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एवरे स्ट : मेरी शिखर यात्रा

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखखक

ननम्नशिखखत प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्ततयों में दीक्िए-


प्रश्न 1.
अग्रिम दल का नेतत्ृ व कौन कर रहा था?
उत्तर-
अग्रिम दल का नेतत्ृ व प्रेमचंद कर रहे थे।

प्रश्न 2.
लेखिका को सागरमाथा क्यों अच्छा लगा?
उत्तर-
लेखिका को ‘सागरमाथा’ नाम इसललए अच्छा लगा क्योंकक सागरमाथा का अथथ है - सागर का
माथा और एवरे स्ट संसार की सबसे ऊँची चोटी है ।

प्रश्न 3.
लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
उत्तर-
लेखिका को तेज हवाओं के कारण उठी हुई चक्करदार बर्फीली आकृतत ध्वज जैसी प्रतीत हुई।

प्रश्न 4.
हहमस्िलन से ककतने लोगों की मत्ृ यु हुई और ककतने घायल हुए?
उत्तर-
हहमस्िलन से दो व्यक्क्तयों की मत्ृ यु हुई और नौ लोग घायल हुए।

प्रश्न 5.
मत्ृ यु के अवसाद को दे िकर कनथल िल्
ु लर ने क्या कहा?
उत्तर-
मत्ृ यु के अवसाद को दे िकर कनथल िल्
ु लर ने कहा कक ऐसे साहलसक अलियानों में होने वाली
मत्ृ यु को सहज िाव से स्वीकार करना चाहहए।
प्रश्न 6.
रसोई सहायक की मत्ृ यु कैसे हुई?
उत्तर-
रसोई सहायक की मत्ृ यु स्वास््य के प्रततकूल जलवायु में काम करने के कारण हुई।

प्रश्न 7.
कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
उत्तर-
कैंप-चार 7900 मीटर ऊँची ‘साउथ कोल’ नामक जगह पर 29 अप्रैल को लगाया गया था।

प्रश्न 8.
लेखिका ने तेनक्जंग को अपना पररचय ककस तरह हदया?
उत्तर-
लेखिका ने तेनक्जंग को अपना पररचय दे ते हुए कहा कक वह नौलसखिया है और एवरे स्ट उसका
पहला अलियान है ।

प्रश्न 9.
लेखिका की सर्फलता पर कनथल िल्
ु लर ने उसे ककन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर-
लेखिका की सर्फलता पर कनथल िल्
ु लर ने कहा- मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलक्ब्ध के ललए तुम्हारे
माता-पपता को बधाई दे ना चाहूँगा। Xxx दे श को तम
ु पर गवथ है और अब तमु ऐसे संसार में
वापस जाओगी, जो तम्
ु हारे अपने पीछे छोडे हुए संसार से एकदम लिन्न होगा।

शिखखत
(क) ननम्नशिखखत प्रश्नों के उत्तर (25-30 िब्दों में ) शिखखए-

प्रश्न 1.
नज़दीक से एवरे स्ट को दे िकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर-
नजदीक से एवरे स्ट को दे िने पर लेखिका िौंचक्की रह गई। उसे टे ढी-मेढी चोहटयाँ ऐसी लग रही
थीं मानो कोई बरफीली नदी बह रही हो।
प्रश्न 2.
डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकाररयाँ दीं?
उत्तर-
डॉ. मीनू मेहता ने लेखिका को अल्युलमतनयम की सीहढयों से अस्थायी पुलों का तनमाथण करने,
लट्टों और रक्स्सयों का उपयोग करने, बफथ की आडी-ततरछी दीवारों पर रक्स्सयों को बाँधने तथा
अग्रिम दल के अलियांत्रिकीकायों की पवस्तत
ृ जानकारी दी।

प्रश्न 3.
तेनक्जंग ने लेखिका की तारीर्फ में क्या कहा?
उत्तर-
तेनक्जंग ने लेखिका की तारीर्फ में कहा, “तुम पक्की पवथतीय लडकी लगती हो। तुम्हें तो पहले ही
प्रयास में लशिर पर पहुँच जाना चाहहए।

