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अमल योग, काहल योग

अमल योग: वैदिक ज्योतिष में अमल योग की प्रचलित परिभाषा के अनस


ु ार यहा माना जाता है कि यदि किसी कंु डली में लग्न
अर्थात पहले घर से अथवा चन्द्रमा से दसवें घर में एक या एक से अधिक ग्रह हों तो ऐसी कंु डली में अमल योग का निर्माण
हो जाता है जिसके चलते इस योग के शुभ प्रभाव में आने वाले जातक अपने व्यवसायिक क्षेत्रों में बहुत सफल दे खे जाते हैं
तथा ऐसे जातक अच्छे चरित्र और अच्छे आचरण के स्वामी होते हैं जिसके चलते ऐसे जातकों को समाज में आदर तथा
सम्मान की दृष्टि से दे खा जाता है ।
                   अमल योग की प्रचलित परिभाषा के अनस
ु ार यह योग लगभग प्रत्येक तीसरी कंु डली में बनता है क्योंकि लगभग
प्रत्येक तीसरी कंु डली में लग्न अथवा चन्द्रमा से दसवें घर में ग्रह उपस्थित होते हैं। इस प्रकार संसार के प्रत्येक तीसरे व्यक्ति
की कंु डली में यह योग बनने से इन सभी जातकों को अमल योग के शुभ फल प्राप्त होने चाहिएं जो वास्तविकता में कहीं नहीं
दे खने में आता जिसके कारण इस योग की प्रचलित परिभाषा में संशोधन की आवश्यकता पैदा हो जाती है । किसी कंु डली में
अमल योग के निर्माण के लिए कंु डली में लग्न अथवा चन्द्रमा से दसवें घर में उपस्थित ग्रह कंु डली में शुभ होने चाहिएं क्योंकि
इन ग्रहों के अशभ
ु होने पर कंु डली में अमल योग नहीं बनेगा बल्कि कोई अशभ
ु योग बन सकता है। इसके पश्चात यह भी
आवश्यक है कि कंु डली के दसवें घर में स्थित ग्रह बलवान हो तथा किसी भी अशुभ ग्रह के प्रभाव से रहित हो अन्यथा ऐसा
ग्रह शभ
ु होने के पश्चात भी शक्तिशाली अमल योग नहीं बना पायेगा जिसके कारण जातक को इस योग से कोई विशेष लाभ
नहीं होगा। उदाहरण के लिए यदि शभ
ु सूर्य किसी कंु डली के दसवें घर में तुला राशि में स्थित होकर बलहीन हैं तथा कंु डली के
चौथे घर में स्थित अशभ
ु शनि अपनी अशभ
ु दृष्टि से सूर्य पर प्रबल अशुभ प्रभाव डाल रहें हैं तो ऐसी कंु डली में बनने वाला
अमल योग कोई विशेष फलदायी नहीं होगा क्योंकि कंु डली में इस प्रकार के अमल योग को बनाने वाला ग्रह अर्थात सूर्य स्वयम
ही बलहीन तथा दषि
ू त है । इस प्रकार किसी कंु डली के दसवें घर में किसी शभ
ु ग्रह के स्थित होने पर भी अमल योग बनने का
निश्चय करने से पहले कंु डली के अन्य महत्वपर्ण
ू तथ्यों का अध्ययन कर लेना चाहिए।
                       किसी कंु डली के दसवें घर में स्थित ग्रह के अशुभ होने पर ऐसी कंु डली में अमल योग नहीं बनेगा अपितु ऐसा
अशभ
ु ग्रह कंु डली में किसी प्रकार का दोष बना सकता है जिसके चलते जातक को अपने व्यवसायिक क्षेत्र में अनेक प्रकार की
रुकावटों, असफलताओं तथा हानि आदि का सामना करना पड़ सकता है तथा ऐसे दोष के प्रभाव में आने वाले कुछ जातक
अवैध कार्यों में संलग्न भी हो सकते हैं जिसके कारण इन जातकों को समाज में यश की अपेक्षा अपयश प्राप्त हो सकता है
तथा इन जातकों को कारावास भी जाना पड़ सकता है । इसलिए किसी कंु डली में अमल योग बनने का निश्चय करने से पहले
कंु डली के दसवें घर में स्थित ग्रह का स्वभाव, बल, स्थिति आदि अच्छी प्रकार से दे ख लेना चाहिए।
काहल योग : वैदिक ज्योतिष में काहल योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कंु डली में तीसरे घर का स्वामी ग्रह
तथा दसवें घर का स्वामी ग्रह एक दस
ू रे से केन्द्र में स्थित हों अर्थात एक दस
ू रे से 1, 4, 7 अथवा 10 वें घर में स्थित हों तथा
कंु डली के पहले घर का स्वामी अर्थात लग्नेश प्रबल हो तो ऐसी कंु डली में काहल योग बनता है जो जातक को साहस, पराक्रम
आदि जैसे गुण प्रदान करता है जिसके चलते ऐसे जातक पलि
ु स बल, सेना बल तथा अन्य प्रकार के सुरक्षा बलों में सफल दे खे
जाते हैं। कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि यदि किसी कंु डली में तीसरे घर का स्वामी ग्रह बस्
ृ पति से केन्द्र में स्थित हो,
तो भी कंु डली में काहल योग का निर्माण होता है ।
              किन्तु वास्तविकता में बहुत सी कंु डलियों में इस प्रकार का काहल योग बनने के पश्चात भी इसके साथ जड़
ु े शुभ फल
दे खने को नहीं मिलते बल्कि कुछ कंु डलियों में तो बिल्कुल विपरीत फल भी दे खने को मिलते हैं जिनके चलते इस योग की
परिभाषा में भी संशोधन की आवश्यकता है । अन्य सभी शभ
ु योगों की भांति ही काहल योग के निर्माण के लिए भी कंु डली में
तीसरे घर के स्वामी ग्रह तथा दसवें घर के स्वामी ग्रह दोनों का ही शुभ होना अति आवश्यक है क्योंकि इन दोनों ग्रहों में से
किसी एक के अथवा दोनों के ही अशभ
ु होने की स्थिति में कंु डली में काहल योग न बनकर किसी प्रकार का अशभ
ु योग बन
जाएगा जिसके कारण जातक को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । उदाहरण के लिए किसी
कंु डली में तीसरे घर के स्वामी ग्रह तथा दसवें घर के स्वामी ग्रह के अशभ
ु होकर एक दस
ू रे से केन्द्र में स्थित हो जाने पर
कंु डली में शभ
ु काहल योग न बनकर अशभ
ु योग बनेगा जिसके प्रभाव में आने वाला जातक अपराधी भी बन सकता है ।
इसलिए अमल योग की भांति ही किसी कंु डली में काहल योग के निर्माण का निश्चय करने से पूर्व भी इस योग को बनाने वाले
ग्रहों के कंु डली में स्वभाव, बल तथा स्थिति आदि का भली भांति निरीक्षण कर लेना चाहिए तथा तत्पश्चात ही कंु डली में काहल
योग का निर्माण तथा इसके शुभ फल निर्धारित करने चाहिएं।

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