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Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies,

Online ISSN 2278-8808, SJIF 2021 = 7.380, www.srjis.com


PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, MAY-JUNE, 2021, VOL- 8/65
https://doi.org/10.21922/srjis.v8i65.1341

विद्यालय ों में क ल जनजातीय बच् ों के अिधारण की चुनौवतयााँ

विन्स कुमार1 & ि ० विरीष पाल व ोंह2


1
शोधार्थी (पी-एच.डी.शशक्षाशास्त्र, शशक्षा शिभाग), महात्मा गााँ धी अन्तरराष्ट्रीय शहिं दी शिश्वशिद्यालय, िधाा
महाराष्ट्र -442001, Email- anshprincekumar27@gmail.com
2
प्रोफेसर, शशक्षा शिभाग, महात्मा गााँ धी अन्तरराष्ट्रीय शहिं दी शिश्वशिद्यालय, िधाा महाराष्ट्र -442001
Email- shireeshsingh1982@gmail.com

Paper Received On: 21 JUNE 2021


Peer Reviewed On: 30 JUNE 2021
Published On: 1 JULY 2021

प्रस्तु त शोध-पत्र “शिद्यालयोिं में कोल जनजातीय बच्ोिं के अिधारण की चुनौशतयााँ ” से सम्बन्धित है । अध्ययन का मुख्य
उद्दे श्य कोल जनजाशत के छात्रोिं की िता मान शैशक्षक न्धथर्थशत का अध्ययन करना है । जनसिं ख्या के रूप में उत्तर प्रदे श
प्रयागराज (इलाहबाद) शजले के शिंकरगढ़ ब्लाक में न्धथर्थत शिद्यालयोिं में कक्षा प्रर्थम से कक्षा अष्ट्म में अध्ययनरत कोल
जनजाशत के समस्त छात्रोिं को जनसिं ख्या के रूप में सन्धिशलत शकया गया । न्यादशा के रूप में शोध की िणा नात्मक प्रकृशत के
अनुरूप उद्दे श्यपूणा प्रशतदशान शिशध का प्रयोग शकया गया शजसमें कुल 100 छात्र-छात्राओिं को सन्धिशलत शकया गया । शोध-
उपकरण के रूप में शैशक्षक न्धथर्थशत को ज्ञात करने के शलए शोधार्थी द्वारा स्व:शनशमात उपकरण प्रश्नािली एििं साक्षात्कार
अनुसूची का प्रयोग शकया गया । शनष्कर्ा के रूप में यह पाया गया िता मान शशक्षा पद्धशत में शशक्षण एििं पाठ्यक्रम का प्रारूप
कुछ इस प्रकार से शनधाा ररत शकया गया है शक आप जनमानस के शलए प्रार्थशमक शशक्षा प्राप्त करने के उद्दे श्य ही स्पष्ट् नहीिं हो
पाते हैं । प्रचशलत शशक्षा जन-मानस के दै शनक-जीिन में अनुपयोगी प्रतीत होती है । अशधकतर शिद्यार्थी शैशक्षक समस्याओिं का
कारण शिद्यालय जाने का कोई साधन न होना तर्था घर से शिद्यालय का दू र होना मानते हैं । कोल जनजाशत के लोगोिं को शशक्षा
के प्रशत नकारात्मक सोच र्थी क्ोिंशक उनको लगता र्था शक उनके बच्े पढ़-शलख कर भी एक अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते ।
कोल जनजाशत के अशधकािं श लोग अशशशक्षत र्थे शजसके कारण िे शशक्षा के महत्त्व को नहीिं समझते र्थे । कोल जनजाशत के लोग
शदन भर की मजदू री से अपने बच्ोिं का पेट भरते हैं । उन शिद्याशर्थायोिं का कहना र्था शक कक्षा में शशक्षक द्वारा पढ़ाई जाने िाली
शशक्षा अच्छे से समझ में नहीिं आती है । शशक्षक द्वारा ब्लैकबोडा होने के बाद भी बोलकर पढ़ाना समझ से बाहर चला जाता है
। कक्षा के दौरान सहायक-सामग्री का भी अभाि है शजसके कारण शशक्षण के दौरान बाधा उत्पन्न होती है । शिद्यालय में दे री से
पहाँ चने पर शशक्षक द्वारा उन्हें दिं शडत शकया जाता है । अशधकािं श शिद्याशर्थायोिं का कहना र्था शक उनके शिद्यालय में पानी पीने के
शलए है ण्डपम्प तर्था िाटरकूलर की सु शिधा है और लड़कोिं एििं लड़शकयोिं के शलए अलग से शौचालय की व्यिथर्था है ।
अशधकािं श शिद्याशर्थायोिं के घर के आस-पास का िातािरण अच्छा नहीिं है शजसके चलते उसका प्रभाि उनके पररिारोिं पर पड़ता
है । घर के आस-पास के लोग शशक्षा के महत्त्व को नहीिं समझते हैं । पररिार में यशद कोई नशा करके घर में आता है तो घर
का माहौल शबगड़ जाता है और उनके पररिार में आये शदन लड़ाई ि झगड़े होते हैं । इस सम्बि में शिद्याशर्थायोिं ने कहा शक
शशक्षक जब मातृ भार्ा या थर्थानीय भार्ा में शशक्षण काया करते हैं तो िह कक्षा में अशधक जुड़ाि महसू स करते हैं जबशक
शिद्याशर्थायोिं ने कहा शक उन्हें शशक्षक द्वारा प्रयुक्त की जाने िाली भार्ा पूणारूप से समझ में आती है ।
मु ख्य िब्द: अनुसूशचत जाशत/जनजाशत, कोल जनजाशत, आशदिासी, शैशक्षक न्धथर्थशत,अपव्यय एििं अिरोधन आशद ।
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िस्तािना
कोल जनजाशत को ले कर शिशभन्न राज्ोिं के अने क थर्थानोिं जैसे शक क्षे त्रीय तर्था राज् स्तर पर खु लकर िाद-शििाद
