You are on page 1of 25

जल (पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण) अिधिनयम, 1974

( 1974 का अिधिनयम संख्यांक 6)


[23 माचर्, 1974]
जल पर्दूषण के िनवारण तथा िनयंतर्ण और जल की स्वास्थ्यपर्दता बनाए रखने
या पूवार्वस्था म लाने के िलए, पूव क्त पर्योजन को िकर्यािन्वत
करने की दृिष्ट से जल पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण
बोड की स्थापना के िलए, उनसे सम्बिन्धत
शिक्तयां और कृ त्य ऐसे बोड को पर्द
और समनुदिे शत करने के िलए और
उनसे संबिं धत िवषय के िलए
उपबन्ध करने के िलए
अिधिनयम
यत: जल पर्दूषण के िनवारण तथा िनयंतर्ण और जल की स्वास्थ्यपर्दता बनाए रखने या पूवार्वस्था म लाने के िलए, पूव क्त
पर्योजन को िकर्यािन्वत करने की दृिष्ट से जल पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण बोड की स्थापना के िलए और उनसे सम्बिन्धत शिक्तयां
और कृ त्य ऐसे बोड को पर्द और समनुदिे शत करने के िलए उपबन्ध करना समीचीन है ;
और यत: संिवधान के अनुच्देद 249 और 250 म यथा उपबिन्धत के िसवाय, संसद् को पूव क्त िवषय म से िकसी के बारे म
राज्य के िलए िविधयां बनाने की शिक्त नह है ;
और यत: संिवधान के अनुच्छेद 252 के खण्ड (1) के अनुसरण म, आसाम, िबहार, गुजरात, हिरयाणा, िहमाचल पर्देश,
जम्मू-कश्मीर, कनार्टक, के रल, मध्य पर्देश, राजस्थान, ितर्पुरा और पिश्चमी बंगाल के राज्य के िवधान-मंडल के सभी सदन ारा इस
आशय के संकल्प पािरत िकए जा चुके ह िक पूव क्त िवषय संसद् को, िविध ारा, उन राज्य म िविनयिमत करने चािहएं ;
अत: भारत गणराज्य के पच्चीसव वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो :—
अध्याय 1

पर्ारिम्भक
1. संिक्षप्त नाम, लागू होना और पर्ारम्भ—(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम जल (पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण)
अिधिनयम, 1974 है ।
(2) यह पर्थमत: आसाम, िबहार, गुजरात, हिरयाणा, िहमाचल पर्देश, जम्मू-कश्मीर, कनार्टक, के रल, मध्य पर्देश, राजस्थान,
ितर्पुरा और पिश्चमी बंगाल के सम्पूणर् राज्य और संघ राज्यक्षेतर् को लागू है, और यह ऐसे अन्य राज्य को लागू होगा जो संिवधान के
अनुच्छेद 252 के खण्ड (1) के अधीन उस िनिम पािरत संकल्प ारा इस अिधिनयम को अंगीकृ त करे ।
(3) यह आसाम, िबहार, गुजरात, हिरयाणा, िहमाचल पर्देश, जम्मू-कश्मीर, कनार्टक, के रल, मध्य पर्देश, राजस्थान, ितर्पुरा
और पिश्चमी बंगाल राज्य और संघ राज्यक्षेतर् म तुरंत पर्वृ होगा और िकसी ऐसे अन्य राज्य म जो संिवधान के अनुच्छेद 252 के
खण्ड (1) के अधीन इस अिधिनयम को अंगीकृ त करे , उस तारीख को पर्वृ होगा िजस तारीख को अंगीकार िकया जाता है और िकसी
राज्य या संघ राज्यक्षेतर् के बारे म, इस अिधिनयम म इस अिधिनयम के पर्ारम्भ के पर्ित िनदश से वह तारीख अिभपर्ेत है िजसको ऐसे
राज्य या संघ राज्यक्षेतर् म यह अिधिनयम पर्वृ होता है ।
2. पिरभाषाएं—इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,—
(क) “बोडर्” से के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् अिभपर्ेत है ;
1
[(ख) “के न्दर्ीय बोडर्” से धारा 3 के अधीन गिठत के न्दर्ीय पर्दूषण िनयंतर्ण बोडर् अिभपर्ेत है ;]
(ग) “सदस्य” से बोडर् का सदस्य अिभपर्ेत है और इसके अंतगर्त उसका अध्यक्ष भी है ;
1
[(घ) िकसी कारखाने या पिरसर के संबंध म, “अिधष्ठाता” से कोई ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसका उस कारखाने
या पिरसर के कामकाज पर िनयंतर्ण है और िकसी पदाथर् के संबंध म, इसके अंतगर्त वह व्यिक्त भी है िजसके कब्जे म वह
पदाथर् है ;]

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
2

[(घघ) “िनकास” के अन्तगर्त मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव वहन करने वाली कोई खुली या बन्द तारनली या
1

पर्णाल या ऐसी कोई अन्य जमाव-व्यवस्था भी है िजससे पर्दूषण होता है या होने की संभावना है ;]
(ङ) “पर्दूषण” से जल का ऐसा संदष ू ण या जल के भौितक, रासायिनक या जैिवक गुण का ऐसा पिरवतर्न या िकसी
मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव या िकसी अन्य दर्व, गैसीय या ठोस पदाथर् का जल म (पर्त्यक्ष या अपर्त्यक्ष रूप से) ऐसा
िनस्सरण अिभपर्ेत है जो न्यूसस उत्पन्न करे या िजससे न्यूसस उत्पन्न होना संभाव्य हो या जो ऐसे जल को लोक स्वास्थ्य या
क्षेम या घरे ल,ू वािणिज्यक, औ ोिगक, कृ िष या अन्य िविधसम्मत उपयोग के िलए या जीवजन्तु या पौध या जलीय जीव
के जीवन और स्वास्थ्य के िलए अपहािनकर या क्षितकर बनाता है या बनाना संभाव्य करता है ;
(च) “िविहत” से, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार ारा इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम
ारा िविहत अिभपर्ेत है ;
(छ) “मल बिह:सर्ाव” से िकसी मलवहन पर्णाली या मल यन संकमर् से िनकला बिह:सर्ाव अिभपर्ेत है और इसके
अन्तगर्त खुली नािलय से िनकला मैला पानी भी है ;
2
[(छछ) “मलनल” से मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव वहन करने वाली कोई खुली या बन्द तारनली या पर्णाल
अिभपर्ेत है ;]
3
[(ज) “राज्य बोडर्” से धारा 4 के अधीन गिठत राज्य पर्दूषण िनयंतर्ण बोडर् अिभपर्ेत है ;]
(झ) संघ राज्यक्षेतर् के सम्बन्ध म “राज्य सरकार” से संिवधान के अनुच्छेद 239 के अधीन िनयुक्त उसका पर्शासक
अिभपर्ेत है ;
(ञ) “सिरता” के अन्तगर्त िनम्निलिखत ह, अथार्त् :—
(i) नदी ;
(ii) कु ल्या (चाहे बहती हो या उस समय सूखी हो) ;
(iii) अन्तदशीय जल (चाहे पर्ाकृ ितक हो या कृ ितर्म) ;
(iv) भूिमगत जल ;
(v) समुदर् या ज्वारीय जल, यथािस्थित, उस िवस्तार तक, या उस िबन्दु तक जो राज्य सरकार, राजपतर्
म अिधसूचना ारा, इस िनिम िविनिदष्ट करे ;
(ट) “व्यावसाियक बिह:सर्ाव” के अन्तगर्त कोई ऐसा दर्व, गैसीय या ठोस पदाथर् है जो घरे लू मल से िभन्न, िकसी
3
[उ ोग संिकर्या या पर्िकर्या या अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली] को चलाने के िलए पर्युक्त िकसी पिरसर से िनस्सिरत
होता है ।
अध्याय 2

के न्दर्ीय तथा राज्य जल पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण बोडर्


3. के न्दर्ीय बोडर् का गठन—(1) के न्दर्ीय सरकार, ऐसी तारीख से (जो आसाम, िबहार, गुजरात, हिरयाणा, िहमाचल पर्देश,
जम्मू-कश्मीर, कनार्टक, के रल, मध्य पर्देश, राजस्थान, ितर्पुरा और पिश्चमी बंगाल राज्य म और संघ राज्यक्षेतर् म इस अिधिनयम के
पर्ारम्भ से छह मास के बाद की तारीख नह होगी) जो वह राजपतर् म, अिधसूचना ारा िनयत करे , एक के न्दर्ीय बोडर् गिठत करे गी
िजसका नाम 4 [के न्दर्ीय पर्दूषण िनयंतर्ण बोडर्] होगा और वह इस अिधिनयम के अधीन उस बोडर् को पर्द शिक्तय का पर्योग और
समनुिदष्ट कृ त्य का पालन करे गा ।
(2) के न्दर्ीय बोडर् म िनम्निलिखत सदस्य ह गे, अथार्त् :—
(क) के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत िकया जाने वाला एक पूणर्कािलक अध्यक्ष, जो 5 [पयार्वरणीय संरक्षण से
सम्बिन्धत िवषय ] की बाबत िवशेष जानकारी या व्यावहािरक अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा अथवा पूव क्त िवषय से
संबंिधत संस्था के पर्शासन की जानकारी और अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा ;

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 2 (क) ारा अंत:स्थािपत ।
2
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 2 (ख) ारा अंत:स्थािपत ।
3
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत । 
4
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
5
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 3 (क) ारा पर्ितस्थािपत ।
3

(ख) 1 [पांच से अनिधक इतनी संख्या म पदधारी] जो के न्दर्ीय सरकार का पर्ितिनिधत्व करने के िलए उस सरकार
ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
(ग) पांच से अनिधक इतनी संख्या म व्यिक्त, जो राज्य बोड के सदस्य म से के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत
िकए जाएंगे िजनम से दो से अनिधक धारा 4 की उपधारा (2) के खण्ड (ग) म िनिदष्ट सदस्य म से ह गे ;
(घ) 1[तीन से अनिधक इतनी संख्या म अशासकीय व्यिक्त,] जो कृ िष, मीन-उ ोग या िकसी उ ोग या व्यापार के
या िकसी अन्य िहत का, िजसका के न्दर्ीय सरकार की राय म पर्ितिनिधत्व होना चािहए, पर्ितिनिधत्व करने के िलए के न्दर्ीय
सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
(ङ) के न्दर्ीय सरकार के स्वािमत्व, िनयंतर्ण या पर्बंध के अधीन कम्पिनय या िनगम का पर्ितिनिधत्व करने के िलए
दो व्यिक्त जो के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
2
[(च) के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकया जाने वाला एक पूणर्कािलक सदस्य-सिचव िजसके पास पर्दूषण िनयंतर्ण
के वैज्ञािनक, इं जीिनयरी या पर्बंध संबंधी पहलु की अहर्ताएं, ज्ञान और अनुभव है ।]
(3) के न्दर्ीय बोडर् पूव क्त नाम वाला तथा शाश्वत उ रािधकार और सामान्य मुदर्ा वाला िनगिमत िनकाय होगा िजसे इस
अिधिनयम के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, सम्पि के अजर्न, धारण और व्ययन करने की तथा संिवदा करने की शिक्त होगी और उक्त
नाम से वह वाद लाएगा या उस पर वाद लाया जाएगा ।
4. राज्य बोड का गठन—(1) राज्य सरकार, ऐसी तारीख से 3 *** जो वह राजपतर् म, अिधसूचना ारा िनयत करे , एक
4
[राज्य पर्दूषण िनयंतर्ण बोडर्] गिठत करे गी िजसका वह नाम होगा जो अिधसूचना म िविनिदष्ट िकया जाए और वह इस अिधिनयम के
अधीन उस बोडर् को पर्द शिक्तय का पर्योग और समनुिदष्ट कृ त्य का पालन करे गा ।
(2) राज्य बोडर् म िनम्निलिखत सदस्य ह गे, अथार्त् :—
(क) राज्य सरकार ारा नामिनदिशत िकया जाने वाला एक 5 *** अध्यक्ष जो 6 [पयार्वरणीय संरक्षण से सम्बिन्धत
िवषय ] की बाबत िवशेष जानकारी या व्यावहािरक अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा अथवा पूव क्त िवषय से संबंिधत
संस्था के पर्शासन की जानकारी और अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा :
6
[परन्तु अध्यक्ष या तो पूणर्कािलक या अंशकािलक होगा जैसा िक राज्य सरकार ठीक समझे ;]
(ख) 6[पांच से अनिधक इतनी संख्या म पदधारी] जो राज्य सरकार का पर्ितिनिधत्व करने के िलए उस सरकार
ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
(ग) 6[पांच से अनिधक इतनी संख्या म व्यिक्त,] जो राज्य के भीतर कृ त्य करने वाले स्थानीय पर्ािधकािरय के
सदस्य म से उस राज्य सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
(घ) 6[तीन से अनिधक इतनी संख्या म अशासकीय व्यिक्त,] जो कृ िष, मीन-उ ोग या िकसी उ ोग या व्यापार के
या िकसी अन्य िहत का, िजसका राज्य सरकार की राय म पर्ितिनिधत्व होना चािहए, पर्ितिनिधत्व करने के िलए राज्य
सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
(ङ) राज्य सरकार के स्वािमत्व, िनयंतर्ण या पर्बन्ध के अधीन कम्पिनय या िनगम का पर्ितिनिधत्व करने के िलए
दो व्यिक्त जो उस सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
4
[(च) राज्य सरकार ारा िनयुक्त िकया जाने वाला एक पूणर्कािलक सदस्य-सिचव िजसके पास पर्दूषण िनयंतर्ण के
वैज्ञािनक, इं जीिनयरी या पर्बंध संबंधी पहलु की अहर्ताएं, ज्ञान और अनुभव ह ।]
(3) पर्त्येक राज्य बोडर्, राज्य सरकार ारा उपधारा (1) के अधीन अिधसूचना म िविनिदष्ट नाम वाला तथा शाश्वत
उ रािधकार और सामान्य मुदर्ा वाला िनगिमत िनकाय होगा िजसे इस अिधिनयम के उपबन्ध के अधीन रहते हुए सम्पि के अजर्न,
धारण और व्ययन करने की तथा संिवदा करने की शिक्त होगी और उक्त नाम से वह वाद लाएगा या उस पर वाद लाया जाएगा ।
(4) इस धारा म िकसी बात के होते हुए भी, िकसी संघ राज्यक्षेतर् के िलए राज्य बोडर् गिठत नह िकया जाएगा और िकसी संघ
राज्यक्षेतर् के सम्बन्ध म के न्दर्ीय बोडर् उस संघ राज्यक्षेतर् के िलए राज्य बोडर् की शिक्तय का पर्योग और कृ त्य का पालन करे गा :

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत । 
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 4 ारा सदैव से लोप िकया गया ।
4
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत ।
5
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 4 ारा लोप िकया गया ।
6
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत । 
4

परन्तु िकसी संघ राज्यक्षेतर् के सम्बन्ध म के न्दर्ीय बोडर् इस उपधारा के अधीन की अपनी सभी शिक्तयां और कृ त्य या उनम से
कोई ऐसे व्यिक्त या व्यिक्तय के िनकाय को पर्त्यायोिजत कर सके गा िजसे के न्दर्ीय सरकार िविनिदष्ट करे ।
5. सदस्य की सेवा के िनबन्धन और शत—(1) इस अिधिनयम के ारा या अधीन, यथा अन्यथा उपबिन्धत के िसवाय,
सदस्य-सिचव से िभन्न बोडर् का कोई सदस्य अपने नामिनदशन की तारीख से तीन वषर् की अविध के िलए पद धारण करे गा :
परन्तु कोई सदस्य अपनी अविध का अवसान हो जाने पर भी तब तक पद धारण िकए रहेगा जब तक िक उसका
उ रािधकारी उसका पद गर्हण न कर ले ।
धारा 3 की उपधारा (2) के खण्ड (ख) या खण्ड (ङ) या धारा 4 की उपधारा (2) के खंड (ख) या खण्ड (ङ) के अधीन
1 [(2)

