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इलेवन कमांडमट् स
आजीवन लीडर रह
संतोष नायर
काशक
जयको प ल शग हाऊस
ए–2 जश चबस, 7–ए सर फरोजशाह मेहता रोड
फोट, मु बई – 400 001
jaicopub@jaicobooks.com
www.jaicobooks.com
© संतोष नायर
इस पु तक क सबसे बड़ी खूबी है क आप इसे एक बैठक म ही आद से अंत तक पढ़ सकते ह... यह वाकई ेरक
है!
– राधाकृ णन प लै
लेखक–कॉरपोरेट चाण य,
नदे शक–चाण य इं ट ट् यूट ऑफ प लक लीडरशीप,
मु बई व व ालय
इस पु तक म स म लत संतोष के गत जीवन क कहा नयाँ, जनम उनके संघष, असफलता , ढ़ता एवं
उपल धय का वणन ह, इस पु तक को अ य से फ–हे प व नेतृ व पर लखी गयी पु तक से अलग बनाती है।
अव य पढ़!
– अ य गाँवकर,
रा ीय मुख – ीपेड ए वीजीशंस,
कॉरपोरेट ॉड ट माक टग
आइ डया से यूलर
संतोष के लये उ साह एवं अगले तर क प रक पना ही उनका जुनून है, और वह इस पु तक म प झलकता है।
यह पु तक “रचना मक–बेचैनी” एवं “सकारा मक असंतोष” का संचार करती है, ता क आप एक उ ोगी क
ेरणा पा सक।”
– बी. ओ. मेहता
सीनीयर े जडट,
पी डलाइट इंड ज़ ल मटे ड
अ यंत भावकारी बल एवं स मोहक! आपक च बनी रहती है, तथा आप गहरे वचार म डू ब कर खोजने पर
मजबूर हो जाते ह क आप कौन ह और आप कहाँ जाना चाहते ह। कथा प म लखी गई यह पु तक एवं इसके
येक अ याय के साथ अ यास काय का होना पाठक के लये पु तक म तुत अवधरणा का जीवन म योग
सरल बना दे ता है, यही पु तक क व श ता भी है।
– राजे सूद
नदे शक एवं मुख – यू इ न शए ट स
मै स लाइफ इं योरस क पनी ल मटे ड
संतोष के सीधे दय से नकले, ऊजापूण व भावना से ओत ोत संदेश, सभी ोता को े रत कर बाँध लेते ह
और उ ह वे यारह कमांडमट् स दे ते ह जो क एक उ कृ जीवन जीने के दशन को उन तक प च
ँ ाते ह।
– वॉरेन पै क
सीनीयर वाइस े जडट एवं ुपहेड ऑफ ल नग
एडलवाइज कै पटल
भूतपूव सी नयर वाइस े जडट–
े नग एंड डेवलपमट एचएसबीसी बक
इस पु तक के मा यम से संतोष ने अपना उ साह अपने पाठक तक प ँचा दया है। यह पु तक आपको काय करने
को े रत करेगी, आपके व म अ व सनीय प रवतन लायेगी, आपक छु पी ई रचना मक ऊजा को वतं
करेगी और उ कृ ता के उ कष क ओर आपका मागदशन भी करेगी।
– भरत पारेख
भारत के नं. 1 जीवन बीमा एजट,
18 बार एमडीआरट के लये चुने गये ( मलीयन डॉलर राउ ड टे बल)
12 बार सीओट के लये चुने गये (कोट ऑफ टे बल)
8 बार ट ओट के लये चुने गये (टॉप ऑफ द टे बल)
संतोष नायर क उ मता क वृ और उनक लोग को े रत करने क अलौ कक यो यता, व उनक मता के
उ यन को बढ़ावा दे ने का उनका गुण उनके शु आती वष म ही दखने लगा था। यह मेरे लये एक गत
स ता का वषय है क कुछ लोग को ेरणा दे ने वाले एक उभरते ए ेरणादायी से बढ़कर, आज वे एक
अ णी ेरणादायी हो गये है और कइय को लाभा वत कर रहे ह। मुझे व ास है क यह पु तक जो उनके
जीवन दशन का नचोड़ भी है, पाठक के लये प रवतन का उ ेरक स होगी।
– स थया डीसूजा
मैने जग डायरे टर
सथ सस मैनेजमट क सलटट ा. ल.,
भूतपूव हेड एच आर एंड ल नग –कोका कोला इं डया
भूतपूव ुप डायरे टर, एच आर– पाक डे वस वानर ले बाट
एक क ठन वषय जसे अ यंत ेरक प से तुत कया गया, यह पु तक उनके लये है जो यथा थ त से संतु
नह है, और य द इसके नहताथ को दे ख तो यह पु तक सभी के लये है!
– ववेक एस. पटवधन
ए जी यू टव कोच एंड ओडी क स टट
भूतपूव वाइस े जडट, एच आर ए शयन पट् स
इस पु तक म संतोष नायर का सारत व समाया आ है– एक जुनूनी अ यापक, जो सीखता है, सव म काय व
तकनीक का योग करता है और उस पर वचार कर व दोहरा कर और बेहतर बनाता है। यह पु तक पढ़ने म
अ यंत सरल व से फ हे प क पु तक म जुड़ने वाली एक बेहतरीन पु तक है।
– उमा दे वगु तापु
काप रेट डायरे टर – एच आर
इं डया एम.ई.ए. एस.ई ए शया, इ लनॉय टू लव स
(आय ट ड यू, इं डया ल.)
“जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स म जो ान दया गया है, वह पूणत: वहा रक और इतना गहन है क
अ धकांश लोग जीवनभर अ यास करने के बाद भी उसे पूरी तरह नह सीख पाते। संतोष नायर ने जीवन के उ यन
के लये एक शानदार पथ द शत कया है........ यह पढ़ने यो य है, और अ धक मह वपूण तो यह है, क यह करने
यो य है।
– ए. ड यू जॉज
मैने जग डाइरे टर,
ट .पी.सी.एल. इं डया, भूतपूव बजनेसहैड हीरो मांइडमाइन
(हीरो ुप)
यह पु तक आर भ से लेकर अंत तक व यात लोग व उनके वयं के जीवन से लये गये उदाहरण ारा पाठक क
च बनाए रखती है। दाश नक कृ त क अ य पु तक क तुलना म इस पु तक ने मुझे एक ण के लये भी नह
उबाया। येक कमांडमट इस तरह व णत कया गया है क पाठक के सामने इसका प च उप थत हो जाता
है, क य द उसने इस पु तक म दये गये नयम का पालन कया तो उसका जीवन कैसा होगा। पु तक म दये गये
र थान, जहाँ पाठक पु तक का कोई भी भाग पढ़ते ए, मन म आने वाले वचार तुरंत लख सकता है, इस
पु तक का सबसे अ छा भाग है। इस कारण थोड़े समय बाद, पु तक व पाठक के बीच संवाद आर भ हो जाता है,
और पु तक आपका गत मनोवै ा नक हो जाती है।
– मनन मेहता
बैचलर इन बज़नेस एड म न े शन के व ाथ
लेखक क शंसा म
लोग को इतना स म बनाना क वे अपने आने वाले कल को वयं ारा नयं त अनुभव कर सक, एक गम काय
है और केवल वही लोग इस चुनौतीपूण काय को करने का बीड़ा उठा सकते है जो वयं इस पथ पर चले है। यह तो
आर भ से ही सु प था, क संतोष को इस बात का पूरा व ास है क केवल वे वयं ही, अपने भा य नमाता है।
हर चुनौती को अवसर म बदलने का उनका ाकृ तक गुण, अपने आस–पास के येक संसाधन का उ यन, व
अपे ा से परे जा कर अनअपे त को पा लेने क उनक यो यता ने इस बात म कोई संशय नह छोड़ा था क वे
एक वजेता ही है।
हमेशा से ही एक स भावना– वचारक रहने वाले, और कभी भी उ र म ना न सुनने वाले संतोष, अपनी नाव
मंझधार म झझोड़ने से कभी भयभीत नह ए, और उ ह ने वा तव म यह कया भी जब उ ह ने जीवन उ यन का
पथ चुना और महान सफलता अ जत क । उ ह ने वयं अपना जीवन पांत रत कर अ य के लये उदाहरण तुत
कया। अपने जीवन के व भ व व तृत अनुभव के आधार पर उ ह ने मता के उ यन, जीवन क गुणव ा
को अ धक समृ करने व उसे अ धक उ पादक एवं संपूण बनाने के माग का मान च तैयार कया। और अपने इस
उ म को लोग को भा वत करने व असंभव क पना को बेच लेने के अपने ई र द गुण से जोड़ कर उ ह ने
कई युवा के जीवन को भा वत कया व अपने पद च हो पर चलने को े रत कया।
(आज के सफल उ मी र व को कई क प नयाँ व ांड था पत करने का ेय जाता है, जनम शा मल है–सोडे सो,
लो रया ज स कॉफ ज, फन सट , एवं येलो च ल रे ां जनम भारत म 75,000 से अ धक लोग काम करते है।)
इस जीवन या ा म संतोष मेरे सहया ी भी है और मेरे मानस का एक भाग भी। इस पु तक म सफलता के वषय म
उ ह ने जो भी अमू य अंत: याँ इतनी उदारता से लोग के साथ बांट है, वे मेरे वयं के अवलोकन का त ब ब
है। संतोष ने जस दशन, आचारशा ा, आचार वहार एवं नी तय को उ चा रत कया है, वे अभी से स है प पर
का शत अ य कसी भी सा ह य म नह मलती। मै ऐसे कई धुरंधर वसा यय को जानता ँ जो अपनी
अंत ेरणा से उ ह न कष पर प ँचे है और लाभा वत ए है जनका वणन संतोष नायर ने कया है।
संतोष नायर एक उ च–यो यता वाले ोफेशनल है, तथा उ ह ने जीवन क हर भू मका का न पादन सव कृ प
से कया है। उनके साथ काम करना एक मनोरंजक अनुभव है य क उनका उ साह आपको े रत करता है वे
अथाह प र मी है और येक व तु के व तृत योग के त वृ रहते है।
आभारो
समपण
ा कथन
तावना
चेतावनी
साथक जीवन.....एक प रचय
कमांडमट 1 : अपने अवसान क त थ क घोषणा
कमांडमट 2 : स भावना के वचारक बन
कमांडमट 3 : जीवन नैया को बीच मंझधार म ले जा कर झझोड़
कमांडमट 4 : वाय बन : आज ही अपना सं वधान घो षत कर
कमांडमट 5 : घो षत कर: मेरे चार ओर का येक संसाधन उ य नत होगा
कमांडमट 6 : अपने वचार , श द व या को घो षत कर
कमांडमट 7 : घो षत कर क आप आजीवन लीडर रहगे
कमांडमट 8 : भावनाएँ सोखने वाले वकषण को अल वदा कह
कमांडमट 9 : एकाक होने के लये तैयार रह
कमांडमट 10 : घो षत कर आप चरजीवी ह
कमांडमट 11 : ऐसा जीवन जीय, जसक अनुकृ त क ठन हो
उपसंहार
संदभ
आभारो
पु तक लखना, सदा ही मेरी कायसूची का भाग रहा है, क तु म नह जानता था क यह इतनी ज द हो जायेगा।
वह 10 फरवरी 2011 का दन था, इस दन मने जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स पर मु बई के एक सभागार
म करीब 2500 लोग के सम ा यान दया था। यह पर जयको प लकेशंस के मु य संपादक ी रायसम
शमा– ज ह अब मै ेम से शमा जी बुलाता ,ँ ने इस पु तक को लखने का बीज बोया।
यह पु तक मेरे पता ी के. एस. नायर को सम पत है, जनसे मने मजबूत होना सीखा।
मेरी माता ीमती इं दरा एस. नायर को मुझे नीचे न गरने दे ने के उनके जुनून व हठ के लये।
मेरी बहन सुधा नायर एवं सीमा मेनन को जनके मुझम व ास ने मेरा वयं म व ास मजबूत कया।
मेरी प नी सधु को, जनका अ तीय व नः वाथ ेम मेरी वा त वक मता को उजागर करने म सहायक
आ।
मेरी तीन सुंदर बे टय दे वका, माल वका तथा रा धका को ज ह ने कभी मुझसे समय का आ ह नह कया,
जब म अ य धक त था।
मेरे अ धका रय और उनके अ धका रय को–अ नल कुमार गु ता, अ नल अ बो, लीलू ब ा, राजेश म हो ा,
वनोद वामी, स थया डीसूजा, सुरेश गोकलाने, अ खल मरफ तया, ए. के. सु हम यम, पी. के. रॉय, ए. बी.
सुरेश, मनीष कौल, अशोक कुमार,
अ ण नलवड़े, जॉन से वाराज, जे. पी. सह एवं ए. ड यू. जॉज, जनके ान ने मुझे वह बनाया जो म आज
ँ।
मेरे सभी मौजूदा व भूतपूव, सहक मय , अधीन य व smmart के कमचा रय को जनके न वाथ समपण ने
मेरे जीवन के संपूण उ यन म सहायता क ।
मेरे सभी ाहको एवं नयाभर म फैले शुभ च तक को जनके सीमाहीन समथन व ेम ने मुझे एक महान
से समैन, से स मैनेजर, नेता, श क, कोच व उ मी बनाया।
उन सभी महान वचारक एवं दाश नक को, जनके जीवन , वहार , पु तक , ओ डय , वी डय एवं संपूण
अ त व ने मुझे, उ ह एक मापदं ड न मानकर एक ऐसे मील के प थर के प म दे खने को े रत कया, जहाँ
से मेरी या ा का आर भ अपे त ह।
आज के इस ग तशील एवं तगामी संसार म मानव जीवन को उजावान व उ सा हत रखना और अ धक चुनौ तपूण
होता जा रहा है। कसी भी के लये क ठन शारी रक एवं मान सक अपे ा के बीच एक संतोष द जीवन
जीने का अथ है, अपनी यो यता व मता के साथ संपूण जीवन का उ यन। जीवन के उ यन का यह गुण
अचानक, अनजाने म या त या व प नह मलता। उ यन वे छा व संपूण चेतनता के साथ कया गया एक
यास है।
म संतोष को एक दशक से जानता ँ और सदा ही उनके उ साह, ऊजा व संघषपूण जीवन से डटकर मुकाबला
करने क उनक वृ त का शंसक रहा ँ। संतोष क ती ता, भावशीलता व उ साह म नरंतर वृ ही ई है। मेरी
सं था म ह ा एंड म ह ा के साथ उनक या ा 1998 म आर भ ई और तभी से मने उ हे अपने समूह क व भ
क प नय म कायरत कई सहक मय को े रत करते दे खा है।
जीवन उ यन के इलेवन कमांडमट् स पु तक जीवन के त उनके उ साह व जोश का एक सरल व सुबोधपूण वणन
है। इस पु तक म संतोष ने जीवन के हर प को चुनौती द है और द शत कया है क उ ह ने वंय से उ कृ ता
कैसे चाही, क ठनाईय क अवहेलना कैसे क , समाज के मा य नयम को कैसे तोड़ा, और कैसे पारंप रक वचार
को तोड़ कर सदा एक ड यू. आय. पी. (वक इन ो ेस–कायशील ) बने रहे। वे यह भी बताते है क कस
कार कोई भी इन सरल इलेवन कमांडमट् स को अपनाकर अपने जीवन को उ य नत कर, एक अ तीय
जीवन जी सकता है, और इनका योग वयं के लये ही नही, अ पतु अपने आस–पास के लोग के जीवन
को भी पांत रत करने के लये करता है। कसी भी के जीवन उ यन का अथ है उसक वा त वक
मता को बंधनमु करना, अपने नकटवत संसार को े तम बनाना और इस बात का यान रखना क
आपक उप थ त एक वधक के भाव क रचना करे। अपनी मता के उ यन के लये यह अ नवाय है क
आप व–सं वधान से े रत हो, आ म व ासी हो, वाय ह और बाहरी श य ारा संचा लत न ह । उपल ध
संसाधन म से येक का उपयोग करते ए, अ य लोग क ऊजा व चम का रक भावशीलता को अंगीकार करते
ए; उनका अ ययन करते ए उनसे कुछ सीखते ए; जीवन क अनअपे त थ तय के बावजूद, अपने येय व
मह वाकां ा पर यान क त रखते ए; आपको चार ओर से घेरे ए व भावना मक प से ीण करने वाले
वकषण पर से, य नपूवक यान हटाते ए ही आप सवा धक प रणाम दे पायगे और अपनी पूरी मता को
च रताथ कर पायेग।
संतोष चीज़ को अलग तरीके से करने, यथा थ त को चुनौती दे ने व आव यकता न होने पर भी नये योग करने के
मह व पर भी ज़ोर दे ते ह। अपने वसाय या क रयर के उ कष पर जब सब कुछ ठ क चल रहा हो, जीवन थर
हो, और उ पादन अपने चरम पर हो, तब नये योग करना, नव वचार लाना और चल रहे काय म हलचल खड़ी
करना एक ब त चुनौतीपूण कदम होता है। यह व ास क भ व य, भूत का ही व तार है, बड़ी स भावना को
सी मत कर दे ता है।
अत: जीवन उ यन के लये म नरंतर उ त (राइज) होने व अ य को उ त करने क ती इ छा होना
अ नवाय है। एक बार ये वचार व श द य द हमारे काय म प रव तत हो जाय, तो हमारे लए स भावना के
अंतहीन ार खुल जाते ह। म ह ा समूह ने उ त (राइज़) होने के इस दशन को अपना कर ऐसे समाधान वक सत
कये जनसे ग तशीलता को श मली, ामीण े म स प ता बढ़ और लोग के जीवन जीने के तरीक म
सुधार आया। उ त होने (राइज़) के इस दशन का सार संतोष के दशन क त व न है और आप इसका उ लेख
इस पु तक म कई बार पायगे।
यह पु तक मानवीयता के त उपयु ांज ल है और हर उस के लये पढ़ने यो य है जो जीवन उ य नत
करना चाहता है।
डॉ. पवन गोयनका,
े जडट
ऑटोमो टव एंड फाम इ वपमट से टस
म ह ा एंड म ह ा ल मटे ड
तावना
म आशा करता ँ क इस पु तक क वषय–व तु आपके जीवन उ यन म उतनी ही सहायक होगी, जतनी मेरे ई।
चेतावनी
यह पु तक केवल उनके लये है जो जीना, सीखना, ेम करना व अपने पीछे एक वसीयत छोड़ना चाहते ह।
यह पु तक साधारण मनु य व कमजोर दलवाल के लये नह है, अ पतु उनके लये है जो सामा य ह क तु
असामा य होने क ह मत रखते ह और इस असामा यता क क मत चुकाने को भी तैयार ह।
साथक जीवन.....एक प रचय
म जीवन म दो कार के लोग से मला ँ.... पहले वे जो इस नया म आये और चले गये, ले कन उनके अपने
प रवाऱ, नजी म और सहक मय के अ त र कसी अ य को उनके अ त व का भान तक न आ। ये वे लोग
ह, जनके इस पृ वी पर आने और चले जाने से संसार म कोई बदलाव नह आया। ऐसा एक साधारण मनु य
होता है, चाहे वह एक पु हो या पु ी, एक प त हो या प न अथवा माता या पता। वह एक आम कामकाजी
होता ह, जसके वचार, जीवन व जीवन जीने का तरीका भी साधारण ही होते ह। वे वयं को एक आम आदमी के
प म ही दे खते ह और उनका वतमान और भ व य भी आम मनु य का ही होता है। इस साधारण वृ के साथ
एक सी मत सुख–वृत म तीत होते उनके जीवन से उनके नजी साथी व नकट का वातावरण भी भा वत नह
होते। य द जग जगलर के श द म क ,ँ तो म इन मनु य को ‘सव ापक–साधारणता’ का नाम ं गा। ऐसे लोग
साधारण मनु य क ापक भीड़ का ह सा बने रहते ह और इसी प म अपना पूरा जीवन बता दे ते ह।
सरी ेणी म आने वाले लोग थम ेणी वाले इन य से एकदम वपरीत होते ह। ये वे लोग ह ज ह ने
भीड़ से ऊपर उठकर अपने जीवन म महान काम कये है और नया पर अ मट छाप छोड़ी है। अपने उ ोग ,
समाज या मानवता को उनका योगदान अतुलनीय है। फर चाहे वह ए आर रहमान ह या बाबा आ टे ( ज ह ने कु
रो गय के लये आ य थल बनाया) मा टन लूथर कग, ट व जॉ स (ए पल कंपनी) ने सन म डला या अ य।
इन य को इनके साथक जीवन, ब लदान , भोगे गए ःख व आघात , साह सक फैसल , कदम–कदम पर
मलने वाली चुनौ तय व अंतहीन वरोध का सामना करने, तथा अपने ज बे, संघष, जोश और म त के त
जुनून व नकारा मक प र थ तय म न टू टने के लये जाना जाता है। इस प रचय के अभाव म ने सन म डेला के
जीवन को समझना क ठन होगा ज ह ने अपने जीवन के 26 वष रंगभेद क नी त का वरोध करते ए जेल म
बता दए। छ बीस वष क सजा कसी भी क अपने म त के लए संघष तो या जीने क इ छा भी
समा त करने के लए काफ है। ये सभी उस सरी ेणी म आने वाले लोग ह ज ह हम ‘ व श साथक’ का नाम दे
सकते ह। ये वे लोग ह जो ल बे समय से नरंतर, एक आदश नायक का असाधारण जीवन जी रहे ह, उनके वचार,
श द, काय व याएँ एक साधारण के लये उदाहरण है और वह उनका अनुसरण करता है। उनक
उप थ त एक उ सव का कारण बन जाती है और अनुप थ त ऐसा शू य बन जाती है जसक पूत कोई अ य
संपूण जीवन म भी नह कर सकता। इस ेणी म आने वाले लोग के जीवन से उनके आसपास रहने वाले व
उनसे जुड़े लोग का जीवन भी भा वत होता है और यह भाव उनक मृ युपयत भी बना रहता है। ये ऐसे जीवन
होते है जो ब त के अ त व का कारण बन जाते ह; उनका जीवन वयं उनसे कह बड़ा व महान होता है, यह ऐसा
जीवन है जसे दोहराया नह जा सकता। इस संसार म लाख करोड़ लोग ज म लेते है, अपना जीवन तीत करते
है, और चले जाते है। ब त कम लोग ऐसे होते है जो जीवन जी कर इस संसार से वदा लेते है।
ब त कम लोग साथक– वशेष क ेणी म आते ह (5 तशत) अ यथा अ धकांश जन–जीवन उसी
सव ापक–साधारणता का ही भाग होता है। अत: यहां से हम सव ापक–साधारणता को आम मनु य व साथक–
वशेष को साथक–जीवन के नाम से संबो धत करगे।
बचपन म हम सभी अ मताभ ब चन, नील आम ांग, बल गेट्स (माइ ोसॉ ट), बनना चाहते थे, या सरे
श द म कह तो हम साथक– वशेष लोग के समूह का ह सा होना चाहते थे। ले कन जैस–े जैसे हम बड़े ए, दै नक
जीवन क बढ़ती क ठनाइय व बढ़ती उलझन ने हम अपने जीवन के येय को पाने का मौका नह दया। और हम
सव ापक–साधारणता का ह सा हो गये।
तो फर हम कैसे इस ेणी से उपर उठ कर वयं को इस साथक– वशेष के समूह का ह सा बनाय? वह या
है जो इस 5 तशत जनसं या को भीड़ से अलग कर के एक व श ता दान करता है?
