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किसी उत्पाद अथवा सेवा को बेचने अथवा प्रवर्तित करने के उद्देश्य से किया जाने वाला जनसंचार विज्ञापन कहलाता

है। विज्ञापन विक्रय कला का एक


नियंत्रित जनसंचार माध्यम है जिसके द्वारा उपभोक्ता को दृश्य एवं श्रव्य सूचना इस उद्देश्य से प्रदान की जाती है कि वह विज्ञापनकर्ता की इच्छा से विचार
सहमति, कार्य अथवा व्यवहार करने लगे।
औद्योगिकीकरण आज विकास का पर्याय बन गया है। उत्पादन बढ़ने के कारण यह आवश्यक हो गया है कि उत्पादित वस्तुआें को उपभोक्ता तक पहुँचाया ही
नहीं जाय बल्कि उसे उस वस्तु की जानकारी की दी जाय। वस्तुतः मनुष्य को जिन वस्तुआें की आवश्यकता होती है व उन्हें तलाश ही लेता इसके ठीक
विपरीत उसे जिसकी जरूरत नहीं होती वह उसके बारे में सुनकर अपना समय खराब नहीं करना चाहता। इस अर्थ में विज्ञापन वस्तुआें को ऐसे लोगों तक
पहुँचाने का कार्य करता है जो यह मान चुके होते है कि उन वस्तुआें की उसे कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि उत्पादित वस्तु को लोकप्रिय बनाने
तथा उसकी आवश्यकता महसूस कराने का कार्य विज्ञापन करता है।
विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कु छ समाये होते है। वह बहुत कम बोलकर भी बहुत कु छ कह जाते है। आज विज्ञापन हमारे जीवन का अहम
हिस्सा बन चुका है। सुबह आंख खुलते ही चाय की चुस्की के साथ अखबार में सबसे पहले दृष्टि विज्ञापन पर ही जाती है। घर के बाहर पैर रखते ही हम
विज्ञापन की दुनिया से घिर जाते है। चाय की दुकान से लेकर वाहनों और दिवारों तक हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देते हैं।
किसी भी तथ्य को यदि बार-बार लगातार दोहराया जाये तो वह सत्य प्रतीत होने लगता है - यह विचार ही विज्ञापनों का आधारभूत तत्व है। विज्ञापन
जानकारी भी प्रदान करते है। उदाहरण के लिए कोई भी वस्तु जब बाजार में आती है, उसके रूप - रंग - सरंचना व गुण की जानकारी विज्ञापनों के
माध्यम से ही मिलती है। जिसके कारण ही उपभोक्ता को सही और गलत की पहचान होती है। इसलिए विज्ञापन हमारे लिए जरूरी है।
जहाँ तक उपभोक्ता वस्तुओं का सवाल है, विज्ञापनों का मूल उद्देश्य ग्राहको के अवचेतन मन पर छाप छोड़ जाता है और विज्ञापन इसमें सफल भी होते है।
यह 'कहीं पे निगाहें, कही पे निशाना' का सा अन्दाज है।
विज्ञापन सन्देश आमतौर पर प्रायोजकों द्वारा भुगतान किया है और विभिन्न माध्यमों के द्वारा देखा जाता है जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाओं, टीवी विज्ञापन,
रेडियो विज्ञापन, आउटडोर विज्ञापन, ब्लॉग या वेब्साइट आदि। वाणिज्यिक विज्ञापनदाता अक्सर उपभोक्ताओं के मन में कु छ गुणों के साथ एक उत्पाद का
नाम या छवि जोड़ जाते हैं जिसे हम "ब्रान्डिग" कहते है। ब्रान्डिग उत्पाद या सेवा की बिक्री बढाने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। गैर-वाणिज्यिक
विज्ञापनों का उपयोग राजनीतिक दल, हित समूह, धार्मिक संगठन और सरकारी एजेंसियाँ करतीं हैं।
2015 में पूरे विश्व में विज्ञापन पर कोई 529 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये जाने का अनुमान है।
'विज्ञापन' शब्द 'वि' और 'ज्ञापन' से मिलकर बना है। 'वि' का आभिप्राय 'विशिष्ट' तथा 'ज्ञापन' का आभिप्राय सूचना से है। अतः विज्ञापन का
अर्थ 'विशिष्ट सूचना' से है। आधुनिक समाज में 'विज्ञापन' व्यापार को बढ़ाने वाले माध्यम के रूप में जाना जाता है।
विज्ञापन के निम्नलिखित कार्य हैंः -
तमाम आलोचनाआें के होते हुए भी विज्ञापन हमारे जीवन स्तर को सुधारनें तथा उत्पादन बढ़ाने का प्रभावी माध्यम है। आज हम विज्ञापन युग के सीमान्त
पर आ खड़े हुए हैं। विज्ञापन को उत्पादित वस्तु बेचने अथवा प्रचारित करने की कला का सीमित उद्देश्य न मानकर जनचेतनायुक्त कलात्मक विज्ञापन को भी
प्राथमिकता देनी चाहिए।
वर्तमान समय में विज्ञापन के कोई रूप हमारे सामने आते है। इनको निम्नलिखित प्रकारो में रखा जा सकता है।
विज्ञापन माध्यम से जनता अथवा उपभोक्ता तक पहुंचने उन्हे अपनी ओर आकर्षित करने, रिझाने, उत्पाद की प्रतिष्ठा तथा उसके मूल्य को स्थापित किया
जाता है। इस प्रकार के विज्ञापन निर्माता तब प्रसारित करता है, जब उसका उद्देश्य ग्राहकों के मन में अपनी वस्तु का नाम स्थापित करना होता है और
यह आशा की जाती है कि ग्राहक उसे खरीदेगा। विज्ञापन विभिन्न माध्यमों के आधार पर विशिष्ट उपभोक्ताआें को अपने उद्देश्य के लिये मनाने की इच्छा
रखते है।
इस प्रकार का विज्ञापन सूचनाआें को प्रसारित करने की एवं व्यापारिक आभिव्यक्ति के रूप में सामने आता है। साथ ही इन विज्ञापनों का उद्ददेश्य जन-
साधारण को शिक्षित करना, जीवनस्तर उंचा करना, सांस्कृ तिक बौद्धि तथा आध्यात्मिक उन्नति करने का भाव निहित होता है। सामुदायिक विकास सुधार,
अंतराट्रीय सद्भाव, वन्य प्राणी रक्षा, यातायात सुरक्षा आदि क्षेत्रों में जन-साधारण की भलाई के उद्देश्य से सूचना प्रदान कर जागरकता उत्पन्न करता है।
सांस्थानिक विज्ञापन व्यावसायिक संस्थानों द्वारा प्रकाशित व प्रचारित कराये जाते है। ग्राहकों में विश्वास आर्जित करने के लिए इस प्रकार के विज्ञापन किये
जाते है। संस्थाओं के रूप में बड़े-बड़े उद्योग समूह अंतराष्ट्रीय अथवा राष्ट्रीय स्तर की कं पनियाँ आदि विज्ञापन प्रस्तुत कर राष्ट्रहित संबन्धी जनमत निर्माण
करती है। विज्ञापन की विषय-वस्तु नितान्त जन-कल्याण से संबंधित होती है। किन्तु इसमें स्व-विज्ञापन भी निहित होता है।
औद्योगिक विज्ञापन कच्चा माल, उपकरण आदि की क्रय में वृद्धि के उद्देश्य से किया जाता है, इस प्रकार के विज्ञापन प्रमुख रूप से औद्योगिक प्रक्रियाआें
में प्रमुखता से प्रकाशित किये जाते है, इस प्रकार के विज्ञापनों का प्रमुख उद्देश्य सामान्य व्यक्ति को आकर्षित करना नहीं होता है वरना औद्योगिक क्षेत्र से
संबंधित व्यक्तियों, प्रतिष्ठानों तथा निर्माताआें को अपनी ओर आकृ ष्ट करना होता है।
वित्तीय विज्ञापन प्रमुख रूप से अर्थ से संबंधित होता है, विभिन्न कं पनियों द्वारा अपने शेअर खरीदने का विज्ञापन उपभोक्ताआें को निवेश के लिए प्रोत्साहित
करने संबंधित विज्ञापन इसी श्रेणी में आते है, कभी-कभी कं पनी अपनी आय व्यय संबंधित विवरण देने की अपनी आर्थिक स्थिति की सुदृढता को भी
विज्ञापित करती है।
इस प्रकार के विज्ञापन अत्याधिक संक्षिप्त सज्जाहीन एवं कम व्ययकारी होते हैं। शोक संवेदना, ज्योतिष विवाह, बधाई, क्रय-विक्रय, आवश्यकता, नौकरी,
वर-वधू आदि से संबंधित इस प्रकार के विज्ञापन समाचार पत्र में प्रकाशित होते हैं।
उक्त प्रकार के विज्ञापनों के आतिरिक्त कु छ अन्य प्रकार के विज्ञापन भी दृष्टिगत होते है।
विज्ञापन के माध्यम के अनुसार वाणिज्यिक विज्ञापन, मीडिया भितिचित्र, होर्डिंग, सडक फर्नीचर घटकी, मुर्दित और रैक कार्ड, रेडियो, सिनेमा और
टेलीविजन स्क्रीन, शॅपिंग कार्ट, वेब, बस स्टाप, बेंच आदि का शामिल कर सकते है।
एक ताजा अध्ययन बताता है कि सभी विज्ञापनों में अभी भी टेलीविजन विज्ञापन सबसे प्रभावी विज्ञापन का तरीका है। इस वाक्य का साभित हम देख सकते
है जब लोकप्रिय घटनाओं के दौरान टेलीविजन चैनलों वाणिज्यिक समय के लिये उच्च कीमतों चार्ज करते है। संयुक्त राज्य अमेरिका में वार्षक "सूपर बाउल"