नामिनिदष्ट बोडर् के सदस्य की पदाविध उसी समय समाप्त हो जाएगी जब वह, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार के या
ऐसी कम्पनी या िनगम के अधीन, जो के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार के स्वािमत्व या िनयंतर्ण म या उसके पर्बन्धाधीन है, उस पद पर
नह रह जाता है, िजसके आधार पर वह नामिनदिशत िकया गया था ।]
(3) यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार, यिद वह ठीक समझे तो, बोडर् के िकसी भी सदस्य को उसकी पदाविध के
अवसान के पूवर् ही, उसे उसके िवरु हेतुक दिशत करने का युिक्तयुक्त अवसर देने के पश्चात् हटा सके गी ।
(4) सदस्य-सिचव से िभन्न बोडर् का कोई सदस्य—
(क) अध्यक्ष की दशा म, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार को ; तथा
(ख) िकसी अन्य दशा म, बोडर् के अध्यक्ष को,
सम्बोिधत स्वहस्ताक्षिरत लेख ारा िकसी समय अपना पद त्याग सके गा और तदुपिर अध्यक्ष का या ऐसे िकसी अन्य सदस्य का स्थान
िरक्त हो जाएगा ।
(5) यिद सदस्य-सिचव से िभन्न बोडर् का कोई सदस्य बोडर् की राय म पयार्प्त कारण के बोडर् के तीन कर्मवत अिधवेशन म
अनुपिस्थत रहेगा 1[या जहां वह धारा 3 की उपधारा (2) के खण्ड (ग) या खण्ड (ङ) के अधीन या धारा 4 की उपधारा (2) के खंड (ग)
या खण्ड (ङ) के अधीन नामिनदिशत िकया गया है वहां यिद वह, यथािस्थित, राज्य बोडर् या स्थानीय पर्ािधकारी का या ऐसी कम्पनी
या िनगम का, जो के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार के स्वािमत्व या िनयंतर्ण म या उसके पर्बन्धाधीन है, सदस्य नह रह जाता है तो
उसके बारे म यह समझा जाएगा िक उसने अपना स्थान िरक्त कर िदया है और स्थान की ऐसी िरिक्त उपयुर्क्त दोन दशा म से िकसी
दशा म उस तारीख से पर्भावी होगी जो, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा
िविनिदष्ट करे ।]
(6) बोडर् म कोई आकिस्मक िरिक्त नए नामिनदशन ारा भरी जाएगी और िरिक्त भरने के िलए नामिनदिशत व्यिक्त, उस
अविध के के वल शेष भाग के िलए पद धारण करे गा िजसके िलए वह सदस्य, िजसका स्थान वह लेता है, नामिनदिशत िकया गया था ।
(7) बोडर् का सदस्य 2 [पुन: नामिनदशन का पातर् होगा ।]
(8) अध्यक्ष तथा सदस्य-सिचव से िभन्न बोडर् के सदस्य की सेवा के अन्य िनबन्धन और शत ऐसी ह गी जो िविहत की जाएं ।
(9) अध्यक्ष की सेवा के अन्य िनबंधन और शत ऐसी ह गी जो िविहत की जाएं ।
6. िनरहर्ताएं—(1) कोई ऐसा व्यिक्त बोडर् का सदस्य नह होगा,—
(क) जो िदवािलया है या िकसी भी समय िदवािलया न्यायिनण त हुआ है या िजसने अपने ऋण का संदाय
िनलिम्बत कर िदया है या अपने लेनदार से पर्शमन कर िलया है ; अथवा
(ख) जो िवकृ तिच का है और सक्षम न्यायालय ारा वैसा घोिषत कर िदया गया है ; अथवा
(ग) जो िकसी ऐसे अपराध के िलए दोषिस िकया जाए या दोषिस िकया जा चुका है, िजसम, यथािस्थित,
के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार की राय म, नैितक अधमता अन्तगर्र्स्त है ; अथवा
(घ) जो इस अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध के िलए दोषिस िकया गया है या िकसी भी समय दोषिस
िकया जा चुका है ; अथवा
(ङ) िजसका िकसी मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव की अिभिकर्या के िलए मशीनरी, संयंतर्, उपस्कर, सािधतर् या
िफिटग के िविनमार्ण, िवकर्य या भाड़े पर देने का कारबार करने वाली िकसी फमर् या कम्पनी म पर्त्यक्ष या अपर्त्यक्ष रूप से
स्वयं या िकसी भागीदार ारा कोई अंश या िहत है ; अथवा

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
5

(च) जो मलपर्णाली स्कीम के िकर्यान्वयन के िलए या मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव के अिभिकर्यान्वयन के िलए


संयंतर् की संस्थापन के िलए बोडर् से या बोडर् गिठत करने वाली सरकार से या राज्य म िकसी स्थानीय पर्ािधकारी से या
सरकार के स्वािमत्व, िनयंतर्ण या पर्बंध के अधीन िकसी कम्पनी या िनगम से कोई संिवदा करने वाली िकसी कम्पनी या फमर्
का िनदेशक, या सिचव, पर्बन्धक या अन्य वैतिनक अिधकारी या कमर्चारी है ; अथवा
(छ) िजसने, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार की राय म सदस्य के रूप म अपनी पर्ािस्थित का इस
पर्कार दुरुपयोग िकया है िक उसका बोडर् म बने रहना जन साधारण के िलए अिहतकर है ।
(2) यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार ारा इस धारा के अधीन हटाने का कोई आदेश तभी िदया जाएगा जब
सम्पृक्त सदस्य को उसके िवरु हेतुक दिशत करने के िलए युिक्तयुक्त अवसर दे िदया गया हो ।
(3) धारा 5 की उपधारा (1) तथा (7) म िकसी बात के होते हुए भी कोई सदस्य, जो इस धारा के अधीन हटाया गया है,
सदस्य के रूप म पुन: नामिनिदष्ट िकए जाने का पातर् नह होगा ।
7. सदस्य ारा स्थान की िरिक्त—यिद बोडर् का कोई सदस्य धारा 6 म िविनिदष्ट िनरहर्ता म से िकसी से गर्स्त हो जाए
तो उसका स्थान िरक्त हो जाएगा ।
8. बोडर् के अिधवेशन—बोडर् का अिधवेशन पर्त्येक ितमाही म कम से कम एक बार होगा और वह अपने अिधवेशन म
कामकाज करने के बारे म पर्िकर्या के ऐसे िनयम का पालन करे गा जो िविहत िकए जाएं :
परन्तु यिद अध्यक्ष की राय म कोई अत्यावश्यक पर्कृ ित का काम िकया जाना है तो वह ऐसे समय पर बोडर् का अिधवेशन बुला
सकता है जो वह उपयुर्क्त पर्योजन के िलए ठीक समझे ।
9. सिमितय का गठन—(1) बोडर् ऐसे पर्योजन या पर्योजन के िलए पूणर्त: सदस्य से या पूणर्त: अन्य व्यिक्तय से या अंशत:
सदस्य से और अंशत: अन्य व्यिक्तय से गिठत होने वाली इतनी सिमितय का गठन कर सके गा जो वह ठीक समझे ।
(2) इस धारा के अधीन गिठत सिमित का अिधवेशन ऐसे समय और ऐसे स्थान पर होगा और वह अपने अिधवेशन म
कामकाज करने के बारे म पर्िकर्या के ऐसे िनयम का पालन करे गी जो िविहत िकए जाएं ।
(3) सिमित के सदस्य को (जो बोडर् के सदस्य से िभन्न ह ) उसके अिधवेशन म उपिस्थत होने के िलए और बोडर् के िकसी
अन्य कायर् को करने के िलए ऐसी फीस और भ े िदए जाएंगे जो िविहत िकए जाएं ।
10. बोडर् के साथ व्यिक्तय का िविशष्ट पर्योजन के िलए अस्थायी रूप से सहयुक्त िकया जाना—(1) बोडर् ऐसी रीित से और
ऐसे पर्योजन के िलए, जो िविहत िकए जाएं, अपने साथ िकसी ऐसे व्यिक्त को सहयुक्त कर सके गा िजसकी सहायता या सलाह लेने की
वह इस अिधिनयम के अधीन अपने कृ त्य म से िकसी का पालन करने के िलए वांछा करता है ।
(2) उपधारा (1) के अधीन बोडर् के साथ िकसी पर्योजन के िलए सहयुक्त िकसी भी व्यिक्त को बोडर् के उस िवचार-िवमशर् म
भाग लेने का अिधकार होगा जो उस पर्योजन से सुसंगत हो, िकन्तु उसे बोडर् के अिधवेशन म मत देने का अिधकार नह होगा और िकसी
अन्य पर्योजन के िलए वह बोडर् का सदस्य नह होगा ।
बोडर् के साथ िकसी पर्योजन के िलए उपधारा (1) के अधीन सहयुक्त िकसी भी व्यिक्त को बोडर् के अिधवेशन म
1 [(3)

उपिस्थत होने और बोडर् का कोई अन्य कायर् करने के िलए ऐसी फीस और भ े िदए जाएंगे जो िविहत िकए जाएं ।]
11. बोडर् म िरिक्त का काय या कायार्वािहय को अिविधमान्य न करना—बोडर् या उसकी िकसी सिमित का कोई कायर् या
कायर्वाही के वल इस आधार पर पर्श्नगत नह की जा सके गी िक, यथािस्थित, बोडर् या ऐसी सिमित म कोई िरिक्त िव मान थी या
उसके गठन म कोई तर्ुिट थी ।
अध्यक्ष को शिक्तय का पर्त्यायोजन—बोडर् का अध्यक्ष ऐसी शिक्तय का पर्योग और ऐसे कतर्व्य का पालन करे गा
2 [11क.

जो िविहत िकए जाएं या जो बोडर् ारा समय-समय पर उसे पर्त्यायोिजत िकए जाएं ।]
12. बोडर् का सदस्य-सिचव तथा अिधकारी और अन्य कमर्चारी—(1) सदस्य-सिचव की सेवा के िनबन्धन और शत ऐसी ह गी
जो िविहत की जाएं ।
(2) सदस्य-सिचव ऐसी शिक्तय का पर्योग और ऐसे कतर्व्य का पालन करे गा जो िविहत िकए जाएं या जो बोडर् या उसके
अध्यक्ष ारा उसे समय-समय पर पर्त्यायोिजत िकए जाएं ।
(3) ऐसे िनयम के अधीन रहते हुए जो, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार इस िनिम बनाए, बोडर् ऐसे
अिधकािरय और कमर्चािरय को िनयुक्त कर सके गा जो वह अपने कृ त्य के दक्ष पालन के िलए आवश्यक समझे 3 *** ।

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 6 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 7 ारा अंत:स्थािपत ।
3
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 8 ारा लोप िकया गया ।
6

[(3क) के न्दर्ीय बोडर् या िकसी राज्य बोडर् के (सदस्य-सिचव से िभन्न) अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय की भत की प ित
1

और सेवा के िनबन्धन और शत (िजसके अन्तगर्त वेतनमान भी है) ऐसी ह गी जो, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् ारा बनाए
गए िविनयम ारा अवधािरत की जाएं :
परन्तु इस उपधारा के अधीन बनाया गया कोई िविनयम तब तक पर्भावी नह होगा, जब तक िक—
(क) के न्दर्ीय बोडर् ारा बनाए गए िविनयम की दशा म, उसका अनुमोदन के न्दर्ीय सरकार न कर दे ;
(ख) राज्य बोडर् ारा बनाए गए िविनयम की दशा म, उसका अनुमोदन राज्य सरकार न कर दे ।]
बोडर्, साधारण या िवशेष आदेश ारा, और ऐसी शत और पिरसीमा के , यिद कोई ह , अधीन रहते हुए जो आदेश
2 [(3ख)

म िविनिदष्ट की जाएं, बोडर् के िकसी अिधकारी को, इस अिधिनयम के अधीन अपनी ऐसी शिक्तय और कृ त्य को पर्त्यायोिजत कर
सके गा, जैसा वह आवश्यक समझे ।]
(4) ऐसी शत के अधीन रहते हुए, जो िविहत की जाएं, बोडर् समय-समय पर िकसी अिहत व्यिक्त को बोडर् का परामश
इं जीिनयर िनयुक्त कर सके गा और उसे ऐसा वेतन और भ े दे सके गा और उसे सेवा के ऐसे अन्य िनबन्धन और शत के अधीन रख
सके गा जो वह ठीक समझे ।
अध्याय 3

संयक्
ु त बोडर्
13. संयक्
ु त बोड का गठन—(1) इस अिधिनयम म िकसी बात के होते हुए भी,—
(क) दो या अिधक समीपस्थ राज्य की सरकार ारा ; या
(ख) के न्दर्ीय सरकार (एक या अिधक संघ राज्यक्षेतर् के बारे म) और ऐसे संघ राज्यक्षेतर् या संघ राज्यक्षेतर् के
समीपस्थ एक या अिधक राज्य की सरकार ारा,
करार,—
(i) खण्ड (क) म िनिदष्ट दशा म, भाग लेने वाले सभी राज्य के िलए ; और
(ii) खण्ड (ख) म िनिदष्ट दशा म, भाग लेने वाले संघ राज्यक्षेतर् या संघ राज्यक्षेतर् और राज्य या राज्य के िलए,
संयुक्त बोडर् के गठन के िलए उपबन्ध करने के िलए िकया जा सके गा, जो ऐसी अविध के िलए पर्वृ रहेगा और ऐसी अितिरक्त अविध
के िलए, यिद कोई हो, उसका नवीकरण िकया जा सके गा, जो उस करार म िविनिदष्ट की जाए ।
(2) इस धारा म अधीन करार,—
(क) संयुक्त बोडर् से सम्बिन्धत व्यय के , उपधारा (1) के खण्ड (क) म िनिदष्ट दशा म, भाग लेने वाले राज्य म बीच,
पर्भाजन के िलए और उस उपधारा के खण्ड (ख) म िनिदष्ट दशा म के न्दर्ीय सरकार और भाग लेने वाली राज्य सरकार या
राज्य सरकार के बीच पर्भाजन के िलए उपबन्ध कर सके गा ;
(ख) यह अवधािरत कर सके गा िक उपधारा (1) के खण्ड (क) म िनिदष्ट दशा म भाग लेने वाली कौन सी राज्य
सरकार और उस उपधारा के खण्ड (ख) म िनिदष्ट दशा म क्या के न्दर्ीय सरकार या भाग लेने वाली राज्य सरकार (यिद एक से
अिधक भाग लेने वाले राज्य ह तो यह भी िक भाग लेने वाली राज्य सरकार म से कौन सी सरकार) इस अिधिनयम के अधीन
राज्य सरकार की िविभन्न शिक्तय का पर्योग और कृ त्य का पालन करे गी और इस अिधिनयम म राज्य सरकार के पर्ित
िनदश का तद्नुसार अथर् लगया जाएगा ;
(ग) उपधारा (1) के खण्ड (क) म िनिदष्ट दशा म, भाग लेने वाली राज्य सरकार के बीच और उस उपधारा के
खण्ड (ख) म िनिदष्ट दशा म, के न्दर्ीय सरकार और भाग लेने वाली राज्य सरकार या राज्य सरकार के बीच या तो
साधारणतया या इस अिधिनयम के अधीन उद्भूत होने वाले िविशष्ट िवषय के पर्ित िनदश से परामशर् के िलए उपबन्ध कर
सके गा ;
(घ) इस अिधिनयम से संगत ऐसे आनुषंिगक और अनुषंगी उपबन्ध कर सके गा जो करार को पर्भावी करने के िलए
आवश्यक या समीचीन समझे जाएं ।
(3) इस धारा के अधीन करार उपधारा (1) के खण्ड (क) म िनिदष्ट दशा म भाग लेने वाले राज्य के राजपतर् म और उस
उपधारा के खण्ड (ख) म िनिदष्ट दशा म भाग लेने वाले संघ राज्यक्षेतर् या संघ राज्यक्षेतर् के और भाग लेने वाले राज्य या राज्य के
राजपतर् म पर्कािशत िकया जाएगा ।

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 8 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 6 ारा अंत:स्थािपत । 
7