मने एक साथक– व श होने का नणय 4 ऑ टोबर 1985 को लया। यह वह दन था जब मने एक से समैन
के प म यूरेका फोबस् म काम करना आर भ कया। तभी से म अपने जीवन को एक साथक–जीवन बनाने क
या म ँ। पछले 29 वष क इस या म मने एक चीज़ अनुभव क है।
नणय लेने वा े.....
वे लोग जो एक साथक– व श होने का नणय ले लेते ह.... जाने अनजाने म साथक उ य नत जीवन जीने क
कला का अ यास आरंभ कर दे ते ह।
चता न कर..... व ऐसा न सोच क आपक ावसा यक बु व मता दांव पर लगी है – य द आपको यह
प रभाषा एक बार पढ़ने से समझ म न आये। जैसा मने पहले भी कहा, यह एक क ठन व बल प रभाषा है, जो क
पहली बार पढ़ने पर न त ही आपको कह अ धक पेचीदा लगेगी। क तु कुछ बार पढ़ने के बाद आप इस
प रभाषा म उन महान लोग क झलक पा सकगे, जनक चचा मने पहले क है।
1995 म अपने साथक–जीवन क या ा ार भ करते ए जब मने इन महान तभा के जीवन पर
डाली तो पाया क इन य क रचना ही कुछ अलग है। इस न ल के लोग के या–कलाप म कुछ ऐसा था
जससे मने जाना क:
उनक तं रचना व श थी,
ये नद शत थे।
और आज, जब मने यह पु तक लखना आर भ कया तो मने जाना क,
ये सभी आंत रक प से नद शत थे।
मने इन नदश को कमांडमट् स या ‘आ ा ’ का नाम दया है जो साथक–जीवन क इस राह पर आपका
पथ– दशन करगी।
जरा कये.... या मने अभी–अभी ‘कमांडमट् स’ श द का योग कया? ले कन या कमांडमट् स भु ारा
था पत नयम नह ह? य द हां, तो फर ये नयम साथक–जीवन म कैसे सहायता करते ह?
वा तव म ‘कमांडमट् स’ श द उन लोग को तुरंत कुछ याद दला दे ता है जो जानते ह क ‘टे न कमांडमट् स’
भु ारा सीधे मोज़ेस को दये गये थे तथा इ ह ने इ य को बताया क उ ह इस पृ वी पर कस कार अपना
जीवन जीना चा हये। ले कन या ‘कमांडमट् स’ मा एक धम ारा अनुमो दत जीने का तरीका है? या हम इसे धम
के दायरे के बाहर से भी समझ सकते है?
कमांडमट् स या है?
आ सफोड श दकोश के अनुसार, कमांडमट् स का अथ है,
भु का वधान
एक आदे श
एक अनुदेश
नदे श
आ ा
बीते दन म मने यारह अनुदेश का संकलन कया है, जो मने वयं को कई वष पहले दये थे। इ ह अनुदेश ,
आ ा , आदे श व नदे श के कारण, पछले 29 वष क मेरी मानव–या ा ब त ही व थत व नरंतर उ थान
क ओर बढ़ाने वाली रही है। इसका मह वपूण कारण रहा है क मने अपने भीतर के परमा मा को, मुझे इस या ा
के दौरान नद शत करने दया और मने संतोष नायर के वचार , श द व काय को नद शत कया।
मने उसे एक आदे श दया, कुछ काय करने के अनुदेश दये, एक वशेष तरीके से जीवन जीने क आ ा द ,
और उससे एक तमान क मांग क । जी हां, उसे आंत रक प से अनुदे शत कया और ये अनुदेश मने दये।
म नह जानता क आपने कभी वयं को कोई कमांडमट् स दया है; मुझे यह भी नह मालूम क आप भ व य म
वयं को कोई कमांडमट दे ने वाले ह; क तु य द आप ऐसा कुछ करने का नणय लेते ह तो आज ही कर; वयं को
जीने का, ेम का, सीखने का और अपने पीछे एक संपदा छोड़ने का कमांडमट दे ने का सव म दन आज ही है;
बशत आप एक साथक– वशेष होना चाहते ह और साथक–जीवन का खेल खेलने के लये तैयार ह।
जैसे–जैसे यह पु तक आगे बढ़ रही है, म आपके सामने ‘साथक–जीवन के इलेवन कमांडमट् स’ तुत करने
वाला ँ। आप यह इलेवन कमांडमट् स वयं को दे कर अपनी साथक–जीवन क या ा का शुभारंभ कर सकते ह।
यह रह योद्घाटन आपके लये जीवन का अथ व जीवन के त आपका कोण न य ही बदल दे गा और य द
आपने इसे गंभीरता से लया और पूरे मन से इसका पालन कया तो आप जीवन क नई उंचाइय को छू लगे।
इन कमांडमट् स क ओर बढ़ते ए, म आपको चेता ं क यह या ा ब त क दायक, मसा य, चुनौ तय से
प रपूण और जीवन से कह बड़ी है। मेरा आपसे एकमा अनुरोध है क जैसे–जैसे म इन कमांडमट् स, अपने नजी
अनुभव , सफलता और ास दय पर से पदा हटाऊं आप मेरे साथ बने रह।
म , यहां म आपको यह भी बता ं क यह कोई सामा य पु तक नह है। यह उन सैकड़ पु तक से हट कर
है, जो आपने अभी तक पढ़ ह। यहां हम साथक–जीवन क चचा कर रहे ह; अथात, ऐसा जीवन जसे जीने के
लये आपको अ यथा 40 जीवन जीने ह ग। यह ऐसी पु तक नह है जसे आप समय बताने के लये या ा म पढ़
ल, या अपनी आराम कुस म बैठे ए इसके पृ पलट ल या कोई ेरणा पाने हेतु आप इसका कुछ ह सा भोजन से
पहले पढ़ ल। इस पु तक क वषय–व तु इन सभी से कह अ धक गंभीर है।
इस पु तक को आप एक बैठक म पढ़कर इसम समा हत 29 वष के ान को समझ लेने व आ मसात कर लेने
का यास एक मूखतापूण काय होगा। य द आप इस पु तक का वा त वक भाव दे खना चाहते ह और इसके सार
को अपने मानस म उतारना चाहते ह तो यह आव यक है क आप इसक वषय–व तु को पूण प से आ मसात
कर और इसका एक ही तरीका है क आप इस पु तक के येक श द को समु चत समय व यान दे कर पढ़ व
समझ, तभी अगले श द पर जाय।
अत: मेरा आपसे अनुरोध है क आप इस पु तक को एक बैठक म न पढ़। इसका एक–एक अ याय पढ़, उस
पर कुछ ण के लये मंथन कर, वचार कर, ववेचना कर व यह त ा लख ल क येक अ याय व कमांडमट
को कम से कम तीन बार पढ़ने के बाद ही आप अगले पर जायगे।
इस पु तक के लये एक दोसौ पृ क कॉपी ले ल व उसे ‘साथक–जीवन है ड–बुक’ का नाम दे दे ग। येक
अ याय पढ़ने के 24 घंट के अंदर, जो भी आपने सीखा वह इस है डबुक म लख ल। येक अ याय म कुछ
अमल यो य याएं सुझाई गयी ह; उन पर काय तभी आरंभ कर जब आपने तीन बार हर अ याय पढ़ लया है और
उस से आपने जो सीखा उसे है डबुक म लख लया है।
साथक–जीवन क इस या ा के दौरान आपका संतोष नायर क नया म वागत है।
कमांडमट
1
अपने अवसान क त थ क घोषणा
चरण 1 – डेटा
पु तक , ऑ डयो, वी डयो, म व श ण काय म आ द से हम जो भी ा त होता है। वह डेटा है। इस डेटा का
95 तशत भाग हम 24 घंटे के भीतर ही भूल जाते ह। तथा 5 तशत एक ह ते म गवां बैठते ह। जब भी आप
व यकला या नेतृ व के बारे म कोई पु तक पढते ह या कोई ऑ डयो बुक सुनते ह आप को कुछ डेटा ा त होता
है य द इस डेटा को जानकारी म नह बदला गया तो यह सदा के लये खो जाता है।
पढ़ गई पु तक से सतही बदलाव तो अव य आते ह ले कन अ धकांश लोग इन बदलाव से अ भभूत हो
उ े जत व स हो उठते ह। और इसी भावना के साथ उनका व पु तक का संसग समा त हो जाता है। सरी ओर
साथक–जीवन के या ी अपना यह संसग बनाए रखते है और डेटा बदलने क इस या को पार करते – चरण 1
पर न कते – बु म ा नमाण के अगले चरण क ओर बढ़े चलते ह; जो क है जानकारी।
चरण 2 – जानकारी
बु म ा नमाण क या का अगला चरण है– डेटा का जानकारी म पांतरण। हर यह काय अपने
तरीके से करता है। कुछ लोग श ण काय म म जो कुछ पाते ह, उसे रकाड कर लेते ह। साथक–जीवन के कुछ
अ य या ी यह पूरी या सैकड़ बार दोहराते ह। जससे उनक वषय पर पकड़ मज़बूत हो जाये। स भव है क
डेटा को जानकारी म बदलने का आपका तरीका कुछ और हो। पछले 29 वष से, मै जो तरीका अपना रहा ँ वह
है– एक त डेटा क अपनी समझसे ववेचना करना और फर उसे लख लेना। म येक पु तक को जसे पढ़ता ँ
अथवा जस ऑ डयो या वी डयो को दे खता ँ व उस येक श ण काय म को जसम म भाग लेता ँ सौ से
अ धक पृ म कलम ब कर लेता ।ँ इससे मुझे भ व य म संदभ के लये एक प व ल खत परेखा मल
जाती है। अ धक स अ धक डेटा का संचय व उसका जानकारी म पांतरण आपके मौजूदा व का हनन करता है।
व आपको अगले तर तक उ त कर दे ता है। जी हाँ यह से आपके मौजूदा व के समापन व नये व के ज म के
नमाण का आर भ होता है।
चरण 3 – ान
डेटा को जानकारी म बदलने के उपरांत आपको इस जानकारी का ढता से योग करना है। जी हाँ जानकारी का
नय मत उपयोग ही ान है। ान वा तव म काया वयन क थ त है। यान रख, अपने नणय को या वत करने
म आप कई बार असफल ह गे। य क इस दौरान आपका पुराना व उभरते ए नये व का वरोध कर ं द करने
लगता है।
आप बार बार लगातार असफल होते ए भी ढ बने रह। अपनी जानकारी के चरण पर लौट और एक त
संदभ को टटोले ता क आप जान सक क आप कहाँ असफल हो रहे ह और वयं को कैसे सुधारा जाए। वयं को
सुधारने के कई य न के बाद मश: आपक असफलता म कमी आने लगती है; जैसा क उपर दये च म
दशाया गया है। और आप अत: पहली बार सफलता का वाद चख लेते ह। यह वह थ त है जहाँ से आप ान से
एक चरण उपर उठ कर इस या के अं तम चरण पर प ँच जाते ह।
चरण 4 – बु म ा
नय मत य न के बाद आप नवीन या को सही कार से करने म सफल तो हो जाते ह क तु वफलता का
च पुन: आर भ हो सकता है। असफलता के बार बार सफलता म प रव तत होने से सफलता का आकार व
मह व बढ़ने लगता ह और अ त म, यह पर ान बु म ा म प रव तत हो जाता है।
इस तर पर आपको ठ क–ठाक पता होता है क करना या है; एक क ठन प र थ त म जीने के लये कन
गुण क आव यकता होगी; एक जाने माने झूठे के साथ कैसा वहार करना है; और उसे एक स चे म कैसे
बदलना है; आ द। इस चरण पर आपने कई े के लय बु म ा का नमाण कर लया है। एक बार न मत हो
जाने पर बु म ा सदा आपके साथ रहती है और आपने जस वषय पर बु म ा हा सल क है; आप उस वषय
के ाता कहलाते है। यहाँ मुझे एक घटना याद आती है; जब मैने पहली बार डॉन बैवेरेज के एक काय म म भाग
लया था। उस काय म म इस व स लाइफ कोच का कहा एक–एक श द मने नोट कर लया था। इसके
साथ ही मने उन नोट् स क ा या भी लख ली थी। इस कार मने अपने डेटा को जानकारी म प रव तत कर
लया था। मने केवल वही नह लखा था जो म समझता था अ पतु मने यह भी लखा क मने इनसे या सीखा और
मुझे उससे या लाभ मल सकता है। जब म इस डेटा को जानकारी म बदल रहा था तो मने वयं को कमांडमट
दया क मने आज जो भी सीखा है उस म अ याय–दर–अ याय काया वत क ँ गा। साथ ही मने इस ल य ा त
के या वयन क एक परेखा भी तैयार कर ली। मैने एक नोट बुक भी खरीद ली और फर अपने नोट् स क
सहायता लेते ए हर सीख को अपने अवचेतन म उतार लया। आज 20 वष बाद म पूरे गव और उ साह से कह
सकता ँ क मने पु तक म दये येक श द का अ यास कया।
सन् 1990 म मने एक काय म म भाग लया था। जसका नाम था LIFE–Living in Freedom and
Enquiry अथात वतं एवं उ सुक हो कर जीना। इसी काय म से जुड़ा सात दन का एक और काय म था।
The Existential Laboratory इस काय म के संचालक थे वामी सुखबोधानंद व इस काय म के दौरान हम
एक हरे भरे जंगल म एक त बू म रहे जहाँ रात को बजली क भी व था नह थी। तभा गय को एक नय मत
समय पर सो जाने का स त आदे श था। मैने काय म का यह नयम तोड़ा और वंय को चादर से ढ़क कर रात को
घंट अपने नोट् स बनाये। इस कार पूरे दन क कायशाला म ा त ए डेटा को मने जानकारी म बदला और आज
वे सभी चीज मेरी बु म ा का ह सा है।
मने हर काय म के दौरान अपने वचार को कलम ब कया चाहे वह MILT का लीडर शप काय म हो या
अपोरेश आचाय का MILT से स कोस हे मट फलैश का डायने ट स का काय म या कोई अ य।
जग जगलर क ल य नधारण पर तैयार क गई ऑ डयो पु तक जो मने 1985 म सुनी थी, व अ य कई
कताब जनम टॉम हॉप कस, ायन े सी, जग जगलर, डैन सु लवान क लखी पु तक शा मल ह। तथा मेरे
पसंद दा जोल बारकर के ऑ डयो और वी डयो; सभी मेरे अ ययन क म ढे र ह त ल खत कागज के प म
मौजूदा ह; जनम मने येक पढ़ ई पु तक के बारे म लखा है। आज ये सभी मेरी बु म ा का भाग है। नीचे द
गई त लका म लख क उपरो संक पना से आपको कौन सी चार सीख मल ।
इ ह अपने जीवन का थायी भाग बनाने हेतु आप या करगे व इस काय क समय सीमा तथा इसके लये
आपको कस सहायता क आव यकता होगी यह भी लख।
श ा दे ना, श ा ा त करने का सबसे अ छा तरीका है। आने वाले स ताह म हर मलने वाले से
इस पर चचा कजीए और दे खये क या आप ‘अपने अवसान क त थ क घोषणा’ इन श द का योग
अपने वातालाप म कर पाते ह।
जीवन के हर े म को बु म ा नमाण क आव यकता है। इसके लये आप कोई भी े ले सकते
है। उदाहरण के लये :– से स, नेतृ व, माक टग, ै डग, ट म का नमाण, लोग का बंधन, समय–पालन, वहार,
व, वेशभूषा, बोल–चाल आ द। इसके अ त र आपक ावसा यक व गत च के सभी े इस
कार न मत बु म ा से काय का संचालन मौजूदा व को समा त करने व समय–समय पर उसके नवीकरण क
या को सरल बना दे ता है। और आपका जीवन उ त हो अगले तर पर प ँच जाता है।
अपने जीवन को जीवन–पय त उ य नत व साथक रखने के लये आपको यह आ ा, नदे श, आदे श, भु का
नयम, यह कमांडमट, अपने काम के त दन, तघंटे, त मनट दे ना होगा।
स भावना अ ात है।
स भावना के वचारक बन न क सकारा मक वचारक।
संभावना अ ात है।
यह क पना, इरादे एवं बोध से परे है।
यह ता का लकता से परे है तथा साथ ही आपके वचार श द व या से भी परे है।
स भावना अभी कसी भी प म उप थत नह है; चाहे वे वचार ह या प रक पना।
यह एक पूण प से नये संसार क रचना है; स भावना का संसार।
यह एक व ास है, कुछ ऐसा करने का जो आपने पहले कभी न कया हो, कुछ ऐसा रचना जसका कभी
अ त व न रहा हो।
संभावना प व है; यही भु है; यही वह व तु है, जो संसार को अचं भत कर हत भ कर दे ती है।
आप एक सकारा मक वचारक हो सकते ह। क तु जब आपके आसपास क प र थयाँ व हालात बदलने
लगते ह तब सकारा मक सोच क जाती है। सकारा मक वचारक कभी भी जीवन को साथक नह बना सकते
य क जब सब कुछ उलटने लगता है; थ तयाँ काबू से बाहर जाने लगती ह तथा पूरा संसार आपको बीच राह म
छोड़ दे ता है; वे नकारा मक वचारक बन जाते ह।
साथक–जीवन पाने के लये आपको संभावना का वचारक होना होगा!
या आपने कभी प रक पना से परे कुछ करने का य न कया है। उदाहरण के लए, एक साल म अपने
वसाय को 500 तशत बढ़ा लेना एक माह म अपना वजन 20 कलो कम कर लेना, अपने जमे ए वसाय
को रात –रात सरे शहर म ले जाना। या ऐसा करते ए आपको कभी उपहास का सामना करना पड़ा है; य द
नह तो आपने अभी तक अस भव क तलाश नह क है।
ब ब का अ व कार करते ए थॉमस ए डसन 10000 बार असफल रहे, क तु उ ह ने हार नह मानी; नारायण
मू त भी इ फो सस क थापना करने के यास म कई बार असफल रहे; रे ॉक क मैकडान ड क क पना को
300 से अ धक नवेशक ने नापसंद कर दया था। रटे ल वसाय म बगबाज़ार से ा त लाने वाले कशोर
बयानी को अपने प रवार के ही वरोध का सामना करना पड़ा, वॉ ट ड नी ने जब ड नीलड क क पना लोग के
सामने रखी तो पूरी नया ने उनका उपहास कया, क तु इनम से कसी ने भी अपने इरादे को नह छोड़ा ब क वे
तब तक अपने इराद पर ढ़ रह जब तक क उ ह ने अपने सपन को स चाई म नह बदल दया। ये सभी
स भावना के वचारक थे।
आ खर वह या चीज़ है; जो स भावना के वचारक को आमजन से अलग बनाती ह? इन दोन कार के
लोग म अंतर करने वाली मा एक ही व तु है और वह है स भावना के वचारक का शू य बा यता के स ा त
पर अमल करना – समय, धन व संसाधन क कमी उनके लये कोई मायने नह रखती और वे अपना काय पूण
करने के अ य वक प ढं ढ़ लेते ह, चाहे उ ह लौ कक या आलौ कक कसी भी कार के बंधन से जूझना पड़े। यह
स भव है क अपे त फल क ा त के लये आपके पास नया क सबसे अ छ सु वधाएँ, संसाधन धन व समय
न हो। ऐसी प र थ त म काम नह हो पायेगा क घोषणा कर दे ना सवा धक सरल होता है। यह सामा य बु से
े रत काय का सबसे अ छा उदाहरण है और इसम को कसी भी सोच– वचार क आव यकता नह होती।
पर तु, इस तरह के बंधन के साथ अपे त फल पाने के लये मा ववेक या सकारा मक सोच काफ नह होती,
वरन को स भावना पर वचार करना होता है और यही उसे स भावना– वचारक बना दे ता है।
उदाहरण के लये आपको 24 घंटे म एक सी मत बजट व बना कसी सहायता के एक पाट आयो जत करने
को कहा जाता है या फर आपको 1000 यु नट त दन न मत करने का ल य दया जाता है, जब क अभी तक
उस फै म त दन मा 350 यु नट ही न मत ए ह। इन प र थ तय म क व रत त या होगी। यह
अस भव है, म यह नह कर सकता क तु स भावना– वचारक यह ढं ढ़ना आर भ कर दे ता है क यह काय कैसे
कया जा सकता है, वह इस पर वाद– ववाद नह करता क यह काय हो पायेगा या नह ।
सरी ओर ह, हमारे म यमाग म जनके वचार स भव–अस भव नामक ुव के बीच के होते ह। अथात जब
सकारा मक वचारक का सामना 1000 यु नट जैसी प र थ त से होता है, तो वे काम करने को तो तैयार हो जाते ह
क तु इस भय से क कह काम दे ने वाले बुरा न मान जाए; और फर, वे न न ल खत बल कथन के साथ
अस भव काय वीकार करने क घोषणा करते है।
अस भव से स भव क सोच क ओर,
एक स भावना– वचारक होने के लये आपको वयं से एक मूलभूत करना आव यक है, यह मने कई वष
पहले स प रवतन गु जोल बारकर से सीखा।
कुछ ऐसा है, जो आज मेरे वसाय म करना असंभव है, य द वह कया जा सके; तो या वह मेरे काय–
े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा?
कुछ ऐसा है जो मेरे वसाय/माकट/टे रटरी म करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या
वह मेरे काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा?
