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राजभाषा अधिनियम, 1963

(यथासंशोधित,1967)
(1963 का अधिनियम संखयांक 19)

उि भाषाओं का, जो संघ के राजकीय प्रयोजिों, संसद में कायय के संव्यवहार, केन्द्रीय और राज्य
अधिनियमों और उच्च न्द्यायालयों में कनतपय प्रयोजिों के ललए प्रयोग में लाई जा सकेंगी,उपबन्द्ि
करिे के ललए अधिनियम । भारत गणराज्य के चौदहवें वषय में संसद द्वारा निम्िललखित रूप में
यह अधिनियलमत होोः-

1. संक्षिप्त िाम और प्रारम्भ-

(1) यह अधिनियम राजभाषा अधिनियम, 1963 कहा जा सकेगा।

(2) िारा 3, जिवरी, 1965 के 26 वें ददि को प्रवत्ृ त होगी और इस अधिनियम के शेष उपबन्द्ि उस
तारीि को प्रवत्ृ त होंगे जजसे केन्द्रीय सरकार,शासकीय राजपत्र में अधिसूचिा द्वारा नियत करे और
इस अधिनियम के ववलभन्द्ि उपबन्द्िों के ललए ववलभन्द्ि तारीिें नियत की जा सकेंगी।

2. पररभाषाएं--इस अधिनियम में जब तक कक संदभय से अन्द्यथा अपेक्षित ि हो,

(क) 'नियत ददि' से, िारा 3 के सम्बन्द्ि में , जिवरी, 1965 का 26वां ददि अलभप्रेत है और इस
अधिनियम के ककसी अन्द्य उपबन्द्ि के सम्बन्द्ि में वह ददि अलभप्रेत है जजस ददि को वह उपबन्द्ि
प्रवत्ृ त होता है;

(ि) 'दहन्द्दी' से वह दहन्द्दी अलभप्रेत है जजसकी ललवप दे विागरी है ।

3. संघ के राजकीय प्रयोजिों के ललए और संसद में प्रयोग के ललए अंग्रेजी भाषा का
रहिा--

(1) संवविाि के प्रारम्भ से पन्द्रह वषय की कालावधि की समाजप्त हो जािे पर भी, दहन्द्दी के
अनतररक्त अंग्रेजी भाषा, नियत ददि से ही,

(क) संघ के उि सब राजकीय प्रयोजिों के ललए जजिके ललए वह उस ददि से ठीक पहले प्रयोग में
लाई जाती थी ; तथा

(ि) संसद में कायय के संव्यवहार के ललए प्रयोग में लाई जाती रह सकेगी :

परं तु संघ और ककसी ऐसे राज्य के बीच, जजसिे दहन्द्दी को अपिी राजभाषा के रूप में िहीं अपिाया
है , पत्रादद के प्रयोजिों के ललए अंग्रेजी भाषा प्रयोग में लाई जाएगीोः

परन्द्तु यह और कक जहां ककसी ऐसे राज्य के, जजसिे दहन्द्दी को अपिी राजभाषा के रूप में अपिाया
है और ककसी अन्द्य राज्य के, जजसिे दहन्द्दी को
अपिी राजभाषा के रूप में िहीं अपिाया है , बीच पत्रादद के प्रयोजिों के ललए दहन्द्दी को प्रयोग में
लाया जाता है , वहां दहन्द्दी में ऐसे पत्रादद के साथ-साथ उसका अिव
ु ाद अंग्रेजी भाषा में भेजा
जाएगा :

परन्द्तु यह और भी कक इस उपिारा की ककसी भी बात का यह अथय िहीं लगाया जाएगा कक वह


ककसी ऐसे राज्य को, जजसिे दहन्द्दी को अपिी राजभाषा के रूप में िहीं अपिाया है , संघ के साथ या
ककसी ऐसे राज्य के साथ, जजसिे दहन्द्दी को अपिी राजभाषा के रूप में अपिाया है , या ककसी अन्द्य
राज्य के साथ, उसकी सहमनत से, पत्रादद के प्रयोजिों के ललए दहन्द्दी को प्रयोग में लािे से निवाररत
करती है , और ऐसे ककसी मामले में उस राज्य के साथ पत्रादद के प्रयोजिों के ललए अंग्रेजी भाषा का
प्रयोग बाध्यकर ि होगा ।

(2) उपिारा (1) में अन्द्तववयष्ट ककसी बात के होते हुए भी, जहां पत्रादद के प्रयोजिों के
ललए दहन्द्दी या अंग्रेजी भाषा--

(i) केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या ववभाग या कायायलय के और दस


ू रे मंत्रालय या ववभाग या
कायायलय के बीच ;

(ii) केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या ववभाग या कायायलय के और केन्द्रीय सरकार के स्वालमत्व


में के या नियंत्रण में के ककसी निगम या कम्पिी या उसके ककसी कायायलय के बीच ;

(iii) केन्द्रीय सरकार के स्वालमत्व में के या नियंत्रण में के ककसी निगम या कम्पिी या उसके
ककसी कायायलय के और ककसी अन्द्य ऐसे निगम या कम्पिी या कायायलय के बीच ;

प्रयोग में लाई जाती है वहां उस तारीि तक, जब तक पूवोक्त संबंधित मंत्रालय, ववभाग, कायायलय
या ववभाग या कम्पिी का कमयचारीवद
ृ दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि प्राप्त िहीं कर लेता, ऐसे पत्रादद
का अिुवाद, यथाजस्थनत, अंग्रेजी भाषा या दहन्द्दी में भी ददया जाएगा।

(3) उपिारा (1)में अन्द्तववयष्ट ककसी बात के होते हुए भी दहन्द्दी और अंग्रेजी भाषा दोिों
ही--
(i) संकल्पों, सािारण आदे शों, नियमों, अधिसूचिाओं, प्रशासनिक या अन्द्य प्रनतवेदिों या प्रेस
ववज्ञजप्तयों के ललए, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा या उसके ककसी मंत्रालय, ववभाग या कायायलय द्वारा
या केन्द्रीय सरकार के स्वालमत्व में के या नियंत्रण में के ककसी निगम या कम्पिी द्वारा या ऐसे
निगम या कम्पिी के ककसी कायायलय द्वारा निकाले जाते हैं या ककए जाते हैं ;

(ii) संसद के ककसी सदि या सदिों के समि रिे गए प्रशासनिक तथा अन्द्य प्रनतवेदिों और
राजकीय कागज-पत्रों के ललए ;

(iii) केन्द्रीय सरकार या उसके ककसी मंत्रालय, ववभाग या कायायलय द्वारा या उसकी ओर से या
केन्द्रीय सरकार के स्वालमत्व में के या नियंत्रण में के ककसी निगम या
कम्पिी द्वारा या ऐसे निगम या कम्पिी के ककसी कायायलय द्वारा निष्पाददत संववदाओं और करारों
के ललए तथा निकाली गई अिुज्ञप्त ्जााायों,अिुज्ञापत्रों, सूचिाओं और निववदा-प्ररूपों के ललए, प्रयोग में
लाई जाएगी।
(4) उपिारा (1)या उपिारा (2) या उपिारा (3) के उपबन्द्िों पर प्रनतकूल प्रभाव डाले बबिा यह है
कक केन्द्रीय सरकार िारा 8 के अिीि बिाए गए नियमों द्वारा उस भाषा या उि भाषाओं का
उपबन्द्ि कर सकेगी जजसे या जजन्द्हें संघ के राजकीय प्रयोजि के ललए, जजसके अन्द्तगयत ककसी
मंत्रालय,ववभाग, अिुभाग या कायायलय का काययकरण है , प्रयोग में लाया जािा है और ऐसे नियम
बिािे में राजकीय कायय के शीघ्रता और दिता के साथ निपटारे का तथा जि सािारण के दहतों का
सम्यक ध्याि रिा जाएगा और इस प्रकार बिाए गए नियम ववलशष्टतया यह सनु िजचचत करें गे कक
जो व्यजक्त संघ के काययकलाप के सम्बन्द्ि में सेवा कर रहे हैं और जो या तो दहन्द्दी में या अंग्रेजी
भाषा में प्रवीण हैं वे प्रभावी रूप से अपिा काम कर सकें और यह भी कक केवल इस आिार पर कक
वे दोिों ही भाषाओं में प्रवीण िहीं है उिका कोई अदहत िहीं होता है।

(5) उपिारा (1)के िंड (क) के उपबन्द्ि और उपिारा (2), उपिारा (3) और उपिारा (4), के उपबन्द्ि तब तक
प्रवत्ृ त बिे रहें गे जब तक उिमें वखणयत प्रयोजिों के ललए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग समाप्त कर दे िे
के ललए ऐसे सभी राज्यों के वविाि मण्डलों द्वारा, जजन्द्होंिे दहन्द्दी को अपिी राजभाषा के रूप में
िहीं अपिाया है , संकल्प पाररत िहीं कर ददए जाते और जब तक पव
ू ोक्त संकल्पों पर ववचार कर
लेिे के पचचात ् ऐसी समाजप्त के ललए संसद के हर एक सदि द्वारा संकल्प पाररत िहीं कर ददया
जाता।

4 .राजभाषा के सम्बन्द्ि में सलमनत -

(1) जजस तारीि को िारा 3 प्रवत्ृ त होती है उससे दस वषय की समाजप्त के पचचात, राजभाषा के
सम्बन्द्ि में एक सलमनत, इस ववषय का संकल्प संसद के ककसी भी सदि में राष्रपनत की पूवय मंजूरी
से प्रस्ताववत और दोिों सदिों द्वारा पाररत ककए जािे पर, गदठत की जाएगी।

(2) इस सलमनत में तीस सदस्य होंगे जजिमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे तथा दस राज्य
सभा के सदस्य होंगे, जो क्रमशोः लोक सभा के सदस्यों तथा राज्य सभा के सदस्यों द्वारा
आिुपानतक प्रनतनिधित्व पद्धनत के अिुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निवायधचत होंगे।

(3) इस सलमनत का कतयव्य होगा कक वह संघ के राजकीय प्रयोजिों के ललए दहन्द्दी के प्रयोग में की
गई प्रगनत का पुिववयलोकि करें और उस पर लसफाररशें करते हुए राष्रपनत को प्रनतवेदि करें और
राष्रपनत उस प्रनतवेदि को संसद् के हर एक सदि के समि रिवाएगा और सभी राज्य सरकारों
को लभजवाएगा ।

(4) राष्रपनत उपिारा (3) में निददय ष्ट प्रनतवेदि पर और उस पर राज्य सरकारों िे यदद कोई मत
अलभव्यक्त ककए हों तो उि पर ववचार करिे के पचचात ् उस समस्त प्रनतवेदि के या उसके ककसी
भाग के अिुसार निदे श निकाल सकेगा :

परन्द्तु इस प्रकार निकाले गए निदे श िारा 3 के उपबन्द्िों से असंगत िहीं होंगे ।

5. केन्द्रीय अधिनियमों आदद का प्राधिकृत दहन्द्दी अिव


ु ाद-
(1) नियत ददि को और उसके पचचात ् शासकीय राजपत्र में राष्रपनत के प्राधिकार से
प्रकालशत--
(क) ककसी केन्द्रीय अधिनियम का या राष्रपनत द्वारा प्रखयावपत ककसी अध्यादे श का, अथवा

(ि) संवविाि के अिीि या ककसी केन्द्रीय अधिनियम के अिीि निकाले गए ककसी


आदे श, नियम, ववनियम या उपववधि का दहन्द्दी में अिुवाद उसका दहन्द्दी में प्राधिकृत पाठ समझा
जाएगा ।

(2) नियत ददि से ही उि सब वविेयकों के, जो संसद के ककसी भी सदि में पुरोःस्थावपत ककए
जािे हों और उि सब संशोििों के, जो उिके समबन्द्ि में संसद के ककसी भी सदि में प्रस्ताववत
ककए जािे हों, अंग्रेजी भाषा के प्राधिकृत पाठ के साथ-साथ उिका दहन्द्दी में अिव
ु ाद भी होगा जो
ऐसी रीनत से प्राधिकृत ककया जाएगा, जो इस अधिनियम के अिीि बिाए गए नियमों द्वारा ववदहत
की जाए।

6. कनतपय दशाओं में राज्य अधिनियमों का प्राधिकृत दहन्द्दी अिव


ु ाद-

जहां ककसी राज्य के वविािमण्डल िे उस राज्य के वविािमण्डल द्वारा पाररत अधिनियमों में
अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रखयावपत अध्यादे शों में प्रयोग के ललए दहन्द्दी से लभन्द्ि कोई
भाषा ववदहत की है वहां, संवविाि के अिुच्छे द 348 के िण्ड (3) द्वारा अपेक्षित अंग्रेजी भाषा में
उसके अिुवाद के अनतररक्त, उसका दहन्द्दी में अिुवाद उस राज्य के शासकीय राजपत्र में , उस राज्य
के राज्यपाल के प्राधिकार से, नियत ददि को या उसके पचचात ् प्रकालशत ककया जा सकेगा और ऐसी
दशा में ऐसे ककसी अधिनियम या अध्यादे श का दहन्द्दी में अिुवाद दहन्द्दी भाषा में उसका प्राधिकृत
पाठ समझा जाएगा।

7 .उच्च न्यायालयों के निर्णयों आदि में दिन्िी या अन्य राजभाषा का वैकल्पिक प्रयोग-

नियत ददि से ही या तत्पचचात ् ककसी भी ददि से ककसी राज्य का राज्यपाल, राष्रपनत की पूवय
सम्मनत से, अंग्रेजी भाषा के अनतररक्त दहन्द्दी या उस राज्य की राजभाषा का प्रयोग, उस राज्य के
उच्च न्द्यायालय द्वारा पाररत या ददए गए ककसी निणयय, डडक्री या आदे श के प्रयोजिों के ललए
प्राधिकृत कर सकेगा और जहां कोई निणयय, डडक्री या आदे श (अंग्रेजी भाषा से लभन्द्ि) ऐसी ककसी
भाषा में पाररत ककया या ददया जाता है वहां उसके साथ-साथ उच्च न्द्यायालय के प्राधिकार से
निकाला गया अंग्रेजी भाषा में उसका अिुवाद भी होगा।

8. नियम बिािे की शजक्त -

(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजिों को कायायजन्द्वत करिे के ललए नियम, शासकीय
राजपत्र में अधिसूचिा द्वारा, बिा सकेगी ।

(2) इस िारा के अिीि बिाया गया हर नियम, बिाए जािे के पचचात ् यथाशीघ्र, संसद के हर एक
सदि के समि, जब वह सत्र में हो, कुल तीस ददि की अवधि के ललए रिा जाएगा। वह अवधि एक
सत्र में , अथवा दो या अधिक आिुक्रलमक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदद उस सत्र के या पूवोक्त
आिक्र
ु मलमक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसाि के पव
ू य दोिों सदि उस नियम में कोई पररवतयि
करिे के ललए सहमत हो जाएं तो तत्पचचात वह ऐसे पररवनतयत रुप में ही प्रभावी होगा । यदद उक्त
अवसाि के पूवय दोिों सदि सहमत हो जाएं कक वह नियम िहीं बिाया जािा चादहए तो तत्पचचात
यह निस्प्रभाव हो जाएगा । ककन्द्तु नियम के ऐसे पररवनतयत या निस्प्रभाव होिे से उसके अिीि
पहले की गई ककसी बात की ववधिमान्द्यता पर प्रनतकूल प्रभाव िहीं पड़ेगा ।

9 . कनतपय उपबन्द्िों का जम्म-ू कचमीर को लागू ि होिा-


िारा 6 और िारा 7 के उपबन्द्ि जम्मू-कचमीर राज्य को लागू ि होंगे।
संवैिानिक प्राविाि
भाग V

अध्याय 1--संघ की भाषा

अिुच्छे द 120. संसद् में प्रयोग की जािे वाली भाषा - (1) भाग 17 में ककसी बात के होते हुए
भी, ककंतु अिच्
ु छे द 348 के उपबंिों के अिीि रहते हुए, संसद् में कायय दहंदी में या अंग्रेजी में ककया
जाएगा

परं त,ु यथाजस्थनत, राज्य सभा का सभापनत या लोक सभा का अध्यि अथवा उस रूप में कायय करिे
वाला व्यजक्त ककसी सदस्य को, जो दहंदी में या अंग्रेजी में अपिी पयायप्त अलभव्यजक्त िहीं कर
सकता है , अपिी मात-ृ भाषा में सदि को संबोधित करिे की अिज्ञ
ु ा दे सकेगा ।

(2) जब तक संसद् ववधि द्वारा अन्द्यथा उपबंि ि करे तब तक इस संवविाि के प्रारं भ से पंरह वषय
की अवधि की समाजप्त के पचचात ् यह अिच्
ु छे द ऐसे प्रभावी होगा मािो “या अंग्रेजी में ” शब्दों का
उसमें से लोप कर ददया गया हो ।

भाग VI

अिुच्छे द 210: वविाि-मंडल में प्रयोग की जािे वाली भाषा - (1) भाग 17 में ककसी बात के होते
हुए भी, ककंतु अिुच्छे द 348 के उपबंिों के अिीि रहते हुए, राज्य के वविाि-मंडल में कायय राज्य की
राजभाषा या राजभाषाओं में या दहंदी में या अंग्रेजी में ककया जाएगा

परं त,ु यथाजस्थनत, वविाि सभा का अध्यि या वविाि पररषद् का सभापनत अथवा उस रूप में कायय
करिे वाला व्यजक्त ककसी सदस्य को, जो पूवोक्त भाषाओं में से ककसी भाषा में अपिी पयायप्त
अलभव्यजक्त िहीं कर सकता है , अपिी मातभ
ृ ाषा में सदि को संबोधित करिे की अिुज्ञा दे सकेगा ।

(2) जब तक राज्य का वविाि-मंडल ववधि द्वारा अन्द्यथा उपबंि ि करे तब तक इस संवविाि के


प्रारं भ से पंरह वषय की अवधि की समाजप्त के पचचात ् यह अिुच्छे द ऐसे प्रभावी होगा मािो “ या
अंग्रेजी में ” शब्दों का उसमें से लोप कर ददया गया हो :

परं तु दहमाचल प्रदे श, मखणपुर, मेघालय और बत्रपरु ा राज्यों के वविाि-मंडलों के संबंि में , यह िंड इस
प्रकार प्रभावी होगा मािो इसमें आिे वाले“पंरह वषय” शब्दों के स्थाि पर “पच्चीस वषय” शब्द रि
ददए गए हों :

परं तु यह और कक अरूणाचल प्रदे श, गोवा और लमजोरम राज्यों के वविाि-मंडलों के संबंि में यह


िंड इस प्रकार प्रभावी होगा मािो इसमें आिे वाले “ पंरह वषय ” शब्दों के स्थाि
पर “ चालीस वषय ” शब्द रि ददए गए हों ।

भारत के संवविाि में राजभाषा से संबंधित भाग-XVII


अिुच्छे द 343. संघ की राजभाषा--

(1) संघ की राजभाषा दहंदी और ललवप दे विागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग
होिे वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरायष्रीय रूप होगा।

(2) िंड (1) में ककसी बात के होते हुए भी, इस संवविाि के प्रारं भ से पंरह वषय की अवधि तक संघ
के उि सभी शासकीय प्रयोजिों के ललए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग ककया जाता रहे गा जजिके ललए
उसका ऐसे प्रारं भ से ठीक पहले प्रयोग ककया जा रहा था :

परन्द्तु राष्रपनत उक्त अवधि के दौराि, आदे श द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजिों में से ककसी के
ललए अंग्रेजी भाषा के अनतररक्त दहंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतरायष्रीय रूप के अनतररक्त
दे विागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।

(3) इस अिुच्छे द में ककसी बात के होते हुए भी, संसद् उक्त पन्द्रह वषय की अवधि के पचचात,् ववधि
द्वारा

(क) अंग्रेजी भाषा का, या

(ि) अंकों के दे विागरी रूप का,

ऐसे प्रयोजिों के ललए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी ववधि में ववनिददय ष्ट ककए जाएं।