प्रश्न 4.
लेखिका को ककनके साथ चढाई करनी थी?
उत्तर-
लेखिका के अलियान-दल में यों तो लोपसांग, तशाररंग, एन.डी. शेरपा आहद अनेक सदस्य थे। ककंतु
उन्हें क्जन साग्रथयों के संग यािा करनी थी, वे थे-की, जय और मीनू।

प्रश्न 5.
लोपसंगा ने तंबू का रास्ता कैसे साफ ककया?
उत्तर-
लोपसांग ने तंबू का रास्ता साफ करने के ललए अपनी क्स्वस छुरी तनकाली। उन्होंने लेखिका के
आसपास जमे बडे-बडे हहमपपंडों को हटाया और लेखिका के चारों ओर जमी कडी बरफ की िद
ु ाई
ककया। उन्होंने बडी मेहनत से लेखिका को बरफ की कब्र से िींच तनकाला।

प्रश्न 6.
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले हदन की महत्त्वपूणथ चढाई की तैयारी कैसे शूरू की?
उत्तर-
‘साउथ कोल’ कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले हदन की चढाई की तैयारी शुरू की। उसने िाना,
कुककंग गैस तथा ऑक्सीजन लसलें डर इकट्टे ककए। उसके बाद वह चाय बनाने की तैयारी करने
लगी।
(ख) ननम्नशिखखत प्रश्नों के उत्तर (50-60 िब्दों में ) शिखखए-

प्रश्न 1.
उपनेता प्रेमचंद ने ककन क्स्थततयों से अवगत कराया?
उत्तर-
उपनेता प्रेमचंद ने अलियान दल को िंिु हहमपात की क्स्थतत की जानकारी दे ते हुए कहा कक
उनके दल ने कैंप-एक जो हहमपात के ठीक ऊपर है , वहाँ तक का रास्ता साफ कर हदया है और
र्फल बनाकर, रक्स्सयाँ बाँधकर तथा इंडडयों से रास्ता ग्रचक्न्हत कर, सिी बडी कहठनाइयों का
जायजा ले ललया गया है । उन्होंने इस पर िी ध्यान हदलाया कक ग्लेलशयर बरफ की नदी है और
बरफ का ग्रगरना अिी जारी है । हहमपात में अतनयलमत और अतनक्श्चत बदलाव के कारण अिी
तक के ककए गए सिी काम व्यथथ हो सकते हैं और हमें रास्ता िोलने का काम दोबारा करना पड
सकता है ।

प्रश्न 2.
हहमपात ककस तरह होता है और उससे क्या-क्या पररवतथन आते हैं?
उत्तर-
बफथ के िंडों का अव्यवक्स्थत ढं ग से ग्रगरना ही हहमपात कहलाता है । ग्लेलशयर के बहने से बर्फथ
में हलचल मच जाती है । इस कारण बफथ की बडी-बडी चट्टानें तत्काल ग्रगर जाती हैं। इस अवसर
पर क्स्थतत ऐसी ितरनाक हो जाती है कक धरातल पर दरार पडने की संिावना बढ जाती है ।
अकसर बफथ में गहरी-चौडी दरारें बन जाती हैं। हहमपात से पवथतारोहहयों की कहठनाइयाँ बहुत
अग्रधक बढ जाती हैं।

प्रश्न 3.
लेखिका ने तंबू में ग्रगरे बरफ पपंड का वणथन ककस तरह ककया है ?
उत्तर-
लेखिका ने तंबू में ग्रगरे बरफ के पपंड का वणथन करते हुए कहा है कक वह ल्होत्से की बरफीली
सीधी ढलान पर लगाए गए नाइलान के तंबू के कैंप-तीन में थी। उसके तंबू में लोपसांग और
तशाररंग उसके तंबू में थे। अचानक रात साढे बारह बजे उसके लसर में कोई सख्त चीज़ टकराई
और उसकी नींद िल ु गई। तिी एक जोरदार धमाका हुआ और उसे लगा कक एक ठं डी बहुत िारी
चीज़ इसके शरीर को कुचलती चल रही थी। इससे उसे साँस लेने में कहठनाई होने लगी।