एििं तमाम बहसोिं को दे खा जा सकता है । यह एक ऐसी जनजाशत है जो शक ितामान सन्दभा में राजनीशत का एक
मु द्दा बनी हई है । इसके अशतररक्त हम यशद अनु सूशचत जनजाशत के शिशे र् सन्दभा की बात करें तो यह सहज रूप
में ही अशभव्यक्त शकया जा सकता है शक भारतीय पररप्रेक्ष्य में अनु सूशचत जाशत या जनजाशत िह जाशतगत श्रे णी है
जो शकसी भी पररचय की मोहताज नहीिं है ले शकन ितामान में कोल जनजाशत के बच्ोिं की शशक्षा-दीक्षा के स्तर में
तमाम उतार चढ़ाि दे खने को शमलता है शजसे शशक्षाशान्धस्त्रयोिं के शब्ोिं में ‘अपव्यय’ एििं ‘अिरोधन’ की समस्या
कही जा सकती है । अत: इस क्षे त्र में अनु सिंधान काया शकया जाता है तो शनशित रूप से यह समाज एििं शै शक्षक
जगत के शलए एक नया दृशष्ट्कोण प्रदान कर सकेगा । अत: उक्त सन्दभा को दे खते हए सहज रूप में ही यह
आिश्यकता महसूस होती है शक इन बच्ोिं को भी मु ख्य धारा के बच्ोिं की शशक्षा से जोड़ा जाए, अपव्यय एििं
अिरोधन की राष्ट्रव्यापी समस्या से उबरने का पुनः प्रयास शकया जाये । अनु सूशचत क्षे त्र के ‘आशदिासी समाज’
शशशक्षत होने के बाद भी अपने अशधकारोिं के प्रशत अनशभज्ञ हैं । जनजातीय शिकास तर्था सुरक्षा के शलए भारत के
सिंशिधान में दजानोिं प्रािधानोिं के बािजू द इनका अपेशक्षत लाभ इन्हें नहीिं शमल रहा है । सिंशिधान प्रदत्त अशधकारोिं की
उपेक्षा लम्बे अरसे से की जा रही है ले शकन ‘आशदिासी समाज’ में जो शशशक्षत िगा हैं और सिंशिधान के प्रािधानोिं
की जानकारी रखते हैं , उनमें इच्छाशन्धक्त का इतना अभाि है शक िे समय- समय पर सिंशिधान की उपेक्षा के
कारण उत्पन्न होने िाले अनु कूल पररणामोिं को महसूस करते हए भी समस्याओिं की शदशा में कोई पहल नहीिं करते
। यह हमारे समाज की शिडिं बना है शक ‘जो जानते हैं , िे बोलते नहीिं और जो बोलते हैं िो जानते नहीिं’ ।
आशदिाशसयोिं की दु दाशा का शायद यही कारण हो सकता है । शिद्यालयोिं में कोल जनजाशत बच्ोिं की अिधारण की
चुनौशतयोिं का अध्ययन प्राप्त शिशभन्न शनष्कर्ों में से एक का प्रस्तु त शोध-पत्र में िणान शकया गया है ।
क ल जनजावत
कोल जनजाशत जाशतगत रूप से आशदिासी है ले शकन िे अपने पारिं पररक जीिन के स्रोत से ििंशचत है । कोल
जनजाशत मु ख्य रूप से प्रयागराज, बािं दा, शचत्रकूट, शमजाा पुर, सोनभद्र, सतना और रीिा शजलोिं के अलािा उत्तर
प्रदे श और मध्य प्रदे श के शकनारे बसे शपछड़े क्षेत्रोिं िुिंदेलखिंड में पाये जाते हैं । कोल जनजाशत मध्य प्रदे श ि उत्तर
प्रदे श के आस-पास के शजलोिं की शनिासी रही है । इन दोनोिं प्रान्तोिं की इस जनजाशत में आपस में बहत एकता है
उनके पाररिाररक ि सामाशजक सम्बि हैं और िे एक ही परम्परा का शहस्सा है । मध्य प्रदे श में उत्तर प्रदे श की
सीमा तक के क्षेत्रोिं को अनु सूशचत क्षे त्र घोशर्त शकया गया है और िहााँ के कोल आशदिाशसयोिं को जनजाशत का दजाा
शदया गया है परन्तु उत्तर प्रदे श से जु ड़े हए भौगोशलक क्षे त्रोिं को अनु सूशचत क्षे त्रोिं में शाशमल नहीिं शकया गया है और
उत्तर प्रदे श के कोलोिं को अनुसूशचत जनजाशत दजे से शाशमल नहीिं शकया गया । उत्तर प्रदे श के शजले प्रयागराज के
कोल जनजाशत की आशर्था क, सामाशजक एििं शै शक्षक न्धथर्थशत अत्यिंत शचिंतनीय है । समु दाय के अशधकािं श सदस्य
मजदू री करके अपना जीिन-यापन करते हैं । शजसमें मुख्यतः पत्थर फोड़ना और रे त बालू साफ करना आशद
काम आते हैं । यह समु दाय शजले के अलग-अलग शहस्सोिं में छोटे -छोटे समू ह में रहते हैं । ये मु ख्य कस्बे से दू र
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रहते हैं , जहााँ पर प्राय: आधारभू त सुशिधाओिं की उपलब्धता भी दे खने को नहीिं शमलती है । सरकारी प्रार्थशमक
शिद्यालय सामान्यत:1-2 शकलोमीटर की दू री पर उपलब्ध है परन्तु बहत ही कम लोग शिद्यालय जाते हैं । अशधकािं श
सदस्य अशशशक्षत हैं और बहत लोगोिं ने पााँ चिीिं कक्षा तक अध्ययन करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी । नई पीढ़ी के
लोग पढ़ाई के महत्त्व को स्वीकारते हैं परन्तु िो भी शिद्यालय नहीिं जाते हैं । यह शनशित तौर पर कह पाना असिंभि
है शक उनकी सामाशजक एििं आशर्था क न्धथर्थशत ही उनकी अशशक्षा का कारण है या अशशक्षा की िजह से सामाशजक
एििं आशर्था क न्धथर्थशत दयनीय है ।