फु टबाल खेल टेलीविजन पर सबसे प्रमुख विज्ञापन घटना के रूप में जाना जाता है।
रेडियो विज्ञापनों का प्रसारित ट्रांसमीटर एवं एंटीना नामक यंंत्रों द्वारा किया जाता है। एयरटाइम विज्ञापनों के प्रसारण के लिये विदेशी मुद्रा में एक स्टेशन या
नेटवर्क से खरीदा जाता है। "आर्बिट्रान" नामक संस्थान के अनुसार अमेरिका के 93% जनसंख्या रेडियो का इस्तेमाल करती है।
ऑनलाइन विज्ञापन ग्राहकों को आकर्षित करने के लिये इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब का उपयोग करते है। ऑनलाइन विज्ञापन एक विज्ञापन सर्वर द्वारा वितरित
का उदाहरण, खोज इंजन परिणाम प्रष्ठों पर दिखाई देते हैं।
जो विज्ञापन समाचार पत्रों, पत्रिका, व्यापार पत्रिका में प्रकाशित किया जाता है, उसे हम छाप विज्ञापन कहते हैं। छाप विज्ञापन का पहला प्रपत्र वर्गीक्रु त
विज्ञापन है। छाप विज्ञापन का दूसरा प्रपत्र प्रदर्शन विज्ञापन है। प्रदर्शन विज्ञापन में एक बड़ा विज्ञापन में एक बड़ा विज्ञापन को अखबार का एक लेख का रूप
दिया जाता है।
बिलबोर्ड बड़े बोर्ड हैं जिनका उपयोग सार्वजनिक स्थानों किया जाता है। प्रायः बिलबोर्ड मुख्य सडकों के किनारे लगाये जाते हैं।
जो विज्ञापन दुकानों के अंदर स्थापित किया जाता है उसे हम दुकान में विज्ञापन या "इन स्टोर" विज्ञापन कहते है।
विमान, हवाई गुब्बारा द्वारा प्रकाशित किये विज्ञापनों को हम हवाई विज्ञापन कहते हैं।
विज्ञापन उत्पाद वस्तु के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने का कार्य करते हैं। एक अच्छे विज्ञापन में निम्नलिखित गुण/विशेषताएँ होनी चाहिएः -
किसी भी विज्ञापन की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वह लोगों का ध्यान आकर्षित करे। विज्ञापन की प्रस्तुति, भाषा और स्थान ऐसा होना चाहिए
जिससे लोगों की दृष्टि उस पर अवश्य पड़े। ऐसा न होने पर वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाएगा।
पत्र-पत्रिकाआें में प्रकाशित विज्ञापन हों अथवा होर्डिंग आदि के माध्यम से प्रस्तुत, उसकी साज-सज्जा इतनी मौलिक होनी चाहिए कि वह अपनी ओर लोगों
की दृष्टि अपने-आप खींच ले। सामान्य से अलग कु छ विशेष आकर्षण होना विज्ञापन की शर्तं है।
जिस उत्पाद अथवा वस्तु को विज्ञापित किया जा रहा है उसकी मुख्य विशेषता विज्ञापन में होनी चाहिए जिससे लोगों में उसके प्रति धारणा स्थापित करनें में
रुकावट न पैदा हो। मुख्य बातें या के न्द्रिय बिंदु को आधार बनाकर विज्ञापन आधिक तर्क संगत तथा प्रभावी बनाया जा सकता है।
विज्ञापन बनाने वाली एजेंसी को चाहिए कि वह ऐसा विज्ञापन तैयार करे जो पढ़े-लिखे तथा अनपढ़, शहरी तथा गाँव, सभी के लिए सुबोध हो। जिस
विज्ञापन को समझने में दर्शक को दिमाग लगाना पड़ेगा उसके प्रति वह जुड़ाव महसूस नहीं कर पाएगा। ऐसी स्थिती में जब लोग उसे समझ ही नहीं पाएँगे,
उत्पाद को उपयोग में लाने की ओर कदम कै से बढ़ाऐेंगे?
विज्ञापनदाता को चाहिए कि वह जिस उत्पाद को विज्ञापित करना चाहता है उससे जुड़े तमाम तथ्यों को क्रमवार प्रस्तुत करे। वस्तुतः विज्ञापन को बनाने की
आवश्यकता ही इसलिए महसूस की गयी कि जिसे जरुरत न हो वह भी उसके प्रति आकर्षित हो। तथ्यों की तर्क पूर्ण प्रस्तुति से लोग विज्ञापन के प्रति
खुलापन महसूस करते हैं।
विज्ञापन में यह गुण होना चाहिए कि वह स्थिर होते हुए भी देखने अथवा पढ़ने वाले की सोच को गति प्रदान करे। इसके लिए उसमें गत्यात्मक संके त होने
आवश्यक हैं, जिससे विज्ञापन जहाँ समाप्त हो, देखने वाला उसके आगे को सोचकर उसके उपयोग के लिए अपना मन बनाए।
विज्ञापन का शीर्षक आकर्षक होना चाहिए। वैसे चित्रात्मक विज्ञापन के लिए शीर्षक की आवश्यकता कम होती है फिर भी जहाँ आवश्यकता हो शीर्षक देने से
परहेज नहीं करना चाहिए। उदाहरणस्करप 'अतुल्य भारत' आदि। इससे विज्ञापन के विषय का ज्ञान हो जाता है।
विज्ञापन के माध्यम से कम से कम समय में उत्पाद की जानकारी दी जाती है। लोगों के व्यस्त समय में से एक क्षण चुराकर विज्ञापन को उनके सामने
प्रदर्शित किया जाता है। ऐसे में विज्ञापन यदि रुचिकर नहीं होगा तो अपने अन्य कामों में लगा हुआ व्यक्ति उसकी ओर ध्यान नहीं दे पाएगा। इसलिए यह
आवश्यक है कि उत्पाद का उपयोग करने वालों तथा विज्ञापन देखने वाले दोनों की रुचि का ख्याल रखा जाय।
आज तकनीकी विकास ने पूरे विश्व के लोगों को एक-दूसरे के नजदीक ला दिया है। दूरियों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इन सब कारणों ने मनुष्य
को और आधिक महत्वाकांक्षी बना दिया है। वर्तमान समय के बाजार प्रधान समाज में उपभोक्तावादी संस्कृ ति का बोलबाला बढ़ रहा है। ऐसे में उपभोक्ता,
समाज और उत्पादन के बीच संबन्ध स्थापित करने का कार्य विज्ञापन कर रहा है। उत्पादक के लाभ से उपभोक्ता की इच्छाआें की पूर्ति तथा उत्पादित
वस्तु के उपयोग का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य विज्ञापन को पहचान प्रदान करता है। ऐसे में विज्ञापन का महत्व सर्वसिद्ध है। विज्ञापन के महत्व को
रेखांकित करते हुए ब्रिटेने के पूर्व प्रधानमंत्री विलियम ग्लेडस्टोन ने कभी कहा था - व्यवसाय में विज्ञापन का वही महत्व है जो उद्योगक्षेत्र में बाष्पशक्ति के
आविष्कार का। विस्टन चर्चिल ने इसकी आर्थिक उपयोगिता के महत्व को प्रतिपालित करते हुए कहा था - टकसाल के आतिरिक्त कोई भी बिना विज्ञापन के
मुद्रा का उत्पादन नहीं कर सकता।
विज्ञापन के महत्व को हम निम्नलिखित रप में प्रस्तुत कर सकते है-
उद्योगों के माध्यम से नयी-नयी वस्तुआें का उत्पादन होता है ओर विज्ञापन से इन नवीन उत्पदों की जानकारी दी जाती है। सामान्य रप से उपभोक्ता
अथवा जनता पारंपारिक रप से जिस वस्तु का उपयोग करती आयी है उसे छोड़कर नयी वस्तु के प्रति उसमें संदेह बना रहता है। विज्ञापन के माध्यम से
उपभोक्ता में उत्पादित नयी वस्तु के प्रति रुचि पैदा की जाती है। के वल वस्तु ही नहीं, उत्पादनकर्ता, वस्तु की उपयोगिता तथा उसके गुणों की जानकारी
देने का कार्यभी विज्ञापन करता है। इस तरह उपभोक्ता के पास एक जैसी वस्तुआें की तुलना, उनके मूल्यों का अन्तर आदि का विकल्प विज्ञापन के
माध्यम से उपलब्ध होता है और वह अपनी सुविधा से अपने उपयोग की वस्तु का चयन कर उसे खरीदता है।
विज्ञापन से के वल उपभोक्ता का ही लाभ नहीं प्राप्त होता बल्कि उसे बेचने वाले दुकानदार अर्थात विक्रे ता को भी लाभ प्राप्त होता है। विज्ञापन विक्रे ता काम
इतना आसान कर देता है कि उसे नयी वस्तु के बारे में उपभोक्ताआें को बार-बार बताना नहीं पड़ता है। सच्चाई तो यह है कि विज्ञापन वस्तु के साथ
ही साथ वह कहाँ-कहाँ उपलब्ध है, इसकी जानकारी मुहैया कराता है। अतः विज्ञापन से उपभोक्ता तथा विक्रे ता दोनों को लाभ मिलता है।
विज्ञापन के माध्यम से नयी वस्तुआें के उत्पादन तथा उसकी उपयोगिता की जानकारी दी जाती है जिससे उपभोक्ताआें का ध्यान उस वस्तु के इस्तेमाल
की ओर के न्द्रित होता है। इस प्रकार विज्ञापन बाजार का निर्माण करता है। आज हम देखते है कि कल तक जहाँ पहुँचना दुर्गम माना जाता था वहाँ भी
लोगों की भीड़ पहुँच गई है। लोग अपने रहने के स्थान पर ही बाजार बनाते रहे हैं। पहले लोग किसी विशेष दिन समय निकालकर बाजार जाते थे, अब
