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Sambadhnik Sthithi 18
Sambadhnik Sthithi 18
संघ क� राजभाषा �हंद� और �ल�प दे वनागर� है । संघ के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्रयोग होने व
अंक� का रूप भारतीय अंक� का अंतराष्ट्र�य र {सं�वधान का अनच
ु ्छे 343 (1)} । परन्तु �हंद� के
अ�त�रक्त अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी सरकार� कामक ाज म� �कया जा सक (राजभाषा
अ�ध�नयम क� धारा 3) ।
संसद का कायर् �हंद� म� या अंग्रेजी म� �कया जा सकता । परन्तु राज्यसभा के सभाप�त महोदय य
लोकसभा के अध्य� महोदय �वशेष प�रिस्थ�त म� सदन के �कसी सदस्य को अपनी ातृभाषा
म म� स
को संबो�धत करने क� अनम
ु �त दे सकते ह� । {सं�वधान का अनच
ु ्छे 120}
�कन प्रयोजन� के �लए केवल �हंद� का प्रयोग �कया जान , �कन के �लए �हंद� और अंग्रेजी दोन
भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है और �कन काय� के �लए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग �कय
है , यह राजभाषा अ�ध�नयम 1963, राजभाषा �नयम 1976 और उनके अंतगर्त समय समय पर राजभाषा
�वभाग, गह
ृ मंत्रालय क� ओर से जार� �कए गए �नदेश� द्वारा �नधार्�रत �कया गय ।
संवध
ै ा�नक प्रावध
(भारत के सं�वधान म� राजभाषा से संब�ं धत भाग-17)
अनच
ु ्छे 120. संसद् म� प्रयोग क� जाने वाल� भ - भाग 17(1) म� �कसी बात के होते हुए भी , �कं तु
अनच
ु ्छे 348 के उपबंध� के अधीन रहते हुए, संसद म� कायर् �हंद� म� या अंग्रेजी म� �कया जा
परं त,ु यथािस्थ�, राज्य सभा का सभाप�त या लोक सभा का अध्य� अथवा उस रूप म� कायर् करने व
व्यिक्त �कसी सदस्य , जो �हंद� म� या अंग्रेजी म� अपनी पयार्प्त अ�भव्यिक्त नह�ं कर
है , अपनी मातृ-भाषा म� सदन को संबो�धत करने क� अन�
ु ा दे सकेगा ।
1
(2) जब तक संसद् �व�ध द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस सं�वधान के प्रारंभ से पंद्रह
अव�ध क� समािप् के पश्चा त् यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा “या अंग्रेजी ” शब्द� का उसम�
से लोप कर �दया गया हो ।
अनच
ु ्छे 210: �वधान-मंडल म� प्रयोग क� जाने वाल� भा - भाग 17(1) म� �कसी बात के होते हुए
भी, �कं तु अ नच
ु ्छे 348 के उपबंध� के अधीन रहते हुए , राज्य के �वधा-मंडल म� कायर् राज्य क
राजभाषा या राजभाषाओं म� या �हंद� म� या अंग्रेजी म� �कया जाए
परं त,ु यथािस्थ�, �वधान सभा का अध्य� या �वधान प�रषद् का सभाप�त अथवा उस रूप म� कायर् क
वाला व्यिक्त �कसी सदस्य, जो पव
ू �क्त भाषाओं म� से �कसी भाषा म� अपनी पयार्प्त अ�भव्यिक्त
कर सकता है, अपनी मातृभाषा म� सदन को संबो�धत करने क� अन�
ु ा दे सकेगा ।
अनच
ु ्छे 343. संघ क� राजभाषा--
(1) संघ क� राजभाषा �हंद� और �ल�प दे वनागर� होगी , संघ के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्रयोग ह
वाले अंक� का रूप भारतीय अंक� का अंतरार्ष्ट्र�य रूप
(2) खंड (1) म� �कसी बात के होते हुए भी , इस सं�वधान के प्रारंभ से पंद्रह वषर् क� अव�ध तक सं
उन सभी शासक�य प्रयोजन� के �लए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग �कया जाता रहेगा िजनके �लए उसक
प्रारंभ से ठ�क पहले प्रयोग �कया जा रह :
परन्तु राष्ट्रप�त उक्त अव�ध के , आदे श द्वार, संघ के शासक�य प्रयोजन� म� से �कसी के �ल
अंग्रेजी भाषा के अ�त�रक्त �हंद� भाषा का और भारतीय अंक� के अंतरार्ष्ट्र�य रूप के अ�त�रक्त
रूप का प्रयोग प्रा�धकृत कर स
(3) इस अनच
ु ्छेद म� �कसी बात के होते हुए भ , संसद् उक्त पन्द्रह वषर् क� अव�ध के प , �व�ध
द्वार
2
(क) अंग्रेजी भाषा , या
ऐसे प्रयोजन� के �लए प्रयोग उपबं�धत कर सकेगी जो ऐसी �व�ध म� �व�न�दर्ष्ट �कए
अनच
ु ्छे 344. राजभाषा के संबध
ं म� आयोग और संसद क� स�म�त--
(1) राष्ट्र, इस सं�वधान के प्रारंभ से पांच वषर् क� समा पर और तत्पश्चात् ऐसे प्रारंभ से दस
क� समािप् पर, आदे श द्वार , एक आयोग ग�ठत करे गा जो एक अध्य� और आठवीं अनुसूची म�
�व�न�दर ्ष्ट �व�भन्न भाषाओं का प्र�त�न�धत्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्य� से �मलकर बनेग
राष्ट्रप�त �नयुक्त करे और आदेश म� आयोग द्वारा अनुसरण क� जाने वाल� प्र�क्रया क�
जाएगी।
(ख) संघ के सभी या �कन्ह�ं शासक�य प्रयोजन� के �लए अंग्रेजी भाषा के प्रयोगपर ,
(ग) अनच
ु ्छे 348 म� उिल्ल�खत सभी या �कन्ह�ं प्रयोजन� के �लए प्रयोग क� जाने वाल,
(घ) संघ के �कसी एक या अ�धक �व�न�दर ्ष्ट प्रयोजन� के �लए प्रयोग �कए जाने वाले अंक�,
(ड़) संघ क� राजभाषा तथा संघ और �कसी राज्य के बीच या एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच पत्
क� भाषा और उनके प्रयोग के संबंध म� राष्ट्रप�त द्वारा आयोग को �नद��शत �कए गए �कस
�वषय, के बारे म� �सफा�रश करे ।
(3) खंड (2) के अधीन अपनी �सफा�रश� करने म� , आयोग भारत क� औद्यो�ग , सांस्कृ�तक और
वै�ा�नक उन्न�त का और लोक सेवाओं के संबंध म� अ�हंद� भाषी �ेत्र� के व्यिक्तय� के न्यायसंगत
और �हत� का सम्यक ध्यान रखेग
(4) एक स�म�त ग�ठत क� जाएगी जो तीस सदस्य� से �मलकर बनेगी िजनम� से बीस लोक सभा के
सदस्य ह�गे और दस राज्य सभा के सदस्य ह�गे जो क्रमशः लोक सभा के सदस्य� और राज्य
सदस्य� द्वारा आनुपा�तक प्र�त�न�धत्व पद्ध�त के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा �नवा
(5) स�म�त का यह कतर्व्य होगा �क वह ख (1)के अधीन ग�ठत आयोग क� �सफा�रश� क� पर��ा करे
