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KKM COLLEGE, PAKUR

Department of Sociology
B.A.(Honors)-Sem.06-Core-13-HonS
Paper Name: Industrial Sociology
(औद्योगगक समाजशास्त्र)

Prof. AVINASH
TIWARI
Assistant Professor,
Department of Sociology,
KKM College, Pakur

Email
ID-avinashtiwari557@gmail.com
I INDUSTRIAL SOCIOLOGY
(औद्मो
गगक सभाज
र)त् स् शा
गगकऔद्मोसभाजशास्
त्र का अथथ वॊ
ए ऩरय
षा:--
बा

• औद्मो गगक सभाजशा


त्र
थ स्त्थरकामस्
यऩ रोगों की

णा
ेययहायवमव्प्रकाममन
अध् है।
• औद्मो गगक सभाजशा
त्र,स् काभ के सभाजशा
त्रस् क
ऺरे के बीतय हार ही भें एक भहत् वऩणू थ शोध
ऺरे चकीजाॊ
कता
य हैकी
तकनीथनतवयरऩ , णकयवी
, श् वै
रभ
श् फाजाय, कामथ गठन,
सॊ फॊ
धकीम
थप्रा
ओॊ
औयप्र योजगाय सफॊ
ॊधोंभें
ृवत्तमों
त्प्र की ददशा औय
ननहदताथ,थ इन रवत्
ृप् त्तमोंका आधनु नक सभाजोंभें
असभानता के फदरते टनथऩैतमों

त्तऔय
मय ऩरयवायों
व् के
फदरते अनुबवोंसे सफॊ ॊगधत
है।
• ऩररभाषा:--
ग• औ

त्र जसशा
भा
द्मो
स् उन यककाों (तक
की,
नी सहदत) एक
रीकेणा
ऩगज
कतधरूगभेंफॊ
त्सेहैप्रभा
सॊ द्मो
उसा
आगथकथ ,नतक)

नीया जोयचना,
सॊ मों
का औय उस
रीणा प्र
भेंथनतवयरऩ । तवव कबायतेहैंकोप्र

•र मका
गगक त्भा

न्सा
द्मोसभा
जसशा
भास्स्त्रएशाकज भहत् ऩव ूणथ ऺेर है त्जसे अगधक सटीक रूऩ से
थाहाजा
काकत्।सथकमा
तास्अ व्वहैमका
थ मस्त्र
थका
नोंशा
ठजगस्त्रभा
ससॊ
शाजभा

• वशषणकग औ
का
द्मो अथथ हैएक खडॊ म ससद्ाॊतों
भें स्त्रीशा
जभा स
औय ववगधमों
के मोग
अनुसभप्राज, अथाथत,् जो भा
नसा केऩा
दन त्उऔय
वतयण के आगथकथ कामथ से
गधत
फॊसॊ है औय सभाज को जन
त् वाओॊ
से की आवश्
मकता हो
ती है।
• ोगगक
औद्म रजसशास्
त्भाका वका
स :--
•का
नजयऩमों
फषरेवरत्वस्त्र
कगमा
अॊता
शा
गा
जत्तरजाऔ
भा
,स
हैद्मोउकी
नच जाॊ
आयॊ सबक गबाभेंुरूश हुई स
वी।फीस
दीसशऺकशऺ
क , salespeople,
की
मोंसा
वमसेकों
सजैव् त्कचग
ईमया
रहगसेभें 1920 मद्मा
नअ
वध्व,व गोसशका
श्ववस, भेंट्रेऔवेयरीआमोत्जत
भॊ ककए गए
क ट्र कका।,त्त
राॉ
अनहा थेउस्त्र

भी
ऩगचुरेशा
जस
इनशाऔ भा

श्द्मोआद्भयत्तौ
सऩस यऩ प्र
के साथ शुरूहुआ नाता भाजागो
हैस
शकाभेंनी
पगनावतसथ भेंजत त्आ
सनमो
अु धॊा
नथ कामक्र
ताभकें
दस भरशा
कों
को
यकासभकझ
ऩा त् नेनभउशसकेभें,एस र नइश्रजा
डटप्रेकमा
डडमागत।जथा
एककफ एगत्नग्रे मो अध्म
आयादाके दौममा
भनन,म।ममेसभाप्
ज्ध्अ त हुआ,
शो
धकता थओॊ नेथर धा नयत कमाज क।णयकवभकसता
त्भका
वा
भा
केसाश्रहस

द्वाया रफॊ प्धन द्वाया त्जस तयह से मवहाय व् ककमा गमा था, उसका कामकथू औय ताथ
रसभकों
श् ऩय एक
ततत्शारी

रबावस
प्भथन थ वाकय,हैदा
ऩडा तेरदशनथ
प्इहैंसभेंईकोसॊ हदे। नहीॊहैककरुगच
हाराकॊ नेषों
कउनके ष्नन यखने
क अफवारेअसहभनत भौजदू है कक तमा उनके ऩरयणाभ त्तव वास् भें कानउ
कों
जक
नकी
ना
नऩ त्को क
ल्वैऻा
भासा

वैऻा
ता
ऩक दडकभस
ऩा
भें मास
रत्उऔ
श्रयऔ यकों
भसकाभ, श्र
काभ से ननऩटने के सरए ऩमाप्थ त अनुसधानॊ ऩरयमोजनाओॊ भें सऩॊ न्न हुथआत्थरकामस् । उस
अनुसॊधान गनतववगध को अततॊ ् औद्मोगगक सभाजशास् त्र के रूऩ भें जाना मा ग
व क त्मा

धगनयगमा
नत,न सइका
एक प्रसभम के सरए, सउऩ फसे स्त्र
तजी
वॊशा
वव जषमों
भा
स भें से एक।अनुसॊधान के उदाहयणोंके सरए इस सभम के दौयान
न एआमोत्जत,
कदाकता
यणयहदा
उहैजफप्र हव उनकी एकअनतगथ ज
ना
केभों
मो
का
यरऩणा
नयणरवऩ इस शोध के भहत्व का थ कयता
1948 नेऔयहों भें, उनकी
न्उभटीने एक दोचयण की ज
ना
शमो
यरु
ऩ रूकीहव स भुमॊ दाना। हो है।
त्जसका मू.एस. त्टीर स् राॊ प् ट दफ थाऩ
हरे च
यण भें धेऩौ का न

ना था

ध् हो औय
ॊ कयना। ऩहरा
उनशडा
ट से ऩहरे स भुमदाऔय सदू ये के दफास भुमदाकानाथा
नमअध्हो फद
चउन्
यहोंने
ण यऩू ातकशसनका उनेक हो

भेंएटा
केऩत्तरु
अभेरयकी प्रगएटीफा
द,
स् ।थेभत्णा
यकरऩए स्त्टीर
सार स् फाद, के सरए जनसॊऩक खभथ प्र
ु से सऩॊ कथ ककमा औय ऩछू ा कक सभर
नहीॊ
मोंतहुआ।शक द देनन्फ
हैकोआ चमथश् हुआ कक अ थतगन ने नसु ा नहीॊथाकक तमा हुअबी आ तकॊ की रयऩोटथ ढी ऩ थी, सभर के कौशर क
व त्कोहथा।
भ सभहूसजादहय कमाफ मथका र,है, औय ससय ऑऩशयेन भेंमू.ए स
त्टीर
यखने. के स्ड एसरकयनेसभरके
क।शकको
कमा महगफॊ
ग्रेत्तदेनधऩएसरअ यस्सर
रशी
षथमनकनहक
वको एआ
यश्जी
थष इॊष्नरा
प्रक गमाका
न, "आऩके सऩानमअध्कयने के एसर बूका
तोंशयह नहीॊ
गा,होकेर कन भुझे मकीन है
कक मदद आऩ एक
राकेमा एसरस ऩवा चरे गएय फैंचऑप कॉ भसथ आऩको भमुख्सडक यऩयोकेहीऩ रूभेंऩयेड
।गाकये
• औद्योगगक समाजशास्
त्र की प्रकृ ति :
• मह एक आथगकथ णधयगक
वतनगओॊ
ु औ
हैत्त्त
जोयरस्भा
कच्चेस्सॊ
केव प्र
के णथभा ननगसे धतगफॊ ।का
सॊनाखा द्मो
यउहैभका
तरफ कडी तनह भेबी
ै। ह एसरसी
इ आभयतौ यऩ कहाता वजाहैकको
त्त चभका
न“अत्तमऩने व्
केसशका
केवस,गइ।वेऔ
कएसयेंरयभेंक
ग"औस्त्र
द्मो
उजशा
इसे
प्रद्मो
भा
ससठो आयधा यऩ यखने की ैकमताआ ।श्वह" तवनभा
गतनकेजा
कीप्रऩथ यायऩसभहनू
भमुसष्द्वाकमा। मा
गबायत को आजादी
सभरने के रफा द,तनयतॊरवरू
,हधा
बा रायहभॊरी
केजवा
नेत्ऩहरे स्प्र न
उद्मोगों को नाभ ददमा।