बाजार स्वयं उनके पास आ गया है। यह सब विज्ञापन के कारण ही संभव हो पाया है।
विज्ञापन का योगदान राष्ट्रसेवा के लिए भी कम नहीं है। उत्पादन के प्रति लोगों को जागरक बनाकर विज्ञापन देश की अर्थव्यवस्था के विकास में विशेष सहयोग
प्रदान करता है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों, अन्तरराट्रीय समझौतों आदि को पारदर्शी रूप में प्रस्तुत कर विज्ञापनों ने पूरे वैश्विक परिदृश्य के
हित का कार्य किया है। आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक मुद्दों के विज्ञापनों के द्वारा किसी भी देश के विचारों उसकी संस्कृ ति तथा विकासात्मक
स्थिति को प्रस्तुत कर उनके कल्याणकारी कार्यो को जनता के बीच ले जाना भी राष्ट्रपति का कार्य है।
विज्ञापन की रंग योजना, महिलाआें के भड़कीले चित्र, शब्द योजना, अश्लील चित्रों का प्रयोग, आकर्षक शैली इससे उपभोक्ताआें का मनोरंजन भी होता
है। फिल्मों के प्रचार-प्रसार में विज्ञापन का अत्याधिक प्रयोग किया जाता है। फिल्म मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम है।
समाज कल्याण संबंधी प्रतिष्ठानों के विज्ञापनों का एक मात्र ध्येय जनता में विवेकशीलता उत्पन्न करना, उनको जीवनस्तर को ऊँ चा करना, बौद्धिक तथा
अध्यात्मिक विकास करना आदि रहा है। मुख्यतः विज्ञापन एक मार्ग लक्ष्य उत्पाद के संदर्भ में विश्वास पैदा करना उन्हें लेने के लिए मजबूर करना,
उपभोक्ताआें के दिलों दिमाग पर छाप छोड़ना आदि से उपभोक्ता वस्तुआें की खरीदीकर सके । सर्व शिक्षा आभियान, नारी सशक्तिकरण आदि विज्ञापनों द्वारा
लोग शिक्षा एवं नारी के विकास को अच्छे ढंग से समझ सकें हैं।
विज्ञापन का क्षेत्र पूरी तरह से व्यावसायिक है। उसका कार्य तथा उपयोगिता व्यावसायिक लाभ से ही संबन्धित है। हिन्दी भारत में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा
बोली तथा समझने वाली भाषा है। इस अर्थ में विज्ञापन के माध्यम के रप में सबसे महत्वपूर्ण हिन्दी भाषा है। विज्ञापन के विषय अथवा उत्पादित वस्तुआें
के गुण तथा उसकी प्रस्तुति के आधार पर उसकी आन्तरिक एवं बाही आवश्यकताआें के अनुरप भाषा की जरुरत होती है। आज हिन्दी विज्ञापन की
आवश्यकता के अनुरूप नया रूप ग्रहण कर रही है। विज्ञापन के अनुसार हिन्दी भाषा में नित-नये प्रयोग हो रहे है। इससे भाषा का विकास हो रहा है और
हिन्दी मात्र पुस्तकों की भाषा न होकर नए समय और समाज की जीवंत भाषा बनती जा रही है।
प्रत्येक भाषा की अपनी भाषा संस्कृ ति होती है। उसकी शब्दावली, वाक्य रचना, मुहावरे आदि विशेष होते है। हिन्दी का भी अपना भाषा संस्कार है। विज्ञापन
के वर्तमान रूप में पारंपारिकता के त्याग तथा आधुनिकता के स्वीकार की स्थिती देखी जा सकती है। उसमें के वल उत्पादक, उत्पादित वस्तु और उपभोक्ता
ही नहीं आता, बल्कि जनसंचार के सभी माध्यम और यातायत के साधन भी आते हैं, ये सभी विज्ञापन के प्रसार में सहायक होते है।
हिन्दी के क्रियापदों के प्रयोग से विज्ञापनों में आधिक कह देने की क्षमता पैदा होती है। बिकाऊ है, जररत है, चाहते हो, आते हैं, जाते हैं, आइए
जैसे शब्दों के प्रयोग से विज्ञापनों की अर्थवत्ता बढ़ती है। पत्र-पत्रिकाआें जैसे मुद्रित विज्ञापनों में प्रयोग की जानेवाली हिन्दी-शब्दावली माध्यम के परिवर्तन के
साथ बदल जाती है। रेडियों में जहाँ ध्वन्यात्मक शब्दों का महत्व होता है वहीं टेलिविजन तथा सिनेमा में दृश्यात्मक क्रियापदों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए यदि मुद्रित रूप में ठंढी के दिनों में त्वचा को मुलायम रखने के लिए ’बोरोलीन लगाइए' जैसा विज्ञापन छपता है तो रेडियो के लिए -
'ठंढी की खुश्की दूर करे बोरोलीन' जैसे शब्द प्रयोग किए जाएँगे, लेकिन दूरदर्शन और दृक् -श्रव्य माध्यमों में दृश्यात्मक पदों जैसे ’देखा आपने? जाना
आपने ?' आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
विज्ञापन को आर्थिक विकास के लिये देखा जा सकता है, कई लोग विज्ञापनों के सामाजिक लगत पर भी ध्यान देना चाहते है। इस आलोचन का प्रमुख
उदाहरण इन्टरनेट विज्ञापन है। इन्टरनेट विज्ञापनों स्पेम जैसे रूपों में आकर कं प्यूटर को क्शति करते है। विज्ञापनों को अधिक आकर्षक बनाके , एक उपभोकता
की इच्छाओं का शोषण कराता है।
जनता के हित की रक्षा के प्रयासों का ध्यान देने के लिये विज्ञापनों का विनियमन की गैइ है। उदाहरण: स्वीडिश सरकार 1991 में टेलिविशन पर तंबाकू
विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। अमेरिका में कै इ समुदायों का मानना है कि आउटडोर विज्ञापन बाहर सुन्दरता को नष्ट करते है।
उपभोक्ताओं और बाजार के बीच दर्शाती संके तो और प्रतीकोंं रोजमर्रा की वस्तूओं में इनकोड किय गया है। विज्ञापन में कै इ छिपा चिन्ह और ब्रांड नाम के
भीतर अर्ध, लोगो, पैके ज डिजाइन, प्रिन्ट विज्ञापन और टीवी विज्ञापन है। अध्ययन और सन्देश की व्याख्या करने के लिये सान्के तिकता का उपयोग करते
है। लोगों और विज्ञापनों दो स्तरों पर व्याख्या की जा सकती है: 1) सतह के स्तर और 2) अंतर्निहित स्तर
1) सतह के स्तर को अपने उत्पाद के लिये एक छवि या व्यक्तित्व बनाने के लिये रचनात्मक सन्के त का उपयोग करता है। ये सन्के त छवियों, शब्द, रंग
या नारी ही सकता है।
2) अंतर्निहित स्तर छिपा अर्थ से बना है। छवियों का सन्योजन, शब्द, रंग और नारा दर्शकों या उपभोकता द्वारा व्याख्या की जानी चाहीये। लिंग के
सांके तिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। विपणन सन्चार के दो प्रकार होते है: उदेशय और व्यक्तिपरक।
विज्ञापनो में, पुरुषों स्वतन्त्र रूप में प्रतिनिधित्व किया जाता है।
परीवारों का उपयोग विज्ञापन में एक प्रमुख प्रतीक बन गया है और मुनाफा बढाने के लिये विपणन अभियानों में उपयोग किय जाता है।
1) बीवी- पुराने जमाने में एक बीवी का अवतार सिर्फ एक घरवाली के रूप में दिख सखति थी। आजकल, लोगों के सोचविचार बदल चुका है, एक
बीवी का उपयोग हर जगह में जरूरी है। एर्टेल के नैइ टेलिविशन विज्ञापन में बिवी को कं पनी में अप्ने पति से बड़ा सथान निभा रही है।
2) पति- विज्ञापनों में एक पती घर के बाहर काम के प्रदर्शन और परिवार के वित्त का ख्याल रखने के रूप में दिखाई देता है।
3) माता-पिता- इतिहास के दौरान माताओं के बच्चों की प्राथमिक शारीरिक देखबाल करने वालों के रूप में चित्रित किया गया है। शारीरिक देखबाल ऐसे
स्तनपान और बदलते डायपर के रूप में कार्य भी शामिल है।
विज्ञापन तैयार करने से पहले उद्यमी के दिमाग में यह बात स्पष्ट होती है कि उसका उपभोक्ता कौन है? और अपने विज्ञापनों में उद्यमी /विज्ञापन एजेंसी
उसी उपभोक्ता समूह को सम्बोधित करती है। उस समूह की रूचि, आदतों एवं महत्वाकांक्षाओं को लक्ष्य करके ही विज्ञापन की भाषा, चित्र एवं अखबार,
पत्रिकाओं, सम्प्रेषण माध्यमों का चुनाव किया जाता है। उदाहरणार्थ - यदि कोई उद्यमी महिलाओं के लिए कोई वस्तु तैयार करता है तो उसकी शैली निम्न
बातों के आधार पर निर्धारित होगी -
उपभोक्ता समूह - महिलाएँ
आर्थिक - मध्यम/ निम्न/ उच्च
शैक्षिक स्तर - साधारण/ उच्च
अपनी सलोनी त्वचा के लिए मैं कोई ऐसी- वैसी क्रीम इस्तेमाल नहीं करती।

