु तक के येक श द को समु चत समय व यान दे कर पढ़ व
समझ, तभी अगले श द पर जाय।
अत: मेरा आपसे अनुरोध है क आप इस पु तक को एक बैठक म न पढ़। इसका एक–एक अ याय पढ़, उस
पर कुछ ण के लये मंथन कर, वचार कर, ववेचना कर व यह त ा लख ल क येक अ याय व कमांडमट
को कम से कम तीन बार पढ़ने के बाद ही आप अगले पर जायगे।
इस पु तक के लये एक दोसौ पृ क कॉपी ले ल व उसे ‘साथक–जीवन है ड–बुक’ का नाम दे दे ग। येक
अ याय पढ़ने के 24 घंट के अंदर, जो भी आपने सीखा वह इस है डबुक म लख ल। येक अ याय म कुछ
अमल यो य याएं सुझाई गयी ह; उन पर काय तभी आरंभ कर जब आपने तीन बार हर अ याय पढ़ लया है और
उस से आपने जो सीखा उसे है डबुक म लख लया है।
साथक–जीवन क इस या ा के दौरान आपका संतोष नायर क नया म वागत है।
कमांडमट
1
अपने अवसान क त थ क घोषणा

सदा कसी काय म संल न रह,


अ यथा आपका अहंकार मज़बूत हो जायेगा
व आपको लगेगा क आपने अपना गंत पा लया है।
इसी ण से आपक ग त क जायेगी।
आ प शायद आ य कर क साथक–जीवन के संदभ म ‘अवसान– त थ’ क या भू मका है। जस कार
दवाइय क ‘बे ट– बफोर’ त थ होती है; उसी कार या ‘अवसान– त थ’ वह दन है जब तक आप
इस ह पर रहने वाले ह या जस दन तक काम करते रहने का नणय लया है? अवसान– त थ से मेरा
ता पय कुछ और ही है।
अभी तक आप एक वशेष तरीके से अपना काय कर रहे ह गे; अपनी ट म के बंधन का आपका अपना
तरीका होगा। लोग का इ टर ू लेने क शैली आपक अपनी हो सकती है; अपने ब च /जीवन–साथी, अपने बॉस/
सहक मय के त आपका वहार भी व श होगा; आप कसी खास बाज़ार म काम करते ह गे या आप अपना
वसाय भी कसी खास ावसा यक त प के अनु प चलाते ह गे। अब तक आप जस भी या का अ यास
करते रहे ह , वह आपका नय मत वहार बन जाती है, और आपको उसका तफल भी मलता रहता है। य द
आप आज भी उसी नय मत वहार का योग करते रहे तो बेहतर तफल आपक प ंच से र हो जायगे।
स चाई तो यह है क बेहतर तो या, आप अपना अपे त तफल भी नह पा पायगे; य क नरंतर अ यास से
नखारे गये उस वहार क ासं गकता आज समा त हो गयी है।

अवसान त थ उस त थ क ओर संकेत करती है जस पर आपके मौजूदा व, कायशैली या वहार का


अवसान हो जाता है; जससे क आप उ त हो कर अगले तर तक प ंच सक।

य द आप कोई दवा उसक बे ट– बफोर त थ के बाद म लेते ह तो या होगा? या तो वह भावहीन रहेगी या


फर आपको उसके भाव का सामना करना पड़ेगा। इसी कार एक समय के बाद, य द आप चाल–ढ़ाल बात–
चीत, काम करने के तरीके, वहार, वेशभूषा व वयं को तुत करने के वही पुराने तरीके अपनाये रहते ह तो
उनका भाव भी एक पुरानी दवाई के भाव सा ही होगा – या तो आप भावहीन रहगे और आपको कोई तफल
न मलेगा या उनके प रणाम दे खने को मलगे जो क कह अ धक नुकसानदायक ह गे; इनसे आप के आस–पास
क थ त और अ धक बगड़ जायेगी और आप शायद न तो कभी अपने नकट क व तु क कृ त को बदल
पाय और न ही अपने जीवन को उ य नत करके साथक कर सक।
अत: आपको सदा अपने आप से पूछना है क ‘म ऐसा पैरा सटामॉल कैसे बन गया, जससे बुखार काबू म नह
आता? या म ऐसा एंट बॉयो टक ँ जो क रोग का इलाज न कर सके? या म ऐसा गटार बन गया ँ जससे
इ छत धुन नही बज पाती? या म गुलाब का बासी फूल ँ, जसम कोई खुशबू नह है? य द आपका उ र हां है
तो जान ल क आपके ऊपर उठ कर अगले तर तक जाने का समय आ गया है। और जस भी दन आप जीवन म
ऊपर उठना चाह, उस त थ को अपनी अवसान क त थ के प म घो षत कर द।

समय–समय पर नय मत प से वयं को मटाय और ऊपर उठ। एक नये, भ व बेहतर के पम


उभर ।

य द हम नरंतर अपने मौजूदा व को समा त कर अगले तर तक उठने वाले य के बारे म सोच तो


स बॉलीवुड अ भनेता आ मर खान का नाम सहज ही एक य एवं जीवंत उदाहरण के प म सामने आता
है। फ म इंड म इस अ भनेता को नवीनता व रचना मकता का बादशाह माना जाता है। फ म ‘कयामत से
कयामत तक’ म अपनी एक चॉकलेट–बॉय क छ व से हट कर, फ म ‘ दल चाहता ह’ का ‘कूल–ड् यूड– म ’ और
उसके बाद फ म ‘लगान’ का ामीण युवक जो अ यायपूवक लगाए कर के खलाफ़ व ोह करता है या फ म
‘तारे ज़म पर’ म एक प रप व श क क भू मका हो या फर फ म ‘ ी इ डयट् स’ म मौ लक व बदास व ाथ
का प; और फर फ म ‘गज़नी’ का आ ामक नायक या ‘स यमेव जयते’ का साहसी टॉक–शो हो ट – उ ह ने
हर बार अपने नये प से दशक को च काया है और इसी लये उ ह अ तीय कलाकार माना जाता है।
साथक–जीवन क राह पर चलने के लये अपने मौजूदा व को समा त कर उसम समय–समय पर नवीनता
लाना, आव यक ही नह अ नवाय व वां छत भी है।
नणय एवं घोषणा
अपने मौजूदा व को समा त कर दे ने के फैसले क घोषणा करना भी मह वपूण है। लोग अपने मौजूदा व क
समा त का नणय तो ले लेते ह कतु उसको सावज नक प से घो षत करने से बचते ह। जीवन म साथकता तभी
आ पाती है, जब आप अपने नणय क सावज नक घोषणा करते ह।
आप पूछ सकते ह क इसक घोषणा य आव यक है? इसका उ र जानने के लये हम एक स ांत क ओर
चलते ह!

गत दबाव व. सावज नक दबाव


जब आप नया को यह बता दे ते ह क आपके मौजूदा व का समापन होने जा रहा है और आपके काम करने
के तरीक म बदलाव आने वाला है, तो आप अपने साथक–जीवन क या ा म अगले पायदान पर प ंच जाते ह –
चूं क इस थ त म आपके पास कोई वक प नह होता और आपको यह काय करना ही होता है। अब जब आपने
अपना इरादा जग–जा हर कर दया है तो आप अपनी तब ता से पीछे नह हट सकते। और य द आप इसे
काया वत नह करते ह तो आप लोग के उपहास का पा बन जायगे। अत: आपको सावज नक दबाव के चलते
वयं को बदलना पड़ता है।
उदाहरण के लये, एक दन आप यह नणय लेते ह क अब से आप मराठ के नह ब क सफ अं ेज़ी ही म
बोलगे। ले कन आप कसी को इस नणय से अवगत नह कराते ह। इस थ त म आप ऐसी कई प र थ तय , जैसे
क एक आव यक काय, फै म अचानक आ खड़ी सम या या कोई पा रवा रक ःख को बढ़ावा दे दे ते ह, जो
आपके ारा नधा रत दन से पहले ही आपको वच लत कर अपने नणय टालने पर मज़बूर कर दे ती है। आपके
उपर अपने नणय पर अमल करने का कोई नै तक दबाव नह होता है और तय क गयी त थ को टाल दे ने का
वक प हमेशा आपके पास रहता है, आ खरकार, आप कसी को जवाबदे ह नह ह।
अब क पना क जये क आपने एक दन वशेष से मराठ छोड़ कर अं ेजी म बोलने का नणय लया और इस
नणय क घोषणा भी कर द । अब आपको चाहे कतनी ही गंभीर सम या का सामना करना पड़े, आपको
अपनी तब ता को नभाना होगा। चूं क अब आप लोग के त जवाबदे ह ह, और य द नह तो आपसे पूछे
जायगे और अपनी बात से पीछे हट जाने पर आपका उपहास भी कया जायेगा। यह बाहरी दबाव आपको अपने
नणय को या वत करने के लये े रत करता है और इस तरह आप साथक–जीवन के अगले पायदान पर प ंच
जाते ह।
सावज नक जीवन म मह वपूण थान रखने वाले सभी य ने अपना जीवन जीया तथा उससे ेम करते
ए नरंतर कुछ न कुछ सीखा, व एक वरासत छोड़ी; यह तभी संभव हो पाया जब उ ह ने अपने इराद को
जगजा हर कया।
फर भी कई लोग अपने नणय को सावज नक करने से कतराते ह य क उनके लये सावज नक दबाव के
क को नरंतर सहन करना संभव नह है; और इसी कारण वे अपने गंत तक प ंचने म असफल रहते ह।
य द एक बार आपने अपने नणय क घोषणा कर द तो आपके लये अपने मौजूदा व का समापन करना
अ नवाय हो जाता है – य क आपके पास कोई अ य वक प नह रहता।

आप जन व तु अथवा काय का समापन करना चाहते ह उ ह नीचे द गयी ता लका म सू चब कर।


उनके समापन क तारीख व या भी लख और इसक सावज नक घोषणा कर।
बु बनाम बु म ा
व–समापन क इस या के दो मह वपूण अंग ह – बु एवं बु म ा। कसी वषय वशेष को समझना बु
का प रचायक है, जैसे, आप समझते ह क कसी व तु को कैसे बेचा जाय। कतु बु म ा तब कट होती है जब
आप इस ान का योग अपने जीवन म करते ए उसम द ता हा सल कर लेते ह। जैसे क आपने व यकला म
द ता पा ली है। बु का अथ है ान या जानना; जब क बु म ा का अ भ ाय इस ान के उपयोग से है। यह
उपयोग या या वन बार–बार कया जाना होता है, इस उपयोग म ान के साथ व भ योग करना, उनम
नवीनता लाना व उ ह सुधारना न हत है। यह या तब तक दोहराई जाती है जब तक क आप इसम इतनी द ता
न पा ल क इस ान के उपयोग के े म प रणाम क गारंट दे सक, और यही आपक बु म ा का ोतक है।
या लोग इस बात से अनजान ह क उ ह सुबह ज द उठना चा हये, सैर पर जाना चा हये, कुछ समय ायाम
करना चा हये, अपना ान बढ़ाने के लये पु तक पढ़नी चा हये, बज़नेस साल–दर–साल बढ़ना चा हये, च ता नह
करनी चा हये। ले कन या येक ये सब करता है।
अपने आप को मंद बु वाला न समझ, य द आप भी ऐसा ही कुछ करते ह। जैसा क मने पहले भी
कहा है, बु का नह ब क बु म ा का है। सभी य के पास करीब–करीब एक सी बु होती है,
ले कन इस जीवन या ा म कुछ ही आगे बढ़ पाते ह; अ धकांश लोग इसी बात पर मंथन करते रहते ह क ‘वे’ य ,
और ‘हम’ य नह ? इस का उ र ब त ही सीधा है – वे लोग जीवन म आगे बढ़ जाते ह जो बु म ा से
काम लेते ह; और शेष मा अपनी बु का योग करते ए अपने काय संपा दत करते रहते ह।
बु एवं बु म ा– ये दो श द मुझे भारतीय केट के दो जाने–माने नाम क याद दलाते ह– स चन
ते डु लकर, जो क भारत के सवा धक य ब लेबाज ह और वनोद कांबली, जो शायद स चन के सबसे बल
त पध होते, क तु वे केट क नया म मा एक मेहमान भू मका नभा कर चले गये। इन दोन ने एक साथ,
एक से जोशो–खरोश से केट के खेल म पदापण कया था। तभा और खेल क समझ के मामले म का बली
ते डु लकर से कह आगे थे। क तु एक बु मान खलाड़ी जैसे आगे नह बढ़ पाये, जब क स चन अपनी बु म ा
से आगे बढ़े और पछले 24 वष से लगातार अ णी खला ड़य क ेणी म ह।

जीवन क ासद है क बुढ़ापा ज द आता है और अकल दे र से


– बजा मन क लन
वयं को इस ासद से बचाय। बु से परे जाकर सोचने व समझदार बनने के लये अपने मौजूदा व का
नरंतर हनन अ तआव यक है; य क आप बु म ा या समझदारी तभी पा सकगे जब आपने वयं को साथक–
जीवन के अगले तर तक उ त कर लया है।
बु म ा के नमाण क या
अब तक क चचा म हमने यह तो कह दया क साथक जीवन तभी स भव है, जब हम अपने काय को बु म ा
से स पा दत कर। ले कन अगला है क बु म ा पाय कैसे; सव थम हम यह समझ ल क बु म ा कोई
बाहरी त व नह है जसे ा त कया जाना है। यह आपके आंत रक गुण म से एक है और इसका नमाण भी
आपके भीतर ही करना होता है इसी या को बु म ा के नमाण क या कहते ह।

बु म ा नमाण क या के चार चरण ह–


1. डेटा
2. जानकारी
3. ान
4. बु म ा

चरण 1 – डेटा
पु तक , ऑ डयो, वी डयो, म व श ण काय म आ द से हम जो भी ा त होता है। वह डेटा है। इस डेटा का
95 तशत भाग हम 24 घंटे के भीतर ही भूल जाते ह। तथा 5 तशत एक ह ते म गवां बैठते ह। जब भी आप
व यकला या नेतृ व के बारे म कोई पु तक पढते ह या कोई ऑ डयो बुक सुनते ह आप को कुछ डेटा ा त होता
है य द इस डेटा को जानकारी म नह बदला गया तो यह सदा के लये खो जाता है।
पढ़ गई पु तक से सतही बदलाव तो अव य आते ह ले कन अ धकांश लोग इन बदलाव से अ भभूत हो
उ े जत व स हो उठते ह। और इसी भावना के साथ उनका व पु तक का संसग समा त हो जाता है। सरी ओर
साथक–जीवन के या ी अपना यह संसग बनाए रखते है और डेटा बदलने क इस या को पार करते – चरण 1
पर न कते – बु म ा नमाण के अगले चरण क ओर बढ़े चलते ह; जो क है जानकारी।
चरण 2 – जानकारी
बु म ा नमाण क या का अगला चरण है– डेटा का जानकारी म पांतरण। हर यह काय अपने
तरीके से करता है। कुछ लोग श ण काय म म जो कुछ पाते ह, उसे रकाड कर लेते ह। साथक–जीवन के कुछ
अ य या ी यह पूरी या सैकड़ बार दोहराते ह। जससे उनक वषय पर पकड़ मज़बूत हो जाये। स भव है क
डेटा को जानकारी म बदलने का आपका तरीका कुछ और हो। पछले 29 वष से, मै जो तरीका अपना रहा ँ वह
है– एक त डेटा क अपनी समझसे ववेचना करना और फर उसे लख लेना। म येक पु तक को जसे पढ़ता ँ
अथवा जस ऑ डयो या वी डयो को दे खता ँ व उस येक श ण काय म को जसम म भाग लेता ँ सौ से
अ धक पृ म कलम ब कर लेता ।ँ इससे मुझे भ व य म संदभ के लये एक प व ल खत परेखा मल
जाती है। अ धक स अ धक डेटा का संचय व उसका जानकारी म पांतरण आपके मौजूदा व का हनन करता है।
व आपको अगले तर तक उ त कर दे ता है। जी हाँ यह से आपके मौजूदा व के समापन व नये व के ज म के
नमाण का आर भ होता है।

चरण 3 – ान
डेटा को जानकारी म बदलने के उपरांत आपको इस जानकारी का ढता से योग करना है। जी हाँ जानकारी का
नय मत उपयोग ही ान है। ान वा तव म काया वयन क थ त है। यान रख, अपने नणय को या वत करने
म आप कई बार असफल ह गे। य क इस दौरान आपका पुराना व उभरते ए नये व का वरोध कर ं द करने
लगता है।
आप बार बार लगातार असफल होते ए भी ढ बने रह। अपनी जानकारी के चरण पर लौट और एक त
संदभ को टटोले ता क आप जान सक क आप कहाँ असफल हो रहे ह और वयं को कैसे सुधारा जाए। वयं को
सुधारने के कई य न के बाद मश: आपक असफलता म कमी आने लगती है; जैसा क उपर दये च म
दशाया गया है। और आप अत: पहली बार सफलता का वाद चख लेते ह। यह वह थ त है जहाँ से आप ान से
एक चरण उपर उठ कर इस या के अं तम चरण पर प ँच जाते ह।

चरण 4 – बु म ा
नय मत य न के बाद आप नवीन या को सही कार से करने म सफल तो हो जाते ह क तु वफलता का
च पुन: आर भ हो सकता है। असफलता के बार बार सफलता म प रव तत होने से सफलता का आकार व
मह व बढ़ने लगता ह और अ त म, यह पर ान बु म ा म प रव तत हो जाता है।
इस तर पर आपको ठ क–ठाक पता होता है क करना या है; एक क ठन प र थ त म जीने के लये कन
गुण क आव यकता होगी; एक जाने माने झूठे के साथ कैसा वहार करना है; और उसे एक स चे म कैसे
बदलना है; आ द। इस चरण पर आपने कई े के लय बु म ा का नमाण कर लया है। एक बार न मत हो
जाने पर बु म ा सदा आपके साथ रहती है और आपने जस वषय पर बु म ा हा सल क है; आप उस वषय
के ाता कहलाते है। यहाँ मुझे एक घटना याद आती है; जब मैने पहली बार डॉन बैवेरेज के एक काय म म भाग
लया था। उस काय म म इस व स लाइफ कोच का कहा एक–एक श द मने नोट कर लया था। इसके
साथ ही मने उन नोट् स क ा या भी लख ली थी। इस कार मने अपने डेटा को जानकारी म प रव तत कर
लया था। मने केवल वही नह लखा था जो म समझता था अ पतु मने यह भी लखा क मने इनसे या सीखा और
मुझे उससे या लाभ मल सकता है। जब म इस डेटा को जानकारी म बदल रहा था तो मने वयं को कमांडमट
दया क मने आज जो भी सीखा है उस म अ याय–दर–अ याय काया वत क ँ गा। साथ ही मने इस ल य ा त
के या वयन क एक परेखा भी तैयार कर ली। मैने एक नोट बुक भी खरीद ली और फर अपने नोट् स क
सहायता लेते ए हर सीख को अपने अवचेतन म उतार लया। आज 20 वष बाद म पूरे गव और उ साह से कह
सकता ँ क मने पु तक म दये येक श द का अ यास कया।
सन् 1990 म मने एक काय म म भाग लया था। जसका नाम था LIFE–Living in Freedom and
Enquiry अथात वतं एवं उ सुक हो कर जीना। इसी काय म से जुड़ा सात दन का एक और काय म था।
The Existential Laboratory इस काय म के संचालक थे वामी सुखबोधानंद व इस काय म के दौरान हम
एक हरे भरे जंगल म एक त बू म रहे जहाँ रात को बजली क भी व था नह थी। तभा गय को एक नय मत
समय पर सो जाने का स त आदे श था। मैने काय म का यह नयम तोड़ा और वंय को चादर से ढ़क कर रात को
घंट अपने नोट् स बनाये। इस कार पूरे दन क कायशाला म ा त ए डेटा को मने जानकारी म बदला और आज
वे सभी चीज मेरी बु म ा का ह सा है।
मने हर काय म के दौरान अपने वचार को कलम ब कया चाहे वह MILT का लीडर शप काय म हो या
अपोरेश आचाय का MILT से स कोस हे मट फलैश का डायने ट स का काय म या कोई अ य।
जग जगलर क ल य नधारण पर तैयार क गई ऑ डयो पु तक जो मने 1985 म सुनी थी, व अ य कई
कताब जनम टॉम हॉप कस, ायन े सी, जग जगलर, डैन सु लवान क लखी पु तक शा मल ह। तथा मेरे
पसंद दा जोल बारकर के ऑ डयो और वी डयो; सभी मेरे अ ययन क म ढे र ह त ल खत कागज के प म
मौजूदा ह; जनम मने येक पढ़ ई पु तक के बारे म लखा है। आज ये सभी मेरी बु म ा का भाग है। नीचे द
गई त लका म लख क उपरो संक पना से आपको कौन सी चार सीख मल ।

इ ह अपने जीवन का थायी भाग बनाने हेतु आप या करगे व इस काय क समय सीमा तथा इसके लये
आपको कस सहायता क आव यकता होगी यह भी लख।

श ा दे ना, श ा ा त करने का सबसे अ छा तरीका है। आने वाले स ताह म हर मलने वाले से
इस पर चचा कजीए और दे खये क या आप ‘अपने अवसान क त थ क घोषणा’ इन श द का योग
अपने वातालाप म कर पाते ह।
जीवन के हर े म को बु म ा नमाण क आव यकता है। इसके लये आप कोई भी े ले सकते
है। उदाहरण के लये :– से स, नेतृ व, माक टग, ै डग, ट म का नमाण, लोग का बंधन, समय–पालन, वहार,
व, वेशभूषा, बोल–चाल आ द। इसके अ त र आपक ावसा यक व गत च के सभी े इस
कार न मत बु म ा से काय का संचालन मौजूदा व को समा त करने व समय–समय पर उसके नवीकरण क
या को सरल बना दे ता है। और आपका जीवन उ त हो अगले तर पर प ँच जाता है।
अपने जीवन को जीवन–पय त उ य नत व साथक रखने के लये आपको यह आ ा, नदे श, आदे श, भु का
नयम, यह कमांडमट, अपने काम के त दन, तघंटे, त मनट दे ना होगा।

अपने अवसान क तथी घो षत कर।


कमांडमट
2
स भावना के वचारक बन

स भावना अ ात है।
स भावना के वचारक बन न क सकारा मक वचारक।

संभावना अ ात है।
यह क पना, इरादे एवं बोध से परे है।
यह ता का लकता से परे है तथा साथ ही आपके वचार श द व या से भी परे है।
स भावना अभी कसी भी प म उप थत नह है; चाहे वे वचार ह या प रक पना।
यह एक पूण प से नये संसार क रचना है; स भावना का संसार।
यह एक व ास है, कुछ ऐसा करने का जो आपने पहले कभी न कया हो, कुछ ऐसा रचना जसका कभी
अ त व न रहा हो।
संभावना प व है; यही भु है; यही वह व तु है, जो संसार को अचं भत कर हत भ कर दे ती है।
आप एक सकारा मक वचारक हो सकते ह। क तु जब आपके आसपास क प र थयाँ व हालात बदलने
लगते ह तब सकारा मक सोच क जाती है। सकारा मक वचारक कभी भी जीवन को साथक नह बना सकते
य क जब सब कुछ उलटने लगता है; थ तयाँ काबू से बाहर जाने लगती ह तथा पूरा संसार आपको बीच राह म
छोड़ दे ता है; वे नकारा मक वचारक बन जाते ह।
साथक–जीवन पाने के लये आपको संभावना का वचारक होना होगा!
या आपने कभी प रक पना से परे कुछ करने का य न कया है। उदाहरण के लए, एक साल म अपने
वसाय को 500 तशत बढ़ा लेना एक माह म अपना वजन 20 कलो कम कर लेना, अपने जमे ए वसाय
को रात –रात सरे शहर म ले जाना। या ऐसा करते ए आपको कभी उपहास का सामना करना पड़ा है; य द
नह तो आपने अभी तक अस भव क तलाश नह क है।
ब ब का अ व कार करते ए थॉमस ए डसन 10000 बार असफल रहे, क तु उ ह ने हार नह मानी; नारायण
मू त भी इ फो सस क थापना करने के यास म कई बार असफल रहे; रे ॉक क मैकडान ड क क पना को
300 से अ धक नवेशक ने नापसंद कर दया था। रटे ल वसाय म बगबाज़ार से ा त लाने वाले कशोर
बयानी को अपने प रवार के ही वरोध का सामना करना पड़ा, वॉ ट ड नी ने जब ड नीलड क क पना लोग के
सामने रखी तो पूरी नया ने उनका उपहास कया, क तु इनम से कसी ने भी अपने इरादे को नह छोड़ा ब क वे
तब तक अपने इराद पर ढ़ रह जब तक क उ ह ने अपने सपन को स चाई म नह बदल दया। ये सभी
स भावना के वचारक थे।
आ खर वह या चीज़ है; जो स भावना के वचारक को आमजन से अलग बनाती ह? इन दोन कार के
लोग म अंतर करने वाली मा एक ही व तु है और वह है स भावना के वचारक का शू य बा यता के स ा त
पर अमल करना – समय, धन व संसाधन क कमी उनके लये कोई मायने नह रखती और वे अपना काय पूण
करने के अ य वक प ढं ढ़ लेते ह, चाहे उ ह लौ कक या आलौ कक कसी भी कार के बंधन से जूझना पड़े। यह
स भव है क अपे त फल क ा त के लये आपके पास नया क सबसे अ छ सु वधाएँ, संसाधन धन व समय
न हो। ऐसी प र थ त म काम नह हो पायेगा क घोषणा कर दे ना सवा धक सरल होता है। यह सामा य बु से
े रत काय का सबसे अ छा उदाहरण है और इसम को कसी भी सोच– वचार क आव यकता नह होती।
पर तु, इस तरह के बंधन के साथ अपे त फल पाने के लये मा ववेक या सकारा मक सोच काफ नह होती,
वरन को स भावना पर वचार करना होता है और यही उसे स भावना– वचारक बना दे ता है।
उदाहरण के लये आपको 24 घंटे म एक सी मत बजट व बना कसी सहायता के एक पाट आयो जत करने
को कहा जाता है या फर आपको 1000 यु नट त दन न मत करने का ल य दया जाता है, जब क अभी तक
उस फै म त दन मा 350 यु नट ही न मत ए ह। इन प र थ तय म क व रत त या होगी। यह
अस भव है, म यह नह कर सकता क तु स भावना– वचारक यह ढं ढ़ना आर भ कर दे ता है क यह काय कैसे
कया जा सकता है, वह इस पर वाद– ववाद नह करता क यह काय हो पायेगा या नह ।
सरी ओर ह, हमारे म यमाग म जनके वचार स भव–अस भव नामक ुव के बीच के होते ह। अथात जब
सकारा मक वचारक का सामना 1000 यु नट जैसी प र थ त से होता है, तो वे काम करने को तो तैयार हो जाते ह
क तु इस भय से क कह काम दे ने वाले बुरा न मान जाए; और फर, वे न न ल खत बल कथन के साथ
अस भव काय वीकार करने क घोषणा करते है।

1. आइये यथाथ वाद बन


2. आइये वावहा रक बन
3. म अपनी पूरी को शश क ं गा।

यह म यमाग अपनी बात कुछ इस तरह आर भ करेगा– यह न तो ावहा रक है और न ही यथाथवाद


फर भी य द आप कहते ह, तो मै इसे करने का पूरा य न क ँ गा। इस संवाद म ही उसने अपनी असफलता का
ावधान रख लया है और वड बना यह है क यह असफलता उ ह संतोष भी दे ती है और सर उठाकर खडे रहने
क ह मत भी– आ खरकार उ ह ने य न जो कया।
सरी ओर संभावना– वचारक ऐसे कसी कथन का योग ही नह करते। वे काम शु कर दे ते ह और उसे कर
डालते ह; इसके लये वे अपनी गहनतम मता , यो यता और अपने आसपास के वातावरण व मौजूदा
प र थ तय क व श ता का पूरा दोहन करते ह। एक कहावत है, क वपरीत प र थ तय म ही मनु य का
च ऱ उजागर होता है। इस कहावत के अनु प ‘शू य–बा यता’ का स ा त यह सु न त करता है क लोग को
उनक सीमा से परे धकेल कर, उनके सही मू य को परख कर, ही साधारण मनु य म से उ य नत जीवन रचे
जाय। इस या के अंत म या तो आप उबर आते ह अ यथा डू ब जाते ह – अ य कोई रा ता नह होता।
य द आपको बना मेहनत कये ही सब कुछ मलता रहे तो आपको शू य–बा यता के स ांत के अंतगत काय
करने क आव यकता ही नह पड़ेगी। म अपने आप को ब त भा यशाली मानता ँ क मुझे सारी नया क दौलत
नह मली, य क इस कमी ने मुझे 29 वष तक बा यता के साथ काम करने को मजबूर कया और मुझे
स भावना– वचारक बना दया।
मुझे याद है आज से 12 वष पूव सन् 2000 म जब मने अपनी वयं क े नग क पनी शु क तब मेरे पास
ऑ फस के लये भी जगह नह थी। मैने अपने एक सहकम के साथ मलकर – ‘ माट’ क शु आत अपने पता
के छोटे से घर के बगीचे से क और वहाँ से बढ़ते ए मने इसे आज के व प तक प ँचा दया है। य द मने उस
समय धन व संसाधन के अभाव को अपने ऊपर हावी हो जाने दया होता, तो शायद ‘ माट’ का ज म नह आ
होता और म अभी भी कसी सरी क पनी के लये काय कर रहा होता।
और, यह कौन कहता है क आज कोई बंधन नह है। जी हाँ बंधन तो आज भी ह। समय, शरीर, संसाधन व
धन के बंधन आज भी ह और सदा रहगे। य प आज मेरे पास समु चत धन है क तु मने अपने मन, शरीर, दय
एवं आ मा को अपनी अं तम साँस तक एक स भावना– वचारक के प म काय करने हेतु तैयार कया है। जससे
म जीवन म अ धक बड़ी चुनौ तय का सामना कर सकूँगा। न क अपने अ य म व सहक मय क भां त जनक
उ व जीवन मुझ से भ नह है। क तु धन, सुख–सु वधा व संसाधन के बावजूद उनके जीवन क ग त मंद
पड़ने लगी है। वे धीरे धीरे न होने लगे ह, व वघटन क कगार पर ह। उ ह ने जीवन म आगे बढ़ना बंद कर दया
है। वे वयं को एक नरापद/सुर त े म समेट लेते ह और उनके जीवन का उ यन व साथकता उसी ण वह
पर समा त हो जाती है। स भावना वचारक का आयु, वा य एवं अ थक थ त से कोई लेना दे ना नह है।
यह एक मान सक ड़ा है जो मन के लये, मन म ही खेली जाती है; यह एक थायी त य है जो जीवन के साथ ही
समा त होता है।
एक श क के अपने जीवन म, म ऐसे कई लोग से मला ँ जनके लये ायाम, वा य, पढना व अपना
ान बढाना, श ण काय म म भाग लेना आ द या ब त मह वपूण होती ह। और वे उनसे कह गहराई म
जुड़े होते ह। क तु समय का अभाव उ ह इन सबसे र कर दे ता है।
एक साधारण मनु य के लये सायंकाल 7 बजे घर प ँचना, 2 घंटे ट .वी. दे खना, प रवार के साथ रात का
भोजन करना व 10:30 बजे सो जाना ही आदश जीवन है। क तु एक स भावना– वचारक शाम को घर प ँचना,
समय पर भोजन करना, टे ली वजन दे खना, रात को सो जाना, आराम करना जैसे वषय पर वचार ही नह करता
है। उ ह ने ब त य न पूवक व वचार करने के बाद यह नणय लया होता क, ये सारी चीज साधारण मनु य के
लये ह और य द उ ह संसार म अपनी अलग पहचान बनानी है व जीवन को उ य नत व साथक बनाना ह, तो
जीवन जीने के इस ा प म बदलाव करना होगा। इसके बाद उ ह कभी समय क कमी नह होती चाहे वे कोई
पु तक पढना चाह, ायाम करना चाह या फर कसी श ण काय म का लाभ उठाना चाह। वे सुबह 3 बजे
उठकर योगा यास कर सकते ह, फर टहलने जा सकते ह और फर चौबीस घंटे का श ण काय म भी चला
सकते ह। सुबह – शाम, समय से पहले या समय के बाद इन सब से वे अ भा वत रहते ह, जब तक क वे अपना
नधा रत ल य न पा ल।
हमारी पौरा णक कथा –का दं तय व आज के समाचार प म भी हमे स भावना– वचारक के बारे मे
सुनने को मलता है। उदाहरण के लये महाभारत का एकल , डॉ. ए. पी. जे. अ ल कलाम, दादा साहेब फालके
एवं मदर टे रेसा।
एकल धनु व ा सीखना चाहता था, क तु ोणाचाय उसे सखाने के लये तैयार नह थे। एकल म मौजूद
स भावना– वचारक ने गु न होते ए भी उसे हार नह मानने द । उसने धनु व ा सीखने के सरे वक प खोज
लये और ोणाचाय के श य अजून से बेहतर धनुधारी बन गया।
डॉ. ए. पी. जे. अ ल कलाम ने अपनी गरीबी को अपनी मह वाकां ा को ीण नह करने दया, उ ह ने
सडक क रोशनी म बैठकर पढ़ाई क और केवल अपनी यो यता व ान के बूते पर भारत के रा प त बने।
दादा साहेब फालके ने भारतीय सनेमा को सबसे बडा योगदान दया है। एक साधारण प रवार से आये
साधारण प र थ तय म, अपना छापाखाना चलाने वाले एक साधारण जीवन जीने वाले इस महानायक के जीवन
म कुछ असाधारण था तो वह था पहली भारतीय फ म बनाना व पूरे भारतीय फ म उ ोग को एक मंच दे ना। एक
तो गरीबी व सरे फ म बनाने का कोई ान न होना ऐसी वपरीत प र थ तय म भी उनके अंदर के स भावना–
वचारक ने उ ह अपने व को साकार करने के लए े रत कया।
उ ह ने अपना छापखाना बेच दया और गंभीर आ थक सम या क परवाह कये बना अपनी प नी के गहने
गरवी रखे व इ लड जाकर फ म टे नॉलाजी क पढाई क , वहाँ से आव यक उपकरण खरीदे व भारत लौट कर
फ म नमाण आर भ कया। जब फ म क ना यका के लये, लोकलाज के कारण से, कसी भी म हला ने कैमरे
के सामने आने से मना कर दया; तो उ ह ने एक रसोईये के लडक जैसे दखने वाले सहायक को ना यका क
भू मका दे द । ले कन मु य कलाकर के अभाव के बावजूद अपने नणय को नह छोड़ा। इस दौरान अ य धक
फ म दे खने के कारण उनक आंखो क रोशनी करीब–करीब चली गयी उ ह शारी रक, मान सक, आ थक एवं
भावना मक क उठाने पड़े; वे ब कुल सड़क पर आ गये। यहाँ तक क उ ह अपने घर के बतन तक बेचने पड़े।
उ ह ने सब कुछ कया सवा एक काम के ............... ह मत हारना।
उन पर भारत क पहली चलती– फरती फ म बनाने का जुनून सवार था और उस ण म उनके व ई र के
बीच कोई नह था। उनके व ास, जुनून व उ े य ने हम भारतीय फ म इंड क सौगात द है। चार ओर से
बाधा से घरे होने पर भी उ ह ने घुटने नह टे के।
अ पतु तब तक अपने न य पर कायम रहे, जब तक उनका व पूरा नह हो गया और उ ह ने भारतीय फ म
समुदाय पर प क छाप नह छोड़ द । आज, जब तक धरती पर जीवन है, बाबा साहेब फालके को याद रखा
जायेगा।
इस त त फ मकार से मील र, कसी और शता द म व संसार के सरे कोने दो युवा भी इसी तरह क
ऊजा, जोश व जुनून के साथ कुछ ऐसा रचना चाहते थे जो पहले कभी न रचा गया हो। सन् 1998 म 25 वष के
सगइ न एवं लैरी पेज ने टै नफोड व व ालय म अपनी पी.एच.डी. क पढाई छोड़ कर एक ऑनलाइन सच
इं जन “गूगल” क थापना क ; उनका अ व कार “सच इं जन ऑ ट माइज़ेशन” एक ब कुल ही नयी प रक पना
थी जो पहले न तो सुनी गयी थी और न ही दे खी गयी थी, व जसने इंटरनेट को बेहतर बनाने के साथ ही, एक दशक
से कम समय म गूगल को घर–घर प ँचा दया। इन दोन युवा का पथ दशन करने हेतु न तो कोई नयम थे न
कोई अ ध नयम और न ही कोई तमान; यहाँ तक क कोई केस टडी भी उनक मदद के लये उपल ध नह थी।
उ ह ने अपने वयं के खांचे बनाये, वयं को नद शत कया और एक ऐसी भीमकाय सं था क थापना क जो
आधु नक टे नोलॉजी को नरंतर भा वत कर रही है।
चाहे वे नीरज गु ता ह ज ह ने पार प रक काली व पीली टै सी को एक प र कृत, वातानुकू लत रे डयो टै सी
– मै ो म पांत रत कर दया। जो क आज भारत के कई शहर म सेवाएँ दे रह ह। इससे कह बड़ा पांतर जो
उ ह ने कया वह था, धूत, अ ड़यल, हेरा–फेरी करने वाले, अस य व यू नयन के तहत काम करने वाले थानीय
टै सी ाईवर को सु कृंत, वहार–कुशल व श शोफर म बदलना या फर माक ज़करबग ज ह ने नया क
सबस बडी सोशल नेटव कग साइट – फेसबुक बनाकर इंटरनेट म तूफान खड़ा कर दया। चाहे यह टार ब स
कॉफ क युवा के लये तीसरा घर बनाने क प रक पना हो या बगलूर के प त–प न सुरेश–मीना कृ णन का
ट् युटर व तार का वचार जो क अमे रका व यूनाइटे ड कगडम के व ाथ य को इ टरनेट ारा उनके व ालय का
पाठ् य म पढ़ाते ह। ये सभी अपने आप म अ व का रक रचना ह। इन म से कसी के भी पास उनसे पहले कया
आ कोई ऐसा काम नह था, जसे वे पृ भू म क तरह योग कर सके; न ही उनके पास कोई तमान थे, जस
पर वे चल सक, न ही दे खकर समझने के लये कोई नमूना था। सीखने के लये कोई उदाहरण भी नह थे और नही
कोई पथ दशक था, जो सही राह बता सके। उ ह ने अपना मागदशन वयं कया, अपने काय को वयं नद शत
कया, अपनी राह खुद तराश , अस भावना म से स भावना खोज और वयं आस पास के लाख लोग के
जीवन उ य नत कये। ये सभी लोग केवल एक ल य से े रत थे; कुछ ऐसा रच जो आज तक अ त वहीन था।

अस भव को करना भी एक मनोरंजन है।


– वॉ ट ड नी

अस भव से स भव क सोच क ओर,

एक स भावना– वचारक होने के लये आपको वयं से एक मूलभूत करना आव यक है, यह मने कई वष
पहले स प रवतन गु जोल बारकर से सीखा।

कुछ ऐसा है, जो आज मेरे वसाय म करना असंभव है, य द वह कया जा सके; तो या वह मेरे काय–
े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा?

य प यह उन असंभावना के बारे म है, जनका सामना आप अपने वसाय म करते ह, पर तु आप


इस को अपने जीवन पर भी लागू कर सकते ह। इसके लये आपको इसका नीचे दया ा प योग करना
होगा।
य द कुछ ऐसा है। जो आज मेरे जीवन म करना असंभव है। क तु वह कया जा सकता है, तो या वह मेरे
काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा? यह आप असं य बार पूछ सकते ह, और थोड़े से वचार व योग
के बाद आप इसके कई पांतर भी तैयार कर सकते है।

कुछ ऐसा है जो आज मेरे प त/प नी/ब च /माता– पता/स ब धय के साथ मल करना अस भव


है; य द वह कया जा सके, तो या वह काय– े म कुछ मूलभूत प रवतन लायेगा?

कुछ ऐसा है जो मेरे वसाय/माकट/टे रटरी म करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या
वह मेरे काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा?