क ल जनजावत की आवथिक, ामावजक ि राजनै वतक स्थथवत
भारत में कोल जनजाशत लोग अिंधशिश्वासोिं ि मान्यताओिं से शघरे पड़े हए हैं । जनजाशत लोग स्वयिं की पहचान नहीिं
कर पा रहे हैं । कोल जनजाशत के लोग दू सरे लोगोिं पर भरोसा जल्दी कर ले ते हैं । शजसके कारण कोल जनजाशत
स्वयिं पाररिाररक, सामाशजक, आशर्था क, राजनैशतक एििं शै शक्षक शिकास आशद ितामान पररन्धथर्थशत के अनु सार नहीिं
बना पा रहे हैं । कोल जनजाशत लोग जादू , टोना और भू त-प्रेत आशद के आधार पर शिशभन्न प्रकार की समस्याओिं
का समाधान करते हैं । उनका दे िी-दे िताओिं में पूणा शिश्वास होता है और दे िी-दे िताओिं का सहारा ले ते है । कोल
जनजाशत लोग घने जिं गलोिं, पहाड़ोिं, खिंडहरोिं में शनिास करते हैं । इन लोगोिं का मु ख्य व्यिसाय कृशर् है । कोल
जनजाशत लोग खे तोिं में मजदू री करते हैं और जिं गलोिं में भें ड़, बकररयााँ चराते हैं । इनका जीिन बहत ही कठोर
पररश्रम से व्यतीत होता है । ये ज्ादातर भू शमहीन और भरपेट भोजन जु टाने के शलए साहूकारोिं ि ठे केदारोिं के
चिंगुलोिं में फिंसे हए हैं । कोल जनजाशत के शपछड़े पन का सबसे प्रमु ख कारण शशक्षा ि अस्पतालोिं का अभाि है ।
कोल जनजाशत को ले कर यशद हम उनकी राजनीशतक दशा के बारे में बात करें तो यह कहा जा सकता है शक इस
जाशत के लोगोिं एििं समु दाय का राजनीशतक जीिन मु ख्य धारा के लोगोिं के राजनीशतक जीिन से अलग है । इस
समु दाय के लोगोिं में चुनाि ि मतदान इत्याशद के प्रशत उदासी का भाि दे खा जा सकता है । इतना ही नहीिं, इस
समु दाय के लोगोिं में ने तृत्व कताा का भी अभाि दे खने को शमलता है । कुछ क्षे त्र शिशे र् में तो राजनीशतक चुनािोिं के
समय इन्हें भोला-भाला एििं अनपढ़ समझ कर राजनीशतक कुशल ने ताओिं के द्वारा इनके मतदानोिं का क्रय-शिक्रय
खू ब धड़ल्ले से भी शकया जाता है । प्रायः इस क्षेत्र के समु दाय के शकसी एक अप्रशशशक्षत या अल्पशशशक्षत मुन्धखया
को चिंद रूपये ि िस्त्र आशद मामू ली सुशिधाएाँ प्रदान कर राजनै शतक रूप से इनका शोर्ण शकया जाता है । जो शक
पूणातया अमानिीय एििं शनिं दनीय है ।
सामान्य जनसिंख्या की तुलना में अगर दे खें तो जनजाशत बच्ोिं की शिद्यालय तक पहिं च बहत ही कम है और इन
क्षे त्रोिं में स्कूली सुशिधाएाँ भी बहत ही सीशमत मात्रा में हैं , शजसका एक प्रमु ख कारण के शिद्यालयोिं की गुणित्ता और
अपयाा प्त सुलभता । सुशिधाओिं की गुणित्ता के सिंदभा में ग्रामीण शिद्यालय शिशेर्तया आशदिासी क्षे त्रोिं में बने
शिद्यालयोिं का प्रदशान-स्तर सोचनीय है । यशद इच्छा से नहीिं तो भू ल-चूक से ही ग्रामीण शिद्यालय "सिासुलभ"
शिद्यालय की तरह सेिा करते हैं । मु ख्यतः शनम्न जाशत और जनजाशत के बालकोिं के शलए शिद्यालयोिं की न्धथर्थशत तो
और भी खराब है । इन क्षे त्रोिं में सिंरचनात्मक सुशिधाओिं की अपयाा प्तता के अशतररक्त शशक्षकोिं की अपयाा प्तता भी
एक गिंभीर चुनौती के रूप में सामने आयी है । इस तरह अपयाा प्त शशक्षक सिंख्या और शशक्षण प्रशक्रया में बड़ा
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छात्र-शशक्षक अनु पात जै सी समस्याएिं के कारण भी जनजाशत समु दाय को शशक्षा के क्षे त्र में गम्भीर मु न्धिलोिं का
सामना करना पड़ रहा है , जो शक बेहद शनराशाजनक है । दू र दराज के इलाके शिशे र्तः जनजातीय इलाकोिं में
न्धथर्थत शिद्यालयोिं की एक समान-सी शिशे र्ता है , साल में अशधकतर समय और कभी-कभी तो िर्ों तक बिंद रहने
िाले और केिल कागजी अन्धस्तत्व िाले शिद्यालयोिं का भी व्यौरा है । (एनसीईआरटी, 2007)
राष्ट्रीय शशक्षा नीशत 1986 और 1992 में शकये गये पररितानोिं के अिंतगात दे श में असमानताएाँ दू र करने और सबको
समान शै शक्षक अिसर उपलब्ध कराने की बात कही गई है । इस नीशत के अिंतगात अशधकािं श राज्ोिं में अनु सूशचत
जनजाशतयोिं के छात्रोिं हे तु उच्तर माध्यशमक स्तर पर ट्यूशन फ़ीस समाप्त कर दी गई है । उन्हें पाठ्य-पुस्तकें,
यूशनफामा तर्था स्कूल बैग आशद भी शनःशुल्क शदए जाते हैं । ग्रामीण क्षे त्रोिं में प्रशतभाशाली बच्ोिं के शलए माध्यशमक
स्तर पर राष्ट्रीय छात्रिृशत्त योजना के अन्तगात 43,000 छात्रिृशत्त में 13,000 छात्रिृशत्त अनु सूशचत जाशत एििं जनजाशत
के छात्रोिं को उपलब्ध कराई गई है । शिश्वशिद्यालय अनु दान आयोग (UGC) अनु सूशचत जाशत एििं जनजाशत के