यदि वस्तु की खरीददार मध्यम श्रेणी की महिलाएं हो तो विज्ञापन फु सफु सायेगा -


जिसका था आपको इंतजार............एक क्रीम जो आपकी त्वचा को कमनीय बनाये। ..... आपके पति आपको देखते रह
जायें.....................

भाषा एवं शैली ही नहीं, अपितु विजुअल्स या चित्राकं न भी विज्ञापन का महत्वपूर्ण अंग है। ये चित्र, ग्राफ्स इत्यादि भाषा के प्रभाव को और भी प्रबलता
प्रदान करते है। ये सब भी उपभोक्ता समूह को मद्देनजर रखकर ही तैयार किये जाते है।
उदाहरण स्वरूप यदि काँलेज के विद्यार्थियों के लिए कोई वस्तु तैयार की गई है तो चुस्त- फु र्त युवक - युवतियों का समूह विज्ञापन में दर्शाया जायेगा या
फिर एक खूबसूरत युवती को निहारते युवक दिखाये जायेंगे। .................. और स्लोगन धीमे से फु सफु सायेगा आपको कानों में -
जिसने भी देखा.......................देखता ही रह गया।............
एक युवक बाईक पर सवार उसे देखकर .................मुग्ध नवयौवनाएँ।

एक मशीनी चीता तेज रफ्तार से दौडते हुए आता है। उस पर बैठा व्यक्ति उसको नियंत्रित करता है। चीता एक बाईक में बदल
गया।.................