कुछ ऐसा है जो आज मुझे मले समय से करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या वह मेरे
काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।

कुछ ऐसा है जो आज मेरे धन से करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या वह मेरे काय–
े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।

कुछ ऐसा है जो आज मेरे शरीर से करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या वह मेरे
काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।
जब आप वयं से स भावना– वचारक– पूछते ह और फर अस भव काय को वा तव म कर लेते ह तो
आपके आस–पास क नया म आपक पहचान बनने लगती है। और यह से जीवन का उ यन आर भ हो जाता
है। जब आप अस भव काय क एक पूरी कड़ी सफलता पूवक कर लेते ह; तो लोग आपको यान पूवक दे खने
लगते ह; आपका अनुसरण करते ह; आपको आदश मानने लगते ह; और उ य नत जीवन आप म घर करने लगता
है; उ य नत जीवन क या आपम था पत होने लगती है।
अब आप एक आम आदमी से एक सावज नक व बनने लगते ह; आप पर दबाव बढने लगता है –
अ याय 1 याद कर, जसम हमने सावज नक दबाव क बात क थी – और संसार के त आपका कोण बदल
जाता है – अपने इस कोण से आप वयं अप र चत थे। अब आप जो भी सोचते ह, सं े शत करते ह व
या वत करते ह, वह संसार को बेहतर बनाता है और फर अचानक ही इस ह पर आपक उप थ त साथक
बन जाती है। संसार आपक ओर दशा, मागदशन और ेरणा पाने के लये दे खने लगता है। आप कभी जस
‘ ापक–साधारणता’ का भाग थे, अब नम कार कर उस से वदा ले लेते ह; और साथक व श लोग के े म
वेश कर लेते ह। अब आप एक उ य नत जीवन वाले बन जाते ह।
4 अ टू बर 1985 को मैने एक घर–घर जा कर वै यूम लीनर बेचने वाले के प म यूरेका फो स क पनी म
काम करना आर भ कया। उन दन यूरेका फो स का औसत रा ीय से स चार वै युम लीनर तमाह था। क तु
कुछ लोग 8, 12, या 14 भी बेच लेते थे, क तु ऐसा वे नय मत तौर पर नह कर पाते थे।
11 अ टू बर 1985 को जब माह का से स लोज़ करने म मा 20 दन बाक थे, मने 26 वै यूम लीनर बेच,े
व एक से स–मैन के प म एक शानदार या ा आर भ क । अगले महीने मने 32 वै यूम लीनर बेच,े फर 34,
36, 39, 41 व 42 व 43, यह सं या महीने–दर–महीने बढ़ती गयी।
ी अ नल अ बो जो हमारे ऑल इं डया से स हेड थे, व मेरे बॉस के सुपरवाइज़र भी, हमेशा कहा करते थे क
एक से समैन को अपने पछले महीने क से स से कम से कम एक यादा बेचना चा हये। मने इस बात को ब त
गंभीरता से लया और अपने पूरे से स क रयर म कभी भी पछले माह क से स से कम से स नह क । ऐसा
करना असंभव है, क तु मने कया; म एक स भावना– वचारक था।
यूरेका फो स के इ तहास म पहली बार कसी शाखा ने 300 से स का आंकड़ा छु आ, यह मेरी शाखा थी, म
पहला ांच मेनेजर था, जसने महीने म 400 से स पूरी क , फर एक माह म 500 से स, यह एक ब त क ठन
काय था – कभी कसी ने ऐसा करने का साहस नह कया था; कसी ने इस बारे म सोचने का भी साहस नह कया
था। यह अस भव था, क तु मने कया। म एक स भावना– वचारक था।
यूरेका फो स म अपने आठ सुनहरे वष के दौरान मने जो कया वो अ य कोई भी से समैन, ुपलीडर, से स
सुपरवाइज़र, ाँच मैनेजर व डवीज़नल से स मैनेजर नह कर पाया। आज तक कंपनी को मेरे जैसा सरा से स–
मैन, से स मैनेजर, से स लीडर नह मल पाया है। मने जो भी रकाड बनाये उ ह आज भी कोई चुनौती नह दे
पाया है। और वे नये लोग के मन म कुछ करने क आकां ा जगाते ह।
जब मने यूरेका फो स छोड़ा तो म क पनी के इ तहास का सबसे छोटा, सवा धक धनी कमचारी था। ऐसी
अ मट छाप छोड़ना अस भव है, क तु मने ऐसा कया। म एक स भावना– वचारक था।
यूरेका फो स छोड़ने के बाद, अपनी सरी क पनी रीयल वै यू म भी एक ड ट जनरल मैनेजर के प म म
ब त अ छा काम कर रहा था। और महीने–दर–महीने पुराने व नये क तमान तोड़ रहा था तभी क पनी क एक
इकाई वै युमाइज़र ड वज़न बैठ गई और उसने क पनी को औ ो गक और व ीय पुनगठन बोड के मंच पर प ँचा
दया। क पनी समय पर अपने कमचा रय को तन वाह नह दे पा रही थी और हम लोग को नौकरी छोड़ने के लये
कहना पड़ रहा था; हालां क कुछ लोग ने अपने आप ही काम छोड़ दया। यह ब त क ठन समय था।
इन बगड़ते ए हालात म मने व मेरे एक सहकम व ांच मैनेजर, द प पाट ल ने नणय लया क हम
अ वीकृत उ मीदवार क एक नयी ट म बनाय व एक नयी शु आत कर। यह कोई सामा य बात नह थी। हमने
पहले कभी ऐसा नह कया था। और हम यह करना पसंद भी नह आ रहा था। ले कन हम हार नह मानना चाहते
थे। अत: हम ने 20 ऐसे उ मीदवार क ट म बनायी, ज ह हम सामा य प र थ तय म कभी न चुनते और उ ह
सफल से समैन म पांत रत कया। हमने न तो मौजूदा हालात , न ही प र थ तय और न ही धन व संसाधन क
बा यता को दोष दया। यह अस भव था। क तु हमने कया। हम स भावना– वचारक थे।
हमारे इस अ वीकृत उ मीदवार को सफल कमचा रय म पांत रत करने के काय ने मेरे जीवन को सवा धक
पूणता द । इस अनुभव ने मुझे यह प का व ास दला दया क कसी भी कार के को बदला जा सकता
है। चाहे उसक शै णक यो यताएँ व उपल धयाँ कुछ भी ह । अत: जब आप हमारे ‘ माट’ कायालय म आते ह,
तो आप कभी भी कसी कमचारी, ऑ फस अ स टट से लेकर रसे श न ट, ाईवर, हमारे से समैन और हमारे
व र मैनेजर तक को एक ही काय दोबारा करते ए नह पायगे। यह अस भव है क तु मने कया है। और अभी
भी कर रहा ँ। म एक स भावना– वचारक ँ।
सन् 1996 म मने श ण व सलाहका रता के े म अपनी या ा ार भ क । तब म वयं से कई बार यह
संभावना– वचारक– पूछा करता था, य द कुछ ऐसा है जो क एक श क के लये करना अस भव है, क तु
वह कया जा सकता है तो या वह मेरे काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।
फर एक दन मने वयं से कहा, एक माह म 10 दन श ण, 10 दन ापार– व तार और 10 दन
नयोजन–तैयारी एवं एक म हना व उ यन अस भव है। मैने इसे अपना ल य बनाया और कया। मश: मने
श ण क अव ध पहले 15 दन व फर 20 दन तक बढ़ा द और जब क मेरे अ य श क– म – 10 दन क
या ा से घबराते थे। मुझे एक माह याद आता है, जब मने 24 दन तक नरंतर, बड़े आराम से, श ण–काय म
कये। इस दौरान म रात को या ा करता था और तभी अपनी तैयारी भी कर लेता था; और यह सब करते ए मने
त नक भी शारी रक, मान सक अथवा मनोवै ा नक थकान न तो मन पर अनुभव क और नही शरीर पर। यह
करना अस भव था। क तु मने कया। म स भावना– वचारक था।
एक से समैन का काम करते ए मने वयं को कसम दलायी थी, क म जब तक कम से कम एक वै युम
लीनर नह बेच लूंगा घर नह जाऊँगा। सन् 1986 म एक दन मने सैकड़ दरवाजे खट–खटाए व कई लोग को
ेजटे शन दये, क तु रात के 11 बजकर 45 मनट हो गये थे। और मने अभी तक एक भी वै युम लीनर नह बेचा
था। मने वयं से वादा कया था क बना बेचे म घर नह जाऊँगा। यह मेरे जीवन क नी त या सज़ा थी, और म उस
पर कायम रहना चाहता था। आधी रात से कुछ म नट पहले मने एक मकान क सरी मं जल पर रोशनी दे खी। म
उस घर तक गया और एक ण का भी वचार कये बना मने दरवाजा खटखटाया। जस ने दरवाजा खोला
वह आधी रात एक से समैन को दे खकर हत भ व अचं भत था। उसके आ य पर बना कोई यान दये मने अपनी
सामान बेचने क बात आर भ कर द –‘सर म यूरेका फो स से ँ और मेरे पास एक छोट मशीन है जो आपके घर
क उपर से लेकर नीचे तक क हर चीज साफ कर सकती है। म आपको इस मशीन का एक डेमॅ े शन दे ना चाहता
ँ और आपको इसके लये कुछ नह दे ना है। सर या म अंदर आ सकता ँ।’ उस ने मुझे बीच म रोका और
कहा–‘भले मानस यह आधी रात का समय है;’ ‘मने उ र दया–जी हाँ सर यह आधी रात है। या म अंदर आ
सकता ँ।’
म उस का ता पय समझ रहा था; क तु मने वयं को उसके समय संबंधी वचार से बा धत नह होने
दया और अपना ताव जारी रखा। तब उसने मुझ से पूछा क म इतनी मेहनत य करता ँ। मने उसे बताया क
इसके दो कारण ह।

1. म एक बड़ा आदमी बनना चाहता ँ।


2. मने वयं से वादा कया है, क म जब तक कम से कम एक वै युम लीनर नह बेच लूंगा घर नह जाऊँगा।

उसने मुझे अंदर आने दया और मने उसे एक शानदार तु त द । वह ब त भा वत आ; और बोला क वह


चार मशीन खरीदना चाहता है। यह सुनकर मुझे आ य आ। क तु साथ ही म उ सा हत भी हो गया – कहाँ तो म
एक मशीन बेचने के लये मेहनत कर रहा था और यह आदमी तो चार मशीन खरीदना चाहता है। उ र म उसने
कहा, “म मुबंई व महाबले र के बीच म ल झरी बस सेवा चलाता ँ। और मेरे पास चार बस ह। या ा के दौरान
लोग बस म वेफस, मूंगफली आ द गरा दे ते ह। या यह वै यूम लीनर सारी चीज उठा कर बस को साफ कर
दे गा?” मने कहा, हाँ, यह कर दे गा, तब उसने कहा य द ऐसा हो सकता है तो वह चार मशीन ले लेगा।
आम तौर पर उसक बस रात 10–11 बजे तक मुंबई लौट आती थ , क तु उस दन एक बस रा ते म खराब
हो जाने के कारण, उनके आने म कुछ घंट क दे री हो गयी थी। वह आधी रात को जगा आ था य क उसक
गा ड़याँ एक नधारत जगह पर रात डेढ़ बजे प ँचने वाली थ ; और वह वहाँ जाने के लये तैयार हो रहा था। म
उसके साथ मरीन ाइव गया, जहाँ बस आने वाली थ , और बस का इंतजार करने लगा। आ खरकार सुबह 3:30
पर बस वहाँ आ प ंची।
म तुरंत बस के अंदर गया और अपना डेमॅ े शन आरंभ कर दया क तु मेरे आ य और भय क सीमा न रही,
जब बस क बैटरी म खराबी के कारण मशीन शु ही नह हो पायी। डेमॅ े शन असफल रहा और उस ने
मशीन खरीदने से मना कर दया। म समझ गया क अभी मेरी परी ा पूरी नह ई है।
उसने मुझसे पूछा क या वह मुझे कह छोड सकता है। और मने कहा महाल मी टे शन; हम लोग वहाँ सुबह
4 बजे प ँच।े पहली े न 4:30 पर आने वाली थी और वह मुझे या तो द णी मु बई म मेरी से स टे रेट्री, ांट रोड
क ओर ले जाती या फर उ री मु बई अंधेरी जहाँ म रहता था। मुझे घर जाने वाली े न पकडने का वचार तक
नह आया और म अपनी से स टे रेट्री क ओर जाने वाली े न म चढ़ गया। मने एक कान से टू थ श व टू थ पे ट
खरीदा और एक होटल म जाकर तैयार आ। इन दोन जगह के अ धकतर ाहक उस े के मल मज र थे।
और उनके लये वे जगह सुबह ज द खुल जाती थ । उस दन मल कमचा रय के आने के पहले ही मने दोन
जगह से आडर लेकर अपना खाता खोला और हमेशा क तरह काम पर आगे बढ़ गया।
सुबह के 6:45 का समय था और म अपनी टे रेटरी म था। यह वही समय था जब मेरे अ धकांश दन क
शु आत होती थी। अपने दन का आर भ म संभ वत ाहको के ार खटखटाने, को डकॉ स करने व आगे क
मुलाकात का समय तय करने से करता था। यह मुलाकात उसी दन क भी हो सकती थी – अगले क भी, और
उससे अगले क भी– पछली रात का बदला लेने क नीयत से मने दोपहर 12 बजे तक तीन वै युम लीनर बेच
दए। मने ऑ फस जाकर पैसे जमा कराये और घर चला गया। मैने वयं से वादा कया था क म तब तक घर नह
जाऊँगा जब तक म कम से कम एक वै युम लीनर नह बेच लूंगा और मने अपना वादा नभाया। यह असंभव था।
क तु मने कया। म एक स भावना– वचारक था।
से स का काम करने वाले लोग काम पर आमतौर पर सुबह 9:30 – 10:00 बजे तक प ँचते ह; म अपनी
टे रेटरी म त दन सुबह 6:45 पर प ँच जाता था और 9 बजे तक जब क शेष संसार अपना दन आर भ करने क
तैयारी म होता है, म अपना 25 – 30 तशत काम नपटा लेता था। म नया से 25 – 30 तशत आगे रहता
था। मने अनुभव कया क य द आप अ य से 25–30 तशत आगे रहने क आदत डाल लेते ह, तो 8 – 10 साल
म आपका जीवन उ य नत होने लगता है; यह बात मुझे तब पता नह थी क तु आज म यह जानता ँ।

उन १२ व तु क सूची बनाइये जो आपके वसाय या जीवन, स ब ध, े , वषय, बाजार, वभाग


टे नॉलजी, उ पाद आ द ......, इनम से कोई एक चुन, म करना अस भव है। क तु य द आने वाले एक
वष म ये कर ली गयी तो या वह आपके काम म कोई मौ लक प रवतन लायेगी।
जैसा क मने इस अ याय के आर भ म कहा था; स भावना अ ात है, जो आपक क पना इराद एवं बोध के परे
है। आप के मौजूदा वचार श द व काय के भी परे है। जब आप इसके या वन म संल न होते ह, तो यह
अथहीन लगती है क तु या वन पूरा हो जाने पर वह साथक बन जाती है। अत: य द कसी काय क अस भावना
के त आपका व ास ढ़ है। तो बना हच कचाहट उसे कर डा लये। थोड़े ही समय म यह स भावना आपका
सह– वभाव बन जायेगी और वभाव शा त है; यह क ठनाइय म भी कायम रहता है, यह कभी परा त नह होता।
अस भव काय कर लेने से आप भु समान हो जाते ह। आप एक स भावना– वचारक बन जाते ह।
अपना पूरा जीवन उ य नत करने हेतु आपको न न ल खत आ ा, अनुदेश, नदे श, आदे श या भु का यह
वधान अपने जीवन के हर दन, हर घंटे, हर मनट वयं को दे ना होगा।

‘स भावना– वचारक बन’


कमांडमट
3
जीवन नैया को बीच मंझधार म ले जा कर झझोड़

उ यन क राह पर न चलने वाले मनु य


का जीवन अ यंत सुखमय होता है।
और सुख जीवन के उ यन को समा त कर दे ता है।
ह म एक अ नय मत व अ न त समय म जी रहे ह। त दन, घंटे–वार प म नयी प रक पनाएँ, नये उ पाद व
सेवाएं तुत क जा रह ह। य द आप उ ह तुत नह करेगे तो कोई अ य कर दे गा, य द आप नये वचार
नह लायेग तो कोई अ य ले लायेगा; य द आप नये उ पाद व सेवाय नह लायग तो ेय कसी और को चला
जायेगा। य द आप चुनौ तयाँ वीकार नह करगे तो कोई अ य करेगा। य द आप माउंट एवरे ट को जीतने का
य न नह करगे तो कोई और उसे जीत लेगा...... जसने पहला कदम उठाया उसी ने जीवन को उ य नत कर
लया।
हर बार जब कोई अ य आगे बढकर संसार को जीत लेता है, तब आप केवल पछता सकते ह, उदास हो
सकते ह या वयं के भा य व तु छता पर ःखी हो सकते ह। इसके बाद आपके पास एक अनुयायी बनकर जीने
का वक प ही रह जाता है। ले कन य द आप एक अ णी का सफल जीवन चाहते ह, न क एक चर – अनुयायी
का मह वहीन अ त व, तो अपनी जीवन नैया म तब खलबली पैदा कर जब वह बीच मंझधार म हो।
इसका अथ है यथा थ त को चुनौती दे काय को भ प म कर, वतमान पर उठाय खलबली पैदा कर,
चलती गाडी के प हये बदल; या न ऐसे समय कुछ नया कर जब सब कुछ ठ क–ठाक चल रहा हो। उस समय नये
योग कर जब उनक कोई य आव यकता न हो; स भा वत को परखने हेतु कोई कदम उठाय, अथात सदा
अ णी रह और अ य लोग को छू ने न द।
जीवन नैया को तब झझोड़ जब वह मंझधार म हो, न क कनारे पर!
य द आप नाव को जोर से तब झझोड़ जब वह कनारे पर या कनारे के पास ही हो, तो वह थोड़ा सा अव य
हलेगी। ले कन ज द ही थर हो जायेगी। क तु सरी ओर य द नाव को मंझधार के बीच –बीच ले जाकर
झझोड़ा तो प रणाम ग भीर हो सकते ह, नाव उलट सकती है; उसके अंदर पानी भर सकता है। उसम सवार या ी
डू ब सकते ह, और जान–माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।
अब जरा इस उदाहरण को अपने जीवन से जोड़। जब आपका वसाय या क रयर अपने शीष पर होता है,
तब सब कुछ ठ क चल रहा होता है, जीवन नय मत होता है; धनागमन बना रहता है, और उ पादन अपने चरम पर
होता है। कमचारी भी सब कुछ यथावत चाहते ह, न कोई योग, न नवप रवतन, न नई नौकरी और न ही नया
उ ोग; उ ोगकम भी न तो वसाय क लाइन बदलना चाहते ह, न उ पाद और न ही वसाय चलाने के तरीके।
ये सभी लोग यथा थ त भंग होने और उसके प रणाम से डरते ह। वे अपनी सफलता, कद, नाम, यश व स प से
संतु होते ह और नह चाहते क बड़े सपन का पीछा करते ए, वे अपना सब कुछ खो द। कुछ लोग के पास और
भी कारण ह, जैसे बढ़ती उ , उसम शा मल जो खम या फर वे पहले ही ब त क भोगने के बाद सफलता पा सके
ह, और अब पुन: उन क से नह गुजरना चाहते।
ले कन ब त कम लोग जानते ह क उ ह यश, सफतला, एवं धन क अगली सीढ़ तक केवल एक चीज प ँचा
सकती है और वह है, बीच मंझधार म अपनी जीवन नैया को हलाना। जो यह जानते ह, वे अपना जीवन उ य नत
कर लेते ह।
यह य आव यक है? सफलता के साथ आने वाली चीज म एक द भ भी है; यह जीवन के त आपका
रवैया बदल दे ता है, आप मानने लगते ह क भ व य, भूत का ही एक आयाम है और जो प रक पनाएँ व वचार
आपको यहाँ तक लेकर आये है, वे आपको आगे भी ले जायगे। आप मानने लगते ह क आप अपना ल य वयं के
वचार , काय व या ारा ही पा सकते ह; और आपक पुरानी सफलता ने इस व ास क एक मसाल
कायम कर द है।
पूरी नया को व ास दलाना क आप जो कर रहे है, वही ठ क है; आपका सव य शगल हो जाता है और
आप जीवन क संभावनाओ क ओर से आंखे बंद कर लेते ह। आप जीण होने लगते ह और वयं को एक ऐसे
बंधन व मान सक थ त म जकड़ लेते है, जस से आप आल य के कारण सदा कुछ घटने क ती ा म रहते ह।
आप शरीर व मन से थक जाते ह व आपक सु दरता, कां त, श व जीवन के त आपका उ साह खोने लगता
है। कुछ नया खोजने क आपक यो यता को मानो जंग लग जाता है; और आप अपने दै नक या–कलाप म ही
उलझे रह जाते ह। आपक बचाव – आ ामकता– कठोरता के मह व क समझ कम होने लगती है। जीवन म अब
तक पायी आपक बढ़त व अपनी व अपने पयावरण क मता के दोहन क आपक यो यता पर आपक पकड़
ढ़ ली होने लगती है। आप का ठ क समय व काय े चुनने का ववेक खो जाता है, और आप अंतःमुखी होने लगते
ह, आस पास के लोग पर आपक नभरता भी बढ़ जाती है। वयं के बचाव का आपका गुण मानो कह उड़ जाता
है और आप अपनी ही मा यता व व ास म जकड़ जाते ह। आप अकम यता और सफलता के नशे के परमानंद
का रस लेने लगते ह और यही असफलता का सबसे बड़ा च ह है।
इस मान सक थ त से अलग होने के लये मने वयं को जो कमांडमट् स दये उनम से एक था–

अपनी जीवन नैया को बीच मंझधार म ले जाकर झझोड़े।


नाव को हलाने–डु लाने का आर भ करने से पहले इस या के चार बु नयाद नयम को जान ल, ये चार या
इनम से कोई एक आपके जीवन को उ य नत कर सकता है:

1. असतत् के दशन म व ास रख।


2. यांरट क अपे ा न रख।
3. सर से समथन क आशा न रख।
4. नाव को झझोड़ने के लये आपको सफलता के शीष पर होना होगा।

असतत के दशन म व ास रख
जीवन म कुछ भी थायी नह है। आपके आस–पास के लोग – उनक तब ता, सहयोग, न ा – आपके स बंध
व उनका जीवन, आपके मौजूदा काम अथवा वसाय क कृ त, आय, प र थ तयाँ, रहन–सहन का तर,
संप , सुख–सु वधाएँ, प र म व संघष तथा वयं जीवन; इनम से कुछ भी शा त–सतत नह है। यह सब कसी न
कसी दन समा त होगा, उसे समा त होना ही है।
कई लोग अपनी ता का लक प र थ तय के चलते पूरी तरह अकम य हो जाते ह; उ ह लगता है क ये
थ तयाँ जीवन भर रहनेवाली ह; उ ह यथा थ त का टू टना भयावह लगता है। क तु यह कथन सही है क जब
तक आप चर–प र चत को पीछे नह छोड़ दे त,े तब तक नयी ऊँचाइयो को नह पा सकते और इसके लये आपका
असतत के दशन को अंगीकार करना आव यक है। सभी संगठन को हर तर पर, असतत के इस दशन को
था पत कर लेना च हए। येक , संबंध, उ पाद, या, व था, आदश, या वय का तरीका व शायद
पूरे वसाय को समय समय पर बदलने क व कुछ नया जोड़ने क आव यकता होती है। जब आप चले आ रहे
काय को छोड़ कर नये वसाय म वेश करते ह तो आप बुरी तरह से असफल हो सकते ह; क तु आपको इस
असफलता के लये तैयार रहना होगा, उसका सामना करना होगा, उससे संघष करना होगा और वजेता बन कर
उभरना होगा।
बजाज समूह क एक इकाई बजाज ऑटो को कसी समय एक कूटर नमाता के प म जाना जाता था।
उनक शानदार मोटर साइ कल व बाइ स जैसे क प सर, ड कवर आ द क पूरी ृंखला को बाज़ार म उतारने के
बाद भी, अपनी पुरानी छ व को बदलने म उ ह एक दशक से अ धक का समय लगा। इस समय उ ह माग दखाने
वाला एक मा वचार था– असतत का दशन।
कसी समय उनक क पनी का मुख उ पाद प हया कूटर का घर–घर म च लत नाम बजाज चेतक ही था।
बजाज समूह के अपर परागत उ रा धकारी राजीव बजाज ने इस छ व को बदलने का नणय लया। जस समय
व के बड़े मोटर साइ कल नमाता हीरो मोटरकॉप, यामाहा आ द कूटर के े म वेश कर रहे थे, उ ह ने कूटर
का वसाय छोड़, 100 तशत मोटर साइ कल बनाने वाली ांड बनने का नणय लया। उनके पता रा ल
बजाज उनके सबसे बड़े आलोचक व शा त वरोधी थे; क तु राजीव ढ रहे, वे जानते थे क जब तक वे चले आ
रहे उ पाद को नह छोड़गे, उनके लये एक नयी छ व व थान बनाना अस भव होगा। इस कार असतत के माग
दशन म उ ह ने अपनी नैया को मंझधार म ले जाकर अपने उ पाद क व तृत ृंखला को झझोड़ा और आज
बजाज ऑटो एक स मोटर साइ कल नमाता ह; जनका वसाय व के 50 से अ धक दे श म फैला है।
इसी कार नो कया, संचार के े का एक अ णी ा ड मूल प से लुगद व कागज के नमाता थे। सन्
1865 म इसक थापना म य फनलड के इसी नाम के एक शहर म क गई थी। जैसे–जैसे टे नोलॉजी वक सत
ई व जंगल घटते गये; नो कया ने अनुभव कया क य द उ ह ने शी ही अपना वसाय नह बदला तो उनका
नामो– नशान मटते दे र न लगेगी; और नो कया ने वयं को एक फॉरे ट मैनेजमट क पनी से एक दै याकार संचार
क पनी के प म पुन न मत कया। आज य द नो कया और आगे बढ़ना चाहता है और व म एक ावसा यक
त ान के प म अपना वच व कायम रखना चाहता है, तो उसे पुन: असतत के दशन क ओर जाना होगा। यह
कसी भी प म हो सकता है। क पनी को चली आ रही वचार या क सम त ारा अथवा संचार का उ ोग
छोड़ कर कसी नये, भ व बेहतर े मे वेश करना होगा; जो उ ह अगले तर तक ले जाये।
एक और उदाहरण है– ITC का जैसा क इसके नाम से प है, इं डयन टोबैको क पनी (पूव नाम, इ पी रयल
टोबैको क पनी ऑफ इं डया)। यह 70 के दशक क सगरेट बनाने वाली मुख क पनी थी। त बाकू व धु पान के
हा नकारक भाव के त बढ़ती जाग कता से अजीत हसकर, जो उस समय क पनी के मु य अ धकारी थे, यह
समझ गये थे क य द ITC ने वयं को सफ त बाकू के वसाय तक सी मत रखा तो यह आ मघाती होगा। अत:
1975 म ही क पनी ने अपने पंख फैलाये और व वधीकरण आर भ कर दया; उ ह ने अपनी उप थ त, होटल,
पेपर–बोड, पे शऐ ल ट पेपर, पैके जग, कृ ष–ज य ापार, ड बाबंद भो य पदाथ , क फै शनरी, सूचना
ौ ो गक , ांडेड कपड़े, गत दे ख–भाल के उ पाद , लेखन साम ी, मा चस व अ य एफएमसीजी उ पाद के
े म दज क । सात ब लयन डॉलर क कुल ब व छ बीस हजार कमचा रय के साथ 60 थान से ापार
करने वाले इस समूह ने एक डाइवस फाइड (ब उ पाद ावसा यक त ान) बजनेस हाउस के प म या त
अ जत क है। 1955 म था पत आय सी आय सी आय बक को कसी समय भारतीय औ ो गक ऋण एवं नवेश
नगम के नाम से जाना जाता था। यह सं थान व बक, सावज नक े के बक व बीमा क प नय का संयु
उ म था व इसका उ े य भारतीय उ ोग को उनक प रयोजना के लये व ीय सहायता उपल ध कराना था।
90 के दशक तक इस सं था ने एक ढ़वाद इकाई के प म काय कया इसी दौरान के बी कामथ ए शयन
डे हेलपमट बक, मनीला से अपना 8 साल का कायकाल पूरा कर लौटे और आय सी आय सी आय के एमडी व
सीईओ का पदभार हण कया। कामथ जानते थे क भारत म ब कग े ब त तेजी से वक सत हो रहा है; और
य द आय सी आय सी आय अपनी मौजूदा भू मका के बाहर नह नकला तो शी ही गुमनाम हो जायेगा। अत:
उ ह ने इस सं था को वकासो व ीय सं थान से व वध– व ीय सेवा समूह म प रव तत कर अपने ार खुदरा
ाहको के लये खोल दये।
सन् 1996–98 म उ ह ने गैर ब कग व ीय सं था के अ ध हण क ृंखला आर भ क और आय सी आय
सी आय बक क थापना का माग तैयार कर लया। सन् 1998 म जब आय सी आय सी आय बक ने इ टरनेट
ब कग का संचालन आर भ कया, तब तक बक ने वयं क नयी ड वन– टॉप फाइने शयल–स वस– ोवाइडर
था पत कर ली थी। सन् 1999 म आय सी आय सी आय बक भारत व ए शया का – जापान के अ त र , ऐसा
पहला बक, क पनी अथवा व य सं थान बन गया जो पचास लाख अमे रकन डपॉ ज़टरी शेअस के साथ यूयाक
टॉक ए सचज म ल टे ड आ और जसने अपने ऑफर साइज़ से 13 गुना अ धक डमांड बुक जनरेट क ।
असतत अ नवाय है!

यारंट क अपे ा न रख
यारंट , आ ासन, सुर ा, आ य – ये सभी श द साधारण मनु य के लये बने ह। जीवन उ यन क राह पर चलने
वाले नयी पहल करने से पहले कसी यारंट क मांग नह करते। उ ह यह सु न त करने क आव यकता नह
होती क जो जो खम वे उठा रहे है, वह उ ह उ त दे गा या अवन त; या नयी नौकरी उ ह वकास दे गी। या नयी
लखी पु तक पाठक को पसंद आयेगी; या नया डज़ाईन पास होगा; या नयी धुन लोक य होगी; या नया
नवास शुभ होगा; या नया उ पाद बकेगा; या नया कमचारी काय का न पादन कुशलता से करेगा; या एक
नया बाजार ापार बढायेगा; या नया मॉडल अ धक लाभ द रहेगा आ द। वे काय के स पादन म व ास रखते
ह। वे जो खम उठाते ह, जो खम वाले नणय लेते ह; और फर उ ह सफलतापूवक य वत कर लेते ह य क वे
सोच वचार कर उपयु जो खम उठाते है। और इसका कारण मा वषय के त आशावाद होना ही नह है,
ब क उनका साहसी होना उलट–फेर से बचने का मा ा होना और उनक आगे बढने क ेरणा, उनका जुनून भी
ह। साथक व उ य नत जीवन वाले अपने हर काय के त तब होते ह।

बना कसी लाभ क अपे ा कये कसी भी वषय के त आपक तब ता, ही आपका जुनून है।
–डॅन सु लवॉन

ट व जॉ स क तब ता नवो वेशन के त थी। उ ह ने अपने पद, यश व उ पाद से अपे त लाभ क


परवाह न करते ए, अ व सनीय टे नोलॉजी क ृंखला तुत क । ए. आर. रहमान क तब ता संगीत के
संसार के त है; न क अपने ोता क अपे ा से और इसी कारण वे ‘जय हो’ व ‘साडा ह क’ जैसे तरीय व
लोक य गान क रचना कर पाये। इस बात क पूरी स भावना रहती है क ‘साडा ह क’ कसी को पसंद न आये
या आईफोन 4 असफल रहे। क तु फर भी ये लोग उ कृ ता के जुनून से े रत हो आगे बढ़ते रहते ह– न क
सफलता क आशा म।
जब फनीश मू त क आई–गेट नामक 2500 करोड़ पये क भारतीय क पनी ने अपने से गने आकार क
5000 करोड़ पये क भारतीय क पनी पाटनी क युटस को खरीदा, तब फनीश मू त ने मंझधार म अपनी नैया
को झझोड़ा था। इस बात क कोई यारंट नह थी क यह वलय सफल होगा; क वे दोन क प नय को एक कर
पायगे; क पाटनी जैसी बड़ी क पनी के पुराने कमचारी नयी क पनी के लये काम करते रहगे; क टॉक माकट
उनका साथ दे गा; क आई–गेट इस खरीददारी को स भाल पायेगी; क उनका दवाला नह नकलेगा; क वे सफल
ह गे...........

अन–अनुमो दत या ा
साथक–जीवन वाले , अपने पथ के एकाक या ी होते ह। वे वयं समा हत व वयं म संपूण, आ म– नभर
होते ह, ज ह अपने कम पर व ास होता है; और वे मा अपनी ही वचार या पर, बना कसी के
संबल, सहायता या अनुमोदन क अपे ा कये; जो उ ह उ चत लगे वह काय करते ह। उनका अपना ही एक येय
होता है; एक सहजबु , एक अंतःचेतना, एक सु वचा रत, अनुसंधा नत नणय होता है, जो उ ह उनके भ व य क
ओर नद शत करता रहता है। और उ ह नयी पहल करने के लये संसार के अनुमोदन क आव यकता नह होती।
अनुमोदन न लेने के उनके इस कृ य के पीछे कोई द भ या ता नह होती अ पतु साथक–जीवन वाले यह
जानते ह क नया उनके वचार को नकार दे गी; और उ ह उसी राह पर चलने को कहा जायेगा, जसके दशन म
संसार व ास करता है। उनक बु म ा उनसे कहती है क उनके आस पास के लोग उनके वचार पर व ास
करना व सबल दे ना तो र, समझ ही नह पायगे; य प वे वचार संसार को बदल सकते है और इस लये वे कदम
उठाने से पहले लोग के अनुमोदन क त ा नह करते।
वे व ोही तो होते ह क तु येयहीन नह ...... उनका येय – नवो वेशन हो सकता है; वत ता हो सकता है या
कसी रा , समुदाय या त ान के लये भी हो सकता है; वशेषता यह है क वह येय इतना बल व मह वपूण
होता है क वे इसे बना कसी के अनुमोदन के अकेले ही लेकर चल सकते ह। वे संसार के नयम व मानदं डो को
अनदे खा कर दे ते ह, खतरे उठाते ह। अपने जीवन का उ े य जानने के लये जो कुछ उ चत लगता है, करते ह; और
यह सब वे साथी, समथन और संर ण न मलने पर भी करते ह।
वे नेता होते ह और जानते ह क जीवन नैया उ ह अकेले ही झझोड़नी है और संसार तभी उनके साथ चलेगा
जब उनक नैया थर होकर जीवन–उ यन क राह पर उनका मागदशन कर रही होगी। य प इस या ा मे वे
सहया ी ह गे; क तु उ य नत जीवन वाल को सदा अ णी व साधारण मनु य को उनके अनुयायी के प म दे खा
जायेगा।
भारत क सबसे बड़ी सूचना ौ ो गक क प नय म से एक व ो के चेयरमैन अजीम ेमजी ने हाल ही म
अपने दो सीईओ को नौकरी से इस आधार पर हटा दया क उ ह ने क पनी के वकास को धीमा कर दया। इस
कदम के कारण कई अ य लोग भी क पनी छोड़ सकते थे; कंपनी के शेयस लुढ़क सकते थे; इससे अफवा व
अटकल का बाज़ार गम हो सकता था व उ ोग उनका नरादर कर ल जत कर सकता था। क तु अजीम ेमजी
जानते थे क वे या कर रहे ह और वे हर प रणाम के लये तैयार थे य क वे जानते थे क ऐसा होगा। उ ह ने
मंझधार म, बना कसी का अनुमोदन लये, नैया झझोड़ी थी। उनके इस कदम के फल व प उ ह ने ने 1456.40
करोड पये का लाभ अ जत कया, जो व ीय वष 2011–12, जस दौरान उ ह ने यह भारी कदम उठाया, क
अं तम तमाही क तुलना म 11.95 तशत अ धक था। वे जीवन उ य नत करने वाले ह।

यहाँ वे पाँच नणय ल खये जो आप अगले एक वष म अपने गत व ावसा यक जीवन म लेने वाले
ह। ये नणय आपक अंतःचेतना, साहस व अंतः ान पर आधा रत ह व बना कसी क सहायता अथवा
अनुमोदन के लये गये ह , साथ ही इनके या वयन क परेखा व उसक समय सीमा भी लख।

अपनी सफलता के शीष पर ही कर


य द आपको अपनी नाव झझ ड़नी है, तो यह अपनी सफलता के शीष पर ही कर।
सैकड़ हजार ापार अपनी ही सफलता व बाजार म अ णी थ त से अ भभूत हो कमजोर हो जाते ह। वे
यह अनुमान नह लगा पाते क य द उ ह ने नव नमाण पर यान नह दया तो उनका ताज कोई और ले जायेगा।
भारत क पहली सफल कार ए बैसेडर ( ह तान मोटस ारा न मत) ने भारतीय कार उ ोग का ब त ल बे
समय तक नेतृ व कया; क तु जब मा त व अ य कार नमाता कह अ धक ह क , फैशनेबल, छोट व चमकदार
कार ले आये तो वे अपना वच व कायम न रख सके और ए बैसेडर कार इ तहास का ह सा हो गई।
रदशन – भारत का पहला ट वी चैनल, जसने वष तक एक–छ राज कया, टार ट वी व अ य सैटेलाईट
चैनल के आने पर एकाएक धाराशायी हो गया।
सन् 1960 म, व उसके पहले भी वट् ज़रलड को नया का सबसे बड़ा घड़ी नमाण रा माना जाता था।
उनक ो ो गक व श थी। ऑटोमै टक घ डयाँ– जसम उ ह महारत हा सल थी और जसने उ ह ब त मुनाफा
दया था, बाजार का 65 तशत ह सा उनके पास था; और उ ह घड़ी नमाता का नेता, न वरोध माना जाता
था। ‘मेड इन वट् ज़रलड’ का अथ था क मती, उ म–दजा, व अ यंत उ च मानक का पालन। जीवन ब त सु दर
था; वस उ त करते जा रहे थे, वे अपनी सफलता के चरम पर थे। तभी 1968 म कुछ घड़ी अनुसंधानकता ने
वट् ज़रलड के सबसे बड़े घड़ी नमाता से संपक कया और उनके सामने घड़ी बनाने क नयी टे नॉलॉजी–
वॉट् ज़ टे नॉलाजी तुत क । इस टे नॉलॉजी से बनी घड़ी म कह कम पुज लगते थे व वे ऑटोमै टक घ ड़य से
हजार गुना सही समय बताती थ । उन अनुसंधानकता के अनुसार घड़ी का भ व य यही था।
उस वचार को त काल नकार दया गया; य क वस मानते थे क इससे घड़ी उ ोग को कोई लाभ नह
होगा। उनका व ास था क भ व य उनके भूतकाल का ही एक आयाम रहेगा और उ ह ने इले ॉ नक घ ड़य क
स भावना क ओर से आंख मूंद ल । वे इतने आ म व ासी थे क उ ह ने इस वचार को अपने नाम से पेटे ट करा
लेने के बारे म भी नह सोचा और अनुसंधानकता को बेरंग वापस लौटा दया।
वस घड़ी नमाता क अ वीकृ त के बावजूद अनुसंधानकता ने ह मत नह हारी। उ ह अपने वचार पर
व ास था। उनके व ोह म एक येय न हत था। वे अपने उ ोग को उ चत व उ त ो ो गक दे ना चाहते थे। वे
कसी ऐसे को ढं ढ़ रहे थे जो उनके वचार से सहमत हो; और इसी खोज म उ ह ने उसी वष वा षक घड़ी
कां ेस म भाग लेकर अपनी टे नॉलॉजी को द शत कया। दो क प नय – जापान क सीको और अमे रका क
टे सास इ टमे ट् स ने उनक संक पना को आगे बढ़ाने म च दखायी; आगे जो आ, उससे सभी प र चत ह।
इसके ठ क दस वष बाद 1978 म वस घड़ी नमाता, घड़ी नमाण उ ोग क अपनी अ णी थ त खो चुके
थे। और नया के घड़ी बाजार म उनका अ धकार 65 तशत से गरकर 10 तशत रह गया था; और इस पतन
का भाव इतना गहरा व नाटक य था क उ ह अपने 6600 कमचा रय म से 5500 को छोड़ना पड़ा। एक रा जो
अपनी सफलता के चरम पर था, अपनी नैया को मंझधार म झझोड़कर और उ त हो सकता था; य द वे नयी
टे नॉलॉजी म व ास करते, उसका मू य समझते व उसे अपना लेत।े क तु वे अपने द भ व नयी टे नॉलॉजी को
न पहचान पाने के कारण इतनी तेजी से सूखे क बारा पनप न पाये। य द आपने शीष पर रहते ए अपनी दशा
नह बदली तो वह दन र नह जब कोई आपको धरती पर पटक दे गा।
काश! ए बैसेडर, रदशन व वस घड़ी नमाता को इस ां त का पूवानुमान हो गया होता और उ ह ने
अपनी चाल बदल ली होती।

थोपे जाने से पहले प रवतन ले आय


येक प रवतन अपने साथ ब त सा भय, असुर ाय, क ठनाईयाँ, ख:, याग व जो खम लेकर आता है। जब
आप अपनी सफलता के शीष पर होते ह और बदलाव का नणय लेते ह तो आपको कम से कम ःख व क ठनाईय
का सामना करना पडता है; य क जस प रवतन का आपने आर भ कया है, उसक पहल भी आप ही ने क व
संचालन भी आप ही कर रहे ह। यह माकट ारा संचा लत नह है; यह आप पर थोपा नह गया है। य द बदलाव
थोपा गया हो तो आपक आधी उजा व तब ता तो बदलाव का वरोध करने म खच हो जाती है। नये वचार को
‘ना’ कहते ही आप उसके पूरे भाव को अनुभव करने से वं चत हो जाते ह और उसक श से अ भा वत ही रह
जाते ह। सबसे बड़ी बात आप मौके का फायदा उठाने से चूक जाते ह। अत: बद लये! इसके पहले क आपको
बदलना पड़े।
एक आम आदमी सफलता के चरम पर प ँच कर यथा थ त बनाये रखने का य न करता है आपको कोई
बरला ही मलेगा जो ऊँचाई पर प ँच कर उथल पुथल मचाये। जब बुरा समय शु होता है, उ पाद अ वीकृत हो
जाते ह; ट म बखर जाती है और ापार नीचे जाने लगता है। ऐसे म व थ दमाग वाला कोई भी अपने
बचाव के उपाय ढढ़े गा; क तु सफलता के शीष पर होते ए ापार व उससे संबं धत वचार धारा म मौ लक
प रवतन लाना, उ य नत जीवन जीने वाल का ही गुण है।
15 अ ैल 1955 को जब रे ॉक ने मैकडॉन ड भाइय से मैकडॉन ड का नेशनल चाइज़ खरीदा, वे एक
सप थे; आराम का जीवन जी रहे थे। क तु 52 वष क आयु म उ ह ने अपने जीवन, क रयर और स प
को दावं पर लगाया व मैकडॉन ड को खरीदा; उ ह इस ापार के वचार म पूरा व ास था। उ ह ने साल
अमे रका क सड़को क धूल छानी ले कन ह मत नह हारी य क वे अपने व को साकार करना चाहते थे। इस
या म उ ह ने अपनी नैया को बीच समु म अपनी जीवन क पूरी कमाई से झझोड़ा और वह भी तब, जब वे
अपने क रयर के शखर पर थे।
टोयोटा क पनी क ‘ वा लस’ सफलतापूवक चल रही थी और 8000 यु नट तमाह बक रहे थे – जो क
एसयूवी गा डय क ब का आज तक का सबसे ऊँचा क तमान है। क तु तभी उ ह ने ‘ वा लस’ का उ पादन
रोक कर ‘इनोवा’ का उ पादन आर भ कर दया।
य द इनोवा फेल हो गई तो? य द ाहक ने इसे नापसंद कर दया तो? या वे वा लस को दोबारा बाजार म
ला पायगे? य द तब तक वा लस क मांग भी समा त हो गई, तो या वे माकट को फर से जीत पायगे? य द
कल कर, टोयोटा के भारतीय मा लक इन वचार से घरे होते तो इन दोन उ पाद ने टोयोटा को जो गजन दया
वह कभी भी संभव न हो पाता, जी हाँ, बाज़ार म मात, असफलता, इनोवा का माकट म न चल पाना और फर
वा लस को पुनजीवन न दे पाना यह सब कुछ हो सकता था। ले कन टोयोटा ने अपनी नाव को बीच समु म
झझोड़ा –जब वा लस अपनी सफलता के उ कष पर थी और इसका प रणाम सभी ने दे खा।
ये सारे नणय जो इन संगठन व येक ने लये, अनुसंधा नत व सु वचा रत थे। इनम कोई भी मा
अंत:चेतना पर आधा रत नह था। य द रे ॉक कल कर टोयोटा और उनके जैसे हजार अ य लोग ने ये साह सक
नणय न लये होते, ये जो खम व चुनौ तयाँ न उठाई होत तो वे आज भी अपना वसाय सफलतापूवक चला रहे
होते व गत जीवन फल–फूल रहा होता; क तु जो मान सक श , च र , आ म– व ास व जीवन क समझ
उ ह इन अनुभव को जीते ई मली उससे वे वं चत ही रहत।
चाहे आपको अपने संगठन के ढांचे म बदलाव लाना हो, या नये अथवा पुराने माकट म कोई नया उ पाद लाना
हो, या उ चत काया वयन के अभाव म क पनी के उ चतम अ धका रय को काम से नकालना हो, या अपनी जमी–
जमाई नौकरी छोड़ कर कोई नया वसाय आर भ करना हो, या अपना 29 वष का हचय याग कर ववाह
करना हो, या अंतरा ीय बाजार म उतरना हो, या कसी क पनी का अ ध हण करना हो या अपनी पुरानी न ावान
मा त 800 को वदा करना हो; यह एक या को छोड़कर नयी या को आर भ करना ही है ....... यह तब
कर जब आप सफलता के शीष पर ह , जब आपके पास हर सुख–सु वधा हो, जब आप सब कुछ हार सकते ह ;
यह एक जुआ है, दांव लगाय।
कॉरपोरेट े नग के अपने पेशे म म शीष पर था, जब मने अपनी नैया को झझोड़ा और कॉरपोरेट े नग को
नम कार कह दया। म उ ोग का चहेता था। चाहे वह वोडाफोन तब का नाम ह चसन, मै स, ऑरज हो या ए शयन
पट् स, कोका–कोला या ॉ टर ए ड गै बल, ह तान लीवर या म ह ा ए ड म ह ा, फोड या डंई, टडड
चाटड बक या सोडे सो–पास, आइट ड लयू सगनोड या युहॉलड ै टस, एलआयसी या बरला सन लाइफ,
मै स यूयॉक लाइफ या मैटलाइफ, अवीवा लाइफ इं योरस या रलाय स लाइफ, डीएलएफ या एचडीएफसी या
आयसीआयसीआय या टाटा काई, युट आई या कोटक लाइफ, पारस फामा यु टक स या सट गोबेन, टाटा
एआयजी या लो ला ट, एयरटे ल या एचएसबीसी, आयन ए सचज,या टे ट बक ऑफ इ डया, एसकेएफ
बय र स या फ ल स, टाटा मोटस या सोनी। चाहे वह से स े नग रही हो या लीडर शप, बड़े ाहक को
संभालना– अकाउ ट मैनेजमे ट हो या नैगो सएशंस का कौशल, चज मैनेजमे ट (प रवतन बंधन) या पीपल
मैनेजमे ट (लोग का बंधन) का कौशल, सं ेशन या तु तकरण का कौशल, क टमरकेयर या वा लट स वस
(गुणव ापूण सेवाएं), म सवा धक वां छत श क था। जसक जड़ जम ई थ , जसके संबंध सभी जगह थे,
जो जाना–माना था और सहज था।
मुँह जबानी फैला आ मेरा चार इतना भावशाली था क म पूरे वष के लये अनुबं धत था। आने वाले दो
वष के लये मेरे काय म तैयार थे और मेरे पास छ: माह क ती ा सूची भी थी। म उ कष पर था, तब मने
कॉरपोरेट श ण से वदा लेकर एमएसएमसी के (लघु सू म और म यम उ म) े म वेश कया। मने
कॉरपोरेट जगत क चमक–दमक को नम कार कया और कोका–कोला व यूनीलीवर क नया छोड़कर म
पारटन इंजी नय रग, ी गणेश टोस, सांई फा टनस, चीनू े व स, सनी एडवरटाई जग, लोकेश वेलस क
नया म आ गया। ये ऐसे त ान थे जनका नाम उनके मा लक व कमचा रय के अ त र कोई नह जानता था,
ये ऐसी क प नयां थी ज ह संसार तो या भारत, महारा , मु बई, अंधेरी, जे.पी. रोड़, जे.पी. रोड़ थत आकृ त
आकड या उसक पांचवी मं जल पर भी कोई नह जानता था, यहां तक क आकृ त आकड के 504 न बर के
लॉक म बैठे ए को यह पता नह था क 506 न बर म आपका त ान है।
म कॉप रेट े नग के चमक–दमक, वैभव व फैशनेबल अंदाज़ को छोड़कर, 5000–50000 करोड़ पये वाली
क प नय को छोड़कर, 50 लाख – 5 करोड़ पये वाली क प नय पर उतर आया था मने मंझधार म प ंचकर
अपनी नाव को झझोड़ लया था। बदलाव म साथ आने वाले सभी ःख व आप य तथा याग व ब लदान से म
फर गुजरा और यह मेरा पहला प रवतन नह था, म पहले भी कई बार अपनी नाव को झझोड़ चुका ँ और मुझे
इतना अ यास हो गया है क आज यह मेरे डीएनए का, मेरे अवचेतन का, मेरी आ मा का, मेरी शैली का व मेरे
जीवन का भाग बन चुका है।
इस प रवतन के लये मने नाव को बीच समु म झझोड़ने क चार शत पूरी क :

१. असतत के दशन म व ास– थ तय के बदलने से भंग होने से मुझे परेशानी नह ई। नर तरता से ा त


होने वाले सुख व आन द को म हमेशा छोड़ता रहा ँ।

२. यार ट क अपे ा न कर– मने कभी कसी से न तो अपनी सफलता क यार ट मांगी और ना ही सबकुछ
ठ क हो जाने का आ ासन। मने कभी अपनी जीवन शैली कायम रख पाने क च ता नह क । बीच मंझधार म
होते ए इस तरह क अपे ाएं एक पागल ही कर सकता है। बीच मंझधार म केवल एक चीज क यार ट होती
है और वह है मौत। और मने हमेशा मृ यु को अपने सामने रखकर अपनी नाव को झझोड़ा। मेरा पूण व ास है
क एक बार मरने के बाद आपको कोई च ता नह करनी, य क तब सब कुछ समा त हो जाता है। आप न तो
कुछ मरण कर पायगे न कोई पछतावा......ठ क है!

