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पंचसिद्धान्तिका
पंचसिद्धान्तिका
सूर्य सिद्धांत:यह लटदे व (Latadeva) द्वारा रचित माना जाता है ले किन वास्तव में मयासु र
(MAyasura) द्वारा रचित है जिसे मामु नि मय (Mamuni Mayan) के रूप में जाना जाता है ।
वशिष्ट सिद्धांत:यह विष्णु चंदर् द्वारा रचित ग्रेट बियर (Great Bear) के सितारों में से एक कहा
जाता है ।
पु लिश सिद्धांत:इसे पॉलिसा (Paulisa) ग्रीक (Greek) सें ट् रा शहर (City of Saintra) से
पु कारा जाता है जिसे पाॅ लिसा द्वारा रचित अले क्जें ड्रिया माना जाता है ।
रोमक-सिद्धान्त:इसे रम (Rum) पु कारा जाता है जिसका अर्थ है कि रोमन साम्राज्य के विषय।यह
श्रीसे ना (Srishena) द्वारा रचित है ।
पितामह सिद्धांत।
वराहमिहिर का मु ख्य कार्य पं च सिद्धां तिका है ("पांच खगोलीय सिद्धांतों पर ग्रंथ हमें पु राने भारतीय ग्रंथों के बारे में जानकारी
दे ता है जो अब खो गए हैं )। ऐसा लगता है कि यह काम गणितीय खगोल विज्ञान पर एक ग्रंथ है और यह पांच पूर्व खगोलीय
ग्रंथों का सारां श दे ता है , अर्थात्, सूर्य सिद्धांत, रोमका सिद्धांत, पौलिसा सिद्धांत, वशिष्ठ सिद्धांत और पै तम सिद्धांत। पं च
सिद्धांत खगोल विज्ञान के क्षे तर् में एक प्रमु ख स्थान रखता है ।
उन्होंने प्रस्तावित किया कि चं दर् मा और ग्रह अपने स्वयं के प्रकाश के कारण नहीं बल्कि सूर्य के प्रकाश के कारण चमकदार हैं ।
यह प्रशं सित है कि वराहमिहिर की पं च सिद्धांत आर्यभट् ट के समय से पहले हिं द ू खगोल विज्ञान के इतिहास के लिए सबसे
महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है ।
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