You are on page 1of 60

संचयी कक्षा परीक्षा

CUMULATIVE TEST

कका X

विषय ह द
ं ी

कोसस ए

कोड 002
संचयी परीक्षा, सेट -1
कक्षा- दसवी
पाठ-1,2,5- सूरदास, तल
ु सीदास,सय
ू क
य ात
ं त्रिपाठी
नोट :
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 शब्दों में ददया जाए
1. ननम्नललखित कावयांि को पढ़कर संबन्धित प्रश्नों के उत्तर दें ।

बादल, गरजो !—
घेर घेर घोर गगन, िारािर ओ !
लललत लललत, काले घघ
ुँ राले ,
बाल कल्पना के–से पाले ,
विद्यत ् छबब उर में , कवि, निजीिन िाले !
िज्र नछपा, नत
ू न कविता
फिर भर दो----
बादल, गरजो !

1. कविता में फकसका आह्िान फकया है और क्यों ? (2)


2. बादलों को फकसके समान सद
ं र माना गया है ? (2)
3. बादलों के ह्रदय में फकस प्रकार की िोभा नछपी हई है ? (2)
4. बादल मानि- जीिन और कवि को क्या प्रदान करते है ? (2)
5. कवि बादलों से बरसकर क्या करने को कहता है ? (2)

2. ननम्नललखित प्रश्नों को पढ़कर के उत्तर दें ।


क) कविता में बादल फकन-फकन अथों की ओर संकेत करता है ? ‘उत्साह कविता के आिार पर
ललखिए| 2
ि) कवि बादल से िहार ररमखिम या बरसने के स्थान पर गरजने के ललए क्यों कहता है ?
‘उत्साह कविता के आिार पर 2
ग) परिराम के क्रोि करने पर लक्ष्मण ने िनष टू ट जाने के ललए कौन-कौन से तकक ददए? 2
घ) कविता के आिार पर परिराम के स्िाभाि की वििेषताएुँ ललखिएl 2
ड.) उद्िि गोवपयों की मनोदिा क्यों नहीं समि सके? 2
च) गोवपयों को राजिमक की याद क्यों ददलानी पड़ी? 2

उत्तरमाला----
नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के माि संके त ददए गए हैं| इन सक
ं े तों का आवश्यकता अनरू
ु प पल्लवन और
संक्षेपण कीजजए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 शब्दों में ददया जाए
1
1. कविता में बादलों का आह्रिान फकया गया है क्योंफक िे अपने जल से िरती तथा सारे
संसार को नया जीिन प्रदान करें l
2. बादलों को काले घघ
ं राले बालों के सामान सधदर माना गया है l
3. बादलों के ह्रदय में बबजली की िोभा नछपी हई है , जो समय-समय पर जगमगाकर प्रकट
हो जाती है l
4. बादल मानि जीिन और कवि को प्रेरणा ि निजीिन प्रदान करते है l
5. कवि बादलों से बरसकर गरमी के ताप से तपती िरती को िीतलता प्रदान करने को कहता
है |

2
क) कवि ने बादलों के माध्यम से सामान्जक क्रांनत का आह्र्िान फकया है l बादल सज
ृ न और
संहार दोनों कर सकते है l
ि) कवि ननराला क्रांनत के माध्यम से पररितकन लाना चाहते थे l िे क्रांनत का आहिान करने
में विश्िास रिते थे, जो ओज और जोि पर ननभकर करती है l
ग) परिराम के क्रोि करने पर लक्ष्मण ने ननम्नललखित तकक ददए-
* सभी िनष तो एक समान होते हैं फिर इस िनष का इतना क्रोि क्यों l
* इस पराने िनष को तोड़ने से हमें क्या लाभ होगा ?
* राम के छू ने भर से ही यह िनष टू ट गया इसमें राम का क्या दोष l
घ)) कविता के आिार पर हमें परिराम के स्िभाि की ननन्म्धलखित वििष
े ताओं का पता
चलता है –
* िे महाक्रोिी थे l
* िे बडबोले तथा अपनी िीरता का बिान करने िाले थे l
* िे जल्द ही उत्तेन्जत हो जाते थे l
ड) उद्िि गोवपयों की मनोदिा इसललए नहीं समि पाए थे क्योंफक उद्िि को ननगण
क ज्ञान पर
अलभमान था l ज्ञान के अलभमान में िे गोवपयों के आदिक प्रेम को नहीं समि पाए l
च) गोवपयों को राजिमक की याद इसललए ददलानी पड़ी क्योंफक श्रीकृ ष्ण प्रेम की पवित्र
नीनतपरक बातें भल
ू कर अनीनत पर उतर आए है , अत: योग-सधदे ि को भेज कर प्रेम की
मयाकदा के विरुद्ि कायक कर रहे है l उधहें प्रेम की नीनत पर लाने का प्रयास फकया गया l
संचयी परीक्षा, सेट -2
कक्षा- दसवी कोसस ए
पाठ-1,2,5- सरूदास, तल
ु सीदास,सय
ू क
स ात
ं त्रिपाठी

 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

1.ननम्नललखित कावयांि को पढ़कर संबन्धित प्रश्नों के उत्तर दें ।


नाथ सभ
ं ि
ु नु भज
ं नहारा l होइही के ऊ एक दास तम्
ु हारा ll
आयस
े ू काह कदहअ ककन मोदह l सनुन ररसाइ बोले मनुन कोही ll
सि
े कु सो जो करे सि
े काई l अररकरनी करी कररअ लराई ll
सन
ु हु राम जदेह लसििनु तोरा l सहसबाहु सम सो ररपु मोरा ll
सो बबलगाऊ बबहाई समाजा l न त मारे जैहदह सब राजा ll
सनुन मनुनबचन लिन मस
ु क
ु ाने l बोले परसि
ु रही अिमाने ll
बहु िनु तोरी लररकाई l कबहु ुँ न अलसररस ककधही गोसाईं ll
यह
े ी िनु पर ममता के दह हे तू l सनुन ररसाई कह भ्रगक
ु ु लके तु ll
रे नप
ृ बालक कालबस बोलत तोदह न सम्भार l
िनह
ु ी सम नतपरुाररिनु बबददत सकल सस
ं ार ll

क).परिरुाम ने क्या चेतािनी दी थी ? (2)


ि).परिरुाम के अनस
ु ार लक्ष्मण ककसके बस में होकर बोल रहे थे ? (2)
ग).लिि िनष
ु तोड़ने िाले को को परिरुाम ने ककसके समान ित्रु माना था ? (2)
घ). लक्ष्मण ने लिि िनष
ु के ललए क्या कहा था ? (2)

2. ननम्नललखित प्रश्नों के उत्तर पढ़ी गई कविताओं के आिार पर दीन्जए

क) उद्िि के वयिहार कक तल
ु ना ककस-ककस से कक गई है ? 2
ि) गोवपयों द्िारा उद्िि को भाग्यिान कहने में क्या वयंग ननदहत है ? 2
ग) गोवपयों ने उद्िि से योग की लिक्षा कैसे लोगों को दे ने को कहा है ? 2
घ) उद्िि गोवपयों कक मनोदिा क्यों नहीं समझ सके? 2

3. रचना के आिार पर िाक्यों के भेद बताएं—

क) बालक रो रोकर चप
ु हो गया l 1
ि) जो वयन्क्त स्िािलम्बी होते ह,ैंिे सदा सि
ु ी रहते है l 1
ग) तम
ु बाहर गए और िह सू गया l 1
घ) िलि गा और नाच रही है l 1
उत्तर----

 प्रश्नों के उत्तर के मात्र संके त ददए गए हैं| इन सक


ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और सक्ष
ं प े ण
कीन्जए|
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
1.

क) परिरुाम ने चत
े ािनी दी थी कक यदद लिि के िनष
ु तोड़ने िाले को सभा से अलग नहीं ककया गया
तो िे सभा में उपन्स्थत सभी राजाओं का िि कर दें गे l

ि) परिरुाम के अनस
ु ार लक्ष्मण काल अथात
ा मत्ृयु के बस में होकर बबना सोचे समझे बोल रहे थेl

ग) परिरुाम ने लिि िनष


ु तोड़ने िाले को सहस्रबाहु के समान अपना ित्रु माना l

घ) लक्ष्मण ने लिििनष
ु को िनह
ु ी कहा था l

2.
क)
* उद्िि के वयिहार की तल
ु ना ननम्नललखित से की गई है –
* कमल के पत्ते से, जो जल में रहकर भी उससे प्रभावित नहीं होता l
* जल में पड़ी तल
े कक बद
ंू ों स,े जो जल में घल
ु ती-लमलती नहीं है l

ि) यह वयग
ं ननदहत है कक उद्िि कृ ष्ण के ननकट रहकर भी उनके प्रभाि से सिथ
ा ा अछू ते हैं l उनके
मन में प्रम
े भाि उत्पधन नहीं हु आ हैंl यह न्स्थनत उद्िि के ललए भाग्यिान हो सकती है , पर गोवपयों
के ललए नहीं l

ग) गोवपयों ने उद्िि से योग कक लिक्षा ऐसे लोगों को दे ने के ललए कहा है न्जनके मन चकरी के
समान इिर उिर घम
ू ते रहते है , उधहें ही योग के द्िारा मन एकाग्र करने की आिश्यकता है l

घ) उद्िि गोवपयों की मनोदिा इसललए नहीं समझ पाए थे क्योंकक उद्िि को ननगण
ुा ज्ञान पर
अलभमान था l ज्ञान के अलभमान में िे गोवपयों के आदिा प्रेम को नहीं समझ पाए l

3.

क) सरल, ि) लमश्र,

ग) सय
ं क्
ु त, घ) सरल
संचयी परीक्षा, सेट -3
कक्षा- दसवी
पाठ-1,2,5- सरू दास, तुलसीदास,सय
ू क
य ांत त्रिपाठी निराला

 2 अंक के प्रश्ि का उत्तर 30-40 शब्दों में ददया जाए

1.निम्िलिखित काव्ाांश को पढ़कर सांबन्धित प्रश्िों के उत्तर दें ।


हरर हैं राजिीनत पढ़ढ़ आए ।
समुझी बात कहत मिक
ु र के, समाचार सब पाए ।
इक अनत चतरु हुते पढ़हिै ही, अब गरु
ु ग्रांथ पढ़ाए ।
बढ़ी बद्
ु धि जािी जो उिकी, जोग-सांदेस पठाए ।
ऊिौ भिे िोग आगे के, परढ़हत डोित िाए ।
अब अफ्िै मि फेर पाइहैं, चाित जु हुते चरु ाए ।
ते क््ौ अिीनत करै आपि
ु , जे और अिीनत छुड़ाए ।
राज िरम तौ ्है `सरु ’, जो प्रजा ि जाढ़हां सताए ।।
1. गोपप्ों िे कृष्ण को राजिीनतज्ञ क््ों कहा है ? (2)
2. गोपप्ााँ श्रीकृष्ण से अपिा मि वापस क््ों िेिा चाहती हैं? (2)
3. राजा को प्रजा को िकससे मुन्क्त ढ़दिाकर िकसके लिए का्य करिा चाढ़हए। (2)
4. पुरािे जमािे में सज्जि क््ा करते थे ? (2)
5. गोपप्ों िे “बढ़ी बुद्धि जािी” से क््ा कहिा चाहा है ? (2)

2. निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर पढ़ी गई कपवताओां के आिार पर दीन्जए:-


क. कपव की आाँि फागि
ु की सद
ांु रता से क््ों हट िहीां रही है ? 2

ि. फागि
ु में ऐसा क््ा होता है जो बाकी ऋतओ
ु ां से लभधि होता है ? 2

ग. परशरु ाम के क्रोि करिे पर राम और िक्ष्मण की जो प्रनतिक्र्ाएाँ हुईं उिके आिार पर दोिों के स्वभाव
की पवशेषताएाँ अपिे शब्दों में लिखिए। 2

घ. ‘ हमारैं हरर हाररि की िकरी।‘ से क््ा अलभप्रा् है ? 2

ड. गोपप्ों द्वारा उद्िव को भाग््वाि कहिे में क््ा व्ांग निढ़हत है ? 2

3. रचिा के आिार पर वाक््ों के भेद बताएां—


क) तुम इसलिए महाि हो क््ोंिक सच बोिते हो l 1
ि) आपिे कढ़ठि पररश्रम िक्ा और उत्तीणय हो गए l 1
ग) मुझे अपिे भाई के परीक्षा- पररणाम के पवष् में बताओ l 1
उत्तरमािा—

 प्रश्िों के उत्तर के मात्र सांकेत ढ़दए गए हैं| इि सांकेतों का आवश््कता अिरू


ु प पल्िवि और सांक्षेपण कीन्जए
 2 अांक के प्रश्ि का उत्तर 30-40 शब्दों में ढ़द्ा जाए

1.
1. गोपप्ों िे कृष्ण को राजिीनतज्ञ इसलिए कहा है क््ोंिक श्रीकृष्ण राजिीती में निपुण है और वे
गोपप्ों के प्रेमभाव के बदिे में उधहें ्ोग-साििा का पाठ पढ़िा चाहते है l
2. गोपप्ााँ कृष्ण से अपिा मि वापस इसलिए िेिा चाहती है क््ोंिक कृष्ण िे प्रेम के बदिे प्रेम
ि दे कर ्ोग – साििा का सधदे श भेजा l

3. गोपप्ों के अिुसार राजा का िमय होिा चाढ़हए िक वह िकसी भी दशा में प्रजा को ि सताए और
वह प्रजा के सुि- चैि का ध््ाि रिे l

4. पुरािे ज़मािे में िोग दस


ू रों पर उपकार करिे के लिए सदा तत्पर रहते थे l

5. गोपप्ों िे व्ांजिा का प्र्ोग िक्ा है , वे कहती है की श्रीकृष्ण िकतिे बद्


ु धिमाि है की
उधहोंिे ्व
ु नत्ों के लिए ्ोग-सधदे श भेजा है l

2.
क. कपव की आाँि फागि
ु की सद
ुां रता से क््ों हट िहीां रही है ?
उत्तर: फागिु की सद
ुां रता इतिी गजब की है िक कपव के ि चाहते हुए भी उसकी आाँिें उसपर से हट िहीां
रही है । ऐसा अक्सर होता है जब हम िकसी अत््ांत िब
ू सरू त चीज ्ा व्न्क्त को दे िते हैं तो हमारी आाँिें
उसपर जैसे अिांत काि के लिए ढ़टक जाती हैं।
ि. फागि
ु में ऐसा क््ा होता है जो बाकी ऋतओ
ु ां से लभधि होता है ?
उत्तर: हर ऋतु की अपिी पवशेषता होती है । िेिकि फागि
ु शा्द अध् सब ऋतओ
ु ां से अिग है । फागि
ु में
दृश््पटि पर तरह तरह के रां ग बबिरे हुए लमिते हैं। ्ह वह ऋतु होती है जब पेड़ों में िए पत्ते निकिते हैं
और िािा प्रकार के फूि खििते हैं। हवा में फूिों की मादक सगु ि
ां भरी हुई होती है ।
ग. परशरु ाम के क्रोि करिे पर राम और िक्ष्मण की जो प्रनतिक्र्ाएाँ हुईं उिके आिार पर दोिों के स्वभाव
की पवशेषताएाँ अपिे शब्दों में लिखिए।
उत्तर: इस प्रसांग में िक्ष्मण िे परशरु ाम का घोर पवरोि िक्ा है िेिकि अधिकतर व्ांग्् के अांदाज में ।
इससे िगता है िक िक्ष्मण बड़े ही उग्र स्वभाव के व्न्क्त हैं। वहीां दस
ू री ओर, राम िे बड़ी शााँत मद्र
ु ा में
इस वाताय िाप को होते हुए दे िा है । इससे पता चिता है िक राम शााँत स्वभाव के व्न्क्त हैं। जहााँ पर
िक्ष्मण क्रोि का जवाब क्रोि से दे ते हैं, वहीां पर राम क्रोि का जवाब भी मांद मस
ु काि से दे ते हैं।
घ. ‘ हमारै हरर हाररि की िकरी।‘ से क््ा अलभप्रा् है ? 2
गोपप्ााँ कहती हैं िक उिके लिए कृष्ण तो हाररि धचड़ड़्ा की िकड़ी के समाि हो ग्े हैं। जैसे हाररि
धचड़ड़्ा िकसी िकड़ी को सदै व पकड़े ही रहता है उसी तरह उधहोंिे िांद के िांदि को अपिे हृद् से िगाकर
पकड़ा हुआ है । वे जागते और सोते हुए, सपिे में भी ढ़दि-रात केवि काधहा काधहा करती रहती हैं।
ड. गोपप्ों द्वारा उद्िव को भाग््वाि कहिे में क््ा व्ांग निढ़हत है ?
्ह व्ांग निढ़हत है िक उद्िव कृष्ण के निकट रहकर भी उिके प्रभाव से सवय था अछूते हैं l उिके मि में
प्रेम भाव उत्पधि िहीां हुआ हैंl ्ह न्स्थनत उद्िव के लिए भाग््वाि हो सकती है , पर गोपप्ों के लिए िहीांl