प्रश्न 4.
लेखिका को दे िकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर-
जय बचें द्री पाल का पवथतारोही साथी था। उसे िी बचें द्री के साथ पवथत-लशिर पर जाना था।
लशिर कैंप पर पहुँचने में उसे दे र हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। अतः
बचें द्री उसके ललए चाय-जूस आहद लेकर उसे रास्ते में ललवाने के ललए पहुँची। जय को यह
कल्पना नहीं थी कक बचें द्री उसकी ग्रचंता करें गी और उसे ललवी लाने के ललए आएँगी। इसललए जब
उसने बचें द्री पाल को चाय-जस
ू ललए आया दे िा तो वह हक्का-बक्का रह गया।

प्रश्न 5.
एवरे स्ट पर चढने के ललए कुल ककतने कैंप बनाए गए? उनका वणथन कीक्जए।
उत्तर-
पाठ से ज्ञात होता है कक एवरे स्ट पर चढाई के ललए कुल पाँच कैंप बनाए गए। उनके दल का
पहला कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर था जो हहमपात से ठीक ऊपर था। दस
ू रा कैंप-चार 7900
मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया था। कैं प-तीन ल्होत्से की बरफीली सीधी ढलान पर बनाया गया
था। यहाँ नाइलोन के तंबू लगाए गए थे। एक कैंप साउथकोल पर बनाया गया था। यहीं से
अलियान दल को एवरे स्ट पर चढाई करनी थी। इसके अलावा एक बेस कैंप िी बनाया गया था।

प्रश्न 6.
चढाई के समय एवरे स्ट की चोटी की क्स्थतत कैसी थी?
उतर-
जब बचें द्री पाल एवरे स्ट की चोटी पर पहुँची तो वहाँ चारों ओर तेज़ हवा के कारण बफथ उड रही
थी। बफथ इतनी अग्रधक थी कक सामने कुछ नहीं हदिाई दे रहा था। पवथत की शंकु चोटी इतनी
तंग थी कक दो आदमी वहाँ एक साथ िडे नहीं हो सकते थे। नीचे हजारों मीटर तक ढलान ही
ढलान थी। अतः वहाँ अपने आपको क्स्थर िडा करना बहुत कहठन था। उन्होंने बर्फथ के र्फावडे से
बफथ तोडकर अपने हटकने योग्य स्थान बनाया।

प्रश्न 7.
सक्म्मललत अलियान में सहयोग एवं सहायता की िावना का पररचय बचें द्री के ककस कायथ से
लमलता है ?
उतर-
एवरे स्ट पर पवजय पाने के अलियान के दौरान लेखिको बचें द्री पाल अपने साग्रथयो ‘जय’, की
‘मीनू’ के साथ चढाई कर रही थी, परं तु वह इनसे पहले साउथ कोल कैंप पर जा पहुँची क्योंकक वे
त्रबना ऑक्सीजन के िारी बोझ लादे चढाई कर रहे थे। लेखिका ने दोपहर बाद इन सदस्यों की
मदद करने के ललए एक थरमस को जूस से और दस
ू रे को गरम चाय से िर ललया और बरफीली
हवा में कैंप से बाहर तनकल कर उन सदस्यों की ओर नीचे उतरने लगी। उसके इस कायथ से
सहयोग एवं सहायता की िावना का पररचय लमलता है ।

(ग) ननम्नशिखखत के आिय स्पष्ट कीक्िए-

प्रश्न 1.
एवरे स्ट जैसे महान अलियान में ितरों को और किी-किी तो मत्ृ यु िी आदमी को सहज िाव
से स्वीकार करनी चाहहए।
उतर-
एवरे स्ट की सवोच्च चोटी पर चढना एक महान अलियान है । इसमें पग-पग पर जान जाने का
ितरा होता है । अतः यहद ऐसा कहठन कायथ करते हुए मत्ृ यु िी हो जाए, तो उसे सहज घटना के
रूप में लेना चाहहए। बहुत हाय-तौबा नहीं मचानी चाहहए।