अिुच्छे द 344. राजभाषा के संबंि में आयोग और संसद की सलमनत--

(1) राष्रपनत, इस संवविाि के प्रारं भ से पांच वषय की समाजप्त पर और तत्पचचात ् ऐसे प्रारं भ से दस
वषय की समाजप्त पर, आदे श द्वारा, एक आयोग गदठत करे गा जो एक अध्यि और आठवीं अिुसूची
में ववनिददय ष्ट ववलभन्द्ि भाषाओं का प्रनतनिधित्व करिे वाले ऐसे अन्द्य सदस्यों से लमलकर बिेगा
जजिको राष्रपनत नियुक्त करे और आदे श में आयोग द्वारा अिुसरण की जािे वाली प्रकक्रया
पररनिजचचत की जाएगी।

(2) आयोग का यह कतयव्य होगा कक वह राष्रपनत को--

(क) संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए दहंदी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग,

(ि) संघ के सभी या ककन्द्हीं शासकीय प्रयोजिों के ललए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निबंििों,

(ग) अिुच्छे द 348 में उजल्लखित सभी या ककन्द्हीं प्रयोजिों के ललए प्रयोग की जािे वाली भाषा,

(घ) संघ के ककसी एक या अधिक ववनिददय ष्ट प्रयोजिों के ललए प्रयोग ककए जािे वाले अंकों के रूप,

(ड़) संघ की राजभाषा तथा संघ और ककसी राज्य के बीच या एक राज्य और दस


ू रे राज्य के बीच
पत्रादद की भाषा और उिके प्रयोग के संबंि में राष्रपनत द्वारा आयोग को निदे लशत ककए गए ककसी
अन्द्य ववषय, के बारे में लसफाररश करे ।
(3) िंड (2) के अिीि अपिी लसफाररशें करिे में , आयोग भारत की औद्योधगक, सांस्कृनतक और
वैज्ञानिक उन्द्िनत का और लोक सेवाओं के संबंि में अदहंदी भाषी िेत्रों के व्यजक्तयों के न्द्यायसंगत
दावों और दहतों का सम्यक ध्याि रिेगा।

(4) एक सलमनत गदठत की जाएगी जो तीस सदस्यों से लमलकर बिेगी जजिमें से बीस लोक सभा के
सदस्य होंगे और दस राज्य सभा के सदस्य होंगे जो क्रमशोः लोक सभा के सदस्यों और राज्य सभा
के सदस्यों द्वारा आिप
ु ानतक प्रनतनिधित्व पद्धनत के अिस
ु ार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निवायधचत
होंगे।

(5) सलमनत का यह कतयव्य होगा कक वह िंड (1)के अिीि गदठत आयोग की लसफाररशों की परीिा
करे और राष्रपनत को उि पर अपिी राय के बारे में प्रनतवेदि दे ।

(6) अिच्
ु छे द 343 में ककसी बात के होते हुए भी, राष्रपनत िंड (5) में निददय ष्ट प्रनतवेदि पर ववचार
करिे के पचचात ् उस संपण ू य प्रनतवेदि के या उसके ककसी भाग के अिस ु ार निदे श दे सकेगा।

अध्याय 2- प्रादे लशक भाषाएं


अिच्
ु छे द 345. राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं--

अिुच्छे द 346 और अिुच्छे द 347 के उपबंिों के अिीि रहते हुए, ककसी राज्य का वविाि-मंडल, ववधि
द्वारा, उस राज्य में प्रयोग होिे वाली भाषाओं में से ककसी एक या अधिक भाषाओं को या दहंदी को
उस राज्य के सभी या ककन्द्हीं शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग की जािे वाली भाषा या भाषाओं के
रूप में अंगीकार कर सकेगाोः

परं तु जब तक राज्य का वविाि-मंडल, ववधि द्वारा, अन्द्यथा उपबंि ि करे तब तक राज्य के भीतर
उि शासकीय प्रयोजिों के ललए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग ककया जाता रहे गा जजिके ललए उसका इस
संवविाि के प्रारं भ से ठीक पहले प्रयोग ककया जा रहा था।

अिच्
ु छे द 346. एक राज्य और दस
ू रे राज्य के बीच या ककसी राज्य और संघ के बीच पत्रादद की राजभाषा--

संघ में शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग ककए जािे के ललए तत्समय प्राधिकृत भाषा, एक राज्य
और दस
ू रे राज्य के बीच तथा ककसी राज्य और संघ के बीच पत्रादद की राजभाषा होगी :

परं तु यदद दो या अधिक राज्य यह करार करते हैं कक उि राज्यों के बीच पत्रादद की राजभाषा दहंदी
भाषा होगी तो ऐसे पत्रादद के ललए उस भाषा का प्रयोग ककया जा सकेगा।

अिच्
ु छे द 347. ककसी राज्य की जिसंखया के ककसी भाग द्वारा बोली जािे वाली भाषा के संबंि में ववशेष उपबंि --

यदद इस निलमत्त मांग ककए जािे पर राष्रपनत का यह समािाि हो जाता है कक ककसी राज्य की
जिसंखया का पयायप्त भाग यह चाहता है कक उसके द्वारा बोली जािे वाली भाषा को राज्य द्वारा
मान्द्यता दी जाए तो वह निदे श दे सकेगा कक ऐसी भाषा को भी उस राज्य में सवयत्र या उसके
ककसी भाग में ऐसे प्रयोजि के ललए, जो वह ववनिददय ष्ट करे , शासकीय मान्द्यता दी जाए।

अध्याय 3 - उच्चतम न्द्यायालय, उच्च न्द्यायालयों आदद की भाषा


अिुच्छे द 348. उच्चतम न्द्यायालय और उच्च न्द्यायालयों में और अधिनियमों, वविेयकों आदद के ललए प्रयोग की जािे
वाली भाषा--

(1) इस भाग के पूवग


य ामी उपबंिों में ककसी बात के होते हुए भी, जब तक संसद् ववधि द्वारा
अन्द्यथा
उपबंि ि करे तब तक--

(क) उच्चतम न्द्यायालय और प्रत्येक उच्च न्द्यायालय में सभी काययवादहयां अंग्रेजी भाषा में होंगी,

(ि) (i) संसद् के प्रत्येक सदि या ककसी राज्य के वविाि-मंडल के सदि या प्रत्येक सदि में
पुरोःस्थावपत ककए जािे वाले सभी वविेयकों या प्रस्ताववत ककए जािे वाले उिके संशोििों के,

(ii) संसद या ककसी राज्य के वविाि-मंडल द्वारा पाररत सभी अधिनियमों के और राष्रपनत या
ककसी राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रखयावपत सभी अध्यादे शों के ,और
(iii) इस संवविाि के अिीि अथवा संसद या ककसी राज्य के वविाि-मंडल द्वारा बिाई गई ककसी
ववधि के अिीि निकाले गए या बिाए गए सभी आदे शों, नियमों, ववनियमों और उपववधियों
के, प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी भाषा में होंगे।

(2) िंड(1) के उपिंड (क) में ककसी बात के होते हुए भी, ककसी राज्य का राज्यपाल राष्रपनत की पूवय
सहमनत से उस उच्च न्द्यायालय की काययवादहयों में , जजसका मुखय स्थाि उस राज्य में है , दहन्द्दी
भाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग होिे वाली ककसी अन्द्य भाषा का
प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगाोः

परं तु इस िंड की कोई बात ऐसे उच्च न्द्यायालय द्वारा ददए गए ककसी निणयय, डडक्री या आदे श को
लागू िहीं होगी।

(3) िंड (1) के उपिंड (ि) में ककसी बात के होते हुए भी, जहां ककसी राज्य के वविाि-मंडल िे,उस
वविाि-मंडल में पुरोःस्थावपत वविेयकों या उसके द्वारा पाररत अधिनियमों में अथवा उस राज्य के
राज्यपाल द्वारा प्रखयावपत अध्यादे शों में अथवा उस उपिंड के पैरा (iv) में निददय ष्ट ककसी
आदे श, नियम, ववनियम या उपववधि में प्रयोग के ललए अंग्रेजी भाषा से लभन्द्ि कोई भाषा ववदहत की
है वहां उस राज्य के राजपत्र में उस राज्य के राज्यपाल के प्राधिकार से प्रकालशत अंग्रेजी भाषा में
उसका अिुवाद इस अिुच्छे द के अिीि उसका अंग्रेजी भाषा में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा।

अिुच्छे द 349. भाषा से संबंधित कुछ ववधियां अधिनियलमत करिे के ललए ववशेष प्रकक्रया-
-

इस संवविाि के प्रारं भ से पंरह वषय की अवधि के दौराि, अिुच्छे द 348 के िंड (1) में उजल्लखित
ककसी प्रयोजि के ललए प्रयोग की जािे वाली भाषा के ललए उपबंि करिे वाला कोई वविेयक या
संशोिि संसद के ककसी सदि में राष्रपनत की पूवय मंजूरी के बबिा पुरोःस्थावपत या प्रस्ताववत िहीं
ककया जाएगा और राष्रपनत ककसी ऐसे वविेयक को पुरोःस्थावपत या ककसी ऐसे संशोिि को
प्रस्ताववत ककए जािे की मंजूरी अिुच्छे द 344 के िंड (1) के अिीि गदठत आयोग की लसफाररशों पर
और उस अिच्
ु छे द के िंड (4) के अिीि गदठत सलमनत के प्रनतवेदि पर ववचार करिे के पचचात ् ही
दे गा, अन्द्यथा िहीं।

अध्याय 4-- ववशेष निदे श


अिच्
ु छे द 350. व्यथा के निवारण के ललए अभ्यावेदि में प्रयोग की जािे वाली भाषा--

प्रत्येक व्यजक्त ककसी व्यथा के निवारण के ललए संघ या राज्य के ककसी अधिकारी या प्राधिकारी
को, यथाजस्थनत, संघ में या राज्य में प्रयोग होिे वाली ककसी भाषा में अभ्यावेदि दे िे का हकदार
होगा।

अिुच्छे द 350 क. प्राथलमक स्तर पर मातभ


ृ ाषा में लशिा की सुवविाएं--
प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थािीय प्राधिकारी भाषाई अल्पसंखयक-वगों के बालकों
को लशिा के प्राथलमक स्तर पर मातभ
ृ ाषा में लशिा की पयायप्त सुवविाओं की व्यवस्था करिे का
प्रयास करे गा और राष्रपनत ककसी राज्य को ऐसे निदे श दे सकेगा जो वह ऐसी सुवविाओं का उपबंि
सुनिजचचत करािे के ललए आवचयक या उधचत समझता है ।

अिच्
ु छे द 350 ि. भाषाई अल्पसंखयक-वगों के ललए ववशेष अधिकारी--

(1) भाषाई अल्पसंखयक-वगों के ललए एक ववशेष अधिकारी होगा जजसे राष्रपनत नियक्
ु त करे गा।

(2) ववशेष अधिकारी का यह कतयव्य होगा कक वह इस संवविाि के अिीि भाषाई अल्पसंखयक-वगों


के ललए उपबंधित रिोपायों से संबंधित सभी ववषयों का अन्द्वेषण करे और उि ववषयों के संबंि में
ऐसे अंतरालों पर जो राष्रपनत निददय ष्ट करे ,
राष्रपनत को प्रनतवेदि दे और राष्रपनत ऐसे सभी प्रनतवेदिों को संसद् के प्रत्येक सदि के समि
रिवाएगा और संबंधित राज्यों की सरकारों को लभजवाएगा।

अिुच्छे द 351. दहंदी भाषा के ववकास के ललए निदे श--

संघ का यह कतयव्य होगा कक वह दहंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका ववकास करे जजससे वह भारत
की सामालसक संस्कृनत के सभी तत्वों की अलभव्यजक्त का माध्यम बि सके और उसकी प्रकृनत में
हस्तिेप ककए बबिा दहंदस्
ु थािी में और आठवीं अिुसूची में ववनिददय ष्ट भारत की अन्द्य भाषाओं में
प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवचयक या वांछिीय हो वहां उसके
शब्द-भंडार के ललए मुखयतोः संस्कृत से और गौणतोः अन्द्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी
समवृ द्ध सुनिजचचत करे ।
राष्ट्रिनि के आिे श, 1960

(गह
ृ मंत्रालय की दद. 27 अप्रैल, 1960 की अधिसूचिा संखया 2/8/60-रा.भा., की प्रनतललवप)

अधिसूचिा

राष्रपनत का निम्िललखित आदे श आम जािकारी के ललए प्रकालशत ककया जाता है :-

िई ददल्ली, ददिाक 27 अप्रैल, 1960

आदे श
लोकसभा के 20 सदस्यों और राज्य सभा के 10 सदस्यों की एक सलमनत प्रथम-राजभाषा आयोग की लसफाररशों पर ववचार
करिे ललए और उिके ववषय में अपिी राय राष्रपनत के समि पेश करिे के ललए संवविाि के अिुच्छे द 344 के िंड (4)
के उपबंिों के अिस
ु ार नियक्
ु त की गई थी। सलमनत िे अपिी ररपोटय राष्रपनत के समि 8 फरवरी, 1959 को पेश कर दी।
िीचे ररपोटय की कुछ मख
ु य बातें दी जा रही हैं जजिसे सलमनत के सामान्द्य दृजष्टकोण का पररचय लमल सकता है :-
राजभाषा के बारे में संवविाि में बड़ी समजन्द्वत योजिा दी हुई है । इसमें योजिा के दायरे से बाहर जाए बबिा
(क)
जस्थनत के अिुसार पररवतयि करिे की गुंजाइश है ।
ववलभन्द्ि प्रादे लशक भाषाएं राज्यों में लशिा और सरकारी काम-काज के माध्यम के रूप में तेजी से अंग्रेजी का
स्थाि ले रही हैं। यह स्वाभाववक ही है कक प्रादे लशक भाषाएं अपिा उधचत स्थाि प्राप्त करें । अतोः व्यवहाररक
(ि) दृजष्ट से यह बात आवचयक हो गई है कक संघ के प्रयोजिों के ललए कोई एक भारतीय भाषा काम में लाई जाए।
ककन्द्तु यह आवचयक िहीं है कक यह पररवतयि ककसी नियत तारीि को ही हो। यह पररवतयि िीरे -िीरे इस प्रकार
ककया जािा चादहए कक कोई गड़बड़ी ि हो और कम से कम असुवविा हो।
1965 तक अंग्रेजी मुखय राजभाषा और दहन्द्दी सहायक राजभाषा रहिी चादहए। 1965 के उपरान्द्त जब दहन्द्दी संघ
(ग)
की मुखय राजभाषा हो जाएगी अंग्रेजी सहायक राजभाषा के रूप में ही चलती रहिी चादहए।
संघ के प्रयोजिों में से ककसी के ललए अंग्रेजी के प्रयोग पर कोई रोक इस समय िहीं लगाई जािी चादहए और
अिच्
ु छे द 343 के िंड (3) के अिस
ु ार इस बात की व्यवस्था की जािी चादहए कक 1965 के उपरान्द्त भी अंग्रेजी का
(घ)
प्रयोग इि प्रयोजिों के ललए, जजन्द्हें संसद् ववधि द्वारा उजल्लखित करे तब तक होता रहे जब तक वैसा करिा
आवचयक रहे ।
अिुच्छे द 351 का यह उपबन्द्ि कक दहन्द्दी का ववकास ऐसे ककया जाए कक वह भारत की सामालसक संस्कृनत के सब
तत्वों की अलभव्यजक्त का माध्यम बि सके, अत्यन्द्त महत्वपूणय है और इस बात के ललए परू ा प्रोत्साहि ददया
जािा चादहए कक सरल और सुबोि शब्द काम में लाए जाएं।

ररपोटय की प्रनतयां संसद के दोिों सदिों के पटल पर 1959 के अप्रैल मास में रि दी गई थीं और ररपोटय पर
(ड.)
ववचार-ववमशय लोक सभा में 2 लसतम्बर से 4 लसतम्बर, 1959तक और राज्य सभा में 8 और 9 लसतम्बर, 1959 को हुआ
था। लोक सभा में इस पर ववचार-ववमशय के समय प्रिािमंत्री िे 4 लसतम्बर, 1959 को एक भाषण ददया था।
राजभाषा के प्रचि पर सरकार का जो दृजष्टकोण है उसे उन्द्होंिे अपिे इस भाषण में मोटे तौर पर व्यक्त कर
ददया था।

2. अिच्
ु छे द 344 के िंड (6) द्वारा दी गई शजक्तयों का प्रयोग करते हुए राष्रपनत िे सलमनत की ररपोटय पर
ववचार ककया है और राजभाषा आयोग की लसफाररशों पर सलमनत द्वारा अलभव्यक्त राय को ध्याि में रिकर, इसके बाद
निम्िललखित निदे श जारी ककए हैं।

3. शब्दावली-
आयोग की जजि मख
ु य लसफाररशों को सलमनत िे माि ललया वे ये हैं-
(क) शब्दावली तैयार करिे में मुखय लक्ष्य उसकी स्पष्टता, यथाथयता और सरलता होिी चादहए;
(ि) अन्द्तरायष्रीय शब्दावली अपिाई जाए, या जहां भी आवचयक हो, अिक
ु ू लि कर ललया जाए;
सब भारतीय भाषाओं के ललए शब्दावली का ववकास करते समय लक्ष्य यह होिा चादहए कक उसमें जहां तक हो
(ग)
सके अधिकतम एकरूपता हो; और
दहन्द्दी और अन्द्य भारतीय भाषाओं की शब्दावली के ववकास के ललए जो प्रयत्ि केन्द्र और राज्यों में हो रहे हैं
उिमें समन्द्वय स्थावपत करिे के ललए समुधचत प्रबन्द्ि ककए जािे चादहए। इसके अनतररक्त सलमनत का यह मत
है कक ववज्ञाि और प्रौद्योधगकी के िेत्र में सब भारतीय भाषाओं में जहां तक हो सके एकरूपता होिी चादहए और
(घ) शब्दावली लगभग अंग्रेजी या अन्द्तरायष्रीय शब्दावली जैसी होिी चादहए। इस दृजष्ट से सलमनत िे यह सुझाव ददया
है कक वे इस िेत्र में ववलभन्द्ि संस्थाओं द्वारा ककए गए काम में समन्द्वय स्थावपत करिे और उसकी दे िरे ि के
ललए और सब भारतीय भाषाओं को प्रयोग में लािे की दृजष्ट से एक प्रामाखणक शब्दकोश निकालिे के ललए ऐसा
स्थाई आयोग कायम ककया जाए जजसके सदस्य मुखयतोः वैज्ञानिक और प्रौद्योधगकीववद् हों।

लशिा मंत्रालय निम्िललखित ववषय में कारय वाई करें --


अब तक ककए गए काम पर पि
ु ववयचार और सलमनत द्वारा स्वीकृत सामान्द्य लसद्धान्द्तों के अिुकूल शब्दावली का
ववकास / ववज्ञाि और प्रौद्योधगकी के िेत्र में वे शब्द,जजिका प्रयोग अन्द्तरायष्रीय िेत्र में होता है , कम से कम
(क)
पररवतयि के साथ अपिा ललए जाएं, अथायत मूल शब्द वे होिे चादहए जो कक आजकल अन्द्तरायष्रीय शब्दावली में
काम आते हैं। उिसे ब्यत्ु पन्द्ि शब्दों का जहां भी आवचयक हो भारतीयकरण ककया जा सकता है ोः
(ि) शब्दावली तैयार करिे के काम में समन्द्वय स्थावपत करिे के ललए प्रबन्द्ि करिे के ववषय में सुझाव दे िा, और
(ग) ववज्ञाि और तकिीकी शब्दावली के ववकास के ललए सलमनत के सुझाव के अिुसार स्थाई आयोग का निमायण।

4. प्रशासनिक संदहताओं और अन्द्य कायय-ववधि सादहत्य का अिव


ु ाद --
इस आवचयकता को दृजष्ट में रिकर कक संदहताओं और अन्द्य काययववधि सादहत्य के अिव
ु ाद में प्रयक्
ु त भाषा में ककसी
हद तक एकरूपता होिी चादहए, सलमनत िे आयोग की यह लसफाररश माि ली है कक सारा काम एक अलभकरण को सौंप
ददया जाए।
लशिा मंत्रालय सांववधिक नियमों, ववनियम और आदे शों के अलावा बाकी सब संदहताओं और अन्द्य काययववधि सादहत्य
का अिव
ु ाद करे । सांववधिक नियमों, ववनियमों और आदे शों का अिव
ु ाद संववधियों के अिुवाद के साथ घनिष्ठ रूप से
सम्बद्ध है , इसललए यह काम ववधि मंत्रालय करे । इस बात का पूरा प्रयत्ि होिा चादहए कक सब भारतीय भाषाओं में इि
अिुवादों को शब्दावली में जहां तक हो सके एकरूपता रिी जाए।