और राष्ट्रप�त को उन पर अपनी राय के बारे म� प्र�तवे द
(6) अनचु ्छे 343 म� �कसी बात के होते हुए भी , राष्ट्रप�त (5) म� �न�दर ्ष्ट प्र�तवेदन पर �व
करने के पश्चा त् उस संपूणर् प्र�तवेदन के या उसके �कसी भाग के अनुसार �नदे श दे सक
3
अध्या 2- प्रादे�शक भाषा
अनच
ु ्छे 345. राज्य क� राजभाषा या राजभाषाए--
अनचु ्छे 346 और अनच ु ्छे 347 के उपबंध� के अधीन रहते हुए , �कसी राज्य का �वधा-मंडल , �व�ध
द्वार, उस राज्य म� प्रयोग होने वाल� भाषाओं म� से �कसी एक या अ�धक भाषाओं को या �हंद� को
राज्य के सभी या �कन्ह�ं शासक�य प्रयोजन� के �लए प्रयोग क� जाने वाल� भाषा या भाषाओं के
अंगीकार कर सकेगाः
परं तु जब तक राज्य का �वधा-मंडल , �व�ध द्वार, अन्यथा उपबंध न करे तब तक राज्य के भीतर उ
शासक�य प्रयोजन� के �लए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग �कया जाता रहेगा िजनके �लए उसका इस सं
के प्रारंभ से ठ�क पहले प्रयोग �कया जा रहा
अनच
ु ्छे 346. एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या �कसी राज्य और संघ के बीच पत्रा�
राजभाषा--
संघ म� शासक�य प्रयोजन� के �लए प्रयोग �कए जाने के �लए तत्समय प्रा�धक , एक राज्य और
दस
ू रे राज्य के बीच तथा �कसी राज्य और संघ के बीच पत्रा�द क� राजभाषा :
परं तु य�द दो या अ�धक राज्य यह करार करते ह� �क उन राज्य� के बीच पत्रा�द क� राजभाषा �हंद� भ
होगी तो ऐसे पत्रा�द के �लए उस भाषा का प्रयोग �कया जा सक
अनच
ु ्छे 347. �कसी राज्य क� जनसंख्या के �कसी भाग द्वारा बोल� जाने वाल� भाषा के संबंध
�वशेष उपबंध--
य�द इस �न�मत्त मांग �कए जाने पर राष्ट्रप�त का यह समाधान हो जाता है �क �कसी राज्
जनसंख्या का पयार्प्त भाग यह चाहता है �क उसके द्वारा बोल� जाने वाल� भाषा को राज्य द
मान्यता द� जाए तो वह �नदेश दे सकेगा �क ऐसी भाषा को भी उस राज्य म� सवर्त्र या उसके �कसी
म� ऐसे प्रयोजन के �, जो वह �व�न�दर ्ष्ट क, शासक�य मान्यता द� जाए
अनच
ु ्छे 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय� म� और अ�ध� , �वधेयक� आ�द के �लए
प्रयोग क� जाने वाल� भा--
(1) इस भाग के पव
ू ्गामी उपबंध� म� �कसी बात के होते हुए भ
र , जब तक संसद् �व�ध द्वारा अन्
उपबंध न करे तब तक--
(क) उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय म� सभी कायर्वा�हया भाषा म� ह�गी,
4
(ख) (i) संसद् के प्रत्येक सदन या �कसी राज्य के -मंडल के सदन या प्रत्येक सदन म� पुरःस्था
�कए जाने वाले सभी �वधेयक� या प्रस्ता�वत �कए जाने वाले उनके संशोधन� ,
(ii) संसद या �कसी राज्य के �वधा-मंडल द्वारा पा�रत सभी अ�ध�नयम� के और राष्ट्रप�त या �
राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्या�पत सभी अध्या ,और
(iii) इस सं�वधान के अधीन अथवा संसद या �कसी राज्य के �वधा-मंडल द्वारा बनाई गई �कसी �व�ध
के अधीन �नकाले गए या बनाए गए सभी आदे श� , �नयम�, �व�नयम� और उप�व�धय� के , प्रा�धकृत पा
अंग्रेजी भाषा म� ह�ग
(2) खंड(1) के उपखंड (क) म� �कसी बात के होते हुए भी , �कसी राज्य का राज्यपाल राष्ट्रप�त क�
सहम�त से उस उच्च न्यायालय क� कायर्वा�हय� , िजसका मख्य ु स्थान उस राज्य म� , �हन्द� भाषा
का या उस राज्य के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्रयोग होने वाल� �कसी अन्य भाषा का प्रयोग
कर सकेगाः
परं तु इस खंड क� कोई बात ऐसे उच्च न्यायालय द्वारा �दए गए �कसी �न , �डक्र� या आदेश को लाग
नह�ं होगी।
(3) खंड (1) के उपखंड (ख) म� �कसी बात के होते हुए भी , जहां �कसी राज्य के �वधा-मंडल ने ,उस
�वधान-मंडल म� परु ःस्था�पत �वधेयक� या उसके द्वारा पा�रत अ�ध�नयम� म� अथवा उस राज्य
राज्यपाल द्वारा प्रख्या�पत अध्यादेश� म� अथवा उस उपखंड क (iv) म� �न�दर ्ष्ट �कस
आदे श, �नयम, �व�नयम या उप�व�ध म� प्रयोग के �लए अंग्रेजी भाषा से �भन्न कोई भाषा �व�हत क
वहां उस राज्य के राजपत्र म� उस राज्य के राज्यपाल के प्रा�धकार से प्रका�शत अंग्रेजी भा
अनव
ु ाद इस अनच
ु ्छेद के अधीन उसका अंग्रेजी भाषा म� प्रा�धकृत पाठ समझा ज
अनच
ु ्छे 349. भाषा से संब�ं धत कुछ �व�धयां अ�ध�नय�मत करने के �लए �वशेष प्र�क--
अनच
ु ्छे 350. व्यथ के �नवारण के �लए अभ्यावेद म� प्रय क� जाने वाल� भाषा--
प्रत्येक व्यिक्त �कसी व्यथा के �नवारण के �लए संघ या राज्य के �कसी अ�धकार� या प्
को, यथािस्थ�, संघ म� या राज्य म� प्रयोग होने वाल� �कसी भाषा म� अभ्यावेदन देने का हकदार ह
5
अनच
ु ्छे 350 क. प्राथ� स्त पर मातृभाषा म� �श�ा क� स�ु वधाएं--
अनच
ु ्छे 350 ख. भाषाई अल्पसंख्-वग� के �लए �वशेष अ�धकार�--
(1) भाषाई अल्पसंख्-वग� के �लए एक �वशेष अ�धकार� होगा िजसे राष्ट्रप�त �नयुक्त कर
अनच
ु ्छे 351. �हंद� भाषा के �वकास के �लए �नदे श--
संघ का यह कतर्व्य होगा �क वह �हंद� भाषा का प्रसार , उसका �वकास करे िजससे वह भारत क�
सामा�सक संस्कृ�त के सभी तत्व� क� अ�भव्यिक्त का माध्यम बन सके और उसक � प्रकृ�त म�
�कए �बना �हंदस्थानी म� और आठवीं अनुसूची म� �व�न�दर्ष्ट भारत
ु क� अन्य भाषाओं म� प्रय, शैल�
और पद� को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके श-भंडार के �लए
मख्यतः संस्कृत से और
ु गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसक� समृ�द्ध करे ।
6
4 राष्ट्रप�त केआ, 1960
(गह
ृ मंत्रालय क� . 27 अप्र, 1960 क� अ�धसच
ू ना संख्य 2/8/60-रा.भा., क� प्र�त�ल)