कुछ ऐसा है जो आज मुझे मले समय से करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या वह मेरे
काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।
कुछ ऐसा है जो आज मेरे धन से करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या वह मेरे काय–
े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।
कुछ ऐसा है जो आज मेरे शरीर से करना असंभव है; य द वह कया जा सके, तो या वह मेरे
काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।
जब आप वयं से स भावना– वचारक– पूछते ह और फर अस भव काय को वा तव म कर लेते ह तो
आपके आस–पास क नया म आपक पहचान बनने लगती है। और यह से जीवन का उ यन आर भ हो जाता
है। जब आप अस भव काय क एक पूरी कड़ी सफलता पूवक कर लेते ह; तो लोग आपको यान पूवक दे खने
लगते ह; आपका अनुसरण करते ह; आपको आदश मानने लगते ह; और उ य नत जीवन आप म घर करने लगता
है; उ य नत जीवन क या आपम था पत होने लगती है।
अब आप एक आम आदमी से एक सावज नक व बनने लगते ह; आप पर दबाव बढने लगता है –
अ याय 1 याद कर, जसम हमने सावज नक दबाव क बात क थी – और संसार के त आपका कोण बदल
जाता है – अपने इस कोण से आप वयं अप र चत थे। अब आप जो भी सोचते ह, सं े शत करते ह व
या वत करते ह, वह संसार को बेहतर बनाता है और फर अचानक ही इस ह पर आपक उप थ त साथक
बन जाती है। संसार आपक ओर दशा, मागदशन और ेरणा पाने के लये दे खने लगता है। आप कभी जस
‘ ापक–साधारणता’ का भाग थे, अब नम कार कर उस से वदा ले लेते ह; और साथक व श लोग के े म
वेश कर लेते ह। अब आप एक उ य नत जीवन वाले बन जाते ह।
4 अ टू बर 1985 को मैने एक घर–घर जा कर वै यूम लीनर बेचने वाले के प म यूरेका फो स क पनी म
काम करना आर भ कया। उन दन यूरेका फो स का औसत रा ीय से स चार वै युम लीनर तमाह था। क तु
कुछ लोग 8, 12, या 14 भी बेच लेते थे, क तु ऐसा वे नय मत तौर पर नह कर पाते थे।
11 अ टू बर 1985 को जब माह का से स लोज़ करने म मा 20 दन बाक थे, मने 26 वै यूम लीनर बेच,े
व एक से स–मैन के प म एक शानदार या ा आर भ क । अगले महीने मने 32 वै यूम लीनर बेच,े फर 34,
36, 39, 41 व 42 व 43, यह सं या महीने–दर–महीने बढ़ती गयी।
ी अ नल अ बो जो हमारे ऑल इं डया से स हेड थे, व मेरे बॉस के सुपरवाइज़र भी, हमेशा कहा करते थे क
एक से समैन को अपने पछले महीने क से स से कम से कम एक यादा बेचना चा हये। मने इस बात को ब त
गंभीरता से लया और अपने पूरे से स क रयर म कभी भी पछले माह क से स से कम से स नह क । ऐसा
करना असंभव है, क तु मने कया; म एक स भावना– वचारक था।
यूरेका फो स के इ तहास म पहली बार कसी शाखा ने 300 से स का आंकड़ा छु आ, यह मेरी शाखा थी, म
पहला ांच मेनेजर था, जसने महीने म 400 से स पूरी क , फर एक माह म 500 से स, यह एक ब त क ठन
काय था – कभी कसी ने ऐसा करने का साहस नह कया था; कसी ने इस बारे म सोचने का भी साहस नह कया
था। यह अस भव था, क तु मने कया। म एक स भावना– वचारक था।
यूरेका फो स म अपने आठ सुनहरे वष के दौरान मने जो कया वो अ य कोई भी से समैन, ुपलीडर, से स
सुपरवाइज़र, ाँच मैनेजर व डवीज़नल से स मैनेजर नह कर पाया। आज तक कंपनी को मेरे जैसा सरा से स–
मैन, से स मैनेजर, से स लीडर नह मल पाया है। मने जो भी रकाड बनाये उ ह आज भी कोई चुनौती नह दे
पाया है। और वे नये लोग के मन म कुछ करने क आकां ा जगाते ह।
जब मने यूरेका फो स छोड़ा तो म क पनी के इ तहास का सबसे छोटा, सवा धक धनी कमचारी था। ऐसी
अ मट छाप छोड़ना अस भव है, क तु मने ऐसा कया। म एक स भावना– वचारक था।
यूरेका फो स छोड़ने के बाद, अपनी सरी क पनी रीयल वै यू म भी एक ड ट जनरल मैनेजर के प म म
ब त अ छा काम कर रहा था। और महीने–दर–महीने पुराने व नये क तमान तोड़ रहा था तभी क पनी क एक
इकाई वै युमाइज़र ड वज़न बैठ गई और उसने क पनी को औ ो गक और व ीय पुनगठन बोड के मंच पर प ँचा
दया। क पनी समय पर अपने कमचा रय को तन वाह नह दे पा रही थी और हम लोग को नौकरी छोड़ने के लये
कहना पड़ रहा था; हालां क कुछ लोग ने अपने आप ही काम छोड़ दया। यह ब त क ठन समय था।
इन बगड़ते ए हालात म मने व मेरे एक सहकम व ांच मैनेजर, द प पाट ल ने नणय लया क हम
अ वीकृत उ मीदवार क एक नयी ट म बनाय व एक नयी शु आत कर। यह कोई सामा य बात नह थी। हमने
पहले कभी ऐसा नह कया था। और हम यह करना पसंद भी नह आ रहा था। ले कन हम हार नह मानना चाहते
थे। अत: हम ने 20 ऐसे उ मीदवार क ट म बनायी, ज ह हम सामा य प र थ तय म कभी न चुनते और उ ह
सफल से समैन म पांत रत कया। हमने न तो मौजूदा हालात , न ही प र थ तय और न ही धन व संसाधन क
बा यता को दोष दया। यह अस भव था। क तु हमने कया। हम स भावना– वचारक थे।
हमारे इस अ वीकृत उ मीदवार को सफल कमचा रय म पांत रत करने के काय ने मेरे जीवन को सवा धक
पूणता द । इस अनुभव ने मुझे यह प का व ास दला दया क कसी भी कार के को बदला जा सकता
है। चाहे उसक शै णक यो यताएँ व उपल धयाँ कुछ भी ह । अत: जब आप हमारे ‘ माट’ कायालय म आते ह,
तो आप कभी भी कसी कमचारी, ऑ फस अ स टट से लेकर रसे श न ट, ाईवर, हमारे से समैन और हमारे
व र मैनेजर तक को एक ही काय दोबारा करते ए नह पायगे। यह अस भव है क तु मने कया है। और अभी
भी कर रहा ँ। म एक स भावना– वचारक ँ।
सन् 1996 म मने श ण व सलाहका रता के े म अपनी या ा ार भ क । तब म वयं से कई बार यह
संभावना– वचारक– पूछा करता था, य द कुछ ऐसा है जो क एक श क के लये करना अस भव है, क तु
वह कया जा सकता है तो या वह मेरे काय– े म कुछ मौ लक प रवतन लायेगा।
फर एक दन मने वयं से कहा, एक माह म 10 दन श ण, 10 दन ापार– व तार और 10 दन
नयोजन–तैयारी एवं एक म हना व उ यन अस भव है। मैने इसे अपना ल य बनाया और कया। मश: मने
श ण क अव ध पहले 15 दन व फर 20 दन तक बढ़ा द और जब क मेरे अ य श क– म – 10 दन क
या ा से घबराते थे। मुझे एक माह याद आता है, जब मने 24 दन तक नरंतर, बड़े आराम से, श ण–काय म
कये। इस दौरान म रात को या ा करता था और तभी अपनी तैयारी भी कर लेता था; और यह सब करते ए मने
त नक भी शारी रक, मान सक अथवा मनोवै ा नक थकान न तो मन पर अनुभव क और नही शरीर पर। यह
करना अस भव था। क तु मने कया। म स भावना– वचारक था।
एक से समैन का काम करते ए मने वयं को कसम दलायी थी, क म जब तक कम से कम एक वै युम
लीनर नह बेच लूंगा घर नह जाऊँगा। सन् 1986 म एक दन मने सैकड़ दरवाजे खट–खटाए व कई लोग को
ेजटे शन दये, क तु रात के 11 बजकर 45 मनट हो गये थे। और मने अभी तक एक भी वै युम लीनर नह बेचा
था। मने वयं से वादा कया था क बना बेचे म घर नह जाऊँगा। यह मेरे जीवन क नी त या सज़ा थी, और म उस
पर कायम रहना चाहता था। आधी रात से कुछ म नट पहले मने एक मकान क सरी मं जल पर रोशनी दे खी। म
उस घर तक गया और एक ण का भी वचार कये बना मने दरवाजा खटखटाया। जस ने दरवाजा खोला
वह आधी रात एक से समैन को दे खकर हत भ व अचं भत था। उसके आ य पर बना कोई यान दये मने अपनी
सामान बेचने क बात आर भ कर द –‘सर म यूरेका फो स से ँ और मेरे पास एक छोट मशीन है जो आपके घर
क उपर से लेकर नीचे तक क हर चीज साफ कर सकती है। म आपको इस मशीन का एक डेमॅ े शन दे ना चाहता
ँ और आपको इसके लये कुछ नह दे ना है। सर या म अंदर आ सकता ँ।’ उस ने मुझे बीच म रोका और
कहा–‘भले मानस यह आधी रात का समय है;’ ‘मने उ र दया–जी हाँ सर यह आधी रात है। या म अंदर आ
सकता ँ।’
म उस का ता पय समझ रहा था; क तु मने वयं को उसके समय संबंधी वचार से बा धत नह होने
दया और अपना ताव जारी रखा। तब उसने मुझ से पूछा क म इतनी मेहनत य करता ँ। मने उसे बताया क
इसके दो कारण ह।
असतत के दशन म व ास रख
जीवन म कुछ भी थायी नह है। आपके आस–पास के लोग – उनक तब ता, सहयोग, न ा – आपके स बंध
व उनका जीवन, आपके मौजूदा काम अथवा वसाय क कृ त, आय, प र थ तयाँ, रहन–सहन का तर,
संप , सुख–सु वधाएँ, प र म व संघष तथा वयं जीवन; इनम से कुछ भी शा त–सतत नह है। यह सब कसी न
कसी दन समा त होगा, उसे समा त होना ही है।
कई लोग अपनी ता का लक प र थ तय के चलते पूरी तरह अकम य हो जाते ह; उ ह लगता है क ये
थ तयाँ जीवन भर रहनेवाली ह; उ ह यथा थ त का टू टना भयावह लगता है। क तु यह कथन सही है क जब
तक आप चर–प र चत को पीछे नह छोड़ दे त,े तब तक नयी ऊँचाइयो को नह पा सकते और इसके लये आपका
असतत के दशन को अंगीकार करना आव यक है। सभी संगठन को हर तर पर, असतत के इस दशन को
था पत कर लेना च हए। येक , संबंध, उ पाद, या, व था, आदश, या वय का तरीका व शायद
पूरे वसाय को समय समय पर बदलने क व कुछ नया जोड़ने क आव यकता होती है। जब आप चले आ रहे
काय को छोड़ कर नये वसाय म वेश करते ह तो आप बुरी तरह से असफल हो सकते ह; क तु आपको इस
असफलता के लये तैयार रहना होगा, उसका सामना करना होगा, उससे संघष करना होगा और वजेता बन कर
उभरना होगा।
बजाज समूह क एक इकाई बजाज ऑटो को कसी समय एक कूटर नमाता के प म जाना जाता था।
उनक शानदार मोटर साइ कल व बाइ स जैसे क प सर, ड कवर आ द क पूरी ृंखला को बाज़ार म उतारने के
बाद भी, अपनी पुरानी छ व को बदलने म उ ह एक दशक से अ धक का समय लगा। इस समय उ ह माग दखाने
वाला एक मा वचार था– असतत का दशन।
कसी समय उनक क पनी का मुख उ पाद प हया कूटर का घर–घर म च लत नाम बजाज चेतक ही था।
बजाज समूह के अपर परागत उ रा धकारी राजीव बजाज ने इस छ व को बदलने का नणय लया। जस समय
व के बड़े मोटर साइ कल नमाता हीरो मोटरकॉप, यामाहा आ द कूटर के े म वेश कर रहे थे, उ ह ने कूटर
का वसाय छोड़, 100 तशत मोटर साइ कल बनाने वाली ांड बनने का नणय लया। उनके पता रा ल
बजाज उनके सबसे बड़े आलोचक व शा त वरोधी थे; क तु राजीव ढ रहे, वे जानते थे क जब तक वे चले आ
रहे उ पाद को नह छोड़गे, उनके लये एक नयी छ व व थान बनाना अस भव होगा। इस कार असतत के माग
दशन म उ ह ने अपनी नैया को मंझधार म ले जाकर अपने उ पाद क व तृत ृंखला को झझोड़ा और आज
बजाज ऑटो एक स मोटर साइ कल नमाता ह; जनका वसाय व के 50 से अ धक दे श म फैला है।
इसी कार नो कया, संचार के े का एक अ णी ा ड मूल प से लुगद व कागज के नमाता थे। सन्
1865 म इसक थापना म य फनलड के इसी नाम के एक शहर म क गई थी। जैसे–जैसे टे नोलॉजी वक सत
ई व जंगल घटते गये; नो कया ने अनुभव कया क य द उ ह ने शी ही अपना वसाय नह बदला तो उनका
नामो– नशान मटते दे र न लगेगी; और नो कया ने वयं को एक फॉरे ट मैनेजमट क पनी से एक दै याकार संचार
क पनी के प म पुन न मत कया। आज य द नो कया और आगे बढ़ना चाहता है और व म एक ावसा यक
त ान के प म अपना वच व कायम रखना चाहता है, तो उसे पुन: असतत के दशन क ओर जाना होगा। यह
कसी भी प म हो सकता है। क पनी को चली आ रही वचार या क सम त ारा अथवा संचार का उ ोग
छोड़ कर कसी नये, भ व बेहतर े मे वेश करना होगा; जो उ ह अगले तर तक ले जाये।
एक और उदाहरण है– ITC का जैसा क इसके नाम से प है, इं डयन टोबैको क पनी (पूव नाम, इ पी रयल
टोबैको क पनी ऑफ इं डया)। यह 70 के दशक क सगरेट बनाने वाली मुख क पनी थी। त बाकू व धु पान के
हा नकारक भाव के त बढ़ती जाग कता से अजीत हसकर, जो उस समय क पनी के मु य अ धकारी थे, यह
समझ गये थे क य द ITC ने वयं को सफ त बाकू के वसाय तक सी मत रखा तो यह आ मघाती होगा। अत:
1975 म ही क पनी ने अपने पंख फैलाये और व वधीकरण आर भ कर दया; उ ह ने अपनी उप थ त, होटल,
पेपर–बोड, पे शऐ ल ट पेपर, पैके जग, कृ ष–ज य ापार, ड बाबंद भो य पदाथ , क फै शनरी, सूचना
ौ ो गक , ांडेड कपड़े, गत दे ख–भाल के उ पाद , लेखन साम ी, मा चस व अ य एफएमसीजी उ पाद के
े म दज क । सात ब लयन डॉलर क कुल ब व छ बीस हजार कमचा रय के साथ 60 थान से ापार
करने वाले इस समूह ने एक डाइवस फाइड (ब उ पाद ावसा यक त ान) बजनेस हाउस के प म या त
अ जत क है। 1955 म था पत आय सी आय सी आय बक को कसी समय भारतीय औ ो गक ऋण एवं नवेश
नगम के नाम से जाना जाता था। यह सं थान व बक, सावज नक े के बक व बीमा क प नय का संयु
उ म था व इसका उ े य भारतीय उ ोग को उनक प रयोजना के लये व ीय सहायता उपल ध कराना था।
90 के दशक तक इस सं था ने एक ढ़वाद इकाई के प म काय कया इसी दौरान के बी कामथ ए शयन
डे हेलपमट बक, मनीला से अपना 8 साल का कायकाल पूरा कर लौटे और आय सी आय सी आय के एमडी व
सीईओ का पदभार हण कया। कामथ जानते थे क भारत म ब कग े ब त तेजी से वक सत हो रहा है; और
य द आय सी आय सी आय अपनी मौजूदा भू मका के बाहर नह नकला तो शी ही गुमनाम हो जायेगा। अत:
उ ह ने इस सं था को वकासो व ीय सं थान से व वध– व ीय सेवा समूह म प रव तत कर अपने ार खुदरा
ाहको के लये खोल दये।
सन् 1996–98 म उ ह ने गैर ब कग व ीय सं था के अ ध हण क ृंखला आर भ क और आय सी आय
सी आय बक क थापना का माग तैयार कर लया। सन् 1998 म जब आय सी आय सी आय बक ने इ टरनेट
ब कग का संचालन आर भ कया, तब तक बक ने वयं क नयी ड वन– टॉप फाइने शयल–स वस– ोवाइडर
था पत कर ली थी। सन् 1999 म आय सी आय सी आय बक भारत व ए शया का – जापान के अ त र , ऐसा
पहला बक, क पनी अथवा व य सं थान बन गया जो पचास लाख अमे रकन डपॉ ज़टरी शेअस के साथ यूयाक
टॉक ए सचज म ल टे ड आ और जसने अपने ऑफर साइज़ से 13 गुना अ धक डमांड बुक जनरेट क ।
असतत अ नवाय है!
यारंट क अपे ा न रख
यारंट , आ ासन, सुर ा, आ य – ये सभी श द साधारण मनु य के लये बने ह। जीवन उ यन क राह पर चलने
वाले नयी पहल करने से पहले कसी यारंट क मांग नह करते। उ ह यह सु न त करने क आव यकता नह
होती क जो जो खम वे उठा रहे है, वह उ ह उ त दे गा या अवन त; या नयी नौकरी उ ह वकास दे गी। या नयी
लखी पु तक पाठक को पसंद आयेगी; या नया डज़ाईन पास होगा; या नयी धुन लोक य होगी; या नया
नवास शुभ होगा; या नया उ पाद बकेगा; या नया कमचारी काय का न पादन कुशलता से करेगा; या एक
नया बाजार ापार बढायेगा; या नया मॉडल अ धक लाभ द रहेगा आ द। वे काय के स पादन म व ास रखते
ह। वे जो खम उठाते ह, जो खम वाले नणय लेते ह; और फर उ ह सफलतापूवक य वत कर लेते ह य क वे
सोच वचार कर उपयु जो खम उठाते है। और इसका कारण मा वषय के त आशावाद होना ही नह है,
ब क उनका साहसी होना उलट–फेर से बचने का मा ा होना और उनक आगे बढने क ेरणा, उनका जुनून भी
ह। साथक व उ य नत जीवन वाले अपने हर काय के त तब होते ह।
बना कसी लाभ क अपे ा कये कसी भी वषय के त आपक तब ता, ही आपका जुनून है।
–डॅन सु लवॉन
अन–अनुमो दत या ा
साथक–जीवन वाले , अपने पथ के एकाक या ी होते ह। वे वयं समा हत व वयं म संपूण, आ म– नभर
होते ह, ज ह अपने कम पर व ास होता है; और वे मा अपनी ही वचार या पर, बना कसी के
संबल, सहायता या अनुमोदन क अपे ा कये; जो उ ह उ चत लगे वह काय करते ह। उनका अपना ही एक येय
होता है; एक सहजबु , एक अंतःचेतना, एक सु वचा रत, अनुसंधा नत नणय होता है, जो उ ह उनके भ व य क
ओर नद शत करता रहता है। और उ ह नयी पहल करने के लये संसार के अनुमोदन क आव यकता नह होती।
अनुमोदन न लेने के उनके इस कृ य के पीछे कोई द भ या ता नह होती अ पतु साथक–जीवन वाले यह
जानते ह क नया उनके वचार को नकार दे गी; और उ ह उसी राह पर चलने को कहा जायेगा, जसके दशन म
संसार व ास करता है। उनक बु म ा उनसे कहती है क उनके आस पास के लोग उनके वचार पर व ास
करना व सबल दे ना तो र, समझ ही नह पायगे; य प वे वचार संसार को बदल सकते है और इस लये वे कदम
उठाने से पहले लोग के अनुमोदन क त ा नह करते।
वे व ोही तो होते ह क तु येयहीन नह ...... उनका येय – नवो वेशन हो सकता है; वत ता हो सकता है या
कसी रा , समुदाय या त ान के लये भी हो सकता है; वशेषता यह है क वह येय इतना बल व मह वपूण
होता है क वे इसे बना कसी के अनुमोदन के अकेले ही लेकर चल सकते ह। वे संसार के नयम व मानदं डो को
अनदे खा कर दे ते ह, खतरे उठाते ह। अपने जीवन का उ े य जानने के लये जो कुछ उ चत लगता है, करते ह; और
यह सब वे साथी, समथन और संर ण न मलने पर भी करते ह।
वे नेता होते ह और जानते ह क जीवन नैया उ ह अकेले ही झझोड़नी है और संसार तभी उनके साथ चलेगा
जब उनक नैया थर होकर जीवन–उ यन क राह पर उनका मागदशन कर रही होगी। य प इस या ा मे वे
सहया ी ह गे; क तु उ य नत जीवन वाल को सदा अ णी व साधारण मनु य को उनके अनुयायी के प म दे खा
जायेगा।
भारत क सबसे बड़ी सूचना ौ ो गक क प नय म से एक व ो के चेयरमैन अजीम ेमजी ने हाल ही म
अपने दो सीईओ को नौकरी से इस आधार पर हटा दया क उ ह ने क पनी के वकास को धीमा कर दया। इस
कदम के कारण कई अ य लोग भी क पनी छोड़ सकते थे; कंपनी के शेयस लुढ़क सकते थे; इससे अफवा व
अटकल का बाज़ार गम हो सकता था व उ ोग उनका नरादर कर ल जत कर सकता था। क तु अजीम ेमजी
जानते थे क वे या कर रहे ह और वे हर प रणाम के लये तैयार थे य क वे जानते थे क ऐसा होगा। उ ह ने
मंझधार म, बना कसी का अनुमोदन लये, नैया झझोड़ी थी। उनके इस कदम के फल व प उ ह ने ने 1456.40
करोड पये का लाभ अ जत कया, जो व ीय वष 2011–12, जस दौरान उ ह ने यह भारी कदम उठाया, क
अं तम तमाही क तुलना म 11.95 तशत अ धक था। वे जीवन उ य नत करने वाले ह।
यहाँ वे पाँच नणय ल खये जो आप अगले एक वष म अपने गत व ावसा यक जीवन म लेने वाले
ह। ये नणय आपक अंतःचेतना, साहस व अंतः ान पर आधा रत ह व बना कसी क सहायता अथवा
अनुमोदन के लये गये ह , साथ ही इनके या वयन क परेखा व उसक समय सीमा भी लख।
२. यार ट क अपे ा न कर– मने कभी कसी से न तो अपनी सफलता क यार ट मांगी और ना ही सबकुछ
ठ क हो जाने का आ ासन। मने कभी अपनी जीवन शैली कायम रख पाने क च ता नह क । बीच मंझधार म
होते ए इस तरह क अपे ाएं एक पागल ही कर सकता है। बीच मंझधार म केवल एक चीज क यार ट होती
है और वह है मौत। और मने हमेशा मृ यु को अपने सामने रखकर अपनी नाव को झझोड़ा। मेरा पूण व ास है
क एक बार मरने के बाद आपको कोई च ता नह करनी, य क तब सब कुछ समा त हो जाता है। आप न तो
कुछ मरण कर पायगे न कोई पछतावा......ठ क है!