5. प्रशासनिक कमयचारी वगय को दहन्द्दी का प्रलशिण--


सलमनत द्वारा अलभव्यक्त मत के अिुसार 45 वषय से कम आयु वाले सब केन्द्रीय कमयचाररयों के ललए सेवा कालीि
दहन्द्दी प्रलशिण प्राप्त करिा अनिवायय कर ददया जािा चादहए। तत
ृ ीय श्रेणी के ग्रेड से िीचे के कमयचाररयों और
(क) औद्योधगक संस्थाएं और कायय प्रभाररत कमयचाररयों के संबंि में यह बात लागू ि होगी। इस योजिा के अन्द्तगयत
नियत तारीि तक ववदहत योग्यता प्राप्त कर सकिे के ललए कमयचारी को कोई दं ड िहीं ककया जािा चादहए।
दहन्द्दी भाषा की पढ़ाई के ललए सुवविाएं प्रलशिाधथययों को मुफ्त लमलती रहिी चादहए।
गह
ृ मंत्रालय उि टाइपकारों और आशुललवपकों का दहन्द्दी टाइपराइदटंग और आशुललवप प्रलशिण दे िे के ललए
(ि)
आवचयक प्रबन्द्ि करे जो केन्द्रीय सरकार की िौकरी में हैं।
(ग) लशिा मंत्रालय दहन्द्दी टाइपराइटरों के मािक की-बोडय (कंु जीपटल) के ववकास के ललए शीघ्र कदम उठाए।

6. दहन्द्दी प्रचार --
आयोग की इस लसफाररश से कक यह काम करिे की जजम्मेदारी अब सरकार उठाए, सलमनत सहमत हो गई है ।
जजि िेत्रों में प्रभावी रूप से काम करिे वाली गैर सरकारी संस्थाएं पहले से ही ववद्यमाि हैं उिमें उि संस्थाओं

(क) को ववत्तीय और अन्द्य प्रकार की सहायता दी जाए और जहां ऐसी संस्थाएं िहीं हैं वहां सरकार आवचयक संगठि
कायम करे ।

लशिा मंत्रालय इस बात की समीिा करे कक दहन्द्दी प्रचार के ललए जो वतयमाि व्यवस्था है वह कैसी चल रही है ।
साथ ही वह सलमनत द्वारा सझ
ु ाई गई ददशाओं में आगे कारय वाई करे ।

लशिा मंत्रालय और वैज्ञानिक अिुसंिाि और सांस्कृनतक कायय मंत्रालय परस्पर लमलकर भारतीय भाषा, ववज्ञाि
भाषा-शास्त्र और सादहत्य सम्बन्द्िी अध्ययि और अिुसंिाि को प्रोत्साहि दे िे के ललए सलमनत द्वारा सुझाए गए
(ि)
तरीके से आवचयक कारय वाई करें और ववलभन्द्ि भारतीय भाषाओं को परस्पर निकट लािे के ललए अिच्
ु छे द 351 में
ददए गए निदे श के अिुसार दहन्द्दी का ववकास करिे के ललए आवचयक योजिा तैयार करें ।

7. केन्द्रीय सरकारी ववभाग के स्थािीय कायायलयों के ललए भती -


सलमनत की राय है कक केन्द्रीय सरकारी ववभागों के स्थािीय कायायलय अपिे आन्द्तररक कामकाज के ललए दहन्द्दी
का प्रयोग करें और जिता के साथ पत्र-व्यवहार में उि प्रदे शों की प्रादे लशक भाषाओं का प्रयोग करें । अपिे स्थािीय
कायायलयों में अंग्रेजी के अनतररक्त दहन्द्दी का उत्तरोत्तर अधिक प्रयोग करिे के वास्ते योजिा तैयार करिे में
(क)
केन्द्रीय सरकारी ववभाग इस आवचयकता को ध्याि में रिें कक यथासंभव अधिक से अधिक मात्रा में प्रादे लशक
भाषाओं में फामय और ववभागीय सादहत्य उपलब्ि करा कर वहां की जिता को पूरी सुवविाएं प्रदाि की जािी
चादहए।
सलमनत की राय है कक केन्द्रीय सरकार के प्रशासनिक अलभकरणों और ववभागों में कमयचाररयों की वतयमाि व्यवस्था
पर पि
ु ववयचार ककया जाए, कमयचाररयों का प्रादे लशक आिार पर ववकेन्द्रीकरण कर ददया जाए, इसके ललए भती के
तरीकों और अहयताओं में उपयुक्त संशोिि करिा होगा।

(ि) स्थािीय कायायलयों में जजि कोदटयों के पदों पर कायय करिे वालों की बदली मामूली तौर पर प्रदे श के बाहर िहीं
होती उि कोदटयों के सम्बन्द्ि में यह सुझाव, कोई अधिवास सम्बन्द्िी प्रनतबन्द्ि लगाए बबिा, लसद्धान्द्ततोः माि ललया
जािा चादहए।

सलमनत आयोग की इस लसफाररश से सहमत है कक केन्द्रीय सरकार के ललए यह ववदहत कर दे िा न्द्यायसम्मत


होगा कक उसकी िौकररयों में लगिे के ललए अहयता यह भी होगी कक उम्मीदवार को दहन्द्दी भाषा का सम्यक ज्ञाि
हो। पर ऐसा तभी ककया जािा चादहए जबकक इसके ललए काफी पहले से ही सूचिा दे दी गई हो और भाषा-
योग्यता का ववदहत स्तर मामूली हो और इस बारे में जो भी कमी हो उसे सेवाकालीि प्रलशिण द्वारा पूरा ककया
(ग) जा सकता है ।

यह लसफाररश अभी दहन्द्दी भाषी िेत्रों के केन्द्रीय सरकारी ववभागों में ही कायायजन्द्वत की जाए, दहन्द्दीतर भाषा-भाषी
िेत्रों के स्थािीय कायायलयों में िहीं।

(क), (ि)और (ग) में ददए गए निदे श भारतीय लेिा-परीिा और लेिा ववभाग के अिीि कायायलयों के सम्बन्द्ि में लागू
ि होंगे।

8. प्रलशिण संस्थाि--
(क) सलमनत िे यह सुझाव ददया है कक िेशिल डडफेंस एकेडमी जैसे प्रलशिण संस्थािों में लशिा का माध्यम अंग्रेजी ही
बिा रहे ककन्द्तु लशिा सम्बन्द्िी कुछ या सभी प्रयोजिों के ललए माध्यम के रूप में दहन्द्दी का प्रयोग शुरू करिे के ललए
उधचत कदम उठाए जाएं।

रिा मंत्रालय अिुदेश पुजस्तकाओं इत्यादद के दहन्द्दी प्रकाशि आदद के रूप में समुधचत प्रारजम्भक कारय वाई करें , ताकक
जहां भी व्यवहायय हो लशिा के माध्यम के रूप में दहन्द्दी का प्रयोग सम्भव हो जाए।

(ि) सलमनत िे सुझाव ददया कक प्रलशिण संस्थािों में प्रवेश के ललए, अंग्रेजी और दहन्द्दी दोिों ही परीिा के माध्यम
हों, ककन्द्तु पररिाधथययों का यह ववकल्प रहे कक वे सब या कुछ परीिा पत्रों के ललए उिमें से ककसी एक भाषा को चुि लें
और एक ववशेष सलमनत यह जांच करिे के ललए नियुक्त की जाए कक नियत कोटा प्रणाली अपिाए बबिा प्रादे लशक
भाषाओं का प्रयोग परीिा के माध्यम के रूप में कहां तक शुरू ककया जा सकता है ।

रिा मंत्रालय को चादहए कक वह प्रवेश परीिाओं में वैकजल्पक माध्यम के रूप में दहन्द्दी का प्रयोग शुरू करिे के ललए
आवचयक कारय वाई करे और कोई नियत कोटा प्रणाली अपिाए बबिा परीिा के माध्यम के रूप में प्रादे लशक भाषाओं का
प्रयोग आरम्भ करिे के प्रचि पर ववचार करिे के ललए एक ववशेषज्ञ सलमनत नियुक्त करे ।

9. अखिल भारतीय सेवाओं और उच्चतर केन्द्रीय सेवाओं में भती

(क) परीिा का माध्यम-


सलमनत कक राय है कक
परीिा का माध्यम अंग्रेजी बिा रहे और कुछ समय पचचात ् दहन्द्दी वैकजल्पक माध्यम के रूप में अपिा ली जाए।
क उसके बाद जब तक आवचयक हो अंग्रेजी और दहन्द्दी दोिों ही परीिाथी के
ववकल्पािस
ु ार परीिा के माध्यम के रूप में अपिािे की छूट हो; और
ककसी प्रकार की नियत कोटा प्रणाली अपिाए बबिा परीिा के माध्यम के रूप में ववलभन्द्ि प्रादे लशक भाषाओं का
ि
प्रयोग शुरू करिे की व्यवहाययता की जांच करिे के ललए एक ववशेषज्ञ सलमनत नियुक्त की जाए।
कुछ समय के पचचात वैकजल्पक माध्यम के रूप में दहन्द्दी का प्रयोग शुरू करिे के ललए संघ लोक सेवा आयोग
के साथ परामशय कर गह
ृ मंत्रालय आवचयक कारय वाई करे । वैकजल्पक माध्यम के रूप में ववलभन्द्ि प्रादे लशक भाषाओं
का प्रयोग करिे से गम्भीर कदठिाइयां पैदा होिे की संभाविा है , इसललए वैकजल्पक माध्यम के रूप में ववलभन्द्ि
प्रादे लशक भाषाओं का प्रयोग शुरू करिे की व्यवहाययता की जांच करिे के ललए ववशेषज्ञ सलमनत नियुक्त करिा
आवचयक िहीं है ।

(ि) भाषा ववषयक प्रचि-पत्र -


सलमनत की राय है कक सम्यक सूचिा के बाद समाि स्तर के दो अनिवायय प्रचि-पत्र होिे चादहए जजिमें से एक दहन्द्दी
और दस
ू रा दहन्द्दी से लभन्द्ि ककसी भारतीय भाषा का होिा चादहए और परीिाथी को यह स्वतंत्रता होिी चादहए कक वह
इिमें से ककसी एक को चुि ले।

अभी केवल एक ऐजच्छक दहन्द्दी परीिा पत्र शुरू ककया जाए। प्रनतयोधगता के फल पर चुिे गए जो परीिाथी इस परीिा
पत्र में उत्तीणय हो गए हों, उन्द्हें भती के बाद जो ववभागीय दहन्द्दी परीिा दे िी होती है उसमें बैठिे और उसमें उत्तीणय
होिे की शतय से छूट दी जाए।

10. अंक -
जैसा कक सलमनत का सुझाव है केन्द्रीय मंत्रालयों का दहन्द्दी प्रकाशिों में अन्द्तरायष्रीय अंकों के अनतररक्त दे विागरी अंकों
के प्रयोग के सम्बन्द्ि में एक आिारभूत िीनत अपिाई जाए,जजसका नििायरण इस आिार पर ककया जाए कक वे प्रकाशि
ककस प्रकार की जिता के ललए हैं और उसकी ववषयवस्तु क्या है । वैज्ञानिक, औद्योधगक और सांजखयकीय प्रकाशिों
में ,जजसमें केन्द्रीय सरकार का बजट सम्बन्द्िी सादहत्य भी शालमल है , बराबर अन्द्तरायष्रीय अंकों का प्रयोग ककया जाए।

11. अधिनियमों, वविेयकों इत्यादद की भाषा--


(क) सलमनत िे राय दी है कक संसदीय ववधियां अंग्रेजी में बिती रहें ककन्द्तु उिका प्रमाखणक दहन्द्दी अिुवाद उपलब्ि
कराया जाए। संसदीय ववधियां अंग्रेजी में तो रहें पर उसके प्रामाखणक दहन्द्दी अिुवाद की व्यवस्था करिे के वास्ते ववधि
मंत्रालय आवचयक वविेयक उधचत समय पर पेश करे । संसदीय ववधियों का प्रादे लशक भाषाओं में अिव
ु ाद करािे का
प्रबन्द्ि भी ववधि मंत्रालय करे ।
(ि) सलमनत िे राय जादहर की है जहां कहीं राज्य वविाि मण्डल में पेश ककए गए वविेयकों या पास ककए गए
अधिनियमों का मूल पाठ दहन्द्दी में से लभन्द्ि ककसी भाषा में है , वहां अिुच्छे द 348 के िण्ड (3) के अिुसार अंग्रेजी
अिव
ु ाद के अलावा उसका दहन्द्दी अिव
ु ाद भी प्रकालशत ककया जाए।

राज्य की राजभाषा में पाठ के साथ-साथ राज्य वविेयकों, अधिनियमों और अन्द्य सांववधिक ललितों के दहन्द्दी अिव
ु ाद के
प्रकाशि के ललए आवचयक वविेयक उधचत समय पर पेश ककया जाए।

12. उच्चतम न्द्यायालय और उच्च न्द्यायालय की भाषा-


राजभाषा आयोग िे लसफाररश की थी कक जहां तक उच्चतम न्द्यायालय की भाषा का सवाल है उसकी भाषा इस
पररवतयि का समय आिे पर अन्द्ततोः दहन्द्दी होिी चादहए। सलमनत िे यह लसफाररश माि ली है ।

आयोग िे उच्च न्द्यायालयों की भाषा के ववषय में प्रादे लशक भाषाओं और दहन्द्दी के पि-ववपि में ववचार ककया और
लसफाररश की कक जब भी इस पररवतयि का समय आए, उच्च न्द्यायालयों के निणययों, आज्ञप्त ्जााायों (डडकक्रयों) और
आदे शों की भाषा जब प्रदे शों में दहन्द्दी होिी चादहए ककन्द्तु सलमनत की राय है कक राष्रपनत की पूवय सम्मनत से आवचयक
वविेयक पेश करके यह व्यवस्था करिे की गुंजाइश रहे कक उच्च न्द्यायालयों के निणययों, आज्ञजप्तयों (डडकक्रयों) और
आदे शों के ललए उच्च न्द्यायालय में दहन्द्दी और राज्यों की राजभाषाएं ववकल्पतोः प्रयोग में लाई जा सकेंगी।

सलमनत की राय है कक उच्चतम न्द्यायालय अन्द्ततोः अपिा सब काम दहन्द्दी में करे , यह लसद्धान्द्त रूप में स्वीकायय है और
इसके संबंि में समुधचत काययवाही उसी समय अपेक्षित होगी जब कक इस पररवतयि के ललए समय आ जाएगा।

जैसा कक आयोग की लसफाररश की तरमीम करते हुए सलमनत िे सुझाव ददया है , उच्च न्द्यायालयों की भाषा के ववषय में
यह व्यवस्था करिे के ललए आवचयक वविेयक ववधि मंत्रालय उधचत समय पर राष्रपनत की पूवय सम्मनत से पेश करे
कक निणययों, डडकक्रयों और आदे शों के प्रयोजिों के ललए दहन्द्दी और राज्यों की राजभाषाओं का प्रयोग ववकल्पतोः ककया
जा सकेगा।

13. ववधि िेत्र में दहन्द्दी में काम करिे के ललए आवचयक आरजम्भक कदम-
मािक ववधि शब्दकोश तैयार करिे, केन्द्र तथा राज्य के वविाि निमायण से संबंधित सांववधिक ग्रन्द्थ का अधिनियम
करिे, ववधि शब्दावली तैयार करिे की योजिा बिािे और जजस संक्रमण काल में सांववधिक ग्रंथ और साथ ही
निणययववधि अंशतोः दहन्द्दी और अंग्रेजी में होंगे, उस अवधि में प्रारजम्भक कदम उठािे के बारे में आयोग िे जो लसफाररश
की थी उन्द्हें सलमनत िे माि ललया है । साथ ही सलमनत िे यह सझ
ु ाव भी ददया है कक संववधियों के अिव
ु ाद और ववधि
शब्दावली तथा कोशों से संबंधित सम्पूणय काययक्रम की समुधचत योजिा बिािे और उसे कायायजन्द्वत करिे के ललए भारत
की ववलभन्द्ि राष्रभाषाओं का प्रनतनिधित्व करिे वाले ववशेषज्ञों का एक स्थाई आयोग या इस प्रकार कोई उच्च स्तरीय
निकाय बिाया जाए। सलमनत िे यह राय भी जादहर की है कक राज्य सरकारों को परामशय ददया जाए कक वे भी केन्द्रीय
सरकार से राय लेकर इस संबि
ं में आवचयक कारय वाई करें । सलमनत के सुझाव को दृजष्ट में रिकर ववधि मंत्रालय
यथासंभव सब भारतीय भाषाओं में प्रयोग के ललए सवयमान्द्य ववधि शब्दावली की तैयारी और संववधियों के दहन्द्दी में
अिुवाद संबंिी पूरे काम के ललए समुधचत योजिा बिािे और पूरा करिे के ललए ववधि ववशेषज्ञों के एक स्थाई आयोग
का निमायण करे ।

14. दहन्द्दी के प्रगामी प्रयोग के ललए योजिा का काययक्रम--


सलमनत िे यह सझ
ु ाव ददया है कक संघ की राजभाषा के रूप में दहन्द्दी के प्रगामी प्रयोग की योजिा संघ सरकार बिाए
और कायायजन्द्वत करे । संघ के राजकीय प्रयोजिों में से ककसी के ललए अंग्रे जी के प्रयोग पर इस समय कोई रोक ि
लगाई जाए।

तद्िुसार गह
ृ मंत्रालय एक योजिा काययक्रम तैयार करे और उसे अमल में लािे के संबंि में आवचयक कारय वाई करे । इस
योजिा का उद्देचय होगा संघीय प्रशासि में बबिा कदठिाई के दहन्द्दी के प्रगामी प्रयोग के ललए प्रारजम्भक कदम उठािा
और संवविाि के अिुच्छे द 343 िंड (2) में ककए गए उपबन्द्ि के अिुसार संघ के ववलभन्द्ि कायों में अंग्रेजी के साथ-साथ
दहन्द्दी के प्रयोग को बढ़ावा दे िा, अंग्रेजी के अनतररक्त दहन्द्दी का प्रयोग कहां तक ककया जा सकता है यह बात इि
प्रारजम्भक कारय वाईयों की सफलता पर बहुत कुछ निभयर करे गी। इस बीच प्राप्त अिभ
ु व के आिार पर अंग्रेजी के
अनतररक्त दहन्द्दी के वास्तववक प्रयोग की योजिा पर समय-समय पर पि ु ववयचार और उसमें हे र-फेर करिा होगा।
राजभाषा संकपि, 1968

संसद के दोिों सदिों द्वारा पाररत निम्िललखित सरकारी संकल्प आम जािकारी के ललए प्रकालशत ककया जाता है -

संकल्प

“जब‡क संवविाि के अिुच्छे द 343 के अिुसार संघ की राजभाषा दहंदी रहे गी और उसके अिुच्छे द 351 के अिुसार
दहंदी भाषा का प्रसार, ववृ द्ध करिा और उसका ववकास करिा ताकक वह भारत की सामालसक संस्कृनत के सब तत्वों की
अलभव्यजक्त का माध्यम हो सके, संघ का कतयव्य है :

यह सभा संकल्प करती है कक दहंदी के प्रसार एंव ववकास की गनत बढ़ािे के हे तु तथा संघ के ववलभन्द्ि राजकीय
प्रयोजिों के ललए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हे तु भारत सरकार द्वारा एक अधिक गहि एवं व्यापक काययक्रम तैयार ककया
जाएगा और उसे कायायजन्द्वत ककया जाएगा और ककए जािे वाले उपायों एवं की जािे वाली प्रगनत की ववस्तत
ृ वावषयक
मल्
ू यांकि ररपोटय संसद की दोिों सभाओं के पटल पर रिी जाएगी और सब राज्य सरकारों को भेजी जाएगी ।

