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सीमाशु क अिधिनयम
सीमाशु क अिधिनयम
ारं िभक
1. सं ि त नाम, िव तार और ारं भ—(1) इस अिधिनयम का सं ि त नाम सीमाशु क अिधिनयम, 1962 है । (2) इसका
िव तार स पूण भारत पर है ।
(3) यह उस तारीख को वृ होगा िजसे के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, िनयत करे ।
2
या िविन चय दे ने के िलए सम है , क तु इसके अ तगत बोड, [आयु त (अपील)] या अपील अिधकरण नह है ;
4
त यि त अिभे त है ;
(8) “सीमाशु क आयु त” के अ तगत अ याय 15 के योजन के िसवाय, सीमाशु क अपर आयु त है ;]
1
यह अिधिनयम िसि कम रा य म तारीख 1-10-1979 से वृ होगा, देिखए अिधसूचना सं ० साधारण कानूनी िनयम 527(अ), तारीख 1-9-1979, भारत का राजप,
असाधारण, भाग 2, अनु भाग 3(i), पृ ठ 1148 ।
2
1 फरवरी, 1963, देिखए अिधसूचना सं ० सा०का०िन० 155, तारीख 23-1-1963, भारत का राजप (अं ेजी), असाधारण, भाग 2, अनु भाग 3(i), पृ ठ 73 ।
3
1980 के अिधिनयम सं ० 44 क धारा 50 और पांचव अनु सच ू ी ारा (11-10-1982 से ) खं ड (1) के थान पर ित थािपत ।
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1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 51 ारा “कल टर (अपील)” के थान पर ित थािपत ।
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2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 104 ारा ित थािपत ।
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2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 36 ारा ित थािपत ।
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2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 89 ारा अं त: थािपत ।
8
1963 के अिधिनयम सं ० 54 क धारा 5(2) ारा कितपय श द के थान पर (1-1-1964 से ) ित थािपत ।
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1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 51 ारा, खं ड (7 क) और (8) के थान पर ित थािपत ।
2
है िजसम आयाितत माल या िनयाितत माल सामा यत: सीमाशु क ािधकारय ारा िनकासी के पहले रखे
जाते ह;
(12) “सीमाशु क पन” से धारा 7 के ख ड (क) के अधीन सीमाशु क पन िनयत कया गया पन अिभे त है ,
[और इसके अं तगत उस धारा के खं ड (क) के अधीन अं तदशीय आधान िडपो के प म िनयत कया गया थान भी
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है ];
(13) “सीमाशु क टे शन” से सीमाशु क पन, [सीमाशु क िवमान पन अं तररा ीय कुरयर टमनल,
4
और अ य सामु क े अिधिनयम, 1976 (1976 का 80) क धारा 5 के अधीन भारत के पश े क सीमा तक सागर ख ड]
अिभे त है और इसके अ तगत खाड़ी, आयात, ब दरगाह, सं करी खाड़ी या वारीय नदी है ;
[(28 क) “अं तररा ीय कु रयर टमनल” से धारा 7 क उपधारा (1) के खं ड (च) के अधीन अं तररा ीय कु
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रयर टमनल होना िनयत कया गया कोई थान अिभे त है ;]
(29) “भूिम सीमाशु क टे शन” से धारा 7 के ख ड (ख) के अधीन भूिम सीमाशु क टे शन िनयत कया गया
थान अिभे त है ;
(30) “बाजार कमत” से कसी माल के स ब ध म, भारत म यापार के सामा य अनु म म माल क थोक कमत
अिभे त है ;
[(30 क) “रा ीय कर अिधकरण” से रा ीय कर अिधकरण अिधिनयम, 2005 क धारा 3 के अधीन थािपत
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वायु यान या जलयान या यान का चालक या उसके ािधकृत अिभकता ारा तै यार कए गए अिभले ख अिभे त ह;]
(31) “भारसाधक यि त” से अिभे त है ,—
(क) जलयान के स ब ध म, जलयान का मा टर;
(ख) वायु यान के सं बंध म, वायु यान कमा डर या भारसाधक पाइलट;
(ग) रे लगाड़ी के स ब ध म, गाड़ी का मु य िनदे शन करने वाला सं वाहक, गाड या अ य यि त;
(घ) कसी अ य वहण के सं बंध म, उस वहण का चालक या उसका अ य भारसाधक यि त;
(32) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िविनयम ारा िविहत अिभे त है ;
(33) “ितिष माल” से वे माल अिभे त ह िजनका आयात या िनयात इस अिधिनयम या त समय वृ
कसी अ य िविध के अधीन कसी ितषे ध के अधीन है क तु इसके अ तगत ऐसे माल नह ह िजनक बाबत उन
शत का अनु पालन कया गया है िजनके अधीन माल का आयात या िनयात अनु ात कया जाता है ;
(34) “उिचत अिधकारी” से इस अिधिनयम के अधीन अनु पालन कए जाने वाले कृ य के सं बंध म, वह
सीमाशु क अिधकारी अिभे त है िजसको बोड या [ [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त]] ारा वे कृ य
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सपे गए ह;
(35) “िविनयम” से इस अिधिनयम के उपब ध के अधीन बोड ारा बनाए गए िविनयम अिभे त ह;
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2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 89 ारा ित थािपत ।
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1978 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 2 ारा (1-7-1978 से ) कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
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2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 89 ारा अं त: थािपत ।
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2005 के अिधिनयम सं ० 49 क धारा 30 और अनु सच ू ी ारा अं त: थािपत ।
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1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
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2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
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(36) “िनयम” से इस अिधिनयम के उपब ध के अधीन के ीय सरकार ारा बनाए गए िनयम
अिभे त ह; (37) “पोत प” से धारा 50 म िनद ट पोत प अिभे त है ;
(38) “यान सामी” से कसी जलयान या वायु यान म उपयोग के िलए माल अिभे त है और इसके अ तगत
धन और फालतू पु ज और उप कर क अ य व तु एं ह चाहे तु र त फट करने के िलए ह या नह;
(39) “त करी” से कसी माल के सं बंध म, वह काय या लोप अिभे त है िजससे ऐसे माल धारा 111 या धारा
113 के अधीन अिधहरणीय हो जाए;
(40) “टै रफ मू य” से कसी माल के सं बंध म, उनका धारा 14 क उपधारा (2) के अधीन िनयत टै रफ मू य
अिभे त है ;
(41) “मू य” से कसी माल के सं बंध म, उनका [धारा 14 क उपधारा (1) या उपधारा (2)] के उपब ध के
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ाइवे ट भांडागार या धारा 58 क के अधीन अनु त कोई िवशे ष भांडागार अिभे त है ;]
(44) “भा डागारत माल” से भा डागार म िनि त माल अिभे त है ;
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* * * * * * * अ याय 2
सीमाशु क अिधकारी
[3. सीमाशु क अिधकारय के वग—सीमाशु क अिधकारय के िन निलिखत वग हगे , अथात् :—
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[(क) सीमाशु क धान मु य आयु त;
(ख) सीमाशु क मु य आयु त;
(ग) सीमाशु क धान आयु त;
(घ) सीमाशु क आयु त;
(ङ) सीमाशु क आयु त (अपील);
(च) सीमाशु क सं यु त आयु त;
(छ) सीमाशु क उप आयु त;
(ज) सीमाशु क सहायक आयु त;
(झ) सीमाशु क अिधकारय का ऐसा अ य वग, जो इस अिधिनयम के योजन के िलए िनयत कया जाए ।]
4. सीमाशु क अिधकारय क िनयुि त—(1) [बोड], ऐसे यि तय को सीमाशु क अिधकारी िनयु त कर सके गी िज
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सीमाशु क उप-आयु त या सीमाशु क सहायक आयु त को, सीमाशु क सहायक आयु त क पं ि त से िन न पं ि त के सीमाशु
क अिधकारय क िनयुि त करने के िलए ािधकृ त कर सके गा] ।
5. सीमाशु क अिधकारय क शि तयां —(1) ऐसी शत और मयादा के अधीन रहते ए जो बोड अिधरोिपत करे सीमाशु
क अिधकारी इस अिधिनयम के अधीन उसको द शि तय का योग कर सकता है और उस पर अिधरोिपत कत य का िनवहन
कर सकता है ।
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2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 94 ारा ित थािपत ।
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2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 116 ारा ित थािपत ।
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2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 116 ारा लोप कया गया ।
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1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 52 ारा धारा 3 और 4 के थान पर ित थािपत ।
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2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 79 ारा ित थािपत ।
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2002 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 117 ारा ित थािपत ।
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(2) कोई सीमाशु क अिधकारी इस अिधिनयम के अधीन उसके अधीन थ कसी अ य सीमाशु क अिधकारी को द शि
तय का योग कर सकता है और उस पर अिधरोिपत कत य का िनवहन कर सकता है ।
(3) इस धारा म कसी बात के होते ए भी, [ [आयु त (अपील)]], अ याय 15 और धारा 108 म िविनद ट सीमाशु क
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िनयाितत माल के या ऐसे माल के कसी वग को लादने के िलए अं तदशीय [आधान िडपो या िवमान व तु
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ारं भ पर, िव अिधिनयम, 2003 क धारा 105 ारा यथासं शोिधत इस धारा के उपबं ध के अधीन जारी क गई समझी जाएगी
और ऐसे ारं भ के प चात् वह उ त धारा के उपबं ध के अधीन सं शोधन, िवखं डन या िनलं बन तक उसी तरह वृ और भावी
बनी रहे गी ।]
8. उतरने के थान का अनु मोदन करने क और सीमाशु क े क सीमा को िविनद ट करने क शि त— [सीमाशु क 10
आयु त],—
(क) सीमाशु क पन या सीमाशु क िवमान पन या तटीय पन म माल कसी वग के माल लादने और उतारने
के िलए उिचत थान अनु मोदत कर सकता है ;
(ख) कसी सीमाशु क े क सीमा िविनद ट कर सकता है ।
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1980 के अिधिनयम सं ० 44 क धारा 50 और पांचव अनु सच ू ी ारा (11-1-1982 से ) “सीमाशु क अपील कल टर” के थान पर ित थािपत
। 1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “कल टर (अपील)” के थान पर ित थािपत ।
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2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 117 ारा ित थािपत ।
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2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 105 ारा पु न:सं यांकत ।
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2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 105 ारा ित थािपत ।
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1983 के अिधिनयम सं ० 11 क धारा 47 ारा अं त: थािपत ।
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2012 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 121 ारा ित थािपत ।
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2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 90 ारा अं त: थािपत ।
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2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 105 अं त: थािपत ।
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1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
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* * * * * *
10. नौ आरोहण के थानक िनयत करना— [सीमाशु क आयु त], राजप म अिधसूचना ारा, कसी सीमाशु क पन म
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या उसके समीप सीमाशु क अिधकारय ारा जलयान पर आरोहण या उससे अवरोहण के योजनाथ नौ आरोहण के थानक
िनयत कर सकता है ।
अ याय 4
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2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 118 ारा लोप कया गया ।
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1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
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2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 64 ारा ित थािपत ।
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[अ याय 4 क
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(ii) उस दशा के िसवाय जहां उसने , कारबार का िनयत थान रखने वाले यापारी से िभ न कसी अ य
यि त से ऐसे माल का अजन करने के पूव, यह सुिनि चत करने के िलए क उसके ारा इस कार अजत माल ऐसे
माल नह ह जो अवै ध प से आयात कए गए ह, ऐसी युि तयु त कायवािहयां क ह जो इस िनिम बनाए गए िनयम
ारा िविनद ट क जाएं ।
11 ङ. अिधसूिचत माल को क जे म रखने वाले यि तय ारा ले खा का रखा जाना—(1) ये क यि त, जो अिधसूिचत
तारीख को या उसके प चात् कसी अिधसूिचत माल को अपने वािम व, क जे या िनयं ण म रखता है या अजत करता है , ऐसे
माल का सही और पूण ले खा (ऐसे प म और ऐसी रीित म जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट क जाए), रखे गा
और जब जब वह ऐसा अिधसूिचत माल अजत करता है , या उ ह अपने से िवलग करता है , तब-तब वह ऐसे अजन या
िवलगावके बारे म उ त ले खे म िव ट करे गा, और उसम, यथाि थित, उस यि त क िविशि टयां दे गा िजससे ऐसे माल
अजत कए गए ह या िजसके प म ऐसे माल का िवलगाव कया गया है , और ऐसा ले खा, ऐसे अिधसूिचत माल के, िजनके
स ब ध म वह ले खा है , भ डारकरण के थान पर माल के साथ रखा जाएगा :
पर तु उस यि त क दशा म जो पहले से ऐसे ले खे रखता है िजनम उ त िनयम ारा िविनद ट िविशि टयां ह,
इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट प और रीित म पृ थ: ले खा रखना आव यक नह होगा ।
(2) ये क यि त िजसके वािम व, क जे या िनयं ण म अिधसूिचत माल है और जो ऐसे माल का कसी अ य माल
के िविनमाण म उपयोग करता है , उसके ारा उपयोग कए गए अिधसूिचत माल का सही और पूण ले खा (ऐसे प म, ऐसी रीित
म और ऐसी िविशि टयां दे ते ए जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट क जाएं ) रखे गा और वह ऐसा ले खा
सूिचत थान पर रखे गा ।
11 च. अिधसूिचत माल के िवय, आद का वाउचर ारा सा य होना—अिधसूिचत तारीख को और उसके प चात् कोई
यि त कसी अिधसूिचत माल का िवय या अ यथा अ तरण नह करे गा जब तक क ऐसे माल के िवय या अ तरण के सं बंध म
ये क सं यवहार का वाउचर ारा, ऐसे प म और ऐसी िविशि टयां दे ते ए जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट
क जाएं , सा य नह होता है ।
11 छ. धारा 11 ग, 11 ङ और 11 च का यि तगत उपयोग के माल को लागू न होना—(1) धारा 11 ग, धारा 11 ङ और
धारा 11 च क कोई बात कसी अिधसूिचत माल को लागू नह होगी, जो,—
(क) उसी यि त के िजसके वािम व, क जे या िनयं ण म है , यि तगत उपयोग म है , या
(ख) कसी यि त के िनवास परसर म उसके यि तगत उपयोग के िलए रखा है ।
(2) यद कोई यि त, िजसके क जे म उपधारा (1) म िनद ट अिधसूिचत माल है , ऐसे माल का िवय करता है या
उनको मू यवान ितफल के िलए अ यथा अं तरत करता है तो वह, यथाि थित, े ता या अ तरती को ऐसी िविशि टयां दे ते
ए जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट क जाएं एक ापन दे गा और ऐसे माल एक थान से दस ू रे थान को नह
ले जाए जाएं गे जब तक क उनके साथ ऐसा ापन न हो ।
अ याय 4 ख
(ङ) “िविनद ट माल” से कसी िविनद ट े के सं बंध म धारा 11 झ के अधीन जारी क गई अिधसूचना म
िविनद ट कसी वणन के माल अिभे त ह ।
11 झ. के ीय सरकार क माल को िविनद ट करने क शि त—यद, कसी वग या वणन के माल के अवै ध िनयात के
परमाण को यान म रखते ए, के ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है क ऐसे माल के अवै ध िनयात को रोकने के योजन
के िलए, या उनका पता चलाना सु कर बनाने के िलए िजनका अवै ध िनयात होगा सं भव है , िवशे ष अ यु पाय करना
लोकिहत म समीचीन है तो वही राजप म अिधसूचना ारा, ऐसे वग या वणन के माल को िविनद ट कर सकती है ।
11 ञ. िविनद ट माल को क जे म रखने वाले यि त ारा भ डारकरण के थान, आद क सूचना का दया जाना—(1)
ये क यि त, जो िविनद ट तारीख को कसी अिधसूिचत माल को अपने वािम व, क जे या िनय ण म रखता है िजसक
बाजार कमत प ह हजार पए से अिधक है , तो वह उस तारीख से सात दन के अ दर उिचत अिधकारी को उस थान क िविशि
टयां दे ते ए जहां िविनद ट े म ऐसा माल रखा गया है या भ डारत कया गया है , सूचना दे गा ।
(2) ये क यि त जो (िविनद ट े के अ दर), िविनद ट तारीख के प चात् िविनद ट माल अजत करता है — (i)
िजनक बाजार कमत, या
(ii) िजनक बाजार कमत और साथ ही उसी वग या वणन के िविनद ट माल क, यद कोई हो, जो ऐसे
अजन क तारीख को उसके वािम व, क जे या िनयं ण म है , बाजार कमत,
प ह हजार पए से अिधक है तो ऐसा अजन करने से पहले , उिचत अिधकारी को उस थान क िविशि टयां दे ते ए जहां अजन
के प चात् ऐसे माल को रखने या भ डारत करने क थापना है , सूचना दे गा :
पर तु कसी यि त से , िजसने अपने वािम व, क जे या िनयं ण म के या अपने ारा अजत कसी िविनद ट माल के
सं बंध म उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन सूचना दी है , कोई और सूचना दे ने क अपे ा नह क जाएगी, जब तक िविनद ट
माल अिधसूिचत थान पर रखे या भ डारत कए गए ह ।
(3) यद कोई यि त क ह िविनद ट माल को िज ह उपधारा (1) या उपधारा (2) लागू होती है , सूिचत थान से िभ
न कसी थान को हटाना चाहता है , तो वह ऐसे माल को सूिचत थान से िनकालने से पहले उिचत अिधकारी को उस थान क
िविशि टयां दे ते ए जहां ऐसे माल को हटाकर ले जाने क थापना है ; सूचना दे गा ।
(4) कोई यि त, िविनद ट तारीख से सात दन समा त हो जाने के प चात् सूिचत थान से िभ न कसी थान पर
कसी िविनद ट माल को, िजसको उपधारा (1) या उपधारा (2) लागू होती है , नह रखे गा या भ डारत नह करे गा ।
11 ट. िविनद ट माल का परवहन वाउचर के अ तगत होना—(1) कोई िविनद ट माल कसी िविनद ट े से , म
या के अ दर परवहन नह कए जाएं गे या ऐसे े म कसी जीवज तु या वहण पर नह लादे जाएं गे, जब तक क उनके साथ ऐसे
माल को वािम व, क जे या िनय ण म रखने वाले या िवय करने वाले यि त ारा बनाया गया (ऐसे प म और ऐसे िविशि
टयां दे ते ए जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट क जाएं ) परवहन वाउचर न हो :
पर तु कसी ाम, शहर या नगर के अ दर ऐसे िविनद ट माल के परवहन के िलए परवहन वाउचर क आव यकता
नह होगी िजनक बाजार कमत परवहन क तारीख को एक हजार पए से अिधक नह है ।
(2) उपधारा (1) म कसी बात के होते ए भी, जहां के ीय सरकार का, िविनद ट माल क कृ ित और परवहन के
िलए आशियत माल क बाजार कमत परवहन का समय, ढं ग, माग और योजन और ऐसे माल के अवै ध िनयात के स ब ध म
िविनद ट े क भे ता पर िवचार करने के प चात्, यह समाधान हो जाता है क ऐसा करना लोकिहत म समीचीन है तो वह,—
(i) राजप म अिधसूचना ारा, ऐसे वग या वणन के और ऐसी रािश से अिधक बाजार कमत के, जो वह
सरकार अिधसूिचत करे , माल को िविनद ट कर सकता है ; और उसी िविनद ट े या िभ न-िभ न िविनद ट
े के िलए एक ही वग या वणन के, या िभ न-िभ न वग या वणन के िविनद ट माल के स ब ध म िभ न-ि
भ न रािशयां अिधसूिचत क जा सकती ह; और
(ii) यह िनदे श दे सकती है क कोई यि त इस कार िविनद ट माल का परवहन नह करे गा जब तक क
उनसे स बि धत परवहन वाउचर पर उिचत अिधकारी ने ितह तार न कए ह ।
11 ठ. िविनद ट माल को क जे म रखने वाले यि तय ारा ले खा का रखा जाना—(1) ये क यि त, जो िविनद ट तारीख को
या उसके प चात् िविनद ट े म पं ह हजार पए से अिधक बाजार कमत के िविनद ट माल को अपने वािम व, क जे या
िनयं ण म रखता है , ऐसे माल का सही और पूण ले खा (ऐसे प म और ऐसी रीित म जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा
िविनद ट क जाए) रखे गा और जब-जब वह िविनद ट माल अजत करता है या उ ह अपने से िवलग करता है तब-तब वह
ऐसे अजन और िवलगाव के बारे म उ त ले खे म िवि ट करे गा, और उसम, यथाि थित, उस यि त क िविशि टयां दे गा,
िजससे ऐसे माल अजत
कए गए ह या िजसके प म ऐसे माल का िवलगाव कया गया है , और ऐसा ले खा, ऐसे िविनद ट माल के, िजनके स ब ध
म वह ले खा है , भ डारकरण के थान पर माल के साथ रखा जाएगा :
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पर तु उस यि त क दशा म जो पहले से ऐसे ले खे रखता है िजनम उ त िनयम ारा िविनद ट िविशि टयां ह,
इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट प और रीित म पृ थक्त: ले खे रखना आव यक नह होगा ।
(2) ये क यि त िजसके वािम व, क जे या िनयं ण म ऐसे िविनद ट माल ह िजनको उपधारा (1) के उपब ध
लागू होते ह, और जो ऐसे माल का कसी अ य माल के िविनमाण म उपयोग करता है , उसके ारा उपयोग कए गए िविनद
ट माल का सही और पूण ले खा (ऐसे प म, ऐसी रीित म और ऐसी िविशि टयां दे ते ए जो इस िनिम बनाए गए िनयम
ारा िविनद ट क जाएं ) रखे गा और वह ऐसा ले खा सूिचत थान पर रखे गा ।
(3) यद कसी उिचत अिधकारी ारा स यापन कए जाने पर कसी समय यह पाया जाता है क कसी यि त के वािम व, क जे या
िनयं ण म के िविनद ट माल, उपधारा (2) म िनद ट ले खा के साथ पठत, उपधारा (1) म िनद ट ले खा म ऐसे स यापन के
समय ऐसे माल के टाक म िजतने परमाण म दखाए गए ह उससे कम ह तो, जब तक इसके ितकू ल सािबत न कया जाए,
उपधारणा क जाएगी क ऐसे माल उस परमाण तक िजतने क वे उ त ले खा म दखाए गए से कम ह, अवै ध प से िनयात कए
गए ह और यह क ऐसे माल को वािम व, क जे या िनयं ण म रखने वाला यि त उनके अवै ध िनयात से सं बंिधत है ।
11 ड. िविनद ट माल का िवय या अ तरण करने वाले यि तय ारा क जाने वाली कायवािहयां — ये क यि त जो कसी
िविनद ट े के अ दर िविनद ट माल का िवय या अ यथा अ तरण करता है , उस दशा के िसवाय जहां वह े ता ारा
िलखे गए चे क ारा भु गतान ा त करता है , िवय या अ तरण के वाउचर को अपनी ितिलिप पर उस यि त के ह तार और
पूरा डाक पता ले गा िजसको ऐसा िवय या अं तरण कया गया है , और, यथाि थित, ेता या अ तरती को पहचान के बारे म
अपना समाधान करने के िलए ऐसी अ य युि तयु त कायवािहयां करे गा जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट
क जाएं और यद उिचत अिधकारी ारा क गई जांच के प चात् यह पाया जाता है क, यथाि थित, ेता या अ तरती का आसानी
से पता नह चल सकता या वह कि पत यि त है तो, जब तक क इसके ितकू ल सािबत न कया जाए, यह उपधारणा क जाएगी
क ऐसे माल अवै ध प से िनयात कए गए ह और िजस यि त ने ऐसे माल का िवय या अ यथा अ तरण कया है वह ऐसे
अवै ध िनयात से स बि धत है :
पर तु इस धारा क कोई बात क ह िविनद ट माल के छोटे िवय को लागू नह होगी यद एक दन म कए गए ऐसे
छोटे िवय से ा त कु ल बाजार कमत दो हजार पांच सौ पए से अिधक नह है ।
प टीकरण—इस धारा म, “छोटे िवय” से एक हजार पए से अनिधक कमत पर िवय अिभे त
है । अ याय 4 ग
अ याय 4 क और 4 ख के उपब ध से छू ट दे ने क शि त
11 ढ. छट
ू दे ने क शि त—यद के ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है क लोकिहत म ऐसा करना आव यक है तो
वह राजप म अिधसूचना ारा कसी भी वग या वणन के माल को अ याय 4 क या अ याय 4 ख के सभी या क ह उपबं ध से या
तो आ यं ितक प से , या ऐसी शत के अधीन, जो अिधसूचना म िविनद ट क जाए, साधारणतया छू ट दे सकती है ।
अ याय 5
अिधिनयम, 1975 (1975 का 51)] या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन िविनद ट क जाए, उद्हण कया जाएगा ।
2
[(2) उपधारा (1) के उपब ध सरकार के सभी माल को उसी कार लागू हगे जै से वे गै र सरकारी माल को लागू ह ।]
13. मूषण कए गए माल पर शु क—यद कोई आयाितत माल उनके उतारने के प चात् और उिचत अिधकारी ारा
उनके दे शी उपभोग के िलए या कसी भा डागार म िने प के िलए िनकासी का आदे श दए जाने के पहले मूषण कए गए
ह, तो उस दशा के िसवाय जहां ऐसे मूषण कए गए माल आयातकता को यावतत कए जाते ह, आयातकता ऐसे माल पर
उद्हणीय शु क दे ने का दायी नह होगा ।
[14. माल का मू यांकन—(1) सीमाशु क टै रफ अिधिनयम, 1975 (1975 का 51) या त समय वृ कसी अ य िविध के
3
योजन के िलए, आयाितत माल या िनयाितत माल का मू य, ऐसे माल का सं यवहार मू य होगा, अथात् माल के िलए,
जब माल, यथाि थित, भारत को िनयात हे तु परदान के िलए आयात के समय और थान पर या भारत से िनयात हे तु
परदान के िलए, िनयात के समय और थान पर ऐसी अ य शत के अधीन रहते ए, जो इस िनिम बनाए गए िनयम म
ू रे
िविनद ट क जाएं , िवय कया जाता है , वा तिवक प से सं द या सं देय कमत होगा, जहां माल के े ता और िवे ता एक दस
से सं बंिधत नह ह और कमत ही िवय के िलए एक मा ितफल है :
1
1975 के अिधिनयम सं ० 51 क धारा 13 ारा (2-8-1976 से ) “इं िडयन टै रफ ऐ ट, 1934 (1934 का 32)” के थान पर ित
थािपत । 1963 के अिधिनयम सं ० 30 क धारा 2 ारा (1-10-1963 से ) उपधारा (2) के थान पर ित थािपत ।
2
3
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 95 ारा ित थािपत ।
11
पर तु आयाितत माल क दशा म ऐसे सं यवहार मू य म, यथा पूव त कमत के अितर त, कमीशन और दलाली सिहत
लागत और से वा के िलए सं द या सं देय कोई रकम, इं जीिनयरी, िडजाइन काय, वािम व और अनुि त फस, आयात के थान
तक परवहन क लागत, इस िनिम बनाए गए िनयम म िविनद ट सीमा तक और रीित म भाय बीमा, लदाई, उतराई और
रख-रखाव भाय भी सि मिलत ह :
पर तु यह और क इस िनिम बनाए गए िनयम िन निलिखत का उपबं ध कर सक गे :—
(i) वे परि थितयां , िजनम े ता और िवे ता सं बंधी समझे जाएं गे;
(ii) माल क बाबत मू य केअवधारण क रीित जब कोई िवय न हो या े ता और िवे ता सं बंधी न हो
अथवा िवय के िलए या कसी अ य दशा म कमत ही एक मा ितफल न हो;
(iii) जहां समुिचत अिधकारी के पास ऐसे मू य और इस धारा के योजन के िलए मू य के अवधारण क स
यता या यथाथता के बारे म सं देय करने का कारण हो, वहां , यथाि थित, आयातक या िनयातक ारा घोिषत मू य
को वीकार या अ वीकार करने क रीित :
पर तु यह भी क ऐसी कमत क गणना उस तारीख को, िजसको, यथाि थित, धारा 46 के अधीन वे शप तु त कया
जाता है या धारा 50 के अधीन िनयात का पोतप तु त कया जाता है , यथावृ िविनमय क दर के ितिनदश से क जाएगी ।
(2) उपधारा (1) म कसी बात के होते ए भी, यद बोड का यह समाधान हो जाता है क ऐसी करना आव यक या
समीचीन है तो वह, राजप म अिधसूचना ारा, आयाितत माल या िनयाितत माल के कसी वग के िलए टै रफ मू य उस या
उसके जै से माल क मू य क वृि को यान म रखते ए, िनयत कर सके गी और जहां ऐसे कोई टै रफ मू य िनयत कए जाते ह
वहां शु क ऐसे टै रफ मू य के ितिनदश से भाय होगा ।
प टीकरण—इस धारा के योजन के िलए—
(क) “िविनमय दर” से वह दर अिभे त है जो—
(i) बोड ारा अवधारत क गई हो; या
(ii) उस रीित से अिभिनि चत क गई हो, जो बोड,
भारतीय करसी के िवदे शी करसी म या िवदे शी करसी के भारतीय करसी म सं परवतन के िलए िनदे श करे ;
(ख) “िवदे शी करसी” और “भारतीय करसी” के वही अथ ह, जो िवदे शी मु ा बं ध अिधिनयम, 1999
(1999 का 42) क धारा 2 के खं ड (ड) और (थ) म ह ।]
15. आयाितत माल के शु क क दर और टै रफ मू यांकन के अवधारण क तारीख—(1) आयाितत माल को लागू होने
वाली [शु क क दर, ***] और टै रफ मू यांकन, यद कोई हो, वह वृ दर और मू यांकन होगा जो,—
1 2
(क) धारा 46 के अधीन दे शी उपभोग के िलए िव ट माल क दशा म, उस तारीख को है िजसको ऐसे
माल के बारे म उस धारा के अधीन वे श प पे श कया जाता है ;
(ख) धारा 68 के अधीन भा डागार से िनकासी कए गए माल क दशा म, उस तारीख को है [िजसको ऐसे 3
माल के बारे म उस धारा के अधीन दे शी उपभोग के िलए वे श का िबल पे श कया जाता है ];
(ग) कसी अ य माल क दशा म, शु क सं दाय करने क तारीख को है :
[पर तु यद वे श प उस जलयान के अं तवे श क या उस वायु यान [या यान] के पं चने क, िजसके ारा माल आयात
4 5
कया जाता है , अनु मित क तारीख के पहले पे श कया गया हो तो वे श प, यथाि थित, ऐसे अं तवे श या पं चने क अनु मित क
तारीख को पे श कया गया समझा जाएगा ।]
(2) इस धारा के उपब ध याी सामान और डाक ारा आयाितत माल को लागू नह हगे ।
6
* * * * *
1
1966 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 3 ारा “शु क क दर” के थान पर ित थािपत ।
2
1978 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 4 ारा “िविनमय दर” श द का लोप कया गया ।
3
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 106 ारा ित थािपत ।
4
1996 के अिधिनयम सं ० 33 क धारा 59 ारा (28-9-1996 से ) ित थािपत ।
5
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 80 ारा अ त: थािपत ।
6
1966 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 3 ारा अं त: थािपत धारा 15 क उपधारा (3) का 1978 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 4 ारा (1-7-1978 से ) लोप कया गया ।
12
16. िनयाितत माल के शु क क दर और टै रफ मू यांकन के अवधारण क तारीख— [(1) िनयाितत माल को लागू 1
धारा 50 के अधीन कसी िनयात माल को िव ट करने वाला कोई िनयातकता, धारा 85 म यथा अ यथा उपबं िधत के
िसवाय, ऐसे माल पर उद्हणीय शु क का, यद कोई हो, वत: िनधारण करे गा ।
(2) उिचत अिधकारी, ऐसे माल के वत: िनधारण का स यापन कर सके गा और इस योजन के िलए, कसी
आयाितत माल या िनयात माल क या उसके ऐसे भाग क, जो आव यक हो, परीा या परीण कर सके गा ।
[(3) उपधारा (2) के अधीन वत: िनधारण के स यापन के िलए, उिचत अिधकारी, आयातकता, िनयातकता या
3
कसी अ य यि त से कोई द तावे ज या जानकारी, िजसके ारा, यथाि थित, आयाितत माल या िनयात माल पर उद्हणीय
शु क अिभिनि चत कया जा सकता है , पे श करने क अपे ा कर सके गा और तदुपर आयातकता, िनयातकता या ऐसा अ य यि
त, ऐसा द तावे ज पे श करे गा या ऐसी जानकारी दे गा ।]
(4) यद माल के स यापन, परीा या परीण पर या अ यथा यह पाया जाता है क वत: िनधारण सही प म नह कया
गया है तो उिचत अिधकारी ऐसी कसी अ य कारवाई पर, जो इस अिधिनयम के अधीन क जा सकती है , ितकू ल भाव डाले
िबना, ऐसे माल पर उद्हणीय शु क का पु ननधारण कर सके गा ।
(5) जहां , उपधारा (4) के अधीन कया गया कोई पु ननधारण, इस अिधिनयम के अधीन उसके िलए जारी क गई कसी
अिधसूचना के परणाम वप ा त माल के मू यांकन, वगकरण, शु क से छू ट या रयायत क बाबत आयातकता या िनयातकता
ारा कए गए वत: िनधारण के ितकू ल है और उन मामल से िभ न मामल म जहां , यथाि थित, आयातकता या
िनयातकता उ त पु ननधारण क अपनी वीकृि त क िलिखत म पुि ट करता है , वहां उिचत अिधकारी, यथाि थित, वे श प या
पोत परवहन प के पु ननधारण क तारीख से प ह दन के भीतर पु ननधारण के सं बंध म एक सकारण आदे श पारत करे गा ।
(6) जहां पु ननधारण नह कया गया है या पु ननधारण के सं बंध म कोई सकारण आदे श पारत नह कया गया है , वहां
उिचत अिधकारी, जै सा समीचीन हो, आयाितत माल या िनयात माल के शु क के िनधारण क अपने कायालय या
आयातकता या िनयातकता के परसर म, ऐसी रीित म, जो िविहत क जाए, सं परीा कर सके गा ।
प टीकरण—शं का को दरू करने के िलए, यह घोिषत कया जाता है क उन मामल म, जहां आयातकता ने उस तारीख से पूव,
िजसको िव अिधिनयम, 2011 को रा पित क अनु मित ा त होती है , धारा 46 के अधीन कसी आयाितत माल को िव ट
कया है या कसी िनयातकता ने धारा 50 के अधीन कसी िनयात माल को िव ट कया है , वहां ऐसा आयाितत माल या
िनयात माल धारा 17, जै सी वह उस तारीख से , िजसको ऐसी अनु मित ा त होती है , ठीक पूव िवमान थी, के उपबं ध
ारा शािसत होता रहे गा ।]
18. शु क का अनि तम िनधारण— [(1) इस अिधिनयम म कसी बात के होते ए भी, कतु धारा 46 के उपबं ध पर
4
अनं ितम प से िनधारत शु क के बीच क कमी का, यद कोई हो, सं दाय करने के िलए ऐसी ितभूित दे ता है , जो उिचत
अिधकारी ठीक समझे ।]
(2) जब ऐसे माल पर उद्हणीय शु क इस अिधिनयम के उपब ध के अनु सार अं ितम प से िनध्ारत [या उिचत 1
िनधारत या पु ननधारत] से कम या अिधक है तो माल का आयातकता या िनयातकता, यथाि थित, कमी को पूरा
करे गा या ितदाय पाने का हकदार होगा;
(ख) भा डागारत माल क दशा म जहां [अं ितम प से , यथाि थित, िनधारत या पु ननधारत] शु क अनि
1
तम प से िनधारत शु क से अिधक है वहां , उिचत अिधकारी आयातकता से यह अपे ा कर सकता है क वह अपने को
शु क के आिध य क रकम के दुगुने के बराबर रािश के िलए आब करते ए ब धप िन पादत करे ।
2
[(3) आयातकता या िनयातकता उपधारा (2) के अधीन अं ितम िनधारण आदे श के [या पु ननधारण आदे श] के परणाम वप
1
के ीय सरकार को सं देय कसी रकम पर धारा 28 कख के अधीन के ीय सरकार ारा िनयत दर पर उस मास के पहले दन
से िजसम शु क का अनं ितम प िनधारण कया जाता है , उसके सं दाय क तारीख तक याज का सं दाय करने का दायी होगा
