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Hindi Chapter Wise Test Paper
Hindi Chapter Wise Test Paper
CUMULATIVE TEST
कका X
विषय ह द
ं ी
कोसस ए
कोड 002
संचयी परीक्षा, सेट -1
कक्षा- दसवी
पाठ-1,2,5- सूरदास, तल
ु सीदास,सय
ू क
य ात
ं त्रिपाठी
नोट :
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 शब्दों में ददया जाए
1. ननम्नललखित कावयांि को पढ़कर संबन्धित प्रश्नों के उत्तर दें ।
बादल, गरजो !—
घेर घेर घोर गगन, िारािर ओ !
लललत लललत, काले घघ
ुँ राले ,
बाल कल्पना के–से पाले ,
विद्यत ् छबब उर में , कवि, निजीिन िाले !
िज्र नछपा, नत
ू न कविता
फिर भर दो----
बादल, गरजो !
उत्तरमाला----
नोट :
प्रश्नों के उत्तर के माि संके त ददए गए हैं| इन सक
ं े तों का आवश्यकता अनरू
ु प पल्लवन और
संक्षेपण कीजजए
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 शब्दों में ददया जाए
1
1. कविता में बादलों का आह्रिान फकया गया है क्योंफक िे अपने जल से िरती तथा सारे
संसार को नया जीिन प्रदान करें l
2. बादलों को काले घघ
ं राले बालों के सामान सधदर माना गया है l
3. बादलों के ह्रदय में बबजली की िोभा नछपी हई है , जो समय-समय पर जगमगाकर प्रकट
हो जाती है l
4. बादल मानि जीिन और कवि को प्रेरणा ि निजीिन प्रदान करते है l
5. कवि बादलों से बरसकर गरमी के ताप से तपती िरती को िीतलता प्रदान करने को कहता
है |
2
क) कवि ने बादलों के माध्यम से सामान्जक क्रांनत का आह्र्िान फकया है l बादल सज
ृ न और
संहार दोनों कर सकते है l
ि) कवि ननराला क्रांनत के माध्यम से पररितकन लाना चाहते थे l िे क्रांनत का आहिान करने
में विश्िास रिते थे, जो ओज और जोि पर ननभकर करती है l
ग) परिराम के क्रोि करने पर लक्ष्मण ने ननम्नललखित तकक ददए-
* सभी िनष तो एक समान होते हैं फिर इस िनष का इतना क्रोि क्यों l
* इस पराने िनष को तोड़ने से हमें क्या लाभ होगा ?
* राम के छू ने भर से ही यह िनष टू ट गया इसमें राम का क्या दोष l
घ)) कविता के आिार पर हमें परिराम के स्िभाि की ननन्म्धलखित वििष
े ताओं का पता
चलता है –
* िे महाक्रोिी थे l
* िे बडबोले तथा अपनी िीरता का बिान करने िाले थे l
* िे जल्द ही उत्तेन्जत हो जाते थे l
ड) उद्िि गोवपयों की मनोदिा इसललए नहीं समि पाए थे क्योंफक उद्िि को ननगण
क ज्ञान पर
अलभमान था l ज्ञान के अलभमान में िे गोवपयों के आदिक प्रेम को नहीं समि पाए l
च) गोवपयों को राजिमक की याद इसललए ददलानी पड़ी क्योंफक श्रीकृ ष्ण प्रेम की पवित्र
नीनतपरक बातें भल
ू कर अनीनत पर उतर आए है , अत: योग-सधदे ि को भेज कर प्रेम की
मयाकदा के विरुद्ि कायक कर रहे है l उधहें प्रेम की नीनत पर लाने का प्रयास फकया गया l
संचयी परीक्षा, सेट -2
कक्षा- दसवी कोसस ए
पाठ-1,2,5- सरूदास, तल
ु सीदास,सय
ू क
स ात
ं त्रिपाठी
क) उद्िि के वयिहार कक तल
ु ना ककस-ककस से कक गई है ? 2
ि) गोवपयों द्िारा उद्िि को भाग्यिान कहने में क्या वयंग ननदहत है ? 2
ग) गोवपयों ने उद्िि से योग की लिक्षा कैसे लोगों को दे ने को कहा है ? 2
घ) उद्िि गोवपयों कक मनोदिा क्यों नहीं समझ सके? 2
क) बालक रो रोकर चप
ु हो गया l 1
ि) जो वयन्क्त स्िािलम्बी होते ह,ैंिे सदा सि
ु ी रहते है l 1
ग) तम
ु बाहर गए और िह सू गया l 1
घ) िलि गा और नाच रही है l 1
उत्तर----
क) परिरुाम ने चत
े ािनी दी थी कक यदद लिि के िनष
ु तोड़ने िाले को सभा से अलग नहीं ककया गया
तो िे सभा में उपन्स्थत सभी राजाओं का िि कर दें गे l
ि) परिरुाम के अनस
ु ार लक्ष्मण काल अथात
ा मत्ृयु के बस में होकर बबना सोचे समझे बोल रहे थेl
घ) लक्ष्मण ने लिििनष
ु को िनह
ु ी कहा था l
2.
क)
* उद्िि के वयिहार की तल
ु ना ननम्नललखित से की गई है –
* कमल के पत्ते से, जो जल में रहकर भी उससे प्रभावित नहीं होता l
* जल में पड़ी तल
े कक बद
ंू ों स,े जो जल में घल
ु ती-लमलती नहीं है l
ि) यह वयग
ं ननदहत है कक उद्िि कृ ष्ण के ननकट रहकर भी उनके प्रभाि से सिथ
ा ा अछू ते हैं l उनके
मन में प्रम
े भाि उत्पधन नहीं हु आ हैंl यह न्स्थनत उद्िि के ललए भाग्यिान हो सकती है , पर गोवपयों
के ललए नहीं l
ग) गोवपयों ने उद्िि से योग कक लिक्षा ऐसे लोगों को दे ने के ललए कहा है न्जनके मन चकरी के
समान इिर उिर घम
ू ते रहते है , उधहें ही योग के द्िारा मन एकाग्र करने की आिश्यकता है l
घ) उद्िि गोवपयों की मनोदिा इसललए नहीं समझ पाए थे क्योंकक उद्िि को ननगण
ुा ज्ञान पर
अलभमान था l ज्ञान के अलभमान में िे गोवपयों के आदिा प्रेम को नहीं समझ पाए l
3.
क) सरल, ि) लमश्र,
ग) सय
ं क्
ु त, घ) सरल
संचयी परीक्षा, सेट -3
कक्षा- दसवी
पाठ-1,2,5- सरू दास, तुलसीदास,सय
ू क
य ांत त्रिपाठी निराला
ि. फागि
ु में ऐसा क््ा होता है जो बाकी ऋतओ
ु ां से लभधि होता है ? 2
ग. परशरु ाम के क्रोि करिे पर राम और िक्ष्मण की जो प्रनतिक्र्ाएाँ हुईं उिके आिार पर दोिों के स्वभाव
की पवशेषताएाँ अपिे शब्दों में लिखिए। 2
1.
1. गोपप्ों िे कृष्ण को राजिीनतज्ञ इसलिए कहा है क््ोंिक श्रीकृष्ण राजिीती में निपुण है और वे
गोपप्ों के प्रेमभाव के बदिे में उधहें ्ोग-साििा का पाठ पढ़िा चाहते है l
2. गोपप्ााँ कृष्ण से अपिा मि वापस इसलिए िेिा चाहती है क््ोंिक कृष्ण िे प्रेम के बदिे प्रेम
ि दे कर ्ोग – साििा का सधदे श भेजा l
3. गोपप्ों के अिुसार राजा का िमय होिा चाढ़हए िक वह िकसी भी दशा में प्रजा को ि सताए और
वह प्रजा के सुि- चैि का ध््ाि रिे l
2.
क. कपव की आाँि फागि
ु की सद
ुां रता से क््ों हट िहीां रही है ?
उत्तर: फागिु की सद
ुां रता इतिी गजब की है िक कपव के ि चाहते हुए भी उसकी आाँिें उसपर से हट िहीां
रही है । ऐसा अक्सर होता है जब हम िकसी अत््ांत िब
ू सरू त चीज ्ा व्न्क्त को दे िते हैं तो हमारी आाँिें
उसपर जैसे अिांत काि के लिए ढ़टक जाती हैं।
ि. फागि
ु में ऐसा क््ा होता है जो बाकी ऋतओ
ु ां से लभधि होता है ?