छात्रोिं को शिशेर् रूप में प्रशतिर्ा 50 जूशनयर ररसचा फ़ेलोशशप, 25 छात्रिृशत्तयााँ , 20 ररसचा एसोशसएट् सशशप और 50
फ़ेलोशशप प्रदान करता है । राष्ट्रीय शशक्षा अनु सिंधान पररर्द ने जनजाशतयोिं की बोशलयोिं में 10 पाठ्य पुस्तकें तैयार
की है और 15 जनजातीय बोशलयोिं में अध्ययन सामग्री तैयार की जा रही है । (भाले राि&धारिाड़कर, 2015)
राष्ट्रीय पाठ्यचयाा की रुपरे खा (2005) ने पाया शक शिशेर् रूप से जनजाशत से सिंबिंशधत बच्ोिं को सामाशजक मु द्दोिं
जै से ग्रामीण और शहरी क्षे त्रोिं में गरीबी, बाल श्रम, अशशक्षा और िगा असमानताओिं के प्रशत सिंिेदनशील बनाना
होगा । शशक्षा प्रणाली उस समाज से अलगाि में काया नहीिं करती है शजसका िह एक शहस्सा है । यह शिशभन्न
सामाशजक और आशर्था क समूहोिं के बीच तीव्र असमानताओिं में पररलशक्षत होता है , शजन्हें अनु सूशचत जाशत एििं
जनजाशत समु दायोिं के स्कूल नामािं कन दर में दे खा जाता है । गिंभीर शचिंता की बात यह है शक हाशशए पर पड़े
समू होिं, यानी अनु सूशचत जाशत एििं जनजाशत, जो परिं परागत रूप से हैं , के बारे में रूशढ़योिं की दृढ़ता है । स्कूली
शशक्षा तक पहाँ च नहीिं है , कुछ शशक्षाशर्था योिं को ऐशतहाशसक रूप से सीखने के डर के रूप में दे खा गया है , जाशत
और शलिं ग में हीनता और असमानता शनशहत है । इन जनजाशत बच्ोिं को शशक्षकोिं द्वारा स्वीकार नहीिं शकया जाता है ,
पाठ्यपुस्तक से सिंबिंशधत नहीिं हो सकते हैं । शपछली सदी के दौरान दे खी गई नई तकनीकी पसिंदोिं और जीशित
शै शलयोिं के उद्भि ने पयाा िरणीय शगरािट और ििंशचतोिं के बीच भारी असिंतुलन पैदा शकया है । अशधकािं श
जनजाशतयााँ दे श के पहाड़ी और िन क्षे त्रोिं में दू रदराज और दु गाम बन्धस्तयोिं में न्धथर्थत शबखरी और छोटी बन्धस्तयोिं में
रहती हैं । आशदिासी केंशद्रत क्षे त्रोिं में अशधकािं श बुशनयादी सुशिधाओिं जै से सड़क, पररिहन, सिंचार, शबजली,
शचशकत्सा सुशिधाओिं आशद का अभाि है । आशदिाशसयोिं के बीच साक्षरता दर कम है और आशदिासी बच्ोिं के
शनरिं तर शशक्षा का एक बड़ा शहस्सा स्कूल प्रणाली के बाहर होना है ।
ि ध-उद्दे श्य
1. कोल जनजाशत के छात्रोिं की ितामान शै शक्षक न्धथर्थशत का अध्ययन करना ।
2. कोल जनजाशत के छात्रोिं के शिद्यालय अपव्ययन (dropout) के कारणोिं का पता लगाना ।
3. कोल जनजाशत के छात्रोिं के शिद्यालय से दू र रहने के कारणोिं का पता लगाना ।
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4. कोल जनजाशत के छात्रोिं की शैशक्षक समस्याओिं का पता लगाना ।


जन ोंख्या
प्रस्तु त शोध-अध्ययन में उत्तर प्रदे श-प्रयागराज (इलाहबाद) शजले के शिं करगढ़ ब्लाक में न्धथर्थत शिद्यालयोिं में कक्षा
प्रर्थम से कक्षा अष्ट्म में अध्ययनरत कोल जनजाशत के समस्त छात्रोिं को जनसिंख्या के रूप में सन्धिशलत शकया
गया।
न्यादिि
प्रस्तु त शोध-अध्ययन में शोध की िणानात्मक प्रकृशत के अनुरूप उद्दे श्यपूणा प्रशतदशा न शिशध का प्रयोग शकया गया
शजसमें कुल 100 छात्र-छात्राओिं को सन्धिशलत शकया गया ।
ि ध-उपकरण
शै शक्षक न्धथर्थशत को ज्ञात करने के शलए शोधार्थी द्वारा स्व:शनशमा त उपकरण प्रश्नािली एििं साक्षात्कार अनु सूची का
प्रयोग शकया गया ।
कोल जनजाशत के शिद्याशर्था योिं की शै शक्षक समस्याओिं की शनम्नशलन्धखत चुनौशतयााँ उभरकर सामने आयीिं ।
िश्न 01- आपके माता-वपता की आपकी विक्षा के िवत व्यस्िगत च कै ी है , क्या उन्हें लगता है वक
विक्षा आपक र जगार दे ने में मददगार है ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची के प्रर्थम प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “शशक्षा के प्रशत उनके माता-शपता की
व्यन्धक्तगत सोच कैसी है ” तो इस सम्बि में 78% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक उनके माता-शपता उन्हें शशक्षा नहीिं दे ना
चाहते हैं क्ोिंशक िे मानते हैं शक शशक्षा से उन्हें कोई लाभ नहीिं है जबशक 12% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक हमारी शशक्षा
के प्रशत हमारे माता-शपता की सोच सकारात्मक है िो हमें शशक्षा दे ना चाहते हैं जबशक 10% शिद्याशर्था योिं ने इस प्रश्न
का जिाब नहीिं शदया । शशक्षा के द्वारा रोजगार शमलने के सम्बि में 26% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शशक्षा से कोई भी