क•गशा
नभमुष्केस्त्र
जऔभा
नसयभद्मो शकौ
र के थसा अगधक व्मवहाय कयता ह।ै मह याष्ट्र
के ननभाथण
भें भहत्वऩणू थ बूसभका ननबाता है तमोंकक मह भदद कयता है
उत्ऩादन भें ववृ द्औय इस रकाय
प् सकर घयरूे उत्ऩाद(GOP)
रन प् ोमत
को फढने भें भदद सभरती ह।ै गणवत्ु ता के
साथ औय अगधक चूॊकक गगता का साभना
गणवु
ककमा जा सकता ह।ै आज, दोनोंकी
ओय से,

राबप्
रदता औय कानून

यणाभ राप्
प् त नहीॊ ककए जा सकते ह।ैं
इसके सरए आवश्
मक है उन बसी कामों
को जो इसके ववकास, ननभाथ ण औय के दौयान उत्
ऩाद के सॊऩकथ
भें आते हैंउऩमोग, इस काभ भें सहमोग कयने के सरए। इसका भतरफ है
कक गणवत्ु ता को इन सबी द्वाया भाना औय ननमॊत् ररत
इन कामोंके काभ भें सभन्वम कयना बी आवश्मक है
यऩ गकभत्ता
ुवणद्म
उकोगकेुत्ता
वणएसर
या
एना
हको
दभा
नवहजी
हो
चाहफष्टुयऩतोंकऩत्एकथयबनमादृव् यऩदोंकेतऩा
यीकग;म,आ
हैत्औ
उश्रद्मो षण,
ऩो सॊचाय,
त््
त्वा
स्मवा,
स्से काभ, भनोयॊजन औय
याष्ट्
रीम सुयऺा। इस
काय
प्र के उत्
ऩादों, त्त
वस्ुओ ॊ मा
सेवाओ ॊ काएक फदीु
रहऩमा
नन मह हैक उनकागउमो
ू ऩ कयनेमकरानाहो
चा
।एहदअसपरता उऩमो
ग भें चोट, असुववधा, ृभत्मु मा आगथकनुकसान हो
सकता ह।ै चकॊू क मे सबी कामथ ऩुरुषोंद्वाया
फनाए गए हैंककसी बी उत् ऩाद के भनु त्म भ,ें शासभर रोग एक
सभ
फतेना औययहैंकासजइसभा का
प्रणथ। भा
ता
ननकीधहो
हैगयरऩमह सभाजतववबी
हो
ता
बा प्रहै माइस भरे
भा के एसर वेभआ जनता से आतेऔयहैं इस
यटकायेऩोकॉ
कीबप्रूकाभस ननबासकते हैंखे
नेके
र एसर आता है। महमकवप्र
रोरूऩ से ऩो
येट
कॉ
भेंत् ।नाजा
ऩॉ
ताजाहै त् शसो
रस्यर
• औद्योगगक समाजशास्त्र का ऺेर:--
औद्मोगगक सभाजशास्
त्र एक रागू अनशु ासन ह।ै इसका सॊफॊध
धों सॊ
फॊ
भानवीम के अ
ध्ममन से
साभा
है उद्मोगो
ं के ऺे
र भें ववकास औय सचॊ ारन। मह उन जत्क अवधायओॊ
णा
कामथ
से सॊफॊ
तधग है जन
त्कीरासॊ
प् गगकता है उद्मो
गरथनज
कग।
यऩकेनों
मामा
ठगत्द्मो
केंउतसॊ
भा
ध्महदि
सा
स्कतया ह।ै मह कानमअध्कता

थनट ऩै सॊदबथ
कग हैनों
ठगऔसॊ
भेंद्मोउनकीसबू भकाओॊ क
गगक मोफॊधन, प्र औद्मो
गगक इजीॊ नमरयगॊ , औद्मो
गगक द्वायाबी अ ध्ममन
कक माजाता है भनो
ववऻान औय अथशथ त्र।
ास् रेककन वे ववसबन्
न यतीको
ं से

ग ओॊ
कीना
घटद्मोकानमअध्ैं
कयते।उनकाहनमअध्कबी-दकबीऔ
भेंदोंयकेगोरेणों
ऩा
यकगऩस
नैं
इउगॊ
यक
रजा
डमननजी
त्तेह
ध।औ
उै
इॊ
तसेधद्मो
फॊ
ग।एक
फॊ
गहसॊनन

वऻा
वप्रद्मोवऻा से अगधक एक करा ह।ै
औद्मो गगक ववऻ भनोान का अ ध्ममन-का चमन कसभमों, नौकयी से सॊतत्ु ष्ट,
रेय
प् णाऔय काभ कयनेके सरए रोत्साहन,
प् टीभ बावना
, दघु णटथ
य औयना
इस च्चातयहउम अ
न्
। नऐसेएॊतअ
यऩरोंगमा
भथतमा
शथभा
केंतध्भा
भत्दि
रेत्ता
मधी
यस्त्रक

ता
स्यभसफॊ
हावयव्मजै
से
सॊ
है व् कक कीभत,ें भजदयू ी, भुनापा, ऩणयोजगाय,

ववत्त, एकागक
ध ाय, ववऩणन, कयाधान, आद रेककन
इनभें से कोई
नन वऻा
व वऻा नहीॊ

कनगहैकेनों
सइठका
मागत्मऔ
मा
भा
सॊ
वी
द्मो
ध्नसाभा
ऩहरुओॊ ऩय कें दित ह।ै मह कामथ के वर द्वाया ककमा जाता है

सद्मो
गठन कस्त्र
गकाशा
जनमऔ
भा

सध्द्मो
की
तकनीमा
तकनी कीके ऩरू भें नहीॊकय
ताहै 5 आगथकथ सगॊ ठन,क नरे उससे
अगधक, एक भा
त्जक
सा मानवी
भा म सगठन के ऩरू
भें।
कज यऩ त्फरमहभा तादेकगहैसा
माऔ सफॊद्मो धॊोंभें औ यक
रऩचा औय चऩअनौारयक
यक,
का औऩ चा रयक औय अनौ चा
रय
ऩक सगठन, टीभ वकथ , सचाय आद द
जफ दो मादो से अगधक व्म ततमों
त् के चफीतची फा त इस त्म से
तवती
व हो हैबाक उप्रनभें सेएक हैएक तटयडॉ, एक कशऺ
कशऺस , एक
फय, प्र एकभचथ ट्री पैतायी, एक आ सशु रवऩक, एक फॉ स, एक
कभचथ ा यी, एक केंथ िी त्थर मस्केम ने
का
त,
कतै
का
रु
भा
ा,
।त्त
स्त्र
कगमच्चा
यहक
स्त्र
शा
जगरयेव्शा
भा
गाहमा


नेभसजद्मो
सा

भा
सगॊ
एकद्मो
योठनफे से सफॊ गॊ धत ह।ै मह तीन
अरग-अरग
सगठनोंके साथ बी काभ कतया है त्जसे अरग ऩहचाना जा सकता है
ककन रे यऩत्ऩयस्
सफॊ गॊ धत: अथाथत,् (ए) फधॊ प्र न सगठन,
(फी ) रसभ
श् कों क

यरचा
ऩअनौसगठन, औय (सी) घस ॊ सगठन (ए) फ
धॊ न'प्र सगठन' को
तबसदस थ नधफकता यकेकों
भऔ
सहैचप्रफी
य सफॊ श्र ध। इस,भेंमाॊ
तननी
रभ-सयॊ
मक्
का चना औय शासभर हैं रफधॊ
प् न का काम।थ इसका ुभख्म जोय
सत औयक
रद्वा
कों
ऩचा
भस सफॊ धॊ
फयऩश्रधों
न है।प्रकेथ(b)सा
रसभ श् कों के च'अ ऩनौारयक सगठन' भें अ ऩचारय
नौ क सफॊ। छासेधॊ च् वे ोंका
त्सका
वया
तास्हो
हैमक
का
थओॊ
ता द्वा
इस तयहतऩवकेऔ
मोंतकक
था
यए सॊफॊ
टेछो
जाते
त्त्तधहमया
भसूस् व् ोंद्वाकायखाने
हैं मा उद्मोग के बीतय। इस तयह के सॊगठन गट,ु
गगयो
ह, भैरी सभहू ों

ऩोक रूको भान
तेह।ैं फडैं आदद मे ठगसॊ
न अऩनी
गनतववगधमो
ं कोररत
त् नन
मॊकके
नेय मॊ
सरए
व त्के
अऩ
नेस् अनौऩचारयक भानदॊडों
को ववकससत कय
तेह।यैं