उत्तर: हर ऋतु की अपिी पवशेषता होती है । िेिकि फागि
ु शा्द अध् सब ऋतओ
ु ां से अिग है । फागि
ु में
दृश््पटि पर तरह तरह के रां ग बबिरे हुए लमिते हैं। ्ह वह ऋतु होती है जब पेड़ों में िए पत्ते निकिते हैं
और िािा प्रकार के फूि खििते हैं। हवा में फूिों की मादक सगु ि
ां भरी हुई होती है ।
ग. परशरु ाम के क्रोि करिे पर राम और िक्ष्मण की जो प्रनतिक्र्ाएाँ हुईं उिके आिार पर दोिों के स्वभाव
की पवशेषताएाँ अपिे शब्दों में लिखिए।
उत्तर: इस प्रसांग में िक्ष्मण िे परशरु ाम का घोर पवरोि िक्ा है िेिकि अधिकतर व्ांग्् के अांदाज में ।
इससे िगता है िक िक्ष्मण बड़े ही उग्र स्वभाव के व्न्क्त हैं। वहीां दस
ू री ओर, राम िे बड़ी शााँत मद्र
ु ा में
इस वाताय िाप को होते हुए दे िा है । इससे पता चिता है िक राम शााँत स्वभाव के व्न्क्त हैं। जहााँ पर
िक्ष्मण क्रोि का जवाब क्रोि से दे ते हैं, वहीां पर राम क्रोि का जवाब भी मांद मस
ु काि से दे ते हैं।
घ. ‘ हमारै हरर हाररि की िकरी।‘ से क््ा अलभप्रा् है ? 2
गोपप्ााँ कहती हैं िक उिके लिए कृष्ण तो हाररि धचड़ड़्ा की िकड़ी के समाि हो ग्े हैं। जैसे हाररि
धचड़ड़्ा िकसी िकड़ी को सदै व पकड़े ही रहता है उसी तरह उधहोंिे िांद के िांदि को अपिे हृद् से िगाकर
पकड़ा हुआ है । वे जागते और सोते हुए, सपिे में भी ढ़दि-रात केवि काधहा काधहा करती रहती हैं।
ड. गोपप्ों द्वारा उद्िव को भाग््वाि कहिे में क््ा व्ांग निढ़हत है ?
्ह व्ांग निढ़हत है िक उद्िव कृष्ण के निकट रहकर भी उिके प्रभाव से सवय था अछूते हैं l उिके मि में
प्रेम भाव उत्पधि िहीां हुआ हैंl ्ह न्स्थनत उद्िव के लिए भाग््वाि हो सकती है , पर गोपप्ों के लिए िहीांl
3. क) लमश्र ि) सां्क्
ु त ग) सरि
कें द्रीय विद्यालय सग
ं ठन
कक्षा दसि ं
विषय - ह द
ं ी
कक्षा परीक्षा
पाठ 10 नेताज का चश्मा एिं िाच्य
1 दिए गए गद्यांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीजिए –
मर्ूत ि संगमरमर की थी । टोपी की नोक से कोट के िस
ू रे बटन तक कोई िो फु ट
ऊँची। जिसे कहते हैं बस्
े ट और सि
ंु र थी। नत
े ािी सि
ंु र लग रहे थे । कु छ कु छ
मासम
ू और कमलसन। फौिी ििी में । मर्ूत ि को िे खते ही ‘दिल्ली चलो` और ‘तम
ु मझ
ु े
खन
ू िो.....` िगैरा याि आने लगते थे। इस दृजटट से यह सफल और सराहनीय प्रयास
था। केिल एक चीज़ की कसर थी, िो िे खते ही खटकती थी। नेतािी की आँखों पर
चश्मा नहीं था। यानी चश्मा तो था, लेककन संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य और
सचमच
ु के चश्मे का चौडा काला फ्रेम मर्ूत ि को पहना दिया गया था। हालिार साहब
िब पहली बार इस कस्बे से गि
ु रे और चौराहे पर पान खाने रुके, तभी उन्होंने इसे
लक्षक्षत ककया िह उनके चेहरे पर एक कौतक
ु भरी मस्
ु कान फै ल गई। िाह भई ! यह
आइडडया भी ठीक है । मर्ूत ि पत्थर की, लेककन चश्मा ररयल !
1 इन पजंततयों में ककसकी मर्ूत ि की बात की िा रही है और तयों?
2. ककस दृजटट से मर्ूत ि लगाने का प्रयास सफल और सराहनीय था ?
3. मर्ूत ि में तया कमी रह गई थी िो िे खते ही खटकती थी?
2 पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजिए l
1. सन
े ानी ने होते हु ए भी चश्मे िाले को लोग कैप्टन तयों कहते थे?
2. मर्ूत ि पर सरकं डे का चश्मा तया उम्मीि िगाता है?
3. िह लग
ं डा तया िाएगा फौि में पागल है , पागल कैप्टन के प्रर्त पान िाले की इस
दटप्पणी पर अपनी प्रर्तकिया ललखखए?
नोट :
प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त दिए गए ह|ैं इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और सक्ष
ं प े ण
कीजिए
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्िों में दिया िाए
1. इन पजंततयों में नत
े ािी सुभाष चद्र
ं बोस की मर्ूत ि की बात की िा रही है । हालिार साहब हर 15 में दिन कंपनी के
काम के लसललसले में कस्बे से र्नकलते थे ि हाँ बािार के मख्
ु य चौक पर मर्ूत ि लगी है । हालिार साहब इस मर्ूत ि को िे खते
अिश्य हैं। मर्ूत ि में कु छ वििष
े ताएँ हैं जिनके कारण उसकी बात की िा रही है । िैसे संगमरमर की उस मर्ूत ि पर
संगमरमर का चश्मा न होना।
2. मर्ूत ि बहु त सि
ंु र थी। उस मर्ूत ि को िे खकर नत
े ािी की याि उमड आती थी । फौिी की ििी में मर्ूत ि ऐसी लगती िैसे
सचमच
ु के नत
े ािी है । पराधीनता के दिनों में उनके द्िारा दिए गए नारे िस
ै े दिल्ली चलो तथा तुम मझ
ु े खन
ू िो मैं तम्
ु हें
आिािी िँ गा
ू याि आते हैं िो कस्बे के लोगों में प्रेरणा के भाि भर सकते हैं । इस प्रकार पत्थर की मर्ूत ि द्िारा कस्बे के
लोगों को हृिय में िे िभजतत के भाि भर िे ने के कारण मर्ूत ि को सफल तथा सराहनीय प्रयास कहा गया है l
3. नेतािी की आंखों पर चश्मा नहीं था। मर्ूत ि सगं मरमर की बनी हु ई थी लेककन चश्मा सचमच ु का पहना हु आ था। िब
भी हालिार साहब उस कस्बे से र्नकलते नत े ा िी की मूर्त ि िे खते ही उन्हें यह कमी खटकती थी। यदि चश्मा भी
सग
ं मरमर का होता तो बहु त अच्छा लगता l
उत्तर 2
1. चश्मे िाला न तो सेनानी था न ही नेतािी का साथी था और न आिाि दहि
ं फौ ि का भ त
ू पि
ू ि लसपाही कफर भी लोग
उसे कै प्टन कहकर बलु ाते थे।उसे िे िभततों से बहु त प्रेम था तयोंकक उसके अि
ं र िे िभजतत की भािना कू ट-कू ट कर भरी
हु ई थी। िह नेता िी का अधधक सम्मान करता था इसललए िह बबना नेता चश्मे िाली नत े ा िी की मर्ूत ि िे खकर िख
ु ी
होता था। अतः िह उनकी मर्ूत ि को बार-बार चश्मा पहना कर उसके प्रर्त अपनी श्रद्धा व्यतत करता था। लोग उसकी
िे िभजतत की भािना को िे खकर व्यंग करते थे और व्यंग रूप से मैं उसे कै प्टन कहकर बल
ु ाते थे।
2. मर्ूत ि पर सरकं डे का चश्मा उम्मीि िगाता है कक हमारी आने िाली पीढ़ी में भी िे ि प्रेम की भािना अभी िीवित है ।
इस िे ि के र्नमािण में और लोग अपने अपने तरीके से योगिान िे ते हैं बडे ही नहीं बच्चे भी इसमें िालमल हैं।
िे िभतत कैप्टन मर कर भी उस कस्बे में बच्चों में जिंिा है ।
3. हमें पान िाले का कैप्टन को लंगडा और पागल कहना अच्छा नहीं लगा तयोंकक िह सच्चे िे िभतत का मिाक उडा
रहा था। कैप्टन के िे ि प्रेम को िह पागलपन समझता था। कैप्टन के प्रर्त उसके मन में आिर प्रेम िैसी भािना नहीं
थी। पान िाले के द्िारा ऐसी दटप्पणी करना अच्छी बात नहीं इस दृजटट से पान िाले का व्यिहार अनधुचत था। कैप्टन
ने चश्मा लगाकर एक तरफ नत
े ा िी की मर्ूत ि को पण
ू त
ि ा प्रिान की तो िस
ू री तरफ कस्बे की कमी पर भी पिाि डाला।
ऐसे िे ि भततों के हृिय गर्त भािों की उपेक्षा करके अपने ग्राहकों के सामने पान बेचते हु ए बातों के चटपटे मसाले के रूप
में कैप्टन के ललए अपिब्ि कहना अत्यत ं िभु ाग्ियपूणि था .