2. जबकक संवविाि की आठवीं अिुसूची में दहंदी के अनतररक्त भारत की 21 मुखय भाषाओं का उल्लेि ककया गया
है , और दे श की शैिखणक एवं सांस्कृनतक उन्द्िनत के ललए यह आवचयक है कक इि भाषाओं के पण
ू य ववकास हे तु
सामूदहक उपाए ककए जािे चादहए :

यह सभा संकल्प करती है कक दहंदी के साथ-साथ इि सब भाषाओं के समजन्द्वत ववकास हे तु भारत सरकार द्वारा राज्य
सरकारों के सहयोग से एक काययक्रम तैयार ककया जाएगा और उसे कायायजन्द्वत ककया जाएगा ताकक वे शीघ्र समद्ध
ृ हो
और आिुनिक ज्ञाि के संचार का प्रभावी माध्यम बिें ।

3. जबकक एकता की भाविा के संवियि तथा दे श के ववलभन्द्ि भागों में जिता में संचार की सुवविा हे तु यह आवचयक
है कक भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामशय से तैयार ककए गए बत्र-भाषा सूत्र को सभी राज्यों में पूणत

कायायजन्द्वत करिे के ललए प्रभावी ककया जािा चादहए :

यह सभा संकल्प करती है कक दहंदी भाषी िेत्रों में दहंदी तथा अंग्रेजी के अनतररक्त एक आिुनिक भारतीय भाषा
के, दक्षिण भारत की भाषाओं में से ककसी एक को तरजीह दे ते हुए, और अदहंदी भाषी िेत्रों में प्रादे लशक भाषाओं एवं
अंग्रेजी के साथ साथ दहंदी के अध्ययि के ललए उस सत्र
ू के अिस ु ार प्रबन्द्ि ककया जािा चादहए ।

4. और जबकक यह सुनिजचचत करिा आवचयक है कक संघ की लोक सेवाओं के ववषय में दे श के ववलभन्द्ि भागों के लोगों
के न्द्यायोधचत दावों और दहतों का पण
ू य पररत्राण ककया जाए

यह सभा संकल्प करती है कक-


(क) कक उि ववशेष सेवाओं अथवा पदों को छोड़कर जजिके ललए ऐसी ककसी सेवा अथवा पद के कत्तयव्यों के
संतोषजिक निष्पादि हे तु केवल अंग्रेजी अथवा केवल दहंदी अथवा दोिों जैसी कक जस्थनत हो, का उच्च स्तर का ज्ञाि
आवचयक समझा जाए, संघ सेवाओं अथवा पदों के ललए भती करिे हे तु उम्मीदवारों के चयि के समय दहंदी अथवा
अंग्रेजी में से ककसी एक का ज्ञाि अनिवाययत होगा; और

(ि) कक परीिाओं की भावी योजिा, प्रकक्रया संबंिी पहलुओं एवं समय के ववषय में संघ लोक सेवा आयोग के
ववचार जाििे के पचचात अखिल भारतीय एवं उच्चतर केन्द्रीय सेवाओं संबंिी परीिाओं के ललए संवविाि की आठवीं
अिस
ु च
ू ी में सजम्मललत सभी भाषाओं तथा अंग्रेजी को वैकजल्पक माध्यम के रूप में रििे की अिम
ु नत होगी ।”
राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग)

नियम, 1976

(यथा संशोधिि, 1987, 2007 िथा 2011)

सा.का.नि. 1052 --राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) की िारा 3 की उपिारा (4) के साथ पदठत िारा 8 द्वारा प्रदत्त
शजक्तयों का प्रयोग करते हुए, केन्द्रीय सरकार निम्िललखित नियम बिाती है , अथायतोः-

1. संक्षिप्त िाम, ववस्तार और प्रारम्भ--

(क) इि नियमों का संक्षिप्त िाम राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग) नियम, 1976 है ।

(ि) इिका ववस्तार, तलमलिाडु राज्य के लसवाय सम्पूणय भारत पर है ।

(ग) ये राजपत्र में प्रकाशि की तारीि को प्रवत्ृ त होंगे।

2. पररभाषाएं-- इि नियमों में , जब तक कक संदभय से अन्द्यथा अपेक्षित ि होोः-

(क) 'अधिनियम' से राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) अलभप्रेत है ;


(ि) 'केन्द्रीय सरकार के कायायलय' के अन्द्तगयत निम्िललखित भी है , अथायतोः-

(क) केन्द्रीय सरकार का कोई मंत्रालय, ववभाग या कायायलय;

(ि) केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त ककसी आयोग, सलमनत या अधिकरण का कोई कायायलय; और

(ग) केन्द्रीय सरकार के स्वालमत्व में या नियंत्रण के अिीि ककसी निगम या कम्पिी का कोई कायायलय;

(ग) 'कमयचारी' से केन्द्रीय सरकार के कायायलय में नियोजजत कोई व्यजक्त अलभप्रेत है ;

(घ) 'अधिसधू चत कायायलय' से नियम 10 के


उपनियम (4) के अिीि अधिसूधचत कायायलय, अलभप्रेत है ;

(ड़) 'दहन्द्दी में प्रवीणता' से नियम 9 में वखणयत प्रवीणता अलभप्रेत है ;

(च) 'िेत्र क' से बबहार, हररयाणा, दहमाचल प्रदे श, मध्य प्रदे श, छत्तीसगढ़, झारिंड़, उत्तरािंड राजस्थाि और उत्तर प्रदे श
राज्य तथा अंडमाि और निकोबार द्वीप समूह, ददल्ली संघ राज्य िेत्र अलभप्रेत है ;

(छ) 'िेत्र ि' से गुजरात, महाराष्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़, दमण और दीव तथा दादरा और िगर हवेली संघ राज्य
िेत्र अलभप्रेत हैं;

(ज) 'िेत्र ग' से िंड (च) और (छ) में निददय ष्ट राज्यों और संघ राज्य िेत्रों से लभन्द्ि राज्य तथा संघ राज्य िेत्र अलभप्रेत
है ;

(झ) 'दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि' से नियम 10 में वखणयत काययसािक ज्ञाि अलभप्रेत है ।

3. राज्यों आदद और केन्द्रीय सरकार के कायायलयों से लभन्द्ि कायायलयों के साथ पत्रादद-

(1) केन्द्रीय सरकार के कायायलय से िेत्र 'क' में ककसी राज्य या संघ राज्य िेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य िेत्र में
ककसी कायायलय (जो केन्द्रीय सरकार का कायायलय ि हो) या व्यजक्त को पत्रादद असािारण दशाओं को छोड़कर दहन्द्दी में
होंगे और यदद उिमें से ककसी को कोई पत्रादद अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उिके साथ उिका दहन्द्दी अिुवाद भी भेजा
जाएगा।

(2) केन्द्रीय सरकार के कायायलय से--


(क) िेत्र 'ि' में ककसी राज्य या संघ राज्यिेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य िेत्र में ककसी कायायलय (जो केन्द्रीय
सरकार का कायायलय ि हो) को पत्रादद सामान्द्यतया दहन्द्दी में होंगे और यदद इिमें से ककसी को कोई पत्रादद अंग्रेजी में
भेजे जाते हैं तो उिके साथ उिका दहन्द्दी अिव
ु ाद भी भेजा जाएगाोः परन्द्तु यदद कोई ऐसा राज्य या संघ राज्य िेत्र यह
चाहता है कक ककसी ववलशष्ट वगय या प्रवगय के पत्रादद या उसके ककसी कायायलय के ललए आशनयत पत्रादद संबद्ध राज्य या
संघ राज्यिेत्र की सरकार द्वारा ववनिददय ष्ट अवधि तक अंग्रेजी या दहन्द्दी में भेजे जाएं और उसके साथ दस
ू री भाषा में
उसका अिुवाद भी भेजा जाए तो ऐसे पत्रादद उसी रीनत से भेजे जाएंगे ;

(ि) िेत्र 'ि' के ककसी राज्य या संघ राज्य िेत्र में ककसी व्यजक्त को पत्रादद दहन्द्दी या अंग्रेजी में भेजे जा सकते हैं।

(3) केन्द्रीय सरकार के कायायलय से िेत्र 'ग' में ककसी राज्य या संघ राज्यिेत्र को या ऐसे राज्य में ककसी कायायलय (जो
केन्द्रीय सरकार का कायायलय ि हो)या व्यजक्त को पत्रादद अंग्रेजी में होंगे।

(4) उप नियम (1) और (2) में ककसी बात के होते हुए भी, िेत्र 'ग' में केन्द्रीय सरकार के कायायलय से िेत्र 'क'या'ि'में ककसी
राज्य या संघ राज्यिेत्र को या ऐसे राज्य में ककसी कायायलय (जो केन्द्रीय सरकार का कायायलय ि हो) या व्यजक्त को
पत्रादद दहन्द्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं । परन्द्तु दहन्द्दी में पत्रादद ऐसे अिुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे
कायायलयों में दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि रििे वाले व्यजक्तयों की संखया,दहन्द्दी में पत्रादद भेजिे की सुवविाओं और
उससे आिुषंधगक बातों को ध्याि में रिते हुए समय-समय पर अविाररत करे ।

4. केन्द्रीय सरकार के कायायलयों के बीच पत्रादद-

(क) केन्द्रीय सरकार के ककसी एक मंत्रालय या ववभाग और ककसी दस


ू रे मंत्रालय या ववभाग के बीच पत्रादद दहन्द्दी या
अंग्रेजी में हो सकते हैं;

(ि) केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या ववभाग और िेत्र 'क' में जस्थत संलग्ि या अिीिस्थ कायायलयों के बीच पत्रादद
दहन्द्दी में होंगे और ऐसे अिुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार, ऐसे कायायलयों में दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि रििे वाले
व्यजक्तयों की संखया, दहन्द्दी में पत्रादद भेजिे की सुवविाओं और उससे संबंधित आिुषंधगक बातों को ध्याि में रिते
हुए, समय-समय पर अविाररत करे ;

(ग) िेत्र 'क' में जस्थत केन्द्रीय सरकार के ऐसे कायायलयों के बीच, जो िण्ड (क) या िण्ड (ि) में ववनिददय ष्ट कायायलयों से
लभन्द्ि हैं, पत्रादद दहन्द्दी में होंगे;

(घ) िेत्र 'क' में जस्थत केन्द्रीय सरकार के कायायलयों और िेत्र 'ि' या 'ग'में जस्थत केन्द्रीय सरकार के कायायलयों के बीच
पत्रादद दहन्द्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं ;

परन्द्तु ये पत्रादद दहन्द्दी में ऐसे अिुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कायायलयों में दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि रििे
वाले व्यजक्तयों की संखया,दहन्द्दी में पत्रादद भेजिे की सुवविाओं और उससे आिुषंधगक बातों को ध्याि में रिते हुए
समय-समय पर अविाररत करे ;

(ङ) िेत्र 'ि' या 'ग' में जस्थत केन्द्रीय सरकार के कायायलयों के बीच पत्रादद दहन्द्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं ;

परन्द्तु ये पत्रादद दहन्द्दी में ऐसे अिप


ु ात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कायायलयों में दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि रििे
वाले व्यजक्तयों की संखया,दहन्द्दी में पत्रादद भेजिे की सवु विाओं और उससे आिष
ु ंधगक बातों को ध्याि में रिते हुए
समय-समय पर अविाररत करे ;

परन्द्तु जहां ऐसे पत्रादद--

(i) िेत्र 'क' या िेत्र 'ि' ककसी कायायलय को संबोधित हैं वहां यदद आवचयक हो तो, उिका दस
ू री भाषा में अिुवाद, पत्रादद
प्राप्त करिे के स्थाि पर ककया जाएगा;

(ii) िेत्र 'ग' में ककसी कायायलय को संबोधित है वहां, उिका दस


ू री भाषा में अिुवाद, उिके साथ भेजा जाएगा;
परन्द्तु यह और कक यदद कोई पत्रादद ककसी अधिसूधचत कायायलय को संबोधित है तो दस
ू री भाषा में ऐसा अिुवाद
उपलब्ि करािे की अपेिा िहीं की जाएगी ।

5. दहन्द्दी में प्राप्त पत्रादद के उत्तर--

नियम 3 और नियम 4 में ककसी बात के होते हुए भी, दहन्द्दी में पत्रादद के उत्तर केन्द्रीय सरकार के कायायलय से दहन्द्दी में
ददए जाएंगे ।

6. दहन्द्दी और अंग्रेजी दोिों का प्रयोग-

अधिनियम की िारा 3 की उपिारा (3) में निददय ष्ट सभी दस्तावेजों के ललए दहन्द्दी और अंग्रेजी दोिों का प्रयोग ककया
जाएगा और ऐसे दस्तावेजों पर हस्तािर करिे वाले व्यजक्तयों का यह उत्तरदानयत्व होगा कक वे यह सुनिजचचत कर लें
कक ऐसी दस्तावेजें दहन्द्दी और अंग्रेजी दोिों ही में तैयार की जाती हैं , निष्पाददत की जाती हैं और जारी की जाती हैं।

7. आवेदि, अभ्यावेदि आदद-

(1) कोई कमयचारी आवेदि, अपील या अभ्यावेदि दहन्द्दी या अंग्रेजी में कर सकता है ।

(2) जब उपनियम (1) में ववनिददय ष्ट कोई आवेदि, अपील या अभ्यावेदि दहन्द्दी में ककया गया हो या उस पर दहन्द्दी में
हस्तािर ककए गए हों, तब उसका उत्तर दहन्द्दी में ददया जाएगा।

(3) यदद कोई कमयचारी यह चाहता है कक सेवा संबंिी ववषयों (जजिके अन्द्तगयत अिश
ु ासनिक काययवादहयां भी हैं) से
संबंधित कोई आदे श या सूचिा,जजसका कमयचारी पर तामील ककया
जािा अपेक्षित है , यथाजस्थनत, दहन्द्दी या अंग्रेजी में होिी चादहए तो वह उसे असम्यक ववलम्ब के बबिा उसी भाषा में दी
जाएगी।

8. केन्द्रीय सरकार के कायायलयों में दटप्पणों का ललिा जािा -

(1) कोई कमयचारी ककसी फाइल पर दटप्पण या काययवत्ृ त दहंदी या अंग्रेजी में ललि सकता है और उससे यह अपेिा िहीं
की जाएगी कक वह उसका अिव
ु ाद दस
ू री भाषा में प्रस्तत
ु करे ।

(2) केन्द्रीय सरकार का कोई भी कमयचारी, जो दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि रिता है , दहन्द्दी में ककसी दस्तावेज के अंग्रेजी
अिुवाद की मांग तभी कर सकता है , जब वह दस्तावेज ववधिक या तकिीकी प्रकृनत का है , अन्द्यथा िहीं।

(3) यदद यह प्रचि उठता है कक कोई ववलशष्ट दस्तावेज ववधिक या तकिीकी प्रकृनत का है या िहीं तो ववभाग या
कायायलय का प्रिाि उसका ववनिचचय करे गा।

(4) उपनियम (1) में ककसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, आदे श द्वारा ऐसे अधिसूधचत कायायलयों को ववनिददय ष्ट
कर सकती है जहां ऐसे कमयचाररयों द्वारा,जजन्द्हें दहन्द्दी में प्रवीणता प्राप्त है , दटप्पण, प्रारूपण और ऐसे अन्द्य शासकीय
प्रयोजिों के ललए, जो आदे श में ववनिददय ष्ट ककए जाएं, केवल दहन्द्दी का प्रयोग ककया जाएगा ।

9. दहन्द्दी में प्रवीणता-

यदद ककसी कमयचारी िे-

(क) मैदरक परीिा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर कोई परीिा दहन्द्दी के माध्यम से उत्तीणय कर ली है ;या

(ि) स्िातक परीिा में अथवा स्िातक परीिा की समतुल्य या उससे उच्चतर ककसी अन्द्य परीिा में दहन्द्दी को एक
वैकजल्पक ववषय के रूप में ललया हो; या

(ग) यदद वह इि नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कक उसे दहन्द्दी में प्रवीणता प्राप्त है ;

तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कक उसिे दहन्द्दी में प्रवीणता प्राप्त कर ली है ।
10. दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि-

(1) (क) यदद ककसी कमयचारी िे-

(i) मैदरक परीिा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर परीिा दहन्द्दी


ववषय के साथ उत्तीणय कर ली है ; या

(ii) केन्द्रीय सरकार की दहन्द्दी परीकााा योजिा के अन्द्तगयत आयोजजत प्राज्ञ


परीिा या यदद उस सरकार द्वारा ककसी ववलशष्ट प्रवगय के पदों के सम्बन्द्ि में उस योजिा के अन्द्तगयत कोई निम्ितर
परीिा ववनिददय ष्ट है , वह परीिा उत्तीणय कर ली है ;या

(iii) केन्द्रीय सरकार द्वारा उस निलमत्त ववनिददय ष्ट कोई अन्द्य परीिा उत्तीणय
कर ली है ; या

(ि) यदद वह इि नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कक उसिे ऐसा ज्ञाि प्राप्त कर ललया है ;

तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कक उसिे दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि प्राप्त कर ललया है ।

(2) यदद केन्द्रीय सरकार के ककसी कायायलय में कायय करिे वाले कमयचाररयों में से अस्सी प्रनतशत िे दहन्द्दी का ऐसा
ज्ञाि प्राप्त कर ललया है तो उस कायायलय के कमयचाररयों के बारे में सामान्द्यतया यह समझा जाएगा कक उन्द्होंिे दहन्द्दी
का काययसािक ज्ञाि प्राप्त कर ललया है ।

(3) केन्द्रीय सरकार या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निलमत्त ववनिददय ष्ट कोई अधिकारी यह अविाररत कर सकता है कक
केन्द्रीय सरकार के ककसी कायायलय के कमयचाररयों िे दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि प्राप्त कर ललया है या िहीं।

(4) केन्द्रीय सरकार के जजि कायायलयों में कमयचाररयों िे दहन्द्दी का काययसािक ज्ञाि प्राप्त कर ललया है उि कायायलयों
के िाम राजपत्र में अधिसूधचत ककए जाएंगे;

परन्द्तु यदद केन्द्रीय सरकार की राय है कक ककसी अधिसूधचत कायायलय में काम करिे वाले और दहन्द्दी का काययसािक
ज्ञाि रििे वाले कमयचाररयों का प्रनतशत ककसी तारीि में से
उपनियम (2) में ववनिददय ष्ट प्रनतशत से कम हो गया है , तो वह राजपत्र में अधिसूचिा द्वारा घोवषत कर सकती है कक
उक्त कायायलय उस तारीि से अधिसूधचत कायायलय िहीं रह जाएगा ।

11. मैिुअल, संदहताएं, प्रकक्रया संबंिी अन्द्य सादहत्य, लेिि सामग्री आदद-

(1) केन्द्रीय सरकार के कायायलयों से संबंधित सभी मैिुअल, संदहताएं और प्रकक्रया संबंिी अन्द्य सादहत्य, दहन्द्दी और
अंग्रेजी में द्ववभावषक रूप में यथाजस्थनत, मुदरत या साइक्लोस्टाइल ककया जाएगा और प्रकालशत ककया जाएगा।

(2) केन्द्रीय सरकार के ककसी कायायलय में प्रयोग ककए जािे वाले रजजस्टरों के प्ररूप और शीषयक दहन्द्दी और अंग्रेजी में
होंगे।

(3) केन्द्रीय सरकार के ककसी कायायलय में प्रयोग के ललए सभी िामपट्ट, सूचिा पट्ट, पत्रशीषय और ललफाफों पर उत्कीणय
लेि तथा लेिि सामग्री की अन्द्य मदें दहन्द्दी और अंग्रेजी में ललिी जाएंगी, मुदरत या उत्कीणय होंगी;

परन्द्तु यदद केन्द्रीय सरकार ऐसा करिा आवचयक समझती है तो वह, सािारण या ववशेष आदे श द्वारा, केन्द्रीय सरकार
के ककसी कायायलय को इस नियम के सभी या ककन्द्हीं उपबन्द्िों से छूट दे सकती है ।

12. अिुपालि का उत्तरदानयत्व-

(1) केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक कायायलय के प्रशासनिक प्रिाि का यह उत्तरदानयत्व होगा कक वह--