।]
(4) उपधारा (5) के अधीन रहते ए, यद उपधारा (2) के खं ड (क) म िनद ट कसी ितदे य रकम का उस उपधारा के
अधीन शु क के अं ितम प से िनधारण [अं ितम प से , यथाि थित, िनधारण या शु क के पु ननधारण] क तारीख से तीन
1
मास के भीतर ितदाय नह कया जाता है , तो ऐसी अितद रकम पर के ीय सरकार ारा धारा 27 क के अधीन िनयत दर पर
ऐसी रकम के ितदाय क तारीख तक याज का सं दाय कया जाएगा ।
(5) उपधारा (2) के अधीन ितदे य शु क क रकम और उपधारा (4) के अधीन याज, यद कोई हो, िनिध म जमा कए
जाने क बजाय, यथाि थित, आयातकता या िनयातकता को सं द क जाएगी यद ऐसी रकम िन निलिखत से सं बंिधत है —
(क) शु क और, यथाि थित, आयातकता या िनयातकता ारा सं द ऐसे शु क पर सं द याज, यद कोई हो,
यद उसने ऐसे शु क और ऐसे शु क पर सं द याज का भार, यद कोई हो, कसी अ य यि त को अ तरत न कर दया हो;
(ख) कसी यि ट ारा अपने वयं के उपयोग के िलए कए गए आयात पर शु क और ऐसे शु क पर सं द
याज, यद कोई हो;
(ग) शु क और ेता ारा वहन कए गए ऐसे शु क पर सं द याज, यद कोई हो, यद उसने शु क और ऐसे शु क
पर सं द याज का भार, यद कोई हो, कसी अ य यि त को अ तरत न कर दया हो;
(घ) धारा 26 म यथा िविनद ट िनयात शु क;
(ङ) धारा 74 और धारा 75 के अधीन सं देय शु क क वापसी ।]
19. जहां माल म ऐसी व तु एं है िजन पर शु क क िभ न दर लागू होती ह वहां शु क का अवधारण—त समय वृ
कसी िविध म जै सा अ यथा उपबि धत हो उसके िसवाय, जहां माल म बत सी व तु एं ह वहां शु क िन निलिखत रीित से
परकिलत कया जाएगा :—
(क) उन व तु पर, िजन पर परमाण के अनु सार शु क लगता है , वह शु क भाय होगा;
(ख) उन व तु पर िजन पर मू य के अनु सार शु क लगता है , यद उन पर एक ही दर पर शु क लगता है तो
उसी दर से शु क भाय होगा, और यद उन पर िभ न-िभ न दर से शु क लगता है , तो ऐसी दर म से अिधकतम दर
से शु क भाय होगा;
(ग) उन व तु पर, िजन पर शु क नह लगता है उस दर से शु क भाय होगा िजस पर उन व तु पर शु क
लगता है िजन पर ख ड (ख) के अधीन मू य के अनु सार शु क लगता है :
पर तु यह क,—
(क) कसी व तु के उपसाधन और फालतू पु ज या अनु रण और मर मत करने के उपकरण पर जो इस िनिम
बनाए गए िनयम म िविनद ट शत क पूत करते ह, उस व तु पर लगने वाले शु क क दर से ही शु क भाय होगा;
1
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 39 ारा अं त: थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 21 ारा अं त: थािपत ।
14
शु क लगे गा और वह ऐसी सभी शत और िनबं धन, यद कोई ह, के अधीन होगा, िजनके अधीन उसी क म और उसी मू य का
उसके आयात पर होता है :
3
* * * * *
21. य त माल, व तपोत-सामी आद—उस सभी माल के साथ जो य त, ि त, लु तक और व तपोत-सामी है और जो भारत म
लाया जाता है या आता है इस कार यवहार कया जाएगा मानो वह भारत म आयात कया गया था जब तक क उिचत अिधकारी
के समाधानपय त यह न दशया जाए क वह इस अिधिनयम के अधीन िनशु क िव ट कए जाने का हकदार है ।
22. उस माल पर शु क क कमी िजनका नु कसान या य हो गया है —(1) जहां [सीमाशु क सहायक आयु त] के
4
4
[सीमाशु क सहायक आयु त] के समाधानपय त, यह दशाया जाता है क कोई आयाितत माल दे शी उपभोग के िलए िनकासी
कए जाने के पहले [कसी समय (मूषण से अ यथा) खो गया है ] या न ट हो गया है , तो [सीमाशु क सहायक आयु त] ऐसे माल
6 4
को शु क से छट
ू दे गा ।
[(2) धारा 47 के अधीन दे शी उपभोग के िलए माल क िनकासी का आदे श या धारा 60 के अधीन भांडागार म माल
7
के िने प को अनु ात करने का आदे श दए जाने के पहले कसी भी समय कसी आयाितत माल का वामी, माल पर अपने हक का
याग कर सकेगा और तब वह उस पर सीमाशु क का सं दाय करने का दायी नह होगा :]
[पर तु कसी ऐसे आयाितत माल के वामी को, ऐसे माल पर अपने हक का याग करने के िलए अनु ात नह कया
8
जाएगा, िजसके सं बंध म इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन कोई अपराध कया गया तीत होता है
।]
1
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 40 ारा अं त: थािपत ।
2
1994 केअिधिनयम सं ० 32 क धारा 60 ारा धारा 20 के थान पर ित थािपत ।
3
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 53 ारा परं तु क और प टीकरण का लोप कया गया ।
4
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
5
1983 के अिधिनयम सं ० 11 क धारा 48 ारा “कसी समय खो गया है ” के थान पर ित थािपत ।
6
1983 के अिधिनयम सं ० 11 क धारा 48 ारा अं त: थािपत ।
7
1994 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 60 ारा उपधारा (2) के थान पर ित थािपत ।
8
2006 के अिधिनयम सं ० 21 क धारा 58 ारा अं त: थािपत ।
15
24. माल के िवकृ तीकरण या िवकलीकरण के िलए िनयम बनाने क शि त—के ीय सरकार उस आयाितत
माल के जो एक से अिधक योजन के िलए सामा यत: उपयोग कए जाते ह उ ह एक या अिधक योजन के िलए अनु पयु त
बनाने के िलए वामी के अनु रोध पर िवकृ तीकरण या िवकलीकरण को अनु ात करने के िलए िनयम बना सकती है ;
और जहां कोई माल इस कार िवकृ त या िवकिलत कए जाते ह वहां वे ऐसी दर पर शु क से भाय हगे जो उ ह लागू होती
यद माल िवकृ त या िवकिलत प म आयात कए जाते ।
25. शु क से छू ट दे ने क शि त—(1) यद के ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है क लोकिहत म ऐसा करना
आव यक है तो वह, राजप म अिधसूचना ारा, कसी िविश ट वणन के माल को उन पर उद्हणीय सम त सीमाशु क से या
उसके कसी भाग से या तो आ यि तक प से या ऐसी शत के अधीन (जो िनकासी के पहले या प चात् पूरी क जाएं गी) जो
अिधसूचना म िविनद ट क जाए साधारणत: छू ट दे सकती है ।
[(2) यद के ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है क लोकिहत म ऐसा करना आव यक है तो वह ये क मामले म
1
िवशे ष आदे श ारा, ऐसे माल को, िजस पर शु क उद्हणीय है , ऐसी आपवादक कृि त क परि थितय के अधीन, िजनका उ
ले ख ऐसे आदे श म कया जाएगा, शु क के सं दाय से छट
ू दे सके गी ।]
[(2 क) कीय सरकार, यद वह ऐसा करना आव यक या समीचीन समझती है तो, उपधारा (1) के अधीन जारी क गई कसी
2
अिधसूचना या उपधारा (2) के अधीन जारी कए गए कसी आदे श क परिध या उसके लागू होने को प ट करने के योजन के
िलए उपधारा (1) के अधीन ऐसी अिधसूचना या उपधारा (2) के अधीन आदे श के जारी कए जाने के एक वष के भीतर कसी भी
समय, राजप म अिधसूचना ारा, यथाि थित, ऐसी अिधसूचना या आदे श म एक प टीकरण अं त: थािपत कर सके गी और ये क
ऐसे प टीकरण का भाव इस कार होगा मानो वह सदै व, यथाि थित, उ त थम अिधसूचना या आदे श का भाग रहा हो ।]
[(3) कसी माल पर उद्हणीय सीमाशु क (उस पर उद्हणीय सीमाशु क को इसम इसके प चात् कानूनी शु क कहा गया
3
है ) के कसी भाग से ऐसे माल क बाबत उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन छू ट, ऐसे माल पर ऐसी दर, जो उस वप और
पित म अिभ य त दर से िभ न है िजस वप या पित म कानूनी शु क उद्हणीय है शु क के उद्हण के िलए उपबं ध करके दी
जा सके गी और इस उपधारा म उपबं िधत रीित से कसी माल के सं बंध म दी गई कोई छट ू इस शत के अधीन रहते ए भावी
होगी क ऐसे माल पर उद्हणीय सीमाशु क कसी भी दशा म कानूनी शु क म अिधक नह होगा ।
प टीकरण—सीमाशु क क दर के सं बंध म, “ वप या पित” से अिभे त है , वह आधार, अथात् मू यांकन, भार, सं या, ल
बाई, ेफल, आयतन या अ य माप, िजसके ित िनदश से शु क उद्हणीय है ।]
[(4) उपधारा (1) या उपधारा (2 क) के अधीन जारी ये क अिधसूचना, जब तक अ यथा उपबं िधत न हो, राजप म के
4
ीय सरकार ारा उसके काशन के िलए जारी तारीख को वृ होगी ।]
5
* * * * *
[(6) इस अिधिनयम म कसी बात के होते ए भी, शु क का सं हण तब नह कया जाएगा जब उद्हणीय शु क क रकम
6
धारा 6 और धारा 7 म यथा िनद ट मश: भारत के महाीपीय म नतट भूिम या अन य आथक े म िन कषत या उ पादत
और 7 फरवरी, 2002 के पूव आयाितत खिनज ते ल को (िजनके अं तगत पेोिलयम और ाकृि तत गै स भी है ) ऐसे खिनज ते ल पर
उद्हणीय सं पण ू सीमाशु क से छू ट ा त समझा जाएगा और सदै व से छू ट ा त समझा जाएगा तथा तदनु सार, कसी
यायालय, अिधकरण या अ य ािधकारी के कसी िनणय, िड या आदे श म अं तव ट कसी बात के होते ए भी, ऐसे खिनज
ते ल क बाबत कोई वाद या अ य कायवािहयां कसी यायालय, अिधकरण या अ य ािधकरण म चलाई नह जाएं गी या जारी
नह रखी जाएं गी ।
(8) उपधारा (7) के अधीन उपबं िधत छट
ू के होते ए भी, उसम िविनद ट खिनल ते ल क बाबत सं द सीमाशु क का
ितदाय नह कया जाएगा ।]
26. कुछ दशा म िनयात शु क का ितदाय—जहां माल के िनयात पर कसी शु क का सं दाय कया गया है वहां
ऐसे शु क का उस यि त को ितदाय कया जाएगा िजसक ओर से वह सं दाय कया गया था, यद—
(क) माल ऐसे यि त को पु न: िवय से िभ न कसी कार से वापस कया जाता है ;
1
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 107 ारा ित थािपत ।
2
2002 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 119 ारा अं त: थािपत ।
3
1983 के अिधिनयम सं ० 11 क धारा 49 ारा अं त: थािपत ।
4
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 119 ारा ित थािपत ।
5
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 119 ारा लोप कया गया ।
6
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 107 ारा अं त: थािपत ।
7
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 81 ारा अं त: थािपत ।
16
प म आसानी से पहचान यो य है , घरे लू उपभोग के िलए ऐसे माल क िनकासी पर कसी शु क का सं दाय कया गया है , यद,
—
(क) माल दोषपूण पाया जाता है या अ यथा माल के िनयातकता और दायकता के बीच करार कए गए
िविनदश के अनु सार नह पाया जाता है :
पर तु माल आयात के प चात् तै यार, नह कया गया है , उसक मर मत नह क गई है या उसका उपयोग नह
कया गया है िसवाय वहां के जहां ऐसा उपयोग दोष या िविनदश के अनु प न होने का पता लगाने के िलए
अिनवाय था;
(ख) माल क, सीमाशु क सहायक आयु त या सीमाशु क उपायु त के, समाधानद प म, ऐसे माल के प म
पहचान क गई है , जो आयात कया गया था;
(ग) आयातकता इस अिधिनयम के कसी अ य उपबं ध के अधीन वापसी का दावा नह करता है ; और
(घ) (i) माल का िनयात कया गया है ; या
(ii) आयातकता माल के अपने हक का पर याग करता है और उसे सीमाशु क के अिधकार म छोड़ दे ता है ; या
(iii) ऐसे माल को समुिचत अिधकारी क उपि थित म, न ट कर दया है या उसे वािणि यक प से मू यहीन
बना दया गया है ,
वहां , उस तारीख से , िजसको समुिचत अिधकारी धारा 47 के अधीन घरे लू उपभोग के िलए आयाितत माल क िनकासी का
आदे श करता है , तीस दन से अनिधक क अविध के भीतर, ऐसी रीित म, जो िविहत क जाए, ऐसा शु क, उस यि त को,
िजसके ारा, या िजसक ओर से उसका सं दाय कया गया था, ितद कया जाएगा :
पर तु तीस दन क अविध को पया त कारण दशत करने पर सीमाशु क आयु त ारा तीन मास से अनिधक क अविध
के िलए िव तारत कया जा सके गा :
पर तु यह और क इस धारा क कोई बात ऐसे माल को लागू नह होगी, िजसके सं बंध म इस अिधिनयम या त समय
वृ कसी िविध के अधीन कोई अपराध कया गया तीत होता है ।
(2) शु क के ितदाय के िलए आवे दन सु संगत तारीख से छह मास क समाि त से पूव ऐसे प म और ऐसी रीित म
कया जाएगा जो िविहत क जाए ।
प टीकरण—इस उपधारा के योजन के िलए, “सु संगत तारीख” से िन निलिखत अिभे त है ,—
(क) ऐसे मामल म, जहां माल भारत से बाहर िनयात कया जाता है वह तारीख, िजसको समुिचत
अिधकारी धारा 51 के अधीन आयात के िलए माल क िनकासी और लदाई क अनु मित दे ने वाला आदे श करता
है ;
(ख) ऐसे मामल म, जहां माल के हक का पर याग कया जाता है , ऐसे पर याग क तारीख;
(ग) ऐसे मामले म जहां माल को न ट कया जाता है या वािणि यक प से मू यहीन बनाया जाता है , वहां ,
माल को ऐसे न ट करने या वािणि यक प से मू यहीन बनाने क तारीख ।
(3) उपधारा (1) के अधीन कोई ितदाय नाशवान माल और ऐसे माल के सं बंध म अनु ात नह कया जाएगा िजसक
अविध शे फ लाइफ या िसफारश क गई उपयोग-पूव-भं डारण अविध से अिधक हो गई है ।
(4) बोड, राजप म अिधसूचना ारा, ऐसी अ य शत िविनद ट कर सके गा, िजसके अधीन रहते ए, उपधारा (1) के
अधीन ितदाय अनु ात कया जा सके गा ।]
[27. शु क के ितदाय के िलए दावा— [(1) कोई यि त, जो—
2 3
1
2009 के अिधिनयम सं ० 33 क धारा 85 ारा अं त: थािपत ।
2
1991 के अिधिनयम सं ० 40 क धारा 10 ारा (20-9-1991 से ) धारा 27 के थान पर ित थािपत ।
3
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 41 ारा ित थािपत ।
17
कसी शु क या याज के ितदाय का दावा करता है , ऐसे शु क या याज के सं दाय क तारीख से एक वष क समाि त से पूव ऐसे
ितदाय के िलए सीमाशु क सहायक आयु त या सीमाशु क उपायु त को ऐसे प म और ऐसी रीित म आवे दन कर सके गा, जो
िविहत क जाए :
पर तु जहां ितदाय केि लए कोई आवे दन उस तारीख से , िजसको िव िवधे यक, 2011 को रा पित क अनु मित ा
त होती है , पूव कर दया गया है , वहां ऐसा आवे दन उपधारा (1) के अधीन, जै सी वह उस तारीख से , िजसको िव िवधे यक,
2011 को रा पित क अनु मित ा त होती है , पूव िवमान थी, कया गया समझा जाएगा और उस पर उपधारा (2) के उपबं ध के
अनु सार कारवाई क जाएगी :
पर तु यह और क एक वष क परसीमा वहां लागू नह होगी, जहां कोई शु क या याज, अ यापिपूवक सं द कया गया है
:
[पर तु यह भी क जहां दावा कए गए ितदाय क रकम एक सौ पए से कम है , वहां उसका ितदाय नह कया जाएगा ।]
1
प टीकरण—इस उपधारा के योजन के िलए, आयातकता से िभ न कसी यि त के सं बंध म “ऐसे शु क या याज
के सं दाय क तारीख” का यह अथ लगाया जाएगा क वह उस यि त ारा “माल के य क तारीख” है ।
(1 क) उपधारा (1) के अधीन आवे दन के साथ ऐसा द तावे जी या अ य सा य (िजसके अं तगत धारा 28 ग म िनद
ट द तावे ज भी ह) लगा होगा, जो आवे दक यह थािपत करने के िलए दे क ऐसे शु क या याज क रकम, िजसके सं बंध म
ऐसे ितदाय का दावा कया गया है , उससे सं गृहीत या उसकेारा सं द क गई थी और ऐसे शु क या याज का भार उसके ारा
कसी अ य यि त पर नह डाला गया है ।
(1 ख) इस धारा म यथा अ यथा उपबं िधत के िसवाय, एक वष क परसीमा अविध क सं गणना, िन निलिखत रीित
म क जाएगी, अथात् :—
(क) ऐसे माल क दशा म, जो धारा 25 क उपधारा (2) के अधीन जारी कए गए कसी िवशे ष आदे श ारा
शु क के सं दाय से छट
ू ा त है , एक वष क परसीमा क सं गणना उस आदे श के जारी कए जाने क तारीख से क जाएगी
:
(ख) जहां शु क अपील ािधकरण, अपील अिधकरण या कसी यायालय के कसी िनणय, िड, आदे श या
िनदे श के परणाम वप ितदे य हो जाता है , वहां एक वष क परसीमा क सं गणना ऐसे िनणय, िड, आदे श या
िनदे श क तारीख से क जाएगी;
(ग) जहां कसी शु क का धारा 18 के अधीन अनं ितम प से सं दाय कया जाता है , वहां एक वष क परसीमा क
सं गणना शु क के अं ितम िनधारण के प चात् उसके समायोजन क तारीख से या पु ननधारण क दशा म ऐसे
पु ननधारण क तारीख से क जाएगी ।]
(2) यद ऐसे कसी आवे दन क ाि त पर [सीमाशु क सहायक आयु त] का यह समाधान हो जाता है क आवे दक ारा
2
सं द स पूण [शु क और ऐसे शु क पर सं द याज, यद कोई हो] या उसका कोई भाग ितदे य है तो वह तदनु सार आदे श कर सके
3
पर सं द याज, यद कोई हो] क रकम, िनिध म जमा क जाने के बजाय आवे दक को सं द क जाएगी यद ऐसी रकम का सं बंध
िन निलिखत से है :—
(क) [यथाि थित, आयातकता या िनयातकता] ारा सं द शु क और ऐसे शु क पर सं द याज, यद कोई हो,
4
यद उसने [शु क और ऐसे शु क पर सं द याज, यद कोई हो], का आपतन कसी अ य यि त को सं ांत नह कया था;
3
(ख) कसी यि त ारा अपने यि तगत उपयोग के िलए कए गए आयात पर [शु क और ऐसे शु क पर सं द
3
1
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 65 ारा अं त: थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
3
1991 के अिधिनयम सं ० 55 क धारा 2 ारा (23-12-1991 से ) “शु क” के थान पर ित थािपत ।
4
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 108 ारा ित थािपत ।
18
(च) आवे दक के कसी अ य ऐसे वग ारा, जो के ीय सरकार राजप म अिधसूचना ारा िविनद ट करे ,
वहन कया गया [शु क और ऐसे शु क पर सं द याज, यद कोई हो] :
1
2
[(छ) कसी आयातकता ारा, घरे लू उपभोग के िलए माल क िनकासी को अनु ात करने वाले कसी आदे श
के कए जाने से पूव सं द अिधक शु क,—
(i) जहां वत: िनधारत वे श प क दशा म, शु क का ऐसा अिधक सं दाय वे श प से सु य त है ; या
(ii) जहां पु न: िनधारण क दशा म पु न: िनधारत वे श प म वा तिवक प से सं देय शु क उपदशत
कया जाता है :]
पर तु यह और क पहले पर तु क के खं ड (च) के अधीन कोई अिधसूचना तब तक नह िनकाली जाएगी जब तक क के
ीय सरकार क राय म सं बंिधत यि तय ारा [शु क और ऐसे शु क पर सं द याज, यद कोई हो] का आपतन कसी अ य यि
1
इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िविनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के कसी अ य उपब ध म कसी ितकू
ल बात के होते ए भी उपधारा (2) म जै सा उपबं िधत है उसके िसवाय कोई ितदाय नह कया जाएगा ।
(4) उपधारा (2) के पहले पर तु क के खं ड (च) के अधीन ये क अिधसूचना, यद सं सद् क बै ठक चल रही है तो
अिधसूचना िनकाले जाने के प चात् यथाशी और यद उसक बै ठक नह चल रही है तो उसके पु न: समवे त होने के सात दन के
भीतर सं सद् के ये क सदन के सम रखी जाएगी और के ीय सरकार उस दन से , िजसको ऐसी अिधसूचना लोक सभा के सम
इस कार रखी जाती है , आरं भ होने वाली प ह दन क अविध के भीतर सं क प तािवत करके उस अिधसूचना के सं बंध म सं सद्
का अनु मोदन ा त करे गी और यद सं सद् अिधसूचना म कोई उपां तरण करती है या िनदे श दे ती है क अिधसूचना का कोई
भाव नह होगा तो त प चात् वह अिधसूचना, यथाि थित, ऐसे परवतत प म ही भावी होगी या उसका कोई भाव नह होगा क तु
उसके अधीन पहले क गई कसी बात क िविधमा यता पर ितकू ल भाव नह पड़े गा ।
(5) शं का को दरू करने के िलए यह घोिषत कया जाता है क उपधारा (2) के पहले पर तु क के खं ड (च) के अधीन
िनकाली गई कोई अिधसूचना, िजसके अ तगत उपधारा (4) के अधीन अनु मोदत या उपां तरत ऐसी कोई अिधसूचना भी है ,
के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, कसी भी समय िवखं िडत कर सके गी ।]
[27 क. िवलं िबत ितदाय पर याज—यद कसी आवे दक को धारा 27 क उपधारा (2) के अधीन ितदाय कए जाने
4
के िलए आद ट कसी शु क का, उस धारा क उपधारा (1) के अधीन आवे दन क ाि त क तारीख से तीन मास के भीतर ितदाय
नह कया जाता है तो उस आवे दक को ऐसे आवे दन क ाि त क तारीख से तीन मास क समाि त के ठीक प चात् उस तारीख से
ऐसे शु क के ितदाय क तारीख तक ऐसे शु क पर [पांच ितशत ितवष से अ यून] और तीस ितशत ितवष से अनिधक
5
ऐसी दर पर, [जो के ीय सरकार ारा, राजप म अिधसूचना ारा] त समय िनयत क जाए, याज का सं दाय कया जाएगा :
6
पर तु जहां कसी शु क का, िजसका ऐसी तारीख के पूव, िजसको िव िवधे यक, 1995 पर रा पित क अनु मित ा
त होती है , धारा 27 क उपधारा (1) के अधीन आवे दन क बाबत उस धारा क उपधारा (2) के अधीन ितदाय कए जाने का
आदे श कया जाता है , ऐसी तारीख से तीन मास के भीतर ितदाय नह कया जाता है , वहां आवे दक को, ऐसी तारीख से ठीक तीन
मास के प चात् क तारीख से ऐसे शु क के ितदाय क तारीख तक इस धारा के अधीन याज का सं दाय कया जाएगा ।
प टीकरण—जहां धारा 27 क उपधारा (2) के अधीन सीमाशु क सहायक आयु त के कसी आदे श के िव आयु त
(अपील), अपील अिधकरण [रा ीय कर अिधकरण] या कसी यायालय ारा ितदाय का कोई आदे श कया जाता है वहां ,
3
यथाि थित, आयु त (अपील), अपील अिधकरण या यायालय ारा पारत आदे श, इस धारा के योजन के िलए उस उपधारा
के अधीन पारत आदे श समझा जाएगा ।]
[28. उगृ हीत न कए गए या सं द न कए गए या कम उगृ हीत कए गए या कम सं द कए गए शु क क वसूली—(1) जहां
7
(क) उिचत अिधकारी, सु संगत तारीख से [दो वष] के भीतर ऐसे शु क या याज से , जो इस कार उगृ हीत [या
1 2
सं द] नह कया गया है या िजसे कम उगृ हीत या कम सं द कया गया है या िजसका भूल से ितदाय कया गया है ,
भाय यि त को, उससे यह हे तुक दशत करने क अपे ा करते ए एक सूचना क तामील करे गा क उसे सूचना म िविनद
ट रकम का सं दाय य नह करना चािहए;
(ख) शु क या याज से भाय यि त,—
(i) ऐसे शु क को अपने वयं के अिभिन चय के आधार पर; या
(ii) उिचत अिधकारी ारा अिभिनि चत शु क के आधार पर,
खं ड (क) के अधीन सूचना क तामील से पूव, शु क क रकम का धारा 28 कक के अधीन उस पर सं देय याज के साथ या
याज क उस रकम के साथ, जो इस कार सं द नह क गई है या भागत: सं द क गई है , सं दाय कर सके गा :
3
[पर तु उिचत अिधकारी ऐसी कारण बताओ सूचना क तामील नह करे गा, जहां क अं तविलत रकम एक सौ पए से
कम है ।]
(2) वह यि त, िजसने शु क का याज के साथ या उपधारा (1) के खं ड (ख) के अधीन याज क रकम का सं दाय कया
है , उिचत अिधकारी को ऐसे सं दाय क िलिखत म सूचना दे गा, जो ऐसी सूचना क ाि त पर इस कार सं द शु क या याज या
ऐसे शु क या याज क बाबत इस अिधिनयम के उपबं ध या उसके अधीन बनाए गए िनयम के अधीन उद्हणीय कसी शाि त क
बाबत उस उपधारा के खं ड (क) के अधीन कसी सूचना क तामील नह करे गा :
[पर तु जहां उपधारा (1) के खं ड (क) के अधीन सूचना क तामील क गई है और उिचत अिधकारी क यह राय है क,
4
यथाि थित, धारा 28 कक के अधीन शु क क रकम उस पर सं देय याज सिहत या सूचना म यथािविनद ट याज क रकम, सूचना
क ाि त क तारीख से तीस दन के भीतर पूणतया सं द कर दी गई है , वहां कोई शाि त उगृ हीत नह क जाएगी और ऐसे यि त
या अ य यि तय के िव िजनको उपधारा (1) के खं ड (क) के अधीन उ त सूचना क तामील क गई है , कायवािहयां समा त ई
समझी जाएं गी ।]
(3) जहां उिचत अिधकारी क यह राय है क उपधारा (1) के खं ड (ख) के अधीन सं द रकम वा तव म सं देय रकम से कम
हो जाती है , वहां वह उस रकम क बाबत, जो उस उपधारा के अधीन िविनद ट रीित म वा तव म सं देय रकम से कम हो जाती
है , उस उपधारा के खं ड (क) म यथा उपबं िधत सूचना जारी करने क कायवाही करे गा और [दो वष] क अविध क सं गणना
1
से ितदाय कया गया है या सं देय याज को सं द नह कया गया है या भागत: सं द कया गया है या भूल से ितदाय कया गया
है , वहां उिचत अिधकारी सु संगत तारीख से पांच वष के भीतर ऐसे शु क या याज से , भाय यि त को, िजससे याज [इस
1
कार उगृ हीत कया गया है या सं द नह कया गया है ] या कम उगृ हीत कया गया है या कम सं द कया गया है या िजसको भूल
से ितदाय कया गया है , उससे यह हे तुक दशत करने क अपे ा करते ए एक सूचना क तामील करे गा क उसे सूचना म िविनद ट
रकम का सं दाय य नह करना चािहए ।
(5) जहां अयातकता या िनयातकता अथवा आयातकता या िनयातकता के ऐसे अिभकता या कमचारी ारा, िजसे उिचत
अिधकारी ारा उपधारा (4) के अधीन सूचना क तामील क गई है , दुरिभसं िध या जानबूझकर कए गए कसी िम या कथन
या त य के िछपाने के कारण कोई [शु क उगृ हीत नह कया गया है या सं द नह कया गया है या कम उगृ हीत कया गया है या
1
कम सं द
कया गया है ] या याज भारत नह कया गया है या भागत: सं द कया गया है अथवा शु क या याज का भूल से ितदाय कया
गया है , वहां ऐसा यि त पूणत: या भागत: जै सा उसके ारा ितगृ हीत कया जाए, शु क का और धारा 28 कक के अधीन उस
पर सं देय याज का और सूचना म िविनद ट शु क के [पं ह ितशत] के बराबर शाि त का या उस शु क का, जो उस यि त
5
ारा ितगृ हीत कया जाए, सूचना क ाि त के तीस दन के भीतर सं दाय कर सके गा और ऐसे सं दाय क उिचत अिधकारी को
िलिखत म सूचना दे सके गा ।
1
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 120 ारा ित थािपत ।
2
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 120 ारा अं त: थािपत ।
3
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 66 ारा अं त: थािपत ।
4
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 82 ारा अ त: थािपत ।
5
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 82 ारा ित थािपत ।
20
(6) जहां , यथाि थित, आयातकता या िनयातकता अथवा आयातकता या िनयातकता के अिभकता या कमचारी ने
उपधारा (5) के अधीन शु क का याज और शाि त सिहत सं दाय कर दया है , वहां उिचत अिधकारी शु क या याज क रकम का
अवधारण करे गा और अवधारण कए जाने पर, यद उिचत अिधकारी क यह राय है क—
(i) शु क का याज और शाि त सिहत पूणत: सं दाय कर दया गया है , तो ऐसे यि त या अ य यि तय क
बाबत, िज ह उपधारा (1) या उपधारा (4) के अधीन सूचना क तामील क जाती है , कायवािहयां धारा 135, धारा
135 क और धारा 140 के उपबं ध पर ितकू ल भाव डाले िबना उसम किथत मामल के बारे म िन चायक समझी
जाएं गी;
(ii) याज और शाि त सिहत, शु क, जो सं द कया गया है , वा तव म सं देय रकम से कम पड़ता है तो उिचत
अिधकारी ऐसी रकम क बाबत, जो वा तव म सं देय रकम से कम पड़ती है , उपधारा (1) के खं ड (क) म यथा उपबं िधत
सूचना उस उपधारा के अधीन िविनद ट रीित म जारी करने क कायवाही करे गा और [दो वष] क अविध क सं गणना
1
वह अविध अपवजत क जाएगी, िजसके दौरान ऐसे शु क या याज के सं दाय क बाबत कसी यायालय या अिधकरण ारा
कोई रोकादे श दया गया था ।
(8) उिचत अिधकारी, सं बंिधत यि त को सु ने जाने का अवसर दान करने के प चात् और उस यि त ारा, कए गए
अ यावे दन पर, यद कोई हो, िवचार करने के प चात् ऐसे यि त से शो य शु क या याज क ऐसी रकम का, जो सूचना म
िविनद ट रकम से अिधक न हो, अवधारण करे गा ।
(9) उिचत अिधकारी, उपधारा (8) के अधीन शु क या याज क रकम का अवधारण,—
(क) उपधारा (1) के खं ड (क) के अं तगत आने वाले मामल के सं बंध म जहां ऐसा करना सं भव हो सूचना क
तारीख से छह मास के भीतर करे गा;
(ख) उपधारा (4) के अं तगत आने वाले मामल के सं बंध म जहां ऐसा करना सं भव हो सूचना क तारीख से एक
वष के भीतर करे गा ।
(10) जहां इस धारा के अधीन उिचत अिधकारी ारा शु क अवधारण करने वाला कोई आदे श पारत कया जाता है ,
वहां उ त शु क का सं दाय करने के िलए दायी यि त इस कार अवधारत रकम का, उस रकम पर दे य याज सिहत, चाहे याज
क रकम पृ थक् प से िविनद ट क गई हो या नह, सं दाय करे गा ।
[(11) कसी यायालय, अिधकरण या अ य ािधकरण ारा कसी िनणय, िड या आदे श म अं तव ट कसी ितकू
2
ल बात के होते ए भी, 6 जु लाई, 2011 के पूव धारा 4 क उपधारा (1) के अधीन सीमाशु क अिधकारय के प म िनयु त सभी यि
तय के बारे म यह समझा जाएगा क उ ह धारा 17 के अधीन िनधारण क शि त ा त है और सदै व ा त थी और इस धारा के
योजन के िलए यह समझा जाएगा क वे समुिचत अिधकारी ह और सदै व रहे थे ।]
प टीकरण 1—इस धारा के योजन के िलए, “सु संगत तारीख” से ,—
(क) उस दशा म, जहां [शु क उगृ हीत नह कया गया है या सं द नह कया गया है या कम उगृ हीत कया गया
1
है या कम सं द कया गया है ,] या याज भारत नह कया गया है , वह तारीख अिभे त है िजसको उिचत अिधकारी माल
क िनकासी के िलए कोई आदे श करता है ;
(ख) उस दशा म, जहां शु क धारा 18 के अधीन अनि तम प से िनधारत कया गया है , वहां शु क के, यथाि
थित, अं ितम िनधारण या पु न: िनधारण के प चात् उसके समायोजन क तारीख अिभे त है ;
(ग) उस दशा म, जहां शु क या याज का भूल से ितदाय कर दया गया है , वहां ितदाय क तारीख
अिभे त है ; (घ) कसी अ य दशा म, शु क या याज के सं दाय क तारीख अिभे त है ।
प टीकरण 2—शं का को दरू करने के िलए यह घोिषत कया जाता है क उस तारीख से , िजसको िव िवधे यक,
2011 को रा पित क अनु मित ा त होती है , पूव कोई अननु दह ् ण, कम उद्हण या भूल से ितदाय धारा 28 के उपबं ध ारा,
जै से वे उस तारीख से , िजसको ऐसी अनु मित ा त होती है , पूव िवमान थे , शािसत होता रहे गा ।]
[ प टीकरण 3—शं का को दरू करने के िलए यह घोिषत कया जाता है क अननु दह
3
् ण, कम उद्हण, असं दाय, कम सं दाय या
भूल से ितदाय के कसी मामले के सं बंध म, जहां हे तुक दशत करने सं बंधी सूचना, यथाि थित, उपधारा (1) या उपधारा (4) के
अधीन जारी क गई है कतु उपधारा (8) के अधीन शु क का अवधारण करने सं बंधी आदे श उस तारीख के पूव, िजसको िव
1
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 120 ारा ित थािपत ।
2
2011 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 2 ारा अं त: थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 82 ारा अ त: थािपत ।
21
िवधे यक, 2015 को रा पित क अनु मित ा त होती है , पारत नह कया गया है , कायवािहयां धारा 135, धारा 135 क और धारा
140 के उपबं ध पर, जै से लागू ह, ितकू ल भाव डाले िबना समा त ई समझी जाएं गी, यद, यथाि थित, उपधारा (2) के परं तुक
या उपधारा (5) के अधीन शु क, याज और शाि त को उस तारीख से , िजसको ऐसी अनु मित ा त होती है , तीस दन के भीतर
पूणतया सं द कर दया जाता है ।]
[28 क. साधारण था के परणाम वप उद् हण न कए गए या कम उद् हण कए गए शु क को वसूल करने क शि त—
1
2
[(1)] इस अिधिनयम म कसी बात के होते ए भी, यद के ीय सरकार का समाधान हो जाता है क—
(क) कोई था, भारत म आयात कए गए या भारत से िनयात कए गए कसी माल पर शु क के उद्हण क
बाबत (िजसके अ तगत उसका उद्हण न कया जाना भी है ), साधारणतया चिलत थी या है ; और
(ख) ऐसा माल,—
(i) उन दशा म, िजनम शु क का उ त था के अनु सार उद्हण नह कया गया था या नह कया जा
रहा है , शु क का दायी था या है , या
(ii) शु क क उस रकम से , िजसका उ त था के अनु सार उद्हण कया गया था या कया जा रहा है ,
उ चतर रकम का दायी था या है ,
तो के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, िनदे श दे सके गी क, उ त था के न होने पर ऐसे माल पर, यथाि थित, सं देय
सं पण
ू शु क, या उससे अिधक शु क, उस माल क बाबत सं दाय कया जाना अपेित नह होगा िजस पर शु क उ त था के
अनु सार उद्गृहीत नह कया गया था या नह कया जा रहा है या कम उद्हण कया गया था या कया जा रहा है ।]
[(2) जहां कसी बात क बाबत उपधारा (1) के अधीन कोई अिधसूचना िनकाली गई है , वहां , यथाि थित, ऐसे माल
3
पर सं द सं पण
ू शु क पर या ऐसे माल पर सं देय शु क से अिधक सं द शु क पर, जो उ त अिधसूचना वृ रही होती तो, सं द नह
कया जाता, धारा 27 क उपधारा (2) के उपबं ध के अनु सार कारवाई क जाएगी :
पर तु यह तब जब, यथाि थित, उस शु क या अिधक शु क के ितदाय का दावा करने वाला यि त उ त अिधसूचना
के िनकाले जाने क तारीख से छह मास के अवसान के पूव [सीमाशु क सहायक आयु त] क धारा 27 क उपधारा (1) म िनद
4
िनणय, िड, आदे श या िनदे श म या इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम के कसी अ य उपबं ध म कसी
बात के होते ए भी वह यि त, जो धारा 28 के उपबं ध के अनु सार शु क का सं दाय करने के िलए दायी है , ऐसे शु क के अितर त,
उपधारा (2) के अधीन िनयत दर से याज का, यद कोई ह, सं दाय करने के िलए दायी होगा, चाहे ऐसा सं दाय वे छया या
उस धारा के अधीन शु क के अवधारण के प चात् कया जाता है ।
(2) ितवष दस ितशत से अ यून और छीस ितशत से अनिधक ऐसी दर से , जो क ीय सरकार राजप म
अिधसूचना ारा िनयत करे , याज का धारा 28 के िनबं धनानु सार ऐसे शु क का सं दाय करने के िलए दायी यि त ारा
सं दाय कया जाएगा और ऐसे याज क सं गणना, यथाि थित, उस मास के, िजसम शु क का सं दाय कया जाना चािहए था,
यथाि थित, उरवत मास के थम दन से या भूल से ऐसा ितदाय कए जाने क तारीख से ऐसे शु क का सं दाय कए जाने क तारीख
तक क जाएगी ।
(3) उपधारा (1) म कसी बात के होते ए भी, उस दशा म, कोई याज सं देय नह होगा, जहां —
(क) शु क धारा 151 क के अधीन बोड ारा कोई आदे श, अनु देश या िनदे श जारी कए जाने के परणाम वप
सं देय हो जाता है ; और
(ख) ऐसे शु क क रकम का, ऐसे आदे श, अनु देश या िनदे श के जारी कए जाने क तारीख से पतालीस दन के
भीतर, ऐसे सं दाय के कसी प चावत म पर उ त सं दाय के िव अपील करने के कसी अिधकार को आरित कए िबना
वे छया पूणत: सं दाय कर दया जाता है ।]
[28 ककक. कितपय मामल म शु क क वसूली—(1) जहां कसी यि त को जारी क गई कोई िलखत इस अिधिनयम
6
या िवदे शी यापार (िवकास और िविनयमन) अिधिनयम, 1992 (1992 का 22) के योजन के िलए उसके ारा—
(क) दुरिभसं िध से ; या
1
1978 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 7 ारा (1-7-1978 से ) अ त: थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 3 ारा (1-7-1988 से ) धारा 28 क उपधारा (1) के प म पु न:सं यांकत ।
3
1991 के अिधिनयम सं ० 40 क धारा 11 ारा (20-9-1991 से ) उपधारा (2) के थान पर ित थािपत ।
4
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
5
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 43 ारा ित थािपत ।
6
2012 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 122 ारा अं त: थािपत ।
22
अिधकरण] या कसी यायालय के कसी अपील या िनदे श म या इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िनयम के कसी
अ य उपबं ध म कसी बात के होते ए भी, [ऐसा ये क यि त, जो इस अिधिनयम के अधीन शु क का सं दाय करने के दािय वाधीन
