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(आज का ईरान) चले गए थे, जहाँ उ ह ने य का चार कया। अ य के कारण ही अ नपूजक के धम पारसी धम का
सू पात आ। अ ऋ ष का आ म च कू ट म था। मा यता है क अ - द त क तप या और देव क स ता के
फल व प व णु के अंश से महायोगी द ा ेय, ा के अंश से च मा तथा शंकर के अंश से महामु न वासा मह ष अ एवं
देवी अनुसूया के पु प म ज मे। ऋ ष अ पर अ नीकु मार क भी कृ पा थी।
6. वामदे व : वामदे व ने इस दे श को सामगान (अथात् संगीत) दया। वामदेव ऋ वेद के चतुथ मंडल के सू ा, गौतम ऋ ष के
पु तथा ज म यी के त ववे ा माने जाते ह।
इसके अलावा मा यता ह क अग य, क यप, अ ाव , या व य, का यायन, ऐतरेय, क पल, जे मनी, गौतम आ द सभी ऋ ष
उ सात ऋ षय के कु ल के होने के कारण इ ह भी वही दजा ा त है।
इ ह भी देख
स त ष तारामंडल
स त षय के पौरा णक संदभ (ht t ps://sit es.google.com/sit e/vedast udy/sanat sujat a-sapt arsi)
"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?
title=स त ष&oldid=5671233" से ात
अं तम बार 4 दन पहले Yahya ारा संपा दत कया गया