प्रश्न 2.
सीधे धरातल पर दरार पडने का पवचार और इस दरार का गहरे -चौडे हहम-पवदर में बदल जाने का
माि ियाल ही बहुत डरावना था। इससे िी ज्यादा ियानक इस बात की जानकारी थी कक हमारे
संपूणथ प्रयास के दौरान हहमपात लगिग एक दजथन आरोहहयों और कुललयों को प्रततहदन छूता
रहे गा।
उत्तर-
आशय यह है कक ग्लेलशयरों के बहने से बरफ में हलचल होने से बरफ की बडी-बडी चट्टानें
अचानक ग्रगर जाती हैं। इससे धरातल पर दरार पड जाती है । यही दरारें हहम-पवदर में बदल जाती
हैं जो पवथतारोहहयों की मत्ृ यु का कारण बन जाती है । इसका ख्याल ही मन में िय पैदा कर दे ता
है । दि
ु ाथग्य से यह िी जानकारी लमल गई थी कक इस अलियान दल को अपने अलियान के
दौरान ऐसे हहमपात का सामना करना ही पडेगा।

प्रश्न 3.
त्रबना उठे ही मैंने अपने थैले से दग
ु ाथ माँ का ग्रचि और हनुमान चालीसा तनकाला। मैंने इनको
अपने साथ लाए लाल कपडे में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अचथना की और इनको बरफ में दबा हदया।
आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता पपता का ध्यान आया।
उत्तर-
जब बचें द्री पाल हहमालय की चोटी पर सर्फलतापूवक
थ पहुँच गई तो उसने घुटने के बल बैठकर
बफथ को माथे से छुआ। त्रबना लसर नीचे झुकाए हुए ही अपने थैले से दग
ु ाथ माँ का ग्रचि और
हनुमान चालीसा तनकाला। उसँने इन्हें एक लाल कपडे में लपेटा। थोडी सी पूजा की। कर्फर इस
ग्रचि तथा हनुमान चालीसा को बर्फथ में दबा हदया। उस समय उसे बहुत आनंद लमला। उसने
प्रसन्नतापूवक
थ अपने माता-पपता को याद ककया।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
इस पाठ में प्रयुक्त तनम्नललखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदिथ दे कर कीक्जए-
तनहारा है , धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायजा लेना, नौलसखिया
उत्तर-
ननहारा है - बहुत ध्यान से पवस्मय के साथ दे िना।
लेखिका ने नमचे बाजार पहुँचकर एवरे स्ट पर चढाई करने से पव
ू थ उसे तनहारा।

धसकना- नीचे धंस या दब जाना।


बरफ की िारी चट्टानें जब बरफीले धरातल पर ग्रगरती है तो धरातल धसक जाता है ।
इसका ियाल पवथतारोहहयों को ियिीत करने वाला होता है ।

खखसकना- धीरे -धीरे सरकना।


ग्लेलशयरों के बहने से बरफ में हलचल मच जाती है और बडी-बडी चट्टानें खिसकने लगती हैं।

सागरमाथा- सागर का माथा अथाथत ् एवरे स्ट।


लेखिका को एवरे स्ट का दस
ू रा नाम सागरमाथा, जो नेपाललयों में पसंद है , पसंद आया।

िायिा िेना- अनुमान लगाना।


एवरे स्ट अलियान के समय अग्रिम दल ने पुल बनाकर, रक्स्सयाँ बाँधकर सिी बडी कहठनाइयों का
जायजा ले ललया था।

नौशसखखया- नया सीिने वाला।


एवरे स्ट की चोटी पर चढने वाले प्रथम व्यक्क्त का गौरव पाने वाले तेनक्जंग से लेखिका ने िद

को नौलसखिया कहा।

प्रश्न 2.
तनम्नललखित पंक्क्तयों में उग्रचत पवराम-ग्रचह्नों का प्रयोग कीक्जए-
1. उन्होंने कहा तुम एक पक्की पवथतीय लडकी लगती हो तुम्हें तो लशिर पर पहले ही
प्रयास में पहुँच जाना चाहहए
2. क्या तुम ियिीत थीं
3. तुमने इतनी बडी जोखिम क्यों ली बचें द्री

उत्तर-

1. उन्होंने कहा, “तम


ु एक पक्की पवथतीय लडकी लगती हो। तम्
ु हें तो लशिर पर पहले ही
प्रयास में पहुँच जाना चाहहए।’
2. “क्या तमु ियिीत थीं?”
3. “तम
ु ने इतनी बडी जोखिम क्यों ली बचें द्री ?”