3
है और िजसने कसी माल के े ता से सीमाशु क के प म इस अिधिनयम के अधीन ऐसे माल पर िनधारत या अवधारत
अथवा सं द शु क से अिधक कोई रकम कसी भी रीित से सं गृहीत क है ], इस कार सं गृहीत रकम का, के ीय सरकार के जमा
खाते म तु र त सं दाय करे गा ।
[(1 क) ऐसा ये क यि त, िजसने कसी यि त से कसी रीित म कसी माल पर िनधारत या अवधारत शु क से
4
अिधक कोई रकम सं गृहीत या सं द क है या ऐसे कसी माल पर, जो पूणतया शु क से छू ट ा त है या शू य दर पर भाय है ,
सीमाशु क के प म कोई रकम सं गृहीत क है इस कार सं गृहीत रकम का, के ीय सरकार के खाते म तु रं त सं दाय करे गा ।]
[(2) जहां कसी रकम का [,यथाि थित, उपधारा (1) या उपधारा (1 क)] के अधीन के ीय सरकार के जमा खाते म
3 5
सं द कया जाना अपेित है और िजसे इस कार सं द नह कया गया है , वहां समुिचत अिधकारी ऐसी रकम का सं दाय करने के
िलए दायी
1
1991 के अिधिनयम सं ० 40 क धारा 12 ारा (20-9-1991 से ) अं त: थािपत ।
2
2005 के अिधिनयम सं ० 49 क धारा 30 ारा अनु सचू ी ारा अं त: थािपत ।
3
2000 के अिधिनयम सं ० 10 क धारा 82 ारा ित थािपत ।
4
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 68 ारा अं त: थािपत ।
5
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 68 ारा ित थािपत ।
23
यि त को एक सूचना यह हे तुक दशत करने क अपे ा करते ए तामील कर सके गा क उसे सूचना म िविनद ट प म रकम का
के ीय सरकार के जमाखाते म सं दाय य नह करना चािहए ।
(3) समुिचत अिधकारी उस यि त ारा, िजसको उपधारा (2) के अधीन सूचना क तामील क गई है , कए गए अ
यावे दन पर, यद कोई हो, िवचार करने के प चात् ऐसे यि त से शो य रकम का अवधारण करे गा (जो सूचना म िविनद ट
रकम से अिधक नह होगी) और तब ऐसा यि त इस कार अवधारत रकम का सं दाय करे गा ।
(4) [यथाि थित, उपधारा (1) या उपधारा (1 क) या उपधारा (3)] के अधीन के ीय सरकार के जमाखाते म सं द रकम
1
िनधारण या [उपधारा (1) और उपधारा (1 क)] म िनद ट माल से सं बंिधत शु क के अवधारण के िलए कसी अ य
1
कायवाही को अं ितम प दए जाने के प चात्, उस यि त ारा सं देय शु क मे समायोिजत क जाएगी ।
(5) जहां उपधारा (4) के अधीन समायोजन के प चात् कोई अिधशे ष रह जाता है वहां ऐसे अिधशे ष क रकम, यथाि
थित, िनिध म जमा क जाएगी या धारा 27 के उपबं ध के अनु सार उस यि त को ितद कर दी जाएगी िजसने उस रकम का
आपतन वहन कया है और ऐसा यि त ऐसे मामल म सहायक सीमाशु क आयु त ारा ऐसी अिधशे ष रकम के ितदाय के
िलए जारी क जाने वाली लोक सूचना क तारीख से छह मास के भीतर उस धारा के अधीन आवे दन कर सके गा ।]
[28 खक. कितपय मामल म राज व क सं रण के िलए अनं ितम कु क—(1) जहां धारा 28 [या धारा 28 ककक या
2 3
धारा 28 ख] के अधीन कसी कायवाही के लं िबत रहने के दौरान उिचत अिधकारी क यह राय है क राज व के िहत का सं रण
करने के योजन के िलए ऐसा करना आव यक है तो वह [सीमाशु क मु य आयु त या सीमाशु क आयु त] के पूव अनु मोदन से ,
4
िलिखत आदे श ारा, ऐसे यि त क, िजस पर, यथाि थित, [धारा 28 क उपधारा (1) या उपधारा (4)] [या धारा 28 ककक क
5 3
उपधारा (3) या धारा 28 ख क उपधारा (2)] के अधीन सूचना क तामील क जाती है , धारा 142 के अधीन इस िनिम बनाए गए
िनयम के अनु सार कसी सं पि क अनं ितम प से कु क कर सके गा ।
(2) ये क ऐसी अनं िमत कु क उपधारा (1) के अधीन कए गए आदे श क तारीख से छह मास क अविध क समाि त के
प चात् भाव म नह रहे गी :
पर तु [मु य सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] ले खब कए जाने वाले कारण से पूव त अविध को ऐसी और
4
अविध या अविधय तक बढ़ा सकेगा िज ह वह ठीक समझे तथािप िव तार क कुल अविध कसी भी दशा म दो वष से अिधक
क नह होगी :
पर तु यह और क जहां धारा 127 ख के अधीन मामले के िनपटान के िलए कोई आवे दन समझौता आयोग को कया जाता है ,
वहां ऐसी तारीख से िजसको आवे दन कया जाता है , ारं भ होने वाली और उस तारीख को समा त होने वाली अविध िजसको
धारा 127 ग क उपधारा (1) के अधीन कोई आदे श कया जाता है , पूववत परं तुक म िविनद ट अविध से अपवजत क जाएगी
।]
6
[अ याय 5 क
अिम िविनणय
28 ङ. परभाषाएं —इस अ याय म, जब तक क सं दभ से अ यथा अपेित न हो,—
1
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 68 ारा ित थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 23 ारा अं त: थािपत ।
3
2012 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 123 ारा ित थािपत ।
4
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
5
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 67 ारा ित थािपत ।
6
1991 के अिधिनयम सं ० 40 क धारा 13 ारा (20-9-1991 से ) अं त: थािपत ।
7
1999 के अिधिनयम सं ० 27 क धारा 103 ारा अं त: थािपत ।
24
[(क) “याकलाप” से आयात या िनयात अिभे त है और इसके अं तगत, यथाि थित, िवमान आयातकता
1
या िनयातकता ारा कए जाने वाले तािवत आयात या िनयात का कोई नया कारबार भी है ;]
(ख) “अिम िविनणय” से ािधकरण ारा आवे दक ारा कसी ऐसे याकलाप के सं बंध म, िजसको अपने
हाथ म िलए जाने का ताव है , शु क का सं दाय करने के दािय व से सं बंिधत आवे दन म िविनद ट िविध या त
य के न का अवधारण अिभे त है ;
2
[(ग) “आवे दक” से अिभे त है ,—
(i) (क) कोई ऐसा िनवासी जो कसी अिनवासी या कसी िनवासी के सहयोग से भारत म कोई
सं यु त उम थािपत कर रहा है ; या
(ख) कोई ऐसा िनवासी जो कसी अिनवासी के सहयोग से भारत म कोई सं यु त उम थािपत कर
रहा है ; या
(ग) पूण वािम व वाली समनु षंगी भारतीय कं पनी िजसक धारक कं पनी कोई िवदे शी कपं नी है ,
यथाि थित, िजसने या जो भारत म कसी कारबारी याकलाप को करने का ताव कया है या करता है ; (ii)
भारत म कोई सं यु त उम; या
(iii) यि तय के कसी ऐसे वग या वग के अं तगत आने वाला ऐसा कोई िनवासी िजसे के ीय
सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, इस िनिम िविनद ट करे ,
और यथाि थित, जो या िजसने धारा 28 ज क उपधारा (1) के अधीन अिम िविनणय के िलए आवे दन करता है
या कया है ।]
[ प टीकरण—इस खं ड के योजन के िलए, “भारत म सं यु त उम” से ऐसी सं िवदा मक ठहराव अिभे त है ,
3
िजसके ारा दो या अिधक यि त कोई ऐसा आथक याकलाप करते ह, जो सं यु त िनयं ण के अधीन ह और
िजसके एक या अिधक साझे दार या भागीदार अथवा साधारण शे यरधारक ऐसे अिनवासी ह, िजनका उस ठहराव
म सारवान् िहत ह;]
(घ) “आवे दन” से धारा 28 ज क उपधारा (1) के अधीन ािधकरण को कया गया आवे दन अिभे त है ;
[(ङ) “ािधकरण” से आय-कर अिधिनयम, 1961 (1961 का 43) क धारा 245 ण के अधीन गठत अिम
4
धारा 245 ण के अधीन गठत अिम िविनणय ािधकरण, इस अिधिनयम के योजन के िलए अिम िविनणय दे ने के िलए
ािधकरण होगा और उ त ािधकरण इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन उसे द अिधकारता, शि तय और ािधकार का
योग करे गा :
पर तु भारतीय राज व से वा (सीमाशु क और क ीय उ पाद-शु क) से ऐसा सद य, जो बोड का सद य होने के िलए
अहत है , इस अिधिनयम के योजन के िलए ािधकरण का राज व सद य होगा ।
(2) उस तारीख से ही, िजसको िव िवधे यक, 2017 को रा पित क अनु मित ा त होती है , त कालीन अिम
िविनणय (क ीय उ पाद-शु क, सीमाशु क और से वा कर) ािधकरण के सम लं िबत ये क आवे दन और कायवाही, उसी म से
ािधकरण को अं तरत हो जाएगी, िजस पर ऐसा आवे दन या कायवाही, ऐसी अनु मित क तारीख को िवमान थी ।]
7
* * * * *
1
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 68 ारा ित थािपत ।
2
2005 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 65 ारा ित थािपत ।
3
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 97 ारा अं त: थािपत ।
4
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 93 ारा ित थािपत ।
5
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 110 ारा ित थािपत ।
6
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 94 ारा ित थािपत ।
7
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 95 ारा लोप कया गया ।
25
28 ज. अिम िविनणय के िलए आवे दन—(1) इस अ याय के अधीन अिम िविनणय अिभा त करने क वांछा रखने
वाला कोई आवे दक ऐसे प म और ऐसी रीित से , जो िविहत क जाए, उस न का कथन करते ए िजस पर अिम िविनणय
चाहा गया है , आवे दन कर सके गा ।
(2) वह न, िजस पर अिम िविनणय चाहा गया है , िन निलिखत क बाबत होगा—
(क) सीमाशु क टै रफ अिधिनयम, 1975 (1975 का 51) के अधीन माल का वगकरण;
(ख) शु क क दर से सं बंिधत धारा 25 क उपधारा (1) के अधीन जारी क गई अिधसूचना का लागू होना;
(ग) इस अिधिनयम के उपबं ध के अधीन माल के मू य के अवधारण के योजन के िलए अपनाए जाने वाले
िसां त;
[(घ) इस अिधिनयम, सीमाशु क टै रफ अिधिनयम, 1975 (1975 का 51) के अधीन क ह शु क क बाबत
1
राजप म जारी क गई अिधसूचना का लागू होना और त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन कसी शु क का उसी
रीित म भाय होना, जै से इस अिधिनयम के अधीन सीमाशु क उद्हणीय है ;]
[(ङ) सीमाशु क टै रफ अिधिनयम, 1975 (1975 का 51) के अधीन अिधसूिचत िनयम के अनु सार माल के
2
(4) आवे दक, आवे दन क तारीख से तीस दन के भीतर अपना आवे दन वापस ले सके गा ।
28 झ. आवे दन क ाि त पर या—(1) ािधकरण, आवे दन क ाि त पर, उसक एक ित सीमाशु क आयु त को
अेिषत कराएगा और यद आव यक हो तो उसने सु संगत अिभले ख मां गेगा :
पर तु जहां ािधकरण ारा कसी मामले म कोई अिभले ख मं गाए जाते ह, वहां ऐसे अिभले ख, यथासं भव शी, सीमशु
क आयु त को लौटा दए जाएं गे ।
(2) ािधकरण, आवे दन और मां गे गए अिभले ख क परीा करने के प चात्, आदे श ारा, आवे दन को मं जरू कर सके गा
या नामं जरू कर सके गा :
पर तु ािधकरण *** आवे दन वहां मं जरू नह करे गा जहां आवे दन म,—
4
(क) उठाया गया न आवे दक के मामले म, कसी सीमाशु क अिधकारी, अपील अिधकरण या कसी यायालय
के सम पहले से ही लं िबत है ;
(ख) उठाया गया न वही है जो अपील अिधकरण या कसी यायालय ारा पहले ही िविनि चत कसी
मामले म था :
पर तु यह और क कोई आवे दन इस उपधारा के अधीन तब तक नामं जरू नह कया जाएगा जब तक क आवे दक को सु ने
जाने का अवसर न दे दया गया हो :
पर तु यह भी क जहां आवे दन नामं जरू कया जाता है वहां , ऐसे नामं जरू कए जाने के कारण आदे श म दए जाएं गे ।
(3) उपधारा (2) के अधीन कए गए ये क आदे श क एक ित आवे दक को और [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क
5
1
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 111 ारा ित थािपत ।
2
2005 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 67 ारा अं त: थािपत ।
3
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 96 ारा ित थािपत ।
4
2002 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 122 ारा लोप कया गया ।
5
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
26
(6) ािधकरण, आवे दन क ाि त के [छह मास] के भीतर, िलिखत प म, अपना अिम िविनणय सु नाएगा ।
1
(7) ािधकरण ारा सु नाए गए अिम िविनणय क एक ित, जो सद य ारा स यक् प से ह तारत और िविहत
रीित से मािणत क जाएगी, ऐसे सु नाए जाने के प चात् यथाशी, आवे दक को और सीमाशु क आयु त को भे जी जाएगी ।
28 ञ. अिम िविनणय का लागू होना—(1) धारा 28 झ के अधीन ािधकरण ारा सु नाया गया अिम िविनणय के वल
— (क) उस आवे दक पर िजसके ारा वह चाहा गया है ;
(ख) धारा 28 ज क उपधारा (2) म िनद ट कसी िवषय क बाबत; और
(ग) आवे दक क बाबत, [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] और उसके अधीन थ सीमाशु क
2
ािधकारय पर,
आबकर होगा ।
(2) उपधारा (1) म िनद ट अिम िविनणय पूव त प म आबकर होगा जब तक क उस िविध म या उन त य म,
िजनके आधार पर अिम िविनणय सु नाया गया है , कोई परवतन न आ हो ।
28 ट. कितपय परि थितय म अिम िविनणय का शू य होना—(1) जहां ािधकरण, [सीमाशु क धान आयु त या
2
सीमाशु क आयु त] ारा उसे कए गए अ यावे दन पर या अ यथा, यह िन कष िनकालता है क धारा 28 झ क उपधारा (6) के
अधीन उसके ारा सु नाया गया अिम िविनणय, आवे दक ारा कपट या त य के दु यपदे शन ारा अिभा त कया गया है वहां
वह, आदे श
ारा, ऐसे िविनणय को आरं भ से ही शू य घोिषत कर सके गा और तब इस अिधिनयम के सभी उपबं ध (ऐसे अिम िविनणय
क तारीख से ारं भ होने वाली और इस उपधारा के अधीन कए गए आदे श क तारीख को समा त होने वाली अविध को छोड़ने
के प चात्) आवे दक को वै से ही लागू हगे मानो ऐसा अिम िविनणय कभी कया ही न गया हो ।
(2) उपधारा (1) के अधीन कए गए आदे श क एक ित, आवे दक को और [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु
2
त] को भे जी जाएगी ।
28 ठ. ािधकरण क शि तयां —(1) ािधकरण को, कटीकरण और िनरीण, तथा कसी यि त को हािजर कराने और
उसक शपथ पर परीा करने , कमीशन िनकालने , ले खा बिहय और अ य द तावे ज को पे श करने के िलए िववश करने से
सं बंिधत अपनी शि तय का ाये ग करने के योजन के िलए, िसिवल या सं िहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन
िसिवल यायालय क सभी शि तयां ा त हगी ।
(2) ािधकरण, दं ड या सं िहता, 1973 (1974 का 2) क धारा 195 के योजन के िलए, क तु अ याय 26 के योजन के
िलए नह, िसिवल यायलय समझा जाएगा और ािधकरण के सम ये क कायवाही भारतीय दं ड सं िहता क (1860 का 45)
धारा 193 और धारा 228 के अथ म और धारा 196 के योजन के िलए याियक कायवाही समझी जाएगी ।
28 ड. ािधकरण क या—ािधकरण को, इस अ याय के उपबं ध के अधीन रहते ए, इस अिधिनयम के अधीन अपनी
शि तय का योग करने से उभूत होने वाले सभी िवषय म अपनी वयं क या का िविनयमन करने क शि त ा त होगी ।]
अ याय 6
1
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 97 ारा ित थािपत ।
2
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
3
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 69 ारा अं त: थािपत ।
27
(क) िनकटतम सीमाशु क अिधकारी या पुि लस टे शन के भारसाधक अिधकारी को जलयान के पं चने या
वायु यान के उतरने क रपोट तु र त दे गा और मां गे जाने पर उसे जलयान या वायु यान क लाग-बु क पे श करे गा;
(ख) ऐसे अिधकारी क स मित के िबना जलयान या वायु यान पर वहन कए जा रहे कसी माल को उससे
उतारने के िलए, या कमदल या यािय को जलयान या वायु यान के सामी य से जाने के िलए अनु ात नह करे गा;
और
(ग) ऐसे माल के सं बंध म अिधकारी ारा दए गए िनदे श का अनु पालन करे गा,
और कोई याी या कमदल का सद य ऐसे अिधकारी क स मित के िबना, जलयान या वायु यान के िनकट सामी य से नह हटे गा
:
पर तु इस धारा क कोई बात कसी कमदल या याी के जलयान या वायु यान के सामी य से जाने , या उनम से माल के
हटाए जाने का उस दशा म ितषे ध नह करे गी जहां वा य, िनरापदता या जीवन या स पि के पररण के िलए ऐसे जाना या
हटाया जाना आव यक है ।
30. आयात सूची या आयात रपोट का परदान— [(1) कसी ऐसे ,—
1
(i) जलयान; या
(ii) वायु यान; या
(iii) यान,
का भारसाधक यि त, िजसम आयाितत माल या ऐसे कसी अ य यि त को वहन कया जा रहा है , जो के ीय सरकार, राजप
म इस िनिम अिधसूिचत करे , कसी जलयान या वायु यान क दशा म, सीमाशु क टे शन म, यथाि थित, जलयान या वायु यान के
पं चने से पूव, उिचत अिधकारी को एक आयात माल सूची और कसी यान क दशा म, सीमाशु क टे शन म उसके पं चने के प चात्
बारह घं टे के भीतर िविहत प म, आयात रपोट दे गा और यद [आयात सूची इलै ािनक प से तु त करके] या आयात रपोट या
2
उसका कोई भाग, इस उपधारा म िविनद ट समय के भीतर उिचत अिधकारी को नह दया जाता है और यद उिचत अिधकारी
का यह समाधान हो जाता है क ऐसे िवलं ब के िलए पया त कारण नह था तो इस उपधारा म िनद ट भारसाधक यि त या
कोई अ य यि त, िजसने ऐसा िवलं ब कया है , पचास हजार पए से अनिधक क शाि त के िलए दायी होगा :]
[पर तु [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त], उन मामल म जहां आयात माल सूची को इलै ािनक प से
3 4
कसी थान से भारत म वे श करता है , भारसाधक यि त या कोई ऐसा अ य यि त, िजसे क ीय सरकार ारा, राजप म
अिधसूचना ारा, िविनद ट कया जाए, उिचत अिधकारी को, ऐसे प म, ऐसी िविशि टयां अं तव ट करते ए ऐसी रीित से
तथा ऐसे समय के भीतर, जो िविहत कया जाए,—
(i) कसी वायु यान या कसी जलयान क दशा म, पं चने से पूव क और कसी यान क दशा म आगमन के समय
क, याी और कमदल आगमन सूची; और
(ii) आने वाले यािय क याी नाम अिभले ख सूचना,
परद करे गा ।
(2) जहां उिचत अिधकारी को, िविहत समय के भीतर याी और कमदल आगमन सूची या याी नाम अिभले ख सूचना
या उसका कोई भाग परद नह कया जाता है यद और उिचत अिधकारी का यह समाधान हो जाता है क ऐसे िवलं ब के िलए
कोई पया त कारण नह था, वहां उपधारा (1) म िनद ट भारसाधक यि त या अ य यि त, पचास हजार पए से अनिधक क
ऐसी शाि त, जो िविहत क जाए, का दायी होगा ।]
1
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 111 ारा ित थािपत ।
2
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 70 ारा ित थािपत ।
3
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 70 ारा अं त: थािपत ।
4
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
5
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 98 ारा अं त: थािपत ।
28
31. जब तक अ तवे श क अनु मित न दी जाए तब तक आयाितत माल का जलयान से न उतारा जाना—(1) कसी
जलयान का मा टर कसी आयाितत माल को उतारने क अनु ा नह दे गा जब तक क उिचत अिधकारी ारा ऐसे जलयान के अ
तवे श क अनु मित दे ते ए आदे श न दया जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन कोई आदे श नह दया जाएगा जब तक क आयात सूची नह दी जाती है या उिचत अिधकारी
का यह समाधान नह हो जाता है क उससे न दे ने का पया त कारण था ।
(3) इस धारा क कोई बात कसी याी या कमदल के सद य के याी का सामान, डाक थै ले, जीव-ज तु , िवन वर माल
और परसं कटमय माल को उतारने को लागू नह होगी ।
32. जब तक आयाितत माल आयात सूची या आयात रपोट म उपवणत न कए जाएं तब तक उनका उतारा न जाना—
आयात सूची या आयात रपोट म के िविनयम के अधीन उपवणत कए जाने के िलए अपेित कोई आयाितत माल, उिचत
अिधकारी क अनु ा के िबना कसी सीमाशु क टे शन पर उतारा नह जाएगा जब तक क वह ऐसी सूची या रपोट म उस सीमाशु
क टे शन पर उतारे जाने के िलए िविनद ट नह है ।
33. अनु मोदत थान पर ही माल का लादा और उतारा जाना—उिचत अिधकारी क अनु ा के िबना, ऐसे माल के
लादने और उतारने के िलए धारा 8 के खं ड (क) के अधीन अनु मोदत थान से िभ न कसी थान पर न तो कोई आयाितत
माल उतारा जाएगा और न िनयाितत माल लादा जाएगा ।
34. सीमाशु क अिधकारी के पयवे ण के िबना न तो माल का लादा जाना और न उतारा जाना—उिचत अिधकारी के
पयवे ण के िबना, कसी वहण से न तो आयाितत माल उतारा जाएगा और न उस पर िनयाितत माल लादा जाएगा :
पर तु उिचत अिधकारी के पयवे ण के िबना कसी माल या माल के वग के लादने या उतारने के िलए, बोड, राजप म
अिधसूचना ारा, साधारण अनु ा दे सकता है और उिचत अिधकारी कसी िविश ट दशा म िवशे ष अनु ा दे सकता है ।
35. माल के जलसं वािहत होने पर िनब धन—कोई आयाितत माल कसी जलयान से उतारे जाने के िलए
जलसं वािहत नह होगा और कोई िनयाितत माल िजसके साथ पोत प नह है नौवहन के िलए जलसं वािहत नह होगा जब
तक क माल के साथ िविहत प म नौका प न हो :
पर तु नौका प साथ म ए िबना कसी माल या माल के वग के जलसं वािहत होने के िलए, बोड, राजप म
अिधसूचना ारा, साधारण अनु ा दे सकता है और उिचत अिधकारी कसी िविश ट दशा म िवशे ष अनु ा दे सकता है ।
36. अवकाश आद के दन माल के लादने और उतारने पर िनब धन—कसी रिववार को या सीमाशु क िवभाग ारा
माने जाने वाले अवकाश के दन या कसी अ य दन काम के घं ट के प चात् िविहत सूचना दए िबना और िविहत फस का,
यद कोई हो, सं दाय कए िबना कसी वहण से न तो कोई आयाितत माल उतारा जाएगा और न उस पर कोई िनयाितत माल
लादा जाएगा :
पर तु याी या कमदल के कसी सद य के याी सामान और डाक थै ल के लादने और उतारने के िलए कोई फस उगृ हीत
नह क जाएगी ।
37. वहण पर चढ़ने क शि त—उिचत अिधकारी, कसी भी समय, आयाितत माल या िनयाितत माल को वहन करने
वाले कसी वहण पर चढ़ सकता है और ऐसे हवण पर ऐसी अविध के िलए रह सकता है जो वह आव यक समझे ।
38. द तावे ज को पे श करने क अपे ा करने और न पूछने क शि त—इस अिधिनयम के उपब ध को याि वत करने के
योजन के िलए उिचत अिधकारी आयाितत माल या िनयाितत माल को वहन करने वाले कसी वहण या जीव-ज तु के
भारसाधक यि त से कसी द तावे ज को पे श करने क और क ह न के उर दे ने क अपे ा कर सकता है और तब ऐसा यि त ऐसी द
तावे ज को पे श करे गा और ऐसे न का उर दे गा ।
39. जब तक बिहगमन क अनु मित न दी जाए तब तक िनयाितत माल का जलयान पर न लादा जाना—कसी
जलयान का मा टर, याी सामान और डाक थै ले से िभ न, कसी िनयाितत माल के लादने क अनु ा नह दे गा जब तक क उिचत
अिधकारी ारा ऐसे जलयान के बिहगमन क अनु मित दे ते ए आदे श न दया जाए ।
40. जब तक उिचत अिधकारी ारा स य: पास न कए जाएं तब तक िनयाितत माल का न लादा जाना—कसी वहण
का भारसािधक यि त कसी सीमाशु क टे शन पर—
(क) याी सामान और डाक थै ले से िभ न, िनयाितत माल के लादने क अनु ा नह दे गा जब तक क उिचत
अिधकारी ारा स य: पास कया आ, यथाि थित, पोत प या िनयात प या याना तरण प िनयातकता ारा उसे ह
तांतरत न कया जाए;
(ख) सामान और डाक थै ले के लादने क अनु ा नह दे गा जब तक क उनके िनयात को उिचत अिधकारी ारा
स य: अनु ा न दी जाए ।
29
41. िनयात सूची या िनयात रपोट का परदान—(1) िनयाितत माल का वहन करने वाले कसी वहण का
भारसाधक यि त सीमाशु क टे शन से वहण के चलने के पहले उिचत अिधकारी को कसी जलयान या वायु यान क दशा म
[इलैािनक प से तु त िनयात सूची] और कसी यान क दशा म िनयात रपोट िविहत प म दे गा :
1
2
* * * * *
3
[पर तु [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त], उन मामल म जहां िनयात माल सूची को इलै ािनक प से
4
कसी थान को भारत से थान करता है , भारसाधक यि त या कोई ऐसा अ य यि त, िजसे क ीय सरकार ारा, राजप म
अिधसूचना ारा, िविनद ट कया जाए, उिचत अिधकारी को, ऐसे प म, ऐसी िविशि टयां अं तव ट करते ए, ऐसी रीित से
तथा ऐसे समय के भीतर, जो िविहत कया जाए—
(i) याी और कमदल थान सूची; और
(ii) थान करने वाले यािय क याी नाम अिभले ख सूचना,
परद करे गा ।
(2) जहां उिचत अिधकारी को, िविहत समय के भीतर याी और कमदल थान सूची या याी नाम अिभले ख सूचना या
उसका कोई भाग परद नह कया जाता है और यद उिचत अिधकारी का यह समाधान हो जाता है क ऐसे िवलं ब के िलए कोई
पया त कारण नह था, वहां उपधारा (1) म िनद ट भारसाधक यि त या अ य यि त, पचास हजार पए से अनिधक क ऐसी शाि
त, जो िविहत क जाए, का दायी होगा ।]
42. कसी वहण का िलिखत आदे श के िबना थान न करना—(1) ऐसे कसी वहण का, जो कसी सीमाशु क टे शन
पर आयाितत माल को लादा है या िजस पर िनयाितत माल को लादा गया है , भारसाधक यि त उस वहण को उस सीमाशु
क टे शन से न तो हटाएगा और न हटाने क अनु ा दे गा जब तक क उिचत अिधकारी ारा उस भाव का िलिखत आदे श न दया
जाए ।
(2) ऐसा कोई आदे श नह दया जाएगा जब तक क—
(क) वहण का भारसाधक यि त धारा 38 के अधीन उससे पूछे गए न के उर नह दे दे ता है ;
(ख) धारा 41 के उपब ध का अनु पालन नह कर दया जाता है ;
(ग) पोत प या िनयात प, याना तरण प, यद कोई ह, और ऐसी अ य द तावे ज िजनक उिचत अिधकारी
अपे ा करे उसे नह दे दी जाती ह;
(घ) ऐसे वहण म उपभोग क गई क ह यान सामिय पर उद्हणीय सभी शु क और ऐसे वहण क बाबत या
उसके भारसाधक यि त से शो य सभी भार और शाि तयां सं द नह कर दी जाती ह या ऐसा सं दाय, ऐसी याभूित या
ऐसी रकम के िने प ारा जो उिचत अिधकारी िनदे श दे , ितभूत नह कर दया जाता है ;
(ङ) वहण का भारसाधक यि त उिचत अिधकारी का यह समाधान नह कर दे ता है क धारा 116 के अधीन
उस पर कोई शाि त उद्हणीय नह है या उस धारा के अधीन उस पर उगृ हीत क गई कसी शाि त का सं दाय ऐसी
याभूित या ऐसी रकम के िने प ारा जो उिचत अिधकारी िनदे श दे , ितभूत कर दया गया है ;
(च) कसी ऐसी दशा म िजसम कोई िनयाितत माल, िनयात शु क का सं दाय कए िबना या इस
अिधिनयम के या माल के िनयात से स बि धत त समय वृ कसी अ य िविध के कसी उपबं ध केउ लं घन म, लादा
जाता है ,—
(i) ऐसे माल उतारे नह जाते ह, या
1
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 71 ारा ित थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 66 ारा लोप कया गया ।
3
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 71 ारा अं त: थािपत ।
4
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
5
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 99 ारा अं त: थािपत ।
30
(ii) जहां [सीमाशु क सहायक आयु त] का यह समाधान हो जाता है क ऐसे माल को उतारना सा
1
य नह है , वहां वहण का भारसाधक यि त, माल को भारत वापस लाने के िलए ऐसी याभूित या ऐसी रकम
के िने प ारा जो उिचत अिधकारी िनदे श दे , ितभूत वचनब ध नह करता है ।
43. इस अ याय के कुछ उपब ध से वहण के कु छ वग को छू ट—(1) धारा 30, 41 और 42 के उपब ध उस यान को
लागू नह हगे जो उसके अिधभोिगय के सामान से िभ न कोई माल वहन नह करता है ।
(2) के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, वहण के िन निलिखत वग को इस अ याय के सभी या क ह उपब ध
से छट
ू दे सकती है —
(क) वयं सरकार के या कसी िवदे शी सरकार के वहण;
(ख) वे यान या वायु यान जो कसी आपात के कारण भारत म अ थायी प से आते ह ।
अ याय 7
उतारे जाने के प चात् जब वह उपधारा (1) म िनद ट कसी यि त क अिभरा म है , मूषण हो जाता है , तो वह यि त, ऐसे वहण
के िजसम उ त माल का वहन कया गया था, पं चने के िलए धारा 30 के अधीन उिचत अिधकारी को, यथाि थित, आयात
सूची या आयात रपोट दे ने क तारीख को िवमान दर से ऐसे माल पर शु क का सं दाय करने का दायी होगा ।]
46. आयात कए जाने पर माल क िवि ट—(1) अिभवहन या याना तरण के िलए आशियत माल से िभ न कसी
माल का आयातकता, दे शी उपभोग या भा डागारण के िलए उिचत अिधकारी को िविहत प म [इलै ािनक प से ] वे श प
4
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
3
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 58 ारा अं त: थािपत ।
4
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 44 ारा अं त: थािपत ।
5
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 44 ारा ित थािपत ।
31
[(3) आयातकता, उपधारा (1) के अधीन, उस दन के, िजसको माल का वहन करने वाला ऐसा वायु यान या जलयान
1
या यान ऐसे कसी सीमाशु क टे शन पर पं चता है , िजस पर ऐसे माल क दे शी उपभोग या भांडागारण के िलए िनकासी क
जानी है , प चात् आगामी दवस (अवकाश के दन को छोड़कर) के अं त से पूव वे श प तु त करे गा :
पर तु कोई वे श प, ऐसे वायु यान या जलयान या यान के, िजसके ारा माल को भारत म आयात के िलए भे जा
गया है , पं चने क सं भािवत तारीख के तीस दन के भीतर तु त कया जा सके गा :
पर तु यह और क जहां वे श प इस कार िविनद ट समय के भीतर तु त नह कया जाता है और उिचत अिधकारी का
यह समाधान हो जाता है क ऐसे िवलं ब के िलए कोई पया त कारण नह था, वहां आयातकता वे श प को दे री से तु त कए
जाने के िलए ऐसे भार का, जो िविहत कए जाएं , सं दाय करे गा ।]
(4) आयातकता वे शप पे श करते समय *** उसक अ तव तु क स चाई के बारे म एक घोषणा करे गा और उस पर ह
2
तार करे गा और ऐसी घोषणा के समथन म आयाितत माल से सं बंिधत बीजक, यद कोई हो, उिचत अिधकारी को पे श करे गा
।
(5) यद उिचत अिधकारी का यह समाधान हो जाता है क राज व के िहत पर ितकू ल भाव नह पड़े गा और इसके
पीछे कोई कपटपूण आशय नह है तो वह, भा डागारण के िलए वे श प के थान पर दे शी उपभोग के िलए वे शप रखने क अनु ा
दे सकता है या इसका उलटा कर सकता है ।
47. दे शी उपभोग के िलए माल क िनकासी— [(1)] जहां उिचत अिधकारी का यह समाधान हो जाता है क दे शी
3
उपभोग के िलए िव ट माल ितिष माल नह है और आयातकता ने उस पर िनधारत आयात शु क, यद कोई हो, और
उसक बाबत इस अिधिनयम के अधीन सं देय भार का सं दाय कर दया है तो उिचत अिधकारी दे शी उपभोग के िलए ऐसे माल
क िनकासी अनु ात करते ए आदे श दे सकता है :
[पर तु क ीय सरकार, राजप म, अिधसूचना ारा, आयातकता के कितपय वग को, उ त शु क या क ह भार का, ऐसी
4
रीित म, जो िनयम ारा उपबं िधत क जाए, आ थिगत सं दाय करने के िलए अनु ात कर सके गी ।]
5
[(2) [आयातकता—
6
(क) वत: िनधारण क दशा म, वे श प तु त करने क तारीख को; या
(ख) िनधारण, पु न: िनधारण या अनं ितम िनधारण क दशा म, उस तारीख से , िजसको उिचत
अिधकारी ारा वे श प उसे शु क के सं दाय के िलए लौटाया जाता है , एक दन के भीतर (अवकाश के दन को
छोड़कर); या
(ग) उपधारा (1) के परं तुक के अधीन आ थिगत सं दाय क दशा म, ऐसी िनयत तारीख से , जो इस िनिम
बनाए गए िनयम ारा िविनद ट क जाए,
आयात शु क का सं दाय करे गा और यद वह इस कार िविनद ट समय के भीतर शु क का सं दाय] करने म असफल रहता है , तो
वह, उसके सं दाय क तारीख तक सं द न कए गए या कम सं द कए गए शु क पर क ीय सरकार ारा राजप म अिधसूचना ारा
िनयत ऐसी दर पर, याज का सं दाय करे गा, जो दस ितशत ितवष से कम क तु छीस ितशत ितवष से अिधक नह
होगी :]
[पर तु क ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, ऐसे आयातकता का वग या के वग िविनद ट कर सकेगी, जो
7
—यद भारत से बाहर कसी थान से भारत म लाए गए माल का सीमाशु क टे शन पर उनके उतारे जाने क तारीख से [तीस दन] 9
के भीतर या ऐसे अितर त समय के अ दर जो उिचत अिधकारी अनु ात करे दे शी उपभोग के िलए िनकास या भा डागारण
या
1
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 100 ारा ित थािपत ।
2
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 44 ारा लोप कया गया ।
3
1991 के अिधिनयम सं ० 55 क धारा 3 ारा (23-12-1991 से ) धारा 47 को उपधारा (1) के प म पु न:सं यांकत कया गया । 4
याना तरण नह होता है या आयाितत माल पर हक का याग कर दया जाता है तो ऐसे माल क अिभरा म रखने वाला यि त,
आयातकता को सूचना दे ने के प चात् और उिचत अिधकारी क अनु ा से , उनका िवय कर सकता है :
पर तु —
(क) जीव-ज तु , िवन वर माल और परसं कटमय माल, उिचत अिधकारी क अनु मित से कसी भी समय
िवय कए जा सकते ह;
(ख) आयु ध और गोलाबाद ऐसे समय और थान पर और ऐसी रीित म िवय कए जा सकते ह जो के ीय
सरकार िनद ट करे ।
प टीकरण—इस धारा म “आयु ध” और “गोलाबाद” के वे ही अथ ह जो आयु ध अिधिनयम, 1959 (1959 का 54)
म ह । [49. िनकासी होने या हटाए जाने तक आयाितत माल का भांडागार म भं डारकरण—जहां ,—
1
[पर तु सीमाशु क आयु त ऐसे मामल म, जहां इलै ािनक प से वे श प पे श करके िवि ट करना सा य नह ह, वहां
2
ऐसी रीित से , जो िनयम ारा उपबं िधत क जाए, आ थिगत सं दाय करने के िलए अनु ात कर सके गा ।
[(2) जहां िनयातकता, उपधारा (1) के परं तुक के अधीन िनयात शु क का सं दाय ऐसी दे य तारीख तक पूणत: या
4
भागत: करने म असफल रहता है , वहां वह उ त शु क पर, उसके सं दाय क तारीख तक जो सं द नह कया गया है या कम सं द
कया गया है , याज का सं दाय ऐसी दर से करे गा, जो ितवष पांच ितशत से अ यून और छीस ितशत से अनिधक होगी,
जो क ीय सरकार राजप म अिधसूचना ारा िनयत करे ।]
1
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 102 ारा ित थािपत ।
2
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 45 ारा अं त: थािपत ।
3
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 45 ारा लोप कया गया ।
4
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 121 से पु न:सं यांकत ।
5
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 122 से अं त: थािपत ।
33
अ याय 8
माल जो अिभवहन म है
52. इस अ याय का याी सामान, डाक क व तु और यान सामी को लागू न होना—इस अ याय के उपब ध (क) याी सामान, (ख)
डाक ारा आयाितत माल, और (ग) यान सामी को लागू नह हगे ।
[53. शु क का सं दाय कए िबना कितपय माल का अिभवहन—धारा 11 के उपबं ध के अधीन रहते ए, जहां कसी
1
वाहन म आयाितत और, यथाि थित, आयात सूची या आयात रपोट म वणत उसी वाहन म भारत से बाहर कसी थान या कसी
सीमाशु क क को कसी माल का अिभवहन कया जाना है , वहां उिचत अिधकारी, शु क का सं दाय कए िबना, ऐसी शत के
अधीन रहते ए जो बोड ारा िविहत क जाएं , ऐसे माल और वाहन का अिभवहन अनु ात कर सके गा ।]
54. शु क का सं दाय कए िबना कितपय माल का यानां तरण—(1) जहां कसी सीमाशु क के म आयाितत कोई माल
याना तरण के िलए आशियत है वहां उिचत अिधकारी को िविहत प म याना तरण प पे श कया जाएगा :