३. अनुमोदन क अपे ा न कर– मने कभी कसी से अपने काय क पु नह मांगी और ना ही अनुमोदन। जब
भी आप कुछ नया न न और बेहतर कर रहे होते ह, आप अकेले होते ह। एकाक होना ही आपक व श ता है।
★ आप एक मूख मनु य लगगे, इसे वीकार कर।
★ आपको ताने मारे जायगे, उनका सामना कर।
★ आपक हंसी उड़ायी जायेगी, उड़ाने दो।
★ आपसे पूछे जायगे, उनसे च तत न ह ।
★ आप आ म–संदेह क थ त म रहगे, उस म बने रह।

आपको कोई अनुमोदन या पु नह मल पायेगी य क आपका मू यांकन करने हेतु कोई मापद ड नह है।
इस राह पर अभी तक कोई नह चला है। यह तैयार रा ता नह है इसे आप बना रहे ह। आप एक अनजाने े म
वेश कर रहे ह। अनुमोदन मांगने क मूखता न कर।

4. सफलता के शीष पर जीवन नैया को झझोड़– पद खोने का भय मुझे कभी नह रहा, अत: मने सफलता
मलने पर ही अपनी नाव झझोड़ी। यह वह अव ध होती है जब म योग कर सकता ँ, ग तयाँ कर सकता ,ँ
ःख व क ठनाईय से लड़ने का साहस, समय व अवसर मेरे पास होता है – इससे पहले क यह सब मुझ पर
थोपा जाये या मुझे करना पड़े।

नैया को हलाना–डु लाना या झझोड़ना कुछ लोग के वभाव म ही होता है, क तु कुछ अ य को उसे अपने
मानस का भाग बनाने के लये मेहनत करनी होती है। जब तक आप सुर ा व सुख के दायरे म रहते ए ही काय
करते रहगे, आप अपनी जीवन नैया को नह झझोड पायगे और जब तक आप यह नह करगे, जीवन उ य नत
नह होगा।

नीचे दये गये थान का योग यह लखने के लये कर क आप अपनी जीवन नैया को कैसे झझोड़गे
अथात् जो चीज आप छोड़ दगे; वे कदम जो आप कसी यार ट अथवा अनुमोदन क अपे ा कये बना
उठाने वाले ह; और वे नणय जो आप सफलता के शीष पर लेने वाले ह।

इस अ याय के अ त म वयं से कया वायदा।


अपने जीवन को जीवनपय त साथक व उ य नत बनाये रखने के लये आपको यह आ ा नदश, आदे श, भु
का नयम, यह कमांडमट अपने जीवन के त दन, तघ टे , त मनट वयं को दे ना होगा।

जीवन नैया को बीच मंझधार म ले जाकर झझोड


कमांडमट
4
वाय बन आज ही अपना सं वधान घो षत कर

जो मनु य वाय ह, वे ही साहस कर पाते ह;


साह सक होना जीवन–उ यन के लये ज़ री है।
26 जनवरी 1950 को भारत क वत ता के तीन वष बाद भारतीय सं वधान क मसौदा स म त ने डॉ. बाबा
साहेब अ बेडकर क अ य ता म भारत का सं वधान तैयार कया व इसके ारा ऐसे बु नयाद नयम तय
कये जनसे भारत एक लोकता क गणरा य के प म काम कर सके; जैसे क एक धानमं ी क नयु ,
संसद क थापना, चुनाव, लोकता क सं था के अ तगत काय करना व एक वत रा का सम त शासन
चलाना।
येक सं वधान का मु य काय व वशेषता यह है क वह आपको एक तैयार ढांचा दे दे ता है जसके अ तगत
आप काय कर सक, यह आपके जीवन को दशा दे ता है और आपको गरावट व वनाश से बचाता है। डॉ. बाबा
साहब अ बेडकर ने एक ऐसा ही ढांचा हमारे दे श के लये तैयार कया। धी भाई अ बानी (भारत के सवा धक
स मा नत उ ोगप तय म से एक) ने एक सं वधान वयं के लये बनाया। आपको भी अपने लये एक सं वधान
बनाना होगा य द आप जीवन को उ य नत करना चाहते ह।
आपको ज म लये कतने वष बीत चुके ह और आप अभी तक अपने सं वधान क घोषणा कये बना ही जी
रहे ह?

जीवन उ य नत करने हेतु वाय बन


अपने सं वधान क घोषणा कर –आज ही।

मुझे सदा ही ‘भय’ के दशन म व ास रहा है। संसार को आपसे डरना चा हए। मेरा ता पय है, स मानपूण
भय। शायद इसने आपको परेशान कर दया? स मानपूण भय आतं कत भय का उलटा है। कसी डाकू या गु डे या
ठग का आपक गदन पर चाकू रख दे ना है, या आपके सर पर बं क तान दे ना; आतं कत भय को ज म दे ता है –
आपको बलपूवक डराता है। इस कार का भय, पद ारा, च लाकर, ोध ारा या अपने से नीची थ त या
न न पदवाले लोग पर दादा गरी या बदमाशी से भी पैदा कया जा सकता है।
स मानपूण भय गत होता है, यह शंसायु स मान है, यह एक गत शंसा व आदर है। वह वयं
को शीष पर रखने का तरीका है; इससे आप संसार के व न से वयं को बचाए रखते ह उ ह आपके जीवन म
उथल–पुथल करने व आपको परेशान करने क अनुम त नह दे ते ह। यह आपके व संसार के बीच एक री बनाये
रखता है। स मानपूण भय वाय ता से उपजता है और जीवन यापन के लये यह अ नवाय, आव यक, बा यकर व
आदे शत भी है।
वाय का अं ेजी श द Autonomous दो श द के मेल से बना है।

Auto ऑटो अथात् Self एवं


Nomous नॉमस अथात् Laws नयम

जीवन एक अ या शत खेल है। हर एक के अनुभव भ ह और इस ग तशील संसार म कसी अ य के बनाये


गये नयम व कानून के साथ चलना या उ ह अपने जीवन म चलाना असंभव है। आप कसी अ य के कोण या
वचार क ब ल नह चढ़ सकते। अपनी मता को उ त करने के लये आपका वर चत, वसं वधा नत व
व न मत होना आव यक है; आपको एक ऐसी थ त म होना चा हए जहाँ आप वयं म वत ता व व ास का
अनुभव कर। आप के नयम वयं आप ही के बनाये ह – आप वाय ह ।
उ य नत–जीवन वाले मनु य वाय होते ह। वे न तो अ य के अधीन होते है और ना ही बा ताकत से
नय त; इसके बजाय वे व नद शत, वशा सत व वत लोग होते ह, जो अपनी शत पर जीवन जीते ह।
उनके पास येक व तु के लये नयम होते ह और वे नयम को लेकर कभी समझौता नह करते; वे केवल
खुद के बनाये मापद ड के अनु प चलते ह; उनका एक सं वधान होता है, जो इन सभी नयम को प रभा षत
करता रहता है और फर वे समय–समय पर ग तशील संशोधन कर संसार म उनक घोषणा करते ह।
उदाहरण के लये मेरे सभी ाहक, सहकम और म जानते है क म केवल पेशगी–मेहनताना मलने पर ही
काम करता ँ, इसका अथ है क य द ऐसा कोई जो पूरा पैसा पेशगी दे ने म हच कचा रहा है वह मेरी या मेरी
क पनी क सेवाएं नह ले सकता। मने वयं को, मेरी क पनी को इतना स त ज मेदार व यो य बनाया है क अपने
ाहक के नवेश के बदले उ ह गने व अ तीय प रणाम दे पाय और फर पूरे संसार को इसके पालन म वृ कर
सक। (यह मेरा व– नयम है; मने इसे अपने जीवन के सं वधान म लखा है, इसे सं े शत कया है, व ा पत कया
है, घो षत कया है ता क संसार इसका पालन कर सके।
नया जानती है क म समय के पालन म हठधम ँ और म दे र से आने वाले कसी भी क त ा नह
करता। जन दन म यूरेका फो स म ांच मैनेजर था, म अपनी ांच के से स क ट म के साथ येक श नवार को
एक बैठक रखता था। हमारे उस समय के मैने जग डायरे टर मेरी एक बैठक म भाग लेना चाहते थे। मेरी इन
बैठक को लोग उ , कठोर, व कसी सरी नया क रचना मानते थे; ये बैठक पागलपन, जूनून और और ेरणा
से भरपूर होती थी। क पनी का एमडी होने के नाते वे मेरी इन बैठक के बारे म जानते थे और उनके असर से
व मत भी थे; यही करण था क वे एक बैठक का अनुभव लेना चाहते थे।
मेरे जीवन का एक वाय नयम था– एक व– न मत नयम क मेरी बैठक सही समय पर आर भ हो जायगी
और इस बैठक का समय दोपहर 01:30 बजे था। मने उ ह अपनी बैठक के समय क सूचना दे द थी और येक
जानता था क एक बार बैठक आर भ होने के बाद भगवान भी उस कमरे म नह आ सकता था। उ ह ने
समय से पहले प ंच जाने का वायदा कया; वे एक स ांतो वाले थे और अपनी हर वचनब ता के लये
हमेशा समय पर प ंचते थे। उस श नवार पूरी ांच–अकाउ टट् स, से स के लोग, ाहक सेवा–दल और सुर ाकम
सभी वशेष सावधान थे; य क वे कोई सामा य नह थे। वे क पनी के मैने जग डायरे टर थे।
हम सभी कमरे म प ँच गये– मेरे से स वाले 29 लड़के और उनके लीडर; 1:30 बजने ही वाले थे ठ क डेढ़
बजे मने दरवाजा बंद कर दया व अपनी बैठक आर भ कर द । वे 1 बजकर 34 मनट पर प ँचे और दे खा
दरवाजा बंद था, उ ह ःख आ क वे बैठक म भाग नह ले पाये, गत तौर पर उ ह ने मेरे संक प क शंसा
क।
यहाँ म एक भारतीय पु लस सेवा के अ धकारी क चचा करना चा ँगा ज ह ने अपनी सेवाकाल क पूरी अव ध
म व नयम का पालन कया व वयं को वाय ता का पया त स कया– जी हाँ – करण बेद । वे सन् 1972 म
आयपीएस म आय व सन् 2007 म सेवा नवृ । उन शानदार 35 वष के दौरान वे पहली म हला पु लस
अ धकारी रह जसने पु लस सेवा म उ चतम पद पर काय कया। उ ह ने अपनी अ भनव क तु भावकारी
कायशैली का योग कर लोग से सफलतापूवक कानून का पालन करवाया। इसक वजह से जहाँ एक ओर तो उ ह
क ठन प र थ तय म भी आशातीत सफलता मली, वह सरी ओर उ ह इसी कारण एक वभाग से सरे म कई
बार व रत थाना तरण भी मला।
उ ह ने जला पु लस, यातायात पु लस, नारको ट स नय ण यूरो, होमगाड, स वल डफस, संयु रा
नाग रक पु लस सलाहकार, आ द व भ वभाग म काम कया। इनम से येक जगह उ ह ने अपने साहसी व
ह मतपूण काय से लोग को अचं भत कया, इन काय म भारत के धानमं ी क , नो पा कग े म खड़ी कार
को पकड़ना भी शा मल है। उनको मली शंसा व वाहवाही उनके व– नयम को उजागर करती है, ज ह ने सदा
उ ह साधारण आयपीएस अ धका रय से उंचे पायदान पर रखा। वे मा एक आयपीएस अ धकारी ही नह रह ,
अ पतु एक वाय , जीवन उ यनकता थ ।
उनके एक कायकाल के दौरान जब वे इं पे टर जनरल ऑफ ज़न थ , करण बेद ने जेल क सजा के
स ा त म ही ा त ला द । उ ह ने तहाड़ जेल के जो क अपने खतरनाक व बदनाम कै दय के लए स है
कै दय म बदलाव लाने का बीड़ा उठाया। उनका व ास था क इन अपरा धय व ह यार को – जनके बारे म
माना जाता था क इनम कोई मानवीयता व व थ मान सकता नह बची है – सही राह पर लाया जा सकता है।
उ ह ने जेल म ही एक से दस दन का वप यना का काय म ( यान व मौन) चलाया – यह एक ऐसा काम था जो
उनके व ास, ह मत और महानता क ओर इशारा करता है।
यह काय म कहाँ चलाया जाएगा, इस दौरान कै दय के होते सुर ा व नयं ण क या व था होगी, य द
इस बीच इनम से कसी ने अ नयं त हो भागने का य न कया और उससे जेल म दं गे हो गये तो; बु नयाद ढाँचा
व अ य सु वधाएँ, भोजन, थान और सैकड़ अ य चीज क योजना व परेखा तैयार करने क आव यकता थी।
इस काय के लए पहले से कोई ढाँचा तैयार नह था। कोई उदाहरण नह थे। जैसा क सही कहा गया है, कोई
भी महान सफलता पार प रक त प का अनुसरण करने से नह मली है। कसी भी व ापी समूह का
नमाण साधारण याकलाप से नह आ है, कोई भी यु जान–माल क र ा करने वाले उपाय से नह जीता
गया है और करण बेद व– नयम से न मत म हला थ । उ ह अपार प रक काय म व ास था और उ ह ने यह
ां त लाने के लए वयं को नद शत कया था। उ ह ने अपने ढाँचे वयं बनाये। उ ह न अपने उदाहरण वयं रचे
और ऐसे चम कार कये क आने वाली पी ढ़याँ उनका अनुसरण करना चाहती ह।
ऐसे ही एक ओर थे, धी भाई अ बानी, जनका जीवन वाय ा और व नयम पर आधा रत था।
एक म यवग य गुजराती प रवार से संबंध रखने वाले धी भाई एक श क के पु थे। उनके पता गांव के
कूल म पढ़ाते थे और वयं उ ह ने अपना जीवन आर भ कया सन् 1950 म, अदन के एक अरबी ापारी के यहाँ
एक छोट नौकरी करते ए। उ ह ने इस अदना सी शु आत के बावजूद भारत के नजी े क सबसे बड़ी क पनी
खड़ी क – रलायंस इ ड ज ल मटे ड। उनके संघष को एक ही नयम ने नयं त कया, वह था “म जो भी
क ं गा वह वशाल होगा, व तरीय होगा और अपने आप म अनूठा होगा”; और अपने रचे इस सं वधान के त
पूरी न ा रखते ए उ ह ने जो भी कया वह अतु य था। चाहे वह आम भारतीय को शेयर बाजार का रा ता
दखाना हो, या जामनगर म व क सबसे बड़ी तेल रफाइनरी क थापना कर उस शहर क पहचान को “पीतल
के शहर” से “भारत का तेल का शहर” म प रव तत कर, जामनगर जैसे छोटे शहर को रा ीय व अंतरा ीय तर पर
स दलाना हो, या लगभग 25 करोड़ पये खच कर रलायंस क पनी म आ टक फाईबर लाना हो या दे श के
इ तहास म क प नय का अब तक का सबसे बड़ा समूह बनाना हो, इनम से येक य न व तरीय था, अपनी
तरह का पहला था और जीवन से कह बड़ा था। उनका येक काय ग त, उ कृ ता और असंभव के या वयन
का तीक ह– धी भाई के जीवन को नद शत करने वाले ये स ांत आज रलायंस के सं वधान ह।
अनूठे काय जो अब तक कसी ने न कये ह , करने के लये, आव यक है क मनु य के पास साहस,
आ म व ास व वचार व कम क वत ता हो। आपका वाय वहार आपके आसपास के संसार के.उ यन
म सहायता करता है। स मानपूण भय जो क वाय ता क ही दे न है, आपके व आपके चार ओर मौजूद कौशल व
यो यता के उपयोग के दरवाजे खोल दे ता है – यह से लोग को वह सब कुछ कर डालने क ेरणा मलती है जसे
वे अस भव मानते थे।
आप अ य लोग क उ त व वकास का कारण बन जाते ह। आप लोग को ऐसे काम करने के लये े रत
करते ह जो उ ह अचं भत व हत भ कर दे ते ह; वे वयं को उ य नत करते ह यो क आप ‘ वाय ’ थे और ह।

अपने व नयम लख,


व– नयम य आव यक ह?
व– नयम लोग को नयम व अ ध नयम का एक ऐसा त दे ते ह जो उ ह ईमानदार व यायसंगत जीवन जीने क
ओर नद शत करता है। इस तं क अनुप थ त म लोग अपने ल य तक प ंचने के लये अनु चत तरीक का चयन
कर लेते ह; जैसे र तखोरी, धोखा, ाचार आ द। वे ऐसे छोटे रा ते अपना लेते ह, जो उ ह एक ल बे समय बाद
तकूल प रणाम दे सकते ह। कुछ ऐसे लोग ह जनके साथक व उ य नत जीवन जीने क बल स भावना थी व
ज ह ने जीवन म अव य सफलता पाई होती य द वे वयं के ही अवां छत व नकरा मक वहार का शकार न हो
गये होते। उदाहरण के लये वे तभावान केट खलाड़ी ज ह ने मैच– फ संग जैसे शमनाक काय म भाग
लेकर अपना क रयर चौपट कर लया या वे खलाड़ी ज ह ने कसी अपमानजनक व नदं नीय कृ य से वयं को
जोड़ लया। व नयम क अनुप थ त ने उनके उ यन का गला घ ट दया।
चाहे ाचार, कर–चोरी जैसे बड़े नै तक मुददे् हो या फर छोटे दखने वाले अपराध, जैसे शराब के नशे म
गाड़ी चलाना, यातयात नयम का पालन न करना आ द। य द वयं के सं वधान क घोषणा कर दे ता है व
उसके अनु प जीने लगता है तो उसका जीवन सही राह पर बढ़ चलता है।
अपने जीवन को जीवनपय त साथक व उ य नत बनाये रखने के लये वयं को यह आ ा, नदे श, आदे श, भु
का नयम, यह कमांडमट अपने जीवन के त दन, तघंटे, त मनट दे ना होगा–

वाय बन, आज ही अपना सं वधान धो षत कर।


कमांडमट
5
घो षत कर: मेरे चार ओर का येक संसाधन उ य नत होगा।

जीवन उ यन क वशेषता है क यह आपको


अपने आसपास के सभी मनु य के अब तक के अनछु ए,
भीतरी– व को खोजने म मदद करता है।
ह म एक ौ ो गक य संसार म रहते ह; एक ऐसा संसार जहाँ नर तर नयी खोज हो रही ह। क तु येक नयी
खोज व येक नया रा ता, मनु य के आ म व ास व उनके भ व य, अ त व व जीवन क नरंतरता के बोध
को ीण कर दे ता है। येक का जीवन और अ धक अ या शत होता जा रहा है। हमारे चार ओर
अशां त व उथल–पुथल का सा ा य है। जीवन म कसी भी े म था य व नह है; चाहे वह आमदनी हो या
रोजगार, रहन–सहन का तर हो या वचार, लोग व उनक न ा, या फर जीवन। पूरे संसार म सरकार मानव
सम या के समाधान ढूं ढने म लगी ह; क तु उनके पास ौ ो गक ारा र चत इस संकट का कोई रचना मक
हल नह है।
मनु य को उनके व को अनदे खा कर एक व तु के प म दे खा जाता है और लोग क अपनी
संवेदनशीलता कम होती जा रही है, व सर के त ेम, च ता व अनुराग तो जाने कहां खो गया है। ौ ो गक
उपकरण या , मै युअ स, ो सजस व सा टवेयर आ द का मू य मनु य से कह अ धक है। उस मानवीय
पश का नता त अभाव है और यह आकर वकास, रचना मकता व प रवतन क संभावना समा त हो जाती है।
तो या इस सब के लये टे नालॉजी ही दोषी है? या ौ ो गक ही हम असंवेदनशील बना रही है? या
हमारा मनु य पर व ास कम होता जा रहा है, य क हम पी ड़त ह– ौ ो गक अ ध व से? एक रोग जो हम
मानवीय संबंध का रस नह लेने दे ता। या अपने नकट के लोग म हमारी च, उनसे हमारा स पक व उनके त
हमारी संवेदना समा त होती जा रही है? हम कस सं कृ त को अपनाना चा हए, भारतीय, अमे रक , टश, त मल
या फर गुजराती? और हम इससे परेशान य है?
एक गुजराती लड़का एक चीनी मुसलमान लड़क से ववाह करता है, अमे रका चला जाता है; वहां पांच वष
काम करता है और फर पे रस म बस जाता है। उसे कौनसी सं कृ त अपनानी चा हए – गुजराती या ब लता व
व वधता से पूण भारतीय सं कृ त? या उसे चीनी सं कृ त अपनानी चा हए या फर मुसलमानी और वह भी जैसी
चीन म मानी जाती है? या उसे अमरीक सं कृ त अपना लेनी चा हए? या गुजराती–अमरीक , चीनी–मुसलमानी
सं कृ त, गुजराती– अमरीक –चीनी–मुसलमानी– च–पे रस सं कृ त पूरे संसार के लोग इसी तरह क वधा से
घरे ह।
हम एक ऐसे नये संसार म रह रहे ह जहां त दन, तघंटे, काम करने, ापार करने, बातचीत करने, सं ेशन
के और जीने के नयम को चुनौती द जा रही है; और नये नयम रचे जा रहे ह। अपने जीवन व भ व य पर हमारी
पकड़ कमजोर होती जा रही है। कसी समय, संयु प रवार, समुदाय–धम व राजनी तक सं था हम अपनी
मता को खोजने का संबल दे ती थ ; क तु आज ये सभी सं था पूरी तरह से वघ टत हो चुक ह। आज काम
पाना एक संघष है, ले कन या लोग एक जगह पर जम पा रहे ह? द घका लक स ब ध ाय ह, रा बखर रहे
ह, सीमां भंग हो रही ह, हमारे चार ओर येक चीज वघ टत हो रही है, आज सभी कुछ संगत व अ ासं गक
लगता है।
जी हां यही वा त वकता है क हम कभी इतने नराशवाद नह रहे। हम अपने आसपास क येक व तु को ले
कर नर तर बैचेन रहते ह, नर तर परेशान रहते ह हम एक आवेगपूण हड़बड़ी म रहते ह और तेजी से सभी कुछ पा
लेना चाहते ह, हमारी त या म तेजी है और काय म भी; और य द यही वा त वकता है तो इससे जुड़ा एक
और यथाथ भी है क इन सारी परेश नय , वधा व अ न तता के बीच ही हमारा जीवन है, और हम इस
जीवन को उ य त करना है; हमारे कुछ ल य ह, ज ह पाना है; कुछ ग त ह, जहां प चना है; कुछ अपे ा ह,
जो पूरी करनी ह; एक भ व य है, जसे ा त करना है। हमारे चार ओर मानव ह ज ह उ य नत करना है।

“ वयं म लपटा आ मनु य एक छोटे पु लदे से अ धक नह ”


–बजा मन क लन

जैसा क कहा जाता है अकेला चना भाड़ नह फोड़ सकता, एक अकेला प ा कसी को छाया नह दे पाता,
सीट बजाकर एक धुन तैयार क जा सकती है, ले कन उसे बजाने के लये पूरे वा वृ द क आव यकता पड़ती है।
आप एक अ छे वसायी हो सकते है, क तु आप अकेले इस संगठन का नमाण नह कर सकते ह। आप एक
यो य व मेधावी च क सक हो सकते ह क तु अकेले ही एक अ पताल नह बना सकते। आप एक तभावान
वा तुकार हो सकते ह क तु अकेले ही मकान नह बना सकते, आप एक अ तउ साही सामा जक कायकता हो
सकते है क तु गरीबी से अकेले नह लड़ सकते। आप एक तब राजनेता हो सकते ह क तु एक रा का
नमाण व पा तर आप अकेले नह कर सकते।
एक वशाल संगठन, अ पताल, व भवन का नमाण या गरीबी से यु , वत ता ा त व एक रा के नमाण
हेतु आपको समथक और अनुया यय क आव यकता होती है। साथ ही उनक तभा, मता, मह वाकां ा,
ल य, ऊजा, जोश, न ा व तब ता के उ यन हेतु संसाधन क भी ज रत होती है। लोग को उ य नत जीवन
क चाह हो भी सकती है और नह भी। उनम उ साह का संचार करना होता है, उ ह सफल होने के लये मजबूर
करना पड़ता है, बा यता को चुनौती दे नी पड़ती है, और फर उनका पा तरण एक साधारण मनु य से एक
असाधारण हठधम , एक संतोषी से एक महा वाकां ी व उ मी मनु य, एक सामा य से असमा य
आ मा, व एक आम आदमी से एक उ य नत जीवन जीने वाल म करना होता है।
ले कन हम यह कर तो कैसे? उसका उ र दे ने के लये यहां तुत इलेवन कमांडमट् स म से सवा धक
श शाली ग तशील व मह वपूण कमांडमट।

घो षत करे क मेरे चार ओर का येक संसाधन उ य नत होगा।

मने 29 वष पूव, वयं को यह कमांडमट दया था क म अपने आसपास के येक संसाधन को उ य नत क ँ गा।
चाहे वे मेरे अधीन थ ह , सहकम ह , मा लक ह , ाहक ह । माट के कमचारी ह , उसके उ च अ धकारी ह ,
थम पं के से स–मैन ह , मेरे एमडी, वीपी, सीईओ, ायवर, चौक दार था वे लड़के व लड़ कयां जो छोटे –मोटे
काम कर दे ते ह।
मने यह नणय लया था क मेरे चार ओर क येक जी वत व तु को उ य नत कया जायेगा।
इस या के दौरान मने अनुभव कया क यह उनके बस क बात नह है जो सौ य ह; वन ह; धीमा बोलते
ह, व श , वनीत, संवेदनशील और आदरकारी ह। य क लोग जैसे ह वैसे ही खुश ह – वे न तो अ धक मेहनत
करना चाहते ह, न चुनौ तय का सामना करना, न आगे बढ़ना और न ही कसी तरह का बदलाव लाना। ये भी संभव
है क वे यह सब करना चाहते हो क तु वे इसका माग नह जानते या वे इसका मू य नह चुकाना चाहते। य द
उनका उ यन करना है तो उ ह वा त वकता से अवगत कराना होगा। वे जीवन म कोई मुकाम कैसे हा सल कर
सकते ह; अपनी क पना के परे कैसे जा सकते ह; अपने आसपास क हर व तु पर कैसे उठा सकते ह? यह
सब करने के लये उ ह ठोकर मारना व क ठन सबक दे ना आव यक है, और इसके लये आपको न ु र व डमां डग
होना होगा। कसी भी क वा त वक श तभी सामने आती है जब उस पर दबाव डालकर उसक सीमा
तक धकेला जायेगा।
यहां मुझे व टन च चल का यान हो आया ज ह ने व यु के समय कहा था क “मेरे पास दे ने के लये कुछ
भी नह है, सवाय खून, क ठन म, आंसु और पसीने के, मेरा व ास है क म सबसे ल बे समय से यु म –ँ
एक ऐसा यु जो मने वयं को अगले तर तक ले जाने व लोग को अपने साथ नई ऊँचाईयाँ पाने के लये घो षत
कया है।” और व टन च चल क ही तरह मेरे पास भी दे ने के लये ेम, सरं ण व सहानुभू त के दो श द भी नह
ह; है तो केवल चुनौ तयां, प र म और जुनून। जब आप एक ऐसे बन जाते ह तो या तो लोग आपक
अपे ा को पार कर जाते है या र जाते ह......... और कोई तीसरा रा ता नह होता। जो आपके उ कृ ता के
मानद ड को वीकार कर लेते ह वे आपके साथ आगे बढ़ने लगते ह; शेष वे रह जाते ह, जो उ यन के लये नह
बने थे।
तो 21 वष पूव व टन च चल के श द से भा वत हो म एक चुनौतीपूण, स त, ऊँची अपे ा वाला व लोग
को उ य नत करने वाला बन गया। मने इसे अपना द कम बना लया और लोग के जीवन को पांत रत
करना अपना जूनुन। संसाधन का उ यन मेरा य शगल बन गया। येक से समैन म मुझे सफ एक से समैन ही
नजर नह आता था; येक आ फस अ स टट जसे मने नौकरी पर रखा आगे चलकर ांच मैनेजर बना; येक
ए ज़ी यू टव अ स टट मने जसके साथ काम कया उसे एक सीईओ बनने के लये तैयार कया; येक वीपी,
सीईओ, एमडी को अ धक महान व बेहतर करने के लये पांत रत कया; येक ाहक को उसक पूरी मता
तक उ य नत कया – मने यह कया। म यह करता रहता ँ और जीवन क अं तम सांस तक करता र ँगा। मने
इसक घोषणा कर द है, और अब पीछे हटने का ही नह है।
जब आप इसे पढ़ रहे होते ह; तो आपके मन म जस क छ व उभर कर आती है, वह एक ऐसा
असंवेदनशील मनु य है जसके पास, ेम, भावनाएं व लोग के त कोई स मान नह है। वह केवल एक आततायी
एक उ पीड़क एक तानाशाह है। एक ऐसा जो अमानवीय ू र और नदयी है; ले कन या म ऐसा ँ या
जीवन उ य नत करने वाले ऐसे ही होते ह? या जीवन उ यन के लये केवल स ती व असंवदे नशीलता ही
चा हए?
उ य नत जीवन वाले लोग का अपने आसपास के लोग के त वहार कुछ अ ववेक रहता है और उ ह इस
असामा य से लगने वाले वहार क श लोग के त अपने ेम से ही मलती है। उ य नत व साथक जीवन
जीने वाले लोग मनु य मा से ेम करते ह, उ ह लोग को पा त रत कर जीवन को नयी ऊँचाईय पर प ंचाने का
नशा होता है। उ ह व ास होता है क येक के पास चाहे वह माने या न माने, चाहे या न चाहे – आज वह
जो भी कर रहा है अथवा रही है, उससे हजार गुना, अ धक करने क मता व यो यता है और वे वयं लोग को
उ यन के उस तर तक प ंचाने क ज मेदारी ले लेते ह।
उ ह पता होता है क वे जन लोग क सहायता कर रहे ह वे ही उनका वरोध करने वाले ह। उनके आशय पर
उठगे, य न नकार दये जायगे और उनके काय को हा या पद समझा जायेगा, हो सकता है उनके मुंह पर
लात मार द जाए, उन पर गु त योजन का आरोप लगाया जाए, उ ह अकेला छोड़ दया जाए, धोखा दे दया जाए
या फर उन पर कोई यान ही न दया जाए। ले कन फर भी ये लोग य न छोड़ दे ने, वर मंद कर लेन,े
संवेदनशीलता, मनु यता व सौ यता जसक उनसे अपे ा क जाती है उसका दशन करने को तैयार नह होते।
इस पूरे पथ पर लोग आपके व ास को कमजोर करने का यास करते ह क तु आप के ट क थ ारा 1968
म तुत कये गये “दस पैराडॉ सकल ( वरोधाभासी) कमांडमट् स” से श पा सकते ह। म इन कमांडमट् स का
उ कट अनुयायी रहा ँ और भा यशाली भी; य क मुझे इन कमांडमट् स को जानने का अवसर जीवन म ब त
पहले मल गया।
ये दस वरोधाभासी कमांडमट् स ज ह ेम से ‘ नयाभर म कैसे भी’ (एनीवे अराउंड द व ड) कहा जाता है,
जीवन उ यन के पांचवे कमांडमट का मह वपूण भाग है।

★ लोग वसंग तपूण ह, अनु चत ह, आ म के त ह, पर उ ह ेम कर, कैसे भी।


★ य द आप भला कर, पर लोग आपको वाथ , बुरी नयत वाला कह; पर आप भला करते रह, कैसे भी।
★ य द आप अपने नकट थ म से अ धक सफल ह; तो आपको कई झूठे म व स चे मन मलगे पर
बुरा न मान; और सफल ह , कैसे भी।
★ आज क भलाई, कल भुला द जायेगी; पर भला करते रह, कैसे भी।
★ हो सकता है ईमानदारी और सादगी आपको ज म द; पर आप ईमानदार रह, कैसे भी।
★ महान व महानतम वचार को काट सकता है एक छोटे मन का छोटा आदमी; पर आप महान सोच,
कैसे भी।
★ लोग द लत को संबल दे ते है, पर सबल के साथ चलते है; ले कन आप कुछ द लत के लये लड़, कैसे भी।
★ आपने जसे बनाने म वष लगाये; वह बखर सकता है, चंद मनट म ही; उसे फर बनाय, कैसे भी।
★ लोग को सहायता क आव यकता है; ले कन वे आप पर वार कर सकते ह, जब आप उ ह सहायता द;
फर भी उ ह सहायता दे , कैसे भी।
★ संसार को अपना सव े द और वे आपके दांत तोड़ दे ; फर भी अपना सव े ही द, कैसे भी।

मने लोगो के बारे म यही सीखा–जाना है।

आपका सव े समय व सव े याद लोग से संबं धत ही रहने वाली है। सबसे क ठन, नराशापूण, ःखद व
चोट प ँचाने वाला समय भी वही है जो आपको लोग के साथ बताते है। ये वही लोग हो सकते ह और अलग भी;
याद रहे, इन नराशा व क ठनाईय के बावजूद जब आप लोग के साथ काम करते ह तब उनसे संबंध बनाइय व
उ ह अपनी नया म ले जाइए। लोग आपके साथ कैसा भी वहार कर, क तु आप अ छा और लोग के भले का
काम करते र हए, य क कसी न कसी दन अ छे काम के इस बीज को उपजाऊ जमीन मलेगी और यह एक
वशाल वृ को ज म दे गा; तब वे ही लोग आशीवाद व प आपक आ थक व वसा यक उ त म सहयोग
करगे व आपके जीवन म बदलाव लायगे।
य द आपको मनु य पर काय करना है तो आपको उ ह ेम करना होगा; यह मने अपोरेश आचाय के
एमआईएलट काय म म भाग लेकर व उ ह सैकड़ो लोग म प रवतन लाते दे ख कर जाना। मने 3ए का योग कर
लोग से ेम करने क कला सीखी।

A ए से ट : वीकार
A एडज ट : समायोजन
A ए ी शएट : शंसा

हां, य द आप लोग को बदलना व उ य नत करना चाहते ह, तो आपको तीन काय करने ह गे : –

1. लोग को उनके मूल व प म वीकार करना।


2. उनक वशेषता व सनक के साथ समायोजन करना।
3. उनक हर अ छाई क शंसा करना।

वीकार
मने हमेशा कहा है क जीवन एक पैकेज डील है और हमारे आसपास के लोग हम इसी पैकेज म मले ह। उनम
कुछ गुण अ त व श ह, कुछ अ य धक परेशान करने वाले। वे ईमानदार, वशु , हा या पद व सनक एक साथ
हो सकते ह।
आप उनक ईमानदारी को पसंद कर उनक सनक को नापसंद कर उ ह अपने दमाग म अपनी पसंद, नापसंद
के अनु प अ छे बुरे या बदसूरत क े णय म नह बांट सकते, य क य द आपने ऐसा कया तो आप उ ह ेम
नह कर पायगे और य द आपने उ ह ेम नह कया तो आप उ ह कभी भी उ य नत नह कर पायगे।

य द आप लोग के बारे म राय बनाने लगते है तो आपके पास उ ह ेम करने का समय नह होता।
–मदर टै रेसा

समायोजन
समायोजन येक र ते क न व है। आपको इनक क मय से परेशान ए बना उनक सनक , वभावगत
वशेषता को नापसंद ल ण व उनके उ कृ से कमतर गुणो से समायोजन था पत करना होगा। अपने वहार
को उनके साथ काय करने लायक बनाना होगा और फर उनके जीवन का उ यन करना होगा।

शंसा
यह सबसे मह वपूण कड़ी है। आप कसी भी के वा त वक स दय व वशेषता को नह समझ सकगे जब
तक उनक सराहना न कर। लोग के सद्गुणो क शंसा व क करना अ तआव यक है और जब आप उ ह
वीकार कर उनके साथ समायो जत ह गे तभी आप उनक शंसा भी कर पायगे।

व उ यन
जब हम अपने आसपास मौजूद संसाधन के उ यन क चचा करते ह, याद रख सबसे बड़ा संसाधन आप वयं ह
और अ य के साथ आपको अपना उ यन भी करना होगा। इसका एक तरीका है – आपके आसपास के लोग के
अ छे गुण को समझना, उनका आन द लेना और उनसे ेरणा ले कर जीवन म बड़े काम करना।
येक म कुछ अ छे गुण होते है – कुछ ऐसा मू यवान जो वह संसार को दे सक। यह कुछ ऐसा हो
सकता है जसने हमेशा आपका यान ख चा हो, जसे आपने हमेशा सराहा हो, और ई या भी क हो, कुछ ऐसा जो
आपके पास नह है, ले कन पाने क लालसा है। कुछ ऐसा जो उस को व श बनाता हो, आप इन व श
गुण से ई यालु ह , सदा के लये अवसाद म जाकर सोचते ह क आप इस गुण से वं चत य ह, क तु ये सारे
वहार व याएं आपके वह गुण पाने म सहायक नह होगी। अ पतु जो गुण आप म नह है, आप सरो म उसका
आन द ले सकते ह और जस ण आप उसक सराहना करने लगते ह, वह गुण आप म खलना शु हो जाता है
और आपका जीवन क पनातीत उ य नत होता है।
मने हमेशा मेरे आसपास मौजूद लोग क तभा का आन द लया है, उनसे सीख व ेरणा ली है उनका
नकट से अ ययन कया है और उनक मनो को वयं म उतारा है ता क म अपने जीवन को उ य नत कर सकूँ।
अपने 29 वष के क रयर म म लाख लोग से मला ँ, पर तु ऐसे थोड़े ही लोग ह जनक महान मता /
गुण / व श ता ने मुझ पर थायी भाव छोड़ा है; मने उ ह ब त यान से दे खा और उनके गुण को आ मसात
कया ता क म एक बेहतर इंसान बन सकूं। यहां म उन अ व मरणीय लोग के बारे म बात कर रहा ँ ज ह ने मेरे
वकास म योगदान दया।

मेरे पता के पास कह भी समय पर प ंचने क महान मता थी। मुझे याद नह वे कभी कसी मुलाकत के लये
दे र से प ंचे ह । जब म एक बालक था तभी से मने इस आदत का आन द लेना आरंभ कर दया था, य क इससे
मुझे अपने पता के नकट रहकर उनके ारा समय पर पं चने के लये क गई तैया रय को दे खने का मौका मल
जाता था। इस दौरान मने वे श द भी सीखे जनका योग कर वे सर को समय पर प ंचने के लये े रत करते
थे। इस आदत को आ मसात कर मने वयं को अ धक श शाली व भावशाली मनु य बनाया।

राजेश म हो ा मुझे अब तक जतने भी बेहतरीन मैनेजस के साथ काम करने का सौभा य ा त आ है, उनम से
एक थे; उनम असं य यो यताएं थ , जो मने अपने आर भक जीवन म ही पकड़ ल थ । एक ऐसा गुण जसने मुझे
सवा धक स ता द वह था नेतृ व तैयार करना। वे लोग को सश बनाने म दे र नह करते थे और उनक
असफलता से घबराते भी नह थे। वा तव म वे उ ह, उनक आयु व अनुभव के कह अ धक चुनौती पूण दा य व
लेने के लये ो सा हत करते थे। उ ह गल तयां करने दे ते थे और फर उनम से उबरने म भी सहायता करते थे।
उनके य श द थे, “कुछ नह होता है.........म बैठा ँ ना” इ ह कुछ श द से वे को े रत कर उसम इतना
आ म व ास और ह मत भर दे ते थे क वह नया क महानतम चुनौती को वीकार कर ले और वजयी बन कर
उभरे। य द कोई उनके पास अपनी सम या लेकर आता तो वे सफ उससे बात करते, े रत करते और वह
वापस लौट कर वयं ही अपनी सम या का समाधान ढूं ढ लेता मुझे उनक इस व श यो यता को पहचानने म
यादा समय नह लगा था; और “कुछ नह होता है.........म बैठा ँ ना” मेरा भी मुख वा य बन गया, जसका
योग मैने लोग को उ य नत करने के लये कया।

ए. डब यू. जॉज– ट म ॉड ट वट के वाइंट एमडी और मेरे बॉस भी। उनका सबसे बड़ा गुण था, शांत रहना–
चाहे उ ह श ण काय म के दौरान चुनौती द हो या कसी सावज नक मंच पर। वे बड़ी शालीनता व वन ता से
थ त को स भालते थे और यही एक श क, ेरक व ा व सावजा नक के प म मेरी सबसे बड़ी श ा
रही।
मनीष कौल– एक और शानदार बॉस, मने जनके अधीन रीअल वै यू अ लाएंसेस, जहाँ म अ नशामक यं बेचता
था, म काम कया। उ ह अ छे कपड़े पहनने का ब त शौक था। मने वरले ही उ ह कोई भी कोट एक से अ धक
बार पहने दे खा होगा। वे हर मुलाकात के लये ब ढ़या कपड़े और उसके साथ ही मलते–जुलते मोजे, जूते व टाई
भी, पहनते थे। उनक चमक–दमक, दशन व कपड़े पहनने के तरीके ने मुझे अपने य काले व नीले, कपड़ से
बाहर नकलने क ेरणा द और आज मेरी अलमारी म कपड़ क व तृत ृंखला है।

जग जगलर– नया के जाने माने मोट वेशनल व ा व से स वशेष जनक सैकड़ पु तक, ऑ डयो व
वी डयो भी उपल ध ह, म पूरे जीवन उनका एक उ कट पाठक व अनुयायी रहा ँ। उ ह ने पूरी नया म लाख
करोड़ लोग को पांत रत कया। मने उनके से स व मोट वेशनल भाषण का न केवल आनंद लया अ तु उनसे
े रत हो जगह–जगह जा कर लोग को पांत रत करने का बीड़ा उठाया, अपने हजार ऑ डयो व वी डयो
लोग को उपल ध कराये व वयं को एक से स गु व मो टवेशनल व ा के प म उ य नत कया।

नारायण मू त (इ फो सस) व अजीम ेमजी ( व ो) दोन ही भारत के महानतम उ ोगप तय म शा मल ह। इन


दोन ने ही अपनी सादगी, मत यता और वन ता से मुझे भा वत कया है। इ फो सस व व ो जैसी बड़ी
क प नयाँ चलाने के बावजूद व करोड़प त होते ए भी मने कभी इ ह नरथक व तु पर पैसा लुटाते नह दे खा। ये
दोन ही अ धकतर इकॉनमी लास म आम य क तरह सफर करते ह। साधारण कार चलाते है। सीधे–साधे
कपड़े पहनते ह और महंगी घ ड़य व ब मू य र न से र ही रहते ह। सफलता व समृ के शखर पर होते ए भी
इ ह ने कभी भी सफलता को अपने सर पर नह बैठाया और इस सीख ने मुझे अब तक मले नाम, स मान व
लोक यता के बावजूद हमेशा जमीन से जोड़े रखा।

सुरे शमा– सु स ह द हा य क व, ज ह अपनी सहजता, वाक्पटु ता व व श शैली के लये जाना जाता है,
उ ह ने मुझे उस असामा य ऊजा, ग तशीलता व हा य के योग के लये े रत कया जो आज मेरे काय म क
वशेषता मानी जाती है।

अ खल भरक तया – यूरेका फो स के भूतपूव एम.डी. ज ह से स व से स म काम करने वाले लोग से आंत रक
लगाव था व अ नल कुमार गु ता (मेरे पहले बॉस व मेरे आर भक ावसा यक जीवन म सवा धक योगदान दे ने
वाले) ज ह से स क श ा दे ने व लोग को उनक ल य त म, सहायता करने म मजा आता था; इन दोन ने ही
मुझे से स समुदाय के ेम म डाला और उनक सहायता कर उ ह आगे बढ़ाने क ेरणा द और आज इसी को म
अपने जीवन क सबसे बड़ी ताकत मानता ँ।

नौषीन मेरी ए ज़ी यू टव अ स टट,– एक 23 वष य हसमुख लड़क जसक अपने काम के त तब ता व


समपण– एक ऐसा गुण है जो मुझे आनं दत करता है। मुझे उसक सुबह पांच बजे ..........तो कभी रात 2 बजे
भेजी ई ई–मेल मलती रहती है.........उसका प र म, कई काय एक साथ करने क मता, कई चुनौ तय का एक
साथ सामना, बना कसी शत का ेम व न ा, मेरे जीवन के हर यास म मेरी सहायता करने क उसक इ छा व
जुनून–ये सभी मुझ म फर से यौवन व फू त का संचार कर फर से 23 वष का युवक बना अपने काय को मता
के अनु प सव म तरीके से करने को े रत करता है।

डेन सु लवान– एक जाने माने उ मी श क व जीवन म मेरे गु ह। व भ मानव वषय पर उनके तैयार कये
ए ऑ डयो–वी डयो व सैकड़ पु तक ने मुझे अनजान को जानने, अबूझे को बूझने व अनछु ए े म वेश
करने म सहायता द । उ मता पर उनक पकड़ ने मुझे भी इस वषय को समझने म मदद क व म एक उ मता–
श क बन गया। य द मने उनक रचना माकता व व श यो यता को नह सराहा होता व पाने क इ छा न क
होती तो म वह न बना होता जो मै आज ँ।

जोल बारकर– एक स अमे रक चज गु ज ह ने नेतृ व, वचार या (पेरॉडाइम) व बदलाव पर ब त


ही रचना मक तरीके से अपने वचार, कोण व दशन को कट कया। ये आज भी मेरे लये ेरणा का ोत है
और मुझे अपने काय म के लये नये वषय खोजने व उनम ताजगी व मौ लकता बनाए रखने को उ सा हत करते
ह।

वग स कु रयन व उनके ारा भारत के डेरी वकास े म कये गये काय ने मुझे गहरे तक भा वत कया। वग स
कु रयन के पास या था जब उ ह ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर सहकारी खेड़ा जला ध उ पाद संघ ल. के
सं थापक ी भुवनदास पटे ल को एक ध सं करण संय था पत करने क पेशकश क थी। या वे जानते थे
क उनका यह कदम अमूल को ज म दे गा – 12.5 ब लयन डॉलर सहकारी डेयरी का भारतीय ांड? या वे
जानते थे क जब 1965 म त कालीन भारतीय धानमं ी ी. लालबहा र शा ी ने उ ह रा ीय डेयरी वकास
बोड क थापना हेतु नयु कया व अमूल क सफलता को भारत भर म दोहराने को कहा तो वे एक दन ध
ां त तथा ेत ां त के जनक कहलायेग ध उ पाद क ब के लये 1973 म जब उ ह ने गुजरात म क
माक टग फेडेरेशन क थापना क तब या वे जानते थे क वे भारत को व का सबसे बड़ा ध उ पादक दे श
बना रहे है और वयं को दे श का वाला?

