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0209231022460073
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I. शब्दार्थ लिखिए:-
१.पष्ृ ठ = पन्ना
३.रफ्तार = गति
४. उत्सक
ु ता= जानने की इच्छा
५. सबक= पाठ
६.सिलसिला= क्रम
1. पुस्तक = स्त्रीलिंग
2. डिब्बा = पुल्लिंग
3. मशीन =स्त्रीलिंग
4. उत्सक
ु ता = स्त्रीलिंग
5. आनंद = पल्लि
ु गं
1. पुराना × नया
2. विशेष × सामान्य
3. इच्छा × अनिच्छा
4. अध्यापक × छात्र
उत्तर:- वह किताब सदियों पहले छपी होगी। वह कम से कम 100-150 साल पुरानी होगी।
प्र२:- रोहित ने कहा था,”कितनी पुस्तकें बेकार जाती होंगी।एक बार पढ़ी और फिर बेकार हो
गई।“क्या सचमच
ु में ऐसा होता हैं?
उत्तर:- पुस्तकें कभी भी बेकार नहीं जाती यदि उन्हें पढ़कर संभालकर रख दिया जाए यदि तो
पीढ़ी दर पीढ़ी उनका ज्ञान प्राप्त किया जा सकता हैं। पर हाँ, पस्
ु तकें पढ़कर यदि फेंक दी
जाएँ तो वे अवश्य बेकार हो जाती हैं।
प्र३:- कागज़ के पन्नों की किताब और टेलीविजन के पर्दे पर चलनेवाली किताब। तुम इनमें से किसको पसंद करोगे? और क्यों?
उत्तर:-मैं कागज़ के पन्नों की किताब पसंद करूँ गा क्योंकि इसे मैं कभी भी,कहीं भी और कितनी भी बार पढ़ सकता हूँ। ये सारी बातें
टेलीविजन के पर्दें चलने वाली किताब में नहीं होतीं।
प्रश्न ४:-तुम कागज़ पर छपी किताबों से पढ़ते हो।पता करो कि कागज़ से पहले छपाई किस-किस चीज़ पर हुआ करती थी?
उत्तर:-कागज़ से पहले छपाई पत्तों,पत्थरों,ताम्रपत्रों, लकड़ी के बने पन्नों,पेड़ की छाल या धातु पर हुआ करती थी।
प्रश्न ५:- तुम मशीन की मदद से पढ़ना चाहोगे या अध्यापक की मदद से और क्यों?
उत्तर:- मैं अध्यापक के मदद से पढ़ना चाहूंगा क्योंकि उनसे कोई बात समझ न आने पर हम दोबारा पूछ सकते हैं।वे हमारी कमियों को स्वयं
महसूस करके उन्हें दूर करने की कोशिश करते हैं। मुश्किल बस एक ही हैं कि अध्यापक कार्य न करने पर डाँटते हैं,मशीन नहीं। मशीन
से पढ़ाई मुश्किल ही नहीं बल्कि उबाऊ भी होती हैं। साथ में पढ़ने के लिए कोई साथी नहीं होता।