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भोजशाला

राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक, जो श ा एवं सा ह य के अन य
उपासक थे, ने धार म एक महा व यालय क" #थापना क", िजसे बाद म भोजशाला के &प म जाना जाने
लगा, जहां दरू और पास के अनेक छा+ अपनी बौ .क /यास बुझाने के लए आते थे ।
इस भोजशाला या सर#वती मं दर, िजसे बाद म यहाँ के मुि#लम शासक ने मि#जद म प7रव8त9त कर दया
था, के अवशेष अभी भी ; स. कमाल मौलाना मि#जद म दे खे जा सकते ह= । मि#जद म एक बड़ा खल
ु ा
;ांगण है िजसके चारA ओर #तंभA से सिCजत एक बरामदा एवं पीछे पिDचम म एक ;ाथ9ना गह
ृ ि#थत है ।
मि#जद म ;यF
ु त नFकाशीदार #तGभ और ;ाथ9ना क क" उ कृHट &प से नFकाशीदार
छत भोजशाल के थे । मि#जद क" दJवारA म लगी शलाओं पर उ क"ण9 मK
ू यवान रचनाएं पुन;ा9/त क" गई
ह= ।
इन शलाओं म कमा9वतार या वHणु के मगरमLछ अवतार के ;ाकृत भाषा म लMखत दो #तो+ उ क"ण9 ह=
। दो सप9बंध #तंभ शलालेख, िजसम एक पर सं#कृत वण9माला और संNाओं और OPयाओं के मुQय
अंतःकरण को समा हत Oकया गया है और दस
ू रे शलालेख पर सं#कृत Sयाकरण के दस काल और
मनोदशाओं के SयिFतगत अवसान शा मल ह= । ये शलालेख 11 वीं-12 वीं शताTदJ के ह= । इसके ऊपर
सं#कृत के दो पाठ अनु#तुभ छं द म उ क"ण9 ह= । इनम से एक म राजा भोज के उ तराWधकारJ उदया द य
एवं नरवरमान क" #तु8त क" गयी है । वतीय लेख म बताया गया है Oक ये #तGभ लेख उदया द य वारा
#था पत करवाए गए ह= । इसम कोई संशय नहJं है Oक यहाँ राजा भोज का महा व यालय या सर#वती
मं दर था िजसे उनके उ तराWधका7रयA वारा वक सत Oकया गया था।
करJबी अ वेषण और 8नरJ ण से यह तXय ;काश म आया है Oक मेहराब क" परतA का 8नमा9ण करने वाले
दो बड़े काले प थरA के पीछे क" तरफ के भाग पर लेख उ क"ण9 है । ये शलालेख शा#+ीय सं#कृत म
नाटक"य रचना ह= । यह अजुन
9 वमा9 दे व के शासनकाल (1299-10 से 1215-18 ई.) के दौरान उ क"ण9 Oकया
गया था । यह नाटक राजक"य श क मदन वारा काSय &प म लखा गया था, जो Oक ; स. जैन
व वान आशाधर के शHय थे िज हAने #वयं भी परमारA क" शाहJ अदालत को सुशो भत Oकया और मदन
को सं#कृत काSय पढ़ाया । नाटक को करपरु मंजरJ कहा जाता है एवं यह अजुन
9 वमा9 दे व के सGमान म है
िज ह मदन ने पढ़ाया था और िजनक" अदालत को वे शोभायमान करते थे । यह नाटक परमारA और
चालुFयA के बीच यु. को संद भ9त करता है जो ववाह गठबंधन वारा समा/त हो गया था ।
“धार म, िजसे महलA का शहर के &प म वMण9त Oकया गया है िजसम आसपास फैलJ पहा[ड़यA पर खब
ु सरु त
उ यान थे, त समय के उLच #तरJय नाग7रक जीवन एवं सुधारा मक काय\ क" एक झलक ;#तत
ु क"
गयी है । लोग #वयं भोज क" म हमा पर गव9 करते थे िज हAने धार को ‘मालवा क" रानी’ के &प म बनाया
था ।” धार के संगीतकारA और व वानA क" उ कृHटता का भी उKलेख Oकया गया है । यह शाला, िजसक"
भोज वारा #थापना क" गयी और उनके उ तराWधका7रयA वारा संर] त Oकया गया, इसे 14 वीं सदJ म
एक मि#जद म प7रव8त9त कर दया गया ।
यह मूल &प से सर#वती ( व या क" दे वी) का मं दर थी, जो क व मदन ने उनके नाटक म संद भ9त Oकया है
। मं दर को; महलA, मं दरA, महा व यालयA, ना^यशालाओं और उ यानA के नगर – धारानगरJ के 84
चौराहA का आभूषण कहा जाता था । दे वी सर#वती क" ;8तमा वत9मान म लंदन के सं_हालय म है । धार
के कलाकारA वारा मूल ;8तमा क" तरह दखने वाला Wच+ उकेरा गया है ।