उत्तर 3
1. कै प्टन द्िारा मर्ूत ि को चश्मा लगाया गया ।
2. चलो चौक पर चला िाए ।
3. कति
ित ाच्य
कें द्रीय विद्यालय सग
ं ठन
कक्षा- दसि ं
विषय- ह द
ं ी
कक्षा परीक्षा
पाठ 11 बालगोबबन भगत,व्याकरण
प्रश्न 1. नीचे दिए गए गद्यांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीजिए
सारा िातािरण अिीब रहस्य से आिति मालम
ू पडता था। उस रहस्यमय िातािरण में
एक कु ि की चटाई पर परूब मह
ंु काली कमली ओढे बालगोबबन भगत अपनी खंिडी
ललए बैठे थे। उनके मह
ंु से िब्िों का तात
ं ा लगा था, उनकी उं गललयां खंिडी पर
लगातार चल रही थी। गाते गाते इतने मस्त हो िाते, इतने सरू
ु र में आते , उत्तेजित
हो उठते कक मालम
ू होता अब खडे हो िाएंगे। कमली तो बार-बार लसर से नीचे सरक
िाती। मैं िाडे से कपकपा रहा था, ककं तु तारे की छाि
ं में भी उनके मस्तक एक िमि
बबिं ु िब तक चमक ही पडते।
1. लेखक के अनस
ु ार सारा िातािरण रहस्यमय तयों था?
2. बाल गोविंि भगत के गायन का धचत्रण कीजिए ।
3 लख
े क तया अनभ
ु ि करते थे?
प्रश्न 2 पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजिए
1 भगत िी की पत्र
ु िधू उन्हें अकेला तयों नहीं छोडना चाहती थी ?
2 भगत ने अपने बट
े े की मत्तयु पर अपनी भािनाएं ककस प्रकार व्यतत की?
3 भगत की व्यजततत्ि और उनकी िि
े भष
ू ा का अपने िब्िों में धचत्र खीधंचए।
1.सदिि यों के दिनों में भी भगत िी की दिनचयाि में कोई अंतर नहीं पडता। भयंकर सिी में भी िे
कु ि की चटाई पर पि
ू ि दििा की तरफ मह
ंु करके अपनी खि
ं डी बिाते और भिन गाते थे । उनके
द्िारा गाए गए भिनों से सारा िातािरण भजततमय हो िाता था।
2. भगत िी चटाई पर पि
ू ि दििा कक ओर बठ
ै ते । उनके हाथों में खि
ं डी होती और मह
ंु से लगातार
भिन र्नकलते । गाते गाते इतना उतेजित हो िाते ऐसा लगता कक िह अब खडे हो िाएंगे । उस
कपकपा िे ने िाली सिी में भी उनके माथे पर पसीने की बि
ंू े चमकने लगती ।
3. इतनी सिी में लेखक का मन इतनी िल्िी उठने को नहीं करता । लेककन भगत िी के संगीत में
ऐसा िाि ू था कक लेखक नीि
ं त्याग कर िहां पहुंच िाते िहां भगत िी गा रहे होते। लेखक सिी के
कारण कांप रहा था।
उत्तर 2
1. पुत्र की मत्तयु के बाि भगत िी अके ले पड गए थे। भगत िी की पुत्र िधू उन्हें अके ला नहीं छोडना
चाहती थी तयोंकक उसे पता था कक घर में और कोई भी नहीं िो भगत िी की सेिा कर सके और
उनका ध्यान रख सके। उसे धचंता थी यदि मैं चली गई तो उनके ललए खाना कौन बनाएगा? बीमार
होने पर उन्हें ििाइयां कौन िे गा? इन्हीं कारणों से िे िाना नहीं चाहती थी, परं तु भगत िी के अटल
र्नणय
ि के सामने उन्हें झुकना पडा ।
2. भगत िी ने अपने बट
े े की मत्तयु को ईश्िर की इच्छा मानकर स्िीकार ककया । उन्होंने मत्तयु को
आत्मा परमात्मा का लमलन माना। उनके अनस
ु ार विरदहणी आत्मा परमात्मा से लमल गई। उन्होंने पत्र
ु
के िि को सफे ि िस्त्र से ढक कर उसके ऊपर फू ल और तल
ु सी िल बबखेर दिए। लसरहाने पर एक
धचराग िलाया और उसके सामने िमीन पर आसन िमाकर गीत गाने लगे। गाते गाते अपनी पतोहू
के पास िाकर उसे उत्सि मनाने के ललए कहा।
3. बाल गोविंि भगत का मंझला कि गोरा रं ग था । उम्र 60 के ऊपर थी। बाल सफेि, लंबी िाढ़ी या
िटाएं तो नहीं पर चेहरा सफेि बालों से िगमग करता। कपडे बहु त कम पहनते थे। कमर में एक
लंगोटी और लसर पर कबीरपधथयों की कनटोपी पहनते थे । सदिि यों में एक काली कमली ओडते थे।
माथे पर हमेिा रामानंिी र्तलक चमकता िो नाक के ककनारे से िरू
ु होता। गले में तल
ु सी की िडों
की एक बेडौल माला होती थी । दिखने में बाल गोविि
ं भगत साधु लगते थे पर थे बबल्कु ल गह
त स्थ ।
उत्तर 3
1. कम : पररमाणिाचक किया वििेषण
2. कहीं: स्थान िाचक किया वििेषण
3. सिेरे: काल िाचक किया वििेषण
4. सिा सिििा: काल िाचक किया वििेषण
उत्तर कं ज
प्रश्न 1. हालिार साहब ने पान िाले से चश्मे के पररितन
ि का रहस्य पछ
ू ा तो पानिाला आख
ं ों ही आख
ं ों में
हं सा। उसे कैप्टन चश्मे िाले के द्िारा चश्मा बिलना पागलपन लगता था। इसी कारण िह हं स दिया।
2. पान िाले के खि
ु के मह
ंु में पान ठु ं सा था। िह काला, मोटा और एक खि
ु लमिाि व्यजतत था। हं सने पर
उसकी तोंि धथरकने लगती और िह आंखों ही आंखों में हं सता था।
3. हालिार साहब यह सन
ु कर कक कैप्टन चश्मे िाला चश्मा बिलता है , इसे पण
ू ि रूप से समझ नहीं पाए। तब
पान िाले ने समझाया कक िब कोई ग्राहक ठीक िैसे ही चश्मे की मांग करता है , िस ै ा मर्ूत ि पर लगाया हु आ है
तो कै प्टन चश्मे िाला मर्ूत ि पर से चश्मा उतार कर उसे िे िे ता और मर्ूत ि पर िस
ू रा चश्मा लगा िे ता ।
प्रश्न िो 1. प्रर्तमा की आंखों पर सरकंडे के चश्मे िैसी इतनी सी बात ने यह लसद्ध कर दिया कक इस कस्बे
में अब एक नहीं अनेक कैप्टन है , िो राटर के प्रर्त अपने उत्तरिार्यत्ि से पररधचत हैं । बाल कैप्टन रूपी
बच्चों का साहलसक कायि उन्हें यह एहसास करिा गया कक ककसी प्रिासर्नक अधधकारी या बोडि तथा मर्ूतक
ि ारों
द्िारा ही सम्मार्नत व्यजततयों की प्रर्तमाएं लगिाने तथा बनाने में कलमयां रह िाने पर िे ि की भािी पीढ़ी
उन प्रर्तमाओं को उनके अधरूे पन के साथ किावप नहीं रहने िे गी । यही सोचकर हालिार साहब भािक
ु हो
उठे ।
2. बाल गोवििं भगत िी में साधओ
ु ं की सभी वििष
े ताएं थी िह कबीर को अपना भगिान मानते थे। भगत
िी सत्यिािी, खरा बोलने िाले ि विनम्र स्िभाि के व्यजतत थे। ककसी की चीिों को भी हाथ नहीं लगाते थे
और नहीं बबना पछ
ू े प्रयोग करते थे। िे िस
ू रों के खत
े ों में िौच के ललए भी नहीं बठ
ै ते थे । गह
त स्थ िीिन
िीकर भी िे मोह माया में बंधे नहीं थे। पत्र
ु की मत्तयु के समय भी उत्सि रूप में उसे मना कर उन्होंने लसद्ध
कर दिया कक िह िास्ति में साधु ही थे।
3. बाल गोवििं भगत की दिनचयाि लोगों के ललए आश्चयि का कारण इसललए बनी हु ई थी तयोंकक उनकी
दिनचयाि एक र्नजश्चत ढरे पर चलती थी। कभी ककसी को उसमें पररितिन निर नहीं आया। सिेरे उठकर गांि
से 2 मील िरू निी पर स्नान को िाते । नहाने धोने के बाि गांि के बाहर पोखर के ऊंचे लभंडे पर अपनी
खंिडी लेकर गाने लगते । आषाढ़ मास के दिनों में खते ों में काम करते हु ए भिन गात।े भािो की अंधेरी
रात में गा रहे होते। इस प्रकार के कियाकलापों के कारण ही उनकी दिनचयाि लोगों के ललए आश्चयि कारण
बनी हु ई थी ।
प्रश्न 3
1. कंपकपा रीर्तिाचक कियावििेषण
2. अिीब-िम रीर्तिाचक कियावििेषण
प्रश्न 4.