[पर तु जहां माल का भारत सरकार और कसी िवदे शी सरकार के बीच अ तररा ीय सं िध या िपीय करार के
2
अधीन याना तरण कया जा रहा है वहां समुिचत अिधकारी को याना तरण प के थान पर िविहत प म याना तरण क एक
घोषणा पे श क जाएगी ।]
(2) धारा 11 के उपबं ध के अधीन रहते ए, जहां कसी सीमाशु क क म अयाितत माल, यथाि थित, आयात सूची या
आयात रपोट म भारत से बाहर कसी थान को याना तरण के िलए वणत है , वहां ऐसे माल शु क का सं दाय कए िबना इस
कार याना तरण के िलए अनु ात कए जा सकते ह ।
(3) जहां कसी सीमाशु क के म आयाितत कोई माल, यथाि थित, आयात सूची या आयात रपोट म—
(क) भारतीय पन अिधिनयम, 1908 (1908 का 15) म यथापरभािषत कसी मु य पन को या मुं बई, कलका, द
ली या चे नई के सीमाशु क िवमानपन को या कसी अ य सीमाशु क पन या सीमाशु क िवमानपन को, िजसे
बोड, राजप म अिधसूचना ारा, इस िनिम िविनद ट करे , याना तरण के िलए वणत ह; या
(ख) कसी अ य सीमाशु क के को याना तरण के िलए वणत है और उिचत अिधकारी का यह समाधान हो
जाता है क माल वा तव म ऐसे सीमाशु क के को याना तरण के िलए आशियत है ,
वहां उिचत अिधकारी उस सीमाशु क के पर, िजसको याना तरण अनु ात कया गया है , ऐसे माल के स यक् पं चने के िलए,
ऐसी शत के अधीन रहते ए, जो िविहत क जाएं , शु क का सं दाय कए िबना माल का याना तरण अनु ात कर सकता है ।
55. धारा 53 के अधीन पारेि षत या धारा 54 के अधीन यानां तरत माल पर शु क का दािय व—जहां कोई माल कसी
सीमाशु क के को धारा 53 के अधीन अिभवहन के िलए या धारा 54 क उपधारा (3) के अधीन याना तरण के िलए अनु ात
कए जाते ह वहां , वे ऐसे के पर पचं ने पर शु क के दायी हगे और उसी रीित से िव ट कए जाएं गे जै से माल उनके थम आयात
पर
िव ट कए जाते ह, और उस अिधिनयम और क ह िनयम और िविनयम के उपबं ध, जहां तक हो सके, उस माल के सं बंध
म लागू हगे ।]
56. माल के कु छ वग का िविहत शत के अधीन परवहन—ऐसी शत के अधीन रहते ए जो ऐसे माल के ग त य थान
ू रे को, शु क का सं दाय कए
पर स यक् प पं चने के िलए िविहत क जाएं , आयाितत माल एक भूिम सीमाशु क टे शन से दस
िबना परवहन कए जा सकते ह और कोई माल भारत के एक भाग से दस ू रे भाग को कसी िवदे शी रा ये से हो कर परवहन कए
जा सकते ह ।
अ याय 9
भांडागारण
[57. सावजिनक भांडागार का अनु ापन—सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त ऐसी शत के अधीन रहते ए,
3
जो िविहत क जाएं , कसी सावजिनक भांडागार को अनुि त दे सके गा िजसम आयाितत शु य माल का िने प कया जा सके
गा ।] [58. ाइवे ट भांडागार का अनु ापन—सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त ऐसी शत के अधीन रहते ए जो
4
िविहत क जाएं , कसी ाइवे ट भांडागार को अनुि त दे सके गा िजसम अनुि तधारी ारा या उसक ओर से आयाितत शु य
माल का िने प कया जा सके गा ।
58 क. िवशे ष भांडागार का अनु ापन—(1) सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त, ऐसी शत के अधीन रहते
ए जो िविहत क जाएं , कसी िवशे ष भांडागार को अनुि त दे सके गा िजसम शु य माल का िने प कया जा सके गा और
ऐसे भांडागार
1
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 123 ारा ित थािपत ।
2
1999 के अिधिनयम सं ० 27 क धारा 106 ारा अं त: थािपत ।
3
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 124 ारा ित थािपत ।
4
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 125 ारा ित थािपत ।
34
म उिचत अिधकारी ारा ताला लगवाया जाएगा और कोई यि त, उिचत अिधकारी क अनु ा के िबना भांडागार मे वे श नह
करे गा या वहां से कोई माल नह हटाएगा ।
(2) बोड, राजप म अिधसूचना ारा ऐसे माल के वग को िविनद ट कर सके गा िजसका उपधारा (1) के अधीन
अनु त िवशे ष भांडागार म िने प कया जाएगा ।
58 ख. अनुि त का र कया जाना—(1) जहां कोई अनुि तधारी इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम या
िविनयम के उपबं ध म से कसी उपबं ध का उ लं घन करता है या अनुि त क शत म से कसी शत को भं ग करता है वहां सीमाशु क
धान आयु त या सीमाशु क आयु त, धारा 57 या धारा 58 या धारा 58 क के अधीन अनु द अनुि त को र कर सके गा :
परं तु कसी अनुि त के र कए जाने के पूव, अनुि तधारी को सु नवाई का युि तयु त अवसर दया जाएगा ।
(2) सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त, उपधारा (1) के अधीन कसी जांच के लं िबत रहने के दौरान कसी
अ य ऐसी कारवाई पर ितकू ल भाव डाले िबना, जो अनुि तधारी और माल के िव इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ
य िविध के अधीन क जा सके गी, भांडागार के चालन को िनलं िबत कर सके गा ।
(3) जहां उपधारा (2) के अधीन कसी भांडागार का चालन िनलं िबत कर दया जाता है वहां िनलं बन क अविध के
दौरान ऐसे भं डागार म कसी माल का िने प नह कया जाएगा :
परं तु इस अ याय के उपबं ध भांडागार म पहले से िनि त माल को लागू होते रहगे ।
(4) जहां धारा 57 या धारा 58 या धारा 58 क के अधीन जारी अनुि त र कर दी जाती है वहां भांडागारत माल को उस
तारीख से िजसको अनुि तधारी पर ऐसे रकरण के आदे श क तामील क जाती है , सात दन के भीतर या ऐसी बढ़ाई गई अविध
के भीतर, जो उिचत अिधकारी अनु ात करे , ऐसे भांडागार से हटाकर कसी अ य भांडागार म ले जाया जाएगा या उसक दे शी
उपभोग या िनयात के िलए िनकासी क जाएगी :
परं तु इस अ याय के उपबं ध भांडागार म पहले से िनि त माल को ऐसे भांडागार से कसी अ य भांडागार म ले जाए
जाने या दे शी उपभोग या िनयात के िलए िनकासी होने तक लागू होते रहगे ।]
[59 भांडागारण बं धप—(1) कसी ऐसे माल का, िजसके सं बंध म धारा 46 के अधीन भांडागारण के िलए वे श प
1
पे श कया गया है और धारा 17 या धारा 18 के अधीन शु क के िलए िनधारत कया गया है , आयातकता अपने को ऐसे माल
पर िनधारत शु क क रकम के ितगु ने के बराबर रािश के िलए आब करते ए एक बं धप िन पादत करे गा क वह,—
(क) ऐसे माल के सं बंध म इस अिधिनयम और उसके अधीन बनाए गए िनयम तथा िविनयम के सभी
उपबं ध का अनु पालन करे गा ;
(ख) मां ग क सूचना म िविनद ट तारीख को या उसके पहले धारा 61 क उपधारा (2) के अधीन सं देय सभी
शु क और याज का सं दाय करे गा ; और
(ग) ऐसे माल के सं बंध म इस अिधिनयम या िनयम या िविनयम के उपबं ध के उ लं घन के कारण उपगत
सभी शाि तय और जु मान का सं दाय करे गा ।
(2) उपधारा (1) के योजन के िलए, सीमाशु क सहायक आयु त या सीमाशु क उपायु त कसी आयातकता को,
िविनद ट अविध के भीतर उसके ारा आयात कए जाने वाले माल के भांडागारण के सं बंध म ऐसी रकम के िलए िजसका
सीमाशु क सहायक आयु त या सीमाशु क उपायु त अनु मोदन करे , एक ही बं धप िन पादत करने के िलए अनु ा दे सके गा ।
(3) िनयातकता उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन बं धप के िन पादन के अितर त ऐसी ितभूित भी दे गा, जो
िविहत क जाए ।
(4) कसी माल के सं बंध म कसी आयातकता ारा इस धारा के अधीन िन पादत बं धप कसी अ य भांडागार को माल
के अं तरण पर भी वृ बना रहे गा ।
(5) जहां स पूण माल या उनका कोई भाग कसी अ य यि त को अं तरत कए जाते ह वहां अं तरती, उपधारा (1) या
उपधारा (2) म िविनद ट रीित से एक बं धप िन पादत करे गा और उपधारा (3) के अधीन यथा िविनद ट ितभूित दे गा ।]
[60. भांडागार म िने प के िलए माल हटाए जाने क अनु ा—(1) जब कसी माल के सं बंध म धारा 59 के उपबं ध का
2
अनु पालन कया गया हो तब उिचत अिधकारी कसी भांडागार म माल के िने प के योजन के िलए कसी सीमाशु क टे शन से
माल के हटाए जाने को अनु ात करते ए आदे श दे सके गा ।
(2) जहां कोई आदे श उपधारा (1) के अधीन कया गया है वहां कसी भांडागार म माल का िने प ऐसी रीित म कया
जाएगा जो िविहत क जाए ।]
1
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 126 ारा ित थािपत ।
2
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 127 ारा ित थािपत ।
35
[61. वह अविध िजसम माल भांडागारत रह सके गा—(1) कोई भांडागारत माल, उस भांडागार म, िजसम उनका
1
िने प कया जाता है या उस भांडागार म, िजसम उसे हटाकर ले जाया जाता है ,—
(क) कसी शत ितशत िनयातो मु ख उपम या इलै ािनक हाडवे यर ौोिगक पाक इकाई या साटवे यर
ौोिगक पाक इकाई या कसी ऐसे भांडागार म िजसम धारा 65 के अधीन िविनमाण या अ य चालन अनु ात कया
गया है , उपयोग के िलए आशियत पूंजी माल क दशा म उनके भांडागार से िनकासी तक ;
(ख) कसी शत ितशत िनयातो मु ख उपम या इलै ािनक हाडवे यर ौोिगक पाक इकाई या साटवे यर
ौोिगक पाक इकाई या कसी ऐसे भांडागार म िजसम धारा 65 के अधीन िविनमाण या अ य चालन अनु ात कया
गया है , उपयोग के िलए आशियत पूंजी माल से िभ न माल क दशा म उनका उपभोग होने तक या उनके
भांडागार से िनकासी तक ; और
(ग) कसी अ य माल क दशा म, उस तारीख से िजसको उिचत अिधकारी ने धारा 60 क उपधारा (1) के
अधीन आदे श कया है , एक वष क समाि त तक,
रखा जा सके गा :
परं तु इस खं ड म िनद ट कसी माल क दशा म, सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त, पया त हे तुक दशाए
जाने पर ऐसी अविध को, िजसके िलए माल भांडागार म रह सके गा, तक बढ़ा सके गा, जो एक बार म एक वष से अिधक
नह होगी ।
परं तु यह और क जहां ऐसे माल के य होने क सं भावना है वहां पहले परं तुक म िनद ट अविध सीमाशु क धान आयु
त या सीमाशु क आयु त ारा घटाकर ऐसी लघु तर अविध क जा सके गी जो वह ठीक समझे ।
(2) जहां उपधारा (1) के खं ड (ग) म िविनद ट कोई भांडागारत माल, उस तारीख से , िजसको उिचत अिधकारी ने
धारा 60 क उपधारा (1) के अधीन आदे श कया है , न बे दन क अविध से अिधक भांडागार म रहता है , वहां ऐसे भांडागारत माल
पर उ त न बे दन के अवसान से शु क के सं दाय क तारीख तक क अविध के िलए माल क िनकासी के समय सं देय शु क क
रकम पर याज ऐसी दर पर सं देय होगा, जो कीय सरकार ारा धारा 47 के अधीन िनयत कया जाए :
परं तु यद बोड लोकिहत म ऐसा करना आव यक समझता है तो वह,—
(क) आदे श ारा और ऐसी असाधारण परि थितय म, जो ऐसे आदे श म िविनद ट क जाएं , कसी
भांडागारत माल के सं बंध म, इस धारा के अधीन सं देय सं पण
ू याज या उसके कसी भाग का अिध यजन कर सके गा ;
(ख) राजप म अिधसूचना ारा माल के ऐसे वग को िविनद ट कर सके गा िजसके सं बंध म, इस धारा के
अधीन कोई याज भारत नह कया जाएगा ;
(ग) राजप म अिधसूचना ारा माल के ऐसे वग को िविनद ट कर सके गा िजसके सं बंध म, उस तारीख
से , िजसको उिचत अिधकारी ने , धारा 60 क उपधारा (1) के अधीन आदे श कया है , याज भाय होगा ।
प टीकरण—इस धारा के योजन के िलए,—
(i) “इलै ािनक हाडवे यर ौोिगक पाक इकाई” से भारत सरकार ारा अिधसूिचत इलै ािनक हाडवे यर
ौोिगक पाक कम के अधीन थािपत कोई इकाई अिभे त है ;
(ii) “शत ितशत िनयातो मु ख उपम” का वही अथ है जो क ीय उ पाद-शु क अिधिनयम, 1944 (1944
का 1) क धारा 3 क उपधारा (1) के प टीकरण 2 के खं ड (ii) म उसका है ; और
(iii) “साटवे यर ौोिगक पाक इकाई” से भारत सरकार ारा अिधसूिचत साटवे यर ौोिगक पाक कम के
अधीन थािपत कोई इकाई, अिभे त है ।]
2
* * * * *
[64. भांडागारत माल का यवहार करने वाले वामी का अिधकार—कसी भांडागारत माल का वामी उसे भांडागारत
3
करने के प चात्—
(क) माल का िनरीण कर सके गा ;
(ख) माल क हािन या य या नु कसान रोकने के िलए उनके आधान के साथ ऐसी रीित म, जो आव यक हो,
यवहार कर सके गा ;
(ग) माल क छं टाई कर सके गा ;
1
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 128 ारा ित थािपत ।
2
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 129 ारा लोप कया गया ।
3
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 130 ारा ित थािपत ।
36
क अनु ा से और ऐसी शत के अधीन रहते ए] जो िविहत क जाएं कसी भा डागारत माल का वामी ऐसे माल के स ब ध म भा
डागार म िविनमाण याएं या अ य सं याएं कर सकता है ।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन भा डागारत माल के स ब ध म अनुे य क ह सं या के दौरान कोई अपचय या अविश ट
है वहां िन निलिखत उपबं ध लागू हगे :—
(क) यद ऐसी सं या के पारणािमक सभी माल का उनका कोई भाग िनयात कया जाता है तो, िनयाितत
माल के स ब ध म सं या के कारण िजतना अपचय या अविश ट आ है उसम भा डागारत माल का िजतना परमाण
है उस पर आयात शु क से छू ट दी जाएगी :
पर तु यह तब जब क ऐसा अपचय या अविश ट या तो िवन ट कया जाता है या ऐसे अपचय या अविश ट
पर शु क का सं दाय ऐसा कया जाता है मानो वह भारत म उस प म आयात कया गया है ;
(ख) यद ऐसी सं या के पारणािमक सभी माल या उनके कसी भाग क दे शी उपभोग के िलए भा डागार से
िनकासी क जाती है तो, दे शी उपभोग के िलए िनकासी कए गए माल के सं बंध म सं या के कारण िजतना
अपचय या अविश ट आ है उसम भा डागारत माल का िजतना परमाण था उस पर आयात शु क भारत कया जाएगा
।
66. भा डागार म के माल के िविनमाण म उपयोिजत आयाितत सामी को छू ट दे ने क शि त—यद कसी माल के
िविनमाण के िलए धारा 65 के उपब ध के अनु सार आयाितत सामी उपयोग क जाती है और आयाितत सामी पर उद्हणीय शु
क क दर ऐसे माल पर उद्हणीय शु क क दर से अिधक है तो के ीय सरकार, यद उसका यह समाधान हो जाता है क कसी
दे शी उोग क थापना या िवकास के िहत म ऐसा करना आव यक है तो, राजप म अिधसूचना ारा, आयाितत सामी को शु
क क दर के स पूण आिध य से या उसके भाग से छू ट दे सकती है ।
67. माल का एक भा डागार से दस ू रे को हटाया जाना—भा डागारत माल का वामी, उिचत अिधकारी क अनु ा से , *** ऐसी
2
शत के अधीन रहते ए जो भा डागारत माल के उस भा डागार म स यक् पं चने के िलए िविहत क जाएं जहां के िलए
ू रे को ले जा सकता है ।
हटाया जाना अनु ात कया जाता है , उ ह एक भा डागार से हटाकर दस
68. दे शी उपभोग के िलए भा डागारत माल क िनकासी— [कसी भा डागारत माल क दे शी उपभोग के िलए
3
और ] (ग) दे शी उपभोग के िलए ऐसे माल क िनकासी के िलए आदे श उिचत अिधकारी ारा कर
दया गया है :
[परं तु कसी भा डागारत माल का वामी, ऐसे माल क बाबत दे शी उपभोग के िलए माल क िनकासी के सं बंध म
4
कोई आदे श कए जाने से पूव कसी समय, ऐसे *** शाि तय के सं दाय पर, जो माल क बाबत सं देय ह, माल पर अपने हक का
5
याग कर सके गा और ऐसे याग पर वह उस पर शु क का सं दाय करने के िलए दायी नह होगा :]
[परं तु यह और क ऐसे कसी भांडागारत माल के वामी को, ऐसे माल पर अपने हक का याग करने के िलए अनु ात
6
नह कया जाएगा, िजसके सं बंध म इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन कोई अपराध कया गया तीत
होता है ।]
69. िनयात के िलए भा डागारत माल क िनकासी—(1) कोई भी भा डागारत माल, आयात शु क का सं दाय कए
िबना भारत से बाहर कसी थान को िनयात कए जा सकते ह, यद—
[(क) ऐसे माल क बाबत पोत प या िनयात प या धारा 84 के अधीन यथािविहत प पे श कया गया है ;
7
[(ख) ऐसे माल क बाबत सं देय िनयात शु क, याज, जु माने और शाि तय का सं दाय कर दया गया है ;
8
और] (ग) िनयात के िलए ऐसे माल क िनकासी के िलए आदे श उिचत अिधकारी ारा कर दया
गया है ।
1
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 131 ारा ारा ित थािपत ।
2
1991 के अिधिनयम सं ० 55 क धारा 5 ारा (23-12-1991 से ) कितपय श द का लोप कया गया ।
3
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 132 ारा ारा ित थािपत ।
4
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 114 ारा अं त: थािपत ।
5
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 132 ारा ारा लोप कया गया ।
6
2006 के अिधिनयम सं ० 21 क धारा 59 ारा अं त: थािपत ।
7
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 103 ारा ित थािपत ।
8
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 133 ारा ित थािपत ।
37
(2) उपधारा (1) म कसी बात के होते ए भी, यद के ीय सरकार क यह राय है क कसी िविश ट वणन के भा
डागारत माल भारत म त करी करके वापस लाने स भा य ह तो वह, राजप म अिधसूचना ारा, िनदे श दे सकती है क ऐसे
माल, शु क का सं दाय कए िबना, भारत से बाहर कसी थान को िनयात नह कए जाएं गे या ऐसे माल, ऐसे िनब धन और
शत के अधीन रहते ए जो अिधसूचना म िविनद ट कए जाएं इस कार िनयात कए जाने के िलए अनु ात कए जाएं ।
70. वा पशील माल क दशा म मोक—(1) जब कोई भा डागारत माल िजनको यह धारा लागू होती है कसी भा
डागार से परदान के समय ाकृि तक हािन के कारण परमाण म कम पाए जाते ह, तब [सीमाशु क सहायक आयु त] ऐसी कमी
1
पर शु क क छट ू दे सकता है ।
(2) यह धारा ऐसे भा डागारत माल को लागू होती है जो के ीय सरकार माल क वा पशीलता और उनके भ डारकरण
क रीित को यान म रखते ए, राजप म अिधसूचना ारा, िविनद ट करे ।
71. इस अिधिनयम म यथा उपबं िधत के िसवाय माल का भा डागार से बाहर नह ले जाया जाना—दे शी उपभोग
के िलए या [िनयात] के िलए, या कसी अ य भा डागार म हटाकर ले जाने के िलए या इस अिधिनयम ारा जै सा अ
2
यथा उपबि धत है उसके िलए िनकासी के िसवाय कोई भा डागारत माल भा डागार से बाहर नह ले जाए जाएं गे ।
72. भा डागार से अनुिचत प से हटाए गए माल, आद—(1) िन निलिखत म से कसी भी दशा म, अथात् :—
(क) जहां कोई भा डागारत माल धारा 71 के उ लं घन म भा डागार से हटाए जाते ह ;
(ख) जहां कोई भा डागारत माल कसी भा डागार से उस अविध के अवसान पर िजसके दौरान ऐसे माल
धारा 61 के अधीन भा डागार म रखने के िलए अनु ात कए जाते ह, हटाए नह गए ह ;
3
* * * *
(घ) जहां क ह माल को िजनक बाबत [धारा 59 ***] के अधीन बं धप िन पादत कया गया है और
4 5
क मां ग कर सकता है और ऐसे माल का वामी उसका तु रं त सं दाय करे गा ।
(2) यद कोई वामी उपधारा (1) के अधीन मां गी गई रकम का सं दाय करने म असमथ रहता है , तो उिचत अिधकारी
कसी अ य उपचार पर ितकू ल भाव डाले िबना वामी को सूचना दे ने के प चात् (माल का कोई अ तरण होते ए भी) भा
डागार म उसके माल का ऐसा पया त भाग, यद कोई हो, जो उिचत अिधकारी [ठीक समझे ], िन और िवय करा सकता है
6
।
73. भा डागार ब धप का रकरण और वापसी—जब [धारा 59 ***] के अधीन िन पादत कसी बं धप के अ तगत आने
4 5
वाले सभी माल दे शी उपभोग के िलए िनकासी कर दए जाते ह या उनका [अ तरत] कर दया जाता है या] उनको अ यथा स
7
यक् कै फयत दे दी जाती है और ऐसे माल के कारण शो य सभी रकम सं द कर दी जाती ह, तब उिचत अिधकारी बं धप को पूरी
तरह से चु कता के प म र करे गा और उस यि त ारा, िजसने उसे िन पादत कया है या जो उसे पाने का हकदार है , मां ग कए
जाने पर उसे इस कार र ब धप का परदान करे गा ।
[73 क. भांडागारत माल क अिभरा और हटाया जाना—(1) सभी भांडागारत माल, उनके दे शी उपभोग के िलए
8
िनकासी होने या कसी अ य भांडागार को भांडागारत माल क अिभरा और हटाया जाना अं तरत कए जाने या िनयात कए
जाने या इस अिधिनयम म अ यथा उपबं िधत प से हटाए जाने तक ऐसे यि त क अिभरा म रहे गा िजसे धारा 57 या धारा
58 या धारा 58 क के अधीन अनुि त अनु द क गई है ।
(2) उपधारा (1) म िनद ट ऐसे यि त के उरदािय व िजसक अिभरा म कोई भांडागारत माल है , वे हगे जो
िविहत कए जाएं ।
(3) जहां धारा 71 के उ लं घन म कोई भांडागारत माल हटाया जाता है वहां अनुि तधारी, कसी अ य ऐसी कारवाई पर
ितकू ल भाव डाले िबना, जो इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन उसके िव क जाए, शु क, याज,
जु माना और शाि तय का सं दाय करने का दायी होगा । ]
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 134 ारा ित थािपत ।
3
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 135 ारा लोप कया गया ।
4
1991 के अिधिनयम सं ० 55 क धारा 9 ारा (23-12-1991 से ) “धारा 59” के थान पर ित थािपत ।
5
1994 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 60 ारा “या धारा 59 क” श द का लोप कया गया ।
6
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 135 ारा ित थािपत ।
7
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 136 ारा ित थािपत ।
8
2016 के अिधिनयम सं ० 28 क धारा 137 ारा अं त: थािपत ।
38
अ याय 10
वापसी
74. शु क सं द माल के पु न: िनयात पर अनुे य वापसी—(1) जब सहज प म पहचाने जा सकने वाले कोई ऐसे माल,
जो भारत म आयात कए गए ह [और िजन पर आयात कए जाने के समय शु क का सं दाय कर दया गया है ,—
1
(i) िनयात के िलए िव ट कए जाते ह और उिचत अिधकारी धारा 51 के अधीन िनयात के िलए
ऐसे माल क िनकासी और लदाई अनु ात करने वाला आदे श दे ता है ; या
(ii) याी सामान के प म िनयात कए जाने ह और ऐसे याी सामान का वामी, उसक िनकासी के योजन के
िलए, उसक अं तव तु क धारा 77 के अधीन घोषणा (िजस घोषणा को इस धारा के योजन के िलए िनयात के
िलए िवि ट समझा जाएगा) उिचत अिधकारी को करता है और ऐसा अिधकारी िनयात के िलए माल क
िनकासी अनु ात करने वाला आदे श दे ता है ; या
(iii) धारा 82 के अधीन डाक ारा िनयात के िलए िव ट कए जाते ह और उिचत अिधकारी िनयात
के िलए माल क िनकासी अनु ात करने वाला आदे श दे ता है ,
तब ऐसे शु क का अठानव ितशत, इसम इसके प चात् जै सा अ यथा उपबं िधत है उनके िसवाय, वापसी के प म ितसं द
कया जाएगा, यद—]
(क) माल, [सीमाशु क सहायक आयु त] के समाधानपय त आयाितत माल के प म पहचाने जाते ह ; और
2
टतया, ऐसे िनयम म िन निलिखत के िलए उपबं ध कया जा सके गा, अथात् :—
(क) वह रीित िजससे , सामा यत: पु ं ज म एक साथ भ डारत कए जाने वाले िभ न-िभ न परे षण म
आयाितत माल क पहचान िस क जा सके गी ;
(ख) ऐसे माल िविनद ट करना िजनके बारे म यह समझा जाएगा क वे सहज प म पहचाने नह जा
सकते ; और (ग) वह रीित िजससे और वह समय िजसके भीतर, वापसी के सं दाय के िलए दावा फाइल कया
जाना है ।] (4) इस धारा के योजन के िलए—
(क) माल उस तारीख को िनयात के िलए िव ट कए गए समझे जाएं गे िजसके ितिनदश से धारा
16 के अधीन शु क क दर परकिलत क जाती है ;
(ख) धारा 18 के अधीन अनि तम प से शु क िनधारत माल क दशा म अनि तम शु क के सं दाय क तारीख
शु क के सं दाय क तारीख समझी जाएगी ।
75. उस माल के िविनमाण म उपयोग क गई आयाितत सामी पर वापसी जो िनयात कए जाते ह—(1) जहां के ीय
सरकार को यह तीत होता है क [भारत म िविनमत, सं कृत या िजन पर कोई सं या क जाती है ] [कसी वग या वणन के माल
4 5
के सं बंध म, जो ऐसा माल है जो िनयात के िलए िव ट कया गया है और िजसक बाबत धारा 51 के अधीन, उिचत
अिधकारी ारा िनयात के िलए उसक िनकासी और लदाई अनु ात करने वाला आदे श दे दया गया है ,] [या ऐसा माल है6
जो धारा 82 के अधीन डाक ारा िनयात के िलए िव ट कया गया है और िजसक बाबत उिचत अिधकारी ारा
िनयात के िलए िनकासी अनु ात करने वाला
1
1985 के अिधिनयम सं ० 80 क धारा 6 ारा कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
3
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 60 ारा उपधारा (3) के थान पर ित थािपत ।
4
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा “भारत म िविनमत” के थान पर ित थािपत ।
5
1983 के अिधिनमय सं ० 11 क धारा 52 ारा कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
6
1985 के अिधिनयमसं ० 80 क धारा 7 ारा (13-5-1983 से ) अं त: थािपत ।
39
आदे श दे दया गया है ] [ऐसे माल के िविनमाण या सं करण या ऐसे माल पर कोई सं या कए जाने ] म उपयोग क गई कसी
1
वग या वणन क आयाितत सामी पर इस अिधिनयम के अधीन भाय सीमाशु क क वापसी अनु ात क जानी चािहए, वहां के
ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, यह िनदे श दे सकती है क ऐसे माल क बाबत उपधारा (2) के अधीन बनाए गए
िनयम के अनु सार और उ ह के अधीन रहते ए वापसी अनु ात क जाएगी :
2
[पर तु इस उपधारा के अधीन पूव त कसी माल के सं बंध म, जो के ीय सरकार, उपधारा (2) के अधीन बनाए गए िनयम
ारा, िविनद ट करे , कोई वापसी अनु ात नह क जाएगी यद ऐसे माल या वग के माल का िनयात मू य, [ऐसे माल] या वग
1
के माल [के िविनमाण या सं करण या ऐसे माल पर कोई सं या कए जाने ] म उपयोग क गई आयाितत सामी के मू य से कम
1
है अथवा [ऐसे माल] या माल के वग [के िविनमाण या सं करण या ऐसे माल पर कोई सं या कए जाने ] म उपयोग क गई
1 1
आयाितत सामी के मू य के उस ितशत से अिधक नह है जो के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, इस िनिम
िविनद ट करे :
पर तु यह और क जहां कसी माल पर इस उपधारा के अधीन कोई वापसी अनु ात क गई है और ऐसे माल के सं बंध म
िवय आगम िनयातकता ारा या उसक ओर से [िवदे शी मु ा ब धन अिधिनयम, 1999 (1999 का 42)] के अधीन अनु ात
3
समय के भीतर भारत म ा त नह कए जाते ह वहां यह समझा जाएगा क ऐसी वापसी [िसवाय ऐसी परि थितय या ऐसी
4
शत के अधीन रहते ए, जो क ीय सरकार, िनयम ारा िविहत करे ] कभी अनु ात नह क गई है और के ीय सरकार,
उपधारा (2) के अधीन बनाए गए िनयम ारा, ऐसी वापसी क रकम को वसूल या समायोिजत करने क या िविनद ट कर
सके गी ।]
[(1 क) जहां के ीय सरकार को यह तीत होता है क भारत म आयितत कसी िवशे ष सामी क माा वै सी ही सामी क
5
उस कु ल माा से अिधक है , जो क [भारत म िविनमत, सं कृत या िजन पर कोई सं या क जाती है ] और भारत से बाहर
6
िनयात कए गए माल म उपयोग क गई है , तो के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, को घोषणा कर सके गी क उतनी
सामी, िजतनी िनयात कए गए माल म उपयोग क गई है , उपधारा (1) के योजन के िलए, आयात क गई सामी समझी
जाएगी ।]
(2) के ीय सरकार उपधारा (1) के उपब ध को याि वत करने के योजन के िलए िनयम बना सकती है और िविश
टतया ऐसे िनयम िन निलिखत के िलए उपब ध कर सकते ह :—
[(क) ऐसी वापसी का सं दाय करना, जो माल के िविनमाण या सं करण म अथवा ऐसे माल के सं बंध म
7
(कख) ऐसी कसी वापसी क, जो उपधारा (1) के अधीन अनु ात क गई है , [या उस पर भाय याज क] रकम
9
सहायक आयु त] ारा इस िनिम िवशे षत: ािधकृत कसी सीमाशु क अिधकारी क िविनमाणशाला के ये क
भाग तक पं च होने दे िजससे क ऐसा ािधकृ त अिधकारी [िविनमाण क या का, क जाने वाली या या कसी अ य
11
सं या का] िनरीण करने म और वा तिवक जांच पड़ताल ारा या अ यथा वापसी के दावे के समथन म कए गए कथन
का स यापन करने म समथ हो सके ;
[(घ) वह रीित िजससे और वह समय िजसके भीतर वापसी के सं दाय के िलए दावा फाइल कया जा सके गा ।]
9
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा “ऐसे माल के िविनमाण” के थान पर ित थािपत ।
2
1991 के अिधिनयम सं ० 49 क धारा 120 ारा अं त: थािपत ।
3
2002 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 125 ारा ित थािपत ।
4
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 46 ारा अं त: थािपत ।
5
1978 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 10 ारा (1-7-1978 से ) अं त: थािपत ।
6
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा “भारत म िविनमत” के थान पर ित थािपत ।
7
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा ित थािपत ।
8
1991 के अिधिनयम सं ० 49 क धारा 120 ारा अं त: थािपत ।
9
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा अं त: थािपत ।
10
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
11
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा “िविनमाण क या का” के थान पर ित थािपत ।
40
[(3) उपधारा (2) ारा द िनयम बनाने क शि त के अ तगत ऐसी तारीख से , जो िनयात माल म यु त िनदे श पर
1
ऐसी वापसी के सं दाय के िलए दावा फाइल करने क तारीख से [एक मास] क अविध के भीतर सं दाय नह कया जाता है वहां
3
उस दावे दार को वापसी क रकम के अितर त, [एक मास] क उ त अविध क समाि त के प चात् क तारीख से ऐसी वापसी के
3
सं दाय क तारीख तक धारा 27 क के अधीन िनयत दर पर याज का सं दाय कया जाएगा :
4
* * * * *
5
[(2) जहां इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम के अधीन कसी दावे दार को कसी वापसी का सं दाय भूल से कया
गया है या वह अ यथा वसूलनीय हो जाता है , वहां दावे दार मां ग क तारीख से दो मास क अविध के भीतर, वापसी क उ त रकम
के अितर त, [धारा 28 कक] के अधीन िनयत दर पर याज का सं दाय करे गा और याज क रकम क सं गणना दावे दार को ऐसी
6
वापसी के सं दाय क तारीख से आरं भ होने वाली और ऐसी वापसी क वसूली क तारीख तक क अविध के िलए क जाएगी ।]
76. कु छ दशा म वापसी का ितषे ध और िविनयमन—(1) इसम इसके पहले कसी बात के होते ए भी यह है क कोई
वापसी—
7
* * * * * * (ख) कसी ऐसे माल क बाबत िजसक बाजार कमत उस पर शो य वापसी क रकम से कम है ;
(ग) जहां कसी माल क बाबत शो य वापसी [पचास पए] से कम है वहां , अनु ात नह क जाएगी ।
8
(2) उपधारा (1) के उपब ध पर ितकू ल भाव डाले िबना, यद के ीय सरकार क यह राय है क कोई िविश ट
वणन के माल िजनक बाबत इस अ याय के अधीन वापसी का दावा कया जा सकता है भारत म त करी करके वापस लाने स
भा य ह तो वह, राजप म अिधसूचना ारा, यह िनदे श दे सकती है क ऐसे माल क बाबत वापसी अनु ात नह क जाएगी या
ऐसी वापसी, ऐसे िनब धन और शत के अधीन रहते ए, जो अिधसूचना म िविनद ट क जाए, अनु ात क जाए ।
9
* * * * * अ याय 11
याी सामान, डाक ारा आयाितत या िनयाितत माल और यान सामी के बारे म िवशे ष
उपब ध याी सामान
77. वामी ारा याी सामान क घोषणा—कसी याी सामान का वामी उसक िनकासी के योजन के िलए उिचत
ािधकारी को उसक अ तव तु क घोषणा करे गा ।
78. याी सामान क बाबत शु क क दर और टै रफ मू यांकन का अवधारण—याी सामान को लागू होने वाली शु क क दर
और टै रफ मू यांकन, यद कोई हो, उस तारीख को वृ दर और मू यांकन होगा िजसको धारा 77 के अधीन ऐसे याी सामान क
बाबत घोषणा क जाती है ।
79. वा तिवक याी सामान को शु क से छट
ू —(1) उिचत अिधकारी, उपधारा (2) के अधीन बनाए गए िनयम के
अधीन रहते ए, िन निलिखत को िन:शु क पास कर सकता है —
(क) कसी याी या कमदल के याी सामान क कोई व तु िजसक बाबत उ त अिधकारी का सामाधान हो
जाता है क वह उसके उपयोग म उस यूनतम अविध के िलए रही है जो िनयम म िविनद ट क जाए ;
(ख) कसी याी के याी सामान क कोई व तु िजसक बाबत उ त अिधकारी का समाधान हो जाता है क वह
याी या उसके कुटु ब के योग के िलए है या वा तव म दान या मारका है , पर तु ऐसी ये क व तु का मू य और ऐसी
सभी व तु का सकल मू य ऐसी सीमा से अिधक नह है जो िनयम ारा िविनद ट क जाए ।
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 61 ारा अं त: थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 62 ारा अं त: थािपत ।
3
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 115 ारा ित थािपत ।
4
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 115 ारा लोप कया गया ।
5
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 98 ारा ित थािपत ।
6
2012 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 125 ारा ित थािपत ।
7
1983 के अिधिनयम सं ० 11 क धारा 53 ारा खं ड (क) का लोप कया गया ।
8
1983 के अिधिनयम सं ० 11 क धारा 53 ारा “पांच पए” के थान पर ित थािपत ।
9
2007 के अिधिनयमसं ० 22 क धारा 99 ारा अ याय 10 क का लोप कया गया ।
41
(2) के ीय सरकार इस धारा के उपबं ध को याि वत करने के योजन के िलए िनयम बना सकती है और िविश
टतया ऐसे िनयम िन निलिखत को िविनद ट कर सकते ह—
(क) वह यूनतम अविध िजसम कसी याी या कमदल के सद य ारा कसी व तु का उपधारा (1) के ख ड
(क) के योजन के िलए उपयोग कया गया है ;
(ख) कसी एक व तु का अिधकतम मू य और उन सभी व तु का अिधकतम सकल मू य जो उपधारा (1) के ख
ड (ख) के अधीन पास कए जा सकते ह ;
(ग) वे शत (जो िनकासी के पहले या बाद मे पूरी क जाएं ) िजनके अधीन कोई सामान िन:शु क पास
कया जा सकता है ।
(3) उपधारा (2) के अधीन िभ न-िभ न वग के यि तय के िलए िभ न-िभ न िनयम बनाए जा सकते ह ।
80. याी सामान का अ थायी प से रोका जाना—जहां कसी याी के याी सामान म कोई व तु है जो शु य है या
िजसका आयात ितिष है और िजसक बाबत धारा 77 के अधीन एक सही घोषणा कर दी गई है वहां उिचत अिधकारी, याी
के अनु रोध पर ऐसी व तु को याी के भारत छोड़ने पर उसे वापस लौटाए जाने के िलए रोक सकता है [और यद कसी कारण से
1
याी अपने भारत छोड़ने के समय उस यि त का सं ह करने म समथ नह है तो व तु को उसके ारा ािधकृ त और भारत छोड़ने
वाले कसी अ य याी के मा यम से या उसके नाम म परेि षत थोरा के प म उसको वापस कया जा सकता है ।]
81. याी सामान क बाबत िविनयम—बोड िन निलिखत के िलए िविनयम बना सकता है ,—
(क) कसी याी सामान क अ तव तु को घोिषत करने क रीित का उपबं ध करना ;
(ख) याी सामान क अिभरा, परीा, शु क िनधारण और िनकासी का उपबं ध करना ;
ू रे को या भारत से बाहर कसी थान को याी सामान के अिभवहन या याना
(ग) एक सीमाशु क टे शन से दस
तरण का उपबं ध करना ।
डाक ारा आयाितत या िनयाितत माल
* * * * *
2
83. डाक ारा आयाितत या िनयाितत माल क बाबत शु क क दर और टै रफ मू यांकन—(1) डाक ारा आयाितत
