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5 6 Hin Format of The Vidyapravesh Balvatika
5 6 Hin Format of The Vidyapravesh Balvatika
राज्यों/सघं शासित क्षेत्रों से यह आशा की जाती है कि वे अपने शिक्षकों के लिए कक्षा-1 के शरुु आती तीन
महीनों के लिए बच्चों को स्कूल हेतु तैयार करने से संबंधित कोर्स अर्थात ‘विद्या प्रवेश’ तथा एक वर्षीय
कार्यक्रम (कक्षा-1 से पूर्व) अर्थात ‘बालवाटिका’ स्वयं तैयार करें गे। इन दस्तावेजों को तैयार करते समय ‘विद्या
प्रवेश’ तथा ‘बालवाटिका’ के निम्नलिखित उद्देश्य ध्यान में रखे जाने चाहिए :
1. कक्षा-1 में प्रवेश लेने के लिए विभिन्न पष्ठृ भूमि से आने वाले बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना।
2. कक्षा-1 में बच्चों के सहज पारगमन (Smooth transition) को सनिश् ु चित करना।
3. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कक्षा में मनोरंजक एवं प्रेरक वातावरण का सजृ न करना ताकि उन्हें
खेल-खेल में सीखने एवं उनकी आयु के अनक ु ूल व उपयक्त ु शिक्षाप्रद अनभु व प्रदान किए जा सकें ।
4. खेल-आधारित माध्यमों से बच्चों में सज्ं ञानात्मक एवं भाषाई कौशलों का विकास करना। ये ऐसी पूर्व
शर्तें हैं जो उन्हें पढ़ना-लिखना सीखने एवं संख्याज्ञान प्राप्त करने के लिए तैयार करती हैं।
उपर्युक्त दस्तावेजों में कार्यक्रम का सक्षि
ं प्त परिचय होना चाहिए; कार्यक्रम के स्वरूप/रूपरेखा और कार्यान्वयन
के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश दिए जाने चाहिए जिसमें बच्चों के लिए शैक्षणिक गतिविधियों की योजना बनाना,
उनकी प्रगति पर नज़र बनाए रखना, बच्चों को सिखाने की प्रक्रिया में माता-पिता और समदु ाय के अन्य लोगों
को शामिल करना, चिल्ड्रेन विथ डिसएबीलिटीज़ (दिव्यांग) बच्चों का समावेश करना, दिन-वार साप्ताहिक
कार्यक्रम तैयार करना एवं दैनिक या नियमित गतिविधियों का कार्यान्वयन शामिल है। बच्चों की आयु एवं
विकास के अनक ु ूल ऐसी गतिविधियाँ इस दस्तावेज में दी जानी चाहिए जोकि तीनों विकासात्मक लक्ष्यों पर
आधारित हों एवं बच्चों में आवश्यक सज्ं ञानात्मक एवं भाषाई कौशलों को उभारकर उनका सर्वांगीण विकास
करें । बच्चों द्वारा खेल-आधारित गतिविधियों से पढ़ना-लिखना सीखने एवं संख्या ज्ञान प्राप्त करने की ये
पूर्वाकांक्षित आवश्यकताएं हैं। विकासात्मक लक्ष्यों के आधार पर चित्र-पठन अथवा चर्चा/ बातचीत के लिए
सहायक चित्र तथा वर्क शीट भी इस कार्यक्रम के रोचक हिस्से बनाए जा सकते हैं जिन्हें बच्चों को तब दिया
जाना चाहिए जब वे वस्तुओ ं या खिलौनों एवं खेल-आधारित गतिविधियों में पूर्णरूप से सल ं ग्न हो चक
ु े हों।
इसका मखु ्य ध्येय बच्चों में बनिय ु ादी अवस्था पर शिक्षण हेतु सहायक महत्वपूर्ण कौशलों का विकास होना
चाहिए। इसलिए, समस्त गतिविधियाँ चित्रण एवं वर्क शीट शिक्षण हेतु सहायक महत्वपूर्ण कौशलों पर ही
आधारित होनी चाहिए ताकि मनोरंजक वातावरण में बच्चों को शिक्षण प्रदान किया जा सके । इसके अलावा,
कार्यक्रम में एफएलएन यानी कि निपणु भारत मिशन में दिए गए सीखने के प्रतिफलों, दिन-वार साप्ताहिक
कार्यक्रम, प्रत्येक गतिविधि या रुचि के क्षेत्र के हिसाब से सामग्रियों की सूची, बाल-कथाए,ं उपयोग की गई
महत्वपूर्ण शब्दावलियों का शब्दकोश एवं विभिन्न अतं राल पर बच्चों की प्रगति पर नज़र बनाए रखने के लिए
मानक मूल्यांकन-प्रारूप को भी सहायतार्थ शामिल किया जाना चाहिए।