३. अनुमोदन क अपे ा न कर– मने कभी कसी से अपने काय क पु नह मांगी और ना ही अनुमोदन। जब
भी आप कुछ नया न न और बेहतर कर रहे होते ह, आप अकेले होते ह। एकाक होना ही आपक व श ता है।
★ आप एक मूख मनु य लगगे, इसे वीकार कर।
★ आपको ताने मारे जायगे, उनका सामना कर।
★ आपक हंसी उड़ायी जायेगी, उड़ाने दो।
★ आपसे पूछे जायगे, उनसे च तत न ह ।
★ आप आ म–संदेह क थ त म रहगे, उस म बने रह।
आपको कोई अनुमोदन या पु नह मल पायेगी य क आपका मू यांकन करने हेतु कोई मापद ड नह है।
इस राह पर अभी तक कोई नह चला है। यह तैयार रा ता नह है इसे आप बना रहे ह। आप एक अनजाने े म
वेश कर रहे ह। अनुमोदन मांगने क मूखता न कर।
4. सफलता के शीष पर जीवन नैया को झझोड़– पद खोने का भय मुझे कभी नह रहा, अत: मने सफलता
मलने पर ही अपनी नाव झझोड़ी। यह वह अव ध होती है जब म योग कर सकता ँ, ग तयाँ कर सकता ,ँ
ःख व क ठनाईय से लड़ने का साहस, समय व अवसर मेरे पास होता है – इससे पहले क यह सब मुझ पर
थोपा जाये या मुझे करना पड़े।
नैया को हलाना–डु लाना या झझोड़ना कुछ लोग के वभाव म ही होता है, क तु कुछ अ य को उसे अपने
मानस का भाग बनाने के लये मेहनत करनी होती है। जब तक आप सुर ा व सुख के दायरे म रहते ए ही काय
करते रहगे, आप अपनी जीवन नैया को नह झझोड पायगे और जब तक आप यह नह करगे, जीवन उ य नत
नह होगा।
नीचे दये गये थान का योग यह लखने के लये कर क आप अपनी जीवन नैया को कैसे झझोड़गे
अथात् जो चीज आप छोड़ दगे; वे कदम जो आप कसी यार ट अथवा अनुमोदन क अपे ा कये बना
उठाने वाले ह; और वे नणय जो आप सफलता के शीष पर लेने वाले ह।
मुझे सदा ही ‘भय’ के दशन म व ास रहा है। संसार को आपसे डरना चा हए। मेरा ता पय है, स मानपूण
भय। शायद इसने आपको परेशान कर दया? स मानपूण भय आतं कत भय का उलटा है। कसी डाकू या गु डे या
ठग का आपक गदन पर चाकू रख दे ना है, या आपके सर पर बं क तान दे ना; आतं कत भय को ज म दे ता है –
आपको बलपूवक डराता है। इस कार का भय, पद ारा, च लाकर, ोध ारा या अपने से नीची थ त या
न न पदवाले लोग पर दादा गरी या बदमाशी से भी पैदा कया जा सकता है।
स मानपूण भय गत होता है, यह शंसायु स मान है, यह एक गत शंसा व आदर है। वह वयं
को शीष पर रखने का तरीका है; इससे आप संसार के व न से वयं को बचाए रखते ह उ ह आपके जीवन म
उथल–पुथल करने व आपको परेशान करने क अनुम त नह दे ते ह। यह आपके व संसार के बीच एक री बनाये
रखता है। स मानपूण भय वाय ता से उपजता है और जीवन यापन के लये यह अ नवाय, आव यक, बा यकर व
आदे शत भी है।
वाय का अं ेजी श द Autonomous दो श द के मेल से बना है।
जैसा क कहा जाता है अकेला चना भाड़ नह फोड़ सकता, एक अकेला प ा कसी को छाया नह दे पाता,
सीट बजाकर एक धुन तैयार क जा सकती है, ले कन उसे बजाने के लये पूरे वा वृ द क आव यकता पड़ती है।
आप एक अ छे वसायी हो सकते है, क तु आप अकेले इस संगठन का नमाण नह कर सकते ह। आप एक
यो य व मेधावी च क सक हो सकते ह क तु अकेले ही एक अ पताल नह बना सकते। आप एक तभावान
वा तुकार हो सकते ह क तु अकेले ही मकान नह बना सकते, आप एक अ तउ साही सामा जक कायकता हो
सकते है क तु गरीबी से अकेले नह लड़ सकते। आप एक तब राजनेता हो सकते ह क तु एक रा का
नमाण व पा तर आप अकेले नह कर सकते।
एक वशाल संगठन, अ पताल, व भवन का नमाण या गरीबी से यु , वत ता ा त व एक रा के नमाण
हेतु आपको समथक और अनुया यय क आव यकता होती है। साथ ही उनक तभा, मता, मह वाकां ा,
ल य, ऊजा, जोश, न ा व तब ता के उ यन हेतु संसाधन क भी ज रत होती है। लोग को उ य नत जीवन
क चाह हो भी सकती है और नह भी। उनम उ साह का संचार करना होता है, उ ह सफल होने के लये मजबूर
करना पड़ता है, बा यता को चुनौती दे नी पड़ती है, और फर उनका पा तरण एक साधारण मनु य से एक
असाधारण हठधम , एक संतोषी से एक महा वाकां ी व उ मी मनु य, एक सामा य से असमा य
आ मा, व एक आम आदमी से एक उ य नत जीवन जीने वाल म करना होता है।
ले कन हम यह कर तो कैसे? उसका उ र दे ने के लये यहां तुत इलेवन कमांडमट् स म से सवा धक
श शाली ग तशील व मह वपूण कमांडमट।
मने 29 वष पूव, वयं को यह कमांडमट दया था क म अपने आसपास के येक संसाधन को उ य नत क ँ गा।
चाहे वे मेरे अधीन थ ह , सहकम ह , मा लक ह , ाहक ह । माट के कमचारी ह , उसके उ च अ धकारी ह ,
थम पं के से स–मैन ह , मेरे एमडी, वीपी, सीईओ, ायवर, चौक दार था वे लड़के व लड़ कयां जो छोटे –मोटे
काम कर दे ते ह।
मने यह नणय लया था क मेरे चार ओर क येक जी वत व तु को उ य नत कया जायेगा।
इस या के दौरान मने अनुभव कया क यह उनके बस क बात नह है जो सौ य ह; वन ह; धीमा बोलते
ह, व श , वनीत, संवेदनशील और आदरकारी ह। य क लोग जैसे ह वैसे ही खुश ह – वे न तो अ धक मेहनत
करना चाहते ह, न चुनौ तय का सामना करना, न आगे बढ़ना और न ही कसी तरह का बदलाव लाना। ये भी संभव
है क वे यह सब करना चाहते हो क तु वे इसका माग नह जानते या वे इसका मू य नह चुकाना चाहते। य द
उनका उ यन करना है तो उ ह वा त वकता से अवगत कराना होगा। वे जीवन म कोई मुकाम कैसे हा सल कर
सकते ह; अपनी क पना के परे कैसे जा सकते ह; अपने आसपास क हर व तु पर कैसे उठा सकते ह? यह
सब करने के लये उ ह ठोकर मारना व क ठन सबक दे ना आव यक है, और इसके लये आपको न ु र व डमां डग
होना होगा। कसी भी क वा त वक श तभी सामने आती है जब उस पर दबाव डालकर उसक सीमा
तक धकेला जायेगा।
यहां मुझे व टन च चल का यान हो आया ज ह ने व यु के समय कहा था क “मेरे पास दे ने के लये कुछ
भी नह है, सवाय खून, क ठन म, आंसु और पसीने के, मेरा व ास है क म सबसे ल बे समय से यु म –ँ
एक ऐसा यु जो मने वयं को अगले तर तक ले जाने व लोग को अपने साथ नई ऊँचाईयाँ पाने के लये घो षत
कया है।” और व टन च चल क ही तरह मेरे पास भी दे ने के लये ेम, सरं ण व सहानुभू त के दो श द भी नह
ह; है तो केवल चुनौ तयां, प र म और जुनून। जब आप एक ऐसे बन जाते ह तो या तो लोग आपक
अपे ा को पार कर जाते है या र जाते ह......... और कोई तीसरा रा ता नह होता। जो आपके उ कृ ता के
मानद ड को वीकार कर लेते ह वे आपके साथ आगे बढ़ने लगते ह; शेष वे रह जाते ह, जो उ यन के लये नह
बने थे।
तो 21 वष पूव व टन च चल के श द से भा वत हो म एक चुनौतीपूण, स त, ऊँची अपे ा वाला व लोग
को उ य नत करने वाला बन गया। मने इसे अपना द कम बना लया और लोग के जीवन को पांत रत
करना अपना जूनुन। संसाधन का उ यन मेरा य शगल बन गया। येक से समैन म मुझे सफ एक से समैन ही
नजर नह आता था; येक आ फस अ स टट जसे मने नौकरी पर रखा आगे चलकर ांच मैनेजर बना; येक
ए ज़ी यू टव अ स टट मने जसके साथ काम कया उसे एक सीईओ बनने के लये तैयार कया; येक वीपी,
सीईओ, एमडी को अ धक महान व बेहतर करने के लये पांत रत कया; येक ाहक को उसक पूरी मता
तक उ य नत कया – मने यह कया। म यह करता रहता ँ और जीवन क अं तम सांस तक करता र ँगा। मने
इसक घोषणा कर द है, और अब पीछे हटने का ही नह है।
जब आप इसे पढ़ रहे होते ह; तो आपके मन म जस क छ व उभर कर आती है, वह एक ऐसा
असंवेदनशील मनु य है जसके पास, ेम, भावनाएं व लोग के त कोई स मान नह है। वह केवल एक आततायी
एक उ पीड़क एक तानाशाह है। एक ऐसा जो अमानवीय ू र और नदयी है; ले कन या म ऐसा ँ या
जीवन उ य नत करने वाले ऐसे ही होते ह? या जीवन उ यन के लये केवल स ती व असंवदे नशीलता ही
चा हए?
उ य नत जीवन वाले लोग का अपने आसपास के लोग के त वहार कुछ अ ववेक रहता है और उ ह इस
असामा य से लगने वाले वहार क श लोग के त अपने ेम से ही मलती है। उ य नत व साथक जीवन
जीने वाले लोग मनु य मा से ेम करते ह, उ ह लोग को पा त रत कर जीवन को नयी ऊँचाईय पर प ंचाने का
नशा होता है। उ ह व ास होता है क येक के पास चाहे वह माने या न माने, चाहे या न चाहे – आज वह
जो भी कर रहा है अथवा रही है, उससे हजार गुना, अ धक करने क मता व यो यता है और वे वयं लोग को
उ यन के उस तर तक प ंचाने क ज मेदारी ले लेते ह।
उ ह पता होता है क वे जन लोग क सहायता कर रहे ह वे ही उनका वरोध करने वाले ह। उनके आशय पर
उठगे, य न नकार दये जायगे और उनके काय को हा या पद समझा जायेगा, हो सकता है उनके मुंह पर
लात मार द जाए, उन पर गु त योजन का आरोप लगाया जाए, उ ह अकेला छोड़ दया जाए, धोखा दे दया जाए
या फर उन पर कोई यान ही न दया जाए। ले कन फर भी ये लोग य न छोड़ दे ने, वर मंद कर लेन,े
संवेदनशीलता, मनु यता व सौ यता जसक उनसे अपे ा क जाती है उसका दशन करने को तैयार नह होते।
इस पूरे पथ पर लोग आपके व ास को कमजोर करने का यास करते ह क तु आप के ट क थ ारा 1968
म तुत कये गये “दस पैराडॉ सकल ( वरोधाभासी) कमांडमट् स” से श पा सकते ह। म इन कमांडमट् स का
उ कट अनुयायी रहा ँ और भा यशाली भी; य क मुझे इन कमांडमट् स को जानने का अवसर जीवन म ब त
पहले मल गया।
ये दस वरोधाभासी कमांडमट् स ज ह ेम से ‘ नयाभर म कैसे भी’ (एनीवे अराउंड द व ड) कहा जाता है,
जीवन उ यन के पांचवे कमांडमट का मह वपूण भाग है।
आपका सव े समय व सव े याद लोग से संबं धत ही रहने वाली है। सबसे क ठन, नराशापूण, ःखद व
चोट प ँचाने वाला समय भी वही है जो आपको लोग के साथ बताते है। ये वही लोग हो सकते ह और अलग भी;
याद रहे, इन नराशा व क ठनाईय के बावजूद जब आप लोग के साथ काम करते ह तब उनसे संबंध बनाइय व
उ ह अपनी नया म ले जाइए। लोग आपके साथ कैसा भी वहार कर, क तु आप अ छा और लोग के भले का
काम करते र हए, य क कसी न कसी दन अ छे काम के इस बीज को उपजाऊ जमीन मलेगी और यह एक
वशाल वृ को ज म दे गा; तब वे ही लोग आशीवाद व प आपक आ थक व वसा यक उ त म सहयोग
करगे व आपके जीवन म बदलाव लायगे।
य द आपको मनु य पर काय करना है तो आपको उ ह ेम करना होगा; यह मने अपोरेश आचाय के
एमआईएलट काय म म भाग लेकर व उ ह सैकड़ो लोग म प रवतन लाते दे ख कर जाना। मने 3ए का योग कर
लोग से ेम करने क कला सीखी।
A ए से ट : वीकार
A एडज ट : समायोजन
A ए ी शएट : शंसा
वीकार
मने हमेशा कहा है क जीवन एक पैकेज डील है और हमारे आसपास के लोग हम इसी पैकेज म मले ह। उनम
कुछ गुण अ त व श ह, कुछ अ य धक परेशान करने वाले। वे ईमानदार, वशु , हा या पद व सनक एक साथ
हो सकते ह।
आप उनक ईमानदारी को पसंद कर उनक सनक को नापसंद कर उ ह अपने दमाग म अपनी पसंद, नापसंद
के अनु प अ छे बुरे या बदसूरत क े णय म नह बांट सकते, य क य द आपने ऐसा कया तो आप उ ह ेम
नह कर पायगे और य द आपने उ ह ेम नह कया तो आप उ ह कभी भी उ य नत नह कर पायगे।
य द आप लोग के बारे म राय बनाने लगते है तो आपके पास उ ह ेम करने का समय नह होता।
–मदर टै रेसा
समायोजन
समायोजन येक र ते क न व है। आपको इनक क मय से परेशान ए बना उनक सनक , वभावगत
वशेषता को नापसंद ल ण व उनके उ कृ से कमतर गुणो से समायोजन था पत करना होगा। अपने वहार
को उनके साथ काय करने लायक बनाना होगा और फर उनके जीवन का उ यन करना होगा।
शंसा
यह सबसे मह वपूण कड़ी है। आप कसी भी के वा त वक स दय व वशेषता को नह समझ सकगे जब
तक उनक सराहना न कर। लोग के सद्गुणो क शंसा व क करना अ तआव यक है और जब आप उ ह
वीकार कर उनके साथ समायो जत ह गे तभी आप उनक शंसा भी कर पायगे।
व उ यन
जब हम अपने आसपास मौजूद संसाधन के उ यन क चचा करते ह, याद रख सबसे बड़ा संसाधन आप वयं ह
और अ य के साथ आपको अपना उ यन भी करना होगा। इसका एक तरीका है – आपके आसपास के लोग के
अ छे गुण को समझना, उनका आन द लेना और उनसे ेरणा ले कर जीवन म बड़े काम करना।
येक म कुछ अ छे गुण होते है – कुछ ऐसा मू यवान जो वह संसार को दे सक। यह कुछ ऐसा हो
सकता है जसने हमेशा आपका यान ख चा हो, जसे आपने हमेशा सराहा हो, और ई या भी क हो, कुछ ऐसा जो
आपके पास नह है, ले कन पाने क लालसा है। कुछ ऐसा जो उस को व श बनाता हो, आप इन व श
गुण से ई यालु ह , सदा के लये अवसाद म जाकर सोचते ह क आप इस गुण से वं चत य ह, क तु ये सारे
वहार व याएं आपके वह गुण पाने म सहायक नह होगी। अ पतु जो गुण आप म नह है, आप सरो म उसका
आन द ले सकते ह और जस ण आप उसक सराहना करने लगते ह, वह गुण आप म खलना शु हो जाता है
और आपका जीवन क पनातीत उ य नत होता है।
मने हमेशा मेरे आसपास मौजूद लोग क तभा का आन द लया है, उनसे सीख व ेरणा ली है उनका
नकट से अ ययन कया है और उनक मनो को वयं म उतारा है ता क म अपने जीवन को उ य नत कर सकूँ।
अपने 29 वष के क रयर म म लाख लोग से मला ँ, पर तु ऐसे थोड़े ही लोग ह जनक महान मता /
गुण / व श ता ने मुझ पर थायी भाव छोड़ा है; मने उ ह ब त यान से दे खा और उनके गुण को आ मसात
कया ता क म एक बेहतर इंसान बन सकूं। यहां म उन अ व मरणीय लोग के बारे म बात कर रहा ँ ज ह ने मेरे
वकास म योगदान दया।
मेरे पता के पास कह भी समय पर प ंचने क महान मता थी। मुझे याद नह वे कभी कसी मुलाकत के लये
दे र से प ंचे ह । जब म एक बालक था तभी से मने इस आदत का आन द लेना आरंभ कर दया था, य क इससे
मुझे अपने पता के नकट रहकर उनके ारा समय पर पं चने के लये क गई तैया रय को दे खने का मौका मल
जाता था। इस दौरान मने वे श द भी सीखे जनका योग कर वे सर को समय पर प ंचने के लये े रत करते
थे। इस आदत को आ मसात कर मने वयं को अ धक श शाली व भावशाली मनु य बनाया।
राजेश म हो ा मुझे अब तक जतने भी बेहतरीन मैनेजस के साथ काम करने का सौभा य ा त आ है, उनम से
एक थे; उनम असं य यो यताएं थ , जो मने अपने आर भक जीवन म ही पकड़ ल थ । एक ऐसा गुण जसने मुझे
सवा धक स ता द वह था नेतृ व तैयार करना। वे लोग को सश बनाने म दे र नह करते थे और उनक
असफलता से घबराते भी नह थे। वा तव म वे उ ह, उनक आयु व अनुभव के कह अ धक चुनौती पूण दा य व
लेने के लये ो सा हत करते थे। उ ह गल तयां करने दे ते थे और फर उनम से उबरने म भी सहायता करते थे।
उनके य श द थे, “कुछ नह होता है.........म बैठा ँ ना” इ ह कुछ श द से वे को े रत कर उसम इतना
आ म व ास और ह मत भर दे ते थे क वह नया क महानतम चुनौती को वीकार कर ले और वजयी बन कर
उभरे। य द कोई उनके पास अपनी सम या लेकर आता तो वे सफ उससे बात करते, े रत करते और वह
वापस लौट कर वयं ही अपनी सम या का समाधान ढूं ढ लेता मुझे उनक इस व श यो यता को पहचानने म
यादा समय नह लगा था; और “कुछ नह होता है.........म बैठा ँ ना” मेरा भी मुख वा य बन गया, जसका
योग मैने लोग को उ य नत करने के लये कया।
ए. डब यू. जॉज– ट म ॉड ट वट के वाइंट एमडी और मेरे बॉस भी। उनका सबसे बड़ा गुण था, शांत रहना–
चाहे उ ह श ण काय म के दौरान चुनौती द हो या कसी सावज नक मंच पर। वे बड़ी शालीनता व वन ता से
थ त को स भालते थे और यही एक श क, ेरक व ा व सावजा नक के प म मेरी सबसे बड़ी श ा
रही।
मनीष कौल– एक और शानदार बॉस, मने जनके अधीन रीअल वै यू अ लाएंसेस, जहाँ म अ नशामक यं बेचता
था, म काम कया। उ ह अ छे कपड़े पहनने का ब त शौक था। मने वरले ही उ ह कोई भी कोट एक से अ धक
बार पहने दे खा होगा। वे हर मुलाकात के लये ब ढ़या कपड़े और उसके साथ ही मलते–जुलते मोजे, जूते व टाई
भी, पहनते थे। उनक चमक–दमक, दशन व कपड़े पहनने के तरीके ने मुझे अपने य काले व नीले, कपड़ से
बाहर नकलने क ेरणा द और आज मेरी अलमारी म कपड़ क व तृत ृंखला है।
जग जगलर– नया के जाने माने मोट वेशनल व ा व से स वशेष जनक सैकड़ पु तक, ऑ डयो व
वी डयो भी उपल ध ह, म पूरे जीवन उनका एक उ कट पाठक व अनुयायी रहा ँ। उ ह ने पूरी नया म लाख
करोड़ लोग को पांत रत कया। मने उनके से स व मोट वेशनल भाषण का न केवल आनंद लया अ तु उनसे
े रत हो जगह–जगह जा कर लोग को पांत रत करने का बीड़ा उठाया, अपने हजार ऑ डयो व वी डयो
लोग को उपल ध कराये व वयं को एक से स गु व मो टवेशनल व ा के प म उ य नत कया।
सुरे शमा– सु स ह द हा य क व, ज ह अपनी सहजता, वाक्पटु ता व व श शैली के लये जाना जाता है,
उ ह ने मुझे उस असामा य ऊजा, ग तशीलता व हा य के योग के लये े रत कया जो आज मेरे काय म क
वशेषता मानी जाती है।
अ खल भरक तया – यूरेका फो स के भूतपूव एम.डी. ज ह से स व से स म काम करने वाले लोग से आंत रक
लगाव था व अ नल कुमार गु ता (मेरे पहले बॉस व मेरे आर भक ावसा यक जीवन म सवा धक योगदान दे ने
वाले) ज ह से स क श ा दे ने व लोग को उनक ल य त म, सहायता करने म मजा आता था; इन दोन ने ही
मुझे से स समुदाय के ेम म डाला और उनक सहायता कर उ ह आगे बढ़ाने क ेरणा द और आज इसी को म
अपने जीवन क सबसे बड़ी ताकत मानता ँ।
डेन सु लवान– एक जाने माने उ मी श क व जीवन म मेरे गु ह। व भ मानव वषय पर उनके तैयार कये
ए ऑ डयो–वी डयो व सैकड़ पु तक ने मुझे अनजान को जानने, अबूझे को बूझने व अनछु ए े म वेश
करने म सहायता द । उ मता पर उनक पकड़ ने मुझे भी इस वषय को समझने म मदद क व म एक उ मता–
श क बन गया। य द मने उनक रचना माकता व व श यो यता को नह सराहा होता व पाने क इ छा न क
होती तो म वह न बना होता जो मै आज ँ।
वग स कु रयन व उनके ारा भारत के डेरी वकास े म कये गये काय ने मुझे गहरे तक भा वत कया। वग स
कु रयन के पास या था जब उ ह ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर सहकारी खेड़ा जला ध उ पाद संघ ल. के
सं थापक ी भुवनदास पटे ल को एक ध सं करण संय था पत करने क पेशकश क थी। या वे जानते थे
क उनका यह कदम अमूल को ज म दे गा – 12.5 ब लयन डॉलर सहकारी डेयरी का भारतीय ांड? या वे
जानते थे क जब 1965 म त कालीन भारतीय धानमं ी ी. लालबहा र शा ी ने उ ह रा ीय डेयरी वकास
बोड क थापना हेतु नयु कया व अमूल क सफलता को भारत भर म दोहराने को कहा तो वे एक दन ध
ां त तथा ेत ां त के जनक कहलायेग ध उ पाद क ब के लये 1973 म जब उ ह ने गुजरात म क
माक टग फेडेरेशन क थापना क तब या वे जानते थे क वे भारत को व का सबसे बड़ा ध उ पादक दे श
बना रहे है और वयं को दे श का वाला?