प्रश्न 3.
नीचे हदए उदाहरण के अनुसार तनम्नललखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीक्जए-
उदाहरण- हमारे पास एक वॉकी-टॉकी थी।

उत्तर-

 टे ढी-मेढी- एवरे स्ट की बरफीली चोहटयाँ बरफ की टे ढी-मेढी नदी-सी लग रही थीं।
 गहर-चौडे- पहाडी रास्ते में पडने वाले गहरे -चौडे नाले दे िकर मन ियिीत हो रहा था।
 आसपास- रे ग्रगस्तान में आसपास कोई िी पेड नहीं हदिाई दे रहा था।
 हतका-बतका- अचानक सेना द्वारा घेरे जाने से आतंकवादी हक्के-बक्के रह गए थे।
 इधर-उधर- जंगली रास्ते पर इधर-उधर दे िकर चलना।
 िंबे-चौडे- चन
ु ाव के समय नेतागण बडे लंबे-चौडे वादे करके जनता को बहलाते हैं।

प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार पवलोम शब्द बनाइए-
उदाहरण- अनुकूल-प्रततकूल

1. तनयलमत – अतनयलमत
2. पवख्यात – कुख्यात
3. आरोही – अवरोही
4. तनक्श्चत – अतनक्श्चत
5. सुंदर – असुंदर, िराब

उत्तर-

1. तनयलमत – अतनयलमत
2. आरोही – अवरोही
3. संद
ु र – असंद
ु र, िराब
4. पवख्यातं – कुख्यात
5. तनक्श्चत – अतनक्श्चत

प्रश्न 5.
तनम्नललखित शब्दों में उपयुक्त उपसगथ लगाइए-
जैस-े पुि – सुपुि
वास व्यवक्स्थत
कूल गतत
रोहण रक्षक्षत
उत्तर-
आ + वास = आवास
अ + व्यवक्स्थत = अव्यवक्स्थत
प्रतत + कूल = प्रततकूल
दरु ् + गतत = दग
ु तथ त
अव + रोहण = अवरोहण
सु + रक्षक्षत = सरु क्षक्षत

प्रश्न 6.
तनम्नललखित किया पवशेषणों का उग्रचत प्रयोग करते हुए ररक्त स्थानों की पूततथ कीक्जए-
अगले हदन, कम समय में , कुछ दे र बाद, सुबह तक

1. मैं ……………….. यह कायथ कर लूंगा।


2. ……………. तघरने के …………… ही वषाथ हो गई।
3. ……………….. बहुत …………………. इतनी तरक्की कर ली।
4. नाडकसा को ………………….. गाँव जाना था।

उत्तर-

1. मैं अगले हदन यह कायथ कर लूंगा।


2. बादल तघरने के कुछ दे र बाद ही वषाथ हो गई।
3. उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
4. नाडकसा को सबु ह तक गाँव जाना था।

योग्यता ववस्तार

प्रश्न 1.
इस पाठ में आए दस अंिेजी शब्दों का चयन कर उनके अथथ ललखिए-
उत्तर-

1. बेस कैंप – आधारिूत या मुख्य पडाव


2. ग्लेलशयर – हहमनद, बरफीली नदी
3. स्रे चर – मरीजों को लाने-ले जाने का उपकरण
4. साउथ – दक्षक्षण
5. कुककंग गैस – िाना पकाने वाली गैस
6. आक्सीजन – प्राणवायु, जीवनदातयनी गैस
7. कुली – बोझा उठाने वाले
8. वॉकी-टॉकी – बात करने का एक उपकरण
9. लसललंडर – बेलनाकार बतथन
10. थरमस – ठं डा या गरम रिने वाला बतथन