ली आयाकोका– और उ ह ने जो चुनौ तयाँ ाय लार को पुनजीवन दे ने म उठा – अमे रका क तीसरी सबसे
बड़ी कार क पनी बनाना और वह भी उसे दवा लयेपन क थ त से उठा कर और वह भी फोड मोटस के हेनरी
फोड–2 ारा अपमा नत कर काम से नकाले जाने के तुरंत बाद; वे हमेशा मुझे चुनौ तय को वीकार कर एक
सीढ़ से सरी सीढ़ तक बढ़ जाने को े रत करते ह।

मा टन लूथर कग– महान अमे रक कायकता के पास करोड़ अ ेत अमे र कय के जीवन म प रवतन लाने वाला
एक वचार था। उ ह ने तब तक संघष कया जब तक उ ह ने अ ेत अमे र कय के लये समान नाग रक वतं ाएँ
व समानताएँ नह जीत ल । या म पांतरण से संबं धत कुछ चीज मा टन लूथर कग से सीख सकता ँ; या म
उनक पांतरण करने क यो यता का आनंद लेकर वयं व व को पांत रत कर अपने सैकड़ ल य पा सकता
ँ? या म उनके समान सं ेशन क ती ता का योग कर एक अ धक बल मनु य बन सकता ? ँ उ र है, हाँ।

मेरी माँ इं दरा नायर व प नी सधु नायर, दोन ही का व श गुण है– सदा स रहना। अपनी प नी सधु को
मने सदा मु कुराते ए जीवन का आनंद लेते ए और सभी प र थ तय म संतु ही दे खा है। वे अपने आस–पास
क येक चीज से खुश रहती ह। वे हमेशा स चत रहती ह। इन दोन म हला के इस गुण ने सदा यह
सु न त कया क वे दोन क ठनतम, सवा धक ासदायी व पथ करनेवाली प र थ तय म भी संय मत व
स रह। वे मुझे व तु के उजले भाग पर यान दे ने व जीवन का आनंद लेने को े रत करत ह। सही भी है, म
वयं स रह कर ही जीवन को उ य नत कर सकता ।ँ यह सूची अभी और आगे बढ़ाई जा सकती है। मने इन
सभी भावशाली नेता और अपने ब त से अ धका रय , अधीन त व सहक मय के ल ण , यो यता व गुण
का आनंद लया है। मने उनक यो यता का आनंद लया और उनक कमजो रय से अ स न होते ए, मने
अपने व संसार के लये जीवन को उ य नत कया। हम सभी को ऐसे लोग मलते ह, जनसे हम जीवन म कुछ
सीख सकते ह। यह का कोई भी गुण हो सकता है; न ा, इमानदारी, रचना मकता, तब ता, बु ,
इ छाश , वाभा वकता, बना शत ेम करने का गुण, दे खभाल करना, मु त म ान दे ना व जो उ ह ठ क लग
उसके लये आवाज़ उठाना व उस पर ढ़ रहना। संभव है, कसी ने कसी भाषा पर अ धकार बनाया हो, कोई
हा य– ंग म पारंगत हो, कसी म व भ पृ भू मय वाले लोग से जुड़ने क मता हो, जब क कुछ अ य कसी
मु े अथवा कारण के लये लड़ने को ढ़ त ा ह , या फर समाज सेवा व परोपकार जैसे काय से जुड़े ह । एक
उ य नत जीवन क इ छा रखने वाला , लोग के गुण को सावधान व पैनी नजर से परख कर व उनके
वहार के ढांच को पहचान कर अपने अवचेतन म अं कत कर लेता है। अवचेतन य वेश करते ही ये गुण आप
का एक भाग हो जाते ह, और फर एक दन आप अनुभव करते ह क आप बदल गये ह, आप वही बन गये ह जो
आप हमेशा से बनना चाहते थे।
अत: अब आप जब कभी भी कसी सुयो य अथवा सद्गुण वाले को दे ख तो ई या न कर, उ ह सराह,
उनसे सीखने का आनंद ल और फर इन गुण व यो यता को अपना ह सा बनने द।
अगले पृ पर द गई जगह म ऐसे दस लोग क सूची बनाय ज ह ने आपके जीवन को भा वत कया ह
उन गुण व यो यता को भी सूचीब कर जनका आपने उनम आनंद लया, और फर इन गुण को
अपनाने हेतु एक परेखा तैयार कर। यह काय आप कसी भी कार सकते ह – पु तक पढ़कर, ऑ डयो–
वी डयो ारा ती ण े ण ारा, कसी कोच अथवा मागदषक क सहायता से या फर कसी ष ण
काय म म भाग लेकर।

य द आप जीवन पयत एक उ य नत जीवन जीना चाहते है तो अपने जीवन के त दन, तघंटे व त ण इस


आ ा, इस अनुदेश, इस नदे श, इस आदे श, भु के इस वधान, इस कमांडमट के त सजग रह।

घो षत कर: आपके चार ओर


मौजूद येक संसाधन का उ यन होगा।
कमांडमट
6
अपने वचार , श द व या को घो षत कर।

लोग को अ धकांश काय प र थ तज य होते ह;


सावधान रह।
मे रेमुझके उपहार
रयर के आर भ म, जब म भारत क महानतम डायरे ट से स क पनी यूरेकाफो स म काय कर रहा था,
म एक घड़ी द गयी जस पर सु स उ ोगप त एवं 60 वष (1932 – 1992) तक टाटा ुप के
चेयरमैन रहे, जे. आर. डी. टाटा के ह ता र थे। घड़ी पर तीन श द भी अं कत थे “हमता ता वशता” चूं क
घड़ी पर ी. टाटा के ह ता र थे मुझे लगा इन श द का भी कोई गूढ़ अथ होगा; अत: मैन अपने व र
अ धका रय से उनका अथ पूछा। मुझे बताया गया क उनका मतलब है ‘सु वचार, सुश द, सुकम’।
जे. आर. डी टाटा ने भारत के सवा धक स , व सनीय और सबसे अ छे ब धन वाले औ ो गक घराने
का नमाण कया और यह आज भी व क अ णी क प नय म से एक है। उ होन जीवन उ य नत कया था। म
जानता ँ य । इसका उ र इन तीन श द म छु पा है ‘सु वचार, सुश द, सुकम’। उस क ची उ म इस महान
के दशन से े रत हो मने घोषणा क , क म अपना पूरा जीवन इसी दशन के अनु प बताऊँगा।
लोग के जीवन म कई मह वाकां ा व सपने होते ह। वे जीवन क सबसे अ छ सुख–सु वधा भोगना चाहते
है, ऊँचे पद पाना चाहते ह, पूरी नया म घूमना चाहते ह, अपना वसाय बढ़ाना चाहते ह, नये बाजार म उतरना
चाहते ह और अपनी पेशेवर मह वाकां ा क पू त चाहते ह। उनके सपने, अपने प रवार के लए भी हो सकते ह।
अपने ब च को सबसे अ छ श ा दे ना, अपने माता– पता को जीवन का हर सुख दे ना वगैरह। ले कन जीवन
अ या शत है, नरंतर वक सत होने वाला, आ य से भरपूर, आप जो दे सकते ह, हमेशा उससे अ धक क
अपे ा रखने वाला। यह कभी भी सीधा, सरल और सहज नह होता।
आप का न य छ: महीने का काम, तीन म पूरा कर घर लौटने का हो सकता है; क तु जब आप अपने काम
का अं तम चरण पूरा कर रहे होते ह, आपका ए सीडट हो जाता है और डॉ टर आपको चार महीन के लए ब तर
पर ही आराम करने क सलाह दे ते ह।
आपने एक वशेष काम पाने के लये जी–तोड़ मेहनत क और जब वह आपको मलने ही वाला था, आपके
बॉस के भतीजे ने वेश कया और वह काम उसक झोली म चला गया।
आप अपने प रवार के साथ एक ल बी छु ट् ट बताने के लये पूरी तरह से तैयार ह, जसक परेखा आप
अपनी प नी व ब च के साथ पछले दस वष से बना रहे ह और जस दन आप छु ट् ट के लए नकलते ह,
आपको एक अ या शत आपातकाल का मुकाबला करने के लए काम पर बुला लया जाता है।
आपने अपने य ोजे ट को पाने का महीन इंतजार कया और जस दन वह आपको मला, उसी दन
आपक 12 वष य बेट को कसर होने का पता चला।
आज वसाय के बंद होने क ग त नये वसाय के आर भ होने से कह अ धक है। हर घंटे लोग नौक रयाँ
खो रहे है, बात–बात पर यागप दे दये जाते ह, ापा रक सौदे टू ट रहे ह, पदो तयाँ घट ग ह, र ते बजली क
ग त से टू ट रहे ह और लोग पर दबाव तेजी से बढ़ रहा है।
इस चुनौतीपूण समय म लोग अपना बोध व समझदारी खोकर अपनी प र थ तय को सनसनीखेज बनाने
लगते ह, वे न प भाव से नह सोच पाते, उनके वातालाप का तरीका एक अशांत अवसाद त, हारे ए
का होता है और उनक या से लगता है क उनके जीवन से ेम, उ साह व रस चला गया है। उ ह अपने ल य
याद नह होते, मौजूदा प र थ तयाँ व क ठनाईयाँ उ ह पंगु बना दे ती ह और वे ऐसे वचार , श द व या का
वकास कर लेते ह जो उ ह आ म–हार के समु म डु बो दे ते ह।
अ धकतर ये वचार, श द व या क प र थ तय से भा वत होते ह। जब तक सब कुछ सीधा
सरल चल रहा होता है, सकारा मक रहता है और चुनौ तयाँ उठाने को तैयार रहता है, क तु य द कोई उलट
फेर हो जाये तो उनक सकारा मकता तुरंत ही नकारा मकता म प रव तत हो जाती है। जीवन के त उनका ेम व
उ साह समा त हो जाता है, उनक ढ़ता व ेरणा खोने लगती है और वे अपने ही खोल म छु प जाते ह। वे नया
रचने के थान पर शकायत करने लगते ह, करने के बदले वीकार करने लगते ह और मुकाबला करने क
जगह हार मान लेते ह। वे बना सोचे समझे काय करते ह और स भव है क बाद म उ ह पछतावा हो।
माट म मता नाम क , मेरी एक म हला सहयोगी थी, जो पहले मु बई म एक ले– कूल चलाती थी। सन्
1998 म ले– कूल कोई च लत वसाय नह था, जैसा क आज है। उनके पास एक जमी ई व था थी – दो
लास म, 34 व ाथ और चार अ यापक। वे सात वष से यह वसाय सफलतापूवक चला रही थ । इस े के
एक बड़े खलाड़ी कंगा कड् स ने उ ह चाइस दे ने क पेशकश क थी और वे इससे ब त स व उ सा हत थी
य क उ ह अपने वसाय को छोटे से घर व आस–पास क जगह से आगे बढ़ाने का व पूरा होता नजर आ रहा
था।
वसाय के सातव वष म उनक सास का नधन हो गया और घर स भालने, अपने ससुर क दे खभाल करने व
अपने 3 साल के बेटे को पालने क ज मेदारी अब उनके कंधो पर थी। उनका व ास था क अब उनक
ाथ मकता, उनका घर, उनके ससुर व उनका ब चा थे। जीवन म कुछ और इससे अ धक मह वपूण नह था। जैसा
मैने कहा, अ धकतर काय प र थ तज य होते ह, उ ह ने वा त वकता को अनदे खा कर अपनी थ त को
अ य धक सनसनीपूण बना लया, और फर णभर क भी दे र कये बना, नणय लया क वे अपना वसाय
समेट लगी और काम छोड़कर घर पर यान दे गी, घर क ज मेदा रयाँ ही उनक ाथ मकता ह।
कुछ ही म हन म उनके ससुर अपने काम म त हो गये, उनका ब चा ी– कूल जाने लगा और उनके पास
अपने क रयर पर यान दे ने का मौका फर से था। उ ह ने एक कूल म अ यापक क नौकरी कर ली और जीवन
आगे बढ़ गया, ले कन आज तक उ ह अपने ज दबाजी म लये कूल बंद करने के नणय पर पछतावा है।
उस ापार म आज के कंगा कड् स, हाउस और यूरो कड् स (भारत के कुछ स ले कूल) बनने क
स भावना थी। क तु वे अपनी प र थ तय और उनसे पैदा ई भावना मक अशां त का शकार हो ग और अपने
सपन का ब लदान दे दया। मानव क अन भ ता इतनी बड़ी है क तब तक उ ह यह समझ भी नह आया था।
फर एक दन मेरी उनसे इस बारे म बातचीत ई और वे सारी क ड़याँ जोड़ पा ; तब उ ह उस खेल का बोध आ
जो प र थ तयाँ हमारे वचार , श द व या से खेलती ह।
लोग अपनी प र थ तय के कारण भावना मक प से श हीन होकर उ ह कमजोर भावना को अपने
काय को नद शत करने दे ते ह; जरा सो चये 99 तशत जनसं या प र थ तय के आधार पर अपनी भावना
से नणय लेती ह। य द आपको इस पर शंका हो तो पछले महीने म आपके आसपास के लोग ने जो नणय लये
ह, उन पर नजर डाल और आपको व ास हो जायेगा।
लोग नौकरी छोड़ दे ते ह य क उ ह मोशन नह मला, वे ापार बंद कर दे ते ह य क एक माह या तमाही
अ छ नह रही, अवसाद त हो जाते ह य क एक स ब ध टू ट गया, प रवार म शोकपूण घटना के कारण
आ मह या कर लेते ह, आ द। मान सक, भावना मक व मनोवै ा नक लाचारी म लया गया नणय, अ ववेक ,
अ रदश , वनाशकारी और जीवन उ यन के लये घातक होता है।
जैसा क ए पकटे ट्स ने कहा है, “इस संसार म हम थ तयाँ ःख नह दे ती अ पतु उनके त हमारा कोण
हम ःख दे ता है।” मने सैकड़ हजार लोग को जीवन म हारते दे खा है और उनक हार के कारण रहे ह
प र थ तज य वचार, श द व काय; वे भावना मक नणय जो उ ह तब लेने पड़े और जो उ ह, उनके ल य और
मह वाकां ा से कह र ले गये।
और जब म लोग को इसी कारण जीवन म हारते दे खता ँ तो मुझे अनुभव होता है क ये वे लोग ह जो यह
नह समझे क जीवन हमेशा आपके साथ खेल खेलता है और ऐसे समय म हार मान लेने म आपको कोई य न
नह करना पड़ता है – इसके लये आपको कोई व श क नह उठाने पड़ते ह क तु इस सारी उथल–पुथल व
ऊँच–नीच के बीच वयं को अपने ल य के साथ जोड़े रखना जीवन क अ य ता को अपने उ े य पर हावी न
होने दे ना; एक स चे उ य नत–जीवन क नशानी है। आपक ल य ा त म वलंब हो सकता है, क तु आपको
उनका पीछा करते रहना है और इसके लये आ म– व ास क आव यकता होती है। मेरे अनुसार आ म व ास क
प रभाषा है:

“चार ओर से घेरे ए भय व असुर ा का सामना करते ए संयत, चौक ा और अपने वचार , श द एवं
या के त न द रहने का शा त (आजीवन) गुण ही आ म व ास है।”
(आगे बढ़ने से पहले इस प रभाषा को कई बार पढ़े )

ऐसा नह है क उ य नत जीवन म ऐसी घटनाए नह घटती, वे भी बजनेस खोते ह। उ ह भी यागप से


नबटना पड़ता है, टू टे र त का ःख भोगना पड़ता है, प रवार म मृ यु का सामना करना पड़ता है और जीवन के
सरे ःख भी; क तु उ ह ने वयं को अनुदे शत कया होता है–
आदे श दया होता है, आ ा द होती है, अपे ा क होती है क – वे अपने वचार , श द और काय म सभी
प र थ तय म चौक े रहगे।
महानतम मोट वेशनल व ा जग जगलर ने एक बार कहा था, “आपक भाषा आपके श द आपके काय बन
जायगे”, सच है! अ धकतर लोग अपने वचार श द व काय को सही रख पाने म असमथ होते ह। कई सर के
वचार श द व काय से नद शत होते ह; सम या उनक भाषा म है।
मने अनुभव कया क येक पाट , सामा जक आयोजन या क प नय के स मेलन, जसम म उप थत होता
था, उसम मेरे शंसक का दल भी होता था। म जहाँ कह भी जाता एक टार होता। लोग मुझसे मलना चाहते थे,
कुछ श द बोलना चाहते थे, कुछ भी पूछना चाहते थे जैसे क मेरे पास उनक हर सम या का समाधान हो। मने
समझा क ऐसा य है। मेरी भाषा म उ साह, एक यो ा क आ मा, यथा थ त पर उठाने क ताकत, ह मत
व अनजान को रोकने क स भावना होने के साथ ही न तो कोई शकायत होती थी न ःख और नही पछतावा;
उसम कुछ ेरणा, आशा, साहस और वकास था ............... क तु कोई तगमन या अवन त नह थी।
कई वष पूव मने ऑ सफोड श दकोष म “ ग त” श द का अथ ढूं ढा था और जब मने इसका अथ समझा,
मने उसे अपने मानस म उतार लया।

“ ग त : कसी ल य या अ धक उ त थ त क ओर मश: बढ़ना या वकास करना। एक के बाद एक


कई व तु का आना।”

दोन प रभाषा को दे खने के बाद मने उनम अपने अनु प फेर बदल कर लया – यही उ य नत जीवन क
वशेषता है। वह एक अवसरवाद होता है। वह अपनी आव यकता अनु प कह से भी कुछ भी उठाकर उ य नत
रहता है।
मेरे लये प रभाषा के सरे भाग “एक के बाद एक कई व तु का आना” का अथ था– एक के बाद एक कई
याग प ; एक के बाद एक कई वधान; एक के बाद एक पराजय; और कई गत एवं ावसा यक
सम या का एक के बाद एक आना।

उदाहरण के लये :
★ आज आपक प नी का गभपात हो गया।
★ कल आपक नौकरी चली गई।
★ आपके साझीदार ने एक मलता–जुलता ापार आर भ कर लया, आपक अनुम त के बना और
आपके वसाय म से पैसे भी नकाल लये।
★ कसी यजन क मृ यु।
★ कोई ग भीर बीमारी ।
★ आपके पता का कहना क आपको नौकरी से शाम 7 बजे से पहले घर प ंच जाना चा हये; य प
आप 23 वष के है और अ धकतर आपका काम रात 10 बजे तक समा त हो जाने क स भावना
होती है।
★ आपके प त का आपको नौकरी छोड़ दे ने को कहना, य क उ ह कंपनी म आपक स पसंद
नह ।
★ आपके यजन के साथ बला कार।
★ आपके कमचा रय ारा एक संघ बना लया जाना।
★ एक फै को बंद करने के लये मजबूर कया जाना।
★ आपक कंपनी म एक जालसाजी होना।
★ आप पर झूठा मुकदमा दायर कया जाना।
★ सबसे अ छे होने के बावजूद आपको पदो त न मलना।
★ आपके चार सबसे अ छे कमचा रय का एक साथ याग प दे ना और वह भी नो टस क अव ध पूरी
कये बना।
★ एक अलग तरह से व श ब चे को ज म दे ना।
★ आपके ब चे का जीवन क सवा धक मह वपूण परी ा म असफल हो जाना।

लोग आपको अ वीकृत कर सकते है, वचन तोड़े जा सकते है, तब ता भूली जा सकती है ............ य
म , आपके वसाय, नौकरी या जीवन म कुछ भी हो सकता है।
आपका ऐसी सम या पर कोई नयं ण नह होता है और आप उनके लये उ रदायी भी नह होते, क तु
जब वे आती ह तो कसी भी समय आ सकती ह।
ग त क सरी प रभाषा के अनुसार इनम से कोई एक अथवा ये सभी सम याय आपके जीवन म आ सकती
ह। मने अथवा मेरे नकट के कसी ने इनम से कसी न कसी सम या का सामना कया है क तु कई वष
पहले मने वयं को यह नदश दया था, “संतोष नायर, जब भी आपके जीवन म कुछ ऐसा घ टत हो या वह
सबकुछ घ टत हो जाये जो आपको परेशान कर आपक गाड़ी पटरी से उतार दे , तो आप अपने वचार , श द और
काय म सचेत रहगे, आप कभी तगामी या भगोड़े क तरह नह सोचगे और न ही आपका वहार और न ही
आपक भाषा एक परा जत क होगी। आपका जीवन समु म बहने वाला लकड़ी का पट् टा नह है। आपका
जीवन एक जहाज है। जसम एक रडर है और आपका रडर आपक इ छत दशा म जहाज को ले जा सकता है।
आपके जीवन म इस एक या इन सारी थ तय से सामना होगा, क तु आपके वचार, श द और काय ग तशील
रहगे – जो आपको आगे ले जायगे।
यहाँ से म ग त क पहली प रभाषा पर आता ँ। मने अनुभव कया क सम या के होने पर भी म मश:
आगे बढूं गा, म अपने इ छत ल य क ओर बढूं गा और अपने वचार, श द और काय इस तरह सं े शत क ं गा क
म अपने जीवन के इ छत गंत पर ही प ँचूंगा।
इस कार यहाँ आपको प हो गया है क उ य नत–जीवन के पास जीवन म कसी भी समय पर पाने के
लये प ल य और उ े य, प ंचने के लये प गंत और स करने के लये एक येय होता है; और वे जानते
ह क अपने येय क ओर जाते ए; एक के बाद एक, ब त कुछ घटे गा जो क उनक इ छा के व और
अनुम त के बना होगा और एकमा चीज जो उनक उ त म सहायक होगी वह है उनक भाषा, उनके श द,
उनक मान सक थ त जो उनके वचार , श द और काय को नद शत करेगी।
और इस कार मने घोषणा क क मेरी प र थ त व मान सक थ त कुछ भी हो म अपने गंत क ओर
आगे बढूं गा। म नये, भ और बेहतर वचार का योग व समथन क ं गा। और जीवन म यथा थ त बनाये रखने
के दबाव के आगे नह झुकूंगा। म खं डत थ त म कोई नणय नह लूंगा जो मुझे पीछे ख च ले। म सभी चुनौ तय
का सीधे मुकाबला क ं गा। म त का लक प र थ तय का ःख और तकलीफ स ँगा; य क म जानता ँ क यह
थ त, यह क ठन थ त ज द ही नकल जायेगी। म शारी रक, मान सक और भावना मक ःख के लये तैयार ँ;
म तैयार ;ँ म तैयार ;ँ जीवन के एक ल बे यु के लये। म लडू ँगा, म सफल होऊँगा; म जीतूंगा। हाँ म जानता ँ
म कभी भी इस थ त म नह होऊँगा क जीवन म आने वाली थ तय को नयं त कर सकूं; पर तु म अपने
वचार , श द और काय को नयं त कर सकता ँ और न त ही क ँ गा।
10 माच 1981 को, मॉ रस इ. गुडमैन एक सफल अमे रक वसायी और शौ कया पायलट – अपने घर से
हवाई जहाज क सैर को नकले। उनका जहाज घटना त हो गया क तु मौ रस बच गये और उनका बचना
च क सा के े क एक अनूठ और ऐ तहा सक घटना है। अ पताल म उनके परी ण के तुरंत बाद च क सक ने
उनक प नी से कहा, ीमती गुडमैन म च क सा के वसाय म कई वष से ँ और सच यह है क आपके प त
अभी भी जी वत ह, यह च क सा के े म एक ऐ तहा सक घटना है। मेरी जानकारी के अनुसार आज तक कोई
भी गदन टू टने के बाद जी वत नह रह पाया है। आपके प त क गदन दो जगह से टू ट ई है। उनक रीढ़
चकनाचूर है। उनक गदन को इतना ग भीर नुकसान प ँचा है क वे कभी भी बोल नह पायगे। उनक तं का
को थायी नुकसान आ है जसका भाव उनके लीवर, मू ाशय, गुद और डाय ाम पर पड़ा है। जसका अथ है
क वे बना रे पीरेटर के कभी भी सांस नह ले पायगे। उनक नगलने म सहायता करने वाली मांसपे शयाँ इतनी
अ धक त त हो गयी ह क वे कभी कुछ खा या पी नह सकगे। मुझे आपको यह बताते ए ब त ःख हो रहा
है क तु वा तव म मुझे नह लगता क वे यह रात नकाल पायगे।
येक ने सोच लया था क मॉ रस नह बचगे; एक के अलावा – वयं मॉ रस; वे अपना सर भी नह
हला पा रहे थे, अत: उनसे पलक बंद कर का उ र दे ने को कहा गया, क या वे चाहते ह; क उनका
ऑपरेशन कया जाये, हालां क यह ऑपरेशन अपने आप म अनूठा और क ठन है तथा इसके सफल होने क
संभावना भी 1:1000 है और य द वे बच गये तो उनके साथ सबसे अ छा यही होगा क अब से 20 माह बाद वे
जीवन भर हीलचेयर पर बैठ पायगे और यह भी एक चम कार होगा।
मॉ रस ने सफ एक बार आँख झपका कर न केवल ऑपरेशन के लये वीकृ त द , ब क अपने लये एक
ल य भी नधा रत कर लया क उ ह आने वाले समस से पहले अपने पाँव से चलकर अ पताल से बाहर जाना
है। उनके वचार, श द व काय, वा तव म एक उ य नत जीवन वाले के थे!
उनका ऑपरेशन कया गया और चूं क ऑपरेशन सफल रहा; डा टर ने घोषणा कर द क उनके बचने क
उ मीद ब त कम है। क तु उ ह ने प कया क मॉ रस फर भी कभी जीवन म बात नह कर पायगे, चल नह
पायगे। और अपने आप, बना रे पीरेटर के सांस भी नह ले पायगे। डॉ टर का वचार था क वे अपना शेष जीवन
एक पंगु पौधे क तरह ही बतायगे, क तु वे मन ही मन अपना कोई अ य ही च दे ख रहे थे। उ ह अपने पूरे मन व
बु से यह व ास था क वे ज द ही सामा य हो जायगे और जब वे अपनी आँख बंद करते तो वयं को अपना
य हवाई जहाज फर से उड़ाते दे खते।
अपने वचार , श द एवं या क सकारा मकता के साथ उ ह ने अपने लये कुछ अ प व द घका लक
ल य तय कये; उसी वष समस तक अपने पैर पर चलकर अ पताल से बाहर जाना, उनका द घका लक ल य
था; और अ पका लक ल य थे, बोलना, बना मशीन सांस लेना, भोजन नगलना और फर अ पताल से बाहर
नकलना। उ ह ने अ पताल के कमचा रय के साथ वातालाप के नये तरीके नकाले जनम वे चाट व च क
सहायता लेते थे, उनका अगला ल य था अपने आप सांस लेना हर बार जब वे इसका य न करते सफ असफल
होते; क तु वे ह मत हारने वाले नह थे और बार–बार य न करते रहे। जब उ ह सरे अ पताल म ले जाया जा
रहा था, तब उ ह ने अपने वातालाप के पसंद दा तरीके चाट व च का योग कर, जस डॉ टर ने उनका
ऑपरेशन कया था, उनके लए एक संदेश छोड़ा:
“कृपया डॉ. मै यूज को बता द क अगले छ: माह म म दोबारा अ पताल म आऊँगा और म जब आऊँगा तब
म चलकर उनके ऑ फस म जाकर उनसे हाथ मलाउँगा।”
अ पताल के कमचा रय ने सोचा क मॉ रस बेवकूफ है; जसे लगता है क वह अपना ल य पा लेगा; और
उनके वा त वक म ने, ज ह उनसे हमदद थी, कहा क अस भव व दे खकर वयं को ता ड़त करते रह,
इसक तुलना म यह मान लेना सरल होगा क यह स भव नह है। ले कन मॉ रस जानते थे क वे यह कर दखायगे
और उनके व ासानुसार उस वष समस से पहले वे अपने दोन पाँव पर चलकर अ पताल से बाहर आये। उ ह
े रत करने वाले थे; उनके ये वचार श द व काय:

वचार : उनके वचार एक यो ा के थे; उ ह पूण व ास था क वे बच जायगे और इस ःखद घटना से उभरकर


फर से वही सामा य जीवन जीयगे।

श द : उनके श द पुनजीवन के थे। सफ पलक झपकाकर उ ह ने वयं को व डा टर को भी यह संदेश दया क


वे ठ क हो जायगे। वे अपनी प नी, बहन, मलने वाले लोग व अ पताल के कमचा रय से भी कहते रहे क वे ज द
ही ठ क हो जायगे; और वे सब उ ह चु त और तं त हो, अ पताल से बाहर जाता दे खगे।

काय : उनके सभी काम एक उ रजीवी के थे, वे अपने गले पर एक गद रखकर घंट बोलने का अ यास करते, व
न तो थकते और न ही ह मत छोड़ते। अ पताल के नयम का उ लंघन कर वे बाहर से भोजन मंगवाते व जूस पीने
का य न करते। वे चलने का यास करते, हालां क इस दौरान कुछ घटनाएँ भी । वे जग जगलर के
ेरणा मक ऑ डयो सुनते जो उनम आशा और सकारा मकता का संचार करते और उ ह ल य व उन ल य क
श क याद दलाकर उनका यह व ास और ढ़ कर दे ते क वे जो चाहते ह, पा लगे।

उ ह ने अ पताल के अ य रो गय म भी, ज ह उ ह क तरह, वकलांग घो षत कर दया गया था इस आशा


का संचार कया क य द वे मौत के ार तक प ंचने वाले ए सीडट से उबरकर फर से सामा य होने का साहस कर
सकते ह तो वे भी अपनी शारी रक वकलांगता पर वजय ा त कर एक सामा य जीवन क आशा कर सकते ह;
चाहे च क सा शा कुछ भी कह और इस कार वे कई लोग के लये श व साहस का ोत बन गये।
उनके आसपास के येक को पता था क एक दन वे, वह पा लगे जसका नणय उ ह ने वयं के लये
लया है; और वे सभी उनका व साकार करने म जुट गये, और इस या ा म उनक हर संभव तरीके से मदद क ।
मॉ रस अपनी घो षत त थ पर वयं के पैर पर चलकर अ पताल से बाहर आये और यही नह थोड़े दन बाद
उ ह ने एक सामा य जीवन जीना भी आर भ कर दया; इस दौरान मॉ रस से मलने वाला हर उनसे भा वत
ए बना न रह सका। यही कारण है क आज पूरा व उ ह ेम से “ मरेकल मैन” (चम कारी मनु य) नाम से
बुलाता ह।
वचार , श द और या क या मह ा है और वे कैसे हमारे जीवन को संवार या बगाड़ सकते ह – आईये
इस पर एक और महान् क चचा कर, रोशनी डाल। तीय व यु के दौरान लाख य द , पोल, सी व
ज सय को पकड़कर जमन सेना ने बड़ी नममता से मौत के घाट उतार दया था, इस समय को “होलोका ट”
का नाम दया गया जसका अथ है – नाज़ी शासन ारा यूरो पय य दय और अ य का नरसंहार। इस ू रता के
शकार ए लाख लोग म एक थे व टर कल। व टर एक मनो च क सक थे और मूलत: वयना के रहने
वाले थे। वे एक सफल थे और अ छा जीवन जी रहे थे, क तु वे एक य द थे और इसी कारण उ ह
ऑज वट् स के नाज़ी कॉ सन े शन कै प म डाल दया गया – मारने के लये। वहाँ प ंचकर जब उ ह ने नरसंहार
दे खा तो व टर ने अपने लये तीन ल य तय कये–

1. जी वत रहना
2. अपने च क सीय ान व कौशल का योग कर वे जसक भी सहायता कर सकते ह, करना।
3. इस नरसंहार के बीच य न करना व कुछ सीखना; एक ऐसा ल य जो केवल साथक व उ य नत जीवन
जीने वाले लोग ही अपने लये तय कर सकते ह।

और व टर ने वा तव म तीन ल य ा त कये। उ ह ‘होलोका ट सवाईवर’ के नाम से जाना जाने लगा और


उ ह ने एक पु तक भी लखी “मै स सच फॉर मी नग” जो क बे ट सेलर स ई। इस पु तक के ारा उ ह ने
अपने कॉ सन े शन कै प के अनुभव पाठक के साथ बांटे और उ ह ने इस पृ वी के नक म जो भी सीखा उससे
लोग को अवगत कराया।
अपनी पु तक म कल कहते ह क उनके साथ ऑर वट् स प ंचे अ धकांश कै दय को वहाँ प ंचते ही मार
दया गया था; क तु उ ह ने तय कर लया था क उ ह जीना है और फर मा अपने वचार , श द और काय क
श से उ ह ने अपना पहला ल य पा लया; वह था त काल मृ यु से बचना – जो क अ य लोग से भ था; और
जो लोग उन खतरनाक प र थ तय म काम पर भेजे जाते थे, उनम नाम दज करवाना।
ऑर वट् स म व टर ने अपने जीवन का सवा धक क ठन समय बताया; अपने आशावाद, सकारा मकता और
ढ़ न य के बावजूद, यह वाभा वक है क मनु य इतनी भयंकर प र थ तय म अपने होशो–हवास खो दे और
व टर इसके अपवाद नह थे। अंधेरे कमरे म अकेले बैठे ए नर तर अगली व च घटना के घ टत होने के इंतजार
म उनके मन म तु छ वचार आने लगते – या उ ह रात का भेजन मलेगा, या वे एक सॉसेज के बदले म एक
डबलरोट का टु कड़ा पा सकगे, या उ ह अपनी सगरेट के बदले सूप का एक कटोरा ले लेना चा हए आ द। क तु
उ ह ने घो षत कया था क वे हमेशा एक उ य नत जीवन जयगे और वे अपने वचार को सरे वषय पर ले
जाते। अचानक उ ह ने वयं को वयना म कसी ा यान क के टे ज पर खड़ा दे खा; जहाँ भरपूर काश था
और लोग ब त यान व अचंभे से उनका ा यान सुन रहे थे। वे ब त स और सभी ःख से वतं थे और
फर से एक वाय जीवन जी रहे थे। वे कॉ से े शन कै प के मनो व ान पर भाषण दे रहे थे। उ ह ने वयं से कहा
क वे इस व को वा त वकता म बदलगे और वे उसे साकार करने के लये एक क ठन पथ पर चले पड़े।
उनके वचार, श द व या उस क थ जो नक से बच नकलने वाला है, उ ह प र थ त से ऊपर
उठकर ःख, क जीतने म सफलता मली; इससे उ ह यह यु लड़ने के लये ह मत, धीरज व ढ़ता मली, ता क
वे जीतकर अपने तीन ल य ा त कर सक।
इन दोन महान य से वष पूव, मने जो सीखा वह है क य द गुडमैन और कल जैसे लोग, सफ अपने
वचार , श द और काय क श से, मौत के मुंह से बचकर आ सकते ह, तो हम जो मॉ रस क वन पतीय थ त
व कल ारा भोगी अमानवीय व लाचारी क थ त से ब त अ छ थ त म हो कर अपने व अपने आसपास के
लोग के लये कतना कुछ पा सकते ह; और इस संसार को बेहतर थान बना सकते ह; पर तु फर भी हम अपना
जीवन छोट –छोट बात क शकायत करते ए, भुनभुनाते ए और नग य मुदद् पर रोकर बता दे ते ह और अंत
म एक सामा य बने रहते ह।
मेरे य म ; वचार, श द और काय हम जीवन को कस कार ढालना है, इसम ब त मह वपूण भू मका
नभाते ह। अत: मेरी येक को वशेष सलाह है क अपने वचार , श द और काय पर यान द और उ ह आकार
द; जससे आप सामा य जीवन पीछे छोड़, उ य नत जीवन के लये य नशील हो सक।
सन् 1989 म जब म युरेका फो स का लोकेशन हेड था, मेरे जीवन का उ े य ड वज़नल से स मैनेजर बनना
था। उन दन मेरे तीन अ धकारी चाहते थे क म अपनी बदली गुजरात करवा लूँ। म नरसी मोनजी इं ट ट् यूट से
मा टर ऑफ मैनेजमट कोस क पढ़ाई कर रहा (पाट–टाईम सायंकाल 7–9) और इसी कारण बदली नह चाहता
था। मेरे नणय से मेरे अ धकारी मुझसे नाखुश थे और चूं क मने बदली वीकार नह क , डवीजनल से स मैनेजर
का पद पदो त के बाद मेरे एक सहकम को दे दया गया। म भारत का नं. 1 ांच मनेजर था और सबसे यो य
उ मीदवार भी, मेरे से स के आँकड़े सवा े थे, फर भी मुझे मोशन नह दया गया। सरे नगर के ांच मनेजर
को मौका दया गया और यही नह उसे मेरा बॉस भी बना दया गया। एक अहंकार वाले के लये यह अपमान
और शम क बात थी क तु एक उ य नत जीवन के लये महज एक प रणाम था, जसे कुछ समय बाद बदला जा
सकता था। यह मेरे जीवन का ब त नाजुक ण था, इस अ याय से टू टकर, म यूरेका फो स म व ास खो सकता
था ( तगामी वचार), म रो सकता था और मेरे साथ ए गलत वहार क शकायत कर सकता था ( तगामी
श द) और काम छोड़ सकता था ( तगामी काय) मेरे सभी सहकम , अधीन थ कमचारी व म इस अ यायपूण
काम से नाराज थे और मेरे समथन म मैनेजमट से दो–दो हाथ करने को तैयार थे। उ ह ने मुझे इस नणय का वरोध
करने को कहा और अपने समथन का आ ासन भी दया। इनम कुछ खरे लोग भी थे ज ह मुझसे सहानुभू त थी,
साथ ही कुछ ऐसे भी थे जो इस घटना का योग अपना उ लू सीधा करने के लये करना चाहते थे। म इस राजनी त
और लोग के इन खेल को लेकर अ य धक चौक ा था और इन गलत उ े य का शकार नह बनना चाहता था।
फर म इन सभी का बॉस बनना चाहता था और इस बारे म ब त सावधान था क मेरे कमजोर वचार, श द या
काय इनके सामने न खुल य क यह मुझे नै तक तौर पर उनका ऋणी बना दे गा और मुझे उ ह मदद व समथन दे ना
होगा य द भ व य म कभी ऐसी ही प र थ त म ए।
तो फर मने या कया? म अपने ल य से नद शत था और दे र–सबेर उ ह पाना चाहता था। अत: मने इस
प र थ त को मेरे साथ खलवाड़ नह करने दया। मेरे पास दो रा ते थे– पहला म जानता था क मेरे साथ जो भी
आ वह ठ क नह था और मुझे ब त बुरा भी लगा। म उतना ही ो धत था जतने मेरे सहकम और शायद थोड़ा
अ धक, ले कन मने अपनी नकारा मक भावना को उभरने नह दया और वयं को ऊजावान और थर रखा।
मने अपनी जोरदार वापसी क अ छ तैयारी क जससे क पनी मैनेजमट को अपना फैसला बदलना पड़े और फर
उ चत समय आने पर म हसाब चुकता कर सकूं। सरा रा ता था, मेरे जो अ याय आ म उससे वयं को
अ भा वत रखूं और अपने मन म कसी कार क भावना व बदले का वचार न रखूं और अ धक बड़े क तमान
था पत क ँ ।
पहला पथ बु का था और सरा बु म ा का। मने बु म ा से काम करना चुना। मने नकारा मक
भावना को वयं पर एक नेनो सेक ड के लये भी हावी नह होने दया; और बदला लेने या व ोह करने का तो
मुझे वचार ह नह आया य क मने वष पहले वयं को अनुदे शत कया था क म ऐसी घटना से वयं को
अ भा वत रखूंगा। म उतना ही उ साही, तब व नद शत रहा जैसा म हमेशा था; य क अभी भी मेरा ल य तो
डवीजनल से स मैनेजर बनना था। वा तव म मने अगले ही दन से अपना काम व प रणाम गने कर दये और
अपने ल य क ओर बढ़ने के लये अ धक मेहनत करने लगा। क पनी मैनेजमट का यान इस पर गया, उ ह ने मेरी
योजना समझी और मुझे अपने ल य तक प ंचा दया। मेरे लये, आगे बढ़ना सवा धक मह वपूण था और मने
प र थ तय व भावना को अपनी ग त को नुकसान नह प ंचाने दया। मुझे हेनरी फोड के कथन पर व ास
है, “य द आप सोचते ह, आप कर सकते ह अथवा य द आप सोचते ह, आप नह कर सकते, तो आप दोन
थ तय म ही सही ह।” एक से स के के प म य द आप अपने काय े (फ ड) म यह सोच कर जाते ह
क आपका सामान नह बकेगा, तो न त ही खाली हाथ लौटगे। य द आप सौदे बाजी इस व ास से आर भ
करते ह क आप जतना चाहते ह, उतनी कम कमत तक नह ला पाएंगे तो आपके वरोधी को उसक कमत मल
जाएगी। य द आप मानते ह क आपक फै 500 टन तक ही उ पादन दे सकती है, इससे अ धक नह तो आप
कभी 750 टन का ल य रख भी नह पायगे। जैसा आपका व ास होता है, वैसा ही आपका काय भी होता है।
आपके वचार ही आपक वजय या हार न त करते ह, और य द जीवन को उ य नत होना है तो आपको हर घंटे
जीतना होगा; य क जीतने का एक त अनुभव ब त मह वपूण है। अत: आपके सभी वचार, श द व काय
जीतने क दशा म ही होना चा हए।