ली आयाकोका– और उ ह ने जो चुनौ तयाँ ाय लार को पुनजीवन दे ने म उठा – अमे रका क तीसरी सबसे
बड़ी कार क पनी बनाना और वह भी उसे दवा लयेपन क थ त से उठा कर और वह भी फोड मोटस के हेनरी
फोड–2 ारा अपमा नत कर काम से नकाले जाने के तुरंत बाद; वे हमेशा मुझे चुनौ तय को वीकार कर एक
सीढ़ से सरी सीढ़ तक बढ़ जाने को े रत करते ह।
मा टन लूथर कग– महान अमे रक कायकता के पास करोड़ अ ेत अमे र कय के जीवन म प रवतन लाने वाला
एक वचार था। उ ह ने तब तक संघष कया जब तक उ ह ने अ ेत अमे र कय के लये समान नाग रक वतं ाएँ
व समानताएँ नह जीत ल । या म पांतरण से संबं धत कुछ चीज मा टन लूथर कग से सीख सकता ँ; या म
उनक पांतरण करने क यो यता का आनंद लेकर वयं व व को पांत रत कर अपने सैकड़ ल य पा सकता
ँ? या म उनके समान सं ेशन क ती ता का योग कर एक अ धक बल मनु य बन सकता ? ँ उ र है, हाँ।
मेरी माँ इं दरा नायर व प नी सधु नायर, दोन ही का व श गुण है– सदा स रहना। अपनी प नी सधु को
मने सदा मु कुराते ए जीवन का आनंद लेते ए और सभी प र थ तय म संतु ही दे खा है। वे अपने आस–पास
क येक चीज से खुश रहती ह। वे हमेशा स चत रहती ह। इन दोन म हला के इस गुण ने सदा यह
सु न त कया क वे दोन क ठनतम, सवा धक ासदायी व पथ करनेवाली प र थ तय म भी संय मत व
स रह। वे मुझे व तु के उजले भाग पर यान दे ने व जीवन का आनंद लेने को े रत करत ह। सही भी है, म
वयं स रह कर ही जीवन को उ य नत कर सकता ।ँ यह सूची अभी और आगे बढ़ाई जा सकती है। मने इन
सभी भावशाली नेता और अपने ब त से अ धका रय , अधीन त व सहक मय के ल ण , यो यता व गुण
का आनंद लया है। मने उनक यो यता का आनंद लया और उनक कमजो रय से अ स न होते ए, मने
अपने व संसार के लये जीवन को उ य नत कया। हम सभी को ऐसे लोग मलते ह, जनसे हम जीवन म कुछ
सीख सकते ह। यह का कोई भी गुण हो सकता है; न ा, इमानदारी, रचना मकता, तब ता, बु ,
इ छाश , वाभा वकता, बना शत ेम करने का गुण, दे खभाल करना, मु त म ान दे ना व जो उ ह ठ क लग
उसके लये आवाज़ उठाना व उस पर ढ़ रहना। संभव है, कसी ने कसी भाषा पर अ धकार बनाया हो, कोई
हा य– ंग म पारंगत हो, कसी म व भ पृ भू मय वाले लोग से जुड़ने क मता हो, जब क कुछ अ य कसी
मु े अथवा कारण के लये लड़ने को ढ़ त ा ह , या फर समाज सेवा व परोपकार जैसे काय से जुड़े ह । एक
उ य नत जीवन क इ छा रखने वाला , लोग के गुण को सावधान व पैनी नजर से परख कर व उनके
वहार के ढांच को पहचान कर अपने अवचेतन म अं कत कर लेता है। अवचेतन य वेश करते ही ये गुण आप
का एक भाग हो जाते ह, और फर एक दन आप अनुभव करते ह क आप बदल गये ह, आप वही बन गये ह जो
आप हमेशा से बनना चाहते थे।
अत: अब आप जब कभी भी कसी सुयो य अथवा सद्गुण वाले को दे ख तो ई या न कर, उ ह सराह,
उनसे सीखने का आनंद ल और फर इन गुण व यो यता को अपना ह सा बनने द।
अगले पृ पर द गई जगह म ऐसे दस लोग क सूची बनाय ज ह ने आपके जीवन को भा वत कया ह
उन गुण व यो यता को भी सूचीब कर जनका आपने उनम आनंद लया, और फर इन गुण को
अपनाने हेतु एक परेखा तैयार कर। यह काय आप कसी भी कार सकते ह – पु तक पढ़कर, ऑ डयो–
वी डयो ारा ती ण े ण ारा, कसी कोच अथवा मागदषक क सहायता से या फर कसी ष ण
काय म म भाग लेकर।
“चार ओर से घेरे ए भय व असुर ा का सामना करते ए संयत, चौक ा और अपने वचार , श द एवं
या के त न द रहने का शा त (आजीवन) गुण ही आ म व ास है।”
(आगे बढ़ने से पहले इस प रभाषा को कई बार पढ़े )
दोन प रभाषा को दे खने के बाद मने उनम अपने अनु प फेर बदल कर लया – यही उ य नत जीवन क
वशेषता है। वह एक अवसरवाद होता है। वह अपनी आव यकता अनु प कह से भी कुछ भी उठाकर उ य नत
रहता है।
मेरे लये प रभाषा के सरे भाग “एक के बाद एक कई व तु का आना” का अथ था– एक के बाद एक कई
याग प ; एक के बाद एक कई वधान; एक के बाद एक पराजय; और कई गत एवं ावसा यक
सम या का एक के बाद एक आना।
उदाहरण के लये :
★ आज आपक प नी का गभपात हो गया।
★ कल आपक नौकरी चली गई।
★ आपके साझीदार ने एक मलता–जुलता ापार आर भ कर लया, आपक अनुम त के बना और
आपके वसाय म से पैसे भी नकाल लये।
★ कसी यजन क मृ यु।
★ कोई ग भीर बीमारी ।
★ आपके पता का कहना क आपको नौकरी से शाम 7 बजे से पहले घर प ंच जाना चा हये; य प
आप 23 वष के है और अ धकतर आपका काम रात 10 बजे तक समा त हो जाने क स भावना
होती है।
★ आपके प त का आपको नौकरी छोड़ दे ने को कहना, य क उ ह कंपनी म आपक स पसंद
नह ।
★ आपके यजन के साथ बला कार।
★ आपके कमचा रय ारा एक संघ बना लया जाना।
★ एक फै को बंद करने के लये मजबूर कया जाना।
★ आपक कंपनी म एक जालसाजी होना।
★ आप पर झूठा मुकदमा दायर कया जाना।
★ सबसे अ छे होने के बावजूद आपको पदो त न मलना।
★ आपके चार सबसे अ छे कमचा रय का एक साथ याग प दे ना और वह भी नो टस क अव ध पूरी
कये बना।
★ एक अलग तरह से व श ब चे को ज म दे ना।
★ आपके ब चे का जीवन क सवा धक मह वपूण परी ा म असफल हो जाना।
लोग आपको अ वीकृत कर सकते है, वचन तोड़े जा सकते है, तब ता भूली जा सकती है ............ य
म , आपके वसाय, नौकरी या जीवन म कुछ भी हो सकता है।
आपका ऐसी सम या पर कोई नयं ण नह होता है और आप उनके लये उ रदायी भी नह होते, क तु
जब वे आती ह तो कसी भी समय आ सकती ह।
ग त क सरी प रभाषा के अनुसार इनम से कोई एक अथवा ये सभी सम याय आपके जीवन म आ सकती
ह। मने अथवा मेरे नकट के कसी ने इनम से कसी न कसी सम या का सामना कया है क तु कई वष
पहले मने वयं को यह नदश दया था, “संतोष नायर, जब भी आपके जीवन म कुछ ऐसा घ टत हो या वह
सबकुछ घ टत हो जाये जो आपको परेशान कर आपक गाड़ी पटरी से उतार दे , तो आप अपने वचार , श द और
काय म सचेत रहगे, आप कभी तगामी या भगोड़े क तरह नह सोचगे और न ही आपका वहार और न ही
आपक भाषा एक परा जत क होगी। आपका जीवन समु म बहने वाला लकड़ी का पट् टा नह है। आपका
जीवन एक जहाज है। जसम एक रडर है और आपका रडर आपक इ छत दशा म जहाज को ले जा सकता है।
आपके जीवन म इस एक या इन सारी थ तय से सामना होगा, क तु आपके वचार, श द और काय ग तशील
रहगे – जो आपको आगे ले जायगे।
यहाँ से म ग त क पहली प रभाषा पर आता ँ। मने अनुभव कया क सम या के होने पर भी म मश:
आगे बढूं गा, म अपने इ छत ल य क ओर बढूं गा और अपने वचार, श द और काय इस तरह सं े शत क ं गा क
म अपने जीवन के इ छत गंत पर ही प ँचूंगा।
इस कार यहाँ आपको प हो गया है क उ य नत–जीवन के पास जीवन म कसी भी समय पर पाने के
लये प ल य और उ े य, प ंचने के लये प गंत और स करने के लये एक येय होता है; और वे जानते
ह क अपने येय क ओर जाते ए; एक के बाद एक, ब त कुछ घटे गा जो क उनक इ छा के व और
अनुम त के बना होगा और एकमा चीज जो उनक उ त म सहायक होगी वह है उनक भाषा, उनके श द,
उनक मान सक थ त जो उनके वचार , श द और काय को नद शत करेगी।
और इस कार मने घोषणा क क मेरी प र थ त व मान सक थ त कुछ भी हो म अपने गंत क ओर
आगे बढूं गा। म नये, भ और बेहतर वचार का योग व समथन क ं गा। और जीवन म यथा थ त बनाये रखने
के दबाव के आगे नह झुकूंगा। म खं डत थ त म कोई नणय नह लूंगा जो मुझे पीछे ख च ले। म सभी चुनौ तय
का सीधे मुकाबला क ं गा। म त का लक प र थ तय का ःख और तकलीफ स ँगा; य क म जानता ँ क यह
थ त, यह क ठन थ त ज द ही नकल जायेगी। म शारी रक, मान सक और भावना मक ःख के लये तैयार ँ;
म तैयार ;ँ म तैयार ;ँ जीवन के एक ल बे यु के लये। म लडू ँगा, म सफल होऊँगा; म जीतूंगा। हाँ म जानता ँ
म कभी भी इस थ त म नह होऊँगा क जीवन म आने वाली थ तय को नयं त कर सकूं; पर तु म अपने
वचार , श द और काय को नयं त कर सकता ँ और न त ही क ँ गा।
10 माच 1981 को, मॉ रस इ. गुडमैन एक सफल अमे रक वसायी और शौ कया पायलट – अपने घर से
हवाई जहाज क सैर को नकले। उनका जहाज घटना त हो गया क तु मौ रस बच गये और उनका बचना
च क सा के े क एक अनूठ और ऐ तहा सक घटना है। अ पताल म उनके परी ण के तुरंत बाद च क सक ने
उनक प नी से कहा, ीमती गुडमैन म च क सा के वसाय म कई वष से ँ और सच यह है क आपके प त
अभी भी जी वत ह, यह च क सा के े म एक ऐ तहा सक घटना है। मेरी जानकारी के अनुसार आज तक कोई
भी गदन टू टने के बाद जी वत नह रह पाया है। आपके प त क गदन दो जगह से टू ट ई है। उनक रीढ़
चकनाचूर है। उनक गदन को इतना ग भीर नुकसान प ँचा है क वे कभी भी बोल नह पायगे। उनक तं का
को थायी नुकसान आ है जसका भाव उनके लीवर, मू ाशय, गुद और डाय ाम पर पड़ा है। जसका अथ है
क वे बना रे पीरेटर के कभी भी सांस नह ले पायगे। उनक नगलने म सहायता करने वाली मांसपे शयाँ इतनी
अ धक त त हो गयी ह क वे कभी कुछ खा या पी नह सकगे। मुझे आपको यह बताते ए ब त ःख हो रहा
है क तु वा तव म मुझे नह लगता क वे यह रात नकाल पायगे।
येक ने सोच लया था क मॉ रस नह बचगे; एक के अलावा – वयं मॉ रस; वे अपना सर भी नह
हला पा रहे थे, अत: उनसे पलक बंद कर का उ र दे ने को कहा गया, क या वे चाहते ह; क उनका
ऑपरेशन कया जाये, हालां क यह ऑपरेशन अपने आप म अनूठा और क ठन है तथा इसके सफल होने क
संभावना भी 1:1000 है और य द वे बच गये तो उनके साथ सबसे अ छा यही होगा क अब से 20 माह बाद वे
जीवन भर हीलचेयर पर बैठ पायगे और यह भी एक चम कार होगा।
मॉ रस ने सफ एक बार आँख झपका कर न केवल ऑपरेशन के लये वीकृ त द , ब क अपने लये एक
ल य भी नधा रत कर लया क उ ह आने वाले समस से पहले अपने पाँव से चलकर अ पताल से बाहर जाना
है। उनके वचार, श द व काय, वा तव म एक उ य नत जीवन वाले के थे!
उनका ऑपरेशन कया गया और चूं क ऑपरेशन सफल रहा; डा टर ने घोषणा कर द क उनके बचने क
उ मीद ब त कम है। क तु उ ह ने प कया क मॉ रस फर भी कभी जीवन म बात नह कर पायगे, चल नह
पायगे। और अपने आप, बना रे पीरेटर के सांस भी नह ले पायगे। डॉ टर का वचार था क वे अपना शेष जीवन
एक पंगु पौधे क तरह ही बतायगे, क तु वे मन ही मन अपना कोई अ य ही च दे ख रहे थे। उ ह अपने पूरे मन व
बु से यह व ास था क वे ज द ही सामा य हो जायगे और जब वे अपनी आँख बंद करते तो वयं को अपना
य हवाई जहाज फर से उड़ाते दे खते।
अपने वचार , श द एवं या क सकारा मकता के साथ उ ह ने अपने लये कुछ अ प व द घका लक
ल य तय कये; उसी वष समस तक अपने पैर पर चलकर अ पताल से बाहर जाना, उनका द घका लक ल य
था; और अ पका लक ल य थे, बोलना, बना मशीन सांस लेना, भोजन नगलना और फर अ पताल से बाहर
नकलना। उ ह ने अ पताल के कमचा रय के साथ वातालाप के नये तरीके नकाले जनम वे चाट व च क
सहायता लेते थे, उनका अगला ल य था अपने आप सांस लेना हर बार जब वे इसका य न करते सफ असफल
होते; क तु वे ह मत हारने वाले नह थे और बार–बार य न करते रहे। जब उ ह सरे अ पताल म ले जाया जा
रहा था, तब उ ह ने अपने वातालाप के पसंद दा तरीके चाट व च का योग कर, जस डॉ टर ने उनका
ऑपरेशन कया था, उनके लए एक संदेश छोड़ा:
“कृपया डॉ. मै यूज को बता द क अगले छ: माह म म दोबारा अ पताल म आऊँगा और म जब आऊँगा तब
म चलकर उनके ऑ फस म जाकर उनसे हाथ मलाउँगा।”
अ पताल के कमचा रय ने सोचा क मॉ रस बेवकूफ है; जसे लगता है क वह अपना ल य पा लेगा; और
उनके वा त वक म ने, ज ह उनसे हमदद थी, कहा क अस भव व दे खकर वयं को ता ड़त करते रह,
इसक तुलना म यह मान लेना सरल होगा क यह स भव नह है। ले कन मॉ रस जानते थे क वे यह कर दखायगे
और उनके व ासानुसार उस वष समस से पहले वे अपने दोन पाँव पर चलकर अ पताल से बाहर आये। उ ह
े रत करने वाले थे; उनके ये वचार श द व काय:
काय : उनके सभी काम एक उ रजीवी के थे, वे अपने गले पर एक गद रखकर घंट बोलने का अ यास करते, व
न तो थकते और न ही ह मत छोड़ते। अ पताल के नयम का उ लंघन कर वे बाहर से भोजन मंगवाते व जूस पीने
का य न करते। वे चलने का यास करते, हालां क इस दौरान कुछ घटनाएँ भी । वे जग जगलर के
ेरणा मक ऑ डयो सुनते जो उनम आशा और सकारा मकता का संचार करते और उ ह ल य व उन ल य क
श क याद दलाकर उनका यह व ास और ढ़ कर दे ते क वे जो चाहते ह, पा लगे।
1. जी वत रहना
2. अपने च क सीय ान व कौशल का योग कर वे जसक भी सहायता कर सकते ह, करना।
3. इस नरसंहार के बीच य न करना व कुछ सीखना; एक ऐसा ल य जो केवल साथक व उ य नत जीवन
जीने वाले लोग ही अपने लये तय कर सकते ह।
उन सबसे ख़राब चीज क सूची बनाईये जो आपके जीवन म २०, ३०, ४० या ५० वष बाद घ टत हो
सकती है – ये आपके प रवार, म , क रयर, भ व य, वसाय स ब ध , वा य आ द से स ब धत हो
सकती ह।
घो षत कर क इन वप य म आपके वचार, श द और काय या ह गे और आप कस कार वयं को
के त रख आगे बढगे:
कई बार ऐसे मौके आये ह जब म पूरी तरह द मत, उदास, और अंदर से हल गया था; जी हाँ ऐसे समय मेरे
जीवन म भी उसी तरह आते ह, जैसे वे कसी अ य के; ले कन म इन ण को अपने भीतर घंट महीन तो र,
कुछ सेक ड, म नट या ण से अ धक नह रहने दे ता।
मने यह जानने म दे र नह लगायी क जब आप उदास, ेरणा वहीन और टू टे ए होते ह; तो केवल एक
ही आपको उस थ त से बाहर नकाल सकता है – आप वयं; और जब आप जानते ह क केवल आप ही वयं
को अवसाद से बाहर नकाल सकते ह, तो मेरा है क “पहली बात आप अवसाद म जाते ही य ह?” अत:
अपने पूरे जीवन “ नरंतर े रत व ब ढ़या मान सक” थ त म रहने हेतु आपको कुछ संरचनाय वक सत करनी
ह गी – एक ऐसी समथन णाली जो इस या को सरल बना दे । यह संरचना तीन त व से बनी है।
1. लोग।
2. पु तक, ऑ डयो, वी डयो।
3. बीते ए समय से जुड़ना।
लोग
मने अपनी समथन– णाली का नमाण अपने आस–पास के लोग से कया। मने अपने जीवन म कुछ चु नदा लोग
क पहचान क – मेरी माँ जो मेरे जीवन क महानतम ेरणापुंज है, मेरी प नी सधु, मेरी ए जी यू टव अ स टट
नौशीन और कुछ सहकम व म और फर इन लोग को सीएमओ (चीफ मोट वे टग ऑ फसस) का पद दया। मने
घो षत कया क म इन य के पास तभी जाऊँगा जब द मत, उदास, और हला आ अनुभव कर रहा ँ
य क म जानता ँ क उनका मुझ पर व ास वयं मेरे व ास से अ धक है और वे मेरे अवसाद, मेरी
ेरणा वहीनता और उदा सय को तुर त ही ेरणा, आशा व ढ़ता म पांत रत कर दगे। यह मुझे जीवन क ओर
दे खने क यो यता दे गा और मुझम नयी ऊजा, उ साह का संचार कर, मेरी सकारा मकता और वचार , श द व
काय क ग तशीलता को नवजीवन दे गा।
आपके सी. एम. ओ., पु तक, ऑ डयो, वी डयो व बीते दन से संबंध था पत करने के तरीके, ज ह
आप अपने वचार श द और काय को े रत व उ साही बनाये रखने के लए योग करते ह , को यहाँ
सूचीब कर।
सी. एम. ओ.