3. क) लमश्र ि) सां्क्
ु त ग) सरि
कें द्रीय विद्यालय सग
ं ठन
कक्षा दसि ं
विषय - ह द
ं ी
कक्षा परीक्षा
पाठ 10 नेताज का चश्मा एिं िाच्य
1 दिए गए गद्यांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीजिए –
मर्ूत ि संगमरमर की थी । टोपी की नोक से कोट के िस
ू रे बटन तक कोई िो फु ट
ऊँची। जिसे कहते हैं बस्
े ट और सि
ंु र थी। नत
े ािी सि
ंु र लग रहे थे । कु छ कु छ
मासम
ू और कमलसन। फौिी ििी में । मर्ूत ि को िे खते ही ‘दिल्ली चलो` और ‘तम
ु मझ
ु े
खन
ू िो.....` िगैरा याि आने लगते थे। इस दृजटट से यह सफल और सराहनीय प्रयास
था। केिल एक चीज़ की कसर थी, िो िे खते ही खटकती थी। नेतािी की आँखों पर
चश्मा नहीं था। यानी चश्मा तो था, लेककन संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य और
सचमच
ु के चश्मे का चौडा काला फ्रेम मर्ूत ि को पहना दिया गया था। हालिार साहब
िब पहली बार इस कस्बे से गि
ु रे और चौराहे पर पान खाने रुके, तभी उन्होंने इसे
लक्षक्षत ककया िह उनके चेहरे पर एक कौतक
ु भरी मस्
ु कान फै ल गई। िाह भई ! यह
आइडडया भी ठीक है । मर्ूत ि पत्थर की, लेककन चश्मा ररयल !
1 इन पजंततयों में ककसकी मर्ूत ि की बात की िा रही है और तयों?
2. ककस दृजटट से मर्ूत ि लगाने का प्रयास सफल और सराहनीय था ?
3. मर्ूत ि में तया कमी रह गई थी िो िे खते ही खटकती थी?
2 पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजिए l
1. सन
े ानी ने होते हु ए भी चश्मे िाले को लोग कैप्टन तयों कहते थे?
2. मर्ूत ि पर सरकं डे का चश्मा तया उम्मीि िगाता है?
3. िह लग
ं डा तया िाएगा फौि में पागल है , पागल कैप्टन के प्रर्त पान िाले की इस
दटप्पणी पर अपनी प्रर्तकिया ललखखए?

प्रश्न 3 र्निे िानस


ु ार िाच्य पररितिन कीजिए
1. कै प्टन ने मर्ूत ि को चश्मा लगाया। (कमििाच्य में )
2. चलो चौक पर चलते हैं। (भाििाच्य में)
3. पानिाला कैप्टन को लंगडा बताकर हं सने लगा। (िाच्य बताइए)
उत्तर कं ज

नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त दिए गए ह|ैं इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और सक्ष
ं प े ण
कीजिए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्िों में दिया िाए

1. इन पजंततयों में नत
े ािी सुभाष चद्र
ं बोस की मर्ूत ि की बात की िा रही है । हालिार साहब हर 15 में दिन कंपनी के
काम के लसललसले में कस्बे से र्नकलते थे ि हाँ बािार के मख्
ु य चौक पर मर्ूत ि लगी है । हालिार साहब इस मर्ूत ि को िे खते
अिश्य हैं। मर्ूत ि में कु छ वििष
े ताएँ हैं जिनके कारण उसकी बात की िा रही है । िैसे संगमरमर की उस मर्ूत ि पर
संगमरमर का चश्मा न होना।
2. मर्ूत ि बहु त सि
ंु र थी। उस मर्ूत ि को िे खकर नत
े ािी की याि उमड आती थी । फौिी की ििी में मर्ूत ि ऐसी लगती िैसे
सचमच
ु के नत
े ािी है । पराधीनता के दिनों में उनके द्िारा दिए गए नारे िस
ै े दिल्ली चलो तथा तुम मझ
ु े खन
ू िो मैं तम्
ु हें
आिािी िँ गा
ू याि आते हैं िो कस्बे के लोगों में प्रेरणा के भाि भर सकते हैं । इस प्रकार पत्थर की मर्ूत ि द्िारा कस्बे के
लोगों को हृिय में िे िभजतत के भाि भर िे ने के कारण मर्ूत ि को सफल तथा सराहनीय प्रयास कहा गया है l
3. नेतािी की आंखों पर चश्मा नहीं था। मर्ूत ि सगं मरमर की बनी हु ई थी लेककन चश्मा सचमच ु का पहना हु आ था। िब
भी हालिार साहब उस कस्बे से र्नकलते नत े ा िी की मूर्त ि िे खते ही उन्हें यह कमी खटकती थी। यदि चश्मा भी
सग
ं मरमर का होता तो बहु त अच्छा लगता l
उत्तर 2
1. चश्मे िाला न तो सेनानी था न ही नेतािी का साथी था और न आिाि दहि
ं फौ ि का भ त
ू पि
ू ि लसपाही कफर भी लोग
उसे कै प्टन कहकर बलु ाते थे।उसे िे िभततों से बहु त प्रेम था तयोंकक उसके अि
ं र िे िभजतत की भािना कू ट-कू ट कर भरी
हु ई थी। िह नेता िी का अधधक सम्मान करता था इसललए िह बबना नेता चश्मे िाली नत े ा िी की मर्ूत ि िे खकर िख
ु ी
होता था। अतः िह उनकी मर्ूत ि को बार-बार चश्मा पहना कर उसके प्रर्त अपनी श्रद्धा व्यतत करता था। लोग उसकी
िे िभजतत की भािना को िे खकर व्यंग करते थे और व्यंग रूप से मैं उसे कै प्टन कहकर बल
ु ाते थे।
2. मर्ूत ि पर सरकं डे का चश्मा उम्मीि िगाता है कक हमारी आने िाली पीढ़ी में भी िे ि प्रेम की भािना अभी िीवित है ।
इस िे ि के र्नमािण में और लोग अपने अपने तरीके से योगिान िे ते हैं बडे ही नहीं बच्चे भी इसमें िालमल हैं।
िे िभतत कैप्टन मर कर भी उस कस्बे में बच्चों में जिंिा है ।
3. हमें पान िाले का कैप्टन को लंगडा और पागल कहना अच्छा नहीं लगा तयोंकक िह सच्चे िे िभतत का मिाक उडा
रहा था। कैप्टन के िे ि प्रेम को िह पागलपन समझता था। कैप्टन के प्रर्त उसके मन में आिर प्रेम िैसी भािना नहीं
थी। पान िाले के द्िारा ऐसी दटप्पणी करना अच्छी बात नहीं इस दृजटट से पान िाले का व्यिहार अनधुचत था। कैप्टन
ने चश्मा लगाकर एक तरफ नत
े ा िी की मर्ूत ि को पण
ू त
ि ा प्रिान की तो िस
ू री तरफ कस्बे की कमी पर भी पिाि डाला।
ऐसे िे ि भततों के हृिय गर्त भािों की उपेक्षा करके अपने ग्राहकों के सामने पान बेचते हु ए बातों के चटपटे मसाले के रूप
में कैप्टन के ललए अपिब्ि कहना अत्यत ं िभु ाग्ियपूणि था .
उत्तर 3
1. कै प्टन द्िारा मर्ूत ि को चश्मा लगाया गया ।
2. चलो चौक पर चला िाए ।
3. कति
ित ाच्य
कें द्रीय विद्यालय सग
ं ठन
कक्षा- दसि ं
विषय- ह द
ं ी
कक्षा परीक्षा
पाठ 11 बालगोबबन भगत,व्याकरण
प्रश्न 1. नीचे दिए गए गद्यांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीजिए
सारा िातािरण अिीब रहस्य से आिति मालम
ू पडता था। उस रहस्यमय िातािरण में
एक कु ि की चटाई पर परूब मह
ंु काली कमली ओढे बालगोबबन भगत अपनी खंिडी
ललए बैठे थे। उनके मह
ंु से िब्िों का तात
ं ा लगा था, उनकी उं गललयां खंिडी पर
लगातार चल रही थी। गाते गाते इतने मस्त हो िाते, इतने सरू
ु र में आते , उत्तेजित
हो उठते कक मालम
ू होता अब खडे हो िाएंगे। कमली तो बार-बार लसर से नीचे सरक
िाती। मैं िाडे से कपकपा रहा था, ककं तु तारे की छाि
ं में भी उनके मस्तक एक िमि
बबिं ु िब तक चमक ही पडते।
1. लेखक के अनस
ु ार सारा िातािरण रहस्यमय तयों था?
2. बाल गोविंि भगत के गायन का धचत्रण कीजिए ।
3 लख
े क तया अनभ
ु ि करते थे?
प्रश्न 2 पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजिए
1 भगत िी की पत्र
ु िधू उन्हें अकेला तयों नहीं छोडना चाहती थी ?
2 भगत ने अपने बट
े े की मत्तयु पर अपनी भािनाएं ककस प्रकार व्यतत की?
3 भगत की व्यजततत्ि और उनकी िि
े भष
ू ा का अपने िब्िों में धचत्र खीधंचए।

प्रश्न 3 नीचे दिए गए िातयों में से किया वििेषण पि छाँटकर ललखखए और


कियावििेषण का भेि भी बताइए-
1. िह कपडे बबल्कु ल कम पहनते थे।
2. कहीं रोपनी हो रही है ।
3. इन दिनों िे सिेरे ही उठते ।
4. उनके मधरु गान सिा सिि
ि ा ही सन
ु ने को लमलते।
उत्तर कंु िी
नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त दिए गए हैं| इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और सक्ष
ं प े ण क ी जि ए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्िों में दिया िाए

1.सदिि यों के दिनों में भी भगत िी की दिनचयाि में कोई अंतर नहीं पडता। भयंकर सिी में भी िे
कु ि की चटाई पर पि
ू ि दििा की तरफ मह
ंु करके अपनी खि
ं डी बिाते और भिन गाते थे । उनके
द्िारा गाए गए भिनों से सारा िातािरण भजततमय हो िाता था।
2. भगत िी चटाई पर पि
ू ि दििा कक ओर बठ
ै ते । उनके हाथों में खि
ं डी होती और मह
ंु से लगातार
भिन र्नकलते । गाते गाते इतना उतेजित हो िाते ऐसा लगता कक िह अब खडे हो िाएंगे । उस
कपकपा िे ने िाली सिी में भी उनके माथे पर पसीने की बि
ंू े चमकने लगती ।
3. इतनी सिी में लेखक का मन इतनी िल्िी उठने को नहीं करता । लेककन भगत िी के संगीत में
ऐसा िाि ू था कक लेखक नीि
ं त्याग कर िहां पहुंच िाते िहां भगत िी गा रहे होते। लेखक सिी के
कारण कांप रहा था।
उत्तर 2
1. पुत्र की मत्तयु के बाि भगत िी अके ले पड गए थे। भगत िी की पुत्र िधू उन्हें अके ला नहीं छोडना
चाहती थी तयोंकक उसे पता था कक घर में और कोई भी नहीं िो भगत िी की सेिा कर सके और
उनका ध्यान रख सके। उसे धचंता थी यदि मैं चली गई तो उनके ललए खाना कौन बनाएगा? बीमार
होने पर उन्हें ििाइयां कौन िे गा? इन्हीं कारणों से िे िाना नहीं चाहती थी, परं तु भगत िी के अटल
र्नणय
ि के सामने उन्हें झुकना पडा ।
2. भगत िी ने अपने बट
े े की मत्तयु को ईश्िर की इच्छा मानकर स्िीकार ककया । उन्होंने मत्तयु को
आत्मा परमात्मा का लमलन माना। उनके अनस
ु ार विरदहणी आत्मा परमात्मा से लमल गई। उन्होंने पत्र

के िि को सफे ि िस्त्र से ढक कर उसके ऊपर फू ल और तल
ु सी िल बबखेर दिए। लसरहाने पर एक
धचराग िलाया और उसके सामने िमीन पर आसन िमाकर गीत गाने लगे। गाते गाते अपनी पतोहू
के पास िाकर उसे उत्सि मनाने के ललए कहा।
3. बाल गोविंि भगत का मंझला कि गोरा रं ग था । उम्र 60 के ऊपर थी। बाल सफेि, लंबी िाढ़ी या
िटाएं तो नहीं पर चेहरा सफेि बालों से िगमग करता। कपडे बहु त कम पहनते थे। कमर में एक
लंगोटी और लसर पर कबीरपधथयों की कनटोपी पहनते थे । सदिि यों में एक काली कमली ओडते थे।
माथे पर हमेिा रामानंिी र्तलक चमकता िो नाक के ककनारे से िरू
ु होता। गले में तल
ु सी की िडों
की एक बेडौल माला होती थी । दिखने में बाल गोविि
ं भगत साधु लगते थे पर थे बबल्कु ल गह
त स्थ ।
उत्तर 3
1. कम : पररमाणिाचक किया वििेषण
2. कहीं: स्थान िाचक किया वििेषण
3. सिेरे: काल िाचक किया वििेषण
4. सिा सिििा: काल िाचक किया वििेषण