ॊगा
(ग) सॊघ सॊ
डगठन मथमऩसेू
की
नोंमत्नसनट्रेता
बू
भका औय बागीदायी मा बागीदायी स है सॊघ की गनतववगधमोंभें कामकथ
ताथ।
ेड ट्र मूननमन औद्मोगगक अशानॊ त को फढान भेंऩवूत्भहणथ बूकगका
भसनतबा
नऔ
शाॊ
हीद्मो
यएहैंफना।ख
यनावे
सभकों
श्र क
औऩचारयक औय अनौऩचारयकफॊ सॊ

धो को बीररत
त् नन
मॊकय
तेह।ैं नइोग द्मउ क तीन सॊगठन
नकामथ
ध फॊकीथर
सो
च,
त्प्रतवतेयी
वकी
हैंस्का

यहो औ
बाज
कयसेममोंत्तनन
नभा
रण,
प्रअ
बौनत
न्थमॊ
सा त्कभचारय
कस् त् के
मों व्म
त्त
व त्तऔय उनके अन्म सॊगठनोंभें बसूभका ननबाने
का अनुबव।
• औद्योगगक संबंध की अवधारणा, प्रकृ
ति व अर्:थ --
• कअगॊ

गगकरभ,श्द्मो
है।
औ त्तव स्भें,वा वहृ त ् सभाज

वह उऩ
तता
बो
ाज भें बी
उसकीनत प्र ा ष्ठ ू व बभकास है।त्त
अस्ु, उसे द्मो
उ ग, ऩरय
य वाव
फहृ त ् सभाज क अे ग ॊ के रूऩ
भें एक ही ूस भका का ननवाहथ कयना होता ह।ै
साथ ब
तीनों
स् यऩ ही
त्तयों सम्फ
न्धों
त्तय
त स् फना यहना व इन बसभकाओू ॊ भें
का
काप्रयभसा
एक त्मस्ॊ
ज बी फनानाहय
अन
मनथ।वा है केकों
भस एरसरथनससश्रभा
कका
मथत् वना
तस्व
ऻानन
वैनो
भ क दफा
व का कायण न फनें, तबी हम‘बूसभका
ओॊ
का
त्म’
भॊ
जस्
सा रसभक
श् ाप्
त प्रकय सके। गा
• औद्योगगक सम्बन्ध की ऩररभाषा:--
– अग्ननहोरी ( 1970:1 ) के ववचाय स,े ‘‘औद्
मोगगकनफ्ध
सम् शब्
द रसभकों/
श्
कभचथ धकों ारय
न्फ वमोंके प्र मभध्उनधों न्फसम्कोतमतव् कय
ताह,ै
मजो
त्ऺमऺ ऩत्प्रअरूभथमऺ
रूऩ
वासेघवप्रत्असॊश्रथा
तत्ऩ
ता
तउमो
केनधों
त्केहोते
न्न न्फ
परस्
चफीम्स ह।’’ैं

– वी. बी. ससहं ( 1971 : 9) के धोंअनुन्फज


य,
कसाधत्म्स
ग‘औ

भा
‘फ
न्साद्मोम्स
का एक भहत् वऩणू थ बाग ह,ै जो आध ग ुभेंकों
नन
भता
तमा
सता
मो
नऩा
वजा
कह,ै
श्रद्मोउ ॊअ
भेंया
न्नशों
बसवका
वज
नक
मनमा
मभत्नताजा
ज्द्वाहैथा
तया जो
मा याक्रकओॊ
थाद्वावत्मवोंज
कस्अ
न्सॊ
त्तभासा इसभें याज्
म क

मथका वॊएकों
ओॊ
तता
भनमो
स का
,ऩों
रीकेणा
मकनअनश्रठराध्ग,धा
सॊप्रवै
(सॊ मात्
ख् यभक त्तऩय)स् तथा आगथकथ त्तय स् ऩय ऩॉूजीवादी व्मवस्
त्था,
औद्मोगगक
तभ’।’गठसॊ
नजन,तमो
नधी
रत्त

तेशभहैंश्रघटथा
तहो क
यन्फम्जाफाम्सत्

– इनसाइक्ऱोऩीडडया ब्रि टैतनका ( 1961 : 297 )ध कगभेंफ


न्कीऔ म्सद्मो
कयतेष्टऩहु णा
यअधा
वत्एकोखा सरस् मा ग हैकध गक‘औ ‘फन्यकाद्मो
चावम्सव
म ज्था तऔया
धों
कभस
ओॊ
तता
नमो
यतन्फ
एवॊकेश्र उम्सनकेत्तनों
ठगक
सॊ
तस्वव
ह।ै इसकाय, प्र इसके गतअन् तथ तव्म
गतध, न्फसम्
त्त साभूदहक सुझाव
णारी
प्र
वॊकों
भएसओॊ
तता
नमो(श्रके फी च) दभ,ूसा ध हथाककेफ
न्भघों
(न
आतनतसॊ
मो
ओॊ
या
ता
दरसम्भत्फी
की
च)
वॊम्मको
ए,स्मी
गश्रवथा
तमक
ज्त्सआ
द्वाश्वयाव्
कमा
जाता ह।’’ै
इस
काय,प्र औमोग
द् क
ग सम्
फन्
ध की अवधायाणा क अन्तगतथ
औद्मोगगक इकाइमोंभें ववसबन्न
यों
ऩयत्तकामयथ
स् तभ श्रशत्
त वॊएनमोतता
थत ा उसक
थान्भफ
सतॊ
सत्
न्फ
म्ककेभमत्रता
म्ध्भत्सस्प्रककमा जा सकता है जनका
त् धा
सी
को


भसय
स कीश्र
उत्
ऩादकता व उनके कामथ सतोष यऩ ऩडता है।
बा
यत के औमोगगक
द् वाद
वव अ धनगनमभ 1947 (मथा धतगसशो
1984) के तगतथ
अन् रयवा
ऩ द
ननवाय
णऩमाूकीम्सक्रकण प्र कनथधावै
ववगध तथा साभदू हक सौदेफाजी की कक्
रमाप्र
वए
भशीनयी को औद्मोगगक सम् फन्
ध केगत
त भन्स
असत्
म्रत
ककमा ता जा है।
• औद्योगगक संबंध के भागीदार
– जॉन डनऩर (1951) के ववचा
य से, गगक
‘‘औ
द्मो सजभा
को
धों
भतचऩता
जन्न्फ

देगरूश्,हैसेम्औ
सद्मो
त्नन ह न्ज त् , था
कों
तभसधयसका
यन्श्र
फथफ
धकेसॊ
तअ न्क
प्रहा जाता
ह।ै ’’
मे तीनोंही ऩऺ एक दसू ये बाववत
को प्र कयते हैंतथा
औद्मो
गगक सम्फ
धों
न् का ढाचा ननसभतथ कयते हैं। ती नों
य का योंहै:नणयवदा म्गीप्रननबा

• श्रसमक एवं उनके संगठन –


– इसके अन्
तगतथ रसभकों
श् के
त्तत
म वैक गुण, जक-त्भासा
कॊ त् स् सा ृ नतकृभष्सबू
ऩठ क क ,क्षऺ क्षऺ
शै य, त्त स् ता
म, ग् क
मोु शरता, मका
तन के प्र
गच,
रू वॊएउनकेनतक नै चर
रय यऩ अगधक फर ददमाजाता । है
रसभक
श् गठन
सॊ दम सही नेतत् ृ व वारा हो तो औद्मोगगक
इकाई भें असहमोगात्भक वातावयण का सजृ न हो
सकता है,
त्जसभें रसभक
श् अऩने अगधकायोंवएॊ दानमत् वोंके भध्म
सतॊ ुरन त्थावऩ स् त कय उत् ऩा
दकता भें फढो तयी
त् कय सकते ह।ैं
• प्रबन्धक एवं उनके संगठन:–
केकों
ध सॊ न्फ
गठ–नऩवूएवॊ थ भें
त्भहप्रणथ का
मथबके धोंका
ू भस
सभ। न्फ क
तेगनबाइकसहऔ
ू हैननम्सनों
भेंृठगभाण
द्मो
सॊ
की
कता,नत,नप्रउस ष्टशवव
सॊों
स्क त् ण,
षम, प्रश्क
यआॊ
रतप्रेसॊ द्देउ
मअ न्नों
ठगसॊएवॊ सभूह केध थफ न्सा
आदम्स यऩ यजोै मादता
द।जाह
कों
धकेफॊसॊ गठनप्र एवॊ भसूकेहों थसाता तकेकों
धमो
नकेयधसगॊ न्का
फककेफ
न्क
हैसथा
तठनता
तम्वॊ
समो
नएमप्रसभकरयज्(मानी
या सयकाय) से ककस
यधकाफ न्केयखतेम्सह,ैं
प्रऩा की
धोंव न्फ कगबाबीसइका
म्औ
सद्मोप्र
ना
चका
यस सॊ
वों
भयऩुैधता
तचडत्ऩज
गक।मननठहगछेत्सॊ
न्ता