1. पान िाले के द्िारा साफ बता दिया गया था।
2. ड्राइिर के द्िारा िोर से ब्रेक मारे गए।
व्याकरण एिं रचना
संचयी कक्षा परीक्षा 1
कक्षा दसिीं
नोट :
1 अंक के प्रश्न का उत्तर 15-20 िब्दों में ददया जाए
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
ईर्षयाा का यही अनोखा िरदान है | जजस मनर्षुय के हृदय में घर बना लेती है , बजकक उन िस्तओ
ु ं से द:ु ख
उठाता है , जो दस
ू रों के पास है | िह अपनी तल
ु ना दस
ू रों के साथ करता है और इस तल
ु ना में अपने िक्ष के
सभी अभाि उसके हृदय पर दं ि मारते रहते हैं| दं ि के इस राह को भोगना कोई अच्छी बात नहीं है | मगर,
ईर्षयाल
ा ु मनर्षुय करें भी तो क्या? आदत से लाचार होकर उसे यह िेदना भोगनी पड़ती है |
एक उपिन को पाकर भगिान को धन्यिाद दे ते हु ए उसका आनंद नहीं लेना और बराबर इस चचंता में ननमग्न
रहना कक इससे भी बड़ा उपिन क्यों नहीं लमला? एक ऐसा दोष है जजससे ईर्षयाल
ा ु व्यजक्त का चररत्र और भी
भयंकर हो उठता है | अपने अभाि पर ददन-रात सोचते-सोचते िह सजृर्षट की प्रकिया को भल
ू कर विनाि में लग
जाता है और अपनी उन्ननत के ललए उधम करना छोड़कर िह दस
ू रों की हानन पहुं चाने को ही अपना श्रेर्षठ
कताव्य समझने लगता है |
ईर्षयाा की बड़ी बेटी का नाम ननंदा है | जो व्यजक्त ईर्षयाल
ा ु होता है , िही व्यजक्त बरुे ककस्म का ननंदक भी होता
है | दस
ू रों की ननंदा िह इसललए करता है कक इस प्रकार, दस
ू रे लोग जनता अथिा लमत्रों की आंखों से चगर
जाएंगे और तब जो स्थान ररक्त होगा उस पर अनायास में ही बबठा ददया जाऊंगा|
मगर, ऐसा ने आज तक हु आ है और आगे होगा| दस
ू रों को चगराने की कोलिि तो अपने को बढ़ाने की कोलिि
नहीं कही जा सकती| एक बात और है कक संसार में कोई भी मनर्षुय ननंदा से नहीं चगरता| उसके पतन का
कारण अपने ही भीतर के सद्गण
ु ों का हस्स होता है | इसी प्रकार कोई भी मनर्षुय दस
ू रों की ननंदा करने से
अपनी उन्ननत नहीं कर सकता| उन्ननत तो उसकी तभी होगी, जब िह अपने चररत्र को ननमाल बनाए|
ईर्षयाा का काम जलना है , मगर सबसे पहले िह उसी को जलाती है जजसके हृदय में उसका जन्म होता है | आप
भी ऐसे बहु त से लोगों को जानते होंगे जो ईर्षयाा और द्िेष को साकार मनूत ा है |
नोट :
प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त ददए गए ह|ैं इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पकलिन और सक्ष
ं प े ण
कीजजए
1 अंक के प्रश्न का उत्तर 20-30 िब्दों में ददया जाए
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
प्रश्न 6
क. िात्सकय रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
ख. िांत रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
ग. िीर रस का एक उदाहरण ललखखए | 1
घ. एक ओर अजगर लखख, एक ओर मग
ृ ाय |
विकल बटोही बीच ही परयो मरूछा खाय || (रस का नाम लीखखए ) 1
व््यकरण एर्ां रचनय
उत्तर सांच्ी कक्षय परीक्षय 2
कक्षय िसर्ीां
1 ननिे शयनस
ु यर उत्तर िीजिए –
(क) रे िमा ने वप्रया की प्रिंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ाया। (लमश्र िाक्य में बदललए) 1
उत्तर जब रे िमा ने वप्रया की प्रिंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ गया।
(ख) राम के घर पहु ँचने पर ही मे घर आया हू ँ I (सय
ं क्
ु त िाक्य में बदललए) 1
उत्तर राम घर पहु ँचा और मै घर आ गया हू ँ I
(ग) पैर में चोट लगी थी इसललए दौड़ नहीं सका। (सरल िाक्य में बदललए) 1
उत्तर पैर में चोट लगने के कारण दौड़ नहीं सका।
2 ननम्नलिखित र्यक््ों में र्यच्् पररर्तवन कीजिए –
(क) हम ददन भर कैसे पढ़ें ग?
े (भाि िाच्य में बदललए) 1
उत्तर हमसे ददन भर कैसे पढ़ा जाएगा।
(ख) महात्मा गांधी को बापू कहते हैं। (कमा िाच्य में बदललए) 1
उत्तर महात्मा गांधी को बापू कहा जाता है ।
(ग) उनके द्िारा विद्याथी की योग्यता का सम्मान ककया गया। (कताृ िाच्य में बदललए) 1
उत्तर उन्होंने विद्याथी की योग्यता का सम्मान ककया।
(घ) चाचा ने लललता को पढ़ाया। (कमािाच्य में बदललए) 1
उत्तर चाचा के द्िारा लललता को पढ़ाया गया।
प्रश्न 5 रे ियांककत पिों कय पररच् लिखिए –
(क) दो ककलो चीनी चादहए I 1
उत्तर पररमाणिाचक वििेषण (ननजश्चत पररमाण),चीनी वििेर्षय I
(ख) इस दीिार पर कई चचत्र हैं। 1
उत्तर वििेषण , सािानालमक वििेषण , बहु िचन।
(ग) िाह! बड़ी सद
ुं र घड़ी है I 1
उत्तर अव्यय, विस्मयाददबोधक ,आश्चयस
ा च
ू क I
(घ) जब भक
ू ं प आया, लोग सो रहे थे I 1
उत्तर जानतिाचक संज्ञा, पजुकलग
ं , बहु िचन, कताक
ा ारक I
प्रश्न 6
ङ. िात्सकय रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
च. िांत रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
छ. िीर रस का एक उदाहरण ललखखए | 1
ज. एक ओर अजगर लखख, एक ओर मग
ृ ाय |
विकल बटोही बीच ही परयो मरूछा खाय || (रस का नाम लीखखए ) 1
उत्तर
क. ित्सल
ख. ननिद
े
ग. मैं सत्य कहता हू ँ सख!े सक
ु ु मार मत जानो मझ
ु ,े
यमराज से भी यद्
ु ध को, प्रस्तत
ु सदा मानो मझ
ु |े
घ. भयानक रस
व्याकरण एिं रचना
संचयी कक्षा परीक्षा 3
कक्षा दसिीं
1. ननम्नलिखित में से ककसी एक वर्ष् पर ठिए गए सांकेतों के आधयर पर िगभग 200 से 250 शब्िों में
ननबांध लिखिए।
(क) बेरोजगारी की समस्या एिं समाधान (प्रस्तािना, समस्या, समाधान, उप संहार)
(ख) खेलों का जीिन में महत्ि ( प्रस्तािना, खेलों से होने िाले लाभ, आजकल के प्रचललत खेलों का पररचय,
उपसंहार )
(ग) जल संरक्षण आज की आिश्यकता (प्रस्तािना, जल की उपलब्धता एिं स्रोत, जल की उपयोचगता एिं
बचाि, उपसंहार )
उत्तर ननबंध लेखन, प्रस्तनुत, भाषा िद्
ु धता, िाक्य विन्यास, विषय िस्त,ु समग्र प्रभाि (बबदंओ
ु ं पर आधाररत
अपने वििेक के अनस
ु ार 200 – 250 िब्दों में ललखखए )
2. आपके वर्द्यि् में वर्लभन्न पत्र-पत्रत्रकयओां की कमी है , पत्र-पत्रत्रकयओां की उपिब्धतय सनुनजश्चत करने के
लिए वर्द्यि् के पस्
ु तकयि् अध््क्ष को पत्र लिखिए।
अथर्य