माल को लागू होने वाली शु क क दर और टै रफ मू यांकन, यद कोई हो, उस तारीख को वृ दर और मू यांकन होगा िजसको
डाक ािधकारी, उिचत अिधकारी को ऐसे माल पर शु क का िनधारण करने के योजन के िलए उस माल क िविशि टय
वाली सूची पे श करता है :
पर तु यद ऐसे माल कसी जलयान ारा आयात कए जाते ह और िविशि टय वाली माल क सूची जलयान के पं चने
क तारीख के पहले पे श क गई थी तो, यह समझा जाएगा क वह पं चने क तारीख को पे श क गई है ।
(2) डाक ारा िनयाितत माल को लागू होने वाली शु क क दर और टै रफ मू यांकन उस तारीख को वृ दर और मू
यांकन होगा िजसको िनयातकता ऐसे माल का डाक ािधकारी को िनयात के िलए परदान करता है ।
84. डाक ारा आयाितत या िनयात कए जाने वाले माल के बारे म िविनयम—बोड िन निलिखत का उपबं ध
करने के िलए िविनयम बना सकता है —
[(क) वह प और रीित, िजसम डाक ारा आयाितत या िनयात कए जाने वाले माल क बाबत कोई
3
(ख) भारतीय नौसे ना के कसी पोत के कमदल के उपयोग के िलए, उनक से वा क शत के अनु सार सरकार
ारा िन:शु क द क गई यान सामी ।
अ याय 12
तटीय माल और तटीय माल को वहन करने वाले जलयान के बारे म उपबं ध
91. इस अ याय का याी सामान और यान सामी को लागू न होना—इस अ याय के उपबं ध याी सामान और यान सामी
को लागू नह हगे ।
92. तटीय माल क िवि ट—(1) तटीय माल का परे षक उिचत अिधकारी को िविहत प म तटीय माल प पे श करके उनक
िवि ट करे गा ।
(2) ये क ऐसा परे षक तटीय माल प पे श करते ए उसके नीचे क और उस प क अ तव तु क स चाई के बारे म घोषणा
करे गा और उसे ह तारत करे गा ।
93. जब तक तटीय माल से सं बंिधत प पास न कया जाए तब तक उनका न लादा जाना, यद—कसी जलयान का मा
टर जलयान पर कसी तटीय माल के लादने क अनु ा नह दे गा जब तक क धारा 92 के अधीन पे श कया गया ऐसे माल से
सं बंिधत प उिचत अिधकारी ारा पास न कया जाए और परे षक ारा मा टर को परद न कया जाए ।
94. गं त य थान पर तटीय माल क िनकासी—(1) तटीय माल को वहन करने वाले यान का मा टर धारा 93
केअधीन उसको परद ऐसे माल से सं बंिधत सभी प यान पर रखे गा और कसी सीमाशु क या तटीय पन पर जलयान के पं चने
पर तु र त ही उस पन के उिचत अिधकारी को उस पन पर उतारे जाने वाले माल से सं बंिधत सभी प का परदान करे गा ।
(2) जहां कोई तटीय माल कसी पन पर उतारे जाते ह वहां उिचत अिधकारी, यद उसका समाधान हो जाता है क वे
उपधारा (1) के अधीन उसको परद तटीय माल प म िव ट ह तो, उनक िनकासी अनु ात कर सकता है ।
95. तटीय जलयान के मा टर का सूचना बही रखना—(1) तटीय माल को वहन करने वाले ये क जलयान के मा टर को
सीमाशु क ािधकारय ारा “सूचना बही” कहलाने वाली एक बही द क जाएगी ।
(2) ऐसे जलयान क याा के ये क पन पर उिचत अिधकारी, उस पन पर उस यान पर लादे गए माल के बारे म सूचना
बही म ऐसी िवि टयां करे गा जो वह ठीक समझे ।
(3) ऐसे ये क जलयान का मा टर सूचना बही को जलयान पर रखे गा और याा के ये क पन पर पं चने पर उस पन के
उिचत अिधकारी को िनरीण के िलए दे गा ।
96. तटीय माल का के वल सीमाशु क पन या तटीय पन पर लादा और उतारा जाना—धारा 7 के अधीन तटीय माल
के लादने या उतारने के िलए िनयत सीमाशु क पन या तटीय पन से िभ न कसी पन पर कोई तटीय माल न तो कसी
जलयान पर लादे जाएं गे और न उससे उतारे जाएं गे ।
97. कसी तटीय जलयान का िलिखत आदे श के िबना थान न करना—(1) ऐसे कसी जलयान का मा टर जो कसी
सीमाशु क या तटीय पन पर तटीय माल लाया है या िजस पर ऐसे माल लादे गए ह, ऐसे जलयान का ऐसे पन से थान नह
कराएगा या थान अनु ात नह करे गा जब तक क उिचत अिधकारी ारा उस भाव का िलिखत आदे श न दे दया जाए ।
(2) ऐसा कोई आदे श नह दया जाएगा जब तक क—
(क) जलयान का मा टर धारा 38 के अधीन उससे पूछे गए न का उर नह दे दे ता है ;
(ख) ऐसे जलयान क बाबत या उसके मा टर से शो य सभी भार और शाि तयां सं द नह कर दी जाती ह या
ऐसा सं दाय ऐसी ितभूित या ऐसी रकम के िने प ारा जो उिचत अिधकारी िनदे श दे , ितभूत नह कर दया
जाता है ;
(ग) जलयान का मा टर उिचत अिधकारी का यह समाधान नह कर दे ता है क धारा 116 के अधीन उस पर
कोई शाि त उद्हणीय नह है या उस धारा के अधीन उस पर उद्गृहीत क गई कसी शाि त का सं दाय ऐसी ितभूित
या ऐसी रकम के िने प ारा जो उिचत अिधकारी िनदे श दे , ितभूत नह कर दया जाता है ;
(घ) इस अ याय के और तटीय माल और तटीय माल को वहन करने वाले जलयान से सं बंिधत िनयम
और िविनयम के उपब ध का अनु पालन नह कर दया जाता है ।
98. इस अिधिनयम के कु छ उपब ध का तटीय माल को लागू होना, आद—(1) धारा 33, 34 और 36, जहां तक हो
सके, तटीय माल को उसी कार लागू हगी जै से वे आयाितत माल या िनयाितत माल को लागू होती ह ।
(2) धारा 37 और 38, जहां तक हो सके, तटीय माल को वहन करने वाले जलयान को उसी कार लागू हगी जै से वे
आयाितत माल या िनयाितत माल को वहन करने वाले जलयान को लागू होती ह ।
44
(3) के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, यह िनदे श दे सकती है क अ याय 6 के अ य सभी या कोई उपबं ध
और धारा 45 के उपबं ध ऐसे अपवाद और उपा तर के अधीन रहते ए जो अिधसूचना म िविनद ट कए जाएं तटीय माल या
तटीय माल को वहन करने वाले जलयान को लागू हगे ।
1
[98 क. िशिथल करने क शि त—यद के ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है क लोकिहत म ऐसा करना आव
यक है तो वह, राजप म अिधसूचना ारा, तटीय माल या तटीय माल को वहन करने वाले जलयान को इस अ याय के सभी या
क ह उपबं ध से आ यं ितक प से या ऐसी शत के अधीन रहते ए, जो अिधसूचना म िविनद ट क जाएं , साधारणतया छू ट दे
सकेगी ।]
99. तटीय माल तथा तटीय जलयान क बाबत िनयम बनाने क शि त—के ीय सरकार िन निलिखत के िलए
िनयम बना सकती है —
(क) कसी तटीय माल को िजसका िनयात इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन
शु य या ितिष है भारत से बाहर ले जाने से रोकना ;
(ख) तटीय माल के साथ-साथ आयाितत या िनयाितत माल वहन करने वाले जलयान क दशा म,
आयाितत या िनयाितत माल का तटीय माल ारा ित थापन रोकना ।
अ याय 13
करने का कारण है क कसी यि त ने अपने शरीर पर उपधारा (2) म िविनद ट वणन के कसी ऐसे माल को िजनका अिभहण
कया जा सकता है या उनसे सं बंिधत द तावे ज को िछपा रखा है , तो वह उस यि त क तलाशी ले सकता है ।
(2) उपधारा (1) म िविनद ट माल िन निलिखत ह—
(क) सोना ;
(ख) हीरे ;
(ग) सोने या हीर क िविनमितयां
(घ) घिड़यां ;
(ङ) कसी अ य वग के माल जो के ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, िविनद ट कर ।
102. िजन यि तय क तलाशी जी जानी है वे अपे ा कर सकते ह क उ ह सीमाशु क के राजपित अिधकारी या मिज
ेट के सम ले जाया जाए—(1) जब कोई सीमाशु क अिधकारी धारा 100 या धारा 101 के उपब ध के अधीन कसी यि त क
तलाशी ले ने वाला है तब, यद ऐसा यि त यह अपे ा करे तो सीमाशु क अिधकारी िबना अनाव यक िवल ब के उस यि त को
िनकटतम सीमाशु क के राजपित अिधकारी या मिज ेट के सम ले जाएगा ।
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 64 ारा अं त: थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
45
(2) यद ऐसी अपे ा क जाती है तो सीमाशु क अिधकारी उस यि त को जब तक वह उसे सीमाशु क के राजपित
अिधकारी या मिज ेट के सम नह ले जाता है जब तक िनरोध म रख सकता है ।
(3) सीमाशु क का राजपित अिधकारी या मिज ेट िजसके सम ऐसा यि त लाया जाता है , यद उसे तलाशी का युि
तयु त कारण नह दखाई पड़ता है तो, उस यि त को तु र त उ मोिचत कर दे गा क तु अ यथा तलाशी िलए जाने का िनदे श
दे गा ।
(4) धारा 100 या धारा 101 के उपब ध के अधीन तलाशी ले ने के पहले सीमाशु क अिधकारी दो या अिधक यि तय से
तलाशी म उपि थत रहने और साी करने क अपे ा कर सकता है और उनको या उनम से कसी को ऐसा करने के िलए िलिखत
आदे श जारी कर सकता है ; और ऐसी तलाशी ऐसे यि तय क उपि थित म ली जाएगी और ऐसी तलाशी के दौरान अिभगृ हीत
सभी व तु क एक सूची ऐसे अिधकारी या अ य यि त ारा तै यार क जाएगी और ऐसे सािय ारा ह तारत क जाएगी ।
(5) कसी ी क तलाशी ी के िसवाय कसी अ य यि त ारा नह ली जाएगी ।
103. िछपाए ए माल का पता लगाने के िलए सं द ध यि तय के शरीर क नग या ए स-रे करने क शि त—(1) यद
उिचत अिधकारी के पास यह िव वास करने का कारण है क धारा 100 क उपधारा (2) म िविनद ट कसी यि त ने अिधहरण
कए जा सकने वाले माल अपने शरीर के अ दर िछपाए ए ह, तो वह ऐसे यि त को रोक सकता है और िबना अनाव यक
िवल ब के िनकटतम मिज ेट के सम पे श कर सकता है ।
(2) कोई मिज ेट िजसके सम ऐसा यि त उपधारा (1) के अधीन लाया जाता है , यद उसके पास यह िव वास करने
का कोई युि तयु त आधार नह है क ऐसे यि त ने अपने शरीर के अ दर ऐसे माल िछपाए ए ह तो वह ऐसे यि त को तु र त उ
मोिचत करे गा ।
(3) यद कसी मिज ेट के पास यह िव वास करने का युि तयु त आधार है क ऐसे यि त ने अपने शरीर के अ दर ऐसे
माल िछपाए ए ह और मिज ेट का यह समाधान हो जाता है क ऐसे माल का पता लगाने के िलए ऐसे यि त के शरीर क
नग या ए स-रे कया जाए तो वह उस भाव का आदे श दे सकता है ।
(4) जहां मिज ेट ने उपधारा (3) के अधीन कसी यि त के सं बंध म कोई आदे श दया है वहां , उिचत अिधकारी,
यथाश य शी, ऐसे यि त को इस धारा के योजन के िलए के ीय सरकार ारा मा यता ा त अहता से यु त कसी िवकरण
िवानी के सम ले जाएगा, और ऐसा यि त िवकरण िवानी को अपने शरीर क नग या ए स-रे करने दे गा ।
(5) वह िवकरण िवानी िजसके सम ऐसा यि त उपधारा (4) के अधीन लाया जाता है ऐसे यि त क नग या ए
स-रे करने के प चात्, अपने ारा िलए गए ए स-रे िच सिहत अपनी रपोट िबना अनाव यक िवल ब के मिज ेट को
अेिषत करे गा ।
(6) यद उपधारा (5) के अधीन कसी िवकरण िवानी क रपोट क ाि त पर या अ यथा मिज ेट का यह समाधान
हो जाता है क कसी यि त ने अिधहरण कए जा सकने वाले कोई माल अपने शरीर के अ दर िछपाए ए ह ; तो वह यह
िनदे श दे सकता है क कसी रिज ीकृ त िचक सक क सलाह पर और उसके पयवे ण के अधीन ऐसे माल बाहर िनकालने के
िलए उपयु त कारवाई क जाए और ऐसा यि त ऐसे आदे श का अनु पालन करने के िलए आब होगा :
पर तु कसी ी क दशा म कसी रिज ीकृ त मिहला िचक सक क सलाह पर और उसके अधीण के अधीन ही
कारवाई क जाएगी, अ यथा नह ।
(7) जहां कोई यि त इस धारा के अधीन कसी मिज ेट के सम लाया जाता है वहां इस धारा के उपबं ध को वतत
करने के योजन के िलए ऐसा मिज ेट ऐसे यि त को ऐसी अिभरा म और ऐसी अविध के िलए रखने का आदे श दे सकता
है जै सी वह िनद ट करे ।
(8) इस धारा क कोई भी बात उपधारा (1) म िनद ट ऐसे यि त को लागू नह होगी जो यह वीकार करता है क
अिधहरण कए जा सकने वाले माल उसके शरीर के अं दर िछपाए ए ह और जो ऐसे माल को बाहर िनकालने के िलए उपयु
त कारवाई करने के िलए अपने को वे छा से समपत करता है ।
प टीकरण—इस धारा के योजन के िलए, “रिज ीकृ त िचक सक” पद से वह यि त अिभे त है िजसके पास
भारतीय िचक सा उपािध अिधिनयम, 1916 (1916 का 7) क अनु सच
ू ी म िविनद ट ािधकारी ारा, या उस अिधिनयम क
धारा 3 के अधीन अिधसूिचत या भारतीय िचक सा परषद् अिधिनयम, 1956 (1956 का 102) क कसी अनु सच
ू ी म िविनद ट
कसी ािधकारी ारा अनु द अहता है ।
104. िगरतार करने क शि त— [(1) यद सीमाशु क आयु त के साधारण या िवशे ष आदे श ारा इस िनिम सश त
1
सीमाशु क अिधकारी के पास यह िव वास करने का कारण है क भारत म या भारतीय सीमाशु क सागर खं ड केभीतर कसी यि
त ने धारा 132 या धारा 133 या धारा 135 या धारा 135 क या धारा 136 के अधीन दं डनीय अपराध कया है तो वह ऐसे यि त
को िगरतार कर सके गा और वह, यथाशी, उसे ऐसी िगरतारी के आधार क सूचना दे गा ।]
1
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 24 ारा ित थािपत ।
46
(2) उपधारा (1) के अधीन िगरतार कया गया ये क यि त िबना अनाव यक िवल ब के मिज ेट के सम से
लाया जाएगा ।
(3) जहां कसी सीमाशु क अिधकारी ने उपधारा (1) के अधीन कसी यि त को िगरतार कया है वहां उसक ऐसे यि त
क जमानत पर या अ यथा छोड़ने के योजन के िलए वे ही शि तयां हगी और वह उ ह उपब ध के अधीन होगा जो पुि लस
टे शन के भारसाधक अिधकारी क होती है और िजनके अधीन वह द ड या सं िहता, 1898 (1898 का 5) के अधीन होता है
1
।
2
[(4) दं ड या सं िहता, 1973 (1974 का 2) म अं तव ट कसी बात के होते ए भी,—
(क) ितिष माल ; या
(ख) पचास लाख पए से अिधक शु क के अपवं चन या यितत अपवं चन,
से सं बंिधत कोई अपराध, सं ेय होगा ।
(5) उपधारा (4) म यथाउपबं िधत के िसवाय, अिधिनयम के अधीन सभी अपराध असं ेय हगे ।
3
[(6) दं ड या सं िहता, 1973 (1974 का 2) म अं तव ट उपबं ध के होते ए भी,—
(क) पचास लाख पए से अिधक के शु क के अपवं चन या यितत अपवं चन से ; या
(ख) धारा 11 के अधीन अिधसूिचत ऐसे ितिष माल के, जो धारा 135 क उपधारा (1) के खं ड (i) के उपखं ड
(इ) के अधीन भी अिधसूिचत ह ; या
(ग) ऐसे कसी माल के, िजसे इस अिधिनयम के उपबं ध के अनु सार घोिषत नह कया गया है और िजसक
बाजार कमत एक करोड़ पए से अिधक है , आयात या िनयात के ; या
(घ) इस अिधिनयम के अधीन उपबं िधत शु क से कपटपूण प से वापसी या कसी छटू को, यद वापसी या
शु क से छटू क रकम पचास लाख पए से अिधक है , ा त करने या ा त करने का यास करने के,
सं बंध म धारा 135 के अधीन दं डनीय अपराध अजमानतीय होगा ।
(7) उपधारा (6) म, जै सा अ यथा उपबं िधत है उसके िसवाय, इस अिधिनयम के अधीन सभी अ य अपराध जमानतीय हगे
।]
105. परसर क तलाशी ले ने क शि त—(1) यद [सीमाशु क सहायक आयु त], या बोड ारा भारत के भूिम सीमा त या
4
तट से लगे ए कसी े म इस िनिम िवशे षत: नाम से सश त कसी सीमाशु क अिधकारी के पास यह िव वास करने का
कारण है क अिधहरण कए जा सकने वाले कोई माल या कोई द तावे ज या व तु एं जो उसक राय म इस अिधिनयम के अधीन
कसी कायवाही म उपयोगी, या सु संगत हगी, कसी थान म िछपाई ई ह, तो वह कसी सीमाशु क अिधकारी को तलाशी ले ने
के िलए ािधकृ त कर सकता है या वयं ऐसे माल, द तावे ज या व तु के िलए तलाशी ले सकता है ।
(2) तलाशी से स बि धत द ड या सं िहता, 1898 (1898 का 5) के उपब ध, जहां तक हो सके, इस उपा तर के अधीन
1
रहते ए क उ त सं िहता क धारा 165 क उपधारा (5) का इस कार भाव होगा मानो “मिज ेट” श द के थान पर, जहां -जहां
वह आता है , [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] श द रखे गए ह, इस धारा के अधीन तलािशय को लागू हगे ।
5
106. वहण को रोकने और तलाशी ले ने क शि त—(1) यद उिचत अिधकारी के पास यह िव वास करने का कारण है
क भारत म कोई वायु यान, यान या जीव-जं तु या भारत म या भारत के सीमाशु क सागर ख ड के अ दर कोई जलयान कसी माल
क त करी म या त करी कए गए कसी माल के वहन म उपयोग कया जा रहा है या उपयोग कया जाने वाला है तो वह, कसी भी
समय ऐसे यान, जीवन-ज तु या जलयान को रोक सकता है या वायु यान क दशा म, उसे उतरने के िलए बा य कर सकता है ,
और—
(क) वायु यान, यान या जलयान के कसी भाग क छानबीन कर सकता है और तलाशी ले सकता है ;
(ख) वायु यान, यान या जलयान या कसी जीव-ज तु पर लदे माल क परीा कर सकता है और तलाशी ले
सकता है ;
(ग) यद चािबयां नह दी जाती ह तो ख ड (क) और (ख) ारा द शि तय का योग करने के िलए कसी ार
का ताला या पै के ज तोड़ सकता है ।
(2) जहां उपधारा (1) के योजन के िलए—
1
अब द ड या सं िहता, 1973 (1974 का 2) देिखए ।
2
2012 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 126 ारा ित थािपत ।
3
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 75 ारा ित थािपत ।
4
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
5
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
47
(क) कसी जलयान को रोकना या वायु यान को उतरने के िलए बा य करना आव यक हो जाता है , वहां
उिचत वज फहराते ए और सरकार क से वा म के कसी जलयान या वायु यान के िलए और के ीय सरकार ारा इस
िनिम ािधकृ त कसी ािधकारी के िलए, ऐसे जलयान को रोकने के िलए या वायु यान को उतरने के िलए,
अं तररा ीय सं के त कोड या अ य मा यताा त उपाय के ारा समन करना िविधपूण होगा, और तब ऐसा जलयान
तु र त केगा और ऐसा वायु यान तु र त उतरे गा ; और यद वह ऐसा नह करता है तो, यथापूव त कसी जलयान या
वायु यान ारा उसका पीछा कया जा सकता है और यद सं केत के प म एक तोप दागने के प चात् जलयान नह कता है
या वायु यान नह उतरता है तो उस पर फायर कया जा सकता है ;
(ख) कसी यान या जीव-ज तु को रोकना आव यक हो जाता है , वहां उिचत अिधकारी उसको रोकने के सभी
िविधमा य उपाय का योग कर सकता है , और जहां ऐसे उपाय असफल हो जाते ह, वहां ऐसे यान या जीव-ज तु पर
फायर कर सकता है ।
[106 क. िनरीण करने क शि त—सीमाशु क कल टर ारा इस िनिम ािधकृ त कोई उिचत अिधकारी, यह
1
अिभिनि चत करने के योजन के िलए क इस अिधिनयम क अपे ा का अनु पालन आ है या नह, यथाि थित, अ याय 4 क या अ
याय 4 ख के अधीन सूिचत कसी थान म कसी भी युि तयु त समय पर वे श कर सकता है और उसम रखे या भ डारत माल का
िनरीण कर सकता है , और उसम पाए गए कसी यि त से , जो त समय उसका भारसाधक है , यथाि थित, अ याय 4 क या अ
याय 4 ख के अधीन रखे गए ले खा को उसके िनरीण के िलए उसको पे श करने क या यह अिभिनि चत करने के योजन के
िलए क या
ऐसे माल अवै ध प से आयाितत या िनयाितत नह ह या उनका अवै ध प से िनयात कया जाना स भा य नह है , उसक युि तयु
त प से अपेित जानकारी दे ने क अपे ा कर सकता है ।
107. यि तय क परीा करने क शि त— [सीमाशु क आयु त] के साधारण या िवशे ष आदे श ारा इस िनिम सश त
2
कोई सीमाशु क अिधकारी, क ह माल क त करी से सं बंिधत कसी जांच के दौरान :—
(क) कसी यि त से जांच के िलए सु संगत कसी द तावे ज या व तु को पे श करने या उसका परदान करने क
अपे ा कर सकता है ;
(ख) कसी मामले के त य और परि थितय से परिचत कसी यि त क परीा कर सकता है ।
108. सा य दे ने और द तावे ज पे श करने के िलए यि तय को समन करने क शि त— [(1) *** कसी राजपित
3 4
सीमाशु क अिधकारी को कसी ऐसे यि त को समन करने क शि त होगी िजसक उपि थित वह ऐसी कसी जांच म िजसे ऐसा
अिधकारी इस अिधिनयम के अधीन कर रहा है , सा य दे ने या द तावे ज या कोई अ य व तु तु त करने के िलए आव यक
समझता है ।]
(2) द तावे ज या अ य व तु को पे श करने का समन, कुछ िविनद ट द तावे ज या व तु को पे श करने के िलए या
कसी वणन वाली ऐसी सभी द तावे ज या व तु को पे श करने के िलए हो सकता है जो समन कए गए यि त के क जे या
िनयं ण म है ।
(3) इस कार समन कए गए सभी यि त, यि तगत प से या कसी ािधकृ त अिभकता ारा जै सा अिधकारी िनदे श
दे , उपि थत होने के िलए आब हगे और इस कार समन कए गए सभी यि त कसी िवषय पर िजसके स ब ध म उनक परीा
क जाती है स चाई से कहगे या कथन करगे और ऐसी द तावे ज और अ य व तु एं पे श करगे िजनक अपे ा क जाए :
पर तु िसिवल या सं िहता, 1908 (1908 का 5) क धारा 132 के अधीन छट
ू इस धारा के अधीन उपि थत होने क
अपे ा को लागू होगी ।
(4) यथापूव त ऐसी ये क जांच भारतीय द ड सं िहता (1860 का 45) क धारा 193 और धारा 228 के अथा तगत
याियक कायवाही समझी जाएगी ।
[108 क. सूचना दे ने क बा यता—(1) कोई भी यि त, जो—
5
1
1969 के अिधिनयम सं ० 12 क धारा 3 ारा (3-1-1969 से ) अ त: थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािनक ।
3
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 25 ारा ित थािपत ।
4
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 69 ारा लोप कया गया ।
5
2017 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 3 ारा अ त: थािपत ।
48
(घ) भारतीय रजव बक अिधिनयम, 1934 (1934 का 2) क धारा 45 क के खं ड (क) के अथा तगत कोई
बककारी कं पनी है ; या
(ङ) िने प बीमा और यय गारं टी िनगम अिधिनयम, 1961 (1961 का 47) क धारा 2 के खं ड (घघ) के
अथा तगत कोई सहकारी बक है ; या
(च) भारतीय रजव बक अिधिनयम, 1934 (1934 का 2) क धारा 45 झ के खं ड (ग) के अथा तगत कोई
िवीय सं था है या खं ड (च) के अथा तगत कोई गै र-बककारी िवीय कं पनी है ; या
(छ) कोई रा य िवु त बोड है या िवु त अिधिनयम, 2003 (2003 का 36) के अधीन िवु त िवतरण या
पारे षण अनुि तधारी है या कोई अ य ऐसा अि त व है , िजसे , यथाि थित, के ीय सरकार या रा य सरकार ारा
ऐसे कृ य सपे गए ह ; या
(ज) रिज ीकरण अिधिनयम, 1908 (1908 का 16) क धारा 6 के अधीन िनयु त कोई रिज ार या कोई
उप रिज ार है ; या
(झ) कं पनी अिधिनयम, 2013 (2013 का 18) के अथा तगत कोई रिज ार है ; या
(ञ) मोटर यान अिधिनयम, 1988 (1988 का 59) के अ याय 4 के अधीन मोटर यान को रिज ीकृ त करने के
िलए सश त कोई रिज ीकरण ािधकारी है ; या
(ट) भूिम अजन, पु नवासन और पु न यव थापन म उिचत ितकर और पारदशता अिधकार अिधिनयम, 2013
(2013 का 30) क धारा 3 के खं ड (ग) म िनद ट कोई कले टर है ; या
(ठ) ितभूित सं िवदा (िविनयमन) अिधिनयम, 1956 (1956 का 42) क धारा 2 के खं ड (च) म िनद ट
कोई मा यताा त टाक ए सचज है ; या
(ड) िने पागार अिधिनयम, 1996 (1996 का 22) क धारा 2 क उपधारा (1) के खं ड (ङ) म िनद ट कोई
िने पागार है ; या
(ढ) भारतीय डाकघर अिधिनयम, 1898 (1898 का 6) क धारा 2 के खं ड (ञ) के अथा तगत कोई
महाडाकपाल है ; या
(ण) िवदे श यापार (िवकास और िविनयमन) अिधिनयम, 1992 (1992 का 22) क धारा 2 के खं ड (घ)
के अथा तगत कोई िवदे शी यापार महािनदे शक है ; या
(त) रे ल अिधिनयम, 1989 (1989 का 24) क धारा 2 के खं ड (18) के अथा तगत कसी ेीय रे ल का कोई
महाबं धक है ; या
(थ) भारतीय रजव बक अिधिनयम, 1934 (1934 का 2) क धारा 3 के अधीन गठत भारतीय रजव बक का
कोई अिधकारी है , जो ऊपर िविनद ट कसी अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य ऐसी िविध, िजसे इस
अिधिनयम के योजन के िलए सु संगत समझा गया है , के अधीन रिज ीकरण या ले खा िववरण का अिभले ख रखने
या कोई अ य सूचना रखने के िलए उरदायी है , समुिचत अिधकारी को ऐसी सूचना ऐसी रीित म दे गा, जो इस
अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत क जाएं ।
(2) जहां समुिचत अिधकारी यह समझता है क उपधारा (1) के अधीन दी गई सूचना ुटपूण है , वहां वह ुट को उस
यि त को सं सूिचत कर सके गा, िजसने ऐसी सूचना दी है और उसे ऐसी सं सच
ू ना क तारीख से सात दन क अविध के भीतर या
ऐसी और अविध के भीतर, जो इस िनिम कए गए आवे दन पर समुिचत अिधकारी अनु ात करे , ुट म सु धार करने का अवसर
दे सके गा और यद उस ुट म, यथाि थित, सात दन क उ त अविध या और ऐसी अविध, जो अनु ात क जाए, के भीतर सु धार
नह कया जाता है तो उस अिधिनयम के कसी अ य उपबं ध म अं तव ट कसी बात के होते ए भी, ऐसी सूचना को, नह दी गई के
प म समझा जाएगा और इस अिधिनयम के उपबं ध लागू हगे ।
(3) जहां कसी यि त ने , िजससे सूचना दी जानी अपेित है , उपधारा (1) या उपधारा (2) म िविनद ट समय के
भीतर उसे नह दया है , वहां समुिचत अिधकारी उस पर एक नोटस क तामील कर सके गा िजसके ारा उसे नोटस क तामील
क तारीख से तीस दन से अनिधक क अविध के भीतर ऐसी सूचना दे ने क अपे ा क जाएगी और ऐसा यि त ऐसी सूचना दे गा ।
108 ख. सूचना िववरणी दे ने म असफलता के िलए शाि त—जहां वह यि त, िजससे धारा 108 क के अधीन
सूचना दे ने क अपे ा क गई है , उसक उपधारा (3) के अधीन जारी नोटस म िविनद ट अविध के भीतर ऐसा करने म असफल
रहता है , वहां समुिचत अिधकारी ऐसे यि त को ऐसी अविध के, िजसके दौरान ऐसी सूचना दे ने म असफलता जारी रहती है ,
ये क दन के िलए एक सौ पए क रािश का शाि त के प म सं दाय करने का िनदे श दे सके गा ।]
49
109. भूिम माग ारा आयाितत माल क िनकासी अनु ात करने वाला आदे श पे श करने क अपे ा करने क शि त—
भारत के भूिम सीमा त से लगे ए कसी े के िलए िनयत और बोड के साधारण या िवशे ष आदे श ारा इस िनिम सश त
सीमाशु क अिधकारी, कसी माल को िजसके बारे म ऐसे कसी अिधकारी के पास यह िव वास करने का कारण है क वे भारत
म भूिम माग ारा आयात कया गया है , अपने क जे म रखने वाले कसी यि त से यह अपे ा कर सकता है क वह उस माल क
िनकासी अनु ात करने वाले धारा 47 के अधीन दए गए आदे श पे श करे :
पर तु इस धारा क कोई बात धारा 7 के ख ड (ग) के अधीन कसी िनयत माग ारा कसी भूिम सीमा त से भूिम
सीमाशु क टे शन को जाने वाले आयाितत माल को लागू नह होगी ।
110. माल, द तावे ज और व तु का अिभहण—(1) यद उिचत अिधकारी के पास यह िव वास करने का कारण है क
कोई माल इस अिधिनयम के अधीन अिधहरण को दायी है तो वह ऐसे माल का अिभहण कर सकता है :
पर तु जहां ऐसे कसी माल का अिभहण करना सा य नह है , वहां उिचत अिधकारी माल के वामी पर यह आदे श
तामील कर सकता है क वह ऐसे अिधकारी क पूव अनु ा के िबना उस माल को नह हटाएगा, उसे अलग नह करे गा या अ
यथा यवहार नह करे गा ।
1
[(1 क) के ीय सरकार, कसी माल क िवन वर या परसं कटमय कृ ित, समय के यतीत होने के कारण माल के मू य
म अवयण, माल के िलए भा डागारण थान क द कत या कसी अ य सु संगत बात को यान म रखते ए, राजप म अिधसूचना
ारा, ऐसे माल या वग के माल को िविनद ट कर सके गी िजसका उपधारा (1) के अधीन उसके अिभहण के प चात् यथाशी,
उिचत अिधकारी ारा ययन, इसम इसके प चात् िविनद ट या का अनु सरण करने के प चात् ऐसी रीित से कया जाएगा जो
के ीय सरकार समय-समय पर अवधारत करे ।
(1 ख) जहां उपधारा (1 क) के अधीन िविनद ट माल को उपधारा (1) के अधीन उिचत अिधकारी ारा अिभहण कया
गया है वहां वह ऐसे माल क तािलका तै यार करे गा िजसम उनके वणन, वािलटी, माा, िचन, सं या, उद्भव के दे श और अ य
िविशि टय से सं बंिधत ऐसे यौरे हगे िज ह उिचत अिधकारी इस अिधिनयम के अधीन कसी कायवाही म माल क पहचान
के िलए, सु संगत समझे और िन निलिखत योजन के िलए मिज ेट को आवे दन करे गा, अथात् :—
(क) इस कार तै यार क गई तािलका क शु ता का माणन; या
(ख) मिज ेट क उपि थित म ऐसे माल के फोटोिच ले ना और ऐसे फोटोिच के सही होने का माणन; या
(ग) मिज ेट क उपि थित म ऐसे माल के ितिनिध नमूने ले ने के िलए अनु ात करना और इस कार
िलए गए नमूने क कसी सूची क शु ता का माणन ।
(1 ग) जहां उपधारा (1 ख) के अधीन कोई आवे दन कया जाता है वहां मिज ेट यथाशी, आवे दन को मं जरू करे गा ।]
(2) जहां कोई माल उपधारा (1) के अधीन अिभहण कए जाते ह और माल के अिभहण से छह मास के अ दर मास 124
के ख ड (क) के अधीन उनक बाबत कोई सूचना नह दी जाती है , वहां माल उस यि त को वापस कए जाएं गे िजसके क जे से
उनका अिभहण कया गया था :
पर तु पया त हे तुक दशाए जाने पर, [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] छह मास क पूव त अविध को
2
यायिनणायक ािधकारी] के आदे श के लं िबत रहने के दौरान धारा 110 के अधीन अिभगृ हीत कसी माल, द तावे ज या व तु
को वामी को, उससे उिचत प म ऐसी ितभूित और ऐसी शत के साथ िजनक [ यायिनणायक ािधकारी] अपे ा करे , बं धप
4
1
1985 के अिधिनयम सं ० 80 क धारा 8 ारा अं त: थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
3
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 26 ारा अं त: थािपत ।
4
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 47 ारा ित थािपत ।
50
अ याय 14
(च) िविनयम के अधीन कसी आयात सूची या आयात रपोट म वणत कए जाने के िलए अपेित कोई शु
य या ितिष माल जो इस कार वणत नह है ;
(छ) अनवधानता से उतारे गए क तु धारा 45 क उपधारा (2) के अधीन रखे गए अिभले ख म सि मिलत कए
गए माल से िभ न कोई शु य या ितिष माल जो धारा 32 के उपब ध के उ लं घन से कसी वहण से उतारे जाते ह ;
(ज) कोई शु य या ितिष माल धारा 33 या धारा 34 के उपबं ध के उ लं घन म उतारे जाते ह या िजनके
उतारे जाने का यास कया जाता है ;
(झ) कोई शु य या ितिष माल जो या तो उनके उतारे जाने के पहले या प चात् कसी पै के ज म कसी रीित
म िछपाए ए पाए जाते ह ;
(ञ) कोई शु य या ितिष माल जो उिचत अिधकारी क अनु ा के िबना या ऐसी अनु ा के िनब धन के
ितकू ल कसी सीमाशु क े या भा डागार से हटाए जाते ह या िजनके हटाए जाने का यास कया जाता है ;
(ट) भूिम माग ारा आयाितत कोई शु य या ितिष माल िजनक बाबत धारा 109 के अधीन पे श कए
जाने के िलए अपेित, माल क िनकासी अनु ात करने वाला आदे श पे श नह कया जाता है या जो कसी तािवक
िविशि ट म उसम दए गए िविनदश के समान नह ह ;
(ठ) कोई शु य या ितिष माल जो इस अिधिनयम के अधीन क गई िवि ट म याी सामान क दशा म
धारा 77 के अधीन क गई घोषणा म सि मिलत नह है या जो सि मिलत कए गए ह उनसे अिधक है ;
(ड) [कोई माल जो मू य के बारे म या कसी अ य िविशि ट म,] इस अिधिनयम के अधीन क गई िवि ट
1
के या याी सामान क दशा म उसक बाबत [धारा 77 के अधीन क गई घोषणा के समान नह है या याना तरण के अधीन
2
माल क दशा म, धारा 54 क उपधारा (1) के परं तुक म िनद ट याना तरण क घोषणा के समान नह ह];
(ढ) कोई शु य या ितिष माल जो अ याय 8 के उपब ध के उ लं घन म याना तरण करके या िबना याना
तरण के अिभवहन कए जाते ह या िजनका इस कार अिभवहन करने का यास कया जाता है ;
(ण) कोई माल िज ह कसी शत के अधीन रहते ए, इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के
अधीन उनके आयात क बाबत शु क या कसी ितषे ध से छू ट दी जाती है , और िजनक बाबत उस शत का
अनु पालन नह कया जाता है , जब तक क उस शत के अनु पालन के िलए उिचत अिधकारी ने मं जरू ी न दी हो ;
1
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 2 ारा कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
2
1999 के अिधिनयम सं ० 27 क धारा 108 ारा ित थािपत ।
51
[(त) कोई अिधसूिचत माल िजसके सं बंध म अ याय 4 क या उस अ याय के योजन को याि वत करने के
1
िलए इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए कसी िनयम के उपब ध का उ लं घन कया जाता है ।]
112. माल के अनुिचत आयात के िलए शाि त, आद—कोई यि त—
(क) जो कसी माल के सं बंध म, कोई ऐसा काय या लोप करे गा जो काय या लोप ऐसे माल को धारा 111 के
अधीन अिधहरण का दायी बना दे , या ऐसे काय के करने या उसके लोप का दु ेरण करे गा ;
(ख) जो कसी ऐसे माल का जो वह जानता है या िजसके बारे म उसके पास यह िव वास करने का कारण
है क वे धारा 111 के अधीन अिधहरण के दायी ह, क जा ा त करे गा या उनके वहन, हटाने , िने प करने , सं य दे ने,
रखने , िछपाने , िवय या य करने म कसी भी कार सं बंध रखे गा, या ऐसे माल का कसी अ य रीित म यवहार करे गा
—
(i) ऐसे माल क दशा म िजसक बाबत इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के
अधीन कोई ितषे ध वृ है , ऐसी शाि त का दायी होगा [जो ऐसे माल के मू य से अनिधक होगी या पांच
2
114 क के उपबं ध के अधीन रहते ए, ऐसे शु क के, िजसका अपवं चन कए जाने का यास कया गया है , दस
ितशत से अनिधक होगी या पांच हजार पए होगी, इनम से जो भी अिधक हो :
परं तु जहां धारा 28 क उपधारा (8) के अधीन यथा अवधारत ऐसा शु क और धारा 28 कक के
अधीन उस पर सं देय याज ऐसे शु क का अवधारण करने वाले उिचत अिधकारी के आदे श के सं सूिचत कए
जाने क तारीख से तीस दन के भीतर सं द कर दया जाता है , वहां ऐसे यि त ारा इस धारा के अधीन सं द
कए जाने के िलए दायी शाि त क रकम इस कार अवधारत शाि त का प चीस ितशत होगी ;
[(iii) ऐसे माल क दशा म िजसक बाबत इस अिधिनयम के अधीन क गई िवि ट म या याी
4
सामान क दशा म, धारा 77 के अधीन क गई घोषणा म किथत मू य (िजसे इस धारा म इसके प चात्, दोन
दशा म घोिषत मू य कहा गया है ) उसके मू य से अिधक है , ऐसी शाि त का दायी होगा [जो उसके घोिषत
1
य और मू य के बीच के अं तर से अिधक होगी या पांच हजार पए होगी] इनम से जो भी सबसे अिधक हो ।
113. अनुिचत प से िनयात कए जाने वाले माल का अिधहरण, आद—िन निलिखत िनयाितत माल अिधहरण के
दायी हगे :—
(क) कोई माल िजसका ऐसे माल को लादने के िलए िनयत सीमाशु क पन या सीमाशु क िवमान
पन से िभ न कसी थान से समु या वायु माग ारा िनयात कए जाने का यास कया जाता है ;
(ख) कोई माल िजसका ऐसे माल के िनयात के िलए धारा 7 के खं ड (ग) के अधीन जारी क गई
अिधसूचना म िविनद ट माग से िभ न कसी माग ारा भूिम या अ तदशीय सागर ख ड माग ारा िनयात कए
जाने का यास कया जाता है ;
(ग) ऐसे माल को लादने के िलए िनयत भूिम सीमाशु क टे शन या सीमाशु क पन से िभ न कसी थान
से िनयात कए जाने के योजन के िलए भारत के भूिम सीमा त या तट के िनकट या कसी खाड़ी, अखात, सं करी
खाड़ी या वारीय नदी के िनकट लाए गए *** माल ; 5
(घ) कोई माल िजसका इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन या उसके ारा
अिधरोिपत कसी ितषे ध के ितकू ल िनयात कए जाने का यास कया जाता है या जो िनयात कए जाने के
योजन के िलए कसी सीमाशु क े सीमा के अ दर लाया जाता है ;
1
1969 के अिधिनयम सं ० 12 क धारा 4 ारा (3-1-1969 से ) अं त: थािपत ।
2
2001 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 107 ारा ित थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 83 ारा ित थािपत ।