14. संयक्ु त बोड की संरचना—(1) धारा 13 की उपधारा (1) के खण्ड (क) के अधीन िकए गए करार के अनुसरण म गिठत
संयुक्त बोडर् म िनम्निलिखत सदस्य ह गे, अथार्त् :—
(क) के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत िकया जाने वाला एक पूणर्कािलक अध्यक्ष जो 1 [पयार्वरणीय संरक्षण से
सम्बिन्धत िवषय ] की बाबत िवशेष जानकारी या व्यावहािरक अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा अथवा पूव क्त िवषय से
संबंिधत संस्था के पर्शासन की जानकारी और अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा ;
(ख) भाग लेने वाले राज्य म से पर्त्येक से दो पदधारी, जो भाग लेने वाली सम्ब राज्य सरकार ारा उस सरकार
का पर्ितिनिधत्व करने के िलए नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
(ग) एक व्यिक्त, जो भाग लेने वाली राज्य सरकार म से पर्त्येक ारा सम्ब राज्य म कृ त्य करने वाले स्थानीय
पर्ािधकािरय के सदस्य म से नामिनदिशत िकया जाएगा ;
(घ) एक अशासकीय व्यिक्त, जो सम्ब राज्य म कृ िष, मीन-उ ोग या उ ोग या वसाय के िहत का या िकसी
ऐसे अन्य िहत का, िजसका पर्ितिनिधत्व भाग लेने वाली राज्य सरकार की राय म होना चािहए, पर्ितिनिधत्व करने के िलए
भाग लेने वाली राज्य सरकार म से पर्त्येक ारा नामिनदिशत िकया जाएगा ;
(ङ) भाग लेने वाली राज्य सरकार के स्वािमत्व, िनयंतर्ण या पर्बंध के अधीन कम्पिनय या िनगम का पर्ितिनिधत्व
करने के िलए दो व्यिक्त जो के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
2
[(च) के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकया जाने वाला एक पूणर्कािलक सदस्य-सिचव िजसके पास पर्दूषण िनयंतर्ण
के वैज्ञािनक इं जीिनयरी या पर्बंध संबंधी पहलु की अहर्ताएं, ज्ञान और अनुभव ह ।]
(2) धारा 13 की उपधारा (1) के खण्ड (ख) के अधीन िकए गए करार के अनुसरण म गिठत संयक्
ु त बोडर् म िनम्निलिखत
सदस्य ह गे, अथार्त् :—
(क) के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत िकया जाने वाला एक पूणर्कािलक अध्यक्ष, जो 1[पयार्वरणीय संरक्षण से
सम्बिन्धत िवषय ] की बाबत िवशेष जानकारी या व्यावहािरक अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा अथवा पूव क्त िवषय से
संबंिधत संस्था के पर्शासन की जानकारी और अनुभव रखने वाला व्यिक्त होगा ;
(ख) भाग लेने वाले, यथािस्थित, संघ राज्यक्षेतर् या संघ राज्यक्षेतर् म से पर्त्येक से दो पदधारी जो के न्दर्ीय सरकार
ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे और भाग लेने वाले, यथािस्थित, राज्य या राज्य म से पर्त्येक से दो पदधारी जो भाग लेने
वाली सम्ब राज्य सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
(ग) के न्दर्ीय सरकार ारा एक व्यिक्त, जो भाग लेने वाले, यथािस्थित, संघ राज्यक्षेतर् या संघ राज्यक्षेतर् म से
पर्त्येक म कृ त्य करने वाले स्थानीय पर्ािधकािरय के सदस्य म से नामिनदिशत िकया जाएगा और एक व्यिक्त, जो भाग लेने
वाली सम्ब राज्य सरकार ारा भाग लेने वाले, यथािस्थित, राज्य या राज्य म से पर्त्येक म कृ त्य करने वाले स्थानीय
पर्ािधकािरय के सदस्य म से नामिनदिशत िकया जाएगा ;
(घ) के न्दर्ीय सरकार ारा एक व्यिक्त, जो भाग लेने वाली राज्य सरकार या राज्य सरकार ारा, यथािस्थित, संघ
राज्यक्षेतर् या संघ राज्यक्षेतर् म से पर्त्येक म या राज्य या राज्य म से पर्त्येक म कृ िष, मीन-उ ोग या उ ोग या व्यवसाय के
िहत का पर्ितिनिधत्व करने के िलए या िकसी ऐसे अन्य िहत का िजसका, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार की
राय म पर्ितिनिधत्व होना चािहए, पर्ितिनिधत्व करने के िलए नामिनदिशत िकया जाएगा ;
(ङ) के न्दर्ीय सरकार के स्वािमत्व, िनयंतर्ण या पर्बन्ध के अधीन और भाग लेने वाले संघ राज्यक्षेतर् या संघ राज्यक्षेतर्
म अविस्थत कम्पिनय या िनगम का पर्ितिनिधत्व करने के िलए दो व्यिक्त, जो के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत िकए
जाएंगे और भाग लेने वाली राज्य सरकार के स्वािमत्व, िनयंतर्ण या पर्बन्ध के अधीन कम्पिनय या िनगम का पर्ितिनिधत्व
करने के िलए दो व्यिक्त जो के न्दर्ीय सरकार ारा नामिनदिशत िकए जाएंगे ;
2
[(च) कदर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकया जाने वाला एक पूणर्कािलक सदस्य-सिचव, िजसके पास पर्दूषण िनयंतर्ण
के वैज्ञािनक, इं जीिनयरी या पर्बंध संबंधी पहलु की अहर्ताएं, ज्ञान और अनुभव ह ।]
(3) जब धारा 13 की उपधारा (1) के खण्ड (ख) के अधीन करार के अनुसरण म कोई संयुक्त बोडर् गिठत िकया जाता है तब,
धारा 4 की उपधारा (4) के उपबन्ध उस संघ राज्यक्षेतर् के सम्बन्ध म लागू नह ह गे िजसके िलए संयुक्त बोडर् गिठत िकया गया है ।
(4) उपधारा (3) के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, धारा 4 की उपधारा (3) और धारा 5 से 12 (दोन सिहत) के उपबन्ध
संयुक्त बोडर् और उसके सदस्य-सिचव के सम्बन्ध म उसी पर्कार लागू ह गे जैसे वे राज्य बोडर् और उसके सदस्य-सिचव के सम्बन्ध म लागू
होते ह ।

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 9 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 7 ारा पर्ितस्थािपत । 
8

(5) इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो, राज्य बोडर् के पर्ित िकसी िनदश का अथर् इस पर्कार िकया
जाएगा मानो उसके अन्तगर्त संयक्
ु त बोडर् भी है ।
15. िनदेश देने के संबध
ं म िवशेष उपबंध—इस अिधिनयम म िकसी बात के होते हुए भी, जहां धारा 13 के अधीन कोई
संयुक्त बोडर् गिठत िकया जाता है वहां,—
(क) इस अिधिनयम के अधीन कोई िनदेश देने के िलए उस राज्य की सरकार, िजसके िलए संयुक्त बोडर् गिठत िकया
जाता है, उन्ह दशा म सक्षम होगी िजनम ऐसा िनदेश उस राज्य की अनन्य राज्यक्षेतर्ीय अिधकािरता के भीतर िकसी
िवषय से सम्बिन्धत है ;
(ख) जहां ऐसा िनदेश दो या अिधक राज्य की राज्यक्षेतर्ीय अिधकािरता के भीतर िकसी िवषय से सम्बिन्धत है या
िकसी संघ राज्यक्षेतर् के बारे म है वहां इस अिधिनयम के अधीन िनदेश देने के िलए के वल के न्दर्ीय सरकार सक्षम होगी ।
अध्याय 4

बोड की शिक्तयां और कृ त्य


16. के न्दर्ीय बोडर् के कृ त्य—(1) इस अिधिनयम के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, के न्दर्ीय बोडर् का मुख्य कृ त्य यह होगा िक वह
राज्य के िविभन्न क्षेतर् की सिरता और कु म सफाई की अिभवृि करे ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी कृ त्य की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, के न्दर्ीय बोडर् िनम्निलिखत कृ त्य म से सभी
या िकसी का पालन कर सके गा, अथार्त् :—
(क) जल पर्दूषण के िनवारण तथा िनयंतर्ण से संब िकसी िवषय पर के न्दर्ीय सरकार को सलाह देना ;
(ख) राज्य बोड के िकर्याकलाप म समन्वय करना और उनके बीच के िववाद को सुलझाना ;
(ग) राज्य बोड को तकनीकी सहायता देना और उनका मागर्दशर्न करना, जल पर्दूषण की तथा जल पर्दूषण के
िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन की समस्या से सम्बिन्धत अन्वेषण और अनुसंधान िकर्यािन्वत और पर्ायोिजत करना ;
(घ) जल पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन के कायर्कर्म म लगे हुए या लगाए जाने वाले व्यिक्तय के
पर्िशक्षण की ऐसे िनबन्धन और शत पर योजना बनाना और उसे संगिठत करना िजन्ह के न्दर्ीय बोडर् िविनिदष्ट करे ;
(ङ) जल पर्दूषण के िनवारण तथा िनयंतर्ण के बारे म जनसंपकर् के माध्यम से व्यापक कायर्कर्म बनाना ;
[(ङङ) िकसी राज्य बोडर् के ऐसे कृ त्य का पालन करना जो धारा 18 की उपधारा (2) के अधीन िकए गए िकसी
1

आदेश म िविनिदष्ट िकए जाएं ;]


(च) जल पर्दूषण से और उसे पर्भावी िनवारण तथा िनयंतर्ण के िलए पर्किल्पत उपाय से सम्बिन्धत तकनीकी और
सांिख्यकीय आंकड़े एकतर्, संकिलत और पर्कािशत करना और मल तथा व्यावसाियक बिह:सर्ाव की अिभिकर्या और व्ययन से
सम्बिन्धत िनदिशकाएं, संिहताएं या पथ पर्दिशकाएं तैयार करना और उनसे संब जानकारी का पर्सार करना ;
(छ) संब राज्य सरकार के परामशर् से सिरता या कु एं के िलए मानक अिधकिथत करना, उसम उपान्तरण करना
या उसे बाितल करना :
परन्तु जल की क्वािलटी, सिरता या कु एं म बहाव की पर्कृ ित और ऐसी सिरता या कु एं या सिरता या कु के जल
के उपयोग की पर्कृ ित को ध्यान म रखते हुए एक ही सिरता या कु एं के िलए अथवा िविभन्न सिरता या कु के िलए
िविभन्न मानक अिधकिथत िकए जा सकगे ;
(ज) जल पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन के िलए राष्टर्व्यापी कायर्कर्म की योजना बनाना और उसे
िनष्पािदत कराना ;
(झ) ऐसे अन्य कृ त्य का पालन करना जो िविहत िकए जाएं ।
(3) बोडर् इस धारा के अधीन अपने कृ त्य का, िजनके अन्तगर्त िकसी सिरता या कु एं से जल के नमून का अथवा िकसी मल या
व्यावसाियक बिह:सर्ाव के नमून का िवश्लेषण भी है, दक्ष पालन करने के िलए अपने को समथर् बनाने के िलए एक या अिधक
पर्योगशालाएं स्थािपत कर सके गा या उन्ह मान्यता दे सके गा ।
17. राज्य बोडर् के कृ त्य—(1) इस अिधिनयम के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, राज्य बोडर् के कृ त्य िनम्निलिखत ह गे—
(क) राज्य म सिरता और कु के पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन के िलए व्यापक कायर्कर्म की योजना
बनाना तथा उसके िनष्पादन को सुिनिश्चत करना ;

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 8 ारा अंत:स्थािपत ।
9

(ख) जल पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन से संब िकसी िवषय पर राज्य सरकार को सलाह देना ;
(ग) जल पर्दूषण और उसके िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन से संबंिधत जानकारी एकतर् करना और उसका
पर्सार करना ;
(घ) जल पर्दूषण तथा जल पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन की समस्या से संबंिधत अन्वेषण और
अनुसध
ं ान को बढ़ावा देना, उनका संचालन करना और उनम भाग लेना ;
(ङ) जल पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन से संबंिधत कायर्कर्म म लगे हुए या लगाए जाने वाले व्यिक्तय
के पर्िशक्षण को संगिठत करने म के न्दर्ीय बोडर् के साथ सहयोग करना और उससे संबंिधत सावर्जिनक िशक्षा के कायर्कर्म
बनाना ;
(च) मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव का, मल और व्यावसाियक बिह:सर्ाव की अिभिकर्या के िलए संकमर् और संयंतर्
का िनरीक्षण करना और जल की अिभिकर्या के िलए स्थािपत संयंतर् से, उसके शु करने के िलए संकम से और मल या
व्यावसाियक बिह:सर्ाव के व्ययन की प ित से, या इस अिधिनयम ारा अपेिक्षत कोई सम्मित पर्दान करने से सम्बिन्धत
योजना , िविनदश या अन्य आंकड़ की समीक्षा करना ;
(छ) मल और व्यावसाियक बिह:सर्ाव के िलए बिह:सर्ाव के िनस्सरण के पिरणामस्वरूप पर्ाप्त हो रहे जल की
(जो अन्तरार्िज्यक सिरता का जल न हो) क्वािलटी के िलए बिह:सर्ाव मानक अिधकिथत करना, उनम उपान्तरण करना या
उन्ह बाितल करना और राज्य के जल का वग करण करना ;
(ज) िविभन्न क्षेतर् की मृदा, जलवायु और जलसर्ोत की िवशेष दशा का और िवशेष रूप से सिरता और कु
म जल के बहाव की िव मान पर्कृ ित का, िजसके कारण तनुकरण की न्यूनतम िडगर्ी भी संभव नह है, ध्यान रखते हुए मल
और व्यावसाियक बिह:सर्ाव की अिभिकर्या की िमतव्ययी और िवश्वसनीय प ितयां िनकालना ;
(झ) कृ िष म मल और उपयुक्त व्यावसाियक बिह:सर्ाव के उपयोग की प ितयां िवकिसत करना ;
(ञ) भूिम पर ऐसे मल और व्यावसाियक बिह:सर्ाव के व्ययन की दक्ष प ितयां िवकिसत करना जो सिरता के क्षीण
बहाव के कारण तनुकरण की न्यूनतम िडगर्ी वषर् के अिधकतर भाग म नह हो सकती है, व्ययन के िलए दक्ष प ितयां
िवकिसत करना ;
(ट) िकसी सिरता म, अच्छे मौसम म, न्यूनतम तनुकरण को और ऐसे बिह:सर्ाव के िनस्सरण के पश्चात् उस सिरता
के जल म अनुज्ञय
े पर्दूषण की सहनसीमा को ध्यान म रखते हुए िकसी िवशेष सिरता म िनस्सिरत िकए जाने वाले मल और
व्यावसाियक बिह:सर्ाव की अिभिकर्या के मानक अिधकिथत करना ;
(ठ) िनम्निलिखत के िलए आदेश करना, उसम उपान्तरण करना या उसे वापस लेना :—
(i) सिरता या कु म अपिशष्ट के िनस्सरण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन के िलए आदेश,
(ii) संपृक्त व्यिक्त से मल और व्यावसाियक बिह:सर्ाव के व्ययन की नई प ितय का िनमार्ण करने की
या िकसी िव मान प ित म उपान्तरण, पिरवतर्न या िवस्तार करने की या रोकथाम के ऐसे उपाय अपनाने की,
जल पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन के िलए आवश्यक उपचार करने की अपेक्षा करने वाला आदेश ;
(ड) मल या कचड़ा या दोन का िनस्सरण कराते समय व्यिक्तय ारा अनुपालन िकए जाने वाले बिह:सर्ाव के
मानक अिधकिथत करना और मल और व्यावसाियक बिह:सर्ाव के िलए मानक अिभकिथत करना, उनम उपान्तरण करना या
उन्ह बाितल करना ;
(ढ) राज्य सरकार को िकसी ऐसे उ ोग के अवस्थान के बारे म सलाह देना, िजसके चलाए जाने से िकसी सिरता या
कु एं का पर्दूषण संभाव्य है ;
(ण) ऐसे अन्य कृ त्य का पालन करना जो के न्दर्ीय बोडर् या राज्य सरकार ारा िविहत िकए जाएं या उसे
समय-समय पर स पे जाएं ।
(2) बोडर् इस धारा के अधीन अपने कृ त्य का, िजनके अन्तगर्त िकसी सिरता या कु एं से जल के नमूने का अथवा िकसी मल या
व्यावसाियक बिह:सर्ाव के नमूने का िवश्लेषण भी है, दक्ष पालन करने के िलए अपने को समथर् बनाने के िलए एक या अिधक
पर्योगशालाएं स्थािपत कर सके गा या उन्ह मान्यता दे सके गा ।
18. िनदेश देने की शिक्तयां— 1 [(1)] इस अिधिनयम के अधीन अपने कृ त्य के पालन म—
(क) के न्दर्ीय बोडर् ऐसे िलिखत िनदेश से आब होगा जो के न्दर्ीय सरकार उसे दे ; तथा
(ख) हर राज्य बोडर्, ऐसे िलिखत िनदेश से आब होगा जो के न्दर्ीय बोडर् या राज्य सरकार उसे दे :

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 9 ारा उपधारा (1) के रूप म पुन:संख्यांिकत तथा अन्य उपधाराएं अंत:स्थािपत ।
10

परन्तु जहां राज्य सरकार ारा िदया गया कोई िनदेश के न्दर्ीय बोडर् ारा िदए गए िनदेश से असंगत हो, वहां वह मामला
के न्दर्ीय सरकार को उसके िविनश्चय के िलए िनिदष्ट िकया जाएगा ।
[(2) जहां के न्दर्ीय सरकार की यह राय है िक िकसी राज्य बोडर् ने कदर्ीय बोडर् ारा उपधारा (1) के अधीन िदए गए िकन्ह
1

अनुदश
े का अनुपालन करने म व्यितकर्म िकया है और ऐसे व्यितकर्म के पिरणामस्वरूप एक गंभीर आपात िस्थित उत्पन्न हो गई है और
लोकिहत म ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है वहां वह, आदेश ारा, के न्दर्ीय बोडर् को ऐसे क्षेतर् के संबंध म, ऐसी कालाविध के िलए
और ऐसे पर्योजन के िलए जो आदेश म िविनिदष्ट िकए जाएं, राज्य बोडर् के िकन्ह कृ त्य का पालन करने का िनदेश दे सके गी ।
(3) जहां के न्दर्ीय बोडर् उपधारा (2) के अधीन िकसी िनदेश के अनुसरण म राज्य बोडर् के िकन्ह कृ त्य का पालन करता है वहां
कदर्ीय बोडर् ारा ऐसे कृ त्य के पालन की बाबत उपगत व्यय, यिद कोई ह , यिद राज्य बोडर् ऐसे व्यय को वसूल करने के िलए सशक्त
है, तो कदर्ीय बोडर् ारा, उस तारीख से जब ऐसे व्यय के िलए मांग की जाती है, उस तारीख तक के िलए जब उनका संदाय कर िदया
जाता है, उस संबंिधत व्यिक्त या व्यिक्तय से (ऐसी युिक्तयुक्त दर पर जो कदर्ीय सरकार आदेश ारा िनयत करे ) भू-राजस्व की
बकाया या लोक मांग के रूप म ब्याज सिहत वसूल िकए जा सकगे ।
(4) शंका के िनवारण के िलए यह घोिषत िकया जाता है िक िकसी क्षेतर् की बाबत िकसी राज्य बोडर् के कृ त्य का पालन
करने के िलए उपधारा (2) के अधीन िदए गए कोई िनदेश, राज्य बोडर् को राज्य के िकसी अन्य क्षेतर् म ऐसे कृ त्य का या उस क्षेतर् म
अपने िकसी अन्य कृ त्य का पालन करने से पर्वािरत नह करे गा ।]
अध्याय 5