(i) यह सुनिजचचत करे कक अधिनियम और इि नियमों के उपबंिों और उपनियम (2) के अिीि जारी ककए गए निदे शों
का समधु चत रूप से अिप
ु ालि हो रहा है ;और
(ii) इस प्रयोजि के ललए उपयुक्त और प्रभावकारी जांच के ललए उपाय करे ।

(2) केन्द्रीय सरकार अधिनियम और इि नियमों के उपबन्द्िों के सम्यक अिुपालि के ललए अपिे कमयचाररयों और
कायायलयों को समय-समय पर आवचयक निदे श जारी कर सकती है ।

[भारत का राजपत्र, भाग-2, िंड 3, उपिंड (i) में प्रकाशिाथय]

भारत सरकार

गह
ृ मंत्रालय

राजभाषा ववभाग

िई ददल्ली, ददिांक: अगस्त, 2007

अधिसूचिा

का.आ. (अ). -- केन्द्रीय सरकार, राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) की िारा 3 की उपिारा (4) के साथ पदठत
िारा 8 द्वारा प्रदत्त शजक्तयों का प्रयोग करते हुए, राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग) नियम, 1976 का
और संशोिि करिे के ललए निम्िललखित नियम बिाती है , अथायत:-

1. (1) इि नियमों का संक्षिप्त िाम राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग) संशोिि नियम, 2007 है ।

(2) ये राजपत्र में प्रकाशि की तारीि को प्रवत्ृ त होंगे ।

2. राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग) नियम, 1976 में -

नियम 2 के िंड (च) के स्थाि पर निम्िललखित िंड रिा जाएगा, अथायत ्:-

(च) “िेत्र क” से बबहार, छत्तीसगढ, हररयाणा, दहमाचल प्रदे श, झारिंड, मध्यप्रदे श, राजस्थाि, उत्तर प्रदे श, उत्तरािंड और
राष्रीय राजिािी िेत्र ददल्ली तथा अंडमाि और निकोबार द्वीप समूह संघ राज्य िेत्र’ अलभप्रेत हैं ; ’

[(फा.सं. I/14034/02/2007-रा.भा.(िीनत-1)]

(िी.वी.वपसला जी.कुट्टी)

संयुक्ि सधचव, भारि सरकार

भारि के राजित्र, भाग-II, खंड 3, उिखंड (i) में प्रकालशि]

िष्ट्ृ ठ संख्या 576-577

दििांक 14-5-2011

भारत सरकार

गह
ृ मंत्रालय

राजभाषा ववभाग

***
िई ददल्ली, 4 मई, 2011

अधिसूचिा

सा.का.नि. 145 केन्द्रीय सरकार, राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) की िारा 3 की उपिारा (4) के साथ पदठत
िारा 8 द्वारा प्रदत्त शजक्तयों का प्रयोग करते हुए, राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग) नियम, 1976
का और संशोिि करिे के ललए निम्िललखित नियम बिाती है , अथायत ्:-

1. (1) इि नियमों का संक्षिप्त िाम राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग) संशोिि नियम, 2011 है ।

(2) ये राजपत्र में प्रकाशि की तारीि को प्रवत्ृ त होंगे ।

2. राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजिों के ललए प्रयोग) नियम, 1976 के – नियम 2 के िण्ड (छ) के स्थाि पर
निम्िललखित िंड रिा जाएगा, अथायत ्:-

‘(छ) “िेत्र ि” से गज
ु रात, महाराष्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़, दमण और दीव तथा दादरा और िगर हवेली संघ
राज्य िेत्र अलभप्रेत हैं;’

[(फा.सं.I/14034/02/2010-रा.भा. (िीनत-1)]

डी.के.िाण्डेय, संयक्
ु त सधचव

दिप्िर्:- मल
ू नियम भारत के राजपत्र में सा.का.नि.संखयांक 1052 तारीि 17 जल
ु ाई, 1976 द्वारा प्रकालशत ककए गए
थे और सा.का.नि.संखयांक 790, तारीि 24 अक्तूबर, 1987 तथा सा.का.नि.संखयांक 162 तारीि 03 अगस्त, 2007 द्वारा
उिमें पचचातवती संशोिि ककए गए।
CHAPTER I - LANGUAGE OF THE UNION
ARTICLE 120: LANGUAGE TO BE USED IN PARLIAMENT - (1) NOTWITHSTANDING ANYTHING IN PART XVII, BUT SUBJECT TO
THE PROVISIONS OF ARTICLE 348, BUSINESS IN PARLIAMENT SHALL BE TRANSACTED IN HINDI OR IN ENGLISH:
PROVIDED THAT THE CHAIRMAN OF THE COUNCIL OF STATES OR S PEAKER OF THE HOUSE OF THE PEOPLE , OR PERSON ACTING
AS SUCH , AS THE CASE MAY BE , MAY PERMIT ANY MEMBER WHO CANNOT ADEQUATELY EXPRESS HIMSELF IN HINDI OR IN
ENGLISH TO ADDRESS THE HOUSE IN HIS MOTHER -TONGUE .
(2) UNLESS PARLIAMENT BY LAW OTHERWISE PROVIDES , THIS ARTICLE SHALL , AFTER THE EXPIRATION OF A PERIOD OF
FIFTEEN YEARS FROM THE COMMENCEMENT OF THIS C ONSTITUTION , HAVE EFFECT AS IF THE WORDS “ OR IN ENGLISH” WERE
OMITTED THERE FROM .
ARTICLE 210: LANGUAGE TO BE USED IN THE LEGISLATURE –
(1) NOTWITHSTANDING ANYTHING IN PART XVII, BUT SUBJECT TO THE PROVISIONS OF ARTICLE 348, BUSINESS IN THE
LEGISLATURE OF A STATE SHALL BE TRANSACTED IN THE OFFICIAL LANGUAGE OR LANGUAGES OF THE STATE OR IN HINDI OR IN
ENGLISH:
PROVIDED THAT THE SPEAKER OF THE LEGISLATIVE ASSEMBLY OR CHAIRMAN OF THE LEGISLATIVE COUNCIL, OR PERSON
ACTING AS SUCH , AS THE CASE MAY BE , MAY PERMIT ANY MEMBER WHO CANNOT ADEQUATELY EXPRESS HIMSELF IN ANY
OF THE LANGUAGES AFORESAID TO ADDRESS THE HOUSE IN HIS MOTHER -TONGUE .
(2) UNLESS THE LEGISLATURE OF THE STATE BY LAW OTHERWISE PROVIDES , THIS ARTICLE SHALL , AFTER THE EXPIRATION
OF A PERIOD OF FIFTEEN YEARS FROM THE COMMENCEMENT OF THIS C ONSTITUTION , HAVE EFFECT AS IF THE WORDS “OR IN
ENGLISH” WERE OMITTED THERE FROM :
PROVIDED THAT IN RELATION TO THE LEGISLATURES OF THE STATES OF HIMACHAL PRADESH, MANIPUR , MEGHALAYA AND
TRIPURA THIS CLAUSE SHALL HAVE EFFECT AS IF FOR THE WORDS “FIFTEEN YEARS ” OCCURRING THEREIN , THE WORDS “TWENTYFIVE
YEARS ” WERE SUBSTITUTED :
PROVIDED FURTHER THAT IN RELATION TO THE LEGISLATURE OF THE STATES OF ARUNACHAL PRADESH, GOA AND MIZORAM ,
THIS CLAUSE SHALL HAVE EFFECT AS IF FOR THE WORDS “FIFTEEN YEARS ” OCCURRING THEREIN , THE WORDS “FORTY YEARS ”
WERE SUBSTITUTED.
ARTICLE 343. OFFICIAL LANGUAGE OF THE UNION-
(1) THE OFFICIAL LANGUAGE OF THE UNION SHALL BE HINDI IN DEVNAGARI SCRIPT . THE FORM OF NUMERALS TO BE USED FOR
THE OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION SHALL BE THE INTERNATIONAL FORM OF INDIAN NUMERALS .
(2) NOTWITHSTANDING ANYTHING IN CLAUSE (1), FOR A PERIOD OF FIFTEEN YEARS FROM THE COMMENCEMENT OF THIS
CONSTITUTION , THE ENGLISH LANGUAGE SHALL CONTINUE TO BE USED FOR ALL THE OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION FOR
WHICH IT WAS BEING USED IMMEDIATELY BEFORE SUCH COMMENCEMENT :
PROVIDED THAT THE PRESIDENT MAY , DURING THE SAID PERIOD, BY ORDER AUTHORISE THE USE OF THE HINDI LANGUAGE IN
ADDITION TO THE ENGLISH LANGUAGE AND OF THE DEVNAGARI FORM OF NUMERALS IN ADDITION TO THE INTERNATIONL FORM
OF INDIAN NUMERALS FOR ANY OF THE OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION .
(3) NOTWITHSTANDING ANYTHING IN THIS ARTICLE , PARLIAMENT MAY BE LAW PROVIDE FOR THE USE , AFTER THE SAID
PERIOD OF FIFTEEN YEARS , OF -
(A) THE ENGLISH LANGUAGE , OR
(B) THE DEVNAGARI FORM OF NUMERALS ,
FOR SUCH PURPOSES AS MAY BE SPECIFIED IN THE LAW .
ARTICLE 344. COMMISSION AND COMMITTEE OF PARLIAMENT ON OFFICIAL LANGUAGE -
(1) THE PRESIDENT SHALL , AT THE EXPIRATION OF FIVE YEARS FROM THE COMMENCEMENT OF THIS CONSTITUTION AND
THEREAFTER AT THE EXPIRATION OF TEN YEARS FROM SUCH COMMENCEMENT , BY ORDER CONSTITUTE A C OMMISSION
WHICH SHALL CONSIST OF A C HAIRMAN AND SUCH OTHER MEMBERS REPRESENTING THE DIFFERENT LANGUAGES SPECIFIED IN
THE EIGHTH S CHEDULE AS THE P RESIDENT MAY APPOINT , AND THE ORDER SHALL DEFINE THE PROCEDURE TO BE FOLLOWED
BY THE C OMMISSION .
(2) IT SHALL BE THE DUTY OF THE COMMISSION TO MAKE RECOMMENDATIONS TO THE PRESIDENT AS TO