4
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 3 ारा अ त: थािपत ।
5
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 116 ारा लोप कया गया ।
52
(ङ) कसी पै के ज म जो िनयात कए जाने के योजन के िलए कसी सीमाशु क े क सीमा के अ दर लाया
जाता है , िछपाया आ पाया गया *** माल ; 4
(च) कोई *** माल जो धारा 33 या धारा 34 के उपब ध के उ लं घन म लादे जाते ह या िजनके लादे जाने
4
कसी जलयान पर िजसका अि तम ग त य थान भारत से बाहर कोई थान है , उिचत अिधकारी क अनु ा के िबना
लादे जाने के िलए, जल-सं वािहत कए जाते ह या िजनको जल-सं वािहत करने का यास कया जाता है ;
(ज) कोई *** माल जो इस अिधिनयम के अधीन क गई िवि ट म या याी सामान क दशा म धारा 77 के
1
या कसी तािवक िविशि ट म या याी सामान क दशा म धारा 77 के अधीन क गई घोषणा के समान नह है ;]
[(झझ) वापसी के दावे के अधीन िनयात के िलए िव ट माल जो इस अिधिनयम के अधीन,
3
िनयातकता या िविनमाता ारा धारा 75 के अधीन वापसी क दर िनयत करने के सं बंध म दी गई कसी जानकारी
के, कसी तािवक िविशि ट म समान नह है ;]
(ञ) कोई माल िजन पर आयात शु क का सं दाय नह कया जाता है और जो धारा 74 के अधीन वापसी के
दावे के अधीन िनयात के िलए िव ट कए जाते ह ;
(ट) कोई माल िजनक *** िनयात के िलए िनकासी कर दी जाती है और जो िनयातकता उसके
1
अिभकता या िनयोिजती के जानबूझकर कए गए काय, उपे ा या यितम के कारण लादे नह जाते ह, या जो िनयात
के िलए लादे जाने के प चात् उिचत अिधकारी क अनु ा के िबना उतारे जाते ह ;
[(ठ) कोई िविनद ट माल िजसके स ब ध म अ याय 4 ख या उस अ याय के योजन को याि वत करने के
4
िलए इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए कसी िनयम के उपबं ध का उ लं घन कया जाता है ।]
114. अनुिचत प से माल का िनयात करने का यास करने के िलए शाि त, आद—कोई यि त जो, कसी माल के
सं बंध म, कोई काय या लोप करता है जो काय या लोप ऐसे माल को धारा 113 के अधीन अिधहरण का दायी बना दे गा या ऐसे
काय के करने या लोप का दु ेरण करता है —
(i) ऐसे माल क दशा म िजसक बाबत इस अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन कोई
ितषे ध वृ है , ऐसी शाि त का दायी होगा [जो िनयातकता ारा घोिषत कए गए माल के मू य के तीन गु णा से
5
के अधीन रहते ए, ऐसे शु क के, िजसका अपवं चन करने का यास कया गया है , दस ितशत से अनिधक होगी या
पांच हजार पए होगी, इनम से जो भी अिधक हो :
परं तु जहां धारा 28 क उपधारा (8) के अधीन यथा अवधारत ऐसा शु क और धारा 28 कक के अधीन उस पर
सं देय याज ऐसे शु क का अवधारण करने वाले उिचत अिधकारी के आदे श के सं सूिचत कए जाने क तारीख से तीस दन
के भीतर सं द कर दया जाता है , वहां ऐसे यि त ारा इस धारा के अधीन सं द कए जाने के िलए दायी शाि त क
रकम इस कार अवधारत शाि त का प चीस ितशत होगी ;]
[(iii) कसी अ य माल क दशा म, ऐसी शाि त का दायी होगा, जो िनयातकता ारा घोिषत कए गए माल
5
के मू य से अनिधक होगी या इस अिधिनयम के अधीन अवधारत मू य क होगी, इनम से जो भी अिधक हो ।]
[114 क. कितपय दशा म शु क के कम उद् हण या उद् हण न कए जाने के िलए शाि त—जहां दु सं िध या जानबूझकर कए
7
गए िम या कथन या त य का िछपाने के कारण शु क उद्गृहीत नह कया गया है या कम उद्गृहीत कया गया है अथवा
याज भारत या सं द नह कया गया है या भागत: सं द कया गया है अथवा शु क या याज का भूल से ितदाय कया गया है वहां
ऐसा
1
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 116 ारा लोप कया गया ।
2
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 116 ारा ित थािपत ।
3
1991 के अिधिनयम सं ० 49 क धारा 120 ारा अं त: थािपत ।
4
1969 के अिधिनयम सं ० 12 क धारा 5 ारा (3-1-1969 से ) अं त: थािपत ।
5
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 117 ारा ित थािपत ।
6
2016 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 84 ारा ित थािपत ।
7
1996 के अिधिनयम सं ० 33 क धारा 64 ारा (28-9-1996 से ) अं त: थािपत ।
53
यि त जो [धारा 28 क उपधारा (8)] के अधीन अवधारत, यथाि थित, शु क या याज का सं दाय करने के िलए दायी है , इस
1
कार अवधारत शु क या याज के बराबर शाि त का सं दाय करने के िलए भी दायी होगा :
[परं तु जहां [धारा 28 क उपधारा (8)] के अधीन यथा अवधारत, यथाि थित, ऐसे शु क या याज का और [धारा
2 8 8
28 कक] के अधीन उस पर सं देय याज का सं दाय ऐसे शु क को अवधारत करने वाले समुिचत अिधकारी के आदे श क सं सच ू ना
क तारीख से तीस दन के भीतर कर दया जाता है , वहां इस धारा के अधीन ऐसे यि त ारा सं द कए जाने के िलए दायी शाि
त क रकम, इस कार अवधारत, यथाि थित, शु क या याज के प चीस ितशत होगी :
परं तु यह और क पहले परं तुक के अधीन घटाई गई शाि त का फायदा इस शत के अ यधीन उपल ध होगा क इस कार
अवधारत शाि त क रकम भी उस परं तुक म िनद ट तीस दन क अविध के भीतर सं द कर दी गई है :
परं तु यह भी क जहां सं देय प म अवधारत शु क या याज, यथाि थित, आयु त (अपील), अपील अिधकरण या
यायालय ारा घटा या बढ़ा दया जाता है वहां , इस धारा के योजन के िलए, यथाि थित, इस कार घटाए या बढ़ाए गए शु क
या याज को भी िहसाब म िलया जाएगा :
परं तु यह भी क ऐसे मामले म, िजसम सं देय प म अवधारत शु क या याज क, यथाि थित, आयु त (अपील) या
अपील अिधकरण या यायालय ारा वृि क जाती है , वहां पहले परं तुक के अधीन कम क गई शाि त का फायदा उस दशा म
उपल ध होगा जब इस कार बढ़ाए गए शु क या याज क रकम, [धारा 28 कक] के अधीन उस पर सं देय याज सिहत, और शाि
3
त म पारणािमक वृि का प चीस ितशत उस आदे श क, िजसके ारा शु क या याज म ऐसी वृि भावी ई, सं सच
ू ना के तीस दन
के भीतर सं द कर दया गया है :
परं तु यह भी क जहां कोई शाि त इस धारा के अधीन उद्गृहीत क गई है वहां धारा 112 या धारा 114 के अधीन कोई
शाि त उद्गृहीत नह क जाएगी ।
प टीकरण—शं का को दरू करने के िलए, यह घोिषत कया जाता है क—
(i) इस धारा के उपबं ध ऐसे मामल को भी लागू हगे िजनम [धारा 28 क उपधारा (8)] के अधीन शु क या
1
याज अवधारत करने वाला आदे श उन सूचना से सं बंिधत है , जो उस तारीख से पूव जारी क गई ह, िजसको िव
अिधिनयम, 2000 को रा पित क अनु मित ा त होती है ;
(ii) पहले परं तुक या चौथे परं तुक म िनद ट आदे श क सं सच
ू ना क तारीख के पूव के ीय सरकार के
जमाखाते म सं द कोई रकम ऐसे यि त से शो य कुल रकम मे समायोिजत क जाएगी ।]
[114 कक. िम या और गलत सामी के उपयोग के िलए शाि त—यद कोई यि त इस अिधिनयम के योजन के
4
िलए कसी कारबार के सं यवहार म जानते ए या आशय से कसी ऐसी घोषणा, कथन या द तावे ज पर, जो िम या है या कसी
िविश ट सामी के सं बंध म ुटपूण है , ह तार करता है या उनका उपयोग करता है अथवा उन पर ह तार कराता है या उनका
उपयोग कराता है तो ऐसा यि त ऐसी शाि त के िलए दायी होगा जो माल के मू य के पांच गु ना से अनिधक होगी ।] ।
115. वहण का अिधहरण—(1) िन निलिखत वहण अिधहरण के दायी हगे —
(क) कोई जलयान जो भारतीय सीमाशु क सागर ख ड के अ दर है या रहा है , कोई वायु यान जो भारत म है
या रहा है , या कोई यान जो कसी सीमाशु क े म है या रहा है , जो कसी भी रीित से माल को िछपाने के योजन के
िलए सि नमत, अनु कू िलत, परवतत या फट कया गया है ;
(ख) कोई वहण िजससे कोई माल या उसका भाग सीमाशु क अिधकारी ारा अिभहण को रोकने के
िलए, बाहर फ का या िनकाल दया जाता है , या तोड़ या न ट कर दया जाता है ;
(ग) कोई वहण जो धारा 106 के अधीन कने या उतरने क अपे ा कए जाने पर उिचत और पया त कारण के
िबना ऐसा नह करता है ;
(घ) कोई वहण िजससे िनयात के िलए िनकासी कए गए भा डागारत माल, या वापसी के दावे के
अधीन िनयात के िलए िनकासी कए गए कोई अ य माल उिचत अिधकारी क सूचना के िबना उतारे जाते ह ;
(ङ) आयाितत माल को वहन करने वाला कोई वहण िजसने भारत म वे श कया है और बाद म यह पाया
जाता है क ऐसा स पूण माल या उसका पया त भाग गु म हो गया है जब तक क जलयान या वायु यान का मा टर माल
के गु म होने या माल के कम होने का ले खा-जोखा दे ने म समथ नह है ।
1
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 48 ारा ित थािपत ।
2
2000 के अिधिनयम सं ० 10 क धारा 85 ारा ित थािपत ।
3
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 48 ारा ित थािपत ।
4
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 27 अ त: थािपत ।
54
(2) कोई वहण या जीव-ज तु जो माल क त करी म परवहन के साधन के प म या त करत माल के वहन के िलए
उपयोग कया जाता है अिधहरण का दायी होगा, जब तक क वहण या जीव-ज तु का वामी यह सािबत न कर दे क वह वामी,
उसके अिभकता, यद कोई हो, और वहण या जीव-ज तु के भारसाधक यि त क जानकारी या मौनानु कू लता के िबना इस कार
उपयोग कया गया था *** : 1
पर तु जहां ऐसा कोई वहण भाड़े के िलए माल या यािय के वहन के िलए उपयोग कया जाता है वहां ऐसे वहण के
वामी को वहण के अिधहरण के बदले म यह िवक प दया जाएगा क वह, यथाि थित, िजस माल क त करी क जानी थी या
त करत माल क बाजार कमत से अनिधक जु माने का सं दाय करे ।
प टीकरण—इस धारा म, “बाजार-कमत” से उस तारीख क बाजार कमत अिभे त है जब माल का अिभहण कया
जाता है ।
116. माल का ले खा-जोखा न दे ने के िलए शाि त—यद भारत म आयात के िलए कसी वहण म लादे गए कोई
माल, या इस अिधिनयम के उपब ध के अधीन याना तरत कोई माल या कसी वहण म वहन कए गए तटीय माल, भारत म
उनके ग त य थान पर उतारे नह जाते ह, या जो परमाण उतारा जाता है वह उस ग त य थान पर उतारे जाने वाले परमाण से
कम है , और न उतारने का या माल क कमी का [सीमाशु क सहायक आयु त] के समाधानपय त कोई ले खा-जोखा नह दया जाता
2
118. पै के ज और उनक अ तव तु का अिधहरण—(क) जहां कसी पै के ज म आयाितत कोई माल अिधहरण के दायी ह,
वहां वह पै के ज और उस पै के ज म आयाितत अ य माल भी अिधहरण के दायी हगे ।
(ख) जहां कोई माल सीमाशु क े क सीमा के अ दर िनयात के योजन के िलए कसी पै के ज म लाए जाते ह और
अिधहरण के दायी ह, वहां वह पै के ज और उसम अ तव ट कोई अ य माल भी अिधहरण के दायी हगे ।
119. त करत माल को िछपाने के िलए उपयोग म लाए गए माल का अिधहरण—कोई माल जो त करत माल को
िछपाने के िलए उपभोग म लाए जाते ह, अिधहरण के दायी हगे ।
प टीकरण—इस धारा म, “माल” के अ तगत परवहन के साधन के प म उपयोग कए जाने वाले वहण नह ह ।
120. आकृ ित म परवतन के होते ए भी त करत माल का अिधहरण, आद—(1) त करत माल का उनक आकृ ित म परवतन
न होते ए भी अिधहरण कया जा सकता है ।
(2) जहां त करत माल कसी अ य माल के साथ इस कार से िमित कर दए जाते ह क त करत माल अ य माल से
पृ थक् नह कए जा सकते ह, वहां स पूण माल अिधहरण के दायी हगे :
पर तु जहां ऐसे माल का वामी यह सािबत कर दे ता है क उसके पास ऐसी कोई जानकारी नह थी या िव वास करने
का कोई कारण नह था क उनम त करत माल सि मिलत ह, वहां माल का के वल ऐसा भाग िजसका मू य त करत माल के मू
य के बराबर है , अिधहरण का दायी होगा ।
121. त करत माल के िवय आगम का अिधहरण—जहां कोई त करत माल कसी ऐसे यि त ारा िवय कए जाते
ह िजसे यह जानकारी है या िजसके पास यह िव वास करने का कारण है क वे त करत माल ह, वहां उनका िवय आगम
अिधहरण का दायी होगा ।
122. अिधहरण और शाि तय का यायिनणयन—इस अ याय के अधीन ये क दशा म िजसम कोई व तु अिधहरण क
दायी है या कोई यि त शाि त का दायी है , ऐसा अिधहरण या शाि त,—
1
1988 के अिधिनयम सं ० 26 क धारा 79 ारा लोप कया गया ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
3
2012 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 127 ारा ित थािपत ।
55
(क) [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] या [सीमाशु क उप-आयु त] ारा िबना कसी सीमा
1 2
के यायिनणत क जा सकती है ;
[(ख) जहां अिधहरण के िलए दायी माल का मू य [पांच लाख] पए से अिधक नह है , वहां [सीमाशु क
3 4 5
सहायक आयु त] से िन न पं ि त के सीमाशु क के कसी राजपित अिधकारी ारा यायिनणत क जा सकती है ।]
[122 क. यायिनणयन या—(1) यायिनणायक ािधकारी, इस अ याय या इस अिधिनयम के कसी अ य उपबं ध के
6
अधीन कसी कायवाही म कायवाही के कसी पकार को, यद पकार ऐसी वांछा करे , तो सु नवाई का अवसर दे गा ।
(2) यायिनणायक ािधकारी, यद पया त हे तुक दशत कया जाता है तो, उपधारा (1) म िनद ट कायवाही के कसी
म पर, पकार को या उनम से कसी को, समय-समय पर, समय मं जरू कर सके गा और सु नवाई को, ले खब कए जाने वाले कारण
से , थिगत कर सके गा :
पर तु यह क ऐसा कोई थगन, कसी पकार को कायवाही के दौरान तीन से अिधक बार मं जरू नह कया जाएगा ।]
123. कु छ दशा म सबूत का भार— [(1) जहां कोई माल िजनको यह धारा लागू होती है इस अिधिनयम के अधीन
7
इस युि तयु त िव वास के आधार पर अिभगृ हीत कए जाते ह क वे त करत माल ह, वहां यह सािबत करने का भार क वे त
करत माल नह ह,—
(क) ऐसी दशा म िजसम ऐसा अिभहण कसी यि त के क जे से कया जाता ह—
(i) उस यि त पर होगा िजसके क जे से माल अिभगृ हीत कए जाते है ; और
(ii) यद उस यि त से , िजसके क जे से ऐसे माल अिभगृ हीत कए जाते ह, िभ न कोई अ य यि
त उनका वामी होने का दावा करता है , तो ऐसे अ य यि त पर भी होगा ;
(ख) कसी अ य दशा म, उस यि त पर होगा, यद कोई हो, जो अिभगृ हीत माल का वामी होने का दावा
करता है ।]
(2) यह धारा सोने , [और उनक िनमितय], घिड़य और कसी अ य वग के ऐसे माल को लागू होती है जो के ीय
8
पूवानु मोदन से आधार क िलिखत जानकारी दे ते ए] िजन पर माल को अिधहरण करने क या शाि त अिधरोिपत
करने क थापना है , सूचना न दे दी जाए ;
(ख) उसम उि लिखत अिधहरण या शाि त अिधरोिपत करने के आधार के िव ऐसे युि तयु त समय के अ दर
जो सूचना म िविनद ट कया जाए िलिखत अ यावे दन करने का अवसर न दे दया जाए ; और
(ग) मामले म सु नवाई का युि तयु त अवसर न दया जाए :
पर तु ख ड (क) म िनद ट सूचना ख ड (ख) म िनद ट अ यावे दन स पृ त यि त के अनु रोध पर मौिखक हो सकता है ।
125. अिधहरण के बदले शाि त का सं दाय करने का िवक प—(1) जब भी इस अिधिनयम के अधीन कसी माल का अिधहरण
ािधकृत कया जाता है , तब उसको यायिनणत करने वाला अिधकारी, कसी ऐसे माल क दशा म, िजनका आयात या
िनयात इस
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क उप-कल टर” के थान पर ित थािपत ।
3
1978 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 12 ारा (1-7-1978 से ) खं ड (ख) और (ग) के थान पर ित थािपत ।
4
2012 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 127 ारा ित थािपत ।
5
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
6
2004 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 67 ारा ित थािपत ।
7
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 4 ारा उपधारा (1) के थान पर ित थािपत ।
8
1989 के अिधिनयम सं ० 40 क धारा 2 ारा कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
9
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 67 ारा ित थािपत ।
10
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 49 ारा ित थािपत ।
56
अिधिनयम के अधीन या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन ितिष है माल के वामी को [या जहां ऐसा वामी ात नह 1
है वहां उस यि त को िजसके क जे या अिभरा से ऐसे माल को अिभगृ हीत कया गया है ,] अिधहरण के बदले म ऐसे जु माने का
सं दाय करने का, जो उ त अिधकारी ठीक समझे , िवक प दे सकता है और क ह अ य माल क दशा म उसको ऐसा िवक प
दे गा :
पर तु धारा 115 क उपधारा (2) के पर तु क के उपब ध पर ितकू ल भाव डाले िबना, अिधहरण कए गए माल क
बाजार कमत म से आयाितत माल क दशा म उन पर भाय शु क घटाकर जो रकम आए उससे जु माना अिधक नह होगा ।
2
[(2) जहां माल के अिधहरण के बदले म उपधारा (1) के अधीन कोई जु माना अिधरोिपत कया जाता है वहां ऐसे माल
का वामी या उपधारा (1) म िनद ट यि त, उसके अितर त, ऐसे माल क बाबत सं देय कसी शु क और भार के िलए दायी
होगा ।]
126. अिधहरण होने पर स पि का के ीय सरकार म िनिहत होना—(1) जब माल इस अिधिनयम के अधीन अिधहरण कए
जाते ह तब ऐसे माल के ीय सरकार म िनिहत हगे ।
(2) अिधहरण यायिनणत करने वाला अिधकारी अिधहरण कए गए माल का क जा ले गा और उसे धारण करे गा ।
127. सीमाशु क अिधकारी ारा अिधहरण या शाि त के अिधिनणय से अ य द ड पर भाव न पड़ना—कसी सीमाशु क
अिधकारी ारा इस अिधिनयम के अधीन कसी अिधहरण या शाि त का अिधिनणय कसी द ड के दए जाने को नह रोके गा
िजनका तद्ारा भािवत यि त इस अिधिनयम के अ याय 16 के उपब ध के अधीन या कसी अ य िविध के अधीन भागी है
।
3
[अ याय 14 क
मामल का समझौता
127 क. इस अ याय म, जब तक क सं दभ से अ यथा अपेित न हो,—
(क) “ यायपीठ” से समझौता आयोग का यायपीठ अिभे त है ;
[(ख) “मामला” से इस अिधिनयम या कसी अ य अिधिनयम के अधीन सीमाशु क के उद्हण, िनधारण
4
और सं हण के िलए ऐसी कोई कायवाही अिभे त है , जो उस तारीख को, िजसको धारा 127 ख क उपधारा (1) के
अधीन कोई आवे दन कया जाता है , यायिनणायक ािधकारी के सम लं िबत हो :
परं तु जब कसी यायालय, अपील अिधकरण या कसी अ य ािधकारी ारा कसी कायवाही को, *** यथाि5
इस अ याय म इसके प चात् आवे दक कहा गया है ) अपने से सं बंिधत कसी मामले क बाबत ऐसे प म और ऐसी रीित म, जो
िनयम ारा िविनद ट क जाए, मामले म समझौता कराने के िलए समझौता आयोग को यायिनणयन से पूव आवे दन कर
सके गा, िजसम उसके शु क दािय व का, जो उसने समुिचत अिधकारी के सम, कट नह कया है , पूरा और स चा कटीकरण, ऐसी
रीित, िजसम ऐसा दािय व उपगत आ है , उसके ारा सं देय प म वीकृ त सीमाशु क क अितर त रकम और ऐसी अ य
िविशि टयां , जो िनयम ारा िविनद ट क जाएं , अं तव ट ह, िजसके अं तगत ऐसे शु य माल क िविशि टयां भी ह,
िजसक बाबत उसने माल के गलत वगकरण,
अवमू यांकन या छटू सं बंधी अिधसूचना के लागू न होने के कारण [या अ यथा कम उद्हण वीकार कया है ,] और ऐसे कसी
5
आवे दन का िनपटारा इसम इसके प चात् उपबं िधत रीित म कया जाएगा :
1
1985 के अिधिनयम सं ० 80 क धारा 9 ारा अं त: थािपत ।
2
1985 के अिधिनयम सं ० 80 क धारा 9 ारा उपधारा (2) के थान पर ित थािपत ।
3
1998 के अिधिनयम सं ० 21 क धारा 102 ारा अं त: थािपत ।
4
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 100 ारा ित थािपत ।
5
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 85 ारा लोप कया गया ।
6
2010 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 57 ारा ित थािपत ।
7
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 101 ारा ित थािपत ।
57
या पोत प या िनयात प फाइल कया है या याी सामान क घोषणा क है या उस पर ले बल लगाया है अथवा घोषणा
क है और ऐसे द तावे ज या द तावे ज के सं बंध म समुिचत अिधकारी ारा उसे हे तुक दशत करने के िलए सूचना
जारी कर दी गई है ;]
(ख) आवे दक ारा अपने आवे दन म वीकृत शु क क अितर त रकम तीन लाख पए से अिधक है ; और
(ग) आवे दक ने अपने ारा वीकृ त शु क क अितर त रकम का धारा [28 कक] के अधीन दे य याज के साथ
2
ऐसी शत के अधीन रहते ए, जो िनयम ारा िविनद ट क जाएं , आवे दक से सं बंिधत कसी ऐसे मामले म उसे जारी ऐसी
कारण बताओ सूचना के सं बंध म, िजसका समाधान हो गया है या जो समझौता आयोग के सम लं िबत है और ऐसी सूचना
यायिनणायक ािधकारी के सम लि बत है , आवे दन कर सके गा ।]
[127 ग. धारा 127 ख के अधीन आवे दन क ाि त पर या—(1) धारा 127 ख के अधीन आवे दन क ाि त पर,
5
समझौता आयोग, आवे दन क ाि त क तारीख से सात दन के भीतर, आवे दक को इस बारे म िलिखत म प टीकरण दे ने के
िलए सूचना जारी करे गा क उसके ारा कए गए आवे दन को कायवाही करने के िलए अनु ात य कया जाए और आवे दक
ारा दए गए प टीकरण पर िवचार करने प चात्समझौता आयोग, सूचना क तारीख से चौदह दन क अविध के भीतर, आदे श
ारा आवे दन को, यथाि थित,
कायवाही कए जाने के िलए अनु ात करे गा या नामं जरू कर दे गा और समझौता आयोग के सम कायवािहय का नामं जरू ी क
तारीख से उपशमन हो जाएगा :
परं तु जहां समझौता आयोग ारा पूव त अविध के भीतर कोई सूचना जारी नह क गई है या कोई आदे श पारत नह
कया गया है , वहां आवे दन को कायवाही कए जाने के िलए अनु ात कया गया समझा जाएगा ।
(2) उपधारा (1) केअधीन ये क आदे श क एक-एक ित आवे दक को और अिधकारता रखने वाले सीमाशु क आयु त को
भे जी जाएगी ।
(3) जहां कोई आवे दन उपधारा (1) केअधीन कायवाही कए जाने केि लए अनु ात कया जाता है या अनु ात कया गया
समझा जाता है , वहांसमझौता आयोग उपधारा (1) केअधीन आदे श क तारीख से सात दन केभीतर, अिधकारता
रखने वाले सीमाशु क आयु त से सुसंगत अिभले ख केसाथ रपोटमां गेगा और आयु त समझौता आयोग से संसच ू ना क ाि त
केतीस दन क अविध केभीतर रपोटदे गा :
परं तुजहां आयु त तीस दन क पूव त अविध केभीतर रपोटनह दे ता है , वहांसमझौता आयोग आयु त क रपोटकेि बना
मामले मआगे कायवाही करे गा ।
1
2010 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 58 ारा ित थािपत ।
2
2010 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 58 ारा ित थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 85 ारा लोप कया गया ।
4
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 106 ारा अ त: थािपत ।
5
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 102 ारा ित थािपत ।
58
(4) जहां उपधारा (3) केअधीन मां गी गई आयु त क रपोटउस उपधारा मिविनद ट अविध केभीतर दे दी गई है , वहां
समझौता आयोग, ऐसी रपोटक समीा करने केप चात्यद उसक यह राय है क मामले मआगे कोई और जांच या अ वे षण आव यक
है तो आयु त (अ वे षण) को अिभिलिखत कए जाने वाले कारण से रपोटक ाि त केप ह दन क अविध केभीतर, ऐसी और जांच या
अ वे षण करने या कराने का और समझौता आयोग से संसच ू ना क ाि त क तारीख केन बे दन क अविध केभीतर आवे दन
केअं तगत आने वालेिवषय और मामले सेसंबंिधत कसी अ य िवषय पर रपोटदे नेका िनदे श दे सके गा :
परं तुजहां आयु त (अ वे षण) पूव त अविध के भीतर रपोट नह दे ता है वहां समझौता आयोग ऐसी रपोटकेि बना उपधारा
(5) केअधीन पारत करने केि लए कायवाही करे गा ।
(5) समझौता आयोग, उपधारा (3) केअधीन ा त अिभले ख और सीमाशु क आयु त क रपोटऔर उपधारा (4)
केअधीन समझौता आयोग केआयु त (अ वे षण) क रपोटक, यद कोई हो, परीा करने केप चात्और आवे दक को तथा उस पर
अिधकारता रखने वाले सीमाशु क आयु त को, वयं या इस िनिम स यक्प सेािधकृ त ितिनिध केमा यम से सुनवाई का अवसर
दे नेकेप चात् तथा ऐसे अितर त सा य क, जो उसकेसम रखा जाए या उसकेारा अिभा त कया जाए, परीा करने केप चात्, आवे दन
के अं तगत आने वालेिवषय और मामले सेसंबंिधत कसी ऐसे अ य िवषय केबारे म, जो आवे दन केअं तगत नह आता है , क
तु उपधारा (3) या उपधारा (4) केअधीन सीमाशु क आयु त और आयु त (अ वे षण) क रपोटमिनद ट है , इस अिधिनयम केउपबं ध
केअनु सार ऐसा आदे श पारत कर सके गा, जो वह ठीक समझे ।
[(5 क) समझौता आयोग, उपधारा (5) केअधीन आदे श पारत करने क तारीख से तीन मास केभीतर कसी भी समय,
1
अिभले ख को दे खने सेही कट होने वाली कसी गलती का परशोधन केि लए, वे रणा से या अिधकारता रखने वाला सीमाशु क धान
आयु त या सीमाशु क आयु त या आवे दक ारा ऐसी गलती को उसक जानकारी मलाए जाने पर, ऐसे आदे श का सं शोधन कर
सके गा :
परं तुइस उपधारा केअधीन ऐसा कोई सं शोधन, िजसका भाव आवे दक केदािय व मअिभवृि करने वाला है , तब तक नह
कया जाएगा, जब तक क समाधान आयोग ारा, आवे दक और, यथाि थित, अिधकारता रखने वाला सीमाशु क धान आयु त या
सीमाशु क आयु त को ऐसे आशय क सूचना न दे दी गई हो और उ हसु नवाई का युि तयु त अवसर दान न कर दया हो ।]
2
* * * * *
(7) क ीय उ पाद-शु क अिधिनयम, 1944 (1944 का 1) क धारा 32 क के उपबं ध के अधीन रहते ए, समझौता आयोग
के सम अिभले ख पर लाई गई सामिय पर सं बंिधत यायपीठ के सद य ारा उपधारा (5) के अधीन कोई आदे श पारत करने से
पूव िवचार कया जाएगा और ऐसे आदे श को पारत करने के सं बंध म क ीय उ पाद-शु क अिधिनयम, 1944 क धारा 32 घ के
उपबं ध लागू हगे ।
(8) उपधारा (5) के अधीन पारत आदे श म, समझौते के िनबं धन उपबं िधत हगे , िजनके अं तगत शु क, शाि त या
याज के प म कोई मां ग, वह रीित, िजसम समझौते के अधीन दे य कोई रािश सं द क जाएगी और समझौते को भावी करने के
िलए अ य सभी बात हगी और नामं जरू ी क दशा म, उसके िलए कारण अं तव ट हगे और उसम यह भी उपबं ध होगा क
समझौता उस दशा म, शू य हो जाएगा, िजसम समझौता आयोग ारा बाद म यह पाया जाता है क उसे कपट या त य के दु
यपदे शन ारा ा त कया गया है :
परं तु समझौता आयोग ारा आदे श क गई समझौते क रकम धारा 127 ख के अधीन आवे दक ारा वीकार कए गए शु
क दािय व से कम नह होगी ।
(9) जहां उपधारा (5) के अधीन कसी आदे श के अनु सरण म, आवे दक ारा सं देय कसी शु क, याज जु माने और शाि त
का, उसके ारा आदे श क ित क ाि त के तीस दन के भीतर सं दाय नह कया जाता है , वहां ऐसी रािश, जो असं द रह गई है ,
उस पर दे य याज के साथ, धारा 142 के उपबं ध के अनु सार आवे दक पर अिधकारता रखने वाले समुिचत अिधकारी ारा के
ीय सरकार को दे य रािशय के प म वसूल क जाएगी ।
(10) जहां कोई समझौता उपधारा (8) के अधीन उपबं िधत प म शू य हो जाता है , वहां समझौते के अं तगत आने
वाले िवषय से सं बंिधत कायवािहयां उस म से पु न: आरं भ ई समझी जाएं गी, िजस पर आवे दन आगे कायवाही कए जाने
के िलए समझौता आयोग ारा अनु ात कया गया था और अिधकारता रखने वाला समुिचत अिधकारी, इस अिधिनयम के
कसी अ य उपबं ध म कसी बात के होते ए भी, ऐसी कायवािहय को इस सं सच
ू ना क ाि त क तारीख से क समझौता शू य हो
गया है , दो वष क समाि त के पूव कसी भी समय पूरा कर सके गा ।]
127 घ. राज व का सं रण करने के िलए अनि तम कुक का आदे श करने क समझौता आयोग क शि त—(1) जहां
समझौता आयोग क, अपने सम लं िबत कसी कायवाही के दौरान, यह राय है क राज व के िहत के सं रण के योजन के िलए
ऐसा करना आव यक है वहां , वह आदे श ारा, आवे दक क कसी सं पि को उस रीित से , जो िनयम ारा िविनद ट क जाए,
अनं ितम प से कु क कर सकेगा ।
1
2017 के अिधिनयम सं ० 7 क धारा 107 ारा अं त: थािपत ।
2
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 85 ारा लोप कया गया ।
59
(2) उपधारा (1) के अधीन समझौता आयोग ारा क गई ये क अनं ितम कु क, उस तारीख से जब क ीय सरकार को
दे य रािशयां , िजनके िलए ऐसी कु क क गई है , आवे दक ारा चु का दी जाती है और उस भाव का आशय आयोग को दे दया
जाता है , भावहीन हो जाएगी ।
1
* * * * *
127 च. समझौता आयोग क शि त और या—(1) क ीय उ पाद-शु क अिधिनयम, 1944 (1944 का 1) के अ याय 5
के अधीन समझौता आयोग को द शि तय के अितर त, उसे वे सभी शि तयां हगी जो इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए
गए िनयम के अधीन सीमाशु क के कसी अिधकारी म िनिहत ह ।
(2) जहां धारा 127 ख के अधीन कए गए कसी आवे दन पर कायवाही का कया जाना धारा 127 ग के अधीन अनु ात
कया गया है वहां समझौता आयोग को उ त मामले के सं बंध म, धारा 127 ग क उपधारा [(5)] के अधीन कोई आदे श पारत कए
2
जाने तक, उस धारा क उपधारा [(4)] के उपबं ध के अधीन रहते ए, यथाि थित, इस अिधिनयम या के ीय उ पाद-शु क
2
अिधिनयम, 1944 (1944 का 1) के अधीन सीमाशु क अिधकारी या उ पाद-शु क अिधकारी क शि तय का योग और कृ य का
पालन करने क अन य अिधकारता होगी ।
(3) इस अ याय क कोई बात, समझै ता आयोग ारा इसके ितकू ल कसी अिभ य त िनदे श के न होने पर इस
अिधिनयम के उपबं ध के वतन को वहां तक भािवत नह करे गी जहां तक उनका सं बंध समझौता आयोग के सम क ह मामल से
िभ न मामल से है ।
(4) समझौता आयोग को, कीय उ पाद-शु क अिधिनयम, 1944 (1944 का 1) के अ याय 5 और इस अ याय के उपबं ध के अधीन
रहते ए, अपनी या और यायपीठ क या का िजसके अं तगत वे थान भी ह जहां यायपीठ अपनी बै ठक करगे , उन सभी मामल
म िविनयमन करने क शि त होगी जो उसक शि तय के योग या उसके कृ य के िनवहन से उभूत होते ह ।
127 छ. रपोट का िनरीण, आद—कोई भी यि त सीमाशु क के कसी अिधकारी ारा समझौता आयोग को दी गई
कसी रपोट का िनरीण करने का या उसक ित ा त करने का हकदार नह होगा कतु समझौता आयोग, विववे कानु सार, उसे
कए गए आवे दन और िनयम ारा िविनद ट फस का सं दाय करने पर उसक ितयां कसी ऐसे यि त को दे सके गा :
परं तु कसी ऐसे यि त को, िजसका मामला िवचाराधीन है , कसी ऐसी रपोट म उसके िव अिभले ख पर लाए गए
सा य का खं डन करने म समथ बनाने के िलए, समझौता आयोग, इस िनिम ऐसे यि त ारा आवे दन कए जाने पर और
िनयम ारा िविनद ट फस का सं दाय कए जाने पर, उसे ऐसी रपोट क या इस योजन के िलए सु संगत उसके कसी भाग क
मािणत ित दे गा ।
127 ज. अिभयोजन और शाि त से उ मुि त दे ने क समझौता आयोग क शि त—(1) यद समझौता आयोग का यह
समाधान हो जाता है क कसी यि त ने , िजसने धारा 127 ख के अधीन समझौते के िलए आवे दन कया है , समझौता आयोग
के सम कायवािहय म आयोग का सहयोग कया है और अपने शु क दािय व का पूरा और सही कटन कया है तो वह ऐसे यि त
को ऐसी शत के अधीन रहते ए, जो वह अिधरोिपत करना ठीक समझे , समझौता के अं तगत आने वाले मामले के सं बंध म इस
अिधिनयम के
अधीन [कसी अपराध के िलए अिभयोजन से और इस अिधिनयम के अधीन कसी शाि त और जु माने के अिधरोपण से भी
2
(5) के अधीन पारत समझौता आदे श म िविनद ट कसी रािश का ऐसे आदे श म िविनद ट समय के भीतर] या ऐसे अितर त
समय के भीतर जो समझौता आयोग अनु ात करे , सं दाय करने म असफल रहता है अथवा ऐसी कसी अ य शत का अनु पालन
करने म असफल रहता है िजसके अधीन उ मुि त दी गई थी और तब इस अिधिनयम के उपबं ध इस कार लागू हगे मानो ऐसी
उ मुि त नह दी गई हो ।
(3) यद समझौता आयोग का यह समाधान हो जाता है क कसी यि त ने समझौते क कायवािहय के दौरान समझौते
के िलए मह वपूण िविशि टय, या सामिय को िछपाया था या िम या सा य दया था तो उपधारा (1) के अधीन ऐसे यि
त को दी गई उ मुि त समझौता आयोग ारा कसी समय वापस ली जा सके गी और तब ऐसे यि त का उस अपराध के िलए
िजसके सं बंध म उ मुि त दी गई थी या कसी ऐसे अ य अपराध के िलए िजसका वह समझौते के सं बंध म दोषी तीत होता
है िवचारण कया जा
1
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 85 ारा लोप कया गया ।
2
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 104 ारा ित थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 85 ारा लोप कया गया ।
60
सकता है और वह इस अिधिनयम के अधीन ऐसी शाि त के अिधरोपण का भी भागी होगा िजसका वह यि त भागी होता यद
ऐसी उ मुि त नह दी गई होती ।
127 झ. मामले को उिचत अिधकारी को वापस भे जने क समझौता आयोग क शि त—(1) यद समझौता आयोग क
यह राय है क कसी यि त ने , िजसने धारा 127 ख के अधीन समझौता के िलए आवे दन कया है , समझौता आयोग के सम
कायवािहय म आयोग का सहयोग नह कया है तो वह मामले को उिचत अिधकारी को वापस भे ज सके गा और तब वह उसका
िनपटारा इस अिधिनयम के उपबं ध के अनु सार ऐसे करे गा मानो धारा 127 ख के अधीन कोई आवे दन नह कया गया हो ।
(2) उपधारा (1) के योजन के िलए, उिचत अिधकारी िनधारती ारा समझौता आयोग के सम तु त क गई सभी
सामी और अ य जानकारी का अथवा समझौता आयोग ारा उसके सम कायवािहय के अनु म म से क गई जांच के परणाम का
या अिभिलिखत सा य का उपयोग करने का हकदार होगा मानो ऐसी सामी, जानकारी, जांच और सा य उिचत अिधकारी के सम
तु त कया गया हो या उसके सम कायवािहय के अनु म म उसने जांच क हो या सा य अिभिलिखत कया हो ।
(3) धारा 28 के अधीन समय-सीमा के योजन के िलए और धारा 28 कक के अधीन याज के योजन के िलए,
उपधारा (1) म िनद ट कसी मामले म, धारा 127 ख के अधीन समझौता आयोग को कए गए आवे दन क तारीख को या उससे
ारं भ होने वाली और सीमाशु क अिधकारी ारा समझौता आयोग के सीमाशु क अिधकारी को मामला वापस भे जने के आदे श
क ाि त क तारीख को समा त होने वाली अविध को अपवजत कया जाएगा ।
127 ञ. समझौता आदे श का िन चायक होना—धारा 127 ग क उपधारा [(5)] के अधीन पारत ये क समझौता
1
आदे श, उसम किथत िवषय के बारे म िन चायक होगा और ऐसे आदे श के अं तगत आने वाले कसी िवषय पर, इस अ याय
म जै सा उपबं िधत है उसके िसवाय, इस अिधिनयम के अधीन या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन कसी कायवाही
म नए िसरे से िवचार नह कया जाएगा ।
127 ट. समझौता आदे श के अधीन शो य रािश क वसूली—धारा 127 ग क उपधारा [(5)] के अधीन पारत समझौता
1
आदे श म िविनद ट कोई रािश ऐसी शत के यद कोई ह, अधीन रहते ए जो उसम िविनद ट क जाए वसूल क जा सके गी
तथा ऐसी रािश के सं दाय म यितम के िलए कोई शाि त अिधरोिपत क जा सके गी और उसक वसूली धारा 142 के उपबं ध के