प्रश्न 2.
पवथतारोहण से संबंग्रधत दस चीजों के नाम ललखिए।
उत्तर-
पवथतारोहण से जुडी चीजें-
रस्सी, र्फावडा, आक्सीजन टैंट, बँटा, वॉकी-टॉकी, थरमस चाय, एल्यूलमतनयम की सीढी, त्रबस्तर, चाकू,
हथौडा, कील, स्रे चर आहद।
प्रश्न 3.
तेनक्जंग शेरपा की पहली चढाई के बारे में जानकारी प्राप्त कीक्जए।
उत्तर-
छाि स्वयं तेनक्जंग के बारे में जानकारी प्राप्त करें ।

प्रश्न 4.
इस पवथत का नाम ‘एवरे स्ट’ क्यों पडा? जानकारी प्राप्त कीक्जए।
उत्तर-
छाि अपने िूगोल अध्यापक से स्वयं जानकारी प्राप्त करें ।

पररयोिना कायय

प्रश्न 1.
आगे बढती िारतीय महहलाओं की पुस्तक पढकर उनसे संबंग्रधत ग्रचिों का संिह कीक्जए एवं
संक्षक्षप्त जानकारी प्राप्त करके ललखिए-
(क) पी. टी. उषा
(ि) आरती साहा
(ग) ककरण बेदी
उत्तर-
छाि स्वयं करें ।

प्रश्न 2.
रामधारी लसंह हदनकर का लेि-‘हहम्मत और क्जंदगी’ पुस्तकालय से लेकर पहढए।
उत्तर-
छाि स्वयं करें ।

प्रश्न 3.
‘मन के हारे हार है , मन के जीते जीत’-इस पवषय पर कक्षा में पररचचाथ आयोक्जत कीक्जए।
उत्तर-
छाि स्वयं करें ।

अन्य पाठे तर हि प्रश्न

िघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर


प्रश्न 1.
‘सागरमाथा’ क्या है ? लेखिका को यह नाम कैसा लगा?
उत्तर-
‘सागरमाथा’ एवरे स्ट का दस
ू रा नाम है । एवरे स्ट का यह नाम नेपाललयों में प्रलसद्ध है । लेखिका को
एवरे स्ट का यह नाम अच्छा लगा।

प्रश्न 2.
एवरे स्ट अलियान दल कब रवाना हुआ? उससे पहले अग्रिम दल क्यों िेजा गया?
उत्तर-
एवरे स्ट अलियान दल हदल्ली से काठमांडू के ललए 7 माचथ को हवाई जहाज से रवाना हुआ। उससे
पहले अग्रिम दल को इसललए िेजा गया ताकक ‘बेस कैंप’ पहुँचने से पहले दग
ु म
थ हहमपात के रास्ते
को साफ कर सके।

प्रश्न 3.
लेखिका को बडा र्फूल (प्लूम) कैसा लगा? यह र्फूल कैसे बनता है ?
उत्तर-
लेखिका को बडा र्फूल (प्लूम) पवथत-लशिर पर लहराता हुआ ध्वज-सा लग रहा था। यह र्फूल पवथत
की ऊपरी लशिर पर लगिग 150 ककलोमीटर या इससे िी अग्रधक गतत से हवाएँ चलने पर बनता
है ।

प्रश्न 4.
वह कौन-सी बात थी, जो लेखिका को डराने के ललए काफी थी?
उत्तर-
पवथत लशिरों पर 150 ककलोमीटर या इससे िी अग्रधक गतत से तफ
ू ानी और बरफीली हवाएँ चलती
हैं। लशिर पर जाने वाले प्रत्येक व्यक्क्त को दक्षक्षण पव
ू ी पहाडी पर इन तफ
ू ानों को झेलना पडता
है । यह बात लेखिका को डराने के ललए काफी थी।

प्रश्न 5.
शेरपा कुली की मत्ृ यु कैसे हुई थी?
उत्तर-
िंिु हहमापात पर जाने वाले अलियान दल के रास्ते के बाईं तरर्फ सीधी पहाडी धसक गई थी।
इस कारण ल्होत्से की ओर से एक बहुत बडी चट्टान नीचे खिसक आई थी, क्जससे एक शेरपा
कुली की मत्ृ यु हो गई थी।
प्रश्न 6.
एवरे स्ट अलियान की पहली बाधा कौन-सी थी? इस बाधा का पता लेखिका को कैसे चला?
उत्तर-
एवरे स्ट अलियान की पहली बाधा िंिु हहमपात थी। लेखिका को इस बाधा का पता अग्रिम दल
का नेतत्ृ व कर रहे उपनेता प्रेमचंद से चला।

