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विषय: ह द

िं ी

कक्षा: 9
विवक्षका – डॉ. मधु वमश्रा
सिंपकक सूत्र: 8200347633
आकािंक्षा योग्यता

िाक्य के गुण

विकटता अन्िय
पदक्रम
िाक्य के अिंग

उद्देश्य विधेय

िाक्य में विसके बारे में कु छ क ा िा र ा


ो अथिा बताया िा र ा ो, उसे उद्देश्य
क ते ।ैं और िाक्य में उद्देश्य के बारे में िो
कु छ भी क ा िाता ,ै उसे ी विधेय क ते
।ैं सामान्य रूप में क्रक्रया ी िाक्य का
विधेय ोता ।ै
उदा रण: रावधका साइक्रकल चला र ी ।ै
इस िाक्य में रावधका- उद्देश्य
तथा साइक्रकल चला र ी -ै विधेय ।ै
िाक्य के भेद

रचिा की दृवि अथक की दृवि से


से िाक्य भेद िाक्य भेद

सरल िाक्य सिंयुक्त िाक्य वमश्र िाक्य


अथक की दृवि से िाक्य भेद

विधाििाचक सिंदे िाचक

विषेधिाचक सिंकेतिाचक
िाक्य
प्रश्निाचक इच्छािाचक

आज्ञािाचक विस्मयाक्रदिाचक
विधाििाचक िाक्य विषेधिाचक िाक्य
विस िाक्य में क्रकसी काम के ोिे या करिे विस िाक्य से कायक के ि ोिे का बोध
का सामान्य रूप से बोध ोता ,ै उसे ोता ,ै उसे ‘विषेधिाचक िाक्य’ क ते
‘विधाििाचक िाक्य’ क ते ।ैं ।ै
विवध द्वारा रवचत (बदला ि ीं िा सकता) ि, ि ीं (ि ोिा)

िैसेेः सूरि चमक र ा ।ै िैसेेः बाररि बिंद ि ीं ो र ी ।ै


प्रश्निाचक िाक्य आज्ञािाचक िाक्य
विस िाक्य में क्रकसी प्रकार के प्रश्न पूछिे का विस िाक्य से आज्ञा, उपदेि, प्राथकिा,
बोध ोता ,ै उसे ‘प्रश्निाचक िाक्य’ क ते अिुमवत आक्रद का बोध ोता ,ै उसे
।ैं (िाक्य के अिंत में ? वचह्ि का आिा) ‘आज्ञािाचक िाक्य’ क ते ।ैं
(आदेि, प्राथकिा, माििा पड़ता ।ै )

िैसेेः बच्चा क्यों रो र ा ?


ै िैसेेः बच्चों अपिा गृ कायक करें ।
सिंदे िाचक िाक्य सिंकेतिाचक िाक्य
विस िाक्य से क्रकसी कायक के ोिे में सिंदे विस िाक्य में एगक बात या काम का
का बोध ोता ,ै उसे ‘सिंदे िाचक िाक्य’ ोिा दूसरी बात या काम के ोिे पर
क ते ।ैं (सिंदे करिा और ? का आिा) विभकर करता ,ै उसे ‘सिंकेतिाचक
िाक्य’ क ते ।ैं (सिंकेत करिा)

िैसेेः बादल छाएग ,ै बाररि ो सकती


िैसेेः क्या आि कायक पूणक ो िाएगगा? ।ै
इच्छािाचक िाक्य विस्मयाक्रदिाचक िाक्य
विस िाक्य से इच्छा, आिीिाकद, विस िाक्य से विस्मय, षक, िोक, घृणा,
िुभकामिा आक्रद का बोध ोता ै, उसे प्रििंसा आक्रद का बोध ोता ,ै उसे
‘इच्छािाचक िाक्य’ क ते ।ैं ‘विस्मयाक्रदिाचक िाक्य’ क ते ।ैं
(आिंकाक्षा, इच्छा का विव त ोिा) (विस्मय (!) वचह्ि का प्रयोग)

िैसेेः मैं टोक्रकयो िािा चा ता हूँ। िैसेेः िा ! क्रकतिा सुिंदर दृश्य ।ै


अवतियोवक्त अलिंकार-

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