तनच्दा
भामो नु
सा
वनरऩाप्रकयके कनथा तधा
क्भों
मकानथनहववैनम्सन कयक
कगग यवसका यधबासेऔद्मो
क भफन्छेफनाअज
का
सत्च्,म्प्रसक
या
तेस का
त्हैं
धो
ं न्फयऩ म्ता डस
ऩ ह।ै
• राज्य अर्वा सरकार की भूसमका:–
– म ज्केयाथ थ मऺकामऺ रे भेंजथवसा नक रऺे ध मोंकेकी
कगइफ
न्कका
इऔ म्सद्मो
साथ रीम हीअॊ याथ
त रभ ष्ट्श् सॊगठनाया द्व ऩारय
त्तावों स्त प्र व ननदशे ोंव
अन्म
मममऩऺीव थात ऩऺी द्व ष्ट्री थअ ॊ या
त मों
धगकेसॊअ नु ऩतनरूनीथनयधा णय तकयकेह फे
ोगगक
औद्मधो ं थाऩ न्फकी म्त्स
नासभादह स् त ह।ै इसके अनतरयतत सयकाय

या
नका न्नही
ूबसववन एद्वा फनाजाते ,है इनभें सॊ शो
धन व धसु ा य ता माकजा
कहैथा
त हतक
फेयग रऔ
भहौद्मोफनेनाके एसरओॊ
चेकका
मणथनमा
ऩउवभा
मा
ननढाॉ
ु बी
तक्र
कन्क

मानयी
भता
शी
,।जाप्रह
• औद्योगगक सम्बन्ध के उद्देश्य:--
अगधकतभ ववकास कय
ना,सभकों
श्र व नन
मोतताओ थावऩ
त्धत स् कय
नातथा
का
ामकथ
उ धों न् फ म् स ायी
फॊ
सॊ भान
व ससॊ ाधनों
कोत्च्
छत

बौनतक सॊसाधनोंकी अऩेऺा गनत
दानप्र कय
नाह।ै स,े
वै औद्म
ोगगक
भरू दश्मे
उद् दो ऩऺों, अथाथत ्

धो न्फ
कसम्
ा थ त् स्,वकों
धकेमन्फछे
ध्भत्एकों
वॊ
अभच्सथा
तप्रस् श्र
सनायका
कका
वव धों न् फ म् स
नफ्धो
सम्ं के मश्ववसशष्
नकाय
नन
म्प्र ट द्देहै
उ :

कभ–स केथा
तनों
की
ता
ततों
श्रहमो
नददो
यऺाकयना; भेंइसकेएकतणनऩऺों
एसको
रनोंदसकेूभदोझप्रष्टयेवकेत्आ
। दक
ना
यदृन्नऩवबात्उ

मों– की
मदों
कभगकथा
क्ष्यो
वावरऔवकना
यद्मो
कतानदअगधकऩाकेष्ट्रीत्उया
की ऩनू तथ हो सके ।

– कन्नयऩतनेणनऩथूकेत्उ त्एसथरयज
गाअ
स्यो
गधकी
कतभयत्ज
गाभयोएतवॊकधगअ
ऩादन
त्उ का म ससर हा रक्ष् कय ना

– भ फदरी
श्र व अनुऩत्स्
त्थनत की दय भें कभी कयना।

नाऩकयना
था
;र–इस
तॊ
त्की
केजास्नकगएधसरतनणयथभेंऔ
नी
प्रन्फधा
द्मो
ननव प्र
कभस वगथश्रतचकी ता
।गकना
यश्बा
सह ुत्नन
–सभकों श्र को ससववर सोसामटीका अॊ ग फनाना, ताकक उनका
हाय
वम व् तक आधारयत
तथा याष्ट् रीम
मोंकेरक्ष् अनुऩरू हो सके ।
• हडर,ता
दी,व फ
न्याआ
राघेता
द भें कसभीमा
नेराकयका
ना; प्र इसके एसर
रसभकों
श् को उऩमतु त भजदयू ी, च्छी कामथ दशाएॉ, अ
अ च्छी यहन सहन की
दशाएॉ
तथा अन्म अनषु ॊगी राब सुननत् चत
श् कयाना। साथ ही, रसभको
श् ं को
कामथ क कधअ
गतन सभतऩथवप्र । नाफ
ना
• औद्मोगीकयण के त्वरूऩ
परस् उत्ऩन्न साभात्
जक असन्तुरन को दयू
कयना तथा
आस-ऩास के वातावयण को शानॊ तऩूणथ फनाना। इसभें औद्मोगगक
सम्फन्धों
की
भहत्वऩूणथ बूसभका होता ह;ै इसके सरए याज्
म को बी आशव ्मकत्तऺे
हस् ऩ कयना
।एहदचा

• कु र साभात्
जक राब भें फढोत्तयी कयना।

भस • श्र
।भमकना
का

•वबको
दों
ना
कगरसम्था
टा
मवा
ववऔ
वद्मोधभधु
। ना
यफ
न्फ
नाम्स

दा
स देनबाननद•कऩाप्र त्उ
भश्रगी
ु क्रत्शक
• औद्योगगक संबंधो ं के तनधाथरक कारक:-
• औद्मोगगक सम्फन्ध शून्म भें ववकससत नहीॊ होत।े मे उस
वातावयण सेबाव
प्रतव होते यहते हैं, जसभें
त् रसभ
श् क
यहते व कामथ कयते ह।ैं इन का
को
कों
य दो वगो भें वबतत कय
सकते हैं: –
(अ) तग था
यकका त्(फ)स् आ
सॊथगकथ यकका
• संस्त्र्ागि कारको ं के अन्िगिथ
मजकी
यानतनी, भननूकावश्र वनमभ, कभस घ,
सॊश्र ता
तमो

सॊ
घ तथा भात्
साजक
त्था
सॊ
स् एॉ(जसेै कक सभदामु , जानत,
समुॊ तत य,

कवा
यस,
रऩस

भू
थवाल्
त्धाभभा
श्वसाम, , मेंया ऩयॊ
ऩ दद)

सत्म्भसरत हैं। इसभें कामथ के तन असबरू प्रगच व रूगच,
शत्तत क
आधाय, त्तय
स् व अनऩु ेेयथ ण, रीआ णा
गेोदकआ द्मैबीप्र
सत्म्भसरत है।
• आगथर्क कारको ं के अन्िगिथ
आगथकथ ववचा यधा
या(जैसे कक ऩॉजू ीवादी मा
सा
म्मवादी),
गगक
औद्मो ढाॉ
चा (जसेै कक ऩॉूजीवादी ढाचाॉ
), आगथकथ त्थान,
सॊ
स् व्म
तगत,
त्त
म्ऩनीतथा सयका
क त्वा
यीसभत्
स् व, ऩॉजू ीगत
आर0 ए0 ऱ ेस्त्टर नेभ फन्
श्रधवन प्रकमे ध्भ
सम्
फन्
धों को
सद शतथ
प्र कयने के सरए तीन घटक
ए हैं:ताफ

1.

कन ननन आथगकथ वैऻाजक , नो
वैऻा
त्,भा
भसा व,माॉ

तनजनी
जो
यात्त
शएक ओय न
तनी नधनधा
थयणकी
न्फथवमका
था
ता प्रहीकीथा
तसदू यीओ
भयकीमोंसतथघॊ
वमवका
श्रवकेत्कती

यबा

मों
रवध
हीगको
का
हैऩ
दास्;दसप्र
का
धोंकेकों
भढाॉ

था
तन्फतवकों
चधफी2.
म्सत्त
श्रशन्फ प्र
3. रभ श् वएॊ रफन्धन प् के फीच शत्तत का सॊतुरन।
ूरस् का मरेथ घटक था तय का
शेषक दोप्र
काय कों
को शककत ढाचॉ ा घटक कहते ह।ैं

–तऩनइव ककथा
एसबीकों
टभेंघयत्मवका
सभन्स्इस प्र
जा नेकी आवश्मकता है क ोगगक औद्म तन को शाॊ आगे माफ
ढाजा सके ,
ताकक उद् मोगोंभें भानवी
भेंधोंसया
ुयऩन्धाफ
ूकेमणथयद्वाम्ज
गासयोकी
थनत,
त्त्स्ोगगक
औद्म

रजातॊर
प् का ववकास तथा राब वएॊमणनन थभ वएभें श्र
रफन्धन
प् की सहबागगता के फहृ
त्तय्मों
को
रक्ष हाससर ककमाजा सके ।
• औद्योगगक सम्बन्धो ं का
ववषय औद्मोगगक ऺे
सम्फन्