अब आप समझ सकते हैं कि भाषा एवं चित्रों का यह गठबन्धन उपभोक्ताओं पर कितना गहरा असर डाल सकने में सक्षम है। ये श्रोताओं के मन में दबी -
छु पी इच्छाओं को उभारते है। यही कारण है कि उपभोक्ता जब वस्तुएँ खरीदता है, तब वह सिर्फ पैकिं ग में लिपटा माल ही नहीं खरीदता, अपितु अपनी
प्रसुप्त इच्छाओं की पूर्ति भी करता है।
कोई महिला जब लक्स साबुन खरीदती है, तब वह सिर्फ स्नान के लिए साबुन नहीं क्रय करती है, अपितु फिल्म अभिनेत्रियों का सा- सौन्दर्य पाने की
जो आकांक्षा है, उसकी कीमत भी अदा करती है।।
इस तरह एक छोटा सा विज्ञापन बहुत बडी ताकत अपने आप में छिपाये होता है। यह एक लक्ष्य को निर्धारित कर शुरू होता है। और चुपके से अपनी बात
कह जाता है। विज्ञापन का मूल उद्देश्य किसी वस्तु विशेष को क्रय करने का सुझाव देना है। विज्ञापन कभी सिर पर चोट नहीं करता, वह तो हमारी पीठ
में कोहनी मारता है। वह भाषा, शैली, ध्वनि, चित्र, प्रकाश के माध्यम से हमारे अवचेतन से बतियाता है। विज्ञापन सुझाव ऐसे देता है -
मैं सिन्थाल इस्तेमाल करता हूँ।
हमको बिन्नीज माँगता
फे ना ही लेना।
जल्दी कीजिये.................सिर्फ तारीख तक।
कोई भी चलेगा मत कहिये .........................मांगिये।
विज्ञापन बार-बार वस्तु के नाम का उललेख करता है, जिससे कि उनका नाम आपको याद हो जाये। जब आप दुकान पर जाते है तो कु छ यूँ होता
है।...........
आप कहते है साबुन दीजिये........
दुकानदार: कौन सा चाहिये, बहनजी?
बस यही वक्त है, जब आपके अवचेतन में पडे़ विज्ञापन अपना खेल खेलते हैं, वे कहते है।...............कोई भी चलेगा मत कहिये
............. क ख ग ही मांगिये।
या
मैं सिन्थाल इस्तेमाल करता हूँ - विनोद खन्ना
बरसों से फिल्म अभिनेत्रियँ लक्स इस्तेमाल करती है।
जो विज्ञापन आपकी प्रसुप्त इच्छाओं को पूरा करता है, वह बाजी मार जाता है।
यह स्पष्ट है कि विज्ञापन प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहता है। वह कभी हास्य के माध्यम से, कभी लय के माध्यम से, कभी -कभी भय उत्पन्न
करके भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। विज्ञापन की कलात्मकता एवं सृजनात्मकता इस बात में निहित है कि यह परिस्थितियों को नये
नजरिये से देखने की कोशिश करता है।
जिस तरह एक कवि बिम्बों के माध्यम से अपनी भावनाऒं को अभिव्यक्त करता है। उसी प्रकार एक विज्ञापन भी प्रतिकात्मक रूप से मानवीय इच्छाओं,
भावनाओं एवं कामनाओं का स्पर्श करता है।
फू ल सौन्दर्य और प्रेम के प्रतीक बन जाते हैं तो दूसरी ओर हरे रंग का शैतान मनुष्य की ईष्र्या को व्यक्त करता है ।
इस तरह आप विज्ञापन का अन्दाज समझने लगेंगे। विज्ञापन फिर आपको बहका नहीं पायेंगे, अपितु अपने आसपास के परिदृश्य एवं मानव मन की आपकी
समझ भी गहरी होगी। विज्ञापन सम्प्रेषण की एक संपूर्ण कला है।
नारंगी एक पारिभाषित तथा दैनिक जीवन में प्रयुक्त रंग है, जो नारंगी के छिलके के वर्ण जैसा दिखता है। यह प्रत्यक्ष स्पॅक्ट्रम के पीला एवं लाल रंग के
बीच में, लगभग 585 - 620 nm के तरंग दैर्घ्य में मिलता है। में यह 30º के पास होता है।

यह रंग इसी नाम के फल के रंग पर दिया गया है।

यह रंग वस्तुओं को अलग हट कर दिखने हेतु प्रयोग किया जाता है। सुरक्षा ऑरेंज के निकटवर्ती परंतु गहन।

इसे पर्सिम्मन भी कहते हैं। यह रंग इसी नाम के फल के पकने पर आता है।
मूँगा
मूँगा एक रत्न है, जिसके नाम पर इस रंग का नाम दिया गया है। यही रंग हिंदु धर्म में मूलाधार चक्र दर्शाता है।

साल्मन एक रंग है, जो कि इसी नाम के प्राणी के मांस के रंग के आधार पर दिया गया है।
साल्मन
महोगनी इसी नाम के पेड़ के पत्तों का रंग है।
यह आधिकारिक क्रे योला रंग भी है।

आडू़ रंग [[गुलाबी एवं नारंगी को मिलाने पर बनता है। इसका नाम इसी नाम के फल पर दिया गया है, जो कि इसी आभा का होता है।
पीच

te) varieties of peach fruit, such as the Elberta peach and the yellow cling peach.

यह रंग कद्दू नाम की सब्जी़ के पकने पर जो रंग आता है, उस रंग पर पडा़ है। इस सब्जी़ को सीताफल भी कहते हैं।

यह रंग लोहा धातु में हवा या पानी में स्थित ऑक्सीजन से ऑक्सीकरण होने पर भस्म बनती है, जिसे जंग लगना भी कहते हैं। उस रंगका होता है।

यह रंग इसी नाम के फल के रंग पर बना है।

यह गुलाबी एवं नारंगी रंगों का मिश्रण है।


यह एक स्टेन का रंग है, जो शायद दक्षिण अफ्रीका में ऑरेंज बोला जाता है। इसके लिए CD5700 के अलावा CF5300 एवं CE5600 भी हैक्स
नम्बर प्रयोग होते हैं। इसे टैन्ने भी कहते हैं।

रंगों की सूची
नारान पाकिस्तान के उत्तरी भाग में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले की काग़ान घाटी में स्थित एक शहर है। यह ज़िले की राजधानी मानसेहरा
शहर से 119 किमी दूर है और 8,202 फ़ु ट की ऊँ चाई पर कु नहार नदी के किनारे बसा हुआ है।
पर्वत
कु नहार नदी
मलिका परबत
झील
सैफ़-उल-मुलूक झील
नारान में घोड़े चरते हुए
निर्देशांक: 27°11′N 78°01′E / 27.18°N 78.02°E / 27.18; 78.02
भदौरा उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के फ़तेहाबाद प्रखंड में स्थित एक गाँव है।

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यह नेशनल बास्के टबॉल असोसिएशन की पश्चिमी कांफ़्रें स की एक डिवीज़न है।


एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिके ट अर्थात वनडे में आज सबसे ज्यादा विके ट लेने का कीर्तिमान श्रीलंकाई क्रिके ट टीम के पूर्व बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज मुथैया
मुरलीधरन के नाम है जिन्होंने अपने कै रियर में 350 मैचों की 341 पारियों में कु ल 534 विके ट लिए। इस दौरान इन्होंने 10 बार किसी एक मैच में
5 या इससे ज्यादा विके ट लिए। वहीं इनके बाद पाकिस्तान क्रिके ट टीम के पूर्व कप्तान वसीम अकरम है जिन्होंने 356 मैच खेलते हुए 502 विके ट अपने
नाम किये थे। इन दोनों ही गेंदबाजों को अंतरराष्ट्रीय क्रिके ट परिषद द्वारा आईसीसी क्रिके ट हॉल ऑफ़ फे म का सम्मान भी मिल चुका है।