(A) THE PROGRESSIVE USE OF THE HINDI LANGUAGE FOR THE OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION;
(B) RESTRICTIONS ON THE USE OF THE ENGLISH LANGUAGE FOR ALL OR ANY OF THE OFFICIAL
PURPOSES OF THE UNION ;
(C) THE LANGUAGE TO BE USED FOR ALL OR ANY OF THE PURPOSES MENTIONED IN ARTICLE 348;
(D) THE FORM OF NUMERALS TO BE USED FOR ANY ONE OR MORE SPECIFIED PURPOSES OF THE UNION;
(E) ANY OTHER MATTER REFERRED TO THE COMMISSION BY THE PRESIDENT AS REGARDS THE OFFICIAL LANGUAGE OF THE
UNION AND THE LANGUAGE FOR COMMUNICATION BETWEEN THE UNION AND A STATE OR BETWEEN ONE STATE AND
ANOTHER AND THEIR USE .
(3) IN MAKING THEIR RECOMMENDATIONS UNDER CLAUSE (2), THE COMMISSION SHALL HAVE DUE REGARD TO THE
INDUSTRIAL , CULTURAL AND SCIENTIFIC ADVANCEMENT OF INDIA , AND THE JUST CLAIMS AND THE INTERESTS OF PERSONS
BELONGING TO THE NON -HINDI SPEAKING AREAS IN REGARD TO THE PUBLIC SERVICES .
(4) THERE SHALL BE CONSTITUTED A COMMITTEE CONSISTING OF THIRTY MEMBERS , OF WHOM TWENTY SHALL BE
MEMBERS OF THE HOUSE OF THE PEOPLE AND TEN SHALL BE MEMBERS OF THE C OUNCIL OF STATES TO BE ELECTED
RESPECTIVELY BY THE MEMBERS OF THE HOUSE OF THE PEOPLE AND THE MEMBERS OF THE C OUNCIL OF STATES IN
ACCORDANCE WITH THE SYSTEM OF PROPORTIONAL REPRESENTATION BY MEANS OF THE SINGLE TRANSFERABLE VOTE .
(5) IT SHALL BE THE DUTY OF THE COMMITTEE TO EXAMINE THE RECOMMENDATIONS OF THE COMMISSION CONSTITUTED
UNDER CLAUSE (1) AND TO REPORT TO THE PRESIDENT THEIR OPINION THEREON .
(6) NOTWITHSTANDING ANYTHING IN ARTICLE 343, THE PRESIDENT MAY , AFTER CONSIDERATION OF THE REPORT REFERRED TO
IN CLAUSE (5), ISSUE DIRECTIONS IN ACCORDANCE WITH THE WHOLE OR ANY PART OF THAT REPORT .
CHAPTER II - REGIONAL LANGUAGES
ARTICLE 345. OFFICIAL LANGUAGE OR LANGUAGES OF A STATE - SUBJECT TO THE PROVISIONS OF ARTICLES 346 AND 347, THE
LEGISLATURE OF A STATE MAY BY LAW ADOPT ANY ONE OR MORE OF THE LANGUAGES IN USE IN THE STATE OR HINDI AS THE
LANGUAGE OR LANGUAGES TO BE USED FOR ALL OR ANY OF THE OFFICIAL PURPOSES OF THAT STATE :
PROVIDED THAT , UNTIL THE LEGISLATURE OF THE STATE OTHERWISE PROVIDES BY LAW , THE ENGLISH LANGUAGE SHALL
CONTINUE TO BE USED FOR THOSE OFFICIAL PURPOSES WITHIN THE STATE FOR WHICH IT WAS BEING USED IMMEDIATELY
BEFORE THE COMMENCEMENT OF THIS C ONSTITUTION .
ARTICLE 346. OFFICIAL LANGUAGES FOR COMMUNICATION BETWEEN ONE STATE AND ANOTHER OR BETWEEN A STATE
AND THE UNION - T HE LANGUAGE FOR THE TIME BEING AUTHORISED FOR USE IN THE UNION FOR OFFICIAL PURPOSES SHALL
BE THE OFFICIAL LANGUAGE FOR COMMUNICATION BETWEEN ONE STATE AND ANOTHER STATE AND BETWEEN A STATE AND
THE UNION :
PROVIDED THAT IF TWO OR MORE STATES AGREE THAT THE HINDI LANGUAGE SHOULD BE THE OFFICIAL LANGUAGE FOR
COMMUNICATION BETWEEN SUCH STATES , THAT LANGUAGE MAY BE USED FOR SUCH COMMUNICATION .
ARTICLE 347. SPECIAL PROVISION RELATING TO LANGUAGE SPOKEN BY A SECTION OF THE POPULATION OF A STATE - ON A
DEMAND BEING MADE IN THAT BEHALF THE PRESIDENT MAY , IF HE IS SATISFIED THAT A SUBSTANTIAL PROPORTION OF THE
POPULATION OF A STATE DESIRE THE USE OF ANY LANGUAGE SPOKEN BY THEM TO BE RECOGNISED BY THAT STATE , DIRECT
THAT SUCH LANGUAGE SHALL ALSO BE OFFICIALLY RECOGNISED THROUGHOUT THAT STATE OR ANY PART THEREOF FOR SUCH
PURPOSE AS HE MAY SPECIFY .
CHAPTER III - LANGUAGE OF THE SUPREME COURT,
HIGH COURTS, ETC.
ARTICLE 348. LANGUAGE TO BE USED IN THE SUPREME COURT AND IN THE HIGH COURTS AND FOR ACTS, BILLS, ETC.- (1)
NOTWITHSTANDING ANYTHING IN THE FOREGOING PROVISIONS OF THIS PART, UNTIL PARLIAMENT BY LAW OTHERWISE
PROVIDES -
(A) ALL PROCEEDINGS IN THE SUPREME COURT AND IN EVERY HIGH COURT,
(B) THE AUTHORITATIVE TEXTS-
(I) OF ALL BILLS TO BE INTRODUCED OR AMENDMENTS THERETO TO BE MOVED IN EITHER HOUSE OF PARLIAMENT OR IN THE
HOUSE OR EITHER HOUSE OF THE LEGISLATURE OF A STATE .
(II) OF ALL ACTS PASSED BY PARLIAMENT OR THE LEGISLATURE OF A STATE AND OF ALL ORDINANCES PROMULGATED BY THE
PRESIDENT OR THE GOVERNOR OF A STATE , AND
(III) OF ALL ORDERS , RULES , REGULATIONS AND BYE-LAWS ISSUED UNDER THIS CONSTITUTION OR UNDER ANY LAW MADE BY
PARLIAMENT OR THE LEGISLATURE OF A STATE , SHALL BE IN THE ENGLISH LANGUAGE .
(2) NOTWITHSTANDING ANYTHING IN SUB -CLAUSE (A) OF CLAUSE (1), THE GOVERNOR OF A STATE MAY , WITH THE PREVIOUS
CONSENT OF THE PRESIDENT , AUTHORISE THE USE OF THE HINDI LANGUAGE , OR ANY OTHER LANGUAGE USED FOR ANY
OFFICIAL PURPOSES OF THE STATE, IN PROCEEDINGS IN THE HIGH C OURT HAVING ITS PRINCIPAL SEAT IN THAT STATE :
PROVIDED THAT NOTHING IN THIS CLAUSE SHALL APPLY TO ANY JUDGMENT, DECREE OR ORDER PASSED OR MADE BY SUCH
HIGH COURT.
(3) NOTWITHSTANDING ANYTHING IN SUB -CLAUSE (B) OF CLAUSE (1), WHERE THE LEGISLATURE OF A STATE HAS PRESCRIBED
ANY LANGUAGE OTHER THAN THE ENGLISH LANGUAGE FOR USE IN B ILLS INTRODUCED IN , OR ACTS PASSED BY , THE
LEGISLATURE OF THE STATE OR IN ORDINANCES PROMULGATED BY THE GOVERNOR OF THE STATE OR IN ANY ORDER , RULE,
REGULATION OR BYE -LAW REFERRED TO IN PARAGRAPH ( III ) OF THAT SUB -CLAUSE , A TRANSLATION OF THE SAME IN THE
ENGLISH LANGUAGE PUBLISHED UNDER THE AUTHORITY OF THE GOVERNOR OF THE STATE IN THE OFFICIAL GAZETTE OF THAT
STATE SHALL BE DEEMED TO BE THE AUTHORITATIVE TEXT THEREOF IN THE ENGLISH LANGUAGE UNDER THIS ARTICLE .
ARTICLE 349. SPECIAL PROCEDURE FOR ENACTMENT OF CERTAIN LAWS RELATING TO LANGUAGE -
DURING THE PERIOD OF FIFTEEN YEARS FROM THE COMMENCEMENT OF THIS CONSTITUTION , NO BILL OR AMENDMENT
MAKING PROVISION FOR THE LANGUAGE TO BE USED FOR ANY OF THE PURPOSES MENTIONED IN CLAUSE (1) OF ARTICLE 348
SHALL BE INTRODUCED OR MOVED IN EITHER HOUSE OF PARLIAMENT WITHOUT THE PREVIOUS SANCTION OF THE PRESIDENT,
AND THE PRESIDENT SHALL NOT GIVE HIS SANCTION TO THE INTRODUCTION OF ANY SUCH B ILL OR THE MOVING OF ANY SUCH
AMENDMENT EXCEPT AFTER HE HAS TAKEN INTO CONSIDERATION THE RECOMMENDATIONS OF THE C OMMISSION
CONSTITUTED UNDER CLAUSE (1) OF ARTICLE 344 AND THE REPORT OF THE C OMMITTEE CONSTITUTED UNDER CLAUSE (4) OF
THAT ARTICLE .
CHAPTER IV - SPECIAL DIRECTIVES
ARTICLE 350. LANGUAGE TO BE USED IN REPRESENTATIONS FOR REDRESS OF GRIEVANCES - EVERY PERSON SHALL BE
ENTITLED TO SUBMIT A REPRESENTATION FOR THE REDRESS OF ANY GRIEVANCE TO ANY OFFICER OR AUTHORITY OF THE UNION
OR A STATE IN ANY OF THE LANGUAGES USED IN THE UNION OR IN THE STATE , AS THE CASE MAY BE .
ARTICLE 350A. FACILITIES FOR INSTRUCTION IN MOTHER -TONGUE AT THE PRIMARY STAGE - IT SHALL BE THE ENDEAVOR OF
EVERY STATE AND OF EVERY LOCAL AUTHORITY WITHIN THE STATE TO PROVIDE ADEQUATE FACILITIES FOR INSTRUCTION IN THE
MOTHER -TONGUE AT THE PRIMARY STAGE OF EDUCATION TO CHILDREN BELONGING TO LINGUISTIC MINORITY GROUPS ; AND
THE PRESIDENT MAY ISSUE SUCH DIRECTIONS TO ANY STATE AS HE CONSIDERS NECESSARY OR PROPER FOR SECURING THE
PROVISION OF SUCH FACILITIES .
ARTICLE 350B. SPECIAL OFFICER FOR LINGUISTIC MINORITIES - (1) THERE SHALL BE A SPECIAL OFFICER FOR LINGUISTIC
MINORITIES TO BE APPOINTED BY THE PRESIDENT .
(2) IT SHALL BE THE DUTY OF THE SPECIAL OFFICER TO INVESTIGATE ALL MATTERS RELATING TO THE SAFEGUARDS PROVIDED FOR
LINGUISTIC MINORITIES UNDER THIS C ONSTITUTION AND REPORT TO THE PRESIDENT UPON THOSE MATTERS AT SUCH
INTERVALS AS THE PRESIDENT MAY DIRECT , AND THE PRESIDENT SHALL CAUSE ALL SUCH REPORTS TO BE LAID BEFORE EACH
HOUSE OF PARLIAMENT AND SENT TO THE GOVERNMENT OF THE STATES CONCERNED .
ARTICLE 351. DIRECTIVE FOR DEVELOPMENT OF THE HINDI LANGUAGE - IT SHALL BE THE DUTY OF THE UNION TO PROMOTE
THE SPREAD OF THE HINDI LANGUAGE , TO DEVELOP IT SO THAT IT MAY SERVE AS A MEDIUM OF EXPRESSION FOR ALL THE
ELEMENTS OF THE COMPOSITE CULTURE OF INDIA AND TO SECURE ITS ENRICHMENT BY ASSIMILATING WITHOUT INTERFERING
WITH ITS GENIUS , THE FORMS , STYLE AND EXPRESSIONS USED IN HINDUSTANI AND IN THE OTHER LANGUAGES OF INDIA
SPECIFIED IN THE EIGHTH SCHEDULE , AND BY DRAWING , WHEREVER NECESSARY OR DESIRABLE , FOR ITS VOCABULARY ,
PRIMARILY ON SANSKRIT AND SECONDARILY ON OTHER LANGUAGES.
THE OFFICIAL LANGUAGES (USE FOR OFFICIAL PURPOSE OF THE
UNION)
RULES, 1976
(AS AMENDED, 1987, 2007, 2011)
G.S.R 1052 - IN EXERCISE OF THE POWERS CONFERRED BY SECTION 8, READ WITH SUB -SECTION(4) OF SECTION 3
OF THE OFFICIAL LANGUAGES ACT , 1963 (19 OF 1963), THE C ENTRAL G OVERNMENT HEREBY MAKES THE
FOLLOWING RULES , NAMELY ;
1. SHORT TITLE , EXTENT AND COMMENCEMENT -
(I) THESE RULES MAY BE CALLED THE OFFICIAL LANGUAGES (USE FOR OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION)
RULES , 1976.
(II) THEY SHALL EXTEND TO THE WHOLE OF INDIA , EXCEPT THE STATE OF TAMILNADU .
(III) THEY SHALL COME INTO FORCE ON THE DATE OF THEIR PUBLICATION IN THE OFFICIAL GAZETTE .
2. DEFINITIONS - IN THESE RULES, UNLESS THE CONTEXT OTHERWISE REQUIRES : -
(A) "ACT " MEANS THE OFFICIAL LANGUAGES ACT, 1963 (19 OF 1963):
(B) "CENTRAL GOVERNMENT OFFICE " INCLUDES :-
(I) ANY MINISTRY , DEPARTMENT OR OFFICE OF THE CENTRAL GOVERNMENT ,
(II) ANY OFFICE OF A COMMISSION , COMMITTEE OR TRIBUNAL APPOINTED BY THE CENTRAL GOVERNMENT ;
AND
(III)ANY OFFICE OF A CORPORATION OR COMPANY OWNED OR CONTROLLED BY THE CENTRAL GOVERNMENT ;
(C) "EMPLOYEE " MEANS ANY PERSON EMPLOYED IN A CENTRAL GOVERNMENT OFFICE;
(D) "NOTIFIED OFFICE " MEANS AN OFFICE NOTIFIED UNDER SUB -RULE (4) OF RULE 10 ;
(E) "PROFICIENCY IN HINDI " MEANS PROFICIENCY IN HINDI AS DESCRIBED IN RULE 9 ;
(F) "REGION A" MEANS THE STATES OF BIHAR, HARYANA , HIMACHAL PRADESH, MADHYA PRADESH,
CHHATTISGARH, JHARKHAND, UTTARAKHAND, RAJASTHAN AND UTTAR PRADESH AND THE UNION TERRITORIES OF
DELHI AND ANDAMAN AND NICOBAR ISLANDS ;
(G) "REGION B" MEANS THE STATES OF GUJARAT, MAHARASHTRA AND PUNJAB AND THE UNION TERRITORY OF
CHANDIGARH, DAMAN AND DIU AND DADRA AND NAGAR HAVELI ;
(H) "REGION C" MEANS THE STATES AND THE UNION TERRITORIES OTHER THAN THOSE REFERRED TO IN CLAUSES (F)
AND ( G );
(I)"WORKING KNOWLEDGE OF HINDI" MEANS WORKING KNOWLEDGE OF HINDI AS DESCRIBED IN RULE 10.
3. COMMUNICATIONS TO STATES ETC. OTHER THAN TO CENTRAL GOVERNMENT OFFICES ,-
(1) COMMUNICATIONS FROM A CENTRAL GOVERNMENT OFFICE TO A STATE OR A UNION TERRITORY IN REGION
"A" OR TO ANY OFFICE (NOT BEING A CENTRAL GOVERNMENT OFFICE ) OR PERSON IN SUCH STATE OR UNION
TERRITORY SHALL , SAVE IN EXCEPTIONAL CASES , BE IN HINDI, AND IF ANY COMMUNICATION IS ISSUED TO ANY OF
THEM IN ENGLISH IT SHALL BE ACCOMPANIED BY A HINDI TRANSLATION THEREOF .
(2) COMMUNICATIONS FROM A CENTRAL GOVERNMENT OFFICE :-
(A) TO A STATE OR UNION TERRITORY IN REGION "B" OR TO ANY OFFICE (NOT BEING A CENTRAL GOVERNMENT
OFFICE ) IN SUCH STATE OR UNION TERRITORY SHALL ORDINARILY BE IN HINDI AND IF ANY COMMUNICATION IS
ISSUED TO ANY OF THEM IN ENGLISH , IT SHALL BE ACCOMPANIED BY A HINDI TRANSLATION THEREOF ;
PROVIDED THAT IF ANY SUCH STATE OR UNION TERRITORY DESIRES THE COMMUNICATIONS OF ANY PARTICULAR
CLASS OR CATEGORY OR THOSE INTENDED FOR ANY OF ITS OFFICES , TO BE SENT FOR A PERIOD SPECIFIED BY THE
GOVERNMENT OF THE STATE OR UNION TERRITORY CONCERNED, IN ENGLISH, OR IN HINDI WITH A TRANSLATION IN
THE OTHER LANGUAGE , SUCH COMMUNICATION SHALL BE SENT IN THAT MANNER ;
(B) TO ANY PERSON IN A STATE OR UNION TERRITORY OF REGION "B" MAY BE EITHER IN HINDI OR ENGLISH.
(3) COMMUNICATIONS FROM A CENTRAL GOVERNMENT OFFICE TO STATE OR UNION TERRITORY IN R EGION "C" OR
TO ANY OFFICE ( NOT BEING A C ENTRAL G OVERNMENT OFFICE ) OR PERSON IN SUCH STATE SHALL BE IN ENGLISH.
(4) NOTWITHSTANDING ANYTHING CONTAINED IN SUB -RULES (1) AND (2), COMMUNICATIONS FROM A CENTRAL
GOVERNMENT OFFICE IN REGION "C" TO A STATE OR UNION TERRITORY OF REGION "A" OR REGION "B" OR TO
ANY OFFICE ( NOT BEING A C ENTRAL G OVERNMENT OFFICE ) OR PERSON IN SUCH STATE MAY BE EITHER IN HINDI OR
IN ENGLISH.
PROVIDED THAT COMMUNICATIONS IN HINDI SHALL BE IN SUCH PROPORTION AS THE CENTRAL GOVERNMENT MAY ,
HAVING REGARD TO THE NUMBER OF PERSONS HAVING WORKING KNOWLEDGE OF HINDI IN SUCH OFFICES , THE
FACILITIES FOR SENDING COMMUNICATIONS IN HINDI AND MATTERS INCIDENTAL THERETO DETERMINE FROM TIME
TO TIME .
4. COMMUNICATIONS BETWEEN CENTRAL GOVERNMENT OFFICES COMMUNICATIONS.
(A) BETWEEN ONE MINISTRY OR DEPARTMENT OF THE CENTRAL GOVERNMENT AND ANOTHER MAY BE IN HINDI OR
IN ENGLISH ;
(B) BETWEEN ONE MINISTRY OR DEPARTMENT OF THE CENTRAL GOVERNMENT AND ATTACHED OR SUBORDINATE
OFFICES SITUATED IN R EGION "A", SHALL BE IN HINDI AND IN SUCH PROPORTION AS THE C ENTRAL G OVERNMENT
MAY , HAVING REGARD TO THE NUMBER OF PERSONS HAVING A WORKING KNOWLEDGE OF HINDI IN SUCH OFFICES ,
THE FACILITIES FOR SENDING COMMUNICATIONS IN HINDI AND MATTERS INCIDENTAL THERETO , DETERMINE FROM
TIME TO TIME ;
(C) BETWEEN CENTRAL GOVERNMENT OFFICES SITUATED IN REGION "A", OTHER THAN THOSE SPECIFIED IN CLAUSE
(A) OR CLAUSE (B), SHALL BE IN HINDI;
(D) BETWEEN CENTRAL GOVERNMENT OFFICES SITUATED IN REGION "A" AND OFFICES IN REGION "B" OR
REGION "C" MAY BE IN HINDI OR IN ENGLISH:
PROVIDED THAT THESE COMMUNICATIONS SHALL BE IN HINDI IN SUCH PROPORTION AS THE CENTRAL GOVERNMENT
MAY , HAVING REGARD TO THE NUMBER OF PERSONS HAVING WORKING KNOWLEDGE OF HINDI IN SUCH OFFICES ,
THE FACILITIES FOR SENDING COMMUNICATIONS IN HINDI AND MATTERS INCIDENTAL THERETO , DETERMINE FROM
TIME TO TIME :
(E) BETWEEN CENTRAL GOVERNMENT OFFICES SITUATED IN REGION "B" OR REGION "C" MAY BE IN HINDI OR
ENGLISH ;
PROVIDED THAT THESE COMMUNICATIONS SHALL BE IN HINDI IN SUCH PROPORTION AS THE CENTRAL GOVERNMENT
MAY , HAVING REGARD TO THE NUMBER OF PERSONS HAVING WORKING KNOWLEDGE OF HINDI IN SUCH OFFICES ,
THE FACILITIES FOR SENDING COMMUNICATIONS IN HINDI AND MATTERS INCIDENTAL THERETO , DETERMINE FROM
TIME TO TIME ;
PROVIDED THAT A TRANSLATION OF SUCH COMMUNICATION IN THE OTHER LANGUAGE SHALL :-
(I) WHERE THAT COMMUNICATION IS ADDRESSED TO AN OFFICE IN REGION "A" OR REGION "B", BE PROVIDED ,
IF NECESSARY , AT THE RECEIVING END ;
(II) WHERE THE COMMUNICATION IS ADDRESSED TO AN OFFICE IN REGION "C", BE PROVIDED ALONGWITH SUCH
COMMUNICATION ;
PROVIDED FURTHER THAT NO SUCH TRANSLATION IN THE OTHER LANGUAGE SHALL BE REQUIRED TO BE PROVIDED IF THE
COMMUNICATION IS ADDRESSED TO A NOTIFIED OFFICE .
5. REPLIES TO COMMUNICATIONS RECEIVED IN HINDI - NOTWITHSTANDING ANYTHING CONTAINED RULES 3 AND
4, COMMUNICATIONS FROM A CENTRAL GOVERNMENT OFFICE IN REPLY TO COMMUNICATIONS IN HINDI SHALL BE
IN HINDI .
6. USE OF BOTH HINDI AND ENGLISH - BOTH HINDI AND ENGLISH SHALL BE USED FOR ALL DOCUMENTS
REFERRED TO IN SUB -SECTION (3) OF SECTION 3 OF THE ACT AND IT SHALL BE THE RESPONSIBILITY OF THE PERSONS
SIGNING SUCH DOCUMENTS TO ENSURE THAT SUCH DOCUMENTS ARE MADE , EXECUTED OR ISSUED BOTH IN HINDI
AND IN ENGLISH.
7. APPLICATION, REPRESENTATIONS ETC. -
(1) AN EMPLOYEE MAY SUBMIT AN APPLICATION , APPEAL OR REPRESENTATION IN HINDI OR IN ENGLISH.
