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क य व यालय वायुसेना नगर नागपुर

वतीय आव धक पर ा
क ा – यारहवी वषय - हंद
अंक-40

न 1 न न ल खत ग यांश के आधार पर न के उ र लखे | 10 अंक


जा त- था को य द म- वभाजन मान लया जाए तो यह वाभा वक वभाजन नह ं है, य क यह
मनु य क च पर आधा रत नह ं है। कुशल यि त या स म- मक-समाज का नमाण करने के लए
यह आव यक है क हम यि तय क मता इस सीमा तक वक सत कर, िजससे वह अपना पेशा या
काय का चुनाव वयं कर सके। इस स धांत के वपर त जा त- था का दू षत स धांत यह है क इससे
मनु य के श ण अथवा उसक नजी मता का वचार कए बना, दूसरे ह ि टकोण जैसे माता- पता
के सामािजक तर के अनुसार पहले से ह अथात् गभधारण के समय से ह मनु य का पेशा नधा रत
कर दया जाता है। जा त- था पेशे का दोषपूण पूव नधारण ह नह ं करती बि क मनु य को जीवन भर
के लए एक पेशे म बाँध भी देती है। भले ह पेशा अनुपयु त या अपया त होने के कारण वह भूख मर
जाए।

आधु नक युग म यह ि थ त ाय: आती है, य क उ योग-धंधे क या व तकनीक म नरंतर वकास


और कभी-कभी अक मात् प रवतन हो जाता है, िजसके कारण मनु य को अपना पेशा बदलने क
आव यकता पड़ सकती है और य द तकूल प रि थ तय म भी मनु य को अपना पेशा बदलने क
वतं ता न हो, तो इसके लए भूख मरने के अलावा या चारा रह जाता है? हंदू धम क जा त- था
कसी भी यि त को ऐसा पेशा चुनने क अनुम त नह ं देता है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ह वह
उसम पारंगत है। इस कार पेशा प रवतन क अनुम त न देकर जा त- था भारत म बेरोजगार का एक
मुख व य कारण बनी हुई है।

(क) ‘जा त- था को वाभा वक म- वभाजन नह ं कहा जा सकता।’ य?2


(ख) जा त- था के सदधांत को दू षत य कहा गया है? 2
(ग)“जा त- था पेशे का न केवल दोषपूण पूव नधारण करती है बि क मनु य को जीवनभर के लए
एक पेशे से बाँध देती है”-कथन पर उदाहरण-स हत ट पणी क िजए। 2
(घ) भारत म जा त- था बेरोजगार का एक मुख कारण कस कार बन जाती है? उदाहरण
स हत ल खए। 2
(ङ) इस गदयांश का उपयु त शीषक ल खए। 1
(च) वक सत, पैतृक – मूल श द एवं यय बताइए। 1

न 5 न न ल खत ग यांश के आधार पर न का सह वक प चुनकर लखे | 5 अंक


म य हमालय क जो े णयाँ पी त को घेरे हुए ह उनम से जो उ र म ह उसे बारालाचा े णय का
व तार समझे। बारालाचा दर क ऊँचाई का अनुमान 16221 फ ट से लगाकर 16,500 फ ट का लगाया गया है।
इस पवत- ेणी म दो चो टय क ऊँचाई 21,000 फ ट से अ धक है। द ण म जो ेणी है वह माने ण े ी
कहलाती है। इसका या अथ है? कह ं यह बौ ध के माने मं के नाम पर तो नह ं है? ‘ओ म ण प मे हु’
इनका बीज मं है इसका बड़ा महा य है। इसे सं ेप म माने कहते ह। कह ं इस ेणी का नाम इस माने के
नाम पर तो नह ं है? अगर नह ं है तो करने जैसा है। यहाँ इन पहा ड़य म माने का इतना जाप हुआ है क यह
नाम उन े णय को दे डालना ह सहज है।
म ऊँचाई के माप के च कर म नह ं हूँ। न इनसे होड़ लगाने के प म हूँ। वह एक बार लोसर म जो कर
लया सो बस है। इन ऊँचाइय से होड़ लगाना मृ यु है। हाँ, कभी-कभी उनका मान-मदन करना मद और औरत
क शान है। म सोचता हूँ क देश और दु नया के मैदान से और पहाड़ से युवक-युव तयाँ आएँ और पहले तो
वयं अपने अहंकार को गलाएँ- फर इन चो टय के अहंकार को चूर कर। उस आनंद का अनुभव कर जो साहस
और कूवत से यौवन म ह ा त होता है। अहंकार का ह मामला नह ं है। ये माने क चो टयाँ बूढ़े लामाओं के
जाप से उदास हो गई ह। युवक-युव तयाँ कलोल कर तो यह भी ह षत ह । अभी तो इन पर पी त का आतनाद
जमा हुआ है। वह इस युवा अ टहास क गरमी से कुछ तो पघले। यह एक युवा नमं ण है।
न 1) तुत ग यांश कस लेखक वारा लखा गया है |
2) तुत पाठ सा ह य क कौनसी वधा है ?
3) माने या है ?
4) ‘ओ म ण प मे हु’ या है ?
5) अपने अहंकार को गलाना -का अथ है ?
न 2 न न ल खत प यांश के आधार पर न का सह वक प चुनकर लखे | 5 अंक
हाय रे ऐसा न कहना
है क जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता ह।
आदमी से भागता ह।
कह न देना मौन हूँ म
खुद न समझू कौन हूँ म
देखना कुछ बक न देना,
उ ह कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
है क मरे पु य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसे
पाँचव को वे न तरस

न 1. क व सावन से
या आ ह करता है? और य?
2 क व क वा त वक दशा कैसी है?
3. क व ने सावन को या उपमा द है।
4. क व सावन को या चेतावनी देता है?
5 तुत क वता के रचनाकार कौन है ?

न 2 न न ल खत न के उ र
लखे | 15 अंक
1) आलो आंधार कहानी क ना यका बेबी हालदार क सम या सम त घरेलु कामगार ि य क
सम या है – प ट करे|
2) पालर पानी ,पाताल पानी , रेजानी पानी मे या मु य अंतर है ?
3) गजल म गुलमोहर श द म ि थत तीकाथ समझाईए ?
4) पीती म जनजीवन क ट द य है ? तक स हत उ र दे |
5) घर क याद क वता के आधार पर लेखक के पता क वशेषताए बताइए |

न 5 अपने मोह ले म वषा के कारण उ प न हुई जल-भराव क सम या क ओर यान आकृ ट कराने के


लए नगरपा लका के वा य अ धकार को प ल खए।| (5 अंक)

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