शक्ति सिंह सिसोदिया, जिन्हें शक्ति तथा सगत नामों से भी जाना जाता था, राणा उदय सिंह द्वितीय तथा रानी सज्जा बाई सोलंकिनी के पुत्र तथा महाराणा
प्रताप के छोटे भाई थे। अपने पिता से शत्रुतापूर्ण सम्बन्धों के कारण उन्होंने मुग़ल शासक अकबर के पाले में चले गये तथा बाद में उन्हें "मीर" की उपाधि
प्रदान की गयी। 1567 ईस्वी में धौलपुर से भाग गये जब अकबर ने वहाँ पड़ाव डाला था। उन्होंने अकबर की चित्तौड़ पर आधिपत्य जमाने की योजना
अपने पिता को बता दी जिससे अकबर बहुत नाराज हो गया। हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान वे अपने भाई महाराणा प्रताप के पक्ष में आ गये। उनके वंशज
शक्तवत नाम से जाने जाते हैं।
भारतीय ऐतेहासिक घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम भारत का वीर पुत्र – महाराणा प्रताप में शक्ति सिंह का किरदार विनीत कु मार ने निभाया है।
एच॰टी॰एम॰एल 5 एच॰टी॰एम॰एल मानक का अगला प्रमुख संशोधन है जिसका वर्तमान में विकास किया जा रहा है। अपने तत्काल पूर्ववर्तियों एच॰टी॰एम॰एल
4.01, तथा एक्स॰एच॰टी॰एम॰एल 1.1 की ही तरह, एच॰टी॰एम॰एल 5 भी वर्ल्ड वाइड वेब पर सामग्री की संरचना तथा उसको प्रस्तुत करने वाला
एक मानक है। वेब हाइपरटेक्स्ट अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी कार्य समूह ने नए मानक पर 2004 में काम शुरू किया; उस समय वर्ल्ड वाइड वेब कं सोर्टियम
एक्स॰एच॰टी॰एम॰एल 2.0 के भविष्यपरक विकास पर अपना ध्यान कें द्रित कर रहा था और एच॰टी॰एम॰एल 4.01 को 2004 से अपडेट नहीं किया
गया था। 2009 में, W3C ने एक्सएच॰टी॰एम॰एल 2.0 कार्य समूह के चार्टर को समाप्त हो जाने दिया और उसे नवीनीकृ त नहीं करने का निर्णय
लिया। W3C और WHATWG वर्तमान में साथ मिलकर एच॰टी॰एम॰एल 5 के विकास पर काम कर रहे हैं।
एच॰टी॰एम॰एल 5 को निम्न बातों के प्रतिक्रियास्वरूप विकसित किया जा रहा है - वर्ल्ड वाइड वेब पर सामान्य उपयोग में आने वाले एच॰टी॰एम॰एल तथा
एक्स॰एच॰टी॰एम॰एल, कई विनिर्देशों, वेब ब्राउजर जैसे सॉफ्टवेयर उत्पादों, सामान्य अभ्यास द्वारा स्थापित तथा मौजूदा वेब दस्तावेजों में कई वाक्यविन्यास
त्रुटियों द्वारा पेश की गयी सुविधाओं का मिश्रण है। यह एक ऐसी मार्क अप भाषा को परिभाषित करने का प्रयास भी है जिसे एच॰टी॰एम॰एल या
एक्स॰एच॰टी॰एम॰एल वाक्य-रचना में लिखा जा सके । इसमें आपसी रूप से अधिक जुड़े हुए क्रियांवनों को प्रोत्साहित करने वाले विस्तृत प्रसंस्करण मॉडल
शामिल हैं; यह दस्तावेजों के उपलब्ध मार्क अप को विस्तृत, बेहतर तथा तर्क संगत बनाता है; और जटिल वेब एप्लीके शंस के लिए मार्क अप तथा एपीआई को
पेश करता है।
विशेष रूप से, एच॰टी॰एम॰एल 5 कई नई वाक्यविन्यास सुविधाओं को जोड़ता है। इनमे शामिल है,, और तत्वों के साथ-साथ SVG सामग्री का
एकीकरण, जिन्हें स्वामित्व वाली प्लगइन्स तथा उनकी एपीआई का उपयोग किये बिना ही वेब पर मल्टीमीडिया और ग्राफिक सामग्री को शामिल तथा इस्तेमाल
किये जाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।, , और जैसे नए तत्वों को दस्तावेजों की सीमेंटिक रिचनेस को बेहतर बनाने के
हिसाब से डिजाइन किया गया है। अन्य तत्वों के हटा दिया गया है। शाब्दिक अभिव्यक्ति को बेहतर तथा सरल करने के लिए नई विशेषताओं को भी पेश
किया गया और अन्य को हटा दिया गया है।, और जैसे कु छ तत्वों को परिवर्तित, पुनःपरिभाषित तथा मानकीकृ त किया गया है। एपीआई और DOM अब
एच॰टी॰एम॰एल 5 विनिर्देशों का बुनियादी हिस्सा बन चुके हैं। यह अमान्य दस्तावेजों के लिए आवश्यक प्रसंस्करण को भी कु छ विस्तार से परिभाषित करता है
ताकि वाक्यविन्यास त्रुटियों के लिए सभी ब्राउजरों तथा अन्य उपयोगकर्ता एजेंटों द्वारा समान मानदंडों का उपयोग किया जाये.
एक आम गलत-धारणा यह है कि एच॰टी॰एम॰एल 5 वेब पृष्ठों के भीतर एनीमेशन प्रदान कर सकता है, जो कि गलत है। एच॰टी॰एम॰एल तत्वों को एनिमेट
करने के लिए जावास्क्रिप्ट आवश्यक है। जावास्क्रिप्ट और एच॰टी॰एम॰एल 4 का उपयोग करके भी एनीमेशन को किया जा सकता है। एप्पल जैसे कु छ
संगठन, पुरानी प्रौद्योगिकियों या वास्तव में सीएसएस के भविष्य के संस्करणों पर निर्भर करने वाली प्रौद्योगिकियों के विषय में यह दावा करके कि वे
"एच॰टी॰एम॰एल 5" हैं, इन गलत धारणाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, एप्पल की वेब साइट पर प्रौद्योगिकियों के कई ऐसे डेमो मौजूद हैं
जिनके विषय में एप्पल का दावा है कि वे एच॰टी॰एम॰एल 5 के उदाहरण हैं,। हालांकि, वहाँ मौजूद छह डेमो में से के वल दो, एच॰टी॰एम॰एल 5 मानक
की अनन्य प्रौद्योगिकियों पर निर्भर हैं।
वेब हाइपरटेक्स्ट अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी कार्य समूह ने इस विनिर्देश पर जून 2004 में वेब एप्लीके शंस 1.0. मार्च 2010 के अनुसार, नाम के तहत
काम शुरू किया; यह विनिर्देश WHATWG के पास ड्राफ्ट स्टेंडर्ड स्टेट तथा W3C के पास वर्किं ग ड्राफ्ट स्टेट में मौजूद है। गूगल, इंक। के इयान
हिक्सन एच॰टी॰एम॰एल 5 के संपादक हैं।
एच॰टी॰एम॰एल 5 विनिर्देश को 2007 में वर्ल्ड वाइड वेब कं सोर्टियम के नए एच॰टी॰एम॰एल कार्यदल के कार्य के प्रारंभ बिंदु के रूप में अपनाया गया था।
इस कार्य समूह ने विनिर्देश के पहले पब्लिक वर्किं ग ड्राफ्ट को 22 जनवरी 2008 में प्रकाशित किया था। विनिर्देश का काम एक जारी कार्य है और कई
वर्षों तक इसके ऐसा ही रहने की उम्मीद है, हालांकि पूरे विनिर्देश के अंतिम अनुशंसी स्तर तक पहुँचने से पहले ही एच॰टी॰एम॰एल 5 के कु छ हिस्सों के
समाप्त होने की उम्मीद है तथा ब्राउज़रों में उनको लागू किया जा सकता है।
W3C समय सारिणी के अनुसार, यह अनुमान है कि एच॰टी॰एम॰एल 5 W3C अनुशंसा तक 2010 तक पहुँच जायेगा। हालांकि, प्रथम पब्लिक वर्किं ग
ड्राफ्ट अपनी अनुमानित तिथि के 8 महीने बाद आ पाया था और अंतिम कॉल एंड कैं डीडेट अनुशंसा के 2008 तक पहुँचने की उम्मीद थी, लेकिन