महारजा भोज माँ सर#वती के वरदपु+ थे। उनक" तपोभू म धारा नगरJ म उनक" तप#या और साधना से
;स न हो कर माँ सर#वती ने #वयं ;कट हो कर दश9न दए। माँ से सा ा कार के पDचात उसी दSय
#व&प को माँ वा`दे वी क" ;8तमा के &प म अवत7रत कर भोजशाला म #था पत करवाया जहाँ पर माँ
सर#वती क" कृपा से महराजा भोज ने ६४ ;कार क" स .याँ ;ा/त क"। उनक" अcयाि मक, वैNा8नक,
सा हि यक अ भdWच, Sयापक और सूeम fHटJ, ;ग8तशील सोच उनको दरू दशg तथा महानतम बनाती
है । महाराजा भोज ने माँ सर#वती के िजस दSय #व&प के सा ात ् दश9न Oकये थे उसी #व&प को महान
मू8त9कार मंथल ने 8नमा9ण Oकया। भूरे रं ग के #फ टक से 8न म9त यह ;8तमा अ य त हJ चम का7रक,
मनोमोहक एव शांत मुiा वालJ है , िजसम माँ का अपूव9 सAदय9 Wच ताकष9क है । cयान#थ अव#था म
वा`दे वी Oक यह ;8तमा वDव क" सबसे सु दर कलाकृ8तयA म से एक मानी जाती है ।
माँ सर#वती का ;ाक^य #थल भोजशाला ह द ू जीवन दश9न का सबसे बड़ा अcयन एवं ;चार ;सार का
कi भी था जहाँ दे श वदे श के लाखA व याWथ9यA ने १४०० ;काlड व वान आचायn के सा8नcय
आलोOकक Nान ;ा/त Oकया । इन आचायn म भवभू8त, माघ, बाणभp, का लदास, मानतुंग, भा#करभp,
धनपाल, बौ. संत ब #वाल, समु i घोष आ द वDव वQयात है । महाराजा भोज के पDचात अcयन
अcयापन का काय9 २०० वषn तक 8नर तर जारJ रहा।
माँ के ;ग^य #थल पर सेकड़ो वषn से अ वरत आराधना, यN, हवन, पज
ू न एवं तपि#वयA क" साधना से
भोजशाला सGपण
ू 9 वDव म स. पीठ के &प म आ#था और r.ा का कi है । १२६९ इसवी से हJ इ#लामी
आPंताओ ने अलग तरJको से योजना पव
ू क
9 भारत वष9 के इस अcयाि मक और सां#कृ8तक मान tबंद ु
भोजशाला पर आPमण Oकया िजसे त कालJन ह द ू राजाओ ने वफल कर दया।
सन १३०५ मे इ#लामी आPा ता अलाउwीन Mखलजी ने भोजशाला पर आPमण कर माँ वा`दे वी क"
;8तमा को खं[डत कर दया तथा भोजशाला को के कुछ भाग को भी cव#त Oकया। १२०० आचायn क"
ह या कर यN कुlड म डाल दया। राजा मेदनीराय ने वनवासी धम9योधाओ को साथ ले कर मुि#लम
आPा ताऔ को मार भगाया गया। त पDचात १९०२ म से वा`दे वी क" ;8तमा को मेजर Oकनकैड अपने
साथ इं`लड ले गया, जो, आज भी ल दन सं_हालय म कैद है ।
भोजपुर
भोजपुर (Bhojpur) भारत के मcय ;दे श राCय के रायसेन िज़ले म ि#थत एक ऐ8तहा सक और धा म9क &प से मह वपूण9 #थान है ।
यह वे+वती नदJ (बेतवा नदJ) के Oकनारे बसा हुआ है ।