अतॊ ननसबयथ ता ह,ै
:--
ध कोई असाधायण सम्फन्
ध नहीॊ ह,ैं ल्क
त्फ मह एकमात्भ
क्रक क
जसभें
त् ऐनतहाससक,
आगथकथ , साभात् जक, भनोवऻै ाननक, जवै वक,
कमनसा
तवक,की
नी
मा,जया
नतव्क, क
नधा
व था
तम अ
न्णों
का
यचनमअध्क।माताजाहै

वी0 ऩी0 माइकऱ ( 1984) के दो शब् ं भें, ‘‘म द हभ औ द्मो


गगक वववादों
(अथाथत ् अच्छे औद्मोगगक सम्फन्धों का अबाव) को ककसी ृ वत्
त का
दु न्फ
भा
नेंि
केतोहवृ
न्त्त्रभेंगों
।वटतगाबा
फॉ
न्नएबसवजा

उदाहयणाथ,थ कामथ कीदशा
ओॊ कानमअध्भुतम:ख्यदजभू यीयथा
तज
गाकेत्तयो
की स् सुयऺा आदद के
सम्फन्ध भें ककमा जाता ह,ै
जोकक
आगथथक ऺेर भें आती ह।ैं वव
वादों उ ् भ तथा ववकास इनतहास क
का दग
रऺेभें आता ह;ैकज कउसत्स्त्र
रासे
घनटवनेभाशा
जवा
साहोभा

रऺे,भेंकों भस; श्र ओॊ
ता
तएवॊमो
नयसका
य था
तयचाआ
सभारोंदऩ क
ववचाय सभाज भनो ववऻान के ऺे रेभें
भें; ; उनसयकाय
की साॊस्
त्कएॉकीृ मानतनी
तनक क्रजो
कॊ तअ वववादोंक
साॊस् त्क
भाभरोंभें नतक
ृ अऩना नग
ई जाती ृ त्व है,शास्
त्र याजनीनतशास्त्र के ऺे र भें ; वववाद क
के ऺ
वैधान रनक त्व
त ववगध के ऺे र भें ; रसभको श् ं वएॊ मो नतताओॊ के भध्म
म मष्ट्रीथधगसमो
हयाफ

न्तएमाॉ
केवॊ
अधगम्ससॊ
येफाभेंष्ट्री ॊ
या
अत
सम्फ ध न्के ऺे र भें ; वववादोंकेबाव प्र ज
न(त्
भेंनसरभश्नत
शानी ऩय प्र
शासभर हो) रोक रशासन प् के ऺे र भें ; औय तकनीकी ववषम से (जै ताऩ
मॊ
रण
नन तथा वववे कीकयण की ववगधमोंका उऩमो ग) तकनीकी ऺे र
भें;तथा राब अथवा
हान न का ऑकरन गणणत के ऺे र भें आता ह।ै
होता
का
धों
ष्टतजाऩयो
उहैमवकषम
न्क
फ गत्रसे
त् औ
म्ऺे
सद्मोस्
नों
एवॊस ववऻा
न्न

वऻा नकी रोंऺेअॊतनबथथधक
ण। थभा
ता
यमेफ
न्गआ
हैकाम्सप्र ,
जकक

नन त्,भावैऻासा
भनोवैऻा , नतक
जनी
या,म


सा
कव् की
तकनीआयद काकई प्र
काय कों
से रबाववत प् होते ह।ैं

–धमक ।वी
गनफन्भायधा
ओॊ
णाऔम्सद्मोओॊ
णऔ मा
तेहैंयकाहोश्रभसक्र
क का
मथ प्र
धमागेछेफ न्अच्हों
तु
ओॊ
गम्स
तयऩये,ओॊ
वना
मा
बात्तमह औव्यक्रक का मथ प्र
यबनन
कय ताह।ै
– यधा ओॊ
णा
स वावॊकेएथऩतन,
हचा
गतश्ववअन्वबा ुक ता, तणनयवॊरऩमएकाके सरए सॊ
कल्
ऩ बावनात्म्
सभसरत ती
हो ह।ै न्हें
इ सभझनाभनोवैऻ
ाननक नमअध्का ववषम ह।ै
–,माता कभओॊ
सथणयणनधा
थममा
,भेंक्रक,च,मनक्र
कप्रा
का
मथआप्रशदेप्र नरऩा,
सुवझा,माएवॊका मथसक्रकुयगहनताैं धा
,तमा प्ररसभ।नअआ
ुहदम् क्रकत्सॊनधा प्र
इनभें
सुधाय से सॊगठन वएॊ उसके साभात्जक दानमत् व की ऩूनतथ होती ह।ै
अॊतयाथष्ट् रीम भ श्र
ता नठगरसॊथा
त नेतॊ गसमो
‘स
हवगहमोके त्कीयअ धका
गस् कीयऺा ने,तठदगहोसॊ
के
व भसा न्ूकहदत्फेतदसौ माााजीन्कीद्का सक्र
कअगधय, कादभूसाहक सभझौ ता,
गकेमोंयनों
केता
थ,ठरथगणमनचसॊ
मो
ऩॊ
चत्ऩाफीह,मा
स्मसवॊमों
एयथा
तध्रव्भकाधअ ग
को
ंधो भन्के फश्रसम् तगतथ अन् सत्म्
भसरत ककमाहै।’
• डऱे योडर के
– ‘‘औद्मोगगक
ववचार स,ेंधोफन्
म्सके अन्तगत थ बती, का
कों
ध,
चभसमन,
शऺन्शऺफणश्रमवगीसेप्र
तरसभ की
म् ।’’ती
जा
माॉ
त्सतभधी
नसा
ूनी
कहन्फदजी
फादेम्सौ

काय,प्रसइ औद्म ोगगकधों न्फसम्का ऺे


र कापी
माऩ
व् क ह।ै इसके ववषम ऺे
र क
तयो
उऩतग अ केन् थसातरसभनहीको
,तोंकमा
म्फा
नता
बी
नजात्सहै:-

– कग औ ऺेद्मोर सेकेमों
का
धों
तजचु ननभाथण
फी
न्फडेछेत्तमअच्सबी
म्सव् एव
उनका सॊधायण।
– भानवीम ववकास को रोत् प् साहन
– न्नऩकभचथत्उभेंमोंभया टी
रना
वबाकाणथष्ठाभा
ननवॊनएउतनभेंननठगसॊके प्र
।कना

– आऩसी सम् भान, बाईचाया वएॊ औद्मोगगक सॊस् त्थान भें कौटु त्म्फक
सम्फन्धों का
स।का

न तथा
नभें णका
यव–त्शाॊ
ताकगवा
थस
तभनस्। क

ना
यसॊ
द्मो
सामत्सका
व कोप्रो –नदष्ट्रीकगऩा
वॊएयात्औ उद्मो
– सभाज कल् माण को फ ढावा।
– ऩरयष्कृ त ननमभावरी वएॊ कामथ रणारी प् का ननधाथयण।
–कद ऩा–ता तत्उबो
ऩउ– यसका
यवसकेवामणका
यवता
श्ध्भववा
वद्भा

थस
तभन ।क
ना

• औद्योगीकरण नगरीकरण
संबंध:- औद्मो
गीकयण' एक साभात्
जक तथा आगथकथ रमा
रक
क्प् काना
भ ह।ै
इसभें भानव-सभूह की
साभात्
जक-आ
त्थन
तगथ
स् फदर

थ त् जाती ह,ै जसभें
त् उद्मो
ग-धन्धोंका
ैता
रा।फा
रहो
हफो
त:ु त्त स्व मह आधुककी
यणनी का एक अॊग
ै। ह
नेकी
फभा
ड-ऩै ऊजा-थ खऩत,
फडे ऩैभानेऩय उत्ऩादन,
धातकु भ की अधगकता आद
औद्मोगीकयण के रऺण ह।ैं एकरकाय
प् से मह नभाथण
कामों
को फढावा देनेके दहसाफ से अथथ रणारी
प् का
फडे ऩैभानेऩय सॊ
गठन ह।ै