जुलाई 2010 के अनुसार एच॰टी॰एम॰एल 5, W3C में अभी भी वर्किं ग ड्राफ्ट स्तर पर ही है। एच॰टी॰एम॰एल 5, अक्टू बर 2009 से WHATWG में
अंतिम कॉल स्तर पर है।
एच॰टी॰एम॰एल 5 विनिर्देश के संपादक इयान हिक्सन को उम्मीद है कि ये विनिर्देश 2012 के दौरान कैं डीडेट अनुशंसा स्तर तक पहुंच जायेंगे. इन
विनिर्देश के W3C अनुशंसा बनने के लिए निम्न मानदंड आवश्यक है - "दो 100% पूर्ण तथा पूरी तरीके से अन्तःसंचालित क्रियान्वयन".टेकरिपब्लिक के
साथ एक साक्षात्कार में हिक्सन ने अनुमान लगाया है कि यह संभवतः वर्ष 2022 या उसके बाद ही हो पायेगा. हालांकि, विनिर्देश के कई भाग स्थिर
हैं और उत्पादों में उन्हें कार्यान्वित किया जा सकता है:
Some sections are already relatively stable and there are implementations that are
already quite close to completion, and those features can be used today .
– WHAT Working Group, When will HTML5 be finished?, FAQ
एच॰टी॰एम॰एल 5 में आधुनिक वेबसाइटों के सामान्य उपयोग को प्रतिबिंबित करने वाले कई तत्वों और विशेषताओं को पेश किया गया है। उनमें से कु छ हैं,
जेनेरिक ब्लॉक के सामान्य उपयोग के लिए सीमेंटिक रिप्लेसमेंट तथा इनलाइन एलिमेंट्स, उदाहरण के लिए, , या की बजाय और .एच॰टी॰एम॰एल 4.01
से और जैसे कु छ विशुद्ध रूप से प्रदर्शनिय और बेकार तत्वों को हटा दिया गया है; इन तत्वों के प्रभावों को के स्के डिंग स्टाइल शीट्स का उपयोग करके
भी हासिल किया जा सकता है। वेब व्यवहार में DOM स्क्रिप्टिंग के महत्त्व पर नए सिरे से जोर दिया जा रहा है।
मार्क अप की समानता के बावजूद, एच॰टी॰एम॰एल 5 सिंटेक्स अब SGML पर आधारित नहीं रह गया है। हालांकि इसे एच॰टी॰एम॰एल के पुराने संस्करणों
की कॉमन पार्सिंग के साथ पीछे की तरफ से संगत होने के हिसाब से डिजाइन किया गया है। यह एक नई परिचयात्मक लाइन के साथ आता है जो कि
एक SGML दस्तावेज प्रकार की घोषणा,, जैसा दिखाई देता है, जो कि स्टेंडर्ड-कं प्लाएंट रेंडरिंग मोड को शुरू करता है।एच॰टी॰एम॰एल 5, WHATWG
के अन्य विनिर्देशन वेब फॉर्म्स 2.0 को भी समाहित करता है।
मार्क अप निर्दिष्ट करने के अलावा, एच॰टी॰एम॰एल 5 स्क्रिप्टिंग एप्लीके शन प्रोग्रामिंग इंटरफे सेज को भी निर्दिष्ट करता है। मौजूदा डोक्यूमेंट ऑब्जेक्ट मॉडल
इंटरफे स, विस्तारित होते हैं और वास्तविक सुविधाओं के साथ दस्तावेजित किये जाते हैं। नए एपीआई भी मौजूद हैं, जैसे कि:
उपरोक्त सभी प्रौद्योगिकियां W3C एच॰टी॰एम॰एल 5 विनिर्देशों में शामिल नहीं हैं, हालांकि WHATWG एच॰टी॰एम॰एल विनिर्देश में वे शामिल हैं। कु छ संबंधित
प्रौद्योगिकियां जो W3C एच॰टी॰एम॰एल 5 या WHATWG एच॰टी॰एम॰एल विनिर्देशन का हिस्सा नहीं हैं, इस प्रकार हैं:
W3C इनके लिए विनिर्देशों को अलग से प्रकाशित करती है।
भिन्नताओं और कु छ विशिष्ट उदाहरणों की सूची निम्न प्रकार से है।
dev.w3.org एच॰टी॰एम॰एल 5 डिफरेंसेज फ्रॉम एच॰टी॰एम॰एल 4 का नवीनतम एडिटर्स ड्राफ्ट प्रदान करता है, जो एच॰टी॰एम॰एल 5 में प्रत्येक
जुड़ने, हटने तथा परिवर्तित होने वाली चीज की पूर्ण जानकारी देता है।
एक्सएच॰टी॰एम॰एल 5, एच॰टी॰एम॰एल 5 का एक्सएमएल सीरियलाइजेशन है। XML दस्तावेज़ों को XML इंटरनेट मीडिया प्रकार के साथ प्रस्तुत किया जाना
चाहिए, जैसे कि application/xhtml+xml या application/xml. X एच॰टी॰एम॰एल 5 के लिए XML के सख्त, अच्छी तरह
से निर्मित सिंटेक्स ब्राउज़र गलत वाक्यविन्यास से निपटने में लचीलापन दर्शाता है। एच॰टी॰एम॰एल 5 को इस हिसाब से बनाया गया है कि पुराने ब्राउज़र नए
एच॰टी॰एम॰एल 5 कं स्ट्रक्ट्स की सुरक्षित तरीके से उपेक्षा कर सकते हैं। एच॰टी॰एम॰एल 4.01 के विपरीत, एच॰टी॰एम॰एल 5 विनिर्देश लेक्सिंग तथा पार्सिंग
के लिए विस्तृत नियम प्रदान करते हैं, जिनका उद्देश्य यह है कि गलत वाक्यविन्यास के मामले में सभी अनुरूप ब्राउज़र समान परिणाम प्रस्तुत करें। हालांकि
एच॰टी॰एम॰एल 5 अब "टैग सूप" दस्तावेजों के लिए संगत व्यवहार को परिभाषित करता है, उन दस्तावेजों को एच॰टी॰एम॰एल 5 मानक के अनुरूप के
रूप में नहीं माना जाता है।
HTML5 - हिन्‍दी में
टोयोटा मोटर निगम, एक जापानी मोटर वाहन निर्मान करने वाली कं पनी है। इसका मुख्यालय आएची,जापान के टोयोटा में है। वर्ष 2013 में इस बहुराष्ट्रीय
निगम में 333,498 कर्मचारी थे, और मार्च 2013 तक आय के मामले में विश्व की तेरहवी के साथ सबसे बड़ी कं पनी बनी। टोयोटा मोटर्स वर्ष
2012 मैं दूसरी सबसे बड़ी यात्री वाहन निर्माण करने वाली कं पनी थी, वाणिज्यिक वाहन सहित टोयोटा मोटर्स कु ल उत्पादन में सबसे बड़ा था और उसी
वर्ष के जुलाई में, कं पनी ने अपने 200000000 वाहन के उत्पादन की सूचना दी थी। नवम्बर 2013 तक बाजार पूंजीकरण द्वारा और राजस्व से
जापान में सबसे बड़ी सूचीबद्ध कं पनी है।
किछोरो टोयोडा ने ऑटोमोबाइल बनाने के लिए अपने पिता की कं पनी टोयोटा इंडस्ट्रीज के एक अलग हिस्से के रूप में कं पनी की स्थापना 1937 की थी।
तीन साल पहले, 1934 मई जब टोयोटा इंडस्ट्रीज का एक विभाग मात्र था, तब इसने अपना पहला उत्पाद तैयार किया जो एक 'टाइप ए' इंजन था
और 1936 मैं पहले यात्री कार, टोयोटा ए.ए. का निर्माण किया। टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन टोयोटा ब्रांड, हिनो, लेक्सस, रन्ज़्, और स्चिओन सहित
5 ब्रांड के तहत वाहनों का उत्पादन करता है। टीएमसी टोयोटा समूह, दुनिया में सबसे बड़ी कं पनियों के संगठन में से एक का हिस्सा है।
टोयोटा शहर, आइछि में टोयोटा का मुख्यालय है। टोयोटा का मुख्य मुख्यालय टोयोटा में एक तीन मंजिला इमारत में स्थित है। 2006 तक प्रधान
कार्यालय पर टोयोपेट - टोयोटा का लोगो और शब्द " टोयोटा मोटर " है। टोयोटा तकनीकी के न्द्र जो एक 14 मंजिला इमारत है, और होन्श संयंत्र,
टोयोटा का दूसरा बड़े पैमाने पर उत्पादन में संलग्न संयंत्र है जो पहले कोरोमो संयंत्र के नाम से जाना जाता था, मुख्यालय के निकट एक स्थान में एक