जल पर्दूषण का िनवारण तथा िनयंतर्ण


19. राज्य सरकार की इस अिधिनयम के लागू होने को कितपय क्षेतर् तक िनबर्िन्धत करने की शिक्त—(1) इस अिधिनयम म
िकसी बात के होते हुए भी, यिद राज्य सरकार की, राज्य बोडर् से परामशर् करने के पश्चात् या उसकी िसफािरश पर, यह राय है िक इस
अिधिनयम के उपबन्ध सम्पूणर् राज्य को लागू होने आवश्यक नह ह तो वह, राजपतर् म अिधसूचना ारा, इस अिधिनयम के लागू होने
को ऐसे क्षेतर् या क्षेतर् तक िनबर्िन्धत कर सके गी जो उसम जल पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण क्षेतर् या क्षेतर् के रूप म घोिषत िकए जाएं
और तब इस अिधिनयम के उपबन्ध ऐसे क्षेतर् या क्षेतर् को लागू ह गे ।
(2) हर एक जल पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण क्षेतर् या तो िकसी मानिचतर् के पर्ित िनदश ारा या िकसी जल-शेड की रे खा
या िकसी िजले की सीमा के पर्ित िनदश ारा अथवा अंशत: एक प ित ारा और अंशत: िकसी अन्य के ारा घोिषत िकया जा सके गा ।
(3) राज्य सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा,—
(क) िकसी जल पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण क्षेतर् को, चाहे उसका िवस्तार करके या उसे कम करके पिरवितत कर
सके गी ; या
(ख) ऐसा नया जल पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण क्षेतर् पिरिनिश्चत कर सके गी, िजसम एक या अिधक जल पर्दूषण
िनवारण तथा िनयंतर्ण क्षेतर् या उसका कोई भाग अथवा उसके कोई भाग सिम्मिलत िकए जा सक ।
20. जानकारी अिभपर्ाप्त करने की शिक्त—(1) राज्य बोडर् को इस अिधिनयम ारा या के अधीन पर्द कृ त्य का पालन करने
म उसे समथर् बनाने के पर्योजन के िलए, राज्य बोडर् या उसके ारा उस िनिम सशक्त कोई अिधकारी िकसी क्षेतर् का सवक्षण कर
सके गा और ऐसे क्षेतर् म िकसी सिरता या कु एं के पर्वाह या आयतन तथा अन्य िवशेषता का पर्मापन कर सके गा और उनके अिभलेख
रख सके गा, तथा ऐसे क्षेतर् या उसके िकसी भाग म वषार् के माप और अिभलेखन के िलए और उन पर्योजन के िलए पर्मािपय और अन्य
सािधतर् तथा तत्संगत संकम के संस्थापन और अनुरक्षण के िलए कायर्वाही कर सके गा और सिरता-सवक्षण तथा ऐसी अन्य
कायर्वािहयां कर सके गा जो पूव क्त पर्योजन के िलए अपेिक्षत कोई जानकारी अिभपर्ाप्त करने की दृिष्ट से आवश्यक हो ।
(2) राज्य बोडर् िकसी ऐसे व्यिक्त से, जो उसकी राय म उस क्षेतर् म िकसी ऐसी सिरता या कु एं से ऐसे पिरमाण म, जो उस
सिरता या कु एं के पर्वाह या आयतन के सम्बन्ध म सारवान् हो, जल िनकाल रहा हो या िकसी ऐसी सिरता या कु एं म मल या
व्यावसाियक बिह:सर्ाव िनस्सािरत कर रहा हो, यह अपेक्षा करते हुए िनदेश दे सके गा िक वह ऐसे िनकालने या िनस्सारण के सम्बन्ध म
ऐसी जानकारी ऐसे समय पर और ऐसे पर्रूप म दे जो िनदेश म िविनिदष्ट िकए जाएं ।
(3) उपधारा (2) के उपबन्ध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, राज्य बोडर्, जल के पर्दूषण के िनवारण या िनयंतर्ण की दृिष्ट से
िकसी ऐसे स्थापन के पर्भारी िकसी व्यिक्त से, जहां कोई 2 [उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या या अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली] िकया जाता
है, यह अपेक्षा करते हुए िनदेश दे सके गा िक वह बोडर् को ऐसे स्थापन या िकसी व्ययन प ित के या उसके िकसी िवस्तार या पिरवधर्न के
सिन्नमार्ण, संस्थापन या संिकर्या के बारे म उसे जानकारी और ऐसी अन्य िविशिष्टयां दे जो िविहत की जाएं ।
21. बिह:सर्ाव के नमूने लेने की शिक्त और उसके संबध
ं म अनुसिरत की जाने वाली पर्िकर्या—(1) राज्य बोडर् या उसके ारा
इस िनिम सशक्त िकसी अिधकारी को यह शिक्त होगी िक वह िवश्लेषण के पर्योजन के िलए क्षेतर् की िकसी सिरता या कु एं से जल के

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 9 ारा उपधारा (1) के रूप म पुन:संख्यांिकत तथा अन्य उपधाराएं अंत:स्थािपत । 
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 10 ारा पर्ितस्थािपत ।
11

अथवा िकसी ऐसे मल अथवा व्यावसाियक बिह:सर्ाव के , जो िकसी संयंतर् या जलयान से या िकसी स्थान से या उसके ऊपर से िकसी
ऐसी सिरता या कु एं म जा रहा हो, नमूने ले ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िकसी मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव के िलए गए िकसी नमूने के िकसी िवश्लेषण का पिरणाम
िकसी िविधक कायर्वाही म सा य म तब तक गर्ा नह होगा जब तक िक उपधारा (3), (4) और (5) के उपबन्ध का पालन न कर
िदया जाए ।
(3) उपधारा (4) और (5) के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, जब िकसी मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव का नमूना (िमिशर्त या
अन्यथा जैसा भी पर्युक्त पर्िकर्या म आवश्यक हो) उपधारा (1) के अधीन िवश्लेषण के िलए िलया गया हो, तब नमूना लेने
वाला व्यिक्त—
(क) संयंतर् या जलयान के पर्भारी या उस पर िनयंतर्ण रखने वाले या उस स्थान के अिधष्ठाता व्यिक्त को (िजस
व्यिक्त को इसम इसके पश्चात् अिधष्ठाता कहा गया है) अथवा ऐसे अिधष्ठाता के िकसी अिभकतार् को वह तत्काल उसके
िवश्लेषण करने के अपने िकसी आशय की सूचना की तामील ऐसे पर्रूप म करे गा जो िविहत िकया जाए ;
(ख) अिधष्ठाता या अिधष्ठाता के अिभकतार् की उपिस्थित म नमूने को दो भाग म िवभािजत करे गा ;
(ग) हर भाग को एक आधान म रखवाएगा िजसे िचिह्नत और सीलबन्द कर िदया जाएगा और नूमना लेने वाले
व्यिक्त और अिधष्ठाता या उसके अिभकतार्, दोन ारा, हस्ताक्षिरत भी िकया जाएगा ;
(घ) एक आधान को तुरन्त,—
(i) उस दशा म, जहां ऐसा नमूना िकसी संघ राज्यक्षेतर् म िस्थत िकसी क्षेतर् से िलया गया है, धारा 16 के
अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त पर्योगशाला को भेजेगा, और
(ii) िकसी अन्य दशा म धारा 17 के अधीन राज्य बोडर् ारा स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त पर्योगशाला
को भेजेगा ;
(ङ) दूसरे आधान को अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् के अनुरोध पर,—
(i) उस दशा म जब नमूना संघ राज्यक्षेतर् म िस्थत िकसी क्षेतर् से िलया गया है, धारा 51 की उपधारा (1)
के अधीन स्थािपत या िविनिदष्ट पर्योगशाला को भेजेगा, और
(ii) िकसी अन्य दशा म, धारा 52 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत या िविनिदष्ट पर्योगशाला
को भेजेगा ।
जब उपधारा (1) के अधीन िवश्लेषण के िलए िकसी मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव का नमूना िलया जाता है और
1 [(4)

नमूना लेने वाला व्यिक्त अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् पर उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन सूचना तामील करता है और
अिधष्ठाता या उसका अिभकतार् जानबूझकर अनुपिस्थत रहता है, तब—
(क) इस पर्कार िलया गया नूमना एक आधान म रखा जाएगा िजसे िचिह्नत तथा सीलबन्द िकया जाएगा और
नमूना लेने वाला व्यिक्त उस पर अपना हस्ताक्षर भी करे गा और उसे उपधारा (3) के खण्ड (ङ) के , यथािस्थित, उपखण्ड (i)
या उपखण्ड (ii) म िनिदष्ट पर्योगशाला म िवश्लेषण के िलए तुरन्त भेजेगा और वह व्यिक्त ारा धारा 53 की, यथािस्थित,
उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन िनयुक्त सरकारी िवश्लेषक को अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् के जानबूझकर
अनुपिस्थत होने के बारे म िलिखत जानकारी देगा ; और
(ख) ऐसे नमूने का िवश्लेषण कराने म उपगत खचर् अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् ारा संदय
े होगा और ऐसे संदाय
म व्यितकर्म होने की दशा म वह, यथािस्थित, अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् से भू-राजस्व या लोक मांग की बकाया के रूप
म वसूल िकया जा सके गा :
परन्तु ऐसी कोई वसूली तब तक नह की जाएगी जब तक िक, यथािस्थित, अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् को उस
िवषय म सुनवाई का युिक्तयुक्त अवसर न दे िदया गया हो ।]
(5) जब उपधारा (1) के अधीन िवश्लेषण के िलए िकसी मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव का नमूना िलया जाता है और नमूना
लेने वाला व्यिक्त अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् पर उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन सूचना तामील करता है और अिधष्ठाता या
उसका अिभकतार्, जो नमूना लेने के समय उपिस्थत है, उपधारा (3) के खण्ड (क) म यथा उपबिन्धत नमूने को दो भाग म िवभािजत
करने के िलए अनुरोध नह करता है तब, इस पर्कार िलया गया नमूना एक ऐसे आधान म रखा जाएगा िजसे िचिह्नत तथा सीलबन्द
िकया जाएगा और नमूना लेने वाले व्यिक्त ारा उस पर हस्ताक्षर भी िकए जाएंगे और उपधारा (3) के खण्ड (घ) के , यथािस्थित,
उपखण्ड (i) या उपखण्ड (ii) म िनिदष्ट पर्योगशाला को िवश्लेषण के िलए उस व्यिक्त ारा तुरन्त भेजा जाएगा ।

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 10 ारा पर्ितस्थािपत । 
12

22. धारा 21 के अधीन िलए गए नमून के िवश्लेषण के पिरणाम की िरपोटर्—(1) जहां िकसी मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव
का नमूना, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् ारा स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त पर्योगशाला को िवश्लेषण के िलए भेजा गया है वहां
धारा 53 की उपधारा (3) के अधीन िनयुक्त सम्ब बोडर्-िवश्लेषक नमूने का िवश्लेषण करे गा और िविहत पर्रूप म ऐसे िवश्लेषण के
पिरणाम की िरपोटर् तीन पर्ितय म, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् को भेजेगा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िरपोटर् की पर्ािप्त पर िरपोटर् की एक पर्ित, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् ारा धारा 21
म िनिदष्ट अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् को भेजी जाएगी, दूसरी पर्ित उस दशा म, जहां उसके िवरु कोई िविधक कायर्वाही की जाए,
न्यायालय के समक्ष पेश करने के िलए रखी जाएगी और अन्य पर्ित सम्ब बोडर् ारा रखी जाएगी ।
(3) जहां कोई नमूना धारा 21 की उपधारा (3) के खण्ड (ङ) या उपधारा (4) के अधीन िवश्लेषण के िलए उसम उिल्लिखत
िकसी पर्योगशाला को भेजा गया है वहां उस उपधारा म िनिदष्ट सरकारी िवश्लेषक नमूने का िवश्लेषण करे गा और िवश्लेषण के
पिरणाम की िविहत पर्रूप म एक िरपोटर् तीन पर्ितय म, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् को भेजेगा, जो उपधारा (2) के
उपबन्ध का पालन करगे ।
(4) यिद, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् ारा स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त पर्योगशाला ारा िकए गए िवश्लेषण के
पिरणाम और, यथािस्थित, धारा 51 या धारा 52 के अधीन स्थािपत या िविनिदष्ट पर्योगशाला ारा िकए गए िवश्लेषण के पिरणाम
म कोई असंगित या फकर् हो या उनम कोई फे रफार है तो पश्चात्किथत की िरपोटर् अिभभावी होगी ।
(5) अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् के अनुरोध पर िकसी नमूने का िवश्लेषण करने म उपगत खचर् ऐसे अिधष्ठाता या उसके
अिभकतार् ारा संदय
े होगा और व्यितकर्म की दशा म वह उससे भू-राजस्व या लोक मांग की बकाया के रूप म वसूलनीय होगा ।
23. पर्वेश और िनरीक्षण की शिक्त—(1) इस धारा के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, राज्य बोडर् ारा इस िनिम सशक्त
िकसी व्यिक्त को यह अिधकार होगा िक वह, िकसी भी समय ऐसी सहायता से, जो वह आवश्यक समझे िकसी स्थान म िनम्निलिखत
पर्योजन के िलए पर्वेश करे —
(क) उसे स पे गए बोडर् के कृ त्य म से िकसी का पालन करने के पर्योजन के िलए ;
(ख) यह अवधािरत करने के पर्योजन के िलए िक क्या, और यिद हां, तो िकस रीित से, ऐसे िकन्ह कृ त्य का पालन
िकया जाना है या क्या इस अिधिनयम या तद्धीन बनाए गए िनयम के िकन्ह उपबन्ध का या इस अिधिनयम के अधीन
तामील की गई सूचना, िकए गए आदेश, िदए गए िनदेश अथवा अनुद पर्ािधकरण का पालन िकया जा रहा है या िकया
गया है ;
(ग) िकसी संयंतर्, अिभलेख, रिजस्टर, दस्तावेज या िकसी अन्य सारवान् पदाथर् की परीक्षा करने के पर्योजन से
अथवा िकसी ऐसे स्थान की तलाशी लेने के िलए िजसके सम्बन्ध म उसे यह िवश्वास करने का कारण हो िक उसके भीतर इस
अिधिनयम या तद्धीन बनाए गए िनयम के अधीन कोई अपराध िकया गया है या िकया जा रहा है, या िकया जाने वाला है
तथा िकसी ऐसे संयंतर्, अिभलेख, रिजस्टर, दस्तावेज या अन्य सारवान् पदाथर् का उस दशा म अिभगर्हण करने के िलए जब
उसे यह िवश्वास करने का कारण हो िक उससे इस अिधिनयम या तद्धीन बनाए गए िनयम के अधीन दण्डनीय िकसी
अपराध के करने का सा य िदया जा सके गा :
परन्तु कु एं के िनरीक्षण के िलए इस उपधारा के अधीन पर्वेश के अिधकार का पर्योग, उस दशा म जहां कु आं िकसी ऐसे पिरसर
म है िजसका उपयोग िनवासीय पर्योजन के िलए होता है और उसका जल अनन्यत: घरे लू पर्योजन के िलए उपयोग िकया जाता है,
उिचत समय पर ही िकया जा सके गा ।
(2) 1 [दण्ड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2)] के उपबन्ध या जम्मू-कश्मीर राज्य के सम्बन्ध म उस राज्य म पर्वृ िकसी
तत्स्थानी िविध के उपबन्ध इस धारा के अधीन िकसी तलाशी या अिभगर्हण को यावत्शक्य, वैसे ही लागू ह गे, जैसे वे, यथािस्थित, उक्त
संिहता की 1[धारा 94] के अधीन या उक्त िविध के तत्स्थानी उपबन्ध के अधीन िनकाले गए वारण्ट के पर्ािधकार के अधीन की गई
िकसी तलाशी या िकए गए अिभगर्हण को लागू होते ह ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए “स्थान” के अन्तगर्त जलयान भी है ।
24. पर्दूषक पदाथर् आिद के व्ययन के िलए सिरता या कु एं के उपयोग पर पर्ितषेध—(1) इस धारा के उपबन्ध के अधीन
रहते हुए—
(क) कोई भी व्यिक्त जानबूझकर िकसी िवषाक्त, अपायकर या पर्दूषक पदाथर् को, जो ऐसे मानक के अनुसार
अवधािरत हो जो राज्य बोडर् ारा अिधकिथत ह , िकसी 2 [सिरता या कु एं या मलनाली म या भूिम पर] (पर्त्यक्षत: या
अपर्त्यक्षत:) न तो पर्वेश कराएगा और न पर्वेश करना अनुज्ञात करे गा ; अथवा

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 11 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 11 ारा पर्ितस्थािपत ।
13