रोजगार नहीिं शमलता है जबशक 60% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शशक्षा से रोजगार प्राप्त हो सकता है । हमने अपने गााँ ि
में दे खा शक बहत सारे लोग नौकरी करते हैं । जबशक 5% शिद्याशर्था योिं ने इस सम्बि में कोई भी जिाब नहीिं शदया ।
ितामान शशक्षा पद्धशत में शशक्षण एििं पाठ्यक्रम का प्रारूप कुछ इस प्रकार से शनधाा ररत शकया गया है शक आप
जनमानस के शलए प्रार्थशमक शशक्षा प्राप्त करने के उद्दे श्य ही स्पष्ट् नहीिं हो पाते हैं । प्रचशलत शशक्षा जन-मानस के
दै शनक-जीिन में अनु पयोगी प्रतीत होती है ।
िश्न 02- क्या आपके माता-वपता आपक र ज विद्यालय भेजते हैं ? यवद नही ों त विद्यालय न जाने के क्या
कारण हैं ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची के शद्वतीय प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “उनके माता-शपता रोज शिद्यालय नहीिं
भे जते हैं ” क्ोिंशक उनके माता-शपता की आशर्था क न्धथर्थशत अच्छी नहीिं है । इस सम्बि में 70% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक
उनके घर की आशर्था क न्धथर्थशत ठीक नहीिं है शजसके कारण िह शिद्यालय जाने में असमर्था र्थे जबशक 24% शिद्याशर्था योिं
ने कहा शक उनके माता-शपता की आशर्था क न्धथर्थशत ठीक है । िे अपने बच्ोिं को शिद्यालय भेजने के शलए प्रेररत भी
करते हैं जबशक 6% शिद्याशर्था योिं ने इस प्रश्न का कोई भी उत्तर नहीिं शदया । शिद्यालय न जाने के कारण के सम्बि में
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66% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शिद्यालय घर से अशधक दू री पर होने के होने कारण रोज शिद्यालय नहीिं जाते हैं जबशक
20% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शिद्यालय जाना पसिंद नहीिं है और उनका पढ़ाई में मन नहीिं लगता है । अत:
अशधकतर शिद्यार्थी शिद्यालय छोड़ने का कारण तर्था शिद्यालय जाने का कोई साधन न होना तर्था घर से शिद्यालय
का दू र होना मानते हैं । उन शिद्याशर्था योिं के आस-पास कोई शिद्यालय नहीिं र्था और शिद्यालय घर से बहत दू र र्था
शजसके कारण उन्हें रास्ते में आने -जाने में डर का सामना करना पड़ता र्था ।
िश्न 03- आपके जनजावत के ल ग विक्षा के िवत कै ी राय रखते हैं ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची के तृतीय प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “आपके जनजाशत के लोग शशक्षा के
प्रशत कैसी राय रखते हैं ” जनजाशत के लोगोिं को शशक्षा के प्रशत नकारात्मक सोच र्थी क्ोिंशक उनको लगता र्था शक
उनके बच्े पढ़-शलख कर भी एक अच्छी नौकरी नहीिं कर सकते । जनजाशत के लोग अशधकािं श अशशशक्षत र्थे
शजसके कारण शशक्षा के महत्त्व को नहीिं समझते र्थे । जनजाशत के लोग बहत ही गरीब पररिार से आते हैं ।
जनजाशत के लोग शदन भर की मजदू री से अपने बच्ोिं को पेट भरते हैं । उनके बच्े भी उनके सार्थ कायों में लगे
रहते हैं इसशलए िे शशक्षा को ज्ादा महत्त्व नहीिं दे पाते हैं ।
िश्न 04- विद्यालय में कक्षा विक्षण के दौरान आपक वक िकार की मस्याओों का ामना करना पड़ता
है ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची के चतुर्था प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “शिद्यालय में कक्षा शशक्षण के दौरान
आपको शकस प्रकार की समस्याओिं का सामना करना पड़ता है ” के सम्बि में 70% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक उनके
शिद्यालय में शशक्षण सहायक-सामग्री का अभाि है जबशक 25% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक उनके शिद्यालय में पयाा प्त
शशक्षण सहायक सामग्री उपलब्ध है जबशक 5% शिद्याशर्था योिं ने इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीिं शदया । जबशक 50%
शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शिद्यालय का अनु शासन बहत कठोर तर्था दण्डात्मक र्था शजसके कारण पढ़ाई छोड़ना
उशचत समझा जबशक 40% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शशक्षक कक्षा में रुशचकर ढिं ग से पढ़ाते हैं जोशक उन्हें कक्षा में
अच्छा लगता है जबशक 10% शिद्याशर्था योिं ने इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीिं शदया । जबशक 65% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक
कक्षा में शशक्षक द्वारा पढ़ाई गयी मातृभार्ा समझ में नहीिं आती है जबशक 30% शिद्याशर्था योिं का कहना है शक
शशक्षक द्वारा पढ़ाई गयी मातृभार्ा अच्छे से समझ में आती है जबशक 5% शिद्याशर्था योिं ने कोई उत्तर नहीिं शदया । उन
शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक कक्षा में शशक्षक द्वारा पढाई जाने िाली शशक्षा समझ में अच्छे से नहीिं आती है ।
शशक्षक द्वारा ब्लै कबोडा होने के बाद भी बोलकर पढ़ाना समझ से बाहर चला जाता है । कक्षा के दौरान शशक्षण
सहायक-सामग्री का भी अभाि र्था शजसके कारण शशक्षण दौरान बाधा उत्पन्न होती है । अशधकतर शिद्याशर्था योिं का
कहना र्था शक शिद्यालय का अनु शासन- दण्डात्मक र्था । उनको कक्षा में लड़ाई-झगड़ा करने पर तर्था शिद्यालय
शबलम्ब से आने पर दण्ड शदया जाता है ।
िश्न 05- आपके अध्यापक पढ़ाते मय कौन-कौन ी विक्षण- हायक ामग्री का िय ग करते हैं ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची में पिंचम प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “उनके अध्यापक कक्षा में पढ़ाते समय
ब्लै कबोडा के रूप में शशक्षण-सहायक सामग्री का प्रयोग करते हैं ” इस सम्बि में 60% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक
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कक्षा में अध्यापक शशक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग नहीिं करते हैं । उनका कहना है शक उनके अध्यापक कक्षा
में कुसी पर बैठ कर शशक्षा दे ते हैं जबशक 40% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक अध्यापक कक्षा में पढ़ाते समय ब्लै कबोडा
का प्रयोग करते हैं । अशधकािं श शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक शशक्षक द्वारा कक्षा में शिद्याशर्था योिं को पढ़ाते समय
शशक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग र्थोड़ा बहत ही करते है जबशक कुछ शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उन्हें कक्षा में
ब्लै कबोडा के माध्यम से शशक्षक पढ़ाते हैं ।
िश्न 06- क्या आपक कभी-कभी विद्यालय में विक्षक ों द्वारा दण्ड वदया जाता है , यवद हााँ त क्या कारण हैं
?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची में र्ष्ठम प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “उनके शिद्यालय में कभी-कभी
शशक्षकोिं द्वारा दण्ड शदया जाता है ” इस सम्बि 50% शिद्याशर्थायोिं ने कहा शक शिद्यालय का अनु शासन दण्डात्मक र्था
। कक्षा में दे री से आने पर डााँ टते -मारते र्थे जबशक 40% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शशक्षक कक्षा में रुशचकर ढिं ग से
पढ़ाते हैं जो शक उन्हें कक्षा में अच्छा लगता है जबशक 10% शिद्याशर्था योिं ने इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीिं शदया ।
अशधकािं श शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक शिद्यालय का अनु शासन बहत कठोर है । शिद्यालय में दे री से पहाँ चने पर
शशक्षक द्वारा उन्हें दिं शडत शकया जाता है ।
िश्न 07- क्या आपके विद्यालय में पीने का पानी तथा िौचालय की उवचत ुविधा है , यवद नही ों त िौचालय
का िय ग करने हे तु आप कहााँ जाते हैं ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची में सप्तम प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “उनके शिद्यालय में पीने का पानी तर्था
शौचालय की उशचत सुशिधा है”-इस सम्बि में 40% शिद्याशर्थायोिं ने कहा शक उनके शिद्यालय में न पीने की सुशिधा है
और न ही शौचालय जाने की सुशिधा है । उनको शौचालय के शलए बाहर जाना पड़ता है जबशक 50% शिद्याशर्था योिं ने
कहा शक उनके शिद्यालय में पीने के शलए है ण्डपम्प ि िाटरकूलर की सुशिधा उपलब्ध है जबशक 10% शिद्याशर्था योिं ने
कोई उत्तर नहीिं शदया । अशधकािं श शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उनके शिद्यालय में पानी पीने के शलए है ण्डपम्प
तर्था िाटरकूलर की सुशिधा है और लड़कोिं एििं लडशकयोिं के शलए अलग से शौचालय की व्यिथर्था है । कुछ
शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उनको शौचालय के शलए बाहर जाना पड़ता है ।
िश्न 08- क्या आपक विद्यालय जाने के वलए दै ि उत्सुकता रहती है , यवद नही ों त क्या कारण है ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची में अष्ट्म प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “शिद्यालय जाने के शलए सदै ि