“लीडर वह है, जसका चुनाव आपने उसके पीछे उस थान पर जाने के लये कया है जहाँ आप
वयं नह जा पायगे।”
“लीडर वह है, जसका चुनाव आपने उसके पीछे उस थान पर जाने के लये कया है, जहाँ आप
वयं नह जा पायगे।”
या आप उन थान के बारे म सोच सकते है, जहाँ आप अकेले जाने का साहस नह कर पायगे? सवा धक
च लत उ र है, “भ व य”।
अगला है क ‘आप भ व य म वयं य नह जा सकते?’ आइये, आपके लए म ही इसका उ र ँ ,
भ व य भयावह है, यह अनजान व अप र चत है। यह चुनौतीपूण, सहरन पैदा करने वाला व डरावना है, यह
अ न तता व असुर ा से भरा है, जो खम और भय से भरा है। भ व य का अथ मृ यु या पूरी बबाद हो सकता है।
यह कोई आम मनु य का आम खेल नह है, यह उन लोग के लये है जो जीवन म कुछ असाधारण पाना चाहते ह।
उन आकां ा व मह वाकां ा तक प ँचना चाहते है, जनक वे क पना तो कर सकते है पर तु अकेले पा नह
सकते, उ ह एक नेता क आव यकता होती है – एक ऐसा , वे जसका चुनाव, उसका अनुसरण करने के
लये करगे, यहाँ सारा अंतर ‘चुनाव’ श द से ही आता है।
म ऐसे कई लोग या लीडर को जानता ,ँ जो अपने आ धन थ , अनुया यय से परेशान, नाराज रहते ह,
य क वे उनके अनुदेश का पालन नह करते या उनके आदे श क अवहेलना करते ह, इन लोग को इस बात का
बोध नह होता क यह नेता के हाथ म नह है क वह अनुया यय को भा वत कर अपने अनुनयन के लये े रत
कर सके, अ पतु यह शु प से अनुयायी क इ छा है क वह अपने लीडर का अनुनयन करेगा या नह । अत:
अपने जीवन के उ यन हेतु यह आव यक है क आप यह घो षत कर द क आप आजीवन लीडर रहगे। और फर
ऐसा लीडर बनने के लये, जसका लोग अनुसरण कर, आपको वयं म वशेष यो यता , मता व गुण का
वकास करना होगा जो आपके आसपास के लोग को भा वत कर सक, आपको इतने बल च र का नमाण
करना होगा क लोग आपका साथ चाह। आपको ऐसी भाषा का वकास करना होगा जो इतनी सं मणकारी है क
लोग आपको कॉपी कर। व श नेतृ व के गुण का दशन आव यक है।
कोई भी मा संयोग से नेता नह बनता। इसके लये परेखा बनानी होती है। यह कोई एक बार का
फैसला नह है, ब क आजीवन रहने वाली घोषणा है जो आपके जीवन के साथ ही जायेगी, और ऐसा करने के
लये, आज ही आपको इसक घोषणा करनी होगी चाहे आप 26, 35, 43 वष के ह या जो भी आपक आयु हो।
आपको घो षत करना होगा क आप आजीवन एक लीडर रहगे और इस उ रदा य व के नवाह म आड़े आने वाली
हर व तु का याग करने को तैयार ह।
मने ऐसा ही नणय 1985 म लया था जब मने यूरेका फो स म अपना क रयर आर भ कया और आइये
आपको यह भी बताउँ क इसी से स बं धत जो घोषणा मने 1992 म क , जब म अपनी होने वाली प नी – सधु से
मला। अपनी शाद से ब त पहले, अपनी सगाई के दन म, मुझे याद है, मने उससे कहा, सधु तुम कसी साधरण
से ववाह नह कर रही हो। म एक लीडर ँ और मेरा जीवन, लोग के जीवन को पांत रत करने के मेरे
येय को सम पत है। मुझ से यह आशा मत रखना क म समा य प तय क तरह शाम 5.30 बजे घर आऊँगा,
स ताह के अंत म तु ह फ म दखाने या खाना खाने बाहर ले जाऊँगा, और य द तुम बीमार ई तो तु हारे सरहाने
खड़ा र ँगा। मेरे पास तु हारे लये उतना ही समय होगा जतना कसी अ य के लये य क मेरा एक येय है जो
पाना है, एक उ े य है जो पूरा करना है, एक पूरा संसार है जसे पांत रत करना है, और यह हमेशा मेरे लये
सवा धक मह वपूण रहने वाला है।”
और उसी दन से मने एक लीडर क तरह काय कया है, एक लीडर क ही तरह वहार कया है और म
अपनी अं तम सांस तक एक लीडर ही र ँगा।
लीडर को एक और तरह से प रभा षत कया जा सकता है, “ऐसे जो सामा यजन को जीवन के
सभी े , गत, ावस यक एवं आ या मक म नद शत करते ह और इस कार वीकाय
मानदं डो, दशन , था , सं कृ तय और समाज के जमे ए ढ़ांचो को चुनौती दे ते रहते ह।”
जब म यह प रभाषा व इसका एक–एक श द लख रहा था, तो मुझे एक म हला क याद आ रही थी जसका
जीवन इस प रभाषा के एक–एक श द का उदाहरण है; वा तव म, यह गलत नह होगा, य द म क ँ क उ ह के
जीवन ने मुझे इन वचार तथा इस प रभाषा को लखने क ेरणा द ।
कई स मा नत पुर कार जीतने वाली मैडम यूरी, जो नोबल पुर कार पाने वाली पहली म हला थी, वे एकमा
म हला है ज ह यह पुर कार एक से अ धक व ान के लये दया गया; भौ तक एवं रसायन शा ; उनके अपने
दे श, पोलड, म उ ह एक म हला होने के कारण उ च श ा से वं चत रहना पड़ा, यूरी ने वीकाय मानदं ड , दशन ,
यास और समाज क द ई परेखा को चुनौती द और अपनी च के वषय, भौ तक , रसायनशा व
ग णत पढ़ने के लये पे रस आ ग ।
अपने प त पयरे यूरी के साथ काम करते ए उ ह ने कई गत व ावसा यक ध के सहे व असफलताएँ
झेली, क तु उ ह ने ाकृ तक व ान म अपने अनुसंधान वष तक जारी रखे और संसार को दो मह वपूण
रे डयोधम त व का उपहार दया – पोलो नयम व रे डयम। इस ह पर अपने छोटे जीवन म उ ह ने ‘रे डएशन’
( व करण) तुत कया जसके ारा कसर का सफल उपचार कया जा सकता था। इस कार उ ह ने शु आती
कसर के संभा वत उपचार से नया का प रचय करवाया।
आयोनाइ जग रे डएशन के भाव से अनजान और उनके बारे म जानने क च ता कये बगैर बना कसी
सुर ा उपकरण/ ावधान के शाला म उ ह ने अपने अनुसंधान जारी रखे। वे रे डयोधम आइसोटो स से भरी
परखन लयाँ अपनी जेब और मेज क दराज़ म रखे रखत , मानो वे कोई साधारण कण ह । उ ह ने कभी भी
बीमारी या मृ यु के भय को अपने काम को बा धत नह करने दया और इसी कारण वे ‘ए ला टक एनी मया’
नामक बीमारी क शकार हो गई, जो क ल बे समय तक व करण के भाव म रहने के कारण होता है। 66 वष
क उ म उनक मृ यु ई क तु वे अपने पीछे ऐसी वरासत छोड़ गय जो आज तक अमू य मानी जाती है।
रे डयो ऐ ट वट के जतने अ धक घातक तर पर उ ह ने काम कया। उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा
सकता है क उनके अनुसंधान के कागज़ आज भी सीसे के अ तर लगे ड ब म रखे ह और जो लोग उ ह दे खना
चाहते ह वे कागज़ के सीधे संपक म आने से पहले सुर ाकवच पहनते ह। क तु मैडम यूरी को रे डयो ए ट वट
क खोज जुनून म इनम से कोई भी सुर ा उपाय अपनाने का वचार कभी नह आया। वे केवल कुछ ऐसा दे ना
चाहती थ जससे उनक मृ यु के बाद आने वाली पी ढ़य को एक बेहतर संसार मल सके।
अपने उ े य क ओर ग तशील लीडर क न ा व तब ता इतनी बल होती है क इसक तुलना म उ ह
जीवन भी तु छ लगता है।
वे वा तव म एक लीडर थ और जब तक वे इस ह पर रह , संसार ने उनका अनुसरण करना ही चुना। उनक
खोज के बाद से आज तक करोड़ साधारण मनु य इस नया म आये और चले गये क तु उ ह ने अपनी उप थ त
का अनुभव अपने आसपास के लोग को भी नह होने दया।
जो चीज़ लीडर को साधारण मनु य से भ बनाती है वह है उनका इस एकमा जीवन म या करना है,
इसका नणय; और यही उ ह अ व मरणीय बनाता है। उ ह कई ध के व असफलताएँ झेलनी पड़ती ह क तु
उ ह ने इन नराशा को उ ह रोकने क अनुम त नह द । वे लीडर के सवा धक मह वपूण गुण म पूरा व ास
रखते ह।
लीडर क वशेषता है, क वे उन चुनौ तय का सामना करने को त पर रहते है, ज ह उठाने का साहस आम
आदमी कभी नह करता, वे गत एवं ावसा यक े म अपने काय संपादन के परी ण हेतु भी तैयार रहते
ह, और फर अपनी सफलता अथवा असफलता का योग वयं म सुधार लाकर अगले तर तक जाने के लये
करते ह। वे न केवल परी ण, ब क माप–तौल एवं उपहास के लये भी तैयार रहते ह, उ ह संसार ारा ली गई इन
परी ा के प रणाम व उनसे उभरने वाली स चाई का भय नह होता और वे उपहास का पा बनने, एक
कमजोर, अ म या मह वाकां ी बेवकूफ के प म द शत होने के बाद भी अपनी द शत रचना या उ कृ ता के
उ े य क पू त म लगे रहते ह। वे अपनी हार वीकार करने व फर से नयी शु आत करने से नह कतराते। वे अपने
उ े य क ा त के लये अपना पद, सुर ा व व ब ब, खोने से नह डरते, और यही गुण उ ह नेता व उ य नत–
जीवन बनाते ह।
यह अ ाहम लकन क कहानी है। अमे रका के सवा धक सफल व अ भला षत रा प त और रप लकन पाट
से बने पहले। लकन कभी असफलता से भयभीत नह ए, वा तव म उनका जीवन असफलता क कड़ी है,
ज ह ने उ ह एक ऐसे के प म प रव तत कर दया जसने अपनी असफलता को सफलता तक
प ँचने का मा यम बना लया।
आइये अब हम वसाय क नया म चल, जो क सफलता और असफलता का महासागर है हेनरी
फोड ज ह आज एक बजनेस मैगनेट, एक लोक–परोपकारी और एक सामा जक उ मी के प म जाना जाता है,
वे वा तव म अपने जीवन म कई बार असफल ए:
★ जब उ ह ने अपनी पहली कंपनी, डे ॉयट ऑटोमोबाइल कंपनी क थापना क और 86,000 डॉलर खच करने
के बाद भी, एक भी कार तैयार नह क , तो उनके पहले नवेशक ने अपने हाथ ख च लये।
★ अंतत: उ ह ने एक कार न मत क और 60,000 डॉलर शेयर पूंजी के प म इकट् ठा कये, ले कन 1901 म
डे ायट ऑटोमोबाइल क पनी का दवाला नकल गया, कारण था – ाहक ारा ऊँची क मत व खराब
वा लट क शकायत।
★ सरी क पनी जो उ ह ने आर भ क , हेनरी फोड क पनी, बैठ गई य क उनके व उनके भागीदार के बीच
मतभेद उ प हो गये थे।
★ 1920 म हेनरी फोड ने अपनी मॉडल ट कार को उ त बनाने या नया मॉडल लाने से मना कर दया, जससे
उनक कार क ब गर गयी, और यही कारण रहा उनक तीसरी कंपनी ‘फोड मोटर क पनी’ के बैठ जाने
का।
★ फोड ने एक राजनी तक क रयर आर भ करने का य न कया क तु कभी सफल नह ए।
★ वे अपनी एक उ मी क या ा म पांच बार असफल हो द वा लया घो षत ए।
और ये वही हेनरी फोड ह ज ह कार इं ज नय रग म ां त लाने, असे बली लाइन ोड शन, वसाय,
सामा जक नेतृ व, श ा व अ य े म उनके काम के लये जाना जाता है और फोड मोटर क पनी जसक
उ ह ने 1903 म थापना क और सकड़ो असफलता के बाद खड़ी क , वह, 2010 म एक त कये गये,
गा ड़य क ब के आँकड़ के अनुसार अमे रका म सरे पायदान पर और व म पाँचवे पायदान पर है। वे बार–
बार, बार–बार और बार–बार असफल ए, क तु उन असफलता के बीच से ही उ ह ने अपनी सफलता का
पथ तैयार कया और कसी भी चीज़ को उ ह या उनक चुनौ तयाँ वीकार करने क यो यता को बा धत नह करने
दया!
बड़ी असफलता का साहस रखने वाले ही महान उपल धयाँ हा सल करते है।
–रॉबट एफ. कैनेडी
अपने जीवन क पाँच ऐसी घटनाय लख जहाँ आपका अपमान आ हो, साथ ही यह भी लख क अपना
आ म व ास वापस पाने के लये आप तशोध क श का योग कैसे करगे।
वष पहले मुझे पाँच मले, ज ह ने मेरे अंतर को झझोड़ दया और मुझे मेरे जीवन क साधरणता से
अवगत कराया। म इ ह “पांच जा ई कहता ”ँ और पाठक के लाभ के लये, ये पांच यहाँ दे रहा ँ।
पांच जा ई
1. आप त दन सुबह ब तर से य उठते ह?
कई वष पूव म सुबह ब तर से इस लए उठता था, य क म इस संसार को कल से बेहतर बनाना चाहता था।
आज म सुबह ब तर से इस लए उठता ँ ता क म सफलता क कुछ और कथाएँ रच सकूँ, इसके लये म लोग
व संगठन को उ ह सी मत करने वाले वचार एवं प रक पना से ऊपर उठने यो य बनाऊँ व इस त दन बदलते
व म उ त पाऊँ; और यही, ासं गक प, से मेरी क पनी माट का भी मूल उ े य बन गया है, और उन सैकड़
लोग के अ त व का कारण भी जो माट के लये काम करते ह।
इस उ र को एक बार फर पढ़। मने जो काय आर भ कया है वह कभी समा त नह होगा। जब तक इस पृ वी
पर मानव जीवन रहेगा, मेरा काम भी रहेगा – म सफलता क कहा नय का नमाण करना चाहता ँ। पर कैसे?
लोग और संगठन को इस यो य बनाकर क वे वयं को सीमाब करने वाले वचार और परेखा से उपर
उठ सक। इससे या होगा? यह लोग को उ त होने म सहायक होगा। यह अंतहीन व अनंतकाल तक चलने वाला
काम है, क तु मेरे जीवन व अ त व का येय है।
यही जब जीवन उ यन से वमुख, साधारण मनु य के स मुख रखा जाता है तो उनके उ र व भ होते
है। अपने 29 वष के ावसा यक जीवन म मने यह कई बार दे खा है और इनके उ र कई तर म फैले होते ह,
उदाहरण के लये –
★ म सुबह ब तर से इस लए उठता ँ क अपना बचा आ काम पूरा कर सकूँ।
★ ऑ फस या फै जाने के लये।
★ रोजी–रोट कमाने के लये, ता क म अपना और अपने प रवार का पेट भर सकूँ।
★ म रोज ब तर से इस लए उठता ँ य क मेरे लोग से पूरे दन मलने के समय तय होते ह, और लोग मुझसे
मलने क ती ा म होते है।
★ म रोज सुबह ब तर से इस लये उठता ँ क मुझे पछले 49 वष से सुबह उठने क आदत है।
★ म रोज़ सुबह ब तर से इस लए उठ जाता ँ य क मेरी न द खुल जाती है।
★ म रोज सुबह ब तर से इस लए उठ जाता ँ य क म कल मरा नह ।
ये सभी लोग ब तर से बाहर मा अपना जीवन बताने के लये आते ह। उनके पास हा सल करने के लये कोई
कारण या उ े य नह होता। संसार को दे ने के लये कुछ नह होता जससे क उनका जीवन अ य के लये उपयोगी
व अथपूण रहे।
जीवन म आपके लऐ या मह व ण ह?
आपको अपने जीवन के बारे म सबसे अ छा या लगता है?
जैसा क नाम से व दत है, भावनाएँ सोखने वाले वकषण वे घटनाएँ ह जो आपको भावना– वहीन करत ह,
आपके मन को जकड़कर आपको हमेशा के लये कमजोर बना दे ती ह। जतना आप इस थ त म रहगे उतना ही
जीवन उ यन से परे चले जा गे।
कसी भारतीय प रवार म मृ यु होने पर प रवार को कम से कम 13 दन तक सांसा रक काम–काज म लगना
व जत मानते ए कुछ र म क अदायगी म लगना होता है। तलाक य द कोई मुख घटना बन जाए तो वह कसी
को स ताह और महीन तक अवसाद म डु बाकर रख सकता है। कसी बीमारी को य द ब त ग भीरता से ले
लया तो वह मृ यु से भी भयानक हो सकती है।
ऐसे समय म, वयं को नया से र रखकर, काम ब द कर, वयं को उन ण म ल बे समय तक डु बाये
रखना जीवन या ा को ही क ठन बना दे ता है; फर जीवन उ यन तो र क बात रह जाती है।
य द स चन ते डु लकर, पता क मृ यु य ई, सोचते रहते तो वे वयं के केटर होने क धार खो दे त,े य द
वराट कोहली पता क अ थय के समीप दन – दन बैठे रहते, तो उनका साहस समा त हो जाता, य द अनु आगा
वैसी ःखद ज दगी के लये नय त को कोसने लग जात , तो वे अपनी वा त वक मता तक कभी भी न प ंच
पात ।
वैसी प र थ तय म इन सब लोग का जीवन छ – भ हो गया, और य न होता, आ खर वे भावना मक
प से चुनौतीपूण ण जो थे। पर तु जैसा क म कह चुका ँ – अ या धक भावनाएँ बु का अवरोध करती ह।
वैसी भावनाएँ होते ए भी ये लोग अपने उ े य पर कायम थे। उ ह ने उन भावना मक ण को अपनी बु पर
हावी न होने दया और अपने लये जीवन का उ यन कर लया।
आप वतमान म भुगत रहे तीन ईडीडी तथा उनसे उबरने क या क योजना लख–
अपने जीवन को जीवन–पय त उ य नत बनाए रखने के लए वयं को इस आ ा, इस अनुदेश, इस नदश, इस
आदे श, इस भु के वधान, इस कमांडमट को दे कर, इसके त आपको जीवन के त दन, तघंटे, त म नट
सजग रहना है।
ह म यूनतम समय म अ धकतम प रणाम दे ने होते ह, तथा यूनतम यास से अ धकतम प रणाम। काय थल
हो या घर हम तभी उ पादक हो पायगे जब हम वकषण म बह न जाए। आवेग, च ता, ोध, नराशा, चोट,
अ स ता, ई या, स दे ह, श ुता, अपराध–बोध, असहायता, अवसाद, अ वीकृ त, उपे ा, अहं, लोभ इ या द
सभी 100 तशत वकषण ह। जैसे ही हम इनम से एक अथवा सभी भावनाएँ महसूस करना शु करते ह, हमारा
यान हमारे ल य से हट जाता है। जीवन क नैरा यपूण प र थ तय म उ पादक बने रहने हेतु हम वयं क
भावना का यान रखना पड़ता है। कुछ भावनाएँ ऐसी ह जो आपको संघष करने और आगे बढ़ने म मदद दे ती
ह........... ये ह ऊजावधक भावनाएँ।
सरी ओर कुछ भावनाएँ आपको ख , ो धत, नराश, च तत, अपराध–बोध सत बनाती ह......... ये
ऊजा सोखने वाला आ म व वंसक भावनाएँ ह। जब जीवन म कुछ अ य घटा हो तब, भावनाएँ आपक मान सक
थ त तथा आपके व थ रहने को नधा रत करती ह। और कुछ न कुछ अ य तो होता ही रहता है, तो ऐसे मौक
पर आपक भावनाएँ कैसी ह ?
म हमेशा से कहता आया ँ क आपके पास न न ल खत चार भावनाएँ अथवा मन क थ तयाँ अव य होनी
चा हये।
★ हा य बोध
★ फु लता
★ आ म– व ास
★ उ साह
ये उ य नत जीवन क नशा नयाँ ह।
2. म सदै व फु लत र ँगा – और पराजय के उपरांत खुश तथा अगली बड़ी चीज क रचना के लये
तैयार!
सम या के समाधान हेतु आपको फु लत रहना होगा। सदै व खुश मजाज, आशावान, उ वल एवं
सुखद।
4. म उ सा हत, जीव त तथा जीवन के त उ े जत र ँगा। म वयं को सदै व याद दलाता र ँगा– मेरे
आसपास ब त कुछ ढह चुका है फर भी ब त कुछ अ त है, साथ ही मेरे पास जीवन म उपल ध
हेतु बड़े ल य भी ह।
सम या के समाधान हेतु आपको उ सा हत रहना होगा। ब त वष पहले मुझे बताया गया था क उ साही
वह मनु य है जसे ई र ने अपने वश म कर लया है। अत: आपको इस कार द खना है मान आप ई र
के वशीभूत ह ।
माँग वे दावे ह जो आप अ त व– णाली पर करते ह। ये वे ह जो आप चाहते ह एवं उसे पा लेने के अपने अ धकार
पर बल दे ते ह। सरी ओर अपे ाएँ आपक आकां ाएँ ह, य द वे पूरी ह तो आप खुश ह गे।
अत: हम या तो कुछ माँग सकते ह – वयं से, सर से, और अपने आसपास क व तु से; और या कुछ
अपे ा कर सकते ह – वयं से, सर से और अपने आसपास क व तु से। ये माँग ही सम या है। य द माँग के
बजाए हम मा अपे ाएँ ही रख तो हम अपनी चार उपयोगी भावना के साथ चल सकते ह– फु लता, आ म–
व ास उ साह और हा यबोध।
वयं के तथा सर के अनुभव से सभी जीवन–उ यनकता को इस बात का एहसास है क मनु य अपूण ह
और एक अपूण नया म रह रहे ह। एक अपूण नया म, लोग से पूणता क माँग करना केवल मूखता ही नह
अ पतु वयं के उ े य क पटरी छोड़ दे ने का एक यारंटेड नु खा है। जीवन–उ यनकता को इस बात का भी
एहसास है क कुछ उलटा हो सकता है और होगा भी और इसी लए यह ‘माँग’ क सब कुछ वैसा ही हो जैसा कसी
ने माँगा है, ब त र क कौड़ी है।
1. अपने भ व य क च ता
2. अपने भूतकाल का अपराध–बोध
उदाहरण हेतु एक व ाथ वयं से पूण– स ता क माँग कर कहता है– ‘मुझे अव य ही 96 तशत पाना है
तथा अपने श क , सपल, माता– पता, म इ या द क शंसा हा सल करनी है।’ य द उसे 85 तशत ही
मल पाते ह और वह उसे मंजूर न कर सके तो च ता क शु आत हो जाती है। वह नकारा मक ववाता क
शु आत करता है, ‘अब मेरे भ व य का या होगा? मेरा जीवन थ है, मेरी ज दगी तबाह हो चुक है। लोग मेरे
बारे म या सोचगे? म नया का सामना कैसे क ँ ? म अपने माता– पता का सामना कैसे क ँ ? यह जीवन जीने
यो य नह है।’
यह आ म– व वंसक वहार जैसे क आ मह या क ओर ले जाता है, जो क आजकल बलकुल आम है। ये
लोग अपने भ व य के बारे म च तत ह तथा वह च ता उनक बु को अवरो धत कर दे ती है और वे अपने
क रयर और जीवन को तबाह कर लेते ह। एक बार फर, आपको याद दला ँ :
’म अव य ही पूण– स बनूँ’ वाले लोग हमेशा ही भ व य म जीते ह तथा उनक भावनाएँ उनके इद– गद क
घटना से नद शत होती ह। य द वे घटनाएँ उनके तथाक थत ’ पूण– स ता–मानक ’ पर खरी नह उतरी तो वे
वयं पर ो धत होते ह और एक बार य द ोध (एक नकारा मक भाव) शु आ तो वे के त नह रह पाते, कुछ
कर नह पाते, या जीवन म अपना च नह लगा पाते। यह उ ह जकड़ लेता है, और उसके बाद का वहार और
नणय उनक भावना का ही प रणाम होते ह।
जो ोफेशन स जीवन से पूण– स ता क माँग करते ह वे ऐसी भावना से पी ड़त रहते ह:
1. श ुता
2. अवसाद
श ुता
जब आपके इद गद के लोग आपके पूण– स तावाद मानक के अनुसार नह चल पाते तो आप म सर के त
श ुता व ोध भाव आ जाता है, य क वे आपको तथा आपक भावना को समझ ही नह पा रहे ह। ऐसी
थ तय म आप वाकई हसक और आ ामक हो सकते ह। लोग क ह या, उ ह पीटना, उ ह चोट प ँचाना, चीज
को न करना इ या द कुछ भी, आप कर सकते ह। ोध के ऐसे ही ण म, अ धकतम तकसंगत एवं समझदार
लोग ने अ धकतर ह याएँ क ह। रोड़–रेज, जसम लोग अपनी कार से उतरकर झगड़ते ह, च द पैस के लए
स ज़ीवाल से ववाद, रे तरा म बार–टे डस या वेटस से बहस इ या द, ऐसी ही श ुता और ोध भाव के
फल व प होते ह।
अवसाद
लोग के जीवन के कसी कालखंड म जब लगातार नकारा मक घटनाएँ घट तो उ ह महसूस होता है क सरे यानी
क उनके पु , पु याँ, प त या प नी, अधीन थ, म गण, समुदाय, प रवार के सद य इ या द, उनके वचार अथवा
कोण से मेल न रख पा रहे ह; ऐसी थ त म वे एक सरे खतरनाक भाव, जसे अवसाद कहते ह, म प ंच
जाते ह। वे बेकारी का भाव महसूस करते ह। वे उदास तथा हतो सा हत हो जाते ह, और ऐसी भावनाएँ उनक ऊजा
सोख लेती ह और वे अपने चार सकारा मक भाव अथवा मान सक थ तयाँ खो दे ते ह :
1. यह समझ ल क लोग के पास काम करने हेतु उनक अपनी पहचान, लय एवं शैली होती है। उ ह उसके
अनु प काम करने द।
2. सर के साथ धीरज से पेश आय।
3. सर से सलाह कर अपे ाएं नधा रत कर ता क बाद म नराशा न हाथ लगे।
4. अव ा और ना फमानी ा शत है तथा उसके लये तैयार रह।
5. सर के साथ ऐसा कुछ न कर जो आपको वयं के साथ कया जाना पस द न हो।
1. यह समझ ल क सफल य एवं उ य नत जीवन के पास बगड़ती बात को कुबूल कर आगे बढ़ जाने
क महान यो यता होती है।
2. याद रहे क नया म ‘अभी’ से बेहतर प र थ त कभी भी न थी। नया का बेहतरीन सब कुछ, सभी
पहलु म, सभी े म, आपको आज मला है। उसका आन द उठाय।
3. ’अभी’ ही कुछ करने यो य समय है। दे र न कर, चल पड़!