गाँव से लगी हुई पहाड़ी पर एक वशाल शव मं दर है । इस नगर तथा उसके शव लंग क" #थापना धार के ; स. परमार राजा भोज
(१०१० ई.- १०५३ ई.) ने Oकया था। अतः इसे भोजपरु मं दर या भोजेDवर मं दर भी कहा जाता है । मं दर पण
ू 9 dपेण तैयार नहJं बन
पाया। इसका चबूतरा बहुत ऊँचा है , िजसके गभ9गहृ म एक बड़ा- सा प थर के टूकड़े का पॉ लश Oकया गया शव लंग है , िजसक"
ऊँचाई ३.८५ मी. है । इसे भारत के मं दरA म पाये जाने वाले सबसे बड़े शव लंगA म से एक माना जाता है । व#तत
ृ चबूतरे पर हJ
मं दर के अ य ह#सA, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने क" योजना थी। ऐसा मं दर के 8नकट के प थरA पर बने मं दर- योजना
से संब. नFशA से इस बात का #पHट पता चलता है । इस मं दर के अcययन से हम भारतीय मं दर क" वा#तुकला के बारे म बहुत- सी
बातA क" जानकारJ मलती है । भारत म इ#लाम के आगमन से भी पहले, इस हंद ू मं दर के गभ9गहृ के ऊपर बना अधुरा गुGबदाकार
छत भारत म हJ गुGबद 8नमा9ण के ;चलन को ;माMणत करती है । भले हJ उनके 8नमा9ण क" तकनीक भ न हो। कुछ व.ान इसे
भारत म सबसे पहले गुGबदJय छत वालJ इमारत मानते ह=। इस मं दर का दरवाजा भी Oकसी हंद ू इमारत के दरवाजA म सबसे बड़ा
है । चँूOक यह मं दर ऊँचा है , इतनी ;ाचीन मं दर के 8नमा9ण के दौरान भारJ प थरA को ऊपर ले जाने के लए ढ़लाने बनाई गई थी।
इसका ;माण भी यहाँ मलता है । मं दर के 8नकट ि#थत बाँध को राजा भोज ने बनवाया था। बाँध के पास ;ाचीन समय म ;चूर
संQया म शव लंग बनाया जाता था। यह #थान शव लंग बनाने क" ;OPया क" जानकारJ दे ता है । कुछ बुजुग\ का कहना है ◌ै Oक
मं दर का 8नमा9ण वापर युग म पांडवA वारा माता कंु ती क" पूजा के लए इस शव लंग का 8नमा9ण एक हJ रात म Oकया गया था।
वDव ; स घ शव लंग क" ऊंचाई साढ़़े◌े इFक"स Oफट, पंडी का Sयास १८ Oफट आठ इंच व जलहरJ का 8नमा9ण बीस बाई बीस से
हु◌ुआ है ◌ै। इस ; स घ #थल पर साल म दो बार वा ष9क मेले का आयोजन Oकया जाता है ◌ै। जो मंकर संPां8त व महा शवराt+ पव9
होता है ◌ै। एक हJ प थर से 8न म9त इतनी बड़़ी शव लंग अ य कहJं नहJं दखाई दे ती है ◌ै। इस मं दर क" •ाइं◌ंग समीप हJ ि#थत
पहाड़़ी पर उभरJ हु◌ुई है ◌ै जो आज भी दखाई दे ती है ◌ै। इससे ऐेसा ;तीत होता है ◌ै Oक पूव9 म भी आज क" तरह नFशे बनाकर
8नमा9ण काय9 Oकए जाते रहे ◌े हAगे। इस मं दर के महं त पवन WगरJ गो#वामी ने बताया Oक उनक" यह १९ वीं पीढ़़ी है ◌ै जो इस मं◌ं दर
क" पज
ू ा अच9ना कर रहJ है ◌ै। उ हAने बताया शवराt+ पव9 पर भगवान भोलेनाथ का माता पाव9ती से ववाह हु◌ुआ था। अत: इस दन
म हलाएं अपनी मनोकामना के साथ €त रखती है ◌ै व भगवान भोले नाथ के पांव पखारने यहां आती है । माता कु◌ु◌ंती के पता का
नाम भी राजाभोज था अत: इसका नाम भोजपुर पड़़ा व यह वापर युग का 8न म9त मं दर है ◌ै व जीण9शीण9 होने पर धार के राजा
परमार वंशी राजाभोज ने इसका जीणn घार कराया। यहां शवराt+ पव9 पर करJब एक लाख r.ालु दश9न के लए आते है ।