(2) ANY APPLICATION, APPEAL OR REPRESENTATION REFERRED TO IN SUB -RULE (1) WHEN MADE OR SIGNED IN
HINDI, SHALL BE REPLIED TO IN HINDI.
(3) WHERE AN EMPLOYEE DESIRES ANY ORDER OR NOTICE RELATING TO SERVICE MATTERS (INCLUDING
DISCIPLINARY PROCEEDINGS ) REQUIRED TO BE SERVED ON HIM TO BE IN HINDI , OR AS THE CASE MAY BE , IN
ENGLISH, IT SHALL BE GIVEN TO HIM IN THAT LANGUAGE WITHOUT UNDUE DELAY .
8. NOTING IN CENTRAL GOVERNMENT OFFICES -
(1) AN EMPLOYEE MAY RECORD A NOTE OR MINUTE ON A FILE IN HINDI OR IN ENGLISH WITHOUT BEING HIMSELF
REQUIRED TO FURNISH A TRANSLATION THEREOF IN THE OTHER LANGUAGE .
(2) NO CENTRAL GOVERNMENT EMPLOYEE POSSESSING A WORKING KNOWLEDGE OF HINDI MAY ASK FOR AN
ENGLISH TRANSLATION OF ANY DOCUMENT IN HINDI EXCEPT IN THE CASE OF DOCUMENTS OF LEGAL OR TECHNICAL
NATURE .
(3) IF ANY QUESTION ARISES AS TO WHETHER A PARTICULAR DOCUMENT IS OF A LEGAL OR TECHNICAL NATURE , IT
SHALL BE DECIDED BY THE HEAD OF THE DEPARTMENT OR OFFICE .
(4) NOTWITHSTANDING ANYTHING CONTAINED IN SUB -RULE (1), THE CENTRAL GOVERNMENT MAY , BY ORDER
SPECIFY THE NOTIFIED OFFICES WHERE HINDI ALONE SHALL BE USED FOR NOTING , DRAFTING AND FOR
SUCH OTHER OFFICIAL PURPOSES AS MAY BE SPECIFIED IN THE ORDER BY EMPLOYEES WHO POSSESS PROFICIENCY
IN HINDI .
9.PROFICIENCY IN HINDI -
AN EMPLOYEE SHALL BE DEEMED TO POSSESS PROFICIENCY IN HINDI IF :-
(A) HE HAS PASSED THE MATRICULATION OR ANY EQUIVALENT OR HIGHER EXAMINATION WITH HINDI AS THE
MEDIUM OF EXAMINATION ; OR
(B) HE HAS TAKEN HINDI AS AN ELECTIVE SUBJECT IN THE DEGREE EXAMINATION OR ANY OTHER EXAMINATION
EQUIVALENT TO OR HIGHER THAN THE DEGREE EXAMINATION ; OR
(C) HE DECLARES HIMSELF TO POSSESS PROFICIENCY IN HINDI IN THE FORM ANNEXED TO THESE RULES .
10. WORKING KNOWLEDGE OF HINDI-
(1) AN EMPLOYEE SHALL BE DEEMED TO HAVE ACQUIRED A WORKING KNOWLEDGE OF HINDI -
(A) IF HE HAS PASSED -
(I) THE MATRICULATION OR AN EQUIVALENT OR HIGHER EXAMINATION WITH HINDI AS ONE OF THE SUBJECTS ; OR
(II) THE PRAGYA EXAMINATION CONDUCTED UNDER THE HINDI TEACHING SCHEME OF THE CENTRAL
GOVERNMENT OR WHEN SO SPECIFIED BY THAT GOVERNMENT IN RESPECT OF ANY PARTICULAR CATEGORY OF POSTS ,
ANY LOWER EXAMINATION UNDER THAT SCHEME ; OR
(III) ANY OTHER EXAMINATION SPECIFIED IN THAT BEHALF BY THE CENTRAL GOVERNMENT; OR
(B) IF HE DECLARES HIMSELF TO HAVE ACQUIRED SUCH KNOWLEDGE IN THE FORM ANNEXED TO THESE RULES .
(2) THE STAFF OF A CENTRAL GOVERNMENT OFFICE SHALL ORDINARILY BE DEEMED TO HAVE ACQUIRED A WORKING
KNOWLEDGE OF HINDI IF EIGHTY PER CENT OF THE STAFF WORKING THEREIN HAVE ACQUIRED SUCH KNOWLEDGE .
(3) THE CENTRAL GOVERNMENT OR ANY OFFICER SPECIFIED IN THIS BEHALF BY THE CENTRAL GOVERNMENT MAY
DETERMINE WHETHER THE STAFF OF A C ENTRAL G OVERNMENT OFFICE HAS ACQUIRED A WORKING KNOWLEDGE OF
HINDI.
(4) THE NAMES OF THE CENTRAL GOVERNMENT OFFICES , THE STAFF WHEREOF HAVE ACQUIRED A WORKING
KNOWLEDGE OF HINDI , SHALL BE NOTIFIED IN THE OFFICIAL G AZETTE :
PROVIDED THAT THE CENTRAL GOVERNMENT MAY IF IT IS OF OPINION THAT THE PERCENTAGE OF THE STAFF
WORKING IN A NOTIFIED OFFICE AND HAVING A WORKING KNOWLEDGE OF HINDI HAS GONE BELOW THE
PERCENTAGE SPECIFIED IN SUB -RULE (2) FROM ANY DATE , IT MAY , BY NOTIFICATION IN THE OFFICIAL G AZETTE ,
DECLARE THAT THE SAID OFFICE SHALL CEASE TO BE A NOTIFIED OFFICE FROM THAT DATE .
11. MANUALS , CODES , OTHER PROCEDURAL LITERATURE , ARTICLES OF STATIONERY , ETC.-
(1) ALL MANUALS, CODES AND OTHER PROCEDURAL LITERATURE RELATING TO CENTRAL GOVERNMENT OFFICES SHALL
BE PRINTED OR CYCLOSTYLED , AS THE CASE MAY BE , AND PUBLISHED BOTH IN HINDI AND ENGLISH IN DIGLOT
FORM .
(2) THE FORMS AND HEADINGS OF REGISTERS USED IN ANY CENTRAL GOVERNMENT OFFICE SHALL BE IN HINDI
AND IN ENGLISH.
(3) ALL NAME -PLATES , SIGN-BOARDS , LETTER -HEADS AND INSCRIPTIONS ON ENVELOPES AND OTHER ITEMS OF
STATIONERY WRITTEN , PRINTED OR INSCRIBED FOR USE IN ANY C ENTRAL G OVERNMENT OFFICE , SHALL BE IN HINDI
AND IN ENGLISH:
PROVIDED THAT THE CENTRAL GOVERNMENT MAY , IF IT IS CONSIDERED NECESSARY TO DO BY GENERAL OR SPECIAL
ORDER EXEMPT ANY C ENTRAL G OVERNMENT OFFICE FROM ALL OR ANY OF THE PROVISIONS OF THIS RULE .
12. RESPONSIBILITY FOR COMPLIANCE -
(1) IT SHALL BE THE RESPONSIBILITY OF THE ADMINISTRATIVE HEAD OF EACH CENTRAL GOVERNMENT OFFICE (
I ) TO ENSURE THAT THE PROVISIONS OF THE ACT AND THESE RULES AND DIRECTIONS ISSUED UNDER R ULE (2) ARE
PROPERLY COMPLIED WITH ; AND
(II) TO DEVISE SUITABLE AND EFFECTIVE CHECK -POINT FOR THIS PURPOSE.
(2) THE CENTRAL GOVERNMENT MAY FROM TIME TO TIME ISSUE SUCH DIRECTIONS TO ITS EMPLOYEES AND
OFFICES AS MAY BE NECESSARY FOR THE DUE COMPLIANCE OF THE PROVISIONS OF THE ACT AND THESE RULES .
[ TO BE PUBLISHED IN THE GAZETTE OF INDIA, PART-II, SECTION 3, SUB-SECTION (I)
]
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF HOME AFFAIRS
DEPARTMENT OF OFFICIAL LANGUAGE
***
NEW DELHI, DATE: AUGUST, 2007
NOTIFICATION
G. S. R. _________ IN EXERCISE OF THE POWERS CONFERRED BY SECTION 8, READ WITH SUBSECTION
(4) OF SECTION 3 OF THE OFFICIAL LANGUAGES ACT, 1963 (19 OF 1963) , THE CENTRAL
GOVERNMENT HEREBY MAKE THE FOLLOWING RULES FURTHER TO AMEND THE OFFICIAL LANGUAGES (USE
FOR OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION ) R ULES , 1976, NAMELY :-
1. (1) THESE RULES MAY BE CALLED THE OFFICIAL LANGUAGES (USE FOR OFFICIAL PURPOSES
OF THE UNION ) AMENDMENT R ULES , 2007.
(2) THEY SHALL COME INTO FORCE ON THE DATE OF THEIR PUBLICATION IN THE OFFICIAL
GAZETTE .
2. IN THE OFFICIAL LANGUAGES (USE FOR OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION) RULES 1976, FOR
CLAUSE ( F ) OF RULE 2, THE FOLLOWING CLAUSE SHALL BE SUBSTITUTED , NAMELY :-
‘(F) “REGION A” MEANS THE STATES OF BIHAR, CHHATTISGARH, H ARYANA , HIMACHAL
PRADESH, JHARKHAND, MADHYA PRADESH, RAJASTHAN, UTTAR PRADESH, UTTRAKHAND AND NATIONAL
CAPITAL TERRITORY OF DELHI, AND THE UNION TERRITORY OF ANDAMAN AND NICOBAR ISLANDS ;’
(FILE NO. I/14034/02/2007-O.L. (POLICY-1)
(P.V. VALSALA G. KUTTY)
JOINT SECRETARY TO THE GOVERNMENT OF INDIA
[PUBLISHED IN THE PART-II, SECTION 3, SUB-SECTION (I) OF THE GAZETTE OF INDIA]
APPEARING ON PAGE NOS. 576-577
DATED 14-5-2011
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF HOME AFFAIRS
DEPARTMENT OF OFFICIAL LANGUAGE
NEW DELHI, 4TH MAY, 2011
NOTIFICATION
G.S.R. 145 IN EXERCISE OF THE POWERS CONFERRED BY SECTION 8, READ WITH SUBSECTION
(4) OF SECTION 3 OF THE OFFICIAL LANGUAGES ACT, 1963 (19 OF 1963), THE
CENTRAL GOVERNMENT HEREBY MAKE THE FOLLOWING RULES FURTHER TO AMEND THE OFFICIAL
LANGUAGES (USE FOR OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION) RULES, 1976, NAMELY :-
1. (1) THESE RULES MAY BE CALLED THE OFFICIAL LANGUAGES (USE FOR OFFICIAL PURPOSES
OF THE UNION ) AMENDMENT R ULES , 2011.
(2) THEY SHALL COME INTO FORCE ON THE DATE OF THEIR PUBLICATION IN THE OFFICIAL
GAZETTE .
2. IN THE OFFICIAL LANGUAGES (USE FOR OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION) RULES 1976,
IN RULE 2, FOR CLAUSE ( G ), THE FOLLOWING CLAUSE SHALL BE SUBSTITUTED , NAMELY :-
‘(G) “REGION B” MEANS THE STATES OF GUJARAT, MAHARASHTRA AND PUNJAB AND THE
UNION TERRITORIES OF CHANDIGARH, DAMAN AND DIU AND DADRA AND NAGAR HAVELI;’
(F. NO. I/4034/02/2010-O.L. (POLICY -1)
D.K.PANDEY, JOINT SECRETARY
NOTE : THE PRINCIPAL RULES WERE PUBLISHED IN THE GAZETTE OF INDIA VIDE NUMBER
G.S.R. 1052, DATED THE 17TH J ULY, 1976 AND SUBSEQUENTLY AMENDED VIDE NUMBERS
G.S.R. 790, DATED THE 24TH O CTOBER , 1987 AND G.S.R.162, DATED THE 3RD AUGUST,
2007.
PRESIDENT'S ORDER, 1960
{COPY OF NOTIFICATION NO. 2/8/60-O.L. (MINISTRY OF HOME AFFAIRS ), DATED 27TH APRIL, 1960}
NOTIFICATION
THE FOLLOWING ORDER MADE BY THE PRESIDENT IS PUBLISHED FOR GENERAL INFORMATION-
NEW DELHI, THE 27TH APRIL, 1960
ORDER
A COMMITTEE CONSISTING OF 20 MEMBERS OF THE LOK SABHA AND 10 MEMBERS OF THE RAJYA SABHA WAS
CONSTITUTED IN ACCORDANCE WITH THE PROVISIONS OF CLAUSE (4) OF ARTICLE 344 OF THE C ONSTITUTION TO EXAMINE THE
RECOMMENDATIONS OF THE FIRST OFFICIAL LANGUAGE C OMMISSION AND TO REPORT THEIR OPINION THEREON TO THE
PRESIDENT. THE COMMITTEE SUBMITTED ITS REPORT TO THE PRESIDENT ON 8TH FEBRUARY , 1959. THE IMPORTANT POINTS
IN THE REPORT INDICATING THE COMMITTEE 'S GENERAL APPROACH ARE AS FOLLOWS :-
A)
THE CONSTITUTION CONTAINS AN INTEGRATED SCHEME OF OFFICIAL LANGUAGE AND ITS APPROACH TO THE QUESTION
IS FLEXIBLE AND ADMITS OF APPROPRIATE ADJUSTMENTS BEING MADE WITHIN THE FRAMEWORK OF THE SCHEME .
B)
DIFFERENT REGIONAL LANGUAGES ARE RAPIDLY REPLACING ENGLISH AS A MEDIUM OF INSTRUCTION AND OF OFFICIAL
WORK IN THE STATES . IT IS BUT NATURAL THAT THE REGIONAL LANGUAGES SHOULD SECURE THEIR RIGHTFUL PLACE . THE
USE OF AN INDIAN LANGUAGE FOR THE PURPOSES OF THE UNION HAS THUS BECOME A MATTER OF PRACTICAL
NECESSITY , BUT THERE NEED BE NO RIGID DATE -LINE FOR THE CHANGE -OVER .IT SHOULD BE A NATURAL TRANSITION
OVER A PERIOD OF TIME EFFECTED SMOOTHLY AND WITH THE MINIMUM OF INCONVENIENCE .
C)
ENGLISH SHOULD BE THE PRINCIPAL OFFICIAL LANGUAGE AND HINDI THE SUBSIDIARY OFFICIAL LANGUAGE TILL 1965.
AFTER 1965, WHEN HINDI BECOMES THE PRINCIPAL OFFICIAL LANGUAGE OF THE UNION, ENGLISH SHOULD CONTINUE
AS THE SUBSIDIARY OFFICIAL LANGUAGE .
D)
NO RESTRICTION SHOULD BE IMPOSED FOR THE PRESENT ON THE USE OF ENGLISH FOR ANY OF THE PURPOSES OF THE
UNION AND PROVISION SHOULD BE MADE IN TERMS OF CLAUSE (3) OF ARTICLE 343 FOR THE CONTINUED USE OF
ENGLISH EVEN AFTER 1965 FOR PURPOSES TO BE SPECIFIED BY PARLIAMENT BY LAW FOR AS LONG AS MAY BE
NECESSARY .
E)
CONSIDERABLE IMPORTANCE ATTACHES TO THE PROVISION IN ARTICLE 351 THAT HINDI SHOULD BE SO DEVELOPED
THAT IT MAY SERVE AS A MEDIUM OF EXPRESSION FOR ALL THE ELEMENTS OF THE COMPOSITE CULTURE OF INDIA ;
AND EVERY ENCOURAGEMENT SHOULD BE GIVEN TO THE USE OF EASY AND SIMPLE DICTION .
COPIES OF THE REPORT WERE PLACED ON THE TABLE OF BOTH HOUSES OF PARLIAMENT IN APRIL, 1959 AND THE REPORT
WAS DISCUSSED IN THE LOK SABHA FROM 2ND TO 4TH SEPTEMBER , 1959, AND IN THE R AJYA SABHA ON 8TH AND 9TH
SEPTEMBER , 1959. IN THE COURSE OF THE DISCUSSIONS IN THE LOK SABHA , THE PRIME MINISTER MADE A SPEECH ON
4TH SEPTEMBER , 1959, INDICATING BROADLY THE APPROACH OF THE GOVERNMENT TO THE OFFICIAL LANGUAGE QUESTION.
2. IN EXERCISE OF THE POWERS CONFERRED BY CLAUSE (6) OF ARTICLE 344, THE PRESIDENT HAS CONSIDERED THE REPORT
OF THE C OMMITTEE AND , WITH REFERENCE TO THE OPINION EXPRESSED BY THE C OMMITTEE ON THE RECOMMENDATIONS
OF THE OFFICIAL LANGUAGE C OMMISSION , ISSUES THE DIRECTIONS HEREINAFTER APPEARING .
3. TERMINOLOGY - THE MAIN RECOMMENDATIONS OF THE COMMISSION WHICH THE COMMITTEE HAS ACCEPTED
ARE :
(I) IN PREPARING TERMINOLOGY CLARITY , PRECISION AND SIMPLICITY SHOULD BE PRIMARILY AIMED AT ;
(II) INTERNATIONAL TERMINOLOGY MAY BE ADOPTED OR ADAPTED IN SUITABLE CASES ;
(III) THE MAXIMUM POSSIBLE IDENTITY SHOULD BE AIMED AT IN EVOLVING TERMINOLOGY FOR ALL INDIAN LANGUAGES ; AND
(IV) SUITABLE ARRANGEMENTS SHOULD BE MADE FOR CO-ORDINATING THE EFFORTS MADE AT THE CENTRE AND IN THE
STATES FOR EVOLVING TERMINOLOGY IN HINDI AND OTHER INDIAN LANGUAGES .
THE COMMITTEE ENVISAGES FURTHER THAT IN THE FIELD OF SCIENCE AND TECHNOLOGY THERE SHOULD, AS FAR AS POSSIBLE ,
BE UNIFORMITY IN ALL INDIAN L ANGUAGES AND THE TERMINOLOGY SHOULD APPROXIMATE CLOSELY TO ENGLISH OR
INTERNATIONAL TERMS AND HAS SUGGESTED THAT STANDING C OMMISSION CONSISTING CHIEFLY OF SCIENTISTS AND
TECHNOLOGISTS MAY BE CONSTITUTED TO CO -ORDINATE AND SUPERVISE THE WORK DONE BY VARIOUS AGENCIES IN THIS
FIELD AND TO ISSUE AUTHORITATIVE GLOSSARIES FOR USE IN ALL INDIAN LANGUAGES .
THE MINISTRY OF EDUCATION MAY TAKE ACTION:-
(A) TO REVIEW THE WORK DONE SO FAR AND TO EVOLVE TERMINOLOGY IN ACCORDANCE WITH THE GENERAL PRINCIPLES
ACCEPTED BY THE C OMMITTEE . I N THE FIELD OF SCIENCE AND TECHNOLOGY , THE TERMS IN INTERNATIONAL USE SHOULD BE
ADOPTED WITH THE MINIMUM CHANGE , I .E ., THE BASE -WORDS SHOULD BE THOSE AT PRESENT IN USE IN INTERNATIONAL
TERMINOLOGY , ALTHOUGH THE DERIVATIVES MAY BE INDIANISED TO THE EXTENT NECESSARY .
(B) TO FORMULATE PROPOSALS FOR MAKING ARRANGEMENTS FOR CO -ORDINATION OF THE WORK OF PREPARATION OF
TERMINOLOGY ; AND
(C) TO CONSTITUTE A STANDING COMMISSION FOR THE EVOLUTION OF SCIENTIFIC AND TECHNICAL TERMINOLOGY AS
SUGGESTED BY THE C OMMITTEE .
4. TRANSLATION OF ADMINISTRATIVE MANUALS AND OTHER PROCEDURAL
LITERATURE :- IN VIEW OF THE NEED FOR ENSURING A MEASURE OF UNIFORMITY IN THE LANGUAGE USED IN THE
TRANSLATION OF MANUALS AND OTHER PROCEDURAL LITERATURE , THE C OMMITTEE HAS ACCEPTED THE RECOMMENDATION OF
THE C OMMISSION ABOUT THE ADVISABILITY OF ENTRUSTING THE WORK TO A SINGLE AGENCY .
THE MINISTRY OF EDUCATION MAY UNDERTAKE THE TRANSLATION OF ALL MANUALS AND PROCEDURAL LITERATURE OTHER THAN
STATUTORY RULES , REGULATIONS AND ORDERS . THE TRANSLATION OF STATUTORY RULES , REGULATIONS AND ORDERS IS INTIMATELY
CONNECTED WITH THE WORK OF TRANSLATION OF STATUTES AND THE M INISTRY OF LAW MAY TAKE UP THIS WORK . IT SHOULD
BE THE ENDEAVOUR TO SECURE IN THESE TRANSLATIONS MAXIMUM POSSIBLE UNIFORMITY IN TERMINOLOGY IN ALL THE
INDIAN LANGUAGES .
5. TRAINING OF ADMINISTRATIVE PERSONNEL IN THE HINDI MEDIUM :-(A) IN
ACCORDANCE WITH THE OPINION EXPRESSED BY THE C OMMITTEE , IN-SERVICE TRAINING IN HINDI MAY BE MADE
OBLIGATORY FOR C ENTRAL G OVERNMENT EMPLOYEES WHO ARE AGED LESS THAN 45 YEARS . THIS WILL NOT APPLY TO
EMPLOYEES BELOW C LASS III GRADE , INDUSTRIAL ESTABLISHMENTS AND WORK -CHARGED STAFF . IN THIS SCHEME , NO
PENALTY SHOULD BE IMPOSED FOR FAILURE TO ATTAIN THE PERSCRIBED STANDARDS BY THE DUE DATE . FACILITIES FOR HINDI
TRAINING MAY CONTINUE TO BE PROVIDED FREE OF COST TO THE TRAINEES .
(B) NECESSARY ARRANGEMENTS MAY BE MADE BY THE MINISTRY OF HOME AFFAIRS FOR THE TRAINING OF TYPISTS AND
STENOGRAPHERS EMPLOYED UNDER THE C ENTRAL G OVERNMENT IN HINDI TYPEWRITING AND STENOGRAPHY .
(C) THE MINISTRY OF EDUCATION MAY TAKE EARLY STEPS TO EVOLVE A STANDARD KEY -BOARD FOR HINDI TYPEWRITERS .
6. PROPAGATION OF HINDI.- (A ) THE COMMITTEE HAS AGREED WITH THE RECOMMENDATION OF THE
COMMISSION THAT THE REPONSIBILITY FOR THIS WORK SHOULD NOW BE SPONSORED OFFICIALLY . WHERE EFFICIENT VOLUNTARY
ORGANISATIONS ALREADY EXIST , THEY MAY BE AIDED FINANCIALLY AND IN OTHER WAYS , AND WHERE SUCH AGENCIES DO NO
EXIST , G OVERNMENT MAY SET UP THE NECESSARY ORGANISATION THEMSELVES .
THE MINISTRY OF EDUCATION MAY REVIEW THE WORKING OF THE EXISTING ARRANGEMENTS FOR PROPAGATION OF HINDI AND
TAKE FURTHER ACTION ON THE LINES INDICATED BY THE C OMMITTEE .
(B) THE MINISTRY OF EDUCATION AND SCIENTIFIC RESEARCH & C ULTURAL AFFAIRS MAY , IN COLLABORATION , TAKE STEPS TO
ENCOURAGE STUDIES AND RESEARCH IN INDIAN LINGUISTICS , PHILOLOGY AND LITERATURE AS SUGGESTED BY THE