िन्मठिन के लिए अपने लमत्र को ननमांत्रण पत्र लिखिए।
उत्तर. पत्र लेखन, प्रारं भ और अंत की औपचाररकताएं, विषय िस्त,ु भाषा िद्
ु धता (बबदंओ
ु ं पर आधाररत अपने
िब्दों में ललखखए)
3. आप अपनी परुयनी घडी बेचनय चयहते हैं, इसके लिए 25 से 50 शब्िों में वर्ज्ञयपन तै्यर कीजिए।
अथर्य
आप कबड्डी कय एक मैच आ्ोजित करनय चयहते हैं। उसके सांबध
ां में 25 से 50 शब्िों में वर्ज्ञयपन तै्यर
कीजिए।
उत्तर. विज्ञापन लेखन , प्रारूप , विषय िस्तु , भाषा (अपने िब्दों में ललखखए)
व्याकरण एिं रचना
संचयी कक्षा परीक्षा 4
कक्षा दसिीं
1 ननदे िानस
ु ार िाक्य पररितन
ा कीजजए –
1. लक्ष्मी गयी और सोकिया आ गयी I (सरल िाक्य )
2. प्रथम आने िाला परुस्कार पाएगा I (लमश्र िाक्य )
3. सरुे ि को रूपये लमले और उसने लौटा ददए I (लमश्र िाक्य )
4. सरस्िती ने नहाकर पज
ू ा की I (सय
ं क्
ु त िाक्य )
5. नेताजी ने भाषण ददया और चला गया (सरल िाक्य )
2 ननदे िानस
ु ार रे खांककत पदों का व्याकरखणक पररचय दीजजए –
1. कल हमने ताजमहल दे खा |
2. अरे ! यह क्या ककया |
3. िीला ने पस्
ु तक पढ़ी |
4. माला पत्र ललखती है |
5. जकदी चलो , गाड़ी आने िाली है |
व्याकरण एिं रचना
उत्तर संचयी कक्षा परीक्षा 4
कक्षा दसिीं
ननदे िानस
ु ार िाक्य पररितन
ा कीजजए –
1. लक्ष्मी गयी और सोकिया आ गयी I (सरल िाक्य )
2.प्रथम आने िाला परुस्कार पाएगा I (लमश्र िाक्य )
3.सरुे ि को रूपये लमले और उसने लौटा ददए I (लमश्र िाक्य )
4.सरस्िती ने नहाकर पज
ू ा की I (सय
ं क्
ु त िाक्य )
5.नेताजी ने भाषण ददया और चला गया (सरल िाक्य )
उत्तरमाला :
1. लक्ष्मी के जाते ही सोकिया आ गयी I
2. जो प्रथम आएगा िो परुस्कार पाएगा I
3. सरुे ि को ज्यों ही रूपये लमले उसने लौटा ददए I
4. सरस्िती नहाई और पज
ू ा की I
5. नेताजी भाषण दे कर चला गया I
ननदे िानस
ु ार रे खांककत पदों का व्याकरखणक पररचय दीजजए –
6. कल हमने ताजमहल दे खा |
7. अरे ! यह क्या ककया |
8. िीला ने पस्
ु तक पढ़ी |
9. माला पत्र ललखती है |
10. जकदी चलो , गाड़ी आने िाली है |
उत्तरमयिय :
1. कल - कालिाचक किया-वििेषण ,’दे खा’ किया का काल बता रहा है |
2. अरे ! –अव्यय ,विस्मयाददबोधक (आश्चया सच
ू क )
3. पढ़ी –सकमक
ा किया,भत
ू काल ,स्त्रीललग
ं ,एकिचन
4. माला –व्यजक्तिाचक संज्ञा ,स्त्रीललंग ,एकिचन ,कत्ताा कारक
5. जकदी –अव्यय,कियावििेषण (कालिाचक)
व््यकरण एर्ां रचनय
सांच्ी परीक्षय 5
कक्षय –िसर्ीां
1 ननिे शयनस
ु यर र्यच्् पररर्तवन करे -
1. रवर् पस्
ु तक पढतय है I (कमवर्यच्् )
2. सोहन चि नहीां सकतय I (भयर् र्यच्् )
3. नेतयिी दर्यरय उिघयटन कक्य ग्य I (कतवत र्यच्् )
4. लशकयरर्ों दर्यरय लशकयर कक्य ियतय है I (कतवत र्यच्् )
5. रयम आि स्र्यठिष्ट भोिन करे गय I
उत्तरमयिय :
1.रवर् के दर्यरय पस्
ु तक पढ़ी ियती है I
2.सोहन से चिय नहीां ियतय I
3.नेतयिी ने उिघयटन कक्य I
4.लशकयरी लशकयर करते है I
5.रयम दर्यरय आि स्र्यठिष्ट भोिन कक्य िय्ेगय I
2 प्रश्नों के उत्तर िीजिए
1.करुण रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
2.श्ग
ां त यर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
3.र्ीर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
4.घण
त य ककस रस कय स्थय्ी भयर् है ?
5.एक लमत्र बोिे “ियिय तम
ु ककस चक्की कय ियते हो ?
इतने महां गे रयशन में भी ,तम
ु तोंि बढयए ियते हो I”
उप्क्
ुव त पजांक्त्ों में कौन सय रस है ?
उत्तरमयिय :
1. शोक
2. रनत
3. उत्सयह
4. र्ीभत्स रस
5. हयस्् रस
व््यकरण एर्ां रचनय
उत्तर सांच्ी परीक्षय 5
कक्षय –िसर्ीां
1 ननिे शयनस
ु यर र्यच्् पररर्तवन करे -
1 रवर् पस्
ु तक पढतय है I (कमवर्यच्् )
2 सोहन चि नहीां सकतयI (भयर् र्यच्् )
3 नेतयिी दर्यरय उिघयटन कक्य ग्यI (कतवत र्यच्् )
4 लशकयरर्ों दर्यरय लशकयर कक्य ियतय हैI (कतवत र्यच्् )
5 रयम आि स्र्यठिष्ट भोिन करे गयI
उत्तरमयिय :
1.रवर् के दर्यरय पस्
ु तक पढ़ी ियती है I
2.सोहन से चिय नहीां ियतयI
3.नेतयिी ने उिघयटन कक्यI
4.लशकयरी लशकयर करते है I
5.रयम दर्यरय आि स्र्यठिष्ट भोिन कक्य िय्ेगय I
2 प्रश्नों के उत्तर िीजिए
1.करुण रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
2.श्ग
ां त यर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
3.र्ीर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
4.घण
त य ककस रस कय स्थय्ी भयर् है ?
5.एक लमत्र बोिे “ियिय तम
ु ककस चक्की कय ियते हो ?
इतने महां गे रयशन में भी, तम
ु तोंि बढ़यए ियते हो I”
उप्क्
ुव त पजांक्त्ों में कौन सय रस है ?
उत्तरमयिय :
6. शोक
7. रनत
8. उत्सयह
9. र्ीभत्स रस
10. हयस्् रस
संचयी कक्षा परीक्षा 1
कक्षा दसवी
(यह दं तरुरत मस्
ु कान, फसल, छाया मत छू ना )
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
1.
क) ‘दं तरुरत मस्
ु कान’ से क्या अलभप्राय है ? इसकी क्या वििेषता है ?
दं तरुरत मुस्कान से अलभप्राय है , लििु की निोददत दात
ाँ ों िाली सद
ंु र मस
ु कान। कवि के अनस
ु ार इस
मस
ु कान की वििष
े ता यह है कक ये मत
ृ क में भी प्राणों का सच
ं ार कर दे ती है । अथात
श यह मनमोहक
मुस्कान थके हारे ननराि और ननष्प्राण वयजक्त के भीतर भी जीिन , उत्साह का संचार कर दे ती ।
ि) धल
ू से से बच्चे के िरीर को दे िकर कवि क्या कल्पना करता?
बच्चे का धल
ू से सना हु आ िरीर दे िकर किी कल्पना करता है मानो कमल का फू ल तालाब को
छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल गया हो | कवि को बच्चा कमल के फू ल के सामान सद
ंु र लगता
है |
ग) बच्चे के स्पिश की कल्पना कवि ने ककस रूप में की है ?
कवि कल्पना करता है कक बच्चे का स्पिश पाकर मानो कठोर पत्थर भी वपघल कर पानी बन गया
है । बास
ाँ और बबल
ू के समान कठोर ह्रदय के लोग भी लििु की दं तरुरत मस्
ु कान दे िकर ि स्पिश
पाकर मानो सहृदय बन जाते हैं और उनकी मस
ु कान के रूप में मानो िफ
े ाललका के फू ल झरने
लगते हैं ।
2.