(ख) कोई भी व्यिक्त जानबूझकर िकसी ऐसे अन्य पदाथर् को, जो िक अन्य कारण से या अपने पिरणाम से पर्दूषण
की सारवान् अपवृि ऐसी रीित से करने वाली या करने के िलए संभाव्य है िक िजसम वह सिरता के जल के उिचत पर्वाह म
या तो सीधे या वैसे ही पदाथ से िमलकर अड़चन डाल सके , सिरता म न तो पर्वेश कराएगा और न पर्वेश करना
अनुज्ञात करे गा ।
(2) कोई व्यिक्त इस कारण से िक उसने िनम्निलिखत काय से से िकसी को िकया है या कराया है, उपधारा (1) के अधीन के
िकसी अपराध का दोषी नह होगा, अथार्त् :—
(क) िकसी सिरता म या उसके आरपार या उसके िकनारे या तल के ऊपर कोई भवन, पुल, बार, बांध, जलकपाट,
डाक, बंगसार, नाली या मलनाली या अन्य ऐसे स्थायी संकम का िजनका सिन्नमार्ण करने, सुधार करने या बनाए रखने का
अिधकार उसे है, सिन्नमार्ण करना, िवकास करना या बनाए रखना ;
(ख) भूिम को ठीक करने के पर्योजन के िलए, या ऐसी सिरता के िकनारे या तल को आलम्ब देन,े उसकी मरम्मत
करने या उसे संरिक्षत करने के िलए िकसी सिरता के िकनारे पर या उसके तल म कोई सामगर्ी उस दशा म िनिक्षप्त करना जब
ऐसी सामगर्ी ऐसी सिरता को पर्दूिषत करने के िलए समथर् न हो ;
(ग) िकसी सिरता म कोई रे त या कं कड़ या ऐसा अन्य पर्ाकृ ितक िनक्षेप रखना जो ऐसी सिरता की धारा म से
पर्वािहत हुआ हो या उसके ारा िनिक्षप्त हो गया हो ;
(घ) िकसी कु एं, ताल या जलाशय म इक े हुए िनक्षेप का राज्य बोडर् की सहमित से िकसी सिरता म पर्वेश कराना
या पर्वेश करना अनुज्ञात करना ।
(3) राज्य सरकार, राज्य बोडर् से परामशर् करने के पश्चात् या उसकी िसफािरश पर राजपतर् म अिधसूचना ारा िकसी व्यिक्त
को ऐसी शत के अधीन रहते हुए, यिद कोई ह , जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाएं, उपधारा (1) के पर्वतर्न से छू ट दे सके गी और इस
पर्कार िविनिदष्ट शतर् ऐसी ही अिधसूचना ारा पिरवितत या संशोिधत की जा सकती है ।
25. नए िनकास और नए िनस्सरण पर िनबर्न्धन— 1 [(1) इस धारा के उपबंध के अधीन रहते हुए, राज्य बोडर् की पूवर्
सहमित के िबना कोई भी व्यिक्त,—
(क) कोई ऐसा उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या, या कोई ऐसी अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली या उसम िवस्तार या
पिरवतर्न न तो स्थािपत करे गा और न स्थािपत करने की कोई कायर्वाही करे गा िजससे मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव िकसी
सिरता या कु एं या मलनाली म या भूिम पर िनस्सािरत होने की संभावना है (ऐसा िनस्सारण िजसे इसके पश्चात् इस धारा म
मल का िनस्सारण कहा गया है) ; या
(ख) मल के िनस्सारण के िलए कोई नया या पिरवितत िनकास उपयोग म नह लाएगा ; या
(ग) मल का कोई नया िनस्सारण आरं भ नह करे गा :
परन्तु जल (पर्दूषण िनवारण तथा िनयंतर्ण) संशोधन अिधिनयम, 1988 के पर्ारं भ के ठीक पूवर् कोई उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या
स्थािपत करने की कायर्वाही की ऐसी पर्िकर्या म िजसके िलए ऐसे पर्ारं भ के पूवर् सहमित आवश्यक नह थी, कोई व्यिक्त, ऐसे पर्ारं भ से
तीन मास की अविध के िलए या, यिद उसने तीन मास की उक्त अविध के भीतर ऐसी सहमित के िलए आवेदन िकया है, तो, ऐसे
आवेदन का िनपटारा होने तक ऐसा करना जारी रख सके गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन राज्य बोडर् की सहमित के िलए ऐसे पर्रूप म आवेदन िकया जाएगा, उसम ऐसी िविशिष्टयां ह गी
और उसके साथ ऐसी फीस होगी जो िविहत की जाए ।]
(3) राज्य बोडर्, उपधारा (1) म िनिदष्ट सहमित के िलए आवेदन के सम्बन्ध म ऐसी जांच करे गा, जो वह ठीक समझे, और
ऐसी कोई जांच करते समय ऐसी पर्िकर्या का अनुसरण करे गा जो िविहत की जाए ।
2
[(4) राज्य बोडर्—
(क) उपधारा (1) म िविनिदष्ट अपनी सहमित ऐसी शत के अधीन रहते हुए दे सके गा जो वह अिधरोिपत
करे , जो—
(i) धारा 25 की उपधारा (1) के खंड (क) और खंड (ख) म िनिदष्ट दशा म, मल के िनस्सारण के िबन्दु
के बारे म या मल के िनस्सारण के िलए उस िनकास या िकसी अन्य िनकास के उपयोग के बारे म शत हो सकगी ;
(ii) नए िनस्सारण की दशा म, उस भूिम या पिरसर से जहां से िनस्सारण या नया िनस्सारण िकया जाना
है, बिह:सर्ाव की पर्कृ ित और संरचना, तापमान, आयतन या िनस्सारण की दर के बारे म शत हो सकगी ; और
(iii) वह सहमित के वल ऐसी अविध के िलए िविधमान्य होगी जो आदेश म िविनिदष्ट की जाएं,

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 12 ारा पर्ितस्थािपत । 
14

और अिधरोिपत ऐसी कोई शत िकसी ऐसे व्यिक्त पर आब कर ह गी जो कोई उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या, या अिभिकर्या
और व्ययन पर्णाली या उसम िवस्तार या पिरवधर्न स्थािपत कर रहा है या स्थािपत करने के िलए कोई कदम उठा रहा है या
नए या पिरवितत िनकास का उपयोग कर रहा है या भूिम या पूव क्त पिरसर से बिह:सर्ाव िनस्सािरत कर रहा है ; या
(ख) लेखब िकए जाने वाले कारण से, ऐसी सहमित से इं कार कर सके गा ।
(5) जहां, राज्य बोडर् की सहमित के िबना कोई उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या, या कोई अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली या उसम
कोई िवस्तार या पिरवधर्न स्थािपत िकया जाता है या ऐसे स्थापन के िलए कोई कदम उठाएं गए ह या कोई नया या पिरवितत िनकास
मल के िनस्सारण के िलए उपयोग म लाया जाता है या मल का नया िनस्सारण िकया जाता है, वहां राज्य बोडर् उस व्यिक्त पर िजसने,
यथािस्थित, कोई उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या, या अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली या उसम कोई िवस्तार या पिरवधर्न स्थािपत िकया है
या स्थािपत करने के िलए कदम उठाए ह या जो िनकास का उपयोग कर रहा है या िनस्सारण कर रहा है, ऐसी शत अिधरोिपत करने
वाली सूचना की तामील कर सके गा जो वह ऐसे स्थापन, ऐसे िनकास या िनस्सारण की बाबत अपनी सहमित के िलए िकसी आवेदन पर
अिधरोिपत कर सकता ।
(6) हर राज्य बोडर् एक रिजस्टर रखेगा िजसम इस धारा के अधीन अिधरोिपत शत की िविशिष्टयां अंतिवष्ट ह गी और
रिजस्टर का उतना भाग िजसका संबंध िकसी भूिम या पिरसर से िकसी िनकास से, या िकसी बिह:सर्ाव से हो, यथािस्थित, उस िनकास,
भूिम या पिरसर म िहतब या उससे पर्भािवत िकसी व्यिक्त या उसके ारा इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी व्यिक्त ारा िनरीक्षण के िलए
सभी उिचत समय पर खुला रहेगा और ऐसे रिजस्टर म इस पर्कार अंतिवष्ट शत इस बात का िनश्चायक सबूत ह गी िक सहमित ऐसी
शत के अधीन दी गई थी ।]
(7) उपधारा (1) म िनिदष्ट सहमित के बारे म, जब तक िक वह पहले से दी या नामंजूर न कर दी जाए, यह समझा जाएगा
िक वह राज्य बोडर् को इस िनिम िकए सभी पर्कार से पूणर् आवेदन िकए जाने से चार मास की कालाविध के अवसान पर िबना शतर् दे
दी गई है ।
(8) इस धारा और धाराएं 27 तथा 30 के पर्योजन के िलए—
(क) “नए या पिरवितत िनकास” पद से ऐसा कोई िनकास अिभपर्ेत है जो इस अिधिनयम के पर्ारम्भ पर या उसके
पश्चात् पूणर्त: या अंशत: सिन्निमत िकया जाए या जो (चाहे इस पर्कार सिन्निमत हो या न हो) ऐसे पर्ाम्भ के पश्चात् सारत:
पिरवितत िकया जाए ;
(ख) “नए िनस्सरण” पद से ऐसा िनस्सरण अिभपर्ेत है जो बिह:सर्ाव की पर्कृ ित और संरचना, तापमान, आयतन
और िनस्सरण की दर के बारे म, पूवर्वत बारह मास के भीतर (चाहे उसी या िकसी िविभन्न िनकास ारा) िकए गए
िनस्सरण का सारत: चालू रहना नह है, िकन्तु यह इस पर्कार िक िकसी ऐसे िनस्सरण के बारे म, जो अन्य बात म इस पर्कार
यथापूव क्त िकए गए पूवर् िनस्सरण का चालू रहना है यह नह समझा जाएगा िक वह, पूवर् िनस्सरण की तुलना म उस
बिह:सर्ाव के तापमान या आयतन या िनस्सरण की रफ्तार म कोई कमी के कारण नया िनस्सरण है ।
26. मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव के िव मान िनस्सरण के बारे म उपबन्ध—जहां इस अिधिनयम के पर्ारम्भ होने के ठीक
पहले कोई व्यिक्त िकसी 1 [सिरता या कु एं या मलनल म या भूिम पर] कोई मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव का िनस्सरण कर रहा था,
वहां धारा 25 के उपबन्ध, जहां तक हो सके ऐसे व्यिक्त के सम्बन्ध म उसी पर्कार लागू ह गे जैसे िक वे उस धारा म िनिदष्ट व्यिक्त के
सम्बन्ध म लागू होते ह, िकन्तु इस उपान्तरण के अधीन रहते हुए िक उस धारा की उपधारा (2) के अधीन दी जाने वाली सहमित के
िलए आवेदन 1[ऐसी तारीख को या उसके पूवर् िकया जाएगा, जो राज्य सरकार इस िनिम , राजपतर् म अिधसूचना ारा,
िविनिदष्ट करे ।]
27. राज्य बोडर् ारा सहमित देने से इं कार करना या सहमित का वापस िलया जाना— 2 [(1) राज्य बोडर्, धारा 25 की
उपधारा (4) के अधीन कोई उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या, या अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली या उसम िवस्तार या पिरवधर्न स्थािपत
करने के िलए, या कोई नया या पिरवितत िनकास का उपयोग करने के िलए अपनी सहमित तब तक नह देगा जब तक िक उ ोग,
संिकर्या, पर्िकर्या या अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली या उसम िवस्तार या पिरवधर्न या िनकास को इस पर्कार स्थािपत न िकया गया हो
िक उन शत का अनुपालन हो जाए जो बोडर् को बिह:सर्ाव के नमूने लेने के अिधकार या पर्योग करने के िलए समथर् बनाने के िनिम
बोडर् ारा अिधरोिपत की गई ह ।]
3 [(2) राज्य बोडर्—
[(क) धारा 25 या धारा 26 के अधीन अिधरोिपत िकसी शतर् का समय-समय पर पुनिवलोकन कर सके गा और उस
2

व्यिक्त पर िजसकी धारा 25 या धारा 26 के अधीन सहमित दी गई है, ऐसी शतर् म कोई युिक्तयुक्त पिरवतर्न करने वाली या
उसका पर्ितसंहरण करने वाली सूचना की तामील कर सके गा ;]

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 13 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 13 ारा पर्ितस्थािपत । 
3
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 14 ारा पर्ितस्थािपत ।
15

(ख) धारा 25 की उपधारा (1) या धारा 26 म िनिदष्ट िकसी सहमित से इं कार का या िकसी शतर् के िबना ऐसी
सहमित देने का पुनिवलोकन समय-समय पर कर सके गा और ऐसे आदेश कर सके गा जो वह ठीक समझे ।]
(3) धारा 25 या धारा 26 के अधीन अिधरोिपत कोई शतर् उपधारा (2) के अधीन िकए गए िकसी पिरवतर्न के अधीन होगी
और वह तब तक पर्वृ रहेगी जब तक िक वह उस उपधारा के अधीन पर्ितसंहृत नह कर दी जाती ।
28. अपील—(1) धारा 25, धारा 26 या धारा 27 के अधीन राज्य बोडर् ारा िकए गए िकसी आदेश से व्यिथत कोई व्यिक्त
उस तारीख से, िजसको उसे वह आदेश संसूिचत िकया गया हो, तीस िदन के भीतर ऐसे पर्ािधकारी को (िजसे इसम इसके पश्चात् अपील
पर्ािधकारी कहा गया है) अपील कर सके गा िजसे राज्य सरकार गिठत करना ठीक समझे :
परन्तु अपील पर्ािधकारी तीस िदन की उक्त कालाविध के अवसान के पश्चात् अपील उस दशा म गर्हण कर सके गा जब ऐसे
पर्ािधकारी का समाधान हो जाए िक अपीलाथ समय के भीतर अपील फाइल करने म पयार्प्त हेतुक से िनवािरत हो गया था ।
अपील पर्ािधकारी ऐसे एक व्यिक्त या तीन व्यिक्तय से िमलकर बनेगा, िजन्ह राज्य सरकार ठीक समझे और जो उस
1 [(2)

सरकार ारा िनयुक्त िकए जाएंगे ।]


(3) वह पर्रूप िजसम और वह रीित िजससे उपधारा (1) के अधीन अपील की जा सके गी, ऐसी अपील के िलए संदय
े फीस और
अपील पर्ािधकारी ारा अनुसिरत की जाने वाली पर्िकर्या ऐसी होगी जो िविहत की जाए ।
(4) उपधारा (1) के अधीन की गई अपील की पर्ािप्त पर अपील पर्ािधकारी, अपीलाथ और राज्य बोडर् को सुनवाई का अवसर
देने के पश्चात्, अपील का िनपटारा, यथा सम्भवशीघर् करे गा ।
(5) यिद अपील पर्ािधकारी यह अवधािरत करता है िक, यथािस्थित, अिधरोिपत शतर् या िकसी शतर् म कोई पिरवतर्न
अयुिक्तयुक्त था तो—
(क) जहां अपील, अिधरोिपत िकसी शतर् की अयुिक्तयुक्तता की बाबत हो, वहां ऐसा पर्ािधकारी यह िनदेश दे
सके गा िक वह शतर् या तो बाितल की हुई मानी जाएगी या उसके स्थान पर ऐसी शतर् रखी जाएगी जो उसे युिक्तयुक्त
पर्तीत हो ;
(ख) जहां अपील िकसी शतर् म पिरवतर्न की अयुिक्तयुक्तता की बाबत हो, वहां ऐसा पर्ािधकारी यह िनदेश दे
सके गा िक ऐसी शतर् िबना पिरवतर्न के पर्वृ मानी जाएगी या उसम ऐसी रीित से पिरवतर्न िकया जाएगा जो उसे युिक्तयुक्त
पर्तीत हो ।
29. पुनरीक्षण—(1) राज्य सरकार या तो स्वपर्ेरणा से या उसे इस िनिम िकए गए आवेदन पर ऐसे िकसी मामले के , िजसम
राज्य बोडर् ारा धारा 25, धारा 26 या धारा 27 के अधीन कोई आदेश िकया गया हो, अिभलेख को, िकसी ऐसे आदेश की वैधता या
औिचत्य के बारे म अपना समाधान करने के पर्योजन के िलए, िकसी भी समय मांग सके गी और उसके सम्बन्ध म ऐसा आदेश कर सके गी
जो वह ठीक समझे :
परन्तु राज्य सरकार राज्य बोडर् को और ऐसे आदेश से व्यिथत होने वाले व्यिक्त को मामले म सुने जाने का युिक्तयुक्त अवसर
िदए िबना इस उपधारा के अधीन आदेश पािरत नह करे गी ।
(2) राज्य सरकार धारा 25, धारा 26 या धारा 27 के अधीन िकए गए िकसी भी आदेश का पुनरीक्षण उस दशा म नह करे गी
जब उस आदेश के िवरु कोई अपील, अपील पर्ािधकारी को हो सकती है िकन्तु नह की गई है या जहां कोई अपील की जा चुकी है वहां
ऐसी अपील, अपील पर्ािधकारी के समक्ष लिम्बत है ।
30. कितपय संकम को िकर्यािन्वत करने की राज्य बोडर् की शिक्त— 2 [(1) जहां इस अिधिनयम के अधीन िकसी व्यिक्त पर,
धारा 25 या धारा 26 के अधीन सहमित देने के दौरान, कोई शत अिधरोिपत की गई ह और ऐसी शत के अधीन ऐसे व्यिक्त से यह
अपेिक्षत है िक वह उनके संबंध म कोई कायर् िनष्पािदत करे और ऐसा कायर् ऐसे समय के भीतर, जो इस िनिम िविनिदष्ट िकया जाए,
िनष्पािदत नह िकया गया है वहां राज्य बोडर् संबंिधत व्यिक्त पर यह अपेक्षा करने वाली सूचना तामील कर सके गा िक वह तीस िदन से
अन्यून ऐसे समय के भीतर जो सूचना म िविनिदष्ट िकया जाए, उसम िविनिदष्ट कायर् िनष्पािदत करे ।]
(2) यिद संब व्यिक्त उपधारा (1) म िनिदष्ट सूचना म अपेिक्षत कायर् िनष्पािदत करने म असफल रहता है तो उक्त सूचना
म िविनिदष्ट समय के अवसान के पश्चात् राज्य बोडर्, ऐसा कायर् स्वयं िनष्पािदत कर सके गा या िनष्पािदत करा सके गा ।
(3) उस तारीख से, िजसको व्यय की मांग की जाए, संद िकए जाने तक, ऐसी दर पर जो राज्य सरकार, आदेश ारा, िनयत
करे , ब्याज सिहत पूव क्त कायर् के िनष्पादन म राज्य बोडर् ारा उपगत सभी व्यय, संब व्यिक्त से उस बोडर् ारा भू-राजस्व या लोक
मांग की बकाया के रूप म वसूल िकए जा सकगे ।

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 15 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 14 ारा पर्ितस्थािपत ।
16