अ�धसच
ू ना
राष्ट्रप�त का �नम्न�ल�खत आदेश आम जानकार� के �लए प्रका�शत �कया ज :-
नई �दल्ल, �दनाक 27 अप्र, 1960
आदेश
लोकसभा के 20 सदस्य� और राज्य सभा 10 सदस्य� क� एक स�म�त प्-राजभाषा आयोग क�
�सफा�रश� पर �वचार करने �लए और उनके �वषय म� अपनी राय राष्ट्रप�त के सम� करने के �लए
सं�वधान के अनच
ु ्छे 344 के खंड (4) के उपबंध� के अनस
ु ार �नयक
ु ्त क� गई थी। स�म�त ने अपनी
�रपोटर ् राष्ट्रप�त के 8 फरवर�, 1959 को पेश कर द�। नीचे �रपोटर ् क� कुछ मुख्य बात� द� जा रह
ह� िजनसे स�म�त के सामान्य दृिष्टकोण का प�रचय �मल सकता :-
राजभाषा के बारे म� सं�वधान म� बड़ी समिन्वत योजना द� हुई है। इसम� योजना के दायरे से बाहर
(क)
जाए �बना िस्थ�त के अनुसार प�रवतर्न करने क� गुंजाइश ह
�व�भन्न प्रादे�शक भाषाएं राज्य� म� �श�ा और सरकार�-काज के माध्यम के रूप म� तेजी स
अंग्रेजी का स्थान ले रह� ह�। यह स्वाभा�वक ह� है �क प्रादे�शक भाषाएं अपना उ�चत स्था
कर� । अतः व्यवहा�रक दृिष्ट से यह बात आवश्यक हो गई है �क संघ के प्रयोजन� के �लए क
(ख)
भारतीय भाषा काम म� लाई जाए। �कन्तु यह आवश्यक नह�ं है �क यह प�रवतर्न �कसी �न
तार�ख को ह� हो। यह प�रवतर्न धीर -धीरे इस प्रकार �कया जाना चा�हए �क कोई गड़बड़ी न हो औ
कम से कम अस�ु वधा हो।
1965 तक अंग्रेजी मुख्य राजभाषा और �हन्द� सहायक राजभाषा रहनी चा 1965 के उपरान्त
(ग) जब �हन्द� संघ क� मुख्य राजभाषा हो जाएगी अंग्रेजी सहायक राजभाषा के रूप म� ह� चलती
चा�हए।
संघ के प्रयोजन� म� से �कसी के �लए अंग्रेजी के प्रयोग पर कोई रोक इस समय नह�ं लगाई
चा�हए और अनच
ु ्छे 343 के खंड (3) के अनस
ु ार इस बात क� व्यवस्था क� जानी चा�ह
(घ)
�क 1965 के उपरान्त भी अंग्रेजी का प्रयोग इन प्रयोजन� , िजन्ह� संसद् �व�ध द्वा
उिल्ल�खत करे तब तक होता रहे जब तक वैसा करना आवश्यक रह
अनच
ु ्छे 351 का यह उपबन्ध �क �हन्द� का �वकास ऐसे �कया जाए �क वह भारत क� सामा�स
संस्कृ�त के सब तत्व� क� अ�भव्यिक्त का माध्यम ब , अत्यन्त महत्वपूणर् है और इस बात
�लए परू ा प्रोत्साहन �दया जाना चा�हए �क सरल और सुबोध शब्द काम म� लाए ज
7
2. अनच
ु ्छे 344 के खंड (6) द्वारा द� गई शिक्तय� का प्रयोग करते हुए राष्ट्रप�त ने स�म�त क�
पर �वचार �कया है और राजभाषा आयोग क� �सफा�रश� पर स�म�त द्वारा अ�भव्यक्त राय को ध्यान
रखकर, इसके बाद �नम्न�ल�खत �नदेश जार� �कए ह�
3. शब्दावल-
(क) शब्दावल� तैयार करने म� मुख्य ल�य उसक� स्पष, यथाथर्ता और सरलता होनी चा�ह;
(ख) अन्तरार्ष्ट्र�य शब्दावल� अपन, या जहां भी आवश्यक ह, अनक
ु ू लन कर �लया जाए;
सब भारतीय भाषाओं के �लए शब्दावल� का �वकास करते समय ल�य यह होना चा�हए �क उसम�
(ग)
जहां तक हो सके अ�धकतम एकरूपता ह; और
�हन्द� और अन्य भारतीय भाषाओं क� शब्दावल� के �वकास के �लए जो प्रयत्न केन्द्र और
हो रहे ह� उनम� समन्वय स्था�पत करने के �लए समु�चत प्रबन्ध �कए जाने चा�हए। इसके अ�त
स�म�त का यह मत है �क �व�ान और प्रौद्यो�गक� के �ेत्र म� सब भारतीय भाषाओं म� जहा
हो सके एकरूपता होनी चा�हए और शब्दावल� लगभग अंग्रेजी या अन्तरार्ष्ट्र�य शब्दावल�
(घ)
चा�हए। इस दृिष्ट से स�म�त ने यह सुझाव �दया है �क वे इस �ेत्र म� �व�भन्न संस्थाओं
�कए गए काम म� समन्वय स्था�पत करने और उसक� देखरेख के �लए और सब भारतीय भाषाओ
को प्रयोग म� लाने क� दृिष्ट से एक प्रामा�णक शब्दकोश �नकालने के �लए ऐसा स्थ
कायम �कया जाए िजसके सदस्य मुख्यतः वै�ा�नक और प्रौद्यो�गक��व
�श�ा मंत्रालय �नम्न�ल�खत �वषय म� कारर्वाई --
अब तक �कए गए काम पर पन
ु �वर्चार और स�म�त द्वारा स्वीकृत सामान्य �सद्धान्त� के
शब्दावल� का �वका / �व�ान और प्रौद्यो�गक� के �ेत्र म� व ,िजनका प्रयोग अन्तरार्ष्ट्र
(क) म� होता है , कम से कम प�रवतर्न के साथ अपना �लए जाए , अथार्त मूल शब्द वे होने चा�हए ज
�क आजकल अन्तरार्ष्ट्र�य शब्दावल� म� काम आते ह�। उनसे ब्युत्पन्न शब्द� का जहां
हो भारतीयकरण �कया जा सकता है ः
शब्दावल� तैयार करने के काम म� समन्वय स्था�पत करने के �लए प्रबन्ध करने के �वषय म�
(ख)
दे ना, और
�व�ान और तकनीक� शब्दावल� के �वकास के �लए स�म�त के सुझाव के अनुसार स्थाई आयोग क
(ग)
�नमार्ण
4. प्रशास�नक सं�हताओं और अन्य क-�व�ध सा�हत्य का अनुवा --
8
एकरूपता रखी जाए
5. प्रशास�नक कमर्चार� वगर् को �हन्द� का --
स�म�त क� राय है �क केन्द्र�य सरकार� �वभाग� के स्थानीय कायार्लय अपने आन्त�रक कामक
�लए �हन्द� का प्रयोग कर� और जनता के साथ-व्यवहार म� उन प्रदेश� क� प्रादे�शक भाषाओ
प्रयोग क र�। अपने स्थानीय कायार्लय� म� अंग्रेजी के अ�त�रक्त �हन्द� का उत्तरोत्तर
(क)
करने के वास्ते योजना तैयार करने म� केन्द्र�य सरकार� �वभाग इस आवश्यकता को ध्यान म
�क यथासंभव अ�धक से अ�धक मात्रा म� प्रादे�शक भाषाओं म� फामर् और �वभागीय सा�हत्य
करा कर वहां क� जनता को परू � स�ु वधाएं प्रदान क� जानी चा�ह
स�म�त क� राय है �क केन्द्र�य सरकार के प्रशास�नक अ�भकरण� और �वभाग� म� कमर्चा�र
(ख)
वतर्मान व्यवस्था पर पुन�वर्चार �कया , कमर्चा�रय� का प्रादे�शक आधार पर �वकेन्द्र�क
9
�दया जाए, इसके �लए भत� के तर�क� और अहर्ताओं म� उपयुक्त संशोधन करना होग
स्थानीय कायार्लय� म� िजन को�टय� के पद� पर कायर् करने वाल� क� बदल� मामूल� तौर पर प्रदे
बाहर नह�ं होती उन को�टय� के सम्बन्ध म� यह सुझ , कोई अ�धवास सम्बन्धी प्र�तबन्ध
�बना, �सद्धान्ततः मान �लया जाना चा�
(क), (ख)और (ग) म� �दए गए �नदे श भारतीय लेखा-पर��ा और लेखा �वभाग के अधीन कायार्लय� के
सम्बन्ध म� लागू न ह�ग
8. प्र�श�ण संस्--
(क) स�म�त ने यह सझ
ु ाव �दया है �क नेशनल �डफ�स एकेडमी जैसे प्र�श�ण संस्थान� म� �श�ा
माध्यम अंग्रेजी ह� बना रहे �कन्तु �श�ा सम्बन ्धी कुछ या सभी प्रयोजन� के �लए माध्यम
�हन्द� का प्रयोग शुरू करने के �लए उ�चत कदम उठाए ज
र�ा मंत्रालय अनुदेश पुिस्तकाओं इत्या�द के �हन्द� प्रकाशन आ�द क े रूप म� समु�चत प्रारिम्
कर�, ता�क जहां भी व्यवहायर् हो �श�ा के माध्यम के रूप म� �हन्द� का प्रयोग सम्भव
(ख) स�म�त ने सझ
ु ाव �दया �क प्र�श�ण संस्थान� म� प्रवेश क , अंग्रेजी और �हन्द� दोन� ह� पर�
के माध्यम ह, �कन्तु प�र�ा�थर्य� का यह �वकल्प रहे �क वे सब या कुछ पर��ा पत्र� के �लए उनम
�कसी एक भाषा को चुन ल� और एक �वशेष स�म�त यह जांच करने के �लए �नयक
ु ्त क� जाए �क �नयत
कोटा प्रणाल� अपनाए �बना प्रादे�शक भाषाओं का प्रयोग पर��ा के माध्यम क े रूप म� कहां
�कया जा सकता है ।
10
9. अ�खल भारतीय सेवाओं और उच्चतर केन्द्र�य सेवाओं म�
स�म�त �क राय है �क
पर��ा का माध्यम अंग्रेजी बना रहे और कुछ समय पश्चात् �हन्द� वैकिल्पक माध्यम क े
क अपना ल� जाए। उसके बाद जब तक आवश्यक हो अंग्रेजी और �हन्द� दोन� ह� पर��ाथ
�वकल्पानुसार पर��ा के माध्यम के रूप म� अपनाने क� छूट; और
�कसी प्रकार क� �नयत कोटा प्रणाल� अपनाए �बना पर��ा के माध्यम के रूप म� �व�भन्न प
ख भाषाओं का प्रयोग शुरू करने क� व्यवहायर्ता क� जांच करने के �लए एक �वशेष� स�म�त �न
क� जाए।
कुछ समय के पश्चात वैकिल्पक माध्यम के रूप म� �हन्द� का प्रयोग शुरू करने के �लए
सेवा आयोग के साथ परामशर् कर गृह मंत्रालय आवश्यक कारर्वाई करे। वैकिल्पक माध्यम क े
�व�भन्न प्रादे�शक भाषाओं का प्रयोग करने से गम्भीर क�ठनाइयां पैदा होने क� संभा , इस�लए
वैकिल्पक माध्यम के रूप म� �व�भन्न प्रादे�शक भाषाओं का प्रयोग शुरू करने क� व्यव
जांच करने के �लए �वशेष� स�म�त �नयक
ु ्त करना आवश्यक नह�ं ह
(ख) भाषा �वषयक प्र-पत -
स�म�त क� राय है �क सम्यक सूचना के बाद समान स्तर के दो अ�नवायर् -पत्र होने चा�हए िजनम
से एक �हन्द� और दूसरा �हन्द� से �भन्न �कसी भारतीय भाषा का होना चा�हए और पर��ाथ� को
स्वतंत्रता होनी चा�हए �क वह इनम� से �कसी एक को चुन
अभी केवल एक ऐिच्छक �हन्द� पर��ा पत्र शुरू �कया जाए। प्र�तयो�गता के फल पर चुने
पर��ाथ� इस पर��ा पत्र म� उत्तीणर् हो ग , उन्ह� भत� के बाद जो �वभागीय �हन्द� पर��ा देनी होत
है उसम� बैठने और उसम� उत्तीणर् होने क� शतर् से छूट द� ज
10. अंक -
जैसा �क स�म�त का सझ
ु ाव है केन्द्र�य मंत्रालय� का �हन्द� प्रकाशन� म� अन्तरार्ष्ट्र�य अंक
दे वनागर� अंक� के प्रयोग के सम्बन्ध म� एक आधारभूत नी�त अपनाई ,िजसका �नधार्रण इस आधार
पर �कया जाए �क वे प्रकाशन �कस प्रकार क� जनता के �लए ह� और उसक� �वषयवस्तु क्य
वै�ा�नक, औद्यो�गक और सांिख्यक�य प्रकाशन ,िजसम� केन्द्र�य सरकार का बजट सम्बन्धी सा
भी शा�मल है, बराबर अन्तरार्ष्ट्र�य अंक� का प्रयोग �क
(क) स�म�त ने राय द� है �क संसद�य �व�धयां अंग्रेजी म� बनती रह� �कन्तु उनका प्रमा�णक �
अनव
ु ाद उपलब्ध कराया जाए। संसद�य �व�धयां अंग्रेजी म� तो रह� पर उसके प्रामा�णक �हन्द� अनुव
व्यवस्था करने के वास्ते �व�ध मंत्रालय आवश्यक �वधेयक उ�चत समय पर पेश करे। संसद�य �व�ध
प्रादे�शक भाषाओं म� अनुवाद कराने का प्रबन्ध भी �व�ध मंत्रा
11
(ख) स�म�त ने राय जा�हर क� है जहां कह�ं राज्य �वधान मण्डल म� पेश �कए गए �वधेयक� या पा
�कए गए अ�ध�नयम� का मल
ू पाठ �हन्द� म� से �भन्न �कसी भाषा म� , वहां अनच
ु ्छे 348 के खण् (3)
के अनस
ु ार अंग्रेजी अनुवाद के अलावा उसका �हन्द� अनुवाद भी प्रका�शत �कया
राज्य क� राजभाषा म� पाठ के सा-साथ राज्य �वधेयक , अ�ध�नयम� और अन्य सां�व�धक �लखत� के
�हन्द� अनुवाद के प्रकाशन के �लए आवश्यक �वधेयक उ�चत समय पर पेश �कया
आयोग ने उच्च न्यायालय� क� भाषा के �वषय म� प्रादे�शक भाषाओं और �हन्द� -�वप� म� �वचार
�कया और �सफा�रश क� �क जब भी इस प�रवतर्न का समय आ , उच्च न्यायालय� क
�नणर्य, आ�प् त्ि◌◌ाय (�ड�क्र) और आदे श� क� भाषा जब प्रदेश� म� �हन्द� होनी चा�हए �कन्तु स�
क� राय है �क राष्ट्रप�त क� पूवर् सम्म�त से आवश्यक �वधेयक पेश करके यह व्यवस्था करने क�
रहे �क उच्च न्यायालय� के �नणर, आ�िप्तय (�ड�क्र) और आदे श� के �लए उच्च न्यायालय म� �हन्
और राज्य� क� राजभाषाएं �वकल्पतः प्रयोग म� लाई जा सक
स�म�त क� राय है �क उच्चतम न्यायालय अन्ततः अपना सब काम �हन्द� म� , यह �सद्धान्त रूप
स्वीकायर् है और इसके संबंध म� समु�चत कायर्वाह� उसी समय अपे��त होगी जब �क इस प�रवतर्न
�लए समय आ जाएगा।
मानक �व�ध शब्दकोश तैयार करन , केन्द्र तथा राज्य के �वधान �नमार्ण से संबं�धत सां�व�धक ग्
अ�ध�नयम करने , �व�ध शब्दावल� तैयार करने क� योजना बनाने और िजस संक्रमण काल म� सां�व�
ग्रंथ और साथ ह� �नणर्य�व�ध अंशतः �हन्द� और अंग्रेजी म , उस अव�ध म� प्रारिम्भक कदम उठा
के बारे म� आयोग ने जो �सफा�रश क� थी उन्ह� स�म�त ने मान �लया है। साथ ह� स�म�त ने यह सुझाव
भी �दया है �क सं�व�धय� के अनव
ु ाद और �व�ध शब्दावल� तथा कोश� से संबं�धत सम्पूणर् कायर्क्
सम�ु चत योजना बनाने और उसे कायार्िन्वत करने के �लए भारत क� �व�भन्न राष्ट्रभाषा