नगरीय जनसंख्या ववृ ि काकारक:-


मू
ऩ योथा
ततमसॊ
ुतनमतकज्का
अभयीयाकगभें औ
क्राॊ
द्मो
त्वरूऩ
परस् नगयोंकी सॊख्मा भें ववृ द्हुई ह।ै भशीनोंके अववष्काय क
ऩरयणाभस्
त्व
ऩ रूरसभक,
श् सशल्ऩीऔय कायीगय फेकाय हो गए। इन
फेयोजगाय
को
कों
भसनयगभेंरों
गश्रऺेमो
न,यऔ
ख दनों
केक
यऩगशी
ता
भमयमा
ऩा
रू
प्र।स
रकवकेयऔ
णनेका
यी
नगस
भ्मा
गयद्मो
ऩफ
इसभा
डेसत्का
वउऩैप्रस्भस
के तणा
यऩा
ूररऩहुआ।तयबाभें मू
ऩ योऔय तमसॊ
ुमतज्का
अभयीयाकीहतय कयणयी
नगमानहीॊ
कीहक्र
ुक। ईतयबाभें नगयीकयण के ननम्नसरणखत
• येरो ं का ववकास:-
• रोंके तयेतसका
यव।रान्भेंनेका
रोंदी
बासयतयेका
वत्बाऩारभेंदो
ऺे
केमाष्टआ
मकभेंओॊ
ता
वश्यखव्कक्रा
यत्कोककमा
दृ मगा था |
कननस•शाआ
मकराओॊ
हता
ऩवश्प्र कीनऩू तथ के ।एसर
• सकयदुरूऐॊ
िों
ऩा
त्तयऩकेतऔ
रमाया
स्यन्वनेक
यरव्भाकेत्रकच्चा
एएरस

• अकार:-
– 19वीॊ शताब्
दी भें बायत भें ऩडने वारे अकार बीणयभेंभी
रों
नगयी

गाऺे
यो
नवमा। वृसभरमी
ग्राख्मदा
यद्हेसकनेयसॊ
णहैंज
मागा
नकेजभी
ख्यो
त्तकी
शउसॊ

नरायणका
ताभेंकी
योंगग्रा
नओय चर डी। ऩ इस
रकाय
प् 1872- 1881 औय 1891-1991 की अवगध भें बीषण अका र ऩडने के यणकाकी योंगनतमा
यप ख्कासॊ

नमऩरा हो
। मा

– नगयीम जीवन का आकषण
– नगय जीवन भें कु छ ऐसे आकषणथ हैं, जो राभीण
ग् ऺे
भें
रों ददखाई हनीॊ
। अतेडत्धनी

जभीॊ
दायों
ने बी 19वीॊ औय 20वीॊ शताब्दी के ऩूवाथद्थ भें नगयोंभें
फसने ृकवत्ीप्र
तत् उबयी।
– मोगो
द्उ ं का ताय
त् स्वव
भेंयोंगननेहो
त्तशख
भकेयणका
ऩने।त्तागी
ना
श्ररऩका

गों
स्था
वयव त्ऩ–की
गोंद्मो
ु उनेस्यानमे द्मो

• नगरो ं मे ं
त्र
स् ्ायी» बसरोज़गार:-
ू भहीन
सभक
श्र वगथ त्जनका भरू सॊफॊध कृ वष से था, राभ
ग् तथा
क योंचफी
ग नआनेत-भजानेका
रीत्त
शवा श्रहीएक अ
ॊग। थाइस वगथ के त्जन रोगोंको नगय ऺेरोंभें
त्थाई
स् योजगाय
अथवा अऩेऺाकृ त ऊॊ ची भजदयू ीसभर गई, वे वहीॊ फस गए। इस
रका
प् य मह कहा जा सकता है कक
कयणयी
नग केकागोंसऩवका
सवका
वूमथसभेंणगधवा
कअ न्तसबी
शों
द्मो
उहा
ुभेंयत्त्हभदेन्कतयबा
व तभेंबाना
तइही
नशसइका
स प्र
। तयथाबाभें ऐसेकी योंमा
गनख्सॊ फ
हुत कभका नसका
ज वहैत्मे न
उद्मोगोंके कायण हुआ हो।

• नगरीकरण और आगर् कथ ववकास में सबं


धं
हैं-
:- अथव्
ककसी बी थत्था
मवस् भें आगथकथ ववकास के ननम्नसरणखत तीन रऺण

भुख्म होते

त्तमतन• व्भेंवतवृ
त आम प्रय हो
कन्नद्उका
ता
गों
सकेत्तनवजी
रो। स्
• ननधनता येखा के नीचे यहने वारी ख्मा जन
सॊ भें कभी।
• फेयोजगाय की दय एवॊ आकाय भें कभी।

आकॊ डोंके आधाय ऩय जफ कु र जनसॊख्मा भें नयग माजख्नसॊ


आम
केतुऩानअभें मह सफॊ ॊध गुकॊणा
औयरनतप् व्मत्तत रा थकाषनकन ष् नन
राता
का
नजाहैतोहव 0.5 आ
।ताइसहैसे मह जा सकता हैकत कयणयी
नगआम
त्तमतनऔभेंयव्भक त्प्रसक
धफॊ
।या
सॊ हसफॊ
है ॊध गुणाॊक जफ
तक
ुकहीहसम स वह
तो
ताहै जा
• ऩयाथवरण ऩर प्रभाव:-
यसेवी
तयष्टका
बाणयवथवख
की
त्मा
ऩत्हवु
कैंकी
सा
मा
बश्फवस्रावतदृ की एकथटऩो
यर भें कमा। मा
गउसहैके सनअु ा
य 2020व तकभें श्तयसा
ऐबावशेदव गा,ज
हो
सकेत् हवा, नी,ऩा जनभी औय कयणऩनों
गीव औ
का
दाद्मोमा
सफसेज्
वफा दगा,होथवहाॊमा ऩ यण फकुडृगफ
यीहतयगा
एजा
नतक
, धनों
त्रप्रासा
की
सॊसॊसाें टू टन गीरगेंऔय उसके एसर इसम्सका
वठगनसॊ
त्की
' भकी
तस् भा
नेंवा
चम्तो
मुना
वा
ुढी
जरका
केत्त्टेव।यखी
भेंगीश्ए'व

वरस्णषहोबीफ
थडा
नतववा
यरऩखतयात्फवनताभाजा
स्
ैहा।यह स ऑप ग्डड सीरशमटयॉ टी
मद'सा
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सो रनी-भा
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भें'प्रो
नीधशोत्रि त्रऩ
भ ष्औमोंयभेंनों
कों
सवा
नहनेनववाजी
वैऻा
खट्रत्वैऻाु
सा, राक यों
स्मा
घवपैत्तहैरीज
फकत् त्र
के नोंध ईं जरने सेदानेहोवारी ऩै रीन
ग् उस
हाोफग्ररगै
सेंवासभगिं के सरए दाय त्जम् भे
ैं। ह

्मवास्
त् 'ववश्
सॊगठन'
त्व स् के अनुसाय जरवामु ऩरयवतनथ का न के वर
त्वास्
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स् ऩय
बाव
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यी
ऩत प्र ऩडगे ा, फत्ल्क रभख
प् ु खाद्मोंके
उत्
ऩादन भें बी मकभी
कृ षवआएगी
अनुष्ट्रीनधा
सॊऩया।कॊ
यॊ
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नुयसा2050 तक तयबाभें सूखे केतयणशकाकततनहेग। की
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भी आएॉऩा प्रककीत् इसउ कभी से तयबाके
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यो यी
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कगा।गयऩ हों -द
नदनोंददफ
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ढआ दीफाऔकणयगी औ
कद्मो
यणका आनेभेंरोंरेवा
तयसा बाभेंकटसॊ
द्मखाकासहज जामा अ
ॊगा
दारजा सकताह।ै दयअसर,
वातावयण भें औद्मोगगक कार भें ऩहरे की तुरना भें काफनथ
डाइऑतसाइड का सके िणदातशह30
मा
तनुज्आ
ैप्र। ह इससे असह्म गभी व रू फढगीे औय खडी
चट्
टानोंके गगयने की घटनाएॊ ।गीफफ
हढेंुदातठॊड,
मा ज् फ
हुदातभी
गमाकेज् यणकावना
तमा


भमा
ऩोईजै
हासी फीभारय
माॊ ंगी
हो औय ददर
तथा वास
श् सॊ
धीफीभारय
फॊ समों
होनेवारी भौतोंकी सॊ मा
ख् भें बी इजापा होगा।
• जीवो ं के सऱए संकटकारक:--
नदु मा
न यब कणयभेंगी औ
सेद्मोथऩमा
वयण कोजोकनु नसा हुआ, उसकाजा

ॊदा
सी
इतफासेमागारजासकता हैक तभवथ ा
न भें 30
मीऔ
ऩानय, वतश12
त्मों
तण23
त्त
का
शणनमों
तडनडखतये
चउगबमअत्स्
चस्य प्रत्तप्रप्रा
भें ह।ै मह अधॊ ाधधुॊ फढते
औद्मोगीकयण का ही नतीजा है कक हय सार 45 हजाय वग ककरोभीटय जॊगर
सभाप्त हो यहे ह।ैं दनु नमा की 60
नतशप्रतभखुप्र नददमोंऩय फाधॊ
फनाददए गए हैं, त्जससे भछसरमाॊ 50 रनतश
प् त तक कभ होैंफ
ईगष।ू
दढतेह थऩमा
वयण सेप्रनदु यबमा
न भें
मों
मों क्षऺक्षऺऩ की122जानत
प्र का
वत् खतये
अत्स्
त्त भें ऩड गमाह,ै त्जसभें स
28 बायत भें ह।ैं