1. बच्चे की मुस्कान में बनािटीपन नहीं होता ; िह सहज और स्िाभाविक होती है | लेककन ककसी बड़े
वयजक्त की मुस्कान बनािटी हो सकती है |िही समय और जस्थनत के अनुसार बदलती रहती है | बच्चे की
मस्
ु कान में ननसछलता रहती है , पर बड़े वयजक्त की मस्
ु कान में हर समय स्िाभाविकता नही होती |
2 कविता में फसल उपजाने के ललए जजन आिश्यक तत्िों की बात कही है । िे है – नददयों के पानी का
जाद ू , करोड़ो हाथों का पररश्रम , लमट्टी के अद्भुत गण
ु , सय
ू श के ककरणें और हिा |
3 मग
ृ तष्ृणा का िाजब्दक अथश है – धोिा या भ्रम, जो न होकर भी होने को प्रकट करता है , िही
मग
ृ तष्ृणा है | कवि ने कविता में सुि सम्पदाओ की प्राजतत से होने िाले मानलसक सि
ु के ललए मग
ृ तष्ृणा
सबद का प्रयोग ककया है | ककसी वयजक्त के पास चाहे अपार भौनतक सि
ु हो, पर उनसे मानलसक सुि
और संतोष प्रातत नहीं ककया जा सकता|
संचयी कक्षा परीक्षा -2
कक्षा दसवी
( यह दं तरुरत मुस्कान/फसल ,छाया मत छू ना )
1 ) ननम्नललखित कावयांि के आधार पर प्रश्नो के उत्तर दीजजए –
यि है या न िैभि है , मान है न सरमाया;
जजतना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभत
ु ा का िरण बबब
ं के िल मग
ृ तष्ृणा है ,
हर चदंद्रका में नछपी एक रात कृ ष्णा है ।
जो है यथाथश कदठन उसका तू कर पज
ू न
छाया मत छू ना
मन, होगा दि
ु दन
ू ा।
1) मग
ृ तष्ृणा से कवि का क्या अलभप्राय है ? 2
2) कवि छाया को न छू ने का आग्रह क्यों कर रहा है ? 2
3) हर चंदद्रका में नछपी एक रात कृ ष्णा है । पंजक्त का तात्पयश स्पष्ट कीजजए ? 2
4) कवि ककसका पज
ू न करने के ललए कह रहा है और क्यों? 2
1) मग
ृ तष्ृणा से कवि का क्या अलभप्राय है ? 2
मग
ृ तष्ृणा प्रकाि से बनने िाली एक प्राकृ नतक घटना है ; जजसके कारण ककसी को झूठमठ
ू में पानी
ददिाई दे ता है । ऐसा अकसर तपती दोपहरी में रे गगस्तान में होता है । ककसी तयासे पगथक को
लगता है कक दरू कहीं एक निललस्तान है । लेककन जब िह दौड़कर पास जाता है तो िहााँ पर रे त
के लसिा कु छ भी नहीं पाता है । इस कविता में कवि ने मग
ृ तष्ृणा का प्रयोग उस बड़तपन के
अहसास के ललए ककया जो हम अक्सर अपनी उन उपलजब्धयों पर करते हैं जो हमें भत
ू काल में
लमली थीं।
(3)
1) बीती स्मनृतयों का स्मरण - मनष्ुय बीते सि
ु ों के पलों में िोया रहता है । इससे उसके ितम
श ान में
चल रहे सघ
ं षश के क्षणों को काटना दि
ु दाई होता है क्योंकक िह इसकी तल
ु ना अपनी सि
ु द स्मनृतयों से
करता है । जो मनष्ुय के ललए कष्टकारी है और दि
ु का कारण भी।
(2) यि, धन एिं सम्मान की चाह - मनष्ुय अपने जीिन में यि, धन ि सम्मान को पाने के ललए
प्रयत्निील रहता है। यदद िह यह सब प्रातत नहीं कर पाता तो दि
ु ी होकर भटकता रहता है । इन सब की
चाह भी उसके दि
ु का कारण है ।
(3) प्रभत
ु ा की इच्छा - वयजक्त प्रभत
ु ा या बड़तपन में उलझकर स्ियं को दि
ु ी करता है ।
संचयी कक्षा परीक्षा -3
कक्षा दसवी
( यह दं तरुरत मुस्कान/फसल ,छाया मत छू ना )
पदठत कविताओं के आधार पर ददए गए प्रश्नों के उत्तर दीजजए :
1 मुसकान और क्रोध लभन्न लभन्न भाि हैं। इनकी उपजस्थनत से बने िातािरण की लभन्नता का गचत्रण
कीजजए। 2
2 मगृ तष्ृणा' ककसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग ककस अथश में हु आ है ? 2
3 बच्चे की दं तुररत मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाि पड़ता है ? 2
4 बच्चे से कवि की मुलाकात का जो िब्द-गचत्र उपजस्थत हु आ है उसे अपने िब्दों में ललखिए। 2
5 फसल को 'हाथों के स्पिश की गररमा' और 'मदहमा' कहकर कवि क्या वयक्त करना चाहता है ? 2
6 ननम्नललखित कावयांि के आधार पर प्रश्नो के उत्तर दीजजए -
एक के नहीं,
दो के नहीं ,
ढे र सारी नददयो के पानी का जाद ू :
एक के नहीं,
दो के नहीं ,
लाि- लाि कोदट-कोदट हाथो के स्पिश की गररमा :
एक की नहीं ,
दो की नहीं ,
हज़ार- हज़ार िेतो की लमट्टी का गण
ु धम:श
उत्तर 4 कवि बच्चे से जब पहली बार लमलता है तब बच्चा उससे अपररगचत रहता है इसी कारण िह उसे एकटक
दे िता रहता है । बच्चे की मस
ु कान कवि के हृदय को अच्छी लगती है । उसकी मस
ु कान को दे िकर कवि का ननराि
मन िि
ु हो जाता है । उसे ऐसा लगता है जस
ै े कमल के फू ल तालाब को छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल उठे हैं।
उत्तर5 फसल के ललए भले ही पानी, लमट्टी, सरूज की ककरणें तथा हिा जस
ै े तत्िों की आिश्यकता है । परन्तु
मनष्ुय के पररश्रम के बबना ये सभी साधन वयथश ह।ैं यदद मनष्ुय अपने पररश्रम के द्िारा इसे भली प्रकार से नहीं
सींचे तब तक इन सब साधनों की सफलता नहीं होगी। अत: मानि श्रम फसल के ललए सबसे अगधक आिश्यक है ।
उत्तर 6
क) नददयों के पानी का जाद ु ककसे और क्यों कहा गया है?
नददयों के पानी का जाद ु फसल को कहा गया है । नददयों का पानी फसल के ललए जाद ू का काम करता है ,
िही इसे बढ़ाता है, जीिन दे ता है |
ि) फसल ककनके स्पिश की गररमा है ?
फसल लािों कारोड़ों मनष्ुयों के स्पिश की गररमा है |
ग) लमट्टी का गण
ु धमश से क्या अलभप्राय है ?
नोट :
उत्तरमाला :
1.लेखक के वपता बचपन में भोलानाथ को अपने पास बाहर कक बठ
ै क में सल
ु ाया
करते थे । लेखक बचपन से उनके अंग लग गया था। वपता बच्चों को सोते से उठाते
थे, नहलाते–धल
ु ाते और भभत
ू का ततलक लगाते। िे बच्चों को प्यार से ‘भोलानाथ’
कहते थे। िे जब रामायण का पाठ करते तब बच्चे उनकी बगल में बठ
ै े आइने में
अपना माँह
ु तनहारा करते थ।े
2. जब कभी बच्चे मााँ की पकड़ में आ जाते तब उनके लाख छटपटाने पर भी मााँ
उनके लसर में चल्
ु लू भर कड़िा तल
े ( सरसों का तेल ) डाल दे ती थी और उस तेल
को लसर में फै लाकर सराबोर कर दे ती थी। चोटी बनाती। उसमे फू लदार लट्टू बाध
ाँ कर
रं गीन कु रता–टोपी पहना दे ती थी।
3. नाक मान-सम्मान ि प्रततष्ठा का द्योतक है । यह बात परूी व्यग्ंय रचना में ककस
तरह उभरकर आई है? ललखखए।
3. यहााँ के दहम-लिखर जल-स्तंभ के समान है । प्रकृ तत यहााँ सददज यों में बफज के रूप
में जल-सग्र
ं ह कर लत
े ी है और गलमय
ज ों में यही बफज की लिलाएाँ वपघल-वपघल
कर जलधारा का रूप ले लेती है । इस पानी से लोगों की प्यास बि
ु ती है ।
यह जल-सच
ं य की एक अद्भत
ु व्यिस्था है ।
कक्षा संचयी परीक्षा
कक्षा -दसिी
विषय -ह द
ं ी
2 फादर बल्
ु के सक
ं ल्प से सन्यासी थे,मन से न ीं -पाठ के आधार पर स्पष्ट
कीजजए l (2)
उत्तरमाला-
कक्षा -दसिी
विषय -ह द
ं ी
निाब सा ब खीरे की तय
ै ारी और इस्तम
े ाल से थककर लट
े गए। में तसलीम में
लसर खम कर लेना पड़ा |य ै खानदानी त ज़ीब, नफ़ासत और नज़ाकत!
निाब सा ब की ओर से भरे पट
े के ऊँ चे डकार का िब्द सन
ु ाई हदया और निाब
सा ब ने मारी ओर दे खकर क हदया, ‘खीरा लज़ीज़ ोता ै लेककन ोता ै
सकील, नामरुाद मद
े े पर बोझ डाल दे ता ै ।’
ज्ञान-चक्षु खल
ु गए! प चाना ये ैं नयी क ानी के लख
े क!