अनु सार आवे दक पर अिधकारता रखने वाले उिचत अिधकारी ारा के ीय सरकार को दे य रािश के प म क जा सके गी ।
127 ठ. कितपय मामल म समझौते के िलए प चात् वत आवे दन का वजन— [(1)] जहां ***—
2 3
(i) *** समझौता आदे श म, धारा 127 ख के अधीन समझौते के िलए आवे दन करने वाले यि त पर शाि त
4
के इस आधार पर अिधरोपण के िलए उपबं ध कया जाता है क उसने अपने शु क दािय व क िविशि टय को
िछपाया है ; या
[ प टीकरण—इस खं ड म, शु क दािय व क िविशि टय के िछपाए जाने का सं बंध, सीमाशु क अिधकारी
5
सं बंध म इस अिधिनयम के अधीन कसी अपराध के िलए िसदोष ठहराया जाता है ; या
(iii) ऐसे यि त का मामला समझौता आयोग ारा धारा 127 झ के अधीन उिचत अिधकारी को वापस भे जा
जाता है ,
वहां ऐसा यि त कसी अ य मामले के सं बंध म धारा 127 ख के अधीन समझौते के िलए आवे दन करने का हकदार नह होगा । * * * * 6
*
127 ड. समझौता आयोग के सम कायवािहय का याियक कायवािहयां होना—समझौता आयोग के सम इस अ याय
के अधीन कोई भी कायवाही दं ड सं िहता (1860 का 45) क धारा 193 और धारा 228 के अथ म तथा धारा 196 के योजन के
िलए याियक कायवाही समझी जाएगी ।
7
* * * * *
127 ढ. उ पाद-शु क अिधिनयम के कितपय उपबं ध का लागू होना—के ीय उ पाद-शु क अिधिनयम, 1944 (1944 का
1) के अ याय 5 के उपबं ध, जहां तक वे इस अ याय के उपबं ध से असं गत नह ह, इस अ याय के अधीन समझौता आयोग के
सम कायवािहय के सं बंध म लागू हगे ।
1
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 104 ारा ित थािपत ।
2
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 108 ारा (11-5-2007 से ) पु न:सं यांकत ।
3
2010 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 59 ारा लोप कया गया ।
4
2015 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 90 ारा लोप कया गया ।
5
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 85 ारा अं त: थािपत ।
6
2010 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 59 ारा (8-5-2010 से ) लोप कया गया ।
7
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 109 ारा (1-6-2007 से ) धारा 127 डक का लोप कया गया
61
1
[अ याय 15
अपील
128. [आयु त (अपील) को अपील—(1) कोई यि त जो [सीमाशु क आयु त] से िन न पं ि त के कसी सीमाशु क अिधकारी
2 3
ारा इस अिधिनयम के अधीन दए गए कसी िविन चय या आदे श से यिथत है , ऐसे िविन चय या आदे श के सं सूिचत कए
जाने क तारीख से [साठ दन के भीतर] [आयु त (अपील)] को अपील कर सके गा :
4 2
[परं तु यद आयु त (अपील), का यह समाधान हो जाता है क अपीलाथ को पया त कारण से पूव त साठ दन क अविध
4
के भीतर अपील तु त करने से िनवारत कया गया था तो, वह उसे तीस दन क और अविध के भीतर पे श कए जाने क अनु ा दे
सके गा ।]
[(1 क) आयु त (अपील), कसी अपील क सु नवाई के कसी म पर, यद पया त हे तुक दशत कया जाता है , तो पकार को
5
या उनम से कसी को, समय-समय पर, समय मं जरू कर सके गा और अपील क सु नवाई को ले खब कए जाने वाले कारण से ,
थिगत कर सके गा :
पर तु यह क ऐसा कोई थगन, अपील क सु नवाई के दौरान कसी पकार को तीन से अिधक बार मं जरू नह कया जाएगा
।]
(2) इस धारा के अधीन हर अपील ऐसे प म होगी और ऐसी रीित से स यािपत क जाएगी जो इस िनिम बनाए गए
िनयम ारा िविनद ट क जाए ।
128 क. अपील म यां —(1) [आयु त (अपील)], अपीलाथ को, यद वह ऐसी वांछा करे तो सु नवाई का अवसर दे गा ।
2
(2) [आयु त (अपील)] अपील क सु नवाई म, अपीलाथ को अपील के कसी ऐसे आधार पर जो अपील के आधार म
2
िविनद ट नह है , चचा करने क अनु ा उस दशा म दे सके गा िजसम [आयु त (अपील)] का समाधान हो जाता है क अपील के
2
क गई है , उसक पुि ट, उसका उपां तरण या उसे बाितल करते ए ऐसा आदे श परत करे गा, जो वह यायसं गत और उिचत समझे :]
पर तु अिधहरण के बदले म कसी शाि त या जु माने म वृि करने वाला या अिधक मू य के माल का अिधहरण करने
वाला या ितदाय क रकम को कम करने वाला कोई आदे श तब तक नह कया जाएगा जब तक क अपीलाथ को थािपत आदे श
के िव हे तुक दशत करने का युि तयु कत अवसर नह दे दया जाता है :
पर तु यह और भी क जहां [आयु त (अपील)] क यह राय है क कोई शु क उद्गृहीत नह कया गया है या कम उद्गृहीत
2
कया गया है या भूल से ितदाय कर दया गया है वहां अनु गृहीत या कम उद्गृहीत या भूल से ितदाय कए गए शु क का
सं दाय करने क अपीलाथ से अपे ा करने वाला कोई आदे श तब तक नह दया जाएगा जब तक क अपीलाथ को थािपत आदे श के
िव हे तुक दशत करने के िलए सूचना धारा 28 म िविनद ट समय क परसीमा के अ दर नह दे दी जाती ।
(4) [आयु त (अपील)] का अपील िनपटाने वाला आदे श िलिखत प म होगा और उसम अवधारण के िलए न
2
ािधकारी [सीमाशु क धान मु य आयु त या सीमा मु य आयु त] और [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] को
8 8
1
1980 के अिधिनयम सं ० 44 क धारा 50 और पांचव अनु सचू ी ारा (11-10-1982 से ) अ याय 15 के थान पर ित थािपत
। 1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “कल टर (अपील)” के थान पर ित थािपत ।
2
3
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
4
2001 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 109 ारा ित थािपत ।
5
2004 के अिधिनयम सं ० 68 क धारा 68 ारा अं त: थािपत ।
6
2001 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 110 ारा ित थािपत ।
7
2001 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 110 ारा अं त: थािपत ।
8
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
9
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 119 ारा ित थािपत ।
62
[(2) याियक सद य ऐसा यि त होगा जो भारत के रा ये म कम से कम दस वष तक याियक पद धारण कर चु का है
1
कया है ।]
4
[(3) क ीय सरकार,—
(क) ऐसे यि त को, जो कसी उ च यायालय का यायाधीश है या रह चु का है , या
(ख) अपील अिधकरण के कसी सद य को,
उसका अ य िनयु त करे गी । ]
(4) के ीय सरकार अपील अिधकरण के एक या अिधक सद य को, यथाि थित, उसका उपा य या उसके उपा य के प
म िनयु त कर सके गी ।
5
* * * * *
(5) [कोई उपा य] अ य क ऐसी शि तय का योग और ऐसे कृ य का िनवहन करे गा जो उसे अ य ारा साधारण या
2
िविन चय या आदे श ;
(ख) धारा 128 क के अधीन [आयु त (अपील)] ारा दया गया आदे श ;
9
(ग) धारा 128 के अधीन जै सी वह िनयत दन के ठीक पहले थी, बोड या [सीमाशु क (अपील) आयु त]
3
(घ) िनयत दन के पहले या प चात् धारा 130 के अधीन, जै सी वह उस दन के ठीक पहले थी, बोड या
[सीमाशु क धान आयु त या सीमशु क आयु त] ारा दया गया आदे श :
1
[पर तु खं ड (ख) म िनद ट कसी आदे श क बाबत अपील अिधकरण को कोई अपील नह हो सके गी और अपील
2
अिधकरण को ऐसी अपील के िविन चय करने क अिधकारता नह होगी यद ऐसा आदे श,—
(क) याी सामान के प म आयात या िनयात कए गए कसी माल के सं बंध म है ;
(ख) भारत म आयात के िलए कसी वहण म लादे गए कसी माल के सं बंध म है जो भारत म उनके ग त य
थान पर उतारे नह जाते ह या यद ग त य थान पर जो माल उतारा जाता है वह उस ग त य थान पर उतारे जाने के
िलए अपेित परमाण से कम है तो, ऐसे माल के उतने परमाण के सं बंध म है जो ऐसे ग त य थान पर उतारा नह
जाता है ;
(ग) अ याय 10 म और उसके अधीन बनाए गए िनयम म उपबं िधत वापसी के सं दाय के सं बंध म है :
पर तु यह और क] अपील अिधकरण विववे कानु सार ख ड (ख) या ख ड (ग) या ख ड (घ) म िनद ट आदे श क बाबत
अपील हण करने से इ कार कर सके गा, जहां —
(i) धारा 125 के अधीन अिधहरण के बदले म जु माना दे ने का िवक प माल के वामी को दए िबना
अिधहरण कए गए माल का मू य ; या
(ii) कसी िववाद त मामले म जो ऐसे मामले से िभ न है , जहां िनधारण के योजन के िलए सीमाशु क
क दर या माल के मू य के स ब ध म कसी न का अवधारण िववा है या िववा बात म से एक है वहां अ तविलत शु
क का अ तर या अ तविलत शु क ; या
(iii) ऐसे आदे श ारा अवधारत जु माने या शाि त क रकम, [दो लाख पए] से अिधक नह है ।
3
[(1 क) उपधारा (1) के पहले पर तु क म िनद ट कृि त के आदे श के िव ये क अपील जो िव अिधिनयम, 1984 क
4
धारा 40 के ार भ से ठीक पहले अपील अिधकरण के सम लि बत है और ऐसी अपील से उभूत होने वाला या उससे सं बंिधत
ये क मामला जो इस कार लि बत है , ऐसे ार भ पर के ीय सरकार को अं तरत हो जाएगा और के ीय सरकार ऐसी अपील
या मामले को धारा 129 घघ के अधीन इस कार िनपटा सके गी मानो ऐसी अपील या मामला आवे दन हो या उस धारा के
अधीन उसे कए गए आवे दन से उभूत होने वाला मामला हो ।]
[(1 ख) (i) बोड, [आदे श ारा] ऐसी सिमितय का गठन कर सके गा जो इस अिधिनयम के योजन के िलए आव यक ह ।
5 3
(ii) खं ड (i) के अधीन गठत ये क सिमित, यथाि थित, दो मु य सीमाशु क आयु त या दो सीमाशु क आयु त से
िमलकर बने गी ।]
[(2) [यद [सीमाशु क आयु त क सिमित] क यह राय है क धारा 128 के अधीन जै सी वह िनयत दन के ठीक पहले
6 7 8
थी, सीमाशु क अपील आयु त या [आयु त (अपील)] ारा धारा 128 क के अधीन दया गया आदे श िविधमा य या उिचत नह
9
है तो वह [उसक ओर से ] उस ओदश के िव अपील अिधकरण को अपील करने का उिचत अिधकारी को िनदे श दे सके गा :
7
[परं तु जहां सीमाशु क के आयु त क सिमित क राय आयु त (अपील) के आदे श केि व अपील के सं बंध म िभ न है , वहां वह
10
ऐसे न या न को किथत करे गी, िजन पर उनक राय िभ न है और सीमाशु क के अिधकारता सं बंधी मु य आयु त को
िनदश करे गी, जो आदे श के त य पर िवचार करने के प चात्, यद उसक यह राय है क आयु त (अपील) ारा पारत कया
गया आदे श वै ध या उिचत नह है तो समुिचत अिधकारी को ऐसे आदे श के िव अपील अिधकरण म अपील करने का िनदे श
दे गा ।
प टीकरण—इस उपधारा के योजन के िलए, “अिधकारता सं बंधी मु य आयु त” से वह सीमाशु क मु य आयु त
अिभे त है िजसक उस िवषय म यायिनणयक ािधकारी पर अिधकारता है ।]
1
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
2
1984 के अिधिनयम सं ० 21 क धारा 40 ारा पर तु क के थान पर ित थािपत ।
3
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 86 ारा ित थािपत ।
4
1984 के अिधिनयम सं ० 21 क धारा 40 ारा अं त: थािपत ।
5
2005 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 70 ारा अं त: थािपत ।
6
1986 के अिधिनयम सं ० 62 क धारा 34 के वतत होने पर उपधारा (2) उस अिधिनयम क धारा 34 म िनदेिशत प म ित थािपत हो जाएगी उस अिधिनयम क
धारा 34 का पाठ परिश ट म देिखए ।
7
2005 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 70 ारा ित थािपत ।
8
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
9
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “कल टर (अपील)” के थान पर ित थािपत ।
10
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 71 ारा अं त: थािपत ।
64
(3) इस धारा के अधीन हर अपील उस तारीख से तीन मास के भीतर दािखल क जाएगी िजसको वह आदे श िजसके
ू रे पकार को
िव अपील क जानी है , यथाि थित, [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] या अपील करने वाले दस
1
िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद ट क जाए और शु क और याज क मां ग क या उस शाि त के उद्हण क, िजसके
सं बंध म अपील क गई है , तारीख का िवचार कए िबना, उसके साथ,—
(क) जहां कसी सीमाशु क अिधकारी ारा मां गे गए शु क और याज तथा उद्गृहीत शाि त क रकम, ऐसे
मामले म, िजससे अपील सं बंिधत है , पांच लाख पए या उससे कम है , वहां एक हजार पए क फस होगी ;
(ख) जहां कसी सीमाशु क अिधकारी ारा मां गे गए शु क, और याज तथा उद्गृहीत शाि त क रकम, ऐसे
मामले म, िजससे अपील सं बंिधत है , पांच लाख पए से अिधक है कतु पचास लाख पए से अिधक नह है , वहां पांच
हजार पए क फस होगी ;
(ग) जहां सीमाशु क अिधकारी ारा मां गे गए शु क और याज तथा उद्गृहीत शाि त क रकम, ऐसे मामले
म, िजससे अपील सं बंिधत है , पचास लाख पए से अिधक है , वहां दस हजार पए क फस होगी :
परं तु उपधारा (2) म िनद ट कसी अपील या उपधारा (4) म िनद ट याेप के ापन क दशा म, ऐसी कोई फस
सं देय नह होगी ।
(7) अपील अिधकरण के सम, कए गए ये क आवे दन के साथ,—
(क) *** भूल क परशुि के िलए या कसी अ य योजन के िलए कसी अपील क दशा म; या
3
या उनम से कसी को समय मं जरू कर सके गा और अपील क सु नवाई को, ले खब कए जाने वाले कारण से , थिगत कर सके गा :
पर तु यह क ऐसा कोई थगन, अपील क सु नवाई के दौरान कसी पकार को तीन से अिधक बार मं जरू नह कया जाएगा
।]
(2) अपील अिधकरण आदे श क तारीख से [छह मास] के भीतर कसी समय, उपधारा (1) के अधीन अपने ारा दए
5
गए कसी आदे श का सं शोधन, कसी ऐसी भूल को ठीक करने क दृि ट से कर सके गा जो अिभले ख से कट है और यद उस भूल
क ओर
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 69 ारा ित थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 86 ारा लोप कया गया ।
4
2004 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 70 ारा अं त: थािपत ।
5
2002 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 127 ारा ित थािपत ।
65
करे गा :
ू रे पकार
पर तु ऐसा सं शोधन, िजसके परणाम वप िनधारण म वृि होती है या ितदाय म कमी हो जाती है या दस
का दािय व अ यथा बढ जाता है , इस उपधारा के अधीन तब तक नह कया जाएगा जब तक क अपील अिधकरण ने उसे ऐसा
करने के अपने आशय क सूचना न दे दी हो और उसे सु नवाई का युि तय त अवसर न दे दया हो ।
[(2 क) अपील अिधकरण, जहां ऐसा करना सं भव हो, ये क अपील का िविन चय, उस तारीख से , िजसको ऐसी
2
बै ठकर, ऐसे कसी मामले का िनपटारा कर सके गा जो ऐसे यायपीठ को आबं टत कया गया है िजसका वह सद य है , जहां
—
(क) धारा 125 के अधीन अिधहरण के बदले म जु माने का सं दाय करने का िवक प माल के वामी को दए
िबना अिधहरण कए गए माल का मू य ; या
(ख) कसी िववाद त मामले म जो ऐसे मामले से िभ न है िजसम िनधारण के योजन के िलए
सीमाशु क क दर या माल के मू य से स बि धत कसी न का अवधारण िववा है , या िववा बात म से एक है , अ
तविलत शु क का अ तर या अ तविलत शु क ; या
(ग) अ तविलत जु माने या शाि त क रकम,
[पचास लाख पए] से अिधक नह है ।
7
[(5) यद यायपीठ के सद य म कसी िवषय पर मतभे द है तो उस िवषय का िविन चय, यद कोई बमत है तो
8
बमत क राय के अनु सार कया जाएगा, कतु यद सद य के मत बराबर ह तो वे उस िवषय या उन िवषय का, िजन पर उनके
बीच मतभे द है , उ ले ख करगे और उसे अ य को िनद ट करगे । अ य उस िवषय या उन िवषय पर या तो वयं सु नवाई
करे गा या ऐसे िवषय या िवषय को अपील अिधकरण के एक या अिधक अ य सद य ारा सु नवाई के िलए िनद ट
करे गा तथा ऐसे िवषय या िवषय का िविन चय उन सद य के बमत के अनु सार कया जाएगा िज हने उस मामले को
सु ना है , िजनके अ तगत वे सद य भी हगे िज हने थमत: उस मामले को सु ना था ।]
(6) इस अिधिनयम के उपब ध के अधीन रहते ए अपील अिधकरण को वयं अपनी या का तथा अपनी शि तय के
योग या अपने कृ य के िनवहन से उभूत होने वाले सब िवषय म अपने यायपीठ क या का िविनयमन करने क शि त होगी
िजसके अ तगत वे थान भी ह, जहां यायपीठ अपनी बै ठक करे गी ।
(7) अपील अिधकरण को, अपने कृ य का िनवहन करने के योजन के िलए वे सब शि तयां ा त हगी जो
िसिवल या सं िहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन िन निलिखत िवषय क बाबत वाद का िवचारण करते समय
यायालय म िनिहत होती ह, अथात् :—
(क) कटीकरण और िनरीण ;
1
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
2
2002 के अिधिनयम सं ० 20 क धारा 127 ारा अं त: थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 87 ारा लोप कया गया ।
4
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
5
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 65 ारा “उपधारा (3) और उपधारा (4)” के थान पर ित थािपत ।
6
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 65 ारा उपधारा (3) का लोप कया गया ।
7
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 77 ारा ित थािपत ।
8
1990 के अिधिनयम सं ० 12 क धारा 62 ारा उपधारा (5) के थान पर ित थािपत ।
66
त क सिमित], वे रणा से , कसी ऐसी कायवाही का अिभले ख, िजसम [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] ने
2
यायिनणायक ािधकारी के प म इस अिधिनयम के अधीन कोई िविन चय या आदे श दया है , ऐसे िविन चय या आदे श क
वै धता या औिच य के बारे म अपना समाधान करने के योजन के िलए मं गा सकता है और उसक परीा कर सकता है और
आदे श
ारा [ऐसे [आयु त या कसी अ य आयु त को] यह िनदे श दे सकता है क वह ऐसे िविन चय या आदे श से उभूत होने वाले
4 5
ऐसे न का अवधारण कराने के िलए अपील अिधकरण को आवे दन करे जो [मु य सीमाशु क आयु त क सिमित] ारा अपने
2
औिच य के बारे म िभ न है , वहां वह ऐसे न या न को किथत करे गी िजन पर उनक राय िभ न है और बोड को िनदश
करे गी, जो सीमाशु क आयु त ारा कए गए िविन चय या पारत आदे श के त य पर िवचार करने के प चात् यद उसक यह
राय है क सीमाशु क आयु त ारा दया गया िविन चय या पारत आदे श वै ध या उिचत नह है तो वह आदे श ारा ऐसे आयु त
या कसी अ य
आयु त को यह िनदे श दे सके गा क वह उस िविन चय या आदे श से उभूत होने वाले ऐसे न के अवधारण के िलए अपील
अिधकरण को आवे दन करे , जो उसके आदे श म िविनद ट कए जाएं ।]
(2) [सीमाशु क धान आयु त या सीमाशु क आयु त], वे रणा से , कसी ऐसी कायवाही का अिभले ख, िजसम उसके अधीन थ
2
कसी यायिनणायक ािधकारी ने इस अिधिनयम के अधीन कोई िविन चय या आदे श दया है , ऐसे िविन चय या आदे श क
वै धता या औिच य के बारे म अपना समाधान करने के योजन के िलए, मं गा सकता है और उसक परीा कर सकता है और
[आदे श 7
ारा ऐसे ािधकारी या उसके अधीन थ कसी सीमाशु क अिधकारी को] यह िनदे श दे सकता है क वह ऐसे िविन चय या
आदे श से उभूत होने वाले ऐसे न का अवधारण कराने के िलए [आयु त (अपील)] को आवे दन करे जो [सीमाशु क धान आयु
8 2
आदे श क सं सच
ू ना क तारीख से तीन मास क अविध के भीतर कया जाएगा :]
10
[परं तु बोड, दशत कए गए पया त कारण से , उ त अविध को और तीस दन के िलए बढ़ा सके गा ।]
[(4) जहां उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन कसी आदे श के अनु सरण म, यायिनणायक ािधकारी या [सीमाशु
11 2
क धान आयु त या सीमाशु क आयु त] ारा इस िनिम ािधकृ त कोई सीमाशु क अिधकारी, अपील अिधकरण को या [आयु 8
त (अपील)] को उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन आदे श के यायिनणायक ािधकारी को सं सूिचत कए जाने क तारीख से
[एक मास] क अविध के भीतर कोई आवे दन करता है वहां ऐसा आवे दन, यथाि थित, अपील अिधकरण या [आयु त (अपील)]
12 8
ारा इस कार सु ना जाएगा मानो ऐसा आवे दन यायिनणायक ािधकारी के िविन चय या आदे श के िव क गई अपील हो
और इस अिधिनयम क अपील क बाबत उपबं ध, िजनके अ तगत धारा 129 क क उपधारा (4) के उपबं ध भी ह, जहां तक हो
सके, ऐसे आवे दन को लागू हगे ।
1
1986 के अिधिनयम सं ० 62 क धारा 34 के वृ होने पर धारा 129 घ उस अिधिनयम क धारा 34 म िनदेिशत प म संशोिधत हो जाएगी ।
उस अिधिनयम क धारा 34 का पाठ परिश ट म देिखए ।
2
2014 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
3
2005 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 71 ारा ित थािपत ।
4
2001 के अिधिनयम सं ० 14 क धारा 11 ारा ित थािपत ।
5
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
6
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 72 ारा अं त: थािपत ।
7
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 29 ारा ित थािपत ।
8
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “कल टर (अपील)” के थान पर ित थािपत ।
9
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 72 ारा ित थािपत ।
10
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 88 ारा अं त: थािपत ।
11
1986 के अिधिनयम सं ० 62 क धारा 34 के वृ होने पर उपधारा (4) उस अिधिनयम क उपधारा 34 म िनदेिशत प म संशोिधत हो जाएगी ।
उस अिधिनयम क धारा 34 का पाठ परिश ट म देिखए ।
12
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 111 ारा ित थािपत ।
67
[(5) इस धारा के उपबं ध कसी ऐसे िविन चय या आदे श को लागू नह हगे िजसम कसी ऐसे न का अवधारण
1
[129 घघ. के ीय सरकार ारा पु नरीण—(1) के ीय सरकार, धारा 128 क के अधीन पारत आदे श ारा यिथत
3
यि त के आवे दन पर, जहां ऐसा आदे श धारा 129 क क उपधारा (1) के पहले पर तु क म िनद ट कृ ित का आदे श है वहां ऐसे
आदे श को बाितल या उपा तरत कर सके गी :
[परं तु क ीय सरकार अपने िववे कानु सार कसी आदे श क बाबत आवे दन वहां हण करने से इं कार कर सके गी जहां
4
ऐसे आदे श ारा अवधारत शु क, जु माना या शाि त क रकम पांच हजार पए से अिधक नह है ।]
प टीकरण—इस उपधारा के योजन के िलए, “धारा 128 क के अधीन पारत आदे श” के अं तगत िव अिधिनयम,
1984 (1984 का 21) क धारा 40 के ार भ के पूव उस धारा के अधीन पारत ऐसा आदे श है िजसके िव ऐसे ार भ के पूव
अपील नह क गई है और यद उ त धारा वृ न ई होती तो, ऐसी अपील ऐसे ार भ के प चात् अपील अिधकरण को क जा
सकती थी ।
[(1 क) सीमाशु क आयु त, यद उसक यह राय है क धारा 128 क के अधीन आयु त (अपील) ारा पारत आदे श वै ध
4
या उिचत नह है , समुिचत ािधकारी को ऐसे आदे श के पु नरीण के िलए कीय सरकार को अपनी ओर से आवे दन करने का
िनदे श दे सके गा ।]
पर तु यद के ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है क आवदे क पया त कारण से पूव त तीन मास क अविध के
भीतर आवे दन पे श करने से िनवारत रहा था तो वह तीन मास क अितर त अविध के भीतर उसे पे श करने क अनु ा दे सके गी
।
[(3) उपधारा (1) के अधीन आवे दन ऐसे प म होगा और ऐसी रीित से स यािपत कया जाएगा जो इस िनिम बनाए
5
(क) जहां कसी सीमाशु क अिधकारी ारा ऐसे मामले म, िजससे आवे दन का सं बंध है , मां गे गए शु क
और याज, उद्गृहीत जु माने या शाि त क रकम एक लाख पए या उससे कम है , वहां दो सौ पए ;
(ख) जहां कसी सीमाशु क अिधकारी ारा ऐसे मामले म, िजससे आवे दन का सं बंध है , मां गे गए शु क
और याज, उद्गृहीत जु माने या शाि त क रकम एक लाख पए से अिधक है , वहां एक हजार पए :
परं तु ऐसी कोई फस उपधारा (1 क) म िनद ट आवे दन क दशा म सं देय नह होगी ।]
(4) के ीय सरकार वे रणा से उपधारा (1) म िनद ट आदे श को बाितल या उपा तरत कर सके गी ।
1
1988 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 4 ारा (वतत होने पर) अं त: थािपत ।
2
सीमाशु क और के ीय उ पाद-शु क िविध (िनरसन) अिधिनयम, 2004 (2004 का 25) ारा लोप कया गया ।
3
1984 के अिधिनयम सं ० 21 क धारा 43 ारा अं त: थािपत ।
4
1999 के अिधिनमय सं ० 27 क धारा 110 ारा अं त: थािपत ।
5
1999 के अिधिनमय सं ० 27 क धारा 110 ारा ित थािपत ।
68
(5) अिधहरण के बदले म शाि त या जु माने म वृि करने वाला या अिधक मू य म माल का अिधहरण करने वाला कोई
आदे श,—
(क) कसी ऐसी दशा म इस धारा के अधीन पारत नह कया जाएगा, िजसम धारा 128 क के अधीन पारत
आदे श से अिधहरण के बदले म शाि त या जु माने म वृि क गई है या अिधक मू य के माल का अिधहरण कया गया है ;
और
(ख) कसी अ य दशा म इस धारा के अधीन तब तक पारत नह कया जाएगा, जब तक थािपत आदे श ारा
भािवत यि त को उसके िव हे तुक दशत करने क सूचना, बाितल या उपा तरत कए जाने वाले आदे श क तारीख से
एक वष के भीतर नही दी गई है ।
(6) जहां के ीय सरकार क यह राय है क कोई सीमाशु क उद्गृहीत नह कया गया है या कम उद्गृहीत कया गया है
वहां ऐसा शु क उद्गृहीत करने वाला या उसम वृि करने वाला कोई आदे श इस धारा के अधीन तब तक नह कया जाएगा जब
तक थािपत आदे श ारा भािवत यि त को उसके िव हे तुक दशत करने क सूचना, धारा 28 म िविनद ट समय क परसीमा
के भीतर नह दी गई है ।]
[129 ङ. अपील फाइल कए जाने के पूव मां गेगए शु क या अिधरोिपत शाि त क कितपय ितशतता का जमा कया
1
(i) धारा 128 क उपधारा (1) के अधीन तब तक कोई अपील हण नह करे गा, जब तक क अपीलाथ ने सीमाशु
क आयु त क पं ि त से िन नतर पं ि त के कसी सीमाशु क अिधकारी ारा पारत कसी िविन चय या आदे श के
अनु सरण म शु क का, उस दशा म, जहां शु क या शु क और शाि त िववाद त है साढ़े सात ितशत या शाि त को,
जहां ऐसी शाि त िववाद त है , जमा नह कर दया हो ;
(ii) धारा 129 क क उपधारा (1) के खं ड (ख) म िनद ट िविन चय या आदे श के िव तब तक कोई अपील
हण नह करे गा जब तक क अपीलाथ ने ऐसे िविन चय या आदे श के अनु सरण म, िजसके िव अपील क गई है ,
शु क का, उस दशा म, जहां शु क या शु क और शाि त िववाद त है साढ़े सात ितशत या शाि त को, जहां ऐसी
शाि त िववाद त है , जमा नह कर दया हो :]
(iii) धारा 129 क क उपधारा (1) के खं ड (ख) म िनद ट िविन चय या आदे श के िव तब तक कोई
अपील हण नह करे गा जब तक क अपीलाथ ने ऐसे िविन चय या आदे श के अनु सरण म, िजसके िव अपील क
गई है , शु क का, दस ितशत उस दशा म, जहां शु क या शु क और शाि त िववाद त है या शाि त को, जहां ऐसी
शाि त िववाद त है , जमा नह कर दया हो :
परं तु इस धारा के अधीन जमा कए जाने के िलए अपेित रकम दस करोड़ पए से अिधक नह होगी :
परं तु यह और क इस धारा के उपबं ध कसी अपील ािधकारी के सम िव (सं यांक 2) अिधिनयम, 2014 के ारं भ के
पूव लं िबत रोक सं बंधी आवे दन और अपील को लागू नह हगे ।]
[129 ङङ. धारा 129 ङ के अधीन जमा क गई रकम के िवलं िबत ितदाय पर याज—जहां धारा 129 ङ के अधीन
2
अपीलाथ ारा जमा क गई कसी रकम का अपील ािधकारी के आदे श के परणाम वप ितदाय कया जाना अपेित है , वहां
अपीलाथ को उस रकम पर ितवष पांच ितशत से अ यून और छीस ितशत से अनिधक क ऐसी दर पर, जो क ीय सरकार
ारा, राजप म अिधसूचना ारा, त समय िनयत क जाए, ऐसी रकम का सं दाय कए जाने क तारीख से ऐसी रकम का
ितदाय कए जाने क तारीख तक, याज का सं दाय कया जाएगा :
परं तु िव (सं यांक 2) अिधिनयम, 2014 के ारं भ के पूव, धारा 129 ङ के अधीन जमा क गई रकम, धारा 129 ङङ,
जै से वह उ त अिधिनयम के ारं भ के पूव िवमान थी, के उपबं ध ारा शािसत होती रहे गी ।]
* * * * * 130 ङ. उ चतम यायालय को अपील—उ चतम यायालय को अपील—
3
दए गए उ च यायालय के कसी िनणय से ऐसे मामले म हो सके गी, िजसे उ च यायालय, वे रणा से या िनणय
के पारत कए जाने के ठीक प चात् यिथत पकार ारा या उसक ओर से कए गए कसी मौिखक आवे दन पर, उ चतम
यायालय को अपील के िलए ठीक मामले के प म मािणत करता है ; या]
(ख) अपील अिधकरण ारा [रा ीय कर अिधकरण क थापना के पूव] पारत ऐसे आदे श से हो सकेगी जो
1
अिधिनयम, 2005 के ारं भ से पूव इस अिधिनयम के अधीन] उ च यायालय या उ चतम यायालय को िनदश कया गया है
या उ चतम यायालय को अपील क गई है , धारा 129 ख क उपधारा (1) के अधीन दए गए आदे श के परणाम वप सरकार को शो
य रािश इस कार कए गए आदे श के अनु सार सं देय होगी ।
131 क. ित के िलए लगे समय का अपवजन—इस अ याय के अधीन अपील या आवे दन के िलए िविनद ट
परसीमा कालाविध क सं गणना करने म, उस दन का, िजसको उस आदे श क िजसका परवाद कया गया है , तामील क गई थी
और यद अपील करने वाले या आवे दन करने वाले पकार को, तब जब आदे श क सूचना क तामील उस पर क गई थी आदे श क
ित नह दी गई थी, तो ऐसे आदे श क ित अिभा त करने के िलए अपेित समय का, अपवजन कया जाएगा ।
131 ख. कु छ लि बत कायवािहय का अ तरण और अनं ितम उपबं ध—(1) हर अपील जो िनयत दन के ठीक पहले
बोड के सम धारा 128 के अधीन, जै सी वह उस दन के ठीक पहले थी, लि बत है और ऐसी अपील से उभूत या सं स त कोई
मामला जो इस कार लं िबत है , उस दन अपील अिधकरण को अं तरत हो जाएगा और अपील अिधकरण ऐसी अपील या
मामले पर उस म से आगे कायवाही कर सके गा िजस पर वह उस दन था :
पर तु अपीलाथ यह मां ग कर सके गा क उस अपील या मामले म आगे कायवाही करने से पहले उसक फर से सु नवाई
क जाए ।
(2) हर कायवाही जो िनयत दन से ठीक पहले के ीय सरकार के सम धारा 131 के अधीन, जै सी वह उस दन के
ठीक पहले थी, लि बत है और ऐसी अपील से उभूत या सं स त कोई मामला जो इस कार लि बत है , उस दन अपील अिधकरण
को अ तरत हो जाएगा और अपील अिधकरण ऐसी कायवाही या मामले म उस म से आगे कायवाही कर सके गा िजस पर
वह उस दन था मानो ऐसी कायवाही या मामला उसके सम फाइल क गई अपील हो :
पर तु यद ऐसी कायवाही या मामला ऐसे आदे श से स बि धत है जहां :—
(क) धारा 125 के अधीन अिधहरण के बदले म जु माना दे ने का िवक प माल के वामी को दए िबना
अिधहरण कए गए माल का मू य; या
(ख) कसी िववाद त मामले म जो ऐसे मामले से िभ न है िजसम िनधारण के योजन के िलए
सीमाशु क क दर या माल के मू य से सं बंिधत कसी न का अवधारण िववा है या िववा बात म से एक है , अ
तविलत शु क के बीच अ तर या अ तविलत शु क; या
(ग) ऐसे आदे श ारा अवधारत जु माने या शाि त क रकम,
दस हजार पए से अिधक नह है , वहां ऐसी कायवाही या मामला के ीय सरकार ारा िनपटाया जाता रहे गा मानो धारा 131
ित थािपत न क गई हो :
पर तु यह और भी क आवे दक या दसू रा पकार अपील अिधकरण से यह मां ग कर सके गा क उस कायवाही या मामले
म आगे कायवाही करने के पहले उसक फर से सु नवाई क जाए ।
1
2005 के अिधिनयम सं ० 49 क धारा 30 और अनु सच
ू ी ारा अं त: थािपत ।
70
(3) हर कायवाही जो िनयत दन के ठीक पहले बोड या [सीमाशु क आयु त] के सम धारा 130 के अधीन, जै सी वह
1
उस दन के ठीक पहले थी, लि बत है और ऐसी कायवाही से उभूत या सं स त कोई मामला जो इस कार लि बत है , यथाि थित,
बोड या [सीमाशु क आयु त] ारा िनपटाया जाता रहे गा मानो उ त धारा ित थािपत न क गई हो ।
1
(4) ऐसे यि त को जो िनयत दन के ठीक पहले उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन अ तरत कसी अपील या
कायवाही म उपि थत होने के िलए ािधकृ त था, धारा 146 क म कसी बात के होते ए भी, ऐसी अपील या कायवाही के सं बंध
म अपील अिधकरण के सम उपि थत होने का अिधकार होगा ।
[131 खक. कितपय मामल म अपील का फाइल न कया जाना—(1) बोड, समय-समय पर, इस अ याय के उपबं ध के
2
अधीन सीमाशु क आयु त ारा अपील, आवे दन, पु नरीण या िनदश फाइल कए जाने का िविनयमन करने के योजन के
िलए ऐसी धनीय सीमाएं , जो वह ठीक समझे , िनयत करने वाले आदे श या अनु देश या िनदे श जारी कर सके गा ।
(2) जहां सीमाशु क आयु त ने , उपधारा (1) के अधीन जारी कए गए आदे श या अनु देश या िनदे श के अनु सरण म,
इस अिधिनयम के उपबं ध के अधीन कसी िविन चय या पारत कए गए आदे श के िव कोई अपील, आवे दन, पु नरीण या
िनदश फाइल नह कया है , वहां वह ऐसे सीमाशु क आयु त को उ ह या समान िववाक या िविध के न वाले कसी अ य
मामले म कोई अपील, आवे दन, पु नरीण या िनदश फाइल करने से िनवारत नह करे गा ।
(3) इस त य के होते ए भी उपधारा (1) के अधीन जारी कए गए आदे श या अनु देश या िनदे श के अनु सरण म
सीमाशु क आयु त ारा कोई अपील, आवे दन, पु नरीण या िनदश फाइल नह कया गया है , ऐसा कोई यि त, जो अपील,
आवे दन, पु नरीण या िनदश म पकार है , यह ितवाद नह करे गा क सीमाशु क आयु त ने अपील, आवे दन, पु नरीण या िनदश
फाइल न करके िववादत िववाक पर िविन चय म उपमित दी है ।
(4) ऐसी अपील, आवे दन, पु नरीण या िनदश क सु नवाई करने वाला [आयु त (अपील) या अपील अिधकरण या
3
यायालय] उन परि थितय को यान म रखे गा, िजनके अधीन उपधारा (1) के अधीन जारी कए गए आदे श या अनु देश या
िनदे श के अनु सरण म सीमाशु क आयु त ारा अपील, आवे दन, पु नरीण या िनदश फाइल नह कया गया था ।
(5) 20 अ तूबर, 2010 को या उसके प चात्, कतु उस तारीख से पूव, िजसको िव िवधे यक, 2011 को रा पित क
अनु मित ा त होती है , बोड ारा अपील, आवे दन, पु नरीण या िनदश फाइल करने क धनीय सीमाएं िनयत करने सं बंधी
जारी कए गए ये क आदे श या अनु देश या िनदे श को उपधारा (1) के अधीन जारी कया गया समझा जाएगा और उपधारा (2),
उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबं ध तदनु सार लागू हगे ।]
131 ग. परभाषाएं —इस अ याय म,—
(क) “िनयत दन” से िव (सं यांक 2) अिधिनयम, 1980 (1980 का 44) क पांचव अनु सच
ू ी के भाग 1 म
िनद ट इस अिधिनयम के सं शोधन के वृ होने क तारीख अिभे त है ;
4
* * * * * (ग) “अ य” से अपील अिधकरण का अ य अिभे त है ।
अ याय 16
अपराध और अिभयोजन
132. िम या घोषणा, िम या द तावे ज, आद—जो कोई सीमाशु क से सं बंिधत कसी कारबार के सं यवहार म कोई घोषणा,
कथन या द तावे ज, यह जानते ए या यह िव वास करने का कारण रखते ए क ऐसी घोषणा, कथन या द तावे ज कसी तािवक
िविशि ट म िम या है , करे गा, ह तारत करे गा या उपयोग करे गा अथवा कराएगा, ह तारत कराएगा, या उपयोग कराएगा,
वह कारावास से , िजसक अविध [दो वष] तक क हो सके गी, या जु माने से , या दोन से , द डनीय होगा ।