प्रश्न 7.
अग्रिमदल ने एवरे स्ट अलियान दल की मदद ककस तरह की?
उत्तर-
अग्रिम दल एवरे स्ट अलियान दल से पहले ही िंिु हहमपात तक पहुँच गया और वहाँ तक का
रास्ता साफ कर हदया। उन्होंने पुल बनाकर, रक्स्सयाँ बाँधकर झंडडयों से रास्ते को ग्रचतनत करके
सिी कहठनाइयों का जायजा ले ललया था।

प्रश्न 8.
तीसरे हदन की ककस सर्फलता को सुनकर कनथल िल्
ु लर िश
ु हो रहे थे?
उत्तर-
हहमपात से कैंप तक की चढाई के ललए तीसरा हदन तनयत था। लेखिका रीता गोंबू के साथ आगे
बढ रही थी तथा वह वॉकी-टॉकी से हरकदम की जानकारी कनथल िल्
ु लर को दे रही थी। कनथल
िल्
ु लर यह जानकार िश
ु हुए कक कैंप एक तक केवल दो महहलाएँ ही पहुँच सकी थी।

प्रश्न 9.
लोपसांग ने लेखिका की जान ककस तरह से बचाई ?
उत्तर-
जब लेखिका अपने तंबू में बरफ में दबी थी तब लोपसांग ने अपनी क्स्वस छुरी से तंबू का रास्ता
साफ करने में जट
ु गए उन्होंने लेखिका के चारों ओर जमे कडे बरफ की िद
ु ाई की और लेखिका
को बरफ की कब्र से िींच तनकाला।

प्रश्न 10.
कनथल िल्
ु लर ने ककस कायथ को जबरदस्त साहलसक बताया?
उत्तर-
लेखिका अपने दल के साथ एवरे स्ट अलियान पर जाती हुई 16 मई को सवेरे कैंप-दो पर पहुँची।
क्जस शेरपा की टाँग टूटी थी उसे स्रे चर पर ललटाकर नीचे लाए। इस कायथ को कनथल िल्
ु लर ने
इतनी ऊचाई पर सुरक्षा कायथ का एक जबरदस्त साहलसक कायथ बताया।
प्रश्न 11.
बचें द्रीपाल ने जूस और चाय लेकर नीचे जाने का जोखिम क्यों ललया?
उत्तर-
शारीररक रूप से स्वस्थ हैं इसललए उन्हें अपने दल के सदस्यों की मदद करने का जोखिम
उठाना चाहहए।

प्रश्न 12.
लेखिका अंगदोरजी के साथ एवरे स्ट अलियान पर आगे क्यों चल पडी?
उत्तर-
लेखिका बचें द्री पाल अंगदोरजी के साथ अलियान पर इसललए चल पडी क्योंकक अंगदोरजी त्रबना
आक्सीजन के चढाई करने वाला था। इस कारण उसके पैर ठं डे पड जाते थे। वह ऊँचाई पर लंबे
समय तक िल
ु े में और रात्रि में लशिर कैंप पर नहीं जाना चाहता था। उसके साथ कोई और
जाने को तैयार न था।

दीघय उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
15-16 मई, 1984 की ककस घटना से लेखिका को आश्चयथ हुआ?
उत्तर-
15-16 मई, 1984 को ल्होत्से की सीधी ढलान पर लगाए गए कैं प में पवथतारोहहयों का दल ठहरा
था। रात साढे बारह बजे एक लंबा बरफ का पपंड हमारे कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेलशयर से
टूटकर नीचे आ ग्रगरा था और उसका पवशाल हहमपंज
ु बना गया था। हहमिंडों, बरफ के टुकडों
तथा जमीं हुई बरफ के इस पवशालकाय पंजु ने, एक एक्सप्रेस रे लगाडी की तेज़ गतत और िीषण
गजथना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए कैंप को तहस-नहस कर हदया। वास्तव में हर
व्यक्क्त को चोट लगी थी। यह एक आश्चयथ था कक ककसी की मत्ृ यु नहीं हुई थी।