भोजपुर से कुछ दरू J पर कुमरJ गाँव के 8नकट सघन वन म वे+वती नदJ का उ गम #थल है । यह नदJ एक कुlड से 8नकलकर बहती
है । भोपाल ताल भोजपुर का हJ एक तालाब है । इसके बाँध को मालवा के शासक होशंगशाह (१४०५ - १४३४) म अपनी सं] /त या+ा म
अपने बेगम क" मले7रया संबंधी शकायत पर तुड़वा डाला था। इससे हुए जल/लावन के बीच जो टापू बना वह वीप कहा जाने लगा।
वत9मान म यह "मंडी वीप' के नाम से जाना जाता है । इसके आस- पास आज भी कई खं[डत सुंदर ;8तमाएँ tबखरJ पड़ी ह=। यहाँ
मकर- संPां8त पर मेला भी लगता है ।

इस मं दर को उ तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है ।[2][26] नर धार शैलJ म 8न म9त इस मं दर म ;द] णा


पथ (प7रPमा माग9) नहJं है ।[27] मि दर ११५ फ़"ट (३५ मी॰) लGबे, ८२ फ़"ट(२५ मी॰) चौड़े तथा १३ फ़"ट(४ मी॰) ऊंचे
चबत
ू रे पर खड़ा है । चबत
ू रे पर सीधे मि दर का गभ9गह
ृ हJ बना है िजसम वशाल शव लंग #था पत है ।
[28]
गभ9गह

क" अ भकKपन योजना म ६५ फ़"ट (२० मी॰) चौड़ा एक वग9 बना है ; िजसक" अ द&नी नाप ४२.५ फ़"॰(१३ मी॰)
है ।[29] शव लंग को तीन एक के ऊपर एक जुड़े चूनाप थर खlडA से बनाया गया है । इसक" ऊंचाई ७.५ फ़"॰(२.३ मी॰)
तथा Sयास १७.८ फ़"॰(५.४ मी॰) है । यह शव लंग एक २१.५ फ़"॰(६.६ मी॰) चौड़े वगा9कार आधार (जलहरJ) पर
#था पत है । [30] आधार स हत शव लंग क" कुल ऊंचाई ४० फ़"॰ (१२ मी॰) से अWधक है ।[31][32]

गभ9गह
ृ का ;वेश वार ३३ फ़"॰ (१० मी॰) ऊंचा है । ;वेश क" दJवार पर अ/सराएं, शवगण एवं नदJ दे वयA क"
[28]

छ वयाँ अंOकत ह=।[31] मि दर क" दJवार बड़े-बड़े बलआ


ु प थर खlडA से बनी ह= एवं Mखड़क" र हत ह=। पन
ु रो.ार-पव
ू 9
क" दJवारA म कोई जोड़ने वाला पदाथ9 या लेप नहJं था। उ तरJ, द] णी एवं पव
ू g दJवारA म तीन झरोखे बने ह=, िज ह
भारJ भारJ „ैके^स सहारा दये हुए ह=। ये केवल दखावटJ बाKकनी &पी झरोखे ह=, िज ह सजावट के &प म दखाया
गया है । ये भू म #तर से काफ़" ऊंचे ह= तथा भीतरJ दJवार म इनके लये कुछ खल
ु ा #थान नहJं दखाई दे ता है ।
उ तरJ दJवार म एक मकराकृ8त क" नालJ है जो शव लंग पर चढ़ाए गये जल को जलहरJ वारा 8नकास दे ती
है ।[28] सामने क" दJवार के अलावा, यह मकराकृ8त बाहरJ दJवारA क" इकलौती शKपाकृ8त है ।[17] पव
ू 9 म दे वयA क"
आठ शKपाकृ8तयां अ द&नी चारA दJवारA पर काफ़" ऊंचाई पर #था पत थीं, िजनम से वत9मान म केवल एक हJ
शेष है ।[31]