उत्सु कता रहती है ” इस सम्बि में 60% शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उनको शिद्यालय में कोई खास रूशच नहीिं र्थी,
उनको शिद्यालय जाना पसिंद नहीिं र्था जबशक 30% शिद्याशर्था योिं ने कहा शक उनको शिद्यालय के शलए उत्सु कता रहती
र्थी और उनकी शशक्षा के प्रशत सकारात्मक सोच है , जबशक 10% शिद्याशर्था योिं ने इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीिं शदया ।
अशधकािं श शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उनको शिद्यालय जाने में कोई रूशच नहीिं र्थी क्ोिंशक उनको शिद्यालय जाना
अच्छा नहीिं लगता र्था । उन शिद्याशर्था योिं का पढ़ाई में मन शबल्कुल भी नहीिं लगता र्था जबशक कुछ शिद्यार्थी शिद्यालय
जाने के शलए तैयार रहते हैं , उनको शशक्षा से लगाि है ।

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िश्न 09- आपके घर का िातािरण कै ा है , क्या आपके पररजन िराब, निा इत्यावद का ेिन करते हैं ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची में नौिें प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “ उनके घर का िातािरण कैसा है , क्ा
आपके पररजन शराब, नशा इत्याशद का सेिन करते हैं ” इस सम्बि में 60% शिद्याशर्था योिं के अनु सार घर में जब
कोई पररजन नशा इत्याशद करके आता है तो घर में झगड़े जै सा माहौल हो जाता है , इन्हीिं में से कुछ शिद्याशर्था योिं के
अनु सार ये झगड़ालू माहौल उन्हें प्रभाशित करता है जबशक 40% शिद्याशर्था योिं का कहना है शक उनके शकसी पररजन
में नशे की आदत नहीिं है सब लोग शमल-जु ल कर रहना पसिंद करते हैं । अशधकािं श शिद्याशर्था योिं के घर के आस-
पास का िातािरण अच्छा नहीिं होने के कारण शशक्षा प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न होती है शजसके चलते उसका
प्रभाि उनके पररिारोिं पर भी पड़ता है । घर के आस-पास के लोग शशक्षा के महत्त्व को नहीिं समझते हैं । पररिार में
कोई नशा करके घर में आता है तो घर का माहौल शबगड़ जाता है और उनके पररिार में आये शदन लड़ाई ि झगड़े
होते हैं ।
िश्न 10- क्या विक्षक ों द्वारा िय ग की जाने िाली भाषा आपक पू णि रूप े मझ में आती है ?
उत्तर- साक्षात्कार अनु सूची में दसिें प्रश्न में शिद्याशर्था योिं से यह पूछा गया शक “शशक्षकोिं द्वारा प्रयोग की जाने िाली
भार्ा आपको पूणा रूप से समझ में आती है ” इस सम्बि में शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शशक्षक जब मातृभार्ा या
थर्थानीय भार्ा में शशक्षण काया करते हैं तो िह कक्षा में अशधक जु ड़ाि महसूस करते हैं जबशक अशधकतर
शिद्याशर्था योिं ने कहा शक उन्हें शशक्षक द्वारा प्रयुक्त की जाने िाली भार्ा पूणारूप से समझ में आती है । कुछ
शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उन्हें शशक्षक द्वारा पढाई जाने िाली भार्ा समझ में नहीिं आती है ।
वनष्कषि
ितामान शशक्षा पद्धशत में शशक्षण एििं पाठ्यक्रम का प्रारूप कुछ इस प्रकार से शनधाा ररत शकया गया है शक आप जन-
मानस के शलए प्रार्थशमक शशक्षा प्राप्त करने के उद्दे श्य ही स्पष्ट् नहीिं हो पाते हैं । प्रचशलत शशक्षा जनमानस के
दै शनक-जीिन में अनु पयोगी प्रतीत होती है । अशधकतर शिद्यार्थी शै शक्षक समस्याओिं का कारण शिद्यालय जाने का
कोई साधन न होना तर्था घर से शिद्यालय का दू र होना मानते हैं । उन शिद्याशर्था योिं के आसपास कोई शिद्यालय नहीिं
है और शिद्यालय यशद है भी तो घर से बहत दू र है शजसके कारण उन्हें रास्ते में आने -जाने में डर का सामना करना
पड़ता है । उनके घर से शिद्यालय जाने के शलए पहाड़ोिं और जिं गलो से गुजरना पड़ता है शजसके कारण शिद्यालय में
उन्हें कशठनाईयोिं का सामना करना पड़ता है । कोल जनजाशत के लोगोिं को शशक्षा के प्रशत नकारात्मक सोच र्थी
क्ोिंशक उनको लगता र्था शक उनके बच्े पढ़-शलख कर भी एक अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते । कोल जनजाशत
के अशधकािं श लोग अशशशक्षत र्थे शजसके कारण शशक्षा के महत्त्व को नहीिं समझते र्थे । कोल जनजाशत के लोग बहत
ही गरीब पररिार से सम्बन्धित हैं । कोल जनजाशत के लोग शदन भर की मजदू री से अपने बच्ोिं का पेट भरते हैं ।