कें द्रीय विद्यालय सग


ं ठन
कक्षा -दसि ं
विषय -ह द
ं ी
कक्षा परीक्षा
पाठ 10,11 नेताज का चश्मा ,बालगोबबन भगत, व्याकरण
नोट :
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्िों में दिया िाए
प्रश्न- 1 एक नीचे दिए गए गद्यांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर िीजिए :-
पान िाले के खि
ु के मँह
ु में पान ठु सा हु आ थाl िह एक काला, मोटा, खि ु लमिाि
आिमी था l हालिार साहब का प्रश्न सन ु कर िह आंखों ही आँखो में हँ सा l उसकी
उसकी तोंि धथरकी। पीछे घम
ू कर उसने िक
ु ान के नीचे पान थका
ू और अपनी लाल
काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मे िाला करता है । तया करता है ? हालिार
साहब कु छ समझ नहीं पाए। चश्मा चें ि कर िे ता हैं। पान िाले ने समझाया। तया
मतलब? तयों चें ि कर िे ते हैं? हालिार साहब कोई ग्राहक आ गया समझो। उसको
चौडे चौखट चादहए। तो ककधर से लाएगा? तो उसको मर्ूतिा
ि ला िे दिया। उधर िस
ू रा
बबठा दिया।
क) हालिार साहब की ककस बात पर पानिाला आंखों- ही- आंखों में हं सा?
ख) गद्यांि के आधार पर पान िाले का िब्ि धचत्र अंककत कीजिए।
ग) पान िाले ने हालिार साहब को ककस प्रकार समझाया?
प्रश्न -2 पढ़े गए पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजिए
क) हालिार साहब इतनी छोटी -सी बात पर भािक
ु तयों हो उठे ?
ख) खत
े ी बारी से िड
ु े गह
त स्थ बालगोबबन भगत अपनी ककन चाररबत्रक वििेषताओं के
कारण साधु कहलाते थे?
ग) बाल गोबबन भगत की दिनचयाि लोगों के ललए अचरि का कारण तयों थी ?
व्याकरण भाग
प्रश्न 3 नीचे दिए गए िातय में किया वििेषण िब्ि छाँटकर ललखखए और उनके भेि
भी ललखखए।
क) मैं िाडे से कंपकपा रहा था।
ख) रोपनी करने िालों की उं गललयां एक अिीब िम से चलने लगती हैं।

प्रश्न 4 नीचे दिए गए िातयों को कमि


ि ाच्य में बिललए
क) पान िाले ने साफ बता दिया ।
ख) ड्राइिर ने िोर से ब्रेक मारे ।
नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र संके त दिए गए हैं| इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और
संक्षेपण कीजिए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्िों में दिया िाए

उत्तर कं ज
प्रश्न 1. हालिार साहब ने पान िाले से चश्मे के पररितन
ि का रहस्य पछ
ू ा तो पानिाला आख
ं ों ही आख
ं ों में
हं सा। उसे कैप्टन चश्मे िाले के द्िारा चश्मा बिलना पागलपन लगता था। इसी कारण िह हं स दिया।
2. पान िाले के खि
ु के मह
ंु में पान ठु ं सा था। िह काला, मोटा और एक खि
ु लमिाि व्यजतत था। हं सने पर
उसकी तोंि धथरकने लगती और िह आंखों ही आंखों में हं सता था।
3. हालिार साहब यह सन
ु कर कक कैप्टन चश्मे िाला चश्मा बिलता है , इसे पण
ू ि रूप से समझ नहीं पाए। तब
पान िाले ने समझाया कक िब कोई ग्राहक ठीक िैसे ही चश्मे की मांग करता है , िस ै ा मर्ूत ि पर लगाया हु आ है
तो कै प्टन चश्मे िाला मर्ूत ि पर से चश्मा उतार कर उसे िे िे ता और मर्ूत ि पर िस
ू रा चश्मा लगा िे ता ।
प्रश्न िो 1. प्रर्तमा की आंखों पर सरकंडे के चश्मे िैसी इतनी सी बात ने यह लसद्ध कर दिया कक इस कस्बे
में अब एक नहीं अनेक कैप्टन है , िो राटर के प्रर्त अपने उत्तरिार्यत्ि से पररधचत हैं । बाल कैप्टन रूपी
बच्चों का साहलसक कायि उन्हें यह एहसास करिा गया कक ककसी प्रिासर्नक अधधकारी या बोडि तथा मर्ूतक
ि ारों
द्िारा ही सम्मार्नत व्यजततयों की प्रर्तमाएं लगिाने तथा बनाने में कलमयां रह िाने पर िे ि की भािी पीढ़ी
उन प्रर्तमाओं को उनके अधरूे पन के साथ किावप नहीं रहने िे गी । यही सोचकर हालिार साहब भािक
ु हो
उठे ।
2. बाल गोवििं भगत िी में साधओ
ु ं की सभी वििष
े ताएं थी िह कबीर को अपना भगिान मानते थे। भगत
िी सत्यिािी, खरा बोलने िाले ि विनम्र स्िभाि के व्यजतत थे। ककसी की चीिों को भी हाथ नहीं लगाते थे
और नहीं बबना पछ
ू े प्रयोग करते थे। िे िस
ू रों के खत
े ों में िौच के ललए भी नहीं बठ
ै ते थे । गह
त स्थ िीिन
िीकर भी िे मोह माया में बंधे नहीं थे। पत्र
ु की मत्तयु के समय भी उत्सि रूप में उसे मना कर उन्होंने लसद्ध
कर दिया कक िह िास्ति में साधु ही थे।
3. बाल गोवििं भगत की दिनचयाि लोगों के ललए आश्चयि का कारण इसललए बनी हु ई थी तयोंकक उनकी
दिनचयाि एक र्नजश्चत ढरे पर चलती थी। कभी ककसी को उसमें पररितिन निर नहीं आया। सिेरे उठकर गांि
से 2 मील िरू निी पर स्नान को िाते । नहाने धोने के बाि गांि के बाहर पोखर के ऊंचे लभंडे पर अपनी
खंिडी लेकर गाने लगते । आषाढ़ मास के दिनों में खते ों में काम करते हु ए भिन गात।े भािो की अंधेरी
रात में गा रहे होते। इस प्रकार के कियाकलापों के कारण ही उनकी दिनचयाि लोगों के ललए आश्चयि कारण
बनी हु ई थी ।
प्रश्न 3
1. कंपकपा रीर्तिाचक कियावििेषण
2. अिीब-िम रीर्तिाचक कियावििेषण
प्रश्न 4.
1. पान िाले के द्िारा साफ बता दिया गया था।
2. ड्राइिर के द्िारा िोर से ब्रेक मारे गए।
व्याकरण एिं रचना
संचयी कक्षा परीक्षा 1
कक्षा दसिीं
नोट :
 1 अंक के प्रश्न का उत्तर 15-20 िब्दों में ददया जाए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

प्रश्न 1. ननम्नलिखित अपठित गद्यश


ां को ध््यनपर्
ू कव पढ़कर नीचे ठिए गए प्रश्नों के उत्तर िे –

ईर्षयाा का यही अनोखा िरदान है | जजस मनर्षुय के हृदय में घर बना लेती है , बजकक उन िस्तओ
ु ं से द:ु ख
उठाता है , जो दस
ू रों के पास है | िह अपनी तल
ु ना दस
ू रों के साथ करता है और इस तल
ु ना में अपने िक्ष के
सभी अभाि उसके हृदय पर दं ि मारते रहते हैं| दं ि के इस राह को भोगना कोई अच्छी बात नहीं है | मगर,
ईर्षयाल
ा ु मनर्षुय करें भी तो क्या? आदत से लाचार होकर उसे यह िेदना भोगनी पड़ती है |
एक उपिन को पाकर भगिान को धन्यिाद दे ते हु ए उसका आनंद नहीं लेना और बराबर इस चचंता में ननमग्न
रहना कक इससे भी बड़ा उपिन क्यों नहीं लमला? एक ऐसा दोष है जजससे ईर्षयाल
ा ु व्यजक्त का चररत्र और भी
भयंकर हो उठता है | अपने अभाि पर ददन-रात सोचते-सोचते िह सजृर्षट की प्रकिया को भल
ू कर विनाि में लग
जाता है और अपनी उन्ननत के ललए उधम करना छोड़कर िह दस
ू रों की हानन पहुं चाने को ही अपना श्रेर्षठ
कताव्य समझने लगता है |
ईर्षयाा की बड़ी बेटी का नाम ननंदा है | जो व्यजक्त ईर्षयाल
ा ु होता है , िही व्यजक्त बरुे ककस्म का ननंदक भी होता
है | दस
ू रों की ननंदा िह इसललए करता है कक इस प्रकार, दस
ू रे लोग जनता अथिा लमत्रों की आंखों से चगर
जाएंगे और तब जो स्थान ररक्त होगा उस पर अनायास में ही बबठा ददया जाऊंगा|
मगर, ऐसा ने आज तक हु आ है और आगे होगा| दस
ू रों को चगराने की कोलिि तो अपने को बढ़ाने की कोलिि
नहीं कही जा सकती| एक बात और है कक संसार में कोई भी मनर्षुय ननंदा से नहीं चगरता| उसके पतन का
कारण अपने ही भीतर के सद्गण
ु ों का हस्स होता है | इसी प्रकार कोई भी मनर्षुय दस
ू रों की ननंदा करने से
अपनी उन्ननत नहीं कर सकता| उन्ननत तो उसकी तभी होगी, जब िह अपने चररत्र को ननमाल बनाए|
ईर्षयाा का काम जलना है , मगर सबसे पहले िह उसी को जलाती है जजसके हृदय में उसका जन्म होता है | आप
भी ऐसे बहु त से लोगों को जानते होंगे जो ईर्षयाा और द्िेष को साकार मनूत ा है |

उपरोक्त गद्यांश के आधयर पर पछ


ू े गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
क. उपयक्
ु त गद्यांि के ललए एक उचचत िीषाक ललखखए| 1
ख. ईर्षयाल
ा ु मनर्षुय अपनी ककस आदत से लाचार होकर कर्षट उठाता है | 2
ग. ईर्षयाल
ा ु व्यजक्त दस
ू रों की ननंदा क्यों करता है ? 2
घ. ईर्षयाा का अनोखा िरदान क्या है ? 2
ङ. ईर्षयाा का काम क्या है ? सबसे पहले इसका प्रभाि ककस पर पड़ता है ? 2
च. ‘साकार’ िब्द का विग्रह कीजजए संचध का नाम ललखखए| 1
उत्तर
व्याकरण एिं रचना
संचयी कक्षा परीक्षा 1
कक्षा दसिीं

नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त ददए गए ह|ैं इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पकलिन और सक्ष
ं प े ण
कीजजए
 1 अंक के प्रश्न का उत्तर 20-30 िब्दों में ददया जाए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

प्रश्नो के सांभयवर्त उत्तर:-


क. उपयक्
ु त गद्यांि के ललए उचचत िीषाक- ईर्षयाा|
ख. ईर्षयाल
ा ु व्यजक्त की आदत बन जाती है कक िह अपनी तल
ु ना दस
ू रों से करता है कु छ िस्तए
ु ँ दस
ू रों के
पास होती है और उसके पास नहीं होती यह बात उसको द:ु ख दे ती है | िह अपने पास होने िाली
िस्तओ
ु ं का आनंद प्राप्त न करके जो चीजें उसके पास नहीं है , उनके अभाि से द:ु खी बना रहता है
और जलता रहता है | अपनी इसी आदत के कारण िह कर्षट उठाता है |
ग. ईर्षयाल
ा ु व्यजक्त को दस
ू रों की ननंदा करने में आनंद आता है | िह यह सोच कर दस
ू रों की ननंदा करता
है कक ऐसा करने से िह जनता और लमत्रों की नजर में चगर जायेंगे| उनके ररक्त हु ए स्थान पर उसको
बैठने और आगे बढ़ने का अिसर लमल जायेगा| िह दस ू रों को चगराकर स्ियं आगे बढ़ना चाहता है
लेककन ऐसा होता नहीं है | ननंदा करने से कोई व्यजक्त नीचे नहीं चगरता| ईर्षयाल
ा ु व्यजक्त इस सच्चाई
को नहीं समझता और दस
ू रों को बदनाम करके स्ियं आगे बढ़ने के विचार में ननंदा करने के काम में
लगा रहता है |
घ. जजस मनर्षुय के हृदय में घर बना लेती है , बजकक उन िस्तओ
ु ं से द:ु ख उठाता है , जो दस
ू रों के पास है |
िह अपनी तल
ु ना दस
ू रों के साथ करता है और इस तल
ु ना में अपने िक्ष के सभी अभाि उसके हृदय
पर दं ि मारते रहते हैं| दं ि के इस राह को भोगना कोई अच्छी बात नहीं है |
ङ. ईर्षयाा का काम जलना है I सबसे पहले इसका प्रभाि उस पर पड़ता है जजसके हृदय में यह जन्म
लेती है I
च. विग्रह - स+आकार
संचध - दीघा संचध
व््यकरण एर्ां रचनय
सांच्ी कक्षय परीक्षय 2
कक्षय िसर्ीां
1 ननिे शयनस
ु यर उत्तर िीजिए –
(क) रे िमा ने वप्रया की प्रिंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ाया। ( लमश्र िाक्य में बदललए) 1
(ख) राम के घर पहु ँचने पर ही मैं घर आया हू ँ I (सय
ं क्
ु त िाक्य में बदललए ) 1
(ग) पैर में चोट लगी थी इसललए दौड़ नहीं सका। (सरल िाक्य में बदललए) 1

2 ननम्नलिखित र्यक््ों में र्यच्् पररर्तवन कीजिए –


(क) हम ददन भर कैसे पढ़ें ग?
े (भाि िाच्य में बदललए) 1
उत्तर हमसे ददन भर कैसे पढ़ा जाएगा।
(ख) महात्मा गांधी को बापू कहते हैं। (कमा िाच्य में बदललए) 1
उत्तर महात्मा गांधी को बापू कहा जाता है ।
(ग) उनके द्िारा विद्याथी की योग्यता का सम्मान ककया गया। (कताृ िाच्य में बदललए) 1
(घ) चाचा ने लललता को पढ़ाया। ( कमािाच्य में बदललए ) 1

प्रश्न 5 रे ियांककत पिों कय पररच् लिखिए –


(क) दो ककलो चीनी चादहए I 1
(ख) इस दीिार पर कई चचत्र हैं। 1
(ग) िाह ! बड़ी सद
ंु र घड़ी है I 1
(घ) जब भक
ू ं प आया, लोग सों रहे थे I 1

प्रश्न 6
क. िात्सकय रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
ख. िांत रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
ग. िीर रस का एक उदाहरण ललखखए | 1
घ. एक ओर अजगर लखख, एक ओर मग
ृ ाय |
विकल बटोही बीच ही परयो मरूछा खाय || (रस का नाम लीखखए ) 1
व््यकरण एर्ां रचनय
उत्तर सांच्ी कक्षय परीक्षय 2
कक्षय िसर्ीां
1 ननिे शयनस
ु यर उत्तर िीजिए –
(क) रे िमा ने वप्रया की प्रिंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ाया। (लमश्र िाक्य में बदललए) 1
उत्तर जब रे िमा ने वप्रया की प्रिंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ गया।
(ख) राम के घर पहु ँचने पर ही मे घर आया हू ँ I (सय
ं क्
ु त िाक्य में बदललए) 1
उत्तर राम घर पहु ँचा और मै घर आ गया हू ँ I
(ग) पैर में चोट लगी थी इसललए दौड़ नहीं सका। (सरल िाक्य में बदललए) 1
उत्तर पैर में चोट लगने के कारण दौड़ नहीं सका।
2 ननम्नलिखित र्यक््ों में र्यच्् पररर्तवन कीजिए –
(क) हम ददन भर कैसे पढ़ें ग?
े (भाि िाच्य में बदललए) 1
उत्तर हमसे ददन भर कैसे पढ़ा जाएगा।
(ख) महात्मा गांधी को बापू कहते हैं। (कमा िाच्य में बदललए) 1
उत्तर महात्मा गांधी को बापू कहा जाता है ।
(ग) उनके द्िारा विद्याथी की योग्यता का सम्मान ककया गया। (कताृ िाच्य में बदललए) 1
उत्तर उन्होंने विद्याथी की योग्यता का सम्मान ककया।
(घ) चाचा ने लललता को पढ़ाया। (कमािाच्य में बदललए) 1
उत्तर चाचा के द्िारा लललता को पढ़ाया गया।
प्रश्न 5 रे ियांककत पिों कय पररच् लिखिए –
(क) दो ककलो चीनी चादहए I 1
उत्तर पररमाणिाचक वििेषण (ननजश्चत पररमाण),चीनी वििेर्षय I
(ख) इस दीिार पर कई चचत्र हैं। 1
उत्तर वििेषण , सािानालमक वििेषण , बहु िचन।
(ग) िाह! बड़ी सद
ुं र घड़ी है I 1
उत्तर अव्यय, विस्मयाददबोधक ,आश्चयस
ा च
ू क I
(घ) जब भक
ू ं प आया, लोग सो रहे थे I 1
उत्तर जानतिाचक संज्ञा, पजुकलग
ं , बहु िचन, कताक
ा ारक I
प्रश्न 6
ङ. िात्सकय रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
च. िांत रस का स्थायी भाि क्या है ? 1
छ. िीर रस का एक उदाहरण ललखखए | 1
ज. एक ओर अजगर लखख, एक ओर मग
ृ ाय |
विकल बटोही बीच ही परयो मरूछा खाय || (रस का नाम लीखखए ) 1
उत्तर
क. ित्सल
ख. ननिद