उन सबसे ख़राब चीज क सूची बनाईये जो आपके जीवन म २०, ३०, ४० या ५० वष बाद घ टत हो
सकती है – ये आपके प रवार, म , क रयर, भ व य, वसाय स ब ध , वा य आ द से स ब धत हो
सकती ह।
घो षत कर क इन वप य म आपके वचार, श द और काय या ह गे और आप कस कार वयं को
के त रख आगे बढगे:

कई बार ऐसे मौके आये ह जब म पूरी तरह द मत, उदास, और अंदर से हल गया था; जी हाँ ऐसे समय मेरे
जीवन म भी उसी तरह आते ह, जैसे वे कसी अ य के; ले कन म इन ण को अपने भीतर घंट महीन तो र,
कुछ सेक ड, म नट या ण से अ धक नह रहने दे ता।
मने यह जानने म दे र नह लगायी क जब आप उदास, ेरणा वहीन और टू टे ए होते ह; तो केवल एक
ही आपको उस थ त से बाहर नकाल सकता है – आप वयं; और जब आप जानते ह क केवल आप ही वयं
को अवसाद से बाहर नकाल सकते ह, तो मेरा है क “पहली बात आप अवसाद म जाते ही य ह?” अत:
अपने पूरे जीवन “ नरंतर े रत व ब ढ़या मान सक” थ त म रहने हेतु आपको कुछ संरचनाय वक सत करनी
ह गी – एक ऐसी समथन णाली जो इस या को सरल बना दे । यह संरचना तीन त व से बनी है।

1. लोग।
2. पु तक, ऑ डयो, वी डयो।
3. बीते ए समय से जुड़ना।

लोग
मने अपनी समथन– णाली का नमाण अपने आस–पास के लोग से कया। मने अपने जीवन म कुछ चु नदा लोग
क पहचान क – मेरी माँ जो मेरे जीवन क महानतम ेरणापुंज है, मेरी प नी सधु, मेरी ए जी यू टव अ स टट
नौशीन और कुछ सहकम व म और फर इन लोग को सीएमओ (चीफ मोट वे टग ऑ फसस) का पद दया। मने
घो षत कया क म इन य के पास तभी जाऊँगा जब द मत, उदास, और हला आ अनुभव कर रहा ँ
य क म जानता ँ क उनका मुझ पर व ास वयं मेरे व ास से अ धक है और वे मेरे अवसाद, मेरी
ेरणा वहीनता और उदा सय को तुर त ही ेरणा, आशा व ढ़ता म पांत रत कर दगे। यह मुझे जीवन क ओर
दे खने क यो यता दे गा और मुझम नयी ऊजा, उ साह का संचार कर, मेरी सकारा मकता और वचार , श द व
काय क ग तशीलता को नवजीवन दे गा।

पु तक, ऑ डयो, वी डयो


म उन पु तक , ऑ डयो व वी डयो क शरण लेता ँ ज ह ने मेरे क रयर के आर भक दन म मेरे वचार , श द
और काय का नमाण कया। डॉन बैवेरेज क ‘द अचीवमे ट चैले ज’ द पक चोपड़ा क ‘47 परीचुअल लॉज
ऑफ स सेस’, जोनाथन ल वग टन क ‘सीगल’ और रचड बॉक क ‘इ यूज़न’, कुछ ऐसी पु तक ह जो क मेरी
ेरणा व आशा के थायी ोत ह। म जब भी वयं से नराश व उदासी का अनुभव करता ,ँ इ ह क शरण म चला
जाता ँ और ये पु तक आगे का माग दखा दे ती ह। आज तक मेरे जीवन म वह ण नह आया है जब इन पु तक
ने मेरी सम या का समाधान न कया हो।

बीते ए समय से जुड़ना


समथन णाली का मेरा अं तम और सवा धक कायकारी त व है, अपने बीते ए समय से संबंध था पत करना।
इस दौरान म उन थान पर जाता ँ जो – मेरे क रयर के आर भक दन के महानतम संघष , पांतर और
सफलता के सा ी रहे ह।
जब कभी मुझे भावना मक कमजोरी का अनुभव होता ह, तो म अ धकतर ‘सुक या’ चला जाता ँ, यह अंधेरी
ई ट (मुंबई) म एक छोट सी बार है, यहाँ म एक से स मैनेजर के ल बे व थकाने वाले दन के बाद एक क के
लये बैठ जाया करता था, एक और जगह है, खुशरो बाग, पारसी कालोनी, जहाँ मने यूरेका फो स म काय करते ए
अ धकतम वै यूम लीनस बेचे थे। म लोकल े न या बस म सफर करता ँ या फर ांटरोड–ई ट म ॉ टर रोड से
लेटर रोड क ओर जाने वाली सड़क पर सैर के लये नकल जाता ,ँ जो कसी समय मेरी से स टै रटरी आ
करती थी, या फर ढाके कालोनी से अंधेरी टे शन तक, जो रा ता, म रोज, 40 पैसे बचाने के लये पैदल तय कया
करता था।
ये सभी जगह मुझे अपनी जीवन के आर भक दन क याद दला दे ती ह – एक कज म डू बे, यूरेका फो स के
डोर–टू –डोर से समैन क ; और फर सुक या म अपने क का घूँट लेते ए म अपने जीवन पर नज़र डालता ँ –
एक अ छा घर, घर के बाहर खड़ी एस– लास मस डीज़, जीवन के सभी सुख–सु वधाय, माट, लाख जीवन, म
ज ह पांत रत कर पाया, आदर व कत जो मने अ जत क – नग य से जीवन आर भ कर आज के सफल
जीवन का बोध, मुझ म व ास, ह मत व आ म व ास का संचार कर दे ता ह।
आज के संसार म, एक अकेला रह गया जीवन के त अपना उ साह खोने लगता है, नकारा मक
वचार, श द व काय का वकास होने लगता है, और नुकसानदायक नणय ले लेता है, जो जीवन को सही दशा से
पूरी तरह हटा दे ते है। क तु जीवन उ य नत करने के लये आपको अपने चार ओर एक समथन णाली व तं क
रचना करनी होगी, जो क यह सु न त करता है क क ठन व संघषपूण थ तय म आप सकारा मक व
ग तशील बने रह।
आपके सी.एम.ओ. (चीफ मोट वे टग ऑ फसर) पु तक, ऑ डयो, वी डयो और बीते दन से जुड़ने के तरीके,
मेरे तरीक से पूरी तरह भ हो सकते ह, अत: म कसी पु तक या ऑ डयो या वी डयो क सफा रश नह क ँ गा,
जो आपको समथन–तं का लाभ दे सके। अपने समथन–तं का नमाण वयं कर, जो आपको णक उदासी व
ःख से उबार सके।

आपके सी. एम. ओ., पु तक, ऑ डयो, वी डयो व बीते दन से संबंध था पत करने के तरीके, ज ह
आप अपने वचार श द और काय को े रत व उ साही बनाये रखने के लए योग करते ह , को यहाँ
सूचीब कर।

सी. एम. ओ.

पु तक, ऑ डयो व वी डयो


बीते दन से स बंध

आपको वयं को एक कमांडमट दे ना होगा क जब भी आप न सा हत ह वह आपको इस तं का योग


करने क याद दलाये। इसे आपको आज ही दे ना होगा और फर त दन वयं को इसक याद दलानी होगा ता क
आप, अपने चार ओर फैले भय व असुर ा का सामना करते ए तब रह।
मने वयं को यह कमांडमट 4 अ टू बर 1985 को दया था, जस दन मने यूरेका फो स म अपने क रयर का
आर भ कया था। मने अपने जीवन के 19व, 29व, 39व, 45व, व 49व वष म इन नयम का अनुसरण कया है
और आज भी कर रहा ँ। म, जीवन ारा तुत कसी भी चुनौती का सामना कर वजयी बन, उभरने के लये पूरी
तरह से तैयार ँ – उ साह व ऊजा से भरपूर।
अपने जीवन को जीवन–पयत उ य नत रखने के लये आपको यह आ ा, यह अनुदेश, यह नदे श, यह आदे श,
यह भु का वधान, यह कमांडमट, वयं को अपने जीवन के त दन, तघंटे व त मनट दे ना होगा।
इलेवन कमांडमट् स म से छठा .....

अपने वचार , श द व काय को घो षत कर।


कमांडमट
7
घो षत कर क आप आजीवन लीडर रहगे

उ े यहीन जीवन कसी को


भा वत नह करता
जै साप र कथ मने इस पु तक के आर भ म कहा था, यह पु तक साधारण मनु य के लये नह है, जो साधारण
तय म साधारण जीवन जीते ह। यह पु तक उन लोग के लये है जनके पास असाधरण काय करने
क ह मत व साहस है, और ऐसा करने क या म वे यथा थ त का वरोध करते है, मा य मानदं ड को तोड़ते
ह, अपनी गत एवं ावसा यक चुनौ तय से लड़ते ह और अपने नाम, क त व स का ऐसा नमाण करते
ह क संसार पर अपनी अ मट छाप छोड़ सक और वह उ ह उनके जाने के बाद भी याद रख। इस तरह के लोग को
‘लीडर’ कहते ह।
जोल बारकर के श द म,

“लीडर वह है, जसका चुनाव आपने उसके पीछे उस थान पर जाने के लये कया है जहाँ आप
वयं नह जा पायगे।”

आगे बढ़ने से पहले चार बार इस प रभाषा को पढ़।


यह कसी सामा य वचारक के सामा य वचार नह है। यह एक गहरी प रभाषा है, जो नेतृ व के जाने माने
व ान जोल पारकर ारा द गयी है। एक ऐसी प रभाषा है, जसे य द अ छ तरह समझकर अपने अंदर उतार
लया गया तो वह नेतृ व का महानतम गु मं बन सकती है। सभी पाठक के लाभ के लये म इसे फर दोहराता ँ,

“लीडर वह है, जसका चुनाव आपने उसके पीछे उस थान पर जाने के लये कया है, जहाँ आप
वयं नह जा पायगे।”

या आप उन थान के बारे म सोच सकते है, जहाँ आप अकेले जाने का साहस नह कर पायगे? सवा धक
च लत उ र है, “भ व य”।
अगला है क ‘आप भ व य म वयं य नह जा सकते?’ आइये, आपके लए म ही इसका उ र ँ ,
भ व य भयावह है, यह अनजान व अप र चत है। यह चुनौतीपूण, सहरन पैदा करने वाला व डरावना है, यह
अ न तता व असुर ा से भरा है, जो खम और भय से भरा है। भ व य का अथ मृ यु या पूरी बबाद हो सकता है।
यह कोई आम मनु य का आम खेल नह है, यह उन लोग के लये है जो जीवन म कुछ असाधारण पाना चाहते ह।
उन आकां ा व मह वाकां ा तक प ँचना चाहते है, जनक वे क पना तो कर सकते है पर तु अकेले पा नह
सकते, उ ह एक नेता क आव यकता होती है – एक ऐसा , वे जसका चुनाव, उसका अनुसरण करने के
लये करगे, यहाँ सारा अंतर ‘चुनाव’ श द से ही आता है।
म ऐसे कई लोग या लीडर को जानता ,ँ जो अपने आ धन थ , अनुया यय से परेशान, नाराज रहते ह,
य क वे उनके अनुदेश का पालन नह करते या उनके आदे श क अवहेलना करते ह, इन लोग को इस बात का
बोध नह होता क यह नेता के हाथ म नह है क वह अनुया यय को भा वत कर अपने अनुनयन के लये े रत
कर सके, अ पतु यह शु प से अनुयायी क इ छा है क वह अपने लीडर का अनुनयन करेगा या नह । अत:
अपने जीवन के उ यन हेतु यह आव यक है क आप यह घो षत कर द क आप आजीवन लीडर रहगे। और फर
ऐसा लीडर बनने के लये, जसका लोग अनुसरण कर, आपको वयं म वशेष यो यता , मता व गुण का
वकास करना होगा जो आपके आसपास के लोग को भा वत कर सक, आपको इतने बल च र का नमाण
करना होगा क लोग आपका साथ चाह। आपको ऐसी भाषा का वकास करना होगा जो इतनी सं मणकारी है क
लोग आपको कॉपी कर। व श नेतृ व के गुण का दशन आव यक है।
कोई भी मा संयोग से नेता नह बनता। इसके लये परेखा बनानी होती है। यह कोई एक बार का
फैसला नह है, ब क आजीवन रहने वाली घोषणा है जो आपके जीवन के साथ ही जायेगी, और ऐसा करने के
लये, आज ही आपको इसक घोषणा करनी होगी चाहे आप 26, 35, 43 वष के ह या जो भी आपक आयु हो।
आपको घो षत करना होगा क आप आजीवन एक लीडर रहगे और इस उ रदा य व के नवाह म आड़े आने वाली
हर व तु का याग करने को तैयार ह।
मने ऐसा ही नणय 1985 म लया था जब मने यूरेका फो स म अपना क रयर आर भ कया और आइये
आपको यह भी बताउँ क इसी से स बं धत जो घोषणा मने 1992 म क , जब म अपनी होने वाली प नी – सधु से
मला। अपनी शाद से ब त पहले, अपनी सगाई के दन म, मुझे याद है, मने उससे कहा, सधु तुम कसी साधरण
से ववाह नह कर रही हो। म एक लीडर ँ और मेरा जीवन, लोग के जीवन को पांत रत करने के मेरे
येय को सम पत है। मुझ से यह आशा मत रखना क म समा य प तय क तरह शाम 5.30 बजे घर आऊँगा,
स ताह के अंत म तु ह फ म दखाने या खाना खाने बाहर ले जाऊँगा, और य द तुम बीमार ई तो तु हारे सरहाने
खड़ा र ँगा। मेरे पास तु हारे लये उतना ही समय होगा जतना कसी अ य के लये य क मेरा एक येय है जो
पाना है, एक उ े य है जो पूरा करना है, एक पूरा संसार है जसे पांत रत करना है, और यह हमेशा मेरे लये
सवा धक मह वपूण रहने वाला है।”
और उसी दन से मने एक लीडर क तरह काय कया है, एक लीडर क ही तरह वहार कया है और म
अपनी अं तम सांस तक एक लीडर ही र ँगा।
लीडर को एक और तरह से प रभा षत कया जा सकता है, “ऐसे जो सामा यजन को जीवन के
सभी े , गत, ावस यक एवं आ या मक म नद शत करते ह और इस कार वीकाय
मानदं डो, दशन , था , सं कृ तय और समाज के जमे ए ढ़ांचो को चुनौती दे ते रहते ह।”
जब म यह प रभाषा व इसका एक–एक श द लख रहा था, तो मुझे एक म हला क याद आ रही थी जसका
जीवन इस प रभाषा के एक–एक श द का उदाहरण है; वा तव म, यह गलत नह होगा, य द म क ँ क उ ह के
जीवन ने मुझे इन वचार तथा इस प रभाषा को लखने क ेरणा द ।
कई स मा नत पुर कार जीतने वाली मैडम यूरी, जो नोबल पुर कार पाने वाली पहली म हला थी, वे एकमा
म हला है ज ह यह पुर कार एक से अ धक व ान के लये दया गया; भौ तक एवं रसायन शा ; उनके अपने
दे श, पोलड, म उ ह एक म हला होने के कारण उ च श ा से वं चत रहना पड़ा, यूरी ने वीकाय मानदं ड , दशन ,
यास और समाज क द ई परेखा को चुनौती द और अपनी च के वषय, भौ तक , रसायनशा व
ग णत पढ़ने के लये पे रस आ ग ।
अपने प त पयरे यूरी के साथ काम करते ए उ ह ने कई गत व ावसा यक ध के सहे व असफलताएँ
झेली, क तु उ ह ने ाकृ तक व ान म अपने अनुसंधान वष तक जारी रखे और संसार को दो मह वपूण
रे डयोधम त व का उपहार दया – पोलो नयम व रे डयम। इस ह पर अपने छोटे जीवन म उ ह ने ‘रे डएशन’
( व करण) तुत कया जसके ारा कसर का सफल उपचार कया जा सकता था। इस कार उ ह ने शु आती
कसर के संभा वत उपचार से नया का प रचय करवाया।
आयोनाइ जग रे डएशन के भाव से अनजान और उनके बारे म जानने क च ता कये बगैर बना कसी
सुर ा उपकरण/ ावधान के शाला म उ ह ने अपने अनुसंधान जारी रखे। वे रे डयोधम आइसोटो स से भरी
परखन लयाँ अपनी जेब और मेज क दराज़ म रखे रखत , मानो वे कोई साधारण कण ह । उ ह ने कभी भी
बीमारी या मृ यु के भय को अपने काम को बा धत नह करने दया और इसी कारण वे ‘ए ला टक एनी मया’
नामक बीमारी क शकार हो गई, जो क ल बे समय तक व करण के भाव म रहने के कारण होता है। 66 वष
क उ म उनक मृ यु ई क तु वे अपने पीछे ऐसी वरासत छोड़ गय जो आज तक अमू य मानी जाती है।
रे डयो ऐ ट वट के जतने अ धक घातक तर पर उ ह ने काम कया। उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा
सकता है क उनके अनुसंधान के कागज़ आज भी सीसे के अ तर लगे ड ब म रखे ह और जो लोग उ ह दे खना
चाहते ह वे कागज़ के सीधे संपक म आने से पहले सुर ाकवच पहनते ह। क तु मैडम यूरी को रे डयो ए ट वट
क खोज जुनून म इनम से कोई भी सुर ा उपाय अपनाने का वचार कभी नह आया। वे केवल कुछ ऐसा दे ना
चाहती थ जससे उनक मृ यु के बाद आने वाली पी ढ़य को एक बेहतर संसार मल सके।
अपने उ े य क ओर ग तशील लीडर क न ा व तब ता इतनी बल होती है क इसक तुलना म उ ह
जीवन भी तु छ लगता है।
वे वा तव म एक लीडर थ और जब तक वे इस ह पर रह , संसार ने उनका अनुसरण करना ही चुना। उनक
खोज के बाद से आज तक करोड़ साधारण मनु य इस नया म आये और चले गये क तु उ ह ने अपनी उप थ त
का अनुभव अपने आसपास के लोग को भी नह होने दया।
जो चीज़ लीडर को साधारण मनु य से भ बनाती है वह है उनका इस एकमा जीवन म या करना है,
इसका नणय; और यही उ ह अ व मरणीय बनाता है। उ ह कई ध के व असफलताएँ झेलनी पड़ती ह क तु
उ ह ने इन नराशा को उ ह रोकने क अनुम त नह द । वे लीडर के सवा धक मह वपूण गुण म पूरा व ास
रखते ह।

तेज सफलता के लये तेज असफलता

लीडर क वशेषता है, क वे उन चुनौ तय का सामना करने को त पर रहते है, ज ह उठाने का साहस आम
आदमी कभी नह करता, वे गत एवं ावसा यक े म अपने काय संपादन के परी ण हेतु भी तैयार रहते
ह, और फर अपनी सफलता अथवा असफलता का योग वयं म सुधार लाकर अगले तर तक जाने के लये
करते ह। वे न केवल परी ण, ब क माप–तौल एवं उपहास के लये भी तैयार रहते ह, उ ह संसार ारा ली गई इन
परी ा के प रणाम व उनसे उभरने वाली स चाई का भय नह होता और वे उपहास का पा बनने, एक
कमजोर, अ म या मह वाकां ी बेवकूफ के प म द शत होने के बाद भी अपनी द शत रचना या उ कृ ता के
उ े य क पू त म लगे रहते ह। वे अपनी हार वीकार करने व फर से नयी शु आत करने से नह कतराते। वे अपने
उ े य क ा त के लये अपना पद, सुर ा व व ब ब, खोने से नह डरते, और यही गुण उ ह नेता व उ य नत–
जीवन बनाते ह।
यह अ ाहम लकन क कहानी है। अमे रका के सवा धक सफल व अ भला षत रा प त और रप लकन पाट
से बने पहले। लकन कभी असफलता से भयभीत नह ए, वा तव म उनका जीवन असफलता क कड़ी है,
ज ह ने उ ह एक ऐसे के प म प रव तत कर दया जसने अपनी असफलता को सफलता तक
प ँचने का मा यम बना लया।
आइये अब हम वसाय क नया म चल, जो क सफलता और असफलता का महासागर है हेनरी
फोड ज ह आज एक बजनेस मैगनेट, एक लोक–परोपकारी और एक सामा जक उ मी के प म जाना जाता है,
वे वा तव म अपने जीवन म कई बार असफल ए:
★ जब उ ह ने अपनी पहली कंपनी, डे ॉयट ऑटोमोबाइल कंपनी क थापना क और 86,000 डॉलर खच करने
के बाद भी, एक भी कार तैयार नह क , तो उनके पहले नवेशक ने अपने हाथ ख च लये।
★ अंतत: उ ह ने एक कार न मत क और 60,000 डॉलर शेयर पूंजी के प म इकट् ठा कये, ले कन 1901 म
डे ायट ऑटोमोबाइल क पनी का दवाला नकल गया, कारण था – ाहक ारा ऊँची क मत व खराब
वा लट क शकायत।
★ सरी क पनी जो उ ह ने आर भ क , हेनरी फोड क पनी, बैठ गई य क उनके व उनके भागीदार के बीच
मतभेद उ प हो गये थे।
★ 1920 म हेनरी फोड ने अपनी मॉडल ट कार को उ त बनाने या नया मॉडल लाने से मना कर दया, जससे
उनक कार क ब गर गयी, और यही कारण रहा उनक तीसरी कंपनी ‘फोड मोटर क पनी’ के बैठ जाने
का।
★ फोड ने एक राजनी तक क रयर आर भ करने का य न कया क तु कभी सफल नह ए।
★ वे अपनी एक उ मी क या ा म पांच बार असफल हो द वा लया घो षत ए।
और ये वही हेनरी फोड ह ज ह कार इं ज नय रग म ां त लाने, असे बली लाइन ोड शन, वसाय,
सामा जक नेतृ व, श ा व अ य े म उनके काम के लये जाना जाता है और फोड मोटर क पनी जसक
उ ह ने 1903 म थापना क और सकड़ो असफलता के बाद खड़ी क , वह, 2010 म एक त कये गये,
गा ड़य क ब के आँकड़ के अनुसार अमे रका म सरे पायदान पर और व म पाँचवे पायदान पर है। वे बार–
बार, बार–बार और बार–बार असफल ए, क तु उन असफलता के बीच से ही उ ह ने अपनी सफलता का
पथ तैयार कया और कसी भी चीज़ को उ ह या उनक चुनौ तयाँ वीकार करने क यो यता को बा धत नह करने
दया!

‘असफलता सफ एक और शु आत का मौका है, इस समय अ धक बु मता के साथ।’


–हेनरी फोड

एक अ य त त ज ह अमे रका के सबसे अ छे फ म नमाता, नदशक , पटकथा लेखक , आवाज़


के कलाकार , ए नमेटस, उ ो गय , मनोरंजनकता और परोपका रय म से एक माना जाता है, उनक
असफलता का इ तहास भी, हेनरी फोड से अ धक भ नह है अ पतु उनक असफलता कुछ अ धक ही ह–
★ वॉ ट ड नी को एक अखबार के संपादक क नौकरी से यह कह कर नकाला गया क उनम क पनाशीलता
क कमी है और उनके पास अ छे वचार भी नह है।
★ 22 वष क आयु म वे द वा लया हो गये, जब उनक काटू न सीरीज़ केनसास शहर म असफल रही।
★ ‘औसवॉ ड द लक रै बट’ उनके एक सफल काटू न च र क सफलता के पीछे –पीछे ही वॉ ट को पता चला
क उनके वतरक ने न केवल गलत तरीके से इस काटू न च र के मा लकाना हक, ह थया लये ह, ब क
वॉ ट के साथ काम करने वाले अ धकांश कलाकार ने भी वतरक के साथ काम करने के समझौते कर लये
ह। एक तरह से वॉ ट का पूरा संघठन ही उ ह ने ह थया लया था, अब वॉ ट अकेले थे और उ ह नयी
शु आत करनी थी।
★ औसवॉ ड क जगह उ ह ने एक नये च र ‘ मक माउस’ क रचना क और जब 1927 म उ ह ने एमजीएम
टु डयो को मक माउस का वतरण करने को कहा, तो उ ह कहा गया क यह वचार चलने वाला नह ह –
न पर एक दै याकार चूहा म हला को भयभीत कर दे गा।
★ जब उ ह ने पहली बार ड नीलड क मान सक क पना तैयार कर लोग के सामने रखी; तो उनके ारा
ता वत पाक, एनएहेम शहर ारा अ वीकृत कर दया गया था, उनका मानना था क यह केवल न न ण
े ी
के लोग को ही अपनी ओर ख चेगा।
★ ड नीलड बनाने से पहले, कई बार उनका द वाला नकला क तु उ ह ने य न जारी रखा।
वॉ ट ने सब कुछ कया सवा ह मत हारने के! अंततोग वा उ ह सफलता मली ही, 81 फ चर फ म , सैकड़
छोट फ म के सफल नमाण का ेय उ ह जाता है। उ ह 950 से अ धक स मान मले, जनम 48 अकादमी
पुर कार व 22 ऑ कर शा मल ह, साथ ही उ ह ने कै लफॉ नया इं ट ट् यूट ऑफ आटस क थापना भी क ।
अ ाहम लकन, हेनरी फोड या वॉ ट ड नी कई बार असफल रहे क तु उ ह ने अपने जीवन और अपने
वसाय /क प नय /उ े य को पुनजीवन दया और उ ह आशातीत ऊँचाईय पर ले गये। आज उ ह उनक
सफलता और उपल धय के लये जाना जाता है, न क उनक अ थायी असफलता के लये।

बड़ी असफलता का साहस रखने वाले ही महान उपल धयाँ हा सल करते है।
–रॉबट एफ. कैनेडी

अपने जीवन क सभी बड़ी असफलताएँ आपने उनम से येक से जो सीखा, और य द भ व य म


आपको उस थ त का सामना करने का मौका फर मले तो आप कौन सा पथ चुनगे नीचे दये गये थान
म सूचीब कर।
तशोध क ताकत: एक लीडर का सवा धक मह वपूण गुण
‘ तशोध’ या ‘वेनेजस’ श द का अं ेजी म अ धकतर नकारा मक अथ म योग कया जाता है, बदले क इ छा
वाले को एक बुरा समझा जाता है, एक ऐसा जो माफ नह कर सकता और आँख के बदले
आँख के दशन म व ास करता है – एक ऐसा जो हमारी अब तक क चचा के अनुसार लीडर नह हो
सकता।
फर भी ‘ तशोध’ सवा धक मह वपूण त व है जो क एक साधरण के लीडर बनने के लए आव यक
है। एक का बना अंद नी बदले क भावना का होना, ऐसा लीडर होना है जसके अंदर लोग को नेतृ व दे न,े
सम या समाधान और संसार को बदलने क आग नह है। जी हाँ, यहाँ हम उस सकारा मक भाव क बात कर रहे
ह, जसका नमाण तशोध एक लीडर के जीवन म करता है।
तशोध, एक गत ोध है, जसका नमाण आप अपनी भीतर ब त सतकता से सोच–समझकर करते
ह, ता क आप हर कही–सुनी बात या आप पर लगाये गये आरोप को वीकार न कर और उसका वरोध कर सक।
आइये इस पर व तृत चचा कर।
तशोध एक गत ोध है आप जसका ‘ नमाण’ करते ह। यह कोई आक मक या संयोग वश पाया
गया अथवा आप पर कसी और ारा थोपा नह गया है। यह एक ब त ही सोच–समझकर व सतकता से कया
गया चुनाव है। यह इस कार है, मानो आपको कोई कहे क आप यह नह कर सकते, यह आपके बस म नह है –
और जस ण कोई वा तव म आपको वही कह दे ता है, जसक आप त ा कर रहे थे, आप अपने भीतर एक
वश ोध अनुभव करते ह और ठ क वही करने क दशा म चल पड़ते ह जो आपको करने या दे ने से मना कया
गया था, या जसके बारे म कहा गया हो क यह आपके तर पर संभव नह ह।
हालां क यह एक नकारा मक मान सकता है और बदले क या क ओर इं गत करती है, पर तु यह आपक
आंत रक ढ़ता को दशा दे ती है जससे आप यह स कर नया को दखा सक क आप या करने म स म ह।
यही है ‘ तशोध क ताकत’ जसका एक लीडर म होना अ त आव यक है। यह आपक उस मजबूरी, नदयता
और मनोबल को बाहर लाता है जो क आपके चार ओर के तवेश को बदलने और संसार को एक बेहतर थान
बनाने के लये आव यक है। हर बार जब कोई चीज़ मुझे नह मल पाती य क म उसे पाने म असमथ था या
कसी ने मुझे उसके लायक नह समझा तो इससे मेरा उस व तु को पाने का न य और मजबूत हो जाता है, और म
अपने आंत रक तशोध क ताकत का योग कर और अ धक आ मक जुझा ता से अपनी ल य ा त म जुट
जाता।
ब त समय पहले सन् 1980, म जब म अपनी कशोराव था क आ खरी सीढ़ पार कर रहा था, मेरी ब डंग
म एक लड़का रहता था। हम दोन बचपन के म थे और चूं क एक ही ब डंग म रहते थे इस लए हमारे स बंध
भी अ छे थे। उसने ब त ज द पढ़ाई छोड़ द थी, जब क म आगे पढ़ता रहा और नातक तर तक क पढ़ाई क ।
वह “कै डी वाइ स” नामक एक शराब क कान पर से समैन था; पॉट–स लग–एजट और कमीशन म अ छा
पैसा कमा लेता था। उन दन 50 सीसी क मोपेड नयी–नयी बाजार म आई थी और उसने हाल ही म अपनी कमाई
से ट वीएस 50 मोपेड खरीद थी। एक दन जब म ब डंग म वेश कर रहा था, मने उसे अपनी मोपेड खड़ी करते
ए दे खा, अचानक मेरे मन म उसे चलाने क इ छा ई और मने उससे अपनी गाड़ी पर एक च कर लगाने क
अनुम त चाही।
उसने एक ण मुझे उपर से नीचे तक ऐसे दे खा मानो मने कोई अपराध कर दया हो, फर उसने अपनी मोपेड
क ओर दे ख जोर से अपनी गाड़ी क क मत बताई, और कहा, “इसको चलाने क तेरी औकात नह है।” उस दन
मने मेहनत करने, खूब पैसा कमाने और वयं क मोटर साइ कल खरीदने का फैसला कया, और दो महीने यूरेका
फो स म काम करने के बाद मने अपनी औकात स क , सारे क तमान व त कये, पया त पैसा बचाया और
एक नयी राज त 175 सीसी टे ली को पक स पशन मोटरसाइ कल खरीद ; अपने म क मोपेड से कह अ छ
और उसे अपने म क गाड़ी के पास खड़ा कया, आज मेरा कद उसके बराबर था।
मेरे म ने मुझे अपमा नत कया, नीचा दखाया, चुनौती द और सीमा तक धकेला था और मने, तशोध
क ताकत का सकारा मक उपयोग जीवन म आगे बढ़ने के लये कया।
एक बार, जब म ट म ोड ट वट म वाइस े ज़डट ऑपरेशन के पद पर काय कर रहा था, मेरे वाँइट एमडी
म. ए. ड यू. जॉज, एक जानी–मानी व त त क पनी के वाइस े ज़डट से मलने जा रहे थे और उ ह ने मुझे
भी उनके साथ चलने को कहा। यह वाइस े ज़डट एक ब त बड़े थे, अत: मने यह मौका हाथ से जाने न
दया। क तु जब जॉज ने मेरा प रचय, ट म ो ड ट वट के वाइस े ज़डट के प म दया तो उ ह ने त खी से
कहा, “ म. नायर म नह समझता आप हम कसी भी प म कुछ मू यवान दे पायगे, या आप बाहर बैठगे?”
मने उस दन नणय लया क म कॉरपोरेट श ण नया का इतना बड़ा नाम बनूँगा क इस ापा रक घराने
को अपने कमचा रय को कुछ मू यवान दे ने के लये मुझे बुलाना पड़े, और इसके बाद, आने वाले वष म मने उनके
लये कई कायशालाएँ आयो जत क ।
इसी कार एक बड़ी भारतीय लगेज नमाता क पनी के, वाइस े ज़डट–एच आर और रसंचार े क एक
द गज क पनी के से स–कोऑ डनेटर ने भी मुझे भगा दया था, उनक से े टरी, क पनी के रसे शन तक, जहाँ म
बैठा आ था चलकर आय और कहा, “से स–कोऑ डनेटर, अनजान लोग से नह मलते है, म. नायर, या
आप यहाँ से तशरीफ ले जायेग?” इस सबके बावजूद, एक दन, इन सभी लोग को मेरे पास आना पड़ा। य क वे
मेरी सेवाएँ अपने संगठन के लये चाहते थे। मने इन घटना म से येक का उपयोग अपने काम व अपनी
यो यता और कौशल के संवधन के लये कया जससे मने सदा उ कृ सेवाएँ द और माकट म ऐसी साख
बनायी क उनके पास और कोई चारा न था। इन घटना के बाद वष तक म इन क प नय के येक वभाग का
मु य से स एव नेतृ व श क रहा।
आज म सफ इतना कह सकता ँ क म अपने म , उन वाइस े ज़डट, उस एच आर हेड, उस से स कं ोलर
और उनके जैसे द सय , सकड़ का, जनका सामना मने अपने जीवन म कया – दल से आभारी ँ य क य द ये
सब न होते और य द उ ह ने मेरा अपमान न कया होता, मुझे ल जत न कया होता, तो शायद म एक सामा य
मनु य ही रह गया होता। क तु मेरे भीतर के तशोध और उ ह गलत स करने क मेरी इ छा के कारण ही मने
बेहतर बनने और अ धक उपल धय के लये जी तोड़ मेहनत क और वह बन सका, जो आज म ँ।

अपने जीवन क पाँच ऐसी घटनाय लख जहाँ आपका अपमान आ हो, साथ ही यह भी लख क अपना
आ म व ास वापस पाने के लये आप तशोध क श का योग कैसे करगे।

तो या इसका अथ यह है क, नेतृ व केवल तभी उभरता है जब लोग को जीवन म क ठन और चुनौतीपूण


थ तय का सामना करना पड़े? तो फर अ मताभ ब चन, एपीजे अ ल कलाम, भारत के भूतपूव रा प त; ट व
जॉ स; मागरेट थैचर, इं लड क पहली म हला धानमं ी; चंदा कोचर, सीइओ और एमडी आयसी आयसी आय
बक; व ानाथन आनंद, शतरंज के डमा टर; और इ ह क तरह के अ य लोग के बारे म या कहा जायेगा, जो
क आज लोग के आरा य व लीडर माने जाते ह।
लीडर वे लोग है, जनका जीवन एक उ े य को सम पत है। लीडर उ े य के लये जीते ह–ऐसा उ े य जो वयं
उनसे बड़ा है। उनके जीवन म एक येय होता है – एक ऐसा येय जो वयं उनसे, उनक पसंद–नापसंद से, सुख–
सु वधा से, जीवन से व उनके नकट के म एवं प रवार के जीवन के भी परे है।
★ थॉमस ए वा ए डसन का उ े य था अ व कार, अ व कार और फर अ व कार।
★ एडमंड हलेरी के लये यह था – माउंट एवरे ट पर चढ़ना।
★ स चन ते डु लकर के लये यह था – केट म उ कृ ता।
★ नारायण मू त के लये यह था – व क सबसे अ छ सूचना ौ ो गक क पनी क थापना।
★ हेनरी फोड के लये यह ऑटोमोबाइल उ ोग का अ व कार था।
★ रतन टाटा का उ े य टाटा एंड संस है।
★ अ मताभ ब चन के लये यह है दशक को अपने काम से अचं भत कर दे ना।
★ जा कर सैन के लये है तबले से जा क रचना।
ये लोग सोते–जागते, खाते–पीते, सांस लेते ए भी, वा तव म अपने उ े य ही जी रहे होते है। ये लोग अपने–
अपने दा य व से परे जा कर, उनके े के हर पहलू को खंगालते ह, आंत रक संघष से गुजरते ह और ऐसी थ त
पर प ँच जाते है जहाँ उनका नाम ही उनका उ े य बन जाता है।
सामा य लोग सम या का सामना करते ह, वे अपने जीवन का आनंद लेते ह, शाद करते ह, ब चे पैदा करते
ह, संसार क या ा करते ह, सुख–सु वधा का आनंद लेते ह और एक सुर त व थर रटायरमट क परेखा
बनाते ह। ये सब वही है जो एक लीडर भी करता है क तु वह उसके लये जीवन नह है अ पतु उसके अ त व का
एक भाग है, य क उनक ेरणा ही उ ह ग तमान रखती है व उनके जी वत रहने का कारण और उनके जीवन का
उ े य होती है।

आपका उ े य आप से बड़ा होना चा हए। या ह, आपके उ े य?

वष पहले मुझे पाँच मले, ज ह ने मेरे अंतर को झझोड़ दया और मुझे मेरे जीवन क साधरणता से
अवगत कराया। म इ ह “पांच जा ई कहता ”ँ और पाठक के लाभ के लये, ये पांच यहाँ दे रहा ँ।

पांच जा ई

1. आप त दन सुबह ब तर से य उठते है?


2. आपके जीवन म सवा धक मह वपूण लोग कौन ह?
3. जीवन म आपके लये या मह वपूण है?
4. आपको अपने जीवन के बारे म सबसे अ छा या लगता है?
5. यह संसार छोड़ने से पहले आप या करना चाहगे?
ये ब त साधारण लगते ह क तु वे आपका प रचय एक नेता के मूल त व से कराते ह, और याद रख, सभी
लीडर जीवन के उ यन क राह पर चलने वाले होते ह। कई वष पूव मने वयं से यही पूछे थे, और कुछ समय
बाद इनके उ र उभर कर सामने आये।

1. आप त दन सुबह ब तर से य उठते ह?
कई वष पूव म सुबह ब तर से इस लए उठता था, य क म इस संसार को कल से बेहतर बनाना चाहता था।
आज म सुबह ब तर से इस लए उठता ँ ता क म सफलता क कुछ और कथाएँ रच सकूँ, इसके लये म लोग
व संगठन को उ ह सी मत करने वाले वचार एवं प रक पना से ऊपर उठने यो य बनाऊँ व इस त दन बदलते
व म उ त पाऊँ; और यही, ासं गक प, से मेरी क पनी माट का भी मूल उ े य बन गया है, और उन सैकड़
लोग के अ त व का कारण भी जो माट के लये काम करते ह।
इस उ र को एक बार फर पढ़। मने जो काय आर भ कया है वह कभी समा त नह होगा। जब तक इस पृ वी
पर मानव जीवन रहेगा, मेरा काम भी रहेगा – म सफलता क कहा नय का नमाण करना चाहता ँ। पर कैसे?
लोग और संगठन को इस यो य बनाकर क वे वयं को सीमाब करने वाले वचार और परेखा से उपर
उठ सक। इससे या होगा? यह लोग को उ त होने म सहायक होगा। यह अंतहीन व अनंतकाल तक चलने वाला
काम है, क तु मेरे जीवन व अ त व का येय है।
यही जब जीवन उ यन से वमुख, साधारण मनु य के स मुख रखा जाता है तो उनके उ र व भ होते
है। अपने 29 वष के ावसा यक जीवन म मने यह कई बार दे खा है और इनके उ र कई तर म फैले होते ह,
उदाहरण के लये –
★ म सुबह ब तर से इस लए उठता ँ क अपना बचा आ काम पूरा कर सकूँ।
★ ऑ फस या फै जाने के लये।
★ रोजी–रोट कमाने के लये, ता क म अपना और अपने प रवार का पेट भर सकूँ।
★ म रोज ब तर से इस लए उठता ँ य क मेरे लोग से पूरे दन मलने के समय तय होते ह, और लोग मुझसे
मलने क ती ा म होते है।
★ म रोज सुबह ब तर से इस लये उठता ँ क मुझे पछले 49 वष से सुबह उठने क आदत है।
★ म रोज़ सुबह ब तर से इस लए उठ जाता ँ य क मेरी न द खुल जाती है।
★ म रोज सुबह ब तर से इस लए उठ जाता ँ य क म कल मरा नह ।
ये सभी लोग ब तर से बाहर मा अपना जीवन बताने के लये आते ह। उनके पास हा सल करने के लये कोई
कारण या उ े य नह होता। संसार को दे ने के लये कुछ नह होता जससे क उनका जीवन अ य के लये उपयोगी
व अथपूण रहे।

2. आपके जीवन म अ त–मह वपूण कौन है?