प्रश्न 3 - मानिीय करुणा की हदव्या चमक पथ से में क्या प्ररेणा लमलती ैं? 2
उत्तरमाला –
प्रश्न-1
लख
े क के ज्ञान चक्षु य दे खकर खल
ु गए कक जब के िल सँघ
ू कर और दे खकर पट
े
की तप्ृतत ो सकती ै तो कफर बबना विचार, घटना और पात्र के क ानी क्यों न ीं
ललखी जा सकती ै।
कक्षा -दसिी
विषय -ह द
ं ी
नम आख
ँ ों को गगनना स्या ी फै लाना ैं l
प्रश्न-4 लख
े क के अनस
ु ार निाब सा ब ने सक
े ं ड क्लास का हटके ट क्यों ख़रीदा? (2)
________________________________________________________
उत्तरमाला –
उत्तर-1 लख
े क के अचानक डडब्बे में कू द पड़ने से निाब सा ब की आख
ँ ों में एकात
ं
गचत
ं न में खलल पढ़ िाने का असत
ं ोष हदखाई l ट्रे न में लख
े क के साथ बातचीत
करने के ललए निाब सा ब ने कोई उत्सा न ीं प्रकट ककया l इससे लेखक को स्ियं
के प्रनत निाब सा ब की उदासीनता का आभास ु आ l
उत्तर-3 प्रस्तत
ु पजंक्त का आिय ैं कक फादर बल्
ु के कक मत्ृयु पर ि ां उपजस्थत नाम
आँखों िाले व्यजक्तयों के नामों का उल्लख
े करना लसफण स्या ी को बबाद
ण करना ैं l
आंसू ब ाने िालो की संख्या अनगननत ैं l
4.
1). प्रमाणणक का अथश है प्रमाण द्िारा लसद्ध सत्य। बेटी का कन्यादान मााँ के ललए पीड़ादायक
होिा है तयोंकक मााँ स्ियं घर छोड़ कर आई थी इसललए इस ददश को समझिी है बेटी मााँ के
सख-दख की साथी होिी है ।
2.) मााँ बट
े ी के सबसे तनकट िह सख दख की सच्ची साथी है । मााँ उसे गढ़ने में अपना सारा
जीिन अपनी ममिा ि िक्ति लगा दे िी है । स्री जीिन से जड़ी समस्याओं पर िह बट
े ी
से बािचीि कर सकिी है । इसललए मााँ को अपनी बट
े ी अतंिम पज
ं ी लग रही थी|
3). दख बााँटना से अलभप्राय है जीिन में लमले दखों को समझ पाना उन पहलओं को
समझ पाना जो जीिन में पीड़ा प्रदान करिे हैं
संचयी परीक्षा-2 (पाठ -9)
संगतकार
नोट :
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
प्रश्न 1. संगिकार के माध्यम से कवि ककस प्रकार के वयक्तियों की ओर संकेि करना चाह रहा है ?
प्रश्न 2. संगिकार ककन-ककन रूपों में मख्य गायक- गातयकाओं की मदद करिे हैं ?
प्रश्न 3. भाि स्पष्ट कीक्जए –
और उसकी आिाज में जो एक दहचक साफ सनाई दे िी है
या अपने स्िर को ऊाँचा न उठाने की कोलिि है
उसे विफलिा नहीं
उसकी मनष्यिा समझा जाना चादहए ।
प्रश्न 4 नीचे ददए गए कावयांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीक्जए.
मख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्िर का साथ दे िी
उसकी आिाज सद
ं र कमजोर कांपिी हई थी
िह मख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका लिष्य
य ा पद
ै ल चलकर सीखने आने िाला दर का कोई ररश्िद
े ार
मख्य गायक की गरज में
िह अपनी गज
ं लमलािा आया है प्राचीन काल से
1. मख्य गायक के गायन की तया वििेषिा होिी है ?
2. संगिकार की भलमका ककस प्रकार के होिी है ?
3. सग
ं िकार की आिाज सद
ं र होिे हए भी कमजोर और काप
ं िी हई तयों लगिी है ?
नोट :
प्रश्नों के उत्तर के मार सक
ं े ि ददए गए ह|ैं इन सक
ं े िों का आिश्यकिा अनरूप पल्लिन और सक्ष
ं प े ण
कीक्जए
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
सम्भावित उत्तर –
1. संगिकार के माध्यम से कवि ऐसे वयक्तियों की ओर संकेि करना चाह रहा है जो महान और
सफल वयक्तियों की सफलिा में पदे के पीछे रहकर अपना योगदान दे िे हैं जस
ै े मख्य गायक
के साथ गायन दे ने िाले या िाद्य यंर बजाने िाले कलाकार ।
2. सग
ं िकार विलभन्न रूपों में मख्य गायक- गातयकाओं की मदद करिे हैं जैसे-
क) िे मख्य गायक की भारी आिाज में अपनी सद
ं र और कमजोर आिाज की गज
ं लमलाकर
गायन को प्रभािपणश बना दे िे ।
ख) गायक जब अंिरे के जदटल जंगल में खो जािे िो संगिकार ही स्थायी भाि को संभाले
रखकर उनकी मदद करिे हैं ।
ग) सग
ं िकार मख्य गायक के स्िर से अपना स्िर ऊाँ चा न करके उसकी सफलिा मे बाधक
नही बनिे ।
3. इन पंक्तियोँ का भाि यह है कक सग
ं िकार जानबझकर अपने स्िर को मख्य गायक के स्िर से
ऊाँचा नहीं होने दे िे । यह संगिकार द्िारा अपनी प्रतिभा का त्याग है जो योग्यिा और सामर्थयश
होने पर भी मख्य गायक की सफलिा में बाधक नहीं बनना चाहिा। यह त्याग का एक अनठा
उदाहरण है ।
4. 1) मख्य गायक का स्िर अत्यि
ं आत्मविश्िास से भरा हआ िथा चट्टान के समान भारी ि
प्रभाििाली होिा है l
2.) जब कभी गायक अि
ं र गािे हए लब
ं ी-लंबी िानों के जंगल में उलझ जािा है अथाशि गीि
के असीमानद
ं में डब जािा है िब सग
ं िकार ही गीि के चरणों से उसे स्थाई रूप में लाकर
मख्य गायक के स्िर को बल प्रदान करिा है l
3.) क्जस मख्य गायक के स्िर में िह स्िर लमलाने जा रहा है िह प्रलसद्ध है गायन कला में
तनपण है मख्य गायक के समक्ष अपनी लघिा का बोध ही उसमें हीन भािना ले आिा है
क्जसके कारण उसका स्िर कमजोर काप
ं िा हआ हो जािा है l
संचयी परीक्षा – 3
पाठ – 9 ,10
कन्यादान , संगतकार
नोट :
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
नोट :
प्रश्नों के उत्तर के मार संकेि ददए गए हैं| इन संकेिों का आिश्यकिा अनरूप पल्लिन और संक्षेपण
कीक्जए
2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
सम्भावित उत्तर –
1. मााँ को अपनी परी ‘अतंिम पज
ं ी ` लग रही थी तयोंकक –
क) मााँ के सबसे तनकट िथा दख ददश की सच्ची साथी होिी है
ख) स्री जीिन से जड़ी समस्याओं पर िह बट
े ी के साथ ही बािचीि कर सकिी है .
ग) वििाह से पहले िह अपनी मााँ से सख दख बांट दी थी ककं ि अब बेटी से बांटिी है .
अिः बेटी का जाना मााँ के ललए अतंिम पज
ं ी है .
2. ककसी वयक्ति को उनके सहयोगी परी सहानभति और प्रेम से सहारा दे िे हैं. िे सदा उनके साथ
रहकर उनकी योग्यिाओं की चचाश करके उसके मन में उत्साह का संचार करिे हैं. उसे तनरं िर आगे
बढ़ने की प्रेरणा दे िे हैं. अपनी ओर से हर प्रकार की सहायिा प्रदान करिे हैं और ऐसा करके यह जिा
दे िे हैं कक िह अकेला नहीं है .
3. िार सप्िक की ऊं चाइयों पर पहं चकर जब मख्य गायक का स्िर बबखरिा नजर आिा है िब
संगिकार अपने स्िर से उसके बबखरिे स्िर को सहारा दे कर उसे ढांढस बंधा िा है कक िह अकेला नहीं
है . िह स्ियं भी अनेक बार राग गाकर िार सप्िक की इन ऊंचाइयों को छ चका है . अब िह कफर से
ऐसा कर सकिा है . यह सहारा दे कर िह उसके सर से सर लमलाकर उसके डबिे आत्मविश्िास को
बचािा है और सच्ची लमरिा का उदाहरण दे िा है .