ग. मैं सत्य कहता हू ँ सख!े सक
ु ु मार मत जानो मझ
ु ,े
यमराज से भी यद्
ु ध को, प्रस्तत
ु सदा मानो मझ
ु |े
घ. भयानक रस
व्याकरण एिं रचना
संचयी कक्षा परीक्षा 3
कक्षा दसिीं

1. ननम्नलिखित में से ककसी एक वर्ष् पर ठिए गए सांकेतों के आधयर पर िगभग 200 से 250 शब्िों में
ननबांध लिखिए।
(क) बेरोजगारी की समस्या एिं समाधान (प्रस्तािना, समस्या, समाधान, उप संहार)
(ख) खेलों का जीिन में महत्ि ( प्रस्तािना, खेलों से होने िाले लाभ, आजकल के प्रचललत खेलों का पररचय,
उपसंहार )
(ग) जल संरक्षण आज की आिश्यकता (प्रस्तािना, जल की उपलब्धता एिं स्रोत, जल की उपयोचगता एिं
बचाि, उपसंहार )
उत्तर ननबंध लेखन, प्रस्तनुत, भाषा िद्
ु धता, िाक्य विन्यास, विषय िस्त,ु समग्र प्रभाि (बबदंओ
ु ं पर आधाररत
अपने वििेक के अनस
ु ार 200 – 250 िब्दों में ललखखए )

2. आपके वर्द्यि् में वर्लभन्न पत्र-पत्रत्रकयओां की कमी है , पत्र-पत्रत्रकयओां की उपिब्धतय सनुनजश्चत करने के
लिए वर्द्यि् के पस्
ु तकयि् अध््क्ष को पत्र लिखिए।
अथर्य
िन्मठिन के लिए अपने लमत्र को ननमांत्रण पत्र लिखिए।

उत्तर. पत्र लेखन, प्रारं भ और अंत की औपचाररकताएं, विषय िस्त,ु भाषा िद्
ु धता (बबदंओ
ु ं पर आधाररत अपने
िब्दों में ललखखए)
3. आप अपनी परुयनी घडी बेचनय चयहते हैं, इसके लिए 25 से 50 शब्िों में वर्ज्ञयपन तै्यर कीजिए।
अथर्य
आप कबड्डी कय एक मैच आ्ोजित करनय चयहते हैं। उसके सांबध
ां में 25 से 50 शब्िों में वर्ज्ञयपन तै्यर
कीजिए।
उत्तर. विज्ञापन लेखन , प्रारूप , विषय िस्तु , भाषा (अपने िब्दों में ललखखए)
व्याकरण एिं रचना
संचयी कक्षा परीक्षा 4
कक्षा दसिीं

1 ननदे िानस
ु ार िाक्य पररितन
ा कीजजए –
1. लक्ष्मी गयी और सोकिया आ गयी I (सरल िाक्य )
2. प्रथम आने िाला परुस्कार पाएगा I (लमश्र िाक्य )
3. सरुे ि को रूपये लमले और उसने लौटा ददए I (लमश्र िाक्य )
4. सरस्िती ने नहाकर पज
ू ा की I (सय
ं क्
ु त िाक्य )
5. नेताजी ने भाषण ददया और चला गया (सरल िाक्य )

2 ननदे िानस
ु ार रे खांककत पदों का व्याकरखणक पररचय दीजजए –
1. कल हमने ताजमहल दे खा |
2. अरे ! यह क्या ककया |
3. िीला ने पस्
ु तक पढ़ी |
4. माला पत्र ललखती है |
5. जकदी चलो , गाड़ी आने िाली है |
व्याकरण एिं रचना
उत्तर संचयी कक्षा परीक्षा 4
कक्षा दसिीं

ननदे िानस
ु ार िाक्य पररितन
ा कीजजए –
1. लक्ष्मी गयी और सोकिया आ गयी I (सरल िाक्य )
2.प्रथम आने िाला परुस्कार पाएगा I (लमश्र िाक्य )
3.सरुे ि को रूपये लमले और उसने लौटा ददए I (लमश्र िाक्य )
4.सरस्िती ने नहाकर पज
ू ा की I (सय
ं क्
ु त िाक्य )
5.नेताजी ने भाषण ददया और चला गया (सरल िाक्य )

उत्तरमाला :
1. लक्ष्मी के जाते ही सोकिया आ गयी I
2. जो प्रथम आएगा िो परुस्कार पाएगा I
3. सरुे ि को ज्यों ही रूपये लमले उसने लौटा ददए I
4. सरस्िती नहाई और पज
ू ा की I
5. नेताजी भाषण दे कर चला गया I

ननदे िानस
ु ार रे खांककत पदों का व्याकरखणक पररचय दीजजए –
6. कल हमने ताजमहल दे खा |
7. अरे ! यह क्या ककया |
8. िीला ने पस्
ु तक पढ़ी |
9. माला पत्र ललखती है |
10. जकदी चलो , गाड़ी आने िाली है |

उत्तरमयिय :
1. कल - कालिाचक किया-वििेषण ,’दे खा’ किया का काल बता रहा है |
2. अरे ! –अव्यय ,विस्मयाददबोधक (आश्चया सच
ू क )
3. पढ़ी –सकमक
ा किया,भत
ू काल ,स्त्रीललग
ं ,एकिचन
4. माला –व्यजक्तिाचक संज्ञा ,स्त्रीललंग ,एकिचन ,कत्ताा कारक
5. जकदी –अव्यय,कियावििेषण (कालिाचक)
व््यकरण एर्ां रचनय
सांच्ी परीक्षय 5
कक्षय –िसर्ीां
1 ननिे शयनस
ु यर र्यच्् पररर्तवन करे -
1. रवर् पस्
ु तक पढतय है I (कमवर्यच्् )
2. सोहन चि नहीां सकतय I (भयर् र्यच्् )
3. नेतयिी दर्यरय उिघयटन कक्य ग्य I (कतवत र्यच्् )
4. लशकयरर्ों दर्यरय लशकयर कक्य ियतय है I (कतवत र्यच्् )
5. रयम आि स्र्यठिष्ट भोिन करे गय I

उत्तरमयिय :
1.रवर् के दर्यरय पस्
ु तक पढ़ी ियती है I
2.सोहन से चिय नहीां ियतय I
3.नेतयिी ने उिघयटन कक्य I
4.लशकयरी लशकयर करते है I
5.रयम दर्यरय आि स्र्यठिष्ट भोिन कक्य िय्ेगय I
2 प्रश्नों के उत्तर िीजिए
1.करुण रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
2.श्ग
ां त यर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
3.र्ीर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
4.घण
त य ककस रस कय स्थय्ी भयर् है ?
5.एक लमत्र बोिे “ियिय तम
ु ककस चक्की कय ियते हो ?
इतने महां गे रयशन में भी ,तम
ु तोंि बढयए ियते हो I”
उप्क्
ुव त पजांक्त्ों में कौन सय रस है ?

उत्तरमयिय :
1. शोक
2. रनत
3. उत्सयह
4. र्ीभत्स रस
5. हयस्् रस
व््यकरण एर्ां रचनय
उत्तर सांच्ी परीक्षय 5
कक्षय –िसर्ीां

1 ननिे शयनस
ु यर र्यच्् पररर्तवन करे -
1 रवर् पस्
ु तक पढतय है I (कमवर्यच्् )
2 सोहन चि नहीां सकतयI (भयर् र्यच्् )
3 नेतयिी दर्यरय उिघयटन कक्य ग्यI (कतवत र्यच्् )
4 लशकयरर्ों दर्यरय लशकयर कक्य ियतय हैI (कतवत र्यच्् )
5 रयम आि स्र्यठिष्ट भोिन करे गयI

उत्तरमयिय :
1.रवर् के दर्यरय पस्
ु तक पढ़ी ियती है I
2.सोहन से चिय नहीां ियतयI
3.नेतयिी ने उिघयटन कक्यI
4.लशकयरी लशकयर करते है I
5.रयम दर्यरय आि स्र्यठिष्ट भोिन कक्य िय्ेगय I
2 प्रश्नों के उत्तर िीजिए
1.करुण रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
2.श्ग
ां त यर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
3.र्ीर रस कय स्थय्ी भयर् क््य है ?
4.घण
त य ककस रस कय स्थय्ी भयर् है ?
5.एक लमत्र बोिे “ियिय तम
ु ककस चक्की कय ियते हो ?
इतने महां गे रयशन में भी, तम
ु तोंि बढ़यए ियते हो I”
उप्क्
ुव त पजांक्त्ों में कौन सय रस है ?

उत्तरमयिय :
6. शोक
7. रनत
8. उत्सयह
9. र्ीभत्स रस
10. हयस्् रस
संचयी कक्षा परीक्षा 1
कक्षा दसवी
(यह दं तरुरत मस्
ु कान, फसल, छाया मत छू ना )
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

1) ननम्नललखित कावयांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजजए -


तम्
ु हारी यह दं तरुरत मस्
ु कान
मत
ृ क मे भी डाल दे गी जान
धलूल- धस
ू र तम्
ु हारे ये गात...
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी मे खिल रहे जलजात
परस पाकर तम्
ु हारा ही प्राण ,
वपघलकर जल बन गया होगा कदठन पाषाण
छू गया तम
ु से कक झरने लग पड़े िफ
े ाललका के फू ल
बास
ाँ था कक बबल
ू ?
क) ‘दं तरुरत मस्
ु कान’ से क्या अलभप्राय है ? इसकी क्या वििेषता है ?
ि) धल
ू से से बच्चे के िरीर को दे िकर कवि क्या कल्पना करता ?
ग) बच्चे के स्पिश की कल्पना कवि ने ककस रूप में की है ?

2 ननम्नललखित प्रश्नो के उत्तर पढ़ी गई कविताओं के आधार पर दीजजए : -


प्रश्न 1 बच्चे की मस्
ु कान और एक बड़े वयजक्त की मस्
ु कान में क्या अत
ं र है ? 2
प्रश्न 2 कविता फसल उपजाने के ललए आिश्यक तत्िो की बात कही गयी है | 2
प्रश्न 3 मग
ृ तष्ृणा ककसे कहते है ? कविता में इसका प्रयोग ककस अथश में हु आ है ? 2
संचयी परीक्षा 1 उत्तर
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र संके त ददए गए हैं| इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और
संक्षेपण कीजजए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

1.
क) ‘दं तरुरत मस्
ु कान’ से क्या अलभप्राय है ? इसकी क्या वििेषता है ?
दं तरुरत मुस्कान से अलभप्राय है , लििु की निोददत दात
ाँ ों िाली सद
ंु र मस
ु कान। कवि के अनस
ु ार इस
मस
ु कान की वििष
े ता यह है कक ये मत
ृ क में भी प्राणों का सच
ं ार कर दे ती है । अथात
श यह मनमोहक
मुस्कान थके हारे ननराि और ननष्प्राण वयजक्त के भीतर भी जीिन , उत्साह का संचार कर दे ती ।
ि) धल
ू से से बच्चे के िरीर को दे िकर कवि क्या कल्पना करता?
बच्चे का धल
ू से सना हु आ िरीर दे िकर किी कल्पना करता है मानो कमल का फू ल तालाब को
छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल गया हो | कवि को बच्चा कमल के फू ल के सामान सद
ंु र लगता
है |
ग) बच्चे के स्पिश की कल्पना कवि ने ककस रूप में की है ?
कवि कल्पना करता है कक बच्चे का स्पिश पाकर मानो कठोर पत्थर भी वपघल कर पानी बन गया
है । बास
ाँ और बबल
ू के समान कठोर ह्रदय के लोग भी लििु की दं तरुरत मस्
ु कान दे िकर ि स्पिश
पाकर मानो सहृदय बन जाते हैं और उनकी मस
ु कान के रूप में मानो िफ
े ाललका के फू ल झरने
लगते हैं ।
2.
1. बच्चे की मुस्कान में बनािटीपन नहीं होता ; िह सहज और स्िाभाविक होती है | लेककन ककसी बड़े
वयजक्त की मुस्कान बनािटी हो सकती है |िही समय और जस्थनत के अनुसार बदलती रहती है | बच्चे की
मस्
ु कान में ननसछलता रहती है , पर बड़े वयजक्त की मस्
ु कान में हर समय स्िाभाविकता नही होती |

2 कविता में फसल उपजाने के ललए जजन आिश्यक तत्िों की बात कही है । िे है – नददयों के पानी का
जाद ू , करोड़ो हाथों का पररश्रम , लमट्टी के अद्भुत गण
ु , सय
ू श के ककरणें और हिा |

3 मग
ृ तष्ृणा का िाजब्दक अथश है – धोिा या भ्रम, जो न होकर भी होने को प्रकट करता है , िही
मग
ृ तष्ृणा है | कवि ने कविता में सुि सम्पदाओ की प्राजतत से होने िाले मानलसक सि
ु के ललए मग
ृ तष्ृणा
सबद का प्रयोग ककया है | ककसी वयजक्त के पास चाहे अपार भौनतक सि
ु हो, पर उनसे मानलसक सुि
और संतोष प्रातत नहीं ककया जा सकता|
संचयी कक्षा परीक्षा -2
कक्षा दसवी
( यह दं तरुरत मुस्कान/फसल ,छाया मत छू ना )
1 ) ननम्नललखित कावयांि के आधार पर प्रश्नो के उत्तर दीजजए –
यि है या न िैभि है , मान है न सरमाया;
जजतना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभत
ु ा का िरण बबब
ं के िल मग
ृ तष्ृणा है ,
हर चदंद्रका में नछपी एक रात कृ ष्णा है ।
जो है यथाथश कदठन उसका तू कर पज
ू न
छाया मत छू ना
मन, होगा दि
ु दन
ू ा।

1) मग
ृ तष्ृणा से कवि का क्या अलभप्राय है ? 2
2) कवि छाया को न छू ने का आग्रह क्यों कर रहा है ? 2
3) हर चंदद्रका में नछपी एक रात कृ ष्णा है । पंजक्त का तात्पयश स्पष्ट कीजजए ? 2
4) कवि ककसका पज
ू न करने के ललए कह रहा है और क्यों? 2

2 भाि स्पष्ट कीजजए -


(क) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात। 2
(ि) छू गया तम
ु से कक झरने लग पड़े िेफाललका के फू ल बााँस था कक बबल
ू ? 2
(ग) कविता में वयक्त दि
ु के कारणों को स्पष्ट कीजजए। 2
उत्तर संचयी परीक्षा 2
कक्षा दसवी
( यह दं तरुरत मस्
ु कान / फसल ,छाया मत छू ना )
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र संके त ददए गए हैं| इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और
संक्षेपण कीजजए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