एक आम के लये इस का उ र होगा:
★ म, म और म
★ मेरी प नी, मेरे ब चे, मेरे म , मेरा प रवार
★ मेरे कमचारी, मेरे ाहक, मेरे स लायस
मेरे लये इस ह पर मौजूद येक मह वपूण है, और म उसे पांत रत करने के लये, उ ह उनके ल य के
नकट ले जाने के लये, उ ह एक अ धक अथपूण जीवन जीने म सहायता दे ने के लये और इससे वयं को
पांत रत करने के लये – हर संभव य न क ँ गा। कम श द म क ँ तो – “मानवता”।
3. अपने जीवन म आपके लये या मह वपूण है?
मेरे लये मह वपूण है क म एक अथपूण और पांत रत जीवन जीयूँ और संसार म मेरा योगदान हो। मेरे लए
मह वपूण है क लोग चुनौ तयाँ वीकार कर य क म उनके जीवन म आया, क म एक ाणवान, ऊजावान और
उ ेजनापूण जीवन जीता ँ और लोग को एक भरा पूरा, उपल धय व यश से प रपूण जीवन जीने म सहायता
करता ।ँ यह आव यक है क लोग वयं एवं वयं क यो यता म व ास रख और वयं को पूणत: उ य नत
कर, मुझे जहाँ से भी जो कुछ मलता है, म उससे अ धक लौटाता ;ँ चुनौ तय और बाधा का सामना होने पर म
ह मत नह हारता; म लोग को स म बनाकर उनके जीवन के सपन , क पना और उ े य क पू त म सहायता
करता ँ। मेरे लये यह मह वपूण है क म अ यंत बल एवं ेरक सं ेशन ारा लोग को उनके वतमान एवं भ व य
के त बो धत क ँ एवं वचारवान बनाऊँ। अंतत: म उनके मानस म वतं ता, मु एवं आ म व ास से काय
करने का गुण बैठाना चाहता ँ।
एक साधारण के लये इसका उ र हो सकता है :
मेरे लये मह वपूण है क म शाम 6 बजे तक घर प ँच जाऊँ और अपने प रवार व म के साथ शां त व
स ता का जीवन बताऊँ, 50 वष क आयु म रटायर हो जाऊँ; शेष जीवन शहर क आपाधापी के बाहर एक
छोटे फामहाउस म तीत क ं ; व मण, नया क सबसे अ छ सुख–सु वधा का भोग क ं , आराम, धन
आ द।
म नह जानता आप इस का या उ र दगे। य द आप एक उ य नत–जीवन ह; जो आपको होना चा हए
भी; तो आपका उ र इससे बड़ा भी होगा और बेहतर भी – ऐसा उ र जो आपक अपे ा , इ छा व सुख से
परे हो। य द नह तो अभी इसी ण अपने अ त व के उ े य को बद लए।

4. आपको अपने जीवन के बारे म सबसे अ छा या लगता है?


★ मुझे अपने जीवन मे सबसे य है क पछले एवं 29 वष म मने अपने ाहक को सामान बेचते समय एक भी
झूठ नह बोला है।
★ अपने हर ाहक/ लाइंट से मुलाकात के लये म सदा समय पर प ँचा – अपने पूरे जीवन।
★ जीवन क सवा धक नराशापूण एवं चुनौतीपूण थ तय म भी मने काय न पादन कर प रणाम दये।
★ येक वष, मने बीते ए वष क तुलना म अ धक धन, क त, आदर एवं सुयश कमाया।
★ मने अपनी प नी, ब च , माता– पता और अपने नकट के येक को अ छा जीवन दया।
★ म कभी एक सा नह रहा और नरंतर अपने चार ओर क यथा थ त को त स ताह, त दन, तघंटे,
चुनौती दे ता रहा।
★ म नरंतर अपना ान बढ़ाता रहा, अपने वचार को बदलता रहा, कई नई चीज सीखी, नयी एवं ग तशील
आदत सीख और त वष अपना जीवन व वसाय चलाने क सभी योजना एवं परेखा को बदला।
★ मने बना शत अपने उ े य के सामने आ मसमपण कया।
★ मने कभी भी काम न कर पाने के लये बहाने नह दये।
★ अपने पूरे ावसा यक जीवन म, मने अपने मा लक और अ धका रय का आदर कया।
★ यूरेका फो स म म, नं. 1 से समैन, नं. 1 प
ु लीडर, नं. 1 ांच मैनेजर और हर एक चीज़ म नं. 1 था। चाहे वह
मेरे वसाय से स बं धत हो या मेरे गत जीवन से।
★ म अपने पूरे जीवन वयं एवं अ य के साथ स त रहा।
★ मने हजार य को वयं म व ास करने यो य बनाया, उनसे सव े क अपे ा रखी, उनका यान रखा,
अपना ान बना कसी शत बाँटा और उ ह वजयी होने दया।
★ मुझे कभी भय नह आ क कोई मुझसे कुछ सीख कर चला जायेगा और जीवन म बड़ा बन जायेगा।
★ मुझे असफलता का भय नह है और म उसके बारे म पूरे साहस व ढ़ता से बोलता ँ।
★ मुझे अपने जीवन के बारे म सबसे य लगने वाली व तु ह क मने बीस लाख लोग को श त कया और
उनके जीवन पर एक अ मट छाप छोड़ी।
★ मने सर को स भावना वचारक बनाया और अपने नकट के लोग के वचार , श द और काय को पांत रत
कया।
★ लाख लोग ने मुझे ेम व आदर दया और मुझे संभाला।
★ इन ल बे 29 वष तक काय करने के बाद भी म थका नह ँ।
★ जीवन के 49व वष म भी म युवा ँ, उजा से प रपूण ँ, उ े जत ँ और आगे बढ़कर अ धक से अ धक काय
करने को तैयार ँ।
★ म आज भी एक यो ा ।ँ
★ मेरे पास एक आदश माँ, एक ेमल प नी, ब त अ छे ब चे, ब ढ़या सहकम और अधीन थ कमचारी, सदा
साथ दे ने वाले ाहक, वे डस, माल दे ने वाले और असं य शुभ च तक ह.. .और यह सीमाहीन सूची आगे–
आगे और आगे बढ़ायी जा सकती है।

आपके जीवन म वह या है जो आपको सवा धक य है? मुझे व ास है क आपके पास भी एक सूची है


जसे लखने के लये आपको कई पृ क आव यकता होगी, याद रख वयं से यह त दन, त स ताह,
तमाह, त– तमाही, त वष व हर दस वष बाद, बार–बार, पूछ ... और य द आप अपने जीवन म अ धक
चीज से ेम नह करते ह तो इस ह पर आपक या ा नरथक है। आपका जीवन मह वहीन है; और

एक मह वहीन जीवन कसी को े रत नह करता

5. नया छोड़ने से पहले आप या करना चाहगे?


य द आप मुझ से पूछ, तो म एक मुसीबत क टोकरी खोल ं गा, नया छोड़ने से पहले म चाहता :ँ
★ सौ पु तक लखना
★ एक हजार ऑ डयो एवं वी डयो तैयार करना
★ एक टॉक–शो का संचालन करना
★ दस नयी भाषाएँ सीखना
★ पांच फ म म काम करना
★ अपना वयं का टू डयो बनाना
★ संतोष नायर नॉलेज ोड् टस एवं मचडाइस क पनी ारा अपने ऑ डयो व वी डय पूरे संसार ये उपल ध
कराना।
★ माट (smmart) को व क बेहतरीन /उ मी/ ापार, पांतरण क पनी बनाना, हमारे सभी
कमचा रय के लये smmart टाउन शप का नमाण करना, जहाँ वे साथ रह और साथ बूढ़े ह ।
★ शो षत ब च व म हला के लये smmart फांउडेशन क थापना कर उ ह उ मी बनने हेतु े रत करना।
★ smmart के सभी कमचा रय , साझेदार एवं इससे जुड़े सभी लोग के लये एक चमकदार व गौरवपूण भ व य
तैयार करना।
★ इन सभी के ब च को सबसे अ छ श ा दे ना।
★ व भर म लोग के मान सक व शारी रक नवयौवन– नमाण हेतु संतोष नायर के से स, नेतृ व व
ट .आई.जी.ई.आर. लब क थापना करना।
★ लोग को भयमु व आ म व ासी बनने क श ा दे ने हेतु व मण करना।
★ अपनी अचानक मल गई ज मजात यो यता से लोग को उपर उठाना।
★ लोग को भ व यो मुखी व व– पांतरयो य बनाना, व उ ह नत प रवतनशील थ तय म उ त पाने म
सहायक होना।
★ संयु रा संघ के साथ काम करना व नयाभर के धानमं य व रा प तय से बात करना।
★ यु म उलझे ए व भ गुट के बीच मु य म य थ क भू मका नभाना।
★ व भ रा के बीच शां त था पत करना – पा क तान, म यपूव आ द।
★ संसार म ल बी व सदा बनी रहने वाली शां त था पत करना।
★ भारत व पा क तान को एक दे श बनाना।
★ लोग को ो ो गक के भाव के बारे म श त करना।
★ संसार भर म रा ीय व अंतरा ीय मंच पर ा यान दे ना।
★ भारत व व म से गरीबी को समा त कर दे ना।
★ संसार को ःख प ँचाने वाली कम से कम एक हजार सम या का मौ लक समाधान ढूं ढ़ना।
★ जीवनपयत, 120 वष क आयु तक, कायशील व युवा रहना।?
★ अंतत: संसार के लये एक आदश बनना, जसम उनका व ास हो, उनक ा हो; और वे जसका
अनुसरण कर सक।

या आपने वयं से ये पांच जा ई पूछे ह? य द नह , तो एक नया जीवन आर भ करने के लये आज


का दन सव म है। वयं से पू छये और जीवन को जीने यो य बनाने वाले उ र पाइये। इन उ र को अपने
जीवन म उतार और उ ह वा त वकता म प र णत होने द। जीवन को अथपूण व मह वपूण बनाय व संसार को
अपना योगदान द। आप वयं से और पूरे व से ेम करने लगगे। कर के तो दे खये!

आप त दन सुबह ब तर से य उठते है?


आपके जीवन के सवा धक मह वपूण लोग कौन ह?

जीवन म आपके लऐ या मह व ण ह?
आपको अपने जीवन के बारे म सबसे अ छा या लगता है?

यह संसार छोड़ने से पहले आप या करना चाहगे?


एक वल ण जीवन जीने वाले कुछ लीडर, नेतृ व के वचार को पार कर उसके परे चले जाते ह और एक
अनुकरणीय बन जाते ह।
एक अनुकरणीय बनना, नेतृ व का सवा धक उ त प है। वे अपने चार ओर फैले अ याय, व कम
से अशांत, ःखी व ो धत हो संसार को पांत रत करने का दा य व वयं ही उठा लेते ह। अ ा हजारे, जैसे लोग
ने भारत म बढ़ते ाचार से ःखी होकर, ाचार–मु भारत बनाने का बीड़ा वयं उठाया। महा मा यो तबा
फूले ने सन् 1848 म, लड़के व लड़ कय के बीच च लत भेदभाव से ःखी हो म हला को श त व स म
बनाने हेतु संघष कया। डॉ. बाबासाहेब अ बेडकर ह वण– व था एवं सामा जक–भेदभाव क उन था से
थत थे, जनके कारण नीची जा त के कुछ ह को ‘अछू त’ माना जाता था। उ ह ने द लत के त उ चत
वहार, समान आदर एवं मान पाने का संघषपूण यास कया एवं ‘अछू त’ क अवधरणा को सदा के लये समा त
कया।
अनुकरणीय य का न तो प रवार होता है न घर और न ही, वयं का जीवन। उनका रा ही उनका घर
होता है, रा वासी उनके प रजन और उनका उ े य ही उनका जीवन होता है। वे अपने सभी सांसा रक सुख,
स पदाएँ, इ छाएँ क रयर और वसाय यहाँ तक क मृ यु का भय भी याग कर अपने उ े य ा त के माग पर
चलते ह। उनके पास चार ब च के पता होकर जीने या रा पता बनने का वशेषा धकार सदा होता है और वे
महा मा गांधी के समान, सदा ही रा पता होना चुनते ह।
जब आप एक अनुकरणीय होते ह, तो लोग आपके व आपके उ े य के सामने आ मसमपण कर दे ते ह।
यह 7 जून 1893 क घटना है, जब इं लड म श त व द णी अ का म वकालत करने वाला एक ,
थम ेणी के रेल– टकट के साथ, डरबन (द णी अ का) से टो रया (द णी अ का के ांसवाल रा य क
राजधानी, जो क डच सा ा य के अधीन थी) जा रहा था। एक यूरोपीय मूल के रेलवे अ धकारी ने उससे तृतीय
ेणी के ड बे म चले जाने को कहा– य क वे एक भारतीय थे, और ‘कुली’ व अ ेत लोग को थम ेणी से
या ा करने क अनुम त नह थी। जब उ ह ने मना कया तो उस युवा को उसके सामान स हत लेटफाम पर
फक दया गया। उस दन अपने चार ओर के अ याय से एक अशांत, ःखी व ो धत हो उठा था। उसने
संसार को बदलने का बीड़ा उठाया – और महा मा गांधी बन कर उभरा। उ ह ने अपनी वकालत छोड़ द व 21 वष
तक रंगभेद व जा तभेद का वरोध करने और द णी अ का म रहने वाले, भारतीय मूल के लोग के अ धकार के
लये संघष करने के उपरांत, अपने दे श लौटे और भारत को वत ता दलायी।
चालीस के दशक म कलक ा म सड़क पर चलते ए एक अ या पका ने एक नरा त म हला को सहायता के
लये रोते ए दे खा। वे समझ गयी थ क उस म हला का जीवन समा त हो रहा है, वे उसे तुरंत अ पताल ले गय
जहाँ उ ह बैठने व ती ा करने को कहा गया। उस म हला क शोचनीय व ग भीर थ त के कारण उसे तुरंत सरे
अ पताल ले जाया गया, क तु फर से म हला के न न ेणी का होने के कारण उस पर सबसे अंत म यान दया
गया। उस रात, उस म हला ने अ या पका क गोद म दम तोड़ दया। उस दन एक साधारण नन अपनी असहाय
थ त से अशांत, खी व ो धत थी और यह से मदर टे रेसा का ज म आ, ज ह ने अपना पूरा जीवन बीमार व
गरीब क सेवा करने व उनका जीवन उ त करने, तथा ग भीर प से बीमार लोग को एक स मा नत जीवन न
सही, क तु स मा नत मृ यु पाने के लये सम पत कया।
इस कैथो लक अ या पका से ब त र एक वक ल थे, जो महारा म वधा जले के एक स प जम दार के पु
थे। उनका लालन–पालन संसार क सभी सुख–सु वधा और संप ता के बीच आ। 14 वष क उ म वे एक
ब क के मा लक थे और गाड़ी चलाने क उ म उनके पास एक सगर– पोटस–कार थी जसक सीट ते ं ए क
खाल से मढ़ ई थ । वे सनेमा दे खने के शौक न थे और हमेशा दो टकट – एक आगे क कुस का और एक पीछे
का – लेकर फ म दे खते, ता क वे पीछे क सीट पर बैठ व आगे क सीट पर अपने पांव फैला सक – ऐसी थी
उनक फज़ूल खच ! और फर एक दन उ ह ने सड़क के कनारे, तेज बा रश म भीगते ए एक कु रोगी को
दे खा, वह अपनी अं तम सांस ले रहा था। उस य ने उनक रीढ़ क हड् डी म सहरन दौड़ा द थी, अचानक ही
धन–दौलत व संसार क सारी सुख–सु वधाय उनके लये बेमानी हो गय , वे अंदर तक हल गये थे और उसी ण
बाबा आमटे का ज म आ उ ह ने अपना पा रवा रक पेशा छोड़ पूरा जीवन कु रो गय के पुन थापन व उनके
अ धकार क र ा को सम पत कर दया।
इन सभी य म कुछ गुण और यो यताएँ समान ह। इनम से येक :

1. वरोध, संकट और गत ःख से उपर उठा।


2. उ ह ने साधरण मनु य को उनके चुनौतीपूण समय म नद शत कया।
3. उ ह ने अ य लोग क चुनौ तय को अपना कर, उ ह वजयी बनाया।
4. जब अ य लोग असमंजस म थे, उ ह कोई रा ता नह सूझ रहा था, तब इ ह ने थ त को संभाला।
5. अपने काय के लये वे वयं ज मेदार होते ह।
6. उ ह ने हमेशा अपनी पूरी मता व उजा के साथ ह ला बोला – और जो उ ह उ चत लगा उस पर ढ़ रहे।

ये सभी अनुकरणीय य के ल ण अथवा गुण ह, ज ह आ मसात् कया जाना चा हये। नेता और


अनुकरणीय य म अंतर करने वाली रेखा ब त ही बारीक है। यह एक या ा है, एक मश: होते रहने वाली
ग त, जो आपको एक नेता से एक अनुकरणीय बना दे ती है, जहाँ आपका बंगला, आपक S– लास
म सडीज़, ाइवेट जेट, करोड़ डॉलर का वसाय, रोले स घड़ी और आपका ब ढ़या 3–पीस सूट सभी नग य हो
जाते ह। ये सभी म हलाएँ व पु ष अपने–अपने जीवन म नेता रहे ह और फर उ ह ने अपना 100 तशत जीवन
अपने उ े य को सम पत करने का नणय लया और वे नेता से अनुकरणीय बन गये।
म वयं को एक नेता व एक अनुकरणीय के बीच म कह पाता ँ और एक अनुकरणीय बनने के लये
य नशील ।ँ उस तर पर प ँचकर म अपने सारे सांसा रक सुख, धन–संप एवं इ छाएँ याग ं गा और भारत
के उन सु र आंत रक े क या ा क ं गा जहाँ अभी श ा नह प ँची है, म वहाँ युवा को जा त क ँ गा
ता क वे अपनी मता को स कर व अपने व को साकार कर सक। भारत के ामीण े म बसने वाले
युवा के लये म तो अथक काय क ँ गा, उससे भारत एक वक सत रा बन जायेगा। यह एक ल बा रा ता है
क तु म इसे तय क ँ गा य क म एक उ य नत जीवन ँ।
उपरो व णत जीवन एक नेता का जीवन है– जो एक अनुकरणीय बनने क राह पर है– और एक जीने
यो य जीवन है। एक नेता होना और घो षत करना क आप आजीवन एक नेता रहगे जीवन उ यन के लये
आव यक व अ नवाय है।
अपने जीवन को जीवन पयत उ य नत रखने के लये आपको यह आ ा, यह अनुदेश यह नदे श, यह आदे श,
यह भु का वधान, यह कमांडमट वयं को अपने जीवन के त दन, तघंटे, त मनट दे ना होगा। इलेवन
कमांडमट् स का सातवाँ कमांडमट है :
घो षत कर क आप आजीवन लीडर रहगे।
कमांडमट
8
भावनाएँ सोखने वाले वकषण को अल वदा कह।

अ या धक भावनाएँ बु से अवरोध करती ह


भाग – 1

भा रतक कमुे युअकाणीसमाचार


ब लेबाज, स चन ते डु लकर, जब 1999 के केट व ड कप म खेल रहे थे, उ ह अपने पता
मला। ध के क अव था म ही ते डु लकर ने भारत प ँचकर पता क अ तम या
क । उसके तीन दन बाद ही भारत का के या से एक मह वपूण मैच था, जसम दे श के अ णी ब लेबाज क पच
पर ज रत थी। अपने जीवन के सबसे बड़े नुकसान को सहते ए ते डु लकर, 72 घंट म ही अपने बै स को पैक
कर अपने दे श के लये खेलने के अपने माग पर चल पड़े। वे लौटे तो धमाके के साथ, 101 गद म 140 का
अनबीटन कोर, उनक सवका लक बेहतरीन पारी। उ ह ने वह शतक पता के नाम अ पत कया। उ ह ने ट म को
ग वत कया – अपने रा को ग वत कया और सबसे ऊपर अपने पता को ग वत कया।
भारतीय ब लेबाजी क नयी सनसनी, वराट कोहली के पता का दे हा त 19 दस बर 2006 सुबह के दो बजे
हो गया; वराट तब कनाटक के व एक ज री रणजी ॉफ टाई मैच खेल रहे थे जसम वे द ली के
ओ हरनाईट ब लेबाज थे। उनक ट म ने, जो क संवेदनशील, जवाबदार और अ छे इंसान का समूह था, उनसे
प रवार लौट जाने का आ ह कया, क तु वराट जानते थे ट म के लये उनक उप थ त कतनी ज री थी। अपने
खेल व रा य तथा प रवार क ओर वयं क तब ता के उस ं द म 18 वष य वराट कोहली ने ककर रा य के
लए ब लेबाजी का नणय लया। वे न केवल खेले ही वरन् उ ह ने अ व सनीय 90 रन दये व अपनी ट म को
जीत क ओर धकेला। और 90 रन ठ क कर सीधे अ तम या म प ँच।े यह मैच उनके जीवन म बदलाव का
मोड़ सा बत आ।
अनु आगा पूना थत इंजी नय रग फम थरमै स क पूव चेयरपसन को, 1996 म उनके प त क अचानक
मृ यु होने पर, चेयरमैन शप संभालने को कहा गया। जस पा रवा रक वसाय को उनके पता ने शु कया तथा
उनके प त ने जसे एक स मा नत रा ीय इंजी नय रग क पनी के प म खड़ा कया, उसे तब उनके नदश क
आव यकता थी और वे उसे संभालने के लए प त क मृ यु के 48 घंट के भीतर ही प ँच गय । उ ह शोक करने
का भी समय न मल सका। उसके एक वष म ही उ ह ने अपने इकलौते पु को एक कार ए सीडट म खो दया, वे
कसी बजनेस मी टग से लौट रहे थे। फर भी उ ह ने कला संभाले रखा और अपनी पेशेवर जवाबदा रय को
बराबर समपण एवं बल से नभाया। उसके एक स ताह म ही उनक सास का दे हा त हो गया, तथा उनका य
पालतू कु ा भी चल बसा – कसी 55 वष य म हला के लये ये सब अपार ःख थे।
अपने जीवन क पुकार क ओर यान दे ते ए उ ह ने बड़े ही उदार तथा ग रमामय तरीके से थरमै स को
मुसीबत से नकालने के लये वयं को पुनः– नद शत कया। वे वदे शी सलाहकार को लाय । उ ह ने क पनी क
संरचना को बदला, बोड को पुनग ठत कया, कारोबार को कई गुना बढ़ाया। इस कार उ ह ने थरमै स को
इंजी नय रग उ पाद एवं णा लय का अ णी उ पादक बना कर 14 दे श म उसक उप थ त दज क । जसके
फल व प उ ह कई बजनेस पुर कार मले। और उ ह बजनेस म 25 अ धकतम श शाली म हला क सूची
म थान मला।
या ते डु लकर व कोहली अपने पता क मौत से अ भा वत थे, या अनु आगा को अपने प रवार से
अनुराग न था? भाई, कोई साधारण मनु य वैसा ज र सोच सकता है, पर तु केवल कोई उ य नत जीवन ही उनके
ारा द शत नेक और अनु ह को समझ सकता है।
हमारे आसपास क नया सम या से लद है। ऐसा एक भी मनु य नह है जो च ता , परेशा नय तथा
वषाद से मु हो। धनवान या नधन, समकालीन या पार प रक, बुजुग या युवा, लोग अ सर कमजोर ण से
अ भमुख होते ह। ण जो उ ह उदास करते ह, तोड़ते ह और अ दर से हलाकर चकनाचूर कर दे ते ह। वह कोई
यजन का अवसान हो, कोई पा रवा रक े जेडी, पा रवा रक ववाद, बढ़ती उ के माता– पता म से कसी का
लाइलाज बीमारी से सत पाया जाना, अलगाव क ओर बढ़ता वैवा हक कलह, म का व ासघात, आपके
पु ष का आपसे र चले जाना, आपके प त ारा आपक सबसे अ छ म से संसग, आपके ब चे क ह या, यह
सूची केवल बढ़ती ही जा सकती है। ऐसी सभी भीषण घटनाय या तो मेरे साथ अथवा मेरे कसी नजद क के साथ
घट चुक ह। ये सभी ऐसी घटनाय ह जो आपको अपनी यो यतानुसार सव े दशन करने से रोक सकती ह। ये
आपको नया तथा उसम न हत संभावना के त बेपरवाह कर सकती ह। ये आपको अपने असली ेय को
पाने के माग से वमुख कर सकती ह, आपको ग तहीन कर सकती ह, आपका यान जीवन के उ े य से ख च
सकती ह, आपको केवल सव ापक–साधारणता तक सी मत रखकर साथक–जीवन बनने से हमेशा के लये रोक
सकती ह। आपको वतमान क ज टलता म उलझाकर एक बेहतर भ व य क क पना करने से रोककर वयं के
अ त व के उ े य के पीछे जाने से हटा सकती ह। जीवन–उ यन क मेरी नया म म इन घटना को इस नाम से
बुलाता ँ–

ईडीडी यानी क – भावनाएँ सोखने वाले वकषण

जैसा क नाम से व दत है, भावनाएँ सोखने वाले वकषण वे घटनाएँ ह जो आपको भावना– वहीन करत ह,
आपके मन को जकड़कर आपको हमेशा के लये कमजोर बना दे ती ह। जतना आप इस थ त म रहगे उतना ही
जीवन उ यन से परे चले जा गे।
कसी भारतीय प रवार म मृ यु होने पर प रवार को कम से कम 13 दन तक सांसा रक काम–काज म लगना
व जत मानते ए कुछ र म क अदायगी म लगना होता है। तलाक य द कोई मुख घटना बन जाए तो वह कसी
को स ताह और महीन तक अवसाद म डु बाकर रख सकता है। कसी बीमारी को य द ब त ग भीरता से ले
लया तो वह मृ यु से भी भयानक हो सकती है।
ऐसे समय म, वयं को नया से र रखकर, काम ब द कर, वयं को उन ण म ल बे समय तक डु बाये
रखना जीवन या ा को ही क ठन बना दे ता है; फर जीवन उ यन तो र क बात रह जाती है।
य द स चन ते डु लकर, पता क मृ यु य ई, सोचते रहते तो वे वयं के केटर होने क धार खो दे त,े य द
वराट कोहली पता क अ थय के समीप दन – दन बैठे रहते, तो उनका साहस समा त हो जाता, य द अनु आगा
वैसी ःखद ज दगी के लये नय त को कोसने लग जात , तो वे अपनी वा त वक मता तक कभी भी न प ंच
पात ।
वैसी प र थ तय म इन सब लोग का जीवन छ – भ हो गया, और य न होता, आ खर वे भावना मक
प से चुनौतीपूण ण जो थे। पर तु जैसा क म कह चुका ँ – अ या धक भावनाएँ बु का अवरोध करती ह।
वैसी भावनाएँ होते ए भी ये लोग अपने उ े य पर कायम थे। उ ह ने उन भावना मक ण को अपनी बु पर
हावी न होने दया और अपने लये जीवन का उ यन कर लया।

भूतकाल क े जेडी के दद को कम करना ही आज क े जेडी क खूबी है।

जब तक कोई इन भावना को सोखने वाली घटना को मन म ज दा रखता है, उसका जीवन–उ यन


असंभव है। जीवन–उ यन के लए आपको इन घटना को अल वदा कहना होता है।
म यह कदा प नह कहता क इन गंभीर घटना क परवाह न कर अथवा उ ह तु छ सम याएँ समझकर
वहार कर, फर भी उ ह आपके जीवन के उ े य पर हावी न होने द। जीवन कता नह , इस लये तो लोग कहते
ह – ‘द शो म ट गो ऑन ..........’
नया के महानतम ेरक व ा म से एक, ज़ग ज़गलर, अपनी सीडी – ‘ व नग’ यानी जीतना म ‘24 घंटे’
नामक धारणा को इस कार समझाते ह: आपके जीवन क कोई भी घटना, बड़ी या छोट , ःखद या सुखद, जीत
या हार, असफलता या उपल ध, आलोचना अथवा शंसा, को 24 घंट से अ धक न वचार। मुददा ् कतना भी
बड़ा अथवा ती हो उसे जीवन के 24 घंट से अ धक न द। उस ण म 24 घंटे अव य रह, क तु जैसे ही 25वाँ
घंटा लगे, उठ और कोई नई शु आत कर।
आपके गत जीवन म जो कुछ ढह चुका है उसके लए अपनी पेशेवर ज दगी को परे हटाना, एक कार
से अपने जहाज क उन द वार का ढहाना है जो लहर के कम होने पर आपको कनारे प ँचा सकती ह।
जब जीवन का कोई प आपको पराजय के सम ले आये तो सरे पर अ धक ती ता से के त ह वयं को
काम, हॉबीज़, लोग अथवा समाज इ या द म डु बो ल। कभी न लगाया हो वैसा जोर लगा के अपने उ े य क ा त
कर, पहले से अ धक आ था से अपने सपन के पीछे पड़ और एक बार फर वयं को अपने उ े य के त सम पत
कर। आन ददायी काम कर, नौकरी म सां वना खोज, जीवन म इतने डू ब जाएँ क वषाद करने का समय ही न हो,
उसे करना तो र।
जो कुछ जा चुका है उसे आप वापस नह ला सकते; या जो कुछ घट चुका है उसे आप बदल नह सकते। आप
जो कर सकते ह वह है – एक बेहतर भ व य का नमाण। भूतकाल पर आपका कोई वश नह , पर तु भ व य तो
अभी भी आपके हाथ है; तो फर कसके इ तजार म ह आप? गत े जे डय से न मत वषाद से उठकर
अपनी थ त, अपनी प र थ तय का पुनः– नमाण कर, अपने जीवन का पुनः– नमाण कर।
जब म बई म अपने म क पु ी के ववाह म स म लत था, तब मेरे पता का दे हा त आ। भारत थत
प रवार ारा सू चत करने पर म प नी स धु के साथ तुर त घर प ँचा और थ त को संभाला, अ तम या कर
जस ने मुझे जीवन क सबसे बेहतरीन सीख से नवाजा, उसे एक अनु ा नक बदाई द । दो दन के बाद
मुझे टाटा हाउ सग के एक समूह को गोवा म संबो धत करना था। ऐसा न था क गत कारण पर आधा रत
मेरी अनुप थ त से टाटा हाउ सग मुझे लैक– ल ट कर दे त,े वरन चूँ क उस ो ाम का पया म ले चुका था और
अपनी उप थ त का वादा कर चुका था, और सारे दे श से सैकड़ मुझे सुनने के लए आ रहे थे।
ब त क राय के वपरीत, मने पहली उपल ध उड़ान ली और ोता के सम जा प ँचा, उ ह बेहतर दशन
के लए े रत करने। सालभर बाद ही मने अपने बड़े बहनोई को खो दया और मेरा वहार कुछ वैसा ही था। मेरी
प नी एक गंभीर घटना का शकार बनी, मेरी तीन पु य – दे वका, माल वका, रा धका का ज म आ, जब म
श ण काय म को संबो धत कर रहा था, पर तु इनम से कोई भी घटना – ःखद अथवा हष के ण – मुझे
अपने श क अथवा ेरक व ा के माग से वक षत नह कर पाई।
या मुझे अपने पता कम यारे थे, या मेरे बहनोई क मृ यु मह वहीन थी, या या म अपनी प नी या तीन
ब च के ज म क कदर नह करता था? ऐसा कतई न था। पर तु एक उ य नत–जीवन के प म मने वयं को
नद शत कया, आदे शत कया तथा अनुरोध कया क म ‘ईडीडी’ यानी भावना सोखने वाले वकषण से र
र ँगा; कसी भी गत या पेशेवर े जेडी या हष के ण को मेरे जीवन को पटरी से उतारने न ँ गा।
जीवन के उन मह वपूण काय , जनम आप यासरत ह , के बीच ब चे ज म लगे, कई े जेडीज़ हो सकती ह।
य द उस दन आप उपल ध ह तो अव य ही ब चे के साथ ह क तु य द आप वयं के स मान क ओर तब ह
तो उसे परे न हटाव। य क कोई भी सावज नक वायदा कसी भी नजी े जेडी या हष से कह बड़ा है और उसे
यादा वज़न दया जाना चा हये, य द आप एक उ य नत–जीवन बनना चाहते ह ।

आप वतमान म भुगत रहे तीन ईडीडी तथा उनसे उबरने क या क योजना लख–
अपने जीवन को जीवन–पय त उ य नत बनाए रखने के लए वयं को इस आ ा, इस अनुदेश, इस नदश, इस
आदे श, इस भु के वधान, इस कमांडमट को दे कर, इसके त आपको जीवन के त दन, तघंटे, त म नट
सजग रहना है।

भावनाएँ सोखने वाले वकषण को अल वदा कह।


भाग – 2

ह म यूनतम समय म अ धकतम प रणाम दे ने होते ह, तथा यूनतम यास से अ धकतम प रणाम। काय थल
हो या घर हम तभी उ पादक हो पायगे जब हम वकषण म बह न जाए। आवेग, च ता, ोध, नराशा, चोट,
अ स ता, ई या, स दे ह, श ुता, अपराध–बोध, असहायता, अवसाद, अ वीकृ त, उपे ा, अहं, लोभ इ या द
सभी 100 तशत वकषण ह। जैसे ही हम इनम से एक अथवा सभी भावनाएँ महसूस करना शु करते ह, हमारा
यान हमारे ल य से हट जाता है। जीवन क नैरा यपूण प र थ तय म उ पादक बने रहने हेतु हम वयं क
भावना का यान रखना पड़ता है। कुछ भावनाएँ ऐसी ह जो आपको संघष करने और आगे बढ़ने म मदद दे ती
ह........... ये ह ऊजावधक भावनाएँ।
सरी ओर कुछ भावनाएँ आपको ख , ो धत, नराश, च तत, अपराध–बोध सत बनाती ह......... ये
ऊजा सोखने वाला आ म व वंसक भावनाएँ ह। जब जीवन म कुछ अ य घटा हो तब, भावनाएँ आपक मान सक
थ त तथा आपके व थ रहने को नधा रत करती ह। और कुछ न कुछ अ य तो होता ही रहता है, तो ऐसे मौक
पर आपक भावनाएँ कैसी ह ?
म हमेशा से कहता आया ँ क आपके पास न न ल खत चार भावनाएँ अथवा मन क थ तयाँ अव य होनी
चा हये।
★ हा य बोध
★ फु लता
★ आ म– व ास
★ उ साह
ये उ य नत जीवन क नशा नयाँ ह।

जीवन म चाहे कुछ भी हो जाये, आपको इस कार के ऐलान करने क ज रत है:

1. म अपने हा य–बोध को ीण न होने ँ गा। म इसे हमेशा जागृत रखूँगा।


सम या के समाधान हेतु आपको हा य–बोध क ज रत होती है। वयं तथा पूरी नया का उपहास
उड़ाने क मता। जीवन तथा जीवन ारा द अ छा या बुरा, सबकुछ आपको मनोरंजक लगना चा हये।

2. म सदै व फु लत र ँगा – और पराजय के उपरांत खुश तथा अगली बड़ी चीज क रचना के लये
तैयार!
सम या के समाधान हेतु आपको फु लत रहना होगा। सदै व खुश मजाज, आशावान, उ वल एवं
सुखद।

3. म आ त र ँगा तथा वयं को याद दलाता र ँगा क आ म– व ास तथा केवल आ म– व ास ही


सहायक होगा, मुझे कुछ भी सीखने म, कसी से भी नभाने म और कुछ भी हा सल करने म।
आ म– व ास के बना, कसी पराजय के बाद – खासकर जब थ त आपके प म न हो, आप अपने
वचार , श द तथा काय को इस कार नद शत न कर पायगे क आप अगला बड़ा ल य पा ल।

4. म उ सा हत, जीव त तथा जीवन के त उ े जत र ँगा। म वयं को सदै व याद दलाता र ँगा– मेरे
आसपास ब त कुछ ढह चुका है फर भी ब त कुछ अ त है, साथ ही मेरे पास जीवन म उपल ध
हेतु बड़े ल य भी ह।
सम या के समाधान हेतु आपको उ सा हत रहना होगा। ब त वष पहले मुझे बताया गया था क उ साही
वह मनु य है जसे ई र ने अपने वश म कर लया है। अत: आपको इस कार द खना है मान आप ई र
के वशीभूत ह ।

आपका व ऐसा हो क जब लोग आपको दे ख, आपसे बातचीत कर तो उ ह ऐसा महसूस हो क आप


आन द से भरे–पूरे ह। आपको दे ख कर वे अपने ःख भूल जाव। आपका अ त व येक को सां वना एवं शा त
दान करे। आपसे मलना एक उ सव हो, कोई अनु ान हो या आन द के ण।

इस उ माद जीवन म आपका तरीका या हो।


आपका तरीका इस घोषणा म है क “जीवन क सवा धक नैरा यपूण प र थ तय म भी म सही भावना क
छ –छाया म र ंगा।” जैसा क व लयम शे सपीयर कह गये ह– ‘इस नया म कुछ भी अ छा या बुरा
नह .................... (हमारी) सोच उसे वैसा बना दे ती है।’
हम सभी बु का योग करने वाले लोग ह; बु मान ह या नह , यह तो बहस का वषय है। तो इसी धारणा
को लेकर बढ़ते ह क हम सब बु का योग करने वाले लोग ह।
इसके मायने ए क हमम अपनी सम या से नबटने क , क ठन प र थ तय से बाहर जाने क , े जे डय
तथा कावट का सामना करते ए जीवन उबारने क मताएँ ह। फर भी अपने 29 वष फैले यश वी क रयर म
मने अ धकतर बु योग करने वाले लोग को मूखतापूण चीज करते तथा टू टते ए दे खा है। वैसा य होता है,
इस पर कभी आ य आ है या?
वे सभी ऐसी भावना से भरे ह जो उ ह आगे बढ़ने ही नह दे त । भावना जैसे क च ता, अपराध–बोध,
श ुता, अवसाद, नैरा य, ोध, ख ता इ या द। हम अपनी अ त व– णाली से जस कार क माँग करते ह
उसके फल व प म भावनाएँ उ प होती ह।
हमारी अ त व– णाली म लोग तथा व तु दोन शा मल ह। अब य द आप लोग के बारे म जानते ह या
व तु के बारे म जानते ह तो वे अ सर गलत हो जाते ह। भा यवश हमारी अ त व– णाली म हम भी शा मल
ह। इसे जोड़कर दे ख तो हमारी अ त व– णाली म शा मल ह–हम, सरे और हमारे आसपास क व तुए।ँ
इन तीन घटक से हमारी माँग ही सबसे बड़ी सम या है।
पहली अ त व– णाली माँग है– ‘मुझे एकदम सही होना चा हये।’
सरी अ त व– णाली माँग है– ‘मेरे इद गद सर को एकदम सही होना चा हये।’
तीसरी अ त व– णाली माँग है – ‘मेरा आसपास भी एक दम सही होना चा हए।’
अब यहाँ एक सम या हैः

माँग बनाम अपे ाएँ

माँग वे दावे ह जो आप अ त व– णाली पर करते ह। ये वे ह जो आप चाहते ह एवं उसे पा लेने के अपने अ धकार
पर बल दे ते ह। सरी ओर अपे ाएँ आपक आकां ाएँ ह, य द वे पूरी ह तो आप खुश ह गे।
अत: हम या तो कुछ माँग सकते ह – वयं से, सर से, और अपने आसपास क व तु से; और या कुछ
अपे ा कर सकते ह – वयं से, सर से और अपने आसपास क व तु से। ये माँग ही सम या है। य द माँग के
बजाए हम मा अपे ाएँ ही रख तो हम अपनी चार उपयोगी भावना के साथ चल सकते ह– फु लता, आ म–
व ास उ साह और हा यबोध।
वयं के तथा सर के अनुभव से सभी जीवन–उ यनकता को इस बात का एहसास है क मनु य अपूण ह
और एक अपूण नया म रह रहे ह। एक अपूण नया म, लोग से पूणता क माँग करना केवल मूखता ही नह
अ पतु वयं के उ े य क पटरी छोड़ दे ने का एक यारंटेड नु खा है। जीवन–उ यनकता को इस बात का भी
एहसास है क कुछ उलटा हो सकता है और होगा भी और इसी लए यह ‘माँग’ क सब कुछ वैसा ही हो जैसा कसी
ने माँगा है, ब त र क कौड़ी है।

अ त व– णाली माँग नं.–1


वयं से वीणता क माँग तकहीन व– व ास को ज म दे ती है:
★ मुझे अव य ही सबको खुश करना है
★ मुझे अव य ही कसी भी चीज़ के लये तैयार रहना है
★ मेरे ब चे अव य ही मेरा आदर कर
★ मेरे सहकम अव य ही मेरा आदर कर
★ मुझे अव य ही आज द गयी सारी 20 ग त व धयाँ पूरी करनी है (जब क असल म आप पाँच भी नह कर पा )
★ मुझे अव य ही कसी चीज को मना नह करना है
★ मुझे अव य ही सर के लए उपयोगी एवं यो य बने रहना है
★ मुझे अव य ही कोई गल तयाँ नह करनी ह
★ मुझे अव य ही वयं पर नयं ण रखना है
★ मुझे अव य ही एक पूण– स बेटा, एक पूण– स बेट , एक पूण– स प नी, एक पूण– स प त, एक
पूण– स भाई, एक पूण– स पता, एक पूण– स बॉस, एक पूण– स आधीन थ, एक पूण– स ब ,
एक पूण– स माँ, एक पूण– स मनु य बने रहना है।
वे लोग जन पर ‘पूण– स ता’ होने के इन वचार का भु व सवार होता है वे च ता तथा अपराध बोध से
पी ड़त रहते ह:

1. अपने भ व य क च ता
2. अपने भूतकाल का अपराध–बोध

उदाहरण हेतु एक व ाथ वयं से पूण– स ता क माँग कर कहता है– ‘मुझे अव य ही 96 तशत पाना है
तथा अपने श क , सपल, माता– पता, म इ या द क शंसा हा सल करनी है।’ य द उसे 85 तशत ही
मल पाते ह और वह उसे मंजूर न कर सके तो च ता क शु आत हो जाती है। वह नकारा मक ववाता क
शु आत करता है, ‘अब मेरे भ व य का या होगा? मेरा जीवन थ है, मेरी ज दगी तबाह हो चुक है। लोग मेरे
बारे म या सोचगे? म नया का सामना कैसे क ँ ? म अपने माता– पता का सामना कैसे क ँ ? यह जीवन जीने
यो य नह है।’
यह आ म– व वंसक वहार जैसे क आ मह या क ओर ले जाता है, जो क आजकल बलकुल आम है। ये
लोग अपने भ व य के बारे म च तत ह तथा वह च ता उनक बु को अवरो धत कर दे ती है और वे अपने
क रयर और जीवन को तबाह कर लेते ह। एक बार फर, आपको याद दला ँ :

अ या धक भावनाएँ बु का अवरोध करती है।

’म अव य ही पूण– स बनूँ’ वाले लोग हमेशा ही भ व य म जीते ह तथा उनक भावनाएँ उनके इद– गद क
घटना से नद शत होती ह। य द वे घटनाएँ उनके तथाक थत ’ पूण– स ता–मानक ’ पर खरी नह उतरी तो वे
वयं पर ो धत होते ह और एक बार य द ोध (एक नकारा मक भाव) शु आ तो वे के त नह रह पाते, कुछ
कर नह पाते, या जीवन म अपना च नह लगा पाते। यह उ ह जकड़ लेता है, और उसके बाद का वहार और
नणय उनक भावना का ही प रणाम होते ह।
जो ोफेशन स जीवन से पूण– स ता क माँग करते ह वे ऐसी भावना से पी ड़त रहते ह:

★ मुझे अव य ही एक परफे ट ेजटे शन दे ना है


★ मुझे अव य ही काम म कोई गल तयाँ नह करनी है
★ म जो कुछ भी क ँ , उसम मुझे अव य ही सव म रहना है
★ मुझे अव य ही अपनी तब ता, जुनून तथा लगन के लये शं सत कया जाना चा हए। य द मुझे
वैसी शंसा न मले तो म थ ँ।

च ता और पूण– स तावाद से सत कोई भी मनु य वयं को स तु लत नह रख सकता जब घटनाएँ उसके


पूण– स ता के मानक से मेल न खा रही ह । मेरे म म आपको यह बता ँ क आप सदै व पूण– स न रह
सकगे।
ऐसे लोग जो वयं से पूण– स ता क माँग करते ह कभी कसी को ‘ना’ नह कह सकते। चूँ क वे पूण–
स ता के वचार से ा सत ह, इस लए वे ऐसे कसी भी काम को करने के लए आसानी से तैयार हो जाते ह जसे
लेकर आप उनके पास जाव। वे मना नह कर सकते और चूँ क वे ‘ना’ नह कह सकते, वे अपनी मता से अ धक
काम वीकार कर लेते ह। और जब आप जतना कर सक उससे कह अ धक काम वीकार कर लेते ह तो आप
अव य ही कुछ गल तयाँ कर बैठते ह।
जब ऐसे पूण– स तावाद गल तयाँ करते ह तो वे एक और भावना से पी ड़त रहते ह, अपराध–बोध। भूतकाल
के बारे म अपराध–बोध; मने इस काम को यूँ लया, य मने ‘ना’ नह कहा, इ या द।
अत: जो लोग वयं से पूण– स ता क माँग करते ह वे दो भावना से पी ड़त रहते ह:

1. भूतकाल के बारे म अपराध–बोध


2. भ व य के बारे म च ता

इसी लए वे भावना शू य तथा वक षत रहते ह, और कोई जो भावना–शू य तथा वक षत हो, कभी भी


उ य नत–जीवन नह हो सकता।

अ त व– णाली माँग नंबर–2


आप सर से पूण– स ता क माँग कर और जब आप सर से पूण– स ता क माँग करते ह, तो ये वचार
आपके मन म आते ह:
★ सरे अव य ही मेरे त यायपूण एवं दयालु ह
★ सरे अव य ही मेरी सहायता कर
★ वे अव य ही मुझे समझ ल
★ वे अव य ही मेरी चुनौ तयाँ और क ठनाईयाँ जान ल और मुझे उतना ही (काम) द जो म संभाल सकूं?
★ सरे अव य ही मुझसे गैरश तया यार कर
★ वे अव य ही मुझ पर माँग न डाल
★ वे अव य ही मेरे नणय, मेरे कोण , मेरे इराद , और मेरे वचार क कदर कर?
★ जब म ाइव क ँ , लोग अव य ही न तो लेन बदल या मुझसे आगे नकल
★ मेरी प नी बाहर नकलने से पहले मुझे अव य ही सू चत करे
★ बजनेस अ भयान म वह अव य ही मेरा समथन करे
★ वह अव य ही मुझे समझे और हर समय मेरे कोण का आदर करे..... सारे समय
★ मेरी पु ी अव य ही ब हमुखी हो
★ मेरे बेटे को अव य ही यह एहसास हो क उसका 95 तशत न ला पाना मुझे न सा हत करेगा। अत: वह
अव य ही 95 तशत पावे
★ वह अव य ही सारे समय फेसबुक पर उप थत न रहे
★ मेरे ब चे मेरे म तथा मेहमान के सम अव य ही श ह
★ मेरे बॉस अव य ही मेरी घरेलू चुनौ तय को समझ और मुझ पर नये काय का भार न डाल
★ मेरे अधीन थ अव य ही क ठन प र म कर और तब तक घर न जाव जब तक उ ह दया काय स प कर ल
★ वे अव य ही गल तयाँ न कर
★ वे अव य ही सारे समय सम पत, वफादार, तथा तब रह
★ मेरे सहकम अव य ही मुझे सब कुछ बताएँ
★ मेरे बॉस या सहकम मुझसे अव य ही न कर
★ मेरे पाटनस अव य ही वाथ और आ मके त न हो
★ जो कुछ मुझे पस द न हो वैसा वे अव य ही न कर
★ मेरी क पनी अव य ही मेरा थाना तरण न करे
★ मेरे त ान के सम चाहे जो मु कल हो पर मेरे कमीशन का भुगतान अव य ही समय पर हो
★ साल के बीच मेरा टारगेट अव य ही न बढ़ाया जाये
★ वो सब जो मुझसे अपे त था, वो म न कर पाऊँ तो भी मुझे मोशन अव य ही दया जाय
★ कोई भी मेरे व अव य न जावे, अ यथा म बेकार ँ
सर से ऐसी पूण– स ता क माँग होने पर लोग इन दो भावना से पी ड़त रहते ह:

1. श ुता
2. अवसाद

श ुता
जब आपके इद गद के लोग आपके पूण– स तावाद मानक के अनुसार नह चल पाते तो आप म सर के त
श ुता व ोध भाव आ जाता है, य क वे आपको तथा आपक भावना को समझ ही नह पा रहे ह। ऐसी
थ तय म आप वाकई हसक और आ ामक हो सकते ह। लोग क ह या, उ ह पीटना, उ ह चोट प ँचाना, चीज
को न करना इ या द कुछ भी, आप कर सकते ह। ोध के ऐसे ही ण म, अ धकतम तकसंगत एवं समझदार
लोग ने अ धकतर ह याएँ क ह। रोड़–रेज, जसम लोग अपनी कार से उतरकर झगड़ते ह, च द पैस के लए
स ज़ीवाल से ववाद, रे तरा म बार–टे डस या वेटस से बहस इ या द, ऐसी ही श ुता और ोध भाव के
फल व प होते ह।

अवसाद
लोग के जीवन के कसी कालखंड म जब लगातार नकारा मक घटनाएँ घट तो उ ह महसूस होता है क सरे यानी
क उनके पु , पु याँ, प त या प नी, अधीन थ, म गण, समुदाय, प रवार के सद य इ या द, उनके वचार अथवा
कोण से मेल न रख पा रहे ह; ऐसी थ त म वे एक सरे खतरनाक भाव, जसे अवसाद कहते ह, म प ंच
जाते ह। वे बेकारी का भाव महसूस करते ह। वे उदास तथा हतो सा हत हो जाते ह, और ऐसी भावनाएँ उनक ऊजा
सोख लेती ह और वे अपने चार सकारा मक भाव अथवा मान सक थ तयाँ खो दे ते ह :

1. वे अपना हा य भाव, जो क आगे बढ़ने के लए कतई आव यक है, खो दे ते ह


2. वे फु लत नह रह पाते
3. वे वयं क मता पर शक करने लगते ह और अपना आ म व ास खो दे ते ह
4. वे अपना उ साह जी वत नह रख पाते ह और लोग ारा बनाई परेशा नय और प र थ तयाँ उ ह हाँकने
लगती ह

श ुता और अवसाद त मनु य कभी भी उ य नत जीवन नह हो सकता।


वह सरे लोग को वीकार करने, उनसे समायोजन रखने तथा उनक शंसा करने क मता खो दे ता है –
एक उ य नत जीवन के तीन मह वपूण गुण ज ह हमने कमांडमट 5 म समझा था।

अ त व– णाली माँग नं.–3


आप अपने आसपास क व तु (न क लोग ) से पूण– स ता क माँग करते ह, जब ऐसी माँग आपके मन पर
हावी हो तो आपके वचार कुछ इस कार ह गे:
★ जब म सड़क पर जाऊँ, वहाँ कोई ै फक अव य न हो
★ वहाँ ग े अव य न ह
★ मेरे कारोबार म त पधा अव य न हो
★ सरकार अव य ही ऐसे उपाय करे जससे नाग रक का जीवन आसान हो
★ मेरी क पनी श नवार तथा र ववार को अव य ही छु रखे
★ य द संभव हो तो शु वार को भी अव य छु रखे
★ चूँ क म सुबह दस बजे उठता ;ँ मेरी क पनी मुझे अव य ही 9:30 के बजाय 12 बजे काम शु करने क
अनुम त दे
★ जैसे ही म ल ट म वेश क ँ , वह अव य ही चल पड़े
★ जब म शॉ पग के लये जाऊँ तो पा कग का थान अव य ही मले
★ चूँ क मुझे 16 ड ी से उपर या नीचे का तापमान पस द नह है, मौसम अव य ही 16 ड ी पर रहे
★ जब म या ा क ँ , बरसात अव य ही न हो
★ े न अव य ही समय पर आए
★ नया अव य ही मुझे समझे और ऐसी थ तय एवं प र थ तय का नमाण करे जो मेरे लये अनुकूल ह
ये लोग चड़ चड़ाहट एवं खीज जैसी चरम नकारा मक भावनाएँ महसूस करगे। इस कार क भावना को वे
कतना सहन कर पाते ह, वही फक पैदा करता है। कुछ लोग म ऐसी भावनाएँ को मंजूर करने क मता अ धक
तो कुछ म कम होती है।
जन लोग म बगड़ सकती चीज़ को कुबूल करने क मता कम होती है, वे अपनी इ छा के व हो रही
कसी भी चीज़ को सहन नह कर पाते। वे ‘ ी ऐज़’ संभाल नह पाते यानी क ‘ए से ट’ – थ तयाँ जैसी ह उ ह
वैसी ही कुबूल करना; ‘एडज ट’ – प र थ तय के अनुसार समायोजन; और ‘ए शएट’– नया क सारी
खू बय क शंसा करना। वे अ धकतर चड़ चड़े, परेशान, अशा त और गु से म रहते ह। वे सदै व भावनाशू य एवं
वक षत रहते ह।
सरी ओर जन लोग म बगड़ सकती थ तय को कबूल करने क अ धक मता होती है, वे चरम
चड़ चड़ाहट, खीज को सहन करते ए भी अपने वचार , श द और काय को शा त, व थत, चौक े और
थर रख पाते ह। उ ह ने इस त य को मान लया है क वे पूण– स नह हो सकते। उ ह ने नया क अपूणता
के साथ समायोजन कर लया है, और नया के पास दे ने को जो कुछ है उसक शंसा क कला म महारत हा सल
कर ली है। वे उ य नत–जीवन ह।
हम सब अपनी इन मांगो को अलग–अलग मह व दे ते ह। हमारी वयं क भावना के साथ नवाह क मता
के अनु प जीवन के अलग–अलग मौक पर, उनम से कोई एक भाव मुख रहता है।
जो लोग अ त व– णाली माँग नंबर 1 से पी ड़त ह, वे इस अ न त नया म वयं के लये माँगे करगे ही और
फल व प:
★ वयं को लेकर हर चीज म पछतावा करते ह
★ वे आधीनता वीकार करते ह
★ वे वयं से अ यायपूवक ढं ग से पेश आते ह
★ वे हर व पी ड़त रहते ह
★ वे इस लऐ चड़ चड़े एवं अवसाद त हो जाते ह य क इस नया ने उनका शोषण कया है
जो लोग अ त व– णाली माँग नंबर 2 से पी ड़त ह, उनक सर से इस लये नह बन पाती य क वे सर से
पूण– स ता क माँग रखते ह और नतीजनः
★ वे सरो क परवाह नह करते
★ वे सर से अधीरता बरतते ह
जो लोग अ त व– णाली माँग नंबर 3 से पी ड़त ह वे जीवन म कसी भी असु वधा का सामना नह कर पाते,
नतीजन:
★ वे हर चीज़ को कल के कसी सही समय तक के लये टाल दे ते ह
★ वे सदै व नया से हतो सा हत एवं नराश रहते ह
य द आप वयं को भावनाशू य न बताना चाह तथा सफलता एवं जीवन–उ यन के माग पर के त रखना
चाहते ह , तो लोग को मेरे सुझाव है :–
शू य न बताना चाह तथा सफलता एवं जीवन–उ यन के माग पर के त रखना चाहते ह , तो लोग को मेरे
सुझाव है :–

अ त व– णाली माँग नंबर 1 से कैसे नबट

1. मुखर बन। जब ‘ना’ कहना हो, कह।


2. य द लोग क माँग के अनुसार कुछ न कर सकते ह तो ‘ना’ कहकर उ ह अ स कर, इस कार आपक
‘ना’ कहने क यो यता के बारे म लोग जान जायगे। इन व णम श द को याद रख:
★ आप सभी लोग को सारे समय स नह रख सकते।
★ आप कसी एक को भी सारे समय स नह रख सकते।
3. जो कुछ पूछना चाहते ह वह पूछ और जो पाना चाहते ह वह पा ल। पूछने से सफ इस लये न डर य क
आप ‘अ वीकृत’ नह होना चाहते।
4. सव थम वयं को खुशी दान कर
5. वयं से यार कर, इस कार आपको यार करने वाला कम से कम एक तो होगा।

अ त व– णाली मांग नंबर 2 से कैसे नबट

1. यह समझ ल क लोग के पास काम करने हेतु उनक अपनी पहचान, लय एवं शैली होती है। उ ह उसके
अनु प काम करने द।
2. सर के साथ धीरज से पेश आय।
3. सर से सलाह कर अपे ाएं नधा रत कर ता क बाद म नराशा न हाथ लगे।
4. अव ा और ना फमानी ा शत है तथा उसके लये तैयार रह।
5. सर के साथ ऐसा कुछ न कर जो आपको वयं के साथ कया जाना पस द न हो।

अ त व– णाली मांग नंबर 3 कैसे नबट

1. यह समझ ल क सफल य एवं उ य नत जीवन के पास बगड़ती बात को कुबूल कर आगे बढ़ जाने
क महान यो यता होती है।
2. याद रहे क नया म ‘अभी’ से बेहतर प र थ त कभी भी न थी। नया का बेहतरीन सब कुछ, सभी
पहलु म, सभी े म, आपको आज मला है। उसका आन द उठाय।
3. ’अभी’ ही कुछ करने यो य समय है। दे र न कर, चल पड़!
4. शारी रक, मान सक, भावना मक और मनोवै ा नक क ही कसी भी अथपूण उपल ध क कुंजी है।

इन तीन अ त व– णाली माँगो म से कौन सी आपके व म मुख है? चार उदाहरण के ारा
समझाइये।
यहाँ बनी ता लका म उन चार पूण– स ता को दोबारा लखे जनक माँग आप वयं/ सर /आसपास
क व तु से करते ह और उनसे छु टकारा पाने के लये उठाये जाने वाले कदम या ह गे

आपक अ त व– णाली माँग क सम याएँ


मेरे यारे म , सम या के समाधान हेतु बु , अनुभव एवं ान ही हमारे औजार ह।
जैसा क मने शु आत म कहा, अ य धक भावनाएँ हमारी समाधान करने क यो यता का अवरोध करती ह।
य द हम वयं क अ त व– णाली से माँगे नह कर तो हम बना पटरी से हटे ही कई चुनौ तय और सम या को
हल कर पायगे। हम ‘ना’ कहने क यो यता का वकास कर चुके ह गे और भावनाएँ सोखने वाले वधान को
अल वदा कहने क यो यता का वकास भी कर चुके ह गे।
जैसे ही हम ‘अपे ा’ के बजाय ‘मांग’ करने लगते ह; हम तकहीन और नकारा मक व–वाता को ज म दे दे ते
ह, और जस ण ऐसा होता है तभी हम अपने गंत क पटरी से उतर जाते ह। अत: फर आप वयं ह , सरे
लोग ह या व तुए,ँ आपका के त रहना आव यक है य क आपक आकां ाएँ और मह वाकां ाएँ ही ह जो
मुख ह, और वैसा कर पाने के लये वयं को इस आ ा, इस अनुदेश, इस नदे श, इस आदे श, इस भु के वधान,
इस कमांडमट को दे कर, इसके त अपने जीवन के त दन, तघंटे, त म नट सजग रहना है।

भावनाएँ सोरवने वाले वकषण को अल वदा कह।


कमांडमट
9
एकाक होने के लये तैयार रह।

केवल असामा य ही उ य नत–जीवन हो सकते ह


मु झेके कई बार अनुभव होता है क म इस ह का एक अनोखा जीव ँ मेरे वचार दशन व स ा त मेरे आसपास
अ य लोग से ब त भ ह। म अपनी क पनी के येक ऑ फस अ सटट को उ तशील बनाना चाहता
ँ। मेरा व है क मेरे ऑ फस क हे पर मुमताज़ अपनी वयं क चाय क कान डाले और आसपास के सभी
द तर म चाय उपल ध कराये। मेरा जीवन ल य है क अपने सभी एम एस एम ई (माइ ो माल एवं मी डयम
इंटर ाइजेस ाहक को व तरीय कारपोरेशंस म बदल ँ । कसी पारटे न (एक 95 करोड़ . क ब डंग
नमाण उपकरण बनाने व बेचने वाली क पनी) को कैटर पलर आईएनसी ( व क सबसे बड़ी ब डंग नमाण
एवं खनन उपकरण नमाता क पनी, जसका टन ओवर 60 अरब डॉलर है) म, वॉल ला ट (एक 300 करोड़ .
क द वार पर लगने वाली पट् ट नमाता क पनी) को ए शयन पटस (भारत क सबसे बड़ी पट नमाण क पनी) म,
एक गो डमाइन (एक 20 करोड़ . वाली इंट रयर डजाइ नग व तु श प व आ कटे चरल' क पनी) को जाहा
हद द वा तु श प (एक व यात वा तु श प एवं इंट रीयर डजाइ नग क पनी जो कलर थत है तथा अपनी
समसाम यक, आधु नक व अद्भुत रचना के लये जानी जाती है) म, बदल ँ । मुझे व ास है क smmart के
सारे काय कसी अ य क पनी को आउटसोस कये जा सकते ह और smmart एक कम खच अ धक लाभ वाले
आदश पर चलायी जा सकती है। म चाहता ँ क smmart का येक कमचारी, क पनी का भागीदार इसे और मेरे
साथ साझे म क पनी का मा लक भी। म चाहता ँ क मेरी ट म के सभी इ छु क उ मीदवार को क पनी म ही
उ ोगी होने के मौके मल और वे मेरे साथ जीवन भर बने रहे। मेरा व है क म अपने कमचा रय के साथ ही बूढ़ा
होऊँ और हम सभी एक साथ smmart टाउन शप म रह (मेरा व ास है क मेरी गली के कोने पर जो स जी वाली
बैठती है वह अपने आप म एक उ मी बने, स जी बेचने वाल क एक चेन बनाये और एक सफल ापार क
माल कन हो जो क सदा चलता रहे, मेरे मन म इस व को साकार करने क एक ती इ छा भी है। कसी समय
एक ही दे श रहे, भारत–पा क तान को म फर से मलाकर एक ही दे श बनाना चाहता ँ... और मेरी सूची बढ़ती ही
जाती है।
मेरे इन वचार के लये मुझे वरले ही कोई खरीददार मला है। मेरी क पनी म काय करने वाले लोग और यहाँ
तक क क पनी के अ णी नेतृ व पर पद थ लोग भी कई बार मेरे इन वचार के साथ एकमत नह हो पाते ह और
फर म वयं से पूछता ँ क या इन लोग के साथ कुछ गड़बड़ है या क सम या मेरे साथ है?
इस का उ र कुछ इस तरह होगा–

उ त जीवन क चाह वाले लोग, जीवन उ यन क या ा म अकेले ही होते ह।

एक उ य नत जीवन रेलगाड़ी के इंजन क तरह होता है, जो रेलगाड़ी को वशेष ग त क ओर ले जाता है।
अलग–अलग टे शन से लोग चढ़ते ह, ल बे समय तक साथ बने रहने का ण करते ह, कई बार वे अपने गंत
तक साथ रहते ह और कई बार बीच राह म उतर जाते ह। कुछ लोग ब त कम री के लये साथ रहते ह, कुछ
अगले टे शन पर ही उतर जाते ह, और कुछ अ य शायद अनंतकाल तक मेरे साथ रह। इस या ा म लोग के चढ़ने
व उतरने क च ता कये बना, इंजन अपनी ग त से, अपने गंत क ओर बढ़ता रहता है, य क यह इंजन है जो
रेलगाड़ी को चलाता है ना क उसम सवार या ी।
मेरी या ा म ब त लोग मेरे साथ रहे ह कुछ ने कहा क वे जदगी भर मेरे साथ चलगे क तु फर वे अगले
टे शन पर ही उतर गये, कुछ ने कहा क वे अगले टे शन पर उतर जायगे, क तु वे ल बे समय तक मेरे साथ रहे,
कुछ और लोग आर भ से ही मेरे साथ ह। जो अगले टे शन पर ही उतर गये म उनसे कभी नाराज नह आ, और
उ ह कभी या ा म अपने साथ आगे चलने से नह रोका, न ही मने कभी लोग क इस बात को ग भीरता से लया
क वे ल बे समय तक मेरे साथ चलना चाहते ह सरे श द म मने यह नह माना क वे सदा मेरे साथ रहगे। इन
दोन ही प र थ तय म मने अपने वयं के जीवन–उ यन क राह म बाधाएँ खड़ी कर ली होत – य द म यह
व ास कर लेता क लोग सदा मेरे साथ रहगे तो मुझे न त ही ध का लगता जब वे मुझे छोड़ कर जाते; सरी
ओर य द म लोग को अपने साथ नह चलने दे ता य क वे गाड़ी पर चढ़ते ही उतरने के बारे म सोचने लगे ह, तो म
उनक मता को पूरी तरह से नह उभार पाता और फर वयं के जीवन–उ यन क या को भी भा वत
करता। अत: मने लोग को उनक सु वधानुसार अपने साथ जुड़ने दया, बना इस बात क परवाह कये क हमारा
साथ कतनी दे र रहने वाला है, और जतना भी समय मुझे उनके साथ मला मने उसका पूरा उपयोग हम दोन के
उ यन के लये कया।
और चूं क म वयं एक उ य नत जीवन चाहने वाला ँ, म आज भी इंजन बनकर ड ब को अपने साथ
ख चता रहता ँ, बना इस बात क च ता कये क कौन मेरे साथ आया ओर कौन बीच म ही छोड़ गया; इंजन, जो
कसी न कसी प म सभी ड ब से जुड़े होते ए भी अलग रहता है। इंजन क श सभी ड ब क कुल श
से कह अ धक होती है। इंजन क अनुप थ त म ड बे अपनी जगह पर ही खड़े रह जाते ह, क तु ड ब के
अभाव म भी इंजन अपने गंत पर प ँच जाता है।
संसार उपहास करने, आलोचना करने व छ टाकशी करने को त पर रहता है क तु कोई भी आगे बढ़कर
रेलगाड़ी चलाने के लये तैयार नह होता है। यह काय मा इंजन का ही होता है। इस कार इंजन, जीवन को अथ
दे ता है, व म क थ त म प ता दे ता है, अ म को श , दशाहीन को दशा, न साही को ेरणा, कमजोर
को आ म व ास, अयो य को यो यता दे ता है, आ द।
यह एक दशासूचक, उ रदायी एवं नेतृ व से प रपूण जीवन है। यह एक उ रदा य व है, न क वशेषा धकार,
और इंजन इस या ा म सदा एकाक होता है। इसी लये, कई वष पूव मने वयं को यह घो षत कया क म कभी
भी ड बा नह बनूंगा, और आजीवन एक इंजन र ँगा। जी हाँ, और एक इंजन होने के लये, आपको जीवन म
एकाक रहने के लये तैयार रहना होगा।
इस या ा के दौरान को अ य धक आ मसंदेह, हच कचाहट, अ न तता, अ व ास से गुजरना पड़ता
है, और पूरे संसार से यु करना पड़ता है। जैसा क मने आरंभ म कहा संसार क 95 तशत जनसं या आम
साधरणता एवं मा 5 तशत साथक व श क ेणी म आते ह। इस तक के अनुसार, य द आप अपने चार ओर
दे ख तो पायगे क संसार साधारण लोग से भरा आ है, जो साधारण साधन के साथ साधारण जीवन जीते ह।
उ ह ने जीवन म कसी भी चीज को चुनौती नह द है और दशक से यथा थ त म जी रहे ह। वे एक जनसमूह या
भीड़ ह। कसी जनसमूह या भीड़ क या वशेषता है?
भीड़ एक घायल का वह जनसमूह है जो क सं या के पीछे छु पा होता है। यह नदश नह दे सकता, अ य
को आशा व आ म व ास भी नह दे सकता, इसे भु व वाले लोग का समथन चा हये। इसके कोई स ा त,
दशन व अपने वयं के मत नह होते। इसके अपने कोई वचार या यु याँ भी नह होत । वे मुखहीन होते ह और
सफ एक मुखौटे से आवृत होते ह। यह दशक से ऐसा ही रहा है और आने वाली शता दय तक ऐसा ही रहेगा।
भीड़ का य न म व ास नग य ही है– वे जो खम भी नह उठाते ह ओर एक सुर त यास म ही संतु रहते
ह। वे वही करना पसंद करते ह जो वीकृत मापदं ड के अनु प हो, जमे ए ढांच व तमान का ही अनुसरण
करते ह, और वही सब करते ह जो अ य लोग कर रहे ह ; य क उनम कुछ भ करने के लए आव यक
आ म व ास व साहस क कमी होती है। इस मुखहीनता ारा ा त सुर ा उ ह भाती है और वे ऐसा कुछ भी करने
या सोचने को भी तैयार नह होते, जो उ ह इस ढाल से र ले जाये।
उ य नत जीवन के लये य नशील यह जानते ह क जब तक वे इस भीड़ का भाग रहगे, उनके अंदर
बैठा कभी नह जागेगा। वे एक साधारण जीवन जीते रहगे ओर उनके वचार, श द एवं दशन अ य लोग से
भा वत रहगे। उनक मौ लकता कभी कट नह हो पायेगी और वे भीड़ म ही कह खो जायगे। वे इस संसार म
कोई बदलाव नह ला पायगे, उनसे कोई अंतर नह आयेगा, उनके पृ वी पर आने व जाने का कोई मह व नह होगा,
और वे कभी भी अपना जीवन उ य नत नह कर पायगे।
अत: जीवन उ य नत करने के लये वे पूरी चेतनता के साथ भीड़ से अलग खड़े होने का, सु वचा रत नणय
लेते ह। वे जानते ह क उनके वचार, दशन व नणय संसार के मानदं ड से भ ह, क तु वे यह भी जानते ह क
व को उनके मौ लक वचार क आव यकता है; यह भी क संसार को उनके बेतुके दशन व साहसी नणय क
आव यकता है, य क ये मौ लक वचार, बेतुके दशन एवं साह सक नणय ही उनके लए एक बेहतर जीवन का
माग तैयार करगे, अगली ां त का आर भ करगे व इस व को एक बेहतर थान बनायगे।
1998 म टाटा ुप के चेयरमैन, रतन टाटा ने जो क टाटा मोटस का काम दे ख रहे थे, जेगुआर एंड लड रोवर
नामक, पछले 19 वष से घाटे म चल रही, क पनी को खरीदने का नणय लया। इस नणय से टाटा मोटस पूरी
तरह नर त हो सकती थी और टाटा ांड भी गत म जा सकती थी। यह एक ऐसा नणय था जो कोई भी समझदार
अपने होशो–हवास म नह लेता। कतु रतन टाटा ने अपनी साहसी वृ , र और एकाक चलने के
मानस से सभी को एक कनारे कर, जे एल आर को खरीद लया। आज इस ा त ने न केवल टाटा मोटस को
बचाया, अ पतु, यह उसक आय म दो तहाई और कुल लाभ म तीन चौथाई का योगदान भी कर रही है।
इस अनुभव के तुरंत बाद 2009 म जब सभी बड़े कार नमाता बड़ी ल जरी कार के उ पादन को बढ़ाने पर
यान दे रहे थे, रतन टाटा टाटा–नैनो, लेकर आये; संसार क सबसे स ती कार, जो क वशेष प से म यम वग के
लये बनी थी, और इसम टाटा मोटस क पूरी व सनीयता दांव पर लगी थी। एक ओर य तकनीक सीमा
(कम क मत के कारण) और सरी ओर राजनी तक दबाव; उ ह ने भयंकर वरोध का सामना कया। लोग ने
उनका उपहास कया, कहा क यह मा द भ व हठ से े रत ह; एक नल ज क पना है, जसका या वय
अस भव है। क तु रतन टाटा ढ़ रहे।
सही दमाग वाला कोई भी ऐसी क पना क घोषणा तो र उस पर गत प से काम भी नह
करता। रतन टाटा इस पथ के एकाक या ी थे, क तु उनके मौ लक वचार, बेतुके दशन के मागदशन व साहसी
काय के सहारे, उ ह ने इसे या वत कर दखाया। उ ह ने नया क सबसे स ती कार बनाई जसक क मत थी
1,20,000 पये (3,000 अमरीक डॉलर) यह नया के ऑटोमोबाइल उ ोग के इ तहास म पहली बार आ था।
हालां क टाटा नैनो का ोजे ट असफल रहा है, क तु रतन टाटा ने व भर म एक ां त का आर भ कर दया
और आज उनके ारा लाये गये नवप रवतन का सकड़ कार नमाता अनुसरण कर और इसी तरह क कार बनाने
म संल न ह। वे टाटा नैनो का एक पांतर तुत कर और रतन टाटा के अनुभव व ग तय से सीख लेकर ज द
ही नैनो से बेहतर मॉडल क रचना करगे, क तु इस वचार को ज म दे ने का ेय सदा रतन टाटा के पास ही रहेगा।
दो वष से कम समय म ही उ ह ने अपनी सरी मह वाकां ी प रयोजना पर काय आर भ कर दया है, “टाटा
मैगा प सल कॉ से ट कार”, जसका अनावरण उ ह ने जेनेवा मोटर शो म कया। यह कार 100 कमी त लटर
का औसत दे ती है। इस कार म व भ ौ ो ग कय का व श योग कया गया है और यह अगले तीन साल म
बन कर तैयार हो जायेगी। यह एक नया वचार है और अब तक अनसुना है, फर से एक बार रतन टाटा इस या ा म
अकेले ह।
आइये एक ण के लये कॉरपोरेट जगत से बाहर आय और राजनी त के े म वेश कर। आंग सान सू क
एक अंतरा ीय तर पर स बमा ( जसे आज या मार के नाम से जाना जाता है) क जात समथक नेता ह।
वे बमा के वतं ता सं ाम के नायक आंग सान क बेट ह। जब वे मा दो वष क थी उनके पता क ह या कर द
गयी थी। पता के नधन के बाद वे अपनी माँ के साथ भारत आ गय जो उस समय बमा के चुने ए राज त के प
म भारत व नेपाल का काय दे ख रही थ । उ ह ने बमा, भारत व यूनाइटे ड कगडम म श ा पाई, जहाँ वे अपने प त
माइकल ए रस से मल व दोन ने 1972 म ववाह कर लया। कुछ दन बाद वे दो बेट के माता– पता बन गये।
तब तक वे एक साधारण बम लड़क थ , क तु उनके पता ने – ज ह ने अपना जीवन अपने दे श व
दे शवा सय के लये कुबान कर दया था – उनम वल णता का बीज बो दया था।
उ ह ने अपना पूरा जीवन बमा के बाहर ही बताया था क तु कुछ था जो उ ह उनक मातृभू म से जोड़े ए था,
इसे भा य का च ही कहगे; 1988 म आंग सान सू क , अपनी मरणास बीमार माँ क दे खभाल करने के लये
अपने दे श लौट । बमा क स ा सेना के हाथ म थी, सूक ने इससे ो धत हो, उस समय दे श भर म फैले ए
लोकतं बहाली के व ोह का समथन कया और उसी वष उसके समथन के लये नेशनल लीग फॉर डेमौ े सी
नामक पाट क थापना भी कर ली जो क लोग को मानवा धकार दलवाने के लये संघषरत थी।
1988 से उ ह ने अपनी गत इ छा को छोड़कर बमा को एक जातं बनाने के अपने उ े य पर पूरा
यान दे ना आर भ कया। जब से उ ह ने यह यास आर भ कया उ ह कई बार जेल म डाल दया गया। 15 वष
से, अ धकतर, वे घर पर ही नजरबंद रही ह, क तु इसने उनके दे श के लऐ संघषरत रहने के नणय को कमजोर
नह कया। नजरबंद रहते ए उ ह ने अपना समय दशनशा , राजनी त एवं आ मकथाएँ पढ़ते ए बताया,
जससे वे अपने उ े य के और नकट प ँची, और जतनी बार भी उ ह वतं कया गया उ ह ने सेना क स ा के
धैय व सहनशीलता क परी ा, पूरे दे श म चार कर कई जगह पर भाषण दे कर व बमा क जनता को जात के
लये जागृत करके ली।
1991 म उ ह व त त नोबल स मान ा त आ, उ ह नोबल शां त पुर कार से स मा नत कया गया।
1997 म, उनके प त को ॉ टे ट ं थ के लाइलाज कसर से पी ड़त पाया गया। कई मह वपूण य व संगठन ,
जनम संयु रा संघ, संयु रा महास चव कोफ अ ान व पोप जॉन पॉल तीय भी स म लत थे, क अपील
के बावजूद बमा क सरकार ने उ ह अपनी य प नी से अं तम बार मलने के लये वीजा दे ने से मना कर दया।
हालां क आंग सान सूक को यह पेशकश क गयी थी क वे चाह तो अपने मरणास प त से जा कर मल सकती
ह, क तु उ ह ने बमा छोड़ने से मना कर दया, य क वे अपने लोग को छोड़कर नह जा सकती थ । वे जानती
थ क य द वे एक बार बमा से बाहर चली गय तो फर उ ह बमा लौटने नह दया जायेगा। और वे अपने उ े य से
सदा के लये अलग हो जायगी। नजरबंद रहते ए वे अपने ब च से भी अलग थ , य क वे यूनाइटे ड कगडम म
रहते ह, क तु सु क ने ह मत नह हारी।
उनके पास अपने बीमार प त व य ब च के पास लौट आने का रा ता हमेशा खुला था। क तु उ ह अपने
प रवार से वलग होना वीकाय था परतुं अपने उ े य से र जाना वे सहन नह कर सकती थ । उनका येय, बमा
म जातं क थापना, उनके प त के जीवन, उनके दोन बेट और वयं उनसे कह बड़ा व मह वपूण था। अपने
गत ब लदान से संबं धत के उ र म उ ह ने सदा कहा क ये बमा के लोग ारा झेली गयी ास दय क
तुलना म कुछ नह है।
इस संघष के दौरान, आंग सान सु क के साथ या था? उनके साथ कौन खड़ा था और कौन उ ह समथन दे
रहा था, जब वे बमा क सै नक सरकार से लोहा ले रही थ ? उनके पास कौन था, जब उ ह ने अपने जीवन का
चौथाई भाग नजरबंद होते ए गुजारा? क तु इन तु छ से उनक आ मा व ढ़ता कभी वच लत नह ई,
य क वे जानती थ क वे एक उ य नत जीवन चाहने वाली म हला ह और ऐसे लोग जीवन–या ा म एकाक होते
ह।
वष का समय कम नह होता, क तु उ ह ने जस कार का जीवन जीने का नणय लया, वह बमा के लोग के
लये आशा क करण बन गया। आज भी अपने रा के त उनक तब ता वैसी ही मजबूत है, हालां क वे
आज भी एकाक ह। वे कभी भी ह मत हार कर या समझौता कर, अपने चार ओर क भीड़ म डू बने वाल म नह
है।
उ य नत जीवन वाले लोग भीतर से एकाक होते ह। वे लोग से घरे हो सकते ह; उनके मह वपूण स ब ध भी
होते ह, जनके पास कुछ ऐसा भी हो सकता है, जो उनके लये अमू य है; क तु फर भी वे एकाक होते ह। उनका
लगाव, मा उनके उ े य से ही होता है, और इस लगाव को जी वत रखने के लये वे एक अनास मनु य का प
ले लेते ह। आपक अपने प रवार, म , ब च अथवा आपके घर, ऑ फस या कार के त आस आपके दमाग
व मन को हमेशा घेरे रहती है और आपको जीवन उ यन के माग से वमुख कर दे ती है। क तु उ य नत जीवन
जीने वाले लोग, य प अपने प रवार, म , ब च , घर, ऑ फस या कार से लगाव रखते ह पर तु फर भी वे इन
सभी से एक री बनाकर अनास का भाव बनाये रखते ह।
उ य नत जीवन वाले लोग एकाक रहकर सबसे अ छा काम करते ह, य क एकाक होना उ ह थान, समय
और सोचने का मौका दे ता है जससे वे अपने उ े य के और नकट जा सकते ह। जब वे अकेले होते ह तब
उ य नत जीवन व उनके उ े य के बीच एक गत बातचीत होती है। इससे एक ेम उभर कर आता है, एक
स ब ध बनने लगता है और यह वही लगाव एकमा व तु है जसे वे जीवन–पयत पो षत करते ह, अ य सभी
सांसा रक जुड़ाव सफ उतने ही मह वपूण रहते ह जतने होने चा हए; ता क उ य नत जीवन जीने वाले लोग, उनम
बह कर अपने येय से न हट जाय।
अत: म , एकाक होना, जीवन उ य नत होने का प रणाम नह है, न ही यह लोग ारा उ य नत जीवन का
यास कर रहे को अकेले छोड़ दे ने का नतीजा है, अ पतु यह एक सोच समझ कर, व जान बूझकर उठाया
गया कदम है, जससे वयं को संसार से अलग कर लेता है, ता क वह एक उ य नत जीवन बन सके।

अगले एक स ताह म अपने सोचने, बोलने व काय करने का ऐसा तरीका सोच समझकर व जान बूझकर
वक सत कर जो आपके चार ओर क भीड़ से अलग हो।

मेरे य म , य द आप जीवन उ य नत करना चाहते ह तो आपको एकाक होना होगा, एकाक होना होगा,
एकाक होना होगा... और बस। इसे सम झये, वीकार क जये और इसके लये तैयार हो जाइये। इसक घोषणा पूरे
संसार म कर द जए। य द लोग आपक बात से सहमत हो कर आपका समथन करते ह तो इसे बोनस मा नये।
क तु इसे शत मत मा नये। जैसा क मने कहा था, संसार भीड़ बनाने वाले लोग से भरा है। वे आपके साथ तभी
चलगे, जब आप वयं को सही स कर दगे, य क भीड़ को माण, समथन व गारंट क आव यकता होती है।
एक उ य नत जीवन, कभी भी इन सब के बारे म नह सोचता। वह कभी भी मृ यु या खतर से नह डरता। वह
अपने वचार के लये जाने दे सकता है क तु भीड़ ारा मारा नह जा सकता।
सोलहव शता द म जब गै ल लयो ने घो षत कया क पृ वी सूय के चार ओर घूमती है न क सूय पृ वी के
चार ओर, तो उसका उपहास कया गया, उसे यातना द गई और अपने श द वा पस लेने के लये धमकाया भी
गया। क तु उ ह ने सा ा य को चुनौती दे ने का साहस कया य प वे अकेले ही थे। आज सकड़ वष बाद हम
जानते ह क वे सही थे, व ान ने भी यही मा णत कया है और इस पृ वी पर ब चा–ब चा इस त य को जानता
है।
उ य नत जीवन क वशेषता है क वह भीड़ को चुनौती दे ता है और ल बे समय तक ऐसा करता रहता है। जब
उ ह अनुभव होता है क वे अब ओर नह टक पायगे तो वे भीड़ का भाग बन जाने का अ भनय करते ह। स चाई
यह है क वे अ भनय कर रहे होते ह, समय जुटा रहे होते ह। वे भीड़ म बैठक कर एक नयी परेखा तैयार कर लेते
ह ता क वे अ धक बलता से वापसी कर सक। इ तहास ने सदा यही स कया है। गै ल लयो के साथ यही आ
था और यह आगे भी होता रहेगा, य क उ य नत जीवन कभी हार नह मानते और कभी पीछे मुड़कर नह
दे खते। उनके पास समय ही नह होता – पछताने के लये भी नह ।
इन सभी महान य के उदाहरण से, चाहे वे रतन टाटा, आंग सान सू क , गैली लयो या कोई अ य ह ,
जनका उ लेख इस पु तक म कया गया है; मने सीखा क य द आप एक उ य नत जीवन चाहते ह, तो आपको
नणय करना होगा क आप भीड़ का भाग बनना चाहते ह या क एक अलग व च ; और मने घो षत कया
क म एकाक बनूँगा।
अपने जीवन को जीवन–पयत उ य नत रखने के लये आपको यह आ ा, यह अनुदेश, यह नदे श, यह आदे श,
यह भु का वधान, यह कमांडमट वयं को अपने जीवन के त दन, तघंटे, त मनट दे ना होगा:

एकाक होने के लये तैयार रह।


कमांडमट
10
घो षत कर आप चरजीवी ह

आप तभी चरजीवी हो सकते है जब


आपके पास कुछ मह वपूण करने को बकाया है।
जीवन–उ यन एक ल बी एकाक या है जसम आपको लगातार अपने त का लक व का
अवसान करना, संभावना के आगे क सोचना एवं वयं को भावनाएँ सोखने वाली घटना से
र रखना इ या द; और वैसा करने के लए अकेले ही अपने इद गद के सम त संसाधन को
उ य नत करना तथा बीच मंझधार म नैया को झझोड़ना ता क आप एक ऐसा जीवन जीय जो क:

वायत हो

चरजीवी हो

मजबूत वचार, श द तथा काय जसका नेतृ व करते ह

अ धनायक का हो

जसक अनुकृ त मु कल हो

इस कार आजीवन उ य नत–जीवन ह ।

मे रा अनुयहरोधएकहै अनक आगे बढ़ने से पहले, त काल ही, उपरो प रभाषा को कम से कम पाँच बार पढ़।
त खेल है, और इस खेल म ासं गक बने रहने के लए आपको अपने वा य के बारे म इरादे
घो षत करने ह गे, य क बगैर अ छे वा य के, आप उतने का 1 तशत भी न कर पायगे जतना एक उ य नत
जीवन अपने जीवन काल म कर लेता है।
मेरे अनुसार पहले जीवन है, तदोपरा त मृ यु, या न क आपका ज म 29 सत बर 1964 को आ और
आपक मृ यु 29 सत बर 2084 को होगी। ज म क यार ट है, मृ यु क भी यार ट है। आप बचपन,
कशोराव था, वय कता, ौढ़ता और बुढ़ापा...इ या द से गुजरगे.....पर तु इनसे कोई फक नह पड़ता। जीवन को,
ज म और मृ यु के बीच, अथक प से जीना पड़ता है।

जीवन को टु कड़ म न जीय। जीवन अथक है – १२० वष तक अथक। ये ही जीवन है।

मन यह तो नह कहा है क म 25 या 47, 59 या 89 वष क आयु तक उ य नत जीवन र ग ँ ा। म तो


मृ युपय त एक उ य नत जीवन र ँगा! और जीवन के उ यन हेतु आपको भी यही शपथ लेनी होगी; य क मृ यु
ही जीवन–उ यन का अ त है।
दे व आन द, जो क एक महान भारतीय ए टर तथा डायरे टर थे, उनक मृ यु 88 वष क आयु म ई, उनक
आ खरी फ म के रलीज के च द महीन के बाद।
कशोर कुमार, एक महान भारतीय गायक, 58 वष तक जये।
एम. एफ. सैन, एक महान भारतीय च कार, भारत के सवका लक महानतम च कार के प म या त पाने
के बाद, 95 वष क आयु म नया को छोड़ गये।
जे. आर. डी. टाटा, एक महान भारतीय उ ोगप त, 89 वष क आयु म कूच कर गये।
पीटर ॅकर, महान ब धन गु जो 95 वष तक जीय एवं आ खरी दन तक लेखन करते रहे।
रानी ए लजाबेथ 86 वष क आयु म भी मु तैद।
पं डत र वशंकर, एक महान सतार वादक, मृ यु पय त – 92 वष तक संगीत रचते रहे।
जोहरा सहगल, 100 बरस क एक जीती–जागती महान अदाकारा।
आशा भ सले, एक मश र त त भारतीय गा यका, 79 वष क आयु म भी अपने गान से लोग स मो हत
कर रह ह।
ए.पी.जे. अ ल कलाम भारत के भूतपूव रा प त, 80 वष क आयु म भी उ सा हत और े रत कर रहे ह।
76 वष क आयु म 14 व दलाईलामा जीवन–श से प रपूण ह।
रचड ै सन, एक टश उ मी, 61 वष क आयु म भी कुछ कर गुजरने को बेताब ह।
मा टना नवरा तलोवा, एक महान टे नस खलाड़ी, 55 वष क आयु मे खेल रह ह।
हेमा मा लनी और रेखा, दो त त भारतीय अदाकाराय, मश: 63 और 57 क आयु म भी जीव त और
दलच प ह।

अपनी मौत के पहले न मर जाना ही इन य क खूबी है। जी वत ह, तो जीव त ह.... चर–जीवी होने का
यही अथ है।

आपक मृ यु कैसे हो, उसका चुनाव आप नह कर सकते, आप तो केवल यह चुन सकते ह– आप कस


कार जयगे।
– जोन बेज़

मने एक दन वयं से पूछा, ‘मने कब तक जीने क योजना बनाई है?’ ऐसे कोई नह पूछता य क कुछ
लोग इ ह अशुभ मानते ह, यह शमनाक बात है, ‘यह मेरे वश म नह है।’ कुछ लोग ज ह यह व ास है क वे कभी
न मरग, इस को नह पूछते।
फर भी मेरा व ास है क हम सब के मन म एक उ तय होती है। इस लये च ता न कर; अपने भय का वध
कर वयं से पूछ, ‘आपने कब तक जीने क योजना बनाई है?’ यह पूछने पर जो उ मन म उभरे उसे इस
लॉक मे लख :

म_______वष तक जीयूँगा

कई, कई साल पहले जब मन वयं से ही कया था, तब मन वयं से कहा था,

मै ९५ वष तक जीयूँगा

अब वयं से एक और कर, ‘मृ यु से एक वष पहले आपका जीवन कैसा होगा?’ क पना कर, कैसा/ कैसी
होगी / आपका / आपक –

शरीर

मनो थ त

संप

र ते
उस वष आप या कर रहे ह गे??