COMMITTEE , AND FORMULATE NECESSARY PROPOSALS FOR BRINGING THE VARIOUS INDIAN LANGUAGES CLOSER AND FOR
DEVELOPING HINDI IN ACCORDANCE WITH THE DIRECTIVE CONTAINED IN ARTICLE 351.
7. RECRUITMENT TO LOCAL OFFICES OF CENTRAL GOVERNMENT DEPARTMENTS :- (A)
IN THE OPINION OF THE COMMITTEE , LOCAL OFFICES OF THE CENTRAL GOVERNMENT DEPARTMENTS SHOULD USE HINDI FOR
THEIR INTERNAL WORKING AND THE RESPECTIVE REGIONAL LANGUAGES IN THEIR PUBLIC DEALINGS IN THE RESPECTIVE REGIONS .
IN FORMULATING THE PLAN FOR THE PROGRESSIVE USE OF HINDI IN ADDITION TO ENGLISH IN THEIR LOCAL OFFICES , THE
CENTRAL GOVERNMENT DEPARTMENTS SHOULD KEEP IN VIEW THE NEED FOR PROVIDING FACILITIES TO THE LOCAL PUBLIC BY
MAKING AVAILABLE TO THEM FORMS AND DEPARTMENTAL LITERATURE FOR THEIR USE IN THE REGIONAL LANGUAGES IN AS
LARGE MEASURE AS PRACTICABLE .
(B) IN THE OPINION OF THE COMMITTEE , THE STAFF STRUCTURE OF THE ADMINISTRATIVE AGENCIES AND DEPARTMENTS OF
THE C ENTRAL G OVERNMENT SHOULD BE REVIEWED AND DECENTRALISED ON A REGIONAL BASIS , AND THE RECRUITMENT
METHODS AND QUALIFICATIONS MAY HAVE TO BE REVISED SUITABLY .
THE SUGGESTION MAY BE ACCEPTED IN PRINCIPLE , WITHOUT INTRODUCING ANY DOMICILE QUALIFICATIONS , IN REGARD TO
CATEGORIES OF POSTS IN LOCAL OFFICES OF WHICH THE INCUMBENTS ARE NOT ORDINARILY LIABLE TO TRANSFER OUTSIDE THE
REGION .
(C) THE COMMITTEE HAS AGREED WITH THE RECOMMENDATION OF THE COMMISSION THAT THE UNION GOVERNMENT
WOULD BE JUSTIFIED IN PRESCRIBING A REASONABLE MEASURE OF KNOWLEDGE OF HINDI LANGUAGE AS A QUALIFICATION FOR
ENTERING INTO THEIR SERVICES , PROVIDED A SUFFICIENTLY LONG NOTICE IS GIVEN AND THE MEASURE OF LINGUISTIC ABILITY
PRESCRIBED IS MODERATE , ANY DEFICIENCY BEING MADE GOOD BY FURTHER IN-SERVICE TRAINING .
THIS RECOMMENDATION MAY BE APPLIED FOR THE PRESENT IN REGARD TO RECRUITMENT IN THE LOCAL OFFICES OF THE
CENTRAL GOVERNMENT DEPARTMENTS IN THE HINDI-SPEAKING AREAS ONLY , AND NOT IN THE LOCAL OFFICES IN NON -
HINDISPEAKING
AREAS .
THE DIRECTIONS UNDER (A), (B) AND (C) ABOVE WILL NOT APPLY TO THE OFFICES UNDER THE INDIAN AUDIT AND ACCOUNTS
DEPARTMENT.
8. TRAINING ESTABLISHMENTS -
(A) THE COMMITTEE HAS SUGGESTED THAT ENGLISH MAY CONTINUE AS THE MEDIUM OF INSTRUCTION FOR TRAINING
ESTABLISHMENTS SUCH AS THE NATIONAL DEFENCE ACADEMY BUT SUITABLE STEPS MAY BE TAKEN TO INTRODUCE HINDI AS
THE MEDIUM FOR ALL OR SOME OF THE PURPOSES OF INSTRUCTION .
THE MINISTRY OF DEFENCE MAY TAKE SUITABLE PREPARATORY MEASURES SUCH AS PUBLICATION OF INSTRUCTION BOOKS ,
ETC., IN HINDI TO FACILITATE ITS USE AS A MEDIUM OF INSTRUCTION , WHERE FEASIBLE .
(B) THE COMMITTEE HAS SUGGESTED THAT ENGLISH AND HINDI SHOULD BE THE MEDIA OF EXAMINATION FOR ENTRANCE TO
TRAINING ESTABLISHMENTS WITH THE OPTION TO CANDIDATES TO SELECT EITHER WITH REFERENCE TO ALL OR ANY OF THE
PAPERS AND AN EXPERT COMMITTEE SHOULD BE APPOINTED TO EXAMINE THE PRACTICABILITY OF INTRODUCTION OF REGIONAL
LANGUAGES AS MEDIA WITHOUT BRINGING IN A QUOTA SYSTEM .
THE MINISTRY OF DEFENCE MAY TAKE NECESSARY MEASURES FOR INTRODUCING HINDI AS AN ALTERNATIVE MEDIUM FOR THE
ENTRANCE EXAMINATION AND FOR CONSTITUTING OF AN EXPERT COMMITTEE TO EXAMINE THE QUESTION OF INTRODUCTION OF
REGIONAL LANGUAGES AS MEDIA WITHOUT INTRODUCING ANY QUOTA SYSTEM .
9. RECRUITMENT TO ALL-INDIA S ERVICES AND HIGHER CENTRAL SERVICES -
(A) MEDIUM OF EXAMINATION - THE COMMITTEE 'S OPINION IS THAT (I) ENGLISH MAY CONTINUE TO BE THE MEDIUM OF
EXAMINATION AND HINDI MAY BE ADMITTED AS AN ALTERNATIVE MEDIUM AFTER SOMETIME , BOTH HINDI AND ENGLISH
BEING AVAILABLE THEREAFTER AS MEDIA AT THE OPTION OF THE CANDIDATE FOR AS LONG AS NECESSARY ; AND ( II ) THAT AN
EXPERT COMMITTEE BE APPOINTED TO EXAMINE THE FEASIBILITY OF INTRODUCING THE VARIOUS REGIONAL LANGUAGES AS
MEDIA WITHOUT BRINGING IN ANY QUOTA SYSTEM .
NECESSARY ACTION MAY BE TAKEN BY THE MINISTRY OF HOME AFFARIS IN CONSULTATION WITH THE UNION PUBLIC SERVICE
COMMISSION FOR THE INTRODUCTION OF HINDI AS AN ALTERNATIVE MEDIUM AFTER SOMETIME . THE INTRODUCTION OF
VARIOUS REGIONAL LANGUAGES ALSO AS AN ALTERNATIVE MEDIA IS LIKELY TO LEAD TO SERIOUS DIFFICULTIES AND IT IS NOT ,
THEREFORE , NECESSARY TO APPOINT AN EXPERT COMMITTEE TO EXAMINE THE FEASIBILITY OF INTRODUCING REGIONAL
LANGUAGES AS ALTERNATIVE MEDIA .
(B) LANGUAGE PAPERS - THE COMMITTEE 'S OPINION IS THAT AFTER DUE NOTICE , THERE SHOULD BE TWO COMPULSORY
PAPERS OF EQUAL STANDARD, ONE IN HINDI AND ANOTHER IN A MODERN INDIAN LANGUAGE OTHER THAN HINDI TO BE
SELECTED BY THE CANDIDATE .
FOR THE PRESENT , ONLY AN OPTIONAL HINDI LANGUAGE PAPER MAY BE INTRODUCED . CANDIDATES SELECTED ON THE
RESULTS OF THE COMPETITION WHO QUALIFY IN THIS PAPER MAY BE EXEMPTED FROM APPEARING THE PASSING THE HINDI
DEPARTMENTAL TEST AFTER RECRUITMENT .
10. NUMERALS - AS SUGGESTED BY THE COMMITTEE , A UNIFORM BASIC POLICY SHOULD BE ADOPTED FOR THE USE
OF DEVANAGARI NUMERALS , IN ADDITION TO THE INTERNATIONAL NUMERALS , IN THE HINDI PUBLICATIONS OF THE C ENTRAL
MINISTRIES DEPENDING UPON THE PUBLIC INTENDED TO BE ADDRESSED AND THE SUBJECT -MATTER OF THE PUBLICATION.
FOR SCIENTIFIC, TECHNICAL AND STATISTICAL PUBLICATIONS , INCLUDING THE INTERNATIONAL NUMERALS SHOULD BE ADOPTED
UNIFORMLY IN ALL PUBLICATIONS .
11.LANGUAGE OF ACTS, BILLS, ETC. -
(A) THE COMMITTEE HAS EXPRESSED THE OPINION THAT PARLIAMENTARY LEGISLATION MAY CONTINUE TO BE IN ENGLISH
BUT AN AUTHORISED TRANSLATION SHOULD BE PROVIDED IN HINDI .
THE MINISTRY OF LAW MAY, IN DUE COURSE , INITIATE NECESSARY LEGISLATION TO PROVIDE FOR AN AUTHORISED HINDI
TRANSLATION OF PARLIAMENTARY LEGISLATION WHICH MAY CONTINUE TO BE IN ENGLISH. ARRANGEMENTS MAY BE MADE BY
THE M INISTRY OF LAW ALSO FOR PROVIDING TRANSLATIONS OF PARLIAMENTARY LEGISLATION INTO THE REGIONAL LANGUAGES .
(B) THE COMMITTEE HAS EXPRESSED THE OPINION THAT WHERE THE ORIGINAL TEXT OF BILLS INTRODUCED IN OR ACTS
PASSED BY THE STATE LEGISLATURE IS IN LANGUAGE OTHER THAN HINDI , A HINDI TRANSLATION MAY BE PUBLISHED WITH IT
BESIDES AN ENGLISH TRANSLATION AS PROVIDED IN CLAUSE (3) OF ARTICLE 348.
IN DUE COURSE , LEGISLATION MAY BE INITIATED FOR THE PUBLICATION OF A HINDI TRANSLATION OF STATE BILLS, ACTS , AND
OTHER STATUTORY INSTRUMENTS, ALONG WITH THE TEXT IN THE OFFICIAL LANGUAGE OF THE STATE .
12. LANGUAGE OF THE SUPREME COURT AND HIGH COURSTS - THE OFFICIAL LANGUAGE
COMMISSION RECOMMENDED THAT SO FAR AS THE LANGUAGE OF THE SUPREME COURT IS CONCERNED HINDI EVENTUALLY
SHOULD BE THE LANGUAGE OF THE SUPREME C OURT WHEN THE TIME COMES FOR THE CHANGE -OVER . THE C OMMITTEE
HAS ACCEPTED THIS RECOMMENDATION .
IN REGARD TO THE LANGUAGE OF THE HIGH COURTS , THE COMMISSION CONSIDERED THE PROS AND CONS OF THE REGIONAL
AND HINDI LANGUAGES AND RECOMMENDED THAT WHEN THE TIME FOR THE CHANGE -OVER ARRIVES , THE LANGUAGE OF
JUDGMENTS , DECREES AND ORDERS OF HIGH C OURTS SHOULD BE THE HINDI LANGUAGE IN ALL REGIONS , BUT THE
COMMITTEE HAS EXPRESSED THE OPINION THAT IN THE HIGH COURTS PROVISION MAY BE MADE BY INTRODUCING
NECESSARY LEGISLATION FOR THE USE OPTIONALLY OF HINDI AND OFFICIAL LANGUAGES OF STATES FOR PURPOSES OF
JUDGMENTS , DECREES AND ORDERS OF HIGH C OURTS WITH THE PREVIOUS CONSENT OF THE PRESIDENT .
THE OPINION OF THE COMMITTEE REGARDING THE FUNCTIONING OF THE SUPREME COURT EVENTUALLY IN HINDI IS
ACCEPTABLE IN PRINCIPLE AND WILL REQUIRE APPROPRIATE ACTION ONLY WHEN THE TIME COMES FOR A CHANGE -OVER .
IN RESPECT OF THE LANGUAGE OF THE HIGH COURTS , THE MINISTRY OF LAW MAY IN DUE COURSE UNDERTAKE NECESSARY
LEGISLATION TO PROVIDE FOR THE USE OPTIONALLY OF HINDI AND OTHER OFFICIAL LANGUAGES OF STATES FOR PURPOSES OF
JUDGMENTS , DECREES AND ORDERS WITH THE PREVIOUS CONSENT OF THE PRESIDENT , AS SUGGESTED BY THE C OMMITTEE
IN MODIFICATION OF THE RECOMMENDATION OF THE C OMMISSION .
13. PREPARATORY MEASURES FOR CHANGE -OVER IN THE FIELD OF LAW - THE COMMITTEE HAS
AGREED WITH THE RECOMMENDATIONS OF THE C OMMISSION RELATING TO THE PREPARATION OF A STANDARD LEGAL LEXICON ,
RE -ENACTMENT OF THE STATUTE BOOK IN HINDI IN RESPECT OF BOTH C ENTRAL AND STATE LEGISLATION PLAN OF ACTION FOR
EVOLVING A LEGAL TERMINOLOGY AND FOR TAKING OTHER PREPARATORY STEPS DURING THE TRANSITIONAL PERIOD DURING
WHICH THE STATUTE BOOK AS WELL AS THE CASE LAW WILL BE PARTIALLY IN HINDI AND IN ENGLISH, AND HAS ALSO
SUGGESTED THE CONSTITUTION OF A STANDING C OMMISSION OR A SIMILAR HIGH -LEVEL BODY CONSISTING OF LEGAL EXPERTS
REPRESENTING THE DIFFERENT NATIONAL LANGUAGES OF INDIA FOR THE PROPER PLANNING AND IMPLEMENTATION OF THE
ENTIRE PROGRAMME RELATING TO TRANSLATION OF STATUTES AND PREPARATION OF LEGAL TERMINOLGY AND GLOSSARIES . THE
COMMITTEE HAS ALSO EXPRESSED THE OPINION THAT THE STATE GOVERNMENTS MIGHT BE ADVISED TO TAKE NECESSARY
MEASURES IN CONSULTATION WITH THE C ENTRAL AUTHORITIES .
THE MINISTRY OF LAW MAY TAKE ACTION IN THE LIGHT OF THE SUGGESTION OF THE COMMITTEE TO CONSTITUTE A STANDING
COMMISSION OF LEGAL EXPERTS FOR THE PROPER PLANNING AND IMPLEMENTATION OF THE ENTIRE WORK RELATING TO
PREPARTATION OF A STANDARD LEGAL TERMINOLOGY (FOR USE AS FAR AS POSSIBLE , IN ALL INDIAN LANGUAGES ) AND
TRANSLATION OF STATUTES IN HINDI .
14. PLAN OR PROGRAMME FOR THE PROGRESSIVE USE OF HINDI - THE COMMITTEE HAS
SUGGESTED THAT THE UNION GOVERNMENT SHOULD PREPARE AND IMPLEMENT A PLAN OF ACTION FOR THE PROGRESSIVE
USE OF HINDI AS THE OFFICIAL LANGUAGE OF THE UNION. NO RESTRICTIONS ARE TO BE IMPOSED , FOR THE PRESENT , ON THE
USE OF THE ENGLISH LANGUAGE FOR ANY OF THE OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION .
NECESSARY ACTION MAY BE TAKEN ACCORDINGLY BY THE MINISTRY OF HOME AFFAIRS FOR THE PREPARATION AND
IMPLEMENTATION OF A PLAN OR PROGRAMME , WHICH WILL BE CONCERNED WITH PREPARATORY MEASURES FOR FACILITATING
THE PROGRESSIVE USE OF HINDI IN THE UNION ADMINISTRATION , AND FOR PROMOTING THE USE OF HINDI IN ADDITION TO
ENGLISH FOR THE VARIOUS PURPOSES OF THE UNION AS PROVIDED IN CLAUSE (2) OF ARTICLE 343 OF THE CONSTITUTION . THE
EXTENT TO WHICH HINDI CAN BE USED IN ADDITION TO ENGLISH WILL DEPEND LARGELY ON THE EFFECTIVENESS OF THE
PREPARATORY MEASURES . THE PLAN FOR THE ACTUAL USE OF HINDI , IN ADDITION TO ENGLISH, WILL NEED TO BE REVIEWED
AND ADJUSTED FROM TIME TO TIME IN THE LIGHT OF EXPERIENCE .
THE OFFICIAL LANGUAGE RESOLUTION, 1968
THE FOLLOWING GOVERNMENT RESOLUTION, AS ADOPTED BY BOTH HOUSES OF PARLIAMENT, IS HEREBY
PUBLISHED FOR GENERAL INFORMATION :-
RESOLUTION
“WHEREAS UNDER ARTICLE 343 OF THE CONSTITUTION , HINDI SHALL BE THE OFFICIAL LANGUAGE OF THE
UNION, AND UNDER ARTICLE 351 THEREOF IT IS THE DUTY OF THE UNION TO PROMOTE THE SPREAD OF THE HINDI
LANGUAGE AND TO DEVELOP IT SO THAT IT MAY SERVE AS A MEDIUM OF EXPRESSION FOR ALL THE ELEMENTS OF
THE COMPOSITE CULTURE OF INDIA ;
THIS HOUSE RESOLVES THAT A MORE INTENSIVE AND COMPREHENSIVE PROGRAMME SHALL BE PREPARED AND
IMPLEMENTED BY THE G OVERNMENT OF INDIA FOR ACCELERATING THE SPREAD AND DEVELOPMENT OF HINDI AND
ITS PROGRESSIVE USE FOR THE VARIOUS OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION AND AN ANNUAL ASSESSMENT REPORT
GIVING DETAILS OF THE MEASURES TAKEN AND THE PROGRESS ACHIEVED SHALL BE LAID ON THE TABLE OF BOTH
HOUSES OF PARLIAMENT AND SENT TO ALL STATE GOVERNMENTS ;
2. WHEREAS THE EIGHTH SCHEDULE OF THE CONSTITUTION SPECIFIES 14 MAJOR LANGUAGES OF INDIA
BESIDES HINDI , AND IT IS NECESSARY IN THE INTEREST OF THE EDUCATIONAL AND CULTURAL ADVANCEMENT OF THE
COUNTRY THAT CONCERTED MEASURES SHOULD BE TAKEN FOR THE FULL DEVELOPMENT OF THESE LANGUAGES ;
THE HOUSE RESOLVES THAT A PROGRAMME SHALL BE PREPARED AND IMPLEMENTED BY THE GOVERNMENT OF
INDIA , IN COLLABORATION WITH THE STATE GOVERNMENTS FOR THE COORDINATED DEVELOPMENT OF ALL THESE
LANGUAGES , ALONGSIDE HINDI SO THAT THEY GROW RAPIDLY IN RICHNESS AND BECOME EFFECTIVE MEANS OF
COMMUNICATING MODERN KNOWLEDGE ;
3. WHEREAS IT IS NECESSARY FOR PROMOTING THE SENSE OF UNITY AND FACILITATING COMMUNICATION
BETWEEN PEOPLE IN DIFFERENT PARTS OF THE COUNTRY THAT EFFECTIVE STEPS SHOULD BE TAKEN FOR
IMPLEMENTING FULLY IN ALL STATES THE THREE -LANGUAGE FORMULA EVOLVED BY THE G OVERNMENT OF INDIA IN
CONSULTATION WITH THE STATE G OVERNMENT ;
THIS HOUSE RESOLVES THAT ARRANGEMENTS SHOULD BE MADE IN ACCORDANCE WITH THAT FORMULA FOR THE
STUDY OF A MODERN INDIAN LANGUAGE , PREFERABLY ONE OF THE SOUTHERN LANGUAGES , APART FROM HINDI AND
ENGLISH IN THE HINDI SPEAKING AREAS AND OF HINDI ALONG WITH THE REGIONAL LANGUAGES AND ENGLISH IN
THE NON -HINDI SPEAKING AREAS ;
4. AND WHEREAS IT IS NECESSARY TO ENSURE THAT THE JUST CLAIMS AND INTEREST OF PEOPLE
BELONGING TO DIFFERENT PARTS OF THE COUNTRY IN REGARD TO THE PUBLIC SERVICES OF THE UNION ARE FULLY
SAFEGUARDED :
THIS HOUSE RESOLVES –
(A) THAT COMPULSORY KNOWLEDGE OF EITHER HINDI OR ENGLISH SHALL BE REQUIRED AT THE
STAGE OF SELECTION OF CANDIDATES FOR RECRUITMENT TO THE UNION SERVICES OR POSTS
EXCEPT IN RESPECT OF ANY SPECIAL SERVICES OR POSTS FOR WHICH A HIGH STANDARD OF
KNOWLEDGE OF ENGLISH ALONE OR HINDI ALONE , OR BOTH, AS THE CASE MAY BE , IS
CONSIDERED ESSENTIAL FOR THE SATISFACTORY PERFORMANCE OF THE DUTIES OF ANY SUCH
SERVICE OR POST ; AND
(B) THAT ALL THE LANGUAGES INCLUDED IN THE EIGHTH SCHEDULE TO THE CONSTITUTION AND ENGLISH SHALL
BE PERMITTED AS ALTERNATIVE MEDIA FOR THE ALL INDIA AND HIGHER C ENTRAL SERVICES EXAMINATIONS AFTER
ASCERTAINING THE VIEWS OF THE UNION PUBLIC SERVICE C OMMISSION ON THE FUTURE SCHEME OF THE
EXAMINATIONS , THE PROCEDURAL ASPECTS AND THE TIMING .
THE OFFICIAL LANGUAGE POLICY OF THE UNION
HINDI IN DEVANAGARI SCRIPT IS THE OFFICIAL LANGUAGE OF THE UNION . THE FORM OF NUMERALS TO BE USED FOR
OFFICIAL PURPOSES OF THE UNION IS THE INTERNATIONAL FORM OF INDIAN NUMERALS {ARTICLE 343 (1) OF THE
CONSTITUTION}.IN ADDITION TO HINDI LANGUAGE ENGLISH LANGUAGE MAY ALSO BE USED FOR OFFICIAL PURPOSES .
(SECTION 3 OF THE OFFICIAL LANGUAGES ACT)
BUSINESS IN PARLIAMENT MAY BE TRANSACTED IN ENGLISH OR IN HINDI. HOWEVER , THE HON’BLE CHAIRMAN OF THE
RAJYA SABHA OR THE HON’BLE S PEAKER OF THE LOK SABHA MAY PERMIT ANY MEMBER TO ADDRESS THE HOUSE IN HIS /
HER MOTHER TONGUE UNDER SPECIAL CIRCUMSTANCES (ARTICLE 120 OF THE C ONSTITUTION ).
THE PURPOSES FOR WHICH HINDI ALONE IS TO BE USED, THE PURPOSES FOR WHICH BOTH HINDI AND ENGLISH ARE TO BE
USED AND THE PURPOSES FOR WHICH ENGLISH LANGUAGE IS TO BE USED , HAVE BEEN SPECIFIED IN THE OFFICIAL
LANGUAGES ACT, 1963, THE OFFICIAL LANGUAGE RULES , 1976 AND THE DIRECTIONS ISSUED UNDER THEM FROM TIME TO
TIME BY THE DEPARTMENT OF O FFICIAL LANGUAGE , M INISTRY OF HOME AFFAIRS .
IT HAS BEEN THE POLICY OF THE GOVERNMENT OF INDIA THAT PROGRESSIVE USE OF HINDI IN THE OFFICIAL WORK MAY BE
ENSURED THROUGH PERSUASION , INCENTIVE AND GOODWILL.

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