1) मग
ृ तष्ृणा से कवि का क्या अलभप्राय है ? 2
मग
ृ तष्ृणा प्रकाि से बनने िाली एक प्राकृ नतक घटना है ; जजसके कारण ककसी को झूठमठ
ू में पानी
ददिाई दे ता है । ऐसा अकसर तपती दोपहरी में रे गगस्तान में होता है । ककसी तयासे पगथक को
लगता है कक दरू कहीं एक निललस्तान है । लेककन जब िह दौड़कर पास जाता है तो िहााँ पर रे त
के लसिा कु छ भी नहीं पाता है । इस कविता में कवि ने मग
ृ तष्ृणा का प्रयोग उस बड़तपन के
अहसास के ललए ककया जो हम अक्सर अपनी उन उपलजब्धयों पर करते हैं जो हमें भत
ू काल में
लमली थीं।

2) कवि छाया को न छू ने का आग्रह क्यों कर रहा है ? 2


‘छायािब्द यहााँ पर भत
ू काल के ललए प्रयक्
ु त हु आ है । जजस तरह से छाया को छू ने या पकड़ने ’
की कोिज ि हमि
े ा वयथश जाती है उसी तरह से भत
ू काल को पकड़ने या छू ने की कोलिि बेकार
जाती है ; क्योंकक दोनों ही लमथ्या हैं।

3) हर चदंद्रका में नछपी एक रात कृ ष्णा है । पंजक्त का तात्पयश स्पष्ट कीजजए ? 2


अपने भत
ू काल की कीनतय
श ों पर ककसी बड़तपन का अहसास ककसी मग
ृ मरीगचका की तरह है । हमें
यह नहीं भूलना चादहए कक हर चाद
ाँ के पीछे एक काली रात नछपी होती है । इसललए भत
ू काल को
भूलकर हमें अपने ितम
श ान की ओर ध्यान दे ना चादहए।

4) कवि ककसका पूजन करने के ललए कह रहा है और क्यों? 2


कवि यथाथश का पजन
ू करने के ललए कह रहा है । कवि का मानना है कक जो बीत गया उसके
बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं होता है । बीता हु आ पल यदद अच्छा हो तो कई लोग उसकी
िि
ु नम
ु ा यादों में अपना समय बबाशद करते हैं। बीता हु आ पल यदद बरुा हो तो कई लोग
उसके बारे में सोच-सोच कर अपना समय बरबाद करते हैं। लेककन इससे कोई फायदा नहीं होता।
उसके बदले यदद हम अपने ितशमान की तरफ ध्यान दें तो हमारा आज भी ठीक रहे गा और
आने िाला कल भी ठीक हो सकता है ।
2
क) कवि ने यहााँ बच्चे की सद
ंु र मस
ु कान की तल
ु ना कमल के फू ल से की है । बच्चे की हाँसी को दे िकर
ऐसा लगता है मानो कमल के फू ल अपना स्थान पररिनतत
श कर तालाब के स्थान पर इस झोंपड़ी में
खिलने लगे हैं। ये फू ल अथात
श ् बच्चे की मस
ु कान दे िने िाले का मन प्रसन्नता से भर जाता है ।
(ि) बच्चे का स्पिश पाकर कोई भी कठोर हृदय जल के समान वपघल जाए। बच्चे के स्पिश से बााँस तथा
बबल
ू जस
ै े काट
ाँ े दार िक्ष
ृ से भी फू ल झरने लगते हैं। उसी प्रकार बच्चे का स्पिश पाकर कवि का भी नीरस
मन प्रफु जल्लत हो जाता है ।

(3)
1) बीती स्मनृतयों का स्मरण - मनष्ुय बीते सि
ु ों के पलों में िोया रहता है । इससे उसके ितम
श ान में
चल रहे सघ
ं षश के क्षणों को काटना दि
ु दाई होता है क्योंकक िह इसकी तल
ु ना अपनी सि
ु द स्मनृतयों से
करता है । जो मनष्ुय के ललए कष्टकारी है और दि
ु का कारण भी।
(2) यि, धन एिं सम्मान की चाह - मनष्ुय अपने जीिन में यि, धन ि सम्मान को पाने के ललए
प्रयत्निील रहता है। यदद िह यह सब प्रातत नहीं कर पाता तो दि
ु ी होकर भटकता रहता है । इन सब की
चाह भी उसके दि
ु का कारण है ।
(3) प्रभत
ु ा की इच्छा - वयजक्त प्रभत
ु ा या बड़तपन में उलझकर स्ियं को दि
ु ी करता है ।
संचयी कक्षा परीक्षा -3
कक्षा दसवी
( यह दं तरुरत मुस्कान/फसल ,छाया मत छू ना )
पदठत कविताओं के आधार पर ददए गए प्रश्नों के उत्तर दीजजए :
1 मुसकान और क्रोध लभन्न लभन्न भाि हैं। इनकी उपजस्थनत से बने िातािरण की लभन्नता का गचत्रण
कीजजए। 2
2 मगृ तष्ृणा' ककसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग ककस अथश में हु आ है ? 2
3 बच्चे की दं तुररत मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाि पड़ता है ? 2
4 बच्चे से कवि की मुलाकात का जो िब्द-गचत्र उपजस्थत हु आ है उसे अपने िब्दों में ललखिए। 2
5 फसल को 'हाथों के स्पिश की गररमा' और 'मदहमा' कहकर कवि क्या वयक्त करना चाहता है ? 2
6 ननम्नललखित कावयांि के आधार पर प्रश्नो के उत्तर दीजजए -
एक के नहीं,
दो के नहीं ,
ढे र सारी नददयो के पानी का जाद ू :
एक के नहीं,
दो के नहीं ,
लाि- लाि कोदट-कोदट हाथो के स्पिश की गररमा :
एक की नहीं ,
दो की नहीं ,
हज़ार- हज़ार िेतो की लमट्टी का गण
ु धम:श

क) नददयों के पानी का जाद ु ककसे और क्यों कहा गया है ?


ि) फसल ककनके स्पिश की गररमा है ?
ग) ‘लमट्टी का गण
ु धमश’ से क्या अलभप्राय है ? ?
उत्तर संचयी कक्षा परीक्षा -3
कक्षा दसवी
( यह दं तरुरत मस्
ु कान / फसल ,छाया मत छू ना )
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त ददए गए ह|ैं इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प पल्लिन और सक्ष
ं प े ण कीजजए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
1
उत्तर 1
मस
ु कान तथा क्रोध मानि स्िभाि के दो अलग-अलग रुप हैं, जो एक दस
ू रे से लभन्न ह।ैं इनसे िातािरण भी
प्रभावित होता है -
(1) मस
ु कान - ननश्छल तथा प्रम
े पण
ू श मस
ु कान ककसी के भी हृदय को मग्ुध कर सकता है , यह ककसी का
भी क्रोध कम करने में सक्षम है तथा यह मन की प्रसन्नता का प्रतीक है ।
(2) क्रोध - क्रोध वयजक्त के मन में चल रहे असंतोष की भािना है । क्रोध में वयजक्त के सोचने समझने की
िजक्त ित्म हो जाती है ।
उत्तर 2 मग
ृ तष्ृणा दो िब्दों से लमलकर बना है मग
ृ ि तष्ृणा। इसका तात्पयश है आि
ाँ ों का भ्रम अथात
श ् जब कोई
चीज़ िास्ति में न होकर भ्रम की जस्थनत बनाए, उसे मग
ृ तष्ृणा कहते ह।ैं इसका प्रयोग कविता में प्रभत
ु ा की िोज
में भटकने के सद
ं भश में हु आ है । इस तष्ृणा में फाँ सकर मनष्ुय दहरन की भानाँत भ्रम में पड़ा हु आ भटकता रहता

उत्तर 3 बच्चे की दं तरुरत मस


ु कान का कवि के मन पर अत्यत
ं गहरा प्रभाि पड़ता है । कवि को बच्चे की मस
ु कान
बहु त मनमोहक लगती है जो मत
ृ िरीर में भी प्राण डाल दे ती है ।

उत्तर 4 कवि बच्चे से जब पहली बार लमलता है तब बच्चा उससे अपररगचत रहता है इसी कारण िह उसे एकटक
दे िता रहता है । बच्चे की मस
ु कान कवि के हृदय को अच्छी लगती है । उसकी मस
ु कान को दे िकर कवि का ननराि
मन िि
ु हो जाता है । उसे ऐसा लगता है जस
ै े कमल के फू ल तालाब को छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल उठे हैं।

उत्तर5 फसल के ललए भले ही पानी, लमट्टी, सरूज की ककरणें तथा हिा जस
ै े तत्िों की आिश्यकता है । परन्तु
मनष्ुय के पररश्रम के बबना ये सभी साधन वयथश ह।ैं यदद मनष्ुय अपने पररश्रम के द्िारा इसे भली प्रकार से नहीं
सींचे तब तक इन सब साधनों की सफलता नहीं होगी। अत: मानि श्रम फसल के ललए सबसे अगधक आिश्यक है ।

उत्तर 6
क) नददयों के पानी का जाद ु ककसे और क्यों कहा गया है?
नददयों के पानी का जाद ु फसल को कहा गया है । नददयों का पानी फसल के ललए जाद ू का काम करता है ,
िही इसे बढ़ाता है, जीिन दे ता है |
ि) फसल ककनके स्पिश की गररमा है ?
फसल लािों कारोड़ों मनष्ुयों के स्पिश की गररमा है |
ग) लमट्टी का गण
ु धमश से क्या अलभप्राय है ?

ु धमश से अलभप्राय है लमट्टी का उपजाऊपन, लमट्टी की कई तरह की वििेषताएाँ ।


लमट्टी का गण
कक्षा संचयी परीक्षा 1
( कृ तिका भाग 2)
कक्षा : दसवीं
पाठ : माता का अंचल , जॉजज पंचम की नाक

नोट :

 3 अंक के प्रश्न का उत्तर 60-70 िब्दों में ललखें


1. लेखक के वपता बच्चों के साथ के ककस प्रकार स्नेह का व्यिहार करते थे ? 3

2. बच्चों कक मााँ बच्चो को पकड़कर क्या-क्या काम परूे करती थी ? 3

3. नाक मान-सम्मान ि प्रततष्ठा का द्योतक है । यह बात परूी व्यग्ंय रचना में


ककस तरह उभरकर आई है ? ललखखए।
3
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त ददए गए हैं। इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प
पल्लिन और संक्षेपण कीजजए
 3 अंक के प्रश्न का उत्तर 60-70 िब्दों में ललखें

उत्तरमाला :
1.लेखक के वपता बचपन में भोलानाथ को अपने पास बाहर कक बठ
ै क में सल
ु ाया
करते थे । लेखक बचपन से उनके अंग लग गया था। वपता बच्चों को सोते से उठाते
थे, नहलाते–धल
ु ाते और भभत
ू का ततलक लगाते। िे बच्चों को प्यार से ‘भोलानाथ’
कहते थे। िे जब रामायण का पाठ करते तब बच्चे उनकी बगल में बठ
ै े आइने में
अपना माँह
ु तनहारा करते थ।े

2. जब कभी बच्चे मााँ की पकड़ में आ जाते तब उनके लाख छटपटाने पर भी मााँ
उनके लसर में चल्
ु लू भर कड़िा तल
े ( सरसों का तेल ) डाल दे ती थी और उस तेल
को लसर में फै लाकर सराबोर कर दे ती थी। चोटी बनाती। उसमे फू लदार लट्टू बाध
ाँ कर
रं गीन कु रता–टोपी पहना दे ती थी।

3. नाक मान-सम्मान ि प्रततष्ठा का द्योतक है । यह बात परूी व्यग्ंय रचना में ककस
तरह उभरकर आई है? ललखखए।

उत्तर: यह परूी रचना नाक के मद्


ु दे पर ही आधाररत है । जाजज पच
ं म की नाक मख्
ु य
मद्
ु दा है जजसके न रहने से महारानी के नाराज होने का खतरा है ।
हु क्मरानों को
लगता है कक दहद
ं स्
ु तान की नाक बचाने के ललए जाजज पच
ं म की नाक का पन ु :तनमाण

जरूरी है। मतूतक
ज ार को लगता है कक दहद
ं स्
ु तान के हर ददिग
ं त नत
े ा की नाक जाजज
पंचम की नाक से बड़ी है । आखखरकार जब ककसी आम आदमी की नाक को काटकर
जाजज पच
ं म की मतूत ज में लगाया जाता है तो सबको लगता है कक परूे दहद
ं स्
ु ता न क ी
नाक कट गई। सभी अखबार इसके साक
ं े ततक विरोध में उस ददन कोई और खबर
नहीं छापते हैं।
कक्षा संचयी परीक्षा
कक्षा : दसवीं
पाठ : जाजज पंचम की नाक एिं साना-साना हाथ जोड़ी

 3 अंक के प्रश्न का उत्तर 60-70 िब्दों में ललखें

1. रानी एललजाबेथ के दरजी की परीक्षा का क्या कारण था? 3


2. नाक मान-सम्मान ि प्रततष्ठा का द्योतक है । यह बात परूी व्यग्ंय रचना में ककस
तरह उभर आई है ? 3
3. खिललमलाते लसतारों कक रौिनी में नहाया गंतोग लेखखका को ककस तरह
सम्मोदहत कर रहा था? 3
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त ददए गए हैं। इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प
पल्लिन और संक्षेपण कीजजए
 3 अंक के प्रश्न का उत्तर 60-70 िब्दों में ददया जाए।
उत्तरमाला :

1. रानी एललज़ाबेथ के दरजी की परे िानी का कारण यह था कक रानी दहद


ं स्
ु तान,
पाककस्तान और नप
े ाल के दौरे पर कब क्या ड्रस
े पहनेंगी ? आखखर रानी ने
एक ऐसे नीले रं ग का सट
ू बनिाया जजसका रे िमी कपड़ा दहद
ं स्
ु तान से माँगाया
गया था।

2. यह पाठ एक व्यंग्य रचना है । नाक का स्थान व्यजक्त के माँह


ु पर सिोपरर
हप्ता है । नाक का होना मान-सम्मान ि प्रततष्ठा का द्योतक (प्रतीक) है ।
जाजज पंचम की नाक काटना उसकी प्रततष्ठा का धल
ू में लमलना है । जाजज पंचम
की प्रततष्ठा के साथ ब्रिदटि साम्राज्य कक प्रततष्ठा जड़
ु ी हु ई अत: दोनों की
प्रततष्ठा पर खतरा है ।

3. खिललमलाते लसतारों की रोिनी में नहाया गंतोग लखेखका को रहस्यमयऔर


जाद ू भरा प्रतीत हो रहा था। लसतारों के गच्
ु छे रोितनयों की एक िालर सी
बना रहे थे। इस िातािरण का जाद ू लेखखका पर छाता चला जा रहा था ।
उसके आस-पास लसफज िन्
ू य था ।
कक्षा संचयी परीक्षा 3
कक्षा : दसवीं
पाठ : 1,2,3

