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अिखल भारतीय सेवा अिधिनयम, 1951

(1951 का अिधिनयम संख्यांक 61)


[29 अक्तूबर, 1951]
संघ और राज्य की सामान्य अिखल भारतीय सेवा म भत को
और उनम िनयुक्त व्यिक्तय की सेवा की शत
को िविनयिमत करने के िलए
अिधिनयम
संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो :—
1. संिक्षप्त नाम—यह अिधिनयम अिखल भारतीय सेवा अिधिनयम, 1951 कहा जा सके गा ।
2. पिरभाषा—इस अिधिनयम म “अिखल भारतीय सेवा” पद से वह सेवा, जो भारतीय पर्शासिनक सेवा या भारतीय पुिलस
सेवा के नाम से ज्ञात है 1 [या कोई अन्य सेवा, जो धारा 2क म िविनिदष्ट है,] अिभपर्ेत है ।
[2क. अन्य अिखल भारतीय सेवाएं—उस तारीख से, िजसे के न्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, इस
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िनिम िनयत करे , िनम्निलिखत अिखल भारतीय सेवाएं गिठत की जाएंगी और िविभन्न सेवा के िलए िविभन्न तारीख िनयत की जा
सकगी, अथार्त् :—
1. भारतीय इं जीिनयर (िसचाई, शिक्त, िनमार्ण तथा मागर्) सेवा;
2. भारतीय वन सेवा;
3. भारतीय िचिकत्सा तथा स्वास्थ्य सेवा ।]
3. भत और सेवा की शत का िविनयमन—(1) के न्दर्ीय सरकार िकसी अिखल भारतीय सेवा म भत को तथा उसम िनयुक्त
व्यिक्तय की सेवा की शत को िविनयिमत करने के िलए िनयम 3 [सम्पृक्त राज्य की 4 [िजनके अंतगर्त जम्मू-कश्मीर राज्य आता है]]
सरकार से परामशर् करने के पश्चात् 5 [और राजपतर् म अिधसूचना ारा] बना सके गी ।
[(1क) इस अिधिनयम ारा पर्द िनयम बनाने की शिक्त के अन्तगर्त उन िनयम या उनम से िकसी को िकसी ऐसी तारीख
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से, जो इस अिधिनयम के पर्ारम्भ की तारीख से पहले की नह है, भूतलक्षी पर्भाव देने की शिक्त भी होगी, िकन्तु िकसी िनयम को ऐसे
भूतलक्षी पर्भाव नह िदया जाएगा, िजससे िकसी ऐसे व्यिक्त के , िजसे ऐसा िनयम लागू हो सकता है, िहत पर पर्ितकू ल पर्भाव पडे़ ।]
[(2) इस धारा के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िनयम और िकसी ऐसे िनयम के अधीन या अनुसरण म
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बनाया गया पर्त्येक िविनयम ऐसे िनयम या िविनयम के बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघर् संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष, जब वह सतर्
म हो, तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो सके गी । यिद
उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन ऐसे िनयम या िविनयम म कोई पिरवतर्न
करने के िलए सहमत हो जाएं, तो तत्पश्चात्, वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के पूवर् दोन सदन सहमत
हो जाएं िक ऐसा िनयम या िविनयम नह बनाया जाना चािहए, तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा िकन्तु िनयम या िविनयम के
ऐसे पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।]
4. िव मान िनयम का चालू रहना—वे सभी िनयम, जो इस अिधिनयम के पर्ारम्भ के अव्यविहत पूवर् पर्वृ थे और िकसी
अिखल भारतीय सेवा को लागू थे, पर्वृ बने रहगे और इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम समझे जाएंगे ।
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1
1963 के अिधिनयम सं० 27 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
2
1963 के अिधिनयम सं० 27 की धारा 3 ारा अन्त:स्थािपत ।
3
1958 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
4
1975 के अिधिनयम सं० 19 की धारा 3 ारा अन्त:स्थािपत ।
5
भारतीय पर्शासिनक सेवा (भत ) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 885 ।
भारतीय पर्शासिनक सेवा (पिरवीक्षा) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 893 ।
अिखल भारतीय सेवा (आचरण) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 914 ।
भारतीय पर्शासिनक सेवा (विरष्ठता का िविनयमन) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 907 ।
भारतीय पर्शासिनक सेवा (काडर) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 902 ।
भारतीय पुिलस सेवा (पिरवीक्षा) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 897 ।
भारतीय पुिलस सेवा (विरष्ठता का िविनयमन) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 911 ।
भारतीय पुिलस सेवा (भत ) िनयम, 1954 के िलए, देिखए भारत का राजपतर् (अंगर्ेजी), 1954, असाधारण, भाग 1, खण्ड 1, पृ० 887 ।
6
1975 के अिधिनयम सं० 23 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
7
1975 के अिधिनयम सं० 19 की धारा 3 की उपधारा (2) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।

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