प्र�त�न�धत्व करने वाले �वशेष�� का एक स्थाई आयोग या इस प्रकार कोई उच्च स्तर�य �नका
जाए। स�म�त ने यह राय भी जा�हर क� है �क राज्य सरकार� को परामशर् �दया जाए �क वे भी केन्द
सरकार से राय लेकर इस संबध
ं म� आवश्यक कार र्वाई कर�। स�म�त के सुझाव को दृिष्ट म� रखकर �
मंत्रालय यथासंभव सब भारतीय भाषाओं म� प्रयोग के �लए सवर्मान्य �व�ध शब्दावल� क� तैय
12
सं�व�धय� के �हन्द� म� अनुवाद संबंधी पूरे काम के �लए समु�चत योजना बनाने और पूरा करने के �लए
�व�ध �वशेष�� के एक स्थाई आयोग का �नमार्ण कर
स�म�त ने यह सझ
ु ाव �दया है �क संघ क� राजभाषा के रूप म� �हन्द� के प्रगामी प्रयोग क� योजन
सरकार बनाए और कायार्िन्वत करे। संघ के राजक�य प्रयोजन� म� से �कसी के �लए अंग्रेजी के प्
इस समय कोई रोक न लगाई जाए।
तद्नुसार गृह मंत्रालय एक योजना कायर्क्रम तैयार करे और उसे अमल म� लाने के संबंध म�
कारर ्वाई करे। इस योजना का उद्देश्य होगा संघीय प्रशासन म� �बना क�ठनाई के �हन्द� के प्रग
के �लए प्रारिम्भक कदम उठाना और सं�वधान के अनुच 343 खंड (2) म� �कए गए उपबन्ध के
अनस
ु ार संघ के �व�भन्न काय� म� अंग्रेजी के -साथ �हन्द� के प्रयोग को बढ़ावा द , अंग्रेजी क
अ�त�रक्त �हन्द� का प्रयोग कहां तक �कया जा सकता है यह बात इन प्रारिम्भक कारर्वाईय� क
पर बहुत कुछ �नभर्र करेगी। इस बीच प्राप्त अनुभव के आधार पर अंग्रेजी के अ�त�रक्त �ह
वास्त�वक प्रयोग क� योजना पर -समय पर पन ु �वर्चार और उसम� हे-फेर करना होगा।
13
राजभाषा अ�ध�नयम, 1963
(यथासंशो�धत,1967)
(1963 का अ�ध�नयम संख्यां 19)
(2) धारा 3, जनवर�, 1965 के 26 व� �दन को प्रवृत्त होगी और इस अ�ध�नयम के शेष उपबन्ध
तार�ख को प्रवृत्त ह�गे िजसे केन्द्र�य ,शासक�य राजपत्र म� अ�धसूचना द्वारा �नयत करे और
अ�ध�नयम के �व�भन्न उपबन्ध� के �लए �व�भन्न तार�ख� �नयत क� जा सक�
(क) '�नयत �दन ' से, धारा 3 के सम्बन्ध , जनवर�, 1965 का 26वां �दन अ�भप्रेत है और इ
अ�ध�नयम के �कसी अन्य उपबन्ध के सम्बन्ध म� वह �दन अ�भप्रेत है िजस �दन को वह उपबन्ध
होता है ;
3. संघ के राजक�य प्रयोजन� के �लए और संसद म� प्रयोग के �लए अंग्रेजी भाषा क--
(क) संघ के उन सब राजक�य प्रयोजन� के �लए िजनके �लए वह उस �दन से ठ�क पहले प्रयोग म�
जाती थी ; तथा
परं तु संघ और �कसी ऐसे राज्य के बी , िजसने �हन्द� को अपनी राजभाषा के रूप म� नह�ं अपनाय
है , पत्रा�द के प्रयोजन� के �लए अंग्रेजी भाषा प्रयोग म� ला
परन्तु यह और �क जहां �कसी ऐसे राज्य , िजसने �हन्द� को अपनी राजभाषा के रूप म� अपनाया ह
और �कसी अन्य राज्य , िजसने �हन्द� क
अपनी राजभाषा के रूप म� नह�ं अपनाया ह , बीच पत्रा�द के प्रयोजन� के �लए �हन्द� को प्रयोग म
जाता है , वहां �हन्द� म� ऐसे पत्रा�द के -साथ उसका अनव
ु ाद अंग्रेजी भाषा म� भेजा जाए :
14
राज्य के सा , िजसने �हन्द� को अपनी राजभाषा के रूप म� अपनाया , या �कसी अन्य राज्य क
साथ, उसक� सहम�त से , पत्रा�द के प्रयोजन� के �लए �हन्द� को प्रयोग म� लाने से �नवा�र
है , और ऐसे �कसी मामले म� उस राज्य के साथ पत्रा�द के प्रयोजन� के �लए अंग्रेजी भाषा क
बाध्यकर न होगा
(2) उपधारा (1) म� अन्त�वर्ष्ट �कसी बात के होते हुए , जहां पत्रा�द के प्रयोजन� के �लए �हन्द
अंग्रेजी भा--
(3) उपधारा (1)म� अन्त�वर्ष्ट �कसी बात के होते हुए भी �हन्द� और अंग्रेजी भाषा द-- 6
(ii) संसद के �कसी सदन या सदन� के सम� रखे गए प्रशास�नक तथा अन्य प्र�तवेदन� और रा
कागज-पत्र� के � ;
(iii) केन्द्र�य सरकार या उसके �कसी मंत , �वभाग या कायार्लय द्वारा या उसक� ओर से या केन्द
सरकार के स्वा�मत्व म� के या �नयंत्रण म� के �कसी �नग
कम्पनी द्वारा या ऐसे �नगम या कम्पनी के �कसी कायार्लय द्वारा �नष्पा�दत सं�वदाओं और करा
�लए तथा �नकाल� गई अन�
ु प् त्ि◌◌ाय ,अन�
ु ापत्, सच
ू नाओं और �न�वदा-प्ररूप� के , प्रयोग म� ला
जाएगी।
(4) उपधारा (1)या उपधारा (2) या उपधारा (3) के उपबन्ध� पर प्र�तकूल प्रभाव डाले �बना यह ह
6
(5) उपधारा (1)के खंड (क) के उपबन्ध और उपधार (2), उपधारा (3) और उपधारा (4), के उपबन्ध तब
6
तक प्रवृत्त बने रह�गे जब तक उनम� व�णर्त प्रयोजन� के �लए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग समाप्त
�लए ऐसे सभी राज्य� के �वधान मण्डल� द्व , िजन्ह�ने �हन्द� को अपनी राजभाषा के रूप म� नह
अपनाया है , संकल्प पा�रत नह�ं कर �दए जाते और जब तक पूव�क्त संकल्प� पर �वचार कर लेने
पश्चा त् ऐसी समिप् के �लए संसद के हर एक सदन द्वारा संकल्प पा�रत नह�ं कर �दया जात
(1) िजस तार�ख को धारा 3 प्रवृत्त होती है उससे दस वषर् क� िप् के पश्चा, राजभाषा के सम्बन्
म� एक स�म�त, इस �वषय का संकल्प संसद के �कसी भी सदन म� राष्ट्रप�त क� पूवर् मंजूर� से प्र
और दोन� सदन� द्वारा पा�रत �कए जाने प, ग�ठत क� जाएगी।
(2) इस स�म�त म� तीस सदस्य ह�गे िजनम� से बीस लोक सभा के सदस्य ह�गे तथा दस राज्य सभा
सदस्य ह�ग , जो क्रमशः लोक सभा के सदस्य� तथा राज्य सभा के सदस्य� द्वारा आनु
प्र�त�न�धत्व पद्ध�त के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा �नवार्
(3) इस स�म�त का कतर्व्य होगा �क वह संघ के राजक�य प्रयोजन� के �लए �हन्द� के प्रयोग म�
प्रग�त का पुन�वर्लोकन कर� और उस पर �सफा�रश� करते हुए राष्ट्रप�त को प्र�तवेदन कर� और
उस प्र�तवेदन को संसद् के हर एक सदन के सम� रखवाएगा और सभी राज्य सरकार� को �भजवाए
(4) राष्ट्रप�त उपध (3) म� �न�दर ्ष्ट प्र�तवेदन पर और उस पर राज्य सरकार� ने य�द को