• काबनथ गैसों के उत्सजनथ मेंववृ


ि :-
औद्मोगीकयण का एक अन्म नुकसान काफनथ गैसोंके
के ऩ रूभें साभने
आमा। व
उत्
सज
सका
व ,नकी
,मों
डसी
एचीज
मों
गा
दौजैभें फडी
ट्र-फ
ों
डी पैत्त कता दी, रेककन इनसे ननकरनेवारे काफनथ गै
सोंके सजन त्उ
भ स थकोतो
भनेह खूफमाथ
ऩसेप्रा नुकसान
वयण को हो यहे की ओय हभाया ध्मान नहीॊ गमा। आज चीन दनमा ुभेंन
सफ
सेअगधक काफनथ ग यद 21 नट

सजनथ
त्उ की दय 1.2 टन है, जो ने वारे
बायत अऩने वव

चॊमवा
तस
र त् भशी
स्त्वचाऱन:-
नेंस् (Automatic Machines) सी
ऐसभजो
शी
मानेंके
वनहैंभाफना
प्र त्र बी रचार
प्
सीकक कामथ
न चक्र
को ऩणूतथ : मा अशत: ।सचा
तसॊ
रसी
ऐ कती
यभशी
नेंहैंके वर सेऩका
मों
श ही
थ रूऩ से मा आसॊ शक
चॊमवा
तस
र त्सेहोसस्।कती
य का
[1] हैंका

णतसरनमेका
मम्थनप्र कय सक:ती हैं
1. भार तैमाय कयना
2. भार को सॉबारना
3. भार का ननयीऺण कयना
4. भार का रहग् सॊ कयना
5. रभाकोकैऩ कना

• तरऱाभ:-
सनों
के शी
भचाबरामॊवमे: हैंत् स्
•• 1.
2.भ श्रकी रागत सभम
उत्ऩादन की भें
कभी,
कभी अथातथ ् ननमसभत सभम भें अगधक उत्ऩादन ,नायक
• 3. रचारक
प् की आवश्मक कु शरता भें कभी का
,ना हो
• 4. तमाै य भार के गुणोंभें सुधाय,
• 5. अदर फदर भें उत्कृ ष्टता,
• 6. रचारन
प् राॊनत
श् भें कभी का होना, तथा
• नइकेबों रायणका हाॉ
7. औजायों ऩजऔय
हरे के वर उनकी
सेमों
नभुभकाष् मास
रता,जा
गहथा
मों,रृ
थव्मवस्
सेमा
थाजैत्काऔ यभें
सडक कभी
के ननभाथणों,
का होना। खनन, कृ वष औय कृ वष के अन्म काभकाजों
तथा अनके उद्मोग धधोंॊ चॊमवभेंा
तअ
हाॉ

रफ
वत् भशी
नेंस्ऩूणथऩ रूसे माआॊसशकऩ रूसे का
मथ कय यही हैं।
• स्वचाऱ
त् न का
प्रकाभ-धॊ
भावधे “भध्मभ-कौशर” से जुडे ह.ैं मे काभ हैं, सरवऩकीम
काम,

नरथासे
चा
केयवत्जथयऩत्अथथ

ूस्त्तवडेय,
रस्त्मअनेस्कस्व् ननदहताथथ
योंके
हैं सरएय्भ-स्
सत्त
यऩूत्थर
क्षकामस्
नर यचा
सेकवनेे
रेयवा
ऩथनतवयत्हो
रऩकत्तअनेस्त्थता
.हदनस् स्हैं के नतीआभमा: क
हैं ुथतनगकी
योंशगयों
की
र,भाॉ
यीगाभऩका
का
ुन्नैता
तीगक
भें गैं अरनता
सभाऔयनों
कोखा
यका
ऩुकयना
न्. सफसे ऩहरे तो
औयगाभ का य यऩ त्त स् व य भेंऩ
र तठ द ग सॊ ताजा हो
“कु शता
र” षाकीबा
सेयरऩ हीमह टकअ
धगकका प्र एगा कक काभगायोंकी
त्वचारन
स् के साथ ककस हद तक अनुकू रता
के ए,रस
ह.ै दउाहयकणयु
र यी
त्तमा
म-व
शा की
षवस्वकु शता
र के भटफ
मजाकी
त् “स

स्सु शता
र” की अॊ
तगतथ जदटर
ग के भाॉ जुडी सा
माओॊ
त् सभस् के सभाधान की ऺभता औय भानवीम धायणाओॊ स
भात्जक कु शरता की कहीॊ अगधक भाॉग होगी.

राभसकेभेंणा
यरफ ऩहुत अॊतयता.हो
हैइसका अथथ मह है कक न के सॊतुरन से कु छ तयह के भ-धॊ
काधोंभें
सों मा औय प्र धॊधे ऩूयी तयह
सुयगा
धाऔ
होय शेष का
भ- से टऩचौहोजाएगॉ .े दउाहयण के सरए, भदहराओॊ त्व
के वचवारे
स् कॉर
यटसके भ,का
पु टकय काभ औय
शासननक
प्र कामथ खत्
भ हो जाएॉग,े जफकक ऩुरुष
कभचार
के मोंय
व रेवात्टा
डनतरीस्अचऩव औरटज
यना
चयअ
सॊ
वत्डरेकी
भों
वाका एगी. इसके
ग ढफ जाभाॉ त्वचारन
स्
कायण इस फदराव भें रगैंगक ऩऺ भहत्
वऩणू थ हो जाएगा.

ॊत्तऔयों
की
यगाभऩतीका
ुना
केन्तैयणका “भा
मनफेवीटउडरा
त प्रॉतभथथ”कना
यत्गा,यऩहोजनभेंस्त्क
थान
सी
त् त्बीवयकपमस् सेयऩव् फ
सेकाभगायों
को ने के सरए
काअथथ हीफदर गा
एजा
. काभ- धक वणनथ ववसश
ष्ट “कामों” के रूऩ भें ककमा
ध गकाअ धों धॊ ववसश
ष्ट दय ऩय
जाएगा.
त्वत
स् ॊ
रयभगाका
य सुदयू टीभोंके साथ सहमोग कयने वारे नैटवकथ
की रेयणा
प् औय होंगे.
सॊवाद भेंइसक बाय
नेतवी
य रकायण
ऩ थ होगा. नइ ऩरयवतनोंके कायण नमे काभ-धॊ
काभगायों ं
धो क
अनुफॊ
ध कानअमू
सय न्तभ तवेन क
सभफॊता
तमो
व,
त्नॊ
के साभात्जक
धी
त्स्मनदाआ
त्क राब
औय साभूदहक सौदेफाजी के कायण आई कभी ऩय बी
ऩडगे ा.

• औद्योगगक क्ांति:-
तककी

नी
क, ,त्भासाआथगकथ औद्योगगक
तनथभेंकक्पीत्का
ाग्न्
ृफ
डा
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करादस्एवॊत्(Industrial
साॊ Revolution) के भना सेना
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ता
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महकहैयम्हो ऩवूयेश्भेंवव पैर
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इमाहीश् त् ऩ य राप्रा
ससरसस ग सफसेमोऩउ
त"
नद। मा
गब्कका
शग"औ
इसद्मो
क्राॊसॊ
दबथ भें
न इॊग्रडैं" भें सन ् 1844 भें ककमा।
कयणनी
भशी
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न्उ सकेथतू
त्सा
ऩा
सस्त्र
रकेवकगथसाऔ
क्रा
द्मो
हाहीफ
रोनेनाकीतकनी
कें आमीॊऔय धतगशोकोमरे का
बआ
ह। म्आ
यइ


धगकका।गनेउमो ऩगारको
महो
रे कोऩकज
यरातकी
ष्नेफ
गकावा
त्त
शमोऩउ
ग भेंन)दद्मो
उत-चा
भें।केनेतगा
सरऩाक
षशत्त
यनों
(व

होशेवशी
नेभस्त्रवसेत् उ
सदी
ुत्त।भथईकेन्नी
उ्स्प्रद दो
यकों शफदभेंजयऩू ी हतय से धातु से नेफ
यों

काजा
सका
वऩ सरूहवदभेंू
गोंभका
ु आ
त्। येस्आइभसनेद्मो
केउणायवार
रऩ ीभशीनोंके ननभाथण को गनत सभरी। उन्नीसवी शताब्दी भें मह
ऩूभी यचये
मूश् ो का
ऩयत्यी
ऩर भेंअ
भेथा
त पैत्तउर। मी