31. कितपय दशा म राज्य बोड और अन्य अिभकरण को जानकारी देना— 1 [(1) यिद िकसी ऐसे स्थान पर, जहां कोई
उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या, या कोई अिभिकर्या और व्ययन पर्णाली या उसम िवस्तार या पिरवधर्न िकया जा रहा है, दुघर्टना या अन्य
अकिल्पत कायर् या घटना के कारण, िकसी सिरता या कु एं या मलनाली म या भूिम पर कोई िवषाक्त, अपायकर या पर्दूषक पदाथर्
िनस्सािरत हो रहा है, या उसका िनस्सािरत होना संभाव्य है और ऐसे िनस्सारण के पिरणामस्वरूप, ऐसी सिरता या कु एं का जल
पर्दूिषत हो रहा है या उसका पर्दूिषत होना संभाव्य है, तो ऐसे स्थान का भारसाधक व्यिक्त ऐसी दुघर्टना, कायर् या घटना के होने की
संसूचना राज्य बोडर् को और ऐसे अन्य पर्ािधकािरय या अिभकरण को, जो िविहत िकए जाएं, तुरंत देगा ।]
(2) जहां कोई स्थानीय पर्ािधकारी कोई मलवहन प ित या मलवहन संकमर् चलाता है वहां, उपधारा (1) के उपबन्ध ऐसे
स्थानीय पर्ािधकारी को उसी पर्कार लागू ह गे जैसे वे उस स्थान के भारसाधक व्यिक्त के सम्बन्ध म लागू होते ह जहां कोई उ ोग या
व्यापार चलाया जाता है ।
32. सिरता या कु एं के पर्दूषण की दशा म आपात उपाय—(1) जहां राज्य बोडर् को यह पर्तीत हो िक 2 [िकसी सिरता या कु एं म
या भूिम पर ऐसे पदाथर् के िनस्सारण के कारण िकसी सिरता, कु एं म या भूिम पर] कोई िवषाक्त अपायकर या पर्दूषक पदाथर् है या िकसी
दुघर्टना या अन्य अकिल्पत कायर् या घटना के कारण उस 2[सिरता या कु ए म या भूिम पर] पर्वेश कर गया है, और यिद बोडर् की यह राय
हो िक तत्काल कारर् वाई करना आवश्यक या समीचीन है तो वह ऐसे कारण से, जो लेखब िकए जाएंगे, ऐसी संिकर्याएं कर सके गा जो
वह िनम्निलिखत सभी या उनम से िकन्ह पर्योजन के िलए आवश्यक समझे, अथार्त् :—
(क) सिरता या कु एं से उस पदाथर् को हटाना और उसका ऐसी रीित से व्ययन करना जो बोडर् समुिचत समझे ;
(ख) सिरता या कु एं म उस पदाथर् के मौजूद होने के कारण हुए िकसी पर्दूषण का उपचार करना या उसम
कमी करना ;
(ग) संब व्यिक्त को 2[सिरता या कु एं म या भूिम पर] िकसी िवषाक्त, अपायकर या पर्दूषक पदाथर् का िनस्सरण
या सिरता या कु एं के अस्वास्थ्यकर उपयोग करने के तुरन्त अवरु उपचार करना या पर्ितिष करने वाले आदेश
जारी करना ।
(2) उपधारा (1) ारा पर्द शिक्त के अन्तगर्त िकन्ह ऐसे संकम का सिन्नमार्ण करने की शिक्त नह है जो अस्थायी स्वरूप
के उन संकम से िभन्न ह जो संिकर्या के पूरे होने पर या उसके पूवर् हटा िदया जाए ।
33. सिरता या कु के जल के आशंिकत पर्दूषण को अवरु करने के िलए बोडर् की न्यायालय को आवेदन करने की
शिक्त— [(1) जहां बोडर् को यह आशंका है िक िकसी सिरता या कु एं का जल ऐसी सिरता या कु एं या िकसी मलनाली म या िकसी भूिम
3

पर िकसी पदाथर् के व्ययन या संभाव्य व्ययन के कारण, या अन्यथा पर्दूिषत होने की संभावना है, वहां बोडर् ऐसे व्यिक्त को िजसके ारा
ऐसा पर्दूषण कािरत होना संभाव्य है, ऐसा पर्दूषण कािरत करने से अवरु करने के िलए ऐसे न्यायालय को आवेदन दे सके गा, जो
महानगर मिजस्टर्ेट के न्यायालय से या पर्थम वगर् न्याियक मिजस्टर्ेट के न्यायालय से अवर न हो ।]
(2) उपधारा (1) के अधीन आवेदन की पर्ािप्त पर न्यायालय ऐसा आदेश कर सके गा जो वह ठीक समझे ।
(3) जहां न्यायालय िकसी व्यिक्त को िकसी सिरता या कु एं के जल को पर्दूिषत करने से अवरु करने का आदेश उपधारा (2)
के अधीन करता है वहां न्यायालय आदेश म,—
(i) यह िनदेश दे सके गा िक वह व्यिक्त िजसके ारा सिरता या कु एं के जल म पर्दूषण होना सम्भाव्य है या कािरत
िकया गया है, यथािस्थित, ऐसा कायर् करने से पर्ितिवरत रहे िजससे पर्दूषण कािरत होना सम्भाव्य है या ऐसी सिरता या कु एं
से ऐसे पदाथर् को हटाए, और
(ii) बोडर् को पर्ािधकृ त कर सके गा िक, यिद खण्ड (i) के अधीन िनदेश का (जो ऐसी सिरता या कु एं से िकसी पदाथर्
को हटाने का िनदेश है) उस व्यिक्त ारा, िजसे ऐसा िनदेश जारी िकया गया है, पालन नह िकया जाता है तो वह ऐसी रीित
म, जो न्यायालय ारा िविनिदष्ट की जाए, उस पदाथर् के हटाने और व्ययन का काम करे ।
(4) उपधारा (3) के खण्ड (ii) के अधीन पर्ािधकृ त िकए जाने के अनुसरण म िकसी पदाथर् को हटाने म या िकसी ऐसे पदाथर् के
व्ययन म बोडर् ारा उपगत सभी व्यय ऐसे व्ययन से बोडर् को पर्ाप्त िकसी धन म से चुकाए जाएंगे और अितशेष बकाया सम्ब व्यिक्त
से भू-राजस्व या लोक मांग की बकाया के रूप म वसूल िकया जा सके गा ।
िनदेश देने की शिक्त—िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी िकतु इस अिधिनयम के उपबंध और िकन्ह
4 [33क.

िनदेश , जो कदर्ीय सरकार ारा इस िनिम दे, के अधीन रहते हुए, बोडर् इस अिधिनयम के अधीन अपनी शिक्तय का पर्योग और अपने
कृ त्य का पालन करने म, िकसी व्यिक्त, अिधकारी या पर्ािधकारी को िलिखत रूप म कोई िनदेश दे सके गा और ऐसा व्यिक्त, अिधकारी
या पर्ािधकारी ऐसे िनदेश का पालन करने के िलए आब होगा ।

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 15 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 16 ारा पर्ितस्थािपत । 
3
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 17 ारा पर्ितस्थािपत । 
4
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 18 ारा अंत:स्थािपत ।
17

स्पष्टीकरण—शंका को दूर करने के िलए यह घोिषत िकया जाता है िक इस धारा के अधीन िनदेश देने की शिक्त के अंतगर्त
िनम्निलिखत के संबंध म िनदेश देने की शिक्त भी है,—
(क) िकसी उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या का बंद िकया जाना, पर्ितषेध या िविनयमन ; या
(ख) िव ुत, जल के पर्दाय या िकसी अन्य सेवा का बंद िकया जाना या िविनयमन ।]
1 [33ख. राष्टर्ीय हिरत अिधकरण को अपील—कोई व्यिक्त जो,—
(क) राष्टर्ीय हिरत अिधकरण अिधिनयम, 2010 (2010 का 19) के पर्ारं भ होने पर या उसके पश्चात्, धारा 28 के
अधीन िकए गए अपील पर्ािधकारी के िकसी आदेश या िविनश्चय ;
(ख) राष्टर्ीय हिरत अिधकरण अिधिनयम, 2010 (2010 का 19) के पर्ारं भ होने पर या उसके पश्चात्, धारा 29 के
अधीन राज्य सरकार ारा पािरत िकसी आदेश ;
(ग) राष्टर्ीय हिरत अिधकारण अिधिनयम, 2010 (2010 का 19) के पर्ारं भ होने पर या उसके पश्चात्, धारा 33क के
अधीन िकसी बोडर् ारा जारी िनदेश,
से व्यिथत है, वह राष्टर्ीय हिरत अिधकरण अिधिनयम, 2010 की धारा 3 के अधीन स्थािपत राष्टर्ीय हिरत अिधकरण को, उस
अिधिनयम के उपबंध के अनुसार अपील फाइल कर सके गा ।]
अध्याय 6

िनिधयां, लेखा तथा लेखापरीक्षा


34. के न्दर्ीय सरकार ारा अिभदाय—के न्दर्ीय सरकार, संसद् के , िविध ारा, इस िनिम िकए गए सम्यक् िविनयोग के
पश्चात् हर एक िव ीय वषर् म के न्दर्ीय बोडर् को ऐसे अिभदाय कर सके गी जो वह उस बोडर् को इस अिधिनयम के अधीन अपने कृ त्य के
पालन के िलए समथर् बनाने के िलए आवश्यक समझे ।
35. राज्य सरकार ारा अिभदाय—राज्य सरकार, राज्य के िवधान मण्डल के िविध ारा इस िनिम िकए गए सम्यक्
िविनयोग के पश्चात् हर एक िव ीय वषर् म राज्य बोडर् को ऐसे अिभदाय कर सके गी जो वह उस बोडर् को इस अिधिनयम के अधीन
अपने कृ त्य के पालन के िलए समथर् बनाने के िलए आवश्यक समझे ।
36. के न्दर्ीय बोडर् की िनिध—(1) के न्दर्ीय बोडर् स्वयं अपनी िनिध रखेगा, और वे सभी रािशयां, जो समय-समय पर, उसे
के न्दर्ीय सरकार ारा संद की जाएं तथा उस बोडर् की (दान, अनुदान, संदान, उपकृ ित, 2 [फीस] के रूप म या अन्यथा) सभी अन्य
पर्ािप्तयां उस बोडर् की िनिध म जमा की जाएंगी और उस बोडर् ारा सभी संदाय उसी म से िकए जाएंगे ।
(2) के न्दर्ीय बोडर् इस अिधिनयम के अधीन अपने कृ त्य का पालन करने के िलए 3 [और जहां वायु पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण
या उपशमन से सम्बिन्धत तत्समय पर्वृ िकसी िविध म के न्दर्ीय बोडर् ारा उस िविध के अधीन कोई कृ त्य िकए जाने के िलए उपबन्ध
िकया गया हो, वहां उस िविध के अधीन अपने कृ त्य का पालन करने के िलए भी] ऐसी रािशयां व्यय कर सके गा, जो वह ठीक समझे,
और ऐसी रािशयां उस बोडर् की िनिध म से संदय े व्यय मानी जाएंगी ।
37. राज्य बोडर् की िनिध—(1) राज्य बोडर् स्वयं अपनी िनिध रखेगा, और वे सभी रािशयां, जो समय-समय पर, उसे राज्य
सरकार ारा संद की जाएं तथा उस बोडर् की (दान, अनुदान, संदान, उपकृ ित, 4 [फीस] के रूप म या अन्यथा) सभी अन्य पर्ािप्तयां उस
बोडर् की िनिध म जमा की जाएंगी और उस बोडर् ारा सभी संदाय उसी म से िकए जाएंगे ।
(2) राज्य बोडर् 4[और जहां वायु पर्दूषण के िनवारण, िनयंतर्ण या उपशमन से सम्बिन्धत तत्समय पर्वृ िकसी िविध म राज्य
बोडर् ारा उस िविध के अधीन कोई कृ त्य िकए जाने के िलए उपबन्ध िकया गया हो, वहां उस िविध के अधीन अपने कृ त्य का पालन
करने के िलए भी] ऐसी रािशयां व्यय कर सके गा, जो वह ठीक समझे, और ऐसी रािशयां उस बोडर् की िनिध म से संदय े व्यय मानी
जाएंगी ।
[37क. धन उधार लेने की शिक्त—बोडर्, यथािस्थित, कदर्ीय सरकार या राज्य सरकार की सहमित से या उसके ारा उसको
5

िदए गए साधारण या िवशेष पर्ािधकार के िनबंधन के अनुसार उधार के रूप म या बंधपतर्, िडबचर या ऐसी अन्य िलखत को जो वह
ठीक समझे िनगर्िमत करके , इस अिधिनयम के अधीन अपने सभी या िकन्ह कृ त्य के पालन के िलए िकसी भी सर्ोत से धन उधार ले
सके गा ।]

1
2010 के अिधिनयम सं० 19 की धारा 36 और अनुसूची 3 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 16 ारा पर्ितस्थािपत । 
3
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 16 ारा अंत:स्थािपत ।
4
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 17 ारा अंत:स्थािपत । 
5
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 19 ारा अंत:स्थािपत ।
18

38. बजट—यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर् हर एक िव ीय वषर् के दौरान आगामी िव ीय वषर् की बाबत ऐसे पर्रूप
म और ऐसे समय पर, जो िविहत िकया जाए, बजट तैयार करे गा िजसम पर्ाक्किलत पर्ािप्तयां और व्यय दिशत ह गे तथा उसकी पर्ितयां,
यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार को पर्ेिषत की जाएंगी ।
वािषक िरपोटर्—(1) कदर्ीय बोडर्, पर्त्येक िव ीय वषर् के दौरान ऐसे पर्रूप म जो िविहत िकया जाए, एक वािषक िरपोटर्
1 [39.

तैयार करे गा िजसम पूवर्वत िव ीय वषर् के दौरान इस अिधिनयम के अधीन उसके िकर्याकलाप का पूरा िववरण िदया होगा और
उसकी पर्ितयां पूवर्वत िव ीय वषर् की अंितम तारीख से चार मास के भीतर के न्दर्ीय सरकार को पर्ेिषत की जाएंगी और वह सरकार
ऐसी पर्त्येक िरपोटर् को पूवर्वत िव ीय वषर् की अंितम तारीख से नौ मास के भीतर संसद् के दोन सदन के समक्ष रखवाएगी ।
(2) पर्त्येक राज्य बोडर्, पर्त्येक िव ीय वषर् के दौरान ऐसे पर्रूप म जो िविहत िकया जाए, एक वािषक िरपोटर् तैयार करे गा
िजसम पूवव र् त िव ीय वषर् के दौरान इस अिधिनयम के अधीन उसके िकर्याकलाप का पूरा िववरण िदया गया होगा और उसकी पर्ितयां
पूवर्वत िव ीय वषर् की अंितम तारीख से चार मास के भीतर राज्य सरकार को पर्ेिषत की जाएंगी और वह सरकार ऐसी पर्त्येक िरपोटर्
को पूवर्वत िव ीय वषर् की अंितम तारीख से नौ मास के भीतर राज्य िवधान-मंडल के समक्ष रखवाएगी ।]
40. लेखा और लेखापरीक्षा—(1) पर्त्येक बोडर् समुिचत लेखा और अन्य सुसग ं त अिभलेख रखेगा तथा लेखा का वािषक
िववरण ऐसे पर्रूप म तैयार करे गा जो, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार ारा िविहत िकया जाए ।
(2) बोडर् के लेखा की लेखापरीक्षा ऐसे लेखापरीक्षक ारा की जाएगी जो कम्पनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) की
धारा 226 के अधीन कम्पिनय के लेखापरीक्षक के रूप म कायर् करने के िलए सम्यक् रूप म अिहत है ।
(3) उक्त लेखापरीक्षक, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार ारा भारत के िनयंतर्क और महालेक्षापरीक्षक की
सलाह पर िनयुक्त िकया जाएगा ।
(4) इस अिधिनयम के अधीन बोडर् के लेखा की लेखा परीक्षा करने के िलए िनयुक्त पर्त्येक लेखापरीक्षक को बिहय ,
लेखा , संब वाउचर और अन्य दस्तावेज तथा कागज-पतर् के पेश िकए जाने की मांग करने का और बोडर् के कायार्लय म से िकसी
कायार्लय का िनरीक्षण करने का अिधकार होगा ।
(5) पर्त्येक ऐसा लेखापरीक्षक लेखा की लेखापरीक्षा पर्ित सिहत अपनी िरपोटर् की एक पर्ित, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या
राज्य सरकार को भेजेगा ।
(6) के न्दर्ीय सरकार उपधारा (5) के अधीन लेखापरीक्षा िरपोटर् की पर्ािप्त के पश्चात् यथाशीघर्, उसे संसद् के दोन सदन के
समक्ष रखवाएगी ।
(7) राज्य सरकार उपधारा (5) के अधीन लेखापरीक्षा-िरपोटर् की पर्ािप्त के पश्चात् यथाशीघर्, उसे राज्य के िवधान-मण्डल के
समक्ष रखवाएगी ।
अध्याय 7

शािस्तयां और पर्िकर्या
धारा 20 की उपधारा (2) या उपधारा (3) के अधीन िनदेश का, या धारा 32 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अधीन
2 [41.