Oकनारे के प थरA को सहारा दे ते चारA „ैके^स पर भगवानA के जोड़े – शव-पाव9ती, „…मा-सर#वती, राम-सीता एवं
वHण-ु लeमी क" म8ू त9यां अंOकत ह=। ; येक „ैकेट के ; येक ओर एक अकेलJ मानवाकृ8त अंOकत है ।[31] हालांOक
मि दर क" ऊपरJ अWधरचना अधूरJ है , Oक तु ये #पHट है Oक इसक" शखर &पी 8तरछ† सतह वालJ छत नहJं
बनायी जानी थी। OकरJट मनकोडी के अनस
ु ार, शखर क" अ भकKपना एक 8नGन ऊंचाई वाले परा मड आकार क"
बननी होगी िजसे समवण9 कहते ह= एवं मlडपA म बनायी जाती है ।[31] ऍडम हाडg के अनस
ु ार, शखर क" आकृ8त
फ़ामसान आकार (बाहरJ ओर से रै Mखक) क" बननी होगी, हालांOक अ य संकेतA से यह भू मज आकार का ;तीत
होता है ।[33] इस मि दर क" छत गG
ु बदाकार ह= जबOक इ8तहासकारA के अनस
ु ार मि दर का 8नमा9ण भारत म
इ#लाम के आगमन के पहले हुआ था। अतः मि दर के गभ9गह ृ पर बनी अधरू J गG
ु बदाकार छत भारत म गG ु बद
8नमा9ण के ;चलन को इ#लाम-पव
ू 9 ;माMणत करती है । हालांOक इ#लामी गGु बदA से यहां के गG
ु बद क" 8नमा9ण क"
तकनीक भ न थी। अतः कुछ व वान इसे भारत म सबसे पहले बनी गG
ु बदJय छत वालJ इमारत भी मानते ह=।
इस मि दर का ;वेश वार भी Oकसी अ य हंद ू इमारत के ;वेश वार क" तल
ु ना म सबसे बड़ा है ।
[1][34]
यह वार
११.२० मी॰ ऊंचा एवं ४.५५ मी॰ चौड़ा है ।[27] यह अधूरJ Oक तु अ यWधक नFकाशी वालJ छत ३९.९६ फ़"॰(१२.१८ मी॰)
ऊंचे चार अHटकोणीय #तंभA पर टक" हुई है ।[35][36] ; येक #तंभ तीन पला#टरA से जुड़ा हुआ है । ये चारA #तंभ
तथा बारहA पला#टर कई मcयकालJन मि दरA के नव_ह-मlडपA क" तरह बने ह=, िजनम १६ #तंभA को संग ठत
कर नौ भागA म उस #थान को वभािजत Oकया जाता था, जहाँ नव_हA क" नौ ;8तमाएं #था पत होती थीं। [31]

यह मि दर काफ़" ऊँचा है , इतनी ;ाचीन मि दर के 8नमा9ण के दौरान भारJ प थरA को ऊपर ले जाने के लए ढ़लाने
बनाई गई थीं। इसका ;माण भी यहाँ मलता है । मि दर के 8नकट ि#थत बाँध का 8नमा9ण भी राजा भोज ने हJ
करवाया था। बाँध के पास ;ाचीन समय म ;चुर संQया म शव लंग बनाये जाते थे। यह #थान शव लंग बनाने क"
;OPया क" जानकारJ दे ता है ।[37]
भीमा ताल