त की
न् धगवसभअ
मारगत्अ-अ
रगर-अ

गयगसकारहा
गतनइऔ
क्रा
तेनद्मोभा
नजय आतेजफककहैंत कभा
ननेन्।ुको
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त्छही
यनहीॊ
सका
तैहा
तनहैंइइसे क्रा

अनेककों
का
य चावभवत हैक गु
भेराशों
द के तों
णषशो औयकेटू
रस्रो के
नाफ त्र
सही
न्न हुत् ईकगतीक,गहोसका

मों
वतद्मो
औक्रा
द्मो

सरमे ऩॊूजी अनत क
आव
म श्चीज है औय हव उस सभम बायत आदद गरु ाभ दशे ोंक
सॊ
साध
नो
ं के शोषण से
ाप्त
प्र की गमीथी।

• वाष्ऩ इंजन ोग
औद्मक
गाॊ
तक्रन का
तीकप्र था।
• औद्योगगक क् ांति के प्रमुख कारण:
कृ वषाॊनत क्र
• जनसॊ मा
ख् त्पोट
ववस्
• व्मा ऩाय रनतप्फॊधोंकी सभात्
प्त
• उऩन
शों
वेन का क चा
च् भार तथा फाजाय
• ऩॊूजी तथा नमी रौद्मोगगकी
प्
• ऩुनजाथगयण कार औय रफोधन
प्
द वा •ष्ट्र या
• कायखाना णा
री प्र
• औद्योगगक क् ांति के ऩररणाम
आगथकथ भ:
यऩणा

उत्
ऩादन भें असाधायण ववृ द्: कायखानोंभेंत्तओ
वस् ु ॊ का उत्
ऩादन
वॊएअगधक कु श
शीघ्र रता से बायी
औय ववदेशी फा
भारा भें होने रगा। इन औद्
मोगगक उत्
ऩादोंभेंको
योंआॊ
ऩहजा
तरयुकॊ
कयनेचा
रकेऩा
गनतववगधमाॊ
मा
एसर व् तेज हुई त्जसस
कग गदे द्मो
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भा यरभऩ :
त्सा णा

माजख्नसॊभेंवतनवृ नेकग:द्माजख्वनसॊ औ
क्राॊ
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ृ कद्को
वन।ृदबस्मासॊ
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वत्ज उनन्नबो
ऺ गरेक
मता
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भेंआ
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द्मा
तकनी
खा
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प्र तथ । की सदू यीतयपमातताकेमा
केभधमसा
नों न्नउध्से
भा भाॊग
नदके ऩायफ का
ढऺ त्उजन्नरेनबोों

मताआ
भेंश्वकी
द्माखाऩूथतन ।सकीदू यीतयपमातताकेभममा केधसा
नोंध्न्नउसेभागभाॊके ऺरे ों भें खाद् मान्न की ऩनू तथ कयना
सॊबव हु म्आ।एवॊ त्हतफेयऔस्णषगधऩोनन
वाएवॊवऻा
व वऻा क
वसत्त स् केणय का
तनवजा शसु एवॊ नवजी की औसत आमु भेंववृ द्हु। ईृ त्परत्भमु यद भें कभी आई।


कनएका
त्गोंवभा
तनसा
उदम:नेकग भऔ
क्राॊ
द्मो
मुऩख्रूसे नतीए नवगों
न्भ ददमा।
थभ प्रऩूजॊ ीवादी वग,थ त्जसभें
काज वव
त द्
व्माऩायी औय ऩॊूजीऩनत सत्म्
भसरत थे। ीम मभ
भध् वग,थ कायखानोंके
आदद
ननयीऺक, दरार, ठे के दाय, इजॊ ीननमय, ाननक
वैऻ
कभसभर।शाया
सवती
थेगश्र
थ भजो अ
नेऩऔश्रय शकौ
रन।दसेऩातेक
यथेत्उ
न था कभत्मभेंधों
कावी
सॊ
नफ
त्टवमतभा
धॊ
गया
गफॊ
स्ना
वी
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ऩ,भा
वाों
सॊ
म्यऩकेबा
कोंनेभसनजरे।फरतनऩमा
गरसत्द्श्रभयऩसहोयहेद्मो
ृ उा थनस
र न तोतचगयरऩ थाऔय न ही
तचगयरना
ऩता
हहो
चा
था। मोगों
द्उ भें होने
न भ थकथआ
उसे ग मु
तत प्र ददमा।
वारी भशीन औय तकनीकी ने भानव को बी भशीन का एकसा
त् दहस्फना

कतन नैभेंभमोंटवूया
ग: ल्क
नगए औ
सजभा
द्मो टभेंक
वतनया
गगल्नैतभनभेंगमोंक
ू तनसेबौफशयाप्र औय जयु।एचाफ
ढाअगका
धक प्र सभम तक भका कयन द टवथका
नेकेभेंटा
कों
भसभसनशेएसर श्र
काचरन फ
ढा। इतना हीहीन
नवत्ृफ
ृ वमा
कगत्तढनेमोिों
तयऩश्रष्टाचा
सेकेभ्दीपैवेन्रने
वाप्र।ता
तगीरबो
ऩउ आ ।ई य अऩ याधोंको के फा फढावा सभरा। द्औ
वॊ ए
• भारिीय मजदरू सघं :-
भारिीय मजदरू तार तॊव संघ
तत् तमा
यस्बाख्कासतयाफप्रसेरन्ठेंऩना
ऩाऩडी

डागबोभेंव.था
द्वा
केंनभहा
कभक

यत्तो
त्िी
दमचा
वत्।नठगससॊ
इकी
स्श्रस्है
म यधन्रनीफा
ना

भा
गासेनरोतक
गॊ
र केसवदभ जन्२३ रजु ा
ई १९५ कोहुत।यईभबा
ककी
नोंठमगहतयसॊ
अन्श्रमह कसीनठगसॊके जनबा
व के यणका नहीॊफनावयन एक ववचायधाया के
रोगोंका
म्भत्सरत रमास
प् का ऩरयणाभ था।
मह देश का ऩहरा भजदयू सगॊ ठन है,
इकाई नहीॊ, फत्ल्
जो ककसी याजनै
नतक दर कीसभकश्र क भजदयू ोंका, भजदयू ोंके सरए,
भजदयू सगॊ ठन
भजदयू ोंद्वाया सॊचासरत अऩने भें
त्वतॊ
स् र है।
त्थाऩना
स् के ऩश्चात ितु गनत से
सवाथगधक
त् सदस्
उन्ननत कयते हुए आज मह देश भें म सॊख्मा वारा भजदयू
भजदयू सॊघ सफॊ ॊ
सॊगठन है। बायतीम भजदयू सॊघ तथा बायतीम रनतयऺ
प् ा
भहायाष्ट्र
भें है
गधत, एक इकाई बायतीम सॊयऺण काभगाय सॊघ आमधु ननभाथणीॊ
देहूयोड ऩुना

सश्रमक संघ:-
यकों
केभका
सकेसमबीकों
'श्र
भनसभा
प्रकी
तोंसेश्हमा
दयऺा

ना
मा
,कश्र
गयने के द्देउ
का सॊ गठन श्रसमक संघ कहराता ह।ै बायत भें आधननकु उद्
मोगों
की ुशरुआत 1850 ई.
• संगठन का उद्देश्य:-
सभकोंश्र के इस सॊगठन नेभया ठी बाषाभें 'दीनफन्ध'ु नाभक अखफाय बकासशत
ी प्र ककमा।
1897 ई. भें 'अभरगभेदटड सोसाइटी ऑफ यरे वे सवेन्टस ऑफ इत्ण्डमा एण्ड
नाऩहफभा
था
थ'। ई इत्सकी
ु के स्तयअरतन 1905सट ई.न् भें 'क
प्रकवरत्ता
नमू नमन', 1907 रटई.नमूत्भेंनफईमस्'फ
न'म् ऩोऔय औय 1910 ई. भेंयभगा
'का
धक
वतथहद रीभनाऩें
हणाु
था
सबा
। म'ईव्माप्त
नइत्की
श्था
प्रनों
ठग-सॊ
स्काट्री
पैरकएतभाद्देउ फुयाइमोंको सभाप्त कयना। भजदयू वगथ की रथप्भ सॊगदठत
डहतार रिदट
वासभत्
त् त् शव स् वारी येरवे
, त्जसका नाभ रटेइत्ण्डम
'ग् न ऩेनन्सरु य यरे वे' था,
1899 ई. भें भजदयू ी, काभ था
तमटों
के अ
न्वासेण्घभेंतों
श सुयधाकोकरेयमऩवक

भु
हमरू
नु
रद्व'श्र
श्दो
ती
के'आ
वईवन्।को
त्नों
केदरथी

तफा
नद्वबी
जनी
स्दोया
रफपआ
रन्

ता
प् होगमा
प्र था।

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