जब मन वयं से पूछा, 94 पर म कैसा र ँगा, तो ये उ र मुझे मले:

शरीर– नीरोग, टॉप कंडीशन म, आन ददायक

मनो थ त– एकदम चौक ा, श से प रपूण, व–उ यनरत, चुनौ तयाँ वीकारता

संप –परोपकार हेतु तवष 10 करोड़ पए का दान

र ते– श पूवक बंध,े अपने सारे म , प रवार और पूरी नया जुड़े ए

उस वष म या कर रहा होऊँगा:

उ म– व यशील पु तक का लेखन

नये वषय पर ऑ डयो, वी डयो (या जो भी च लत फॉरमेट हो) बनाते ए

श ण दे ते ए व मण

नया के लाख लोग को उ सा हत एवं े रत करते ए

नायक के प म मू य–रचना एवं लोग का नदशन

लोग के एकदम नये समूह से जुड़कर उनम आ म व ास का संचार

नये रचना मक वचार पैदा करते एवं लोग को अ धक स म बनाते

म ये कभी न क ँगा:

अब म 50 या 60 का ँ।

म इतना बूढ़ा हो चुका ँ।

मने नयादारी क अपनी सारी जवाबदा रयाँ पूरी कर ली ह।

जतना बेहतरीन म कर सकता था, कर चुका ।ँ

मुझे भगवान के बुलावे का इ तजार है।

जो लोग ऐसा कहते ह, वे अपना उ साह, ढ़ता, जवाबदारी, तब ता, उ े य, धन, म –गण और सारे र ते
खो बैठते ह।
य द आपका व ास है क आप बूढ़े हो चुके है अथवा बूढ़े हो रहे है तो आप आगे न बढ़ पाते एवं न कोई
योगदान कर पाते ह, कृ त आपसे आपके शरीर के व थ ह स को लेने लगती है और आप वाकई बूढ़े होने लगते
ह, और वयं तथा अपने आसपास के सभी लोग के लये बेकार हो जाते ह और जैसे ही आप वयं तथा अपने
आसपास क नया के लये बेकार ए, नया आपक उपे ा करने लग जाती है, इसम आपके नजद क एवं
यजन भी शा मल ह।
उ य नत जीवन समझ चुके ह क नया आपक तभी तक कदर करती है जब तक आप अपने इद गद लोग
के लये लाभकारी ह तथा य द आप आसपास क अ त व– णाली क ग त म योगदान कर रहे ह । अत:
चरजीवी होने का नणय ल।
इस पु तक म उ ले खत सभी , अपने जीवन के अ तम दन तक, नया के व श योगदानकता रहे।
जो जी वत ह आज भी योगदान दे रहे ह तथा जब तक अ त व म ह तब तक योगदानकता बने रहगे।

उ य नत जीवन क आ मा जीव त होती है

कस कार उ य नत जीवन क आ मा जीव त होती है?

1. वे चीज को उ म ढ़ं ग से दे खते ह।
2. भ व य के बारे म वे अलग ढ़ं ग से दे खते ह।
3. भ व य के बारे म वे अलग ढ़ं ग से सोचते ह।
4. वे भ व य के बारे म अलग ढ़ं ग से संवाद करते ह।
5. वे भ व य के लये अलग ढं ग से याशील होते ह।

1. चीज को अलग ढं ग से दे खना

वे भ व य को एक असी मत महासागर के प म दे खते ह

वे वयं को 100–150 वष तक कायम दे खते ह

2. भ व य को अलग ढं ग से महसूस करना

वे अपना यौवन और जीव तता सदै व बनाये रख सकते ह

3. भ व य को अलग ढं ग से सोचना

वे वयं से आगे क सोचते ह

जब तक जी वत ह, और मृ यु के बाद भी वे नया म कुछ फक पैदाकर सकते ह

4. भ व य के बारे म अलग ढ़ं ग से संवाद करना?

वे जुनून के साथ इस कार संवाद करते ह क लोग कुछ करने को मजबूर हो जाते ह

5. भ व य के लए अलग ढ़ं ग से काम करना

वे तेजी से काम करते ह तथा नये ॉजे ट ले लेते ह

उ ह जो खम उठाने से डर नह लगता, और न ही हार का भय

वे इस कार काम करते ह जैसे उ ह कोई रोक न रहा हो

वे इस व ास से काम करते ह क वे:


★ नया को बदल सकते ह

★ नया के घाव भर सकते ह

★ नया को एक बेहतर जगह बना सकते ह

★ नया पर छाप छोड़ सकते ह

भ व य को अपने हाथ म लेकर ऐसा बताव करते ह जैसे क भ व य उ ह क म कयत है। आयु–र हत
जीवन तथा असी मत–ऊजा म उनका व ास इन तीन मनोभाव से आता है:

1. आयु–मु मनोभाव: वे वयं कस उ के ह इसक खास परवाह उ य नत जीवन नह करते, य क उ ह


व ास है क जीवन उ यन के शु आत अथवा अ त क कोई उ तय नह है। नह तो और कस कार
आप कनल सै डस का जीवन प रभा षत करगे ज ह ने 79 वष क आयु म के.एफ.सी. नाम से स
फा ट–फूड ृंखला, कटु क ाईड चकन शु क । ऐसी उ जब साधारण मनु य शायद तीथगमन करते ह
य द वे पहले ही ब तर न पकड़ चुके ह ।
2. रटायर न होने का मनोभाव: उ य नत जीवन कभी रटायर नह होते। कसी खास उ म वे अपनी
नौकरी/कारोबार से रटायर ज र हो जाव पर वैसे रटायरमट क थ त उनके जीवन–उ यन के माग क
बाधा नह होती। एक रे वे इंजी नयर, ई. ीधरन ने रटायरमट के बाद, 70 वष से अ धक क उ म द ली
मे ो ॉजे ट के मैने जग डायरे टर बने। तब उ ह मे ो रेल णाली का सर–पैर भी नह ात था। पर
उ ह ने आगे बढ़कर, जस नये खेल म वे उतरे थे, उसके नयम सीखे तथा इतने सफल ए क लोग ने उ ह
‘मे ो–मैन’ कहकर बुलाया। 80 वष आयु म आज वे कई रा य सरकार के सलाहकार ह।
3. जीवन–पय त उपयो गता: उ य नत जीवन म, जब तक उनका दल धड़के, उपयोगी रहने तथा नया म
योगदान करने क ती इ छा रहती है। बृजमोहन मुंजाल, जो 88 क वय म हीरो हो डा क सफलता पर
फल–फूल सकते थे, ने शां तपूण ढं ग से अपनी 26 वष क हो डा से पाटनर शप को समा त कर वयं को
हीरो मोटोकॉप के प म त त करने का बीड़ा उठाया। अब वे वतं प से भारत म प हया वाहन
का नमाण कर, जीवन–पय त उपयो गता के दशन एवं एक चरजीवी के प म अवत रत ए ह।

सबसे उपर, उ य नत जीवन लॉ ऑफ ड म न शग रट स को चुनौती दे ते ह। उनक केवल आयु बढ़ती है।


उनक आयु बढ़ने से उनका योगदान कुछ कम होगा, वैसा व ास उ ह नह होता है। उलटे , उ ह वपरीत व ास
होता है क त वष वे नया को पछले वष क तुलना म अ धक लौटा पायगे।
अब हम मेरे पर वापस आ जाते ह। कुछ पहले मने आपसे पूछा था, ‘आपने कब तक जीने क योजना
बनाई है?’ आपने कोई उ बताई होगी, जैसे क मने 95 वष कहा था।
फर मने एक और रोचक कया था, ‘आपक मृ यु के एक वष पहले आपका जीवन कैसा होगा?’ यानी
क आपका शरीर, आपक मनोवृ , स प , र ते कैसे ह गे, और उस वष आप या कर रहे ह गे? मुझे यक न है
क आपके उ र अब तैयार ह।
अब मेरा तीसरा है, य द आप जीवन को इस सकारा मक एवं ग तशील तरीके से जय, तो आप या
सोचते ह आपक मृ यु वयं ारा नयो जत उस उ पर होगी?
य उ र ‘ना’ है।
मेरा चौथा है, य द आपक मृ यु आपके ारा नयो जत उ पर नह होती, तो आप कब तक
जयगे?
कुछ वष पूव जब मने वयं से यह कया था तो मने वयं से कहा था, म 120 वष क आयु तक जी वत
र ँगा। उन 25 वशेष बोनस वष को म या ा– व तार कहता ँ।
मु बई (जहाँ म रहता )ँ म जब आपके पास गंत ‘अ’ से गंत ‘ब’ तक जाने का मा सक रे वे पास है और
आप कुछ आगे गंत ‘स’ तक जाना चाह; तो ‘ब’ से ‘स’ तक या ा व तार टकट ले सकते ह। अत: 25 अ धक
वष के या ा– व तार से म 120 वष तक जयूंगा।
मेरा पाँचवा और अ खरी है, संतोष नायर इन 25 बोनस वष म या कर सकेगा?
और मेरा उ र था:

नोबल पुर कार जीतूँ

व क सबसे श शाली आवाज बनूँ

95 क वय तक बनाये जाने वाले 1000 के बजाय म 1500 ऑ डयो, वी डयो बनाऊँ

95 क वय तक लखी जाने वाली 100 पु तक के बजाए 150 लखूँ

माट को व क सबसे बड़ी गत, उ मी तथा त ान प रवतन क पनी बनाऊँ

अ याय 7 म पूछे 5 के उ र म लखे सारे ल य ा त कर लूँ (इस नया को छोड़ने से पहले म या


कुछ करना चाहता ँ)

उपरो शैली से जीवन जीना ही ‘ चर–जीवी’ होना है। पर जीवन क सारी दै नक ज टलता के म य, यह
च ज द ही भुला दया जाता है। अत:, आपको समय–समय पर खुद को अपने ल य क याद दलाते रहना है
और यह आप वयं नह कर सकते, ना ही कोई नयु सहायक जो आपको याद दलाये, ना टे नॉलॉजी का
उपयोग कर। आपको ऐसे लोग के समूह का नमाण करना होगा जो इस दशन म आपके साथ ह और ऐसे ही हम
एक अ त मह वपूण संक पना – या ा व तार बंधु समूह तक आ प ंचते ह।
या ा व तार ब धु समूह एक ऐसे लोग का समूह है जो आप ही क तरह ह– व थ, चरजीवी और मृ यु पय त
जीवंत। उ ह ने आपक तरह जीवन–उ यन के इरादे क घोषणा क है और उनका सा न य ही आपको वयं के
चरजीवी होने के ल य के करीब ले जायेगा। कसी एक या सरे कारणवश य द यह ब धु समूह सकुड़ने लगे तो
एक वयंभू नायक के प म आपको इस ब धु समूह का सतत व तार सु न त करना होगा। य द कोई एक
सद य चला गया, तो तीन नये सद य जोड़ने ह गे तथा इस समूह का उ साह तथा यौवन जी वत रखना होगा।

चार ऐसे य क सूची बनाएं जो आपके या ा व तार बंधु समूह का ह सा बन सक तथा इसका
ववरण द क आप कस कार उनके साथ पर पर भाव के ज रये चरजीवी बनगे।
काल– भाव, उ का बढ़ना बीसव सद क संक पना है और एक व– वीकृत भ व यवाणी। आप जैसा
अ सर सोचते ह वैसे ही बन जाते ह। य द आप सोचते ह क आप वृ ह तो आप बूढ़े हो जाते ह, य द आप सोचते
ह क आप सदै व जीव त रहगे तो आप चरजीवी बन जा गे। अपने वचार, संवाद तथा काय से लोग को दशाएँ
क आप एक वशालकाय जीवन जयगे, 100 के बाद भी। आपके इद– गद सभी वैसा दे ख पाएँ, महसूस कर पाएँ,
व ास कर पाएँ और उससे यार कर। पूव सूचना दे कर अपने महान भ व य का नमाण कर। अपना महान भ व य
जय! समय, संसाधन तथा अवसर का उ यन कर। जीवन–उ यन कर।
आपको जीवन पय त, जीवन उ यन हेतु वयं को इस आ ा, इस अनुदेश, इस नदश, इस आदे श, इस भु के
वधान, इस कमांडमट को दे कर इसके त अपने जीवन के त दन, तघंटे, त म नट सजग रहना है:

घो षत कर आप ‘ चरजीवी’ ह।
कमांडमट
11
ऐसा जीवन जीय, जसक अनुकृ त क ठन हो

य द आपके जीवन को सरलता से अनुकृत कया जा सके,


तो आप उ य नत–जीवन नह है।
य म हम पु तक के अं तम अ याय पर प ँच चुके ह, यह इलेवन कमांडमट् स जो मने जीवन म सीखे ह,
और जनका उपयोग मने अपने एवं अपने आसपास के जीवन को उ य नत करने के लये कया है, यह उनम
अं तम है और पहले दस का न कष भी।
इस पु तक के पहले अ याय म मने ‘जीवन जीने व जीवन बताने’ म अंतर क चचा क थी। म नह जानता क
तब म अपनी बात ठ क से रख पाया था या नह , य द नह तो आइये उस पर फर से एक नज़र डाल।
अ धकांश लोग अपना जीवन व तु का उपभोग करते ए बता दे ते ह, क तु वे लोग ज ह हम उ य नत
जीवन कहते ह रचनाकार होते ह। रचनाकार उपभोग नह करते और उपभो ा रचना नह करते।
रचनाकार, कॉरपोरेशंस, सं था , रा एवं मारक क रचना करते ह। सरी ओर उपभो ा या साधारण
मनु य– इन कॉरपोरेशंस या सं था के लये काम करते ह, इन रा या मारक क रचना म भाग लेते ह और
रचनाकार ारा बनाये गये उ पाद या उनके ारा द जाने वाली सेवा का उपभोग करते ह।
जीवन उ य त करने वाले लोग, अपने जीवन म ज द ही एक सोचा समझा नणय ले लेते ह क उ ह
रचनाकार बनना है, न क उपभो ा, और फर वे एक ऐसा जीवन जीते ह जसक अनुकृ त तैयार करना क ठन है।
और एक रचनाकार होने के लये मनु य को पृ वी पर अ धक समय बताने क आव यकता नह है। उसका
जीवन उतना ही छोटा हो सकता है जतना कसी अ य का और फर भी इस एक जीवन म वह जो कर सकता है;
वह सरे के लये सैकड़ वष म भी दोहराना क ठन है
आइये, एक Apple पर डाल–
एक ऐसी क पनी जसका नव वचार के त जुनून पागलपन क सीमा तक है। Apple के पीछे ट व जॉ स
नामक एक था, जसने मा 56 वष ही पृ वी पर वास कया और इस छोटे समय म उ ह ने 4 उ ोग को
पांत रत कर दया। एक जीवन म एक उ ोग को पांत रत करना क ठन है, ले कन उ ह ने चार उ ोग को
बदला; संगीत उ ोग को आई ट् यू स से, चल च उ ोग को प सर से, क यूटर उ ोग को आय पैड/मैक से,
संचार उ ोग को आई फोन से; और अगले पांतरण क उनक तलाश उनके जीवन के अंत तक बनी रही।
कॉलेज क पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले, ट व जॉ स ने अपने म ट व वॉज नयाक ( ज ह वॉज के नाम से
पुकारा जाता है) के साथ Apple क थापना, 1976 म ट व प रवार के गैरेज म क थी, ट व ने वॉज के साथ
मल कर पूरे मन, वचन व कम से Apple का नमाण कया। यह उनका पहला ेम था और दस वष म यह 2
ब लयन डॉलर क क पनी बन गई, जसम 4000 कमचारी थे। उस समय ट व क आयु 30 वष थी। कुछ समय
बाद उ ह ने एक को क पनी चलाने के लये रखा, ट व का वचार था क वह इस काम के लये
उपयु है और उनका पूरा साथ दे गा, क तु पहले वष के अंत तक भ व य के बारे म उनके वचार एक से न रहे
और उनम मतभेद हो गया। क पनी के बोड ऑफ डायरे टस ने उस का साथ दया और ट व को क पनी से
नकाल दया गया।
उ ह अपनी ही क पनी से हटा दया गया था और वय क जीवन का एकमा येय उनक आँख के सामने
छ – भ हो गया। क तु ट व ने जीवन से हार नह मानी। उ ह ने दो नयी क प नयाँ आर भ क – प सर
टू डयोज़ जहाँ नया क पहली क यूटर एनीमेटेड फ चर फ म– टॉय टोरी व अ य कई फ म बनी, और फर
2006 म इस क पनी का वॉ ट ड नी म वलय हो गया, इस योग ने ट व जॉ स को ड नी का सबसे बड़ा
ह सेदार बना दया (शेयर हो डर); सरी क पनी, एक क यूटर हाडवेयर व सॉ टवेयर बनाने वाली क पनी थी
Next, जसको कुछ समय बाद Apple ने ही खरीद लया और ट व फर से सीईओ बन कर अपने पहले यार तक
प ँच गये।
Apple क अपनी सरी पारी म उ ह ने आ यजनक उ पाद वक सत कये और वे भी चम का रक तेजी से,
जसको अनुकृत नह कया जा सकता।
जब भी Apple कोई नया उ पाद बाज़ार म उतारता, त ं द क प नयाँ उसके बराबर क व समांतर
ो ो गक एक त करने म जुट जात , कतु वे कभी भी आगे नकलने म सफल नह ई। ट व ने कई ां तकारी
उ पाद तुत कये, जनम मैकबुक एअर, आईपॉड व आईफोन जैसे उ पाद ह, इन सभी ने आधु नक ौ ो गक
के वकास को ग त और दशा द । इनके भाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है क जस दन
आईफोन 5 को बाज़ार म उतारा गया, Apple ने 20 लाख फोन बेचे ... या यह संभव लगता है?
“य द आप अपना हर दन ऐसे जीते ह मानो वह आपके जीवन का अं तम दन हो, तो कसी दन आप न त
ही बलकुल ठ क लगगे।” ट व जॉ स ने यह उ रण सबसे पहले 17 वष क आयु म दे खा, और तभी से यह उनके
जीवन क न व बन गया। उ ह ने अपना येक दन ऐसे जीया, जैसे क वह उनके जीवन का अं तम दन हो और
जीवन के अं तम दन तक काम करते रहे, य क उनका काम ही उनक सबसे य व तु थी। अ नाशय
(पैन यास) कसर से पी ड़त थे और कई वष तक उसके क को परा त करते रहे, उ ह ने जीवन के सभी सुख
का याग कया और वयं से कह बड़े उ े य के लये जीये।
ट व जॉ स को अ य साधारण मनु य से भ बनाने वाले उनके दो मूल गुण–

1. हठ लापन
2. अ वहा रकता

ट .ट . रंगराजन, जो क मेरे घ न म व भारतीय आ या म के एक गु भी ह, के अनुसार


“अ वहा रकता एक औसत या साधारण मनु य क भाषा का श द है, जो क या वय का उ रदा य व
नह उठाना चाहता।”
ट व जॉ स एक अ वहा रक जुनूनी थे ज ह अपने काम से ेम था। जन रचना म उनका व ास होता वे
उसका पूरा दा य व वयं ले लेत।े उ ह ने अपने वयं को या वत करने क पूरी ज मेदारी ली और जसे साधारण
मनु य एक अ वहा रक व मान रहे थे, उसे एक ावहा रक यथाथ म बदल दया। आज, Apple संसार क
सबसे मू यवान क पनी है जसका बाजार मू य 656 अरब डालर है।

“जीवन क ल बाई नह ,
अ पतु उसक गुणव ा अ धक मह वपूण है।”
–मा टन लूथर कग जू नयर

मा टन लूथर कग जू नयर के श द के अनुसार ट व जॉ स ने एक ल बा नह , क तु उ कृ जीवन जीया ओर


इस या म उ ह ने शारी रक, मान सक व मनोवै ा नक क पर वजय पायी। उ ह ने अपनी भावना को
जीता, अपने दन और रात को भी जीता। उ ह ने वह असामा य य न कया और सामा य थ तय को व श
बना दया। उ ह ने अ य धक काम कया, वास कया, बोले, पढ़ा, नमाण कया और व श यो यता और
कौशल का वकास कया। उनम जुनून, ढ़ता, न ा, ईमानदारी, अनुशासन व उ ेजना का बा य था और इ ह ने
उ ह एक उ कृ बनाया – एक उ य नत जीवन! उनके जीवन को दोहराना सरल नह है, और यही है वह
अं तम कमांडमट जो आपको वयं को दे ना है। याद रख, आपको इसके लये पूरी चेतनता के साथ, आगे बढ़कर
काय करना है।
अपने जीवन को जीवन–पयत, उ य नत रखने के लये आपको यह आ ा, यह अनुदेश, यह नदे श, यह भु
का वधान, यह कमांडमट, वयं को अपने जीवन के त दन, तघंटे त मनट दे ना है:

ऐसा जीवन जीय, जसक अनुकृ त क ठन हो।


उपसंहार

म , हम इस पु तक के अंत पर ह। इन यारह अ याय म मने आपसे जो भी बांटा है वे मा कताबी दशन नह है,


अ पतु मेरे जीवन का नचोड़ है। यहाँ तुत येक कमांडमट मेरे जीवन का दशन व पथ दशक रहा है। मेरी
आज तक क सभी उपल धय क न व, ये ही कमांडमट् स ह, और जीवन के सभी उ े य मेरी प ँच म ह, य क
म इनम व इस बातचीत म मने आपके साथ जो भी बांटा, उसम व ास रखता ।ँ
य द इन सभी नह , तो कुछ कमांडमट् स ने न त ही आपका कौतूहल जगाया होगा और आपको जीवन को
एक भ से दे खने को बा य कया होगा। संभव है, आप म से कुछ ने इनका अ यास भी आर भ कर दया हो,
या नकट भ व य म जैस–े जैसे आप जीवन को और पास से दे खगे तो इनका उपयोग आर भ कर ही द। कतु इससे
पहले क आप यह कदम उठाय, मेरी आप से ाथना है क आप पुन: इस पु तक के आरंभ म जाय व उन इलेवन
कमांडमट् स को फर से दे ख, जो आपने पढ़े थे, जी हाँ पढ़े थे – क तु आ मसात नह कये थे।
जीवन उ यन का नचोड़ इस पु तक क सम ता म है – पूरे इलेवन कमांडमट् स म, न क इनम से क ह दो,
चार या पांच म। इन दशन म से केवल कुछ को चुन कर आप अपने जीवन का उ यन नह कर पायगे य क
इलेवन कमांडमट् स क सामू हक श से ही इनके मायावी भाव क रचना होती है, और इस सामू हक श का
कारण है इन कमांडमट् स का आपस म गुंथा होना व एक सरे से जुड़ा होना। और जब आप इनम से येक
कमांडमट का अ यास व अनुसरण करने लगते ह, उ ह वीकार कर लेते ह, उ ह अपने मानस म उतार लेते ह और
उ ह इस तरह आ मसात कर लेते ह क आप इन कमांडमट् स का चलता फरता उदाहरण बन जाय, तब आपका
जीवन उ य नत हो जाता है।
आपका जीवन बु मता ान, व संभावना– चतन का सार होगा, जीवन नैया को मंझधार म झझोड़ने का सार
होगा, आपके वचार , श द व काय क सकारा मकता का सार होगा, नेतृ व का, भावना मक ीणता दे ने वाली
प र थ तय से र जाने का, एकाक होने का और अंत म एक न दोहराया जा सकने वाला जीवन जीने का सार
होगा। आप एक ऐसा जीवन जयगे जसे दोहराने के लये एक आम मनु य को 40 जीवन लेने पड़ और यही
उ य नत जीवन का वा त वक उ कष होगा।
जब म इन इलेवन कमांडमट् स पर पुन: पात करता ँ तो पाता ँ क एक है जो वा तव म इन इलेवन
कमांडमट् स का मूत प है, जसक चचा हमने यारहव अ याय म क है। इस ने केवल यारहवां ही नह
अ पतु जीवन उ यन के सभी इलेवन कमांडमट् स को जीया और उसका जीवन इनम से येक कमांडमट का शु
वा त वक उदाहरण है; ट व जॉ स।
अंत म म नव– वचार के इस सवा धक तभावान साधक को ांजली दे ना चा ँगा; जसने जीवन उ यन के
नचोड़ को मूत प दया और इलेवन कमांडमट् स म से येक का मानव प बना। आइये दे ख, उ ह ने यह कैसे
कया:

ट व जो भी कर रहे थे और जहाँ भी थे, वे उससे संतु नह थे। उ ह ने नरंतर अपने मौजूदा व को समा त
कया और ऐसे नये उ पाद क रचना करते रहे जनक क पना लोग ने व म भी नह क थी। वे नया
के महानतम अ व कारक थे, उनसे पहले केवल एक है–थॉमस एडीसन।
वे संभावना वचारक थे। उ ह ने Apple का आरंभ अपने पता के गैरेज से कया और उसे खरब डॉलर क
क पनी बना दया।
उ ह ने बीच मंझधार म नैया को झझोड़ा। क यूटर उ ोग म अपने सफल वसाय के होते ए भी उ ह ने
र संचार, चल च एवं संगीत उ ोग म वेश कया। उ ह इस बात का भय नह था क इसका उनक
या त और सफलता पर या भाव पड़ेगा, और इन सभी उ म म वे सफल रहे।
वे एक वाय थे। जैसे ही उ ह लगा क कॉलेज क पढ़ाई का कोई मू य नह है उ ह ने कॉलेज छोड़
दया और उन चीज पर यान क त करने लगे, जनक वजह से आज उ ह जाना जाता है। उ ह ने अपना
जीवन वर चत नयम के अनुसार जया और शू य से आर भ कर, व क सबसे मू यवान क पनी क
रचना क ।
उ ह ने अपने चार ओर मौजूद येक संसाधन को उ य नत कया और एक ऐसी सं था क थापना क
जसम 60,000 काम करते ह।
उनके वचार, श द व काय सदा सकारा मक थे। उ ह उनक कंपनी से नकाल दया गया, क तु वे टू टे
नह । उ ह ने वयं को कुछ ऐसा रचने को तैयार कया जो उनके अब तक कये काम से बड़ा व बेहतर हो।
वे आजीवन एक नेता रहे और अपने येय के त पूरे समपण से यासरत थे। उनका येय था शु
नवप रवतन, नवप रवतन, नवप रवतन।
उ ह ने वयं को भावना मक त प ँचाने वाले वधान से र रखा। वे एक अ ववा हत द प त क संतान
थे और उनके माता– पता ने उनके ज म के तुरंत बाद ही उ ह गोद दे दया था। उ ह जब यह पता चला,
उनक आयु प चीस वष के लगभग थी, वे अपने पहले माता– पता से मले भी, क तु उ ह ने इस स चाई
को अपनी भावना मक कमजोरी नह बनने दया।
वे जीवन म एकाक थे। उ ह उनके मौ लक वचार , बेतुके दशन व साहसी काय के लये जाना जाता है, वे
पूरे संसार के त अनास उनक आस मा उनके उ े य के त थी, और वह था– Apple Inc.
वे सदा जीवंत रहे। य प अ नाशय (Pancreas) का कसर घातक था क तु उ ह ने जीवन से हार नह
मानी। वे इस जानलेवा बीमारी से इतनी खूबसूरती से लड़े क अं तम सांस तक उ ह ने अपना जीवन जीया
– वे अं तम दन तक कायरत रहे।
उ ह ने ऐसा जीवन जीया, जसे दोहराना क ठन है। अपने छोटे जीवन म उ ह ने चार उ ोग को पांत रत
कया और संसार क सवा धक चम का रक कंपनी क रचना क जो क उनके मरणोपरांत भी जी वत
रहेगी।

एक साधारण मानव को एक और Apple क पनी बनाने के लये कतने जीवन लेने ह गे?

मुझे लगता है क कम से कम 40.

या ट व जॉ स का जीवन दोहराया जा सकता है?

यह क ठन काय है।

वे इस संसार म बदलाव लाये और यह संसार उ ह सदा याद रखेगा।

या आप ऐसे जीवन के बारे म सोच सकते ह?


या आप अपने मौजूदा सुख को छोड़कर वहाँ प ँचने को तैयार ह?
य द आप असफल हो जाय तो या फर से नयी शु आत करने को तैयार ह?
या आप इसका यास करगे?
या आप ऐसे जीवन क क पना कर सकते ह?
या आप इसका य न भी कर सकते ह?

य द उपरो का उ र हाँ है, तो आपका पृ वी पर आना साथक व योगदायी है। य द नह , तो आप कसी भी


ण मर सकते ह य क आपका जीवन जीने यो य नह है।

उ य नत जीवन क शुभकामनाय!
संदभ
smmart – एक प रचय

smmart े नग एंड क सलटसी स वसेज ा. ल. संतोष नायर का मानसपु है और भारत क सबसे अ छ ‘उ ोग


पांतरण’ क प नय म से एक है।
13 वष पूव smmart का आर भ एक कॉरपोरेट श ण क पनी के प म आ और आज इसने अपने पंख
कई उ ोग व श ण के व भ प म फैला लये ह जनम ेरक ा यान, लास म श ण काय म,
आउटबाउंड श ण, इ टरए टव/ए ट वट –बे ड कायशालाएँ, उ ोग– श ण आ द।

smmart क वशेष यो यता वाले े ह–

1. ेरणादायी काय म
2. से स श ण काय म, लघु एवं द घकालीन जनम समय–समय पर पुन ववेचना का ावधान है।
3. नेगो सएशन
4. नेतृ व वकास
5. मु य/मह वपूण ाहक बंधन
6. कोई अ य कौशल एवं वचार प रवतन काय म जो क संगठन क आव यकता के अनु प तैयार कये
जाते ह।
7. सी ई ओ को चग एवं मट रग
8. उ मता वकास काय म जो क लघु एवं द घकालीन है व उनम समय समय पर पुनरावलोकन का
ावधान है।
9. गत अनु श ण, सलाहका रता एवं छोटे एवं मंझले उ ोग का यो यता संवधन
10. काय प तयाँ और णा लय का सं थाकरण, व छोटे एवं म यम उ ोग का सम वकास, आ द।

smmart ारा श त कुछ उ कृ कॉरपोरेशंस है

1. एपटे क इं डया
2. ए शयन पट् स (इं डया) ल.
3. अ ववा लाइफ इं योरस
4. ए सस बक
5. बजाज एलाएंस
6. भारती ए सा
7. भारती सै यूलर ल. (एयरटे ल)
8. बरला युचूअल फंडस
9. बरला सन लाइफ इं योरस
10. कोका कोला
11. डी एल एफ ल.
12. डन एंड ैड ट
13. फोड मोटस
14. ह तान यूनीलीवर
15. एच डी एफ सी, टडड लाइफ इं योरस
16. एच एस बी सी बक
17. ंडई मोटस
18. आयसी आयसी आय बक
19. आइ डया सै यूलर
20. आयन ए सचज
21. आय ट ड यू इं डया ल.
22. जौन डरी
23. कोटक लाइफ इं योरस
24. म ह ा एंड म ह ा
25. मै स लाइफ इं योरस क पनी
26. यू हॉलड ै टस
27. मैटलाइफ
28. ओम कोटस म ह ा
29. फलस
30. ौ टर एंड गै बल
31. रलाएंस लाइफ इं योरस
32. सट ग़ोबेन लास
33. सोडै सो
34. टडड चाटड बक
35. टे ट बक ऑफ इं डया
36. एस बी आय लाइफ इं योरस
37. एस के एफ बीय रगस
38. टाटा एआयजी
39. टाटा काय ल.
40. टाटा वी एस एन एल
41. वोडाफोन ए सार ल.
42. अ य कई छोटे व म यम उ ोग

हमारे श ण काय म के बारे म अ क जानने के लये, या वयं और वयं के संगठन म बदलाव लाने हेतू,
हमारी सेवाएं लेने के लये आप हमसे संपक कर सकते ह। हमारा पता है–
smmart े नग एंड क स ट सी स वसेज़ ा. ल.
506, आकृ त आरकेड
वा डया कूल के सामने, जे. पी. रोड
अंधेरी (प म)
मु बई – 400053
फोन नं. – 022 6772 9000
www.smmart.co.in
संतोष नायर के नॉलेज ोड टस्
एवं मचडाइस ा. ल.,

संतोष नायर ारा था पत उ म है, जसका उ े य उ कृ ता एवं पांतरण को बढ़ावा दे ना है।


‘संतोष नायर’ ांड, अपने आप म, एक श शाली नॉलेज बक का त न ध व करता है, और इनके ऑ डयो,
वी डयो, पु तक और अ य ापा रक उ पाद जैसे क कैले डस, म स, ट –शटस, जन पर संतोष नायर के उ रण
अं कत है, पूरे दे श म उपल ध है।
इनम से येक उ पाद बजली के झटके क तरह काय करते ए लोग को वयं से व ोह के लए े रत करता
है, ये उ पाद उ ह उनक मौजूदा वा त वकता से अवगत कराते ह, उनके त चेतना लाते ह, और उनक
वा त वक मता को प रव तत करते ह।

आ म व ास वधक – हम चार ओर से घेरे ए भय व असुर ा से सामना होने पर, हमारे वचार , श द एवं
काय को शांत, चौक ा एवं नद शत रखने का शा त गुण ही आ म व ास है। इस चार घंटे के वश करण
काय म म, संतोष नायर, आ म व ास व उसक मह ा बताते ए एक ेरक ा यान दे ते ह, वे आ म व ासी
लोग के पांच काय व तीन मह वपूण गुण के बारे म बताते ह, ता क ोता अपने आ म व ास क सुर ा व
संवधन करने यो य बन सक।
भ व य वधक – हमारा भ व य हमारी स प है, ओर हम उसक पूरी दे खभाल करनी चा हये ता क समय पर
हम उसका पूरा लाभ ले सक। इस चार घंटे के काय म म संतोष नायर जीवन के व व ालय व उन 12 ल यो
को चुनने व पाने क चचा करते ह, जो येक के भ व य संवधन के लये आव यक है।

सफलता संवधक – कई लोग ाकृ त प से सफल नह होते ह। सफलता के कुछ पूव नधा रत मं है, ज ह
समझकर उनका अ यास करने से ही आप जीवन म सफल हो सकते ह। इस चार घंटे के ेरक ा यान म संतोष
नायर ोता को न केवल जीवन के हर े म सफल कैसे हो, इसक जानकारी दे ते ह अ पतु सफलता के छ:
मं पर से भी पदा उठाते ह।

जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स – इस यारह नदे श , आदे श , अपे ा , अनुदेश या भु के वधान क


ा या है, ज ह हम ेम से जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स कहते ह और अपने जीवन के उ यन के लये
इनका पालन येक दन, येक घंटे, येक मनट व अपने जीवन के येक ण, करना आव यक है। यह सीडी
अव य दे खी जानी चा हये, वशेषकर, यह पु तक पढ़ने के बाद।
कायशीलता / उ पादकता वधक – यह एक अतः पूण व आपसी बातचीत पर आधा रत काय म है, जो
सु न त करता है क आप कायशील/उ पादक, आ म व ासी एवं स रहे, चाहे आपके चार ओर क
प र थ तयां कतनी ही हतो सा हत करने वाली व चुनौ तपूण य न हो। इस काय म म आपका प रचय कुछ
यं ो व तकनीक से होता है, साथ ही आप इनका योग रेशनल इमो टव बहे वयर थैरेपी एवं ए बी सी डी ई क
अ याधु नक तकनीक ारा सीखते ह, जससे आप येक नकारा मक भावना व व ास को सकारा मकता से
त था पत कर सक।

से स वधक – येक मनु य को जीवन म कुछ न कुछ बेचना होता है, चाहे वह एक उ मी हो, एक से स का
, एक अ यापक, एक बालक एक माता पता, एक बॉस, या एक अधीन थ कमचारी। इस भावशाली सीडी
म से स गु संतोष नायर ोता को सखा रहे ह समय बचाने क नयी आ व का रक तकनीक, संवेग बढ़ाना एवं
कोई वचार, उ पाद अथवा क पना बेचते ए एक अथपूण बदलाव लाना जससे जीवन सरल, जीव त, ग तशील
एवं सफल हो।
अवसर वधक– इस चार घंटे के जीवन पांत रत कर दे ने वाले ा यान म, संतोष नायर दो बीमा रय के बारे म
बात करते ह, जनसे हमम से अ धकतर लोग सत है: 100% सही का रोग (जो भी क ं गा, परफै ट क ं गा)
तथा पुराना–कल–करने–का–रोग (जो भी क ं गा कल से क ं गा) इस बीमारी को ठ क करने वाली एकमा दवा है
smmart का 75% अवसर–मं , जो आपको बताता है क आप कस कार अपने वसाय, वा य, स पदा,
स बंध, यो यता एवं जीवन के संवधन के सभी अवसर को पकड़ सकते ह।

व ास वधक– सफलता के लये जस चीज क सवा धक आव यकता होती है, वह है व ास। य द इसका
पोषण ठ क से कया गया तो यह समृ दायी बन जाता है, और य द खो गया, तो यह सफलतम कॉरपोरेशंस, या
स बंध को सदा के लये समा त कर दे ता है। व ास– वधक आपको कुछ सरल तकनीक व 15 गुण क
जानकारी दे ता है जससे आप सदा के लये एक डीट आर बन जाये डपे डेबल ( व सनीय), टवद ( व ास
यो य), रलाएबल ( व त)।
नेतृ व वधक– इस ऊजापूण काय म म संतोष नायर न न ल खत वषय पर जानकारी दे ते ह

नेता कौन है?


नेता कैसे बनाएँ जाते ह?
नेता के गुण
नेतृ व के पाँच तर
नेतृ व के 14 मुख पाठ

प रवतन वधक – हमारे चार ओर का संसार बदल रहा है। लोग बदल रहे ह, स ब ध बदल रहे ह, उ ोग बदल
रहे ह, अथ व थाएं बदल रही ह, जन थ तय व प र थ तय म पहले लोग काम करते थे, वे सभी बदल रही है।
इस बदलते ए समय के साथ कदम से कदम मला कर चलने के लये, ासं गक बने रहने के लये और नया के
बराबर रहने के लये आपको प रवतन के डीएनए का नमाण करना होगा और एक प रवतन वधक बनना होगा।
इस काय म म संतोष नायर सखा रहे ह प रवतन– वधन क कला और अपनी क पनी अथवा संगठन म
प रवतन लाने क आठ–सू ी परेखा।
व श यो यता वधक– आपको केवल वही करना चा हए, जो आपको सबसे अ छा लगे और, य द आप आने
वाले दस वष अथवा 10,000 घंटो तक यही करते रह, तो आप अपने े के जीनीयस सवा धक तभावन,
हो जायगे। जीवन को पांत रत कर दे ने वाले इस ा यान म संतोष नायर बता रहे ह–

व श यो यता या है?
डी.एफ.एफ. अथात ड टं ट फोट फयस या व श यो यता के भय, जो आपको अपनी व श यो यता
पाने नह दे त।े
व श यो यता व पांच श य क या : अपनी व श यो यता को पहचाने
व श यो यता दल : आपका सहायक समूह जो आपक व श यो यता को पाने म सहायता करे।

उ रदा य व वधक – उ रदा य व से भागना जीवन जीने का एक सोचा समझा प है। यह एक मान सक रोग
है, एक यूरॉ सस है, एक साइकॉ सस है नशे क थ त है, यह आपके दशन म इतना गहरा बैठा होता है क
आपको इस स चाई का भान ही नह होता क आप अपने उ रदा य व से भाग रहे ह। अंतत: आप अपनी वयं क
एवं अपने आसपास के लोग क ग त रोक दे ते ह। इस काय म म संतोष नायर उ रदा य व पलायनक ा एवं
उ रदा य व वधक म अंतर करना सखाते है और उन यारह गुण पर काश डालते ह जो एक उ रदा य व
पलायनकता के वशेष गुण ह, साथ ही आपको उ रदा य व वधक बनाने के छ: मं भी बताते ह।
अ न त समय म जीतना – आज हम सभी अ न त समय का सामना कर रहे ह। इस अव ध को हम गत
एवं ावसा यक अशां त का समय कह सकते ह, यह एक असमंजस, संशय, नराशा, बेचैनी, च ता, अवसाद, क
एवं दबाव का समय हो सकता है। इस चार घंटे के, ऊजा से प रपूण काय म म संतोष नायर वजयी होने व उन
आठ मं क बात करते ह जो क अ न त समय म आपको वजयी बनाने के लये आव यक है।

उ मी अवसर य गवां बैठते ह–

या आपके वचार म, आप एक सफल उ मी ह?


या आपका वसाय साल–दर–साल बढ़ रहा है?
या आप अपने त ान को ग त दे कर अगले तर तक प ँचा रहे ह?
या आपको एक उ मी होना अ छा लगता है?
यह काय म न त ही आपक आंख खोल दे गा– चाहे आपने इन का उ र हाँ म दया हो या ना म।
यह आपको उ कृ उ मता क राह बताता है और उ मता के हर ण का आनंद लेने म सहायता करता
है।

इन ऑ डयो, वी डयो को मंगवाने के लये अथवा हमारे अ य नॉलेज ॉड ट् स व ापा रक उ पाद क जानकारी
के लये आप हम नीचे दये पते पर संपक कर सकते ह,
smmart े नग एंड क स ट सी स वसेज ा. ल.
506, आकृ त आरकेड,
वा डया कूल के सामने, जे. पी. रोड,
अंधेरी (प म)
मु बई 400 053
भारत
फोन नं. 022 6772 9000
www.smmart.co.in

You might also like