 3 अंक के प्रश्न का उत्तर 60-70 िब्दों में ललखें

1. ‘माता का अंचल’ पाठ के आधार पर भोलानाथ के चररत्र की वििेषताएाँ बताइए। 3

2. जाजज पंचम की नाक लगने िाली खबर के ददन अखबार चप


ु क्यों थे? 3

3. प्रकृ तत ने जल-संचय की व्यिस्था ककस प्रकार की है ? 3

 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक


ं े त ददए गए हैं। इन सक
ं े तों का आिश्यकता अनरू
ु प
पल्लिन और संक्षेपण कीजजए
 3 अंक के प्रश्न का उत्तर 60-70 िब्दों में ललखें
उत्तरमाला :
1. भोलानाथ एक सामान्य बालक है । िह माता-वपता के साथ प्रेम करता है ।
वपता के साथ खेलता है , मााँ के आंचल में दब
ु कता है। िह बच्चों के साथ तरह-
तरह के खेल खेलता है िह कभी-कभी िरारतें भी करता है।

2. जाजज पंचम की नाक लगने िाली खबर के ददन अखबार इसललए चप


ु थे
क्योंकक उन्हें यह सब अच्छा नहीं लग रहा था। िे इसका विरोध चप
ु रहकर
कर रहे थे। यही कारण था कक ककसी स्िागत–समारोह का कोई समाचार और
चचत्र अखबारों में नहीं छपा था।

3. यहााँ के दहम-लिखर जल-स्तंभ के समान है । प्रकृ तत यहााँ सददज यों में बफज के रूप
में जल-सग्र
ं ह कर लत
े ी है और गलमय
ज ों में यही बफज की लिलाएाँ वपघल-वपघल
कर जलधारा का रूप ले लेती है । इस पानी से लोगों की प्यास बि
ु ती है ।
यह जल-सच
ं य की एक अद्भत
ु व्यिस्था है ।
कक्षा संचयी परीक्षा

कक्षा -दसिी

विषय -ह द
ं ी

(पाठ-लखनवी अंदाज़ और मानवीय करुणा की ददव्य चमक,व्याकरण)

 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में हदया जाए

1 लखनिी अंदाज़ पाठ के निाब सा ब िास्ति में पतनिील सामन्ती िगग के


जीते-जागते उद ारण ैं l स्पष्ट कीजजए l (2)

2 फादर बल्
ु के सक
ं ल्प से सन्यासी थे,मन से न ीं -पाठ के आधार पर स्पष्ट
कीजजए l (2)

3 ननम्नललखखत िाक्यों में से क्रियापद छााँट कर ललखखए –

1.एक सफे दपोि सज्जन ब ु त सवुिधा से पालथी मारे बठ


ै े थे l 1

2.निाब सा ब ने संगती के ललए उत्सा न ीं हदखाया l 1

3. अकेले सफ़र का िक्त काटने के ललए ी खीरे खरीदे ोंगे l 1

4. जेब से चाक़ू ननकला l 1

प्रश्न 4.ननम्नललखखत िाक्यों में समच्


ु याबोधक छााँटकर अलग कीजजए –

1 तब भी जब ि इला ाबाद में थे और तब भी जब ि हदल्ली आते थेl 1

2 मााँ ने बचपन में ी घोवषत कर हदया था क्रक लड़का ाथ से गयाl 1

3 िे ररश्ता बनाते थे तो तोड़ते न ीं थेl 1

4 वपता और भाइयों के ललए ब ु त लगाि मन में न ीं था लक्रेकन िो स्मनृत में


अक्सर डू ब जातlे 1
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र सक
ं े त हदए गए ैं| इन सक
ं े तों का आिश्यकता
अनरू
ु प पल्लिन और सक्ष
ं पे ण कीजजए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में हदया जाए

उत्तरमाला-

उत्तर 1- लखनिी अंदाज़ पाठ के निाब सा ब िास्ति में सामत


ं ी िगग के जीती
जागते उदा रण ै l इस िगग में आनि
े ाले व्यजक्त बनािटी जीिन जीते ैं lिे
सामत
ं बनने का हदखािा करते ैं l उनका जीिन िास्तविकता से परे ैं l य ााँ
सामंती िगग ह्रास की ओर जा र ा ैं और दम तोड़ र ा ैं l

उत्तर 2- फादर बल्


ु के सक
ं ल्प से संन्यासी थे ,पर मन से संन्यासी न ीं थे l िे एक
संन्यासी की भााँनत परूे सक
ं ल्प के साथ भारत की सेिा करने आए थे सामान्यतः
संन्यासी के मन में क्रकसी के प्रनत लगाि न ीं ोता l जबक्रक फादर बल्
ु के के
मन में अपने पररचचतों के प्रनत वििेष स्ने था, अपने कायग के प्रनत संकजल्पत थे l

उत्तर-3 1. मारे बैठे थे -सकमगक क्रिया

2. हदखाया -सकमगक क्रिया

3. खरीदे ोंगे – सकमगक क्रिया

4. ननकला -सकमगक क्रिया

उत्तर-4 1. और 2. क्रक 3. तो 4. और ,लेक्रकन


कक्षा संचयी परीक्षा

कक्षा -दसिी

विषय -ह द
ं ी

(पाठ – लखनिी अंदाज़ और मानिीय करुणा की चमक)

प्रश्न -1 ननम्नललखखत गद्यांि को पढ़कर उत्तर ललखखए-

निाब सा ब खीरे की तय
ै ारी और इस्तम
े ाल से थककर लट
े गए। में तसलीम में
लसर खम कर लेना पड़ा |य ै खानदानी त ज़ीब, नफ़ासत और नज़ाकत!

म गौर कर र े थे, खीरा इस्तम


े ाल करने के इस तरीके को खीरे की सग
ु ं ध और
स्िाद की कल्पना से सत
ं ष्ुट ोने का सक्ष्
ू म, नफ़ीसया एबस्रक्ट तरीका ज़रूर क ा
जा सकता ै

परं तु क्या ऐसे तरीके से उदर की तप्ृतत भी ो सकती ै?

निाब सा ब की ओर से भरे पट
े के ऊँ चे डकार का िब्द सन
ु ाई हदया और निाब
सा ब ने मारी ओर दे खकर क हदया, ‘खीरा लज़ीज़ ोता ै लेककन ोता ै
सकील, नामरुाद मद
े े पर बोझ डाल दे ता ै ।’

ज्ञान-चक्षु खल
ु गए! प चाना ये ैं नयी क ानी के लख
े क!

क. निाब सा ब थक कर क्यों लेट गए थे? 2

ख. लेखक खीरा इस्तेमाल करने के कौन –से तरीके पर गौर कर र े थे? 2

ग. लेखक के ज्ञान चक्षु कै से खल


ु गए? 2

प्रश्न 2 फादर बल्


ु के के व्यप्क्तत्ि का कौन-सा प लू आपको सिाधाधक प्रभावित
करता ैं और क्यों? 2

प्रश्न 3 - मानिीय करुणा की हदव्या चमक पथ से में क्या प्ररेणा लमलती ैं? 2
उत्तरमाला –

प्रश्न-1

क. निाब सा ब थक कर क्यों लेट गए थे?

निाब सा ब ने बड़े यत्न से खीरे को धोया,पोंछा,उसकी फाक


ं ें बनाकर नमक, लमचा,
नछड़का और उसे खाने योग्य बनाया | इस सप
ं ण
ू ा प्रकिया में िे थक गए और लेट
गए|

ख. लेखक खीरा इस्तेमाल करने के कौन –से तरीके पर गौर कर र े थे?

लेखक खीरा इस्तम


े ाल करने के तरीके को खीरे की सग
ु ंध और स्िाद की कल्पना
से सत
ं ष्ुट ोने के सक्ष्
ू म, नफ़ीसया अमत
ू ा तरीके पर गौर कर र े थे|

ग. लेखक के ज्ञान चक्षु कै से खल


ु गए?

लख
े क के ज्ञान चक्षु य दे खकर खल
ु गए कक जब के िल सँघ
ू कर और दे खकर पट

की तप्ृतत ो सकती ै तो कफर बबना विचार, घटना और पात्र के क ानी क्यों न ीं
ललखी जा सकती ै।

4 निाब सा ब ने ब ु त सािधानी के साथ खीरों को छीलकर फाको में काटा और


तौललए पर सजाया l

उत्तर 2 फादर बल्


ु के के व्यप्क्तत्ि के अनक
े प लू ैं l िे ह द
ं ी प्रेमी थे l उनका
िात्सल्य एिं करुणापण
ू ा स्िाभाि था l िे विदे िी ोते ु ए भी भारतीय सस्
ं कृ नत में
रच-बस गए थे l िे सच्चे अथो में संन्यासी थे l

उत्तर 3 इस पाठ से में य प्ररेणा लमलती ैं कक मे मानितािादी दृप्ष्टकोण


अपनाना चाह ए l विश्ि में सभी मनष्ुय बराबर ैं l सभी के साथ करुणापण
ू ा
व्यि ार करो l अपनी भाषा पर गिा करना सीखो l दस
ू रों के सख
ु -दुःुख के साथी
बनो l मानिीय करुणा सिोपरर ैं l
कक्षा संचयी परीक्षा

कक्षा -दसिी

विषय -ह द
ं ी

प्रश्न -1 लेखक को निाब सा ब के ककन ाि भािों से म सस


ू ु आ कक िे उनसे
बातचीत करने के ललए तननक भी उत्सक
ु न ीं ैं ? (2)

प्रश्न-2 आपके विचार से बल्


ु के ने भारत आने का मन क्यों बनाया ोगा? (2)

प्रश्न-3 आिय स्पष्ट कीजिए - (2)

नम आख
ँ ों को गगनना स्या ी फै लाना ैं l

प्रश्न-4 लख
े क के अनस
ु ार निाब सा ब ने सक
े ं ड क्लास का हटके ट क्यों ख़रीदा? (2)

________________________________________________________
उत्तरमाला –

उत्तर-1 लख
े क के अचानक डडब्बे में कू द पड़ने से निाब सा ब की आख
ँ ों में एकात

गचत
ं न में खलल पढ़ िाने का असत
ं ोष हदखाई l ट्रे न में लख
े क के साथ बातचीत
करने के ललए निाब सा ब ने कोई उत्सा न ीं प्रकट ककया l इससे लेखक को स्ियं
के प्रनत निाब सा ब की उदासीनता का आभास ु आ l

उत्तर-2 मारे विचार से फादर बल्


ु के ने भारत के प्राचीन एिं गौरिपण
ू ण इनत ास तथा
य ाँ कक सभ्यता-सस्
ं कृ नत ,िीिन दिन
ण ,सत्य,अह स
ं ा,प्रेम,धमण,त्याग तथा ऋवष मनुनयों
से प्रभावित ोकर ी भारत आने का मन बनाया ोगा l

उत्तर-3 प्रस्तत
ु पजंक्त का आिय ैं कक फादर बल्
ु के कक मत्ृयु पर ि ां उपजस्थत नाम
आँखों िाले व्यजक्तयों के नामों का उल्लख
े करना लसफण स्या ी को बबाद
ण करना ैं l
आंसू ब ाने िालो की संख्या अनगननत ैं l

उत्तर-4 निाब सा ब ने बबलकु ल अके ले यात्रा करने के ललए और ककफायत करने के


विचार से सेकंड क्लास का हटकट ख़रीदा l उन् ें य उम्मीद न थी कक उस डडब्बे में
अन्य कोई सफेदपोि व्यजक्त भी ोगl
संचयी परीक्षा -1 (पाठ -8)
कन्यादान
नोट :
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

प्रश्न 1 – ‘आग रोदटयााँ सेंकने के ललए है , जलने के ललए नहीं’


इन पंक्तियोँ मे समाज में स्री की ककस क्स्थति की ओर संकेि ककया गया है ?
प्रश्न 2 – मााँ ने बेटी को तया-तया सीख दी ?
प्रश्न 3 – ‘पादठका थी िह धध
ाँ ले प्रकाि की
कछ िकों और लयबद्ध पक्ंतियोँ की’
इन पंक्तियोँ को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है , उसे िब्दबद्ध
कीक्जए।

प्रश्न 4 नीचे ददए गए कावयांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीक्जए.


ककिना प्रमाणणक था उसका दख
लड़की को दान दे िे िति
जस
ै े िही उसके अतंिम पज
ं ी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इिनी भोली सरल थी
कक उसे सख का आभास िो था
लेककन दख बांटना नहीं आिा था
पादठका थी िह धध
ं ले प्रकाि की कछ िको और कछ लयबद्ध पक्ंतियों की

1. मााँ के दख को प्रमाणणक तयों कहा गया है ?


2. मााँ को अपनी बट
े ी अतंिम पज
ं ी तयों लग रही थी ?
3. दख बांचना से तया अलभप्राय है ?
नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के मार संके ि ददए गए हैं| इन सक
ं े िों का आिश्यकिा अनरूप पल्लिन और
संक्षेपण कीक्जए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
सम्भावित उत्तर –
1. इन पंक्तियोँ में समाज में स्री की उस क्स्थति की ओर संकेि ककया गया है , जब लड़की को
दहे ज के ललए जलाकर मार ददया जािाहै । आग रोटी सेंकने के ललए होिी है , जलने के ललए नहीं।
कई बार लड़ककयााँ इिनी पीड़ड़ि और दखी हो जािी हैं कक िे स्ियं को आग लगाकर आत्महत्या
िक कर लेिी हैं ।

2. मााँ ने बेटी को तनम्नललणखि सीख दी –


क) आदिशिादी बह, पत्नी, मााँ िथा तनरीह नारी के स्थान पर यथाथशिादी बने ।
ख) अपने रूप-सौंदयश पर कभी घमंड न करे ।
ग) आग रोटी सेंकने के ललए होिी है , जलने के ललए नहीं ।

3. क) िह आदिशिादी है िथा जीिन की सच्चाइयों से अनजान है ।


ख) िह अभी कम उम्र की पढ़ने िाली छारा ही है ।
ग) िह अपने भािी जीिन की कल्पनाओं में खोई हई है िथा िास्िविकिा से अपररचचि है ।

4.
1). प्रमाणणक का अथश है प्रमाण द्िारा लसद्ध सत्य। बेटी का कन्यादान मााँ के ललए पीड़ादायक
होिा है तयोंकक मााँ स्ियं घर छोड़ कर आई थी इसललए इस ददश को समझिी है बेटी मााँ के
सख-दख की साथी होिी है ।
2.) मााँ बट
े ी के सबसे तनकट िह सख दख की सच्ची साथी है । मााँ उसे गढ़ने में अपना सारा
जीिन अपनी ममिा ि िक्ति लगा दे िी है । स्री जीिन से जड़ी समस्याओं पर िह बट
े ी
से बािचीि कर सकिी है । इसललए मााँ को अपनी बट
े ी अतंिम पज
ं ी लग रही थी|
3). दख बााँटना से अलभप्राय है जीिन में लमले दखों को समझ पाना उन पहलओं को
समझ पाना जो जीिन में पीड़ा प्रदान करिे हैं
संचयी परीक्षा-2 (पाठ -9)
संगतकार
नोट :
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