प्रश्न 2.
साउथ कोल पहुँचते ही लेखिका तैयाररयों में क्यों जुट गई और उसकी ग्रचंता का कारण क्या था?
उत्तर
लेखिका जैसे साउथ कोल पहुँची, उसने अगले हदन की अपनी महत्त्वपूणथ चढाई की तैयारी शुरू
कर दी। उसने िाना, कुककंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन लसललंडर इकट्ठे ककए। जब दोपहर डेढ बजे
त्रबस्सा आया, उसने लेखिका को चाय के ललए पानी गरम करते दे िा। की, जय और मीनू अिी
बहुत पीछे थे। वह ग्रचंततत थी क्योंकक उसे अगले हदन उनके साथ ही चढाई करनी थी। वे धीरे -
धीरे आ रहे थे क्योंकक वे िारी बोझ लेकर और त्रबना ऑक्सीजन के चल रहे थे।

प्रश्न 3.
साउथकोल से आगे बढते हुए लेखिका को क्या-क्या सावधातनयाँ बरतनी पडीं और क्यों?
उत्तर-
अंगदोरजी के साथ साउथकोल से आगे बढने पर लेखिका ने दे िा कक बाहर हलकी-हलकी हवा
चल रही थी और ठं ड िी बहुत अग्रधक थी। लेखिका अपने आरोही उपस्कर में अच्छी क्स्थतत में
थी। वह अंगदोरजी के साथ तनक्श्चत गतत से आगे बढी जा रही थी। रास्ते में जमे हुए बरफ की
सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त और िुरिुरी जो शीशे की चादरों जैसी थीं। लेखिका को बरफ काटने
के ललए र्फावडे का इस्तेमाल करना पडा और सख्ती से र्फावडा चलाना पडा ताकक बरफ कट जाए।
उसने चलते हुए उन ितरनाक स्थलों पर अत्यंत सावधानी से कदम उठाया।

प्रश्न 4.
अंगदोरजी क्या सुनकर आनंहदत हुए? उन्होंने लेखिका को क्या बताया?
उत्तर-
साउथकोल कैंप से अंगदोरजी के साथ लेखिका पवपरीत पररक्स्थततयों में यािा करते हुए आगे बढ
रही थी। वे दो घंटे से कम संमय में ही लशिर कैंप पर पहुँच गए। अंगदोरजी ने पीछे उससे
मुडकर दे िा कहा कक क्या वह थक गई है । उसने जवाब हदया, ‘नहीं।” क्जसे सुनकर वे बहुत
अग्रधक आश्चयथचककत और आनंहदत हुए। उन्होंने कहा कक पहलेवाले दल ने लशिर कैंप पर
पहुँचने में चार घंटे लगाए थे और यहद हम इसी गतत से चलते रहे तो हम लशिर पर दोपहर
एक बजे एक पहुँच जाएँगे।

प्रश्न 5.
लेखिका ने अंगदोरजी के प्रतत ककस तरह धन्यवाद ज्ञापपत ककया? इस पर उनकी प्रततकिया क्या
थी?
उत्तर-
ऐवरे स्ट के लशिर पर पहुँची िाव पविोर लेखिका ने ईश्वर और अपने माता-पपता के प्रतत
कृतज्ञता व्यक्त करने के बाद उठी और अपने दोनों हाथ जोडकर अपने रज्जु-नेता अंगदोरजी के
प्रतत आदर िाव से झुकी। अंगदोरजी क्जन्होंने उसे प्रोत्साहहत ककया और उसे लक्ष्य तक पहुँचाया।
लेखिका ने उन्हें त्रबना ऑक्सीजन के एवरे स्ट की दस
ू री चढाई चढने पर बधाई िी दी। उन्होंने
गले से लगाया और उसके कानों में र्फुसर्फुसाए, “दीदी, तुमने अच्छी चढाई की। मैं बहुत प्रसन्न
हूँ।”

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