4. शारी रक, मान सक, भावना मक और मनोवै ा नक क ही कसी भी अथपूण उपल ध क कुंजी है।
इन तीन अ त व– णाली माँगो म से कौन सी आपके व म मुख है? चार उदाहरण के ारा
समझाइये।
यहाँ बनी ता लका म उन चार पूण– स ता को दोबारा लखे जनक माँग आप वयं/ सर /आसपास
क व तु से करते ह और उनसे छु टकारा पाने के लये उठाये जाने वाले कदम या ह गे
एक उ य नत जीवन रेलगाड़ी के इंजन क तरह होता है, जो रेलगाड़ी को वशेष ग त क ओर ले जाता है।
अलग–अलग टे शन से लोग चढ़ते ह, ल बे समय तक साथ बने रहने का ण करते ह, कई बार वे अपने गंत
तक साथ रहते ह और कई बार बीच राह म उतर जाते ह। कुछ लोग ब त कम री के लये साथ रहते ह, कुछ
अगले टे शन पर ही उतर जाते ह, और कुछ अ य शायद अनंतकाल तक मेरे साथ रह। इस या ा म लोग के चढ़ने
व उतरने क च ता कये बना, इंजन अपनी ग त से, अपने गंत क ओर बढ़ता रहता है, य क यह इंजन है जो
रेलगाड़ी को चलाता है ना क उसम सवार या ी।
मेरी या ा म ब त लोग मेरे साथ रहे ह कुछ ने कहा क वे जदगी भर मेरे साथ चलगे क तु फर वे अगले
टे शन पर ही उतर गये, कुछ ने कहा क वे अगले टे शन पर उतर जायगे, क तु वे ल बे समय तक मेरे साथ रहे,
कुछ और लोग आर भ से ही मेरे साथ ह। जो अगले टे शन पर ही उतर गये म उनसे कभी नाराज नह आ, और
उ ह कभी या ा म अपने साथ आगे चलने से नह रोका, न ही मने कभी लोग क इस बात को ग भीरता से लया
क वे ल बे समय तक मेरे साथ चलना चाहते ह सरे श द म मने यह नह माना क वे सदा मेरे साथ रहगे। इन
दोन ही प र थ तय म मने अपने वयं के जीवन–उ यन क राह म बाधाएँ खड़ी कर ली होत – य द म यह
व ास कर लेता क लोग सदा मेरे साथ रहगे तो मुझे न त ही ध का लगता जब वे मुझे छोड़ कर जाते; सरी
ओर य द म लोग को अपने साथ नह चलने दे ता य क वे गाड़ी पर चढ़ते ही उतरने के बारे म सोचने लगे ह, तो म
उनक मता को पूरी तरह से नह उभार पाता और फर वयं के जीवन–उ यन क या को भी भा वत
करता। अत: मने लोग को उनक सु वधानुसार अपने साथ जुड़ने दया, बना इस बात क परवाह कये क हमारा
साथ कतनी दे र रहने वाला है, और जतना भी समय मुझे उनके साथ मला मने उसका पूरा उपयोग हम दोन के
उ यन के लये कया।
और चूं क म वयं एक उ य नत जीवन चाहने वाला ँ, म आज भी इंजन बनकर ड ब को अपने साथ
ख चता रहता ँ, बना इस बात क च ता कये क कौन मेरे साथ आया ओर कौन बीच म ही छोड़ गया; इंजन, जो
कसी न कसी प म सभी ड ब से जुड़े होते ए भी अलग रहता है। इंजन क श सभी ड ब क कुल श
से कह अ धक होती है। इंजन क अनुप थ त म ड बे अपनी जगह पर ही खड़े रह जाते ह, क तु ड ब के
अभाव म भी इंजन अपने गंत पर प ँच जाता है।
संसार उपहास करने, आलोचना करने व छ टाकशी करने को त पर रहता है क तु कोई भी आगे बढ़कर
रेलगाड़ी चलाने के लये तैयार नह होता है। यह काय मा इंजन का ही होता है। इस कार इंजन, जीवन को अथ
दे ता है, व म क थ त म प ता दे ता है, अ म को श , दशाहीन को दशा, न साही को ेरणा, कमजोर
को आ म व ास, अयो य को यो यता दे ता है, आ द।
यह एक दशासूचक, उ रदायी एवं नेतृ व से प रपूण जीवन है। यह एक उ रदा य व है, न क वशेषा धकार,
और इंजन इस या ा म सदा एकाक होता है। इसी लये, कई वष पूव मने वयं को यह घो षत कया क म कभी
भी ड बा नह बनूंगा, और आजीवन एक इंजन र ँगा। जी हाँ, और एक इंजन होने के लये, आपको जीवन म
एकाक रहने के लये तैयार रहना होगा।
इस या ा के दौरान को अ य धक आ मसंदेह, हच कचाहट, अ न तता, अ व ास से गुजरना पड़ता
है, और पूरे संसार से यु करना पड़ता है। जैसा क मने आरंभ म कहा संसार क 95 तशत जनसं या आम
साधरणता एवं मा 5 तशत साथक व श क ेणी म आते ह। इस तक के अनुसार, य द आप अपने चार ओर
दे ख तो पायगे क संसार साधारण लोग से भरा आ है, जो साधारण साधन के साथ साधारण जीवन जीते ह।
उ ह ने जीवन म कसी भी चीज को चुनौती नह द है और दशक से यथा थ त म जी रहे ह। वे एक जनसमूह या
भीड़ ह। कसी जनसमूह या भीड़ क या वशेषता है?
भीड़ एक घायल का वह जनसमूह है जो क सं या के पीछे छु पा होता है। यह नदश नह दे सकता, अ य
को आशा व आ म व ास भी नह दे सकता, इसे भु व वाले लोग का समथन चा हये। इसके कोई स ा त,
दशन व अपने वयं के मत नह होते। इसके अपने कोई वचार या यु याँ भी नह होत । वे मुखहीन होते ह और
सफ एक मुखौटे से आवृत होते ह। यह दशक से ऐसा ही रहा है और आने वाली शता दय तक ऐसा ही रहेगा।
भीड़ का य न म व ास नग य ही है– वे जो खम भी नह उठाते ह ओर एक सुर त यास म ही संतु रहते
ह। वे वही करना पसंद करते ह जो वीकृत मापदं ड के अनु प हो, जमे ए ढांच व तमान का ही अनुसरण
करते ह, और वही सब करते ह जो अ य लोग कर रहे ह ; य क उनम कुछ भ करने के लए आव यक
आ म व ास व साहस क कमी होती है। इस मुखहीनता ारा ा त सुर ा उ ह भाती है और वे ऐसा कुछ भी करने
या सोचने को भी तैयार नह होते, जो उ ह इस ढाल से र ले जाये।
उ य नत जीवन के लये य नशील यह जानते ह क जब तक वे इस भीड़ का भाग रहगे, उनके अंदर
बैठा कभी नह जागेगा। वे एक साधारण जीवन जीते रहगे ओर उनके वचार, श द एवं दशन अ य लोग से
भा वत रहगे। उनक मौ लकता कभी कट नह हो पायेगी और वे भीड़ म ही कह खो जायगे। वे इस संसार म
कोई बदलाव नह ला पायगे, उनसे कोई अंतर नह आयेगा, उनके पृ वी पर आने व जाने का कोई मह व नह होगा,
और वे कभी भी अपना जीवन उ य नत नह कर पायगे।
अत: जीवन उ य नत करने के लये वे पूरी चेतनता के साथ भीड़ से अलग खड़े होने का, सु वचा रत नणय
लेते ह। वे जानते ह क उनके वचार, दशन व नणय संसार के मानदं ड से भ ह, क तु वे यह भी जानते ह क
व को उनके मौ लक वचार क आव यकता है; यह भी क संसार को उनके बेतुके दशन व साहसी नणय क
आव यकता है, य क ये मौ लक वचार, बेतुके दशन एवं साह सक नणय ही उनके लए एक बेहतर जीवन का
माग तैयार करगे, अगली ां त का आर भ करगे व इस व को एक बेहतर थान बनायगे।
1998 म टाटा ुप के चेयरमैन, रतन टाटा ने जो क टाटा मोटस का काम दे ख रहे थे, जेगुआर एंड लड रोवर
नामक, पछले 19 वष से घाटे म चल रही, क पनी को खरीदने का नणय लया। इस नणय से टाटा मोटस पूरी
तरह नर त हो सकती थी और टाटा ांड भी गत म जा सकती थी। यह एक ऐसा नणय था जो कोई भी समझदार
अपने होशो–हवास म नह लेता। कतु रतन टाटा ने अपनी साहसी वृ , र और एकाक चलने के
मानस से सभी को एक कनारे कर, जे एल आर को खरीद लया। आज इस ा त ने न केवल टाटा मोटस को
बचाया, अ पतु, यह उसक आय म दो तहाई और कुल लाभ म तीन चौथाई का योगदान भी कर रही है।
इस अनुभव के तुरंत बाद 2009 म जब सभी बड़े कार नमाता बड़ी ल जरी कार के उ पादन को बढ़ाने पर
यान दे रहे थे, रतन टाटा टाटा–नैनो, लेकर आये; संसार क सबसे स ती कार, जो क वशेष प से म यम वग के
लये बनी थी, और इसम टाटा मोटस क पूरी व सनीयता दांव पर लगी थी। एक ओर य तकनीक सीमा
(कम क मत के कारण) और सरी ओर राजनी तक दबाव; उ ह ने भयंकर वरोध का सामना कया। लोग ने
उनका उपहास कया, कहा क यह मा द भ व हठ से े रत ह; एक नल ज क पना है, जसका या वय
अस भव है। क तु रतन टाटा ढ़ रहे।
सही दमाग वाला कोई भी ऐसी क पना क घोषणा तो र उस पर गत प से काम भी नह
करता। रतन टाटा इस पथ के एकाक या ी थे, क तु उनके मौ लक वचार, बेतुके दशन के मागदशन व साहसी
काय के सहारे, उ ह ने इसे या वत कर दखाया। उ ह ने नया क सबसे स ती कार बनाई जसक क मत थी
1,20,000 पये (3,000 अमरीक डॉलर) यह नया के ऑटोमोबाइल उ ोग के इ तहास म पहली बार आ था।
हालां क टाटा नैनो का ोजे ट असफल रहा है, क तु रतन टाटा ने व भर म एक ां त का आर भ कर दया
और आज उनके ारा लाये गये नवप रवतन का सकड़ कार नमाता अनुसरण कर और इसी तरह क कार बनाने
म संल न ह। वे टाटा नैनो का एक पांतर तुत कर और रतन टाटा के अनुभव व ग तय से सीख लेकर ज द
ही नैनो से बेहतर मॉडल क रचना करगे, क तु इस वचार को ज म दे ने का ेय सदा रतन टाटा के पास ही रहेगा।
दो वष से कम समय म ही उ ह ने अपनी सरी मह वाकां ी प रयोजना पर काय आर भ कर दया है, “टाटा
मैगा प सल कॉ से ट कार”, जसका अनावरण उ ह ने जेनेवा मोटर शो म कया। यह कार 100 कमी त लटर
का औसत दे ती है। इस कार म व भ ौ ो ग कय का व श योग कया गया है और यह अगले तीन साल म
बन कर तैयार हो जायेगी। यह एक नया वचार है और अब तक अनसुना है, फर से एक बार रतन टाटा इस या ा म
अकेले ह।
आइये एक ण के लये कॉरपोरेट जगत से बाहर आय और राजनी त के े म वेश कर। आंग सान सू क
एक अंतरा ीय तर पर स बमा ( जसे आज या मार के नाम से जाना जाता है) क जात समथक नेता ह।
वे बमा के वतं ता सं ाम के नायक आंग सान क बेट ह। जब वे मा दो वष क थी उनके पता क ह या कर द
गयी थी। पता के नधन के बाद वे अपनी माँ के साथ भारत आ गय जो उस समय बमा के चुने ए राज त के प
म भारत व नेपाल का काय दे ख रही थ । उ ह ने बमा, भारत व यूनाइटे ड कगडम म श ा पाई, जहाँ वे अपने प त
माइकल ए रस से मल व दोन ने 1972 म ववाह कर लया। कुछ दन बाद वे दो बेट के माता– पता बन गये।
तब तक वे एक साधारण बम लड़क थ , क तु उनके पता ने – ज ह ने अपना जीवन अपने दे श व
दे शवा सय के लये कुबान कर दया था – उनम वल णता का बीज बो दया था।
उ ह ने अपना पूरा जीवन बमा के बाहर ही बताया था क तु कुछ था जो उ ह उनक मातृभू म से जोड़े ए था,
इसे भा य का च ही कहगे; 1988 म आंग सान सू क , अपनी मरणास बीमार माँ क दे खभाल करने के लये
अपने दे श लौट । बमा क स ा सेना के हाथ म थी, सूक ने इससे ो धत हो, उस समय दे श भर म फैले ए
लोकतं बहाली के व ोह का समथन कया और उसी वष उसके समथन के लये नेशनल लीग फॉर डेमौ े सी
नामक पाट क थापना भी कर ली जो क लोग को मानवा धकार दलवाने के लये संघषरत थी।
1988 से उ ह ने अपनी गत इ छा को छोड़कर बमा को एक जातं बनाने के अपने उ े य पर पूरा
यान दे ना आर भ कया। जब से उ ह ने यह यास आर भ कया उ ह कई बार जेल म डाल दया गया। 15 वष
से, अ धकतर, वे घर पर ही नजरबंद रही ह, क तु इसने उनके दे श के लऐ संघषरत रहने के नणय को कमजोर
नह कया। नजरबंद रहते ए उ ह ने अपना समय दशनशा , राजनी त एवं आ मकथाएँ पढ़ते ए बताया,
जससे वे अपने उ े य के और नकट प ँची, और जतनी बार भी उ ह वतं कया गया उ ह ने सेना क स ा के
धैय व सहनशीलता क परी ा, पूरे दे श म चार कर कई जगह पर भाषण दे कर व बमा क जनता को जात के
लये जागृत करके ली।
1991 म उ ह व त त नोबल स मान ा त आ, उ ह नोबल शां त पुर कार से स मा नत कया गया।
1997 म, उनके प त को ॉ टे ट ं थ के लाइलाज कसर से पी ड़त पाया गया। कई मह वपूण य व संगठन ,
जनम संयु रा संघ, संयु रा महास चव कोफ अ ान व पोप जॉन पॉल तीय भी स म लत थे, क अपील
के बावजूद बमा क सरकार ने उ ह अपनी य प नी से अं तम बार मलने के लये वीजा दे ने से मना कर दया।
हालां क आंग सान सूक को यह पेशकश क गयी थी क वे चाह तो अपने मरणास प त से जा कर मल सकती
ह, क तु उ ह ने बमा छोड़ने से मना कर दया, य क वे अपने लोग को छोड़कर नह जा सकती थ । वे जानती
थ क य द वे एक बार बमा से बाहर चली गय तो फर उ ह बमा लौटने नह दया जायेगा। और वे अपने उ े य से
सदा के लये अलग हो जायगी। नजरबंद रहते ए वे अपने ब च से भी अलग थ , य क वे यूनाइटे ड कगडम म
रहते ह, क तु सु क ने ह मत नह हारी।
उनके पास अपने बीमार प त व य ब च के पास लौट आने का रा ता हमेशा खुला था। क तु उ ह अपने
प रवार से वलग होना वीकाय था परतुं अपने उ े य से र जाना वे सहन नह कर सकती थ । उनका येय, बमा
म जातं क थापना, उनके प त के जीवन, उनके दोन बेट और वयं उनसे कह बड़ा व मह वपूण था। अपने
गत ब लदान से संबं धत के उ र म उ ह ने सदा कहा क ये बमा के लोग ारा झेली गयी ास दय क
तुलना म कुछ नह है।
इस संघष के दौरान, आंग सान सु क के साथ या था? उनके साथ कौन खड़ा था और कौन उ ह समथन दे
रहा था, जब वे बमा क सै नक सरकार से लोहा ले रही थ ? उनके पास कौन था, जब उ ह ने अपने जीवन का
चौथाई भाग नजरबंद होते ए गुजारा? क तु इन तु छ से उनक आ मा व ढ़ता कभी वच लत नह ई,
य क वे जानती थ क वे एक उ य नत जीवन चाहने वाली म हला ह और ऐसे लोग जीवन–या ा म एकाक होते
ह।
वष का समय कम नह होता, क तु उ ह ने जस कार का जीवन जीने का नणय लया, वह बमा के लोग के
लये आशा क करण बन गया। आज भी अपने रा के त उनक तब ता वैसी ही मजबूत है, हालां क वे
आज भी एकाक ह। वे कभी भी ह मत हार कर या समझौता कर, अपने चार ओर क भीड़ म डू बने वाल म नह
है।
उ य नत जीवन वाले लोग भीतर से एकाक होते ह। वे लोग से घरे हो सकते ह; उनके मह वपूण स ब ध भी
होते ह, जनके पास कुछ ऐसा भी हो सकता है, जो उनके लये अमू य है; क तु फर भी वे एकाक होते ह। उनका
लगाव, मा उनके उ े य से ही होता है, और इस लगाव को जी वत रखने के लये वे एक अनास मनु य का प
ले लेते ह। आपक अपने प रवार, म , ब च अथवा आपके घर, ऑ फस या कार के त आस आपके दमाग
व मन को हमेशा घेरे रहती है और आपको जीवन उ यन के माग से वमुख कर दे ती है। क तु उ य नत जीवन
जीने वाले लोग, य प अपने प रवार, म , ब च , घर, ऑ फस या कार से लगाव रखते ह पर तु फर भी वे इन
सभी से एक री बनाकर अनास का भाव बनाये रखते ह।
उ य नत जीवन वाले लोग एकाक रहकर सबसे अ छा काम करते ह, य क एकाक होना उ ह थान, समय
और सोचने का मौका दे ता है जससे वे अपने उ े य के और नकट जा सकते ह। जब वे अकेले होते ह तब
उ य नत जीवन व उनके उ े य के बीच एक गत बातचीत होती है। इससे एक ेम उभर कर आता है, एक
स ब ध बनने लगता है और यह वही लगाव एकमा व तु है जसे वे जीवन–पयत पो षत करते ह, अ य सभी
सांसा रक जुड़ाव सफ उतने ही मह वपूण रहते ह जतने होने चा हए; ता क उ य नत जीवन जीने वाले लोग, उनम
बह कर अपने येय से न हट जाय।
अत: म , एकाक होना, जीवन उ य नत होने का प रणाम नह है, न ही यह लोग ारा उ य नत जीवन का
यास कर रहे को अकेले छोड़ दे ने का नतीजा है, अ पतु यह एक सोच समझ कर, व जान बूझकर उठाया
गया कदम है, जससे वयं को संसार से अलग कर लेता है, ता क वह एक उ य नत जीवन बन सके।
अगले एक स ताह म अपने सोचने, बोलने व काय करने का ऐसा तरीका सोच समझकर व जान बूझकर
वक सत कर जो आपके चार ओर क भीड़ से अलग हो।
मेरे य म , य द आप जीवन उ य नत करना चाहते ह तो आपको एकाक होना होगा, एकाक होना होगा,
एकाक होना होगा... और बस। इसे सम झये, वीकार क जये और इसके लये तैयार हो जाइये। इसक घोषणा पूरे
संसार म कर द जए। य द लोग आपक बात से सहमत हो कर आपका समथन करते ह तो इसे बोनस मा नये।
क तु इसे शत मत मा नये। जैसा क मने कहा था, संसार भीड़ बनाने वाले लोग से भरा है। वे आपके साथ तभी
चलगे, जब आप वयं को सही स कर दगे, य क भीड़ को माण, समथन व गारंट क आव यकता होती है।
एक उ य नत जीवन, कभी भी इन सब के बारे म नह सोचता। वह कभी भी मृ यु या खतर से नह डरता। वह
अपने वचार के लये जाने दे सकता है क तु भीड़ ारा मारा नह जा सकता।
सोलहव शता द म जब गै ल लयो ने घो षत कया क पृ वी सूय के चार ओर घूमती है न क सूय पृ वी के
चार ओर, तो उसका उपहास कया गया, उसे यातना द गई और अपने श द वा पस लेने के लये धमकाया भी
गया। क तु उ ह ने सा ा य को चुनौती दे ने का साहस कया य प वे अकेले ही थे। आज सकड़ वष बाद हम
जानते ह क वे सही थे, व ान ने भी यही मा णत कया है और इस पृ वी पर ब चा–ब चा इस त य को जानता
है।
उ य नत जीवन क वशेषता है क वह भीड़ को चुनौती दे ता है और ल बे समय तक ऐसा करता रहता है। जब
उ ह अनुभव होता है क वे अब ओर नह टक पायगे तो वे भीड़ का भाग बन जाने का अ भनय करते ह। स चाई
यह है क वे अ भनय कर रहे होते ह, समय जुटा रहे होते ह। वे भीड़ म बैठक कर एक नयी परेखा तैयार कर लेते
ह ता क वे अ धक बलता से वापसी कर सक। इ तहास ने सदा यही स कया है। गै ल लयो के साथ यही आ
था और यह आगे भी होता रहेगा, य क उ य नत जीवन कभी हार नह मानते और कभी पीछे मुड़कर नह
दे खते। उनके पास समय ही नह होता – पछताने के लये भी नह ।
इन सभी महान य के उदाहरण से, चाहे वे रतन टाटा, आंग सान सू क , गैली लयो या कोई अ य ह ,
जनका उ लेख इस पु तक म कया गया है; मने सीखा क य द आप एक उ य नत जीवन चाहते ह, तो आपको
नणय करना होगा क आप भीड़ का भाग बनना चाहते ह या क एक अलग व च ; और मने घो षत कया
क म एकाक बनूँगा।
अपने जीवन को जीवन–पयत उ य नत रखने के लये आपको यह आ ा, यह अनुदेश, यह नदे श, यह आदे श,
यह भु का वधान, यह कमांडमट वयं को अपने जीवन के त दन, तघंटे, त मनट दे ना होगा:
वायत हो
चरजीवी हो
अ धनायक का हो
जसक अनुकृ त मु कल हो
मे रा अनुयहरोधएकहै अनक आगे बढ़ने से पहले, त काल ही, उपरो प रभाषा को कम से कम पाँच बार पढ़।
त खेल है, और इस खेल म ासं गक बने रहने के लए आपको अपने वा य के बारे म इरादे
घो षत करने ह गे, य क बगैर अ छे वा य के, आप उतने का 1 तशत भी न कर पायगे जतना एक उ य नत
जीवन अपने जीवन काल म कर लेता है।
मेरे अनुसार पहले जीवन है, तदोपरा त मृ यु, या न क आपका ज म 29 सत बर 1964 को आ और
आपक मृ यु 29 सत बर 2084 को होगी। ज म क यार ट है, मृ यु क भी यार ट है। आप बचपन,
कशोराव था, वय कता, ौढ़ता और बुढ़ापा...इ या द से गुजरगे.....पर तु इनसे कोई फक नह पड़ता। जीवन को,
ज म और मृ यु के बीच, अथक प से जीना पड़ता है।
अपनी मौत के पहले न मर जाना ही इन य क खूबी है। जी वत ह, तो जीव त ह.... चर–जीवी होने का
यही अथ है।
मने एक दन वयं से पूछा, ‘मने कब तक जीने क योजना बनाई है?’ ऐसे कोई नह पूछता य क कुछ
लोग इ ह अशुभ मानते ह, यह शमनाक बात है, ‘यह मेरे वश म नह है।’ कुछ लोग ज ह यह व ास है क वे कभी
न मरग, इस को नह पूछते।
फर भी मेरा व ास है क हम सब के मन म एक उ तय होती है। इस लये च ता न कर; अपने भय का वध
कर वयं से पूछ, ‘आपने कब तक जीने क योजना बनाई है?’ यह पूछने पर जो उ मन म उभरे उसे इस
लॉक मे लख :
म_______वष तक जीयूँगा
मै ९५ वष तक जीयूँगा
अब वयं से एक और कर, ‘मृ यु से एक वष पहले आपका जीवन कैसा होगा?’ क पना कर, कैसा/ कैसी
होगी / आपका / आपक –
शरीर
मनो थ त
संप
र ते
उस वष आप या कर रहे ह गे??