प्रश्न 1. संगिकार के माध्यम से कवि ककस प्रकार के वयक्तियों की ओर संकेि करना चाह रहा है ?
प्रश्न 2. संगिकार ककन-ककन रूपों में मख्य गायक- गातयकाओं की मदद करिे हैं ?
प्रश्न 3. भाि स्पष्ट कीक्जए –
और उसकी आिाज में जो एक दहचक साफ सनाई दे िी है
या अपने स्िर को ऊाँचा न उठाने की कोलिि है
उसे विफलिा नहीं
उसकी मनष्यिा समझा जाना चादहए ।
प्रश्न 4 नीचे ददए गए कावयांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीक्जए.
मख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्िर का साथ दे िी
उसकी आिाज सद
ं र कमजोर कांपिी हई थी
िह मख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका लिष्य
य ा पद
ै ल चलकर सीखने आने िाला दर का कोई ररश्िद
े ार
मख्य गायक की गरज में
िह अपनी गज
ं लमलािा आया है प्राचीन काल से
1. मख्य गायक के गायन की तया वििेषिा होिी है ?
2. संगिकार की भलमका ककस प्रकार के होिी है ?
3. सग
ं िकार की आिाज सद
ं र होिे हए भी कमजोर और काप
ं िी हई तयों लगिी है ?
नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के मार सक
ं े ि ददए गए ह|ैं इन सक
ं े िों का आिश्यकिा अनरूप पल्लिन और सक्ष
ं प े ण
कीक्जए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए
सम्भावित उत्तर –
1. संगिकार के माध्यम से कवि ऐसे वयक्तियों की ओर संकेि करना चाह रहा है जो महान और
सफल वयक्तियों की सफलिा में पदे के पीछे रहकर अपना योगदान दे िे हैं जस
ै े मख्य गायक
के साथ गायन दे ने िाले या िाद्य यंर बजाने िाले कलाकार ।
2. सग
ं िकार विलभन्न रूपों में मख्य गायक- गातयकाओं की मदद करिे हैं जैसे-
क) िे मख्य गायक की भारी आिाज में अपनी सद
ं र और कमजोर आिाज की गज
ं लमलाकर
गायन को प्रभािपणश बना दे िे ।
ख) गायक जब अंिरे के जदटल जंगल में खो जािे िो संगिकार ही स्थायी भाि को संभाले
रखकर उनकी मदद करिे हैं ।
ग) सग
ं िकार मख्य गायक के स्िर से अपना स्िर ऊाँ चा न करके उसकी सफलिा मे बाधक
नही बनिे ।
3. इन पंक्तियोँ का भाि यह है कक सग
ं िकार जानबझकर अपने स्िर को मख्य गायक के स्िर से
ऊाँचा नहीं होने दे िे । यह संगिकार द्िारा अपनी प्रतिभा का त्याग है जो योग्यिा और सामर्थयश
होने पर भी मख्य गायक की सफलिा में बाधक नहीं बनना चाहिा। यह त्याग का एक अनठा
उदाहरण है ।
4. 1) मख्य गायक का स्िर अत्यि
ं आत्मविश्िास से भरा हआ िथा चट्टान के समान भारी ि
प्रभाििाली होिा है l
2.) जब कभी गायक अि
ं र गािे हए लब
ं ी-लंबी िानों के जंगल में उलझ जािा है अथाशि गीि
के असीमानद
ं में डब जािा है िब सग
ं िकार ही गीि के चरणों से उसे स्थाई रूप में लाकर
मख्य गायक के स्िर को बल प्रदान करिा है l
3.) क्जस मख्य गायक के स्िर में िह स्िर लमलाने जा रहा है िह प्रलसद्ध है गायन कला में
तनपण है मख्य गायक के समक्ष अपनी लघिा का बोध ही उसमें हीन भािना ले आिा है
क्जसके कारण उसका स्िर कमजोर काप
ं िा हआ हो जािा है l
संचयी परीक्षा – 3
पाठ – 9 ,10
कन्यादान , संगतकार
नोट :
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

प्रश्न 1 मााँ को अपनी बेटी अतंिम पज


ं ी तयों लग रही थी ?
प्रश्न 2 सफलिा के चरम लिखर पर पहाँचने के दौरान यदद वयक्ति लड़खड़ािे हैं िब उसे सहयोगी
ककस िरह संभालिे हैं ?
प्रश्न 3 कभी-कभी िारसप्िक की ऊाँ चाई पर पहाँ चकर मख्य गायक का स्िर बबखरिा नजर आिा है |
उस समय संगिकार उसे बबखरने से बचा लेिा है | इस कथन के आलोक में संगिकार की वििेष
भलमका को सपष्ट कीक्जए |
प्रश्न 4. नीचे ददए गए कावयांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीक्जए

मााँ ने कहा पानी में झांककर


अपने चेहरे पर मि भेजना रीझना
आग रोदटयां सेकने के ललए नहीं है
जलने के ललए नहीं
िस्र और आभषण िाक्ब्दक भ्रम की िरह
बंधन है स्री जीिन के
मााँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी ददखाई मि दे ना
1. मााँ ने बेटी को अपने चेहरे पर भेजने से मना तयों ककया?
2.मााँ ने स्री जीिन के बंधन ककन्हे कहा है ?
3.मााँ ने ऐसा तयों कहा है कक लड़की होने पर लड़की जैसी मि ददखाई दे ना?
प्रश्न 5. रचना के आधार पर िातय भेद बिाइए-
1.लड़की को दान में दे िे हैं
2. यदद मााँ बस बस लड़की को दान में दे दे िी िो उसके अतंिम पजा नहीं बचिी.
3. लमचिि िातय का एक उदाहरण ललणखए.

प्रश्न 6 - नीचे ददए गए िातयों में रे खांककि िब्दों का पद पररचय ललणखए-


1. संगिकार मख्य गायक की मदद करिा है
2. िह आिाज सद
ं र और काप
ं िी हई थी

नोट :
 प्रश्नों के उत्तर के मार संकेि ददए गए हैं| इन संकेिों का आिश्यकिा अनरूप पल्लिन और संक्षेपण
कीक्जए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 िब्दों में ददया जाए

सम्भावित उत्तर –
1. मााँ को अपनी परी ‘अतंिम पज
ं ी ` लग रही थी तयोंकक –
क) मााँ के सबसे तनकट िथा दख ददश की सच्ची साथी होिी है
ख) स्री जीिन से जड़ी समस्याओं पर िह बट
े ी के साथ ही बािचीि कर सकिी है .
ग) वििाह से पहले िह अपनी मााँ से सख दख बांट दी थी ककं ि अब बेटी से बांटिी है .
अिः बेटी का जाना मााँ के ललए अतंिम पज
ं ी है .
2. ककसी वयक्ति को उनके सहयोगी परी सहानभति और प्रेम से सहारा दे िे हैं. िे सदा उनके साथ
रहकर उनकी योग्यिाओं की चचाश करके उसके मन में उत्साह का संचार करिे हैं. उसे तनरं िर आगे
बढ़ने की प्रेरणा दे िे हैं. अपनी ओर से हर प्रकार की सहायिा प्रदान करिे हैं और ऐसा करके यह जिा
दे िे हैं कक िह अकेला नहीं है .
3. िार सप्िक की ऊं चाइयों पर पहं चकर जब मख्य गायक का स्िर बबखरिा नजर आिा है िब
संगिकार अपने स्िर से उसके बबखरिे स्िर को सहारा दे कर उसे ढांढस बंधा िा है कक िह अकेला नहीं
है . िह स्ियं भी अनेक बार राग गाकर िार सप्िक की इन ऊंचाइयों को छ चका है . अब िह कफर से
ऐसा कर सकिा है . यह सहारा दे कर िह उसके सर से सर लमलाकर उसके डबिे आत्मविश्िास को
बचािा है और सच्ची लमरिा का उदाहरण दे िा है .
4. 1) ससराल िाले नििध के सौंदयश की प्रिस
ं ा करके उसे अपने ििीभि कर लेिे हैं l अपने
भोलेपन के कारण बच्ची उन्हें सच मानकर उन पर विश्िास कर लेिी हैं l यहीं से उसके िोषण का
दौर िरू हो जािा है l इसललए मााँ ने बेटी को अपने सौंदयश पर भेजने के ललए मना ककया है l
2.) िस्र ि आभषण स्री जीिन के बध
ं न है मााँ कहिी है कक बेटी इन के बंधन में फंस कर अपना
अक्स्ित्ि मि भल जाना l
3.) मााँ चाहिी है कक बट
े ी में लड़ककयों िाले सभी गण हैं परं ि िह कायर अत्याचधक सहनिील और
िारीररक रूप से कमजोर नए बने िह आिीिाद
श ी बह पत्नी मााँ के साथ-साथ यथाथशिादी भी बने l
5. 1.) सरल िातय
2) सय
ं ति िातय
3) अध्यापक अपने वििेक से जांच करे |
6. 1) वयक्तििाचक , एकिचन , कत्ताशकारक
2) पक्ल्लग
ं , एकिचन ,गणिाचक वििष
े ण
संचयी परीक्षा
एक कहानी यह भी , नौबत खाने में इबादत
1

2 अंक के प्रश्नों का उत्तर 30-40 िब्दों में दीजिए

गद्यांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

क. िहनाई के इसी मंगलध्िनन के नायक बबजस्मल्ला खााँ साहब अस्सी बरस से सरु माग
ाँ रहे हैं। सच्चे सरु की

नेमत। अस्सी बरस की पााँचों ित त िाली नमाज़ इसी सरु को पाने की प्राथथना में खचथ हो िाती है । लाखों सज़दे , इसी एक

सच्चे सरु की इबादत में खुदा के आगे झक


ु ते हैं। िे नमाज़ के बाद सज़दे में गगड़गगड़ाते हैं- ‘मेरे माललक एक सरु बख्ि

ाँ ू ननकल आएाँ।’ उनको यकीन है , कभी खद


दे । सरु में िह तासीर पैदा कर कक आाँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आस ु ा

यूाँ ही उन पर मेहरबान होगा और अपनी झोली से सरु का फल ननकालकर उनकी ओर उछालेगा, कफर कहे गा, ले िा

अमीरुद्दीन इसको खा ले और कर ले अपनी मरुाद परूी।

क. मंगल ध्िनन ककसे कहा गया है और इसके नायक कौन हैं? 2

ख. बबजस्मल्ला खााँ खुदा से त या मााँगते हैं और त यों? 2

ग. बबजस्मल्ला खााँ को त या यकीन था? 2

ख. ु े उनका गौरि-गान करना है , बजल्क मैं तो यह दे खना चाहती हू ाँ


पर यह वपत-ृगाथा मैं इसललए नहीं गा रही कक मझ

कक उनके व्यजत तत्ि की कौन-सी खूबी और खालमयााँ मेरे व्यजत तत्ि के ताने-बाने में गाँुथी हु ई हैं या कक अनिाने-अनचाहे
ककए उनके व्यिहार ने मेरे भीतर ककन ग्रगंथयों को िन्म दे ददया। मैं काली हू ाँ। बचपन में दब
ु ली और मररयल भी थी।
गोरा रं ग वपता िी की कमिोरी थी सो बचपन में मुझसे दो साल बड़ी, खूब गोरी, स्िस्थ और हाँसमख
ु ब दह न स ि
ु ीला से

हर बात में तुलना और कफर उसकी प्रिंसा ने ही, त या मेरे भीतर ऐसे गहरे हीन-भाि की ग्रंगथ पैदा नहीं कर दी कक नाम,

ू आि तक मैं उससे उबर नहीं पाई? आि भी पररचय करिाते समय िब कोई कु छ


सम्मान और प्रनतष्ठा पाने के बाििद

वििेषता लगाकर मेरी लेखकीय उपलजब्ियों का जज़क्र करने लगता है तो मैं संकोच से लसमट ही नहीं िाती बजल्क गड़ने-
गड़ने को हो आती हू ाँ।

क. लेखखका अपने वपता के बारे में त यों बताना चाहती है ?

ख. लेखखका के वपता िी की त या कमिोरी थी और उसका त या पररणाम ननकला ?

ग. नाम, सम्मान और प्रनतष्ठा पाने के ू लेखखका आि तक ककससे उबर नहीं पाई?


बाििद
संचयी परीक्षा
एक कहानी यह भी, नौबत खाने में इबादत
2

2 अंक के प्रश्नों का उत्तर 30-40 िब्दों में दीजिए

ददए गए प्रश्नों के उत्तर पढ़े गए पाठों के आिार पर दीजिए

 िहनाई की दनुनया में डु मराि


ाँ को त यों याद ककया िाता है ? ‘नौबत खाने में इबादत’ पाठ के आिार
पर बताइए| 2
 बबजस्मल्ला खााँ को िहनाई की मंगलध्िनन का नायक त यों कहा गया है ? ‘नौबत खाने में इबादत’
पाठ के आिार पर बताइए| 2
 सवुषर िाद्यों से त या अलभप्राय है ? िहनाई को ‘सवुषर िाद्यों में िाह’ की उपागि त यों दी गई
होगी? ‘नौबत खाने में इबादत’ पाठ के आिार पर बताइए| 2
 लेखखका के व्यजत तत्ि पर ककन-ककन व्यजत तयों का ककस रूप में प्रभाि पड़ा? ‘एक कहानी यह भी’

पाठ के आिार पर बताइए | 2

 इस आत्मकथ्य में लेखखका के वपता ने रसोई को ‘भदटयारखाना’ कहकर त यों संबोगित ककया है ?

‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आिार पर बताइए | 2

 िह कौन सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखखका को न अपनी आाँखों पर विश्िास हो पाया

और न अपने कानों पर? ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आिार पर बताइए | 2


संचयी परीक्षा
एक कहानी यह भी, नौबत खाने में इबादत
3

2 अंक के प्रश्नों का उत्तर 30-40 िब्दों में दीजिए

 ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आिार पर लेखखका की अपने वपता से िैचाररक टकराहट को अपने

िब्दों में ललखखए। 2

 ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आिार पर स्िािीनता आंदोलन के पररदृश्य का गचत्रण करते हु ए

उसमें मन्नू िी की भलूमका को रे खाकंकत कीजिए। 2

 मनष्ुय के िीिन में आस-पड़ोस का बहु त महत्ि होता है । परं तु महानगरों में रहने िाले लोग प्राय:

‘पड़ोस कल्चर’ से िंगचत रह िाते हैं। इस बारे में अपने विचार ललखखए। 2

 पाठ में आए ककन प्रसंगों के आिार पर आप कह सकते हैं कक 2


क. बबजस्मल्ला खााँ लमली-िल
ु ी सस्
ं कृ नत के प्रतीक थ।े
ख. िे िास्तविक अथों में एक सच्चे इनसान थे।
 बबजस्मल्ला खााँ के िीिन से िुड़ी उन घटनाओं और व्यजत तयों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत
सािना को समद्
ृ ि ककया? 2

 मह
ु रथ म से बबजस्मल्ला खााँ के िुड़ाि को अपने िब्दों में ललखखए। 2
 बबजस्मल्ला खााँ कला के अनन्य उपासक थे, तकथ सदहत उत्तर दीजिए। 2
कक्षा संचयी परीक्षा

कक्षा -दसवी

ववषय -ह द
ं ी

(पाठ-लखनवी अंदाज़ और मानवीय करुणा की ददव्य चमक,व्याकरण)

 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 शब्दों में हदया जाए

1 लखनवी अंदाज़ पाठ के नवाब सा ब वास्तव में पतनशील सामन्ती वर्ग के


जीते-जार्ते उद ारण ैं l स्पष्ट कीजजए l (2)

2 फादर बल्
ु के संकल्प से सन्यासी थे,मन से न ीं -पाठ के आधार पर स्पष्ट
कीजजए l (2)

3 ननम्नललखखत वाक्यों में से क्रियापद छााँट कर ललखखए –

1.एक सफेदपोश सज्जन ब ु त सवु वधा से पालथी मारे बैठे थे l 1

2.नवाब सा ब ने संर्ती के ललए उत्सा न ीं हदखाया l 1

3. अकेले सफ़र का वक्त काटने के ललए ी खीरे खरीदे ोंर्े l 1

4. जेब से चाक़ू ननकला l 1

प्रश्न 4.ननम्नललखखत वाक्यों में समच्


ु याबोधक छााँटकर अलर् कीजजए –

1 तब भी जब व इला ाबाद में थे और तब भी जब व हदल्ली आते थेl 1

2 मााँ ने बचपन में ी घोवषत कर हदया था क्रक लड़का ाथ से र्याl 1

3 वे ररश्ता बनाते थे तो तोड़ते न ीं थेl 1

4 वपता और भाइयों के ललए ब ु त लर्ाव मन में न ीं था लेक्रकन वो स्मनृ त में


अक्सर डूब जातेl 1
 प्रश्नों के उत्तर के मात्र संकेत हदए र्ए ैं| इन संकेतों का आवश्यकता
अनरू
ु प पल्लवन और संक्षेपण कीजजए
 2 अंक के प्रश्न का उत्तर 30-40 शब्दों में हदया जाए

