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कार्यशाला Workshop
कार्यशाला Workshop
कार्यशाला Workshop
कार्यशाला workshop एक निश्चित विषय पर प्रायोगिक कार्य होता है जिसमें समूह के सदस्य अपने ज्ञान एवं
अनुभव के आदान-प्रदान द्वारा विषय के बारे में सीखते हैं। कार्यशाला में प्रायोगिक कार्य एवं ज्ञान को अधिक
महत्व दिया जाता है । अधिकतम कार्यशालाएं नियंत्रित सदस्यों द्वारा प्रारं भ की जाती है । कार्यशाला में भाग लेने
वाले समस्या या विषय पर कार्य प्रारं भ करते हैं
(2).अनस
ु ंधान की विधियों का निर्धारण करना।
1.संचालक
2.आयोजक
3.विषय-विशेषज्ञ
4.सहभागी
प्राय: अनुसंधान के किसी विषय, क्षेत्र, समस्या के संदर्भ में कार्यशाला का आयोजन 3-10 दिन तक किया जाता है ,
कार्यशाला की तीन अवस्थाएं हो सकती है -
प्रथम अवस्था:- इस अवस्था में प्रकरण से संबंधित प्रस्तत
ु ीकरण एवं स्पष्टीकरण होता है ।
द्वितीय अवस्था:- यह अवस्था तीन दिन से एक सप्ताह तक चलती है । समस्त प्रशिक्षणार्थियों को छोटे -छोटे
समूहों में विभाजित किया जाता है । प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को अपने-अपने कार्य निर्धारण की स्वतंत्रता दी जाती है ।
कार्य करने के बाद अपने-अपने समूह में सुधार का प्रयास किया जाता है । इस अवस्था के अंतिम चरण में सभी
समह
ू एक साथ मिलते हैं और अपने कार्यों की व्याख्या प्रस्तत
ु करके रिपोर्ट तैयार की जाती है ।
तत
ृ ीय अवस्था:- तत
ृ ीय अवस्था अनौपचारिक होती है । इसमें सभी प्रशिक्षणार्थी अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में जाकर
कार्यप्रणाली में सुधार करते हैं। इस अवस्था को अनुकरण अवस्था भी कहते हैं। इस अवस्था के अंत में कार्य का
समापन होता है और विभिन्न प्रयोगों की व्यवहारिकता की व्याख्या प्रस्तुत की जाती है ।
3.अनस
ु ंधानों के व्यावहारिक उपयोगों की संभावनाओं को खोजना।
4.उच्च स्तरीय व्यक्तिगत क्रियाओं को प्रोत्साहित करना तथा उनके अभ्यास के अवसर जुटाना।
5.सामूहिक भावना एवं सामूहिक रूप से कार्य परू ा करने की क्षमताओं का विकास करना।
6.नवीन प्रत्ययों एवं उपागमों से परिचित होना तथा उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना।
कार्यशाला की सीमाएं(Limitations of Workshop):-
कार्यशाला की प्रमुख सीमाएं निम्नलिखित है –
2.रोचकता
7.अनुसरण का अभाव