उस वष म या कर रहा होऊँगा:
उ म– व यशील पु तक का लेखन
श ण दे ते ए व मण
म ये कभी न क ँगा:
अब म 50 या 60 का ँ।
जो लोग ऐसा कहते ह, वे अपना उ साह, ढ़ता, जवाबदारी, तब ता, उ े य, धन, म –गण और सारे र ते
खो बैठते ह।
य द आपका व ास है क आप बूढ़े हो चुके है अथवा बूढ़े हो रहे है तो आप आगे न बढ़ पाते एवं न कोई
योगदान कर पाते ह, कृ त आपसे आपके शरीर के व थ ह स को लेने लगती है और आप वाकई बूढ़े होने लगते
ह, और वयं तथा अपने आसपास के सभी लोग के लये बेकार हो जाते ह और जैसे ही आप वयं तथा अपने
आसपास क नया के लये बेकार ए, नया आपक उपे ा करने लग जाती है, इसम आपके नजद क एवं
यजन भी शा मल ह।
उ य नत जीवन समझ चुके ह क नया आपक तभी तक कदर करती है जब तक आप अपने इद गद लोग
के लये लाभकारी ह तथा य द आप आसपास क अ त व– णाली क ग त म योगदान कर रहे ह । अत:
चरजीवी होने का नणय ल।
इस पु तक म उ ले खत सभी , अपने जीवन के अ तम दन तक, नया के व श योगदानकता रहे।
जो जी वत ह आज भी योगदान दे रहे ह तथा जब तक अ त व म ह तब तक योगदानकता बने रहगे।
1. वे चीज को उ म ढ़ं ग से दे खते ह।
2. भ व य के बारे म वे अलग ढ़ं ग से दे खते ह।
3. भ व य के बारे म वे अलग ढ़ं ग से सोचते ह।
4. वे भ व य के बारे म अलग ढ़ं ग से संवाद करते ह।
5. वे भ व य के लये अलग ढं ग से याशील होते ह।
3. भ व य को अलग ढं ग से सोचना
वे जुनून के साथ इस कार संवाद करते ह क लोग कुछ करने को मजबूर हो जाते ह
भ व य को अपने हाथ म लेकर ऐसा बताव करते ह जैसे क भ व य उ ह क म कयत है। आयु–र हत
जीवन तथा असी मत–ऊजा म उनका व ास इन तीन मनोभाव से आता है:
उपरो शैली से जीवन जीना ही ‘ चर–जीवी’ होना है। पर जीवन क सारी दै नक ज टलता के म य, यह
च ज द ही भुला दया जाता है। अत:, आपको समय–समय पर खुद को अपने ल य क याद दलाते रहना है
और यह आप वयं नह कर सकते, ना ही कोई नयु सहायक जो आपको याद दलाये, ना टे नॉलॉजी का
उपयोग कर। आपको ऐसे लोग के समूह का नमाण करना होगा जो इस दशन म आपके साथ ह और ऐसे ही हम
एक अ त मह वपूण संक पना – या ा व तार बंधु समूह तक आ प ंचते ह।
या ा व तार ब धु समूह एक ऐसे लोग का समूह है जो आप ही क तरह ह– व थ, चरजीवी और मृ यु पय त
जीवंत। उ ह ने आपक तरह जीवन–उ यन के इरादे क घोषणा क है और उनका सा न य ही आपको वयं के
चरजीवी होने के ल य के करीब ले जायेगा। कसी एक या सरे कारणवश य द यह ब धु समूह सकुड़ने लगे तो
एक वयंभू नायक के प म आपको इस ब धु समूह का सतत व तार सु न त करना होगा। य द कोई एक
सद य चला गया, तो तीन नये सद य जोड़ने ह गे तथा इस समूह का उ साह तथा यौवन जी वत रखना होगा।
चार ऐसे य क सूची बनाएं जो आपके या ा व तार बंधु समूह का ह सा बन सक तथा इसका
ववरण द क आप कस कार उनके साथ पर पर भाव के ज रये चरजीवी बनगे।
काल– भाव, उ का बढ़ना बीसव सद क संक पना है और एक व– वीकृत भ व यवाणी। आप जैसा
अ सर सोचते ह वैसे ही बन जाते ह। य द आप सोचते ह क आप वृ ह तो आप बूढ़े हो जाते ह, य द आप सोचते
ह क आप सदै व जीव त रहगे तो आप चरजीवी बन जा गे। अपने वचार, संवाद तथा काय से लोग को दशाएँ
क आप एक वशालकाय जीवन जयगे, 100 के बाद भी। आपके इद– गद सभी वैसा दे ख पाएँ, महसूस कर पाएँ,
व ास कर पाएँ और उससे यार कर। पूव सूचना दे कर अपने महान भ व य का नमाण कर। अपना महान भ व य
जय! समय, संसाधन तथा अवसर का उ यन कर। जीवन–उ यन कर।
आपको जीवन पय त, जीवन उ यन हेतु वयं को इस आ ा, इस अनुदेश, इस नदश, इस आदे श, इस भु के
वधान, इस कमांडमट को दे कर इसके त अपने जीवन के त दन, तघंटे, त म नट सजग रहना है:
घो षत कर आप ‘ चरजीवी’ ह।
कमांडमट
11
ऐसा जीवन जीय, जसक अनुकृ त क ठन हो
1. हठ लापन
2. अ वहा रकता
“जीवन क ल बाई नह ,
अ पतु उसक गुणव ा अ धक मह वपूण है।”
–मा टन लूथर कग जू नयर
ट व जो भी कर रहे थे और जहाँ भी थे, वे उससे संतु नह थे। उ ह ने नरंतर अपने मौजूदा व को समा त
कया और ऐसे नये उ पाद क रचना करते रहे जनक क पना लोग ने व म भी नह क थी। वे नया
के महानतम अ व कारक थे, उनसे पहले केवल एक है–थॉमस एडीसन।
वे संभावना वचारक थे। उ ह ने Apple का आरंभ अपने पता के गैरेज से कया और उसे खरब डॉलर क
क पनी बना दया।
उ ह ने बीच मंझधार म नैया को झझोड़ा। क यूटर उ ोग म अपने सफल वसाय के होते ए भी उ ह ने
र संचार, चल च एवं संगीत उ ोग म वेश कया। उ ह इस बात का भय नह था क इसका उनक
या त और सफलता पर या भाव पड़ेगा, और इन सभी उ म म वे सफल रहे।
वे एक वाय थे। जैसे ही उ ह लगा क कॉलेज क पढ़ाई का कोई मू य नह है उ ह ने कॉलेज छोड़
दया और उन चीज पर यान क त करने लगे, जनक वजह से आज उ ह जाना जाता है। उ ह ने अपना
जीवन वर चत नयम के अनुसार जया और शू य से आर भ कर, व क सबसे मू यवान क पनी क
रचना क ।
उ ह ने अपने चार ओर मौजूद येक संसाधन को उ य नत कया और एक ऐसी सं था क थापना क
जसम 60,000 काम करते ह।
उनके वचार, श द व काय सदा सकारा मक थे। उ ह उनक कंपनी से नकाल दया गया, क तु वे टू टे
नह । उ ह ने वयं को कुछ ऐसा रचने को तैयार कया जो उनके अब तक कये काम से बड़ा व बेहतर हो।
वे आजीवन एक नेता रहे और अपने येय के त पूरे समपण से यासरत थे। उनका येय था शु
नवप रवतन, नवप रवतन, नवप रवतन।
उ ह ने वयं को भावना मक त प ँचाने वाले वधान से र रखा। वे एक अ ववा हत द प त क संतान
थे और उनके माता– पता ने उनके ज म के तुरंत बाद ही उ ह गोद दे दया था। उ ह जब यह पता चला,
उनक आयु प चीस वष के लगभग थी, वे अपने पहले माता– पता से मले भी, क तु उ ह ने इस स चाई
को अपनी भावना मक कमजोरी नह बनने दया।
वे जीवन म एकाक थे। उ ह उनके मौ लक वचार , बेतुके दशन व साहसी काय के लये जाना जाता है, वे
पूरे संसार के त अनास उनक आस मा उनके उ े य के त थी, और वह था– Apple Inc.
वे सदा जीवंत रहे। य प अ नाशय (Pancreas) का कसर घातक था क तु उ ह ने जीवन से हार नह
मानी। वे इस जानलेवा बीमारी से इतनी खूबसूरती से लड़े क अं तम सांस तक उ ह ने अपना जीवन जीया
– वे अं तम दन तक कायरत रहे।
उ ह ने ऐसा जीवन जीया, जसे दोहराना क ठन है। अपने छोटे जीवन म उ ह ने चार उ ोग को पांत रत
कया और संसार क सवा धक चम का रक कंपनी क रचना क जो क उनके मरणोपरांत भी जी वत
रहेगी।
एक साधारण मानव को एक और Apple क पनी बनाने के लये कतने जीवन लेने ह गे?
यह क ठन काय है।
उ य नत जीवन क शुभकामनाय!
संदभ
smmart – एक प रचय
1. ेरणादायी काय म
2. से स श ण काय म, लघु एवं द घकालीन जनम समय–समय पर पुन ववेचना का ावधान है।
3. नेगो सएशन
4. नेतृ व वकास
5. मु य/मह वपूण ाहक बंधन
6. कोई अ य कौशल एवं वचार प रवतन काय म जो क संगठन क आव यकता के अनु प तैयार कये
जाते ह।
7. सी ई ओ को चग एवं मट रग
8. उ मता वकास काय म जो क लघु एवं द घकालीन है व उनम समय समय पर पुनरावलोकन का
ावधान है।
9. गत अनु श ण, सलाहका रता एवं छोटे एवं मंझले उ ोग का यो यता संवधन
10. काय प तयाँ और णा लय का सं थाकरण, व छोटे एवं म यम उ ोग का सम वकास, आ द।
1. एपटे क इं डया
2. ए शयन पट् स (इं डया) ल.
3. अ ववा लाइफ इं योरस
4. ए सस बक
5. बजाज एलाएंस
6. भारती ए सा
7. भारती सै यूलर ल. (एयरटे ल)
8. बरला युचूअल फंडस
9. बरला सन लाइफ इं योरस
10. कोका कोला
11. डी एल एफ ल.
12. डन एंड ैड ट
13. फोड मोटस
14. ह तान यूनीलीवर
15. एच डी एफ सी, टडड लाइफ इं योरस
16. एच एस बी सी बक
17. ंडई मोटस
18. आयसी आयसी आय बक
19. आइ डया सै यूलर
20. आयन ए सचज
21. आय ट ड यू इं डया ल.
22. जौन डरी
23. कोटक लाइफ इं योरस
24. म ह ा एंड म ह ा
25. मै स लाइफ इं योरस क पनी
26. यू हॉलड ै टस
27. मैटलाइफ
28. ओम कोटस म ह ा
29. फलस
30. ौ टर एंड गै बल
31. रलाएंस लाइफ इं योरस
32. सट ग़ोबेन लास
33. सोडै सो
34. टडड चाटड बक
35. टे ट बक ऑफ इं डया
36. एस बी आय लाइफ इं योरस
37. एस के एफ बीय रगस
38. टाटा एआयजी
39. टाटा काय ल.
40. टाटा वी एस एन एल
41. वोडाफोन ए सार ल.
42. अ य कई छोटे व म यम उ ोग
हमारे श ण काय म के बारे म अ क जानने के लये, या वयं और वयं के संगठन म बदलाव लाने हेतू,
हमारी सेवाएं लेने के लये आप हमसे संपक कर सकते ह। हमारा पता है–
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506, आकृ त आरकेड
वा डया कूल के सामने, जे. पी. रोड
अंधेरी (प म)
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फोन नं. – 022 6772 9000
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संतोष नायर के नॉलेज ोड टस्
एवं मचडाइस ा. ल.,
आ म व ास वधक – हम चार ओर से घेरे ए भय व असुर ा से सामना होने पर, हमारे वचार , श द एवं
काय को शांत, चौक ा एवं नद शत रखने का शा त गुण ही आ म व ास है। इस चार घंटे के वश करण
काय म म, संतोष नायर, आ म व ास व उसक मह ा बताते ए एक ेरक ा यान दे ते ह, वे आ म व ासी
लोग के पांच काय व तीन मह वपूण गुण के बारे म बताते ह, ता क ोता अपने आ म व ास क सुर ा व
संवधन करने यो य बन सक।
भ व य वधक – हमारा भ व य हमारी स प है, ओर हम उसक पूरी दे खभाल करनी चा हये ता क समय पर
हम उसका पूरा लाभ ले सक। इस चार घंटे के काय म म संतोष नायर जीवन के व व ालय व उन 12 ल यो
को चुनने व पाने क चचा करते ह, जो येक के भ व य संवधन के लये आव यक है।
सफलता संवधक – कई लोग ाकृ त प से सफल नह होते ह। सफलता के कुछ पूव नधा रत मं है, ज ह
समझकर उनका अ यास करने से ही आप जीवन म सफल हो सकते ह। इस चार घंटे के ेरक ा यान म संतोष
नायर ोता को न केवल जीवन के हर े म सफल कैसे हो, इसक जानकारी दे ते ह अ पतु सफलता के छ:
मं पर से भी पदा उठाते ह।
से स वधक – येक मनु य को जीवन म कुछ न कुछ बेचना होता है, चाहे वह एक उ मी हो, एक से स का
, एक अ यापक, एक बालक एक माता पता, एक बॉस, या एक अधीन थ कमचारी। इस भावशाली सीडी
म से स गु संतोष नायर ोता को सखा रहे ह समय बचाने क नयी आ व का रक तकनीक, संवेग बढ़ाना एवं
कोई वचार, उ पाद अथवा क पना बेचते ए एक अथपूण बदलाव लाना जससे जीवन सरल, जीव त, ग तशील
एवं सफल हो।
अवसर वधक– इस चार घंटे के जीवन पांत रत कर दे ने वाले ा यान म, संतोष नायर दो बीमा रय के बारे म
बात करते ह, जनसे हमम से अ धकतर लोग सत है: 100% सही का रोग (जो भी क ं गा, परफै ट क ं गा)
तथा पुराना–कल–करने–का–रोग (जो भी क ं गा कल से क ं गा) इस बीमारी को ठ क करने वाली एकमा दवा है
smmart का 75% अवसर–मं , जो आपको बताता है क आप कस कार अपने वसाय, वा य, स पदा,
स बंध, यो यता एवं जीवन के संवधन के सभी अवसर को पकड़ सकते ह।
व ास वधक– सफलता के लये जस चीज क सवा धक आव यकता होती है, वह है व ास। य द इसका
पोषण ठ क से कया गया तो यह समृ दायी बन जाता है, और य द खो गया, तो यह सफलतम कॉरपोरेशंस, या
स बंध को सदा के लये समा त कर दे ता है। व ास– वधक आपको कुछ सरल तकनीक व 15 गुण क
जानकारी दे ता है जससे आप सदा के लये एक डीट आर बन जाये डपे डेबल ( व सनीय), टवद ( व ास
यो य), रलाएबल ( व त)।
नेतृ व वधक– इस ऊजापूण काय म म संतोष नायर न न ल खत वषय पर जानकारी दे ते ह
प रवतन वधक – हमारे चार ओर का संसार बदल रहा है। लोग बदल रहे ह, स ब ध बदल रहे ह, उ ोग बदल
रहे ह, अथ व थाएं बदल रही ह, जन थ तय व प र थ तय म पहले लोग काम करते थे, वे सभी बदल रही है।
इस बदलते ए समय के साथ कदम से कदम मला कर चलने के लये, ासं गक बने रहने के लये और नया के
बराबर रहने के लये आपको प रवतन के डीएनए का नमाण करना होगा और एक प रवतन वधक बनना होगा।
इस काय म म संतोष नायर सखा रहे ह प रवतन– वधन क कला और अपनी क पनी अथवा संगठन म
प रवतन लाने क आठ–सू ी परेखा।
व श यो यता वधक– आपको केवल वही करना चा हए, जो आपको सबसे अ छा लगे और, य द आप आने
वाले दस वष अथवा 10,000 घंटो तक यही करते रह, तो आप अपने े के जीनीयस सवा धक तभावन,
हो जायगे। जीवन को पांत रत कर दे ने वाले इस ा यान म संतोष नायर बता रहे ह–
व श यो यता या है?
डी.एफ.एफ. अथात ड टं ट फोट फयस या व श यो यता के भय, जो आपको अपनी व श यो यता
पाने नह दे त।े
व श यो यता व पांच श य क या : अपनी व श यो यता को पहचाने
व श यो यता दल : आपका सहायक समूह जो आपक व श यो यता को पाने म सहायता करे।
उ रदा य व वधक – उ रदा य व से भागना जीवन जीने का एक सोचा समझा प है। यह एक मान सक रोग
है, एक यूरॉ सस है, एक साइकॉ सस है नशे क थ त है, यह आपके दशन म इतना गहरा बैठा होता है क
आपको इस स चाई का भान ही नह होता क आप अपने उ रदा य व से भाग रहे ह। अंतत: आप अपनी वयं क
एवं अपने आसपास के लोग क ग त रोक दे ते ह। इस काय म म संतोष नायर उ रदा य व पलायनक ा एवं
उ रदा य व वधक म अंतर करना सखाते है और उन यारह गुण पर काश डालते ह जो एक उ रदा य व
पलायनकता के वशेष गुण ह, साथ ही आपको उ रदा य व वधक बनाने के छ: मं भी बताते ह।
अ न त समय म जीतना – आज हम सभी अ न त समय का सामना कर रहे ह। इस अव ध को हम गत
एवं ावसा यक अशां त का समय कह सकते ह, यह एक असमंजस, संशय, नराशा, बेचैनी, च ता, अवसाद, क
एवं दबाव का समय हो सकता है। इस चार घंटे के, ऊजा से प रपूण काय म म संतोष नायर वजयी होने व उन
आठ मं क बात करते ह जो क अ न त समय म आपको वजयी बनाने के लये आव यक है।
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