भीमा जलशय (भोजपरु ) तथा भोपाल के बड़े तालाब का 8नमा9ण :

भोपाल से लगभग 20 Oकमी क" दरू J पर भोपाल भोजपरु के बीच राजा भोज वारा भीमा जलाशय का 8नमा9ण Oकया
गया था इसके लये बेतवा का पानी रोकने के लये बड़ा भारJ बांध बनाया गया था। इस जलाशय को भीमताल के नाम
से भी जाना जाता है । पास म हJ भोजपरु नाम का _ाम (23006 अ ांश उ तर तथा 700 35 दे शांश पव
ू )9 ि#थत है ।

इस भीमाताल के 8नमा9ण तथा साथ हJ भोपाल के बड़े तालाब (भोज वेटल=ड) के 8नमा9ण के पीछे राजा भोज से
सGबि धत कहानी है । rी पी.टJ. आयंगार वारा लखी गई प#
ु तक ‘राजा भोज’ (पHृ ठ 105 से 109) के अनस
ु ार यह
कहानी इस ;कार है -

राजा भोज कुHठ रोग से _#त थे। भोज के दरबार के डॉFटर या वै य इस रोग को ठ†क नहJं कर सके। उस समय आज
क" तरह मे[डकल WचOक सा का वकास नहJं हुआ था। रोगA के उपचार के लये वै यA के अलावा Cयो8त षयA से भी
रोग शां8त का उपाय पछ
ू ा जाता था। एक Cयो8तषी स यासी साधु ने रोग का उपचार बताया Oक य द महाराज 365
जलधाराओं को 365 दनA (एक वष9) म जोड़कर एक प व+ जलाशय बनाय और उस जल म एक वशेष मह
ु ू त9 म #नान
कर तथा 8न य शव पज
ू न कर तो रोग से छुटकारा मल सकता है ।

राज दरबार के सभी मं+ी और इंजी8नयर ऐसे #थान क" खोज म जुट गए। उ हAने भोपाल से 20 मील क" दरू J पर
बेतवा नदJ का इस ;कार का #थान दे खा। इस #थान पर पहा[ड़याँ इस तरJके से ि#थत थीं Oक एक बांध बनाकर ऐसे
प व+ जलाशय का 8नमा9ण Oकया जा सकता था। चालJस फ"ट ऊँचा और एक सौ फुट चौड़ा बांध प थरA के वारा
बनाया गया। (आज कल इसी बांध के ऊपर से भोपाल से भोजपरु जाने का रोड बना हुआ है ।) Oक तु जब इस जलाशय
म मलने वालJ सभी जलधाराओं क" Wगनती क" गई तो वे 359 हJ 8नकलJं। जबOक 365 जलधाराओं को मलाने का
साधु का आदे श था।

राजा भोज के का लया (कKयाण संह) नामक मं+ी ने 5 जलधाराओं को खोजकर बताया Oक तु तब भी कुल 364
जलधाराएं हJ हो रहJं थीं। का लया या कKयाण संह एक और जलधारा क" खोज करने लगा वह परु ाने Oकले (वत9मान
कमला पाक9 का महल) के पास पहुँचा जहाँ उसने दो पहा[ड़यA के बीच म से पानी बहते हुए दे खा। उसने बांध बनाकर
पानी क" धारा को रोक दया। इस ;कार बड़ा तालाब बन गया। इस तालाब से वह एक जल धारा 8नकाल कर भदभदा
क" तरफ से बेतवा नदJ म मलाने ले गया। यह जल धारा उसके नाम पर कKयाण सौध या क लयासोत कहलाने
लगी। इस धारा ने नदJ का &प ले लया जो अब क लयासोत नदJ के नाम से जानी जाती है । इस ;कार कुल 365 जल
धाराओं के संगम से भीमा जलाशय पण
ू 9 हुआ।
राजा भोज ;8त दन नाव के वारा भीमा जलाशय क" सैर करते थे तथा भोजपरु के भोजेDवर ( शव) मं दर म जाकर
शवा भषेक करते थे। गजे टयर (अं_ेजी)- (भोपाल #टे ट ;थम सं#करण 1908, पन
ु मi
ु9 ण 1995, ;काशक डायरे Fटरे ट
ऑफ राजभाषा एवं सं#कृ8त मcय ;दे श) के अनस
ु ार भोजपरु मं दर के शव लंग क" ऊँचाई साढ़े सात फुट तथा प7रWध
17 फुट 8 इंच है । यह साढ़े इFक"स फुट के वगा9कार चबत
ू रे (िजलहरJ) पर #था पत है ।