अ�भव्यक्त �कए ह� तो उन पर �वचार करने के पश्चात् उस समस्त प्र�तवेदन के या उसके �कसी भ
अनस
ु ार �नदे श �नकाल सकेगा :
(1) �नयत �दन को और उसके पश्चा त् शासक�य राजपत्र म� राष्ट्रप�त के प्रा�धकार स--
(क) �कसी केन्द्र�य अ�ध�नयम का या राष्ट्रप�त द्वारा प्रख्या�पत �कसी , अथवा
(2) �नयत �दन से ह� उन सब �वधेयक� के , जो संसद के �कसी भी सदन म� परु ःस्था�पत �कए जाने ह�
6
16
जहां �कसी राज्य के �वधानमण्डल ने उस राज्य के �वधानमण्डल द्वारा पा�रत अ�ध�नयम� म� अथव
राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्या�पत अध्यादेश� म� प्रयोग के �लए �हन्द� से �भन्न कोई भाष
है वहां , सं�वधान के अनच
ु ्छे 348 के खण् (3) द्वारा अपे��त अंग्रेजी भाषा म� उसके अनुवाद
अ�त�रक्, उसका �हन्द� म� अनुवाद उस राज्य के शासक�य राजपत् , उस राज्य के राज्यपाल क
प्रा�धकार , �नयत �दन को या उसके पश्चा त् प्रका�शत �कया जा सकेगा और ऐसी दशा म� ऐसे �क
अ�ध�नयम या अध्यादेश का �हन्द� म� अनुवाद �हन्द� भाषा म� उसका प्रा�धकृत पाठ समझा ज
�नयत �दन से ह� या तत्पश्चात् �कसी भी �दन से �कसी राज्य का राज् , राष्ट्रप�त क� पूवर् सम
से, अंग्रेजी भाषा के अ�त�रक्त �हन्द� या उस राज्य क� राजभाषा का , उस राज्य के उच्
न्यायालय द्वारा पा�रत या �दए गए �कसी �नण , �डक्र� या आदेश के प्रयोजन� के �लए प् रा�धक
सकेगा और जहां कोई �नणर् , �डक्र� या आद (अंग्रेजी भाषा से �भ) ऐसी �कसी भाषा म� पा�रत �कया
या �दया जाता है वहां उसके साथ-साथ उच्च न्यायालय के प्रा�धकार से �नकाला गया अंग्रेजी भा
उसका अनव
ु ाद भी होगा।
(2) इस धारा के अधीन बनाया गया हर �नयम, बनाए जाने के पश्चा त् यथाशी, संसद के हर एक सदन
के सम� , जब वह सत्र म� , कुल तीस �दन क� अव�ध के �लए रखा जाएगा। वह अव�ध एक सत्
म�, अथवा दो या अ�धक आनक्
ु र�मक सत्र� म� पूर� हो सकेगी । य�द उस सत्र के या पूव�क्त आन
सत्र� के ठ�क बाद के सत्र के अवसान के पूवर् दोन� सदन उस �नयम म� कोई प�रवतर्न करने क
सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह ऐसे प�रव�तर्त रुप म� ह� प्रभावी होगा । य�द उक्त अवसान क
दोन� सदन सहमत हो जाएं �क वह �नयम नह�ं बनाया जाना चा�हए तो तत्पश्चात यह �नस्प्रभा
जाएगा । �कन्तु �नयम के ऐसे प�रव�तर्त या �नस्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले क� गई �कसी
क� �व�धमान्यता पर प्र�तकूल प्रभाव नह�ं पड़
17
4 राजभाषा संकल्, 1968
संसद के दोन� सदन� द्वारा पा�रत �नम्न�ल�खत सरकार� संकल्प आम जानकार� के �लए प्रका�शत
जाता है -
संकल्
यह सभा संकल्प करती है �क �हंद� के प्रसार एंव �वकास क� ग�त बढ़ाने के हेतु तथा संघ के �व�भ
राजक�य प्रयोजन� के �लए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हेतु भारत सरकार द्वारा एक अ�धक ग
व्यापक कायर्क्रम तैयार �कया जाएगा और उसे कायार्िन्वत �कया जाएगा और �कए जाने वाले उपाय
क� जाने वाल� प्रग�त क� �वस्तृत वा�षर्क मूल्यांकन �रपोटर् संसद क� दोन� सभाओं के पटल प
जाएगी और सब राज्य सरकार� को भेजी जाएगी
यह सभा संकल्प करती है �क �हंद� के सा-साथ इन सब भाषाओं के समिन्वत �वकास हेतु भारत
सरकार द्वारा राज्य सरकार� के सहयोग से एक कायर्क्रम तैयार �कया जाएगा और उसे कायार्िन्व
जाएगा ता�क वे शीघ समृद्ध हो और आधु�नक �ान के संचार का प्रभावी माध्यम
3. जब�क एकता क� भावना के संवधर्न तथा देश के �व�भन्न भाग� म� जनता म� संचार क� सु�वधा हेत
यह आवश्यक है �क भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार� के परामशर् से तैयार �कए ग-भाषा सत
ू ्र क
सभी राज्य� म� पूणर्त कायार्िन्वत करने के �लए प्रभावी �कया जाना :
यह सभा संकल्प करती है �क �हंद� भाषी �ेत्र� म� �हंद� तथा अंग्रेजी के अ�त�रक्त एक आधु�नक भ
भाषा के , द��ण भारत क� भाषाओं म� से �कसी एक को तरजीह दे ते हुए , और अ�हंद� भाषी �ेत्र� म
18
प्रादे�शक भाषाओं एवं अंग्रेजी के साथ साथ �हंद� के अध्ययन के �लए उस सूत्र के अनुसार प्र
जाना चा�हए ।
4. और जब�क यह स�ु निश्चत करना आवश्यक है �क संघ क� लोक सेवाओं के �वषय म� देश के �व�भन
भाग� के लोग� के न्यायो�चत दाव� और �हत� क पण
ू ् प�रत्राण �कय
र ा
(क) �क उन �वशेष सेवाओं अथवा पद� को छोड़कर िजनके �लए ऐसी �कसी सेवा अथवा पद के
कत्तर्व्य� के संतोषजनक �नष्पादन हेतु केवल अंग्रेजी अथवा केवल �हंद� अथवा दोन� जैसी �क
हो, का उच्च स्तर का �ान आवश्यक समझा , संघ सेवाओं अथवा पद� के �लए भत� करने हे तु
उम्मीदवार� के चयन के समय �हंद� अथवा अंग्रेजी म� से �कसी एक का �ान अ�नवायर्त ; और
(ख) �क पर��ाओं क� भावी योजना , प्र�क्रया संबंधी पहलुओं एवं समय के �वषय म� संघ लोक स
आयोग के �वचार जानने के पश्चात अ�खल भारतीय एवं उच्चतर केन् सेवाओं संबध
ं ी पर��ाओं के
�लए सं�वधान क� आठवीं अनस
ु ची
ू म� सिम्म�लत सभी भाषाओं तथा अंग्रेजी को वैकिल्पक माध्यम क
म� रखने क� अनम
ु �त होगी ।”
19
4 राजभाषा (संघ के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्)
4 राजभाषा �नयम, 1976
(यथा संशो�धत, 1987, 2007 तथा 2011)
• सा.का.�न. 1052 --राजभाषा अ�ध�नयम, 1963 (1963 का 19) क� धारा 3 क� उपधारा (4) के साथ
प�ठत धारा 8 द्वारा प्रदत्त शिक्तय� का प्रयोग क, केन्द्र�य सरकार �नम्न�ल�खत �नयम बन
है , अथार्त-
1. सं��प्त ना, �वस्तार और प्रा--