उनके बच्े भी उनके सार्थ उनके कायों में लगे रहते हैं । उन शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक कक्षा में शशक्षक द्वारा
पढाई जाने िाली शशक्षा अच्छे से समझ में नहीिं आती है । शशक्षक द्वारा ब्लै कबोडा होने के बाद भी बोलकर पढ़ाना
समझ से बाहर चला जाता है । कक्षा के दौरान सहायक-सामग्री का भी अभाि है शजसके कारण शशक्षण के दौरान
बाधा उत्पन्न होती है । अशधकतर शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक शिद्यालय का अनु शासन दण्डात्मक है । उनको
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कक्षा में लड़ाई-झगड़ा करने तर्था शिद्यालय शबलम्ब से आने पर दण्ड शदया जाता है । अशधकािं श शिद्याशर्था योिं का
कहना र्था शक शशक्षक द्वारा कक्षा में शिद्याशर्था योिं को पढ़ाते समय शशक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग र्थोड़ा बहत ही
करते र्थे , जबशक कुछ शिद्याशर्थायोिं का कहना र्था शक उन्हें कक्षा में शसफा ब्लै कबोडा के माध्यम से शशक्षक कक्षा में
पढ़ाते हैं । अशधकािं श शिद्याशर्थायोिं का कहना र्था शक शिद्यालय का अनु शासन बहत कठोर र्था । शिद्यालय में दे री से
पहाँ चने पर शशक्षक द्वारा उन्हें दिं शडत शकया जाता है । अशधकािं श शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उनके शिद्यालय में
पानी पीने के शलए है ण्डपम्प तर्था िाटरकूलर की सुशिधा है और लड़कोिं एििं लड़शकयोिं के शलए अलग से शौचालय
की व्यिथर्था है । कुछ शिद्याशर्थायोिं का कहना र्था शक उनको शौचालय के शलए बाहर जाना पड़ता है । अशधकािंश
शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उनको शिद्यालय जाने में कोई रूशच नहीिं है क्ोिंशक उनको शिद्यालय जाना अच्छा नहीिं
लगता है । उन शिद्याशर्था योिं का पढ़ाई में मन शबल्कुल भी नहीिं लगता है जबशक कुछ शिद्यार्थी शिद्यालय जाने के शलए
तैयार रहते हैं । उनको शशक्षा से लगाि है । अशधकािं श शिद्याशर्था योिं के घर के आस-पास का िातािरण अच्छा नहीिं है
शजसके चलते उसका प्रभाि उनके पररिारोिं पर पड़ता है । घर के आस-पास के लोग शशक्षा के महत्त्व को नहीिं
समझते हैं । पररिार में यशद कोई नशा करके घर में आता है तो घर का माहौल शबगड़ जाता है और उनके पररिार
में आये शदन लड़ाई ि झगड़े होते है । इस सम्बि में शिद्याशर्था योिं ने कहा शक शशक्षक जब मातृभार्ा या थर्थानीय
भार्ा में शशक्षण काया करते हैं तो िह कक्षा में अशधक जुड़ाि महसूस करते हैं जबशक शिद्याशर्था योिं ने कहा शक उन्हें
शशक्षक द्वारा प्रयुक्त की जाने िाली भार्ा पूणारूप से समझ में आती है । कुछ शिद्याशर्था योिं का कहना र्था शक उन्हें
शशक्षक द्वारा पढाई जाने िाली भार्ा समझ में नहीिं आती है ।
िैवक्षक वनवहताथि
शोध से प्राप्त शनष्कर्ों के आधार पर शनम्नशलन्धखत शबिंदु प्राप्त हए शजसके माध्यम से कोल/आशदिासी की शशक्षा
व्यिथर्था में सुधार शकया जा सकता है ।
1. कोल जनजाशत के शिद्याशर्था योिं में शिद्यालय असुलभता से होने िाली समस्याओिं को दू र कर अपव्यय एििं
अिरोधन की समस्या को खत्म शकया जा सकता है ।
2. शहिं दी अर्थिा क्षेत्रीय भार्ा के सार्थ जनजाशत समु दाय की भार्ा का ध्यान रखा जाना चाशहए ।
3. शिद्याशर्था योिं के सार्थ समान व्यिहार करके उन्हें शिद्यालय से जोड़े रखा जा सकता है ।
4. शशक्षा सम्बिी नीशत बनाते समय प्रस्तु त शोध-अध्ययन से यह लाभ होगा शक शशक्षण शिशध एििं पाठ्यक्रम का
शनधाा रण आशदिासी की आिश्यकता अनु रूप शकया जा सके ।
5. शिद्यालय के शै शक्षक िातािरण के शनमाा ण में शसफा शहन्दू या मु न्धिम सिंस्कृशत ही नहीिं बन्धल्क कोल/आशदिासी
सिंस्कृशत का भी ध्यान रखा जाना चाशहए शजससे कोल/आशदिासी समाज के बच्ोिं को भी शिद्यालय उनके
समाज के एक अिंग के रूप में प्रतीत हो ।

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न्दभि ग्रन्थ
भालेराि, एस०पीo & धारिाडकर, डी०एस० (2015). भारतीय जनजाशतयााँ , इशशका पन्धब्लशशिंग हाउस जयपुर, राजथर्थान.
एन.सी०एफ० (2005). राष्ट्रीय शैशक्षक अनुसिंधान और प्रशशक्षण पररर्द,17-बी, अरशिन्द मागा , नई शदल्ली-110016.
एन.सी०ई०आर०टी० (2007). राष्ट्रीय फोकस समूह का आधार पत्र,अनुसूशचत जाशत और जनजाशत के बच्ोिं की समस्याएिं ,
नई शदल्ली.

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