दूसरे से सटे हैं। हिंदू से विनोद याकू ब ने " मामूली " के रूप में मुख्य मुख्यालय भवन का वर्णन किया है। 2013 मैं कं पनी के प्रधान अकिओ टोयोटा
ने मुख्यालय में सुविधाओं की कमी के कारण विदेशी कर्मचारियों को बनाए रखने मे कठिनाइयों की बात कही थी।
इसका टोक्यो कार्यालय बुन्क्यो, टोक्यो में स्थित है। इसका नागोया कार्यालय नाकामुरा -कु , नागोया में स्थित है। ऑटोमोबाइल निर्माण के अलावा, टोयोटा
अपनी टोयोटा वित्तीय सेवा प्रभाग के माध्यम से वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है, और रोबोट भी बनाता है।
टोयोटा मोटर कं पनी के अध्यक्ष :
1981 में, टोयोटा मोटर कं पनी लिमिटेड ने अपने बिक्रि इकाई टोयोटा मोटर सेल्स् के साथ विलय की घोषणा की। 1950 तक युद्ध के बाद जापान में
पुनर्निर्माण के लिए एक शर्त के कारण यह दोनो दो अलग-अलग कं पनियों के रूप में अस्तित्व में थी। अपने चाचा एइजि के बाद शोइछिरो टोयोडा इस
संयुक्त संगठन के अध्यक्ष बने इसके बाद टोयोटा मोटर कं पनी लिमिटेड, टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के रूप में जाना गया।
टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष :
टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के सीईओ:
टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष :
14 जून 2013 को, टोयोटा मोटर कार्पोरेशन ने बोर्ड के बाहर के सदस्यों की नियुक्ति की घोषणा की, नियुक्ति उसी दिन एक बैठक में जनरल
शेयरधारकों की मंजूरी के बाद यह नियुक्ति हुई, ताके शी ऊछियमादा ने फ़ु जिओ चो की जगह लेते हुए उप अध्यक्ष से अध्यक्ष बने।
2011 मे टोयोटा समूह, Hino और Chinese संयुक्त उद्यम सहित) विश्व स्तर पर उत्पादन मे 8050181 इकाइयों के साथ तीसरे स्थान पर
गिर गया। प्रमुख कं पनियां द्वारा उत्पादन रिपोर्ट के आधार पर एक अनौपचारिक गिनती के अनुसार, 2012 में विश्व स्तर पर 9909440 इकाइयों के
उत्पादन के साथ टोयोटा अपने शीर्ष रैंक पर आ गया। 8 मई 2013 में, टोयोटा ने 10 मिलियन यूनिट निर्मान करने की घोषणा की, अगर यह लक्षय
हासिल किया गया तो टोयोटा 10 मिलियन यूनिट सीमा पार करने वाला पहला ऑटो निर्माता बन जाएगा।
ख़ुर्द और कलाँ फ़ारसी भाषा के शब्द हैं जो हिन्दी में और भारतीय उपमहाद्वीप में कई सन्दर्भों में पाए जाते हैं, विशेषकर जगहों के नामों में। "ख़ुर्द" का
मतलब "छोटा" होता है और "कलाँ" का मतलब बड़ा होता है। इन नामों को मुग़लिया ज़माने से प्रयोग किया जा रहा है। छोटी आबादी वाले गांवों-कस्बों
के पीछे खुर्द शब्द लगाया गया। फ़ारसी के इस शब्द का अर्थ होता है छोटा। यह खुर्द संस्कृ त के क्षुद्र से ही बना है जिसमें लघु, छोटा या सूक्ष्मता का
भाव है। देश भर में खुर्द धारी गांवों की तादाद हजारों में है।
इसी तरह कई गांवों के साथ कलां शब्द जुड़ा मिलता है जैसे कोसी कलां, बामनियां कलां । जिस तरह खुर्द शब्द छोटे या लघु का पर्याय बना उसी तरह
कलां शब्द बड़े या विशाल का पर्याय बना। कलां का प्रयोग लगभग उसी अर्थ में होता था जैसे भारत के लिए प्राचीनकाल में बृहत्तर भारत शब्द का प्रयोग
होता था जिसमें बर्मा से लेकर ईरान तक का समूचा भूक्षेत्र आता था। हालांकि किसी यात्रावृत्त में हिन्दुस्तान कलां जैसा शब्द नहीं मिलता। ग्रेटर ब्रिटेन की
बात चलती थी तो उसके उपनिवेशों का संदर्भ निहित होता था। इसी तरह कलां शब्द की अर्थवत्ता भी ग्रामीण आबादियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
कलां मूलतः फ़ारसी का शब्द है जिसका मतलब होता है वरिष्ठ, बड़ा, दीर्घ या विशाल। वैसे इसकी व्युत्पत्ति अज्ञात है। कु छ संदर्भों में इसे सेमेटिक भाषा
परिवार का बताया जाता है और इसे ईश्वर की महानता से जोड़ा जाता है। कलां की अर्थवत्ता के आधार पर यह ठीक है मगर इसकी पुष्टि किसी सेमेटिक
धातु से नहीं होती। कलां शब्द का प्रयोग सिर्फ स्थानों का रुतबा बताने के लिए ही नहीं होता था बल्कि व्यक्तियों के नाम भी होते थे जैसे मिर्जा कलां या
अमीर कलां अल बुखारी जिसका मतलब बुखारा का महान अमीर होता है। जाहिर है यहां कलां शब्द का अर्थ महान है।
मुस्लिम शासनकाल में बसाहटों के नामकरण की महिमा यहीं खत्म नहीं होती। कई गांवों के नामों के साथ बुजुर्ग शब्द लगा मिलता है जैसे सोनपिपरी बुजुर्ग ।
जाहिर है हमनाम गांव से फर्क करने के लिए एक बसाहट को वरिष्ठ मानते हुए उसके आगे बुजुर्ग लगा दिया गया और दूसरा हुआ सोनपिपरी खुर्द । ऐसी
कई ग्रामीण बस्तियां हजारों की संख्या में हैं। इसी तरह किसी गांव के विशिष्ट दर्जे को देखते हुए उसके साथ जागीर शब्द लगा दिया जाता था। इसका अर्थ
यह हुआ कि सालाना राजस्व वसूली से उस गांव का हिस्सा सरकारी ख़जाने में नहीं जाएगा अथवा उसे आंशिक छू ट मिलेगी। मुग़लों के दौर में प्रभावी
व्यक्तियों को अथवा पुरस्कार स्वरूप सामान्य वर्ग के लोगो को भी गांव जागीर में दिये जाते थे। मगर उसी नाम के अन्य गांवों से फ़र्क करने के लिए नए
बने जागीरदार उसके आगे जागीर जोड़ देते थे जैसे हिनौतियाऔर हिनौतिया जागीर ।
उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में कई ऐसे गाँव, शहर और मोहल्ले हैं जो एक जगह शुरू हुए और फिर फै लकर उनके दो हिस्से हो गए -
एक मुख्य या बड़ा हिस्सा और एक छोटा हिस्सा। ऐसे में बड़े हिस्से के नाम के पीछे "कलाँ" कहा जाने लगा और छोटे हिस्से के पीछे "ख़ुर्द"। इसके
इस क्षेत्र में हज़ारों उदहारण हैं -
कभी-कभी दो गाँव और बस्तियां अलग तो होती हैं लेकिन बढ़-बढ़कर एक दुसरे से मिलकर एक ही हो जाती हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में रिवाज है के यह
बात स्पष्ट की जाए के ख़ुर्द और कलाँ दोनों की बात हो रही है और उन्हें "ख़ुर्द कलां कहा जाता है -
इन दोनों शब्दों का प्रयोग कु छ और सन्दर्भों में भी होता है -

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