4. 1) ससराल िाले नििध के सौंदयश की प्रिस
ं ा करके उसे अपने ििीभि कर लेिे हैं l अपने
भोलेपन के कारण बच्ची उन्हें सच मानकर उन पर विश्िास कर लेिी हैं l यहीं से उसके िोषण का
दौर िरू हो जािा है l इसललए मााँ ने बेटी को अपने सौंदयश पर भेजने के ललए मना ककया है l
2.) िस्र ि आभषण स्री जीिन के बध
ं न है मााँ कहिी है कक बेटी इन के बंधन में फंस कर अपना
अक्स्ित्ि मि भल जाना l
3.) मााँ चाहिी है कक बट
े ी में लड़ककयों िाले सभी गण हैं परं ि िह कायर अत्याचधक सहनिील और
िारीररक रूप से कमजोर नए बने िह आिीिाद
श ी बह पत्नी मााँ के साथ-साथ यथाथशिादी भी बने l
5. 1.) सरल िातय
2) सय
ं ति िातय
3) अध्यापक अपने वििेक से जांच करे |
6. 1) वयक्तििाचक , एकिचन , कत्ताशकारक
2) पक्ल्लग
ं , एकिचन ,गणिाचक वििष
े ण
संचयी परीक्षा
एक कहानी यह भी , नौबत खाने में इबादत
1
क. िहनाई के इसी मंगलध्िनन के नायक बबजस्मल्ला खााँ साहब अस्सी बरस से सरु माग
ाँ रहे हैं। सच्चे सरु की
नेमत। अस्सी बरस की पााँचों ित त िाली नमाज़ इसी सरु को पाने की प्राथथना में खचथ हो िाती है । लाखों सज़दे , इसी एक
यूाँ ही उन पर मेहरबान होगा और अपनी झोली से सरु का फल ननकालकर उनकी ओर उछालेगा, कफर कहे गा, ले िा
कक उनके व्यजत तत्ि की कौन-सी खूबी और खालमयााँ मेरे व्यजत तत्ि के ताने-बाने में गाँुथी हु ई हैं या कक अनिाने-अनचाहे
ककए उनके व्यिहार ने मेरे भीतर ककन ग्रगंथयों को िन्म दे ददया। मैं काली हू ाँ। बचपन में दब
ु ली और मररयल भी थी।
गोरा रं ग वपता िी की कमिोरी थी सो बचपन में मुझसे दो साल बड़ी, खूब गोरी, स्िस्थ और हाँसमख
ु ब दह न स ि
ु ीला से
हर बात में तुलना और कफर उसकी प्रिंसा ने ही, त या मेरे भीतर ऐसे गहरे हीन-भाि की ग्रंगथ पैदा नहीं कर दी कक नाम,
वििेषता लगाकर मेरी लेखकीय उपलजब्ियों का जज़क्र करने लगता है तो मैं संकोच से लसमट ही नहीं िाती बजल्क गड़ने-
गड़ने को हो आती हू ाँ।
इस आत्मकथ्य में लेखखका के वपता ने रसोई को ‘भदटयारखाना’ कहकर त यों संबोगित ककया है ?
िह कौन सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखखका को न अपनी आाँखों पर विश्िास हो पाया
‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आिार पर लेखखका की अपने वपता से िैचाररक टकराहट को अपने
‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आिार पर स्िािीनता आंदोलन के पररदृश्य का गचत्रण करते हु ए
मनष्ुय के िीिन में आस-पड़ोस का बहु त महत्ि होता है । परं तु महानगरों में रहने िाले लोग प्राय:
‘पड़ोस कल्चर’ से िंगचत रह िाते हैं। इस बारे में अपने विचार ललखखए। 2
मह
ु रथ म से बबजस्मल्ला खााँ के िुड़ाि को अपने िब्दों में ललखखए। 2
बबजस्मल्ला खााँ कला के अनन्य उपासक थे, तकथ सदहत उत्तर दीजिए। 2
कक्षा संचयी परीक्षा
कक्षा -दसवी
ववषय -ह द
ं ी
2 फादर बल्
ु के संकल्प से सन्यासी थे,मन से न ीं -पाठ के आधार पर स्पष्ट
कीजजए l (2)
उत्तरमाला-
उत्तर 1- लखनवी अंदाज़ पाठ के नवाब सा ब वास्तव में सामंती वर्ग के जीती
जार्ते उदा रण ै l इस वर्ग में आनेवाले व्यजक्त बनावटी जीवन जीते ैं lवे
सामंत बनने का हदखावा करते ैं l उनका जीवन वास्तववकता से परे ैं l य ााँ
सामंती वर्ग ह्रास की ओर जा र ा ैं और दम तोड़ र ा ैं l
कक्षा -दसिी
विषय -ह द
ं ी
नम आख
ँ ों को गगनना स्या ी फै लाना ैं l
प्रश्न-4 लख
े क के अनस
ु ार निाब सा ब ने सक
े ं ड क्लास का हटके ट क्यों ख़रीदा? (2)
________________________________________________________
उत्तरमाला –
उत्तर-1 लख
े क के अचानक डडब्बे में कू द पड़ने से निाब सा ब की आख
ँ ों में एकात
ं
गचत
ं न में खलल पढ़ िाने का असत
ं ोष हदखाई l ट्रे न में लख
े क के साथ बातचीत
करने के ललए निाब सा ब ने कोई उत्सा न ीं प्रकट ककया l इससे लेखक को स्ियं
के प्रनत निाब सा ब की उदासीनता का आभास ु आ l
उत्तर-3 प्रस्तत
ु पजंक्त का आिय ैं कक फादर बल्
ु के कक मत्ृयु पर ि ां उपजस्थत नाम
आँखों िाले व्यजक्तयों के नामों का उल्लख
े करना लसफण स्या ी को बबाद
ण करना ैं l
आंसू ब ाने िालो की सख्
ं या अनगननत ैं l
छ)
समेकित संचयी परीक्षा 2
घ) त म
ु महान हो क्योंकक सच बोलते हो |(लमश्र िाक्य में पररिनतवत करें ) 1
क) िह फु िबाल नहीं िल
े ता । (कमविाच्य में बदललए) 1
क) िाबाि! तम
ु ने बहु त अच्छा कायव ककया । 1
ग) रक्षक्षता घर गई । 1
ङ) घण
ृ ा ककस रस का स्थायी भाि है ? 1
समेकित संचयी परीक्षा 3
क) निाब साहब ने िक्त कािने के ललए क्या िरीदा? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)
ि) निाब साहब ककस संकोच में पड़ गए? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)
ग) निाब साहब को कौन-सी बात िंच नहीं रही थी? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)
क) सन
े ा से कोई सब
ं ध
ं नहीं होने के बाििद
ू लोग चश्मे िाले को ‘कैप्िन’ कहकर (2)
क्यों पुकारते थ?
े
ि) निाब साहब की ककन गनतविधधयों से लेिक को लगा कक िे उसमें कोई रूधच (2)
नहीं ले रहे हैं?
ग) लेखिका को अपने बचपन की कौन-कौन सी बातें अभी तक याद हैं? ‘एक कहानी (2)
यह भी’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए|
घ) फादर को याद करना, दे िना और उनसे बातें करना, लेिक को कैसा आभास (2)
कराता था?
ङ) सुविर िाद्यों से क्या अलभप्राय है ? िहनाई को सवुिर िाद्यों की उपाधध क्यों दी (2)
गई होगी?
समेकित संचयी परीक्षा 4
क) गोवपयों ने कृ ष्ण को रािनीनत् क्यों कहा है? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)
ि) गोवपयाँ श्रीकृ ष्ण से अपना मन िापस क्यों लन
े ा चाहती हैं?(िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)
ग) रािा को प्रिा को ककससे मजुक्त हदलाकर ककसके ललए कायव करना चाहहए। (2)
(िब्द सीमा 30-40 िब्द)
2) ननम्नललखित प्रश्नों में से ककन्ही चार प्रश्नों का उत्तर 30-40 िब्दों में दीजिए :-
क) ‘गाधधसन
ू ’ु ककसे कहा गया है ? िे मनुन की ककस बात पर मन ही मन मस्
ु कु रा रहे थ?
े (2)
ि) मासम
ू बच्चे की मोहक मस्
ु कान और एक ियस्क व्यजक्त की मस्
ु कान में क्या अत
ं र
है ?(िब्द सीमा 30-40िब्द)
ग) बादलों को `मानि मन को सि
ु से भर दे ने िाल’े कहने के पीछे कवि का क्या तकव है ?(िब्द (2)
सीमा 30-40िब्द)
घ) कन्यादान कविता में स्त्री के ललए क्या सन्दे ि नछपा है ?(िब्द सीमा 30-40िब्द) (2)
ङ) गोवपयाँ ककस व्यथा को सहन कर रही थीं ि क्यों? सरूदास के पद के आधार पर स्पष्ि (2)
कीजिएl (िब्द सीमा 30-40िब्द)
3) ननम्नललखित प्रश्नों में से ककन्ही दो प्रश्नों का उत्तर लगभग 50 से 60 िब्दों में दीजिए:-
(क) ‘िॉिव पंचम की नाक’ कहानी में सरकारी कमवचाररयों की िास्तविक जस्थनत क्या है और 3
क्यों?
(ि) लेिक के वपता ने यह क्यों कहा कक ‘लड़के और बन्दर पराई पीर नहीं समझते’l पाठ माता 3
का अंचल के आधार पर ललखिए l
(ग) गंगिोक को ‘ मेहनतकि बादिाहों का िहर’ क्यों कहा गया ? पाठ साना साना हाथ िोड़ी 3
के आधार पर ललखिए l
(घ) माता का अच
ं ल पाठ मे बच्चों की िो दनुनया रची गई है िह आपके बचपन की दनुनया से 3
ककस प्रकार से लभन्न है ?
समेकित संचयी परीक्षा 5
अथवा
3) एक िू र ऐड
ं ट्रे िल्
े स कं पनी की ओर से एक वि्ापन 25-50 िब्दों में तैयार कीजिए। (5)
अथवा
‘ईंधन की बचत’ से संबजन्धत वि्ापन को 25-50 िब्दों में तैयार कीजिए । (5)
अथवा