जारी िकए गए आदेश का या धारा 33 की उपधारा (2) या धारा 33क के अधीन जारी िकए गए िनदेश का अनुपालन करने म
असफलता—(1) जो कोई धारा 20 की उपधारा (2) या उपधारा (3) के अधीन िदए गए िकसी िनदेश का पालन ऐसे समय के भीतर, जो
िनदेश म िविनिदष्ट िकया जाए, करने म सफल रहता है वह दोषिसि पर कारावास से िजसकी अविध तीन मास तक की हो सके गी, या
जुमार्ने से, जो दस हजार रुपए तक हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा और यिद असफलता जारी रहती है, तो ऐसे अितिरक्त जुमार्ने
से, जो पर्थम असफलता के िलए दोषिस िकए जाने के पश्चात् ऐसे पर्त्येक िदन के िलए िजसके दौरान ऐसी असफलता जारी रहती है,
पांच हजार रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
(2) जो कोई धारा 32 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अधीन जारी िकए गए िकसी आदेश का या धारा 33 की उपधारा (2) के
के अधीन िकसी न्यायालय ारा जारी िकए गए िकसी िनदेश का या धारा 33क के अधीन जारी िकए गए िकसी िनदेश का पालन करने
म असफल रहेगा, वह पर्त्येक ऐसी असफलता के संबध ं म ऐसी दोषिसि पर कारावास से, िजसकी अविध एक वषर् और छह मास से कम
की नह होगी, िकतु जो छह वषर् तक की हो सके गी, और जुमार्ने से, दंडनीय होगा और यिद असफलता जारी रहती है तो ऐसे अितिरक्त
जुमार्ने से, जो पर्थम असफलता के िलए दोषिस िकए जाने के पश्चात् ऐसे पर्त्येक िदन के िलए िजसके दौरान ऐसी असफलता जारी
रहती है, पांच हजार रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
(3) यिद उपधारा (2) म िनिदष्ट असफलता दोषिसि की तारीख के पश्चात् एक वषर् की कालाविध से परे जारी रहती है तो
अपराधी कारावास से िजसकी अविध दो वषर् से कम की नह होगी, िकतु जो सात वषर् तक की हो सके गी, और जुमार्ने से,
दंडनीय होगा ।]

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 20 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 21 ारा पर्ितस्थािपत ।
19

42. कितपय काय के िलए शािस्त—(1) जो कोई,—


(क) बोडर् के पर्ािधकार ारा या के अधीन भूिम पर लगाए गए िकसी स्तम्भ, थम्ब या खूंटे को या पर्स्तुत,
अन्तिलिखत या रखी गई िकसी सूचना या अन्य पदाथर् को नष्ट करे गा, िगराएगा, हटाएगा, क्षित पहुंचाएगा या िवरूिपत
करे गा ; अथवा
(ख) बोडर् के आदेश या िनदेश के अधीन कायर् करने वाले िकसी व्यिक्त को इस अिधिनयम के अधीन अपनी
शिक्तय का पर्योग और अपने कृ त्य का पालन करने म बािधत करे गा ; अथवा
(ग) बोडर् के िकसी संकमर् या सम्पि को नुकसान पहुंचाएगा ; अथवा
(घ) बोडर् के िकसी अिधकारी या अन्य कमर्चारी को ऐसी कोई जानकारी देने म असफल रहेगा िजसकी वह इस
अिधिनयम के पर्योजन के िलए अपेक्षा करे ; अथवा
(ङ) धारा 31 के अधीन िकसी दुघर्टना या अन्य अकिल्पत कायर् या घटना के होने की सूचना उस धारा ारा
यथापेिक्षत बोडर् और अन्य पर्ािधकािरय या अिभकरण को देने म असफल रहेगा ; अथवा
(च) कोई ऐसी जानकारी देने म, िजसका िदया जाना उससे इस अिधिनयम के अधीन अपेिक्षत है, जानते हुए या
जानबूझकर ऐसा कथन करता है िजसका कोई महत्वपूणर् अंश िमथ्या है ; अथवा
(छ) धारा 25 या धारा 26 के अधीन कोई सहमित पर्ाप्त करने के पर्योजन के िलए जानते हुए या जानबूझकर ऐसा
कथन करता है िजसका कोई महत्वपूणर् अंश िमथ्या है,
वह कारावास से, िजसकी अविध तीन मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो 1 [दस हजार रुपए] तक का हो सके गा, या दोन से,
दण्डनीय होगा ।
(2) जहां धारा 25 या धारा 26 के उपबन्ध के अनुसरण म सहमित देने के िलए मीटर या पर्मापी या अन्य नापने या मानीटर
करने की युिक्त अपेिक्षत है और ऐसी युिक्त का पर्योग उन उपबन्ध के पर्योजन के िलए िकया जाता है वहां कोई व्यिक्त, जो जानते हुए
या जानबूझकर ऐसी युिक्त को पिरवितत करता है या उसम हस्तक्षेप करता है िजससे वह सही मानीटर या नाप न कर सके तो वह
कारावास से, िजसकी अविध तीन मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो 1[दस हजार रुपए] तक का हो सके गा, या दोन से,
दण्डनीय होगा ।
43. धारा 24 के उपबन्ध के उल्लंघन के िलए शािस्त—जो कोई धारा 24 के उपबन्ध का उल्लंघन करे गा वह कारावास से,
िजसकी अविध 2 [एक वषर् और छह मास] से कम न होगी, िकन्तु जो छह वषर् तक की हो सके गी और जुमार्ने से, दण्डनीय होगा ।
44. धारा 25 या धारा 26 के उल्लंघन के िलए शािस्त—जो कोई धारा 25 या धारा 26 के उपबन्ध का उल्लंघन करे गा वह
कारावास से, िजसकी अविध 2[एक वषर् और छह मास] से कम न होगी, िकन्तु जो छह वषर् तक की हो सके गी और जुमार्ने से,
दण्डनीय होगा ।
45. पूवर् दोषिसि के पश्चात् विधत शािस्त—यिद कोई व्यिक्त, जो धारा 24 या धारा 25 या धारा 26 के अधीन िकसी
अपराध के िलए दोषिस िकया गया है, पुन: उस उपबन्ध के उल्लंघन के िकसी अपराध का दोषी पाया जाता है तो वह ि तीय और
पर्त्येक पश्चात्वत दोषिसि पर कारावास से, िजसकी अविध 3 [दो वषर्] से कम न होगी, िकन्तु जो सात वषर् तक की हो सके गी और
जुमार्न से, दण्डनीय होगा :
परन्तु इस धारा के पर्योजन के िलए, उस अपराध के , िजसके िलए दण्ड िदया जा रहा है, िकए जाने से दो वषर् से अिधक पूवर्
की गई िकसी दोषिसि का संज्ञान नह िकया जाएगा ।

अिधिनयम के कु छ उपबंध के उल्लंघन के िलए शािस्त—जो कोई इस अिधिनयम के िकसी उपबंध का उल्लंघन करे गा
4 [45क.

या इस अिधिनयम के अधीन िदए गए ऐसे िकसी आदेश या िनदेश का अनुपालन करने म असफल रहेगा िजसके िलए इस अिधिनयम म
अन्यतर् िकसी शािस्त का उपबंध नह िकया गया है, वह ऐसे कारावास से, जो तीन मास तक का हो सके गा, या जुमार्ने से जो दस हजार
रुपए तक का हो सके गा या दोन से, दंडनीय होगा और उल्लंघन या असफलता जारी रहने की दशा म, ऐसे अितिरक्त जुमार्ने से पर्थम
उल्लंघन या असफलता के िलए दोषिस िकए जाने के पश्चात् ऐसे पर्त्येक िदन के िलए िजसके दौरान ऐसा उल्लंघन या ऐसी असफलता
जारी रहती है, पांच हजार रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।]
46. अपरािधय के नाम का पर्काशन—यिद इस अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध के िलए दोषिस िकया गया कोई
व्यिक्त बाद म उसी पर्कार का कोई अपराध करता है तो न्यायालय के िलए यह िविधपूणर् होगा िक वह ि तीय या पश्चात्वत दोषिसि

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 22 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 23 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 24 ारा पर्ितस्थािपत ।
4
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 25 ारा अंत:स्थािपत । 
20

होने के पूवर् अपराधी का नाम और िनवास स्थान, अपराध और अिधरोिपत शािस्त अपराधी के खच पर ऐसे समाचारपतर् म और ऐसी
अन्य रीित म पर्कािशत कराए जैसा न्यायालय िनदेश करे और ऐसे पर्काशन का खचार् दोषिसि म होने वाले खच का भाग समझा
जाएगा और वह उसी रीित से वसूलनीय होगा जैसे जुमार्ना वसूल िकया जाता है ।
47. कम्पिनय ारा अपराध—(1) जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध िकसी कम्पनी ारा िकया गया हो, वहां
पर्त्येक व्यिक्त, जो उस अपराध के िकए जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के िलए उस कम्पनी का भारसाधक और
उसके पर्ित उ रदायी था और साथ ही वह कम्पनी भी उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तद्नुसार अपने िवरु कायर्वाही िकए
जाने और दिण्डत िकए जाने के भागी ह गे :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात िकसी ऐसे व्यिक्त को इस अिधिनयम म उपबिन्धत िकसी दण्ड का भागी नह बनाएगी यिद
वह यह सािबत कर दे िक अपराध उसकी जानकारी के िबना िकया गया था या उसने ऐसे अपराध के िकए जाने का िनवारण करने के
िलए सब सम्यक् तत्परता बरती थी ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध कम्पनी ारा िकया गया हो और
यह सािबत हो िक वह अपराध कम्पनी के िकसी िनदेशक, पर्बन्धक, सिचव या अन्य अिधकारी की सहमित या मौनानुकूलता से िकया
गया है या अपराध का िकया जाना उसकी िकसी उपेक्षा के कारण हुआ माना जा सकता है, वहां ऐसा िनदेशक, पर्बन्धक, सिचव या अन्य
अिधकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने िवरु कायर्वाही िकए जाने और दिण्डत िकए जाने का
भागी होगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए—
(क) “कम्पनी” से कोई िनगिमत िनकाय अिभपर्ेत है और इसके अन्तगर्त फमर् या व्यिष्टय का अन्य संगम
भी है, तथा
(ख) फमर् के सम्बन्ध म “िनदेशक” से उस फमर् का भागीदार अिभपर्ेत है ।
48. सरकारी िवभाग ारा अपराध—जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध िकसी सरकारी िवभाग ारा िकया गया है
वहां, िवभागाध्यक्ष को अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने िवरु कायर्वाही िकए जाने और दिण्डत िकए जाने का
भागी होगा :
परन्तु इस धारा की कोई बात िकसी िवभागाध्यक्ष को िकसी दण्ड का भागी नह बनाएगी यिद वह यह सािबत कर दे िक
अपराध उसकी जानकारी के िबना िकया गया था या उसने ऐसे अपराध के िकए जाने का िनवारण करने के िलए सब सम्यक् तत्परता
बरती थी ।
49. अपराध का संज्ञान— 1 [(1) कोई भी न्यायालय इस अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध का संज्ञान िनम्निलिखत ारा
िकए गए पिरवाद पर ही करे गा अन्यथा नह —
(क) िकसी बोडर् या उसके ारा इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी अिधकारी ; या
(ख) ऐसा कोई व्यिक्त िजसने अिभकिथत अपराध की और पिरवाद करने के अपने आशय की यथापूव क्त बोडर् या
पर्ािधकृ त अिधकारी को िविहत रीित म, कम से कम साठ िदन की सूचना दी है,
और िकसी महानगर मिजस्टर्ेट या पर्थम वगर् न्याियक मिजस्टर्ेट के न्यायालय से अवर कोई न्यायालय इस अिधिनयम के अधीन िकसी
दंडनीय अपराध का िवचारण नह करे गा ।]
जहां उपधारा (1) के खंड (ख) के अधीन कोई पिरवाद िकया गया है, वहां बोडर्, ऐसे व्यिक्त ारा मांग िकए जाने पर
2 [(2)

अपने कब्जे म की सुसंगत िरपोटर् उस व्यिक्त को उपलब्ध कराएगा :


परन्तु बोडर् ऐसे व्यिक्त को कोई ऐसी िरपोटर् उपलब्ध कराने से इं कार कर सके गा यिद उसकी राय म वह लोकिहत के
िवरु है ।]
[(3)] 4 [दण्ड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 29] म िकसी बात के होते हुए भी, िकसी 2[पर्थम वगर् न्याियक
3

मिजस्टर्ेट या िकसी महानगर मिजस्टर्ेट के िलए] इस अिधिनयम के अधीन दण्डनीय िकसी अपराध के िलए दोषिस िकए गए िकसी
व्यिक्त पर दो वषर् से अिधक की अविध के कारावास के िलए या दो हजार रुपए से अिधक के जुमार्ने के िलए दण्डादेश पािरत करना
िविधपूणर् होगा ।

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 26 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 26 ारा अंत:स्थािपत ।
3
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 26 ारा पुन:संख्यांिकत ।
4
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 19 ारा पर्ितस्थािपत । 
21

50. बोडर् के सदस्य , अिधकािरय और सेवक का लोक सेवक होना—बोडर् के सभी सदस्य, अिधकारी और सेवक जब वे इस
अिधिनयम और तद्धीन बनाए गए िनयम के िकसी उपबन्ध के अनुसरण म कायर् कर रहे ह या जब उनका ऐसे कायर् करना तात्पियत
हो, भारतीय दण्ड संिहता (1860 का 45) की धारा 21 के अथर् म लोक सेवक समझे जाएंगे ।
अध्याय 8

पर्कीणर्
51. के न्दर्ीय जल पर्योगशाला—(1) के न्दीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा,—
(क) एक के न्दर्ीय जल पर्योगशाला स्थािपत कर सके गी ; या
(ख) इस अिधिनयम के अधीन के न्दर्ीय जल पर्योगशाला को स पे गए कृ त्य करने के िलए िकसी पर्योगशाला या
संस्थान को के न्दर्ीय जल पर्योगशाला के रूप म िविनिदष्ट कर सके गी ।
(2) के न्दर्ीय सरकार, के न्दर्ीय बोडर् से परामशर् करने के पश्चात् िनम्निलिखत को िविहत करने के िलए िनयम बना सके गी :—
(क) के न्दर्ीय जल पर्योगशाला के कृ त्य ;
(ख) जल या मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव के नमूने िवश्लेषण या परीक्षण के िलए उक्त पर्योगशाला को भेजने के
िलए पर्िकर्या, उस पर पर्योगशाला की िरपोटर् का पर्रूप और ऐसी िरपोटर् की बाबत संदय
े फीस ;
(ग) ऐसे अन्य िवषय जो उस पर्योगशाला को अपने कृ त्य करने के िलए समथर् बनाने की दृिष्ट से आवश्यक या
समीचीन ह ।
52. राज्य जल पर्योगशाला—(1) राज्य सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा—
(क) एक राज्य जल पर्योगशाला स्थािपत कर सके गी, या
(ख) इस अिधिनयम के अधीन राज्य जल पर्योगशाला को स पे गए कृ त्य करने के िलए िकसी पर्योगशाला या
संस्थान को राज्य जल पर्योगशाला के रूप म िविनिदष्ट कर सके गी ।
(2) राज्य सरकार, राज्य बोडर् से परामशर् करने के पश्चात् िनम्निलिखत को िविहत करने के िलए िनयम बना सके गी—
(क) राज्य जल पर्योगशाला के कृ त्य ;
(ख) जल या मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव के नमूने िवश्लेषण या परीक्षण के िलए उक्त पर्योगशाला को भेजने के
िलए पर्िकर्या, उस पर पर्योगशाला की िरपोटर् का पर्रूप और ऐसी िरपोटर् की बाबत संदय
े फीस ;
(ग) ऐसे अन्य िवषय जो उस पर्योगशाला को अपने कृ त्य करने के िलए समथर् बनाने की दृिष्ट से आवश्यक या
समीचीन ह ।
53. िवश्लेषक—(1) के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, ऐसे व्यिक्तय को, िजन्ह वह ठीक समझे और जो िविहत
अहर्ताएं रखते ह, धारा 51 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत या िविनिदष्ट िकसी पर्योगशाला को िवश्लेषण के िलए भेजे गए जल या
मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव के नमून के िवश्लेषण के पर्योजन के िलए सरकारी िवश्लेषक िनयुक्त कर सके गी ।
(2) राज्य सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, ऐसे व्यिक्तय को, िजन्ह वह ठीक समझे और जो िविहत अहर्ताएं रखते ह,
धारा 52 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत या िविनिदष्ट पर्योगशाला को िवश्लेषण के िलए भेजे गए जल या मल या व्यावसाियक
बिह:सर्ाव के नमून के िवश्लेषण के पर्योजन के िलए सरकारी िवश्लेषक िनयुक्त कर सके गी ।
(3) धारा 12 की उपधारा (3) के उपबन्ध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या राज्य बोडर्, राजपतर् म
अिधसूचना ारा, और, यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार के अनुमोदन से, ऐसे व्यिक्तय को, िजन्ह वह ठीक समझे और जो
िविहत अहर्ताएं रखते ह, यथािस्थित, धारा 16 या धारा 17 के अधीन स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त िकसी पर्योगशाला को िवश्लेषण के
िलए भेजे गए जल या मल या व्यावसाियक बिह:सर्ाव के नमून के िवश्लेषण के पर्योजन के िलए बोडर्-िवश्लेषक िनयुक्त कर सके गा ।
54. िवश्लेषक की िरपोट—कोई दस्तावेज िजसका, यथािस्थित, सरकारी िवश्लेषक या बोडर्-िवश्लेषक ारा हस्ताक्षिरत
िरपोटर् होना तात्पियत है, इस अिधिनयम के अधीन िकसी कायर्वाही म उसम किथत तथ्य के सा य के रूप म उपयोग की जा
सकती है ।
55. स्थानीय पर्ािधकािरय ारा सहायता िकया जाना—सभी स्थानीय पर्ािधकारी बोडर् को ऐसी मदद तथा ऐसी सहायता दगे
तथा ऐसी जानकारी दगे िजसकी वह अपने कृ त्य के िनवर्हन के िलए अपेक्षा करे और बोडर् को िनरीक्षण तथा परीक्षा के िलए ऐसे
अिभलेख, मानिचतर्, योजनाएं और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराएंगे जो उसके कृ त्य के िनवर्हन के िलए आवश्यक ह ।
22