(क) इन �नयम� का सं��प्त नाम राजभाष (संघ के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्) �नयम ,
1976 है ।
(ख) केन्द्र�य सरकार द्वारा �नयुक्त �कसी, स�म�त या अ�धकरण का कोई कायार्ल; और
(ग) केन्द्र�य सरकार के स्वा�मत्व म� या �नयंत्रण के अधीन �कसी �नगम या कम्पनी का कोई;
(च) '�ेत्र' से �बहार, ह�रयाणा, �हमाचल प्रद, मध्य प्र, छत्तीसग, झारखंड़, उत्तराखंड राजस्था
और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और �नकोबार द्वीप, �दल्ल� संघ राज्य �ेत्र अ�भप्;
ु रात, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चं, दमण और द�व तथा दादरा और नगर
(छ) '�ेत्र' से गज
हवेल� संघ राज्य �ेत्र अ�भप्र;
(ज) '�ेत्र ' से खंड (च) और (छ) म� �न�दर ्ष्ट राज्य� और संघ राज्य �ेत्र� से �भन्न राज्य
राज्य �ेत्र अ�भप्र;
20
(1) केन्द्र�य सरकार के कायार्लय से 'क' म� �कसी राज्य या संघ राज्य �ेत्र को या ऐसे राज्य या
राज्य �ेत्र म� �कसी काया (जो केन्द्र�य सरकार का कायार्लय ) या व्यिक्त को पत्रा�द असाध
दशाओं को छोड़कर �हन्द� म� ह�गे और य�द उनम� से �कसी को कोई पत्रा�द अंग्रेजी म� भेजे जाते ह
उनके साथ उनका �हन्द� अनुवाद भी भेजा जाएगा
(क) �ेत 'ख' म� �कसी राज्य या संघ राज्य�ेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य �ेत्र
कायार्ल (जो केन्द्र�य सरकार का कायार्लय ) को पत्रा�द सामान्यतया �हन्द� म� ह�गे और य�द इ
से �कसी को कोई पत्रा�द अंग्रेजी म� भेजे जाते ह� तो उनके साथ उनका �हन्द� अनुवाद भी भेजा जा
परन्तु य�द कोई ऐसा राज्य या संघ राज्य �ेत्र यह चाहता है �क �कसी �व�शष्ट वगर् या प्रवगर्
या उसके �कसी कायार्लय के �लए आश�यत पत्रा�द संबद्ध राज्य या संघ राज्य�ेत्र क� सरक
�व�न�दर ्ष्ट अव�ध तक अंग्रेजी या �हन्द� म� भेजे जाएं और उसके साथ दूसर� भाषा म� उसका अनुवा
भेजा जाए तो ऐसे पत्रा�द उसी र��त से भेजे जाएं ;
(ख) �ेत 'ख' के �कसी राज्य या संघ राज्य �ेत्र म� �कसी व्यिक्त को पत्रा�द �हन्द� या अंग्रे
जा सकते ह�।
(3) केन्द्र�य सरकार के कायार्लय से 'ग' म� �कसी राज्य या संघ राज्य�ेत्र को या ऐसे राज्य म�
कायार्ल (जो केन्द्र�य सरकार का कायार्लय )या व्यिक्त को पत्रा�द अंग्रेजी म�
(4) उप �नयम (1) और (2) म� �कसी बात के होते हुए भी , �ेत 'ग' म� केन्द्र�य सरकार के कायार्लय
�ेत 'क'या'ख'म� �कसी राज्य या संघ राज्य�ेत्र को या ऐसे राज्य म� �कसी का (जो केन्द्र�य सरक
का कायार्लय न ह) या व्यिक्त को पत्रा�द �हन्द� या अंग्रेजी म� हो सकते ह� । परन्तु �हन्द� म� प
अनप
ु ात म� ह�गे जो केन्द्र�य सरकार ऐसे कायार्लय� म� �हन्द� का कायर्साधक �ान रखने वाले व्
क� संख्य ,�हन्द� म� पत्रा�द भेजने क� सु�वधाओं और उससे आनुषं�गक बात� को ध्यान म� रखते
समय-समय पर अवधा�रत करे ।
(क) केन्द्र�य सरकार के �कसी एक मंत्रालय या �वभाग और �कसी दूसरे मंत्रालय या �वभाग
पत्रा�द �हन्द� या अंग्रेजी म� हो सक;
(ख) केन्द्र�य सरकार के एक मंत्रालय या �वभाग औ 'क' म� िस्थत संलग्न या अधीनस्थ कायार्
के बीच पत्रा�द �हन्द� म� ह�गे और ऐसे अनुपात म� ह�गे जो केन्द्र�य , ऐसे कायार्लय� म� �हन्द� क
कायर्साधक �ान रखने वाले व्यिक्तय� क� सं , �हन्द� म� पत्रा�द भेजने क� सु�वधाओं और उस
संब�ं धत आनष
ु �ं गक बात� को ध्यान म� रखते हु, समय-समय पर अवधा�रत करे ;
(ग) �ेत 'क' म� िस्थत केन्द्र�य सरकार के ऐसे कायार्लय� क , जो खण् (क) या खण् (ख) म�
�व�न�दर ्ष्ट कायार्लय� से �भन्, पत्रा�द �हन्द� म� ह;
(घ) �ेत 'क' म� िस्थत केन्द्र�य सरकार के कायार्लय� औ 'ख' या 'ग'म� िस्थत केन्द्र�य सरकार
कायार्लय� के बीच पत्रा�द �हन्द� या अंग्रेजी म� हो स;
21
परन्तु ये पत्रा�द �हन्द� म� ऐसे अनुपात म� ह�गे जो केन्द्र�य सरकार ऐसे कायार्लय� म� �
कायर्साधक �ान रखने वाले व्यिक्तय� क� सं ,�हन्द� म� पत्रा�द भेजने क� सु�वधाओं और उस
आनष
ु �ं गक बात� को ध्यान म� रखते हुए सम-समय पर अवधा�रत करे ;
(ङ) �ेत 'ख' या 'ग' म� िस्थत केन्द्र�य सरकार के कायार्लय� के बीच पत्रा�द �हन्द� या अंग्रेजी म
ह�;
परन्तु ये पत्रा�द �हन्द� म� ऐसे अनुपात म� ह�गे जो केन्द्र�य सरकार ऐसे कायार्लय� म� �
कायर्साधक �ान रखने वाले व्यिक्तय� क� सं ,�हन्द� म� पत्रा�द भेजने क� सु�वधाओं और उस
आनष
ु �ं गक बात� को ध्यान म� रखते हुए सम-समय पर अवधा�रत करे ;
(i) �ेत 'क' या �ेत 'ख' �कसी कायार्लय को संबो�धत ह� वहां य�द आवश्यक हो , उनका दस
ू र� भाषा म�
अनव
ु ाद, पत्रा�द प्राप्त करने के स्थान पर �कया;
परन्तु यह और �क य�द कोई पत्रा�द �कसी अ�धसू�चत कायार्लय को संबो�धत है तो दूसर� भाषा म�
अनव
ु ाद उपलब्ध कराने क� अपे�ा नह�ं क� जाएगी
�नयम 3 और �नयम 4 म� �कसी बात के होते हुए भी , �हन्द� म� पत्रा�द के उत्तर केन्द्र�य सर
कायार्लय से �हन्द� म� �दए जाएंगे
अ�ध�नयम क� धारा 3 क� उपधारा (3) म� �न�दर ्ष्ट सभी दस्तावेज� के �लए �हन्द� और अंग्रेजी दो
प्रयोग �कया जाएगा और ऐसे दस्तावेज� पर हस्ता�र करने वाले व्यिक्तय� का यह उत्तरदा�यत
�क वे यह स�ु निश्चत कर ल� �क ऐसी दस्तावेज� �हन्द� और अंग्रेजी दोन� ह� म� तैयार क�
ह�, �नष्पा�दत क� जाती ह� और जार� क� जाती ह�
(2) जब उप�नयम (1) म� �व�न�दर ्ष्ट कोई आवे, अपील या अभ्यावेदन �हन्द� म� �कया गया हो या उ
पर �हन्द� म� हस्ता�र �कए गए , तब उसका उत्तर �हन्द� म� �दया जाएग
(3) य�द कोई कमर्चार� यह चाहता है �क सेवा संबंधी �वषय (िजनके अन्तगर्त अनुशास�नक कायर्वा�हय