भोपाल के बड़े तालाब और भोजपरु के भीमा जलाशय दोनA का 8नमा9ण समय सन 1010-1055 के लगभग माना जाता
है । भोजपरु के भीमा जलाशय का े+फल 250 वग9मील से भी अWधक था। इस जलाशय का पानी लगभग 65000
हे Fटे यर भू म म फैला हुआ था। गजे टयर भोपाल #टे ट 1908 के अनस
ु ार होशंगाबाद के शासक होशंगशाह (1405-
1434) ने इसे सन 1431 म तोड़ा था। इसे तोड़ने म उसे 3 माह लगे थे तथा तीन वष9 म इस भीमा जलाशय का पानी
8नकल पाया था।

भीमा ताल आज के भोपाल के बड़े तालाब से चालJस गन


ु ा बड़ा था। ताल म अनेक झरने तथा नौ न दयां मलती थीं-

बेतवा, क लयासोत, केरवा, बनसी, घेरवा, जामनी, गोदर, सेग&


ु , बांगना, इन न दयA के अलावा कई झरने इस #थान
पर मलते थे। जलाशय म तीन #थानA पर बांध बनाए गए थे- क"रत नगर म 91.4 मीटर लंबा, बंगर सया म आधा
Oकमी लंबा और मदआ
ु म डेढ़ Oकमी लंबा बांध बनाया गया था।

अcययन म यह तXय उभरकर आया है Oक भोजपरु के चारA ओर ि#थत पहा[ड़यां ओम का आकार बनाती ह=। इसी
(ओम) म भोज का भीमाताल ि#थत था। भीम का अथ9 है वशाल। ए शया का सबसे बड़ा शव लंग भी इसी ओम म
भोजपरु म ि#थत है ।

आ दवासी लोककला एवं तल


ु सी अकादमी, म.;. सं#कृ8त प7रषद भोपाल वारा ;का शत प#
ु तक ‘चौमासा’ म इस
भीमा जलाशय क" वशेषता पर इस ;कार ;काश डाला गया है :-

राजा भोज ने बेतवा (वे+वती) व उसक" सहायक नदJ का लयासोत पर एक बांध व सरोवर का 8नमा9ण कराया था। यह
सरोवर एक व#तत
ृ पहाड़ी घाटJ म था। इसक" पव9तीय दJवार म दो दर‰ ह=। एक, एक सौ फ"ट और दस
ू रा पाँच सौ फ"ट।
ये दोनA दर‰ अनोखे बांधA वारा जोड़ दये गये थे। मpी से बने इस के iJय बांध के भीतरJ और बाहरJ दोनA ओर
वशालकाय ;#तर खlड लगे हुए ह=, जो tबना चूने के, एक दस
ू रे पर इस तरह रखे हुए ह= Oक उनम जल ;वेश नहJं कर
सकता। अधोभाग से इसके शेष दोनA प A क" ढाल, भीतर क" ओर थी। कम चौड़ाई वाले दर‰ का बांध ऊँचाई म 78 फ"ट
और अधो भाग पर उसक" चौड़ाई 300 फ"ट थी। अWधक चौड़े दर‰ का बांध 40 फ"ट ऊँचा और ऊपरJ तल लगभग 100
फ"ट चौड़ा था। इनम से पहला वाला परू J cवंसाव#था म है Oक तु दस
ू रा ठ†क अव#था म है । आज भी का लयासोत नदJ
का परु ाना तल पहचाना जा सकता है । राजनै8तक कारणA से बेतवा के इस बांध को, मालवा के सK
ु तान हुशंगशाह गोरJ
ने तड़
ु वा दया था, िजसके अवशेष आज भी वहाँ दे खे जा सकते ह=।

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