उत्तरमाला-

उत्तर 1- लखनवी अंदाज़ पाठ के नवाब सा ब वास्तव में सामंती वर्ग के जीती
जार्ते उदा रण ै l इस वर्ग में आनेवाले व्यजक्त बनावटी जीवन जीते ैं lवे
सामंत बनने का हदखावा करते ैं l उनका जीवन वास्तववकता से परे ैं l य ााँ
सामंती वर्ग ह्रास की ओर जा र ा ैं और दम तोड़ र ा ैं l

उत्तर 2- फादर बल्


ु के संकल्प से संन्यासी थे ,पर मन से संन्यासी न ीं थे l वे एक
संन्यासी की भााँनत परू े संकल्प के साथ भारत की सेवा करने आए थे सामान्यतः
संन्यासी के मन में क्रकसी के प्रनत लर्ाव न ीं ोता l जबक्रक फादर बल्
ु के के
मन में अपने पररचचतों के प्रनत ववशेष स्ने था, अपने कायग के प्रनत संकजल्पत थे l

उत्तर-3 1. मारे बैठे थे -सकमगक क्रिया

2. हदखाया -सकमगक क्रिया

3. खरीदे ोंर्े – सकमगक क्रिया

4. ननकला -सकमगक क्रिया

उत्तर-4 1. और 2. क्रक 3. तो 4. और ,लेक्रकन


कक्षा संचयी परीक्षा

कक्षा -दसिी

विषय -ह द
ं ी

प्रश्न -1 लेखक को निाब सा ब के ककन ाि भािों से म सस


ू ु आ कक िे उनसे
बातचीत करने के ललए तननक भी उत्सक
ु न ीं ैं ? (2)

प्रश्न-2 आपके विचार से बल्


ु के ने भारत आने का मन क्यों बनाया ोगा? (2)

प्रश्न-3 आिय स्पष्ट कीजिए - (2)

नम आख
ँ ों को गगनना स्या ी फै लाना ैं l

प्रश्न-4 लख
े क के अनस
ु ार निाब सा ब ने सक
े ं ड क्लास का हटके ट क्यों ख़रीदा? (2)

________________________________________________________
उत्तरमाला –

उत्तर-1 लख
े क के अचानक डडब्बे में कू द पड़ने से निाब सा ब की आख
ँ ों में एकात

गचत
ं न में खलल पढ़ िाने का असत
ं ोष हदखाई l ट्रे न में लख
े क के साथ बातचीत
करने के ललए निाब सा ब ने कोई उत्सा न ीं प्रकट ककया l इससे लेखक को स्ियं
के प्रनत निाब सा ब की उदासीनता का आभास ु आ l

उत्तर-2 मारे विचार से फादर बल्


ु के ने भारत के प्राचीन एिं गौरिपण
ू ण इनत ास तथा
य ाँ कक सभ्यता-सस्
ं कृ नत ,िीिन दिन
ण ,सत्य,अह स
ं ा,प्रेम,धमण,त्याग तथा ऋवष मनुनयों
से प्रभावित ोकर ी भारत आने का मन बनाया ोगा l

उत्तर-3 प्रस्तत
ु पजंक्त का आिय ैं कक फादर बल्
ु के कक मत्ृयु पर ि ां उपजस्थत नाम
आँखों िाले व्यजक्तयों के नामों का उल्लख
े करना लसफण स्या ी को बबाद
ण करना ैं l
आंसू ब ाने िालो की सख्
ं या अनगननत ैं l

उत्तर-4 निाब सा ब ने बबलकु ल अके ले यात्रा करने के ललए और ककफायत करने के


विचार से सेकंड क्लास का हटकट ख़रीदा l उन् ें य उम्मीद न थी कक उस डडब्बे में
अन्य कोई सफेदपोि व्यजक्त भी ोगl
समेकित संचयी परीक्षा 1

1 ननम्नललखित गद्यांि को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 10

‘आत्म दीपो भिः’ महात्मा बध्


ु द के इस कथन में सित
व ोमि
ु ी प्रनतभा
का बीि ननहहत है । दभ
ु ाग्वयिि आि ऐसे दीपकों तथा उनके प्रकाि-स्तंभों का
अभाि है । आि का अध्यापक बबिरी दनुनया की िानकारी दे ता है , जिसमें आकांक्षा,
आस्था, प्रेरणा, दरूदलित
व ा, वििेकिीलता आहद तत्ि नहीं होते । मागवदिवन का
तात्पयव उस रीनत-नीनत को अपनाए िाने से होता है , जिसके आधार पर क्या, क्यों,
ककसललए और कैसे करना है ?– िैसे प्रश्नों का समािेि हो । मात्र पुस्तकीय ्ान
लिक्षा नहीं है । संसार, मनष्ुय और उसके आधधभौनतक एिं आध्याजत्मक, दोनों प्रकार
के समस्त कियाकलापों में सामंिस्य बैठा पाने की कला उत्पन्न करने में ही लिक्षा
की साथवकता है । लिक्षा का उद्दे श्य चररत्र का ननमावण है , जिसमें प्रयत्न मात्र
्ान-िद्
ृ धध के ललए नहीं, अवपतु धचत
ं न की प्रिनृत के विकास के ललए ककया िाना
आिश्यक है । विचारों के मथ
ं न से ही बद्
ु धध में वििक
े और विश्िास उत्पन्न होता
है और हम अपने दीपक स्ियं बनकर िीिन को साथवकता प्रदान करते हैं ।

क) आि का अध्यापक कौन-सी िानकारी दे ता है ? 2

ख) लिक्षा की साथवकता ककसमें है ? 2

ग) लिक्षा का उद्दे श्य क्या है ? 2

घ) विचारों के मंथन से क्या होता है ? 2

ङ) `साथवकता’ िब्द से मूल िब्द और प्रत्यय पथ


ृ क कीजिए । 1

च) विचारों के मंथन से क्या उत्पन्न होता है ? 1

छ)
समेकित संचयी परीक्षा 2

1) ननम्नललखित प्रश्नों के उत्तर ननदे िानस


ु ार दीजिए

क) वपतािी ने मुझे पढ़ाकर सन


े ा में भती कराया। (सय
ं क्
ु त िाक्य में पररिनतत
व करें ) 1

ि) िेर दे िते ही सब डर गए ।(रचना की दृजष्ि से िाक्य का भेद बताएं) 1

ग) बालक रोता रहा और चप


ु हो ग या | (सरल िाक्य में पररिनतवत करें ) 1

घ) त म
ु महान हो क्योंकक सच बोलते हो |(लमश्र िाक्य में पररिनतवत करें ) 1

2) ननम्नललखित प्रश्नों मे से ककन्ही चार के उत्तर दें ।

क) िह फु िबाल नहीं िल
े ता । (कमविाच्य में बदललए) 1

ि) मैं इस तरह बैठ नहीं सकता । (भाििाच्य में बदललए) 1

ग) सुनीता विललयम्स द्िारा उद्घािन ककया गया।(कति


वृ ाच्य में बदललए) 1

घ) बहु त-से लोगों द्िारा कायविम की सराहना की गई।(कति


वृ ाच्य में बदललए) 1

ङ) मैंने पत्र नहीं ललिा | (भाििाच्य में बदललए) 1

3) ननम्नललखित िाक्यों में रे िांककत पदों का पद पररचय ललखिए

क) िाबाि! तम
ु ने बहु त अच्छा कायव ककया । 1

ि) उस लड़के ने दो पत्र ललिे । 1

ग) रक्षक्षता घर गई । 1

घ) यह छाता मेरी छोिी बहन का है , इसललए मैं इसे तम्


ु हें नहीं दे सकती । 1

ङ) `िह प्रातः काल तेज़ चाल से चलता है | 1

4) ननम्नललखित प्रश्नों मे से ककन्ही चार के उत्तर दीजिए:

क) िोक ककस रस का स्थायी भाि है ? 1

ि) ननम्न काव्य-पंजक्तयों में कौन-सा रस ननहहत है ? 1

“मैं तो धगरधर के संग िाऊँ ।


धगरधर मरेो साच
ँ ो प्रीतम दे ित रूप लुभाऊँ ।।“
ग) संचारी भाि से क्या समझते हैं? 1

घ) हास्य रस का एक उदाहरण दीजिए । 1

ङ) घण
ृ ा ककस रस का स्थायी भाि है ? 1
समेकित संचयी परीक्षा 3

1) ननम्नललखित गद्यांि को पढ़कर संबजन्धत प्रश्नों के उत्तर दें । (6)

ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की परुानी आदत है । निाब साहब


की असवुिधा और सक
ं ोच के कारण का अनम
ु ान करने लगे । सभ
ं ि है , निाब
साहब ने बबलकु ल अके ले यात्रा कर सकने के अनुमान में ककफ़ायत के विचार से
सेकंड क्लास का हिकि िरीद ललया हो और अब गिारा न हो कक िहर का कोई
सफ़ेदपोि में उन्हें मँझले दिे में सफ़र करता दे िे । --अकेले सफ़र का िक्त
कािने के ललए ही िीरे िरीदे होंगे और अब ककसी सफ़ेदपोि के सामने िीरा
कैसे िाएँ?

क) निाब साहब ने िक्त कािने के ललए क्या िरीदा? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)

ि) निाब साहब ककस संकोच में पड़ गए? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)

ग) निाब साहब को कौन-सी बात िंच नहीं रही थी? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)

2) ननम्नललखित प्रश्नों में से ककन्ही चार प्रश्नों के उत्तर 30 से 40 िब्दों में


दीजिए:-

क) सन
े ा से कोई सब
ं ध
ं नहीं होने के बाििद
ू लोग चश्मे िाले को ‘कैप्िन’ कहकर (2)
क्यों पुकारते थ?

ि) निाब साहब की ककन गनतविधधयों से लेिक को लगा कक िे उसमें कोई रूधच (2)
नहीं ले रहे हैं?

ग) लेखिका को अपने बचपन की कौन-कौन सी बातें अभी तक याद हैं? ‘एक कहानी (2)
यह भी’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए|

घ) फादर को याद करना, दे िना और उनसे बातें करना, लेिक को कैसा आभास (2)
कराता था?

ङ) सुविर िाद्यों से क्या अलभप्राय है ? िहनाई को सवुिर िाद्यों की उपाधध क्यों दी (2)
गई होगी?
समेकित संचयी परीक्षा 4

1) ननम्नललखित काव्यांि को पढ़कर पछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (6)

हरर हैं रािनीनत पहढ़ आए ।


समझ
ु ी बात कहत मधक
ु र के , समाचार सब पाए ।
इक अनत चतरु हु ते पहहलै ही, अब गरु
ु ग्रथ
ं पढ़ाए ।
बढ़ी बद्
ु धध िानी िो उनकी, िोग-संदेस पठाए ।
ऊधौ भले लोग भले लोग आगे के, परहहत डोलत धाए ।
अब अफ्नै मन फेर पाइहैं, चालत िु हु ते चरुाए ।
ते क्यौ अनीनत करै आपन
ु , िे और अनीनत छु ड़ाए ।
राि धरम तौ यहै `सरु’, िो प्रिा न िाहहं सताए ।।

क) गोवपयों ने कृ ष्ण को रािनीनत् क्यों कहा है? (िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)
ि) गोवपयाँ श्रीकृ ष्ण से अपना मन िापस क्यों लन
े ा चाहती हैं?(िब्द सीमा 30-40 िब्द) (2)
ग) रािा को प्रिा को ककससे मजुक्त हदलाकर ककसके ललए कायव करना चाहहए। (2)
(िब्द सीमा 30-40 िब्द)
2) ननम्नललखित प्रश्नों में से ककन्ही चार प्रश्नों का उत्तर 30-40 िब्दों में दीजिए :-
क) ‘गाधधसन
ू ’ु ककसे कहा गया है ? िे मनुन की ककस बात पर मन ही मन मस्
ु कु रा रहे थ?
े (2)
ि) मासम
ू बच्चे की मोहक मस्
ु कान और एक ियस्क व्यजक्त की मस्
ु कान में क्या अत
ं र
है ?(िब्द सीमा 30-40िब्द)
ग) बादलों को `मानि मन को सि
ु से भर दे ने िाल’े कहने के पीछे कवि का क्या तकव है ?(िब्द (2)
सीमा 30-40िब्द)
घ) कन्यादान कविता में स्त्री के ललए क्या सन्दे ि नछपा है ?(िब्द सीमा 30-40िब्द) (2)
ङ) गोवपयाँ ककस व्यथा को सहन कर रही थीं ि क्यों? सरूदास के पद के आधार पर स्पष्ि (2)
कीजिएl (िब्द सीमा 30-40िब्द)
3) ननम्नललखित प्रश्नों में से ककन्ही दो प्रश्नों का उत्तर लगभग 50 से 60 िब्दों में दीजिए:-
(क) ‘िॉिव पंचम की नाक’ कहानी में सरकारी कमवचाररयों की िास्तविक जस्थनत क्या है और 3
क्यों?
(ि) लेिक के वपता ने यह क्यों कहा कक ‘लड़के और बन्दर पराई पीर नहीं समझते’l पाठ माता 3
का अंचल के आधार पर ललखिए l
(ग) गंगिोक को ‘ मेहनतकि बादिाहों का िहर’ क्यों कहा गया ? पाठ साना साना हाथ िोड़ी 3
के आधार पर ललखिए l
(घ) माता का अच
ं ल पाठ मे बच्चों की िो दनुनया रची गई है िह आपके बचपन की दनुनया से 3
ककस प्रकार से लभन्न है ?
समेकित संचयी परीक्षा 5

1) ननम्नललखित में से ककसी एक वििय पर पर लगभग 80 से 100 िब्दों में (5)


अनच्
ु छे द ललखिए :-
क) मोबाइल फोन : ककतना ज़रूरी

ि) स्िच्छता सबसे पहले

ग) करत-करत अभ्यास से िड़मनत होत सुिान

2) अपने विद्यालय के प्रधानाचायव को एक प्राथवना-पत्र ललखिए, जिसमें विद्यालय के (5)


पुस्तकालय में हहन्दी की पबत्रकाएँ उपलब्ध कराने की माग
ं की गई हो ।

अथवा

एक वपता द्िारा अपने पत्र


ु को अनि
ु ालसत िीिन बबताने सब
ं ध
ं ी सझ
ु ाि दे ते हु ए पत्र (5)
ललखिए।

3) एक िू र ऐड
ं ट्रे िल्
े स कं पनी की ओर से एक वि्ापन 25-50 िब्दों में तैयार कीजिए। (5)

अथवा

‘ईंधन की बचत’ से संबजन्धत वि्ापन को 25-50 िब्दों में तैयार कीजिए । (5)

दीपािली के अिसर पर अपने लमत्र को िभ


ु कामना संदेि भेिें| (5)

अथवा

गणतंत्र हदिस के अिसर पर अपने सहपाहठयों को संदेि भेिें| (5)


CLICK ON IMAGE TO
JOIN US ON TELEGRAM

CLICK HERE TO JOIN


US ON TELEGRAM

You might also like