भी ह�) से संब�ं धत कोई आदे श या सच
ू ना ,िजसका कमर्चार� पर तामील �कय
जाना अपे��त है , यथािस्थ�, �हन्द� या अंग्रेजी म� होनी चा�हए तो वह उसे असम्यक �वलम्ब के
उसी भाषा म� द� जाएगी।
22
8. केन्द्र�य सरकार के कायार्लय� म� �टप्पण� का �लखा -
(1) कोई कमर्चार� �कसी फाइल पर �टप्पण या कायर्वृत्त �हंद� या अंग्रेजी म� �लख सकता है और
यह अपे�ा नह�ं क� जाएगी �क वह उसका अनव
ु ाद दस
ू र� भाषा म� प्रस्तुत क
(2) केन्द्र�य सरकार का कोई भी कमर् , जो �हन्द� का कायर्साधक �ान रखता , �हन्द� म� �कसी
दस्तावेज के अंग्रेजी अनुवाद क� मांग तभी कर सकता , जब वह दस्तावेज �व�धक या तकनीक� प्रकृ
का है , अन्यथा नह�ं
(3) य�द यह प्रश्न उठता है �क कोई �व�शष्ट दस्तावेज �व�धक या तकनीक � प्रकृ�त का है या न
�वभाग या कायार्लय का प्रधान उसका �व�नश्चय कर
(4) उप�नयम (1) म� �कसी बात के होते हुए भी , केन्द्र�य सर , आदे श द्वारा ऐसे अ�धसू�चत
कायार्लय� को �व�न�दर्ष्ट कर सकती है जहां ऐसे कमर्चा�रय� द ,िजन्ह� �हन्द� म� प्रवीणता प
है , �टप्प, प्रारूपण और ऐसे अन्य शासक�य प्रयोजन� , जो आदे श म� �व�न�दर ्ष्ट �क
जाएं, केवल �हन्द� का प्रयोग �कया जाएग
9. �हन्द� म� प्रवी-
(क) मै�ट्रक पर��ा या उसक� समतुल्य या उससे उच्चतर कोई पर��ा �हन्द� के माध्यम से उत्त
ल� है ;या
(ख) स्नातक पर��ा म� अथवा स्नातक पर��ा क� समतुल्य या उससे उच्चतर �कसी अन्य पर��
�हन्द� को एक वैकिल्पक �वषय के रूप म� �लया; या
(ग) य�द वह इन �नयम� से उपाबद्ध प्ररूप म� यह घोषणा करता है �क उसे �हन्द� म� प्रवीणता;
(ख) य�द वह इन �नयम� से उपाबद्ध प्ररूप म� यह घोषणा करता है �क उसने ऐसा �ान प्राप्त
है ;
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तो उसके बारे म� यह समझा जाएगा �क उसने �हन्द� का कायर्साधक �ान प्राप्त कर �लय
(2) य�द केन्द्र�य सरकार के �कसी कायार्लय म� कायर् करने वाले कमर्चा�रय� म� से अस्सी प्
�हन्द� का ऐसा �ान प्राप्त कर �लया है तो उस कायार्लय के कमर्चा�रय� के बारे म� सामा
यह समझा जाएगा �क उन्ह�ने �हन्द� का कायर्साधक �ान प्राप्त कर �ल
(3) केन्द्र�य सरकार या केन्द्र�य सरकार द्वारा इस �न�मत्त �व�न�दर्ष्ट कोई अ�धकार� यह अ
सकता है �क केन्द्र�य सरकार के �कसी कायार्लय के कमर्चा�रय� ने �हन्द� का कायर्साधक �ान प
�लया है या नह�ं।
(4) केन्द्र�य सरकार के िजन कायार्लय� म� कमर्चा�रय� ने �हन्द� का कायर्साधक �ान प्राप्त क
उन कायार्लय� के नाम राजपत्र म� अ�धसू�चत �कए जाए;
परन्तु य�द केन्द्र�य सरकार क� राय है �क �कसी अ�धसू�चत कायार्लय म� काम करने वाले और �हन्
कायर्साधक �ान रखने वाले कमर्चा�रय� का प्र�तशत �कसी तार�ख म
उप�नयम (2) म� �व�न�दर ्ष्ट प्र�तशत से कम हो गय , तो वह राजपत्र म� अ�धसूचना द्वारा घो�षत
सकती है �क उक्त कायार्लय उस तार�ख से अ�धसू�चत कायार्लय नह�ं रह जाएग
11. मैनअ
ु ल, सं�हताएं, प्र�क्रया संबंधी अन्य स, लेखन सामग्री आ-
(2) केन्द्र�य सरकार के �कसी कायार्लय म� प्रयोग �कए जाने वाले रिजस्टर� के प्ररूप और शी
और अंग्रेजी म� ह�ग
परन्तु य�द केन्द्र�य सरकार ऐसा करना आवश्यक समझती है , साधारण या �वशेष आदे श
द्वार, केन्द्र�य सरकार के �कसी कायार्लय को इस �नयम के सभी या �कन्ह�ं उपबन्ध� से छूट दे
है ।
12. अनप
ु ालन का उत्तरदा�यत-
(i) यह स�ु निश्चत करे �क अ�ध�नयम और इन �नयम� के उपबंध� और उप�नय (2) के अधीन जार�
�कए गए �नदे श� का सम�ु चत रूप से अनुपालन हो रहा ह; और
25
भारत सरकार
गह
ृ मंत्रा
राजभाषा �वभाग
अ�धसच
ू ना
1. (1) इन �नयम� का सं��प्त नाम राजभाषा(संघ के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्) संशोधन
�नयम, 2007 है ।
�नयम 2 के खंड (च) के स्थान पर �नम्न�ल�खत खंड रखा जाए, अथार् त:-
(च) “�ेत्र ” से �बहार , छत्तीसग, ह�रयाणा, �हमाचल प्रद , झारखंड, मध्यप्र, राजस्था, उत्तर
प्रद, उत्तराखंड और राष्ट्र�य राज �ेत्र �दल्ल� तथा अंडमान और �नकोबार द्वीप समूह संघ र
�ेत’ अ�भपर
् ेत ; ’
[(फा.सं. I/14034/02/2007-रा.भा.(नी�त-1)]
(पी.वी.वल्सला ज.कुट्)
4 संयक
ु ्त स�च, भारत सरकार
4 पषृ ्ठ संख्य576-577
4 �दनांक 14-5-2011
26
भारत सरकार
गह
ृ मंत्रा
राजभाषा �वभाग
***
4 अ�धसच
ू ना
सा.का.�न. 145 केन्द्र�य सर, राजभाषा अ�ध�नयम, 1963 (1963 का 19) क� धारा 3 क�
उपधारा ( 4) के साथ प�ठत धारा 8 द्वारा प्रदत्त शिक्तय� का प्रयोग क , राजभाषा (संघ के
शासक�य प्रयोजन� के �लए प्) �नयम , 1976 का और संशोधन करने के �लए �नम्न�ल�खत �नयम
बनाती है , अथार् त:-
1. (1) इन �नयम� का सं��प्त नाम राजभाष (संघ के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्) संशोधन
�नयम, 2011 है ।
2. राजभाषा (संघ के शासक�य प्रयोजन� के �लए प्) �नयम , 1976 के – �नयम 2 के खण्ड(छ) के
स्थान पर �नम्न�ल�खत खंड रखा जाए, अथार् त:-
‘(छ) “�ेत्र ” से गज
ु रात , महाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चं , दमण और द�व तथा दादरा और
नगर हवेल� संघ राज्य �ेत्र अ�भप्र;’
[(फा.सं.I/14034/02/2010-रा.भा. (नी�त-1)]
डी.के.पाण्डे, संयक
ु ्त स�च
�टप्प:- मल
ू �नयम भारत के राजपत्र म� .का.�न.संख्यांक 1052 तार�ख 17 जुलाई, 1976
द्वारा प्रका�शत �कए गए थे और.का.�न.संख्यांक 790, तार�ख 24 अक्तूब, 1987 तथा
सा.का.�न.संख्यांक162 तार�ख 03 अगस्, 2007 द्वारा उनम� पश्चातवत� संशोधन �कए गए
27