5
133. सीमाशु क अिधकारी को बाधा डालना—यद कोई यि त इस अिधिनयम के अधीन द शि तय का योग करने म कसी
सीमाशु क अिधकारी को साशय बाधा डाले गा, तो ऐसा यि त कारावास से , िजसक अविध [दो वष] तक क हो सकेगी, या
6
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 50 ारा अं त: थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 91 ारा ित थािपत ।
4
2005 के अिधिनयम सं ० 49 क धारा 30 और अनु सच ू ी ारा लोप कया गया ।
5
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 30 ारा ित थािपत ।
6
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 31 ारा ित थािपत ।
71
(क) धारा 103 के अधीन कसी मिज ेट ारा दए गए आदे श के अनु सार कसी िवकरण िवानी ारा
अपने शरीर क नग करने या ए स-रे िच खचने दे ने का ितरोध करे गा या उसके िलए इ कार करे गा, या
(ख) धारा 103 म यथा उपबि धत अपने शरीर के अ दर िछपाए ए अिधहरण कए जा सकने वाले माल को
बाहर लाने के िलए कसी रिज ीकृत िचक सक क सलाह पर और पयवे क के अधीन उपयु त कायवाही करने दे ने
का ितरोध करे गा या उसके िलए इ कार करे गा,
तो वह कारावास से , िजसक अविध छह मास तक क हो सके गी, या जु माने से , या दोन से , द डनीय होगा ।
135. शु क या ितषे ध का अपवं चन— [(1) इस अिधिनयम के अधीन क जा सकने वाली कसी कारवाई पर ितकू ल भाव डाले
1
(इ) ितिष माल के ऐसे वग, िज ह क ीय सरकार, राजप म अिधसूचना ारा, िविनद ट करे , या
(ई) खं ड (घ) म िनद ट शु क से कपटपूण प से वापसी या कोई छू ट ा त करना या ा त करने
का यास करना, यद शु क क वापसी या छू ट क रकम [पं चास लाख पए] से अिधक है ,
2
के अधीन कसी अपराध के िलए पु न: िसदोष ठहराया जाएगा, तो वह ितीय और प चात्वत ये क अपराध के िलए
कारावास से , िजसक अविध सात वष तक क हो सके गी और जु माने से , दं डनीय होगा :
पर तु इसके ितकू ल िवशे ष और पया त कारण के अभाव म जो यायालय के िनणय म अिभिलिखत कए जाएं गे
ऐसा कारावास [एक वष] से कम का नह होगा ।]
4
(3) उपधारा (1) और (2) के योजन के िलए िन निलिखत को [एक वष] से कम क अविध का दं डादे श अिधिनणत
4
1
2007 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 112 ारा ित थािपत ।
2
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 78 ारा ित थािपत ।
3
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 5 ारा अं त: थािपत ।
4
1978 के अिधिनयम सं ० 25 क धारा 16 ारा (1-7-1978 से ) “छह मास” के थान पर ित थािपत ।
72
और मामले क परि थितय से यह उिचत प से िन कष िनकाला जा सकता है क यद वह उसक इ छा पर अनाित परि थितय
ारा नह रोका जाता तो वह अपराध करने के अपने आशय को याि वत करने के िलए कृ त िन चय था, तो वह कारावास से ,
िजसक अविध तीन वष तक क हो सके गी, या जु माने से , या दोन से , द डनीय होगा ।
135 ख. इस अिधिनयम के अधीन िसदोष ठहराए गए यि तय के नाम, कारबार के थान, आद के कािशत करने क यायालय
क शि त—(1) जहां कोई यि त इस अिधिनयम के अधीन उसके कसी उपबं ध के उ लं घन के िलए िसदोष ठहराया जाता है ,
वहां उस यि त को िसदोष ठहराने वाला यायालय इस बात के िलए सम होगा क वह ऐसे यि त का नाम और कारबार या
िनवास का थान, उ लं घन क कृ ित, यह त य क वह यि त इस कार िसदोष ठहराया गया है और ऐसी अ य िविशि टयां
िज ह यायालय मामले क परि थितय म समुिचत समझे , ऐसे यि त के यय पर ऐसे समाचारप म या ऐसी रीित म, जो
यायालय िनद ट करे , कािशत कराए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन कोई काशन तभी कया जाएगा जब उस यायालय के आदे श के िव अपील करने क
अविध िबना अपील कए समा त हो गई है या ऐसी अपील क गई है और िनपटा दी गई है ।
(3) उपधारा (1) के अधीन काशन के यय दोषिस यि त से इस कार वसूल कए जा सक गे मानो वह यायालय ारा
अिधरोिपत जु माना है ।]
136. सीमाशु क अिधकारय ारा अपराध—(1) यद कोई सीमाशु क अिधकारी [कसी काय या बात को िजसके ारा कोई
2
कपटपूण िनयात कया जाता है या] कसी माल पर उद्हणीय सीमाशु क का या इस अिधिनयम या कसी माल क बाबत त
समय वृ कसी अ य िविध के अधीन त समय वृ कसी ितषे ध का अपवं चन होता है या हो सकता है , करने का करार करे गा या
उससे उपमत होगा या ऐसा काय या बात करने से िवरत रहे गा, उसका करना अनु ात करे गा, उसे िछपाएगा या उसके सं बंध
म मौनाकुकू ल रहे गा तो वह कारावास से , िजसक अविध [तीन वष] तक क हो सकेगी, या जु माने से , या दोन से , दं डनीय
3
होगा ।
(2) यद कोई सीमाशु क अिधकारी—
(क) यह िव वास करने का कारण रखे िबना क कसी यि त के पास ऐसे माल या द तावे ज उसके शरीर पर
िछपाई ई है , उससे अिधहरण के दायी माल को या उनसे सं ब कसी द तावे ज के िलए तलाशी ले ने क अपे ा करे गा;
या
(ख) यह िव वास करने का कारण रखे िबना क कोई यि त धारा 135 के अधीन दं डनीय अपराध का दोषी
है उसको िगरतार करे गा; या
(ग) यह िव वास करने का कारण रखे िबना क धारा 105 म िनद ट कृ ित के माल, द तावे ज या व तु एं
कसी थान म िछपाई ई ह उस थान क तलाशी ले गा या कसी अ य सीमाशु क अिधकारी को तलाशी ले ने के
िलए ािधकृ त करे गा,
तो वह कारावास से , िजसक अविध छह मास तक क हो सके गी, या जु माने से , जो एक हजार पए तक का हो सके गा, या दोन
से , दं डनीय होगा ।
(3) यद कोई सीमाशु क अिधकारी, ऐसे अिधकारी क हैिसयत म सद्भावपूवक अपने कत य का िनवहन करने के
िसवाय या त समय वृ कसी िविध के अधीन क गई अपे ा का अनु पालन करने के िसवाय, कसी माल क बाबत अपनी
पदीय हैिसयत म जानी गई िविशि टय को कट करे गा, तो वह कारावास से , िजसक अविध छह मास तक क हो सकेगी, या
जु माने से , जो एक हजार पए तक का हो सके गा, या दोन से , दं डनीय होगा ।
137. अपराध का सं ान—(1) कोई यायालय धारा 132, धारा 133, धारा 134 या [धारा 135 या धारा 135 क] के
4
1
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 6 ारा धारा 135 क और 135 ख अं त: थािपत ।
2
2003 के अिधिनयम सं ० 32 क धारा 125 ारा ित थािपत ।
3
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 7 ारा “दो वष” के थान पर ित थािपत ।
4
2006 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 32 ारा ित थािपत ।
5
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
73
[(3) इस अ याय के अधीन कसी अपराध का, कायवािहय के सं ि थत कए जाने से पूव या प चात्, अपराध के अिभयु
3
त यि त ारा [ऐसी शमन रकम और शमन क ऐसी रीित म] का, सीमाशु क आयु त ारा शमन कया जा सकेगा :
4
5
[पर तु इस उपधारा क कोई बात िन निलिखत को लागू नह होगी,—
(क) ऐसे यि त को, िजसे धारा 135 और धारा 135 क के अधीन कसी अपराध क बाबत एक बार शमन के
िलए अनु ात कया गया है ;
(ख) ऐसे यि त को, जो इस अिधिनयम के अधीन ऐसा अपराध करने का अिभयु त रहा है जो िन निलिखत
कसी अिधिनयम के अधीन भी अपराध है , अथात् :—
(i) वापक ओषिध और मन:भावी पदाथ अिधिनयम, 1985 (1985 का 61);
(ii) रासायिनक आयु ध अिभसमय अिधिनयम, 2000 (2000 का 34);
(iii) आयु ध अिधिनयम, 1959 (1959 का 54);
(iv) व य जीव (सं रण) अिधिनयम, 1972 (1972 का 53);
(ग) ऐसे यि त को, जो िन निलिखत कसी के अं तगत आने वाले माल क तर क म सं िल त है , अथात् :—
(i) ऐसे माल, जो िवदे श यापार (िवकास और िविनयमन) अिधिनयम, 1992 (1992 का 22)
क धारा 5 के अधीन जारी क गई, समय-समय पर यथा सं शोिधत िवदे श यापार नीित क आयात और
िनयात मद के आईटीसी (एचएस) वगकरण क अनु सच ू ी 2 (िनयात नीित) के परिश ट 3 म िवशे ष
रसायन, अं ग, सामिय, उप कर और ौोिगक क सूची म िविनद ट ह;
(ii) ऐसे माल, जो िवदे श यापार (िवकास और िविनयमन) अिधिनयम, 1992 (1992 का 22)
क धारा 5 के अधीन जारी क गई, समय-समय पर यथा सं शोिधत िवदे श यापार नीित क आयात और
िनयात मद के आईटीसी (एचएस) वगकरण म आयात और िनयात के िलए ितिष मद के प म
िविनद ट ह;
(iii) ऐसे कोई अ य माल या द तावे ज, िजनसे कसी िवदे शी रा य के साथ मै ीपूण सं बंध पर
भाव पड़ने क सं भावना है या जो रा ीय स मान के िलए अनादर सूचक ह;
(घ) ऐसे यि त को, िजसे एक करोड़ पए से अिधक मू य के माल क बाबत कसी अपराध के िलए इस अ
याय के अधीन एक बार शमन के िलए अनु ात कया गया है ;
(ङ) ऐसे यि त को, िजसे 30 दसं बर, 2005 को या उसके प चात् इस अिधिनयम के अधीन दोषिस ठहराया
गया है ।]
138. अपराध का सं ेपत: िवचारण—द ड या सं िहता, 1898 (1898 का 5) म कसी बात के होते ए भी, [धारा 135
6 7
क उपधारा (1) के खं ड (i) के अधीन या उस धारा क उपधारा (2) के अधीन] दं डनीय अपराध से िभ न इस अ याय के अधीन
अपराध का मिज ेट ारा सं ेपत: िवचारण कया जा सकता है ।
[138 क. सदोष मन:ि थित क उपधारणा—(1) इस अिधिनयम के अधीन कसी ऐसे अपराध के अिभयोजन म
8
िजसम अिभयु त क सदोष मन:ि थित क अपे ा है , यायालय ऐसी मन:ि थित क िवमानता क उपधारणा करे गा, क तु
अिभयु त के िलए इस त य का सािबत करना ितरा होगी क उस अिभयोजन म अपराध के प म आरोिपत काय क बाबत
उसक ऐसी मन:ि थित नह थी ।
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
3
2004 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 71 ारा अं त: थािपत ।
4
2009 के अिधिनयम सं ० 33 क धारा 89 ारा ित थािपत ।
5
2009 के अिधिनयम सं ० 33 क धारा 89 ारा अं त: थािपत ।
6
अब दं ड या सं िहता, 1973 (1974 का 2) देिखए ।
7
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 8 ारा “धारा 135 के खं ड (i) के अधीन” के थान पर ित थािपत ।
8
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 9 ारा धारा 138 क और 138 ख अं त: थािपत ।
74
प टीकरण—इस धारा म, “सदोष मन:ि थित” के अं तगत आशय हे तु, कसी त य का ान, और कसी त य म िव वास या
िव वास करने का कारण है ।
(2) इस धारा के योजन के िलए, कोई त य सािबत आ तभी कहा जाएगा, जब यायालय यह िव वास करता है क
वह उिचत सं देह से परे िवमान है और केवल इस कारण नह क उसक िवमानता अिधसं भा यता क बलता के आधार पर िस
ई है ।
138 ख. कु छ परि थितय म कथन क सु संगित—(1) इस अिधिनयम के अधीन कसी जांच या कायवाही के दौरान सीमाशु क के
कसी राजपित अिधकारी के सम कसी यि त ारा कया गया और ह तारत कथन, इस अिधिनयम के अधीन कसी अपराध के
अिभयोजन म, उसम अं तव ट त य क स चाई को सािबत करने के योजन के िलए सु संगत होगा,—
(क) जब वह यि त िजसने कथन कया है , मर गया है या वह िमल नह सकता है या वह सा य दे ने के
िलए असमथ है , या वह ितपी ारा िवलग रखा जाता है या िजसक उपि थित ऐसे िवलं ब या यय के
िबना नह कराई जा सकती है जो मामले क परि थितय म यायालय अयुि तयु त समझता है ; या
(ख) जब उस यि त क, िजसने कथन कया है , यायालय के सम मामले म साी के प म परीा क जाती है
और यायालय क यह राय है क, मामले क परि थितय को यान म रखते ए, कथन को सा य म हण करना याय के
िहत म होगा ।
(2) उपधारा (1) के उपबं ध, जहां तक हो सके, इस अिधिनयम के अधीन, यायालय के सम होने वाली कायवाही से
िभ न, कसी कायवाही के सं बंध म, उसी कार लागू हगे , जै से वे यायालय के सम होने वाली कसी कायवाही के सं बंध म लागू
होते ह ।]
[138 ग. सू म-फ म, द तावे ज क अनुिलिप ितय और क यूटर ट आउट क, द तावे ज के प म और सा य के प म
1
ाता—(1) त समय वृ कसी अ य िविध म कसी बात के होते ए भी िन निलिखत को भी, अथात् :—
(क) कसी द तावे ज क सू म-फ म या ऐसी सू म-फ म (चाहे वधत प म हो या नह) म सि निव ट ितकृि त
या ितकृि तय का पु न तु तीकरण; या
(ख) कसी द तावे ज क अनुिलिप ित; या
(ग) कसी द तावे ज म अं तव ट और कं यूटर से तै यार क गई मु त सामी म (िजसे इसम इसके प चात् “कं
यूटर ट आउट” कहा गया है ) अं तव ट कोई कथन, यद उपधारा (2) और इस धारा म अं तव ट अ य उपबं ध म वणत
शत नगत कथन और कं यूटर ट आउट के सं बंध म पूरी हो जाती ह,
इस अिधिनयम और उसके अधीन बनाए गए िनयम के योजन के िलए, द तावे ज समझा जाएगा और उनके अधीन क गई
कसी कायवाही म, कसी अितर त सबूत के िबना या मूल को पे श कए िबना, मूल क कसी अं तव तु के या उसम किथत कसी
त य के सं बंध म, िजसका य सा य ा होता, सा य के प म होगा ।
(2) कसी कं यूटर ट आउट के सं बंध म उपधारा (1) म िनद ट शत िन निलिखत हगी, अथात् :—
(क) कथन वाला कं यूटर ट आउट, कं यूटर से उस अविध के दौरान तै यार कया गया था जब कं यूटर का, ऐसे यि
त ने िजसका कं यूटर के योग पर िविधपूण िनयं ण है , उस अविध के दौरान िनयिमत प से कए गए क ह
याकलाप के योजन के िलए जानकारी के या सं हण आले खन के िलए, िनयिमत प से योग कया गया था;
(ख) उ त अविध के दौरान, कं यूटर को उ त याकलाप के सामा य अनु म म, कथन म अं तव ट कार क या उस
कार क जानकारी; िजससे इस कार अं तव ट जानकारी ा त क गई है , िनयिमत प से दी गई थी;
(ग) उ त अविध के सम त अिधकतर भाग म, कं यूटर ठीक से चल रहा था, या यद ऐसा नह था तो वह
िवषय िजस िवषय म वह ठीक से नह चल रहा था या उस अविध का वह भाग िजसके दौरान वह बं द था,
ऐसा नह था िजससे द तावे ज के तु तीकरण दर या अं तव तु क शु ता भािवत होती; और
(घ) कथन म अं तव ट जानकारी, पु न: तु त क जाती है या कं यूटर को उ त याकलाप के सामा य अनु म म
क गई जानकारी को पु न: तु त करती है या उससे ली गई है ।
(3) जहां कसी अविध म, उपधारा (2) के खं ड (क) म यथावणत उस अविध के दौरान िनयिमत प से कए गए क ह
याकलाप के योजन के िलए, जानकारी के सं हण या आले खन का कृ य िनयिमत प से , कं यूटर ारा, चाहे —
(क) उस अविध के दौरान चल रहे कं यूटर के सं योजन से ; या
(ख) उस अविध के दौरान उरवतन म चलने वाले िविभ न कं यूटर से ; या
(ग) उस अविध के दौरान उरवतन म चलने वाले कं यूटर के िविभ न सं योजन से ; या
1
1988 के अिधिनयम सं ० 29 क धारा 6 ारा (1-7-1988 से ) अं त: थािपत ।
75
1
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 10 ारा धारा 139 के थान पर ित थािपत ।
76
(ग) खं ड (i) के अं तगत आने वाले मामले म जब तक ितकू ल सािबत न कया जाए यह उपधारणा भी करे गा
क ऐसी द तावे ज क अं तव तु स य है ।]
[ प टीकरण—इस धारा के योजन के िलए “द तावे ज” के अं तगत ऐसी तािलका, फोटोिच और सूिचयां ह िज ह
1
मिज ेट ारा धारा 110 क उपधारा (1 ग) के अधीन मािणत कया गया है ।]
140. क पिनय ारा अपराध—(1) यद इस अ याय के अधीन कसी अपराध को करने वाला यि त कं पनी है तो ये क यि त जो
उस अपराध के कए जाने के समय उस कंपनी के कारबार के सं चालन के िलए उस कं पनी का भारसाधक और उसके ित
उरदायी था और साथ ही वह कं पनी भी ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएं गे तथा तदनु सार अपने िव कायवाही कए जाने और
दं िडत कए जाने के भागी हगे :
पर तु इस उपधारा क कोई बात कसी ऐसे यि त को इस अ याय म उपबं िधत दं ड का भागी नह बनाएगी यद वह
यह सािबत कर दे ता है क अपराध उसक जानकारी के िबना कया गया था या उसने ऐसे अपराध के कए जाने का िनवारण
करने के िलए सब स यक् त परता बरती थी ।
(2) उपधारा (1) म कसी बात के होते ए भी, जहां इस अ याय के अधीन कोई अपराध कसी कं पनी ारा कया गया हो
तथा यह सािबत हो क वह अपराध कं पनी के कसी िनदे शक, बं धक, सिचव या अ य अिधकारी क स मित या मौनानु कू लता से
कया गया है या अपराध का कया जाना उसक कसी उपे ा के कारण आ माना जा सकता है , वहां ऐसा िनदे शक, बं धक, सिचव
या अ य अिधकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा तथा तदनु सार अपने िव कायवाही कए जाने और दं िडत कए
जाने का भागी होगा ।
प टीकरण—इस धारा के योजन के िलए,—
(क) “क पनी” से कोई िनगिमत िनकाय अिभे त है और इसके अं तगत फम या यि टय का अ य सं गम
भी है ; तथा (ख) फम के सं बंध म “िनदे शक” से उस फम का भागीदार अिभे त है ।
[140 क. द ड या सं िहता, 1898 क धारा 562 और अपराधी परवीा अिधिनयम, 1958 का लागू होना—(1) द ड या
2 3
सं िहता, 1898 (1898 का 5) क धारा 562 क या अपराधी परवीा अिधिनयम, 1958 (1958 का 20) क कोई बात इस अिधिनयम
के अधीन कसी अपराध के िलए दोषिस यि त को लागू नह होगी जब तक वह यि त अठारह वष से कम आयु का न हो ।
(2) धारा 135 क उपधारा (3) म कसी बात के होते ए भी, उपधारा (1) के उपब ध भावी हगे ।]
अ याय 17
कण
141. सीमाशु क े म वहण और माल का सीमाशु क अिधकारय के िनयं ण के अधीन होना— [(1)] कसी सीमाशु क े म
4
सभी वहण और माल, इस अिधिनयम के उपब ध को वृ करने के योजन के िलए, सीमाशु क अिधकारय के िनयं ण के अधीन
हगे ।
[(2) आयाितत या िनयात माल को कसी सीमाशु क े म ऐसी रीित म, जो िविहत क जाए, ा त, भं डारत, परद,
5
ेिषत या अ यथा सं भाला जा सके गा और पूव त याकलाप म लगे यि तय के उरदािय व वे हगे जो िविहत कए जाएं ।]
142. सरकार को शो य रािशय क वसूली—(1) [जहां इस अिधिनयम के अधीन कसी यि त ारा सं देय कोई रािश] [िजसके
6 7
अ तगत धारा 28 ख के अधीन के ीय सरकार के जमाखाते म सं द कए जाने के िलए अपेित रकम भी है ] सं द नह क जाती है ,
वहां ,—
(क) उिचत अिधकारी ऐसे यि त को दे य धन म से जो उस उिचत अिधकारी के या कसी अ य सीमाशु क
अिधकारी के िनयं ण के अधीन है इस कार सं देय रकम को काट सकता है या कसी अ य सीमाशु क अिधकारी से
काटने क अपे ा कर सकता है ; या
1
1985 के अिधिनयम सं ० 80 क धारा 11 ारा अं त: थािपत ।
2
1973 के अिधिनयम सं ० 36 क धारा 11 ारा अं त: थािपत ।
3
अब सु संगत उपबं ध के िलए द ड या सं िहता, 1973 (1974 का 2) देिखए ।
4
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 74 ारा धारा 141 को उसक उपधारा (1) के प म पु न:सं यांकत कया गया ।
5
2008 के अिधिनयम सं ० 18 क धारा 74 ारा अं त: थािपत ।
6
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 66 ारा कितपय श द के थान पर ित थािपत ।
7
2000 के अिधिनयम सं ० 10 क धारा 88 ारा अं त: थािपत ।
77
(ख) [सीमाशु क सहायक आयु त] ऐसे यि त के कसी माल को जो [सीमाशु क सहायक कल टर] या कसी
1 1
अ य सीमाशु क अिधकारी के िनयं ण के अधीन है , रोक कर और बे च कर इस कार सं देय रकम वसूल कर सकता है
या कसी अ य सीमाशु क अिधकारी से वसूल करने क अपे ा कर सकता है ; या
[(ग) यद ऐसी रकम ऐसे यि त से खं ड (क) या खं ड (ख) म उपबं िधत रीित से वसूल नह क जा सकती है तो,—
2
(i) सीमाशु क सहायक आयु त, ऐसे यि त ारा शो य रकम िविनद ट करते ए अपने ारा ह तारत माणप
तै यार करे गा और उस िजले के कल टर को भे जेगा, िजसम ऐसा यि त कसी सं पि का वामी है या
िनवास करता है या कारबार चलाता है और उ त कल टर, ऐसे माणप क ाि त पर ऐसे यि त से उसम
िविनद ट रकम वसूल करने के िलए वै से ही कायवाही करे गा मानो वह भू-राज व क बकाया हो; या
(ii) उिचत अिधकारी, सीमाशु क आयु त ारा ािधकार दए जाने पर और इस िनिम बनाए गए
िनयम के अनु सार, ऐसे यि त क या उसके िनयं ण म क कसी जं गम या थावर सं पि का कर थम् कर सके
गा और उसे तब तक िन रख सके गा जब तक सं देय रकम का सं दाय नह कर दया जाता है ; तथा यद उ त
सं देय रकम के अथवा सं पि के कर थम् या रखने के खच का कोई भाग कसी ऐसे कर थम् के ठीक प चात् तीस
दन क अविध के िलए असं द रहता है तो वह उ त सं पि का िवय करा सकेगा तथा ऐसे िवय के आगम
म से सं देय रकम और खच को, िजनके अं तगत असं द रहे िवय का खच है , चु का सके गा और अिधशे ष,
यद कोई हो, ऐसे यि त को दे दे गा :]
[पर तु यह क जहां ऐसा यि त (िजसे इसम इसके प चात् पूववत कहा गया है ), िजसके ारा इस अिधिनयम के
3
अधीन सं देय कसी रािश का, िजसके अ तगत धारा 28 ख के अधीन के ीय सरकार के जमा खाते म सं द कए जाने के
िलए अपेित रकम भी है , सं दाय नह कया गया है , अपने कारबार या यापार का पूणत: या भागत: अ तरण या अ
यथा ययन करता है अथवा उसके वािम व म कोई परवतन करता है , िजसके परणाम वप कोई अ य यि त ऐसे
कारबार या
यापार म उसका उरवत होता है , वहां इस कार उरवत होने वाले यि त क अिभरा या क जे म के सभी माल, सामी,
िनमितय, सं यं, मशीनरी, जलयान, बतन, उपकरण और व तु को भी कुक कया जा सके गा और ऐसे अ तरण या अ
यथा ययन या परवतन के समय ऐसे पूववत ारा इस कार सं देय रकम क वसूली करने के योजन के िलए, सीमाशु
क आयु त से िलिखत अनु मोदन अिभा त करने के प चात्, समुिचत अिधकारी ारा उनका िवय कया जा सके गा ;
या]
[(घ) (i) उिचत अिधकारी, िलिखत सूचना ारा कसी ऐसे अ य यि त से , िजससे ऐसे यि त को धन शो
4
ितकू ल बात के होते ए भी, इस अिधिनयम के अधीन कसी िनधारती या कसी अ य यि त ारा सं देय शु क, शाि त, याज क
कोई रकम या कोई अ य रािश, कंपनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) क धारा 529 क, बक और िवीय सं था को शो य
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 66 ारा खं ड (ग) के थान पर ित थािपत ।
3
2004 के अिधिनयम सं ० 23 क धारा 72 ारा अं त: थािपत ।
4
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 79 ारा अं त: थािपत ।
5
2011 के अिधिनयम सं ० 8 क धारा 51 ारा अं त: थािपत ।
78
ऋण वसूली अिधिनयम, 1993 (1993 का 51) तथा िवीय आि तय का ितभूितकरण और पु नगठन तथा ितभूित िहत का
वतन अिधिनयम, 2002 (2002 का 54) म यथा अ यथा उपबं िधत के िसवाय, यथाि थित, िनधारती या यि त क सं पि पर
थम भार होगी ।]
143. कुछ दशा म ब धप के िन पादन पर आयात या िनयात अनु ात करने क शि त—(1) जहां इसके पहले क कोई यि त
कसी माल का आयात या िनयात कर सके या सीमाशु क अिधकारय के िनयं ण से कसी माल क िनकासी कर सके इस
अिधिनयम या कसी अ य िविध ारा कोई बात करने क अपे ा क जाती है और [सीमाशु क सहायक आयु त] का यह समाधान
1
हो जाता है क मामले क परि थितय को यान म रखते ए, ऐसी बात ऐसे आयात, िनयात या िनकासी के पहले उस यि त का
अिहत
कए िबना नह क जा सकती है वहां [सीमाशु क सहायक आयु त] इस अिधिनयम या कसी अ य िविध म कसी बात के होते
1
ए भी, और उस यि त ारा आयात, िनयात या िनकासी के प चात् ऐसे समय के अ दर वह बात करने के िलए जो ब धप
म िविनद ट क जाए, ऐसे ितभू या ितभूित सिहत ऐसी रकम के िलए और ऐसी शत के अधीन रहते ए जो [सीमाशु क 1
सहायक आयु त] अनु मोदत करे , ब धप िन पादत कए जाने पर ऐसे आयात, िनयात या िनकासी क इजाजत दे सकता है ।
(2) यद वह बात ब धप म िविनद ट समय के अ दर कर दी जाती है तो [सीमाशु क सहायक आयु त] पूण प से उ
1
मोिचत प म ब धप को र कर सकता है और मां ग क जाने पर, उसे इस कार र करके उस यि त को दे सकता है िजसने उसे िन
पादत कया था या जो उसे पाने का हकदार है ; और ऐसी दशा म वह यि त, यथाि थित, इस अिधिनयम या ऐसी अ य िविध
म उस बात को करने से स बि धत उपब ध को उ लं घन करने के िलए कसी शाि त का दायी नह होगा ।
(3) यद वह बात ब धप म िविनद ट समय के अ दर नह क जाती है , तो [सीमाशु क सहायक आयु त] इस 1
अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध के अधीन क जा सकने वाली कसी अ य कारवाई पर ितकू ल भाव डाले िबना
ब धप पर िविध के अनु सार कायवाही करने का हकदार होगा ।
2
* * * * *
144. नमूने ले ने क शि त—(1) उिचत अिधकारी, कसी माल के वे श या िनकासी पर या जब ऐसे माल सीमाशु क े म से
होकर पास हो रहे ह उस समय कभी भी, उनके वामी क उपि थित म परीा या परीण के िलए, या उनका मू य अिभिनि चत
करने के िलए, या इस अिधिनयम के क ह अ य योजन के िलए, ऐसे माल के नमूने ले सकता है ।
(2) िजस योजन के िलए ऐसा नमूना िलया गया था उसके पूण हो जाने के प चात्, ऐसा नमूना, यद सा य हो तो
मािलक को लौटाया जाएगा, क तु यद वामी िजस तारीख को नमूना िलया गया था उससे तीन मास के अ दर नमूने का
परदान नह ले ता है , तो उसका ऐसी रीित म ययन कया जा सकता है जो [सीमाशु क आयु त] िनद ट करे ।
3
(3) इस धारा के अधीन िलए गए माल के कसी नमूने पर जो उसक परीा या परीण के दौरान खप जाता है या न ट
हो जाता है कोई शु क भाय नह होगा *** । 4
145. वामी, आद ारा सीमाशु क िविध के अनु पालन सं बंधी आनु षंिगक सं या का कया जाना—उिचत अिधकारी
ारा परीा के िलए माल को उपल य करने के िलए या ऐसी परीा को सु कर बनाने के िलए, यथाि थित, माल के वामी,
आयातकता या िनयातकता ारा सभी आव यक सं याएं क जाएं गी या उसके खच पर क जाएं गी ।
[146. सीमाशु क दलाल के िलए अनुि त—(1) कोई यि त कसी वहण के वे श या थान के सं बंध म या कसी सीमाशु
5
1
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।
2
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 80 ारा लोप कया गया ।
3
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
4
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 81 ारा लोप कया गया ।
5
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 82 ारा ित थािपत ।
79
(ङ) वे िनब धन और शत (िजनके अं तगत अनुि तधारी ारा ितभूित दे ना भी है ) िजनके अधीन रहते
ए अनुि त दी जा सके गी;
(च) वे परि थितयां िजनम अनुि त िनलं िबत या ितसं त क जा सके गी; और
(छ) अनुि त के िनलं बन या ितसं हरण के आदे श के िव अपील, यद कोई ह, और वह अविध िजसके
भीतर ऐसी अपील फाइल क जा सकेगी ।]
[146 क. ािधकृ त ितिनिध के ारा हािजरी—(1) कोई यि त जो शपथ या ितान पर परीा के िलए यि तगत प
1
से हािजर होने के िलए धारा 108 के अधीन अपेित होने से अ यथा, इस अिधिनयम के अधीन कसी कायवाही के सं बंध म
कसी सीमाशु क अिधकारी या अपील अिधकरण के सम हािजर होने के िलए हकदार है या अपेित है , इस धारा के अ य उपब
ध के अधीन रहते ए ािधकृत ितिनिध के ारा हािजर हो सके गा ।
(2) इस धारा के योजन के िलए, “ािधकृ त ितिनिध” से उपधारा (1) म िनद ट यि त ारा अपनी ओर से
हािजर होने के िलए ािधकृत यि त अिभे त है , जो—
(क) उसका नाते दार या िनयिमत कमचारी है ; या
(ख) धारा 146 के अधीन अनु त [सीमाशु क दलाल] है ; या
2
(ग) ऐसा िविध यवसायी है जो भारत म कसी िसिवल यायालय म िविध यवसाय करने का हकदार है ; या
(घ) ऐसा यि त है िजसने ऐसी अहताएं अजत कर ली ह जो के ीय सरकार इस िनिम बनाए गए
िनयम ारा िविनद ट करे ।
(3) इस धारा म कसी बात के होते ए भी, यद कोई यि त जो भारतीय सीमाशु क और के ीय उ पाद-शु क से वा-ुप
क का सद य था और उस से वा म कसी भी हैिसयत म तीन वष से अ यून से वा करने के प चात् ऐसी से वा से िनवृ हो चु का है
या पद याग कर चु का है तो वह, यथाि थित, अपनी से वािनवृि या पद याग क तारीख से दो वष क कालाविध के िलए कसी
सीमाशु क अिधकारी के सम कसी कायवाही म ािधकृ त ितिनिध के प म हािजर होने का हकदार नह होगा ।
(4) कोई यि त,—
(क) जो सरकारी से वा से पद यु त कर दया गया है या हटा दया गया है ; या
[(ख) जो इस अिधिनयम, कीय उ पाद-शु क अिधिनयम, 1944 (1944 का 1), वण (िनयं ण) अिधिनयम,
2
1968 (1968 का 45) या िव अिधिनयम, 1994 (1994 का 32) के अधीन कसी कायवाही से सं ब कसी अपराध के
िलए िसदोष ठहराया गया है ; या]
(ग) जो दवािलया हो गया है ,
उपधारा (1) के अधीन कसी यि त का ितिनिध व करने के िलए ख ड (क) म िनद ट यि त क दशा म कभी भी और ख ड
(ख) म िनद ट यि त क दशा म इतने समय के िलए िजतना, यथाि थित, [सीमाशु क आयु त] या [क ीय उ पाद-शु क
3 4
अिधिनयम, 1944, (1944 का 1) वण (िनयं ण) अिधिनयम, 1968 (1968 का 45) या िव अिधिनयम, 1994 (1994 का 32)] के
अधीन सम
ािधकारी, आदे श ारा अवधारत करे और ख ड (ग) म िनद ट यि त क दशा म उतनी अविध के िलए िजसके दौरान
दवािलयापन बना रहता है , अहत नह होगा ।
(5) यद कोई यि त—
(क) जो िविध यवसायी है , अपनी वृिक हैिसयत म अवचार का दोषी ऐसे ािधकारी ारा पाया जाता है
जो उसके िव कायवाही सं ि थत करने के िलए हकदार है तो ऐसे ािधकारी ारा दए गए आदे श का कसी
सीमाशु क अिधकारी या अपील अिधकरण के सम उसके हािजर होने के अिधकार के स ब ध म वै से ही भाव होगा जै से
िविध यवसायी के प म यवसाय करने के उसके अिधकार के स ब ध म होता है ;
(ख) जो िविध यवसायी नह है , ऐसे ािधकारी ारा, जो इस िनिम बनाए गए िनयम ारा िविनद
ट कया जाए, इस अिधिनयम के अधीन क ह कायवािहय के सं बंध म अवचार का दोषी पाया जाता है तो वह
ािधकारी िनदे श कर सके गा क वह उसके बाद से उपधारा (1) के अधीन कसी यि त का ितिनिध व करने के
िलए िनरहत होगा ।
(6) उपधारा (4) के ख ड (ख) या उपधारा (5) के ख ड (ख) के अधीन कोई आदे श या िनदे श िन निलिखत शत के
अधीन होगा, अथात् :—
1
1980 के अिधिनयम सं ० 44 क धारा 50 और पांचव अनु सच
ू ी ारा (11-10-1982 से ) अं त: थािपत ।
2
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 83 ारा ित थािपत ।
3
1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क कल टर” के थान पर ित थािपत ।
4
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 83 ारा ित थािपत ।
80
(क) ऐसा कोई आदे श या िनदे श कसी यि त क बाबत तब तक नह कया जाएगा जब तक उसे सु ने जाने
का युि तयु त अवसर न दे दया गया हो;
(ख) कोई यि त िजसके िव ऐसा आदे श या िनदे श दया गया है , उस आदे श या िनदे श को र कराने के
िलए बोड को अपील, उस आदे श या िनदे श के दए जाने के एक मास के भीतर कर सके गा; और
(ग) ऐसा कोई आदे श या िनदे श तब तक भावी नह होगा जब तक उसके दए जाने से एक मास समा त न
हो जाए या जहां अपील क गई है , वहां अपील का िनपटारा न हो जाए ।]
147. मािलक और अिभकता का दािय व—(1) जहां यह अिधिनयम माल के वामी, आयातकता या िनयातकता ारा कसी
बात के कए जाने क अपे ा करता है , वहां वह बात उसक ओर से उसके अिभकता ारा क जा सकती है ।
(2) माल के वामी, आयातकता या िनयातकता के अिभकता ारा क गई ऐसी बात, जब तक क उसके ितकू ल
सािबत न कर दया जाए, ऐसे वामी, आयातकता या िनयातकता क जानकारी और स मित से क गई समझी जाएगी िजससे
क इस अिधिनयम के अधीन कायवाही म, माल का वामी, आयातकता या िनयातकता भी उसी कार दायी होगा मानो वह
बात उसने वयं क है ।
(3) जब कोई यि त, अिभ य त या िववित प से , माल के वामी, आयातकता या िनयातकता ारा इस अिधिनयम
के सभी या क ह योजन के िलए ऐसे माल क बाबत उसका अिभकता होने के िलए ािधकृ त कया जाता है , तब ऐसा यि
त, वामी, आयातकता या िनयातकता के दािय व पर ितकू ल भाव डाले िबना, ऐसे योजन के िलए [िजनके अं तगत1
इस अिधिनयम के अधीन उसके िलए दािय व भी है ] ऐसे माल का वामी, आयातकता या िनयातकता समझा जाएगा :
पर तु जहां कोई शु क अिभकता के जानबूझकर कए गए काय, उपे ा या यितम से िभ न कसी कारण से उद्गृहीत नह
कया जाता है या कम उद्गृहीत कया जाता है या उसका भूल से ितदाय कया जाता है , वहां ऐसा शु क अिभकता से वसूल नह
कया जाएगा जब तक क [सीमाशु क सहायक आयु त] क यह राय न हो क उसे वामी, आयातकता या िनयातकता से वसूल
2
नह कया जा सकता ।
148. वहण के भारसाधक यि त ारा िनयु त अिभकता का दािय व—(1) जहां यह अिधिनयम कसी वहण के
भारसाधक यि त ारा कसी बात के िलए कए जाने क अपे ा करता है , वहां वह बात उसक ओर से उसके अिभकता ारा क
जा सकती है ।
(2) कसी वहण के भारसाधक यि त ारा िनयु त अिभकता और सीमाशु क अिधकारी का ऐसे भारसाधक यि त के
अिभकता के प म अपने को यपद ट करने वाला यि त, जो ऐसे अिधकारी ारा अिभकता के प म वीकार कया जाता है , इस
अिधिनयम या त समय वृ कसी अ य िविध ारा या उसके अधीन ऐसे भारसाधक यि त पर नगत मामले क बाबत
अिधरोिपत सभी बा यता क पूत करने के िलए और ऐसे मामले क बाबत जो शाि तयां और अिधहरण उपगत ह उनके िलए
दायी होगा ।
149. द तावे ज का सं शोधन—धारा 30 और धारा 41 म जै सा उपबि धत है उसके िसवाय, उिचत अिधकारी,
विववे कानु सार, कसी द तावे ज को उसके सीमाशु क-सदन म पे श कए जाने के प चात् सं शोिधत कए जाने के िलए ािधकृ त
कर सकता है :
पर तु आयाितत माल के दे शी उपभोग के िलए िनकासी क जाने या भा डागार म िने प कए जाने या िनयाितत माल का
िनयात कए जाने के प चात् वे शप या पोतप या िनयातप का कोई सं शोधन उस द तावे जी सा य के आधार पर के िसवाय
ािधकृत नह कया जाएगा, जो उस समय िवमान था जब माल क, यथाि थित, िनकासी, िने प या िनयात कया गया था
।
150. माल के िवय क या और िवय आगम का उपयोजन—(1) जहां कसी माल का जो अिधहरण कए गए माल
नह ह इस अिधिनयम के क ह उपबं ध के अधीन िवय कया जाना है , वहां ये माल, उनके वामी को सूचना दे ने के प चात्
सावजिनक नीलाम से या िनिवदा ारा या वामी क स मित से कसी अ य रीित म िवय कए जाएं गे ।
(2) ऐसे िवय आगम का—
(क) सवथम िवय के खच के सं दाय के िलए,
(ख) उसके बाद िवय कए गए माल क बाबत वाहक को सं देय, यद कोई हो, ढु लाई और अ य भार के सं दाय
के िलए, यद माल को अिभरा म रखने वाले यि त को ऐसे भार क सूचना दे दी है ,
(ग) उसके बाद िवय कए गए माल पर शु क के, यद कोई हो, सं दाय के िलए,
(घ) उसके बाद िवय कए गए माल क बाबत ऐसे माल को अिभरा म रखने वाले यि त को शो य भार के
सं दाय के िलए,
1
2013 के अिधिनयम सं ० 17 क धारा 84 ारा अं त: थािपत ।
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1995 के अिधिनयम सं ० 22 क धारा 50 ारा “सीमाशु क सहायक कल टर” के थान पर ित थािपत ।