56. राज्य बोडर् के िलए भूिम का अिनवायर् अजर्न—इस अिधिनयम के अधीन अपने कृ त्य के दक्ष पालन के िलए राज्य बोडर्
ारा अपेिक्षत भूिम लोक पर्योजन के िलए आवश्यक समझी जाएगी और ऐसी भूिम राज्य बोडर् के िलए भूिम अजर्न अिधिनयम,
1894 (1894 का 1) के उपबन्ध के अधीन या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य तत्स्थानी िविध के अधीन अिजत की जाएगी ।
57. िववरिणयां और िरपोट—के न्दर्ीय बोडर् के न्दर्ीय सरकार को, और राज्य बोडर् राज्य सरकार को और के न्दर्ीय बोडर् को अपनी
िनिध या िकर्याकलाप की बाबत ऐसी िरपोट, िववरिणयां, सांख्यकीय, लेखाएं और अन्य जानकारी देगा िजनकी, यथािस्थित, वह
सरकार या के न्दर्ीय बोडर्, समय-समय पर अपेक्षा करे ।
58. अिधकािरता का वजर्न—िकसी िसिवल न्यायालय को िकसी ऐसे मामले की बाबत कोई वाद या कायर्वाही गर्हण करने की
अिधकािरता नह होगी िजसका अवधारण करने के िलए इस अिधिनयम के अधीन गिठत िकसी अपील पर्ािधकारी को इस अिधिनयम
ारा या उसके अधीन सशक्त िकया गया है, और इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन पर्द िकसी शिक्त के अनुसरण म की गई या की
जाने वाली िकसी कायर्वाही की बाबत कोई न्यायालय या अन्य पर्ािधकारी कोई व्यादेश नह देगा ।
59. सद्भावपूवक
र् की गई कायर्वाही के िलए संरक्षण—कोई भी वाद या अन्य िविधक कायर्वाही िकसी भी ऐसी बात के बारे म
जो इस अिधिनयम या तद्धीन बनाए गए िनयम के अनुसरण म सद्भावपूवर्क की गई हो या की जाने के िलए आशियत हो, सरकार या
सरकार के िकसी अिधकारी या बोडर् के िकसी सदस्य या अिधकारी के िवरु न होगी ।
60. अध्यारोही पर्भाव—इस अिधिनयम के उपबन्ध, इस अिधिनयम से िभन्न िकसी अिधिनयिमित म उनसे असंगत िकसी
बात के होते हुए भी, पर्भावी ह गे ।
61. के न्दर्ीय सरकार की के न्दर्ीय बोडर् और संयक्
ु त बोड को अितिष्ठत करने की शिक्त—(1) यिद िकसी समय के न्दर्ीय सरकार
की यह राय हो,—
(क) िक के न्दीय बोडर् या िकसी संयुक्त बोडर् ने इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन अपने को अिधरोिपत कृ त्य के
पालन म बार-बार व्यितकर्म िकया है ; या
(ख) िक ऐसी पिरिस्थितयां िव मान ह िजनम ऐसा करना लोकिहत म आवश्यक है तो,
के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या ऐसे संयुक्त बोडर् को एक वषर् से अनिधक की ऐसी कालाविध
के िलए, जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाए, अितिष्ठत कर सके गी :
परन्तु खण्ड (क) म उिल्लिखत कारण के िलए इस उपधारा के अधीन अिधसूचना जारी करने के पूवर्, के न्दर्ीय सरकार,
यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या ऐसे संयुक्त बोडर् को यह हेतुक दिशत करने के िलए युिक्तयुक्त अवसर देगी िक क्य उसे अितिष्ठत न िकया
जाए और, यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या ऐसे संयुक्त बोडर् के स्पष्टीकरण और आक्षेप पर, यिद कोई ह , िवचार करे गी ।
(2) के न्दर्ीय बोडर् या िकसी संयुक्त बोडर् को अितिष्ठत करने वाली उपधारा (1) के अधीन अिधसूचना के पर्काशन पर,—
(क) अितिष्ठित की तारीख से सभी सदस्य उस रूप म अपने पद िरक्त कर दगे ;
(ख) ऐसी सभी शिक्तयां, कृ त्य और कतर्व्य, जो इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन, के न्दर्ीय बोडर् या ऐसे संयुक्त
बोडर् ारा पर्योग, पालन या िनवर्हन िकए जा सकते ह, यथािस्थित, जब तक के न्दर्ीय बोडर् या संयुक्त बोडर् को उपधारा (3) के
अधीन पुनगर्िठत नह िकया जाता है तब तक, ऐसा व्यिक्त या ऐसे व्यिक्तय ारा पर्योग, पालन या िनवर्हन िकए जाएंगे
िजसे या िजन्ह के न्दर्ीय सरकार िनदेश दे ;
(ग) के न्दर्ीय बोडर् या ऐसे संयुक्त बोडर् के स्वािमत्वाधीन या उसके िनयंतर्णाधीन सभी संपि जब तक, यथािस्थित,
के न्दर्ीय बोडर् या संयुक्त बोडर् उपधारा (3) के अधीन पुनगर्िठत नह िकया जाता है, के न्दर्ीय सरकार म िनिहत होगी ।
(3) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई अिधसूचना म िविनिदष्ट अितिष्ठित की अविध की समािप्त पर के न्दर्ीय सरकार,—
(क) अितिष्ठित की कालाविध को छह मास से अनिधक की ऐसी और अविध के िलए बढ़ा सके गी जो वह आवश्यक
समझे ; या
(ख) यथािस्थित, के न्दर्ीय बोडर् या संयुक्त बोडर् को, यथािस्थित, नए नामिनदशन या िनयुिक्त ारा पुनगर्िठत कर
सके गी और ऐसी दशा म वह व्यिक्त, िजसने उपधारा (2) के खण्ड (क) के अधीन अपना पद िरक्त िकया है, नामिनदशन या
िनयुिक्त के िलए अनिहत नह समझा जाएगा :
परन्तु के न्दर्ीय सरकार अितिष्ठित की कालाविध की समािप्त के पूवर् िकसी भी समय, चाहे वह कालाविध उपधारा (1) के
अधीन आरम्भ म िविनिदष्ट हो या इस उपधारा के अधीन जैसी बढ़ाई गई हो, इस उपधारा के खण्ड (ख) के अधीन कायर्वाही कर सकती
है ।
62. राज्य सरकार की राज्य बोडर् को अितिष्ठत करने की शिक्त—(1) यिद िकसी समय राज्य सरकार की यह राय हो,—
23

(क) िक राज्य बोडर् ने इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन अपने से अिधरोिपत कृ त्य के पालन म बार-बार
व्यितकर्म िकया है ; या
(ख) िक ऐसी पिरिस्थितयां िव मान ह िजनम ऐसा करना लोकिहत म आवश्यक है तो,
राज्य सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, राज्य बोडर् को एक वषर् से अनिधक की ऐसी कालाविध के िलए, जो अिधसूचना म
िविनिदष्ट की जाए, अितिष्ठत कर सके गी :
परन्तु खण्ड (क) म उिल्लिखत कारण के आधार पर इस उपधारा के अधीन अिधसूचना जारी करने के पूवर् राज्य सरकार,
राज्य बोडर् को यह हेतुक दिशत करने के िलए समुिचत अवसर देगी िक क्य उसे अितिष्ठत न िकया जाए और राज्य बोडर् के स्पष्टीकरण
और आक्षेप पर, यिद कोई ह , िवचार करे गी ।
(2) राज्य बोडर् को अितिष्ठत करने वाली उपधारा (1) के अधीन अिधसूचना के पर्काशन पर, धारा 61 की उपधारा (2) और
उपधारा (3) के उपबन्ध राज्य बोडर् की अितिष्ठित के सम्बन्ध म वैसे ही लागू ह गे जैसे वे के न्दर्ीय सरकार ारा के न्दर्ीय बोडर् या संयुक्त
बोडर् की अितिष्ठित के सम्बन्ध म लागू होते ह ।
63. के न्दर्ीय सरकार को िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार, उपधारा (2) म िविनिदष्ट िवषय की बाबत िनयम
के न्दर्ीय बोडर् के गठन के साथ-साथ बना सके गी :
परन्तु जब के न्दर्ीय बोडर् गिठत कर िदया गया हो तब उस बोडर् से परामशर् िकए िबना ऐसा कोई िनयम न तो बनाया जाएगा
और न पिरवितत, संशोिधत या िनरिसत िकया जाएगा ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की ापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम िनम्निलिखत सभी या उनम
से िकसी िवषय के संबंध म उपबंध कर सकगे, अथार्त् :—
(क) धारा 5 की उपधारा (8) के अधीन के न्दर्ीय बोडर् के (अध्यक्ष और सदस्य-सिचव से िभन्न) सदस्य की सेवा के
िनबन्धन और शत ;
(ख) वे अन्तराल तथा वह समय और स्थान िजन या िजस पर के न्दर्ीय बोडर् के या इस अिधिनयम के अधीन गिठत
उसकी िकसी सिमित के अिधवेशन िकए जाएंगे, तथा ऐसे अिधवेशन पर अनुसिरत की जाने वाली पर्िकर्या िजसके अन्तगर्त
धारा 8 के अधीन और धारा 9 की उपधारा (2) के अधीन कामकाज करने के िलए आवश्यक गणपूित भी है ;
(ग) के न्दर्ीय बोडर् की िकसी सिमित के ऐसे सदस्य को, जो धारा 9 की उपधारा (3) के अधीन बोडर् के सदस्य न ह ,
संद की जाने वाली फीस और भ े ;
[(घ) वह रीित िजससे और वे पर्योजन िजनके िलए धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय बोडर् के साथ
1

व्यिक्त सहयुक्त िकए जा सकगे और ऐसे व्यिक्तय को संदय


े फीस और भ े ;]
(ङ) धारा 5 की उपधारा (9) और धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय बोडर् के अध्यक्ष और सदस्य-सिचव
की सेवा के िनबन्धन और शत ;
(च) वे शत िजनके अधीन कोई व्यिक्त धारा 12 की उपधारा (4) के अधीन के न्दर्ीय बोडर् का परामश -इं जीिनयर
िनयुक्त िकया जा सके गा ;
(छ) के न्दर्ीय बोडर् के अध्यक्ष और सदस्य-सिचव ारा पर्योग की जाने वाली शिक्तयां और पालन िकए जाने
वाले कतर्व्य ;
2
* * * * * *
(ञ) धारा 22 की उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय बोडर् िवश्लेषक की िरपोटर् का पर्रूप ;
(ट) धारा 22 की उपधारा (3) के अधीन सरकारी िवश्लेषक की िरपोटर् का पर्रूप ;
[(ठ) वह पर्रूप िजसम और वह समय िजसके भीतर कदर्ीय बोडर् का बजट धारा 38 के अधीन तैयार िकया जा
3

सके गा और कदर्ीय सरकार को अगर्ेिषत िकया जा सके गा ;


(ठठ) वह पर्रूप िजसम कदर्ीय बोडर् की वािषक िरपोटर् धारा 39 के अधीन तैयार की जा सके गी ;]
(ड) वह पर्रूप िजसम के न्दर्ीय बोडर् के लेखे धारा 40 की उपधारा (1) के अधीन रखे जा सकगे ;

1
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 20 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 20 ारा लोप िकया गया । 
3
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 27 ारा पर्ितस्थािपत ।
24

1
[(डड) वह रीित िजसम धारा 49 के अधीन पिरवाद करने के आशय की सूचना कदर्ीय बोडर् या उसके ारा
पर्ािधकृ त अिधकारी को दी जाएगी ;]
(ढ) के न्दर्ीय बोडर् से सम्बिन्धत कोई अन्य िवषय िजनके अन्तगर्त संघ राज्यक्षेतर् के सम्बन्ध म उस बोडर् की शिक्तयां
और कृ त्य भी ह ;
(ण) अन्य कोई िवषय जो िविहत िकया जाना है या जो िविहत िकया जाए ।
2 [(3)इस अिधिनयम के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िनयम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के
पर्त्येक सदन के समक्ष, जब वह सतर् म हो, तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म अथवा दो या अिधक
आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस
िनयम म कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के
पूवर् दोन सदन सहमत हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे
पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।]
64. राज्य सरकार की िनयम बनाने की शिक्त—(1) राज्य सरकार इस अिधिनयम के पर्योजन को कायार्िन्वत करने के िलए
उन िवषय की बाबत, जो धारा 63 की पिरिध म नह आते िनयम, राज्य बोडर् के गठन के साथ-साथ बना सके गी :
परन्तु जब राज्य बोडर् गिठत कर िदया गया हो तब ऐसा कोई िनयम उस बोडर् से परामशर् िकए िबना न तो बनाया जाएगा
और न पिरवितत, संशोिधत या िनरिसत िकया जाएगा ।
(2) िविशष्टत: और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम िनम्निलिखत सभी िवषय के
िलए या उनम से िकसी के िलए उपबन्ध कर सकगे, अथार्त् :—
(क) धारा 5 की उपधारा (8) के अधीन राज्य बोडर् के (अध्यक्ष और सदस्य-सिचव से िभन्न) सदस्य की सेवा के
िनबन्धन और शत ;
(ख) इस अिधिनयम के अधीन गिठत राज्य बोडर् के या उस बोडर् की िकसी सिमित के अिधवेशन का समय और
स्थान तथा ऐसे अिधवेशन पर अनुसिरत की जाने वाली पर्िकर्या िजसके अन्तगर्त धारा 8 के अधीन और धारा 9 की उपधारा
(2) के अधीन कायर् करने के िलए आवश्यक गणपूित भी है ;
(ग) राज्य बोडर् की िकसी सिमित के ऐसे सदस्य को, जो धारा 9 की उपधारा (3) के अधीन बोडर् के सदस्य न ह ,
संद की जाने वाली फीस और भ े ;
(घ) वह रीित िजसम और वे पर्योजन िजनके िलए राज्य बोडर् के साथ व्यिक्त धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन
सहयुक्त िकए जा सकगे 3 [और ऐसे व्यिक्तय को संदय
े फीस और भ े] ;
(ङ) धारा 5 की उपधारा (9) के अधीन और धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन राज्य बोडर् के अध्यक्ष और
सदस्य-सिचव की सेवा के िनबन्धन और शत ;
(च) वे शत िजनके अधीन कोई व्यिक्त धारा 12 की उपधारा (4) के अधीन राज्य बोडर् का परामश -इं जीिनयर
िनयुक्त िकया जा सके गा ;
(छ) राज्य बोडर् के अध्यक्ष और सदस्य-सिचव ारा पर्योग की जाने वाली शिक्तयां और िनवर्हन िकए जाने
वाले कतर्व्य ;
(ज) धारा 21 म िनिदष्ट सूचना का पर्रूप ;
(झ) धारा 22 की उपधारा (1) के अधीन राज्य बोडर् िवश्लेषक की िरपोटर् का पर्रूप ;
(ञ) धारा 22 की उपधारा (3) के अधीन सरकारी िवश्लेषक की िरपोटर् का पर्रूप
(ट) धारा 25 की उपधारा (2) के अधीन राज्य बोडर् की सहमित के िलए आवेदन का पर्रूप, और वे िविशिष्टयां जो
उसम अन्तिवष्ट की जाएं ;
(ठ) वह रीित िजसम धारा 25 की उपधारा (3) के अधीन जांच राज्य बोडर् की सहमित अिभपर्ाप्त करने के िलए
िकसी आवेदन की बाबत की जा सके गी और वे िवषय िजन पर सहमित देते या इं कार करते समय िवचार िकया जाएगा ;
(ड) वह पर्रूप और रीित िजसम अपील फाइल की जा सकगी, ऐसी अपील की बाबत संदय े फीस, और धारा 28 की
उपधारा (3) के अधीन अपील के िनपटाने म अपील पर्ािधकरण ारा अनुसिरत की जाने वाली पर्िकर्या ;

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 27 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 20 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
1978 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 21 ारा अंत:स्थािपत । 
25

वह पर्रूप िजसम और वह समय िजसके भीतर राज्य बोडर् का बजट धारा 38 के अधीन तैयार िकया जा
1 [(ढ)

सके गा और राज्य सरकार को अगर्ेिषत िकया जा सके गा ;


(ढढ) वह पर्रूप िजसम राज्य बोडर् की वािषक िरपोटर् धारा 39 के अधीन तैयार की जा सके गी ;]
(ण) वह पर्रूप िजसम राज्य बोडर् के लेखे धारा 40 की उपधारा (1) के अधीन रखे जाएंगे ;
2
[(णण) वह रीित िजसम धारा 49 के अधीन पिरवाद करने के आशय की सूचना राज्य बोडर् या उसके ारा
पर्ािधकृ त अिधकारी को दी जाएगी ;]
(त) कोई अन्य िवषय, जो िविहत िकया जाना है या िकया जाए ।

______

1
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 28 ारा पर्ितस्थािपत । 
2
1988 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 28 ारा अंत:स्थािपत । 

You might also like